Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ Important Questions and Answers.
JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 द्वितीयक क्रियाएँ
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. किस क्रिया द्वारा प्राकृतिक साधनों को बहुमूल्य पदार्थों में बदला जाता है?
(A) प्राथमिक
(B) द्वितीयक
(C) तृतीयक
(D) चतुर्थक।
उत्तर:
(B) द्वितीयक
2. विनिर्माण में किस तत्त्व का प्रयोग नहीं होता?
(A) शक्ति
(B) मशीनरी
(C) विशेषीकरण
(D) आदिमकालीन औज़ार।
उत्तर:
(D) आदिमकालीन औज़ार।
3. किस उद्योग का विश्व स्तरीय बाजार है? .
(A) शस्त्र निर्माण
(B) एल्यूमीनियम
(C) तेलों के बीज़
(D) घरेलू उद्योग।
उत्तर:
(A) शस्त्र निर्माण
4. कौन-सा उद्योग कच्चे माल के निकट लगाए जाते हैं ?
(A) डेयरी
(B) सूती वस्त्र
(C) हस्तकला
(D) वायुयान।
उत्तर:
(A) डेयरी
5. एल्यूमिनियम उद्योग किस कारक के निकट लगाया जाता है?
(A) बाज़ार
(B) कच्चे माल
(C) कुशलश्रम
(D) ऊर्जा।
उत्तर:
(D) ऊर्जा।
6. कृत्रिम रेशों का उद्योग किस प्रकार का उद्योग है?
(A) जीव आधारित
(B) रासायनिक
(C) खनिज आधारित
(D) कृषि आधारित।
उत्तर:
(B) रासायनिक
7. TIsco किस क्षेत्र का उद्योग है?
(A) सार्वजनिक
(B) निजी
(C) संयुक्त
(D) बहुराष्ट्रीय।
उत्तर:
(B) निजी
8. रुहर औद्योगिक प्रदेश किस देश में है?
(A) इंग्लैण्ड
(B) जर्मनी
(C) फ्रांस
(D) यू० एस० ए०।
उत्तर:
(B) जर्मनी
9. सिलीकॉन घाटी किस नगर के निकट स्थित है?
(A) न्यूयार्क
(B) मांट्रियाल
(C) सेन फ्रांससिस्को
(D) बोस्टन।
उत्तर:
(C) सेन फ्रांससिस्को
10. किस केन्द्र को संयुक्त राज्य का ‘जंग का कटोरा’ कहते हैं ?
(A) पिट्टसबर्ग
(B) शिकागो
(C) गैरी
(D) बुफ़ैलो।
उत्तर:
(A) पिट्टसबर्ग
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
प्रश्न 1.
आर्थिक क्रियाकलाप क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग के लिए।
प्रश्न 2.
निर्माण उद्योग की सबसे छोटी इकाई क्या है?
उत्तर:
कुटीर उद्योग।
प्रश्न 3.
सिलिकन घाटी कहां स्थित है ?
उत्तर:
कैलिफोर्निया (संयुक्त राज्य में)।
प्रश्न 4.
विनिर्माण उद्योग का एक उदाहरण दो।
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग।
प्रश्न 5.
बडे पैमाने के उद्योगों का एक उदाहरण दो।
उत्तर:
लोहा-इस्पात।
प्रश्न 6.
किस उद्योग को आधारभूत उद्योग कहते हैं?
उत्तर:
लोहा-इस्पात।
प्रश्न 7.
कृषि-आधारित उद्योग का उदाहरण दो।
उत्तर:
चीनी उद्योग।
प्रश्न 8.
प्लास्टिक उद्योग किस वर्ग का उद्योग है?
उत्तर:
पेट्रो रसायन।
प्रश्न 9.
सार्वजनिक क्षेत्र का एक उद्योग बताओ।
उत्तर:
बोकारो इस्पात कारखाना।
प्रश्न 10.
भारत के किस नगर में हीरे की कटाई का कार्य होता है?
उत्तर:
सूरत में।
प्रश्न 11.
संयुक्त राज्य में सबसे बड़ा लोहा-इस्पात क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
महान् झीलों का क्षेत्र।
प्रश्न 12.
किस क्रिया से आदेशानुसार सामान तैयार किया जाता था?
उत्तर:
शिल्प (Craft)।
प्रश्न 13.
यन्त्रीकरण की विकसित अवस्था क्या है?
उत्तर:
स्वचालित क्रिया।
प्रश्न 14.
विश्व के कितने प्रतिशत भाग पर विनिर्माण उद्योग है?
उत्तर:
10% भाग पर।
प्रश्न 15.
उद्योगों का स्थानीकरण कहां होना चाहिए?
उत्तर:
उस स्थान पर जहां उत्पादन लागत कम हो।
प्रश्न 16.
सन्तुलित विकास कैसे प्राप्त होता है?
उत्तर:
प्रादेशिक नीतियों द्वारा।
प्रश्न 17.
कृषि आधारित उद्योगों के उदाहरण दो।
उत्तर:
भोजन तैयार करना, शक्कर, अचार तथा फूलों के रस।
प्रश्न 18.
वनों पर आधारित दो उद्योग बताओ।
उत्तर:
कागज़ तथा लाख।
प्रश्न 19.
धुएं की चिमनी वाले उद्योग बताओ।
उत्तर:
धातु पिघलाने वाले उद्योग।
प्रश्न 20.
जर्मनी का सबसे महत्त्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र बताओ।
उत्तर:
रुहर।
प्रश्न 21.
उस उद्योग का प्रकार बताइए जिसे निम्नलिखित विशेषताएं प्राप्त है? एकत्रित करके, बड़े पैमाने पर उत्पादन तकनीक, उन्नत प्रौद्योगिकी, कई कच्चे मालों का प्रयोग तथा विशाल ऊर्जा का प्रयोग।
उत्तर:
बड़े पैमाने के विनिर्माण उद्योग।
प्रश्न 22.
अफ्रीका का एक खनिज क्षेत्र बताइए जहां घनी जनसंख्या है।
उत्तर:
कटंगा-जम्बिया तांबा क्षेत्र।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
द्वितीयक क्रियाकलापों में कौन-सी क्रियाएं सहायक होती हैं ?
उत्तर:
द्वितीय क्रियाकलापों द्वारा प्राकृतिक कच्चे माल का रूप बदल कर उसे मूल्यवान बनाया जाता है। इसमें निम्नलिखित क्रियाएं सहायक हैं
- विनिर्माण
- प्रसंस्करण
- निर्माण।
प्रश्न 2.
विनिर्माण में कौन-सी प्रक्रियाएं सम्मिलित होती हैं?
उत्तर:
- आधुनिक शक्ति का उपयोग
- मशीनरी का उपयोग
- विशिष्ट श्रमिक
- बड़े पैमाने पर उत्पादन
- मानक वस्तुओं का उत्पादन।
प्रश्न 3.
