JAC Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

Jharkhand Board JAC Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1. आगस्टस कौन था?
(अ) रोम का सेनापति
(ब) बिशप
(स) प्रधानमन्त्री
(द) रोम का प्रथम सम्राट्।
उत्तर:
(द) रोम का प्रथम सम्राट्।

2. किस रोमन सम्राट ने भारत की विजय का स्वप्न देखा था –
(अ) आगस्टस
(ब) टिबेरियस
(स) त्राजान
(द) कान्स्टैन्टाइन।
उत्तर:
(स) त्राजान

3. सैनेट में किसका बोलबाला था ?
(अ) सेना का
(ब) पुरोहितों का
(स) अभिजात वर्ग का
(द) श्रमिकों का।
उत्तर:
(स) अभिजात वर्ग का

4. सेन्ट आगस्टीन कौन थे?
(अ) रोम के पोप
(ब) उत्तरी अफ्रीका के हिप्पो नगर के बिशप
(स) ईसाई धर्म का प्रचारक
(द) चर्च के पादरी।
उत्तर:
(ब) उत्तरी अफ्रीका के हिप्पो नगर के बिशप

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5. सबसे बढ़िया अंगूरी शराब के लिए कौनसा प्रदेश प्रसिद्ध था –
(अ) कैम्पैनिया
(ब) इटली
(स) सिसली
(द) स्पेन।
उत्तर:
(अ) कैम्पैनिया

6. दास-समूहों के प्रयोग की निन्दा करने वाले इतिहासकार थे –
(अ) हेरोडोटस
(ब) टिसीटस
(स) वरिष्ठ प्लिनी
(द) होमर।
उत्तर:
(स) वरिष्ठ प्लिनी

7. वह कौनसा नगर था जो 79 ई. में ज्वालामुखी फटने से दफन हो गया था?
(अ) ऐडेसा
(ब) पोम्पेई
(स) सिकन्दरिया
(द) रोम।
उत्तर:
(ब) पोम्पेई

8. किस रोमन सम्राट का शासन काल शान्ति के लिए याद किया जाता है –
(अ) टिबेरियस
(ब) आगस्टस
(स) कान्स्टैन्टाइन
(द) त्राजान।
उत्तर:
(ब) आगस्टस

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रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

1. रोम साम्राज्य में स्त्रियों की …………….. स्थिति काफी सुदृढ़ थी।
2. रोम साम्राज्य की अर्थव्यवस्था बहुत कुछ …………….. के बल पर चलती थी।
3. ईसा मसीह के जन्म से लेकर 630 ई. के दशक तक की अवधि में यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व तक के क्षेत्र में दो सशक्त, …………….. और …………….. के साम्राज्यों का शासक था।
4. प्रथम सम्राट, ऑगस्टस ने 27 ई. पू. जो राज्य स्थापित किया उसे …………….. कहा जाता था।
5. सत्ता का सहज परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए ऑंगस्टस ने ……………..
उत्तर:
1. कानूनी
2. दास श्रम
3. रोग, ईरान
4. प्रिंसपेट
5. टिबेरियस

निम्नलिखित में से सत्य / असत्य कथन छौंटिये –

1. ऑगस्टस का शासन काल शान्ति के लिए याद किया जाता है।
2. रोमन साम्राज्य के प्रारंभिक विस्तार में एकमात्र अभियान सम्राट ट्वेिरियस ने 113-117 ईस्वी में चलाया।
3. इटली के सिवाय, रोमन साम्राज्य के सभी क्षेत्र प्रान्तों में बंटे हुए थे।
4. प्रथम शताब्दी में रोम साम्राज्य को बेहद तनाव की स्थिति से गुजरना पड़ा।
5. रोमन साम्राज्य के काल में स्पेन की सोने और चांदी की खानों में जल- शक्ति से खुदाई की जाती थी।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य
3. सत्य
4. असत्य
5. सत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये –

1. एम्फ (अ) स्पेन में उत्पादित जैतून के तेल के कंटेनर
2. ड्रेसल – 20 (ब) ओवन आकार की झोंपड़ियां
3. मैपालिया (स) स्पेन की पहाड़ियों की चोटियों पर बसे गाँव
4. केस्टोला (द) निम्नतर वर्ग
5. हयूमिलिओरिस (य) मटके या कंटेनर

उत्तर:

1. एम्फोरा (य) मटके या कंटेनर
2. ड्रेसल – 20 (अ) स्पेन में उत्पादित जैतून के तेल के कंटेनर
3. मैपालिया (ब) ओवन आकार की झोंपड़ियां
4. केस्टोला (स) स्पेन की पहाड़ियों की चोटियों पर बसे गाँव
5. ह्यूमिलिओरिस (द) निम्नतर वर्ग

 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रोमन साम्राज्य को किन दो भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
(1) पूर्ववर्ती साम्राज्य तथा
(2) परवर्ती साम्राज्य।

प्रश्न 2.
रोम में गणतन्त्र की अवधि क्या थी?
उत्तर;
509 ई. पूर्व से 27 ई. पूर्व तक।

प्रश्न 3.
आगस्टस कौन था ?
उत्तर:
आगस्टस रोम का प्रथम सम्राट था।

प्रश्न 4.
रोमन साम्राज्य के राजनीतिक इतिहास में तीन प्रमुख खिलाड़ी कौन थे ?
उत्तर:

  • सम्राट
  • सैनेट
  • सेना।

प्रश्न 5.
रोम में गृह-युद्ध कब हुआ था?
उत्तर:
रोम में गृह-युद्ध 66 ई. में हुआ था।

प्रश्न 6.
रोम के शहरी जीवन की एक प्रमुख विशेषता बताइये।
उत्तर:
सार्वजनिक स्नान गृह।

प्रश्न 7.
रोम में किस प्रकार के परिवार का व्यापक रूप से चलन था ?
उत्तर:
रोम में एकल परिवार का व्यापक रूप से चलन था।

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प्रश्न 8.
रोमन साम्राज्य में किस नगर में साक्षरता व्यापक रूप से विद्यमान थी ?
उत्तर:
पोम्पई नगर में।

प्रश्न 9.
रोमन साम्राज्य के ऐसे चार क्षेत्रों के नाम लिखिए जो अपनी असाधारण उर्वरता के कारण प्रसिद्ध थे ।
अथवा
स्ट्रैबो तथा प्लिनी के अनुसार रोमन साम्राज्य के घनी आबादी वाले तथा धन-सम्पन्न चार नगर कौन-से थे ?
उत्तर:

  • कैम्पैनिया
  • सिसली
  • फैय्यूम
  • गैलिली।

प्रश्न 10.
रोमन साम्राज्य के ऐसे दो क्षेत्रों का उल्लेख कीजिये जो बहुत कम उन्नत अवस्था में थे।
उत्तर:
(1). नुमीडिया (आधुनिक अल्जीरिया) तथा
(2) स्पेन का उत्तरी क्षेत्र।

प्रश्न 11.
रोम के कौन-से दो प्रदेश रोम को भारी मात्रा में गेहूँ का निर्यात करते थे ?
उत्तर:
(1) सिसली तथा
(2) बाइजैकियम।

प्रश्न 12.
रोमन सम्राट कान्स्टैन्टाइन ने किस नगर को अपनी दूसरी राजधानी बनाया?
उत्तर:
कुस्तुन्तुनिया को।

प्रश्न 13.
रोमवासियों के चार प्रमुख देवी-देवताओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • जूपिटर
  • जूनो
  • मिनर्वा
  • मार्स।

प्रश्न 14.
‘एकाश्म’ का शाब्दिक अर्थ बताइये।
उत्तर:
एकाश्म का तात्पर्य एक बड़ी चट्टान का टुकड़ा होता है। यह विविधता की कमी का सूचक है।

प्रश्न 15.
सातवीं शताब्दी में रोमन साम्राज्य अधिकतर किस नाम से जाना जाता था?
उत्तर:
बाइजेंटियम।

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प्रश्न 16.
रोम में सालिडस नामक सोने का सिक्का किसने चलाया था?
उत्तर:
रोमन सम्राट कान्स्टैन्टाइन ने।

प्रश्न 17.
रोम साम्राज्य का ईसाईकरण करने का श्रेय किस सम्राट को दिया जाता है?
उत्तर:
कान्स्टैन्टाइन को।

प्रश्न 18.
रोम के लोग किस नाम के वृक्षों पर लेखन कार्य करते थे?
उत्तर:
पेपाइरस नाम के वृक्षों पर।

प्रश्न 19.
आगस्टस ने ‘प्रिंसिपेट’ की स्थापना कब की थी?
उत्तर:
27 ई. पूर्व में।

प्रश्न 20.
रोम क्यों प्रसिद्ध है ?
उत्तर:
अपने विशाल साम्राज्य, गणतन्त्रीय व्यवस्था, कला, साहित्य की उन्नति के कारण।

प्रश्न 21.
रोम साम्राज्य का विस्तार क्षेत्र बताइए।
उत्तर:
रोम साम्राज्य में आज का अधिकांश यूरोप और उर्वर अर्द्धचन्द्राकार क्षेत्र अर्थात् पश्चिमी एशिया तथा उत्तरी अफ्रीका का बहुत बड़ा हिस्सा शामिल था।

प्रश्न 22.
रोम के इतिहास की स्रोत सामग्री को किन वर्गों में बाँटा जा सकता है ?
उत्तर:
रोम के इतिहास की स्रोत सामग्री को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है –

  • पाठ्य सामग्री
  • प्रलेख या दस्तावेज तथा
  • भौतिक अवशेष

प्रश्न 23.
रोम्मन गणतन्त्र ( रिपब्लिक) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
रोम साम्राज्य में गणतन्त्र ( रिपब्लिक) एक ऐसी शासन व्यवस्था थी जिसमें वास्तविक सत्ता ‘सैनेट’ नामक निकाय में निहित थी।

प्रश्न 24.
‘प्रिंसिपेट’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
रोमन सम्राट आगस्टस ने 27 ई. पूर्व में जो राज्य स्थापित किया था, उसे ‘प्रिंसिपेट’ कहा जाता था।

प्रश्न 25.
रोमन सम्राट आगस्टस को ‘प्रमुख नागरिक’ क्यों माना जाता था?
उत्तर:
रोमन सम्राट आगस्टस को यह प्रदर्शित करने के लिए कि वह निरंकुश शासक नहीं था, ‘प्रमुख नागरिक’ माना जाता था।

प्रश्न 26.
सैनेट से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
सैनेट रोम का वह निकाय था जिसमें कुलीन एवं अभिजात वर्गों अर्थात् मुख्यतः रोम के धनी परिवारों का प्रतिनिधित्व था ।

प्रश्न 27.
रोमन सम्राटों के बुरे व अच्छे होने का मापदण्ड क्या माना जाता था ?
उत्तर:
सैनेट के सदस्यों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने वाले सम्राट सबसे बुरे तथा सैनेट के सदस्यों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार नहीं करने वाले सम्राट अच्छे सम्राट माने जाते थे।

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प्रश्न 28.
रोम में गणतन्त्र को समाप्त करके किसने अपनी सत्ता स्थापित की थी ?
उत्तर:
रोम में गणतन्त्र को समाप्त करके आगस्टस ने 27 ई. पू. में अपनी सत्ता स्थापित की थी।

प्रश्न 29.
रोम की सेना की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर:
(1) रोम की सेना एक व्यावसायिक सेना थी जिसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था।
(2) प्रत्येक सैनिक को न्यूनतम 25 वर्ष तक सेवा करनी पड़ती थी।

प्रश्न 30.
रोमन सेना निरन्तर आन्दोलन क्यों करती रहती थी ?
उत्तर:
रोमन सेना अच्छे वेतन तथा सेवा शर्तों के लिए निरन्तर आन्दोलन करती रहती थी।

प्रश्न 31.
रोमन सम्राटों की सफलता किस बात पर निर्भर करती थी?
उत्तर:
रोमन सम्राटों की सफलता इस बात पर निर्भर करती थी कि वे सेना पर कितना नियन्त्रण रख पाते थे।

प्रश्न 32.
रोम में गृह-युद्ध क्यों होते थे ?
उत्तर:
जब सेनाएँ विभाजित हो जाती थीं, तो इसका परिणाम सामान्यतः गृह-युद्ध होता था।

