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JAC Board Class 9 Science Notes Chapter 7 जीवों में विविधता
→ वर्गीकरण जीवों की विविधता को स्पष्ट करने में सहायक होता है।
→ जीवों को पाँच जगत् में वर्गीकृत करने के लिए निम्न विशेषताओं को ध्यान में रखा जाता है-
- कोशिकीय संरचना-प्रौकेरियोटी अथवा यूकेरियोटी।
- जीव का शरीर एककोशिक अथवा बहुकोशिक है। बहुकोशिक जीवों की संरचना जटिल होती है।
- कोशिका भित्ति की उपस्थिति या स्वपोषण की क्षमता।
→ उपरोक्त आधार पर सभी जीवों को पाँच जगत् में बाँटा गया है-मोनेरा, प्रोटिस्टा, कवक (फंजाई), प्लांटी और एनीमेलिया।
→ जीवों का वर्गीकरण उनके विकास से सम्बन्धित है।
→ प्लांटी और एनीमेलिया को उनकी क्रमिक शारीरिक जटिलता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।
→ पौधों को पाँच वर्गों में बाँटा गया है-शैवाल, ब्रायोफाइटा, टेरिडोफाइटा, जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म
→ जन्तुओं को दस फाइलम में बाँटा गया है-पोरीफेरा, सीलेंटरेटा, प्लेटिहेल्मिन्थीज, निमेटोडा, एनीलिडा, आर्थ्रोपोडा, मोलस्का, इकाइनोडर्मेटा, प्रोटोकॉर्डेटा और कॉर्डेटा।
→ द्विपद- नाम पद्धति जीवों की सही पहचान में सहायता करती है।
→ द्विपद- नाम पद्धति में पहला नाम जीनस और दूसरा स्पीशीज का होता है।
हमारे चारों ओर अनेक प्रकार के जीव समूह पाये जाते हैं। सभी जीवधारी एक दूसरे से किसी न किसी रूप में भिन्न हैं। हम मनुष्य तथा बन्दर की आपस में तुलना करें तो निश्चय ही मनुष्य और बन्दर में अधिक समानताएँ हैं। किन्तु गाय और बन्दर में काफी अन्तर है।
जैव विविधता रंगहीन जीवधारियों, पारदर्शी कीटों और विभिन्न रंगों वाले पक्षियों और फूलों में भी पायी जाती है। इन समस्त जीवधारियों को जानने व समझने के लिए जीवों को उनकी समानता एवं भिन्नता के आधार पर विभिन्न वर्गों व समूहों में वर्गीकृत किया गया है।