JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण 

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण

बह-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. महाद्वीपीय विस्थापन का सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया?
(A) होल्मस
(B) वैगनर
(C) टेलर
(D) काण्ट।
उत्तर:
(B) वैगनर।

2. आरम्भ में सभी स्थल खण्ड एक बड़े भू-भाग के रूप में जुड़े थे जिसे कहते हैं
(A) गोंडवाना लैंड
(B) लारेशिया
(C) पेंजिया
(D) पेन्थालासा।
उत्तर:
(C) पेंजिया।

3. प्रशान्त महासागर के दक्षिण-पूर्व में स्थित प्लेट को कहते हैं
(A) कोकोस प्लेट
(B) नाज़का प्लेट
(C) भारतीय प्लेट
(D) फिलीपाइन प्लेट।
उत्तर:
(B) नाज़का प्लेट।

4. वेगनर ने विस्थापन सिद्धान्त कब प्रस्तुत किया?
(A) 1911
(B) 1912
(C) 1913
(D) 1914
उत्तर:
(B) 1912

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5. गोंडवाना लैंड पेंजिया से कब अलग हुआ?
(A) 4.5 करोड़ वर्ष पूर्व
(B) 5.5 करोड़ वर्ष पूर्व।
(C) 6.5 करोड़ वर्ष पूर्व
(D) 7.5 करोड़ वर्ष पूर्व।
उत्तर:
(B) 5.5 करोड़ वर्ष पूर्व।

6. कौन-सा महाद्वीप गोंडवाना लैंड का भाग नहीं था?
(A) अफ्रीका
(B) ऑस्ट्रेलिया
(C) अंटार्कटिका
(D) एशिया।
उत्तर:
(D) एशिया।

7. जलोढ़ में स्वर्ण निक्षेप कहां मिले हैं?
(A) घाना तट
(B) ऑस्ट्रेलिया तट
(C) चिल्ली तट
(D) गियाना तट।
उत्तर:
(A) घाना तट।

8. मध्यवर्ती महासागरीय कटक किस महासागर में है?
(A) हिन्द महासागर
(B) प्रशान्त महासागर
(C) आर्कटिक महासागर
(D) अन्ध महासागर।
उत्तर:
(D) अन्ध महासागर।

9. किस स्तर पर भू-प्लेटें विपरीत दिशा में खिसकती हैं?
(A) अभिसरण क्षेत्र
(B) अपसरण क्षेत्र
(C) रूपान्तर क्षेत्र
(D) ज्वालामुखी क्षेत्र।
उत्तर:
(C) रूपान्तर क्षेत्र।

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10. संवहन धाराओं की संकल्पना किसने प्रस्तुत की?
(A) वेगनर
(B) होम्स
(C) टेलर
(D) ट्रिवार्था।
उत्तर:
(B) होम्स।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किसने और कब महाद्वीपीय संचलन सिद्धान्त प्रस्तुत किया?
उत्तर:
अल्फ्रेड वैगनर ने 1912 ई० में।

प्रश्न 2.
मूल महाद्वीप का क्या नाम था? यह कब बना?
उत्तर:
पेंजिया-काल्पनिक कल्प में 280 मिलियन वर्ष पूर्व।

प्रश्न 3.
पेंजिया से पृथक् होने वाले उत्तरी महाद्वीप का नाम लिखो।
उत्तर:
लारेशिया।

प्रश्न 4.
पेंजिया से पृथक् होने वाले दक्षिणी महाद्वीप का नाम लिखो।
उत्तर:
गोंडवानालैंड।

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प्रश्न 5.
गोंडवानालैंड में शामिल भू-खण्डों के नाम लिखो।
उत्तर:
दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया तथा अंटार्कटिका।

प्रश्न 6.
अफ्रीका तथा दक्षिणी अमेरिका में स्वर्ण निक्षेप कहां पाये जाते हैं?
उत्तर:
घाना तथा ब्राज़ील में।

प्रश्न 7.
ध्रुवों के घूमने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विभिन्न युगों में ध्रुवों की स्थिति का बदलना।

प्रश्न 8.
समुद्र के अधस्तल के विस्तारण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
महासागरीय द्रोणी का फैलना तथा चौड़ा होना।

प्रश्न 9.
प्लेटों के संचलन का क्या कारण है?
उत्तर:
तापीय संवहन क्रिया।

प्रश्न 10.
संवहन क्रिया सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर:
सन् 1928 में आर्थर होम्स ने।

प्रश्न 11.
स्थलमण्डल पर कुल कितनी प्लेटें हैं?
उत्तर:
7.

प्रश्न 12.
सबसे बड़ी भू-प्लेट कौन-सी है?
उत्तर:
प्रशान्त महासागरीय प्लेट।

प्रश्न 13.
हिमालय पर्वत की उत्पत्ति का क्या कारण था?
उत्तर:
भारतीय प्लेट तथा यूरेशियन प्लेट का आपसी टकराव।

प्रश्न 14.
पेंजिया शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर:
सम्पूर्ण पृथ्वी।

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प्रश्न 15.
पैंथालासा शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर:
जल ही जल।

प्रश्न 16.
प्लेट शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था?
उत्तर:
टूजो विल्सन।

प्रश्न 17.
प्लेटों में गति का क्या कारण है?
उत्तर:
प्लेटों में गति का कारण तापीय संवहन क्रिया है।

प्रश्न 18.
‘टेक्टोनिकोज’ किस भाषा का शब्द है? इसका क्या अर्थ है?
उत्तर:
यह यूनानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ निर्माण है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पेंजिया किसे कहते हैं? इसकी उत्पत्ति कब हुई? इसमें मिलने वाले भू-खण्ड बताओ। पेंजिया के टूटने की क्रिया बताओ।
उत्तर:
विश्व के सभी भू-खण्ड पेंजिया नामक एक महा-महाद्वीपीय से विलग होकर बने हैं, यह बात अल्फ्रेड वैगनर ने 1912 में कही। पेंजिया नामक यह महाद्वीप 28 करोड़ वर्ष पूर्व, कार्बनी कल्प के अन्त में अस्तित्व में आया। मध्य जुरैसिक कल्प तक यानि 15 करोड़ वर्ष पूर्व, पेंजिया उत्तरी महाद्वीप लॉरेशिया तथा दक्षिणी महाद्वीप गोंडवानालैंड में विभक्त हो गया था।

लगभग 6.5 करोड़ वर्ष पूर्व अर्थात् क्रिटेशस कल्प के अन्त में गोंडवानालैंड फिर से खंडित हुआ और इससे कई अन्य महाद्वीपों जैसे दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका की रचना हुई। भारत इससे टूटकर स्वतंत्र रूप से एक अलग पथ पर उत्तर-पूर्व की ओर अग्रसर हुआ।

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प्रश्न 2.
Jig-saw-fit से क्या अभिप्राय है? अन्ध-महासागर के दोनों तटों पर मिलने वाली समानताएं बताओ। इससे क्या निष्कर्ष निकलता है?
उत्तर:
Jig-saw- fit का अर्थ है कि अन्ध महासागर का पूर्वी तथा पश्चिमी तट किसी समय एक साथ जुड़े हुए थे। इन तटों पर कई समानताएं हैं।

  1. गिन्नी की खाड़ी ब्राज़ील के तट के साथ जोड़ी जा सकती है। अफ्रीका का पश्चिमी भाग खाड़ी मैक्सिको में जोड़ा जा सकता है। पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका का पूर्वी तट तथा ग्रीनलैंड अफ्रीका जोड़े जा सकते हैं।
  2. पूर्वी तट पर घाना में तथा पश्चिमी तट पर ब्राज़ील में अमेरिका स्वर्ण निक्षेप पाये जाते हैं।
  3. गोंडवानालैंड के सभी भू-खण्डों में हिमानी निक्षेप मिलते हैं। इन समानताओं से निष्कर्ष निकलता है कि ये महाद्वीप किसी प्राचीन भू-वैज्ञानिक काल में इकट्ठे थे।

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प्रश्न 3.
ध्रुवों के घूमने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ध्रुवों का घूमना (Polar Wandering):
पहले महाद्वीप पेंजिया के रूप में परस्पर एक-दूसरे से जुड़े हुए थे, इसका सबसे शक्तिशाली प्रमाण पुरा चुम्बकत्व से प्राप्त हुआ है। मैग्मा, लावा तथा असंगठित अवसाद में उपस्थित चुम्बकीय प्रवृत्ति वाले खनिज जैसे मैग्नेटाइट, हेमेटाइट, इल्मेनाइट और पाइरोटाइट इसी प्रवृत्ति के कारण उस समय के चुंबकीय क्षेत्र के समानान्तर एकत्र हो गए। यह गुण शैलों में स्थाई चुम्बकत्व के रूप में रह जाता है।

चुम्बकीय ध्रुव की स्थिति में कालिक परिवर्तन होता रहा है, जो शैलों में स्थाई चुम्बकत्व के रूप में अभिलेखित किया जाता है। वैज्ञानिक विधियों द्वारा पुराने शैलों में हुए ऐसे परिवर्तनों को जाना जा सकता है, जिनसे भूवैज्ञानिक काल में ध्रुवों की बदलती हुई स्थिति की जानकारी होती है। इसे ही ध्रुवों का घूमना कहते हैं। धूवों का घूमना यह स्पष्ट करता है कि महाद्वीपों का समय-समय पर संचलन होता रहा है और वे अपनी गति की दिशा भी बदलते रहे हैं।

प्रश्न 4.
अपसरण क्षेत्र तथा अभिसरण क्षेत्र में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
अपसरण क्षेत्र-ये वे सीभाएं हैं जहां प्लेटें एक-दूसरे से अलग होती हैं। भूगर्भ से मैग्मा बाहर आता है। ये महासागरीय कटकों के साथ-साथ देखा जाता है। इन सीमाओं के साथ ज्वालामुखी तथा भूकम्प मिलते हैं। इसका उदाहरण मध्य अटलांटिक कटक है जहां से अमेरिकी प्लेटें तथा यूरेशियम व अफ्रीकी प्लेटें अलग होती हैं। अभिसरण क्षेत्र-ये वे सीमाएं हैं जहां एक प्लेट का किनारा दूसरे के ऊपर चढ़ जाता है। इनसे गहरी खाइयों तथा वलित श्रेणियों की रचना होती है।

ज्वालामुखी तथा गहरे भूकम्प उत्पन्न होते हैं। रूपांतर सीमा-जहां न तो नई पर्पटी का निर्माण होता है और न ही विनाश होता है, उसे रूपांतर सीमा कहते हैं। इसका कारण है कि इस सीमा पर प्लेटें एक-दूसरे के साथ-साथ क्षैतिज दिशा में सरक जाती हैं। रूपांतर भ्रंश (Transform faults) दो प्लेट को अलग करने वाले तल हैं जो सामान्यतः मध्य-महासागरीय कटकों से लंबवत स्थिति में पाए जाते हैं।

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प्रश्न 5.
समुद्र अधस्तल के विस्तारण का क्या महाद्वीपीय अर्थ है ?
उत्तर:
मध्यवर्ती महासागरीय कटक महासागर के अधस्तल पर स्थित दरारें हैं। इनसे लावा बाहर निकलता है। पिघला हुआ पदार्थ एक नये धरातल की रचना करता है। यह अधस्तल कटक से दूर फैलता है। इस प्रकार महासागरीय द्रोणी चौड़ी हो जाती है। इसे समुद्र अधस्तल मैंटल विस्तारण कहते हैं।
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प्रश्न 6.
महत्त्वपूर्ण छोटी प्लेटों का वर्णन करो।
उत्तर:
कुछ महत्त्वपूर्ण छोटी प्लेटें निम्नलिखित हैं

  1. कोकोस (Cocoas) प्लेट: यह प्लेट मध्यवर्ती अमेरिका और प्रशान्त महासागरीय प्लेट के बीच स्थित है।
  2. नाजका प्लेट (Nazca plate): यह दक्षिण अमेरिका व प्रशान्त महासागरीय प्लेट के बीच स्थित है।
  3. अरेबियन प्लेट (Arabian plate): इसमें अधिकतर साऊदी अरब का भू-भाग सम्मिलित है।
  4. फिलिपाइन प्लेट (Philippine plate): यह एशिया महाद्वीप और प्रशान्त महासागरीय प्लेट के बीच स्थित है।
  5. कैरोलिन प्लेट (Caroline plate): यह न्यू गिनी के उत्तर में फिलिपियन वे इंडियन प्लेट के बीच स्थित है।
  6. फ्यूजी प्लेट (Fuji plate): यह ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्व में स्थित है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
प्लेट विवर्तनिक सिद्धान्त और इसकी क्रियाविधि की व्याख्या कीजिए।
अथवा
प्लेट विवर्तन की अवधारणा का वर्णन करें।
उत्तर:
भूमण्डलीय प्लेट विवर्तनिक सिद्धान्त के अनुसार स्थलमण्डल मध्यम दृढ़ प्लेटों में विभक्त है। ये प्लेटें निरन्तर संचलन कर रही हैं और उनकी गति-दिशा सापेक्ष है। प्लेटों के सीमान्त (Plate Boundaries): प्लेटों की सापेक्ष संचलन के आधार पर तीन विभिन्न प्रकार की प्लेट-सीमाएं या सीमान्त क्षेत्रों की रचना होती है:

  1. अपसरण अथवा विस्तारण क्षेत्र या सीमान्त
  2. अभिसरण क्षेत्र या सीमान्त; तथा
  3. विभंग क्षेत्र अथवा रूपान्तर भ्रंश।

1. अपसरण क्षेत्र (Zones of Divergence):
वे सीमाएं हैं, जहां प्लेटें एक-दूसरे से अलग होती हैं और पृथक्करण की इस प्रक्रिया में भूगर्भ से मैग्मा बाहर आता है। सामान्यतः ऐसा रैखिक महासागरी कटकों के साथ-साथ देखा जाता है, जहां नए महासागरीय अधस्तल के रूप में नवीन स्थलमण्डल का निर्माण हो रहा है। ऐसे सीमान्तों की विशिष्टता सक्रिय ज्वालामुखी उद्भव तथा उथले उद्गम केन्द्रों वाले भूकम्प हैं।

2. अभिसरण क्षेत्र (Zones of Convergence):
वे सीमाएं हैं, जहां एक प्लेट का किनारा दूसरे के ऊपर चढ जाता है, जिससे नीचे की प्लेट मैंटल में फिसल कर इसी में विलीन हो जाती है। इस प्रक्रिया को प्रविष्ठन (Subduction) कहते हैं। इन सीमाओं पर ज्वालामुखी उद्भव तथा उथले से गहरे उद्गम केन्द्रों वाले भूकम्पों की उत्पत्ति के अतिरिक्त गहरी महासागरीय खाइयों, द्रोणियों तथा वलित पर्वत श्रेणियों की रचना होती है।

3. रूपांतर (Transform faults):
भ्रंश पर न तो भूपर्पटी का निर्माण होता है और न विनाश। यहां स्थलमण्डलीय प्लेटें एक-दूसरे के विपरीत दिशा में साथ-साथ खिसकती हैं।

प्लेट संचलन के कारण (Causes of Plate Movement)
1. तापीय संवहन:
आर्थर होम्स ने 1928 में यह बताया कि अधोपर्पटी संवहन धाराएं तापीय संवहन की क्रियाविधि आरम्भ करती हैं, जो प्लेटों के संचलन के लिए प्रेरक बल के रूप में काम करता है।

2. उष्ण धाराएं:
उष्ण धाराएं ऊपर उठती हैं। जैसे ही वे भूपृष्ठ पर पहुंचती हैं, वे ठण्डी हो जाती हैं और नीचे की ओर चलने लगती हैं। इस प्रकार यह संवहनी संचलन भूपर्पटी प्लेटों को गतिशील कर देता है।

3. प्लेटों का तैरना:
संचलन के कारण स्थल मण्डल की प्लेटें, जो नीचे के अधिक गतिशील एस्थेनोस्फीयर पर तैर रही हैं, निरन्तर गति में रहती हैं।

4. ज्वालामुखी क्रिया:
अतीत में हुई ज्वालामुखी क्रिया के छोटे केन्द्र, जो बहुधा किसी सक्रिय प्लेट सीमा से दूर स्थलमण्डल पर स्थित हैं, संवहन धाराओं के प्रभाव का संकेत देते हैं। ज्वालामुखी क्रिया के ये केन्द्र तप्त स्थल कहलाते हैं।

5. ज्वालामुखी:
डब्ल्यू० जैसन मॉर्गन ने 1971 में तप्त स्थल की परिकल्पना की। उनके अनुसार मैंटल में मैग्मा का स्रोत अपने स्थान पर स्थिर रहता है, जबकि इसके ऊपर स्थित स्थलमण्डलीय प्लेटें निरन्तर संचलित होती हैं। इस प्रकार किसी तप्त स्थल के ऊपर ज्वालामुखियों की रचना होती है, लेकिन वे उसके बाद मैग्मा-स्रोत से दूर खिसक जाते हैं और मृत हो जाते हैं। ये मृत ज्वालामुखी एक श्रृंखला की रचना करते हैं, जो प्लेट संचलन के अभिलेख हैं।

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प्लेट सीमाएं (Plate Boundaries):
प्लेट सीमाएं पृथ्वी के सर्वाधिक विशिष्ट संरचनात्मक लक्षण हैं। प्लेट सीमाओं की पहचान कठिन नहीं है। ये प्रमुख स्थलाकृतिक लक्षणों से चिन्हित हैं। स्थलमण्डल, सात मुख्य प्लेटों और अनेक छोटी उप-प्लेटों में विभक्त है। मुख्य प्लेटों की बहिर्रेखा नवीन पर्वत तंत्रों, महासागरीय कटकों तथा खाइयों से बनी है। ये प्लेटें निम्नलिखित हैं

  1. प्रशान्त प्लेट;
  2. यूरेशियन प्लेट;
  3. इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट;
  4. अफ्रीकन प्लेट;
  5. उत्तरी अमेरिकन प्लेट;
  6. दक्षिण अमेरिकन प्लेट;
  7. अंटार्कटिक प्लेट;

मुख्य विशेषताएं:

  1. इनमें से सर्वाधिक नवीन प्रशान्त प्लेट है जो लगभग पूरी तरह महासागरीय पटल से बनी है और भूपृष्ठ के 20 प्रतिशत भाग पर विस्तृत है।
  2. कोई भी प्लेट केवल महाद्वीपीय पटल से निर्मित नहीं है। (3) प्लेटों की मोटाई में अन्तर महासागरों के नीचे 70 कि०मी० से लेकर महाद्वीपों के नीचे 150 कि०मी०
  3. तक है।
  4. प्लेट स्थाई लक्षण नहीं है। इनकी आकृति तथा आकार में अन्तर होता रहता है। वे प्लेटें जो महाद्वीपीय पटल से नहीं बनी हैं, प्रविष्ठन का शिकार हो सकती हैं।
  5. कोई भी प्लेट टूट सकती है अथवा अन्य प्लेट के साथ जुड़ सकती है। (6) प्रत्येक विवर्तनिक प्लेट दृढ़ है और एक इकाई के रूप में संचलन करती है।
  6. लगभग सभी विवर्तनिक क्रियाएं प्लेट सीमाओं पर होती हैं, यही कारण है कि भू-वैज्ञानिक तथा भूगोलवेत्ता प्लेट सीमाओं पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं।

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प्रश्न 2.
भारतीय प्लेट की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
भारतीय, प्लेट का संचलन (Movement of the Indian Plate):
इंडियन प्लेट में प्रायद्वीप भारत और ऑस्ट्रेलिया महाद्वीपीय भाग सम्मिलित हैं। हिमालय पर्वत श्रेणियों के साथ-साथ पाया जाने वाला प्रविष्ठन क्षेत्र (Subduction zone), इसकी उत्तरी सीमा निर्धारित करता है जो महाद्वीपीय-महाद्वीपीय अभिसरण (Continentcontinent convergence) के रूप में हैं। (अर्थात् दो महाद्वीप प्लेटों की सीमा है) यह पूर्व दिशा में म्यांमार के राकिन्योमा पर्वत से होते हुए एक चाप के रूप में जावा खाई तक फैला हुआ है। इसकी पूर्वी सीमा एक विस्तारित तल (Spreading site) है, जो ऑस्ट्रेलिया के पूर्व में दक्षिणी पश्चिमी प्रशान्त महासागर में महासागरीय कटक के रूप में है।

इसकी पश्चिमी सीमा पाकिस्तान की किरथर श्रेणियों का अनुसरण करती है। यह आगे मकरान तट के साथ-साथ होती हुई दक्षिण-पूर्वी चागोस द्वीप समूह (Chagos archipelago) के साथ-साथ लाल सागर द्रोणी (जो विस्तारण तल है) में जा मिलती है। भारतीय तथा आर्कटिक प्लेट की सीमा भी महासागरीय कटक से निर्धारित होती है। जो एक अपसारी सीमा (Divergent boundary) है और यह लगभग पूर्व-पश्चिम दिशा में होती हुई न्यूज़ीलैंड के दक्षिण में विस्तारित तल में मिल जाती है।

हिमालय पर्वत का उत्थान: भारत एक वृहत् द्वीप था, जो ऑस्ट्रेलियाई तट से दूर एक विशाल महासागर में स्थित था।

  1. लगभग 22.5 करोड़ वर्ष पहले तक टेथीस सागर इसे एशिया महाद्वीप से अलग करता था।
  2. ऐसा माना जाता है कि लगभग 20 करोड़ वर्ष पहले, जब पैंजिया विभक्त हुआ तब भारत ने उत्तर दिशा की ओर खिसकना आरम्भ किया।
  3. लगभग 4 से 5 करोड़ वर्ष पहले भारत एशिया से टकराया व परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत का उत्थान हुआ।
  4. 7.1 करोड़ वर्ष पहले से आज तक की भारत की स्थिति आज से लगभग 14 करोड़ वर्ष पहले यह उपमहाद्वीप सुदूर दक्षिण में 50″ दक्षिणी अक्षांश पर स्थित था। इन दो प्रमुख प्लेटों को टिथीस सागर अलग करता था और तिब्बतीय खंड, एशियाई स्थलखण्ड के करीब था।
  5. इंडियन प्लेट के एशियाई प्लेट की तरफ प्रवाह के दौरान एक प्रमुख घटना घटी-वह थी लावा प्रवाह से दक्कन ट्रैप का निर्माण होना। ऐसा लगभग 6 करोड़ वर्ष पहले आरम्भ हुआ और एक लम्बे समय तक यह जारी रहा । याद रहे कि यह उपमहाद्वीप तब भी भूमध्यरेखा के निकट था।
  6.  लगभग 4 करोड़ वर्ष पहले और इसके पश्चात् हिमालय की उत्पत्ति आरम्भ हुई। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्रक्रिया अभी भी जारी है और हिमालय की ऊँचाई अब भी बढ़ रही है।

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JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

JAC Class 10 Hindi तताँरा-वामीरो कथा Textbook Questions and Answers

मौखिक –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –

प्रश्न 1.
तताँरा-वामीरो कहाँ की कथा है?
उत्तर :
तताँरा-वामीरो अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की कथा है।

प्रश्न 2.
वामीरो अपना गाना क्यों भूल गई?
उत्तर :
वामीरो जब गा रही थी, तो अचानक समुद्र में ऊँची लहर उठी और उसे पूरी तरह भिगो गई। यह देखकर वह हड़बड़ा गई और हड़बड़ाहट में गाना भूल गई।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

प्रश्न 3.
तताँरा ने वामीरो से क्या याचना की?
उत्तर :
तताँरा ने वामीरो से गाना पूरा करने और अगले दिन पुनः उसी स्थान पर आने की याचना की।

प्रश्न 4.
तताँरा और वामीरो के गाँव की क्या रीति थी?
उत्तर
गाँव की रीति के अनुसार विवाह के लिए वर और वधू का एक ही गाँव का होना आवश्यक था। दूसरे गाँव में विवाह करना :
अनुचित था।

प्रश्न 5.
क्रोध में तताँरा ने क्या किया?
उत्तर :
क्रोध में तताँरा ने कार-निकोबार द्वीप समूह को दो भागों में विभक्त कर दिया।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए – 

प्रश्न 1.
तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था?
उत्तर :
तताँरा लकड़ी की एक तलवार को सदैव अपनी कमर से बाँधे रखता था। लोगों का मानना था कि उस तलवार में अद्भुत दैवीय-शक्ति थी। वे सोचते थे कि तताँरा अपने सभी साहसिक कारनामों को इसी तलवार के कारण ही कर पाता है।

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प्रश्न 2.
वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया?
उत्तर :
तताँरा के गीत को पूरा करने के आग्रह पर वामीरो ने उसे बड़ी बेरुखी से उत्तर दिया। उसने तताँरा से कहा कि पहले वह अपना परिचय दे और बताए कि वह उसे क्यों घूर रहा है। उसे उससे ऐसा असंगत प्रश्न भी नहीं पूछना चाहिए, क्योंकि गाँव की रीति के अनुसार वह अपने गाँव के युवक अतिरिक्त किसी अन्य गाँव के युवक के प्रश्न का उत्तर देने के लिए भी बाध्य नहीं है।

प्रश्न 3.
तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर :
तताँरा-वामीरो एक-दूसरे से प्रेम करते थे, किंतु गाँव की रीति के अनुसार उनका विवाह नहीं हो सकता था। तताँरा ने क्रोध में आकर पूरे द्वीप समूह को दो भागों में विभाजित कर दिया। इसमें तताँरा की मृत्यु हो गयी और वामीरो भी उसके प्रेम में पागल होने के बाद मर गई। उन दोनों की त्यागमयी मृत्यु के बाद निकोबार के लोग दूसरे गाँवों में भी वैवाहिक संबंध करने लगे।

प्रश्न 4.
निकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसंद करते थे?
उत्तर :
तताँरा एक सुंदर और शक्तिशाली युवक था। वह नेक और मददगार था। दूसरों की सहायता करना वह अपना परम कर्तव्य समझता था। वह मुसीबत में प्रत्येक व्यक्ति की सहायता करने के लिए तैयार रहता था। उसकी इन्हीं विशेषताओं के कारण निकोबार के लोग तताँरा को पसंद करते थे।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए –

प्रश्न 1.
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद कहाँ गया? वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद समुद्र के किनारे टहलने के लिए गया। वह सूर्यास्त का समय था। सूर्य डूबने ही वाला था। समुद्र से आने वाली ठंडी हवा बहुत अच्छी लग रही थी। पक्षियों की मधुर चहचहाहट धीरे-धीरे सुनाई दे रही थी। सूर्य की अंतिम रंग-बिरंगी किरणें समुद्र के पानी में बहुत आकर्षक लग रही थीं। डूबता हुआ सूर्य ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो देखते-ही-देखते वह क्षितिज के नीचे समा जाएगा।

तताँरा ऐसे प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहा था कि तभी उसे एक मधुर गीत गूंजता हुआ सुनाई दिया। गीत की आवाज़ अत्यंत मधुर और मोहक थी। ऐसा प्रतीत होता था, मानो वह गीत बहता हुआ उसकी ओर ही आ रहा हो। उस गीत के बीच-बीच में लहरों का संगीत उसकी मधुरता को और भी बढ़ाने वाला था।

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प्रश्न 2.
निकोबार द्वीपसमूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का क्या विश्वास है?
उत्तर :
निकोबारी इस दवीप समूह के विभक्त होने का कारण एक प्रेम कथा को मानते हैं। यह कथा तताँरा-वामीरो की है। तताँरा पासा गाँव का रहने वाला सुंदर नवयुवक था। वह साहसी, नेक और मददगार था। वामीरो समीप के गाँव लपाती की रहने वाली थी। दोनों एक दूसरे से प्रेम करने लगे, किंतु गाँव की परंपरा के अनुसार उनका विवाह नहीं हो सका।

एक दिन तताँरा और वामीरो को लोगों ने भला बुरा कहा। वामीरो जोर-जोर से रोने लगी। तताँरा इसे सहन नहीं कर सका। उसने क्रोध में भरकर अपनी तलवार को धरती में गाड़ दिया और पूरी शक्ति से अपनी ओर खींचता चला गया। उसने जहाँ-जहाँ से तलवार से काटा, वह सारा हिस्सा अलग होता चला गया। इस प्रकार निकोबार द्वीप समूह दो टुकड़ों में विभक्त हो गया।

प्रश्न 3.
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के जीवन में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर :
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा अपनी सुध-बुध खो बैठा। वह हर समय उसी के ख्यालों में डूबा रहता। उसका हृदय व्यथित रहने लगा। उसके मन में एक विचित्र-सी बेचैनी रहती। सदैव सबकी मदद के लिए तैयार रहने वाला तताँरा अब केवल वामीरो के बारे में सोचता रहता। वह बार-बार उससे मिलने की इच्छा करता। शक्तिशाली, शांत और गंभीर तताँरा अब चंचल-सा रहने लगा। उसे वामीरों के बिना एक-एक पल पहाड़-सा भारी प्रतीत होता। वामीरो से मिलने के बाद तताँरा का जीवन पूरी तरह बदल गया था।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

प्रश्न 4.
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति-प्रदर्शन के लिए किस प्रकार के आयोजन किए जाते थे?
उत्तर :
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति प्रदर्शन के लिए अस्त्र-शस्त्र चलाने संबंधी आयोजन तथा पशु-पर्व किए जाते थे। पशु-पर्व जैसे आयोजनों में पशुओं की शक्ति का प्रदर्शन किया जाता था। इसके अतिरिक्त युवकों व पशुओं के बीच में भी शक्ति-प्रदर्शन होता था। इस तरह के आयोजन में भोजन, नृत्य और संगीत की व्यवस्था भी की जाती थी।

प्रश्न 5.
रूढ़ियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगें तब उनका टूट जाना ही अच्छा है। क्यों ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
तताँरा-वामीरो कथा के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि रूढ़ियाँ बंधन बनने लगें तो उन्हें टूट जाना चाहिए।
उत्तर :
प्रत्येक समाज अपने जीवन को व्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए कुछ रूढ़ियों और परंपराओं का पालन करता है। समय के साथ-साथ इन रूढ़ियों और परंपराओं में परिवर्तन होना जरूरी है। यदि इनमें परिवर्तन न हो, तो ये रूढ़ियाँ बंधन बन जाती हैं। तब इनका निर्वाह करना बोझ के समान लगता है। नई पीढ़ी विकास चाहती है। ये रूढ़ियाँ तब विकास में भी बाधक बनती हैं। स्वतंत्र विचारों वाली पीढ़ी इसे स्वीकार नहीं कर पाती। यदि हम फिर भी इन रूढ़ियों और परंपराओं से चिपके रहे, तो हमारी आने वाली पीढ़ी का विकास रुकता है। बोझ बनी इन रूढ़ियों से न तो विकास हो सकता है और न ही स्वच्छ जीवनयापन। ऐसे में इन रूढ़ियों का टूट जाना ही अच्छा होता है।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न 1.
जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसमें शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा।
उत्तर :
इन पंक्तियों में लेखक ने तताँरा के मनोभावों को व्यक्त किया है। तताँरा वामीरो से प्रेम करता है और उससे विवाह भी करना चाहता है, परंतु वामीरो का परिवार इसे पसंद नहीं करता। ‘पशु-पर्व’ पर आयोजित मेले में वामीरो की माता तताँरा को वामीरो के साथ देखकर आग-बबूला हो उठती है और उसे अपमानित करती है। गाँव के अन्य लोग भी तताँरा का विरोध करने लगते हैं। इस पर तताँरा क्रोध से भर उठता है, परंतु किसी पर क्रोध करने की बजाय वह अपनी तलवार को पूरा जोर लगाकर धरती में घोंप देता है और फिर उसे खींचने लगता है।

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प्रश्न 2.
बस आस की एक किरण थी जो समुद्र की देह पर डूबती किरणों की तरह कभी भी डूब सकती थी।
उत्तर :
यहाँ लेखक ने वामीरो की प्रतीक्षा करते तताँरा की बेचैनी को स्पष्ट किया है। वह समुद्री चट्टान पर वामीरो की प्रतीक्षा में खड़ा था। उसे वामीरो के आने की बहुत कम आशा थी, फिर भी वह उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। वामीरो की आने की आशा सूर्यास्त के समय डूबते सूर्य की किरणों के समान थी। जिस प्रकार सूर्यास्त में सूर्य की किरणें धीरे-धीरे समाप्त हो रही थीं, उसी प्रकार वामीरो के वहाँ आने की आशा किसी भी समय समाप्त हो सकती थी।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1.
उत्तर
निम्नलिखित वाक्यों के सामने दिए गए कोष्ठक में (✓) का चिह्न लगाकर बताएँ कि वह वाक्य किस प्रकार का है (क) निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(ख) तुमने एकाएक इतना मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ दिया ? (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(ग) वामीरो की माँ क्रोध में उफन उठी। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(घ) क्या तुम्हें गाँव का नियम नहीं मालूम ? (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(ङ) वाह! कितना सुंदर नाम है। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(च) मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूंगा। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
उत्तर :
(क) निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे। (विधानवाचक)
(ख) तुमने एकाएक इतना मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ दिया? (प्रश्नवाचक)
(ग) वामीरो की माँ क्रोध में उफन उठी। (विधानवाचक)
(घ) क्या तुम्हें गाँव का नियम नहीं मालूम? (प्रश्नवाचक)
(ङ) वाह! कितना सुंदर नाम है। (विस्मयादिबोधक)
(च) मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूंगा। (विधानवाचक)

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(क) सुध-बुध खोना
(ख) बाट जोहना
(ग) खुशी का ठिकाना न रहना
(घ) आग बबूला होना
(ङ) आवाज़ उठाना।
उत्तर :
(क) सुध-बुध खोना-जब मैंने पहली बार ताजमहल देखा, तो उसकी सुंदरता देखकर मैं अपनी सुध-बुध खो बैठा।
(ख) बाट जोहना-किसी की बाट जोहना अत्यंत कठिन कार्य है।
(ग) खुशी का ठिकाना न रहना-सुरेश के जिले में प्रथम आने की बात सुनकर उसके पिता की खुशी का ठिकाना न रहा।
(घ) आग बबूला होना-रमेश ने जब चोरी की, तो उसकी माँ आग बबूला हो उठी।
(ङ) आवाज़ उठाना-हमें भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठानी चाहिए।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए शब्दों में से मूल शब्द और प्रत्यय अलग करके लिखिए-
JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा 1
उत्तर :
JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा 2

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए
………. + आकर्षक = ………
………. + ज्ञात = ……….
………. + कोमल = ………
……….. + होश = …………
………. + घटना = ………..
उत्तर :
अति + आकर्षक = अत्याकर्षक
अ + ज्ञात = अज्ञात
सु + कोमल = सुकोमल
बे + होश = बेहोश
दुर् + घटना = दुर्घटना

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए –
(क) जीवन में पहली बार मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ। (मिश्र वाक्य)
(ख) फिर तेज़ कदमों से चलती हुई तताँरा के सामने आकर ठिठक गई। (संयुक्त वाक्य)
(ग) वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ़ दौड़ी। (सरल वाक्य)
(घ) तताँरा को देखकर वह फूटकर रोने लगी। (संयुक्त वाक्य)
(ङ) रीति के अनुसार दोनों को एक ही गाँव का होना आवश्यक था। (मिश्र वाक्य)
उत्तर :
(क) जीवन में पहली बार ऐसा हुआ है कि मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ।
(ख) फिर तेज़ कदमों से चली और तताँरा के सामने आकर ठिठक गई।
(ग) वामीरो कुछ सचेत होकर घर की तरफ़ दौड़ी।
(घ) उसने तताँरा को देखा और वह फूटकर रोने लगी।
(ङ) यह रीति थी कि दोनों को एक ही एक गाँव का होना आवश्यक था।

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्य पढ़िए तथा ‘और’ शब्द के विभिन्न प्रयोगों पर ध्यान दीजिए –
(क) पास में सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। (दो पदों को जोड़ना)
(ख) वह कुछ और सोचने लगी। (‘अन्य’ के अर्थ में)
(ग) एक आकृति कुछ साफ़ हुई … कुछ और … कुछ और … (क्रमश: धीरे-धीरे के अर्थ में)
(घ) अचानक वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ़ दौड़ गई। (दो उपवाक्यों को जोड़ने के अर्थ में)
(ङ) वामीरो का दुख उसे और गहरा कर रहा था। (‘अधिकता’ के अर्थ में)
(च) उसने थोड़ा और करीब जाकर पहचानने की चेष्टा की। (‘निकटता’ के अर्थ में)
उत्तर :
विद्यार्थी इसे ध्यानपूर्वक समझें।

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प्रश्न 7.
नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –
भय, मधुर, सभ्य, मूक, तरल, उपस्थिति, सुखद।
उत्तर :

  • भय = निर्भय
  • सभ्य = असभ्य
  • तरल = ठोस
  • सुखद = दुखद
  • मधुर = कहु
  • मूक = वाचाल
  • उपस्थिति = अनुपस्थिति

प्रश्न 8.
नीचे दिए गए शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए –
समुद्र, आँख, दिन, अँधेरा, मुक्त।
उत्तर :

  • समुद्र = सागर, जलधि
  • दिन = दिवस, वासर
  • मुक्त = स्वतंत्र, आजाद
  • आँख = नयन, नेत्र
  • अँधेरा =अंधकार, तम

प्रश्न 9.
नीचे दिए गए शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
किंकर्तव्यविमूढ़, विह्वल, भयाकुल, याचक, आकंठ।
उत्तर :

  • किंकर्तव्यविमूढ़ – सचिन सड़क पर हुई दुर्घटना को देखकर किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया।
  • भयाकुल – अचानक सामने आए शेर को देखकर राम भयाकुल हो उठा।
  • विह्वल – कई दिनों के बाद अपने पुत्र से मिलकर माँ भाव-विह्वल हो उठी।
  • याचक – याचक को कभी खाली नहीं लौटाना चाहिए।
  • आकंठ – वह संगीत की महफिल में जाकर संगीत के सुरों में आकंठ डूब गया।

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प्रश्न 10.
“किसी तरह आँचरहित एक ठंडा और ऊबाऊ दिन गुज़रने लगा’ वाक्य में दिन के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया गया है? आप दिन के लिए कोई तीन विशेषण और सुझाइए।
उत्तर :
वाक्य में दिन के लिए आँचरहित, ठंडा और ऊबाऊ विशेषणों का प्रयोग किया गया है। दिन के लिए तीन अन्य विशेषण हैं-गर्म दिन, शानदार दिन, मुसीबत भरा दिन।

प्रश्न 11.
इस पाठ में देखना’ क्रिया के कई रूप आए हैं-‘देखना’ के इन विभिन्न शब्द-प्रयोगों में क्या अंतर है? वाक्य-प्रयोग द्वारा स्पष्ट कीजिए।
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इसी प्रकार बोलना’ क्रिया के विभिन्न शब्द-प्रयोग बताइए।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा 4
उत्तर :
आँखें केंद्रित करना = अपने लक्ष्य पर आँखें केंद्रित करके आगे बढ़ते रहना चाहिए।
नज़र पड़ना = घर आते ही कमरे में रखे नए फूलदान पर अचानक मेरी नज़र पड़ी।
ताकना = इधर-उधर ताकना बुरी बात है।
घूरना = तुम मुझे इस प्रकार घूरना छोड़ दो, वरना अच्छा नहीं होगा।
निहारना = प्राकृतिक सौंदर्य को निहारना बहुत अच्छा लगता है।
निर्निमेष ताकना = बगीचे में लगा गुलाब का फूल इतना आकर्षक था कि मैं उसे निर्निमेष ताकता रह गया। इसी प्रकार ‘बोलना’ क्रिया के विभिन्न शब्द-प्रयोग निम्नलिखित हैं –
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प्रश्न 12.
नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए –
(क) श्याम का बड़ा भाई रमेश कल आया था। (संज्ञा पदबंध):
(ख) सुनीता परिश्रमी और होशियार लड़की है। (विशेषण पदबंध)
(ग) अरुणिमा धीरे-धीरे चलते हुए वहाँ जा पहुंची। (क्रियाविशेषण पदबंध)
(घ) आयुष सुरभि का चुटकुला सुनकर हँसता रहा। (क्रिया पदबंध)
ऊपर दिए गए वाक्य (क) में रेखांकित अंश में कई पद हैं जो एक पद संज्ञा का काम कर रहे हैं। वाक्य (ख) में तीन पद मिलकर विशेषण पद का काम कर रहे हैं। वाक्य (ग) और (घ) में कई पद मिलकर क्रमशः क्रिया-विशेषण और क्रिया का काम कर रहे हैं।
ध्वनियों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं और वाक्य में प्रयुक्त शब्द ‘पद’ कहलाता है; जैसे –
‘पेड़ों पर पक्षी चहचहा रहे थे।’ वाक्य में पेड़ों’ शब्द पद है क्योंकि इसमें अनेक व्याकरणिक बिंदु जुड़ जाते हैं।
कई पदों के योग से बने वाक्यांश को जो एक ही पद का काम करता है, पदबंध कहते हैं। पदबंध वाक्य का एक अंश होता है।
पदबंध मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं –

  • संज्ञा पदबंध
  • क्रिया पदबंध
  • विशेषण पदबंध
  • क्रियाविशेषण पदबंध।

वाक्यों के रेखांकित पदबंधों का प्रकार बताइए –
(क) उसकी कल्पना में वह एक अद्भुत साहसी युवक था।
(ख) तताँरा को मानो कुछ होश आया।
(ग) वह भागा-भागा वहाँ पहुँच जाता।
(घ) तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी।
(ङ) उसकी व्याकुल आँखें वामीरो को ढूँढ़ने में व्यस्त थीं।
उत्तर :
(क) विशेषण पदबंध
(ख) क्रिया पदबंध
(ग) क्रिया-विशेषण पदबंध
(घ) विशेषण पदबंध
(ङ) विशेषण पदबंध

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योग्यता विस्तार –

प्रश्न :
1. पुस्तकालय में उपलब्ध विभिन्न प्रदेशों की लोककथाओं का अध्ययन कीजिए।
2. भारत के नक्शे में अंडमान निकोबार द्वीप समूह की पहचान कीजिए और उसकी भौगोलिक स्थिति के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
3. अंडमान निकोबार द्वीपसमूह की प्रमुख जनजातियों की विशेषताओं का अध्ययन पुस्तकालय की सहायता से कीजिए।
4. दिसंबर 2004 में आए सुनामी का इस द्वीपसमूह पर क्या प्रभाव पड़ा? जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

परियोजना कार्य –

प्रश्न 1.
अपने घर-परिवार के बुजुर्ग सदस्यों से कुछ लोककथाओं को सुनिए। उन कथाओं को अपने शब्दों में कक्षा में सुनाइए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi तताँरा-वामीरो कथा Important Questions and Answers

निबंधात्मक प्रश्न – 

प्रश्न 1.
‘तताँरा-वामीरो कथा’ किस क्षेत्र से संबंधित है? इसके पीछे लोगों का क्या विश्वास है?
उत्तर :
‘तताँरा-वामीरो कथा’ अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की कथा है। यह एक लोककथा है, जो तताँरा नामक युवक और वामीरो नामक युवती की प्रेम-कथा पर आधारित है। इस लोककथा के पीछे निकोबारियों का विश्वास है कि इन दो प्रेमियों के कारण ही वर्तमान के लिटिल अंडमान और कार-निकोबार अलग हुए थे। इससे पहले ये दोनों द्वीप एक ही थे। इस बात की प्रमाणित करने के लिए एक कहानी के रूप में इस मान्यता को प्रस्तुत किया गया है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

प्रश्न 2.
तताँरा के व्यक्तित्व का वर्णन संक्षेप में कीजिए।
उत्तर :
तताँरा पासा गाँव का रहने वाला सुंदर और शक्तिशाली युवक था। वह नेक और मददगार था। दूसरों की सहायता के लिए वह सदा तैयार रहता था। वह केवल अपने गाँववालों की ही नहीं, अपितु समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना अपना परम कर्तव्य समझता था। वह अत्यंत चर्चित और आदरणीय था। उसके आत्मीय स्वभाव के कारण सभी उसे पसंद करते थे। वह अपनी पारंपरिक पोशाक के साथ कमर में लकड़ी की एक तलवार बाँधे रखता था, जो उसे अन्य लोगों से विशिष्ट बनाती थी। लोगों का मत था कि उसकी तलवार में दैवीय शक्ति थी।

प्रश्न 3.
तताँरा को लोग दैवीय-शक्ति से संपन्न व्यक्ति क्यों मानते थे?
उत्तर :
तताँरा को लोग दैवीय-शक्ति से संपन्न व्यक्ति मानते थे, क्योंकि उसके पास लड़की से बनी एक तलवार थी। लोगों का विश्वास था कि उस तलवार में दैवीय शक्ति है। तताँरा उस तलवार को सदैव अपने साथ रखता था। वह उसे अपनी कमर से बाँधकर रखता था। वह उस तलवार का प्रयोग अत्याचार को मिटाने तथा समाज को रूढ़ियों और बंधनों से मुक्त करने के लिए करता था। कहानी के अंत में अपनी तलवार से द्वीप के दो टुकड़े करके तताँरा इस धारणा को सही सिद्ध करता है।

प्रश्न 4.
तताँरा को क्रोध क्यों आया? उसने क्रोध में आने के बाद क्या किया?
उत्तर :
तताँरा और वामीरो का प्रेम अपनी बुलंदी पर था। शीघ्र ही यह प्रेम जगजाहिर हो गया। इसी प्रेम के कारण गाँववालों ने तताँरा को अपमानित भी कर दिया। यही अपमान का घूट तताँरा के क्रोध का कारण बना। उसने अपनी लकड़ी की तलवार निकाली और अपने क्रोध को शांत करने के लिए तलवार से निकोबार की धरती को दो टुकड़ों में विभाजित कर दिया। इसके बाद से ही निकोबार द्वीप दो भागों में विभाजित हो गया।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

प्रश्न 5.
तताँरा द्वारा धरती के दो टुकड़े करने से वह लोगों को क्या संदेश देना चाहता था?
उत्तर :
द्वीप के दो टुकड़े करके तताँरा लोगों को समझाना चाहता था कि वे अपने पुराने रूढ़िवादी विचारों से बाहर निकल आएँ। अपनी तंग मानसिकता को दूर करके एक अच्छे समाज की नींव रखें। यदि वे पुरानी रूढ़ियों और बंधनों को ऐसे ही मानते रहे, तो न उनका विकास होगा और न ही समाज या देश का विकास होगा। अत: लोगों को अपनी सोच को सही रखकर उसमें सुधार लाना होगा। यह शायद उसके प्रयास का ही फल था कि बाद में द्वीप के लोगों ने अपनी पुरानी परपंरा को समाप्त कर दिया था।

प्रश्न 6.
तताँरा और वामीरो की मृत्यु किस प्रकार की थी? इसके बाद क्या परिवर्तन हुआ?
उत्तर :
तताँरा और वामीरो की मुत्यु त्यागमयी थी, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए सुंदर सपने छोड़कर जाने वाली मृत्यु थी, वह समाज तथा लोगों को उनका घृणित रूप दिखाने वाली मृत्यु थी। उनकी इस त्यागमयी मृत्यु के बाद एक सुखद परिवर्तन यह आया कि निकोबार के लोग अब दूसरे गाँवों में भी वैवाहिक संबंध बनाने लगे थे। उनकी तंग मानसिकता में सुधार आने लगा था।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
तताँरा समुद्र के किनारे क्या देखकर अपनी सुध-बुध खो बैठा?
उत्तर :
तताँरा जब समुद्र के किनारे टहल रहा था, तो उसने एक मधुर गीत सुना। वह उस दिशा में चल पड़ा, जहाँ से गीत का स्वर आ रहा था। वहाँ उसने वामीरो को देखा, जो अत्यंत सुंदर थी। उसके अनुपम सौंदर्य को देखकर तताँरा अपनी सुध-बुध खो बैठा। वह वामीरो के रूप सौंदर्य के जादू में डूब गया।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

प्रश्न 2.
तताँरा को गाँव की किस परंपरा पर क्षोभ हो रहा था?
उत्तर :
तताँरा वामीरो से प्रेम करता था और वामीरो भी उससे विवाह करना चाहती थी। गाँव की यह परंपरा थी कि लड़का और लड़की को एक ही गाँव का होना चाहिए, तभी विवाह संभव था। तताँरा पासा गाँव का रहने वाला था और वामीरो लपाती गाँव की थी। इस कारण से उन दोनों का विवाह संभव नहीं था। तताँरा को विवाह की इसी निषेध परंपरा पर क्षोभ था।

प्रश्न 3.
वामीरो की माँ को क्या अपमानजनक लगा और उसने क्या किया?
उत्तर :
वामीरो और उसकी माँ पासा गाँव में आयोजित ‘पशु-पर्व’ में आईं। वामीरो ने जैसे ही तताँरा को देखा, तो वह रोने लगी। तताँरा किंकर्तव्यविमूढ़ वहाँ खड़ा रहा। वामीरो की माँ ने जब वामीरो का रुदन स्वर सुना, तो वह वहाँ पहुँची और आग-बबूला हो उठी। गाँववालों की उपस्थिति में वामीरो को तताँरा के साथ खड़े देखना उसे अपमानजनक लगा। उसने तताँरा को तरह-तरह से अपमानित किया।

प्रश्न 5.
लीलाधर मंडलोई की भाषा-शैली का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
लीलाधर मंडलोई मूल रूप से एक कवि हैं। इनकी भाषा-शैली अत्यंत सहज, सरल तथा सरस है। इनकी भाषा में लयात्मकता, प्रवाहात्मकता और रोचकता विद्यमान रहती है। ‘तताँरा-वामीरो कथा’ में उन्होंने तत्सम, तद्भव, देशज आदि शब्दों का सुंदर मिश्रण किया है। इन्होंने पाठ में उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का भी खूब प्रयोग किया है।

तताँरा-वामीरो कथा Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-श्री लीलाधर मंडलोई का जन्म सन 1954 में छिंदवाड़ा जिले के एक छोटे-से गाँव । गुढ़ी में हुआ था। इनका जन्म जन्माष्टमी के दिन हुआ। इनकी शिक्षा-दीक्षा भोपाल और रायपुर में हुई थी। सन 1987 में कॉमनवेल्थ रिलेशंस ट्रस्ट, लंदन ने इन्हें प्रसारण की उच्च शिक्षा के लिए वहाँ आमंत्रित किया। प्रसारण के क्षेत्र में इनका विशेष योगदान रहा है। वर्तमान में ये प्रसार भारती दूरदर्शन के महानिदेशक का कार्यभार सँभाल रहे हैं। इन्हें इनकी रचनाओं के लिए कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है।

रचनाएँ – लीलाधर मंडलोई वास्तव में कवि हैं। इनकी कविताएँ छत्तीसगढ़ अंचल से संबंधित हैं। इनकी कविताओं में वहाँ की बोली की मिठास के साथ-साथ वहाँ के जन-जीवन का सजीव चित्रण है। इनका कवि मन इन्हें सदैव लोककथा, लोकगीत, यात्रा-वृत्तांत, डायरी और रिपोर्ताज जैसे भिन्न-भिन्न विधाओं के लेखन की ओर प्रवृत्त करता रहा है। अंदमान-निकोबार द्वीप समूह की जनजातियों पर लिखा इनका गद्य अपने आप में एक समाजशास्त्रीय अध्ययन भी है। इनकी प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं-घर-घर घूमा, रात-बिरात, मगर एक आवाज़, देखा-अनदेखा और काला पानी।

भाषा-शैली – मंडलोई जी की भाषा-शैली अत्यंत सरल और सहज है। भाषा में प्रवाहात्मकता, लयात्मकता और रोचकता सदैव विद्यमान रहती है। प्रस्तुत पाठ ‘तताँरा-वामीरो कथा’ में उन्होंने तत्सम, तद्भव, देशज आदि शब्दों का सुंदर मिश्रण किया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का भी सुंदर प्रयोग किया है। मुहावरों के प्रयोग से इनकी भाषा अधिक प्रभावशाली हो गई है। इन्होंने अनेक मुहावरों जैसे-सुध-बुध खोना, बाट जोहना, खुशी का ठिकाना न रहना, आग बबूला होना, आवाज़ उठाना आदि का अच्छा प्रयोग किया है। मंडलोई जी की शैली वर्णनात्मक है। कहीं-कहीं उन्होंने संवादात्मक शैली का प्रयोग किया है, जिसमें नाटकीयता का पुट विद्यमान है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

पाठ का सार –

प्रस्तुत पाठ ‘तताँरा-वामीरो कथा’ अंदमान-निकोबार द्वीप समूह के एक छोटे से द्वीप की लोककथा पर आधारित है। यह ‘तताँरा’ नामक युवक और ‘वामीरो’ नामक युवती की प्रेमकथा है। तताँरा और वामीरो को आज भी इस द्वीप के निवासी गर्व और श्रद्धा से याद करते हैं। प्राचीनकाल में लिटिल अंडमान और कार-निकोबार द्वीप समूह आपस में जुड़े हुए थे। वहाँ पासा नामक गाँव में तताँरा नाम का एक सुंदर और शक्तिशाली युवक रहता था। वह बहुत ही नेक और मददगार था। सबकी सहायता करना वह अपना कर्तव्य समझता था।

सभी उसे बहुत पसंद करते थे। उसके आत्मीय स्वभाव के कारण आस-पास के गाँववाले भी उसे पर्व-त्योहारों पर विशेष रूप से आमंत्रित करते थे। तताँरा का व्यक्तित्व अत्यंत आकर्षक था। वह अपनी पारंपरिक पोशाक के साथ अपनी कमर में सदैव एक लकड़ी की तलवार बाँधे रखता था। लोगों का विचार था कि उसकी लकड़ी की तलवार में दैवीय शक्ति थी। एक दिन तताँरा सूर्यास्त के समय समुद्र के किनारे विचारमग्न बैठा था। तभी उसे पास ही मधुर गीत गूंजता सुनाई दिया। वह उस गीत के मधुर स्वरों में डूब गया। जैसे ही उसकी तंद्रा टूटी, वह उस गीत को गाने वाले को देखने के लिए व्याकुल हो उठा।

अंतत: उसकी नज़र एक युवती पर पड़ी, जो उस शृंगार गीत को गा रही थी। तताँरा उस युवती के अप्रतिम सौंदर्य को देखकर उसमें डूब गया। वह अपनी सुध-बुध खो बैठा और बार-बार उसे उस गीत को पूरा करने का आग्रह करने लगा। युवती ने उससे उसका परिचय पूछा, किंतु तताँरा विचलित होने के कारण कुछ नहीं बता पाया। तताँरा ने उस युवती का नाम पूछा, तो उसने अपना नाम वामीरो बताया और कहा कि वह लपाती गाँव में रहती है। यह कहकर वह चली गई। तताँरा उसे आवाजें लगाकर अपने बारे में बताता रहा और अगले दिन पुनः उसी चट्टान पर आने का आग्रह करता रहा। वामीरो नहीं रुकी और तताँरा उसे जाते हुए निहारता रहा। वामीरो जब घर पहुंची, तो वह भी तताँरा को बार-बार याद करने लगी। उसने अपने लिए जैसे जीवन साथी की कल्पना की थी, तताँरा वैसा ही था।

साथ ही वह यह भी जानती थी कि दूसरे गाँव के युवक के साथ वैवाहिक संबंध होना गाँव की परंपरा के विरुद्ध था। अत: उसने तताँरा को भुलाना ही उचित समझा, किंतु तताँरा की छवि बार-बार उसकी आँखों के आगे नाचती रही। उधर तताँरा सायंकाल होते ही समुद्री चट्टान पर खडा वामीरो की प्रतीक्षा करने लगा। ऐसी बेचैनी उसने अपने शांत और गंभीर जीवन में पहले कभी अनुभव नहीं की थी। उसे वामीरो के आने की आशा बहुत कम थी। बार-बार वह लपाती गाँव से आने वाले रास्ते की ओर देखता। तभी अचानक नारियल के झुरमुटों में उसे वामीरो दिखाई दी।

उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। वे दोनों देर तक एक-दूसरे को निहारते शब्दहीन खड़े रहे। सूर्यास्त हो चुका था और अँधेरा बढ़ने लगा। तभी वामीरो सचेत हुई और अपने घर की तरफ़ दौड़ी। तताँरा चुपचाप वहीं खड़ा रहा। तताँरा और वामीरो प्रतिदिन इसी प्रकार मिलते। धीरे-धीरे उनका यह मूक प्रेम लपाती गाँव के कुछ युवकों को पता चल गया और उन्होंने गाँव के सभी लोगों को बता दिया। तताँरा और वामीरो को बहुत समझाने का प्रयास किया गया, क्योंकि अलग-अलग गाँव के होने के कारण उनका विवाह संभव नहीं था; किंतु वे नहीं माने। कुछ समय बाद तताँरा के पासा गाँव में ‘पशु-पर्व’ का आयोजन हुआ।

वर्ष में एक बार होने वाले इस आयोजन में सभी गांवों के लोग पासा में एकत्रित हुए। तताँरा की आँखें तो केवल वामीरो को ढूँढ रही थीं। तभी उसे वामीरो दिखाई दी। वामीरो तताँरा को देखते ही फूट-फूटकर रोने लगी। वामीरो की माँ को अनेक लोगों की उपस्थिति में तताँरा के पास खड़ी वामीरो का रोना : अपमानजनक लगा। वह क्रोधित हो उठी और उसने तताँरा को अनेक तरह से अपमानित किया। गाँव के लोग भी तताँरा के विरुद्ध आवाजें उठाने लगे। तताँरा के लिए यह सब असहनीय हो गया।

उसे गाँव की परंपरा पर क्रोध आ रहा था और अपनी असहायता पर खीझ होने लगी। उधर वामीरो लगातार रोये जा रही थी। तताँरा का क्रोध लगातार बढ़ता गया। उसका हाथ अपनी तलवार पर गया और उसने तलवार निकाल ली। अपने क्रोध को शांत करने के लिए उसने तलवार को धरती में घोंप दिया और पूरी ताकत से अपनी तरफ़ खींचते-खींचते दूर तक पहुँच गया। चारों ओर सन्नाटा छा गया। लोगों ने देखा कि तलवार की जहाँ-जहाँ लकीर खिंची थी, वहाँ से धरती फटने लगी। तताँरा क्रोध में द्वीप आरंभ हो गया था। उसने छलाँग लगाकर दूसरा सिरा थामना चाहा, किंतु ऐसा न कर पाया और वामीरो-वामीरो चिल्लाता हुआ समुद्र की सतह की ओर फिसल गया।

उधर वामीरो भी तताँरा-तताँरा पुकार रही थी। अंतत: तताँरा लहूलुहान होकर गिर पड़ा और पानी में बह गया। वामीरो उसके गम में पागल हो गई। उसने खाना-पीना छोड़ दिया और तताँरा को खोजती घंटों उस जगह पर बैठी रहती। कुछ समय पश्चात वामीरो भी अचानक कहीं चली गई। लोगों ने उसे ढूँढने का प्रयास किया, किंतु उसका कहीं पता नहीं चला। लेखक कहता है कि तताँरा और वामीरो की यह प्रेम-कथा अंडमान-निकोबार के प्रत्येक घर में सुनाई जाती है। निकोबारियों का विचार है कि तताँरा की तलवार से कार-निकोबार का जो दूसरा टुकड़ा हुआ, वह लिटिल अंडमान ही है। तताँरा और वामीरो की त्यागमयी मृत्यु के बाद एक सखद परिवर्तन यह हआ कि निकोबार के लोग दसरे गाँवों में भी वैवाहिक संबंध बनाने लगे थे।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

किठिन शब्दों के अर्थ :

लिटिल – छोटा, श्रृंखला – क्रम, आदिम – प्रारंभिक, विभक्त – बँटा हुआ, विभाजित, लोककथा – जन-समाज में प्रचलित कथा, मददगार – मदद करने वाला, तत्पर – तैयार, आत्मीय – अपना, चर्चित – प्रसिद्ध, आकर्षक – मोहक, साहसिक कारनामा – साहसपूर्ण कार्य, विलक्षण – असाधारण, क्षितिज – जहाँ धरती और आकाश मिलते दिखाई दें, अथक – बिना थके, बयार – शीतल-मंद वाय, शनै:-शनै: – धीरे-धीरे, प्रबल – तेज, तंद्रा – एकाग्रता, चैतन्य – चेतना, सजग, विकल – बेचैन, व्याकुल, निःशब्द – बिना बोले, संचार – उत्पन्न होना, असंगत – अनुचित, बाध्य – मजबूर, अप्रतिम – अतुलनीय, आकंठ – पूर्णरूप से,

सम्मोहित – ना – चिढ़ना, अन्यमनस्कता – जिसका चित्त कहीं और हो, बलिष्ठ – शक्तिशाली, निर्निमेष – जिसमें पलक न झपकी जाए/बिना पलक झपकाए, श्रेयस्कर – उचित, सही, मूक – मौन, रीति – परंपरा, अचंभित – चकित, किंकर्तव्यविमूढ़ – असमंजस, रोमांचित – पुलकित, निश्चल – स्थिर, भयाकुल – भय से बेचैन, अफ़वाह – उड़ती खबर, उफनना – उबलना, अचेत – बेहोश, निषेध परंपरा – वह परंपरा जिस पर रोक लगी हो, शमन – शांत करना, घोंपना – गाड़ना, फँसाना, दरार – रेखा की तरह का लंबा छिद्र जो फटने के कारण पड़ जाता है, सुराग – प्रमाण, सुखद परिवर्तन – सुख देने वाला बदलाव।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. हिमालय के किस भाग में करेवा मिलते हैं?
(A) उत्तर-पूर्व
(B) पूर्वी
(C), हिमाचल-उत्तराखण्ड
(D) कश्मीर हिमालय।
उत्तर:
(D) कश्मीर हिमालय।

2. लोकटक झील किस राज्य में स्थित है?
(A) केरल
(B) मनीपुर
(C) उत्तराखण्ड
(D) राजस्थान।
उत्तर:
(B) मनीपुर।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

3. अण्डमान द्वीप तथा निकोबार द्वीप को कौन-सी रेखा पृथक् करती है?
(A) 11° चैनल
(B) 10° चैनल
(C) खाड़ी मनार
(D) अण्डमान सागर।
उत्तर:
(B) 10° चैनल।

4. किन पहाड़ियों में दोदा बेटा शिखर है?
(A) नीलगिरि
(B) कार्दमम
(C) अनामलाई
(D) नलामलाई।
उत्तर:
(A) नीलगिरि।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1. यदि एक व्यक्ति को लक्षद्वीप जाना हो, तो वह कौन-से तटीय मैदान से होकर जाएगा और क्यों?
उत्तर:
लक्षद्वीप समूह अरब सागर में स्थित है। वहां जाने के लिए मालाबार तटीय मैदान से होकर जाना पड़ता है। लक्षद्वीप केरल तट से केवल 280 कि० मी० दूर है। इसलिए मालाबार तट (केरल तट) इसके निकटतम है।

प्रश्न 2.
भारत में ठण्डा मरुस्थल कहां स्थित है? इस क्षेत्र की मुख्य श्रेणियों के नाम बताओ।
उत्तर:
जम्मू कश्मीर राज्य के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित लद्दाख एक ठण्डा मरुस्थल है, जहां वर्षा बहुत कम है तथा वर्षा हिमपात के रूप में है। यहां कराकोरम, महान् हिमालय-जॉस्कर व लद्दाख पर्वत श्रेणियां हैं।

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प्रश्न 3.
पश्चिमी तटीय मैदान पर कोई डेल्टा क्यों नहीं है?
उत्तर:
पश्चिमी तटीय मैदान एक संकीर्ण पट्टी मात्र है। यहां नर्मदा व तापी प्रमुख नदियां हैं जो अरब सागर में गिरती हैं। इस प्रदेश की तीव्र ढलान है तथा नदियां सागर में गिरने से पहले तलछट बहा कर ले जाती हैं। इसलिए तलछट का निक्षेप नहीं होता। यहां डेल्टा के स्थान पर ज्वार नद मुख की रचना होती है।

प्रश्न 4.
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूहों का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर:
अरब सागर के द्वीप समूह

अरब सागर के द्वीप समूह बंगाल की खाड़ी के द्वीप समूह
(1) यहां लक्षद्वीप तथा मिनिकाय द्वीप प्रमुख द्वीप समूह हैं। (1) यहां अण्डमान-निकोबार द्वीप प्रमुख द्वीप है।
(2) यहां कुल 36 द्वीप हैं। (2) यहां कुल 572 द्वीप हैं।
(3) यहां \(11^{\circ}\)  चैनल द्वीपों को दो भागों में बांटती है। (3) यहां \(10^{\circ}\)  चैनल द्वीपों को दो भागों में बांटती है।
(4) ये द्वीप प्रवाल निक्षेप से बने हैं। (4) ये द्वीप जलमग्न पर्वतों का भाग हैं।
(5) अमीनी द्वीप सबसे बड़ा द्वीप है। (5) बैरन द्वीप भारत का एकमात्र ज्वालामुखी द्वीप है।
(6) दक्षिण में कनानोरे द्वीप है। (6) दक्षिण में भारत का दक्षिणतम बिन्दु इन्दिरा पुआइंट

प्रश्न 5.
नदी घाटी मैदान में पाई जाने वाली महत्त्वपूर्ण स्थलावृत्तियां कौन-सी हैं?
उत्तर:
नदी घाटी मैदान में बालुरोधिका, विसर्प गोखर झीलें तथा गुंफित नदियां पाई जाती हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

प्रश्न 6.
यदि आप बद्रीनाथ से सुंदरवन डैल्टा तक गंगा नदी के साथ-साथ चलते हैं, तो आपके रास्ते में कौन-सी स्थलाकृतियां आएंगी?
उत्तर:
गंगा नदी का उद्गम बद्रीनाथ के निकट है तथा सुंदरवन में गंगा नदी खाड़ी बंगाल में गिरती है। इसके मार्ग में भाभर का मैदान, तराई का मैदान, बांगर तथा खादर प्रदेश, गंगा का ऊपरी मैदान, मध्यवर्ती मैदान तथा डैल्टा पाए जाते हैं।
JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान 1

प्रश्न 7.
हिमालय पर्वत पर पश्चिम से पूर्व की ओर स्थित शिखर बताओ।
उत्तर:
पश्चिम से पूर्व की ओर प्रमुख हिमालय शिखर है

  1. नांगा पर्वत
  2. K,2
  3. कामेट
  4. नन्दा देवी
  5. धौलागिरी
  6. अन्नापूर्णा
  7. मकालू
  8. माऊंट एवरेस्ट
  9. कंचनजंगा
  10. नामचा बरवा।

 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान  JAC Class 11 Geography Notes

→ भारत-विषमताओं का देश (Country of Contrasts): भारत विषमताओं का देश है। यहां धरातल तथा जल-प्रवाह में अनेक विषमताएं मिलती हैं।

→ धरातलीय विभाग (Physical Divisions): वृहद् स्तर पर भारत को तीन भागों में बाँटा जाता है

  • उत्तरी पर्वतीय प्रदेश
  • उत्तरी मैदान
  • प्रायद्वीपीय पठार।

→ भू-संरचना (Geology): वर्तमान भू-रचना एक लम्बे समय में विकसित हुई है। वर्तमान प्रायद्वीपीय पठार भारतीय टैक्टोनिक प्लेट पर स्थित है।

→ हिमालय पर्वत (Himalayan Mountains): यह युवा नवीन मोड़दार पर्वत हैं। आज से 270 मिलियन वर्ष पहले मैसोज़ोयिक युग में यहां टैथीज़ सागर स्थित था। इस सागर के निक्षेपों में मोड़ पड़ने से टरशरी युग में ,
हिमालय पर्वत बने। हिमालय पर्वत अब भी ऊंचे उठ रहे हैं।

→ उत्तरी भारतीय मैदान-यह मैदान हिमालय पर्वत के साथ-साथ एक अग्र गर्त में तलछट के निक्षेप से बना है। !

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions अपठित बोध अपठित गद्यांश Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

अपठित बोध के अंतर्गत विद्यार्थी को किसी को पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं। इन प्रश्नों का उत्तर देने से पूर्व अपठित को अच्छी प्रकार से पढ़कर समझ लेना चाहिए। जिन प्रश्नों के उत्तर पूछे गए हैं वे उसी में ही छिपे रहते हैं। उन उत्तरों को अपने शब्दों में लिखना चाहिए। अपठित का शीर्षक भी पूछा जाता है। शीर्षक अपठित में व्यक्त भावों के अनुरूप होना चाहिए। शीर्षक कम-से-कम शब्दों में लिखना चाहिए। शीर्षक से अपठित का मूल-भाव भी स्पष्ट होना चाहिए।

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर समझिए –

1. हम आम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि कोई व्यक्ति अच्छा है या बुरा इसकी पहचान उसकी संगति से होती है। यह स्वाभाविक ही है कि स्वभाव, आचार, व्यवहार की दृष्टि से जैसा व्यक्ति खुद होगा, वैसे ही लोगों से वह मिलना-जुलना पसन्द करेगा। कौए कौओं से ही मिलकर बैठते हैं। कुंजे कूजों से। केवल इतना ही नहीं, किसी का चरित्र बनाने या बिगाड़ने में भी संगति का बहुत बड़ा हाथ होता है।

अगर कोई शराबियों के साथ उठता-बैठता है तो उसे शराब की बुराई चिपट जाएगी। हम प्रतिदिन कहते और सुनते हैं कि खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है। इसलिए मनुष्य अपनी संगति के प्रभाव से कैसे बच सकता है। इस प्रकार साधु-संगति या सत्संग कहलाने का मान केवल उस संगत को होता है, जिसमें सन्त सतगुरु शामिल हों। यह महापुरुष दया और दयालुता के स्रोत होते हैं और वे अपनी शिक्षा, दयालुता और दया भाव से अनेक जीवों को कृतार्थ करते हैं।

जहाँ ऐसे उपकारी पुरुष वास करते हैं उस स्थान की संगति परोपकार की भावना से भर जाती है। ऐसी साधु-संगति से मन का मैल दूर हो जाता है। सारी सृष्टि के जीवों में ईश्वर का ही नूर दिखाई देता है। विश्व-बन्धुत्व की भावना बढ़ जाती है। अतः परमानन्द प्राप्त करने के लिए अच्छे पुरुषों की संगति ही एक मात्र उपाय या साधन है। अतः सत्संग को अपनाना ही सही कदम है।

प्रश्न :
1. उपरोक्त अवतरण का उचित शीर्षक दीजिए।
2. अच्छे या बुरे व्यक्ति की पहचान कैसे होती है?
3. चरित्र निर्माण में कैसी संगति बाधक है?
4. मनुष्य के आचार व्यवहार पर अधिक प्रभाव किसका होता है ?
5. सत्संगति कहलाने का मान किस संगति को प्राप्त है?
उत्तर :
1. सत्संगति।
2. अच्छे या बुरे व्यक्ति की पहचान उसकी संगति से होती है क्योंकि व्यक्ति स्वयं जैसा होता है, वह वैसे ही लोगों से मिलना-जुलना पसंद करता है।
3. चरित्र-निर्माण में बुरी संगति बाधक है। यदि हम शराबियों, जुआरियों की संगति में रहेंगे तो हम भी उन जैसे बुरे बनेंगे।
4. मनुष्य के आचार-व्यवहार पर अधिक प्रभाव उसकी संगति का होता है क्योंकि जैसी संगति हो वैसी यति भी हो जाती है।
5. सत्संगति कहलाने का मान उस संगति को प्राप्त है, जिसमें संत, सतगुरु शामिल होते हैं। वे हमें सद्मार्ग पर चलाते हैं।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

2. दुख के वर्ग में जो स्थान भय का है, वही स्थान आनंद-वर्ग में उत्साह का है। भय में हम प्रस्तुत कठिन स्थिति के नियम से विशेष रूप से दुखी और कभी-कभी उस स्थिति से अपने को दूर रखने के लिए प्रयत्नवान भी होते हैं। उत्साह में हम आने वाली कठिन स्थिति के भीतर साहस के अवसर के निश्चय द्वारा प्रस्तुत कर्म-सुख की उमंग से अवश्य प्रयत्नवान होते हैं। उत्साह से कष्ट या हानि सहने की दृढ़ता के साथ-साथ कर्म में प्रवृत्ति होने के आनंद का योग रहता है। साहसपूर्ण आनंद की उमंग का नाम उत्साह है। कर्म-सौंदर्य के उपासक ही सच्चे उत्साही कहलाते हैं।

जिन कर्मों में किसी प्रकार कष्ट या हानि सहने का साहस अपेक्षित होता है उन सबके प्रति उत्कंठापूर्ण आनंद उत्साह के अंतर्गत लिया जाता है। कष्ट या हानि के भेद के अनुसार उत्साह के भी भेद हो जाते हैं। साहित्य-मीमांसकों ने इसी दृष्टि से युद्ध-वीर, दान-वीर, दया-वीर इत्यादि भेद किए हैं। इनमें सबसे प्राचीन और प्रधान युद्धवीरता है, जिसमें आघात, पीड़ा क्या मृत्यु तक की परवाह नहीं रहती। इस प्रकार की वीरता का प्रयोजन अत्यंत प्राचीनकाल से पड़ता चला आ रहा है, जिसमें साहस और प्रयत्न दोनों चरम उत्कर्ष पर पहुँचते हैं। केवल कष्ट या पीड़ा सहन करने के साहस में ही उत्साह का स्वरूप स्फुरित नहीं होता।

उसके साथ आनंदपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कंठा का योग चाहिए। बिना बेहोश हुए भारी फोड़ा चिराने को तैयार होना साहस कहा जाएगा, पर उत्साह नहीं। इसी प्रकार चुपचाप, बिना हाथ-पैर हिलाए, घोर प्रहार सहने के लिए तैयार रहना साहस और कठिन-से-कठिन प्रहार सह कर भी जगह से न हटना वीरता कही जाएगी। ऐसे साहस और वीरता को उत्साह के अंतर्गत तभी ले सकते हैं जबकि साहसी या वीर उस काम को आनंद के साथ करता चला जाएगा जिसके कारण उसे इतने प्रहार सहने पड़ते हैं। सारांश यह है कि आनंदपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कंठा में ही उत्साह का दर्शन होता है, केवल कष्ट सहने के निश्चेष्ट साहस में नहीं। वृत्ति और साहस दोनों का उत्साह के बीच संचरण होता है।

प्रश्न :
1. अवतरण को उचित शीर्षक दीजिए।
2. उत्साह का स्थान क्या है?
3. उत्साह में किसका योग रहता है ?
4. उत्साह के भेदों में सबसे प्राचीन किसे माना जाता है?
5. उत्साह के दर्शन कहाँ होते हैं?
उत्तर :
1. उत्साह।
2. दुख के वर्ग में जो स्थान भय का है वही स्थान आनंद के वर्ग में उत्साह का है।
3. उत्साह में कष्ट या नुकसान सहने की दृढ़ता के साथ कर्म में प्रवृत्ति होने के आनंद का योग रहता है। कर्म सौंदर्य में उत्साह का योग बना
रहता है।
4. उत्साह के भेदों दानवीर, दयावीर, युद्धवीर आदि में सबसे प्राचीन युद्धवीर माना जाता है, जिसमें व्यक्ति मृत्यु-प्राप्ति से भी नहीं डरता। इसमें साहस और प्रयत्न पराकाष्ठा पर होते हैं।
5. उत्साह के दर्शन आनंदपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कंठा में होते हैं, केवल कष्ट सहने के निश्चेष्ट साहस में नहीं।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

3. सफलता चाहने वाले मनुष्य का प्रथम कर्तव्य यह देखना है कि उसकी रुचि किन कार्यों की ओर अधिक है। यह बात गलत है कि हर कोई मनुष्य हर एक काम कर सकता है। लॉर्ड वेस्टरफ़ील्ड स्वाभाविक प्रवृत्तियों के काम को अनावश्यक समझते थे और केवल परिश्रम को ही सफलता का आधार मानते थे। इसी सिद्धांत के अनुसार उन्होंने अपने बेटे स्टेनहाप को, जो सुस्त, ढीला-ढाला, असावधान था, सत्पुरुष बनाने का प्रयास किया। वर्षों परिश्रम करने के बाद भी लड़का ज्यों-का-त्यों रहा और जीवन-भर योग्य न बन सका।

स्वाभाविक प्रवृत्तियों को जानना कठिन भी नहीं है, बचपन के कामों को देखकर बताया जा सकता है कि बच्चा किस प्रकार का मनुष्य होगा। प्रायः यह संभावना प्रबल होती है कि छोटी आयु में कविता करने वाला कवि, सेना बनाकर चलने वाला सेनापति, भुट्टे चुराने वाला चोर-डाकू, पुरजे कसने वाला मैकेनिक और विज्ञान में रुचि रखने वाला वैज्ञानिक बनेगा। जब यह विदित हो जाए कि लड़के की रुचि किस काम की ओर है तब यह करना चाहिए कि उसे उसी विषय में ऊँची शिक्षा दिलाई जाए।

ऊँची शिक्षा प्राप्त करके मनुष्य अपने काम-धंधे में कम परिश्रम से अधिक सफल हो सकता है, जिनके काम-धंधे का पूर्ण प्रतिबिंब बचपन में नहीं दिखता वे अपवाद ही हैं। प्रत्येक मनुष्य में एक विशेष कार्य को अच्छी प्रकार करने की शक्ति होती है। वह बड़ी दृढ़ और उत्कृष्ट होती है। वह देर तक नहीं छिपती। उसी के अनुकूल व्यवसाय चुनने से ही सफलता मिलती है। जीवन में यदि आपने सही कार्यक्षेत्र चुन लिया तो समझ लीजिए कि बहुत बड़ा काम कर लिया।

प्रश्न :
1. लॉर्ड वेस्टरफ़ील्ड का क्या सिद्धांत था? समझाइए।
2. इसे उसने सर्वप्रथम किस पर आज़माया? और क्या परिणाम रहा?
3. बालक आगे चलकर कैसा मनुष्य बनेगा, इसका अनुमान कैसे लगाया जा सकता है?
4. सही कार्यक्षेत्र चुनने के क्या लाभ हैं?
5. उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
1. लॉर्ड वेस्टरफ़ील्ड का सिद्धांत स्वाभाविक प्रवृत्तियों के काम को अनावश्यक तथा केवल परिश्रम को ही सफलता का आधार मानना था।
2. इसे उन्होंने सर्वप्रथम अपने पुत्र स्टेनहाप पर आजमाया था। इसका परिणाम यह रहा कि वर्षों परिश्रम करने के बाद भी उनके बेटे में कोई सुधार नहीं हुआ।
3. बालक के भविष्य में क्या बनने का अनुमान उसके बचपन के कामों में किसी कार्य विशेष के प्रति रुचि देखकर लगाया जा सकता है, जैसे विज्ञान में रुचि रखने वाला बालक बड़ा होकर वैज्ञानिक बन सकता है।
4. सही कार्यक्षेत्र चुनने से जीवन में सफलता मिलती है तथा वह निरंतर उन्नति करता है।
5. सफलता का रहस्य।