प्रश्न 33.
गृह-युद्ध से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
गृह-युद्ध अपने ही देश में सत्ता प्राप्त करने के लिए किया गया सशस्त्र संघर्ष है।

प्रश्न 34.
त्राजान कौन था ? उसने साम्राज्य – विस्तार के लिए कब अभियान किया ?
उत्तर:
त्राजान रोम का सम्राट था। उसने साम्राज्य के विस्तार के लिए 113-117 ई. में एक सैनिक अभियान

प्रश्न 35.
सम्राट आगस्टस का शासन काल किस बात के लिए प्रसिद्ध है ?
उत्तर:
सम्राट आगस्टस का शासन काल शान्ति के लिए याद किया जाता है।

प्रश्न 36.
‘निकटवर्ती पूर्व’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
‘निकटवर्ती पूर्व’ से अभिप्राय भूमध्य सागर के बिल्कुल पूर्वी प्रदेशों से है। इसमें सीरिया, फिलिस्तीन और मेसोपोटामिया के प्रान्त, अरब आदि प्रदेश शामिल थे।

प्रश्न 37.
रोमन सम्राट अत्यन्त विस्तृत और दूर-दूर तक फैले हुए साम्राज्य पर किस प्रकार नियन्त्रण रखते थे?
उत्तर:
सम्पूर्ण साम्राज्य में दूर-दूर तक अनेक नगर स्थापित किये गये थे जिनके माध्यम से समस्त साम्राज्य पर नियन्त्रण रखा जाता था।

प्रश्न 38.
रोम में साम्राज्यिक प्रणाली के मूल आधार कौन थे ?
उत्तर:
भूमध्य सागर के तटों पर स्थापित बड़े शहरी केन्द्र जैसे कार्थेज, सिकन्दरिया तथा एंटिऑक रोम साम्राज्यिक प्रणाली के मूल आधार थे।

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प्रश्न 39.
रोम साम्राज्य के प्रत्यक्ष शासन का विस्तार किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
रोम के प्रान्तीय राज्य क्षेत्र में अनेक आश्रित राज्यों के मिला लिए जाने से रोम साम्राज्य के प्रत्यक्ष शासन का विस्तार हुआ।

प्रश्न 40.
रोम के सन्दर्भ में नगर के शहरी केन्द्र का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोम के सन्दर्भ में नगर एक ऐसा शहरी केन्द्र था, जिसके अपने दण्डनायक (मजिस्ट्रेट), नगर परिषद् तथा एक निश्चित राज्य – क्षेत्र था।

प्रश्न 41.
रोमन साम्राज्य में शहरी लोगों को उच्च स्तर के मनोरंजन उपलब्ध थे। उदाहरण देकर इसकी पुष्टि कीजिये।
उत्तर:
एक कैलेण्डर से हमें ज्ञात होता है कि एक वर्ष में कम-से-कम 176 दिन रोम में कोई-न-कोई मनोरंजक कार्यक्रम या प्रदर्शन अवश्य होता था।

प्रश्न 42.
तीसरी शताब्दी में ईरान के किस शासक ने रोमन साम्राज्य पर आक्रमण किया और रोमन सेना का संहार किया?
उत्तर:
ईरान के शासक शापुर प्रथम ने आक्रमण कर 60,000 रोमन सेना का सफाया कर दिया तथा रोमन साम्राज्य की पूर्वी राजधानी एंटिऑक पर अधिकार कर लिया।

प्रश्न 43.
तीसरी शताब्दी में रोमन साम्राज्य को अत्यधिक तनाव की स्थिति से गुजरना पड़ा। इसका एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
तीसरी शताब्दी में थोड़े-थोड़े अन्तर से 47 वर्षों में 25 सम्राट रोम की गद्दी पर बैठे। इस अवधि में रोमन साम्राज्य को अत्यधिक तनाव की स्थिति में से गुजरना पड़ा था।

प्रश्न 44.
रोमन परिवारों में किन्हें सम्मिलित किया जाता था और क्यों ?
उत्तर:
रोमन परिवारों में पति-पत्नी, अवयस्क बच्चों तथा दासों को सम्मिलित किया जाता था क्योंकि रोमवासियों के लिए परिवार की यही अवधारणा थी।

प्रश्न 45.
रोम में स्त्रियों को सम्पत्ति सम्बन्धी क्या अधिकार प्राप्त थे ?
उत्तर:
रोम में महिला अपने पिता की मुख्य उत्तराधिकारी बनी रहती थी और अपने पिता की मृत्यु होने पर उसकी सम्पत्ति की स्वतन्त्र मालिक बन जाती थी।

प्रश्न 46.
सेंट आगस्टीन कौन थे ?
उत्तर:
सेंट आगस्टीन 396 ई. से उत्तरी अफ्रीका के हिप्पो नामक नगर में बिशप थे। चर्च के बौद्धिक इतिहास में उनका उच्चतम स्थान था।

प्रश्न 47.
रोम में महिलाओं को पुरुषों के अधीन रहना पड़ता था और महिलाओं पर उनके पति प्राय: हावी रहते थे इसकी पुष्टि किस साक्ष्य से होती है ?
उत्तर:’
सेंट आगस्टीन नामक प्रसिद्ध बिशप ने लिखा है कि उनकी माता की उनके पिता द्वारा नियमित रूप से पिटाई की जाती थी।

प्रश्न 48.
रोमन साम्राज्य में पिताओं का अपने बच्चों पर अत्यधिक कानूनी नियन्त्रण होता था । इसे उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में अवांछित बच्चों के मामलों में पिताओं को उन्हें जीवित रखने या मार डालने तक का कानूनी अधिकार प्राप्त था।

प्रश्न 49.
रोमन साम्राज्य में कौनसी मुख्य व्यापारिक मदें थीं जिनका अधिक मात्रा में उपयोग होता था ? ये वस्तुएँ कहाँ से मँगाई जाती थीं?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में गेहूँ, अंगूरी शराब तथा जैतून का तेल मुख्य व्यापारिक मदें थीं जो स्पेन, गैलिक प्रान्तों, उत्तरी अफ्रीका, मिस्र तथा इटली से मँगाई जाती थीं।

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प्रश्न 50.
एम्फोरा से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में शराब, जैतून का तेल तथा अन्य तरल पदार्थों की ढुलाई जिन मटकों या कंटेनरों से होती थी, उन्हें ‘एम्फोरा’ कहते थे।

प्रश्न 51.
‘ड्रेसल – 20’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
स्पेन में उत्पादित जैतून का तेल मुख्य रूप से ऐसे कंटेनरों से ले जाया जाता था जिन्हें ड्रेसल – 20 कहते हैं।

प्रश्न 52.
ड्रेसल – 20 का नाम किसके नाम पर आधारित है?
उत्तर:
ड्रेसल – 20 का नाम हेनरिक डेसिल नामक पुरातत्त्वविद् के नाम पर आधारित है जिसने ऐसे कन्टेनरों का रूप सुनिश्चित किया था ।

प्रश्न 53.
कैम्पैनिया क्यों प्रसिद्ध था ?
उत्तर:
कैम्पैनिया एक धन-सम्पन्न नगर था। रोम में सबसे बढ़िया प्रकार की अंगूरी शराब कैम्पैनिया से आती थीं।

प्रश्न 54.
ऋतु प्रवास से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
ग्वालों तथा चरवाहों का अपने जानवरों को चराने के लिए चरागाहों की खोज में मौसम के अनुसार आवागमन ऋतु प्रवास कहलाता है।

प्रश्न 55.
मैपालिया से क्या अभिप्राय है? –
उत्तर:
चरवाहे तथा अर्द्ध- यायावर ओवन ( Oven) आकार की झोंपड़ियाँ उठाए इधर-उधर घूमते-फिरते थे, जिन्हें मैपालिया कहते थे ।

प्रश्न 56.
स्पेन के उत्तरी क्षेत्र के कौनसे गाँव कैस्टेला कहलाते थे ?
उत्तर:
स्पेन के उत्तरी क्षेत्र अधिकतर केल्टिक भाषी – किसानों की आबादी थी, जो पहाड़ियों की चोटियों पर बसे गाँवों में रहते थे, जिन्हें कैस्टेला कहा जाता था।

प्रश्न 57.
रोमन साम्राज्य में किस प्रौद्योगिकी क्षेत्र में विशेष प्रगति हुई ?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में जल- शक्ति से मिलें चलाने की प्रौद्योगिकी में विशेष प्रगति हुई।

प्रश्न 58.
रोमन साम्राज्य में जल- शक्ति से मिलें चलाने की प्रौद्योगिकी की उन्नति का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
स्पेन की सोने और चाँदी की खानों में जल शक्ति से खुदाई की जाती थी और पहली तथा दूसरी शताब्दियों में इन खानों से खनिज निकाले जाते थे।

प्रश्न 59.
रोमन साम्राज्य में दासता का सबसे अधिक प्रचलन किन क्षेत्रों में था?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में भूमध्य सागर तथा निकटवर्ती पूर्व (पश्चिमी एशिया) दोनों ही क्षेत्रों में दासता का सबसे अधिक प्रचलन था।

प्रश्न 60.
रोमन साम्राज्य में लोग दासों के साथ कैसा बर्ताव करते थे?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में उच्च वर्ग के लोग दासों के प्रति प्राय: क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते थे, परन्तु साधारण लोग उनके प्रति कहीं अधिक सहानुभूति रखते थे।

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प्रश्न 61.
‘दास – प्रजनन’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में दास प्रजनन दासों की संख्या बढ़ाने की एक ऐसी प्रथा थी जिसके अन्तर्गत दास-दासियों को अधिकाधिक बच्चे उत्पन्न करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था।

प्रश्न 62.
रोमन साम्राज्य में जब दासों की आपूर्ति में कमी आने लगी तो दास श्रम का प्रयोग करने वालों ने किन उपायों का सहारा लिया ?
उत्तर:
दास-श्रम का प्रयोग करने वालों ने दास – प्रजनन अथवा वेतनभोगी मजदूरों की नियुक्ति जैसे उपायों का सहारा लिया ।

प्रश्न 63.
प्लिनी ने दास-समूहों के प्रयोग की निन्दा क्यों की थी?
उत्तर:
प्लिनी ने दास – समूहों के प्रयोग की यह कहकर निन्दा की कि यह उत्पादन आयोजित करने का सबसे बुरा तरीका है।

प्रश्न 64.
रोमन साम्राज्य में श्रमिकों पर नियन्त्रण करने के लिए किये जाने वाले दो उपायों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) श्रमिकों को जंजीरों में डालकर रखा जाता था।
(2) श्रमिकों को दागा जाता था ताकि भागने या छिपने पर उन्हें पहचाना जा सके।

प्रश्न 65.
आगस्टीन के पत्रों से तत्कालीन दास प्रथा के बारे में क्या जानकारी मिलती है ?
उत्तर:
आगस्टीन के पत्रों से जानकारी मिलती है कि कभी-कभी माता-पिता अपने बच्चों को 25 वर्ष के लिए बेचकर बन्धुआ मजदूर बना लेते थे

प्रश्न 66.
‘यहूदी विद्रोह’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
66 ई. में जूडेया में रोम की सरकार के विरुद्ध यहूदी विद्रोह हुआ था जिसमें क्रान्तिकारियों ने साहूकारों के ऋण-पत्र नष्ट कर दिये थे।

प्रश्न 67.
‘फ्रैंकिन्सेंस’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
फ्रैंकिन्सेंस से अभिप्राय है – सुगन्धित राल। इसका प्रयोग धूप-अगरबत्ती और इत्र बनाने के लिए किया जाता था।

प्रश्न 68.
सबसे अच्छी किस्म की राल रोम में कहाँ से आती थी ?
उत्तर:
सबसे अच्छी किस्म की सुगन्धित राल रोम में अरब प्रायद्वीप से आती थी ।

प्रश्न 69.
इतिहासकार टैसिटस द्वारा उल्लिखित रोमन साम्राज्य के चार सामाजिक वर्गों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • सैनेटर
  • अश्वारोही या नाइट वर्ग
  • जनता का सम्माननीय वर्ग
  • फूहड़ निम्नतर वर्ग अर्थात् कमीनकारु।

