Jharkhand Board JAC Class 10 Sanskrit Solutions रचना पत्र-लेखनम् Questions and Answers, Notes Pdf.
JAC Board Class 10th Sanskrit Rachana पत्र-लेखनम्
कक्षा 10 की परीक्षा में पत्र-लेखन का ज्ञान अपेक्षित है। उक्त प्रश्न के अन्तर्गत दी गयी मंजूषा (तालिका) में दिये गये शब्दों के द्वारा पत्र के रिक्त स्थानों की पूर्ति करके पत्र को पूर्ण करना होता है। कुछ पत्र लिखवाये भी जा सकते हैं।
इन पत्रों को मुख्यतः हम दो भागों में विभाजित करते हैं – (1) औपचारिक (2) अनौपचारिक।
1. औपचारिक पत्र – ये व्यावसायिक अथवा कार्यालयीय पत्र होते हैं।
2. अनौपचारिक पत्र – ये पत्र नितान्त व्यक्तिगत होते हैं और अपने मित्रों, सम्बन्धियों, परिचितों एवं परिजनों को उनकी कुशल – क्षेम जानने, परामर्श, प्रेरणा, सन्देश आदि के आदान-प्रदान करने हेतु लिखे जाते हैं। इनमें किसी निश्चित प्रविधि
अथवा प्रारूप का पालन नहीं किया जाता, अपितु सम्बन्धों की घनिष्ठता के आधार पर इनका प्रारूप कुछ भी हो सकता है। औपचारिकताओं के लिए इसमें कोई स्थान नहीं होता, इसीलिए इन्हें अनौपचारिक पत्र कहा जाता है।
प्राचीनकाल में तो पत्र-लेखन-प्रणाली आज की प्रणाली से पूर्णतया भिन्न थी। उस समय पत्र-लेखन का आरम्भ ‘स्वस्ति’ या ‘शुभमस्तु’ से किया जाता था और प्रथम वाक्य में लिखने के स्थान अर्थात् लेखक के स्थान की सूचना देते हुए पत्र-लेखक जहाँ और जिसके पास अपना पत्र भेजना चाहता था, उसका उल्लेख करते हुए अपना परिचय (नाम-निवासादि) लिखता था, परन्तु वर्तमान काल में हिन्दी भाषा में लिखे जाने वाले पत्रों के समान संस्कृत में भी पत्र लिखे जाने लगे हैं। हिन्दी पत्र-लेखन पर अंग्रेजी पत्र-लेखन का प्रभाव स्पष्ट है। अतः यहाँ जो भी पत्र दिए जाएँगे, वे नूतन शैली पर ही होंगे।
पत्र – लेखन सम्बन्धी आवश्यक निर्देश
पत्र जितना संक्षिप्त एवं व्यवस्थित रूप में लिखा जाएगा, वह पाठक को उतना ही अधिक प्रभावित करेगा। अत: पत्र को अधिक आकर्षक, बोधगम्य एवं असंदिग्ध बनाने के लिए निम्नलिखित बिन्दुओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए
- पत्र-लेखन बहुत ही सरल एवं स्पष्ट भाषा में होना चाहिए।
- वाक्य यथासंभव छोटे और सारगर्भित होने चाहिए।
- पत्र जिस उद्देश्य से लिखा जा रहा हो, उसका स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।
- पत्र में अनावश्यक बातों एवं विशेषणों का प्रयोग न करें।
- जिसके लिए पत्र लिखा जा रहा है, उसके लिए यथोचित संबोधन प्रयुक्त करना चाहिए।
संक्षेप में पत्र का प्रारूप
(i) स्थान ……………..
(ii) दिनाङ्क ……………
(iii) सम्बोधन
(iv) अभिवादन
(v) कुशल-सूचना (vi) सन्देश (मुख्य विषय) ……………………………………………………
…………………………………………………………………………………………
(vii) उपसंहार ……………………………………………………………………………………………..
(viii) पत्र लिखने वाले का नाम
(हस्ताक्षर)
1. अनौपचारिकपत्रम् :
1. पादकन्दुकस्पर्धायां विजयात् मित्राय वर्धापनपत्रम्
(फुटबाल प्रतियोगिता में विजय प्राप्त करने से मित्र के लिए बधाई-पत्र)
हनुमानगढ़तः
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रियमित्र स्वदेश !
नमो नमः।
अत्र कशलं तत्रास्त। अद्य चिरात तव पत्रं प्राप्तम। अहम अतीव हर्षम अनभवामि। भवान पादकन्दकस्पर्धायां विजयं प्राप्तवान् इति ज्ञात्वा महती प्रसन्नता जाता। सफलतायै अभिनन्दनम्। भवान् सम्यक् परिश्रमं करोति, अतः फलम् अपि प्राप्नोति। अत एव मां बहु आनन्दः अभवत्। भवत्सकाशमागन्तुं मम प्रायः अभिलाषा भवति। ग्रीष्मावकाशे अहं भवत्सकाशम् आगमिष्यामि।
अत्र मम अध्ययनं सम्यक् प्रचलति। आशासे भवतः अध्ययनम् अपि निर्विघ्नं तत्र प्रचलेत्। सर्वेभ्य: ज्येष्ठेभ्यः प्रणामाः कनिष्ठेभ्यः च आशिष: वक्तव्याः।
कुशलम् अन्यत्।
भवदभिन्न मित्रम्
मनोजः
हिन्दी-अनुवाद
हनुमानगढ़
दिनांक 25.03.20_ _
प्रिय मित्र स्वदेश!
नमो नमः।
यहाँ सब कुशल है, वहाँ भी हो। आज बहुत समय बाद तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। मैं अत्यन्त हर्ष का अनुभव कर रहा हूँ। तुमने फुटबाल प्रतियोगिता में विजय प्राप्त की, यह जानकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। सफलता के लिए अभिनन्दन। तुम अच्छी तरह परिश्रम करते हो, अत: फल भी प्राप्त करते हो। इसीलिए मुझे बहुत प्रसन्नता हुई। तुम्हारे पास मेरी प्रायः आने की अभिलाषा होती है। ग्रीष्मावकाश में मैं तुम्हारे पास आऊँगा। यहाँ मेरी पढ़ाई अच्छी चल रही है। आशा है, तुम्हारी पढ़ाई भी वहाँ निर्विघ्न चल रही होगी। सभी बड़ों को प्रणाम और छोटों को आशीर्वाद कहना।
शेष कुशल है।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
मनोज
2. राकेशः पितृभ्यां सह हरिद्वारनगरं पर्यटनाय अगच्छत्। परावृत्य सः स्वमित्रं मुकेशं यात्रायाः संस्मरण-स्वरूपं पत्रं लिखति।
भरतपुरम्
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रियमित्र मुकेश !
सस्नेहं वन्दे !
अत्र कुशलं तत्रापि कुशली भवान्। अहं ग्रीष्मावकाशे हरिद्वारनगरं भ्रमणाय अगच्छम्। मम पितरौ अपि मया सह तत्र पर्यटनाय शोभा-दर्शनाय च अगच्छताम्। तत्र हरिसोपाने सायंकाले मन्दिरेषु घण्टानादं भवति। गङ्गा कलकलध्वनिना सह सामावकाश हारद्वारनगरं भ्रमणाय गच्छम्। मम पितरौ अपि मया सह तत्र प्रवहति। दर्शकाः तत्र एकत्रीभूय स्नानं कुर्वन्ति, हरिदर्शनं कुर्वन्ति, शोभां पश्यन्ति आनन्दं च अनुभवन्ति। आशासे यत् आगामिनि वर्षे ग्रीष्मावकाशे त्वम् अपि मया सह गमिष्यसि। तत्र तव स्वास्थ्यं शोभनम्, आनन्द-लाभश्च भविष्यति। मातापितरौ प्रणामाः अनुजायै च स्नेहाशिषा: वक्तव्याः। शेषं कुशलम् अस्ति।
भवदीयः अभिन्नहृदयः
राकेशः
हिन्दी-अनुवाद
(राकेश अपने माता-पिता के साथ हरिद्वार नगर को पर्यटन के लिए गया। लौटकर वह अपने मित्र मुकेश को यात्रा-संस्मरण स्वरूप पत्र लिखता है।)
भरतपुर
दिनांक 25.03.20_ _
प्रिय मित्र मुकेश !
सस्नेह नमस्ते।
यहाँ कुशल है, वहाँ तुम भी सकुशल होगे। मैं ग्रीष्मावकाश में भ्रमण के लिए हरिद्वार नगर गया था। मेरे माता-पिता भी मेरे साथ पर्यटन और शोभादर्शन के लिए गये थे। वहाँ हरि की पौड़ी पर सायंकाल मन्दिरों में घण्टानाद होता है। गंगा . कलकल ध्वनि के साथ बहती है। दर्शक वहाँ इकट्ठे होकर स्नान करते हैं, हरिदर्शन करते हैं। शोभा देखते हैं और आनन्द का अनुभव करते हैं। मैं आशा करता हूँ कि अगले वर्ष ग्रीष्मावकाश में तुम भी मेरे साथ चलोगे। वहाँ तुम्हारा स्वास्थ्य अच्छा और आनन्द-लाभ होगा।
माता – पिता को प्रणाम और छोटी बहिन के लिए स्नेहयुक्त आशीर्वाद कहना। शेष कुशल है।
तुम्हारा अभिन्न हृदय
राकेश
3. भवत: नाम अरुणः। भवान् छात्रावासे निवसति। आगरास्थितं ताजमहलं द्रष्टुकामः शैक्षिकभ्रमणाय गन्तुं भवान् इच्छति। तदर्थं धनप्रेषणाय पितरं प्रति पत्रं लिखत।
विद्याभवनछात्रावासः
उदयपुरम्
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
परमादरणीयाः पितृमहाभागाः !
सादरं प्रणामाः।
भवतां कृपया अत्र कुशली अहम्। सविनयं निवेदनं यत् मम वार्षिकी परीक्षा समाप्ता जाता। मम उत्तरपत्राणि शोभनानि अभवन्। विद्यालयेन एकस्याः शैक्षिकयात्रायाः आयोजनं कृतम्। एषा शैक्षिकयात्रा आगरास्थितं ताजमहलं द्रष्टुम् आयोजिता अस्ति। अतः यात्राव्ययार्थं सहस्रमेकं रूप्यकाणि प्रेषयन्तु भवन्तः। शेषं सर्वं कुशलम्। मात्रे अग्रजाय च मम प्रणामाः, अनुजाय निमेषाय च आशिषः वक्तव्यः।
भवदीयः प्रियपुत्रः
अरुणः
हिन्दी-अनुवाद
(आपका नाम अरुण है। आप छात्रावास में रहते हैं। आगरा स्थित ताजमहल देखने के इच्छुक आप शैक्षिक भ्रमण के लिए जाना चाहते हैं। इसके लिए धन भेजने के लिए पिताजी को एक पत्र लिखिए।)
विद्याभवन – छात्रावास
उदयपुर
दिनांक 25.03.20_ _
परमादरणीय पिताजी !
सादर प्रणाम,
आपकी कृपा से यहाँ मैं सकुशल हूँ। सविनय निवेदन है कि मेरी वार्षिक परीक्षा समाप्त हो गई है। मेरे उत्तर-पत्र अच्छे हो गए हैं। विद्यालय ने एक शैक्षिक यात्रा का आयोजन किया है। यह शैक्षिक यात्रा आगरा के ताजमहल को देखने के लिए आयोजित की गई है। अत: यात्रा व्यय के लिए आप एक हजार रुपये भेज दें। शेष सब कुशल है। माताजी और बड़े भाई साहब के लिए प्रणाम और छोटे भाई निमेश के लिए आशीष कहिए।
आपका प्रिय पुत्र
अरुण
4. मित्राय विवाहस्य निमन्त्रणपत्रम्
5, उद्योगनगरम्
बीकानेरः
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रियमित्र अंकुर !
सप्रेम नमो नमः।
अत्र कुशलं तत्रास्तु। मित्र ! अहम् इदं प्रसन्नतापूर्वकं ज्ञापयामि यत् मम अग्रजस्य विवाहः अग्रिममासस्य सप्तम्यां तिथौ निश्चितो जातः। वरयात्रा च अत्रत: जयपुरं गमिष्यति। अहं त्वां प्रेम्णा पूर्वतः एव ज्ञापयामि येन त्वम् अत्र त्रिचतुर्दिनानि पूर्वतः एव प्राप्तः स्याः। त्वया अत्र अवश्यमेव आगन्तव्यम्। नात्र कस्यापि मिषस्य अवसरो देयः। तव स्निग्धां संगति साहाय्यं च अहं कामये। आदरणीयाभ्यां पितृभ्यां सादरं प्रणामाः।
भवन्मित्रम्
प्रदीपः
हिन्दी-अनुवाद
5, उद्योगनगर
बीकानेर
दिनांक 25.03.20_ _
प्रिय मित्र अंकुर !
सप्रेम नमोनमः।
यहाँ कुशल है, आशा है, वहाँ पर भी हो। मित्र ! मैं यह प्रसन्नतापूर्वक निवेदन करता हूँ कि मेरे बड़े भाई का विवाह आगामी महीने की सात तारीख को निश्चित हुआ है और बारात यहाँ से जयपुर को जाएगी। मैं तुम्हें प्रेमपूर्वक पहले से ही निवेदन करता हूँ, जिससे तुम यहाँ तीन-चार दिन पूर्व ही पहुँच जाओ। तुम्हें यहाँ अवश्य ही आना है। इस विषय में कोई बहाना नहीं चलेगा। तुम्हारी स्नेहमयी संगति और सहायता की मैं कामना करता हूँ। आदरणीय माताजी और पिताजी को सादर प्रणाम।
तुम्हारा मित्र
प्रदीप
5. अध्ययन प्रति उपेक्षारतम् अनुजं प्रति पत्रं लिखत –
ज्ञानदीपविद्यालयछात्रावासः
भरतपुरम्
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय कुणाल !
शुभाशिषः।
अत्र कुशलं तत्रास्तु। अद्य पितृपादानां पत्रं प्राप्तम्। विविधेषु विषयेषु त्वया ये अङ्काः प्राप्ताः, तान् पठित्वा अतिदुःखं जातम्। तव अङ्काः सर्वेषु एव विषयेषु हीनाः सन्ति। तत् कथम् ? मन्ये त्वं नियमेन न पठसि समयं च व्यर्थम् अतिवाहयसि। त्वया समयेन एव सर्वं कार्यं कर्त्तव्यम्। अध्ययनस्य काले अध्ययनम्, क्रीडनस्य काले एव क्रीडनम्, विश्रामस्य काले च विश्रामं कर्त्तव्यम्। मनसा पठनीयम्। समयं व्यर्थं न अतिवाहयेत्। ततः एव उच्चाङ्काः प्राप्याः। अस्तु, किञ्चित् समयानन्तरम् अहं त्वया सूचनीयः यत् का तव समयपालने उन्नतिः इति।
आदरणीयाभ्यां पितृभ्यां सादरं प्रणामाः अनुजायै च आशिषः।
तव ज्येष्ठभ्राता
देवदत्तः
हिन्दी-अनुवाद
ज्ञानदीप विद्यालय छात्रावास
भरतपुर
दिनांक 25.03.20_ _
प्रिय कुणाल !
शुभाशिष।
यहाँ कुशल है, वहाँ भी हो। आज पिताजी का पत्र प्राप्त हुआ। विविध विषयों में तुमने जो अंक प्राप्त किए हैं, उनको पढ़कर बहुत दुःख हुआ। तुम्हारे अंक सभी विषयों में न्यून (कम) हैं। यह कैसे ? मुझे लगता है कि तुम नियमित रूप से नहीं पढ़ते हो। समय व्यर्थ गँवाते हो। तुम्हें समय से सब काम करने चाहिए। पढ़ाई के समय पढ़ाई, खेल के समय खेल और विश्राम के समय विश्राम करना चाहिए। मन से पढ़ना चाहिए। समय व्यर्थ नष्ट नहीं करना चाहिए, तब ही उच्च अंक प्राप्त किये जा सकते हैं। खैर, कुछ समय पश्चात् मुझे सूचित करना समय-पालन में क्या उन्नति हुई ?
आदरणीय माताजी और पिताजी को प्रणाम तथा छोटे भाई को को आशीष।
तुम्हारा बड़ा भाई,
देवदत्त
6. विद्यालयस्य वार्षिकोत्सवम् अधिकृत्य मित्रं प्रति लिखितं पत्रं मञ्जूषापदसहायतया पूरयत।
(विद्यालय के वार्षिक उत्सव के आधार पर मित्र को लिखे गये पत्र के रिक्तस्थानों की पूर्ति मञ्जूषा में दिये पदों की सहायता से कीजिए।)
[मञ्जूषा – वार्षिकोत्सवः, कार्यक्रमम्, मित्रम्, प्रणामः, व्यस्ताः, मुख्यातिथि, पारितोषिकानि, राम।]
परीक्षाभवनम्
दिनाङ्कः 25-03-20_ _
प्रिंय (i) ……………..
