JAC Board Class 9th Social Science Notes History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति
→ फ्रांस की क्रान्ति के पश्चात् यूरोप एवं एशिया सहित विश्व के बहुत से भागों में एक विशेष प्रकार की सामाजिक एवं राजनीतिक क्रान्ति आयी।
→ उन्नीसवीं शताब्दी में समाज में परिवर्तन के विषय में लोग विभिन्न विचारधाराओं-उदारवादी (लिबरल), क्रान्तिकारी (रैडिकल) तथा रूढ़िवादी (कंजरवेटिव) श्रेणियों में बँटे हुए थे। उदारवादी विचारक धार्मिक एवं आर्थिक मामलों में राज्य के हस्तक्षेप के विरुद्ध थे। वे जीवन के अधिकार, नागरिक व धार्मिक स्वतन्त्रता, सम्पत्ति की सुरक्षा एवं कोई भी व्यापार या व्यवसाय करने की स्वतन्त्रता के अधिकार पर बल देते थे। ये केवल सम्पत्तिधारी वयस्क मताधिकार के पक्ष में थे।
→ क्रान्तिकारी विचारक राजनीति में अधिक से अधिक व्यक्तियों की भागीदारी के पक्ष में थे। ये बड़े जमींदारों एवं उद्योगपतियों को प्राप्त विशेषाधिकारों के विरोधी तथा सभी वयस्कों के मताधिकार के पक्षधर थे।
→ रूढ़िवादी विचारक रैडिकल और उदारवादी दोनों के खिलाफ थे। वे चाहते थे कि आवश्यकतानुसार तथा धीमी गति से बदलाव आये।
→ सन् 1760 ई. के आस-पास यूरोप में औद्योगिक क्रान्ति हुई। परिवहन के नये साधन विशेषकर रेल परिवहन का विकास हुआ। औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप शहर तेजी से बसते और फैलते जा रहे थे जिससे आवास और साफ-सफाई के कार्यों में मुश्किल हो रही थी।
→ समाजवादी निजी सम्पत्ति के विरोधी थे। तत्कालीन विचारक कार्ल मार्क्स का मानना था कि पूँजीपतियों का मुनाफा मजदूरों की मेहनत से पैदा होता है अत: जब तक सम्पत्तियों पर सामाजिक नियन्त्रण एवं स्वामित्व नहीं होगा तब तक मजदूरों की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता है। 9 जनवरी, सन् 1905 ई. को रूस में प्रथम क्रान्ति हुई जिसे ‘खूनी रविवार’ के रूप में याद किया जाता है।
→ सन् 1914 ई. में प्रथम विश्व युद्ध प्रारम्भ हुआ जिसमें एक तरफ थे जर्मनी, ऑस्ट्रिया, बल्गारिया व तुर्की तथा दूसरी तरफ-फ्रांस, ब्रिटेन व रूस। 16 अक्टूबर 1917 को लेनिन ने पेत्रोग्राद सोवियत और बोल्शेविक पार्टी को सत्ता पर कब्जा करने के लिए राजी कर लिया।
→ जब बोल्शेविकों ने जमीन के पुनर्वितरण के आदेश दिये तो गृह युद्ध की स्थिति पैदा हो गयी, लेकिन उन्होंने उद्योगों और बैंकों के राष्ट्रीयकरण को जारी रखा।
→ लेनिन के बाद स्तालिन ने पार्टी की कमान सम्हाली तथा खेती के सामूहिकीकरण पर बल दिया, जिसका काफी विरोध हुआ।
→ बीसवीं सदी के अन्त तक एक समाजवादी देश के रूप में सोवियत संघ की प्रतिष्ठा काफी कम हो गयी थी।
अध्याय की महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ
→ सन् 1850-1880 ई. — तीस वर्षों का कालखण्ड जिसमें रूस में समाजवाद पर बहस जारी रही।
→ सन् 1898 ई. — रशियन सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी का गठन किया गया।
→ सन् 1900 ई. — सोशलिस्ट रेवलूशनरी पार्टी का गठन किया गया।
→ सन् 1905 ई. — रूसी क्रान्ति एवं खूनी रविवार की घटना तथा जार द्वारा ड्यूमा के गठन की सहमति।
→ सन् 1914 ई. — प्रथम विश्व युद्ध का आरम्भ। सन् 1916 ई. रोटी की दुकानों पर दंगे होने लगे।
→ सन् 1917 ई. — 2 मार्च को रूस के जार को सत्ता से हटना पड़ा तथा 24 अक्टूबर को पैत्रोग्राद में बोल्शेविक क्रान्ति हुई। जिसमें रूस की सत्ता पर समाजवादियों का कब्जा हो गया।
→ सन् 1918-1920 ई. — रूस में गृहयुद्ध जारी रहा।
→ सन् 1919 ई. — कॉमिन्टर्न का गठन।
→ सन् 1927-1932 ई. — रूस में प्रथम पंचवर्षीय योजना।
→ सन् 1929 ई. — रूस में सामूहिकीकरण की शुरुआत।
→ सन् 1930-1933 ई. — सोवियत रूस के इतिहास का सबसे बड़ा अकाल, 40 लाख से अधिक लोग मारे गये।
→ सन् 1933-1938 ई. — रूस की द्वितीय पंचवर्षीय योजना की समयावधि।
→ जार निकोलस द्वितीयरूसी — क्रान्ति जार निकोलस द्वितीय के शासनकाल में हुई।
