JAC Class 10 Hindi व्याकरण मुहावरे

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Vyakaran मुहावरे Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Vyakaran मुहावरे

मुहावरा – एक ऐसा वाक्यांश है, जो सामान्य अर्थ का बोध न करवाकर विशेष अर्थ का बोध करवात्म है। वाक्य में इसका प्रयोग क्रिया के समान होता है, जैसे – ‘आकाश – पाताल एक करना’।
इस वाक्यांश का सामान्य अर्थ है – ‘पृथ्वी और आकाश को मिलाना’ लेकिन ऐसा संभव नहीं है। अतः इसका लक्षणा शब्द – शक्ति से विशेष अर्थ होगा – ‘ बहुत परिश्रम करना’।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण मुहावरे

कुछ महत्वपूर्ण मुहावरे :

अंग – अंग ढीला होना (बहुत थकावट का अनुभव करना) – आठ घंटे लगातार परिश्रम करने के कारण उसका अंग – अंग ढीला हो गया।
अंग छूना (कसम खाना) – कैकेयी ने अंग छूकर कहा कि राम को वन भेजने में भरत का कोई दोष नहीं।
अंगूठा दिखाना (इनकार करना) – जब मैंने अपने मित्र से सहायता माँगी तो उसने अंगूठा दिखा दिया।
अक्ल का दुश्मन (मूर्ख) – उसे समझाने की कोशिश करना व्यर्थ है। वह तो अक्ल का दुश्मन है।
अंगारों पर पैर रखना (जान – बूझकर हानिकारक कार्य करना) – अपने माता – पिता की इकलौती संतान होने के कारण उसे अंगारों पर पैर नहीं रखने चाहिए।
अंगारे बरसना (कड़ी धूप पड़ना) – मई – जून की दोपहरी में अंगारे बरसते हैं।
अंड – वंड बकना (भला – बुरा कहना) – तुम उसकी अनुपस्थिति में अंड-वंड बक रहे हो। यदि उसे पता चल गया तो होश ठिकाने लगा देगा।
अंत बिगाड़ना (कार्य का अंतिम फल बिगाड़ देना) – अब तक तो तुमने ईमानदारी से काम किया है। भला अब रिश्वत लेकर अपना अंत क्यों बिगाड़ रहे हो?

अंधे को दीपक दिखाना (नासमझ को उपदेश देना) – भगवान कृष्ण दुर्योधन के धृष्टपूर्ण व्यवहार से समझ गए थे कि उसे उपदेश देना अंधे को दीपक दिखाना है।
अंधे की लकड़ी (एकमात्र सहारा) – मोहन अपने बूढ़े माता-पिता के लिए अंधे की लकड़ी है।
अँधेरे घर का उजाला (इकलौता बेटा) – सुरेश अपने माँ-बाप के अँधेरे घर का उजाला है।
अंत पाना (रहस्य पाना) – ईश्वर का अंत पाना संभव नहीं।
अगर – मगर करना (टालमटोल करना) – उसे मेरे एक हज़ार रुपए देने हैं।
जब भी माँगता हूँ अगर – मगर करने लगता है।
अपना उल्लू सीधा करना (अपना मतलब निकालना) – स्वार्थी मित्रों से बचकर रहना चाहिए। उन्हें तो अपना उल्लू सीधा करना आता है।
अपने पाँव पर आप कुल्हाड़ी मारना (अपनी हानि आप करना) – जो छात्र समय का सदुपयोग नहीं करते, वे अपने पाँव पर आप कुल्हाड़ी मारते हैं।
अपना – सा मुँह लेकर रह जाना (बहुत लज्जित होना) – जब सब के सामने उसकी चोरी की पोल खुली तो वह अपना – सा मुँह लेकर रह गया।
अपने मुँह मियाँ मिठू बनना (अपनी प्रशंसा आप करना) – अपने मुँह मियाँ मिठू बनना अच्छी आदत नहीं।
अपनी खिचड़ी अलग पकाना (सबसे अलग रहना) – मंथन न तो अपने सहपाठियों के साथ खेलता है और न ही उनसे बात करता है। वह हर काम में अपनी खिचड़ी अलग पकाता है।
अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धिभ्रष्ट होना) – विद्वान होते हुए भी रावण की अक्ल पर पत्थर पड़ गए थे अन्यथा वह सीता का अपहरण न करता।
अरण्य – रोदन (व्यर्थ की पुकार अथवा बेअसर रोना – धोना) – अत्याचारी शासक के शासनकाल में ग़रीबों की पुकार अरण्य – रोदन होकर रह जाती है।
अक्ल के घोड़े दौड़ाना (समस्या का समाधान ढूँढ़ने के लिए सोच – विचार करना) – सभी अधिकारी इस विकट समस्या का हल ढूँढ़ने के लिए अपनी – अपनी अक्ल के घोड़े दौड़ा रहे हैं।
आँख का काँटा (खटकने वाला व्यक्ति) – मजदूरों का उग्र नेता उस मिल – मालिक की आँख का काँटा बन गया है।
आँखें खलना (होश आना. सावधान होना ज्ञान प्राप्त होना) – उस महात्मा के प्रवचन सनकर मेरी आँखें खल गईं।
आसमान टूट पड़ना (बहुत बड़ी मुसीबत आना) – मैं सच्चाई से विमुख नहीं हो सकता। भले ही मुझ पर आसमान टूट पड़े।
आस्तीन का साँप (कपटी मित्र) – टीना से सावधान रहना। वह तो आस्तीन का साँप है।
कंगाली में आटा गीला होना (मुसीबत में और मुसीबत आना) – इस निर्धन अवस्था में उसकी नौकरी छूट जाना कंगाली में आटा गीला होने के समान है।
ईंट से ईंट बजाना (नष्ट – भ्रष्ट करना) – हनुमान ने लंका की ईंट से ईंट बजा दी।
ईंट का जवाब पत्थर से देना (दृढ़ता से शत्रु का मुकाबला करना) – भारत शत्रु देश की ईंट का जवाब पत्थर से देना जानता है।
ईद का चाँद होना (बहुत देर के बाद मिलना) – भई, शादी के बाद तो तुम ईद का चाँद बन गए हो।
उंगली उठना (निंदित होना) – दुराचारी लोगों पर शीघ्र ही उंगली उठने लगती है।
उंगली उठाना (निंदा करना, हानि पहुँचाने की कोशिश करना) – बुरे व्यक्ति पर सब उंगली उठाते हैं। जब तक मैं जीवित हूँ, तुम्हारे ऊपर कोई उंगली नहीं उठा सकता।
उंगली पर नचाना (अपनी इच्छानुसार काम लेना) – कुछ अधिकारी कर्मचारियों को अपनी उंगली पर नचाते हैं।
उगल देना (भेद प्रकट कर देना) – पुलिस की कठोर मार पड़ने पर उस चोर ने सब कुछ उगल दिया।
उठ जाना (मर जाना, समाप्त हो जाना) – अल्प आयु में ही भारतेंदु जी इस संसार से उठ गए।
उड़ती चिड़िया पहचानना (दूसरे की असलियत जान लेना अथवा किसी के मन की बात जान लेना) – तुम उसे धोखा नहीं दे सकते। वह तो उड़ती चिड़िया पहचानता है।
उलटी गंगा बहाना (नियम के विरुद्ध काम करना) – गीतों के उस प्रकांड पंडित को कर्म – योग का उपदेश देना उलटी गंगा बहाना है।
उलटी सीधी सुनाना (बुरा – भला कहना) – जब मैंने उसे समझाया तो वह मुझे ही उलटी – सीधी सुनाने लगा।
एक आँख से देखना (एक समान समझना) – हमारे महाविद्यालय के प्राचार्य सभी छात्रों को एक आँख से देखते हैं।
एक लकड़ी से हाँकना (अच्छे – बुरे के साथ एक जैसा व्यवहार करना) – हमारे नगर के पुलिस अधिकारी सभी को
एक लकड़ी से हाँकते हैं। एड़ी – चोटी का जोर लगाना (पूरा प्रयत्न करना) – सम्राट अकबर ने एड़ी – चोटी का जोर लगा दिया पर वह राणा प्रताप को अपने अधीन न कर सका।
कंचन बरसना (बहुत लाभ होना अथवा धन प्राप्त होना) – जब से उन्होंने नई मिल खोली है, उनके यहाँ कंचन बरस रहा है।
