JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

JAC Class 10 Hindi टोपी शुक्ला Textbook Questions and Answers

बोध-प्रश्न –

प्रश्न 1.
इफ्फन टोपी शुक्ला की कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा किस तरह से है?
उत्तर :
इफ्फन टोपी शुक्ला का सबसे पहला मित्र था। इफ़्फ़न और उसकी दादी से टोपी शुक्ला को वह प्यार मिला था, जो उसे कभी अपने घर से नहीं मिला। इपफन एक मुसलमान था, परंतु प्यार जाति-पाति नहीं देखता। इफ्फ़न के पास रहते हुए टोपी ने स्वयं को कभी अकेला नहीं समझा। वह उससे अपने मन की सारी बातें करता था। इफ्फन उसका दुख-दर्द समझता था। पिता का तबादला होने पर इफ्फन चला गया और टोपी बिलकुल अकेला पड़ गया। उसे कोई समझने वाला और दिलासा देने वाला नहीं रहा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि इफ्फन टोपी शुक्ला की कहानी का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 2.
इफ्फन की दादी अपने पीहर क्यों जाना चाहती थी?
उत्तर :
इफ्फन की दादी एक ज़मींदार परिवार से थी। उसका ससुराल लखनऊ में था। उसके पति और ससुर वहाँ के प्रसिद्ध मौलवी थे। ससुराल में इफ्फन की दादी को बंदिशों में रहना पड़ता था, क्योंकि वह एक मौलविन थी। वह लखनऊ में रहकर उस दही को तरस गई थी, जो उनके यहाँ घी पिलाई हंडियों में असामियों के यहाँ से आता था। जब भी वे अपने पीहर जाती तो खूब दूध, घी और दही खाती थी। ससुराल में उसकी आत्मा सदा बेचैन रहती थी। दादी ने अपनी सारी उम्र ससुराल की पाबंदियों में व्यतीत की थी, इसलिए वह खुली हवा में साँस लेने और दूध, घी व दही खाने के लिए पीहर जाना चाहती थी।

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प्रश्न 3.
दादी अपने बेटे की शादी में गाने-बजाने की इच्छा पूरी क्यों नहीं कर पाईं ?
उत्तर :
इफ़्फ़न की दादी पूरब की रहने वाली थी। उसे गाने-बजाने का बहुत शौक था। इफ्फन के दादा एक मौलवी थे, इसलिए उनके घर में गाना-बजाना नहीं होता था। इफ़्फ़न की दादी की इच्छा थी कि वह अपने बेटे की शादी में गाना-बजाना करे, परंतु मौलवी की पत्नी होने के कारण उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी।

प्रश्न 4.
‘अम्मी’ शब्द पर टोपी के घरवालों की क्या प्रतिक्रिया हुई?
उत्तर :
टोपी को इफ्फ़न की दादी के मुंह से अम्मी शब्द सुनना अच्छा लगता था, इसलिए उसने अपने घर में अपनी माँ को अम्मी कहकर बुलाया। उसके मुंह से ‘अम्मी’ शब्द सुनते ही घर के सदस्यों की तीखी प्रतिक्रिया हुई। उस समय ऐसा लग रहा था कि जैसे समय थम गया हो; परंपराओं की दीवारें हिलने लगी हों। अम्मी शब्द कहने और सुनने से ही धर्म संकट में पड़ गया था। दादी सुभद्रा देवी ने टोपी के साथ-साथ उसकी माँ रामदुलारी को भी बुरा-भला कहा। रामदुलारी ने गुस्से में टोपी की बहुत पिटाई की। उसे मार पड़ने पर मुन्नी बाबू और भैरव खुश हो रहे थे। यदि टोपी को पता होता कि उसके अम्मी कहने से घरवाले उसके साथ ऐसा व्यवहार करेंगे, तो शायद वह कभी इस शब्द का प्रयोग न करता।

प्रश्न 5.
दस अक्तूबर सन पैंतालीस का दिन टोपी के जीवन में क्या महत्व रखता था?
उत्तर :
टोपी के जीवन में दस अक्तूबर सन पैंतालीस के दिन का बहुत अधिक महत्व था। इसी दिन इफ्फन टोपी को छोड़कर दूसरे शहर चला गया था। इफ़्फ़न के पिता जी कलेक्टर थे। उनका तबादला दूसरे शहर में हो गया था, इसलिए इफ्फन भी उनके साथ चला गया। उसके जाने से टोपी अकेला पड़ गया। उस दिन उसने कसम खाई थी कि आगे से तबादले की नौकरी करने वाले के लड़के से दोस्ती नहीं करूँगा।

