Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Solutions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया Textbook Exercise Questions and Answers
JAC Board Class 12 Political Science Solutions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया
Jharkhand Board Class 12 Political Science समकालीन दक्षिण एशिया InText Questions and Answers
पृष्ठ 66
प्रश्न 1.
दक्षिण एशिया के देशों की कुछ ऐसी विशेषताओं की पहचान करें जो इस क्षेत्र के देशों में तो समान रूप से लागू होती हैं परन्तु पश्चिम एशिया अथवा दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों पर लागू नहीं होतीं।
उत्तर:
दक्षिण एशिया के देशों में सद्भाव एवं शत्रुता, आशा व निराशा तथा पारस्परिक शंका और विश्वास साथ- साथ पाये जाते हैं जो पश्चिम एशिया अथवा दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में इस रूप में नहीं पाये जाते हैं।
पृष्ठ 69
प्रश्न 2.
सेना के जेनरल और पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में पाकिस्तान के शासक परवेज मुशर्रफ की दोहरी भूमिका की ओर यह कार्टून ( पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 69 ) संकेत करता है। कार्टून में दिए गए समीकरण को ध्यान से पढ़ें और कार्टून के संदेश को लिखें।
उत्तर:
इस कार्टून में सेना के जेनरल और पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में पाकिस्तान के शासक परवेज मुशर्रफ की दोहरी भूमिका की ओर संकेत करता है कि इस दोहरी भूमिका में मुख्य भूमिका सेना के जेनरल की ही है क्योंकि यदि राष्ट्रपति के पद से सेना के जेनरल के पद को घटा दिया जाये तो राष्ट्रपति की शक्ति शून्य रह जाती है और यदि सेना के जेनरल के पद पर रहते हुए मुशर्रफ राष्ट्रपति नहीं रहते हैं तो भी वे शक्ति सम्पन्न बने रहेंगे और जब मुशर्रफ दोनों पदों को धारण कर लेते हैं तो उनकी शक्ति दुगुनी हो जाती है। इससे स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान के प्रशासन में सेना का दबदबा है।
पृष्ठ 75
प्रश्न 3.
ऐसा क्यों है कि हर पड़ोसी देश को भारत से कुछ-न-कुछ परेशानी है? क्या हमारी विदेश नीति में कुछ गड़बड़ी है? या यह केवल हमारे बड़े होने के कारण है?
उत्तर:
इसका पहला कारण दक्षिण एशिया का भूगोल है जहाँ भारत बीच में स्थित है और बाकी देश भारत की सीमा के इर्द-गिर्द पड़ते हैं। दूसरे, दक्षिण एशिया के अन्य पड़ोसी देशों की तुलना में भारत काफी बड़ा है और वह शक्तिशाली है। इसकी वजह से अपेक्षाकृत छोटे देशों का भारत के इरादों को लेकर शक करना लाजिमी है। तीसरे, भारत नहीं चाहता कि उसके पड़ोसी देशों में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो। उसे भय लगता है कि ऐसी स्थिति में बाहरी ताकतों को इस क्षेत्र में प्रभाव जमाने में मदद मिलेगी। भारत इस अस्थिरता को रोकने के जो प्रयास करता हैं, उसमें छोटे देशों को लगता है कि भारत दक्षिण एशिया में दबदबा कायम करना चाहता है। चौथे, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन दक्षिण एशिया की राजनीति में जिस प्रकार अपनी भूमिका निभा रहे हैं, उससे भी भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच कड़वाहट पैदा होती रही है।
पृष्ठ 77
प्रश्न 4.
अगर अमरीका के बारे में लिखे गए अध्याय को ‘अमरीकी वर्चस्व’ का शीर्षक दिया गया तो इस अध्याय को भारतीय वर्चस्व क्यों नहीं कहा गया?
उत्तर:
अमरीका के बारे में लिखे गये अध्याय को ‘अमरीकी वर्चस्व’ का शीर्षक इसलिए दिया गया कि विश्व में इस समय अमेरिका ही एकमात्र महाशक्ति है। सैनिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्र में उसकी वर्चस्वकारी स्थिति है तथा आज सभी देश अमरीकी ताकत के समक्ष बेबस हैं। उसका व्यवहार असहनीय होने के बावजूद सहन करना पड़ रहा है और अन्य देश उसके इस असहनीय व्यवहार का प्रतिरोध भर कर सकते हैं।
यद्यपि दक्षिण एशिया में सैन्य, आर्थिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से भारत की शक्ति अन्य देशों की तुलना में प्रबल है, वर्चस्वकारी है, लेकिन भारत ने अपने इन पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में कभी हस्तक्षेप नहीं किया, बल्कि उनके साथ बराबरी का व्यवहार किया है। इसीलिए इस अध्याय को भारतीय वर्चस्व नहीं कहा गया है।
पृष्ठ 78
प्रश्न 5.
भारत और पाकिस्तान से लिए गए दो कार्टून ( पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 78 पर ) इस क्षेत्र में दिलचस्पी रखने वाले दो बाहरी खिलाड़ियों की भूमिका की व्याख्या करते हैं। ये बाहरी खिलाड़ी कौन हैं? क्या आपको इन दोनों के दृष्टिकोण में कुछ समानता दिखाई देती है?