प्रश्न 70.
‘परवर्ती पुराकाल’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘परवर्ती पुराकाल’ से अभिप्राय रोम साम्राज्य के उद्भव, विकास और पतन के इतिहास की उस अवधि से है जो चौथी से सातवीं शताब्दी तक फैली हुई थी।

प्रश्न 71.
परवर्ती पुराकाल में सांस्कृतिक क्षेत्र में हुए दो परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) रोमन सम्राट कान्स्टैन्टाइन द्वारा ईसाई धर्म को राज-धर्म बना लेने का निर्णय
(2) सातवीं शताब्दी में इस्लाम का उदय।

प्रश्न 72.
सैनेटर और नाइट ( अश्वारोही) वर्गों में क्या समानता थी ?
उत्तर:
सैनेटरों की भाँति अधिकतर नाइट (अश्वारोही) जमींदार होते थे।

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प्रश्न 73.
सैनेटरों और नाइट (अश्वारोही) वर्गों में क्या अन्तर था ?
उत्तर:
सैनेटरों के विपरीत नाइट वर्ग के कई लोग जहाजों के मालिक, व्यापारी और साहूकार होते थे अर्थात् वे व्यापारिक गतिविधियों में संलग्न रहते थे।

प्रश्न 74.
परवर्ती साम्राज्य में चाँदी के सिक्कों का प्रचलन क्यों बन्द हो गया था ?
उत्तर:
स्पेन की खानों से चाँदी मिलनी बन्द हो गई थी और सरकार के पास चाँदी के सिक्कों के प्रचलन के लिए पर्याप्त चाँदी नहीं रह गई थी।

प्रश्न 75.
इतिहासकार ओलिंपि ओडोरस के अनुसार रोम नगर में रहने वाले कुलीन परिवारों की क्या आमदनी थी?
उत्तर:
इतिहासकार ओलिंपि ओडोरस के अनुसार रोम नगर में रहने वाले कुलीन परिवारों को अपनी सम्पत्ति से प्रतिवर्ष 4,000 पाउण्ड सोने की आय प्राप्त होती थी।

प्रश्न 76.
रोमन सम्राट डायोक्लीशियन ने साम्राज्य को थोड़ा छोटा क्यों बना लिया ?
उत्तर:
रोमन सम्राट डायोक्लीशियन ने अनुभव किया कि साम्राज्य का विस्तार बहुत अधिक हो चुका है और उसके अनेक प्रदेशों का सामरिक अथवा आर्थिक दृष्टि से कोई महत्त्व नहीं है।

प्रश्न 77.
सम्राट डायोक्लीशियन के द्वारा किये गए दो सैनिक सुधारों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) सम्राट डायोक्लीशियन ने साम्राज्य की सीमाओं पर किले बनवाये।
(2) उसने असैनिक कार्यों को सैनिक कार्यों से अलग कर दिया।

प्रश्न 78.
रोमन सम्राट् कान्स्टैन्टाइन द्वारा मौद्रिक क्षेत्र में किये गये परिवर्तन का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
रोमन सम्राट कान्स्टैन्टाइन ने ‘सालिडस’ नामक एक नया सिक्का चलाया जो 4.5 ग्राम शुद्ध सोने का बना हुआ था।

प्रश्न 79.
सम्राट कान्स्टैन्टाइन के समय में प्रतिष्ठापित प्रमुख प्रौद्योगिकियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
तेल की मिलों, शीशे के कारखानों, पेंच की प्रेसों तथा विभिन्न प्रकार की पानी की मिलों जैसी नई प्रौद्योगिकियाँ प्रतिष्ठापित हुईं।

प्रश्न 80.
“रोमवासियों की पारम्परिक धार्मिक संस्कृति बहुदेवतावादी थी।” दो उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(1) रोमवासी अनेक पंथों तथा उपासना पद्धतियों में विश्वास रखते थे।
(2) वे अनेक देवी-देवताओं की उपासना किया करते थे।

प्रश्न 81.
ईसाईकरण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ईसाईकरण उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसके द्वारा ईसाई धर्म भिन्न-भिन्न जन-और वहाँ का प्रमुख धर्म बना दिया गया।

प्रश्न 82.
‘रोमोत्तर राज्य’ से आप क्या समझते हैं ? समूहों के बीच फैलाया गया
उत्तर:
जर्मन मूल के समूहों द्वारा छठी शताब्दी में पश्चिमी रोमन साम्राज्य में स्थापित किये गए अपने-अपने राज्य ‘रोमोत्तर राज्य’ कहलाते हैं।

प्रश्न 83.
तीन प्रमुख रोमोत्तर राज्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • स्पेन में विसिगोथों का राज्य
  • गाल में फ्रैंकों का राज्य
  • इटली में लोंबार्डों का राज्य।

प्रश्न 84.
जस्टीनियन की दो विजयों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) जस्टीनियन ने 533 ई. में अफ्रीका को वैंडलों के अधिकार से मुक्त करा लिया।
(2) उसने आस्ट्रेगोथों को पराजित कर इटली पर अधिकार कर लिया ।

प्रश्न 85.
जस्टीनियन के अभियानों का क्या परिणाम हुआ ?
उत्तर:
इनसे देश तहस-नहस हो गया और लोम्बार्डों के आक्रमण के लिए मार्ग प्रशस्त हो गया।

प्रश्न 86.
किस घटना को ‘प्राचीन विश्व इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक क्रान्ति’ कहा जाता है ?
उत्तर:
अरब प्रदेश से शुरू होने वाले इस्लाम के विस्तार को ‘प्राचीन विश्व इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक क्रान्ति’ कहा जाता है।

प्रश्न 87.
642 ई. तक पूर्वी रोमन तथा ससानी दोनों राज्यों के बड़े-बड़े भागों पर किन लोगों ने अधिकार कर लिया ?
उत्तर:
642 ई. तक पूर्वी रोमन तथा संसानी दोनों राज्यों के बड़े- बड़े भागों पर अरब लोगों ने अधिकार कर लिया।

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प्रश्न 88.
बर्बर या बारबेरियन से क्या अभिप्राय है? संक्षेप में वर्णन कीजिये।
उत्तर:
जर्मन मूल की जनजातियों अथवा राज्य समुदायों ने रोमन साम्राज्य के अनेक प्रान्तों पर आक्रमण किया। रोमन लोग इन्हें बारबेरियन कहते थे।

प्रश्न 89.
रोमवासियों के चार प्रमुख देवी-देवताओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • जूपिटर
  • मिनर्वा
  • जूनो
  • मार्स।

प्रश्न 90.
‘पैपाइरस’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
पैपाइरस एक सरकंडा जैसा पौधा था जो मिस्र में नील नदी के किनारे उगता था। इससे कागज तैयार किया जाता था। रोमन लोग इस कागज पर लिखते थे।

प्रश्न 91.
बलात् भर्ती वाली सेना किसे कहा जाता था ?
उत्तर:
बलात् भर्ती वाली सेना वह होती थी जिसमें कुछ वर्गों या समूहों के वयस्क पुरुषों को अनिवार्य रूप से सैनिक सेवा करनी पड़ती थी।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
रोम के इतिहास को जानने के मुख्य स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोम के इतिहास को जानने के स्रोतों को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है –

  1. पाठ्य सामग्री
  2. प्रलेख अथवा दस्तावेज और
  3. भौतिक अवशेष।

(1) पाठ्य सामग्री – पाठ्य सामग्री के अन्तर्गत समकालीन व्यक्तियों द्वारा लिखा गया उस काल का इतिहास, पत्र, व्याख्यान, प्रवचन, कानून आदि सम्मिलित हैं।

(2) प्रलेख या दस्तावेज – प्रलेखों या दस्तावेजों में मुख्य रूप से उत्कीर्ण अभिलेख या पैपाइरस वृक्ष के पत्तों आदि पर लिखी गई पाण्डुलिपियाँ सम्मिलित हैं। काफी बड़ी संख्या में संविदा-पत्र, लेख, संवाद पत्र और सरकारी दस्तावेज आज भी ‘पैपाइरस’ पत्र पर लिखे हुए पाए गए हैं और पैपाइरस शास्त्री कहे जाने वाले विद्वानों द्वारा प्रकाशित किये गए हैं।

(3) भौतिक अवशेष – भौतिक अवशेषों में अनेक प्रकार की वस्तुएँ शामिल हैं जो मुख्य रूप से पुरातत्त्वविदों को खुदाई और सर्वेक्षण के द्वारा अपनी खोजों में प्राप्त हुई हैं। इनमें इमारतें, स्मारक, मिट्टी के बर्तन, सिक्के आदि शामिल हैं।

प्रश्न 2.
रोम साम्राज्य की भौगोलिक स्थिति स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रोम साम्राज्य की भौगोलिक स्थिति – यूरोप और अफ्रीका के महाद्वीप एक समुद्र द्वारा एक-दूसरे को पृथक् किए हुए हैं जो पश्चिम में स्पेन से लेकर पूर्व में सीरिया तक फैला हुआ है। यह समुद्र भूमध्य सागर कहलाता है। भूमध्य सागर उन दिनों रोम साम्राज्य का हृदय था। रोम का भूमध्य सागर तथा उसके आस-पास उत्तर और दक्षिण में स्थित सभी प्रदेशों पर प्रभुत्व था। उत्तर में साम्राज्य की सीमा दो महान नदियाँ राइन और डैन्यूब निर्धारित करती थीं। दक्षिण सीमा का निर्धारण सहारा नामक एक विस्तृत रेगिस्तान से होता था । इस प्रकार रोम साम्राज्य एक अत्यन्त विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ था।

प्रश्न 3.
ईरानी साम्राज्य की भौगोलिक स्थिति का वर्णन कीजिये!
उत्तर:
ईरानी साम्राज्य की भौगोलिक स्थिति-ईरानी साम्राज्य में कैस्पियन सागर के दक्षिण से लेकर पूर्वी अरब तक का सम्पूर्ण प्रदेश और कभी-कभी अफगानिस्तान के कुछ क्षेत्र भी सम्मिलित थे। रोम और ईरानी साम्राज्यों ने विश्व के उस अधिकांश भाग को आपस में बाँट रखा था जिसे चीनी लोग ता – चिन (वृहत्तर चीन या पश्चिम) कहा करते थे।

प्रश्न 4.
रोमन साम्राज्य तथा ईरानी साम्राज्य में अन्तर बताइए।
अथवा
रोमन साम्राज्य सांस्कृतिक दृष्टि से ईरान की तुलना में किस प्रकार अधिक विविधतापूर्ण था ?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य तथा ईरानी साम्राज्य में अन्तर – रोमन साम्राज्य सांस्कृतिक दृष्टि से ईरान की तुलना में कहीं अधिक विविधतापूर्ण था। ईरान पर पहले पार्थियन तथा बाद में ससानी राजवंशों ने शासन किया। उन्होंने जिन लोगों पर शासन किया, उनमें अधिकतर ईरानी थे। इसके विपरीत, रोमन साम्राज्य ऐसे क्षेत्रों तथा संस्कृतियों का एक मिला-जुला रूप था, जो कि मुख्यतः सरकार की एक साझा प्रणाली द्वारा एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए थे । रोमन साम्राज्य में अनेक भाषाएँ बोली जाती थीं, परन्तु प्रशासन में लैटिन तथा यूनानी भाषाओं का ही प्रयोग किया जाता था।

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प्रश्न 5.
रोम साम्राज्य में स्थापित गणतन्त्र शासन व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
रोम साम्राज्य में स्थापित गणतन्त्र शासन व्यवस्था – रोम साम्राज्य में गणतन्त्र एक ऐसी शासन व्यवस्था थी जिसमें वास्तविक सत्ता ‘सैनेट’ नामक निकाय में निहित थी। सैनेट में धनी परिवारों के एक समूह का वर्चस्व था जिन्हें अभिजात कहा जाता था। व्यावहारिक तौर पर गणतन्त्र अभिजात वर्ग की सरकार थी जिसका शासन ‘सैनेट’ नामक संस्था के माध्यम से चलता था। सैनेट की सदस्यता जीवन-भर चलती थी और उसके लिए जन्म की अपेक्षा धन और पद-प्रतिष्ठा को अधिक महत्त्व दिया जाता था। गणतन्त्र का शासन 509 ई. पूर्व से 27 ई. पूर्व तक चला।

