Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 9 Hindi Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला
JAC Class 9 Hindi कैदी और कोकिला Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी ?
उत्तर :
आधी रात के गहरे अँधेरे में कोयल की कूक सुनकर कवि जानना चाहता था कि वह क्यों कूक रही है ? उसे क्या कष्ट है ? वह किसका संदेश देना चाहती है ? कवि स्वयं तो कारावास की पीड़ा झेलने के कारण आधी रात तक जागने के लिए विवश था, पर वह जानना चाहता था कि कोयल के लिए ऐसी कौन-सी विवशता है ?
प्रश्न 2.
कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई ?
उत्तर :
कवि ने कोकिल के बोलने का कारण यह बताया कि वह किसी पीड़ा के बोझ से दबी हुई है, जिसे वह अपने भीतर सहेजकर नहीं रख सकती। उसने गुलामी व अत्याचार की आग की भयंकर लपटों को देखा है या उसे भी सारा देश एक कारागार के रूप में दिखाई देने लगा है।
प्रश्न 3.
किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई और क्यों ?
उत्तर :
कवि ने अंग्रेज़ी शासन की तुलना तम अर्थात अंधकार के प्रभाव से की है। अंधकार निराशा का प्रतीक है; दुखों का आधार है। अंग्रेजी शासन ने भारतवासियों के हृदय में निराशा का अंधकार भर दिया था। देशभक्तों को दुखों के अतिरिक्त कुछ नहीं दिया था।
प्रश्न 4.
कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पराधीन भारत की जेलों में अंग्रेज़ी शासन ने भयंकर यंत्रणाओं का प्रबंध किया था, ताकि देशभक्त उनसे भयभीत हो जाएँ तथा अपने उद्देश्य से पीछे हट जाएँ। जेलों में कैदियों की छाती पर बैलों की तरह फीता लगाकर चूना आदि पिसवाया जाता था; पेट से बाँधकर हल जुतवाया जाता था; कोल्हू चलवाकर तेल निकलवाया जाता था; ईंटों और पत्थरों की गिट्टियाँ तुड़वाई जाती थीं; उन्हें भूखा-प्यासा रखा जाता था; उनके हँसने- रोने पर भी रोक थी। वे अपने हृदय के भावों को प्रकट नहीं कर सकते थे।
प्रश्न 5.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो!
(ख) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कुँआ।
उत्तर :
(क) कवि कोयल से जानना चाहता है कि वह रात के अंधकार में अचानक क्यों कूक पड़ी। वह तो प्रकृति के कोमल सौंदर्य रूपी वैभव की रक्षा करती है। उसे अचानक क्या हो गया कि आधी रात को ऊँचे स्वर में कूक उठी।
(ख) कवि ने अंग्रेजी शासनकाल में जेलों में ढाए जाने वाले अत्याचारों का उल्लेख करते हुए कहा है कि उसे पेट पर फीता बाँधकर पशुओं की तरह कोल्हू चलाना पड़ता है, पर ऐसा करके भी वह अंग्रेज सरकार की अकड़ को तोड़ता है।
प्रश्न 6.
अर्ध रात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है ?
उत्तर :
अर्ध रात्रि में कोयल की चीख से कवि को अंदेशा है कि या तो वह पागल हो गई है या उसने जंगल की आग की विनाशकारी ज्वालाओं को देख लिया है।
प्रश्न 7.
कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है ?
उत्तर :
कवि को कोयल से ईर्ष्या हो रही है, क्योंकि कवि के अनुसार कोयल को हरे-भरे पेड़ों पर रहने का अवसर मिलता है, जबकि वह दस फुट की अँधेरी कोठरी में रह रहा है। वह सारे आकाश में उड़ने के लिए स्वतंत्र है, जबकि कवि के पास काल कोठरी का सीमित स्थान है। कोयल का कूकना मधुर गीत कहलाता है, जबकि कवि का रोना भी गुनाह माना जाता है।
प्रश्न 8.
कवि के स्मृति – पटल पर कोयल के गीतों की कौन-सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है ?
उत्तर :
कवि के स्मृति – पटल पर कोयल के गीतों की अनेक मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं। वह हर रोज़ सुबह-सवेरे कूककर लोगों को नींद से जगाती थी; उन्हें कर्मक्षेत्र की ओर प्रवृत्त करती थी। सुबह-सवेरे जब घास के तिनकों पर सूर्य की किरणें टकराती थीं, तो ओस की बूँदें जगमगा उठती थीं; तब विंध्य पर्वत के झरनों और पर्वतों पर उसकी कूक के मधुर गीत बिखर जाते थे।
प्रश्न 9.
हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है ?
उत्तर :
देश की स्वतंत्रता के लिए प्रयासरत देशभक्तों को हथकड़ियों में जकड़ दिया गया था, जो उनके लिए गहने के समान थे। वे उन्हें सदा याद करबाती थीं कि जिस प्रकार वे बँधे हुए हैं, उसी प्रकार सारा देश गुलामी के बंधनों में जकड़ा हुआ है। इससे उनके मन में देश भक्ति का भाव बढ़ता था। उन्हें हथकड़ियाँ अपना गहना लगती थीं, वही उनका श्रृंगार थीं।
प्रश्न 10.
‘काली तू … ऐ आली!’ – इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।
उत्तर :
कवि ने अपनी पंक्तियों में ‘काली’ विशेषण का प्रयोग अति सुंदर ढंग से चमत्कार उत्पन्न करने के लिए किया है। कोयल का रंग काला है, तो रात भी काली है। रात के कालेपन में निराशा और पीड़ा का भाव भी छिपा हुआ है। अंग्रेज़ी शासन की काली करतूत के कारण ही देशभक्तों को चोर-लुटेरों के साथ काली काल कोठरियों में बंद किया गया था। सारे देश को उन्होंने अपने काले कार्यों से ही गुलाम बना रखा था।
अंग्रेजी राज्य की काली वैचारिक लहरें और उनकी काली कल्पनाएँ हमारे देश के लिए भयावह थीं। कवि की काल कोठरी भी काली थी; उसकी टोपी काली थी और ओढ़ा जाने वाला कंबल भी काला था। उसको बाँधी गई लोहे की जंजीरें भी काली थीं। पहरे के लिए अंग्रेज़ों के द्वारा नियुक्त पहरेदार भी सर्पिणी के समान काली प्रवृत्ति से युक्त थे, जो दिन-रात गालियाँ देते रहते थे। कवि ने ‘काली’ शब्द से चमत्कार की सृष्टि करने में पूर्ण सफलता पाने के साथ-साथ अपने परिवेश को चित्रात्मकता के गुण से प्रकट करने में सफलता प्राप्त की है।
प्रश्न 11.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं ?