उत्तर:
- ये दोनों कार्टून भारत तथा पाकिस्तान में दिलचस्पी रखने वाले दो बाहरी खिलाड़ियों की भूमिका की व्याख्या करते हैं
- ये बाहरी खिलाड़ी चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं।
- इन दोनों के दृष्टिकोण में समानता यह है कि दोनों इस क्षेत्र में दखल देकर अपना प्रभाव बनाए रखना चाहते हैं। दोनों ही भारत के विरुद्ध पाकिस्तान को आर्थिक तथा शस्त्रास्त्रों का सहयोग देकर उसे भारत के विरोध में खड़ा करने की शक्ति प्रदान करते रहे हैं।
पृष्ठ 78
प्रश्न 6.
लगता है हर संगठन व्यापार के लिए ही बनता है? क्या व्यापार लोगों के आपसी मेलजोल से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
विश्व के अधिकांश संगठन व्यापार के लिए ही बनाए गए हैं। इसलिए ऐसा लगता है कि हर संगठन व्यापार के लिए ही बनता है। यद्यपि व्यापार लोगों के आपसी मेलजोल से ज्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं है तथापि व्यापार के माध्यम से लोगों का आपसी मेल-जोल भी बढ़ता है, इसलिए इसका महत्त्व अधिक हो जाता है।
Jharkhand Board Class 12 Political Science समकालीन दक्षिण एशिया Text Book Questions and Answers
प्रश्न 1.
देशों की पहचान करें-
(क) राजतंत्र, लोकतंत्र – समर्थक समूहों और अतिवादियों के बीच संघर्ष के कारण राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बना।
उत्तर:
(क) नेपाल,
(ख) चारों तरफ भूमि से घिरा देश।
उत्तर:
(ख) नेपाल, भूटान
(ग) दक्षिण एशिया का वह देश जिसने सबसे पहले अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया।
उत्तर:
(ग) श्रीलंका,
(घ) सेना और लोकतंत्र – समर्थक समूहों के बीच संघर्ष में सेना ने लोकतंत्र के ऊपरी बाजी मारी।
उत्तर:
(घ) पाकिस्तान,
(ङ) दक्षिण एशिया के केंद्र में अवस्थित । इस देश की सीमाएँ दक्षिण एशिया के अधिकांश देशों से मिलती हैं।
उत्तर:
(ङ) भारत,
(च) पहले इस द्वीप में शासन की बागडोर सुल्तान के हाथ में थी । अब यह एक गणतंत्र है।
उत्तर:
(च) मालदीव,
(छ) ग्रामीण क्षेत्र में छोटी बचत और सहकारी ऋण की व्यवस्था के कारण इस देश को गरीबी कम करने में मदद मिली है।
उत्तर:
(छ) बांग्लादेश,
(ज) एक हिमालयी देश जहाँ संवैधानिक राजतंत्र है। यह देश भी हर तरफ से भूमि से घिरा है।
उत्तर:
(ज) भूटान।
प्रश्न 2.
दक्षिण एशिया के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन गलत है?
(क) दक्षिण एशिया में सिर्फ एक तरह की राजनीतिक प्रणाली चलती है।
(ख) बांग्लादेश और भारत ने नदी जल की हिस्सेदारी के बारे में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
(ग) ‘साफ्टा’ पर हस्ताक्षर इस्लामाबाद के 12वें सार्क सम्मेलन में हुए।
(घ) दक्षिण एशिया की राजनीति में चीन और संयुक्त राज्य अमरीका महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उत्तर:
(क) दक्षिण एशिया में सिर्फ एक तरह की राजनीतिक प्रणाली चलती है।
प्रश्न 3.
पाकिस्तान के लोकतंत्रीकरण में कौन-कौनसी कठिनाइयाँ हैं ?
अथवा
पाकिस्तान में लोकतंत्र के समक्ष चुनौतियों का वर्णन कीजिये।
अथवा
दक्षिण एशियायी देश पाकिस्तान लोकतान्त्रिक व्यवस्था को लगातार स्थापित क्यों नहीं रख सका? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पाकिस्तान निम्नलिखित कठिनाइयों के कारण प्रजातान्त्रिक व्यवस्था को लगातार स्थापित नहीं रख सका:
- सैनिक तानाशाही – पाकिस्तान में सदैव ही सेना का प्रभुत्व रहा है। वहाँ सैनिक तानाशाही ने लोकतंत्र के मार्ग में सर्वाधिक रुकावटें पैदा की हैं। पाकिस्तान और भारत के कड़वाहट भरे सम्बन्धों की आड़ में पाकिस्तानी सेना ने सदैव पाकिस्तान में अपना दबदबा बनाये रखा तथा किसी भी निर्वाचित सरकार को ठीक ढंग से काम नहीं करने दिया।
- लोकतंत्र के लिए अन्तर्राष्ट्रीय समर्थन का अभाव – पाकिस्तान में लोकतांत्रिक शासन चले – इसके लिये कोई खास अंतर्राष्ट्रीय समर्थन नहीं मिलता। अमरीका तथा अन्य पश्चिमी देशों ने अपने-अपने स्वार्थों से गुजरे वक्त में पाकिस्तान में सैनिक शासन को बढ़ावा दिया।
- धर्मगुरुओं एवं अभिजन का प्रभाव – पाकिस्तानी समाज में भू-स्वामी अभिजनों और धर्मगुरुओं का काफी प्रभुत्व रहता है। ये लोग सेना के शासन के पक्षधर रहे हैं।
प्रश्न 4.
नेपाल के लोग अपने देश में लोकतंत्र को बहाल करने में कैसे सफल हुए?
