JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

JAC Class 10 Hindi अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Textbook Questions and Answers

माखक –

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –

प्रश्न 1.
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे?
उत्तर :
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे धकेलकर उस ज़मीन पर बड़ी-बड़ी इमारतें और मकान बनाना चाहते थे। इसी कारण समुद्र धीरे-धीरे सिकुड़ते जा रहे थे।

प्रश्न 2.
लेखक का घर किस शहर में था?
उत्तर :
लेखक का घर पहले ग्वालियर में था। अब वह वर्सेवा (मुंबई) में रहता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

प्रश्न 3.
जीवन कैसे घरों में सिमटने लगा है?
उत्तर :
जीवन छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में सिमटने लगा है।

प्रश्न 4.
कबूतर परेशानी में इधर-उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?
उत्तर :
कबूतर का एक अंडा बिल्ली ने तोड़ दिया था और दूसरा लेखक की माँ के हाथ से गिरकर टूट गया था। दोनों अंडे टूट जाने के कारण ही कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
अरब में लशकर को नूह के नाम से क्यों याद करते हैं?
उत्तर :
नूह एक पैग़ंबर था, जिसका असली नाम लशकर था। सारी उम्र रोते रहने के कारण ही उसे नूह के नाम से याद किया जाता है। उन्होंने एक बार एक ज़ख़्म कुत्ते को दुत्कार दिया। कुत्ते ने उन्हें कहा कि वह ईश्वर की मर्ज़ी से कुत्ता बना है और वही सबका मालिक है। इसी बात को याद करके नूह सारा जीवन रोते रहे और अपनी गलती पर पछताते रहे।

प्रश्न 2.
लेखक की माँ किस समय पेड़ों के पत्ते तोड़ने से मना करती थीं और क्यों ?
उत्तर :
लेखक की माँ सूरज ढलने के बाद पेड़ों के पत्तों को तोड़ने से मना करती थीं। उनका विश्वास था कि संध्या के समय फूलों को तोड़ने से फूल-पत्तियाँ बदुदुआ देते हैं और पेड़ रोते हैं। वे पेड़ों की पत्तियों और फूलों में भी जीवन का होना मानती थीं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

प्रश्न 3.
प्रकृति में आए असंतुलन का क्या परिणाम हुआ ?
उत्तर :
प्रकृति में आए असंतुलन के भयंकर परिणाम सामने आए हैं। गर्मी में अधिक गर्मी पड़ना, असमय वर्षा होना, भूकंप, बाढ़ तथा तूफान आना, नए-नए रोगों का बढ़ना आदि प्रकृति में आए असंतुलन के ही परिणाम हैं।

प्रश्न 4.
लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा क्यों रखा ?
उत्तर :
लेखक की माँ ने कबूतर के अंडे को बिल्ली से बचाकर उसे दूसरे स्थान पर रखने की कोशिश की। इस बीच वह उनके हाथ से गिरकर टूट गया। इस पाप के पश्चाताप के लिए ही लेखक की माँ ने पूरे दिन का रोज़ा रखा।

प्रश्न 5.
लेखक ने ग्वालियर से बंबई तक किन बदलावों को महसूस किया ? पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक जब ग्वालियर में रहता था, तो वहाँ लोगों के मन में सभी प्राणियों के लिए दया के भाव थे; पशु-पक्षियों के प्रति भी करुणा दिखाई जाती थी। लेकिन मुंबई में सबकुछ बदला हुआ था। मुंबई में जंगलों और समुद्र को नष्ट करके बस्तियाँ बसाई जा रही थीं। इन जंगलों और समुद्र में रहने वाले जीव-जंतुओं के विषय में किसी को कोई चिंता नहीं थी।

प्रश्न 6.
‘डेरा डालने’ से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘डेरा डालने’ से तात्पर्य अल्पकालिक निवास है। जब कोई अपनी मंज़िल तक पहुँचने से पहले किसी जगह पर कुछ देर के लिए रुकता है, वो उसे ‘डेरा डालना’ कहते हैं; जैसे-‘आज रात यहीं डेरा डाल लो, सुबह फिर यात्रा शुरू करेंगे’।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

प्रश्न 7.
शेख अयाज्त के पिता अपने बाजू पर काला च्योंटा रेंगता देख भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए ?
उत्तर :
शेख अयाज़ के पिता भोजन करने से पूर्व कुएँ पर नहाने गए थे। जब वे भोजन करने बैठे, तो उन्होंने देखा कि उनकी बाजू पर एक काला च्योंटा रेंग रहा है। वह नहाते समय उनके बाजू पर चढ़ गया था। वे भोजन छोड़कर उस च्योंटे को उसके घर कुएँ में वापस छोड़ने के लिए ही उठ खड़े हुए थे।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए –

प्रश्न 1.
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ा ?
अथवा
‘अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि बढ़ती हुई आबादी का पशुपक्षियों और मनुष्यों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ रहा है? इसका समाधान क्या हो सकता है ? उत्तर लगभग 100 शब्दों में दीजिए।
उत्तर :
बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर काफ़ी बुरा प्रभाव पड़ा है। इसके कारण मनुष्य ने समुद्र को पीछे सरकाकर उसकी ज़मीन पर अपने रहने की जगह बना ली है। पेड़ों की निरंतर कटाई की जा रही है तथा लगातार प्रदूषण के फैलने से पशु-पक्षी बस्तियों से दूर हो गए हैं। पर्यावरण का पूरा संतुलन बिगड़ गया है। पर्यावरण के इसी असंतुलन के कारण अब अधिक गर्मी और असमय वर्षा होने लगी है। समय-समय पर आने वाले भूकंप, बाढ़ और तरह-तरह की बीमारियाँ भी इसी का परिणाम हैं। बढ़ती हुई आबादी से चारों ओर वातावरण प्रदूषित हो गया है, जिससे मनुष्य का साँस लेना भी कठिन होता जा रहा है।

प्रश्न 2.
लेखक की पत्नी को खिड़की में जाली क्यों लगवानी पड़ी?
उत्तर :
लेखक के फ्लैट में कबूतरों ने अपना घोंसला बना लिया था। उन कबूतरों के बच्चे छोटे थे, जिससे वे उन्हें भोजन देने के लिए दिन में आने-जाने लगे। वे कबूतर बार-बार आते-जाते कभी कोई चीज़ गिराकर तोड़ देते थे, तो कभी लेखक की लाइब्रेरी में घुसकर किताबें नीचे गिरा देते थे। लेखक की पत्नी कबूतरों की इस प्रकार की हरकतों से परेशान हो गई। उन कबूतरों को घर में आने-जाने से रोकने के लिए ही उसे खिड़की में जाली लगवानी पड़ी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

प्रश्न 3.
‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ में समुद्र के गुस्से का क्या कारण था? उसे अपना गुस्सा कैसे शांत किया?
उत्तर :
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को धीरे-धीरे पीछे धकेलकर उसकी जमीन पर इमारतें बनाते जा रहे थे। जब इन बिल्डरों ने समुद्र की सारी जगह पर अधिकार करना चाहा, तो समुद्र को गुस्सा आ गया। उसने अपना गुस्सा निकालने के लिए एक रात तीन समुद्री जहाज़ों को उठाकर तीन अलग-अलग दिशाओं में फेंक दिया। एक जहाज़ वर्ली के समुद्र के किनारे पर आकर गिरा, दूसरा बांद्रा के कार्टर रोड के सामने गिरा और तीसरा गेटवेऑफ़ इंडिया पर गिरकर बुरी तरह टूट गया। इस प्रकार समुद्र ने गुस्से को प्रकट करके बिल्डरों को चेतावनी दी थी।

प्रश्न 4.
‘मट्टी से मट्टी मिले,
खो के सभी निशान,
किसमें कितना कौन है,
कैसे हो पहचान’
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि संसार में सबकुछ नश्वर है। मनुष्य अपने आप पर व्यर्थ ही अभिमान करता है। अंततः नष्ट होकर वह मिट्टी में ही मिल जाता है। जीवन-भर बड़ी-बड़ी डींगें हाँकने वाले मनुष्य का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। मिट्टी में मिल जाने पर यह पहचानना कठिन हो जाता है कि यह किसकी मिट्टी है। लेखक के कहने का भाव यह है कि मनुष्य को अंत में मिट्टी में ही विलीन हो जाना है। अत: उसे कभी घमंड नहीं करना चाहिए।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न :
1. नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है। नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले मुंबई में देखने को मिला था।
2. जो जितना बड़ा होता है उसे उतना ही कम गुस्सा आता है।
3. इस बस्ती ने न जाने कितने परिंदों-चरिंदों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा सके हैं उन्होंने यहाँ-वहाँ डेरा डाल लिया है।
4. शेख अयाज़ के पिता बोले, ‘नहीं, यह बात नहीं है। मैंने एक घरवाले को बेघर कर दिया है। उस बेघर को कुएँ पर उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ।’ इन पंक्तियों में छिपी हुई उनकी भावना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
1. लेखक का आशय है कि नेचर अर्थात प्रकृति भी एक सीमा तक सबकुछ सहन करती है। जब मनुष्य प्रकृति से अधिक छेड़छाड़ करता है, तो वह उसे अवश्य दंडित करती है। जब प्रकृति को गुस्सा आता है, तो वह तबाही मचा देती है। कुछ साल पहले बंबई में भी प्रकृति के ऐसे ही गुस्से का एक उदाहरण देखने को मिला था। तब समुद्र ने तीन समुद्री जहाजों को मुंबई के तीन अलग अलग स्थानों पर फेंककर अपने गुस्से को व्यक्त किया था। प्रकृति का गुस्सा अत्यंत भयानक होता है। अतः मनुष्य को प्रकृति के साथ अधिक छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए।

2. लेखक का आशय है कि जो जितना अधिक महान होता है, वह उतना ही अधिक विनम्र एवं शांत होता है। वह दूसरों पर कम क्रोधित होता है। जो महान होता है, वह प्रायः शांत रहकर अपना बड़प्पन दिखाता है। किंतु यदि कोई उसे बार-बार परेशान करता है, तो उसका गुस्सा भी भयंकर होता है। तब वह बहुत आक्रामक हो जाता है।

3. लेखक का आशय है कि बढ़ती हुई आबादी के कारण मनुष्य ने अनेक बस्तियों को बसाना शुरू कर दिया है। बस्तियों के बसाने के लिए उसने जंगलों को काट डाला है, जिससे जंगलों में रहने वाले पशु-पक्षी बेघर हो गए हैं। बस्तियों ने इन पशु-पक्षियों से उनका घर छीन लिया है। इनमें से कुछ पशु-पक्षी लोगों के बसने के कारण शहर छोड़कर चले गए हैं। जो नहीं जा पाए, उन्होंने इधर-उधर अपने रहने की जगह बना ली है। ये पशु-पक्षी इन बस्तियों के आस-पास ही मँडराते रहते हैं।

4. इन पंक्तियों में शेख अयाज़ के पिता की प्राणीमात्र के प्रति करुणा की भावना व्यक्त हुई है। शेख अयाज़ के पिता शरीर पर चिपके च्योंटे को वापस उसके घर पहुँचा देते हैं। उन्हें इस बात का दुख था कि उन्होंने एक प्राणी को उसके घर से बेघर कर दिया है। उस बेघर हुए प्राणी के प्रति उनमें करुणा की भावना थी। इसी कारण वे भोजन छोड़कर पहले उस च्योंटे को कुएँ में छोड़ने के लिए चल देते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1.
उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित वाक्यों में कारक चिहुनों को पहचानकर रेखांकित कीजिए और उनके नाम रिक्त स्थानों में लिखिए; जैसे –
(क) माँ ने भोजन परोसा।
(ख) मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ।
(ग) मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया।
(घ) कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे।
(ङ) दरिया पर जाओ तो उसे सलाम किया करो।
उत्तर :
(क) माँ ने भोजन परोसा। – कतो कारक
(ख) मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ। – संप्रदान कारक
(ग) मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया। – अपादान कारक
(घ) कबूतर परेशानी में इधर-उधर फड़फड़ा रहे थे। – अधिकरण कारक
(ङ) दरिया पर जाओ तो उसे सलाम किया करो। – अधिकरण कारक

प्रश्न 2.
नीचे दिए गए शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए –
चींटी, घोड़ा, आवाज़, बिल, फ़ौज, रोटी, बिंदु, दीवार, टुकड़ा।
उत्तर :
चींटी – चींटियाँ
घोड़ा – घोड़े
आवाज़ – आवाजें
बिल – बिलों
फ़ौज – फ़ौजें
रोटी – रोटियाँ
बिंदु – बिंदुओं
दीवार – दीवारें
टुकड़ा – टुकड़े

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

प्रश्न 3.
ध्यान दीजिए नुक्ता लगाने से शब्द के अर्थ में परिवर्तन हो जाता है। पाठ में ‘दफा’ शब्द का प्रयोग हुआ है जिसका अर्थ होता है-बार (गणना संबंधी), कानून संबंधी। यदि इस शब्द में नुक्ता लगा दिया जाए तो शब्द बनेगा ‘दफा’ जिसका अर्थ होता है-दूर करना, हटाना। यहाँ नीचे कुछ नुक्तायुक्त और नुक्तारहित शब्द दिए जा रहे हैं उन्हें ध्यान से देखिए और अर्थगत अंतर को समझिए।
सजा – सज़ा
नाज – नाज़
जरा – ज़रा
तेज – तेज़
निम्नलिखित वाक्यों में उचित शब्द भरकर वाक्य पूरे कीजिए –
(क) आजकल ………. बहुत खराब है। (जमाना/ज़माना)
(ख) पूरे कमरे को ……………….. दो। (सजा/सज़ा)
(ग) ………. चीनी तो देना। (जरा/जरा)
(घ) माँ दही ……… भूल गई। (जमाना/जमाना)
(ङ) दोषी को ……………… दी गई। (सजा/सज़ा)
(च) महात्मा के चेहरे पर …………… था। (तेज/तेज़)
उत्तर :
(क) आजकल ज़माना बहुत खराब है।
(ख) पूरे कमरे को सजा दो।
(ग) ज़रा चीनी तो देना।
(घ) माँ दही जमाना भूल गई।
(ङ) दोषी को सज़ा दी गई।
(च) महात्मा के चेहरे पर तेज था।

योग्यता-विस्तार –

प्रश्न 1.
पशु-पक्षी एवं वन्य संरक्षण केंद्रों में जाकर पशु-पक्षियों की सेवा-सुश्रूषा के संबंध में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

परियोजना- कार्य –

प्रश्न 1.
अपने आसपास प्रतिवर्ष एक पौधा लगाइए और उसकी समुचित देखभाल कर पर्यावरण में आए असंतुलन को रोकने में अपना योगदान दीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

प्रश्न 2.
किसी ऐसी घटना का वर्णन कीजिए जब अपने मनोरंजन के लिए मानव द्वारा पशु-पक्षियों का उपयोग किया गया हो
उत्तर :
एक दिन मैं सरकस देखने गया। वहाँ मैंने देखा कि मानव द्वारा अनेक पशु-पक्षियों का उपयोग मनोरंजन के लिए हो रहा था। वहाँ शेर और रीछ के कई कारनामे दिखाकर तथा बंदरों को इधर-उधर उछालकर लोगों का मनोरंजन किया जा रहा था। सरकस में हाथी का उपयोग भी मनोरंजन के लिए हो रहा था। इसके अतिरिक्त चिड़ियाघर में भी तोते, मैना, चिड़िया, शेर, बतख, मगरमच्छ, हाथी और अन्य जीव-जंतुओं का उपयोग मनुष्य के मनोरंजन के लिए ही होता है।

JAC Class 10 Hindi अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Important Questions and Answers

निबंधात्मक प्रश्न –

प्रश्न 1.
बादशाह सुलेमान और चींटियों से जुड़ी घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
ईसा से 1025 वर्ष पूर्व सुलेमान नामक बादशाह हुए। वे मनुष्यों के साथ-साथ पशु-पक्षियों की भाषा भी जानते थे। एक बार वे अपनी सेना के साथ कहीं जा रहे थे। रास्ते में कुछ चींटियों ने उनके घोड़ों की आवाज़ सुनी, तो वे डर गईं। उन्होंने एक-दूसरे से जल्दी-जल्दी बिलों में घुसने की बात कही। बादशाह सुलेमान ने उनकी बात सुन ली। उन्होंने चींटियों से कहा कि उन्हें घबराने की ज़रूरत नहीं है। वे तो सबके साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करने वाले हैं। तब चींटियों ने उनके लिए ईश्वर से प्रार्थना की और बादशाह अपनी मंजिल की ओर चले गए।

प्रश्न 2.
शेख अयाज़ के पिता भोजन छोड़कर क्यों उठ खड़े हुए? इससे उनके व्यक्तित्व की किस विशेषता का पता चलता है ? अब कहाँ दूसरों के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर :
शेख अयाज़ के पिता कुएँ पर नहाने गए थे। वहीं से काला च्योंटा उनके शरीर पर चढ़ गया था। जब उन्होंने अपनी बाजू पर उसे रेंगते देखा, तो तुरंत उसे वापस उसके घर अर्थात कुएँ में छोड़ने का निर्णय लिया। इसलिए वे अपना भोजन वहीं छोड़कर उस च्योंटे को कुएँ में छोड़ने के लिए चल पड़े। इस घटना से पता चलता है कि उनके हृदय में अन्य जीवों के लिए असीमित दया थी।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

प्रश्न 3.
नूह सारा जीवन क्यों रोते रहे थे ?
उत्तर :
नूह का वास्तविक नाम लशकर था। एक बार उनके सामने से एक जख्मी कुत्ता गुज़रा। उन्होंने उसे दुत्कारते हुए कहा कि गंदे कुत्ते। मेरी नज़रों से दूर हो जाओ। उस जख्मी कुत्ते ने जवाब दिया कि तुम्हें इनसान और मुझे कुत्ता बनाने वाला ईश्वर एक है। अत: तुम्हें मुझसे इतनी घृणा नहीं करनी चाहिए। यह बात सुनकर नूह को अपनी भूल का अहसास हुआ। इसी भूल का पश्चाताप करने के लिए वे सारा जीवन रोते रहे। लेखक ने इस घटना का उल्लेख करते मानवता व दयालुता का उदाहरण देने के लिए किया है।

प्रश्न 4.
मानव ने अपनी बुद्धि के बल पर क्या किया है?
उत्तर :
मानव ने अपनी बुद्धि के बल पर संसार के अन्य प्राणियों के अधिकार छीने हैं। यद्यपि पशु, पक्षी, मानव, पर्वत, समुद्र आदि का इस धरती पर समान अधिकार है, लेकिन मानव ने सारी धरती पर केवल अपना अधिकार जमाना शुरू कर दिया है। पहले जहाँ पूरा संसार एक परिवार के समान रहता था, अब मानव-बुद्धि के कारण वह छोटे-छोटे टुकड़ों में बँट गया है। परिणामस्वरूप मिल-जुलकर रहने की भावना समाप्त होती जा रही है। वर्तमान समय में ऐसे अनेक परिवार देखने को मिल जाएँगे, जो अब संयुक्त न रहकर एकल में परिवर्तित हो गए हैं। यह भी मानव द्वारा बुद्धि प्रयोग का प्रत्यक्ष उदाहरण है।

प्रश्न 5.
बढ़ती हुई जनसंख्या का क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर :
जनसंख्या के बढ़ने से मनुष्य ने अपने रहने के लिए पर्वत, जंगल और समुद्र को नष्ट करना शुरू कर दिया है। जंगलों को निरंतर काटा जा रहा है। इससे जंगलों में रहने वाले जीव-जंतुओं पर गहरा प्रभाव पड़ा है। वे सभी बेघर होकर इधर-उधर भटकने लगे हैं। कई जीव-जंतुओं की प्रजातियाँ ही लुप्त होती जा रही हैं। जनसंख्या के बढ़ने से चारों ओर प्रदूषण फैल रहा है, जिससे पक्षी लोगों के निवास स्थानों से दूर होते जा रहे हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण ही प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। इसके फलस्वरूप जीवों की अनेक प्रजातियाँ दिन-प्रतिदिन विलुप्त हो रही हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
सुलेमान बादशाह एक सहृदयी एवं मानवतावादी मनुष्य थे। कैसे?
उत्तर :
सुलेमान बादशाह केवल मानव जाति के ही राजा नहीं थे, अपितु वे सभी छोटे-बड़े, पशु-पक्षियों के भी हाकिम थे। वे उनकी भाषा जानते थे। वे मानव ही नहीं बल्कि प्राणीमात्र के हितचिंतक थे। उनके हृदय में प्राणीमात्र के प्रति गहन संवेदनाएँ एवं प्रेम था। इस आधार पर कहा जा सकता है कि सुलेमान बादशाह एक सहृदयी एवं मानवतावादी मनुष्य थे।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

प्रश्न 2.
शेख अयाज़ कौन थे? उन्होंने आत्मकथा में किस घटना का चित्रण किया है?
उत्तर :
शेख अयाज़ सिंधी भाषा के महाकवि थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा में अपने पिताजी के जीवन की एक उदारतापूर्ण घटना का चित्रण किया है, जिसमें उनके पिता एक च्योंटे को उसके घर पहुँचाने के लिए खाना छोड़कर उठ गए थे।

प्रश्न 3.
नूह का परिचय दीजिए।
उत्तर :
बाइबिल और दूसरे पावन-ग्रंथों में नूह नामक एक पैगंबर का वर्णन मिलता है। उनका असली नाम लशकर था, लेकिन अरब ने उनको नूह के जकब से याद किया है।

प्रश्न 4.
नूह ने कुत्ते को क्यों दुत्कारा? कुत्ते ने उनको क्या जवाब दिया?
उत्तर :
नूह ने कुत्ते को इसलिए दुत्कारा था, क्योंकि वह घायल और जख्मी अवस्था में उनके सामने आ गया था। कुत्ते ने उनकी दुत्कार सुनकर जवाब दिया कि न मैं अपनी मर्जी से कुत्ता हूँ, न तुम अपनी पसंद से इनसान हो। बनाने वाला सबका तो वही एक है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

प्रश्न 5.
“सब की पूजा एक-सी, अलग-अलग है रीत।
मस्जिद जाए मौलवी, कोयल गाए गीत॥”
दोहे का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस दोहे का भाव यह है कि इस संसार में जितने भी प्राणी हैं, उन सभी का प्रभु की पूज़ा करने का ढंग एक समान है। बस उनकी पूजा करने के रीति-रिवाज अलग-अलग हैं। जैसे एक मौलवी मस्ज़िद जाकर नमाज़ अदा करता है, तो कोयल गीत गाकर प्रभु की पूजा करती है।

प्रश्न 6.
संपूर्ण संसार एक अनूठा परिवार है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
यह संसार प्रकृति की अनुपम देन है। प्रकृति ने संपूर्ण संसार को एक परिवार की तरह बनाया है। उसने किसी में कोई अंतर नहीं किया। संसार में असंख्य पशु, पक्षी, मानव, पर्वत, समुद्र आदि मौजूद हैं, किंतु इन सबकी संसार में बराबर की हिस्सेदारी है। प्रकृति के सम्मुख प्रत्येक प्राणी बराबर है, जो परस्पर परिवार के समान जुड़े हुए हैं। इस प्रकार संपूर्ण संसार एक अनूठा परिवार है।

प्रश्न 7.
“नदियाँ सींचे खेत को, तोता कुतरे आम।
सूरज ठेकेदार-सा, सबको बाँटे काम॥”
दोहे का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस दोहे का भाव यह है कि इस संसार में असंख्य प्राणी हैं। प्रकृति ने प्रत्येक प्राणी को उसकी क्षमता, शक्ति एवं बुद्धि के अनुसार अलग अलग कार्य बाँटे हैं। इसलिए यहाँ नदियों का कार्य खेतों का सिंचन करना है और तोते का कार्य आम खाना है। सूर्य एक ठेकेदार के समान है, जो सबमें कार्यों का बँटवारा करता है।

प्रश्न 8.
‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ के माध्यम से लेखक क्या संदेश देना चाहता है?
उत्तर :
‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले’ पाठ लेखक द्वारा लिखा गया एक प्रेरक लेख है। इसमें उन्होंने बताया है कि पहले मनुष्य में सभी जीवों के प्रति करुणा का भाव होता था; वह दूसरों के दुख को अपना समझता था, किंतु आज स्थिति बदल गई है। आज वह एक-दूसरे का विरोधी बन गया है। आज प्रकृति से खिलवाड़ कर रहा है। लेखक मानव को प्रकृति से खिलवाड़ न करने तथा मिलजुल कर रहने का संदेश देना चाह रहा है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

प्रश्न 9.
पाठ में लेखक ने अपनी माँ के बारे में क्या बताया है ?
उत्तर :
लेखक अपनी माँ के विषय में बताते हुए कहता है कि उसके हृदय में सभी प्राणियों के प्रति दया और करुणा की भावना थी। उसकी माँ प्रकृति के कण-कण में जीवन तथा उसके मंगल की कामना करती थी। उसकी माँ को पत्तियों, फूलों, दरिया, कबूतर, मुर्गे आदि में जीवन का अहसास होता था। वह इन सभी जीवों तथा प्रकृति के रूप को तंग न करने की भी बात करती थी।

प्रश्न 10.
कबूतर के अंडे को बचाते समय लेखक की माँ के साथ क्या घटना घटी?
उत्तर :
एक बार लेखक की माँ कबूतर के अंडे को बिल्ली से बचाने का प्रयास कर रही थी। उसके इसी प्रयास में कबूतर का अंडा उसके हाथ से छिटककर ज़मीन पर गिर गया और टूट गया। इससे माँ का हृदय अत्यंत दुख से भर गया।

प्रश्न 11.
अंडा टूट जाने पर लेखक की माँ ने उसका पश्चाताप कैसे किया?
उत्तर :
कबूतर का अंडा टूट जाने पर लेखक की माँ स्वयं को उसका दोषी मान रही थी। वह इस बात से इतनी दुखी थी कि उसने पूरा दिन कुछ भी नहीं खाया-पीया। उसे यह घटना पाप के समान लग रही थी। अतः अपनी भूल का पश्चाताप करने हेतु वह सारा दिन नमाज़ पढ़ती रही।

प्रश्न 12.
लेखक के घर में तोड़-फोड़ कौन करता था?
उत्तर :
लेखक के घर में तोड़-फोड़ कबूतर करते थे। कभी कबूतर उसके पुस्तकालय में आकर उत्पात मचाते थे, तो कभी घर के अन्दर अन्य चीजों को तोड़-फोड़ देते थे। उनके इस उत्पात से लेखक और उसका परिवार बहुत परेशान था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

प्रश्न 13.
आपकी माँ आपको किन कार्यों के लिए प्रेरित करता है?
उत्तर :
मेरी माँ बहुत अच्छी हैं। वे मुझे प्रतिदिन अच्छी-अच्छी बातें सिखाती हैं। वे कहती हैं कि हमें कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए। किसी जीव की हत्या नहीं करनी चाहिए। प्रकृति को साफ़ और स्वच्छ रखना चाहिए। पशु-पक्षियों का आदर-सम्मान करना चाहिए। एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।

प्रश्न 14.
लेखक के मन में हज़रत मुहम्मद के प्रति कैसे भाव थे?
उत्तर :
लेखक जन्म से ही धार्मिक स्वभाव का था। उसके मन में हज़रत मुहम्मद के प्रति अगाध श्रद्धा थी। उसकी माँ अक्सर उसे हज़रत मुहम्मद का हवाला देते हुए उपदेश दिया करती थी। लेखक माँ के उन उपदेशों को मान भी लेता था।

प्रश्न
कुत्ते को नूह गंदा जीव क्यों मानते थे?
उत्तर :
नूह का धर्म इस्लाम था। वे पूर्णतः धार्मिक विचारों वाले व्यक्ति थे। कुत्ते को इस्लाम में गंदा जीव कहा गया है। इस्लाम धर्म में आस्था नूह का पर होने के कारण वे कुत्ते को गंदा जीव मानते थे। इसलिए उन्होंने कुत्ते को दुत्कारा था।

प्रश्न 16.
समुद्र ने अपने गुस्से का परिचय किस प्रकार दिया?
उत्तर :
मानव द्वारा लगातार प्रकृति से खिलवाड़ करने से समुद्र बहुत दुखी था। उसने अपने दुख को रोष के रूप में प्रकट करते हुए तीन जहाजों को आकाश में उछाल दिया। तीनों जहाज़ तीन अलग-अलग दिशाओं में जा गिरे। पहला जहाज वी तट पर जाकर उलट गया; दूसरा जहाज़ कार्टर रोड बाँद्रा में उल्टा जा गिरा; तीसरा गेटवे ऑफ़ इंडिया पर जाकर गिरा, जहाँ वह बुरी तरह से टूट-फूट गया।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

प्रश्न 17.
पाठ के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि दूसरों के दुख से दुखी होने वाले लोग अब कम मिलते हैं।
उत्तर
दसरों के दख से दखी होने वाले लोग पहले बहत मिलते थे क्योंकि उनमें प्राणीमात्र के प्रति करुणा का भाव होता था. वे दसरों के दुख से दुखी हो जाते थे परन्तु आज लोग दूसरे के दुख को देखकर दुखी नहीं होते। मनुष्य ने धरती पर अधिकार करना शुरू कर दिया है, जिससे पशु, पक्षी, पर्वत, सागर आदि के प्रति भी उसके मन में करुणा नहीं है। जंगलों को काट कर बस्तियाँ बन रही हैं। पर्वतों को फाड़ा जा रहा है तथा सागर को पाट कर बिल्डिंगें बन रही हैं। स्वयं लेखक अपने घर में कबूतरों के बने घोंसले से परेशान होकर खिडकी में जाली लगाकर कबूतरों के घर में प्रवेश पर रोक लगा देता है। इससे स्पष्ट है कि अब दूसरों के दुख से दुखी होने वाले लोग कम मिलते हैं।

अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन – निदा फ़ाज़ली का जन्म 12 अक्तूबर सन 1938 को दिल्ली में हुआ, लेकिन इनका सारा बचपन ग्वालियर में बीता। निदा फ़ाज़ली उर्दू की साठोत्तरी पीढ़ी के महत्वपूर्ण कवि माने जाते हैं। इनकी शेरो-शायरी पाठक के दिलो-दिमाग में सरलता से घर कर लेती है। निदा फ़ाज़ली को समय-समय पर अनेक पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘खोया हुआ सा कुछ’ के लिए उन्हें 1999 के साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए चुना गया था। वर्तमान में निदा फ़ाज़ली फ़िल्म उद्योग से जुड़े हुए हैं।

रचनाएँ – निदा फ़ाज़ली की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं –
लफ़्जों का पुल (कविता संग्रह), खोया हुआ सा कुछ (शायरी संग्रह)
दीवारों के बीच (आत्मकथा का पहला भाग), दीवारों के पार (आत्मकथा का दूसरा भाग)
तमाशा मेरे आगे (फ़िल्मी दुनिया पर लिखे संस्मरणों का संग्रह)
निदा फ़ाज़ली को सामान्य बोलचाल की भाषा में प्रभावशाली काव्य रचना में महारत प्राप्त है। इनकी गद्य रचनाओं में भी शेर-ओ-शायरी को कुछ इस ढंग से पिरोया गया है कि वे थोड़े में ही बहुत कुछ कह जाते हैं। उनकी इस विशेषता ने उन्हें काफी लोकप्रिय बनाया है।

भाषा-शैली – निदा फ़ाज़ली की भाषा-शैली अत्यंत समृद्ध है। सरलता, सहजता, सरसता और प्रभावोत्पादकता इनकी भाषा-शैली की विशेषताएँ हैं। इनकी भाषा में रोचकता और प्रवाहमयता को भी सर्वत्र देखा जा सकता है। इन्होंने तत्सम व तद्भव शब्दों के साथ-साथ उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का सुंदर प्रयोग किया है। प्रस्तुत पाठ में इन्होंने बीच-बीच में जो दोहों और सूक्तियों का प्रयोग किया है, वह इनकी भाषा को चार चाँद लगा देता है। इनकी भाषा में कहीं-कहीं अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ है; जैसे – नेचर, बिल्डर, कार्टर रोड, गेटवे ऑफ़ इंडिया, फ्लैट, लाइब्रेरी आदि।

निदा फ़ाज़ली की शैली कहीं वर्णनात्मक है, तो कहीं आत्मकथात्मक है। कहीं-कहीं इन्होंने संवादात्मक शैली का भी प्रयोग किया है। इनकी शैली में अनेक ऐसे गुण हैं, जो उसे श्रेष्ठ सिद्ध करते हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

पाठ का सार :

प्रस्तुत पाठ ‘अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले निदा फ़ाज़ली द्वारा लिखी पुस्तक ‘तमाशा मेरे आगे’ में से लिया गया एक प्रेरक लेख है। इसमें उन्होंने बताया है कि पहले मनुष्य में सभी जीव-जंतुओं के प्रति करुणा का भाव होता था। वह दूसरों के दुख से दुखी होता था, किंतु आज मनुष्य के हृदय में दूसरे के दुख को देखकर भी दुख के भाव नहीं उमड़ते। मनुष्य धरती पर अपना अधिकार करता जा रहा है, जिससे अन्य प्राणी बेघर होते जा रहे हैं। लेखक के अनुसार पहले मनुष्य के हृदय में प्राणीमात्र के प्रति करुणा का भाव होता था।

ईसा से 1025 वर्ष पूर्व हुए बादशाह सुलेमान चींटी तक की रक्षा किया करते थे। वे स्वयं को किसी के लिए मुसीबत न मानकर सभी प्राणियों पर करुणा बरसाते थे। एक अन्य घटना का उल्लेख करते हुए लेखक कहता है कि सिंधी भाषा के महाकवि शेख अयाज की आत्मकथा में भी उनके पिता की सभी प्राणियों के प्रति करुणा की चलता है। वे लिखते हैं कि एक बार उनके पिता कुएँ से नहाकर लौटे, तो भोजन करते समय उन्होंने अपनी बाजू पर काले च्योंटे को रेंगते हुए देखा। वे तुरंत उस च्योंटे को उसके घर अर्थात् कुएँ में छोड़ने चल दिए। उन्हें इस बात का दुख था कि उन्होंने उसे बेघर कर दिया है।

प्राणियों के प्रति करुणा का एक अन्य उदाहरण नूह नाम के एक पैग़ंबर से जुड़ा हुआ है। एक बार उन्होंने एक ज़ख्मी कुत्ते को दुत्कार दिया था। कुत्ते ने जवाब दिया कि कोई अपनी मर्ज़ी से जानवर या इनसान नहीं बनता। सबको बनाने वाला खुदा है। तब नूह को अपनी गलती पर इतना पश्चाताप हुआ कि वे जीवन-भर एक कुत्ते को दुख पहुँचाने के दर्द से रोते रहे। लेखक कहता है कि सभी जीव-जंतुओं से प्रेम करने वाले और सबके प्रति करुणा का भाव रखने वाले ऐसे लोग अब नहीं हैं। अब तो मनुष्य ने सारी धरती पर अपना अधिकार करना शुरू कर दिया है। उसके हृदय में पशुओं, पक्षियों, पर्वतों, समंदरों के प्रति कोई करुणा का भाव नहीं है। मिल-जुलकर रहने की भावना भी उसमें धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है।

लेखक कहता है कि बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण मनुष्य ने समुद्र को पीछे सरकाना शुरू कर दिया है। बस्तियाँ बसाने के लिए उसने पेड़ों को भी काटना शुरू कर दिया है, जिससे प्रकृति में असंतुलन पैदा हो गया है। गर्मी में अधिक गर्मी पड़ना, भूकंप, बाढ़ और नए-नए रोगों का होना प्रकृति के इसी असंतुलन का परिणाम है। लेखक कहता है कि प्रकृति तंग आकर कई बार अपना गुस्सा भी प्रकट करती है। कुछ वर्ष पहले मुंबई में समुद्र ने तीन समुद्री जहाज़ों को अलग-अलग स्थानों पर फेंककर अपने गुस्से को व्यक्त भी किया था।

लेखक कहता है कि उसकी माँ के हृदय में भी सभी प्राणियों के प्रति दया और करुणा की भावना थी। उसकी माँ पेड़ों की पत्तियों, फूलों, दरिया, कबूतर और मुर्गे आदि में भी जीवन को महसूस करती थी और इन्हें तंग करने से मना करती थी। लेखक एक घटना का वर्णन करता है कि एक बार उसकी माँ ने कबूतर के अंडे को बिल्ली से बचाने की कोशिश की। इस कोशिश में वह अंडा उसके हाथ से गिरकर टूट गया। उसकी माँ इस बात से इतनी दुखी हुई कि उसने पूरा दिन कुछ भी नहीं खाया। उसे लगा कि उसके हाथ से पाप हो गया है और वह सारा दिन नमाज़ पढ़कर अपनी भूल पर पश्चाताप करती रही।

लेखक के अनुसार अब काफ़ी कुछ बदल गया है। मनुष्य लगातार बस्तियाँ बसाता जा रहा है, जिससे जंगलों को काटा जा रहा है। जंगलों के काटने से इसमें रहने वाले अनेक जीव-जंतु बेघर हो रहे हैं, लेकिन किसी को इसकी कोई चिंता नहीं है। लेखक कहता है कि उसके फ्लैट में भी कबूतरों ने जब घोंसला बनाया, तो वह परेशान हो उठा था। उसकी पत्नी ने कबूतरों के आने-जाने को रोकने के लिए खिड़की में जाली लगा दी थी। लेखक दुख प्रकट करता है कि अब जीव-जंतुओं के प्रति किसी के हृदय में करुणा का भाव नहीं है। सभी प्राणियों से प्रेम करने वाले और दूसरों के दुख में दुखी होने वाले लोग अब इस संसार में नहीं हैं।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 15 अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले

कठिन शब्दों के अर्थ :

बादशाह – राजा, हाकिम – राजा, मालिक, दफा – बार, रखवाला – रक्षा करने वाला, जिक्र – वर्णन, बेघर – घर से रहित, लश्कर (लशकर) – सेना, विशाल जनसमुदाय, लकब – पद सूचक नाम, जख्मी – घायल, मर्जी – इच्छा, मुद्दत – काफ़ी समय, प्रतीकात्मक – प्रतीकस्वरूप, एकांत – अकेलापन, दालान – बरामदा, सिमटना – सिकुड़ना, आबादी – जनसंख्या, बेवक्त – बिना समय के, असमय,

जलजले – भूकंप, लानी – ऐसे पर्यटक जो भ्रमण कर नए-नए स्थानों के विषय में जानना चाहते हैं, काबिल – योग्य, अजीज़ – प्रिय प्यारा, मज़ार – दरगाह, कब्र, गुंबद – मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे आदि के ऊपर बनी गोल छत, अज़ान – नमाज़ के समय की सूचना जो मस्जिद की छत या दूसरी ऊँची जगह पर खड़े होकर दी जाती है, डेरा – अस्थायी पड़ाव, गुनाह – पाप, खुदा – ईश्वर, परिंदे – पक्षी, खामोश – चुप।

JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 5 Pastoralists in the Modern World

JAC Board Class 9th Social Science Solutions History Chapter 5 Pastoralists in the Modern World

JAC Class 9th History Pastoralists in the Modern World InText Questions and Answers 

Activity (Page No. 101)

Question 1.
Read Sources A and B. Write briefly about what they tell you about the nature of the work undertaken by men and women in pastoral households.
Answer:
The nature of the work undertaken by men and women in pastoral households are as follows:

  1. The men graze the cattle, and frequently stay for weeks in the woods tending their herds.
  2. The women go to the markets every morning with baskets on their heads with little earthen pots filled with milk, butter-milk and ghee, each of these pots containing the proportion required for a day’s meal.

Question 2.
Why do you think pastoral groups often live on the edges of forests?
Answer:
I think pastoral groups often live on the edges of forests because :

  1. They cultivate a little ground by living in small villages near the skirt of woods.
  2. They graze their cattle in the forests.
  3. They gather and use many forest products and sell them in towns.

Activity (Page No. 104)

Question 1.
Write a comment on the closure of the forests to grazing from the standpoint of:
1. A forester
2. a pastoralist
Answer:
1. A Forester:
It is the duty of a forester that he must protect and take care of the forests. He must not allow the pastoralists to graze their cattle in the forests.

2. A Pastoralist:
All pastoralists depends on the forests. They rear cattle which need grass to graze. By restriction on their entry in the forests, not only the lives of their cattle will suffer, but their own livelihood will also be adversely affected.

Activity (Page No. 105)

Question 1.
Imagine you are living in 1890s. You belong to a community of nomadic pastoralists and craftsmen. You learn that the Government has declared your community a Criminal Tribe.
1. Describe briefly what you would have felt and done.
2. Write a petition to the local collector explaining why the Act is unjust and how it will affect your life.
Answer:
(1) It is very natural that I felt bad because it is absolutely wrong to declare any tribe as criminal just because it is a nomadic community. In this condition, I appeal to the government to rethink on its decision.

(2) To,
The Collector,
Jaisalmer
Subject: About the declaration of Raika community as a criminal tribe.
Sir,
With due respect, I want to attract your attention towards the above mentioned subject. Your government has declared our Raika community as criminal under the Criminal Tribes Act of 1871. This act is unjust for us because our community is declared criminal without any reason, just on the basis of our nomadic life. As this act has been enforced on us, therefore, our community is forced to live in a notified village. We are not allowed to move without a permit. The village police keep continuous watch on us. This makes us feel like as we are really criminals. Thus, this act has adversely affected our lives and seized our freedom completely.

Therefore, kindly request the government to abolish this Act.

A Petitioner
Jagpat Raika
Jaisalmer

Activity (Page No. 116)

Question 1.
Imagine that it is 1950 and you are a 60-year old Raika herder living in post-independence India. You are telling your grand-daughter about the changes which have taken place in your lifestyle after independence. What would you say?
Answer:
After independence, our life has changed significanthy since now there is not enough pasture for our animals to graze on, and, we are forced to reduce the number of cattle in our herds. We have to change our grazing ground also, as we are not allowed to go to Indus and graze our camels on the banks of the river because it is now a part of Pakistan.

The political boundary between India and Pakistan prevents us from going there. Now we have found an alternative grazing ground in Haryana. In recent years, our cattle go there and graze on agricultural fields after the harvests are cut. The animals also fertilise the soil with manure from their excreta. Your father did not like a herder’s life and decided to become a farmer.

I think you will lead a much better life then that what your father led. I hope you will be serious about your studies and do well in your life. Your father tries to give you all the facilities which he did not get. You must respect his sacrifice and try to achieve something in your life.

JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 5 Pastoralists in the Modern World

Question 2.
Imagine that you have been asked by a famous magazine to write an article about the life and customs of the Maasai in pre-colonial Africa. Write the Article, giving it an interesting title.
Answer:
Life of the Maasai The title Maasai derives from the word Maa. Maa-sai means “My People” (‘Maa’ means ‘My’ and sai mean ‘people’ in their language). Maasai society is divided in to two parts Elders and Warriors. The Maasais are traditionally nomadic and pastoral people who depend on milk and meat for subsistence.

Massais are the native people of eastern Africa. They raise cattle, camels, goats, sheep and donkeys and they sell milk, meat, animal skin and wool. Maasailand is stretched over a vast area from South Kenya to the Steppes of northern Tanzania. The elders belonging to the higher age group decide on the affairs of the community by meeting as a group and they also settle disputes.

The warriors are the younger group who are responsible for the protection of the tribe. They also organise cattle raids as and when required. Since cattle are their wealth, these raids assume importance as in this way they are able to assert their power over other pastoral groups. However, the warriors are subject to the authority of the elders.

Question 3.
Find out more about some of the pastoral communities marked in Fig-11 and 12
JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 5 Pastoralists in the Modern World 1

JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 5 Pastoralists in the Modern World 2
Answer:
Fig. 11. Pastoral Communities in India
1. Maldharis:
Maldharis are a tribal herdsman community in Gujarat of India. Originally nomads, they came to be known as Maldharis after settling in Junagarh district (mainly Gir Forest). The literal meaning of Maldhari is owner/keeper of animal stock. These semi-nomadic herders spend eight months of the year criss-crossing sparse pasturelands with their livestock including sheep, goats, cows, buffaloes and camels in a continual quest for fodder.

They are r stable as traditional dairy men of the region and they once supplied milk and cheese to the palaces of rajas. In different regions, the Maldharis belong to different castes. At present, they earn a living by obtaining milk from their cattle.

2. Monpas:
Monpas live in Arunachal Pradesh. They are also one of the 56 officially recognised ethnic groups in China. The Monpas are believed to be the only nomadic tribe in north-east India. They were totally dependent on animals like sheep, cows, yak, goats and horses and had no permanent settlement or attachment to a particular place. Almost all Monpas follow Tibetan Buddhism.

The traditional society of the Monpas was administered by a council which consists of six ministers, locally known as ‘Trukdri’. The Monpas practice shifting and permanent type of cultivation. Cattle, yak, cows, pigs, sheep and fowl are kept as domestic animals.

Fig. 12. Pastoral Communities in Africa
1. Zulu:
The Sulu, or also known as Amazulu are a Bantu ethnic group of southern Africa. The Sulus are the single-largest ethnic group in South Africa and were numbered about nine million in the late 20th century. The Zulu village is a great circle, made up of a spherical homestead, Umuzi, which is a cluster of beehive-shaped huts arranged around a cattle krall, isibaya. Main cultural dishes of the Zulus consist of cooked maize, mielies, phutu etc. Most Zulu people are Christians.

2. Bedouin:
The Bedouin or Bedu are a group of nomadic Arab people who have historically inhabited the desert regions in North Africa, The Arabian Peninsula, Iraq and the Levant. Livestock and herding, principally of goats, sheep and dromedary camels comprised the traditional livelihoods of Bedouins. These animals were used for meat, dairy products and wool.

Note: The students can search about more Indian and African pastoral communities mentioned in the map.

JAC Class 9th History Pastoralists in the Modern World Textbook Questions and Answers 

Question 1.
Explain why nomadic tribes need to move from one place to another. What are the advantages to the environment of this continuous movement?
Answer:
The nomadic tribes have mobile habitats. Each of them owns a herd of cattle. They have to look after the subsistence of their cattle. As sufficient water and pasture land cannot be available in any area throughout the year, they need to move from one place to another. As long as the pastures are available in an area, they remain there, afterwards they move to new areas.

Environmental advantages from continued movement of Nomadic tribes: Environment gains a lot from this continuous movement. This movement allows pastures to recover. This prevents their overuse. Animals are a source of natural manure on the lands they settle, which helps in maintaining the fertility of the soil.

JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 5 Pastoralists in the Modern World

Question 2.
Discuss why the colonial government in India brought in the following laws. In each case, explain how the law changed the lives of pastoralists:
1. Waste Land Rules
2. Forest Acts
3. Criminal Tribes Act
4. Grazing Tax

1. Waste Land Rules:
The colonial government wanted to transform all grazing lands into cultivated farms to earn land revenue. Therefore, Waste Land Rules were enacted in various parts of the country. In most areas, regions taken over were actually grazing tracts used by pastoralists. So, expansion of cultivation inevitably meant the decline of pastures. ‘

2. Forest Acts:
By the mid-nineteenth century, various Forest Acts were enacted to categorise the forests. Through these Acts, some forests which produced commie ally valuable timber like deodar or sal were declared ‘Reserved’. No pastoral ts were allowed to access these forests. Other forests were classified as ‘Protected’. In these, some customary grazing rights were granted to the pastoralists, but their movements were severely restricted.

Pastoralists were now prohibited from obtaining valuable and nutritious fodder for their cattle. Even in the forest areas, were they were allowed entry, their movements were regulated. They needed a permit for entry. The number of days they could spend in the forest was limited.

Pastoralists were not allowed to remain in an area for a long time, even if forage was available, the grass was succulent and undergrowth in the forest was ample. They had to move regularly because the Forest Department permits that had been issued to them now ruled their lives. If they overstayed, they were liable to fines.

3. Criminal Tribes Act:
The colonial government wanted to rule over a settled population. It was easy to collect taxes form settled people. Secondly, settled people were seen as peaceable and law-abiding. Therefore, they passed the Criminal Tribes Act in 1871. By this Act, many communities of craftsmen, traders and pastoralists were classified as Criminal Tribes.

They were stated to be criminal by nature and birth. Once this Act came into force, these communities were expected to live only in notified village settlements. They were not allowed to move without a permit. The village police kept a continuous watch on them. This restricted their grazing grounds. Their agricultural stock declined and their trade and crafts were adversely affected.

4. Grazing Tax:
The colonial government looked for every possible source of taxation to enhance its revenue income. So, various grazing taxes were imposed on the pastoralists. They had to pay tax on every animal they grazed on the pastures. The tax per head of cattle went up rapidly and the system of collection was made increasingly efficient.

In the decades between 1850s and 1880s, the right to collect the tax was auctioned out to private contractors. These contractors tried to extract as high a tax as they could to recover the money they had paid to the state and earn as much profit as they could within the year. By the 1880s, the government began collecting taxes directly from the pastoralists. Each of them was given a pass.

The number of cattle he had and the amount of tax he paid was entered on the pass. As the tax had to be paid in cash, so pastoralists started selling their animals. The heavy burden of taxes had an adverse impact on their economic condition. Now, most of the pastoralists started taking loans from the moneylenders and were thus caught in debt trap.

Question 3.
Give reasons to explain why the Maasai community lost their grazing lands.
Answer:
Under colonial rule, the Maasais have faced the continuous loss of their grazing lands. The reasons behind this were as follows :
1. European imperial powers divided Africa into different colonies. In 1885, Maasai- land was cut into half with an international boundary between British Kenya and German Tanganyika. Subsequently, the best grazing lands were gradually taken over for white settlement and the Maasais were pushed into a small area in South Kenya and North Tanzania. The Maasais lost about 60 per cent of their pre-colonial lands. They were confined to an arid zone with uncertain rainfall and poor pastures.

2. From the late nineteenth century, the British colonial government in East Africa also encouraged local, peasants to expand cultivation. As cultivation expanded, pasturelands were turned into cultivated fields.

3. Large areas of grazing land were also turned into game reserves like the Maasai Mara and Samburu National Park in Kenya and Serengeti Park in Tanzania. Pastoralists were not allowed to enter these reserves; they could neither hunt animals nor graze their herds in these areas.

JAC Class 9 Social Science Solutions History Chapter 5 Pastoralists in the Modern World

Question 4.
There are many similarities in the way in which the modern world forced changes in the lives of pastoral communities in India and East Africa. Write about any two examples of changes which were similar for Indian pastoralists and the Maasai herders.
Answer:
1. Both in India and Africa, the forests were reserved by the European rulers and the pastoralists were restricted to enter these forests. Mostly, these reserved forests were in the areas that had traditionally been grazing grounds for nomadic pastoralists in these two countries.

2. Both African and Indian Pastoralists were subjected to new taxes like the Grazing Tax. They had to secure special permits to graze their herds in certain areas. They were regarded with extreme suspicion by the colonial powers.

JAC Class 9 Social Science Solutions

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. सौर मण्डल में कितने ग्रह हैं?
(A) 6
(B) 7
(C) 8
(D) 9
उत्तर:
(C) 8

2. कौन-सा ग्रह भीतरी ग्रह है?
(A) पृथ्वी
(B) बृहस्पति
(C) शनि
(D) कुबेर।
उत्तर:
पृथ्वी।

3. कौन-सा ग्रह भीतरी ग्रह नहीं है?
(A) बुध
(B) शुक्र
(C) पृथ्वी
(D) शनि।
उत्तर:
शनि।

4. एमैनुल कांट किस देश का निवासी था?
(A) भारत
(B) फ्रांस
(C) इंग्लैण्ड
(D) जर्मनी।
उत्तर:
जर्मनी।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

5. लाप्लास ने नीहारिका सिद्धान्त कब प्रस्तुत किया?
(A) 1795
(B) 1796
(C) 1797
(D) 1798
उत्तर:
1796.

6. सूर्य से गैसीय पदार्थ किस बल द्वारा अलग हुए हैं?
(A) गुरुत्वाकर्षण
(B) घूर्णन
(C) कोणीय संवेग
(D) अपकेन्द्रीय बल।
उत्तर:
गुरुत्वाकर्षण।

7. किस गैस का संगलन हीलियम में हुआ?
(A) हाइड्रोजन
(B) नाइट्रोजन
(C) ऑक्सीजन
(D) आर्गन।
उत्तर:
हाइड्रोजन।

8. चन्द्रमा की उत्पत्ति कितने वर्ष पूर्व हुई?
(A) 2.44 अरब वर्ष
(B) 4.44 अरब वर्ष
(C) 3.44 अरब वर्ष
(D) 5.44 अरब वर्ष।
उत्तर:
4.44 अरब वर्ष।

9. नीहारिका सिद्धान्त किस विद्वान् ने प्रस्तुत किया?
(A) चेम्बरलेन
(B) लाप्लेस
(C) न्यूटन
(D) मोल्टन।
उत्तर:
लाप्लेस।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

10. लाप्लेस किस विषय का विद्वान् था?
(A) सामाजिक विज्ञान
(B) भौतिकी
(C) अर्थशास्त्र
(D) गणित।
उत्तर:
गणित।

11. जेम्स तथा जेफ़री ने कौन-सा सिद्धान्त प्रस्तुत किया?
(A) नीहारिका
(B) दैतारक सिद्धान्त
(C) एक तारक सिद्धान्त
(D) विस्थापन सिद्धान्त।
उत्तर:
दैतारक सिद्धान्त।

12. ऑटो शिमिड किस देश का वैज्ञानिक था?
(A) रूस
(B) जर्मनी
(C) फ्रांस
(D) इंग्लैंड।
उत्तर:
रूस।

13. सौर नीहारिका की प्रमुख गैस थी
(A) ऑक्सीजन
(B) नाइट्रोजन
(C) हाइड्रोजन
(D) ओज़ोन।
उत्तर:
हाइड्रोजन।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

14. पृथ्वी की उत्पत्ति सम्बन्धी सर्वमान्य सिद्धान्त है
(A) नीहारिका
(B) द्वैतारिक
(C) बिग बैंग
(D) ज्वारीय।
उत्तर:
बिग बैंग।

15. बिग बैंग सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया?
(A) लाप्लेस
(B) एडविन हब्बल
(C) मोल्टन
(D) न्यूटन।
उत्तर:
एडविन हब्बल।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सौर मण्डल में कितने ग्रह हैं?
उत्तर:
8.

प्रश्न 2.
आन्तरिक ग्रहों (तुच्छ ग्रहों) के नाम लिखो।
उत्तर:
बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल ग्रह ।

प्रश्न 3.
बाह्य ग्रहों ( श्रेष्ठ ग्रहों) के नाम लिखो।
उत्तर:
बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, कुबेर।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 4.
उस अद्वितीय ग्रह का नाम लिखो जहां जीवन मौजूद है।
उत्तर:
पृथ्वी।

प्रश्न 5.
किस दार्शनिक ने नीहारिका सिद्धान्त प्रस्तुत किया?
उत्तर:
जर्मनी के दार्शनिक एमैनुल कान्त।

प्रश्न 6.
किस वैज्ञानिक ने संघट्ट परिकल्पना प्रस्तुत की?
उत्तर:
जेम्स जीन्स तथा जेफ्रीज़ ने।

प्रश्न 7.
सूर्य से बाहर निकले जीह्वाकार पदार्थ का क्या आकार है?
उत्तर:
सिगार आकार।

प्रश्न 8.
1950 ई० में रूस के किस वैज्ञानिक ने नीहारिका परिकल्पना में संशोधन किया?
उत्तर:
ऑटो शिमिड ने।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 9.
जींस और जैफरी का कौन-सा सिद्धान्त है?
उत्तर:
द्वैतारक सिद्धान्त।

प्रश्न 10.
आधुनिक समय में सर्वमान्य सिद्धान्त कौन-सा है?
उत्तर:
बिग बैंग सिद्धान्त (विस्तृत ब्रह्माण्ड परि-कल्पना)

प्रश्न 11.
प्रकाश वर्ष में प्रकाश कितनी दूरी तय करता है?
उत्तर:
9.461 x 1012 कि० मी०।

प्रश्न 12.
तारों का निर्माण कब हुआ?
उत्तर:
लगभग 5 से 6 अरब वर्ष पहले।

प्रश्न 13.
The Big Splat से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
एक बड़े पिण्ड का पृथ्वी से टकराना जिससे चन्द्रमा की उत्पत्ति हुई।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 14.
चन्द्रमा की उत्पत्ति कब हुई?
उत्तर:
4.44 अरब वर्ष पूर्व।

प्रश्न 15.
पृथ्वी पर ऑक्सीजन का स्रोत क्या है?
उत्तर:
संश्लेषण क्रिया से महासागरों में ऑक्सीजन का बढ़ना।

प्रश्न 16.
लाप्लेस के अनुसार ग्रहों का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर:
ग्रहों का निर्माण धीमी गति से घूमते हुए पदार्थों के बादल से सूर्य की युवा अवस्था में हुआ।

प्रश्न 17.
द्वैतारक मत के दो समर्थक विद्वानों के नाम बताओ।
उत्तर:
सर जेम्स जीन्स, सर हैरोल्ड जैफ़री।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 18.
सौर नीहारिका परिकल्पना के समर्थक दो विद्वानों के नाम लिखो।
उत्तर;
ऑटो शिमिड, कार्ल वाइज़ास्कर।

प्रश्न 19.
सौर नीहारिका में मौजूद तीन गैसें बताओ।
उत्तर:

  1. हाइड्रोजन
  2. हीलियम
  3. धूलिकण।

प्रश्न 20.
ब्रह्माण्ड का विस्तार कैसे हो रहा है?
उत्तर:
ब्रह्माण्ड की आकाश गंगाओं के बीच की दूरी बढ़ने से विस्तार हो रहा है।

प्रश्न 21.
पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में प्रारम्भिक मत किस दार्शनिक ने दिया?
उत्तर:
एमैनुल कान्ट।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 22.
सूर्य के सबसे नज़दीक कौन-सा ग्रह है?
उत्तर:
बुध।

प्रश्न 23.
सौरमण्डल का सबसे बड़ा व सबसे छोटा कौन-सा ग्रह है?
उत्तर:
बृहस्पति सबसे बड़ा और बुध सबसे छोटा। प्रश्न 24. प्रकाश वर्ष किस इकाई का मापक है?
उत्तर:
खगोलीय दूरी।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
ग्रहाणु क्या है?
उत्तर:
सूर्य तथा गुज़रते तारे के टकराव के कारण गैसीय पदार्थ एक फ़िलेमैण्ट के रूप में पूर्व-स्थित सूर्य से निकल कर बाहर आ गया। यह जिह्वा आकार के पदार्थ छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखर गए। ये टुकड़े ठंडे पिंडों के रूप में उड़ते हुए सूर्य के चारों ओर कक्षाओं में घूमने लगे। इन्हें ग्रहाणु (Planetesimals) कहते हैं।

प्रश्न 2.
ऑटो शिमिड द्वारा संशोधित सिद्धान्त पर नोट लिखो।
उत्तर:
1950 ई० में रूस के ऑटो शिमिड (Otto Schmidt) व जर्मनी के कार्ल वाइज़ास्कर (Carl Weizascar) ने नीहारिका परिकल्पना (Nebular hypothesis) में कुछ संशोधन किया, जिसमें विवरण भिन्न था। उनके विचार से सूर्य एक सौर नीहारिका से घिरा हुआ था जो मुख्यतः हाइड्रोजन, हीलियम और धूलिकणों की बनी थी। इन कणों के घर्षण व टकराने (Collusion) से एक चपटी तश्तरी की आकृति के बादल का निर्माण हुआ और अभिवृद्धि (Accretion) प्रक्रम द्वारा ही ग्रहों का निर्माण हुआ।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 3.
तारों के निर्माण की प्रक्रिया का वर्णन करो।
उत्तर:
तारों का निर्माण-प्रारम्भिक ब्रह्मांड में ऊर्जा व पदार्थ का वितरण समान नहीं था। घनत्व में आरम्भिक भिन्नता से गुरुत्वाकर्षण बलों में भिन्नता आई, जिसके परिणामस्वरूप पदार्थ का एकत्रण हुआ। यही एकत्रण आकाशगंगाओं के विकास का आधार बना। एक आकाशगंगा असंख्य तारों का समूह है। आकाशगंगाओं का विस्तार इतना अधिक होता है कि उनकी दूरी हज़ारों प्रकाश वर्षों में (Light years) मापी जाती है। एक अकेली आकाशगंगा का व्यास 80 हज़ार से 1 लाख 50 हजार वर्ष के बीच हो सकता है।

एक आकाशगंगा के निर्माण की शुरुआत हाइड्रोजन गैस से बने विशाल बादल के संचयन से होती है जिसे नीहारिका (Nebula) कहा गया। क्रमश: इस बढ़ती हुई नीहारिक में गैस के झुण्ड विकसित हुए। ये झुण्ड बढ़ते-बढ़ते घने गैसीय पिण्ड बने, जिनसे तारों का निर्माण आरम्भ हुआ। ऐसा विश्वास किया जाता है कि तारों का निर्माण लगभग 5 से 6 अरब वर्षों पहले हुआ।

प्रश्न 4.
आन्तरिक तथा बाहरी ग्रहों की तुलना करो।
उत्तर:
इन 8 ग्रहों में बुध, शुक्र, पृथ्वी व मंगल भीतरी ग्रह (Inner planets) कहलाते हैं, क्योंकि ये सूर्य व छुद्रग्रहों की पट्टी के बीच स्थित हैं। अन्य चार ग्रह बाहरी ग्रह (Outer planets) कहलाते हैं जिनमें वृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण शामिल हैं। पहले चार ग्रह पार्थिव (Terrestrial) ग्रह भी कहे जाते हैं । इसका अर्थ है कि ये ग्रह पृथ्वी की भान्ति ही शैलों और धातुओं से बने हैं और अपेक्षाकृत अधिक घनत्व वाले ग्रह हैं।

अन्य चार ग्रह गैस से बने विशाल ग्रह या जोवियन (Jovian) ग्रह कहलाते हैं। जोवियन का अर्थ है बृहस्पति (Jupiter) की तरह। इनमें से अधिकतर पार्थिक ग्रहों से विशाल हैं और हाइड्रोजन व हीलियम से बना सम, वायुमण्डल है। सभी ग्रहों का निर्माण लगभग 4.6 अरब सालों पहले एक ही समय में हुआ।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 5.
ग्रहों का सूर्य से दूरी, घनत्व तथा अर्द्धव्यास की दृष्टि से तुलनात्मक वर्णन करो।
उत्तर:
ग्रह सूर्य से दूरी घनत्व अद्ध व्यास

ग्रह सूर्य से दूरी घनत्व अर्ध्ध व्यास उपग्रह
बुध 0.387 5.44 0.383 0
शुक्र 0.723 5.245 0.949 0
पृथ्वी 1.000 5.517 1.000 1
मंगल 1.524 3.945 0.533 2
बृहस्पति 5.203 1.33 11.19 69
शान 9.539 0.70 9.460 61
अरुण 19.182 1.17 4.11 27
वरुण 30.058 1.66 3.88 14

प्रश्न 6.
चन्द्रमा की उत्पत्ति सम्बन्धी मत प्रस्तुत करें।
उत्तर:
चन्द्रमा पृथ्वी का अकेला प्राकृतिक उपग्रह है। पृथ्वी की तरह चन्द्रमा की उत्पत्ति सम्बन्धी मत प्रस्तुत किए गए हैं।

1. सन् 1838 ई० में, सर जार्ज डार्विन (Sir George Darwin):
ने सुझाया कि प्रारम्भ में पृथ्वी व चन्द्रमा तेज़ी से घूमते एक ही पिण्ड थे। यह पूरा पिण्ड डंबल (बीच से पतला व किनारों से मोटा) की आकृति में परिवर्तित हुआ और अंततोगत्वा टूट गया। उनके अनुसार चन्द्रमा का निर्माण उसी पदार्थ से हुआ जहाँ आज प्रशांत महासागर एक गर्त के रूप में मौजूद है।

2. यद्यपि वर्तमान समय के वैज्ञानिक इनमें से किसी भी व्याख्या को स्वीकार नहीं करते। ऐसा विश्वास किया जाता है कि पृथ्वी के उपग्रह के रूप में चन्द्रमा की उत्पत्ति एक बड़े टकराव (Giant impact) का नतीजा है जिसे ‘द बिग स्पलैट’ (The big splat) कहा गया है। ऐसा मानना है कि पृथ्वी के बनने के कुछ समय बाद ही मंगल ग्रह के 1 से 3 गुणा बड़े आकार का पिण्ड पृथ्वी से टकराया। इस टकराव से पृथ्वी का एक हिस्सा टूटकर अंतरिक्ष में बिखर गया। टकराव से अलग हुआ यह पदार्थ फिर पृथ्वी के कक्ष में घूमने लगा और क्रमशः आज का चन्द्रमा बना। यह घटना या चन्द्रमा की उत्पत्ति लगभग 4.44 अरब वर्षों पहले हुई।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 7.
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति कैसे हुई?
उत्तर:
आधुनिक वैज्ञानिक जीवन की उत्पत्ति को एक तरह की रासायनिक प्रतिक्रिया बताते हैं, जिससे पहले जटिल जैव (कार्बनिक) अणु (Complex organic molecules) बने और उनका समूहन हुआ। यह समूहन ऐसा था जो अपने आपको दोहराता था। (पुनः बनने में सक्षम था) और निर्जीव पदार्थ को जीवित तत्त्व में परिवर्तित कर सका। हमारे ग्रह पर जीवन के चिह्न अलग-अलग समय की चट्टानों में पाए जाने वाले जीवाश्म के रूप में हैं।

