Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Important Questions and Answers.
JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 11 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
प्रश्न – दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखें –
1. भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के किस घटक के परिवर्तन हुआ है ?
(A) मात्रा
(B) संघटन
(C) दिशा
(D) सभी उपरोक्त।
उत्तर:
(D) सभी उपरोक्त।
2. विश्व व्यापार में भारत की भागीदारी है।
(A) 1%
(B) 2%
(C) 3%
(D) 4%.
उत्तर:
(A) 1%
3. भारत में खाद्यान्न आयात कम होने का क्या कारण था ?
(A) हरित क्रांति
(B) जनसंख्या में कमी
(C) जन्म दर में कमी
(D) आयात कर।
उत्तर:
(A) हरित क्रांति
4. भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है ?
(A) ब्रिटेन
(B) चीन
(C) संयुक्त राज्य
(D) पाकिस्तान।
उत्तर:
(C) संयुक्त राज्य
5. भारत में प्रमुख पत्तन कितने हैं ?
(A) 6
(B) 8
(C) 10
(D) 12.
उत्तर:
(D) 12.
6. भारतीय पत्तनों की नौभार निपटान क्षमता कितने मिलियन टन है ?
(A) 100
(B) 300
(C) 500
(D) 700.
उत्तर:
(C) 500
7. न्हावा शेवा पत्तन किस राज्य में है ?
(A) गुजरात
(B) गोआ
(C) महाराष्ट्र
(D) कर्नाटक।
उत्तर:
(C) महाराष्ट्र
8. न्यू मंगलौर पत्तन से प्रमुख निर्यात है ?
(A) कोयला
(B) लौह-अयस्क
(C) तांबा
(D) अभ्रक।
उत्तर:
(B) लौह-अयस्क
9. अरब सागर की रानी किस पत्तन को कहते हैं ?
(A) मंगलौर
(B) कोच्चि
(C) मुम्बई
(D) कांडला।
उत्तर:
(B) कोच्चि
10. चेन्नई पत्तन कब बनाया गया ?
(A) 1839
(B) 1849
(C) 1859
(D) 1869.
उत्तर:
(C) 1859
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions )
प्रश्न 1.
भारत का 2004-05 में विदेशी व्यापार कितना था ?
उत्तर:
₹8371 अरब के मूल्य का।
प्रश्न 2.
विश्व निर्यात व्यापार में भारत का कितना हिस्सा है ?
उत्तर:
·1%.
प्रश्न 3.
भारत की सबसे अधिक मूल्य की आयात बताओ।
उत्तर:
पेट्रोलियम
प्रश्न 4.
भारत में व्यापार घाटा कितना है ?
उत्तर:
1250 अरब रुपए का।
प्रश्न 5.
भारत का कुल निर्यात कितने मूल्य का है ?
उत्तर:
3560 अरब रुपए ।
प्रश्न 6.
भारत में सबसे अधिक निर्यात किस क्षेत्र को है ?
उत्तर:
एशिया – ओशनिया ।
प्रश्न 7.
भारत में कुल प्रमुख समुद्री पत्तन कितने हैं ?
उत्तर:
12.
प्रश्न 8.
भारत की दो नवीन बन्दरगाहों के नाम लिखो।
उत्तर:
न्हावा शेवा व पारादीप ।
प्रश्न 9.
भारत में घरेलू विमान पत्तन कितने हैं ?
उत्तर:
112.
प्रश्न 10.
तमिलनाडु में एक नवीन बन्दरगाह का नाम लिखो।
उत्तर:
तूतीकोरन।
प्रश्न 11.
भारत के आयात-निर्यात व्यापार में अन्तर बताओ।
उत्तर:
1250 अरब रुपए।
प्रश्न 12.
भारत के आयात व्यापार में वस्तुओं के दो समूह बताओ।
उत्तर:
(क) ईंधन
(ख) कच्चा माल, खनिज।
प्रश्न 13.
भारत की पेट्रोलियम तथा पेट्रोलियम उत्पाद के आयात में कितने प्रतिशत भागीदारी है ?
उत्तर:
26%.
प्रश्न 14.
भारत से निर्यात में खनिजों का योगदान बताओ।
उत्तर:
5 प्रतिशत।
प्रश्न 15.
महाराष्ट्र तथा तमिलनाडु राज्य में एक-एक पत्तन का नाम लिखो जो मुख्य बन्दरगाहों पर बोझा कम करने के लिए बनाई गई हैं ?
उत्तर:
महाराष्ट्र – न्हावा शेवा, तमिलनाडु – एन्नौर
प्रश्न 16.
भारत का सबसे बड़ा समुद्री पत्तन बताओ।
उत्तर:
मुम्बई
प्रश्न 17.
भारतीय पत्तनों में से कौन-सा समुद्री पत्तन स्थल रूद्ध पड़ौसी देशों को पत्तन सुविधाएं प्रदान करता है ? ऐसे किसी एक देश का नाम बताइए।
उत्तर:
कोलकाता पत्तन नेपाल तथा भूटान को पत्तन सुविधाएं प्रदान करता है।
प्रश्न 18.
भारत के सबसे पुराने कृत्रिम समुद्री पत्तन का नाम बताइए।
उत्तर:
चेन्नई भारत का सबसे पुराना कृत्रिम पत्तन है। इसका निर्माण 1839
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
उन चार महत्त्वपूर्ण वस्तुओं के नाम लिखो जो भारत अन्य देशों से आयात करता है ?
उत्तर:
(1) खनिज तेल तथा तेल से बने पदार्थ
(2) उर्वरक
(3) मशीनरी
(4) परिवहन सामान।
प्रश्न 2.
उन चार महत्त्वपूर्ण वस्तुओं के नाम लिखो जो भारत अन्य देशों को निर्यात करता है ?
उत्तर:
(1) तैयार माल
(2) सिले सिलाए वस्त्र
(3) सूती धागा
(4) चमड़े का सामान।
प्रश्न 3.