उत्तर:
एक मजबूत लोकतंत्र समर्थक आंदोलन से विवश होकर नेपाल के राजा ने 1990 में नये लोकतंत्र संविधान की मांग मान ली। लेकिन नेपाल में लोकतांत्रिक सरकारों का कार्यकाल बहुत छोटा और समस्याओं से भरा हुआ रहा। 1990 के दशक में ही राजा की सेना, लोकतंत्र समर्थकों और भाओवादियों के बीच त्रिकोणीय संघर्ष हुआ। 2002 में राजा ने संसद को भंग कर दिया और लोकतंत्र को समाप्त कर दिया। अप्रैल 2006 में यहाँ सात दलों के गठबंधन, माओवादी तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने देशव्यापी लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन किये और राजा ज्ञानेन्द्र ने बाध्य होकर संसद को बहाल किया। इस प्रकार नेपाल के लोग अपने देश में लोकतंत्र को बहाल करने में समर्थ हुए।
प्रश्न 5.
श्रीलंका के जातीय संघर्ष में किनकी भूमिका प्रमुख है?
उत्तर – श्रीलंका के जातीय संघर्ष में सिंहली – बहुसंख्यकवाद और तमिल – आतंकवाद दोनों की ही प्रमुख भूमिका रही है । श्रीलंका में सिंहली समुदाय बहुसंख्यक है जो अल्पसंख्यक तमिलों के खिलाफ है । सिंहली राष्ट्रवादियों का मानना था कि श्रीलंका में तमिलों के साथ कोई रियायत’ नहीं बरती जानी चाहिये क्योंकि श्रीलंका सिर्फ सिंहली लोगों का है। तमिलों के प्रति उपेक्षा भरे बरताव से एक उग्र तमिल राष्ट्रवाद की आवाज बुलंद हुई।
1983 के बाद से उग्र तमिल संगठन ‘लिबरेशन टाईगर्स ऑव तमिल ईलम’ (लिट्टे) ने ‘तमिल ईलम’ यानी’ श्रीलंका के तमिलों के लिये एक अलग देश की मांग की है। श्रीलंका के उत्तर-1 -पूर्वी हिस्से पर लिट्टे का नियंत्रण है। धीरे-धीरे श्रीलंका में जातीय संघर्ष तेज होने लगा और विस्फोटक तथा व्यापक हत्याएँ की जाने लगीं। भारत और श्रीलंका में इस जातीय संघर्ष समाप्त करने के लिए काफी प्रयास किये गये लेकिन सफलता प्राप्त नहीं हुई। लेकिन सन् 2009 में लिट्टे प्रमुख प्रभाकरन के सैनिक कार्यवाही में मारे जाने के पश्चात् यह समस्या समाधान के कगार पर है।
प्रश्न 6.
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल में क्या समझौते हुये?
उत्तर:
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल में निम्नलिखित समझौते हुये
- 2004 में श्रीनगर-मुजफ्फराबाद के बीच बस सेवा की शुरुआत पर दोनों देशों में सहमति बनी।
- भारत-पाक ने परस्पर आर्थिक समझौते किये।
- भारत-पाक ने साहित्य, कला एवं संस्कृति तथा खिलाड़ियों को वीजा देने के लिये आपस में समझौता किया।
- भारत-पाक युद्ध के खतरे को कम करने के लिये परस्पर विश्वास बहाली के उपायों पर सहमत हुये हैं।
- सन् 2005 में बम्बई और कराची में वाणिज्य दूतावास खोलने पर दोनों देशों में सहमति हुई।
प्रश्न 7.
ऐसे दो मसलों के नाम बताएँ जिन पर भारत-बांग्लादेश के बीच आपसी सहयोग है और इसी तरह दो ऐसे मसलों के नाम बताएँ जिन पर असहमति है।
उत्तर:
(1) सहयोग के मुद्दे-
(क) आपदा प्रबंधन और पर्यावरण के मुद्दे पर दोनों देशों ने निरंतर सहयोग किया है।
(ख) आर्थिक सम्बन्ध के क्षेत्र में दोनों देश परस्पर सहयोगी रहे हैं। बांग्लादेश भारत की ‘पूर्व की ओर देखो’ नीति का हिस्सा है।
(2) असहयोग के मुद्दे –
(क) भारतीय सेना को पूर्वोत्तर भारत में जाने के लिए अपने इलाके से रास्ता देने से बांग्लादेश का इन्कार।
(ख) गंगा, ब्रह्मपुत्र नदी के जल के बँटवारे की समस्या।
प्रश्न 8.
दक्षिण एशिया में द्विपक्षीय संबंधों को बाहरी शक्तियाँ कैसे प्रभावित करती हैं?
उत्तर:
चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों दक्षिण एशिया में द्विपक्षीय संबंधों को अत्यधिक प्रभावित करते हैं-
1. चीन की रणनीतिक साझेदारी पाकिस्तान के साथ है और यह भारत-चीन संबंधों में एक बड़ी कठिनाई है।
2. शीत युद्ध के बाद दक्षिण एशिया में अमरीकी प्रभाव तेजी से बढ़ा है। अमरीका ने शीत युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों से अपने संबंध बेहतर किये हैं। वह भारत-पाक के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है। उसके प्रभाव स्वरूप ही दोनों देशों में आर्थिक सुधार हुए हैं और उदार नीतियाँ अपनायी गयी हैं। इससे दक्षिण एशिया में अमरीकी भागीदारी ज्यादा गहरी हुई है। साथ ही इस क्षेत्र की सुरक्षा एवं शांति के भविष्य से अमेरिका के हित भी बंधे हुए हैं।
प्रश्न 9.