300 करोड़ साल पुरानी भूगर्भिक शैलों में पाई जाने वाली सूक्ष्मदर्शी संरचना आज की शैवाल (Blue green algae) की संरचना से मिलती जुलती है। यह कल्पना की जा सकती है कि इससे पहले समय में साधारण संरचना वाली शैवाल रही होगी। यह माना जाता है कि जीवन का विकास लगभग 380 करोड़ वर्षों पहले आरम्भ हुआ। एक कोशीय जीवाणु से आज के मनुष्य तक जीवन के विकास का सार भूवैज्ञानिक काल मापक्रम से प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 8.
प्रकाश वर्ष से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रकाश वर्ष (Light Year) समय का नहीं वरन् दूरी का माप है। प्रकाश की गति 3 लाख कि०मी० प्रति सैकेंड है। विचारणीय है कि एक साल में प्रकाश जितनी दूरी तय करेगा, वह एक प्रकाश वर्ष होगा। यह 9.461×1012 कि०मी० के बराबर है। पृथ्वी व सूर्य की औसत दूरी 14 करोड़ 95 लाख, 98 हजार किलोमीटर है। प्रकाश वर्ष के सन्दर्भ में यह प्रकाश वर्ष का केवल 8.311 मिनट है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 9.
सौर मण्डल क्या है? इसकी रचना कब हुई?
उत्तर:
हमारे सौर मण्डल में आठ ग्रह हैं। जिस नीहारिका को सौर मण्डल का जनक माना जाता है उसके ध्वस्त होने व क्रोड के बनने की शुरुआत लगभग 5 से 5.6 अरब वर्षों पहले हुई व ग्रह लगभग 4.6 से 4.56 अरब वर्षों पहले बने। हमारे सौर मण्डल में सूर्य (तारा), आठ ग्रह, 63 उपग्रह, लाखों छोटे पिण्ड जैसे-क्षुद्र ग्रह (ग्रहों के टुकड़े) (Asterodis), धूमकेतु (Comets) एवं वृहत् मात्रा में धूलिकण व गैस हैं।

प्रश्न 10.
पार्थिव व जोवियन ग्रहों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
पार्थिव ग्रह

पार्थिव ग्रह जोवियन ग्रह
(1) पार्थिव ग्रह अपने जनक तारे के बहुत समीप बने हैं। (1) जोवियन ग्रहों की रचना अपने जनक तारे से अधिक दूरी पर हुई।
(2) सौर वायु पार्थिव ग्रहों से अधिक मात्रा में गैस व धूल कण उड़ा ले गई। (2) सौर वायु जोवियन ग्रहों से अधिक गैसों को हटा नहीं पाई।
(3) बृहस्पति, शनि, अरुण वरुण पार्थिव ग्रह हैं। (3) बृहस्पति एक जोवियन ग्रह हैं।

प्रश्न 11.
पृथ्वी की भू-पर्पटी का विकास क्रम बताइए।
उत्तर:
अनेक ग्रहाणुओं के एकत्र होने से ग्रह बने, पदार्थों के एकत्र होने से अत्यधिक उष्मा उत्पन्न हुई, उत्पन्न ताप से पदार्थ पिघलने लगे। भारी पदार्थ पृथ्वी के केन्द्र में चले गए, हल्के पदार्थ पृथ्वी की सतह पर ठण्डे व ठोस होने लगे। इस प्रकार भू-पर्पटी का निर्माण हुआ।

प्रश्न 12.
अन्तरिक्ष क्या है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
खुले ब्रह्मांड में करोड़ों आकाश गंगाएं (Galaxies) हैं। प्रत्येक आकाश गंगा तमें अरबों तारे हैं। इनसे मिलकर बने ब्रह्मांड को अंतरिक्ष कहते हैं। वास्तव में अंतरिक्ष इतना बड़ा है कि हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। अंतरिक्ष का न कोई आदि है और न ही कोई अन्त।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
जेम्स जींस तथा जेफ्रीज़ द्वारा प्रस्तुत संघट्ट परिकल्पना का वर्णन करो।
उत्तर:
संघट्ट परिकल्पना (Collision Hypothesis):
यह परिकल्पना द्वि-तारक (Dualistic) सिद्धान्त पर आधारित है। यह परिकल्पना इंग्लैंड के प्रसिद्ध विद्वान् सर जेम्स जींस तथा जेफ्रीज़ द्वारा 1926 में प्रस्तुत की गई। इस सिद्धान्त के अनुसार ग्रहों की उत्पत्ति द्वै-तारक (Bi-parental) है। इसे ज्वारीय परिकल्पना भी कहते हैं।

परिकल्पना की रूप-रेखा (Outlines of the Hypothesis):

  1. इस परिकल्पना के अनुसार आरम्भ में सूर्य एक गर्म गैसीय पदार्थ के रूप में अन्तरिक्ष में मौजूद था।
  2. इस सूर्य से कई गुणा बड़ा, एक और तारा सूर्य के निकट से गुज़रा। इस तारे के कारण सूर्य में ज्वार उत्पन्न हुए।
  3. गुजरते हुए तारे के गुरुत्वाकर्षण के कारण पूर्व स्थित सूर्य से गैसीय पदार्थ आकर्षित होकर खिंच गए। इस निकले हुए पदार्थ को फ़िलेमैण्ट कहा गया जो सिगार के आकार का था।
  4. यह फिलेमैण्ट कई छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट गया जिन्हें ग्रहाणु (Planetisimals) कहते हैं।
  5. आपसी टक्कर तथा गुरुत्वाकर्षण द्वारा ग्रहाणु के बड़े टुकड़ों ने छोटे टुकड़ों को अपने में मिला लिया और इस प्रकार ग्रहों की रचना हुई।

गुण-दोष (Merits and Demerits):
यह परिकल्पना सबसे अधिक मान्य है। ग्रहों का वर्तमान क्रम इस परिकल्पना का प्रमाण है। उपग्रहों का आकार तथा संख्या भी इस परिकल्पना के अनुसार हैं। छोटे ग्रहों के उपग्रह कम हैं। परन्तु यह सिद्धान्त मंगल ग्रह की स्थिति को समझाने में असमर्थ है। सूर्य का तापमान भी इतना अधिक है कि इससे ग्रहों की रचना सम्भव नहीं है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

प्रश्न 2.
पृथ्वी के भू-गर्भिक इतिहास को महाकल्पों में बांटिए और उनकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
उत्तर:
पृथ्वी का इतिहास (Life History of the Earth):
पृथ्वी सौर मण्डल का एक अंग है। इसकी उत्पत्ति सौर मण्डल के साथ-साथ ही हुई है। पृथ्वी की चट्टानें भी पृथ्वी इतिहास के पृष्ठ हैं। चट्टानों की पर्तों और उनमें जीवाश्मों (Fossils) के अध्ययन से पृथ्वी के भू-गर्भिक इतिहास का पता चलता है। पृथ्वी की आयु 3 अरब से 5 अरब वर्ष तक आंकी गई है; परन्तु पृथ्वी पर मानव का उदय 50,000 वर्ष पूर्व की घटना है। पृथ्वी की आयु के प्रथम 1/2 अरब वर्ष का अनुमान निराधार है। परन्तु अन्तिम 50 करोड़ वर्षों का अनुमान विभिन्न तथ्यों पर आधारित है। पृथ्वी के इतिहास को अध्ययन की सुविधा के लिए विभिन्न ईयोन (Eons), महाकल्पों (Era), कल्पों (Periods) और युगों (Epoch) में बांटा गया है।

1. आद्य महाकल्प (Pre-Cambrian Era):
यह पृथ्वी के इतिहास का सबसे प्राचीन महाकल्प है। इस महाकल्प की चट्टानें सबसे पुरानी हैं तथा पृथ्वी के भीतर बहुत गहराई में पाई जाती हैं। इस काल की मुख्य शैलें नीस (Geneiss) तथा ग्रेनाइट (Granite) हैं। इस काल में ज्वालामुखी क्रिया तथा भूकम्प बहुत आया करते थे। इस समय हरसिनीयन हलचलों के कारण गोंडवाना लैण्ड, अंगारा लैण्ड, लॉरेशिया तथा बाल्टिक भू-खण्डों का निर्माण हुआ।

2. पुराजीव महाकल्प (Palaeozoic or Primary Era):
यह मकाकल्प 150 करोड़ वर्ष पूर्व से 22 करोड़ वर्ष पूर्व तक रहा। इस महाकल्प में पृथ्वी पर वनस्पति और जीवों का विकास हुआ। इस महाकल्प में कैलिडोनियन हलचल हुई। इस महाकल्प को दो मुख्य भागों में बांटा जाता है
(क) प्राचीन पुराजीव महाकल्प।
(ख) नवीन पुराजीव महाकल्प।

(क) प्राचीन पुराजीव महाकल्प (Lower Palaeozoic Era): इस महाकल्प को तीनों कल्पों में बांटा जाता है

  1. कैम्ब्रियन कल्प (Cambrian Period):
    इस युग में भू-मण्डल पर समुद्रों की उत्पत्ति हुई। इस कल्प की शैलों में चूने का पत्थर, बलुआ पत्थर तथा शैल महत्त्वपूर्ण हैं। इस युग में बिना रीढ़ वाले जन्तुओं का जन्म हुआ।
  2. ओौंविसियन कल्प (Ordovician Period):
    इस कल्प में समुद्र का अधिक विस्तार हुआ। जीवों का और अधिक विकास हुआ। ज्वालामुखी तथा पर्वत निर्माणकारी हलचलें प्रारम्भ हुईं।
  3. सिल्यूरियन कल्प (Silurian Period):
    इस युग में समुद्रों में मछलियों का जन्म हुआ तथा लाल बालू का पत्थर बना। इस कल्प में कैलिडोनियन हलचल के कारण स्कॉटलैण्ड के पर्वत बने।

(ख) नवीन पुराजीव महाकल्प (Upper Paleozoic Era)

  1. डिवोनियन कल्प (Devonian Period): इस कल्प के मछलियों की वृद्धि हुई तथा वलन क्रिया का विस्तार हुआ।
  2. कार्बोनीफेरस कल्प (Carboniferous Period): इस युग में अधिक ऊष्णता के कारण दबी हुई वनस्पति कोयले में बदल गई। इसलिए इसे कोयला या कार्बन कल्प भी कहा जाता है।
  3. परमियन कल्प (Permian Period): इस युग में शुष्क जलवायु के कारण महासागरों का विस्तार कम होने लगा है। हरसीनियन भू-हलचलों के कारण अप्लेशियन पर्वतों का निर्माण हुआ।

3. मध्य महाजीव महाकल्प (Mesozoic Era):
यह प्राचीन तथा नवीन महाकल्पों का मध्य भाग है जिसे द्वितीय महाकल्प (Secondary Era) भी कहते हैं। यह वर्तमान से 7 करोड़ वर्ष पूर्व तक माना जाता है। इसे तीन कल्पों में बांटा जाता है

  1. ट्रियासिक’कल्प (Triassic Period): इस काल में महाद्वीपीय विस्थापन टेथीज़ महासागर बना तथा विभिन्न भू-खण्डों की रचना हुई।
  2. जुरैसिक कल्प (Triassic Period): इस कल्प में भारी तथा भयानक जीव-जन्तुओं का विस्तार हुआ।
  3. क्रिटेशस कल्प (Cretaceous Period): इस युग में स्तनपोषी जीवों की वृद्धि हुई। लावा प्रवाह से दक्कन के पठारों की रचना हुई।

4. नवजीव महाकल्प (Canozoic Era):
इस युग में आदि मानव का जन्म हुआ। कई पर्वत निर्माणकारी हलचलें हुईं जिससे नवीन मोड़दार पर्वतों का निर्माण हुआ।

  1. इयोसीन युग (Eocene Period): इस युग में भू-तल पर लावा प्रवाह हुआ तथा कई पठारों की रचना हुई। स्तनधारी पशुओं का विकास हुआ।
  2. औलिगोसीन युग (Oligocene Period): इस युग को एल्पाइन भू-हलचल का युग कहा जाता है जिसके कारण हिमालय तथा आल्पस पर्वतों का निर्माण हुआ।
  3. मायोसीन युग (Miocene Period): इस युग में ह्वेल मछली तथा बन्दर आदि का जन्म हुआ। यूरेशिया के मोड़दार पर्वत उत्पन्न हुए। (iv) प्लायोसीन युग (Pliocene Period)—इस युग में तलछट के जमाव से मैदानों का निर्माण हुआ।

5. क्वाटरनरी महाकल्प (Quarternary Era):
यह नवीनतम महाकल्प है। यह युग 10 लाख वर्ष पूर्व प्रारम्भ हुआ था। इसे दो भागों में बांटा जाता है
1. प्लीस्टोसीन युग (Pleistocene Period):
इस युग में उत्तरी अमेरिका, यूरोप आदि भागों पर हिम का आवरण छा गया। इसे ‘महान् हिम युग’ (Great Ice Age) कहते हैं। हिम आवरण के हटने से महान् झीलों, भू-आकार घाटियों तथा हिमोढ़ों की रचना हुई।

2. होलीसीन युग (Holocene Period):
यह अभिनव कल्प या सर्व नूतन युग में मनुष्य का विकास हुआ है। इस युग में पुनः ताप बढ़ने लगा। इस युग में हिम के हटने से कई स्थानों पर हिमोढ़ निक्षेप बने। इस युग में मानव सभ्यता के कई चरण पार करता हुआ अन्तरिक्ष में जा पहुंचा है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में 

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. “भूगोल वह विज्ञान है जिसमें पृथ्वी का मानव के घर के रूप में अध्ययन किया जाता है।” यह परिभाषा कौन-से भूगोलवेत्ता द्वारा प्रस्तुत की गई है?
(A) हार्टशोर्न
(B) डडले स्टैम्प
(C) काण्ट तथा रिटर
(D) वूल्डरिज तथा ईर।
उत्तर:
डडले स्टैम्प।

2. “भूगोल का उद्देश्य पृथ्वी का मानव के संसार के रूप में वैज्ञानिक वर्णन है।’ भूगोल की यह परिभाषा किस ने प्रस्तुत की?
(A) एफ० जे० मोंकहाउस
(B) हार्टशोर्न
(C) फेयरग्रीव
(D) विडाल डी ला ब्लाश।
उत्तर:
विडाल डी ला ब्लाश।

3. “प्रकृति मंच प्रदान करती है और मनुष्य पर निर्भर है कि वह इस पर कार्य करें।” ये शब्द किस भूगोलशास्त्री ने कहे थे?
(A) रिचथोफेन
(B) एडवर्ड एकरमैन
(C) विडाल डी ला ब्लाश
(D) हार्टशोर्न। उत्तर-विडाल डी ला ब्लाश।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

4. निम्नलिखित में से कौन-से अमेरिकन भूगोलशास्त्री थे?
(A) काण्ट तथा रिटर
(B) डडले स्टैम्प तथा एफ० जे० मोंकहाउस
(C) वूल्डरिज तथा ईस्ट
(D) हार्टशोर्न तथा एडवर्ड एकरमैन ।
उत्तर:
(D) हार्टशोर्न तथा एडवर्ड एकरमैन।

5. वातावरण में कौन-से दो तत्त्वों का समावेश होता है?
(A) प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक
(B) प्राकृतिक तथा भौतिक
(C) जैविक तथा प्राकृतिक
(D) भौतिक तथा जैविक।
उत्तर:
प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक।

6. स्थलमण्डल, जलमण्डल, वायुमण्डल और जैवमण्डल के पारस्परिक कार्यों का कौन-सा प्रतिफल है
(A) सामाजिक वातावरण
(B) प्राकृतिक वातावरण
(C) सांस्कृतिक वातावरण
(D) जैविक वातावरण।
उत्तर:
(B) प्राकृतिक वातावरण।

7. निम्नलिखित में से कौन-सा प्राकृतिक लक्षण नहीं है?
(A) पर्वत
(B) नदियां
(C) सड़कें
(D) मैदान।
उत्तर:
(C) सड़कें।

8. निम्नलिखित में से कौन-सा सांस्कृतिक लक्षण नहीं है?
(A) भवन
(B) सड़कें
(C) फ़सलें
(D) महाद्वीप।
उत्तर:
महाद्वीप।

9. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व संस्कृति में नहीं है?
(A) मूल्य
(B) विश्वास
(C) विचारधारा
(D) उद्योग।
उत्तर:
(D) उद्योग।

10. निम्नलिखित में से कौन-सा तत्त्व सभ्यता में नहीं है?
(A) गांव
(B) नगर
(C) पर्वत
(D) यातायात।
उत्तर:
(C) पर्वत।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

11. भूगोल शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया?
(A) विडाल डी ला ब्लाश
(B) एरेटा स्थिनीज़
(C) काण्ट
(D) हार्टशोर्न।
उत्तर:
(B) एरेटा स्थिनीज़

12. कौन-सा तत्त्व भौतिक भूगोल से सम्बन्धित नहीं है?
(A) जलवायु
(B) भौमिकी
(C) वनस्पति
(D) मानवीय क्रियाएं।
उत्तर:
(D) मानवीय क्रियाएं।

13. क्रमबद्ध भूगोल किसने प्रचलित किया?
(A) हम्बोलट
(B) रिटर
(C) स्टैम्प
(D) हार्टशोर्न।
उत्तर:
हम्बोलट।

14. मानचित्र बनाने की कला का ज्ञान किसने दिया?
(A) टॉलेमी
(B) रिटर
(C) काण्ट
(D) थेल्स।
उत्तर:
टॉलेमी।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

15. ब्रह्माण्ड को समझने का प्रयत्न किस विद्वान् ने सर्वप्रथम किया?
(A) काण्ट
(B) आर्यभट्ट
(C) थेल्स
(D) स्ट्रेबो।
उत्तर:
आर्यभट्ट।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
18वीं शताब्दी में जर्मनी के दो प्रसिद्ध भूगोल-वेत्ताओं के नाम लिखो।
उत्तर:
हम्बोलट तथा रिटर।

प्रश्न 2.
भूगोल के दो स्पष्ट क्षेत्र कौन-से हैं?
उत्तर:
भौतिक भूगोल तथा मानव भूगोल।

प्रश्न 3.
भौतिक भूगोल के दो उपक्षेत्र बताओ।
उत्तर:
भू-आकृतिक विज्ञान, जलवायु विज्ञान।

प्रश्न 4.
मानवीय भूगोल के दो उप-क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
आर्थिक भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल।

प्रश्न 5.
वायुमण्डल दशाओं का अध्ययन करने वाले दो विज्ञान बताओ।
उत्तर:
जलवायु विज्ञान, मौसम विज्ञान।

प्रश्न 6.
“मनुष्य के कार्य प्रकृति द्वारा निर्धारित होते हैं।” यह किस भूगोलवेत्ता का कथन है?
उत्तर:
रैत्सेल (Ratzel) का।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 7.
किन विषयों के अध्ययन ने भूगोल को गणितीय चरित्र दिया?
उत्तर:
सौरमण्डल, पृथ्वी का आकार, अक्षांश तथा देशान्तर।

प्रश्न 8.
अठारहवीं शताब्दी में विद्यालयों में भूगोल को लोकप्रियता क्यों मिली?
उत्तर:
भूगोल का विद्यालयों में एक लोकप्रिय विषय बनने का मुख्य कारण यह है कि इसके अध्ययन से पृथ्वी के निवासियों तथा स्थानों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। इससे प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक तथ्यों का ज्ञान होता है। इस अध्ययन से मनुष्य तथा पर्यावरण के सम्बन्धों का अनुमान होता है।

प्रश्न 9.
उस भूगोलवेत्ता का नाम बताइए जिन्होंने ‘भौतिक तथा मानव भूगोल के संश्लेषण का समर्थन किया था’।
उत्तर:
एच० जे० मैकिंडर (H.J. Mackinder)।

प्रश्न 10.
भूगोल में कौन-सा आधुनिकतम विकास हुआ है?
उत्तर:
भूगोल में सांख्यिकीय विश्लेषण का उपयोग निरन्तर बढ़ता जा रहा है।

प्रश्न 11.
प्राकृतिक भूदृश्य के मुख्य लक्ष्य बताओ।
उत्तर:
पर्वत, नदियां, वनस्पति आदि।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 12.
वातावरण को कौन-से दो मुख्य भागों में बांटा जाता है?
उत्तर:
प्राकृतिक, मानवीय।

प्रश्न 13.
भौतिक भूगोल के चार मुख्य उपक्षेत्र बताओ।
उत्तर:

  1. भू-आकृति विज्ञान
  2. जलवायु विज्ञान
  3. जल विज्ञान
  4. मृदा विज्ञान।

प्रश्न 14.
मानव भूगोल के चार मुख्य उपक्षेत्र बताओ।
उत्तर:

  1. सांस्कृतिक भूगोल
  2. आर्थिक भूगोल
  3. जनसंख्या भूगोल
  4. ऐतिहासिक भूगोल।

प्रश्न 15.
भूगोल किन तीन प्रमुख विषयों का अध्ययन है?
उत्तर:

  1. भौतिक वातावरण
  2. मानवीय क्रियाएं
  3. दोनों का अंतर्प्रक्रियात्मक सम्बन्ध।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 16.
भूगोल के दो दृष्टिकोण क्या हैं?
उत्तर:
प्राचीन दृष्टिकोण, आधुनिक दृष्टिकोण।

प्रश्न 17.
किन्हीं दो भारतीय वैज्ञानिकों के नाम बताइए जिन्होंने सबसे पहले पृथ्वी के आकार का वर्णन किया था?
उत्तर:
आर्यभट्ट, भास्कराचार्य।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
हमें भूगोल क्यों पढ़ना चाहिए?
उत्तर:
पृथ्वी मनुष्य का घर है। यहां हमारा जीवन अनेक रूपों से प्रभावित होता है। हम आसपास के संसाधनों पर निर्भर करते हैं। हम तकनीकों द्वारा प्राकृतिक संसाधन भूमि, मृदा, जल का उपयोग करते हुए अपना आहार प्राप्त करते हैं। हम मौसमी दशाओं के अनुसार अपना जीवन समायोजित करते हैं। इसलिए भूगोल का अध्ययन आवश्यक है।

प्रश्न 2.
भूगोल विषय में पृथ्वी के किन चार परिमण्डलों का अध्ययन होता है?
उत्तर:

  1. स्थलमण्डल
  2. जलमण्डल
  3. वायु मण्डल
  4. जैवमण्डल।

प्रश्न 3.
“भौतिक पर्यावरण एक मंच प्रदान करता है जिस पर मानव कार्य करे।” स्पष्ट करो।
उत्तर:
भूगोल पृथ्वी पर भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक लक्षणों के मध्य सम्बन्धों का अध्ययन है। अनेक तत्त्वों में समानता तथा कई तत्वों में असमानता पाई जाती है। भूगोल भौतिक वातावरण तथा मानव के अन्योन्यक्रिया का अध्ययन है। एक लेखक के अनुसार “भौतिक पर्यावरण एक मंच प्रस्तुत करता है जिस पर मानव समाज अपने सृजनात्मक क्रिया कलापों का ड्रामा अपने तकनीकी विकास से मंचित करता है।” भू-आकृतियां आधार प्रदान करती हैं जिस पर मानवीय क्रियाएं होती हैं। मैदानों पर कृषि, पठारों पर खनन, पशु पालन, पर्वतों से नदियां निकलती हैं। जलवायु मानव के घरों के प्रकार, वस्त्र, भोजन, वनस्पति को प्रभावित करता है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 4.
भूगोल बहु-आयामी पृथ्वी का अध्ययन किस प्रकार करता है?
उत्तर:
भूगोल यथार्थता का अध्ययन करता है। पृथ्वी भी यथार्थता की भान्ति बहु-आयामी है। इसलिए इस अध्ययन में अनेक प्राकृतिक विज्ञान जैसे-भौमिकी मृदा विज्ञान, समुद्र विज्ञान वनस्पति शास्त्र, जीवन विज्ञान, मौसम विज्ञान सहायक हैं। अन्य सामाजिक विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास, समाज शास्त्र, राजनीतिक विज्ञान, नृ-विज्ञान भी धरातल की यथार्थता का अध्ययन करते हैं। भूगोल सभी प्राकृतिक तथा सामाजिक विषयों से सूचनाधार प्राप्त करके संश्लेषण करता है।

प्रश्न 5.
भौतिक भूगोल किस प्रकार प्राकृतिक संसाधनों के मूल्यांकन में सहायक है?
उत्तर:
भौतिक भूगोल प्राकृतिक संसाधनों के मूल्यांकन एवं प्रबंधन से सम्बन्धित विषय के रूप में विकसित हो रहा है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु भौतिक पर्यावरण एवं मानव के मध्य सम्बन्धों को समझना आवश्यक है। भौतिक पर्यावरण संसाधन प्रदान करता है एवं मानव इन संसाधनों का उपयोग करते हुए अपना आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास सुनिश्चित करता है। तकनीकी की सहायता से संसाधनों के बढ़ते उपयोग ने विश्व में पारिस्थैतिक असन्तुलन उत्पन्न कर दिया है। अतएव सतत् विकास (Sustainable development) के लिए भौतिक वातावरण का ज्ञान नितान्त आवश्यक है जो भौतिक भूगोल के महत्त्व को रेखांकित करता है।

प्रश्न 6.
विश्व एक परस्पर निर्भर तन्त्र है। व्याख्या करो।
उत्तर:
विश्व के एक प्रदेश दूसरे प्रदेश से जुड़े हुए हैं तथा एक-दूसरे पर निर्भर हैं। वर्तमान विश्व को एक वैश्विक ग्राम (Global Village) की संज्ञा दी जा सकती है। परिवहन के तीव्र साधनों ने बढ़ती दूरियां कम की हैं। श्रव्य-दृश्य माध्यमों (Audio-visual media) एवं सूचना तकनीकी ने आंकड़ों को बहुत समृद्ध बना दिया है। प्राकृतिक विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान एक-दूसरे पर निर्भर हैं।

प्रश्न 7.
भूगोल की परिभाषा लिखो।
उत्तर:
भूगोल की परिभाषा (Definition of Geography)

भूगोल पृथ्वी का विज्ञान है (Geography is the science of the Earth)। भूगोल को अंग्रेज़ी भाषा में ‘ज्योग्राफी’ कहा जाता है। ज्योग्राफी शब्द यूनानी भाषा के जी (Ge) तथा ‘ग्राफो’ (Grapho) शब्दों से मिलकर बना है। (Geography = Ge + Grapho)। ‘जी’ (Ge) का अर्थ है पृथ्वी और ग्राफो (Grapho) शब्द का अर्थ है ‘वर्णन करना’। इस प्रकार ज्योग्राफी का अर्थ है-‘पृथ्वी का वर्णन करना’।

जिस प्रकार अर्थशास्त्र का मूल मंत्र मूल्य है, भूगर्भ विज्ञान चट्टानों का अध्ययन है, वनस्पति विज्ञान पेड़-पौधों से तथा इतिहास समय से सम्बन्धित है, भूगोल ‘स्थान’ से सम्बन्धित है। पृथ्वी मानव का निवास स्थान है। भूगोल एक प्रकार से ‘पृथ्वी-तल’ या ‘भूतल’ का अध्ययन है। भूगोल पृथ्वी को मानव का निवास स्थान मान कर इसका अध्ययन करता है। (Geography studies the Earth as home of man.)

प्रश्न 8.
भूगोल को ज्ञान का भण्डार क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
प्राचीन काल में भूगोल के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी के बारे में सामान्य ज्ञान प्राप्त करना ही था। यह ज्ञान यात्रियों, व्यापारियों, गवेषकों तथा विजेताओं की कथाओं पर आधारित था। कई विद्वानों ने पृथ्वी के आकार, अक्षांश तथा देशान्तर, सौर मण्डल आदि की जानकारी का समावेश भूगोल विषय के अन्तर्गत किया। पृथ्वी के बारे में जानकारी अधिकतर अन्य विषयों से प्राप्त हुई। इसलिए भूगोल को ज्ञान का भण्डार कहा जाता है।

प्रश्न 9.
भूगोल के अध्ययन में द्वैतवाद का महत्त्व बताओ।
उत्तर:
‘भूगोल का अध्ययन दो उपागमों के आधार पर किया जाता है

1. विषय वस्तुगत उपागम (Systematic Approach):
इस उपागम में एक तथ्य का पूरे विश्व स्तर पर अध्ययन किया जाता है। इसके पश्चात् क्षेत्रीय स्वरूप के वर्गीकृत प्रकारों की पहचान की जाती है। उदाहरणार्थ यदि कोई प्राकृतिक वनस्पति के अध्ययन में रुचि रखता है, तो सर्वप्रथम विश्व स्तर पर उसका अध्ययन किया जायेगा, फिर प्रकारात्मक वर्गीकरण, जैसे विषुवत् रेखीय सदाबहार वन, नरम लकड़ी वाले कोणधारी वन अथवा मानसूनी वन इत्यादि की पहचान, उनका विवेचन तथा सीमांकन करना होगा।

2. प्रादेशिक उपागम (Regional Approach):
प्रादेशिक उपागम में विश्व को विभिन्न पदानुक्रमिक स्तर के प्रदेशों में विभक्त किया जाता है और फिर एक विशेष प्रदेश में सभी भौगोलिक तथ्यों का अध्ययन किया जाता है। ये प्रदेश प्राकृतिक, राजनीतिक या निर्दिष्ट (नामित) प्रदेश हो सकते हैं। एक प्रदेश में तथ्यों का अध्ययन समग्रता से विविधता में एकता की खोज करते हुए किया जाता है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 10.
“भूगोल को समाकलन एवं संश्लेषण का विज्ञान कहा जाता है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भूगोल का विज्ञान की कई शाखाओं से निकट का सम्बन्ध है। विभिन्न शाखाओं के कई तत्त्वों का अध्ययन भूगोल में उपयोगी होता है। केवल उन्हीं घटकों का अध्ययन किया जाता है जो हमारे उद्देश्य के लिए प्रासंगिक हों। विभिन्न घटकों को आपस में संयुक्त रूप में अध्ययन करने की क्रिया को समाकलन कहते हैं। इन विभिन्न घटकों को संयुक्त (Composite) तथा संश्लिष्ट रूप (Synthetic form) में समझना अधिक उपयोगी तथा महत्त्वपूर्ण होता है।

भूगोल को समाकलन एवं संश्लेषण का विज्ञान (Science of Integration or Synthesis) कहा जाता है। विभिन्न शाखाओं के अंश भौगोलिक अध्ययन में सहायक होते हैं। यह घटक अलग-अलग पहचाने जाते हैं। इन घटकों को आपस में संयुक्त करने को ही समाकलन कहा जाता है। किसी भी प्रदेश के धरातल, कृषि, यातायात, जलवायु आदि के अलग-अलग मानचित्रों में सम्बन्ध स्थापित करने से कई उपयोगी परिणाम निकल पाते हैं।

प्रश्न 11.
“मानव प्रकृति का दास है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य तथा प्रकृति में घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रकृति के विभिन्न लक्षण जैसे भूमि की बनावट, जलवायु, मिट्टी, पदार्थ, जल तथा वनस्पति मनुष्य के रहन-सहन तथा आर्थिक, सामाजिक क्रियाओं पर प्रभाव डालते हैं। ‘प्रकृति मनुष्य के कार्य एवं जीवन को निश्चित या निर्धारित करती है।’ इस विचारधारा को नियतिवाद (Determinism) कहा जाता है।

जैसे रैत्सेल के अनुसार “मानव अपने वातावरण की उपज है।” (Man is the product of environment.) दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि मानव प्रकृति का दास है। मानव जीवन प्राकृतिक साधनों पर ही आधारित है। मानव वातावरण को एक सीमा तक ही बदल सकता है। उसे वातावरण के साथ समायोजन करना आवश्यक है। इस प्रकार मनुष्य तथा प्रकृति एक-दूसरे के सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं। इस प्रतिक्रिया द्वारा ही सम्पूर्ण जीवन प्रभावित होता है।

इस प्रकार मनुष्य तथा प्रकृति के सम्बन्धों को देखकर ‘प्रकृति में मनुष्य’ (Man in Nature) कहना ही उचित है। जैसे कि विख्यात भूगोलवेत्ता विडाल-डि-ला-ब्लाश (Vidal-de-la-Blach) ने कहा है’ ‘प्रकृति मानव को मंच प्रदान करती है और यह मनुष्य पर निर्भर है कि वह इस पर कार्य करें।’ (Nature provides the stage and it is for man to act on it.)

प्रश्न 12.
क्रमबद्ध भूगोल से क्या अभिप्राय है? इसकी उप-शाखाओं के नाम लिखो।
उत्तर:
भूगोल में भू-पृष्ठ का अध्ययन दो विधियों द्वारा किया जाता है:
(क) क्रमबद्ध भूगोल
(ख) क्षेत्रीय भूगोल।

क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography):
विशिष्ट प्राकृतिक अथवा सामाजिक घटनाओं से भू-पृष्ठ पर उत्पन्न होने वाले क्षेत्रीय प्रतिरूपों तथा संरचनाओं का अध्ययन क्रमबद्ध भूगोल कहलाता है। इस संदर्भ में किसी एक भौगोलिक कारक को चुन कर जैसे जलवायु, अध्ययन किया जाता है। भूगोल के उस कारक के क्षेत्रीय वितरण के कारण तथा प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। मुख्य उद्देश्य जलवायु तथा जलवायु के प्रकार होते हैं। कृषि का अध्ययन कृषि प्रदेशों द्वारा किया जाता है। इस प्रकार यह किसी एक घटक का विस्तृत अध्ययन होता है।

साधारणत: क्रमबद्ध भूगोल को चार प्रमुख शाखाओं में बांटा गया है:

  1. भू-आकृतिक भूगोल-परम्परा अनुसार इसे भौतिक भूगोल भी कहते हैं।
  2. मानव-भूगोल-इसे सांस्कृतिक भूगोल भी कहते हैं।
  3. जैव-भूगोल-इसमें पर्यावरण भूगोल शामिल है।
  4. भौगोलिक विधियां और तकनीकें-ये विधियां मानचित्र बनाने में प्रयोग की जाती हैं।

प्रश्न 13.
भौतिक भूगोल की विषय वस्तु का वर्णन करें।
उत्तर:
यहां भूगोल की इस शाखा के महत्त्व को बताना युक्ति संगत होगा। भौतिक भूगोल में भूमण्डल (भूआकृतियां, प्रवाह, उच्चावच), वायुमण्डल (इसकी बनावट, संरचना, तत्त्व एवं मौसम तथा जलवायु, तापक्रम, वायुदाब, वायु, वर्षा, जलवायु के प्रकार इत्यादि), जलमण्डल (समुद्र, सागर, झीलें तथा जल परिमण्डल से संबद्ध तत्त्व), जैव मण्डल (जीव के स्वरूप-मानव तथा वृहद् जीव एवं उनके पोषक प्रक्रम, जैसे-खाद्य श्रृंखला, पारिस्थैतिक प्राचल (Ecological parametres) एवं पारिस्थैतिक सन्तुलन का अध्ययन सम्मिलित होता है। मिट्टियां मृदा-निर्माण प्रक्रिया के माध्यम से निर्मित होती हैं तथा वे मूल चट्टान, जलवायु, जैविक प्रक्रिया एवं कालावधि पर निर्भर करती हैं। कालावधि मिट्टियों को परिपक्वता प्रदान करती है तथा मृदा पाश्विका (Profile) के विकास में सहायक होती है। मानव के लिए प्रत्येक तत्त्व महत्त्वपूर्ण है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 14.
भौतिक भूगोल के महत्त्व का वर्णन करो।
उत्तर:
भौतिक भूगोल का महत्त्व भौतिक भूगोल में उन सभी तत्त्वों को सम्मिलित किया गया है जो प्राकृतिक हैं-स्थलमण्डल, वायुमण्डल, जलमण्डल एवं जैवमण्डल। स्थलमण्डल में भू-आकृति शामिल है। वायुमण्डल का सम्बन्ध जलवायु से है। जलमण्डल जल लक्षणों का अध्ययन है और जैवमण्डल का सम्बन्ध सभी जीवन्त वस्तुओं जैसे पेड़-पौधे, पशुओं, सूक्ष्म जीवों और मनुष्यों के अध्ययन से है। मृदा, भौतिक भूगोल में अध्ययन किए जाने वाले इन चारों तत्त्वों या मण्डलों का उत्पाद है।

तुलनात्मक प्रश्न (Comparison Type Questions)

प्रश्न 1.
क्रमबद्ध भूगोल तथा प्रादेशिक भूगोल में अन्तर स्पष्ट करो। उत्तरप्रादेशिक भूगोल

प्रादेशिक भूगोल (Regional Geography) क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography)
(1) इस भूगोल में किसी प्रदेश के सभी भौगोलिक तत्त्वों का एक इकाई के रूप में अध्ययन होता है। (1) इस भूगोल में किसी प्रदेश के एक विशिष्ट भौगोलिक तत्व का अध्ययन होता है।
(2) यह अध्ययन समाकलित होता है। (2) यह अध्ययन एकाकी रूप में होता है।
(3) यह अध्ययन भौगोलिक इकाइयों पर आधारित होता है। (3) यह अध्ययन राजनीतिक इकाइयों पर आधारित होता है।
(4) यह किसी प्रदेश के भौतिक वातावरण तथा मानव के बीच सम्बन्ध प्रकट करता है। (4) यह अध्ययन खोज व तथ्यों को प्रस्तुत करता है।
(5) इस अध्ययन में प्रदेशों का सीमांकन सम्मिलित है, जिसे प्रादेशीकरण कहते हैं। (5) इस अध्ययन में एक घटक, जैसे जलवायु के आधार पर विभिन्न प्रकार तथा उप-प्रकार निश्चित किए जाते हैं।

प्रश्न 2.
प्राकृतिक वातावरण तथा समग्र वातावरण में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

प्राकृतिक वातावरण (Natural Environment) समग्र वातावरण (Total Environment)
(1) इस वातावरण की रचना प्राकृतिक तत्त्वों द्वारा होती है। (1) इस वातावरण की रचना प्राकृतिक तथा मानवीय तत्तों से मिलकर होती है।
(2) इसमें भूमि, वायु वनस्पति, जल, मिट्टी आदि तत्त्व शामिल हैं। (2) इसमें भौतिक, जैविक और सांस्कृतिक वातावरण सम्मिलित होते हैं।
(3) इसमें स्थलमण्डल, जलमण्डल तथा वायुमण्डल शामिल होते हैं। (3) इसमें जैव-मण्डल की भूमिका महत्तपूर्ण होती है।

प्रश्न 3.
भौतिक भूगोल तथा जैव भूगोल में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

भौतिक भूगोल (Physical Geography) जैव-भूगोल (Bio-Geography)
1. भौतिक भूगोल महाद्वीपों, पर्वतों, पठारों, मैदानों, नदी घाटियों और अन्य भू-लक्षणों का अध्ययन है। 1. जैव भूगोल में विभिन्न प्रकार के वनों तथा जीव जन्तुओं के वितरण का अध्ययन किया जाता है।
2. इसकी चार उप-शाखाएँ है-भू-आकृति विज्ञान, जलवायु विज्ञान, जल विज्ञान तथा मृदा भूगोल। 2. इसकी चार उप-शाखाएं हैं- वनस्पति भूगोल, प्राणी भूगोल, मानव पारिस्थितिकी तथा पर्यावरण भूगोल।

प्रश्न 4.
भूगोल में आगमन तथा निगमन पद्धतियों में अन्तर स्पष्ट करें।

आगमन पद्धति निगमन पद्धति
1. इसमें पाई जाने वाली समानताओं के आधार पर कोई सिद्धान्त अथवा नियम बनाये जाते हैं। 1. इसमें बनाये गये नियमों से निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
2. आगमन पद्धति तथ्यों से सिद्धान्त (From facts to theory) की विधि है। 2. यह पद्धति सामान्य से विशेष (General to Specific) के सिद्धांत की विधि है।
3. इसमें नियमों एवं परिणामों का अनुभव के आधार पर परीक्षण किया जाता है। 3. इस पद्धति में कुछ अनुभवों के आधार पर निष्कर्ष निकाले जाते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
भूगोल की विभिन्न शाखाओं के नाम बताओ।
उत्तर:
भूगोल की शाखाएँ-भूगोल अध्ययन का एक अंतशिक्षण (Interdisciplinary) विषय है। प्रत्येक विषय का अध्ययन कुछ उपागमों के अनुसार किया जाता है। इस दृष्टि से भूगोल के अध्ययन के दो प्रमुख उपागम हैं

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में  1

1. विषय वस्तुगत (क्रमबद्ध) एवं

2. प्रादेशिक। विषय वस्तुगत भूगोल का उपागम वही है जो सामान्य भूगोल का होता है।
यह उपागम एक जर्मन भूगोलवेत्ता, अलेक्जेंडर वॉन हम्बोल्ट (1769-1859) द्वारा प्रवर्तित किया गया, जबकि प्रादेशिक भूगोल का विकास हम्बोल्ट के समकालीन एक-दूसरे जर्मन भूगोलवेत्ता कार्ल रिटर (1779-1859) द्वारा किया गया है।

(अ) भौतिक भूगोल-किसी क्षेत्र के प्राकृतिक या भौतिक लक्षणों के अध्ययन को भौतिक भूगोल कहते हैं। यह लक्षण प्रकृति द्वारा निर्मित होते हैं, जैसे-पर्वत, नदियां, वनस्पति, मिट्टी आदि। यह लक्षण मनुष्य के क्रिया-कलापों को प्रभावित करते हैं। भौतिक भूगोल को चार शाखाओं में बांटा जाता है

1. भू-आकृति विज्ञान (Geomorphology):
इस शाखा में पृथ्वी की विभिन्न प्रकार की स्थलाकृतियों (landforms) का अध्ययन किया जाता है। भू-आकृति विज्ञान भूगोल के आधार का निर्माण करती है। स्थलाकृतियां भू-गर्भ विज्ञान, भूगोल तथा विज्ञान पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं।
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में  2

2. जलवायु विज्ञान (Climatology):
यह एक स्वतन्त्र शाखा है। इसमें पृथ्वी के चारों ओर फैले हुए वायुमण्डल की विभिन्न क्रियाओं को समझने का प्रयास किया जाता है। यह वायुमण्डल के तत्त्वों, जैसे-तापमान, वर्षा, पवनें, वायुदाब तथा नमी आदि का अध्ययन करता है।

3. जल विज्ञान (Hydrology):
इस विज्ञान द्वारा महासागरों, नदियों तथा हिम नदियों द्वारा होने वाली प्रक्रियाओं की जानकारी प्राप्त होती है। इस विज्ञान से जल चक्र तथा जल के विभिन्न रूपों, गतियों, तापमान तथा महासागरों के धरातल का ज्ञान होता है।

4. मृदा विज्ञान (Soil Geography):
यह भौतिक भूगोल की एक शाखा है जिसके द्वारा मिट्टी के प्रकार, विकास, वितरण तथा भूमि उपयोग की जानकारी प्राप्त होती है।

(ब) मानव भूगोल-किसी क्षेत्र के मानव निर्मित लक्षणों (Man made features):
के अध्ययन को मानवीय भूगोल कहते हैं। यह लक्षण मानवीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। जैसे कृषि, गांव, कारखाने, सड़कें, रेलें, पुल आदि। इन्हें सांस्कृतिक लक्षण (Cultural features) भी कहते हैं। मानवीय भूगोल प्राकृतिक लक्षणों का मानवीय जीवन पर प्रभाव का अध्ययन करता है। मानव भूगोल के निम्नलिखित उप-क्षेत्र हैं

1. सामाजिक/सांस्कृतिक भूगोल (Socia/Cultural Geography):
इसका सम्बन्ध मानव समूहों की संस्कृति से है। इसमें मनुष्य का घर, वस्त्र, भोजन, सुरक्षा, कुशलता, साधन, भाषा, धर्म आदि पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। कुछ भूगोलवेत्ता इस उप-क्षेत्र को सामाजिक भूगोल भी कहते हैं। इसमें समाज के योगदान से निर्मित सांस्कृतिक तत्त्वों का अध्ययन किया जाता है।

2. आर्थिक भूगोल (Economic Geography):
इस क्षेत्र के अन्तर्गत मानवीय क्रियाकलापों में विभिन्नता का अध्ययन किया जाता है तथा इन क्रियाओं द्वारा वस्तुओं के उत्पादन (Production), वितरण (Distribution) तथा विनिमय (Exchange) का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार प्राकृतिक साधनों के वितरण तथा उपयोग का अध्ययन किया जाता है। इसमें कृषि, उद्योग, पर्यटन, व्यापार, परिवहन, आधार ढांचे तथा सेवाओं का अध्ययन किया जाता है।

3. जनसंख्या भूगोल एवं अधिवास भूगोल (Population Geography):
इस क्षेत्र में मानवीय समूहों के विभिन्न रूपों तथा वितरण का अध्ययन किया जाता है। इस क्षेत्र के अन्तर्गत जनसंख्या का वितरण, निरपेक्ष संख्या, जन्म एवं मृत्यु दर, जनसंख्या वृद्धि, प्रवास, व्यावसायिक संरचना आदि विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। अधिवास भूगोल में ग्रामीण तथा नगरीय अधिवासों के वितरण का अध्ययन होता है।

4. ऐतिहासिक भूगोल (Historical Geography):
मानव भूगोल के इस क्षेत्र में किसी भी प्रदेश के विभिन्न समयों में विकास का अध्ययन किया जाता है। यह हमें किसी भी देश के वर्तमान को समझने में एक सूत्र प्रदान करता है। प्रत्येक प्रदेश में कुछ ऐतिहासिक परिवर्तन होते हैं। उन कालिक परिवर्तनों का अध्ययन भी ऐतिहासिक भूगोल से होता है।

5. राजनीतिक भूगोल (Political Geography):
इस क्षेत्र में राजनीतिक तथा प्रशासकीय निर्णयों का विश्लेषण किया जाता है। मानव समूहों से सम्बन्धित स्थानीय प्रशासन, प्रादेशिक नियोजन, देशों के आपसी सम्बन्ध, सीमा विवाद आदि इसके मुख्य विषय हैं। इसमें राजनीतिक घटनाओं, चुनावी हलकों का सीमांकन, चुनाव आदि का भी अध्ययन होता है। लोगों के राजनीतिक व्यवहार का भी अध्ययन किया जाता है।

(स) जीव भूगोल (Bio-Geography):
भौतिक भूगोल एवं मानव भूगोल के अंतरापृष्ठ के फलस्वरूप जीव भूगोल का अभ्युदय हुआ। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित शाखाएँ आती हैं

  1. जीव-भूगोल (Bio Geography): इसमें पशुओं एवं उनके निवास क्षेत्र के स्थानिक स्वरूप एवं भौगोलिक विशेषताओं का अध्ययन होता है।
  2. वनस्पति भूगोल (Geography of Vegatation): यह प्राकृतिक वनस्पति का उसके निवास क्षेत्र (Habitat) में स्थानिक प्रारूप का अध्ययन करता है।
  3. पारिस्थतिक विज्ञान (Ecological Science): इसमें प्रजातियों (Species) के निवास/स्थिति क्षेत्र का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है।
  4. पर्यावरण भूगोल (Environment Geography): सम्पूर्ण विश्व में पर्यावरणीय प्रतिबोधन के फलस्वरूप पर्यावरणीय समस्याओं, जैसे-भूमि-ह्रास, प्रदूषण, संरक्षण की चिन्ता आदि का अनुभव किया गया, जिसके अध्ययन हेतु इस शाखा का विकास हुआ।

(द) प्रादेशिक उपागम पर आधारित भूगोल की शाखाएँ

  1. वृहद्, मध्यम, लघुस्तरीय प्रादेशिक/क्षेत्रीय अध्ययन
  2. ग्रामीण/इलाका नियोजन तथा शहर एवं नगर नियोजन सहित प्रादेशिक नियोजन
  3. प्रादेशिक विकास
  4. प्रादेशिक विवेचना/विश्लेषण दो ऐसे पक्ष हैं जो सभी विषयों के लिए उभयनिष्ठ/सर्वनिष्ठ हैं। ये हैं
  • (क) दर्शन
    1. भौगोलिक चिन्तन
    2. भूमि एवं मानव अन्तर्प्रक्रिया/मानव पारिस्थितिकी
  • (ख) विधितन्त्र एवं तकनीक
    1. सामान्य एवं संगणक आधारित मानचित्रण
    2. परिमाणात्मक तकनीक/सांख्यिकी तकनीक
    3. क्षेत्र सर्वेक्षण विधियां
    4. भू-सूचना विज्ञान तकनीक (Geoinformatics) जैसे-दूर संवेदन तकनीक, भौगोलिक सूचना तन्त्र (G.I.S.), वैश्विक स्थितीय तन्त्र (G.P.S.)

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 1 भूगोल एक विषय के रूप में

प्रश्न 2.
“भूगोल के अनेक उप-विषय विज्ञान पर आधारित हैं।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
भूगोल का अन्य विषयों से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
मानवीय विकास भौतिक तत्त्वों के सदुपयोग पर आधारित है। इसलिए भूगोल भौतिक वातावरण तथा सामाजिक वातावरण के विभिन्न तत्त्वों का अध्ययन करता है। भूगोल काफ़ी हद तक प्राकृतिक विज्ञान तथा सामाजिक विज्ञान दोनों पर निर्भर है। कई उप-विषयों (Allied Sciences) में भूगोल अन्य विज्ञान शाखाओं के निकट है।
प्राकृतिक विज्ञान के अन्तर्गत भूगोल तथा अन्य विषयों का निम्नलिखित सम्बन्ध है

1. जीव-भू विस्तार विज्ञान (Chrological Science):
इस विज्ञान का मुख्य सम्बन्ध क्षेत्रीय अध्ययन (Study of an area) या प्रादेशिक अध्ययन से होता है। नक्षत्र विज्ञान (Astronomy) तथा भूगोल मिलकर जीव भू-विस्तार विज्ञान की रचना करते हैं। नक्षत्र विज्ञान में कई विषय, जैसे-सौरमण्डल, पृथ्वी का आकार, अक्षांश-देशान्तर भूगोल को एक विज्ञान का रूप देते हैं।

2. कालानुक्रमिक विज्ञान (Chronological Science):
इतिहास में समय का तत्त्व महत्त्वपूर्ण होता है। इतिहास, भूगोल के समय के साथ सम्बन्ध स्थापित करता है। इससे प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक मानवीय विकास को समझने में सहायता मिलती है। इस विज्ञान से भू-संघटनाओं का क्रमानुसार अध्ययन किया जाता है। जैसे-प्राचीन काल, मध्यकाल तथा वर्तमान में भारत के स्वरूप का विकास कैसे हुआ।

3. क्रमबद्ध विज्ञान (Systematic Science):
इसके द्वारा पृथ्वी की घटनाओं का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है। भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, वनस्पति विज्ञान तथा प्राणी विज्ञान किसी प्रदेश के मानव एवं वातावरण के सम्बन्धों को स्पष्ट रूप में समझने में सहायता करते हैं। यह अध्ययन वर्गीकरण (Classification System) के आधार पर किया जाता है।

4. अर्थशास्त्र से सम्बन्ध (Relation with Economics):
मनुष्य के आर्थिक कल्याण तथा प्रादेशिक विकास सम्बन्धी समस्याओं के अध्ययन के लिए भूगोल का सम्बन्ध अर्थशास्त्र से निकटतम तथा उपयोगी होता जा रहा है।

5. अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध (Relationship with other Sciences):
भूगोल के कई उप-विषय अन्य विज्ञानों के निकट हैं, जैसे-भू-आकृति विज्ञान का भूगर्भ विज्ञान से निकट का सम्बन्ध है। ऐतिहासिक भूगोल का इतिहास से सम्बन्ध है, आर्थिक भूगोल का अर्थशास्त्र से सम्बन्ध है, जैव भूगोल का प्राणी विज्ञान से गहरा सम्बन्ध है तथा राजनीतिक भूगोल का राजनीति विज्ञान से सम्बन्ध है।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Rachana अनुच्छेद लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Rachana अनुच्छेद लेखन

अनुच्छेद – लेखन से अभिप्राय है किसी विषय से संबद्ध अपने विचारों को प्रकट करना। इसमें कुशलता प्राप्त करने के लिए अभ्यास की आवश्यकता होती है।
अनुच्छेद लिखने के लिए निम्नलिखित बातों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए –
(i) सबसे पहले विषय को भली-भाँति समझ लेना चाहिए। कभी-कभी किसी सूक्ति, लोकोक्ति अथवा कहावत पर भी लिखने के लिए कहा जाता है। अतः शीर्षक में निहित भावों एवं विचारों को समझने की चेष्टा करनी चाहिए।
(ii) अनुच्छेद की भाषा शुद्ध तथा उपयुक्त शब्दों से युक्त होनी चाहिए।
(iii) इसकी शैली इतनी सारगर्भित होनी चाहिए कि कम-से-कम शब्दों में अधिक-से-अधिक भाव तथा विचार निहित हों।
(iv) इसके लेखन में केवल प्रतिपाद्य विषय पर ही ध्यान देना चाहिए। इधर-उधर की बातें नहीं लिखना चाहिए। अप्रासंगिक बातों का उल्लेख अनुच्छेद के गठन एवं सौंदर्य को नष्ट कर देता है।
(v) अनुच्छेद का प्रत्येक वाक्य दूसरे वाक्य से उचित रूप में संबद्ध होना चाहिए।
(vi) विषय के अनुरूप ही भाषा का प्रयोग होना चाहिए। विचार – प्रधान विषय में विचार एवं तर्क की तथा भावात्मक विषय में अनुभूति की प्रधानता होनी चाहिए।
(vii) भाव और भाषा की अभिव्यक्ति में स्पष्टता, मौलिकता और सरलता होनी चाहिए। अनुच्छेद अपने आप में पूर्ण होना चाहिए।

1. मेरी माँ की ममता

संकेत बिंदु – माँ का महत्त्व, माँ के कार्य, माँ की ममता और स्नेह, उपसंहार।

माँ का रिश्ता दुनिया के सब रिश्ते-नातों से ऊपर है, इस बात से कौन इनकार कर सकता है। माँ को हमारे शास्त्रों में भगवान माना गया है। जैसे भगवान हमारी रक्षा, हमारा पालन-पोषण और हमारी हर इच्छा को पूरा करते हैं वैसे ही माँ भी हमारी रक्षा, पालन-पोषण और स्वयं कष्ट सहकर हमारी सब इच्छाओं को पूरा करती है। इसलिए कहा गया है कि माँ के कदमों में स्वर्ग है। मुझे भी अपनी माँ दुनिया में सबसे प्यारी लगती हैं।

वे मेरी हर ज़रूरत का ध्यान रखती हैं। मैं भी अपनी माँ की सेवा करता हूँ। मेरी माँ घर में सबसे पहले उठती हैं। उठकर वे घर की सफ़ाई करने के बाद स्नान करती हैं और पूजा-पाठ से निवृत्त होकर हमें जगाती हैं। जब तक हम स्नानादि करते हैं, माँ हमारे लिए नाश्ता तैयार करने में लग जाती हैं। नाश्ता तैयार करके वे हमें स्कूल जाने के लिए कपड़े निकालकर देती है। जब हम स्कूल जाने के लिए तैयार हो जाते हैं तो वे हमें नाश्ता परोसती हैं। स्कूल जाते समय वे दोपहर के भोजन के लिए हमारे बस्तों में टिफिन रख देती हैं।

स्कूल में हम आधी छुट्टी के समय मिलकर भोजन करते हैं। कई बार हम अपना खाना एक-दूसरे से बाँट भी लेते हैं। मेरे सभी मित्र मेरी माँ के बनाए भोजन की बहुत तारीफ़ करते हैं। सचमुच मेरी माँ बहुत स्वादिष्ट भोजन बनाती हैं। मेरी माँ हमारे सहपाठियों को भी उतना ही प्यार करती हैं जितना हमसे। मेरे सहपाठी ही नहीं हमारे मुहल्ले के सभी बच्चे भी उनका आदर करते हैं। हम सब भाई-बहन अपनी माँ का कहना मानते हैं। छुट्टी के दिन हम घर की सफ़ाई में अपनी माँ का हाथ बँटाते हैं। मेरी माँ इतनी अच्छी है कि मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि उस जैसी माँ सब को मिले।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

2. प्रदर्शनी अवलोकन

संकेत बिंदु – भूमिका, प्रदर्शनी स्थल, प्रदर्शित वस्तुएँ, उपसंहार।

पिछले महीने मुझे दिल्ली में अपने किसी मित्र के पास जाने का अवसर प्राप्त हुआ। संयोग से उन दिनों दिल्ली के प्रगति मैदान में एक अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी चल रही थी। मैंने अपने मित्र के साथ इस प्रदर्शनी को देखने का निश्चय किया। लगभग दो बजे हम प्रगति मैदान पहुँचे। प्रदर्शनी के मुख्य द्वार पर हमें यह सूचना मिल गई कि इस प्रदर्शनी में लगभग तीस देश भाग ले रहे हैं। हमने देखा की सभी देशों ने अपने-अपने पंडाल बड़े कलात्मक ढंग से सजाए हुए हैं। उन पंडालों में उन देशों की निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का प्रदर्शन किया जा रहा था।

अनेक भारतीय कंपनियों ने भी अपने- अपने पंडाल सजाए हुए थे। प्रगति मैदान किसी दुल्हन की तरह सजाया गया था। प्रदर्शनी में सजावट और रोशनी का प्रबंध इतना शानदार था कि अनायास ही मन से वाह निकल पड़ती थी। प्रदर्शनी देखने आने वालों की काफ़ी भीड़ थी। हमने प्रदर्शनी के मुख्य द्वार से टिकट खरीद कर भीतर प्रवेश किया। सबसे पहले हम जापान के पंडाल में गए। जापान ने अपने पंडाल में कृषि, दूरसंचार, कंप्यूटर आदि से जुड़ी वस्तुओं का प्रदर्शन किया था। हमने वहाँ इक्कीसवीं सदी में टेलीफ़ोन एवं दूरसंचार सेवा कैसी होगी इसका एक छोटा-सा नमूना देखा। जापान ने ऐसे टेलीफ़ोन का निर्माण किया था जिसमें बातें करने वाले दोनों व्यक्ति एक-दूसरे की फोटो भी देख सकेंगे। वहीं हमने एक पॉकेट टेलीविज़न भी देखा, जो माचिस की डिबिया जितना था।

सारे पंडाल का चक्कर लगाकर हम बाहर आए। उसके बाद हमने दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के पंडाल देखे। उस प्रदर्शनी को देखकर हमें लगा कि अभी भारत को उन देशों का मुकाबला करने के लिए काफ़ी मेहनत करनी होगी। हमने वहाँ भारत में बनने वाले टेलीफ़ोन, कंप्यूटर आदि का पंडाल भी देखा। वहाँ यह जानकारी प्राप्त करके मन बहुत खुश हुआ कि भारत दूसरे बहुत-से देशों को ऐसा सामान निर्यात करता है। भारतीय उपकरण किसी भी हालत में विदेशों में बने सामान से कम नहीं थे। हमने प्रदर्शनी में ही बने रेस्टोरेंट में जल-पान किया और इक्कीसवीं सदी में दुनिया में होने वाली प्रगति का नक्शा आँखों में बसाए विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में होने वाली अत्याधुनिक जानकारी प्राप्त करके घर वापस आ गए।

3. नदी किनारे एक शाम

संकेत बिंदु – भूमिका, नदी पर जाना, नदी का दृश्य, प्राकृतिक सौंदर्य, उपसंहार।

गर्मियों की छुट्टियों के दिन थे। स्कूल जाने की चिंता नहीं थी और न ही होमवर्क की। एक दिन चार मित्र एकत्र हुए और सभी ने यह तय किया कि आज की शाम नदी किनारे सैर करके बिताई जाए। कुछ तो गर्मी से राहत मिलेगी और कुछ प्रकृति के सौंदर्य के दर्शन करके जी खुश होगा। एक ने कही दूजे ने मानी के अनुसार हम सब लगभग छह बजे के करीब एक स्थान पर एकत्र हुए और पैदल ही नदी की ओर चल पड़े। दिन अभी ढला नहीं था बस ढलने ही वाला था। ढलते सूर्य की लाल-लाल किरणें पश्चिम क्षितिज पर ऐसे लग रही थीं मानो प्रकृति रूपी युवती लाल-लाल वस्त्र पहने खड़ी हो। पक्षी अपने- अपने घोंसलों की ओर लौटने लगे थे।

खेतों में हरियाली छायी हुई थी। ज्यों ही हम नदी किनारे पहुँचे सूर्य की सुनहरी किरणें नदी के पानी पर पड़ती हुई बहुत भली प्रतीत हो रही थीं। ऐसे लगता था मानो नदी के जल में हज़ारों लाल कमल एक साथ खिल उठे हों। नदी तट पर लगे वृक्षों की पंक्ति देखकर ‘तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए’ कविता की पंक्ति याद हो आई। नदी तट के पास वाले जंगल से ग्वाले पशु चराकर लौट रहे थे। पशुओं के पैरों से उठने वाली धूलि एक मनोरम दृश्य उपस्थित कर रही थी। हम सभी मित्र बातें कम कर रहे थे, प्रकृति के रूप-रस का पान अधिक कर रहे थे। थोड़ी ही देर में सूर्य अस्ताचल की ओर जाता हुआ प्रतीत हुआ।

नदी का जो जल पहले लाल-लाल लगता था अब धीरे-धीरे नीला पड़ना शुरू हो गया था। उड़ते हुए बगुलों की सफ़ेद सफ़ेद पंक्तियाँ उस धूमिल वातावरण में और भी अधिक सफ़ेद लग रही थीं। नदी तट पर सैर करते-करते हम गाँव से काफ़ी दूर निकल आए थे। प्रकृति की सुंदरता निहारते – निहारते ऐसे खोए थे कि समय का ध्यान ही न रहा। हम सब गाँव की ओर लौट पड़े। नदी तट पर नृत्य करती हुई प्रकृति रूपी नदी की यह शोभा विचित्र थी। नदी किनारे सैर करते हुए बिताई यह शाम हम ज़िंदगी भर नहीं भूलेंगे।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

4. परीक्षा से पहले

संकेत बिंदु – भूमिका, परीक्षा की चिंता, परीक्षा की तैयारी, उपसंहार।

वैसे तो हर मनुष्य परीक्षा से घबराता है किंतु विद्यार्थी इससे विशेष रूप से घबराता है। परीक्षा में पास होना ज़रूरी है नहीं तो जीवन का एक बहुमूल्य वर्ष नष्ट हो जाएगा। अपने साथियों से बिछड़ जाएँगे। ऐसी चिंताएँ हर विद्यार्थी को रहती हैं। परीक्षा शुरू होने से पूर्व जब मैं परीक्षा भवन पहुँचा तो मेरा दिल धक-धक कर रहा था। परीक्षा शुरू होने से आधा घंटा पहले मैं वहाँ पहुँच गया था। मैं सोच रहा था कि सारी रात जागकर जो प्रश्न तैयार किए हैं यदि वे प्रश्न-पत्र में न आए तो मेरा क्या होगा ? इसी चिंता में मैं अपने सहपाठियों से खुलकर बात नहीं कर रहा था। परीक्षा भवन के बाहर का दृश्य बड़ा विचित्र था।

परीक्षा देने आए कुछ विद्यार्थी बिलकुल बेफ़िक्र लग रहे थे। वे आपस में ठहाके मार-मार कर बातें कर रहे थे। कुछ भी विद्यार्थी थे जो अभी तक किताबों या नोट्स से चिपके हुए थे। मैं अकेला ऐसा विद्यार्थी था जो अपने साथ घर से कोई किताब या सहायक पुस्तक नहीं लाया था क्योंकि मेरे पिता जी कहा करते हैं कि परीक्षा के दिन से पहले की रात को ज्यादा पढ़ना नहीं चाहिए। सारे साल का पढ़ा हुआ भूल जाता है। वे परीक्षा के दिन से पूर्व की रात को जल्दी सोने की भी सलाह देते हैं जिससे सवेरे उठकर विद्यार्थी तरो ताज़ा होकर परीक्षा देने जाए न कि थका- थका महसूस करे। परीक्षा भवन के बाहर लड़कों की अपेक्षा लड़कियाँ अधिक खुश नज़र आ रही थीं।

उनके खिले चेहरे देखकर ऐसा लगता था मानो परीक्षा के भूत का उन्हें कोई डर नहीं। उन्हें अपनी स्मरण शक्ति पर पूरा भरोसा था। थोड़ी ही देर में घंटी बजी। यह घंटी परीक्षा भवन में प्रवेश की घंटी थी। इसी घंटी को सुनकर सभी ने परीक्षा भवन की ओर जाना शुरू कर दिया। हँसते हुए चेहरों पर अब गंभीरता आ गई थी। परीक्षा भवन के बाहर अपना अनुक्रमांक और स्थान देखकर मैं परीक्षा भवन में प्रविष्ट हुआ और अपने स्थान पर जाकर बैठ गया। कुछ विद्यार्थी अब भी शरारतें कर रहे थे। मैं मौन हो धड़कते दिल से प्रश्न-पत्र बँटने की प्रतीक्षा करने लगा।

5. रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य

संकेत बिंदु – भूमिका, प्लेटफ़ॉर्म का दृश्य, गाड़ी का आना, लोगों की भगदड़, तरह-तरह की गतिविधियाँ, उपसंहार।

एक दिन संयोग से मुझे अपने बड़े भाई को लेने रेलवे स्टेशन जाना पड़ा। मैं प्लेटफार्म टिकट लेकर रेलवे स्टेशन के अंदर गया। पूछताछ खिड़की से पता लगा कि दिल्ली से आने वाली गाड़ी प्लेटफार्म नंबर चार पर आएगी। मैं रेलवे पुल पार करके प्लेटफार्म नंबर चार पर पहुँच गया। वहाँ यात्रियों की बड़ी संख्या थी। कुछ लोग अपने प्रियजनों को लेने के लिए आए थे तो कुछ अपने प्रियजनों को गाड़ी में सवार कराने के लिए आए हुए थे।

