JAC Class 12 Political Science Solutions Chapter 9 वैश्वीकरण

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Solutions Chapter 9 वैश्वीकरण Textbook Exercise Questions and Answers

JAC Board Class 12 Political Science Solutions Chapter 9 वैश्वीकरण

Jharkhand Board Class 12 Political Science वैश्वीकरण InText Questions and Answers

पृष्ठ 136

प्रश्न 1.
बहुत से नेपाली मजदूर काम करने के लिए भारत आते हैं। क्या यह वैश्वीकरण है?
उत्तर:
हाँ, श्रम का प्रवाह भी वैश्वीकरण का एक भाग है। एक देश के लोग दूसरे देश में जाकर मजदूरी करें । यह स्थिति भी विश्व के समस्त देशों को एक विश्व गांव में बदलती है।

पृष्ठ 137

प्रश्न 2.
भारत में बिकने वाली चीन की बनी बहुत-सी चीजें तस्करी की होती हैं। क्या वैश्वीकरण के चलते तस्करी होती है?
उत्तर:
वैश्वीकरण के चलते पूरी दुनिया में वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि हुई है। अब वैश्वीकरण के कारण आयात-प्रतिबंध कम हो गये हैं; इससे तस्करी में कमी हुई है। वैश्वीकरण के चलते तस्करी का प्रमुख कारण आयात पर प्रतिबंध तो समाप्त हो गया है, लेकिन तस्करी के अन्य कारण, जैसे-विक्रय पर लगने वाला कर, आय कर आदि अन्य करों की चोरी आदि कारण तो विद्यमान रहेंगे ही।

पृष्ठ 138

प्रश्न 3.
क्या साम्राज्यवाद का ही नया नाम वैश्वीकरण नहीं है? हमें नये नाम की जरूरत क्यों है?
उत्तर:
वैश्वीकरण साम्राज्यवाद नहीं है। साम्राज्यवाद में राजनीतिक प्रभाव मुख्य रहता है। इसमें एक शक्तिशाली देश दूसरे देशों पर अधिकार करके उनके संसाधनों का अपने हित में शोषण करता है। यह एक जबरन चलने वाली प्रक्रिया है। लेकिन वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है। इसके राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आयाम हैं। इसमें विचारों, पूँजी, वस्तुओं और व्यापार तथा बेहतर आजीविका का प्रवाह पूरी दुनिया में तीव्र हो जाता है। इन प्रवाहों की निरन्तरता से विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव बढ़ रहा है। अतः स्पष्ट है कि वैश्वीकरण साम्राज्यवाद से भिन्न तथा बहुआयामी प्रक्रिया है, इसलिए हमें इसके लिए नये नाम की आवश्यकता पड़ी है।

पृष्ठ 142

प्रश्न 4.
आप या आपका परिवार बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के जिन उत्पादों को इस्तेमाल करता है, उसकी एक सूची तैयार करें।
उत्तर:
मैं या मेरा परिवार बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के अनेक उत्पादों का इस्तेमाल करता है, जैसे कॉलगेट टूथपेस्ट, घड़ियाँ, पेफे, लिवाइस आदि के बने परिधान, कार, माइक्रोवेव, फ्रिज, टी.वी., वाशिंग मशीन, फर्नीचर, मैकडोनाल्ड के भोजन, साबुन, बालपैन, रोशनी के बल्ब, शैम्पू, दवाइयाँ आदि। [ नोट – विद्यार्थी इस सूची को और विस्तार दे सकते हैं ।]