दक्षिण एशिया के देशों के बीच आर्थिक सहयोग की राह तैयार करने में दक्षेस (सार्क) की भूमिका और सीमाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। दक्षिण एशिया की बेहतरी में ‘दक्षेस’ (सार्क) ज्यादा बड़ी भूमिका निभा सके, इसके लिये आप क्या सुझाव देंगे?
उत्तर:
आर्थिक सहयोग की राह तैयार करने में सार्क की भूमिका दक्षिण एशिया के देशों में आर्थिक सहयोग की राह तैयार करने में दक्षेस की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। साफ्टा – दक्षेस के सदस्य देशों ने सन् 2002 में ‘दक्षिण एशियायी मुक्त व्यापार क्षेत्र – समझौता (SAFTA) हुआ। इस पर 2004 में हस्ताक्षर हुए तथा यह समझौता 1 जनवरी, 2006 से प्रभावी हो गया। इस समझौते का लक्ष्य है कि इन देशों के बीच आपसी व्यापार में लगने वाले सीमा शुल्क को 2007 तक 20 प्रतिशत कम कर दिया जाये।
अन्य कार्य – सार्क के देशों ने अपने शिखर सम्मेलनों में अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के विरुद्ध क्षेत्रीय कानूनी खाका तैयार करने, ऊर्जा व खाद्यान्न संकट की चुनौतियों का एकजुट होकर मुकाबला करने, क्षेत्र के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए व्यापक कार्य योजना बनाने तथा सुरक्षा, गरीबी, उन्मूलन व आपदा प्रबन्धन की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है।
- दक्षेस की सीमाएँ
- इस क्षेत्र के दो बड़े देशों भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण सम्बन्ध हैं।
- सार्क के कुछ देशों का मानना है कि साफ्टा के माध्यम से भारत यहाँ के बाजार को हस्तगत करना चाहता है तथा यहाँ की राजनीति को प्रभावित करना चाहता है।
- दक्षेस के देशों में दक्षिण एशियाई पहचान की कमी है। सार्क देशों की समस्याओं के कारण चीन तथा अमेरिका इस क्षेत्र की राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
- सार्क के अधिकांश देशों में आंतरिक अशान्ति और अस्थिरता और आतंकवाद इसके विकास के मार्ग में प्रमुख बाधा बने हुए हैं।
- सार्क की सफलता के लिए सुझाव
- भारत और पाक अपने राजनैतिक या सीमा सम्बन्धी विवादों को सार्क से दूर रखें।
- सार्क देशों को भारत पर विश्वास करना चाहिए।
- इन देशों में आन्तरिक शांति तथा स्थिरता की स्थापना हो।
- सार्क देशों को इस क्षेत्र से निरक्षरता, बेरोजगारी तथा गरीबी जैसी समस्याओं से निपटने पर एकजुट प्रयास करने पर बल देना चाहिए।
प्रश्न 10.
दक्षिण एशिया के देश एक-दूसरे पर अविश्वास करते हैं। इससे अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर यह क्षेत्र एकजुट होकर अपना प्रभाव नहीं जमा पाता इस कथन की पुष्टि में कोई भी दो उदाहरण दें और दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के लिए उपाय सुझाएँ।
उत्तर:
दक्षिण एशिया के देश एक-दूसरे पर अविश्वास करते हैं जिसके कारण ये देश अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर एक स्वर में नहीं बोल पाते और इस कारण यह क्षेत्र वहाँ एकजुट होकर अपना प्रभाव नहीं जमा पाता उदाहरण के लिए-
- अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत और पाक के विचार सदैव एक-दूसरे के विपरीत होते हैं।
- दक्षेस के अन्य सदस्य देशों को हमेशा यह डर सताता रहता है कि भारत कहीं बड़े होने का दबाव हम पर न बनाए।
दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के उपाय – यदि हम दक्षिण एशिया को मजबूत बनाना चाहते हैं तो इसके लिए यह आवश्यक है कि;
- सभी देश आपस में एक-दूसरे पर विश्वास करें।
- सभी देशों को दक्षेस के मंच पर परस्पर के विवादों को अलग रखते हुए व्यापारिक, सामाजिक-सांस्कृतिक सहयोग की दिशा में सार्थक पहल करनी चाहिए।
- ये मिलकर वार्ता द्वारा अपनी समस्याओं के समाधान की दिशा में पहल करें।
- बाहरी शक्तियों के हस्तक्षेप पर रोक लगाएं।
प्रश्न 11.
दक्षिण एशिया के देश भारत को एक बाहुबली समझते हैं जो इस क्षेत्र के छोटे देशों पर अपना दबदबा जमाना चाहता है और उनके अंदरूनी मामलों में दखल देता है। इन देशों की ऐसी सोच के लिये कौन-कौन सी बातें जिम्मेदार हैं?