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प्रश्न 6.
टोपी ने इफ्फ़न से दादी बदलने की बात क्यों कही?
उत्तर :
टोपी को अपनी दादी सुभद्रा देवी अच्छी नहीं लगती थी। वह उसे हर समय डाँटती थी। टोपी को इफ्फ़न की दादी अच्छी लगती थी। वह उसे पास बैठाकर प्यार करती थी और उसका हाल-चाल पूछती थी। टोपी को उनका अम्मी कहना अच्छा लगता था। इफ्फ़न की दादी की बोली भी उनकी तरह थी। उसे इफ्फन की दादी से बहुत अपनापन मिला था। वह उसे अच्छी तरह समझती थी, इसलिए टोपी ने इफ़्फ़न से दादी बदलने की बात कही थी।

प्रश्न 7.
पूरे घर में इफ्फन को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यों था?
उत्तर
इफ्फन को अपने पूरे परिवार से प्यार था, परंतु उसे अपनी दादी से विशेष स्नेह था। उसकी अम्मी और बहन उसे डाँटती थी। छोटी बहन भी उसे तंग करती थी। अब्बू भी कभी-कभी घर को कचहरी समझकर अपना फैसला सुना दिया करते थे। घर में केवल एक दादी ही थी, जिन्होंने कभी उसका दिल नहीं दुखाया था। वह रात को सोते समय उसे कई कहानियाँ सुनाती थी। दादी की पूरबी बोली में उसे कहानी सुनना अच्छा लगता था। दादी के पास उसकी हर शिकायत का समाधान होता था, इसलिए इफ्फ़न अपनी दादी से बहुत प्यार करता था।

प्रश्न 8.
इफ्फन की दादी के देहांत के बाद टोपी को उसका घर खाली-सा क्यों लगा?
उत्तर :
इफ्फन की दादी के देहांत के बाद टोपी उनके घर गया, तो उसे घर खाली-सा लगा। उसे इफ्फन के घर में दादी ही अपनी लगती थी। इफ्फन की दादी और उसके बीच के संबंध को कोई नहीं समझ सकता था। टोपी और इफ्फन की दादी ने एक-दूसरे के प्रेम की चाहत को पूरा किया था। दोनों अपने घर में अकेले और अजनबी थे। दोनों ने एक-दूसरे से मिलकर अपने अकेलेपन को भर लिया था। लेकिन इफ्फन की दादी के मरने से टोपी फिर अकेला हो गया था। इसलिए टोपी को इफ्फन की दादी के मरने के बाद उसका घर खाली खाली लगा।

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प्रश्न 9.
टोपी और इफ्फन की दादी अलग-अलग मजहब और जाति के थे पर एक अनजान रिश्ते से बँधे थे। इस कथन के आलोक में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
टोपी और इफ़्फ़न की दादी अलग-अलग मज़हब और जाति के थे, परंतु वे दोनों एक अटूट रिश्ते से बँधे हुए थे। टोपी हिंदू था और इफ्फन की दादी मुसलमान थी। टोपी की आयु आठ वर्ष थी और दादी की आयु बहत्तर वर्ष की थी। टोपी दादी के हाथ से कुछ नहीं खाता था, परंतु उसकी प्यार की चाहत उनके पास जाकर पूरी होती थी। टोपी को अपने घर में बिलकुल भी प्यार नहीं मिला था। घर में हर कोई उसे डाँटता और मारता था। वह प्यार की चाहत में इधर-उधर भटकता रहता था। जहाँ उसे प्यार मिलता, वह वहीं का हो जाता था।

इफ़्फ़न की दादी भी अपने घर में अकेली और अजनबी थी। वह पूरबी भाषा बोलती थी। घर के अन्य सदस्य उर्दू बोलते थे। उसकी भाषा को लेकर घर में हँसी उड़ती थी। इसलिए वह भी प्यार पाने के लिए तरसती थी। जब दादी और टोपी आपस में मिले, तो दोनों ने एक-दूसरे के स्नेह पाने की चाहत को पूरा किया। दोनों में एक विशेष लगाव था। यह बात दोनों के घरों में कोई नहीं समझ सका था कि उनमें इतना प्यार क्यों था। इससे हम कह सकते हैं कि प्यार उम्र और मजहब नहीं देखता। जिसे प्यार की चाहत होती है उसे जहाँ प्यार मिलता है वह वहीं चला जाता है।

प्रश्न 10.
टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया। बताइए –
(क) ज़हीन होने के बावजूद भी कक्षा में दो बार फेल होने के क्या कारण थे?
(ख) एक ही कक्षा में दो-दो बार बैठने से टोपी को किन भावात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
(ग) टोपी की भावात्मक परेशानियों को मददेनज़र रखते हुए शिक्षा व्यवस्था में आवश्यक बदलाव सुझाइए।
उत्तर :
(क) टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया था। वह पढ़ाई में बहुत ज़हीन था, परंतु उसे कोई पढ़ने नहीं देता था। जब भी वह पढ़ने बैठता था, उसी समय घर में कोई-न-कोई काम निकल आता था। उस काम को केवल टोपी कर सकता था। घर के नौकरों पर भरोसा नहीं किया जा सकता था। कभी मुन्नी बाबू, तो कभी रामदुलारी उसे किसी-न-किसी काम के लिए पढ़ने से उठा देते थे। रवालों को कुछ काम नहीं होता था, तो भैरव ही उसकी कॉपियों के कागज़ों के हवाई जहाज़ उड़ा चुका होता था। दूसरे साल उसने अच्छी तैयारी की थी, परंतु उसे टायफाइड हो गया था। इस कारण वह फेल हो गया।

