JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 मृदा

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 मृदा Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 6 मृदा

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न- दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. भारत में कौन-सी मृदा सबसे विस्तृत उपजाऊ है?
(A) जलोढ़।
(B) काली मृदा
(C) लेटराइट
(D) वन मृदा।
उत्तर:
(A) जलोढ़।

2. किस मृदा को रेगड़ मृदा भी कहते हैं?
(A) नमकीन
(B) काली
(C) शुष्क
(D) लेटराइट।
उत्तर:
(B) काली।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 मृदा

3. मृदा की ऊपरी तह के उड़ जाने का मुख्य कारण
(A) पवन अपरदन
(B) अपक्षातान
(C) जल अपरदन
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
(A) पवन अपरदन।

4. कृषिकृत भूमि में जल सिंचित क्षेत्र में लवण का क्या कारण है?
(A) जिप्सम
(B) अति जल सिंचाई
(C) अति पशुचारण
(D) उर्वरक।
उत्तर:
(B) अति जल सिंचाई।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मृदा क्या है?
उत्तर:
मृदा भूतल की ऊपरी सतह का आवरण है। भू-पृष्ठ पर मिलने वाले असंगठित पदार्थों की ऊपरी परत को मृदा कहते हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 मृदा

प्रश्न 2.
मृदा निर्माण के प्रमुख उत्तरदायी कारक कौन-से हैं?
उत्तर:

  1. मूल पदार्थ
  2. उच्चावच
  3. जलवायु
  4. प्राकृतिक वनस्पति।

प्रश्न 3.
मृदा परिच्छेदिका के तीन संस्तरों के नामों का उल्लेख करो।
उत्तर:

  1. A-स्तर
  2. B-स्तर
  3. C-स्तर।

प्रश्न 4.
मृदा अवकर्षण क्या होता है?
उत्तर:
मृदा की उर्वरता के ह्रास को मृदा अवकर्षण कहते हैं। इससे मृदा का पोषण स्तर गिर जाता है तथा मृदा की गहराई कम हो जाती है।

प्रश्न 5.
खादर तथा बांगर में क्या अन्तर है?
उत्तर:
पुरातन जलोढ़ के निक्षेप से बने ऊंचे प्रदेश को बांगर कहते हैं। नवीन जलोढ़ के निक्षेप से बने निचले प्रदेश को खादर कहते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न – निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 125 शब्दों तक दीजिए
प्रश्न 1.
काली मृदाएं किसे कहते हैं? इनके निर्माण तथा विशेषताओं का वर्णन कीजिए
उत्तर:
काली मिट्टी (Black Soil)

1. विस्तार ( Extent ):
इस मिट्टी का विस्तार प्रायद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग में लगभग 5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में है। यह गुजरात, महाराष्ट्र के अधिकांश भाग, मध्य प्रदेश, दक्षिणी उड़ीसा, उत्तरी कर्नाटक, दक्षिणी आंध्र प्रदेश में मिलती है। यह मिट्टी नर्मदा, ताप्ती, गोदावरी तथा कृष्णा नदी की घाटियों में पाई जाती है।

2. विशेषताएं (Characteristics):
इस मिट्टी का निर्माण लावा प्रवाह से बनी आग्नेय चट्टानों के टूटने-फूटने से हुआ है। यह अधिकतर दक्कन लावा (Deccan Trap) के क्षेत्र में मिलता है। इसलिए इसे लावा मिट्टी भी कहते हैं। इस मिट्टी का रंग काला होता है इसलिए इसे काली मिट्टी (Black Soil) भी कहते हैं। इसे रेगड़ मिट्टी (Regur Soil) भी कहा जाता है। इस मिट्टी में चूना, लोहा, मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है, परन्तु फॉस्फोरस, पोटाश, नाइट्रोजन तथा जैविक पदार्थों की कमी होती है। इस मिट्टी में नमी धारण करने की शक्ति अधिक है। इसलिए सिंचाई की आवश्यकता कम होती है। इस मिट्टी की तुलना में इसकी ‘शर्नीज़म’ तथा अमेरिका की ‘प्रेयरी’ मिट्टी से की जाती है।

3. फसलों की उपयुक्तता (Suitability to Crops):
यह मिट्टी कपास की कृषि के लिए उपयुक्त है। इसलिए इसे ‘कपास की मिट्टी’ (Cotton Soil) भी कहते हैं। पठारों की उच्च भूमि में कम उपजाऊ होने के कारण यहां ज्वारबाजरा, दालों आदि की कृषि होती है। मैदानी भैग में गेहूं, कपास, तम्बाकू, मूंगफली तथा तिलहन की कृषि की जाती है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 मृदा

प्रश्न 2.
मृदा संरक्षण क्या होता है? मृदा संरक्षण के कुछ उपाय सुझाइए
उत्तर:
मृदा संरक्षण यदि मृदा अपरदन और मृदाक्षय मानव द्वारा किया जाता है, तो स्पष्टतः मानवों द्वारा ही इसे रोका भी जा सकता है। मृदा संरक्षण एक विधि है, जिसमें मिट्टी की उर्वरता बनाए रखी जाती है, मिट्टी के अपरदन और क्षय को रोका जाता है और मिट्टी की अपक्षरित दशाओं को सुधारा जाता है। मृदा अपरदन वास्तव में मनुष्यकृत समस्या है।

1. किसी भी तर्कसंगत समाधान में पहला काम ढालों की कृषि योग्य खुली भूमि पर खेती को रोकना है। 15 से 25 प्रतिशत डाल वाली भूमि का उपयोग कृषि के लिए नहीं होना चाहिए। यदि ऐसी भूमि पर खेती करना ज़रूरी हो जाए, तो इस पर सावधानी से सीढ़ीदार खेत बना लेने चाहिएं।

2. भारत के विभिन्न भागों में, अति चराई और झूम कृषि ने भूमि के प्राकृतिक आवरण को दुष्प्रभावित किया है। इसी प्रकार विस्तृत क्षेत्र अपरदन की चपेट में आ गए हैं। ग्रामवासियों को इनके दुष्परिणामों से अवगत करवा कर इन्हें ( अति चराई और झूम कृषि) नियमित और नियन्त्रित करना चाहिए।

3. समोच्च रेखा के अनुसार मेड़बंदी, समोच्च रेखीय सीढ़ीदार खेती बनाना, नियमित वानिकी, नियन्त्रित चराई, वरणात्मक खरपतवार नाशन, आवरण फसलें उगाना, मिश्रित खेती तथा शस्यावर्तन, उपचार के कुछ ऐसे तरीके हैं, जिनका उपयोग मृदा अपरदन को कम करने के लिए प्रायः किया जाता है।

4. अवनालिका अपरदन को रोकने तथा उनके बनने पर नियन्त्रण के प्रयत्न किए जाने चाहिएं। अंगुल्याकार अवनालिकाओं को सीढ़ीदार खेत बनाकर खत्म किया जा सकता है। अवनालिकाओं के शीर्ष की ओर के विकास को नियन्त्रित करने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। इस कार्य को अवनालिकाओं को बन्द करके, सीढ़ीदार खेत बनाकर या आवरण वनस्पति का रोपण करके किया जा सकता है।

5. मरुस्थलीय और अर्द्ध-मरुस्थलीय क्षेत्रों में कृषि योग्य भूमि पर बालू के टीलों के प्रसार को वनों की रक्षक मेखला बनाकर रोकना चाहिए। कृषि के अयोग्य भूमि को चराई के लिए चरागाहों में बदल देना चाहिए। बालू के टीलों को स्थिर करने के उपाय भी अपनाए जाने चाहिएं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 6 मृदा

भारत – स्थिति  JAC Class 11 Geography Notes

→ मिट्टी (Soil): भू-पृष्ठ पर मिलने वाले असंगठित पदार्थों की ऊपरी पर्त को मृदा कहते हैं।

→ मिट्टी के तत्त्व (Constituents of Soil): खनिज, ह्यूमस, जल, वायु तथा बैक्टीरिया ।

→ मिट्टी निर्माण के लिये आवश्यक तत्त्व (Formation of Soil): मूल पदार्थ, धरातल, जलवायु, ऋतु प्रहार।

→ मृदा के संस्तर (Horizons of Soil) अ – संस्तर, ब- संस्तर, स- संस्तर

→ मिट्टी की महत्ता (Importance of Soils ): मिट्टी एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है। मानव तथा आर्थिक क्रियाएं मिट्टी का उपजाऊपन पर निर्भर करती हैं।

→ भारत में मिट्टी के प्रकार (Types of Soils): भारतीय मिट्टी के समूह निम्नलिखित हैं

  • काली मिट्टी
  • लाल मिट्टी
  • लेटराइट मिट्टी
  • जलोढ़ मिट्टी
  • मरुस्थलीय मिट्टी
  • पर्वतीय मिट्टी

→ मृदा अपरदन (Soil erosion ): जल, वायु आदि द्वारा मिट्टी की ऊपरी परत का बहना मृदा अपरदन कहलाता है।

→ मृदा अपरदन के कारण (Causes of Soil Erosion): तीव्र ढलाने, भारी वर्षा, तेज़ हवाएं, चरागाहों का मृदा अत्यधिक प्रयोग, वनों की कटाई आदि।

→ मृदा संरक्षण (Conservation of Soil): मृदा संरक्षण के लिए मृदा का संरक्षण, पुन: नवीकरण तथा उपजाऊपन कायम रखना आवश्यक है। इसके लिए वनारोपण, नियन्त्रित पशु चारण, सीढ़ीनुमा कृषि तथा फ़सलों का हेर-फेर आवश्यक है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. प्राजैक्ट टाइगर का उद्देश्य क्या था?
(A) शेरों का शिकार करना
(B) अवैध शिकार को रोक कर शेरों की सुरक्षा
(C) शेरों को चिड़ियाघरों में रखना
(D) शेरों पर चित्र बनाना।
उत्तर:
(B) अवैध शिकार को रोककर शेरों की सुरक्षा।

2. नन्दा देवी जीव आरक्षण क्षेत्र किस राज्य में है?
(A) बिहार
(B) उत्तराखण्ड
(C) उत्तर प्रदेश
(D) उड़ीसा।
उत्तर:
(B) उत्तराखण्ड।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति

3. संदल किस प्रकार के वन की लकड़ी है?
(A) सदाबहार
(B) डैल्टा वन
(C) पतझड़ीय
(D) कंटीले वन।
उत्तर:
(C) पतझड़ीय।

4. IUCN द्वारा कितने जीव आरक्षण स्थल मान्यता प्राप्त है?
(A) 1
(B) 2
(C) 3
(D) 4
उत्तर:
(D) 4

5. वन नीति के अधीन वन क्षेत्र का लक्ष्य कितना था?
(A) 33%
(B) 53%
(C) 44%
(D) 22%.
उत्तर:
(A) 33%.

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
प्राकृतिक वनस्पति क्या है? जलवायु की किन परिस्थितियों में ऊष्ण कटिबन्धीय वन उगते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक वनस्पति से अभिप्राय उस पौधा समुदाय से है जो लम्बे समय तक बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के उगता है। इसकी विभिन्न प्रजातियां मृदा व जलवायु के अनुसार पनपती हैं। उष्ण कटिबन्धीय वन-ये वन उष्ण एवं आई प्रदेशों में उगते हैं। यहां वार्षिक वर्षा 200 सें० मी० से अधिक तथा औसत वार्षिक तापमान 22°C से अधिक रहता है। इससे कम वर्षा तथा तापमान में उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन मिलते हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति

प्रश्न 2.
जलवायु की कौन-सी परिस्थितियां सदाबहार वन उगने के लिए अनुकूल हैं?
उत्तर:

  1. वार्षिक वर्षा 200 सें० मी०
  2. औसत वार्षिक तापमान 22°C. ये दशाएं भूमध्य रेखीय जलवायु में मिलती हैं।

प्रश्न 3.
सामाजिक वानिकी से आपका क्या अभिप्रायः है?
उत्तर:
सामाजिक वानिकी का अर्थ है- पर्यावरणीय, सामाजिक व ग्रामीण विकास में मदद करने के उद्देश्य से वनों का प्रबन्ध और सुरक्षा तथा ऊसर भूमि पर वनारोपण। इसका उद्देश्य है ग्रामीण जनसंख्या के लिए ज्लावन छोटी इमारती लकड़ी और छोटे-छोटे वन उत्पादों की पूर्ति करना।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति

प्रश्न 4.
जीवमण्डल निचय को परिभाषित करें, वन क्षेत्र और वन आवरण में क्या अन्तर है?
उत्तर:
जीवमण्डल निचय आरक्षित क्षेत्र (Bioreserves) विशेष प्रकार के भौमिक और तटीय पारिस्थितिक तन्त्र हैं जिन्हें UNESCO द्वारा मान्यता प्राप्त है। वन क्षेत्र और वन आवरण एक-दूसरे से भिन्न-भिन्न हैं। वन क्षेत्र राजस्व विभाग के अनुसार अधिसूचित क्षेत्र हैं चाहे वहां वृक्ष हो या न हो। वन आवरण वास्तविक रूप से वनों से ढका प्रदेश है। सन् 2001 में भारत में वन आवरण, 20.55% था, परन्तु इनमें 12.6% सघन तथा 7.8% विरल वन थे।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न-निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में दोप्रश्न
प्रश्न 1.
वन संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर:
जनसंख्या के अत्यधिक दबाव तथा पशुओं की संख्या में अत्यधिक वृद्धि के कारण वन सम्पदा का संरक्षण आवश्यक है। वन संरक्षण कृषि एवं चराई के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता के कारण आवश्यक है। इसके लिए वनवर्द्धन के उत्तम तरीकों को अपनाया जा रहा है। तेज़ी से उगने वाले पौधों की जातियों को लगाया जा रहा है। घास के मैदानों का पुनर्विकास किया जा रहा है। वन क्षेत्रों का विस्तार किया जा रहा है।
वनों का जीवन तथा पर्यावरण के साथ जटिल सम्बन्ध है, वन संरक्षण के लिए कई कदम उठाए गए हैं:

  1. वन नीति-1952 तथा 1988 में वन संरक्षण हेतु वन नीति लागू की गई।
  2. वन संसाधनों का सतत्-पोषणीय विकास किया जाएगा तथा स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं की पूर्ति होगी।
  3. देश में 33% वन लगाने के यत्न किए जा रहे हैं।
  4. वनों में जैव विविधता तथा पारिस्थितिक सन्तुलन कायम रखा जाएगा।
  5. मृदा अपरदन तथा बाढ़ पर नियन्त्रण।
  6. सामाजिक वानिकी तथा वनरोपण द्वारा वन आवरण का विस्तार हो रहा है।
  7. वनों की उत्पादकता को बढ़ाया जा रहा है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 5 प्राकृतिक वनस्पति

प्रश्न 2.
वन और वन्य जीव संरक्षण में लोगों की भागीदारी कैसे महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
वन संरक्षण में लोगों की भागीदारी द्वारा सामाजिक वानिकी की विचारधारा का प्रयोग किया जा रहा है। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों की संस्थाएं तथा महिलाएं योगदान दे रही हैं।
1. 1976 के राष्ट्रीय कृषि आयोग ने पहले-पहल ‘सामाजिक वानिकी’ शब्दावली का प्रयोग किया था। इसका अर्थ है-ग्रामीण जनसंख्या के लिए जलावन, छोटी इमारती लकड़ी और छोटे-छोटे वन उत्पादों की आपूर्ति करना।

2. अधिकतर राज्यों में वन विभागों के अन्तर्गत सामाजिक वानिकी के अलग से प्रकोष्ठ बनाए गए हैं।

3. सामाजिक वानिकी के मुख्य रूप से तीन अंग हैं: कृषि वानिकी किसानों को अपनी भूमि पर वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित करना, वन-भूखण्ड (वुडलाट्स) वन विभागों द्वारा लोगों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सड़कों, के किनारे, नहर के तटों तथा ऐसी अन्य सार्वजनिक भूमि पर वृक्षारोपण, सामुदायिक वन-भूखण्ड लोगों द्वारा स्वयं बराबर की हिस्सेदारी के आधार पर भूमि पर वृक्षारोपण।

4. यह लोगों की आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने वाले कार्यक्रम के स्थान पर किसानों का धनोपार्जन कार्यक्रम बन गया।

प्राकृतिक वनस्पति JAC Class 11 Geography Notes

→ वन-एक प्राकृतिक साधन (Forests-A Natural Resource): वन एक नदी की भाँति बहुमुखी। संसाधन हैं। किसी देश का आर्थिक विकास वनों के उपयोग पर निर्भर करता है। जलवायु तथा प्राकृतिक वनस्पति-जलवायु तथा प्राकृतिक वनस्पति में घना सम्बन्ध है। विभिन्न प्रकार के वन-सदाबहार, पतझड़ीय, शुष्क; सभी वन तापमान तथा वर्षा पर निर्भर करते हैं।

→ वनों की महत्ता (Importance of Forests):

  • वन हमें भोजन सम्बन्धी वस्तुएं प्रदान करते हैं।
  • इनसे लकड़ी प्राप्त होती है।
  • वन विश्व का 40% ईंधन प्रदान करते हैं। लकड़ी का प्रयोग विभिन्न प्रकार से किया जाता है, जैसे घरों में ईंधन, प्रगलन उद्योगों में तथा रेल इंजनों में।
  • नर्म लकड़ी, लकड़ी की लुग्दी कागज़, रेयॉन उद्योग के लिये कच्चा माल, प्रदान करती है।
  • वन वायु में नमी ग्रहण करके वर्षा लाने में सहायता करते हैं।
  • वन मिट्टी अपरदन तथा बाढ़ को रोकते हैं।
  • ये मरुस्थलों को बढ़ने से रोकते हैं।

→ भारत में वनों के प्रकार (Types of Forests in India): भारत में वर्षा, तापमान तथा ऊंचाई की विभिन्नता होने के कारण विभिन्न प्रकार के वन पाये जाते हैं

  • उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन
  • पतझड़ीय वन
  • शुष्क वन
  • ज्वारीय वन
  • पर्वती वन।

→ वनों का ह्रास (Depletion of Forests): निम्नलिखित कारणों द्वारा उत्तम वनों का विशाल क्षेत्रों पर ह्रास हुआ है

  • विशाल पैमाने पर वन क्षेत्र की कटाई
  • स्थानान्तरी कृषि
  • भारी मृदा अपरदन
  • चरागाहों की अत्यधिक चराई
  • लकड़ी तथा ईंधन के लिये वनों की कटाई
  • भूमि का मानव के लिये प्रयोग।

→ वनों का संरक्षण (Conservation of Forests): देश के वन संसाधनों पर जनसंख्या का भारी दबाव है। बढ़ती। हुई जनसंख्या को कृषि योग्य भूमि की अधिक आवश्यकता है। इसलिए वन संरक्षण उपाय आवश्यक हैं।

→ वृक्षारोपण का विभिन्न क्षेत्रों में विकास हुआ है। घास के मैदानों का विकास किया गया है। रेशम के कीड़े पालने के विकसित तरीकों का प्रयोग किया जा रहा है। तेज़ी से बढ़ने वाले पौधों को लगाया जा रहा है। वनों । के अन्तर्गत क्षेत्रों में वृद्धि की गई है। राष्ट्रीय वन नीति-1988 की राष्ट्रीय वन नीति ने वनों का संरक्षण, पुनः विकास किया है। इसका उद्देश्य वातावरण, का संरक्षण तथा पारिस्थितिक सन्तुलन बनाये रखना है। इसके अन्य उद्देश्य सामाजिक वाणिकी तथा वन उत्पादन में वृद्धि करना है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 4 जलवायु

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 4 जलवायु Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 4 जलवायु

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. शीतकाल में तमिलनाडु के तटीय मैदान में किन पवनों द्वारा वर्षा होती है?
(A) दक्षिण-पश्चिम मानसून
(B) उत्तर-पूर्वी मानसून
(C) शीतोष्ण चक्रवात
(D) स्थानिक पवनों।
उत्तर:
(B) उत्तर-पूर्वी मानसून

2. कितने प्रतिशत भाग में भारत में 75 सें० मी० से कम वार्षिक वर्षा होती है?
(A) आधे
(B) दो-तिहाई
(C) एक-तिहाई
(D) तीन चौथाई।
उत्तर:
(D) तीन चौथाई।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 4 जलवायु

3. दक्षिणी भारत के सम्बन्ध में कौन-सा कथन सही नहीं?
(A) दैनिक तापान्तर कम है
(B) वार्षिक तापान्तर कम है
(C) वर्ष भर तापमान अधिक है
(D) यहां कठोर जलवायु है।
उत्तर:
(D) यहां कठोर जलवायु है।

4. जब सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा पर लम्ब चमकता है तो क्या होता है?
(A) उत्तर-पश्चिमी भारत में उच्च वायु दाब
(B) उत्तर-पश्चिमी भारत में निम्न वायु दाब
(C) उत्तर-पश्चिमी भाग में तापमान-वायु दाब में
(D) उत्तर-पश्चिमी भाग में लू चलती है।
उत्तर:
(A) उत्तर-पश्चिमी भारत में उच्च वायु दाब।

5. भारत के किस देश-प्रदेश में कोपेन के ‘AS’ वर्ग की जलवायु है?
(A) केरल तथा कर्नाटक
(B) अण्डेमान निकोबार द्वीप
(C) कोरोमण्डल तट
(D) असम-अरुणाचल।
उत्तर:
(C) कोरोमण्डल तट।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भारतीय मौसम के रचना तन्त्र को प्रभावित करने वाले तीन महत्त्वपूर्ण कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भारतीय मौसम के रचना तन्त्र को निम्नलिखित तीन कारक प्रभावित करते हैं
1. दाब तथा हवा का धरातलीय वितरण जिसमें मानसून पवनें, कम वायु दाब क्षेत्र तथा उच्च वायु दाब क्षेत्रों की स्थिति महत्त्वपूर्ण कारक हैं।
2. ऊपरी वायु परिसंचरण (Upper air Circulation) में विभिन्न वायु राशियां तथा जेट प्रवाह महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं।
3. विभिन्न वायु विक्षोभ (Atmospheric disturbances) में ऊष्ण कटिबन्धीय तथा पश्चिमी चक्रवात द्वारा वर्षा होना महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालता है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 4 जलवायु

प्रश्न 2.
अन्तर ऊष्ण कटिबन्धीय अभिसरण कटिबन्ध (I.T.C.Z.) क्या है?
उत्तर:
अन्तर ऊष्ण कटिबन्धीय अभिसरण कटिबन्ध (I.T. C. Z. ):
भूमध्यरेखीय निम्न वायुदाब कटिबन्ध है जो धरातल के निकट पाया जाता है। इसकी स्थिति ऊष्ण कटिबन्ध के बीच सूर्य की स्थिति के अनुसार बदलती रहती है। ग्रीष्मकाल में इसकी स्थिति उत्तर की ओर तथा शीतकाल में दक्षिण की ओर सरक जाती है । यह भूमध्य रेखीय निम्न दाब द्रोणी दोनों दिशाओं में हवाओं के प्रवाह को प्रोत्साहित करती है ।

प्रश्न 3.
‘मानसून प्रस्फोट’ किसे कहते हैं? भारत में सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान बताओ।
उत्तर:
भारत के पश्चिमी तट पर अरब सागर की मानसून पवनें दक्षिणी-पश्चिमी दिशा में चलती हैं। यहां ये पवनें जून के प्रथम सप्ताह में अचानक आरम्भ हो जाती हैं। मानसून के इस अकस्मात आरम्भ को ‘मानसून प्रस्फोट’ (Monsoon Burst) कहा जाता है क्योंकि मानसून आरम्भ होने पर बड़े ज़ोर की वर्षा होती है। जैसे किसी ने पानी से भरा गुब्बारा फोड़ दिया हो। भारत में मासिनराम (Mawsynram) में सबसे अधिक वार्षिक वर्षा ( 1080 सें० मी०) होती है। यह स्थान खासी पहाड़ियों में स्थित है।

प्रश्न 4.
जलवायु प्रदेश क्या होता है? कोपेन की पद्धति के प्रमुख आधार कौन से हैं?
उत्तर:
जलवायु प्रदेश – वह प्रदेश जहां वायुमण्डलीय दशाएं तापमान, वर्षा, मेघ, पवनें, वायुदाब आदि सब में लगभग समानता है। कोपेन की जलवायु पद्धति का आकार – कोपेन ने भारत के जलवायु प्रदेशों का वर्गीकरण किया है। इस वर्गीकरण का आधार दो तत्त्वों पर आधारित है। इसमें तापमान तथा वर्षा के औसत मासिक मान का विश्लेषण किया गया है। प्राकृतिक वनस्पति द्वारा किसी स्थान के तापमान और वर्षा के प्रभाव को आंका जाता है।

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प्रश्न 5.
उत्तर-पश्चिमी भारत में रबी की फसलें बोने वाले किसानों को किस प्रकार के चक्रवातों से वर्षा प्राप्त होती है? वे चक्रवात कहां उत्पन्न होते हैं?
उत्तर:
भारत में उत्तर-पश्चिमी भाग में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शीतकाल में चक्रवातीय वर्षा होती है। ये चक्रवात पश्चिमी एशिया तथा भूमध्यसागर में उत्पन्न होते हैं तथा पश्चिमी जेट प्रवाह के साथ-साथ भारत में पहुंचते हैं। औसतन शीत ऋतु में 4 से 5 चक्रवात दिसम्बर से फरवरी के मध्य इस प्रदेश में वर्षा करते हैं। पर्वतीय भागों में हिमपात होता है। पूर्व की ओर इस वर्षा की मात्रा कम होती है। इन प्रदेशों में वर्षा 5 सेंटीमीटर से 25 सेंटीमीटर तक होती है। ये चक्रवात रबी की फसलों गेहूँ, बाजरा आदि के लिए लाभदायक हैं

(ग) निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions )

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 125 शब्दों में लिखिए

प्रश्न 1.
जलवायु में एक प्रकार का ऐक्य होते हुए भी भारत की जलवायु में क्षेत्रीय विभिन्नताएं पाई जाती हैं। उपयुक्त उदाहरण देते हुए इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है। यहां पर अनेक प्रकार की जलवायु मिलती है। परन्तु मुख्य रूप से भारत मानसून पवनों के प्रभावाधीन है। मानसून पवनों के प्रभाव के कारण देश में जलवायविक एकता पाई जाती है। फिर भी देश के विभिन्न भागों में तापमान, वर्षा आदि जलवायु तत्त्वों में काफ़ी अन्तर पाए जाते हैं। ये प्रादेशिक अन्तर एक प्रकार से मानसूनी जलवायु के उपभेद हैं। आधारभूत रूप से सारे देश में जलवायु की व्यापक एकता पाई जाती है
प्रादेशिक अन्तर मुख्य रूप से तापमान, वायु तथा वर्षा के ढांचे में पाए जाते हैं।

1. राजस्थान के मरुस्थल में, बाड़मेर में ग्रीष्मकाल में 50°C तक तापमान मापे जाते हैं। इसके पर्वतीय प्रदेशों में तापमान 20°C सैंटीग्रेड के निकट रहता है।

2. दिसम्बर मास में द्रास एवं कारगिल में तापमान 40°C तक पहुंच जाता है जबकि तिरुवनन्तपुरम तथा चेन्नई में तापमान + 28°C रहता है ।

3. इसी प्रकार औसत वार्षिक वर्षा में भी प्रादेशिक अन्तर पाए जाते हैं। एक ओर मासिनराम में (1080 सेंटीमीटर) संसार में सबसे अधिक वर्षा होती है तो दूसरी ओर राजस्थान शुष्क रहता है। जैसलमेर में वार्षिक वर्षा शायद ही 12 सें०मी० से अधिक होती है । गारो पहाड़ियों में स्थित तुरा नामक स्थान में एक ही दिन में उतनी वर्षा हो सकती है जितनी जैसलमेर में दस वर्षों में होती है ।

4. कई भागों में मानसून वर्षा जून के पहले सप्ताह में आरम्भ हो जाती है तो कई भागों में जुलाई में वर्षा की प्रतीक्षा हो रही होती है।

5. तटीय भागों में मौसम की विषमता महसूस नहीं होती परन्तु अन्तःस्थ स्थानों में मौसम विषम रहता है। शीतकाल में उत्तर-पश्चिमी भारत में शीत लहर चल रही होती है तो दक्षिणी भारत में काफ़ी ऊंचे तापमान पाए जाते हैं। इस प्रकार विभिन्न प्रदेशों में ऋतु की लहर लोगों की जीवन पद्धति में एक परिवर्तन तथा विभिन्नता उत्पन्न कर देती है। इस प्रकार इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि भारतीय जलवायु में एक व्यापक एकता होते हुए भी प्रादेशिक अन्तर पाए जाते हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 4 जलवायु

प्रश्न 2.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार भारत में कितने स्पष्ट मौसम पाए जाते हैं ? किसी एक मौसम की दशाओं की सविस्तार व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानसून व्यवस्था के अनुसार भारत में चार ऋतुएं होती हैं

  1. शीत ऋतु (जनवरी-फरवरी)।
  2. ग्रीष्म ऋतु (मार्च से मध्य जून )।
  3. वर्षा ऋतु (मध्य जून से मध्य सितम्बर)।
  4. लौटती मानसून की ऋतु (मध्य सितम्बर से दिसम्बर)।

1. शीत ऋतु:
कम तापमान, मेघ रहित आकाश, सुहावना मौसम तथा कम आर्द्रता इस ऋतु की विशेषताएं होती हैं। इस ऋतु में सूर्य की स्थिति दक्षिणी गोलार्द्ध में होने के कारण भारत में कम तापमान मिलते हैं। शीत लहर तथा हिमपात के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में औसत तापमान 21°C से कम रहते हैं। रात्रि का तापमान हिमांक से नीचे हो जाता है। दक्षिणी भारत में सागरीय प्रभाव के कारण 21°C से अधिक तापमान पाए जाते हैं।

यहां कोई शीत नहीं होती उत्तर – पश्चिमी भारत में उच्च वायु दाब क्षेत्र बन जाता है। उत्तर-पश्चिमी भारत में भूमध्य सागर से आने वाले चक्रवात हल्की-हल्की वर्षा करते हैं। यह वर्षा रबी की फसल के लिए लाभदायक होती है। मानसून पवनें स्थल से सागर (Land to Sea) की ओर चलने के कारण शुष्क होती हैं। ये लौटती हुई मानसून पवनें खाड़ी बंगाल से नमी ग्रहण करके पूर्वी तट पर वर्षा करती हैं।