भारत के पूर्वी तट पर स्थित बन्दरगाहों के नाम लिखो।
उत्तर:
कोलकाता, हल्दिया, विशाखापट्टनम, प्रायद्वीप, चेन्नई तथा तूतोकोरिन।
प्रश्न 4.
भारत के किस राज्य में दो प्रमुख पत्तन हैं ?
उत्तर:
पश्चिमी बंगाल।
प्रश्न 5.
भारत के आयात और निर्यात के मूल्य में अन्तर बढ़ने के दो कारण बताओ।
उत्तर:
भारत का 2004-05 में आयात का मूल्य ₹48106 अरब था तथा निर्यात मूल्य ₹35607 अरब था। इसलिए दोनों में अन्तर ₹ 12499 अरब है। इसके दो कारण हैं –
(i) विश्व स्तर पर मूल्यों में वृद्धि
(ii) विश्व बाज़ार में भारतीय रुपए का अवमूल्यन अन्य कारण उत्पादन में धीमी प्रगति,, घरेलू, उपयोग में बढ़ोत्तरी, विश्व बाज़ार में कड़ी प्रतिस्पर्धा, निर्यात में धीमी वृद्धि ।
प्रश्न 6.
भारत के आयात में किन वस्तुओं की वृद्धि हुई है ?
उत्तर:
उर्वरक, रसायन, मशीनों, विद्युत् और गैर-विद्युत् उपकरणों, यन्त्रों और मशीनी उपकरणों के आयात में वृद्धि हुई है।
प्रश्न 7.
भारत में किन वस्तुओं का आयात तेज़ी से घट गया है ?
उत्तर:
खाद्य और सम्बन्धित उत्पाद, अनाज दालें, दुग्ध उत्पाद, फल, सब्ज़ियां।
प्रश्न 8.
भारत के निर्यात में कृषीय उत्पाद बताओ।
उत्तर:
कृषीय उत्पादों में सामुद्रिक उत्पाद, मछलियों और उनके उत्पाद निर्यात की प्रमुख वस्तुएं हैं। भारत के निर्यात के कुल मूल्य में इनकी भागीदारी 3.1 प्रतिशत की है। महत्त्व की दृष्टि से इनके बाद, अनाज, चाय, खली, काजू, मसाले, फल और सब्ज़ियां, कहवा और तम्बाकू का स्थान है । थोड़ी-सी मात्रा में कपास का भी निर्यात किया जाता है।
प्रश्न 9.
‘पत्तन व्यापार के प्रवेश द्वार हैं। व्याख्या करो।
उत्तर:
अंग्रेज़ी भाषा का पोर्ट (Port) शब्द लैटिन भाषा के पोर्टा (Porta) शब्द से बना है जिसका अर्थ प्रदेश द्वार होता है। इसके द्वारा आयात-निर्यात का संचालन होता है । इसलिए पत्तन को प्रवेश द्वार कहते हैं।
प्रश्न 10.
‘पत्तन विदेशी व्यापार के केन्द्र बिन्दु हैं’ स्पष्ट करो।
उत्तर:
पत्तन व्यापार के प्रवेश द्वार हैं । एक ओर पत्तन अपने पृष्ठ प्रदेश से विदेशों को भेजी जाने वाली वस्तुओं के संकलन केन्द्र हैं तथा दूसरी ओर भारत आने वाली वस्तुओं को देश के आन्तरिक भागों में वितरण करने वाले केन्द्रों के रूप में कार्य करते हैं।
प्रश्न 11.
भारत के प्रमुख समुद्र पत्तनों की दो मुख्य विशेषताएं बताओ। किन्हीं दो राज्यों के नाम लिखिए जहां प्रमुख पत्तन हैं।
उत्तर:
भारत में 12 प्रमुख पत्तन हैं। ये पत्तन भारत के आयात तथा निर्यात के प्रवेश द्वार हैं। ये अपने पृष्ठ प्रदेश से विदेशों को भेजी जाने वाली वस्तुओं के संकलन केन्द्र हैं तथा भारत आने वाली वस्तुओं को प्राप्त करके उनका वितरण करने वाले केन्द्र हैं। पश्चिमी बंगाल में दो प्रमुख पत्तन कोलकाता तथा हल्दिया हैं। तमिलनाडु में चेन्नई तथा तूतीकोरिन के दो प्रमुख पत्तन हैं।
प्रश्न 12.
भारत के विदेशी व्यापार में समुद्री पत्तनों की क्या भूमिका है ? इस संदर्भ में कोई तीन बिन्दु लिखिए।
उत्तर:
पत्तन भारत के विदेशी व्यापार के केन्द्र बिन्दु के रूप में कार्य कर रहे हैं।
- पत्तन अपने पृष्ठ प्रदेश से विदेशों को भेजी जाने वाली वस्तुओं के संकलन केन्द्र हैं।
- पत्तन भारत को आने वाली विदेशी वस्तुओं को प्राप्त करके देश के आन्तरिक भागों में उनके वितरण करने वाले केन्द्र हैं।
- पत्तन विदेशी व्यापार के द्वार हैं क्योंकि उनके द्वारा आयात तथा निर्यात का संकलन होता है।
प्रश्न 13.
मुम्बई को ‘एक अनूठा बन्दरगाह’ क्यों कहा जाता है ? तीन कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
- मुम्बई भारत की सबसे बड़ी बन्दरगाह है । यहाँ से आयात तथा निर्यात सब से अधिक है।
- यह एक प्राकृतिक बन्दरगाह है, जहां गहरे जल के कारण बड़े-बड़े जहाज़ों के लिए सुरक्षित सुविधाएं हैं।
- यह भारत का एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक तथा व्यापारिक केन्द्र है।
प्रश्न 14.