प्रश्न 6.
रोमन सम्राट आगस्टस द्वारा स्थापित राज्य ‘प्रिंसिपेट’ का वर्णन कीजिए।
अथवा
रोम राज्य के संदर्भ में ‘प्रिंसिपेट’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
रोमन सम्राट आगस्टस द्वारा स्थापित राज्य ‘प्रिंसिपेट’ – प्रथम रोमन सम्राट आगस्टस ने 27 ई. पूर्व में जो राज्य स्थापित किया था, उसे ‘प्रिंसिपेट’ कहा जाता था। आगस्टस अपने राज्य का एकछत्र शासक था तथा राज्य की सम्पूर्ण सत्ता उसके हाथों में केन्द्रित थी । उसने यह दर्शाने का प्रयास किया कि वह केवल एक ‘प्रमुख नागरिक’ (लैटिन भाषा में प्रिंसेप्स) था, निरंकुश शासक नहीं था। ऐसा उसने ‘सैनेट’ को सम्मान प्रदान करने के लिए किया। उसने सैनेट. को प्रभावहीन बनाने का प्रयास नहीं किया ।

प्रश्न 7.
प्रिंसिपेट में ‘सैनेट’ तथा ‘सम्राट’ की स्थिति की विवेचना कीजिये। अभिजात वर्ग के क्या कार्य एवं अधिकार थे ?
अथवा
उत्तर:
सैनेट – सैनेट ने रोम में गणतन्त्र के शासन काल में सत्ता पर अपना नियन्त्रण स्थापित किया था। रोम में सैनेट का अस्तित्व कई शताब्दियों तक बना रहा था । सैनेट में कुलीन एवं अभिजात वर्गों अर्थात् रोम के धनी परिवारों का बोलबाला रहा था। कालान्तर में इस संस्था में इतालवी मूल के जमींदारों को भी सम्मिलित कर लिया गया था। सैनेट और सम्राटों के सम्बन्ध-सम्राटों का मूल्यांकन इस बात से किया जाता था कि वे सैनेट के प्रति किस प्रकार का व्यवहार करते थे। वे सम्राट सबसे बुरे माने जाते थे जो सैनेट के सदस्यों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करते थे, उनके प्रति सन्देहशील रहते थे तथा उनके साथ क्रूरतापूर्ण बर्ताव करते थे।

प्रश्न 8.
रोमन साम्राज्य में सेना के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में सम्राट और सैनेट के बाद सेना शासन की एक प्रमुख और महत्त्वपूर्ण संस्था थी। रोम की सेना एक व्यावसायिक सेना थी जिसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था और उसे कम-से-कम 25 वर्ष तक सेवा करनी पड़ती थी। सेना साम्राज्य में सबसे बड़ा एकल संगठित निकाय थी जिसमें चौथी शताब्दी तक 6,00,000 सैनिक थे।

सेना का काफी प्रभाव था और उसके पास निश्चित रूप से सम्राटों का भाग्य निश्चित करने की शक्ति थी। रोमन साम्राज्य के सैनिक अधिक वेतन तथा अच्छी सेवा शर्तों के लिए निरन्तर आन्दोलन करते थे। कभी-कभी ये आन्दोलन सैनिक विद्रोहों का रूप धारण कर लेते थे। सम्राटों की सफलता इस बात पर निर्भर करती थी कि वे सेना पर कितना नियन्त्रण रख पाते थे। जब सेनाएँ विभाजित हो जाती थीं, तो साम्राज्य को गृह-युद्ध का सामना करना पड़ता था।

प्रश्न 9.
प्रथम दो शताब्दियों में अन्य देशों के प्रति रोमन सम्राटों की नीति की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
प्रथम दो शताब्दियों में रोम के अन्य देशों के साथ युद्ध भी बहुत कम हुए। रोमन सम्राट आगस्टस एवं टिबेरियस द्वारा प्राप्त किया गया साम्राज्य पहले ही इतना विस्तृत था कि इसमें और अधिक विस्तार करना अनुपयोगी मालूम होता था। आगस्टस का शासन काल शान्ति के लिए प्रसिद्ध है क्योंकि रोमन लोगों को यह शान्ति दीर्घकाल तक चले आन्तरिक संघर्षों और सदियों की सैनिक विजयों के पश्चात् मिली थी। साम्राज्य के विस्तार के लिए एकमात्र अभियान रोमन सम्राट त्राजान ने 113 – 117 ई. में किया जिसके फलस्वरूप उसने फरात नदी के पार के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था, परन्तु उसके उत्तराधिकारियों ने उन प्रदेशों पर से अपना अधिकार हटा लिया।

प्रश्न 10.
” पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य की प्रारम्भिक काल की एक विशेष उपलब्धि यह थी कि रोमन साम्राज्य के प्रत्यक्ष शासन का क्रमिक रूप से काफी विस्तार हुआ। ” कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य के प्रारम्भिक काल की एक विशेष उपलब्धि यह थी कि रोमन साम्राज्य के प्रत्यक्ष शासन का क्रमिक रूप से काफी विस्तार हुआ। इस काल में अनेक आश्रित राज्यों को रोम के प्रान्तीय राज्य-क्षेत्र में सम्मिलित कर लिया गया। निकटवर्ती पूर्व में ऐसे बहुत से राज्य मौजूद थे। दूसरी शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में फरात नदी के पश्चिम में स्थित राज्यों पर भी रोम ने अधिकार कर लिया। ये राज्य अत्यन्त समृद्ध थे। वास्तव में इटली के सिवाय रोमन साम्राज्य के सभी क्षेत्र प्रान्तों में बँटे हुए थे और उनसे कर वसूल किया जाता था। दूसरी शताब्दी में रोमन साम्राज्य स्काटलैण्ड से आर्मीनिया की सीमाओं तक तथा सहारा से फरात और कभी-कभी उससे भी आगे तक फैला हुआ था। इस समय रोमन साम्राज्य अपने चरमोत्कर्ष पर था।

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प्रश्न 11.
रोमन सम्राटों ने इतने बड़े साम्राज्य पर नियन्त्रण करने और शासन का संचालन करने के लिए क्या उपाय किये?
उत्तर:
रोमन सम्राटों द्वारा विस्तृत साम्राज्य पर शासन करना – सम्पूर्ण रोमन साम्राज्य में दूर-दूर तक अनेक नगर स्थापित किये गए थे, जिनके माध्यम से समस्त साम्राज्य पर नियन्त्रण रखा जाता था। भूमध्य सागर के तटों पर स्थापित बड़े शहरी केन्द्र जैसे कार्थेज, सिकन्दरिया तथा एंटिऑक आदि साम्राज्यिक प्रणाली के मूल आधार थे। इन्हीं शहरों के माध्यम से रोमन सरकार ‘प्रान्तीय ग्रामीण क्षेत्रों’ पर कर लगाने में सफल हुई थी। इसके फलस्वरूप साम्राज्य को विपुल धन-सम्पदा प्राप्त होती थी। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि स्थानीय उच्च वर्ग रोमन साम्राज्य को कर वसूली और अपने क्षेत्रों के प्रशासन के कार्य में सहायता देते थे।

प्रश्न 12.
” इटली और अन्य प्रान्तों के बीच सत्ता का आकस्मिक अन्तरण वास्तव में, रोम के राजनीतिक इतिहास का एक अत्यन्त रोचक पहलू रहा है। ” विवेचना कीजिए।
उत्तर:
दूसरी और तीसरी शताब्दियों के दौरान, अधिकतर प्रशासक तथा सैनिक अफसर उच्च प्रान्तीय वर्गों में से होते थे। इस तरह उनका एक नया संभ्रान्त वर्ग बन गया जो कि सैनेट के सदस्यों की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली था, क्योंकि उसे रोमन सम्राटों का समर्थन प्राप्त था। रोमन सम्राट गैलीनस ( 253 – 268 ई.) ने सैनेटरों को सैनिक कमान से हटाकर इस नये वर्ग के उत्थान में योगदान दिया।

उसने सैनेटरों को सेना में सेवा करने अथवा इस तर्क पहुँच रखने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था ताकि वे साम्राज्य पर अपना नियन्त्रण स्थापित न कर सकें। दूसरी शताब्दी के दौरान तथा तीसरी शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में सेना तथा प्रशासन में अधिकाधिक लोग प्रान्तों से लिए जाने लगे क्योंकि इस क्षेत्र के लोगों को भी नागरिकता मिल चुकी थी जो पहले इटली तक ही सीमित थी। सैनेट पर कम-से-कम तीसरी शताब्दी तक इतालवी मूल के लोगों का प्रभुत्व बना रहा, परन्तु बाद में प्रान्तों से लिए गए सैनेटर बहुसंख्यक हो गए थे।

प्रश्न 13.
रोम के सन्दर्भ में नगर कैसा शहरी केन्द्र था ?
उत्तर:
नगर का शहरी – केन्द्र होना – रोम के सन्दर्भ में नगर एक ऐसा शहरी केन्द्र था, जिसके अपने दण्डनायक ( मजिस्ट्रेट), नगर परिषद् (सिटी काउन्सिल) और अपना एक सुनिश्चित राज्य क्षेत्र था जिसमें उसके अधिकार – क्षेत्र में आने वाले कई ग्राम सम्मिलित थे । इस प्रकार किसी भी शहर के अधिकार – क्षेत्र में कोई दूसरा शहर नहीं हो सकता था, किन्तु उसके अन्तर्गत कई गाँव होते थे। किसी गाँव को शहर का दर्जा मिलना सम्राट की कृपा पर निर्भर करता था। इसी प्रकार अप्रसन्न होने पर सम्राट किसी शहर को गाँव का दर्जा प्रदान कर सकता था।

प्रश्न 14.
रोमन साम्राज्य के शहरी जीवन की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
शहरी जीवन की विशेषताएँ –

  1. शहरों में खाने की कमी नहीं थी।
  2. अकाल के दिनों में भी शहरों में ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अच्छी सुविधाएँ प्राप्त होने की सम्भावना रहती
  3. सार्वजनिक स्नान गृह रोम के शहरी जीवन की एक प्रमुख विशेषता थी।
  4. शहरी लोगों को उच्च स्तर के मनोरंजन प्राप्त थे। उदाहरण के लिए, एक कलेंडर से हमें ज्ञात होता है कि एक वर्ष में कम-से-कम 176 दिन वहाँ कोई-न-कोई मनोरंजक कार्यक्रम या प्रदर्शन अवश्य होता था।
  5. शहरों में साक्षरता विद्यमान थी।
  6. नगर प्रशासनिक इकाइयों के रूप में क्रियाशील थे। इसलिए वहाँ पर लोगों की सुख-सुविधाओं का ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा, अधिक ध्यान रखा जाता था।

प्रश्न 15.
डॉ. गैलेन के अनुसार रोमन शहरों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के साथ किये जाने वाले व्यवहार का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
डॉ. गैलेन ने लिखा है कि कई प्रान्तों में निरन्तर अनेक वर्षों से पड़ रहे अकाल ने लोगों को यह बता दिया था कि लोगों में कुपोषण के कारण बीमारियाँ हो रही हैं। शहरों में रहने वाले लोगों का फसल कटाई के शीघ्र पश्चात् अगले पूरे वर्ष के लिए काफी मात्रा में खाद्यान्न अपने भण्डारों में एकत्रित कर लेना एक रिवाज था।

गेहूँ, जौ, सेम तथा मसूर और दालों का काफी बड़ा भाग शहरियों द्वारा ले जाने के बाद भी कई प्रकार की दालें किसानों के लिए बची रह गई थीं। सर्दियों के लिए जो कुछ भी बचा था, उसे खा-पीकर समाप्त कर देने के बाद ग्रामीण लोगों को बसन्त ॠतु से ऐसे खाद्यों पर निर्भर रहना पड़ा जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक थे। उन लोगों ने वृक्षों की टहनियाँ, छालें, जड़ें, झाड़ियाँ, अखाद्य पेड़-पौधे और पत्ते खाकर अपने प्राणों को बचाए रखा।