2. ग्रीष्म ऋतु:
ग्रीष्म ऋतु में तापमान बढ़ना आरम्भ कर देता है। सूर्य की किरणें कर्क रेखा पर लम्बवत् पड़ती हैं।
उत्तर:
पश्चिमी भारत में उच्चतम तापमान 42°C से अधिक होते हैं। दिन के समय शुष्क, गर्म लू चलती है। दक्षिणी भारत में औसत तापमान 25°C तक रहता है। तटीय भागों में सागर के समकारी प्रभाव के कारण मौसम सुहावना रहता है। उत्तर – पश्चिमी भारत में निम्न वायुदाब केन्द्र बन जाता है। यह निम्न दाब दक्षिणी-पश्चिमी मानसून पवनों को उत्तर की ओर आकर्षित करता है। ग्रीष्म ऋतु प्रायः शुष्क रहती है। उत्तर-पूर्वी भारत में उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के कारण कुछ वर्षा होती है। गर्मी के कारण स्थानीय रूप से धूल भरी आंधियां (Dust Storms) चलती हैं। इनके कारण उत्तर-पश्चिमी भारत में कुछ वर्षा हो जाती है जो गर्मी को कम करती है।

3. वर्षा ऋतु:
दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन के साथ भारत में वर्षा ऋतु आरम्भ हो जाती है। तटीय क्षेत्रों में जून के प्रथम सप्ताह में मानसून आरम्भ हो जाती है तथा अचानक भारी वर्षा होती है। इसे ‘मानसून प्रस्फोट’ कहा जाता है। मानसून वर्षा के कारण इस ऋतु में तापमान 5° से 8° कम हो जाते हैं। औसत तापमान 25°C से 30°C तक रहते हैं। इस ऋतु में सागर से स्थल की ओर (Sea to Land) दक्षिण-पश्चिमी मानसून पवनें चलती हैं जो भारत की जलवायु में सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। प्रायद्वीप के तिकोने आकार के कारण ये पवनें दो शाखाओं में बंट जाती हैं

  1. अरब सागर की मानसून शाखा।
  2. खाड़ी बंगाल की मानसून शाखा।

मानसून की खाड़ी बंगाल की शाखा अराकान पर्वत से टकरा कर उत्तर – पूर्वी भारत में भारी वर्षा करती है। ये पवनें उत्तरी मैदान में पंजाब तक वर्षा करती हैं। पश्चिम की ओर जाते हुए वर्षा की मात्रा कम होती है। मानसून की अरब सागरीय शाखा पश्चिमी तट, पश्चिमी घाट, मध्य प्रदेश में वर्षा करती है, परन्तु दक्षिणी पठार पश्चिमी घाट की वृष्टि छाया में रहने के कारण शुष्क रहता है।

4. लौटती मानसून की ऋतु:
इस ऋतु में दक्षिण-पश्चिमी मानसून उत्तरी भारत से लौटने लगती है । इस ऋतु में तापमान, वायु दाब तथा अन्य सभी दशाएं शनैः-शनैः बदलने लगती हैं। यह ऋतु वर्षा तथा शीत ऋतु में मध्य संक्रात काल होता है। दिन के समय तापमान कम होने लगता है। औसत तापमान 20°C से कम हो जाता है। पवनों की दिशा तथा गति अनिश्चित होती है। धीरे-धीरे प्रति चक्रवातीय दशाएं उत्पन्न होने लगती हैं। वर्षा कम होती है । पूर्वी तटीय प्रदेश पर कुछ वर्षा चक्रवातों द्वारा होती है।

मानचित्र कार्य (Map Skill)

प्रश्न-भारत के रेखा चित्र पर निम्नलिखित को दर्शाइए।

  1. शीतकालीन वर्षा के क्षेत्र
  2. ग्रीष्म ऋतु में पवनों की दिशा
  3. 50 प्रतिशत से अधिक वर्षा की परिवर्तिता के क्षेत्र
  4. जनवरी माह में 15°C से कम तापमान वाले क्षेत्र
  5. भारत में 100 सें० मी० की सम वर्षा रेखा।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 4 जलवायु 1

जलवायु JAC Class 11 Geography Notes

→ भारत का जलवायु (Climate of India): भारत में उष्णकटिबन्धीय मानसून प्रकार का जलवायु है। कर्क रेखा भारत को दो समान भागों-उष्ण कटिबन्धीय तथा शीतोष्ण कटिबन्धीय में बांटती है।

→ जलवायु विविधता (Climatic Diversity): अधिक विस्तार के कारण जलवायु में बहुत विविधता है। बाड़मेर। में सबसे अधिक तापमान 50° C जबकि कारगिल (लद्दाख ) में सबसे कम तापमान 45°C होता है। मासिनराम (मेघालय) में सबसे अधिक वर्षा 1080 cm जबकि जैसलमेर (रेगिस्तान) में 15 cm से कम वर्षा होती है। भारत की जलवायु को निर्धारित करने वाले कारक

  • मानसूनी पवनें: भारत में मानसूनी जलवायु है । यह मानसून पवनों द्वारा नियन्त्रित होता है।
  • देश का विस्तार: शीतोष्ण प्रदेश में उत्तरी भाग स्थित है। यहां उष्ण ग्रीष्मकाल तथा ठण्डी शीतकाल ऋतु होती है।
  • हिमालय की स्थिति: हिमालय एक जलवायु विभाजक का कार्य करता है। यह पर्वतीय दीवार सर्दियों में भारत को मध्यवर्ती एशिया की शीत पवनों से बचाती है। हिमालय पर्वत हिन्द महासागर की दक्षिण-पश्चिमी मानसून पवनों को रोक कर वर्षा करने में सहायक है।
  • हिन्द महासागर: दक्षिण-पश्चिमी मानसून का उद्गम इस महासागर से होता है। ये पवनें देश के अधिकतर भागों पर वर्षा प्रदान करती हैं।
  • पश्चिमी विक्षोभ: पश्चिमी विक्षोभ (चक्रवात) सर्दियों में भारत के उत्तर-पश्चिमी भागों में वर्षा प्रदान करते हैं।
  • समुद्र से दूरी: तटीय भागों में समकारी (सागरीय) जलवायु है। इन क्षेत्रों में समकारी जलवायु होता है। परन्तु देश के भीतरी भागों में कठोर या महाद्वीपीय जलवायु मिलता है।
  • धरातल: सम्मुख ढलानों पर भारी वर्षा होती है परन्तु विमुख ढलान पर ( दक्कन पठार) कम वर्षा के कारण वृष्टि छाया रहती है।

→ मानसून (Monsoons): ‘मानसून’ शब्द वास्तव में अरबी भाषा के शब्द ‘मौसिम’ से बना है। मानसून शब्द का अर्थ है – मौसम के अनुसार पवनों के ढांचे में परिवर्तन होना। मानसून व्यवस्था के अनुसार मौसमी पवनें चलती हैं जिनकी दिशा मौसम के अनुसार विपरीत हो जाती है। ये पवनें ग्रीष्मकाल के 6 मास समुद्र से स्थल | की ओर तथा शीतकाल के 6 मास स्थल से समुद्र की ओर चलती हैं।

→ (क) गर्मियों में मानसून: मई तथा जून के महीने के समय ये भारत के उत्तरी मैदानों में बहुत गर्म होती हैं। इसके परिणामस्वरूप उत्तर पश्चिमी भारत में निम्न वायुदाब उत्पन्न होता है। पवनें हिन्द महासागर से भारत के उत्तरी मैदान की ओर चलना आरम्भ कर देती हैं। ये पवनें भारत में दो विभिन्न दिशाओं द्वारा प्रवेश करती हैं

  1. खाड़ी बंगाल की मानसून की शाखा: खाड़ी बंगाल मानसून उत्तर – पूर्वी भारत में भारी वर्षा करती है। ये पवनें हिमालय पर्वत के साथ-साथ पश्चिम की ओर वर्षा करती हैं।
  2. अरब सागर की मानसून शाखा: इन पवनों की एक शाखा पश्चिमी घाट पर भारी वर्षा करती है। दूसरी शाखा मध्यवर्ती भारत में प्रवेश करके वर्षा करती है। तीसरी शाखा राजस्थान में अरावली पर्वत के समानान्तर चलती है तथा अरावली पर्वत इन्हें रोक नहीं पाता इसलिए यहां बहुत कम वर्षा होती है।

(ख) शीतकालीन मानसून पवनें: उत्तर-पूर्व मानसून शीतकाल में स्थल से सागर की ओर चलती है तथा शुष्क होती है परन्तु खाड़ी बंगाल को पार करने के पश्चात् तमिलनाडु तट पर वर्षा करती है।

भारत में वर्षा की विशेषताएं (Characteristics of Rainfall in India):

  • मानसूनी वर्षा: भारत में अधिकतर वर्षा मध्य जून से सितम्बर तक दक्षिण पश्चिमी मानसून पवनों द्वारा होती है। यह वर्षा मौसमी वर्षा है।
  • अनिश्चित वर्षा: गर्मियों में वर्षा अनिश्चित होती है। समय से पहले या बाद में आने वाली मानसून पवनें अकाल तथा बाढ़ का कारण बनती हैं।
  • असमान वितरण: देश में वर्षा का वितरण बहुत असमान है।
  • भारी वर्षा: भारतीय वर्षा बौछारों के रूप में भारी वर्षा करती हैं।
  • उच्चावच से सम्बन्धित वर्षा: पर्वतों के सहारे अधिक वर्षा होती है।
  • वर्षा का निरन्तर न होना: गर्मियों में वर्षा में शुष्क Spells आते हैं।
  • वर्षा की परिवर्तनशीलता: वर्षा की परिवर्तनशीलता लगभग 30% है जिसके कारण अकाल पड़ जाते हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 4 जलवायु

→ भारत में वर्षा का वितरण (Distribution of Rainfall in India)

  1. भारी वर्षा वाले क्षेत्र: ये क्षेत्र 200 सेंटीमीटर से अधिक वार्षिक वर्षा प्राप्त करते हैं। इनमें पश्चिमी तट, पश्चिमी घाट, उप- हिमालय तथा उत्तर-पू -पूर्वी भाग शामिल हैं।
  2. दरमियानी वर्षा वाले क्षेत्र: ये क्षेत्र 100-200 सेंटीमीटर वार्षिक वर्षा प्राप्त करते हैं। इन क्षेत्रों में पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, बिहार, उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग तथा मध्य प्रदेश तथा तमिलनाडु के तटीय मैदान शामिल हैं।
  3. कम वर्षा वाले क्षेत्र: ये क्षेत्र 50-100 सेंटीमीटर तक वर्षा प्राप्त करते हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग, हरियाणा, पंजाब, प्रायद्वीपीय पठार तथा पूर्वी राजस्थान शामिल हैं।
  4. अति कम वर्षा वाले क्षेत्र: ये 50 सेंटीमीटर से कम वार्षिक वर्षा प्राप्त करते हैं। इनमें लद्दाख, दक्षिण-पश्चिमी पंजाब, दक्षिणी हरियाणा, पश्चिमी राजस्थान, कच्छ तथा थार मरुस्थल शामिल हैं।

→ भारत में मौसम (Seasons in India): मानसून पवनों के आगमन तथा पीछे हटने के क्रम से मौसमों में भी एक क्रम पाया जाता है।

→ मौसम (Seasons)
उत्तर-पूर्व मानसून की ऋतुएं

  • शीत ऋतु: दिसम्बर से फरवरी
  • ग्रीष्म ऋतु: मार्च से मई ।

(ख) दक्षिण-पश्चिम मानसून की ऋतुएं

  • वर्षा ऋतु: जून से सितम्बर।
  • लौटती मानसून पवनों की ऋतु: अक्तूबर से नवम्बर।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 3 अपवाह तंत्र

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 3 अपवाह तंत्र Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 3 अपवाह तंत्र

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions )

प्रश्न – दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. किस नदी को ‘बंगाल का शोक’ कहा जाता था?
(A) गंडक
(B) कोसी
(C) सोन
(D) दामोदर।
उत्तर:
(D) दामोदर।

2. किस नदी का बेसिन भारत में सबसे बड़ा है?
(A) सिन्ध
(B) गंगा
(C) ब्रह्मपुत्र
(D) कृष्णा।
उत्तर:
(B) गंगा।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 3 अपवाह तंत्र

3. कौन-सी नदी पंचनद में सम्मिलित नहीं है?
(A) रावी
(C) चनाब
उत्तर:
(B) सिन्ध |

4. कौन-सी नदी दरार घाटी में बहती है?
(A) सोन
(B) यमुना
(C) नर्मदा
(D) लूनी।
उत्तर:
(C) नर्मदा|

5. अलकनन्दा तथा भागीरथी नदी के संगम को क्या कहते हैं?
(A) विष्णु प्रयाग
(B) कर्णप्रयाग
(C) रुद्र प्रयाग
(D) देव प्रयाग।
उत्तर:

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
नदी द्रोणी और जल संभर में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
नदी द्रोणी (River Basin ): विशाल नदी एक विशिष्ट क्षेत्र से जल बहा कर अपने साथ लाती है तथा सागर में गिरती है। इसमें कई सहायक नदियां भी अपना जल शामिल करती हैं । इस क्षेत्र को नदी द्रोणी कहते हैं ।
जल संभर (Water- Shed): छोटी-छोटी नदियों द्वारा अपवाहित क्षेत्र को जल संभर कहते हैं । इसका आकार एक नदी द्रोणी से छोटा होता है ।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 3 अपवाह तंत्र

प्रश्न 2.
वृक्षाकार और जालीनुमा अपवाह प्रारूप में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर:
वृक्षाकार अपवाद (Dendritic Pattern): जो अपवाह प्रतिरूप (Drainage pattern) पेड़ की शाखाओं के अनुरूप हो उसे वृक्षाकार प्रतिरूप कहते हैं। उत्तरी मैदान की नदियां वृक्षाकार अपवाह का उदाहरण हैं । यह वृक्ष की आकृति जैसा है।
जालीनुमा अपवाह (Trellis Drainage ): जब मुख्य नदियां एक-दूसरे के समानान्तर बहती हों तथा सहायक नदियां उनसे समकोण पर मिलती हों तो इस प्रतिरूप को जालीनुमा अपवाह प्रतिरूप कहते हैं ।

प्रश्न 3.
अपकेन्द्रीय और अभिकेन्द्रीय अपवाह प्रारूप |
उत्तर:
अपकेन्द्रीय अपवाह (Radial Drainage ): जब नदियां किसी पर्वत से निकल कर सभी दिशाओं में बहती हैं तो इसे अपकेन्द्रीय अपवाद कहते हैं । अमरकंटक पर्वत श्रृंखला से निकलने वाली नदियां इस प्रतिरूप का उदाहरण हैं ।
अभिकेन्द्रीय अपवाह (Centripetal Drainage ): जब सभी दिशाओं से नदियां बहकर किसी झील या गर्त में मिल जाती हैं तो इसे अभिकेन्द्रीय अपवाद कहते हैं जैसे थार मरुस्थल में ।

प्रश्न 4.
डेल्टा तथा ज्वारनदमुख में अन्तर स्पष्ट करो ।
उत्तर:
डेल्टा (Delta): नदियां अपने उद्गम से लेकर अपने साथ तलछट सागर में गिरने से पहले निक्षेप करती हैं। यहां तक त्रिभुजाकार भू-भाग (∆) की रचना होती है जिसे डेल्टा कहते हैं। संसार में सबसे बड़ा डेल्टा गंगा ब्रह्मपुत्र डेल्टा है।
ज्वारनदमुख (Estuary): जब नदियां अपने अन्तिम भाग में तीव्र ढलान के कारण तलछट निक्षेप नहीं करतीं तो वह तलछट सागर में बह जाता है। इस तंग चैनल को ज्वारनदमुख कहते हैं। जैसे नर्मदा नदी डेल्टा की बजाय एक ज्वारनदमुख बनाती है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 3 अपवाह तंत्र

प्रश्न 5.
भारत में नदियों को आपस में जोड़ने के सामाजिक आर्थिक लाभ क्या हैं?
उत्तर:
उत्तरी भारत की नदियां प्रायद्वीपीय नदियों से भिन्न हैं। मध्य भारत में सतपुड़ा – विन्ध्याचल श्रेणी तट जलविभाजक का कार्य करती है। उत्तरी भारत की नदियों में जलाधिकय है तथा सारा वर्ष जल प्राप्त होता है । परन्तु प्रायद्वीपीय नदियां मौसमी हैं । उत्तरी भारत की नदियों को प्रायद्वीपीय भारत की नदियों से जोड़ा जा सकता है। इस योजना को गंगा – कावेरी योजना कहते हैं। उत्तरी भारत की अतिरिक्त जल वाली नदियां प्रायद्वीपीय भारत की कम जल वाली नदियों को जल प्रदान कर सकती हैं। इससे जल सिंचाई में विस्तार किया जा सकता है। खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि की जा सकती है। देश में सूखे की समस्या समाप्त की जा सकती है। देश में जलविद्युत् उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है परन्तु विभिन्न राज्यों की सीमाओं तथा जल संसाधनों पर उनके अधिकार की समस्याएं हैं।

प्रश्न 6.
प्रायद्वीपीय नदियों के तीन लक्षण बताओ।
उत्तर:

  1. प्रायद्वीपीय नदियां अधिक लम्बी नहीं हैं तथा कम हैं।
  2. ये नदियां मौसमी हैं। केवल वर्षा ऋतु में ही इनसे जल प्राप्त होता है।
  3. प्रायद्वीपीय नदियां जहाजरानी तथा जलसिंचाई के अनुकूल नहीं

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 3 अपवाह तंत्र

प्रश्न 7.
हिमालय के गिरिपद के साथ-साथ हरिद्वार से सिलीगुड़ी तक की यात्रा में आने वाली मुख्य नदियों के नाम लिखो।
उत्तर:

  1. गंगा
  2. शारदा नदी
  3. गोमती नदी
  4. घाघरा नदी
  5. गंडक नदी
  6. कोसी नदी।

अपवाह तंत्र  JAC Class 11 Geography Notes

→ भारत का जल-प्रवाह (Drainage of India): भारत में कई विशाल नदियां हैं इसलिए इसे ‘नदियों की | धरती’ कहते हैं। भारत के स्थल भाग का 90% जल प्रवाह बंगाल की खाड़ी में गिरता है।

→ जल विभाजक (Water Sheds): विभिन्न जल-प्रवाह तन्त्रों को अलग-अलग करने वाले क्षेत्र को जल विभाजक कहते हैं। भारत में मुख्य तीन जल विभाजक हैं- हिमालय श्रेणी, विंध्याचल, सतपुड़ा तथा पश्चिमी
घाट।

→ भारत का जल प्रवाह तन्त्र (Drainage System of India ): भारतीय नदियों को दो तन्त्रों में बाँटा जा सकता है
(i) हिमालय नदियां
(ii) प्रायद्वीपीय नदियां।

→ हिमालयाई नदियां (The Himalayan Rivers ): हिमालय नदियों में विशाल बेसिन हैं। नदियां गहरे गार्ज | बनाती हैं। ये सदा वाहिनी नदियां हैं क्योंकि ये हिम नदियों से जन्म लेती हैं। इनमें तीन मुख्य नदियां सिन्धु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियां हैं। कई नदियां पूर्ववर्ती हैं। ये हिमालय पर्वत के उत्थान से पहले बहती थीं।

→ प्रायद्वीपीय नदियां (The Peninsular Rivers ): ये नदियां कम गहरी घाटियों में बहती हैं जो आधार त को पहुंच चुकी हैं। कई नदियां मौसमी हैं जो वर्षा पर निर्भर करती हैं। इन्हें दो भागों में बांटा जा सकता है- I पूर्व में बहने वाली नदियां जो बंगाल की खाड़ी में गिरती (महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी) हैं तथा पश्चिम में बहने वाली नदियां जो अरब सागर में गिरती हैं ( नर्मदा तथा ताप्ती) ।

→ मुख्य नदियां (Major Rivers ): सिन्धु नदी की कुल लम्बाई 2880 किलोमीटर है। इसका उद्गम तिब्बत में (मानसरोवर) होता है तथा यह ट्रांस हिमालयाई नदी है। इसकी पांच सहायक नदियां सतलुज, ब्यास, रावी, जेहलम तथा चिनाब हैं। गंगा भारत की मुख्य नदी है जो गंगोत्री से निकलती है। ब्रह्मपुत्र को तिब्बत में सांपो कहते हैं जो बांग्लादेश से होकर बंगाल की खाड़ी की ओर बहती है। गोदावरी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे | लम्बी नदी है। इसे वृद्ध गंगा कहते हैं। महानदी, कृष्णा, कावेरी प्रायद्वीपीय भारत की मुख्य नदियां हैं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 9 रैदास के पद

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 9 रैदास के पद Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 9 रैदास के पद

JAC Class 9 Hindi रैदास के पद Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
(क) पहले पद में भगवान और भक्त की जिन-जिन चीज़ों से तुलना की गई है, उनका उल्लेख कीजिए।
(ख) पहले पद की प्रत्येक पंक्ति के अंत में तुकांत शब्दों के प्रयोग से नाद-सौंदर्य आ गया है, जैसे – पानी, समानी आदि। इस पद से अन्य तुकांत शब्द छाँटकर लिखिए।
(ग) पहले पद में कुछ शब्द अर्थ की दृष्टि से परस्पर संबद्ध हैं। ऐसे शब्दों को छाँटकर लिखिए। उदाहरण: दीपक → बाती।
(घ) दूसरे पद में कवि ने ‘गरीब निवाजु’ किसे कहा है ? स्पष्ट कीजिए।
(ङ) दूसरे पद की ‘जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
(च) रैदास’ ने अपने स्वामी को किन-किन नामों से पुकारा है ?
(छ) निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए – मोरा, चंद, खाती, जोति, बरै, राती, छत्रु, धेरै, छोति, तुहीं, गुसईआ।
उत्तर :
(क) भगवान की तुलना – चंदन, घने बादल, चंद्रमा, दीपक, मोती, सुहागा, स्वामी।
भक्त की तुलना – पानी, मोर, चकोर, बाती, धागा, सोना, दास।
(ख) तुकांत शब्द – मोरा – चकोरा, बाती – राती, धागा – सुहागा, दासा – रैदासा।
(ग) चंदन → पानी; घनबन → मोरा; चंद → चकोरा; मोती → धागा; सोना → सुहागा ; स्वामी → दास।
(घ) कवि ने ‘गरीब निवाजु’ अपने आराध्य परमात्मा को कहा है, क्योंकि वे सदा गरीबों तथा दीन-दुखियों पर दया करते हैं।
(ङ) इस पंक्ति के माध्यम से कवि यह स्पष्ट करता है कि जिन लोगों को संसार के लोग अछूत समझते हैं, ऐसे लोगों पर परमात्मा दया करके उनकी सदा सहायता करते हैं। परमात्मा कोई भेदभाव नहीं करते। वे सब पर समान रूप से दया करते हैं।
(च) कवि ने अपने स्वामी को गरीब निवाजु, स्वामी, गोसाई, गोबिंद, हरि कहकर पुकारा है।
(छ) मोरा = मोर। चंद = चंद्रमा, चाँद। बाती = बत्ती। जोति = ज्योत। बर = जले। राती = रात, रात्रि। छत्रु = छत्र। धर = धरना। छोति = छूत। तुहीं = तुम ही, आप ही। गुसईआ = गोसाई, स्वामी।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 9 रैदास के पद

प्रश्न 2.
नीचे लिखी पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) जाकी अँग- अँग बास समानी
(ख) जैसे चितवत चंद चकोरा
(ग) जाकी जोति बरै दिन राती
(घ) ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै
(ङ) नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै
उत्तर :
(क) भक्त स्वयं गुणों से रहित है। वह पानी के समान रंग-रहित और गंध-रहित है, लेकिन ईश्वररूपी चंदन का सान्निध्य पाकर वह धन्य हो जाता है। वह गुणों की प्राप्ति कर लेता है। ईश्वरीय भक्ति उसे पापों से मुक्त करके उसके जीवन को सार्थकता प्रदान करती है।
(ख) भक्त तो सदा भवसागर पार करवाने वाले परमात्मा के प्रति स्वयं को अर्पित कर देना चाहता है। वह हर पल उसी के रूप-दर्शन करने की इच्छा करता है। जिस प्रकार चकोर अपने प्रिय चंद्रमा को निहारना चाहता है, उसी प्रकार संत रैदास भी प्रभूरूपी चाँद को एकटक देखना चाहते हैं; वे अपने ध्यान को किसी दूसरी ओर नहीं लगाना चाहते।
(ग) कवि कहता है कि ईश्वर सृष्टि के कण-कण में समाया हुआ है। प्रत्येक प्राणी में उसी की ज्योति जगमगा रही है। उसी के कारण हम जीवित हैं। वही हमारे श्वासों को चला रहा है।
(घ) कवि बताना चाहता है कि जीवों पर जैसी कृपा ईश्वर करता है, वैसी कृपा कोई और नहीं कर सकता। वही दीन-दुखियों का रक्षक है। उसके बिना मानव का सहायक कोई और नहीं है।
(ङ) परमात्मा किसी से नहीं डरता। वह तो नीच कों भी उच्च बना देता है। वह अपने भक्तों पर दया करके उनका उद्धार कर देता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 9 रैदास के पद

प्रश्न 3.
रैदास के इन पदों का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
पहले पद ‘अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी’ में कवि अपने आराध्य को सदा स्मरण करता है, क्योंकि वह स्वयं को उनसे अलग नहीं मानता। उसके अनुसार वह पानी है, तो प्रभु चंदन हैं। इसी प्रकार से वह स्वयं को मोर, चकोर, बाती, धागा, सोना तथा सेवक कहता है और अपने प्रभु को घनश्याम, चाँद, दीपक, मोती, सुहागा और स्वामी मानता है।

दूसरे पद ‘ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै’ में कवि ने अपने आराध्य के दयालु रूप का वर्णन किया है जो ऊँच-नीच, सुवर्ण-अवर्ण, अमीर-गरीब आदि का भेदभाव नहीं जानता। वह किसी भी कुल-गोत्र में उत्पन्न अपने भक्त को सहज भाव से अपनाकर उसे दुनिया में सम्मान दिलाता है तथा उसे सांसारिक बंधनों से मुक्त कर अपने चरणों में स्थान देता है। ईश्वर द्वारा नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना, सैन जैसे निम्न जाति में उत्पन्न भक्तों को समाज में उच्च स्थान दिलाने तथा उनका उद्धार करने के उदाहरण देकर कवि ने अपने इस कथन को सिद्ध किया है।

योग्यता – विस्तार –

प्रश्न 1.
भक्त कवि कबीर, गुरु नानक, नामदेव और मीराबाई की रचनाओं का संकलन कीजिए।

प्रश्न 2.
पाठ में आए दोनों पदों को याद कीजिए और कक्षा में गाकर सुनाइए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 9 Hindi रैदास के पद समान Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
रैदास की भक्ति की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
रैदास की भक्ति भक्त के मन की पुकार है, जो परमात्मा को रिझाने और पाने के लिए व्याकुल हैं। वे संतों के समान दार्शनिक सिद्धांतों के चक्कर में नहीं पड़े। उन्होंने सीधी-सादी और व्यावहारिक भाषा में अपने भक्त हृदय को प्रकट किया। उनकी भक्ति सच्चे हृदय की आवाज़ को व्यक्त करती है। वे हृदय के सच्चे थे और तर्क-वितर्क से उपलब्ध होने वाले कोरे ज्ञान की अपेक्षा सत्य से पूर्ण अनुभूति में अधिक विश्वास रखते थे। उनका मानना था कि राम का परिचय पाने के बाद ही हम अपने मन की दुविधा को दूर कर सकते हैं।

जिस प्रकार ‘तूंबा’ जल के ऊपर ही रहता है, उसी प्रकार हमें भी संसार में वैसे ही विचरण करना चाहिए। भक्ति दिखावे का नाम नहीं है। जब तक मनुष्य पूर्ण वैराग्य की स्थिति प्राप्त नहीं करता, तब तक भक्ति के नाम पर की जाने वाली सब साधनाएँ केवल भ्रम और आडंबर है जिनसे कोई लाभ नहीं हो सकता। सोने की शुद्धि का परिचय उसे पीटे, काटे, तपाने या सुरक्षित रखने से नहीं होता बल्कि सुहागे के साथ संयोग से होता है। हमारे हृदय में निर्मलता तभी उत्पन्न होती है, जब परमात्मा से हमारी पहचान हो जाती है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 9 रैदास के पद

प्रश्न 2.
रैदास ने जिस ‘राम’ की भक्ति की थी, उसका परिचय दीजिए।
उत्तर :
कबीर के ‘निर्गुण राम’ के समान रैदास का ‘सत्य राम’ भी निर्गुण और निराकार है, जिसे वे ‘माधो’ कहकर पुकारते हैं। यह राम का वह रूप नहीं है, जिन्हें सामान्य लोग जानते हैं। वह सर्वव्यापक और निर्गुण है; वह निराकार है; सब उसमें व्याप्त है और वह सबमें व्याप्त है। राम सदा एक रस है। वह निर्गुण, निराकार, उदय-अस्त से रहित, सर्वत्र व्यापक, निश्चल, अजन्मा, अनंत, अनुपम, निर्भय, अगम, अगोचर, अक्षर, अतर्क, अनादि, अनंत, निर्विकार और अविनाशी है।

उसमें न कर्म है और न अकर्म; न शुभ है और न अशुभ; न शीत है और न अशीत; न योग है और न भोग। वह शिव – अशिव, धर्म-अधर्म, जरा-मरण, दृष्टि- अदृष्टि, गेय – अगेय आदि के बंधन से परे है। वह एक है। वह अद्वितीय है। वह मूर्ति में नहीं है। जो मूर्ति को पूजते हैं, वे कच्ची बुद्धि वाले हैं। राम तो वह है, जिसका न कोई नाम है और न ही स्थान। वह सबमें व्याप्त है; उसे कहीं बाहर ढूँढ़ने की आवश्यकता नहीं होती।

प्रश्न 3.
रैदास ने स्वयं को पानी और प्रभु को चंदन क्यों माना है ?
उत्तर :
रैदास को प्रभु नाम जपने की लगन लगी है। वे स्वयं को पानी और प्रभु को चंदन मानते हैं। पानी का रंग, गंध व कोई स्वाद नहीं होता, परंतु जब पानी प्रभु-रूपी चंदन के साथ मिल जाता है तो उसमें भी रंग और सुगंध आ जाती है। कवि कहता है कि यदि उसमें कोई गुण विद्यमान है, तो ईश्वर की भक्ति के कारण है। ईश्वर ही सभी गुणों को प्रदान कर अपने भक्त को गुणवान बना देता है।