जाने वाले यात्री अपने-अपने सामान के पास खड़े थे। कुछ यात्रियों के पास कुली भी खड़े थे। मैं भी उन लोगों की तरह गाड़ी की प्रतीक्षा करने लगा। इसी दौरान मैंने अपनी नज़र रेलवे प्लेटफार्म पर दौड़ाई। मैंने देखा कि अनेक युवक और युवतियाँ आधुनिक पोशाक पहने इधर-उधर घूम रहे थे। कुछ यात्री टी-स्टाल पर खड़े चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे, परंतु उनकी नज़रें बार-बार उस तरफ़ उठ जाती थीं, जिधर से गाड़ी आने वाली थी। कुछ यात्री बड़े आराम से अपने सामान के पास खड़े थे, लगता था कि उन्हें गाड़ी आने पर जगह प्राप्त करने की कोई चिंता नहीं।

उन्होंने पहले से ही अपनी सीट आरक्षित करवा ली थी। कुछ फेरीवाले भी अपना माल बेचते हुए प्लेटफार्म पर घूम रहे थे। सभी लोगों की नज़रें उस तरफ थीं जिधर से गाड़ी ने आना था। तभी लगा जैसे गाड़ी आने वाली हो। प्लेटफार्म पर भगदड़ – सी मच गई। सभी यात्री अपना-अपना सामान उठाकर तैयार हो गए। कुलियों ने सामान अपने सिरों पर रख लिया। सारा वातावरण उत्तेजना से भर गया। देखते-ही-देखते गाड़ी प्लेटफार्म पर आ पहुँची। कुछ युवकों ने तो गाड़ी के रुकने की भी प्रतीक्षा न की।

वे गाड़ी के साथ दौड़ते-दौड़ते गाड़ी में सवार हो गए। गाड़ी रुकी तो गाड़ी में सवार होने के लिए धक्का-मुक्की शुरू हो गई। हर कोई पहले गाड़ी में सवार हो जाना चाहता था। उन्हें दूसरों की नहीं केवल अपनी चिंता थी। मेरे भाई मेरे सामने वाले डिब्बे में थे। उनके गाड़ी से नीचे उतरते ही मैंने उनके चरण-स्पर्श किए और उनका सामान उठाकर स्टेशन से बाहर की ओर चल पड़ा। चलते-चलते मैंने देखा जो लोग अपने प्रियजनों को गाड़ी में सवार कराकर लौट रहे थे, उनके चेहरे उदास थे और मेरी तरह जिनके प्रियजन गाड़ी से उतरे थे, उनके चेहरों पर खुशी थी।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

6. सूर्योदय का दृश्य

संकेत बिंदु – भूमिका, सूर्योदय, प्रकृति में परिवर्तन, घर – मंदिर की हलचल, प्राकृतिक सौंदर्य, उपसंहार।

पूर्व दिशा की ओर उभरती हुई लालिमा को देखकर पक्षी चहचहाने लगते हैं। उन्हें सूर्य के आगमन की सबसे पहले सूचना मिल जाती है। वे अपनी चहचहाहट द्वारा समस्त प्राणी जगत को रात के बीत जाने की सूचना देते हुए जागने की प्रेरणा देते हैं। सूर्य देवता का स्वागत करने के लिए प्रकृति रूपी नदी भी प्रसन्नता में भर कर नाच उठती है। फूल खिल उठते हैं, कलियाँ चटक जाती हैं और चारों ओर का वातावरण सुगंधित हो जाता है। सूर्य देवता के आगमन के साथ ही मनुष्य रात भर के विश्राम के बाद जाग उठते हैं।

हर तरफ चहल-पहल नज़र आने लगती है। किसान हल और बैलों के साथ अपने खेतों की ओर चल पड़ते हैं। गृहणियाँ घरेलू काम-काज में व्यस्त हो जाती हैं। मंदिरों एवं गुरुद्वारों में लगे लाउडस्पीकर से भजन- -कीर्तन के कार्यक्रम प्रसारित होने लगते हैं। भक्तजन स्नानादि से निवृत्त हो पूजा-पाठ में लग जाते हैं। स्कूली बच्चों की माताएँ उन्हें जगाने लगती हैं। दफ़्तरों को जाने वाले बाबू जल्दी-जल्दी तैयार होने लगते हैं, जिससे समय पर बस पकड़ कर अपने दफ्तर पहुँच सकें। थोड़ी देर पहले जो शहर सन्नाटे में लीन था आवाज़ों के घेरे में घिरने लगता है।

सड़कों पर मोटरों, स्कूटरों, कारों के चलने की आवाजें सुनाई देने लगती हैं। ऐसा लगता है मानो सड़कें भी नींद से जाग उठी हों। सूर्योदय के समय की प्राकृतिक सुषमा का वास्तविक दृश्य तो किसी गाँव, किसी पहाड़ी क्षेत्र अथवा किसी नदी तट पर ही देखा जा सकता है। सूर्योदय के समय सूर्य के सामने आँखें बंद कर दो-चार मिनट खड़े रहने से आँखों की ज्योति कभी क्षीण नहीं होती।

7. अपना घर

संकेत बिंदु – भूमिका, अपना घर, मनुष्य और पशु का घर के प्रति प्रेम, उपसंहार।

कहते हैं कि घरों में घर अपना घर। सच है अपना घर अपना ही होता है। अपने घर में चाहे सारी सुख-सुविधाएँ न भी प्राप्त हों तो भी वह अच्छा लगता है। जो स्वतंत्रता व्यक्ति को अपने घर में होती है वह बड़े-बड़े आलीशान घर में भी प्राप्त नहीं होती। पराये घर में जो झिझक, असुविधा होती है वह अपने घर में नहीं होती। अपने घर में व्यक्ति अपनी मर्ज़ी का मालिक होता है। दूसरे के घर में उस घर के स्वामी की इच्छानुसार अथवा उस घर के नियमों के अनुसार चलना होता है।

अपने घर में आप जो चाहें करें, चो चाहें खाएँ, जहाँ चाहें बैठें, जहाँ चाहें लेटें पर दूसरे के घर में यह सब संभव नहीं। शायद यही कारण है कि आजकल नौकरी करने वाले प्रतिदिन मीलों का सफ़र करके नौकरी पर जाते हैं परंतु रात को अपने घर वापस आ जाते हैं। पुरुष तो पहले भी नौकरी करने बाहर जाते थे। आजकल स्त्रियाँ भी नौकरी करने घर से कई मील दूर जाती हैं परंतु शाम को सभी अपने-अपने घरों को लौटना पसंद करते हैं। मनुष्य ही नहीं पशु-पक्षी तक भी अपने घर के महत्त्व को समझते हैं।

सारा दिन जंगल में चरने वाली गाएँ, भैंसें, भेड़, बकरियाँ संध्या होते ही अपने-अपने घरों को लौट आते हैं। पक्षी भी दिनभर दाना – तिनका चुगकर संध्या होते ही अपने- अपने घोंसलों को लौट आते हैं। घर का मोह ही उन्हें अपने घोंसला में लौट आने के लिए विवश करता है क्योंकि जो सुख अपने घर में मिलता है वह और कहीं नहीं मिलता। इसीलिए कहा गया है कि घरों में घर अपना घर।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

8. जब आँधी आई

संकेत बिंदु – भूमिका, भयंकर गर्मी का प्रभाव, क्षितिज पर कालिमा का दिखाई देना, वातावरण में परिवर्तन, धूलभरी आँधी, उपसंहार।

मई का महीना था। सूर्य देवता लगता था मानो आग बरसा रहे हों। धरती भट्ठी की तरह जल रही थी। हवा भी गर्मी के डर से सहमी हुई थम- सी गई थी। पेड़-पौधे तक भीषण गर्मी से घबराकर मौन खड़े थे। पत्ता तक नहीं हिल रहा था। उस दिन विद्यालय से छुट्टी होने पर मैं अपने कुछ सहपाठियों के साथ पसीने में लथपथ अपने घर की ओर लौट रहा था कि अचानक पश्चिम दिशा में कालिमा-सी दिखाई दी। आकाश में चीलें मँडराने लगीं। चारों ओर शोर मच गया कि आँधी आ रही है।

हम सब ने तेज़ – तेज़ चलना शुरू किया, जिससे आँधी आने से पूर्व सुरक्षित अपने-अपने घर पहुँच जाएँ। देखते-ही-देखते तेज़ हवा के झोंके आने लगे। दूर आकाश धूलि से अट गया लगता था। हम सब साथी एक दुकान के छज्जे के नीचे रुक गए और प्रतीक्षा करने लगे कि आँधी गुज़र जाए तो चलें। पलक झपकते ही धूल का एक बहुत बड़ा बवंडर उठा। दुकानदारों ने अपना सामान सहेजना शुरू कर दिया। आस-पास के घरों की खिड़कियाँ – दरवाज़े ज़ोर-ज़ोर से बजने लगे। धूल भरी उस आँधी में कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।

हम सब आँखें बंद करके खड़े थे जिससे हमारी आँखें धूल से न भर जाएँ। राह चलते लोग रुक गए। स्कूटर, साइकिल और कार चलाने वाले भी अपनी-अपनी जगह रुक गए थे। अचानक सड़क के किनारे लगे वृक्ष की एक बहुत बड़ी टहनी टूट कर हमारे सामने गिरी। दुकानों के बाहर लगी कनातें उड़ने लगीं। बहुत से दुकानदारों ने जो सामान बाहर सजा रखा था, वह उड़ गया। धूल भरी आँधी में कुछ भी दिखाई न दे रहा था। चारों तरफ अफ़रा तफ़री मची हुई थी। आँधी का यह प्रकोप कोई घंटा भर रहा। धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होने लगी।

यातायात फिर से चालू हो गया। हम भी उस दुकान के छज्जे के नीचे से बाहर आकर अपने-अपने घरों की ओर रवाना हुए। सच ही उस आँधी का दृश्य बड़ा ही डरावना था। घर पहुँचते-पहुँचते मैंने देखा रास्ते में बिजली के कई खंभे, वृक्ष आदि उखड़े पड़े थे। सारे शहर में बिजली भी ठप्प हो गई थी। मैं कुशलतापूर्वक अपने घर पहुँच गया। घर पहुँच कर मैंने चैन की साँस ली।

9. जब भूचाल आया

संकेत बिंदु – भूमिका, रात की शांति, कुत्तों का भौंकना, चारपाई का हिलना, मकान का गिरना, सबका घरों से दौड़ना, उपसंहार।

गर्मियों की रात थी। मैं अपने भाइयों के साथ मकान की छत पर सो रहा था। रात लगभग आधी बीत चुकी थी। गर्मी के मारे मुझे नींद नहीं आ रही थी। तभी अचानक कुत्तों के भौंकने का स्वर सुनाई पड़ा। यह स्वर लगातार बढ़ता ही जा रहा था और लगता था कि कुत्ते तेज़ी से इधर-उधर भाग रहे हैं। कुछ ही क्षण बाद हमारी मुर्गियों ने दड़बों में फड़फड़ाना शुरू कर दिया। उनकी आवाज़ सुनकर ऐसा लगता था कि जैसे उन्होंने किसी साँप को देख लिया हो। मैं बिस्तर पर लेटा – लेटा कुत्तों के भौंकने के कारण का विचार करने लगा।

मैंने समझा कि शायद वे किसी चोर को या संदिग्ध व्यक्ति को देखकर भौंक रहे हैं। अभी मैं इन्हीं बातों पर विचार कर ही रहा था कि मुझे लगा जैसे मेरी चारपाई को कोई हिला रहा है अथवा किसी ने मेरी चारपाई को झुला दिया हो। क्षण भर में ही मैं समझ गया कि भूचाल आया है। यह झटका भूचाल का ही था। मैंने तुरंत अपने भाइयों को जगाया और उन्हें छत से शीघ्र नीचे उतरने को कहा।

छत से उतरते समय हमने परिवार के अन्य सदस्यों को भी जगा दिया। तेज़ी से दौड़कर हम सब बाहर खुले मैदान में आ गए। वहाँ पहुँच कर हमने शोर मचाया कि भूचाल आया है। सब लोग घर से बाहर आ जाओ। सभी गहरी नींद में सोये पड़े थे हड़बड़ाहट में सभी बाहर की ओर दौड़े। मैंने उन्हें बताया कि भूचाल के झटके कभी-कभी कुछ मिनटों के बाद भी आते हैं। अतः हमें सावधान रहना चाहिए।

अभी यह बात मेरे मुँह में ही थी कि भूचाल का एक और ज़ोरदार झटका आया। सारे मकानों की खिड़कियाँ – दरवाज़े खड़-खड़ा उठे। हमें धरती हिलती महसूस हुई। हम सब धरती पर लेट गए। तभी पड़ोस से मकान ढहने की आवाज़ आई। साथ ही बहुत से लोगों के चीखने-चिल्लाने की आवाज़ें भी आईं। हममें से कोई भी डर के मारे अपनी जगह से नहीं हिला। कुछ देर बाद जब हमने सोचा कि जितना भूचाल आना था आ चुका, हम उन जगहों की ओर बढ़े। निकट जाकर देखा तो काफ़ी मकान क्षतिग्रस्त हुए थे। ईश्वर की कृपा से जान-माल की कोई हानि न हुई थी। वह रात सारे गाँववासियों ने पुनः भूचाल के आने की आशंका में घरों से बाहर रह कर ही बिताई।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

10. परीक्षा भवन का दृश्य

संकेत बिंदु – भूमिका, परीक्षा से घबराहट, परीक्षार्थियों का आना, घबराहट और बेचैनी, परीक्षा भवन का दृश्य, उपसंहार।

मार्च महीने की पहली तारीख थी। उस दिन हमारी वार्षिक परीक्षाएँ शुरू हो रही थीं। परीक्षा शब्द से वैसे सभी मनुष्य घबराते हैं परंतु विद्यार्थी वर्ग इस शब्द से विशेष रूप से घबराता है। मैं जब घर से चला तो मेरा दिल भी धक् धक् कर रहा था। मैं रात भर पढ़ता रहा था और चिंता थी कि यदि सारी रात के पढ़े में से कुछ भी प्रश्न-पत्र में न आया तो क्या होगा ? परीक्षा भवन के बाहर सभी विद्यार्थी चिंतित से नज़र आ रहे थे। कुछ विद्यार्थी किताबें लेकर अब भी उसके पन्ने उलट-पुलट रहे थे।

कुछ बड़े खुश-खुश नज़र आ रहे थे। मैं अपने सहपाठियों से उस दिन के प्रश्न-पत्र के बारे में बात कर ही रहा था कि परीक्षा भवन में घंटी बजनी शुरू हो गई। यह संकेत था कि हमें परीक्षा भवन में प्रवेश कर जाना चाहिए। सभी विद्यार्थियों ने परीक्षा भवन में प्रवेश करना शुरू कर दिया। भीतर पहुँच कर हम सब अपने-अपने अनुक्रमांक के अनुसार अपनी-अपनी सीट पर जाकर बैठ गए। थोड़ी ही देर में अध्यापकों द्वारा उत्तर-पुस्तिकाएँ बाँट दी गईं और हमने उस पर अपना-अपना अनुक्रमांक आदि लिखना शुरू कर दिया। ठीक नौ बजते ही एक घंटी बजी और अध्यापकों ने प्रश्न- पत्र बाँट दिए। मैंने प्रश्न- पत्र पढ़ना शुरू किया। मेरी खुशी का कोई ठिकाना न था क्योंकि प्रश्न-पत्र के सभी

प्रश्न मेरे पढ़े हुए प्रश्नों में से थे। मैंने किए जाने वाले प्रश्नों पर निशान लगाए और कुछ क्षण तक यह सोचा कि कौन-सा प्रश्न पहले करना चाहिए और फिर उत्तर लिखना शुरू कर दिया। मैंने देखा कुछ विद्यार्थी अभी बैठे सोच ही रहे थे शायद उनके पढ़े में से कोई प्रश्न न आया हो। तीन घंटे तक मैं बिना इधर-उधर देखे लिखता रहा। मैं प्रसन्न था कि उस दिन मेरा पर्चा बहुत अच्छा हुआ था।

11. साइकिल चोरी होने पर

संकेत बिंदु – भूमिका, साइकिल स्कूल के बाहर खड़ी करना, साइकिल की चोरी होना, चोरी की रिपोर्ट लिखना, रिपोर्ट दर्ज न होना, निराशा, उपसंहार।

एक दिन मैं अपने स्कूल में अवकाश लेने का आवेदन-पत्र देने गया। मैं अपनी साइकिल स्कूल के बाहर खड़ी करके, उसे ताला लगाकर स्कूल के भीतर चला गया। जब थोड़ी देर में मैं लौट तो मैंने देखा मेरी साइकिल वहाँ नहीं थी, जहाँ मैं उसे खड़ी करके गया था। मैंने आसपास देखा पर मुझे मेरी साइकिल कहीं नज़र नहीं आई। मुझे यह समझते देर न लगी कि मेरी साइकिल चोरी हो गई है। मैं सीधा घर आ गया।

घर आकर मैंने अपनी माँ को बताया कि मेरी साइकिल चोरी हो गई है। मेरी माँ यह सुनकर रोने लगी। उसने कहा कि बड़ी मुश्किल से एक हज़ार रुपया खर्च करके तुम्हें साइकिल लेकर दी थी तुमने वह भी गँवा दी। मेरी साइकिल चोरी हो गई है, यह बात सारे मुहल्ले में फैल गई। किसी ने सलाह दी कि पुलिस में रिपोर्ट अवश्य लिखवा देनी चाहिए। मैं पुलिस से बहुत डरता हूँ। मैं डरता – डरता पुलिस चौकी गया।

मैं इतना घबरा गया था, मानो मैंने ही साइकिल चुराई हो। पुलिस वालों ने कहा साइकिल की रसीद लाओ, उसका नंबर बताओ, तब हम तुम्हारी रिपोर्ट लिखेंगे। साइकिल खरीदने की रसीद मुझसे गुम हो गई थी और साइकिल का नंबर मुझे याद नहीं था। मुझे क्या मालूम था कि मेरी साइकिल चोरी हो जाएगी ? निराश हो मैं घर लौट आया। सभी मुझसे साइकिल कैसे चोरी हुई? प्रश्न का उत्तर जानना चाहते थे। मैं एक ही उत्तर सभी को देता देता उकता – सा गया। पिताजी ने मुझे सांत्वना देते हुए कहा- जो होना था सो हो गया। ईश्वर चाहेंगे तो साइकिल ज़रूर मिल जाएगी। मेरा एक मित्र विशेष रूप से दुखी था। क्योंकि यदा-कदा वह मुझसे साइकिल माँग कर ले जाता था। मुझे अपनी साइकिल चोरी हो जाने का बहुत दुख हुआ था।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

12. जीवन की अविस्मरणीय घटना

संकेत बिंदु – भूमिका, चिड़िया के बच्चे का घायल अवस्था में मिलना, सेवा, सेवा से आनंद, उपसंहार।

आज मैं दसवीं कक्षा में हूँ। माता-पिता कहते हैं कि अब तुम बड़े हो गए हो। मैं भी कभी – कभी सोचता हूँ कि क्या मैं सचमुच बड़ा हो गया हूँ। हाँ, मैं सचमुच बड़ा हो गया हूँ। मुझे बीते दिनों की कुछ बातें आज भी याद हैं जो मेरा मार्गदर्शन कर रही हैं। एक घटना ऐसी है जिसे मैं आज भी याद करके आनंद विभोर हो उठता हूँ। घटना कुछ इस तरह से है। कोई दो-तीन साल पहले की घटना है। मैंने एक दिन देखा कि हमारे आँगन में लगे वृक्ष के नीचे एक चिड़िया का बच्चा घायल अवस्था में पड़ा है।

मैं उस बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले आया। मेरी माँ ने मुझे रोका भी कि इसे इस तरह न उठाओ यह मर जाएगा किंतु मेरा मन कहता था कि इस चिड़िया के बच्चे को बचाया जा सकता है। मैंने उसे चम्मच से पानी पिलाया। पानी मुँह में जाते ही उस बच्चे ने जो बेहोश था पंख फड़फड़ाने शुरू कर दिए। यह देखकर मैं प्रसन्न हुआ। मैंने उसे गोद में लेकर देखा कि उस की टाँग में चोट आई है। मैंने अपने छोटे भाई को माँ से मरहम की डिबिया लाने को कहा। वह तुरंत मरहम की डिबिया ले आया।

उसमें से थोड़ी-सी मरहम मैंने उस चिड़िया के बच्चे की चोट पर लगाई। मरहम लगाते ही मानो उसकी पीड़ा कुछ कम हुई। वह चुपचाप मेरी गोद में ही लेटा था। मेरा छोटा भाई भी उस के पंखों पर हाथ फेरकर खुश हो रहा था। कोई घंटा भर मैं उसे गोद में ही लेकर बैठा रहा। मैंने देखा कि बच्चा थोड़ा उड़ने की कोशिश करने लगा था। मैंने छोटे भाई से रोटी मँगवाई और उसकी चूरी बनाकर उसके सामने रखी। वह उसे खाने लगा। हम दोनों भाई उसे खाते हुए देख कर खुश हो रहे थे। मैंने उसे अब अपनी पढ़ाई की मेज़ पर रख दिया।

रात को एक बार फिर उस के घाव पर मरहम लगाई। दूसरे दिन मैंने देखा चिड़िया का वह बच्चा मेरे कमरे में इधर-उधर फुदकने लगा है। वह मुझे देख चीं-चीं करके मेरे प्रति अपना आभार प्रकट कर रहा था। एक-दो दिनों में ही उस का घाव ठीक हो गया और मैंने उसे आकाश में छोड़ दिया। वह उड़ गया। मुझे उस चिड़िया के बच्चे के प्राणों की रक्षा करके जो आनंद प्राप्त हुआ उसे मैं जीवन भर नहीं भुला पाऊँगा।

13. आँखों देखा हॉकी मैच

संकेत बिंदु – भूमिका, खेल का महत्त्व, हॉकी मैच, दो टीमों का रोमांच, दर्शकों का उत्साह और शोर, उपसंहार।

भले ही आज लोग क्रिकेट के दीवाने बने हुए हैं परंतु हमारा राष्ट्रीय खेल हॉकी ही है। लगातार कई वर्षों तक भारत हॉकी के खेल में विश्वभर में सबसे आगे रहा किंतु खेलों में भी राजनीतिज्ञों के दखल के कारण हॉकी के खेल में हमारा स्तर दिनों-दिन गिर रहा है। 70 मिनट की अवधि वाला यह खेल अत्यंत रोचक, रोमांचक और उत्साहवर्धक होता है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसा ही एक हॉकी मैच देखने को मिला। यह मैच सुभाष एकादश और चंद्र एकादश की टीमों के बीच चेन्नई के खेल परिसर में खेला गया।

दोनों टीमें अपने-अपने खेल के लिए देश भर में जानी जाती हैं। दोनों ही टीमों में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भाग ले रहे थे। चंद्र एकादश की टीम क्योंकि अपने घरेलू मैदान पर खेल रही थी इसलिए उसने सुभाष एकादश को मैच के आरंभिक दस मिनटों में दबाए रखा। उसके फॉरवर्ड खिलाड़ियों ने दो-तीन बार विरोधी गोल पर आक्रमण किए। सुभाष एकादश का गोलकीपर

बहुत ही चुस्त और होशियार था। उसने अपने विरोधियों के सभी आक्रमणों को विफल बना दिया। जब सुभाष एकादश ने तेज़ी पकड़ी तो देखते ही देखते चंद्र एकादश के विरुद्ध एक गोल दाग दिया। गोल होने पर चंद्र एकादश की टीम ने एकजुट होकर दो-तीन बार सुभाष एकादश पर कड़े आक्रमण किए परंतु उनका प्रत्येक आक्रमण विफल रहा। इसी बीच चंद्र एकादश को दो पेनल्टी कार्नर भी मिले पर वे इसका लाभ न उठा सके। सुभाष एकादश ने कई अच्छे मूव बनाए। उनका कप्तान बलजीत सिंह तो जैसे बलबीर सिंह ओलंपियन की याद दिला रहा था।

इसी बीच सुभाष एकादश को भी एक पेनल्टी कार्नर मिला, जिसे उन्होंने बड़ी खूबसूरती से गोल में बदल दिया। इससे चंद्र एकादश के खिलाड़ी हताश हो गए। चेन्नई के दर्शक भी उनके खेल को देख कर कुछ निराश हुए। मध्यांतर के समय सुभाष एकादश दो शून्य से आगे थी। मध्यांतर के बाद खेल बड़ी तेज़ी से शुरू हुआ। चंद्र एकादश के खिलाड़ी बड़ी तालमेल से आगे बढ़े और कप्तान हरजीत सिंह ने दाएँ कोण से एक बढ़िया हिट लगाकर सुभाष एकादश पर एक गोल कर दिया। इस गोल से चंद्र एकादश के जोश में जबरदस्त वृद्धि हो गई। उन्होंने अगले पाँच मिनटों में दूसरा गोल करके मैच बराबरी पर ला दिया। दर्शक खुशी से नाच उठे। मैच समाप्ति की सीटी के बजते ही दर्शकों ने खिलाड़ियों को मैदान में जाकर शाबाशी दी। मैच का स्तर इतना अच्छा था कि मैच देख कर आनंद आ गया।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

14. आँखों देखी दुर्घटना

संकेत बिंदु – भूमिका, प्रातः भ्रमण के लिए जाना, सड़क पर भीड़ की अधिकता, कार और ताँगे में टक्कर, पुलिस – अस्पताल, उपसंहार।
रविवार की बात है मैं अपने मित्र के साथ सुबह – सुबह सैर करने माल रोड पर गया। वहाँ बहुत से स्त्री-पुरुष और बच्चे भी सैर करने आए हुए थे। जब से दूरदर्शन पर स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम आने लगे हैं अधिक-से-अधिक लोग प्रातः भ्रमण के लिए इन जगहों पर आने लगे हैं। रविवार होने के कारण उस दिन भीड़ कुछ अधिक थी। तभी मैंने वहाँ एक युवा दंपति को अपने छोटे बच्चे को बच्चागाड़ी में बैठा कर सैर करते देखा। अचानक लड़कियों के स्कूल की ओर एक रिक्शा आता हुआ दिखाई दिया।

उसमें दो सवारियाँ भी बैठी थीं। बच्चागाड़ी वाले दंपत्ति ने रिक्शे से बचने के लिए सड़क पार करनी चाही। जब वे सड़क पार कर रहे थे तो दूसरी तरफ से बड़ी तेज़ गति से आ रही एक कार उस रिक्शे से टकरा गई। रिक्शा चलाने वाला और दोनों सवारियाँ बुरी तरह से घायल हो गए थे। बच्चागाड़ी वाली स्त्री के हाथ से बच्चागाड़ी छूट गई। किंतु इससे पूर्व कि वह बच्चे समेत रिक्शे और कार की टक्कर वाली जगह पर पहुँचकर उन से टकरा जाती, मेरे साथी ने भागकर उस बच्चागाड़ी को सँभाल लिया।

कार चलाने वाले सज्जन को भी काफ़ी चोटें आई थीं पर उसकी कार को कोई खास क्षति नहीं पहुँची थी। माल रोड पर गश्त करने वाले पुलिस के तीन-चार सिपाही तुरंत घटना स्थल पर पहुँच गए। उन्होंने वायरलैस द्वारा अपने अधिकारियों और अस्पताल को फोन किया। चंद मिनटों में वहाँ ऐम्बुलेंस गाड़ी आ गई। हम सब ने घायलों को उठा कर ऐम्बुलेंस में लिटाया। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी तुरंत वहाँ पहुँच गए।

उन्होंने कार चालक को पकड़ लिया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया कि सारा दोष कार चालक का था। इस सैर-सपाटे वाली सड़क पर वह 100 कि० मी० की स्पीड से कार चला रहा था और रिक्शा सामने आने पर वह ब्रेक न लगा सका। दूसरी तरफ़ बच्चे को बचाने के लिए मेरे मित्र द्वारा दिखाई फुर्ती व चुस्ती की भी लोग सराहना कर रहे थे। उस दंपत्ति ने उसका विशेष धन्यवाद दिया।

15. हमने मनाई पिकनिक

संकेत बिंदु – भूमिका, पिकनिक का अर्थ, पिकनिक के लिए उचित स्थान का चुनाव, साइकिलों से जाना, प्राकृतिक सौंदर्य, खान-पान, मनोरंजन, उपसंहार पिकनिक एक ऐसा शब्द है जो थके हुए शरीर एवं मन में एकदम स्फूर्ति ला देता है। मैंने और मेरे मित्र ने परीक्षा के दिनों में बड़ी मेहनत की थी। परीक्षा का तनाव हमारे मन और मस्तिष्क पर विद्यमान था। उस तनाव को दूर करने के लिए हम दोनों ने यह निर्णय किया कि क्यों न किसी दिन माधोपुर हैडवर्क्स पर जाकर पिकनिक मनाई जाए। अपने इस निर्णय से अपने मुहल्ले के दो-चार और मित्रों को अवगत करवाया तो वे भी हमारे साथ चलने को तैयार हो गए। माधोपुर हैडवर्क्स हमारे नगर से दस कि० मी० दूरी पर था। हम सबने अपने – अपने साइकिलों पर जाने का निश्चय किया।

पिकनिक के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया। रविवार को हम सबने नाश्ता करने के बाद अपने-अपने लंच बॉक्स तैयार किए तथा कुछ अन्य खाने का सामान अपने-अपने साइकिलों पर रख लिया। मेरे मित्र के पास एक छोटा टेपरिकार्डर भी था उसे भी अपने साथ ले लिया तथा साथ में कुछ अपने मनपसंद गानों की टेप्स भी रख लीं। हम सब अपनी-अपनी साइकिल पर सवार होकर, हँसते-गाते एक-दूसरे को चुटकले सुनाते पिकनिक स्थल की ओर बढ़ चले।

लगभग 45 मिनट में हम सब माधोपुर हैडवर्क्स पर पहुँच गए। वहाँ हमने प्रकृति को अपनी संपूर्ण सुषमा के साथ विराजमान देखा। चारों तरफ़ रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे, शीतल और मंद-मंद हवा बह रही थी। हमने एक ऐसी जगह चुनी जहाँ घास की प्राकृतिक कालीन बिछी हुई थी। हमने वहाँ एक दरी बिछा दी। साइकिल चलाकर हम थोड़ा थक गए थे, अतः हमने पहले थोड़ी देर विश्राम किया। हमारे एक साथी ने हमारी कुछ फ़ोटो उतारीं। थोड़ी देर सुस्ता कर हमने टेप रिकार्डर चला दिया और गीतों की धुन पर मस्ती में भर कर नाचने लगे।

कुछ देर तक हमने इधर-उधर घूम कर वहाँ के प्राकृतिक दृश्यों का नज़ारा देखा। दोपहर को हम सबने अपने-अपने टिफ़िन खोले और सबने मिल बैठ कर एक-दूसरे का भोजन बाँट कर खाया। उसके बाद हमने वहाँ स्थित कैनाल रेस्ट हाउस रेस्तराँ में जाकर चाय पी। चाय-पान के बाद हमने अपने स्थान पर बैठकर अंताक्षरी खेलनी शुरू की। इसके बाद हमने एक-दूसरे को कुछ चुटकले और कुछ आपबीती हँसी मज़ाक की बातें बताईं। समय कितनी जल्दी बीत गया इसका हमें पता ही न चला। जब सूर्य छिपने को आया तो हम ने अपना-अपना सामान समेटा और घर की तरफ चल पड़े।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

16. जैसी संगति बैठिए तैसोई फल होत

संकेत बिंदु – भूमिका, संगति का महत्त्व, सत्संगति, दुर्जन का साथ, उपसंहार।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जब तक वह समाज से संपर्क स्थापित नहीं करता तब तक उसके जीवन की गाड़ी नहीं चल सकती। समाज में कई प्रकार के लोग होते हैं। कुछ सदाचारी हैं तो कुछ दुराचारी। हमें ऐसे लोगों की संगति करनी चाहिए जो हमारे जीवन को उन्नत एवं निर्मल बनाएँ। अच्छी संगति का प्रभाव अच्छा तथा बुरी संगति का प्रभाव बुरा होता है। क्योंकि ‘जैसी संगति बैठिए तैसोई फल होत’ कहा भी है कि किसी व्यक्ति के आचरण को जानने के लिए उसकी संगति को जानना चाहिए।

क्योंकि दुष्टों के साथ रहने वाला व्यक्ति भला हो ही नहीं सकता। संगति का प्रभाव जाने अथवा अनजाने अवश्य पड़ता है। बचपन में जो बालक परिवार अथवा मुहल्ले में जो कुछ सुनते हैं, प्रायः उसी को दोहराते हैं। कहा गया है “दुर्जन यदि विद्वान भी हो तो उसकी संगति छोड़ देनी चाहिए। मणि धारण करने वाला साँप क्या भयंकर नहीं होता ?” सत्संगति का हमारे चरित्र के निर्माण में बड़ा हाथ रहता है। अच्छी पुस्तकों का अध्ययन भी सत्संग से कम नहीं। विद्वान लेखक अपनी पुस्तक रूप में हमारे साथ रहता है।

अच्छी पुस्तकें हमारी मित्र एवं पथ-प्रदर्शक हैं। महान व्यक्तियों के संपर्क ने अनेक व्यक्तियों के जीवन को कंचन के समान बहुमूल्य बना दिया। दुष्टों एवं दुराचारियों का संग मनुष्य को पतन की ओर ले जाता है। मनुष्य को विवेक प्राप्त करने के लिए सत्संगति का आश्रय लेना चाहिए। अपनी और समाज की उन्नति के लिए सत्संग से बढ़कर दूसरा साधन नहीं है। अच्छी संगति आत्म- बल को बढ़ाती है तथा सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।

17. सब दिन होत न एक समान

संकेत बिंदु – भूमिका, सुख-दुख, ऋतु परिवर्तन, उपसंहार।

जीवन को जल की संज्ञा दी गई है। जल कभी सम भूमि पर बहता है तो कभी विषम भूमि पर। कभी रेगिस्तान की भूमि उसका शोषण करती है तो कभी वर्षा की धारा उसके प्रवाह को बढ़ा देती है। मानव जीवन में भी कभी सुख का अध्याय जुड़ता है तो कभी दुख अपने पूरे दल-बल के साथ आक्रमण करता है। प्रकृति में दुख-सुख की धूप-छाया के दर्शन होते हैं। प्रातः काल का समय सुख का प्रतीक है तो रात्रि दुख का। विभिन्न ऋतुएँ भी जीवन के विभिन्न पक्षों की प्रतीक हैं। राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण गुप्त ने ठीक ही कहा है –
संसार में किसका समय है एक सा रहता सदा,
है निशा दिवा सी घूमती सर्वत्र विपदा – संपदा।
संसार के बड़े-बड़े शासकों का समय भी एक-सा नहीं रहा है। अंतिम मुग़ल सम्राट् बहादुरशाह ज़फर का करुण अंत इस बात का प्रमाण है कि मनुष्य का समय हमेशा एक-सा नहीं रहता। जो आज दीन एवं दुखी है वह कल वैभव के झूले में झूलता दिखाई देता है। जो आज सुख-संपदा एवं ऐश्वर्य में डूबा हुआ है, संभव है भाग्य के विपरीत होने के कारण उसे दर-दर की ठोकरें खाने पर विवश होना पड़े। जो वृक्ष, लताएँ एवं पौधे वसंत ऋतु में वातावरण को मादकता प्रदान करते हैं, वही पतझड़ में वातावरण को नीरस बना देते हैं। जीवन सुख-दुख, आशा-निराशा एवं हर्ष – विषाद का समन्यव है। एक ओर जीवन का उदय है तो दूसरी ओर जीवन का अस्त। अतः ठीक ही कहा गया है ‘सब दिन होत न एक समान।’

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

18. जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी

संकेत बिंदु – भूमिका, अर्थ, देशानुराग, अधिकार और कर्तव्य, उपसंहार।

इस कथन का भाव है “जननी और जन्मभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊँचा है।” जो व्यक्ति अपनी माँ से और भूमि से प्रेम नहीं करता, वह मनुष्य कहलाने का अधिकारी नहीं है। देश-द्रोह एवं मातृद्रोह से बड़ा अपराध कोई और नहीं है। यह ऐसा अपराध है जिसका प्रायश्चित्त संभव ही नहीं है। देश – प्रेम की भावना ही मनुष्य को यह प्रेरणा देती है कि जिस भूमि से उसका भरण-पोषण हो रहा है, उसकी रक्षा के लिए अपना सब कुछ अर्पित कर देना उसका परम कर्तव्य है। जननी एवं जन्मभूमि के प्रति प्रेम की भावना जीवधारियों की स्वाभाविक प्रवृत्ति है। मनुष्य संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। अतः उसके हृदय में देशानुराग की भावना का उदय स्वाभाविक है। मरुस्थल में रहने वाले लोग हाँफ- हाँफकर जीते हैं, फिर भी उन्हें अपनी जन्मभूमि से अगाध प्रेम है। ध्रुववासी अत्यंत शीत के कारण अंधकार तथा शीत में काँप – काँप कर तो जीवन व्यतीत कर लेते हैं, पर अपनी मातृभूमि का बाल- बाँका नहीं होने देते। मुग़ल साम्राज्य के अंतिम दीप सम्राट बहादुरशाह ज़फर की रंगून के कारागार से लिखी ये पंक्तियाँ कितनी मार्मिक हैं –
कितना है बदनसीब ज़फर दफन के लिए,
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कूचा-ए-यार में।
जिस देश के लोग अपनी मातृ-भूमि से जितना अधिक स्नेह करते हैं, वह देश उतना ही उन्नत माना जाता है। देश-प्रेम की भावना ने ही भारत की पराधीनता की जंज़ीरों को काटने के लिए देश-भक्तों को प्रेरित किया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश के प्रति हमारा कर्तव्य और भी बढ़ गया है। इस कर्तव्य की पूर्ति हमें जी-जान लगाकर करनी चाहिए।

19. नेता नहीं, नागरिक चाहिए

संकेत बिंदु – भूमिका, नेता, आदर्श नेता, आदर्श नागरिक और सद्गुण, अधिकार – कर्तव्य में संतुलन, उपसंहार।

लोगों का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति को नेता कहते हैं। आदर्श नेता एक मार्ग-दर्शक के समान है, जो दूसरों को सुमार्ग की ओर ले जाता है। आदर्श नागरिक ही आदर्श नेता बन सकता है। आज के नेताओं में सद्गुणों का अभाव है। वे जनता के शासक बनकर रहना चाहते हैं, सेवक नहीं। उनमें अहं एवं स्पर्धा का भाव भी पाया जाता है। वर्तमान भारत की राजनीति इस तथ्य की परिचायक है कि नेता बनने की होड़ ने आपसी राग-द्वेष को ही अधिक बढ़ावा दिया है। इसीलिए यह कहा गया है – नेता नहीं नागरिक चाहिए। नागरिक को अपने कर्तव्य एवं अधिकारों के बीच समन्वय रखना पड़ता है।

यदि नागरिक अपने समाज के प्रति अपने कर्तव्य का समुचित पालन करता है तो राष्ट्र किसी संकट का सामना कर ही नहीं सकता। नेता बनने की तीव्र लालसा ने नागरिकता के भाव को कम कर दिया है। नागरिक के पास राजनीतिक एवं सामाजिक दोनों अधिकार रहते हैं। अधिकार की सीमा होती है। हमारे ही नहीं दूसरे नागरिकों के भी अधिकार होते हैं। अतः नागरिक को अपने कर्तव्यों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। नेता अधिकारों की बात ज्यादा जानता है, लेकिन कर्तव्यों के प्रति उपेक्षा भाव रखता है। उत्तम नागरिक ही उत्तम नेता होता है। अतः प्रत्येक व्यक्ति का यह परम कर्तव्य है कि वह अपने आपको एक अच्छा नागरिक बनाए। नागरिक में नेतृत्व का भाव स्वयंमेव आ जाता है। नेता का शाब्दिक अर्थ है जो दूसरों को आगे ले जाए अर्थात् अपने साथियों के प्रति सहायता एवं सहानुभूति का भाव अपनाए। अतः देश को नेता नहीं नागरिक चाहिए।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

20. आलस्य दरिद्रता का मूल है

संकेत बिंदु – भूमिका, परिश्रम का महत्त्व, उन्नति का मार्ग, आलस्य की हानियाँ, उपसंहार।

जो व्यक्ति श्रम से पलायन करके आलस्य का जीवन व्यतीत करते हैं वे कभी भी सुख-सुविधा का आनंद प्राप्त नहीं कर सकते। कोई भी कार्य यहाँ तक कि स्वयं का जीना भी बिना काम किए संभव नहीं। यह ठीक है कि हमारे जीवन में भाग्य का बड़ा हाथ है। दुर्भाग्य के कारण संभव है मनुष्य को विकास और वैभव के दर्शन न हों पर परिश्रम के बल पर वह अपनी जीविका के प्रश्न को हल कर ही सकता है। यदि ऐसा न होता तो श्रम के महत्त्व को कौन स्वीकार करता। कुछ लोगों का विचार है कि भाग्य के अनुसार ही मनुष्य सुख-दुख भोगता है। दाने-दाने पर मोहर लगी है, भगवान सब का ध्यान रखता है। जिसने मुँह दिया है, वह खाना भी देगा। ऐसे लोग यह भूल जाते हैं कि भाग्य का निर्माण भी परिश्रम द्वारा ही होता है। राष्ट्रकवि दिनकर ने ठीक ही कहा है –

ब्रह्मा से कुछ लिखा भाग्य में, मनुज नहीं लाया है।
उसने अपना सुख, अपने ही भुजबल से पाया है ॥

भगवान ने मुख के साथ-साथ दो हाथ भी दिए हैं। इन हाथों से काम लेकर मनुष्य अपनी दरिद्रता को दूर कर सकता है। हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहने वाला व्यक्ति आलसी होता है। जो आलसी है वह दरिद्र और परावलंबी है क्योंकि आलस्य दरिद्रता का मूल है। आज इस संसार में जो कुछ भी दिखाई दे रहा है, वह श्रम का ही परिणाम है। यदि सभी लोग आलसी बने रहते तो ये सड़कें, भवन, अनेक प्रकार के यान, कला-कृतियाँ कैसे बनतीं ? श्रम से मिट्टी सोना उगलती है परंतु आलस्य से सोना भी मिट्टी बन जाता है। अपने परिवार, समाज और राष्ट्र की दरिद्रता दूर करने के लिए आलस्य का परित्याग कर परिश्रम को अपनाने की आवश्यकता है। हमारे राष्ट्र में जितने हाथ हैं, यदि वे सभी काम में जुट जाएँ तो सारी दरिद्रता बिलख-बिलखकर विदा हो जाएगी। आलस्य ही दरिद्रता का मूल है 1

21. मन के हारे हार है, मन के जीते जीत (2018)

संकेत बिंदु – भूमिका, मन का महत्त्व, मानसिक शक्ति, उन्नति का मार्ग, उपसंहार।

मानव-शरीर यदि रथ के समान है तो यह मन उसका चालक है। मनुष्य के शरीर की असली शक्ति उसका मन है। मन के अभाव में शरीर का कोई अस्तित्व ही नहीं। मन ही वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य से बड़े-से-बड़े काम करवा लेती है। यदि मन में दुर्बलता का भाव आ जाए तो शक्तिशाली शरीर और विभिन्न प्रकार के साधन व्यर्थ हो जाते हैं। उदाहरण के लिए एक सैनिक को लिया जा सकता है। यदि उसने अपने मन को जीत लिया है तो वह अपनी शारीरिक शक्ति एवं अनुमान से कहीं अधिक सफलता पा सकता है।

यदि उसका मन हार गया तो बड़े-बड़े मारक अस्त्र-शस्त्र भी उसके द्वारा अपना प्रभाव नहीं दिखा सकते। मन की शक्ति के बल पर ही मनुष्य ने अनेक आविष्कार किए हैं। मन की शक्ति मनुष्य को अनवरत साधना की प्रेरणा देती है और विजयश्री उनके सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो जाती है। जब तक मन में संकल्प एवं प्रेरणा का भाव नहीं जागता तब तक हम किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। एक ही काम में एक व्यक्ति सफलता प्राप्त कर लेता है और दूसरा असफल हो जाता है। इसका कारण दोनों के मन की शक्ति की भिन्नता है। जब तक हमारा मन शिथिल है तब तक हम कुछ भी नहीं कर सकते। अतः ठीक ही कहा गया है- ” मन के हारे हार है मन के जीते जीत।”

22. सबै सहायक सबल के

संकेत बिंदु – भूमिका, बल की महत्ता, शक्ति और साहस, जिसकी लाठी उसकी भैंस, शक्ति के बल पर कुकृत्य छिपाना, उपसंहार।

यह संसार शक्ति का लोहा मानता है। लोग चढ़ते सूर्य की पूजा करते हैं। शक्तिशाली की सहायता के लिए सभी तत्पर रहते हैं लेकिन निर्बल को कोई नहीं पूछता। वायु भी आग को तो भड़का देती है, पर दीपक को बुझा देती है। दीपक निर्बल है, कमज़ोर है, इसलिए वायु का उस पर पूर्ण अधिकार है। व्यावहारिक जीवन में भी हम देखते हैं कि जो निर्धन हैं, वे और निर्धन बनते जाते हैं, और जो धनवान हैं उनके पास और धन चला आ रहा इसका एकमात्र कारण यही है कि सबल की सभी सहायता कर रहे हैं और निर्धन उपेक्षित हो रहा है।

सर्वत्र जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। सामाजिक जीवन से लेकर अंतर्राष्ट्रीय जीवन तक यह भावना काम कर रही है। एक शक्तिशाली राष्ट्र दूसरे शक्तिशाली राष्ट्र की सहायता सहर्ष करता है जबकि निर्धन देशों को शक्ति संपन्न देशों के आगे गिड़गिड़ाना पड़ता है। परिवार जैसे सीमित क्षेत्र में भी प्रायः यह देखने को मिलता है कि जो धनवान हैं, उनके प्रति सहायता एवं सत्कार की भावना अधिक होती है। घर में जब कभी कोई धनवान आता है तो उसकी खूब सेवा की जाती है, लेकिन जब द्वार पर भिखारी आता है तो उसको दुत्कार दिया जाता है।

निर्धन ईमानदारी एवं सत्य के पथ पर चलता हुआ भी अनेक कष्टों का सामना करता है जबकि शक्तिशाली दुराचार एवं अन्याय के पथ पर बढ़ता हुआ भी दूसरों की सहायता प्राप्त करने में समर्थ होता है। इसका कारण यही है कि उसके पास शक्ति है तथा अपने कुकृत्यों को छिपाने के लिए साधन हैं। अतः वृंद कवि का यह कथन बिल्कुल सार्थक प्रतीक होता है- सबै सहायक सबल के, कोऊ न निबल सहाय।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

23. सच्चे मित्र से जीवन में सौंदर्य आता है

संकेत बिंदु – भूमिका, सामाजिक जीवन, मित्र की आवश्यकता, मित्र का चुनाव, सच्चा मित्र, उपसंहार।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के अभाव में उसका जीवन निर्वाह संभव नहीं। सामाजिकों के साथ हमारे संबंध अनेक प्रकार के हैं। कुछ हमारे संबंधी हैं, कुछ परिचित तथा कुछ मित्र होते हैं। मित्रों में भी कुछ विशेष प्रिय होते हैं। जीवन में यदि सच्चा मित्र मिल जाए तो समझना चाहिए कि हमें बहुत बड़ी निधि मिल गई है। सच्चा मित्र हमारा मार्ग प्रशस्त करता है।

वह दिन-प्रतिदिन हमें उन्नति की ओर ले जाता है। उसके सद्व्यवहार से हमारे जीवन में निर्मलता का प्रसार होता है। दुख के दिनों में वह हमारे लिए विशेष सहायक होता है। जब हम निरुत्साहित होते हैं तो वह हम में उत्साह भरता है। वह हमें कुमार्ग से हटा कर सुमार्ग की ओर चलने की प्रेरणा देता है। सुदामा एवं कृष्ण की तथा राम एवं सुग्रीव की आदर्श मित्रता को कौन नहीं जानता। श्रीकृष्ण ने अपने दरिद्र मित्र सुदामा की सहायता कर उसके जीवन को ऐश्वर्यमय बना दिया था। राम ने सुग्रीव की सहायता कर उसे सब प्रकार के संकट से मुक्त कर दिया।

सच्चा मित्र कभी एहसान नहीं जतलाता। वह मित्र की सहायता करना अपना कर्तव्य समझता है। वह अपनी दरिद्रता एवं अपने दुख की परवाह न करता हुआ अपने मित्र के जीवन में अधिक-से-अधिक सौंदर्य लाने का प्रयत्न करता है। सच्चा मित्र जीवन के बेरंग खाके में सुखों के रंग भरकर उसे अत्यंत आकर्षक बना देता है, अतः ठीक ही कहा गया है “सच्चे मित्र से जीवन में सौंदर्य आता है।”

24. जीवन का रहस्य निष्काम सेवा है

संकेत बिंदु – भूमिका, जीवन लक्ष्य का महत्त्व, परोपकार, सेवा-भाव, उपसंहार।

प्रत्येक मनुष्य अपनी रुचि के अनुसार अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करता है। कोई व्यापारी बनना चाहता है तो कोई कर्मचारी, कोई इंजीनियर बनने की लालसा से प्रेरित है तो कोई डॉक्टर बनकर घर भरना चाहता है। स्वार्थ पूर्ति के लिए किया गया काम उच्च कोटि की संज्ञा नहीं पा सकता। स्वार्थ के पीछे तो संसार पागल है। लोग भूल गए हैं कि जीवन का रहस्य निष्काम सेवा है। जो व्यक्ति काम – भावना से प्रेरित होकर काम करता है, वह कभी भी सुपरिणाम नहीं ला सकता। उससे कोई लाभ हो भी तो वह केवल व्यक्ति विशेष को ही होता है। समाज को कोई लाभ प्राप्त नहीं होता। निष्काम सेवा के द्वारा ही मनुष्य समाज के प्रति अपना उत्तरदायित्व निभा सकता है। कबीरदास ने भी अपने एक दोहे में यह स्पष्ट किया है –

जब लगि भक्ति सकाम है, तब लेगि निष्फल सेव।
कह कबीर वह क्यों मिले निहकामी निज देव ॥

निष्काम सेवा के द्वारा ही ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। समाज एवं देश को उन्नति की ओर ले जाने का श्रेष्ठतम तथा सरलतम साधन निष्काम सेवा है। हमारे संत कवियों तथा समाज सुधारकों ने इसी भाव से प्रेरित होकर अपनी चिंता छोड़ देश और जाति का कल्याण किया। इसलिए वे समाज और राष्ट्र के लिए कुछ कर सके। अपने लिए तो सभी जीते हैं। जो दूसरों के लिए जीता है, उसका जीवन अमर हो जाता है। तभी तो गुप्त जी ने कहा है – “वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे। ”

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

25. भीड़ भरी बस की यात्रा का अनुभव

संकेत बिंदु – भूमिका, यात्रा का कारण, बस की यात्रा, भीड़, उपसंहार।

वैसे तो जीवन को ही यात्रा की संज्ञा दी गई है पर कभी-कभी मनुष्य को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए गाड़ी अथवा बस का भी सहारा लेना पड़ता है। बस की यात्रा का अनुभव भी बड़ा विचित्र है। भारत जैसे जनसंख्या प्रधान देश में बस की यात्रा अत्यंत असुविधानजनक है। प्रत्येक बस में सीटें तो गिनती की हैं पर बस में चढ़ने वालों की संख्या निर्धारित करना एक जटिल कार्य है। भले ही बस हर पाँच मिनट बाद चले पर चलेगी पूरी तरह भर कर। गर्मियों के दिनों में तो यह यात्रा किसी भी यातना से कम नहीं।

भारत के नगरों की अधिकांश सड़कें सम न होकर विषम हैं। खड़े हुए यात्री की तो दुर्दशा हो जाती है, एक यात्री दूसरे यात्री पर गिरने लगता है। कभी-कभी तो लड़ाई-झगड़े की नौबत पैदा हो जाती है। लोगों की जेबें कट जाती हैं। जिन लोगों के कार्यालय दूर हैं, उन्हें प्रायः बस का सहारा लेना ही पड़ता है। बस यात्रा एक प्रकार से रेल यात्रा का लघु रूप है। जिस प्रकार गाड़ी में विभिन्न जातियों एवं प्रवृत्तियों के लोगों के दर्शन होते हैं, उसी प्रकार बस में भी अलग-अलग विचारों के लोग मिलते हैं।

इनसे मनुष्य बहुत कुछ सीख भी सकता है। भीड़ भरी बस की यात्रा जीवन की कठिनाइयों का सामना करने का छोटा-सा शिक्षालय है। यह यात्रा इस तथ्य की परिचायक है कि भारत अनेक क्षेत्रों में अभी तक भरपूर प्रगति नहीं कर सका। जो व्यक्ति बस यात्रा के अनुभव से वंचित है, वह एक प्रकार से भारतीय जीवन के बहुत बड़े अनुभव से ही वंचित है।

26. अधजल गगरी छलकत जाय

संकेत बिंदु – भूमिका, अधूरा ज्ञान- व्यर्थ, डींग हाँकना, झूठा प्रदर्शन और अपूर्णता, हीनता की ग्रंथि, झूठा गौरव और दिखावे की भावना,

उपसंहार। जल से आमुख भरी गगरी चुपचाप बिना उछले चलती है। आधी भरी हुई जल की मटकी उछल-उछल कर चलती है। ठीक यही स्वभाव मानव मन का भी है। वास्तविक विद्वान विनम्र हो जाते हैं। नम्रता ही उनकी शिक्षा का प्रतीक होता है। दूसरी ओर जो लोग अर्द्ध- शिक्षित होते हैं अथवा अर्द्ध- समृद्ध होते हैं, वे अपने ज्ञान अथवा धन की डींग बहुत हाँकते हैं।

अर्द्ध- शिक्षित व्यक्ति का डींग हाँकना बहुत कुछ मनोवैज्ञानिक भी है। वे लोग अपने ज्ञान का प्रदर्शन करके अपनी अपूर्णता को ढकना चाहते हैं। उनके मन में अपने अधूरेपन के प्रति एक प्रकार की हीनता का मनोभाव होता है जिसे वे प्रदर्शन के माध्यम से झूठा प्रभाव उत्पन्न करके समाप्त करना चाहते हैं। यही कारण है कि मध्यमवर्गीय व्यक्तियों के जीवन जितने आडंबरपूर्ण, प्रपंचपूर्ण एवं लचर होते हैं उतने निम्न या उच्च वर्ग के नहीं। उच्च वर्ग में शिक्षा, धन और समृद्धि रच जाती है।

इस कारण ये चीजें महत्त्व को बढ़ाने का साधन नहीं बनतीं। मध्यमवर्गीय व्यक्ति अपनी हर समृद्धि को, अपने गुण को, अपने महत्त्व को हथियार बनाकर चलाता है। प्रायः यह व्यवहार देखने में आता है कि अंग्रेज़ी की शिक्षा से अल्प परिचित लोग अंग्रेज़ी बोलने तथा अंग्रेज़ी में निमंत्रण- पत्र छपवाने में अधिक गौरव अनुभव करते हैं। अतः यह सत्य है कि अपूर्ण समृद्धि प्रदर्शन को जन्म देती है अर्थात् अधजल गगरी छलकत जाय।

27. मन चंगा तो कठौती में गंगा

संकेत बिंदु – भूमिका, संत रविदास का कथन, निर्मल मानव-मन की महत्ता, स्वच्छ और निष्पाप हृदय, आत्मिक शांति, उपसंहार।

संत रविदास का यह वचन एक मार्मिक सत्य का उद्घाटन करता है। मानव के लिए मन की निर्मलता का होना आवश्यक है। जिसका मन निर्मल होता है, उसे बाहरी निर्मलता ओढ़ने या गंगा के स्पर्श से निर्मलता प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। जिनके मन में मैल होती है, उन्हें ही गंगा की निर्मलता अधिक आकर्षित करती है। स्वच्छ एवं निष्पाप हृदय का व्यक्ति बाह्य आडंबरों से दूर रहता है। अपना महत्त्व प्रतिपादित करने के लिए वह विभिन्न प्रपंचों का सहारा नहीं लेता।

प्राचीन भारत में ऋषि-मुनि घर-बार सभी त्याग कर सभी भौतिक सुखों से रहित होकर भी परमानंद की प्राप्ति इसीलिए कर लेते थे कि उनकी मन – आत्मा पर व्यर्थ के पापों का बोझ नहीं होता था। बुरे मन का स्वामी चाहे कितना भी प्रयास कर ले कि उसे आत्मिक शांति मिले, परंतु वह उसे प्राप्त नहीं कर सकता। भक्त यदि परमात्मा को पाना चाहते हैं तो भगवान स्वयं भी उसकी भक्ति से प्रभावित हो उसके निकट आना चाहता है। वह भक्त के निष्कपट, निष्पाप और निष्कलुष हृदय में मिल जाना चाहता है।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

28. जहाँ चाह, वहाँ राह

संकेत बिंदु – भूमिका, मनुष्य की संघर्षशीलता, उन्नति की राह, परिश्रम की उपयोगिता, उपसंहार।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज में प्रतिष्ठापूर्वक जीवन यापन करने के लिए उसे निरंतर संघर्षशील रहना पड़ता है। इसके लिए वह नित्य नवीन प्रयास करता है, जिससे उसकी प्रतिष्ठा बनी रहे तथा वह नित्य प्रति उन्नति करता रहे। यदि मनुष्य के मन में उन्नति करने की इच्छा नहीं होगी तो वह कभी उन्नति कर ही नहीं सकता। अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए मनुष्य अनेक प्रयत्न करता है तब कहीं अंत में उसे सफलता मिलती है। सबसे

पहले मन में किसी कार्य को करने की इच्छा होनी चाहिए, तभी हम कार्य करते हैं और सफलता प्राप्त करते हैं। संस्कृत में एक कथन है कि ‘ उदयमेन हि सिद्धयंति कार्याणि न मनोरथ:’ अर्थात परिश्रम से ही कार्य की सिद्धि होती है। परिश्रम मनुष्य तब करता है जब उसके मन में परिश्रम करने की इच्छा उत्पन्न होती है। जिस मनुष्य के मन में कार्य करने की इच्छा ही नहीं होगी वह कुछ भी नहीं कर सकता। जैसे पानी पीने की इच्छा होने पर हम नल अथवा कुएँ से पानी लेकर पीते हैं। यहाँ पानी पीने की इच्छा ने पानी को प्राप्त करने के लिए हमें नल अथवा कुएँ तक जाने का मार्ग बनाने की प्रेरणा दी। अतः कहा जाता है कि जहाँ चाह, वहाँ राह।

29. का वर्षा जब कृषि सुखाने

संकेत बिंदु – भूमिका, साधन और समय में तारतम्यता, उचित अवसर, अनुकूल समय की परख, उपसंहार।

गोस्वामी तुलसीदास की इस सूक्ति का अर्थ है – जब खेती ही सूख गई, तब पानी के बरसने का क्या लाभ है ? जब ठीक अवसर पर वांछित वस्तु उपलब्ध न हुई तो बाद में उस वस्तु का मिलना बेकार ही है। साधन की उपयोगिता तभी सार्थक हो सकती है, जब वे समय पर उपलब्ध हो जाएँ। अवसर बीतने पर सब साधन व्यर्थ पड़े रहते हैं। अंग्रेज़ी में एक कहावत है- लोहे पर तभी चोट करो जबकि वह गर्म हो अर्थात् जब लोहा मुड़ने और ढलने को तैयार हो, तभी उचित चोट करनी चाहिए।

उस अवसर को खो देने पर केवल लोहे की टन टन की आवाज़ के अतिरिक्त कुछ लाभ नहीं मिल सकता। अतः मनुष्य को चाहिए कि वह उचित समय की प्रतीक्षा में हाथ पर हाथ रख कर न बैठा रहे, अपितु समय की आवश्यकता को पहले से ध्यान करके उसके लिए उचित तैयारी करे। हमारे शास्त्रों में भी कहा गया है कि समय एक ऐसी स्त्री है जो अपने लंबे बाल मुँह के आगे फैलाए हुए निरंतर दौड़ती चली जा रही है।

जिसे भी समय रूपी उस स्त्री को वश में करना हो, उसे चाहिए कि वह समय के आगे-आगे दौड़ कर उस स्त्री के बालों से उसे पकड़े। उसके पीछे-पीछे दौड़ने से मनुष्य उसे नहीं पकड़ पाता। आशय यह है कि उचित समय पर उचित साधनों का होना ज़रूरी है। जो लोग आग लगने पर कुआँ खोदते हैं, वे आग में अवश्य झुलस जाते हैं। उनका कुछ भी शेष नहीं बचता।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

30. परिश्रम सफलता की कुंजी है –

संकेत बिंदु – भूमिका, परिश्रम का महत्त्व, समयानुसार बुद्धि का सदुपयोग, परिश्रम और बुद्धि का तालमेल, उपसंहार।

संस्कृत की प्रसिद्ध सूक्ति है – ‘उद्यमेनहि सिद्धयंति कार्याणि न मनोरथः ‘ अर्थात् परिश्रम से ही कार्य की सिद्धि होती है, मात्र इच्छा करने से नहीं। सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम ही एकमात्र मंत्र है। ‘श्रमेव जयते’ का सूत्र इसी भाव की ओर संकेत करता है। परिश्रम के बिना हरी-भरी खेती सूखकर झाड़ बन जाती है जबकि परिश्रम से बंजर भूमि को भी शस्य – श्यामला बनाया जा सकता है।

असाध्य कार्य भी परिश्रम के बल पर संपन्न किए जा सकते हैं। बुद्धिमान व्यक्ति कितने ही प्रतिभाशाली हों, किंतु उन्हें लक्ष्य में सफलता तभी मिलती है जब वे अपनी बुद्धि और प्रतिभा को परिश्रम की सान पर तेज़ करते हैं। न जाने कितनी संभावनाओं के बीज पानी, मिट्टी, सिंचाई और जुताई के अभाव में मिट्टी बन जाते हैं, जबकि ठीक संपोषण प्राप्त करके कई बीज सोना भी बन जाते हैं। कई बार प्रतिभा के अभाव में परिश्रम ही अपना रंग दिखलाता है। प्रसिद्ध उक्ति है कि निरंतर घिसाव से पत्थर पर भी चिह्न पड़ जाते हैं।

जड़मति व्यक्ति परिश्रम द्वारा ज्ञान उपलब्ध कर लेता है। जहाँ परिश्रम तथा प्रतिभा दोनों एकत्र हो जाते हैं वहाँ किसी अद्भुत कृति का सृजन होता है। शेक्सपीयर ने महानता को दो श्रेणियों में विभक्त किया है – जन्मजात महानता तथा अर्जित महानता। यह अर्जित महानता परिश्रम के बल पर ही अर्जित की जाती है। अतः जिन्हें ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त नहीं है, उन्हें अपने श्रम-बल का भरोसा रखकर कर्म में जुटना चाहिए। सफलता अवश्य ही उनकी चेरी बन कर उपस्थित होगी।

31. समय का महत्त्व अथवा
अथवा
समय सबसे बड़ा धन है

संकेत बिंदु – भूमिका, जीवन की क्षणिकता, समय का महत्त्व, मनोरंजन और समय का मूल्य, परिश्रम ही प्रगति की राह, उपसंहार।

दार्शनिकों ने जीवन को क्षणभंगुर कहा है। इनकी तुलना प्रभात के तारे और पानी के बुलबुले से की गई है। अतः यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि हम अपने जीवन को सफल कैसे बनाएँ। इसका एकमात्र उपाय समय का सदुपयोग है। समय एक अमूल्य वस्तु है। इसे काटने की वृत्ति जीवन को काट देती है। खोया समय पुनः नहीं मिलता। दुनिया में कोई भी शक्ति नहीं जो बीते हुए समय को वापस लाए।

हमारे जीवन की सफलता-असफलता समय के सदुपयोग तथा दुरुपयोग पर निर्भर करती है। कहा भी है- क्षण को क्षुद्र न समझो भाई, यह जग का निर्माता है। हमारे देश में अधिकांश लोग समय का मूल्य नहीं समझते। देर से उठना, व्यर्थ की बातचीत करना, ताश खेलना आदि के द्वारा समय नष्ट करते हैं। यदि हम चाहते हैं तो हमें पहले अपना काम पूरा करना चाहिए। बहुत से लोग समय को नष्ट करने में आनंद का अनुभव करते हैं।

मनोरंजन के नाम पर समय नष्ट करना बहुत बड़ी भूल है। समय का सदुपयोग करने के लिए आवश्यक है कि हम अपने दैनिक कार्य को करने का समय निश्चित कर लें। फिर उस कार्य को उसी समय में करने का प्रयत्न करें। इस तरह का अभ्यास होने से हम समय का मूल्य समझ जाएँगे और देखेंगे कि हमारा जीवन निरंतर प्रगति की ओर बढ़ता जा रहा है। समय के सदुपयोग से ही जीवन का पथ सरल हो जाता है। महान व्यक्तियों के महान बनने का रहस्य समय का सदुपयोग ही है। समय के सदुपयोग के द्वारा ही मनुष्य अमर कीर्ति का पात्र बन सकता है। समय का सदुपयोग ही जीवन का सदुपयोग है। इसी में जीवन की सार्थकता है –
“कल करै सो आज कर, आज करै सो अब। पल में परलै होयगी, बहुरि करोगे कब॥

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

32. स्त्री शिक्षा का महत्त्व

संकेत बिंदु – भूमिका, शिक्षा का महत्त्व, नारी का घर और समाज में स्थान, सामाजिक कर्तव्य, गृह विज्ञान की शिक्षा, उपसंहार।

विद्या हमारी भी न तब तक काम में कुछ आएगी।
नारियों को भी सुशिक्षा दी न जब तक जाएगी।

आज शिक्षा मानव – जीवन का एक अंग बन गई है। शिक्षा के बिना मनुष्य ज्ञान – पंगु कहलाता है। पुरुष के साथ-साथ नारी को भी शिक्षा की आवश्यकता है। नारी शिक्षित होकर ही बच्चों को शिक्षा प्रदान कर सकती है। बच्चों पर पुरुष की अपेक्षा नारी के व्यक्तित्व का प्रभाव अधिक पड़ता है। अतः उसका शिक्षित होना ज़रूरी है। ‘स्त्री का रूप क्या हो ?’ – यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है। इतना तो स्वीकार करना ही पड़ेगा कि नारी और पुरुष के क्षेत्र अलग-अलग हैं।

