Jharkhand Board JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
Jharkhand Board Class 10 Science विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव Textbook Questions and Answers
अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या-269-270)
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत धारावाही तार के निकट चुम्बकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है ?
(a) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लम्बवत् होती हैं।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समान्तर होती हैं।
(c) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है।
(d) चुम्बकीय क्षेत्र की संकेन्द्री क्षेत्र रेखाओं का केन्द्र तार होता है।
उत्तर:
(d) चुम्बकीय क्षेत्र की संकेन्द्री क्षेत्र रेखाओं का केन्द्र तार होता है।
प्रश्न 2.
वैद्युतचुम्बकीय प्रेरण की परिघटना-
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(b) किसी कुण्डली में विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।
(c) कुण्डली तथा चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।
(d) किसी विद्युत मोटर की कुण्डली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया
उत्तर:
(c) कुण्डली तथा चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।
प्रश्न 3.
विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं-
(a) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) ऐमीटर
(d) मोटर
उत्तर:
(a) जनित्र
प्रश्न 4.
किसी ac जनित्र तथा de जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि
(a) ac जनित्र में विद्युत चुम्बक होता है जबकि de मोटर स्थायी चुम्बक होता है।
(b) de जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(c) ae जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) ae जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि de जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
उत्तर:
(d) ac जनित्र में सर्पों वलय होते हैं जबकि de जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
प्रश्न 5.
लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा का मान
(a) बहुत कम हो जाता है।
(b) परिवर्तित नहीं होता।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(d) निरंतर परिवर्तित होता है।
उत्तर:
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है, इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए-
(a) विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है।
(b) विद्युत जनित्र वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है।
(c) किसी लम्बी वृत्ताकार विद्युत धारावाही कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र समान्तर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।
(d) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।
उत्तर:
(a) असत्य
(b) सत्य
(c) सत्य
(d) असत्य।
प्रश्न 7.
चुम्बकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के दो तरीकों की सूची बनाइए।
उत्तर:
- एक प्राकृतिक चुम्बक के चारों तरफ चुम्बकीय क्षेत्र होता है।
- एक धारावाही सीधा चालक के चारों तरफ चुम्बकीय क्षेत्र होता है।
- एक धारावाही परिनालिका के चारों तरफ चुम्बकीय क्षेत्र होता है।
प्रश्न 8.
परिनालिका चुम्बक की भाँति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुम्बक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा का दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं?
उत्तर:
पास-पास लिपटे विद्युतरोधी ताँबे के तार की आकृति की अनेक फेरों वाली कुण्डली को परिनालिका कहते हैं। धारावाही परिनालिका का एक सिरा दक्षिणी ध्रुव एवं दूसरा सिरा उत्तरी ध्रुव की तरह कार्य करता है। परिनालिका के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ परस्पर समानान्तर होती हैं। इसका मतलब है कि परिनालिका के केन्द्र पर विद्युत क्षेत्र सबसे अधिक होता है तथा सभी जगह एकसमान होता है।
हाँ, परिनालिका के उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव की पहचान दिक्सूचक से कर सकते हैं। यदि दिक्सूचक की सुई का उत्तरी ध्रुव परिनालिका की ओर आकर्षित होता है। तो यह सिरा दक्षिणी ध्रुव होता है। इसी प्रकार उत्तरी ध्रुव की भी पहचान की जा सकती है।
प्रश्न 9.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?
उत्तर:
जब किसी धारावाही चालक को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो उस पर कार्यरत बल के लिए निम्नलिखित होता है-
F = BIL sin θ
B = चुम्बकीय क्षेत्र
I= धारा की शक्ति
L = चालक की लम्बाई
θ = धारावाही चालक एवं चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच का कोण।
अतः F का मान जब θ = 90° होगा तो अधिकतम होगा अर्थात् चालक एवं चुम्बकीय क्षेत्र दोनों एक-दूसरे के लम्बवत हैं।
प्रश्न 10.
मान लीजिए आप किसी चैम्बर में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आपके दायीं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र उस समतल के लम्बवत् दिशा में होगा जिस समतल में इलेक्ट्रॉन का प्रवाह एवं बल एक-दूसरे के लम्बवत् हो।
प्रश्न 11.