द्वितीयक क्रियाकलापों को द्वितीयक क्यों कहते हैं?
उत्तर:
प्राथमिक क्रियाकलाप कच्चे माल का प्रयोग करते हैं। द्वितीयक क्रियाकलाप व निर्माण उद्योग इन वस्तुओं का प्रयोग करके इनका रूप तथा मूल्य बदलते हैं। इसलिए इन्हें द्वितीयक क्रियाकलाप कहते हैं। प्रश्न 4. आधारभूत उद्योगों तथा उपभोग वस्तु निर्माण उद्योगों के दो-दो उदाहरण दें। उत्तर-लोहा-इस्पात, तांबा. उद्योग आधारभूत उद्योग हैं जब कि चाय, साबुन, उपभोग वस्तु निर्माण उद्योग है।
प्रश्न 5.
लोहा-इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
लोहा-इस्पात उद्योग अन्य सभी उद्योगों को आधार प्रदान करता है। इसलिए इसे आधारभूत उद्योग कहा जाता है। लोहा कठोरता, प्रबलता तथा सस्ता होने के कारण अन्य धातुओं की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण है। इससे मशीनें, परिवहन साधन, कृषि उपकरण, सैनिक अस्त्र-शस्त्र आदि बनाए जाते हैं, वर्तमान युग को ‘इस्पात युग’ भी कहा जाता है।
प्रश्न 6.
संयुक्त राज्य अमेरिका में पेट्रो-रसायन कम्पलैक्स अधिकतर तटीय क्षेत्र में क्यों है?
उत्तर:
अधिकतर पैट्रो रसायन कम्पलैक्सों की स्थिति तटीय है क्योंकि खनिज तेल लैटिन अमेरिका तथा पश्चिम एशिया से आयात किया जाता है।
प्रश्न 7.
स्वचालित यन्त्रीकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब यन्त्रीकरण में (मानव के बिना) मशीनों का प्रयोग किया जाता है तो इसे स्वचालित यन्त्रीकरण कहते हैं। यह यन्त्रीकरण की विकसित अवस्था है। इससे कम्प्यूटर नियन्त्रण प्रणाली (CAD) प्रयोग की जाती है।
प्रश्न 8.
प्रौद्योगिक ध्रुव से क्या अभिप्रायः है?
उत्तर:
विज्ञान पार्क, विज्ञान नगर तथा अन्य उच्च तकनीकी औद्योगिक कम्पलैक्स को प्रौद्योगिक ध्रुव कहते हैं।
प्रश्न 9.
बाजार से क्या अभिप्रायः है?
उत्तर:
बाजार से तात्पर्य उसे क्षेत्र में तैयार वस्तुओं की मांग हो एवं वहां के निवासियों में खरीदने की शक्ति, (क्रय शक्ति) हो।
प्रश्न 10.
किन कारकों के कारण उद्योगों में श्रम पर निर्भरता को कम कर दिया है
उत्तर:
- यन्त्रीकरण में बढ़ती स्थिति
- स्वचालित यन्त्रीकरण
- औद्योगिक प्रक्रिया का लचीलापन।
प्रश्न 11.
लघु पैमाने के उद्योगों में किन तत्त्वों का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर:
- स्थानीय कच्चे माल
- साधारण शक्ति से चलने वाले यन्त्र
- अर्द्ध-कुशल श्रमिक।
प्रश्न 12.
कच्चे माल पर आधारित उद्योगों का वर्णन करो।
उत्तर:
उद्योगों के लिए कच्चा माल सरलता से उपलब्ध होना चाहिए। भारी कच्चे माल पर आधारित उद्योग हैं इस्पात, चीनी, सीमेंट उद्योग। डेयरी उत्पादन दुग्ध-आपूर्ति स्रोतों के निकट लगाए जाते हैं ताकि ये नष्ट न हों।
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
‘द्वितीयक क्रियाकलापों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है।’ दो उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर:
द्वितीयक क्रियाकलापों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का मूल्य बढ़ जाता है। प्रकृति में पाए जाने वाले कच्चे माल का रूप बदलकर यह उसे मूल्यवान बना देती है। खेतों, वनों, खदानों एवं समुद्रों से प्राप्त पदार्थों के विषय में भी यह बात सत्य है। इस प्रकार द्वितीयक क्रियाएं विनिर्माण, प्रसंस्करण और निर्माण (अवसंरचना) उद्योग से सम्बन्धित हैं।
उदाहरण:
(1) कपास का सीमित उपयोग है परन्तु तन्तु में परिवर्तित होने के बाद यह और अधिक मूल्यवान हो जाता है और इसका उपयोग वस्त्र बनाने में किया जा सकता है।
(2) खदानों से प्राप्त लौह-अयस्क का हम प्रत्यक्ष उपयोग नहीं कर सकते, परन्तु अयस्क से इस्पात बनाने के बाद यह मूल्यवान हो जाता है, और इसका उपयोग कई प्रकार की मशीनें एवं औजार बनाने में होता है।
प्रश्न 2.
आधुनिक निर्माण की क्या विशेषताएं हैं ?
उत्तर:
आधुनिक निर्माण की विशेषताएं हैं –
- एक जटिल प्रौद्योगिकी यन्त्र
- अत्यधिक विशिष्टीकरण एवं श्रम विभाजन के द्वारा कम प्रयास एवं अल्प लागत से अधिक माल का उत्पादन करना।
- अधिक पूंजी
- बड़े संगठन एवं
- प्रशासकीय अधिकारी-वर्ग।
प्रश्न 3.
कुटीर उद्योगों द्वारा निर्मित दैनिक जीवन के उपयोग की वस्तुएं बताओ।
उत्तर:
इस उद्योग में दैनिक जीवन के उपयोग में आने वाली वस्तुओं जैसे खाद्य पदार्थ, कपड़ा, चटाइयां, बर्तन, औज़ार, फर्नीचर, जूते एवं लघु मूर्तियां उत्पादित की जाती हैं। इसके अतिरिक्त पत्थर एवं मिट्टी के बर्तन एवं ईंट, चमड़े से कई प्रकार का सामान बनाया जाता है। सुनार सोना, चांदी एवं तांबे से आभूषण बनाता है। कुछ शिल्प की वस्तुएं बांस एवं स्थानीय वन से प्राप्त लकड़ी से बनाई जाती है।.
प्रश्न 4.
बड़े पैमाने के उद्योगों के लिए किन कारकों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
बड़े पैमाने के उद्योगों के लिए विशाल बाज़ार, विभिन्न प्रकार का कच्चा माल, शक्ति के साधन, कुशल श्रमिक, विकसित प्रौद्योगिकी, अधिक उत्पादन एवं अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 5.