पुरुष को अपना अधिकांश जीवन बाहर के क्षेत्र में बिताना पड़ता है जबकि नारी को घर और बाहर में समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता होती है। सामाजिक कर्तव्य के साथ-साथ उसे घर के प्रति भी अपनी भूमिका का निर्वाह करना पड़ता है। अतः नारी को गृह विज्ञान की शिक्षा में संपन्न होना चाहिए। अध्ययन के क्षेत्र में भी वह सफल भूमिका का निर्वाह कर सकती है।

शिक्षा के साथ-साथ चिकित्सा के क्षेत्र में भी उसे योगदान देना चाहिए। सुशिक्षित माताएँ ही देश को अधिक योग्य, स्वस्थ और आदर्श नागरिक दे सकती हैं। स्पष्ट हो जाता है कि स्त्री शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार होना चाहिए। नारी को फ़ैशन से दूर रह कर सादगी के जीवन का समर्थन करना चाहिए। उसकी शिक्षा समाजोपयोगी होनी चाहिए।

33. स्वास्थ्य ही जीवन है

संकेत बिंदु – भूमिका, स्वास्थ्य का महत्त्व, अस्वस्थ व्यक्ति की मानसिकता, अक्षमता, नशीले पदार्थों की अनुपयोगिता, पौष्टिक और सात्विक भोजन की आवश्यकता, भ्रमण की उपयोगिता, उपसंहार।

जीवन का पूर्ण आनंद वही ले सकता है जो स्वस्थ है। स्वास्थ्य के अभाव में सब प्रकार की सुख-सुविधाएँ व्यर्थ प्रमाणित होती हैं। तभी तो कहा है – ‘शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्’ अर्थात शरीर ही सब धर्मों का मुख्य साधन है। स्वास्थ्य जीवन है और अस्वस्थता मृत्यु है। अस्वस्थ व्यक्ति का किसी भी काम में मन नहीं लगता। बढ़िया से बढ़िया खाद्य पदार्थ उसे विष के समान लगता है। वस्तुतः उसमें काम करने की क्षमता ही नहीं होती। अतः प्रत्येक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह अपने स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के लिए प्रयत्नशील रहे। स्वास्थ्य-रक्षा के लिए नियमितता तथा संयम की सबसे अधिक ज़रूरत है।

समय पर भोजन, समय पर सोना और जागना अच्छे स्वास्थ्य के लक्षण हैं। शरीर की सफाई की तरफ भी पूरा ध्यान देने की ज़रूरत है। सफाई के अभाव से तथा असमय खाने-पीने से स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। क्रोध, भय आदि भी स्वास्थ्य को हानि पहुँचाते हैं। नशीले पदार्थों का सेवन तो शरीर के लिए घातक साबित होता है। स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए पौष्टिक एवं सात्विक भोजन भी ज़रूरी है। स्वास्थ्य रक्षा के लिए व्यायाम का भी सबसे अधिक महत्त्व है। व्यायाम से बढ़कर न कोई औषधि है और न कोई टॉनिक।

व्यायाम से शरीर में स्फूर्ति आती है, शक्ति, उत्साह एवं उल्लास का संचार होता है। शरीर की आवश्यकतानुसार विविध आसनों का प्रयोग भी बड़ा लाभकारी होता है। खेल भी स्वास्थ्य लाभ का अच्छा साधन है। इनसे मनोरंजन भी होता है और शरीर भी पुष्ट तथा चुस्त बनता है। प्रायः भ्रमण का भी विशेष लाभ है। इससे शरीर का आलस्य भागता है, काम में तत्परता बढ़ती है। जल्दी थकान का अनुभव नहीं होता।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

34. मधुर वाणी

संकेत बिंदु – भूमिका, श्रेष्ठ वाणी की उपयोगिता, कटुता और कर्कश वाणी, चरित्र की स्पष्टता, विनम्रता और मधुरवाणी, उपसंहार।

वाणी ही मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ अलंकार है। वाणी के द्वारा ही मनुष्य अपने विचारों का आदान-प्रदान दूसरे व्यक्तियों से करता है। वाणी का मनुष्य के जीवन पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। सुमधुर वाणी के प्रयोग से लोगों के साथ आत्मीय संबंध बन जाते हैं, जो व्यक्ति कर्कश वाणी का प्रयोग करते हैं, उनसे लोगों में कटुता की भावना व्याप्त हो जाती है। जो लोग अपनी वाणी का मधुरता से प्रयोग करते हैं, उनकी सभी लोग प्रशंसा करते हैं। सभी लोग उनसे संबंध बनाने के इच्छुक रहते हैं। वाणी मनुष्य के चरित्र को भी स्पष्ट करने में सहायक होती है।

जो व्यक्ति विनम्र और मधुर वाणी से लोगों के साथ व्यवहार करते हैं, उसके बारे में लोग यही समझते हैं कि इनमें सद्भावना विद्यमान है। मधुर वाणी मित्रों की संख्या में वृद्धि करती है। कोमल और मधुर वाणी से शत्रु के मन पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है। वह भी अपनी द्वेष और ईर्ष्या की भावना को विस्तृत करके मधुर संबंध बनाने का इच्छुक हो जाता है। यदि कोई अच्छी बात भी कठोर और कर्कश वाणी में कही जाए तो लोगों पर उसकी प्रतिक्रिया विपरीत होती है। लोग यही समझते हैं कि यह व्यक्ति अहंकारी है। इसलिए वाणी मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ अलंकार है तथा उसे उसका सदुपयोग करना चाहिए।

35. नारी शक्ति

संकेत बिंदु – भूमिका, नारी का स्वरूप, प्राचीन ग्रंथों में नारी, नारी के बिना नर नारी की सक्षमता, उपसंहार।

नारी त्याग, तपस्या, दया, ममता, प्रेम एवं बलिदान की साक्षात मूर्ति है। नारी तो नर की जन्मदात्री है। वह भगिनी भी और पत्नी भी है। वह सभी रूपों में सुकुमार, सुंदर और कोमल दिखाई देती है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी नारी को पूज्य माना गया है। कहा गया है कि जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते हैं। उसके हृदय में सदैव स्नेह की धारा प्रवाहित होती रहती है। नर की रुक्षता, कठोरता एवं उद्दंडता को नियंत्रित करने में भी नारी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। वह धात्री, जन्मदात्री और दुखहर्त्री है।

नारी के बिना नर अपूर्ण है। नारी को नर से बढ़कर कहने में किसी भी प्रकार की अतिशयोक्ति नहीं है। नारी प्राचीन काल से आधुनिक काल तक अपनी महत्ता एवं श्रेष्ठता प्रतिपादित करती आई है। नारियाँ, ज्ञान, कर्म एवं भाव सभी क्षेत्रों में अग्रणी रही हैं। यहाँ तक कि पुरुष वर्ग के लिए आरक्षित कहे जाने वाले कार्यों में भी उसने अपना प्रभुत्व स्थापित किया है। चाहे एवरेस्ट की चोटी ही क्यों न हो, वहाँ भी नारी के चरण जा पहुँचे हैं। अंटार्कटिका पर भी नारी जा पहुँची है। प्रशासनिक क्षमता का प्रदर्शन वह अनेक क्षेत्रों में सफलतापूर्वक कर चुकी है। आधुनिक काल की प्रमुख नारियों में श्रीमती इंदिरा गांधी, विजयलक्ष्मी पंडित, सरोजिनी नायडू, बछेंद्री पाल, सानिया मिर्ज़ा आदि का नाम गर्व के साथ लिया जा सकता है।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

36. चाँदनी रात में नौका विहार

संकेत बिंदु – भूमिका, ग्रीष्म ऋतु में यमुना नदी में विहार, रात्रिकालीन प्राकृतिक सुषमा, उन्माद भरा वातावरण, उपसंहार।

ग्रीष्मावकाश में हमें पूर्णिमा के अवसर पर यमुना नदी में नौका विहार का अवसर प्राप्त हुआ। चंद्रमा की चाँदनी से आकाश शांत, तर एवं उज्ज्वल प्रतीत हो रहा था। आकाश में चमकते तारे ऐसे प्रतीत हो रहे थे मानो वे आकाश के नेत्र हैं जो अपलक चाँदनी में डूबे पृथ्वी के सौंदर्य को देख रहे हैं। तारों से जड़े आकाश की शोभा यमुना के जल में द्विगुणित हो गई थी। इस रात – रजनी के शुभ प्रकाश में हमारी नौका धीरे-धीरे चलती हुई ऐसी लग रही थी मानो कोई सुंदर परी धीरे-धीरे चल रही हो।

जब नौका नदी के मध्य में पहुँची तो चाँदनी में चमकता हुआ पुलिन आँखों से ओझल हो गया तथा यमुना के किनारे खड़े हुए वृक्षों की पंक्ति भृकुटि सी वक्र लगने लगी। नौका के चलने से जल में उत्पन्न लहरों के कारण उसमें चंद्रमा एवं तारकवृंद ऐसे झिलमिला रहे थे मानो तरंगों की लताओं में फूल खिले हों। रजत सर्पों-सी सीधी-तिरछी नाचती हुई चाँदनी की किरणों की छाया चंचल लहरों में ऐसी प्रतीत होती थी मानो जल में आड़ी-तिरछी रजत रेखाएँ खींच दी गई हों। नौका के चलते रहने से आकाश के ओर-छोर भी हिलते हुए लगते थे।

जल में तारों की छाया ऐसी प्रतिबिंबित हो रही थी मानो जल में दीपोत्सव हो रहा हो। ऐसे में हमारे एक मित्र ने मधुर राग छेड़ दिया, जिससे वातावरण और भी अधिक उन्मादित हो गया। धीरे-धीरे हम नौका को किनारे की ओर ले आए। डंडों से नौका को खेने पर जो फेन उत्पन्न हो रही थी वह भी चाँदनी के प्रभाव से मोतियों के ढेर – सी प्रतीत हो रही थी। समस्त दृश्य अत्यंत दिव्य एवं अलौकिक ही लग रहा था।

37. राष्ट्रीय एकता

संकेत बिंदु – भूमिका, क्षेत्रीयता के प्रति मोह, देश की एकता के लिए घातक, राष्ट्रीय भावना का महत्त्व, भाषाई एकता, अनेकता में एकता, उपसंहार।

आज देश के विभिन्न राज्य क्षेत्रीयता के मोह में ग्रस्त हैं। सर्वत्र एक-दूसरे से बिछुड़ कर अलग होने तथा अपना-अपना मनोराज्य स्थापित करने की होड़ लगी हुई है। यह स्थिति देश की एकता के लिए अत्यंत घातक है क्योंकि राष्ट्रीय एकता के अभाव में देश का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है। राष्ट्र से तात्पर्य किसी भौगोलिक भू-खंड मात्र अथवा उस भू-खंड में सामूहिक रूप से रहने वाले व्यक्तियों से न होकर उस भू-खंड में रहने वाली संवेदनशील जनता से होता है।

अतः राष्ट्रीय एकता वह भावना है, जो किसी एक राष्ट्र के समस्त नागरिकों को एकता के सूत्र में बाँधे रखती है। राष्ट्र के प्रति ममत्व की भावना से ही राष्ट्रीय एकता की भावना का जन्म होता है। भारत प्राकृतिक, भाषायी, रहन-सहन आदि की दृष्टि से अनेक रूप वाला होते हुए भी राष्ट्रीय स्वरूप में एक है। पर्वतराज हिमालय एवं सागर इसकी प्राकृतिक सीमाएँ हैं, समस्त भारतीय धर्म एवं संप्रदाय आवागमन में आस्था रखते हैं।

भाषाई भेदभाव होते हुए भी भारतवासियों की भावधारा एक है। यहाँ की संस्कृति की पहचान दूर से ही हो जाती है। भारत की एकता का सर्वप्रमुख प्रमाण यहाँ एक संविधान का होना है। भारतीय संसद की सदस्यता धर्म, संप्रदाय, जाति, क्षेत्र आदि के भेदभाव से मुक्त हैं। इस प्रकार अनेकता में एकता के कारण भारत की राष्ट्रीय एकता सदा सुदृढ़ है।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

38. बारूद के ढेर पर दुनिया

संकेत बिंदु – भूमिका, नए-नए वैज्ञानिक आविष्कार, अस्त्र-शस्त्रों की भरमार, रासायनिक पदार्थों की अधिकता, रसायनों से जीवन को ख़तरे, उपसंहार।

आधुनिक युग विज्ञान का युग है। मनुष्य ने अपने भौतिक सुखों की वृद्धि के लिए इतने अधिक वैज्ञानिक उपकरणों का आविष्कार कर लिया है कि एक दिन वे सभी उपकरण मानव सभ्यता के विनाश का कारण भी बन सकते हैं। एक- दूसरे देश को नीचा दिखाने के लिए अस्त्र-शस्त्रों, परमाणु बमों, रासायनिक बमों के निर्माण ने जहाँ परस्पर प्रतिद्वंद्विता पैदा की है वहीं इनका प्रयोग केवल प्रतिपक्षी दल को ही नष्ट नहीं करता अपितु प्रयोग करने वाले देश पर भी इनका प्रभाव पड़ता है।

नए-नए कारखानों की स्थापना से वातावरण प्रदूषित होता जा रहा है। भोपाल गैस दुर्घटना के भीषण परिणाम हम अभी भी सहन कर रहे हैं। देश में एक कोने से दूसरे कोने तक ज़मीन के अंदर पेट्रोल तथा गैस की नालियाँ बिछाईं जा रही हैं, जिनमें आग लगने से सारा देश जलकर राख हो सकता है। घर में गैस के चूल्हों से अक्सर दुर्घटनाएँ होती रहती हैं। पनडुब्बियों के जाल ने सागर तल को भी सुरक्षित नहीं रहने दिया है।

धरती का हृदय चीर कर मेट्रो रेल बनाई गई है। इसमें विस्फोट होने से अनेक नगर ध्वस्त हो सकते हैं। इस प्रकार आज की मानवता बारूद के एक ढेर पर बैठी है, जिसमें छोटी-सी चिंगारी लगने मात्र से भयंकर विस्फोट हो सकता है।

39. शक्ति अधिकार की जननी है

संकेत बिंदु – भूमिका, शक्ति के प्रकार, शारीरिक और मानसिक शक्तियों का संयोग, अधिकारों की प्राप्ति, सत्य और अहिंसा का बल, अनाचार का विरोध, उपसंहार।

शक्ति का लोहा कौन नहीं मानता है ? इसी के कारण मनुष्य अपने अधिकार प्राप्त करता है। प्रायः यह दो प्रकार की मानी जाती है – शारीरिक और मानसिक। दोनों का संयोग हो जाने से बड़ी से बड़ी शक्ति को घुटने टेकने पर विवश किया जा सकता है। अधिकारों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष की आवश्यकता होती है। इतिहास इस बात का गवाह है कि अधिकार सरलता, विनम्रता और गिड़गिड़ाने से प्राप्त नहीं होते। भगवान कृष्ण ने पांडवों को अधिकार दिलाने की कितनी कोशिश की पर कौरव उन्हें पाँच गाँव तक देने के लिए सहमत नहीं हुए थे।

तब पांडवों को अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए युद्ध का रास्ता अपनाना पड़ा। भारत को अपनी आज़ादी तब तक नहीं मिली थी जब तक उसने शक्ति का प्रयोग नहीं किया। देशवासियों ने सत्य और अहिंसा के बल पर अंग्रेज़ सरकार से टक्कर ली थी। तभी उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी और देश आज़ाद हुआ था। कहावत है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते।

व्यक्ति हो अथवा राष्ट्र उसे शक्ति का प्रयोग करना ही पड़ता है। तभी अधिकारों की प्राप्ति होती है। शक्ति से ही अहिंसा का पालन किया जा सकता है, सत्य का अनुसरण किया जा सकता है, अत्याचार और अनाचार को रोका जा सकता है। इसी से अपने अधिकारों को प्राप्त किया जा सकता है। वास्तव में ही शक्ति अधिकार की जननी है।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

40. भाषण नहीं राशन चाहिए

संकेत बिंदु – भूमिका, भाषण की उपयोगिता और अनुपयोगिता, नेताओं की करनी कथनी में अंतर, आम जनता की पीड़ा, उपसंहार।

हर सरकार का यह पहला काम है कि वह आम आदमी की सुविधा का पूरा ध्यान रखे। सरकार की कथनी तथा करनी में अंतर नहीं होना चाहिए। केवल भाषणों से किसी का पेट नहीं भरता। यदि बातों से पेट भर जाता तो संसार का कोई भी व्यक्ति भूख-प्यास से परेशान न होता। भूखे पेट से तो भजन भी नहीं होता। भारत एक प्रजातंत्र देश है। यहाँ के शासन की बागडोर प्रजा के हाथ में है, यह केवल कहने की बात है।

इस देश में जो भी नेता कुर्सी पर बैठता है, वह देश के उद्धार की बड़ी-बड़ी बातें करता है पर रचनात्मक रूप से कुछ भी नहीं होता। जब मंच पर आकर नेता भाषण देते हैं तो जनता उनके द्वारा दिखाए गए सब्जबाग से खुशी का अनुभव करती है। उसे लगता है कि नेता जिस कार्यक्रम की घोषणा कर रहे हैं, उससे निश्चित रूप से गरीबी सदा के लिए दूर हो जाएगी, लेकिन होता सब कुछ विपरीत है।

अमीरों की अमीरी बढ़ती जाती है और आम जनता की ग़रीबी बढ़ती जाती है। यह व्यवस्था का दोष है। इन नेताओं के हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और वाली कहावत चरितार्थ होती है। जनता को भाषण की नहीं राशन की आवश्यकता है। सरकार की ओर से ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि जनता को ज़रूरत की वस्तुएँ प्राप्त करने में कठिनाई का अनुभव न हो। उसे रोटी, कपड़ा, मकान की समस्या का सामना न करना पड़े। सरकार को अपनी कथनी के अनुरूप व्यवहार भी करना चाहिए। उसे यह बात गाँठ बाँध लेनी चाहिए कि जनता को भाषण नहीं राशन चाहिए। भाषणों की झूठी खुराक से जनता को बहुत लंबे समय तक मूर्ख नहीं बनाया जा सकता।

41. सपने में चाँद की यात्रा

संकेत बिंदु – भूमिका, मन में विचार, सपना, चाँद पर भ्रमण, नींद का खुलना।

आज के समाचार-पत्र में पढ़ा कि भारत भी चंद्रमा पर अपना यान भेज रहा है। सारा दिन यही समाचार मेरे अंतर में घूमता रहा। सोया तो स्वप्न में लगा कि मैं चंद्रयान से चंद्रमा पर जाने वाला भारत का प्रथम नागरिक हूँ। जब मैं चंद्रमा के तल पर उतरा तो चारों ओर उज्ज्वल प्रकाश फैला हुआ था। वहाँ की धरती चाँदी से ढकी हुई लग रही थी। तभी एकदम सफ़ेद वस्त्र पहने हुए परियों ने मुझे पकड़ लिया और चंद्रलोक के महाराज के पास ले गईं। वहाँ भी सभी सफ़ेद उज्ज्वल वस्त्र पहने हुए थे।

उनसे वार्तालाप में मैंने स्वयं को जब भारत का नागरिक बताया तो उन्होंने मेरा सफ़ेद रसगुल्लों जैसी मिठाई से स्वागत किया। वहाँ सभी कुछ अत्यंत निर्मल और पवित्र था। मैंने मिठाई खानी शुरू ही की थी कि मेरी मम्मी ने मेरी बाँह पकड़ कर मुझे उठा दिया और डाँटने लगीं कि चादर क्यों खा रहा है ? मैं हैरान था कि यह क्या हो गया ? कहाँ तो मैं चंद्रलोक का आनंद ले रहा था और यहाँ चादर खाने पर डाँट पड़ रही है। मेरा स्वप्न भंग हो गया था और मैं भागकर बाहर की ओर चला गया।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

42. मेट्रो रेल : महानगरीय जीवन का सुखद सपना

संकेत बिंदु – भूमिका, गति, व्यवस्थित, आराम।

मेट्रो रेल वास्तव में ही महानगरीय जीवन का एक सुखद सपना है। भाग-दौड़ की जिंदगी में भीड़-भाड़ से भरी सड़कों पर लगते हुए गतिरोधों से आज मुक्ति दिला रही है मेट्रो रेल। जहाँ किसी निश्चित स्थान पर पहुँचने में घंटों लग जाते थे, वहीं मेट्रो रेल मिनटों में पहुँचा देती है। यह यातायात का तीव्रतम एवं सस्ता साधन है। यह एक सुव्यवस्थित क्रम से चलती है। इससे यात्रा सुखद एवं आरामदेह हो गई है। बसों की धक्का-मुक्की, भीड़- भाड़ से मुक्ति मिल गई है। समय पर अपने काम पर पहुँचा जा सकता है। एक निश्चित समय पर इसका आवागमन होता है, इसलिए समय की बचत भी होती है। व्यर्थ में इंतज़ार नहीं करना पड़ता है। महानगर के जीवन में यातायात क्रांति लाने में मेट्रो रेल का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

43. युवाओं के लिए मतदान का अधिकार

भारत एक लोकतंत्र है जहाँ प्रत्येक व्यस्क को मताधिकार प्राप्त है। पंचायत से लेकर लोकसभा तक के सदस्यों को भारत की व्यस्क जनता अपने मतदान द्वारा चुनती है। युवाओं को अपने मत का महत्त्व समझकर ही इसका प्रयोग करना चाहिए। एक – एक व्यक्ति का मत बहुत ही अमूल्य होता है क्योंकि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की हार-जीत का निर्णय एक मत से भी हो जाता है, जिसके पक्ष में पड़ने से जीत और विपक्ष में जाने से हार का सामना करना पड़ता है।

युवा वर्ग को अपने मत का प्रयोग करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि जिसे वे अपना मत देने जा रहे हैं, वह उनके, समाज के तथा देश के लिए कितना उपयोगी सिद्ध हो सकता है। ईमानदार, परिश्रमी, समाजसेवी, परोपकारी तथा दयालु व्यक्ति ही आप के मत का अधिकारी हो सकता है। जात-बिरादरी – धर्म-संप्रदाय के नाम पर किसी को अपना मत नहीं देना चाहिए। अपने मत का प्रयोग सदा स्वच्छ छवि वाले व्यक्ति को देकर ही करें।

44. शिक्षक : शिक्षार्थी संबंध

शिक्षक-शिक्षार्थी के संबंध प्राचीन भारत में गुरू-शिष्य परंपरा के रूप में जाने जाते थे। राजा से रंक तक के बच्चे गुरूकुलों में शिक्षा ग्रहण करते थे, जहाँ कोई भेदभाव नहीं होता था। गुरू अपने शिष्यों को अपना समस्त ज्ञान दे देने में ही अपने कर्त्तव्य की इति समझते थे। वह उनके लिए उन की संतान से भी अधिक प्रिय होता था। जैसे गुरू द्रोणाचार्य के लिए अश्वत्थामा से भी अधिक प्रिय अर्जुन था। वर्तमान भौतिकतावादी युग में शिक्षक – शिक्षार्थी के संबंधों में भी अर्थ प्रधान हो गया है।

शिक्षार्थी पैसे खर्च करके शिक्षा ग्रहण करता है तथा शिक्षक उसे पढ़ाने के लिए निर्धारित शुल्क लेता है। इस प्रकार शिक्षक को शिक्षार्थी अपने धन से खरीदा हुआ समझता है तथा दोनों में वस्तु और उपभोक्ता का संबंध रह जाता है। वह गरिमा नहीं रह जाती जो प्राचीन गुरू-शिष्य परंपरा में थी। इसलिए हमारा कर्तव्य बनता है कि शिक्षा के बाजारीकरण पर रोक लगाई जाए। इसे मात्र व्यवसाय न बना कर देश के भावी नागरिक बनाने वाले शिक्षकों को वह सम्मान दिया जाए जो उन्हें धन देकर नहीं दिया जा सकता।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

45. मित्रता

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के अभाव में उसका जीवन-निर्वाह संभव नहीं। सामाजिकों के साथ हमारे संबंध अनेक प्रकार के हैं। कुछ हमारे संबंधी हैं, कुछ परिचित तथा कुछ मित्र होते हैं। मित्रों में भी कुछ विशेष प्रिय होते हैं। जीवन में यदि सच्चा मित्र मिल जाए तो समझना चाहिए कि हमें बहुत बड़ी निधि मिल गई है। सच्चा मित्र हमारा मार्ग प्रशस्त करता है। वह दिन-प्रतिदिन हमें उन्नति की ओर ले जाता है। उसके सद्व्यवहार से हमारे जीवन में निर्मलता का प्रसार होता है। दुख के दिनों में वह हमारे लिए विशेष सहायक होता है। जब हम निरुत्साहित होते हैं तो वह हम में उत्साह भरता है।

वह हमें कुमार्ग से हटाकर सुमार्ग की ओर चलने की प्रेरणा देता है। सुदामा एवं कृष्ण की तथा राम एवं सुग्रीव की आदर्श मित्रता को कौन नहीं जानता। श्रीकृष्ण ने अपने दरिद्र मित्र सुदामा की सहायता कर उसके जीवन को ऐश्वर्यमय बना दिया था। राम ने सुग्रीव की सहायता कर उसे सब प्रकार के संकट से मुक्त कर दिया। सच्चा मित्र कभी एहसान नहीं जतलाता। वह मित्र की सहायता करना अपना कर्त्तव्य समझता है। वह अपनी दरिद्रता एवं अपने दुख की परवाह न करता हुआ अपने मित्र के जीवन में अधिक-से-अधिक सौंदर्य लाने का प्रयत्न करता है। सच्चा मित्र जीवन के बेरंग खाके में सुखों के रंग भरकर उसे अत्यंत आकर्षक बना देता है।

46. दहेज प्रथा : एक अभिशाप

दहेज का अर्थ है, विवाह के समय दी जाने वाली वस्तुएं। हमारे समाज में विवाह के साथ लड़की को माता-पिता का घर छोड़कर पति के घर जाना होता है। इस अवसर पर अपना स्नेह प्रदर्शित करने के लिए कन्या के पक्ष के लोग लड़की, लड़कों के संबंधियों को यथाशक्ति भेंट दिया करते हैं। यह प्रथा कब शुरू हुई, कहा नहीं जा सकता। लगता है कि यह प्रथा अत्यंत प्राचीन है। दहेज प्रथा जो आरंभ में स्वेच्छा और स्नेह से भेंट देने तक सीमित रही होगी धीरे-धीरे विकट रूप धारण करने लगी है।

वर पक्ष के लोग विवाह से पहले दहेज में ली जाने वाली धन-राशि तथा अन्य वस्तुओं का निश्चय करने लगे हैं। आधुनिक युग में कन्या की श्रेष्ठता शील-सौंदर्य से नहीं, बल्कि दहेज में आंकी जाने लगी। कन्या की कुरूपता और कुसंस्कार दहेज के आवरण में आच्छादित हो गए। खुलेआम वर की बोली बोली जाने लगी। दहेज में प्रायः राशि से परिवारों का मूल्यांकन होने लगा। इस प्रकार दहेज प्रथा एक सामाजिक समस्या बन गई है।

दहेज प्रथा समाप्त करने के लिए स्वयं युवकों को आगे आना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे अपने माता-पिता तथा संबंधियों को स्पष्ट शब्दों में कह दें – शादी होगी तो बिना दहेज के होगी। इन युवकों को चाहिए कि वे उस संबंधी का डटकर विरोध करें जो नवविवाहिता को शारीरिक या मानसिक कष्ट देता है। दहेज प्रथा की विकटता को कम करने में नारी का आर्थिक दृष्टि से स्वतंत्र होना भी बहुत हद तक सहायक होता है।

अपने पैरों पर खड़ी युवती को दूसरे लोग अनाप-शनाप नहीं कह सकते। इसके अतिरिक्त चूंकि वह चौबीस घंटे घर पर बंद नहीं रहेगी, सास और ननदों की छींटाकशी से काफ़ी बची रहेगी। बहू के नाराज़ हो जाने से एक अच्छी खासी आय हाथ से निकल जाने का भय भी उनका मुख बंद किए रखेगा। दहेज-प्रथा हमारे समाज का कोढ़ है। यह प्रथा साबित करती है कि हमें अपने को सभ्य मनुष्य कहलाने का कोई अधिकार नहीं है।

जिस समाज में दुल्हिनों को प्यार की जगह यातनाएं दी जाती हैं, वह समाज निश्चित रूप से सभ्यों का नहीं नितांत असभ्यों का समाज है। अब समय आ गया है कि इस कुरीति को समूल उखाड़ फेंकेंगे।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

47. कम्प्यूटर / कम्प्यूटर हमारा मित्र

कम्प्यूटर आधुनिक विज्ञान का अद्भुत करिश्मा है, जिसने सारे विश्व को एक बार तो अपने आकर्षण में जकड़ लिया है। यह पूरी तरह से हम सब का मित्र-सा बन गया है. कोई वैज्ञानिक प्रतिष्ठान हो या औद्योगिक प्रतिष्ठान, बैंक हो या बीमा निगम, रेलवे स्टेशन हो या बस डिपो, सार्वजनिक स्थल हो या सेना का मुख्यालय – सभी जगह कम्प्यूटर का बोल-बाला है। यही आज के बुद्धिजीवियों के चिन्तन का विषय बन रहा है और यही स्कूल-कॉलेजों में विद्यार्थियों की रुचि का केन्द्र है। भारत तेजी से इसके माध्यम से इक्कीसवीं शताब्दी में प्रवेश कर चुका है। हमारे नेता भी यह मानने लगे हैं कि बिना कम्प्यूटर के देश सर्वोन्मुखी विकास की ओर अग्रसर नहीं हो सकता।

कम्प्यूटर का प्रयोग शिक्षा, वैज्ञानिक अनुसंधान, चिकित्सा, व्यवसाय, मनोरंजन, सरकारी, गैर-सरकारी आदि सभी क्षेत्रों में होने लगा है। इंटरनेट के माध्यम से कम्प्यूटर विद्यार्थियों की लाइब्रेरी तथा पाठशाला बन गया है। बैंकों, प्रकाशन के क्षेत्र, परीक्षा परिणाम आदि सभी कार्य कम्प्यूटर द्वारा होने लगे हैं। कम्प्यूटर ने आज के जीवन को अत्यंत सुगम तथा सहज बना दिया है।

जहाँ कम्प्यूटर के इतने लाभ हैं, वहीं दिन-रात इस से चिपके रहने से शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। आँखें कमज़ोर हो जाती हैं तथा एक ही स्थिति में बैठे रहने से शरीर के अंगों में भी विकृति आ जाती है। इसलिए कम्प्यूटर का प्रयोग अत्यधिक समय तक नहीं करना चाहिए।

48. अपनी भाषा प्यारी भाषा

अपनी भाषा के उत्थान के बिना व्यक्ति उन्नति कर ही नहीं सकता। भाषा अभिव्यक्ति का प्रमुख माध्यम है। भाषा सामाजिक जीवन का अपरिहार्य अंग है। इसके बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। अपनी भाषा में अपने मन के विचारों को प्रकट करने में सुविधा रहती है। विदेशी भाषा कभी भी हमारे भावों को उतनी गहरी अभिव्यक्ति नहीं दे सकती जितनी हमारी मातृभाषा महात्मा गांधीजी ने भी इसी बात को ध्यान में रखकर मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने पर बल दिया था।

हमारे देश में अंग्रेज़ी के प्रयोग पर इतना अधिक बल दिए जाने के उपरांत भी अपेक्षित सफलता इसी कारण नहीं मिल पा रही हैं क्योंकि इसके द्वारा हम अपने विचारों को पूर्ण अभिव्यक्ति नहीं दे सकते। हम हीनता की भावना का शिकार हो रहे हैं। अंग्रेज़ी – परस्तों द्वारा दिया जाने वाला यह तर्क भ्रमित कर रहा है कि, ” अंग्रेज़ी ज्ञान का वातायन है।” अपनी भाषा के बिना मानव की मानसिक भूख शांत नहीं हो सकती। निज भाषा की उन्नति से ही समाज की उन्नति होती है। निज भाषा जननी तुल्य है। अतः कहा गया है कि –

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिना निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

49. स्वच्छता अभियान

स्वच्छता ही किसी घर, समाज और देश को स्वस्थ वातावरण और सुखद जीवन प्रदान करती है और इसलिए देश में सर्वत्र स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए केंद्रीय तथा राज्य सरकारों की ओर से भरपूर सहयोग तथा सहायता दी जा रही है। खुले में शौच के स्थान पर गाँव-गाँव, बस्ती-बस्ती में शौचालयों का निर्माण किया जा रहा है। लोगों को शिक्षित भी किया जा रहा है कि खुले में शौच से कैसे वातावरण दूषित हो जाता है तथा बीमारियाँ फैलती हैं। विद्यालयों से लेकर कार्यालयों तक और घर से लेकर गली मुहल्ले तक साफ-सुथरे किए जा रहे हैं।

स्थानीय निकाय घर-घर जाकर कूड़ा एकत्र कर कूड़े का वैज्ञानिक रीति से संशोधन कर रहे हैं। साफ-सफाई के लिए गली, मुहल्ले, नगर, गाँव पुरस्कृत भी किए जा रहे हैं। इस अभियान को पूर्ण रूप से सफल बनाने के लिए हमें अपना घर, गली, मुहल्ला साफ रखना चाहिए तथा दूसरों को भी प्रेरित करना चाहिए कि वे भी स्वच्छता अभियान को अपना कर देश को स्वस्थ बनाएँ।

50. लड़कियों की शिक्षा

विद्या हमारी भी न तब तक काम में कुछ आएगी।
अर्धांगनियों को भी सुशिक्षा दी न जब तक जाएगी॥

ऐम बी डी आज शिक्षा मानव-जीवन का एक आवश्यक अंग बन गई है। शिक्षा के बिना मनुष्य ज्ञान – पंगु कहलाता है। पुरुष के साथ-साथ नारी को भी शिक्षा की आवश्यकता है। नारी शिक्षित होकर ही बच्चों को शिक्षा प्रदान कर सकती है। बच्चों पर पुरुष की अपेक्षा नारी के व्यक्तित्व का प्रभाव अधिक पड़ता है। अतः उसका शिक्षित होना ज़रूरी है।

‘स्त्री का रूप क्या हो ?’ – यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है। इतना तो स्वीकार करना ही पड़ेगा कि नारी और पुरुष के क्षेत्र अलग-अलग हैं। पुरुष को अपना अधिकांश जीवन बाहर के क्षेत्र में बिताना पड़ता है जबकि नारी को घर और बाहर में समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता होती है। सामाजिक कर्तव्य के साथ-साथ उसे घर के प्रति भी अपनी भूमिका का निर्वाह करना पड़ता है। अतः नारी को गृह विज्ञान की शिक्षा में संपन्न होना चाहिए। अध्ययन के क्षेत्र में भी वह सफल भूमिका का निर्वाह कर सकती है। शिक्षा के साथ-साथ चिकित्सा के क्षेत्र में भी उसे योगदान देना चाहिए। सुशिक्षित माताएँ ही देश को अधिक योग्य, स्वस्थ और आदर्श नागरिक दे सकती हैं।

स्पष्ट हो जाता है कि स्त्री-शिक्षा का प्रचार एवं प्रसार सर्वत्र होना चाहिए। नारी को फैशन से दूर रहकर सादगी के जीवन का समर्थन करना चाहिए। उसकी शिक्षा समाजोपयोगी हो।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

51. स्वच्छ भारत अभियान

संकेत बिंदु – सर्वमान्य विचारधारा, उद्देश्यमूलक बनाना, जागरूकता फैलाना

गांधी जी का यह कहना था कि स्वच्छता परमात्मा की आराधना के समान है। उनकी इस सर्वमान्य विचारधारा को ध्यान में रखते हुए 2 अक्टूबर, 2014 को भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के द्वारा गांधी जी की समाधि राजघाट से स्वच्छ भारत अभियान का श्रीगणेश किया गया था। इस अभियान में सरकारी और गैर-सरकारी कर्मचारी, सभी राज्यों के मंत्री, विद्यालयों के छात्र, शैक्षणिक और औद्योगिक संस्थानों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।

स्वच्छता को केवल अपने घर, दुकान या दफ़्तर तक सीमित न रखकर अपने बाहरी वातावरण को भी स्वच्छ बनाने का जज्बा होना चाहिए। सभी देशवासियों को मिलकर इस स्वच्छ भारत अभियान को उद्देश्यमूलक बनाना है जिसके अंतर्गत सड़कों, शहरों, गांव, शैक्षिक और औद्योगिक संस्थानों इत्यादि की स्वच्छता का ध्यान रखना आवश्यक होगा। आज स्वच्छता का विस्तार करने के लिए देश के प्रत्येक घर में शौचालयों का निर्माण कर इस दिशा में अभूतपूर्व सफलता मिली है, इससे हमारा वातावरण स्वच्छ और स्वस्थ दिखाई देने लगा है और हर घर में पीने का स्वच्छ जल उपलब्ध भी हो रहा है।

इस अभियान को सफल बनाने के लिए बहुत से जाने-माने लोगों ने आगे बढ़कर हिस्सा लिया है और इस अभियान को नई गति दी है। देश के लाखों छात्रों, युवा-युवतियों ने अपना योगदान जागरूकता फैलाकर दिया है। हमें यह याद रखना चाहिए, कि इस स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाना केवल सरकार का नहीं बल्कि हम सब देशवासियों का दायित्व है। हमारे आस-पास किसी तरह की अस्वच्छता हमें बीमार कर सकती है। नाक बंद कर लेने से गंदगी दूर नहीं होगी, उसके लिए हमें खुद आगे बढ़कर उसे दूर करने का प्रयास करना होगा। हम सभी को यह प्रण लेना चाहिए कि इस देश को स्वच्छ बनाने में हम अपना पूर्ण योगदान देंगे।

52. कोरोना वायरसः एक महामारी अथवा कोरोना वायरस

संकेत बिंदु – कोरोना का संक्रमण, लॉकडाउन के सकारात्मक प्रभाव, कोरोना वायरस के लक्षण क्या हैं?

“कोरोना” का अर्थ ‘मुकुट जैसी आकृति’ होती है। इस अदृश्य वायरस को सूक्षदर्शी यंत्र से ही देखा जा सकता है। इसके वायरस के कणों के इर्द-गिर्द उभरे हुए काँटे जैसे ढाँचों से सूक्ष्मदर्शी में मुकुट जैसा आकार दिखाई देता है, इसी आधार पर इसका नाम रखा गया था। दूसरे अर्थ को समझने के लिए सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा सूर्य को ढक लेता है तो चंद्रमा के चारों और किरणें निकलती प्रतीत होती हैं उसको भी ‘कोरोना’ कहते हैं। कोरोना वायरस का प्रकोप चीन के वुहान में दिसंबर 2019 के मध्य में शुरू हुआ था और इसी कारण से इसका कोविड-19 नामकरण किया गया।

इसके प्रसार होते ही से ज़्यादातर मौतें चीन में हुई हैं लेकिन दुनिया भर में इससे कई लाख लोग प्रभावित होकर जान गँवा चुके हैं। चीन ने इस वायरस से बचने के लिए इमरजेंसी कदम उठाया जिसमें कई शहरों को लोकडाउन कर दिया गया था। इसकी रोकथाम के लिए सार्वजनिक परिवहन को रोक दिया गया था और सार्वजनिक जगहों और पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया गया था। केवल चीन ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देश वायरस से बचने के लिए लोकडाउन लगाने जैसे कदम उठाए थे।

कोरोना वायरस मुख्य तौर पर जानवरों के बीच फैलता है लेकिन बाद में इसने मानवों को भी संक्रमित कर दिया। कोरोना वायरस के जो लक्षण हैं, उनमें 90 फीसदी मामलों में बुखार, 80 फीसदी मामलों में थकान और सूखी खाँसी, 20 फीसदी मामलों में साँस लेने में परेशानी देखी गई है। दोनों फेफड़ों में इससे परेशानी देखी गई। इसके अलावा बड़ी संख्या में लोगों को निमोनिया की भी शिकायत हुई है। इस बात को माना जा रहा है कि इस वायरस की शुरुआत वुहान शहर के सीफूड बाज़ार में हुई थी।

जिन लोगों में शुरुआत में यह पाया गया, वे लोग उस थोक बाजार में काम करते थे। इसके फैलने का जरिया अभी पूरी तरह साफ़ नहीं है। लेकिन इसके एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में फैलने के प्रमाण हैं। इसके साथ ऐसा माना जा रहा है कि इससे प्रभावित एक व्यक्ति कम से कम तीन से चार स्वस्थ लोगों तक वायरस को फैला सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम चीन में इसकी उत्पत्ति को जाँच कर रही है। वर्तमान में कोरोना वायरस से बचने के लिए अनेक वैक्सीन मौजूद हैं। विश्व के कई देशों में टीकाकरण अभियान शुरू हो चुका है।

आप इससे बचने के लिए टीकाकरण करवा सकते हैं। टीकाकरण के दौरान भी अभी आप अपने हाथों को साबुन और पानी के साथ कम से कम 20 सेकेंड तक धोएँ। दो गज की सामाजिक दूरी बनाए रखें बिना धुले हुए हाथों से अपनी आँखों, नाक या मुँह को न स्पर्श करें। जो लोग बीमार हैं, उनके ज़्यादा नजदीक न जाएँ, फेस मास्क लगाना न भूलें। टीकाकरण के लिए आप अपनी बारी का इंतजार कर लाभ उठा सकते हैं।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

53. कमरतोड़ महँगाई

संकेत बिंदु – महँगाई के मुख्य कारण, भारत में महँगाई, महँगाई की रोकथाम के उपाय

आमतौर पर महँगाई का प्रमुख कारण उपभोक्ता वस्तुओं का अभाव तथा मुद्रास्फीति की दर है। जीवन के लिए आवश्यक दैनिक वस्तुओं की कमी कई बातों पर निर्भर करती है। इनमें, जैसे- अधिक वर्षा, हिमपात, अल्पवर्षा, अकाल, तूफान, फसलों की रोगग्रस्तता, प्रतिकूल मौसम, ओले, अनावृष्टि आदि। इसके अलावा स्वार्थी मानव द्वारा की गई गलत हरकतों द्वारा भी दैनिक उपयोगी वस्तुओं का कृत्रिम अभाव पैदा किया जाता है और फिर उन वस्तुओं को अधिक कीमत वसूल करके बेचा जाता है।

इस प्रकार के अनर्गल काम आमतौर पर थोक व्यापारियों द्वारा किए जाते हैं। वे किसी वस्तु विशेष की जमाखोरी करके आकस्मिक अभाव पैदा करते हैं और फिर उस वस्तु को जरूरतमंद के हाथों बेचकर मनमाने दाम वसूल करते हैं। यही कारण है कि भारत में महँगाई बढ़ जाती है और फिर अचानक घट जाती है। प्राइवेट सेक्टर के उत्पादनों की कीमतों पर प्रतिबंध लगाने तथा लाभ की सीमा तय करने में सरकार असमर्थ है। देश में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है जिसका कारण जमाखोर तथा मुनाफाखोर हैं।

वेतन में हुई भारी वृद्धि का लाभ उठाकर उत्पादकों ने सभी प्रकार के उत्पादों की कीमतें काफी बढ़ा दीं। महँगाई भारत में हीं नहीं वरन पूरे विश्व में गंभीर समस्या के रूप में सामने आई है। समय के साथ महँगाई और भ्रष्टाचार के कारण हमारे देश की हालत कुछ ऐसी हो गई है कि अमीर और अमीर होता जा रहा है, गरीब गरीबी। उपभोक्ता और सरकार के बीच अच्छे तालमेल से महँगाई पर काबू पाया जा सकता है। महँगाई बढते ही सरकार देश मे ब्याज दर बढ़ा देती है। सरकार द्वारा तय की हुई राशि का आम आदमी तक पहुँचना बेहद जरूरी है।

इससे गरीबी में भी गिरावट आएगी और लोगों के जीने के स्तर में भी सुधार आएगा। समय – समय पर यह जाँच करना ज़रूरी है कि कोई व्यापारी या फिर कोई अन्य व्यक्ति कालाबाज़ारी या अधिक मुनाफाखोरी के काम में तल्लीन तो नहीं है। सरकार द्वारा सर्वेक्षण करना ज़रूरी है कि बाज़ार मे किसी वस्तु का दाम कितना है, यह तय मानक दरों से अधिक तो नहीं है। मूल सुविधाओं और अन्न के दाम समय – समय पर देखने होगे क्योंकि मनुष्य के जीवन के लिए अन्न बेहद ज़रूरी है।

54. बदलती जीवन शैली के परिणाम

संकेत बिंदु – जीवन-शैली का अर्थ, बदलती जीवन शैली के प्रभाव, मानव के लिए सीख

जीवन-शैली किसी व्यक्ति, समूह, रुचि, राय, व्यवहार की दिशा आदि को संयुक्त रूप से व्यक्त करता है। आधुनिकता की इस अंधी दौड़ और हमारी जीवन-शैली ने आज हमारे स्वास्थ्य को जानलेवा बीमारियों से ग्रसित कर दिया है। जितनी तेजी से विज्ञान ने तरक्की कर हमें सुविधाएँ उपलब्ध करवाई हैं उतनी ही तेजी से तरह – तरह की बीमारियों का शिकार बनाया है। मानसिक तनाव, जैसे रोग तथा अन्य रोग जैसे मोटापा, गैस, कब्ज अस्थमा, जोड़ों का दर्द, माइग्रेन, बवासीर, उच्च रक्तचाप, मधुमेह व हृदयरोग जैसे गंभीर रोग इसी आधुनिक जीवन शैली की देन हैं।

दरअसल, इस तनावभरी जीवनशैली में आज के युवा भूलते जा रहे हैं कि देर रात पार्टियों में धूम्रपान व शराब का सेवन उनके ही जीवन को किस कदर दुष्प्रभावित कर रहा है। धूम्रपान करने वाले युवाओं में नपुंसकता का प्रतिशत अपेक्षाकृत अधिक पाया जाता है. शारीरिक श्रम के नाम पर लोग दिनभर कुछ नहीं करते। पैदल नहीं चलते, सीढियाँ नहीं चढ़ते, शारीरिक श्रम न करने की वजह से लोगों का पाचन-तंत्र खराब हो जाता है।

हम अपना जीवन जी रहे हें या काट रहे हैं, यह जानना हमारे लिए बेहद जरूरी है। हमने आने-जाने के लिए खूब चौड़े मार्ग तो बना लिए लेकिन हम संकीर्ण विचारों से बुरी तरह ग्रस्त हैं। हम अनावश्यक खर्च करते हैं और बदले में काम बहुत कम करते हैं। हम खरीदते बहुत अधिक हैं परंतु आनंद कम ही उठा पाते हैं। हमारे घर बहुत बड़े – बड़े हैं परंतु उनमें रहने वाले परिवार छोटे हैं। हम बहुत निपुण हैं लेकिन समस्याओं में उलझे रहते हैं। हमारे पास दवाइयाँ अधिक हैं किंतु स्वास्थ्य कमजोर है, हम अधिक खाते-पीते हैं परंतु हँसते कम हैं।

देर रात तक जागते हैं और सुबह भारी थकान के साथ उठते हैं। कम पढ़ते हैं और अधिक टी.वी. देखकर तनाव मोल लेते हैं। हम प्रार्थना कम करते हैं और दूसरों से घृणा और नफ़रत अधिक करते हैं। हमने रहने का तरीका सीख लिया है किंतु हमें जीना नहीं आया। हम चाँद पर जाकर वापस आ गए लेकिन अभी तक अपने पड़ोसी से मुलाकात नहीं की। हमने बाहरी क्षेत्र जीत लिए परंतु भीतर से टूटे और हारे हुए हैं। हमने बड़े-बड़े काम किए परंतु बेहतर नहीं। हमारी ‘आधुनिक जीवन-शैली’ कितनी बुरी तरह बिगड़ी और बिखरी हुई है।

इस बात का शायद हमें अनुमान भी नहीं है। इस बिखराव के कारण हमें कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है और चुकानी पड़ेगी, इस बात को समझने में शायद अभी सदियाँ लगेंगी। फिर भी, क्योंकि ‘मनुष्य जीवन’ हमारे पास प्रकृति की एक अमूल्य धरोहर और उपहार है, इसलिए प्रकृति से हमें सुसभ्य ढंग से जीने की कला सीखनी चाहिए न कि अर्थहीन व भ्रमित आधुनिक जीवन शैली के प्रभाव में आकर उसके चकाचौंध में जीवन-यापन करें।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

55. बढ़ते प्रदूषण की समस्या

संकेत बिंदु – प्रदूषण शब्द का अर्थ, अनेक समस्याएँ, स्वस्थ और प्रदूषण मुक्त वातावरण

प्रदूषण शब्द का अर्थ है – दूषित करना। प्रदूषण वर्तमान युग का एक ऐसा अभिशाप है, जो विज्ञान की शक्ति से जन्मा है और इसे झेलने के लिए आज संपूर्ण विश्व विवश है। मनुष्य ने प्रकृति की गोद में जन्म लिया है और प्रकृति सदैव से ही उसकी सहचरी रही है। मनुष्य अपने लोभ और स्वार्थ के कारण पर्यावरण की लगातार उपेक्षा करने लग गया है। मानव सभ्यता का विकास होता गया और वह अपने आसपास के पर्यावरण को जमकर प्रदूषित करता गया। आज प्रदूषण के बढ़ने से हमारी धरती पर अनेक समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं।

यदि समय रहते इन पर नियंत्रण न किया गया तो वे दिन दूर नहीं जब धीरे-धीरे सभी जीव-जंतुओं का विनाश हो जाएगा। वनों की अंधाधुंध कटाई, कारखानों की चिमनियों का प्रदूषित धुआँ, वाहनों का धुआँ धरती के पवित्र वातावरण को दूषित करता जा रहा है। प्रदूषण कई तरह के होते हैं। इनमें से सबसे हानिकारक जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, और ध्वनि प्रदूषण हैं।

महानगरों का सारा कूड़ा-करकट और मलमूत्र जल में डाल दिया जाता है जिससे हमारे पीने का पानी अशुद्ध और मलिन हो गया है और इस मलिन जल के सेवन से हमारे शरीर को अनेक तरह की बीमारियाँ लग रही हैं। वायु प्रदूषण हमारे द्वारा उत्पन्न की गई गैसों से संपूर्ण वायु में फैल जाता है और वही दूषित हवा को हम श्वसन क्रिया द्वारा अंदर लेते हैं और भयंकर बीमारियों का शिकार बन जाते हैं। ध्वनि प्रदूषण का कारण बढ़ती जनसंख्या भी है, जिसके कारण शोर-शराबा बढ़ता जा रहा है; जैसे – वाहनों का शोर, कल-कारखानों में मशीनों का शोरगुल इत्यादि। प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए सभी लोगो के संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है जिससे की हम एक स्वस्थ और प्रदूषणमुक्त वातावरण का उपभोग कर सकें।

56. डिजिटल इंडिया मिशन

संकेत बिंदु – अति उत्तम मिशन, क्रांतिकारी कदम, देश की प्रगति में चार चाँद

भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली डिजिटल इंडिया एक अति उत्तम मिशन है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य भारत के सभी छोटे बड़े सरकारी विभागों को डिजिटल रूप देकर उनकी कार्य करने की गति को द्रुत करना और देश के हर कोने तक सरकारी और गैरसरकारी क्षेत्र में सुविधा पहुँचाना है। भारत के द्रुत विकास के लिए डिजिटल इंडिया योजना के तहत अनेक योजनाएँ चलाई जा रही हैं जिससे कि सभी नागरिकों को डिजिटल सुख-सुविधाएँ मिल सकेंगी। इस मिशन के अंतर्गत भारत के सभी क्षेत्र के कामों को इंटरनेट से जोड़ना भी आवश्यक समझा जा रहा है।

यह एक ऐसा क्रांतिकारी कदम है जिसमें इंटरनेट और कंप्यूटर के माध्यम से सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे आम आदमी के बैंक खाते में पहुँचाकर लाभ देना। शिक्षा और कृषि से संबंधित जानकारी दूर-दूर ग्रामीणों तक पहुँचाना सुगम हो गया है। बिना पैसे प्रयोग किए क्रेडिट, डेबिट कार्ड या कैश वॉलेट द्वारा भुगतान, लैपटॉप या मोबाइल द्वारा फॉर्म जमा करना, रुपयों का भुगतान, रेलवे या होटलों की बुकिंग करना, समाचार या पत्रिका इंटरनेट पर पढ़ना आदि इसके बहुआयामी लाभ हैं।

डिजिटल इंडिया हमें भौगोलिक दृष्टि से एक दूसरे के अत्यंत निकट ले आया हैं। घर बैठे आज मोबाइल से ही सब कुछ किया जा रहा है। इस मिशन ने डिजिटल इंडिया अभियान में हमें विश्व के प्रमुख देशों के साथ कदम से कदम मिला कर चलने में हमारी सहायता की है। आज की आधुनिक सदी में डिजिटल इंडिया हमारे देश की प्रगति में चार चाँद लगा रहा है।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

57. परीक्षा से पहले मेरी मनोदशा

संकेत बिंदु – परीक्षा के नाम से भय, पर्याप्त तैयारी, प्रश्नपत्र देखकर भय दूर हुआ

वैसे तो हर मनुष्य परीक्षा से घबराता है किंतु विद्यार्थी इससे विशेष रूप से घबराता है। परीक्षा में पास होना ज़रूरी है नहीं तो जीवन का एक बहुमूल्य वर्ष नष्ट हो जाएगा। अपने साथियों से बिछड़ जाएँगे। ऐसी चिंताएँ हर विद्यार्थी को रहती हैं। परीक्षा शुरू होने से पूर्व जब मैं परीक्षा भवन पहुँचा तो मेरा दिल धक-धक कर रहा था। परीक्षा शुरू होने से आधा घंटा पहले मैं वहाँ पहुँच गया था।

मैं सोच रहा था कि सारी रात जागकर जो प्रश्न तैयार किए हैं यदि वे प्रश्न-पत्र में न आए तो मेरा क्या होगा ? इसी चिंता में मैं अपने सहपाठियों से खुलकर बात नहीं कर रहा था। परीक्षा भवन के बाहर का दृश्य बड़ा विचित्र था। परीक्षा देने आए कुछ विद्यार्थी बिलकुल बेफ़िक्र लग रहे थे। वे आपस में ठहाके मार-मार कर बातें कर रहे थे। कुछ ऐसे भी विद्यार्थी थे जो अभी तक किताबों से चिपके हुए थे।

मैं अकेला ऐसा विद्यार्थी था जो अपने साथ घर से कोई किताब या सहायक पुस्तक नहीं लाया था क्योंकि मेरे पिता जी कहा करते हैं कि परीक्षा के दिन से पहले की रात को ज्यादा पढ़ना नहीं चाहिए। सारे साल का पढ़ा हुआ भूल जाता है। वे परीक्षा के दिन से पूर्व की रात को जल्दी सोने की भी सलाह देते हैं जिससे सवेरे उठकर विद्यार्थी तरो ताज़ा होकर परीक्षा देने जाए न कि थका-थका महसूस करे।

परीक्षा भवन के बाहर लड़कों की अपेक्षा लड़कियाँ अधिक खुश नज़र आ रही थीं। उनके खिले चेहरे देखकर ऐसा लगता था मानो परीक्षा के भूत का उन्हें कोई डर नहीं। उन्हें अपनी स्मरण शक्ति पर पूरा भरोसा था। थोड़ी ही देर में घंटी बजी। यह घंटी परीक्षा भवन में प्रवेश की घंटी थी। इसी घंटी को सुनकर सभी ने परीक्षा भवन की ओर जाना शुरू कर दिया हँसते हुए चेहरों पर अब गंभीरता आ गई थी। परीक्षा भवन के बाहर अपना अनुक्रमांक और स्थान देखकर मैं परीक्षा भवन में प्रविष्ट हुआ और अपने स्थान पर जाकर बैठ गया। कुछ विद्यार्थी अब भी शरारतें कर रहे थे। मैं मौन हो धड़कते दिल से प्रश्न – पत्र बँटने की प्रतीक्षा करने लगा !