(ख) एक ही कक्षा में दो बार बैठने से टोपी को कई तरह की भावात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। फेल होने के बाद टोपी को उसी कक्षा में अपने से पीछे वाली कक्षा के विद्यार्थियों के साथ बैठना पड़ रहा था। उसके साथ के लड़के अगली कक्षा में चले गए थे। अपनी कक्षा में अब उसका कोई भी मित्र नहीं था, इसलिए वह कक्षा में अकेला बैठता था। उसे सब अजीब लगता था। मास्टर जी भी कमजोर बच्चों के सामने उसका उदाहरण रखते थे, जिसे सुनकर उसे बहुत शर्म आती थी।

जब वह दूसरी बार फेल हुआ, तो वह कक्षा में ऐसे गया जैसे कोई गीली मिट्टी का ढेर हो। सारे स्कूल में उसका कोई दोस्त नहीं था। सातवीं कक्षा के छात्र अब उसके साथ नवीं में थे। अध्यापकों ने उस पर ध्यान देना छोड़ दिया। यदि वह किसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए हाथ खड़ा करता, तो अध्यापक यह कहकर उसे मनाकर देते थे कि उसने तो अगले साल भी इसी कक्षा में बैठना है। टोपी को यह सुनकर बहुत ठेस लगी। अपने से पीछे वाली कक्षा के छात्रों के साथ बैठना आसान नहीं था, परंतु टोपी दो साल तक उन बच्चों के साथ बैठा।

(ग) टोपी लगातार दो साल नवीं कक्षा में फेल हुआ। इसके लिए उसके घर के सदस्य तथा स्कूल के अध्यापक भी जिम्मेदार थे। यदि कोई बच्चा होशियार होते हुए भी कक्षा में पिछड़ जाए, तो अध्यापक को उसका कारण जानना चाहिए और जहाँ तक संभव हो, उसकी पढ़ाई में सहायता करनी चाहिए। उसे कक्षा में शर्मसार नहीं करना चाहिए। कक्षा का वातावरण ऐसा होना चाहिए कि फेल हुए बच्चे अपने को अकेला न समझे।

प्रत्येक बच्चे में कोई-न-कोई गुण होता है। अध्यापकों को चाहिए कि फेल हुए बच्चों को अपनी योग्यता को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें, जिससे बच्चे में पढ़ाई के प्रति उत्साह बढ़े और उसका अच्छा परिणाम आए।

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प्रश्न 11.
इफ्फ़न की दादी के मायके का घर कस्टोडियन में क्यों चला गया?
उत्तर :
इफ्फन की दादी को मरते समय अपने मायके का घर याद आने लगा था। इफ्फन की दादी के मायके वाले कराची चले गए थे। वे लोग वहीं रहने लगे थे। इसलिए उनके मायके का घर कस्टोडियन में चला गया था, क्योंकि उस संपत्ति पर किसी का भी अधिकार नहीं था।

JAC Class 10 Hindi टोपी शुक्ला Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘टोपी शुक्ला’ पाठ का मूल भाव लिखिए।
उत्तर :
‘टोपी शुक्ला’ पाठ के लेखक राही मासूम रजा’ हैं। टोपी इस पाठ का मुख्य पात्र है। टोपी अपने घर और स्कूल दोनों स्थानों पर उपेक्षित बच्चा है, जिसे कोई प्यार नहीं करता। उसके माध्यम से बताया गया है कि बच्चों की दृष्टि में अपना वही होता है, जो प्यार से सिर पर हाथ रखे और दुलार से बात करे। टोपी को अपनी दादी सुभद्रा देवी अच्छी नहीं लगती। वे उसे हर समय डाँटती रहती है। मुन्नी बाबू और भैरव भी उसे पिटवाने के अवसर ढूँढ़ते रहते हैं। दोनों झूठ-सच बोलकर सबको टोपी के विरुद्ध करते हैं।

इसलिए टोपी भरे-पूरे घर में स्वयं को अकेला समझता है। उसका अकेलापन इफ्फ़न की दादी से मिलकर दूर होता है। अपनापन और प्यार जात-पात नहीं देखते। इसलिए टोपी को इफ्फन की दादी अपनी लगती है। उनके मरने पर वह बहुत रोता है। बच्चे भी प्यार को समझते । हैं। टोपी की प्यार पाने की चाहत उसे घर की बूढ़ी नौकरानी सीता के आँचल में खींच ले जाती है।