प्रश्न 4.
रैदास ने स्वयं की तुलना मोर से क्यों की है ?
उत्तर :
रैदास ने स्वयं की तुलना मोर से की है। जिस प्रकार बादलों को देखकर मोर अपने हृदय की प्रसन्नता को नाच नाचकर प्रकट करता है, उसी प्रकार भक्त – रूपी कवि भी प्रभु रूपी बादल को अपने मन में अनुभव करता है तथा आत्मविभोर होकर नाच उठता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 9 रैदास के पद

प्रश्न 5.
कवि ने स्वयं को धागा क्यों माना है ?
उत्तर :
ईश्वर का स्वरूप निराकार है। भक्त अपनी भक्ति के द्वारा उस स्वरूप का गुणगान करता है। वह स्वयं को प्रभु का सेवक बताता है। कवि स्वयं को उस धागे के समान मानता है, जो भक्ति के अमूल्य मोतियों को ईश्वर – नाम के रूप में पिरोता है। ईश्वर भक्त को अपने गुणों से प्रभावित करता है। भक्त के लिए वे सारे गुण मोती के समान हैं, जिन्हें वह भक्ति भावना रूपी धागे में पिरोता है। इसलिए रैदास ने स्वयं को धागा बताया है।

प्रश्न 6.
रैदास ने प्रभु को कैसा बताया है ?
उत्तर :
रैदास ने प्रभु को उदार, कृपालु तथा दयालु बताया है। उनके अतिरिक्त गरीबों तथा दीन-दुखियों का स्वामी अथवा रक्षक अन्य कोई नहीं है। वे ही सबके रक्षक और स्वामी हैं।

प्रश्न 7.
प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा।
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती ॥
उपरोक्त पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर :
संत रैदास ने दास्य-भाव की भक्ति को प्रकट किया है और माना है कि उनका अस्तित्व परमात्मा के कारण है। परमात्मा ही गुणों का भंडार है और वही अपने भक्तों पर दया करता है। कवि की भाषा सधुक्कड़ी है, जिसमें तद्भव शब्दावली की अधिकता है। स्वरमैत्री ने संगीतात्मकता का गुण प्रदान किया है। अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश और उपमा का सहज, सुंदर और स्वाभाविक प्रयोग सराहनीय है। माधुर्य गुण, शांत रस और अभिधा शब्द-शक्ति का सुंदर प्रयोग किया गया है।

प्रश्न 8.
कवि रैदास को किसकी आदत पड़ गई है, जो छोड़ने से भी नहीं छूट रही ?
उत्तर :
कवि रैदास बड़े ही दीन भाव से प्रभु से कहते हैं कि हे ईश्वर मुझे तो ‘राम-नाम’ जपने की रट लग गई है। दिन हो या रात – हर पल हर समय मेरी जिह्वा ‘राम-नाम’ का जप करती रहती है। यह आदत ऐसी पड़ गई है कि अब छूटने से भी नहीं छूट रही।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 9 रैदास के पद

प्रश्न 9.
कवि रैदास ने प्रभु को कैसा माना है ?
उत्तर :
कवि रैदास ने प्रभु को सबका रक्षक माना है। कवि के अनुसार उनके प्रभु दयावान हैं। वे सभी प्राणियों पर अपनी अनुकम्पा बनाए रखते हैं। उनकी दृष्टि में कोई छोटा-बड़ा नहीं है। वे दया के सागर तथा करुणाशील हैं। वे दीन-दुखियों पर दया करने वाले हैं और सभी प्राणियों को एक भाव से देखते हैं।

प्रश्न 10.
कवि ने दूसरे पद में ऊँच-नीच तथा भेदभाव से संबंधित क्या बातें कही हैं ?
उत्तर :
कवि ने दूसरे पद में स्पष्ट किया है कि ईश्वर के समक्ष ऊँच-नीच का कोई भेदभाव नहीं है। वे किसी को छोटा-बड़ा नहीं मानते। वे सभी को एक दृष्टि से देखते हैं। वे किसी भी कुल, गोत्र, जाति आदि में उत्पन्न अपने भक्त को समान रूप से अपना कर तथा उसे समुचित सम्मान देकर उसका उद्धार करते हैं। यही उस परमपिता परमेश्वर की दयालुता है।

प्रश्न 11.
दूसरे पद में कवि ने परमात्मा द्वारा किन लोगों के उद्धार की बात कही है ?
उत्तर :
दूसरे पद में कवि ने परमात्मा द्वारा नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना और सैन जैसे लोगों की भक्ति व आराधना से प्रसन्न होकर उनका उद्धार करने की बात कही है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 9 रैदास के पद

प्रश्न 12.
कवि रैदास के पदों की भाषा-शैली स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि रैदास ने अपने पदों में मुख्य रूप से सरल तथा प्रचलित ब्रजभाषा का प्रयोग किया है। इनकी भाषा में कहीं-कहीं उर्दू, राजस्थानी, खड़ी बोली, अवधी आदि के शब्दों का प्रयोग भी स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। इनके पदों में स्वरमैत्री तथा संगीतात्मकता का गुण सर्वत्र विद्यमान है। पदों में तत्सम शब्दों के स्थान पर तद्भव शब्दों की अधिकता है। इन्होंने सधुक्कड़ी भाषा का प्रयोग अत्यंत सहज ढंग से किया है।

रैदास के पद Summary in Hindi

कवि-परिचय :

जीवन-परिचय -रैदास अथवा रविदास निर्गुण काव्यधारा के संत कवियों में प्रमुख माने जाते हैं। आदि ग्रंथ के अनुसार इनका जन्म काशी में हुआ था। इनका समय सन् 1388 ई० से लेकर सन् 1518 ई० तक का माना जाता है। ये कबीर के समकालीन थे। इनके गुरु रामानंद थे। गृहस्थी होते हुए भी इनका जीवन संतों के समान था। इन्होंने अपनी रचनाओं में अपने पूर्ववर्ती और समकालीन संत कवियों नामदेव, कबीर आदि की भी चर्चा की है। इनके ज्ञान से प्रभावित होकर मीराबाई ने इन्हें अपना गुरु स्वीकार किया था। तत्कालीन शासक सिकंदर लोदी ने इन्हें दिल्ली भी आमंत्रित किया था।

रचनाएँ – रैदास द्वारा रचित दो ग्रंथ – ‘ रविदास की बानी’ और ‘रविदास के पद’ हैं। श्री गुरु ग्रंथ साहब में भी इनके कुछ पद संग्रहीत हैं। इनकी समस्त रचनाएँ ‘रैदास की बानी’ के नाम से उपलब्ध हैं।

काव्य की विशेषताएँ – रैदास ने अपनी रचनाओं में निर्गुण निराकार ब्रह्म के प्रति अपनी आस्था व्यक्त की है, किंतु सगुणोपासना से भी इनका कोई विरोध नहीं था। इसलिए इन्होंने अपनी वाणी में निर्गुण-निराकार परमात्मा को स्मरण करने के लिए सगुणोपासना में प्रचलित परमात्मा के माधव, हरि, गोबिंद, राम, केशव आदि शब्दों का निस्संकोच भाव से प्रयोग किया है। इन्होंने एकाग्र मन तथा एकनिष्ठ भाव से प्रभु स्मरण पर बल दिया है।

रैदास जातिगत भेदभाव, तीर्थ, व्रत, आडंबरपूर्ण पूजा आदि में विश्वास नहीं रखते थे। वे सहज, सरल तथा आडंबरहीन प्रभु-भक्ति करते थे। इनकी वाणी में आत्मा-परमात्मा की एकता का भाव व्यक्त हुआ है। वे आत्मा को परमात्मा का अभिन्न अंश मानते थे। इनकी वाणी में प्रमुखता लोक-कल्याण का भाव रहा है।

रैदास ने अपनी रचनाओं में मुख्य रूप से सरल तथा प्रचलित ब्रजभाषा का प्रयोग किया है; इसमें कहीं-कहीं खड़ी बोली, अवधी, राजस्थानी, अरबी-फ़ारसी तथा उर्दू के शब्दों का प्रयोग भी दिखाई दे जाता है। इनके पद ‘खालिक – सिकस्ता मैं तेरा’ में अरबी, फ़ारसी और उर्दू के शब्दों का बहुत प्रयोग हुआ है।

प्रचलित उपमानों तथा नाथों और निरंजनों के सहज, शून्य आदि शब्द भी प्राप्त होते हैं। इन्होंने मुक्तक गेय पदों, दोहा, चौपाई आदि छंदों में अपनी रचनाएँ की हैं। रैदास का काव्य भक्तिभाव से परिपूर्ण है, जिसमें निर्गुण ब्रह्म की आराधना के साथ-साथ गुरु-भक्ति, लोक कल्याण, कर्तव्य पालन, सत्संग, नाम-स्मरण आदि का महत्व प्रतिपादित किया गया है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 9 रैदास के पद

पदों का सार :

पाठ्य-पुस्तक में रैदास द्वारा रचित दो पद संकलित हैं। पहले पद में कवि ने अपने आराध्य की आराधना करते हुए स्पष्ट किया है कि उसे राम-नाम की रट लग गई है, जिसे वह अब छोड़ नहीं सकता। वह अपने प्रभु को चंदन और स्वयं को पानी; उन्हें घनश्याम और स्वयं को मोर; उन्हें चाँद तथा स्वयं को चकोर मानता है। वह अपने प्रभु को दीपक स्वयं को बाती; उन्हें मोती स्वयं को धागा तथा उन्हें स्वामी और स्वयं को उनका दास मानकर उनकी भक्ति करता है।

दूसरे पद में कवि ने प्रभु को सबका रक्षक माना है। कवि के अनुसार दुखियों पर दया करने वाला परमात्मारूपी स्वामी उस जैसे व्यक्ति को भी महान बना देता है। संसार जिसे अछूत मानता है, उसी पर परमात्मा द्रवित होकर कृपा करता है। वह किसी से भी नहीं डरता और नीच को भी ऊँचा बना देता है। कवि कहता है कि उसी परमात्मा की कृपा से नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना, सैन जैसे निम्न जाति में उत्पन्न व्यक्तियों का भी उद्धार हो गया था।

व्याख्या –

1. अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी,
प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी, जाकी अँग-अँग बास समानी।
प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा, जैसे चितवत चंद चकोरा।
प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती, जाकी जोति बरै दिन राती।
प्रभु जी, तुम मोती हम धागा, जैसे सोनहिं मिलत सुहागा।
प्रभु जी, तुम स्वामी हम दासा, ऐसी भक्ति करै रैदासा ॥
बास – सुगंध। घन बादल। बरै जले। सोनहिं सोने में।

शब्दार्थ : बास – सुगंध। घन – बादल। बंर – जले। सोनहिं – सोने में।

प्रसंग : प्रस्तुत पद रैदास द्वारा रचित है, जोकि हमारी पाठ्यपुस्तक ‘स्पर्श’ (भाग – 1) में संकलित है। इस पद में कवि ने अपने आराध्य के प्रति अपनी अटूट भक्ति का परिचय दिया है।

व्याख्या : रैदास कहते हैं कि हे मेरे प्रभु ! अब मुझे राम नाम जपने की रट लग गई है, जो मुझसे किसी प्रकार से भी नहीं छूट सकती। हे प्रभु! आप चंदन के समान हैं और मैं पानी जैसा हूँ। मैं गंध से रहित पानी की तरह था, जिसमें आपके चंदन रूप की सुगंध घुलकर मेरे अंग-अंग में समा गई है। आप घने बादलों का समूह हैं और मैं मोर हूँ। मैं आपको ऐसे देखता हूँ, जैसे चंद्रमा को चकोर देखता है। आप दीपक हैं और मैं उसमें जलने वाली बत्ती हूँ, जिसकी ज्योत दिन-रात जलती रहती है। आप मोती हैं और मैं मोती को पिरोने वाला धागा हूँ। जैसे सोने को सुहागा शुद्ध कर देता है, वैसे ही आपने मुझे पवित्र कर दिया है। हे प्रभु! आप मेरे स्वामी हैं और मैं आपका दास हूँ। ऐसी ही भक्ति रैदास आपकी करता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 9 रैदास के पद

2. ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै।
गरीब निवाजु गुसईआ मेरा माथै छत्रु धरै ॥
जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै।
नीचहु ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै॥
नामदेव कबीरु तिलोचनु सधना सैनु तरै।
कहि रविदासु सुनहु रे संतहु हरिजीउ ते सभै सरै ॥

शब्दार्थ : लाल – स्वामी। गरीब निवाजु – गरीबों पर कृपा करने वाला। गुसईआ – स्वामी। माथै छत्रु धेरै महान बनाना। जाकी जिसकी। छोति – छुआछूत, अस्पृश्यता। ढरै द्रवित होना, दया करना। नामदेव महाराष्ट्र के एक प्रसिद्ध संत; इन्होंने मराठी और हिंदी दोनों – भाषाओं में रचना की है। तिलोचनु (त्रिलोचन ) – एक प्रसिद्ध वैष्णव आचार्य, जो ज्ञानदेव और नामदेव के गुरु थे। सधना – एक उच्च कोटि के संत, जो नामदेव के समकालीन माने जाते हैं। सैनु ये भी एक प्रसिद्ध संत हैं, ‘आदि गुरुग्रंथ साहब’ में संग्रहीत पद के आधार पर इन्हें रामानंद का समकालीन माना जाता है। जीउ – इच्छा। सरै – होना।

प्रसंग : प्रस्तुत पद रैदास द्वारा रचित है, जो हमारी पाठ्यपुस्तक ‘स्पर्श’ (भाग – 1) में संकलित है। इस पद में कवि ने स्पष्ट किया है कि परमात्मा के सामने ऊँच-नीच का कोई भेदभाव नहीं है। वह किसी भी कुल, गोत्र, जाति आदि में उत्पन्न अपने भक्त को समान रूप से अपनाकर और उसे समुचित सम्मान देकर उसका उद्धार करता है।

व्याख्या : कवि प्रभु की उदारता, कृपालुता तथा दयालुता का वर्णन करते हुए कहता है कि आपके अतिरिक्त गरीबों तथा दीन-दुखियों का स्वामी अथवा रक्षक अन्य कोई नहीं है। आप गरीबों के रक्षक तथा स्वामी हैं। आपने ही मुझ जैसे व्यक्ति को इतनी महानता प्रदान की है। जिनके स्पर्श को भी दुनिया वाले बुरा मानते हैं, ऐसे लोगों पर भी आप दया करते हैं। कवि कहता है कि मेरा गोबिंद तो नीच को भी उच्च बना देता है; वह किसी से डरता नहीं है। उस परमात्मा ने नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना और सैन जैसे लोगों की भक्ति से प्रसन्न होकर उनका उद्धार कर दिया। रविदास कहते हैं कि ‘हे संतो ! हरि की इच्छा से सभी कार्य संपन्न हो जाते हैं’।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण अशुद्धि शोधन

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Vyakaran अशुद्धि शोधन Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Vyakaran अशुद्धि शोधन

सार्थक एवं पूर्ण विचार व्यक्त करने वाले शब्द समुह को वाक्य कहा जाता है। प्रत्येक भाषा का मुल ढाँचा वाक्यों पर ही आधारित होता है। इसलिए सा यह अनिवार्य है कि वाक्य-रचना में पद-क्रम और अन्वय का विशेष ध्यान रखा जाए। इनके प्रति सावधान न रहने से वाक्य-रचना में कई प्रकार की भूलें हो जाती हैं। वाक्य-रचना के लिए अभ्यास की परम आवश्यकता होती है। नीचे कुछ ऐसे वाक्य दिए जा रहे हैं, जिनमें सामान्य अशुद्धियों

1. संज्ञा संबंधी अशुद्धियाँ।

अशुद्ध – शुद्ध

  1. वह माता-पिता की परिचर्या में लगा हुआ है। – वह माता-पिता की सेवा में लगा हुआ है।
  2. तुम्हारी नारी का क्या नाम है? – तुम्हारी पत्नी का क्या नाम है?
  3. राम ने मोहन की मृत्यु पर खेद प्रकट किया। – राम ने मोहन की मृत्यु पर दुख प्रकट किया।
  4. बढ़ई ने दरवाज़े की रचना की। – बढ़ई ने दरवाज़े का निर्माण किया।
  5. ये विपत्तियाँ टिकाऊ नहीं हैं। – ये विपत्तियाँ स्थायी नहीं हैं।
  6. उसने दोनों हाथों से ठोकर लगाई। – उसने दोनों हाथों से धक्का दिया।
  7. छात्रों ने मुख्यमंत्री को अभिनंदन पत्र प्रदान किया। – छात्रों ने मुख्यमंत्री को अभिनंदन-पत्र भेंट किया।
  8. आप शनिवार के दिन चले जाएँ। – आप शनिवार को चले जाएँ।
  9. सायंकाल के समय पधारने की कृपा करें। – सायंकाल पधारने की कृपा करें।
  10. कृपया पत्र का उत्तर देने की कृपा करें। – पत्र का उत्तर देने की कृपा करें।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण अशुद्धि शोधन

2. परसर्ग संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध – शुद्ध

  1. चाचे न कहा कि वे नहीं जाएँगे। – चाचा ने कहा कि वे नहीं जाएंगे।
  2. वेद ने मुंबई जाना है। – वेद को मुंबई जाना है।
  3. आप भोजन किया? – आपने भोजन किया?
  4. मैं उसे पहचाना नहीं। – मैंने उसे पहचाना नहीं।
  5. उसे गाने का रियाज़ किया। – उसने गाने का रियाज़ किया।
  6. वह खाया और वह चला गया। – उसने खाया और वह चला गया।
  7. उसने नहाया। – वह नहाया।
  8. मुझे भोजन को बुलाया गया है। – मुझे भोजन के लिए बुलाया गया है।
  9. मैं पुस्तक को पढ़ता हूँ। – मैं पुस्तक पढ़ता हूँ।
  10. पूनम यातनाओं को सहती है। – पूनम यातनाएँ सहती है।

3. लिंग संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध – शुद्ध

  1. सारा देश एक साथ मिलकर खड़ी हो गई। – सारा देश एक साथ मिलकर खड़ा हो गया।
  2. उन्होंने मुझे गोवा घुमाई। – उन्होंने मुझे गोवा में घुमाया।
  3. वर्तमान दशा अत्यंत चिंता का विषय समझा जा रहा – वर्तमान दशा अत्यंत चिंता का विषय समझी जा रही है।
  4. मुझे आदेश दी। – मुझे आदेश दिया।
  5. बेटी दूसरे घर का धन होता है। – बेटी दूसरे घर का धन होती है।
  6. उनका उद्देश्य ज्ञान प्राप्ति रही होगी। – उनका उद्देश्य ज्ञान प्राप्ति रहा होगा।
  7. लड़के ने पुस्तक पढ़ा। – लड़के ने पुस्तक पढ़ी।
  8. मधुसूदन और मीरा कॉलेज गई। – मधुसूदन और मीरा कॉलेज गए।
  9. घोड़ा, बैल और गाय चर रही हैं। – घोड़ा, बैल और गाय चर रहे हैं।
  10. कितने वीरता से भरे गीत उसने गाए। – कितनी वीरता से भरे गीत उसने गाए।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण अशुद्धि शोधन

4. वचन संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध – शुद्ध

  1. चार हज़ार का टिकट गायब है। – चार हज़ार के टिकट गायब हैं।
  2. माता अपने पुत्र को देखती जा रही थीं। – माताएँ अपने पुत्रों को देखती जा रही थीं।
  3. पाँच पेड़ा खाया – पाँच पेड़े खाए।
  4. मेरा तो प्राण निकल गया। – मेरे तो प्राण निकल गए।
  5. उसे दो रोटी दे दो। – उसे दो रोटियाँ दे दो।
  6. लड़की लोग बैठा था। – लड़कियाँ बैठी थीं।
  7. अपने-अपने घरों से रोटी ले कर आओ। – अपने-अपने घर से रोटी लेकर आओ।
  8. दर्शकों में अनेक श्रेणियों के लोग थे। – दर्शकों में अनेक श्रेणी के लोग थे।
  9. प्रत्येक ने टोपियाँ पहन रखी थीं। – प्रत्येक ने टोपी पहन रखी थी।
  10. घोड़ियें चर रही हैं। – घोड़ियाँ चर रही हैं।

5. सर्वनाम संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध – शुद्ध

  1. प्रशांत ने भारती से कहा, “वह तुरंत आ रहे हैं।” – प्रशांत ने भारती से कहा, “वे तुरंत आ रहे हैं।”
  2. लीजिए इन्होंने एक गिलास दूध डाल दीजिए। – लीजिए इसमें एक गिलास दूध डाल दीजिए।
  3. विभू मेरा पास आया और कहा। – विभू मेरे पास आया और कहा।
  4. उसने महेश को देखा और इसके पास बैठ गई। – उसने महेश को देखा और उसके पास बैठ गई।
  5. बच्चो, यदि हम नहीं पढ़ोगे तो फेल हो जाओगे। – बच्चो, यदि तुम नहीं पढ़ोगे तो फेल हो जाओगे।
  6. आज प्रातः क्या चला गया ? – आज प्रातः कौन चला गया ?
  7. यद्यपि इस लड़के ने बिलकुल परिश्रम नहीं किया था तो भी वह पास हो गया। – यद्यपि इस लड़के ने बिलकुल परिश्रम नहीं किया था तो भी यह पास हो गया।
  8. वह लोग भले थे। – वे लोग भले थे।
  9. हमको क्या ? – हमें क्या ?
  10. तुम तुम्हारे रास्ते चलो। – तुम अपने रास्ते चलो।

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6. विशेषण संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध – शुद्ध

  1. मुझे घोर आग्रह करके बुलाया है। – मुझे विशेष आग्रह करके बुलाया है।
  2. उसने सच गवाही दी। – उसने सच्ची गवाही दी।
  3. तुमने झूठ बात कही। – तुमने झूठी बात कही।
  4. वह आदमी बहुत श्रेष्ठ है। – वह आदमी बहुत अच्छा है।
  5. उसके पास सुंदरी गुड़िया है। – उसके पास सुंदर गुड़िया है।
  6. भारी भरकम भीड़ जमा हो गई। – बड़ी भीड़ जमा हो गई।
  7. कई फैक्टरी के कर्मचारी चले गए। – फैक्टरी के कई कर्मचारी चले गए।
  8. केवल मात्र व्याकरण सीखने से क्या होगा ? – केवल व्याकरण सीखने से क्या होगा ?
  9. सीता सोती नींद से जाग पड़ी। – सीता नींद से जाग पड़ी।
  10. अपनी सकुशलता का पत्र भेजना। – अपनी कुशलता का पत्र भेजना।

7. क्रिया संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध – शुद्ध

  1. उसे हरि का हाथ झटक डाला। – उसने हरि का हाथ झटक दिया।
  2. उसने सब कुछ खा डाला। – उसने सब कुछ खा लिया।
  3. सर्प को देखकर वह घबरा आयी। – सर्प को देखकर वह घबरा गई।
  4. वह चिल्ला उठा। – वह चिल्ला पड़ा।
  5. आज सभी ने यह संकल्प लिया कि …… – आज सभी ने यह संकल्प किया कि …..
  6. वहाँ गहन अंधकार घिरा हुआ था। – वहाँ गहन अंधकार छाया हुआ था।
  7. अपने जूते निकालो। – अपने जूते उतारो।
  8. उसका मूल्य आप नहीं नाप सकते। – उसका मूल्य आप नहीं आँक सकते।
  9. उसको अभिनंदन – पत्र प्रदान किया। – उसको अभिनंदन पत्र भेंट किया।
  10. शादी में वस्तुएँ भेंट की गईं। – शादी में अनेक वस्तुओं का उपहार मिला।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण अशुद्धि शोधन

8. मुहावरे संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध – शुद्ध

  1. युग की माँग का यह बीड़ा कौन चबाता है ? – युग की माँग का यह बीड़ा कौन उठाता है ?
  2. वह श्याम पर बरस गया। – वह श्याम पर बरस पड़ा।
  3. उसकी अक्ल चक्कर खा गई। – उसकी अक्ल चकरा गई।
  4. पाँचवें दिन शत्रु ने हथियार रख दिए। – पाँचवें दिन शत्रु ने हथियार डाल दिए।
  5. उस पर घड़ों पानी गिर गया। – उस पर घड़ों पानी पड़ गया
  6. यह काम चार दो आदमियों का नहीं। – यह काम दो-चार आदमियों का नहीं।
  7. मुझे से पाँच – तीन न करना। – मुझसे तीन – पाँच न करना।
  8. सिपाही को देखते ही चोर सात चार ग्यारह हो गया। – सिपाही को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गया।
  9. कैसा मूर्ख नौकर पाले पड़ा है। – कैसा मूर्ख नौकर पल्ले पड़ा है।
  10. इकलौता पुत्र आँख का तारा होता है। – इकलौता पुत्र आँखों का तारा होता है।

9. क्रिया-विशेषण संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध – शुद्ध

  1. केवल इसीलिए वह न पढ़ सका। – इसीलिए वह न पढ़ सका।
  2. वह अत्यंत ही परिश्रमी है। – वह अत्यंत परिश्रमी है।
  3. वह लगभग रोने लगा। – वह रोने लगा।
  4. यहाँ पर कुछ गंदगी है। – यहाँ कुछ गंदगी है।
  5. उसके पास केवल मात्र एक रुपया रह गया। – उसके पास केवल एक रुपया रह गया।
  6. वह कदापि भी झूठ नहीं बोलता। – वह कदापि झूठ नहीं बोलता।
  7. उसके बाद वे वापस लौट आए। – उसके बाद वे लौट आए।
  8. आप लोग परस्पर में समझ लेना। – आप लोग परस्पर समझ लेना।
  9. वह प्रायः कभी-कभी आता है। – वह कभी-कभी आता है।
  10. उसका सिर नीचे था। – उसका सिर नीचा था।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण अशुद्धि शोधन

10. अव्यय संबंधी अशुद्धियाँ

अशुद्ध – शुद्ध

  1. मैं आया ही था जब कि वे भी आ गए। – मैं आया ही था कि वे भी आ गए।
  2. कदाचित यदि वह आक्रमण कर देता तो……। – कदाचित वह आक्रमण कर देता तो….।
  3. वे संतान को लेकर दु:खी थे। – वे संतान के कारण दुखी थे।
  4. देश व काल का ध्यान रखना आवश्यक है। – देश और काल का ध्यान रखना आवश्यक है।
  5. यदि वह मोटी न होती तब और भी तेज़ दौड़ती। – यदि वह मोटी न होती तो और भी तेज दौड़ती।
  6. वहाँ अपार जनसमूह एकत्रित था। – वहाँ अपार जन-समूह एकत्र था।
  7. प्रायः लोग झूठ तो बोलते हैं। – प्रायः लोग झूठ बोलते हैं।
  8. ज्योंही मैं स्टेशन पहुँचा, गाड़ी रवाना हो गई। – ज्योंही मैं स्टेशन पहुँचा, त्योंही गाड़ी रवाना हो गई।
  9. मैं प्रसन्न हूँ, क्योंकि तुम परिश्रमी हो। – मैं इसलिए प्रसन्न हूँ, क्योंकि तुम परिश्रमी हो।
  10. तुम्हें काम करना हो तो करो या अपने घर जाओ। – तुम्हें काम करना हो तो करो अन्यथा अपने घर जाओ।

11. वाक्यगत सामान्य अशुद्धियाँ।

अशुद्ध – शुद्ध

  1. उसने अनेकों ग्रंथ लिखे। – उसने अनेक ग्रंथ लिखे।
  2. महाभारत, अठारह दिनों तक चलता रहा। – महाभारत अठारह दिन तक चलता रहा।
  3. खरगोश को काटकर गाजर खिलाओ। – खरगोश को गाजर काटकर खिलाओ।
  4. मेरी आयु बीस की है। – मेरी अवस्था बीस वर्ष की है।
  5. हम दोनों के बीच शत्रुता हो गई। – हम दोनों में शत्रुता हो गई।
  6. पाँच हजार का टिकट बिक गया। – पाँच हजार के टिकट बिक गए।
  7. वह अनेक भावों का प्रकट करता है। – वह अनेक भाव प्रकट करता है।
  8. तुम्हारे ऊपर यह अभियोग है। – तुम्हारे पर यह अभियोग है।
  9. गुरुजनों के ऊपर श्रद्धा रखो। – गुरुजनों पर श्रद्धा रखो।
  10. मैंने वहाँ जाकर बड़ी अशुद्धि की। – मैंने वहाँ जाकर बड़ी भूल की।

12. पुनरुक्ति संबंधी अशुद्धियाँ।

अशुद्ध – शुद्ध

  1. मेरे पिता सजन पुरुष हैं। – मेरे पिता सज्जन हैं।
  2. बेफ़िजूल बोल रहे हो। – फ़िजूल बोल रहे हो।
  3. उन लोगों में कछ लोग अत्यंत धर्म-परायण थे। – उनमें कुछ लोग अत्यंत धर्म परायण थे।
  4. वे गुनगुने गर्म पानी से स्नान करते हैं। – वे गुनगुने पानी से स्नान करते हैं।
  5. आपमें कुछ आवश्यक गुणों की आवश्यकता है। – आपमें कुछ गुणों की आवश्यकता है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण अशुद्धि शोधन

13. सामान्य अशुद्धियाँ

अशुद्ध – शुद्ध

  1. लड़के पड़ रहे हैं। – लड़के पढ़ रहे हैं।
  2. मैं माता का दर्शन करने आया हूँ। – मैं माता के दर्शन करने आया हूँ।
  3. अत्यधिक किया कार्य भी थका देता है। – अत्यधिक कार्य भी थका देता है।
  4. उत्तर दिशा जाने पर तुम्हें मेरा मकान मिल जाएगा। – उत्तर दिशा में जाने पर तुम्हें मेरा मकान मिल जाएगा।
  5. आप ग्रह प्रवेश पर निमंत्रित हैं। – आप गृह-प्रवेश पर आमंत्रित हैं।
  6. आपकी पेन बहुत तेज़ दौड़ती है। – आपका पेन तेज़ी से लिखता है।
  7. स्लेट में लिखो। – स्लेट पर लिखो।
  8. तुम्हारी बात समझ नहीं आती। – तुम्हारी बात समझ में नहीं आती।
  9. अच्छे विचारों का ग्रहण करो। – अच्छे विचारों को ग्रहण करो।
  10. सौंदर्य सबको मोह लेती है। – सौंदर्य सबको मोह लेता है।
  11. एडीसन प्रसिद्ध विज्ञानी था। – एडीसन प्रसिद्ध वैज्ञानिक था।
  12. तुम्हारी चातुर्यता हर बार कामयाब न होगी। – तुम्हारा चातुर्य हर बार कामयाब न होगा।