उत्तर:
दक्षिण एशिया के देश भारत को एक बाहुबली समझते हैं जो इस क्षेत्र के छोटे देशों पर अपना दबदबा जमाना चाहता है और उनके अंदरूनी मामलों में दखल देता है। इन देशों की ऐसी सोच के लिए निम्नलिखित बातें जिम्मेदार हैं-
1. भारत का आकार बड़ा है और वह दक्षिण एशिया का सर्वाधिक शक्तिशाली परमाणु एवं सैनिक शक्ति सम्पन्न देश है। इसकी वजह से अपेक्षाकृत छोटे देशों का भारत के इरादों को लेकर शक करना लाजिमी है।
2. भारत नहीं चाहता कि इन देशों में राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो। उसे भय लगता है कि ऐसी स्थिति में बाहरी ताकतों को इस क्षेत्र में प्रभाव जमाने में मदद मिलेगी। इससे छोटे देशों को लगता है कि भारत दक्षिण एशिया में अपना दबदबा कायम करना चाहता है।
3. दक्षिण एशिया का भूगोल ही ऐसा है कि भारत इसमें बीच में स्थित है और बाकी देश भारत की सीमा के इर्द-गिर्द पड़ते हैं।
4. भारत विश्व की तेजी से उभरती आर्थिक व्यवस्था है। भारत जब ‘साफ्टा’ के द्वारा दक्षेस के देशों में मुक्त व्यापार नीति अपनाने पर बल देता है तो कुछ छोटे देश मानते हैं कि ‘साफ्टा’ की ओट लेकर भारत उनके बाजार में सेंध मारना चाहता है और व्यावसायिक उद्यम तथा व्यावसायिक मौजूदगी के जरिये उनके समाज और राजनीति पर असर डालना चाहता है।
समकालीन दक्षिण एशिया JAC Class 12 Political Science Notes
→ परिचय:
बीसवीं सदी के आखिरी सालों में जब भारत और पाकिस्तान ने युद्ध को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्रों की बिरादरी में बैठा लिया तो यह क्षेत्र पूरे विश्व की नजर में महत्त्वपूर्ण हो उठा। इस क्षेत्र के देशों के बीच सीमा और नदी जल को लेकर विवाद कायम है। इसके अतिरिक्त विद्रोह, जातीय संघर्ष और संसाधनों के बँटवारे को लेकर होने वाले झगड़े भी हैं। इन वजहों से दक्षिण एशिया का इलाका बड़ा संवेदनशील है। इस इलाके के बहुत से लोग इस तथ्य की निशानदेही करते हैं कि दक्षिण एशिया के देश आपस में सहयोग करें यह क्षेत्र विकास करके समृद्ध बन सकता है। क्या है दक्षिण एशिया?
1. प्राय: बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका को इंगित करने के लिए ‘दक्षिण एशिया’ पद का व्यवहार किया जाता है।
2. उत्तर की विशाल हिमालय पर्वत श्रृंखला, दक्षिण का हिंद महासागर, पश्चिम का अरब सागर और पूर्व में बंगाल की खाड़ी से यह क्षेत्र एक विशिष्ट प्राकृतिक क्षेत्र के रूप में नजर आता है। यह भौगोलिक विशिष्टता ही इस उप-महाद्वीपीय क्षेत्र के भाषाई, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अनूठेपन के लिए जिम्मेदार है। भू राजनैतिक धरातल पर दक्षिण एशिया एक क्षेत्र विशेष है, लेकिन यह विविधताओं से भरा क्षेत्र है।
→ दक्षिण एशिया में राजनैतिक प्रणाली- दक्षिण एशिया के विभिन्न देशों में एक-सी राजनीतिक प्रणाली नहीं है।
- भारत और श्रीलंका में स्वतंत्रता के बाद से लोकतांत्रिक व्यवस्था सफलतापूर्वक कायम है।
- पाकिस्तान और बांग्लादेश में लोकतांत्रिक और सैनिक दोनों तरह के नेताओं का शासन रहा है।
- भूटान में वर्तमान में राजतंत्र है, लेकिन यहाँ बहुदलीय लोकतंत्र की स्थापना की दिशा में आगे बढ़ा जा रहा है।
- मालदीव में 1968 तक सल्तनत का शासन था। 1968 के बाद यहाँ लोकतांत्रिक गणराज्य बना और अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली अपनायी गयी है।
- नेपाल में 2006 तक संवैधानिक राजतंत्र था, लेकिन अप्रेल, 2006 में एक सफल जन विद्रोह के बाद यहाँ लोकतंत्र की बहाली हुई है।
इस प्रकार दक्षिण एशिया में लोकतंत्र का रिकार्ड मिला-जुला रहा है। इसके बावजूद दक्षिण एशियायी देशों की जनता लोकतंत्र की आकांक्षाओं में सहभागी है। इन देशों के लोग शासन की किसी और प्रणाली की अपेक्षा लोकतंत्र को वरीयता देते हैं।
दक्षिण एशिया का घटनाक्रम ( 1947 से )
→ 1947: ब्रिटिश राज की समाप्ति के बाद भारत और पाकिस्तान का स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उदय।
→ 1948: श्रीलंका (तत्कालीन सिलोन) को आजादी मिली; कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई।
→ 1954-55: पाकिस्तान शीतयुद्धकालीन सैन्य गुट ‘सिएटो’ और ‘सेंटो’ में शामिल हुआ।
→ सितम्बर, 1960: भारत और पाकिस्तान ने सिंधु नदी जल समझौते पर हस्ताक्षर किए।