(ख) तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह !
देख विषमता तेरी-मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी!
उत्तर :
(क) काली कोयल अँधेरी काली रात में कूक उठी। कवि जानना चाहता है कि उसने किस जंगल में लगी आग की लपटों को देख लिया? सारा देश अंग्रेजों के द्वारा दी जाने वाली गुलामी रूपी आग में झुलस ही रहा है। क्या उसका प्रभाव जंगल के प्राणियों पर भी कपड़ा है या सारा देश ही कारावास बन चुका है ? प्रश्न-शैली का प्रयोग कवि के कथन को प्रभावात्मकता देने में सफल हुआ है। तत्सम शब्दों का प्रयोग सहज है। अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है। प्रतीक योजना विद्यमान है।
(ख) कवि कोयल से कहता है कि जब वह गाती है, तो उसकी प्रशंसा की जाती है; पर जेल में उसका रोना भी गुनाह माना जाता है। दोनों की स्थिति में बड़ा अंतर है। इस पर भी देश की स्वतंत्रता के लिए बजाई जाने वाली रणभेरी रूपी प्रयत्न निरंतर चल रहे हैं। अंग्रेज़ी शासन स्वतंत्रता सेनानियों को कष्ट दे रहा है, पर वह उन्हें अपनी राह में आगे बढ़ने से रोक नहीं पा रहा। खड़ी बोली के प्रयोग में तत्सम शब्दावली के प्रयोग के साथ उर्दू शब्दों का प्रयोग भी अति सहज है। स्वरमैत्री ने लयात्मकता की सृष्टि की है। अनुप्रास और पदमैत्री का स्वाभाविक प्रयोग है। अभिधा शब्द-शक्ति ने कथन को सरलता – सरसता दी है।
रचना और अभिव्यक्ति –
प्रश्न 12.
कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा, लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है ?
उत्तर :
कवि ने निश्चित रूप से जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना सुना होगा, पर वे दिन के उजाले में चहकते होंगे। वे आधी रात के अंधकार में नहीं चहके होंगे। कोकिला रात को तब कुहकी थी, जब कवि अपनी पीड़ा की गहराई को अनुभव कर रहा था। उसे ऐसा प्रतीत हुआ कि उसकी तरह कोयल भी स्वयं को देश रूपी कारागार में अनुभव कर रही है। कोयल बाहर रो रही थी और कवि कारागार के भीतर। इसलिए एक-सी स्थिति को अनुभव करने के कारण कवि ने कोकिला की ही बात की थी।
प्रश्न 13.
आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा ?
उत्तर :
ब्रिटिश शासन के अंतर्गत स्वतंत्रता सेनानियों को अपराधी माना जाता था और उनके साथ वैसा ही व्यवहार किया जाता था, जैसा चोर- डाकुओं व बटमारों से किया जाता था। चोर, डाकू और बटमारों के द्वारा गिने-चुने लोगों की ही धन-संपत्ति छीनी जाती है पर स्वतंत्रता सेनानी तो अंग्रेज़ सरकार को ही निर्मूल कर देना चाहते थे।
पाठेतर सक्रियता –
पराधीन भारत की कौन-कौन सी जेलें मशहूर थीं, उनमें स्वतंत्रता सेनानियों को किस-किस तरह की यातनाएँ दी जाती थीं ? इस बारे में जानकारी प्राप्त कर जेलों की सूची एवं स्वतंत्रता सेनानियों के नामों को राष्ट्रीय पर्व पर भित्ति पत्रिका के रूप में प्रदर्शित करें।
स्वतंत्र भारत की जेलों में अपराधियों को सुधारकर हृदय परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जाता है। पता लगाइए कि इस दिशा में कौन-कौन से कार्यक्रम चल रहे हैं ?
उत्तर :
अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं कीजिए।
JAC Class 9 Hindi कैदी और कोकिला Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
कविता के आधार पर कवि की चरित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
कवि माखनलाल चतुर्वेदी देशभक्त थे, जिन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर देश की परतंत्रता को समाप्त करने के लिए जी-जान से प्रयत्न किया था। अंग्रेज़ी शासन द्वारा उन्हें कारागार में चोर, डाकुओं और बटमारों के साथ बंद किए जाने पर भी वे हताश नहीं हुए थे। वे संवेदनशील थे। कोकिल के रात के समय कूकने पर उनकी संवेदना उससे भी जुड़ गई थी। वे कल्पनाशील थे। अंग्रेजी सरकार के द्वारा दिए जाने वाले कष्ट उन्हें तोड़ नहीं पाए थे। वे वचन के पक्के थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए एक बार मन में ठान लेने पर वे इस मार्ग से पीछे नहीं हटे थे।
प्रश्न 2.
कारागार में कवि की कैसी दशा थी ?
उत्तर :
स्वतंत्रता सेनानी होने के बाद भी कारागार में कवि को डाकू, चोर व ठगों के साथ बंद किया गया था। उसे पेट भर भोजन भी नहीं दिया जाता था। रात-दिन उस पर कड़ा पहरा रहता था। उसे हथकड़ियों में जकड़कर रखा गया था। इसके अतिरिक्त उसे कोल्हू चलाना पड़ता था तथा हथौड़े से ईंट-पत्थर भी तोड़ने पड़ते थे।
प्रश्न 3.
बंदी जीवन में भी कवि निरुत्साहित क्यों नहीं था ?
उत्तर :
बंदी जीवन में अनेक कष्टों को सहन करते हुए भी कवि निरुत्साहित नहीं था। उसका मन देश को स्वतंत्र करवाने के लिए बिगुल बजा रहा था। वह गाँधी जी के देश की स्वतंत्रता हेतु लिए गए व्रत में अपने प्राणों को पूर्ण रूप से समर्पित कर उसमें अपना पूरा सहयोग देना चाहता था।
प्रश्न 4.
‘कैदी और कोकिला’ कविता का संदेश / उद्देश्य/मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कैदी और कोकिला’ कविता के माध्यम से कवि ने तत्कालीन ब्रिटिश शासकों द्वारा किया है। स्वतंत्रता आंदोलन करने वाले देशभक्तों पर किए जाने वाले अत्याचारों का वर्णन किया है। कवि ने स्पष्ट किया है कि स्वतंत्रता सेनानी जेल में बंद होने पर भी अपना साहस नहीं खोते थे तथा महात्मा गाँधी द्वारा चलाए गए अहिंसापूर्ण स्वतंत्रता संग्राम में सहर्ष अपना पूरा योगदान देने के लिए तत्पर रहते थे।
प्रश्न 5.