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

58. परीक्षा भवन का दृश्य

संकेत बिंदु – परीक्षा से घबराहट, परीक्षार्थियों का आना, घबराहट और बेचैनी, परीक्षा भवन का दृश्य

मार्च महीने की पहली तारीख थी। उस दिन हमारी वार्षिक परीक्षाएँ शुरू हो रही थीं। परीक्षा शब्द से वैसे सभी मनुष्य घबराते हैं परंतु विद्यार्थी वर्ग इस शब्द से विशेष रूप से घबराता है। मैं जब घर से चला तो मेरा दिल भी धक् धक् कर रहा था। मैं रात भर पढ़ता रहा था और चिंता थी कि यदि सारी रात के पढ़े में से कुछ भी प्रश्न-पत्र में न आया तो क्या होगा ? परीक्षा भवन के बाहर सभी विद्यार्थी चिंतित से नज़र आ रहे थे। कुछ विद्यार्थी किताबें लेकर अब भी उसके पन्ने उलट-पुलट रहे थे।

कुछ बड़े खुश-खुश नज़र आ रहे थे। मैं अपने सहपाठियों से उस दिन के प्रश्न-पत्र के बारे में बात कर ही रहा था कि परीक्षा भवन में घंटी बजनी शुरू हो गई। यह संकेत था कि हमें परीक्षा भवन में प्रवेश कर जाना चाहिए। सभी विद्यार्थियों ने परीक्षा भवन में प्रवेश करना शुरू कर दिया। भीतर पहुँच कर हम सब अपने-अपने अनुक्रमांक के अनुसार अपनी-अपनी सीट पर जाकर बैठ गए। थोड़ी ही देर में अध्यापकों द्वारा उत्तर-पुस्तिकाएँ बाँट दी गईं और हमने उस पर अपना-अपना अनुक्रमांक आदि लिखना शुरू कर दिया।

ठीक नौ बजते ही एक घंटी बजी और अध्यापकों ने प्रश्न- पत्र बाँट दिए। मैंने प्रश्न – पत्र पढ़ना शुरू किया। मेरी खुशी का कोई ठिकाना न था क्योंकि प्रश्न-पत्र के सभी प्रश्न मेरे पढ़े हुए प्रश्नों में से थे। मैंने किए जाने वाले प्रश्नों पर निशान लगाए और कुछ क्षण तक यह सोचा कि कौन-सा प्रश्न पहले करना चाहिए और फिर उत्तर लिखना शुरू कर दिया। मैंने देखा कुछ विद्यार्थी अभी बैठे सोच ही रहे थे शायद उनके पढ़े में से कोई प्रश्न न आया हो। तीन घंटे तक मैं बिना इधर-उधर देखे लिखता रहा। मैं प्रसन्न था कि उस दिन मेरा पर्चा बहुत अच्छा हुआ था।

59. जीवन की अविस्मरणीय घटना

संकेत बिंदु – चिड़िया के बच्चे का घायल अवस्था में मिलना, सेवा से आनंद

आज मैं दसवीं कक्षा में हूँ। माता-पिता कहते हैं कि अब तुम बड़े हो गए हो। मैं भी कभी-कभी सोचता हूँ कि क्या मैं सचमुच बड़ा हो गया हूँ। हाँ, मैं सचमुच बड़ा हो गया हूँ। मुझे बीते दिनों की कुछ बातें आज भी याद हैं जो मेरा मार्गदर्शन कर रही हैं। एक घटना ऐसी है जिसे मैं आज भी याद करके आनंद विभोर हो उठता हूँ। घटना कुछ इस तरह से है। कोई दो-तीन साल पहले की घटना है। मैंने एक दिन देखा कि हमारे आँगन में लगे वृक्ष के नीचे एक चिड़िया का बच्चा घायल अवस्था में पड़ा है।

मैं उस बच्चे को उठाकर अपने कमरे में ले आया। मेरी माँ ने मुझे रोका भी कि इसे इस तरह न उठाओ यह मर जाएगा किंतु मेरा मन कहता था कि इस चिड़िया के बच्चे को बचाया जा सकता है। मैंने उसे चम्मच से पानी पिलाया। पानी मुँह में जाते ही उस बच्चे ने जो बेहोश था पंख फड़फड़ाने शुरू कर दिए। यह देखकर मैं प्रसन्न हुआ। मैंने उसे गोद में लेकर देखा कि उस की टाँग में चोट आई है। मैंने अपने छोटे भाई को माँ से मरहम की डिबिया लाने को कहा। वह तुरंत मरहम की डिबिया ले आया।

उसमें से थोड़ी-सी मरहम मैंने उस चिड़िया के बच्चे की चोट पर लगाई। मरहम लगाते ही मानो उसकी पीड़ा कुछ कम हुई। वह चुपचाप मेरी गोद में ही लेटा था। मेरा छोटा भाई भी उस के पंखों पर हाथ फेरकर खुश हो रहा था। कोई घंटा भर मैं उसे गोद में ही लेकर बैठा रहा। मैंने देखा कि बच्चा थोड़ा उड़ने की कोशिश करने लगा था। मैंने छोटे भाई से रोटी मँगवाई और उसकी चूरी बनाकर उसके सामने रखी।

वह उसे खाने लगा। हम दोनों भाई उसे खाते हुए देख कर खुश हो रहे थे। मैंने उसे अब अपनी पढ़ाई की मेज़ पर रख दिया। रात को एक बार फिर उस के घाव पर मरहम लगाई। दूसरे दिन मैंने देखा चिड़िया का वह बच्चा मेरे कमरे में इधर-उधर फुदकने लगा है। वह मुझे देख चीं-चीं करके मेरे प्रति अपना आभार प्रकट कर रहा था। एक-दो दिनों में ही उस का घाव ठीक हो गया और मैंने उसे आकाश में छोड़ दिया। वह उड़ गया। मुझे उस चिड़िया के बच्चे के प्राणों की रक्षा करके जो आनंद प्राप्त हुआ उसे मैं जीवन भर नहीं भुला पाऊँगा।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

60. आँखोंदेखी दुर्घटना

संकेत बिंदु – प्रातः भ्रमण के लिए जाना, सड़क पर भीड़ की अधिकता, कार और ताँगे में टक्कर, पुलिस- अस्पताल

रविवार की बात है मैं अपने मित्र के साथ सुबह – सुबह सैर करने माल रोड पर गया। वहाँ बहुत से स्त्री-पुरुष और बच्चे भी सैर करने आए हुए थे। जब से दूरदर्शन पर स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम आने लगे हैं अधिक-से-अधिक लोग प्रातः भ्रमण के लिए इन जगहों पर आने लगे हैं। रविवार होने के कारण उस दिन भीड़ कुछ अधिक थी। तभी मैंने वहाँ एक युवा दंपति को अपने छोटे बच्चे को बच्चागाड़ी में बैठाकर सैर करते देखा। अचानक लड़कियों के स्कूल की ओर एक रिक्शा आता हुआ दिखाई दिया।

उसमें दो सवारियाँ भी बैठी थीं। बच्चागाड़ी वाले दंपत्ति ने रिक्शे से बचने के लिए सड़क पार करनी चाही। जब वे सड़क पार कर रहे थे तो दूसरी तरफ से बड़ी तेज़ गति से आ रही एक कार उस रिक्शे से टकरा गई। रिक्शा चलाने वाला और दोनों सवारियाँ बुरी तरह से घायल हो गए थे। बच्चागाड़ी वाली स्त्री के हाथ से बच्चागाड़ी छूट गई। किंतु इससे पूर्व कि वह बच्चे समेत रिक्शे और कार की टक्कर वाली जगह पर पहुँचकर उन से टकरा जाती, मेरे साथी ने भागकर उस बच्चागाड़ी को सँभाल लिया।

कार चलाने वाले सज्जन को भी काफ़ी चोटें आई थीं पर उसकी कार को कोई खास क्षति नहीं पहुँची थी। माल रोड पर गश्त करने वाले पुलिस के तीन – चार सिपाही तुरंत घटना स्थल पर पहुँच गए। उन्होंने वायरलैस द्वारा अपने अधिकारियों और अस्पताल को फोन किया। चंद मिनटों में वहाँ ऐंबुलेंस गाड़ी आ गई। हम सब ने घायलों को उठा कर ऐंबुलेंस में लिटाया। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी तुरंत वहाँ पहुँच गए। उन्होंने कार चालक को पकड़ लिया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया कि सारा दोष कार चालक का था।

इस सैर-सपाटे वाली सड़क पर वह 100 कि० मी० की स्पीड से कार चला रहा था और रिक्शा सामने आने पर वह ब्रेक न लगा सका। दूसरी तरफ़ बच्चे को बचाने के लिए मेरे मित्र द्वारा दिखाई फुरती व चुस्ती की भी लोग सराहना कर रहे थे। उस दंपति ने उसका विशेष धन्यवाद दिया।

61. जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी

संकेत बिंदु – अर्थ, देशानुराग, अधिकार और कर्तव्य

इस कथन का भाव है “जननी और जन्मभूमि का स्थान स्वर्ग से भी ऊँचा है।” जो व्यक्ति अपनी माँ से और भूमि से प्रेम नहीं करता, वह मनुष्य कहलाने का अधिकारी नहीं है। देश-द्रोह एवं मातृद्रोह से बड़ा अपराध कोई और नहीं है। यह ऐसा अपराध है जिसका प्रायश्चित्त संभव ही नहीं है। देश-प्रेम की भावना ही मनुष्य को यह प्रेरणा देती है कि जिस भूमि से उसका भरण-पोषण हो रहा है, उसकी रक्षा के लिए अपना सब कुछ अर्पित कर देना उसका परम कर्तव्य है। जननी एवं जन्मभूमि के प्रति प्रेम की भावना जीवधारियों की स्वाभाविक प्रवृत्ति है।

मनुष्य संसार का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। अतः उसके हृदय में देशानुराग की भावना का उदय स्वाभाविक है। मरुस्थल में रहने वाले लोग हाँफ – हाँफकर जीते हैं, फिर भी उन्हें अपनी जन्मभूमि से अगाध प्रेम है। ध्रुववासी अत्यंत शीत के कारण अंधकार तथा शीत में काँप-काँप कर तो जीवन व्यतीत कर लेते हैं, पर अपनी मातृभूमि का बाल- बाँका नहीं होने देते। मुग़ल साम्राज्य के अंतिम दीप सम्राट बहादुरशाह ज़फर की रंगून के कारागार से लिखी ये पंक्तियाँ कितनी मार्मिक हैं –

कितना है बदनसीब ज़फर दफन के लिए,
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कूचा – ए – यार में।

जिस देश के लोग अपनी मातृ-भूमि से जितना अधिक स्नेह करते हैं, वह देश उतना ही उन्नत माना जाता है। देश-प्रेम की भावना ने ही भारत की पराधीनता की जंजीरों को काटने के लिए देश भक्तों को प्रेरित किया है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश के प्रति हमारा कर्तव्य और भी बढ़ गया है। इस कर्तव्य की पूर्ति हमें जी-जान लगाकर करनी चाहिए।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

62. मन के हारे हार है, मन के जीते जीत

संकेत बिंदु – मन का महत्व, मानसिक शक्ति, उन्नति का मार्ग

मानव-शरीर यदि रथ के समान है तो यह मन उसका चालक है। मनुष्य के शरीर की असली शक्ति उसका मन है। मन के अभाव में शरीर का कोई अस्तित्व ही नहीं। मन ही वह प्रेरक शक्ति है जो मनुष्य से बड़े-से-बड़े काम करवा लेती है। यदि मन में दुर्बलता का भाव आ जाए तो शक्तिशाली शरीर और विभिन्न प्रकार के साधन व्यर्थ हो जाते हैं। उदाहरण के लिए एक सैनिक को लिया जा सकता है। यदि उसने अपने मन को जीत लिया है तो वह अपनी शारीरिक शक्ति एवं अनुमान से कहीं अधिक सफलता पा सकता है।

यदि उसका मन हार गया तो बड़े- बड़े मारक अस्त्र-शस्त्र भी उसके द्वारा अपना प्रभाव नहीं दिखा सकते। मन की शक्ति के बल पर ही मनुष्य ने अनेक आविष्कार किए हैं। मन की शक्ति मनुष्य को अनवरत साधना की प्रेरणा देती है और विजयश्री उनके सामने हाथ जोड़कर खड़ी हो जाती है। जब तक मन में संकल्प एवं प्रेरणा का भाव नहीं जागता तब तक हम किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। एक ही काम में एक व्यक्ति सफलता प्राप्त कर लेता है और दूसरा असफल हो जाता है। इसका कारण दोनों के मन की शक्ति की भिन्नता है। जब तक हमारा मन शिथिल है तब तक हम कुछ भी नहीं कर सकते। अतः ठीक ही कहा गया है – ” मन के हारे हार है मन के जीते जीत।”

63. मन चंगा तो कठौती में गंगा

संकेत बिंदु – संत रविदास का कथन, निर्मल मानव मन की महत्ता, स्वच्छ और निष्पाप हृदय, आत्मिक शांति

संत रविदास का यह वचन एक मार्मिक सत्य का उद्घाटन करता है। मानव के लिए मन की निर्मलता का होना आवश्यक है। जिसका मन निर्मल होता है, उसे बाहरी निर्मलता ओढ़ने या गंगा के स्पर्श से निर्मलता प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। जिनके मन में मैल होती है, उन्हें ही गंगा की निर्मलता अधिक आकर्षित करती है। स्वच्छ एवं निष्पाप हृदय का व्यक्ति बाह्य आडंबरों से दूर रहता है। अपना महत्व प्रतिपादित करने के लिए वह विभिन्न प्रपंचों का सहारा नहीं लेता।

प्राचीन भारत में ऋषि-मुनि घर-बार सभी त्याग कर सभी भौतिक सुखों से रहित होकर भी परमानंद की प्राप्ति इसीलिए कर लेते थे कि उनकी मन- आत्मा पर व्यर्थ के पापों का बोझ नहीं होता था। बुरे मन का स्वामी चाहे कितना भी प्रयास कर ले कि उसे आत्मिक शांति मिले, परंतु वह उसे प्राप्त नहीं कर सकता। भक्त यदि परमात्मा को पाना चाहते हैं तो भगवान स्वयं भी उसकी भक्ति से प्रभावित हो उसके निकट आना चाहता है। वह भक्त के निष्कपट, निष्पाप और निष्कलुष हृदय में मिल जाना चाहता है।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

64. समय सबसे बड़ा धन है
अथवा
समय का सदुपयोग

संकेत बिंदु – जीवन की क्षणिकता, समय का महत्व, मनोरंजन और समय का मूल्य, परिश्रम ही प्रगति की राह

दार्शनिकों ने जीवन को क्षणभंगुर कहा है। इनकी तुलना प्रभात के तारे और पानी के बुलबुले से की गई है। अतः यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि हम अपने जीवन को सफल कैसे बनाएँ। इसका एकमात्र उपाय समय का सदुपयोग है। समय एक अमूल्य वस्तु है। इसे काटने की वृत्ति जीवन को काट देती है। खोया समय पुनः नहीं मिलता। दुनिया में कोई भी शक्ति नहीं जो बीते हुए समय को वापस लाए। हमारे जीवन की सफलता-असफलता समय के सदुपयोग तथा दुरुपयोग पर निर्भर करती है। कहा भी है- ” क्षण को क्षुद्र न समझो भाई, यह जग का निर्माता है।”

हमारे देश में अधिकांश लोग समय का मूल्य नहीं समझते। देर से उठना, व्यर्थ की बातचीत करना, ताश खेलना आदि के द्वारा समय नष्ट करते हैं। यदि हम चाहते हैं तो हमें पहले अपना काम पूरा करना चाहिए। बहुत से लोग समय को नष्ट करने में आनंद का अनुभव करते हैं। मनोरंजन के नाम पर समय नष्ट करना बहुत बड़ी भूल है। समय का सदुपयोग करने के लिए आवश्यक है कि हम अपने दैनिक कार्य को करने का समय निश्चित कर लें। फिर उस कार्य को उसी समय में करने का प्रयत्न करें।

इस तरह का अभ्यास होने से हम समय का मूल्य समझ जाएँगे और देखेंगे कि हमारा जीवन निरंतर प्रगति की ओर बढ़ता जा रहा है। समय के सदुपयोग से ही जीवन का पथ सरल हो जाता है। महान व्यक्तियों के महान बनने का रहस्य समय का सदुपयोग ही है। समय के सदुपयोग के द्वारा ही मनुष्य अमर कीर्ति का पात्र बन सकता है। समय का सदुपयोग ही जीवन का सदुपयोग है। इसी में जीवन की सार्थकता है- “कल करै सो आज कर, आज करै सो अब। पल में परलै होयगी, बहुरि करोगे कब॥ ”

65. राष्ट्रीय एकता

संकेत बिंदु – क्षेत्रीयता के प्रति मोह, भाषाई एकता, देश की एकता के लिए घातक, अनेकता में एकता

आज देश के विभिन्न राज्य क्षेत्रीयता के मोह में ग्रस्त हैं। सर्वत्र एक-दूसरे से बिछुड़ कर अलग होने तथा अपना-अपना मनोराज्य स्थापित करने अनुच्छेद-लेखन की होड़ लगी हुई है। यह स्थिति देश की एकता के लिए अत्यंत घातक है क्योंकि राष्ट्रीय एकता के अभाव में देश का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है। राष्ट्र से तात्पर्य किसी भौगोलिक भू-खंड मात्र अथवा उस भू-खंड में सामूहिक रूप से रहने वाले व्यक्तियों से न होकर उस भू-खंड में रहने वाली संवेदनशील जनता से होता है।

अतः राष्ट्रीय एकता वह भावना है, जो किसी एक राष्ट्र के समस्त नागरिकों को एकता के सूत्र में बाँधे रखती है। राष्ट्र के प्रति ममत्व की भावना से ही राष्ट्रीय एकता की भावना का जन्म होता है। भारत प्राकृतिक, भाषायी, रहन-सहन आदि की दृष्टि से अनेक रूप वाला होते हुए भी राष्ट्रीय स्वरूप में एक है। पर्वतराज हिमालय एवं सागर इसकी प्राकृतिक सीमाएँ हैं, समस्त भारतीय धर्म एवं संप्रदाय आवागमन में आस्था रखते हैं।

भाषाई भेदभाव होते हुए भी भारतवासियों की भावधारा एक है। यहाँ की संस्कृति की पहचान दूर से ही हो जाती है। भारत की एकता का सर्वप्रमुख प्रमाण यहाँ एक संविधान का होना है। भारतीय संसद की सदस्यता धर्म, संप्रदाय, जाति, क्षेत्र आदि के भेदभाव से मुक्त हैं। इस प्रकार अनेकता में एकता के कारण भारत की राष्ट्रीय एकता सदा सुदृढ़ है।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

66. भाषण नहीं राशन चाहिए –

संकेत बिंदु – भाषण की उपयोगिता और अनुपयोगिता, नेताओं की करनी – कथनी में अंतर, आम जनता की पीड़ा

हर सरकार का यह पहला काम है कि वह आम आदमी की सुविधा का पूरा ध्यान रखे। सरकार की कथनी तथा करनी में अंतर नहीं होना चाहिए। केवल भाषणों से किसी का पेट नहीं भरता। यदि बातों से पेट भर जाता तो संसार का कोई भी व्यक्ति भूख-प्यास से परेशान न होता। भूखे पेट से तो भजन भी नहीं होता। भारत एक प्रजातांत्रिक देश है। यहाँ के शासन की बागडोर प्रजा के हाथ में है, यह केवल कहने की बात है। इस देश में जो भी नेता कुरसी पर बैठता है, वह देश के उद्धार की बड़ी-बड़ी बातें करता है पर रचनात्मक रूप से कुछ भी नहीं होता।

जब मंच पर आकर नेता भाषण देते हैं तो जनता उनके द्वारा दिखाए गए सब्ज़बाग से खुशी का अनुभव करती है। उसे लगता है कि नेता जिस कार्यक्रम की घोषणा कर रहे हैं, उससे निश्चित रूप से गरीबी सदा के लिए दूर हो जाएगी, लेकिन होता सब कुछ विपरीत है। अमीरों की अमीरी बढ़ती जाती है और आम जनता की ग़रीबी बढ़ती जाती है। यह व्यवस्था का दोष है।

इन नेताओं के हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और वाली कहावत चरितार्थ होती है। जनता को भाषण की नहीं राशन की आवश्यकता है। सरकार की ओर से ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि जनता को ज़रूरत की वस्तुएँ प्राप्त करने में कठिनाई का अनुभव न हो। उसे रोटी, कपड़ा, मकान की समस्या का सामना न करना पड़े। सरकार को अपनी कथनी के अनुरूप व्यवहार भी करना चाहिए। उसे यह बात गाँठ बाँध लेनी चाहिए कि जनता को भाषण नहीं राशन चाहिए। भाषणों की झूठी खुराक से जनता को बहुत लंबे समय तक मूर्ख नहीं बनाया जा सकता।

67. युवाओं के लिए मतदान का अधिकार

संकेत बिंदु – प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार, उपयोगी मताधिकार, मत का अधिकारी

भारत एक लोकतंत्र है जहाँ प्रत्येक वयस्क को मताधिकार प्राप्त है। पंचायत से लेकर लोकसभा तक के सदस्यों को भारत की वयस्क जनता अपने मतदान द्वारा चुनती है। युवाओं को अपने मत का महत्व समझकर ही इसका प्रयोग करना चाहिए। एक – एक व्यक्ति का मत बहुत ही अमूल्य होता है क्योंकि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की हार-जीत का निर्णय एक मत से भी हो जाता है, जिसके पक्ष में पड़ने से जीत और विपक्ष में जाने से हार का सामना करना पड़ता है।

युवा वर्ग को अपने मत का प्रयोग करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि जिसे वे अपना मत देने जा रहे हैं, वह उनके, समाज के तथा देश के लिए कितना उपयोगी सिद्ध हो सकता है। ईमानदार, परिश्रमी, समाजसेवी, परोपकारी तथा दयालु व्यक्ति ही आप के मत का अधिकारी हो सकता है। जात-बिरादरी – धर्म-संप्रदाय के नाम पर किसी को अपना मत नहीं देना चाहिए। अपने मत का प्रयोग सदा स्वच्छ छवि वाले व्यक्ति को देकर ही करें। युवाओं को अपने मत के अधिकार का प्रयोग देश हित में ज़रूर करना चाहिए। देश के अच्छी सरकार के गठन में युवाओं का मताधिकार एक क्रांतिकारी कदम माना जाता है।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

68. अपनी भाषा प्यारी भाषा

संकेत बिंदु – अभिव्यक्ति का माध्यम, भाषा की उन्नति से समाज की उन्नति

अपनी भाषा के उत्थान के बिना व्यक्ति उन्नति कर ही नहीं सकता। भाषा अभिव्यक्ति का प्रमुख माध्यम है। भाषा सामाजिक जीवन का अपरिहार्य अंग है। इसके बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। अपनी भाषा में अपने मन के विचारों को प्रकट करने में सुविधा रहती है। विदेशी भाषा कभी भी हमारे भावों को उतनी गहरी अभिव्यक्ति नहीं दे सकती जितनी हमारी मातृभाषा। महात्मा गांधी जी ने भी इसी बात को ध्यान में रखकर मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने पर बल दिया था।

हमारे देश में अंग्रेज़ी के प्रयोग पर इतना अधिक बल दिए जाने के उपरांत भी अपेक्षित सफलता इसी कारण नहीं मिल पा रही है क्योंकि इसके द्वारा हम अपने विचारों को पूर्ण अभिव्यक्ति नहीं दे सकते। हम हीन भावना का शिकार हो रहे हैं। अंग्रेज़ी-परस्तों द्वारा दिया जाने वाला यह तर्क भ्रमित कर रहा है कि, “अंग्रेज़ी ज्ञान का वातायन है।” अपनी भाषा के बिना मानव की मानसिक भूख शांत नहीं हो सकती। निज भाषा की उन्नति से ही समाज की उन्नति होती है। निज भाषा जननी तुल्य है। अतः कहा गया है कि-

निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिना निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।

69. हमने मनाई पिकनिक

संकेत बिंदु – साइकिलों से जाना, प्राकृतिक सौंदर्य, खान-पान, मनोरंजन

संकेत बिंदु- पिकनिक के लिए उचित स्थान का चुनाव पिकनिक एक ऐसा शब्द है जो थके हुए शरीर एवं मन में एकदम स्फूर्ति ला देता है। मैंने और मेरे मित्र ने परीक्षा के दिनों में बड़ी मेहनत की थी। परीक्षा का तनाव हमारे मन और मस्तिष्क पर विद्यमान था। उस तनाव को दूर करने के लिए हम दोनों ने यह निर्णय किया कि क्यों न किसी दिन माधोपुर हैडवर्क्स पर जाकर पिकनिक मनाई जाए। अपने इस निर्णय से अपने मुहल्ले के दो-चार और मित्रों को अवगत करवाया तो वे भी हमारे साथ चलने को तैयार हो गए।

माधोपुर हैडवर्क्स हमारे नगर से दस कि० मी० दूरी पर था। हम सबने अपने-अपने साइकिलों पर जाने का निश्चय किया। पिकनिक के लिए रविवार का दिन निश्चित किया गया। रविवार को हम सबने नाश्ता करने के बाद अपने-अपने लंच बॉक्स तैयार किए तथा कुछ अन्य खाने का सामान अपने-अपने साइकिलों पर रख लिया। मेरे मित्र के पास एक छोटा टेपरिकार्डर भी था उसे भी अपने साथ ले लिया तथा साथ में कुछ अपने मनपसंद गानों की टेप्स भी रख लीं। हम सब अपनी-अपनी साइकिल पर सवार होकर, हँसते-गाते एक-दूसरे को चुटकले सुनाते पिकनिक स्थल की ओर बढ़ चले।

लगभग 45 मिनट में हम सब माधोपुर हैडवर्क्स पर पहुँच गए। वहाँ हमने प्रकृति को अपनी संपूर्ण सुषमा के साथ विराजमान देखा। चारों तरफ़ रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे, शीतल और मंद-मंद हवा बह रही थी। हमने एक ऐसी जगह चुनी जहाँ घास की प्राकृतिक कालीन बिछी हुई थी। हमने वहाँ एक दरी बिछा दी। साइकिल चलाकर हम थोड़ा थक गए थे, अतः हमने पहले थोड़ी देर विश्राम किया। हमारे एक साथी ने हमारी कुछ फ़ोटो उतारीं। थोड़ी देर सुस्ता कर हमने टेप रिकार्डर चला दिया और गीतों की धुन पर मस्ती में भर कर नाचने लगे। कुछ देर तक हमने इधर-उधर घूम कर वहाँ के प्राकृतिक दृश्यों का नज़ारा देखा।

दोपहर को हम सबने अपने-अपने टिफ़िन खोले और सबने मिल बैठ कर एक-दूसरे का भोजन बाँट कर खाया। उसके बाद हमने वहाँ स्थित कैनाल रेस्ट हाउस रेस्तराँ में जाकर चाय पी। चाय-पान के बाद हमने अपने स्थान पर बैठकर अंताक्षरी खेलनी शुरू की। इसके बाद हमने एक-दूसरे को कुछ चुटकले और कुछ आपबीती हँसी-मज़ाक की बातें बताईं। समय कितनी जल्दी बीत गया इसका हमें पता ही न चला। जब सूर्य छिपने को आया तो हम ने अपना-अपना सामान समेटा और घर की तरफ चल पड़े।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

70. भीड़ भरी बस की यात्रा का अनुभव

संकेत बिंदु – यात्रा का कारण, बस की यात्रा, भीड़

वैसे तो जीवन को ही यात्रा की संज्ञा दी गई है पर कभी-कभी मनुष्य को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए गाड़ी अथवा बस का भी सहारा लेना पड़ता है। बस की यात्रा का अनुभव भी बड़ा विचित्र है। भारत जैसे जनसंख्या प्रधान देश में बस की यात्रा अत्यंत असुविधानजनक है। प्रत्येक बस में सीटें तो गिनती की हैं पर बस में चढ़ने वालों की संख्या निर्धारित करना एक जटिल कार्य है। भले ही बस हर पाँच मिनट बाद चले पर चलेगी पूरी तरह भर कर। गर्मियों के दिनों में तो यह यात्रा किसी भी यातना से कम नहीं।

भारत के नगरों की अधिकांश सड़कें सम न होकर विषम हैं। खड़े हुए यात्री की तो दुर्दशा हो जाती है, एक यात्री दूसरे यात्री पर गिरने लगता है। कभी-कभी तो लड़ाई-झगड़े की नौबत पैदा हो जाती है। लोगों की जेबें कट जाती हैं। जिन लोगों के कार्यालय दूर हैं, उन्हें प्रायः बस का सहारा लेना ही पड़ता है। बस यात्रा एक प्रकार से रेल – यात्रा का लघु रूप है। जिस प्रकार गाड़ी में विभिन्न जातियों एवं प्रवृत्तियों के लोगों के दर्शन होते हैं, उसी प्रकार बस में भी अलग-अलग विचारों के लोग मिलते हैं।

इनसे मनुष्य बहुत कुछ सीख भी सकता है। भीड़ भरी बस की यात्रा जीवन की कठिनाइयों का सामना करने का छोटा-सा शिक्षालय है। यह यात्रा इस तथ्य की परिचायक है कि भारत अनेक क्षेत्रों में अभी तक भरपूर प्रगति नहीं कर सका। जो व्यक्ति बस यात्रा के अनुभव से वंचित है, वह एक प्रकार से भारतीय जीवन के बहुत बड़े अनुभव से ही वंचित है।

71. परिश्रम सफलता की कुंजी है

संकेत बिंदु – परिश्रम का महत्व, समयानुसार बुद्धि का सदुपयोग, परिश्रम और बुद्धि का तालमेल

संस्कृत की प्रसिद्ध सूक्ति है – ‘उद्यमेन हि सिद्धयंति कार्याणि न मनोरथः’ अर्थात परिश्रम से ही कार्य की सिद्धि होती है, मात्र इच्छा करने से नहीं। सफलता प्राप्त करने के लिए परिश्रम ही एकमात्र मंत्र है। ‘श्रमेव जयते’ का सूत्र इसी भाव की ओर संकेत करता है। परिश्रम के बिना हरी-भरी खेती सूखकर झाड़ बन जाती है जबकि परिश्रम से बंजर भूमि को भी शस्य – श्यामला बनाया जा सकता है।

असाध्य कार्य भी परिश्रम के बल पर संपन्न किए जा सकते हैं। बुद्धिमान व्यक्ति कितने ही प्रतिभाशाली हों, किंतु उन्हें लक्ष्य में सफलता तभी मिलती है जब वे अपनी बुद्धि और प्रतिभा को परिश्रम की सान पर तेज़ करते हैं। न जाने कितनी संभावनाओं के बीज पानी, मिट्टी, सिंचाई और जुताई के अभाव में मिट्टी बन जाते हैं, जबकि ठीक संपोषण प्राप्त करके कई बीज सोना भी बन जाते हैं। कई बार प्रतिभा के अभाव में परिश्रम ही अपना रंग दिखलाता है। प्रसिद्ध उक्ति है कि निरंतर घिसाव से पत्थर पर भी चिह्न पड़ जाते हैं।

जड़मति व्यक्ति परिश्रम द्वारा ज्ञान उपलब्ध कर लेता है। जहाँ परिश्रम तथा प्रतिभा दोनों एकत्र हो जाते हैं वहाँ किसी अद्भुत कृति का सृजन होता है। शेक्सपीयर ने महानता को दो श्रेणियों में विभक्त किया है – जन्मजात महानता तथा अर्जित महानता। यह अर्जित महानता परिश्रम के बल पर ही अर्जित की जाती है। अतः जिन्हें ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त नहीं है, उन्हें अपने श्रम-बल का भरोसा रखकर कर्म में जुटना चाहिए। सफलता अवश्य ही उनकी चेरी बन कर उपस्थित होगी।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

72. मधुर वाणी

संकेत बिंदु – श्रेष्ठ वाणी की उपयोगिता, कटुता और कर्कश वाणी, चरित्र की स्पष्टता, विनम्रता और मधुरवाणी

वाणी ही मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ अलंकार है। वाणी के द्वारा ही मनुष्य अपने विचारों का आदान-प्रदान दूसरे व्यक्तियों से करता है। वाणी का मनुष्य के जीवन पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। सुमधुर वाणी के प्रयोग से लोगों के साथ आत्मीय संबंध बन जाते हैं, जो व्यक्ति कर्कश वाणी का प्रयोग करते हैं, उनसे लोगों में कटुता की भावना व्याप्त हो जाती है। जो लोग अपनी वाणी का मधुरता से प्रयोग करते हैं, उनकी सभी लोग प्रशंसा करते हैं।

सभी लोग उनसे संबंध बनाने के इच्छुक रहते हैं। वाणी मनुष्य के चरित्र को भी स्पष्ट करने में सहायक होती है। जो व्यक्ति विनम्र और मधुर वाणी से लोगों के साथ व्यवहार करते हैं, उसके बारे में लोग यही समझते हैं कि इनमें सद्भावना विद्यमान है। मधुर वाणी मित्रों की संख्या में वृद्धि करती है। कोमल और मधुर वाणी से शत्रु के मन पर भी विजय प्राप्त की जा सकती है।

वह भी अपनी द्वेष और ईर्ष्या की भावना को विस्तृत करके मधुर संबंध बनाने का इच्छुक हो जाता है। यदि कोई अच्छी बात भी कठोर और कर्कश वाणी में कही जाए तो लोगों पर उसकी प्रतिक्रिया विपरीत होती है। लोग यही समझते हैं कि यह व्यक्ति अहंकारी है। इसलिए वाणी मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ अलंकार है तथा उसे उसका सदुपयोग करना चाहिए।

73. दहेज प्रथा : एक अभिशाप

संकेत बिंदु – दहेज का अर्थ, कन्या की श्रेष्ठता दहेज के आवरण में, खुलेआम बोली

दहेज का अर्थ है, विवाह के समय दी जाने वाली वस्तुएं। हमारे समाज में विवाह के साथ लड़की को माता-पिता का घर छोड़कर पति के घर जाना होता है। इस अवसर पर अपना स्नेह प्रदर्शित करने के लिए कन्या के पक्ष के लोग लड़की, लड़कों के संबंधियों को यथाशक्ति भेंट दिया करते हैं। यह प्रथा कब शुरू हुई, कहा नहीं जा सकता। लगता है कि यह प्रथा अत्यंत प्राचीन है। दहेज प्रथा जो आरंभ में स्वेच्छा और स्नेह से भेंट देने तक सीमित रही होगी धीरे-धीरे विकट रूप धारण करने लगी है।

वर पक्ष के लोग विवाह से पहले दहेज में ली जाने वाली धनराशि तथा अन्य वस्तुओं का निश्चय करने लगे हैं। आधुनिक युग में कन्या की श्रेष्ठता शील-सौंदर्य से नहीं, बल्कि दहेज में आंकी जाने लगी। कन्या की कुरूपता और कुसंस्कार दहेज के आवरण में आच्छादित हो गए। खुलेआम वर की बोली- बोली जाने लगी। दहेज में प्रायः राशि से परिवारों का मूल्यांकन होने लगा। इस प्रकार दहेज प्रथा एक सामाजिक समस्या बन गई है।

दहेज प्रथा समाप्त करने के लिए स्वयं युवकों को आगे आना चाहिए। उन्हें चाहिए कि वे अपने माता-पिता तथा संबंधियों को स्पष्ट शब्दों में कह दें – शादी होगी तो बिना दहेज के होगी। इन युवकों को चाहिए कि वे उस संबंधी का डटकर विरोध करें जो नवविवाहिता को शारीरिक या मानसिक कष्ट देता है। दहेज प्रथा की विकटता को कम करने में नारी का आर्थिक दृष्टि से स्वतंत्र होना भी बहुत हद तक सहायक होता है।

अपने पैरों पर खड़ी युवती को दूसरे लोग अनाप-शनाप नहीं कह सकते। इसके अतिरिक्त चूंकि वह चौबीस घंटे घर पर बंद नहीं रहेगी, सास और ननदों की छींटा – कशी से काफ़ी बची रहेगी। बहू के नाराज़ हो जाने से एक अच्छी खासी आय हाथ से निकल जाने का भय भी उनका मुख बंद किए रखेगा।

दहेज-प्रथा हमारे समाज का कोढ़ है। यह प्रथा साबित करती है कि हमें अपने को सभ्य मनुष्य कहलाने का कोई अधिकार नहीं है। जिस समाज में दुल्हिनों को प्यार की जगह यातनाएं दी जाती हैं, वह समाज निश्चित रूप से सभ्यों का नहीं नितांत असभ्यों का समाज है। अब समय आ गया है कि इस कुरीति को समूल उखाड़ फेंकेंगे।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

74. सच्चे मित्र से जीवन में सौंदर्य आता है

संकेत बिंदु – सामाजिक जीवन, मित्र की आवश्यकता, मित्र का चुनाव, सच्चा मित्र।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के अभाव में उसका जीवन – निर्वाह संभव नहीं। सामाजिकों के साथ हमारे संबंध अनेक प्रकार के हैं। कुछ हमारे संबंधी हैं, कुछ परिचित तथा कुछ मित्र होते हैं। मित्रों में भी कुछ विशेष प्रिय होते हैं। जीवन में यदि सच्चा मित्र मिल जाए तो समझना चाहिए कि हमें बहुत बड़ी निधि मिल गई है। सच्चा मित्र हमारा मार्ग प्रशस्त करता है। वह दिन-प्रतिदिन हमें उन्नति की ओर ले जाता है। उसके सद्व्यवहार से हमारे जीवन में निर्मलता का प्रसार होता है।

दुख के दिनों में वह हमारे लिए विशेष सहायक होता है। जब हम निरुत्साहित होते हैं तो वह हम में उत्साह भरता है। वह हमें कुमार्ग से हटा कर सुमार्ग की ओर चलने की प्रेरणा देता है। सुदामा एवं कृष्ण की तथा राम एवं सुग्रीव की आदर्श मित्रता को कौन नहीं जानता। श्रीकृष्ण ने अपने दरिद्र मित्र सुदामा की सहायता कर उसके जीवन को ऐश्वर्यमय बना दिया था। राम ने सुग्रीव की सहायता कर उसे सब प्रकार के संकट से मुक्त कर दिया। सच्चा मित्र कभी एहसान नहीं जतलाता।

वह मित्र की सहायता करना अपना कर्तव्य समझता है। वह अपनी दरिद्रता एवं अपने दुख की परवाह न करता हुआ अपने मित्र के जीवन में अधिक-से-अधिक सौंदर्य लाने का प्रयत्न करता है। सच्चा मित्र जीवन के बेरंग खाके में सुखों के रंग भरकर उसे अत्यंत आकर्षक बना देता है, अतः ठीक ही कहा गया है “सच्चे मित्र से जीवन में सौंदर्य आता है। ”

75. साँच को आँच नहीं

संकेत बिंदु – सत्य मार्ग के लिए दृढ़ संकल्प, सत्यमार्ग कठिन, सत्य के लिए त्याग, महापुरुषों से प्रेरणा।

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। जब तक वह समाज से संपर्क स्थापित नहीं करता तब तक उसके जीवन की गाड़ी नहीं चल सकती। कई बार मनुष्य अपने जीवन की गाड़ी को सुचारु रूप से चलाने के लिए असत्य का सहारा लेता है। असत्य का मार्ग उसे एक के बाद एक झूठ बोलने के लिए मज़बूर कर देता है और वह ऐसी झूठ की दलदल में फँस जाता है जहाँ उसके जीवन की गाड़ी डगमगा जाती है। इसलिए मनुष्य को सत्य मार्ग पर चलने के लिए दृढ़ रहना चाहिए। सत्य से मनुष्य के जीवन में उन्नति धीरे-धीरे होती है।

इस कछुआ चाल से मनुष्य का धैर्य टूटने लगता है, परंतु उसे अपने विश्वास को बनाए रखते हुए सत्य का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए। यह ठीक है कि सत्य के मार्ग पर चलना कठिन होता है, परंतु कठिनाई किस काम में नहीं आती है ? आग में तप कर ही सोना कुंदन बनता है। इसी प्रकार सत्य के मार्ग पर चलकर मनुष्य सफलता के उस शिखर को प्राप्त कर लेता है जिस पर पहुँचना प्रत्येक मनुष्य के वश में नहीं होता है। इसे वही मनुष्य प्राप्त कर सकता है जिसमें साहस और सच का ताप होता है।

मानव को इस मार्ग पर चलने के लिए बहुत त्याग करने पड़ते हैं। कई बार मनुष्य का सामना झूठ के प्रलोभन से हो जाता है। जिसमें समाज, सगे-संबंधी सभी को अपना स्वार्थ और लाभ दिखाई देता है, परंतु सत्य के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति उसमें फँसता नहीं है। वह सभी लोगों के स्वार्थ और लाभ को अनदेखा कर देता है जिससे सभी उसके दुश्मन बन जाते हैं। उसे स्वयं को सही सिद्ध करने के लिए सभी का त्याग करना पड़ता है।

जब सबके सामने झूठ की सच्चाई आती है तो उन लोगों को अपने किए पर पछतावा होता है क्योंकि झूठ के पैर नहीं होते। वह जिस मार्ग से अंदर आता है उसी मार्ग से सच से डरकर भाग जाता है। जिन महापुरुषों ने सच का दामन पकड़ा वे आज मरकर भी अमर हैं। उनके जीवन दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं जैसे – महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, राजा हरिश्चंद्र इत्यादि। इसलिए मनुष्य को अपने जीवन को सफल बनाने के लिए सत्य का मार्ग अपनाना चाहिए क्योंकि साँच को आँच नहीं है।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

76. जंक फूड

संकेत बिंदु – जंक फूड क्या होता है?, युवा पीढ़ी और जंक फूड, जंक फूड खाने के दुष्परिणाम

बर्गर, पिज़्ज़ा, नूडल्स, फ्रेंच फ्राइस, कोल्ड ड्रिंक आदि ये सब अल्पाहार जंक फूड कहलाते हैं। आधुनिक समय में हर वर्ग के लोग जंक फूड के दीवाने दिखाई देते हैं। आज की युवा पीढ़ी फल व हरी सब्ज़ियों का सेवन न कर जंक फूड को ही अपना पर्याप्त आहार समझने लगी है। समय के अभाव, सुविधाजनक व स्वादिष्ट होने के कारण युवा वर्ग जंक फूड की ओर अधिक आकर्षित रहता है। जबकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

इस फूड में पौष्टिक तत्वों की कमी होने के कारण युवा वर्ग व बच्चे मोटापा, शुगर, हृदय रोग व उच्च रक्तचाप आदि बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। जंक फूड खाने में तो स्वादिष्ट होता है किंतु इसमें पोषक तत्वों की कमी होती है। तैलीय होने के कारण इसे पचने में काफ़ी समय लगता है। पोषक तत्वों की कमी के कारण पेट तथा अन्य पाचन अंगों में खिंचाव रहता है। कब्ज़ व गैस की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जंक फ़ूड का नियमित प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जीवन को भरपूर जीने व स्वस्थ रहने के लिए जंक फूड से बचना चाहिए।

77. महानगरीय भीड़भाड़ और मेट्रो

संकेत बिंदु – यातायात और भीड़भाड़, प्रदूषण की समस्या, मेट्रो रेल की भूमिका, मेट्रो के लाभ

भारत दुनिया में सड़कों का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क वाला देश है। वाणिज्यिक वाहनों में वृद्धि के कारण उच्च श्रेणी के सड़क परिवहन नेटवर्क प्रदान करना भारत सरकार के लिए एक चुनौती है। निजी वाहनों की संख्या में वृद्धि हुई है और भारत के लगभग सभी बड़े शहरों में सड़कों पर भीड़ बढ़ गई है। यह सड़कों पर यातायात, वाहन प्रदूषण से निपटने के लिए दिन-प्रतिदिन का दर्द और दर्द का दिन है, जो इन दिनों लोगों के लिए एक बड़ा मानसिक और शारीरिक तनाव का कारण बनता है।

औसतन एक व्यक्ति अपने दिन में लगभग 30 मिनट से लेकर 2 घंटे तक ड्राइविंग करता है। इस समय का अधिकांश समय ट्रैफिक जाम में बीतता है। भारतीय शहरों में अभी भी खराब सार्वजनिक परिवहन है और अधिकांश लोगों को निजी परिवहन पर निर्भर रहना पड़ता है। वाहनों की संख्या में वृद्धि के साथ, इन ऑटोमोबाइल से प्रदूषण में भारी वृद्धि हो रही है। वाहन में ईंधन का दहन विभिन्न गैसों जैसे सल्फर ऑक्साइड कॉर्बन मोनो ऑक्साइड नाइट्रोजन ऑक्साइड सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर आदि का उत्सर्जन करता है।

ये गैसें पर्यावरण तथा स्वास्थ्य पर प्रभाव डालती हैं और लंबे समय तक प्रभाव ग्लोबल वार्मिंग, एसिड वर्षा, पर्यावरण प्रणाली में असंतुलन आदि पैदा करके पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं। मेट्रो रेल आधुनिक जन परिवहन प्रणाली है जो शायद भविष्य में दिल्ली को इस भीषण समस्या से निपटने में मदद दे सके। मेट्रो रेल इन्हीं परेशानियों से निजात पाने का एक सकारात्मक कदम है। जापान, कोरिया, हांगकांग, सिंगापुर, जर्मनी एवं फ्रांस की तर्ज पर दिल्ली में इसे अपनाया गया। मेट्रो रेल की योजना विभिन्न चरणों से संपन्न होगी।

कई चरण तो पूरे हो भी गए हैं ओर सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं। इसकी व्यवस्था अत्याधुनिक तकनीक से संचालित होती है। इसके कोच वातानुकूलित हैं। टिकट प्रणाली भी स्वचालित है। ट्रेन की क्षमता के अनुसार ही टिकट उपलब्ध होता है। स्टेशनों पर एस्केलेटर की सुविधा उपलब्ध है। मेट्रो लाइन को बस रूट के सामानांतर ही बनाया गया है, जिससे यात्रियों को मेट्रो से उतरने के बाद कोई दूसरा साधन प्राप्त करने में कठिनाई न हो।

मेट्रो रेल के दरवाज़े स्वचालित हैं। हर आने वाले स्टेशनों की जानकारी दी जाती रहती है। वातानुकूलित डब्बों में धूल-मिट्टी से बचकर लोग सुरक्षित यात्रा कर रहे हैं। ट्रैफिक जाम का कोई चक्कर नहीं है। दिल्ली के लिए एक नायाब तोहफा है – दिल्ली मेट्रो रेल। दिल्ली की समस्याओं के संदर्भ और दिल्ली मेट्रो रेल की संभावनाओं में कहा जा सकता है कि निःस्संदेह यह यहाँ के जीवन को काफी सहज कर देगी। यहाँ की यातायात प्रणाली के लिए एक वरदान सिद्ध होगी।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

78. कारज धीरे होत हैं, काहे होत अधीर

संकेत बिंदु – धैर्य और इच्छा, शांत मन की उपयोगिता, प्रतीक्षा और उचित फल की प्राप्ति

जिसके पास धैर्य है, वह जो इच्छा करता है उसे अवश्य प्राप्त कर लेता है। प्रकृति हमें धीरज धारण करने की सीख देती है। धैर्य जीवन की लक्ष्य- प्राप्ति का द्वार खोलता है। जो लोग ‘जल्दी करो, जल्दी करो’ की रट लगाते हैं, वे वास्तव में ‘अधीर मन, गति कम’ लोकोक्ति को चरितार्थ करते हैं। सफलता और सम्मान उन्हीं को प्राप्त होता है, जो धैर्यपूर्वक काम में लगे रहते हैं। शांत मन से किसी कार्य को करने में निश्चित रूप से कम समय लगता है। बचपन के बाद जवानी धीरे-धीरे आती है। संसार के सभी कार्य धीरे-धीरे संपन्न होते हैं। यदि कोई रोगी डॉक्टर से दवाई लेने के तुरंत पश्चात पूर्णतया स्वस्थ होने की कामना करता है, तो यह उसकी नितांत मूर्खता है। वृक्ष को कितना भी पानी दो, परंतु फल प्राप्ति तो समय पर ही होगी। संसार के सभी महत्त्वपूर्ण विकास कार्य धीरे-धीरे अपने समय पर ही होते हैं। अतः हमें अधीर होने की बजाय धैर्यपूर्वक अपने कार्य में संलग्न होना चाहिए।

79. ग्लोबल वार्मिंग और जन-जीवन

संकेत बिंदु – ग्लोबल वार्मिंग का अभिप्राय, ग्लोबल वार्मिंग के कारण, ग्लोबल वार्मिंग से हानियाँ, बचाव के उपाय

पृथ्वी के सतह पर औसतन तापमान का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापमान) कहलाता है। ग्लोबल वार्मिंग मुख्य रूप से मानव प्रेरक कारकों के कारण होता है। औद्योगीकरण में ग्रीनहाउस गैसों का अनियंत्रित उत्सर्जन तथा जीवाश्म ईंधन का जलना ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है। ग्रीनहाउस गैस वायुमंडल में सूर्य की गरमी को वापस जाने से रोकता है। यह एक प्रकार के प्रभाव है जिसे “ग्रीनहाउस गैस प्रभाव” के नाम से जाना जाता है। इसके फलस्वरूप पृथ्वी के सतह पर तापमान बढ़ रहा है।

पृथ्वी के बढ़ते तापमान के फलस्वरूप पर्यावरण प्रभावित होता है अतः इस पर ध्यान देना आवश्यक है। पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के मात्रा में वृद्धि के कारण पृथ्वी के सतह पर निरंतर तापमान का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग है। ग्लोबल वार्मिंग दुनिया के सभी देशों के लिए एक बड़ी समस्या है, जिसका समाधान सकारात्मक शुरूआत के साथ करना चाहिए। पृथ्वी का बढ़ता तापमान विभिन्न खतरों को जन्म देता है, साथ ही इस ग्रह पर जीवन के अस्तित्व के लिए संकट पैदा करता है।

यह क्रमिक और स्थायी रूप से पृथ्वी के जलवायु में परिवर्तन उत्पन्न करता है तथा इससे प्रकृति का संतुलन प्रभावित होता है। पृथ्वी के सतह पर औसतन तापमान का बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग कहलाता है। ग्लोबल वार्मिंग मुख्य रूप से मानव प्रेरक कारकों के कारण होता है। औद्योगीकरण में ग्रीनहाउस गैसों का अनियंत्रित उत्सर्जन तथा जीवाश्म ईंधन का जलना ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण है।

ग्रीनहाउस गैस वायुमंडल में सूर्य की गरमी को वापस जाने से रोकता है। यह एक प्रकार का प्रभाव है जिसे “ग्रीनहाउस गैस प्रभाव” के नाम से जाना जाता है। इसके फलस्वरूप पृथ्वी के सतह पर तापमान बढ़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि के कारण, पृथ्वी से वायुमंडल में जल वाष्पीकरण अधिक होता है जिससे बादल में ग्रीन हाउस गैस का निर्माण होता है जो पुनः ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है।

जीवाश्म ईंधन का जलना, उर्वरक का उपयोग, अन्य गैसों में वृद्धि जैसे- ट्रोपोस्फेरिक ओजोन, और नाइट्रस ऑक्साइड भी ग्योबल वार्मिंग के कारक हैं। तकनीकी आधुनिकीकरण, प्रदूषण विस्फोट, औद्योगिक विस्तार की बढ़ते माँग, जंगलों की अंधाधुंध कटाई तथा शहरीकरण ग्लोबल वार्मिंग वृद्धि में प्रमुख रूप से सहायक हैं। हम जंगल की कटाई तथा आधुनिक तकनीक के उपयोग से प्राकृतिक प्रक्रियाओं को विक्षुब्ध कर रहे हैं। जैसे वैश्विक कार्बन चक्र, ओजोन की परत में छिद्र बनना तथा रंगों का पृथ्वी पर आगमन जिससे ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि हो रही है।

जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण तथा विनाशकारी प्रोद्यौगिकियों का कम उपयोग भी एक अच्छी पहल है। ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव से जीवन पर खतरा बढ़ता जा रहा है। हमें सदैव के लिए पर्यावरण-विरोधी आदतों का त्याग करना चाहिए। हमें पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाना चाहिए, बिजली का उपयोग कम करना चाहिए, लकड़ी को जलाना बंद करना चाहिए आदि।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

80. विद्यालयों की ज़िम्मेदारी बेहतर नागरिक – बोध

संकेत बिंदु – व्यक्तित्व निर्माण में विद्यालय का स्थान, राष्ट्र और समाज के प्रति उत्तरदायित्व, नागरिक अधिकारों – कर्तव्यों का बोध

विद्यालय हमें सिखाते हैं कि घर, परिवार, समाज, संस्थाओं और लोक में रहते हुए कर्तव्यों का निर्वहन कैसे करें। हमारा योगदान क्या और कैसे हो। पाठ्यक्रमों, परीक्षाओं, उपाधियों से परे व्यक्ति को एक श्रेष्ठ राष्ट्रभक्त और समर्पित व्यक्ति बनाने का दायित्व विद्यालय का ही है। लोकमंगल और राष्ट्रकल्याण के भाव को जगाते ऐसे विद्यालय समाज के गौरव होते हैं। समाज उनकी ओर अनेक आकांक्षाओं से निहारता है। उनसे ज्ञान की चमक बिखेरने की अपेक्षा करता है।

बदलते दौर में विद्यालय की भूमिका लगातार चुनौतीपूर्ण बन रही है। सामाजिक रचना के साथ वैश्विक स्तर पर होने वाले परिवर्तनों का असर गहरा है। इन परिवर्तनों के बीच में ही विद्यालय को स्वयं को ढालना होगा, बदलना होगा। आज की शिक्षा निःसंदेह संस्कार – केंद्रित नहीं रही। प्रतियोगिता की दुनिया में सभी मानदंड बिखर गए। शिक्षा चारित्रिक निर्माण का माध्यम थी, महज रोजगार हासिल करने का अटपटा-सा उपकरण बनकर रह गई। विद्यालय व्यक्तित्व को तराशे और संस्कारित करे, यह उम्मीद की जाती है। हमारे सामाजिक शब्दकोश में यह व्यक्तित्व विकास जैसे शब्द नहीं थे।

विद्यालय दायित्वों से भरा हुआ है। विद्यालय अपने दायित्वों का निर्वाह करने में थोड़ी भी चूक करते हैं तो केवल छात्र का भविष्य ही नहीं बल्कि राष्ट्र के भविष्य के सामने भी एक प्रश्न चिह्न खड़ा हो जाता। इसलिए आवश्यक है कि जीवन की सुरक्षा जिस प्रकार करते हैं वैसे ही अपने दायित्वों का निर्वाह भी करें। वर्तमान में प्रत्येक जिम्मेदार नागरिक को जिन दायित्वों का निर्वहन करना है, उनमें सीमा सुरक्षा, आंतरिक, सुरक्षा, देश की धरोहरों की सुरक्षा, स्वच्छता का ध्यान, साक्षरता का प्रचार-प्रसार आदि उल्लेखनीय हैं।

सभी चुनौतियाँ राष्ट्रवासियों की उम्मीदों एवं आशाओं से जुड़ी हैं। एकता, समता के साथ व्यवहार एवं जीवन शैली वर्ग शुचिता ही सही समाधान हो सकता है। हर नागरिक को परिवार व समाज से पहले अपने राष्ट्र के बारे में सोचना चाहिए। किसी भी देश का नाम उसके नागरिकों के अच्छा या बुरा होने से ऊँचा होता है। भारतीय संस्कृति में विद्यालय की महिमा और विराटता व्यापक है।

81. सोशल मीडिया और किशोर

संकेत बिंदु – सोशल मीडिया – तात्पर्य और विभिन्न प्रकार, किशोरों के आकर्षण-बिंदु, वर्तमान समय में सोशल मीडिया का प्रचलन और प्रभाव

सोशल मीडिया आज हमारे जीवन में एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। सोशल मीडिया एक बहुत ही सशक्त माध्यम है और इसका प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति पर पड़ता है। सोशल मीडिया के बिना हमारे जीवन की कल्पना करना मुश्किल है, परंतु इसके अत्यधिक उपयोग के वजह से हमें इसकी कीमत भी चुकानी पड़ती है। सोशल मीडिया देश – विदेश में हो रही किसी भी घटनाओं को लोगों तक तुरंत पहुँचाने का काम करता है। सोशल मीडिया का प्रयोग कंप्यूटर, मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप आदि किसी भी साधन का उपयोग करके किया जा सकता है।

व्हाट्सएप्प, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब आदि सोशल मीडिया के प्रमुख प्लेटफार्म हैं। इसके जरिए किसी भी खबर को पलभर में पूरे देश व विदेश में फैलाया जा सकता है। हम इस सच्चाई को अनदेखा नहीं कर सकते कि सोशल मीडिया आज हमारे जीवन में मौजूद सबसे बड़े घटकों में से एक है। इसके माध्यम से हम किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा दुनिया के किसी भी कोने में बसे अपने प्रियजनों से बात कर सकते हैं।

सोशल मीडिया एक आकर्षक तत्व है और आज यह हमारे जीवन से जुड़ा हुआ है। युवा हमारे देश का भविष्य हैं, वे देश की अर्थव्यवस्था को बना या बिगाड़ सकते हैं, वहीं सोशल नेटवर्किंग साइटों पर उनका सबसे अधिक सक्रिय रहना, उन पर अत्यधिक प्रभाव डाल रहा है। जो कुछ भी हमें जानना होता है उसे बस हम एक क्लिक करके उसके बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

इन दिनों सोशल नेटवर्किंग साइटों से जुड़े रहना सबको पसंद है। कुछ लोगों का मानना है कि यदि आप डिजिटल रूप में उपस्थित नहीं हैं, तो आपका कोई अस्तित्व नहीं है। सोशल नेटवर्किंग साइटों पर उपस्थिति का बढ़ता दबाव और प्रभावशाली प्रोफ़ाइल, युवाओं को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर रही है। सोशल नेटवर्क के सकारात्मक प्रभाव हैं लेकिन बाकी सभी चीज़ों की तरह इसकी भी कुछ बुराइयाँ हैं। इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हैं- यह परीक्षा में नकल करने में मदद करता है। छात्रों के शैक्षणिक श्रेणी और प्रदर्शन को खराब करता है।

निजता का अभाव उपयोगकर्ता हैकिंग, आइडेंटिटी की चोरी, फिशिंग अपराध इत्यादि जैसे साइबर अपराधों का शिकार हो सकता है। दुनिया भर में लाखों लोग हैं जो सोशल मीडिया का उपयोग प्रतिदिन करते हैं। इसके सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का एक मिश्रित उल्लेख दिया गया है। इसमें बहुत सारी ऐसी चीजें हैं जो हमें सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण हैं, तो कुछ ऐसी चीजें भी हैं जो हमें नुकसान पहुँचा सकती है।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

82. यात्राएँ – अनुभव के नए क्षितिज

संकेत बिंदु – यात्रा – क्या, क्यों, कैसे?, यात्राओं से अनुभवों की व्यापकता, यात्राओं का सभ्यता के विकास में योगदान

यात्राएँ कई मायनों में महत्वपूर्ण हैं। यात्रा का अनुभव व्यक्ति के जीवन में गति भी लाता है। कहा भी गया है कि ठहराव का अर्थ मृत्यु है। इसलिए मनुष्य की जीवतंता का प्रमाण उसकी गतिशीलता एवं निरंतरता ही हैं जो जीवन में नया उत्साह जगाती है। प्राकृतिक और भौगोलिक विभिन्नताओं तथा विविधताओं से भरे क्षेत्र में भ्रमण करके उनके ऐतिहासिक व दार्शनिक स्थलों को देखने- निहारने तथा वहाँ बसने वाली जनता के रहन-सहन व संस्कृति को करीब से जानने को ही यात्रा कहा जाता है। कई उद्देश्यों को लेकर यात्राएं की जाती हैं।

कुछ यात्राएँ धार्मिक तो कुछ सामाजिक महत्व की होती हैं। यात्रा करने के कई लाभ भी हैं। कुछ लोग यात्रा मनोरंजन के लिए करते हैं तो कुछ स्वास्थ्य लाभ की दृष्टि के लिए करते हैं। जिज्ञासु अथवा ज्ञानपिपासु लोग एक- दूसरे स्थानों की यात्राओं में अधिक रुचि रखते हैं। पहाड़ों, सागरीय तटों तथा प्रकृति के मनोरम स्थलों पर घूमना सभी को आनंदित करता है। पर्यटन के लिहाज़ से हमारा देश समृद्ध हैं। देश दुनिया से बड़ी संख्या में लोग यहाँ आते हैं तथा देश – करते हैं।

प्रकृति के विभिन्न और विविध स्वरूपों को जानने का एक तरीका यात्रा है। कहीं हरी-भरी वादियाँ तो कही बर्फ से ढके पर्वतों के मनोरम दृश्य का नज़ारा तथा पहाड़ों से मिले रोमांच से उनके साहस में भी वृद्धि होती है। रंग-बिरंगी वेश-भूषा, रहन-सहन, रीति-रिवाजों, उत्सव-त्योहारों, भाषा – बोलियों, सभ्यताओं, संस्कृतियों तथा जानकारियों का आदान-प्रदान करने में पर्यटन का महत्वपूर्ण योगदान है।

यात्रा करने से हमें कई प्रकार के अनुभव प्राप्त होते हैं। साथ ही ज्ञान में वृद्धि भी होती हैं। यात्रा के दौरान विभिन्न देशों की सभ्यता तथा संस्कृति के लोगों का मिलन होता है। लोगों के रहन-सहन तथा भाषा संवाद से बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है। वैसे भी इनसान हमेशा कुछ-न-कुछ जानने के लिए उत्सुक रहता है। कई बार व्यक्ति विभिन्न लोगों तथा भिन्न-भिन्न स्थानों की यात्रा करके ही अनेक सद्गुणों को सीखता है। मानवता का असली स्वरूप उन्हें इस तरह के यात्राओं में ही महसूस करने का अवसर मिलता है।

यात्रा समय के सदुपयोग का सर्वोतम तरीका है। जब तक कोई व्यक्ति अपनी नीरस शारीरिक एवं मानसिक दिनचर्या को तोड़ता नहीं है, उसे संतुष्टि नहीं मिल पाती है। यात्रा से हम दिनचर्या की इस नीरसता को भंग कर सकते हैं। एक नई जगह पर व्यक्ति कुछ जानने के लिए उत्सुक एवं ज्ञान अर्जित करने के लिए व्यस्त हो जाता है। रोमांचित एवं आश्चर्यचकित करने वाले स्थल उसके उत्साह को जागृत रखते हैं। यात्रा के समय हम भिन्न-भिन्न लोगों से मिलते हैं। मनोविज्ञान में रुचि रखने वाले व्यक्तियों को दूसरों को समझने का अनुभव एवं दृष्टि प्राप्त होती है। मनुष्य के स्वभाव को समझ पाना सर्वोतम शिक्षा है। यात्रा का शौक रखना बहुत लाभदायक है इससे हम व्यस्त रहते हैं तथा शिक्षा प्राप्त होती है। हमारे शरीर एवं मन को नई ऊर्जा प्रदान होती है।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

83. जब हम चार रनों से पिछड़ रहे थे

संकेत बिंदु – खिलाड़ियों की मनोदशा, दर्शकों की मनोदशा, प्रयास और परिणाम

जब हम चार रनों से पिछड़ रहे थे- हमारे विद्यालय की क्रिकेट टीम का डी०ए०वी० पंचकुला विद्यालय की टीम से विक्रम स्टेडियम में मैच चल रहा था। अंतिम ओवर था। दोनों टीमें अच्छा प्रदर्शन कर रही थीं। मैच रोमांचक मोड़ पर पहुँच चुका था। जीतने के लिए केवल छह रनों की आवश्यकता थी। दोनों टीमों के कप्तान जीत प्राप्त करने के लिए अपनी-अपनी टीम को प्रोत्साहित कर रहे थे। तभी डी०ए०वी० विद्यालय की टीम ने दो रन और बना लिए। हम चार रनों से पिछड़ रहे थे।

अंतिम दो गेंदों में हार-जीत का फैसला निश्चित था। मेरे दिमाग में अपने कोच की बातें गूंजने लगीं – खेलो, जी भरकर खेलो। यह समय फिर नहीं आएगा। दर्शकों की नज़रें भी हमारे खेल पर टिकी हुई थीं। तभी अचानक सामने से आती गेंद जैसे ही मेरे बल्ले से टकराई, उछल कर दर्शकों के मध्य जा गिरी। सारा स्टेडियम दर्शकों के शोर और तालियों से गूँज उठा। अंतिम गेंद के साथ ही हम मैच जीत चुके थे। मेरे आत्मविश्वास ने हमें विजयी बना दिया।

84. देश पर पड़ता विदेशी प्रभाव

संकेत बिंदु – हमारा देश और संस्कृति, विदेशी प्रभाव, परिणाम और सुझाव

देश पर पड़ता विदेशी प्रभाव – हमारा भारत देश अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन व समृद्ध संस्कृति है। अनेकता में एकता ही इसकी मूल पहचान है। अध्यात्म, सहिष्णुता, अहिंसा, धर्मनिरपेक्षता, परोपकार, मानव-सेवा आदि भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषताएँ हैं। किंतु आज की युवा पीढ़ी पर विदेशी संस्कृति का प्रभाव अधिक है। पाश्चात्य सभ्यता की चमक-दमक व स्वच्छंद आचरण युवा पीढ़ी को अपनी ओर अधिक आकर्षित करता है।

आज की पीढ़ी अपने संस्कारों, रीति-रिवाजों व नैतिक मूल्यों को भुलाकर विदेशी रंग में रँगती जा रही है जिस कारण भारतीय युवाओं का चारित्रिक पतन होता दिखाई दे रहा है। जबकि विदेशी लोगों का रुझान भारतीय संस्कृति की ओर देखा जा सकता है। कई विदेशी लोग भारतीय संस्कृति से इतने अधिक प्रभावित हैं कि वे अपने देश को छोड़कर सदा के लिए यहीं बस जाते हैं। विदेशी प्रभाव के कारण ही हमारे देश में संयुक्त परिवार का स्थान एकल परिवार ने ले लिया है। अपनी संस्कृति को बनाए रखने के लिए हमें अपने बच्चों तथा युवा पीढ़ी को कहानियों, चित्रों व कलाकृतियों के माध्यम से इसकी विशेषताओं से समय-समय पर अवगत करवाना होगा तथा भारतीय संस्कृति की उपयोगिता से परिचित कराना होगा।

JAC Class 10 Hindi रचना अनुच्छेद लेखन

85. मित्रता

संकेत बिंदु – आवश्यकता, कौन हो सकता है मित्र, लाभ

मित्रता – मित्रता और सच्चा मित्र जीवन में किसी वरदान से कम नहीं है। जब किसी के मन में अपनेपन और सौहार्द्र का भाव हो तो उसे मित्रता कहते हैं। मित्रता के अभाव में जीवन सूना और दुखमय हो जाता है। मित्र का होना जीवन में खुशी, उमंग और आत्मविश्वास का संचार करता है। हर वर्ग के मनुष्य के लिए मित्रता आवश्यक है। विद्यालय जाकर सबसे पहले बच्चा भी मित्र बनाने का प्रयास करता है। सच्चे मित्र पर आँखें मूँदकर विश्वास किया जा सकता है। वह एक भाई और एक शिक्षक के समान होता है।

जहाँ वह बुरे समय में सहारा बनकर सही राह दिखाता है, वहीं बुराई से सावधान भी करता है। वह मानो एक वैद्य के समान हमारी परेशानियों का इलाज भी करता है। कुछ लोग अल्पकालिक परिचय को मित्रता का नाम दे डालते हैं। उनके धोखा खाने की संभावना अधिक होती है। वहीं कुछ लालची और स्वार्थी लोगों से मित्रता करना भी हानिकारक हो सकता है। सच्ची मित्रता प्रत्येक दृष्टि से आदर्शपरक होती है। चरित्रवान आदर्श व्यक्ति से मित्रता करना सौभाग्य की बात होती है।
सदाचारी और बुद्धिमान,
मित्र हों ऐसे विद्वान।

86. लड़का-लड़की एक समान

संकेत बिंदु – ईश्वर की देन, भेदभाव के कारण, दृष्टिकोण कैसे बदलें

मनुष्य को एक सामाजिक प्राणी कहा जाता है। वह जिस समाज में कार्य करता है। उस समाज में दो जाति के मनुष्य रहते हैं- लड़का और लड़की। पुराने ज़माने में लड़की को शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी नहीं भेजते थे। देश की आज़ादी के बाद लड़कियाँ हर क्षेत्र में कार्य करने लगी हैं आज के युग में सभी लड़कियाँ लड़कों के बराबरी में चलने लगी हैं। लड़कियाँ घर, समाज और देश का नाम रोशन कर रही हैं। कई भारतीय महिलाओं ने अपने देश का नाम ऊँचा किया है।

लड़कियों को किसी भी रूप में लड़कों से कमज़ोर नहीं समझा जा सकता, क्योंकि लड़कियों के बिना मनुष्य जीवन आगे नहीं बढ़ सकता। अगर परिवार चलाने के लिए लड़का ज़रूरी है, तो परिवार को आगे बढ़ाने के लिए लड़की भी ज़रूरी है। लड़कियों को उनकी सोच और उनके सपने सामने रखने का अधिकार मिलना चाहिए। उन्हें उनकी जिंदगी उनके हिसाब से जीने देना चाहिए। लड़कियों को लड़के जितनी समानता देने की शुरुआत घर से ही करनी चाहिए। उन्हें घर के हर निर्णय में भागीदारी दी जानी चाहिए।

उन्हें लोगों की संकुचित सोच से लड़ने के लिए तैयार करना चाहिए और उन्हें ऐसे पथ पर अग्रसर करना चाहिए कि वो लोगों की सोच को बदल सकें और लड़का-लड़की का भेदभाव खत्म कर सके। आज के इस युग में लड़का और लड़की में कोई अंतर नहीं है। लड़कियों की कर्मशीलता ही उनके सक्षम होने का सबूत है। आज कल सरकार की तरफ से लड़कियों के लिए काफी नई और सुविधाजनक योजनाओं का एलान किया जा रहा है।

लड़कियों के जन्म से लेकर पढ़ाई, नौकरी, बीमा, कारोबार, सरकारी सुविध आदि क्षेत्र में सरकार की तरफ से काफी मदद भी प्रदान की जा रही है, ताकि लड़कियाँ समाज में कभी किसी से पीछे न छूट जाएँ। भारत सरकार ने लड़कियों को लड़कों के बराबर कार्य करने का मौका दिया है। सरकार ने लड़कियों को हर क्षेत्र में सहायता करके उनका हौंसला बढ़ाया है। लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र से लेकर हर क्षेत्र में सुविधाएँ उपलब्ध कराई हैं। गरीब घर की लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा और किताबों का प्रबंध किया है। आज के आधुनिक युग में लड़का-लड़की में कोई अंतर नहीं है। यदि आज भी कोई ऐसी धारणा रखता है कि लड़की कुछ नहीं कर सकती, तो वह बिलकुल गलत सोच रहा है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

JAC Class 9 Hindi एक कुत्ता और एक मैना Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
गुरुदेव ने शांतिनिकेतन को छोड़ कहीं और रहने का मन क्यों बनाया?
उत्तर :
गुरुदेव का स्वास्थ्य ठीक नहीं था तथा शांतिनिकेतन में छुट्टियाँ भी चल रही थीं। इसलिए गुरुदेव ने शांतिनिकेतन छोड़कर कुछ दिन श्रीनिकेतन में रहने का मन बनाया। यह स्थान शांतिनिकेतन से दो मील दूर था। वे यहाँ कुछ समय एकांत में व्यतीत करना चाहते थे।

प्रश्न 2.
मूक प्राणी मनुष्य से कम संवेदनशील नहीं होते। पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
जब गुरुदेव शांतिनिकेतन से श्रीनिकेतन रहने के लिए चले गए तो उनका कुत्ता दो मील की यात्रा करके तथा बिना किसी के राह दिखाए उनसे मिलने चला आया था। जब गुरुदेव ने उस पर अपना हाथ फेरा हो वह आँखें बंद करके आनंद के सागर में डूब गया था। जब गुरुदेव का चिताभस्म आश्रम में लाया गया तो यही कुत्ता आश्रम के द्वार से ‘उत्तरायण’ तक चिताभस्म के कलश के साथ गया और कुछ देर तक चुपचाप कलश के पास बैठा रहा। इसी प्रकार से एक लंगड़ी मैना बिना किसी भय के गुरुदेव के पास फुदकती रहती थी। इससे स्पष्ट है कि मूक प्राणी भी मनुष्य से कम संवेदनशील नहीं होते।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

प्रश्न 3.
गुरुदेव द्वारा मैना को लक्ष्य करके लिखी कविता के मर्म को लेखक कब समझ पाया ?
उत्तर :
जब लेखक ने गुरुदेव की इस बात पर विचार किया कि मैना में भी करुण भाव हो सकता है तो उसे लगा कि सचमुच ही उसके मुख पर एक करुण भाव था। उसने सोचा, वह शायद मैना का विधुर पति था जो स्वयंवर-सभा के युद्ध में घायल होकर पराजित हो गया था अथवा मैना पति की विधवा पत्नी थी जो बिडाल के आक्रमण में पति को खोकर स्वयं थोड़ी-सी चोट खाकर लंगड़ी होकर एकांत में रह रही थी। उसकी यही दशा गुरुदेव को कविता लिखने के लिए प्रेरित कर गई होगी। यह सब सोचकर ही लेखक गुरुदेव द्वारा मैना पर रचित कविता का मर्म समझ सका।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत पाठ एक निबंध है। निबंध गद्य – साहित्य की उत्कृष्ट किया है, जिसमें लेखक अपने भावों और विचारों को कलात्मक और लालित्यपूर्ण शैली में अभिव्यक्त करता है। इस निबंध में उपर्युक्त विशेषताएँ, कहाँ झलकती हैं ? किन्हीं चार का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
1. लेखक कब सपरिवार गुरुदेव से मिलने श्रीनिकेतन जाता है तो उस समय के वर्णन में कलात्मक और लालित्यपूर्ण शैली के दर्शन होते हैं, जैसे-“गुरुदेव बाहर एक कुर्सी पर चुपचाप बैठे अस्तगामी सूर्य की ओर ध्यान विस्मित नयनों से देख रहे थे। हम लोगों को देखकर मुस्कराए, बच्चों से जरा छेड़-छाड़ की, कुशल – प्रश्न पूछे और फिर चुप हो गए। ठीक उसी समय उनका कुत्ता धीरे-धीरे ऊपर आया और उनके पैरों के पास खड़ा होकर पूँछ हिलाने लगा। गुरुदेव ने उसकी पीठ पर हाथ फेरा। वह आँखें मूँदकर अपने रोम-रोम से उस स्नेह – रस का अनुभव करने लगा। ”

2. लेखक हिंदी मुहावरों का बाँग्ला में अनुवाद कर जब गुरुदेव से बात किया करता था तो वे मन ही मन मुसकराते थे और जब लेखक कभी किसी अतिथि को साथ ले जाते थे, तो वे हँसकर पूछा करते थे ‘दर्शनार्थी लेकर आए हो क्या ?”