घर के पढ़े-लिखे लोग यह नहीं समझते कि टोपी जैसा आज्ञाकारी बालक उनकी केवल एक हिदायत नहीं मानता कि उसे इफ्फन की दादी और नौकरानी सीता से रिश्ता नहीं रखना है। वे लोग उसकी प्यार की चाहत को नहीं समझते। बच्चों का मन साफ़ होता है। उसमें छल-कपट या हिसाब-किताब नहीं होता। उन्हें जहाँ अपनापन मिलता है, वे उसी के हो जाते हैं। बचपन प्रेम के रिश्तों को मानता है। वह किसी और रिश्तों को नहीं पहचानता। यही दशा टोपी की भी है।

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प्रश्न 2.
लेखक के अनुसार इफ्फन की बड़ाई किसमें थी?
उत्तर :
इफ्फन टोपी का सबसे पहला दोस्त था। टोपी ने उसे सदा इफ्फन कहकर बुलाया था। इफ़्फ़न उसके इस तरह बुलाने का बुरा मानता था, परंतु फिर भी वह टोपी द्वारा इफ्फन बुलाने पर उससे बोलता था। इस प्रकार बोलने में इफ्फन की बड़ाई थी।

प्रश्न 3.
नामों के चक्कर अजीब क्यों थे?
उत्तर :
लेखक नामों के चक्कर को अजीब मानता है। जिस व्यक्ति, वस्तु या भाषा को जिस नाम से पुकारो वह अपना स्वरूप नहीं बदलते। उर्दू और हिंदी एक ही भाषा हिंदवी के दो नाम हैं। श्रीकृष्ण को अवतार और मुहम्मद को पैगंबर कहकर बुलाया जाता है। लोगों के लिए यह दो नाम दो अलग-अलग धर्म के हैं, परंतु दोनों का कार्य एक था; दोनों ही दूध देने वाले जानवर चराया करते थे। इसलिए लेखक को नामों के चक्कर में उलझना अजीब लगता है।

प्रश्न 4.
इफ्फ़न और टोपी के वास्तविक नाम क्या थे?
उत्तर :
इफ्फन का नाम सय्यद जरगाम मुरतुजा और टोपी का नाम बलभद्र नारायण शुक्ला था। दोनों चौथी कक्षा में पढ़ते थे। इफ्फन के पिता कलेक्टर थे और टोपी के पिता शहर के प्रसिद्ध डॉक्टर थे।

प्रश्न 5.
इफ्फन की दादी मरते दम तक पूरबी बोली क्यों बोलती रही थीं?
उत्तर :
इफ्फन की दादी पूरब की रहने वाली थीं। वे नौ या दस वर्ष की थीं, जब शादी करके लखनऊ आ गई थीं। ससुराल में सब उर्दू बोलते में रहने वाली थे; परंतु वे जब तक जीवित रहीं, पूरबी बोली ही बोलती रहीं। उन्हें लगता था कि ससुराल में यह बोली उनकी अपनी है, जो उनके सुख-दुख को समझती है। इसलिए उन्होंने कभी भी उर्दू बोलने का प्रयास नहीं किया। यही कारण था कि वे मरते दम तक पूरबी बोली को गले लगाए रहीं।

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प्रश्न 6.
मरते समय इफ्फ़न की दादी को अपने मायके का घर क्यों याद आ रहा था?
उत्तर :
लेखक के अनुसार मरते समय आदमी अपने जीवन के सबसे खूबसूरत सपने को देखता है। इफ़्फ़ की दादी को मरते समय अपने मायके का घर याद आने लगा था। वे ससुराल में रहते हुए हमेशा अपने मायके को याद करती थीं। वे एक ज़र्मींदार की बेटी थीं। उनके घर पर दूध, दही और घी की कमी नहीं थी। जब भी वे अपने घर जाती थीं, खूब दूध-दही खाती थीं। उन्होंने अपने घर में अपने हाथों से दसहरी आम का पेड़ लगाया था। अब वह पेड़ भी उनकी तरह बूढ़ा हो गया था। ऐसी ही कई मीठी यादें थीं, जो उन्हें मरते समय याद आ रही रीं।

प्रश्न 7.
टोपी के पिता को जब इफ्फन के साथ उसकी मित्रता का पता चला, तो उन्होंने क्या किया?
उत्तर :
इफ्फन मुसलमान था और टोपी हिंदू। जब घर के सदस्यों को पता चला कि टोपी की मित्रता मुसलमान लड़के से है, तो सब सकते में आ गए। टोपी के पिता को बहुत क्रोध आया; परंतु जब उन्हें यह पता चला कि टोपी का मित्र इफ्फन कलेक्टर का बेटा है, तो वे अपने क्रोध को पी गए। उन्होंने टोपी की मित्रता का लाभ उठाते हुए इफ्फन के पिता से कपड़े और शक्कर के परमिट अपने नाम करवा लिए थे।