→ 1962: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद।
→ 1965: भारत-पाक युद्ध; संयुक्त राष्ट्रसंघ का भारत – पाक पर्यवेक्षण मिशन।
→ 1966: भारत और पाकिस्तान के बीच ताशकंद समझौता शेख मुजीबुर्रहमान ने पूर्वी पाकिस्तान को ज्यादा स्वायत्तता देने के लिए छ: सूत्री प्रस्ताव रखा।
→ मार्च, 1971: बांग्लादेश के नेताओं द्वारा आजादी की उद्घोषणा।
→ अगस्त, 1971: भारत और सोवियत संघ ने 20 सालों के लिए मैत्री संधि पर दस्तखत किए।
→ दिसंबर, 1971: भारत-पाक युद्ध; बांग्लादेश की मुक्ति।
→ जुलाई, 1972: भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता।
→ मई, 1974: भारत ने परमाणु परीक्षण किए।
→ 1976: पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच कूटनयिक संबंध बहाल हुए।
→ दिसम्बर, 1985: ‘दक्षेस’ के पहले सम्मेलन में दक्षिण एशिया के देशों ने ‘दक्षेस’ के घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए।
→ 1987: भारत-श्रीलंका समझौता; भारतीय शांति सेना का श्रीलंका में अभियान (1987-90)।
→ 1988: मालदीव में भाड़े के सैनिकों द्वारा किए गए षड्यन्त्र को नाकाम करने के लिए भारत ने वहाँ सेना भेजी। भारत और पाकिस्तान के बीच एक-दूसरे के परमाणु ठिकानों और सुविधाओं पर हमला न करने के समझौते पर हस्ताक्षर हुए।
→ 1988-91: पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में लोकतंत्र की बहाली।
→ 1993: ‘दक्षेस’ के सातवें सम्मेलन में आपसी व्यापार में दक्षेस के देशों को वरीयता देने की संधि पर हस्ताक्षर।
→ दिसम्बर, 1996: गंगा नदी के पानी में हिस्सेदारी के मसले पर भारत और बांग्लादेश के बीच फरक्का संधि पर हस्ताक्षर हुए।
→ मई, 1998: भारत और पाकिस्तान ने परमाणु परीक्षण किए।
→ दिसंबर, 1998: भारत और पाकिस्तान ने मुक्त व्यापार संधि पर हस्ताक्षर किए।
→ फरवरी, 1999: भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बस – यात्रा करके लाहौर गए तथा शांति के एक घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किए।
→ जून – जुलाई, 1999: भारत और पाकिस्तान के बीच करगिल – युद्ध।
→ जुलाई 2001: वाजपेयी – मुशर्रफ के बीच आगरा – बैठक असफल।
→ फरवरी 2004: 12वें दक्षेस सम्मेलन में ‘मुक्त व्यापार संधि’ पर हस्ताक्षर हुए।
→ 2007: अफगानिस्तान दक्षेस का सदस्य बना।
→ नवम्बर, 2014: 8वां दक्षेस सम्मेलन काठमांडू, नेपाल में हुआ।
→ पाकिस्तान में सेना और लोकतंत्र:
→ 14 अगस्त, 1947 को भारतीय उपमहाद्वीप का विभाजन करके पाकिस्तान की स्थापना हुई स्थापना के समय पाकिस्तान दो खंडों में विभाजित था, जिसे पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था।
→ मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मुहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के प्रथम गवर्नर जनरल बने और लियाकत अली खाँ ने प्रधानमंत्री का पद संभाला। जिन्ना की मृत्यु के पश्चात् शासन की बागडोर लियाकत अली खाँ के हाथों में आ गई। लियाकत अली खाँ की हत्या के बाद ख्वाजा निजामुद्दीन को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त किया गया। 1953 निजामुद्दीन का मंत्रिमंडल भंग कर दिया और मुहम्मद अली को प्रधानमंत्री बनाया गया।
→ पाकिस्तान में पहले संविधान के बनने के बाद देश के शासन की बागडोर जनरल अयूब खान ने अपने हाथों में ले ली और जल्दी ही अपना निर्वाचन भी करा लिया। परन्तु उनके शासन के खिलाफ जनता का गुस्सा भड़का फलस्वरूप सैनिक शासन का रास्ता साफ हुआ और याहिया खान ने शासन की बागडोर संभाली।
→ याहिया खान के शासनकाल में पाकिस्तान को बांग्ला देश संकट का सामना करना पड़ा और 1971 को भारत-पाक के बीच युद्ध हुआ और युद्ध के दौरान पूर्वी पाकिस्तान पाकिस्तान से टूटकर एक अलग देश- बांग्लादेश का निर्माण हुआ।
→ बांग्लादेश के निर्माण के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो के नेतृत्व में पाकिस्तान में निर्वाचित सरकार बनी जो 1977 तक कायम रही।
→ 1977 में जनरल जियाउल हक ने इस सरकार को अपदस्थ कर दिया 1982 के बाद जनरल जियाउल – हक को लोकतंत्र – समर्थक आंदोलन का सामना करना पड़ा। परिणामस्वरूप 1988 में पुनः बेनजीर भुट्टो के नेतृत्व में लोकतांत्रिक सरकार बनी। निर्वाचित लोकतंत्र की यह अवस्था 1999 तक बनी रही।
