JAC Board Class 9th Social Science Solutions History Chapter 2 यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति
JAC Class 9th History यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति InText Questions and Answers
विद्यार्थियों हेतु निर्देश: पाठ्य-पुस्तक में इस अध्याय के विभिन्न पृष्ठों पर बॉक्स के अन्दर क्रियाकलाप दिए हुए हैं। इन क्रियाकलापों के अन्तर्गत पूछे गए प्रश्नों के क्रमानुसार उत्तर निम्न प्रकार से हैं
क्रियाकलाप ( पृष्ठ संख्या-28 )
प्रश्न 1.
मान लीजिए कि निजी सम्पत्ति को खत्म करने और उसकी जगह सामूहिक स्वामित्व की व्यवस्था लागू करने के सवाल पर आपके इलाके में बैठक बुलाई गई है। निम्नलिखित व्यक्तियों के रूप में उस बैठक में आप जो भाषण देंगे, वह लिखें एक गरीब खेतिहर मजदूर, एक मंझोला भू-स्वामी, एक गृह-स्वामी
उत्तर:
एक गरीब खेतिहर मजदूर: प्यारे साथियों, प्रकृति अपने संसाधनों को उपलब्ध कराने में किसी के साथ भेदभाव नहीं करती। फिर क्यों किसी के पास जीवन-यापन के अधिक साधन मौजूद हैं, और किसी के पास बहुत कम ? सम्पत्ति कठिन परिश्रम का ही परिणाम है।
यह श्रम खेतों में काम करने वाले गरीब मजदूरों द्वारा ही किया जाता है किन्तु उन्हें, उन्हीं के द्वारा उत्पन्न लाभ में हिस्सा नहीं दिया जाता। लाभ पूरी तरह खेतों के मालिकों को ही प्राप्त होता है, जो अपने उत्तराधिकार के कारण ही भूमि के स्वामी होते हैं। इसीलिए निजी सम्पत्ति का बहिष्कार होना चाहिए तथा सम्पत्ति के सामूहिक स्वामित्व की शुरुआत की जानी चाहिए।
यही गरीब खेतिहर मजदूर के हित में है। एक मझोला भू-स्वामी-प्रिय मित्रों, समाजवाद का विचार तो अच्छा है, किन्तु निजी सम्पत्ति को पूर्ण रूप से समाप्त करना किसी भी दृष्टिकोण से व्यावहारिक नहीं है। इससे फसलों का उत्पादन कम हो जायेगा। कोई भी व्यक्ति तभी अधिक परिश्रम करता है
जब सम्भावित उत्पादन से उसको अधिक लाभ मिलना हो परन्तु जिस कार्य से उसे अधिक लाभ दूसरी क्रान्ति से लोग अचम्भे और दहशत में डूब गये, क्योंकि यह क्रान्ति-हिंसा, लूटपाट, करों के बोझ और तानाशाही सत्ता की स्थापना के साथ आयी।
क्रियाकलाप (पृष्ठ संख्या-47 )
प्रश्न 1.
शौकत उस्मानी और रबीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए उद्धरणों की तुलना कीजिए। उन्हें स्रोत ग, घ और च के साथ मिलाकर पढ़िए और बताइए कि
1. भारतीयों को सोवियत संघ में सबसे प्रभावशाली बात क्या दिखाई दी?
उत्तर:
शौकत उस्मानी ने अपनी पुस्तक ‘हिस्टॉरिक ट्रिप्स ऑफ ए रिवोल्यूशनरी’ में उस समानता की प्रशंसा की जो. रूसी क्रान्ति अपने साथ लाई थी। उन्होंने कहा कि वे असली समानता की भूमि में आ गए हैं। उनका मत था कि यहाँ निर्धनता के बावजूद लोग खुश और सन्तुष्ट थे।
लोगों को आपस में मिलने-जुलने से रोकने के लिए धर्म की कोई दीवार नहीं थी।
रबीन्द्रनाथ टैगोर रूसी क्रान्ति के परिणामों से प्रभावित थे। उनका कहना था कि अभिजात वर्ग का कोई सदस्य निर्धनों एवं मजदूरों का शोषण नहीं कर सकता था। अब कोई अंधकार में नहीं था, जो लोग अभी तक डरे हुए थे अब सामने आने लगे हैं।
2. ये लेखक किस चीज को नहीं देख पाए ?