विद्युत मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सिद्धान्त तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विद्युत मोटर में विभक्त विलय का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
सिद्धान्त – जब कोई विद्युत धारावाही चालक किसी चुम्बकीय क्षेत्र में इस प्रकार रखा जाता है कि चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् हो तो वह चालक एक बल का अनुभव करता है। इस बल के कारण वह चालक गति करने लग है।
कार्यविधि-बैटरी से से चलकर चालक ब्रुश X से होते हुए विद्युत धारा कुण्डली ABCD मैं प्रवेश करती है तथा चालक बुश Y से होते हुए बैटरी के दूसरे टर्मिनल वापस भी आ जाती है। कुण्डली में विद्युत धारा इसकी भुजा AB A से B की ओर तथा भुजा CD में C से D की ओर प्रवाहित। होती है।
अतः AB तथा CD में विद्युत धारा का दिशाएँ परस्पर विपरीत होती हैं। चुम्बकीय क्षेत्र में रखे विद्युत धारावाही चालक पर प बल की दिशा बल इसे अधोमुखी धकेलता है, जबकि भुजा CD पर आरोपित बल इसे उपरिमुखी धकेलता है। इस प्रकार किसी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतंत्र कुण्डली तथा धुरी वामावर्त घूर्णन करते हैं। आधे घूर्णन में Q का संपर्क बुश X से होता है तथा P का संपर्क बुश Y से होता है। अतः कुडंली में विद्युत धारा उत्क्रमित होकर पथ DCBA के अनुदिश प्रवाहित होती है।
विभक्त वलय का महत्त्व – विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक्परिवर्तक का कार्य करता है। विद्युत धारा के उत्क्रमित होने पर दोनों भुजाओं AB तथा CD पर आरोपित बलों की दिशाएँ भी उत्क्रमित हो जाती हैं। इस प्रकार कुण्डली की भुजा AB जो पहले अधोमुखी धकेली गई थी, अब उपरिमुखी धकेली जाती है तथा कुण्डली की भुजा CD जो पहले उपरिमुखी धकेली गई, अब अधोमुखी धकेली जाती है। अतः कुण्डली तथा धुरी उसी दिशा में अब आधा घूर्णन और पूरा कर लेती हैं। प्रत्येक आधे घूर्णन के पश्चात् विद्युत धारा के उत्क्रमित होने का क्रम दोहराता रहता है जिसके फलस्वरूप कुण्डली तथा धुरी का निरंतर घूर्णन होता रहता है।
प्रश्न 12.
ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं।
उत्तर:
- कूलर
- पंखा
- एअरकंडीशनर,
- पंप में विद्युत मोटर का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 13.
कोई विद्युतरोधी ताँबे के तार की कुण्डली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुम्बक
(i) कुण्डली में धकेला जाता है?
(ii) कुण्डली के भीतर से बाहर खींचा जाता है?
(iii) कुण्डली के भीतर स्थिर रखा जाता है?
उत्तर:
(i) इस स्थिति में कुण्डली में प्रेरित धारा उत्पन्न होती है।
- यदि उत्तरी ध्रुव कुण्डली में धकेलते हैं तो कुण्डली धारा की दिशा घड़ी की सुई की विपरीत दिशा में होती है।
- यदि कुण्डली में दक्षिणी ध्रुव धकेलते हैं तो कुण्डली धारा की दिशा घड़ी की सुई की दिशा में होती है।
(ii) यदि कुण्डली से दक्षिणी ध्रुव चुम्बक को बाहर निकालोगे तो कुण्डली में धारा वामावर्ती दिशा में तथा यदि उत्तरी ध्रुव बाहर निकालोगे तो कुण्डली में धारा दक्षिणावर्ती दिशा में उत्पन्न होती है।
(iii) इस स्थिति में कुण्डली में धारा उत्पन्न नहीं होती है।
प्रश्न 14.
दो वृत्ताकार कुण्डली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कुण्डली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करें, तो क्या कुण्डली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी? कारण लिखिए।
उत्तर:
हाँ, प्रेरित धारा उत्पन्न होगी। कुण्डली A में धारा परिवर्तन के कारण A से होकर गुजरने में चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होने के कारण B में धारा प्रेरित होती है।
प्रश्न 15.
निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए-
(i) किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
(ii) किसी चुम्बकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लम्बवत् स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल तथा
(iii) किसी चुम्बकीय क्षेत्र में किसी कुण्डली के घूर्णन करने पर उस कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा।
उत्तर:
(i) किसी धारावाही चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा मैक्सवेल के दक्षिण- हस्त नियम से ज्ञात किया जाता है।
मैक्सवेल का दक्षिण- हस्त नियम- यदि धारावाही चालक को दाहिने हाथ में इस प्रकार पकड़ें कि अँगूठा चालक में प्रवाहित धारा की दिशा को निर्देशित करे तो चालक को पकड़ने वाली अंगुलियों की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा होती है।
(ii) चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर बल की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम से ज्ञात की जाती है। इस नियम के अनुसार यदि बाएँ हाथ की प्रथम तीन अंगुलियों को एक-दूसरे के लम्बवत् इस प्रकार रखा जाए कि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में एवं मध्यमा धारा की अंगूठे की दिशा चालक पर आरोपित बल दिशा प्रेरित की दिशा को दर्शाता है।
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र में गतिशील चालक में उत्पन्न दिशा ज्ञात करने के लिए फ्लेमिंग के दाहिने हस्त के नियम इस नियम का उपयोग किया जाता है।
इस नियम के अनुसार यदि दाएँ हाथ की प्रथम तीन अंगुलियों को एक-दूसरे के लम्बवत् इस प्रकार रखें कि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा एवं अंगूठा चालक में गति की दिशा को दर्शांता है तो चालक में प्रेरित धारा की दिशा मध्यमा द्वारा सूचित होती है।
प्रश्न 16.
नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत जनित्र का मूल सिद्धान्त तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इसमें बुशों का क्या कार्य है?
