JAC Board Class 10th Social Science Notes Economics Chapter 1 विकास
→ विकास की धारणा
- विकास अथवा प्रगति की धारणा प्राचीन काल से ही हमारे साथ है।
- प्रत्येक व्यक्ति की अपनी आकांक्षाएँ व इच्छाएँ होती हैं कि वह क्या करना चाहता है और अपना जीवन कैसे जीना चाहता है।
- विभिन्न श्रेणी के व्यक्तियों के विकास के लक्ष्य भिन्न-भिन्न होते हैं। जैसे एक भूमिहीन ग्रामीण मजदूर विकास के लक्ष्य के अन्तर्गत अपने लिए काम करने के अधिक दिन एवं पर्याप्त मजदूरी चाहता है, स्थानीय विद्यालय उनके बच्चों को उत्तम शिक्षा प्रदान करे, कोई सामाजिक भेदभाव न हो एवं गाँव में उनका समुदाय चुनाव लड़कर नेता बन सके आदि मानकर
चलता है।
→ आय व लक्ष्य
- लोगों के लिए विकास के लक्ष्यों की भिन्नता के कारण एक के लिए जो विकास है वह दूसरे के लिए विकास न हो। यहाँ तक कि वह दूसरे के लिए विनाशकारी भी हो सकता है।
- विभिन्न लोगों की इच्छाएँ एवं आकांक्षाएँ अलग-अलग होती हैं। वे ऐसी चीजें चाहते हैं जो उनके लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हों अर्थात् वे चीजें जो उनकी इच्छाओं तथा आकांक्षाओं को पूरा कर सकें। इन इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति ही विकास के लक्ष्य हैं। ये लक्ष्य दो प्रकार के हैं आर्थिक लक्ष्य एवं गैर-आर्थिक लक्ष्य ।
→ राष्ट्रीय विकास
- लोग विकास के लिए मिले-जुले लक्ष्यों को देखते हैं जो बेहतर आय के साथ-साथ जीवन में अन्य महत्त्वपूर्ण चीजों के बारे में भी होते हैं।
- विश्व के विभिन्न देशों की तुलना करने का प्रमुख आधार उनकी आय होती है।
- राष्ट्रीय आय विकास का एक महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है जिन देशों की राष्ट्रीय आय अधिक होती है उन्हें कम आय वाले देशों से अधिक विकसित समझा जाता है। यह बात इस मान्यता पर आधारित है कि अधिक आय का अर्थ मानवीय आवश्यकताओं की सभी वस्तुओं का उपलब्ध होना है।
- दोनों देशों की तुलना करने के लिए राष्ट्रीय आय एक उपयुक्त माप नहीं है क्योंकि विभिन्न देशों में जनसंख्या अलग-अलग होती है। अतः इससे हमें यह ज्ञात नहीं होता है कि औसत व्यक्ति क्या कमा सकता है।
- दो देशों के मध्य तुलना करने के लिए प्रतिव्यक्ति आय को एक अच्छा आधार माना जाता है। औसत आय को प्रतिव्यक्ति आय भी कहा जाता है। देश की कुल आय में कुल जनसंख्या से भाग देकर प्रतिव्यक्ति आय ज्ञात कर ली जाती है।
- विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसारं देशों के विकास के आधार पर वर्गीकरण करते समय प्रतिव्यक्ति आय मापदण्ड का प्रयोग किया गया है।
- सन् 2017 में जिन देशों की प्रतिव्यक्ति आय US डॉलर 12.056 प्रतिवर्ष या उससे अधिक थी उन्हें समृद्ध देश कहा गया है तथा जिन देशों की प्रतिव्यक्ति आय US डॉलर 995 प्रतिवर्ष या उससे कम है, ऐसे देशों को निम्न आय वाला देश कहा गया है । इस दृष्टि से भारत मध्य आय वर्ग वाले देशों की श्रेणी में आता है क्योंकि सन् 2017 में भारत की प्रतिव्यक्ति आय ‘US डॉलर 1820 प्रतिवर्ष थी।
→ आय व अन्य मापदण्ड
- दो या दो से अधिक देशों अथवा राज्यों के मध्य प्रतिव्यक्ति आय के अतिरिक्त तुलना के अन्य प्रमुख आधारों में शिशु-मृत्यु दर, साक्षरता दर, निवल उपस्थिति अनुपात, मानव विकास सूचकांक एवं उपलब्ध सुविधाएँ शामिल हैं।
- यह जरूरी नहीं है कि जेब में रखा रुपया वे सब वस्तुएँ तथा सेवाएँ खरीद सके, जिनकी आपको एक अच्छा जीवन जीने के लिए जरूरत हो सकती है।
- जीवन में अनेक महत्त्वपूर्ण चीजों के लिए सबसे अच्छा तथा सस्ता तरीका इन चीजों व सेवाओं को सामूहिक रूप से उपलब्ध कराना है।