JAC Class 12 Political Science Solutions Chapter 9 वैश्वीकरण

प्रश्न 5.
जब हम सामाजिक सुरक्षा कवच की बात करते हैं तो इसका सीधा-सादा मतलब होता है कि कुछ लोग तो वैश्वीकरण के चलते बदहाल होंगे ही। तभी तो सामाजिक सुरक्षा कवच की बात की जाती है। है न?
उत्तर:
सामाजिक न्याय के पक्षधर इस बात पर जोर देते हैं कि ‘सामाजिक सुरक्षा कवच’ तैयार किया जाना चाहिए ताकि जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं उन पर वैश्वीकरण के दुष्प्रभावों को कम किया जा सके। इसका आशय यह है कि आर्थिक वैश्वीकरण से जनसंख्या के एक बड़े छोटे तबके को लाभ होगा जबकि नौकरी, शिक्षा, स्वास्थ्य, साफ-सफाई की सुविधा आदि के लिए सरकार पर आश्रित रहने वाले लोग बदहाल हो जाएँगे क्योंकि वैश्वीकरण के चलते सरकारें सामाजिक न्याय सम्बन्धी अपनी जिम्मेदारियों से अपने हाथ खींचती हैं। इससे अल्पविकसित और विकासशील देशों के गरीब लोग एकदम बदहाल हो जायेंगे। इससे स्पष्ट होता है कि वैश्वीकरण के चलते गरीब देशों के गरीब लोग बदहाल हो जायेंगे। इसीलिए उनके लिए सामाजिक सुरक्षा कवच की बात की जाती है।

पृष्ठ 143

प्रश्न 6.
हम पश्चिमी संस्कृति से क्यों डरते हैं? क्या हमें अपनी संस्कृति पर विश्वास नहीं है?
उत्तर:
हम पश्चिमी संस्कृति से डरते हैं, क्योंकि वैश्वीकरण का एक पक्ष सांस्कृतिक समरूपता है जिसमें विश्व – संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति लादी जा रही है। इससे पूरे विश्व की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर धीरे-धीरे खत्म होती है जो समूची मानवता के लिए खतरनाक है। हमें अपनी संस्कृति पर पूर्ण विश्वास है; लेकिन हमारे ऊपर पाश्चात्य संस्कृति को जबरन लादा न जाये।

प्रश्न 7.
अपनी भाषा की सभी जानी-पहचानी बोलियों की सूची बनाएँ। अपने दादा की पीढ़ी के लोगों से इस बारे में सलाह लीजिए। कितने लोग आज इन बोलियों को बोलते हैं?
उत्तर:
विद्यार्थी यह स्वयं करें।

Jharkhand Board Class 12 Political Science वैश्वीकरण Text Book Questions and Answers

प्रश्न 1.
वैश्वीकरण के बारे में कौन-सा कथन सही है?
(क) वैश्वीकरण सिर्फ आर्थिक परिघटना है।
(ख) वैश्वीकरण की शुरुआत 1991 में हुई।
(ग) वैश्वीकरण और पश्चिमीकरण समान हैं।
(घ) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है।
उत्तर;
(घ) वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है।

प्रश्न 2.
वैश्वीकरण के प्रभाव के बारे में कौन-सा कथन सही है?
(क) विभिन्न देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव विषम रहा है।
(ख) सभी देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव समान रहा है।
(ग) वैश्वीकरण का असर सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित है।
(घ) वैश्वीकरण से अनिवार्यतया सांस्कृतिक समरूपता आती है।
उत्तर:
(क) विभिन्न देशों और समाजों पर वैश्वीकरण का प्रभाव विषम रहा है।

JAC Class 12 Political Science Solutions Chapter 9 वैश्वीकरण

प्रश्न 3.
वैश्वीकरण के कारणों के बारे में कौन-सा कथन सही है?
(क) वैश्वीकरण का एक महत्त्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिकी है।
(ख) जनता का एक खास समुदाय वैश्वीकरण का कारण है।
(ग) वैश्वीकरण का जन्म संयुक्त राज्य अमरीका में हुआ।
(घ) वैश्वीकरण का एकमात्र कारण आर्थिक धरातल पर पारस्परिक निर्भरता है।
उत्तर:
(क) वैश्वीकरण का एक महत्त्वपूर्ण कारण प्रौद्योगिकी है।

प्रश्न 4.
वैश्वीकरण के बारे में कौन-सा कथन सही है?
(क) वैश्वीकरण का संबंध सिर्फ वस्तुओं की आवाजाही से है।
ख) वैश्वीकरण में मूल्यों का संघर्ष नहीं होता।
(ग) वैश्वीकरण के अंग के रूप में सेवाओं का महत्त्व गौण है।
(घ) वैश्वीकरण का संबंध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है।
उत्तर:
(घ) वैश्वीकरण का संबंध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है।