14. व्यंजन की अशुद्धियाँ

अशुद्ध – शुद्ध

  1. सबको समान अंस देना चाहिए। – सबको समान अंश देना चाहिए।
  2. उसका अंत्य निकट था। – उसका अंत निकट था।
  3. कमल जल में उत्पन्न होता है। – कमल जल में खिलता है।
  4. मैं किसी अन्न व्यक्ति से बात नहीं करता। – मैं किसी अन्य व्यक्ति से बात नहीं करंता।
  5. अनु अनु में भगवान विराजमान है। – कण-कण में भगवान विराजमान है।

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15. बेमेल अशुद्धियाँ

अशुद्ध – शुद्ध

  1. वह प्रति पग-पग पर ठोकरें खाता है। – वह पग-पग पर ठोकरें खाता है।
  2. मोरनी को खुश करने के लिए नर मोर नाचता है। – मोरनी को खुश करने के लिए मोर नाचता है।
  3. बात तो यह है कि तुम बहुत भोले हो। – बात यह है कि तुम बहुत भोले हो।
  4. प्रति रोज़ दाँत साफ़ करो। – प्रतिदिन दौँ साफ़ करो।
  5. शरीफ पुरुष की सभी इज़्ज़त करते हैं। – शरीफ आदमी की सभी इज़ज़त करते हैं।
  6. बॉल को फर्श पर लुढ़का दो। – गेंद को फर्श पर लुढ़का दो।
  7. मैं दसवीं कक्षा का स्टूडेंट हूँ। – मैं दसर्वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ।
  8. समय को व्यर्थ न करो। – समय को व्यर्थ न गाँवाओ।
  9. मेरा सहेली आया है। – मेरी सहेली आई।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 8 शक्र तारे के समान

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 8 शक्र तारे के समान Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 8 शक्र तारे के समान

JAC Class 9 Hindi शक्र तारे के समान Textbook Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –

प्रश्न 1.
महादेव भाई अपना परिचय किस रूप में देते थे ?
उत्तर :
महादेव भाई स्वयं का परिचय गांधी जी का ‘हम्माल’ अथवा ‘पीर – बावर्ची – भिश्ती – खर’ कहकर देते थे।

प्रश्न 2.
‘यंग इंडिया’ साप्ताहिक में लेखों की कमी क्यों रहने लगी थी ?
उत्तर :
‘यंग इंडिया’ में ‘क्रानिकल’ के हॉर्नीमैन लेख लिखते थे। सरकार ने उन्हें देश निकाला देकर इंग्लैंड भेज दिया था। इसलिए ‘यंग इंडिया’ में लेखों की कमी रहने लगी थी।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 8 शक्र तारे के समान

प्रश्न 3.
गांधी जी ने ‘यंग इंडिया’ प्रकाशित करने के विषय में क्या निश्चय किया ?
उत्तर :
गांधी जी ने ‘यंग इंडिया’ को सप्ताह में दो बार प्रकाशित करने का निश्चय किया।

प्रश्न 4.
गांधी जी से मिलने से पहले महादेव जी कहाँ नौकरी करते थे ?
उत्तर :
गांधी जी से मिलने से पहले महादेव जी सरकार के अनुवाद – विभाग में नौकरी करते थे।

प्रश्न 5.
महादेव भाई के झोलों में क्या भरा रहता था ?
उत्तर :
महादेव भाई के झोलों में ताज़े-से-ताजे समाचार पत्र, मासिक – पत्र और पुस्तकें भरी रहती थीं।

प्रश्न 6.
महादेव भाई ने गांधी जी की कौन-सी प्रसिद्ध पुस्तक का अनुवाद किया था ?
उत्तर :
महादेव भाई ने गांधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अनुवाद किया था।

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प्रश्न 7.
अहमदाबाद से कौन-से दो साप्ताहिक निकलते थे ?
उत्तर :
अहमदाबाद से ‘यंग इंडिया’ और ‘नवजीवन’ नामक दो साप्ताहिक – पत्र प्रकाशित होते थे।

प्रश्न 8.
महादेव भाई दिन में कितनी देर काम करते थे ?
उत्तर :
महादेव भाई काम में रात और दिन के बीच कोई फ़र्क नहीं करते थे। वे निरंतर काम में लगे रहते थे। वे एक घंटे में चार घंटों का काम निपटा देते थे।

प्रश्न 9.
महादेव भाई से गांधी जी की निकटता किस वाक्य से सिद्ध होती है ?
उत्तर
महादेव भाई की मृत्यु के बाद भी जब प्यारेलाल जी से गांधी जी को कुछ कहना होता था तो उनके मुख से अनायास ही ‘महादेव’ निकलता था।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
गांधी जी ने महादेव को अपना वारिस कब कहा था ?
उत्तर :
गांधी जी ने महादेव को अपना वारिस तब कहा था जब वे सन् 1919 में जलियाँवाला बाग के हत्याकांड के दिनों में पंजाब जा रहे थे और उन्हें पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया था।

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प्रश्न 2.
गांधी जी से मिलने आनेवालों के लिए महादेव भाई क्या करते थे ?
उत्तर :
गांधी जी से मिलने आनेवालों की बातों को महादेव भाई सुनकर उनकी बातों की संक्षिप्त टिप्पणियाँ तैयार करके उनको गांधी जी के सम्मुख प्रस्तुत करते थे और आनेवालों के साथ उनकी भेंट भी करवाते थे।

प्रश्न 3.
महादेव जी की साहित्यिक देन क्या है ?
उत्तर :
महादेव भाई की भाषा शिष्ट और संस्कार संपन्न थी। इनकी लेखन शैली मनोहारी थी। इन्होंने गांधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेज़ी में अनुवाद किया था जो प्रत्येक सप्ताह ‘यंग इंडिया’ में प्रकाशित होता रहा था। बाद में पुस्तक के रूप में इसका प्रकाशन हुआ था।

प्रश्न 4.
महादेव भाई की अकाल मृत्यु का कारण क्या था ?
उत्तर :
सन् 1935-36 में गांधी जी सेगाँव की सीमा पर झोंपड़ों में रहने लगे थे। महादेव भाई मगनवाड़ी में ही रहते थे। वहीं से वे वर्धा की असहनीय गरमी में रोज़ ग्यारह मील पैदल चलकर आते-जाते थे। यह कार्यक्रम काफ़ी लंबे समय तक चलता रहा। इसका उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और उनकी अकाल मृत्यु हो गई।

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प्रश्न 5.
महादेव भाई के लिखे नोट के विषय में गांधी जी क्या कहते थे ?
उत्तर :
महात्मा गांधी कहा करते थे कि महादेव के लिखे नोट के साथ थोड़ा मिलान कर लेना चाहिए था क्योंकि महादेव भाई के द्वारा लिखे गए नोट में कभी कॉमा तक की भी गलती नहीं होती थी

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
पंजाब में फ़ौजी शासन ने क्या कहर बरसाया ?
उत्तर :
पंजाब में फ़ौजी शासन ने सन् 1919 ई० में जलियाँवाला बाग में निर्दोष लोगों को घेरकर मार दिया था। पंजाब में अधिकांश नेताओं को गिरफ़्तार करके फ़ौजी कानून के अंतर्गत आजीवन कैद की सजाएँ देकर काला पानी भेज दिया गया था। लाहौर से प्रकाशित होनेवाले राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक समाचार-पत्र ‘ट्रिब्यून’ के संपादक श्री कालीनाथ राय को दस वर्ष जेल की सज़ा दे दी गई थी।

प्रश्न 2.
महादेव जी के किन गुणों ने उन्हें सबका लाड़ला बना दिया था ?
उत्तर :
महादेव जी सेवा-धर्म का पालन करने में निपुण थे। वे लोगों के द्वारा बताई गई बातें भी संक्षिप्त टिप्पणियाँ तैयार करने और उन्हें गांधी जी के सामने पेश करने, गांधी जी के लेख तैयार करने, उनके यात्रा-वर्णन लिखने, उनकी दैनिक गतिविधियों को देखने तथा सत्यनिष्ठा और विवेकपूर्ण ढंग से विकास करने के कारण सबके लाड़ले बन गए थे।

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प्रश्न 3.
महादेव जी की लिखावट की क्या विशेषताएँ थीं ?
उत्तर :
महादेव जी की लेखन शैली अत्यंत मनोहारी थी। वे अपने लेखन में शिष्ट और संस्कार – संपन्न भाषा का प्रयोग करते थे। गांधी जी से मिलने आनेवाले लोगों की व्यथा-कथा सुनकर स्वयं उनसे हुई बातों की संक्षिप्त तथा सटीक टिप्पणियाँ लिखने में वे अत्यंत निपुण थे। इनके द्वारा लिखी गई तत्कालीन राजनैतिक, सामाजिक तथा अन्य विषयों की टिप्पणियों के आधार पर गांधी जी ‘बांबे क्रॉनिकल’, ‘यंग इंडिया’, ‘नवजीवन’ आदि पत्र-पत्रिकाओं में लेख लिखते थे। गांधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी अनुवाद इनकी लेखन शैली का प्रत्यक्ष प्रमाण है।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न 1.
‘अपना परिचय उनके ‘पीर- बावर्ची भिश्ती खर’ के रूप में देने में वे गौरवान्वित महसूस करते थे।’
उत्तर :
महादेव भाई लोगों को अपना परिचय गांधी जी के उस परिचारक के रूप में देने में गर्व अनुभव करते थे जो उनके सभी प्रकार के कार्य करने में समर्थ है। वे स्वयं को गांधी जी का ऐसा ही सेवक मानते थे क्योंकि वे उनके सभी कार्य करते थे। इसी में उन्हें गर्व अनुभव होता था कि वे गांधी जी के अनुचर हैं।

प्रश्न 2.
इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता था।
उत्तर :
वकालत का पेशा झूठ बोलने का पेशा माना जाता है क्योंकि इसमें वकील अपने ग्राहक को जिताने के लिए झूठ को सच और सच को झूठ बनाकर प्रस्तुत करते हैं। जो इस कार्य में निपुण होता है वही सफल वकील माना जाता है।

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प्रश्न 3.
देश और दुनिया को मुग्ध करके शुक्रतारे की तरह ही अचनाक अस्त हो गए।
उत्तर
महादेव भाई शुक्रतारे के समान अपनी आभा से संसार को मोहित करके अकाल मृत्यु को प्राप्त हो गए थे।

प्रश्न 4.
उन पत्रों को देख-देखकर दिल्ली और शिमला में बैठे वाइसराय लंबी साँस उसाँस लेते रहते थे।
उत्तर :
महादेव भाई द्वारा लिखे गए पत्रों की विषय-वस्तु को पढ़कर दिल्ली और शिमला में बैठे हुए वाइसराय भी परेशान हो उठते थे।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1.
‘इक’ प्रत्यय लगाकर शब्दों का निर्माण कीजिए –
सप्ताह, अर्थ, साहित्य, धर्म, व्यक्ति, मास, राजनीति, वर्ष।
उत्तर :
साप्ताहिक, आर्थिक, साहित्यिक, धार्मिक, वैयक्तिक, मासिक, राजनैतिक, वार्षिक।

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए उपसर्गों का उपयुक्त प्रयोग करते हुए शब्द बनाइए –
अ, नि, अन, नि, दुर, वि, कु, पर, सु, अधि।
उत्तर :

  • आर्य – अनार्य
  • डर – निडर
  • सार्थक – निरर्थक
  • सुलभ – दुर्लभ
  • क्रय – विक्रय
  • उपस्थित – अनुपस्थित
  • नायक – अधिनायक
  • आगत – अनागत
  • आकर्षण – विकर्षण
  • मार्ग – कुमार्ग
  • लोक – परलोक
  • भाग्य – दुर्भाग्य
  • आयात – निर्यात
  • विश्वास – अविश्वास।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
आड़े हाथों लेना, अस्त हो जाना, दाँतों तले अंगुली दबाना, मंत्र-मुग्ध करना, लोहे के चने चबाना।
उत्तर :
1. आड़े हाथों लेना – जब जोसफ़ ने बहाना बनाकर विद्यालय जाने से इनकार किया तो मम्मी ने उसे आड़े हाथों लिया और विद्यालय जाने के लिए विवश कर दिया।
2. अस्त हो जाना – आपसी कलह से बड़े-बड़े घरानों की ख्याति अस्त हो जाती है
3. दाँतों तले अंगुली दबाना – ताजमहल का सौंदर्य देखकर बड़े-बड़े कलाकार भी दाँतों तले अँगुली दबा लेते हैं।
4. मंत्र-मुग्ध करना – लोक-नृतकों ने अपने नृत्य से दर्शकों को मंत्र-मुग्ध कर दिया।
5. लोहे के चने चबाना – भारतीय सेना से मुकाबला करना लोहे के चने चबाने के समान है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए-
वारिस, जिगरी, कहर, मुकाम, रूबरू, फ़र्क, तालीम, गिरफ़्तार।
उत्तर :

  • वारिस – उत्तराधिकारी
  • जिगरी – दिली
  • कहर – संकट
  • मुकाम – पड़ाव
  • रूबरू – सामने
  • फ़र्क – अंतर
  • तालीम – शिक्षा
  • गिरफ़्तार – बंदी

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प्रश्न 5.
उदाहरण के अनुसार वाक्य बदलिए –
उदाहरण : गांधी जी ने महादेव भाई को अपना वारिस कहा था।
गांधी जी महादेव भाई को अपना वारिस कहा करते थे।

  1. महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर – बावर्ची – भिश्ती – खर’ के रूप में देते थे।
  2. पीड़ितों के दल-के-दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़ते रहते थे।
  3. दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकलते थे।
  4. देश-विदेश के समाचार पत्र गांधी जी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी करते थे।
  5. गांधी जी के पत्र हमेशा महादेव की लिखावट में जाते थे।

उत्तर :

  1. महादेव भाई अपना परिचय ‘पीर – बावर्ची भिश्ती – खर’ के रूप में दिया करते थे।
  2. पीड़ितों के दल – के – दल गामदेवी के मणिभवन पर उमड़ा करते थे।
  3. दोनों साप्ताहिक अहमदाबाद से निकला करते थे।
  4. देश-विदेश के समाचार-पत्र गांधी जी की गतिविधियों पर टीका-टिप्पणी किया करते थे।
  5. गांधी जी के पत्र हमेशा महादेव जी लिखा करते थे।

योग्यता-विस्तार –

प्रश्न 1.
गांधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ को पुस्तकालय से लेकर पढ़िए।
उत्तर :
इन गतिविधियों को विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
जलियाँवाला बाग में कौन-सी घटना हुई थी ? जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर :
इन गतिविधियों को विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 8 शक्र तारे के समान

प्रश्न 3.
अहमदाबाद में बापू के आश्रम के विषय में चित्रात्मक जानकारी एकत्र कीजिए।
उत्तर :
इन गतिविधियों को विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 4.
सूर्योदय के 2-3 घंटे पहले पूर्व दिशा में या सूर्यास्त के 2-3 घंटे बाद पश्चिम दिशा में एक खूब चमकता हुआ ग्रह दिखाई देता है, वह शुक्र ग्रह है। छोटी दूरबीन से इसकी बदलती हुई कलाएँ देखी जा सकती हैं, जैसे चंद्रमा की कलाएँ।
उत्तर :
इन गतिविधियों को विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 5.
वीराने में जहाँ बत्तियाँ न हों वहाँ अँधेरी रात में जब आकाश में चाँद भी दिखाई न दे रहा हो तब शुक्र ग्रह (जिसे हम शुक्रतारा भी कहते हैं) के प्रकाश से अपने साए को चलते हुए देखा जा सकता है। कभी अवसर मिले तो इसे स्वयं अनुभव करके देखिए।
उत्तर :
इन गतिविधियों को विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

परियोजना कार्य –

प्रश्न 1.
सूर्यमंडल में नौ ग्रह हैं। शुक्र सूर्य से क्रमशः दूरी के अनुसार दूसरा ग्रह है और पृथ्वी तीसरा। चित्र सहित परियोजना पुस्तिका में अन्य ग्रहों के क्रम लिखिए।
प्रश्न 2.
‘स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी जी का योगदान’ विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।

प्रश्न 3.
भारत के मानचित्र पर निम्न स्थानों को दर्शाएँ –
अहमदाबाद, जलियाँवाला बाग (अमृतसर), कालापानी (अंडमान), दिल्ली, शिमला, बिहार, उत्तर प्रदेश।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 9 Hindi शक्र तारे के समान Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘शुक्रतारे के समान’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
स्वामी आनंद द्वारा रचित पाठ ‘शुक्रतारे के समान’ में गाँधी जी के निजी सचिव महादेव भाई देसाई के जीवन के कुछ अंशों को प्रस्तुत किया गया है। लेखक के अनुसार महादेव भाई अत्यंत सरल, सज्जन, निष्ठावान, समर्पित एवं निरभिमानी व्यक्ति थे। उन्होंने महात्मा गाँधी की समस्त चिंताओं और उलझनों को अपने सिर पर ले लिया था, इस कारण कोई भी महान व्यक्ति महानतम कार्य तभी कर पाता है जब उसका सहयोगी महादेव भाई जैसा ही हो।

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प्रश्न 2.
महादेव भाई के अध्ययन की क्या विशेषताएँ थीं ?
उत्तर :
महादेव भाई साहित्यिक पुस्तकों की तरह तत्कालीन राजनीतिक गतिविधियों से संबंधित पुस्तकें अधिक पढ़ते थे। इन पुस्तकों से उन्हें भारत से संबंधित देश-विदेश में होनेवाली गतिविधियों की जानकारी मिल जाती थी। उन्हें ताज़े समाचार-पत्र, मासिक और साप्ताहिक – पत्रों को पढ़ने में विशेष रुचि थी। वे सम-सामयिक विषयों से संबंधित पुस्तकें अधिक पढ़ते थे।

प्रश्न 3.
‘यंग इंडिया’ अख़बार कहाँ से निकलता था ? इसका प्रकाशन करनेवालों ने गाँधी जी को संपादक क्यों बनाया ?
उत्तर :
‘यंग इंडिया’ अख़बार बंबई से निकलता था। इसमें लेखक लिखनेवाले हॉर्नीमैन को ब्रिटिश सरकार ने उनके निर्भीक लेखों के कारण देश निकाला दे दिया, जिससे ‘यंग इंडिया’ अख़बार में लेखों की कमी आ गई। ‘यंग इंडिया’ के मालिकों ने गाँधी जी से संपर्क किया और उन्हें अपने अख़बार का संपादक बनने का आग्रह किया। उन दिनों गाँधी जी को भी अपने लेखों के लिए अख़बार की आवश्यकता थी। इसलिए उन्होंने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।

प्रश्न 4.
लेखक साबरमती आश्रम में क्या काम करते थे ?
उत्तर :
लेखक छह महीने के लिए साबरमती आश्रम में रहने के लिए गए। वहाँ उन्होंने शुरू में अख़बारों के ग्राहकों का हिसाब-किताब और साप्ताहिकों को डाक में डलवाने की व्यवस्था देखने का काम किया। कुछ दिनों बाद दोनों साप्ताहिकों के संपादन और छापाखाने की सारी व्यवस्था लेखक पर आ गई। इस प्रकार आश्रम में रहते हुए उन्होंने ‘यंग इंडिया’ और ‘नवजीवन’ समाचार-पत्रों के साप्ताहिक अंकों की व्यवस्था का काम किया।

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प्रश्न 5.
लेखक के अनुसार महादेव भाई का व्यक्तित्व कैसा था ?
उत्तर :
लघु तलनीय प्रश्न त उत्तर महादेव भाई का व्यक्तित्व उनके संपर्क में आनेवाले लोगों पर जादुई प्रभाव डालता था, जिसका प्रभाव कई-कई दिन तक रहता था। वे कभी भी किसी से कड़वी या चुभनेवाली बात नहीं करते थे। उनकी निर्मल प्रतिभा उनके संपर्क में आनेवाले व्यक्ति को चंद्र- शुक्र की प्रभा के साथ दूध से नहला देती थी।

प्रश्न 6.
महादेव भाई से मिलकर कैसा लगता था ?
उत्तर :
महादेव भाई से मिलकर ऐसा लगता था जैसे उनके व्यक्तित्व ने मिलनेवाले को सम्मोहित कर दिया हो। उनका सारा जीवन गाँधी जी के साथ मिलकर एक रूप हो गया था। उनकी संस्कार संपन्न भाषा और मनोहारी रूप सभी को अपनी ओर खींच लेता था। काम-काज में व्यस्त होने पर भी वे प्रतिदिन डायरी लिखा करते थे। उनका यही कार्यशैली मिलनेवाले को सुखद आनंद देती थी।

प्रश्न 7.
महादेव भाई के काम करने की गति कैसी थी ?
उत्तर :
महादेव भाई एक पठनशील नवयुवक थे। उन्हें जब भी अवसर मिलता था वे ‘यंग इंडिया’ तथा ‘नव जीवन’ के लिए लेख लिखते थे। उनकी काम करने की गति बहुत तेज़ थी। वे चार घंटों का काम एक ही घंटे में निपटा देते थे। वे चरखे पर सूत बहुत सुंदर कातते थे। उनके लिए काम के बीच रात – दिन में कोई अंतर नहीं था। किसी को भी उनके खाने-पीने का पता नहीं चलता था कि उन्होंने कब खाया, कब पिया।

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प्रश्न 8.
गाँधी जी महादेव भाई से कितना स्नेह करते थे ?
उत्तर :
गाँधी जी महादेव भाई से अत्यधिक स्नेह करते थे। सन् 1919 ई० में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के संदर्भ में जब गाँधी जी को पंजाब जाते हुए पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया तो उसी समय गाँधी जी ने महादेव भाई के प्रति अपने प्रेम का परिचय देते हुए उन्हें अपना वारिस कह दिया था। सन् 1929 में महादेव भाई ने सारे देश में यात्राएँ की थीं।

शक्र तारे के समान Summary in Hindi

लेखक परिचय :

जीवन-परिचय – स्वामी आनंद का जन्म गुजरात के काठियावाड़ जिले के किमड़ी गाँव में सन् 1887 ई० में हुआ था। इनका बचपन का नाम हिम्मत लाल था। इन्हें दस वर्ष की आयु में कुछ साधु अपने साथ हिमालय की ओर ले गए थे। उन्हीं साधुओं ने इनका नाम स्वामी आनंद रख दिया था। सन् 1907 ई० से स्वामी आनंद भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए थे। सन् 1917 ई० में इनका संपर्क गांधी जी से हुआ।

गांधी जी ने इन्हें ‘नवजीवन’ और ‘यंग इंडिया’ की प्रसार व्यवस्था का कार्यभार दिया। इन्होंने कुछ समय तक महाराष्ट्र से ‘तरुण हिंद’ नामक समाचार-पत्र निकाला था। इन्होंने बाल गंगाधर तिलक के ‘केसरी’ समाचार – पत्र में भी काम किया था। गांधी जी के संपर्क में आने के बाद ही इनका संबंध गांधी जी के निजी सहयोगी महादेव भाई और प्यारेलाल से हुआ।

रचनाएँ – स्वामी आनंद ने ‘तरुण हिंद’, ‘नवजीवन’, ‘केसरी’ आदि समाचार-पत्रों में अनेक लेख लिखे थे।

भाषा-शैली – स्वामी आनंद के आलेख ‘शुक्रतारे के समान’ में गांधी जी के निजी सचिव महादेव भाई देसाई के जीवन के विभिन्न पक्षों को यथार्थ रूप में प्रस्तुत किया गया है। लेखक की भाषा अत्यंत सहज एवं व्यावहारिक है। तेजस्वी, मुग्ध, आसेतु, हिमाचल, शिष्ट, संस्कार, संपन्न आदि तत्सम प्रधान शब्दों के साथ-साथ पीर, बावर्ची, भिश्ती, खर, जुल्म, अलावा, स्याह, सफ़ेद, हफ़्ता आदि विदेशी शब्दों का प्रयोग भी मिलता है।

इनकी शैली सहज, प्रभावपूर्ण तथा वर्णनप्रधान है, जैसे- ‘प्रथम श्रेणी की शिष्ट, संस्कार संपन्न भाषा और मनोहारी लेखन – शैली की ईश्वरीय देन महादेव को मिली थी।’ इनके वर्णनों में चित्रात्मकता का गुण भी विद्यमान है, जैसे- ‘बिहार और उत्तर प्रदेश के हज़ारों मील लंबे मैदान गंगा, यमुना और दूसरी नदियों के परम उपकारी, ‘सोने’ की कीमतवाले ‘गाद’ के बने हैं। आप सौ-सौ कोस चल लीजिए रास्ते में सुपारी फोड़ने लायक एक पत्थर भी कहीं मिलेगा नहीं।’ इस प्रकार स्वामी आनंद ने सहज, सरल भाषा एवं रोचक शैली में महादेव भाई के जीवन के कुछ प्रसंग प्रस्तुत किए हैं।

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पाठ का सार :

‘शुक्रतारे के समान’ पाठ के लेखक स्वामी आनंद हैं। इस पाठ में लेखक ने गांधी जी के निजी सचिव महादेव भाई देसाई की सरलता, सज्जनता, निष्ठा, समर्पण, लगन और विनम्रता का सजीव अंकन किया है। लेखक का मानना है कि जिस प्रकार शुक्रतारा अपनी आभा दिखाकर घंटे-दो घंटे में अस्त हो जाता है उसी प्रकार से गांधी जी के सचिव महादेव भाई भी भारत की स्वतंत्रता के उषाकाल में अपनी आभा दिखाकर अचानक ही अस्त हो गए। गांधी जी उन्हें अपने पुत्र से भी अधिक मानते थे।

वे सन् 1917 ई० में गांधी जी के पास आए थे। सन् 1919 ई० में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के संदर्भ में जब गांधी जी को पंजाब जाते हुए पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया तो उसी समय उन्होंने महादेव भाई को अपना वारिस कह दिया था। सन् 1929 ई० में महादेव भाई ने सारे देश में यात्राएँ की थीं। इन्हीं दिनों पंजाब में फ़ौजी शासन के अत्याचारों और नेताओं की गिरफ़्तारी के समाचार आ रहे थे। ‘ट्रिब्यून’ के संपादक कालीनाथ राय को दस साल की जेल की सजा दी गई थी।

महादेव भाई इन दिनों के जुल्मों की टिप्पणियाँ तैयार करके गांधी जी को देते थे तथा गांधी जी उनके आधार पर ‘बांबे क्रॉनिकल’ में लेख लिखकर भेजते थे। जब ‘क्रॉनिकल’ के संपादक हार्नोमैन को देश निकाला देकर इंग्लैंड भेज दिया गया तो शंकर लाल बैंकर, उम्मर सोबानी तथा जमना दास द्वारका दास के अनुरोध पर गांधी जी ‘यंग इंडिया’ के संपादक बन गए और इसमें लिखने लगे। ‘यंग इंडिया’ सप्ताह में दो बार प्रकाशित होने लगा।

बाद में ‘नवजीवन’ और ‘यंग इंडिया’ दोनों अहमदाबाद से प्रकाशित होने लगे थे। लेखक भी साबरमती में रहने लगा और इन दोनों साप्ताहिकों का वितरण, प्रकाशन आदि का कार्य देखने लगा। गांधी जी और महादेव भाई का अधिकांश समय देश भ्रमण में ही व्यतीत होता था। उनके लेख आते रहते थे। महादेव भाई देश-विदेश के प्रमुख समाचारों पर गांधी जी के साथ टीका-टिप्पणी कर लेख भेजते थे।

गांधी जी के पास आने से पहले महादेव भाई सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे। इन्होंने नरहरि भाई के साथ वकालत पढ़ी थी और अहमदाबाद में वकालत भी प्रारंभ की थी। लुई फिशर और गंथर भी अपनी टिप्पणियों का मिलान महादेव भाई की टिप्पणियों के साथ करने के बाद ही गांधी जी के पास ले जाते थे। महादेव भाई तत्कालीन राजनीति से संबंधित पुस्तकों को भी पढ़ते रहते थे तथा उनमें भारत से संबंधित जानकारियों को सहेज लेते थे तथा जहाँ भी अवसर मिलता ‘यंग इंडिया’ तथा ‘नवजीवन’ के लिए लेख लिखते रहते थे।

उनकी काम करने की गति बहुत तेज थी। वे चार घंटों का काम एक घंटे में निपटा देते थे। वे सूत बहुत सुंदर कातते थे। उनके लिए काम में रात और दिन के बीच कोई अंतर नहीं होता था। उनके खाने-पीने का भी किसी को पता नहीं चलता था कि कब खाया ? महादेव भाई से मिलकर ऐसा लगता था जैसे उनके व्यक्तित्व ने मिलनेवाले को सम्मोहित कर दिया हो। महादेव भाई का समूचा जीवन गांधी जी के साथ मिलकर एकरूप हो गया था।

उन्हें गांधी जी से अलग करने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। कामकाज की व्यस्तताओं में भी वे प्रतिदिन डायरी भी लिखते थे। इनकी लेखन शैली अत्यंत शिष्ट, संस्कार-संपन्न भाषा और मनोहारी थी। इन्होंने गांधी जी की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ का अंग्रेजी में अनुवाद किया था जो ‘यंग इंडिया’ में हर हफ्ते छपता रहा था। अब उसका पुस्तक संस्करण छप चुका है।

सन् 1934-35 ई० में गांधी जी वर्धा के महिला आश्रम में और मगनवाड़ी में रहने के बाद से गाँव की सीमा पर एक पेड़ के नीचे जा बैठे थे। तभी वहाँ एक-दो झोंपड़े बने और फिर धीरे-धीरे मकान भी बन गए थे। तब तक महादेव भाई, दुर्गा बहन और चिन्नारायण मगनवाड़ी में ही रहते थे। वहीं से वे वर्धा की भयंकर गरमी में भी प्रतिदिन ग्यारह मील चलकर सेवाग्राम आते-जाते थे। इसी के प्रतिकूल प्रभाव से उनकी अकाल मृत्यु हो गई। गांधी जी के मन पर उनकी मृत्यु का बहुत प्रभाव पड़ा था तथा वे भर्तृहरि के भजन की एक पंक्ति सदा दोहराते रहते थे कि ‘ए रे जखम जोगे नहि जशे’ अर्थात् यह घाव कभी योग से भरेगा नहीं। कई बार जब उन्हें प्यारेलाल जी को बुलाना होता था तो उनके मुख से ‘महादेव’ ही निकलता था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 8 शक्र तारे के समान

