JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

Jharkhand Board JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

1. मंगोल यायावर थे –
(अ) चीन के
(ब) रूस के
(स) मध्य एशिया के स्टेपी क्षेत्र के
(द) सीरिया के।
उत्तर:
(स) मध्य एशिया के स्टेपी क्षेत्र के

2. मंगोलों को व्यापार के लिए किस देश के स्थायी निवासियों के पास जाना पड़ता था –
(अ) ईरान
(ब) तूरान
(स) भारत
(द) चीन।
उत्तर:
(द) चीन।

3. चंगेजखान का प्रारम्भिक नाम था –
(अ) जमूका
(ब) नेमन
(स) तेमुजिन
(द) अब्दुल्ला खान।
उत्तर:
(स) तेमुजिन

4. चंगेज खाँ की मृत्यु हुई-
(अ) 1226 ई.
(ब) 1227 ई.
(स) 1326 ई.
(द) 1327 ई.।
उत्तर:
(ब) 1227 ई.

5. कृषकों और नगरों के रक्षक के रूप में कौन प्रसिद्ध था?
(अ) चंगेजखान
(ब) चघताई
(स) ओगोदेई
(द) कुबलई खान।
उत्तर:
(द) कुबलई खान।

6. किस मंगोल शासक ने अपने सेनापतियों को आदेश दिया था कि वे किसानों को न लूटें और उनकी रक्षा करें?
(अ) चंगेज खान
(ब) कुबलई खान
(स) गजन खान
(द) जोची।
उत्तर:
(स) गजन खान

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

7. चंगेजखान की विधि-संहिता कहलाता है –
(अ) उलुस
(ब) तामा
(स) किरिलताई
(द) यास।
उत्तर:
(द) यास।

8. चंगेज खान के तीसरे पुत्र ओगोदेई ने अपनी राजधानी प्रतिष्ठित की –
(अ) चीन में
(ब) कराकोरम में
(स) ईरान में
(द) अफगानिस्तान में।
उत्तर:
(ब) कराकोरम में

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –

1. कुछ मंगोल पशुपालक थे और कुछ ………………
2. मंगोलों के स्टेपी क्षेत्रों में कोई …………… नहीं उभर पाया।
3. समय – समय पर प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मंगोल समुदायों में ……………. होता था।
4. चंगेज खां उन विभिन्न जनजातीय समूहों को जो उसके महासंघ के सदस्य थे, की पहचान को योजनाबद्ध रूप से …………… को कृत-संकल्प था।
5. चंगेज खां ने प्राचीन जनजातीय समूहों को …………….. कर उनके सदस्यों को नवीन सैनिक इकाइयों में विभक्त कर दिया।
उत्तर:
1. शिकारी संग्राहक
2. नगर
3. संघर्ष
4. मिटाने
5. विभाजित।

निम्न में से सत्य / असत्य कथन छाँटिये –

1. चंगेज खां के चार पुत्रों के अधीन नयी सैनिक टुकड़ियों को आंडा कहा जाता था।
2. चंगेज खां के कर्त्तव्यनिष्ठ अनुयायियों के समूह को नोयान कहा जाता था।
3. आंडा ने निम्न श्रेणी के कर्त्तव्यनिष्ठ अनुयायी को ‘स्वतंत्र व्यक्ति’ कहा जाता था।
4. चंगेज खां ने अपने नव – विजित लोगों पर शासन करने का उत्तरदायित्व चार पुत्रों को सौंपा। इससे उलूस का गठन हुआ।
5. परिवार के सदस्यों में राज्य की भागीदारी का बोध किरिलताई में होता था।
उत्तर:
1. असत्य
2. असत्य
3. सत्य
4. सत्य
5. सत्य

निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये –

1. कुरिलताई (क) चंगेज खां के चार पुत्रों के अधीन नई सैनिक टुकड़ियां
2. नोयान (ख) चंगेज खां के कर्त्तव्यनिष्ठ अनुयायी
3. आंडा (ग) ऐसा क्षेत्र जिसकी दूरस्थ सीमा निर्धारित नहीं थी।
4. उलूस (घ) सुरक्षित यात्रा हेतु यात्रियों को जारी किए गए पास।
5. जेरेज (च) मंगोल कबीले के सरदारों की एक सभा

उत्तर:

1. कुरिलताई (च) मंगोल कबीले के सरदारों की एक सभां
2. नोयान (क) चंगेज खां के चार पुत्रों के अधीन नई सैनिक टुकड़ियाँ
3. आंडा (ख) चंगेज खां के कर्त्तव्यनिष्ठ अनुयायी
4. उलूस (ग) ऐसा क्षेत्र जिसकी दूरस्थ सीमा निर्धारित नहीं थीं।
5. जेरेज (घ) सुरक्षित यात्रा हेतु यात्रियों को जारी किए गए पास।

 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
किस मंगोल शासक ने फ्रांस के शासक लुई नौवें को चेतावनी दी थी ?
उत्तर:
चंगेजखान के पौत्र मोन्के ने।

प्रश्न 2.
बाटू कौन था ?
उत्तर:
बाटू चंगेज खान का पौत्र था ?

प्रश्न 3.
मंगोल साम्राज्य का संस्थापक कौन था?
उत्तर:
चंगेज खाँ।

प्रश्न 4.
चंगेज खाँ का जन्म कब हुआ था और कहाँ हुआ था ?
उत्तर:
1162 ई. के आस-पास, आधुनिक मंगोलिया में।

प्रश्न 5.
चंगेज खां का प्रारम्भिक नाम क्या था ?
उत्तर:
मुजिन।

प्रश्न 6.
मंगोलों का महानायक किसे घोषित किया गया और किसके द्वारा घोषित किया गया ?
उत्तर:
(1) चंगेज खान को
(2) मंगोल सरदारों की सभा कुरिलताई द्वारा।

प्रश्न 7.
निशापुर में कत्ले-आम का आदेश किसने दिया?
उत्तर:
चंगेज खान ने।

प्रश्न 8.
‘उलुस’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
‘उलुस’ शब्द का मूल अर्थ निश्चित भू-भाग नहीं था।

प्रश्न 9.
चंगेजखाँ के तीसरे और चौथे पुत्रों को शासन करने के लिए कौन से प्रदेश प्राप्त हुए?
उत्तर:
चंगेजखाँ के तीसरे पुत्र ओगोदेई को कराकोरम तथा चौथे पुत्र तोलोए को मंगोलिया प्राप्त हुआ।

प्रश्न 10.
गजन खान कौन था ?
उत्तर:
गजन खान चंगेज खाँ के सबसे छोटे पुत्र तोलुई का वंशज था।

प्रश्न 11.
यायावर कौन थे ?
उत्तर:
यायावर घुमक्कड़ लोग थे जो अनेक परिवारों के समूह में संगठित होते थे।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 12.
चीन की महान दीवार क्यों बनवाई गई थी ?
उत्तर:
मंगोलों के आक्रमणों से सुरक्षा प्राप्त करने के लिए।.

प्रश्न 13.
मंगोलों के प्रमुख नेता का नाम लिखिए।
उत्तर:
चंगेज खान।

प्रश्न 14.
चंगेज खान का सैन्य संगठन किस पद्धति पर आधारित था ?
उत्तर:
स्टेपी क्षेत्र की पुरानी दशमलव पद्धति पर।

प्रश्न 15.
चीनी शासकों द्वारा मंगोलों के आक्रमणों से अपनी प्रजा की रक्षा के लिए किए गए दो उपायों का उल्लेख कीजिये ।
उत्तर:
(1) किलेबन्दी करना
(2) चीन की महान दीवार का निर्माण करवाना।

प्रश्न 16.
चीन की विशाल दीवार के निर्माण का कार्य कब से प्रारम्भ हुआ?
उत्तर:
तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से।

प्रश्न 17.
मंगोलिया में चंगेज खाँ की छवि का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
मंगोलों के लिए चंगेज खाँ एक आराध्य व्यक्ति था।

प्रश्न 18.
यास या यसाक से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
यास्क का अर्थ था-विधि, आज्ञप्ति व आदेश। यह चंगेज खाँ की विधि-संहिता थी। यसाक का सम्बन्ध प्रशासनिक विनियमों से है जैसे आखेट, सैन्य और डाक प्रणाली का संगठन।

प्रश्न 19.
चंगेज खाँ ने बुखारा पर कब विजय प्राप्त की ?
उत्तर:
1220 ई. में।

प्रश्न 20.
चंगेज खाँ का कौनसा पोता किसानों और नगरों का रक्षक था ?
उत्तर:
कुबलई खान।

प्रश्न 21.
‘बर्बर’ शब्द का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘बर्बर’ शब्द यूनानी भाषा के ‘बारबरोस’ शब्द से उत्पन्न हुआ है जिसका तात्पर्य गैर-यूनानी लोगों से है। ये लोग क्रूर एवं निर्दयी होते थे।

प्रश्न 22.
मंगोल शासक मोन्के ने फ्रांस के शासक लुई नौवें को क्या चेतावनी दी थी ?
उत्तर:
“स्वर्ग में केवल एक शाश्वत आकाश है और पृथ्वी का केवल एक अधिपति चंगेज खान है। अतः वह मंगोलों पर आक्रमण न करे।”

प्रश्न 23.
बाटू की दो सैनिक उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) उसने अपने 1236-1241 के अभियानों में रूस की भूमि को मास्को तक रौंद डाला।
(2) उसने पोलैण्ड, हंगरी तथा आस्ट्रिया पर विजय प्राप्त की।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 24.
चंगेजखान ने 1220 में बुखारा को जीत कर वहाँ के व्यापारियों को क्या चेतावनी दी थी ?
उत्तर:
चंगेजखान ने बुखारा के व्यापारियों से कहा था कि “तुमने अनेक पाप किए हैं। ईश्वर ने मुझे तुम्हें दण्ड देने के लिए तुम्हारे पास भेजा है। ”

प्रश्न 25.
मंगोल कौन थे ?
उत्तर:
मंगोल विविध जन-समुदाय का एक निकाय था । ये लोग पूर्व के तातार, खितान तथा मंचू लोगों से सम्बन्धित थे।

प्रश्न 26.
मंगोलों का निवास स्थान क्या था ?
उत्तर:
मंगोल मध्य एशिया के स्टेपी क्षेत्र में रहते थे, जो कि आज के आधुनिक मंगोलिया राज्य का भू-भाग है।