कठपुतली होना (दूसरों के इशारों पर चलना) – भारत को कोई भी देश अपने धन – वैभव के बल पर कठपुतली नहीं बना सकता।
कफ़न सिर पर बाँधना (मरने की परवाह न करना) – सैनिक सिर पर कफ़न बाँधकर युद्ध – भूमि में प्रवेश करते हैं।
कमर कसना (तैयार होना) – देश से भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए समाज – सेवकों ने कमर कस ली है।
कमर टूटना (सहायक न रहना, निराशा आना) – महँगाई ने निर्धन लोगों की कमर तोड़ दी है।
कलेजा थामकर रह जाना (दुःख को बेबसी से सहन कर लेना) – अपने बेटे की मृत्यु का समाचार सुनकर माँ कलेजा थाम कर रह गई।
कलेजा मुँह को आना (अत्यधिक दुःखी होना) – अपने इकलौते बेटे की मृत्यु का समाचार सुनकर उसका कलेजा मुँह को आ गया।
कागजी घोड़े दौड़ाना (केवल लिखा – पढ़ी करना) – देश की उन्नति के लिए सरकार को कागजी घोड़े दौड़ाने की अपेक्षा लोगों को ठोस कार्य करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
कान कतरना (कान काटना) (बहुत चालाक होना) – उसको छोटा मत समझो, वह बड़ों – बड़ों के कान कतरता (काटता) है।
कान का कच्चा (जो हर एक के कहने में आए) – हमारे अधिकारी वैसे तो सज्जन हैं, पर कान के कच्चे हैं।
कान खड़े होना (आश्चर्य से सुनने के लिए उत्सुक होना) – नेता के मंच पर आते ही उनका भाषण सुनने के लिए सब के कान खड़े हो गए।
कान खोलना (सावधान करना) – आचार्य जी ने सुरेश के दोष बतला कर सब विद्यार्थियों के कान खोल दिए।
कान पर ज तक न रेंगना (कछ असर न होना) – मैंने उसे बहत समझाया कि यह मार्ग उचित नहीं, पर उसके कान पर जॅ न रेंगी।
गोबर गणेश (सीधा – सादा होना) – हमारा नौकर तो गोबर गणेश है। उसे इतना भी पता नहीं चलता कि घर में कौन आया था।
घड़ियाँ गिनना (उत्सुकता से प्रतीक्षा करना) – अयोध्यावासी श्री रामचंद्र जी के आने की घड़ियाँ गिनते रहते थे।
घर में गंगा बहना (घर में अथवा सहज में ही योग्य मिल जाना) – आपके पिता जी तो हिंदी – संस्कृत के विद्वान हैं। अतः आपके घर में ही गंगा बहती है।
घाट – घाट का पानी पीना (अनुभवी होना) – राजेश को चकमा देना सरल काम नहीं है। उसने घाट – घाट का पानी पी रखा है।
घड़ों पानी पड़ना (अत्यंत लज्जित होना) – चोरी का पता लगते ही उस पर घड़ों पानी पड़ गया।
घात में रहना (किसी को हानि पहुँचाने की ताक में रहना) – शत्रु से बचकर रहना चाहिए। वह हमेशा घात में रहता है।
घाव पर नमक छिड़कना (दुःखी को और दुःखी करना) – महँगाई के इस युग में निर्धन कर्मचारियों के भत्ते बंद करना घाव पर नमक छिड़कना है।
घाव हरा होना (भूला हुआ दुख ताज़ा होना) – मृत बेटे की स्मृति ने माँ का घाव हरा कर दिया।
घास खोदना (व्यर्थ में समय नष्ट करना, तुच्छ काम करना) – परिणाम देखकर तो यही पता चलता है कि वह पढ़ने की अपेक्षा सारा वर्ष घास खोदता रहा।
घी के दीये जलाना (बहुत प्रसन्न होना) – अपनी विजय का समाचार सुनकर भारतवासियों ने घी के दीये जलाए।
घोड़े बेचकर सोना (निश्चित होकर सोना) – अरे भई, आज नौ बजे से परीक्षा प्रारंभ हो रही है और तुम घोड़े बेचकर सो रहे हो।