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4. जातियाँ इस देश में अनेक आई हैं। लड़ती-झगड़ती भी रही हैं, फिर प्रेमपूर्वक बस भी गई हैं। सभ्यता की नाना सीढ़ियों पर खड़ी और नाना ओर मुख करके चलने वाली इन जातियों के लिए एक सामान्य धर्म खोज निकालना कोई सहज बात नहीं थी। भारतवर्ष के ऋषियों ने अनेक प्रकार से अनेक ओर से इस समस्या को सुलझाने की कोशिश की थी। पर एक बात उन्होंने लक्ष्य की थी। समस्त वर्णों और समस्त जातियों का एक सामान्य आदर्श भी है। वह है अपने ही बंधनों से अपने को बाँधना। मनुष्य पशु से किस बात में भिन्न है ? आहार-निद्रा आदि पशु सुलभ स्वभाव उसके ठीक वैसे ही हैं, जैसे अन्य प्राणियों के, लेकिन वह फिर भी पशु से भिन्न है।

उसमें संयम है, दूसरे के सुख-दुख के प्रति संवेदना है, श्रद्धा है, तप है, त्याग है। यह मनुष्य के स्वयं के उद्भावित बंधन हैं। इसीलिए मनुष्य झगड़े-टंटे को अपना आदर्श नहीं मानता, गुस्से में आकर चढ़ दौड़ने वाले अविवेकी को बुरा समझता है और वचन, मन और शरीर से किए गए असत्याचरण को गलत आचरण मानता है। यह किसी खास जाति या वर्ण या समुदाय का धर्म नहीं है। वह मनुष्य-मात्र का धर्म है।

महाभारत में इसीलिए निर्वर भाव, सत्य और अक्रोध को सब वर्गों का सामान्य धर्म कहा है। अन्यत्र इसमें निरंतर दानशीलता को भी गिनाया गया है। गौतम ने ठीक ही कहा था कि मनुष्य की मनुष्यता यही है कि यह सबके दुख-सुख को सहानुभूति के साथ देखता है। यह आत्म-निर्मित बंधन ही मनुष्य को मनुष्य बनाता है। अहिंसा, सत्य और अक्रोधमूलक धर्म का मूल उत्स यही है। मुझे आश्चर्य होता है कि अनजाने में भी हमारी भाषा से यह भाव कैसे रह गया है। लेकिन मुझे नाखून के बढ़ने पर आश्चर्य हुआ था, अज्ञान सर्वत्र आदमी को पछाड़ता है। और आदमी है कि सदा उससे लोहा लेने को कमर कसे है।

प्रश्न :
1. ‘अनजाने’ में उपसर्ग बताइए।
2. ऋषियों ने क्या किया था?
3. मनुष्य में पशु से भिन्न क्या है?
4. मनुष्य किसे गलत आचरण मानता है?
5. मनुष्य की मनुष्यता क्या है?
उत्तर :
1. अन + जाने = ‘अन’ उपसर्ग।
2. प्राचीनकाल में ऋषियों ने समस्याओं को सुलझाने की अनेक प्रकार से कोशिश की थी और सभी के लिए आदर्श स्थापित किया था।
3. मनुष्य में पशुओं से संयम, सुख-दुख के प्रति संवेदना, श्रद्धा, तप और त्याग की भावनाएँ भिन्न हैं। यही उन्हें पशुओं से श्रेष्ठ बनाती हैं।
4. मनुष्य मन, वचन और कर्म के द्वारा किए गए असत्याचरण को गलत मानता है।
5. मनुष्य की मनुष्यता यही है कि वह सबके सुख-दुख को सहानुभूति से देखता है। अहिंसा, सत्य और अक्रोध मूलकता ही उसके आधार हैं।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

5. हमारा हिमालय से कन्याकुमारी तक फैला हुआ देश, आकार और आत्मा दोनों दृष्टियों से महान और सुंदर है। उसका बाह्य सौंदर्य विविधता की सामंजस्यपूर्ण स्थिति है और आत्मा का सौंदर्य विविधता में छिपी हुई एकता की अनुभूति है। चाहे कभी न गलने वाला हिम का प्राचीर हो, चाहे कभी न जमने वाला अतल समुद्र हो, चाहे किरणों की रेखाओं से खचित हरीतिमा हो, चाहे एकरस शून्यता ओढ़े हुए मरु हो, चाहे साँवले भरे मेघ हों, चाहे लपटों में साँस लेता हुआ बवंडर हो, सब अपनी भिन्नता में भी एक ही देवता के विग्रह को पूर्णता देते हैं।

जैसे मूर्ति के एक अंग का टूट जाना संपूर्ण देव-विग्रह खंडित कर देता है, वैसे ही हमारे देश की अखंडता के लिए विविधता की स्थिति है। यदि इस भौगोलिक विविधता में व्याप्त सांस्कृतिक एकता न होती, तो यह विविध नदी, पर्वत, वनों का संग्रह-मात्र रह जाता। परंतु इस महादेश की प्रतिभा ने इसकी अंतरात्मा को एक रसमयता में प्लावित करके इसे विशिष्ट व्यक्तित्व प्रदान किया है, जिससे यह आसमुद्र एक नाम की परिधि में बँध जाता है। हर देश अपनी सीमा में विकास पाने वाले जीवन के साथ एक भौतिक इकाई है, जिससे वह समस्त विश्व की भौतिक और भौगोलिक इकाई से जुड़ा हुआ है।

विकास की दृष्टि से उसकी दूसरी स्थिति आत्मरक्षात्मक तथा व्यवस्थापक राजनीतिक सत्ता में है। तीसरी सबसे गहरी तथा व्यापक स्थिति उसकी सांस्कृतिक गतिशीलता में है, जिससे वह अपने विशेष व्यक्तित्व की रक्षा और विकास करता हुआ विश्व-जीवन के विकास में योग देता है। यह सभी बाह्य और स्थूल तथा आंतरिक और सूक्ष्म स्थितियाँ एक दूसरे पर प्रभाव डालतीं और एक-दूसरी से संयमित होती चलती हैं। एक विशेष भूखंड में रहने वाले मानव का प्रथम परिचय, संपर्क और संघर्ष अपने वातावरण से ही होता है और उससे प्राप्त जय, पराजय, समन्वय आदि से उसका कर्म-जगत ही संचालित नहीं होता, प्रत्युत अंतर्जगत और मानसिक संस्कार भी प्रभावित होते हैं।

प्रश्न :
1. अवतरण को उचित शीर्षक दीजिए।
2. हमारे देश की सुंदरता किसमें निहित है?
3. कौन एक ही देवता के विग्रह को पूर्णता प्रदान करते हैं ?
4. हमारे देश की अखंडता के लिए विविधता की स्थिति कैसी है?
5. विकास की दृष्टि से किसी देश की स्थिति किसमें है?
उत्तर :
1. देश की सांस्कृतिक एकता।
2. हमारे देश की बाह्य सुंदरता विविधता के सामंजस्य और आत्मा की सुंदरता विविधता में छिपी एकता में निहित है।
3. ऊँचे-ऊँचे बर्फ से ढके पर्वत, अतल गहराई वाले सागर, रेगिस्तान, घने-काले बादल, बवंडर आदि देवता के विग्रह को पूर्णता प्रदान करते हैं।
4. हमारे देश की अखंडता के लिए विविधता की स्थिति वैसी ही है जैसे किसी मूर्ति की पूर्णता। मूर्ति का एक अंग भी टूट जाना देव मूर्ति को जैसे खंडित कर देता है वैसे ही हमारे देश की अखंडता है।
5. विकास की दृष्टि से किसी देश की स्थिति आत्मरक्षात्मक और व्यवस्थापरक राजनीतिक सत्ता में है। वह उसकी सांस्कृतिक गतिशीलता में है।

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6. हमारे देश ने आलोक और अंधकार के अनेक युग पार किए हैं, परंतु अपने सांस्कृतिक उत्तराधिकार के प्रति वह अत्यंत सावधान रहा है। उसमें अनेक विचारधाराएँ समाहित हो गईं, अनेक मान्यताओं ने स्थान पाया, पर उसका व्यक्तित्व सार्वभौम होकर भी उसी का रहा। उसके अंतर्गत आलोक ने उसकी वाणी के हर स्वर को उसी प्रकार उद्भासित कर दिया, जैसे आलोक हर तरंग पर प्रतिबिंबित होकर उसे आलोक की रेखा बना देता है। एक ही उत्स से जल पाने वाली नदियों के समान भारतीय भाषाओं के बाह्य और आंतरिक रूपों में उत्सगत विशेषताओं का सीमित हो जाना ही स्वाभाविक था। कूप अपने अस्तित्व में भिन्न हो सकते हैं, परंतु धरती के तल का जल तो एक ही रहेगा। इसी से हमारे चिंतन और भावजगत में ऐसा कुछ नहीं है, जिसमें सब प्रदेशों के हृदय और बुद्धि का योगदान और समान अधिकार नहीं है।

आज हम एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थिति पा चुके हैं, राष्ट्र की अनिवार्य विशेषताओं में दो हमारे पास हैं- भौगोलिक अखंडता और सांस्कृतिक एकता परंतु अब तक हम उस वाणी को प्राप्त नहीं कर सके हैं जिसमें एक स्वतंत्र राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों के निकट अपना परिचय देता है जहाँ तक बहुभाषा भाषी होने का प्रश्न है, ऐसे देशों की संख्या कम नहीं है, जिनके भिन्न भागों में भिन्न भाषाओं की स्थिति है। पर उनकी अविच्छिन्न स्वतंत्रता की परंपरा ने उन्हें सम-विषम स्वरों से एक राग रच लेने की क्षमता दे दी है।

हमारे देश की कथा कुछ दूसरी है। हमारी परतंत्रता आँधी-तूफान के समान नहीं आई, जिसका आकस्मिक संपर्क तीव्र अनुभूति से अस्तित्व को कंपित कर देता है। वह तो रोग के कीटाणु लाने वाले मंद समीर के समान साँस में समाकर शरीर में व्याप्त हो गई है। हमने अपने संपूर्ण अस्तित्व से उसके भार को दुर्वह नहीं अनुभव किया और हमें यह ऐतिहासिक सत्य भी विस्मृत हो गया कि कोई भी विजेता विजित कर राजनीतिक प्रभुत्व पाकर ही संतुष्ट नहीं होता, क्योंकि सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय न पूर्ण है, न स्थायी। घटनाएँ संस्कारों में चिर जीवन पाती हैं और संस्कार के अक्षय वाहक, शिक्षा, साहित्य कला आदि हैं।

प्रश्न :
1. ‘आलोक’ का एक पर्यायवाची शब्द लिखें।
2. हमारा देश प्रमुख रूप से किसके प्रति सावधान रहा है?
3. राष्ट्र की कौन-सी दो अनिवार्य विशेषताएँ हमारे पास हैं ?
4. अब तक हम भारतवासी किसे प्राप्त नहीं कर पाए हैं ?
5. हमारे देश में परतंत्रता किस प्रकार आई थी?
उत्तर :
1. प्रकाश।
2. हमारे देश ने अनेक संकटों को झेला है। उसे अनेक विचारधाराएँ और मान्यताएँ मिली हैं पर फिर भी वह सदा अपने सांस्कृतिक उत्तराधिकार की रक्षा के प्रति सावधान रहता है।
3. हमारे पास भौगोलिक अखंडता और सांस्कृतिक एकता है।
4. अब तक हम भारतवासी उस एक भाषा को प्राप्त नहीं कर पाए हैं जिसके द्वारा एक स्वतंत्र राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों को अपना परिचय दे पाता है।
5. हमारे देश में परतंत्रता आँधी-तूफ़ान की तरह एकदम से नहीं आई थी बल्कि उसने धीरे-धीरे हमारे अस्तित्व को अपने बस में कर लिया था।

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7. मैं घहरते हुए सावन-भादों में भी वहाँ गया हूँ और मैंने इस प्रपात के उद्दम यौवन के उस महावेग को भी देखा है जो सौ-डेढ़-सौ फीट की धरती के चटकीले धानी आँचर में उफनाते सावन को कस लेने के लिए व्याकुल हो जाता है और मैंने देखा है कि जब अंबर के महलों में घनालिंगन करने वाली सौदामिनी धरती के इस सौभाग्य की ईर्ष्या में तड़प उठती है, तब उस तड़पन की कौंध में इस प्रपात का उमड़ाव फूलकर दुगुना हो जाता है।

शरद की शुभ्र ज्योत्सना में जब यामिनी पुलकित हो गई है और जब इस प्रपात के यौवन का मद खुमार पर आ गया है और उस खुमारी में इसका सौंदर्य मुग्धा के वदनमंडल की भाँति और अधिक मोहक बन गया है, तब भी मैंने इसे देखा है और तभी जाकर मैंने शरदिंदु को इस प्रपात की शांत तरल स्फटिक-धारा पर बिछलते हुए देखा है। पहली बार जब मैं गया था तो वहाँ ठहरने के लिए कोई स्थान बना नहीं था और इसलिए खड़ी दुपहरी में चट्टानों की ओट में ही छाँह मिल सकी थी।

ये भूरी-भूरी चट्टानें पानी के आघात से घिस-घिसकर काफ़ी समतल बन गई हैं और इनका ढाल बिलकुल खड़ा है। इन चट्टानों के कगारों पर बैठकर लगभग सात-आठ हाथ दूर प्रपात के सीकरों का छिड़काव रोम-रोम से पीया जा सकता है। इन शिलाओं से ही कुंड में छलाँग मारने वाले धवल जल-बादल पेंग मारते से दिखाई देते हैं और उनके मंद गर्जन का स्वर भी जाने किस मलार के राग में चढ़ता-उतरता रहता है कि मन उसमें खो-सा जाता है।

एक शिला की शीतल छाया में कगार के नीचे पैर डाले मैं बड़ी देर तक बैठे-बैठे सोचता रहा कि मृत्यु के गहन कूप की जगत पर पैर लटकाए भले ही कोई बैठा हो, किंतु यदि उसे किसी ऐसे सौंदर्य के उद्रेक का दर्शन मिलता रहे तो वह मृत्यु की भयावह गहराई भूल जाएगा। मृत्यु स्वयं ऐसे उन्मादी सौंदर्य के आगे हार मान लेती है, नहीं तो समय की कसौटी पर यौवन का गान अमिट स्वर्ण-रेखा नहीं खींच सकता था।

प्रश्न :
1. अवतरण के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
2. जल-प्रपात का फैलाव वर्षा ऋतु में कैसा हो जाता है?
3. शरद की चाँदनी में जल-प्रपात लेखक को कैसा प्रतीत हुआ था?
4. जब लेखक पहली बार वहाँ गया था तो कहाँ रुका था?
5. लेखक की दृष्टि में मृत्यु किसके आगे हार मान लेती है?
उत्तर :
1. जल-प्रपात का सौंदर्य।
2. जल-प्रपात का फैलाव वर्षा ऋतु में बढ़कर दुगुना हो जाता है और वह उफ़नाते सावन को कस लेने के लिए व्याकुल-सा हो उठता है।
3. लेखक को शरद की चाँदनी में जल-प्रपात ऐसा लगा था जैसे वह शांत रूप में स्फटिक धारा पर फैला हुआ हो। वह चाँदनी में जगमगा रहा था।
4. जब लेखक पहली बार जल-प्रपात देखने गया था तो वहाँ ठहरने का कोई स्थान नहीं था। उसने दोपहर की धूप चट्टानों की ओट में झेली थी।
5. लेखक की दृष्टि में मृत्यु स्वयं ऐसे जल-प्रपात के उन्मादी सौंदर्य के सामने हार मान लेती है।

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8. शिक्षा व्यक्ति और समाज दोनों के विकास के लिए अनिवार्य है। अज्ञान के अंधकार में जीना तो मृत्यु से भी अधिक कष्टकर है। ज्ञान के प्रकाश से ही जीवन के रहस्य खुलते हैं और हमें अपनी पहचान मिलती है। शिक्षा मनुष्य को मस्तिष्क और देह का उचित प्रयोग करना सिखाती है। व को पाठ्य-पुस्तकों के ज्ञान के अतिरिक्त कुछ गंभीर चिंतन न दे, व्यर्थ है। यदि हमारी शिक्षा सुसंस्कृत, सभ्य, सच्चरित्र एवं अच्छे नागरिक नहीं बना सकती, तो उससे क्या लाभ? सहृदय, सच्चा परंतु अनपढ़ मज़दूर उस स्नातक से कहीं अच्छा है जो निर्दय और चरित्रहीन है।

संसार के सभी वैभव और सुख-साधन भी मनुष्य को तब तक सुखी नहीं बना सकते जब तक कि मनुष्य को आत्मिक ज्ञान न हो। हमारे कुछ अधिकार व उत्तरदायित्व भी हैं। शिक्षित व्यक्ति को अपने उत्तरदायित्वों और कर्तव्यों का उतना ही ध्यान रखना चाहिए जितना कि अधिकारों का क्योंकि उत्तरदायित्व निभाने और कर्तव्य करने के बाद ही हम अधिकार पाने के अधिकारी बनते हैं।

प्रश्न :
1. अज्ञान में जीवित रहना मृत्यु से अधिक कष्टकर है, ऐसा क्यों कहा गया है?
2. शिक्षा के किन्हीं दो लाभों को समझाइए।
3. अधिकारों और कर्तव्यों का पारस्परिक संबंध समझाइए।
4. शिक्षा व्यक्ति और समाज दोनों के विकास के लिए क्यों आवश्यक है?
5. इस गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
1. अज्ञान के कारण हम जीवन के रहस्यों को नहीं समझ सकते और न ही हमें अपनी पहचान मिलती है। हमारी सोचने-समझने की शक्ति भी कुंठित हो जाती है। इसलिए इस दशा में हमारा जीवन मरने से भी अधिक कष्टदायी हो जाता है।
2. शिक्षा से हमें अपनी पहचान मिलती है। शिक्षा हमें तन-मन का उचित प्रयोग करना सिखाती है। शिक्षा हमें जीवन के विभिन्न रहस्यों से परिचित कराती है। शिक्षा हमें अच्छा नागरिक बनाती है।
3. अधिकारों और कर्तव्यों का आपस में गहरा संबंध है। यदि हम अपने कर्तव्यों का उचित रूप से पालन करेंगे तो हम अधिकारों के भी अधिकारी हो सकते हैं। अपने उत्तरदायित्व निभाकर ही हम अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।
4. शिक्षा व्यक्ति और समाज को सहृदय, सुसंस्कृत, सभ्य, सच्चरित्र तथा अच्छा नागरिक बनाती है, जिससे दोनों का ही विकास होता है। शिक्षा के अभाव में यह संभव नहीं है।
5. शिक्षा की अनिवार्यता।

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9. कवियों, शायरों तथा आम आदमी को सम्मोहित करने वाला ‘पलाश’ आज संकट में है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर इसी तरह पलाश का विनाश जारी रहा तो यह ‘ढाक के तीन पात’ वाली कहावत में ही बचेगा। अरावली और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं में जब पलाश वृक्ष चैत (वसंत) में फूलता था तो लगता था कि वन में आग लग गई हो अथवा अग्नि-देव फूलों के रूप में खिल उठे हों।

पलाश पर एक-दो दिन में ही संकट नहीं आ गया है। पिछले तीस-चालीस वर्षों में दोना-पत्तल बनाने वाले, कारखाने बढ़ने, गाँव-गाँव में चकबंदी होने तथा वन माफियाओं द्वारा अंधाधुंध कटान कराने के कारण उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि प्रांतों में पलाश के वन घटकर दस प्रतिशत से भी कम रह गए हैं। वैज्ञानिकों ने पलाश के वनों को बचाने के लिए ऊतक संवर्धन (टिशू कल्चर) द्वारा परखनली में पलाश के पौधों को विकसित कर एक अभियान चलाकर पलाश के वन रोपने की योजना प्रस्तुत की है। हरियाणा तथा पुणे में ऐसी दो प्रयोगशालाएँ भी खोली हैं।

एक समय था जब बंगाल के पलाश का मैदान, अरावली की पर्वत-मालाएँ टेसू के फूलों के लिए दुनिया में मशहूर थीं। विदेशों से लोग पलाश के रक्तिम वर्ण के फूल देखने आते थे। महाकवि पद्माकर का छंद-‘कहै पद्माकर परागन में, पौन हूँ में, पानन में, पिक में, पलासन पगंत है’ लिखकर पलाश की महिमा बखान की थी। ब्रज, अवधी, बुंदेलखंडी, राजस्थानी, हरियाणवी, पंजाबी लोकगीतों में पलाश के गुण गाए गए हैं। कबीर ने तो ‘खांखर भया पलाश’-कहकर पलाश की तुलना एक ऐसे सुंदर-सजीले नवयुवक से की है, जो अपनी जवानी में सबको आकर्षित कर लेता है किंतु बुढ़ापे में अकेला रह जाता है।

वसंत और ग्रीष्म ऋतु में जब तक टेसू में फूल और हरे-भरे पत्ते रहते हैं, उसे सभी निहारते हैं किंतु शेष आठ महीने वह पतझड़ का शिकार होकर झाड़-झंखाड़ की तरह रह जाता है। पर्यावरण के लिए प्लास्टिक-पॉलीथीन की थैलियों पर रोक लगाने के बाद पलाश की उपयोगिता महसूस की गई, जिसके पत्ते, दोनों, थैले, पत्तल, थाली, गिलास सहित न जाने कितने काम में उपयोग में आ सकते हैं। पिछले तीस-चालीस साल में नब्बे प्रतिशत वन नष्ट कर डाले गए। बिन पानी के बंजर, ऊसर तक में उग आने वाले इस पेड़ की नई पीढ़ी तैयार नहीं हुई। यदि यही स्थिति रही है और समाज जागरूक न हुआ तो पलाश विलुप्त वृक्ष हो जाएगा।

प्रश्न :
1. अवतरण को उचित शीर्षक दीजिए।
2. अरावली और सतपुड़ा में पलाश के वृक्ष कैसे लगते थे?
3. पलाश के वृक्ष कम क्यों रह गए हैं ?
4. पलाश के वृक्षों को बचाने के लिए क्या किया जा रहा है?
5. पलाश की उपयोगिता कब अनुभव की गई ?
उत्तर :
1. पलाश।
2. अरावली और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं में फूले हुए पलाश के वृक्ष ऐसे लगते थे जैसे जंगल में आग लग गई हो या अग्नि देव फूलों के रूप में खिल उठे हों।
3. पलाश के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, गाँवों की चकबंदी आदि के कारण इनकी संख्या बहुत कम रह गई है।
4. पलाश के वृक्षों को बचाने के लिए ऊतक संवर्धन द्वारा परखनली में इन्हें विकसित करने का अभियान चलाया गया है। इस काम के लिए हरियाणा और पुणे में दो प्रयोगशालाएँ आरंभ की गई हैं।
5. पर्यावरण के लिए प्लास्टिक-पॉलीथीन की थैलियों पर रोक लगने के बाद पलाश की उपयोगिता अनुभव की गई है।

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10. संसार के सभी देशों में शिक्षित व्यक्ति की सबसे पहली पहचान यह होती है कि वह अपनी मातृभाषा में दक्षता से काम कर सकता है। केवल भारत ही एक देश है जिसमें शिक्षित व्यक्ति वह समझा जाता है जो अपनी मातृभाषा में दक्ष हो या नहीं, किंतु अंग्रेज़ी में जिसकी दक्षता असंदिग्ध हो। संसार के अन्य देशों में सुसंस्कृत व्यक्ति वह समझा जाता है जिसके घर में अपनी भाषा की पुस्तकों का संग्रह हो और जिसे बराबर यह पता रहे कि उसकी भाषा के अच्छे लेखक और कवि कौन हैं तथा समय-समय पर उनकी कौन-सी कृतियाँ प्रकाशित हो रही हैं।

भारत में स्थिति दूसरी है। यहाँ प्रायः घर में साज-सज्जा के आधुनिक उपकरण तो होते हैं किंतु अपनी भाषा की कोई पुस्तक या पत्रिका दिखाई नहीं पड़ती। यह दुरावस्था भले ही किसी ऐतिहासिक प्रक्रिया का परिणाम है, किंतु यह सुदशा नहीं, दुरावस्था ही है और जब तक यह दुरावस्था कायम है, हमें अपने-आपको, सही अर्थों में शिक्षित और सुसंस्कृत मानने का ठीक-ठाक न्यायसंगत अधिकार नहीं है। इस दुरावस्था का एक भयानक दुष्परिणाम यह है कि भारतीय भाषाओं के समकालीन साहित्य पर उन लोगों की दृष्टि नहीं पड़ती जो विश्वविद्यालयों के प्रायः सर्वोत्तम छात्र थे और अब शासन-तंत्र में ऊँचे ओहदों पर काम कर रहे हैं।

इस दृष्टि से भारतीय भाषाओं के लेखक केवल यूरोपीय और अमेरिकी लेखकों से ही हीन नहीं हैं, बल्कि उनकी किस्मत मिस्र, बर्मा, इंडोनेशिया, चीन और जापान के लेखकों की किस्मत से भी खराब है क्योंकि इन सभी देशों के लेखकों की कृतियाँ वहाँ के अत्यंत सुशिक्षित लोग भी पढ़ते हैं। केवल हम ही हैं जिनकी पुस्तकों पर यहाँ के तथाकथित शिक्षित समुदाय की दृष्टि प्रायः नहीं पड़ती।

हमारा तथाकथित उच्च शिक्षित समुदाय जो कुछ पढ़ना चाहता है, उसे अंग्रेज़ी में ही पढ़ लेता है, यहाँ तक कि उसकी कविता और उपन्यास पढ़ने की तृष्णा भी अंग्रेजी की कविता और उपन्यास पढ़कर ही समाप्त हो जाती है और उसे यह जानने की इच्छा ही नहीं होती कि शरीर से वह जिस समाज का सदस्य है उसके मनोभाव उपन्यास और काव्य में किस अदा से व्यक्त हो रहे हैं।

प्रश्न :
1. भारत में शिक्षित व्यक्ति की क्या पहचान है?
2. भारत तथा अन्य देशों के सुशिक्षित व्यक्ति में मूल अंतर क्या है ?
3. ‘यह दुरावस्था ऐतिहासिक प्रक्रिया का परिणाम है’ कथन से लेखक का नया अभिप्राय है?
4. भारतीय शिक्षा समुदाय प्रायः किस भाषा का साहित्य पढ़ना पसंद करता है? उनके लिए ‘तथाकथित’ विशेषण का प्रयोग क्यों किया गया है?
5. मातृभाषा के प्रति शिक्षित भारतीयों की कैसी भावना है?
उत्तर :
1. भारत में शिक्षित व्यक्ति की पहचान यह है कि वह चाहे अपनी मातृभाषा में दक्ष हो या न हो पर अंग्रेजी भाषा बोलने और लिखने में पूरी तरह से दक्ष होता है।

2. भारत तथा अन्य देशों के सुशिक्षित व्यक्तियों में मूल अंतर यह है कि भारत के व्यक्ति अंग्रेजी भाषा में दक्षता-प्राप्ति को महत्त्वपूर्ण मानते हैं जबकि विश्व के अन्य देशों के व्यक्ति अपनी मातृभूमि में दक्षता को महत्त्वपूर्ण मानते हैं। भारत के व्यक्ति अपने घर में सजावटी सामान तो शान-शौकत के लिए इकट्ठा करते हैं लेकिन अपनी मातृभाषा की कोई पुस्तक या पत्रिका नहीं खरीदते, जबकि अन्य देशों के सुसंस्कृत व्यक्ति घरों में अपनी भाषा की पुस्तकों का संग्रह करते हैं और उन्हें पढ़ते हैं।

3. हमारा देश सैकड़ों वर्षों तक विदेशियों का गुलाम रहा और राजनीतिक गुलामी के साथ हमारे पूर्वजों ने मानसिक गुलामी भी प्राप्त कर ली थी। इसीलिए उन्हें अपनी मातृभाषा की अपेक्षा अंग्रेजी भाषा के प्रति अधिक मोह है। पढ़ने-लिखने के प्रति कम रुचि होने के कारण उनके घरों में पुस्तकों के दर्शन नहीं होते।

4. भारतीय शिक्षित समुदाय प्रायः अंग्रेजी भाषा का साहित्य पढ़ना पसंद करता है। ‘तथाकथित’ विशेषण में व्यंग्य और वितृष्णा के भाव छिपे हुए हैं कि भारत में जो स्वयं को शिक्षित मानते हैं वे अपने देश के साहित्य से अपरिचित हैं लेकिन अंग्रेजी भाषा के मोहजाल में फँस कर अंग्रेजी साहित्य को अधिक महत्त्वपूर्ण मानते हैं।

5. हीन भावना है।

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11. जहाँ भी दो नदियाँ आकर मिल जाती हैं, उस स्थान को अपने देश में तीर्थ कहने का रिवाज है। यह केवल रिवाज की बात नहीं है। हम सचमुच मानते हैं कि अलग-अलग नदियों में स्नान करने से जितना पुण्य होता है, उससे कहीं अधिक पुण्य संगम स्नान में है। किंतु, भारत आज जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें असली संगम वे स्थान, वे सभाएँ तथा वे मंच हैं, जिन पर एक से अधिक भाषाएँ एकत्र होती हैं। नदियों की विशेषता यह है कि वे अपनी धाराओं में अनेक जनपदों का सौरभ, अनेक जनपदों के आँसू और उल्लास लिए चलती हैं और उनका पारस्परिक मिलन वास्तव में नाना जनपदों के मिलन का ही प्रतीक है। यही हाल भाषाओं का भी है।

उनके भीतर भी नाना जनपदों में बसने वाली जनता के आँसू और उमंगें, भाव और विचार, आशाएँ और शंकाएँ समाहित होती हैं। अतः जहाँ भाषाओं का मिलन होता है, वहाँ वास्तव में, विभिन्न जनपदों के हृदय ही मिलते हैं, उनके भावों और विचारों का ही मिलन होता है तथा भिन्नताओं में छिपी हुई एकता वहाँ कुछ अधिक प्रत्यक्ष हो उठती है। इस दष्टि से भाषाओं के संगम आज सबसे बडे तीर्थ हैं और इन तीर्थों में जो भी भारतवासी श्रदधा से स्नान करता है, वह भारतीय एकता का सबसे बड़ा सिपाही और संत है।

हमारी भाषाएँ जितनी ही तेज़ी से जगेंगी, हमारे विभिन्न प्रदेशों का पारस्परिक ज्ञान उतना ही बढ़ता जाएगा। भारतीय लेखकों की बहुत दिनों से यह आकांक्षा रही थी कि वे केवल अपनी ही भाषा में प्रसिद्ध होकर न रह जाएँ, बल्कि भारत की अन्य भाषाओं में भी उनके नाम पहुँचे और उनकी कृतियों की चर्चा हो। भाषाओं के जागरण के आरंभ होते ही एक प्रकार का अखिल भारतीय मंच आप-से आप प्रकट होने लगा है।

आज प्रत्येक भाषा के भीतर यह जानने की इच्छा उत्पन्न हो गई है कि भारत की अन्य भाषाओं में क्या हो रहा है, उनमें कौन-कौन ऐसे लेखक हैं जिनकी कृतियाँ उल्लेखनीय हैं तथा कौन-सी विचारधारा वहाँ प्रभुसत्ता प्राप्त कर रही है।

प्रश्न :
1. लेखक ने आधुनिक संगम स्थल किसको माना है और क्यों?
2. भाषा-संगमों में क्या होता है?
3. लेखक ने सबसे बड़ा सिपाही और संत किसको कहा है ?
4. स्वराज्य-प्राप्ति के उपरांत विभिन्न भाषाओं के लेखकों में क्या जिज्ञासा उत्पन्न हुई?
5. भाषाओं के जागरण से लेखक का क्या अभिप्राय है? .
उत्तर :
1. लेखक ने आधुनिक संगम स्थल उन सभाओं और मंचों को माना है जिन पर एक से अधिक भाषाएँ इकट्ठी होती हैं। क्योंकि इन पर विभिन्न जनपदों में बसने वाली जनता के सुख-दुख, भाव-विचार, आशाएँ-शंकाएँ आदि प्रकट होते हैं।
2. विभिन्न भाषाओं का मिलन।
3. लेखक ने सबसे बड़ा सिपाही और संत उस भारतवासी को माना है, जो भाषाओं के संगम पर श्रद्धापूर्वक स्नान करता है।
4. स्वराज्य-प्राप्ति के उपरांत विभिन्न भाषाओं के लेखकों में जिज्ञासा उत्पन्न हुई थी कि भारत की अन्य भाषाओं में क्या हो रहा है। उनमें कौन-कौन ऐसे लेखक हैं जिन्होंने उल्लेखनीय रचनाओं को प्रदान किया था और वहाँ कौन-सी विचारधारा प्रभुसत्ता प्राप्त कर रही थी।
5. भाषाओं के जागरण से लेखक का अभिप्राय देश-भर की विभिन्न भाषाओं के बीच संबंधों की स्थापना है, जिससे देश के सभी लोग दूसरे राज्यों के विषय में जान सकें।

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12. प्रतिभा किसी की मोहताज़ नहीं होती। इसके आगे सारी समस्याएँ बौनी हैं। लेकिन समस्या एक प्रतिभा को खुद दूसरी प्रतिभा से होती है। बहुमुखी प्रतिभा का होना, अपने भीतर एक प्रतिभा के बजाए दूसरी प्रतिभा को खड़ा करना है। इससे हमारा नुकसान होता है। कितना और कैसे? मन की दुनिया की एक विशेषज्ञ कहती हैं कि बहुमुखी होना आसान है, बजाए एक खास विषय के विशेषज्ञ होने की तुलना में। बहुमुखी लोग स्पर्धा से घबराते हैं। कई विषयों पर उनकी पकड़ इसलिए होती है कि वे एक स्प र्धा होने पर दूसरे की ओर भागते हैं।

वे आलोचना से भी डरते हैं और अपने काम में तारीफ़ ही तारीफ़ सुनना चाहते हैं। बहुमुखी लोगों में सबसे महान् माने जाने वाले माइकल एंजेलो से लेकर अपने यहाँ रवींद्रनाथ टैगोर जैसे कई लोग। लेकिन आज ऐसे लोगों की पूछ-परख कम होती है। ऐसे लोग प्रतिभाशाली आज भी माने जाते हैं, लेकिन असफल होने की आशंका उनके लिए अधिक होती है। आज वे लोग ‘विची सिंड्रोम’ से पीड़ित माने जाते हैं, जिनकी पकड़ दो-तीन या इससे ज्यादा क्षेत्रों में हो, लेकिन हर क्षेत्र में उनसे बेहतर उम्मीदवार मौजूद हों।

बहुमुखी प्रतिभा वाले लोगों के भीतर कई कामों को साकार करने की इच्छा बहुत तीव्र होती है। उनकी उत्सुकता उन्हें एक से दूसरे क्षेत्र में हाथ आजमाने को बाध्य करती है। समस्या तब होती है, जब यह हाथ आजमाना दखल करने जैसा हो जाता है। वे न इधर के रह जाते हैं, और न उधर के। प्रबंधन की दुनिया में एक के साधे सब सधे, सब साधे सब जाए’ का मंत्र ही शुरू से प्रभावी है। यहाँ उस पर ज्यादा फ़ोकस नहीं किया जाता, जो सारे अंडे एक टोकरी में न रखने की बात करता है। हम दूसरे क्षेत्रों में हाथ आजमा सकते हैं, पर एक क्षेत्र के महारथी होने में ब्रेकर की भूमिका न अदा करें।

प्रश्न :
1. बहुमुखी प्रतिभा क्या है? प्रतिभा से समस्या कब, कैसे हो जाती है?
2. बहुमुखी प्रतिभा बालों की किन कमियों की ओर संकेत है?
3. बहुमुखी प्रतिभागियों की पकड़ किन क्षेत्रों में होती है और उनकी असफलता की संभावना क्यों है?
4. ऐसे लोगों का स्वभाव कैसा होता है और वे प्रायः सफल क्यों नहीं हो पाते?
5. प्रबंधन के क्षेत्र में कैसे लोगों की आवश्यकता होती है? क्यों?
6. आशय स्पष्ट कीजिए-प्रतिभा किसी की मोहताज़ नहीं होती है।
उत्तर :
1. अनेक विषयों का ज्ञान होना बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न होना है। प्रतिभा से समस्या तब पैदा हो जाती है, जब एक प्रतिभा के बजाए दूसरी प्रतिभा हमारे भीतर खड़ी हो जाती है।

2. बहुमुखी प्रतिभा वाले लोग स्प र्धा से घबराते हैं, वे आलोचना से डरते हैं, वे सिर्फ अपनी प्रशंसा सुनना चाहते हैं, और उन्हें असफल होने की आशंका अधिक रहती है।

3. बहुमुखी प्रतिभागियों की पकड़ कई विषयों में होती है, किंतु एक विषय में स्पर्धा होने पर वे दूसरे की ओर भागते हैं, जिससे उनकी असफलता की संभावना अधिक हो जाती है क्योंकि वे टिक कर कोई काम नहीं कर पाते।

4. ऐसे लोगों का स्वभाव अस्थिर और चंचल होता है, जिसके कारण उनमें कई कार्य करने की तीव्र इच्छा होती है। इससे वे एक से दूसरे और फिर तीसरे क्षेत्र में हाथ आज़माने लगते हैं, परंतु एकाग्र भाव से किसी एक काम को नहीं करने से वे प्रायः किसी भी कार्य में सफल नहीं हो पाते।

5. प्रबंधन के क्षेत्र में ऐसे लोगों की आवश्यकता होती है जो किसी एक कार्य को मन लगाकर सही रूप से करते हैं क्योंकि इससे उनके सभी कार्य सफल हो जाते हैं।

6. इस कथन का आशय यह है कि प्रतिभा को किसी दूसरे के सहारे की आवश्यकता नहीं होती है। व्यक्ति के अंदर उसकी प्रतिभा छिपी रहती है, जिसे वह अपने परिश्रम और एकाग्र भाव से कार्य करते हुए निखारता है।

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13. महात्माओं और विद्वानों का सबसे बड़ा लक्षण है – आवाज़ को ध्यान से सुनना। यह आवाज़ कुछ भी हो सकती है। कौओं की कर्कश आवाज़ से लेकर नदियों की छलछल तक। मार्टिन लूथर किंग के भाषण से लेकर किसी पागल के बड़बड़ाने तक। अमूमन ऐसा होता नहीं। सच यह है कि हम सुनना चाहते ही नहीं। बस बोलना चाहते हैं। हमें लगता है कि इससे लोग हमें बेहतर तरीके से समझेंगे। हालांकि ऐसा होता नहीं।

हमें पता ही नहीं चलता और अधिक बोलने की कला हमें अनसुना करने की कला में पारंगत कर देती है। एक मनोवैज्ञानिक ने अपने अध्ययन में पाया कि जिन घरों के अभिभावक ज्यादा बोलते हैं, वहाँ बच्चों में सही-गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान कम विकसित हो पाता है, क्योंकि ज्यादा बोलना बातों को विरोधाभासी तरीके से सामने रखता है और सामने वाला बस शब्दों के जाल में फंसकर रह जाता है।

बात औपचारिक हो या अनौपचारिक, दोनों स्थितियों में हम दूसरे की न सुन, बस हावी होने की कोशिश करते हैं। खुद ज्यादा बोलने और दूसरों को अनसुना करने से जाहिर होता है कि हम अपने बारे में ज्यादा सोचते हैं और दूसरों के बारे में कम। ज्यादा बोलने वालों के दुश्मनों की भी संख्या ज्यादा होती है। अगर आप नए दुश्मन बनाना चाहते हैं, तो अपने दोस्तों से ज्यादा बोलें और अगर आप नए दोस्त बनाना चाहते हैं, तो दुश्मनों से कम बोलें।

अमेरिका के सर्वाधिक चर्चित राष्ट्रपति रूजवेल्ट अपने माली तक के साथ कुछ समय बिताते और इस दौरान उनकी बातें ज्यादा सुनने की कोशिश करते। वह कहते थे कि लोगों को अनसुना करना अपनी लोकप्रियता के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। इसका लाभ यह मिला कि ज्यादातर अमेरिकी नागरिक उनके सुख में सुखी होते, और दुख में दुखी।