प्रश्न 8.
मुन्नी बाबू ने क्या झूठ बोला था और सच क्या था?
उत्तर :
घर में जब यह पता चला कि टोपी की मित्रता एक मुसलमान लड़के से है, तो उसकी माँ रामदुलारी ने उसे बहुत मारा। उसे मार पड़ते देखकर मुन्नी बाबू अपनी माँ से झूठ बोलता है कि एक दिन उसने टोपी को कबाबची की दुकान पर कबाब खाते देखा था। यह सुनते ही उसकी माँ ने टोपी को दुगुने क्रोध से मारना शुरू कर दिया। वास्तव में कबाब मुन्नी बाबू ने खाए थे। मुन्नी बाबू को कबाब खाते टोपी ने देख लिया था। मुन्नी बाबू इस बात से डर गए थे कि कहीं टोपी मार खाते हुए उसके भेद को खोल न दे, इसलिए उसने अपनी बात टोपी पर डाल दी।

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प्रश्न 9.
पाठ के आधार पर टोपी के चरित्र का चित्रांकन कीजिए।
उत्तर :
‘टोपी शुक्ला’ पाठ के लेखक ‘राही मासूम रजा’ हैं। टोपी इस पाठ का मुख्य पात्र है। टोपी के चरित्र का चित्रांकन निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया गया है –
परिचय – टोपी के पिता का नाम भृगु नारायण और माँ का नाम रामदुलारी था। टोपी के दो भाई मुन्नी बाबू और भैरव थे। टोपी का एक मित्र इफ्फन था। टोपी स्कूल में पढ़ता है।

सरल स्वभाव – टोपी सरल स्वभाव का बच्चा है। उसमें छल-कपट नहीं है। जब मुन्नी बाबू उस पर कबाब खाने का झूठा आरोप: लगाते हैं, तो वह मुन्नी बाबू की बात को चुपचाप स्वीकार कर लेता है। उसकी बात का कोई प्रतिवाद नहीं करता।

एकाकीपन – टोपी का परिवार भरा-पूरा है, फिर भी वह अकेला है। घर में सभी लोग अपने आप में व्यस्त हैं। किसी के पास भी। टोपी के लिए समय नहीं है। टोपी अपना अकेलापन दूर करने के लिए इधर-उधर भटकता रहता है।

प्यार की चाहत – टोपी को अपने परिवार से प्यार नहीं मिला। वह प्यार पाने के लिए इधर-उधर जाता है। उसे इफ्फन, इफ्फ़न की दादी और घर की बूढी नौकरानी सीता से प्यार मिलता है। प्यार पाने की चाहत ने टोपी को सभी प्रकार के बंधनों को तोड़ने के लिए मज़बूर किया था।

सहनशील – टोपी एक सहनशील बालक था। वह शांत रहकर अपने घरवालों का अपने प्रति व्यवहार सहन करता था। टोपी घर में ही नहीं स्कूल में भी छात्रों और अध्यापकों का कड़वा व्यवहार चुपचाप सहन करता है। टोपी जब नवीं में दो बार फेल हो जाता है, तो उसे घर और स्कूल दोनों जगह से प्रताड़ना मिलती है जिसे वह बड़े साहस से सहन करता है।

आज्ञाकारी बालक – टोपी एक आज्ञाकारी बालक है। वह किसी का कहना नहीं टालता। वह सबके काम चुपचाप कर देता है। वह जब भी पढ़ने बैठता था उसकी माँ, मुन्नी बाबू या अन्य उसे कोई-न-कोई काम सौंप देते थे। वह पढ़ाई छोड़कर उस काम को। पूरा करने में लग जाता था।

भावुक बालक – टोपी एक भावुक लड़का था। वह इफ्फन से अपनी दादी के बदले में उसकी दादी माँगता है। लेकिन जब इफ्फन। इनकार कर देता है, तो वह इफ्फन से भावुक होकर कहता है कि क्या वह उसके लिए इतना भी नहीं कर सकता। टोपी एक आज्ञाकारी बालक है। उसके परिवार में सब हैं, परंतु फिर भी वह घर में स्वयं को अकेला अनुभव करता है। इसलिए वह अपनापन और प्यार प्राप्त करने के लिए इधर-उधर भटकता है।