उत्तर:
विद्युत जनित्र का सिद्धान्त-विद्युत जनित्र विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है अर्थात् परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र के कारण चालक में विद्युत धारा प्रेरित होती है। फ्लेमिंग के दाएँ हस्त के नियम से प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करते हैं। विद्युत जनित्र में आर्मेचर शक्तिशाली चुम्बकों के ध्रुवों के बीच घुमाया जाता है जिसके कारण आर्मेचर से गुजरने वाली चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होता है तथा प्रेरित धारा उत्पन्न होती है।
बनावट –
- ABCD आर्मेचर अपने अक्ष के चारों तरफ घूर्णनशील होता है।
- आर्मेचर पर अवरोधी ताँबे की तार की लपेटें होती हैं।
- ताँबे की तारों की दो सिरे धातु के बने दो वलय S1 एवं S2 से जुड़े होते हैं। ये दोनों वलय स्थिर दो कार्बन ब्रुश B1 एवं B2 के सम्पर्क में रहते हैं।
- दोनों ख़ुशों का सम्पर्क गैल्वेनोमीटर (G) से होता है।
कार्यविधि –
- आर्मेचर को यांत्रिक रूप से दो शक्तिशाली चुम्बकों के ध्रुवों के बीच घुमाया जाता है।
- दो वलय भी घूमते हैं किन्तु दोनों वलय अलग-अलग दोनों कार्बन बुशों के सम्पर्क में रहते हैं।
- गति के समय जब AB भुजा ऊपर एवं CD नीचे की तरफ रहती है, आर्मेचर में धारा की दिशा A से B एवं CD होती है।
- यदि आर्मेचर की भुजा CD ऊपर एवं AB नीचे हों तो फ्लेमिंग के दाएँ हस्त के नियम से धारा की दिशा D से C एवं B से A की तरफ हो जाती है।
इस प्रकार आर्मेचर के एक घूर्णन में धारा की दिशा दो बार परिवर्तित होती है। अतः इस यंत्र द्वारा प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न होती है।
प्रश्न 17.
किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?
उत्तर:
जब घरेलू विद्युत परिपथ में विद्युतमन्य तार एवं उदासीन तार एक-दूसरे के सम्पर्क में आ जाते हैं तो परिपथ मैं धारा का मान बहुत अधिक हो जाता है। इस घटना को लघुपथन कहते हैं।
प्रश्न 18.
भूसंपर्क तार का क्या कार्य है? धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
किसी विद्युत उपकरण के धात्विक भाग को तार की मदद से पृथ्वी के सम्पर्क करने वाले तार को भूसम्पर्क तार कहते हैं। यह तार सुरक्षा यंत्र के रूप में विद्युत परिपथ में उपयोग में लाया जाता है। यदि किसी भी प्रकार से उपकरण में विद्युत धारा आ जाती है तो यह पृथ्वी को स्थानांतरित हो जाती है जिसके फलस्वरूप कोई दुर्घटना होने से बच जाती है।
Jharkhand Board Class 10 Science विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव InText Questions and Answers
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-250)
प्रश्न 1.
चुम्बक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है?
उत्तर:
वास्तव में दिक्सूचक की सुई एक छोटा छड़ चुम्बक ही होती है। किसी दिक्सूचक की सूई के दोनों सिरे लगभग उत्तर और दक्षिण दिशाओं की ओर संकेत करते हैं। उत्तर दिशा की ओर संकेत करने वाले सिरे का उत्तरोमुखी ध्रुव अथवा उत्तर ध्रुव कहते हैं। दूसरा सिरा जो दक्षिण दिशा की ओर संकेत करता है उसे दक्षिणोमुखी ध्रुव अथवा दक्षिण ध्रुव कहते हैं।
हम जानते हैं कि चुम्बकों में सजातीय ध्रुवों में परस्पर प्रतिकर्षण तथा विजातीय ध्रुवों में परस्पर आकर्षण होता है। अतः चुम्बक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सूई विक्षेपित हो जाती है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 255)
प्रश्न 1.
किसी छड़ चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।
उत्तर:
किसी छड़ चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ-
प्रश्न 2.
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण निम्नलिखित हैं-
- चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ चुम्बक के उत्तर ध्रुव से प्रकट होती हैं तथा दक्षिण ध्रुव पर विलीन हो जाती हैं।
- चुम्बक के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा उसके दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर होती है।
- चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक बंद वक्र बनाती हैं।
- जहाँ पर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ अपेक्षाकृत अधिक निकट होती हैं वहाँ चुम्बकीय क्षेत्र अधिक प्रबल होता है।
- दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ कहीं भी एक-दूसरे को नहीं काटती हैं।
प्रश्न 3.
दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं?
उत्तर:
क्योंकि यदि वे ऐसा करें तो इसका अर्थ यह होगा कि प्रतिच्छेद बिंदु पर दिक्सूची को रखने पर उसकी सुई दो दिशाओं की ओर संकेत करेगी जो संभव नहीं हो सकता।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 256-57)
प्रश्न 1.
मेज के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश में दक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण- हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम के अनुसार यदि आप चालक तार को पकड़े हुए हैं तब अँगूठा विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करता है, जबकि अँगुलियाँ चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा को निरूपित करती हैं।
स्पष्टत: वृत्ताकार पाश (लूप) के अंदर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा कागज के तल (मेज के तल) के लम्बवत् अंदर की ओर होगी तथा पाश के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा पाश (मेज) के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर होगी।
प्रश्न 2.
