JAC Class 10 Hindi व्याकरण शब्द और पद में अंतर

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Vyakaran शब्द और पद में अंतर Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Vyakaran शब्द और पद में अंतर

  • शब्द भाषा की स्वतंत्र और सार्थक इकाई है।
  • शब्द को व्याकरण के नियमों के अनुसार किसी वाक्य में प्रयोग करने पर वह पद बन जाता है।
  • एक से अधिक पद जुड़कर एक ही व्याकरणिक इकाई का काम करने पर पदबंध कहलाते हैं।
  • शब्द का वर्गीकरण

JAC Class 10 Hindi व्याकरण शब्द और पद में अंतर 1

प्रश्न 1.
शब्द किसे कहते हैं ?
उत्तर :
शब्द वर्गों के मेल से बनाइ गई भाषा की स्वतंत्र और सार्थक इकाई है। जैसे-राम, रावण, मारना।

प्रश्न 2.
शब्द का प्रत्यक्ष रूप किसे कहते हैं?
उत्तर :
भाषा में जब शब्द कर्ता में बिना परसर्ग के आता है तो वह अपने मूल रूप में आता है। इसे शब्द का प्रत्यक्ष रूप कहते हैं। जैसे-वह, लड़का, मैं।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण शब्द और पद में अंतर

प्रश्न 3.
कोशीय शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस शब्द का अर्थ शब्दकोश से प्राप्त हो जाए उसे कोशीय शब्द कहते हैं। जैसे-मनुष्य, घोड़ा।

प्रश्न 4.
व्याकरणिक शब्द किसे कहते हैं?
उत्तर :
व्याकरणिक शब्द उस शब्द को कहते हैं जो व्याकरणिक कार्य करता है। जैसे-‘मुझसे आजकल विद्यालय नहीं जाया जाता।’ इस वाक्य में जाता शब्द व्याकरणिक शब्द है।

प्रश्न 5.
पद किसे कहते हैं ?
अथवा
शब्द वाक्य में प्रयुक्त होने पर क्या कहलाता है ?
उत्तर :
जब किसी शब्द को व्याकरण के नियमों के अनुसार किसी वाक्य में प्रयोग किया जाता है तब वह पद बन जाता है। जैसे-राम, रावण, मारा शब्द है। इनमें विभक्तियों, परसर्ग, प्रत्यय आदि को जोड़ कर पद बन जाता है। जैसे-राम ने रावण को मारः।

प्रश्न 6.
पद के कितने और कौन-कौन से भेद हैं?
उत्तर :
पद के पाँच भेद संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया और अव्यय हैं।

प्रश्न 7.
शब्द और पद में क्या अंतर है?
उत्तर :
शब्द भाषा की स्वतंत्र और सार्थक इकाई है और वाक्य के बाहर रहता है, परंतु जब शब्द वाक्य के अंग के रूप में प्रयोग किया जाता है तो इसे पद कहते हैं। जैसे-‘लड़का, मैदान, खेलना’ शब्द हैं। इन शब्दों से यह वाक्य बनाने पर-‘लड़के मैदान में खेलते हैं’-ये पद बन जाते हैं।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण शब्द और पद में अंतर

प्रश्न 8.
पदबंध किसे कहते हैं?
उत्तर :
पदबंध का शाब्दिक अर्थ है-पदों में बँधा हुआ। जब एक से अधिक पद मिलकर एक इकाई के रूप में व्याकरणिक कार्य करते हैं तो वे पदबंध कहलाते हैं। जैसे चिडिया सोने के पिंजरे में बंद है। इस वाक्य में सोने का पिंजरा पदबंध है। पदबंध वाक्यांश मात्र होते हैं, काव्य नहीं। पदबंध में एक से अधिक पदों का योग होता है और ये पद आपस में जुड़े होते हैं।