उत्तर:
दोनों लेखक यह देख पाने में असफल रहे कि बोल्शेविक पार्टी ने किस प्रकार सत्ता हथियाई और समाजवाद के नाम पर देश पर राज किया। यह न तो न्यायपूर्ण था और न ही स्थायी, इसलिए अन्त में इसकी हार हुई।
क्रियाकलाप ( पृष्ठ संख्या-48)
प्रश्न 1.
कल्पना कीजिए कि एक मजदूर के तौर पर आपने सन् 1905 ई. की हड़ताल में हिस्सा लिया हैं और उसके लिए अदालत में आप पर मुकदमा चलाया जा रहा है। मुकदमे के दौरान अपने बचाव में आप क्या कहेंगे? अपना वक्तव्य तैयार कीजिए और कक्षा में वही भाषण दीजिए।
उत्तर:
हजर मैंने कोई अपराध नहीं किया है। मैंने 85 दिनों से भरपेट खाना नहीं खाया था। पिछले एक वर्ष से मेरे पास सिर्फ एक जोड़ी वस्त्र हैं। भुखमरी के कारण मेरी पत्नी और बच्चों की मेरी आँखों के सामने मृत्यु हो गई। हुजूर, मैं जानना चाहूँगा कि जब किसी व्यक्ति की परिस्थितियाँ और मनोदशा इस प्रकार की हों, तो राज्य उससे क्या अपेक्षा करता है ? हुजूर अब न्याय करना आपके हाथ में है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित अखबारों के लिए 24 अक्टूबर, सन् 1917 ई. के विद्रोह के बारे में शीर्षक सहित एक छोटी-सी खबर तैयार कीजिए “फ्रांस के एक रूढ़िवादी अखबार के लिए, ब्रिटेन के एक रैडिकल अखबार के लिए, रूस के एक बोल्शेविक अखबार के लिए।
उत्तर:
1. फ्रांस के एक रूढ़िवादी अखबार के लिए:
बोल्शेविक विद्रोह का दमन-प्रात: ही सैनिकों ने दो बोल्शेविक इमारतों पर कब्जा कर लिया, जहाँ से वे समाचार-पत्र छापते थे। सेना ने टेलीफोन और टेलीग्राफ विभागों पर भी नियन्त्रण कर लिया एवं ‘विन्टर पैलेस’ की सुरक्षा का प्रबन्ध किया।
2. ब्रिटेन के एक रैडिकल अखबार के लिए:
बोल्शेविक विद्रोह अनुमोदित-शहर पूरी तरह से क्रान्तिकारियों के नियन्त्रण में है। मन्त्रियों ने आत्म- समर्पण कर दिया है। पेत्रोग्राद सोवियत ने बोल्शेविक विद्रोह का अनुमोदन कर दिया है।
3. रूस के एक बोल्शेविक अखबार के लिए बोल्शेविक युद्ध में विजयी हए:
पार्टी ने विन्टर पैलेस के साथ-साथ अनेक महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों पर भी अपना कब्जा कर लिया है। हम, रूस के नागरिक एवं बोल्शेविक पार्टी के सदस्य अन्ततः सत्ता के केन्द्र में आ गए हैं और उस क्षेत्र का नाम है मॉस्को-पेत्रोग्राद क्षेत्र।
प्रश्न 3.
मान लीजिए कि सामूहिकीकरण हो चुका है और आप रूस के एक मँझोले गेहूँ उत्पादक किसान हैं। आप सामूहिकीकरण के बारे में अपनी आपत्तियाँ व्यक्त करते हुए स्तालिन को एक पत्र लिखना चाहते हैं। अपनी जीवन परिस्थितियों के बारे में आप क्या लिखेंगे? आपकी राय में ऐसे किसान का पत्र पाकर स्तालिन की क्या प्रतिक्रिया होती?