प्रश्न :
1. अनसुना करने की कला क्यों विकसित होती है?
2. अधिक बोलने वाले अभिभावकों का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों?
3. रूजवेल्ट की लोकप्रियता का क्या कारण बताया गया है?
4. तर्कसम्मत टिप्पणी कीजिए- “हम सुनना चाहते ही नहीं”
5. अनुच्छेद का मूल भाव तीन-चार वाक्यों में लिखिए।
उत्तर :
1. अनसुना करने की कला इसलिए विकसित होती है क्योंकि हम किसी की सुनना नहीं चाहते और सिर्फ बोलना चाहते हैं। हमारे अधिक बोलने तथा किसी की नहीं सुनने से अनसुना करने की कला विकसित होती है।

2. अधिक बोलने वाले अभिभावकों के बच्चों में सही-गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान सही रूप से विकसित नहीं हो पाता क्योंकि अभिभावकों का ज्यादा बोलना बातों को विरोधाभासी तरीके से प्रस्तुत करता है, जिससे बच्चे शब्दों के जाल में फँस कर रह जाते हैं।

3. रूजवेल्ट की लोकप्रियता का यह कारण बताया गया है कि वे लोगों की अधिक सुनते थे। वे किसी को अनसुना नहीं करते थे।

4. इस कथन का आशय यह है कि हम सदा अपनी बात को ही कहना चाहते हैं तथा दूसरे की बिलकुल भी नहीं सुनते क्योंकि हमें अपनी बात कहते रहने से ही आत्मसंतोष मिलता है।

5. आजकल अधिकांश लोग अपनी सुनाना चाहते हैं, दूसरे की सुनते नहीं हैं। इस प्रकार दूसरों को अनसुना करने से हम अपने अनेक दुश्मन बना लेते हैं और हमारी लोकप्रियता में कमी आती है, इसलिए अपनी लोकप्रियता बनाए रखने के लिए हमें दूसरों की भी सुननी चाहिए।

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14. चरित्र का मूल भी भावों के विशेष प्रकार के संगठन में ही समझना चाहिए। लोकरक्षा और लोक-रंजन की सारी व्यवस्था का ढाँचा इन्हीं पर ठहराया गया है। धर्म-शासन, राज-शासन, मत-शासन सबमें इनसे पूरा काम लिया गया है। इनका सदुपयोग भी हुआ है और दुरुपयोग भी। जिस प्रकार लोक-कल्याण के व्यापक उद्देश्य की सिद्धि के लिए मनुष्य के मनोविकार काम में लाए गए हैं उसी प्रकार संप्रदाय या संस्था के संकुचित और परिमित विधान की सफलता के लिए भी।

सब प्रकार के शासन में चाहे धर्म-शासन हो, चाहे राज-शासन, मनुष्य-जाति से भय और लोभ से पूरा काम लिया गया है। दंड का भय और अनुग्रह का लोभ दिखाते हुए राज-शासन तथा नरक का भय और स्वर्ग का लोभ दिखाते हुए धर्म-शासन और मत-शासन चलते आ रहे हैं। इसके द्वारा भय और लोभ का प्रवर्तन सीमा के बाहर भी प्रायः हुआ है और होता रहता है।

जिस प्रकार शासक-वर्ग अपनी रक्षा और स्वार्थसिद्धि के लिए भी इनसे काम लेते आए हैं उसी प्रकार धर्म-प्रवर्तक और आचार्य अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा के लिए भी। शासक वर्ग अपने अन्याय और अत्याचार के विरोध की शान्ति के लिए भी डराते और ललचाते आए हैं। मत-प्रवर्तक अपने द्वेष और संकुचित विचारों के प्रचार के लिए भी कँपाते और डराते आए हैं। एक जाति को मूर्ति-पूजा करते देख दूसरी जाति के मत-प्रवर्तकों ने उसे पापों में गिना है। एक संप्रदाय का भस्म और रुद्राक्ष धारण करते देख दूसरे संप्रदाय के प्रचारकों ने उनके दर्शन तक को पाप माना है।

प्रश्न :
1. लोक-रंजन की व्यवस्था का ढाँचा किस पर आधारित है? तथा इसका उपयोग कहाँ किया गया है?
2. दंड का भय और अनुग्रह का लोभ किसने और क्यों दिखाया है?
3. धर्म-प्रवर्तकों ने स्वर्ग-नरक का भय और लोभ क्यों दिखाया है?
4. शासन व्यवस्था किन कारणों से भय और लालच का सहारा लेती है?
5. प्रतिष्ठा और लोभ शब्दों के समानार्थक शब्द लिखिए।
उत्तर :
1. लोक-रंजन की व्यवस्था का ढाँचा चरित्र के मूल भावों के विशेष प्रकार के संगठन पर आधारित है तथा इसका उपयोग धर्म-शासन, राज-शासन तथा मत-शासन में किया गया है।
2. दंड का भय और अनुग्रह का लोभ राज-शासन ने दिखाया है, जिससे उनके स्वार्थ सिद्ध हो सकें और वे अपनी रक्षा कर सकें।
3. धर्म-प्रवर्तकों ने स्वर्ग-नरक का लोभ और भय अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा के लिए दिखाया है।
4. शासन व्यवस्था अपने अन्याय और अत्याचार के विरोध की शांति के लिए भय और लालच का सहारा लेती है।
5. प्रतिष्ठा = कीर्ति, प्रसिद्धि। लोभ = लालच, लिप्सा।

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15. पता नहीं क्यों, उनकी नौकरी लंबी नहीं चलती थी। मगर इससे वह न तो परेशान होते, न आतंकित, और न ही कभी निराशा उनके दिमाग में आती। यह बात उनके दिमाग में आई कि उन्हें अब नौकरी के चक्कर में रहने की बजाए अपना काम शुरू करना चाहिए। नई ऊँचाई तक पहुँचने का उन्हें यही रास्ता दिखाई दिया। सत्य है, जो बड़ा सोचता है, वही एक दिन बड़ा करके भी दिखाता है और आज इसी सोच के कारण उनकी गिनती बड़े व्यक्तियों में होती है। हम अक्सर इंसान के छोटे-बड़े होने की बातें करते हैं, पर दरअसल इंसान की सोच ही उसे छोटा या बड़ा बनाती है।

स्वेट मार्डेन अपनी पुस्तक ‘बड़ी सोच का बड़ा कमाल’ में लिखते हैं कि यदि आप दरिद्रता की सोच को ही अपने मन में स्थान दिए रहेंगे, तो आप कभी धनी नहीं बन सकते, लेकिन यदि आप अपने मन में अच्छे विचारों को ही स्थान देंगे और दरिद्रता, नीचता आदि कुविचारों की ओर से मुँह मोड़े रहेंगे और उनको अपने मन में कोई स्थान नहीं देंगे, तो आपकी उन्नति होती जाएगी और समृद्धि के भवन में आप आसानी से प्रवेश कर सकेंगे। भारतीय चिंतन में ऋषियों ने ईश्वर के संकल्प मात्र से सृष्टि रचना को स्वीकार किया है और यह संकेत दिया है कि व्यक्ति जैसा बनना चाहता है, वैसा बार-बार सोचे।

व्यक्ति जैसा सोचता है, वह वैसा ही बन जाता है।’ सफलता की ऊँचाइयों को छूने वाले व्यक्तियों का मानना है कि सफलता उनके मस्तिष्क से नहीं, अपितु उनकी सोच से निकलती है। व्यक्ति में सोच की एक ऐसी जादुई शक्ति है कि यदि वह उसका उचित प्रयोग करे, तो कहाँ से कहाँ पहुँच सकता है। इसलिए सदैव बड़ा सोचें, बड़ा सोचने से बड़ी उपलब्धियाँ हासिल होंगी, फायदे बड़े होंगे और देखते-देखते आप अपनी बड़ी सोच द्वारा बड़े आदमी बन जाएँगे। इसके लिए हैजलिट कहते हैं-महान सोच जब कार्यरूप में परिणत हो जाती है, तब वह महान कृति बन जाती है।

प्रश्न :
1. गद्यांश में किस प्रकार के व्यक्ति के बारे में चर्चा की गई है। ऐसे व्यक्ति ऊँचाई तक पहुँचने का क्या उपाय अपनाते हैं?
2. गद्यांश में समृद्धि और उन्नति के लिए क्या सुझाव दिए गए हैं?
3. भारतीय विचारधारा में संकल्प और चिंतन का क्या महत्त्व है?
4. गद्यांश में किस जादुई शक्ति की बात की गई है? उसके क्या परिणाम हो सकते हैं?
5. ‘सफलता’ और आतंकित’ शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग और प्रत्यय का उल्लेख कीजिए।
6. गद्यांश से दो मुहावरे चुनकर उनका वाक्य प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
1. इस गद्यांश में बड़ा बनने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति के बारे में चर्चा की गई है। ऐसे व्यक्ति ऊँचाई तक पहुँचने के लिए बड़ा सोचते हैं और एक दिन बड़ा करके भी दिखाते हैं।
2. समृद्धि और उन्नति के लिए मन में दरिद्रता की सोच के स्थान पर अच्छे विचारों को स्थान देना होगा। इससे दरिद्रता, नीचता, कुविचार दूर हो जाएंगे और उन्नति तथा समृद्धि का जीवन में प्रवेश हो जाएगा।
3. भारतीय विचारधारा में संकल्प और चिंतन का बहुत महत्त्व है क्योंकि व्यक्ति जैसा सोचता है, वह वैसा ही बन जाता है। संकल्प करने से लक्ष्य की प्राप्ति हो जाती है।
4. गद्यांश में व्यक्ति की सोच को जादुई शक्ति बताया गया है क्योंकि अपनी सोच का उचित प्रयोग करने से व्यक्ति कहीं से कहीं पहुँच सकता है। सही सोच व्यक्ति को बड़ा बना देती है और उसके लिए उन्नति के मार्ग खोल देती है।
5. सफलता = ‘स’ उपसर्ग, ‘ता’ प्रत्यय, स + फल + ता।
आतंकित = ‘इत’ प्रत्यय, आतंक + इत।
6. लंबी चलना = नरेश की बीमारी ठीक होने के स्थान पर लंबी चलती जा रही है।
चक्कर में रहना = बुरी संगत के चक्कर में रहकर हरभजन सिंह ने अपनी सेहत ही खराब कर दी है।

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16. हँसी भीतरी आनंद का बाहरी चिह्न है। जीवन की सबसे प्यारी और उत्तम से उत्तम वस्तु एक बार हँस लेना तथा शरीर को अच्छा रखने की अच्छी से अच्छी दवा एक बार खिलखिला उठना है। पुराने लोग कह गए हैं कि हँसो और पेट फुलाओ। हँसी कितने ही कला-कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनंद से हँसोगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। एक यूनानी विद्वान कहता है कि सदा अपने कर्मों पर खीझने वाला हेरीक्लेस बहुत कम जिया, पर प्रसन्न मन डेमाक्रीट्स 109 वर्ष तक जिया। हँसी-खुशी का नाम जीवन है। जो राते हैं। उनका जीवन व्यर्थ है। कवि कहता है-‘जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं। मनुष्य के शरीर के वर्णन पर एक विलायती विद्वान ने पुस्तक लिखी है। उसमें वह कहता है कि उत्तम सुअवसर की हँसी उदास-से-उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है। आनंद एक ऐसा प्रबल इंजन है। कि उससे शोक और दुख की दीवारों को ढा सकते हैं। प्राण रक्षा के लिए सदा सब देशों में उत्तम-से-उत्तम उपाय मनुष्य के चित्त को प्रसन्न रखना है। सुयोग्य वैद्य अपने रोगी के कानों में आनंदरूपी मंत्र सुनाता है। एक अंग्रेज़ डॉक्टर कहता है कि किसी नगर में दवाई लदे हुए बीस गधे ले जाने से एक हँसोड़ आदमी को ले जाना अधिक लाभकारी है।

प्रश्न :
1. हँसी भीतरी आनंद को कैसे प्रकट करती है?
2. पुराने समय में लोगों ने हँसी को महत्तव क्यों दिया?
3. हँसी को एक शक्तिशाली इंजन के समान क्यों कहा गया है?
4. हेरीक्लेस और डेमाक्रीट्स के उदाहरण से लेखक क्या स्पष्ट करना चाहता है?
5. गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
1. हँसी भीतरी आनंद को अपने प्रसन्नता के भावों से प्रकट करती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
2. पुराने समय के लोगों ने हँसी को महत्त्व दिया है क्योंकि इससे मनुष्य की आयु बढ़ती है और वह निरोग रहता है।
3. हँसी से जिस आनंद की प्राप्ति होती है उससे मनुष्य अपने दुखों और शोक से मुक्त हो जाता है।
4. इनके उदाहरणों से लेखक यह स्पष्ट करना चाहता है कि सदा खीझने वाले व्यक्ति की आयु कम होती है परन्तु सदा हँसने वाले की आयु लम्बी होती है।
5. हँसी का महत्त्व।

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17. आदमियों की तिजारत करना मूरों का काम है। सोने और लोहे के बदले मनुष्य को बेचना मना है। आजकल आप की कलों का दाम तो हजारों रुपया है; परन्तु मनुष्य कौड़ी के सौ-सौ बिकते हैं। सोने और चाँदी की प्राप्ति से जीवन का आनंद नहीं मिल सकता। सच्चा आनंद तो मुझे मेरे काम से मिलता है। मुझे अपना काम मिल जाए तो फिर स्वर्ग प्राप्ति की इच्छा नहीं, मनुष्य-पूजा ही सच्ची ईश्वर-पूजा है। आज से हम अपने ईश्वर की तलाश किसी वस्तु, स्थान या तीर्थ में नहीं करेंगे।

अब तो यही इरादा है कि मनुष्य की अनमोल आत्मा में ईश्वर के दर्शन करेंगे यही आर्ट है-यही धर्म है। मनुष्य के हाथ से ही ईश्वर के दर्शन कराने वाले निकलते हैं। बिना काम, बिना मजदूरी, बिना हाथ के कला-कौशल के विचार और चिंतन किस काम के! जिन देशों में हाथ और मुँह पर मज़दूरी की धूल नहीं पड़ने पाती वे धर्म और कला-कौशल में कभी उन्नति नहीं कर सकते।

पद्मासन निकम्मे सिद्ध हो चुके हैं। वही आसन ईश्वर-प्राप्ति करा सकते हैं जिनसे जोतने, बोने, काटने और मजदूरी का काम लिया जाता है। लकड़ी, ईंट और पत्थर को मूर्तिमान करने वाले लुहार, बढ़ई, मेमार तथा किसान आदि वैसे ही पुरुष हैं जैसे कवि, महात्मा और योगी आदि। उत्तम से उत्तम और नीच से नीच काम, सबके सब प्रेमरूपी शरीर के अंग हैं।

प्रश्न :
1. आदमियों की तिजारत से आप क्या समझते हैं?
2. मनुष्य-पूजा को ही सच्ची ईश्वर-पूजा क्यों कहाँ गया है?
3. लेखक के अनुसार धर्म क्या है?
4. लुहार, बढ़ई और किसान की तुलना कवि, महात्मा और योगी से क्यों की गई है?
5. लेखक को सच्चा आनंद किससे मिलता है?
6. गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
1. आदमियों को किसी वस्तु के बदले बेचना, उन्हें खरीदकर अपना गुलाम बनाना आदमियों की तिजारत करना है।
2. मनुष्य-पूजा को ही सच्ची ईश्वर-पूजा इसलिए कहा गया है क्योंकि मनुष्य द्वारा सच्चे मन से किए गए अपने कार्य ही ईश्वर-पूजा के समान होते हैं। अपने कर्म के प्रति समर्पण ही सच्ची पूजा है।
3. लेखक के अनुसार कर्म के प्रति समर्पित मनुष्य की अनमोल आत्मा में ईश्वर के दर्शन करना ही सच्चा धर्म है। ईश्वर को विभिन्न धर्मस्थानों में देखने का आडंबर नहीं करना चाहिए।
4. क्योंकि लुहार, बढ़ई और किसान सृजन करने वाले होते हैं। वे अपने अथक परिश्रम से लकड़ी, ईंट, पत्थर, लोहे, मिट्टी आदि को मूर्तिमान कर देते हैं। इसमें उनकी त्याग, श्रम तथा शक्ति लगी रहती है।
5. सच्चा आनंद अपना कर्म करने से मिलता है।
6. कर्म में ईश्वर है।

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18. साहस की जिंदगी सबसे बड़ी जिंदगी है। ऐसी जिंदगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिलकुल निडर, बिल्कुल बेखौफ़ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला व्यक्ति दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्य को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना यह साधारण जीव का काम है। क्रांति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धम बनाते हैं।

1. साहस की जिंदगी की पहचान क्या है?
(क) निडर होती है।
(ख) दुखभरी होती है।
(ग) खुशहाल होती है।
(घ) उधार की होती है।
उत्तर :
(क) निडर होती है

2. दुनिया की असली ताकत कौन होता है?
(क) दूसरों का अनुसरण करने वाला
(ख) जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला
(ग) डरपोक व्यक्ति
(घ) निडर व्यक्ति
उत्तर :
(ख) जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला

3. गद्यांश का उचित शीर्षक है
(क) साहस की जिंदगी
(ख) अड़ोस-पड़ोस
(ग) जनमत
(घ) साहस
उत्तर :
(क) साहस की जिंदगी

4. अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना किसका काम है?
(क) सामाजिक व्यक्ति का
(ख) असामाजिक व्यक्ति का
(ग) कामचोर व्यक्ति का
(घ) साधारण व्यक्ति का
उत्तर :
(घ) साधारण व्यक्ति का

5. क्रांति करने वाले लोग क्या नहीं करते?
(क) अपनी तुलना दूसरों से
(ख) अपनी उपेक्षा
(ग) दूसरों की उपेक्षा
(घ) किसी की भी उपेक्षा
उत्तर :
(क) अपनी तुलना दूसरों से

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19. आपका जीवन एक संग्राम-स्थल है जिसमें आपको विजयी बनना है। महान जीवन के रथ के पहिए फूलों से भरे नंदन वन से नहीं गुज़रते, कंटकों से भरे बीहड़ पथ पर चलते हैं। आपको ऐसे ही महान जीवन पथ का सारथि बनकर अपनी यात्रा को पूरा करना है। जब तक आपके पास आत्म विश्वास का दुर्जय शस्त्र नहीं है, न तो आप जीवन की ललकार का सामना कर सकते हैं, न जीवन संग्राम में विजय प्राप्त कर सकते हैं और न महान जीवन के सोपानों पर चढ़ सकते हैं। जीवन पथ पर आप आगे बढ़ रहे हैं, दुख और निराशा की काली घटाएँ आपके मार्ग पर छा रही हैं, आपत्तियों का अंधकार मुँह फैलाए आपकी प्रगति को निगलने के लिए बढ़ा चला आ रहा है, लेकिन आपके हृदय में आत्म-विश्वास की दृढ़ ज्योति जगमगा रही है तो इस दुख एवं निराशा का कुहरा उसी प्रकार कट जाएगा जिस प्रकार सूर्य की किरणों के फूटते ही अंधकार भाग जाता है।

1. महान जीवन के रथ किस रास्ते से गुजरते हैं?
(क) काँटों से भरे रास्तों से
(ख) नंदन वन से
(ग) नदियों से
(घ) आसान रास्तों से
उत्तर :
(क) काँटों से भरे रास्तों से

2. आप किस शस्त्र के द्वारा जीवन के कष्टों का सामना कर सकते हैं?
(क) आत्म-रक्षा के शस्त्र से
(ख) आत्म-विश्वास के शस्त्र से
(ग) क्रोध के शस्त्र से
(घ) अभिमान के शस्त्र से
उत्तर :
(ख) आत्म-विश्वास के शस्त्र से

3. जीवन-पथ पर हमारा सामना किनसे होता है?
(क) खुशियों से
(ख) शत्रुओं से
(ग) निराशाओं और आपत्तियों से
(घ) आशाओं से
उत्तर :
(क) निराशाओं और आपत्तियों से

4. गद्यांश का उचित शीर्षक है
(क) आत्म-विश्वास
(ख) आत्मा की शांति
(ग) आत्म-रक्षा
(घ) परोपकार
उत्तर :
(क) आत्म-विश्वास

5. जीवन क्या है?
(क) परीक्षा
(ख) संग्राम-स्थल
(ग) दंड
(घ) कसौटी
उत्तर :
(ख) संग्राम-स्थल

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20. विद्यार्थी का अहंकार आवश्यकता से अधिक बढ़ता जा रहा है और दूसरा उसका ध्यान अधिकार पाने में है, अपना कर्तव्य पूरा करने में नहीं। अहं बुरी चीज़ कही जा सकती है। यह सब में होता है और एक सीमा तक आवश्यक भी है किंतु आज के विद्यार्थियों में यह इतना बढ़ गया है कि विनय के गुण उनमें नाम मात्र के नहीं रह गए हैं। गुरुजनों या बड़ों की बात का विरोध करना उनके जीवन का अंग बन गया है। इन्हीं बातों के कारण विद्यार्थी अपने अधिकारों के बहुत अधिकारी नहीं हैं। उसे भी वह अपना समझने लगे हैं। अधिकार और कर्तव्य दोनों एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। स्वस्थ स्थिति वही कही जा सकती है जब दोनों का संतुलन हो। आज का विद्यार्थी अधिकार के प्रति सजग है परंतु वह अपने कर्तव्यों की ओर से विमुख हो गया है। एक सीमा की अति का दूसरे पर भी असर पड़ता है।

1. आधुनिक विद्यार्थियों में किसकी कमी होती जा रही है?
(क) अहंकार की
(ख) नम्रता की
(ग) जागरूकता की
(घ) अहं की
उत्तर :
(ख) नम्रता की

2. विद्यार्थी प्रायः किसका विरोध करते हैं?
(क) अपने मित्रों का
(ख) अपने गुरुजनों या अपने से बड़ों की बातों का
(ग) अपने माता-पिता का
(घ) अध्यापकों का
उत्तर :
(ख) अपने गुरुजनों या अपने से बड़ों की बातों को

3. विद्यार्थी में किसके प्रति सजगता अधिक है?
(क) अपने अधिकारों और माँगों के प्रति
(ख) अपनी चीज़ों के प्रति
(ग) अपने भविष्य के प्रति
(घ) अपने सम्मान के प्रति
उत्तर :
(क) अपने अधिकारों और माँगों के प्रति

4. गद्यांश का उचित शीर्षक है
(क) विद्यार्थी जीवन
(ख) विद्यार्थी और अहंकार
(ग) अहंकार
(घ) अधिकार और माँग
उत्तर :
(ख) विद्यार्थी और अहंकार

5. अधिकार किससे जुड़ा है?
(क) अहंकार
(ख) गुणों से
(ग) माँग से
(घ) कर्तव्य से
उत्तर :
(घ) कर्तव्य से

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21. प्यासा आदमी कुएँ के पास जाता है, यह बात निर्विवाद है। परंतु सत्संगति के लिए यह आवश्यक नहीं कि आप सज्जनों के पास जाएँ और उनकी संगति प्राप्त करें। घर बैठे-बैठे भी आप सत्संगति का आनंद लूट सकते हैं। यह बात पुस्तकों द्वारा संभव है। हर कलाकार और लेखक को जन-साधारण से एक विशेष बुद्धि मिली है। इस बुद्धि का नाम प्रतिभा है। पुस्तक निर्माता अपनी प्रतिभा के बल से जीवन भर से संचित ज्ञान को पुस्तक के रूप में उड़ेल देता है। जब हम घर की चारदीवारी में बैठकर किसी पुस्तक का अध्ययन करते हैं तब हम एक अनुभवी और ज्ञानी सज्जन की संगति में बैठकर ज्ञान प्राप्त करते हैं। नित्य नई पुस्तक का अध्ययन हमें नित्य नए सज्जन की संगति दिलाता है। इसलिए विद्वानों ने स्वाध्याय को विशेष महत्व दिया है। घर बैठे-बैठे सत्संगति दिलाना पुस्तकों की सर्वश्रेष्ठ उपयोगिता है।

1. कौन कुएँ के पास जाता है?
(क) प्यासा आदमी
(ख) भूखा आदमी
(ग) धनी आदमी
(घ) निर्धन आदमी
उत्तर :
(क) प्यासा आदमी

2. घर बैठे-बैठे सत्संगति का लाभ किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है?
(क) टी०वी० देखने से
(ख) कीर्तन करने से
(ग) बात करने से
(घ) पुस्तकों का अध्ययन करने से
उत्तर :
(घ) पुस्तकों का अध्ययन करने से

3. पुस्तकों की सर्वश्रेष्ठ उपयोगिता क्या है?
(क) लिखित रूप में होना
(ख) घर बैठे-बैठे लोगों को सत्संगति का लाभ दिलाना
(ग) पढ़े-लिखे लोगों द्वारा उपयोग किया जाना
(घ) चित्रयुक्त होना
उत्तर :
(ख) घर बैठे-बैठे लोगों को सत्संगति का लाभ दिलाना

4. गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(क) पुस्तकों का लाभ
(ख) संगति
(ग) स्वाध्याय की उपयोगिता
(घ) अनुभव व ज्ञान
उत्तर :
(ग) स्वाध्याय की उपयोगिता

5. विद्वानों ने किसे विशेष महत्व दिया है?
(क) पुस्तकों को
(ख) स्वास्थ्य को
(ग) स्वाध्याय को
(घ) सत्संगति को
उत्तर :
(ग) स्वाध्याय को

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22. संसार में धर्म की दुहाई सभी देते हैं। पर कितने लोग ऐसे हैं, जो धर्म के वास्तविक स्वरूप को पहचानते हैं। धर्म कोई बुरी चीज़ नहीं है। धर्म ही एक ऐसी विशेषता है, जो मनुष्य को पशुओं से भिन्न करती है। अन्यथा मनुष्य और पशु में अंतर ही क्या है। उस धर्म को समझने की आवश्यकता है। धर्म में त्याग की महत्ता है। इस त्याग और कर्तव्यपरायणता में ही धर्म का वास्तविक स्वरूप निहित है। त्याग परिवार के लिए, ग्राम के लिए, नगर के लिए, देश के लिए और मानव-मात्र के लिए भी हो सकता है।

परिवार से मनुष्य मात्र तक पहुँचते-पहुँचते हम एक संकुचित घेरे से निकलकर विशाल परिधि में घूमने लगते हैं। यही वह क्षेत्र है, जहाँ देश और जाति की सभी दीवारें गिर कर चूर-चूर हो जाती हैं। मनुष्य संसार भर को अपना परिवार और अपने आपको उसका सदस्य समझने लगता है। भावना के इस विस्तार ने ही धर्म का वास्तविक स्वरूप दिया है जिसे कोई निर्मल हृदय संत ही पहचान सकता है।

1. संसार में सब किसकी दुहाई देते हैं?
(क) दया की
(ख) अधर्म की
(ग) धर्म की
(घ) धन की
उत्तर :
(ग) धर्म की

2. धर्म की प्रमुख उपयोगिता क्या है?
(क) धर्म मनुष्य को विवेक और त्याग की भावना प्रदान करता है।
(ख) धर्म मनुष्य को आस्तिक बनाता है।
(ग) धर्म मनुष्य को धनी बनाता है।
(घ) धर्म मनुष्य को न्यायप्रिय बनाता है।
उत्तर :
(क) धर्म मनुष्य को विवेक और त्याग की भावना प्रदान करता है।

3. धर्म का वास्तविक रूप किसमें निहित है?
(क) आस्था में
(ख) त्याग और कर्तव्यपरायणता में
(ग) अधिकार ने
(घ) मोह-माया में
उत्तर :
(ख) त्याग और कर्तव्यपरायणता में

4. धर्म का वास्तविक रूप कौन पहचान सकता है?
(क) धर्मात्मा
(ख) दानवीर व्यक्ति
(ग) निर्मल हृदय संत
(घ) धनी व्यक्ति
उत्तर :
(ग) निर्मल हृदय संत

5. उचित शीर्षक है –
(क) धर्म का वास्तविक स्वरूप
(ख) धर्म-अधर्म
(ग) त्याग
(घ) कर्तव्यपरायणता
उत्तर :
(क) धर्म का वास्तविक स्वरूप

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

23. आधुनिक मानव समाज में एक ओर विज्ञान को भी चकित कर देने वाली उपलब्धियों से निरंतर सभ्यता का विकास हो रहा है तो दूसरी ओर मानव मूल्यों का ह्रास होने से समस्या उत्तरोत्तर गूढ होती जा रही है। अनेक सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का शिकार आज का मनुष्य विवेक और ईमानदारी का त्याग कर भौतिक स्तर से ऊँचा उठने का प्रयत्न कर रहा है। वह सफलता पाने की लालसा में उचित और अनुचित की चिंता नहीं करता। उसे तो बस साध्य को पाने की प्रबल इच्छा रहती है।

ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए भयंकर अपराध करने में भी संकोच नहीं करता। वह इनके नित नए-नए रूपों की खोज करने में अपनी बुद्धि का अपव्यय कर रहा है। आज हमारे सामने यह प्रमुख समस्या है कि इस अपराध वृद्धि पर किस प्रकार रोक लगाई जाए। सदाचार, कर्तव्यपरायणता, त्याग आदि नैतिक मूल्यों को तिलांजलि देकर समाज के सुख की कामना करना स्वप्न मात्र है।

1. मानव जीवन में समस्याएँ निरंतर क्यों बढ़ रही हैं?
(क) आधुनिकता के कारण
(ख) अज्ञानता के कारण
(ग) विवेक, ईमानदारी की कमी के कारण
(घ) विकास के कारण
उत्तर :
(ग) विवेक, ईमानदारी की कमी के कारण

2. आज का मानव सफलता प्राप्त करने के लिए क्या कर रहा है जो उसे नहीं करना चाहिए?
(क) तकनीक का विकास
(ख) विवेक का प्रयोग
(ग) व्यापार का विस्तार
(घ) अविवेकशील अनुचित कार्य
उत्तर :
(घ) अविवेकशील अनुचित कार्य

3. किन जीवन-मूल्यों के द्वारा सुख की कामना की जा सकती है?
(क) सेवकाई
(ख) वीरता
(ग) दानवीरता
(घ) सदाचार, कर्तव्यपराणता, त्याग आदि
उत्तर :
(घ) सदाचार, कर्तव्यपराणता, त्याग आदि

4. ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए आज का मनुष्य क्या कर रहा है?
(क) अपराध
(ख) व्यापार
(ग) संदिग्ध कार्य
(घ) नौकरी
उत्तर :
(क) अपराध

5. गद्यांश का उचित शीर्षक है –
(क) विवेक की आवश्यकता
(ख) आधुनिक जीवन में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता
(ग) कर्तव्यपरायणता
(घ) त्याग व बलिदान
उत्तर :
(ख) आधुनिक जीवन में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

24. कर लेखक का काम बहुत अंशों में मधु-मक्खियों के काम से मिलता है। मधु-मक्ख्यिाँ मकरंद संग्रह करने के लिए कोसों के चक्कर लगाती हैं और अच्छे-अच्छे फूलों पर बैठकर उनका रस लेती हैं। तभी तो उनके मधु में संसार की सर्वश्रेष्ठ मधुरता रहती है। यदि आप अच्छे लेखक बनना चाहते हैं तो आपको भी यही वत्ति ग्रहण करनी चाहिए। अच्छे-अच्छे ग्रंथों का खब अध्ययन करना चाहिए और उनकी बातों का मनन करना चाहिए फिर आपकी रचनाओं में से मधु का-सा माधुर्य आने लगेगा।

कोई अच्छी उक्ति, कोई अच्छा विचार भले ही दूसरों से ग्रहण किया गया हो, पर यदि यथेष्ठ मनन करके आप उसे अपनी रचना में स्थान देंगे तो वह आपका ही हो जाएगा। मननपूर्वक लिखी गई चीज़ के संबंध में जल्दी किसी को यह कहने का साहस नहीं होगा कि यह अमुक स्थान से ली गई है या उच्छिष्ट है। जो बात आप अच्छी तरह आत्मसात कर लेंगे, वह फिर आपकी हो ही जाएगी।

1. लेखक का काम किससे मिलता है?
(क) तितलियों के काम से
(ख) चींटियों के काम से
(ग) मधुमक्खियों के काम से
(घ) टिड्डों के काम से
उत्तर :
(ग) मधुमक्खियों के काम से

2. मधुमक्खियाँ किसका संग्रह करती हैं?
(क) शहद का
(ख) मकरंद का
(ग) पानी का
(घ) छत्ते का
उत्तर :
(ख) मकरंद का

3. संसार की सर्वश्रेष्ठ मधुरता किसमें होती है?
(क) गन्ने के रस में
(ख) चीनी में
(ग) शहद में
(घ) गुड़ में
उत्तर :
(ग) शहद में

4. कौन-सी बात आपकी अपनी हो जाती है?
(क) जिस बात का अच्छी तरह से आत्मसात किया जाए।
(ख) जो बात लिखी जाए।
(ग) जो बात पढ़ी जाए।
(घ) जो बात बोली जाए।
उत्तर :
(क) जिस बात का अच्छी तरह से आत्मसात किया जाए

5. गद्यांश का उचित शीर्षक है –
(क) मुधुमक्खी का काम
(ख) मकरंद
(ग) श्रेष्ठ लेखक की मौलिकता
(घ) मधु का-सा माधुर्य
उत्तर :
(ग) श्रेष्ठ लेखक की मौलिकता

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

25. सहयोग एक प्राकृतिक नियम है, यह कोई बनावटी तत्व नहीं है। प्रत्येक पदार्थ, प्रत्येक व्यक्ति का काम आंतरिक सहयोग पर अवलंबित है। किसी मशीन का उसके पुर्जे के साथ संबंध है। यदि उसका एक भी पुर्जा खराब हो जाता है तो वह मशीन चल नहीं सकती। किसी शरीर का उसके आँख, कान, हाथ, पाँव आदि पोषण करते हैं। किसी अंग पर चोट आती है, मन एकदम वहाँ पहुँच जाता है।

पहले क्षण आँख देखती है, दूसरे क्षण हाथ सहायता के लिए पहुँच जाता है। इसी तरह समाज और व्यक्ति का संबंध है। समाज शरीर है तो व्यक्ति उसका अंग है। जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अंग परस्पर सहयोग करते हैं उसी तरह समाज के विकास के लिए व्यक्तियों का आपसी सहयोग अनिवार्य है। शरीर को पूर्णता अंगों के सहयोग से मिलती है। समाज को पूर्णता व्यक्तियों के सहयोग से मिलती है। प्रत्येक व्यक्ति, जो जहाँ पर भी है, अपना काम ईमानदारी और लगन से करता रहे, तो समाज फलता-फूलता है।

1. सहयोग क्या है?
(क) बनावटी तत्व
(ख) धर्म
(ग) ईमान
(घ) प्राकृतिक नियम
उत्तर :
(घ) प्राकृतिक नियम

2. समाज कैसे फलता-फूलता है?
(क) धन से
(ख) कर्म से
(ग) व्यक्तियों के आपसी सहयोग से
(घ) रीति-रिवाजों से
उत्तर :
(ग) व्यक्तियों के आपसी सहयोग से

3. समाज और व्यक्ति का क्या संबंध है?
(क) समाज रूपी शरीर का व्यक्ति एक अंग है।
(ख) व्यक्ति से समाज है।
(ग) समाज घर, व्यक्ति कमरा है
(घ) समाज से व्यक्ति है।
उत्तर :
(क) समाज रूपी शरीर का व्यक्ति एक अंग है।

4. शरीर को पूर्णता कैसे मिलती है?
(क) समाज से
(ख) भोजन से
(ग) अंगों से
(घ) कार्य से
उत्तर :
(ग) अंगों से

5. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है –
(क) समाज
(ख) सहयोग
(ग) विकास
(घ) शरीर और अंग
उत्तर :
(ख) सहयोग

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

26. शिक्षा विविध जानकारियों का ढेर नहीं है, जो तुम्हारे मस्तिष्क में ठूस दिया जाता है और आत्मसात् हुए बिना वहाँ आजन्म पड़ा रहकर गड़बड़ मचाया करता है। हमें उन विचारों की अनुभूति कर लेने की आवश्यकता है जो जीवन-निर्माण, मनुष्य-निर्माण तथा चरित्र-निर्माण में सहायक हों। यदि आप केवल पाँच ही परखे हुए विचार आत्मसात कर उनके अनुसार अपने जीवन और चरित्र का निर्माण कर लेते हैं तो पूरे ग्रंथालय को कंठस्थ करने वाले की अपेक्षा अधिक शिक्षित हैं। शिक्षा और आचरण अन्योन्याश्रित हैं। बिना आचरण के शिक्षा अधूरी है और बिना शिक्षा के आचरण और अंततोगत्वा ये दोनों ही अनुशासन के ही भिन्न रूप हैं।

1. जीवन-निर्माण, मनुष्य निर्माण और चरित्र निर्माण में क्या सहायक है?
(क) धर्म
(ख) जाति
(ग) धन
(घ) शिक्षा
उत्तर :
(घ) शिक्षा

2. शिक्षा और आचरण को किसका रूप माना गया है?
(क) ज्ञान का
(ख) अनुशासन का
(ग) चरित्र का
(घ) आचरण का
उत्तर :
(ख) अनुशासन का

3. बिना आचरण के क्या अधूरा है?
(क) चरित्र
(ख) ज्ञान
(ग) शिक्षा
(घ) जीवन
उत्तर :
(ग) शिक्षा

4. कौन व्यक्ति शिक्षित है?
(क) शिक्षा को आत्मसात करके जीवन में अपनाने वाला
(ख) ग्रंथ पढ़ने वाला
(ग) शास्त्रों का ज्ञाता
(घ) ग्रंथ कंठस्थ करने वाला
उत्तर :
(क) जो शिक्षा को आत्मसात करके जीवन में अपनाता है।

5. गद्यांश का उचित शीर्षक है
(क) शिक्षित व्यक्ति
(ख) चरित्र-निर्माण
(ग) मनुष्य का प्रभाव
(घ) शिक्षा और आचरण
उत्तर :
(घ) शिक्षा और आचरण

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

27. कुछ लोग भाग्यवादी होते हैं और सब-कुछ भाग्य के सहारे छोड़कर कर्म से विरत हो जाते हैं। ऐसे लोग समाज के लिए बोझ हैं। वे कभी कोई बड़ा कर्म नहीं कर पाते। बड़ी-बड़ी खोज, बड़े-बड़े आविष्कार और बड़े-बड़े निर्माण कार्य कर्मशील लोगों के द्वारा ही संभव हो सके हैं। हम अपनी बुद्धि और प्रतिभा तथा कार्य-क्षमता के बल पर सही मार्ग पर चल सकते हैं; किंतु बिना कठिन श्रम के अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकते। कठिन परिश्रम करने के बाद पाई गई सफलता हमारे मन को अलौकिक आनंद से भर देती है। यदि हम अपने कार्य में अपेक्षित श्रम नहीं करते हो हमारा मन ग्लानि का अनुभव करता है।

1. कैसे लोग समाज के लिए बोझ हैं?
(क) भाग्यहीन
(ख) भाग्यशाली
(ग) भाग्यवादी
(घ) अभागे
उत्तर :
(ग) भाग्यवादी

2. बडे-बडे कार्य करने के लिए सर्वाधिक आवश्यकता किसकी है?
(क) कर्म करने की
(ख) भाग्य की
(ग) धर्म की
(घ) लक्ष्य की
उत्तर :
(क) कर्म करने की

3. किस प्रकार के लोग समाज के लिए बोझ हैं?
(क) भाग्यशाली
(ख) कर्मशील
(ग) कर्म न करने वाले
(घ) भाग्यहीन
उत्तर :
(ग) कर्म न करने वाले

4. जीवन में बड़ी उपलब्धियाँ कैसे संभव हो सकती हैं?
(क) भाग्य पर भरोसा करने से
(ख) कर्म न करने से
(ग) पूजा-पाठ से
(घ) परिश्रम और कर्म करने से
उत्तर :
(घ) परिश्रम और कर्म करने से