परम्परागत बड़े पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेशों की विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
परम्परागत बड़े पैमाने वाले औद्योगिक प्रदेश –
यह भारी उद्योग के क्षेत्र होते हैं जिसमें कोयला खदानों के समीप स्थित धातु पिघलाने वाले उद्योग, भारी इंजीनियरिंग, रसायन निर्माण, वस्त्र उत्पादन इत्यादि का कार्य किया जाता है। इन्हें धुएं की चिमनी वाला उद्योग भी कहते हैं। परम्परागत औद्योगिक प्रदेशों के निम्न पहचान बिन्दु हैं।
- निर्माण उद्योगों में रोजगार का अनुपात ऊंचा होता है।
- उच्च गृह घनत्व जिसमें हर घटिया प्रकार के होते हैं एवं सेवाएं अपर्याप्त होती हैं।
- वातावरण अनाकर्षक होता है जिसमें गन्दगी के ढेर व प्रदूषण होता है।
- बेरोज़गारी की समस्या, उत्प्रवास, विश्वव्यापी मांग कम होने से कारखाने बन्द होने के कारण परित्यक्त भूमि का क्षेत्र।
प्रश्न 6.
यूरोप का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक संकुल कौन-सा है तथा क्यों?
उत्तर:
यूरोप में सबसे महत्त्वपूर्ण औद्योगिक संकुल राइन नदी घाटी क्षेत्र है। यह संकुल स्विट्ज़रलैण्ड से लेकर जर्मन संघीय गणराज्य तक विस्तृत है। यहां पर कोयला क्षेत्र स्थित है। यहां रेलमार्गों, नदियों तथा नहरों के जलमार्गों . द्वारा यातायात सुविधाएं हैं। यहां श्रम के साथ-साथ स्थानीय मांग भी है। यहां जल विद्युत् विकास की सुविधा भी है।
प्रश्न 7.
कच्चे माल के निकट कौन-से उद्योग लगाए जाते हैं? उदाहरण दो।
उत्तर:
कच्चा माल निर्माण उद्योगों का आधार है। जिन उद्योगों का निर्माण के पश्चात् भार कम हो जाता है, वे. उद्योग कच्चे माल के निकट लगाए जाते हैं, जैसे गन्ने से चीनी बनाना। जिन उद्योगों में भारी कच्चे माल प्रयोग किए जाते हैं, वे उद्योग कच्चे माल के निकट लगाए जाते हैं, जैसे-लोहा-इस्पात उद्योग।
प्रश्न 8.
उद्योगों की स्थापना के लिए किस प्रकार के श्रम की आवश्यकता होती है? उदाहरण दें।
उत्तर:
उद्योगों के विकास के लिए सस्ते कुशल तथा प्रचुर श्रम की आवश्यकता होती है। जगाधरी तथा मुरादाबाद . में पीतल के बर्तन बनाने का उद्योग, फिरोजाबाद में शीशे का उद्योग तथा जापान में खिलौने बनाने का उद्योग कुशल श्रमिकों के कारण है। ..
प्रश्न 9.
विकासशील देशों में निर्माण उद्योगों की कमी क्यों है?
उत्तर:
निर्माण उद्योगों के लिए पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होती है। इन उद्योगों के लिए मांग क्षेत्र तथा बाजार का होना भी ज़रूरी है। परन्तु विकासशील देशों में पूंजी की कमी है तथा लोगों की क्रय शक्ति कम है। इसलिए मांग भी कम है। इसीलिए विकासशील देशों में भारी उद्योगों की कमी है।
प्रश्न 10.
प्रौद्योगिक ध्रुव से क्या अभिप्राय है? .
उत्तर;
प्रौद्योगिक ध्रुव-इन उच्च-प्रौद्योगिकी क्रिया-कलापों के अवस्थितिक प्रभाव विकसित औद्योगिक देशों में पहले ही देखने को मिल रहे हैं। सर्वाधिक ध्यान देने योग्य घटना नवीन प्रौद्योगिकी संकुलों या प्रौद्योगिक ध्रुव का उद्भव होना है। एक प्रौद्योगिक ध्रुव एक संकेन्द्रित क्षेत्र के भीतर अभिनव प्रौद्योगिकी व उद्योगों से सम्बन्धित उत्पादन के लिए नियोजित विकास है। प्रौद्योगिक ध्रुव में विज्ञान अथा प्रौद्योगिकी-पार्क, विज्ञान नगर (साइंस-सिटी) तथा दूसरी उच्च तकनीक औद्योगिक संकुल सम्मिलित किये जाते हैं।
प्रश्न 11.
गृह उद्योग क्या हैं ?
उत्तर:
कुटीर उद्योगों को गृह उद्योग कहते हैं। यह निर्माण की सबसे छोटी इकाई है। परिवार के सभी सदस्य मिलकर दैनिक जीवन के उपभोग की वस्तुएं तैयार करते हैं। इन वस्तुओं का वे स्वयं उपभोग करते हैं या इसे स्थानीय बाजार में विक्रय कर देते हैं। इनमें कम पूँजी लगी होती है। इन उद्योगों द्वारा निर्मित वस्तुओं का व्यापारिक महत्त्व कम होता है। इस उद्योग में खाद्य पदार्थ, कपड़ा, बर्तन, औज़ार, जूते आदि शामिल होते हैं। मिट्टी के बर्तन, चमड़े का सामान,
आभूषण बनाना, बांस से शिल्प वस्तुएं भी तैयार की जाती हैं।
अन्तर स्पष्ट करने वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
व्यक्तिगत तथा सार्वजनिक क्षेत्र में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
व्यक्तिगत क्षेत्र (Private Sector) | सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector) |
1. जब किसी उद्योग की सारी पूंजी, लाभ, हानि तथा सम्पत्ति एक ही व्यक्ति की होती है तो उसे व्यक्तिगत क्षेत्र कहते हैं। | 1. जब किसी उद्योग की पूंजी और सम्पत्ति के अधिकार जनता तथा समुदाय के हाथ में होते हैं तो उसे सार्वजनिक क्षेत्र कहा जाता है। |
2. भारत में कई पूंजीपतियों द्वारा चलाए गए उद्योग जैसे टाटा लोहा इस्पात कारखाना व्यक्तिगत क्षेत्र में गिने जाते हैं। | 2. सरकारी भवन, स्कूल, उद्योग इसी क्षेत्र में गिने जाते हैं जैसे भिलाई इस्पात कारखाना। |
3. व्यक्तिगत क्षेत्र के उद्योग जापान, संयुक्त राज्य देशों में प्रचलित हैं, जहां कड़ा मुकाबला होता है। | 3. सार्वजनिक क्षेत्र समाजवादी देशों में जैसे भारत, रूस में प्रचलित है। |
4. इसमें अधिकतर छोटे पैमाने के उद्योग गिने जाते हैं। | 4. इसमें प्रायः भारी उद्योग गिने जाते हैं। |
प्रश्न 2.