उत्तर:
स्तालिन
मास्को
नाम-मिखाइल
पता-न्यू स्ट्रीट, मैग्नीटोगोर्क
महोदय,
मैं एक मध्यम दर्जे का गेहूँ-उत्पादक किसान हूँ। मैं कड़ी मेहनत से खेत में फसल उगाता हूँ। मैं अपनी भूमि से अच्छा उत्पादन किया करता हूँ। मेरे परिवार की आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद मैं थोड़ी फसल बेच भी लेता हूँ। इसीलिए, कृपया मुझे मेरी भूमि पर स्वयं कृषि करने की अनुमति प्रदान कर इसे सामूहिकीकरण से मुक्त करने की कृपा करें।
सधन्यवाद।
प्रार्थी
मिखाइल
स्तालिन की प्रतिक्रिया:
द्वारा : स्तालिन
मास्को
मिखाइल
पता-न्यू स्ट्रीट, मेग्नीटोगोर्क
प्रिय मिखाइल,
मुझे आपका पत्र मिला। आप आज्ञाकारी हैं एवं सही रास्ते पर चल रहे हैं। परन्तु आपको यह पता नहीं है कि सामूहिकीकरण में सम्मिलित होने से आपके उत्पादन और आमदनी, दोनों में वृद्धि होगी क्योंकि यह कृषि की वैज्ञानिक विधियों पर आधारित है। हम आपकी भूमि छीन नहीं रहे, वरन् आप अपनी भूमि को अन्य लोगों की भूमि के साथ मिलाकर एकता एवं प्रगति का द्वार खोल रहे हैं। इसीलिए आपको राजकीय निर्देशों का पालन करना ही चाहिए। बाद में आपको स्वयं ही अपने निर्णय पर गर्व होगा।
सधन्यवाद
आपका शुभचिन्तक,
स्तालिन
JAC Class 9th History यूरोप में समाजवाद एवं रूसी क्रांति Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
रूस के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक हालात सन् 1905 ई. से पहले कैसे थे?
उत्तर:
सन् 1905 ई. की रूस की क्रान्ति से पूर्व रूस की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दशा अत्यन्त खराब थी, जिसका विवरण अग्रलिखित है
1. रूस की सामाजिक दशा:
सन् 1861 ई. से पूर्व रूस में सामन्तवाद का बोलबाला था। सामन्त लोग किसानों से बेगार लेकर अपनी जमीनों पर खेती करवाते थे। इन किसानों को सामन्तों के अनेक अत्याचारों का सामना करना पड़ता था। रूस में कुछ छोटे किसान भी थे, जिनकी आर्थिक दशा दयनीय थी।
सन् 1905 ई. की रूसी क्रान्ति से पूर्व समाज में तीन वर्ग थे पहला वर्ग सामन्तों एवं कुलीनों का था, जिसमें बड़े-बड़े सामन्त, जारशाही के सदस्य, उच्च पदाधिकारी आदि सम्मिलित थे।
मध्यम वर्ग का उदय औद्योगीकरण के फलस्वरूप हुआ था, जिसमें लेखक, विचारक, डॉक्टर, वकील तथा व्यापारी आदि लोग शामिल थे। तीसरा वर्ग किसानों तथा मजदूरों का था, इस वर्ग के सदस्यों की दशा अत्यन्त खराब थी। कुलीन और मध्यम वर्ग के लोग इन्हें हीन और घृणा की दृष्टि से देखते थे। पादरी वर्ग भी अनेक प्रकार से जनसाधारण वर्ग के लोगों का शोषण करता था।
2. रूस की आर्थिक दशा:
औद्योगीकरण से पूर्व रूसी लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि था। रूस में किसानों की दशा बहुत दयनीय थी। उनके खेत बहुत छोटे-छोटे थे और उन्हें कृषि की नवीन तकनीकों का ज्ञान नहीं था। धन के अभाव के कारण वे आधुनिक कृषि-यन्त्रों को खरीद पाने में असमर्थ थे।
उन्हें कठोर परिश्रम करने पर भी भर-पेट भोजन नहीं मिलता था, क्योंकि उनकी उपज का अधिकांश भाग सामन्त हड़प जाते थे। जार की निरंकुश सरकार ने श्रमिकों, मजदूरों तथा किसानों की आर्थिक दशा सुधारने का कोई प्रयास नहीं किया। अत: सरकारी अधिकारियों के भ्रष्टाचार और सैनिकों के अत्याचारों ने स्थिति को दिन-प्रतिदिन गम्भीर बनाना आरम्भ कर दिया।
3. राजनीतिक दशा:
रूस का जार निकोलस द्वितीय बड़ा निरंकुश और राजा के दैवी अधिकारों का समर्थक था। उसने रूसी जनता की उदारवादी भावनाओं को कुचलने के लिए बड़ी कठोर नीति अपनाई। उसने सम्पूर्ण देश में पुलिस तथा गुप्तचरों का जाल बिछा दिया था। गैर-रूसियों को रूसी बनाने की प्रक्रिया भी जारी थी।
रूस में भाषण, लेखन तथा व्यक्तिगत स्वतन्त्रता पर कठोर प्रतिबन्ध लगे हुए थे। बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में रूस की जारशाही की निरंकुशता के कारण सर्वत्र असन्तोष व्याप्त था। इसी समय रूस-जापान युद्ध में रूसी सेनाओं को भारी पराजय उठानी पड़ी। इस पराजय ने रूसी जनता के असन्तोष को चरम सीमा पर पहुँचा दिया और वह देश से जारशाही को मिटाने के लिए तत्पर हो गई।
प्रश्न 2.