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • आभा-प्रभा – चमक, तेज़।
  • कोई जोड़ न होना – कोई मुकाबला करने वाला न होना।
  • नक्षत्र-मंडल – तारा समूह।
  • कलगी रूप – तेज़ चमकनेवाला तारा।
  • हम्माल – बोझ उठानेवाला, कुली।
  • पीर – महात्मा, सिद्ध।
  • बावर्ची – खाना पकानेवाला, रसोइया।
  • भिश्ती – मशक से पानी ढोनेवाला व्यक्ति।
  • खर – घास, गधा।
  • आसेतुहिमाचल – रामेश्वर से हिमाचल तक विस्तीर्ण सेतुबंध।
  • दुलारे – प्यारे।
  • ब्यौरा – विवरण।
  • कालापानी – आजीवन कैद की सज़ा पाए कैदियों को रखने का स्थान, वर्तमान अंडमान-निकोबार द्वीप समूह।
  • रूबरू – आमने सामने।
  • धुरंधर – प्रवीण, उत्तम गुणों से युक्त।
  • टीका-टिप्पणी – व्याख्या, आलोचना।
  • चौकसाई – चौकस रहना, नज़र रखना।
  • कट्टर – दृढ़, जिसे अपने मत या विश्वास का अधिक आग्रह हो।
  • लाडला – प्यारा, दुलारा।
  • जिगरी दोस्त – गहरे मित्र।
  • पेशा – व्यवसाय।
  • स्याह – काला।
  • सल्तनत राज्य, हुकूमत।
  • व्याख्यान – भाषण, वक्तृता, किसी विषय की व्याख्या या टीका करना।
  • फुलस्केप – कागज़ का एक आकार।
  • चौथाई – चौथा भाग।
  • अग्रगण्य – प्रमुख, सबसे पहले गिना जाने वाला।
  • विवरण – वर्णन, व्याख्या।
  • अद्यतन – अब तक का, वर्तमान से संबंध रखने वाला।
  • गाद – तलहट, गाढ़ी चीज़।
  • सराबोर – तरबतर, डूबा हुआ।
  • अनवरत – लगातार।
  • सानी – बराबरी करनेवाला, उसी मोड़ का दूसरा।
  • अनगिनत – जिसे गिना न जा सके।
  • सिलसिला – क्रम।
  • अनायास – बिना किसी प्रयास के, आसानी से।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़ Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़

JAC Class 9 Hindi धर्म की आड़ Textbook Questions and Answers

मौखिक –

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक- दो पंक्तियों में दीजिए –

प्रश्न 1.
आज धर्म के नाम पर क्या-क्या हो रहा है ?
उत्तर :
आज धर्म के नाम पर उत्पात हो रहे हैं। धर्म के नाम पर लोग जान लेने और देने के लिए तैयार हो जाते हैं। धर्म के नाम पर ज़िद की जाती है

प्रश्न 2.
धर्म के व्यापार को रोकने के लिए क्या उद्योग होने चाहिए ?
उत्तर :
धर्म के व्यापार को रोकने के लिए साहस और दृढ़ता के साथ उद्योग होने चाहिए। धर्म की उपासना के मार्ग में कोई रुकावट न हो तथा प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार अपने धर्म की आराधना कर सके।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़

प्रश्न 3.
लेखक के अनुसार स्वाधीनता आंदोलन का कौन-सा दिन सबसे बुरा था ?
उत्तर :
स्वाधीनता आंदोलन का वह दिन सबसे बुरा था जिस दिन स्वाधीनता के क्षेत्र में खिलाफ़त, मुल्ला, मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान देना आवश्यक समझा गया।

प्रश्न 4.
साधारण-से- साधारण आदमी तक के दिल में क्या बात अच्छी तरह घर कर बैठी है ?
उत्तर :
साधारण-से-साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्छी तरह घर कर बैठी है कि धर्म और ईमान की रक्षा के लिए प्राण तक दे देना उचित है।

प्रश्न 5.
धर्म के स्पष्ट चिह्न क्या हैं ?
उत्तर :
धर्म के स्पष्ट चिह्न शुद्धाचरण और सदाचार हैं।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
चलते – पुरज़े लोग धर्म के नाम पर क्या करते हैं ?
उत्तर :
कुछ चलते – पुरज़े लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए धर्म के नाम पर आम आदमी को भड़का देते हैं और वह बिना कुछ समझे-बूझे जिधर उन्हें हाँक दिया जाता है उधर ही उत्पात मचाने लगते हैं। वे धर्म-ईमान को जानें या न जानें, धर्म के नाम पर जान देने और जान लेने के लिए तैयार हो जाते हैं।

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प्रश्न 2.
चालाक लोग साधारण आदमी की किस अवस्था का लाभ उठाते हैं ?
उत्तर :
चालाक लोग यह जानते हैं कि साधारण-से- साधारण आदमी के दिल में यह बात अच्छी तरह बैठी हुई है कि धर्म और ईमान की रक्षा के लिए अपने प्राण तक दे देना उचित है। वह धर्म के वास्तविक स्वरूप से परिचित नहीं होता और परंपरा को निभाना ही अपना धर्म समझता है। उसकी अवस्था का चालाक लोग नाजायज़ फ़ायदा उठाकर धर्म के नाम पर दंगे करवा देते हैं।

प्रश्न 3.
आनेवाला समय किस प्रकार के धर्म को नहीं टिकने देगा ?
उत्तर
आनेवाला समय आडंबरपूर्ण धर्म को टिकने नहीं देगा। वह पाँच समय नमाज़ पढ़ने, दो-दो घंटे पूजा-पाठ करने के बाद दिन-भर बेईमानी करने और दूसरों को तकलीफ़ पहुँचानेवाले धर्म को टिकने नहीं देगा। नमाज़ और रोज़े, पूजा और गायत्री के नाम पर देश में उत्पात नहीं होने दिए जाएँगे।

प्रश्न 4.
कौन-सा कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा ?
उत्तर :
देश में प्रत्येक व्यक्ति को उसके मन के अनुसार धर्म चुनकर अपनी इच्छा के अनुसार पूजा-पाठ करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। दो भिन्न धर्मों के माननेवालों को एक-दूसरे के धार्मिक अनुष्ठानों में बाधा नहीं डालनी चाहिए। यदि किसी धर्म के माननेवाले किसी दूसरे के धार्मिक मामलों में ज़बरदस्ती टाँग अड़ाते हैं तो उनका इस प्रकार का कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़

प्रश्न 5.
पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में क्या अंतर है ?
उत्तर :
पाश्चात्य देशों में धनी और निर्धन लोगों में बहुत अंतर है। बड़े-बड़े आलीशान महलों में धनी रहते हैं और निर्धन मामूली-सी झोंपड़ी में जीवन व्यतीत करते हैं। धनी निर्धनों की कमाई से ही दिन-प्रतिदिन और अधिक धनवान होते जाते हैं। वे सदा निर्धनों का शोषण करते रहते हैं।

प्रश्न 6.
कौन-से लोग धार्मिक लोगों से अच्छे हैं ?
उत्तर
वे लोग धार्मिक लोगों से अच्छे हैं, जो नास्तिक हैं तथा दूसरों के सुख-दुख का ध्यान रखते हैं। ऐसे लोग धर्म के नाम पर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए आम आदमी को उकसाते नहीं हैं। इनका आचरण अच्छा होता है। वे मानवतावादी होते हैं। उनमें पशुत्व नहीं होता है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (पचास-साठ शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को कैसे रोका जा सकता है ?
उत्तर :
धर्म और ईमान के नाम पर किए जाने वाले भीषण व्यापार को रोकने के लिए हमें साहस और दृढ़तापूर्वक प्रयास करने होंगे। इसके लिए धर्म की उपासना के मार्ग में किसी प्रकार की बाधा नहीं होनी चाहिए। जो जैसे चाहे उसी प्रकार से अपने धर्म को अपनाकर पूजा-अर्चना करे। दो भिन्न धर्मों को माननेवाले आपस में द्वेष-भाव न रखें। यदि कोई किसी धर्म के माननेवाले के धार्मिक कार्यों में बाधा डाले तो उसे दंडित किया जाए।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़

प्रश्न 2.
‘बुद्धि की मार’ के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं ?
उत्तर :
‘बुद्धि की मार’ से लेखक का यह तात्पर्य है कि एक साधारण व्यक्ति को धर्म के तत्वों का वास्तविक ज्ञान नहीं होता है। वह तो अपने धर्म गुरुओं द्वारा बताए हुए नियमों तथा परंपराओं के अनुसार आचरण करता रहता है। कुछ स्वार्थी तथा चालाक धर्मांध लोग अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए ऐसे आम लोगों को दूसरे धर्मवालों के विरुद्ध इस प्रकार भड़का देते हैं कि वे बिना सोचे-समझे धर्म के नाम पर मरने-मारने के लिए तैयार हो जाते हैं। इस प्रकार उनकी बुद्धि पर परदा पड़ जाता है और वे उत्पात मचाना शुरू कर देते हैं। इसी को ‘बुद्धि की मार’ कहा गया है। इस स्थिति में सोचने-समझने की शक्ति समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 3.
लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए ?
उत्तर :
लेखक का मानना है कि धर्म की उपासना के मार्ग में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। जिसका मन जिस प्रकार चाहे, उसी प्रकार धर्म की भावना को अपने मन में जगाने के लिए स्वतंत्र हो। धर्म मन का सौदा हो, ईश्वर और आत्मा के बीच का संबंध हो, आत्मा को शुद्ध करने और ऊँचे उठाने का साधन हो। दो भिन्न धर्मों के माननेवालों के बीच टकराव नहीं होना चाहिए। जो व्यक्ति जैसा धर्म अपनाना चाहे उसे वैसा धर्म अपनाने और मानने की आज़ादी मिलनी चाहिए।

प्रश्न 4.
महात्मा गांधी के धर्म संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
महात्मा गांधी ने धर्म को सर्वत्र मान्यता दी है। वे जीवन का प्रत्येक कार्य धर्म के अनुसार करते थे। धर्म से उनका तात्पर्य आडंबरों से नहीं था। वे धर्म का अर्थ जीवन में ऊँचे तथा उदार भावों को अपनाना मानते थे। वे ऐसी पूजा-पाठ, नमाज़ पढ़ना आदि व्यर्थ मानते थे जिसके बाद मनुष्य दिन-भर बेईमानी करता रहे। वे शुद्ध आचरण तथा सज्जनतापूर्वक जीवन-यापन करने को ही धर्म मानते थे।

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प्रश्न 5.
सबके कल्याण हेतु अपने आचरण को सुधारना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर :
लेखक का मानना है कि यदि हम समाज को धर्मानुसार चलाना चाहते हैं तो हमें अपने आचरण को सुधारना होगा। यदि हमारा आचरण अच्छा नहीं होगा तो सारा समाज ही भ्रष्ट हो जाएगा। लोग मुँह में राम बगल में छुरी जैसा आचरण करने लगेंगे। सर्वत्र उत्पात होंगे। एक दूसरे का गला काटने को सब तैयार हो जाएँगे। यदि हम अपना आचरण सुधार लेंगे तो हमारी देखा-देखी अन्य लोग भी अपना आचरण सुधार लेंगे। इस प्रकार एक के आचरण के सुधरने से सारा समाज सुधर जाएगा तथा सबका कल्याण होगा।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न 1.
उबल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता, और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं, उधर जुत जाता है।
उत्तर :
लेखक का मानना है कि आम आदमी को धर्म के संबंध में कुछ भी पता नहीं होता। उसे कुछ स्वार्थी लोग दूसरे धर्मावलंबियों के विरुद्ध इतना अधिक भड़का देते हैं कि वह उनके प्रति गुस्से से भर उठता है। वह गुस्से में अपने समझने-बूझने की शक्ति खो बैठता है और स्वार्थी लोग उसे जिस ओर हाँक देते हैं वह उधर ही चल पड़ता है।

प्रश्न 2.
यहाँ है बुद्धि पर परदा डालकर पहले ईश्वर और आत्मा का स्थान अपने लिए लेना, और फिर धर्म, ईमान, ईश्वर और आत्मा के नाम पर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाना-भिड़ाना।
उत्तर :
इन पंक्तियों में लेखक उन धर्माचार्यों पर कटाक्ष कर रहा है जो आम आदमी को अपने आडंबरपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों से इतना मोहित कर लेते हैं कि वे उन्हें ही ईश्वर का दूत समझने लगते हैं। वे अपनी सोचने-विचारने की शक्ति खो बैठते हैं। तब ये धर्माचार्य अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए इन आम आदमियों को ईश्वर, धर्म, आत्मा, ईमान आदि का नाम लेकर अन्य धर्मों के माननेवालों के विरुद्ध भड़का कर दंगा-फसाद करा देते हैं।

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प्रश्न 3.
अब तो, आपका पूजा-पाठ न देखा जाएगा, आपकी भलमनसाहत की कसौटी केवल आपका आचरण होगी।
उत्तर :
लेखक का मानना है कि आनेवाले समय में आडंबरपूर्ण तथा बेईमानी भरे धर्म-ईमान के लिए कोई स्थान नहीं रहेगा। इस युग में कोई किसी के पूजा-पाठ के आधार पर उसे सम्मान नहीं देगा बल्कि यह देखा जाएगा कि उसका आचरण कैसा है ? आपके अच्छे आचरण के आधार पर ही आपकी सज्जनता का मूल्यांकन किया जाएगा

प्रश्न 4.
तुम्हारे मानने ही से मेरा ईश्वरत्व कायम नहीं रहेगा, दया करके, मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो और आदमी बनो!
उत्तर :
लेखक बेईमान, धोखेबाज़ धर्माचार्यों तथा धार्मिक लोगों की अपेक्षा उन नास्तिकों को श्रेष्ठ मानता है जो अच्छे आचरणवाले हैं तथा दूसरों सुख-दुख में उनका साथ देते हैं। उन पाखंडियों से तो ईश्वर भी यही कहता है कि आप जैसे पाखंडियों के मानने से मेरा ईश्वरत्व दुनिया में कायम नहीं रह सकता। इसलिए तुम मुझपर दया करो और मानवता को मानो। तुम्हें पशुत्व त्याग कर मानव बनना होगा तभी तुम्हें भी ईश्वर मिल सकेगा।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1.
उदाहरण के अनुसार शब्दों के विपरीतार्थक लिखिए –
उदाहरण: सुगम – दुर्गम
धर्म, ईमान, साधारण, स्वार्थ, दुरुपयोग, नियंत्रित, स्वाधीनता।
उत्तर :

  • धर्म – अधर्म
  • ईमान – बेईमान
  • साधारण – असाधारण
  • स्वार्थ – निःस्वार्थ
  • दुरुपयोग – सदुपयोग
  • नियंत्रित – अनियंत्रित
  • स्वाधीनता – पराधीनता।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित उपसर्गों का प्रयोग करके दो-दो शब्द बनाइए –
ला, बिला, बे, बद, ना, खुश, हर, गैर।
उत्तर :

  • ला – लाचार, लापता।
  • बिला- बिलावजह, बिलाकसूर।
  • बे – बेईमान, बेरहम।
  • बद – बदनाम, बदनियत।
  • ना – नाचीज़, नापसंद।
  • खुश – खुशबू, खुशहाल।
  • हर – हरतरह, हरसाल।
  • गैर- गैरकानूनी, गैरमुल्क।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़

प्रश्न 3.
उदाहरण के अनुसार ‘त्व’ प्रत्यय लगाकर पाँच शब्द बनाइए –
उदाहरण: देव + त्व = देवत्व
उत्तर :

  • लघु + त्व = लघुत्व
  • गुरु + त्व गुरुत्व
  • प्रभु + त्व प्रभुत्व
  • देव + त्व = देवत्व
  • ईश्वर + त्व = ईश्वरत्व।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित उदाहरण को पढ़कर पाठ में आए संयुक्त शब्दों को छाँटकर लिखिए –
उदाहरणः चलते-पुरज़े
उत्तर :

  • समझता – बूझता
  • पढ़े – लिखे
  • इने – गिने
  • मन – माना
  • लड़ाना – भिड़ाना
  • भली – भाँति
  • पूजा – पाठ।

प्रश्न 5.
‘भी’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए –
उदाहरण : आज मुझे बाज़ार होते हुए अस्पताल भी जाना है।
उत्तर :
(क) सलमा तो वहीदा को भी अपने साथ विद्यालय ले जाएगी।
(ख) रोहित भी सैम्सन के साथ मुंबई जाएगा।
(ग) शांता भी कांता के साथ सुबह नौ बजे की लोकल से अँधेरी जाती है।
(घ) अहमद भी अशोक के साथ ट्यूशन पढ़ने जाता है।
(ङ) हमें भी गांधी जी की तरह सत्यवादी बनना चाहिए।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़

योग्यता – विस्तार –

प्रश्न 1.
‘धर्म एकता का माध्यम है’ – इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 9 Hindi धर्म की आड़ Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘धर्म की आड़’ निबंध का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘धर्म की आड़’ निबंध के लेखक गणेश शंकर विद्यार्थी हैं। इस निबंध में लेखक ने उन धर्माचार्यों की पोल खोली है जो धर्म की आड़ लेकर जनता को भड़काते हैं तथा एक-दूसरे धर्मावलंबियों को आपस में लड़वाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं। लेखक का मानना है कि एक सामान्य व्यक्ति धर्म के रहस्य को समझ नहीं पाता। इसलिए उसके भोलेपन का लाभ तथाकथित धर्म गुरु उठाते हैं। वे उन्हें गुमराह कर दूसरे धर्मवालों से लड़ाते रहते हैं और अपना उल्लू सीधा करते रहते हैं। लेखक ऐसे लोगों से बचकर मानव-धर्म को अपनाने पर बल देता है। हम सुख-दुख में एक-दूसरे की सहायता करें। हमारा आचरण शुद्ध हो। हम किसी के धार्मिक अनुष्ठानों में बाधक न बनें। हम सबको अपने-अपने धर्म के अनुसार पूजा-पाठ की स्वतंत्रता हो। यही सच्चा धर्म है।

प्रश्न 2.
हमारे देश और पश्चिमी देशों में आम आदमी की डोर किसके हाथ में है और उसमें क्या अंतर है ?
उत्तर :
सभी जगह आम आदमी की शक्ति का दुरुपयोग किया जाता है। हमारे देश में आम आदमी की डोर धर्म के ठेकेदारों के हाथ में है और पश्चिमी देशों में आम आदमी की डोर धनपतियों के हाथ में है। यहाँ आम आदमी को ईश्वर धर्म-कर्म और आत्मा का डर दिखाकर उसे बुद्धिहीन कर दिया जाता है और वह अपने धर्मगुरु के बताए मार्ग पर चलकर उसकी स्वार्थ सिद्धि के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाता है। पश्चिमी देशों में धनपति धन की शक्ति दिखाकर लोगों को अपने प्रभाव में लेते हैं और अपनी इच्छानुसार उनसे और अधिक धन कमाने के लिए काम करवाते हैं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़

प्रश्न 3.
लेखक धार्मिक झगड़ों को समाप्त करने के लिए क्या सुझाव देता है ?
उत्तर :
लेखक के अनुसार धार्मिक झगड़ों को समाप्त करने के लिए हमें साहस और दृढ़ता के साथ स्वार्थी तत्वों को बेनकाब करना होगा। धर्म और उपासना के मार्ग में किसी भी प्रकार की कोई रुकावट नहीं आने देनी चाहिए। धर्म और ईमान, ईश्वर और आत्मा के मध्य संबंध होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म की पूजा-अर्चना करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए और कोई भी व्यक्ति किसी के धार्मिक कार्यों में अड़चन न डाले।

प्रश्न 4.
देश की स्वाधीनता के लिए किए जा रहे उद्योग में कौन-सा दिन सबसे बुरा था ? क्यों ?
उत्तर :
देश की स्वाधीनता के लिए किए जा रहे उद्योग में सबसे बुरा दिन वह था जिस दिन स्वाधीनता के क्षेत्र में खिलाफ़त, मुल्ला, मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान देना आवश्यक समझा गया। ऐसा करने से मौलाना अब्दुल बारी और शंकराचार्य जैसे लोगों ने देश में धर्म के नाम पर ढोंग, पागलपन और उत्पात आरंभ कर दिए थे और देश को एक अलग ही दिशा दे दी।

प्रश्न 5.
महात्मा गांधी के अनुसार धर्म क्या है ? हमें उनसे क्या सीखना चाहिए ?
उत्तर :
महात्मा गाँधी जीवन में उच्च विचार और उदार गुण को अपनाने को धर्म मानते हैं। इसके लिए मनुष्य को सदाचारी, सत्यवादी, परोपकारी, सज्जन और सहनशील होना चाहिए। अपने आचरण को शुद्ध रखते हुए सबसे मेल-मिलाप बनाए रखें। सदा दूसरों के सुख-दुख में सहयोगी बनें। हमें गाँधी जी के जीवन से यह सीखना चाहिए कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में धर्म के अनुसार आचरण करना है, जिससे हम एक अच्छा समाज बना सकें। इससे समाज में धर्म के नाम पर उत्पात नहीं होंगे तथा सब परस्पर मिल-जुलकर रहेंगे।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़

प्रश्न 6.
ला- मज़हब से क्या अभिप्राय है और ईश्वर इन लोगों से अधिक प्यार क्यों करेगा?.
उत्तर :
ला – मज़हब से अभिप्राय यह है कि ‘जिसका कोई धर्म न हो’ अथवा ‘जो किसी भी धर्म को नहीं मानता हो’ ऐसे लोगों को नास्तिक भी कहा जाता है। ऐसे व्यक्ति किसी भी प्रकार से धार्मिक आडंबरों को नहीं मानते हैं। ईश्वर ऐसे लोगों से अधिक प्यार करेगा जो धर्म के नाम पर दिखावा नहीं करते। जो अच्छे और ऊँचे विचारोंवाले हों। जिनका आचरण शुद्ध हो। जो सुख-दुख में सबका साथ देते हों। इन लोगों की कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता है।

प्रश्न 7.
‘मनुष्यत्व को मानो, पशु बनना छोड़ो’ से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
लेखक इस कथन के माध्यम से यह संदेश देना चाहता है कि हमें मानवता को बढ़ावा देना चाहिए। इसके लिए हमें अपने आचरण में मानवतावादी गुणों का विकास करना चाहिए। पशुओं के समान आचरण नहीं करना चाहिए। यदि हम ऐसा आचरण करने लगेंगे तो समाज में धार्मिक उत्पात बंद हो जाएँ, विश्वबंधुत्व की भावना को बल मिलेगा और पशुता का नाश होगा।

धर्म की आड़ Summary in Hindi

लेखक परिचय :

जीवन-परिचय – गणेश शंकर विद्यार्थी का जन्म मध्यप्रदेश के ग्वालियर नगर में सन् 1891 ई० में हुआ था। इन्होंने एंट्रेंस परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद कानपुर के करेंसी कार्यालय में नौकरी कर ली थी। सन् 1921 ई० में इन्होंने ‘प्रताप’ साप्ताहिक – पत्र निकाला था। इन्होंने आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी को अपना साहित्यिक गुरु मानकर आज़ादी के लिए संघर्ष करने की प्रेरणादायक रचनाओं की रचना की थी। इन्होंने ऐसी कुछ रचनाओं का अनुवाद भी किया था। स्वतंत्रता आंदोलनों में सक्रिय रूप में भाग लेने के कारण इन्हें कई बार जेल यात्राएँ करनी पड़ी थीं। सन् 1931 ई० में कानपुर में हुए सांप्रदायिक दंगों को शांत करवाते हुए इनकी मृत्यु हो गई थी। इनकी मृत्यु पर गांधी जी ने कहा था कि ‘काश ! ऐसी मौत मुझे मिली होती !’

रचनाएँ – गणेश शंकर विद्यार्थी ने अपनी रचनाओं में ग़रीबों, किसानों, मज़दूरों तथा समाज के अन्य शोषित वर्गों के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त करते हुए उनकी दयनीय दशा का यथार्थ चित्रण किया है ‘प्रताप’ साप्ताहिक में इनके लेख देश को आजादी दिलाने के लिए युवा वर्ग को प्रेरित करते थे। इनकी रचनाओं में सांप्रदायिक सद्भाव का स्वर मुखरित होता था।

भाषा-शैली – गणेश शंकर विद्यार्थी की भाषा – शैली अत्यंत सरल, सहज, व्यावहारिक तथा प्रभावपूर्ण है। ‘ धर्म की आड़’ लेख में इन्होंने व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग किया है। इनका व्यंग्य अत्यंत तीक्ष्ण तथा मर्मभेदी होता है, जैसे – ‘ इस समय, देश में धर्म की धूम है। उत्पात किए जाते हैं, तो धर्म और ईमान के नाम पर, और ज़िद की जाती है, तो धर्म और ईमान के नाम पर।’

लेखक ने तत्सम प्रधान और लोक प्रचलित उर्दू के शब्दों का भरपूर प्रयोग किया है, जैसे- दुरुपयोग, नेतृत्व, अट्टालिकाएँ, पाश्चात्य, स्वार्थ, शुद्धाचरण, ईश्वरत्व, कायम, दीनदार, मज़हब, बेईमानी, एतराज़, खिलाफ़त, जाहिल, वाजिब। लेखक ने कहीं-कहीं उद्बोधनात्मक शैली का प्रयोग भी किया है, जैसे- ‘सबके कल्याण की दृष्टि से आपको अपने आचरण को सुधारना पड़ेगा और यदि आप अपने आचरण को नहीं सुधारेंगे तो नमाज़ और रोज़े, पूजा और गायत्री आपको देश के अन्य लोगों की आज़ादी को रौंदने और देश-भर में उत्पातों का कीचड़ उछालने के लिए आज़ाद न छोड़ सकेगी।’ इस प्रकार लेखक ने अपने विषय को सहज भाव से व्यक्त करने में सफलता प्राप्त की है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़

पाठ का सार :

‘धर्म की आड़’ गणेश शंकर विद्यार्थी द्वारा रचित निबंध है। इस पाठ में लेखक ने धर्म के नाम पर लोगों को आपस में लड़ाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करनेवालों पर कटाक्ष किया है। लेखक का मानना है कि इस समय देश में धर्म की धूम है। धर्म और ईमान के नाम पर उत्पात किए जाते हैं। रमुआ पासी और मियाँ धर्म और ईमान की वास्तविकता चाहे जानें या न जानें पर उनके नाम पर मरने-मारने को तैयार हो जाते हैं।

देश के सभी शहरों की यही दशा है। आम आदमी बिना कुछ समझे-बूझे कुछ स्वार्थी तत्वों के संकेतों पर उत्पात मचाने लग जाता है। इससे उन स्वार्थी लोगों को नेतृत्व मिल जाता है। वे अपना स्वार्थ सिद्ध कर लेते हैं। आम आदमी धर्म के तत्वों को जानता नहीं है। वह तो यही समझता है कि धर्म और ईमान की रक्षा के लिए अपने प्राण तक दे देना उचित है। इसी का लाभ उठाकर चालाक स्वार्थी लोग उन्हें भड़का देते हैं।

पाश्चात्य देशों में धनी और गरीबों के संघर्ष के कारण साम्यवाद, बोल्शोविज़्म आदि का जन्म हुआ था। हमारे देश में ऐसी स्थिति तो नहीं है परंतु धर्म के नाम पर करोड़ों लोगों की शक्ति का दुरुपयोग हो रहा है और इसका लाभ कुछ स्वार्थी लोग उठा रहे हैं। धर्म और ईमान के नाम पर किए जानेवाले इस भीषण व्यापार को रोकने के लिए जब तक साहस और दृढ़ता के साथ प्रयास नहीं किया जाएगा तब तक भारतवर्ष में ऐसे झगड़े बढ़ते ही रहेंगे।

लेखक का विचार है कि देश में प्रत्येक व्यक्ति अपने धर्म की उपासना अपने ढंग से करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए। धर्म और ईमान मन का सौदा हो, ईश्वर और आत्मा के बीच संबंध हो, आत्मा को शुद्ध करने और ऊँचा उठाने का साधन हो। इससे किसी दूसरे व्यक्ति की स्वाधीनता को हानि नहीं पहुँचनी चाहिए। दो भिन्न धर्मों के माननेवालों में टकराव नहीं होना चाहिए। यदि कोई ऐसा कार्य करता है तो उसका यह कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध माना जाए।

लेखक ने स्वाधीनता संग्राम के दिनों में उस दिन को सबसे बुरा दिन माना है जब स्वाधीनता आंदोलन में मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान दिया गया था। इसी के परिणामस्वरूप मौलाना अब्दुल बारी तथा शंकराचार्य जैसे लोगों ने देश में मज़हबी पागलपन, प्रपंच और उत्पात का राज्य स्थापित कर दिया था। महात्मा गांधी ने धर्म को सर्वत्र महत्त्व दिया है। उनके अनुसार धर्म का अर्थ ऊँचे और उदार विचारों से था।

वे आवाज़ देने, शंख बजाने के स्थान पर शुद्धाचरण और सदाचार को धर्म मानते थे। लेखक भी पाँच समय नमाज़ पढ़ने अथवा दो घंटे तक पूजा करने के बाद दिन-भर बेईमानी करने को उचित नहीं मानता। वह आचरण को सुधारने पर बल देता है। ऐसे आडंबरी धार्मिक और दीनदार व्यक्तियों से तो वह उन नास्तिकों को अच्छा और ऊँचा मानता है, जिनका आचरण अच्छा है जो दूसरों के सुख-दुख का ध्यान रखते हैं और धर्म-ईमान के नाम पर उत्पात मचाना ग़लत समझते हैं। ईश्वर भी ऐसे ही नास्तिकों को प्यार करता है जो मानवता को आदर देते हैं तथा पशुता को त्याग देते हैं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 7 धर्म की आड़

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • आड़ – ओट।
  • उत्पात – उपद्रव।
  • उबल पड़ना – क्रोधित होना।
  • दोष – बुराई।
  • जोत देना – हाँक देना, चला देना।
  • चलते-पुरजज़े – चालाक।
  • जाहिल – मूर्ख।
  • नेतृत्व – अगुवाई।
  • कायम – स्थिर।
  • सुगम – आसान।
  • वाज़िब – उचित।
  • बेजा – अनुचित।
  • फ़ायदा – लाभ।
  • अट्टालिकाएँ – ऊँचे-ऊँचे मकान।
  • धनाढ्य – धनवान, अमीर।
  • चूसा जाना – शोषण होना।
  • स्वार्थ सिद्धि – अपना स्वार्थ पूरा करना।
  • उद्योग – प्रयास।
  • टाँग-अड़ाना – विघ्न डालना।
  • विरुद्ध – विपरीत।
  • अनियंत्रित – जो नियंत्रण में न हो।
  • धूर्त – चालबाज़।
  • खिलाफ़त – ख़लीफ़ा का पद।
  • मज़हबी – धार्मिक।
  • प्रपंच – ढोंग, छल।
  • एतराज़ – विरोध, आपत्ति।
  • भलमनसाहत – सज्जनता, शराफ़त।
  • कसौटी – परख, जाँच।
  • ला-मज़हब – जिसका कोई धर्म न हो, नास्तिक।
  • उकसाना – भड़काना।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण मुहावरे

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Vyakaran मुहावरे Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Vyakaran मुहावरे

मुहावरा – एक ऐसा वाक्यांश है, जो सामान्य अर्थ का बोध न करवाकर विशेष अर्थ का बोध करवात्म है। वाक्य में इसका प्रयोग क्रिया के समान होता है, जैसे – ‘आकाश – पाताल एक करना’।
इस वाक्यांश का सामान्य अर्थ है – ‘पृथ्वी और आकाश को मिलाना’ लेकिन ऐसा संभव नहीं है। अतः इसका लक्षणा शब्द – शक्ति से विशेष अर्थ होगा – ‘ बहुत परिश्रम करना’।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण मुहावरे

कुछ महत्वपूर्ण मुहावरे :

अंग – अंग ढीला होना (बहुत थकावट का अनुभव करना) – आठ घंटे लगातार परिश्रम करने के कारण उसका अंग – अंग ढीला हो गया।
अंग छूना (कसम खाना) – कैकेयी ने अंग छूकर कहा कि राम को वन भेजने में भरत का कोई दोष नहीं।
अंगूठा दिखाना (इनकार करना) – जब मैंने अपने मित्र से सहायता माँगी तो उसने अंगूठा दिखा दिया।
अक्ल का दुश्मन (मूर्ख) – उसे समझाने की कोशिश करना व्यर्थ है। वह तो अक्ल का दुश्मन है।
अंगारों पर पैर रखना (जान – बूझकर हानिकारक कार्य करना) – अपने माता – पिता की इकलौती संतान होने के कारण उसे अंगारों पर पैर नहीं रखने चाहिए।
अंगारे बरसना (कड़ी धूप पड़ना) – मई – जून की दोपहरी में अंगारे बरसते हैं।
अंड – वंड बकना (भला – बुरा कहना) – तुम उसकी अनुपस्थिति में अंड-वंड बक रहे हो। यदि उसे पता चल गया तो होश ठिकाने लगा देगा।
अंत बिगाड़ना (कार्य का अंतिम फल बिगाड़ देना) – अब तक तो तुमने ईमानदारी से काम किया है। भला अब रिश्वत लेकर अपना अंत क्यों बिगाड़ रहे हो?