प्रश्न 5.
वैश्वीकरण के बारे में कौन-सा कथन गलत है?
(क) वैश्वीकरण के समर्थकों का तर्क है कि इससे आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी।
(ख) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे आर्थिक असमानता और ज्यादा बढ़ेगी।
(ग) वैश्वीकरण के पैरोकारों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी।
(घ) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी।
उत्तर:
(घ) वैश्वीकरण के आलोचकों का तर्क है कि इससे सांस्कृतिक समरूपता आएगी।

प्रश्न 6.
विश्वव्यापी ‘पारस्परिक जुड़ाव ‘ क्या है? इसके कौन-कौन से घटक हैं?
उत्तर:
विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव का अर्थ है।विचार, वस्तुओं तथा घटनाओं का दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुँचना। इससे विश्व के विभिन्न भाग परस्पर एक-दूसरे के नजदीक आ गये हैं। इसके प्रमुख घटक अग्र हैं।

  • विश्व के एक हिस्से के विचारों एवं धारणाओं का दूसरे हिस्से में पहुँचना।
  • निवेश के रूप में पूँजी का विश्व के एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचना।
  • वस्तुओं का कई-कई देशों में पहुँचना और उनका बढ़ता हुआ व्यापार।
  • बेहतर आजीविका की तलाश में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोगों की आवाजाही का बढ़ना । विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव ऐसे प्रवाहों की निरन्तरता से पैदा हुआ है और कायम है।

JAC Class 12 Political Science Solutions Chapter 9 वैश्वीकरण

प्रश्न 7.
वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी का क्या योगदान है?
उत्तर:
वैश्वीकरण में प्रौद्योगिकी का प्रमुख योगदान इस प्रकार रहा है।

  1. टेलीग्राफ, टेलीफोन और माइक्रोचिप के नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार की क्रांति ला दी है। इस प्रौद्योगिकी का प्रभाव हमारे सोचने के तरीके और सामूहिक जीवन की गतिविधियों पर उसी तरह पड़ रहा है जिस तरह मुद्रण की तकनीकी का प्रभाव राष्ट्रवाद की भावनाओं पर पड़ा था।
  2. विचार, पूँजी, वस्तु और लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही की आसानी प्रौद्योगिकी में तरक्की के कारण संभव हुई उदाहरण के लिये, आज इण्टरनेट की सुविधा के चलते ई-कॉमर्स, ई-बैंकिंग, ई-लर्निंग जैसी तकनीकें अस्तित्व में आ गई हैं जिनके द्वारा विश्व के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में व्यापार किया जा सकता है, खोजे जा सकते हैं तथा

प्रश्न 8.
वैश्वीकरण के संदर्भ में विकासशील देशों में राज्य की बदलती भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।
उत्तर:
वैश्वीकरण के संदर्भ में विकासशील देशों में राज्य की बदलती भूमिका का विवेचन अग्र बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है।

  1. वैश्वीकरण के युग में प्रत्येक विकासशील देश को इस प्रकार की विदेश एवं आर्थिक नीति का निर्माण करना पड़ता है जिससे कि दूसरे देशों से अच्छे सम्बन्ध बनाये जा सकें। पूँजी निवेश के कारण विकासशील देशों ने भी अपने बाजार विश्व के लिये खोल दिये हैं ।
  2. विकासशील देशों में विश्व संगठनों के प्रभाव में राज्यों द्वारा बनाई जाने वाली निजीकरण की नीतियाँ, कर्मचारियों की छँटनी, सरकारी अनुदानों में कमी तथा कृषि से सम्बन्धित नीतियों पर वैश्वीकरण का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।
  3. वैश्वीकरण के प्रभावस्वरूप राज्य ने अपने को पहले के कई ऐसे लोककल्याणकारी कार्यों से खींच लिया है।
  4. विकासशील देशों में बहुराष्ट्रीय निगमों के कारण सरकारों की अपने दम पर फैसला करने की क्षमता में कमी आई है।
  5. वैश्वीकरण के फलस्वरूप कुछ मायनों में राज्य की ताकत का इजाफा भी हुआ है। आज राज्यों के पास अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी मौजूद है जिसके बल पर राज्य अपने नागरिकों के बारे में सूचनायें जुटा सकते हैं।