सन् 1917 ई. से पहले रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी?
उत्तर:
सन् 1917 ई. से पूर्व रूस की कामकाजी आबादी यूरोप के अन्य देशों के मुकाबले निम्नलिखित स्तरों पर भिन्न थी
- रूस की लगभग 85 प्रतिशत जनसंख्या अपनी आजीविका की पूर्ति कृषि सम्बन्धी कार्यों से करती थी, जनसंख्या का यह प्रतिशत यूरोप के अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक था।
- रूसी किसानों की जोतें अन्य देशों के यूरोपीय किसानों की तुलना में छोटी थीं।
- रूसी किसान नवाबों एवं सामंतों का कोई आदर नहीं करते थे वे प्रायः लगान देने से इन्कार कर देते थे। जमींदारों के अत्याचारी स्वभाव के कारण उनसे घृणा करते थे। इसके विपरीत फ्रांस में किसान अपने सामन्तों के प्रति वफादार थे। सन् 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रान्ति के समय वे अपने सामन्तों के लिए लड़े थे।
- रूस में पुरुष श्रमिकों की अपेक्षा महिला श्रमिकों को बहुत कम वेतन दिया जाता था। इसके अतिरिक्त बच्चों से भी 10 से 15 घण्टों तक काम लिया जाता था।
- रूस का किसान वर्ग, यूरोप के किसान वर्ग से भिन्न था। वे एक समय-अवधि के लिए अपनी जोतों को एकत्र कर लेते थे। उनके परिवारों की आवश्यकतानुसार उनकी ‘कम्यून’ इसका बँटवारा करती थी।
- यूरोप के अनेक प्रमुख देशों में औद्योगिक क्रान्ति आ चुकी थी, वहाँ कारखाने स्थानीय लोगों के हाथ में होने से श्रमिकों का अधिक शोषण नहीं होता था। परन्तु रूस में अधिकांश कारखाने विदेशी पूँजी से स्थापित हुए थे, जो रूसी श्रमिकों का शोषण करने में बिल्कुल भी संकोच नहीं करते थे।
प्रश्न 3.
सन् 1917 ई. में जार का शासन क्यों खत्म हो गया?
उत्तर:
सन् 1917 ई. में रूस से जारशाही को समाप्त करने के लिए अग्रलिखित परिस्थितियाँ उत्तरदायी थीं
1. रूस का जार निकोलस द्वितीय बड़ा निरंकुश और राजा के दैवी अधिकारों का समर्थक था। उसने रूसी जनता की उदारवादी भावनाओं को कुचलने के लिए कठोर नीति अपनाई। जारशाही की दमनकारी नीति के कारण रूस की जनता में भीषण असन्तोष व्याप्त हो गया था।
2. रूस का ऑर्थोडॉक्स चर्च जार की निरंकुशता का पोषक था। चर्च का पादरी जार की निरंकुशता एवं स्वेच्छाचारी सत्ता का समर्थक था। चर्च का अनुचित प्रभाव जनता के कष्टों का एक मुख्य कारण था।
3. सन् 1905 ई. की क्रान्ति का रूसी जनता पर बहुत प्रभाव पड़ा। जबकि जार ने एक निर्वाचित परामर्शदाता संसद ड्यूमा के निर्माण की घोषणा की, परन्तु उसने उसे कार्य करने की आज्ञा प्रदान नहीं की। उसने ड्यूमा को बर्खास्त कर दिया, क्योंकि जार किसी भी तरह की जवाबदेही या अपनी सत्ता पर किसी तरह का अंकुश नहीं चाहता था।