प्रश्न 27.
मंगोलों ने कृषि कार्य को क्यों नहीं अपनाया?
उत्तर:
चारण क्षेत्र में वर्ष की सीमित अवधियों में ही कृषि करना सम्भव था इसलिए मंगोलों ने कृषि कार्य को नहीं अपनाया।

प्रश्न 28.
मंगोल प्रदेशों में नगर विकसित क्यों नहीं हो पाए ?
उत्तर:
मंगोलों ने कृषि कार्य नहीं अपनाया। पशुपालकों और शिकारी संग्राहकों की अर्थव्यवस्था भी घनी आबादी वाले क्षेत्रों का भरण-पोषण करने में समर्थ नहीं थी।

प्रश्न 29.
मंगोल परिवारों के समूह परिसंघ का निर्माण क्यों करते थे?
उत्तर:
मंगोल परिवारों के समूह आक्रमण करने तथा अपनी रक्षा करने के लिए शक्तिशाली कुलों से मिलकर परिसंघ बनाते थे।

प्रश्न 30.
चंगेज खान द्वारा बनाये गए परिसंघ की तुलना किसके परिसंघ से की गई है ?
उत्तर:
चंगेज खान द्वारा बनाया गया परिसंघ पाँचवीं शताब्दी के अट्टीला द्वारा बनाए गए परिसंघ के बराबर था।

प्रश्न 31.
चंगेज खान द्वारा स्थापित राजनीतिक व्यवस्था के स्थायी होने का क्या कारण था ?
उत्तर:
यह व्यवस्था चीन, ईरान और पूर्वी यूरोपीय देशों की उन्नत शस्त्रों से सुसज्जित विशाल सेनाओं का मुकाबला करने में सक्षम थी।

प्रश्न 32.
मंगोलों को व्यापार और वस्तु-विनिमय के लिए किस देश के लोगों के पास जाना पड़ता था और क्यों?
उत्तर:
स्टेपी क्षेत्र में संसाधनों की कमी के कारण मंगोलों को व्यापार और वस्तु विनिमय के लिए चीन के लोगों के पास जाना पड़ता था।

प्रश्न 33.
चीन के साथ किन वस्तुओं का व्यापार किया जाता था?
उत्तर:
मंगोल कबीले खेती से प्राप्त उत्पादों तथा लोहे के उपकरणों को चीन से लाते थे तथा घोड़े, फर और स्टेपी में पकड़े गए शिकार का विनिमय करते थे

प्रश्न 34.
वाणिज्यिक क्रिया-कलापों में मंगोलों को चीनियों के साथ तनाव का सामना क्यों करना पड़ता था ?
उत्तर:
क्योंकि मंगोल और चीनी दोनों ही अधिक लाभ प्राप्त करने की होड़ में निडरतापूर्वक सैनिक कार्यवाही कर बैठते थे।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 35.
चंगेज खान कौन था ?
उत्तर:
चंगेज खान मंगोलों का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक था।

प्रश्न 36.
चंगेज खान स्टेपी क्षेत्र की राजनीति में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में क्यों उभरा और कंब ?
उत्तर:
1206 में चंगेज खान अपने शक्तिशाली प्रतिद्वन्द्वी जमूका तथा नेमन लोगों को निर्णायक रूप से पराजित करने के बाद सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उभरा।

प्रश्न 37.
1206 में अपने प्रतिद्वन्द्वियों को पराजित करने के कारण तेमुजिन को किन उपाधियों से विभूषित किया गया?
उत्तर:
तेमुजिन को ‘चंगेज खान’, ‘समुद्री खान’ या ‘सार्वभौम शासक’ की उपाधियों से विभूषित किया गया और उसे मंगोलों का महानायक घोषित किया गया।

प्रश्न 38.
चंगेज खान की चीन – विजय का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1209 में चंगेज खान ने चीन के उत्तर-पश्चिमी प्रान्तों के सी – सिआ लोगों को पराजित किया और 1215 में पेकिंग नगर को खूब लूटा

प्रश्न 39.
1219 और 1221 तक चंगेज खान के सैनिक अभियानों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
1219 और 1221 तक चंगेज खान ने अपने सैनिक अभियान किये और ओट्रार, बुखारा, समरकन्द, बल्ख, गंज, मर्व, निशापुर तथा हेरात पर विजय प्राप्त की।

प्रश्न 40.
चंगेज खान ने निशापुर में कत्ले-आम का आदेश क्यों दिया?
उत्तर:
निशापुर में घेरा डालने के दौरान एक मंगोल राजकुमार की हत्या कर दिये जाने के कारण ।

प्रश्न 41.
निशापुर नगर को ध्वस्त किये जाने के चंगेज खान के आदेश का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर:
चंगेज खान ने आदेश दिया कि “नगर को इस तरह विध्वंस किया जाए कि सम्पूर्ण नगर में हल चलाया जा सके। ”

प्रश्न 42.
चंगेज खान किसका पीछा करता हुआ सिन्ध प्रदेश तक पहुँच गया था और क्यों ?
उत्तर:
ख्वारिज्म के शासक मोहम्मद के पुत्र जलालखाँ का पीछा करते हुए चंगेजखाँ सिन्ध नदी के तट तक पहुँचा।

प्रश्न 43.
किन कारणों से चंगेज खान ने सिन्धु नदी के तट पर उत्तरी भारत तथा असम मार्ग से मंगोलिया वापस लौटने का विचार बदल दिया ?
उत्तर:
(1) भारत में गर्मी असहनीय थी।
(2) प्राकृतिक आवास की कठिनाइयाँ थीं।
(3) चंगेज खान के शमन निमितज्ञ ने अशुभ संकेत दिए थे।

प्रश्न 44.
अपने शत्रुओं के विरुद्ध चंगेज खान को प्राप्त हुई सैनिक सफलताओं के दो कारण लिखिए।
उत्तर:
(1) मंगोलों और तुर्कों के घुड़सवारी कौशल ने चंगेज खान की सेना को गतिशीलता प्रदान की थी।
(2) मंगोल सैनिक कुशल तीरंदाज थे।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 45.
चंगेज खान की मृत्यु के बाद मंगोल साम्राज्य को किन दो चरणों में विभाजित किया जा सकता है ?
उत्तर:
(1) पहला चरण 1236-1242 तक।
(2) दूसरा चरण 1255-1300 तक।

प्रश्न 46.
1260 के दशक के बाद मंगोलों की राजनीति में नई राजनीतिक प्रवृत्तियों के उदय होने के क्या संकेत थे?
उत्तर:
(1) मंगोलों को हंगरी के स्टेपी- क्षेत्र से पीछे हटना पड़ा।
(2) मंगोलों को मिस्र की सेनाओं ने पराजित कर दिया था।

प्रश्न 47.
पश्चिम में मंगोलों का विस्तार क्यों रुक गया था ? दो कारण बताइए।
उत्तर:
(1) मंगोलों को मिस्र की सेना के हाथों पराजित होना पड़ा।
(2) मंगोलों के तोलूई परिवार की चीन के प्रति रुचि निरन्तर बढ़ रही थी।.

प्रश्न 48.
मंगोलों को मिस्र की सेना के हाथों क्यों पराजित होना पड़ा ?
उत्तर:
मंगोलों ने मिस्र की सेना का मुकाबला करने के लिए एक छोटी और अपर्याप्त सेना भेजी थी।

प्रश्न 49.
चंगेजखान के सैनिक संगठन का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
चंगेजखान ने स्टेपी क्षेत्र की पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार अपनी सेना का गठन किया जो दस, सौ, हजार और दस हजार सैनिकों की इकाई में विभाजित थी।

प्रश्न 50.
नवीन सैनिक टुकड़ियाँ किसके अधीन थीं? उन्हें क्या कहा जाता था ?
उत्तर:
नवीन सैनिक टुकड़ियाँ चंगेज खान के चार पुत्रों के अधीन थीं और विशेष रूप से चयनित कप्तानों के अधीन कार्य करती थीं। इन्हें ‘नोयान’ कहा जाता था।

प्रश्न 51.
उलुस का गठन किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
चंगेज खान ने अपने नव-विजित प्रदेशों पर शासन करने का भार अपने चार पुत्रों को सौंप दिया। इससे उलुस का गठन हुआ।

प्रश्न 52.
चंगेज खान के पुत्रों को शासन करने के लिए कौन-कौनसे प्रदेश प्राप्त हुए? दो का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
(1) चंगेज खान के सबसे ज्येष्ठ पुत्र जोची को रूसी स्टेपी प्रदेश तथा
(2) उसके दूसरे पुत्र चघताई को तूरान का स्टेपी- प्रदेश तथा पामीर के पहाड़ का उत्तरी क्षेत्र प्राप्त हुआ।

प्रश्न 53.
चंगेज खान की हरकारा पद्धति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
चंगेज खान ने एक चुस्त हरकारा पद्धति अपना रखी थी जिससे राज्य के दूरदराज के स्थानों में परस्पर सम्पर्क रखा जाता था।

प्रश्न 54.
‘कुकुर कर’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
चंगेज खान की हरकारा पद्धति की संचार पद्धति की व्यवस्था करने के लिए मंगोल अपने पशुओं का दसवाँ भाग प्रदान करते थे। इसे ‘कुबकुर कर’ कहते थे।

प्रश्न 55.
हरकारा पद्धति मंगोल शासकों के लिए किस प्रकार उपयोगी सिद्ध हुई ?
उत्तर:
हरकारा पद्धति से मंगोल शासकों को अपने विस्तृत महाद्वीपीय साम्राज्य के सुदूर स्थानों में होने वाली घटनाओं की जानकारी मिलती रहती थी।

प्रश्न 56.
विजित लोगों को अपने नवीन यायावर शासकों से कोई लगाव नहीं था। इसके दो कारण बताइये।
उत्तर:
(1) मंगोलों द्वारा किये गए आक्रमणों के फलस्वरूप नव- – विजित क्षेत्रों में अनेक नगर नष्ट कर दिए गए थे।
(2) कृषि भूमि को भारी हानि हुई थी।

प्रश्न 57.
यायावर शासकों के विरुद्ध ईरान में असन्तोष क्यों था ?
उत्तर:
यायावर शासकों के निरन्तर आक्रमणों के फलस्वरूप ईरान में अस्थिरता उत्पन्न हुई जिससे वहाँ नहरों की नियमित रूप से मरम्मत नहीं करवाई जा सकी।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 58.
मंगोलों के सैनिक अभियानों में विराम आने से व्यापार की उन्नति क्यों हुई ?
उत्तर:
मंगोलों के सैनिक अभियानों में विराम आने और शान्ति स्थापित होने से यूरोप और चीन के व्यापारिक सम्बन्ध घनिष्ठ हो गए।