आलोचना – विकासशील देशों में आज भी निर्धनता, निम्न जीवन स्तर, अशिक्षा, बेरोज़गारी, कुपोषण विद्यमान है। इसलिए राज्य द्वारा सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी कार्य करने की महती आवश्यकता है। लेकिन वैश्वीकरण के चलते राज्य ने इन कार्यों से अपना हाथ खींच लिया है। इसीलिए अनेक संगठनों व विचारकों द्वारा वैश्वीकरण की आलोचना की जा रही है।

प्रश्न 9.
वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियाँ क्या हुई हैं? इस संदर्भ में वैश्वीकरण ने भारत पर कैसे प्रभाव डाला है?
उत्तर:
वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियाँ
वैश्वीकरण की आर्थिक परिणतियों का विवेचन निम्न बिंदुओं के अन्तर्गत किया गया है-

  1. व्यापार में वृद्धि तथा खुलापन – वैश्वीकरण के चलते पूरी दुनिया में आयात प्रतिबंधों के कम होने से वस्तुओं के व्यापार में इजाफा हुआ है।
  2. सेवाओं का विस्तार तथा प्रवाह – वैश्वीकरण के चलते अब सेवाओं का प्रवाह अबाध हो उठा है। इंटरनेट और कंप्यूटर से जुड़ी सेवाओं का विस्तार इसका एक उदाहरण है।
  3. राज्यों द्वारा आर्थिक जिम्मेदारियों से हाथ खींचना – आर्थिक वैश्वीकरण के कारण सरकारें अपनी सामाजिक सुरक्षा तथा जन कल्याण की जिम्मेदारियों से अपने हाथ खींच रही हैं और इससे सामाजिक न्याय से सरोकार रखने वाले लोग चिंतित हैं।
  4. विश्व का पुनः उपनिवेशीकरण- कुछ अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक वैश्वीकरण को विश्व का पुनः उपनिवेशीकरण कहा है।
  5. आर्थिक वैश्वीकरण के लाभकारी परिणाम – आर्थिक वैश्वीकरण से व्यापार में वृद्धि हुई है, देश को प्रगति का अवसर मिला है तथा खुशहाली बढ़ी है तथा लोगों में जुड़ाव बढ़ रहा है।

वैश्वीकरण का भारत पर प्रभाव – वैश्वीकरण की प्रक्रिया के तहत भारत पर निम्न प्रमुख प्रभाव पड़े हैं।

  1. वैश्वीकरण के प्रभाव के चलते भारत में व्यापार व विदेशी पूँजी निवेश के क्षेत्र में उदारवादी व निजीकरण की नीतियों को लागू किया गया । विदेशी पूँजी हेतु प्रतिबन्धों में ढील दी गई तथा अर्थव्यवस्था के नियमन व नियन्त्रणं में सरकार की क्षमता में कमी आई है।
  2. इसके तहत सकल घरेलू उत्पाद दर, विकास दर में तीव्र वृद्धि हुई है।
  3. विश्व के देश भारत को एक बड़े बाजार के रूप में देखने लगे हैं। अतः यहाँ विदेशी निवेश बढ़ा है।
  4. रोजगार हेतु श्रम का प्रवाह बढ़ा है तथा पाश्चात्य संस्कृति का तीव्र प्रसार हुआ है।