4. जार ने रूस को प्रथम विश्व युद्ध में धकेल दिया। सन् 1917 ई. तक लगभग 70 लाख लोग मारे जा चुके थे। युद्ध के समय उत्पादन में कमी हो गई, जिसने रूस में आर्थिक संकट को जन्म दिया।
5. बड़ी मात्रा में सैनिकों के लिए खाद्य सामग्री की आपूर्ति बनाये रखने के कारण रूस में मजदूरों के क्षेत्रों में खाद्य पदार्थों की भारी कमी हो गयी जो क्रान्ति का तात्कालिक कारण बन गयी।
6. जार ने प्रथम विश्व युद्ध में रूसी सेना की शक्ति बढ़ाने के लिए किसानों तथा श्रमिकों को जबरदस्ती सेना में भर्ती किया जिससे लोगों में असन्तोष की भावना बढ़ी। 27 फरवरी, सन् 1917 ई. को मजदूर वर्ग रोटी, वेतन, काम के घण्टों में कमी की मांग करते हुए तथा लोकतान्त्रिक अधिकारों के पक्ष में नारे लगाते हुए सड़कों पर जमा हो गये। हड़ताली मजदूरों के साथ सैनिक एवं अन्य लोग भी मिल गये। राजधानी पेत्रोग्राद पर भी क्रान्तिकारियों का अधिकार हो गया।
प्रश्न 4.
दो सूचियाँ बनाइए : एक सूची में फरवरी क्रान्ति की मुख्य घटनाओं और प्रभावों को लिखिए और दूसरी सूची में अक्टूबर क्रान्ति की प्रमुख घटनाओं और प्रभावों को दर्ज कीजिए।
उत्तर:
फरवरी क्रान्ति की प्रमुख घटनाएँ एवं प्रभाव निम्नलिखित हैं फरवरी क्रान्ति की मुख्य घटनाएँ:
- सन् 1917 ई. के शीतकाल में राजधानी पेत्रोग्राद की हालत अत्यन्त खराब थी। फरवरी माह में मजदूरों ने खाद्य पदार्थों के अभाव को बुरी तरह महसूस किया।
- संसदीय प्रतिनिधि चाहते थे कि निर्वाचित सरकार बची रहे, इसलिए वह जार निकोलस द्वितीय द्वारा ड्यूमा को भंग करने के लिए किये जा रहे प्रयासों का विरोध कर रहे थे।
- 22 फरवरी, सन् 1917 ई. को नेवा नदी के दाएँ तट पर स्थित एक कारखाने में तालाबन्दी घोषित कर दी गई।
- 23 फरवरी, सन् 1917 ई. को नेवा नदी के दाएँ तट पर स्थित एक कारखाने के मजदूरों के समर्थन में पचास फैक्ट्रियों के मजदूरों ने भी हड़ताल की घोषणा कर दी।
- 25 फरवरी, सन् 1917 ई. को सरकार द्वारा ड्यूमा को बर्खास्त कर दिया गया।
- 26 फरवरी, सन् 1917 ई. को श्रमिक बहुत बड़ी संख्या में बाएँ तट के क्षेत्र में एकत्र हो गए।
- 27 फरवरी, सन् 1917 ई. को प्रदर्शनकारियों ने पुलिस मुख्यालय पर हमला करके उन्हें नष्ट कर दिया।
- 2 मार्च, सन् 1917 ई. को जार ने राजगद्दी छोड़ दी। इस प्रकार राजवंश का अन्त हो गया।
फरवरी क्रान्ति के प्रभाव:
- फरवरी, सन् 1917 ई. की क्रान्ति के बाद राजवंश का अन्त हो गया। सोवियत और ड्यूमा के नेताओं ने देश का शासन चलाने के लिए अन्तरिम सरकार का गठन किया।
- अन्तरिम सरकार ने देश का संविधान बनाने के लिए संविधान सभा का चुनाव करवाने का निर्णय लिया।
