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JAC Board Class 9 Maths Notes Chapter 5 युक्लिड के ज्यामिति का परिचय
प्रस्तावना : शब्द ज्यामिति (geometry) यूनानी भाषा के दो शब्दों ‘जियो’ (geo) और ‘मेट्रन’ (metrein) से मिलकर बना है। जियो का अर्थ है ‘पृथ्वी’ और मेटून का अर्थ है ‘मापना’ अर्थात् ज्यामिति का उदय भूमि मापने की आवश्यकता के कारण हुआ होना प्रतीत होता है।
→ यद्यपि यूक्लिड ने ज्यामिति के बिन्दु, रेखा और तल को अपने शब्दों में परिभाषित किया था, परन्तु गणितज्ञों ने इन परिभाषाओं को आज तक पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया है। इसलिए ज्यामिति में इन्हें अपरिभाषित पदों के रूप में ही लिया जाता है।
बिन्दु-रेखा-पृष्ठ पर यूक्लिड की परिभाषाएँ :
- बिन्दु (Point) वह है जिसका कोई भाग नहीं होता।
- रेखा (Line) चौड़ाई रहित लम्बाई होती है।
- किसी रेखा के अन्तिम सिरे बिन्दु होते हैं ।
- सीधी रेखा (Straight line) ऐसी रेखा है जो स्वयं पर बिन्दुओं के साथ सपाट रूप से स्थित होती है।
- पृष्ठ (Surface) वह है जिसकी केवल लम्बाई और चौड़ाई होती है।
- प्रत्येक पृष्ठ के किनारे (edges) रेखाएँ होती हैं।
- समतल पृष्ठ (Plane Surface) स्वयं पर सीधी रेखाओं के साथ सपाट रूप से स्थित होता है।
→ अभिगृहीत और अभिधारणाएँ ऐसी कल्पनाएँ हैं जो स्पष्टतः सार्वभौमिक सत्य होती हैं। इन्हें सिद्ध नहीं किया जाता है।
→ यूक्लिड के कुछ अभिगृहीत :
- वे वस्तुएँ, जो किसी अन्य वस्तु के बराबर हों, आपस में भी बराबर होती हैं।
- यदि भिन्न-भिन्न प्रकृति की समान वस्तुओं को अलग-अलग जोड़ा जाये, तो उनके योग भी बराबर होते हैं।
- यदि बराबर वस्तुओं में से एक दूसरे को घटाया जाये, तो शेषफल भी बराबर होते हैं।
- वे वस्तुएँ जो संपाती होती हैं, एक-दूसरे के बराबर होती हैं।
- पूर्ण अपने किसी भी भाग से बड़ा होता है।
- बराबर वस्तुओं के दुगुने भी परस्पर बराबर होते हैं।
- किसी वस्तु के आधे भाग परस्पर बराबर होते हैं।
→ यूक्लिड की अभिधारणाएँ :
अभिधारणा 1. एक बिन्दु से एक अन्य बिन्दु तक एक रेखा खींची जा सकती है।
अभिधारणा 2. एक सांत रेखा को अनिश्चित रूप से बढ़ाया जा सकता है।
अभिधारणा 3. किसी बिन्दु को केन्द्र मानकर समान त्रिज्या से केवल एक वृत्त खींचा जा सकता है।
अभिधारणा 4. सभी समकोण एक-दूसरे के बराबर होते हैं।
अभिधारणा 5. यदि एक सीधी रेखा दो सीधी रेखाओं पर गिरकर अपने एक ही ओर दो अंत: कोण इस प्रकार बनाए कि इन दोनों कोणों का योग मिलकर दो समकोणों से कम हो, तो वे दोनों सीधी रेखाएँ अनिश्चित रूप से बढ़ाये जाने पर उसी ओर मिलती हैं जिस ओर यह योग दो समकोणों से कम होता है।