प्रश्न 16.
रोमन साम्राज्य में तीसरी शताब्दी में आए संकटों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
तीसरी शताब्दी में रोमन साम्राज्य को अनेक संकटों का सामना करना पड़ा। इसकी पुष्टि निम्नलिखित तथ्यों से होती है-

(1) 225 ई. में ईरान में एक साम्राज्यवादी और आक्रामक वंश का प्रादुर्भाव हुआ। इस वंश के लोग स्वयं को ससानी कहते थे। एक प्रसिद्ध शिलालेख से ज्ञात होता है कि ईरान के शासक शापुर प्रथम ने 60,000 रोमन सेना का सफाया कर दिया था और रोम साम्राज्य की पूर्वी राजधानी एंटिऑक पर अधिकार भी कर लिया था।

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(2) इसी दौरान जर्मन मूल की कई जनजातियों ने राइन तथा डैन्यूब नदी की सीमाओं की ओर बढ़ना आरम्भ कर दिया। इन जनजातियों ने 233 से 280 ई. तक की अवधि में उन प्रान्तों की पूर्वी सीमा पर बार-बार आक्रमण किये जो काला सागर से लेकर आल्पस तथा दक्षिणी जर्मनी तक फैले हुए थे। परिणामस्वरूप रोमवासियों को डैन्यूब से आगे का क्षेत्र छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा।

(3) रोमन सम्राज्य में तीसरी शताब्दी में थोड़े-थोड़े अन्तर से अनेक सम्राट ( 47 वर्षों में 25 सम्राट) गद्दी पर बैठे । इससे इस तथ्य की पुष्टि होती है कि तीसरी शताब्दी में रोमन साम्राज्य को भीषण तनाव की स्थिति से गुजरना पड़ा।

प्रश्न 17.
सेन्ट आगस्टीन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सेन्ट आगस्टीन-सेन्ट आगस्टीन (354-430) 396 ई. से उत्तरी अफ्रीका के हिप्पो नामक नगर के प्रसिद्ध बिशप थे। उन्होंने अपना अधिकांश जीवन उत्तरी अफ्रीका में व्यतीत किया था। कैथोलिक चर्च के बौद्धिक इतिहास में उनका उच्चतम स्थान था। बिशप लोग ईसाई समुदाय में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण क्यक्ति माने जाते थे और प्रायः वे बहुत शक्तिशाली होते थे। उन्होंने रोमन साम्राज्य में महिलाओं की शोचनीय स्थिति का वर्णन करते हुए लिखा है कि उनकी माता की उनके पिता द्वारा नियमित रूप से पिटाई की जाती थी। जिस नगर में वे बड़े हुए वहाँ की अधिकतर पलियाँ इसी तरह की पिटाई से अपने शरीर पर लगी खरोंचें दिखाती रहती थीं।

प्रश्न 18.
रोमन साम्राज्य में साक्षरता की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
रोमर साम्राज्य में साक्षरता की स्थिति-रोमन साम्राज्य में काम-चलाऊ साक्षरता की दरें साम्राज्य के विभिन्न भागों में काफी अलग-अलग थीं। उदाहरण के लिए रोम के पोम्पेई नगर में काम-चलाऊ साक्षरता व्यापक रूप से विद्यमान थी। इसके विपरीत, मिस्न में काम-चलाऊ साक्षरता की दर काफी कम थी। मिस्र से प्राप्त दस्तावेज हमें यह बताते हैं कि अमुक व्यक्ति ‘क’ अथवा ‘ख’ पढ़ या लिख नहीं सकता था। किन्तु यहाँ भी साक्षरता निश्चित रूप से सैनिकों, सैनिक अधिकारियों, सम्पदा-प्रबन्धकों आदि कुछ वर्गों के लोगों में अपेक्षाकृत अंधिक व्यापक थी।

प्रश्न 19.
“रोमन साम्राज्य में सांस्कृतिक विविधता कई रूपों एवं स्तरों पर दिखाई देती है।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में सांस्कृतिक विविधता-रोमन साम्राज्य में सांस्कृतिक विविधता कई रूपों एवं स्तरों पर दिखाई देती है। इसकी पुष्टि निम्नलिखित तथ्यों से होती है-

  1. रोमन साम्राज्य में धार्मिक सम्प्रदायों तथा स्थानीय देवी-देवताओं में बहुत विविधता थी।
  2. साम्राज्य में बोल-चाल की अनेक भाषाएँ प्रचलित थीं।
  3. साम्राज्य में वेशभूषा की विविध शैलियाँ प्रचलित थीं।
  4. रोमन लोग तरह-तरह के भोजन खाते थे।
  5. साम्राज्य में सामाजिक संगठनों के रूप भिन्न-भिन्न थे।
  6. उनकी बस्तियों के अनेक रूप थे।
  7. अरामाइक निकटवर्ती पूर्व का प्रमुख भाषा-समूह था। मिस्न में काप्टिक; उत्तरी अफ्रीका में प्यूनिक तथा बरबर और स्पेन तथा उत्तर-पश्चिम में कैल्टिक भाषा बोली जाती थी।

प्रश्न 20.
रोमन साम्राज्य की आर्थिक प्रगति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य की आर्थिक प्रगति –
(1) रोमन साम्राज्य में बन्दरगाहों, खानों, खदानों, ईंट-भट्टों, जैतून के तेल की फैक्ट्रियों आदि की संख्या बहुत अधिक थी, जिनसे साम्राज्य का आर्थिक आधारभूत ढाँचा काफी मजबूत था।

(2) गेहूँ, अंगूरी शराब तथा जैतून का तेल मुख्य व्यापारिक मदें थीं। ये वस्तुएँ मुख्यतः स्पेन, गैलिक प्रान्तों, उत्तरी अफ्रीका, मिस्न तथा अपेक्षाकृत कम मात्रा में इटली से आती थीं।

(3) शराब, जैतून का तेल तथा अन्य तरल पदार्थों की ढुलाई ऐसे मटकों या कंटेनरों में होती थी, जिन्हें ‘एम्फोरा’ कहते थे।

(4) स्पेन में जैतून का तेल निकालने का उद्यम 140-160 ई. के वर्षों में अपने चरमोत्कर्ष पर था। उन दिनों स्पेन में उत्पादित जैतून का तेल मुख्य रूप से ऐसे कंटेनरों में ले जाया जाता था जिन्हें ‘ड्रेसल -20 कहते थे।

(5) रोमन साम्राज्य के अन्तर्गत बहुत से ऐसे क्षेत्र आते थे जो अपनी असाधारण उर्वरता के लिए बहुत प्रसिद्ध थे। इनमें इटली के कैम्पैनिया, सिसली, मिस्न के फैय्यूम, गैलिली, बाइजैकियम (ट्यूनीसिया), दक्षिणी गाल तथा बाएटिका (दक्षिणी स्पेन) के प्रदेश उल्लेखनीय थे।

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(6) सबसे बढ़िया किस्म की अंगूरी शराब कैम्पैनिया से आती थी। सिसली तथा बाइजैकियम रोम को भारी मात्रा में गेहूँ का निर्यात करते थे। गैलिली में गहन खेती की जाती थी।

(7) इस काल में जल-शक्ति से मिलें चलाने की प्रौद्योगिकी में खासी प्रगति हुई। स्पेन की सोने और चाँदी की खानों में जल-शक्ति से खुदाई की जाती थी।

(8) उस समय साम्राज्य में सुगठित वाणिज्यिक तथा बैंकिंग व्यवस्था थी।

प्रश्न 21.
रोमन साम्राज्य में दासों के प्रति किये गए व्यवहार के बारे में रोमन इतिहासकार टीसटस न क्या लिखा है?
उत्तर:
रोमन इतिहासकार टैसिटस ने लिखा है कि शहर के शासक ल्यूसियस पेडेनियस सेकेण्डस का उसके एक दास ने वध कर दिया। प्राचीन रिवाज के अनुसार यह आवश्यक था कि एक ही छत के नीचे रहने वाले प्रत्येक दास को फाँसी की सजा दी जाए। परन्तु बहुत से निर्दोष लोगों के प्राण बचाने के लिए एक भीड़ इकट्ठी हो गई और शहर में दंगे शुरू हो गए। भीड़ ने सैनेट भवन को घेर लिया।

यद्यपि सैनेट भवन में सैनेटरों ने दासों के प्रति अत्यधिक कठोर व्यवहार किये जाने का विरोध किया गया, परन्तु अधिकांश सदस्यों ने सजा में परिवर्तन किए जाने का विरोध किया। अन्त में उन सैनेटरों की बात मानी गई जो दासों को फाँसी दिए जाने के समर्थक थे। परन्तु पत्थर और जलती हुई मशालें लिए क्रुद्ध भीड़ ने इस आदेश को लागू किये जाने से रोका। परन्तु रोमन सम्राट नीरो ने अभिलेख द्वारा ऐसे लोगों को बुरी तरह फटकारा और उन समस्त. रास्तों पर सेना को नियुक्त कर दिया जहाँ सैनिकों के साथ दोषियों को फाँसी पर चढ़ाने के लिए ले जाया जा रहा था।

प्रश्न 22.
रोमन साम्राज्य में दासों की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में दासों की स्थिति-भूमध्यसागर और निकटवर्ती पूर्व दोनों ही क्षेत्रों में दासता की जड़ें… बहुत गहरी थीं। वहाँ दास-प्रथा बड़े पैमाने पर प्रचलित थी। इटली में तो गुलामों का बोलबाला था। रोमन सम्राट आगस्टस के शासन काल में इटली की कुल 75 लाख की जनसंख्या में 30 लाख दास थे। यद्यपि उच्च वर्ग के लोग दासों के प्रति प्रायः क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते थे, परन्तु सामान्य लोग दासों के प्रति काफी सहानुभूति रखते थे।

जब प्रथम शताब्दी में शान्ति स्थापित होने के साथ लड़ाई-झगड़े कम हो गए, तो दासों की आपूर्ति में कमी आने लगी और दास – श्रम का प्रयोग करने वालों को दास – प्रजनन अथवां वेतनभोगी मजदूरों जैसे विकल्पों का सहारा लेना पड़ा। बाद की अवधि में कृषि क्षेत्र में अधिक संख्या में दास-मजदूर नहीं रहे। अब इन दासों और मुक्त हुए गुलामों को व्यापार-प्रबन्धकों के रूप में बड़ी संख्या में नियुक्त किया जाने लगा। मालिक प्रायः अपने दासों अथवा मुक्त हुए दासों को अपनी ओर से व्यापार चलाने के लिए पूँजी की व्यवस्था कर देते थे और कभी-कभी उन्हें सम्पूर्ण कारोबार सौंप देते थे।

प्रश्न 23.
पाँचवीं शताब्दी के प्रारम्भिक दशकों में रोमन अभिजात वर्ग की आमदनियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पाँचवीं शताब्दी के प्रारम्भिक दशकों में रोमन अभिजात वर्ग की आमदनियाँ – इतिहासकार ओलिंपि ओडोरस के अनुसार रोम के उच्च घरानों में से प्रत्येक के पास अपनी आय में वह सब कुछ उपलब्ध था जो एक मध्यम आकार के शहरों में हो सकता है। एक घुड़दौड़ का मैदान ( हिप्पोड्रोम), अनेक मंच – मन्दिर, फव्वारे और विभिन्न प्रकार स्नानागार आदि थे। बहुत से रोमन परिवारों को अपनी सम्पत्ति से प्रतिवर्ष 4,000 पाउण्ड सोने की आय प्राप्त होती थी। इसमें अनाज, शराब और अन्य उपज शामिल नहीं थी; इन उपजों को बेचने पर सोने में प्राप्त आय के एक-तिहाई के बराबर आय हो सकती थी। सेम में द्वितीय श्रेणी के परिवारों की आय 1,000 अथवा 1,500 पाउण्ड सोना थी।