अंधे को दीपक दिखाना (नासमझ को उपदेश देना) – भगवान कृष्ण दुर्योधन के धृष्टपूर्ण व्यवहार से समझ गए थे कि उसे उपदेश देना अंधे को दीपक दिखाना है।
अंधे की लकड़ी (एकमात्र सहारा) – मोहन अपने बूढ़े माता-पिता के लिए अंधे की लकड़ी है।
अँधेरे घर का उजाला (इकलौता बेटा) – सुरेश अपने माँ-बाप के अँधेरे घर का उजाला है।
अंत पाना (रहस्य पाना) – ईश्वर का अंत पाना संभव नहीं।
अगर – मगर करना (टालमटोल करना) – उसे मेरे एक हज़ार रुपए देने हैं।
जब भी माँगता हूँ अगर – मगर करने लगता है।
अपना उल्लू सीधा करना (अपना मतलब निकालना) – स्वार्थी मित्रों से बचकर रहना चाहिए। उन्हें तो अपना उल्लू सीधा करना आता है।
अपने पाँव पर आप कुल्हाड़ी मारना (अपनी हानि आप करना) – जो छात्र समय का सदुपयोग नहीं करते, वे अपने पाँव पर आप कुल्हाड़ी मारते हैं।
अपना – सा मुँह लेकर रह जाना (बहुत लज्जित होना) – जब सब के सामने उसकी चोरी की पोल खुली तो वह अपना – सा मुँह लेकर रह गया।
अपने मुँह मियाँ मिठू बनना (अपनी प्रशंसा आप करना) – अपने मुँह मियाँ मिठू बनना अच्छी आदत नहीं।
अपनी खिचड़ी अलग पकाना (सबसे अलग रहना) – मंथन न तो अपने सहपाठियों के साथ खेलता है और न ही उनसे बात करता है। वह हर काम में अपनी खिचड़ी अलग पकाता है।
अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धिभ्रष्ट होना) – विद्वान होते हुए भी रावण की अक्ल पर पत्थर पड़ गए थे अन्यथा वह सीता का अपहरण न करता।
अरण्य – रोदन (व्यर्थ की पुकार अथवा बेअसर रोना – धोना) – अत्याचारी शासक के शासनकाल में ग़रीबों की पुकार अरण्य – रोदन होकर रह जाती है।
अक्ल के घोड़े दौड़ाना (समस्या का समाधान ढूँढ़ने के लिए सोच – विचार करना) – सभी अधिकारी इस विकट समस्या का हल ढूँढ़ने के लिए अपनी – अपनी अक्ल के घोड़े दौड़ा रहे हैं।
आँख का काँटा (खटकने वाला व्यक्ति) – मजदूरों का उग्र नेता उस मिल – मालिक की आँख का काँटा बन गया है।
आँखें खलना (होश आना. सावधान होना ज्ञान प्राप्त होना) – उस महात्मा के प्रवचन सनकर मेरी आँखें खल गईं।
आसमान टूट पड़ना (बहुत बड़ी मुसीबत आना) – मैं सच्चाई से विमुख नहीं हो सकता। भले ही मुझ पर आसमान टूट पड़े।
आस्तीन का साँप (कपटी मित्र) – टीना से सावधान रहना। वह तो आस्तीन का साँप है।
कंगाली में आटा गीला होना (मुसीबत में और मुसीबत आना) – इस निर्धन अवस्था में उसकी नौकरी छूट जाना कंगाली में आटा गीला होने के समान है।
ईंट से ईंट बजाना (नष्ट – भ्रष्ट करना) – हनुमान ने लंका की ईंट से ईंट बजा दी।
ईंट का जवाब पत्थर से देना (दृढ़ता से शत्रु का मुकाबला करना) – भारत शत्रु देश की ईंट का जवाब पत्थर से देना जानता है।
ईद का चाँद होना (बहुत देर के बाद मिलना) – भई, शादी के बाद तो तुम ईद का चाँद बन गए हो।
उंगली उठना (निंदित होना) – दुराचारी लोगों पर शीघ्र ही उंगली उठने लगती है।
उंगली उठाना (निंदा करना, हानि पहुँचाने की कोशिश करना) – बुरे व्यक्ति पर सब उंगली उठाते हैं। जब तक मैं जीवित हूँ, तुम्हारे ऊपर कोई उंगली नहीं उठा सकता।
उंगली पर नचाना (अपनी इच्छानुसार काम लेना) – कुछ अधिकारी कर्मचारियों को अपनी उंगली पर नचाते हैं।
उगल देना (भेद प्रकट कर देना) – पुलिस की कठोर मार पड़ने पर उस चोर ने सब कुछ उगल दिया।
उठ जाना (मर जाना, समाप्त हो जाना) – अल्प आयु में ही भारतेंदु जी इस संसार से उठ गए।
उड़ती चिड़िया पहचानना (दूसरे की असलियत जान लेना अथवा किसी के मन की बात जान लेना) – तुम उसे धोखा नहीं दे सकते। वह तो उड़ती चिड़िया पहचानता है।
उलटी गंगा बहाना (नियम के विरुद्ध काम करना) – गीतों के उस प्रकांड पंडित को कर्म – योग का उपदेश देना उलटी गंगा बहाना है।
उलटी सीधी सुनाना (बुरा – भला कहना) – जब मैंने उसे समझाया तो वह मुझे ही उलटी – सीधी सुनाने लगा।
एक आँख से देखना (एक समान समझना) – हमारे महाविद्यालय के प्राचार्य सभी छात्रों को एक आँख से देखते हैं।
एक लकड़ी से हाँकना (अच्छे – बुरे के साथ एक जैसा व्यवहार करना) – हमारे नगर के पुलिस अधिकारी सभी को
एक लकड़ी से हाँकते हैं। एड़ी – चोटी का जोर लगाना (पूरा प्रयत्न करना) – सम्राट अकबर ने एड़ी – चोटी का जोर लगा दिया पर वह राणा प्रताप को अपने अधीन न कर सका।
कंचन बरसना (बहुत लाभ होना अथवा धन प्राप्त होना) – जब से उन्होंने नई मिल खोली है, उनके यहाँ कंचन बरस रहा है।
कठपुतली होना (दूसरों के इशारों पर चलना) – भारत को कोई भी देश अपने धन – वैभव के बल पर कठपुतली नहीं बना सकता।
कफ़न सिर पर बाँधना (मरने की परवाह न करना) – सैनिक सिर पर कफ़न बाँधकर युद्ध – भूमि में प्रवेश करते हैं।
कमर कसना (तैयार होना) – देश से भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए समाज – सेवकों ने कमर कस ली है।
कमर टूटना (सहायक न रहना, निराशा आना) – महँगाई ने निर्धन लोगों की कमर तोड़ दी है।
कलेजा थामकर रह जाना (दुःख को बेबसी से सहन कर लेना) – अपने बेटे की मृत्यु का समाचार सुनकर माँ कलेजा थाम कर रह गई।
कलेजा मुँह को आना (अत्यधिक दुःखी होना) – अपने इकलौते बेटे की मृत्यु का समाचार सुनकर उसका कलेजा मुँह को आ गया।
कागजी घोड़े दौड़ाना (केवल लिखा – पढ़ी करना) – देश की उन्नति के लिए सरकार को कागजी घोड़े दौड़ाने की अपेक्षा लोगों को ठोस कार्य करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
कान कतरना (कान काटना) (बहुत चालाक होना) – उसको छोटा मत समझो, वह बड़ों – बड़ों के कान कतरता (काटता) है।
कान का कच्चा (जो हर एक के कहने में आए) – हमारे अधिकारी वैसे तो सज्जन हैं, पर कान के कच्चे हैं।
कान खड़े होना (आश्चर्य से सुनने के लिए उत्सुक होना) – नेता के मंच पर आते ही उनका भाषण सुनने के लिए सब के कान खड़े हो गए।
कान खोलना (सावधान करना) – आचार्य जी ने सुरेश के दोष बतला कर सब विद्यार्थियों के कान खोल दिए।
कान पर ज तक न रेंगना (कछ असर न होना) – मैंने उसे बहत समझाया कि यह मार्ग उचित नहीं, पर उसके कान पर जॅ न रेंगी।
गोबर गणेश (सीधा – सादा होना) – हमारा नौकर तो गोबर गणेश है। उसे इतना भी पता नहीं चलता कि घर में कौन आया था।
घड़ियाँ गिनना (उत्सुकता से प्रतीक्षा करना) – अयोध्यावासी श्री रामचंद्र जी के आने की घड़ियाँ गिनते रहते थे।
घर में गंगा बहना (घर में अथवा सहज में ही योग्य मिल जाना) – आपके पिता जी तो हिंदी – संस्कृत के विद्वान हैं। अतः आपके घर में ही गंगा बहती है।
घाट – घाट का पानी पीना (अनुभवी होना) – राजेश को चकमा देना सरल काम नहीं है। उसने घाट – घाट का पानी पी रखा है।
घड़ों पानी पड़ना (अत्यंत लज्जित होना) – चोरी का पता लगते ही उस पर घड़ों पानी पड़ गया।
घात में रहना (किसी को हानि पहुँचाने की ताक में रहना) – शत्रु से बचकर रहना चाहिए। वह हमेशा घात में रहता है।
घाव पर नमक छिड़कना (दुःखी को और दुःखी करना) – महँगाई के इस युग में निर्धन कर्मचारियों के भत्ते बंद करना घाव पर नमक छिड़कना है।
घाव हरा होना (भूला हुआ दुख ताज़ा होना) – मृत बेटे की स्मृति ने माँ का घाव हरा कर दिया।
घास खोदना (व्यर्थ में समय नष्ट करना, तुच्छ काम करना) – परिणाम देखकर तो यही पता चलता है कि वह पढ़ने की अपेक्षा सारा वर्ष घास खोदता रहा।
घी के दीये जलाना (बहुत प्रसन्न होना) – अपनी विजय का समाचार सुनकर भारतवासियों ने घी के दीये जलाए।
घोड़े बेचकर सोना (निश्चित होकर सोना) – अरे भई, आज नौ बजे से परीक्षा प्रारंभ हो रही है और तुम घोड़े बेचकर सो रहे हो।
घोड़े पर सवार होना (शीघ्रता में होना) – तुम जब भी आते हो घोड़े पर सवार होते हो। कभी तो बैठ जाया करो।
चकमा देना (धोखा देना) – चोर पुलिस को चकमा देकर भाग गया।
चंपत होना (भाग जाना) – माली को अपनी तरफ आते देखकर सब लड़के चंपत हो गए।
चलती गाड़ी में रोड़ा अटकाना (होते हुए काम में रुकावट डालना) – संस्था का कार्य ठीक प्रकार से चल रहा था कि किसी ने प्रधान के चुनाव का प्रश्न उठाकर चलती गाड़ी में रोड़ा अटका दिया।
चाँद पर थूकना (बड़े व्यक्ति का अपमान करने का प्रयत्न करने पर स्वयं की हानि उठाना) – गांधी जी की निंदा करना चाँद पर थूकने के समान है।
चाँदी का जूता मारना (रिश्वत देना) – सरकारी कार्यालयों में काम करवाने का सबसे अच्छा उपाय चाँदी का जूता मारना है।
चाँदी होना (बहुत धन प्राप्त होना) – इन दिनों सीमेंट एवं लोहे के व्यापारियों की चाँदी है।
चादर देखकर पैर पसारना (अपनी योग्यता के अनुसार खर्च करना) – चादर देखकर पाँव पसारने वाले लोग कभी आर्थिक संकट का सामना नहीं करते।
चार चाँद लगाना (सुंदरता या मान बढ़ाना) – गीता ने दशम कक्षा की परीक्षा में पंजाब भर में प्रथम स्थान प्राप्त करके अपने विद्यालय को चार चाँद लगा दिए हैं।
चिकना घड़ा होना (जिस पर कुछ असर न हो) – विजय तो निर्लज्जता के कारण चिकना घड़ा बन गया है। उस पर किसी उपदेश का असर नहीं होता।
चिराग तले अँधेरा होना (गुण के साथ दोष, व्यवस्था करने वाले के पास ही उलटा काम होना) – दो चौकीदारों के होते हुए चोरी हो जाना चिराग तले अँधेरा
चूड़ियाँ पहनना (कायर बनना) – यदि तुम शत्रु का सामना नहीं कर सकते तो घर जाकर चूड़ियाँ पहन लो।
चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना (घबरा जाना) – जब सबने उसे पुलिस के हवाले करने का निर्णय किया तो उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।
चोली – दामन का साथ (गहरा संबंध) – नाटक और रंगमंच का चोली – दामन का साथ है।
छक्के छुड़ाना (बुरी तरह पराजित करना) – भारत – पाक युद्ध में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए।
छक्के छूटना (घबरा जाना, हारकर निराश हो जाना) – शिवाजी के आकस्मिक आक्रमण से औरंगजेब के छक्के छूट गए।
छठी का दूध याद आना (बहुत घबरा जाना) – भारतीय वायु – सेना के आक्रमण ने पाकिस्तानियों को छठी का दूध याद दिला दिया।
छाती पर मूंग दलना (सामने ही ढिठाई करना) – सारा दिन माँ की छाती पर मूंग दलने की अपेक्षा अच्छा है कि कुछ काम करें।
छाती पर साँप लोटना (ईर्ष्या से जलना) – विदेश में भारत का मान बढ़ते देखकर शत्रु – देश की छाती पर साँप लोटने लगा।
जलती आग में घी डालना (क्रोध अथवा झगड़े को बढ़ाना) – मानसिंह ने सम्राट अकबर से राणा प्रताप के विषय में झूठी बातें कह कर जलती आग में घी डालने का काम किया।
दूध का दूध पानी का पानी (पूरा – पूरा न्याय करना) – न्यायाधीश ने अपने निर्णय में दूध का दूध पानी का पानी कर दिया।
दूर की हाँकना (गप्प मारना) – हमारे चाचा जी ऐसी दूर की हाँकते हैं कि सब हैरान हो जाते हैं।
दुम दबाकर भागना (डरकर भाग जाना) – चोर पुलिस को देखते ही दुम दबाकर भाग गया।
दौड़ – धूप करना (बहुत परिश्रम करना) – बड़ी दौड़ – धूप करने के बाद उसे यह नौकरी मिली है।
दो नावों पर पैर रखना (दो पक्षों में होना) – दो नावों पर पैर रखने वाले लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
दूध की मक्खी (बेज्जत करना) – तुम चिंता क्यों करते हो। यदि यह हमारी महफिल में आया तो मैं उसे दूध की मक्खी की तरह निकाल दूंगा।
दो टूक बात करना (साफ़ – साफ़ बात करना) – अगर – मगर करने की अपेक्षा दो टूक बात करना अधिक अच्छा होता है।
धूप में बाल सफ़ेद न होना (अनुभवी होना) – देखो, मेरा कहना मान लो, मैंने धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए।
नमक – मिर्च लगाना (बात को बढ़ा कर कहना) – बात कुछ भी नहीं थी लेकिन मीनाक्षी ने नमक – मिर्च लगा कर बताई।
नाक काटना (मान नष्ट होना) – बेटे के कुकर्मों ने पिता की नाक कटवा दी।
नाक पर मक्खी न बैठने देना (अपने पर जरा – सा भी दोष न आने देना) – वे सारा काम सुचारु ढंग से करते हैं इसलिए अपनी नाक पर मक्खी नहीं बैठने देते।
नाक में दम करना (बहुत तंग करना) – छात्रों ने नए अध्यापक की नाक में दम कर रखा है।
नाम पर धब्बा लगना (बदनामी होना) – उसकी काली करतूत के कारण सारे परिवार के नाम पर धब्बा लग गया।
नाकों चने चबाना (बुरी तरह तंग करना) – शिवाजी ने अपने रण – कुशलता से औरंगजेब को नाकों चने चबवा दिए।
नानी याद आना (कष्ट का अनुभव होना) – पर्वत की चढ़ाई चढ़ते समय सबको नानी याद आ गई।
निन्यानवे के फेर में पड़ना (धन जमा करने की चिंता में रहना) – जो लोग निन्यानवे के फेर में पड़ जाते हैं, वे समाज – सेवा नहीं कर सकते।
नौ दो ग्यारह होना (भाग जाना) – चोर पुलिस को देखते ही नौ दो ग्यारह हो गया।
पगड़ी सँभालना (मान – मर्यादा की रक्षा के लिए तैयार हो जाना) – मनुष्य को हर कीमत पर अपनी पगड़ी सँभालनी चाहिए।
पैंतरा बदलना (विचार बदलना, स्थिर न रहना) – वह पैंतरा बदलना खूब जानता है। मेरे सामने कुछ कहता है आपके सामने कुछ।
पत्थर की लकीर होना (पक्की बात होना) – सरदार पटेल का कहना पत्थर की लकीर होता था।
पाँचों उंगलियाँ घी में होना (बहुत लाभ होना) – वस्तुओं के भाव चढ़ जाने से व्यापारियों की पाँचों उंगलियाँ घी में होती हैं।
पानी का बुलबुला होना (शीघ्र नष्ट हो जाने वाला) – मानव – जीवन पानी का बुलबुला है।
पाला पड़ना (वास्ता पड़ना) – पुलिस से किसी का पाला न पड़े।
पानी – पानी होना (बहुत लज्जित हो जाना) – अपना रहस्य प्रकट होते देखकर वह पानी – पानी हो गया।
पानी में आग लगाना (बहुत असंभव काम कर दिखाना) – उन महात्मा जी को क्रोध दिलाना पानी में आग लगाना है।
पापड़ बेलना (कई काम करना) – उसने बहुत पापड़ बेले हैं, पर उसे कहीं भी सफलता नहीं मिली।
पहाड़ टूट पड़ना (बहुत बड़ा संकट आना) – उस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा।
पीठ फेरना (विमुख होना) – उसकी बुरी आदतों से तंग आकर सबने उससे पीठ फेर ली है।
पेट में चूहे कूदना (बहुत भूख लगना) – सारा दिन कुछ न खाने के कारण मेरे पेट में चूहे कूद रहे हैं।
पेट में दाढ़ी होना (ऊपर से सीधा पर भीतर से चालाक होना) – उसे बच्चा मत समझो, उसके तो पेट में दाढ़ी है।
पेट काटना (कम खर्च कर ज़रूरत के लिए जोड़ना) – माँ – बाप पेट काटकर बच्चों को पढ़ाते हैं।
पौ बारह होना (भरपूर लाभ होना) – चाँदी के व्यापार में हमारे पौ बारह हो गए हैं।
फुलझड़ी छोड़ना (मज़ाक करना) – राकेश को फुलझड़ी छोड़ने की आदत है।
फूटी आँख न भाना (ज़रा – सा भी अच्छा न लगना) – दुष्ट एवं दुराचारी व्यक्ति मुझे फूटी आँख नहीं भाते।
फूंक – फूंक कर कदम रखना (बहुत सावधानी से काम करना) – फूंक – फूंक कर कदम रखने पर भी यहाँ बदनामी का खतरा बना रहता है।
बगुला भगत होना (ऊपर से अच्छा दिखाई देना पर हृदय से कपटी होना) – आज के युग में बगुला भगतों की कमी नहीं।
बगलें झाँकना (कुछ उत्तर न सूझने पर इधर – उधर देखना) – जब अध्यापक ने उससे प्रश्न पूछा तो वह बगलें झाँकने लगा।
बड़े घर की हवा खाना (जेल जाना) – यदि तुमने चोरी का धंधा न छोड़ा तो एक दिन बड़े घर की हवा खाओगे।
लहू के चूंट पीकर रह जाना (क्रोध को मन में दबा लेना) – द्रोपदी का अपने सामने अपमान होते देखकर पांडव लहू का चूंट पीकर रह गए।
लहू – पसीना एक करना (अत्यधिक परिश्रम करना) – मज़दूर लोग अपनी जीविका कमाने के लिए लहू – पसीना एक कर देते हैं।
लाल – पीला होना (गुस्से में आना) – अपने ऊपर झूठा आरोप लगते देखकर वह लाल – पीला हो गया।
में होना (अवसर अनुकूल होना) – चुनाव में लोहा गर्म देखकर जनता पार्टी ने चोट की और विजय प्राप्त की।
लोहा मानना (अधीनता स्वीकार करना, शक्ति मानना) – अकबर जैसा शक्तिशाली सम्राट भी राणा प्रताप का लोहा मानता था।
लोहा लेना (डटकर टक्कर लेना) – चुनाव में जनता पार्टी ने कांग्रेस से लोहा लिया और बहुमत से विजय प्राप्त की।
लकीर का फकीर होना (पुरानी परिपाटी पर चलना) – आधुनिक युग में भी कुछ लोग लकीर का फकीर बनकर रहते हैं।
लुटिया डुबोना (काम बिगाड़ देना) – उसके सामने रहस्य की बात प्रकट करके तुमने मेरी लुटिया डूबो दी।
लोहे के चने चबाना (बहुत कठिन काम करना) – एम० ए० की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करना लोहे के चने चबाना है।
विष उगलना (कड़वी तथा कठोर बात कहना) – दूसरों के लिए विष उगलना अच्छी आदत नहीं।
शेर के दाँत गिनना (साहस का काम करना) – भरत बचपन में ही शेर के दाँत गिनता था।
शैतान के कान कतरना (बहुत चालाक होना) – तुम उसे धोखा नहीं दे सकते, वह तो शैतान के कान कतरता है।
श्रीगणेश करना (कार्य आरंभ करना) – दीपावली के शुभ दिन उन्होंने अपनी नई मिल का श्रीगणेश किया।
सठिया जाना (बुद्धि ठीक न रहना, असंतुलित होना) – अब तो मुंशी जी सठिया गए हैं।
अतः उनसे सलाह लेना उचित नहीं। सात घाट का पानी पीना (बहुत अनुभवी तथा चालाक होना) – आप सब मिल कर भी कर्मचंद को धोखा नहीं दे सकते। उसने सात घाट का पानी पी रखा है।
सिर उठाना (विरोध में उठना) – डाकू शेरसिंह ने अपने साथियों को चेतावनी देते हुए कहा – यदि किसी ने सिर उठाया तो उसे कुचल दूंगा।
सिर धुनना (पछताना) – पहले मेहनत करते, अब असफल होने पर सिर धुनना व्यर्थ है।
सोने में सुगंध (गुण के साथ गुण मिलना) – नाटक में गीत – संगीत की योजना सोने में सुगंध के समान है।
सात – पाँच करना (चालाकी करना) – सीधी तरह बात करो। सात – पाँच करना ठीक नहीं।
स्वाहा करना (नष्ट कर देना) – नालायक बेटे ने पिता की सारी संपत्ति स्वाहा कर दी।
सूरज (सूर्य) को दीपक दिखाना (किसी महान व्यक्ति का परिचय देना) – महात्मा गांधी का परिचय देना सूरज को दीपक दिखाना है।
सिर पर सवार होना (बुरी तरह पीछे पड़ना) – नौकर अपना वेतन बढ़वाने के लिए अपने मालिक के सिर पर सवार रहता है।
हथियार डाल देना (पूरी तरह हार स्वीकार करना) – लाचार होकर पाक – सेना ने भारतीय सेना के आगे हथियार डाल दिए।
हवाई किले बनाना (झूठे मनोरथ करना) – परिश्रम के बिना हवाई किले बनाने से कोई व्यक्ति महान नहीं बन जाता।
हवा लगना (बुरा प्रभाव पड़ना) – लगता है उसे भी ज़माने की हवा लग गई है, जब देखो फ़ैशन की बात करता है।
हवा से बातें करना (बहुत तेज पड़ना) – शीघ्र ही हमारी कार हवा से बातें करने लगी।
हाथ धोकर पीछे पड़ना (बुरी तरह पीछे पड़ना) – बीमा कंपनी के एजेंट हाथ धोकर पीछे पड़ जाते हैं।
हाथ मलना (पछताना) – समय पर परिश्रम करने से सफलता मिलती है। बाद में हाथ मलना व्यर्थ है।
हाथ साफ़ करना (बहुत खाना, जैसे – तैसे धन प्राप्त करना, तलवार से काटना) – अच्छा पकवान देखकर रतन ने खूब हाथ साफ़ किया, महँगाई में व्यापारियों ने ग्राहकों पर हाथ साफ़ किए, भारतीय सैनिकों ने शत्रुओं पर खूब हाथ साफ़ किए।
हाथ उठाना (मारने को तैयार रहना) – जवान बेटे पर हाथ उठाने की बजाय उसे समझाना चाहिए।
हाथों के तोते उड़ जाना (बहुत व्याकुल तथा शोकग्रस्त होना) – पिता की मृत्यु का समाचार सुनकर उसके हाथों के तोते उड़ गए।
हक्का – पानी बंद करना (संबंध तोड़ लेना) – यदि तुम सीधे रास्ते पर न आए तो तुम्हारा हुक्का – पानी बंद कर दिया जाएगा।
हमीर हठ (दृढ़ निश्चयी, पक्का जिद्दी) – तुम उसे अपने पथ से विमुख नहीं कर सकते। उसकी हमीर हठ प्रसिद्ध है।
हाथ धो बैठना (किसी वस्तु से वंचित होना, गँवा बैठना) – जो लोग अपव्ययी होते हैं, शीघ्र ही धन से हाथ धो बैठते हैं।
हाथ – पैर मारना (कोशिश करना) – वह सफलता प्राप्त करने के लिए हाथ – पैर मार रहा है।
हाथ रंगना (खूब धन कमाना) – महँगाई में जमाखोर व्यापारी खूब हाथ रंगते हैं।
हाथ खींचना (सहायता बंद करना) – जहाँ तक हो सके निर्धनों की सहायता करो। उनसे हाथ खींचना अच्छी बात नहीं।
हाथ तंग होना (पैसे का अभाव होना) – अपनी बेटी की शादी धूमधाम से करने के बाद उनका हाथ कुछ तंग हो गया है।
हाथ – पाँव फूलना (डर से घबरा जाना) – पुलिस को अपने घर आया देखकर उसके हाथ-पाँव फूल गए।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 6 कीचड़ का काव्य

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 6 कीचड़ का काव्य Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 6 कीचड़ का काव्य

JAC Class 9 Hindi कीचड़ का काव्य Textbook Questions and Answers

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक- दो पंक्तियों में दीजिए –

प्रश्न 1.
रंग की शोभा ने क्या कर दिया ?
उत्तर :
रंग की शोभा उत्तर दिशा में जमी थी। उस दिशा में लाल रंग ने आज कमाल ही कर दिया था।

प्रश्न 2.
बादल किसकी तरह हो गए थे ?
उत्तर :
बादल धुनी हुई रूई की बत्ती के समान हो गए थे।

प्रश्न 3.
लोग किन-किन चीज़ों का वर्णन करते हैं ?
उत्तर :
लोग आकाश, पृथ्वी और जलाशयों का वर्णन करते हैं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 6 कीचड़ का काव्य

प्रश्न 4.
कीचड़ से क्या होता है ?
उत्तर :
कीचड़ से पैर, शरीर और वस्त्र गंदे हो जाते हैं। किसी को अपने ऊपर कीचड़ लगाना अच्छा नहीं लगता है।

प्रश्न 5.
कीचड़ जैसा रंग कौन पसंद करते हैं ?
उत्तर :
पुस्तकों के गत्तों पर, घरों की दीवारों पर, कीमती कपड़ों के लिए हम सब कीचड़ के जैसा रंग पसंद करते हैं। कला के जानकार भी मटमैला रंग पसंद करते हैं।

प्रश्न 6.
नदी के किनारे कीचड़ कब सुंदर दिखता है ?
उत्तर :
नदी के किनारे का कीचड़ तब सुंदर दिखाई देता है जब उसके सूखकर टुकड़े हो जाते हैं।

प्रश्न 7.
कीचड़ कहाँ सुंदर लगता है ?
उत्तर :
नदी किनारे मीलों तक जब समतल और चिकना कीचड़ एक-सा फैला हुआ होता है तब और खंभात में मही नदी के आगे दूर-दूर तक फैला हुआ तथा पहाड़ के पहाड़ डुबो लेने की शक्ति रखनेवाला कीचड़ सुंदर लगता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 6 कीचड़ का काव्य