प्रश्न 59.
मंगोलों ने अपने साम्राज्य में यात्रियों की सुरक्षित यात्रा के लिए क्या व्यवस्था की थी ?
उत्तर:
मंगोल अपने साम्राज्य में सुरक्षित यात्रा के लिए यात्रियों को पास देते थे। इस सुविधा के लिए यात्री ‘बाज’ नाम कर देते थे।

प्रश्न 60.
उन दो मंगोल शासकों के नाम लिखिए जिन्होंने कृषकों की भलाई एवं रक्षा करने पर बल दिया था।
उत्तर:
(1) चंगेजखान का पौत्र कुबलई ख़ान
(2) चंगेजखान के सबसे छोटे पुत्र तोलूई का वंशज गजेन खान।

प्रश्न 61.
गजन खान ने कृषकों के बारे में अपने मंगोल – तुर्की यायावर सेनापतियों को क्या आदेश दिया था ?
उत्तर:
गजन खान ने अपने सेनापतियों को आदेश दिया था कि वे कृषकों का अपमान न करें और उनसे अनाज तथा बीज न छीनें।

प्रश्न 62.
मंगोलों द्वारा विजित राज्यों से नागरिक प्रशासकों को अपने यहाँ भर्ती करने से क्या लाभ हुए?
उत्तर:
इन नागरिक प्रशासकों ने दूरस्थ राज्यों को संगठित करने में सहायता दी और इनके प्रभाव से मंगोलों की लूटमार की घटनाओं में कमी आई।

प्रश्न 63.
मंगोलों की सामाजिक स्थिति कैसी थी ?
उत्तर:
मंगोलों का समाज अनेक पितृपक्षीय वंशों में बंटा हुआ था। धनी परिवार विशाल होते थे तथा उनके पास अधिक पशु और चारण भूमि होती थी।

प्रश्न 64.
चंगेज खान की दो उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) चंगेज खान ने स्थापना की। मंगोलों को संगठित किया।
(2) उसने एक शानदार पारमहाद्वीपीय साम्राज्य की

प्रश्न 65.
मंगोलों पर सबसे बहुमूल्य शोध कार्य किस देश के विद्वानों ने किया ?
उत्तर:
मंगोलों पर सबसे बहुमूल्य शोध कार्य अठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी में रूस के विद्वानों ने किया।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
यायावर साम्राज्य से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यायावर साम्राज्य – यायावर साम्राज्य की अवधारणा विरोधात्मक प्रतीत होती है। यह तर्क दिया जा सकता है कि यायावर लोग मूलतः घुमक्कड़ होते हैं तथा ये सापेक्षिक तौर पर एक अविभेदित आर्थिक जीवन और प्रारंभिक राजनीतिक संगठन के साथ परिवारों के समूहों में संगठित होते हैं। दूसरी ओर, साम्राज्य शब्द भौतिक अवस्थितियों को दर्शाता है। साम्राज्य ने जटिल सामाजिक-आर्थिक ढाँचे में स्थिरता प्रदान करने की और एक सुपरिष्कृत प्रशासनिक व्यवस्था के द्वारा एक व्यापक भू-भागीय प्रदेश में सुचारु रूप से शासन प्रदान किया गया। यहाँ यायावर साम्राज्य से आशय मध्य एशिया के मगोल यायावर लोगों द्वारा 13वीं तथा 14वीं शताब्दी में चंगेज खां के नेतृत्व में स्थापित पारद्वीपीय साम्राज्य से है।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 2.
‘बर्बर’ शब्द की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
‘बर्बर’ शब्द यूनानी भाषा के ‘बारबरोस’ शब्द से उत्पन्न हुआ है। जिसका तात्पर्य गैर-यूनानी लोगों से है जिनकी भाषा यूनानियों को बेतरतीब शोर ‘बर-बर’ के समान लगती थी। यूनानी पुस्तकों में बर्बरों को बच्चों की भाँति प्रदर्शित किया गया है जो अच्छी तरह से बोलने या सोचने में असमर्थ, कायर, विलासी, क्रूर, आलसी, लालची, स्त्री- लोलुप तथा स्व-शासन का संचालन करने में असमर्थ थे। यह रूढ़िगत धारणाएँ रोमवासियों को प्राप्त हुईं। रोमवासियों ने बर्बर शब्द का प्रयोग, जर्मन जनजातियों गाल और हूण जैसे लोगों के लिए किया। चीनियों ने स्टेपी क्षेत्र के बर्बरों के लिए दूसरे शब्दों का प्रयोग किया, परन्तु उनमें से किसी भी शब्द के सकारात्मक अर्थ नहीं थे।

प्रश्न 3.
“चंगेजख़ान की राजनैतिक दूरदर्शिता मध्य- एशिया के स्टेपी- प्रदेश मंगोल जातियों का एक महासंघ मात्र बनाने से कहीं अधिक दूरगामी थी। ” स्पष्ट कीजिए। उसके वंशजों ने चंगेजखान के स्वप्न को कैसे साकार किया?
उत्तर:
चंगेजखान का विश्वास था कि उसे ईश्वर से विश्व पर शासन करने का आदेश मिला था। यद्यपि उसका अपना जीवन मंगोल जातियों पर अधिकार करने तथा साम्राज्य से लगे हुए क्षेत्र जैसे उत्तरी चीन, तूरान, अफगानिस्तान, पूर्वी ईरान, रूसी स्टेपी प्रदेशों के विरुद्ध सैनिक अभियानों का संचालन करने में व्यतीत हुआ, फिर भी उसके वंशजों ने इस क्षेत्र से आगे बढ़कर चंगेज खान के स्वप्न को पूरा किया एवं विश्व के सबसे विशाल साम्राज्य की स्थापना की। चंगेजखान की महत्त्वाकांक्षा को पूरा करने के उद्देश्य से उसके एक दूसरे पौत्र बाटू ने 1236-1241 की अवधि में सैनिक अभियान करते हुए रूस की भूमि को मास्को तक रौंद डाला और पोलैण्ड, हंगरी पर विजय प्राप्त करता हुआ वियना तक पहुँच गया। चीन के अधिकांश भाग, मध्य-पूर्व एशिया तथा यूरोप यह मानने लगे कि चंगेजखान की विश्व पर विजय ‘ईश्वर का क्रोध’ है और यह कयामत के दिन की शुरुआत है।

प्रश्न 4.
1220 में चंगेजखान की बुखारा – विजय का फारसी इतिहासकार जुवैनी ने क्या विवरण प्रस्तुत किया है?
उत्तर:
परवर्ती तेरहवीं शताब्दी के ईरान के मंगोल शासकों के एक फारसी इतिहासकार जुनैनी ने 1220 ई. में चंगेज खाँ की बुखारा – विजय का वृत्तान्त दिया है। उसने लिखा है कि बुखारा नगर की विजय के बाद चंगेजखान उत्सव मैदान में गया और वहाँ पर एकत्रित धनी व्यापारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि, ” अरे लोगो ! तुम्हें यह ज्ञात होना चाहिए कि तुम लोगों ने अनेक पाप किए हैं और तुम में से जो अधिक सम्पन्न लोग हैं, उन्होंने सबसे अधिक पाप किए हैं।

यदि तुम मुझसे पूछो कि इसका मेरे पास क्या प्रमाण है, तो इसके लिए मैं कहूँगा कि मैं ईश्वर का दण्ड हूँ । यदि तुमने पाप न किए होते, तो ईश्वर ने मुझे दण्ड हेतु तुम्हारे पास न भेजा होता।” जुवैनी के अनुसार बुखारा पर अधिकार होने के बाद कोई व्यक्ति खुरासान भाग गया था। जब वहाँ के लोगों ने उस व्यक्ति से बुखारा नगर के भाग्य के विषय में पूछा तो उस व्यक्ति ने उत्तर दिया, “वे (मंगोल) नगर में आए, दीवारों को ध्वस्त कर दिया, जला दिया, लोगों की हत्या की, उन्हें लूटा और चल दिए।”

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 5.
मंगोल कौन थे?
उत्तर:
मंगोल – मंगोल विविध जनसमुदाय का एक निकाय था। ये लोग पूर्व में तातार, खितान और मंचू लोगों से और पश्चिम में तुर्की कबीलों से भाषागत समानता के कारण परस्पर सम्बद्ध थे। कुछ मंगोल पशुपालक थे और कुछ शिकारी संग्राहक थे। ये लोग यायावर लोग थे। उनका यायावरीकरण मध्य एशिया की चारण भूमि (स्टेपीज) में हुआ और शिकारी- संग्राहक लोग पशुपालकों के आवास क्षेत्र के उत्तर में साइबेरियायी वनों में रहते थे।

प्रश्न 6.
मंगोल कबीलों की मुख्य विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:
मंगोल कबीलों की मुख्य विशेषताएँ –
(i) मंगोल कबीले नृजातीय और भाषायी संबंधों के कारण परस्पर. जुड़े हुए थे। परन्तु उपलब्ध आर्थिक संसाधनों के अभाव के कारण उनका समाज अनेक पितृवंशीय वंशों में विभाजित था।
(ii) मंगोल कबीलों में धनी परिवार विशाल होते थे। उनके पास अधिक संख्या में पशु और चारण भूमि होती थी। स्थानीय राजनीति में उनका दबदबा था। इसलिए उनके अनेक अनुयायी होते थे।
(iii) समय-समय पर आने वाली आपदाओं- भीषण शीत ऋतु या वर्षा का न होना आदि-के कारण इन्हें. चरागाहों की खोज में भटकाना पड़ता था। इस दौरान उनमें संघर्ष होता था और वे पशुधन प्राप्त करने हेतु लूटपाट भी करते थे।
(iv) प्रायः परिवारों के समूह आक्रमण करने और अपनी रक्षा करने हेतु अधिक शक्तिशाली और सम्पन्न कुलों से मित्रता कर लेते थे और परिसंघ बना लेते थे।
(v) मंगोल कबीलों में कुछ पशुपालक थे और कुछ शिकारी-संग्राहक। इन्होंने कृषि कार्य नहीं अपनाया था।