प्रश्न 24.
रोमन साम्राज्य के परवर्ती काल में वहाँ की नौकरशाही के उच्च तथा मध्य वर्गों की स्थिति का वर्णन कीजिए। सरकार ने इन वर्गों में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने के लिए क्या उपाय किये?
उत्तर:
परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य की नौकरशाही के उच्च तथा मध्य वर्गों की आर्थिक दशा – परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य. की नौकरशाही के उच्च तथा मध्य वर्ग अपेक्षाकृत बहुत धनी थे क्योंकि उन्हें अपना वेतन सोने के रूप में मिलता था और वे अपनी आय का काफी बड़ा हिस्सा जमीन आदि खरीदने में लगाते थे। इसके अतिरिक्त रोमन साम्राज्य में भ्रष्टाचार बहुत फैला हुआ था, विशेष रूप से न्याय प्रणाली तथा सैन्य आपूर्ति के प्रशासन में। उच्च अधिकारी और गवर्नर लूट- खसोट और रिश्वत के द्वारा खूब धन कमाते थे। अतः सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए अनेक कानून बनाए। इतिहासकारों एवं अन्य बुद्धिजीवियों ने भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों की कटु निन्द्रा की।

प्रश्न 25.
परवर्ती काल में रोम के तानाशाह सम्राटों पर अंकुश लगाने के लिए क्या उपाय किये गए ?
उत्तर:
रोम के तानाशाह सम्राटों पर अंकुश लगाना- रोमन राज्य तानाशाही पर आधारित था। रोम के सम्राट अपना विरोध अथवा आलोचना सहन नहीं करते थे । वे हिंसात्मक उपायों द्वारा अपने विरोधियों का दमन करने का प्रयास करते थे। परन्तु चौथी शताब्दी तक आते-आते रोमन कानून की एक प्रेबल परम्परा शुरू हो गई थी और उसने रोम के तानाशाह सम्राटों पर अंकुश लगाने का प्रयास किया। इन कानूनों के अन्तर्गत सम्राट लोग अपनी मनमानी नहीं कर सकते थे।

नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनों का प्रभावशाली ढंग से प्रयोग किया जाता था। कानूनों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए एम्ब्रोस नामक शक्तिशाली बिशप ने कहा था कि यदि सम्राट सामान्य जनता के प्रति कठोर एवं दमनकारी नीति अपनायें, तो बिशप भी उतनी ही अधिक शक्ति से उनका मुकाबला करें।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

प्रश्नं 26.
रोमन साम्राज्य की सामाजिक संरचनाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य की सामाजिक संरचनाएँ – इतिहासकार टैसिटस के अनुसार रोमन साम्राज्य निम्नलिखित प्रमुख वर्गों में विभाजित था –

  • सेनेटर या अभिजात वर्ग
  • अश्वारोही वर्ग
  • जनता का सम्माननीय मध्यम वर्ग
  • निम्नतर वर्ग तथा
  • दास। यथा

(1) अभिजात वर्ग तथा अश्वारोही वर्ग-साम्राज्य के परवर्ती काल में सैनेटर और अश्वारोही वर्ग एकीकृत होकर एक विस्तृत अभिजात वर्ग बन चुके थे। यह ‘परवर्ती रोमन’ अभिजात वर्ग अत्यधिक धनवान था किन्तु कई तरीकों से यह विशुद्ध सैनिक संभ्रान्त वर्ग से कम शक्तिशाली था जिनकी पृष्ठभूमि अधिकतर अभिजातवर्गीय नहीं थी।

(2) मध्यम वर्ग – मध्यम वर्गों में नौकरशाही और सेना की सेवा से जुड़े आम लोग सम्मिलित थे, किन्तु इस वर्ग में अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध सौदागर तथा किसान भी सम्मिलित थे जिनमें से बहुत से लोग पूर्वी प्रान्तों के निवासी थे। टैसिटस ने इस सम्माननीय मध्यम वर्ग का महान सीनेट गृहों के आश्रितों के रूप में वर्णन किया है। मुख्य रूप से सरकारी सेवा और राज्य पर निर्भरता ही इन मध्यम वर्गीय परिवारों का भरण-पोषण करती थी।

(3) निम्नतर वर्ग तथा दास – मध्यम वर्ग से नीचे निम्नतर वर्गों का एक विशाल समूह था, जिन्हें सामूहिक रूप से ‘ह्यूमिलिओरिस’ अर्थात् ‘निम्नतर वर्ग’ कहा जाता था। इनमें ग्रामीण श्रमिक सम्मिलित थे, जिनमें बहुत से लोग स्थायी रूप से बड़ी जागीरों में नियोजित थे। इनमें औद्योगिक और खनन प्रतिष्ठानों के कामगार, प्रवासी कामगार, स्व-1 -नियोजित शिल्पकार, कभी-कभी काम करने वाले श्रमिक सम्मिलित थे। इसके अतिरिक्त दास वर्ग में बड़ी संख्या में गुलाम लोग सम्मिलित थे।

प्रश्न 27.
परवर्ती काल में रोमन सम्राट कान्स्टैन्टाइन द्वारा किये गए सुधारों का वर्णन कीजिए। उसके समय में हुई आर्थिक प्रगति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
रोमन सम्राट कान्स्टैन्टाइन द्वारा किये गये सुधार-
(1) कान्स्टैन्टाइन ने मौद्रिक क्षेत्र में अनेक सुधार किये। उसने सॉलिडस नामक सोने का एक नया सिक्का चलाया जो 4.5 ग्राम शुद्ध सोने का बना हुआ था। यह सिक्का रोमन साम्राज्य की समाप्ति के बाद भी चलता रहा।

(2) कान्स्टैन्टाइन ने एकदूसरी राजधानी कुस्तुन्तुनिया का निर्माण करवाया। यह नई राजधानी तीन ओर समुद्र से घिरी हुई थी।

(3) मौद्रिक स्थायित्व तथा बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण आर्थिक विकास में तेजी आई।

(4) पुरातात्विक अभिलेखों से ज्ञात होता है कि औद्योगिक प्रतिष्ठानों सहित ग्रामीण उद्योग-धन्धों तथा व्यापार के विकास में काफी पूँजी लगाई गई। तेल की मिलों, शीशे के कारखानों, पेंच की प्रेसों तथा पानी की मिलों की स्थापना की गई।

(5) इन सभी के फलस्वरूप शहरी सम्पदा एवं समृद्धि में अत्यधिक वृद्धि हुई जिससे स्थापत्य कला का विकास हुआ तथा भोग-विलास के साधनों में तेजी आई।

प्रश्न 28.
परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य की धार्मिक स्थिति की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
“परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य की धार्मिक स्थिति-

  1. रोमन लोग बहुदेववादी थे। ये लोग अनेक पंथों एवं उपासना पद्धतियों में विश्वास रखते थे।
  2. ये लोग जूपिटर, मिनर्वा, जूनो मार्स आदि अनेक देवी-देवताओं की पूजा किया करते थे।
  3. इन्होंने देवी-देवताओं की पूजा के लिए अनेक मन्दिरों, मठों और देवालयों का निर्माण किया था।
  4. रोमन साम्राज्य का एक अन्य बड़ा धर्म यहूदी था। परन्तु यहूदी धर्म में अनेक विविधताएँ विद्यमान थीं।
  5. चौथी या पाँचवीं शताब्दियों में साम्राज्य का ‘ईसाईकरण’ एक क्रमिक एवं जटिल प्रक्रिया के रूप में हुआ।
  6. चौथी शताब्दी में भिन्न-भिन्न धार्मिक समुदायों के बीच की सीमाएँ इतनी कठोर एवं गहरी नहीं थीं, जितनी कि आगे चलकर हो गईं। ऐसा शक्तिशाली बिशपों के प्रयासों के परिणामस्वरूप हुआ।

प्रश्न 29.
प्राचीन विश्व इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक क्रान्ति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अरब प्रदेश से शुरू होने वाले इस्लाम के विस्तार को ‘प्राचीन विश्व इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक क्रान्ति’ कहा जाता है। 642 ई. तक पूर्वी रोमन और ससानी दोनों राज्यों के बड़े- बड़े भाग भीषण युद्ध के बाद अरबों के अधिकार में आ गए थे, परन्तु उभरते हुए इस्लामी राज्य की विजयें, अरब जनजातियों को पराजित करने से ही हुईं। अरब देशों से शुरू होकर ये विजयें सीरियाई रेगिस्तान तथा इराक की सीमाओं तक पहुँच गईं जिसके बाद मुस्लिम सेनाएँ दूर- दूर तक के प्रदेश में गईं।

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प्रश्न 30.
रोमन साम्राज्य के पतन की परिस्थितियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य के पतन की परिस्थितियाँ – छठी शताब्दी में रोमन साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया शुरू हो गई। साम्राज्य का पश्चिमी भाग राजनीतिक दृष्टि से विखण्डित हो गया । उत्तर से आने वाले जर्मन मूल के समूहों (गोथ, वेंडल, लोंबार्ड आदि) ने सभी बड़े प्रान्तों पर अधिकार कर लिया और अपने-अपने राज्य स्थापित कर लिए जिन्हें ‘रोमोत्तर राज्य’ कहा जाता है। इनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण राज्य थे – स्पेन में विसिगोथों का राज्य, गाल में फ्रैंकों का राज्य (लगभग 511-587) और इटली में लोम्बार्डों का राज्य (568-774)।

533 ई. में जस्टीनियन ने अफ्रीका को वेंडलों के आधिपत्य से मुक्त करा लिया और इटली पर अधिकार कर लिया परन्तु इससे देश तहस-नहस हो गया और लोम्बार्डों के आक्रमण के लिए मार्ग प्रशस्त हो गया। सातवीं शताब्दी के प्रारम्भिक दशकों में रोम और ईरान के बीच युद्ध पुनः छिड़ गया। ईरान के ससानी शासकों ने मिस्र सहित पूर्वी प्रान्तों पर आक्रमण कर दिया। परन्तु 620 के दशक में बाइजेन्टियन (रोमन साम्राज्य ) ने इन प्रान्तों पर पुनः अधिकार कर लिया। 642 ई. तक पूर्वी रोमन और ससानी राज्यों के बड़े-बड़े भागों पर अरबों ने अधिकार कर लिया।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
” सम्राट, अभिजात वर्ग और सेना रोमन साम्राज्य के राजनीतिक इतिहास में तीन मुख्य खिलाड़ी थे। ” स्पष्ट कीजिए
अथवा
रोमन साम्राज्य की तीन प्रमुख राजनीतिक संस्थाओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य के राजनीतिक इतिहास के तीन मुख्य खिलाड़ी रोमन साम्राज्य के राजनीतिक इतिहास के तीन मुख्य खिलाड़ी निम्नलिखित थे –
(1) सम्राट – सम्राट राज्य का एकछत्र शासक था। साम्राज्य की सभी शक्तियाँ उसके हाथ में केन्द्रित थीं। इस प्रकार वह सत्ता का वास्तविक स्रोत था। परन्तु उसे ‘प्रमुख नागरिक’ कहा जाता था। ऐसा सैनेट के महत्त्व को बनाए रखने तथा उसे सम्मान प्रदान करने के लिए किया गया था। सम्राट यह प्रदर्शित करना चाहता था कि वह निरंकुश शासक नहीं है।

(2) अभिजात वर्ग अथवा सैनेट- सैनेट में धनवान परिवारों के समूह का बोलबाला था जिन्हें अभिजात कहा जाता था। गणतन्त्र काल में सैनेट ने ही सत्ता पर अपना नियन्त्रण बनाए रखा था। सैनेट एक ऐसी संस्था थी जिसमें कुलीन एवं अभिजात वर्गों अर्थात् धनी परिवारों के सदस्य सम्मिलित थे। सम्राटों का मूल्यांकन इस बात से किया जाता था कि वे सैनेट प्रति किस प्रकार का व्यवहार करते थे।

जो सम्राट सैनेट के सदस्यों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करते थे और उन्हें सन्देह की दृष्टि से देखते थे, वे सबसे बुरे सम्राट माने जाते थे। कई सैनेटर गणतन्त्र युग में लौटने की अभिलाषा करते थे, सैनेटों को यह ज्ञात अवश्य हो गया था कि यह असम्भव था। परन्तु अधिकतर सैनेट की सदस्यता जीवन-भर चलती थी और उसके लिए जन्म की अपेक्षा धन और पद-प्रतिष्ठा को प्राथमिकता दी जाती थी। रोम में सैनेट का अस्तित्व कई शताब्दियों तक रहा था।