अद्य तव पत्रं प्राप्तम्। अग्रे समाचारः अयम्, यत् गते सप्ताहे विद्यालयस्य (ii) …………… आसीत्। अहं सर्वे च अध्यापका: (iii) ……………… आस्मः। शिक्षानिदेशकः कार्यक्रमस्य (iv) ……………. आसीत्। सः अस्माकम (v) ………….. प्राशंसत्। सः योग्येभ्यः छात्रेभ्यः (vi) …………… अयच्छत्। पितृभ्यां मम (vii) ……….. निवेदयतु।
भवतः (viii) ………….
क ख ग
उत्तरम् :
परीक्षाभवनम्
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय राम!
अद्य तव पत्रं प्राप्तम्। अग्रे समाचारः अयम्, यत् गते सप्ताहे विद्यालयस्य वार्षिकोत्सवः आसीत्। अहं सर्वे च अध्यापकाः व्यस्ताः आस्मः। शिक्षानिदेशकः कार्यक्रमस्य मुख्यातिथिः आसीत्। सः अस्माकं कार्यक्रमं प्राशंसत्। सः योग्येभ्यः छात्रेभ्यः पारितोषिकानि अयच्छत्। पितृभ्यां मम प्रणामः निवेदयतु।
भवतः मित्रम्
क ख ग
हिन्दी-अनुवाद
परीक्षा भवन
दिनांक: 25.03.20_ _
प्रिय राम !
आज तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। आगे समाचार यह है कि गत सप्ताह विद्यालय का वार्षिक उत्सव हुआ। मैं और सभी अध्यापक व्यस्त थे। शिक्षा निदेशक कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने हमारे कार्यक्रम की प्रशंसा की। उन्होंने योग्य छात्रों को पारितोषिक भी प्रदान किये। माताजी और पिताजी को प्रणाम निवेदन करना।
तुम्हारा मित्र
क ख ग
7. मित्रं प्रति लिखितं निम्नलिखितं पत्रं मञ्जूषायां प्रदत्तैः उचितैः शब्दैः पूरयत।
(मित्र को लिखे गए निम्नलिखित पत्र को मञ्जूषा में दिये गये पदों से भरिए।)
[मञ्जूषा – विना, तत्र, वयं, सस्नेहं, चेन्नईत:, ह्यः, मग्ना: अपि।]
(i)…………
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय मित्र दिवाकर !
(ii) …………….. नमस्ते।
(iii) ……………… अहं मित्रः सह जन्तुशालां द्रष्टुं काननवनम् अगच्छम्। तत्र (iv) ……………… नेकान् पशून् अपश्याम। सर्वे पशवः इतस्ततः भ्रमन्ति स्म। सिंहाः उच्चस्वरैः अगर्जन्। मयूराः नृत्ये (v) ………………………… आसन्। वस्तुतः मयूरं (vi) …………………….. कुत्र जन्तुशालायाः भव्यशोभा ? तत्र आम्रवृक्षाः अपि आसन्, कोकिला (vii) ……………….। वस्तुतः यत्र आम्रवृक्षाः (viii) ……………….. कोकिला तु भविष्यति एव। अग्रे पुनः लेखिष्यामि। सर्वेभ्यः मम नमस्कारः कथनीयः।
भवदीयम् अभिन्नमित्रम्
शेखरः
उत्तरम् :
चेन्नईतः
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय मित्र दिवाकर !
सस्नेह नमस्ते।
ह्यः अहं मित्रैः सह जन्तुशालां द्रष्टुं काननवनम् अगच्छम्। तत्र वयम् अनेकान् पशून् अपश्याम। सर्वे पशवः इतस्ततः भ्रमन्ति स्म। सिंहाः उच्चस्वरैः अगर्जन्। मयूराः नृत्ये मग्नाः आसन्। वस्तुतः मयूरं विना कुत्र जन्तुशालायाः भव्यशोभा ? तत्र आम्रवृक्षाः अपि आसन्, कोकिला अपि। वस्तुतः यत्र आम्रवृक्षाः तत्र कोकिला तु भविष्यति एव। अग्रे पुनः लेखिष्यामि। सर्वेभ्यः मम नमस्कारः कथनीयः।
भवदीयम् अभिन्नमित्रम्
शेखरः
हिन्दी-अनुवाद
चेन्नई
दिनांक: 25.03.20_ _
प्रियमित्र दिवाकर !
सप्रेम नमस्ते।
कल मैं मित्रों के साथ चिड़ियाघर देखने काननवन गया। वहाँ हमने अनेक पशुओं को देखा। सभी पशु इधर उधर घूम रहे थे। सिंह उच्च स्वर में गर्जना कर रहे थे। मोर नाचने में मग्न थे। वास्तव में मोर के बिना चिड़ियाघर की भव्य शोभा कहाँ ? वहाँ आम के वृक्ष भी थे, कोयल भी (थी)। वास्तव में जहाँ आम के पेड़ (हों), वहाँ कोयल भी होगी ही। आगे फिर लिखूगा। सभी के लिए मेरा नमस्कार कहना।
तुम्हारा अभिन्न मित्र
शेखर
8. अनुजं प्रति लिखिते पत्रे मञ्जूषायां प्रदत्तैः शब्दैः रिक्तस्थानपूर्तिं कुरुत।
(छोटे भाई को लिखे गए पत्र में मञ्जूषा में दिये गये शब्दों से रिक्तस्थानों की पूर्ति कीजिए।)
[मञ्जूषा- गणितविषये, छात्रावासतः, अनुज, आशिषः, ह्यः, शोभनः, तव, प्राप्ताः।]
(i) …………………
आगरा
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय (ii) …………….. सोमेश !
संस्नेहं (iii) ………………।
(iv) ……………….. अहं तव पत्रं प्राप्तवान्। (v) ………………. परीक्षा परिणामः (vi) ………………… अस्ति, परं (vii) ……………… भवता न्यूनाः अङ्काः (viii) …………….. इति सखेदं मया अधीतम्। त्वं प्रतिदिनं प्रातःकाले उत्थाय गणितस्य अभ्यासं कुरु, गणिताध्यापकं च पुनः पुनः प्रश्नान् पृच्छ। अभ्यासेन एव सर्वाणि कार्याणि सिध्यन्ति। पित्रोः चरणयोः सादरं प्रणामः।
भवदीयः अग्रजः
श्रीशः
उत्तरम् :
छात्रावासतः
आगरा
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय अनुज सोमेश !
सस्नेहम् आशिषः।
ह्यः अहं तव पत्रं प्राप्तवान्। तव परीक्षापरिणामः शोभन: अस्ति, परं गणितविषये भवता न्यूना: अङ्काः प्राप्ताः इति सखेदं मया अधीतम्। त्वं प्रतिदिनं प्रात:काले उत्थाय गणितस्य अभ्यासं कुरु, गणिताध्यापकं च पुनः पुनः प्रश्नान् पृच्छ। अभ्यासेन एव सर्वाणि कार्याणि सिध्यन्ति। पित्रो: चरणयोः सादरं प्रणामः।
भवदीयः अग्रजः
श्रीशः
हिन्दी-अनुवाद
छात्रावास
आगरा
दिनांक 25.03.20_ _
प्रिय अनुज सोमेश !
सस्नेह आशीर्वाद।
कल मुझे तुम्हारा पत्र मिला। तुम्हारा परीक्षा परिणाम अच्छा है, परन्तु गणित विषय में तुमने कम अंक प्राप्त किये, ऐसा मैंने खेद के साथ पढ़ा। तुम प्रत्येक दिन प्रातःकाल उठकर गणित का अभ्यास न करो, गणित के अध्यापक से बार-बार प्रश्न पूछो। अभ्यास से ही सारे कार्य सिद्ध होते हैं। माता-पिताजी के चरणों में सादर प्रणाम।
तुम्हारा बड़ा भाई
श्रीश
9. स्वविद्यालयस्य वर्णनं कुर्वन् मित्रं संजीवं प्रति अधः लिखितं पत्रम् उत्तर-पुस्तिकायां रिक्तस्थानपूर्ति कृत्वा पुनः लिखत। सहायतायै मञ्जूषायां पदानि दत्तानि।
(अपने विद्यालय का वर्णन करते हुए मित्र संजीव को नीचे लिखे पत्र को उत्तर-पुस्तिका में रिक्तस्थानों की पूर्ति करके पुनः लिखिए। सहायतार्थ मञ्जूषा में पद दिये हुए हैं।)
[मञ्जूषा – पुस्तकालये, सजीव, सस्नेह नमस्कारः, शतप्रतिशतम मनोयोगेन, करोमि, क्रीडाक्षेत्र विद्यालयः]
परीक्षाभवनम्
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय (i) ……………….
(ii) ………………।
भवतः पत्रं प्राप्तम्। मनः प्रासीदत्। यथा भवता कथितं तथा अहं पत्रोत्तरे स्व विद्यालयस्य वर्णनं (iii) ………..। मम (iv) …………………. अतीव विशालः सुन्दरः च अस्ति। अत्र त्रिसहस्रछात्राः। (v) ……………….. पठन्ति। (vi) ………………. पुस्तकानां पत्र-पत्रिकाणां च सुव्यवस्था अस्ति। (vit) ………………….. वालीबाल-बैडमिण्टन क्रिकेट-रज्जु-आकर्षणादि-खेलानाम् उत्तमः प्रबन्धः अस्ति। बोईस्य परीक्षापरिणामः प्रतिवर्षम् (viii) ………. भवति। मातापित्रोः चरणयोः प्रणामाः।
भवतः अभिन्नमित्रम्
क ख ग
उत्तरम् :
परीक्षाभवनम्
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय संजीव !
सस्नेह नमस्कारः।
भवतः पत्रं प्राप्तम्। मनः प्रासीदत्। यथा भवता कथितं तथा अहं पत्रोत्तरे स्व-विद्यालयस्य वर्णनं करोमि। मम ‘विद्यालयः अतीव विशालः सुन्दरः च अस्ति। अत्र त्रिसहस्रछात्रा: मनोयोगेन पठन्ति। पुस्तकालये पुस्तकानां पत्र-पत्रिकाणां च सुव्यवस्था अस्ति। क्रीडाक्षेत्रे वालीबाल-बैडमिण्टन-क्रिकेट-रज्जु-आकर्षणादिखेलानाम् उत्तमः प्रबन्धः अस्ति। बोईस्य परीक्षापरिणाम: प्रतिवर्ष शतप्रतिशतं भवति। मातापित्रोः चरणयोः प्रणामाः।
भवतः अभिन्नमित्रम्
क ख ग
हिन्दी-अनुवाद
परीक्षाभवन
दिनांक : 25.03.20_ _
प्रिय संजीव !
सस्नेह नमस्कार।
आपका पत्र प्राप्त हुआ। मन प्रसन्न हुआ। जैसा आपने कहा था, वैसे ही मैं पत्र के उत्तर में अपने विद्यालय का वर्णन कर रहा हूँ। मेरा विद्यालय अत्यन्त विशाल और सुन्दर है। यहाँ तीन हजार छात्र मनोयोग से पढ़ते हैं। पुस्तकालय में पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं की सुव्यवस्था है। क्रीडा के क्षेत्र में वालीबाल, बैडमिण्टन, क्रिकेटे और रस्साकशी आदि खेलों का उत्तम प्रबन्ध है। बोर्ड का परीक्षा परिणाम प्रतिवर्ष शत-प्रतिशत रहता है। माता-पिताजी के चरणों में प्रणाम।
आपका अभिन्न मित्र
क ख ग
10. भवती रश्मिः। भवती छात्रावासे पठति। भवत्याः अनुजः सूर्यः नवमकक्षायां संस्कृतं पठितुं न इच्छति। तं प्रेरयितम अधोलिखितं पत्रं मञ्जषापदसहायतया परयित्वा उत्तरपस्तिकायां पनः लिखत।
(आप रश्मि है। आप छात्रावास में पढ़ती है। आपका खेटा भाई सूर्य नवम कक्षा में संस्कृत पढ़ना नहीं चाहता है। उसको प्रेरित करने के लिए निम्नलिखित पत्र मञ्जूषा के पदों की सहायता से भरकर उत्तर-पुस्तिका में पुनः लिखें।)
[मञ्जूषा – संस्कृतभाषायाः, प्रेरणाप्रदम्, भोपालतः, जन्मीलितम्, शुभाशिषः कृत्वा, अनुज, भवतः]
गङ्गाात्रावासः
नवोदयविद्यालयः
(i) ……………
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय (ii)………….. सूर्य !
(iii) ……………।
भवान् अष्टं कक्षायां नवतिप्रतिशतम् अङ्कान् प्राप्य उत्तीर्ण: जातः इति (iv) …………….पत्रात् ज्ञात्वा अहम् अतीव प्रसन्ना अस्मि। शतश: वर्धापनानि। मया इदम् अपि ज्ञातं यत् भवान् नवम्यां कक्षायां संस्कृतविषयं स्वीकर्तुं न इच्छति। प्रिय वत्स ! (v) ………………… ज्ञानं विना अस्माकं जीवनम् एव अपूर्णं भवति। अस्माकं संस्कृतसाहित्यं तु सम्पूर्णविश्वाय (vi) …………… अस्ति। तत्कथं भवान् तस्मात् अपूर्वज्ञानात् वञ्चितः भवितुम् इच्छति। मम तु ज्ञानचक्षुः एव अनेन (vii) …………….. जातम्।
आशासे यद् भवान् नवमकक्षातः एव स्वज्ञानवर्धनं (viii) …………….. अन्यान् अपि प्रेरयिष्यति। मातृपितृचरणयोः मे प्रणामाः निवेद्यन्ताम् इति।
भवतः अग्रजा
रश्मिः
उत्तरम् :
गङ्गांछात्रावासः
नवोदयविद्यालयः
भोपालतः
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय अनुज सूर्य !
शुभाशिषः।
भवान् अष्टं कक्षायां नवतिप्रतिशतम् अङ्कान् प्राप्य उत्तीर्णः जातः इति भवतः पत्रात् ज्ञात्वा अहम् अतीव प्रसन्ना अस्मि। शतशः वर्धापनानि। मया इदम् अपि ज्ञातं यत् भवान् नवम्यां कक्षायां संस्कृतविषयं स्वीकर्तुं न इच्छति। प्रिय वत्स! संस्कृतभाषायाः ज्ञानं विना अस्माकं जीवनम् एव अपूर्णं भवति। अस्माकं संस्कृतसाहित्यं तु सम्पूर्णविश्वाय प्रेरणाप्रदम् अस्ति। तत्कथं भवान् तस्मात् अपूर्वज्ञानात् वञ्चितः भवितुम् इच्छति। मम तु ज्ञानचक्षुः एव अनेन उन्मीलितं जातम्। :
आशासे यद् भवान् नवमकक्षातः एव स्वज्ञानवर्धनं कृत्वा अन्यान् अपि प्रेरयिष्यति। मातृपितृचरणयोः मे प्रणामाः निवेद्यन्ताम् इति।
भवतः अग्रजा
रश्मिः
हिन्दी-अनुवाद
गंगा छात्रावास
नवोदय विद्यालय
भोपाल
दिनांक: 25.03.20_ _
प्रिय अनुज सूर्य !
शुभाशिष।
आप आठवीं कक्षा में नब्बे प्रतिशत अंक प्राप्त करके उत्तीर्ण हुए, आपके पत्र से यह जानकर मैं बहुत प्रसन्न हूँ। शत-शत बधाईयाँ। मुझे यह भी ज्ञात हुआ कि आप नवमी कक्षा में संस्कृत विषय स्वीकार करना नहीं चाहते हैं। प्रिय भाई (बच्चे)! संस्कृत ज्ञान के बिना हमारा जीवन अपूर्ण होता है। हमारा संस्कृत साहित्य तो संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरणा देने वाला है। तो क्यों आप उस अपूर्व ज्ञान से वञ्चित रहना (होना) चाहते हैं। मेरे तो ज्ञानचक्षु ही इसने खोल दिये।
आशा है कि आप नवम कक्षा से ही अपना ज्ञान-वर्धन करके दूसरों को भी प्रेरित करेंगे। माता-पिता के चरणों में मेरा प्रणाम निवेदन करें।
आपकी बड़ी बहिन
रश्मि
11. भवान् ‘चन्द्रः’। भवतां विद्यालये संस्कृतस्य सम्भाषणशिविरम् आयोजितम् आसीत्। स्व-अनुभवान् वर्णयन् भवान् स्वमित्रं सुरेशं प्रति पत्रं लिखति, परन्तु मध्ये कानिचित् पदानि त्यक्तानि। पत्रं पूरयित्वा पुनः उत्तरपुस्तिकायां लिखतु। सहायतायै अधः मञ्जूषा दत्ता।
(आप’चन्द्र’ हैं। आपके विद्यालय में संस्कृत-सम्भाषण-शिविर आयोजित किया गया था। अपने अनुभवों का वर्णन करते हुए आप अपने मित्र सुरेश को पत्र लिखते हैं परन्तु बीच में कुछ पद छूट गए हैं। पत्र को पूरा करके फिर से उत्तर-पुस्तिका में लिखिए। सहायता के लिए नीचे मञ्जूषा दी हुई है।)
[मञ्जूषा – इन्द्रपुरीतः, हसित्वा, अभ्यासम्, सुरेश, सस्नेह नमस्ते, वयम्, अभिनयं, मयि।]
अ 77, शालीमारबागः
(i) …………………………..