- अप्रैल, सन् 1917 ई. में बोल्शेविकों के निर्वासित नेता ब्लादिमीर लेनिन रूस लौट आए। लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक सन् 1914 ई. से ही युद्ध का विरोध कर रहे थे। लेनिन ने कहा कि युद्ध समाप्त किया जाए, सभी जमीन किसानों को दे दी जाए एवं बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए।
- गर्मियों में मजदूर आन्दोलन तीव्र हो गया, श्रम संगठनों की संख्या बढ़ने लगी, सेना में सिपाहियों की समितियाँ गठित कर दी गईं।
- अन्तरिम सरकार की शक्ति कमजोर होने लगी तथा बोल्शेविकों का प्रभाव तीव्र गति से बढ़ने लगा जिससे सरकार ने असन्तोष को दबाने के लिए सख्त कदम उठाने प्रारम्भ कर दिए।
अक्टूबर क्रत्ति की मुख्य घटनाएं:
- जैसे-जैसे अन्तरिम सरकार और बोल्शेविकों के बीच संघर्ष बढ़ता गया, लेनिन को अन्तरिम सरकार द्वारा तानाशाही थोप देने की आशंका दिखाई देने लगी। सितम्बर सन् 1917 ई. में लेनिन ने सरकार के विरुद्ध विद्रोह हेतु चर्चा शुरू कर दी।
- 16 अक्टूबर, सन् 1917 ई. को लेनिन ने पेत्रोग्राद सोवियत और बोल्शेविक पार्टी को समाजवादी सिद्धान्तों के आधार पर सत्ता पर कब्जा करने के लिए तैयार कर लिया।
- सत्ता पर कब्जा करने के लिए लियॉन ट्रॉटस्की के नेतृत्व में सोवियत की ओर से एक सैनिक ब्रान्तिकारी समिति का गठन किया गया। योजना को लागू करने के लिए दिन की कोई जानकारी नहीं दी गई।
- 24 अक्टूबर, सन् 1917 ई. को विद्रोह की शुरुआत हुई। संकट की आशंका को देखते.हुए प्रधानमन्त्री केरेंस्की ने शहर छोड़ दिया और सेना को बुला लिया। प्रात:काल में ही सरकार के वफादार सैनिकों ने दो बोल्शेविक अखबारों के दफ्तरों पर कब्जा कर लिया।
- सरकारी सेना और बोल्शेविक सेनानियों के बीच भीषण युद्ध हुआ। माह दिसम्बर, सन् 1917 ई. तक बोल्शेविकों ने मास्को के पेत्रोग्राद क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।
अक्टूबर क्रान्ति के प्रभाव:
- बोल्शेविक निजी सम्पत्ति की व्यवस्था के पूरी तरह खिलाफ थे। इसलिए नवम्बर, सन् 1917 ई. तक समस्त उद्योगों एवं बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।
- भूमि को सामाजिक सम्पत्ति घोषित कर दिया गया तथा किसानों को सामन्तों की जमीनों पर कब्जा करने की खुली छूट दे दी गई।
- शहरों में बोल्शेविकों ने मकान-मालिकों के लिए उनके परिवार की आवश्यकताओं के अनुसार पर्याप्त जगह छोड़कर उनके बड़े मकानों के छोटे-छोटे हिस्से कर दिए जिससे बेघरबार या जरूरत मन्द लोगों को रहने की जगह दी जा सके।
- बोल्शेविकों ने कुलीन वर्ग द्वारा पुरानी पदवियों के प्रयोग पर रोक लगा दी।
- बोल्शेविक पार्टी का नाम बदलकर रूसी कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक) रख दिया गया।
प्रश्न 5.
बोल्शेविकों ने अक्टूबर क्रान्ति के फौरन बाद कौन-कौन से प्रमुख परिवर्तन किए?