- स्वास्थ्य तथा शिक्षा की मौलिक सुविधाओं के पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होने के कारण केरल में शिशु मृत्यु दर कम है।
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू. एन. डी. पी.) द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट विभिन्न देशों की तुलना लोगों के । शैक्षिक स्तर, उनकी स्वास्थ्य स्थिति एवं प्रतिव्यक्ति आय के आधार पर करती है।
- विकास की धारणीयता तुलनात्मक स्तर पर ज्ञान का नया क्षेत्र है जिसमें वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, दार्शनिक तथा अन्य सामाजिक वैज्ञानिक संयुक्त रूप से कार्य कर रहे हैं।
→ प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली
1. विकास: विकास एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होने के साथ-साथ निर्धनता, असमानता, अशिक्षा एवं बीमारी में कमी भी हो अर्थात् लोगों के आर्थिक स्तर में सुधार हो एवं उनका जीवन स्तर ऊँचा हो।
2. राष्ट्रीय विकास: किसी राष्ट्र का आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक विकास।
3. बहुराष्ट्रीय कम्पनी: ये वे कम्पनियाँ हैं जिनका एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण अथवा स्वामित्व होता है।
4. आर्थिक विकास: आर्थिक विकास एक सतत् प्रक्रिया है जिसके द्वारा राष्ट्रीय आय एवं प्रतिव्यक्ति आय में दीर्घकालीन और निरन्तर वृद्धि होती है।
5. औसत आय: किसी देश की राष्ट्रीय आय को उसकी कुल जनसंख्या से भाग देने से प्राप्त राशि होती है। इसे प्रति व्यक्ति आय भी कहते हैं।
6. अर्थव्यवस्था: उन विभिन्न प्रणालियों और संगठनों का समूह जो लोगों को आजीविका प्रदान करते हैं।
7. मानव विकास: यह लोगों की इच्छाओं और उनके जीवन-स्तर में वृद्धि लाने की एक प्रक्रिया है ताकि वे एक उद्देश्यपूर्ण एवं सक्रिय जीवन जी सकें।
8. विश्व बैंक: सन् 1944 में स्थापित अन्तर्राष्ट्रीय बैंक। इस बैंक का उद्देश्य निर्धन, साधनहीन एवं विकासशील देशों को वित्त व तकनीकी सहायता उपलब्ध कराना है।
9. राष्ट्रीय आय: किसी समयावधि में एक अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं में कुल प्रवाह का मौद्रिक मूल्य।
10. विकसित देश: उच्चतम प्रतिव्यक्ति आय एवं उच्च जीवन स्तर की विशेषता वाले देश।
11. निम्न आय वाला देश: वे देश जिनकी प्रतिव्यक्ति आय US डॉलर 995 प्रतिवर्ष या उससे कम है, निम्न आय वाले . देश कहलाते हैं।
12. शिशु मृत्यु दर: किसी वर्ष में पैदा हुए 1000 जीवित बच्चों में से एक वर्ष की आयु से पहले मर जाने वाले बच्चों का अनुपात।
13. साक्षरता दर: 7 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षर जनसंख्या का अनुपात।
14. निवल उपस्थिति अनुपात: किसी आयु विशेष के विद्यालय जाने वाले कुल बच्चों का उस आयु वर्ग के कुल बच्चों के मध्य अनुपात।
15. यू. एन. डी. पी.: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम, जो विश्व के विभिन्न देशों की विभिन्न दशाओं का अध्ययन कर उनकी मानव विकास रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
16. मानव विकास रिपोर्ट: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा विभिन्न देशों के शिक्षा, स्वास्थ्य व आय आदि की दशा … के आधार पर प्रकाशित किया जाने वाला वार्षिक प्रतिवेदन।
17. एच. डी. आई.: मानव विकास सूचकांक। यह विश्व के देशों में विकास स्तर को समझने व तुलना करने में सहायक होता है।
18. विकास की धारणीयता: विकास का जो स्तर हमने प्राप्त किया है, वह भावी पीढ़ी के लिए भी बना रहे। .