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय (ii) …………….
(iii) ………………
अत्र सर्वगतं कुशलम्। मन्ये भवान् अपि कुशली। गत सप्ताहे अस्माकं विद्यालये संस्कृतसम्भाषणशिविरम् आयोजितम् आसीत्। दशदिनानि वयं संस्कृतेन सम्भाषणस्य (iv) ……………. कृतवन्तः। एकस्याः लघुनाटिकायाः मञ्चनम् अपि (v) …………………. अकुर्म। अहं तु विदूषकस्य (vi) …………………….. कृतवान्। सर्वे जनाः हसित्वा ………………. पौन:पुन्येन करतलध्वनिम् अकुर्वन्। अहं तु इदानीं सर्वदा संस्कृते एव वदामि। मम शिक्षकाः अपि (viii) ………………. स्नेहं कुर्वन्ति। त्वम् अपि प्रयत्नं कुरु। नूनं यशस्वी भविष्यसि। पितरौ प्रति मम प्रणामाञ्जलिं निवेदयतु।
भवताम् अभिन्नहृदयः
चन्द्रः
उत्तरम् :
अ 77, शालीमारबागः
इन्द्रपुरीतः
दिनांक: 25.03.20_ _
प्रिय सुरेश !
सस्नेह नमस्ते।
अत्र सर्वगतं कुशलम्। मन्ये भवान् अपि कुशली। गत सप्ताहे अस्माकं विद्यालये संस्कृतसम्भाषणशिविरम् आयोजितम् आसीत्। दशदिनानि वयं संस्कृतेन सम्भाषणस्य अभ्यासं कृतवन्तः। एकस्याः लघुनाटिकायाः मञ्चनमपि वयम् अकुर्म। अहं तु विदूषकस्य अभिनयं कृतवान्। सर्वे जनाः हसित्वा हसित्वा पौन:पुन्येन करतलध्वनिम् अकुर्वन्। अहं तु इदानीं सर्वदा संस्कृते एव वदामि। मम शिक्षका: अपि मयि स्नेहं कुर्वन्ति। त्वम् अपि प्रयत्नं कुरु। नूनं यशस्वी भविष्यसि। पितरौ प्रति मम प्रणामाञ्जलिं निवेदयतु।
भवताम् अभिन्नहृदयः
चन्द्रः
हिन्दी-अनुवाद
अ 77, शालीमार बाग
इन्द्रपुरी
दिनांक: 25.03.20_ _
प्रिय सुरेश !
सस्नेह नमस्ते।
यहाँ सब प्रकार से कुशल है। मानता हूँ, आप भी सकुशल होंगे। गत सप्ताह हमारे विद्यालय में संस्कृत-सम्भाषण शिविर आयोजित किया गया था। दस दिन तक हमने संस्कृत सम्भाषण का अभ्यास किया। एक लघु नाटिका का मंचन भी हमने किया। मैंने तो विदूषक का अभिनय किया। सभी लोगों ने हँस-हँसकर बार-बार करतल ध्वनि की। मैं तो अब सदैव संस्कृत में ही बोलता हूँ। मेरे शिक्षक भी मुझसे स्नेह करते हैं। तुम भी प्रयत्न करो। निश्चित यशस्वी होओगे। माता-पिता को मेरा प्रणाम निवेदन करना।
आपका अभिन्न हृदय
चन्द्र
12. भवती सरोजिनी। भवत्याः वर्गेण अनाथबालकैः सह प्रतियोगितायां पराजयः अनुभूतः। आत्मानुभवान् वर्णयन्त्या भवत्या मातरं प्रति लिखितं पत्रं मञ्जूषापदसहायतया पूरयित्वा पुनः लेखनीयम्।
(आप सरोजिनी हैं। आपके वर्ग ने अनाथ बालकों के साथ प्रतियोगिता में पराजय का अनुभव किया। अपने अनुभवों का वर्णन करती हुई आप माताजी के लिए लिखे गए पत्र को मंजूषा के पदों की सहायता से पूरा करके फिर से लिखिए।)
[मञ्जूषा – सर्वे, पराजिताः, मातः, कुशलिनः, आयोजितवान्, सह, चरणस्पर्शः, सर्वगतम्।]
नूतनविद्यापीठम्
कर्णाटकतः
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
पूज्ये (i) ……………
सादरं (ii) ……………
अत्र खलु (iii) …………………… कुशलम्। मन्ये तत्रापि सर्वे (iv) ……………..। मातः ! अस्माकं विद्यालयस्य समीपे एकः अन्यः विद्यालयः अस्ति। यत्र (v) ……………….. दीनाः असहायाः छात्राः एव पठन्ति। अस्माकं प्राचार्यः तस्य विद्यालयस्य दशमकक्षायाः छात्रैः (vi) …………… गीतान्त्याक्षरी-प्रतियोगिताम् (vii) ………..। जानाति भवती, वयं सर्वे तस्यां (viii) …………… जाताः। तेषां प्रदर्शनं तु अभूतपूर्वम् आसीत्। नूनं दर्पः सर्वं नाशयति, श्रमः सर्वत्र विजयते।
पितृचरणयोः प्रणामाः।
भवत्याः प्रिया सुता
सरोजिनी
उत्तरम् :
नूतनविद्यापीठम्
कर्णाटकतः
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
पूज्ये मातः !
सादरं चरणस्पर्शः।
अत्र खलु सर्वगतं कुशलम्। मन्ये तत्रापि सर्वे कुशलिनः। मातः ! अस्माकं विद्यालयस्य समीपे एक: अन्यः विद्यालयः अस्ति। यत्र सर्वे दीनाः असहायाः छात्राः एव पठन्ति। अस्माकं प्राचार्यः तस्य विद्यालयस्य दशमकक्षायाः छात्रैः सह प्रतियोगिताम् आयोजितवान्। जानाति भवती, वयं सर्वे तस्यां पराजिता: जाताः। तेषां प्रदर्शनं तु अभूतपूर्वम आसीत्। नूनं दर्पः सर्वं नाशयति, श्रमः सर्वत्र विजयते।
पितृचरणयोः प्रणामाः।
भवत्याः प्रिया सुता
सरोजिनी
हिन्दी-अनुवाद
नूतन विद्यापीठ
कर्णाटक
दिनांक : 25.03.20_ _
पूज्य माताजी !
सादर चरणस्पर्श।
यहाँ सब प्रकार से कुशल है। मानती हूँ वहाँ भी सभी कुशल से हैं। माताजी ! हमारे विद्यालय के समीप एक अन्य विद्यालय है जहाँ सभी दीन-असहाय छात्र ही पढ़ते हैं। हमारे प्राचार्य ने उस विद्यालय की दशमी कक्षा के छात्रों के साथ गीतान्त्याक्षरी की प्रतियोगिता आयोजित की। आप जानती हैं, हम सब उस प्रतियोगिता में पराजित हो गये। उनका प्रदर्शन तो अभूतपूर्व था। निश्चित ही घमण्ड सबका नाश कर देता है, श्रम की सर्वत्र विजय होती है।
पिताजी के चरणों में प्रणाम।
आपकी प्यारी बेटी
सरोजिनी
13. भवान् आशुतोषः। भवतः मित्रं शुभम् ऊन-एकोनविंशतिवर्षीयां क्रिकेट प्रतियोगितां विजित्य आगतः। स्वानुभवान् वर्णयन् भवान् स्वपितरं प्रति पत्रं लिखति। तस्मिन् पत्रे विद्यमानानि रिक्तस्थानानि मञ्जूषापदसहायतया पूरयित्वा पुनः लिखतु।
(आप आशुतोष हैं। आपका मित्र शुभम् उन्नीस वर्ष से कम आयु की क्रिकेट प्रतियोगिता में विजयी होकर आया है। अपने अनुभवों का वर्णन करते हुए आप अपने पिता को पत्र लिख रहे हैं। उस पत्र में विद्यमान रिक्तस्थानों को मञ्जूषा के पदों की सहायता से पूरा करके पुनः लिखिए।)
[मञ्जूषा-पितचरणाः, प्रार्थये, प्रणामाः, परितोषम्, विजयी, समाचार:, शुभम, कुशलिनः।]
प्रतिभाविकासविद्यालयः,
इन्द्रप्रस्थम्
दिनांक: 25.03.20_ _
प्रातः स्मरणीयाः (i) ……………
सादरं (ii) ……………
अत्र सर्वं कुशलम्। तत्रापि सर्वे (iii) …………….. सन्तु इति श्रीपतिं ‘विष्णुं’ (iv) ……………..। आनन्दप्रदः (v) ………….. अस्ति यत् मम मित्रम् (vi) ……………….. ऊन-एकोनविंशतिवर्षीयां क्रिकेटप्रतियोगितायां (vii) ……………….. भूत्वा प्रतिनिवृत्तः। अतः अंहं महान्तं (viii) …………… अनुभवामि। आशासे यत् स भूयों भूयः बहवीः प्रतियोगिताः विजेष्यते। भवानपि तस्मै वर्धापनपत्रं लिखत्।
मातृचरणयोः साभिवादनं प्रणामाः, राधिकायै शुभाशिषः।
भवतां वशंवदः
आशुतोषः
उत्तरम् :
इन्द्रप्रस्थम्
दिनांक: 25.03.20_ _
प्रातः स्मरणीयाः पितृचरणाः !
सादरं प्रणामाः।
अत्र सर्वं कुशलम्। तत्रापि सर्वे कुशलिनः सन्तु इति श्रीपति विष्णुं प्रार्थये। आनन्दप्रदः समाचारः अस्ति यत् मम मित्रं शुभम् ऊन एकोनविंशतिवर्षीयां क्रिकेटप्रतियोगितायां विजयी भूत्वा प्रतिनिवृत्तः। अतः अहं महान्तं परितोषम् अनुभवामि। आशासे यत् सः भूयो भूयः बह्वीः प्रतियोगिताः विजेष्यते। भवानपि तस्मै वर्धापनपत्रं लिखतु।
मातचरणयोः साभिवादनं प्रणामाः, राधिकायै शुभाशिषः।
भवतां वशंवदः
आशुतोषः
हिन्दी-अनुवाद
प्रतिभाविकास विद्यालय,
इन्द्रप्रस्थ
दिनांक 25.03.20_ _
प्रातः स्मरणीय पिताजी !
सादर प्रणाम।
यहाँ सब सकुशल हैं। वहाँ भी सब कुशल हों, ऐसी श्रीपति विष्णु से प्रार्थना करता हूँ। (एक) सुखद समाचार है कि मेरा मित्र शुभम् उन्नीस वर्ष से कम उम्र वालों की क्रिकेट प्रतियोगिता में विजयी होकर लौटा है। अतः मैं बहुत सन्तोष का अनुभव कर रहा हूँ। आशा है कि वह बार-बार बहुत-सी प्रतियोगिताओं में विजय प्राप्त करेगा। आप भी उसके लिए बधाई पत्र लिख दें।
माताजी के चरणों में अभिवादन सहित प्रणाम, राधिका के लिए शुभ आशीष।
आपका आज्ञाकारी
आशुतोष
14. मित्रं प्रति लिखितं निम्नलिखितं पत्रं मञ्जूषायां प्रदत्तैः पदैः पूरयत।
(मित्र को लिखे गए निम्नलिखित पत्र को मंजूषा में दिये पदों से पूरा कीजिए।)
[मञ्जूषा- वृक्षः, मित्रम्, नमस्ते, अरुणाचलतः, अस्य, एव, वयं, गतसप्ताहे]
(i) ………………
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय (ii) ……………….. भास्कर !
सस्नेहं (iii) …………..
(iv) …………. अहं मित्रैः सह शैक्षिकभ्रमणाय ‘दार्जिलिङ्ग’ इति पर्वतीयस्थलं गतवान्। (v) ………… स्थानस्य सौन्दर्यम् अद्भुतम् (vi) …………. अस्ति। विशालैः (vii) ………….. सुसज्जिता इयं देवभूमिः एव अस्ति। एवं प्रतीयते यत् (viii) …………….. अन्यस्मिन् एव संसारे वसामः। इमं सुरम्यं प्रदेशं दृष्ट्वा इदम् असत्यम् एव प्रतीयते यत पर्वताः केवलं दरतः एव रम्याः। पर्वताः त सदैव रम्याः एव भवन्ति। अहं त्वया सह अपि एकवारं तत्र पुनः गन्तुम् इच्छामि। आशासे आवां शीघ्रं गमिष्यावः। अधुना विरमामि। सर्वेभ्यो मम नमस्कारः कथनीयः।
भवतः मित्रम्
शैलज
उत्तरम् :
अरुणाचलतः
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रियं मित्रं भास्कर !
सस्नेहं नमस्ते।
गतसप्ताहे अहं मित्रैः सह शैक्षिकभ्रमणाय ‘दार्जिलिङ्ग’ इति पर्वतीयस्थलं गतवान्। अस्य स्थानस्य सौन्दर्यम् अद्भुतम् एव अस्ति। विशालैः वृक्षैः सुसज्जिता इयं देवभूमिः एव अस्ति। एवं प्रतीयते यत् वयम् अन्यस्मिन् एव संसारे वसामः। इमं सुरम्य प्रदेशं दृष्ट्वा इदम् असत्यम् एव प्रतीयते यत् पर्वताः केवलं दूरतः एव रम्याः। पर्वताःतु सदैव रम्याः एव भवन्ति। अहं त्वया सह ‘अपि एकवार तत्र पुनः गन्तुम् इच्छामि। आशासे आवां शीघ्रं गमिष्यावः। अधुना विरमामि। सर्वेभ्यो मम नमस्कारः कथनीयः।
भवतः मित्रम्
शैलजा
हिन्दी-अनुवाद
अरुणाचल
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय मित्र भास्कर !
सस्नेह नमस्ते।
गत सप्ताह मैं मित्रों के साथ शैक्षिक भ्रमण के लिए ‘दार्जिलिंग’ पर्वतीय स्थल को गया। इस स्थान का सौन्दर्य अद्भुत ही है। विशाल वृक्षों से सुसज्जित यह देवभूमि ही है। ऐसा प्रतीत होता है कि हम दूसरे ही संसार में रह रहे हैं। इस सुरम्य प्रदेश को देखकर यह असत्य ही प्रतीत होता है कि पर्वत केवल दूर से ही सुन्दर लगते हैं। पर्वत तो सदैव रम्य ही होते हैं। मैं तुम्हारे साथ भी एक बार वहाँ फिर जाना चाहता हूँ। आशा है हम दोनों शीघ्र ही जाएँगे। अब विराम देता हूँ। सभी को मेरा नमस्कार कहना।
आपका मित्र
शैलज
15. मित्रं प्रति परीक्षासफलतायां लिखितं पत्रं मञ्जूषायां प्रदत्तैः शब्दैः पूरयत।
(मित्र के लिए परीक्षा की सफलता पर लिखे गए पत्र को मंजूषा में दिये गये शब्दों से पूरा करो।)
[मञ्जूषा- परीक्षाभवनात्, सन्तोषः, अङ्कान्, साधुवादान्, कामये, प्राप्तम्, प्रिय मित्र, सप्रेमनमस्कारम्।]
(i) ………………..
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
(i) …………….!
(iii) ………………..
भवतः परीक्षासफलतापत्रम् अधुनैव (iv) ………………। भवतः उत्तीर्णतां ज्ञात्वा मयि अति (v) ……………. अस्ति। अहोरात्रं प्रयासं विधाय भवान् 95 प्रतिशतम् (vi) ……………….. लब्धवान्। त्वं मम परिवारजनः (vii) ………………. अर्हसि। पत्रसमाप्तौ तुभ्यं पुनः वर्धापनम् (viii) ………… । पितृभ्यां सादरं नमः।
भवतः प्रियमित्रम्
अ ब स
उत्तरम् :
परीक्षाभवनात्
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय मित्र !
सप्रेमनमस्कारम्।
भवतः परीक्षासफलतापत्रम् अधुनैव प्राप्तम्। भवतः उत्तीर्णतां ज्ञात्वा मयि अति सन्तोषः अस्ति। अहोरात्रं प्रयासं विधाय भवान् 95 प्रतिशतम् अङ्कान् लब्धवान्। त्वं मम परिवारजनस्य साधुवादान् अर्हसि। पत्रसमाप्तौ तुभ्यं पुनः वर्धापनं कामये। पितृभ्यां सादरं नमः।
भवतः प्रियमित्रम्
अ ब स
हिन्दी-अनुवाद
परीक्षाभवन
दिनांक 25.03.20_ _
प्रिय मित्र !