घोड़े पर सवार होना (शीघ्रता में होना) – तुम जब भी आते हो घोड़े पर सवार होते हो। कभी तो बैठ जाया करो।
चकमा देना (धोखा देना) – चोर पुलिस को चकमा देकर भाग गया।
चंपत होना (भाग जाना) – माली को अपनी तरफ आते देखकर सब लड़के चंपत हो गए।
चलती गाड़ी में रोड़ा अटकाना (होते हुए काम में रुकावट डालना) – संस्था का कार्य ठीक प्रकार से चल रहा था कि किसी ने प्रधान के चुनाव का प्रश्न उठाकर चलती गाड़ी में रोड़ा अटका दिया।
चाँद पर थूकना (बड़े व्यक्ति का अपमान करने का प्रयत्न करने पर स्वयं की हानि उठाना) – गांधी जी की निंदा करना चाँद पर थूकने के समान है।
चाँदी का जूता मारना (रिश्वत देना) – सरकारी कार्यालयों में काम करवाने का सबसे अच्छा उपाय चाँदी का जूता मारना है।
चाँदी होना (बहुत धन प्राप्त होना) – इन दिनों सीमेंट एवं लोहे के व्यापारियों की चाँदी है।
चादर देखकर पैर पसारना (अपनी योग्यता के अनुसार खर्च करना) – चादर देखकर पाँव पसारने वाले लोग कभी आर्थिक संकट का सामना नहीं करते।
चार चाँद लगाना (सुंदरता या मान बढ़ाना) – गीता ने दशम कक्षा की परीक्षा में पंजाब भर में प्रथम स्थान प्राप्त करके अपने विद्यालय को चार चाँद लगा दिए हैं।
चिकना घड़ा होना (जिस पर कुछ असर न हो) – विजय तो निर्लज्जता के कारण चिकना घड़ा बन गया है। उस पर किसी उपदेश का असर नहीं होता।
चिराग तले अँधेरा होना (गुण के साथ दोष, व्यवस्था करने वाले के पास ही उलटा काम होना) – दो चौकीदारों के होते हुए चोरी हो जाना चिराग तले अँधेरा
चूड़ियाँ पहनना (कायर बनना) – यदि तुम शत्रु का सामना नहीं कर सकते तो घर जाकर चूड़ियाँ पहन लो।
चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना (घबरा जाना) – जब सबने उसे पुलिस के हवाले करने का निर्णय किया तो उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।
चोली – दामन का साथ (गहरा संबंध) – नाटक और रंगमंच का चोली – दामन का साथ है।
छक्के छुड़ाना (बुरी तरह पराजित करना) – भारत – पाक युद्ध में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए।
छक्के छूटना (घबरा जाना, हारकर निराश हो जाना) – शिवाजी के आकस्मिक आक्रमण से औरंगजेब के छक्के छूट गए।
छठी का दूध याद आना (बहुत घबरा जाना) – भारतीय वायु – सेना के आक्रमण ने पाकिस्तानियों को छठी का दूध याद दिला दिया।
छाती पर मूंग दलना (सामने ही ढिठाई करना) – सारा दिन माँ की छाती पर मूंग दलने की अपेक्षा अच्छा है कि कुछ काम करें।
छाती पर साँप लोटना (ईर्ष्या से जलना) – विदेश में भारत का मान बढ़ते देखकर शत्रु – देश की छाती पर साँप लोटने लगा।
जलती आग में घी डालना (क्रोध अथवा झगड़े को बढ़ाना) – मानसिंह ने सम्राट अकबर से राणा प्रताप के विषय में झूठी बातें कह कर जलती आग में घी डालने का काम किया।
दूध का दूध पानी का पानी (पूरा – पूरा न्याय करना) – न्यायाधीश ने अपने निर्णय में दूध का दूध पानी का पानी कर दिया।