कवि ने रात के अँधेरे में किसे संबोधित किया है और क्यों ?
उत्तर :
कवि अंग्रेजी शासन में स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए किए जाने वाले प्रयत्नों के कारण जेल में बंद है। जेल के सभी कैदी सो गए हैं; केवल कवि जाग रहा है। कवि ने रात के समय में कोयल की उपस्थिति अनुभव की। उसने बात करने के उद्देश्य से कोयल को संबोधित किया था। कवि कोयल से पूछता है कि वह इतनी रात को क्यों जाग रही है ? उसे नींद क्यों नहीं आ रही है ?
प्रश्न 6.
कोयल से क्या जानना चाहता है ?
उत्तर :
कवि कोयल से यह जानना चाहता है कि वह आधी रात को क्यों जाग रही है ? वह किस पीड़ा से परेशान होकर कूकी है ? क्या उसे नींद नहीं आ रही या वह पागल है या उसे जंगल में लगी आग की लपटें दिखाई दी हैं ? वह क्यों इतनी बेचैन है ?
प्रश्न 7.
कवि ने ‘दावानल की ज्वालाएँ’ किसे कहा है ?
उत्तर :
कवि के समय में हमारा देश गुलाम था। देश को आज़ाद करवाने के प्रयत्न किए जा रहे थे, जिससे भारतीयों को भयंकर और दुखदायी कष्टों का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए कवि के लिए परतंत्रता ही ‘दावानल की ज्वालाएँ’ थीं।
प्रश्न 8.
कवि किन कष्टों के कारण रात भर जागता रहता था और कोयल से वह क्या जानना चाहता था ?
उत्तर :
अंग्रेज़ी सरकार ने कवि को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में बंद किया था। जेल में अंग्रेज़ अधिकारी कैदियों को तरह- तरह के कष्ट देते थे। कैदियों को पेट भर खाना नहीं मिलता था। कवि वहाँ के कष्टों से परेशान रात भर जागता रहता था। कवि ने कोयल से उसके आधी रात के समय कूकने का कारण जानने की इच्छा व्यक्त की। वह उससे उसके कष्टों के विषय में जानना चाहता था, जिससे परेशान होकर वह रात के समय जाग रही थी।
प्रश्न 9.
कवि को कारागार में दंड रूप में कौन-कौन से शारीरिक परिश्रम के काम करने पड़ते थे ?
उत्तर :
कवि देश की स्वतंत्रता के प्रयत्नों के कारण जेल में बंद था। जेल में कैदियों को कई तरह से शारीरिक कष्ट दिए जाते थे। ये कष्ट उनसे काम करवाकर दिए जाते थे। कवि को जेल में तेल निकालने के लिए पशुओं की तरह कोल्हू चलाना पड़ता था; हथौड़ों से ईंट-पत्थर की गिट्टियाँ तोड़ना, पेट की सहायता से हल जोतना, बैलों की तरह छाती से फीता लगाकर चूना आदि पीसने का काम करना पड़ता था।
प्रश्न 10.
रात के समय कोकिला किस कारण आई थी ?
उत्तर :
कवि ने कोकिला को स्वतंत्रता से प्यार करने वाले पक्षी के रूप में चित्रित किया है। कवि के अनुसार वह भी देश को गुलामी में बँधे देखकर रो रही थी। जो लोग देश आज़ाद करवाने का प्रयत्न कर रहे थे, उन्हें ब्रिटिश अधिकारी कष्ट दे रहे थे। कोयल आधी रात को कारागार में बंद स्वतंत्रता सेनानियों के कष्टों में सहभागी बनने और उनके कष्टों पर मरहम लगाने के लिए आई थी। वह उनके साथ मिलकर रोना चाहती थी।
प्रश्न 11.
कवि ने अपने आस-पास के वातावरण में किन-किन काली वस्तुओं की गणना की है ?
उत्तर :
कवि के अनुसार ब्रिटिश शासन में चारों ओर गुलामी का अंधकार फैला हुआ था, जहाँ सभी ओर काला – ही – काला दिखाई देता था। कवि ने अपने आस-पास के वातावरण में कोयल को काला माना है; रात काली है, अंग्रेज़ी शासन काला है, लहर काली है, कवि की कल्पना काली है, काल-कोठरी काली है, उसकी टोपी काली है, कंबल काला है और उसको बाँधने वाली जंजीरें भी काली हैं।
प्रश्न 12.
कोयल की कूक ‘चमकीला गीत’ क्यों है ?
उत्तर :
आधी रात में कवि को कोयल के कूकने की आवाज सुनाई देती है। कवि अपना दुख कोयल के साथ बाँटना चाहता था। कवि में कोयल की कूक आशा व उत्साह का भाव और स्वर प्रदान करती थी, जिस कारण वह अपनी निराशा से मुक्ति पाता था। वह उसे प्रेरणा प्रदान करती थी। कवि को कोकिला का स्वर देशभक्ति में डूबा हुआ-सा प्रतीत होता था। इसलिए कवि को लग रहा था कि वह अपने ‘चमकीले गीत’ से उसमें कष्टों को सहने का उत्साह भरने आई है।
प्रश्न 13.
कवि ने अपनी और कोकिला की अवस्थाओं में किस प्रकार तुलना की है ?
उत्तर :
कवि ने अपनी और कोकिला की अवस्था में बहुत अंतर माना है। कोकिला को रहने के लिए पेड़ की हरी-भरी शाखाएँ मिली हैं, जबकि कवि दस फुट की काली कोठरी में रहता है। कोकिल खुले आसमान में विचरण करती है और वह काली कोठरी में बंद है, जहाँ सब कुछ काला ही काला है। कोकिल कूकती है, तो सबको अच्छा लगता है, उसमें जीवन का रंग दिखाई देता है। परंतु कवि रोता है, तो उसमें दुख दिखाई देता है और उसका रोना गुनाह माना जाता है।
प्रश्न 14.
कवि ने किसके व्रत का पालन करने का निश्चय किया था और कैसे ?