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प्रश्न 10.
कहानी कहते समय इफ्फन की दादी ऐसा क्यों कहती होंगी-“आँखों की देखी नहीं कहती। कानों की सुनी कहती हूँ….।”
उत्तर :
इफ्फन की दादी जब भी कहानी सुनाना शुरू करती थीं, उससे पहले वे एक पंक्ति कहती थीं कि ‘आँखों की देखी नहीं कहती, कानों की सुनी कहती हूँ’। वे ऐसा इसलिए कहती थीं क्योंकि जो कहानियाँ वे इफ्फन को सुनाती थीं, वे भी उनकी सुनी हुई थीं। वे कहानियाँ उनकी आँखों के आगे नहीं घटी थी, इसलिए वे सुना हुआ ही उसे सुनाती थीं। कहानियों में कई काल्पनिक घटनाएँ होती हैं। बच्चे उन्हें सच न मान लें, इसलिए भी कहानी शुरू करने से पहले इस पंक्ति को कहा जाता होगा।

प्रश्न 11.
रामदुलारी, सुभद्रा देवी, टोपी और मुन्नी बाबू के बीच हुए संवाद के आधार पर मानवीय संबंधों की कौन-सी सच्चाई उजागर होती है?
उत्तर :
रामदुलारी, सुभद्रा देवी, टोपी और मुन्नी बाबू के बीच हुए संवाद रिश्तों में अविश्वास को उजागर करते हैं। सुभद्रा देवी टोपी की दादी सा, है। वह घर में अपने बड़े होने का वर्चस्व कायम रखने के लिए रामदुलारी को डाँटती है कि वह अपने बच्चों पर ध्यान नहीं देती। रामदुलारी अपनी सास का गुस्सा टोपी पर उतारती है। टोपी अपनी सफ़ाई में कुछ नहीं कह पाता। इसके बाद मुन्नी बाबू एक झूठ टोपी के नाम लिख देते हैं कि वह कबाब खाता है।

यह सुनते ही रामदुलारी दुगुने वेग से टोपी को मारने लगती है। वह टोपी से कोई सच्चाई नहीं जानना चाहती। उन लोगों के संवाद से यह सिद्ध होता है कि घर में जिसे बेकार समझा जाता है, उस पर हर कोई अपना दबाव डालना चाहता है। परिवार का आधार विश्वास और प्यार होता है, परंतु टोपी के परिवार में विश्वास और प्यार देखने को नहीं मिलता था। इसलिए टोपी प्यार की चाहत में इधर-उधर भटकता था।

प्रश्न 12.
इफ़्फ़न के दादा-परदादा क्या वसीयत करके मरे?
उत्तर :
इफ्फन के दादा और परदादा प्रसिद्ध मौलवी थे। उनका जन्म इसी देश में हुआ था। उनकी मृत्यु भी यहीं हुई थी। परंतु मरने से पहले उन्होंने वसीयत की थी कि उनके मरने के बाद उनकी लाश करबला ले जाई जाए। वे चाहते थे कि उन्हें करबला में दफनाया जाए।

प्रश्न 13.
इफ्फन ने पंचम की दुकान से केले क्यों खरीदे?
उत्तर :
इफ्फ़न के घर जाने पर जब टोपी को बहुत मार पड़ी, तो वह बहुत उदास हुआ और अगले दिन उसने सब बातें इफ्फन को बता दी। इफ्फन ने पंचम की दुकान से केले खरीदे, क्योंकि उसे पता था कि टोपी फल के अलावा कोई और चीज़ नहीं खाएगा। इस प्रकार वह टोपी को फल खिलाकर सांत्वना देने लगा।

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प्रश्न 14.
रामदुलारी की मार से इफ्फन पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
जब टोपी ने इफ़्फ़न को बताया कि उसकी दादी उसे उसके घर जाने से रोकती है और उसके न मानने पर उसे खूब पीटती है, तो इफ्फ़न और वह भूगोल की कक्षा छोड़कर बाहर आ जाते हैं। इफ़्फ़न उसके लिए पंचम की दुकान से केले खरीदता है और उसे सांत्वना देते हुए कहता है कि दादी बूढ़ी है, इसलिए वह मर जाएगी क्योंकि बूढ़े लोग जल्दी मर जाते हैं।

प्रश्न 15.
इफ्फ़न और टोपी शुक्ला की मित्रता भारतीय समाज के लिए किस प्रकार प्रेरक है? जीवन-मूल्यों की दृष्टि से लगभग शब्दों में उत्तर दीजिए।
अथवा
टोपी और इफ्फन अलग-अलग धर्म और जाति से संबंध रखते थे पर दोनों श्ते से बंधे थे। इस कथन पर कहानी के आधार पर विचार कीजिए।
अथवा
टोपी और इफ़्फ़न के संबंध धर्म से नहीं, मानवीय संबंधों से निर्धारित थे।
उत्तर :
इफ्फ़न और टोपी शुक्ला अलग-अलग धर्मों को मानने वाले हैं। इफ्फन मुसलमान है जबकि टोपी शुक्ला हिंदू है। इन दोनों की मित्रता में धर्म कहीं भी आड़े नहीं आता है। टोपी शुक्ला को इफ्फन और उसकी दादी से इतना प्यार मिला था, जो उसे अपने घर से भी नहीं मिलता था। इनकी इस मित्रता में जाति-पाति का कोई भेदभाव नहीं था। दोनों एक-दूसरे से अपने मन की बातें खुलकर कर लेते थे। इफ्फन टोपी का सारा दुख-दर्द समझ कर उसे दिलासा देता था। बच्चों का मन साफ होता है।