किसी दिए गए क्षेत्र में चुम्बकीय क्षेत्र एकसमान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
सही विकल्प चुनिए-किसी विद्युत धारावाही सीधी लम्बी परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र
(a) शून्य होता है।
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है।
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।
उत्तर:
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 259)
प्रश्न 1.
किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुम्बकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है? (यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं।
(a) द्रव्यमान, (b) चाल, (c) वेग, (d) संवेग।
उत्तर:
(c) वेग, (d) संवेग।
प्रश्न 2.
क्रियाकलाप 13.7 में हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा यदि
(i) छड AB प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए।
(ii) अधिक प्रबल नाल चुम्बक प्रयोग किया जाए और
(iii) छड़ AB की लम्बाई में वृद्धि कर दी जाए?
उत्तर:
हम जानते हैं कि F = B X I X L
जहाँ F = चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर लगने वाला बल
B = चुम्बकीय क्षेत्र तथा
L = चालक तार (छड़) की लम्बाई
अत: (i) F ∝ I; इसलिए छड़ AB के विस्थापन में वृद्धि होगी।
प्रश्न 3.
पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फ्त-कण) किसी चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
(a) दक्षिण की ओर
(b) पूर्व की ओर
(c) अधोमुखी
(d) उपरिमुखी
उत्तर:
(d) उपरिमुखी।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 261)
प्रश्न 1.
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम लिखिए।
उत्तर:
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम- इस नियम के अनुसार अपने बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा और अँगूठे को
इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लम्बवत् हों। यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा प्रदर्शित करें तो अँगूठा चालक की गति की दिशा अथवा चालक पर आरोपित बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।
प्रश्न 2.
विद्युत मोटर का क्या सिद्धान्त है?
उत्तर:
एक विद्युत मोटर इस सिद्धान्त पर कार्य करती है कि जब एक धारावाही चालक को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो उस चालक पर एक यांत्रिक बल लगता है। चालक पर आरोपित बल की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा प्राप्त की जाती है।
प्रश्न 3.
विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?
उत्तर:
विद्युत मोटर में विभक्त वलय कॉमुटेटर का कार्य करता है। धारा की दिशा परिवर्तन के कारण आर्मेचर पर लगने वाले बल की भी दिशा परिवर्तित हो जाती है। इस प्रकार कुण्डली पर लगने वाला घूर्णी बल कुण्डली में घूर्णन उत्पन्न करता है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 264)
प्रश्न 1.
किसी कुण्डली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निम्नलिखित ढंग से किसी कुण्डली में विद्युत धारा उत्पन्न की जा सकती है-
- कुण्डली एवं चुम्बक को आपेक्षिक गति में लाकर।
- एक धारावाही कुण्डली एवं एक सामान्य कुण्डली में सापेक्षिक गति उत्पन्न करके।
- दो कुण्डलियों में से किसी एक में धारा के मान को परिवर्तित करके।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 265-266)
प्रश्न 1.
विद्युत जनित्र का सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर:
विद्युत जनित्र विद्युत चुम्बकीय प्रेरण पर आधारित होता है। विद्युत जनित्र में यांत्रिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है।
प्रश्न 2.
दिष्टधारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
दिष्टधारा के कुछ मुख्य स्रोत हैं-
- विद्युत रासायनिक सेल
- स्टोरेज सेल
- dc जनित्र
प्रश्न 3.
प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्त्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पॉवर स्टेशन आदि।
प्रश्न 4.
सही विकल्प का चयन कीजिए-
ताँबे के तार की एक आयताकार कुण्डली किसी चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है। इस कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात परिवर्तन होता है।
(a) दो
(b) एक
(c) आधे
(d) चौथाई
उत्तर:
(c) आधे।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 267)
प्रश्न 1.
विद्युत परिपथ तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विद्युत परिपथ तथा साधित्रों में सामान्यतः सुरक्षा उपाय के तौर पर उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपाय निम्नलिखित हैं-
- भू-संपर्क तार (Earthwire) एवं
- फ्यूज
प्रश्न 2.
2kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ (220V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत धारा अनुमतांक 5A है, इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हम अपेक्षा करते हैं कि विद्युत धारा आपूर्ति बंद हो जाएगी तथा फ्यूज तार ओवर लोडिंग के कारण पिघल जाएगा क्योंकि विद्युत धारा की 5A दर 2kW शक्ति वाले विद्युत तंदूर के लिए बहुत ही कम है।
प्रश्न 3.
घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर:
घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए निम्न सावधानियाँ बरतनी चाहिए-
- एक ही सॉकेट बहुत से उपकरण नहीं लगाने चाहिए और
- तारों को इंसुलेटिड करके लगाना चाहिए ताकि वे आपस में एक-दूसरे को न छू सकें।
क्रिया-कलाप-13.1
- ताँबे का एक सीधा मोटा तार लीजिए तथा इसे चित्र में दर्शाए अनुसार विद्युत परिपथ के दो बिंदुओं X तथा Y के बीच रखिए। (तार XY कागज की सतह के लम्बवत रखा है।)
- इस ताँबे के तार के निकट क्षैतिज रूप में एक छोटी दिक्सूचक रखिए। इसकी सुई की स्थिति नोट कीजिए।
- प्लग में कुंजी लगाकर विद्युत परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित कराइए।
- दिक्सूचक सुई की स्थिति में परिवर्तन का प्रेक्षण कीजिए।
अवलोकन-सूई विक्षेपित हो जाती है। इसका यह अर्थ है कि ताँबे के तार से प्रवाहित विद्युत धारा ने एक चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न किया है।
क्रिया-कलाप-13.2
- किसी चिपचिपे पदार्थ का उपयोग करके ड्राइंग बोर्ड पर एक सफेद कागज लगाइए।
- इसके बीचों बीच एक छड़ चुम्बक रखिए।
- छड़ चुम्बक के चारों ओर एकसमान रूप से कुछ लौह-चूर्ण छितराइए (चित्र)। इस कार्य के लिए नमकछितरावक का उपयोग किया जा सकता है।
- अब बोर्ड को धीरे से थपथपाइए।
क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
आप क्या प्रेक्षण करते हैं?
उत्तर:
लौह-चूर्ण चित्र में दर्शाए गए पैटर्न के अनुसार व्यवस्थित हो जाते हैं।
प्रश्न 2.
यह पैटर्न क्या निदर्शित करता है?
उत्तर:
लौह-चूर्ण एक बल का अनुभव करता है, जो उस चुम्बक के चारों ओर होता है। इसे चुम्बकीय क्षेत्र कहते हैं।
प्रश्न 3.
लौह-चूर्ण किस स्थान पर अधिक आकर्षित होता है?
उत्तर:
दोनों ध्रुवों पर।
क्रिया-कलाप- 13.3
- एक छड़ चुम्बक तथा एक छोटी दिक्सूची लीजिए।
- किसी चिपचिपे पदार्थ से ड्राइंग बोर्ड पर चिपकाए गए सफेद कागज के बीचोंबीच इस चुम्बक को रखिए।
- चुम्बक की सीमा रेखा अंकित कीजिए।
- दिक्सूची को चुम्बक के उत्तर ध्रुव के निकट ले जाइए। यह कैसे व्यवहार करता है? दिक्सूची का दक्षिण ध्रुव चुम्बक के उत्तर ध्रुव की ओर संकेत करता है। दिक्सूची का उत्तर ध्रुव चुम्बक के उत्तर ध्रुव से दूर की ओर संकेत करता है।
- दिक्सूची के दोनों सिरों की स्थितियाँ नुकीली पेंसिल से अंकित कीजिए।
- दिक्सूची को इस प्रकार रखिए कि इसका दक्षिण ध्रुव उस स्थिति पर आ जाए जहाँ पहले उत्तर ध्रुव की स्थिति को अंकित किया था। उत्तर ध्रुव की इस नयी स्थिति को अंकित कीजिए।
- चित्र में दर्शाए अनुसार चुम्बक के दक्षिण ध्रुव पर पहुँचने तक इस क्रिया को दोहराते जाइए।
- अब कागज पर अंकित बिंदुओं को इस प्रकार मिलाइए कि एक निष्कोण वक्र प्राप्त हो जाए। यह वक्र एक चुम्बकीय क्षेत्र रेखा को निरूपित करता है। उपर्युक्त प्रक्रिया को दोहरा कर जितनी संभव हो सके क्षेत्र रेखाएँ खींचिए। आपकों चित्र में दर्शाए जैसा पैटर्न प्राप्त होगा। ये रेखाएँ चुम्बक के चारों ओर के चुम्बकीय क्षेत्र को निरूपित करती हैं। इन्हें चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ कहते हैं।
- किसी चुम्बकीय क्षेत्र रेखा के अनुदिश गमन करते समय दिक्सूची के विक्षेप का प्रेक्षण कीजिए। चुम्बक के ध्रुवों के निकट जाने पर सुई के विक्षेप में वृद्धि होती जाती है।
क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
किसी चुम्बक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा किसी बिन्दु पर किस प्रकार ज्ञात कर सकते हैं?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र के उस बिन्दु पर दिक्सूचक सूई को रखते हैं। दिक्सूचक सूई के उत्तरी ध्रुव की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को दर्शाती है।
प्रश्न 2.
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा क्या होती है?
उत्तर:
चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से दक्षिण ध्रुव की ओर बंद वक्र के समान होती है।
प्रश्न 3.
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ अधिक संख्या में कहाँ होती हैं?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ ध्रुवों पर ज्यादा सघन होती हैं।
क्रिया-कलाप- 13.4
(i) एक लम्बा सीधा ताँबे का तार, 1.5 V के दो या तीन सेल तथा एक प्लग कुंजी लीजिए। इन सबको चित्र (a) में दर्शाए अनुसार श्रेणीक्रम में संयोजित कीजिए।
(ii) सीधे तार को दिक्सूची के ऊपर उसकी सूई के समान्तर रखिए। अब प्लग में कुंजी लगाकर परिपथ को पूरा कीजिए। सुई के उत्तर ध्रुव के विक्षेप की दिशा नोट कीजिए। यदि विद्युत धारा चित्र (a) में दर्शाए अनुसार उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित हो रही है तो दिक्सूची का उत्तर ध्रुव पूर्व की ओर विक्षेपित होगी।
(iii) चित्र (b) में दर्शाए अनुसार परिपथ में जुड़े सेलों के संयोजनों को प्रतिस्थापित कीजिए। इसके परिणामस्वरूप ताँबे के तार में विद्युत धारा के प्रवाह की दिशा में परिवर्तन होगा अर्थात् विद्युत धारा के प्रवाह की दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर हो जायेगी। दिक्सूची के विक्षेप की दिशा में परिवर्तन का प्रेक्षण कीजिए। आप यह देखेंगे कि अब सूई विपरीत दिशा में अर्थात् पश्चिम की ओर विक्षेपित होती है। इसका अर्थ यह हुआ कि विद्युत धारा द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा भी उत्क्रमित हो गयी है।
क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
दिक्सूचक सुई के ऊपर यदि धारावाही चालक रखा जाए तो क्या होगा?