उत्तर:
बोल्शेविकों ने अक्टूबर क्रान्ति के बाद निम्नलिखित परिवर्तन किए
1. निजी सम्पत्ति का अधिकार समाप्त:
बोल्शेविकों ने निजी सम्पत्ति के अधिकार को समाप्त कर दिया इसके परिणामस्वरूप भूमि को सामाजिक सम्पत्ति घोषित कर दिया गया। सामन्तों की बड़ी-बड़ी जमीनों को किसानों में बाँट दिया गया इससे जोत छोटे-छोटे हिस्सों में बँट गयीं। इसके अतिरिक्त बड़े-बड़े मकानों के मालिकों के पास आवश्यकतानुसार मकान छोड़कर शेष मकान एवं खाली स्थान को बेघर एवं जरूरतमंद लोगों को दे दिया गया।
2. राष्ट्रीयकरण:
बोल्शेविकों ने अधिकांश उद्योगों एवं बैंकों का राष्ट्रीकरण कर दिया। इसके परिणामस्वरूप मजदूरों के शोषण में कमी आयी तथा वे पूरी लगन से मेहनत करने लगे।
3. उद्योगों का नियंत्रण:
उद्योगों का नियन्त्रण निजी हाथों से छीनकर राष्ट्रीयकरण करने के पश्चात् मजदूर, सोवियतों और श्रमिक संघों को दे दिया गया।
4. पार्टी का नाम बदलना:
बोल्शेविकों ने अपनी पार्टी का नाम बदलकर रूसी कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक) रख दिया।
5. पदवियों की समाप्ति:
पूर्व में कुलीन वर्ग को दी गयी पदवियों के प्रयोग एवं प्रभाव को समाप्त कर प्रतिबन्ध लगा दिया गया।
6. वर्दी बदलना:
बदलाव को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करने के उद्देश्य से बोल्शेविकों ने सेना और अफसरों की वर्दियों को बदल दिया।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित के बारे में संक्षेप में लिखिए
1. कुलक,
2. ड्यूमा,
3. सन् 1900 ई. से सन् 1930 ई. के बीच महिला कामगार,
4. उदारवादी,
5. स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम।
उत्तर:
1. कुलक:
रूस में सम्पन्न किसानों को ‘कुलक’ कहा जाता था। स्तालिन के समय में आधुनिक खेत विकसित करने और उन पर मशीनों की सहायता से औद्योगिक खेती करने के लिए यह आवश्यक समझा गया कि सम्पूर्ण रूस में ‘कुलकों को समाप्त कर दिया जाए।
2. ड्यूमा:
ड्यूमा रूस की निर्वाचित परामर्शदाता संसद थी। इसका गठन सन् 1905 ई. की क्रान्ति के बाद जार द्वारा हुआ। परन्तु इसे जार द्वारा बर्खास्त कर दिया गया क्योंकि जार अपनी सत्ता पर किसी भी तरह का अंकुश तथा किसी तरह की जवाबदेही नहीं चाहता था।
3. सन् 1900 ई.से सन् 1930 ई. के बीच महिला कामगार:
रूस के कारखानों में महिला कामगारों की संख्या भी पर्याप्त थी, उन्हें पुरुषों से कम मजदूरी मिलती थी। उन्होंने सन् 1905 ई. एवं सन् 1917 ई. की क्रान्ति एवं उसमें होने वाली हड़तालों में सक्रिय भाग लिया। 22 फरवरी, सन् 1917 ई. को उन्होंने श्रमिकों की सबसे बड़ी हड़ताल का नेतृत्व किया। रूस के इतिहास में महिला श्रमिक अपने साथी पुरुष श्रमिकों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रही।
4. उदारवादी:
उदारवादी ऐसा राष्ट्र चाहते थे जो सभी धर्मों को सहजता से स्वीकार कर सके। उन्होंने अनियन्त्रित वंशानुगत शासकों का विरोध किया। वे सरकार के समक्ष व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा के पक्षधर थे। वे व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करना चाहते थे, उन्होंने समूह प्रतिनिधित्व लोकतन्त्र का पक्ष लिया। वे निर्वाचित संसदीय सरकार तथा स्वतन्त्र न्यायपालिका के पक्ष में थे। सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार में उनका विश्वास नहीं था। उनका विचार था कि सम्पत्ति प्राप्त लोगों को मुख्यत: मत देने का अधिकार होना चाहिए।
5. स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम:
सन् 1927-1928 ई. के आस-पास रूस के शहरों में अनाज का भारी संकट उत्पन्न हो गया, उस समय किसानों के पास छोटे खेत थे। आधुनिक खेत विकसित करने एवं खेती का आधुनिकीकरण करने के लिए स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम आरम्भ हुआ।
सन् 1929 ई. से स्तालिन की पार्टी ने सभी किसानों को सामूहिक खेतों ‘कोलखोज’ में काम करने का आदेश जारी कर दिया। अधिकांश जमीन और साजो-सामान सामूहिक खेतों के स्वामित्व में सौंप दिए गए। सामूहिक खेती करने के लिए बड़ी भूमि अर्जित करना ही स्तालिन का सामूहिकीकरण कार्यक्रम कहलाया