बड़े तथा लघु पैमाने के उद्योगों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
बड़े पैमाने के उद्योग (Large Scale Industries) | लघु पैमाने के उद्योग (Small Scale Industries) |
1. इन उद्योगों में ऊर्जा चालित मशीनों से उत्पादन होता हैं। | 1. इन उद्योगों में छोटी-छोटी मशीनें लगाई जाती हैं। |
2. इसमें बड़ी मात्रा में पूंजी निवेश किया जाता है। | 2. इनमें कम पूंजी निवेश के उद्योग लगाए जाते हैं। |
3. ये उद्योग विकसित देशों के विकास का आधार होते हैं। | 3. ये उद्योग विकासशील देशों में रोजगार उपलब्ध करवाते हैं। |
प्रश्न 3.
भारी उद्योग तथा कृषि उद्योगों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
कृषि उद्योग (Agro-Industries) | भारी उद्योग (Heavy Industries) |
1. वे प्रायः प्राथमिक उद्योग होते हैं। | 1. ये प्रायः आधारभूत उद्योग होते हैं। |
2. ये उद्योग कृषि पदार्थों पर आधारित होते हैं। | 2. इन उद्योगों में शक्ति-चलित मशीनों का अधिक प्रयोग होता है। |
3. इनसे कृषि पदार्थों का रूप बदलकर अधिक उपयोगी पदार्थ जैसे कपास से कपड़े बनाए जाते हैं। | 3. इन उद्योगों में बड़े पैमाने पर विषय यन्त्र तथा मशीनें – बनाई जाती हैं। |
4. ये श्रम-प्रधान उद्योग होते हैं। | 4. ये पूंजी प्रधान उद्योग होते हैं। |
5. इसमें प्रायः छोटे तथा मध्यम वर्ग के उद्योग लगाये जाते हैं। | 5. इसमें प्राय: बड़े पैमाने के उद्योग लगाये जाते हैं। |
6. पटसन उद्योग, चीनी उद्योग, वस्त्र उद्योग कृषि उद्योग हैं। | 6. लोहा-इस्पात, वायुयान, जलयान उद्योग भारी उद्योग हैं। |
निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
प्रश्न 1.
विभिन्न आधारों पर उद्योगों का वर्गीकरण करो।
उत्तर:
उद्योगों को आकार, उत्पादन, कच्चे माल तथा स्वामित्व के आधार पर विभिन्न वर्गों में बांटा जाता है।
1. आकार के आधार पर वर्गीकरण-किसी उद्योग के आकार का निश्चय उसमें लगाई गई पूँजी की मात्रा, कार्यरत लोगों की संख्या, उत्पादन की मात्रा आदि के आधार पर किया जाता है। तदानुसार उद्योगों का वर्गीकरण कुटीर उद्योग, लघु पैमाने के उद्योग तथा बड़े पैमाने के उद्योग में किया जा सकता है।
(क) कुटीर उद्योग-कुटीर या गृह उद्योग विनिर्माण की सबसे छोटी इकाइयाँ हैं। इसके हस्तकार या शिल्पकार अपने परिवार के सदस्यों की सहायता से, स्थानीय कच्चे माल तथा साधारण उपकरणों का उपयोग करके अपने घरों में ही वस्तुओं का निर्माण करते हैं। उत्पादन की दक्षता एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होती है। इनमें उत्पादन छोटे पैमाने पर होता है। औजार तथा उपकरण साधारण होते हैं। उत्पादित वस्तुओं को सामान्यतः स्थानीय बाज़ार में बेचा जाता है। इस प्रकार कुम्हार, बढ़ई, बुनकर, लुहार आदि गृह उद्योग क्षेत्र में ही वस्तुएँ बनाते हैं।
(ख) छोटे पैमाने के उद्योग-इनमें आधुनिक ऊर्जा से चलने वाली मशीनों तथा श्रमिकों की भी सहायता ली जाती है। ये उद्योग कच्चा माल बाहर से भी मंगाते हैं यदि ये स्थानीय बाज़ार में उपलब्ध नहीं है। ये कुटीर उद्योगों की तुलना में आकार में बड़े होते हैं। इन उद्योगों द्वारा उत्पादित माल को व्यापारियों के माध्यम से स्थानीय बाजारों है। छोटे पैमाने के उद्योग विशेष रूप से विकासशील देशों की घनी जनसंख्या को रोज़गार उपलब्ध कराने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उदाहरण-कुछ देशों जैसे भारत तथा चीन में, कपड़े, खिलौने, फर्नीचर, खाद्य-तेल तथा चमड़े के सामान आदि का उत्पादन छोटे पैमाने के उद्योगों में किया जा रहा है।
(ग) बड़े पैमाने के उद्योग-इनमें भारी उद्योग तथा पूँजी-प्रधान उद्योग सम्मिलित किए जाते हैं, जो भारी मशीनों का प्रयोग करते हैं, बड़ी संख्या में श्रमिकों को लगाते हैं तथा काफ़ी बड़े बाज़ार के लिए सामानों का उत्पादन करते हैं। इन उद्योगों में उत्पाद की गुणवत्ता तथा विशिष्टीकरण पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इन उद्योगों में बहुत बड़े संसाधन-आधार की आवश्यकता पड़ती है। अत: कच्चा माल दर-दर स्थित विभिन्न स्थानों से मँगाया जाता है। वस्तओं का उत्पादन भी बडे पैमाने पर करते हैं तथा उत्पाद दूर-दूर बाजारों में भेजा जाता है। इस प्रकार इन उद्योगों को, अनेक सुविधाओं जैसे सड़क, रेल तथा ऊर्जा आपूर्ति की आवश्यकता पड़ती है।
उदाहरण:
लोहा एवं इस्पात-उद्योग, पेट्रो-रसायन उद्योग, वस्त्र निर्माण उद्योग तथा मोटर कार निर्माण उद्योग आदि इस श्रेणी के अंतर्गत आते हैं। संयुक्त राज्य, इंग्लैंड तथा यूरोप में से उद्योग उच्च तकनीकी क्षेत्रों में स्थित हैं।