उत्तर:
दिक्सूचक सुई की भुजाओं में विचलन होगा। यह दिशा SNOW नियम की मदद से ज्ञात कर सकते हैं।
प्रश्न 2.
SNOW नियम क्या हैं?
उत्तर:
यदि चालक में धारा की दिशा दक्षिण से उत्तर दिशा की तरफ हो तो दिक्सूचक सुई की दिशा के पश्चिम दिशा में विक्षेपण होगा।
प्रश्न 3.
क्या होगा यदि धारावाही चालक में धारा की दिशा को उल्टा कर दिया जाए?
उत्तर:
दिक्सूचक सुई की भुजाओं में विक्षेपण की दिशा उल्टी हो जाएगी।
प्रश्न 4.
यदि सीधे तार में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा को उत्क्रमित कर दिया जाए, तो क्या चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रमित हो जाएगी?
उत्तर:
हाँ, चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रिमित हो जाएगी।
क्रिया-कलाप-13.5
(i) एक 12 V की बैटरी, एक परिवर्ती प्रतिरोध (धारा नियंत्रक), 0-5 A परिसर का ऐमीटर, एक प्लग कुंजी तथा एक लंबा मोटा सीधा ताँबे का तार लीजिए।
(ii) एक आयताकार कार्डबोर्ड का टुकड़ा लेकर उसके बीचोंबीच कार्डबोर्ड के तल के अभिलम्बवत इस मोटे तार को प्रविष्ट कराइए। यह सावधानी रखिए कि कार्डबोर्ड तार में स्थिर रहे, ऊपर-नीचे हिले-डुले नहीं।
(iii) चित्र (a) में दर्शाए अनुसार ताँबे के तार को ऊर्ध्वाधरत: बिंदुओं X तथा Y के बीच श्रेणीक्रम में बैटरी, ऐमीटर, धारा नियंत्रक तथा प्लग कुंजी से संयोजित कीजिए।
(iv) तार के चारों ओर कार्डबोर्ड पर कुछ लौह-चूर्ण एकसमान रूप से छितराइए। (इसके लिए आप नमक छितरावक का उपयोग भी कर सकते हैं।)
(v) धारा-नियंत्रक के परिवर्तक को किसी एक नियत स्थिति पर रखिए तथा ऐमीटर में विद्युत धारा का पाठ्यांक नोट कीजिए।
(vi) कुंजी लगाकर परिपथ बंद कीजिए ताकि ताँबे के तार से विद्युत धारा प्रवाहित हो। यह सुनिश्चित कीजिए। कि बिंदुओं X तथा Y के बीच में लगा ताँबे का तार ऊर्ध्वाधरतः सीधा रहे।
(vii) कार्डबोर्ड को हलके से कुछ बार थपथपाइए। लौह-चूर्ण के पैटर्न का प्रेक्षण कीजिए। आप यह देखेंगे कि लौह-चूर्ण संरेखित होकर तार के चारों ओर संकेन्द्री वृत्तों के रूप में व्यवस्थित होकर एक वृत्ताकार पैटर्न बनाता है (चित्र (b))।
(viii) ये संकेन्द्री वृत्त क्या निरूपित करते हैं ? ये चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं को निरूपित करते हैं।
(ix) इस प्रकार उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कैसे ज्ञात करें ? वृत्त के किसी बिंदु (जैसे P) पर दिक्सूची रखिए। सुई की दिशा का प्रेक्षण कीजिए। दिक्सूची का उत्तर ध्रुव बिंदु विद्युत धारा द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखा की दिशा बताता है। इस दिशा को तीर द्वारा दर्शाइए।
(x) यदि सीधे तार में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा को उत्क्रमित कर दिया जाए, तो क्या चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रमित हो जाएगी ? इसका परीक्षण कीजिए।
क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
लौह-चूर्ण किस प्रकार व्यवस्थित होते हैं?
उत्तर:
लौह-चूर्ण सरेखित होकर तार के चारों ओर संकेन्द्री वृत्तों के रूप में व्यवस्थित होते हैं।
प्रश्न 2.
ये संकेन्द्री वृत्त क्या निरूपित करते हैं?
उत्तर:
ये संकेन्द्री वृत्त, चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं को निरूपित करते हैं।
प्रश्न 3.
इस प्रकार उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा आप कैसे ज्ञात करेंगे ?
उत्तर:
दिक्सूची द्वारा ज्ञात करेंगे। वृत्त के किसी बिंदु P पर दिक्सूची का उत्तर ध्रुव विद्युत धारा द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखा की दिशा बताता है।
प्रश्न 4.