सभी कृषीय वस्तुओं के निर्यात में कटौती हुई है। स्पष्ट करो ।
उत्तर:
(1) चाय निर्यात की प्रधान वस्तु हुआ करती थी। 1960-61 के कुल निर्यात मूल्य में इसकी 19.6 प्रतिशत की भागीदारी थी । लेकिन अब इसका महत्त्व घट गया है। चाय का निर्यात दो लाख टन पर स्थिर बना हुआ है । 1960-61 में यह 1.992 लाख टन तथा 2000-01 में 2.023 लाख टन था। कुल निर्यात मूल्य में इसका हिस्सा भी घटकर केवल एक प्रतिशत रह गया है।
(2) इसी अवधि में कपास का निर्यात भी 32.2 हज़ार टन से घटकर 30.2 हज़ार टन रह गया है।
(3) यद्यपि अन्य कृषीय वस्तुओं की धीमी गति से हुई है ।
प्रश्न 15.
जूट उत्पादों, अर्धनिर्मित लोहे, सूती वस्त्र की निर्यात में भागीदारी घटी है। कारण बताओ।
उत्तर:
(1) 1960-61 में जूट उत्पादों की कुल निर्यात में 20.0 प्रतिशत से अधिक भागीदारी थी, लेकिन अब यह केवल 0.46 प्रतिशत रह गई है। इसका मुख्य कारण आयातक देशों द्वारा जूट के स्थान पर अन्य पदार्थों का उपयोग ही है। पैकिंग के कामों में जूट के बजाय कृत्रिम धागों से निर्मित वस्त्रों का उपयोग किया जाता है।
(2) प्राथमिक और अर्धनिर्मित लोहे और इस्पात का प्रतिशतांक भी 13.4 घट गया है। यह 15.4 प्रतिशत से घटकर केवल 2.0 प्रतिशत रह गया है। प्राथमिक लोहे और इस्पात के बजाय इनके उत्पादों का निर्यात किया जा रहा है।
(3) इसी प्रकार सूती वस्त्रों के स्थान पर निर्यात में सिले – सिलाए वस्त्र और हस्तशिल्प को वरीयता दी जा रही है । इसलिए इस अवधि में इनका महत्त्व बढ़ गया है।
तुलनात्मक प्रश्न (Comparison Type Questions)
प्रश्न 1.
पोताश्रय तथा पत्तन में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
पोताश्रय (Harbour) | पत्तन (Port) |
(1) पोताश्रय समुद्र में जहाजों के प्रवेश करने का प्राकृतिक स्थान होता है। | (1) पत्तन समुद्री तट पर जहाजों के ठहरने के स्थान होते हैं। |
(2) यहां जहाज लहरों तथा तूफान से सुरक्षा प्राप्त करते हैं। | (2) यहां जहाजों पर सामान लादने उतारने की सुविधाएं होती हैं। |
(3) ज्वारनद मुख तथा कटे-फटे तट खाड़ियां प्राकृतिक पोताश्रय बनाते हैं जैसे मुम्बई में। | (3) यहां कई बस्तियां, गोदामों की सुविधाएं होती हैं। |
(4) जलतोड़ दीवारें बनाकर कृत्रिम पोताश्रय बनाए जाते हैं, जैसे चेन्नई में। | (4) पत्तन व्यापार के द्वार कहे जाते हैं। यहां स्थल तथा समुद्री भाग मिलते हैं। |
(5) पोताश्रय में एक विशाल क्षेत्र में जहाजों के आगमन की सुविधाएं होती हैं। | (5) पत्तन प्राय: अपनी पृष्ठभूमि से रेलों व सड़कों द्वारा जुड़े होते हैं। |
प्रश्न 2.
प्रश्न 2.
भारत के पूर्वी तथा पश्चिमी तट पर स्थित पोताश्रयों को उनकी स्थिति, पृष्ठ प्रदेश तथा विदेशी व्यापार की दृष्टि से तुलना करें।
उत्तर:
पूर्वी तट पर स्थित पोताश्रय | पश्चिमी तट पर स्थित पोताश्रय |
1. स्थिति भारत के पूर्वी तट पर कोलकाता, पाराद्वीप, विशाखापटनम, चेन्नई तथा तूतोकोरिन प्रमुख पोताश्रय हैं ये पोताश्रय नदियों के डेल्टा प्रदेश में स्थित हैं। यह प्राकृतिक तथा सुरक्षित बन्दरगाहें नहीं हैं। यहां ज्वार भाटा तथा नदियों द्वारा रेत के जमाव की समस्याएं हैं। इस तट पर खाड़ी बंगाल के तूफानों द्वारा बहुत हानि होती है। कई बन्दरगाहों को सुरक्षित बनाने के लिए जलतोड़ दीवारें बनाई गई हैं। | 1. भारत के पश्चिमी तट पर कोचीन, मंगलौर, मरामगाओ, मुम्बई तथा कांधला की प्रमुख बन्दरगाहें हैं। यह कटे-फटे तट के किनारे सुरक्षित तथा प्राकृतिक पोताश्रय हैं। इस तट पर गहरी खाड़ियां हैं। यहां मानसून काल में तूफानों से जहाज सुरक्षित खड़े रह सकते हैं। |
2. पृष्ठ प्रदेश – पूर्वी तट पर प्रमुख बन्दरगाहों के पृष्ठ प्रदेश प्राकृतिक सम्पदा से सम्पन्न हैं। ये पोताश्रय अपने पृष्ठ प्रदेश से रेलों, सड़कों तथा जलमार्गों द्वारा जुड़े हुए हैं। इस पृष्ठ प्रदेश से विभिन्न प्रकार के कृषि पदार्थ, खनिज तथा औद्योगिक वस्तुएं प्राप्त होती हैं। गंगा के मैदान से गन्ना, पटसन, चावल, दामोदर घाटी से कोयला, लोहा, मैंगनीज, अभ्रक, तमिलनाडु प्रदेश से सूती वस्त्र, चमड़ा, सीमेंट आदि वस्तुएं प्राप्त होती हैं। विशाखापटनम तथा पाराद्वीप बन्दरगाहों के विकास का मुख्य उद्देश्य खनिज पदार्थों का निर्यात करना है। | 2. पश्चिमी तट के पोताश्रयों के पृष्ठ प्रदेश घनी जनसंख्या वाले प्रदेश हैं। ये विशाल पृष्ठ प्रदेश हैं जहां उत्तर- पश्चिमी भारत तथा महाराष्ट्र में कपास मुख्य उपज हैं। इसके पृष्ठ प्रदेश से सूती कपड़ा, चीनी, सीमेंट, ऊन प्राप्त होती है। पश्चिमी घाट बागवानी खेती के लिए प्रसिद्ध है। यहां से चाय, कहवा, रबड़ काजू आदि वस्तुएं प्राप्त होती हैं। पश्चिमी तट की बन्दरगाहों से लोहा तथा मँगनीज विदेशों को निर्यात किया जाता है। |
3. विदेशी व्यापार पूर्वी तट के पोताश्रयों से अधिकतर व्यापार जापान तथा दक्षिणी-पूर्वी एशिया के देशों से होता है। सबसे अधिक व्यापार कोलकाता बन्दरगाह द्वारा होता है। धीरे-धीरे इस तट पर अन्य बन्दरगाहों द्वारा विदेशी व्यापार बढ़ता जा रहा है। | 3. इस तट पर स्थित मुम्बई भारत की सबसे बड़ी बन्दरगाह है। यह तट स्वेज मार्ग पर स्थित है। इसलिए अधिकतर व्यापार यूरोपियन देशों तथा दक्षिणी-पश्चिमी एशियाई देशों से होता है। |
प्रश्न 3.