3. गुरुदेव सुबह अपने बगीचे में टहलने के लिए निकला करते थे। लेखक एक दिन उनके साथ था। उनके साथ एक और पुराने अध्यापक थे। गुरुदेव एक – एक फूल – पत्ते को ध्यान से देखते हुए अपने बगीचे में टहल रहे थे और अध्यापक महाशय से बातें करते जा रहे थे। लेखक चुपचाप सुनता जा रहा था। गुरुदेव ने बातचीत के सिलसिले में एक बार कहा, “अच्छा साहब, आश्रम के कौए क्या हो गए ? उनकी आवाज़ सुनाई ही नहीं देती ?” न तो अध्यापक महाशय को यह खबर थी और न लेखक को ही। बाद में लेखक लक्ष्य किया कि सचमुच कई दिनों से आश्रम में कौए नहीं दीख रहे हैं। लेखक ने तब तक कौओं को सर्वव्यापक पक्षी ही समझ रखा था। अचानक उस दिन मालूम हुआ कि ये भले आदमी भी कभी-कभी प्रयास को चले जाते थे या चले जाने को बाध्य होते थे।

4. लेखक के घर की दीवार में बने छेद में रहने वाले मैना का जोड़ा जब घर के लोगों को देखता तो चहक – चहक कर कुछ कहता। लेखक को पक्षियों की भाषा तो समझ में नहीं आती थी पर निश्चित विश्वास था कि उनमें कुछ इस तरह की बातें हो जाया करती होंगी –
पत्नी – ये लोग यहाँ कैसे आ गए जी ?
पति – उँह बेचारे आ गए हैं, तो रह जाने दो। क्या कर लेंगे !
पत्नी – लेकिन फिर भी इनको इतना तो ख्याल होना चाहिए कि यह हमारा प्राइवेट घर है।
पति – आदमी जो हैं, इतनी अकल कहाँ ?
पत्नी – जाने भी दो
पति – और क्या !

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

प्रश्न 5.
आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
इस प्रकार कवि की मर्मभेदी दृष्टि ने इस भाषाहीन प्राणी की करुण दृष्टि के भीतर उस विशाल मानव-सत्य को देखा है, जो मनुष्य, मनुष्य के अंदर भी नहीं देख पाता। पशु-पक्षियों में अपने हित अनहित को पहचानने की एक अनुपम शक्ति होती है। अपने शुभेच्छु को देखकर उनका रोम-रोम स्नेह – रस का अनुभव करते लगता है तथा चेहरे से परितृप्ति झलकने लगती है। उस मूक प्राणी में कवि ने आत्मनिवेदन, दैन्य, करुणा और सहज बोध का जो भाव अपनी रहस्य- भेदिनी दृष्टि से देखा, वह मनुष्यों के भीतर भी दृष्टिगोचर नहीं होता।

मनुष्य ज्ञान संपन्न एवं अनुभूति प्रवण जीव है। किंतु विनय, दया, उदारता की जननी करुणा का दर्शन उसके भीतर भी नहीं होता, जिसका साक्षात्कार गुरुदेव ने उस मूक कुत्ते के भीतर किया तो उनके कर-स्पर्श से पुलकित हो परम तृप्ति का अनुभव करता था। इस प्रकार वह मूक प्राणी कुत्ता मानवों से भी कहीं अधिक संवेदनशील चित्रित किया गया है।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 6.
पशु-पक्षियों से प्रेम इस पाठ की मूल संवेदना है। अपने अनुभव के आधार पर ऐसे किसी प्रसंग से जुड़ी रोचक घटना को कलात्मक शैली में लिखिए।
उत्तर :
एक बार मैं स्कूल से घर आ रहा था। रास्ते में मुझे एक पिल्ला मिला। मुझे देखते ही वह मेरे पैरों से लिपट गया। वह बहुत प्यारा था। मैंने उसे प्यार से सहलाया और खाने के लिए बिस्कुट दिए। वह मेरे पीछे-पीछे मेरे घर आ गया। मेरी माँ ने देखा, तो उसे भी बड़ा प्यारा लगा। मैंने उसे पालने का निश्चय किया। मुझे तो ऐसा लगा जैसे मुझे कोई अनुपम साथी मिल गया हो। मैंने उसका नाम शेरू रखा।

वह सफ़ेद रंग का झबरेला सा बहुत प्यारा सा पिल्ला था। वह आज मेरे परिवार का सदस्य बन गया है। वह घर की रखवाली भी करता है और मेरे साथ खेलता भी है। जब भी मैं उसे आवाज लगाता हूँ, वह दौड़कर मेरे पास आता है। वह मेरे स्कूल से आने का इंतजार करता है। जैसे ही मुझे देखता है, अपनी पूँछ हिलाकर ‘कूँ कूँ’ की आवाज़ निकालकर मेरे पैरों पर लोटने लगता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

भाषा अध्ययन –

प्रश्न 7.
गुरुदेव जरा मुस्कुरा दिए।
मैं जब यह कविता पढ़ता हूँ।
ऊपर दिए गए वाक्यों में एक वाक्य में अकर्मक क्रिया है और दूसरे में सकर्मक है। इस पाठ को ध्यान से पढ़कर सकर्मक और अकर्मक क्रिया वाले चार-चार वाक्य छाँटिए।
उत्तर :
(क) अकर्मक क्रिया के वाक्य :
1. मैं चुपचाप सुनता जा रहा था।
2. देखते हो, यह यूथभ्रष्ट है।
3. रोज फुदकती है।
4. क्या कर लेंगे।

(ख) सकर्मक क्रिया के वाक्य :
1. शायद मौज में आकर ही उन्होंने यह निर्णय किया हो।
2. मैं मय बाल-बच्चों के एक दिन श्रीनिकेतन जा पहुँचा।
3. मैं जब यह कविता पढ़ता हूँ।
4. कुछ और पहले की घटना याद आ रही है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

प्रश्न 8.
निम्नलिखित वाक्यों में कर्म के आधार पर क्रिया-भेद बताइए –
(क) मीना कहानी सुनाती है।
(ख) अभिनव सो रहा है।
(ग) गाय घास खाती है।
(घ) मोहन ने भाई को गेंद दी।
(ङ) लड़कियाँ रोने लगीं।
उत्तर :
(क) सकर्मक क्रिया
(ख) अकर्मक क्रिया
(ग) सकर्मक क्रिया
(घ) सकर्मक क्रिया
(ङ) अकर्मक क्रिया।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

प्रश्न 9.
नीचे पाठ में से शब्द-युग्मों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं। जैसे-
उत्तर :
समय-असमय, अवस्था – अनावस्था
इन शब्दों में ‘अ’ उपसर्ग लगाकर नया शब्द बनाया गया है।
पाठ में से कुछ शब्द चुनिए और उनमें ‘अ’ एवं ‘अन्’ उपसर्ग लगाकर नए शब्द बनाइए।
उत्तर :

  • निर्णय – अनिर्णय
  • कारण – अकारण
  • प्रचलित – अप्रचलित
  • सहज – असहज
  • देखा – अनदेखा
  • अंग – अनंग
  • कहा – अनकहा
  • अधिक – अनधिक।

JAC Class 9 Hindi एक कुत्ता और एक मैना Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
गुरुदेव मैना के मनोभावों को कैसे जान सके ?
उत्तर
गुरुदेव की संवेदनशील दृष्टि एक-एक वस्तु और पशु-पक्षी सब पर रहती है। यहाँ तक कि आश्रम में कौवे न रहने पर भी उन्हें यह पता चल जाता था कि वे प्रवास पर गए हैं। इसी प्रकार जब लेखक गुरुदेव के पास उपस्थित था तो उनके सामने एक लंगड़ी मैना फुदक रही थी। गुरुदेव की प्रत्येक वस्तु का इतना ध्यान रहता था कि अपने समूह से बिछुड़ी हुई मैना के फुदकने में उसके अंदर में छिपे करुण-भाव का ज्ञान हो गया और उन्होंने उसकी चर्चा की।

इसके पूर्व द्विवेदी जी यही जानते थे कि मैना में करुणा का भाव नहीं होता है। वह दूसरों पर कृपा ही किया करती है किंतु गुरुदेव की बात से उन्हें ज्ञात हुआ कि मैना में भी करुणा होती है। द्विवेदी जी और गुरुदेव दोनों के विचार मैना के विषय में भिन्न थे क्योंकि कवि होने के नाते उसमें संवेदनशील अधिक थी, अतएव वह मैना के मनोभाव को अधिक निकट से जान सके थे।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

प्रश्न 2.
‘एक कुत्ता और एक मैना’ पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
यह निबंध भावात्मक निबंध है। इस निबंध में एक कुत्ता और एक मैना के सहज-सरल जीवन की तरलता एवं करुण भावना पर प्रकाश डाला गया है। इस निबंध में एक कुत्ते की सहज गहरी स्वामिभक्ति तथा एक मैना की करुणाजनक कहानी की ओर संकेत किया है। कवींद्र रवींद्र ने कुत्ते की अनुपम ममता तथा मूक, किंतु गहरे स्नेह की चर्चा करते हुए कुत्ते के सहज स्नेह की अमिट रेखा खींचने का प्रयास किया गया है। उसी प्रकार से लेखक ने कवींद्र के विस्तृत जीवन-दर्शन पर प्रकाश डालते हुए, एक मैना के करुण -कलित जीवन की चिंता कर, उसके संबंध में कवींद्र को लिखी एक कविता के भाव-सौंदर्य को दिखाया है। लेखक ने इस संबंध में अपनी सबल शैली में एक कुत्ता और एक मैना के सरल और करुणामयी जीवन का सजीव चित्र खींचा है।

प्रश्न 3.
कुत्ते से संबंधित कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कुत्ते से संबंधित कविता में कवींद्र ने लिखा था कि प्रतिदिन यह कुत्ता उनके आसन के पास चुपचाप तब तक बैठा रहता है जब तक वे इसे अपने हाथों से स्पर्श नहीं करते। उनके हाथों का स्पर्श पाकर वह आनंदित हो उठता है। यह मूक प्राणी अपने हाव-भाव से अपना आत्मनिवेदन, दीनता, प्रेम, करुणा आदि सब कुछ व्यक्त कर देता है। वे इस मूक प्राणी की करुणा दृष्टि में उस विशाल मानव-सत्य को देखते हैं, जो मनुष्य में नहीं है।

प्रश्न 4.
लेखक ने सपरिवार कहाँ जाने का निश्चय किया और क्यों ?
उत्तर :
लेखक ने कुछ दिनों के लिए सपरिवार रवींद्रनाथ टैगोर के पास जाने का निश्चय किया। रवींद्रनाथ टैगोर कुछ दिनों के लिए शांति निकेतन छोड़कर श्रीनिकेतन रहने चले गए थे। शांति निकेतन में छुट्टियाँ चल रही थीं, इसलिए सभी लोग वहाँ से बाहर चले गए थे। उस समय टैगोर कुछ अस्वस्थ थे, इसलिए लेखक ने सपरिवार रवींद्रनाथ टैगोर के दर्शन के लिए जाने का निश्चय किया।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

प्रश्न 5.
गुरुदेव जी ने लेखक का ‘दर्शन’ शब्द क्यों पकड़ लिया था ?
उत्तर :
आरंभ में लेखक बाँग्ला भाषा में बात करते समय हिंदी मुहावरों के अनुवाद का प्रयोग करता था। जब कोई अतिथि उनसे मिलने आता था तो कहा करता था, ‘एक भद्र लोक आपनार दर्शनेर जन्य ऐसे छेन’। यह बात बाँग्ला की अपेक्षा हिंदी में अधिक प्रचलित थी। लेखक की बात सुनकर गुरुदेव मुस्करा देते थे क्योंकि लेखक की यह भाषा अधिक पुस्तकीय थी। इसी से गुरुदेव ने ‘दर्शन’ शब्द पकड़ लिया।

प्रश्न 6.
किस प्रसंग से पता चलता है कि गुरुदेव की पैनी दृष्टि अणु-अणु में पहुँचने वाली थी ?
उत्तर :
जब लेखक शांति निकेतन में नया आया था, उस समय वह गुरुदेव से ज्यादा खुला हुआ नहीं था। एक दिन गुरुदेव बगीचे में टहल रहे थे, लेखक उनके साथ थे, वे एक-एक फूल-पत्ते को ध्यान में देख रहे थे। अचानक गुरुदेव ने कहा कि आश्रम से कौए कहाँ गए, उनकी आवाज सुनाई नहीं पड़ती ? उससे पहले किसी का भी ध्यान इस ओर नहीं आया था, परंतु गुरुदेव के निरीक्षण – निपुण नयन उनको भी देख सके थे। इस तरह उनकी पैनी दृष्टि अणु-अणु में पहुँचने वाली थी।

प्रश्न 7.
गुरुदेव ने किसे यूथभ्रष्ट कहा और क्यों ?
उत्तर :
गुरुदेव ने मैना को यूथभ्रष्ट कहा है। यूथभ्रष्ट से अभिप्राय है, जो अपने सजातीय जीवों के समूह से निकाली अथवा निकल गई हो। ऐसा उन्होंने इसलिए कहा है क्योंकि मैना लँगड़ी थी। वह एक टाँग पर फुदकती थी। उसके आस-पास अन्य मैनाएँ उछल-कूद करती थीं, दाना चुगती थी परंतु लँगड़ी मैना को उनसे कोई मतलब नहीं था। वह अकेली दाना चुगती और इधर-उधर घूमती रहती थी।

प्रश्न 8.
लेखक के अनुसार मैना कैसा पक्षी है ?
उत्तर :
लेखक के अनुसार मैना अनुकंपा ही दिखाया करती है, उसे करुणा से कोई मतलब नहीं हैं। उन्होंने यह समझा था कि मैना नाच-गान और आनंद – नृत्य में समय बिताने वाला सुख – लोलुप पक्षी है परंतु गुरुदेव से बात करने के बाद लेखक को भी मैना करुणा भाव दिखाने वाला पक्षी लगा। उन्होंने देखा और समझा कि विषाद की वीथियाँ उस मैना को आँखों में तरंगें मारती हैं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

प्रश्न 9.
मैना से संबंधित कविता का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
मैना से संबंधित कविता में गुरुदेव ने लिखा था कि मैना अपने दल से अलग होकर पता नहीं किस अपराध की सजा भोग रही है, जबकि कुछ ही दूरी पर अन्य मैनाएँ घास पर उछल-कूद करती हुई आनंद मना रही हैं। लँगड़ी मैना चुपचाप अपना आहार चुगती है। वह अपने अकेलेपन का दोष किसी को नहीं देती है। उसकी चाल में कोई अभिमान नहीं है और न ही उसकी आँखों में कोई आग दिखाई देती है। वह अपने अकेलेपन में मस्त होकर जीवन व्यतीत कर रही है।

प्रश्न 10.
लेखक कवींद्र की सोच-शक्ति पर हैरान क्यों ?
उत्तर :
लेखक कवींद्र की पक्षियों के प्रति संवेदन-शक्ति को देखकर हैरान है। उन्होंने मैना की व्यथा को व्यक्त करने के लिए कविता की रचना की थी। लेखक मैना की व्यथा को समझ नहीं सका था, जबकि कवींद्र कवि ने मैना के दर्द, अकेलेपन को समझ लिया है। मैना की मूक वाणी को आवाज़ देने के लिए एक कविता की रचना कर दी।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

प्रश्न 11.
मैना के जाने के बाद वातावरण कैसा हो गया था ?
उत्तर :
एक दिन मैना वहाँ से उड़ गई। सायंकाल के समय गुरुदेव ने उसे देखा नहीं था। जब वह अकेले कोने में जाया करती थी, उस समय अंधकार में झींगुर झनकारता था, हवा में बाँस के पत्ते आपस में झरझराते थे। पेड़ों को आवाज़ देता हुआ मध्य संध्या तारा भी दिखाई देता परंतु अब वहाँ मैना नहीं दिखाई देती। उसके जाने के बाद वातावरण वही था, परंतु अब वहाँ उदासी अधिक व्याप्त थी।

महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. उन दिनों छुट्टियाँ थीं। आश्रम के अधिकांश लोग बाहर चले गए थे। एक दिन हमने सपरिवार उनके ‘दर्शन’ की ठानी। ‘दर्शन’ को मैं जो यहाँ विशेष रूप से दर्शनीय बनाकर लिख रहा हूँ, उसका कारण यह है कि गुरुदेव के पास जब कभी मैं जाता था तो प्रायः वे यह कहकर मुस्करा देते थे कि ‘ दर्शनार्थी हैं क्या ?’

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. लेखक ने सपरिवार किसके दर्शन की ठानी ?
2. लेखक ‘दर्शन’ को क्यों विशेष बना रहे हैं ?
3. लेखक किस आश्रम में गए ?
4. ‘उन दिनों’ से लेखक का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर :
1. लेखक ने सपरिवार रवींद्रनाथ ठाकुर के दर्शन का निश्चय किया।
2. लेखक ‘दर्शन’ को इसलिए विशेष बना रहे हैं क्योंकि उनके जाने पर गुरुदेव ‘ दर्शनार्थी हैं क्या’ कहकर मुसकरा देते थे।
3. लेखक गुरुदेव के आश्रम में गए।
4. ‘उन दिनों’ से लेखक का तात्पर्य उन दिनों से है जब लेखक आश्रम में गुरुदेव रवींद्रनाथ से मिलने गए।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

2. मैं जब यह कविता पढ़ता हूँ तब मेरे सामने श्रीनिकेतन के तितल्ले पर की वह घटना प्रत्यक्ष-सी हो जाती है। वह आँख मूँदकर अपरिसीम आनंद, वह ‘मूक हृदय का प्राणपत्र आत्मनिवेदन’ मूर्तिमान हो जाता है। उस दिन मेरे लिए वह एक छोटी-सी घटना थी, आज वह विश्व की अनेक महिमाशाली घटनाओं की श्रेणी में बैठ गई है। एक आश्चर्य की बात और इस प्रसंग में उल्लेख की जा सकती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. यह गद्यांश किस पाठ का है ?
2. लेखक के सामने किसका आत्मनिवेदन मूर्तिमान हो जाता है ?
3. कविता पढ़ते हुए लेखक के सामने कौन-सी घटना प्रत्यक्ष हो जाती है ?
4. ‘आज वह विश्व की अनेक घटनाओं की श्रेणी में है’ – यहाँ लेखक किस घटना की ओर संकेत करता है ?
उत्तर
1. यह गद्यांश ‘एक कुत्ता और मैना’ पाठ का है। यह आत्म – कथानक शैली में लिखा गया है
2. लेखक के सामने आँख मूँदकर अपरिमित आनंद, वह ‘मूक हृदय का प्राणपत्र आत्मनिवेदन’ मूर्तिमान हो जाता है।
3. कविता पढ़ते हुए लेखक के सामने श्रीनिकेतन के तितल्ले पर ही घटना प्रत्यक्ष – सी हो जाती है।
4. इस वाक्य में लेखक श्रीनिकेतन के तितल्ले पर की घटित घटना की ओर संकेत करता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

3. एक दूसरी बार मैं सबेरे गुरुदेव के पास उपस्थित था। उस समय एक लंगड़ी मैना फुदक रही थी। गुरुदेव ने कहा, “देखते हो, यह यूथभ्रष्ट है। रोज़ फुदकती है, ठीक यहीं आकर। मुझे इसकी चाल में एक करुण भाव दिखाई देता है।” गुरुदेव ने अगर कह न दिया होता तो मुझे उसका करुण भाव एकदम नहीं दीखता। मेरा अनुमान था कि मैना करुण भाव दिखाने वाला पक्षी है ही नहीं। वह दूसरों पर अनुकंपा ही दिखाया करती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. लंगड़ी मैना कब फुदक रही थी ?
2. ‘यूथभ्रष्ट’ किसे कहा गया है ?
3. लेखक को अचानक क्या दिखाई दिया ?
4. लेखक का ‘मैना’ पक्षी के प्रति क्या अनुमान था ?
उत्तर :
1. जब लेखक सबेरे गुरुदेव के पास उपस्थित थे। उस समय लंगड़ी मैना फुदक रही थी।
2. मैना को ‘यूथभ्रष्ट’ कहा गया है।
3. लेखक को मैना की चाल में करुण भाव दिखाई देता है।
4. लेखक का ‘मैना’ पक्षी के प्रति अनुमान यह था कि मैना करुण भाव दिखाने वाला पक्षी है ही नहीं। वह दूसरों पर अनुकंपा ही दिखाती है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

4. उस मैना को क्या हो गया है, यही सोचता हूँ। क्यों वह दल से अलग होकर अकेली रहती है ? पहले दिन देखा था सेमर के पेड़ के नीचे मेरे बगीचे में। जान पड़ा जैसे एक पैर से लंगड़ा रही हो। इसके बाद उसे रोज़ सबेरे देखता हूँ- संगीहीन होकर कीड़ों का शिकार करती फिरती है। चढ़ जाती है बरामदें में। नाच-नाच कर चहलकदमी किया करती है, मुझसे ज़रा भी नहीं डरती।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. लेखक ने यह कथन किस आधार पर लिखा है ?
2. मैना को क्या हो गया था ? वह दल से अलग क्यों रहती है ?
3. मैना क्या करती रहती है ?
4. मैना का लंगड़ी होना कैसे ज्ञात हुआ ?
5. मैना किस प्रकार चहलकदमी किया करती थी ?
उत्तर
1. लेखक ने यह कथन मैना को लक्ष्य करके लिखी गई गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कविता के आधार पर लिखा है।
2. मैना लंगड़ी हो गई है। उसका सहयोगी बिड़ाल के आक्रमण में मारा गया था। इसी दुख से दुखी होने के कारण वह दल में न रहकर अकेली रहती है।
3. मैना कीड़ों का शिकार करती है। वह बरामदे में चढ़ जाती है और नाच-नाचकर चहलकदमी करती रहती है।
4. लेखक ने उसे सेमर के पेड़ के नीचे एक पैर से लंगड़ाते हुए देखकर समझ लिया था कि वह लंगड़ी है।
5. मैना नाच नाचकर चहल कदमी किया करती है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

5. जब मैं इस कविता को पढ़ता हूँ तो उस मैना की करुण मूर्ति अत्यंत साफ़ होकर सामने आ जाती है। कैसे मैंने उसे देखकर भी नहीं देखा और किस प्रकार कवि की आँखें उस बेचारी के मर्मस्थल तक पहुँच गईं, सोचता हूँ तो हैरान हो जाता हूँ। एक दिन वह मैना उड़ गई। सायंकाल कवि ने उसे नहीं देखा। जब वह अकेले जाया करती है उस डाल के कोने में, जब झींगुर अंधकार में झनकारता रहता है, जब हवा में बाँस के पत्ते झरझराते रहते हैं, पेड़ों की फाँक में पुकारा करता है नींद तोड़ने वाला संध्यातारा ! कितना करुण है उसका गायब हो जाना!

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. लेखक किस कविता की बात कर रहा है ? यह कविता किसने और क्यों लिखी थी ?
2. लेखक हैरान क्यों है ?
3. इस कविता का मूलभाव स्पष्ट कीजिए।
4. मैना के जाने के बाद के वातावरण का वर्णन कीजिए।
5. लेखक को कविता में किस भाव की प्रमुखता दिखाई देती है ?
उत्तर :
1. कवि मैना पर लिखी हुई कविता की बात कर रहा है। यह कविता गुरुदेव रवींद्रनाथ ने लंगड़ी मैना को देखकर उसकी व्यथा को व्यक्त करने के लिए लिखी थी।
2. कवि इस बात से हैरान है कि मैना को देखकर उसके मन में कुछ नहीं हुआ था जबकि गुरुदेव रवींद्रनाथ ने उस मैना के मन के दर्द को समझ लिया और उस पर कविता लिख दी।
3. मैना अपने दल से अलग होकर न मालूम किस अपराध का दंड भोग रही हैं। अन्य मैनाएँ आनंद मना रही है परंतु यह लंगड़ी मैना चुपचाप अपना आहार चुगती रहती है। वह अपने इस अकेलेपन का किसी पर दोष नहीं लगाती है। अपने में मस्त रहती है।
4. मैना के चले जाने के बाद भी अंधकार में झींगुर झनकारता है और हवा में बाँस के पत्ते झरझराते रहते हैं। पेड़ों के बीच में से सांध्यतारा भी दिखाई देता है परंतु मैना नहीं दिखाई देती। उसके जाने के बाद सारा वातावरण उदास दिखाई देता है।
5. लेखक को कविता में करुण-भाव की प्रमुखता दिखाई देती है।

एक कुत्ता और एक मैना Summary in Hindi

लेखक परिचय :

जीवन परिचय – आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का जन्म सन् 1907 में बलिया जिले के आरत दूबे का छपरा नामक गाँव में हुआ था। संस्कृत महाविद्यालय काशी से शास्त्री की परीक्षा पास करने के पश्चात् इन्होंने ज्योतिष विषय में सन् 1930 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय से ज्योतिषाचार्य की उपाधि प्राप्त की। सन् 1930 में शांति निकेतन में इन्हें हिंदी अध्यापक के रूप में नियुक्त किया गया। सन् 1950 में इन्हें काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग का अध्यक्ष बनाया गया। इस पद पर दस वर्ष तक रहने के पश्चात् सन् 1960 में इन्हें पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग का अध्यक्ष बनाया गया। यहाँ से अवकाश प्राप्त करने के पश्चात् ये भारत सरकार की हिंदी विषयक अनेक योजनाओं से जुड़े रहे। लखनऊ विश्वविद्यालय ने इन्हें डी० लिट० और भारत सरकार ने पद्म भूषण की उपाधि से अलंकृत किया था। सन् 1979 में इनका देहावसान हो गया।

रचनाएँ – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने विभिन्न विधाओं पर सफलतापूर्वक लेखनी चलाई है। उनकी प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं –

समीक्षात्मक ग्रंथ – ‘सूर साहित्य’, ‘हिंदी साहित्य की भूमिका’, ‘मध्यकालीन धर्म साधना’, ‘सूर और उनका काव्य’, ‘नाथ-संप्रदाय’, ‘कबीर’, ‘मेघदूत’, ‘एक पुरानी कहानी’, ‘हिंदी साहित्य का आदिकाल’ तथा ‘लालित्य मीमांसा’।
उपन्यास – ‘वाणभट्ट की आत्मकथा’ तथा ‘चारु चंद्रलेख’।
निबंध – संग्रह – ‘ अशोक के फूल’, ‘विचार प्रवाह’, ‘विचार और वितर्क’ तथा ‘कल्पलता’।

भाषा शैली – भाषा विधान की दृष्टि से इनका तत्सम शब्दों के प्रति विशेष लगाव है। संस्कृत भाषा के साथ-साथ, संस्कृत साहित्य की गहरी छाप इनकी रचनाओं में मिलती है। इनका आदर्श दुरूहता नहीं है और न ही पांडित्य प्रदर्शन को इन्होंने अपने साहित्य में कहीं भी स्थान दिया है। सुबोध, सरल, स्वच्छ और सार्थक शब्दावली का प्रयोग इनकी रचनाओं में सर्वत्र प्राप्त होता है। वे सरल वाक्यों में ही अपनी बात कहते हैं।

संस्कृत शब्दों के साथ उर्दू के बोलचाल के शब्दों का प्रयोग भी इन्होंने किया है। इनकी शैली विचारात्मक, भावनात्मक, आत्मकथात्मक तथा व्यंग्यात्मक होती है। ‘एक कुत्ता और मैना’ पाठ में भी लेखक ने क्षीणवपु, प्रगल्भ, परितृप्ति, स्तब्ध, ईषत्, मर्मस्थल, अस्तगामी जैसे तत्सम शब्दों के साथ-साथ मौज, मालूम, परवा, मुखातिब, लापरवाही, प्राइवेट, अकल, चहलकदमी जैसे विदेशी शब्दों का भी भरपूर प्रयोग किया है।

इससे इनकी भाषा में प्रवाहमयता बनी रहती है। इस पाठ में लेखक ने आत्मकथात्मक शैली का प्रयोग किया है, जैसे- ‘जब मैं इस कविता को पढ़ता हूँ तो उस मैना की करुणा मूर्ति अत्यंत साफ होकर सामने आ जाती है। कैसे मैंने उसे देखकर भी नहीं देखा।’ लेखक की भाषा-शैली कुछ स्थलों पर काव्यमय भी हो गई है, जैसे- ‘जब झींगुर अंधकार में झनकारता रहता है, जब हवा में बाँस के पत्ते झरझराते रहते हैं, पेड़ों की फाँक से पुकारा करता है नींद तोड़ने वाला संध्यतारा ! ‘ इस प्रकार इस पाठ में लेखक ने भावानुकूल भाषा का प्रयोग करते हुए अत्यंत रोचक शैली में गुरुदेव रवींद्रनाथ से संबंधित अपनी स्मृतियों को प्रस्तुत किया है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

पाठ का सार :

एक कुत्ता और एक मैना’ पाठ में हजारीप्रसाद द्विवेदी ने गुरुदेव रवींद्रनाथ से संबंधित अपनी स्मृतियों को आत्मकथात्मक शैली में प्रस्तुत किया है।
लेखक सपरिवार गुरुदेव के दर्शनार्थ उनके आश्रम में पहुँचा करते थे। गुरुदेव के प्रति लेखक की बड़ी श्रद्धा थी। गुरुदेव कुछ दिनों के लिए शांति निकेतन छोड़कर श्री निकेतन में रहने लगे थे। एक दिन लेखक सपरिवार कवींद्र के दर्शन के लिए वहाँ पहुँच गए। गुरुदेव ने बच्चों के साथ छेड़-छाड़ की, कुशल प्रश्न पूछे, फिर मूक हो गए। उसी समय एक कुत्ता वहाँ आ गया। वह अपनी पूँछ हिलाने लगा। गुरुदेव ने उसकी पीठ पर हाथ फेर दिया।

वह मूक प्राणी उस स्नेह रस के अनुभव से आनंदित हो गया। किसी भी मनुष्य की सहायता के बिना वह कुत्ता दो मील की यात्रा करके वहाँ आ पहुँचा था। अपने स्नेहदाता के वियोग से विह्वल हो वहाँ आने की तकलीफ उसने उठाई थी। उस मूक कुत्ते के संबंध में कवींद्र रवींद्र ने ‘आरोग्य’ में एक कविता लिखी थी। उस वाक्यहीन प्राणी के नीरव लोचनों के अंदर ‘भावों का भवन’ समाया हुआ था।

कवि ने उस प्राणी की करुण दृष्टि के भीतर विशाल मानव-सत्य का सौंदर्य देखा और दिखाया। वह कुत्ता गुरुदेव की मृत्यु होने पर उनके चिता भस्म के साथ ‘उत्तरायण’ तक जाने को भी तैयार हो गया। उस मूक प्राणी का हृदय भी अनुपम स्नेह का अजस्र स्रोत था। उस मूक पशु की अक्षुण्ण ममता ने कवींद्र की मानस – वीणा को झंकृत कर दिया और वहाँ से मनोहर कविता का मोहक नाद सुनाई दिया।

दूसरी बार की बात है; बगीचे में गुरुदेव फल-फूल, पत्ते पत्तों को ध्यान से देखते हुए टहल रहे थे। एक अध्यापक महोदय भी उनके साथ थे। बीच में गुरुदेव ने पूछा कि आश्रम से कौए कहाँ गए, उनकी आवाज़ क्यों नहीं सुनाई पड़ती ? सर्वव्यापक पक्षी समझते हुए किसी ने भी कौओं की ओर ध्यान नहीं दिया था। अतः कोई भी कौओं के अभाव को समझ न सका था। परंतु गुरुदेव के निरीक्षण-निपुण नयन उनको भी देख सके थे। उनकी पैनी दृष्टि अणु-अणु में पहुँचने वाली थी।

एक दिन लेखक गुरुदेव के निकट बैठे थे। उस समय एक लंगड़ी मैना फुदक रही थी। उसे देखकर रवि बाबू ने कहा कि मुझे उसकी चाल में करुण भाव दिखाई देता है। परंतु लेखक मैना को करुण भाव दिखाने वाला पक्षी न समझ सके थे। उनके दृष्टिकोण में वह अनुकंपा ही दिखाया करती है, न कि करुणा। उन्होंने यह समझा था कि मैना नाच-गान और आनंद-नृत्य में समय बिताने वाला सूख-लोलुच पक्षी है। अब गुरुदेव की बात उनके मन में बैठ गई। उन्होंने देखा और समझा कि विवाद की वीथियाँ उस मैना की आँखों में तरंगें मारती हैं।

शायद इसी मैना को सामने देखकर ही कवींद्र के मन की मैना बोली थी जो एक कविता के रूप में बाहर आई थी। कविता पढ़ने पर लेखक के सामने मैना की मूर्ति साफ़ हो गई। लेखक को अचंभा हुआ, साथ-ही-साथ खेद भी कि मैना को देखने पर भी उन्होंने नहीं देखा, परंतु कवि की सूक्ष्म दृष्टि मैना के मर्मस्थल तक पहुँच गई। कवि की आँखें कहाँ नहीं पहुँचती ? एक दिन वह मैना उड़ गई, न जाने कहाँ ? उसका गायब होना भी अत्यंत करुणाजनक था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 8 एक कुत्ता और एक मैना

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • अन्यत्र – दूसरी ओर
  • क्षीणवपु – कमज़ोर शरीर
  • असमय – बेवक्त
  • भीत – डरा
  • ध्यान स्तिमित – ध्यान में लोन
  • अहैतुक – निःस्वार्थ, बिना किसी मतलब के
  • मर्मभेदी – हुदय को भेदने वाली
  • अपरिसीमा – असीमित
  • सर्वव्यापक – सब जगह रहनेवाला
  • यूथभ्रष्ट – झुंड या समूह से निकला या निकाला गया
  • अंबार – ढेर
  • मुखातिब – संबोधित होकर
  • परास्त – पराजित, हार
  • ईशत् – कुछ, थोड़ी
  • अविचार – बुरा विचार
  • मर्मस्थल – हृदय
  • तै पाया – निश्चित किया
  • दर्शनार्थी – दर्शन करनेवाला
  • प्रगल्भ – चतुर, होशियार, उत्साही, निर्लज्ज, बहुत बोलनेवाले
  • अस्तगामी – अस्त होते हुए, ड्रबते हुए
  • परितृप्ति – पूरा संतोष
  • प्राणपण – जान की बाज़ी
  • तितल्ला – तीसरी मंज़िल
  • कलश – घड़ा
  • प्रवास – दूसरी जगह जाना, यात्रा
  • अनुकंपा – दया
  • मुखरित – ध्वनि से गूँजन
  • आहत – घायल
  • बिड़ाल – बिलाव
  • निर्वासन – देश निकाला
  • अभियोग – आरोप

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

JAC Class 9 Hindi मेरे बचपन के दिन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
“मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।”
इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि –
(क) उस समय लड़कियों की दशा कैसी थी ?
(ख) लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं ?
उत्तर :
(क) जब लेखिका का जन्म हुआ, उन दिनों किसी परिवार में लड़की का जन्म लेना अच्छा नहीं माना जाता था। लोग लड़की के जन्म को परिवार के लिए बोझ मानते थे। इसलिए कुछ लोग तो लड़की के पैदा होते ही उसका गला दबाकर उसे मार देते थे। लड़की को जन्म देने वाली माँ को भी बुरा-भला कहा जाता था तथा उसकी भी ठीक से देखभाल नहीं की जाती थी।

(ख) आजकल लड़की और लड़के में कोई अंतर नहीं किया जाता है। लड़की के जन्म पर भी लड़की को जन्म देने वाली माँ की अच्छी प्रकार से देखभाल की जाती है। कुछ परंपरावादी परिवारों में अभी भी लड़की का जन्म अच्छा नहीं माना जाता है। वे लोग लड़की के पैदा होते ही उसे मार देते हैं। कुछ लोग गर्भ में लड़की का पता चलते ही गर्भपात करा देते हैं। अभी भी लड़की के जन्म को सहज रूप से नहीं लिया जाता। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 2.
लेखिका उर्दू – फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाई ?
उत्तर :
लेखिका के बाबा उर्दू-फारसी जानते थे। वे लेखिका को भी उर्दू-फारसी की विदुषी बनाना चाहते थे। उन्हें उर्दू-फारसी पढ़ाने के लिए एक मौलवी साहब को नियुक्त किया गया। जब मौलवी साहब लेखिका को पढ़ाने के लिए आए तो वह चारपाई के नीचे जा छिपी। वह मौलवी साहब से पढ़ने नहीं आई। इस प्रकार लेखिका उर्दू – फ़ारसी नहीं सीख पाई थी।

प्रश्न 3.
लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
उत्तर :
लेखिका की माँ हिंदी पढ़ी-लिखी थी। वह पूजा-पाठ बहुत अधिक करती थी। माँ ने लेखिका को पंचतंत्र पढ़ना सिखाया था। माँ संस्कृत भी जानती थी। माँ को गीता पढ़ने में विशेष रुचि थी। माँ लिखती भी थी। वह मीरा के पद गाती थी। प्रभाती के रूप में वह ‘जागिए कृपानिधान पंछी बन बोले’ पद गाती थी। कुल मिलाकर वह एक धार्मिक महिला थी।

प्रश्न 4.
जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है ?
उत्तर :
लेखिका ने जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को अत्यंत मधुर बताया है। वे उनके लड़के को राखी बाँधती थीं तथा उनकी पत्नी को ताई कहती थीं। नवाब के बच्चे इनकी माता जी को चचीजान कहते थे। वे आपस में मिल-जुलकर सभी त्योहार मनाते थे। दोनों परिवारों के बच्चों के जन्मदिन एक-दूसरे के घर मनाए जाते थे। आज का वातावरण इतना अधिक विषाक्त हो गया है कि सभी अपने-अपने संप्रदाय के संकुचित दायरों तक सीमित हो गए हैं। इसलिए लेखिका को अपने बचपन के दिनों में जवारा के नवाब के साथ अपने परिवार के आत्मिक संबंध स्वप्न जैसे लगते हैं।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 5.
जेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। जेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होतीं होते तो महादेवी से आपकी क्या अपेक्षा होती ?
उत्तर :
जेबुन्निसा के स्थान पर यदि मैं होती तो मैं चाहती कि महादेवी मेरे साथ अच्छा व्यवहार करे। वह मुझे अपनी प्रिय सखी माने और अपनी लिखी हुई कविता सबसे पहले मुझे सुनाए। वह मुझे अपने साथ कवि-सम्मेलनों में भी ले जाए। हम आपस में अपने सुख- दुख बाँटते रहें।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 6.
महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको कोई इस तरह का पुरस्कार मिला हो और उसे देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे करेंगी ?
उत्तर :
यदि मुझे इस तरह का कोई पुरस्कार मिला होता और वह पुरस्कार मुझे देशहित में किसी को देना पड़ता तो मेरा मन प्रसन्नता से भर उठता। मुझे गर्व होता कि मेरी छोटी-सी भेंट देश के किसी कार्य में काम आएगी।

प्रश्न 7.
लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए।
उत्तर :
लेखिका के छात्रावास में हिंदू, मुसलमान, ईसाई सभी धर्मों की लड़कियाँ रहती थीं। इनमें मराठी, हिंदी, उर्दू, अवधी, बुंदेली आदि अनेक भाषाएँ बोलने वाली लड़कियाँ थीं। इस प्रकार से धर्म और भाषा का भेद होते हुए भी उनकी पढ़ाई में कोई कठिनाई नहीं आती थी। सब हिंदी में पढ़ती थीं। उन्हें उर्दू भी पढ़ाई जाती थी परंतु आपस में वे अपनी ही भाषा में बातचीत करती थीं। सबमें परस्पर बहुत प्रेम-भाव था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 8.
महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपको भी अपने बचपन की स्मृति मानस पटल पर उभरकर आई होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए।
उत्तर :
मैं तब दस वर्ष की थी जब माता जी के साथ सेलम से चेन्नई जा रही थी। पिता जी गाड़ी में बैठाकर चले गए थे। गाड़ी में बहुत भीड़ थी। गर्मी का मौसम था। ठसाठस लोग भरे हुए थे। मुझे बहुत प्यास लग रही थी। मैंने माँ से पानी माँगा तो उन्हें याद आया कि पानी लाना तो वे भूल गई हैं। मैं प्यास से रोने लगी। आस-पास भी किसी के पास पानी नहीं था। एक स्टेशन पर गाड़ी रुकी तो माँ पानी लेने स्टेशन पर उतर गईं। इसी बीच गाड़ी चल पड़ी। माँ अभी तक लौट कर नहीं आई थीं। मैं ज़ोर-ज़ोर से माँ, माँ कहकर रो रही थी। आस-पास वाले मुझे चुप करा रहे थे। मैं और भी अधिक जोर से रोने लगी कि अचानक पीछे से आकर माँ ने मुझे कहा, ‘रोती क्यों है, ले पानी पी।’ माँ दूसरे डिब्बे में चढ़ गई थी और डिब्बे आपस में जुड़े थे इसलिए वह मेरे तक आ पहुँची थी। यदि माँ न आती तो ? यह सोचकर ही मैं सिहर उठती हूँ।

प्रश्न 9.
महादेवी ने कवि सम्मेलनों में कविता पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का जिक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
उत्तर :
कल मेरे विद्यालय में गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन किया जाना है। मुझे इसमें अपनी कक्षा की ओर से भाषण देना है। मेरा दिल काँप रहा है। पता नहीं मुझे, क्या हो रहा है? मैंने भाषण लिख लिया है; बोलने का अभ्यास भी किया है पर मुझे डर लग रहा है। यदि मैं इसे भूल गया तो सब मेरा मजाक बनाएँगे। सारे विद्यालय के सामने इस प्रकार बोलने का यह मेरा पहला अवसर होगा।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 10.
पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूंढकर लिखिए –
विद्वान, अनंत, निरपराधी, दंड, शांति।
उत्तर :

  • विद्वान मूर्ख।
  • अनंत अंत।
  • निरपराधी – अपराधी।
  • दंड – पुरस्कार।
  • शांति – अशांति।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 11.
निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग / प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए-
उत्तर :
JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन 1

प्रश्न 12.
निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए –
उपसर्ग – अनू, अ, सत्, स्व, दुर्
प्रत्यय – दार, हार, वाला, अनीय
उत्तर :
उपसर्ग : अन् – अनपढ़, अनमोल।
अ – अगाध, अचेत।
सत् सज्जन, सत्कार।
स्व – स्वभाव, स्वराज्य।
दुर् – दुर्गम, दुर्दशा।

प्रत्यय : दार – समझदार, चमकदार।
हार – होनहार, समाहार।
वाला – घरवाला, दूधवाला।
अनीय – माननीय, पूजनीय।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 13.
सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए –
उत्तर :

  • पूजा-पाठ – पूजा और पाठ
  • परमधाम – परम है जो धाम
  • दुर्गा- पूजा – दुर्गा की पूजा
  • कुल- देवी – कुल की देवी
  • चारपाई – चार हैं पाँव जिसके
  • कृपानिधान – कृपा का निधान
  • कवि-सम्मेलन – कवियों का सम्मेलन
  • मनमोहन – जो मन को मोहित करे।

यह भी जानें –

स्त्री दर्पण – इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली यह पत्रिका श्रीमती रामेश्वरी नेहरू के संपादन में सन् 1909 से 1924 तक लगातार प्रकाशित होती रही। स्त्रियों में व्याप्त अशिक्षा और कुरीतियों के प्रति जागृति पैदा करना उसका मुख्य उद्देश्य था।

JAC Class 9 Hindi मेरे बचपन के दिन Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखिका के जन्म की कथा क्या है ?
उत्तर :
लेखिका का जन्म जिस परिवार में हुआ था, उस परिवार में कई पीढ़ियों से कोई लड़की पैदा नहीं हुई थी। इनके परिवार में प्रायः दो सौ वर्षों तक किसी लड़की ने जन्म नहीं लिया था। ऐसा भी सुना जाता था कि पहले लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था। लेखिका के परिवार की कुल देवी दुर्गा थीं। इसके बाबा ने दुर्गा की बहुत पूजा की थी। परिणामस्वरूप परिवार में लेखिका का जन्म हुआ। लेखिका के जन्म पर उसका बहुत स्वागत किया गया था तथा उसे वह सब कुछ सहन नहीं करना पड़ा था, जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता था।

प्रश्न 2.
सुभद्रा कुमारी के साथ लेखिका का परिचय कैसे हुआ और वे कैसे साथ रहती थीं ?
उत्तर :
लेखिका का सुभद्रा कुमारी के साथ परिचय तब हुआ, जब उसे क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज की कक्षा पाँच में दाखिल कराया गया। वहाँ के छात्रावास के जिस कमरे में लेखिका को स्थान मिला, उस कमरे में सुभद्रा कुमारी पहले से रहती थीं और वे कक्षा सात में पढ़ती धीं। सुभद्रा जी कविताएँ लिखती थीं तथा लेखिका भी कविताएँ लिखती थी। लेखिका की कविताओं की चर्चा सारे छात्रावास में सुभद्रा जी ने की थी। इस प्रकार दोनों में मित्रता हो गई। जब अन्य लड़कियाँ खेलती थीं तब ये दोनों कॉलेज के किसी वृक्ष की डाल पर बैठकर कविताएँ लिखती थीं और ‘स्त्री दर्पण’ में प्रकाशनार्थ भेजती थीं। इनकी कविताएँ छप भी जाती थीं। ये कवि-सम्मेलनों में भी जाती थीं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 3.
आनंद भवन में बापू के आने पर लेखिका ने क्या किया ?
उत्तर :
जब बापू आनंद भवन में आए तो लोग उनके दर्शनार्थ वहाँ जाने लगे। वे उन्हें देश के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के रूप में कुछ राशि भी देते थे। लेखिका भी अपने जेब खर्च में से कुछ बचाकर उन्हें देने गई तथा कवि सम्मेलन में पुरस्कार स्वरूप प्राप्त चाँदी का कटोरा भी उन्हें दिखाने के लिए साथ ले गई। बापू ने उससे वह कटोरा माँग लिया और लेखिका ने वह कटोरा उन्हें दे दिया। उसे कटोरा देने पर यह दुख हुआ कि कटोरा लेकर भी बापू ने उससे वह कविता सुनाने के लिए नहीं कहा, जिस पर उसे यह पुरस्कार मिला था। फिर भी वह प्रसन्न थी कि उसने पुरस्कार में मिला कटोरा बापू को दे दिया।

प्रश्न 4.
लेखिका ने सांप्रदायिक सद्भाव का क्या उदाहरण प्रस्तुत किया है ?
उत्तर :
लेखिका का परिवार उसके बचपन में जहाँ रहता था, वहाँ जवारा के नवाब भी रहते थे। उनकी पत्नी को ये लोग ताई साहिबा कहते थे तथा नवाब साहब के बच्चे लेखिका की माता जी को चचीजान कहते थे। दोनों परिवारों के बच्चों के जन्म-दिन एक-दूसरे के घरों में मनाए जाते थे। लेखिका नवाब के पुत्र को राखी बाँधती थी। तीज-त्योहार दोनों परिवार मिलकर मनाते थे। लेखिका के छोटे भाई के जन्म पर ताई साहिबा बच्चे के लिए कपड़े आदि लाई और बच्चे का नाम अपनी तरफ़ से मनमोहन रखा, जो सदा यही रहा। इस प्रकार, दोनों परिवार अलग-अलग धर्मों को मानने वाले होते हुए भी बहुत निकट थे। यह निकटता सांप्रदायिक सद्भाव का सुंदर उदाहरण है।

प्रश्न 5.
सुभद्रा के जाने के बाद लेखिका के कमरे की साथिन कौन थी और कैसी थी ?
उत्तर :
सुभद्रा के छात्रावास छोड़ने के बाद लेखिका के कमरे की साथिन एक मराठी लड़की जेबुन्निसा थी। वह कोल्हापुर से आई थी। जेबुन लेखिका के साथ घुल-मिल गई थी। वह लेखिका का बहुत सारा काम कर देती थी जिससे लेखिका को कविता लिखने का बहुत-सा समय मिल जाता था। जेबुन मराठी मिश्रित हिंदी भाषा बोलती थी। उसका पहनावा भी मराठी था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 6.
लेखिका के समय का वातावरण कैसा था ?
उत्तर :
लेखिका के समय सांप्रदायिकता नहीं थी। विद्यालय में भी अलग-अलग स्थान से आई लड़कियाँ आपस में मिल-जुलकर रहती थीं। सभी प्रार्थना में और मेस में इकट्ठा काम करती थीं; उनमें कोई विवाद नहीं होता था। हिंदू-मुसलमान सब मिल-जुलकर रहते थे। तीज-त्योहार मिल-जुलकर मनाते थे। आपस में विश्वास और प्रेम का भाव था।

प्रश्न 7.
आज की स्थिति देखकर लेखिका को क्या लगता है ?
उत्तर :
पहले और आज के वातावरण में बहुत अंतर आ गया है। पहले लोगों में सांप्रदायिकता की अपेक्षा मिल-जुलकर रहने की भावना थी परंतु आज स्थिति ऐसी हो गई है कि लोग एक-दूसरे के प्रति अपना विश्वास खो बैठे हैं। उनके मन में एक-दूसरे के प्रति घृणा ने जन्म से लिया है। लेखिका वर्तमान समय में भी हिंदू-मुसलमान की एकता और मेल-जोल की भावना देखना चाहती, जो संभव नहीं लगता है। उन्हें पहले का समय एक सपना लगता है, जो अब खो गया है। यदि आज भी लोग सँभल जाएँ और एक हो जाएँ तो भारत की स्थिति बदल सकती है।

प्रश्न 8.
लेखिका को किस विद्यालय में प्रवेश दिलाया गया और वहाँ उसकी क्या दशा थी ?
उत्तर :
लेखिका के पिता उन्हें विदुषी बनाना चाहते थे। इसलिए उनकी पढ़ाई पर विशेष ध्यान दिया गया। बचपन में उन्हें घर पर ही शिक्षा दी गई। बाद में उन्हें मिशन स्कूल में दाखिल करवाया गया। वहाँ का वातावरण लेखिका को पसंद नहीं आया। इसलिए उसने वहाँ जाना बंद कर दिया। उनके पिता ने उन्हें क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में पाँचवीं कक्षा में भर्ती करवाया। वहाँ का वातावरण लेखिका को बहुत अच्छा लगा। वहाँ हिंदू और ईसाई लड़कियाँ थीं। सबके लिए इकट्ठा भोजन बनता था। लेखिका का वहाँ मन लग गया था।

प्रश्न 9.
लेखिका की लेखन प्रतिभा को किसने पहचाना और उसे कैसे प्रोत्साहन दिया ?
उत्तर :
छात्रावास में लेखिका की साथिन सातवीं कक्षा की छात्रा सुभद्रा कुमारी चौहान थीं। उन्होंने लेखिका को छिप-छिप कर लिखते देखा। एक दिन उन्होंने उसकी एक कविता पूरे छात्रावास में दिखाई। सबको बता दिया कि यह कविता भी लिखती है। सुभद्रा कुमारी चौहान स्वयं भी कविता लिखती थीं। खाली समय में दोनों कविता लिखतीं और ( स्त्री दर्पण) पत्रिका में छपने के लिए भेज देती थीं। वे दोनों कवि-सम्मेलनों में भी भाग लेने लगीं। लेखिका को प्रायः प्रथम पुरस्कार मिलता था। इस प्रकार लेखिका की लेखन कला को प्रोत्साहन मिला। इसका श्रेय सुभद्रा कुमारी चौहान को जाता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

प्रश्न 10.
लेखिका को किस बात का दुःख था और क्यों ?
उत्तर :
उन दिनों सत्याग्रह आंदोलन जोरों पर चल रहा था। जब बापू आनंद भवन आए तभी सभी ने अपने पास से पैसे इकट्ठे करके उन्हें दिए। लेखिका को एक कविता सम्मेलन में नक्काशीदार चाँदी का कटोरा मिला था। वह कटोरा लेकर बापू के पास गई। बापू के आग्रह पर उसने वह कटोरा बापू जी को दे दिया। उसे बापू को कटोरा देने का दुःख नहीं था। उसे दुःख इस बात का था कि बापू ने उससे यह भी नहीं पूछा कि किस कविता पर उसे यह पुरस्कार मिला था। उन्होंने उसकी कविता भी नहीं सुनी। यदि बापू उसकी कविता सुन लेते तो वह प्रसन्न हो जाती।

महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. बाबा कहते थे, इसको हम विदुषी बनाएँगे। मेरे संबंध में उनका विचार बहुत ऊँचा रहा। इसलिए ‘पंचतंत्र’ भी पढ़ा मैंने, संस्कृत भी पढ़ी। ये अवश्य चाहते थे कि मैं उर्दू-फारसी सीख लूँ, लेकिन वह मेरे वश की नहीं थी। मैंने जब एक दिन मौलवी साहब को देखा तो बस, दूसरे दिन मैं चारपाई के नीचे जा छिपी। तब पंडित जी आए संस्कृत पढ़ाने। माँ थोड़ी संस्कृत जानती थीं। गीता में उन्हें विशेष रुचि थी। पूजा-पाठ के समय मैं भी बैठ जाती थी और संस्कृत सुनती थी। उसके उपरांत उन्होंने मिशन स्कूल में रख दिया मुझको। मिशन स्कूल में वातावरण दूसरा था, प्रार्थना दूसरी थी। मेरा मन नहीं लगा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. ‘बाबा’ किसे विदुषी बनाना चाहते थे ?
2. लेखिका चारपाई के नीचे क्यों छिप गई थी ?
3. गीता में विशेष रुचि किन्हें थी ?
4. मिशन स्कूल का वातावरण था-
5. लेखिका का मिशन स्कूल में मन क्यों नहीं लगा ?
उत्तर :
1. बाबा महादेवी वर्मा को विदुषी बनाना चाहते थे। महादेवी जी के संबंध में उनके विचार ऊँचे थे। वे चाहते थे कि महादेवी जी उर्दू-फारसी भी सीखें।
2. उर्दू-फारसी पढ़ना लेखिका के वश की नहीं थी। उर्दू-फारसी पढ़ने के डर से लेखिका चारपाई के नीचे जाकर छिप गई थी।
3. गीता में लेखिका को विशेष रुचि थी। पूजा-पाठ के समय वह बैठ जाती थी और संस्कृत सुनती थी।
4. मिशन स्कूल का वातावरण आस्थामय था।
5. मिशन स्कूल का वातावरण लेखिका को पसंद नहीं था, इसलिए उसका मन वहाँ नहीं लगा।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

2. उसी बीच आनंद भवन में बापू आए। हम लोग तब अपने जेब खर्च में से हमेशा एक-एक, दो-दो आने देश के लिए बचाते थे और जब बापू आते थे तो वह पैसा उन्हें दे देते थे। उस दिन जब बापू के पास मैं गई तो अपना कटोरा भी लेती गई। मैंने निकालकर बापू को दिखाया। मैंने कहा, ‘कविता सुनाने पर मुझको यह कटोरा मिला है।’ कहने लगे, ‘अच्छा, दिखा तो मुझको।’ मैंने कटोरा उनकी ओर बढ़ा दिया तो उसे हाथ में लेकर बोले, ‘तू देती है इसे ?’ अब मैं क्या कहती ? मैंने दे दिया और लौट आई। दुख यह हुआ कि कटोरा लेकर कहते, कविता क्या है ?

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. जब बापू आनंद भवन आते थे तो सब क्या करते थे ?
2. लेखिका को उपहार में क्या और क्यों मिला ?
3. लेखिका से कटोरा किसने ले लिया ?
4. लेखिका को किस बात का दुख हुआ ?
5. यह गद्यांश किस पाठ का है ? इसकी लेखिका कौन है ?
उत्तर
1. जब बापू आनंद भवन में आते थे तो सब जेब खर्च में बचाए हुए पैसे उन्हें देते थे।
2. कविता सुनाने पर लेखिका को उपहार में एक कटोरा मिला।
3. महात्मा गांधी ने लेखिका से कटोरा ले लिया।
4. गांधी जी ने लेखिका से उपहार में मिला कटोरा ले लिया और कविता के विषय में भी कुछ नहीं पूछा। इस बात से लेखिका दुखी हुई।
5. यह गद्यांश ‘मेरे बचपन के दिन’ पाठ का है। इसकी लेखिका महादेवी वर्मा जी हैं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

3. उस समय यह देखा मैंने कि सांप्रदायिकता नहीं थी। जो अवध की लड़कियाँ थीं, वे आपस में अवधी बोलती थीं; बुंदेलखंड की आती थीं, वे बुंदेली में बोलती थीं। कोई अंतर नहीं आता था और हम पढ़ते हिंदी थे। उर्दू भी हमको पढ़ाई जाती थी, परंतु आपस में हम अपनी भाषा में ही बोलती थीं। यह बहुत बड़ी बात थी। हम एक मेस में खाते थे, एक प्रार्थना में खड़े होते थे; कोई विवाद नहीं होता था।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. उन दिनों छात्रावास का वातावरण कैसा था ?
2. छात्रावास में रहने वाली लड़कियाँ कौन-कौन सी भाषाएँ बोलती थीं ?
3. इन छात्राओं के अध्ययन-अध्यापन का माध्यम क्या था ? इनके विद्यालय में अन्य कौन-सी भाषा पढ़ाई जाती थी ?
4. छात्राओं का परस्पर व्यवहार कैसा था ?
5. लड़कियाँ आपस में कौन-सी भाषा बोलती थीं ?
उत्तर :
1. उन दिनों छात्रावास का वातावरण सांप्रदायिक सद्भाव से युक्त था। हिंदू, मुसलमान, ईसाई आदि विभिन्न धर्म-संप्रदाय को मानने वाली लड़कियाँ आपस में मिल-जुलकर रहती थीं। उनमें कोई भेदभाव नहीं था।
2. छात्रावास में रहने वाली अवध की लड़कियाँ अवधी, बुंदेलखंड की रहने वाली बुंदेली, महाराष्ट्र की मराठी भाषा बोलती थीं। भाषा की विविधता का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता था।
3. इन छात्राओं के अध्ययन-अध्यापन का माध्यम हिंदी था। इन्हें उर्दू भी पढ़ाई जाती थी। इन्हें हिंदी माध्यम से पढ़ने में कोई कठिनाई नहीं होती थी।
4. छात्राओं का परस्पर व्यवहार बहुत ही स्नेहपूर्ण तथा मित्रता का था। वे एक ही मेस में मिल-जुलकर खाना खाती थीं। वे प्रार्थना सभा में एक साथ खड़ी होती थीं। उनमें आपस में कोई मतभेद नहीं था। वे सदा एक-दूसरे की सहायता करने के लिए तैयार रहती थीं।
5. लड़कियाँ आपस में अपनी भाषा बोलती थीं।

4. राखी के दिन बहनें राखी बाँध जाएँ तब तक भाई को निराहार रहना चाहिए। बार-बार कहलाती थीं- ‘ भाई भूखा बैठा है राखी बंधवाने के लिए।’ फिर हम लोग जाते थे। हमको लहरिए या कुछ मिलते थे। इसी तरह मुहर्रम में हरे कपड़े उनके बनते थे तो हमारे भी बनते थे। फिर एक हमारा छोटा भाई हुआ वहाँ, तो ताई साहिबा ने पिताजी से कहा, ‘देवर साहब से कहो, वो मेरा नेग ठीक करके रखें। मैं शाम को आऊँगी। ‘ वे कपड़े-पड़े लेकर आईं। हमारी माँ को वे दुलहन कहती थीं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. राखी बाँधने का क्या नियम था ?
2. राखी और मुहर्रम पर इन्हें क्या उपहार मिलते थे ?
3. लेखिका के छोटे भाई के जन्म पर ताई साहिबा ने क्या किया ?
4. लेखिका की माँ को ताई साहिबा क्या कहती थीं ? लेखिका के पिता को उन्होंने क्या संदेश भेजा ?
5. ‘निराहार’ का संधि-विच्छेद कीजिए।
उत्तर :
1. राखी बँधवाने का यह नियम था कि राखी के दिन जब तक बहनें भाई को राखी न बाँध जाएँ तब तक भाई को कुछ भी नहीं खाना चाहिए। उसे भूखा रहना चाहिए।
2. राखी पर लहरिए और मुहर्रम पर हरे कपड़े उपहार में मिलते थे।
3. लेखिका के छोटे भाई के जन्म पर ताई साहिबा ने इन्हें कपड़े आदि दिए और कहा कि नए बच्चे को छह महीने तक चाची – ताई के कपड़े पहनाए जाते हैं।
4. लेखिका की माँ को ताई साहिबा दुलहन कहती थीं। लेखिका के पिता को उन्होंने कहा कि देवर साहब से कहो कि वे उनका नेग तैयार करके रखें।
5. निर् + आहार।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

5. वही प्रोफ़ेसर मनमोहन वर्मा आगे चलकर जम्मू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे, गोरखपुर यूनिवर्सिटी के भी रहे। कहने का तात्पर्य यह है कि मेरे छोटे भाई का नाम वही चला जो ताई साहिबा ने दिया। उनके यहाँ भी हिंदी चलती थी, उर्दू भी चलती थी। यों, अपने घर में वे अवधी बोलते थे। वातावरण ऐसा था उस समय कि हम लोग बहुत निकट थे। आज की स्थिति देखकर लगता है, जैसे वह सपना ही था। आज वह सपना खो गया।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
1. मनमोहन वर्मा और लेखिका का क्या संबंध था ? उनका नाम किसने रखा था ?
2. ताई साहिबा का परिचय दीजिए।
3. लेखिका के समय का वातावरण कैसा था ?
4. लेखिका का कौन-सा सपना खो गया है ?
5. ताई साहिबा के घर कौन-सी भाषा बोली जाती थी ?
उत्तर :
1. मनमोहन वर्मा लेखिका के छोटे भाई थे। उनका नाम उनके पड़ोस में रहने वाली मुसलमान बेगम साहिबा ने रखा था, जिन्हें वे ताई साहिबा कहते थे।
2. ताई साहिबा लेखिका के पड़ोस में रहने वाले जवारा के नवाब की पत्नी थीं। वे मुसलमान होते हुए भी लेखिका के परिवार से घुल-मिल गई थीं और लेखिका के पिता को अपना देवर मानती थीं।
3. लेखिका के समय देश का सांप्रदायिक वातावरण अत्यंत सहज तथा मेलजोल से परिपूर्ण था। हिंदू-मुसलमान मिल-जुलकर रहते थे। तीज-त्योहार मिलकर मनाते थे। आपस में विश्वास और प्रेम का भाव रहता था।
4. लेखिका वर्तमान समय में भी हिंदू-मुसलमान की एकता तथा मेलजोल की भावना का सपना देखती है, परंतु इन दिनों के सांप्रदायिक भेदभावों को देखकर उसे लगता है कि उसका सपना खो गया है।
5. ताई साहिबा के घर उर्दू और हिंदी बोली जाती है। वे अपने घर में अवधी बोलते थे।

मेरे बचपन के दिन Summary in Hindi

लेखिका-परिचय :

जीवन परिचय – श्रीमती महादेवी वर्मा हिंदी साहित्य में आधुनिक युग की मीरा के नाम से विख्यात हैं। इसका कारण यह है कि मीरा की तरह महादेवी जी ने अपनी विरह-वेदना को कला के रूप में वाणी दी है। महादेवी जी का जन्म सन् 1907 में उत्तर प्रदेश के फरुर्खाबाद नामक नगर में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में हुई। माता के प्रभाव ने इनके हृदय में भक्ति – भावना के अंकुर को जन्म दिया।

शैशवावस्था में ही इनका विवाह हो गया था। आस्थामय जीवन की साधिका होने के कारण ये शीघ्र ही विवाह बंधन से मुक्त हो गईं। सन् 1933 में इन्होंने प्रयाग में संस्कृत विषय में एम० ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। प्रयाग महिला विद्यापीठ के आचार्य पद के उत्तरदायित्व को निभाते हुए वे साहित्य – साधना में लीन रहीं। सन् 1987 ई० में इनका निधन हो गया। इन्हें साहित्य अकादमी एवं ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था। भारत सरकार ने इन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया था।

काव्य – महादेवी जी ने पद्य एवं गद्य दोनों में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। कविता में अनुभूति तत्व की प्रधानता है तो गद्य में चिंतन की। उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं- नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्य गीत तथा दीपशिखा। गद्य – श्रृंखला की कड़ियाँ, अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएँ, पथ के साथी, क्षणदा।

भाषा-शैली – महादेवी वर्मा मूलरूप से कवयित्री हैं। इनकी भाषा-शैली अत्यंत सरल, भावपूर्ण, प्रवाहमयी तथा सहज है। ‘मेरे बचपन के दिन’ लेखिका की बचपन की स्मृतियों को प्रस्तुत करनेवाला आलेख है। इसमें लेखिका ने सहज-सरल भाषा का प्रयोग किया है जिसमें कहीं- कहीं तत्सम शब्दों का प्रयोग भी दिखाई देता है, जैसे- स्मृति, विचित्र, आकर्षण, रुचि, विद्यापीठ आदि। विदेशी शब्द दर्जा, नक्काशीदार, उस्तानी, तुकबंदी, डेस्क, कंपाउंड आदि का भी कहीं-कहीं प्रयोग किया गया है। इस प्रकार के शब्द प्रयोग से भाषा में प्रवाहमयता आ गई है।

लेखिका की शैली आत्मकथात्मक है जिसमें लेखिका का व्यक्तित्व तथा स्वभाव उभर आता है। जैसे लेखिका लिखती है-” बाबा चाहते थे कि मैं उर्दू – फ़ारसी सीख लूँ, लेकिन वह मेरे वश की नहीं थी। मैंने जब एक दिन मौलवी साहब को देखा तो बस, दूसरे दिन मैं चारपाई के नीचे जा छिपी।” बीच-बीच में संवादात्मकता से पाठ में रोचकता आ गई है। इस प्रकार लेखिका की भाषा-शैली रोचक, स्पष्ट, प्रभावपूर्ण तथा भावानुरूप है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

पाठ का सार :