विद्युत धारा की दिशा उत्क्रमित करने पर क्या होता है?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रमित हो जाती है।
प्रश्न 5.
क्या दिकससूी के विक्षेप पर धारा के परिमाण में वृद्धि और तार से दूरी का प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
हाँ, धारा के परिमाण में वृद्धि होने पर विक्षेप में भी वृद्धि होती है तथा तार से दूसरे किसी बिंदु Q पर दिक्सूची रखने पर इसका विक्षेप घट जाता है।
क्रिया-कलाप- 13.6
- एक ऐसा आयताकर कार्डबोर्ड लीजिए जिसमें दो छिद्र हों। एक ऐसी वृत्ताकर कुण्डली लीजिए जिसमें फेरों की संख्या काफी अधिक हो और उसे कार्डबोर्ड के तल के अभिलम्बवत् लगाया गया हो।
- चित्र में दर्शाए अनुसार कुण्डली के सिरों को श्रेणीक्रम में बैटरी, एक कुंजी तथा एक धारा नियंत्रक से संयोजित कीजिए।
- कार्डबोर्ड पर लौह-चूर्ण एकसमान रूप से छितराइए।
- कुंजी लगाकर परिपथ पूरा कीजिए।
क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कॉर्डबोर्ड को हल्के से कुछ बार थपथपाइए। कॉर्डबोर्ड पर जो पैटर्न बनता दिखाई दे उसका प्रेक्षण कीजिए।
उत्तर:
दोनों छिद्रों के पास लौह-चूर्ण संकेन्द्रीय वृत्ताकार पैटर्न में व्यवस्थित हो जाते हैं। इसका अर्थ हुआ कि धारावाही वृत्ताकार चालक का प्रत्येक भाग चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जो संकेन्द्रीय वृत्ताकार होते हैं।
प्रश्न 2.
क्या धारावाही वृत्ताकार चालक के आस-पास चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है?
उत्तर:
हाँ, धारावाही वृत्ताकार चालक के आसपास चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।
प्रश्न 3.
धारावाही वृत्ताकार चालक के दो विपरीत बिन्दुओं पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की प्रकृति में अन्तर बताइए।
उत्तर:
दोनों ही बिन्दुओं पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा विपरीत होती है। इन दोनों बिन्दुओं पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ संकेन्द्रीय वृत्ताकार होती हैं।
प्रश्न 4.
धारावाही वृत्ताकार चालक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान सबसे अधिक कहाँ पर होता है?
उत्तर:
धारावाही वृत्ताकार चालक के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान सबसे अधिक होता है।
क्रिया-कलाप -13.7
- ऐलुमिनियम की एक छोटी छड़ (लगभग 5 cm लम्बी) लीजिए। चित्र में दर्शाए अनुसार इस छड को दो संयोजक तारों द्वारा किसी स्टैडs से क्षैतिजतः लटकाइए।
- एक प्रवल नाल चुम्बक इस प्रकार से व्यवस्थित कीजिए कि छड़ नाल चुम्बक के दो ध्रुवों के बीच में हो तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा उपरिमुखी हो। ऐसा करने के लिए नाल चुम्बक का उत्तर ध्रुव की छड के ऊध्वांधरतः नीचे एवं दक्षिण ध्रुव ऊर्ध्याधरतः ऊपर रखिए।
- ऐलुमिनियम की छउ को एक बैटरी, एक कुंजी तथा एक धारा नियंख्रक के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित कीजिए। ऐलुमिनियम छड में सिरे B से A की और विद्युत धारा प्रवाहित कराइए।
क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
आप क्या देखते हैं?
उत्तर:
हम देखते हैं कि विद्युत ध्षारा प्रवाहित होते ही छड़ बाई दिशा में विस्थापित होती है।
प्रश्न 2.
अब छड़ में प्रवाहित होने वार्ली विद्युत थारा की दिशा उत्क्रमित कीजिए और छड़ के विस्थापन की दिशा नोट कीजिए। अब यह दाई ओर विस्थापित होती है। छड़ क्यों विस्थापित होती है?
उत्तर:
फ्लेमिंग के अनुसार धाराबाही चालक पर चुम्बकीय क्षेत्र में बल लगता है। इसलिए धारावाही चालक को चुम्बक के धुवों के बीच स्थिर रलने पर अपनी स्थिति से विस्थापित हो जाता है। इस छड़ पर लगने वाला बल छड़ पर लम्बवत् दिशा में होता है।
प्रश्न 3.
जब एक धारावाही चालक को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो क्या होता है?
उत्तर:
जब धारावाही चालक को चुम्बकीय क्षेत्र में रग्बते हैं तो उस पर एक बल आरोपत होता है।
प्रश्न 4.
उस नियम का मात्र नाम लिखो जिसकी मदद से धारावाही चालक पर चुम्बकीय क्षेत्र में लगने वाले बल की दिशा ज्ञात करते हैं?
उत्तर:
फ्लेमिंग का वामहस्त का नियम।
प्रश्न 5.
किन कारकों पर चालक पर आरोपित बल का मान निर्भर करता है?
उत्तर:
- चुम्बकीय क्षेत्र के मान पर।
- चालक की लम्बाई पर।
- चालक में प्रवाहित धारा के मान पर।
प्रश्न 6.