2. आकार तथा उत्पादों की प्रकृति-कुछ भूगोलवेत्ता विनिर्माण उद्योग का विभाजन इनमें कार्य के आकार तथा उत्पादों की प्रकृति दोनों को मिलाकर ही करते हैं।
इस प्रकार, उद्योगों के दो वर्ग होते हैं –
(i) भारी उद्योग बड़े पैमाने के उद्योग हैं। इनके कच्चे माल व तैयार माल दोनों ही भारी होते हैं। अतः इन्हें कच्चे माल के स्रोत के निकट ही स्थापित किया जाता है।
उदाहरण:
जैसे लौह-इस्पात उद्योग
(ii) हल्के उद्योग सामान्यतः छोटे पैमाने के उद्योग हैं। ये हल्के तथा संहत वस्तुओं का उत्पादन करते हैं। इन उद्योगों के लिए बाज़ार की निकटता सबसे महत्त्वपूर्ण कारक होता है।
उदाहरण:
इलेक्ट्रोनिक उद्योग इसका सर्वोत्तम उदाहरण है।
3. उत्पादन के आधार पर वर्गीकरण –
(क) आधारभूत उद्योग-कुछ उद्योग ऐसे होते हैं जिनके उत्पादों का प्रयोग अन्य प्रकार के उत्पादन प्राप्त करने के. लिए किया जाता है। इन्हें आधारभूत उद्योग कहा जाता है। लोहा-इस्पात उद्योग एक आधारभूत उद्योग है क्योंकि इसमें उत्पादित इस्पात का उपयोग अन्य उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है। कुछ आधारभूत उद्योगों में मशीनें बनायी जाती हैं, जो अन्य उत्पादों को बनाने के लिये प्रयोग की जाती हैं।
(ख) वस्तु निर्माण उद्योग-कुछ उद्योग उन उत्पादों का निर्माण करते हैं, जिन्हें सीधे उपभोग के लिए प्रयोग किया जाता है, जैसे चाय, डबल रोटी, साबुन तथा टेलीविज़न । इन्हें उपभोक्ता वस्तु निर्माण उद्योग कहते हैं।
4. कच्चे माल के आधार पर वर्गीकरण-उद्योगों का वर्गीकरण उनके द्वारा प्रयुक्त कच्चे माल के आधार पर किया जा सकता है। इस प्रकार इन्हें कृषि आधारित उद्योग, वन आधारित उद्योग, धातु उद्योग तथा रासायनिक उद्योग के रूप में भी विभाजित किया जा सकता है।
(क) कृषि पर आधारित उद्योग-इनमें कृषि से प्राप्त उत्पादों को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं। सूती वस्त्र, चाय, चीनी एवं वनस्पति तेल उद्योग इसके उदाहरण हैं।
(ख) वन आधारित उद्योग-जिन उद्योगों में वनों से प्राप्त उत्पादों का कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है उन्हें वन आधारित उद्योग कहते हैं जैसे कागज़ एवं फर्नीचर उद्योग।
(ग) खनिज आधारित उद्योग-जिन उद्योगों में खनिज पदार्थों का उपयोग कच्चे माल के रूप में होता है, उन्हें खनिज आधारित उद्योग कहते हैं। धातुओं पर आधारित उद्योग को धातु उद्योग कहते हैं। इन्हें पुनः लौह धात्विक उद्योगों एवं अलौह धातु उद्योगों में बाँटते हैं। ऐसी धातुओं पर आधारित उद्योग जिनमें लौहांश होता है, लौह धातु उद्योग कहलाते हैं, जैसे लोहा-इस्पात उद्योग। दूसरी ओर ऐसी धातुओं पर आधारित उद्योग जिनमें लौहांश नहीं होता है, उन्हें अलौह-धातु उद्योग कहते हैं, जैसे तांबा तथा एल्यूमीनियम।
(घ) रासायनिक पदार्थों पर आधारित उद्योग-रासायनिक पदार्थों पर आधारित उद्योगों को रासायनिक उद्योग की संज्ञा दी जाती है, जैसे पेट्रो-रसायन, प्लास्टिक, कृत्रिम रेशे तथा औषधि निर्माण उद्योग आदि। कुछ रसायन उद्योगों में प्रकृति से प्राप्त वस्तुओं को कच्चे माल के रूप में प्रयोग करते हैं, जैसे खनिज-तेल, नमक, गंधक, पोटाश तथा वनस्पति उत्पाद आदि। कुछ रासायनिक उद्योगों में अन्य उद्योगों के उत्पादों का प्रयोग किया जाता है।
5. स्वामित्व के आधार पर वर्गीकरण उद्योगों को स्वामित्व तथा प्रबंधन के आधार पर सरकारी या सार्वजनिक, निजी और संयुक्त क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है। जब किसी उद्योग का स्वामित्व तथा प्रबंधन राज्य सरकार के हाथ में हो तो इसे सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग की संज्ञा दी जाती है। राज्य या सरकारें ही ऐसी इकाइयों की स्थापना तथा संचालन करती हैं।
किसी एक व्यक्ति या कुछ व्यक्तियों के समूह (निगम) के स्वामित्व तथा प्रबंधन में संचालित उद्योग निजी क्षेत्र के उद्योग कहलाते हैं जब एक व्यक्ति अपनी पूँजी लगाकर उद्योग स्थापित करता है, वह उस उद्योग का प्रबंधन निजी उद्योगपति के रूप में करता है। कभी-कभी कुछ व्यक्ति मिलकर सांझेदारी के आधार पर उद्योग स्थापित करते हैं। वे भी निजी उद्योग हैं। ऐसे उद्योगों में पूँजी तथा काम के हिस्से का समझौता पहले ही कर लिया जाता है।
उद्योगों की स्थापना निगमों द्वारा की जाती है। निगम कई व्यक्तियों अथवा संगठनों द्वारा बनाया हुआ ऐसा संघ होता है, जो पूर्व निर्धारित उद्देश्यों एवं लक्ष्यों की पूर्ति हेतु कार्य करता है। निगम जनता में शेयर बेचकर पूँजी जुटाता है। बड़े बहुराष्ट्रीय निगमों, जैसे पेप्सी हिन्दुस्तान लीवर तथा जनेरल इलेक्ट्रिक ने भूमंडलीय स्तर पर अनेक देशों में अपने उद्योग स्थापित किए हैं।
प्रश्न 2.