→ 1999 में फिर सेना ने दखल दी तथा सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पदच्युत करके सत्ता संभाल ली। 2001 में मुशर्रफ ने राष्ट्रपति के रूप में अपना निर्वाचन करा लिया।
→ 2008 में पाकिस्तान में चुनाव हुए जिसमें पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को बहुमत प्राप्त हुआ। वर्तमान में पाकिस्तान में लोकतंत्रीय शासन है जिसमें नवाज शरीफ प्रधानमंत्री हैं।
→ पाकिस्तान में लोकतंत्र के स्थायी न बन पाने के कई कारण हैं। यथा-
- यहाँ सेना, धर्मगुरु और भू-स्वामी अभिजनों का दबदबा है।
- पाकिस्तान की भारत के साथ तनातनी के कारण यहाँ सेना समर्थक समूह ज्यादा मजबूत है।
- पाकिस्तान में लोकतांत्रिक शासन चले इसके लिए कोई खास अन्तर्राष्ट्रीय समर्थन नहीं मिलता।
- अमरीका तथा अन्य पश्चिमी देशों ने अपने निहित स्वार्थों की सिद्धि के लिए पाकिस्तान में सैनिक शासन को बढ़ावा दिया है।
→ बांग्लादेश में लोकतंत्र
- 1947 से 1971 तक बांग्लादेश पाकिस्तान का अंग था।
- 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के लोगों के आजादी के आंदोलन तथा भारत – पाक युद्ध के कारण स्वतंत्र राष्ट्र ‘बांग्लादेश’ का निर्माण हुआ।
- 1971 में बांग्लादेश ने अपना संविधान बनाकर उसमें अपने को एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक तथा समाजवादी देश घोषित किया।
- 1975 में शेख मुजीब ने संविधान में संशोधन कराकर उसे अध्यक्षात्मक प्रणाली का रूप दिया तथा अवामी पार्टी को छोड़कर अन्य पार्टियों को समाप्त कर दिया। इससे तनाव व संघर्ष की स्थिति पैदा हुई तथा एक त्रासद घटनाक्रम में शेख मुजीब सेना के हाथों मारे गये।
- 1975 में सैनिक शासक जियाउर्रहमान ने बांग्लादेश नेशनल पार्टी बनायी और 1979 के चुनाव में विजयी रही। लेकिन जियाउर्रहमान की हत्या हुई और एच. एम. इरशाद के नेतृत्व में एक सैनिक शासन ने बागडोर संभाली। वे 1990 तक सत्ता में बने रहे।
- 1991 में चुनाव हुए। इसके बाद से बांग्लादेश में बहुदलीय चुनावों पर आधारित प्रतिनिधिमूलक लोकतंत्र कायम है।
→ नेपाल में राजतंत्र और लोकतंत्र
- नेपाल अतीत में एक हिन्दू राज्य था।
- आधुनिक काल में 1990 तक यहाँ संवैधानिक राजतंत्र रहा।
- एक मजबूत लोकतंत्र – समर्थक आंदोलन के कारण राजा ने 1990 में नये लोकतांत्रिक संविधान की माँग मान ली । लेकिन नेपाल में लोकतांत्रिक सरकारों का कार्यकाल बहुत छोटा रहा।
- 1990 के दशक में नेपाल में राजा की सेना, लोकतंत्र – समर्थकों और माओवादियों के बीच त्रिकोणात्मक संघर्ष हुआ। फलस्वरूप 2002 में राजा ने संसद को भंग कर लोकतंत्र को समाप्त कर दिया।
- अप्रैल, 2006 में यहाँ देशव्यापी लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन हुए। अहिंसक रहे इस आंदोलन का नेतृत्व सात दलों के गठबंधन, माओवादी तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं ने किया और पुनः नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना हुई है। माओवादी और कुछ अन्य राजनीतिक समूह भारत की सरकार और नेपाल के भविष्य में भारतीय सरकार की भूमिका को लेकर बहुत शंकित थे। 2008 में नेपाल राजतंत्र को खत्म करने के बाद लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। 2015 में नेपाल ने नया संविधान अपनाया।
→ श्रीलंका में जातीय संघर्ष और लोकतंत्र
- स्वतंत्रता (1948) के बाद से लेकर अब तक श्रीलंका में लोकतंत्र कायम है।
- श्रीलंका को जातीय संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है जिसकी मांग है- श्रीलंका के एक क्षेत्र को तमिलों के लिए एक अलग राष्ट्र बनाया जाये।
- श्रीलंका की राजनीति में बहुसंख्यक सिंहली समुदाय का दबदबा रहा है। इन लोगों का मानना है कि श्रीलंका सिर्फ सिंहली लोगों का है। अतः तमिलों के साथ कोई रियायत नहीं बरती जाये।
- सिंहलियों के इस उपेक्षा भरे व्यवहार की प्रतिक्रिया में श्रीलंका में उग्र तमिल राष्ट्रवाद की आवाज बुलंद हुई। 1983 के बाद से उग्र तमिल संगठन ‘लिबरेशन टाइगर्स ऑव तमिल ईलम’ (लिट्टे) ने श्रीलंका की सेना के साथ सशस्त्र संघर्ष प्रारंभ कर दिया।
- श्रीलंका के इस संकट का हिंसक चरित्र बरकरार है। वर्तमान में अन्तर्राष्ट्रीय मध्यस्थ के रूप में नार्वे और आइसलैंड जैसे देश दोनों पक्षों को आपस में बातचीत के लिए राजी कर रहे हैं। श्रीलंका का भविष्य इन्हीं वार्ताओं पर निर्भर है।