दूर की हाँकना (गप्प मारना) – हमारे चाचा जी ऐसी दूर की हाँकते हैं कि सब हैरान हो जाते हैं।
दुम दबाकर भागना (डरकर भाग जाना) – चोर पुलिस को देखते ही दुम दबाकर भाग गया।
दौड़ – धूप करना (बहुत परिश्रम करना) – बड़ी दौड़ – धूप करने के बाद उसे यह नौकरी मिली है।
दो नावों पर पैर रखना (दो पक्षों में होना) – दो नावों पर पैर रखने वाले लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
दूध की मक्खी (बेज्जत करना) – तुम चिंता क्यों करते हो। यदि यह हमारी महफिल में आया तो मैं उसे दूध की मक्खी की तरह निकाल दूंगा।
दो टूक बात करना (साफ़ – साफ़ बात करना) – अगर – मगर करने की अपेक्षा दो टूक बात करना अधिक अच्छा होता है।
धूप में बाल सफ़ेद न होना (अनुभवी होना) – देखो, मेरा कहना मान लो, मैंने धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए।
नमक – मिर्च लगाना (बात को बढ़ा कर कहना) – बात कुछ भी नहीं थी लेकिन मीनाक्षी ने नमक – मिर्च लगा कर बताई।
नाक काटना (मान नष्ट होना) – बेटे के कुकर्मों ने पिता की नाक कटवा दी।
नाक पर मक्खी न बैठने देना (अपने पर जरा – सा भी दोष न आने देना) – वे सारा काम सुचारु ढंग से करते हैं इसलिए अपनी नाक पर मक्खी नहीं बैठने देते।
नाक में दम करना (बहुत तंग करना) – छात्रों ने नए अध्यापक की नाक में दम कर रखा है।
नाम पर धब्बा लगना (बदनामी होना) – उसकी काली करतूत के कारण सारे परिवार के नाम पर धब्बा लग गया।
नाकों चने चबाना (बुरी तरह तंग करना) – शिवाजी ने अपने रण – कुशलता से औरंगजेब को नाकों चने चबवा दिए।
नानी याद आना (कष्ट का अनुभव होना) – पर्वत की चढ़ाई चढ़ते समय सबको नानी याद आ गई।
निन्यानवे के फेर में पड़ना (धन जमा करने की चिंता में रहना) – जो लोग निन्यानवे के फेर में पड़ जाते हैं, वे समाज – सेवा नहीं कर सकते।
नौ दो ग्यारह होना (भाग जाना) – चोर पुलिस को देखते ही नौ दो ग्यारह हो गया।
पगड़ी सँभालना (मान – मर्यादा की रक्षा के लिए तैयार हो जाना) – मनुष्य को हर कीमत पर अपनी पगड़ी सँभालनी चाहिए।
पैंतरा बदलना (विचार बदलना, स्थिर न रहना) – वह पैंतरा बदलना खूब जानता है। मेरे सामने कुछ कहता है आपके सामने कुछ।
पत्थर की लकीर होना (पक्की बात होना) – सरदार पटेल का कहना पत्थर की लकीर होता था।
पाँचों उंगलियाँ घी में होना (बहुत लाभ होना) – वस्तुओं के भाव चढ़ जाने से व्यापारियों की पाँचों उंगलियाँ घी में होती हैं।
पानी का बुलबुला होना (शीघ्र नष्ट हो जाने वाला) – मानव – जीवन पानी का बुलबुला है।
पाला पड़ना (वास्ता पड़ना) – पुलिस से किसी का पाला न पड़े।
पानी – पानी होना (बहुत लज्जित हो जाना) – अपना रहस्य प्रकट होते देखकर वह पानी – पानी हो गया।
पानी में आग लगाना (बहुत असंभव काम कर दिखाना) – उन महात्मा जी को क्रोध दिलाना पानी में आग लगाना है।
पापड़ बेलना (कई काम करना) – उसने बहुत पापड़ बेले हैं, पर उसे कहीं भी सफलता नहीं मिली।
पहाड़ टूट पड़ना (बहुत बड़ा संकट आना) – उस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा।