आयात और निर्यात में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
कोई भी देश सभी वस्तुओं में पूर्ण रूप से आत्म-निर्भर नहीं होता। जब देश में किसी वस्तु का उत्पादन आवश्यकता से अधिक होता है तो उसे कमी वाले देशों को भेजता है। इसे निर्यात कहते हैं। जब किसी देश में किसी वस्तु का उत्पादन कम होता है तो उसे पूरा करने के लिए विदेशों से मंगवाया जाता है तो उसे आयात कहते हैं। भारत संसार में चाय निर्यात करता है परन्तु खनिज तेल आयात करता है।
प्रश्न 4.
विदेशी व्यापार तथा घरेलू व्यापार में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
वस्तुओं के आयात-निर्यात को व्यापार कहते हैं। घरेलू व्यापार के अधीन वस्तुएं देश के एक भाग से दूसरे भाग को भेजी जाती हैं। पंजाब से सारे राज्यों को गेहूँ भेजा जाता है। विदेशी व्यापार के अधीन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं को निर्यात किया जाता है। कमी वाले देश उस वस्तु का आयात करते हैं। भारत विश्व के 80 देशों को चाय निर्यात करता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
‘भारत के विदेशी व्यापार में निरन्तर वृद्धि हो है।’ व्याख्या करो।
उत्तर:
भारत के विदेशी व्यापार में समय के साथ व्यापक परिवर्तन हुए हैं। 1950-51 में भारत का कुल विदेशी व्यापार 12.14 अरब रुपयों का था । तब से इसमें निरन्तर वृद्धि हो रही है। 2004-05 के दौरान भारत के विदेशी व्यापार का कुल मूल्य 83713 अरब रुपयों का हो गया था। 1950-51 में और 2000-01 की अवधि में यह 353 गुनी वृद्धि थी।
प्रश्न 2.
भारत के विदेशी व्यापार के संघटन में बहुत विविधता पाई जाती है। स्पष्ट करो
उत्तर:
भारत में 7500 से भी अधिक वस्तुओं का निर्यात तथा लगभग 6,000 वस्तुओं का आयात किया जाता है।
1. निर्यात की जाने वाली वस्तुएं – कृषि क्षेत्र से लेकर औद्योगिक क्षेत्रों की वस्तुओं के साथ-साथ हथकरघों और कुटीर उद्योगों में निर्मित वस्तुएं और हस्तशिल्प की वस्तुएं निर्यात की जाती हैं। योजना निर्यात जिसमें परामर्श भी शामिल है, भवन-निर्माण के ठेकों आदि में हाल ही में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। कम्प्यूटर साफ्टवेयर के निर्यात में भी असाधारण वृद्धि दर्ज की गई है।
2. आयात वस्तुएं – लेकिन आयात में भी बहुत अधिक वृद्धि हुई है। सबसे अधिक आयात पेट्रोलियम, पेट्रोलियम उत्पादों, उर्वरकों, बहुमूल्य और अल्प मूल्य रत्नों और पूंजीगत वस्तुओं का होता है। इस प्रकार आयात और निर्यात की परम्परागत वस्तुओं के स्थान पर अनेक नई वस्तुओं का आयात और निर्यात होने लगा है।
प्रश्न 3.
भारत में पेट्रोलियम तथा पेट्रोलियम उत्पाद के आयात में वृद्धि तथा इसके कारण बताओ।
उत्तर:
सबसे बड़ा सकारात्मक परिवर्तन पेट्रोलियम और पेट्रोलियम उत्पादों के समूह के आयात में हुआ है। इस समूह ने 1960-61 व 2000-01 अवधि में 23.8 प्रतिशत अंक अर्जित किए हैं। 1960-61 में कुल आयात मूल्य में इन वस्तुओं की भागीदारी मात्र 6.2 प्रतिशत की थी। लेकिन यह बढ़कर 1973-74 में 19.2 प्रतिशत तथा 2004-05 में 26.0 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह तीव्र वृद्धि कीमतों में बढ़ोत्तरी के कारण हुई न कि मात्रा में वृद्धि के कारण। तेल उत्पादक और निर्यातक देशों ने कच्चे पेट्रोलियम के मूल्य में कई गुनी वृद्धि के परिणामस्वरूप पेट्रोलियम का बिल बहुत भारी हो गया।
प्रश्न 4.