उत्तर :
कवि ने महात्मा गांधी के द्वारा देश की आज़ादी हेतु लिए गए व्रत का पालन करने का निश्चय किया था। कवि कारागार में बंद था, परंतु उसका हृदय देश की आज़ादी के लिए कुछ करने के लिए मचल रहा था। वह वहाँ बंद रहकर भी अपनी रचना के माध्यम से आज़ादी की रणभेरी बजाना चाहता था। वह लोगों को जागृत करना चाहता था कि वें महात्मा गाँधी के आज़ादी के स्वप्न को पूरा करने में सहयोग दें।
सप्रसंग व्याख्या, अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –
1. क्या गाती हो ?
क्यों रह-रह जाती हो ?
कोकिल बोलो तो!
क्या लाती हो ?
संदेशा किसका है ?
कोकिल बोलो तो!
ऊँची काली दीवारों के घेरे में,
डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में,
जीने को देते नहीं पेट भर खाना,
मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना!
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,
शासन, या तम का प्रभाव गहरा है ?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली,
इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली ?
शब्दार्थ : कोकिल – कोयल। बटमारों – रास्ते में यात्रियों को लूट लेने वाले। तम – अंधकार। हिमकर – चंद्रमा। कालिमामयी – काली। आली – सखी।
प्रसंग : प्रस्तुत अवतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘क्षितिज’ में संकलित कविता ‘कैदी और कोकिला’ से लिया गया है, जिसके रचयिता श्री माखनलाल चतुर्वेदी हैं। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण ब्रिटिश सरकार ने कवि को जेल की कोठरी में बंद कर दिया था। आधी रात के समय किसी कोयल के कूकने की आवाज़ को सुनकर कवि को ऐसा अहसास हुआ कि कोयल भी पूरे देश को एक कारागार के रूप में देखने लगी है, इसलिए वह आधी रात में चीख उठी है।
व्याख्या – कवि कोयल को संबोधित करते हुए कहता है कि हे काली कोयल ! तुम क्या गाती हो ? कुछ कूक कर फिर चुप हो जाती हो। तुम अपनी बात एक साथ क्यों नहीं कह पाती ? क्यों रह रह जाती हो ? अरी कोयल ! बताओ कि तुम अपने साथ किसका संदेश लाई हो ? तुम किसकी बात सुनाना चाहती हो ? मैं तो कारागार की इन ऊँची-ऊँची काली दीवारों के घेरे में बंद हूँ; जहाँ डाकू, चोर और राह चलते लोगों को ठगने वाले ठगों का डेरा है। अपराधियों के बीच मैं भी बंद हूँ। कारागार के अधिकारी जीने के लिए आवश्यक खाना नहीं देते; पेट भूख के कारण खाली रहता है। ये न हमें जीने देते हैं और न मरने देते हैं। हम तड़पकर रह जाते हैं। हमारे ऊपर दिन- रात कड़ा पहरा रहता है। यह अंग्रेज़ी शासन की व्यवस्था है या अंधकार का गहरा प्रभाव है – कुछ समझ में नहीं आता। आकाश में कुछ समय पहले चंद्रमा दिखाई दिया था, पर वह भी निराश कर चला गया। बस, सब तरफ़ रात का गहरा अंधकार छाया हुआ है। इस अँधेरी – काली रात में हे सखी रूपी कोयल ! तू क्यों जाग रही है ? ज़रा बता कि तुझे किस कारण नींद नहीं आई ?
अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –
प्रश्न :
(क) कवि ने रात के अँधेरे में किसे संबोधित किया है और क्यों ?
(ख) कवि को कारागार में किसके साथ बंद किया गया था ?
(ग) कवि ने अंग्रेज़ी शासन की तुलना किससे की है ?
(घ) कवि को जेल में क्यों बंद किया गया था ? कोयल की कूक का कवि पर क्या प्रभाव पड़ा था ?
(ङ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर :
(क) कवि ने रात में कोयल की उपस्थिति अनुभव की थी और उसे संबोधित किया था। कारागार में शेष सब सो रहे थे; केवल कवि जाग रहा था और कोयल भी रात के अँधेरे में कूक रही थी।
(ख) कवि को कारागार में डाकुओं, चोरों और राह चलते लोगों को लूटने वाले लुटेरों के साथ बंद किया गया था।
(ग) कवि ने अंग्रेज़ी शासन की तुलना गहरे अँधेरे से की है।
(घ) ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आंदोलनों में लिप्त होने के कारण कवि को जेल की कोठरी में बंद कर दिया गया था। आधी रात के समय किसी कोयल के कूकने की आवाज़ को सुनकर कवि को ऐसा अहसास हुआ कि कोयल भी पूरे देश को एक कारागार के रूप में देखने लगी है, इसलिए वह आधी रात में चीख उठी है।
(ङ) कवि ने अंग्रेज़ों के कारागार में अत्याचारों और अपमान को झेला था। उसे चोर – लुटेरों के साथ बंद किया गया था। दिन-रात उस पर कड़ा पहरा रहता था। भूख-प्यास के कारण कवि न तो जी पाता था और न ही मर पाता था। वह निराशा के भावों से भर गया था। कवि ने खड़ी बोली का प्रयोग किया है, जिसमें तत्सम और तद्भव शब्दावली का समन्वित प्रयोग सराहनीय है। अभिधा शब्द – शक्ति और प्रसाद गुण ने कथन को सरलता – सरसता से प्रकट किया है। अनुप्रास और पुनरुक्ति प्रकाश अलंकारों के स्वाभाविक प्रयोग ने काव्य-सौंदर्य में वृद्धि की है। गेयता का गुण विद्यमान है। करुण रस है।
2. क्यों हूक पड़ी ?
वेदना बोझ वाली – सी;
कोकिल बोलो तो!
क्या लूटा ?
मृदुल वैभव की
रखवाली-सी,
कोकिल बोलो तो!
क्या हुई बावली ?
अर्धरात्रि को चीखी,
कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की
ज्वालाएँ हैं दीखीं ?
कोकिल बोलो तो!