पीठ फेरना (विमुख होना) – उसकी बुरी आदतों से तंग आकर सबने उससे पीठ फेर ली है।
पेट में चूहे कूदना (बहुत भूख लगना) – सारा दिन कुछ न खाने के कारण मेरे पेट में चूहे कूद रहे हैं।
पेट में दाढ़ी होना (ऊपर से सीधा पर भीतर से चालाक होना) – उसे बच्चा मत समझो, उसके तो पेट में दाढ़ी है।
पेट काटना (कम खर्च कर ज़रूरत के लिए जोड़ना) – माँ – बाप पेट काटकर बच्चों को पढ़ाते हैं।
पौ बारह होना (भरपूर लाभ होना) – चाँदी के व्यापार में हमारे पौ बारह हो गए हैं।
फुलझड़ी छोड़ना (मज़ाक करना) – राकेश को फुलझड़ी छोड़ने की आदत है।
फूटी आँख न भाना (ज़रा – सा भी अच्छा न लगना) – दुष्ट एवं दुराचारी व्यक्ति मुझे फूटी आँख नहीं भाते।
फूंक – फूंक कर कदम रखना (बहुत सावधानी से काम करना) – फूंक – फूंक कर कदम रखने पर भी यहाँ बदनामी का खतरा बना रहता है।
बगुला भगत होना (ऊपर से अच्छा दिखाई देना पर हृदय से कपटी होना) – आज के युग में बगुला भगतों की कमी नहीं।
बगलें झाँकना (कुछ उत्तर न सूझने पर इधर – उधर देखना) – जब अध्यापक ने उससे प्रश्न पूछा तो वह बगलें झाँकने लगा।
बड़े घर की हवा खाना (जेल जाना) – यदि तुमने चोरी का धंधा न छोड़ा तो एक दिन बड़े घर की हवा खाओगे।
लहू के चूंट पीकर रह जाना (क्रोध को मन में दबा लेना) – द्रोपदी का अपने सामने अपमान होते देखकर पांडव लहू का चूंट पीकर रह गए।
लहू – पसीना एक करना (अत्यधिक परिश्रम करना) – मज़दूर लोग अपनी जीविका कमाने के लिए लहू – पसीना एक कर देते हैं।
लाल – पीला होना (गुस्से में आना) – अपने ऊपर झूठा आरोप लगते देखकर वह लाल – पीला हो गया।
में होना (अवसर अनुकूल होना) – चुनाव में लोहा गर्म देखकर जनता पार्टी ने चोट की और विजय प्राप्त की।
लोहा मानना (अधीनता स्वीकार करना, शक्ति मानना) – अकबर जैसा शक्तिशाली सम्राट भी राणा प्रताप का लोहा मानता था।
लोहा लेना (डटकर टक्कर लेना) – चुनाव में जनता पार्टी ने कांग्रेस से लोहा लिया और बहुमत से विजय प्राप्त की।
लकीर का फकीर होना (पुरानी परिपाटी पर चलना) – आधुनिक युग में भी कुछ लोग लकीर का फकीर बनकर रहते हैं।
लुटिया डुबोना (काम बिगाड़ देना) – उसके सामने रहस्य की बात प्रकट करके तुमने मेरी लुटिया डूबो दी।
लोहे के चने चबाना (बहुत कठिन काम करना) – एम० ए० की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करना लोहे के चने चबाना है।
विष उगलना (कड़वी तथा कठोर बात कहना) – दूसरों के लिए विष उगलना अच्छी आदत नहीं।
शेर के दाँत गिनना (साहस का काम करना) – भरत बचपन में ही शेर के दाँत गिनता था।
शैतान के कान कतरना (बहुत चालाक होना) – तुम उसे धोखा नहीं दे सकते, वह तो शैतान के कान कतरता है।
श्रीगणेश करना (कार्य आरंभ करना) – दीपावली के शुभ दिन उन्होंने अपनी नई मिल का श्रीगणेश किया।
सठिया जाना (बुद्धि ठीक न रहना, असंतुलित होना) – अब तो मुंशी जी सठिया गए हैं।
अतः उनसे सलाह लेना उचित नहीं। सात घाट का पानी पीना (बहुत अनुभवी तथा चालाक होना) – आप सब मिल कर भी कर्मचंद को धोखा नहीं दे सकते। उसने सात घाट का पानी पी रखा है।