सप्रेम नमस्कार।
आपका परीक्षाफल पत्र अभी प्राप्त हुआ। आपकी उत्तीर्णता को जानकर मुझे अत्यंत सन्तोष हुआ है। दिन-रात प्रयास करके आपने 95 प्रतिशत अंक प्राप्त किये। तुम मेरे परिवारीजनों के साधुवादों के योग्य हो। पत्र-समाप्ति पर तुम्हें फिर बधाई की कामना करता हूँ। माता-पिता जी को सादर नमस्कार।
आपका प्रिय मित्र
अ ब स
16. भवतां नाम सौरभः। भवतां विद्यालये वार्षिकोत्सवे संस्कृतनाटकस्य मञ्चनं भविष्यति। तदर्थं स्वमित्रं गौरवं प्रति लिखितं निमन्त्रणपत्रं मञ्जूषापदसहायतया पूरयित्वा पुनः उत्तरपुस्तिकायां लिखत।
(आपका नाम सौरभ है। आपके विद्यालय में वार्षिकोत्सव में संस्कृत नाटक का मञ्चन होगा। इसके लिए अपने मित्र गौरव को लिखे गये निमन्त्रण पत्र को मंजूषा के पदों की सहायता से भरकर पुनः उत्तरपुस्तिका में लिखिए।)
[मञ्जूषा – द्रष्टुम्, दिल्लीतः, कुशली, मञ्चनम्, गौरव !, दीपावल्याः, करिष्यामि, उत्साहवर्धनम्]
सर्वोदयविद्यालयः
(i) …………..।
दिनाङ्कः 25.08.20_ _
प्रियमित्र (ii) ………………….
दीपावलिपर्वणः शुभाशंसाः। अत्र सर्वगतं कुशलम्। भवान् अपि (iii) ……………….. इति मन्ये। अस्माकं विद्यालयस्य वार्षिकोत्सवः (iv) ………… पर्वणः शुभावसरे भविष्यति। तत्र अस्माकं पुस्तकस्य ‘रमणीया हि सृष्टिः एषा’ इति नाटकस्य (v) ……………… भविष्यति। अहं तस्मिन् नाटके काकस्य अभिनयं (vi) ……। भवान् अवश्यमेव तत् (vii) ……………….. आगच्छतु। मम अपि (viii) … भविष्यति। सर्वेभ्यः अग्रजेभ्यः मम प्रणामाञ्जलिः निवेद्यताम् इति।
भवदीयः वयस्यः
सौरभः
उत्तरम् :
सर्वोदयविद्यालयः
दिल्लीतः
दिनाङ्कः 25.08.20_ _
प्रियमित्र गौरव !
दीपावलिपर्वणः शुभाशंसाः। अत्र सर्वगतं कुशलम्। भवान् अपि कुशली इति मन्ये। अस्माकं विद्यालयस्य सवः दीपावल्याः पर्वणः शुभावसरे भविष्यति। तत्र अस्माकं पुस्तकस्य ‘रमणीया हि सृष्टिः एषा’ इति नाटकस्य मञ्चनं भविष्यति। अहं तस्मिन् नाटके काकस्य अभिनयं करिष्यामि। भवान् अवश्यमेव तत् द्रष्टुम् आगच्छतु। मम अपि उत्साहवर्धनं भविष्यति। सर्वेभ्यः अग्रजेभ्यः मम प्रणामाञ्जलिः निवेद्यताम् इति।
भवदीयः वयस्यः
सौरभः
हिन्दी-अनुवाद
सर्वोदय विद्यालय
दिल्ली
दिनांक 25.08.20_ _
प्रिय मित्र गौरव !
दीपावली पर्व की शुभकामनाएँ। यहाँ सब प्रकार कुशल है। आप भी सकुशल होंगे, ऐसा मानता हूँ। हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव दीपावली पर्व के शुभ अवसर पर होगा। वहाँ हमारी पुस्तक के यह सृष्टि रमणीय है’ इस नाटक का मंचन होगा। मैं इस नाटक में कौए का अभिनय करूँगा। आप अवश्य ही उसे देखने आएँ। मेरा भी उत्साहवर्धन होगा। सभी बड़ों के लिए मेरा प्रणाम निवेदन करें।
आपका मित्र
सौरभ
17. भवती सुनीता। भवती पुस्तकालयात् एकं पुस्तकं ‘चुटुकुल्याशतकम्’ प्राप्य पठितवती। तस्य पुस्तकस्य छायाप्रति स्वभगिन्याः स्मितायाः सकाशं प्रेषयति। तदर्थं लिखितं पत्रं मञ्जूषादत्तपदैः पूरयित्वा पुनः लिखतु।
(आप सुनीता हैं। आपने पुस्तकालय से एक पुस्तक ‘चुटुकुल्याशतकम्’ लेकर पढ़ी। उस पुस्तक की छायाप्रति (फोटोकॉपी) अपनी बहन स्मिता के पास भेज रही हैं। इस आशय से लिखे गये पत्र को मंजूषा में दिये गये पदों से भरकर पुनः लिखिए।)
[मञ्जूषा – वर्धताम्, कुशलिनी, स्मिते, संस्कृतपुस्तकम्, भवत्याः, हसित्वा, लिखतु, कानपुरतः]
ए 10, विष्णुनगरम्
(i) ……………..
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिये (ii) ……………..
सस्नेहं नमः।
अत्र सर्वगतं कुशलम् अस्ति। मन्ये भवती अपि (iii) ……………। भवती लिखितवती यत् भवती संस्कृत भाषायां लिखितं सरलपुस्तकं पठितुम् इच्छति। मया पुस्तकालयात् ‘चुटुकुल्याशतकम्’ (iv) …………….. प्राप्य पठितम्। हसित्वा (v) …………… मम उदरे तु पीडा जाता। तस्य पुस्तकस्य छायाप्रतिं कारयित्वा अहं (vi) ………………. सकाशं प्रेषयामि। पठन-पाठने भवत्याः रुचिः सर्वदा (vii) ……………. पठतु तावत्। कथम् अस्ति इति (viii) ……………….। स्वपितरौ प्रति मम प्रणामाञ्जलिः निवेदनीया।
भवदीया स्नेहसिक्ता भगिनी,
सुनीता
उत्तरम् :
ए 10, विष्णुपुरम्
कानपुरतः
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिये स्मिते !
सस्नेहं नमः।
अत्र सर्वगतं कुशलम् अस्ति। मन्ये भवती अपि कुशलिनी। भवती लिखितवती यत् भवती संस्कृतभाषायां लिखितं सरलपुस्तकं पठितुम् इच्छति। मया पुस्तकालयात् ‘चुटुकुल्याशतकम्’ संस्कृतपुस्तकं प्राप्य पठितम्। हसित्वा-हसित्वा मम उदरे तु पीडा जाता। तस्य पुस्तकस्य छायाप्रति कारयित्वा अहं भवत्याः सकाशं प्रेषयामि। पठन-पाठने भवत्याः रुचिः सर्वदा वर्धताम्। पठतु तावत्। कथम् अस्ति इति लिखतु। स्वपितरौ प्रति मम प्रणामाञ्जलिः निवेदनीया।
भवदीया स्नेहसिक्ता भगिनी,
सुनीता
हिन्दी-अनुवाद
ए 10, विष्णुपुर
कानपुर
दिनांक 25.03.20_ _
प्रिये स्मिते !
सस्नेह नमस्ते।
यहाँ सब प्रकार से कुशल है। मानती हूँ, आप भी सकुशल हैं। आपने लिखा है कि आप संस्कृत भाषा में लिखी हुई सरल पुस्तक पढ़ना चाहती हैं। मैंने पुस्तकालय से ‘चुटुकुल्याशतकम्’ संस्कृत-पुस्तक लेकर पढ़ी। हँसते-हँसते मेरे तो पेट में दर्द होने लगा। उस पुस्तक की छायाप्रति मैं आपके पास भेज रही हूँ। पठन-पाठन में आपकी रुचि हमेशा बढ़े। तो पढ़ो। कैसी है ? यह लिखना। अपने माता-पिताजी को मेरी प्रणामाञ्जलि कहना।
आपकी स्नेहमयी बहन,
सुनीता
18. भवान् सोमेशः। भवतः ज्येष्ठा भगिनी रमा जयपुरे छात्रावासे निवसति। रक्षाबन्धनपर्वणि भवतां विद्यालये संस्कृतदिवसस्य भव्यम् आयोजनम् अस्ति। तदर्थं तां निमन्त्रयितुं लिखिते पत्रे मञ्जूषापदसाहाय्येन रिक्तस्थानपूर्ति कृत्वा पत्रं पुनः लिखतु।
(आप सोमेश हैं। आपकी बड़ी बहन रमा जयपुर में छात्रावास में रहती है। रक्षाबन्धन पर्व पर आपके विद्यालय में संस्कृत दिवस का भव्य आयोजन है। इस प्रयोजन से उसे निमन्त्रित करने के लिए लिखे गये पत्र में मंजूषा के पदों की सहायता से रिक्तस्थानों की पूर्ति करके पत्र को पुनः लिखिए।)
[मञ्जूषा – चारुदत्तमिति, चारुदत्तस्य, भगिनि !, तत्रास्तु, अभिवादनम्, प्रतिवर्षम, जानाति, प्रसन्नचित्ता।]
115, शालीमारबागः
दिल्लीतः
दिनाङ्कः 25.07.20_ _
प्रिये (i) …………….
सस्नेहं (ii) ……………..
अत्र कुशलम् (iii) ……………….। मन्ये भवती सर्वथा स्वस्था (iv) ………………. च भविष्यति। भवती (v) ………………….. एव यत् श्रावणमासस्य पौर्णमास्यां रक्षाबन्धनपर्वणि अस्माकं विद्यालये (vi) ……………………… संस्कृतदिवसस्य आयोजनं भवति। अस्मिन् वर्षे (vii) ……………… नाटकस्य मञ्चनं भविष्यति। अहं तत्र (viii) …………….. अभिनयं करिष्यामि। भवत्याः आगमनेन ‘रक्षाबन्धनम्’ इति पर्वणः अपि आयोजनं भविष्यति। विद्यालये भवत्याः उपस्थित्या मम उत्साहवर्धनम् अपि भविष्यति।
भवत्याः स्नेहपात्रम्
सोमेशः
उत्तरम् :
115, शालीमारबागः
दिल्लीतः
दिनाङ्कः 25.07.20_ _
प्रिये भगिनि !
सस्नेहम् अभिवादनम्।
अत्र कुशलं तत्रास्तु। मन्ये भवती सर्वथा स्वस्था प्रसन्नचित्ता च भविष्यति। भवती जानाति एव यत् श्रावणमासस्य पौर्णमास्यां रक्षाबन्धनपर्वणि अस्माकं विद्यालये प्रतिवर्ष संस्कृतदिवसस्य आयोजनं भवति। अस्मिन् वर्षे ‘चारुदत्तमिति’. नाटकस्य मञ्चनं भविष्यति। अहं तत्र चारुदत्तस्य अभिनयं करिष्यामि। भवत्याः आगमनेन ‘रक्षाबन्धनम्’ इति पर्वणः अपि आयोजनं भविष्यति। विद्यालये भवत्याः उपस्थित्या मम उत्साहवर्धनम् अपि भविष्यति।
भवत्याः स्नेहपात्रम्
सोमेशः
हिन्दी-अनुवाद
115, शालीमार बाग
दिल्ली
दिनांक 25.07.20_ _
प्रिय बहन !
सस्नेह अभिवादन।
यहाँ कुशल है, वहाँ (भी) होंगे। मानता हूँ (कि) आप पूर्णतः स्वस्थ और प्रसन्नचित्त होंगी। आप जानती ही हैं कि श्रावण मास पूर्णिमा पर रक्षाबन्धन त्योहार पर हमारे विद्यालय में प्रतिवर्ष संस्कृत दिवस का आयोजन होता है। इस वर्ष ‘चारुदत्तम्’ नाटक का मंचन होगा। मैं वहाँ चारुदत्त का अभिनय करूँगा। आपके आगमन से रक्षाबन्धन त्योहार का भी आयोजन हो जाएगा। विद्यालय में आपकी उपस्थिति से मेरा उत्साहवर्धन भी होगा।
आपका स्नेह पात्र
सोमेश
19. भवान् नीरजः। भवतः ग्रामे स्वास्थ्यकेन्द्रस्योद्घाटनं भवति। भवतः मनसः आह्लादस्य वर्णनं कुर्वन् भवान् मित्रं सुनन्दं प्रति पत्रं लिखति। तस्मिन् पत्रे मञ्जूषायाः रिक्तस्थानानि पूरयन् पत्रं पूर्णं कृत्वा पुनः लिखतु।
(आप नीरज हैं। आपके गाँव में स्वास्थ्य केन्द्र का उद्घाटन हो रहा है। आपके मन की प्रसन्नता का वर्णन करते हुए आप मित्र सुनन्द को पत्र लिखते हैं। उस पत्र में मञ्जूषा से रिक्त-स्थानों को भरते हुए पत्र को पूरा करके फिर लिखिए।)
[मञ्जूषा – चिकित्सायै, सुनन्द !, पञ्चविंशत्याम्, प्रसन्नाः, ग्रामीणाः, नमः, ग्रामे, आर्तवानाम्।]
गुरुग्रामः
पाटलिपुत्रम्
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रियमित्र (i) …………..
सस्नेहं (ii) …………….
भवतः पत्रं प्राप्तम्। समाचाराः अवगताः। हर्षस्य विषयोऽयं यद् अस्माकं (iii) …………. मण्डलाधिकारिभिः स्वास्थ्यकेन्द्रस्योद्घाटनं (iv) ………………….. रिकायां भविष्यति। सर्वे (v) ………………. समाचारम् एतं ज्ञात्वा ……….. सजाताः। अनेन स्वास्थ्यकेन्द्रेण (vii) ……………… रोगाणाम् उपचारो ग्रामे एव भविष्यति। ग्रामीणाः अधुना उपनगरं (viii) ……………. न गमिष्यन्ति। एतेन न केवलं ग्रामीणानां धनस्य अपव्ययो न भविष्यति, परं तेषां समयस्य नाशोऽपि न भविष्यति। क्षणेन रोगेषु नष्टेषु ग्रामे वातावरणं सुखदं भविष्यति।
भाव जनाना ज्ञातुं भवान् अवश्यं मम ग्रामम् आगच्छतु। मातृचरणयोः प्रणामः स्निग्धायै च शुभाशिषः।
भवतां सुहृद्
नीरजः
उत्तरम् :
गुरुग्रामः
पाटलिपुत्रम्
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय मित्र सुनन्द !
सस्नेहं नमः।
भवत: पत्रं प्राप्तम्। समाचारा: अवगताः। हर्षस्य विषयोऽयं यद् अस्माकं ग्रामे मण्डलाधिकारिभिः स्वास्थ्यकेन्द्रोद्घाटनं पञ्चविंशत्यां तारिकायां भविष्यति। सर्वे ग्रामीणाः समाचारम् एतं ज्ञात्वा प्रसन्नाः सञ्जाताः। अनेन स्वास्थ्यकेन्द्रेण आर्तवानां रोगाणाम् उपचारो ग्रामे एव भविष्यति। ग्रामीणाः अधुना उपनगरं चिकित्सायै न गमिष्यन्ति। एतेन न केवलं ग्रामीणानां धनस्य अपव्ययो न भविष्यति, परं तेषां समयस्य नाशोऽपि न भविष्यति। क्षणेन रोगेषु नष्टेषु ग्रामे वातावरणं सुखदं भविष्यति।
भावं जनानां ज्ञातुं भवान् अवश्यं मम ग्रामम् आगच्छतु। मातृचरणयोः प्रणामाः स्निग्धायै च शुभाशिषः।
भवतां सुहृद्
नीरजः
हिन्दी-अनुवाद
गुरुग्राम
पाटलिपुत्र
दिनांक: 25.03.20_ _
प्रियमित्र सुनन्द !
सप्रेम नमस्कार। आपका पत्र प्राप्त हुआ। समाचार ज्ञात हुए। हर्ष का विषय यह है कि हमारे गाँव में मंडल अधिकारियों द्वारा स्वास्थ्य केन्द्र का उद्घाटन पच्चीस तारीख को होगा। सभी ग्रामीण इस समाचार को जानकर प्रसन्न हो गए हैं। इस स्वास्थ्य केन्द्र से रोगियों के रोगों का इलाज गाँव में ही हो जाएगा। ग्रामीण अब चिकित्सा के लिए कस्बे को नहीं जाएँगे। इससे न केवल ग्रामीणों के धन का अपव्यय ही नहीं होगा, अपितु उनका समय भी नष्ट नहीं होगा। क्षणभर में रोगों के नष्ट होने पर गाँव में वातावरण सुखद होगा।
लोगों की भावना को जानने के लिए आप अवश्य गाँव आएँ। माताजी के चरणों में प्रणाम और स्निग्धा के लिए शुभ आशीष।
आपका मित्र
नीरज
20. भवान् कमलेशः। बैंगलुरुनगरे निवसति। भवतां मित्रं सोमेशः दिल्लीनगरे वसति। सः संस्कृतभाषण प्रतियोगितायां प्रथम स्थान प्राप्तवान्। तं प्रति लिखितं वर्धापनपत्रं पूरयित्वा पुनः उत्तरपुस्तिकायां लिखतु। सहायतार्थं मञ्जूषायां पदानि दत्तानि। (आप कमलेश हैं। बैंगलुरु नगर में रहते हैं। आपका मित्र सोमेश दिल्ली नगर में रहता है। उसने संस्कृत भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। उसको लिखे गये बधाई पत्र को भरकर दोबारा उत्तरपुस्तिका में लिखिए। सहायतार्थ मंजूषा में शब्द दिए हुए हैं।)
[मञ्जूषा – सोमेश, आनन्दितम्, कोटिशः, प्रशंसनीयः, भवताम्, बैंगलुरुः, प्राप्तवान्, साफल्यम्।]
10, गिरिनगरम्
(i) ……..