शब्दार्थ : हूक – चीख। वेदना – पीड़ा। मृदुल – कोमल। बावली – पागल। अद्धर्धात्रि – आधी रात। दावानल – जंगल की आग।
प्रसंग : प्रस्तुत प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘क्षितिज’ में संकलित कविता ‘कैदी और कोकिला’ से ली गई हैं, जिसे श्री माखनलाल चतुर्वेदी ने लिखा है। अंग्रेज़ी सरकार ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण कवि को कारागार में बंद कर दिया था। कवि वहाँ के कष्टों से परेशान रात-भर जागता रहता था। कवि ने आधी रात के समय कूकने वाली कोयल को संबोधित करते हुए उसके कष्टों के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की थी।
व्याख्या – कवि पूछता है कि अरी कोयल ! तू अचानक क्यों कूक पड़ी? क्या कोई पीड़ा का भाव तुझे बोझ तले दबा रहा है ? तू बता तो सही कि वह क्या है ? तेरा क्या लूट गया है और तुझे किसने लूट लिया है ? तू आधी रात को भी जाग रही है। किसी कोमल वैभव की रक्षा करने वाली जैसी कोयल ! तुम बताओ तो सही। क्या तुम पागल हो गई हो, जो आधी रात के समय इस प्रकार ज़ोर से चीखी थी ? तुझे जंगल में लगी किस आग की लपटें दिखाई दी थीं? बताओ तो सही। भाव यह है कि अंग्रेज़ी शासन की गुलामी की आग की लपटें देशवासियों को जला रही थीं, पर जंगलं में ऐसी कौन-सी लपटें प्रकट हो गई थीं जिनसे परेशान होकर कोयल को आधी रात के समय कूकना पड़ा था।
अर्थग्रहण एवं सौंदर्य सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –
प्रश्न :
(क) कवि कोयल से क्या जानना चाहता है ?
(ख) कवि ने कोयल के लिए किस विशेषण का प्रयोग किया है ?
(ग) कवि ने ‘दावानल की ज्वालाएँ’ किसे माना है ?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य को प्रतिपादित कीजिए।
(ङ) कवि किन कष्टों में कहाँ रातभर जागता रहता था और कोयल से वह क्या जानना चाहता था ?
(च) कवि ने कोयल की कूक’ को ‘हूक’ क्यों कहा है ?
उत्तर :
(क) कवि कोयल से जानना चाहता है कि वह आधी रात के समय किस पीड़ा से परेशान होकर कूकी थी ? क्या वह पागल है या उसे जंगल में लगी आग की लपटें दिखाई दी थीं?
(ख) कवि ने कोयल के लिए ‘मृदुल वैभव की रखवाली-सी’ विशेषण का प्रयोग किया है।
(ग) कवि ने भयंकर और दुखदायी संकटों को ‘दावानल की ज्वालाएँ’ माना है। हमारा देश उस समय अंग्रेजी शासन का गुलाम था, इसलिए हमारे लिए परतंत्रता ही ‘दावानल की ज्वालाएँ’ थीं। कवि नहीं जानता कि आधी रात के समय कूकने वाली कोयल के लिए ‘दावानल की ज्वालाएँ’ क्या थीं।
(घ) स्वतंत्रता आंदोलनों में भाग लेने के कारण विदेशी सरकार द्वारा कवि को कारागार में बंद कर दिया गया था। वह परेशान था और उसे आधी रात के समय कूकने वाली कोयल भी परेशान प्रतीत हुई थी। मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि किसी दुख से पीड़ित व्यक्ति को अन्य प्राणी भी उसी दुख से पीड़ित प्रतीत होने लगता है। कवि ने उपमा और अनुप्रास अलंकारों का सहज स्वाभाविक प्रयोग किया है। लयात्मकता का प्रयोग किया गया है। तत्सम शब्दावली की अधिकता है। प्रसाद गुण, अभिधा शब्द-शक्ति और बेचैनी का भाव प्रस्तुत हुआ है।
(ङ) अंग्रेज़ी सरकार ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण कवि को कारागार में बंद कर दिया था। कवि वहाँ के कष्टों से परेशान रातभर जागता रहता था। आधी रात के समय कूकने वाली कोयल को संबोधित करते हुए कवि ने उसके कष्टों के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की थी।
(च) कवि स्वयं अंग्रेज़ी शासन के व्यवहार से परेशान था। उसे कोयल की कूक भी परेशानी से भरी हुई प्रतीत होती है। इसलिए कवि ने उसे हूक कहा है।
3. क्या ? – देख न सकती जंजीरों का गहना ?
हथकड़ियाँ क्यों ? यह ब्रिटिश राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ ? – जीवन की तान,
गिट्टी पर अँगुलियों ने लिखे गान!
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर कूआ,
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूआ।
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली,
इसलिए रात में गजब ढा रही आली ?
इस शांत समय में,
अंधकार को बेध, रो रही क्यों हो ?
कोकिल बोलो तो !
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज
इस भाँति बो रही क्यों हो ?
कोकिल बोलो तो!
शब्दार्थ : मोट खींचना – चरस खींचना (जेल में बैल की तरह छाती से फीता लगाकर चूना आदि पीसना )। गिट्टी – ईंट-पत्थर के टुकड़े। जूआ वह लकड़ी जो पाट को घुमाने का काम करती है; हल चलाने वाले बैलों के गले पर रखी जाने वाली लकड़ी। आली – सखी।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक ‘क्षितिज’ में संकलित कविता ‘कैदी और कोकिला’ से ली गई हैं, जिसके रचयिता श्री माखनलाल चतुर्वेदी हैं। कवि ने कैदियों को कारागार में दिए जाने वाले तरह-तरह के कष्टों की ओर संकेत किया है।
व्याख्या : कवि कोकिल को संबोधित करता हुआ कहता है कि क्या तुम अंग्रेज़ी शासकों के द्वारा जेल में मुझे पहनाए हुए जंजीररूपी गहनों को नहीं देखती ? ये हथकड़ियाँ नहीं हैं, बल्कि ये ब्रिटिश राज के द्वारा पहनाए गए गहने हैं। जब हम कोल्हू चलाते हैं; तेल निकालते हैं, तो उसके घूमने से उत्पन्न ‘चर्रक चूँ’ की आवाज़ ही जीवन की तान है। उससे हमें जीवन जीने का उत्साह मिलता है। हम ईंट-पत्थरों को हथौड़ों से तोड़ते हैं। हमारी अँगुलियों पर उनके द्वारा चोटों के रूप में गीत लिखे गए हैं। मैं जेल में बैलों की तरह छाती से फीता लगाकर चूना आदि पीसता हूँ। मैं इससे परेशान नहीं होता, बल्कि मुझे तो इससे संतोष होता है कि ऐसा कर मैं अंग्रेज़ राज की अकड़ का कुआँ खाली कर रहा हूँ।
दिन के समय काम करते हुए मुझे दुख देने वाली और आँखों में आँसू लाने वाली करुणा का भाव क्यों जगे ? मैं नहीं चाहता कि अंग्रेज़ी-राज के पहरेदार मेरी पीड़ा को देखें पर कोयल रूपी मेरी सखि ! हृदय में छिपा पीड़ा का भाव रात के अँधेरे में गज़ब ढा रहा है। मैं दुख की अधिकता से फूट रहा हूँ, आँसू बहा रहा हूँ। अरी कोयल ! तुम बताओ कि अँधेरे को भेद कर इस शांत समय में तुम क्यों रो रही हो ? पता नहीं, तुम चुपचाप इस प्रकार मधुर विद्रोह के बीज क्यों बो रही हो ? अरी कोयल ! तुम कुछ तो बोलो और बताओ कि रात के अँधेरे में क्यों कूक रही हो ?