JAC Class 12 Political Science Solutions Chapter 9 वैश्वीकरण

प्रश्न 10.
क्या आप इस तर्क से सहमत हैं कि वैश्वीकरण से सांस्कृतिक विभिन्नता बढ़ रही है?
उत्तर:
वैश्वीकरण में सांस्कृतिक विभिन्नता और सांस्कृतिक समरूपता दोनों ही प्रवृत्तियाँ विद्यमान हैं। यथा- सांस्कृतिक समरूपता में वृद्धि – वैश्वीकरण के कारण पश्चिमी यूरोप के देश तथा अमेरिका अपनी तकनीकी और आर्थिक शक्ति के बल पर सम्पूर्ण विश्व पर अपनी संस्कृति लादने का प्रयास कर रहे हैं। इससे पश्चिमी संस्कृति के तत्व अब विश्वव्यापी होते जा रहे हैं। इससे कई परम्परागत संस्कृतियों को खतरा उत्पन्न हो गया है। इस प्रकार यहां संजीव पास बुक्स सांस्कृतिक समरूपता से अभिप्राय केवल पश्चिमी संस्कृति के बढ़ते प्रभाव से है, नकि किसी नयी विश्व संस्कृति के उदय से सांस्कृतिक विभिन्नता में वृद्धि – वैश्वीकरण के द्वारा सांस्कृतिक विभिन्नताएँ भी बढ़ रही हैं तथा नयी मिश्रित संस्कृतियों का उदय हो रहा है। उदाहरण के लिए अमेरिका की नीली जीन्स, हथकरघे के देशी कुर्ते के साथ पहनी जा रही है। यह कुर्ता विदेशों में भी निर्यात किया जा रहा है। इस प्रकार वैश्वीकरण के कारण हर संस्कृति कहीं ज्यादा अलग व विशिष्ट होती जा रही है। रहा है?

प्रश्न 11.
वैश्वीकरण ने भारत को कैसे प्रभावित किया है और भारत कैसे वैश्वीकरण को प्रभावित कर
उत्तर:
वैश्वीकरण का भारत पर प्रभाव : वैश्वीकरण ने भारत को अत्यधिक प्रभावित किया है। यथा-

  1. वैश्वीकरण के अन्तर्गत भारत ने निजीकरण व उदारीकरण की नीतियों को अपनाया; बहुत-सी आर्थिक गतिविधियाँ राज्य द्वारा निजी क्षेत्र को सौंप दी गईं। विदेशी पूँजी निवेश हेतु भी प्रतिबन्धों को उदार बनाया गया। परिणामतः भारत में विदेशी वस्तुओं की उपलब्धता बढ़ी। औद्योगिक प्रतियोगिता के तहत बाजार में उपलब्ध वस्तुओं के विकल्पों व गुणवत्ता में वृद्धि हुई।
  2. वैश्वीकरण के कारण भारत की सकल घरेलू उत्पाद दर में तेजी से वृद्धि हुई है।
  3. वैश्वीकरण के कारण भारत की विकास दर 4.3% से बढ़कर 7 और 8% के आसपास बनी रही है।
  4. विश्व के अधिकांश विकसित देश वैश्वीकरण की प्रक्रिया के प्रभावस्वरूप भारत को एक बड़ी मण्डी के रूप में देखने लगे हैं। इससे विदेशी निवेश बढ़ा है।
  5. वैश्वीकरण के प्रभावस्वरूप भारतीय लोगों ने आजीविका के लिए विदेशों में बसना शुरू कर दिया है।
  6. वैश्वीकरण के प्रभावस्वरूप यूरोप और अमेरिका की पश्चिमी संस्कृति बड़ी तेजी से भारत में फैल
  7. वैश्वीकरण के कारण विश्व बाजार में विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के मध्य आत्मर्निर्भरता और प्रतियोगिता बढ़ गई है।

वैश्वीकरण पर भारत का प्रभाव: भारत ने भी वैश्वीकरण को कुछ हद तक प्रभावित किया है। यथा-

  1. भारत से अब अधिक लोग विदेशों में जाकर अपनी संस्कृति और रीति-रिवाजों का प्रसार कर रहे हैं।
  2. भारत में उपलब्ध सस्ते श्रम ने विश्व के देशों को इस ओर आकर्षित किया है।
  3. भारत ने कम्प्यूटर तथा तकनीकी के क्षेत्र में बड़ी तेज़ी से उन्नति कर विश्व में अपना प्रभुत्व जमाया है।