भारत के आयात में निर्मित वस्तुओं तथा कच्चे माल का महत्त्व बहुत कम हो गया है। व्याख्या करो।
उत्तर:
भारत में निर्मित वस्तुओं का आयात कम हो गया। जूट वस्त्र, सूती वस्त्र, चमड़े का सामान, लोहे तथा इस्पात ऐसे ही उत्पाद हैं। कच्चे माल के समूह की वस्तुओं के आयात में उल्लेखनीय कमी दिखाई पड़ी। इस समूह में कच्चा रबड़, लकड़ी, इमारती लकड़ी, वस्त्रों के लिए धागे और लौह खनिज के आयात में सबसे अधिक कमी हुई है। इन
वस्तुओं के घरेलू उत्पादन में वृद्धि ही इसका मुख्य कारण है।
प्रश्न 5.
‘भारत का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार हाल के वर्षों में व्यापार की मात्रा, संघटन तथा दिशा की दृष्टि से बदल गया है’ इस कथन की उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए ।
उत्तर:
भारत में विदेशी व्यापार में 1947 के पश्चात् बहुत परिवर्तन हुए हैं –
1. व्यापार की मात्रा – व्यापार की मात्रा में कई गुणा वृद्धि हुई है। 1931 में कुल व्यापार 1250 करोड़ रुपए था जोकि 8,37,133 करोड़ रुपए 2004-2005 में था। यह औद्योगिक विकास के कारण है।
2. निर्यात व्यापार के संगठन में परिवर्तन – भारत पहले चाय, पटसन, चमड़ा, लौहा, गर्म मसाले निर्यात करता था परन्तु अब तैयार वस्तुओं का व्यापार बढ़ गया है ।
3. आयात व्यापार के संगठन में परिवर्तन – खाद्यान्न, कपास, पटसन आयात व्यापार में बढ़ गया है, परन्तु अब पेट्रोलियम, उर्वरक, इस्पात मशीनरी, रसायन अधिक मात्रा में आयात किए जाते हैं।
प्रश्न 6.
भारत द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए अपनाए गए किन्हीं तीन उपायों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर: भारत का उद्देश्य आगामी पांच वर्षों में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में अपनी हिस्सेदारी को दुगुना करना है। इस सम्बन्ध में तीन उपाय किए जा रहे हैं-
(i) आयात उदारीकरण
(ii) आयात करों में कमी
(iii) डी – लाइसेंसिंग
प्रश्न 7.
भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में निर्यात की मदों के बदलते स्वरूप का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
(i) भारत के व्यापार में तेज़ी में वृद्धि है।
(ii) कृषि तथा समवर्गी उत्पाद के निर्यात में हिस्सा घटा है।
(iii) पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात बढ़ा है।
(iv) कहवा, चाय, मसालों का निर्यात घटा है।
(v) ताज़े फलों, चीनी आदि के निर्यात में वृद्धि हुई है।
(vi) निर्यात क्षेत्र में विनिर्मित वस्तुओं की भागीदारी बढ़ी है।
(vii) इंजीनियरिंग सामान में वृद्धि हुई है।
(viii) मणिरत्नों तथा आभूषण का निर्यात में वृद्धि हुई है।
निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions )
प्रश्न 1.
भारत की प्रमुख बन्दरगाहों का वर्णन करो। उनकी स्थिति, विशेषताएं तथा व्यापारिक महत्त्व बताएं।
उत्तर:
समुद्र पत्तन समुद्र के किनारे जहाज़ों के ठहरने के स्थान होते हैं। इनके द्वारा किसी देश का विदेशी व्यापार होता है। एक आदर्श बन्दरगाह के लिए कटी-फटी तट रेखा, अधिक गहरा जल सम्पन्न, पृष्ठ-भूमि, उत्तम जलवायु तथा समुद्र मार्गों पर स्थित होना आवश्यक है। भारत की तट रेखा 7517 किलोमीटर लम्बी है। इस तट रेखा पर अच्छी बन्दरगाहों की कमी है। केवल 12 बन्दरगाहें (Major Ports), 22 मध्यम बन्दरगाहें (Intermediate Ports) तथा 185 छोटी बन्दरगाहें (Minor Ports) हैं। भारत की प्रमुख बन्दरगाहें – भारत के पश्चिमी तट पर कांडला, मुम्बई, मार्मगोआ तथा कोचीन प्रमुख बन्दरगाहें हैं । पूर्वी तट पर कोलकाता, पाराद्वीप, विशाखापट्टनम तथा चेन्नई प्रमुख बन्दरगाहें हैं। मंगलौर और तूतीकोरन का बड़े बन्दरगाहों के रूप में विस्तार किया जा रहा है। भारत की प्रमुख बन्दरगाहों का उल्लेख इस प्रकार है –