प्रश्न 9.
शब्द के सभी भेद स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
शब्द और शब्दावली वर्गीकरण निम्नलिखित दृष्टियों से किया जा सकता है –
(क) अर्थ की दृष्टि से वर्गीकरण –
अर्थ की दृष्टि से निम्नलिखित चार भेद किए जाते हैं –
(i) एकार्थी – जिन शब्दों का प्रयोग केवल एक अर्थ में ही होता है, उन्हें एकार्थी शब्द कहते हैं। जैसे
पुस्तक, पेड़, घर, घोड़ा, पत्थर आदि।
(ii) अनेकार्थी – जो शब्द एक से अधिक अर्थ बताने में समर्थ हैं, उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते हैं। इन शब्दों का प्रयोग जिस संदर्भ में किया जाएगा,
ये उसी के अनुसार अर्थ देंगे। जैसे –
काल – समय, मृत्यु।
अर्क – सूर्य, आक का पौधा।
(iii) पर्यायवाची या समानार्थी – जिन शब्दों के अर्थों में समानता हो, उन्हें पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहते हैं।
जैसे – कमल-जलज, नीरज, अंबुज, सरोज।
आदमी – नर, मनुष्य, मानव।
(iv) विपरीतार्थी – विपरीत अर्थ प्रकट करने वाले शब्दों को विपरीतार्थी अथवा विलोम शब्द कहते हैं। जैसे
आशा-निराशा
अँधेरा – उजाला हँसना-रोना
गुण – दोष

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(ख) इतिहास की दृष्टि से वर्गीकरण –

इतिहास की दृष्टि से शब्दों के पाँच भेद हैं –
(i) तत्सम – तत्सम शब्द का अर्थ है – तत् (उसके) + सम (समान) अर्थात् उसके समान जो शब्द संस्कृत के मूल रूपों के समान ही हिंदी में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें तत्सम कहते हैं। इनका प्रयोग हिंदी में भी उसी रूप में किया जाता है, जिस रूप में संस्कृत में किया जाता है। जैसे –
नेत्र, जल, पवन, सूर्य, आत्मा, माता, भवन, नयन, आशा, सर्प, पुत्र, हास, कार्य, यदि आदि।

(ii) तद्भव – तद्भव शब्द का अर्थ है तत् (उससे) + भव (पैदा हुआ) जो शब्द संस्कृत के मूल रूपों से बिगड़ कर हिंदी में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें तद्भव कहते हैं, जैसे-दुध से दुग्ध, घोटक से घोड़ा, आम्र से आम, अंधे से अंधा, कर्म से काम, माता से माँ, सर्प से साँप, सप्त से सात, रत्न से रतन, भक्त से भगत।

(iii) देशज – देशज का अर्थ होता है देश + ज अर्थात् देश में जन्मा। लोकभाषाओं से आए हुए शब्द देशज कहलाते हैं। कदाचित् ये शब्द बोलचाल से बने हैं।
जैसे – पेड़, खिड़की, अटकल, तेंदुआ, लोटा, डिबिया, जूता, खोट, फुनगी आदि।

(iv) विदेशज – जो शब्द विदेशी भाषाओं से लिए गए हैं, उन्हें विदेशज कहते हैं।
अंग्रेज़ी – डॉक्टर, नर्स, स्टेशन, प्लेटफ़ॉर्म, पेंसिल, बटन, फ़ीस, मोटर, कॉलेज, ट्रेन, ट्रक, कार, बस, स्कूटर, फ्रीज आदि।
फ़ारसी – दुकान, ईमान, ज़हर, किशमिश, उम्मीद, फ़र्श, जहाज, कागज, ज़मींदार, बीमार, सब्जी, दीवार आदि।
अरबी – कीमत, फ़ैसला, कायदा, तरफ़, नहर, कसरत, नशा, वकील, वज़न, कानून, तकदीर, खराब, कत्ल, फौज़, नज़र, खत आदि।
तुर्की – तगमा, तोप, लाश, चाकू, उर्दू, कैंची, बेग़म, गलीचा, बावर्ची, बहादुर, चम्मच, कैंची, कुली, कुरता आदि।
पुर्तगाली – तंबाकू, पेड़ा, गिरिजा, कमीज, तौलिया, बालटी, मेज़, कमरा, अलमारी, संतरा, साबुन, चाबी, आलपीन, कप्तान आदि।
फ्रांसीसी – कारतूस, कूपन, अंग्रेज़।

(v) संकर-दो भाषाओं के शब्दों के मिश्रण से बने शब्द संकर शब्द कहलाते हैं।
यथा – जाँचकर्ता-जाँच (हिंदी) कर्ता (संस्कृत)
सज़ाप्राप्त – सज़ा (फ़ारसी) प्राप्त (संस्कृत)
रेलगाड़ी – रेल (अंग्रेज़ी) गाड़ी (हिंदी) उद्गम के आधार पर शब्दों की एक और कोटि हिंदी शब्दावली में पाई जाती है जिसे अनुकरणात्मक या ध्वन्यात्मक कहते हैं।
यथा – हिनहिनाना, चहचहाना, खड़खड़ाना, भिनभिनाना आदि।