प्रश्न 7.
मंगोल परिसंघ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मंगोल परिसंघ – मंगोलों ने अपने परिसंघ बना लिए थे। प्रायः ये परिसंघ बहुत छोटे तथा अल्पकालिक होते थे। चंगेज खान ने मंगोल तथा तुर्की कबीलों को मिलाकर एक परिसंघ बनाया था जो पाँचवीं शताब्दी के अट्टीला द्वारा बनाए गए परिसंघ के बराबर था। अट्टीला द्वारा बनाए गए परिसंघ के विपरीत चंगेजखान की राजनीतिक व्यवस्था बहुत अधिक स्थायी रही और चंगेजखान की मृत्यु के बाद भी यह व्यवस्था बनी रही। यह परिसंघ व्यवस्था इतनी सुदृढ़ और स्थायी थी कि यह चीन, ईरान और पूर्वी यूरोपीय देशों की उन्नत शस्त्रों से सुसज्जित विशाल सेनाओं का मुकाबला करने में सक्षम थी। मंगोलों ने इन क्षेत्रों में नियन्त्रण स्थापित किया तथा जटिल कृषि अर्थव्यवस्थाओं एवं नगरीय आवासों वाले स्थानबद्ध समाजों का कुशलतापूर्वक प्रशासन किया। मंगोलों के अपने सामाजिक अनुभव तथा रहन-सहन के तरीके इनसे बिल्कुल ही अलग थे।

प्रश्न 8.
मंगोलों के काल में स्टेपी क्षेत्रों में कोई नगर क्यों नहीं स्थापित हो पाया?
उत्तर:
मंगोल विविध प्रकार के लोगों का जनसमुदाय था। ये लोग मूलतः घुमक्कड़ थे। मंगोलों में कुछ लोग पशुपालक थे, तो कुछ लोग शिकारी-संग्राहक थे। इन्होंने कृषि व्यवस्था को नहीं अपनाया था। इनकी पशुपालन और शिकार – संग्राहक अर्थव्यवस्थाएँ भी घनी आबादी के भरण-पोषण में असमर्थ थीं। यही कारण था कि उनके काल में कोई भी नगर स्थापित नहीं हो सका।

प्रश्न 9.
मंगोलों के चीन के साथ व्यापारिक सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मंगोलों के चीन के साथ व्यापारिक सम्बन्ध-स्टेपी क्षेत्र में संसाधनों की कमी के कारण मंगोलों को व्यापार एवं वस्तु-विनिमय के लिए चीन के लोगों के पास जाना पड़ता था । यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए लाभदायक थी। मंगोल खेती से प्राप्त उत्पादों तथा लोहे के उपकरणों को चीन से लाते थे और घोड़े, फर और शिकार का विनिमय करते थे।

व्यापारिक गतिविधियों के कारण दोनों पक्षों में तनावपूर्ण वातावरण बना रहता था, क्योंकि दोनों पक्ष अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से एक-दूसरे के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही कर बैठते थे। व्यापार करते समय मंगोल, चीनी लोगों को व्यापार में उत्तम शर्तें रखने के लिए विवश कर देते थे। कभी-कभी ये लोग व्यापारिक सम्बन्धों की परवाह न करते हुए केवल लूटपाट करने लगते थे। मंगोल लूटपाट कर संघर्ष – क्षेत्र से दूर भाग जाते थे जिससे उन्हें बहुत कम हानि होती थी।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 10.
चंगेजखान की सैनिक सफलताओं के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
(1) मंगोलों और तुर्कों के घुड़सवारी कौशल ने चंगेजखान की सेना को गति प्रदान की थी।
(2) घोड़े पर सवार होकर मंगोल सैनिकों की तीरन्दाजी का कौशल अद्भुत था। उनकी इस तीरन्दाजी ने उनकी सैनिक गति को बहुत तेज़ कर दिया था।
(3) स्टेपी- क्षेत्र के घुड़सवार सदैव फुर्तीले रहते थे तथा बड़ी तीव्र गति से यात्रा करते थे।
(4) मंगोलों को अपने आसपास के क्षेत्रों तथा मौसम की जानकारी हो गई थी । इसने उन्हें सफल सैनिक अभियान करने की क्षमता प्रदान की क्योंकि मंगोल अपने अभियान शीत ऋतु में प्रारंभ करते थे। वे शत्रु के शिविरों और नगरों में प्रवेश करने के लिए बर्फ से जमी हुई नदियों का प्रयोग राजमार्गों की तरह करते थे।
(5) चंगेज खान को पता था कि घेराबंदी – यंत्र और नेफ्था बमबारी के अभाव में प्राचीरों से आरक्षित किलों पर विजय प्राप्त करना दुष्कर था। अतः उसने अपनी सैन्य टुकड़ियों को इनके प्रयोग में कुशल बनाया।
(6) चंगेजखान के इन्जीनियरों ने उसके शत्रुओं के विरुद्ध अभियानों में प्रयोग के लिए हल्के चल-उपस्करों का निर्माण किया। ये चल – उपस्कर शत्रुओं के लिए घातक सिद्ध हुए।

प्रश्न 11.
‘उलुस’ से क्या तात्पर्य है? उलुस का गठन किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
उलुस से तात्पर्य – उलुस शब्द का मूल अर्थ निश्चित भू-भाग नहीं था। इस भू-भाग में परिवर्तन होता रहता था। चंगेजखान अभी भी निरन्तर विजय प्राप्त करने तथा साम्राज्य का अधिक से अधिक विस्तार करने के लिए प्रयत्नशील था। इस साम्राज्य की सीमाएँ अत्यन्त परिवर्तनशील थीं।
चार उलुस – चंगेजखान ने अपने नव – विजित लोगों पर शासन करने का उत्तरदायित्व अपने चार पुत्रों को सौंप दिया। इससे ‘उलुस’ का गठन हुआ। ये चार उलुस थे-
(1) चंगेजखान के सबसे बड़े पुत्र जोची को रूसी स्टेपी- प्रदेश प्राप्त हुआ। परन्तु उसकी दूरस्थ सीमा अर्थात् उलुस निर्धारित नहीं थी।
(2) चंगेजखान के दूसरे पुत्र चघताई को तूरान का स्टेपी- क्षेत्र तथा पामीर के पहाड़ का उत्तरी क्षेत्र प्राप्त हुआ था।
(3) चंगेजखान ने संकेत दिया था कि उसका तीसरा पुत्र ओगोदेई उसका उत्तराधिकारी होगा और उसे ‘महान खान’ की उपाधि प्रदान की जाएगी। ओगोदेई ने अपने राज्याभिषेक के बाद अपनी राजधानी कराकोरम में स्थापित की था।
(4) चंगेजखान के सबसे छोटे पुत्र तोलोए ने अपनी पैतृक भूमि मंगोलिया को प्राप्त किया।
चंगेजखान चाहता था कि उसके पुत्र परस्पर मिलजुल कर साम्राज्य का शासन करें। अतः उसने राजकुमारों के लिए अलग-अलग सैनिक टुकड़ियाँ नियुक्त कर दीं जो प्रत्येक उलुस में तैनात रहती थीं।

प्रश्न 12.
चंगेजखान की हरकारा पद्धति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
चंगेजखान की हरकारा पद्धति – चंगेजखान ने एक फुर्तीली हरकारा पद्धति (संचार पद्धति) अपना रखी थी जिससे राज्य के दूर-दूर के स्थानों में परस्पर सम्पर्क बना रहता था। हरकारा पद्धति के सफल संचालन के लिए अपेक्षित दूरी पर सैनिक चौकियाँ स्थापित की गई थीं। इन चौकियों में स्वस्थ और शक्तिशाली घोड़े तथा घुड़सवार सन्देशवाहक नियुक्त रहते थे। इस संचार पद्धति के संचालन के लिए मंगोल यायावर अपने पशु-समूहों से घोड़े अथवा अन्य पशुओं का दसवाँ भाग देते थे। इसे ‘कुबकुर कर’ कहते थे। यायांवर लोग इस कर को अपनी इच्छा से देते थे जिससे उन्हें अनेक लाभ मिलते थे। चंगेजखान की मृत्यु के बाद इस हरकारा पद्धति में और भी सुधार किये गए। इस संचार पद्धति से महान खानों को अपने विस्तृत महाद्वीपीय साम्राज्य के सुदूर स्थानों में होने वाली घटनाओं की जानकारी प्राप्त हो जाती थी।

प्रश्न 13.
विजित लोगों को अपने नवीन यायावर शासकों से लगाव क्यों नहीं था? इसके क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
विजित लोगों का अपने नवीन यायावर शासकों से लगाव न होना – विजित लोगों को अपने नवीन मंगोल यायावर शासकों से कोई लगाव नहीं था। इसके निम्नलिखित कारण थे –
(1) मंगोलों ने विजित क्षेत्रों में लूटमार तथा विध्वंस की नीति अपनाई थी।
(2) तेरहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में हुए युद्धों में अनेक नगर नष्ट कर दिए थे।
(3) कृषि भूमि को काफी हानि हुई, फसलें नष्ट हो गईं।
(4) व्यापार चौपट हो गया तथा शिल्प उद्योगों को प्रबल आघात पहुँचा।
(5) इन युद्धों में हजारों लोग मारे गये और इससे भी अधिक लोग दास बना लिए गए।
इस प्रकार मंगोलों की लूटमार तथा विध्वंस की नीति से संभ्रान्त लोगों से लेकर कृषक वर्ग तक समस्त लोगों को भारी कष्टों का सामना करना पड़ा।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

परिणाम –
(1) मंगोलों के निरन्तर धावों तथा लूटमार की नीति से राज्य में अस्थिरता फैल गई। इस अस्थिरता से ईरान के शुष्क पठार में भूमिगत नहरों का मरम्मत का कार्य नियमित रूप से न हो सका।
(2) नहरों की मरम्मत न होने से मरुस्थल फैलने लगा जिससे बहुत बड़ा पारिस्थितिक विनाश हुआ।

प्रश्न 14.
तेरहवीं शताब्दी में मंगोल साम्राज्य में यायावरों और स्थानबद्ध समुदायों में संघर्ष कम होने से क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
तेरहवीं शताब्दी में मंगोल साम्राज्य में यायावरों और स्थानबद्ध समुदायों में संघर्ष कम होते गए। इससे कृषि को प्रोत्साहन मिला। उदाहरण के लिए, 1230 ई. के दशक में जब मंगोलों ने उत्तरी चीन के चिन वंश के विरुद्ध युद्ध में विजय प्राप्त की, तो मंगोल नेताओं के एक क्रुद्ध वर्ग ने यह विचार प्रकट किया कि समस्त कृषकों का वध कर दिया जा तथा उनकी कृषि भूमि को चरागाह में बदल दिया जाए । परन्तु 1270 के दशक के आते-आते शुंग वंश को पराजित करने के बाद दक्षिण चीन को मंगोल – साम्राज्य में सम्मिलित कर लिया गया। इस अवसर पर चंगेजखान का पौत्र कुबलई खान कृषकों और नगरों के रक्षक के रूप में प्रकट हुआ। चंगेज़खान के सबसे छोटे पुत्र तोलूई के वंशज गज़नखान ने अपने परिवार के सदस्यों और अन्य सेनापतियों को आदेश दिया था कि वे कृषकों को न लूटें। एक बार अपने भाषण के दौरान उसने कहा था कि कृषकों को सताने और लूटने से राज्य में स्थायित्व और समृद्धि नहीं आती। मंगोलों के इस नवीन दृष्टिकोण से कृषि की उन्नति को प्रोत्साहन मिला।