उन्हें तो जहाँ अपनापन मिलता है, वे उसी के हो जाते हैं। इफ्फन को यह भी ध्यान रहता है कि टोपी को फल के अतिरिक्त अपने घर का कुछ नहीं खिलाना हैं। वह टोपी के परिवार के संस्कारों पर कोई प्रहार नहीं करता है। इफ्फन के पिता का जब स्थानांतरण हो जाता है तो टोपी स्वयं को बिल्कुल अकेला अनुभव करने लगता है। इफ्फन और टोपी अलग-अलग परिवेश में पले परन्तु उनकी मित्रता में किसी प्रकार का भी भेदभाव नहीं आया।

उनकी यह मित्रता हमें प्रेरणा देती है कि धर्म-संप्रदाय-जातिगत विविधता से समाज में तोड़ने की नहीं अपितु परस्पर जोड़ने की कोशिश करनी चाहिए। अलग-अलग विचारधारा, धार्मिक मान्यताएँ, संस्कार आदि होते हुए भी विभिन्न धर्म-जाति के लोग अपने-अपने रास्ते पर चलते हुए भी परस्पर टोपी और इफ्फन की तरह मिलजुल कर मित्रता के भाव से रह सकते हैं। परस्पर प्यार-मैत्री में कोई जातिगत-धर्मगत भेदभाव नहीं होता, इसलिए कहा गया है –

मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर करना।
हिंदी हैं हम वतन हैं, हिंदुस्तान हमारा।।

टोपी शुक्ला Summary in Hindi

पाठ का सार :

‘टोपी शुक्ला’ कहानी के लेखक ‘राही मासूम रजा’ हैं। इस कहानी के माध्यम से लेखक बचपन की बात करता है। बचपन में बच्चे को जहाँ से अपनापन और प्यार मिलता है, वह वहीं रहना चाहता है। टोपी को बचपन में अपनापन अपने परिवार की नौकरानी और अपने मित्र की दादी माँ से मिलता है। वह उन्हीं लोगों के साथ रहना चाहता है। इफ्फन टोपी का पहला मित्र था। टोपी उसे इफ्फन कहकर बुलाता था। इफ्फन को बुरा अवश्य लगता था, परंतु फिर भी वह उससे बात करता था। दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे थे।

दोनों के घरों की परंपराएँ अलग-अलग थीं, लेकिन फिर भी इफ्फन टोपी के जीवन का अटूट हिस्सा है। इफ्फन के दादा-परदादा मौलवी थे। वे जीवित रहते हुए हिन्दुस्तान में रहे थे, परंतु उनकी लाश को करबला ले जाकर दफनाया गया। इफ्फन के पिताजी उनके खानदान में पहले बच्चे थे, जो हिंदुस्तानी थे। इफ्फन की दादी मौलवी परिवार से नहीं थी। वह एक जमींदार परिवार की तथा पूरब की रहने वाली थी।

उनकी ससुराल लखनऊ में थी, जहाँ गाना-बजाना बुरा समझा जाता था। इफ्फन के पिता की शादी पर उनके मन में विवाह के गीत गाने की इच्छा थी, परंतु इफ्फन के दादा के डर से नहीं गा पाई। उन्हें इफ्फन के दादा से केवल एक शिकायत थी कि वे सदा मौलवी बने रहते थे। इफ्फन की दादी जब मरने लगी, तो उसे अपनी माँ का घर याद आने लगा। इफ्फन उस समय स्कूल गया हुआ था। उसे अपनी दादी से बहुत प्यार था। वह उसे रात के समय कहानियाँ सुनाया करती थी।

दादी पूरबिया भाषा बोलती थी, जो उसे अच्छी लगती थी। टोपी को भी उसकी दादी की भाषा अच्छी लगती थी। टोपी को इफ्फन की दादी अपनी माँ जैसी लगती थी। उसे अपनी दादी से नफ़रत थी। वह इफ्फन के घर जाकर उसकी दादी से बात करता था। एक दिन टोपी ने अपने घर में जैसे ही अपनी माँ के लिए अम्मी शब्द का प्रयोग किया, उसी क्षण उनके यहाँ तूफान आ गया। माँ से ज्यादा उसकी दादी भड़क गई।