कर्णाटकप्रदेशतः।
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रियमित्र (ii) …………….
नमोनमः।
(iii) ………… पत्रं प्राप्तम्। पत्रं पठित्वा मम मनः (iv) ……….. जातम्। भव [ संस्कृतभाषण प्रतियोगितायां प्रथम स्थानं (v) …………….। भवतां संस्कृतानुरागः (vi) ………….। अस्मत्पक्षतः (vii) ………………. वर्धापनानि। भगवान् इतः अपि अधिकं (viii) ………… ददातु। पितृचरणयोः प्रणामः निवेद्यते।
भवतां प्रियसुहृद्
कमलेशः
सेवायाम,
श्रीमान् सोमेशः
120, शक्तिनगरम्, दिल्ली
उत्तरम् :
10, गिरिनगरम्
बैंगलुरुः
कर्णाटकप्रदेशतः।
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रियमित्र सोमेश !
नमो नमः।
भवतां पत्रं प्राप्तम्। पत्रं पठित्वा मम मनः आनन्दितं जातम्। भवान् संस्कृतभाषण-प्रतियोगितायां प्रथमस्थानं प्राप्तवान्। भवतां संस्कृतानुरागः प्रशंसनीयः। अस्मत्पक्षतः कोटिशः वर्धापनानि। भगवान् इतः अपि अधिकं साफल्यं ददातु। पितृचरणयोः प्रणाम: निवेद्यते।
भवतां प्रिय सुहृत्
कमलेशः
सेवायाम्,
श्रीमान् सोमेशः
120, शक्तिनगरं, दिल्ली
हिन्दी-अनुवाद
10, गिरिनगरम्
बैंगलुरु
कर्नाटक प्रदेश
दिनांक 25.03.20_ _
प्रिय मित्र सोमेश !
नमोनमः।
आपका पत्र प्राप्त हुआ। पत्र पढ़कर मेरा मन आनन्दित हो गया। आपने संस्कृत-भाषण-प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया। आपका संस्कृत-अनुराग प्रशंसनीय है। हमारी ओर से कोटि-कोटि बधाईयाँ। भगवान् आपको इससे भी अधिक सफलता प्रदान करें। पिताजी के चरणों में प्रणाम निवेदन करें।
सेवा में,
आपका प्रिय मित्र
कमलेश
श्रीमान् सोमेश
120, शक्ति नगर, दिल्ली
21. भवान् सुरेशः, छात्रावासे वसति। शारदीये अवकाशे भवतां विद्यालये संस्कृतसम्भाषणशिविरं प्रचलिष्यति, अतः भवान् गृहं न गमिष्यति इति सूचयन् पितरं प्रति लिखितं पत्रं मञ्जूषापदसहायतया पूरयित्वा उत्तरपुस्तिकायां पुनः लिखत। (आप सुरेश हैं और छात्रावास में रह रहे हैं। शीतकालीन अवकाश में आपके विद्यालय में संस्कृत सम्भाषण शिविर चलेगा, अतः आप घर नहीं जाएँगे। ऐसा सूचित करते हुए पिता के प्रति लिखे हुए पत्र को मंजूषा के शब्दों द्वारा पूर्ण करके उत्तर-पुस्तिका में पुनः लिखिए।)
[मञ्जूषा – सम्यक्, जयपुरतः, कुशलिनः, मातृचरणयोः सुरेशः, सादरं वन्दनानि, समाप्ता, संस्कृतसम्म]
नर्मदाछात्रावासः
नवोदयविद्यालयः
(i) …………………
दिनाङ्कः 25.11.20_ _
परमपूज्यपितृमहाभागाः !
(ii) ……………….
अत्र कुशलं तत्रास्तु। तत्रापि भवन्तः सर्वे (iii) ……….. इति मन्ये। अत्र मम पठनं (iv) ………. प्रचलति। अर्धवार्षिकी परीक्षा (v) ……………….। मम विद्यालये शारदीयेऽवकाशे (vi) ………… प्रचलिष्यति। अतः अहम् अवकाशदिनेषु गृहम् आगन्तुं न शक्नोमि। भवतां दर्शनेन अहं वञ्चितः भवामि इति खेदः, तथापि शिविरेण मम ज्ञानवर्धनं भविष्यति इति नास्ति सन्देहः। (vii) ………… अपि मम वन्दनानि। स्वकीयं क्षेमसमाचारं सूचयन्तु इति।।
भवदीयः पुत्रः
(viii) …………..
उत्तरम् :
नर्मदाछात्रावासः
नवोदयविद्यालयः
जयपुरतः
दिनाङ्कः 25.11.20_ _
परमपूज्यपितृमहाभागाः!
सादरं वन्दनानि।
अत्र कुशलं तत्रास्तु। तत्रापि भवन्तः सर्वे कुशलिनः इति मन्ये। अत्र मम पठनं सम्यक् प्रचलति। अर्धवार्षिकी परीक्षा समाप्ता। मम विद्यालये शारदीयेऽवकाशे संस्कृतसम्भाषणशिविरं प्रचलिष्यति। अतः अहम् अवकाशदिनेषु गृहम् आगन्तुं न शक्नोमि। भवतां दर्शनेन अहं वञ्चितः भवामि इति खेदः, तथापि शिविरेण मम ज्ञानवर्धनं भविष्यति इति नास्ति सन्देहः। मातृचरणयोः अपि मम वन्दनानि। स्वकीयं क्षेमसमाचारं सूचयन्तु इति।
भवदीयः पुत्रः
सुरेशः
हिन्दी-अनुवाद
नर्मदा छात्रावास,
नवोदय विद्यालय,
जयपुर
दिनाङ्कः 25.11.20_ _
परमपूज्य पिताजी !
सादर वन्दना। यहाँ सब कुशल हैं, वहाँ भी हों। वहाँ पर भी आप सब सकुशल हैं, ऐसा मानता हूँ। यहाँ मेरी पढ़ाई ठीक चल रही है। अर्द्धवार्षिक परीक्षा समाप्त हुई। मेरे विद्यालय में शीतकालीन अवकाश में संस्कृत सम्भाषण शिविर चलेगा। अतः मैं अवकाश के दिनों में घर नहीं आ सकता हूँ। आपके दर्शनों से वंचित रहूँगा, यही खेद है, फिर भी शिविर से मेरा ज्ञानवर्धन होगा, इसमें सन्देह नहीं। माँ के चरणों में भी मेरा प्रणाम। अपने कुशल समाचार सूचित करें।
आपका पुत्र
सुरेश
22. भवती श्यामला। भवती पितरं प्रति एक पत्रं लिखति। मञ्जूषायाः उचितानि पदानि चित्वा पत्रं पूरयतु। (आप श्यामला हैं। आप पिताजी को एक पत्र लिखती हैं। मंजूषा से उचित पद चुनकर पत्र पूर्ण कीजिए।)
[मञ्जूषा – अभवत्, श्रीनगरतः, स्वास्थ्यविषये, प्रियपुत्री, आगत्य, वन्दनानि, मातृचरणयों:, कुशलिनी]
(i) ………………..
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
पितृश्रीचरणसन्निधौ,
सादरं (ii) ………………।
भवतः पत्रं प्राप्तम्। पत्रं पठित्वा बहु आनन्दः (iii) ……………….। अहम् अत्र (iv) ……………..। भवतः मातुः च (v) ………………….. अधिकं चिन्तयामि। अत्र मम प्रशिक्षणं सम्यक् प्रचलति। भवता दत्तं पुस्तकम् आगमनसमये मार्गे एव मया पठितम्। प्रशिक्षणस्य पश्चात् अहं शैक्षिकप्रवासाय गमिष्यामि। ततः (vi) …………. गृहम् आगमिष्यामि। एतं विषयं पूज्यमातरम् अपि सूचयतु। (vii) ……….. अपि मम वन्दनानि अनुजाय च शुभाशिषः।
भवदीया (viii) …………….
श्यामला
उत्तरम् :
श्रीनगरतः
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
पितृश्रीचरणसन्निधौ,
सादरं वन्दनानि।
भवतः पत्रं प्राप्तम्। पत्रं पठित्वा बहु आनन्दः अभवत्। अहम् अत्र कुशलिनी। भवतः मातुः च स्वास्थ्यविषये अधिक चिन्तयामि। अत्र मम प्रशिक्षणं सम्यक् प्रचलति। भवता दत्तं पुस्तकम् आगमनसमये मार्गे एव मया पठितम्। प्रशिक्षणस्य पश्चात् अहं शैक्षिकप्रवासाय गमिष्यामि। ततः आगत्य गृहम् आगमिष्यामि। एतं विषयं पूज्यमातरम् अपि सूचयतु। मातृचरणयोः अपि मम वन्दनानि, अनुजाय च शुभाशिषः।
भवदीया प्रियपुत्री
श्यामला
हिन्दी-अनुवाद
श्रीनगर
दिनांक 25.03.20_ _
पिताजी के श्रीचरणों में,
सादर वन्दना।
आपका पत्र प्राप्त हुआ। पत्र पढ़कर बहुत आनन्द हुआ। मैं यहाँ पर सकुशल हूँ। आप और माताजी के स्वास्थ्य के विषय में चिन्तित हूँ। यहाँ मेरा प्रशिक्षण ठीक चल रहा है। आपके द्वारा दी गयी पुस्तक आगमन के समय रास्ते में ही मैंने पढ़ ली थी। प्रशिक्षण के पश्चात् मैं शैक्षिक प्रवास पर जाऊँगी। वहाँ से आकर घर आऊँगी। इस विषय में पूज्य माताजी को भी सूचित कर दें। माताजी के चरणों में भी मेरी वन्दना। अनुज के लिए शुभ आशीर्वाद।
आपकी प्रिय पुत्री
श्यामला
23. भवती सुशीला। भवती छात्रावासे पठति। और्णवस्त्राणि पुस्तकानि च क्रेतुं धनप्रेषणार्थं पितरं प्रति अध: अपूर्णपत्रं लिखितम्। मञ्जूषायाः सहायतया उचितशब्दैः रिक्तस्थानानि पूरयित्वा पुनः पत्रम् उत्तरपुस्तिकायां लिखतु। (आप सुशीला हैं। आप छात्रावास में पढ़ती हैं। ऊनी वस्त्र और पुस्तकें खरीदने के लिए धन भेजने के लिए पिता को नीचे अधूरा पत्र लिखा है। मंजूषा की सहायता से उचित शब्दों से रिक्तस्थानों की पूर्ति करके पुनः पत्र उत्तरपुस्तिका में लिखिए।)
[मञ्जूषा – प्रणामाः, धनादेशद्वारा, छात्रावासतः, चिराद्, पूज्यपितृचरणेषु, और्णवस्त्राणि, सुशीला, स्नेहवचनानि।]
(i) ……………….
दिनाङ्कः 25.12.20_ _
(ii) …………………..
सादरं (iii) ………………
अत्र अहं स्वस्था अस्मि। (iv) ……………… भवतां कृपापत्रं न आयातम्। चिन्तिता अस्मि। अत्र मम सकाशे धनाभावः वर्तते। शीत: वर्धते। (v) ……….. ……………. क्रेतव्यानि। पुस्तकानि चापि क्रेतव्यानि सन्ति। अतः सहस्ररूप्यकाणि। (vi) ……………… शीघ्रमेव प्रेषणीयानि। मातृचरणेषु प्रणती: समर्पये। रमायै अतुलाय च (vii) …………….. दद्यात् भवान्।
भवतः पुत्री
(viii) ……………..
उत्तरम् :
छात्रावासतः
दिनाङ्कः 25.12.20_ _
पूज्य पितृचरणेषु
सादर प्रणामाः।
अत्र अहं स्वस्था अस्मि। चिराद् भवतां कृपापत्रं न आयातम्। चिन्तिता अस्मि। अत्र मम सकाशे धनाभावः वर्तते। शीत: वर्धते। और्णवस्त्राणि क्रेतव्यानि। पुस्तकानि चापि क्रेतव्यानि सन्ति। अतः सहस्ररूप्यकाणि धनादेशद्वारा शीघ्रमेव प्रेषणीयानि। मातृचरणेषु प्रणती: समर्पये। रमायै अतुलाय च स्नेहवचनानि दद्यात् भवान्।
भवतः पुत्री
सुशीला
हिन्दी-अनुवाद
छात्रावास
दिनांक 25.12.20_ _
पूज्य पिताजी के चरणों में,
सादर प्रणाम !
यहाँ मैं स्वस्थ हूँ। बहुत दिनों से आपका कृपापत्र नहीं आया। चिन्तित हूँ। यहाँ मेरे पास धन का अभाव है। सर्दी बढ़ रही है। ऊनी कपड़े खरीदने हैं और पुस्तकें भी खरीदनी हैं। अतः एक हजार रुपये मनीऑर्डर (धनादेश) द्वारा शीघ्र ही भेज दें। माताजी को प्रणाम समर्पित करती हूँ। रमा और अतुल के लिए स्नेहवचन कहें।
आपकी पुत्री
सुशीला
24. विनीतः नागपुरनगरे वसति। तस्य मित्रं प्रगीतः कर्णपुरनगरे वसति। विनीतेन गणतन्त्रदिवसस्य शोभायात्रायां भागः गृहीतः। सः स्वानुभवान् स्वमित्रं प्रगीतं प्रति पत्रे लिखति। भवान् मञ्जूषातः पदानि चित्वा पत्रं पूरयतु। (विनीत नागपुर नगर में रहता है। उसका मित्र प्रगीत कानपुर नगर में रहता है। विनीत ने गणतन्त्र दिवस की शोभायात्रा में भाग लिया। वह अपने अनुभवों को अपने मित्र प्रगीत को पत्र में लिखता है। आप मञ्जूषा से पदों को चुनकर पत्र पूरा करें।)
[मञ्जूषा – गृहीतः, नमस्ते, मम, वाद्यवृन्दम्, राजमार्गम्, लोकनृत्यानि, गणतन्त्रदिवससमारोहस्य, प्रमुखसञ्चालकः]
नागपुरतः
दिनाङ्कः 25.08.20_ _
प्रियमित्र प्रगीत !
(i) ………………….
अत्र कुशलं तत्रास्तु। अहं (ii) ……………… सज्जायां व्यस्तः आसम्। अतः विलम्बेन तव पत्रस्य उत्तरं ददामि। अस्मिन् वर्षे मयापि गणतन्त्रदिवसस्य शोभायात्रायां भागः (iii) ………………। अस्माकं विद्यालयस्य (iv) ………….. स्वकलायाः प्रदर्शनम् अकरोत्। अहं नृत्यस्य (v) ……….. आसम्। छात्राणां राष्ट्रगानस्य ओजोयुक्तध्वनिः (vi) ……………….. गुञ्जितम् अकरोत्। स्वराष्ट्रस्य सैन्यबलानां पराक्रम- प्रदर्शनानि विचित्रवर्णानि परिदृश्यानि (vii) ………………. च दृष्ट्वा अहं गौरवान्वितः अस्मि। (viii) ……… बाल्यावस्थायाः स्वप्नः तत्र पूर्णः जातः। पितरौ वन्दनीयौ।
भवतः सुहृद्
विनीतः
उत्तरम् :
नागपुरतः
दिनाङ्कः 25.08.20_ _
प्रियमित्र प्रगीत !
नमस्ते
अत्र कुशलं तत्रास्तु। अहं गणतन्त्रदिवससमारोहस्य सज्जायां व्यस्तः आसम्। अतः विलम्बेन तव पत्रस्य उत्तरं ददामि। अस्मिन् वर्षे मयापि गणतन्त्रदिवसस्य शोभायात्रायां भागः गृहीतः।
अस्माकं विद्यालयस्य वाद्यवृन्दम् स्वकलायाः प्रदर्शनम् अकरोत्। अहं नृत्यस्य प्रमुखसञ्चालक: आसम्। छात्राणां राष्ट्रगानस्य ओजोयुक्तध्वनिः राजमार्गं गुञ्जितम् अकरोत्। स्वराष्ट्रस्य सैन्यबलानां पराक्रमप्रदर्शनानि, विचित्रवर्णानि, परिदृश्यानि लोकनृत्यानि च दृष्ट्वा अहं गौरवान्वितः अस्मि। मम बाल्यावस्थायाः स्वप्नः तत्र पूर्णः जातः। पितरौ वन्दनीयौ।
भवतः सुहृद्
विनीतः
हिन्दी-अनुवाद
नागपुर
दिनांक 25.08.20_ _
प्रियमित्र प्रगीत !