प्रश्न 15.
मंगोल वंश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मंगोल वंश-चंगेजखान के अनेक बच्चे थे। उनकी पटरानी बोरेत ने चार पुत्रों को जन्म दिया जिन्होंने उनके वंश को आगे बढ़ाया।
(1) उनके ज्येष्ठ पुत्र जोची के परिवार में कोई भी शूरवीर (प्रसिद्ध खान) उत्पन्न नहीं हुआ, परन्तु उस परिवार के पास अपार शक्ति थी।
(2) गोमुक की मृत्यु के बाद जोची के पुत्र बातू ने ओगोदेई के वंश को समर्थन देने से इनकार कर दिया। इसके परिणामस्वरूप शक्ति तोलुई परिवार के हाथों में आ गई जिससे मोन्के और कुबलई के लिए सत्ता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त हो गया।

प्रश्न 16.
अपने यायावर सेनापतियों को गजन खान द्वारा दिए गए भाषण का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गजनखान का भाषण – गजनखान (1295-1304) चंगेजखान के सबसे छोटे पुत्र तोलुई का वंश था। उसने अपने मंगोल-तुर्की यायावर सेनापतियों के सामने निम्न भाषण दिया “मैं फारस के कृषक वर्ग के पक्ष में नहीं हूँ। यदि उन सबको लूटने का कोई उद्देश्य है, तो ऐसा करने के लिए मेरे से अधिक शक्तिशाली और कोई नहीं है। चलो हम सब मिलकर उन्हें लूटते हैं। परन्तु यदि आप निश्चित रूप से भविष्य में अपने भोजन के लिए अनाज और भोज्य सामग्री इकट्ठा करना चाहते हैं, तो मुझे आपके साथ कठोर होना पड़ेगा। आपको तर्क और बुद्धि से काम लेना सिखाना पड़ेगा। यदि आप कृषकों का अपमान करेंगे, उनसे उनके बैल और अनाज के बीज छीन लेंगे और उनकी फसलों को कुचल डालेंगे, तो आप भविष्य में क्या करेंगे? एक आज्ञाकारी कृषक वर्ग तथा एक विद्रोही कृषक वर्ग में अन्तर समझना आवश्यक है। ”

प्रश्न 17.
मंगोलों के विजित राज्यों से भर्ती किए गए नागरिक प्रशासकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
चंगेजखान के शासन काल से ही मंगोलों ने विजित राज्यों से नागरिक प्रशासकों को अपने यहाँ भर्ती करना शुरू कर दिया था। इन प्रशासकों की भूमिका इस प्रकार रही –
(i) इन्होंने दूरस्थ राज्यों को संगठित करने में सहायता की।
(ii) इन नागरिक प्रशासकों के प्रभाव से खानाबदोश लोगों की स्थानबद्ध क्षेत्र में की जाने वाली लूटमार में भी कमी आई।
(iii) इनमें से कुछ प्रशासक काफी प्रभावशाली थे और अपने प्रभाव का उपयोग मंगोल खानों पर भी करते रहते थे । उदाहरण के लिए, 1230 के दौरान चीनी मन्त्री ये-लू – चुत्साई ने ओगोदेई की लूटमार की प्रवृत्ति को बदल दिया था। जुवैनी परिवार ने भी ईरान में तेरहवीं शताब्दी में और उसके अन्त में इसी प्रकार की भूमिका निभाई थी। ईरान के वजीर रशीदुद्दीन ने मंगोल – शासक गजनखान के लिए वह भाषण लिखा था जो उसने अपने मंगोल सेनापतियों के सामने दिया था । इस भाषण में गजनखान ने कृषक वर्ग को सताने की बजाय, उनकी रक्षा करने की सलाह दी थी।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

प्रश्न 18.
13वीं सदी में चंगेजखान के वंशज पृथक्-पृथक् वंश समूहों में किस प्रकार बँट गए?
उत्तर:
तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक भाइयों द्वारा पिता के धन को मिल-बाँट कर उपयोग करने की बजाय व्यक्तिगत राजवंश बनाने की भावना प्रबल हो गई। प्रत्येक राजवंश अपने ‘उलुस’ (अधिकृत क्षेत्र) का स्वामी हो गया । यह कुछ अंशों तक उत्तराधिकार के लिए संघर्ष का परिणाम था जिसमें चंगेजखान के वंशजों के बीच ‘महान’ पद के लिए तथा श्रेष्ठ चरागाही भूमि प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्द्धा होती थी। चीन और ईरान दोनों पर शासन करने के लिए आए तोलुई के वंशजों ने युआन तथा इल- खानी वंशों की स्थापना की। जोची ने ‘सुनहरा गिरोह’ का गठन किया और रूस के स्टेपी क्षेत्रों पर शासन किया। चघताई के उत्तराधिकारियों ने तूरान के स्टेपी- क्षेत्रों पर राज किया। इसे आजकल तुर्किस्तान कहा जाता है।

प्रश्न 19.
चंगेज खाँ के वंशजों का धीरे-धीरे अलग होकर पृथक्-पृथक् वंश-समूहों में बँट जाना किस बात का प्रतीक था ?
उत्तर:
चंगेज खान के वंशजों का धीरे-धीरे अलग होकर पृथक्-पृथक् वंश – समूहों में बँट जाने का मतलब था कि उनका अपने पिछले परिवार से जुड़ी स्मृतियों और परम्पराओं के सामंजस्य में परिवर्तन आना। यह सब एक कुल के सदस्यों में परस्पर होड़ के परिणामस्वरूप हुआ था। यह सब चीन और ईरान पर उनके प्रभुत्व का तथा उनके परिवार के सदस्यों द्वारा विद्वानों को अपने दरबार में संरक्षण देने का परिणाम था। अतीत से अलग होने का कारण यह था कि चंगेज खान के वंशज महान खानों की अपेक्षा अपने गुणों का प्रदर्शन करना चाहते थे।

इल-खानी ईरान में तेरहवीं शताब्दी के अन्त में फारसी इतिहासवृत्त में महान खानों द्वारा की गईं रक्तरंजित हत्याओं का विस्तृत विवरण मिलता है। इसमें मृतकों की संख्या बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई है। चंगेज खान के वंशजों को उत्तराधिकार में जो कुछ मिला, वह महत्त्वपूर्ण था परन्तु उनके सामने एक समस्या यह थी कि एक स्थानबद्ध समाज में अपनी धाक किस प्रकार स्थापित की जाए। इस बदली हुई परिस्थिति में वे वीरता का वह चित्र प्रस्तुत नहीं कर सकते थे, जैसा चंगेजखान ने किया था।

प्रश्न 20.
‘नोयान’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
चंगेज खान एक महान योद्धा एवं कुशल सेनापति था। उसकी सेना पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गई थी जो दस सौ हजार और लगभग दस हजार सैनिकों की इक़ाई में विभाजित थी। चंगेजखान ने इस पद्धति को समाप्त करके मंगोलों को नई सैनिक इकाइयों में बाँट दिया। इन नई सैनिक टुकड़ियों को, जो उसके चार पुत्रों के अधीन थीं और विशेष रूप से चयनित कप्तानों के अधीन कार्य करती थी, ‘नोयान’ कहा जाता था। इस नई व्यवस्था में चंगेज खाँ के अनुयायियों का वह समूह भी सम्मिलित था, जिन्होंने संकटपूर्ण परिस्थितियों में भी निष्ठापूर्वक चंगेज खाँ का साथ दिया था।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
मंगोलों के इतिहास की जानकारी के विभिन्न स्रोतों की विवेचना कीजिए।
अथवा
मंगोलों पर हुए शोध कार्यों का विवरण दीजिए।
उत्तर-
मंगोलों के इतिहास की जानकारी के स्रोत –
मंगोलों ने प्रायः अपना कोई साहित्य नहीं रचा। इसीलिए मंगोलों के बारे में इतिवृत्तों, यात्रा-वृत्तान्तों तथा नगरीय साहित्यकारों के दस्तावेजों से जानकारी मिलती है। इन लेखकों की मंगोल – यायावरों के जीवन सम्बन्धी सूचनाएँ अपर्याप्त, दोषपूर्ण और पक्षपातपूर्ण हैं। मंगोलों की साम्राज्यिक उपलब्धियों से प्रभावित होकर कुछ विद्वानों ने अपने अनुभवों के यात्रावृत्तान्त लिखे।

कुछ मंगोल शासकों के राज्याश्रय में यद्यपि इन लोगों को मंगोल रीति-रिवाजों का ज्ञान नहीं था, फिर भी इनमें से अनेक विद्वानों ने मंगोलों के विषय में सहानुभूतिपरक विवरण लिखा। कुछ ने उनकी प्रशस्तियाँ भी लिखीं। इन्होंने ऐसे विवरणों का खण्डन किया जिनमें मंगोलों को स्टेपी- क्षेत्र का लुटेरा कहा गया था। अतः मंगोलों का इतिहास हमें ऐसे तथ्य उपलब्ध कराता है जिससे यह प्रकट होता है कि मंगोल यायावरों को आदिम बर्बर के रूप में प्रस्तुत करना न्यायसंगत नहीं है।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

मंगोलों पर शोध कार्य – मंगोलों पर सबसे बहुमूल्य शोध कार्य अठारहवीं तथा उन्नीसवीं शताब्दी में रूसी विद्वानों ने उस काल में किया जब रूस के शासक मध्य एशियाई क्षेत्रों में अपनी शक्ति को सुदृढ़ कर रहे थे। ये शोधकार्य प्रायः सर्वेक्षण-टिप्पणियों के रूप में मिलते हैं जिन्हें यात्रियों, सैनिकों, व्यापारियों तथा पुराविदों ने तैयार किया था । मार्क्सवादी इतिहास-लेखन ने चंगेजखान तथा उभरते हुए मंगोल – साम्राज्य को मानव विकास की उस संक्रमण व्यवस्था के अन्तर्गत रखा जिसमें जनजातीय उत्पादन प्रणाली से सामन्ती उत्पादन प्रणाली की ओर परिवर्तन हो रहा था।