- अंदरूनी संघर्ष के झंझावातों को झेलकर भी श्रीलंका ने लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था कायम रखी है।
→ भारत-पाकिस्तान संघर्ष
→ विभाजन के तुरन्त बाद भारत और पाकिस्तान दोनों देश कश्मीर के मुद्दे पर लड़ पड़े पाकिस्तान सरकार का दावा था कि कश्मीर पाकिस्तान का है।
भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर के मुद्दे पर पहले 1947-48 में युद्ध हुआ और फिर 1965 में। लेकिन युद्ध से इसका समाधान नहीं हुआ। युद्ध से कश्मीर के दो भाग हो गए एक भाग पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर कहलाया और दूसरा हिस्सा भारत का जम्मू-कश्मीर प्रान्त बना। दोनों के बीच एक नियंत्रण – सीमा रेखा है।
→ सामरिक मसलों, जैसे- सियाचिन ग्लेशियर पर नियंत्रण तथा हथियारों की होड़ को लेकर दोनों देशों के बीच तनातनी रहती है ।
→ दोनों देशों की सरकारें लगातार एक-दूसरे को संदेह की नजरों से देखती हैं।
→ दोनों के बीच नदी जल बँटवारे के सवाल पर भी तनातनी हुई है।
→ कच्छ के रन में सरक्रिक की सीमा रेखा को लेकर दोनों देशों के बीच मतभेद हैं।
→ भारत और पाक के बीच इन सभी मसलों पर वार्ताओं के दौर चल रहे हैं।
→ भारत तथा बांग्लादेश सम्बन्ध-
- बांग्लादेश और भारत के बीच गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी के जल में हिस्सेदारी सहित कई मुद्दों पर मतभेद हैं।
- भारत में बांग्लादेशी शरणार्थियों के अवैध आप्रवास, भारत-विरोधी इस्लामी कट्टरपंथी जमातों को समर्थन, म्यांमार को बांग्लादेशी क्षेत्र से होकर भारत को प्राकृतिक गैस निर्यात न करने देने आदि मुद्दों पर दोनों में मतभेद हैं।
- भारत-बांग्लादेश के सहयोग के क्षेत्र हैं आर्थिक सम्बन्धों में सुधार, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण के मुद्दे पर दोनों में सहयोग।
→ भारत तथा नेपाल सम्बन्ध-
- भारत और नेपाल के बीच मधुर सम्बन्ध हैं। दोनों देशों के नागरिक एक-दूसरे के देश में बिना पासपोर्ट और वीजा के आ-जा सकते हैं और काम कर सकते हैं।
- नेपाल की चीन के साथ बढ़ती दोस्ती को लेकर भारत ने अपनी अप्रसन्नता बताई है। वह भारत – विरोधी तत्वों के प्रति कठोर कदम नहीं उठाता। नेपाल में माओवाद के बढ़ने से भारत के नक्सलवाद को बढ़ावा मिलता है
- नेपाल सरकार भारत के अंदरूनी मामलों में दखल देने, नदी- जल, पन- बिजली आदि मुद्दों पर भारत से नाराज है।
- विभेदों के बावजूद दोनों देश व्यापार, वैज्ञानिक सहयोग, साझे प्राकृतिक संसाधन, बिजली उत्पादन, जल प्रबंधन के मसले पर सहयोग कर रहे हैं।
भारत तथा श्रीलंका सम्बन्ध-
→ श्रीलंका और भारत की सरकारों के सम्बन्धों में तनाव इस द्वीप में जारी जातीय संघर्ष को लेकर है।
→ 1987 के बाद से भारत सरकार श्रीलंका के मामले में असंलग्नता की नीति अपनाये हुए है।
→ दोनों ने एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर व्यापारिक सम्बन्धों को सुदृढ़ किया है। भारत-भूटान – भारत तथा भूटान के बीच बहुत अच्छे सम्बन्ध हैं। भारत- मालदीव – भारत और मालदीव के साथ भी भारत के सौहार्द्रपूर्ण सम्बन्ध हैं। दक्षिण एशिया में भारत केन्द्र में स्थित है और अन्य देश भारत की सीमा के इर्द-गिर्द पड़ते हैं। इसलिए इस क्षेत्र में सभी बड़े झगड़े भारत और उसके पड़ौसी देशों के बीच हैं।
→ दक्षिण एशिया में शांति और सहयोग
दक्षिण एशिया के देश आपस में दोस्ताना रिश्ते तथा सहयोग के महत्त्व को पहचानते हैं। यथा-
- इस क्षेत्र में शांति के प्रयास द्विपक्षीय भी हुए हैं और क्षेत्रीय स्तर पर भी।
- दक्षेस (सार्क) इन देशों का आपस में सहयोग की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है। दक्षेस ने इस क्षेत्र में मुक्त व्यापार हेतु साफ्टा समझौता किया है।
- भारत ने भूटान, नेपाल, श्रीलंका से द्विपक्षीय व्यापार समझौते किये हैं।
- भारत-पाकिस्तान के बीच वार्ताओं के दौर जारी हैं। पिछले कुछ वर्षों से दोनों देशों के पंजाब वाले हिस्से के बीच कई बस मार्ग खुले हैं।
- पिछले दस वर्षों से भारत-चीन के सम्बन्ध बेहतर हुए हैं।
- अमेरिका, भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है।
- भारत और अमरीका के बीच शीत युद्ध की समाप्ति के बाद सम्बन्धों में निकटता आई है।