(3) सेना – सेना भी साम्राज्यिक शासन की एक महत्त्वपूर्ण संस्था थी। रोम की सेना एक व्यावसायिक सेना थी जिसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था और उसे कम-से-कम 25 वर्ष तक सेवा करनी पड़ती थी। इस प्रकार एक वेतनभोगी सेना का होना रोमन साम्राज्य की एक प्रमुख विशेषता थी। सेना साम्राज्य में सबसे बड़ा एकल संगठित निकाय थी। चौथी शताब्दी तक रोमन सेना में 6,00,000 सैनिक थे। सेना काफी प्रभावशाली थी और उसमें सम्राटों का भाग्य निश्चित करने की शक्ति थी। सैनिक अच्छे वेतन और सेवा शर्तों के लिए निरन्तर आन्दोलन करते रहते थे।

कभी-कभी ये आन्दोलन सैनिक विद्रोहों का रूप धारण कर लेते थे। सैनेट सेना घृणा करती थी और उससे भयभीत रहती थी, क्योंकि सेना हिंसा का स्रोत थी। सम्राटों की सफलता इस बात पर निर्भर करती थी कि वे सेना पर कितना नियन्त्रण रख पाते थे। जब सेनाएँ विभाजित हो जाती थीं, तो इसके परिणामस्वरूप साम्राज्य को गृह युद्ध का सामना करना पड़ता था। 69 ई. में रोम में गृहयुद्ध के परिणामस्वरूप एक के बाद एक कुल मिलाकर चार सम्राट सत्तासीन हुए थे।

प्रश्न 2.
रोमन समाज की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
रोमन समाज की प्रमुख विशेषताएँ
रोमन समाज की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत की गई है –
(1) सामाजिक संरचनाएँ – इतिहासकार टैसिटस के अनुसार रोमन साम्राज्य निम्नलिखित प्रमुख वर्गों में विभाजित था-

  • सेनेटर या अभिजात वर्ग
  • अश्वारोही वर्ग
  • जनता का सम्माननीय मध्यम वर्ग
  • निम्नतर वर्ग तथा
  • दास।

साम्राज्य के परवर्ती काल के सेनेटर और अश्वारोही वर्ग एकीकृत होकर एक विस्तृत अभिजात वर्ग बन चुके थे। यह ‘परवर्ती रोमन’ अभिजात वर्ग अत्यधिक धनवान था किन्तु कई तरीकों में यह विशुद्ध सैनिक सम्भ्रान्त वर्ग से कम शक्तिशाली था। मध्यम वर्ग में नौकरशाही और सेना की सेवा से जुड़े हुए आम लोग सम्मिलित थे, किन्तु इस वर्ग में अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध सौदागर तथा किसान भी सम्मिलित थे। मध्यम वर्ग से नीचे निम्नतर वर्गों का एक विशाल समूह था, जिन्हें सामूहिक रूप से ‘ह्यूमिलिओरिस’ अर्थात् ‘निम्नतर वर्ग’ कहा जाता था। इनमें ग्रामीण श्रमिक सम्मिलित थे, जिनमें बहुत से लोग स्थायी रूप से बड़ी जागीरों में नियोजित थे।

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(2) एकल परिवार – रोमन समाज में एकल परिवार का व्यापक रूप से चलन था। वयस्क पुत्र अपने पिता के परिवारों के साथ नहीं रहते थे। वयस्क भाई भी बहुत कम साझे परिवार में रहते थे। परन्तु दासों को परिवार में सम्मिलित किया जाता था क्योंकि रोमवासियों के लिए परिवार की यही अवधारणा थी।

(3) विवाह – प्रथम शताब्दी ई. पूर्व तक विवाह का स्वरूप ऐसा था कि पत्नी अपने पति को अपनी सम्पत्ति हस्तान्तरित नहीं किया करती थी परन्तु अपने पैतृक परिवार में वह अपने पूरे अधिकार बनाए रखती थी। स्त्री का दहेज वैवाहिक अवधि में उसके पति के पास चला जाता था, परन्तु स्त्री अपने पिता की मुख्य उत्तराधिकारी बनी रहती थी। अपने पिता की मृत्यु के बाद वह उसकी सम्पत्ति की स्वतन्त्र मालिक बन जाती थी।

इस प्रकार रोमन साम्राज्य की स्त्रियों को सम्पत्ति के स्वामित्व व संचालन में व्यापक कानूनी अधिकार प्राप्त थे। तलाक देना अपेक्षाकृत सरल था। इसके लिए पति अथवा पत्नी द्वारा केवल विवाह भंग करने के निश्चय की सूचना देना ही पर्याप्त था। पुरुष प्राय: 28-29, 30-32 की आयु में विवाह करते थे, जबकि लड़कियाँ 16-18 व 22-23 की आयु में विवाह करती थीं। विवाह प्रायः परिवार द्वारा नियोजित किये जाते थे।

(4) स्त्रियों को प्रताड़ना – परिवारों में पुरुषों का बोलबाला था। यही कारण है कि स्त्रियों पर उनके पति प्रायः हावी रहते थे और उनके साथ कठोर बर्ताव करते थे। प्रसिद्ध कैथोलिक बिशप आगस्टीन ने लिखा है कि उनकी माता की उनके पिता द्वारा नियमित रूप से पिटाई की जाती थी। जिस नगर में वे बड़े हुए थे वहाँ की अधिकतर पत्नियाँ इसी तरह की पिटाई से अपने शरीर पर लगी खरोंचें दिखाती रहती थीं। इससे पता चलता है कि रोमन समाज में स्त्रियों की दशा शोचनीय थी।

(5) पिता का अपने बच्चों पर कानूनी नियन्त्रण होना- रोमन समाज में पिताओं का अपने बच्चों पर अत्यधिक कानूनी नियन्त्रण होता था। अवांछित बच्चों के मामले में पिता को उन्हें जीवित रखने अथवा मार डालने तक का कानूनी अधिकार प्राप्त था। साक्ष्यों से ज्ञात होता है कि कभी-कभी पिता अपने बच्चों को मारने के लिए उन्हें ठण्ड में छोड़ देते थे।

(6) साक्षरता – काम चलाऊ साक्षरता की दरें साम्राज्य के विभिन्न भागों में अलग-अलग थीं। उदाहरण के लिए, रोम के पोम्पेई नगर में काम चलाऊ साक्षरता व्यापक रूप में मौजूद थी। दूसरी ओर, मिस्र से प्राप्त दस्तावेजों से ज्ञात होता है कि वहाँ साक्षरता की दर काफी कम थी। यहाँ भी साक्षरता का निश्चित रूप से कुछ वर्गों के लोगों जैसे कि सैनिकों, सैनिक अधिकारियों, सम्पदा -प्रबन्धकों आदि के लोगों में अपेक्षाकृत अधिक थी।

प्रश्न 3.
रोमन साम्राज्य में दासों की स्थिति पर प्रकाश डालिए। साम्राज्य में श्रम – प्रबन्धन तथा श्रमिकों पर नियन्त्रण सम्बन्धी अवधारणा का वर्णन कीजिए।
अथवा
रोमन साम्राज्य में श्रमिकों और दासों की स्थिति पर लेख लिखिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में दासों की स्थिति रोमन साम्राज्य में दास प्रथा व्यापक रूप से प्रचलित थी। भूमध्य सागर और निकटवर्ती पूर्व दोनों ही क्षेत्रों में दासता की जड़ें बहुत गहरी थीं। आगस्टस के शासन काल में इटली की कुल 75 लाख जनसंख्या में से 30 लाख दास थे। उन दिनों दासों को पूँजी निवेश की दृष्टि से देखा जाता था। यद्यपि उच्च वर्ग के लोग दासों के प्रति प्रायः व्यवहार करते थे, परन्तु साधारण लोग उनके प्रति काफी सहानुभूति रखते थे। क्रूरतापूर्ण रोम की अर्थव्यवस्था में दासों की भूमिका – जब प्रथम शताब्दी में रोमन साम्राज्य में शान्ति स्थापित होने के साथ लड़ाई-झगड़े कम हो गए तो दासों की आपूर्ति में कमी आ गई।

अतः दास- श्रम का प्रयोग करने वालों को दास- प्रजनन अथवा वेतनभोगी श्रमिकों जैसे विकल्पों का सहारा लेना पड़ा। वेतनभोगी मजदूर सस्ते पड़ते थे तथा उन्हें सरलता से छोड़ा और रखा जा सकता था। दास- श्रमिकों को वर्ष भर रखना पड़ता था और इस अवधि में उन्हें भोजन देना पड़ता तथा उनके अन्य खर्चे भी उठाने पड़ते थे।

इसके परिणामस्वरूप दास – श्रमिकों को रखने से लागत बढ़ जाती थी। इसलिए बाद की अवधि में कृषि – क्षेत्र में अधिक संख्या में दास – मजदूर नहीं रहे। दूसरी ओर, इन दासों और मुक्त हुए दासों को व्यापार-1 र- प्रबन्धकों के रूप में व्यापक रूप से नियुक्त किया जाने लगा। मालिक अपनी ओर से व्यापार चलाने के लिए उन्हें पूँजी देते थे और कभी-कभी अपना सम्पूर्ण कारोबार उन्हें सौंप देते थे। श्रम-प्रबन्धन और श्रमिकों पर नियन्त्रण सम्बन्धी अवधारणा – रोमन साम्राज्य में श्रम – प्रबन्धन पर विशेष ध्यान दिया गया था। इस सम्बन्ध में कृषि विषयक लेखकों ने निम्नलिखित अवधारणाओं पर बल दिया है –

(1) कोलूमेल्ला के सुझाव –
(i) प्रथम शताब्दी के लेखक कोलूमेल्ला ने सिफारिश की थी कि ज़मींदारों को अपनी आवश्यकता से दुगुनी संख्या में उपकरणों तथा औजारों का सुरक्षित भण्डार रखना चाहिए ताकि उत्पादन निरन्तर होता रहे।

(ii) दासों तथा श्रमिकों के कार्यों की निगरानी रखने पर भी विशेष बल दिया गया। नियोक्ताओं की यह मान्यता थी कि निरीक्षण के बिना कभी भी कोई काम ठीक से नहीं करवाया जा सकता। इसलिए दासों तथा मुक्त हुए दासों के कार्यों के निरीक्षण की व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया गया। निरीक्षण को सरल बनाने के लिए कामगारों को कभी-कभी छोटे दलों में विभाजित कर दिया जाता था। कोलूमेल्ला ने दस-दस श्रमिकों के समूह बनाने की सिफारिश की थी और इस बात पर बल दिया कि इन छोटे समूहों में यह बताना अपेक्षाकृत सरल होता है कि उनमें से कौन काम कर रहा है और कौन काम से जी चुरा रहा है।

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(2) इतिहासकार वरिष्ठ प्लिनी का विश्लेषण –
(i) ‘प्रकृति विज्ञान’ नामक पुस्तक के रचयिता वरिष्ठ प्लिनी ने दास-समूहों के प्रयोग की यह कहकर निन्दा की कि यह उत्पादन संगठित करने का सबसे बुरा तरीका है क्योंकि इस प्रकार अलग-अलग समूह में काम करने वाले दासों को सामान्यतया पैरों में जंजीर डाल कर एक साथ रखा जाता था।

(ii) रोमन साम्राज्य में कुछ औद्योगिक प्रतिष्ठानों ने तो इससे भी अधिक कड़े नियन्त्रण लागू कर रखे थे। वरिष्ठ प्लिनी ने सिकन्दरिया की फ्रैंकिन्सेंस (सुगन्धित राल ) की फैक्ट्रियों की परिस्थितियों का वर्णन किया है। उनके अनुसार कितना ही कड़ा निरीक्षण रखें, काफी प्रतीत नहीं होता था। वरिष्ठ प्लिनी ने लिखा है कि ” कामगारों के एप्रेनों पर एक सील लगा दी जाती है, उन्हें अपने सिर पर एक गहरी जाली वाला मास्क या नेट पहनना पड़ता है और उन्हें फैक्ट्री से बाहर जाने के लिए अपने सभी कपड़े उतारने पड़ते हैं।” सम्भवतः यही बात अधिकांश फैक्ट्रियों और कारखानों पर लागू होती थी।