प्रश्न 8.
‘पंक’ और ‘पंकज’ शब्द में क्या अंतर है ?
उत्तर
‘पंक’ कीचड़ को कहते हैं। ‘पंकज’ का अर्थ कमल है। पंकज पंक + ज अर्थात् कीचड़ से उत्पन्न होने वाला। ‘पंक’ शब्द घृणास्पद है और पंकज मन को आनंदित कर देता है।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति क्यों नहीं होती ?
उत्तर :
कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति इसलिए नहीं होती क्योंकि कीचड़ में पैर डालना कोई पसंद नहीं करता। कीचड़ से शरीर गंदा हो जाता है। कीचड़ से वस्त्र मैले हो जाते हैं। अपने शरीर पर कीचड़ उड़े, यह किसी को पसंद नहीं है। सब कीचड़ से बचते हैं।

प्रश्न 2.
ज़मीन ठोस होने पर उसपर किनके पदचिह्न अंकित होते हैं ?
उत्तर :
जब कीचड़ ज़्यादा सूखकर ज़मीन को ठोस बना देती है तो उसपर गाय, बैल, भैंस, पाड़े, बकरे, भेड़ आदि के पदचिह्न दिखाई देने लगते हैं। कई बार इसपर आपस में लड़ते हुए पाड़े के सींगों के चिह्न भी दिखाई देते हैं।

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प्रश्न 3.
मनुष्य को क्या ज्ञान होता जिससे वह कीचड़ का तिरस्कार न करता ?
उत्तर :
मनुष्य को यदि इस बात का ज्ञान होता है कि हम धान भी कीचड़ में से ही पैदा करते हैं तो वह कभी भी कीचड़ का तिरस्कार नहीं करता। भारत के उत्तरी-पूर्वी राज्यों में सबसे अधिक पैदा होनेवाली धान की फसल कीचड़ में ही उगती है।

प्रश्न 4.
पहाड़ लुप्त कर देनेवाली कीचड़ की क्या विशेषता है ?
उत्तर :
खंभात के पास मही नदी के मुख से आगे जहाँ तक देखते हैं कीचड़ ही कीचड़ दिखाई देता है। यह कीचड़ इतना गहरा है कि इसमें हाथी तो क्या पहाड़ तक लुप्त हो सकते हैं।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
कीचड़ का रंग किन-किन लोगों को खुश करता है ?
उत्तर :
लेखक का मानना है कि कीचड़ का रंग बहुत सुंदर होता है। लोग पुस्तकों के गत्तों पर, घरों की दीवारों पर अथवा शरीर के कीमती कपड़ों के लिए कीचड़ के जैसे रंग पसंद करते हैं। कला के जानकारों को भी भट्टी में पकाए मिट्टी के बरतनों के लिए यही रंग पसंद है। फोटो लेते समय भी यदि उसमें मटमैलापन आ जाए तो फोटो के जानकार प्रसन्न हो जाते हैं।

प्रश्न 2.
कीचड़ सूखकर किस प्रकार के दृश्य उपस्थित करता है ?
उत्तर :
नदी किनारे जब कीचड़ सूख कर टुकड़े हो जाते हैं तो उसपर पड़ने वाली दरारें बहुत सुंदर लगती हैं। ज्यादा गरमी में जब इन टुकड़ों पर दरारें पड़ती हैं और ये टेढ़े हो जाते हैं, तब ये सुखाए हुए खोपरे जैसे दिखाई देते हैं। नदी किनारे मीलों तक फैला हुआ समतल और चिकना कीचड़ बहुत आकर्षक दृश्य उपस्थित करता है। इस कीचड़ के कुछ सूख जाने पर इसपर बने हुए बगुले तथा अन्य पक्षियों के चलने के निशान भी देखने में अच्छे लगते हैं।

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प्रश्न 3.
सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य किन स्थानों पर दिखाई देता है ?
उत्तर :
नदी के किनारे जब कीचड़ के सूखकर टुकड़े हो जाते हैं तब सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य दिखाई देता है। यही कीचड़ के सूखे हुए टुकड़े अधिक गरमी के कारण टेढ़े होकर सूखे खोपरे जैसे दिखाई देते हैं। सूखे हुए कीचड़ पर चलनेवाले बगुले तथा अन्य पक्षियों के पद – चिह्न भी देखने में सुंदर लगते हैं। जब कीचड़ अधिक सूखकर ठोस हो जाता है तो उसपर गाय, बैल, भैंस, भेड़ आदि के अंकित पद – चिह्नों की शोभा निराली ही होती है।

प्रश्न 4.
कवियों की धारणा को लेखक ने वृत्ति-शून्य क्यों कहा है ?
उत्तर :
कवियों की धारणा को लेखक ने वृत्ति-शून्य इसलिए कहा है क्योंकि वे लेखक के इस तर्क को स्वीकार नहीं करेंगे कि जिस ‘पंक’ शब्द को सुनने मात्र से ही वे पंक से घृणा करने लगते हैं, उसी ‘पंक’ से उत्पन्न पंकज का नाम सुनने से उनका मन हर्षित होकर गाने क्यों लगता है ? उस ‘पंक’ से उनकी घृणा व्यर्थ है। हमारा अन्न भी कीचड़ से ही पैदा होता है। इसलिए कीचड़ का तिरस्कार करना उचित नहीं है। वे अपना तर्क देकर लेखक के तर्क को स्वीकार नहीं करेंगे।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न 1.
नदी किनारे अंकित पदचिह्न और सींगों के चिह्नों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख
में लिखा हो ऐसा भास होता है।
उत्तर :
नदी के किनारे के सूखे कीचड़ में जवान भैंसे जब अपने सींगों को उस सूखे कीचड़ में धँसाकर आपस में मस्त होकर जूझते होंगे तो उनके परस्पर टकराने से उस सूखे कीचड़ पर जो चिह्न बनते हैं उनसे ऐसा प्रतीत होता है मानो भैंसों के परिवार के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कीचड़ पर एक लेख के रूप में लिख दिया गया है।

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प्रश्न 2.
आप वासुदेव की पूजा करते हैं इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजते, हीरे का भारी मूल्य देते हैं किंतु कोयले या पत्थर का नहीं देते और मोती को कंठ में बाँध कर फिरते हैं किंतु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते !” कम-से-कम इस विषय पर कवियों के साथ तो चर्चा न करना ही उत्तम !
उत्तर :
लेखक जब कवियों को समझाना चाहता है कि कीचड़ का तिरस्कार करना उचित नहीं है तो यह सोचकर कवि उसे कहेंगे कि जब वासुदेव की पूजा करने पर वसुदेव को नहीं पूजा जाता, हीरे के लिए अधिक मूल्य देते हैं पर कोयले या पत्थर का अधिक मूल्य नहीं देते तथा मोती कंठ में पहनते हैं परंतु सीपी को तो गले में नहीं बाँधते हैं – वह उनसे कीचड़ की श्रेष्ठता के संबंध में कोई चर्चा न करना ही उचित मानता है।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए –
उत्तर :
JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 6 कीचड़ का काव्य 1

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों में कारकों को रेखांकित कर उनके नाम भी लिखिए-
उत्तर :

  1. कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़ जाता है। – संबंध
  2. क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है ? – संबंध
  3. हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है। – करण
  4. पदचिह्न उस पर अंकित होते हैं। – अधिकरण
  5. आप वासुदेव की पूजा करते हैं। – संबंध

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों की बनावट को ध्यान से देखिए और इनका पाठ से भिन्न किसी नए प्रसंग में वाक्य प्रयोग कीजिए –
आकर्षक, यथार्थ, तटस्थता, कलाभिज्ञ, पदचिह्न, अंकित, तृप्ति, सनातन, लुप्त, जागृत, घृणास्पद, युक्ति शून्य, वृत्ति।
उत्तर :

  • आकर्षक – कन्याकुमारी में सूर्यास्त का दृश्य बहुत आकर्षक होता है।
  • यथार्थ – प्रेमचंद के साहित्य में ग्राम्य जीवन का यथार्थ चित्रण देखने को मिलता है।
  • तटस्थता – न्याय करते समय हमें तटस्थता की नीति अपनानी चाहिए।
  • कलाभिज्ञ – कलादीर्घा में अनेक कलाभिज्ञ एकत्र हुए।
  • पदचिह्न – हमें महापुरुषों के पदचिह्नों पर चलना चाहिए।
  • अंकित – सुभाषचंद बोस का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है।
  • तृप्ति – गंगा – स्नान से मुझे तृप्ति मिली।
  • सनातन – हमें अपनी सनातन परंपराओं का पालन करना चाहिए।
  • लुप्त – मेरे देखते-देखते ही सुबह का तारा लुप्त हो गया।
  • जागृत – जागृत अवस्था में स्वप्न देखना उचित नहीं है।
  • घृणास्पद – गंदगी का ढेर देखना ही घृणास्पद है।
  • युक्ति शून्य – जया के सभी तर्क युक्ति शून्य थे।
  • वृत्ति – पीयूष विनम्र वृत्ति का बालक है।

प्रश्न 4.
नीचे दी गई संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग करते हुए कोई अन्य वाक्य बनाइए –
(क) देखते-देखते वहाँ के बादल श्वेत पूनी जैसे हो गए।
उत्तर :
मेरे देखते-देखते ही गाड़ी चल पड़ी।

(ख) कीचड़ देखना हो तो सीधे खंभात पहुँचना चाहिए।
उत्तर :
सागर देखना हो तो सीधे कन्याकुमारी पहुँचना चाहिए।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 6 कीचड़ का काव्य

(ग) हमारा अन्न कीचड़ में से ही पैदा होता है
उत्तर :
कमल कीचड़ में से ही पैदा होता है।

प्रश्न 5.
न नहीं, मत का सही प्रयोग रिक्त स्थानों पर कीजिए-
(क) तुम घर ………. जाओ।
(ख) मोहन कल ………. आएगा।
(ग) उसे ………… जाने क्या हो गया है ?
(घ) डाँटो …………. प्यार से कहो।
(ङ) मैं वहाँ कभी ………… जाऊँगा।
(च) ………… वह बोला ……….. मैं।
उत्तर :
(क) तुम घर मत जाओ।
(ख) मोहन कल नहीं आएगा।
(ग) उसे न जाने क्या हो गया है ?
(घ) डाँटो मत प्यार से कहो।
(ङ) मैं वहाँ कभी नहीं जाऊँगा।
(च) न वह बोला न मैं।

योग्यता-विस्तार –

1. विद्यार्थी सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य देखें तथा अपने अनुभवों को लिखें।
2. कीचड़ में पैदा होनेवाली फसलों के नाम लिखिए।
3. भारत के मानचित्र में दिखाएँ कि धान की फसल प्रमुख रूप में किन-किन प्रांतों में उपजाई जाती है ?
4. क्या कीचड़ ‘गंदगी’ है ? इस विषय पर अपनी कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 9 Hindi कीचड़ का काव्य Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘कीचड़ का काव्य’ पाठ का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘कीचड़ का काव्य’ काका कालेलकर द्वारा रचित एक ललित निबंध है। इस निबंध में लेखक ने कीचड़ की उपयोगिता का वर्णन किया है। लेखक के विचार में हमें कीचड़ के गंदेपन पर नहीं बल्कि उसकी मानव तथा पशु-पक्षियों के जीवन में उपयोगिता पर ध्यान देना चाहिए। मनुष्य मटमैला रंग पसंद करता है तथा पशु-पक्षियों को कीचड़ में क्रीड़ा करना और उसपर चलना अच्छा लगता है। देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों में सबसे अधिक पैदा होनेवाली धान की फसल कीचड़ में ही उग पाती है। कमल जिसे पंकज कहते हैं ‘पंक’ कीचड़ में से ही उगता है। इस प्रकार लेखक ने कीचड़ को हेय न कह श्रद्धेय माना है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 6 कीचड़ का काव्य

प्रश्न 2.
लेखक ने कीचड़ की महानता कैसे सिद्ध की है ?
उत्तर :
कीचड़ की महानता सिद्ध करने के लिए लेखक ने तीन उदाहरण दिए हैं। लेखक के अनुसार यदि मनुष्य यह अच्छी तरह से समझ ले कि धान जैसी फसल कीचड़ में ही पैदा होती है तो वह कीचड़ का तिरस्कार नहीं करेगा। दूसरे उदाहरण में, लेखक यह बताता है कि पंक से ही पंकज अर्थात कमल पैदा होता है, इसलिए पंक, कीचड़ से घृणा करना उचित नहीं है। इसी प्रकार से मल की मलिनता से परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि कमल में मल शब्द का प्रयोग होता है और कमल मन को आनंदित करता है।

प्रश्न 3.
आज लेखक को पूर्व और उत्तर दिशा में क्या अंतर दिखाई दे रहा है ?
उत्तर :
आज लेखक को पूर्व दिशा में विशेष आकर्षण दिखाई नहीं दे रहा था, क्योंकि बादलों के कारण पूर्व दिशा रंगहीन थी। दूसरी ओर उत्तर दिशा की लालिमा देखते ही बन रही थी। वहाँ बादलों ने अभी अपने पैर नहीं रखे थे, परंतु कितनी देर तक उत्तर दिशा लाल रंग में रँगी रहेगी। कुछ ही देर में वहाँ भी बादल छा गए।

प्रश्न 4.
कवि कीचड़ का वर्णन क्यों नहीं करते हैं? वे किन-किन चीज़ों की सुंदरता का वर्णन करते हैं ?
उत्तर :
कवि कीचड़ का वर्णन नहीं करते हैं, क्योंकि कीचड़ में पैर डालने से ही शरीर के साथ-साथ मन भी गंदा अनुभव करने लगता है और कपड़े गंदे हो जाते हैं, इसलिए सभी कीचड़ से दूर रहना पसंद करते हैं।
कवि प्रकृति का चित्रण करते हैं-धरती, आकाश, जलाशयों आदि की सुंदरता का वर्णन करते हैं। उन्हें आकाश का खुलापन, धरती की हरियाली और जलाशयों का कल-कल ध्वनि करता जल अधिक आकर्षित करता है। उन्हें चारों ओर रंग बिखेरनेवाली चीजें अधिक पसंद आती हैं। इसलिए वे लोग कीचड़ का वर्णन नहीं करते हैं।

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प्रश्न 5.
लेखक के अनुसार कीचड़ में कैसा सौंदर्य है ?
उत्तर :
लेखक के अनुसार कीचड़ में भी सौंदर्य है। कीचड़ का रंग बहुत सुंदर है। लोग पुस्तकों के गत्तों पर और घरों की दीवारों पर कीचड़ जैसे ही रंग पसंद करते हैं। कलाकारों को भी कीचड़ के रंग पसंद आते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि कीचड़ में भी सौंदर्य होता है।

प्रश्न 6.
लेखक कीचड़ देखने के लिए कहाँ जाने के लिए कह रहा है ?
उत्तर :
लेखक कहता है कि यदि कीचड़ देखने की इच्छा हो तो गंगा के किनारे या सिंधु नदी के किनारे जाना चाहिए। वहाँ कीचड़ का विशाल रूप दिखाई देगा। यदि वहाँ कीचड़ देखने से भी तृप्ति न मिले तो उसका विराट रूप देखने के लिए खंभात जाना चाहिए। वहाँ महानदी के मुख से आगे जहाँ तक भी नज़र जाए कीचड़ – ही कीचड़ देखने को मिलेगा। वहाँ कीचड़ इतना गहरा है कि उसमें पहाड़ भी डूब जाएँ।

प्रश्न 7.
कीचड़ में कौन-सा फूल और अन्न पैदा होता है ?
उत्तर :
पूर्वी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा पैदा होनेवाली धान की फसल कीचड़ में ही होती है। हमारा राष्ट्रीय फूल कमल जो अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, वह भी कीचड़ में पैदा होता है। पंक, कीचड़ में पैदा होने के कारण उसे पंकज भी कहा जाता है।

कीचड़ का काव्य Summary in Hindi

लेखक – परिचय :

जीवन-परिचय – महात्मा गांधी के जीवन से अत्यंत प्रभावित काका कालेलकर अनूठे व्यक्तित्व के स्वामी थे। आपका जन्म महाराष्ट्र के सतारा नगर में सन् 1885 ई० में हुआ था। यह मराठी भाषी थे पर इन्हें हिंदी से विशेष लगाव था। यह महात्मा गांधी के साथ राष्ट्रभाषा प्रचार कार्य में लंबे समय तक जुड़े रहे। उस समय हिंदी के लिए ही ‘राष्ट्रभाषा’ शब्द का प्रयोग होता था। यह अनेक वर्षों तक साहित्य अकादमी में गुजराती भाषा के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते रहे। अपने जीवनकाल में इन्होंने देश-विदेश में दूर-दूर तक भ्रमण किया। यह घुमक्कड़ स्वभाव के थे। इनका देहावसान सन् 1982 में हुआ।

रचनाएँ – काका कालेलकर ने अपने जीवनकाल में लगभग 30 पुस्तकों की रचना की थी, जिनमें से प्रमुख हैं – हिमालनो प्रवास, लोकमाता (यात्रा – विवरण), स्मरण यात्रा संस्मरण, धर्मोदय (आत्मचरित), जीवननो आनंद, अवारनवार (निबंध-संग्रह)। इनकी अधिकांश पुस्तकों का भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है।

भाषा-शैली – काका कालेलकर मात्र घुमक्कड़ ही नहीं थे बल्कि अत्यंत उच्चकोटि के विद्वान और विचारक भी थे। उन्होंने स्वयं को केवल हिंदी के प्रचार तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि हिंदी – साहित्य को अपने लेखन से समृद्ध भी किया। यह घूमने-फिरने के शौकीन थे, इसलिए इन्होंने यात्रा – वृत्तांत के अंतर्गत हिंदी – साहित्य को देश-विदेश के लोगों का रहन-सहन, प्राकृतिक दृश्यों, स्वभावों, आदतों तथा विभिन्न समस्याओं से परिचित कराया। इनके द्वारा रचित निबंध विचारात्मक और विवरणात्मक शैली में हैं।

वर्णन में सजीवता का गुण लाने में इन्हें निपुणता प्राप्त है। तर्कपूर्ण ढंग से अपनी बात को प्रस्तुत करना इनकी लेखन शैली की विशिष्टता है। इनके चिंतन प्रधान निबंधों में भावात्मकता का पुट विद्यमान रहता है। अपनी सूक्ष्म दृष्टि से इन्होंने मानव मन में झाँकने की चेष्टा की है और किसी क्षेत्र के कण-कण को पहचानने का सफल प्रयत्न किया है। इनका लेखन कार्य अति प्रभावशाली है। सजीव और जीवंत भाषा – प्रयोग में यह सिद्धहस्त थे, इन्होंने तत्सम और तद्भव शब्दावली का समन्वित प्रयोग कर अपने विचारों को व्यक्त किया।

‘कीचड़ का काव्य’ निबंध में लेखक ने कीचड़ की उपयोगिता का काव्यमय भाषा – शैली में वर्णन किया है; जैसे- ” नदी के किनारे जब कीचड़ सूखकर उसके टुकड़े हो जाते हैं, तब वे कितने सुंदर दिखते हैं। ज्यादा गरमी से जब उन्हीं टुकड़ों में दरारें पड़ती हैं और वे टेढ़े हो जाते हैं, तब सुखाए हुए खोपरे जैसे दीख पड़ते हैं। ” इनके इन वर्णनों में चित्रात्मकता के भी दर्शन होते हैं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 6 कीचड़ का काव्य

पाठ का सार :

‘कीचड़ का काव्य’ काका कालेलकर द्वारा रचित ललित निबंध है। इस पाठ में लेखक ने कीचड़ की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए उसे श्रद्धेय बताया है। लेखक सूर्योदय का वर्णन करते हुए लिखता है कि आज सुबह पूर्व दिशा की अपेक्षा उत्तर दिशा में लालिमा थी जिसे कुछ ही देर बाद श्वेत कपास की पूनी जैसी रंगत के बादलों ने ढक दिया था। आकाश, पृथ्वी, जलाशयों का वर्णन तो सब करते हैं परंतु कीचड़ का वर्णन कोई नहीं करता है।

शायद इसलिए कि कीचड़ से स्वयं को गंदा करना किसी को भी अच्छा नहीं लगता है। लेखक को कीचड़ में भी सौंदर्य दिखाई देता है क्योंकि इसका रंग बहुत सुंदर है और लोग पुस्तकों के गत्ते पर घरों की दीवारों, कीमती कपड़ों आदि के लिए कीचड़ के जैसा रंग पसंद करते हैं। कलाकारों को भी यही रंग पसंद है पर कीचड़ का नाम लेते ही लोग नाक-भौं सिकोड़ लेते हैं।

लेखक नदी के किनारे सूखे हुए कीचड़ के टुकड़ों को सुखाए हुए खोपरों जैसा देखता है। नदी के किनारे दूर तक समतल और चिकने कीचड़ पर बगुलों और अन्य पक्षियों के पद- चिह्न लेखक को इन्हीं पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। कीचड़ जब अधिक सूखकर ठोस ज़मीन बन जाता है तो उसपर गाय, बैल, भैंस, भेड़ आदि के पद – चिह्न तथा अपने सींगों को कीचड़ से भरकर मल्ल युद्ध करनेवाले मदमस्त भैंसों के चिह्न इस दृश्य को और भी अधिक आकर्षक बना देते हैं के गंगा, सिंधु नदी के किनारे की कीचड़ से भी अधिक कीचड़ खंभात में माही नदी के मुख से आगे कीचड़ ही कीचड़ है जिसमें पहाड़ पहाड़ लुप्त हो सकते हैं।

हम लोग धान भी कीचड़ में पैदा करते हैं। कमल को पंकज भी कहते हैं जो कीचड़ से ही उत्पन्न होता है। मल से मलिनता का बोध होता है परंतु कमल में ‘मल’ शब्दांश के प्रयोग से कमल के समान मन खिल उठता है। लेखक कहता है कि यदि कवियों को ऐसे तर्क दें तो उन्हें नहीं समझाया जा सकता क्योंकि वे तो यही तर्क देंगे कि ‘वासुदेव की पूजा करते हैं परंतु वसुदेव की नहीं, हीरे कीमती होते हैं पर कोयला या पत्थर तो नहीं, मोती को गले में बाँधते हैं पर सीपी को तो नहीं।’ इसलिए वह कवियों से इस संबंध में कोई चर्चा नहीं करना चाहता।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 6 कीचड़ का काव्य

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • पूर्व – पूर्व दिशा।
  • आकर्षक – मुग्ध करनेवाला, रोचक।
  • शोभा – सुंदरता।
  • उत्तर – उत्तर दिशा।
  • श्वेत – सफ़ेद।
  • पूनी – धुनी हुई रूई की बत्ती।
  • जलाशय – तालाब।
  • तटस्थता – बिना भेदभाव के।
  • कलाभिज्ञ – कला के जानकार।
  • वार्मटोन – मटमैला रंग।
  • विज्ञ – जानकार।
  • खोपरे – नारियल।
  • पद-चिहून – पैरों के निशान।
  • अंकित – चिह्नित।
  • कारवाँ – झुंड।
  • पाड़े – भैंस के नर बच्चे।
  • महिषकुल – भैंसों का परिवार।
  • कर्दम – कीचड़।
  • अल्पोक्ति – थोड़ा कहना।
  • लुप्त – गायब।
  • आहूलादकत्व – हर्ष का भाव।
  • युक्तिशून्य – तर्क से रहित।
  • वृत्ति – स्वभाव।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन

JAC Class 9 Hindi वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन Textbook Questions and Answers

मौखिक –

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –

प्रश्न 1.
रामन भावुक प्रकृति-प्रेमी के अलावा और क्या थे ?
उत्तर :
रामन भावुक प्रकृति-प्रेमी के अतिरिक्त एक जिज्ञासु वैज्ञानिक भी थे।

प्रश्न 2.
समुद्र को देखकर रामन के मन में कौन-सी दो जिज्ञासाएँ उठीं ?
उत्तर :
समुद्र को देखकर रामन के मन में दो जिज्ञासाएँ उठीं कि समुद्र का रंग नीला क्यों होता है और समुद्र का रंग कोई दूसरा क्यों नहीं होता।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन

प्रश्न 3.
रामन के पिता ने उनमें किन विषयों की सशक्त नींव डाली ?
उत्तर :
रामन के पिता ने उनमें गणित और भौतिकी विषयों की सशक्त नींव डाली थी।

प्रश्न 4.
वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन क्या करना चाहते थे ?
उत्तर :
वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा रामन उनकी ध्वनियों के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्यों की परतें खोलना चाहते थे।

प्रश्न 5.
सरकारी नौकरी छोड़ने के पीछे रामन की क्या भावना थी ?
उत्तर :
रामन ने सरकारी नौकरी इसलिए छोड़ दी थी क्योंकि वे मानते थे कि सरस्वती की साधना सरकारी नौकरी की सुख-सुविधाओं से अधिक महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 6.
‘रामन प्रभाव’ की खोज के पीछे कौन-सा सवाल हिलोरें ले रहा था ?
उत्तर :
‘रामन प्रभाव’ की खोज के पीछे समुद्र के नीले रंग की वजह का सवाल हिलोरें ले रहा था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन

प्रश्न 7.
प्रकाश – तरंगों के बारे में आइंस्टाइन ने क्या बताया ?
उत्तर :
आइंस्टाइन के अनुसार प्रकाश – तरंगें प्रकाश के अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान हैं।

प्रश्न 8.
रामन की खोज ने किन अध्ययनों को सहज बनाया ?
उत्तर :
रामन की खोज ने पदार्थों की आण्विक और परमाण्विक संरचना के अध्ययनों को सहज बनाया।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
कॉलेज के दिनों में रामन की दिली इच्छा क्या थी ?
उत्तर :
चपन से ही वैज्ञानिक रहस्यों को सुलझाने में लगे रहते थे। अपने कॉलेज के दिनों में उन्होंने शोधकार्यों में दिलचस्पी लेना प्रारंभ कर दिया था। उन्हीं दिनों उनका एक शोध – आलेख ‘फिलॉसॉफिकल’ मैगज़ीन में प्रकाशित भी हुआ था। उनकी दिली इच्छा यह थी कि वे अपना सारा जीवन शोधकार्य में लगा दें, किंतु उन दिनों इस कार्य को पूर्णकालिक व्यवसाय के रूप में अपनाने की कोई व्यवस्था नहीं थी।

प्रश्न 2.
वाद्ययंत्रों पर की गई खोजों से रामन ने कौन-सी भ्रांति तोड़ने की कोशिश की ?
उत्तर :
वाद्ययंत्रों की ध्वनियों पर किए जा रहे अपने शोधकार्यों में रामन ने वायलिन, चैलो, पियानो जैसे विदेशी वाद्यों के साथ ही वीणा, तानपूरा, मृदंगम् जैसे देशी वाद्यों पर भी काम किया था। उन्होंने वैज्ञानिक सिद्धांतों के आधार पर पश्चिमी देशों की इस भ्रांति को भी तोड़ने की कोशिश की थी कि भारतीय वाद्ययंत्र विदेशी वाद्यों की तुलना में घटिया हैं।

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प्रश्न 3.
रामन के लिए नौकरी संबंधी कौन-सा निर्णय कठिन था ?
उत्तर :
रामन के लिए सरकारी नौकरी छोड़कर कोलकाता विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर का पद स्वीकार करने का निर्णय लेना कठिन था। उन दिनों वे अत्यंत प्रतिष्ठित सरकारी पद पर थे। उन्हें अच्छा वेतन और अनेक सरकारी सुविधाएँ प्राप्त थीं। उन्हें नौकरी करते हुए भी दस साल हो चुके थे।

प्रश्न 4.
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन को समय-समय पर किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया ?
उत्तर :
रामन को ‘रामन प्रभाव’ की खोज पर सन् 1924 ई० में रॉयल सोसायटी की सदस्यता से सम्मानित किया गया। सन् 1929 ई० में उन्हें ‘सर’ की उपाधि प्रदान की गई। सन् 1930 ई० में उन्हें भौतिकी में नोबेल पुरस्कार मिला। सन् 1954 ई० में इन्हें ‘भारत रत्न’ प्रदान किया गया। इन्हें रोम का मेत्यूसी पदक, रॉयल सोसाइटी का ह्यूज़ पदक, फ़िलाडेल्फ़िया इंस्टीट्यूट का फ्रैंकलिन पदक और सोवियत रूस का अंतर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार भी मिला था।

प्रश्न 5.
‘रामन को मिलनेवाले पुरस्कारों ने भारतीय चेतना को जागृत किया।’ ऐसा क्यों कहा जाता है ?
उत्तर :
रामन नोबेल पुरस्कार प्राप्त करनेवाले पहले भारतीय वैज्ञानिक थे। उन्हें अन्य पदक और पुरस्कार तब मिले थे जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था। उन्हें मिलनेवाले सम्मानों ने भारत को एक नया आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास दिया था। उनसे प्रेरणा प्राप्त कर अन्य भारतीय वैज्ञानिकों ने भी अलग-अलग क्षेत्रों में शोधकार्य प्रारंभ कर दिए थे। इस प्रकार उन्हें मिलनेवाले पुरस्कारों ने भारतीय चेतना को जागृत कर दिया था।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
रामन के प्रारंभिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
रामन कोलकाता में सरकारी नौकरी करते थे। इन दिनों भी उनकी वैज्ञानिक शोधकार्यों में रुचि बनी हुई थी। वे अपने कार्यालय से लौटते हुए बहू बाज़ार में स्थित डॉक्टर महेंद्र लाल द्वारा स्थापित ‘इंडियन एसोसिएशन फ़ॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ की प्रयोगशाला में उपलब्ध उपकरणों की सहायता से अपना शोधकार्य करते थे। उनका यह कार्य वास्तव में आधुनिक हठयोग का उदाहरण था जिसमें एक साधक अपने कार्यालय में कठिन परिश्रम करने के बाद बहू बाज़ार की साधारण – सी प्रयोगशाला में काम चलाऊ उपकरणों की सहायता से और अपनी प्रबल इच्छा-शक्ति के बल पर भौतिक विज्ञान को समृद्ध बनाने का प्रयास करता था।

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प्रश्न 2.
रामन की खोज ‘रामन प्रभाव’ क्या है ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
रामन ने अनेक ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया था। इसी के परिणाम को ‘रामन प्रभाव’ कहा गया है। इसके अनुसार जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुज़रती है तो गुज़रने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आता है। इसका कारण यह होता है कि एकवर्णीय प्रकाश की किरण के फोटॉन जब तरल या ठोस रवे से गुज़रते हैं तो इनके अणुओं से टकराते हैं। इस कारण वे या तो ऊर्जा का कुछ अंश खो देते हैं या पा जाते हैं। दोनों ही स्थितियों में प्रकाश के वर्ण अथवा रंग में बदलाव आता है। एकवर्णीय प्रकाश की किरणों में सबसे अधिक ऊर्जा बैंगनी रंग के प्रकाश में होती है। इसके बाद नीले, आसमानी, हरे, पीले, नारंगी और लाल वर्ण आते हैं। एकवर्णीय प्रकाश-तरल या ठोस रवों से गुज़रते हुए जिस परिणाम में ऊर्जा खोता या पाता है, उसी हिसाब से उसका वर्ण परिवर्तित होता है।