‘मेरे बचपन के दिन’ पाठ में महादेवी वर्मा ने अपने बचपन की स्मृतियों को प्रस्तुत किया है। लेखिका का मानना है कि बचपन की स्मृतियाँ विचित्र आकर्षण से युक्त होती हैं। लेखिका अपने परिवार में लगभग दो सौ वर्ष बाद पैदा होने वाली लड़की थी। इसलिए उसके जन्म पर सबको बहुत प्रसन्नता हुई। लेखिका के बाबा दुर्गा के भक्त थे तथा फ़ारसी और उर्दू जानते थे। इनकी माता जबलपुर की थीं तथा हिंदी पढ़ी- लिखी थीं।

वे पूजा-पाठ बहुत करती थीं। माता जी ने इन्हें पंचतंत्र पढ़ना सिखाया था। बाबा इन्हें विदुषी बनाना चाहते थे। बाबा इन्हें उर्दू- फ़ारसी पढ़ाना चाहते थे परंतु इन्हें संस्कृत पढ़ने में रुचि थी। इन्हें पहले मिशन स्कूल में भेजा गया परंतु इनका वहाँ मन नहीं लगा तो इन्हें क्रास्थवेट गर्ल्स कॉलेज में कक्षा पाँच में दाखिल कराया गया। यहाँ का वातावरण बहुत अच्छा था। छात्रावास के हर कमरे में चार छात्राएँ रहती थीं। इनके कमरे में सुभद्रा कुमारी थीं। वे लेखिका से दो कक्षाएँ आगे कक्षा सात में थीं।

वे कविता लिखती थीं और लेखिका ने भी कविताएँ लिखना शुरू कर दिया था। लेखिका की माता जी मीरा के पद गाती थीं जिन्हें सुनकर वह भी ब्रजभाषा में कविता लिखने लग गई थी परंतु यहाँ आकर सुभद्रा कुमारी को देखकर वह भी खड़ी बोली में कविता लिखने लगी। जब पहली बार सुभद्रा कुमारी ने लेखिका से पूछा कि क्या वह कविता लिखती है तब लेखिका ने डरकर ‘नहीं’ में उत्तर दिया था। जब सुभद्रा कुमारी ने उसकी किताबों की तलाशी ली तो उसमें से कविता लिखा हुआ कागज निकल पड़ा जिसे वे सारे छात्रावास में दिखा आईं कि महादेवी कविता लिखती है। इसके बाद दोनों में मित्रता हो गई।

क्रास्थवेट कॉलेज में एक पेड़ की डाल बहुत नीची थी। जब अन्य लड़कियाँ खेलती थीं तब ये दोनों पेड़ की डाल पर बैठकर तुकबंदी करती थीं। इनकी कविताएँ ‘स्त्री- दर्पण’ नामक पत्रिका में छप जाती थीं। वे कवि-सम्मेलनों में भी जाने लगीं। लेखिका 1917 में यहाँ आई थी। इन दिनों गांधी जी का सत्याग्रह आरंभ हो गया था तथा आनंद भवन स्वतंत्रता के संघर्ष का केंद्र बन गया था। इन दिनों होने वाले कवि सम्मेलनों की अध्यक्षता हरिऔध, श्रीधर पाठक, रत्नाकर आदि करते थे। लेखिका को प्रायः प्रथम पुरस्कार मिलता था। इन्हें सौ के लगभग पदक मिले थे। एक बार इन्हें पुरस्कार में चाँदी का कटोरा मिला, जिसे इन्होंने सुभद्रा को दिखाया तो उसने कहा कि एक दिन खीर बनाकर इस कटोरे में मुझे खिलाना।

जब आनंद भवन में बापू आए तो अपने जेब खर्च में से बचाई राशि उन्हें देने के लिए लेखिका वहाँ गई और उन्हें पुरस्कार में मिला चाँदी का कटोरा भी दिखाया। गांधी जी ने उसे कहा कि यह कटोरा मुझे दे दो। लेखिका ने वह उन्हें दे दिया और लौटकर सुभद्रा से कहा कि चाँदी का कटोरा तो गांधी जी ने ले लिया। सुभद्रा ने कहा कि और जाओ दिखाने पर खीर तो तुम्हें बनानी ही होगी, चाहे पीतल की कटोरी में ही खिलाओ। लेखिका को यह प्रसन्नता थी कि पुरस्कार में मिला कटोरा उसने गांधी जी को दिया था।

सुभद्रा जी के जाने के बाद लेखिका के साथ एक मराठी लड़की जेबुन्निसा रहने लगी। वह कोल्हापुर की रहने वाली थी। वह लेखिका के बहुत से काम भी कर देती थी। जेबुन्निसा मराठी शब्दों से मिली-जुली हिंदी बोलती थी। लेखिका ने भी उससे कुछ मराठी शब्द सीखे। उनकी अध्यापिका जेबुन के ‘इकडे तिकड़े’ जैसे मराठी शब्द सुनकर उसे टोकती कि ‘वाह! देसी कौवा, मराठी बोली !’ इस पर जेबुन कहती ‘यह मराठी कौवा मराठी बोलता है।’ जेबुन की वेशभूषा भी मराठी महिलाओं जैसे थी। वहाँ कोई सांप्रदायिक भेदभाव नहीं था। अवध की लड़कियाँ अवधी, बुंदेलखंड की बुंदेली बोलती थीं। यहाँ हिंदी, उर्दू आदि सब कुछ पढ़ाया जाता था परंतु आपस में बातचीत वे अपनी ही भाषा में करती थीं।

लेखिका जब विद्यापीठ आई तब तक उसका बचपन का क्रम ही चलता रहा। बचपन में वे जहाँ रहती थीं, वहीं जवारा के नवाब भी रहते थे। उनकी नवाबी समाप्त हो गई थी। उनकी पत्नी इन्हें कहती थी कि वे इन्हें ताई कहें। बच्चे उन्हें ‘ताई साहिब’ कहते थे। उनके बच्चे इनकी माता जी को चचीजान कहते थे। इनके जन्मदिन नवाब साहब के घर और नवाब साहब के बच्चों के इनके घर मनाए जाते थे।

उनके एक लड़का था जिसे ये राखी बांधती थीं। जब लेखिका का छोटा भाई हुआ तो वे उसके लिए कपड़े आदि लाई और उसका नाम मनमोहन रखा। वही आगे चलकर प्रोफेसर मनमोहन वर्मा जम्मू विश्वविद्यालय और गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति बने। उनके घर में हिंदी, उर्दू, अवधी आदि भाषाओं का प्रयोग होता था। उस वातावरण में दोनों परिवार एक-दूसरे के बहुत निकट थे। लेखिका को लगता है कि यदि आज भी ऐसा ही वातावरण बन जाता तो भारत की कथा ही कुछ और होती।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • स्मृतियाँ – यादें
  • खातिर – सेवा, सत्कार
  • दर्जा – कक्षा
  • उपरांत – बाद
  • इकड़े-तिकड़े – इधर-उधर
  • निराहार – भूखा, बिना खाए-पिए
  • वाइस चांसलर – कुलपति
  • परमधाम – स्वर्ग
  • विदुषी – विद्वान स्त्री
  • प्रतिष्ठित – सम्मानित
  • नक्काशीदार – चित्रकारी से युक्त
  • लोकर-लोकर – शीघ्र-शीघ्र
  • लहरिए – रंगीन साड़ी

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

JAC Class 9 Hindi दो बैलों की कथा Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
काँजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी ?
उत्तर :
काँजीहौस में कैद पशुओं की हाजिरी इसलिए ली जाती होगी जिससे यह पता चल सके कि वहाँ कैद किए गए सभी पशु वहाँ उपस्थित हैं। उनमें से कोई भाग अथवा मर तो नहीं गया है।

प्रश्न 2.
छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया ?
उत्तर :
छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। सौतेली माँ उसे मारती रहती थी। बैल दिनभर जोते जाते थे और उन्हें डंडे भी मारे जाते थे। उन्हें खाने को सूखा भूसा दिया जाता था। बैलों की इस दुर्दशा पर छोटी बच्ची को दया आ गई थी। उसे लगा कि बैलों के साथ भी उसके समान सौतेला व्यवहार हो रहा है। इसलिए उसके मन में बैलों के प्रति प्रेम उमड़ आया था। वह रात को उन्हें एक-एक रोटी खिला आती थी।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

प्रश्न 3.
कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभरकर आए हैं ?
उत्तर :
इस कहानी के माध्यम से लेखक ने किसानों और पशुओं के भावात्मक संबंधों का वर्णन किया है। हीरा और मोती नामक बैल अपने स्वामी झूरी से बहुत स्नेह करते हैं तथा जी-जान से उसके काम करते हैं परंतु झूरी के साले गया के घर जाना उन्हें अच्छा नहीं लगता। यहाँ तक कि वहाँ जाकर चारा भी नहीं खाते और रात होने पर रस्सी तुड़ाकर वापस झूरी के घर आ जाते हैं। उन्हें फिर गया के घर आना पडता है तो इसे ही अपनी नियति मानकर कहते हैं कि बैल का जन्म लिया है तो मार से कहाँ तक बचना ? वे अपनी जाति के धर्म को निभाते हैं तथा बदले में मनुष्यों को नहीं मारते। काँजीहौस में मित्रता निभाते हैं तथा मिलकर साँड़ का मुकाबला करते हैं। दढ़ियल द्वारा खरीदे जाने के बाद अपने घर का रास्ता पहचानकर झूरी के घर आ जाते हैं और अपनी स्वामी भक्ति का परिचय देते हैं।

प्रश्न 4.
प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ ‘मूर्ख’ का प्रयोग न कर किस नए अर्थ की ओर संकेत किया है ?
उत्तर :
प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे को सीधा, सहनशील, अक्रोधी, सुख – दुःख में समभाव से रहनेवाला प्राणी बताते हुए उसे ऋषियों- मुनियों के सद्गुणों से युक्त बताया है। वे उसे एक सीधा-साधा पशु बताते हैं, जिसके चेहरे पर कभी भी असंतोष की छाया तक नहीं दिखाई देती है और रूखा-सूखा खाकर भी संतुष्ट रहता है।

प्रश्न 5.
किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी ?
उत्तर :
बहुत दिनों से साथ रहते-रहते हीरा और मोती में गहरी दोस्ती हो गई थी। दोनों मूक-भाषा में एक-दूसरे के मन की बात समझ लेते थे। आपस में सींग मिलाकर, एक-दूसरे को चाट अथवा सूँघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे। दोनों एक साथ नाँद में मुँह डालते। यदि एक मुँह हटा लेता तो दूसरा भी हटा लेता था। हल या गाड़ी में जोत दिए जाने पर दोनों का यह प्रयास रहता था कि अधिक बोझ उसकी गरदन पर रहे। गया के घर से दोनों मिलकर भागे थे। गया के घर दोनों ही भूखे रहे थे। साँड़ को दोनों ने मिलकर भगा दिया था। मटर के खेत में मोती जब कीचड़ में धँस गया तो हीरा स्वयं ही रखवालों के पास आ गया था जिससे दोनों को एक साथ सजा मिले। काँजीहौस में मोती हीरा के बँधे होने के कारण बाड़े की दीवार टूट जाने पर भी नहीं भागा था। इन सब घटनाओं से हीरा और मोती की गहरी दोस्ती का पता चलता है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

प्रश्न 6.
‘लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो। ‘ हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
लेखक ने हीरा के इस कथन के माध्यम से इस ओर संकेत किया है कि हमारे समाज में स्त्री को सदा प्रताड़ित किया जाता है। उसे पुरुष की दासी के रूप में चित्रित किया जाता है, जिसे सब प्रकार से मारने-पीटने का अधिकार पुरुष के पास होता है। उसका अपना कोई अस्तित्व नहीं होता है। उसे पुरुष की इच्छानुसार अपना जीवन व्यतीत करना होता है। स्त्री को सदा पुरुष पर आश्रित रहना पड़ता है।

प्रश्न 7.
किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है ?
उत्तर :
इस कहानी में किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को अत्यंत भावात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है। झूरी को अपने बैलों हीरा और मोती से बहुत लगाव है। वह उन्हें अच्छा भोजन देता है। जब वे गया के घर से भागकर आते हैं तो उन्हें दौड़कर गले लगा लेता है। गया के घर जाते हुए बैलों को भी झूरी से बिछुड़ने का दुख है। वे समझते हैं कि उन्हें बेच दिया गया है। वे और अधिक मेहनत करके झूरी के पास ही रहना चाहते हैं। गया के घर की छोटी बच्ची के हाथ से एक-एक रोटी खाकर उन्हें उस बच्ची से स्नेह हो जाता है और बच्ची पर अत्याचार करनेवाली उसकी सौतेली माँ को मोती मारना चाहता है। अंत में जब हीरा और मोती कॉंजीहौस से दढ़ियल के साथ घर पहुँचते हैं, तो झूरी उन्हें गले लगा लेता है और झूरी की पत्नी भी उन दोनों के माथे चूम लेती है।

प्रश्न 8.
‘इतना तो हो गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे।’ मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
इस कथन से स्पष्ट होता है कि मोती में परोपकार की भावना है। वह काँजीहौस के बाड़े की कच्ची दीवार तोड़ देता है जिससे नौ-दस जानवर निकलकर भाग जाते हैं। गधों को तो वह स्वयं धकेलकर बाहर निकालता है। मोती सच्चा मित्र भी है। हीरा की रस्सी वह तोड़ नहीं सका था इसलिए वह स्वयं बाड़े से भागकर नहीं गया बल्कि हीरा के पास ही बैठा रहा और सुबह होने पर उसे भी चौकीदार ने मोटी रस्सी से बाँध दिया और खूब मारा। मोती बहादुर भी है। अपने बल पर वह सींग मार-मारकर बाड़े की कच्ची दीवार तोड़ देता है जिससे बाड़े में कैद जानवर बाहर भाग जाते हैं।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

प्रश्न 9.
आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करनेवाला मनुष्य वंचित है।
उत्तर :
इस कथन के माध्यम से लेखक यह कहना चाहता है कि पशु भी परस्पर मूक भाषा में एक-दूसरे से वार्तालाप कर लेते हैं तथा एक-दूसरे के मन की बात समझ लेते हैं। उनकी इस प्रकार से एक-दूसरे की मन की बात को जानने की जो शक्ति है वह केवल उन्हीं में है। मनुष्य, जोकि स्वयं को समस्त प्राणियों में श्रेष्ठ समझता है, उसमें भी ऐसी शक्ति नहीं है। यह विशेषता केवल पशुओं में ही होती है।

(ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया।
उत्तर :
गया के घर आने के बाद हीरा-मोती को केवल सूखा चारा खाने को मिलता था। उन्हें सारा दिन खेतों में जोता जाता था तथा उनकी डंडों से पिटाई होती थी। उन्हें प्रेम करनेवाला कोई नहीं था। छोटी बच्ची रात के समय उन्हें एक-एक रोटी खिला देती थी। इस एक रोटी को खाकर ही वे संतुष्ट हो जाते थे। क्योंकि इस एक रोटी के माध्यम से वह बच्ची उन्हें अपना स्नेह दे देती थी जिनसे उनका स्नेह के लिए भूखा हृदय संतुष्ट हो जाता था।

प्रश्न 10.
गया ने हीरा – मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि –
(क) गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
(ख) गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी।
(ग) वह हीरा – मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।
(घ) उसे खली आदि सामग्री की जानकारी न थी।
उत्तर :
(ग) वह हीरा – मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 11.
हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
उत्तर :
हीरा-मोती झूरी के घर आराम से रह रहे थे। वे पूरी मेहनत से झूरी के सब काम करते थे तथा जो मिलता था खा लेते थे। उन्होंने झूरी को कभी शिकायत का मौका नहीं दिया था। जब उन्हें झूरी का साला गया ले जाने लगा तो उन्हें लगा कि उसे झूरी ने गया के हाथों बेच दिया है। उन्हें गया के साथ जाना पसंद नहीं आया। गया ने उन्हें डंडों से मारा, खाने के लिए सूखा चारा दिया। वे इसे अपना अपमान समझकर रस्सी तुड़ाकर झूरी के पास लौट आए। उन्हें फिर गया के पास जाना पड़ा।

वहाँ उन पर फिर अत्याचार हुए। इस बार छोटी बच्ची ने उन्हें आज़ाद कराया। वे अपने घर जा रहे थे कि साँड़ से हुए झगड़े में वे रास्ता भटक गए। मटर खाने के चक्कर में उन्हें काँजीहौस में बंद होना पड़ा। वहाँ दीवार तोड़ने के आरोप में इन पर डंडे बरसाए गए और अंत में एक दढ़ियल के हाथों बिक गए। जब वह दढ़ियल इन्हें ले जा रहा था तो इन्हें अपना घर दिखाई दिया तो वे भागकर वहाँ आ गए और दढ़ियल को मोती ने सींग चलाकर भगा दिया। इस प्रकार अपनी आज़ादी तथा अपनी घर वापसी के लिए किए गए हीरा-मोती के प्रयत्न सार्थक सिद्ध हुए। उन्होंने अनेक मुसीबतें उठाकर भी अपना अधिकार प्राप्त कर लिया।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

प्रश्न 12.
क्या आपको लगता है कि यह कहानी आज़ादी की लड़ाई की ओर संकेत करती है ?
उत्तर :
इस कहानी में लेखक ने हीरा – मोती को दूसरे की परतंत्रता से स्वयं को मुक्त करने के लिए संघर्ष करते हुए दिखाया है। हीरा-मोती अपने बल से गया के स्थान से रस्सी तुड़ाकर अपने घर आ जाते हैं। दूसरी बार अनेक मुसीबतें सहन करते हुए भी गया के खेतों में काम नहीं करते और छोटी बच्ची के सहयोग से आज़ाद हो जाते हैं। अंत में काँजीहौस से अन्य जानवरों को आज़ाद कराते हैं तथा स्वयं दंड पाकर भी दढ़ियल के चंगुल से छूटकर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं। इस प्रकार यह कहानी भारत की आज़ादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है कि किस प्रकार भारतवासियों ने अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए अंत में आज़ादी प्राप्त की है।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 13.
बस इतना ही काफ़ी है।
फिर मैं भी ज़ोर लगाता हूँ।
‘ही’, ‘भी’ वाक्य में किसी बात पर जोर देने का काम कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को निपात कहते हैं। कहानी में से पाँच ऐसे वाक्य छाँटिए जिसमें निपात का प्रयोग हुआ हो।
उत्तर :
(क) एक ही विजय ने उसे संसार की सभ्य जातियों में गण्य बना दिया।
(ख) कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है।
(ग) बैल कभी-कभी मारता भी है।
(घ) न दादा, पीछे से तुम भी उन्हीं की-सी कहोगे
(ङ) ब्याही हुई गाय तो अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

‘प्रश्न 14.
रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए तथा उपवाक्य छाँटकर उसके भी भेद लिखिए-
(क) दीवार का गिरना था कि अधमरे से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
(ख) सहसा एक दढ़ियल आदमी, जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर, आया।
(ग) हीरा ने कहा – गया के घर से नाहक भागे।
(घ) मैं बेचूँगा, तो बिकेंगे।
(ङ) अगर वह मुझे पकड़ता तो मैं बे-मारे ना छोड़ता।
उत्तर :
(क) मिश्र वाक्य –
उपवाक्य – अधमरे से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
भेद – संज्ञा उपवाक्य।
(ख) संयुक्त वाक्य –
उपवाक्य – जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा कठोर।
भेद – विशेषण उपवाक्य।
(ग) मिश्र वाक्य –
उपवाक्य – गया के घर से नाहक भागे।
भेद – संज्ञा उपवाक्य।
(घ) मिश्र वाक्य –
उपवाक्य – तो बिकेंगे।
भेद – क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(ङ) मिश्र वाक्य –
उपवाक्य – तो मैं बे-मारे न छोड़ता।
भेद – क्रिया-विशेषण उपवाक्य।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

प्रश्न 15.
कहानी में जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग हुआ है। कोई पाँच मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
(क) गम खाना-मोहन अपने मित्र सोहन की चार बातें सुनकर भी गम खा गया क्योंकि वह उससे लड़ाई-झगड़ा नहीं करना चाहता था।
(ख) ईंट का जवाब पत्थर से- भारतीय सेना ने शत्रु सेना के आक्रमण का जवाब ईंट का जवाब पत्थर से देकर शत्रु सेना को पराजित कर दिया।
(ग) दाँतों पसीना आना-गणित का प्रश्न-पत्र इतना कठिन था कि इसे हल करते हुए परीक्षार्थियों को दाँतों पसीना आ गया।
(घ) बगलें झाँकना- साहूकार को देखते ही हलकू बगलें झाँकने लगा।
(ङ) नौ-दो ग्यारह होना-पुलिस को देखते ही चोर नौ-दो ग्यारह हो गए।

पाठेतर सक्रियता –

प्रश्न :
पशु-पक्षियों से संबंधित अन्य रचनाएँ ढूँढ़कर पढ़िए और कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 9 Hindi दो बैलों की कथा Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
लेखक ने गधे का छोटा भाई किसे और क्यों कहा है ?
उत्तर :
लेखक ने गधे का छोटा भाई बैल को कहा है। बैल को गधे का छोटा भाई इसलिए कहा है क्योंकि वह गधे से कम बेवकूफ़ है। वह अपना असंतोष प्रकट करने के लिए कभी-कभी मारता भी है और अपनी ज़िद्द पर अड़ जाने के कारण अड़ियल बैल कहलाने लगता है। बैल को बछिया का ताऊ भी कहते हैं।

प्रश्न 2.
गया जब हीरा-मोती को झूरी के घर से लेकर चला तो हीरा-मोती ने क्या सोचा ?
उत्तर :
गया जब हीरा-मोती को झूरी के घर से लेकर चला तो उन्हें लगा कि झूरी ने उन्हें गया के हाथों बेच दिया है। वे सोच रहे थे कि झूरी ने उन्हें निकाल दिया है। वे मन लगाकर उसकी सेवा करते थे। वे और भी अधिक मेहनत करने के लिए तैयार हैं। वे झूरी की सेवा करते हुए मर जाना ही अच्छा समझते हैं उन्होंने झूरी से कभी दाने-चारे की भी शिकायत नहीं की थी। उन्हें गया जैसे जालिम के हाथों अपना बेचा जाना अच्छा नहीं लगा था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

प्रश्न 3.
झूरी जब प्रातः काल सोकर उठा तो उसने क्या देखा ? उसकी तथा गाँववालों की प्रतिक्रिया क्या थी ?
उत्तर :
झूरी ने देखा कि गया द्वारा ले जाए गए दोनों बैल चरनी पर खड़े हैं। उनके गले में आधी-आधी फुंदेदार रस्सी लटक रही थी और उनके पाँव कीचड़ से सने हुए थे। दोनों की आँखों में विद्रोह और स्नेह झलक रहा था। झूरी ने दौड़कर उन्हें गले से लगा लिया। घर और गाँव के लड़कों ने तालियाँ बजा-बजाकर उनका स्वागत किया। बच्चों ने इन दोनों वीर – पशुओं का अभिनंदन करना चाहा क्योंकि ये दोनों इतनी दूर से अकेले अपने घर आ गए थे। उन्हें लगता था कि ये बैल नहीं किसी जन्म के इनसान हैं। झूरी की पत्नी को इनका गया के घर से भाग आना अच्छा नहीं लगा था।

प्रश्न 4.
गया ने जब बैलों को हल में जोता तो बैलों पर क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर :
गया ने जब बैलों को हल में जोता तो बैलों ने काम करने से मना कर दिया। वे दोनों अड़ियल बन गए। गया उन्हें मारत मारते थक गया, परंतु दोनों बैलों ने पाँव न उठाए। गया ने हीरा की नाक पर खूब डंडे मारे तो मोती गुस्से में भरकर हल लेकर भागा तो हल, रस्सी, जुआ, जोत सब टूट गए। गले में बड़ी-बड़ी रस्सियाँ बँधी होने के कारण दोनों को पकड़ लिया गया था।

प्रश्न 5.
हीरा – मोती ने स्वयं को साँड़ से कैसे बचाया ?
उत्तर :
साँड़ को देखकर पहले तो हीरा – मोती घबरा गए थे फिर उन्होंने यह सोचा कि दोनों उस पर एक साथ चोट करें। एक आगे से दूसरा पीछे से उसपर चोट करेगा। जैसे ही साँड़ हीरा पर झपटा मोती ने उस पर पीछे से वार किया। साँड़ उसकी तरफ़ दौड़ा तो हीरा ने उस पर आक्रमण कर दिया। साँड़ झल्लाकर हीरा का अंत कर देने के लिए चला तो मोती ने बगल से आकर उसके पेट में सींग भोंक दिया तो दूसरी ओर से हीरा ने उसे सींग चुभो दिया। घायल होकर साँड़ भागा तथा इनका पीछा करने पर साँड़ बेदम होकर गिर पड़ा।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

प्रश्न 6.
काँजीहौस के अंदर के दृश्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
काँजीहौस के अंदर कई भैंसें, कई बकरियाँ, कई घोड़े और कई गधे बंद थे। हीरा और मोती को भी यहीं बंद कर दिया गया। यहाँ बंद जानवरों के सामने चारा नहीं था। सभी ज़मीन पर मुरदों के समान पड़े थे। कई तो इतने अधिक कमज़ोर हो गए थे कि उनसे खड़ा भी नहीं हुआ जाता था। हीरा-मोती सारा दिन फाटक की ओर देखते रहे कि कोई चारा लेकर आएगा, पर कोई भी न आया तो दोनों ने दीवार की नमकीन मिट्टी ही चाटकर गुज़ारा किया।

प्रश्न 7.
दढ़ियल आदमी के बंधन से हीरा-मोती कैसे आज़ाद हुए ?
उत्तर :
काँजीहौस से एक दढ़ियल आदमी ने हीरा – मोती को खरीद लिया और उन्हें अपने साथ ले चला। उस आदमी की भयानक मुद्रा से ही हीरा – मोती ने समझ लिया था कि वह आदमी उन पर छुरी चलाकर उन्हें मार डालेगा। वे उसके साथ काँपते हुए जा रहे थे कि रास्ते में उन्हें गाय-बैलों का एक झुंड चरता हुआ नज़र आया। सहसा उन्हें लगा कि यह तो उनकी जानी पहचानी राह है। दोनों दौड़कर अपने स्थान पर आ गए। वह दढ़ियल भी उनके पीछे भागकर आया और उन पर अपना अधिकार जमाने लगा। झूरी ने दोनों बैलों को गले लगा लिया और उस दढ़ियल को कहा कि ये उसके बैल हैं। दढ़ियल ने जब ज़बरदस्ती बैलों को पकड़कर ले जाना चाहा तो मोती ने सींग चलाया। दढ़ियल पीछे हटा। मोती ने फिर पीछा किया तो दढ़ियल भाग गया। इस प्रकार वे दढ़ियल के बंधन से आज़ाद हुए।

प्रश्न 8.
‘दो बैलों की कथा’ कहानी में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
‘दो बैलों की कथा’ कहानी में प्रेमचंद ने स्पष्ट किया है कि किस प्रकार पशु और मानव में परस्पर प्रेम होता है तथा पशु अपने मालिक के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं। हीरा-मोती का झूरी से प्रेम यही सिद्ध करता है। इसी प्रकार से गया के घर में छोटी बच्ची से रोटी प्राप्त कर वे उसके प्रति भी सद्भाव से भर उठते हैं। पशुओं को भी स्वतंत्रता प्रिय है, इसलिए वे गया के घर के बंधनों को तोड़कर, साँड़ से लड़कर, काँजीहौस के बाड़े की दीवार को तोड़कर तथा दढ़ियल के बंधन से भाग निकलते हैं। इस प्रकार इस कहानी का मूल संदेश पशु और मानव के भावात्मक संबंधों को उजागर करते हुए स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देना है।

प्रश्न 9.
झूरी कौन था ? उसका हीरा-मोती के साथ क्या संबंध था ?
उत्तर :
झूरी एक किसान था। उसे पशुओं से बहुत प्रेम था। हीरा – मोती उसके दो बैल थे। वह उन्हें जान से ज़्यादा प्यार करता था। दोनों बैल बहुत ही सुंदर और तंदरुस्त थे। उन दोनों का भी अपने मालिक झूरी से बहुत प्यार और लगाव था। झूरी बड़े ही चाव और प्यार से उनकी देखभाल करता था।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

प्रश्न 10.
मजदूर ने झूरी की किस आज्ञा का और क्यों उल्लंघन किया ?
उत्तर :
गया जब झूरी के दोनों बैलों को हाँककर अपने घर ले गया, तो बैल वहाँ नहीं रुके। दोनों रस्सी तोड़कर भाग आए। गाँववालों तथा बच्चों ने तालियाँ बजाकर उनका स्वागत किया। झूरी की पत्नी को हीरा मोती का वापिस आना तनिक भी अच्छा नहीं लगा। उसने मज़दूर से बैलों को सूखा भूसा देने को कहा। जब झूरी ने भूसा खली डालने को कहा तो मज़दूर ने मालकिन की आज्ञा का हवाला देकर झूरी की आज्ञा की अवज्ञा कर दी।

प्रश्न 11.
दूसरी बार गया बैलों को कैसे लेकर जाता है ? घर में वह उनके साथ क्या करता है ?
उत्तर :
दूसरी बार गया हीरा – मोती को बैलगाड़ी में जोतकर ले जाता है। दोनों बैल रास्ते में सड़क की खाई में बैलगाड़ी को गिराना चाहते हैं, लेकिन गया किसी तरह गाड़ी को गिरने से बचा लेता है। घर ले जाकर वह दोनों बैलों को मोटी रस्सी से बाँध देता है। उन्हें खाने के लिए सूखा भूसा देता है।

महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर – 

1. जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को परले दरजे का बेवकूफ़ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं। गधा सचमुच बेवकूफ़ है, या उसके सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) जानवरों में किसे सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है ?
(ख) हम किसी आदमी को गधा कब कहते हैं ?
(ग) किस बात का निश्चय नहीं किया जा सकता ?
उत्तर :
(क) जानवरों में गधे को सबसे ज़्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है।
(ख) हम किसी आदमी को गधा तब कहते हैं जब हम उसे परले दरजे का बेवकूफ़ कहना चाहते हैं।
(ग) इस बात का निश्चय नहीं किया जा सकता कि गधा सचमुच बेवकूफ़ है, या उसके सीधेपन और उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दी है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

2. उसके चेहरे पर एक स्थायी विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुःख, हानि-लाभ किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों-मुनियों के जितने गुण हैं, वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुँच गए हैं; पर आदमी उसे बेवकूफ़ कहता है। सद्गुणों का इतना अनादर कहीं नहीं देखा। कदाचित सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है। देखिए न, भारतवासियों की अफ्रीका में क्या दुर्दशा हो रही है ? क्यों अमरीका में उन्हें घुसने नहीं दिया जाता ? बेचारे शराब नहीं पीते, चार पैसे कुसमय के लिए बचाकर रखते हैं, जी तोड़कर काम करते हैं, किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करते, चार बातें सुनकर गम खा जाते हैं फिर भी बदनाम हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) गधे के चेहरे पर कौन-सा भाव स्थायी रूप से छाया रहता है और किन परिस्थितियों में भी नहीं बदलता ?
(ख) गधे में किनके गुण पहुँच गए हैं ? गधे के सद्गुणों का अनादार कैसे होता है ?
(ग) ‘सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं है” – क्यों ?
उत्तर :
(क) गधे के चेहरे पर एक निषाद् का भाव स्थायी रूप से छाया रहता है। यह भाव सुख-दुःख, हानि-लाभ किसी भी दशा में नहीं बदलता।
(ख) गधे में ऋषियों-मुनियों के गुण पराकाष्ठा तक पहुँच गए हैं पर आदमी तब भी उसे बेवकूफ कहकर उसके सद्गुणों का अनादर करता है।
(ग) सीधापन संसार के लिए उपयुक्त नहीं क्योंकि सीधे-सादे भारतवासियों की अफ्रीका में दुर्दशा हो रही है, अमरीका में उन्हें घुसने नहीं दिया जाता। वे शराब नहीं पीते, जरूरत के लिए पैसे बचाकर रखते हैं, जीतोड़ मेहनत करते हैं, शांतिप्रिय हैं फिर भी बदनाम हैं।

3. लेकिन गधे का एक छोटा भाई और भी है, जो उससे कम ही गधा है, और वह है ‘बैल’। जिस अर्थ में हम गधे का प्रयोग करते हैं, कुछ उसी से मिलते-जुलते अर्थ में ‘बछिया के ताऊ’ का भी प्रयोग करते हैं। कुछ लोग बैल को शायद बेवकूफ़ों में सर्वश्रेष्ठ कहेंगे, मगर हमारा विचार ऐसा नहीं है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) गधे का छोटा भाई किसे कहा गया है ?
(ख) गधे के मिलते-जुलते अर्थ में हम किस शब्द का प्रयोग करते हैं ?
(ग) “लेकिन गधे का एक छोटा भाई और भी है, जो उससे कम ही गधा है, और वह है ‘बैल’। ” – तात्पर्य समझाइए।
(घ) लेखक के अनुसार कुछ लोग बैल को क्या कहेंगे ?
उत्तर :
(क) गधे का छोटा भाई बैल को कहा गया है।
ख) गधे के मिलते-जुलते अर्थ में हम ‘बछिया के ताऊ’ शब्द का प्रयोग करते हैं।
(ग) इसका तात्पर्य है कि बैल भी लगभग गधे के समान ही सीधा होता है, इसीलिए उसे गधे का छोटा भाई कहते हैं। बैल सीधा होने पर भी कभी – कभी अड़ियल हो जाता है, इसलिए उसे गधे से कम गधा कहा जाता है।
(घ) लेखक के अनुसार कुछ लोग बैल को बेवकूफ़ों में सर्वश्रेष्ठ कहेंगे।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

4. दोनों आमने-सामने या आस-पास बैठे हुए एक-दूसरे से मूक- भाषा में विचार-विनिमय करते थे। एक, दूसरे के मन की बात कैसे समझ जाता था, हम नहीं कह सकते। अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करनेवाला मनुष्य वंचित है। दोनों एक-दूसरे को चाटकर और सूँघकर अपना प्रेम प्रकट करते, कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लिया करते थे – विग्रह के नाते से नहीं, केवल विनोद के भाव से, आत्मीयता के भाव से, जैसे दोस्तों में घनिष्ठता होते ही धौल धप्पा होने लगता है। इसके बिना दोस्ती कुछ फुसफुसी, कुछ हलकी-सी रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) दोनों बैल आपस में विचार-विनिमय कैसे करते थे ?
(ख) मनुष्य किससे वंचित है ?
(ग) दोनों बैल आपस में दोस्ती की घनिष्ठता दिखाने के लिए क्या करते थे ?
(घ) बैलों द्वारा आपस में दोस्ती की घनिष्ठता दिखाने का क्या कारण था ?
उत्तर :
(क) दोनों बैल आपस में मूक भाषा में विचार-विनिमय करते थे।
(ख) दोनों बैलों में कोई ऐसी गुप्तशक्ति थी जिससे वे दोनों बिना बोले ही एक-दूसरे की बात समझ जाते थे। ऐसी शक्ति से मनुष्य वंचित है।
(ग) आपस में दोस्ती की घनिष्ठता दिखाने के लिए दोनों बैल एक-दूसरे को चाटने, सूँघते थे तथा कभी-कभी सींग भी मिलाते थे।
(घ) दोनों बैल दोस्ती की घनिष्ठता इसलिए दिखाते थे क्योंकि इसके बिना दोस्ती कुछ फुसफुसी, कुछ हलकी-सी रहती है, जिस पर ज़्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता। ऐसा करके वे विनोद व आत्मीयता के भाव को प्रकट करते हैं।

5. अगर ईश्वर ने उन्हें वाणी दी होती, तो झूरी से पूछते – तुम हम गरीबों को क्यों निकाल – तुम हम गरीबों को क्यों निकाल रहे हो ? हमने तो तुम्हारी सेवा करने में कोई कसर नहीं उठा रखी। अगर इतनी मेहनत से काम नहीं चलता था तो और काम ले लेते। हमें तो तुम्हारी चाकरी में मर जाना कबूल था। हमने कभी दाने – चारे की शिकायत नहीं की। तुमने जो कुछ खिलाया, वह सिर झुकाकर खा लिया, फिर तुमने हमें इस ज़ालिम के हाथ क्यों बेच दिया ?

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) हीरा-मोती किसे ज़ालिम कह रहे हैं और क्यों ?
(ख) हीरा – मोती क्यों परेशान हैं ?
(ग) हीरा – मोती का अपने स्वामी के प्रति क्या भाव है ?
(घ) हीरा – मोती किसी दूसरे के साथ क्यों नहीं जाना चाहते ?
(ङ) दो विदेशी शब्द चुनकर लिखिए।
उत्तर :
(क) हीरा – मोती गया को ज़ालिम कह रहे हैं क्योंकि वे अपने मालिक झूरी का घर छोड़कर नहीं जाना चाहते थे। जब वे रास्ते में अड़कर खड़े हो जाते हैं तो गया उन्हें मार-पीटकर घसीटकर ले जाता है।
(ख) हीरा – मोती इस बात से परेशान हैं कि उनके मालिक ने उन्हें किसी दूसरे के हाथ बेच दिया है जबकि उनका कोई दोष भी नहीं था। वे जी-जान से अपने मालिक का कार्य करते थे।
(ग) हीरा – मोती को अपने स्वामी से बहुत स्नेह है। वे पूरी मेहनत से उसके लिए कार्य करते थे तथा जो भी दाना – चारा मिलता था, उसे ही बिना किसी शिकायत के खा लेते थे।
(घ) उन्हें अपने स्वामी से बहुत स्नेह है। वे अपने स्वामी के अतिरिक्त अन्य कहीं नहीं जाना चाहते। यहाँ के वातावरण तथा खान-पान से भी वे संतुष्ट हैं। गया के मारने-पीटने से भी वे उसके साथ नहीं जाना चाहते तथा स्वामी के पास ही रहना चाहते हैं।
(ङ) कबूल, ज़ालिम।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

6. दोनों ने अपनी मूक- भाषा में सलाह की, एक-दूसरे को कनखियों से देखा और लेट गए। जब गाँव में सोता पड़ गया, तो दोनों ने जोर मारकर पहे तुड़ा डाले और घर की तरफ़ चले। पगहे बहुत मज़बूत थे। अनुमान न हो सकता था कि कोई बैल उन्हें तोड़ सकेगा; पर इन दोनों में इस समय दूनी शक्ति आ गई थी। एक-एक झटके में रस्सियाँ टूट गईं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) दोनों ने क्या सलाह की और क्यों ?
(ख) ‘सोता पड़ गया’ और ‘पगहे तुड़ा डाले’ से क्या तात्पर्य है ?
(ग) दोनों कहाँ आ गए थे और क्यों ?
(घ) उन दोनों में ‘दूनी शक्ति’ कैसे आ गई थी ?
(ङ) बैलों ने कितने झटकों में अपनी रस्सियाँ तोड़ दी थीं ?
उत्तर :
(क) दोनों बैलों ने झूरी के साले गया के घर से भागने की सलाह की क्योंकि उन्हें यहाँ आना अच्छा नहीं लगा था। दिन-भर के भूखे होने पर भी उन्होंने कुछ नहीं खाया था। यहाँ सभी कुछ उन्हें बेगाना लग रहा था।
(ख) ‘सोता पड़ गया’ से तात्पर्य यह है कि रात हो गई थी। गाँव के सभी लोग सो गए थे। चारों ओर एकांत था। ‘पगहे तुड़ा डाले’ से तात्पर्य यह है कि जिन रस्सियों से बैलों को खूँटों से बाँधा गया था, उन्होंने उन रस्सियों को तोड़ दिया था।
(ग) दोनों बैलों को झूरी का साला गया अपने गाँव ले आया था। वह उन्हें अपने खेतों में जोतना चाहता था।
(घ) उन दोनों बैलों ने गया के घर आकर कुछ भी नहीं खाया था। जब उन्होंने वहाँ से भाग जाने का निश्चय कर लिया तो इसी निश्चय के उत्साह के कारण कि ‘वे यहाँ से निकलकर अपने पुराने घर जा सकते हैं बहुत मज़बूत रस्सियों को भी उन्होंने तोड़ डाला था। उनमें दुगुनी शक्ति इस विचार से आ गई थी कि वे यहाँ से आज़ाद होकर अपने घर जा सकेंगे।’
(ङ) बैलों ने एक-एक झटके में अपने रस्सियाँ तोड़ दी थीं।

7. ‘मुझे मारेगा, तो मैं भी एक-दो को गिरा दूँगा।’
‘नहीं। हमारी जाति का यह धर्म नहीं है।’
मोती दिल में ऐंठकर रह गया। गया आ पहुँचा और दोनों को पकड़कर ले चला। कुशल हुई कि उसने इस वक्त मारपीट न की, नहीं तो मोती भी पलट पड़ता। उसके तेवर देखकर गया और उसके सहायक समझ गए कि इस वक्त जाना ही मसलहत है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) यह किसने और क्यों कहा कि हमारी जाति का यह धर्म नहीं है ? इस जाति का क्या धर्म है ?
(ख) मोती दिल ही दिल में ऐंठकर क्यों रह गया ?
(ग) गया ने बैलों को क्यों नहीं मारा ?
(घ) बैलों ने क्या अपराध किया था ?
(ङ) किस बैल के मन में बदला लेने के विद्रोही भाग उग्र थे ?
उत्तर :
(क) यह कथन हीरा ने मोती को उस समय कहा जब वह गया और उसके सहायकों को मारने की बात कहता है। इस जाति का धर्म परिश्रम करना है। ये मनुष्य जाति के लिए अत्यंत उपयोगी पशु हैं। ये खेत जोतते हैं तथा गाड़ियों को खींचते हैं।
(ख) मोती गया और उसके सहायकों को सबक सिखाना चाहता था कि बैलों को मारने से बैल भी क्रोधित होकर उन्हें मार सकते हैं। हीरा के मना करने पर वह ऐसा नहीं कर सका। इसलिए उसकी इच्छा मन में ही रह गई तथा उसे दिल ही दिल में ऐंठकर रह जाना पड़ा।
(ग) गया ने बैलों को इसलिए नहीं मारा क्योंकि वह बैलों की क्रोध – से भरी हुई मुद्रा को देखकर समझ गया था कि यदि उसने बैलों को मारा तो वे भी बदले में उस पर आक्रमण कर सकते हैं।
(घ) गया ने बैलों को हल में जोता था, पर इन दोनों बैलों ने खेत नहीं जोता था। गया ने इन्हें डंडों से खूब मारा तथा हीरा की नाक पर भी डंडे मारे। इस पर मोती को क्रोध आ गया और वह हल लेकर भागा। इस प्रकार भागने से हल, रस्सी, जुआ, जोत आदि सब टूट गए थे।
(ङ) मोती के हृदय में बदला लेने के उग्र भाव थे।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

8. मोती ने आँखों में आँसू लाकर कहा- तुम मुझे स्वार्थी समझते हो, हीरा ? हम और तुम इतने दिनों एक साथ रहे हैं। आज तुम विपत्ति में पड़ गए, तो मैं तुम्हें छोड़कर अलग हो जाऊँ।
हीरा ने कहा – बहुत मार पड़ेगी। लोग समझ जाएँगे, यह तुम्हारी शरारत है।
मोती गर्व से बोला – जिस अपराध के लिए तुम्हारे गले में बंधन पड़ा, उसके लिए अगर मुझ पर मार पड़े, तो क्या चिंता। इतना तो हो ही गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

प्रश्न :
(क) मोती स्वयं को स्वार्थी समझने की बात क्यों कह रहा है ?
(ख) मोती की शरारत क्या है ?
(ग) हीरा ने क्या अपराध किया था और क्यों ?
(घ) कौन आशीर्वाद देंगे और क्यों ?
(ङ) गर्व का भाव किसके स्वर से प्रकट हो रहा था ?
उत्तर :
(क) काँजीहौस के चौकीदार ने हीरा को बाड़े की कच्ची दीवार तोड़ने की कोशिश करने के अपराध में मोटी रस्सी से बाँध दिया था। मोती ने दीवार को अपने बल से गिरा दिया। दीवार के गिरते ही कई जानवर भाग गए। मोती हीरा की रस्सी नहीं तोड़ पाया तो हीरा ने मोती को वहाँ से भाग जाने के लिए कहा। मोती हीरा के बिना वहाँ से नहीं जाना चाहता। इसलिए वह हीरा को कहता है कि क्या उसने उसे इतना स्वार्थी समझ लिया है।
(ख) मोती ने काँजीहौस की कच्ची दीवार को सींग अड़ाकर गिरा दिया था। दीवार के गिरते ही काँजीहौस में बंद जानवर भाग गए थे। काँजी हौस से दीवार तोड़कर जानवरों को भगाने की शरारत मोती की ही समझी जाएगी क्योंकि हीरा मोटी रस्सी से बँधा हुआ था तथा अन्य जानवर ऐसी शरारत नहीं कर सकते थे।
(ग) हीरा भूख से व्याकुल हो गया था। जब रात को भी उसे खाने को कुछ नहीं मिला तो हीरा के दिल में विद्रोह की ज्वाला दहक उठी। उसने काँजीहौस से निकलने के लिए बाड़े की कच्ची दीवार को अपने नुकीले सींगों से तोड़ने का प्रयास किया। दीवार की मिट्टी गिरने लगी थी। तभी काँजीहौस का चौकीदार आ गया और हीरा के इस काम को देखकर उसने हीरा को कई डंडे मारे और उसे मोटी-सी रस्सी से बाँध दिया। हीरा ने यह अपराध अपनी आज़ादी के लिए किया था।
(घ) जो जानवर काँजीहौस के बाड़े से निकलकर भाग गए हैं वे आशीर्वाद देंगे क्योंकि काँजीहौस में उन्हें खाने-पीने के लिए कुछ नहीं मिलता था। वे भूख-प्यास के कारण अधमरे हो गए थे। बाहर निकलकर वे आज़ादी से खा-पी सकते थे।
(ङ) मोती के स्वर से गर्व का भाव प्रकट हो रहा था।

दो बैलों की कथा Summary in Hindi

लेखक परिचय :

जीवन – प्रेमचंद हिंदी साहित्य के सर्वश्रेष्ठ कथाकार हैं। इस महान कथा – शिल्पी का जन्म वाराणसी जिले के लमही ग्राम में 31 जुलाई, सन् 1880 ई० को हुआ था। इनका मूल नाम धनपत राय था। इनके पिता का नाम मुंशी अजायब राय था। जब प्रेमचंद आठ वर्ष के थे तब इनकी माता का देहांत हो गया था और इसके आठ वर्ष बाद इनके पिता चल बसे थे। इनकी प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी में हुई और मैट्रिक के बाद अध्यापन का कार्य करने लगे। शिक्षा- विभाग में अध्यापन का कार्य करते हुए इनकी पदोन्नति स्कूल इंस्पेक्टर के पद तक हुई थी। गांधी जी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर इन्होंने सरकारी नौकरी से त्याग पत्र दे दिया और पूरी तरह लेखन कार्य के प्रति समर्पित हो गए। इन्होंने कुछ फ़िल्मों की पटकथाएँ भी लिखीं, लेकिन फ़िल्मी नगरी इन्हें ज़्यादा दिनों तक रास नहीं आई और वापस बनारस लौट आए। इन्होंने ‘हंस’, ‘मर्यादा’, ‘जागरण’ और ‘माधुरी’ नामक पत्रिकाओं का संपादन किया था। इनका देहावसान 8 अक्तूबर, सन् 1936 ई० को हुआ।

रचनाएँ – साहित्यिक जगत में उन्होंने नवाब राय से पदार्पण किया था। ये पहले उर्दू में लिखा करते थे। सन 1907 में प्रकाशित इनकी ‘सोजे – वतन’ नामक पुस्तक को अंग्रेज़ सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। बाद में इन्होंने प्रेमचंद नाम से हिंदी में लिखना आरंभ कर दिया। इन्होंने अनेक उपन्यास, तीन सौ से अधिक कहानियाँ, नाटक और निबंध लिखे हैं। इनके प्रसिद्ध उपन्यास – निर्मला, प्रतिज्ञा, वरदान, रंगभूमि, कर्मभूमि, सेवासदन, प्रेमाश्रम, गबन और गोदान हैं। इनका कहानी – साहित्य का रचनाकाल सन् 1907 से 1936 तक है। उर्दू में इनकी पहली कहानी ‘दुनिया का सबसे अनमोल रत्न’ थी। हिंदी में इनका पहला कहानी संग्रह ‘सप्त- सरोज’ था। इसके पश्चात् इनके जो अन्य कहानी-संग्रह प्रकाशित हुए, उनमें नवनिधि, प्रेम-पूर्णिमा, प्रेम-पचीसी, प्रेम- द्वादसी, प्रेम-तीर्थ, प्रेम – चतुर्थी, प्रेम-प्रसून, प्रेम-प्रतिमा, प्रेरणा, समाधि, प्रेम – पंचमी आदि प्रसिद्ध हैं। इनकी समस्त कहानियाँ ‘मानसरोवर’ के आठ भागों में संकलित हैं।

भाषा-शैली – प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं में सहज, सरल तथा प्रचलित लोकभाषा के साहित्यिक रूप का प्रयोग किया है। ‘दो बैलों की कथा’ कहानी की भाषा अत्यंत सरल, सहज, स्वाभाविक तथा मुहावरेदार है। इसमें उर्दू, तत्सम तद्भव तथा देशज शब्दों का लेखक ने खुलकर प्रयोग किया है, जिससे भाषा की संप्रेषणीयता में वृद्धि हुई है। उर्दू के दरजे, खुश, बदनाम, जवाब, मिसाल, शिकायत, ताकीद, बेदम आदि शब्दों के साथ – साथ निरापद, सहिष्णुता, दुर्दशा, वंचित, आक्षेप, विद्रोह आदि तत्सम तथा बधिया, ताऊ, छप्पा, नाँद, पगहे, जुआ, जोत, रगेदा आदि देशज शब्दों का सटीक प्रयोग किया है। लेखक ने ईंट का जवाब पत्थर से देना, नौ-दो ग्यारह होना, जान से हाथ धोना, बगले झाँकना आदि मुहावरों के प्रयोग से भाषा में निखार उत्पन्न कर दिया है। कहानी वर्णनात्मक तथा संवादात्मक शैली में लिखी गई है। संवादों से कहानी की रोचकता में वृद्धि हुई है। संवाद सहज, संक्षिप्त, प्रसंगानुकूल तथा भावपूर्ण हैं, जैसे-
मोती ने कहा – ‘ हमारा घर नगीच आ गया। ‘
हीरा बोला – ‘ भगवान की दया है।’
‘मैं तो अब घर भागता हूँ।’
‘यह जाने देगा ?’
‘इसे मैं मार गिराता हूँ। ‘
‘नहीं – नहीं दौड़कर थान पर चलो वहाँ से हम आगे न जाएँगे।’
इस प्रकार लेखक ने सहज एवं भावपूर्ण भाषा – शैली का प्रयोग किया है।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

पाठ का सार :

प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी ‘दो बैलों की कथा’ में मनुष्य के पशु-प्रेम तथा पशुओं का अपने स्वामी के प्रति लगाव का सजीव चित्रण किया गया है। लेखक ने मूक पशुओं की एक-दूसरे के प्रति सद्भावनाओं तथा स्वतंत्रता के लिए उनके संघर्ष का भी स्वाभाविक वर्णन किया है।

लेखक का मानना है कि जानवरों में गधा सबसे अधिक बुद्धिहीन समझा जाता है, इसलिए जब हम किसी व्यक्ति को बहुत अधिक बेवकूफ़ कहना चाहते हैं तो उसे गधा कहकर संबोधित करते हैं। गधे का चेहरा सदा उदास दिखाई देता है। गाय और कुत्ता भी अवसर आने पर खतरनाक हो जाते हैं। गधे को कभी भी किसी अन्य रूप में नहीं देखा जाता। गधे का यही सीधापन अफ्रीका में दुर्दशा झेल रहे भारतवासियों में भी है। बैल को लेखक ने गधे से कम बेवकूफ़ माना है क्योंकि वह कभी-कभी अड़ियल बन जाता है और मारने भी लगता है।

झूरी के पास हीरा और मोती नामक दो बैल थे। दोनों बैल बहुत सुंदर और तंदरुस्त थे। वे आपस में मूक-भाषा में बातचीत करते रहते थे। झूरी उनकी प्यार से देखभाल करता था। इन बैलों को भी झूरी से बहुत स्नेह था। एक बार झूरी का साला उन दोनों बैलों को अपने गाँव ले गया। वे उसके साथ नहीं जाना चाहते थे इसलिए उन्होंने रास्ते में इधर-उधर भागने की कोशिश भी की थी परंतु झूरी का साला उन्हें किसी प्रकार से हाँककर अपने घर तक ले आया था। उसने इन्हें बाँधकर रखा और सूखा चारा खाने के लिए दिया।

रात को दोनों रस्सी तोड़कर सुबह होने तक अपने ठिकाने पर वापस आ गए। झूरी ने जब उन्हें सुबह अपने स्थान पर खड़े देखा तो इन्हें अपने गले लगा लिया। आस-पास अन्य लोग भी वहाँ एकत्र हो गए तथा तालियाँ बजा-बजाकर उन बैलों का स्वागत करने लगे। झूरी की पत्नी को यह अच्छा नहीं लगा और उसने मज़दूर को इन्हें सूखा भूसा खाने के लिए देने को कहा। झूरी ने भूसे में खली डालने के लिए कहा तो मज़दूर ने मालकिन की आज्ञा सुना दी।

अगले दिन झूरी का साला फिर आकर हीरा और मोती को ले जाता है। वह इस बार इन दोनों बैलों को बैलगाड़ी में जोतकर ले जाता है। रास्ते में हीरा गाड़ी को सड़क की खाई में गिराना चाहता है। परंतु हीरा सँभाल लेता है। घर पहुँचकर वह दोनों को मोटी रस्सियों से बाँधता है और उन्हें सूखा भूसा ही खाने को देता है। वह अपने बैलों को खली, चूनी आदि सब कुछ देता है। वह हीरा और मोती से खूब काम लेता है। गया की लड़की को इन पर दया आती है। वह चोरी-छुपे उन्हें एक-एक रोटी खिला देती है। एक रात ये दोनों रस्सी चबाकर भागने की सोच रहे होते हैं तो गया की लड़की इन्हें खोलकर भगा देती है और चिल्लाने लगती है कि फूफावाले बैल भागे जा रहे हैं। गया गाँव के अन्य लोगों के साथ इन्हें पकड़ने की कोशिश करता है परंतु ये दोनों भाग जाते हैं।

भागते-भागते दोनों बैल रास्ता भूल जाते हैं। उन्हें भूख लगती है तो मटर के खेत से मटर चरने लगते हैं। पेट भर जाने पर आनंद मनाने लगते हैं। तभी एक साँड़ इनकी तरफ आता है। दोनों मिलकर साँड़ का मुकाबला करते हैं और उसे मारकर भगा देते हैं। थककर वे खाने के लिए मटर के खेत में घुस जाते हैं। तभी दो आदमी लाठियाँ लेकर दोनों को घेर लेते हैं। हीरा निकल जाता है पर मोती फँस जाता है। मोती को फँसा देखकर हीरा भी रुक जाता है। दोनों को पकड़कर काँजीहौस में बंद कर दिया जाता है।

वहाँ उन्हें खाने के लिए कुछ नहीं मिलता। वहाँ अन्य जानवर गधे, भैंसें, बकरियाँ, घोड़े आदि भी बंद थे। हीरा-मोती कोशिश करके काँजीहौस की दीवार को तोड़ देते हैं। सभी जानवर भाग जाते हैं परंतु गधे नहीं भागते तो मोती दोनों गधों को सींगों से मार-मारकर बाड़े से बाहर निकाल देता है। वे दोनों इसलिए नहीं भाग पाते क्योंकि हीरा की रस्सी नहीं टूट सकी थी।

सुबह होने पर काँजीहौस के चौकीदार आदि मोती की खूब मरम्मत करते हैं और उसे मोटी रस्सी से बाँध देते हैं। एक सप्ताह तक उन्हें पानी के अतिरिक्त कुछ खाने के लिए नहीं दिया गया। एक दिन एक दढ़ियल व्यक्ति ने इन्हें नीलामी में खरीद लिया और अपने साथ ले चला। रास्ते में वह उन्हें डंडे मारता जा रहा था। अचानक उन्हें लगा कि यह तो उनका परिचित रास्ता है। यहीं से झूरी के घर से गया उन्हें ले गया था। वे तेज गति से चलने लगे। उन्हें अपना गाँव, खेत, कुआँ दिखाई देने लगे।

दोनों मस्त बछड़ों की तरह कूदते हुए अपने घर की ओर दौड़ने लगे तथा अपने निश्चित स्थान पर आकर खड़े हो गए। दढ़ियल भी उनके पीछे आकर खड़ा हो गया और बैलों की रस्सियाँ पकड़कर बोला ये बैल मैं मवेशीखाने से खरीदकर लाया हूँ। झूरी ने कहा कि ये उसके बैल हैं। दढ़ियल जबरदस्ती बैलों को पकड़कर ले जाने लगा तो मोती ने सींग चलाया। दढ़ियल पीछे हटा। मोती ने उसका पीछा किया तो दढ़ियल भाग गया। गाँव के लोगों ने भी झूरी का साथ दिया। दोनों को खूब खली, भूसा, चोकर और दाना खाने के लिए दिया गया। झूरी उन्हें सहला रहा था. और झूरी की पत्नी ने आकर दोनों के माथे चूम लिए।

JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 1 दो बैलों की कथा

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • परले दरजे का बेवकूफ़ – एकदम मूर्ख
  • सहिष्णुता – सहनशीलता
  • विषाद – उदासी, खेद, दुख
  • उपयुक्त – उचित
  • कुसमय – बुरा समय
  • गम खाना – सहन करना
  • पछाई – पश्चिम प्रदेश का, पालतू पशुओं की एक नस्ल
  • वंचित – रहित, विमुख
  • नाँद – पशुओं के लिए चारा डालनेवाला बरतन अथवा स्थान
  • कबूल – स्वीकार
  • बेगाने – पराए
  • सोता पड़ना – सबका सो जाना
  • चरनी – वह नाँद जिसमें पशुओं को चारा खिलाया जाता है
  • प्रतिवाद – विरोध, खंडन
  • मजूर – मादूर
  • टिटकार – टिक-टिक की आवाज़
  • व्यथा – पीड़ा, दुख
  • मसलहत – सही, उचित
  • आत्मीयता – अपनापन
  • नौ-दो-ग्यारह होना – भाग जाना
  • मल्लयुद्ध – कुश्ती
  • साबिका – वास्ता
  • प्रतिद्वंद्वी – शत्रु, विरोधी
  • ठठरियाँ – हड्डियाँ, अस्थि-पिंजर
  • हार – चरागाह
  • नगीच – नादीक
  • शूर – बहादुर
  • निरापद – सुरक्षित, जिससे कोई आपत्ति न हो
  • कुलेल – उछल-कूद करना, क्रीड़ा करना
  • परा का ठठा – चरम-सीमा
  • दुर्दशा – बुरी दशा
  • जी तोड़कर काम करना – बहुत मेहनत से काम करना गण्य – सम्मान के योग्य
  • डील – शरीर का विस्तार, कद
  • विग्रह – अलग होना, कलह, झगड़ा, लड़ाई
  • पगहिया – पशुओं को बाँधने की रस्सी
  • ज्ञालिम – क्रूर, कठोर
  • कनखियों – तिरछी नारों से
  • पगहे तुड़ाना – रस्सियाँ तोड़ना
  • गराँव – फुँदेदार रस्सी जो बैल के गले में बाँधी जाती है
  • आक्षेप – आरोप, लांछन
  • कड़ी ताकीद – पक्का आदेश
  • आहत – चोट खाया हुआ, घायल
  • तेवर – क्रोध भरी दृष्टि
  • वास – निवास
  • आरजू – इच्छा
  • तजुरबा – अनुभव
  • रगेदा – भागना, खदेड़ना
  • काँजीहैस – लावारिस पशुओं का बंदी-गृह
  • खेड़ – पशुओं का झुंड
  • अंतर्जान – मन का ज्ञान
  • थान – पशुओं को बाँधने का स्थान
  • अखितयार – अधिकार
  • उछाह – उत्साह

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2

Jharkhand Board JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2

Unless stated otherwise, use π = \(\frac{22}{7}\)

Question 1.
Find the area of a sector of a circle with radius 6 cm if angle of the sector is 60°.
Solution :
Area of a sector = \(\frac{\pi r^2 \theta}{360}\)
r = 6, θ = 60°
= \(\frac{22}{7} \times \frac{6 \times 6 \times 60}{360}=\frac{132}{7}\) = 18.85 cm².

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2

Question 2.
Find the area of a quadrant of a circle whose circumference is 22 cm.
Solution :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 1
С = 2πr = 22
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 2

Question 3.
The length of the minute hand of a clock is 14 cm. Find the area swept by the minute hand in 5 minutes.
Solution :
Length of the minute hand = 14 cm = r.
In 15 minutes the minute hand sweeps an area equal to a quadrant.
Area of the quadrant = \(\frac{\pi r^2}{4}\)
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 3

Alternative Method:
One minute = 6°
5 minutes = 30°
Area swept by the minute hand
= πr² \(\frac{θ}{360°}\)
= \(\frac{22}{7}\) × 14 × 14 × \(\frac{30°}{360°}\)
= 51.33 cm².

Question 4.
A chord of a circle of radius 10 cm subtends a right angle at the centre. Find the area of the corresponding: (i) minor segment, (ii) major sector. (Use π = 3.14)
Solution :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 4
Radius of the circle = 10 cm
Major segment is making 360° – 90° = 270°
Area of the sector making angle 270° = \(\frac{270°}{360°}\) × πr² cm²
= \(\frac{1}{4}\) × 10²π = 25 π cm²
= 25 × 3.14 cm² = 235.5 cm²
∴ Area of the major segment = 235.5 cm²
Height of ΔAOB = OA = 10 cm
Base of ΔAOB = OB = 10 cm
Area of ΔAOB = \(\frac{1}{2}\) × OA × OB
= \(\frac{1}{2}\) × 10 × 10 = 50 cm²
Major segment is making 90°
Area of the sector making angle 90° = \(\frac{90°}{360°}\) × πr² cm²
= \(\frac{1}{4}\) × 10²
= 25 × 3.14 cm² = 78.5 cm²
Area of the minor segment = Area of the sector making angle 90° – Area of ΔAOB
= 78.5 cm² – 50 cm² = 28.5 cm².

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2

Question 5.
In a circle of radius 21 cm, an arc subtends an angle of 60° at the centre. Find: (i) the length of the arc, (ii) area of the sector formed by the arc, (iii) area of the segment formed by the corresponding chord.
Solution :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 5
(i) Length of the arc AB = \(\frac{2 \pi r \theta}{360^{\circ}}\) θ = 60°, r = 21
= 2 × \(\frac{22}{7} \times \frac{21 \times 60}{360}\) = 22cm

(ii) Area of the sector formed by the arc = \(\frac{\pi r^2 \theta}{360^{\circ}}\)
= \(\frac{22}{7} \times \frac{21 \times 21 \times 60}{360^{\circ}}\)
= 11 × 21 = 231 cm².

(iii) Area of the segment formed APBLA = Area of the sector PAOB – Area of the ΔOAB
Area of ΔOAB = ?
From O, draw OL ⊥ AB. AL = ?, OL = ?
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 6

Question 6.
A chord of a circle of radius 15 cm subtends an angle of 60° at the centre. Find the areas of the corresponding minor and major segments of the circle. (Use π = 3.14 and \(\sqrt{3}\) = 1.73).
Solution :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 7
Area of the minor segment APB = Area of the sector OAPB – Area of ΔOAB
= \(\frac{\pi r^2 \theta}{360^{\circ}}\) – Area of ΔOAB
Area of the sector OAPB = \(\frac{3.14 \times 15 \times 15 \times 60}{360}\) = 1.57 × 75 cm²
OPB is an isosceles triangle. OA = OB ∴ \(\hat{A}\) = \(\hat{B}\) = 60°.
The triangle becomes an equilateral triangle.JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 8
Area of the sector OAPB = 1.57 × 75 = 117.75 cm²
∴ Area of the minor segment APB = 117.75 – 97.31 = 20.44 sq.cm.
Area of the major segment AQBA = Area of the circle – Area of the minor segment
= πr² – 20.44
= (3.14 × 15 × 15) – 20.44
= 706.50 – 20.44 = 686.06 sq.cm.

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2

Question 7.
A chord of a circle of radius 12 cm subtends an angle of 120° at the centre. Find the area of the corresponding segment of the circle. (Use π = 3.14 and \(\sqrt{3}\) = 1.73).
Solution :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 9
Area of the segment APB = Area of the sector PAOB – Area of ΔOAB
r = 12, θ = 120°, π = 3.14
∴ Area of the sector PAOB = \(\frac{\pi r^2 \theta}{360^{\circ}}\)
= \(\frac{3.14 \times 12 \times 12 \times 120}{360}\)
= 3.14 × 12 × 4
= 3.14 × 48
= 150.72 cm².
Area of ΔOAB = \(\frac{1}{2}\) × b × h b = AB, h = OC
Draw OC ⊥ AB.
AOB is an isosceles triangle. OC ⊥ AB.
ΔAOC ≅ BOC (RHS)
∴ AC = CB.
A\(\hat{O}\)C = 60°, O\(\hat{A}\)C = 30°, A\(\hat{C}\)O = 90°
In ΔOAC, O\(\hat{C}\)A = 90°. sin O\(\hat{A}\)C = \(\frac{OC}{OA}\)
sin 30° = \(\frac{OC}{12}\) sin 30° = \(\frac{1}{2}\)
\(\frac{1}{2}\) = \(\frac{OC}{12}\)
2OC = 12
OC = \(\frac{12}{2}\) = 6 cm.