(iii) 398 ई. के एक कानून में यह कहा गया है कि कामगारों को दागा जाता था ताकि भागने या छिपने का प्रयत्न करने पर उन्हें पहचाना जा सके।

(iv) कई निजी मालिक कामगारों के साथ ऋण-संविदा के रूप में अनुबन्ध कर लेते थे ताकि वे यह दावा कर सकें कि उनके कर्मचारी उनके कर्जदार हैं। इस प्रकार वे अपने कामगारों पर कड़ा नियन्त्रण रखते थे।

(3) आगस्टीन के विचार – आगस्टीन के एक पत्र से हमें यह जानकारी प्राप्त होती है कि कभी-कभी माता- पिता अपने बच्चों को 25 वर्ष के लिए बेच कर बन्धुआ मजदूर बना देते थे। ग्रामीण ऋणग्रस्तता और भी अधिक व्यापक थी।

प्रश्न 4.
रोमन साम्राज्य की सामाजिक संरचना की विवेचना कीजिए।
अथवा
रोमन साम्राज्य की सामाजिक श्रेणियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
I. पूर्ववर्ती काल में रोमन साम्राज्य की प्रमुख सामाजिक श्रेणियाँ – इतिहासकार टैसिटस के अनुसार पूर्ववर्ती काल में रोमन साम्राज्य की प्रमुख सामाजिक श्रेणियाँ निम्नलिखित थीं –

  • सैनेटर-तीसरी शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में सैनेट की सदस्य संख्या लगभग 1000 थी। कुल सैनेटरों में लगभग आधे सैनेटर अभी भी इतालवी परिवारों के थे।
  • अश्वारोही या नाइट वर्ग।
  • जनता का सम्माननीय वर्ग, जिनका सम्बन्ध महान घरानों से था।
  • फूहड़ निम्नतर वर्ग अथवा कमीनकारु ( प्लेब्स सोर्डिडा ) – ये लोग सर्कस तथा थियेटर तमाशे देखने के शौकीन थे।
  • दास।

II. परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य की प्रमुख सामाजिक श्रेणियाँ – परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य की प्रमुख सामाजिक श्रेणियाँ निम्नलिखित थीं –
(1) अभिजात वर्ग- परवर्ती काल में सैनेटर और नाइट (अश्वारोही) एकीकृत होकर एक विस्तृत अभिजात वर्ग बन चुके थे। इनके कुल परिवारों में से कम-से-कम आधे परिवार अफ्रीकी या पूर्वी मूल के थे। यह अभिजात वर्ग अत्यधिक धनवान था परन्तु विशुद्ध सैनिक संभ्रान्त वर्ग की तुलना में कम शक्तिशाली था।

(2) मध्यम वर्ग – मध्यम वर्ग में नौकरशाही और सेना की सेवा से जुड़े सामान्य लोग सम्मिलित थे। इसमें अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध सौदागर तथा किसान भी शामिल थे। इन मध्यम वर्ग के परिवारों का जीवन निर्वाह सरकारी सेवा तथा राज्य पर निर्भरता द्वारा होता था।

(3) निम्नतर वर्ग – मध्यम वर्ग के नीचे निम्न वर्ग का एक विशाल समूह था, जिसे सामूहिक रूप से ‘ह्यूमिलि ओरिस’ अर्थात् ‘निम्नतर वर्ग’ कहा जाता था । इस वर्ग में निम्नलिखित वर्गों के लोग सम्मिलित थे –

  • ग्रामीण श्रमिक – इनमें बहुत से लोग स्थायी रूप से बड़ी जागीरों में काम करते थे।
  • औद्योगिक और खनन प्रतिष्ठानों के श्रमिक
  • प्रवासी कामगार-ये अनाज तथा जैतून की फसल कटाई और निर्माण उद्योग में अधिकांश श्रम की पूर्ति करते
  • स्व-नियोजित शिल्पकार-ये लोग मजदूरी पाने वाले श्रमिकों की तुलना में अच्छा खाते-पीते थे।
  • अस्थायी अथवा कभी-कभी काम करने वाले श्रमिक
  • दास-ये विशेष रूप से सम्पूर्ण पश्चिमी साम्राज्य में पाए जाते थे।

प्रश्न 5.
परवर्ती पुराकाल में रोमन साम्राज्य में सांस्कृतिक तथा प्रशासनिक क्षेत्रों में हुए परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
अथवा
“परवर्ती पुराकाल में रोमन साम्राज्य में शहरी सम्पदा एवं समृद्धि में अत्यधिक वृद्धि हुई।” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परवर्ती पुराकाल में रोमन साम्राज्य में सांस्कृतिक तथा प्रशासनिक परिवर्तन ‘परवर्ती पुराकाल’ शब्द का प्रयोग रोमन साम्राज्य के इतिहास की उस अन्तिम अवधि का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो प्रायः चौथी से सातवीं शताब्दी तक फैली हुई थी। इस काल में रोमन साम्राज्य में धार्मिक तथा प्रशासनिक क्षेत्रों में निम्नलिखित परिवर्तन हुए-
(1) धार्मिक परिवर्तन –

  • चौथी शताब्दी में रोमन सम्राट कान्स्टैन्टाइन ने ईसाई धर्म को राजधर्म घोषित कर दिया। इसके फलस्वरूप रोमन साम्राज्य में ईसाई धर्म का व्यापक रूप से प्रसार हुआ।
  • सातवीं शताब्दी में इस्लाम का उदय हुआ।

(2) प्रशासनिक परिवर्तन- राज्य के प्रशासनिक ढाँचे में भी महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए। ये परिवर्तन सम्राट डायोक्लीशियन (284-305 ई.) के समय से शुरू हुए।

यथा –

  • सम्राट डायोक्लीशियन के समय में हुए परिवर्तन-
  • सम्राट डायोक्लीशियन ने महसूस किया कि साम्राज्य का विस्तार बहुत अधिक हो चुका है और उसके अनेक प्रदेशों का सामरिक अथवा आर्थिक दृष्टि से कोई महत्त्व नहीं है, इसलिए उसने उन प्रदेशों को छोड़ कर साम्राज्य को थोड़ा छोटा बना लिया।
  • उसने साम्राज्य की सीमाओं पर किले बनवाए।
  • उसने प्रान्तों का पुनर्गठन किया और असैनिक कार्यों को सैनिक कार्यों से पृथक् कर दिया।
  • उसने सेनापतियों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की, जिससे इन सैनिक अधिकारियों की शक्ति में वृद्धि हुई।

(ii) सम्राट कान्स्टैन्टाइन के समय में हुए परिवर्तन – सम्राट कान्स्टैन्टाइन के समय में अग्रलिखित परिवर्तन हुए –

  • सम्राट् कान्स्टैन्टाइन ने मौद्रिक क्षेत्र में अनेक सुधार किये। उसने ‘सालिडस’ नामक एक नया सिक्का चलाया जो 4.5 ग्राम शुद्ध सोने का बना हुआ था। ये सिक्के बहुत बड़े पैमाने पर ढाले जाते थे और बहुत बड़ी संख्या में चलन में थे।
  • कान्स्टैन्टाइन ने कुस्तुन्तुनिया का निर्माण करवाया और उसे अपनी दूसरी राजधानी बनाया। यह नई राजधानी तीन ओर समुद्र से घिरी हुई थी।
  • नई राजधानी के लिए नयी सैनेट की आवश्यकता थी, इसलिए चौथी शताब्दी में शासक वर्ग का तीव्र गति से विकास हुआ।

(3) आर्थिक क्षेत्र में प्रगति – मौखिक स्थायित्व और बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण आर्थिक विकास में तेजी आई। औद्योगिक प्रतिष्ठानों तथा ग्रामीण उद्योग-धन्धों और व्यापार के विकास में काफी पूँजी लगाई गई। इनमें तेल की मिलें, शीशे के कारखाने, पेंच की प्रेसें तथा पानी की मिलें उल्लेखनीय थीं। लम्बी दूरी के व्यापार में भी काफी पूँजी का निवेश किया गया जिसके फलस्वरूप ऐसे व्यापार का पुनरुत्थान हुआ। शहरी सम्पदा तथा समृद्धि में अत्यधिक वृद्धि – उपर्युक्त परिवर्तनों के फलस्वरूप शहरी सम्पदा तथा समृद्धि में अत्यधिक वृद्धि हुई जिससे स्थापत्य कला के क्षेत्र में उन्नति हुई तथा भोग-विलास के साधनों में वृद्धि हुई।

शासक वर्ग के कुलीन लोग, पहले से कहीं अधिक धनवान और शक्तिशाली हो गए। विभिन्न दस्तावेजों से ज्ञात होता है कि तत्कालीन समाज अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध था, जहाँ मुद्रा का व्यापक रूप से प्रयोग होता था तथा ग्रामीण सम्पदाएँ भारी मात्रा में सोने के रूप में लाभ कमाती थीं। छठी शताब्दी में सम्राट जस्टीनियन के शासन काल में अकेले मिस्र से प्रतिवर्ष 25 लाख सालिडस (लगभग 35,000 पाउण्ड सोना) से अधिक धन राशि करों के रूप में प्राप्त होती थी। वास्तव में पाँचवीं और छठी शताब्दियों में पश्चिमी एशिया के बड़े-बड़े ग्रामीण क्षेत्र अधिक विकसित और घने बसे हुए थे।

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प्रश्न 6.
विश्व के इतिहास में रोमन सभ्यता की देन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
विश्व के इतिहास में रोमन सभ्यता की देन विश्व के इतिहास में रोमन सभ्यता की देन को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है –
(1) विस्तृत साम्राज्य की स्थापना का मार्ग दिखाना – रोम निवासियों ने अनेक देशों को अपने अधीन करके साम्राज्य स्थापित किया। यह साम्राज्य बहुत विस्तृत था। इतना बड़ा साम्राज्य इससे पहले कोई जाति स्थापित नहीं कर की थी। इस प्रकार उन्होंने एक बड़ा साम्राज्य स्थापित करके संसार के अन्य लोगों को विस्तृत साम्राज्य स्थापित करने का मार्ग दिखाया।

(2) उत्तम प्रबन्ध – विस्तृत रोमन साम्राज्य का प्रबन्ध बड़े उत्तम ढंग से किया गया, वहाँ अशान्ति एवं अव्यवस्था नहीं थी। इस साम्राज्य ने विभिन्न जातियों को एक सूत्र में पिरोय।

(3) धार्मिक सहिष्णुता – रोमन साम्राज्य ने विश्व को धार्मिक सहिष्णुता का मार्ग दिखाया। रोमन साम्राज्य में विभिन्न जातियों तथा धर्मों के लोग रहते थे, लेकिन इस आधार पर किसी भी नागरिक को तंग नहीं किया जाता था।

(4) सैनिक संगठन और अनुशासन-रोम ने अनेक सेनानायकों को जन्म दिया जिन्होंने विशाल सेनाएँ रखीं और उसका अच्छा प्रबन्ध किया। अतः विशाल सैनिक संगठन और अनुशासन रोम की ही देन है।

(5) कानून – आधुनिक विधानशास्त्र का उद्भव रोम से ही माना जाता है। कानूनों का एक संग्रह जस्टीनियन ने सर्वप्रथम संसार के समक्ष रखा। आज भी यूरोप के अनेक देशों में कानून का आधार यही संग्रह है।

(6) ईसाई मत का विस्तार – रोमन शासक कांस्टैंटाइन ने ईसाई धर्म को अपनाकर उसे अपने सारे साम्राज्य का राज्य धर्म बना दिया। इसके बाद ईसाई धर्म का तेजी से विस्तार हुआ।

(7) भवन निर्माण कला – भवन निर्माण कला में भी रोमनों की विश्व को बड़ी देन है। उन्होंने जो अनेक मंदिर, स्नानागार, थियेटर, राजमहल आदि बनवाए वे स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

(8) लैटिन भाषा का विकास – लैटिन भाषा का रोमन साम्राज्य में अत्यधिक विकास हुआ।

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