वैश्वीकरण JAC Class 12 Political Science Notes

→ वैश्वीकरण की अवधारणा:
एक अवधारणा के रूप में वैश्वीकरण की बुनियादी बात है। प्रवाह प्रवाह कई तरह के हो सकते हैं, जैसे- विश्व के एक हिस्से के विचारों का दूसरे हिस्सों में पहुँचना; पूँजी का एक से ज्यादा जगहों पर जाना; वस्तुओं का कई देशों में पहुँचना और उनका व्यापार तथा आजीविका की तलाश में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लोगों की आवाजाही। यहाँ सबसे जरूरी बात है।’ विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव ‘ जो ऐसे प्रवाहों की निरन्तरता से पैदा हुआ है और कायम भी है। अतः वैश्वीकरण विचार, पूँजी, वस्तु और लोगों की आवाजाही से जुड़ी परिघटना है। वैश्वीकरण एक बहुआयामी अवधारणा है। इसके राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक आयाम हैं। वैश्वीकरण के कारक – वैश्वीकरण के लिए अनेक कारक जिम्मेदार हैं। यथा-

  • प्रौद्योगिकी: वैश्वीकरण के लिए प्रमुख जिम्मेदार कारक प्रौद्योगिकी में हुई प्रगति है। टेलीग्राफ, टेलीफोन और माइक्रोचिप के नवीनतम आविष्कारों ने विश्व के विभिन्न भागों के बीच संचार की क्रांति कर दिखाई है। प्रौद्योगिकी की तरक्की के कारण ही विचार, पूँजी, वस्तु और लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही की आसानी हुई है।
  • लोगों की सोच में ‘विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव का बढ़ना: विश्व के विभिन्न भागों के लोग अब समझ रहे हैं कि वे आपस में जुड़े हुए हैं। आज हम इस बात को लेकर सजग हैं कि विश्व के एक हिस्से में घटने वाली घटना का प्रभाव विश्व के दूसरे हिस्से में भी पड़ेगा।

वैश्वीकरण के परिणाम – वैश्वीकरण के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव पड़े हैं। यथा

  • वैश्वीकरण के राजनीतिक प्रभाव-
    • वैश्वीकरण के कारण राज्य की क्षमता में कमी आती है। पूरी दुनिया में कल्याणकारी राज्य की धारणा अब पुरानी पड़ गई है और इसकी जगह न्यूनतम हस्तक्षेपकारी राज्य ने ले ली है। लोककल्याणकारी राज्य की जगह अब बाजार आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं का प्रमुख निर्धारक है। पूरे विश्व में बहुराष्ट्रीय निगम अपने पैर पसार चुके हैं।
    • कुछ मायनों में वैश्वीकरण के फलस्वरूप राज्य की ताकत में वृद्धि हुई है। अब राज्य अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के बल पर अपने नागरिकों के बारे में सूचनाएँ जुटा सकते हैं और इसके आधार पर राज्य ज्यादा कारगर ढंग से कार्य कर सकते हैं।
    • राजनीतिक समुदाय के आधार के रूप में राज्य की प्रधानता को वैश्वीकरण से कोई चुनौती नहीं मिली है।
  • आर्थिक प्रभाव- वैश्वीकरण के आर्थिक प्रभाव को आर्थिक वैश्वीकरण भी कहा जाता है। आर्थिक वैश्वीकरण में दुनिया के विभिन्न देशों के बीच आर्थिक प्रवाह तेज हो जाता है। कुछ आर्थिक प्रवाह स्वेच्छा से होते हैं जबकि कुछ अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं और ताकतवर देशों द्वारा जबरन लादे जाते हैं। ये प्रवाह कई किस्म के हो सकते हैं, जैसे वस्तुओं, पूँजी, जनता अथवा विचारों का प्रवाह। यथा—
    • वैश्वीकरण के चलते पूरी दुनिया में वस्तुओं के व्यापार में वृद्धि हुई है।
    • वस्तुओं के आयात-निर्यात तथा पूँजी की आवाजाही पर राज्यों के प्रतिबंध कम हुए हैं।
    • धनी देश के निवेशकर्ता अब अपना धन अपने देश की जगह कहीं और निवेश कर सकते हैं, विशेषकर विकासशील देशों में, जहाँ उन्हें अपेक्षाकृत अधिक लाभ होगा।
    • वैश्वीकरण के चलते अब विचारों का प्रवाह अबाध हो गया है।
    • इंटरनेट और कम्प्यूटर से जुड़ी सेवाओं का विस्तार हुआ है।