In ΔOAC, O\(\hat{C}\)A = 90°
OC² + AC² = OA²
6² + AC² = 12²
AC² = 12² – 6²
= (12 + 6) (12 – 6)
= 18 × 6 = 108
AC = \(\sqrt{108}\) = \(\sqrt{36 \times 3}\) = 6\(\sqrt{3}\)
AC = CB = 6\(\sqrt{3}\)
∴ AB = 12\(\sqrt{3}\)
Area of ΔOAB = \(\frac{1}{2}\) × b × h
= \(\frac{1}{2}\) × AB × OC
= \(\frac{1}{2}\) × 12\(\sqrt{3}\) × 6 = 36\(\sqrt{3}\)
Area of the segment APB = Area of the sector PAOB – Area of triangle OAB
= 150.72 – 62.28
= 88.44 cm².

Question 8.
A horse is tied to a peg at one corner of a square-shaped grass field of side 15 m by means of a 5 m long rope. Find
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 10
(i) the area of that part of the field in which the horse can graze.
(ii) the increase in the grazing area if the rope were 10 m long instead of 5 m. (Use π = 3.14).
Solution :
(i) When the rope is 5m long, area grazed = \(\frac{\pi r^2}{4}\) (quadrant)
= \(\frac{3.14 \times 5 \times 5}{4}=\frac{78.5}{4}\) = 19.625 m².

(ii) When the rope is 10 m long, area grazed = \(\frac{\pi r^2}{4}\)
= \(\frac{3.14 \times 10 \times 10}{4}=\frac{3.14 \times 100}{4}=\frac{314}{4}\)
= 78.5 cm².
Increased area available when the rope is 10 m long is
= 78.500 – 19.625 = 58.875 cm².

Question 9.
A brooch is made with silver wire in the form of a circle with diameter 35 mm. The wire is also used in making 5 diameters which divide the circle into 10 equal sectors as shown in the figure. Find:
(i) the total length of the silver wire required
(ii) the area of each sector of the brooch.
Solution :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 11
A\(\hat{O}\)B = 180°
It is divided into five equal parts,
∴ Each part = θ = \(\frac{180°}{5}\) = 36°.
Total length of silver wire used = πd × 5 × 35
= \(\frac{22}{7}\) × 35 + 175
= 110 + 175
= 285 mm².

Area of each sector = \(\frac{\pi r^2 \theta}{360^{\circ}}\)
= \(\frac{22}{7} \times \frac{35}{2} \times \frac{35}{2} \times \frac{36}{360}\)
= \(\frac{11 \times 35}{4}=\frac{385}{4}\) mm².

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2

Question 10.
An umbrella has 8 ribs which are equally spaced. Assuming umbrella to be a flat circle of radius 45 cm, find the area between two consecutive ribs of the umbrella.
Solution :
Number of ribs in umbrella = 8
Radius of umbrella while flat = 45 cm.
Angle between two consecutive ribs of the umbrella = \(\frac{360}{8}\) = 45°
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 12

Question 11.
A car has two wipers which do not overlap. Each wiper has a blade of length 25 cm sweeping through an angle of 115°. Find the total area cleaned at each sweep of the blades.
Solution :
Given, length of wiper blade = 25 cm = r (say)
Angle made by the blade, θ = 115°
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 13

Question 12.
To warn ships for underwater rocks, a lighthouse spreads a red coloured light over a sector of angle 80° to a distance of 16.5 km. Find the area of the sea over which the ships are warned. (Use π = 3.14)
Solution :
π = 3.14, r = 16.5, θ = 80°
Area warned = \(\frac{\theta \pi r^2}{360^{\circ}}\)
= \(\frac{3.14 \times 16.5 \times 16.5 \times 80}{360}\)
= 3.14 × 5.5 × 11
= 3.14 × 60.5 = 189.970
= 189.97 sq.kms.

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2

Question 13.
A round table cover has six equal designs as shown in the figure. If the radius of the cover is 28 cm, find the cost of making the designs at the rate of Re. 0.35 per cm². (Use \(\sqrt{3}\) = 1.7).
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 14
Solution :
[Draw a circle with centre O using a convenient radius. Draw a diameter AOD. Keep the protractor on AD and make three equal angles of 60° each such that A\(\hat{O}\)B = B\(\hat{O}\)C = C\(\hat{O}\)D. Produce BO and CO to meet the circumference at E and F respectively. Join AB, BC, CD, DE, EF, EA. We get a regular hexagon and six segments which are shaded.

Let one segment be APB.
Find the area of one segment. Multiply it by 6. We get the area of the six segments formed. Find the cost of making these designs as follows:
Area of one design × 6 × Rate]

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 15
The design APB is nothing but a segment. We have to find the area of this segment using the following relation:
Area of the sector OAPB – Area of equilateral ΔAOB
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 12 Areas Related to Circles Ex 12.2 - 16

Cost of making these six designs = Area × Rate
= 464.8 × 0.35
= Rs. 162.68.

Question 14.
Tick the correct answer in the following:
Area of a sector of angle p (in degrees) of a circle with radius R is
(A) \(\frac{P}{180}\) × 2πR²
(B) \(\frac{P}{180}\) × πR²
(C) \(\frac{P}{360}\) × 2πR
(D) \(\frac{P}{720}\) × 2πR²
Solution :
Area of sector = \(\frac{\theta \pi r^2}{360^{\circ}}\) (Given, θ = p, r = R)
= \(\frac{p \pi R^2}{360}=\frac{p 2 \pi R^2}{720}\)

JAC Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Rachana पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Rachana पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

1. अपने मित्र अथवा अपनी सखी को अपने जन्म-दिवस पर बधाई – पत्र लिखिए –
उत्तर :
56-एल, मॉडल टाउन
कोच्ची
31 मार्च, 20….
प्रिय सखी नलिनी
सस्नेह नमस्कार !
आज ही तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ है। यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि तुम 4 अप्रैल को अपना 17वाँ जन्म – दिवस मना रही हो। इस अवसर पर तुमने मुझे भी आमंत्रित किया है इसके लिए अतीव धन्यवाद।
प्रिय सखी, मैं इस शुभावसर पर अवश्य पहुँचती, लेकिन कुछ कारणों से उपस्थित होना संभव नहीं। मैं अपनी शुभकामनाएँ भेज रही हूँ। ईश्वर से प्रार्थना है कि वे तुम्हें चिरायु प्रदान करें। तुम्हारा भावी जीवन स्वर्णिम आभा से मंडित हो। अगले वर्ष अवश्य आऊँगी। मैं अपनी ओर से एक छोटी-सी भेंट भेज रही हूँ, आशा है कि तुम्हें पसंद आएगी। इस शुभावसर पर अपने माता-पिता को मेरी ओर से हार्दिक बधाई अवश्य देना।
तुम्हारी प्रिय सखी
मधु

2. आपके मित्र को छात्रवृत्ति प्राप्त हुई है। उसे बधाई पत्र लिखिए।
उत्तर :
512, चौक घंटाघर
भुवनेश्वर
19 जून, 20….
प्रिय मित्र सुमन
सस्नेह नमस्कार !
दिल्ली बोर्ड की दशम कक्षा की परिणाम सूची में तुम्हारा नाम छात्रवृत्ति प्राप्त छात्रों की सूची में देखकर मुझे अतीव प्रसन्नता हुई। प्रिय मित्र, मुझे तुमसे यही आशा थी। तुमने परिश्रम भी तो बहुत किया था। तुमने सिद्ध कर दिया कि परिश्रम की बड़ी महिमा है। 85 प्रतिशत अंक प्राप्त करना कोई खाला जी का घर नहीं। अपनी इस शानदार सफलता पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकार करें। अपने माता-पिता को भी मेरी ओर से बधाई देना। ग्रीष्मावकाश में तुम्हारे पास आऊँगा। मिठाई तैयार रखना।
आपका अपना
विवेक शर्मा

JAC Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

3. आपकी बड़ी बहन को चिकित्सा महाविद्यालय में प्रवेश प्राप्त हो गया है। इस सफलता के लिए बधाई – पत्र लगभग 80-100 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन
देहरादून
06-07-20XX
आदरणीय दीदी
सादर प्रणाम
आशा है आप सकुशल होंगी। में भी यहाँ कुशलता से हूँ अभी-अभी माँ का पत्र मिला। पत्र से पता चला कि आपका ऑल इंडिया मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली में दाखिला हो गया है। मेरी ओर से आपको बहुत – बहुत बधाई।
ऑल इंडिया में प्रवेश पाकर आपने सचमुच बड़ा मोर्चा मार लिया है। आपकी मेहनत रंग ले आई है। आप हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत हैं। भगवान आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करे। मैं चाहती थी कि स्वयं दिल्ली आकर आपको बधाई दूँ, परंतु मेरी परीक्षाएँ सिर पर हैं। परीक्षा समाप्त होते ही आपसे आकर मिलूँगी। आपसे परीक्षा में सफलता का मूलमंत्र भी लूँगी।
घर में चाचा जी एवं चाची जी को मेरा प्रणाम दीजिएगा। नन्हे को मेरा स्नेह। शेष मिलने पर। मिलने की शुभेच्छा के साथ- आपकी प्रिय बहन
क. ख. ग.

4. अपने मित्र को एक पत्र लिखकर उसे ग्रीष्मावकाश का कार्यक्रम बताइए।
अथवा
ग्रीष्मावकाश के अवसर पर भ्रमणार्थ अपने मित्र को निमंत्रण पत्र लिखिए।
उत्तर :
37/9, रेलवे रोड
हैदराबाद
15 मई, 20….
प्रिय मित्र दिनेश
सस्नेह नमस्कार !
आशा है आप सब कुशल होंगे। आपके पत्र से ज्ञात हुआ है कि आपका विद्यालय ग्रीष्मावकाश के लिए बंद हो चुका है। हमारी परीक्षाएँ 28 मई को समाप्त हो रही हैं। इसके पश्चात विद्यालय 15 जुलाई तक बंद रहेगा। इस बार हम पिता जी के साथ शिमला जा रहे हैं। लगभग 20 दिन तक हम शिमला में रहेंगे। वहाँ मेरे मामा जी भी रहते हैं। अतः वहाँ रहने में हमें पूरी सुविधा रहेगी। शिमला के आस-पास सभी दर्शनीय स्थान देखने का निर्णय किया है। मेरे मामाजी के बड़े सुपुत्र वहाँ हिंदी के अध्यापक हैं। उनकी सहायता एवं मार्ग-दर्शन से मैं अपने हिंदी के स्तर को बढ़ा सकूँगा।

प्रिय मित्र, यदि आप भी हमारे साथ चलें तो यात्रा का आनंद आ जाएगा। आप किसी प्रकार का संकोच न करें। मेरे माता-पिताजी भी आपको मेरे साथ देखकर बहुत प्रसन्न होंगे। आप शीघ्र ही अपना कार्यक्रम सूचित करना। हमारा विचार जून के प्रथम सप्ताह में जाने का है। शिमला से लौटने के बाद दिल्ली तथा आगरा जाने का भी विचार है। दिल्ली में अनेक दर्शनीय स्थान हैं। आगरा का ताजमहल तो मेरे आकर्षण का केंद्र है, क्योंकि मुझे अभी तक इस सुंदर भवन को देखने का अवसर प्राप्त नहीं हुआ। आशा है कि इस बार यह जिज्ञासा भी शांत हो जाएगी। आप अपना कार्यक्रम शीघ्र ही सूचित करना।
अपने माता-पिता को मेरी ओर से सादर नमस्कार कहना।
आपका मित्र
विजय नायडू

JAC Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

5. अपने मित्र को उसके पिता के स्वर्गवास होने पर संवेदना – पत्र लिखिए।
उत्तर :
4587/15, दरियागंज
दिल्ली
21 जनवरी, 20….
प्रिय मित्र
कल्पना भी न की गई थी कि 19 जनवरी का दिन हम सबके लिए इतना दुखद होगा। आपके पिता के निधन का समाचार पाकर बड़ा शोक हुआ। हाय ! यह विधाता का कितना निर्दय प्रहार हुआ है। आपके पिता की असामयिक मृत्यु से हमारे घर में शोक का वातावरण छा गया। सबकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। मेरे पिताजी ने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा, “मैंने अपना निकटतम मित्र तथा सहयोगी खो दिया है।
प्रिय मित्र ! गत मास जब मैं आपसे मिलने आया था तो उस समय आपके पिताजी कितने स्वस्थ थे। विधि का विधान भी बड़ा विचित्र है। उनका साधु व्यक्तित्व अब भी आँखों के सामने घूम रहा है। उनकी सज्जनता और परोपकार – भावना से सभी प्रभावित थे। उनके निधन से आपके परिवार को ही हानि नहीं पहुँची अपितु सारे नगर को हानि हुई है। उनकी शिक्षा में भी अत्यंत रुचि थी। उन्हीं की प्रेरणा से आप प्रत्येक परीक्षा में शानदार सफलता प्राप्त करते रहे हैं –
प्रिय मित्र ! काल के आगे सब असहाय और विवश हैं। उसकी शक्ति से कोई नहीं बच सकता। उसके आगे सबने मस्तक झुकाया है। धैर्य धारण करने के अतिरिक्त दूसरा उपचार नहीं है। हम सब आपके इस अपार दुख में सम्मिलित होकर संवेदना प्रकट करते हैं। आप धैर्य से काम लीजिए। अपने छोटे भाइयों को सांत्वना दो। माताजी को भी इस समय आपके सहारे की आवश्यकता है। मित्र ! निश्चय ही आप पर भारी ज़िम्मेदारी आ पड़ी है। ईश्वर से मेरी नम्र प्रार्थना है कि वे आपको इस अपार दुख को सहन करने की शक्ति दें और स्वर्गीय आत्मा को शांति प्रदान करें।
आपके दुख में दुखी
रवि वर्मा

6. आपके मित्र के पिता के सीमा पर शहीद हो जाने का समाचार प्राप्त होने पर अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हुए मित्र को संवेदना पत्र लिखिए।
उत्तर :
4587/15, दरियागंज
दिल्ली
21 जनवरी, 20….
प्रिय मित्र
कल्पना भी न की गई थी कि 19 जनवरी का दिन हम सबके लिए इतना दुखद होगा। आपके पिता के निधन का समाचार पाकर बड़ा शोक हुआ हाय ! यह विधाता का कितना निर्दय प्रहार हुआ है। आपके पिता की असामयिक मृत्यु से हमारे घर में शोक का वातावरण छा गया। सबकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। मेरे पिताजी ने आपके शहीद पिता की मृत्यु पर उद्गार व्यक्त करते हुए कहा, “मैंने अपना निकटतम मित्र तथा सहयोगी खो दिया है।” प्रिय मित्र ! गत मास जब मैं आपसे मिलने आया था तो उस समय आपके पिताजी कितने स्वस्थ थे।

उनसे देशभक्ति का सबक सीखा था। विधि का विधान भी बड़ा विचित्र है उनका पौरुष व्यक्तित्व अब भी आँखों के सामने घूम रहा है। उनकी वीरता, सज्जनता और परोपकार – भावना से सभी प्रभावित थे। उनके निधन से आपके परिवार को ही हानि नहीं पहुँची अपितु सारे नगर, देश को हानि हुई है। उनकी शिक्षा में भी अत्यंत रुचि थी। उन्हीं की प्रेरणा से आप प्रत्येक परीक्षा में शानदार सफलता प्राप्त करते रहे हैं।

प्रिय मित्र ! काल के आगे सब असहाय और विवश हैं। उसकी शक्ति से कोई नहीं बच सकता। उसके आगे सबसे मस्तक झुकाया है। धैर्य धारण करने के अतिरिक्त दूसरा उपचार नहीं है। हम सब आपके इस अपार दुख में सम्मिलित होकर संवेदना प्रकट करते हैं। आप धैर्य से काम लीजिए। अपने छोटे भाइयों को सांत्वना दो। माताजी को भी इस समय आपके सहारे की आवश्यकता है। मित्र ! निश्चय ही आप पर भारी जिम्मेदारी आ पड़ी है। ईश्वर से मेरी नम्र प्रार्थना है कि वे आपको इस अपार दुख को सहन करने की शक्ति दें और स्वर्गीय आत्मा को शांति प्रदान करें।
आपके दुख रवि वर्मा
रवि वर्मा

JAC Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

7. छात्रावास में रहने वाले अपने छोटे भाई को एक पत्र 80-100 शब्दों में लिखकर प्रातः काल नियमित रूप से योग एवं प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए प्रेरित कीजिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक : 16 अक्टूबर, 20XX
प्रिय अनुज
सस्नेह।
कैसे हो? तुम्हारे स्कूल से तुम्हारा अर्धवार्षिक परीक्षा परिणाम अभी प्राप्त हुआ। तुमने हमेशा की तरह इस बार भी प्रत्येक विषय में श्रेष्ठ प्रदर्शन किया। शाबाश! आगे भी ऐसे ही बने रहना। उज्ज्वल भविष्य के लिए ऐसे परीक्षा परिणामों की बहुत आवश्यकता होती है किंतु अच्छे अंक पाने की होड़ में अपने स्वास्थ्य को दाँव पर नहीं लगाना चाहिए। मुझे पता है कि तुम दिन-रात आजकल अपनी बोर्ड परीक्षा की तैयारी में व्यस्त रहते हो, पर तुम्हें यह भी स्मरण रहना चाहिए कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। तुम प्रातःकाल तो जल्दी उठ ही जाते हो। तुम उस समय योग और प्राणायाम के लिए कुछ समय अवश्य निकाला करो। योग और प्राणायाम के द्वारा तन और मन दोनों ही चुस्त और स्वस्थ रहते हैं। ये कम समय में अधिक लाभ देंगे तथा तुम्हें परीक्षा की तैयारी करते समय भी अधिक सक्रिय रखेंगे। आशा तुम मेरी इस सलाह को ज़रूर मानकर योग और प्राणायाम को अपनी दिनचर्या बनाओगे।
माता जी व पिता जी की ओर से तुम्हें ढेर सारा प्यार।
तुम्हारा भाई
हितेज़

8. अपने पिता जी को पत्र लिखिए जिसमें अपनी परीक्षा में उत्तीर्ण होने की सूचना देते हुए खर्च के लिए रुपये मँगवाओ।
उत्तर :
परीक्षा भवन
क० ख० ग०
5 मई, 20….
पूज्य पिताजी
सादर प्रणाम।
आपको यह जानकर हर्ष होगा कि हमारा परीक्षा परिणाम निकल आया है। मैं 580 अंक लेकर प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो गया हूँ। अपनी कक्षा में मेरा दूसरा स्थान है। मुझे स्वयं इस बात का दुःख है कि मैं प्रथम स्थान प्राप्त न कर सका। इसका कारण यह है कि मैं दिसंबर मांस में बीमार हो गया था और लगभग 20-25 दिन विद्यालय न जा सका। यदि मैं बीमार न हुआ होता तो संभव था कि छात्रवृत्ति प्राप्त करता। अब मैं सातवीं कक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने का प्रयत्न करूँगा।
अब मुझे सातवीं कक्षा की नई पुस्तकें आदि खरीदनी हैं। कुछ मित्र मेरी इस सफलता पर पार्टी भी माँग रहे हैं। अतः आप मुझे 2500 रुपये यथाशीघ्र भेजने की कृपा करें।
आपका आज्ञाकारी पुत्र,
राघव।

JAC Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

9. अपने छोटे भाई को कुसंगति की हानियाँ बताकर अच्छे लड़कों की संगति में रहने की प्रेरणा देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर :
720, सेक्टर 27 – सी.
कुरुक्षेत्र।
20 फ़रवरी, 20….
प्रिय जगदीश,
प्रसन्न रहो।
हमें पूर्ण विश्वास है कि तुम सदा मेहनत करते हो और मिडिल परीक्षा में कोई अच्छा स्थान लेकर उत्तीर्ण होगे। तुम्हारी नियमितता और अनुशासन- पालन को देखकर हमें यह विश्वास हो गया है कि तुम्हारा भविष्य उज्ज्वल है, लेकिन एक बात का ध्यान अवश्य रखना कि कहीं कुसंगति में फँसकर अपने को दूषित न कर लेना। यदि तुम बुरे लड़कों के जाल से न बचोगे तो तुम्हारा भविष्य अंधकारमय बन जाएगा और तुम अपने रास्ते से भटक जाओगे। तुम्हें जीवन-भर कष्ट उठाने पड़ेंगे और तुम अपने उद्देश्य में सफल न हो सकोगे।

कुसंगति छात्र का सबसे बड़ा शत्रु है। दुराचारी बच्चे होनहार बच्चों को भी भ्रष्ट कर देते हैं। प्रारंभ में बुरे बच्चों की संगति बड़ी मनोरम लगा करती है, लेकिन यह भविष्य को धूमिल कर देती है। दूसरी ओर अच्छे बच्चों की संगति करने से चरित्र ऊँचा होता है, कई अच्छे गुण आते हैं। अच्छे बालक की सभी प्रशंसा करते हैं।
आशा है कि तुम कुसंगति के पास तक नहीं फटकोगे, फिर भी तुम्हें सचेत कर देना मैं अपना कर्तव्य समझता हूँ। माताजी और पिताजी का आशीर्वाद तुम्हारे साथ है, किसी वस्तु की ज़रूरत हो तो लिखना।
तुम्हारा बड़ा भाई,
भुवन मोहन

10. अपनी माता जी को बीमारी की अवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए अपने पिताजी को एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
7/454, माधोपुरी
राँची
10 नवंबर, 20….
श्रद्धेय पिताजी
सादर चरण-स्पर्श !
मैंने पहले पत्र में भी आपको माँ के बढ़ते हुए रोग की सूचना दी थी और आपके परामर्श के अनुसार डॉ० भंडारी को भी दिखाया लेकिन अभी तक कुछ स्वास्थ्य लाभ नहीं हुआ। माँ के निरंतर बढ़ते हुए रोग ने हमें बहुत चिंतित कर दिया है। वे बहुत दुर्बल हो गई हैं। आप कृपया शीघ्र पहुँचने का प्रयत्न करें। संभव हो तो दूरभाष पर बात करें।
आपका प्रिय पुत्र
चैतन्य पुरी

JAC Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

11. अपने छोटे भाई के जन्म-दिवस पर आमंत्रित करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन
25 मार्च, 20….
प्रिय मित्र विकास
सप्रेम नमस्कार !
आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मेरे अनुज दीपक का जन्मदिवस 12 अप्रैल, 20… को सायं पाँच बजे घर के आँगन में मनाया जाएगा। इस शुभावसर की शोभा बढ़ाने के लिए कुछ प्रसिद्ध गायक भी सम्मिलित होंगे। आपसे निवेदन है कि आप भी इस अवसर पर पधारें और अनुज दीपक को आशीर्वाद देने की कृपा करें।
अपने माता-पिता को मेरी ओर से प्रणाम कहें।
आपका मित्र
मानस

12. अपने मित्र / सहेली को एक पत्र लिखकर बताइए कि आपके स्कूल में 15 अगस्त का दिन कैसे मनाया गया।
उत्तर :
48 – A, आदर्श नगर,
गुरदासपुर।
18 अगस्त, 20….
प्रिय सखी दीपा,
सप्रेम नमस्ते।
बहुत दिनों से तुम्हारा पत्र नहीं मिला। क्या कारण है ? मैं तुम्हें दो पत्र डाल चुकी हूँ पर उत्तर एक का भी नहीं मिला। कोई नाराज़गी तो नहीं। अगर ऐसी-वैसी कोई बात हो तो क्षमा कर देना।
हाँ, इस बार हमारे स्कूल में 15 अगस्त का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इसकी थोड़ी-सी झलक मैं पत्र द्वारा तुम्हें दिखा रही हूँ। 15 अगस्त मनाने की तैयारियाँ एक महीना पहले ही शुरू कर दी गई थीं। स्कूल में सफ़ेदी कर दी गई थी। लड़कियों को सामूहिक नृत्य की ट्रेनिंग देना कई दिन पहले ही शुरू कर दी गई थी। हमें ‘हमारे अमर शहीद’ एकांकी नाटक की रिहर्सल भी कई बार करवाई गई।

निश्चित दिन को ठीक सुबह सात बजे 15 अगस्त का समारोह शुरू हो गया। सबसे पहले तिरंगा झंडा फहराने की रस्म क्षेत्र के जाने-माने समाज सेवक चौधरी रामलाल जी ने अदा की। इसके बाद स्कूल की छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम पेश करने शुरू कर दिए। गिद्धा नाच ने सबका मन मोह लिया। इसके बाद देश-प्रेम के गीत गाए गए। मैंने भी एक गीत गाया था। मैंने सामूहिक गायन में भी भाग लिया।

इसके बाद एकांकी ‘हमारे अमर शहीद’ का मंचन हुआ। इसके हर सीन पर तालियाँ बजती थीं। समारोह के अंत में मुख्य अतिथि और हमारी बड़ी बहन जी ने भाषण दिए, जिसमें देश-भक्ति की प्रेरणा थी।
15 अगस्त का यह समारोह मुझे हमेशा याद रहेगा, क्योंकि मुझे इसमें दो खूबसूरत इनाम मिले हैं। पूज्य माताजी और भाभी जी को प्रणाम। रिंकू और गुड्डी को प्यार देना। इस बार पत्र का उत्तर ज़रूर देना।
तुम्हारी अनन्य सखी,
वर्तिका

JAC Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

13. परीक्षा में असफल होने पर बहन को सांत्वना पत्र लिखिए।
उत्तर :
519, राम कुटीर,
रामनगर, दिल्ली।
5 जुलाई, 20….
प्रिय बहन सिया,
प्रसन्न रहो।
पिता जी का अभी-अभी पत्र आया है। तुम्हारे असफल होने का समाचार मिला। मुझे तो पहले ही तुम्हारे पास होने की आशा नहीं थी। इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है। जिन परिस्थितियों में तुमने परीक्षा दी, इसमें असफल रहना स्वाभाविक ही था। पहले माताजी बीमार हुईं, फिर तुम स्वयं बुखार में फँस गई। जिस कष्ट को सहन करके तुमने परीक्षा दी वह मुझ से छिपा नहीं है। इस पर तुम्हें रंचमात्र भी खेद नहीं करना चाहिए। तुम अपने मन से यह बात निकाल दो कि हम तुम्हारे असफल होने पर नाराज़ हैं। हाँ, अब अगले वर्ष की परीक्षा के लिए तैयार हो जाओ। किसी पुस्तक की आवश्यकता हो तो लिखो। डटकर पढ़ाई करो। माताजी एवं पिताजी को प्रणाम।
तुम्हारा प्यारा भाई,
वरुण

14. अपने मित्र को एक पत्र लिखिए जिसमें दहेज की कुप्रथा के बारे में विवेचना हो।
उत्तर :
डी० ए० वी० उच्च विद्यालय,
कोलकाता।
1 मार्च, 20….
प्रिय मित्र सुशील,
सप्रेम नमस्ते।
आपका पत्र मिला, तदर्थ धन्यवाद। बहन रमा की मँगनी के विषय में आपने मुझसे परामर्श माँगा है। दहेज के संबंध में मेरी सम्मति माँगी है। इसके लिए कुछ शब्द प्रस्तुत हैं।
मैं मनु के इस उपदेश का प्रचारक हूँ कि जिस घर में नारियों की पूजा होती है, उस घर में देवता निवास करते हैं। आज इस आदर्श पर पोछा फिर गया है। जिस गृहस्थ के घर में कन्या पैदा होती है, वह समझता है कि मुझ पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है। मेरी सम्मति में इन सब बुरी भावनाओं का मूल कारण केवल मात्र दहेज-प्रथा है।
आज की प्रचलित दहेज-प्रथा ने कई सुंदर देवियों को पतित होने पर विवश किया है। कइयों ने अपने माता-पिता को कष्ट में देखकर आत्महत्याएँ की हैं।
क्या आपको अंबाला की प्रेमलता की आत्महत्या की घटना स्मरण नहीं ? माता-पिता की इज़्ज़त की रक्षा के लिए उसने अपने प्राणों की बलि दे दी। इसी कारण समाज सुधारकों की आँखें खुलीं। समाज सुधारकों ने इस कुप्रथा का अंत करने का बीड़ा उठाया।
मेरी अपनी सम्मति में कन्यादान ही महान् दान है। जिस व्यक्ति ने अपने हृदय का टुकड़ा दे दिया उसका यह दान तथा त्याग क्या कम है ? आज के नवयुवकों की बढ़ती हुई दहेज की लालसा मुझे सर्वथा पसंद नहीं है। वरों की इस प्रकार से बढ़ती हुई कीमतें समाज के भविष्य के लिए महान संकट बन रही हैं।

मेरी सम्मति में आप रमा बहन के लिए एक ऐसा वर ढूँढ़ें जो हर प्रकार से योग्य हो, स्वस्थ, समुचित रोज़गार वाला और शिक्षित हो। धनी-मानी और लालची लोगों की ओर एक बार भी नज़र न डालें। समय आ रहा है जबकि स्वतंत्र भारत के कर्णधार कानूनन दहेज प्रथा को बंद कर देंगे।
इस संबंध में बहुत सोचने और घबराने की आवश्यकता नहीं है।
आपका अभिन्न हृदय
मनोहर लाल

JAC Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

15. अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए जिसमें प्रातः भ्रमण के लाभ बताए गए हों।
उत्तर :
208, कृष्ण नगर,
इंदौर
15 अप्रैल, 20….
प्रिय सुरेश,
प्रसन्न रहो।
कुछ दिनों से तुम्हारा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। तुम्हारे स्वास्थ्य की बहुत चिंता है। व्यक्ति का स्वास्थ्य उसकी पूँजी होती है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ आत्मा निवास करती है। गत वर्ष के टाइफाइड का प्रभाव अब तक भी तुम्हारे ऊपर बना हुआ है। मेरा एक ही सुझाव है कि तुम प्रातः भ्रमण अवश्य किया करो। यह स्वास्थ्य सुधार के लिए अनिवार्य है। इससे मनुष्य को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं।

प्रातः भ्रमण से शरीर चुस्त रहता है। कोई बीमारी पास नहीं फटकती। प्रातः बस्ती से बाहर की वायु बहुत ही शुद्ध होती है। इसके सेवन से स्वच्छ रक्त का संचार होता है। मन खिल उठता है, मांसपेशियाँ बलवान् बनती हैं। स्मरण शक्ति बढ़ती है। प्रातःकाल खेतों की हरियाली से आँखें ताज़ा हो जाती हैं।

मुझे आशा है कि तुम मेरे आदेश का पालन करोगे। नित्य प्रातः उठकर सैर के लिए जाया करोगे। अधिक क्या कहूँ। तुम्हारे स्वास्थ्य का रहस्य प्रातः भ्रमण में छिपा है। पूज्य माताजी को प्रणाम। अणु-शुक को प्यार।
तुम्हारा अग्रज,
प्रमोद कुमार

16. अपनी छोटी बहन को सादा जीवन बिताने के लिए पत्र लिखिए।
उत्तर :
केंद्रीय उच्च विद्यालय,
झाँसी।
2 नवंबर, 20….
प्रिय बहन मधु,
प्यार भरी नमस्ते।
कल पूज्य माताजी का पत्र मिला। घर का हाल-चाल ज्ञात हुआ। यह पढ़कर मुझे दुःख भी हुआ और हैरानी भी कि तुम फ़ैशनपरस्ती की ओर बढ़ रही हो। फ़ैशन विद्यार्थी का सबसे बड़ा शत्रु है।
बहन, तुम समझदार हो। सादगी, सरलता और सद्विचार उन्नति की सीढ़ियाँ हैं। फ़ैशन हमारी संस्कृति और सभ्यता के प्रतिकूल है। प्रगति की दौड़ में फ़ैशनपरस्त व्यक्ति हमेशा ही पिछड़ जाता है।
सादी वेश-भूषा व्यक्ति को ऊँचा उठाती है। सादापन मनुष्य का आंतरिक शृंगार है। अच्छे कुल की लड़कियाँ सादा खान-पान और सादा रहन- सहन कभी नहीं त्यागतीं। फ़ैशन की तितलियाँ बनना उन्हें शोभा नहीं देता। तड़क-भड़क व्यक्ति के आचरण को ले डूबती है। अत: इसे दूर से ही नमस्कार दो। गांधीजी कहा करते थे कि लड़के-लड़कियों में सादगी होना बहुत ज़रूरी है।
फिर तुम एक भारतीय लड़की हो। तुम्हें सीता, सावित्री, द्रौपदी, अनुसूइया आदि के समान आदर्श बनना है। कीलर या मारग्रेट नहीं बनना है। मुझे विश्वास है कि तुम मेरी इस छोटी-सी परंतु महत्त्वपूर्ण शिक्षा के अनुसार आचरण करोगी। इसी में हमारे परिवार का मंगल है।
तुम्हारा भाई,
रवि शंकर
कक्षा : सातवीं ‘ए’

JAC Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

17. छात्रावासीय जीवन पर टिप्पणी करते हुए अपने बड़े भाई के नाम एक पत्र लिखिए।
उत्तर :
512, टैगोर भवन
इलाहाबाद विश्वविद्यालय
इलाहाबाद
दिनांक : 20 जुलाई, 20 ….
पूज्य भाई साहब
नमस्कार !
आशा है कि आप सब सकुशल हैं। मुझे यहाँ प्रवेश मिल गया है तथा टैगोर भवन छात्रावास में कमरा भी मिल गया है। यहाँ के सभी साथी बहुत ही मिलनसार तथा हँसमुख हैं। हमारे छात्रावास में खेलों तथा मनोरंजन के साधनों में दूरदर्शन, कंप्यूटर आदि उपलब्ध हैं। यहाँ के भोजनालय में भोजन अत्यंत पौष्टिक तथा स्वास्थ्यवर्धक प्राप्त होता है। स्नानागार आदि भी स्वच्छ तथा हवादार हैं। कमरे में पंखा लगा हुआ है तथा कमरे के बाहर छज्जे में से प्राकृतिक दृश्य बहुत सुंदर दिखाई देते हैं।
आप माताजी एवं पिताजी को समझा दें कि मैं यहाँ पर सुखपूर्वक हूँ तथा मन लगाकर पढ़ रहा हूँ। समय पर खा-पी लेता हूँ तथा व्यायाम भी करता हूँ। उन्हें नमस्कार कहें तथा रुचि को स्नेह दें।
आपका अनुज
तरुण कुमार

18. आपका छोटा भाई अनुराग परीक्षा में नकल करते हुए पकड़ा गया। उसे भविष्य में ऐसा न करने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक : 20-05-20XX
प्रिय अनुराग
शुभाशीष
आशा है कि तुम सकुशल होंगे। मैं भी यहाँ कुशलतापूर्वक हूँ और अपने कामकाज में व्यस्त हूँ।
कल ही मुझे यह पता चला कि तुम विज्ञान की परीक्षा में नकल करते पकड़े गए और इसके लिए प्रधानाचार्य ने तुम्हें दंडित किया है। तुम्हारा विज्ञान का पेपर भी रद्द कर दिया गया है और तुम्हें दोबारा परीक्षा देने के लिए कहा गया है। भाई, तुमने ऐसा क्यों किया ? तुम्हारी इस हरकत से माता-पिता को कितना दुख हुआ है। मेरे द्वारा बार-बार समझाने पर भी तुमने अपनी पढ़ाई की ओर ध्यान नहीं दिया। सारा समय मित्रों के साथ बाहर घूमने और दूरदर्शन देखने में बिताने का यही नतीजा होता है। यदि हमारा कहा मानकर प्रतिदिन केवल एक-दो घंटे पढ़ाई की होती, तो आज यह दुख न झेलना पड़ता। अब भी समय है, सँभल जाओ और पढ़ाई में अपना मन लगाओ।
आशा है कि तुम मेरी सलाह पर ध्यान दोगे और भविष्य में कभी यह गलती नहीं दोहराओगे।
तुम्हारा भाई
क. ख. ग

JAC Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

19. जन्म – दिवस पर प्राप्त भेंट के लिए धन्यवाद – पत्र लिखिए।
उत्तर :
712, जनता नगर
कोयंबटूर
24 दिसंबर, 20….
पूज्य चाचा जी
सादर प्रणाम !
आपने मेरे जन्म-दिवस पर मुझे अपनी शुभ कामनाओं के साथ-साथ जो घड़ी भेजी है, उसके लिए मैं आपका हार्दिक धन्यवाद करती हूँ। मेरी पहली घड़ी पुरानी हो जाने के कारण न तो ठीक तरह से चलती थी और न ही ठीक समय की सूचना देती थी। अतः मैं नई घड़ी की आवश्यकता अनुभव कर रही थी। घड़ी देखने में भी अत्यन्त आकर्षक है। ठीक समय देने में तो इसका जवाब नहीं।
चाचाजी, मुझे तोहफ़े तो और भी मिले हैं पर आपकी घड़ी की बराबरी कोई नहीं कर सकता। आपकी यह प्रिय भेंट चिरस्मरणीय है।
इस भेंट के लिए मैं एक बार फिर आपका धन्यवाद करती हूँ।
चाचीजी को सादर प्रणाम। विमल और कमल को मेरी ओर से सस्नेह नमस्कार।
आपकी आज्ञाकारी
लक्ष्मी मेनन

20. छोटे भाई को पत्र लिखो और उसे समय का महत्व बताइए।
उत्तर :
16, रूप नगर
अवंतिपुर
25 मई, 20….
प्रिय अनुज
चिरंजीव रहो !
कल ही पिताजी का पत्र प्राप्त हुआ है। उसमें उन्होंने तुम्हारे विषय में यह शिकायत की है कि तुम समय के महत्त्व को नहीं समझते। अपना अधिकांश समय खेल-कूद में तथा मित्रों से व्यर्थ के वार्तालाप में नष्ट कर देते हो। नरेश ! तुम्हारे लिए यह उचित नहीं। समय ईश्वर का दिया हुआ अमूल्य धन है। इसका ठीक ढंग से व्यय करना हमारा कर्तव्य है। समय की अपेक्षा करने वाला कभी महान नहीं बन सकता।

शीघ्र ही तुम्हारा स्कूल ग्रीष्मावकाश के लिए बंद हो रहा है। तुमने अपने भ्रमण के लिए जो योजना बनाई है, वह ठीक है। कुछ दिन शिमला में रहने से तुम्हारा मन तथा शरीर दोनों स्वस्थ बन जाएँगे। वहाँ भी तुम अध्ययन का क्रम जारी रखना। ज्ञान की वृद्धि के लिए पाठ्यक्रम के अतिरिक्त भी कुछ उपयोगी पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए लेकिन दृष्टि परीक्षा पर ही केंद्रित रहे।

प्रत्येक क्षण का सदुपयोग एक पीढ़ी के समान है जो हमें निरंतर उत्थान तथा प्रगति की ओर ले जाता है। संसार इस बात का साक्षी है कि जितने भी महान व्यक्ति हुए हैं, उन्होंने अपने जीवन के किसी भी क्षण को व्यर्थ नहीं जाने दिया। इसीलिए वे आज इतिहास के पृष्ठों में अमर हो गए हैं। पंत जी ने भी अपने जीवन को सुंदर रूप में देखने के लिए भगवान से कामना करते हुए कहा है- यह पल-पल का लघु जीवन, सुंदर, सुखकर, शुचितर हो।

प्रिय अनुज ! याद रखो। समय संसार का सबसे बड़ा शासक है। बड़े-बड़े नक्षत्र भी उसके संकेत पर चलते हैं। हमारी सफलता-असफलता समय के सदुपयोग अथवा दुरुपयोग पर ही निर्भर करती है। समय का मूल्य समझना, जीवन का मूल्य समझना है। हमारे देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो समय के दुरुपयोग में ही जीवन का आनंद ढूँढ़ते हैं। ऐसे लोग प्रायः व्यर्थ की बातचीत में, ताश खेलने में, चल-चित्र देखने में तथा आलस्यमय जीवन व्यतीत करने में ही अपना समय नष्ट करते रहते हैं। हमारे जीवन में मनोरंजन का भी महत्त्व है. पर मेहनत का पसीना बहाने के बाद। मनोरंजन के नाम पर समय नष्ट करना भूल ही नहीं बल्कि बहुत बड़ी मूर्खता है।
इस प्रकार समय के सदुपयोग में ही जीवन की सार्थकता है।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम समय का मूल्य समझोगे और उसके सदुपयोग द्वारा अपने जीवन को सफल बनाओगे।
मेरी ओर से माता-पिता को प्रणाम।
तुम्हारा हितैषी
रवींद्र वर्मा

JAC Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

21. किसी मुद्दे पर आपका अपने मित्र से मतभेद हो गया है। उसे 80-100 शब्दों में पत्र लिखकर अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए बताइए कि यह मित्रता आपके लिए क्या महत्व रखती है।
उत्तर :
55, जनकपुरी
नई दिल्ली
दिनांक : 25 फरवरी 2020
प्रिय मित्र सुरेश
सप्रेम नमस्कार।
मैं यहाँ अपने परिवार के साथ सकुशल हूँ कि तुम भी अपने परिवारजन के साथ कुशलतापूर्वक होंगे। सर्वप्रथम मैं दिल से तुम्हें चुनाव में विजयी होने के लिए बधाई देता हूं। दिल्ली के विधानसभा चुनाव में तुम आम आदमी पार्टी के टिकट पर लड़ रहे थे और तुम चाहते हो कि चुनाव प्रचार में मैं तुम्हारा साथ दूँ। परंतु मैं उस पार्टी की विचारधारा से सहमत नहीं था और मैंने तुम्हारे साथ प्रचार न करने का निर्णय लिया था और इस कारण तुम मुझसे नाराज़ हो गए। तुम इस बात से भलीभाँति परिचित हो कि लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को स्वेच्छा से पार्टी या नेता का चुनाव या समर्थन करने का अधिकार है और मैंने भी उसी अधिकार का प्रयोग किया। मुझे आशा है कि तुम मेरी बात समझोगे और अपनी नाराजगी दूर करोगे। हमारी मित्रता बहुत घनिष्ठ है जिसमें मतभेद हो सकते हैं नाराजगी नहीं। मुझे आशा है कि तुम पत्र पढ़कर शीघ्र ही उत्तर होगे। तुम्हारे पत्र की प्रतीक्षा में।
तुम्हारा मित्र
क. ख. ग.

JAC Class 10 Hindi रचना पत्र लेखन-अनौपचारिक पत्र

22. सार्वजनिक स्थलों पर बढ़ते हुए धूम्रपान तथा उसके कारण संभावित रोगों की ओर संकेत करते हुए किसी दैनिक समाचार पत्र के संपादक को 80-100 शब्दों में पत्र लिखिए।
उत्तर :
परीक्षा भवन
नई दिल्ली
दिनांक: 29 मार्च 2020
सेवा में
संपादक में
नव भारत टाइम्स
बहादुर शाह ज़फर रोड
नई दिल्ली
विषय – सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान का प्रभाव
महोदय
मैं दिल्ली के चाँदनी चौक का निवासी, आपका ध्यान सार्वजनिक स्थलों पर बढ़ते धूम्रपान व उसके कारण संभावित रोगों की ओर दिलाना चाहता हूँ। प्रतिदिन मैं इस समस्या को देखता, महसूस करता और सहता हूँ।
धूम्रपान से होने वाली घातक बीमारी से हम सभी अवगत हैं। धूम्रपान करने से कैंसर सहित और भी कई घातक बीमारियाँ होती है। यह न सिर्फ धूम्रपान करने वालो को रोगग्रस्त करता है अपितु जो धूम्रपान के इर्द-गिर्द रहते हैं उन्हें भी अपनी चपेट में ले लेता है। इस समस्या के समाधान हेतु राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र को धूम्रपान मुक्त बनाने के लिए कानून की व्यवस्था की थी। परंतु कुछ लोग इस कानून का पालन नहीं कर रहे हैं जिससे सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान न करने वाले लोग भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।
आशा है आप इस पत्र को प्रकाशित कर सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करवाने में मदद करेंगे ताकि इस पर कठोर कानून बने व लागू हो।
शुभ कामनाओं सहित
धन्यवाद
भवदीय
क ख ग

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

(क) बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. धरातल पर वायुदाब 1000 मिलीबार है। धरातल से 1 कि० मी० की ऊंचाई पर वायुदाब क्या होगा?
(A) 700 मिलीबार
(B) 900 मिलीबार
(C) 1,100 मिलीबार
(D) 1,300 मिलीबार।
उत्तर:
(B) 900 मिलीबार।

2. अन्तःउष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र प्रायः कहां होता है?
(A) भूमध्य रेखा के निकट
(B) कर्क रेखा के निकट
(C) मकर रेखा के निकट
(D) आर्कटिक वृत्त के निकट।
उत्तर:
(A) भूमध्य रेखा के निकट।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

3. उत्तरी गोलार्द्ध में निम्न वायुदाब के चारों तरफ पवनों की दिशा क्या होगी?
(A) घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के अनुरूप
(B) घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के विपरीत
(C) समदाब रेखाओं के समकोण पर
(D) समदाब रेखाओं के समानान्तर।
उत्तर:
(B) घड़ी की सुइयों के चलने की दिशा के विपरीत।

4. किस वातान के आने पर मेघों का क्रम पक्षाभ मेघ से स्तरी मेघ होता है?
(A) अधिविष्ट वाताग्र
(B) शीत वाताग्र
(C) उष्ण वाताग्र
(D) अचर वाताग्र।
उत्तर:
(C) उष्ण वाताग्र।

5. वायुराशियों के निर्माण के उद्गम क्षेत्र निम्नलिखित में से कौन-से हैं?
(A) भूमध्यरेखीय वन
(B) साइबेरिया का मैदानी भाग
(C) हिमालय पर्वत
(D) दक्खन पठार।
उत्तर:
(B) साइबेरिया का मैदानी भाग।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

6. समुद्र तल पर वायु दाब कितना पाया जाता है?
(A) 1010 मिलीबार
(B) 1011 मिलीबार
(C) 1013 मिलीबार
(D) 1012 मिलीबार।
उत्तर:
(C) 1013 मिलीबार।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिएप्रश्न
1. पवनों की दिशा व वेग को प्रभावित करने वाले कारक बताओ।
उत्तर:
पवनों की दिशा व वेग को प्रभावित करने वाले बल-वायुमण्डलीय दाब में भिन्नता के कारण वायु गतिमान होती है। इस क्षैतिज गतिज वायु को पवन कहते हैं। पवनें उच्च दाब से कम दाब की तरफ प्रवाहित होती हैं। भूतल पर धरातलीय विषमताओं के कारण घर्षण पैदा होता है, जो पवनों की गति को प्रभावित करता है। इसके साथ पृथ्वी का घूर्णन भी पवनों के वेग को प्रभावित करता है। पृथ्वी के घूर्णन द्वारा लगने वाले बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है। अतः पृथ्वी के धरातल पर क्षैतिज पवनें तीन संयुक्त प्रभावों का परिणाम हैं।

  1. दाब प्रवणता प्रभाव,
  2. घर्षण बल,
  3. तथा कोरिऑलिस बल।

इसके अतिरिक्त, गुरुत्वाकर्षण बल पवनों को नीचे प्रवाहित करता है।
1. दाब-प्रवणता बल:
वायुमण्डलीय दाब भिन्नता एक बल उत्पन्न करता है। दूरी के सन्दर्भ में दाब परिवर्तन की दर दाब प्रवणता है। जहाँ समदाब रेखाएँ पास-पास हों, वहाँ दाब प्रवणता अधिक व समदाब रेखाओं के दूर-दूर होने से दाब प्रवणता कम होती है।

2. घर्षण बल:
यह पवनों की गति को प्रभावित करता है। धरातल पर घर्षण सर्वाधिक होता है और इसका प्रभाव प्रायः धरातल से 1 से 3 कि०मी० ऊँचाई तक होता है। समुद्र सतह पर घर्षण न्यूनतम होता है।
3. कोरिऑलिस बल
पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन पवनों की दिशा को प्रभावित करता है। सन् 1844 में फ्रांसिसी वैज्ञानिक ने इसका विवरण प्रस्तुत किया और इसी पर इस बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है। इसके प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी मूल दिशा से दाहिने तरफ व दक्षिण गोलार्द्ध में बाईं तरफ विक्षेपित (deflect) हो जाती हैं। जब पवनों का वेग अधिक होता है, तब विक्षेपण भी अधिक होता है। कोरिऑलिस बल अक्षांशों के कोण के सीधा समानुपात में बढ़ता है। यह ध्रुवों पर सर्वाधिक और भूमध्यरेखा पर अनुपस्थित है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 2.
उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) से क्या अभिप्राय है? हेडले कोष्ठ तथा फैरल कोष्ठ में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
ऊष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र-उच्च सूर्यातप व निम्न वायुदाब होने से अन्तः- उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) पर वायु संवहन धाराओं के रूप में ऊपर उठती है। उष्णकटिबन्धों से आने वाली पवनें इस निम्न दाब क्षेत्र में अभिसरण करती हैं। अभिसरित वायु संवहन कोष्ठों के साथ ऊपर उठती हैं। यह क्षोभमण्डल के ऊपर 14 किमी० की ऊँचाई तक ऊपर चढ़ती हैं और फिर ध्रुवों की तरफ प्रवाहित होती हैं। इसके परिणामस्वरूप लगभग 30° उत्तर व 30° दक्षिण अक्षांश पर वायु एकत्रित हो जाती है। इस एकत्रित वायु का अवतलन होता है और यह उपोष्ण उच्चदाब बनाता है।

अवतलन का एक कारण यह है कि जब वायु 30° उत्तरी व दक्षिणी अक्षांश पर पहुंचती है तो यह ठंडी हो जाती है। धरातल के निकट वायु का अपसरण होता है और यह भूमध्यरेखा की ओर पूर्वी पवनों के रूप में बहती है। भूमध्यरेखा के दोनों तरफ से प्रवाहित होने वाली पूर्वी पवनें अन्तर उष्ण कटिबन्धीय अभिसरण (ITCZ) पर मिलती हैं। पृथ्वी की सतह से ऊपर की दिशा में होने वाले परिसंचरण और इसके विपरीत दिशा में होने वाले परिसंचरण को कोष्ठ (Cell) कहते हैं। उष्णकटिबन्धीय क्षेत्र में ऐसे कोष्ठ को हेडले कोष्ठ (Hadley cell) कहा जाता है।

मध्य अक्षांशीय वायु परिसंचरण में ध्रुवों से प्रवाहित होती ठण्डी पवनों का अवतलन होता है और उपोष्ण उच्चदाब कटिबन्धीय क्षेत्रों से आती गर्म हवा ऊपर उठती है। धरातल पर ये पवनें पछुआ पवनों के नाम से जानी जाती हैं और यह कोष्ठ फैरल कोष्ठ के नाम से जाने जाते हैं। ध्रुवीय अक्षांशों पर ठण्डी सघन वायु का ध्रुवों पर अवतलन होता है और मध्य अक्षांशों की ओर ध्रुवीय पवनों के रूप में प्रवाहित होती हैं। इस कोष्ठ को ध्रुवीय कोष्ठ कहा जाता है। ये तीन कोष्ठ वायमण्डल के सामान्य परिसंचरण का प्रारूप निर्धारित करते हैं। तापीय ऊर्जा का निम्न अक्षांशों से उच्च अक्षांशों में स्थानान्तर सामान्य परिसंचरण को बनाये रखता है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 3.
भूविक्षेपी पवनें क्या हैं?
उत्तर-पृथ्वी की सतह से 2-3 कि०मी० की ऊँचाई पर ऊपरी वायुमण्डल में पवनें धरातलीय घर्षण के प्रभाव से मुक्त होती हैं और दाब प्रवणता तथा कोरिऑलिस बल | से नियन्त्रित होतो हैं । जब समदाब रेखाएँ सीधी हों और घर्षण का प्रभाव न हो, तो दाब प्रवणता बल कोरिऑलिस बल से सन्तुलित हो जाता है और फलस्वरूप पवनें समदाब रेखाओं के समानान्तर बहती हैं। ये पवनें भूविक्षेपी (Geostrophic) पवनों के नाम से जानी जाती हैं।
JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ 1

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
प्रश्न 1.
पवनों की दिशा व वेग को प्रभावित करने वाले कारक बताएं।
उत्तर:
पवनों की दिशा व वेग को प्रभावित करने वाले बल-वायुमण्डलीय दाब में भिन्नता के कारण वायु गतिमान होती है। इस क्षैतिज गतिज वायु को पवन कहते हैं। पवनें उच्च दाब से कम दाब की तरफ प्रवाहित होती हैं। भूतल पर धरातलीय विषमताओं के कारण घर्षण पैदा होता है, जो पवनों की गति को प्रभावित करता है। इसके साथ पृथ्वी का घूर्णन भी पवनों के वेग को प्रभावित करता है। पृथ्वी के घूर्णन द्वारा लगने वाले बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है। अतः पृथ्वी के धरातल पर क्षैतिज पवनें तीन संयुक्त प्रभावों का परिणाम हैं

  1. दाब प्रवणता प्रभाव,
  2. घर्षण बल,
  3. तथा कोरिऑलिस बल।

इसके अतिरिक्त, गुरुत्वाकर्षण बल पवनों को नीचे प्रवाहित करता है।
1. दाब-प्रवणता बल:
वायुमण्डलीय दाब भिन्नता एक बल उत्पन्न करता है। दूरी के सन्दर्भ में दाब परिवर्तन की दर दाब प्रवणता है। जहां समदाब रेखाएं पास-पास हों, वहां दाब प्रवणता अधिक व समदाब रेखाओं के दूर-दूर होने से दाब प्रवणता कम होती है।

2. घर्षण बल:
यह पवनों की गति को प्रभावित करता है। धरातल पर घर्षण सर्वाधिक होता है और इसका प्रभाव प्रायः धरातल से 1 से 3 कि०मी० ऊंचाई तक होता है। समुद्र सतह पर घर्षण न्यूनतम होता है।

3. कोरिऑलिस बल:
पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन पवनों की दिशा को प्रभावित करता है। सन् 1844 में फ्रांसिसी वैज्ञानिक ने इसका विवरण प्रस्तुत किया और इसी पर इस बल को कोरिऑलिस बल कहा जाता है। इसके प्रभाव से पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में अपनी मूल दिशा से दाहिने तरफ व दक्षिण गोलार्द्ध में बाईं तरफ विक्षेपित (deflect) हो जाती हैं। जब पवनों का वेग अधिक होता है, तब विक्षेपण भी अधिक होता है। कोरिऑलिस बल अक्षांशों के कोण के सीधा समानुपात में बढ़ता है। यह ध्रुवों पर सर्वाधिक और भूमध्य रेखा पर अनुपस्थित है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 2.
पृथ्वी पर वायु मण्डलीय सामान्य परिसंचरण का वर्णन करो। 30° उत्तर व दक्षिण अक्षांशों पर उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायु दाब के कारण बताओ।।
उत्तर:
वायु दबाव की नक्षत्रीय बांट-पृथ्वी पर वायु दबाव की बांट सरल तथा लगातार नहीं है। कई कारणों से बाधाएं तथा विभिन्नताएं उत्पन्न हो जाती हैं। “धरातल पर पूर्व-पश्चिम दिशा में अक्षांशों के समानान्तर लगभग एक ही चौड़ाई के बराबर क्षेत्रों को वायु दबाव की पेटियां (Pressure Belts) कहा जाता है।” धरातल पर वायु दाब की कुल 7 पेटियां हैं। धरातल पर उच्च वायु दबाव (High Pressure) की चार पेटियां तीन निम्न वायु दबाव (Low Pressure) पेटियों को अलग-अलग करती हैं

1. भूमध्य रेखीय निम्न वायु दबाव पेटी (Equatorial Low Pressure Belt):
यह कम वायु दबाव पेटी भूमध्य रेखा के दोनों ओर 5° उत्तर तथा 5° दक्षिण अक्षांश तक फैली हुई है। इस खण्ड में सारा वर्ष अधिक गर्मी के कारण हवा गर्म होकर संवाहिक धाराओं (Convectional Currents) के रूप में ऊपर उठती रहती है। इस प्रकार वायु दबाव कम हो जाता है। एक शान्त मण्डल (Belt of Calms) स्थापित हो जाता है जिसे डोल ड्रमस् (Dol Drums) भी कहते हैं।

2. उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायु दबाव पेटियां (Sub-tropical High Pressure Belts):
कर्क रेखा तथा मकर रेखा के निकट 30°_35° अक्षांशों के बीच दो उच्च वायु दबाव पेटियां पाई जाती हैं। इस प्रकार यहां भूमध्य रेखा से आने वाली पवनें नीचे उतरती हैं, इन नीचे उतरती हुई पवनों (Descending Winds) के कारण उच्च दबाव (High Pressure) स्थापित हो जाता है तथा एक शान्त मण्डल बन जाता है। इन्हें अश्व अक्षांश (Horse Latitudes) भी कहते हैं।
JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ 2

3. उप-ध्रुवीय कम वायु दबाव पेटियां (Sub-polar Low Pressure Belts):
यह कम दबाव की पेटियां 60° से 65° उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशों के बीच स्थित हैं। उत्तरी गोलार्द्ध में इन्हें Arctic Low तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में इन्हें Antarctic Low कहते हैं। स्थिति के कारण इन्हें शीतोष्ण निम्न वायु दबाव (Temperate Low) भी कहते हैं। इस कम वायु दबाव के कई कारण हैं

(i) दैनिक गति (Rotation): पृथ्वी की दैनिक गति के कारण ध्रुवों को वायु भूमध्य रेखा की ओर खिसक जाती है। ध्रुवों पर अधिक सर्दी के कारण कम दबाव उच्च दबाव में बदल जाता है तथा ध्रुवों से कुछ दूरी पर 60° के निकट कम वायु दबाव हो जाता है।

(ii) चक्रवात (Cyclones): ध्रुवों से आने वाली वायु पृथ्वी के तल के साथ रगड़ खा कर बहुत बड़े चक्रवातों का रूप धारण कर लेती है। यह चक्रवात भी कम वायु भार के केन्द्र (Low pressure cells) बन जाते हैं।

(iii) समुद्री धाराएं (Ocean Currents): गर्म समुद्री धाराओं के कारण कम वायु दाब होता है।

(iv) वायुमण्डल की मोटाई भी बहुत कम होती है।

4. ध्रुवीय उच्च दबाव पेटियां (Polar High Pressure Belts): उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव पर लगातार अधिक सर्दी तथा स्थायी बर्फ के कारण उच्च वायु भार होता है। दक्षिणी ध्रुव पर Antarctic महाद्वीप के कारण अधिक दबाव होता है, परन्तु उत्तरी ध्रुव पर Arctic महासागर होने के कारण इतना अधिक दबाव नहीं होता।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ

प्रश्न 3.
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों की उत्पत्ति केवल समुद्रों पर ही क्यों होती है? उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों के किस भाग में मूसलाधार वर्षा तथा उच्च वेग की पवनें चलती हैं?
उत्तर:
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात (Tropical Cyclones)
1. स्थिति (Location):
ये चक्रवात भूमध्य रेखा के दोनों ओर उष्ण कटिबन्ध में चलते हैं इसलिए इन्हें उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात कहा जाता है। इनका क्षेत्र व्यापारिक पवनों की पेटी में 5°—20° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के मध्य होता है।

2. उत्पत्ति (Origin):
उष्ण कटिबन्धीय चक्रवातों का विकास तापीय (Thermal) है।

  • इनकी निम्नलिखित मुख्य विशेषताओं से इनकी उत्पत्ति का पता चलता है
    1. ये ग्रीष्म काल में पाए जाते हैं।
    2. ये पूर्व से पश्चिम दिशा में चलते हैं।
    3. इनका क्षेत्र 5°- 20° अक्षांश तक है।
    4. इनका विस्तार सामान्य महासागरों पर होता है।
  • उपर्युक्त विशेषताओं के आधार पर इनकी उत्पत्ति अग्रलिखित अवस्थाओं में होती है
    1. शान्त वायु (Calm Air)
    2. संतृप्त वायु मण्डल (Saturated Atmosphere)
    3. उच्च ताप (Abundant Heat)
    4. संवहनीय धाराएं (Convection Currents)

कुछ विद्वानों के अनुसार दो विभिन्न प्रकार की वायु राशियों के मिलने से एक गर्त (Depression) का निर्माण होता है। ये वायु राशियां एक-दूसरे से भिन्न होती हैं। ये चक्रवात भूमध्य रेखीय अभिसरण क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं। वायु मण्डलीय आर्द्रता की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat) इनके विकास में सहायक होती हैं। स्थानीय संवहनीय धाराओं के कारण इनका विकास होता है। अभिसरण क्षेत्र के उत्तर-दक्षिण खिसकने से पूर्वी पवनों की व्यवस्था एक चक्रीय रूप धारण करके उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात बन जाती है। पृथ्वी की परिभ्रमण (Rotation) के कारण वायु समूह बिखर जाते हैं तथा चक्रीय अवस्था में गोलाकार हो जाते हैं।
JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 10 वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ 3

3. आकार तथा विस्तार (Shape and Size): ये चक्रवात आकार एवं विस्तार में छोटे होते हैं। इनका व्यास लगभग 100 कि०मी० होता है। ये अण्डाकार (ellipitcal) होते हैं। पूर्णतया विकसित चक्रवात का व्यास 1000 कि०मी० तक होता है।

4. गति (Speed): इन चक्रवातों की गति सागरों पर अधिक होती है। स्थल भागों पर प्राकृतिक बाधाओं तथा घर्षण के कारण इनकी गति कम होती है। कहीं-कहीं इनकी गति 150 कि०मी० प्रति घण्टा होती है। यह चक्रवात महासागरों तथा तटों का बहुत प्रलयकारी होते हैं।

5. मार्ग तथा प्रवाह (Track and Movement): ये चक्रवात व्यापारिक पवनों के साथ-साथ पूर्व पश्चिम दिशा में चलते हैं। ये चक्रवात नमी के समाप्त हो जाने पर स्थल के भीतर नहीं पहुंच पाते वरन् तट के निकट ही समाप्त हो जाते हैं। इन चक्रवातों का मार्ग एक वक्राकार होता है। यह मार्ग इस प्रकार है

  1. यह चक्रवात 5° से 15° अक्षांश के मध्य व्यापारिक पवनों के साथ पश्चिम की ओर चलते हैं।
  2. 15° से 30° के मध्य इनका पथ अनिश्चित होता है।
  3. 30 अक्षांश पार करने का इनका पथ पूर्व की ओर होता है।

6. रचना तथा मौसम (Structure and Weather):
इन चक्रवातों के केन्द्र में निम्न वायु दबाव होता है। इस केन्द्र को आंधी की आंख (Eye of Cyclone) कहते हैं। इसकी समभार रेखाएं अण्डाकार होती हैं। दाब प्रवणता तीव्र होने के कारण तेज़ गति से पवनें चलती हैं। इन चक्रवातों के साथ कोई प्रति चक्रवात नहीं होता। केन्द्रीय भाग में संतृप्त मूसलाधार वर्षा करती है। चक्रवात के विभिन्न भागों में मौसम इस प्रकार होता है।

  1. चक्रवात के आगम से पूर्व वायु अशांत हो जाती है तथा पक्षाभ (Cirrus Clouds) छाए रहते हैं।
  2. सूर्य व चन्द्रमा के चारों ओर प्रवाह मण्डल (Halo) उत्पन्न हो जाता है।
  3. चक्रवात के निकट आने पर तीव्र आंधी व गर्ज के साथ भारी वर्षा होती है।

वायुमंडलीय परिसंचरण तथा मौसम प्रणालियाँ JAC Class 11 Geography Notes

→ वायुमण्डलीय दाब (Atmospheric Pressure): वायुमण्डल पृथ्वी के धरातल पर पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण टिका है। गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण प्रत्येक वस्तु में भार होता है। वायु में भी एक घनफुट में 1.2 औंस भार होता है। इस भार के कारण पृथ्वी के धरातल पर दबाव पड़ता है। वायुमण्डलीय दाब का अर्थ है किसी भी स्थान पर वहां की हवा की उच्चतम सीमा के स्तम्भ का भार।

→ वायुमण्डलीय दाब को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting Pressure): वायुमण्डलीय दाब निम्नलिखित तत्त्वों के कारण स्थान-स्थान पर तथा समय-समय पर बदलता रहता है। वे तत्त्व हैं

  • तापमान
  • ऊंचाई
  • जल वाष्प
  • दैनिक गति।

→ वायु दाब का मापक (Measurement of Pressure): वायुदाब को मापने वाले यन्त्र को बैरोमीटर कहते हैं।

→ मापने की इकाइयां (Units of Measurement): वायुमण्डलीय दाब को मापने के लिये तीन इकाइयों का प्रयोग होता है

  • इंच
  • सेंटीमीटर
  • मिलीबार।

→ समदाब रेखाएं (Isobars): Iso शब्द का अर्थ है-सभान और Bar का अर्थ है-दाब। इसलिये Isobars का अर्थ है-समदाब रेखाएं। धरातल पर समान वायु दबाव वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखाओं को समदाब | रेखाएं कहते हैं।

→ दाब प्रवणता (Pressure Gradient): समदाब रेखाओं के अन्तर को दाब प्रवणता कहते हैं। यह दो समदाब रेखाओं पर समकोण बनाती हुई होती है। यह दाब प्रवणता वायु दिशा तथा वायु वेग को प्रदर्शित । करती है। वायुदाब

→ पेटियों का वितरण (Distribution of Pressure Belts): “धरातल पर पूर्व-पश्चिम दिशा में । अक्षांशों के समानान्तर लगभग एक ही चौड़ाई के बराबर क्षेत्रों को वायु दबाव की पेटियां कहा जाता है।” पृथ्वी के धरातल पर कुल सात वायु दबाव पेटियां हैं। चार उच्च दबाव की तथा तीन निम्न दबाव पेटियां हैं

  • भूमध्य रेखीय निम्न वायु दाब पेटी-5° उत्तर तथा 5° दक्षिण अक्षांश के मध्य।
  • उपोष्ण कटिबन्धीय उच्च वायु दाब पेटी-30°- 35° अक्षांशों के मध्य।
  • उप-ध्रुवीय निम्न वायुदाब पेटियां- 60° – 65° उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांशों के मध्य।
  • ध्रुवीय उच्च दाब पेटियां-उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव के आस-पास।