5. इस गद्यांश का शीर्षक है
(क) परिश्रम और सफलता
(ख) भाग्य के भरोसे
(ग) भाग्यवादी
(घ) कर्महीन
उत्तर :
(क) परिश्रम और सफलता

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

28. मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है, आत्मनिर्भरता तथा सबसे बड़ा अवगुण है, स्वावलंबन का अभाव। स्वावलंबन सबके लिए अनिवार्य है। जीवन के मार्ग में अनेक बाधाएँ आती हैं। यदि उनके कारण हम निराश हो जाएँ, संघर्ष से जी चुराएँ या मेहनत से दूर रहें तो भला हा में सफल कैसे होंगे? अतः आवश्यक है कि हम स्वावलंबी बनें तथा अपने आत्मविश्वास को जाग्रत करके मजबूत बनें। यदि व्यक्ति स्वयं में आत्मविश्वास जाग्रत कर ले तो दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसे वह न कर सके।

स्वयं में विश्वास करने वाला व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में कामयाब होता आया है। सफलता स्वावलंबी मनुष्य के पैर छूती है। आत्मविश्वास तथा आत्मनिर्भरता से आत्मबल मिलता है जिससे आत्मा का विकास होता है तथा मनुष्य श्रेष्ठ कार्यों की ओर प्रवृत्त होता है। स्वावलंबन मानव में गुणों की प्रतिष्ठा करता है। आत्मसम्मान, आत्मविश्वास, आत्मबल, आत्मरक्षा, साहस, संतोज़, धैर्य आदि गुण स्वावलंबन के सहोदर हैं। स्वावलंबन व्यक्ति, राष्ट्र तथा मानव मात्र के जीवन में सर्वांगीण सफलता प्राप्ति का महामंत्र है।

1. मनुष्य का सबसे बड़ा गुण क्या है?
(क) परोपकार
(ख) आशावाद
(ग) ईमानदारी
(घ) आत्मनिर्भरता
उत्तर :
(घ) आत्मनिर्भरता

2. मनुष्य का सबसे बड़ा अवगुण क्या है?
(क) निराशा का अभाव
(ख) स्वावलंबन का अभाव
(ग) कर्मशील होना
(घ) परोपकारी होना
उत्तर :
(ख) स्वावलंबन का अभाव

3. हमें किनसे निराशा नहीं होना चाहिए?
(क) उन्नति से
(ख) धन से
(ग) बाधाओं से
(घ) सम्मान से
उत्तर :
(ग) बाधाओं से

4. ‘आत्मबल’ के लिए क्या आवश्यक है?
(क) ईमानदारी
(ख) परोपकार की भावना
(ग) आत्मविश्वास व आत्मनिर्भरता
(घ) स्वाभिमान
उत्तर :
(ग) आत्मविश्वास व आत्मनिर्भरता

5. उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
(क) आत्मसंयम
(ख) स्वाभिमान
(ग) स्वावलंबन का महत्व
(घ) आत्मबल
उत्तर :
(ग) स्वावलंबन का महत्व

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

29. लाखों वर्षों से मधुमक्खी जिस तरह छत्ता बनाती आई है वैसे ही बनाती है। उसमें फेर-बदल करना उसके लिए संभव नहीं है। छत्ता तो त्रुटिहीन बनता है लेकिन मधुमक्खी अपने अभ्यास के दायरे में आबद्ध रहती है। इस तरह सभी प्राणियों के संबंध में प्रकृति ने उन्हें अपने आँचल में सुरक्षित रखा है, उन्हें विपत्तियों से बचाने के लिए उनकी आंतरिक गतिशीलता को ही प्रकृति ने घटा दिया है। लेकिन सृष्टिकर्ता ने मनुष्य की रचना करने में अद्भुत साहस का परिचय दिया है। उसने मानव के अंत:करण को बाधाहीन बनाया है। हालाँकि बाह्य रूप से उसे निर्वस्त्र, निरस्त्र और दुर्बल बनाकर उसके चित्त को स्वच्छंदता प्रदान की है।

इस मुक्ति से आनंदित होकर मनुष्य कहता है-“हम असाध्य को संभव बनाएँगे।” अर्थात जो सदा से होता आया है और होता रहेगा, हम उससे संतुष्ट नहीं रहेंगे। जो कभी नहीं हुआ, वह हमारे द्वारा होगा। इसीलिए मनुष्य ने अपने इतिहास के प्रथम युग में जब प्रचंडकाय प्राणियों के भीषण नखदंतों का सामना किया तो उसने हिरण की तरह पलायन करना नहीं चाहा, न कछुए की तरह छिपना चाहा। उसने असाध्य लगने वाले कार्य को सिद्ध किया-पत्थरों को काटकर भीषणतर नखदंतों का निर्माण किया। प्राणियों के नखदंत की उन्नति केवल प्राकृतिक कारणों पर निर्भर होती है। लेकिन मनुष्य के ये नखदंत उसकी अपनी सृष्टि क्रिया से निर्मित थे।

इसलिए आगे चलकर उसने पत्थरों को छोड़कर लोहे के हथियार बनाए। इससे यह प्रमाणित होता है कि मानवीय अंत:करण संधानशील है। उसके चारों ओर जो कुछ है उस पर ही वह आसक्त नहीं हो जाता। जो उसके हाथ में नहीं है उस पर अधिकार जमाना चाहता है। पत्थर उसके सामने रखा है पर वह उससे संतुष्ट नहीं। लोहा धरती के नीचे है, मानव उसे वहाँ से बाहर निकालता है। पत्थर को घिसकर हथियार बनाना आसान है लेकिन वह लोहे को गलाकर, साँचे में ढाल-ढालकर, हथौड़े से पीटकर, सब बाधाओं को पार करके, उसे अपने अधीन बनाता है। मनुष्य के अंत:करण का धर्म यही है कि वह परिश्रम से केवल सफलता ही नहीं बल्कि आनंद भी प्राप्त करता है।

1. सभी प्राणियों को किसने अपने आँचल में सुरक्षित रखा है?
(क) पृथ्वी ने
(ख) पर्यावरण ने
(ग) प्रकृति ने
(घ) आकाश ने
उत्तर :
(ग) प्रकृति ने

2. सृष्टिकर्ता ने मनुष्य के अंतःकरण को कैसा बनाया है?
(क) बाधाहीन
(ख) बाधाओं से युक्त
(ग) परतंत्र
(घ) विवेकहीन
उत्तर :
(क) बाधाहीन

3. मनुष्य ने किसके द्वारा नखदतों का निर्माण किया?
(क) लोहे के द्वारा
(ख) लकड़ी के द्वारा
(ग) पत्थर के द्वारा
(घ) नाखूनों के द्वारा
उत्तर :
(ग) पत्थर के द्वारा

4. परिश्रम से क्या प्राप्त होता है?
(क) निराशा
(ख) दुख
(ग) इज्जत
(घ) आनंद और सफलता
उत्तर :
(घ) आनंद और सफलता

5. गद्यांश का उचित शीर्षक है
(क) बाधाहीन जीवन
(ख) सृष्टिकर्ता
(ग) संधानशील मनुष्य
(घ) अंत:करण
उत्तर :
(ग) संधानशील मनुष्य

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30. यह हमारी एकता का ही प्रमाण है कि उत्तर या दक्षिण चाहे जहाँ भी चले जाइए, आपको जगह-जगह पर एक ही संस्कृति के मंदिर दिखाई देंगे, एक ही तरह के आदमियों से मुलाकात होगी जो चंदन लगाते हैं, स्नान-पूजा करते हैं, तीर्थ-व्रत में विश्वास करते हैं अथवा जो नई रोशनी को अपना लेने के कारण इन बातों को कुछ शंका की दृष्टि से देखते हैं। उत्तर भारत के लोगों का जो स्वभाव है, जीवन को देखने की उनकी जो दृष्टि है, वही स्वभाव और वही दृष्टि दक्षिण वालों की भी है।

भाषा की दीवार के टूटते ही एक उत्तर भारतीय और एक दक्षिण भारतीय के बीच कोई भी भेद नहीं रह जाता और वे आपस में एक-दूसरे के बहुत करीब आ जाते हैं। असल में भाषा की दीवार के आर-पार बैठे हुए भी वे एक ही हैं। वे एक धर्म के अनुयायी और संस्कृति की एक ही विरासत के भागीदार हैं, उन्होंने देश की आजादी के लिए एक ही होकर लड़ाई लड़ी और आज उनकी पार्लियामेंट और शासन-विधान भी एक है। और जो बात हिंदुओं के बारे में कही जा रही है। वही बहुत दूर तक मुसलमानों के बारे में भी कही जा सकती है।

देश के सभी कोनों में बसने वाले मुसलमानों के भीतर जहाँ एक धर्म को लेकर एक तरह की आपसी एकता है। वहाँ वे संस्कृति की दृष्टि से हिंदुओं के भी बहुत करीब हैं, क्योंकि ज़्यादा मुसलमान तो ऐसे ही हैं, जिनके पूर्वज हिंदू थे और जो इस्लाम धर्म में जाने के समय अपनी हिंदू-आदतें अपने साथ ले गए। इसके सिवा अनेक सदियों तक हिंदू-मुसलमान साथ रहते आए हैं और इस लंबी संगति के फलस्वरूप उनके बीच संस्कृति और तहज़ीब की बहुत-सी सामान बातें पैदा हो गई हैं जो उन्हें दिनों-दिन आपस में नज़दीक लाती जा रही हैं।

1. लेखक भारत की एकता का कौन-सा प्रमाण प्रस्तुत करता है?
(क) जगह-जगह पर एक ही संस्कृति के मंदिर दिखाई देंगे।
(ख) एक ही तरह के आदमियों से मुलाकात होगी जो चंदन लगाते हैं, स्नान-पूजा करते हैं।
(ग) तीर्थ-व्रत में विश्वास करते हैं।
(घ) उपर्युक्त सभी विकल्प।
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त सभी विकल्प।

2. भारत और दक्षिण भारत के लोगों की कौन-सी स्वाभाविक एकता बताई गई है
(क) जीवन को देखने की दृष्टि
(ख) स्वार्थी जीवन को अपनाने की दृष्टि
(ग) केवल तीर्थ-व्रत में विश्वास करने की दृष्टि
(घ) (क) व (ख) विकल्प
उत्तर :
(क) जीवन को देखने की दृष्टि

3. किसके आर-पार बैठे हुए भी वे एक ही हैं?
(क) सीमा रेखा के आर-पार
(ख) रहन-सहन की दीवार के आर-पार
(ग) भाषा की दीवार के आर-पार
(घ) (क) व (ख) विकल्प
उत्तर :
(क) सीमा रेखा के आर-पार

4. हिंदू-मुसलमान की लंबी संगति के फलस्वरूप क्या हुआ?
(क) संस्कृति और तहज़ीब की बहुत-सी समान बातें पैदा हो गई।
(ख) बहुत-सी असमान बातें पैदा हो गई।
(ग) भाषा की दीवार बन गई।
(घ) (क) व (ख) विकल्प।
उत्तर :
(क) संस्कृति और तहज़ीब की बहुत-सी समान बातें पैदा हो गईं।

5. देश के सभी कोनों में बसने वाले मुसलमानों के भीतर किसे लेकर आपसी एकता है?
(क) कर्म को लेकर
(ख) धर्म को लेकर
(ग) व्यवसाय को लेकर
(घ) सभी विकल्प
उत्तर :
(ख) धर्म को लेकर

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

31. अहिंसा और कायरता कभी साथ नहीं चलती। मैं पूरी तरह शस्त्र-सज्जित मनुष्य के हृदय से कायर होने की कल्पना कर सकता हूँ। हथियार रखना कायरता नहीं तो डर का होना तो प्रकट करता ही है, परंतु सच्ची अहिंसा शुद्ध निर्भयता के बिना असंभव है। क्या मुझमें बहादुरों की वह अहिंसा है? केवल मेरी मृत्यु ही इसे बताएगी। अगर कोई मेरी हत्या करे और मैं मुँह से हत्यारे के लिए प्रार्थना करते हुए तथा ईश्वर का नाम जपते हुए और हृदये मंदिर में उसकी जीती-जागती उपस्थिति का भान रखते हुए मरूँ तो ही कहा जाएगा कि मझमें बहादुरों की अहिंसा थी। मेरी सारी शक्तियों के क्षीण हो जाने से अपंग बनकर मैं एक हारे हुए आदमी के रूप में नहीं मरना चाहता।

किसी हत्यारे की गोली भले मेरे जीवन का अंत कर दे, मैं उसका स्वागत करूँगा। लेकिन सबसे ज़्यादा तो मैं अंतिम श्वास तक अपना कर्तव्य-पालन करते हुए ही मरना पसंद करूंगा। मुझे शहीद होने की तमन्ना नहीं है। लेकिन अगर धर्म की रक्षा का उच्चतम कर्तव्य-पालन करते हुए मुझे शहादत मिल जाए तो मैं उसका पात्र माना जाऊँगा। भूतकाल में मेरे प्राण लेने के लिए मुझ पर अनेक बार आक्रमण किए गए हैं, परंतु आज तक भगवान ने मेरी रक्षा की है और प्राण लेने का प्रयत्न करने वाले अपने किए पर पछताए हैं। लेकिन अगर कोई आदमी यह मानकर मुझ पर गोली चलाए कि वह एक दुष्ट का खात्मा कर रहा है, तो वह एक सच्चे गांधी की हत्या नहीं करेगा, बल्कि उस गांधी की करेगा जो उसे दुष्ट दिखाई दिया था।

1. अहिंसा और कायरता के बारे में क्या कहा गया है?
(क) कभी-कभी एक साथ चलती है।
(ख) हमेशा साथ चलती है।
(ग) दोनों खतरनाक होती हैं।
(घ) कभी साथ नहीं चलती।
उत्तर :
(घ) कभी साथ नहीं चलती।

2. सच्ची अहिंसा किसके बिना असंभव है?
(क) कायरता के बिना
(ख) शुद्ध निर्भयता के बिना
(ग) ममता के बिना
(घ) शुद्ध जड़ता के बिना
उत्तर :
(ख) शुद्ध निर्भयता के बिना

3. गांधी जी किस प्रकार मरना पसंद करेंगे?
(क) कर्तव्य पालन करते हुए
(ख) शत्रु को बदले की भावना से मारते हुए
(ग) हिंसा करते हुए
(घ) सभी विकल्प
उत्तर :
(क) कर्तव्य पालन करते हुए

4. प्राण लेने का प्रयत्न करने वालों के साथ क्या हुआ है?
(क) कोई फ़र्क नहीं पड़ा है।
(ख) आंतरिक ग्लानि नहीं हुई।
(ग) अपने किए पर पछताए हैं।
(घ) कभी झुके नहीं हैं।
उत्तर :
(ग) अपने किए पर पछताए हैं।

5. किसी हत्यारे की गोली भले मेरे जीवन का अंत कर दे, मैं उसका –
(क) उसका जड़ से खात्मा करूँगा।
(ख) हृदय से स्वागत करूँगा।
(ग) उसको मिट्टी में मिला दूंगा।
(घ) मैं उसकी प्रशंसा करूँगा।
उत्तर :
(ख) हृदय से स्वागत करूँगा।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

32. उन्नीसवीं शताब्दी से पहले, मानव और पशु दोनों की आबादी भोजन की उपलब्धता तथा प्राकृतिक विपदाओं आदि के कारण सीमित रहती थी। कालांतर में जब औद्योगिक क्रांति के कारण मानव सभ्यता की समृद्धि में भारी वृद्धि हुई तब उसके परिणामस्वरूप कई पश्चिमी देश ऐसी बाधाओं से लगभग अनिवार्य रूप से मुक्त हो गए। इससे वैज्ञानिकों ने अंदाजा लगाया कि अब मानव जनसंख्या विस्फोटक रूप से बढ़ सकती है। परंतु इन देशों में परिवारों का औसत आकार घटने लगा था और जल्दी ही समृद्धि और प्रजनन के बीच एक उलटा संबंध प्रकाश में आ गया था।

जीवविज्ञानियों ने मानव समाज की तुलना जानवरों की दुनिया से कर इस संबंध को समझाने की कोशिश की और कहा कि ऐसे जानवर जिनके अधिक बच्चे होते हैं, वे अधिकतर प्रतिकूल वातावरण में रहते हैं और ये वातावरण प्रायः उनके लिए प्राकृतिक खतरों से भरे रहते हैं। चूँकि इनकी संतानों के जीवित रहने की संभावना कम होती है, इसलिए कई संतानें पैदा करने से यह संभावना बढ़ जाती है कि उनमें से कम-से-कम एक या दो जीवित रहेंगी। इसके विपरीत, जिन जानवरों के बच्चे कम होते हैं, वे स्थिर और अनुकूल वातावरण में रहते हैं।

ठीक इसी प्रकार यदि समदध वातावरण में रहने वाले लोग केवल कुछ ही बच्चे पैदा करते हैं, तो उनके ये कम बच्चे उन बच्चों को पछाड़ देंगे जिनके परिवार इतने समृद्ध नहीं थे तथा इनकी आपस की प्रतिस्पर्धा भी कम होगी। इस सिद्धांत के आलोचकों का तर्क है कि पशु और मानव व्यवहार की तुलना नहीं की जा सकती है। वे इसके बजाए यह तर्क देते हैं कि सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन इस घटना को समझाने के लिए पर्याप्त हैं। श्रम-आश्रित परिवारों में बच्चों की बड़ी संख्या एक वरदान के समान होती है।

वे जल्दी काम कर परिवार की आय बढ़ाते हैं। जैसे-जैसे समाज समृद्ध होता जाता है, वैसे-वैसे बच्चे जीवन के लगभग पहले 25-30 सालों तक शिक्षा ग्रहण करते हैं। जीवन के प्रारंभिक वर्षों में उर्वरता अधिक होती है तथा देर से विवाह के कारण संतानों की संख्या कम हो जाने की संभावना बनी रहती है।

1. निम्नलिखित में से कौन-सा ऊपर लिखित पाठ्यांश का प्राथमिक उद्देश्य है?
(क) मानव परिवारों के आकार के संबंध में दिए गए उस स्पष्टीकरण की आलोचना जो पूरी तरह से जानवरों की दुनिया से ली गई टिप्पणियों पर आधारित है।
(ख) औद्योगिक क्रांति के बाद अपेक्षित जनसंख्या विस्फोट न होने के कारणों की विवेचना।
(ग) औद्योगिक क्रांति से पहले और बाद में पर्यावरणीय प्रतिबंधों और सामाजिक दृष्टिकोण से परिवार का आकार कैसे प्रभावित हुआ, का अंतर्संबंध दर्शाना।
(घ) परिवार का आकार बढ़ी हुई समृद्धि के साथ घटता है इस तथ्य को समझने के लिए दो वैकल्पिक सिद्धांत प्रस्तुत करना।
उत्तर :
(घ) परिवार का आकार बढ़ी हुई समृद्धि के साथ घटता है इस तथ्य को समझने के लिए दो वैकल्पिक सिद्धांत प्रस्तुत करना।

2. पाठ्यांश के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सा जनसंख्या विस्फोट के विषय में सत्य है?
(क) पश्चिमी देशों में यह इसलिए नहीं हुआ क्योंकि औद्योगीकरण से प्राप्त समृद्धि ने परिवारों को बच्चों की शिक्षा की विस्तारित अवधि को वहन करने का सामर्थ्य प्रदान किया था।
(ख) यह घटना विश्व के उन क्षेत्रों तक सीमित है, जहाँ औद्योगिक क्रांति नहीं हुई है।
(ग) श्रम आधारित अर्थव्यवस्था में केवल उद्योग के आधार पर ही परिवार का आकार निर्भर रहता है।
(घ) इसकी भविष्यवाणी पश्चिमी देशों में औद्योगिक क्रांति के समय जीवित कुछ लोगों द्वारा की गई थी।
उत्तर :
(घ) इसकी भविष्यवाणी पश्चिमी देशों में औद्योगिक क्रांति के समय जीवित कुछ लोगों द्वारा की गई थी।

3. अंतिम अनुच्छेद निम्नलिखित में कौन-सा कार्य करता है?
(क) यह पहले अनुच्छेद से वर्णित घटना के लिए एक वैकल्पिक स्पष्टीकरण प्रस्तुत करता है।
(ख) यह दूसरे अनुच्छेद में प्रस्तुत स्पष्टीकरण की आलोचना करता है।
(ग) यह वर्णन करता है कि समाज के समृद्ध होने के साथ सामाजिक दृष्टिकोण कैसे बदलते हैं।
(घ) यह दूसरे अनुच्छेद में प्रस्तुत घटना की व्याख्या करता है।
उत्तर :
(क) यह पहले अनुच्छेद में वर्णित घटना के लिए एक वैकल्पिक स्पष्टीकरण प्रस्तुत करता है।

4. पाठ्यांश में निम्नलिखित में से किसका उल्लेख औद्योगिक देशों में औसत परिवार का आकार हाल ही में गिरने के एक संभावित कारण के रूप में नहीं किया गया है?
(क) शिक्षा की विस्तारित अवधि।
(ख) पहले की अपेक्षा देरी से विवाह करना।
(ग) बदल हुआ सामाजिक दृष्टिकोण।
(घ) औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं में मजदूरों की बढ़ती माँग।
उत्तर :
(घ) औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं में मजदूरों की बढ़ती माँग।

5. पाठ्यांश में दी गई कौन-सी जानकारी बताती है कि निम्नलिखित में से किस जानवर के कई बच्चे होने की संभावना है
(क) एक विशाल शाकाहारी जो घास के मैदान में रहता है और अपनी संतानों की भरसक सुरक्षा करता है।
(ख) एक सर्वभक्षी जिसकी आबादी कई छोटे द्वीपों तक सीमित है और जिसे मानव अतिक्रमण से खतरा है।
(ग) एक मांसाहारी जिसका कोई प्राकृतिक शिकारी नहीं है, लेकिन उसे भोजन की आपति बनाए रखने के लिए लंबी दरी तय करनी पड़ती है।
(घ) एक ऐसा जीव जो मैदानों और झीलों में कई प्राणियों का शिकार बनता है।
उत्तर :
(घ) एक ऐसा जीव जो मैदानों और झीलों में कई प्राणियों का शिकार बनता है।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

33. विज्ञान-शिक्षण के पक्षधरों ने कल्पना की थी कि शिक्षा में इसकी शुरुआत पारंपरिकता, कृत्रिमता और पिछड़ेपन को दूर करेगी। यह सोच पुराने समय से चली आ रही-‘तथ्य प्रचुर पाठ्यचर्या’ जिसके अंतर्गत- आलोचना, चुनौती, सृजनात्मकता व विवेचनात्मकता का अभाव था, आदि के कारण पैदा हो रही थी। मानवतावादियों ने सोचा था कि वैज्ञानिक-पद्धति मध्यकालीन मतवाद के अंधविश्वासों को जड़ से मिटा देगी।

किंतु हमारे शिक्षकों ने रासायनिक प्रतिक्रियाओं की समझ को भी प्रेमचंद की कहानियों की तरह केवल पढ़ा व रटाकर उन्हें नीरस बना दिया। शिक्षा में विज्ञान-शिक्षण सम्मिलित करने के लिए यह तर्क दिया गया था कि इससे बच्चे विज्ञान की खोजों से परिचित हो सकेंगे तथा अपने वास्तविक जीवन में घट रही घटनाओं के बारे में कुछ सीखेंगे। वे वैज्ञानिक विधि का अध्ययन कर तार्किक रूप से कैसे सोचना है, के कौशल में पारंगत होंगे। इन उद्देश्यों में से केवल पहले ही में एक सीमित सफलता मिली है।

दूसरे व तीसरे में व्यावहारिक रूप से बच्चे कुछ भी नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं। अधिकतर बच्चों से भौतिकी और रसायन विज्ञान के तथ्यों के बारे में कुछ जानने की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन वे शायद ही जानते हों कि उनका कंप्यूटर अथवा कार का इंजन कैसे कार्य करते हैं अथवा क्यों उनकी माता जी सब्जी पकाने के लिए उसे छोटे टुकड़ों में काटती हैं जबकि वैज्ञानिक पद्धति में रुचि रखने वाले किसी भी उज्ज्वल लड़के को ये बातें सहज रूप से ही ज्ञात हो जाती हैं।

वैज्ञानिक पद्धति की शिक्षा अधिकांश विद्यालयों में भली प्रकार से नहीं दी जा रही है। दरअसल, शिक्षकों ने अपनी सुविधा और परीक्षा केंद्रित सोच के कारण, यह सुनिश्चित कर लिया है कि छात्र वैज्ञानिक पद्धति न सीख कर ठीक इसका उलटा सीखें, अर्थात वे जो बताएँ, उस पर आँख मूंद कर विश्वास करें और पूछे जाने पर उसे जस का तस परीक्षा में लिख दें।

वैज्ञानिक पद्धति को आत्मसात करने के लिए लंबे व्यक्तिगत अनुभव तथा परिश्रम व धैर्य पर आधारित वैज्ञानिक मूल्यों की आवश्यकता होती है और जब तक इसे संभव बनाने के लिए शैक्षिक या सामाजिक प्रणालियों को बदल नहीं दिया जाता है, वैज्ञानिक तकनीकों में सक्षम केवल कुछ बच्चे ही सामने आएँगे तथा इन तकनीकों को आगे विकसित करने वालों की संख्या इसका भी अंश मात्र ही होगी।

1. लेखक का तात्पर्य है कि शिक्षकों ने
(क) अपने सीमित ज्ञान के कारण विज्ञान पढ़ाने में रुचि नहीं ली है।
(ख) विज्ञान शिक्षा को लागू करने के प्रयासों को विफल किया है।
(ग) बच्चों को अनुभव आधारित ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया है।
(घ) मानवतावादियों का समर्थन करते हुए कार्य किया है।
उत्तर :
(ख) विज्ञान शिक्षा को लागू करने के प्रयासों को विफल किया है।

2. स्कूल शिक्षा में विज्ञान शिक्षण के प्रति लेखक का क्या रवैया है?
(क) तटस्थ
(ख) सकारात्मक
(ग) व्यंग्यात्मक
(घ) नकारात्मक
उत्तर :
(घ) नकारात्मक

3. उपर्युक्त पाठ्यांश निम्नलिखित में से किस वशक में लिखा गया होगा?
(क) 1950-60
(ख) 1970-80
(ग) 1980-90
(घ) 2000-10
उत्तर :
(क) 1950-60

4. लेखक वैज्ञानिक पद्धति को लागू करने में विफलता के लिए निम्नलिखित किस कारक को सबसे अधिक जिम्मेदार ठहराता है?
(क) शिक्षक
(ख) परीक्षा के तरीके
(ग) प्रत्यक्ष अनुभव की कमी
(घ) सामाजिक और शिक्षा-प्रणाली
उत्तर :
(ग) प्रत्यक्ष अनुभव की कमी

5. यदि लेखक वर्तमान समय में आकर विज्ञान-शिक्षण का प्रभाव सुनिश्चित करना चाहे तो निम्नलिखित में से किस प्रश्न के उत्तर में दिलचस्पी लेगा?
(क) क्या छात्र दुनिया के बारे में अधिक जानते हैं?
(ख) क्या छात्र प्रयोगशालाओं में अधिक समय बिताते हैं?
(ग) क्या छात्र अपने ज्ञान को तार्किक रूप से लागू कर सकते हैं?
(घ) क्या पाठ्यपुस्तकों में तथ्याधारित सामग्री बढ़ी है?
उत्तर :
(ग) क्या छात्र अपने ज्ञान को तार्किक रूप से लागू कर सकते हैं?

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भारत – स्थिति

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भारत – स्थिति Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भारत – स्थिति

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple choice questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. भारत के विस्तार के संबंध में कौन-सा कथन सही है?
(A) 8°4 N-35° 5’N
(B) 8°4′ N-37° 6’N
(C) 8°4′ N-37° 5’N
(D) 6°45′ N-35° 6’N
उत्तर:
(B) 8°4N-37°6’N

2. भारत के साथ किस देश की स्थल सीमा सबसे लम्बी है?
(A) बांग्ला देश
(B) पाकिस्तान
(C) चीन
(D) म्यानमार।
उत्तर:
(A) बांग्ला देश।

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3. कौन-सा देश भारत से अधिक बड़ा है?
(A) चीन
(B) फ्रांस
(C) मिस्त्र
(D) ईरान।
उत्तर:
(A) चीन।

4. भारत की प्रामाणिक देशांतर रेखा कौन-सी है?
(A) 60° 30’E
(B) 75° 30’E
(C) 82° 30’E
(D) 90° 30’E
उत्तर:
(C) 82° 30’E.

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न-निम्नलिखित प्रश्नों का लगभग 30 शब्दों में उत्तर दो
प्रश्न 1.
क्या भारत को एक से अधिक मानक समय की आवश्यकता है? यदि हां तो आप ऐसा क्यों सोचते हैं?
उत्तर:
भारत एक विशाल देश है जिसका देशान्तरीय विस्तार 29° है। (68° से 97° पूर्व)। भारत में केवल एक ही प्रामाणिक रेखा (\(82 \frac{1}{2}^{\circ}\)पूर्व) है। यह भारत के मध्य में से गुज़रती है। कई देशों में एक से अधिक प्रामाणिक देशान्तर रेखाएं हैं क्योंकि उनका विस्तार अधिक है।

प्रायः 15° अक्षांश के पश्चात् एक प्रामाणिक देशान्तर रेखा होती है। भारत में विस्तार की दृष्टि से दो प्रामाणिक देशान्तर रेखाएं होनी चाहिए। भारत के पूर्वी तथा पश्चिमी भागों में दो घण्टे के समय का अन्तर है। यदि 75° देशान्तर (पश्चिमी भाग) में हो तथा 90° देशान्तर (पूर्वी भाग) में हो तो यह समय का अन्तर कम हो सकता है।

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प्रश्न 2.
भारत की लम्बी तट रेखा के क्या प्रभाव हैं?
उत्तर:

  1. भारत की लम्बी तट रेखा उत्तम तथा सुरक्षित बन्दरगाहें प्रदान करती है।
  2. लम्बी तट रेखा के कारण भारत का मत्स्य क्षेत्र विशाल है।
  3. लम्बी तट रेखा के कारण भारत का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार अधिक है।
  4. इस लम्बी तट रेखा (7517 कि० मी० लम्बी) पर विभिन्न प्रकार के संसाधन मिलते हैं।
  5. इस तट रेखा पर कई बन्दरगाहों पर जलयान निर्माण केन्द्र स्थित हैं।

प्रश्न 3.
भारत का देशान्तरीय फैलाव इसके लिए किस प्रकार लाभप्रद है?
उत्तर:
भारत का पूर्व-पश्चिम देशान्तरीय विस्तार 30° है। इसके प्रभाव से भारत के पूर्वी भाग (अरुणाचल प्रदेश) तथा पश्चिमी भाग (गुजरात) के समय में दो घण्टे (30° x 4 = 120 मिनट) का अन्तर मिलता है। इससे भारत की विशालता का पता चलता है। इतने विशाल क्षेत्र के लिए भारत में एक मानक रेखां \(\)प\frac{1}{2}^{\circ}\(\)प E ली जाती है तथा भारत में पूर्वी-पश्चिमी भागों के समय में अधिक अन्तर नहीं होता।

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प्रश्न 4.
जबकि पूर्व में नागालैंड में सूर्य पहले उदय होता है और पहले ही अस्त होता है, फिर कोहिमा और नई दिल्ली में घड़ियां एक ही समय क्यों दिखाती हैं?
उत्तर:
किसी स्थान का स्थानिक समय सूर्य की ऊंचाई से सम्बन्धित है। दोपहर के समय वहां की घडियों में 12 बजे का समय होता है। परन्तु प्रामाणिक समय एक मानक देशान्तरीय रेखा के समय से लिया जाता है जो सारे देश में समान होता है। यह समय इलाहाबाद के निकट 82°E देशान्तर से लिया जाता है। यद्यपि कोहिमा तथा नई दिल्ली में सूर्य की ऊंचाई भिन्न होती है तथा स्थानिक समय (Local Time) भिन्न होता है, परन्तु इन दोनों नगरों का प्रामाणिक समय एक समान होता है तथा घड़ियों में एक ही समय होता है।

(ग) क्रिया कलाप
(Project Work)

प्रश्न 1.
एक ग्राफ पेपर पर मध्य प्रदेश, कर्नाटक, मेघालय, गोवा, केरल तथा ह रियाणा के जिलों की संख्या को आलेखित करें। क्या जिलों की संख्या का राज्यों के क्षेत्रफल से कोई सम्बन्ध है?
उत्तर:
क्रम सं०
राज्य जिलों की संख्या क्षेत्रफल (वर्ग कि० मी०) मध्य प्रदेश3,08,000 कर्नाटक

राज्य ज़िलों की संख्या क्षेत्रफल ( वर्ग कि० मी०)
1. मध्य प्रदेश 45 1,91,791
2. कर्नाटक 28 22,429
3. मेघालय 7 3,702
4. गोवा 2 38,863
5. केरल 14 44,212
6. हरियाणा 19 3,08,000

जिन राज्यों के जिलों की संख्या अधिक है वहां कुल क्षेत्रफल अधिक है, तथा प्रत्येक जिले का औसत क्षेत्रफल अधिक है। परन्तु जिन राज्यों में जिलों की संख्या कम है वहां क्षेत्रफल भी कम है।

प्रश्न 2.
उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा तथा राजस्थान में कौनसा सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला तथा कौन-सा न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला राज्य है?
उत्तर:
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प्रश्न 3.
तटीय सीमाओं से संलग्न राज्यों की पहचान कीजिए।
उत्तर:

  1. पश्चिमी तट पर स्थित राज्य-गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल।
  2. पूर्वी तट पर स्थित राज्य-तमिलनाडु, आन्ध्रप्रदेश, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल।

प्रश्न 4.
पश्चिम से पूर्व की ओर स्थलीय सीमा वाले राज्यों का क्रम तैयार करें।
उत्तर:
राजस्थान, पंजाब, जम्मू-कश्मीर (केन्द्र शासित), लद्दाख (केन्द्र शासित), हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार, सिक्किम, मेघालय, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मिज़ोरम। इस प्रकार देश में 20 राज्यों की स्थलीय सीमाएं हैं। जिसमें दो केन्द्र शासित राज्य हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भारत – स्थिति

प्रश्न 5.
उन केन्द्र प्रशासित क्षेत्रों की सूची बनाइए जिनकी स्थिति तटवर्ती है।
उत्तर:

  1. दमन-दीव
  2. दादर-नगर हवेली
  3. लक्षद्वीप
  4. पुड्डूचेरी
  5. अण्डमान निकोबार द्वीप समूह।

प्रश्न 6.
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली तथा अण्डमान निकोबार द्वीप समूह के क्षेत्रफल और जनसंख्या में अन्तर की व्याख्या आप किस प्रकार करेंगे?
उत्तर:

प्रदेश क्षेत्रफल (वर्ग कि० मी०) जनसंख्या जनसंख्या घनत्व व्यक्ति प्रति व० कि० मी०
1. दिल्ली 1483 1,67,53,235 11,297
2. अण्डमान निकोबार 8249 3,79,944 46

दिल्ली राजधानी क्षेत्र में जनसंख्या अण्डमान निकोबार की तुलना में लगभग 44.6 गुणा अधिक है तथा जनसंख्या घनत्व 245 गुणा अधिक है। परन्तु अण्डमान निकोबार द्वीप समूह में दिल्ली की तुलना में क्षेत्रफल 6 गुणा अधिक है।

प्रश्न 7.
एक ग्राफ पेपर पर दंड आरेख द्वारा केन्द्र शासित क्षेत्रों के क्षेत्रफल व जनसंख्या को आलेखित कीजिए।
JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भारत – स्थिति 12

भारत – स्थिति  JAC Class 11 Geography Notes

→ स्थिति (Location): भारतीय उपमहाद्वीप उत्तरी गोलार्द्ध के उष्णकटिबन्धीय क्षेत्र में स्थित है। यह एक स्वतन्त्र धरातलीय भू-भाग है तथा एशिया की मुख्य भूमि से अलग होता है। उत्तर में पर्वतीय दीवार इसे विशेष चरित्र प्रदान करती है।

→ देश (Countries): भारतीय उप-महाद्वीप में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, अफगानिस्तान, श्रीलंका तथा मालदीव शामिल हैं। इन्हें SAARC देश कहते हैं।

→ विस्तार (Extent): भारतीय उपमहाद्वीप 8°4′ उत्तर से 37°6′ उत्तर अक्षांश तथा 68° 7′ पूर्व से 97° 25′ पूर्व देशान्तर तक फैला हुआ है। कर्क रेखा भारत के मध्य से गुज़रती है।

→ आकार (Size): भारत का कुल क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किलोमीटर, पाकिस्तान-7,96,095 वर्ग किलोमीटर तथा बांग्लादेश का क्षेत्रफल 1,48, 393 वर्ग किलोमीटर है। भारत विश्व में सातवां बड़ा देश है। यह त्रिकोणी |
आकार का देश है। इसकी पूर्व से पश्चिम तक 2933 किलोमीटर लम्बाई तथा उत्तर-दक्षिण तक 3214। किलोमीटर लम्बाई है।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भारत – स्थिति

→ प्रामाणिक समय (Standard Time): 82° पूर्व देशान्तर इलाहाबाद तथा मिर्जापुर नगरों के मध्य से गुजरती है जहां से भारत का प्रामाणिक समय मापा जाता है। पाकिस्तान में 75° पूर्व तथा बांग्लादेश में 90° , पूर्व देशान्तर से प्रामाणिक समय मापा जाता है। भारत का प्रामाणिक समय ब्रिटेन से 5- घण्टे आगे है। यह समय | पाकिस्तान से – घण्टे आगे तथा बांग्लादेश से – घण्टे पीछे है।

→ सीमाएं (Frontiers): कन्याकुमारी (8° 04′ उत्तर) भारतीय स्थल भूमि का सबसे दक्षिणी छोर है। इन्दिरा प्वाईंट (6° 04′ उत्तर) (निकोबार द्वीप) भारत का सबसे दक्षिणी छोर है। भारत की स्थल सीमा 15,200 | किलोमीटर तथा तट रेखा 7,516 किलोमीटर लम्बी है। उत्तर में मैक्मोहन लाइन भारत तथा चीन के मध्य सीमा। बनाती है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में पाक सट्रेट (भारत तथा श्रीलंका के मध्य) तथा पश्चिम में। राजस्थान इसके पड़ोसी देशों के साथ सीमा बनाता है।

→ हिन्द महासागर (Indian Ocean): भारत हिन्द महासागर के शीर्ष पर 80° पूर्व उत्तर देशांतर में कन्याकुमारी के साथ स्थित है। भारत हिन्द महासागर के मध्य केन्द्रीय स्थिति रखता है। भारत का दक्षिण-पश्चिम एशिया, अफ्रीका, पूर्वी एशिया, यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका से स्वेज नहर द्वारा सम्पर्क स्थापित है।
JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भारत – स्थिति 1
→ राजनीतिक विभाग (Political Division): भारत में 28 राज्य तथा 9 केन्द्र प्रशासित प्रदेश हैं। राजस्थान । सबसे बड़ा राज्य तथा गोआ सबसे छोटा राज्य है। (क्षेत्रफल के आधार पर) 2000 ई० में चार नये राज्यों का निर्माण हुआ-उत्तराखण्ड, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ तथा तेलंगाना।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 1 भारत – स्थिति 10