→ वैश्वीकरण के कारण दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में सरकारों ने एक-सी आर्थिक नीतियों को अपनाया है, लेकिन विश्व के विभिन्न भागों में इसके परिणाम अलग-अलग हुए हैं। इसलिए वैश्वीकरण के अनेक सकारात्मक तथा नकारात्मक परिणाम हुए हैं। आर्थिक वैश्वीकरण के दुष्परिणाम या विरोध में तर्क-आर्थिक वैश्वीकरण के प्रमुख नकारात्मक परिणाम ये हैं।

  • आर्थिक वैश्वीकरण के कारण पूरे विश्व का जनमत बड़ी गहराई में बंट गया है।
  • आर्थिक वैश्वीकरण के कारण सरकारें कुछ जिम्मेदारियों से अपने हाथ खींच रही हैं और इससे सामाजिक न्याय से सरोकार रखने वाले चिंतित हैं क्योंकि इसके कारण नौकरी और जनकल्याण के लिए सरकार पर आश्रित रहने वाले लोग बदहाल हो जायेंगे।
  • आर्थिक वैश्वीकरण के कारण गरीब देश आर्थिक रूप से बर्बादी की कगार पर पहुँच जायेंगे।
  • कुछ अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक वैश्वीकरण को विश्व का पुनः उपनिवेशीकरण कहा है।

→ आर्थिक वैश्वीकरण के समर्थन में तर्क-

  1. आर्थिक वैश्वीकरण से समृद्धि बढ़ती है।
  2. खुलेपन के कारण ज्यादा से ज्यादा जनसंख्या की खुशहाली बढ़ती है।
  3. इससे व्यापार में वृद्धि होती है। इससे सम्पूर्ण विश्व को लाभ मिलता है।
    मध्यम मार्ग – वैश्वीकरण के मध्यमार्गी समर्थकों का कहना है कि वैश्वीकरण ने चुनौतियाँ पेश की हैं और सजग होकर पूरी बुद्धिमानी से इसका सामना किया जाना चाहिए क्योंकि पारस्परिक निर्भरता तेजी से बढ़ रही है और वैश्विक स्तर पर लोगों का जुड़ाव बढ़ रहा है।
  4. सांस्कृतिक प्रभाव – वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव को निम्न प्रकार समझा जा सकता है।

→ (अ) नकारात्मक प्रभाव:
वैश्वीकरण सांस्कृतिक समरूपता लाता है। लेकिन इस सांस्कृतिक समरूपता में विश्व-संस्कृति के नाम पर शेष विश्व पर पश्चिमी संस्कृति लादी जा रही है। वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव के अन्तर्गत राजनीतिक और आर्थिक रूप से प्रभुत्वशाली संस्कृति कम ताकतवर समाजों पर अपना प्रभाव छोड़ती है और संसार वैसा ही दीखता है जैसा ताकतवर संस्कृति इसे बनाना चाहती है। इससे पूरे विश्व की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर धीरे-धीरे खत्म होती है और यह समूची मानवता के लिए खतरनाक है। इससे स्पष्ट होता है कि वैश्वीकरण की सांस्कृतिक प्रक्रिया विश्व की संस्कृतियों को खतरा पहुँचायेगी।.