I. कांडला (Kandla) –
(क) पश्चिमी तट की बन्दरगाहें
(i) स्थिति (Location ) – यह बन्दरगाह खाड़ी कच्छ (Gulf of Kutch) के शीर्ष (Head) पर स्थित है। यह एक ज्वारी पत्तन है।
(ii) विशेषताएं (Characteristics) –
(1) यह एक सुरक्षित व प्राकृतिक बन्दरगाह है।
(2) इसकी पृष्ठभूमि बहुत विशाल तथा सम्पन्न है, जिसमें समस्त उत्तर-पश्चिमी भारत के उपजाऊ प्रदेश हैं।
(3) समुद्र की गहराई 10 मीटर से अधिक है।
(4) यहां बड़े-बड़े जहाज़ों के ठहरने की सुविधाएं हैं।
(5) यह स्थान स्वेज़ (Suez) समुद्री मार्ग पर स्थित है।
(6) यह बन्दरगाह कराची की बन्दरगाह का स्थान लेगी।
(7) यह वाडीनार में एक अपतटीय टर्मिनल विकसित किया गया है।
(iii) व्यापार (Trade) –
1. आयात (Imports) – सूती कपड़ा, सीमेंट, मशीनें तथा दवाइयां।
2. निर्यात (Exports) – सूती कपड़ा, सीमेंट, अभ्रक, तिलहन, नमक।
II. मुम्बई (Mumbai)
(i) स्थिति (Location ) – यह बन्दरगाह पश्चिमी तट के मध्य भाग पर एक छोटे से टापू पर स्थित है। यह टापू एक पुल द्वारा मुख्य स्थल से मिला हुआ है।
(ii) fagtuaný (Characteristics) –
(1) यह भारत की सबसे बड़ी प्राकृतिक व सुरक्षित बन्दरगाह है।
(2) स्वेज़ मार्ग पर स्थित होने के कारण यूरोप (Europe ) के निकट स्थित है।
(3) इसकी पृष्ठभूमि में काली मिट्टी का कपास क्षेत्र तथा उन्नत औद्योगिक प्रदेश है।
(4) अधिक गहरा जल होने के कारण बड़े-बड़े जहाज़ ठहर सकते हैं, परन्तु यहां कोयले की कमी है।
(5) यहां पांच डॉकों (Docks) में 54 गोदामों की व्यवस्था है। यह पत्तन 20 कि०मी० लम्बा, 6-10 कि०मी० चौड़ा है।
(6) यह भारत की सबसे बड़ी बन्दरगाह है। यहां न्हावा शेवा (जवाहर लाल नेहरू पत्तन) का नया पत्तन बनाया जा रहा है। यह भारत का विशालतम कंटेनर पतन है।
(7) इसे भारत का सिंह द्वार (Gateway of India) भी कहते हैं। यह महाराष्ट्र की राजधानी है। यहां ट्राम्बे में भाभा अणु शक्ति केन्द्र, मैरीन ड्राइव, इण्डिया गेट तथा एलीफेंटा गुफाएं दर्शनीय स्थान हैं। यह भारतीय जल-सेना का प्रमुख केन्द्र है।
(iii) व्यापार (Trade ) –
1. आयात (Imports ) – मशीनरी, पेट्रोल, कोयला, कागज़, कच्ची फिल्में।
2. निर्यात (Exports ) – सूती कपड़ा, तिलहन, मैंगनीज़, चमड़ा, तम्बाकू।
III. मरमागाओ (Marmago) –
(i) स्थिति (Location ) – यह बन्दरगाह पश्चिमी तट गोआ (Goa ) में स्थित है। यह एक जुआरी नदमुख के मुहाने पर स्थित है।
(ii) विशेषताएं (Characteristics) –
(1) यह एक प्राकृतिक बन्दरगाह है।
(2) इसकी पृष्ठभूमि में महाराष्ट्र तथा कर्नाटक प्रदेश के पश्चिमी भाग हैं। कोंकण रेलवे ने इसके पृष्ठ भूमि का विस्तार किया है।
(3) इसमें 50 के लगभग जहाज़ खड़े हो सकते हैं।
(iii) व्यापार (Trade ) –
1. आयात ( Imports ) – खाद्यान्न, रासायनिक खाद, मशीनें, खनिज तेल।
2. निर्यात (Exports ) – नारियल, मूंगफली, मैंगनीज़, खनिज लोहा।
(iv) न्यू मंगलौर (New Mangalore ) – यह कर्नाटक में लौह खनिज, उर्वरक, कहवा, चाय, सूत, आदि निर्यात करता है।
IV. कोच्चि (Cochi) –
(i) स्थिति (Location ) – यह बन्दरगाह मालाबार तट पर केरल प्रदेश में पाल घाट दर्रे के सामने स्थित है।
(ii) विशेषताएं (Characteristics) –
(1) यह बन्दरगाह एक लैगून झील (Lagoon) के किनारे स्थित होने के कारण सुरक्षित और प्राकृतिक बन्दरगाह है।
(2) इसकी पृष्ठभूमि में नीलगिरि का बागानी कृषि क्षेत्र तथा कोयम्बटूर का औद्योगिक प्रदेश स्थित है।
(3) यह जल – मार्ग द्वारा पृष्ठभूमि से मिला हुआ है।
(4) यह पूर्वी एशिया तथा ऑस्ट्रेलिया के जलमार्गों पर स्थित है। इसे ‘अरब सागर की रानी’ भी कहते हैं।
(5) भारत का दूसरा पोत निर्माण केन्द्र (Shipyard ) यहां पर है।
(iii) व्यापार (Trade) –