उद्योगों का स्थानीयकरण किन तत्त्वों पर निर्भर करता है ? उदाहरण सहित व्याख्या करो।
उत्तर:
किसी स्थान पर उद्योगों की स्थापना के लिए कुछ भौगोलिक, सामाजिक तथा आर्थिक तत्त्वों का होना आवश्यक है। उदाहरण के लिए कच्चा माल, शक्ति के साधन, श्रम, पूंजी और बाज़ार उद्योगों के महत्त्वपूर्ण निर्धारक हैं। इन्हें उद्योगों के आधारभूत कारक भी कहते हैं। ये सभी कारक मिल-जुल कर प्रभाव डालते हैं। प्रत्येक कारक का महत्त्व समय, स्थान और उद्योगों के अनुसार बदलता रहता है। इन अनुकूल तत्त्वों के कारण किसी स्थान पर अनेक उद्योग स्थापित हो जाते हैं। यह क्षेत्र औद्योगिक क्षेत्र (Industrial Region) बन जाता है।
उद्योगों के स्थानीयकरण के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं –
1. कच्चे माल की निकटता (Nearness of Raw Material) उद्योग कच्चे माल के स्रोत के निकट ही स्थापित कच्चा माल उद्योगों की आत्मा है। उद्योग वहीं पर स्थापित किए जाते हैं, जहाँ कच्चा माल अधिक मात्रा में कम लागत पर, आसानी से उपलब्ध हो सके। इसलिए लोहे और चीनी के कारखाने कच्चे माल की प्राप्ति-स्थान के निकट लगाए जाते हैं। शीघ्र खराब होने वाली वस्तुएं जैसे डेयरी उद्योग भी उत्पादक केन्द्रों के निकट लगाए जाते हैं। भारी कच्चे माल के उद्योग उन वस्तुओं के मिलने के स्थान के निकट ही लगाए जाते हैं। इस्पात उद्योग कोयला तथा लोहा खानों के निकट स्थित हैं। कागज़ की लुगदी के कारखाने तथा आरा मिलें कोणधारी वन प्रदेशों में स्थित हैं। जापान तथा ब्रिटेन में सूती वस्त्र उद्योग के लिए हल्के कच्चे माल कपास आदि आयात कर लिए जाते हैं।
उदाहरण:
कच्चे माल की प्राप्ति के कारण ही चीनी उद्योग उत्तर प्रदेश में, पटसन उद्योग पश्चिमी बंगाल में तथा सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र में लगे हुए हैं।
2. शक्ति के साधन (Power Resources)-कोयला, पेट्रोलियम तथा जल-विद्युत् प्रमुख साधन हैं। भारी उद्योगों में शक्ति के साधनों का अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाता है। इसलिए अधिकतर उद्योग उन स्थानों पर लगाए जाते हैं जहाँ कोयले की खाने समीप हों या पेट्रोलियम अथवा जल-विद्युत् उपलब्ध हो। भारत में दामोदर घाटी, जर्मनी में रूहर घाटी कोयले के कारण ही प्रमुख औद्योगिक केन्द्र है। खाद व रासायनिक उद्योग, एल्यूमीनियम उद्योग, कागज़ उद्योग, जल विद्युत् शक्ति केन्द्रों के निकट लगाए जाते हैं, क्योंकि इनमें अधिक मात्रा में सस्ती बिजली की आवश्यकता होती है।
उदाहरण:
भारत के इस्पात उद्योग झरिया तथा रानीगंज की कोयला खानों के समीप स्थित हैं। पंजाब में भाखडा योजना से जल-विद्युत् प्राप्ति के कारण खाद का कारखाना नंगल में स्थित है। इसी कारण रूस में डोनबास औद्योगिक क्षेत्र, यू० एस० ए० में झील क्षेत्र, कोयला खानों के निकट ही स्थित हैं।
3. यातायात के साधन (Means of Transport):
उन स्थानों पर उद्योग लगाए जाते हैं, जहाँ सस्ते, उत्तम, कुशल और शीघ्रगामी यातायात के साधन उपलब्ध हों। कच्चा माल, श्रमिक तथा मशीनों को कारखानों तक पहुँचाने के लिए सस्ते साधन चाहिए। तैयार किए हुए माल को कम खर्च पर बाज़ार तक पहुंचाने के लिए उत्तम परिवहन साधन बहुत सहायक होते हैं।
उदाहरण:
जल यातायात सबसे सस्ता साधन है। इसलिए अधिक उद्योग कोलकाता, चेन्नई आदि बन्दरगाहों के स्थान पर हैं। संसार के दो बड़े औद्योगिक क्षेत्र यूरोप तथा यू० एस० ए० उत्तरी अन्धमहासागरीय मार्ग के सिरों पर स्थित हैं।
4. जलवायु (Climate):
कुछ उद्योगों में जलवायु का मुख्य स्थान होता है। उत्तम जलवायु मनुष्य की कार्य-कुशलता पर भी प्रभाव डालती है। सूती कपड़े के उद्योग के लिए आर्द्र जलवायु अनुकूल होती है। इस जलवायु में धागा बार-बार नहीं टता। वाययान उद्योग के लिए शुष्क जलवाय की आवश्यकता होती है।
उदाहरण:
मुम्बई में सूती कपड़ा उद्योग आर्द्र जलवायु के कारण तथा बंगलौर में वायुयान उद्योग (Aircraft) शुष्क जलवायु के कारण स्थित है। कैलीफोर्निया में हालीवुड में चलचित्र उद्योग के विकास का एक महत्त्वपूर्ण कारण यह है कि वहां बाह्य शूटिंग के लिए अधिकतर मेघरहित आकाश मिलता है।
5. पूंजी की सुविधा (Capital):
उद्योग उन स्थानों पर लगाए जाते हैं जहां पूंजी पर्याप्त मात्रा में ठीक समय पर तथा उचित दर पर मिल सके। निर्माण उद्योग को बड़े पैमाने पर चलाने के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों में पूंजी लगाने के कारण उद्योगों का विकास हुआ है। राजनीतिक स्थिरता और बिना डर के पूंजी विनियोग उद्योगों के विकास में सहायक हैं।
उदाहरण:
दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता आदि नगरों में बड़े-बड़े पूंजीपतियों और बैंकों की सुविधा के कारण ही औद्योगिक विकास हुआ है।
6. कुशल श्रमिक (Skilled Labour):
कुशल श्रमिक अधिक और अच्छा काम कर सकते हैं जिससे उत्तम तथा सस्ता माल बनता है। किसी स्थान पर लम्बे समय से एक ही उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों के कारण औद्योगिक केन्द्र बन जाते हैं । आधुनिक मिल उद्योग में अधिक कार्य मशीनों द्वारा होता है, इसलिए कम श्रमिकों की आवश्यकता होती है। लंकाशायर में सूती कपड़ा उद्योग कुशल श्रमिकों के कारण ही उन्नत हुआ है। कुछ उद्योगों में अत्यन्त कुशल तथा कुछ उद्योगों में अर्द्ध-कुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है। स्विट्ज़रलैंड के लोग घड़ियां, जापान के लोग विद्युत् यन्त्र तथा ब्रिटेन के लोग विशेष वस्त्र निर्माण में प्रवीण होते हैं।