केन्द्र प्रशासित प्रदेश

राज्य/ केन्द्र प्रशासित प्रदेश क्षेत्रफल वर्ग किलोमीटर जनसंख्या राजधानी
1.   अण्डमान तथा निकोबार द्वीप 8249 3,79,944 पोर्ट ब्लेयर
2.   चण्डीगढ़ 114 10,54,686 चण्डीगढ़
3.   दादरा तथा नगर हवेली 491 342,853 सिलवासा
4.   दमन तथा दियू 112 2,42,911 दमन
5.   लक्षद्वीप 32 64,429 कावारती
6.   पाण्डिचेरी 480 12,44,464 पाण्डिचेरी
7.   दिल्ली सम्पूर्ण भारत 1,483 1,67,53,235 दिल्ली
8.   जम्मू-कश्मीर 32,87,263 1,21,01,93,422 नई दिल्ली
9.   लद्दाख 125535 12267032 श्रीनगर

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Vyakaran रचना के आधार पर वाक्य-भेद Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Vyakaran रचना के आधार पर वाक्य-भेद

प्रश्न 1.
वाक्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :
एक विचार को पूर्णता से प्रकट करने वाले क्रमबद्ध सार्थक शब्द-समूह को वाक्य कहते हैं; जैसे-अशोक पुस्तक पढ़ता है। राम दिल्ली गया है। एक वाक्य में कम-से-कम दो शब्द-कर्ता और क्रिया अवश्य होने चाहिए, लेकिन वार्तालाप की स्थिति में कभी-कभी एक शब्द भी पूरे वाक्य का काम कर जाता है; जैसे –
आप कहाँ गए थे?
दिल्ली।
बीमार कौन है?
माता जी।

रचना की दृष्टि से वाक्य-भेद

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद 1

प्रश्न 2.
सरल वाक्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :
सरल वाक्य स्वतंत्र रूप से प्रयुक्त होने वाला उपवाक्य है। इसमें एक उद्देश्य, एक विधेय और एक ही समापिका क्रिया होती है। इसमें कर्ता, कर्म, पूरक, क्रिया और क्रिया-विशेषण में से कुछ घटकों का योग होता है; जैसे –

  • नकुल हँसता है।
  • रजत रुचि का छोटा भाई है।
  • आप क्या लेंगे?
  • पापा के द्वारा समझाने पर भी वह नहीं मानी।
  • आप खाना खाकर सो जाइए।
  • शाम होते ही पिताजी वापस आ गए।
  • रीना रो-रो कर बेहाल हो रही थी।
  • आँधी आते ही टैंट उड़ गया था।
  • आद्या थोड़ी देर चुप रहकर बोली।
  • मैंने उसे खाना खिलाकर सुला दिया है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

प्रश्न 3.
संयुक्त वाक्य किसे कहते हैं ?
उत्तर :
जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य स्वतंत्र रूप में समुच्चयबोधक अथवा योजक द्वारा मिले हुए हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं; जैसे –

  • अशोक पुस्तक पढ़ता है, परंतु शीला नहीं पढ़ती।
  • अशोक पुस्तक पढ़ता है और शीला लेख लिख रही है।
  • आप चाय पीएँगे या आपके लिए ठंडा लाऊँ।
  • हम लोग घूमने गए और वहाँ चार दिन रहे।
  • मम्मी बीमार थी इसलिए बाज़ार नहीं गई।
  • भीड़ ने आग लगाई और पत्थर बरसाने आरंभ कर दिए।
  • वह मंडी गई और ढेरों फल खरीद लाई।
  • वह मोटा है पर तेज़ भागता है।
  • रुचि बाज़ार गई लेकिन कपड़े खरीदना भूल गई।
  • अमृता ने समझाया और रघू मान गया।
  • उसने परिश्रम किया और सफलता प्राप्त कर ली।

प्रश्न 4.
मिश्र वाक्य किसे कहते हैं?
उत्तर :
जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य हो और एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हों, उसे मिश्रित वाक्य कहा जाता है। मिश्रित वाक्य में उपवाक्य परस्पर व्याधिकरण योजकों; कि, यदि, अगर, तो, तथापि, यद्यपि इसलिए आदि; से जुड़े होते हैं। जैसे –

  • खाने – पीने का मतलब है कि मनुष्य स्वस्थ बने।
  • खाने – पीने का मतलब है-स्वतंत्र या प्रधान उपवाक्य।
  • कि – समुच्चयबोधक या योजक।
  • मनुष्य स्वस्थ बने – आश्रित उपवाक्य।

अन्य उदाहरण –

  • जब बाघ और शिकारी घात लगाकर निकलते हैं तब उनकी शक्ल देखने लायक होती है।
  • जो अपने वचन का पालन नहीं करता, वह विश्वास खो बैठता है।
  • जैसे ही मैं घर पहुँचा वैसे ही आँधी आ गई थी।
  • मैंने एक औरत देखी जो बहुत ठिगनी थी।
  • जैसे ही सिपाही पहुँचा वैसे ही गुंडे भाग गए।
  • मुझे एक बच्चा मिला जो बहुत दुबला-पतला था।
  • जब भूकंप आया तब अनेक इमारतें गिर गईं।
  • यद्यपि वह अच्छी टीम थी तथापि इनके सामने टिक नहीं पाई।
  • यह वही लड़की है जिसने आम तोड़े थे।
  • जैसे ही नेताजी पधारे वैसे ही स्वागत गान आरंभ हो गया।

मिश्र वाक्य में आने वाले आश्रित वाक्य तीन प्रकार के होते हैं –

1. संज्ञा उपवाक्य – मुख्य अथवा प्रधान उपवाक्य की किसी संज्ञा या संज्ञा पदबंध के बदले आने वाला उपवाक्य संज्ञा उपवाक्य कहलाता है। जैसे –

  • राकेश बोला कि मैं लखनऊ जा रहा हूँ।
  • यहाँ ‘मैं लखनऊ जा रहा हूँ’ उपवाक्य, प्रधान वाक्य ‘राकेश बोला’ क्रिया के कर्म के रूप में प्रयुक्त हुआ है। अत: यह संज्ञा उपवाक्य है।
  • मेरे जीवन का मूल उद्देश्य है कि मैं विद्या प्राप्त करूँ।
  • संज्ञा वाक्य के आरंभ में ‘कि’ योजक का प्रयोग होता है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

2. विशेषण उपवाक्य – मुख्य या प्रधान उपवाक्य के किसी संज्ञा या सर्वनाम शब्द की विशेषता बताने वाला उपवाक्य विशेषण उपवाक्य कहलाता है। जैसे –

  • मैंने एक भिखारी देखा जो बहुत भूखा-प्यासा था।
  • जो व्यक्ति सच्चरित्र होता है, उसे सभी चाहते हैं।

3. क्रिया-विशेषण उपवाक्य – मुख्य अथवा प्रधान उपवाक्य की क्रिया के संबंध में किसी प्रकार की सूचना देने वाला उपवाक्य
क्रिया – विशेषण उपवाक्य कहा जाता है। जैसे –
क्रिया – विशेषण उपवाक्य पाँच प्रकार के होते हैं –
(i) कालवाची उपवाक्य –

  • ज्योंही मैं स्टेशन पहुँचा, त्योंही गाड़ी ने सीटी बजाई।
  • जब पानी बरस रहा था, तब मैं घर के भीतर था।

(ii) स्थानवाची उपवाक्य –

  • जहाँ तुम पढ़ते थे वहीं मैं पढ़ता था।
  • जिधर तुम जा रहे हो, उधर आगे रास्ता बंद है।

(iii) रीतिवाची उपवाक्य –

  • मैंने वैसे ही किया है जैसे आपने बताया था।
  • वह उसी प्रकार खेलता है जैसा उसके कोच सिखाते हैं।

(iv) परिणामवाची उपवाक्य

  • जैसे आमदनी बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे महँगाई बढ़ती जाती है।
  • तुम जितना पढ़ोगे उतना ही तुम्हारा लाभ होगा।

(v) परिमाणवाची (कार्य-कारिणी) उपवाक्य –

  • वह जाएगा ज़रूर क्योंकि उसका साक्षात्कार है।
  • यदि मैंने पढ़ा होता तो अवश्य उत्तीर्ण हो गया होता।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में उपवाक्य अलग करके उनके नाम लिखिए –
(क) गीता में कहा गया है कि कर्म ही मनुष्य का अधिकार है।
(ख) वीर सैनिकों ने ललकार कर कहा कि प्राण रहते शत्रु को नगर में नहीं घुसने देंगे।
(ग) समाज को एक सूत्र में बद्ध करने के लिए न्याय यह है कि सबको अपना काम करने की स्वतंत्रता मिले ताकि किसी को शिकायत करने का मौका न हो।
(घ) आज लोगों के मन में यही एक बात समा रही है कि जहाँ तक हो सके शीघ्र ही शत्रुओं से बदला लेना चाहिए। (ङ) सब जानते हैं, ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया है।
(च) हमारे खिलाड़ी कल मुंबई पहुंचेंगे और परसों पहला मैच खेलेंगे, जिसे हज़ारों दर्शक देखेंगे।
(छ) कल हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव है, जिसमें अनेक प्रकार के कार्यक्रम होंगे।
(ज) मेरी आकाँक्षा है कि मैं एक सफल शिक्षक बनूँ, क्योंकि आज देश को योग्य शिक्षकों की जरूरत है।
(झ) जासूस को अपराधियों का भेद लगाना था, इसलिए वह उनके पास ठहर गया।
(ब) मैं जानता हूँ कि वह तुम्हारा भाई है।
(ट) मैं पढ़ रहा हूँ और वह सो रहा है।
(ठ) जब वह यहाँ आया, मैं सो रहा था।
(ड) वह आदमी जो कल यहाँ आया था, मेरा मित्र है।
(ढ) जब भी मैं वहाँ गया, उसने मेरा सत्कार किया।
(ण) जो छात्र परिश्रमी होता है, वह सभी को अच्छा लगता है।
(त) मैंने एक व्यक्ति देखा जो बहुत लंबा था।
(थ) मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं डॉक्टर बनें।
(द) मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं इंजीनियर बनूं।
(ध) उसने कहा कि मैं कल आगरा जाऊँगा।
(न) रमेश ने कहा कि मैं आज विद्यालय नहीं जाऊँगा।
उत्तर :
(क) (i) गीता में कहा गया है – प्रधान उपवाक्य।
(ii) कर्म पर ही मनुष्य का अधिकार है – आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद – मिश्रित वाक्य।

(ख) (i) वीर सैनिकों ने ललकार कर कहा – प्रधान उपवाक्य ।
(ii) प्राण रहते शत्रु को नगर में नहीं घुसने देंगे – आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद – मिश्रित वाक्य।

(ग) (i) समाज को एक सूत्र में बद्ध करने के लिए न्याय यह है – प्रधान उपवाक्य।
(ii) सबको अपना काम करने की स्वतंत्रता मिले – आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) किसी को शिकायत करने का मौका न मिले – आश्रित क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(iv) वाक्य-भेद – मिश्रित वाक्य।

(घ) (i) आज लोगों के मन में यही बात समा रही है – प्रधान उपवाक्य।
(ii) जहाँ तक हो सके शीघ्र ही शत्रुओं से बदला लेना चाहिए – आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद – मिश्रित वाक्य।

(ङ) (i) सब जानते हैं-प्रधान उपवाक्य।
(ii) ताजमहल शाहजहाँ ने बनवाया था-आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(च) (i) हमारे खिलाड़ी कल मुंबई पहुँचेंगे-प्रधान उपवाक्य।
(ii) (वे) परसों पहला मैच खेलेंगे-समानाधिकरण उपवाक्य।
(iii) जिसे हज़ारों दर्शक देखेंगे-आश्रित विशेषण उपवाक्य।
(iv) वाक्य-भेद-संयुक्त वाक्य।

(छ) (i) कल हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव है-प्रधान उपवाक्य।
(ii) जिसमें अनेक प्रकार के कार्यक्रम होंगे-आश्रित विशेषण उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(ज) (i) मेरी आकाँक्षा है-प्रधान उपवाक्य।
(ii) मैं एक सफल शिक्षक बनूं-आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) आज देश को योग्य शिक्षकों की ज़रूरत है-आश्रित क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(iv) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(झ) (i) जासूस को अपराधियों का भेद लेना था-प्रधान उपवाक्य।
(ii) वह उसके पास ठहर गया-समानाधिकरण-उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-संयुक्त वाक्य।

(ञ) (i) मैं जानता हूँ-प्रधान उपवाक्य।
(ii) वह तुम्हारा भाई है-आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(ट) (i) मैं पढ़ रहा हूँ-प्रधान उपवाक्य।
(ii) वह सो रहा है-समानाधिकरण-उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-संयुक्त वाक्य।

(ठ) (i) मैं सो रहा था-प्रधान उपवाक्य।
(ii) जब वह यहाँ आया-आश्रित क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(ड) (i) वह आदमी मेरा मित्र है-प्रधान वाक्य।
(ii) जो कल यहाँ आया था-आश्रित क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित उपवाक्य।

(ढ) (i) उसने मेरा सत्कार किया-प्रधान उपवाक्य।
(ii) जब भी मैं वहाँ गया-आश्रित क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित उपवाक्य।

(ण) (i) वह सभी को अच्छा लगता है-प्रधान उपवाक्य।
(ii) जो छात्र परिश्रमी होता है-आश्रित क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित उपवाक्य।

(त) (i) मैंने एक व्यक्ति देखा-प्रधान वाक्य।
(ii) जो बहुत लंबा था-आश्रित क्रिया-विशेषण उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(थ) (i) मेरे जीवन का लक्ष्य है-प्रधान उपवाक्य।
(ii) मैं डॉक्टर बनूं-आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(द) (i) मेरे जीवन का लक्ष्य है-प्रधान उपवाक्य।
(ii) मैं इंजीनियर बनूं-आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

(ध) (i) उसने कहा-प्रधान उपवाक्य
(ii) मैं कल आगरा जाऊँगा-आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-प्रधान उपवाक्य।

(न) (i) रमेश ने कहा-प्रधान उपवाक्य।
(ii) मैं आज विद्यालय नहीं जाऊँगा-आश्रित संज्ञा उपवाक्य।
(iii) वाक्य-भेद-मिश्रित वाक्य।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

प्रश्न 6.
कोष्ठक में दिए गए निर्देशों के अनुसार वाक्यों में उचित परिवर्तन कीजिए –
(क) रमा को पुस्तक खरीदनी थी, इसलिए बाज़ार गई। (सरल वाक्य)
(ख) कल फूलपुर में मेला है और हम वहाँ जाएँगे। (साधारण वाक्य)
(ग) झाड़ियों के पीछे छिपकर बैठी बिल्ली कुत्ते के जाने की प्रतीक्षा करने लगी। (संयुक्त वाक्य)
(घ) आज अंदर बैठकर देर तक बातें करें। (संयुक्त वाक्य)
(ङ) सुबह पहली बस पकड़ो और शाम तक लौट आओ। (सरल वाक्य)
(च) मैंने उस व्यक्ति को देखा जो पीड़ा से कराह रहा था। (साधारण वाक्य)
(छ) उसने नौकरी के लिए प्रार्थना-पत्र लिखा। (मिश्र वाक्य)
(ज) दिन-रात मेहनत करने वालों को सोच-समझकर खर्च करना चाहिए। (मिश्रित वाक्य)
(झ) मैंने उस बच्चे को देखा जो स्कूटर चला रहा था। (सरल वाक्य)
(ञ) वहाँ एक गाँव था। वह गाँव बहुत बड़ा था। वह गाँव चारों ओर जंगल से घिरा था। उस गाँव में आदिवासियों के परिवार रहते थे। (सरल वाक्य)
(ट) मज़दूर खूब मेहनत करता है परंतु उसे उसका लाभ नहीं मिलता। (सरल वाक्य)
(ठ) मैंने एक दुबले-पतले व्यक्ति को भीख माँगते देखा। (मिश्र वाक्य)
(ड) जो व्यक्ति परिश्रम करते हैं, उन्हें अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता। (सरल वाक्य)
(ढ) मेरा विचार है कि आज घूमने चलें। (सरल वाक्य)
(ण) मैंने उसे पढ़ाकर नौकरी दिलवाई। (संयुक्त वाक्य)
(त) वह फल खरीदने के लिए बाज़ार गया। (मिश्र वाक्य)
(थ) तुम बस रुकने के स्थान पर चले जाओ। (मिश्र वाक्य)
(द) शशि गा रही है और नाच रही है। (सरल वाक्य)
(ध) अध्यापक अपने शिष्यों को अच्छा बनाना चाहते हैं। (मिश्रित वाक्य)
(न) बालिकाएँ गा रही हैं और नाच रही हैं। (सरल वाक्य)
उत्तर :
(क) रमा पुस्तकें खरीदने के लिए बाजार गई।
(ख) कल हम फूलपुर के मेले में जाएंगे।
(ग) बिल्ली झाड़ियों के पीछे छिपकर बैठ गई और कुत्ते के जाने की प्रतीक्षा करने लगी।
(घ) आज अंदर बैठें और देर तक बातें करें।
(ङ) सुबह पहली बस पकड़कर शाम तक लौट आओ।
(च) मैंने पीड़ा से कराहते उस व्यक्ति को देखा।
(छ) उसने प्रार्थना-पत्र लिखा जो नौकरी के लिए था।
(ज) जो दिन-रात मेहनत करते हैं, उन्हें सोच-समझकर खर्च करना चाहिए।
(झ) मैंने स्कूटर चला रहे बच्चे को देखा।
(ञ) चारों ओर जंगल से घिरे उस बहुत बड़े गाँव में आदिवासियों के परिवार रहते थे।
(ट) मजदूर को खूब मेहनत करने पर भी उसका लाभ नहीं मिलता।
(ठ) मैंने एक व्यक्ति को भीख माँगते देखा जो दुबला-पतला था।
(ड) परिश्रमी लोगों को अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता; या
परिश्रम करने वाले लोगों को अधिक समय तक निराश नहीं होना पड़ता।
(ढ) मेरे विचार में आज घूमने चलें; या।
मेरा विचार घूमने के लिए चलने का है।
(ण) मैंने उसे पढ़ाया और नौकरी दिलवाई।
(त) वह बाज़ार गया क्योंकि उसे फल खरीदने थे।
(थ) तुम उस स्थान पर चले जाओ जहाँ बस रुकती है।
(द) शशि नाच-गा रही है।
(ध) अध्यापक चाहते हैं कि उसके शिष्य अच्छे बनें।
(न) बालिकाएँ नाच-गा रही हैं।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

प्रश्न 7.
नीचे लिखे वाक्यों में कुछ साधारण वाक्य, कुछ मिश्रित वाक्य और कुछ संयुक्त वाक्य हैं। उनके ठीक-ठीक नाम लिखिए।
(क) मोहन ने कहा कि मैं जिस सिनेमाघर में गया उसमें टिकट नहीं मिला।
(ख) जो विद्वान होता है, उसे सभी आदर देते हैं।
(ग) मैं चाहता हूँ कि तुम परिश्रम करो और परीक्षा में सफल हो।
(घ) वह आदमी पागल हो गया है।
(ङ) स्त्री कपड़े सिलती है।
(च) झूठ बोलना महापाप है।
(छ) हमारे जीवन का आधार केवल धन नहीं, बल्कि कई और पदार्थ भी हैं।
(ज) अपना काम देखो।
(झ) जब राजा नगर में आया तो उत्सव मनाया गया।
(ञ) जो पत्र मिला है, उसे शीला ने लिखा होगा।
उत्तर :
(क) मिश्र
(ख) मिश्र
(ग) मिश्र
(घ) सरल
(ङ) सरल
(च) संयुक्त
(छ) सरल
(ज) सरल या सरल
(झ) मिश्र
(ञ) मिश्र

वाक्य रचनांतरण –

प्रश्न 1.
वाक्य रचनांतरण किसे कहते हैं?
उत्तर :
सरल वाक्य को संयुक्त एवं मिश्र बनाना, संयुक्त को सरल एवं मिश्र बनाना रचनांतरण कहलाता है। जैसे –
(i) सरल से मिश्र और संयुक्त वाक्य बनाना –
सरल – मोहन हिंदी पढ़ने के लिए शास्त्री जी के यहाँ गया है। जैसे –
मिश्र – मोहन को हिंदी पढ़ना है, इसलिए शास्त्री जी के यहाँ गया है।
संयुक्त – मोहन को हिंदी पढ़ना है और इसलिए शास्त्री जी के यहाँ गया है।

(ii) मिश्र से सरल वाक्य बनाना –
मिश्र – जब तक मोहन घर पहुंचा तब तक उसके पिता चल चुके थे।
सरल – मोहन के घर पहुंचने से पूर्व उसके पिता चल चुके थे।

(iii) मिश्र से सरल और संयुक्त वाक्य बनाना –
मिश्र – मैंने एक आदमी देखा जो बहुत बीमार था।
सरल – मैंने एक बहुत बीमार आदमी देखा।
संयक्त – मैंने एक आदमी देखा और वह बहत बीमार था।

(iv) संयुक्त से सरल और मिश्र वाक्य बनाना –
संयुक्त – मोहन बहुत अच्छा खिलाड़ी है लेकिन फेल कभी नहीं होता।
सरल – मोहन बहुत अच्छा खिलाड़ी होने पर भी फेल कभी नहीं होता।
मिश्र – यद्यपि मोहन बहुत अच्छा खिलाड़ी है तथापि फेल कभी नहीं होता।

(v) सरल वाक्यों से एक मिश्र वाक्य बनाना
सरल – पुस्तक में एक कठिन प्रश्न था। कक्षा में उस प्रश्न को कोई भी हल नहीं कर सका। मैंने उस प्रश्न को हल कर दिया।
मिश्र – पुस्तक के जिस कठिन प्रश्न को कक्षा में कोई भी हल नहीं कर सका मैंने उसे हल कर लिया है।

(vi) सरल वाक्यों से संयुक्त और मिश्र वाक्य बनाना –
सरल – इस वर्ष हमारे विद्यालय में बहुत-से वक्ता पधारे। कुछ वक्ता धर्म पर बोले। कुछ वक्ता साहित्य पर बोले। कुछ वक्ता वैज्ञानिक विषयों पर बोले।
संयुक्त – इस वर्ष हमारे विद्यालय में पधारने वाले बहुत-से वक्ताओं में से कुछ धर्म पर, कुछ साहित्य पर और कुछ वैज्ञानिक विषयों पर बोले।
मिश्र – इस वर्ष हमारे विद्यालय में जो बहुत-से वक्ता पधारे उनमें से कुछ धर्म पर, कुछ साहित्य पर और कुछ वैज्ञानिक विषयों पर बोले।
(vii) वाच्य की दृष्टि से रचनांतरण – राम नहीं खाता। = राम से नहीं खाया जाता।
(viii) सकर्मक से अकर्मक में रचनांतरण – मोहन पेड़ काट रहा है। = मोहन से पेड़ कट रहा है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

प्रश्न 2.
रूपांतरण कैसे होता है?
उत्तर :
अर्थ की दृष्टि से वाक्य आठ प्रकार के होते हैं। उसमें परस्पर रूपांतरण का अभ्यास होना चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि उन सभी भेदों की रचना से आप सुपरिचित हों। कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं –

  • विधानवाचक – राम स्कूल जाएगा।
  • निषेधवाचक – राम स्कूल नहीं जाएगा।
  • प्रश्नवाचक – क्या राम स्कूल जाएगा?
  • आज्ञावाचक – राम, स्कूल जाओ।
  • विस्मयवाचक – अरे, राम स्कूल जाएगा!
  • इच्छावाचक – राम स्कूल जाए।
  • संदेहवाचक – राम स्कूल गया होगा।
  • संकेतवाचक – राम स्कूल जाए तो

प्रश्न 3.
कोष्ठक में दिए गए निर्देशानुसार बदलिए –

  1. माँ खाना पका रही है और परोस रही है। (सरल वाक्य में)
  2. अध्यापक अपने शिष्यों को अच्छा बनाना चाहता है। (मिश्र वाक्य में)
  3. मैंने एक बहुत मोटा व्यक्ति देखा। (मिश्र वाक्य में)
  4. मैं बाज़ार जाऊँगा और कपड़े खरीदूंगा। (सरल वाक्य में)
  5. आप खूब परिश्रम करते हैं और अच्छे अंक प्राप्त करते हैं। (सरल वाक्य में)
  6. मेरा निर्णय आज मौन रहने का है। (मिश्र वाक्य में)
  7. शाहनी ने दुपट्टे से सिर ढका। हवेली को अंतिम बार देखा। (सरल वाक्य में)
  8. शाहनी ने हिचकियों को रोका और रुंधे गले से कहा। (सरल वाक्य में)
  9. चातक थोड़ी देर चुप रहकर बोला। (संयुक्त वाक्य में)
  10. मैंने गौरा को देखा और उसे पालने का निश्चय किया। (सरल वाक्य में)
  11. मैंने एक व्यक्ति देखा। वह बहुत गरीब था। (मिश्र वाक्य में)
  12. वहाँ एक गाँव था। वह गाँव छोटा-सा था। उसके चारों ओर जंगल था। (मिश्र वाक्य में)
  13. मोहन कल यहाँ आया। उसने राम से बात की। वह चला गया। (संयुक्त वाक्य में)
  14. मैंने एक व्यक्ति देखा। वह बहुत दुबला-पतला था। (मिश्र वाक्य में)
  15. सड़क पार करता हुआ एक व्यक्ति बस से टकराकर मर गया। (मिश्र वाक्य में)
  16. यही वह बच्चा है, जिसे बैल ने मारा था। (सरल वाक्य में)
  17. रमेश गा रहा था। लता हँस रही थी। (मिश्र वाक्य में)

उत्तर :

  1. माँ खाना पका और परोस रही है।
  2. अध्यापक चाहता है कि उसके शिष्य अच्छे बनें।
  3. मैंने एक व्यक्ति देखा, जो बहुत मोटा था।
  4. मैं बाज़ार जाकर कपड़े खरीदूंगा।
  5. आप खूब परिश्रम कर अच्छे अंक प्राप्त करते हैं।
  6. मेरा निर्णय है कि मैं आज मौन रहूँ।
  7. शाहनी ने दुपट्टे से सिर ढककर हवेली को अंतिम बार देखा।
  8. शाहनी ने हिचकियों को रोककर रुंधे गले से कहा।
  9. चातक थोड़ी देर चुप रहा और बोला।
  10. मैंने गौरा को देखकर, उसे पालने का निश्चय कर लिया।
  11. मैंने एक व्यक्ति देखा, जो बहुत गरीब था।
  12. वहाँ उस छोटे-से गाँव के चारों ओर जंगल था।
  13. मोहन ने कल यहाँ आकर राम से बात की और चला गया।
  14. मैंने एक व्यक्ति देखा, जो बहुत दुबला-पतला था।
  15. जो व्यक्ति सड़क पार कर रहा था, वह बस से टकराकर मर गया।
  16. इस बच्चे को बैल ने मारा था।
  17. रमेश गा रहा था तो लता हँस रही थी।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

अभ्यास के लिए प्रश्नोत्तर – 

(अ) निम्नलिखित वाक्यों में से सरल वाक्य चुनिए
1. (क) जो लोग परिश्रम से धन कमाते हैं उन्हें सोच-समझकर खर्च करना चाहिए।
(ख) वह बाज़ार गया और वहाँ से आवश्यक सामान खरीद लाया।
(ग) सिपाही को देखते ही चोर भाग गया।
(घ) जो साहसी था वह तो अब रहा नहीं।
उत्तर :
(ग) सिपाही को देखते ही चोर भाग गया।

2. (क) नौकर भीतर आया उसने रोना शुरू कर दिया।
(ख) सच्चा-ईमानदार व्यक्ति सबको अच्छा लगता है।
(ग) मेरे बिस्तर पर जो चादर बिछी है वह मैली नहीं है।
(घ) जैसे ही समय पूरा हुआ वैसे ही मैंने पेपर मैडम को दे दिया था।
उत्तर :
(ख) सच्चा ईमानदार व्यक्ति सबको अच्छा लगता है।

(आ) निम्नलिखित वाक्यों में से संयुक्त वाक्य चुनिए –
1. (क) चहा बिल से बाहर निकला और बिल्ली ने उसे दबोच लिया।
(ख) इला भी क्रिकेट खेलने की शौकीन है।
(ग) परिश्रम न करने के कारण रीमा उत्तीर्ण न हो सकी।
(घ) सड़क पर शोर होने के कारण सब बाहर भागे थे।
उत्तर :
(क) चूहा बिल से बाहर निकला और बिल्ली ने उसे दबोच लिया।

(क) श्रीकृष्ण ने गीता का ज्ञान दिया था।
(ख) लड़का छात्रावास में जाकर बीमार हो गया।
(ग) डालियों पर आम का बौर लगा और कोयल कूकने लगी।
(घ) यह वही बदमाश है जिसने तुम सबको गालियाँ दी थीं।
उत्तर :
(ग) डालियों पर आम का बौर लगा और कोयल कूकने लगी।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

(इ) निम्नलिखित में से मिश्र वाक्य चुनिए
1. (क) माँ ने कहा कि मैं कल हरिद्वार जा रही हूँ।
(ख) राधेय ने बाण साधा और अर्जुन की ओर छोड़ दिया।
(ग) जो दूसरों के लिए मर-मिटते हैं, उनकी आज भी कमी नहीं है।
(घ) जंगल में शेर झाड़ियों के पीछे छिपा हुआ था।

2. (क) चीता भाग रहा था और शिकारी उसके पीछे लगे हुए थे।
(ख) जितनी महँगाई बढ़ेगी, उतना ही असंतोष का भाव बढ़ेगा।
(ग) किसान ने हल नीचे उतारा और बैल को चरने के लिए छोड़ दिया।
(घ) कर्ण बहादुर ही नहीं अपितु दानवीर भी था।

3. (क) बालक खाते-खाते ही सो गया था।
(ख) आइए अंदर चलें और बैठकर बात करें।
(ग) कठोर बनकर भी सहृदयता रखो।
(घ) जो दिन-रात लड़ते-झगड़ते रहते हैं, उनका जीवन कभी सुखद नहीं हो सकता।
उत्तर :
1. (ग) जो दूसरों के लिए मर मिटते हैं, उनकी आज भी कमी नहीं है।
2. (ख) जितनी महँगाई बढ़ेगी, उतना ही असंतोष का भाव बढ़ेगा।
3. (घ) जो दिन-रात लड़ते-झगड़ते रहते हैं, उनका जीवन कभी सुखद नहीं हो सकता।

(ई) संयुक्त तथा मिश्र वाक्य में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
संयुक्त वाक्य – संयुक्त वाक्य में दो अथवा अधिक वाक्य समुच्चयबोधक, योजक शब्द द्वारा जुड़े होते हैं।
उदाहरण – वह हॉकी खेलेगा और मैं फुटबॉल खेलँगा।
मिश्र वाक्य – मिश्र वाक्य में एक प्रधान वाक्य होता है तथा अन्य उपवाक्य उसके अधीन होकर आते हैं।
उदाहरण – मैंने सुना है कि तुम बनारस जा रहे हो।
मैंने सुना है – प्रधान वाक्य तथा तुम बनारस जा रहे हो उपवाक्य है।

(उ) और, पर, या, ताकि का प्रयोग करते हुए चारों के दो-दो संयुक्त वाक्य बनाइए।
उत्तर :
और –
1. राकेश विद्यालय जाएगा और महेश घर का काम करेगा।
2. सूर्य डूबता है और अँधेरा हो जाता है।

पर –
1. मैं चल-चित्र देखने जाना चाहता था पर जा न सका।
2. मैं तो गया था पर उसने मेरी बात ही नहीं सुनी।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

या –
1. आप घर जाइए या कार्यालय में जाइए।
2. अनुशासन में रहो या बाहर चले जाओ।

ताकि –
1. आप परिश्रम करें ताकि सफल हो जाएँ।
2. मैं प्रतीक्षा करता रहा ताकि काम बन जाए।

(ऊ) निर्देशानुसार उत्तर दीजिए –

  1. पिता ने बच्चे को तैयार करके स्कूल भेजा। (संयुक्त वाक्य)
  2. हम लोग तैरने के लिए नहर पर गए थे। (मिश्र वाक्य)
  3. प्लेट नीचे गिरी और टूट गई। (सरल वाक्य)
  4. फ़ायदे वाला काम करो। (मिश्र वाक्य)
  5. जुआ खेलने वाले लोग मुझे अच्छे नहीं लगते। (मिश्र वाक्य)
  6. मैं एक ऐसे पंडित से मिला जो बहुत विद्वान था। (संयुक्त वाक्य)
  7. आप कमीज़ लेना चाहेंगे अथवा पैंट लेना चाहेंगे? (सरल वाक्य)
  8. मेरे घर में एक पुरानी मेज़ है। (मिश्र वाक्य)
  9. मेरे विचार से काम करें। (मिश्र वाक्य)
  10. मैंने उसे बुलाया तब वह मेरे पास आया। (सरल वाक्य)
  11. सफ़ेद पैंट वाला आदमी कहाँ गया। (मिश्र वाक्य)
  12. मैंने उसे पढ़ाकर काबिल बनाया। (संयुक्त वाक्य)

उत्तर :

  1. पिता ने बच्चे को तैयार किया और स्कूल भेजा।
  2. हम लोगों को तैरना था इसलिए हम नहर पर गए थे।
  3. प्लेट नीचे गिरकर टूट गई।
  4. काम वही करो जिसमें फायदा हो।
  5. जो लोग जुआ खेलते हैं, मुझे अच्छे नहीं लगते।
  6. मैं एक पंडित से मिला और वह बहुत विद्वान था।
  7. आप कमीज़ या पैंट में से क्या लेंगे?
  8. मेरे घर में जो मेज़ है, वह बहुत पुरानी है।
  9. मेरा विचार है कि काम करें।
  10. मेरे बुलाने पर वह मेरे पास आया।
  11. वह आदमी कहाँ गया जो सफ़ेद पैंट पहने हुए था।
  12. मैंने उसे पढ़ाया और काबिल बनाया।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

पाठ पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर –

1. रचना के आधार पर वाक्य-भेद संबंधी प्रश्नों के सही विकल्प वाले उत्तर चुनिए –
(क) जहाँ दो स्वतंत्र वाक्य समुच्चयबोधक द्वारा जुड़े हों, उसे कहते हैं।
(i) संयुक्त वाक्य
(ii) सरल वाक्य
(iii) मिश्र वाक्य
(iv) जटिल वाक्य
उत्तर :
(i) संयुक्त वाक्य

(ख) दिए गए वाक्यों में से मिश्र वाक्य है –
(i) प्रधानमंत्री आने वाले थे किंतु नहीं आए।
(ii) मैं महँगी साइकिल नहीं खरीदूंगा।
(iii) जो योग्य है, वही इस पद का हकदार है।
(iv) वह विदेश गया और मेरे लिए उपहार लाया।
उत्तर :
(iii) जो योग्य है, वही इस पद का हकदार है।

(ग) दिए गए वाक्यों में से संयुक्त वाक्य है
(i) मैंने उसे अभी रुकने के लिए कहा था लेकिन उसने मना कर दिया।
(ii) तुम्हारे विचार ऐसे हैं जो उनको पसंद नहीं हैं।
(iii) उस युग में उत्पीड़न का बोलवाला था।
(iv) वहाँ एक धनी रहता है जिसके पास अपार संपत्ति है।
उत्तर :
(i) मैंने उसे अभी रुकने के लिए कहा था लेकिन उसने मना कर दिया।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

(घ) जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उसको कहते हैं –
(i) मिश्र वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) जटिल वाक्य
(iv) सरल वाक्य
उत्तर :
(iv) सरल वाक्य

(ङ) जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य के साथ एक या अधिक आश्रित उपवाक्य हो, उसे कहते हैं –
(i) संयुक्त वाक्य
(ii) साधारण वाक्य
(iii) सरल वाक्य
(iv) मिश्र वाक्य
उत्तर :
(iv) मिश्र वाक्य

2. निर्देशानुसार उपयुक्त विकल्प चुनिए –
(क) निम्नलिखित में से संयुक्त वाक्य है
(i) जैसे ही कार आई, वह बैठ गया।
(ii) हम कल पुणे जाएँगे।
(iii) मैंने उसे जंगल में जाने से मना किया पर वह नहीं माना।
(iv) भीख माँगना दीनता का द्योतक है।
उत्तर :
(iii) मैंने उसे जंगल में जाने से मना किया पर वह नहीं माना।

(ख) निम्नलिखित में से सरल वाक्य है –
(i) जो श्रम के आश्रित हैं, उन्हें सफलता अवश्य मिलती है।
(ii) जैसे ही बच्चे ने माँ को देखा वैसे ही चुप हो गया।
(iii) सफलता परिश्रमी के कदम चूमती है।
(iv) वह आएगी तो हम मसौदा बनाएँगे।
उत्तर :
(iii) सफलता परिश्रमी के कदम चूमती है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

(ग) “जो छात्र पढ़ने के इच्छुक हैं, उन्हें यहाँ सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।” साधारण वाक्य में होगा –
(i) पढ़ने के इच्छुक छात्रों को यहाँ सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
(ii) पढ़ाई करने वालों छात्रों को यहाँ सभी सुविधाएँ मिलती हैं।
(iii) पढ़ाई करने वाले यहाँ सभी सुविधाएँ प्राप्त कर सकते हैं।
(iv) यहाँ पढ़ने वाले सभी छात्र सुविधाएँ पाते हैं।
उत्तर :
(i) पढ़ने के इच्छुक छात्रों को यहाँ सभी सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

(घ) दिए गए वाक्यों में से संयुक्त वाक्य है –
(i) तुम्हारा ज्ञान दुख का विनाश करेगा।
(ii) आप सब कुछ बोलिए किंतु उसको राक्षस मत कहिए।
(iii) वह ज्यों ही घर से निकला त्यों ही आँधी आने लगी।
(iv) तुम जहाँ रहते हो, वहीं जाओ।
उत्तर :
(ii) आप सब कुछ बोलिए किंतु उसको राक्षस मत कहिए।

(ङ) “उसकी चाची घर में आकर माँ से मिलकर चली गई।” मिश्र वाक्य का रूप होगा –
(i) उसकी चाची घर में आई और माँ से मिलकर गई।
(ii) जैसे ही चाची घर में आई वैसे ही माँ से मिलकर चली गई।
(iii) चाची घर में आते ही माँ से मिली और चली गई।
(iv) चाची घर में आकर माँ से मिलकर चली गई।
उत्तर :
(ii) जैसे ही चाची घर में आई वैसे ही माँ से मिलकर चली गई।

3. निर्देशानुसार उपयुक्त विकल्प चुनिए –
(क) दिए गए वाक्यों में से संयुक्त वाक्य है
(i) मेरे दफ्तर में एक पुरानी अलमारी है।
(ii) वह छात्रा पास हो गई जो कल यहाँ आई थी।
(iii) पिता जी ने खाना खाया और सो गए।
(iv) मैंने सुना है कि तुम अयोध्या जा रहे थे।
उत्तर :
(iii) पिता जी ने खाना खाया और सो गए।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

(ख) “वर्षा हो रही थी। राम छाता लेकर विद्यालय आया।” सरल वाक्य में होगा
(i) राम विद्यालय में छाता लेकर गया क्योंकि वर्षा हो रही थी।
(ii) राम वर्षा में छाता लेकर विद्यालय गया।
(iii) वर्षा हो रही थी इसलिए राम छाता लेकर विद्यालय गया।
(iv) वर्षा होते ही राम छाता लेकर विद्यालय गया।
उत्तर :
(ii) राम वर्षा में छाता लेकर विद्यालय गया।

(ग) दिए गए वाक्यों में से मिश्र वाक्य छाँटिए
(i) लाल कमीज़ वाले छात्र को यह ट्रॉफी दे दो।
(ii) जो भाषण मैंने मंच से दिया वह अखबारों में छप गया।
(iii) वे बेबाक राय और सुझाव देते हैं।
(iv) आगरा आने पर वे मुझसे मिले।
उत्तर :
(ii) जो भाषण मैंने मंच से दिया वह अखबारों में छप गया।