→ कार्ल मार्क्स — समाजवादी दार्शनिक एवं विचारक।
→ फ्रेडरिक एंगेल्स — समाजवादी दार्शनिक एवं विचारक।
→ केरेंस्की — अक्टूबर सन् 1917 ई. की क्रान्ति के समय रूस के प्रधानमंत्री।
→ जदीदी — रूसी साम्राज्य में सक्रिय मुस्लिम सुधारवादी।
→ मेजिनी — इटली का राष्ट्रवादी नेता।
→ मार्फा वासीलेवा — मार्फा वासीलेवा नामक महिला ने अकेले ही एक सफल हड़ताल की।
→ लुई ब्लां — फ्रांसीसी समाजवादी विचारक।
→ लेनिन — रूस का एक क्रान्तिकारी नेता। उसने रूस की बोल्शेविक क्रान्ति का नेतृत्व किया।
→ स्टालिन — लेनिन के बाद पार्टी का नेतृत्व, कृषि के सामूहिकीकरण का फैसला एवं श्रम शिविरों की स्थापना।
→ रॉबर्ट ओवन — अंग्रेज समाजवादी विचारक एवं उद्योगपति।
→ अतिवादी — ये निजी सम्पत्ति के केन्द्रीकरण के विरोधी थे।
→ रूढ़िवादी — ये समाज की व्यवस्था में धीरे-धीरे परिवर्तन लाने के पक्षधर थे। उनका विश्वास था कि अतीत का सम्मान होना चाहिए।
→ इयमा — ड्यूमा रूस की राष्ट्रीय सभा अथवा संसद थी। इसका गठन सन् 1905 ई. में प्रथम बार हुआ। रूस के जार निकोलस द्वितीय ने इसे मात्र एक सलाहकार समिति में बदल दिया था।
→ उदारवादी — उदारवादी यूरोप के समाज के वे लोग थे जो वंशानुगत शासकों की निरंकुश शक्तियों के विरुद्ध थे। उदारवादी एक ऐसे राष्ट्र की स्थापना करना चाहते थे जिसमें सभी धर्मों को बराबर का सम्मान एवं स्थान मिले।
→ रूसी आर्थोडॉक्स चर्च — ईसाई धर्म की एक शाखा जो रूसी साम्राज्य का प्रमुख धर्म था। कोलखोज-रूस में सामूहिक खेतों को ‘कोलखोज’ कहा जाता था।
→ रूसी साम्यवादी दल — सन् 1917 ई. में रूस की क्रान्ति के पश्चात् बोल्शेविक पार्टी को ‘रूसी कम्युनिस्ट पार्टी’ (बोल्शेविक) का नाम दिया गया।
→ घुमन्तु — ऐसे लोग जो अपनी आजीविका के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते थे। इन्हें ‘खानाबदोश’ भी कहा जाता है।
→ सुफ्फरेगेट — महिलाओं को मताधिकार दिए जाने के लिए चलाया गया आन्दोलन। कुलक-रूस में सम्पन्न किसानों को ‘कुलक’ कहा जाता था।
→ चेका — चेका एक ‘कमीशन’ था जिसका कार्य रूसी साम्यवादी पार्टी के विरोधियों को दण्ड देना था।
→ तालाबन्दी — कारखाने को स्थायी रूप से बन्द करने के लिए कारखाना मालिकों द्वारा फाटक पर ताला लगा देना।
→ कॉमिन्टन — कम्युनिस्ट पार्टियों की अन्तर्राष्ट्रीय संस्था।
→ खूनी रविवार — 9 जनवरी, सन् 1905 ई. को पुलिस ने मजदूरों के एक समूह पर गोलियाँ चलायीं, जिसमें सौ से अधिक मजदूर मारे गए। इस दिन को खूनी रविवार कहा जाता है।
→ अप्रैल थीसिस — बोल्शेविक नेता लेनिन की सन् 1917 ई. की रूसी क्रान्ति से पूर्व तीन माँगें- शक्ति, भूमि को किसानों को स्थानान्तरित करना एवं बैंकों का राष्ट्रीयकरण ‘अप्रैल थीसिस’ के नाम से जानी गई।
→ रूसी स्टीम रोलर — शाही रूसी सेना को ‘रूसी स्टीम रोलर’ कहा जाता था।
→ ऑरोरा — यह एक रूसी युद्धपोत था।
→ ओजीपीयू व एनकेवीडी — गुप्तचर पुलिस जो बोल्शेविकों की आलोचना करने वालों को दण्डित करती थी।
→ सोवियत — रूस के स्थानीय स्वशासी संगठन।
→ मताधिकार आन्दोलन — वोट डालने का अधिकार पाने के लिए किया गया आन्दोलन।
→ निरंकुश राजशाही — राजा द्वारा बिना रोकटोक के शासन करना!
→ स्वायत्तता — अपना शासन स्वयं चलाने का अधिकार।
→ कार्यस्थितियाँ — काम करने की परिस्थितियाँ।
→ प्रतिक्रांतिकारी — क्रांति का विरोध करने वाले।
→ फरवरी क्रान्ति — रूस की यह क्रान्ति पुराने रूसी कैलेंडर के अनुसार 27, फरवरी सन् 1917 ई. को हुई थी। अत: इसे फरवरी क्रान्ति के नाम से पुकारा जाता है। जार ने राजगद्दी छोड़ दी तथा अन्तरिम सरकार की स्थापना हुई।
→ अक्टूबर क्रान्ति — पुराने रूसी कैलेंडर के अनुसार 24 अक्टूबर, सन् 1917 ई. को ‘अक्टूबर क्रान्ति’ हुई। इस क्रान्ति के फलस्वरूप केरेस्की सरकार’ का पतन हो गया।
→ बोल्शेविक क्रान्ति — अक्टूबर सन् 1917 ई. की रूसी क्रान्ति को बोल्शेविक क्रान्ति के नाम से भी जाना जाता है।