(ग) रचना की दृष्टि से वर्गीकरण

प्रयोग के आधार पर शब्दों के भेद तीन प्रकार के होते हैं –
(i) मूल अथवा रूढ़ शब्द – जो शब्द किसी अन्य शब्द के संयोग से नहीं बनते हैं और अपने आप में पूर्ण होते हैं उन्हें रूढ़ अथवा मूल शब्द कहते हैं। ये शब्द किसी विशेष अर्थ के लिए रूढ़ या प्रसिद्ध हो जाते हैं। इनके खंड या टुकड़े नहीं किए जा सकते।
जैसे – घड़ा, घोड़ा, काला, जल, कमल, कपड़ा, घास, दिन, घर, किताब, मुंह।

(ii) यौगिक – दो शब्दों के संयोग से जो सार्थक शब्द बनते हैं, उन्हें यौगिक कहते हैं। दूसरे शब्दों में यौगिक शब्द वे शब्द होते हैं जिनमें रूढ़ शब्द के अतिरिक्त प्रत्यय, उपसर्ग या एक अन्य रूढ़ शब्द अवश्य होता है अर्थात ये दो अंशों को जोड़ने से बनते हैं, जिनमें एक शब्द आवश्यक रूप से रूढ़ होता है। जैसे-नमकीन-इसमें नमक रूढ़ तथा ईन प्रत्यय है।
जैसे – गतिमान, विचारवान, पाठशाला, विद्यालय, प्रधानमंत्री, गाड़ीवान, पानवाला, घुड़सवार, बैलगाड़ी, स्नानघर, अनपढ़, बदचलन ।

(iii) योगरूढ़ – दो शब्दों के योग से बनने पर भी किसी एक निश्चित अर्थ में रूढ़ हो जाने वाले शब्द योगरूढ़ कहलाते हैं।
जैसे – चारपाई, तिपाई, जलज (जल + ज = कमल), दशानन (दस + आनन = रावण), जलद (जल + द= बादल), जलधि (जल + धि = समुद्र)।

(घ) रूपांतरण की दृष्टि से शब्दों के भेद –

(i) विकारी शब्द – जिन शब्दों के रूप में विकार (परिवर्तन) उत्पन्न हो जाता है, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया-ये चार प्रकार के शब्द विकारी कहलाते हैं। इनमें लिंग, वचन एवं कारक आदि के कारण विकारी उत्पन्न हो जाता है।

(ii) अविकारी शब्द-जिन शब्दों के रूप में विकार (परिवर्तन) उत्पन्न नहीं होता और जो अपने मूल में बने रहते हैं, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं। अविकारी शब्द को अव्यय भी कहा जाता है। क्रिया-विशेषण, समुच्चयबोधक, संबंधसूचक तथा विस्मयादिबोधक-ये चार प्रकार के शब्द अविकारी कहलाते हैं। क्रिया-विशेषण इधर समुच्चयबोधक और संबंधसूचक के ऊपर विस्मयादिबोधक ओह।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण शब्द और पद में अंतर

(ङ) प्रयोग की दृष्टि से –

प्रयोग के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण निम्नलिखित दो वर्गों में किया जाता है –
(i) सामान्य शब्द – आम जन-जीवन में प्रयोग होने वाले शब्द सामान्य शब्द कहलाते हैं; जैसे-दाल, भात, खाट, लोटा, सुबह, हाथ, पाँव, घर, मैदान।
(ii) पारिभाषिक शब्द – जो शब्द ज्ञान-विज्ञान अथवा विभिन्न व्यवसायों में विशेष अर्थों में प्रयोग किए जाते हैं, पारिभाषिक शब्द कहलाते हैं। इन्हें
तकनीकी शब्द भी कहते हैं. जैसे-संज्ञा. सर्वनाम, रसायन, समाजशास्त्र, अधीक्षक।

प्रश्न 10.
शब्द पद कब बन जाता है? उदाहरण देकर तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
उत्तर :
शब्द को जब व्याकरण के नियमों के अनुसार वाक्य में प्रयोग करते हैं तब वह पद बन जाता है, जैसे-राम, रावण, मारा शब्द हैं। इनसे बना वाक्य-राम ने रावण को मारा। पद है।

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