अर्थग्रहण एवं सौंदर्य सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –
प्रश्न :
(क) कवि ने किसे गहने कहा है ?
(ख) कवि को कारागार में दंड रूप में कौन-कौन से शारीरिक परिश्रम के काम करने पड़ते थे ?
(ग) कवि दिन के समय अपनी पीड़ा के भावों को क्यों नहीं प्रकट करना चाहता ?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।
(ङ) कवि ने कारागार में किन कष्टों की ओर संकेत किया है ?
(च) कवि के अनुसार ब्रिटिश अकड़ का कुआँ किस प्रकार खाली हुआ ?
(छ) रात के समय कोकिल किस कारण से आई थी ?
(ज) ‘मोट’ और ‘जूआ’ क्या है ?
(झ) कवि ने कोकिल के कूकने को ‘रो रही क्यों हो’ क्यों कहा है ?
उत्तर :
(क) कवि ने ब्रिटिश सरकार द्वारा पहनाई गई लोहे की हथकड़ियों को गहने है।
(ख) कवि को कारागार में तेल निकालने के लिए पशुओं की तरह कोल्हू चलाना पड़ता था; हथौड़ों से ईंट-पत्थर की गिट्टियाँ बनानी पड़ती थी। इसके अतिरिक्त उसे पेट की सहायता से हल जोतने, बैलों की तरह छाती से फीता लगाकर चूना पीसने आदि का काम करना पड़ता था।
(ग) कवि नहीं चाहता था कि कारागार की कठिनाइयों से व्यथित उसके मन की दशा कारागार के पहरेदार जानें। इसलिए वह दिन के समय अपनी पीड़ा के भावों को प्रकट नहीं करना चाहता था।
(घ) कवि ने कारागार में स्वतंत्रता सेनानियों को दी जाने वाली यातनाओं का सजीव चित्रण किया है, जिससे उनकी क्रूरता का परिचय मिलता है। चित्रात्मकता के गुण ने कवि के कथन में छिपी पीड़ा को वाणी प्रदान की है। रूपक और अनुप्रास अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग सराहनीय है। करुण रस विद्यमान है। तद्भव और सामान्य बोलचाल के शब्दों का प्रयोग किया गया है, जिससे कथन को सरलता और स्वाभाविकता प्राप्त हुई है। अभिधा शब्द – शक्ति का प्रयोग है।
(ङ) कवि ने कारागार में कैदियों को दिए जाने वाले तरह-तरह के कष्टों की ओर संकेत किया है।
(च) स्वाधीनता प्राप्त करने के लिए देशभक्तों ने ब्रिटिश सरकार के द्वारा दी जाने वाली यंत्रणाओं को चुपचाप झेला था, जिससे उन्होंने ब्रिटिश अकड़ का कुआँ खाली किया था।
(छ) रात के समय कोकिल स्वतंत्रता सेनानियों के कष्टों में सहभागी बनने और उनके कष्टों पर मरहम लगाने के लिए आई थी। वह उनके साथ मिलकर रोना चाहती थी।
(ज) ‘मोट’ कुएँ से पानी निकालने के लिए चमड़े का बना डोल है और ‘जूआ’ लकड़ी का मोटा लट्ठा है, जो बैलों के कंधे पर रखा जाता है। उसमें हल बाँधकर खेत जोता जाता है।
(झ) कवि ने कोकिल के कूकने को ‘रो रही हो क्यों’ इसलिए कहा है क्योंकि मधुर स्वर में कूकने वाली कोकिल उनके विद्रोही स्वर को प्रेरणा दे रही थी; अंग्रेज़ी शासन के प्रति उनके आक्रोश को बढ़ा रही थी। कवि के अनुसार कोयल की ब्रिटिश अत्यचारों और अनाचार में त्रस्त है। इसलिए कवि को उसका स्वर रोने जैसा प्रतीत होता है।
4. काली तू, रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह – श्रृंखला काली,
पहरे की हुंकृति की ब्याली,
तिस पर है गाली, ऐ आली!
इस काले संकट – सागर पर
मरने की, मदमाती !
कोकिल बोलो तो!
अपने चमकीले गीतों को
क्योंकर हो तैराती !
कोकिल बोलो तो!
शब्दार्थ : रजनी – रात। शृंखला – जंजीर। हुंकृति – हुँकार। ब्याली – सर्पिनी। आली – सखी।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘क्षितिज’ में संकलित कविता ‘कैदी और कोकिला’ से ली गई हैं, जिसके रचयिता
श्री माखनलाल चतुर्वेदी हैं। इन पंक्तियों में कवि ने कारागार के वातावरण का चित्रण किया है
व्याख्या : कवि कहता है कि हे कोकिल ! तू काले रंग की है और यह रात भी काली और अँधेरी है। अंग्रेज़ी शासन द्वारा किए जाने वाले अत्याचारपूर्ण कार्य भी काले हैं। मेरे मन में उत्पन्न होने वाली कल्पनाएँ भी काली हैं तथा सारे वातावरण में भी निराशा भरी हुई है। मैं जिस काल कोठरी में बंद हूँ, वह काली है। मेरी टोपी काली है और कंबल भी काला है। जिन लोहे की जंजीरों से मैं बँधा हुआ वे भी काली हैं।
कारागार के पहरेदार सर्पिनी जैसी हुँकारें भरते रहते हैं। हे कोयल रूपी सखी! वे पहरेदार इस पर भी गालियाँ देते रहते हैं; कड़वा और भद्दा बोलते हैं। देश के परतंत्रता रूपी इस काले संकट – सागर पर मरकर इसे आजाद करवाने की मदमाती इच्छा जागृत होती है। हे कोयल ! तुम बताओ कि इस अँधेरी रात में अपने चमकीले गीतों को क्यों तैरा रही हो ? सब दिशाओं में कूक – कूक कर क्यों फैला रही हो ? अरी कोयल ! तुम कुछ तो बोलो।
अर्थग्रहण एवं सौंदर्य-सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –
प्रश्न :
(क) कवि ने अपने आस-पास की किन-किन काली वस्तुओं की गणना की है ?