उदाहरण:
मेरठ और जालन्धर में खेलों का सामान बनाने, लुधियाना में हौजरी उद्योग तथा वाराणसी में जरी उद्योग कुशल श्रमिकों के कारण ही हैं।
7. सस्ती व समतल भूमि (Cheap and Level Land):
भारी उद्योगों के लिए समतल भूमि आवश्यक होती है। इसी कारण जमशेदपुर का इस्पात उद्योग दामोदर नदी घाटी के मैदानी क्षेत्र में स्थित है।
8. सरकारी नीति (Government Policy):
सरकार के संरक्षण में कई उद्योग विकास कर जाते हैं, जैसे देश में चीनी उद्योग सन् 1932 के पश्चात् सरकारी संरक्षण से ही उन्नत हुआ है। सरकारी सहायता से कई उद्योगों को बहुत-सी सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं। सरकार द्वारा लगाए टैक्सों से भी उद्योग पर प्रभाव पड़ता है।
9. सस्ते श्रमिक (Cheap Labour):
सस्ते श्रमिक उद्योगों के लिए आवश्यक हैं ताकि कम लागत पर उत्पादन हो सके। इसलिए अधिकतर उद्योग घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों के निकट लगाए जाते हैं।
10. बाजार से निकटता (Nearness to Market):
मांग क्षेत्रों का उद्योग के निकट होना आवश्यक है। इससे कम तैयार माल बाजारों में भेजा जाता है। माल की खपत जल्दी हो जाती है तथा लाभ प्राप्त होता है। शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं के उद्योग जैसे डेयरी उद्योग, खाद्य पदार्थ उद्योग बड़े नगरों के निकट लगाए जाते हैं। यहाँ अधिक जनसंख्या के कारण लोगों की माल खरीदने की शक्ति अधिक होती है। एशिया के देशों में अधिक जनसंख्या है, परन्तु निर्धन लोगों के कारण ऊँचे मूल्य वाली वस्तुओं की मांग कम है। यही कारण है कि विकासशील देशों में निर्माण उद्योगों की कमी है। छोटे-छोटे पुर्जे तैयार करने वाले उद्योग बड़े कारखानों के निकट लगाए जाते हैं जहाँ इन पुों का प्रयोग होता है। वायुयान उद्योग तथा शस्त्र उद्योग का विश्व बाज़ार है।
11. पूर्व आरम्भ (Early Start):
जिस स्थान पर कोई उद्योग पहले से ही स्थापित हो, उसी स्थान पर उस उद्योग के अनेक कारखाने स्थापित हो जाते हैं। मुम्बई में सूती कपड़े के उद्योग तथा कोलकाता में जूट उद्योग इसी कारण से केन्द्रित हैं। किसी स्थान पर अचानक किसी ऐतिहासिक घटना के कारण सफल उद्योग स्थापित हो जाते हैं। जल पूर्ति के लिए कई उद्योग नदियों या झीलों के तटों पर लगाए जाते हैं।
प्रश्न 3.
संसार के विभिन्न देशों में लोहा-इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण तथा विकास का वर्णन करो।
उत्तर:
लोहा-इस्पात उद्योग (Iron and Steel Industry):
लोहा-इस्पात उद्योग आधुनिक औद्योगिक युग की आधारशिला है। लोहा कठोरता, प्रबलता तथा सस्ता होने के कारण अन्य धातुओं की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण है। इससे अनेक प्रकार की मशीनें, परिवहन के साधन, कृषि यन्त्र, ऊँचे-ऊँचे भवन, सैनिक अस्त्र-शस्त्र, टेंक, रॉकेट तथा दैनिक प्रयोग की अनेक वस्तुएं तैयार की जाती हैं। लोहा-इस्पात का उत्पादन ही किसी देश के आर्थिक विकास का मापदण्ड है। आधुनिक सभ्यता लोहा-इस्पात पर निर्भर करती है, इसीलिए वर्तमान युग को “इस्पात युग” (Steel Age) कहते हैं।
लोहा-इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण के तत्त्व (Locational factors) –
लोहा-इस्पात उद्योग निम्नलिखित दशाओं पर निर्भर करता है –
1. कच्चा माल (Raw-Material):
यह उद्योग लोहे तथा कोयले की खानों के निकट लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त मैंगनीज़, चूने के पत्थर, पानी तथा रद्दी लोहा (Scrap Iron) आदि कच्चे माल भी निकट ही प्राप्त हौं।
2. कोक कोयला (Coking Coal):
लोहा-इस्पात उद्योग की भट्टियों में लोहा साफ करने के लिए ईंधन के रूप में कोक कोयला प्राप्त हो। कई बार लकड़ी का कोयला भी प्रयोग किया जाता है।
3. सस्ती भूमि (Cheap Land):
इस उद्योग से कोक भट्टियों, गोदामों, इमारतों आदि के बनाने के लिए सस्ती तथा पर्याप्त भूमि चाहिए ताकि कारखानों का विस्तार भी किया जा सके।
4. बाज़ार की निकटता-इस उद्योग से बनी मशीनें तथा यन्त्र भारी होते हैं इसलिए यह उद्योग मांग क्षेत्रों के निकट
लगाए जाते हैं।
5. पूँजी-इस उद्योग को आधुनिक स्तर पर लगाने के लिए पर्याप्त पूंजी की आवश्यकता होती है। इसलिए उन्नत देशों की सहायता से विकासशील देशों में इस्पात कारखाने लगाए जाते हैं।
6. इस उद्योग के लिए परिवहन के सस्ते साधन, कुशल श्रमिक, सुरक्षित स्थान तथा तकनीकी ज्ञान की सुविधाएं प्राप्त होनी चाहिएं।
विश्व उत्पादन (World Production):
संसार में लोहा-इस्पात उद्योग का वितरण असमान है। केवल छ: देश संसार का 60% लोहा-इस्पात उत्पन्न करते हैं। पिछले 50 वर्षों में इस्पात का उत्पादन 6 गुना बढ़ गया है।
मुख्य उत्पादक देश
(Main Countries)
1. रूस-रूस संसार में लोहे के उत्पादन का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
मुख्य क्षेत्र –
(क) यूक्रेन क्षेत्र-यह रूस का सबसे बड़ा प्राचीन तथा महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। किवाइरोग यहां का प्रसिद्ध केन्द्र है।
(ख) यूराल क्षेत्र-यहां मैगनीटोगोर्क (Magnito- gorsk) तथा स्वर्डलोवस्क (Sverdlovsk) चिलियाबिन्सक प्रसिद्ध केन्द्र है।