प्रश्न 3.
‘रामन प्रभाव’ की खोज से विज्ञान के क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य संभव हो सके ?
उत्तर :
‘रामन प्रभाव’ की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी। इससे प्रकाश की प्रकृति के संबंध में आइंस्टाइन ने जो कहा था उसका प्रायोगिक प्रमाण मिल गया क्योंकि एकवर्णीय प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन प्रकाश की किरण का तीव्रगामी सूक्ष्म कणों के प्रवाह के रूप में व्यवहार करती है। ‘रामन प्रभाव’ से पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना के अध्ययन में सहायता मिलती है। इस तकनीक द्वारा एकवर्णीय प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन के आधार पर पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की संरचना की सही जानकारी मिल जाती है। इससे पदार्थों का संश्लेषण प्रयोगशाला में करना तथा अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रूप से निर्माण भी संभव हो गया है।

प्रश्न 4.
देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने में सर चंद्रशेखर वेंकट रामन के महत्त्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
रामन केवल व्यक्तिगत प्रयोगों एवं वैज्ञानिक शोध-पत्र लेखन तक ही सीमित नहीं थे। उन्हें अपने भारतीय होने पर गर्व था। उनमें निहित राष्ट्रीय चेतना ने उन्हें देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास की प्रेरणा दी। उन्हें स्मरण था कि किस प्रकार काम चलाऊ उपकरणों से वे बहू बाज़ार की प्रयोगशाला में वैज्ञानिक अनुसंधान में लगे रहते थे। इसलिए उन्होंने एक अत्यंत उन्नत प्रयोगशाला और शोध-संस्थान ‘रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के नाम से बंगलौर में स्थापित की। उन्होंने भौतिक शास्त्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए ‘इंडियन जनरल ऑफ़ फीज़िक्स’ निकाला तथा ‘करेंट साइंस’ नामक पत्रिका का संपादन किया। उन्होंने अनेक शोधार्थियों का मार्गदर्शन भी किया था।

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प्रश्न 5.
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन के जीवन से प्राप्त होनेवाले संदेश को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
सर चंद्रशेखर वेंकट रामन के जीवन से हमें यह संदेश मिलता है कि मनुष्य अपने जीवन में जो करना चाहता है वह उसे कर सकता है यदि उसमें उस कार्य को करने की लगन तथा इच्छा हो। रामन की शोधकार्य में इच्छा थी परंतु उन्हें एम० ए० करने के बाद वित्त विभाग में सरकारी नौकरी करनी पड़ी। इससे वे विचलित नहीं हुए बल्कि समय निकालकर सामान्य – सी प्रयोगशाला में अपने शोध करते रहे।

जब उन्हें कोलकाता विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर की नौकरी मिली तो वे सरकारी सुख-सुविधाएँ छोड़कर प्रोफ़ेसर की कम सुविधाओं और वेतनवाली नौकरी करने लगे क्योंकि यहाँ पढ़ने-लिखने और शोधकार्य की सुविधा थी। उनकी इसी दूर – दृष्टि ने उन्हें विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक बना दिया। रामन के जीवन से हमें यह भी शिक्षा लेनी चाहिए कि हम अपने आस-पास घट रही विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन एक वैज्ञानिक दृष्टि से करें तो हम प्रकृति के अनेक रहस्यों का उद्घाटन रामन की तरह कर सकते हैं।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न 1.
उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।
उत्तर :
रामन कोलकाता के सरकारी वित्त विभाग में अच्छे वेतन और सुख-सुविधाओं वाली नौकरी करते थे। उन्हीं दिनों कोलकाता विश्वविद्यालय में एक प्रोफ़ेसर की आवश्यकता थी। सुप्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री सर आशुतोष मुखर्जी रामन की प्रतिभा तथा वैज्ञानिक रुचि से परिचित थे। उन्होंने रामन को विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर का पद स्वीकार करने के लिए कहा। सुख-सुविधाओं और अच्छे वेतन की सरकारी नौकरी छोड़कर कम वेतन और कम सुविधाओं वाली विश्वविद्यालय की नौकरी स्वीकार करना रामन के लिए हिम्मत का काम था। उन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र देकर विश्वविद्यालय की नौकरी स्वीकार कर ली क्योंकि वे मानते थे कि सरस्वती की साधना करना सरकारी सुख-सुविधाओं को भोगने से कहीं अधिक श्रेष्ठ है। इस प्रकार वे अध्ययन, अध्यापन और शोधकार्य में लग गए।

प्रश्न 2.
हमारे पास ऐसी न जाने कितनी ही चीजें बिखरी पड़ी हैं, जो अपने पात्र की तलाश में हैं।
उत्तर :
रामन चाहते थे कि प्रत्येक व्यक्ति अपने आसपास घट रही विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की छानबीन एक वैज्ञानिक दृष्टि से करे। हमारे आसपास प्रकृति में अनेक ऐसी चीजें हैं, जिन्हें यदि हम ध्यान से देखें तो वे हमें अपनी ओर आकर्षित करती हैं और हमसे कहती हैं कि हमारे रहस्य को उद्घाटित करो। कोई रामन जैसा शोधार्थी ही प्रकृति के अज्ञात रहस्यों से परदा उठा सकता है।

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प्रश्न 3.
यह अपने-आप में एक आधुनिक हठयोग का उदाहरण था।
उत्तर :
प्राचीनकाल में योगी अनेक कठिन साधनाओं के द्वारा हठयोग का अभ्यास करते थे परंतु रामन ने अच्छे वेतन और सुख-सुविधाओं से युक्त सरकारी नौकरी होते हुए भी अपना वैज्ञानिक शोधकार्य करने के लिए अपने कार्यालय के समय के बाद बहू बाजार की इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस की प्रयोगशाला में जाया करते थे। यहाँ रामन को पर्याप्त उपकरण भी उपलब्ध नहीं होते थे। फिर भी वे अपना शोधकार्य करते रहे। उनका यह कार्य आधुनिक हठयोग का ही उदाहरण है जिसमें एक साधन दफ्तर में कड़ी मेहनत करने के बाद बहू बाजार की सामान्य-सी प्रयोगशाला में अपनी इच्छा-शक्ति के बल पर भौतिक विज्ञान को समृद्ध कर रहा था।

(घ) उपयुक्त शब्द का चयन करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

प्रश्न :
इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, इंडियन एसोसिएशन फ़ार द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस, फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन, भौतिकी, रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट
1. रामन का पहला शोध – पत्र …………………….. में प्रकाशित हुआ था।
2. रामन की खोज …………………. के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
3. कोलकाता की मामूली सी प्रयोगशाला का नाम ……………… था।
4. रामन द्वारा स्थापित शोध संस्थान …………………….. नाम से जानी जाती है
5. पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए …………. का सहारा लिया जाता था।
उत्तर :
1. रामन का पहला शोध – पत्र फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था।
2. रामन की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी।
3. कोलकाता की मामूली-सी प्रयोगशाला का नाम इंडियन एसोसिएशन फ़ॉर द कल्टिवेशन ऑफ़ साइंस था।
4. रामन द्वारा स्थापित शोध संस्थान रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट नाम से जानी जाती है।
5. पहले पदार्थों के अणुओं और परमाणुओं की आंतरिक संरचना का अध्ययन करने के लिए इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाता था।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1.
नीचे कुछ समानदर्शी शब्द दिए जा रहे हैं जिनका अपने वाक्य में इस प्रकार प्रयोग करें कि उनके अर्थ का अंतर स्पष्ट हो सके।
(क) प्रमाण, (ख) प्रणाम, (ग) धारणा, (घ) धारण, (ङ) पूर्ववर्ती, (च) परवर्ती, (छ) परिवर्तन, (ज) प्रवर्तन
उत्तर :
(क) प्रमाण – इस बात का क्या प्रमाण है कि आप चौदह वर्ष के हैं ?
(ख) प्रणाम – राजेश सुबह उठकर अपने माता – पिता को प्रणाम करता है।
(ग) धारणा – अध्यापिका की सुमन के संबंध में अच्छी धारणा नहीं है।
(घ) धारण – राजा ने सुंदर मुकुट धारण किया हुआ है
(ङ) पूर्ववर्ती – इंदिरा गांधी से पूर्ववर्ती भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री थे।
(च) परवर्ती – हुमायूँ से परवर्ती मुग़ल सम्राट अकबर था।
(छ) परिवर्तन – प्रकृति में प्रतिपल परिवर्तन होता रहता है।
(ज) प्रवर्तन – हिंदी साहित्य में छायावाद का प्रवर्तन जयशंकर प्रसाद ने किया था।

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प्रश्न 2.
रेखांकित शब्द के विलोम शब्द का प्रयोग करते हुए रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए –
उत्तर :
(क) मोहन के पिता मन से सशक्त होते हुए भी तन से अशक्त हैं।
(ख) अस्पताल के अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी रूप से नौकरी दे दी गई है।
(ग) रामन ने अनेक ठोस रवों और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया।
(घ) आज बाज़ार में देशी और विदेशी दोनों प्रकार के खिलौने उपलब्ध हैं।
(ङ) सागर की लहरों का आकर्षण उसके विनाशकारी रूप को देखने के बाद अपकर्षण में परिवर्तित हो जाता है।

प्रश्न 3.
नीचे दिए उदाहरण में रेखांकित अंश में शब्द-युग्म का प्रयोग हुआ है-
उदाहरण: चाऊतान को गाने-बजाने में आनंद आता है।
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
सुख-सुविधा, अच्छा-खासा, प्रचार- प्रसार, आस-पास
उत्तर :
सुख-सुविधा – रामन ने सरस्वती की साधना के लिए सुख-सुविधा त्याग दी।
अच्छा-खासा – सुंदरम अच्छा-खासा कमाता है, फिर भी उधार माँगता रहता है।
प्रचार-प्रसार – किसी भी उत्पाद का प्रचार-प्रसार दूरदर्शन के माध्यम से शीघ्र हो जाता है।
आस-पास – मीनाक्षी और कुंदा का घर आस- पास है।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत पाठ में आए अनुस्वार और अनुनासिक शब्दों को निम्नलिखित तालिका में लिखिए –
उत्तर :
अनुस्वार – अनुनासिक
(क) अंदर – (क) ढूँढ़ते
(ख) अंक – (ख) ऊँचे
(ग) संस्था – (ग) भाँति
(घ) ढंग – (घ) पहुँचता
(ङ) संघर्ष – (ङ) जहाँ

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प्रश्न 5.
पाठ में निम्नलिखित विशिष्ट भाषा प्रयोग आए हैं। सामान्य शब्दों में इनका आशय स्पष्ट कीजिए –
घंटों खोए रहते, स्वाभाविक रुझान बनाए रखना, अच्छा-खासा काम किया, हिम्मत का काम था, सटीक जानकारी, काफ़ी ऊँचे अंक हासिल किए, कड़ी मेहनत के बाद खड़ा किया था, मोटी तनख्वाह
उत्तर :
बहुत देर तक सोचते रहते, अपनी पसंद बनाए रखना, बहुत काम किया, आसान काम नहीं था, पूरी और सही जानकारी, बहुत अच्छे अंक प्राप्त किए, बहुत परिश्रम से बनाया था, बहुत अच्छा वेतन

प्रश्न 6.
पाठ के आधार पर मिलान कीजिए –

  1. नीला – कामचलाऊ
  2. पिता – रव
  3. तैनाती – भारतीय वाद्ययंत्र
  4. उपकरण – वैज्ञानिक रहस्य
  5. घटिया – समुद्र
  6. फोटॉन – नींव
  7. भेदन – कोलकाता

उत्तर :

  1. नीला – समुद्र
  2. पिता – नींव
  3. तैनाती – कोलकाता
  4. उपकरण – काम चलाऊ
  5. घटिया – भारतीय वाद्ययंत्र
  6. फोटॉन – रव
  7. भेदन – वैज्ञानिक रहस्य।

प्रश्न 7.
पाठ में आए रंगों की सूची बनाइए। इनके अतिरिक्त दस रंगों के नाम और लिखिए। पाठ में आए रंग – बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी और लाल।
उत्तर :
अन्य रंग – गुलाबी, काला, केसरिया, फ़िरोजी, गेहुँआ, सलेटी, बादामी, नसवारी, सफ़ेद, मेंहदी।

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प्रश्न 8.
नीचे दिए गए उदाहरण के अनुसार ‘ही’ का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य बनाइए। उदाहरण: उनके ज्ञान की सशक्त नींव उनके पिता ने ही तैयार की थी।
उत्तर :

  1. रामन ने ही रामन-प्रभाव की खोज की थी।
  2. हनुमान ने ही लंका में जाकर सीता की खोज की थी।
  3. इंदु की पिटाई करनेवाली सगीता ही थी।
  4. भारत ने ही मोहाली में इंग्लैंड की क्रिकेट टीम को हराया था।
  5. राम ने ही रावण को बाण से मारा था।

योग्यता – विस्तार –

प्रश्न 1.
‘विज्ञान का मानव विकास में योगदान’ विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
भारत के किन-किन वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार मिला है ? पता लगाइए और लिखिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

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प्रश्न 3.
न्यूटन के आविष्कार के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

परियोजना कार्य –

प्रश्न 1.
भारत के प्रमुख वैज्ञानिकों की सूची उनके कार्यों / योगदानों के साथ बनाइए।
प्रश्न 2.
भारत के मानचित्र में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली और कोलकाता की स्थिति दर्शाएँ।
प्रश्न 3.
उत्तर
पिछले बीस-पच्चीस वर्षों में उन वैज्ञानिक खोजों, उपकरणों की सूची बनाइए, जिसने मानव-जीवन बदल दिया है। विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 9 Hindi वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
रामन को ‘रामन प्रभाव’ की खोज की प्रेरणा कैसे मिली ?
उत्तर :
रामन को प्रकृति से बहुत लगाव था। सन् 1921 ई० में समुद्री यात्रा कर रहे थे। वे जहाज़ के डेक पर खड़े होकर नीले सागर को घंटों देखते रहते थे। उन्हें सागर की नील वर्णीय आभा बहुत अच्छी लगती थी। वे सोचने लगे कि समुद्र का रंग नीला ही क्यों होता है ? कोई और रंग क्यों नहीं होता ? रामन अपने मन में उत्पन्न इस प्रश्न का उत्तर ढूँढ़ने में लग गए और उन्होंने ‘रामन-प्रभाव’ की खोज कर ली।

प्रश्न 2.
रामन ने सरकारी नौकरी करते हुए भी शोधकार्य कैसे जारी रखा ?
उत्तर
रामन की हार्दिक इच्छा थी कि वे अपना सारा जीवन शोधकार्यों को समर्पित कर दें, किंतु उन दिनों शोधकार्य को एक व्यवसाय के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं हुई थी। इन दिनों सभी प्रतिभावान विद्यार्थी सरकारी नौकरी करना पसंद करते थे। रामन ने भी कोलकाता में सरकारी वित्त-विभाग में सहायक जनरल अकाउंटेंट की नौकरी कर ली। अपने कार्यालय के बाद वे बहू बाज़ार में डॉक्टर महेंद्र लाल द्वारा स्थापित इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस की प्रयोगशाला में उपलब्ध सामान्य उपकरणों के माध्यम से अपना शोधकार्य करते थे।

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प्रश्न 3.
‘रामन की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
रामन की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति मानी जाती है। उनके ‘रामन प्रभाव’ के कारण ही प्रकाश की प्रकृति के संबंध में आइंस्टाइन के विचारों का प्रायोगिक प्रमाण मिल गया। आइंस्टाइन से पहले के वैज्ञानिक प्रकाश को तरंग के रूप में मानते थे, परंतु आइंस्टाइन ने बताया कि प्रकाश अति सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान है। इन अति सूक्ष्म कणों की तुलना आइंस्टाइन ने बुलेट से करते हुए उन्हें फोटॉन नाम दिया था। रामन के प्रयोगों ने आइंस्टाइन की इस धारणा का प्रत्यक्ष प्रमाण दे दिया, क्योंकि एकवर्णीय प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन स्पष्ट रूप से यह प्रमाणित करता है कि प्रकाश की किरण तीव्रगामी सूक्ष्म कणों के रूप में व्यवहार करती है। रामन की इस खोज के कारण ही पदार्थों की आण्विक एवं परमाण्विक संरचना के अध्ययन के लिए रामन स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाने लगा।

प्रश्न 4.
न्यूटन ने सेब को नीचे गिरते देख किस सिद्धांत की खोज की थी ?
उत्तर :
न्यूटन ने सेब को पेड़ से नीचे गिरते देखा तो उसे लगा कि पृथ्वी में ऐसी कोई शक्ति है जो सेब को नीचे की ओर खींच रही है। इसी रहस्य की खोज करते हुए उसने पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के सिद्धांत की खोज की थी।

प्रश्न 5.
रामन की शिक्षा पर किसका प्रभाव था ? उन्होंने अपनी शिक्षा कहाँ प्राप्त की ?
उत्तर :
रामन के पिता विशाखापत्तनम में गणित और भौतिकी के शिक्षक थे। पिता इन्हें बचपन से गणित और भौतिकी पढ़ाते थे। उन्हीं के कारण रामन की इन दो विषयों में दिलचस्पी बढ़ गई। उनके गणित और भौतिक से सशक्त ज्ञान की नींव उनके पिता ने तैयार की थी। रामन ने कॉलेज की पढ़ाई पहले ए०बी० एन० कॉलेज तिरुचिरापल्ली से और बाद में प्रेसीडेंसी कॉलेज मद्रास से की।

प्रश्न 6.
रामन ने विश्वविद्यालय की नौकरी करना क्यों स्वीकर किया ?
उत्तर :
रामन के जीवन की एक इच्छा थी कि वे आजीवन शोधकार्य करते रहे, परंतु उस समय सुयोग्य छात्रों को अच्छी सरकारी नौकरियाँ बहुत जल्दी मिल जाती थीं। इसीलिए उन्होंने सरकारी नौकरी कर ली। जब उन्हें विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर के पद पर कार्य करने का निमंत्रण मिला तो उन्होंने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। इस नौकरी के पीछे उनका एक ही मकसद था कि वे विश्वविद्यालय में पढ़ाते हुए शोधकार्य भी कर सकते थे।

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प्रश्न 7.
रामन को भारतीय संस्कृति से कैसा लगाव था ? अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि मिलने के बाद भी रामन का स्वभाव कैसा रहा?
उत्तर :
रामन को सदा ही अपनी भारतीय संस्कृति से बहुत लगाव रहा। वे अपनी भारतीय पहचान को बनाए रखने के लिए दक्षिण भारतीय पहनावा पहनते थे। अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि मिलने के बाद भी रामन के स्वभाव में कोई अंतर नहीं आया था। उनका रहन-सहन साधारण था। वे एक आम दक्षिण भारतीय व्यक्ति के समान रहते थे। वे कट्टर शाकाहारी थे। उन्हें मदिरापान से सख्त परहेज़ था। उनमें किसी भी प्रकार का कोई अहंकार नहीं था।

प्रश्न 8.
एक दीपक से अन्य कई दीपक जल उठते हैं” से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
रामन को अपने आरंभिक दिनों में शोधकार्यों के लिए बहुत अधिक परेशानी उठानी पड़ी थी। इसलिए उन्होंने एक अत्यंत उन्नत प्रयोगशाला और शोध संस्थान की स्थापना बंगलौर में की। उनकी बनाई इस प्रयोगशाला और शोध संस्थान में उनके शोध छात्रों ने काफ़ी अच्छा काम किया और कई छात्र बाद में उच्च पदों पर भी सुशोभित हुए। उनका जीवन एक दीपक के समान था जिसके प्रकाश की किरणों ने पूरे देश को आलोकित और प्रभावित किया।

प्रश्न 9.
रामन के अनुसार प्रकृति हमें क्या संदेश देती है और उसका रहस्यभेदन किस प्रकार किया जा सकता है ?
उत्तर :
रामन के अनुसार प्रकृति हमें यह संदेश देती है कि हम उसका निरीक्षण एक प्रकृति-प्रेमी के रूप में करें और उसमें हो रहे परिवर्तनों के सदस्यों को वैज्ञानिक धरातल पर ढूँढ़ने का प्रयास करें। प्रकृति का रहस्य- भेदन रामन के अनुसार निरंतर कार्य करते हुए किया जा सकता है। इसके लिए हमारे अंदर वैज्ञानिक सूझ-बूझ और जिज्ञासा की प्रवृत्ति होनी चाहिए।

वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-परिचय- धीरंजन मालवे का जन्म बिहार राज्य के नालंदा जिले के हुँवरावाँ नामक गाँव में 9 मार्च, सन् 1952 ई० को हुआ था। इन्होंने एम० एससी० (सांख्यिकी), एम०बी०ए० तथा एल०एल०बी० तक शिक्षा प्राप्त की है। इन्होंने आकाशवाणी तथा बी०बी०सी० लंदन में कार्य किया है। इन्होंने विज्ञान से संबंधित विभिन्न विषयों का प्रसारण भी किया है। वर्तमान में वे प्रसार भारती से संबंधित हैं।

रचनाएँ – इन्होंने रेडियो विज्ञान पत्रिका ‘ज्ञान-विज्ञान’ का संपादन तथा प्रसारण किया है। इनके द्वारा रचित पुस्तक ‘विश्व – विख्यात भारतीय वैज्ञानिक’ भारतीय वैज्ञानिकों का संक्षिप्त जीवन प्रस्तुत करती है। इन्होंने पर्यावरण से संबंधित एक पुस्तक भी लिखी है।

भाषा-शैली – धीरंजन मालवे ने अपनी रचनाओं में सीधी, सरल और प्रभावशाली भाषा का प्रयोग किया है। विषयानुरूप वैज्ञानिक शब्दावली का भी इन्होंने प्रचुर मात्रा में प्रयोग किया है। ‘वैज्ञानिक चेतना के वाहकः चंद्रशेखर वेंकट रामन’ पाठ में भी लेखक ने नीलवर्णीय आभा, असंख्य, समक्ष, जिज्ञासा, अतिशयोक्ति, समृद्ध, एकवर्णीय जैसे तत्सम शब्दों के साथ-साथ दौरान, इस्तेमाल, बावजूद, फ़ैसला, दौर जैसे उर्दू के तथा फिलॉसॉफ़िकल, वायलिन, पियानो, फोटॉन, इंफ्रारेड, स्पेक्ट्रोस्कोपी आदि अंग्रेज़ी के शब्दों का प्रयोग भी किया है। इनकी शैली वर्णन प्रधान तथा प्रवाहमयी है, जैसे- पेड़ से सेब गिरते हुए तो लोग सदियों से देखते आ रहे थे, मगर गिरने के पीछे छिपे रहस्य को न्यूटन से पहले और कोई समझ नहीं पाया था। ठीक उसी प्रकार विराट समुद्र की नील वर्णीय आभा को भी असंख्य लोग आदिकाल से देखते आ रहे थे, मगर इस आभा पर पड़े रहस्य के परदे को हटाने के लिए हमारे समक्ष उपस्थित हुए-सर चंद्रशेखर वेंकट रामन। इस प्रकार लेखक की भाषा-शैली सीधी, सरल एवं वैज्ञानिक शब्दावली से युक्त वर्णन प्रधान है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन

पाठ का सार :

‘वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन’ नामक पाठ में धीरंजन मालवे ने रामन के जीवन और शोधकार्य का संक्षिप्त एवं तथ्यात्मक विवरण प्रस्तुत किया है, जैसे पेड़ से गिरते सेब को देखकर न्यूटन ने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत खोज निकाला था, उसी प्रकार से चंद्रशेखर वेंकट रामन ने विराट सागर की नील-वर्णीय आभा देखकर रामन प्रभाव की खोज की थी। सन् 1921 ई० में की गई समुद्री यात्रा ने उन्हें इस ओर प्रेरित किया था।

चंद्रशेखर वेंकट रामन का जन्म 7 नवंबर, सन् 1888 ई० को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नगर में हुआ था। इनके पिता विशाखापत्तनम में गणित और भौतिकी के शिक्षक थे। इनके पिता ने इन्हें बचपन से ही ये दोनों विषय पढ़ाए। इन्होंने ए०बी०एन० कॉलेज, तिरुचिरापल्ली और प्रेसीडेंसी कॉलेज चेन्नई में शिक्षा प्राप्त की थी। एम० ए० की परीक्षा उन्होंने अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की थी। कॉलेज के दिनों से ही इन्हें शोध कार्यों में रुचि थी। इनका पहला शोध आलेख फिलॉसॉफिकल मैगज़ीन में प्रकाशित हुआ था।

इन्होंने कोलकाता में सरकारी वित्त विभाग में सहायक जनरल अकाउंटेंट के रूप में नौकरी कर ली। कार्यालय से समय मिलने पर वे बहू बाज़ार में स्थित डॉ० महेंद्र लाल सरकार द्वारा स्थापित इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साइंस की प्रयोगशाला में अपना शोधकार्य करते रहते थे। इन्हीं दिनों इनका रुझान वाद्य यंत्रों की ओर हुआ तथा वाद्य यंत्रों में कंपन के आधार पर शोध कार्य करते हुए अनेक शोध-पत्र प्रकाशित किए। इनके शोध कार्यों तथा प्रतिभा से प्रभावित होकर सुप्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री सर आशुतोष मुखर्जी ने सन् 1917 में इन्हें कोलकाता विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर का पद ग्रहण करने का प्रस्ताव दिया जो इन्होंने स्वीकार कर लिया। इनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख-सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी।

रामन प्रभाव की खोज के लिए इन्होंने ठोस और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया तो इन्हें ज्ञात हुआ कि जब एक वर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल पदार्थ अथवा ठोस रवेदार पदार्थ से गुज़रती है तो गुज़रने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन होता है। इसका कारण यह है कि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण के फोटॉन तरल या ठोस रवे से गुज़रते हैं तो इनके अणुओं के टकराने से या तो वे ऊर्जा का कुछ अंश खो देते हैं या पा लेते हैं। दोनों ही दशाओं में प्रकाश के वर्ण में परिवर्तन हो जाता है। एकवर्णीय प्रकाश की किरणों में सबसे अधिक ऊर्जा बैंगनी रंग के प्रकाश में होती है। इसके बाद नीले, आसमानी, हरे, पीले, नारंगी और लाल वर्ण का नंबर आता है। लाल वर्णीय प्रकाश की ऊर्जा सबसे कम होती है।

रामन की इस खोज को भौतिकी के क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि माना गया। इससे प्रकाश की प्रकृति के संबंध में आइंस्टाइन द्वारा व्यक्त विचारों का प्रायोगिक प्रमाण मिल गया। आइंस्टाइन से पहले के वैज्ञानिक प्रकाश को तरंग के रूप में मानते थे परंतु आइंस्टाइन ने इसे सूक्ष्म कणों की तीव्र धारा के समान कहा और इनकी तुलना बुलेट से करते हुए इसे फोटॉन नाम दिया। रामन की इस खोज के बाद पदार्थों की आण्विक और परमाण्विक संरचना के अध्ययन के लिए रामन स्पेक्ट्रोस्कोपी का सहारा लिया जाने लगा। इससे पदार्थों का संश्लेषण प्रयोगशाला में करना और अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम रूप से निर्माण भी संभव हो गया।

रामन को ‘रामन प्रभाव’ की खोज पर सन् 1924 ई० में रॉयल सोसाइटी की सदस्यता से सम्मानित किया गया था। सन् 1929 ई० में इन्हें ‘सर’ की उपाधि प्रदान की गई तथा इससे अगले वर्ष उन्हें भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें रोम में मत्यूसी पदक, रॉयल सोसाइटी का हयूज़ पदक, फ़िलाडेल्फ़िया इंस्टीट्यूट का फ्रैंकलिन पदक, सोवियत रूस का अंतर्राष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार भी दिया गया था। सन् 1954 ई० में भारत सरकार ने इन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया था।

रामन को भारतीय संस्कृति से सदा गहरा लगाव रहा है। वे सदा दक्षिण भारतीय पहनावा पहनते थे। वे शुद्ध शाकाहारी थे। वे मदिरा से सख्त परहेज़ करते थे। जब वे नोबल पुरस्कार प्राप्त करने स्टॉकहोम गए थे तो वहाँ उन्होंने अल्कोहल पर रामन प्रभाव का प्रदर्शन किया था। उन्होंने वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिए बंगलौर में ‘रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ नाम से एक उन्नत प्रयोगशाला और शोध संस्थान की स्थापना की थी। उन्होंने ‘इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स’ नामक शोध-पत्रिका का प्रकाशन किया था तथा सैकड़ों शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया था। इन्होंने ‘करेंट साइंस’ नामक विज्ञान-पत्रिका का संपादन भी किया था। 21 नवंबर, सन् 1970 ई० को इनका देहांत हो गया था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 5 वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चन्द्र शेखर वेंकट रामन

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • नील-वर्णीय आभा – नीले रंग की चमक।
  • असंख्य – अनेक, जिनकी गिनती न की जा सके।
  • समक्ष – सामने।
  • निहारना – देखना।
  • जिज्ञासा – जानने की इच्छा।
  • विश्वविख्यात – विश्व में प्रसिद्ध।
  • अतिशयोक्ति – किसी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना।
  • सशक्त – मज़बूत।
  • कैरियर – व्यवसाय, पेशा।
  • दौरान – मध्य।
  • रुझान – झुकाव।
  • नितांत – बिल्कुल।
  • अभाव – कमी।
  • समृद्ध – उन्नत।
  • आकृष्ट – खिंचा हुआ, आकर्षित।
  • भ्रांति – संदेह।
  • सृजित – बनाया गया, रचा गया।
  • माहौल – वातावरण।
  • परिणति – परिणाम, फल।
  • वर्ण – रंग।
  • फोटॉन – प्रकाश का अंश।
  • एकवर्णीय – एक रंग का।
  • ऊर्जा – शक्ति, बल।
  • तीव्रगामी – तेज़ी से जाने वाली।
  • संश्लेषण – मिलान करना।
  • कृत्रिम – बनावटी।
  • अक्षुण्ण – दृढ़।
  • आहूलादित – आनंदित।