1. आयात ( Imports ) – चावल, कोयला, पेट्रोल, रसायन, मशीनरी।
2. निर्यात (Exports ) – कहवा, चाय, काजू, गर्म मसाले, नारियल, इलायची, रबड़, सूती कपड़ा।
(ख) पूर्वी तट की बन्दरगाहें –
I. कोलकाता (Kolkata) –
(i) स्थिति (Location) – यह एक नदी पत्तन ( River port) है। यह खाड़ी बंगाल में गंगा के डेल्टा प्रदेश पर हुगली नदी के बाएं किनारे पर तट से 128 किलोमीटर भीतर स्थित है।
(ii) विशेषताएं (Characteristics) –
(1) इसकी पृष्ठभूमि बहुत विशाल तथा सम्पन्न है जिसमें गंगा घाटी का कृषि क्षेत्र, छोटा नागपुर का खनिज व उद्योग
क्षेत्र तथा बंगाल, असम का चाय और पटसन क्षेत्र शामिल हैं।
(2) यह दूर पूर्व में जापान तथा अमेरिका के जलमार्ग पर स्थित है।
(3) परन्तु यह एक कृत्रिम बन्दरगाह है तथा गहरी नहीं है।
(4) प्रति वर्ष नदियों की रेत और मिट्टी हटाने के लिए काफ़ी खर्च करना पड़ता है।
(5) जहाज़ केवल ज्वार-भाटा के समय ही आ जा सकते हैं। बड़े जहाज़ों को 70 किलोमीटर दूर डायमण्ड हारबर (Diamond Harbour ) में ही रुक जाना पड़ता है।
(6) इस बन्दरगाह के विस्तार के लिए हल्दिया (Haldia) नामक स्थान पर एक विशाल पत्तन का निर्माण किया जा रहा है। यह भारत की दूसरी बड़ी बन्दरगाह है।
(iii) व्यापार (Trade ) –
1. आयात (Imports) – मोटरें, पेट्रोल, रबड़, चावल, मशीनरी।
2. निर्यात (Exports) – पटसन, चाय, खनिज लोहा, कोयला, चीनी, अभ्रक।
II. विशाखापट्टनम (Vishakhapatnam) –
(i) स्थिति (Location ) – यह बन्दरगाह पूर्वी तट पर कोलकाता और चेन्नई के मध्य स्थित है। यह सब से गहरा पत्तन है तथा भू- आबद्ध है।
(ii) विशेषताएं (Characteristics) –
(1) डाल्फिन नोज (Dalphin-Nose) नाम की कठोर चट्टानों से घिरे होने के कारण यह एक सुरक्षित व प्राकृतिक बन्दरगाह है।
(2) इसकी पृष्ठभूमि में लोहा, कोयला तथा मैंगनीज़ का महत्त्वपूर्ण खनिज क्षेत्र है।
(3) यहां तेल, कोयला, ईंधन आदि सुलभ हैं।
(4) भारत का जहाज़ बनाने का सबसे बड़ा कारखाना यहां पर स्थित है।
(5) यह भारत की तीसरी प्रमुख बन्दरगाह है।
(iii) व्यापार (Trade ) –
1. आयात (Imports) – मशीनरी, चावल, पेट्रोल, खाद्यान्न।
2. निर्यात (Exports ) – मैंगनीज़, लोहा, तिलहन, चमड़ा, लाख, तम्बाकू।
III. पाराद्वीप (Paradip) –
(i) स्थिति (Location) – यह बन्दरगाह खाड़ी बंगाल में कटक से 160 किलोमीटर दूर महानदी डेल्टे पर स्थित है।
(ii) विशेषताएं (Characteristics) –
(1) यह एक नवीनतम बन्दरगाह है।
(2) यह एक सुरक्षित व प्राकृतिक बन्दरगाह है।
(3) पानी की अधिक गहराई के कारण यहां बड़े-बड़े जहाज़ ठहर सकते हैं।
(4) इसकी पृष्ठ भूमि में उड़ीसा का विशाल खनिज क्षेत्र है।
(5) उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखण्ड के खनिज पदार्थों के निर्यात के लिए इस बन्दरगाह का विशेष महत्त्व है।
(iii) व्यापार (Trade ) –
1. निर्यात (Exports ) – जापान को लोहा, मैंगनीज़, अभ्रक आदि खनिज पदार्थ।
2. आयात (Imports ) – मशीनरी, तेल, चावल।
IV. चेन्नई (Chennai) –
(i) स्थिति (Location ) – यह बन्दरगाह तमिलनाडु राज्य में कोरोमण्डल तट पर स्थित है। यह 1859 में बनाया गया।
(ii) विशेषताएं (Characteristics) –
(1) यह एक कृत्रिम बन्दरगाह है।
(2) कंकरीट की दो मोटी जल-तोड़ दीवारें (Break waters) बनाकर यह सुरक्षित बन्दरगाह बनाई गई है।
(3) इसकी पृष्ठभूमि में एक उपजाऊ कृषि क्षेत्र तथा औद्योगिक प्रदेश है
(4) यहां कोयले की कमी है।
(iii) व्यापार (Trade) –
1. आयात (Imports ) – चावल, कोयला, मशीनरी, पेट्रोल, लोहा, इस्पात।
2. निर्यात (Exports) – चाय, कहवा, गर्म मसाले, तिलहन, चमड़ा, रबड़।
(iv) एन्नोर (Ennore ) – चेन्नई से 25 कि०मी० उत्तर में स्थित है।
(v) तूतीकोरन (Tuticorn) – चेन्नई के दक्षिण में यह पत्तन बनाया गया है।
प्रश्न 2.