→ (ब) सकारात्मक प्रभाव: वैश्वीकरण के सांस्कृतिक प्रभाव का सकारात्मक पक्ष यह है कि

  • कभी – कभी बाहरी प्रभावों से हमारी पसंद-नापसंद का दायरा बढ़ता है।
  • कभी – कभी इनसे परम्परागत सांस्कृतिक मूल्यों को छोड़े बिना संस्कृति का परिष्कार भी होता है।

→ (स) दो-तरफा प्रभाव:
वैश्वीकरण का सांस्कृतिक प्रभाव दो-तरफा है। इसका एक प्रभाव जहाँ सांस्कृतिक समरूपता है तो दूसरा प्रभाव ‘सांस्कृतिक वैभिन्नीकरण’ है।

JAC Class 12 Political Science Solutions Chapter 9 वैश्वीकरण

→ भारत और वैश्वीकरण
पूँजी, वस्तु, विचार और लोगों की आवाजाही का भारतीय इतिहास कई सदियों का है। यथा

  • औपनिवेशिक दौर में भारत आधारभूत वस्तुओं और कच्चे माल का निर्यातक तथा निर्मित माल का आयातक देश था।
  • स्वतंत्रता के बाद भारत ने ‘संरक्षणवाद’ की नीति अपनाते हुए स्वयं उत्पादक चीजों के बनाने पर बल दिया इससे कुछ क्षेत्रों में तरक्की हुई लेकिन स्वास्थ्य, आवास और प्राथमिक शिक्षा पर अधिक ध्यान नहीं दिया जा सका। भारत की आर्थिक वृद्धि दर भी धीमी रही।
  • 1991 के बाद भारत ने आर्थिक वृद्धि की ऊंची दर हासिल करने की इच्छा से आर्थिक सुधार अपनाये, आयात पर प्रतिबंध हटाये तथा व्यापार एवं विदेशी निवेश को अनुमति दी। इससे आर्थिक वृद्धि दर बढ़ी है लेकिन आर्थिक विकास का लाभ गरीब तबकों को अभी नहीं मिल पाया है।

→ वैश्वीकरण का प्रतिरोध
वैश्वीकरण के विरोध में आलोचकों द्वारा अग्र तर्क दिये जाते हैं।

  • वामपंथी राजनीतिक रुझान रखने वालों का तर्क है कि मौजूदा वैश्वीकरण की प्रक्रिया धनिकों को और ज्यादा धनी और गरीबों को और ज्यादा गरीब बनाती है। इसमें राज्य कमजोर होता है और गरीबों के हितों की रक्षा करने की उसकी क्षमता में कमी आती है।
  • वैश्वीकरण के दक्षिणपंथी आलोचकों का प्रतिरोध इस प्रकार है
    • इससे राज्य कमजोर हो रहा है।
    • इससे परम्परागत संस्कृति को हानि होगी ।
    • कुछ क्षेत्रों में आर्थिक आत्मनिर्भरता और संरक्षणवाद का होना आवश्यक है।
  • वैश्वीकरण विरोधी आंदोलन भी जारी हैं जो वैश्वीकरण की धारणा के विरोधी नहीं बल्कि वैश्वीकरण के किसी खास कार्यक्रम के विरोधी हैं जिसे वे साम्राज्यवाद का एक रूप मानते हैं। विरोधियों का तर्क है कि आर्थिक रूप से ताकतवर देशों ने व्यापार के जो अनुचित तौर-तरीके अपनाये हैं, वे दूर हों। उदीयमान वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकासशील देशों के हितों को समुचित महत्त्व नहीं दिया गया है।
  • एक विश्वव्यापी मंच ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ वैश्वीकरण के विरोध में गठित किया गया है। इसमें मानवाधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणवादी, मजदूर, युवा तथा महिला कार्यकर्ताएँ हैं।

→ भारत और वैश्वीकरण का प्रतिरोध
भारत में वैश्वीकरण का विरोध कई क्षेत्रों से हो रहा है। ये विभिन्न पक्ष हैं – वामपंथी राजनीतिक दल, इण्डियन सोशल फोरम, औद्योगिक श्रमिक और किसान संगठन पेटेन्ट कराने के कुछ प्रयासों का यहाँ कड़ा विरोध किया गया है। यहाँ दक्षिणपंथी खेमा विभिन्न सांस्कृतिक प्रभावों का विरोध कर रहा है।

Leave a Comment