(घ) जहाँ एक प्रधान उपवाक्य और एक या एक के अधिक उपवाक्य योजकों द्वारा जुड़े हों, उसे क्या कहते हैं?
(i) सरल वाक्य
(ii) संयुक्त वाक्य
(iii) मिश्र वाक्य
(iv) जटिल वाक्य
उत्तर :
(ii) संयुक्त वाक्य

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

(ङ) “बालगोबिन जानते हैं कि अब बुढ़ापा आ गया।” वाक्य में रेखांकित उपवाक्य का भेद है –
(i) विशेषण उपवाक्य
(ii) सर्वनाम उपवाक्य
(iii) क्रिया उपवाक्य
(iv) संज्ञा उपवाक्य
उत्तर :
(iv) संज्ञा उपवाक्य

बोर्ड की परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर –

1. (i) बढ़ती जनसंख्या पर अंकुश नहीं लगाया गया तो मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ii) अनेक संस्थाएँ जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए कार्यरत हैं। (मिश्र वाक्य बनाइए)
(iii) जो अपने भाई साहब से मिलने आए हैं उन्हें मैं जानता भी नहीं। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) बढ़ती जनसंख्या पर अकुंश लगाये बिना मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा।
(ii) अनेक संस्थाएँ कार्यरत हैं जो जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करेंगी।
(iii) अपने भाई साहब को मिलने कोई आए हैं और मैं उन्हें नहीं जानता।

2. (i) एक तुमने ही इस जादू पर विजय प्राप्त की है। (वाक्य भेद लिखिए)
(ii) एक मोटरकार उनकी दुकान के सामने आकर रुकी। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ii) सभी विद्यार्थी कवि-सम्मेलन में समय से पहुँचे और शांति से बैठे रहे। (मिश्रित वाक्य में बदलिए)
उत्तर
(i) सरल वाक्य।
(ii) एक मोटरकार आई और उनकी दुकान के सामने रुकी।
(iii) जो भी विद्यार्थी कवि-सम्मेलन में आए हुए थे वे सभी शांति से बैठे रहे।

3. (i) सर्वदयाल ने शीत से बचने के लिए हाथ जेब में डाला तो कागज़ का एक टुकड़ा निकल आया। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(ii) उसे दफ़्तर की नौकरी से घृणा थी। (वाक्य भेद बताइए)
(ii) उनको पूरा-पूरा विश्वास था कि ठाकुर साहब मेंबर बन जाएँगे। (सरल वाक्य में बदलिए)
उत्तर:
(i) सर्वदयाल ने जब शीत से बचने के लिए हाथ जेब में डाला तब कागज़ का एक टुकड़ा निकल आया।
(ii) सरल वाक्य।
(iii) ठाकुर साहब के मेंबर बनने का उन्हें पूरा विश्वास था।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

4. (i) उनको पूरा-पूरा विश्वास था कि ठाकुर साहब मेंबर बन जाएंगे। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए)
(ii) लालची लोग दिन-रात ठाकुर साहब के घर मिठाइयाँ उड़ाते थे। (उद्देश्य-विधेय छाँटकर लिखिए)
(iii) उसे वोट दें जो सच्चे अर्थों में देश का हितैषी हो। (सरल वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) आश्रित उप वाक्य – ठाकुर जी मेंबर बन जाएँगे।
भेद – आश्रित संज्ञा उपवाक्य
(ii) उद्देश्य – लालची लोग
विधेय – ठाकुर साहब के घर मिठाइयाँ उड़ाते थे।
(iii) सच्चे अर्थों में देश के हितैषी को वोट दें।

5. (i) जीवन की कुछ चीजें हैं जिन्हें हम कोशिश करके पा सकते हैं। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर उसका भेद भी लिखिए) (ii) मोहनदास और गोकुलदास सामान निकालकर बाहर रखते जाते थे। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(iii) हमें स्वयं करना पड़ा और पसीने छूट गए। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) विशेषण आश्रित उपवाक्य-जिन्हें हम कोशिश करके पा सकते हैं।
(ii) मोहनदास और गोकुलदास सामान निकालते थे और बाहर रखते जाते थे।
(iii) जब हमें स्वयं करना पड़ा तब पसीने छूट गए।

6. (i) वे उन सब लोगों से मिले, जो मुझे जानते थे। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ii) पंख वाले चींटे या दीमक वर्षा के दिनों में निकलते हैं। (वाक्य का भेद लिखिए)
(iii) आषाढ़ की एक सुबह एक मोर ने मल्हार के मियाऊ-मियाऊ को सुर दिया था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) वे मुझे जानने वाले सब लोगों से मिले।
(ii) सरल वाक्य
(iii) आषाढ़ की एक सुबह थी और एक मोर ने मल्हार के मियाऊ-मियाऊ की सुर दिया था।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

7. (i) कभी ऐसा वक्त भी आएगा जब हमारा देश विश्वशक्ति होगा।
(आश्रित उपवाक्य छाँटकर उसका भेद भी लिखिए।)
(ii) घर से दूर होने के कारण वे उदास थे। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ii) जब बच्चे उतावले हो रहे थे तब कस्तूरबा की आशंकाएँ भीतर उसे खरोंच रही थीं। (सरल वाक्य में बदलिए) उत्तर :
(i) क्रिया-विशेषण आश्रित उपवाक्य-जब हमारा देश विश्व शक्ति होगा।
(ii) वे घर से दूर थे इसलिए उदास थे।
(iii) बच्चों के उतावले होने पर कस्तूरबा की आशंकाएँ भीतर उसे खरोंच रही थीं।

8. (i) जब सावन-भादों आते हैं तब दर्जिन की आवाज़ पूरे इलाके में गूंजती है। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ii) भुजंगा शाम को तार पर बैठकर पतिंगों को पकड़ता रहता है। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(ii) अँधेरा होते-होते चौदह घंटों बाद कूजन-कुंज का दिन ख़त्म हो जाता है। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) सावन-भादों आने पर दर्जिन की आवाज़ पूरे इलाके में गूंजती है।
(ii) जब भुजंगा शाम को तार पर बैठता है तब पतिंगों को पकड़ता रहता है।
(iii) अँधेरा होने लगता है और चौदह घंटों बाद कूजन-कुंज का दिन ख़त्म हो जाता है।

9. (i) मैंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के अभावग्रस्त जीवन के बारे में मैं सब जानती हूँ। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर उसका भेद भी लिखिए।)
(ii) सीधा-सादा किसान सुभाष पालेकर अपनी नेचुरल फार्मिंग से कृषि के क्षेत्र में क्रांति ला रहा है। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(iii) अपने उत्पाद को सीधे ग्राहक को बेचने के कारण किसान को दुगुनी कीमत मिलती है। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) संज्ञा आश्रित उपवाक्य-कि स्वतंत्रता सेनानियों के अभावग्रस्त जीवन के बारे में मैं सब जानती हूँ।
(ii) सुभाष पालेकर सीधा-सादा किसान है जो अपनी नेचुरल फार्मिंग से कृषि के क्षेत्र में क्रांति ला रहा है।
(iii) किसान अपने उत्पाद को सीधे ग्राहक को बेचता है और इसलिए उसे दुगुनी कीमत मिलती है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

10. (i) डलिया में आम हैं, दूसरे फलों के साथ आम रखे हैं। (सरल वाक्य बनाइए)
(ii) शर्मीला पीलक पेड़ के पत्तों में छुपकर बोलता है। (संयुक्त वाक्य बनाइए)
(iii) पीलक जितना शर्मीला होता है उतनी ही इसकी आवाज़ भी शर्मीली है। (वाक्य-भेद लिखिए)
उत्तर :
(i) डलिया में दूसरे फलों के साथ आम रखे हैं।
(ii) शर्मीला पीलक पेड़ के पत्तों में छुपता है और बोलता है।
(iii) मिश्र वाक्य।

11. (i) बालगोबिन जानते हैं कि अब बुढ़ापा आ गया। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए)
(ii) मॉरीशस की स्वच्छता देखकर मन प्रसन्न हो गया। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(ii) गुरुदेव आराम कुर्सी पर लेटे हुए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे। (सरल वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) कि अब बुढ़ापा आ गया है (संज्ञा उपवाक्य)
(ii) जब मॉरीशस की स्वच्छता देखी तो मन प्रसन्न हो गया।
(iii) गुरुदेव आराम कुर्सी पर लेटकर प्राकृतिक सौंदर्य का आनन्द ले रहे थे।

12. (i) कठोर होकर भी सहृदय बनो। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ii) यद्यपि वह सेनानी नहीं था पर लोग उसे कैप्टन कहते थे। (सरल वाक्य में बदलिए)
(iii) बच्चे वैसे करते हैं जैसे उन्हें सिखाया जाता है। (रेखांकित उपवाक्य का भेद लिखिए)
(iv) सभी लोगों ने सुंदर दृश्य देखा। (रचना के आधार पर वाक्य भेद लिखिए)
उत्तर :
(i) कठोर बनो और सहृदय रहो।
(ii) सेनानी न होने पर भी लोग उसे कैप्टन कहते थे।
(iii) क्रियाविशेषण आश्रित उपवाक्य।
(iv) सरल वाक्य।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

13. (i) एक चश्मेवाला है जिसका नाम कैप्टन है। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ii) कहा जा चुका है कि मूर्ति संगमरमर की थी। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए)
(iii) मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा-सा चश्मा रखा हुआ था। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(iv) हालदार साहब का प्रश्न सुनकर वह आँखों ही आँखों में हँसा। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) एक चश्मे वाले का नाम कैप्टन है।
(ii) कि मूर्ति संगमरमर की थी।
(iii) मूर्ति की आँखों पर चश्मा था, जो सरकंडे से बना था।
(iv) उसने हालदार साहब का प्रश्न सुना और आँखों ही आँखों में हँसा।

14. (i) मैंने उस व्यक्ति को देखा जो पीड़ा से कराह रहा था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ii) जो व्यक्ति परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है। (सरल वाक्य में बदलिए)
(iii) वह कौन-सी पुस्तक है जो आपको बहुत पसंद है। (रेखांकित उपवाक्य का भेद लिखिए)
(iv) कश्मीरी गेट के निकल्सन कब्रगाह में उनका ताबूत उतारा गया। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(i) मैंने उस व्यक्ति को देखा और वह पीड़ा से कराह रहा था।
(ii) परिश्रमी व्यक्ति अवश्य सफल होता है।
(iii) प्रधान वाक्य।
(iv) उनका ताबूत निकल्सन कब्रगाह में उतारा गया जो कश्मीरी गेट में है।

15. “हर्षिता बहुत विनम्र है और सर्वत्र सम्मान प्राप्त करती है।”-रचना के आधार पर वाक्य भेद है
(क) सरल वाक्य
(ख) मिश्र वाक्य
(ग) संयुक्त वाक्य
(घ) साधारण वाक्य
उत्तर :
(ग) संयुक्त वाक्य।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

16. निम्नलिखित में मिश्र वाक्य है
(क) मैंने एक वष्टद्ध की सहायता की।
(ख) जो विद्यार्थी परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है।
(ग) अध्यापिका ने अवनि की प्रशंसा की तथा उसका उत्साह बढ़ाया।
(घ) नवाब साहब ने संगति के लिए उत्साह नहीं दिखाया।
उत्तर :
(ख) जो विद्यार्थी परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है।

17. “प्रयश बाज़ार गया। वहाँ से सेब लाया।”-इस वाक्य का संयुक्त वाक्य में रूपांतरण होगा
(क) प्रयश बाज़ार गया और वहाँ से सेब लाया।
(ख) प्रयश सेब लाया जब वह बाज़ार गया।
(ग) प्रयश बाज़ार जाकर सेब लाया।
(घ) जब प्रयश बाज़ार गया तो वहाँ से सेब लाया।
उत्तर :
(क) प्रयश बाज़ार गया और वहाँ से सेब लाया।

18. “जो वीर होते हैं, वे रणभूमि में अपनी वीरता का प्रदर्शन करते हैं।” रेखांकित उपवाक्य का भेद है
(क) संज्ञा आश्रित उपवाक्य
(ख) सर्वनाम आश्रित उपवाक्य
(ग) क्रियाविशेषण आश्रित उपवाक्य
(घ) विशेषण आश्रित उपवाक्य
उत्तर :
(घ) विशेषण आश्रित उपवाक्य

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

19. निम्नलिखित में सरल वाक्य है
(क) प्रातःकाल हुआ और सूरज की किरणें चमक उठीं।
(ख) जब प्रात:काल हुआ, सूरज की किरणें चमक उठीं।
(ग) प्रात:काल होते ही सूरज की किरणें चमक उठीं।
(घ) जैसे ही प्रात:काल हुआ सूरज की किरणें चमक उठीं।
उत्तर :
(ग) प्रात:काल होते ही सूरज की किरणें चमक उठीं।

20. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए –
(क) पत्थर की मूर्ति पर चश्मा असली था। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ख) मूर्तिकार ने सुना और जवाब दिया। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ग) काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(घ) एक चश्मेवाला है जिसका नाम कैप्टन है। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए)
उत्तर :
(क) मूर्ति पत्थर की थी (और/परंतु) चश्मा असली था।
(ख) मूर्तिकार ने सुनकर जवाब दिया।
(ग) वह काशी है जहाँ संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।
(घ) जिसका नाम कैप्टन है। संज्ञा आश्रित उपवाक्य

21. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए –
(क) एक साल पहले बने कॉलेज में शीला अग्रवाल की नियुक्ति हुई थी। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ख) जो व्यक्ति साहसी है उनके कोई कार्य असंभव नहीं है। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ग) सवार का संतुलन बिगड़ा और वह गिर गया। (मिश्रवाक्य में बदलिए)
(घ) केवट ने कहा कि बिना पाँव धोए आपको नाव पर नहीं चढ़ाऊँगा। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए) उत्तर :
(क) कॉलेज एक साल पहले बना था और उसमें शीला अग्रवाल की नियुक्ति हुई थी।
(ख) साहसी व्यक्ति के लिए कोई कार्य असंभव नहीं है।
(ग) जैसे ही सवार का संतुलन बिगड़ा वैसे ही वह गिर गया।
(घ) कि बिना पाँव धोए आपको नाव पर नहीं चढ़ाऊँगा।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

22. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए –
(क) उसने स्टेडियम जाकर क्रिकेट मैच देखा। (संयुक्त वाक्य)
(ख) जैसे ही बच्चे को खिलौना मिला वह चुप हो गया। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ग) मन्नू जी की साहित्यिक उपलब्धियों के लिए उन्हें अनेक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(घ) जो शांति बरसती थी वह चेहरे में स्थिर थी। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर उसका भेद लिखिए)
उत्तर :
(क) वह स्टेडियम गया और क्रिकेट मैच देखा।
(ख) खिलौना मिलने के बाद बच्चा चुप हो गया।
उत्तर
(ग) जो मन्न जी हैं उन्हें साहित्यिक उपलब्धियों के लिए अनेक पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं।
(घ) वह चेहरे में स्थिर थी।

23. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए –
(क) सब कुछ हो चुका था, सिर्फ नाक नहीं थी। (रचना के आधार पर वाक्य-भेद पहचानकर लिखिए)
(ख) थोड़ी देर में मिठाई की दुकान बढ़ाकर हम लोग घरौंदा बनाते थे। (मिश्र वाक्य में बदलकर लिखिए)
(ग) जब हम बनावटी चिड़ियों को चट कर जाते, तब बाबूजी खेलने के लिए ले जाते। (आश्रित उपवाक्य पहचानकर लिखिए और उसका भेद भी लिखिए)
(घ) कानाफूसी हुई और मूर्तिकार को इजाज़त दे दी गई। (सरल वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) संयुक्त वाक्य
(ख) मिश्र वाक्य-जब हम मिठाई की दुकान बढ़ाते थे तब हम लोगों को घरौंदा बनता था।
(ग) जब हम बनावटी चिड़ियों को चट कर जाते-क्रियाविशेषण उपवाक्य
(घ) सरल वाक्य-कानाफूसी होने के बाद मूर्तिकार को इजाजत दे दी गई।

24. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए –
(क) बालगोबिन भगत का यह संगीत है। (रचना के आधार पर वाक्य-भेद लिखिए)
(ख) जब पान के पैसे चुकाकर जीप में आ बैठे, तब रवाना हो गए। (आश्रित उपवाक्य पहचानकर लिखिए और उसका भेद भी लिखिए)
(ग) थोड़ी देर में मिठाई की दुकान बढ़ाकर हम लोग घरौंदा बनाते थे। (मिश्र वाक्य में बदलकर लिखिए)
(घ) फसल को एक जगह रखते और उसे पैरों से रौंद डालते। (सरल वाक्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) सरल वाक्य।
(ख) जब पान के पैसे चुकाकर जीप में बैठे-क्रियाविशेषण उपवाक्य।
(ग) मिश्र वाक्य-जब हम मिठाई की दुकान बढ़ाते थे तब हम लोगों का घरौंदा बनता था।
(घ) सरल वाक्य-फसल को एक जगह रखकर उसे पैरों से रौंद डालते।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण रचना के आधार पर वाक्य-भेद

25. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए –
(क) वे इंदौर से अजमेर आ गए, जहाँ उन्होंने अपने अकेले के बल-बूते अधूरे काम को आग बढ़ाया। (रचना के आधार पर वाक्य-भेद लिखिए)
(ख) कानाफूसी हुई और मूर्तिकार को इजाज़त दे दी गई। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ग) अगली बार जाने पर भी मूर्ति की आँखों पर चश्मा नहीं था। (मिश्र वाक्य में बदलकर लिखिए)
(घ) हालदार साहब जीप में बैठकर चले गए। (संयुक्त वाक्य में बदलकर लिखिए)
उत्तर :
(क) मिश्र वाक्य।
(ख) सरल वाक्य-कानाफूसी होने के बाद मूर्तिकार को इजाजत दे दी गई।
(ग) मिश्र वाक्य-जब अगली बार गए तब भी मूर्ति की आँखों पर चश्मा नहीं था।
(घ) संयुक्त वाक्य-हालदार साहब जीप में बैठे और चले गए।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Vyakaran पद-परिचय Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Vyakaran पद-परिचय

प्रश्न 1.
पद-परिचय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
किसी वाक्य में आए संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया तथा अव्यय आदि का अलग-अलग पूर्ण परिचय देना ‘पद-परिचय’ कहलाता है।

प्रश्न 2.
पद-परिचय में क्या-क्या बताना आवश्यक है?
उत्तर :
प्रत्येक पद-परिचय में निम्नलिखित तथ्यों का होना आवश्यक है –

  • संज्ञा – प्रकार, लिंग, वचन, कारक, संबंध।
  • सर्वनाम – प्रकार, लिंग, वाचक, कारक, संबंध।
  • विशेषण – प्रकार, विशेष्य, लिंग, वचन, संबंध।
  • क्रिया – प्रकार, वाच्य, अर्थ, काल, पुरुष, लिंग, वचन, प्रयोग।
  • क्रिया-विशेषण – प्रकार, विशेष्य, विकार, संबंध।
  • समुच्चयबोधक – प्रकार, अन्विति, शब्द, वाक्यांश अथवा वाक्य।
  • संबंधसूचक – प्रकार, विकार (हो तो) संबंध।
  • विस्मयादिबोधक – प्रकार, संबंध (हो तो)।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

प्रश्न 3.
निम्नलिखित वाक्य में आए शब्दों का पद-परिचय दीजिए –
ममता की मारी माता ने अपने घायल बच्चे को तुरंत उठा लिया।
उत्तर :

  • ममता की – भाववाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, संबंधकारक-इसका संबंध ‘मारी’ भूतकालिक कृदंत विशेषण से है।
  • मारी – भूतकालिक कृदंत विशेषण।
  • माता – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘उठा लिया’ क्रिया की कर्ता।
  • तुरंत – कालवाचक क्रिया-विशेषण, ‘उठा लिया’ क्रिया की विशेषता बताता है।
  • उठा लिया – सकर्मक क्रिया, सामान्य भूतकाल, कर्तृवाच्य, एकवचन, इसका स्त्रीलिंग कर्ता ‘माता’ है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित वाक्य के मोटे काले शब्दों का पद-परिचय दीजिए
(क) मैं गाय के दूध को पसंद करता हूँ।
(ख) पके आम बड़े मधुर होते हैं।
उत्तर :
(क) मैं पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक, ‘पसंद करता हूँ’ क्रिया का कर्ता।
दूध को – जातिवाचक संज्ञा. एकवचन, पुल्लिंग, कर्म कारक, ‘करता हूँ’ क्रिया का कर्म।
करता हूँ – क्रिया, सकर्मक, सामान्य वर्तमान काल, कर्तृवाच्य, उत्तम पुरुष, एकवचन, इसका कर्म ‘मैं’ है।
(ख) पके – गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन इसका विशेष्य ‘आम’ है।
आम – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता कारक होते हैं’ क्रिया का कर्ता।
मधुर – रीतिवाचक क्रिया-विशेषण ‘होते हैं’ क्रिया की विशेषता प्रकट करता है।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों का पद-परिचय दीजिए –
(क) आह! उपवन में सुंदर फूल खिले हैं।
(ख) परिश्रम के बिना धन प्राप्त नहीं होता।
उत्तर :
(क) आह! विस्मयादिबोधक, हर्षबोधक अव्यय।
उपवन में – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक ‘खिले हैं’ का स्थान।
सुंदर – विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, इसका विशेष्य ‘फूल’ है।
खिले हैं – क्रिया, अकर्मक, वर्तमान काल, पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष, इसका कर्ता ‘फूल’ है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

(ख) परिश्रम – संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन ‘के बिना’ संबंधबोधक का संबंधी शब्द।
धन – संज्ञा, पुल्लिंग, कर्ता कारक, एकवचन, कर्मवाच्य वाक्य का कर्ता।
प्राप्त – ‘होता’ क्रिया का पूरक। नहीं-क्रिया-विशेषण रीतिवाचक, निषेधार्थक।
होता – हो धातु, क्रिया, अपूर्ण अकर्मक, सामान्य वर्तमान काल, पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष, कर्मवाच्य, कर्माणि प्रयोग। ‘प्राप्त’ इसका पूरक।

प्रश्न 6.
पद-परिचय दीजिए –
(क) अनुराग यहाँ दसवीं कक्षा में पढ़ता था।
(ख) हम बाग में गए पर वहाँ कोई आम न मिला।
(ग) शीत ऋतु में हिमालय का क्षेत्र पूर्णतया बर्फ से ढक जाता है और वहाँ जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
उत्तर :
(क) अनुराग-संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘पढ़ता था’ क्रिया का कर्ता।
यहाँ – स्थानवाचक क्रिया-विशेषण, ‘पढ़ता था’ क्रिया का स्थान निर्देश।
दसवीं – विशेषण, क्रमसूचक, संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, ‘कक्षा’ विशेष्य का विशेषण।
कक्षा में – संज्ञा, जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
पढ़ता था – अकर्मक क्रिया, पढ़ धातु, अन्य पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्तृवाच्य, कर्तरि प्रयोग, इसका कर्ता, ‘अनुराग’ है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

(ख) हम – पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, कर्ता कारक, ‘गए’ क्रिया का कर्ता।
बाग में जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
गए – अकर्मक क्रिया, जा धातु, उत्तम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन, भूतकाल निश्चयार्थ, कर्तृवाच्य, कर्तरि प्रयोग, ‘हम’ सर्वनाम इसका कर्ता है।
परंतु – व्याधिकरण, समुच्चयबोधक, दो वाक्यों को जोड़ता है।
वहाँ – स्थानवाचक क्रिया-विशेषण।
कोई – संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, आम विशेष्य का विशेषण।
आम – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।
न – रीतिवाचक, क्रिया-विशेषण।
मिला – सकर्मक क्रिया, मिल धातु, अन्य पुरुष पुल्लिंग, एकवचन, भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्तृवाच्य, कर्मणि प्रयोग (‘हमें’ कर्ता का लोप है) इस क्रिया का कर्म ‘आम’ है।

(ग) शीत – विशेषण, गुणवाचक, ऋतु संज्ञा का विशेषण।
ऋतु में – जातिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
हिमालय का – व्यक्तिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, संबंध कारक।
क्षेत्र – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता, ‘ढक जाना’ क्रिया का कर्ता।
पूर्णतया – रीतिवाचक क्रिया-विशेषण-‘ढक जाता है’ क्रिया पद की विशेषता प्रकट कर रहा है।
बर्फ से – जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, करण कारक।
ढक जाता है – अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, निश्चयार्थ, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य कर्तरि प्रयोग, इसका कर्ता क्षेत्र है।
और – समानाधिकरण समुच्चयबोधक।
वहाँ – स्थानवाचक क्रिया-विशेषण।
जन-जीवन – भाववाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक।
हो जाता है – क्रिया का कर्ता।
अस्त-व्यस्त – रीतिवाचक क्रिया विशेषण हो जाता है क्रिया का क्रिया-विशेषण।
हो जाता है – अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, निश्चयार्थ, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य कर्तरि प्रयोग।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

प्रश्न 7.
निम्नलिखित वाक्यों में मोटे (काले) पदों का परिचय दीजिए –
1. वह विश्वास के योग्य नहीं है।
2. मैं उस छात्र को नहीं जानता।
3. वाह! बहत मनोरंजक कहानी है यह।
4. मैं अभी आया।
5. हिमालय संसार का सबसे ऊँचा पर्वत है।
6. किसी विद्वान से बातचीत करने से ज्ञान बढ़ता है।
7. मेरा भाई तीसरी कक्षा में पढ़ता है।
8. यह घडी मेरे छोटे भाई की है. इसलिए मैं इसे किसी को नहीं दे सकता।
9. दौड़कर जाओ और बाज़ार से कुछ ले आओ।
10. इंदिरा जी जहाँ-जहाँ भी गईं, सर्वत्र उनका स्वागत हुआ।
11. हम आज भी देश पर प्राण न्योछावर करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
12. राम ने श्याम को बुरी तरह मारा।
13. विद्वान लोग सदैव समय का सदुपयोग करते हैं।
14. रमेश यहाँ दसवीं कक्षा में पढ़ता था।
15. हम मुंबई गए पर कोई लाभ नहीं हुआ।
16. कल हमने ताजमहल देखा।
17. स्वतंत्रता दिवस पर हमने स्कूल में राष्ट्रीय-ध्वज फहराया।
18. जब मैं पहुँचा तो रमेश सो रहा था।
19. जल्दी चलो वरना गाड़ी छूट जाएगी।
20. लोग धीरे-धीरे उस सँकरे रास्ते से ताजमहल की ओर बढ़े।
उत्तर :
1. वह – सर्वनाम, पुरुषवाचक, अन्य पुरुष. एकवचन, पुल्लिंग या स्त्रीलिंग, कर्ता कारक है-क्रिया का कर्ता।

2. मैं – सर्वनाम, पुरुषवाचक, उत्तम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक, ‘जानता’ क्रिया का कर्ता।
उस – सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, विशेष्य, छात्र।
छात्र – संज्ञा, जातिवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्म कारक, ‘जानता’ क्रिया का कर्म।

3. वाह! विस्मयादिबोधक अव्यय हर्षसूचक।
बहुत – प्रविशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग, मनोरंजक-विशेषण की विशेषता बताता है।
मनोरंजक – गुणवाचक विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग, ‘कहानी’ संज्ञा की विशेषता बताता है।
कहानी – जातिवाचक, संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, ‘है’ क्रिया का ‘पूरक’।
है – अपूर्ण सकर्मक क्रिया, एकवचन, स्त्रीलिंग, कर्तृवाच्य, कर्तरि प्रयोग, सामान्य वर्तमान काल, अन्य पुरुष कर्ता –
‘कहानी’-कर्मपूरक-‘कहानी’।
यह – निश्चयवाचक सर्वनाम, एकवचन, ‘है’ क्रिया का ‘कर्ता’ पुल्लिंग या स्त्रीलिंग।

4. अभी – क्रिया-विशेषण, समयसूचक, ‘आया’ क्रिया की विशेषता बताता है।
आया – अकर्मक क्रिया, एकवचन, पुल्लिंग, कर्तृवाच्य, कर्तरि प्रयोग, निश्चयार्थ, भूतकाल (सामान्य) उत्तम पुरुष, कर्ता-‘मैं’।

5. हिमालय – संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘है’ क्रिया का कर्ता।
पर्वत – जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म की भाँति प्रयुक्त, ‘है’ क्रिया का पूरक।

6. किसी सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, विशेष्य-‘विद्वान’।
बढ़ता है – क्रिया, अकर्मक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्तृवाच्य, वर्तमान काल, निश्चयार्थ, कर्तरि प्रयोग, अपूर्ण पक्ष, ‘ज्ञान’
कर्ता।

7. भाई – संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक ‘पढ़ता है’-क्रिया का कर्ता।
तीसरी – विशेषण संख्यावाचक, एकवचन, स्त्रीलिंग, विशेष्य-‘कक्षा।
पढ़ता है – क्रिया, अकर्मक, एकवचन, कर्तृवाच्य, वर्तमान काल, निश्चयार्थ, कर्तरि प्रयोग, अपूर्ण पक्ष ‘भाई’-कर्ता।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

8. यह – सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग, विशेष्य-‘घड़ी।
छोटे – विशेषण, गुणवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, भाई-विशेष्य।
इसलिए – समानाधिकरण समुच्चयबोधक ‘यह घड़ी मेरे भाई की है’ तथा ‘मैं इसे किसी को नहीं दे सकता’-इन दो
वाक्यों को जोड़ता है।

9. दौड़कर – रीतिवाचक क्रिया-विशेषण, ‘आओ’-क्रिया की विशेषता बताता है।
बाज़ार से – संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, अपादान कारक।
कुछ – अनिश्चयवाचक सर्वनाम, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक।

10. इंदिरा जी सर्वत्र – संज्ञा, व्यक्तिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्ता कारक, ‘गईं’-क्रिया का कर्ता।
स्थानवाचक क्रिया-विशेषण, ‘स्वागत हुआ’-क्रिया की विशेषता बताता है।
उनका – सर्वनाम पुरुषवाचक, आदरार्थ बहुवचन, संबंध कारक, अन्य पुरुष कर्ता कारक।

11. हम – सर्वनाम पुरुषवाचक, बहुवचन, पुल्लिंग, उत्तम पुरुष, कर्ता कारक हो जाते हैं’-क्रिया का कर्ता।
देश पर – संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।

12. राम – संज्ञा जातिवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक ‘मारा’ क्रिया का कर्ता।
मारा – सकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन, अन्य पुरुष, सामान्य भूतकाल, कर्तृवाच्य, निश्चयार्थ भावे प्रयोग, ‘राम’
कर्ता तथा ‘श्याम’-कर्म।

13. विद्वान – गुणवाचक विशेषण, बहुवचन, पुल्लिंग. विशेष्य-‘लोग।
करते हैं – सकर्मक क्रिया, बहुवचन, पुल्लिंग, अन्य पुरुष, वर्तमान काल, कर्तृवाच्य, निश्चयार्थ, कर्तरि प्रयोग, कर्ता ‘विद्वान’।

14. दसवीं – विशेषण संख्यावाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, विशेष्य-‘कक्षा’।
कक्षा में – संज्ञा जातिवाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन, अधिकरण कारक।
पढ़ता था – क्रिया, अकर्मक, अन्य पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्तरि प्रयोग कर्तृवाच्य, कर्ता ‘रमेश’।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

15. मुंबई – व्यक्तिवाचक संज्ञा, स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्म कारक।
लाभ – संज्ञा, भाववाचक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक, हुआ-क्रिया से संबंध।

16. कल – कालवाचक क्रिया-विशेषण ‘देखा’ क्रिया की विशेषता बताता है।
ताजमहल – व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्म कारक। ‘देखा’ या स्त्रीलिंग, क्रिया का कर्म।

17. हमने – सर्वनाम पुरुषवाचक, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक ‘फहराया’-क्रिया का कर्ता।
फहराया – क्रिया सकर्मक, एकवचन, पुल्लिंग, सामान्य भूतकाल, निश्चयार्थ, कर्मणि, प्रयोग, पूर्णपक्ष, कर्तृवाच्य, ‘हमने’
कर्ता, राष्ट्रीय ध्वज-कर्म।

18. मैं – सर्वनाम, उत्तम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक ‘पहुँचा’ क्रिया का कर्ता।
सो रहा था – क्रिया, अकर्मक, एकवचन, पुल्लिंग, भूतकाल, निश्चयार्थ, अपूर्ण पक्ष, कर्तरि प्रयोग, कर्तृवाच्य, ‘रमेश’-कर्ता।

19. जल्दी – क्रिया-विशेषण, समयसूचक, ‘चलो-क्रिया को विशेषता बताता है।
गाड़ी – जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, कर्म कारक, ‘छूट जाएगी’ क्रिया का कर्म (कर्ता तुम छिपा हुआ है)।

20. धीरे-धीरे – क्रिया-विशेषण, रीतिबोधक ‘बढ़े-क्रिया की विशेषता बताता है।
सँकरे – विशेषण गुणवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, विशेष्य-.’रास्ते’।

अभ्यास के लिए प्रश्नोत्तर – 

प्रश्न :
निम्नलिखित वाक्यों में मोटे छपे शब्दों का पद-परिचय दीजिए
(क) भूषण वीर रस के कवि थे।
(ख) वह कल आएगा।
(ग) मैं दसवीं कक्षा में पढ़ता हूँ।
(घ) वह अचानक दिखाई पड़ा।
(ङ) यह पुस्तक किसकी है?
उत्तर :
(क) भूषण – संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन, क्रिया का कर्ता।

(ख) वह – सर्वनाम, पुरुषवाचक, अन्य पुरुष, एकवचन, कर्ता कारक, क्रिया का कर्ता।
आएगा – भूतकालिक क्रिया, सकर्मक, भविष्यतकालिक, कर्मवाचक।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

(ग) मैं – सर्वनाम, पुरुषवाचक, उत्तम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक।
दसवीं – विशेषण, संख्यावाचक, एकवचन, स्त्रीलिंग, विशेष्य-कक्षा।
पढ़ता हूँ – क्रिया, अकर्मक, पुल्लिंग, अन्य पुरुष, एकवचन, वर्तमान काल।

(घ) वह – सर्वनाम, पुरुषवाचक, उत्तम पुरुष, एकवचन, कर्ता कारक, क्रिया का कर्ता।
अचानक – क्रिया-विशेषण, रीतिवाचक।

(ङ) यह – सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग, विशेष्य-पुस्तक।
किसकी है – क्रिया, सकर्मक, वर्तमानकालिक, एकवचन, स्त्रीलिंग, प्रश्नवाचक।

पाठ पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर – 

1. निर्देशानुसार उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

(क) नवाब लखनवी अंदाज़ लेखक को प्रभावित न कर सका।
(i) विशेषण, सार्वनामिक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iii) विशेषण, संख्यावाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) विशेषण, कालवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
उत्तर :
(ii) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।

(ख) उसने सुंदर झीलों को देखा।
(i) अकर्मक क्रिया, सामान्य भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) सकर्मक क्रिया, पूर्ण भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।
(iii) सकर्मक क्रिया, सामान्य भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) प्रेरणार्थक क्रिया, अपूर्ण भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।
उत्तर :
(iii) सकर्मक क्रिया, सामान्य भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।

(ग) ‘उन्होंने खीरे को बड़ी नज़ाकत से बाहर फेंक दिया।’
(i) क्रियाविशेषण, कालवाचक, ‘फेंक दिया’ का विशेषण।
(ii) क्रियाविशेषण, परिमाणवाचक, ‘फेंक दिया’ का विशेषण
(iii) क्रियाविशेषण, स्थानवाचक, ‘फेंक दिया’ का विशेषण।
(iv) क्रियाविशेषण, रीतिवाचक, ‘फेंक दिया’ का विशेषण।
उत्तर :
(iv) क्रियाविशेषण, रीतिवाचक, ‘फेंक दिया’ का विशेषण।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

(घ) तू यहाँ क्यों बैठा है?
(i) सर्वनाम, पुरुषवाचक, ममयम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) सर्वनाम, निश्चयवाचक, उत्तम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन।
(iii) सर्वनाम, संबंधवाचक, प्रथम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) सर्वनाम, प्रश्नवाचक, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, बहुवचन।
उत्तर :
(i) सर्वनाम, पुरुषवाचक, मध्यम पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन।

(ङ) उसने उनके वैराग्यपूर्ण जीवन को नमन किया।
(i) विशेषण, परिमाणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iii) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) विशेषण, संख्यावाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
उत्तर :
(iii) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।

2. निर्देशानुसार उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

(क) उन्होंने आस्था प्रकट की।
(i) संज्ञा, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) संज्ञा, भाववाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iii) संज्ञा, भाववाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन।
(iv) संज्ञा, जातिवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
उत्तर :
(iii) संज्ञा, भाववाचक, स्त्रीलिंग, एकवचन!