(ख) पहरेदारों की हुँकार कवि को कैसी प्रतीत होती है ?
(ग) ‘काला संकट – सागर’ क्या है ?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।
(ङ) कवि ने किस वातावरण का चित्रण किया है ?
(च) ‘काली’ विशेषण किन-किन अर्थों को स्पष्ट करता है ?
(छ) कोयल की कूक ‘चमकीला गीत’ क्यों है ?
उत्तर :
(क) कवि के अनुसार कोयल काली है; रात काली है; अंग्रेज़ी शासन काला है, लहर काली है, कवि की कल्पना काली है; काल कोठरी काली है, उसकी टोपी काली है, कंबल काला है और उसको बाँधने वाली जंज़ीरे भी काली हैं।
(ख) पहरेदारों की हुँकार, कवि को सर्पिणी जैसी विषैली प्रतीत होती है।
(ग) देश पर विदेशी शासन ‘काला संकट – सागर’ है, जिसमें सारे देशवासी निरंतर डूब रहे हैं।
(घ) कवि ने कारागार में तरह-तरह के कष्ट उठाए थे। उसे प्रतीत होता था कि वह पीड़ा के अँधेरे में डूबा हुआ है, जिसके चारों तरफ़ गहरा कालापन छाया हुआ है। दृश्य बिंब योजना है, जिससे निराशा का भाव टपकता है। अनुप्रास, रूपक और पदमैत्री का सहज-स्वाभाविक प्रयोग किया गया है। अभिधा शब्द का प्रयोग कथन की सरलता – सरसता का आधार बना है। प्रसाद गुण तथा करुण रस विद्यमान है। तत्सम और तद्भव शब्दावली का समन्वित रूप प्रकट किया गया है।
(ङ) कवि ने कारागार के वातावरण का चित्रण किया है।
(च) कवि ने ‘काली’ विशेषण का साभिप्राय प्रयोग किया है, जो निम्नलिखित अर्थों को प्रकट करता है –
(1) काला रंग – कोकिल, रात, टोपी, कंबल, लोहे की जंज़ीर।
(2) भयानकता – काली लहर, काली कल्पना, काली काल – कोठरी।
(3) अन्याय / क्रूरता – शासन की करनी, संकट – सागर।
(छ) कोकिल की कूक कवि को आशा व उत्साह का भाव और स्वर प्रदान करती थी, जिस कारण वह अपनी निराशा से मुक्ति पाता था। वह उसे प्रेरणा प्रदान करती थी। कवि को कोकिल का स्वर देशभक्ति में डूबा हुआ प्रतीत होता था, इसलिए उसने उसे ‘चमकीला गीत’ कहा है।
5. तुझे मिली हरियाली डाली,
मुझे नसीब कोठरी काली!
तेरा नभ-भर में संचार
मेरा दस फुट का संसार!
तेरे गीत कहावें वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी-मेरी,
बजा रही तिस पर रणभेरी!
इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूँ!
कोकिल बोलो तो!
शब्दार्थ : नसीब – भाग्य, प्राप्त होना। नभ – आकाश। गुनाह – अपराध। विषमता – कठिनाई। हुंकृति – हुँकार। कृति – रचना। मोहन – मोहनदास करमचंद गांधी अर्थात महात्मा गांधी। आसव – रस। कोकिल – कोयल।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘क्षितिज’ में संकलित कविता ‘कैदी और कोकिला’ से ली गई हैं, जिसके रचयिता श्री माखनलाल चतुर्वेदी हैं। कवि कारागार की पीड़ा से पीड़ित है। वह चाहकर भी अपने सुख-दुख को प्रकट नहीं कर पाता।
व्याख्या : कवि कहता है कि हे कोकिल, तुम्हें तो रहने के लिए पेड़ों की हरी-भरी शाखाएँ मिली हैं, पर मुझे यहाँ कारागार की काली कोठरी प्राप्त हुई है; जिसमें मैं बंद रहता हूँ। तुम सारे आकाश में उड़ती-फिरती हो; संचरण करती हो, पर मेरा संसार इस दस फुट की जेल की कोठरी तक सीमित रह गया है। जब तू कूकती है, तो लोग उसे मधुर गीत कहते हैं; जब मैं दुख में भरकर रोता हूँ, तो उसे भी गुनाह माना जाता है।
ज़रा तू अपनी और मेरी विषमता को देख। कितना बड़ा अंतर है हम दोनों में ! पर इस अवस्था में भी मैं निरुत्साहित नहीं हूँ। मेरा मन देश की आज़ादी के लिए रणभेरी बजा रहा है। मैं अपने मन में उत्पन्न होने वाली हुँकार पर अपनी रचना से और क्या प्रदान करूँ। अरी कोकिल ! मुझे बताओ कि मोहनदास करमचंद गांधी अर्थात महात्मा गांधी ने देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए जो व्रत लिया है, उसे मैं किसके प्राणों में रस रूप में भर दूँ। अरी कोकिल! तुम बोलो तो सही।
अर्थग्रहण एवं सौंदर्य सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर –
प्रश्न :
(क) कवि ने अपनी और कोकिल की अवस्थाओं में किस प्रकार तुलना की है ?
(ख) कवि का हृदय क्या कर रहा है ?
(ग) कवि ने किसके व्रत का पालन करने का निश्चय किया था ?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।
(ङ) कवि किस पीड़ा से पीड़ित है ?
(च) ‘नभ-भर का संचार’ से क्या आशय है ?
(छ) कवि के लिए ‘दस फुट का संसार’ क्या है ?