क्या होगा यदि चुम्बकीय क्षेत्र में रखे चालक में प्रवाहित धारा की दिशा को विपरीत दिशा में प्रवाहित किया जाए ?
उत्तर:
चालक पर आरोपित बल की दिशा विपरीत दिशा में हो जाती है।
क्रिया-कलाप- 13.8
(i) अनेक फेरों वाली तार की एक कुण्डली AB लीजिए।
(ii) कुण्डली के सिरों को किसी गैल्वेनोमीटर से चित्र में दर्शाए अनुसार संयोजित कीजिए।
(iii) एक प्रबल छड़ चुम्बक लीजिए तथा इसके उत्तर:ध्रुव को कुण्डली के सिरे B की ओर ले जाइए। क्या आप गैल्वेनोमीटर की सुई में कोई परिवर्तन पाते हैं ?
(iv) गैल्वेनोमीटर की सुई में क्षणिक विक्षेप होता है, मान लीजिए यह दाईं ओर है। यह कुण्डली AB में विद्युत धारा की उपस्थिति का संकेत देता है। जैसे ही चुम्बक की गति समाप्त होती है, गैल्वेनोमीटर में विक्षेप शून्य हो जाता है।
(v) अब चुम्बक के उत्तर ध्रुव को कुण्डली से दूर ले जाइए। इस बार गैल्वेनोमीटर की सुई बाई ओर विक्षेपित होती है, जो यह दर्शाता है कि अब परिपथ में उत्पन्न विद्युत धारा की दिशा पहले के विपरीत है।
(vi) कुण्डली के निकट किसी चुम्बक को स्थिर अवस्था में इस प्रकार रखिए कि चुम्बक का उत्तर ध्रुव कुण्डली के सिरे B की ओर हो। हम यह देखते हैं कि जैसे ही कुण्डली को चुम्बक के उत्तर ध्रुव की ओर ले जाते हैं, गैल्वेनोमीटर की सुई दाई ओर विक्षेपित होती है। इसी प्रकार, जब कुण्डली को उत्तर ध्रुव से दूर हटाते हैं तो गैल्वेनोमीटर की सुई बाई ओर विक्षेपित होती है।
(vii) जब कुण्डली को चुम्बक के सापेक्ष स्थिर रखते हैं तो गैल्वेनोमीटर में विक्षेप शून्य हो जाता है।
क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
इस क्रिया-कलाप से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
उत्तर:
इस क्रिया कलाप से यह स्पष्ट होता है कि कुंडली के सापेक्ष चुंबक की गति एक प्रेरित विभवान्तर उत्पन्न करती है, जिसके कारण परिपथ में प्रेरित विद्युत धारा प्रवाहित होती है।
क्रिया-कलाप- 13.9
(i) ताँबे के तार की दो भिन्न कुण्डलियाँ लीजिए जिनमें फेरों की संख्या काफी अधिक (जैसे क्रमशः 50 तथा 100 फेरे) हों। इन कुण्डलियों को चित्र में दर्शाए अनुसार किसी विद्युतरोधी खोखले बेलन पर चढ़ाइए (आप मोटे कागज को भी खोखले बेलन के रूप में लपेटकर यह कार्य कर सकते हैं)।
(ii) कुण्डली-1 को जिसमें फेरों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक है, श्रेणीक्रम में बैटरी तथा प्लग कुंजी से संयोजित कीजिए। अन्य कुण्डली- 2 को भी चित्र में दर्शाए अनुसार गैल्वेनोमीटर से संयोजित कीजिए।
(iii) कुंजी को प्लग में लगाइए। गैल्वेनोमीटर का प्रेक्षण कीजिए। क्या इसकी सुई कोई विक्षेप दर्शाती है? आप यह देखेंगे कि गैल्वेनोमीटर की सुई तुरंत ही एक दिशा में तीव्र
गति से विक्षेपित होकर उसी गति से शीघ्र वापस शून्य पर आ जाती है। यह कुण्डली- 2 में क्षणिक विद्युत धारा का उत्पन्न होना सूचित करता है।
क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
जब एक धारावाही कुण्डली को दूसरी कुण्डली के पास लाते हैं तो क्या होता है?
उत्तर:
दूसरी कुण्डली में धारा प्रेरित होती है।
प्रश्न 2.
प्राथमिक कुण्डली में स्थिर धारा प्रवाहित होने पर द्वितीय कुण्डली में धारा का मान क्या होगा?
उत्तर:
शून्य।
प्रश्न 3.
धारावाही कुण्डली एवं प्रेरित धारा कुण्डली का क्या नाम है?
उत्तर:
धारावाही कुण्डली को प्राथमिक कुण्डली एवं प्रेरित धारा कुण्डली को द्वितीयक कुण्डली कहते हैं।
प्रश्न 4.
कौन-सी कुण्डली चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है?
उत्तर:
प्राथमिक कुण्डली से चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है क्योंकि यह धारावाही कुण्डली होती है।
प्रश्न 5.
कुण्डली-2 में प्रेरित धारा की प्रबलता को कौन-से कारक प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
- प्राथमिक कुण्डली में धारा की प्रबलता।
- प्राथमिक कुण्डली में तार के फेरों की संख्या।