नमस्ते।
यहाँ कुशल है, वहाँ भी हो। मैं गणतन्त्र दिवस समारोह की तैयारी में व्यस्त था। अतः तुम्हारे पत्र का उत्तर विलम्ब से दे रहा हूँ। इस वर्ष मैंने भी गणतन्त्र दिवस शोभायात्रा में भाग लिया।
हमारे विद्यालय के वाद्यवृन्द ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। मैं नृत्य का प्रमुख सञ्चालक था। छात्रों के राष्ट्रगान की ओजस्वी ध्वनि ने राजमार्ग को गुंजित कर दिया। अपने राष्ट्र की सेना के पराक्रम का प्रदर्शन, विचित्र वर्गों के परिदृश्यों तथा लोकनृत्यों को देखकर मैं गौरवान्वित हूँ। मेरे बचपन का स्वप्न वहाँ पूरा हो गया। माता-पिता वन्दनीय हैं।
आपका सुहृद्
विनीत
25. भवती स्मृतिः। अमृतसरे निवसति। स्वस्य जन्म-दिवसे आमन्त्रणाय सखीम् अनितां प्रति अधोलिखितम् अपूर्णपत्रं मञ्जूषायां प्रदत्तपदसहायतया पूरयित्वा पुनः उत्तरपुस्तिकायां लिखतु।
(आप स्मृति हैं। अमृतसर में रहती हैं। अपने जन्मदिन पर बुलाने के लिए सहेली अनिता को लिखे गये निम्न अधूरे पत्र को मंजूषा में दिए शब्दों की सहायता से पूरा करके फिर से उत्तर पुस्तिका में लिखिए।)
[मञ्जूषा – दिवसे, अवसरे, सखी, आगन्तव्यम्, हर्षस्य, कुशलं, जन्मदिवसः, उत्साहवर्धनम्।]
अमृतसरतः
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिय (i) ………………. अनिते !
सप्रेम नमः।
अत्र (ii) ………… तत्रास्तु। अपरं च अयम् अतीव (iii) ……………. विषयः यत् विगतवर्षाणि इव अस्मिन् अपि वर्षे मम (iv) …………….. ऐप्रिलमासस्य अष्टमे (v) ……………. मन्यते। अस्मिन् (vi) ……………. भवत्या अपि अवश्यमेव (vii) ……………। तवागमनेन मे (viii) …………. भविष्यति। भवत्याः पित्रोः चरणयोः प्रणत्यः अनुजाय स्नेहश्च।
भवत्याः सखी
स्मृतिः
उत्तरम् :
अमृतसरतः
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रियसखि अनिते !
सप्रेम नमः।
अत्र कुशलं तत्रास्तु। अपरं च अयम् अतीव हर्षस्य विषयः यत् विगतवर्षाणि इव अस्मिन् अपि वर्षे मम जन्मदिवसः ऐप्रिलमासस्य अष्टमे दिवसे मन्यते। अस्मिन् अवसरे भवत्या अपि अवश्यमेव आगन्तव्यम्। तवागमनेन मे उत्साहवर्धनं भविष्यति। भवत्याः पित्रोः चरणयोः प्रणत्यः अनुजाय स्नेहश्च।
भवत्याः सखी
स्मृतिः
हिन्दी-अनुवाद
अमृतसर
दिनांक 25.03.20_ _
प्रिय सखी अनिता !
सप्रेम नमस्कार !
यहाँ कुशल है (आशा है) वहाँ भी (कुशल होंगे)। और दूसरा यह अत्यन्त हर्ष का विषय है कि विगत वर्षों की तरह इस वर्ष भी मेरा जन्म दिवस आठ अप्रैल को मनाया जा रहा है। इस अवसर पर आपको भी अवश्य ही आना. है। आपके आगमन से मेरे उत्साह में वृद्धि होगी। आपके माता-पिता जी के चरणों में प्रणाम और अनुज के लिए स्नेह।।
आपकी सखी
स्मृति
26. भवती कविता। जयपुरे निवसति कैलाशपुर्याम्। स्वस्य दिनचर्याविषयकं स्वसखीं स्मितां प्रति अधोलिखितमपूर्णपत्रं मञ्जूषायां प्रदत्तपदसहायतया पूरयित्वा पुनः उत्तरपुस्तिकायां लिखतु।
(आप कविता हैं। जयपुर में कैलाशपुरी में रहती हैं। अपनी सखी स्मिता को अपनी दिनचर्याविषयक निम्नलिखित अधूरे पत्र को मंजूषा में दिए शब्दों की सहायता से पूरा करके पुनः उत्तर-पुस्तिका में लिखिए।)
मञ्जूषा – दिनचर्याम्, चिरात्, पञ्चवादने, हर्षम्, सार्धषड्वादनपर्यन्तं, दशवादने, निवृत्य, भुक्त्वा
कैलाशपुरी
जयपुरतः
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रियसखि स्मिते !
सस्नेह नमस्ते।
अत्र सर्वं कुशलम्। भवती अपि कुशलिनी इत्यहं कामये। अद्य (i) ………… भवत्पत्रं प्राप्तम्। अहम् अतीव (ii) ………………… अनुभवामि। भवती मम (iii) ……………………. ज्ञातुम् इच्छति। अतोऽहम् अत्र मे दिनचर्यां लिखामि। सखि ! अहं प्रातः (iv) ……………… उत्तिष्ठामि। सार्धपञ्चवादनात् (v) ……………. प्रातः भ्रमणं करोमि। ततः स्नानादिभिः (vi) ………… नववादनतः दशवादनपर्यन्तम् अध्ययनं करोमि। (vii) ………………….. विद्यालयं गच्छामि। सायं पञ्चवादने विद्यालयात् आगत्य कीडाङ्गणे क्रीडामि। सप्तवादने अहं भोजनं (viii) …………………. पठामि गृहकार्यं च करोमि। रात्रौ दशवादने शये। मातापित्रोः चरणयोः मे प्रणत्यः।
भवदीया प्रिय सखी
कविता
उत्तरम् :
कैलाशपुरी
जयपुरतः
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रियसखि स्मिते !
सस्नेह नमस्ते।
अत्र सर्वं कुशलम्। भवती अपि कुशलिनी इत्यहं कामये। अद्य चिरात् भवत्पत्रं प्राप्तम्। अहम् अतीव हर्षम् अनुभवामि। भवती मम दिनचर्यां ज्ञातुम् इच्छति। अतोऽहम् अत्र मे दिनचर्या लिखामि।
सखि ! अहं प्रातः पञ्चवादने उत्तिष्ठामि। सार्धपञ्चवादनात् सार्धषड्वादनपर्यन्तं प्रातः भ्रमणं करोमि। ततःस्नानादिभिः
निवृत्य नववादनतः दशवादनपर्यन्तम् अध्ययनं करोमि। दशवादने विद्यालयं गच्छामि। सायं पञ्चवादने विद्यालयात् आगत्य क्रीडाङ्गणे क्रीडामि। सप्तवादने अहं भोजनं भुक्त्वा पठामि गृहकार्यं च करोमि। रात्रौ दशवादने शये। मातापित्रो: चरणयोः मे प्रणत्यः।
भवदीया प्रिय सखी,
कविता
हिन्दी-अनुवाद
कैलाशपुरी
जयपुर
दिनांक 25.03.20_ _
प्रिय सखी स्मिता !
सस्नेह नमस्ते।
यहाँ सब कुशल है। आप भी कुशल हों ऐसी मेरी कामना है। आज बहुत दिनों बाद आपका पत्र मिला। मैं अत्यन्त प्रसन्नता का अनुभव कर रही हूँ। आप मेरी दिनचर्या जानना चाहती हैं। इसलिए यहाँ मैं अपनी दिनचर्या लिख रही हूँ। सखि! मैं प्रात:काल पाँच बजे उठती हूँ। साढ़े पांच बजे से साढ़े छ: बजे तक प्रातः भ्रमण करती हूँ। तब स्नान आदि से निवृत्त होकर नौ बजे से दस बजे तक अध्ययन करती हूँ। दस बजे विद्यालय जाती हूँ। सायं पाँच बजे विद्यालय से आकर खेल के मैदान में खेलती हूँ। सात बजे मैं खाना खाकर पढ़ती हूँ और गृहकार्य करती हूँ। रात को दस बजे सोती हूँ। माता जी और पिताजी के चरणों में मेरा प्रणाम।
आपकी प्यारी सखी
कविता
27. भवती राजकीय-उच्च-माध्यमिकविद्यालयः रामनगरम् इत्यस्य दशमकक्षायाः नन्दिनी नामा छात्रा अस्ति। भवत्याः सखी प्रतिभाम् एकं पत्रं लिखत, यस्मिन् ‘मम विद्यालयः मह्यम् अत्यधिकं रोचते’ इति वर्णनं स्यात्।।
(आप राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय रामनगर की कक्षा दस की नन्दिनी नामक छात्रा हैं। अपनी सखी प्रतिभा को एक पत्र लिखिए कि जिसमें मेरा विद्यालय मुझे बहुत अच्छा लगता है’ ऐसा वर्णन हो।)
राजकीय-उच्च-माध्यमिकविद्यालयः
(i) ………………
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिये सखि प्रतिभे !
सादरं वन्दे।
अत्र सर्वगतं (ii) ……………….. अस्ति। भवती अपि तत्र कुशलिनी इत्यहं मन्ये। अद्य चिरात् प्राप्तम् (iii) ……………………. स्नेहसिक्तं पत्रम्। भवती इच्छति यद् अहं मम विद्यालयस्य विषये भवतीं प्रति लिखेयम्। निः संशयोऽयं मम विद्यालयः मह्यम् अत्यधिकं रोचते यतः अस्य भवनम् अतिविस्तृतं, भव्यम्, (iv) ………….. च। अस्य पुस्तकालये बहूनि (v) ……………. सन्ति, वाचनालये विविधाः नूतनाः (vi) …………….. च समायान्ति। अत्र पठन-पाठनस्य क्रीडायाः च सम्यग् व्यवस्था अस्ति। एष एकः सुव्यवस्थितः, सम्यगनुशासितः प्रशासितश्च (vii) ………………….. अस्ति। अतः अयं मम विद्यालय: मह्यम् अत्यधिक रोचते। शेषं कुशलम्। पित्रोः चरणयोः प्रणत्यः मनीषायै च स्नेहः (viii) ………….।
भवत्याः प्रिय सखी
नन्दिनी।
उत्तरम् :
राजकीय-उच्च-माध्यमिकविद्यालयः
रामनगरम्
दिनाङ्कः 25.03.20_ _
प्रिये सखि प्रतिभे !
सादरं वन्दे।
अत्र सर्वगतं कुशलम् अस्ति। भवती अपि तत्र कुशलिनी इत्यहं मन्ये। अद्य चिरात् प्राप्तम् भवत्याः स्नेहसिक्तं पत्रम्। भवती इच्छति यद् अहं मम विद्यालयस्य विषये भवतीं प्रति लिखेयम्। निः संशयोऽयं मम विद्यालयः मह्यम् अत्यधिक रोचते यतः अस्य भवनम् अतिविस्तृतं, भव्यम्, सुसज्जितं द्विभूमिकं च। अस्य पुस्तकालये बहूनि पुस्तकानि सन्ति, वाचनालये विविधाः नूतनाः पत्र-पत्रिकाः च समायान्ति। अत्र पठन-पाठनस्य क्रीडायाः च सम्यग् व्यवस्था अस्ति। एष एकः सुव्यवस्थितः, सम्यगनुशासितः प्रशासितश्च आदर्शविद्यालयः अस्ति। अतः अयं मम विद्यालयः मह्यम् अत्यधिक रोचते। शेषं कुशलम्। पित्रोः चरणयोः प्रणत्यः मनीषायै च स्नेहः निवेद्यताम्।
भवत्याः प्रियसखी
नन्दिनी।
हिन्दी-अनुवाद
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
रामनगर
दिनांक 25.03.20_ _
प्रिय सखी प्रतिभा !
सादर वन्दे।
यहाँ सब प्रकार से कुशल है। आप भी वहाँ कुशल हैं, ऐसा मानती हूँ। आज बहुत दिन बाद आपका स्नेहसिक्त पत्र प्राप्त हुआ। आप चाहती हैं कि मैं अपने विद्यालय के विषय में आपको लिखें। निस्सन्देह यह मेरा विद्यालय मुझे बहुत अच्छा लगता है क्योंकि इसका भवन अति विस्तृत, भव्य, सुसज्जित और दोमंजिला है। इसके पुस्तकालय में बहुत-सी पुस्तकें हैं। वाचनालय में विविध नवीन पत्र-पत्रिकाएँ आती हैं। यहाँ पठन, पाठन और क्रीड़ा की सम्यक् व्यवस्था है। यह एक सुव्यवस्थित, सम्यक अनुशासित और प्रशासित आदर्श विद्यालय है। अतः यह मेरा विद्यालय मुझे बहुत रुचिकर लगता है। शेष कुशल है। माता-पिताजी के चरणों में प्रणाम और मनीषा को प्यार कहें।
आपकी प्यारी सहेली
नन्दिनी
28. भवती कनकग्रामवासिनी रेखा स्वकीयां सखीम् अंकितां प्रति संस्कृतभाषाशिक्षणम्’ इति विषये अधोलिखितं पत्रं मञ्जूषापदसहायता पूरयित्वा लिखतु।
(आप कनक ग्राम की निवासी रेखा हैं। मञ्जूषा में दिये शब्दों की सहायता से अपनी सखी अंकिता को ‘संस्कृतभाषाशिक्षणम्’ विषय पर अधोलिखित पत्र लिखिए।)
[मञ्जूषा – कनकग्रामतः, अस्माकम्, इच्छति, रेखा, पृथक्, पठित्वा, प्राप्तम्, सुगन्धम्]
(i) ……………….
दिनाङ्कः 18.03.20_ _
प्रिये अंकिते !
नमस्ते।
भवत्या पत्रं (ii) …………….। भवती संस्कृतभाषां पठितुम् (iii) ………….. एषा भाषा वैज्ञानिकी।। संस्कृतम् (iv) ………………. देशस्य प्रसिद्धा भाषा। भारतीयसंस्कृतेः संस्कृतं (v) ………………….. कर्ता तथैव न शक्यते यथा पुष्पेभ्य (vi) ………. । अतः भवती अपि संस्कृतं पठतु एवं च (vii) ………………… प्रचारं करोतु।
भवत्याः प्रिय सखी
(viii) ………..
उत्तरम् :
कनकग्रामतः
दिनाङ्कः 18.03.20_ _
प्रिये अंकिते !
नमस्ते।
भवत्या पत्रं प्राप्तम्। भवती संस्कृतभाषां पठितुम् इच्छति। एषा भाषा वैज्ञानिकी। संस्कृतम् अस्माकं देशस्य प्रसिद्धा भाषा। भारतीयसंस्कृतेः संस्कृतं पृथक् कर्तुं तथैव न शक्यते यथा पुष्पेभ्यः सुगन्धम्। अतः भवती अपि संस्कृतं पठतु एवं च पठित्वा प्रचारं करोतु।
भवत्याः प्रियसखी
रेखा।
हिन्दी-अनुवाद
प्रिय अंकिता !
नमस्ते।
आपका पत्र मिला। आप संस्कृत पढ़ना चाहती हो। यह एक वैज्ञानिक भाषा है। संस्कृत हमारे देश की प्रसिद्ध भाषा है। संस्कृति को संस्कृत से, फूलों से सुगन्ध की भाँति अलग-अलग नहीं किया जा सकता है। इसलिए आप भी संस्कृत पढ़ें और इस प्रकार पढ़कर (इसका) प्रचार करें।
आपकी प्यारी सहेली
रेखा
2. औपचारिक पत्रम्
29. अस्वस्थतायाः कारणात् दिवसत्रयस्य अवकाशार्थं प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।
(बीमारी के कारण तीन दिन के अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
सेवायाम,
………………. प्रधानाचार्यमहोदयाः,
रा. उ. मा. वि. ………….
भरतपुरम्।
विषयः – दिनत्रयस्य अवकाशार्थ प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं ……………………. यत् अद्य अहं शीतज्वरेण……………..। अस्मात् कारणात …………… यावत् विद्यालये शक्नोमि। अतः ………………. यत् दि. 11-5-20_ _ तः 13-5-20_ _ पर्यन्त दिनत्रयस्य अवकाशं ………….मामनुगृहीष्यन्ति ………………।
दिनांक 11-5-20_ _
भवदाज्ञाकारी …………….