मंगोल भाषाओं और उनके समाज और संस्कृति पर वोरिस याकोवालेवित्र व्लाडिमीरस्टाव नामक विद्वान ने उच्च कोटि का शोध कार्य किया है। रूस के एक अन्य विद्वान वैसिली व्लाडिमिरोविच बारटोल्ड ने चंगेजखान और उसके वंशजों के अधीन मंगोलों का जीवन और उनकी उपलब्धियों का सकारात्मक और सहानुभूतिपरक विवरण प्रस्तुत किया । यद्यपि रूसी सरकार ने उसकी रचनाओं के प्रकाशन पर प्रतिबन्ध लगा दिया, परन्तु 1960 के दशक में उदारवादी ख्रुश्चेव युग के दौरान और उसके बाद ही उसकी रचनाओं को 9 खण्डों में प्रकाशित किया गया।

शोध के स्रोतों की अनेक भाषाओं में रचना – जो शोध के स्रोत विद्वानों को उपलब्ध हैं, वे अनेक भाषाओं में रचे गए हैं। इनमें सबसे निर्णायक स्रोत चीनी, मंगोली, फारसी और अरबी भाषा में उपलब्ध हैं, परन्तु महत्त्वपूर्ण सामग्रियाँ हमें इतालवी, लातिनी, फ्रांसीसी तथा रूसी भाषा में मिलती हैं। चंगेजखान के विषय में सबसे प्राचीन विवरण मंगकोल-उन-न्यूतोबिअन (मंगोलों के गोपनीय इतिहास), मंगोल और चीनी भाषा में मिलते हैं, परन्तु ये एक-दूसरे से अलग हैं। इसी प्रकार मार्कोपोलो द्वारा मंगोल राजदरबार का यात्रा – वृत्तान्त इतालवी तथा लातिनी भाषा में उपलब्ध है, परन्तु एक-दूसरे से मेल नहीं खाते।

प्रश्न 2.
मंगोलों और मध्य एशिया के यायावरों के चीन के साथ व्यापारिक सम्बन्धों की विवेचना कीजिए। इसके चीन पर क्या प्रभाव हुए?
उत्तर:
मंगोलों और मध्य एशिया के यायावरों के चीन के साथ व्यापारिक सम्बन्ध स्टेपी-क्षेत्र में वर्ष में थोड़े समय के लिए ही कृषि करना सम्भव था। इसलिए मंगोल यायावरों ने कृषि कार्य को नहीं अपनाया। स्टेपी-क्षेत्र में संसाधनों की कमी थी। अतः मंगोलों और मध्य एशिया के यायावरों को अपने पड़ोसी देश चीन के साथ व्यापार करना पड़ता था। यायावर कबीले चीन से कृषि उत्पाद तथा लोहे के उपकरण लाते थे तथा घोड़े, फर और स्टेपी- क्षेत्र में पकड़े गए शिकार (पशु) चीनियों को देते थे। यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए लाभदायक थी। परन्तु वाणिज्यिक गतिविधियों में उन्हें प्रायः तनाव का सामना भी करना पड़ता था। इसका कारण यह था कि दोनों पक्ष अधिकाधिक लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से एक-दूसरे के विरुद्ध सैनिक कार्यवाही कर बैठते थे।

चीन पर प्रभाव – जब मंगोल कबीलों के लोग साथ मिलकर व्यापार करते थे, तो वे अपने चीनी पड़ोसियों को व्यापार में उत्तम शर्तें रखने के लिए विवश कर देते थे। कभी-कभी ये लोग व्यापारिक सम्बन्धों की परवाह न करते हुए केवल लूटपाट करने लगते थे। मंगोलों का जीवन अस्त-व्यस्त होने पर ही इन सम्बन्धों में परिवर्तन होता था । ऐसी स्थिति में चीनी लोग स्टेपी क्षेत्र में अपने प्रभाव का प्रयोग बड़े आत्मविश्वास के साथ करते थे। इन सीमावर्ती झड़पों से चीन के स्थायी समाज कमजोर पड़ने लगे। मंगोलों ने कृषि को अस्त-व्यस्त कर दिया और नगरों को खूब लूटा।

दूसरी ओर मंगोल यायावर लूटपाट कर दूर भाग जाते थे, जिससे उन्हें बहुत कम हानि होती थी। दीर्घकाल तक चीनियों को इन मंगोल यायावरों से विभिन्न शासन कालों में बहुत अधिक हानि उठानी पड़ी। अतः आठवीं शताब्दी ई. पूर्व से ही अपनी प्रजा की रक्षा के लिए चीन के शासकों ने किलेबन्दी करना शुरू कर दिया था। तीसरी शताब्दी ई. पूर्व से इन किलाबन्दियों का एकीकरण करके ‘चीन की महान दीवार’ का निर्माण किया गया। उत्तरी चीन के किसानों पर यायावरों द्वारा निरन्तर किये गए आक्रमणों और उनसे उत्पन्न आतंक एवं अस्थिरता का यह एक ठोस प्रमाण है।

प्रश्न 3.
चंगेजखान के जीवन-वृत्त तथा उसकी विजयों का वर्णन कीजिए।
अथवा
चंगेजखान की सैनिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
(1) चंगेजखान का जीवन-वृत्त – चंगेजखान का जन्म लगभग 1162 ई. में आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट हुआ था। उसका प्रारम्भिक नाम तेमुजिन था। उसके पिता का नाम येसूजेई था जो कियात कबीले का मुखिया था। उसके पिता की अल्पायु में ही हत्या कर दी गई थी। अतः उसकी माता ओलुन-इके ने तेमुजिन तथा उसके सगे और सौतेले भाइयों का पालन-पोषण बड़ी कठिनाई से किया था। 1170 के दशक में तेमुजिन का अपहरण कर उसे दास बना लिया गया और उसकी पत्नी बोरटे का भी विवाह के बाद अपहरण कर लिया गया। अतः उसे अपनी धर्म पत्नी को मुक्त कराने के लिए लड़ाई लड़नी पड़ी।

(2) मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करना – विपत्ति के इन वर्षों में भी वह अनेक मित्र बनाने में सफल रहा। नवयुवक बोघूरचू उसका पहला मित्र था जो हमेशा एक विश्वस्त साथी के रूप में उसके साथ रहा। उसका सगा भाई जमूका भी उसका एक अन्य विश्वसनीय मित्र था।

(3) प्रतिद्वन्द्वियों का दमन करना – तेमुजिन का सगा भाई जमूका कालान्तर में उसका शत्रु बन गया। 1180 तथा 1190 के दशकों में तेमुजिन ने ओंग खान की सहायता से अपने प्रबल प्रतिद्वन्द्वी जमूका को पराजित कर दिया। इसके बाद मुजिन ने अपने पिता के हत्यारे शक्तिशाली तातार कैराईट तथा ओंगखान के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया । 1206 ई. में उसने शक्तिशाली जेमूका तथा नेमन लोगों को निर्णायक रूप से पराजित कर दिया।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

(4) कुरिलताई द्वारा चंगेजखान को मान्यता प्रदान करना – 1206 ई. में अपने शक्तिशाली शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के बाद स्टेपी- क्षेत्र की राजनीति में तेमुजिन सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में प्रकट हुआ । उसकी इस प्रतिष्ठा को मंगोल कबीले के सरदारों की एक सभा ‘कुरिलताई’ में मान्यता दी गई। इस सभा में तेमुजिन को ‘चंगेजखान’, ‘समुद्री खान’ या ‘सार्वभौम शासक’ की उपाधि से विभूषित किया गया और ‘मंगोलों का महानायक’ घोषित किया गया।

(5) चंगेजखान की सैनिक उपलब्धियाँ – 1206 में कुरिलताई से मान्यता प्राप्त करने से पूर्व चंगेजखान ने मंगोलों की एक शक्तिशाली एवं अनुशासित सेना का गठन किया। उसने सर्वप्रथम चीन पर विजय प्राप्त करने का निश्चय किया। उसकी प्रमुख विजयें निम्नलिखित थीं –
(1) चीन – विजय –
(1) 1209 ई. में चंगेजखान ने सी – सिआ लोगों को पराजित किया।
(2) 1213 ई. में मंगोलों ने चीन की महान दीवार का अतिक्रमण किया।
(3) 1215 ई. में मंगोलों ने पेकिंग नगर को खूब लूटा। चंगेजखान अपने सैनिक अभियानों की सफलता से पूर्णतया सन्तुष्ट था । इसलिए उस क्षेत्र के सैनिक मामले अपने अधीनस्थ अधिकारियों की देखरेख में छोड़कर 1216 में मंगोलिया स्थित अपनी मातृभूमि में लौट आया।
(4) 1218 ई. में मंगोलों ने कराखिता जाति को पराजित कर दिया जो चीन के उत्तर-पश्चिमी भाग में स्थित तियेन- शान की पहाड़ियों को नियन्त्रित करती थी । अब मंगोलों का साम्राज्य अमूदरिया, तूरान और ख्वारिज्म राज्यों तक विस्तृत हो गया।
(2) अन्य विजयें – चंगेजखान ने अपने सैनिक अभियान जारी रखे। उसने 1219 -1221 ई. तक के अभियानों में बड़े-बड़े नगरों- ओट्रार, बुखारा, समरकन्द, बल्ख, गुरगंज, मर्व, निशापुर तथा हेरात ने मंगोल सेनाओं के सामने आत्म-समर्पण कर दिया। जिन नगरों ने मंगोल सेनाओं का प्रतिरोध किया, उनका विध्वंस कर दिया गया । निशापुर के घेरे के दौरान जब एक मंगोल राजकुमार की हत्या कर दी गई, तो चंगेजखान ने निशापुर के लोगों का कत्ले-आम करवा दिया। चंगेजखान ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि – ” नगर का इस तरह विध्वंस किया जाए कि सम्पूर्ण नगर में हल चलाया जा सके। ऐसा संहार किया जाए कि नगर के समस्त बिल्ली और कुत्तों को भी जीवित न रहने दिया जाए।” मध्यकालीन इतिहासकारों के अनुसार निशापुर पर अधिकार करने में 17,47,000 लोगों का वध कर दिया गया था।