भारत में विदेशी व्यापार की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
भारत का विदेशी व्यापार (India’s Foreign Trade)
भारत का विदेशी व्यापार बहुत प्राचीन समय से है। विदेशी व्यापार की अधिकता के कारण ही भारत को “सोने की चिड़िया ” कहा जाता था परन्तु अंग्रेज़ों के शासनकाल में विदेशी व्यापार समाप्त हो गया। भारत से कच्चा माल इंग्लैण्ड जाने लगा तथा भारत इंग्लैण्ड के तैयार माल की खपत के लिए एक मण्डी बन कर रह गया। स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत विकास की ओर अग्रसर हो रहा है तथा भारत के विदेशी व्यापार को विकसित किया जा रहा है। भारत के विदेशी व्यापार की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
1. अधिकांश व्यापार का समुद्र द्वारा होना – भारत का 90% व्यापार समुद्र द्वारा होता है। वायु तथा स्थल द्वारा व्यापार कम है।
2. विदेशी व्यापार का कम होना-भारत का विदेशी व्यापार विश्व व्यापार की दृष्टि से बहुत कम है। भारत का विदेशी व्यापार विश्व व्यापार का केवल 1% भाग है।
3. प्रति व्यक्ति व्यापार का कम होना – भारत में प्रति व्यक्ति विदेशी व्यापार की मात्रा अन्य देशों की तुलना में कम है।
4. व्यापार के परिणाम तथा मूल्य में वृद्धि – भारत का विदेशी व्यापार लगातार तथा परिणाम में बढ़ रहा है।
वर्ष | आयात (करोड़ रुपए) | निर्यात (करोड़ रुपए) | कुल (करोड़ रुपए) |
1950-51 | 650 | 600 | 1250 |
1982-83 | 14054 | 8637 | 22791 |
2004-2005 | 481064 | 356069 | 837133 |
5. व्यापार का सन्तुलन का प्रतिकूल होना – भारत में प्रति वर्ष आयात का मूल्य निर्यात के मूल्य से अधिक रहने के कारण व्यापार शेष प्रतिकूल रहता है। भविष्य में इसके और भी प्रतिकूल होने की सम्भावना है।
वर्ष | आयात | निर्यात | व्यापार शेष |
1972-73 | ₹ 1786 करोड़ | ₹ 1960 करोड़ | ₹ 184 करोड़ |
1982-83 | ₹ 14054 करोड़ | ₹ 8637 करोड़ | ₹ 5417 करोड़ |
2004-2005 | ₹ 481064 करोड़ | ₹ 356069 करोड़ | ₹ 124995 करोड़ |
6. निर्यात व्यापार (Export Trade) की विशेषताएं –
(i) निर्यात में परम्परावादी वस्तुओं की अधिकता – भारत के निर्यात व्यापार में कुछ परम्परावादी वस्तुओं की अधिकता है। इसमें चाय, पटसन का माल सूती कपड़ा, तिलहन, खनिज पदार्थ, चमड़ा व खालें महत्त्वपूर्ण हैं। परन्तु कुछ वर्षों से निर्यात वस्तुओं में विविधता आ गई है।
(ii) इन्जीनियरिंग सामान व उद्योग से तैयार माल का अधिक निर्यात – पहले भारत केवल कच्चे माल का निर्यात करता था। परन्तु औद्योगिक विकास के कारण कारखानों द्वारा बनाई गई वस्तुओं, सूती वस्त्र तथा इन्जीनियरिंग के सामान के निर्यात में वृद्धि हो रही है।
(iii) भारत में निर्यात माल के अनेक खरीददार – पहले भारत का निर्यात व्यापार कुछ ही बड़े देशों के साथ था परन्तु अब व्यापार अनेक देशों के साथ है।
(iv) व्यापार की दिशा में परिवर्तन – पहले भारत का अधिकतर व्यापार इंग्लैंड के साथ था। फिर यह व्यापार संयुक्त राज्य तथा रूस के साथ सबसे अधिक था। परन्तु अब भारत का निर्यात व्यापार जापान के साथ अधिक हो गया है।
7. आयात व्यापार की विशेषताएं –
(i) व्यापार में भारी मशीनरी की अधिकता – भारत में उद्योगों की स्थापना के कारण मशीनरी का आयात बढ़ता जा रहा है। इसमें मशीनें, कल-पुर्जे, परिवहन सामग्री शामिल है।
(ii) तैयार माल के आयात में वृद्धि – कई उद्योगों के कच्चे माल की कमी के कारण भारत में बाहर के तैयार माल का आयात बढ़ रहा है। इसमें धातुएं, कागज़, रेशम, लोहा-इस्पात के सामान व रासायनिक पदार्थ, पेट्रोल, उपभोग की वस्तुएँ शामिल हैं। खनिज तेल की कीमतों के बढ़ जाने से आयात में वृद्धि हुई है।
(iii) खाद्यान्नों व कच्चे माल के आयात में कमी – देश में हरित क्रान्ति (Green Revolution) के कारण खाद्यान्नों का आयात कम हो गया है। इसी प्रकार कपास, पटसन के अधिक उत्पादन के कारण इनका आयात कम हो गया है।
(iv) व्यापार की दिशा में परिवर्तन – भारत का आयात व्यापार एक बार फिर संयुक्त राज्य अमेरिका से अधिक हो गया है। इनके अतिरिक्त बंगला देश, जापान, रूस, ईरान, प० जर्मनी से भी आयात व्यापार बढ़ा है।
प्रश्न 3.
स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत के विदेशी व्यापार में क्या परिवर्तन आए हैं?
उत्तर:
स्वतन्त्रता के पश्चात् भारत के विदेशी व्यापार में काफ़ी परिवर्तन आए हैं –
1. विदेशी व्यापार का परिमाण (Volume of Foreign Trade ) – इस अवधि में भारत के विदेशी व्यापार में वृद्धि हुई। सन् 1951 में यह व्यापार ₹ 1250 करोड़ का था। सन् 1951 के बाद महत्त्वपूर्ण औद्योगिक प्रगति के फलस्वरूप विदेशी व्यापार की पूरी तरह कायापलट हो गई है।
विदेशी व्यापार का परिमाण जो 1950-51 में ₹ 1,250 करोड़ था 2004-2005 में बढ़कर ₹837133 करोड़ हो गया।
2. निर्यात व्यापार की रचना में परिवर्तन (Change in the Composition of Exports) – सन् 1947 के पश्चात् भारत के निर्यात व्यापार में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। स्वतन्त्रता प्राप्ति से पहले भारत चाय, जूट, कपड़े, चमड़े, कच्चे लोहे, काजू तथा मसालों का अधिक निर्यात करता था। अब अनेक प्रकार की तैयार वस्तुओं का निर्यात किया जाने लगा है जैसे पूंजीगत माल (मशीनें ), इन्जीनियरिंग सामान, रासायनिक उत्पादन, सिले-सिलाये कपड़े, हीरे-जवाहरात, तैयार भोजन, हस्तशिल्प आदि।
3. आयात व्यापार की रचना में परिवर्तन (Change in the Composition of Imports ) – सन् 1947 के पश्चात् भारत के आयात व्यापार की रचना में अनाज, कपास, जूट के आयात काफ़ी बढ़ गये थे । अब ये कम हो गये हैं। भारत में पेट्रोलियम, खाद, इस्पात, लोहा, अलौह धातुएं, औद्योगिक, कच्चे माल, मशीनरी पूंजीगत सामग्री, खाने के तेल, रसायन बिना तराशे जवाहरात के आयात बढ़ गये हैं।