सिर उठाना (विरोध में उठना) – डाकू शेरसिंह ने अपने साथियों को चेतावनी देते हुए कहा – यदि किसी ने सिर उठाया तो उसे कुचल दूंगा।
सिर धुनना (पछताना) – पहले मेहनत करते, अब असफल होने पर सिर धुनना व्यर्थ है।
सोने में सुगंध (गुण के साथ गुण मिलना) – नाटक में गीत – संगीत की योजना सोने में सुगंध के समान है।
सात – पाँच करना (चालाकी करना) – सीधी तरह बात करो। सात – पाँच करना ठीक नहीं।
स्वाहा करना (नष्ट कर देना) – नालायक बेटे ने पिता की सारी संपत्ति स्वाहा कर दी।
सूरज (सूर्य) को दीपक दिखाना (किसी महान व्यक्ति का परिचय देना) – महात्मा गांधी का परिचय देना सूरज को दीपक दिखाना है।
सिर पर सवार होना (बुरी तरह पीछे पड़ना) – नौकर अपना वेतन बढ़वाने के लिए अपने मालिक के सिर पर सवार रहता है।
हथियार डाल देना (पूरी तरह हार स्वीकार करना) – लाचार होकर पाक – सेना ने भारतीय सेना के आगे हथियार डाल दिए।
हवाई किले बनाना (झूठे मनोरथ करना) – परिश्रम के बिना हवाई किले बनाने से कोई व्यक्ति महान नहीं बन जाता।
हवा लगना (बुरा प्रभाव पड़ना) – लगता है उसे भी ज़माने की हवा लग गई है, जब देखो फ़ैशन की बात करता है।
हवा से बातें करना (बहुत तेज पड़ना) – शीघ्र ही हमारी कार हवा से बातें करने लगी।
हाथ धोकर पीछे पड़ना (बुरी तरह पीछे पड़ना) – बीमा कंपनी के एजेंट हाथ धोकर पीछे पड़ जाते हैं।
हाथ मलना (पछताना) – समय पर परिश्रम करने से सफलता मिलती है। बाद में हाथ मलना व्यर्थ है।
हाथ साफ़ करना (बहुत खाना, जैसे – तैसे धन प्राप्त करना, तलवार से काटना) – अच्छा पकवान देखकर रतन ने खूब हाथ साफ़ किया, महँगाई में व्यापारियों ने ग्राहकों पर हाथ साफ़ किए, भारतीय सैनिकों ने शत्रुओं पर खूब हाथ साफ़ किए।
हाथ उठाना (मारने को तैयार रहना) – जवान बेटे पर हाथ उठाने की बजाय उसे समझाना चाहिए।
हाथों के तोते उड़ जाना (बहुत व्याकुल तथा शोकग्रस्त होना) – पिता की मृत्यु का समाचार सुनकर उसके हाथों के तोते उड़ गए।
हक्का – पानी बंद करना (संबंध तोड़ लेना) – यदि तुम सीधे रास्ते पर न आए तो तुम्हारा हुक्का – पानी बंद कर दिया जाएगा।
हमीर हठ (दृढ़ निश्चयी, पक्का जिद्दी) – तुम उसे अपने पथ से विमुख नहीं कर सकते। उसकी हमीर हठ प्रसिद्ध है।
हाथ धो बैठना (किसी वस्तु से वंचित होना, गँवा बैठना) – जो लोग अपव्ययी होते हैं, शीघ्र ही धन से हाथ धो बैठते हैं।
हाथ – पैर मारना (कोशिश करना) – वह सफलता प्राप्त करने के लिए हाथ – पैर मार रहा है।
हाथ रंगना (खूब धन कमाना) – महँगाई में जमाखोर व्यापारी खूब हाथ रंगते हैं।
हाथ खींचना (सहायता बंद करना) – जहाँ तक हो सके निर्धनों की सहायता करो। उनसे हाथ खींचना अच्छी बात नहीं।
हाथ तंग होना (पैसे का अभाव होना) – अपनी बेटी की शादी धूमधाम से करने के बाद उनका हाथ कुछ तंग हो गया है।
हाथ – पाँव फूलना (डर से घबरा जाना) – पुलिस को अपने घर आया देखकर उसके हाथ-पाँव फूल गए।

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