(3) ख्वारिज्म पर आक्रमण – चंगेजखान ने ख्वारिज्म पर भी आक्रमण किया। मंगोल सेनाएँ ख्वारिज्म के सुल्तान मोहम्मद का पीछा करती हुई अजरबैजान तक आ पहुँचीं। उन्होंने क्रीमिया में रूसी सेनाओं को पराजित कर दिया और कैस्पियन सागर को घेर लिया। सेना की एक अन्य टुकड़ी ने सुल्तान मोहम्मद के पुत्र जलालुद्दीन का अफगानिस्तान तथा सिन्ध तक पीछा किया। सिन्धु नदी के तट पर चंगेजखान ने उत्तरी भारत तथा असम मार्ग होते हुए वापस मंगोलिया लौटने का विचार किया। परन्तु भीषण गर्मी, प्राकृतिक आवास की कठिनाइयों तथा कुछ अशुभ संकेतों ने उसे अपने विचार बदलने पर विवश कर दिया। चंगेजखान की मृत्यु – चंगेजखान को अपने जीवन का अधिकांश भाग युद्धों में व्यतीत करना पड़ा। अन्त में 1227 ई. में उसका देहान्त हो गया। उसकी सैनिक उपलब्धियाँ आश्चर्यजनक थीं।

प्रश्न 4.
चंगेजखान के बाद मंगोल साम्राज्य की राजनीतिक स्थिति की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
चंगेजखान के बाद मंगोल साम्राज्य की राजनीतिक स्थिति
चंगेजखान के बाद मंगोल साम्राज्य की राजनीतिक स्थिति की विवेचना निम्नानुसार है –
(1) मंगोल साम्राज्य का दो चरणों में विभाजन – चंगेजखान की मृत्यु के पश्चात् मंगोल साम्राज्य को दो चरणों में विभाजित किया जा सकता है –
(i) पहला चरण – पहला चरण 1236-1242 ई. तक था जिसके दौरान रूस के स्टेपी- क्षेत्र, बुलधार, कीव, पोलैण्ड तथा हंगरी में भारी सफलता प्राप्त की गई।
(ii) दूसरा चरण – दूसरा चरण 1255-1300 ई. तक था। इसमें मंगोलों ने समस्त चीन, ईरान, इराक तथा सीरिया पर विजय प्राप्त की।

(2) नवीन राजनीतिक प्रवृत्तियों का उदय – 1230 के बाद के दशकों में मंगोलों को महत्त्वपूर्ण सफलताएँ प्राप्त हुईं परन्तु उनके लिए 1260 के दशक के बाद पश्चिम के सैन्य अभियानों के प्रारम्भिक आवेग को जारी रखना सम्भव नहीं रहा। यद्यपि वियना तथा उससे परे पश्चिमी यूरोप एवं मिस्र पर मंगोलों का आधिपत्य बना रहा, परन्तु उनके हंगरी के स्टेपी- क्षेत्र से पीछे हट जाने तथा मिस्र की सेनाओं के हाथों पराजित होने से नई राजनीतिक प्रवृत्तियों के उदय होने के संकेत मिलते हैं।

(3) राजनीतिक प्रवृत्ति के दो पहलू – इस प्रवृत्ति के दो पहलू थे – पहला था – मंगोल परिवार में उत्तराधिकार को लेकर आन्तरिक राजनीति थी। इसमें जोची और ओगोदेई के उत्तराधिकारी महान् खान के राज्य पर नियन्त्रण स्थापित करने के लिए संगठित हो गए। अब वे यूरोप में अभियान करने की अपेक्षा अपने हितों की रक्षा करना अधिक महत्त्वपूर्ण मानते थे।

दूसरी स्थिति तब उत्पन्न हुई जब चंगेजखान के वंश की तोलूयिद शाखा के उत्तराधिकारियों ने जोची और ओगोदेई वंशों को कमजोर कर दिया। चंगेजखान के सबसे छोटे पुत्र तोलूई के वंशज मोंके के राज्याभिषेक के बाद 1250 ई. के दशक में ईरान में सैनिक अभियान किए गए। परन्तु 1260 के दशक में तोलूई के वंशज चीन में अपना प्रभाव बढ़ाने लगे। इसलिए उस समय सैनिकों और रसद – सामग्रियों को मंगोल साम्राज्य के मुख्य भागों की ओर भेज दिया गया।

परिणामस्वरूप मिस्र की सेना का सामना करने के लिए मंगोलों ने एक छोटी-सी सैनिक टुकड़ी भेज दी। इस स्थिति में मंगोलों को पराजय का सामना करना पड़ा मिस्र में मंगोलों की पराजय तथा तोलूई परिवार की चीन में निरन्तर बढ़ती हुई रुचि के कारण मंगोलों का पश्चिम की ओर विस्तार रुक गया। इसी दौरान रूस और चीन की सीमा पर जोची तथा तोलूई वंशों के आन्तरिक झगड़ों ने जोची वंशजों का ध्यान उनके सम्भावित यूरोपीय अभियानों से हटा दिया।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

(4) चीन में मंगोलों के अभियानों का जारी रहना – यद्यपि पश्चिम में मंगोलों का विस्तार रुक गया, परन्तु इसके बावजूद मंगोलों ने चीन में अपने अभियान जारी रखे । वस्तुतः उन्होंने चीन को एकीकृत किया।

प्रश्न 5.
चंगेजखान के सैनिक संगठन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चंगेजखान का सैनिक संगठन चंगेज खान के सैनिक संगठन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –
(1) विशाल विषमजातीय सेना का गठन – मंगोलों और अन्य अनेक यायावर समाजों में प्रत्येक स्वस्थ वयस्क व्यक्ति के लिए शस्त्र धारण करना अनिवार्य था। आवश्यकता पड़ने पर इन्हीं लोगों से सशस्त्र सेना का गठन किया जाता था। विभिन्न मंगोल जनजातियों के एकीकरण तथा उसके विभिन्न लोगों के विरुद्ध अभियानों से चंगेजखान की सेना में नये सदस्य सम्मिलित हुए। इससे मंगोल सेना जो पहले काफी छोटी थी, अब एक विशाल विषमजातीय संगठन में बदल गई। इस सेना में मंगोलों की सत्ता को स्वेच्छा से स्वीकार करने वाले तुर्की मूल के उइगर समुदाय के लोग भी शामिल थे। इसके अतिरिक्त इस सेना में केराइट जैसे पराजित लोग भी शामिल थे जिन्हें अपनी पुरानी शत्रुता के बावजूद महासंघ में सम्मिलित कर लिया गया था।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

(2) दशमलव पद्धति पर सेना का गठन- चंगेजखान की सेना स्टेपी- क्षेत्रों की पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गई थी जो दस, सौ, हजार और ( अनुमानित) दस हजार सैनिकों की इकाई में विभाजित थी । पुरानी पद्धति में कुल, कबीले और सैनिक दशमलव इकाइयाँ एकसाथ अस्तित्व में थीं। चंगेजखान ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया। उसने प्राचीन जनजातीय समूहों को विभाजित कर उनके सदस्यों को नवीन सैनिक इकाइयों में विभक्त कर दिया।

(3) कठोर अनुशासन – चंगेजखान अनुशासन पर विशेष जोर देता था। जो सैनिक अपने अधिकारी से अनुमति लिए बिना बाहर जाने की चेष्टा करता था, उसे कठोर दण्ड दिया जाता था।

(4) सैनिकों की सबसे बड़ी इकाई – सैनिकों की सबसे बड़ी इकाई लगभग दस हजार सैनिकों (तुमन) की थी, जिसमें अनेक कबीलों और कुलों के सैनिक सम्मिलित थे।

(5) नवीन सैनिक टुकड़ियाँ – नवीन सैनिक टुकड़ियाँ चंगेजखान के चार पुत्रों के अधीन थीं तथा विशेष रूप से चयनित कप्तानों के अधीन कार्य करती थीं। ये सैनिक टुकड़ियाँ ‘नोयान’ कहलाती थीं । इस नई व्यवस्था में चंगेजखान के अनुयायियों का वह समूह भी शामिल था, जिन्होंने संकटपूर्ण तथा प्रतिकूल परिस्थितियों में भी निष्ठापूर्वक चंगेजखान का साथ दिया था। चंगेजखान ने सार्वजनिक रूप से अनेक ऐसे व्यक्तियों को आंडा (सगा भाई) कहकर सम्मानित किया था। आंडा से निम्न श्रेणी के अनेक स्वतन्त्र व्यक्ति थे, जिन्हें चंगेजखान ने अपने विशेष नौकर के पद पर रखा। नौकर का पद इन लोगों तथा इनके स्वामी के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध का प्रतीक था। इस नए वर्गीकरण से पुराने सरदारों के अधिकार सुरक्षित नहीं रहे। दूसरी ओर एक नवीन अभिजात वर्ग उभरकर सामने आया जिसने अपनी प्रतिष्ठा मंगोलों के महानायक के साथ स्थापित कर ली।

प्रश्न 6.
‘यास’ से क्या अभिप्राय है? यास ने मंगोलों की पहचान और विशिष्टता की रक्षा में क्या योगदान दिया?
उत्तर:
‘यास’ से अभिप्राय-अपने प्रारम्भिक स्वरूप में ‘यास’ को ‘यसाक’ लिखा जाता था जिसका अर्थ या विधि, आज्ञप्ति व आदेश। यसाक का सम्बन्ध प्रशासनिक विनियमों से है, जैसे आखेट, सैन्य और डाक प्रणाली का संगठन तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक, मंगोलों ने ‘यास’ शब्द का प्रयोग अधिक सामान्य रूप में करना शुरू कर दिया। – चंगेजखान की विधि – संहिता इससे तात्पर्य था अपनी पहचान और विशिष्टता की रक्षा का उपाय – तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक मंगोल एक संगठित जन- समूह के रूप में प्रकट हुए। उन्होंने एक ऐसे विशाल साम्राज्य की स्थापना की जिसे विश्व में पहले नहीं देखा गया था।

मंगोलों ने अत्यन्त जटिल शहरी समाजों पर शासन किया जिनके अपने- अपने इतिहास, संस्कृतियाँ और नियम थे। यद्यपि मंगोलों का अपने साम्राज्य के क्षेत्रों पर राजनैतिक प्रभुत्व रहा, फिर भी संख्या की दृष्टि से वे अल्पसंख्यक ही थे। उनके लिए अपनी पहचान और विशिष्टता की रक्षा का एकमात्र उपाय उस पवित्र नियम के अधिकार के दावे के द्वारा हो सकता था, जो उन्हें अपने पूर्वजों से प्राप्त हुआ था। वास्तव में यास मंगोल जनजाति की ही प्रथागत परम्पराओं का एक संकलन था, परन्तु उसे चंगेजखान की विधि – संहिता घोषित कर मंगोलों ने भी मूसा और सुलेमान की भाँति अपने को एक स्मृतिकार के होने का दावा किया जिसकी प्रामाणिक संहिता प्रजा पर लागू की जा सकती थी।