सुदर्शनः
कक्षा 10 (जी)
[संकेत सूची/मञ्जूषा – निवेदयामि, भवन्तः, श्रीमन्तः, स्वीकृत्य, विद्यालयः, प्रार्थये, दिनत्रयस्य, शिष्यः, पीडितोऽस्मिं, उपस्थातुम्।]
उत्तरम् :
अवकाशाय प्रार्थना-पत्रम्
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
रा. उ. मा. वि.,
भरतपुरम्।
विषयः – दिनत्रयस्य अवकाशार्थं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदयामि यत् अद्य अहं शीतज्वरेण पीडितोऽस्मि। अस्मात् कारणात् अहं दिनत्रयं यावत् विद्यालये उपस्थातुं न शक्नोमि। अतः प्रार्थये यत् दि. 11-5-20_ _ तः 13-5-20_ _ पर्यन्त दिनत्रयस्य अवकाशं स्वीकृत्य मामनुगृहीष्यन्ति भवन्तः।
दिनांक : 11-5-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
सुदर्शनः
कक्षा 10 (जी)
हिन्दी-अनुवाद
अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राज. उ. माध्य. विद्यालय,
भरतपुर।
विषय – तीन दिन के अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि आज मैं शीतज्वर से पीड़ित हूँ। इस कारण से मैं तीन दिन तक विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता हूँ। इसलिए प्रार्थना करता हूँ कि दिनांक 11-5-20_ _ से 13-5-20_ _ तक तीन दिन का अवकाश स्वीकृत कर आप मुझ पर अनुग्रह करेंगे।
दिनांक : 11-5-20_ _
आपका आज्ञाकारी शिष्य
सुदर्शन
कक्षा 10 (जी)
30. शुल्कमुक्त्यर्थं प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायां प्रदत्तैः शब्दैः पूरयत।
(शुल्क-मुक्ति के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा में दिए गए शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
महाराजा बदनसिंह उ. मा. विद्यालयः,
भरतपुरम्।
विषयः – शिक्षणशुल्कमुक्तये प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं प्रार्थये यदहं श्रीमतां विद्यालये………………”छात्रोऽस्मि। मम……………… आर्थिकस्थितिः शोचनीयाऽस्ति। मम पिता…………….”प्रतिदिवसं कार्ये केवलं पञ्चाशद् रूप्यकाणाम् …………….. भवति। तेन…………….. पालन-पोषणञ्च कथमपि भवितुं न शक्नोति। अतः अहं………….. शिक्षणशुल्क……………… असमर्थोऽस्मि। गतवर्षे मम शिक्षणशुल्क-मुक्ति:…………….। नवमकक्षायाः……………… अहं प्रथम श्रेण्याम् उत्तीर्णोऽभवम्।
अतः पुनः निवेदनमस्ति यत् भवन्तः अध्ययने मम रुचिम् अवलोक्य मह्यं शिक्षणशुल्कात् मुक्ति प्रदाय अनुग्रहीष्यन्ति।
……………… शिष्यः
दिनांक : 11-8-20_ _
सुरेशचन्द्रः
कक्षा 9 (स)
[संकेत सूची/मञ्जूषा – आसीत्, भवदाज्ञाकारी, विद्यालयस्य, पितुः, अर्जनमेव, दशमकक्षायाः, वृद्धोऽस्ति, परिवारस्य, परीक्षायाम्, प्रदातुम्।]
उत्तरम् :
शुल्कमुक्त्यर्थं प्रार्थना-पत्रम्
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
महाराजा बदनसिंह उ. मा. विद्यालयः,
भरतपुरम्।
विषयः – शिक्षणशुल्कमुक्तये प्रार्थनापत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं प्रार्थये यदहं श्रीमतां विद्यालये दशमकक्षायाः छात्रोऽस्मि। मम पितुः आर्थिकस्थितिः शोचनीयाऽस्ति। मम पिता वृद्धोऽस्ति, प्रतिदिवसं केवलं पञ्चाशद् रूप्यकाणाम् अर्जनमेव भवति। तेन परिवारस्य पालन-पोषणञ्च कथमपि भवितुं न शक्नोति। अतः अहं विद्यालयस्य शिक्षणशुल्क प्रदातुम् असमर्थोऽस्मि। गतवर्षे मम शिक्षणशुल्क-मुक्तिः स्वीकृता आसीत्। नवम-कक्षायाः परीक्षायाम् अहं प्रथमश्रेण्याम् उत्तीर्णोऽभवम्।
अतः पुनः निवेदनमस्ति यत् भवन्तः अध्ययने मम रुचिम् अवलोक्य मह्यं शिक्षणशुल्कात् मुक्ति प्रदाय अनुग्रहीष्यन्ति।
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
सुरेशचन्द्रः
कक्षा 10 (स)
दिनांक : 11-8-20_ _
हिन्दी-अनुवाद
शुल्क-मुक्ति के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
महाराजा बदनसिंह उ. मा. विद्यालय,
भरतपुर।
विषय – शिक्षण-शुल्क-मुक्ति के लिए प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं श्रीमान्जी के विद्यालय में दशवीं कक्षा का छात्र हूँ। मेरे पिता की आर्थिक स्थिति शोचनीय है। मेरे पिता वृद्ध हैं, प्रतिदिन कार्य में केवल पचास रुपये कमा पाते हैं। उससे परिवार का पालन-पोषण किसी प्रकार भी नहीं हो सकता है। इसलिए मैं विद्यालय का शिक्षण शुल्क देने में असमर्थ हूँ। गतवर्ष मेरी शिक्षण शुल्क-मुक्ति स्वीकार हुई थी। नौवीं कक्षा की परीक्षा में मैं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुआ था।
इसलिए पुनः निवेदन है कि आप अध्ययन में मेरी रुचि को देखकर मुझे शिक्षण-शुल्क से मुक्ति प्रदान कर अनुगृहीत करेंगे।
दिनांक: 11-8-20_ _
आपका आज्ञाकारी शिष्य
सुरेशचन्द्र
कक्षा 10 (स)
31. ज्येष्ठभ्रातुः विवाहकारणात् दिनद्वयस्य अवकाशार्थ प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः चितपदैः पूरयत।
(बड़े भाई के विवाह के कारण से दो दिन के अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः
राजकीयः उच्चः ……………… विद्यालयः,
जोधपुरम्।
विषयः – दिनद्वयस्य …………….. ‘प्रार्थना-पत्रम्।
सविनयं निवेदनम् ………… यत् मम ज्येष्ठभ्रातुः ………………16-5-20_ _ दिनाङ्के..। एतत् कारणात् दिनद्वयं यावद् अहं स्वकक्षायामुपस्थातुं न………..।
अत:. “यत् 16-5-20_ _ दिनाङ्कतः 17-5-20_ _ दिनाङ्कपर्यन्तं ………. अवकाशं स्वीकृत्य माम् अनुग्रहीष्यन्ति …………..।
सधन्यवादम्।
दिनाङ्कः 16-5-20_ _
भवदीयः शिष्यः
भारतः शर्मा
(कक्षा-10)
[संकेत सूची/मञ्जूषा-दिनद्वयस्य, श्रीमन्तः, निवेदनमस्ति, निश्चितः, शक्नोमि, माध्यमिकः, महोदयाः, पाणिग्रहणसंस्कार:, पाणिग्रहणसस्कार:,।। अस्ति, अवकाशार्थम्।]
अवकाशाय प्रार्थना-पत्रम्
उत्तरम् :
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
राजकीयः उच्च माध्यमिक विद्यालयः,
जोधपुरम्।
विषयः – दिनद्वयस्य अवकाशार्थ प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदनम् अस्ति यत् मम ज्येष्ठधातुः पाणिग्रहणसंस्कारः 16-5-20_ _ दिनाङ्के निश्चितः। एतत् कारणात् दिनद्वयं यावद् अहं स्वकक्षायामुपस्थातुं न शक्नोमि।
अतः निवेदनमस्ति यत् 16-5-20_ _ दिनाङ्कतः 17-5-20_ _ दिनाङ्कपर्यन्तं दिनद्वयस्य अवकाशं स्वीकृत्य माम् अनुग्रहीष्यन्ति श्रीमन्तः।
सधन्यवादम्।
दिनाङ्कः 16-5-20_ _
भवदीयः शिष्यः
भारतः शर्मा
(कक्षा-10)
हिन्दी-अनुवाद
अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
जोधपुर।
विषय-दो दिन के अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मेरे बड़े भाई की शादी दिनांक 16-5-20_ _ को निश्चित हुई है। इस कारण से दो दिन तक मैं अपनी कक्षा में उपस्थित नहीं हो सकता हूँ।
अतः निवेदन है कि दिनांक 16-5-20 से 17-5-20_ _ तक दो दिन का अवकाश स्वीकृत कर श्रीमान् मुझ पर अनुग्रह करेंगे।
सधन्यवाद।
दिनांक 16-5-20_ _
आपका शिष्य
भारत शर्मा
(कक्षा-10)
32. चरित्र-प्रमाण-पत्र-प्राप्त्यर्थं प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।।
(चरित्र-प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
……………..,
श्रीमन्तः ………….,
राजकीयः उच्च माध्यमिक विद्यालयः,
जयपुरम्।
विषयः – चरित्र-प्रमाण-पत्र-प्राप्त्यर्थं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं ………….अस्ति यत् अहं आंग्ल………… वाद-विवाद ………….”भागं ग्रहीतुम् इच्छामि। एतत् ………. चरित्र-प्रमाण ………………….. आवश्यकता………………… अतः प्रार्थना अस्ति यत् मह्यं चरित्र-प्रमाण-पत्रं ……………. अनुग्रहीष्यन्ति ……………..
सधन्यवादम्।
दिनांक: 7-9-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
अनूपः
(दशमी कक्षा)
[संकेत सूची/मञ्जूषा – प्रदाय, भाषया, पत्रस्य, भवन्तः, प्रधानाचार्यमहोदयाः, निवेदनम्, सेवायाम्, कारणात्, वर्तते, प्रतियोगितायाम्]
चरित्र-प्रमाण-पत्राय प्रार्थना-पत्रम्
उत्तरम् :
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदया:,
राजकीयः उच्च माध्यमिक विद्यालयः,
जयपुरम्।
विषयः – चरित्र-प्रमाण-पत्र-प्राप्त्यर्थं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदनम् अस्ति यत् अहम् आंग्लभाषया वाद-विवादप्रतियोगितायां भागं ग्रहीतुम् इच्छामि। एतत् कारणात् चरित्र-प्रमाण-पत्रस्य आवश्यकता वर्तते।
अतः प्रार्थना अस्ति यत् मह्यं चरित्र-प्रमाण-पत्रं प्रदाय अनुग्रहीष्यन्ति भवन्तः।
सधन्यवादम्।
दिनांक : 7-9-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
अनूपः
(दशमी कक्षा)
हिन्दी-अनुवाद
चरित्र-प्रमाण-पत्र के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
जयपुर।
विषय – चरित्र-प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं अंग्रेजी भाषा की वाद-विवाद प्रतियोगिता में भाग लेना चाहता हूँ। इस कारण से चरित्र-प्रमाण-पत्र की आवश्यकता है।
अतः प्रार्थना है कि आप चरित्र-प्रमाण-पत्र देकर मुझे अनुग्रहीत करेंगे।
दिनांक : 7-9-20_ _
आपका आज्ञाकारी शिष्य
अनूप
(कक्षा दसवीं)
33. मातुः सेवार्थं दिनत्रयस्य अवकाशाय प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः चितपदैः पूरयत।
(माता की सेवा के लिए तीन दिन के अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
………………………..
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
……………. उच्च-माध्यमिक-विद्यालयः,
अजयमेरुः।
विषयः – दिनत्रयस्य…………”प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
……………. निवेदनम् अस्ति यत् ……………. गतदिवसात् शीतज्वरेण……………… अस्ति। एतस्मात् कारणात् अहं विद्यालयं ………………. न शक्नोमि। अतः कृपया 7-7-20_ _ दिनांकत: 9-7-20_ _ दिनांक …………….. दिनत्रयस्य
…………….. अनुग्रहीष्यन्ति श्रीमन्तः।
सधन्यवादम्।
दिनांक: 7-7-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्य
रमनः
(दशमी कक्षा)
[संकेतसूची/मञ्जूषा – मम, माम् पर्यन्तम्, माता, अवकाशार्थम्, राजकीय, आगन्तुम्, पीडिता, स्वीकृत्य, सविनयम्, सेवायाम्]
अवकाशाय प्रार्थना – पत्रम्
उत्तरम् :
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयः,
अजयमेरुः।
विषयः – दिनत्रयस्य अवकाशार्थं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदनम् अस्ति यत् मम माता गतदिवसात् शीतज्वरेण पीडिता अस्ति। एतस्मात् कारणात् अहं विद्यालयम् आगन्तुं न शक्नोमि। अत: कृपया 7-7-20_ _ दिनांकतः 9-7-20_ _ दिनांकपर्यन्तं दिनत्रयस्य अवकाशं स्वीकृत्य माम् अनुग्रहीष्यन्ति श्रीमन्तः।
सधन्यवादम्।
दिनांक: 7-7-20_ _
भवदाकारी शिष्यः
रमनः
(दशमी कक्षा)
हिन्दी-अनुवाद
अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
अजमेर।
विषय – तीन दिन के अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मेरी माताजी कल से बुखार से पीड़ित हैं। इस कारण मैं विद्यालय नहीं आ सकता हूँ। कृपया दिनांक 7-7-20_ _ से दिनांक 9-7-20_ _ तक तीन दिन का अवकाश स्वीकृत कर आप मुझे अनुगृहीत करेंगे।
सधन्यवाद।
दिनांक 7-7-20_ _
आपका आज्ञाकारी शिष्य
रमन
(कक्षा दसवीं)
34. स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्रं प्राप्तुं प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।
(स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयः,
……………..
विषय: – ……………”प्रमाण-पत्रं प्राप्तुं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदनम् अस्ति यत् मम पिता अत्र…………… अस्ति। …………… तस्य स्थानान्तरणं……………… अभवत्। मम ……………… मम पित्रा सह भरतपुरम् गमिष्यति। अहम् अस्मात् …………….”नवमकक्षाम् उत्तीर्णवान्, दशमीकक्षायाम् अहं भरतपुरे………………। अत: मह्यं स्थानान्तरण-प्रमाए। ”अनुग्रहीष्यन्ति भवन्तः इति।
सधन्यवादम्।
दिनांक 6-4-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
रामकुमारः
(दशमी कक्षा)
संकेत सूची/मञ्जूषा-स्थानान्तरणम्, लिपिकः, पठिष्यामि, अधुना, दौसानगरम्, भरतपुरम्, परिवारः, प्रदाय, विद्यालयात्, भवदाज्ञाकारी
स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्राय प्रार्थना-पत्रम् उत्तरम् सेवायाम्, श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयः, दौसानगरम्।
विषय-स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्रं प्राप्तुं प्रार्थना-पत्रम्। महोदयाः,
सविनयं निवेदनम् अस्ति यत् मम पिता अत्र लिपिकः अस्ति। अधुना तस्य स्थानान्तरणं भरतपुरम् अभवत्। मम परिवारः मम पित्रा सह भरतपुरं गमिष्यति। अहम् अस्मात् विद्यालयात् नवमकक्षाम् उत्तीर्णवान्, दशमीकक्षायाम् अहं भरतपुरे पठिष्यामि। अतः मह्यं स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्रं प्रदाय अनुग्रहीष्यन्ति भवन्तः इति।
सधन्यवादमा
दिनांक 8-4-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
रामकुमारः
(दशमी कक्षा)
हिन्दी-अनुवाद
स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्र के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
दौसानगर।
विषय-स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मेरे पिताजी यहाँ लिपिक हैं। अब उनका स्थानान्तरण भरतपुर हो गया है। मेरा परिवार मेरे पिताजी के साथ भरतपुर जाएगा। मैंने इस विद्यालय से कक्षा नौ उत्तीर्ण की है, कक्षा दसवीं में मैं भरतपुर में पर्दैगा। अतः आप स्थानान्तरण-प्रमाण-पत्र देकर मुझे अनुगृहीत करेंगे।
सधन्यवाद।
दिनांक 6-4-20_ _
आपका आज्ञाकारी शिष्य
रामकुमार
(कक्षा दसवीं)
35. क्रीडायाः सम्यग् व्यवस्थायै प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।
(खेलकूद की उचित व्यवस्था के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
सेवायाम्,
श्रीमन्तः ……………. महोदयाः,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयः
जोधपुरम्।
विषय: – ……………… सम्यग् व्यवस्थायै प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेद्यते यदस्माकं …………….. क्रीडायाः व्यवस्था भद्रतरा न ………………। अध्ययनेन समम् एव क्रीडनमपि………….. रोचते। अतः क्रीडायाः सम्यग् व्यवस्थां……… अस्मान् अनुग्रहणन्तु ……………….।
सधन्यवादम्।
दिनांक : 15-8-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
हरीशः
(दशमी कक्षा)
[संकेत सूची/मञ्जूषा-श्रीमन्तः, अस्मभ्यम्, प्रधानाचार्यमहोदयाः, विद्यालये, विधाय, वर्तते, क्रीडायाः]
क्रीडाव्यवस्थायै प्रार्थना-पत्रम्
उत्तरम् :
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
राजकीय-उच्च-माध्यमिक विद्यालयः,
जोधपुरम्।
विषय: – क्रीडायाः सम्यग् व्यवस्थायै प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेद्यते यदस्माकं विद्यालये क्रीडायाः व्यवस्था भद्रतरा न वर्तते। अध्ययनेन समम् एव क्रीडनमपि अस्मभ्यं रोचते। अतः क्रीडायाः सम्यग् व्यवस्थां विधाय अस्मान् अनुग्रहणन्तु श्रीमन्तः।
सधन्यवादम्।
दिनांक 15-8-20_ _
भवदाज्ञाकारी शिष्यः
हरीशः
(दशमी कक्षा)
हिन्दी-अनुवाद
खेलकूद-व्यवस्था के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
जोधपुर।
विषय – खेलकूद की उचित व्यवस्था हेतु प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय. निवेदन है कि हमारे विद्यालय में खेल की व्यवस्था ठीक नहीं है। अध्ययन के साथ ही खेलना भी हमको अच्छा लगता है। अतः खेल की समुचित व्यवस्था कराकर आदरणीय आप हमारे ऊपर अनुग्रह करें।
सधन्यवाद।
दिनांक 15-8-20_ _
आपका आज्ञाकारी शिष्य
हरीश
(कक्षा दसर्वी)
36. विद्यालये स्वच्छतायाः व्यवस्थायै प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।
(विद्यालय में स्वच्छता की व्यवस्था के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
…………………….