(ज) ‘मोहन का व्रत’ से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
(क) कवि कहता है कि कोकिल को रहने के लिए हरी-भरी शाखाएँ प्राप्त हुईं, तो उसे काली कोठरी मिली। कोकिल का संचरण सारे आकाश में होता है, तो कवि का संसार दस फुट की कोठरी है। कोकिल का कूकना गीत कहलाता है, तो कवि का रोना भी गुनाह है।
(ख) कवि का हृदय देश की आज़ादी का आह्वान करते हुए रणभेरी बजा रहा है।
(ग) कवि ने महात्मा गांधी द्वारा लिए गए आज़ादी के व्रत का पालन करने का निश्चय किया है।
(घ) कवि ने देश की आज़ादी के लिए उसी रास्ते को अपनाने का निश्चय किया था, जो महात्मा गांधी ने निर्धारित किया था। पंक्तियों में कवि ने सामान्य बोलचाल के शब्दों का प्रयोग किया है। लयात्मकता की सृष्टि हुई है। अभिधात्मकता ने कवि के कथन को सरलता – सरसता प्रदान की है। पदमैत्री और अनुप्रास का स्वाभाविक प्रयोग सराहनीय है। प्रसाद गुण विद्यमान है।
(ङ) कवि कारागार में बंद होने की पीड़ा से पीड़ित है। वह चाहकर भी अपना दुःख-सुख व्यक्त नहीं कर पाता।
(च) ‘नभ- भर का संचार’ से कवि का तात्पर्य स्वतंत्रता से है; खुले आकाश में विहार करने से है।
(छ) छोटी-सी काल कोठरी कवि के लिए ‘दस फुट का संसार’ है।
(ज) ‘मोहन का व्रत ‘ महात्मा गाँधी (मोहनदास करमचंद गाँधी ) के द्वारा स्वतंत्रता के लिए निरंतर अहिंसात्मक संघर्ष करते रहना है।
कैदी और कोकिला Summary in Hindi
कवि-परिचय :
गांधीवादी विचारधारा से गहरे प्रभावित श्री माखनलाल चतुर्वेदी देश की स्वतंत्रता से पूर्व युवा वर्ग में संघर्ष और बलिदान की भावना भरने में समर्थ कवि और प्रखर पत्रकार थे। इनका जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद ज़िले के बाबई गाँव में सन् 1889 ई० में हुआ। इनका बचपन आर्थिक अभावों में बीता था। जीवन के संघर्षों ने इनकी पत्नी को टी०बी० का शिकार बना दिया था। इन्हें केवल 16 वर्ष की अवस्था में ही शिक्षक बनना पड़ा था। बाद में इन्होंने अध्यापन का कार्य छोड़कर ‘प्रभा’ नामक पत्रिका का संपादन सँभाल लिया। इन्होंने ‘कर्मवीर’ और ‘प्रताप’ पत्रिकाओं का भी संपादन किया था। ‘कर्मवीर’ में राष्ट्रीय भावनाएँ भरी रहती थीं। इनका देहांत सन् 1968 में हुआ। श्री चतुर्वेदी की प्रमुख रचनाएँ हैं – हिम किरीटनी, साहित्य देवता, हिम तरंगिनी, वेणु लो गूँजे धरा, माता, युग चरण, मरण, ज्वार, बिजुली काजर आँज रही आदि। इनकी संपूर्ण रचनाएँ माखनलाल चतुर्वेदी ग्रंथावली के खंडों में संकलित हैं।
इनकी रचनाओं में ब्रिटिश राज्य के प्रति विद्रोह का भाव मुखरित हुआ है। भले ही इनका जीवन छायावादी युग में विकसित हुआ, पर इनका काव्य छायावाद से अलग रहा। इनके काव्य में राष्ट्रीय और सांस्कृतिक भावों की प्रमुखता है। इनमें स्वतंत्रता की चेतना के साथ देश के लिए त्याग और बलिदान की भावना प्रमुख है। इसलिए इन्हें ‘एक भारतीय आत्मा’ भी कहा जाता है। ‘पुष्प की अभिलाषा’ नामक कविता के माध्यम से इन्होंने राष्ट्र के प्रति त्याग और बलिदान की भावना को अभिव्यक्त किया है –
मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक।
श्री चतुर्वेदी स्वाधीनता आंदोलन के दौरान अनेक बार जेल गए थे। उन्होंने प्रेम, भक्ति-भाव और प्रकृति-संबंधी काव्य की रचना भी की थी। वे कष्टों को जीवन में आने वाला आवश्यक हिस्सा मानते थे। वे नवयुवकों को संकटों से जूझने की प्रेरणा देते थे और इसे ही सच्चा सौंदर्य मानते थे। वे नवयुवकों को मातृभूमि की पूजा के लिए स्वयं को अर्पित करने के लिए प्रेरित करते थे।
इन्होंने अपने काव्य की रचना खड़ी बोली में की। ये कविता में शिल्प की अपेक्षा भावों को महत्व देते थे। इन्होंने परंपरागत छंद योजना की थी। इन्होंने कविता में उर्दू और फ़ारसी शब्दावली का प्रयोग करने के साथ-साथ तत्सम शब्दावली का भी पर्याप्त प्रयोग किया था, पर फिर भी इन्हें बोलचाल के सामान्य शब्दों के प्रति विशेष मोह था जिस कारण इनकी भाषा जनसामान्य में प्रचलित हुई थी।
कविता का सार :
कवि ने यह कविता ब्रिटिश उपनिवेशवाद के शोषण- तंत्र का विश्लेषण करने हेतु लिखी थी। भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के साथ ब्रितानी शासन ने क्रूरता का व्यवहार करते हुए उन्हें दमन चक्र में पीस डालने का प्रयत्न किया था। उन्हें तरह-तरह की यातनाएँ दी थीं। कवि ने जेल में एकांकी और उदास जीवन व्यतीत करते हुए कोकिल (कोयल) से अपने हृदय की पीड़ा और असंतोष का भाव व्यक्त किया था।
कोकिल जब आधी रात में कूकती थी, तो कवि को प्रतीत होता था कि वह भी सारे देश को एक कारागार के रूप में देखने लगी है और मधुर गीत गाने के स्थान पर मुक्ति के लिए चीखने लगी है। कवि कोकिल से पूछता है कि वह बार-बार क्यों कूकती है ? वह किसका संदेश लाई है? देशभक्तों और स्वतंत्रता सेनानियों को डाकू, चोरों व बटमारों के लिए बनाई जेलों में बंदकर अंग्रेजों ने उन पर तरह-तरह के
अत्याचार ढाए हैं। क्या कोकिल भी स्वयं को कैदी अनुभव करती है? अंग्रेजों ने देशभक्तों को हथकड़ियों में जकड़ दिया था। उनसे बलपूर्वक मज़दूरों का कार्य लिया जाता था। कोयल काले रंग की थी, तो विदेशी शासन भी काला था। कवि की काल-कोठरी काली थी; टोपी काली थी; कंबल काला था और पहरेदारों की हुँकार भी नागों के समान काली थी। कवि का संसार बस दस फुट की कोठरी ही था, जहाँ उसका रोना भी गुनाह था। जेल में बस कष्ट-ही-कष्ट थे, पर फिर भी गांधीजी के आह्वान पर देश की स्वतंत्रता के लिए प्रयत्न तो करना ही था।