बाद में उसकी माँ से बहुत पिटाई हुई। उसके भाई मुन्नी बाबू ने माँ से झूठ कह दिया था कि उसने कबाब खाए हैं, जबकि कबाब मुन्नी बाबू ने खाए थे। सबने मुन्नी बाबू के झूठ को सच समझ लिया। अगले दिन टोपी ने सारी बात इफ्फन से कह दी। चौथे पीरियड में दोनों स्कूल से भाग गए। टोपी इफ़्फ़न से कहता है कि क्यों न वह अपनी दादी बदल लें। इफ्फन ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि उसकी दादी उसके पिताजी की माँ भी थी। इफ्फन ने उसे दिलासा देते हुए कहा कि फ़िक्र मत करो, तुम्हारी दादी जल्दी मर जाएगी क्योंकि बूढ़े लोग जल्दी मर जाते हैं।

उसी दिन इफ्फन की दादी मर जाती है। इफ्फन के साथ टोपी को भी लगता है कि उसका सबकुछ चला गया है। अब उसे इफ्फ़न के घर में कुछ भी अच्छा नहीं लगता। दादी के बिना सारा घर खाली-खाली लगता है। टोपी सोचता है कि इफ्फन की दादी के स्थान पर उसकी दादी मर जाती, तो अच्छा रहता। जल्दी ही इफ्फन के पिता का तबादला हो गया। उस दिन टोपी ने कसम खाई कि आगे से किसी ऐसे लड़के से मित्रता नहीं करेगा, जिसके पिता की नौकरी बदलने वाली हो।

इफ्फन के जाने के बाद टोपी अकेला हो गया। उस शहर के अगले कलेक्टर हरिनाम सिंह थे। उनके तीन लड़के थे। उन्हें इस बात का एहसास था कि वे एक कलेक्टर के बेटे हैं, इसलिए उन्होंने टोपी को मुँह नहीं लगाया। इसके बाद टोपी ने अपना अकेलापन घर की बूढी नौकरानी सीता से दूर किया। सीता उसे बहुत प्यार करती थी। वह उसका दुख-दर्द समझती थी। घर के सभी सदस्य उसे बेकार समझते थे। घर में सभी के लिए सर्दी में गर्म कपड़े बने, परंतु टोपी को मुन्नी बाबू का उतरा कोट मिला। उसने इसे लेने से इनकार कर दिया। उसने वह कोट घर की नौकरानी केतकी को दे दिया। उसकी इस हरकत पर दादी क्रोधित हो गई। उन्होंने उसे बिना गर्म कपड़े के सर्दी बिताने का आदेश दे दिया।

टोपी नवीं कक्षा में दो बार फेल हो गया था, जिस कारण उसे घर में और अधिक डाँट पड़ने लगी थी। जिस समय वह पढ़ने बैठता था, उसी समय घर के सदस्यों को बाहर से कुछ-न-कुछ मँगवाना होता था। स्कूल में भी उसे अध्यापकों ने सहयोग नहीं दिया। अध्यापकों ने उसके नवीं में लगातार तीन साल फेल होने पर उसे नजरअंदाज कर दिया था। कोई भी ऐसा नहीं था, जो उसके साथ सहानुभूति रखता; उसे परीक्षा में पास होने के लिए प्रेरित करता। घर और स्कूल में किसी ने भी उससे अपनापन नहीं दिखाया। उसने स्वयं ही मेहनत की और तीसरी श्रेणी में नवीं पास कर ली। उसके नवीं पास करने पर दादी ने कहा कि उसकी रफ़्तार अच्छी है। तीसरे वर्ष में तीसरी श्रेणी में पास तो हो गए हो।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sanchayan Chapter 3 टोपी शुक्ला

कठिन शब्दों के अर्थ :

परंपरा – प्रथा, डेवलपमेंट – विकास, बेमानी – व्यर्थ, अटूट – न टूटने वाला, मज़बूत, करबला – इस्लाम का एक पवित्र स्थान, नमाज़ी – नियमित रूप से नमाज़ पढ़ने वाला, मास का सदका – एक टोटका, चेचक – एक संक्रामक रोग, छठी – जन्म के छठे दिन का स्नान, जश्न – उत्सव, फर्क – अंतर, नाक-नक्शा – रूप-रंग, बीजू पेड़ – आम की गुठली से उगाया गया आम का पेड़, बेशुमार – बहुत सारी, बाजी – बड़ी बहन, कचहरी – न्यायालय, पाक – पवित्र, मुलुक – देश, अलबत्ता – बल्कि,

अमावट – पके आम के रस को सुखाकर बनाई गई वस्तु, तिलवा – तिल का लड्डू, लफ़्ज – शब्द, दुर्गति – बुरी हालत, कुटाई – पिटाई, कबाबची – कबाब बनाने वाला, जुगराफ़िया – भूगोल शास्त्र, पुरसा – सांत्वना देना, तबादला – बदली, एहसास – अनुभूति, टर्राव – बड़बड़ करना, गाउदी – भोंदू, सितम – अत्याचार, लौंदा – गीली मिट्टी का पिंड, लोगन – लोग, नज़रे बद – बुरी नज़र

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