(ग) मास्को क्षेत्र-इस क्षेत्र में मास्को, तुला, गोर्की में इस्पात के कई कारखाने हैं।
(घ) अन्य क्षेत्र (Other Centres) इसके अतिरिक्त पूर्व में स्टालनिसक वालादिवास्टक, ताशकन्द, सैंट पीट्सबर्ग तथा रोसटोव प्रमुख केन्द्र हैं।
2. संयुक्त राज्य अमेरिका (U.S.A.):
यह देश लोहा-इस्पात के उत्पादन में संसार में दूसरे स्थान पर है।
मुख्य क्षेत्र –
(1) पिट्सबर्ग-यंगस्टाऊन क्षेत्र (जंग का प्रदेश)।
(2) महान् झीलों के क्षेत्र।
(क) सुपीरियर झील के किनारे डयूलथ केन्द्र।
(ख) मिशीगन झील के किनारे शिकागो तथा गैरी।
(ग) इरी झील के किनारे डेट्राइट, इरी, क्लीवलैंड तथा बफैलो।
(3) बर्मिंघम-अलबामा क्षेत्र।
(4) मध्य अटलांटिक तट क्षेत्र पर स्पेरोज पोइण्ट, बीथिलहेम तथा मोरिसविले केन्द्र हैं।
(5) पश्चिमी राज्यों में प्यूएबेलो, टेकोमा, सानफ्रांसिस्को, लॉसएंजेल्स और फोण्टाना प्रसिद्ध केन्द्र हैं।
3. जापान (Japan):
जापान संसार का 15% लोहा-इस्पात उत्पन्न करता है तथा संसार में तीसरे स्थान पर है।
मुख्य क्षेत्र –
(1) मोजी नागासाकी क्षेत्र जहां यावाता प्रसिद्ध केन्द्र है।
(2) दक्षिण हांशू में कामैशी क्षेत्र।
(3) होकेडो द्वीप में मुरोरान केन्द्र।
(4) कोबे-ओसाका क्षेत्र।
(5) टोकियो याकोहामा क्षेत्र।
4. पश्चिमी जर्मनी (West Germany):
लोहा-इस्पात उद्योग में संसार में इस देश का चौथा स्थान है। अधिकतर उद्योग रूहर घाटी (Ruhr Valley) में स्थापित हैं। इसके अतिरिक्त सार क्षेत्र तथा दक्षिण में भी इस्पात केन्द्र हैं। मुख्य-केन्द्र-ऐसेन (Essen), बोखम (Bochum), डार्टमण्ड (Dortmund), डुसेलडोर्फ (Dusseldorf) तथा सोलिजन (Solingen) प्रसिद्ध केन्द्र हैं।
5. ग्रेट ब्रिटेन (Great Britain):
लोहा-इस्पात उद्योग का विकास संसार में सबसे पहले ग्रेट ब्रिटेन में हुआ। मुख्य-केन्द्र-लोहा-इस्पात उद्योग के मुख्य केन्द्र तटों पर स्थित हैं –
- दक्षिण वेल्ज में कार्डिफ तथा स्वांसी।
- उत्तर-पूर्वी तट पर न्यू कासिल, मिडिल्सबरो तथा डालिंगटन।
- यार्कशायर क्षेत्र में शैफील्ड जो चाकू-छुरियों (Cutlery) आदि के लिए संसार भर में प्रसिद्ध है।
- मिडलैंड क्षेत्र में बर्मिंघम जिसे अधिक कारखानों के कारण काला प्रदेश (Black Country) भी कहते हैं।
- स्कॉटलैंड क्षेत्र में कलाईड घाटी में ग्लास्गो।
- लंकाशायर में फोर्डिघम।
6. चीन-पिछले तीस सालों में चीन ने इस्पात निर्माण में बहुत तेजी से विकास किया है।
मुख्य क्षेत्र –
(क) मंचूरिया में अन्शान तथा मुकडेन।
(ख) यंगसी घाटी में वुहान, शंघाई।
(ग)शान्सी में बीजिंग, टिटसिन, तियानशान।
(घ) वेण्टन, सिंगटाओ, चिनलिंग चेन तथा होपे अन्य प्रसिद्ध केन्द्र हैं।
8. भारत (India):
भारत में लोहा-इस्पात उद्योग बहुत पुराना है। भारत में इस्पात उद्योग के लिए अनुकूल साधन मौजूद हैं। पर्याप्त मात्रा में उत्तम लोहा, कोयला, मैंगनीज़ और चूने का पत्थर मिलता है। भारत में संसार का सबसे सस्ता इस्पात बनता है। भारत में लोहा-इस्पात उद्योग में आधुनिक ढंग का कारखाना सन् 1907 में जमशेदपुर (बिहार) में जमशेद जी टाटा द्वारा लगाया गया। दामोदर घाटी में कोयले के विशाल क्षेत्र झरिया, रानीगंज, बोकारो में तथा लोहा सिंहभूमि, मयूरभंज क्योंझर, बोनाई क्षेत्र में मिलता है। इन सुविधाओं के कारण आसनसोल, भद्रावती, दुर्गापुर, भिलाई, बोकारो, राउरकेला में इस्पात के कारखाने हैं। विशाखापट्टनम, हास्पेट, सेलम में नए इस्पात के कारखाने लगाए जा रहे हैं। देश के कई भागों में इस्पात बनाने के छोटे छोटे कारखाने लगाकर उत्पादन बढ़ाया जा रहा है।
प्रश्न 4.
सिलिकन घाटी पर एक नोट लिखो।
उत्तर:
सिलिकन घाटी-एक प्रौद्योगिक संनगर सिलिकन घाटी का विकास फ्रेडरिक टरमान के कार्यों का प्रतिफल है। वे एक प्रोफेसर थे और बाद में वे कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय (सांता क्लारा काउंटी के उत्तरी पश्चिमी भाग में पालो आल्टो नगर स्थित) के उपाध्यक्ष बने। वर्ष 1930 में टरमान ने अपने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्रों को उसी क्षेत्र में रहकर अपने कारखाने स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया। ऐसी पहली कम्पनी विलियम हयूलिट और डेविड पैकर्ड द्वारा विश्वविद्यालय परिसर के निकट एक गेराज में स्थापित की गई थी। आज यह विश्व की एक सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक फर्म है।1950 के दशक के अन्त में टरमान ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय को ऐसी नवीन उच्च तकनीकी फर्मों के लिए एक विशेष औद्योगिक पार्क विकसित करने के लिए राजी किया।
इसने अभिनव विचारों और महत्त्वपूर्ण विशिष्टीकृत कार्यशक्ति (लोग) तथा उत्पादन सम्बन्धी सेवाएं विकसित करने के लिए एक हाट हाउस (संस्थान) का निर्माण किया। इसमें उच्च तकनीकी इलेक्ट्रॉनिक्स का सतत् समूहन जारी है तथा इसने दूसरे उच्च तकनीकी उद्योगों को भी आकर्षित किया है। उदाहरणार्थ संयुक्त राज्य अमेरिका में जैव प्रौद्योगिकी में कार्यरत सम्पूर्ण रोज़गार का एक तिहाई भाग कैलिफोर्निया में अवस्थित है। इसमें से 90 प्रतिशत से अधिक से अधिक सैन फ्रांसिस्को खाड़ी क्षेत्र में स्थित हैं। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय को आभारी कम्पनियों द्वारा बहुत बड़ी मात्रा में दान राशि प्राप्त हो रही है जो प्रतिवर्ष करोड़ों डॉलर होती है।