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
रा. सी. सै. विद्यालयः, श्रीकरनपुरम्।
विषयः – विद्यालये……………. व्यवस्थायै प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदयामो यद् ……………….. विद्यालये सम्प्रति अस्वच्छतायाः …………………. वर्तते। अस्मिन् ……………. त्राः शिक्षकाश्च रोगग्रस्ता: जायन्ते। ……………………… अस्माकं मनांसि न………………। अतः कृपया स्वच्छतायाः समुचित-व्यवस्थायै प्रेरयन्तु अत्रभवन्तः।
दिनांकः 10-8-20_ _
भवताम् आज्ञानुवर्तिनः
समस्त: ………………..
…………………………..
[संकेत सूची/मम्जूना-छात्रवृन्दः, कर्मकरान्, अध्ययने, वातावरणे, रमन्ते, साम्राज्यम्, सेवायाम्, अस्माकम्, स्वच्छतायाः]
स्वच्छतायाः व्यवस्थायै प्रार्थना-पत्रम्
उत्तरम् :
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
रा. सी. सै. विद्यालयः, श्रीकरनपुरम्।
विषयः – विद्यालये स्वच्छतायाः व्यवस्थायै प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदयामो यद् अस्माकं विद्यालये सम्प्रति अस्वच्छतायाः साम्राज्यं वर्तते। अस्मिन् वातावरणे छात्राः शिक्षकाश्च रोगग्रस्ता जायन्ते। अध्ययने अस्माकं मनांसि न रमन्ते। अतः कृपया स्वच्छतायाः समुचित व्यवस्थायै कर्मकरान् प्रेरयन्तु अत्रभवन्तः।
दिनांकः 10-8-20_ _
भवताम् आज्ञानुवर्तिनः
समस्तः छात्रवृन्दः
कक्षा दशमी
हिन्दी-अनुवाद
स्वच्छता-व्यवस्था के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राज. सीनि. सै. विद्यालय, श्रीकरनपुर।
विषय – विद्यालय में स्वच्छता-व्यवस्था हेतु प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
विनम्रतापूर्वक निवेदन करते हैं कि हमारे विद्यालय में इस समय अस्वच्छता का साम्राज्य है। इस वातावरण में छात्र और शिक्षक रोगग्रस्त हो जाते हैं। अध्ययन में हमारा मन नहीं लगता है। अतः कृपया स्वच्छता की समुचित व्यवस्था हेतु श्रीमान् जी कर्मचारियों को प्रेरित करें।
दिनांक 10-8-20_ _
आपके आज्ञाकारी
समस्त छात्रगण
कक्षा दसवीं
37. शैक्षिक-शिविरस्य आयोजनार्थं प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायाः उचितपदैः पूरयत।
(शैक्षिक शिविर के आयोजन के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा के उचित शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः,
राजकीयः उच्चमाध्यमिक ………….,
बीकानेरम्।
विषय: – शैक्षिक……..”आयोजनार्थं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं …………..”यद् अस्मद्विद्यालये……………. पूर्णसन्तोषकरी वर्तते। तथापि ……………………. तृप्ति न एति। अतः प्रार्थयामो …………………… यद् अस्मत्-कृते 15 दिनात्मकम् एकं शैक्षिक-शिविरम् ‘अनुग्रहणन्तु श्रीमन्तः।
दिनांक 16-7-20_ _
भवदाज्ञाकारिण: ………..
दशमीकक्षास्थाः छात्राः
[संकेत सूची/मञ्जूषा-निवेद्यते, वयम्, शिक्षण-व्यवस्था, विद्यालयः, शिविरस्य, शिष्याः, अस्माकं, आयोज्य, ज्ञान-पिपासा]
शैक्षिक शिविर आयोजनार्थं प्रार्थना-पत्रम्
उत्तरम् :
सेवायाम्,
श्रीमन्तः प्रधानाचार्यमहोदयाः।
राजकीय-उच्च-माध्यमिक-विद्यालयः,
बीकानेरम्
विषयः – शैक्षिक-शिविरस्य आयोजनार्थं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेद्यते यद् अस्मद्विद्यालये शिक्षण-व्यवस्था पूर्णसन्तोषकरी वर्तते। तथापि अस्माकं ज्ञान-पिपासा तृप्ति न एति। अतः प्रार्थयामो वयं यद् अस्मत्-कृते 15 दिनात्मकम् एकं शैक्षिक-शिविरम् आयोज्य अनुग्रहणन्तु श्रीमन्तः।
दिनांकः 11-7-20_ _
भवदाज्ञाकारिणः शिष्याः
दशमी कक्षास्थाः छात्राः
हिन्दी-अनुवाद
शैक्षिक शिविर-आयोजन के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमान् प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय,
बीकानेर।
विषय – शैक्षिक शिविर के आयोजन हेतु प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
विनम्रतापूर्वक निवेदन है कि हमारे विद्यालय में शिक्षण व्यवस्था पूर्ण सन्तोषजनक है। फिर भी हमारी ज्ञान-पिपासा तृप्त नहीं हो पाती है। अतः हम सभी प्रार्थना करते हैं कि हमारे लिए 15 दिन का एक शैक्षिक शिविर श्रीमान् आप आयोजित कर अनुगृहीत करें।
दिनांक: 16-7-20_ _
आपके आज्ञाकारी शिष्य
कक्षा 10 के छात्र
38. प्रधानाध्यापिकां प्रति अवकाशहेतोः प्रार्थना-पत्रं मञ्जूषायां प्रदत्तपदैः पूरयत।
(प्रधानाध्यापिका को अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र मञ्जूषा में दिए गए शब्दों से पूर्ण कीजिए।)
सेवायाम्,
श्रीमत्यः प्रधानाध्यापिकामहोदयाः,
……………….. माध्यमिकविद्यालयः,
जोधपुरम्।
महोदयाः,
सविनयं ……….. यत् मम ज्येष्ठभगिन्या:.. “दिनद्वयं पश्चात् ……..। एतत्कारणात् दिनद्वयं अहं स्वकक्षायामुपस्थातुं न……………..। अतः निवेदनमस्ति यत् दिनांक 16-7-20_ _ त: 17-7-20_ _ पर्यन्तं …………….. अवकाशं …………………. माम् अनुग्रहीष्यन्ति श्रीमत्यः। सधन्यवादम्।
दिनांक : 14-7-20_ _
भवदाज्ञाकारिणी शिष्या
अभिलाषा शर्मा
कक्षा-दशमी (अ)
[संकेतसूची/मञ्जूषा-दिनद्वयस्य, भविष्यति, पाणिग्रहणसंस्कारः, शक्नोमि, निवेदनमस्ति, यावद्, राजकीयः बालिका, स्वीकृत्य]
उत्तरम् :
अवकाशाय प्रार्थना-पत्रम्
सेवायाम्,
श्रीमत्यः प्रधानाध्यापिकामहोदयाः,
राजकीयः बालिका माध्यमिकविधालयः,
जोधपुरम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदनमस्ति यत् मम ज्येष्ठभगिन्याः पाणिग्रहणसंस्कारः दिनद्वयं पश्चात् भविष्यति। एतत्कारणात् दिनद्वयं यावद् अहं स्वकक्षायामुपस्थातुं न शक्नोमि।
अतः निवेदनमस्ति यत् दिनांक 16-7-20_ _ तः 17-7-20_ _पर्यन्तं दिनद्वयस्य अवकाशं स्वीकृत्य माम् अनुग्रहीष्यन्ति श्रीमत्यः।
सधन्यवादम्।
दिनांक : 14-7-20_ _
भवदाज्ञाकारिणी शिष्या
अभिलाषा शर्मा
कक्षा-दशमी (अ)
हिन्दी अनुवाद
अवकाश के लिए प्रार्थना-पत्र
सेवा में,
श्रीमती प्रधानाध्यापिका महोदया,
राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय,
जोधपुर।
महोदया,
सविनय निवेदन है कि मेरी बड़ी बहिन का विवाह-संस्कार दो दिन बाद होगा। इस कारण दो दिन तक मैं अपनी कक्षा। उपस्थित होने में असमर्थ हूँ।
इसलिए निवेदन है कि दिनांक 16-7-20_ _ से 17-7-20_ _ तक दो दिनों का अवकाश स्वीकृत करके श्रीमती मुझे अनुगृहीत करेंगी।
सधन्यवाद
दिनांक : 14-7-20_ _
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या
अभिलाषा शर्मा
कक्षा-10 (अ)
39. भवान् दिवाकरः दशम कक्षायाः छात्रः। आदर्श माध्यमिक विद्यालये पठन्ति। आधारकार्ड प्राप्तुं अध्ययन पाण-पत्रस्य आवश्यकता वर्तते। अतः प्रधानाध्यापकाय अध्ययन-प्रमाण-पत्रं प्राप्तुं प्रार्थना पत्रम् लिखत।
(आप दिवाकर दसर्वी कक्षा के छात्र हैं। आदर्श माध्यमिक विद्यालय में पढ़ते हैं। आधार कार्ड प्राप्त करने के लिए अध्ययन-प्रमाण-पत्र की आवश्यकता है। अतः प्रधानाध्यापक से अध्ययन प्रमाणपत्र प्राप्ति के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।)
सेवायाम्
श्रीमन्तः प्रधानाध्यापक महोदयाः
आदर्श माध्यमिक विद्यालयः
…………….।
विषयः – अध्ययन-प्रमाण-पत्र प्राप्तुं प्रार्थना-पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयं निवेदनम् अस्ति यद् अहं ई-मित्रात्…………प्राप्तुम् इच्छामि। तस्य हेतोः विद्यालयस्य…………प्रमाण-पत्रम् नाते। अहं……………कक्षायाः छात्रः अस्मि। अतः………….निरन्तराध्ययनस्य …………….. कक्षायाः छात्रः आस्म। अतः………….निरन्तराध्ययनस्य………….प्रदाय………..माम……….।
भवताम्………….शिष्यः
…………….
दिनांक : 6.3.20_ _
दिवाकरः
(दशमी कक्षा)
[संकेतसूची-सूची/मजूवा-आधारकार्डम, आशाकारी, मौलपुरम्, अध्ययन, नवम अनुगृह्णन्तु, मह्यम्, सधन्यवादम्, श्रीमन्तः प्रमाण-पत्रम]
उत्तरम् :
सेवायाम्
श्रीमन्तः प्रधानाध्यापक महोदयाः,
धौलपुरम्।
विषय – अध्ययन-प्रमाण-पत्रं प्राप्तुं प्रार्थना-पत्रम्
महोदयाः,
सविनयं निवेदनम् अस्ति यद् अहम् ई-मित्रात् आधारकार्ड प्राप्तुम् इच्छामि। तस्य हेतोः विद्यालयस्य अध्ययन-प्रमाण पत्रम् अपेक्षते। अहं दशम कक्षायाः छात्रः अस्मि। अतः मह्यम् निरन्तराध्ययनस्य प्रमाण-पत्रम् प्रदाय अनुगृह्णन्तु माम् श्रीमन्तः।
सधन्यवादम्
दिनाङ्कः 6.3.20_ _
भवताम् आज्ञाकारी शिष्यः
दिवाकर
(दशमी कक्षा)
हिन्दी अनुवाद
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाध्यापक महोदय,
धौलपुर
विषय – अध्ययन प्रमाण-पत्र प्राप्ति हेतु प्रार्थना-पत्र
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं ई-मित्र से आधार कार्ड प्राप्त करना चाहता हूँ। इसके लिए विद्यालय से अध्ययन प्रमाण-पत्र की अपेक्षा है। मैं नौवीं कक्षा का छात्र हूँ। अतः अध्ययनरत होने का प्रमाण-पत्र देकर श्रीमान मुझे अनुग्रहीत करें।
धन्यवाद सहित
दिनांक : 06-03-20_ _
आपका आज्ञाकारी शिष्य
दिवाकर
(कक्षा 10)
40. यूयं राजकीय-माध्यमिक विद्यालय लखनपुरस्य दशमी कक्षायाः छात्राः। स्वकीयं प्रधानाध्यापकं प्रति एकं प्रार्थना पत्रं शैक्षणिक भ्रमणार्थम् अनुमति हेतुः लिखत।
(तुम राजकीय माध्यमिक विद्यालय लखनपुर के दशवीं कक्षा के छात्र है। अपने प्रधानाध्यापक के लिए एक प्रार्थना-पत्र शैक्षणिक भ्रमण की अनुमति के लिए लिखिए।)
सेवायाम्
श्रीमन्तः प्रधानाध्यापकाः महोदया:
राजकीयः माध्यमिकः विद्यालयः
लखनपुरम्
विषय – शैक्षिक भ्रमणस्य अनुमत्यर्थं प्रार्थना पत्रम्।
महोदयाः,
सविनय………..यद् अस्माकं………शिक्षणस्तु………..प्रवर्तते। वयं सर्वे…………स्मः। तथापि अस्माकं……….तृप्तिः न भवति। अतः निवेदयामः………यद् एतत् तृप्तये सप्ताहात्मकम् एकं……………आयोजानीयम् कक्षायाः सर्वे….. एवमेव इच्छन्ति। वयमास्वस्थाः स्मः यत्………..प्रदाय अनुग्रहीष्यन्ति भवन्त।
दिनाङ्क : 18.11.20_ _
भवदाज्ञाकारिणः ………………….
दशमी-कक्षास्थाः
[मञ्जूषा – छात्राः, क्यम्, शिष्या, अनुमति, शैक्षिक-भ्रमणम्, सन्तुष्टाः, निवेदनम्, विद्यालये, सम्यक्, ज्ञान-पिपासायाः।]
उत्तरम् :
सेवायाम्
श्रीमन्तः प्रधानाध्यापक महोदयाः,
राजकीयः माध्यमिक: विद्यालयः
लखनपुरम्।
विषय – शैक्षणिक भ्रमणस्य अनुमत्यर्थं प्रार्थना पत्रम्।
महोदयाः,
सविनयम् निवेदनम् यद् अस्माकं विद्यालये शिक्षणस्तु सम्यक् प्रवर्तते। वयं सर्वे सन्तुष्टाः स्मः। तथापि अस्माकं ज्ञान पिपासायाः तृप्तिः न भवति। अत: निवेदयामः वयं यद् एतत् तृप्तये सप्ताहात्मकम् एकं शैक्षिक-भ्रमणम् आयोजनीयम्। कक्षायाः सर्वे छात्राः एवमेव इच्छन्ति। वयम् आस्वस्थाः स्मः यतु अनुमति प्रदाय अनुग्रहीष्यन्ति भवन्तः।,
दिनांङ्क : 18.12.20
भवदाज्ञाकारिणः शिष्याः
दशमी-कक्षास्थाः
हिन्दी अनुवाद
सेवा में
श्रीमान् प्रधानाध्यापक महोदय
राजकीय माध्यमिक विद्यालय,
लखनपुर।
विषय – शैक्षणिक भ्रमण की अनुमति हेतु प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हमारे विद्यालय में शिक्षण तो अच्छी तरह चल रहा है। फिर भी हमारे ज्ञान की प्यास तृप्ति को प्राप्त नहीं हो रही है। अतः हम निवेदन करते हैं कि इस तृप्ति के लिए एक सप्ताह का एक शैक्षणिक-भ्रमण आयोजित किया जाय। कक्षा के सभी छात्र ऐसा ही चाहते हैं। हमें विश्वास है कि आप अनुमति देकर हमें अनुगृहीत करेंगे।
दिनांक : 18.11.20_ _
आपके आज्ञाकारी शिष्य
कक्षा 10