यास का योगदान-यास मंगोलों को समान आस्था रखने वालों के आधार पर एकजुट करने में सफल हुआ। उसने चंगेजखान तथा उनके वंशजों से मंगोलों की निकटता को स्वीकार किया। यद्यपि मंगोलों ने भी स्थान – बद्ध जीवन-प्रणाली के कुछ तत्त्वों को अपना लिया था, फिर भी यास ने उनको अपनी कबीलाई पहचान बनाए रखने तथा अपने नियमों को उन पराजित लोगों पर लागू करने का साहस प्रदान किया। यास एक बहुत ही शक्तिशाली विचारधारा थी। सम्भव है कि चंगेजखान ने इस प्रकार की विधि-संहिता की कोई योजना पहले से न बनाई हो, परन्तु यह निश्चित रूप से उसकी कल्पना – शक्ति से प्रेरित था, जिसने विश्वव्यापी मंगोल साम्राज्य की संरचना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 7.
चंगेजखान और मंगोलों का विश्व इतिहास में स्थान निर्धारित कीजिए।
अथवा
चंगेजखान और मंगोलों की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
चंगेजखान और मंगोलों का विश्व इतिहास में स्थान (चंगेजखान तथा मंगोलों की उपलब्धियाँ) – आज हमारे सामने चंगेजखान एक ऐसे व्यक्ति के रूप में उभर कर सामने आता है जो महान विजेता, नगरों को ध्वस्त करने वाला, लूटमार करने वाला और हजारों लोगों की हत्या करने वाला था । इसलिए तेरहवीं शताब्दी के चीन, ईरान और पूर्वी यूरोप के नगरवासी, स्टेपी- क्षेत्रों के मंगोलों को क्रोध, भय और घृणा की दृष्टि से देखते थे। इसके बावजूद चंगेजखान की उपलब्धियों की उपेक्षा नहीं की जा सकती।

उसकी तथा मंगोलों की उपलब्धियाँ निम्नलिखित थीं –
(1) मंगोलों के लिए चंगेज़खान अब तक का सबसे महान शासक था। उसने मंगोलों को संगठित किया, दीर्घकाल से चली आ रही कबीलाई लड़ाइयों और चीनियों द्वारा शोषण से मुक्ति दिलाई।

(2) उसने मंगोलों को शक्तिशाली, गौरवशाली और समृद्ध बनाया।

(3) उसने एक विशाल एवं शानदार पारमहाद्वीपीय मंगोल साम्राज्य की स्थापना की।

(4) उसने व्यापार के मार्गों तथा बाजारों को पुनर्स्थापित किया जिनसे वेनिस के मार्कोपोलो की भाँति दूर के यात्री आकृष्ट हुए।

(5) चंगेजखान और मंगोलों ने अपने राज्य में विविध मतों और आस्था वाले लोगों को सम्मिलित किया।

JAC Class 11 History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य

(6) यद्यपि मंगोल शासक स्वयं भी विभिन्न धर्मों तथा आस्थाओं से सम्बन्ध रखने वाले थे अर्थात् वे शमन, बौद्ध, ईसाई और इस्लाम से सम्बन्ध रखने वाले थे, परन्तु उन्होंने सार्वजनिक नीतियों पर अपने वैयक्तिक मत थोपने का प्रयास नहीं किया।

(7) मंगोल शासकों ने सब जातियों तथा धर्मों के लोगों को अपने यहाँ प्रशासकों तथा सैनिकों के पद पर नियुक्त किया।

(8) मंगोलों का शासन बहु-जातीय, बहु-भाषी, बहु- धार्मिक था। यह तत्कालीन युग में एक असामान्य बात थी। मंगोल अपने बाद में आने वाली शासन-प्रणालियों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत कर सके। यह उनकी एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि थी।

(9) यद्यपि मंगोल अनेक समुदायों में विभाजित थे, फिर भी वे एक परिसंघ बनाने में सफल रहे। प्रायः ये परिसंघ बहुत छोटे तथा अल्पकालिक होते थे। चंगेजखान ने मंगोल तथा तुर्की कबीलों को मिला कर एक परिसंघ बनाया था जो पाँचवीं शताब्दी के अट्टीला द्वारा बनाए गए परिसंघ के बराबर था। अट्टीला द्वारा बनाए गए परिसंघ के विपरीत चंगेज खान की राजनीतिक व्यवस्था बहुत अधिक स्थायी रही और चंगेज खाँ की मृत्यु के बाद भी यह व्यवस्था बनी रही। यह परिसंघ व्यवस्था इतनी सुदृढ़ और स्थायी थी कि यह चीन, ईरान और पूर्वी यूरोपीय देशों की उन्नत शस्त्रों से सुसज्जित विशाल सेनाओं का मुकाबला करने में सक्षम थी।

(10) आज दशकों के रूसी नियन्त्रण के बाद, मंगोलिया एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। उसने चंगेजखान को एक महान राष्ट्र नायक के रूप में लिया है जिसका सार्वजनिक रूप से सम्मान किया जाता है और जिसकी उपलब्धियों का वर्णन गर्व के साथ किया जाता है।

(11) मंगोलिया के इतिहास में इस निर्णायक समय पर चंगेजखान एक बार फिर मंगोलों के लिए एक आराध्य व्यक्ति के रूप में उभर कर सामने आया है, जो महान अतीत की यादों को जागृत कर राष्ट्र की पहचान बनाने की दिशा में शक्ति प्रदान करेगा।

मंहत्त्वपूर्ण तिथियाँ एवं घटनाएँ

तिथि घटना
लगभग 1167 तेमुजिन का जन्म
1160 और 1170 दासता और संघर्ष के वर्ष
के दशक 1180 और 90 सन्धि सम्बन्धों का काल
के दशक 1203-1227 विस्तार और विजय
1206 तेमुजिन को चंगेजखान यानी मंगोलों का ‘सार्वभौम शासक’ घोषित किया गया।
1227 चंगेजखान की मृत्यु।
1227-1241 चंगेजखान के पुत्र ओगोदेई का शासन-काल।
1227-1260 तीन महान खानों का शासन और मंगोल-एकता की स्थापना।
1236-1242 बाटू के अधीन रूस, हंगरी, पोलैण्ड और आस्ट्रिया पर आक्रमण। बाटू चंगेजखान के सबसे बड़े पुत्र जोची का पुत्र था।
1246-1249 ओगोदेई के पुत्र गुयूक का काल।
1251-1260 मोंके, चंगेजखान के पौत्र और तुलू के पुत्र का काल।
1253-1255 मोंके के अधीन ईरान और चीन में पुनः आक्रमण।
1257-1267 बाटू के पुत्र बर्के का राज्य-काल। सुनहरा गिरोह का नेस्टोरियन ईसाई-धर्म से इस्लाम धर्म की ओर पुनः प्रवृत्त होना। 1350 के दशक में उनका इस्लाम में निश्चयात्मक रूप से धर्मांतरण हुआ। इल-खान के विरुद्ध गोल्डन होर्ड और मिस्र देश की मैत्री का प्रारम्भ।
1258 बगदाद पर अधिकार और अब्बासी खिलाफत का अन्त। मोंके के छोटे भाई हुलेगु के अधीन ईरान में इल-खानी राज्य की स्थापना। जोचिद और इल-खान के बीच संघर्ष की शुरुआत।
1260 पेकिंग में ‘महान खान’ के रूप में कुबलई खान का राज्यारोहण। चंगेजखान के उत्तराधिकारियों में संघर्ष। मंगोल-राज्य का अनेक स्वतन्त्र भागों में अनेक वंशों में विभाजन-तोलुई, चघताई और जोची (ओगोदेई का वंश पराजित हो गया और तोलूयिद में मिल गए।)

तोलूयिद : चीन का यूआन वंश और ईरान का इल-खानी राज्य।

चघताई : उत्तरी तूरान के स्टेपी-क्षेत्र और तुर्किस्तान में रूसी स्टेपी-क्षेत्र में जोचिद वंश थे। उन्हें पर्यवेक्षक ‘गोल्डनहोर्ड’ के नाम से वर्णन करते थे।

1295-1304 ईरान में इल-खानी शासक गजन खान का शासन काल। उसके बौद्ध-धर्म से इस्लाम में धर्मान्तरण के बाद धीरे-धीरे अन्य इल-खानी सरदारों का भी धर्मान्तरण होने लगा।
1368 चीन में यू-आन राजवंश का अन्त।
1370-1405 तैमूर का शासन। बरलास तुर्क होते हुए उसने चघताई वंश के आधार पर अपने को चंगेजखान का वंशज बताया। उसने स्टेपी-साम्राज्य की स्थापना की। टोलू राज्य चघताई और जोची राज्यों के कुछ हिस्सों (चीन को छोड़कर). को सम्मिलित करते हुए उसने स्टेपी-क्षेत्र में एक साम्राज्य का गठन किया। उसने अपने को ‘गुरेगेन’, ‘शाही-दामाद’ की उपाधि से विभूषित किया और चंगेजखान के कुल की एक राजकुमारी से विवाह किया।
1495-1530 जहीरूद्दीन बाबर जो तैमूर और चंगेजखान का वंशज था, फरगना और समरकन्द के तैमूरी क्षेत्र का उत्तराधिकारी बना। वहाँ से खदेड़ा गया। काबुल पर अधिकार किया और 1526 में दिल्ली और आगरा पर अधिकार स्थापित किया। उसने भारत में मुगल-साम्राज्य की नींव रखी।
1500 जोची के कनिष्ठ पुत्र शिबान का दंशज शयबानी खान द्वारा तूरान पर आधिपत्य। तूरान में शयबानी सत्ता (शयबानियों को उज़्बेग भी कहा जाता था जिनके नाम से ही वर्तमान उज्बेकिस्तान का नाम पड़ा) को सुदृढ़ किया और इस क्षेत्र से बाबर तथा तैमूर के वंशजों को खदेड़ दिया।
1759 चीन के मंचुओं ने मंगोलिया पर विजय प्राप्त कर ली।
1921 मंगोलिया का गणराज्य।

Leave a Comment