(ख) वे पिता जी की स्मृति में सर्वदा डूब जाते।
(i) क्रियाविशेषण, कालवाचक, ‘डूब जाते’ का विशेषण।
(ii) क्रियाविशेषण, स्थानवाचक, ‘डूब जाते’ का विशेषण।
(iii) क्रियाविशेषण, रीतिवाचक, ‘डूब जाते’ का विशेषण।
(iv) क्रियाविशेषण, परिमाणवाचक. ‘डूब जाते’ का विशेषण।
उत्तर :
(i) क्रियाविशेषण, कालवाचक, ‘डूब जाते’ का विशेषण।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

(ग) जैसा बोओगे वैसा काटोगे।
(i) सर्वनाम, प्रश्नवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ii) सर्वनाम, संबंधवाचक, पुल्लिंग. एकवचन।
(iii) सर्वनाम, अनिश्चयवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) सर्वनाम, निजवाचक, पुल्लिग. एकवचन।
उत्तर :
(ii) सर्वनाम, संबंधवाचक. पुल्लिंग, एकवचन।

(घ) मैं रामायण पढ़ता हूँ।
(i) व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग।
(ii) जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग
(iii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग।
(iv) जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग।
उत्तर :
(iii) व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग।

(ङ) उसने विशाल किला देखा।
(i) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन!
(ii) विशेषण, परिमाणवाचक, स्त्रीलिंग एकवचन
(iii) विशेषण, संख्यावाचक, पुल्लिंग, एकवचन।
(iv) विशेषण. परिमाणवाचक स्त्रीलिंग, बहुवचन।
उत्तर :
(i) विशेषण, गुणवाचक, पुल्लिंग, एकवचन।

बोर्ड की परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर – 

प्रश्न 1.
रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिए –
मानव सभ्य तभी है जब वह युद्ध से शांति की ओर आगे बढ़े।
उत्तर :

  • मानव – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग. एकवचन, कर्ता कारक, ‘है’ क्रिया का कर्ता।
  • सभ्य – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, विशेष्य ‘मानव’
  • वह – सर्वनाम, पुरुषवाचक सर्वनाम, एकवचन, पुल्लिंग, ‘बढ़े’ क्रिया का कर्ता
  • बढ़े – क्रिया, अकर्मक क्रिया, पुल्लिंग, एकवचन

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

प्रश्न 2.
निम्नलिखित रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिए –
मानव को इनसान बनाना अत्यन्त ही कठिन कार्य है लेकिन असंभव नहीं।
उत्तर :

  • मानव को – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, कर्म कारक, पुल्लिंग, एकवचन।
  • कठिन – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, विशेष्य ‘कार्य’, पुल्लिंग, एकवचन।
  • कार्य – संज्ञा, भाववाचक संज्ञा. कर्मकारक, पुल्लिंग, एकवचन।
  • लेकिन – अव्यय, समुच्यबोधक अव्यय, समानाधिकरण।

प्रश्न 3.
रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए –
अपने गाँव की मिट्टी छूने के लिए मैं तरस गया।
उत्तर :

  • गाँव की – संज्ञा (जातिवाचक), पुल्लिंग, एकवचन, संबंध कारक।
  • मिट्टी – संज्ञा (जातिवाचक), स्त्रीलिंग, एकवचन, कर्म कारक।
  • मैं – सर्वनाम (उत्तम पुरुषवाचक), पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक।
  • तरस गया – क्रिया (अकर्मक), पुल्लिंग, एकवचन, भूतकाल, ‘तरस’ मुख्य क्रिया, ‘गया’ रंजक क्रिया।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित वाक्यों के रेखांकित पदों का पदपरिचय लिखिए –
(क) आज भी भारत में अनेक अभिमन्यु हैं।
(ख) प्रात:काल घूमने जाया करो ताकि स्वास्थ्य ठीक रहे।
(ग) पिता जी कल ही तीर्थ यात्रा पर गए।
(घ) अनुराग ने काला कोट पहना है।
उत्तर :
(क) अभिमन्यु – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, कर्ता कारक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ख) ताकि – अव्यव, समुच्चयबोधक अव्यय।
(ग) गए – क्रिया, अकर्मक क्रिया, भूतकाल, कर्तृवाच्य, एकवचन, पुल्लिंग।
(घ) काला – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, एकवचन, पुल्लिंग, ‘कोट’-विशेष्य।

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए…
(क) दादी जी प्रतिदिन समाचार पत्र पढ़ती हैं।
(ख) रोहन यहाँ नहीं आया था।
(ग) वे मुंबई जा चुके हैं।
(घ) परिश्रमी अंकिता अपना काम समय से पूरा कर लेती है।
(ङ) रवि रोज़ सवेरे दौड़ता है।
उत्तर :
(क) पढ़ती हैं – क्रिया, सकर्मक क्रिया, कर्तृवाच्य, वर्तमान काल, एकवचन, स्त्रीलिंग।
(ख) यहाँ – क्रियाविशेषण, स्थानवाचक क्रियाविशेषण।
(ग) वे – सर्वनाम, अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम, कर्ता कारक, बहुवचन पुल्लिंग।
(घ) परिश्रमी – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन।
(ङ) रवि – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, कर्ता कारक, पुल्लिंग, एकवचन।

प्रश्न 6.
रेखांकित पदों में से किन्हीं चार पदों का पद-परिचय लिखिए –
नेताजी की उस मूर्ति पर टूटा चश्मा लगा था।
उत्तर :
(क) नेताजी की – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, संबंध कारक, पुल्लिंग एकवचन।
(ख) उस – विशेषण, सार्वनामिक विशेषण, एकवचन, स्त्रीलिंग।
(ग) मूर्ति पर – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, अधिकरण कारक, स्त्रीलिंग एकवचन।
(घ) चश्मा – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, कर्म कारक, एकवचन, पुल्लिंग।
(ङ) लगा था – क्रिया, अकर्मक क्रिया, कर्तृवाच्य, भूतकाल, पुल्लिंग, एकवचन।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

प्रश्न 7.
मुझे देखते ही प्रतिष्ठित व्यक्ति अंबालाल जी ने गर्मजोशी से मेरा सम्मान किया।
उत्तर :
(क) मुझे – पुरुषवाचक सर्वनाम, उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम, कर्मवाचक, पुल्लिंग, स्त्रीलिंग।
(ख) देखते ही – क्रियाविशेषण, कालवाचक क्रियाविशेषण, सम्मान क्रिया, क्रिया का विशेषण।
(ग) प्रतिष्ठित – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन।
(घ) व्यक्ति – संज्ञा, जातिवाचक संज्ञा, कर्ता कारक, पुल्लिंग, एकवचन।
(ङ) अंबालाल जी ने – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, कर्ता कारक, पुल्लिंग, एकवचन।

प्रश्न 8.
सुलोचना की नई फ़िल्म आई और वे चले फ़िल्म देखने।
उत्तर :
(क) सुलोचना की – संज्ञा, व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, संबंध कारक।
(ख) नई – विशेषण, गुणवाचक विशेषण, स्त्रीलिंग, एकवचन।
(ग) और – अव्यय, समुच्चयबोधक अव्यय।
(घ) वे – पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुषवाचक, कर्ता कारक, पुल्लिंग, बहुवचन।
(ङ) चले – क्रिया, अकर्मक क्रिया, वर्तमान काल, पुल्लिंग, बहुवचन। \

1. इस वाक्य का वाच्य लिखिए-‘अशोक ने विश्व को शांति का संदेश दिया।’
(क) कर्मवाक्य
(ख) भाववाच्य
(ग) कर्तृवाच्य
(घ) करणवाच्य
उत्तर :
(ग) कर्तृवाच्य।

2. “हम इस खुले मैदान में दौड़ सकते हैं।’-उपर्युक्त वाक्य को भाववाच्य में बदलिए–
(क) हम दौड़ सकते हैं इस खुले मैदान में
(ख) हम इस खुले मैदान में दौड़ सकेंगे।
(ग) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जाएगा।
(घ) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जा सकता है।
उत्तर :
(घ) हमसे इस खुले मैदान में दौड़ा जा सकता है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

3. “सुमन जल्दी नहीं उठती।”-प्रस्तुत वाक्य को भाववाच्य में बदलिए
(क) सुमन जल्दी नहीं उठ पाती।
(ख) सुमन जल्दी से नहीं उठ सकेगी।
(ग) सुमन जल्दी नहीं उठ पाएगी।
(घ) सुमन से जल्दी नहीं उठा जाता।
उत्तर :
(घ) सुमन से जल्दी नहीं उठा जाता।

4. निम्नलिखित वाक्यों में से कर्तृवाच्य वाला वाक्य छाँटिए –
(क) अरविंद द्वारा कल पत्र लिखा जाएगा।
(ख) बच्चों द्वारा नमस्कार किया गया।
(ग) सरकार द्वारा लोक कलाकारों का सम्मान किया गया।
(घ) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।
उत्तर :
(घ) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया।

5. निम्नलिखित में से कौन-सा भाववाच्य का सही विकल्प नहीं है?
(क) मुझसे अब देखा नहीं जाता।
(ख) आइए चला जाए।
(ग) हमें धोखा दिया जा रहा है।
(घ) राधा से बोला नहीं जाता।
उत्तर :
(ग) हमें धोखा दिया जा रहा है।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

6. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –
(क) नेताजी ने देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) दर्द के कारण वह खड़ा ही नहीं हुआ। (भाववाच्य में बदलिए)
(ग) परीक्षा के बारे में अध्यापक द्वारा क्या कहा गया? (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(घ) नवाब साहब ने हमारी ओर देखकर कहा कि खीरा लज़ीज होता है। (कर्मवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) नेताजी के द्वारा देश के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया गया।
(ख) दर्द के कारण उससे खड़ा ही नहीं हुआ जाता।
(ग) अध्यापक ने परीक्षा के बारे में क्या कहा?
(घ) नवाब साहब द्वारा हमारी ओर देखकर कहा गया कि खीरा लजीज होता है।

7. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –
(क) किसान के द्वारा खेत की जुताई की गई। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(ख) कितने कंबल बँटे? (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ग) आओ, यहाँ बैठ सकते हैं? (भाववाच्य में बदलिए)
(घ) सैनिकों द्वारा देश की रखवाली की जाती है। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) किसान ने खेत जोता।
(ख) कितने कंबल बाँटे गए?
(ग) आओ, यहाँ बैठा जाए।
(घ) सैनिक देश की रखवाली करते हैं।

8. निर्देशानुसार उत्तर लिखिए –
(क) विद्यार्थियों द्वारा परीक्षा दी गई। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(ख) मैं दीपावली पर मिट्टी के दीए जलाऊँगी। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ग) हर्षिता पैदल चल नहीं सकती। (भाववाच्य में बदलिए)
(घ) तुमसे चुप नहीं रहा जाता। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
उत्तर :
(क) विद्यार्थियों ने परीक्षा दी।
(ख) मेरे द्वारा दीपावली पर मिट्टी के दीए जलाए जाएंगे।
(ग) हर्षिता से पैदल चला नहीं जाता।
(घ) तुम चुप नहीं रह सकते।

9. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –
(क) कैप्टन चश्मा बदल देता था। (कर्मवाच्य में)
(ख) इस दिन दालमंडी में शहनाई बजाई जाती थी। (कर्तृवाच्य में)
(ग) वे आज रात यहीं ठहरेंगे। (भाववाच्य में)
(घ) अब सोया नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर :
(क) कैप्टन द्वारा चश्मा बदल दिया जाता था।
(ख) इस दिन दालमंडी में शहनाई बजती थी।
(ग) उनके द्वारा आज रात यहीं ठहरा जाएगा।
(घ) मुझसे अब सोया नहीं जाता।

JAC Class 10 Hindi व्याकरण पद-परिचय

10. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –
(क) पतोहू ने आग दी। (कर्मवाच्य में)
(ख) अब सोया नहीं जाता। (कर्तृवाच्य में)
(ग) वह खेलेगा। (भाववाच्य में)
उत्तर :
(क) पतोहू द्वारा आग दी गई।
(ख) अब नहीं सोया।
(ग) उससे खेला जाएगा।

11. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –
(क) अब गायक संगतकारों का आदर नहीं करते। (कर्मवाच्य में)
(ख) चिड़िया चोट के कारण उड़ नहीं पा रही थी। (भाववाच्य में)
उत्तर :
(क) अब गायकों द्वारा संगतकारों का आदर नहीं किया जाता।
(ख) चिड़िया द्वारा चोट के कारण उड़ा नहीं जा पा रहा था।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. निम्नलिखित में से पृथ्वी की संरचना का मुख्य स्त्रोत क्या है?
(A) भूकम्पीय तरंगें
(B) ज्वालामुखी
(C) पृथ्वी का तापमान
(D) पृथ्वी का घनत्व।
उत्तर:
भूकम्पीय तरंगें।

2. भू-पृष्ठ का घनत्व बताओ
(A) 17.2
(B) 5.68
(C) 2.75
(D) 5.53.
उत्तर:
(C) 2.75.

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना

3. पृथ्वी की अभ्यान्तर परत को क्या कहा जाता है?
(A) सियाल
(B) सीमा
(C) नाइफ
(D) मैंटल।
उत्तर:
(C) नाइफ।

4. अभ्यान्तर में अधिकतम घनत्व का मुख्य कारण क्या है?
(A) अधिक गहराई
(B) अधिक तापमान
(C) तरल पदार्थ
(D) निक्कल तथा लौह धातुएं।
उत्तर:
निक्कल तथा लौह धातुएं।

5. पृथ्वी के भीतरी भाग में तापमान की वृद्धि की औसत दर क्या है?
(A) 1°C प्रति कि०मी०
(B) 12°C प्रति कि० मी०
(C) 1°C प्रति 30 मीटर
(D) 10°C प्रति 100 मीटर।
उत्तर:
(C) 1°C प्रति 30 मीटर।

6. निम्नलिखित में से कौन-सा तथ्य पृथ्वी की आन्तरिक बनावट पर सर्वाधिक प्रकाश डालता है?
(A) गहरी खदानों का खोदा जाना
(B) कुओं का खोदा जाना
(C) भूकम्पीय तरंगें
(D) ज्वालामुखी उद्भेदन।
उत्तर:
(C) भूकम्पीय तरंगें।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना

7. कौन-सी भूकम्पीय तरंगें पृथ्वी से 2900 किलोमीटर की गहराई के पश्चात् लुप्त हो जाती हैं?
(A) प्राथमिक
(B) गौण
(C) धरातलीय
(D) अनुदैर्ध्य।
उत्तर:
(B) गौण।

8. भूकम्पीय तरंगों को रेखांकित करने वाला यन्त्र
(A) थर्मोग्राफ
(B) सिस्मोग्राफ
(C) हाइग्रोग्राफ
(D) बैरोग्राफ।
उत्तर:
(B) सिस्मोग्राफ।

9. भूपर्पटी में विकसित थरथराहट को कहते हैं
(A) भूसंचरण
(B) पृथ्वी की गति
(C) भूकम्प
(D) पृथ्वी की कामुकता।
उत्तर:
(C) भूकम्प।

10. भूकम्पों के कारण समुद्रों में विकसित विशाल तरंगें होती हैं
(A) समुद्री तरंगें
(B) ज्वारीय तरंगें
(C) सुनामी तरंगें
(D) धरातलीय तरंगें।
उत्तर:
सुनामी तरंगें।

11. पृथ्वी की त्रिज्या कितनी है?
(A) 5370 कि०मी०
(B) 6370 कि०मी०
(C) 7370 कि०मी०
(D) 8370 कि०मी०।
उत्तर:
(B) 6370 कि०मी०।

12. दक्षिणी अफ्रीका की सोने की खानें कितनी गहरी हैं?
(A) 3-4 कि०मी०
(B) 4-5 कि०मी०
(C) 5-6 कि०मी०
(D) 6-7 कि०मी०
उत्तर:
(A) 3-4 कि०मी०

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13. सबसे गहरा प्रवेधन कितना गहरा है?
(A) 10 कि०मी०
(B) 11 कि०मी०
(C) 12 कि०मी०
(D) 13 कि०मी०
उत्तर:
(C) 12 कि०मी०

14. प्राकृतिक भूकम्प किस भू-भाग में आते हैं?
(A) स्थल खण्ड
(B) मैंटल
(C) नाईफ्
(D) क्रोड ।
उत्तर:
(A) स्थल खण्ड

15.’P’ व ‘S’ तरंगों के छाया क्षेत्र का अधि केन्द्र से विस्तार है ।
(A) 105-145°
(B) 115-1550
(C) 125-165°
(D) 135-175°
उत्तर:
(A) 105-145°

16. भूकंप की तीव्रता का माप किस वैज्ञानिक के नाम पर है?
(A) कान्ट
(B) लाप्लेस
(C) मरकैली
(D) ऑटो शिमिड।
उत्तर:
(C) मरकैली

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भूकम्पीय तरंगों के प्रकार बताओ।
उत्तर:

  1. प्राथमिक तरंगें
  2. माध्यमिक तरंगें
  3. धरातलीय तरंगें ।

प्रश्न 2.
धात्विक क्रोड के दो प्रमुख पदार्थ बताओ ।
उत्तर:
निकिल, लोहा

प्रश्न 3.
पृथ्वी की तीन परतों के नाम लिखो
उतर:
सियाल, सीमा, नाइफ

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प्रश्न 4.
पृथ्वी की संरचना की जानकारी के प्रत्यक्ष साधन बताओ ।
उत्तर:
खानें, कुएं, छिद्र

प्रश्न 5.
पृथ्वी के आन्तरिक भाग में तापमान वृद्धि की औसत दर क्या है?
उत्तर:
1°C प्रति 32 मीटर।

प्रश्न 6.
पृथ्वी की संरचना की जानकारी प्रदान करने वाले परोक्ष साधन कौन-से हैं?
उत्तर:

  1. तापमान
  2. दबाव
  3. परतों का घनत्व
  4. भूकम्पीय तरंगें
  5. उल्काएं।

प्रश्न 7.
भूकम्पीय तरंगों के अध्ययन करने वाले यन्त्र का क्या नाम है?
उत्तर:
सीस्मोग्राफ (Seismograph)।

प्रश्न 8. कितनी गहराई के पश्चात् ‘S’ तरंगें लुप्त हो जाती हैं?
उत्तर:
2900km.

प्रश्न 9.
कौन-सी तरंगें केवल ठोस माध्यम से ही गुज़र सकती हैं?
उत्तर:
अनुप्रस्थ तरंगें।

प्रश्न 10.
किन प्रमाणों से पता चलता है कि पृथ्वी के आन्तरिक भाग का तापमान अधिक है?
उत्तर:

  1. ज्वालामुखी
  2. गर्म जल के झरने
  3. खानों से।

प्रश्न 11.
सियाल (Sial) किन दो शब्दों के संयोग से बना है?
उत्तर:
सियाल शब्द सिलिका तथा एल्यूमीनियम (Si+Al) के संयोग से बना है।

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प्रश्न 12.
सीमा (Sima) किन दो शब्दों के संयोग से बना है?
उत्तर:
सीमा शब्द सिलिका तथा मैग्नीशियम (Si+Mg) के संयोग से बना है।

प्रश्न 13.
निफे (Nife) शब्द किन दो शब्दों के संयोग से बना है?
उत्तर:
निफे शब्द निकिल तथा फैरस (Ni+Fe) के संयोग से बना है।

प्रश्न 14.
पृथ्वी की केन्द्रीय परत को क्या कहते हैं?
उत्तर:
अभ्यान्तर या क्रोड या गुरुमण्डल।

प्रश्न 15.
पृथ्वी का औसत घनत्व कितना है?
उत्तर:
5.53.

प्रश्न 16.
सबसे धीमी गति वाली तरंगें कौन-सी हैं?
उत्तर:
धरातलीय तरंगें।

प्रश्न 17.
पृथ्वी के अभ्यान्तर का घनत्व कितना है?
उत्तर:
13.

प्रश्न 18.
अभ्यान्तर का घनत्व सबसे अधिक क्यों है?
उत्तर:
अभ्यान्तर में निकिल तथा लोहे के कारण।

प्रश्न 19.
Volcano ज्वाला शब्द यूनानी भाषा के किस शब्द से बना है?
उत्तर:
यूनानी शब्द ‘Vulan’ का अर्थ-पाताल देवता है।

प्रश्न 20.
पृथ्वी के अन्दर पिघले पदार्थ को क्या कहते हैं?
उत्तर:
मैग्मा।

प्रश्न 21.
जब मैग्मा पृथ्वी के धरातल से बाहर आ जाता है तो उसे क्या कहते हैं?
उत्तर:
लावा।

प्रश्न 22.
ज्वालामुखी के तीन प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. सक्रिय ज्वालामुखी
  2. प्रसुप्त ज्वालामुखी
  3. मृत ज्वालामुखी।

प्रश्न 23.
भारत में सक्रिय ज्वालामुखी का नाम बताएं।
उत्तर:
अण्डमान द्वीप के निकट बैरन द्वीप।

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प्रश्न 24.
ज्वालामुखी शंकु किसे कहते हैं?
उत्तर:
ज्वालामुखी के मुख से निकले पदार्थ मुख के आस-पास जमा हो जाते हैं। धीरे-धीरे ये शंकु का रूप धारण कर लेते हैं। इन्हें ज्वालामुखी शंकु कहते हैं।

प्रश्न 25.
क्रेटर किसे कहते हैं?
उत्तर:
ज्वालामुखी के केन्द्र में कटोरे के समान या कीपाकार गर्त को क्रेटर कहते हैं।

प्रश्न 26.
काल्डेरा किसे कहते हैं?
उत्तर:
विशाल क्रेटर को काल्डेरा कहते हैं।

प्रश्न 27.
भूकम्प किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी का अचानक हिलना।

प्रश्न 28.
भूकम्प आने के तीन कारण लिखो।
उत्तर:

  1. ज्वालामुखी विस्फोट
  2. विवर्तनिक कारण
  3. लचक शक्ति।

प्रश्न 29.
उद्गम केन्द्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी के अन्दर जहां भूकम्प उत्पन्न होता है, उसे उद्गम केन्द्र कहते हैं।

प्रश्न 30.
अधिकेन्द्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भूकम्प केन्द्र के ठीक ऊपर धरातल पर स्थिर बिन्दु या स्थान को अधिकेन्द्र कहते हैं।

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प्रश्न 31.
आग का गोला (Ring of fire) किसे कहा जाता है?
उत्तर:
परिप्रशान्त महासागरीय पेटी।

प्रश्न 32.
संसार की तीन प्रमुख ज्वालामुखी पेटियों के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. प्रशांत महासागरीय पेटी
  2. अन्ध महासागरीय पेटी
  3. मध्य महाद्वीपीय पेटी।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सियाल (Sial) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यह पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है। इसमें सिलिका तथा एल्यूमीनियम के अंश अधिक मात्रा में हैं। इन दोनों धातुओं के संयोग के कारण इस परत को सियाल (Sial = Silica + Aluminium) कहते हैं। इस परत की औसत गहराई 60 km. है। इस परत का घनत्व 2.75 है। इस परत से महाद्वीपों का निर्माण हुआ है।

प्रश्न 2.
सीमा (Sima ) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सियाल से निचली परत को सीमा कहा जाता है। इस परत से सिलिका तथा मैग्नीशियम धातुएं अधिक मात्रा में मिलती हैं। इसलिए इस परत को सीमा (Sima = Silica + Magnesium) कहा जाता है। इस परत की मोटाई 2800 km है। इसका औसत घनत्व 4.75 है। महासागरीय तल इसी परत से बना हुआ है।

प्रश्न 3.
निफे (Nife) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
यह पृथ्वी की सबसे निचली तथा केन्द्रीय परत है। यह सबसे भारी परत है जिसका घनत्व 13 है। इसमें निकिल तथा फैरस (लोहा) धातुएं अधिक हैं। इसलिए इसे (Nife = Nickle + Ferrous) कहा जाता है। इस परत की मोटाई 3500 km. 1

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प्रश्न 4.
पृथ्वी की तीन मौलिक परतों के नाम, गहराई, विस्तार तथा घनत्व बताओ।
उत्तर:
पृथ्वी का निर्माण करने वाली तीन मूल परतें हैं जिनकी रचना भिन्न घनत्व वाले पदार्थों से हुई है

  1. भू-पृष्ठ (Crust),
  2. मैण्टल (Mantle, )
  3. क्रोड (Core)
परत क्षेत्र मोटाई कुल का \% घनत्व
(1) भू-पृष्ठ सियाल 60 कि॰ मी० 0.5 2.75
(2) मैण्टल सीमा 2840 कि॰ मी० 16.5 5.68
(3) क्रोड नाइफ 3500 कि॰ मी० 83.0 17.2

प्रश्न 5.
सिस्मोग्राफ किसे कहते हैं? इसका प्रयोग किस उद्देश्य के लिए किया जाता है?
उत्तर:
सिस्मोग्राफ (Seismograph) एक यन्त्र है जिसके द्वारा भूकम्पीय तरंगें तथा तीव्रता मापी जाती है। इस यन्त्र में लगी एक सूई द्वारा ग्राफ पेपर पर भूकम्पीय तरंगों को रेखांकित किया जाता है। इस यन्त्र द्वारा भूकम्प का उद्गम (Focus), भूकम्पीय तरंगों की गति, मार्ग तथा तीव्रता का ज्ञान होता है।

प्रश्न 6.
भूकम्पीय तरंगों के मुख्य प्रकार बताओ। कौन-सी तरंगें धीमी गति वाली हैं तथा कौन-सी तरंगें तेज़ गति वाली हैं?

  1. प्राथमिक या अनुदैर्ध्य तरंगें।
  2. गौण या अनुप्रस्थ तरंगें
  3. धरातलीय या लम्बी तरंगें।

धरातलीय तरंगें सब से धीमी गति से चलती हैं। प्राथमिक तरंगें सब से तेज़ गति से चलती हैं।

प्रश्न 7.
गुरुत्वाकर्षण तथा चुम्बकीय क्षेत्र किस प्रकार भूकम्प सम्बन्धी सूचना देते हैं?
उत्तर:
अन्य अप्रत्यक्ष स्रोतों में गुरुत्वाकर्षण, चुम्बकीय क्षेत्र व भूकम्प सम्बन्धी क्रियाएं शामिल हैं। पृथ्वी के धरातल पर भी विभिन्न अक्षांशों पर गुरुत्वाकर्षण बल एक समान नहीं होता है। यह (गुरुत्वाकर्षण बल) ध्रुवों पर अधिक एवं भूमध्यरेखा पर कम होता है। पृथ्वी के केन्द्र से दूरी के कारण गुरुत्वाकर्षण बल ध्रुवों पर कम और भूमध्य रेखा पर अधिक होता है । गुरुत्व का मान पदार्थ के द्रव्यमान के अनुसार भी बदलता है । पृथ्वी के भीतर पदार्थों का असमान वितरण भी इस भिन्नता को प्रभावित करता है।

अलग-अलग स्थानों पर गुरुत्वाकर्षण की भिन्नता अनेक अन्य कारकों से भी प्रभावित होती है। इस भिन्नता को गुरुत्व विसंगति (Gravity anomaly ) कहा जाता है गुरुत्व विसंगति हमें भूपर्पटी में पदार्थ के द्रव्यमान के वितरण की जानकारी देती है। चुम्बकीय सर्वेक्षण भी भूपर्पटी में चुम्बकीय पदार्थ के वितरण की जानकारी देते हैं । भूकम्पीय गतिविधियां भी पृथ्वी की आन्तरिक जानकारी का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है ।

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प्रश्न 8.
उल्काएं पृथ्वी की आन्तरिक बनावट के विषय में जानकारी देने में किस प्रकार सहायक हैं?
उत्तर:
कभी-कभी जलते हुए पदार्थ आकाश से पृथ्वी की ओर गिरते दिखाई देते हैं। इन्हें उल्का (Meteorites) कहते हैं। यह सौर मण्डल का एक भाग है। इनके अध्ययन से पता चलता है कि इनके निर्माण में लोहा और निकिल की प्रधानता है। पृथ्वी की रचना उल्काओं से मिलती-जुलती है तथा पृथ्वी का आंतरिक क्रोड भी भारी पदार्थों (लोहा + निकिल ) से बना हुआ है।

प्रश्न 9.
गुरुमण्डल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
गुरुमण्डल (Barysphere):
पृथ्वी के केन्द्रीय भाग या आन्तरिक क्रोड को गुरुमण्डल कहते हैं। इसकी औसत गहराई 4980 से 6400 मी० है। यह अत्यधिक भारयुक्त खनिज पदार्थों से बना हुआ है। इसका औसत घनत्व 13 से अधिक है। इसमें लोहा तथा निकिल पदार्थों की अधिकता है। इस भाग को अभ्यान्तर (Core) भी कहा जाता है।

प्रश्न 10.
ज्वालामुखी किसे कहते हैं? ज्वालामुखी के विभिन्न भाग बताओ।
उत्तर:
ज्वालामुखी (Volcano):
ज्वालामुखी क्रिया एक अन्तर्जात क्रिया है जो भू-गर्भ से सम्बन्धित है। ज्वालामुखी धरातल पर एक गहरा प्राकृतिक छिद्र है जिससे भू-गर्भ से गर्म गैसें, लावा, तरल व ठोस पदार्थ बाहर निकलते हैं। सबसे पहले एक छिद्र की रचना होती है जिसे ज्वालामुखी (Volcano) कहते हैं। इस छिद्र से निकलने वाले लावा पदार्थों के चारों ओर फैलने तथा ठण्डा होकर ठोस होने से एक उच्च भूमि का निर्माण होता है जिसे ज्वालामुखी पर्वत कहते हैं। एक लम्बे समय में कई बार निकासन, शीतलन तथा ठोसीकरण की क्रिया से ज्वालामुखी का निर्माण होता है।

ज्वालामुखी के भाग (Parts of a Volcano):

  1. ज्वालामुखी निकास-एक छेद जिस से लावा का निष्कासन होता है ज्वालामुखी निकास कहलाता है।
  2. विवर-ज्वालामुखी विकास के चारों ओर एक तश्तरीनुमा गर्त को विवर कहते हैं।
  3. कैल्डेरा–विस्फोट से बने खड़ी दीवारों वाले कंड को कैलडेरा कहते हैं।

प्रश्न 11.
भूकम्पों के विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
उत्पत्ति के आधार पर भूकम्प निम्नलिखित प्रकार के हैं

  1. विवर्तनिक भूकम्प-सामान्यतः विवर्तनिक (Tectonic) भूकम्प ही अधिक आते हैं। ये भूकम्प भ्रंश तल के किनारे चट्टानों के सरक जाने के कारण उत्पन्न होते हैं।
  2. ज्वालामुखी भूकम्प-एक विशिष्ट वर्ग के विवर्तनिक भूकम्प को ही ज्वालामुखीजन्य (Volcanic) भूकम्प समझा जाता है। ये भूकम्प अधिकांशतः सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्रों तक ही सीमित रहते हैं।
  3. नियात भूकम्प-खनन क्षेत्रों में कभी-कभी अत्यधिक खनन कार्य से भूमिगत खानों की छत ढह जाती है, जिससे हल्के झटके महसूस किये जाते हैं। इन्हें नियात (Collapse) भूकम्प कहा जाता है।
  4. विस्फोट भूकम्प-कभी-कभी परमाणु व रासायनिक विस्फोट से भी भूमि में कम्पन होती है। इस तरह के झटकों को विस्फोट (Explosion) भूकम्प कहते हैं।
  5. बांध जनित भूकम्प-जो भूकम्प बड़े बांध वाले क्षेत्रों में आते हैं, उन्हें बांध जनित (Reservoir induced) भूकम्प कहा जाता है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना

प्रश्न 12.
सुनामी किसे कहते हैं? इनके विनाशकारी प्रभाव की एक उदाहरण दो।
उत्तर:
सुनामी (Tsunami):
कई बार भूकम्प के कारण सागरीय लहरें बहुत ऊंची उठ जाती हैं। जापान में इन्हें सुनामी कहते हैं। ये तूफानी लहरें तटीय प्रदेशों में जान-माल की हानि करती हैं। सन् 1883 में क्राकटोआ विस्फोट से जो भूकम्प आया जिससे 15 मीटर ऊंची लहरें उठीं तथा पश्चिमी जावा में 36,000 व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। 26 दिसम्बर, 2004 को इण्डोनेशिया के निकट केन्द्रित भूकम्प से हिन्दमहासागर में 30 मीटर ऊंची सुनामी लहरों से लगभग 3 लाख व्यक्तियों की जानें गईं। इण्डोनेशिया, थाइलैंड, अण्डमान द्वीप, तमिलनाडु तट तथा श्रीलंका के तटीय भागों में प्रलय समान तबाही हुई।

प्रश्न 13.
दुर्बलता मण्डल क्या है?
उत्तर:
दुर्बलता मण्डल (Asthenosphere) ऊपरी मैंटल परत का एक भाग है। यह 650 कि० मी० गहरा है। यह परत ठोस तथा लचीले गुट रखती है। इस परत का अनुमान प्रसिद्ध भूकम्प वैज्ञानिक गुट्नबर्ग ने लगाया था। यहां भूकम्पीय लहरों की गति कम होती है। Asthenosphere का अर्थ है दुर्बलता।

प्रश्न 14.
पृथ्वी के धरातल का विन्यास किन प्रक्रियाओं का परिणाम है?
उत्तर:
पृथ्वी पर भू-आकृतियों का विकास बहिर्जात एवं अन्तर्जात क्रियाओं का परिणाम है। दोनों प्रक्रियाएं निरन्तर कार्य करती हैं तथा भू-आकृतियों को जन्म देती हैं।

प्रश्न 15.
पृथ्वी की संरचना की जानकारी के प्रत्यक्ष साधनों के नाम लिखो।
उत्तर:
पृथ्वी की संरचना की जानकारी के प्रत्यक्ष साधन निम्नलिखित है

  1. धरातलीय चट्टानें : धरातलीय चट्टानें सुगमता से प्राप्त होती हैं तथा इन से भू-गर्भ की जानकारी मिलती है।
  2. खनन क्षेत्र : दक्षिणी अफ्रीका की सोने की खानों की गहराई 3-4 किलोमीटर तक है जहां तक जाना सम्भव है।
  3. विभिन्न परियोजनाएं : गहरे समुद्र में गहराई से पदार्थ प्राप्त करने की योजनाएं भी प्रत्यक्ष साधन हैं।
  4. ज्वालामुखी उद्गार : ज्वालामुखी उद्गार से लावा पृथ्वी के धरातल पर आता है तो पृथ्वी की संरचना की जानकारी मिलती है।

प्रश्न 16.
उन दो वैज्ञानिक परियोजनाओं का वर्णन करो जिनसे पृथ्वी के भूगर्भ की जानकारी प्राप्त होगी।
उत्तर:
पृथ्वी के वैज्ञानिक ऐसी दो परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं।

  1. गहरे समुद्र में प्रवेश परियोजना (Deep ocean drilling project).
  2. समन्नित महासागरीय परिवेधन परियोजना (Integrated ocean drilling project) आज तक सबसे गहरा प्रवेधक (Drill) आर्कटिक महासागर के कोला (Kola) क्षेत्र में 12km की गहराई तक किया गया है।

प्रश्न 17.
भूकम्प की माप किस पैमाने पर की जाती है?
उत्तर:
भूकम्पों की माप-भूकम्पीय घटनाओं का मापन भूकम्पीय तीव्रता के आधार पर अथवा आघात की तीव्रता के आधार पर किया जाता है। भूकम्पीय तीव्रता की मापनी ‘रिक्टर स्केल’ (Richter scale) के नाम से जानी जाती है। भूकम्पीय तीव्रता भूकम्प के दौरान ऊर्जा विमोचन से सम्बन्धित है। इस मापनी के अनुसार भूकम्प की तीव्रता 0 से 10 तक होती है। तीव्रता गहनता (Intensity scale) ‘हानि की तीव्रता’ मापनी इटली के भूकम्प वैज्ञानिक मरकैली (Mercalli) के नाम पर है। यह मापनी झटकों से हुई प्रत्यक्ष हानि द्वारा निर्धारित की गई है। इसका गहनता का विस्तार 1 से 12 तक है।

तुलनात्मक प्रश्न
(Comparison Type Questions)

प्रश्न 1.
अनुदैर्ध्य तथा अनुप्रस्थ तरंगों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal waves) अनुप्रस्थ तरंगें (Transverse waves)
(1) इन तरंगों में कण आगे बढ़ने की दिशा में चलते हैं। (1) ये तरंगें दोलन की दिशा पर समकोण चलती हैं।
(2) इन्हें प्राथामिक तरंगें, ध्वनि तरंगें या P-waves कहा जाता है। (2) इन्हें द्वितीयक या S-waves भी कहा जाता है।
(3) इनकी गति कुछ तेज़ होती है। (3) इसकी गति धीमी होती है।
(4) ये तरल, गैस तथा ठोस तीनों माध्यमों से गुज़र सकती हैं। (4) ये केवल ठोस माध्यम से ही गुज़र सकती हैं।
अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal waves) अनुप्रस्थ तरंगें (Transverse waves)

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना

प्रश्न 2.
भू-पृष्ठ तथा अभ्यान्तर में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

भू-पृष्ठ (Crust) अभ्यान्तर (Core)
(1) यह पृथ्वी की बाहरी परत है। (1) यह पृथ्वी की भीतरी परत है।
(2) यह सबसे हल्की परत है। (2) यह सब से भारी परत है।
(3) इस परत का औसत घनत्व $2.75$ है। (3) इस परत का औसत घनत्व $17.2$ है।
(4) यह पृथ्वी के $0.5 \%$ भाग को घेरे हुए है। (4) यह पृथ्वी के $83 \%$ भाग को घेरे हुए है।
(5) इसमें सिलिका तथा एल्यूमीनियम की अधिकता है। (5) इसमें निकल तथा लोहे की अधिकता है।

प्रश्न 3.
मैग्मा तथा लावा में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:

मैग्मा (Magma) लावा (Lava)
(1) पृथ्वी के भीतरी भाग में पिघले हुए गर्म घोल को मैग्मा कहते हैं। (1) जब उद्भेदन के कारण मैग्मा धरती के बाहर आकर ठण्डा तथा ठोस रूप धारण कर लेता है तो उसे लावा कहते हैं।
(2) इसमें जल व अन्य गैसें भी मिली होती हैं। (2) इसमें जल व गैसों के अंश नहीं होते।
(3) यह पृथ्वी के भीतरी भागों में ऊपरी मैंटल में उत्पन्न होता है। (Magma is hot Sticky molten material.) (3) यह पृथ्वी के धरातल पर वायुमण्डल के सम्पर्क से ठण्डा व ठोस होता है। (The Solidifed magma is called Lava.)

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
पृथ्वी की आन्तरिक संरचना का वर्णन करो। इसकी प्रत्येक पर्त का विवरण दो। अपने कथन के पक्ष में विवेकपूर्ण तर्क दो।
अथवा
पृथ्वी की भूपर्पटी, मैंटल व क्रोड का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी की आन्तरिक संरचना (Structure of the Earth):
पृथ्वी के भू-गर्भ के बारे में विद्वानों ने अलग-अलग विचार प्रस्तुत किए हैं। कुछ विद्वानों ने पृथ्वी के भू-गर्भ को ठोस अवस्था माना है तो कुछ ने इसे गैसीय अथवा तरल अवस्था में माना है। भू-गर्भ की जानकारी प्राप्त करने के लिए मनुष्य के पास कोई प्रत्यक्ष साधन नहीं है। भीतरी भाग में अत्यधिक तापमान एक बड़ी रुकावट है। पृथ्वी की सबसे गहरी खान केवल 4 km गहरी है। इसीलिए भू-गर्भ की जानकारी के सभी साधन अप्रत्यक्ष (Indirect ) हैं तथा केवल अनुमान ही हैं।

पृथ्वी की विभिन्न परतें (Different Layers of the Earth): वान्डर ग्राट (Vander Gracht) के अनुसार, पृथ्वी की आन्तरिक संरचना निम्नलिखित परतों में हुई है:
1. बाहरी सियाल परत ( Sial):
यह पृथ्वी की ऊपरी परत है। इस परत में सिलिका तथा एल्यूमीनियम का अंश अधिक है। यह सबसे हल्की परत है जिसका घनत्व 2.7 के बीच है। इस परत की औसत गहराई 45 कि० मी० तक है। इससे अधिकतर महाद्वीपों का निर्माण हुआ है। (Sial = Silica + Aluminium)

पृथ्वी की परतें (Layers of the Earth)

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना 1

2. बाहरी सिलिकेट परत:
भूपर्पटी की इस परत का विस्तार महासागरों के नीचे है। इसमें अधिकतर तलछटी चट्टानें तथा ग्रेनाइट का विस्तार है। इसकी गहराई 45 से 100 कि०मी० तक है। इसका घनत्व 2.75-2.90 तक है

3. आन्तरिक सिलिकेट परत:
सियाल से निचली परत को आन्तरिक सिलिकेट परत कहा जाता है। बाहरी तथा आन्तरिक परत के बीच के अन्तराल को कॉनरैड अन्तराल कहा जाता है। इस परत का घनत्व 3.10 से 4.75 तक है। इसकी गहराई 1700 कि० मी० तक है। इसमें सिलिकेट तथा मैग्नीशियम की अधिकता होती है।

4. सिलिकेट तथा मिश्रित धातु परत (Sima ):
सियाल के नीचे दूसरी मुख्य परत को सीमा कहा जाता है। इसमें सिलिका तथा मैग्नीशियम अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। (Sima = Silica + Magnesium) इस परत की मोटाई 1700 कि० मी० से 2900 कि०मी० है तथा इसका घनत्व 4.75 से 5 तक है। सियाल तथा सीमा को पृथक् करने वाले अन्तराल को मोहरोविसिक अन्तराल कहते हैं। इसकी रचना बैसाल्ट चट्टानों से हुई है।

5. धात्विक नाभि (Nife ):
यह सबसे निचली केन्द्रीय तथा भारी परत है। इसमें निकिल तथा फैरस अधिक मात्रा में पाया जाता है (Nife = Nickle + Ferrous) । इस परत का घनत्व 4.75 से 11 तक है। इस परत की गहराई 2900-4980 कि०मी० है। इस परत को बाह्य धात्विक क्रोड भी कहा जाता है।
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6. धात्विक क्रोड (Core):
इस परत में भारी धातुओं की अधिकता है। इसलिए इसका घनत्व 13 से 17 तक है। इसकी गहराई 4980-6400 कि० मी० तक है। इस परत को गुरुमण्डल (Bary sphere) भी कहते हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 3 पृथ्वी की आंतरिक संरचना

प्रश्न 2.
भूकम्प किसे कहते हैं? यह कैसे उत्पन्न होता है?
उत्तर:
भूकम्प (Earthquake):
भूपृष्ठ के किसी भी भाग के अचानक हिल जाने को भूकम्प कहते हैं। (An earthquake is a sudden movement on the crust of the earth.) इस प्रकार भूकम्प धरातल का कम्पन तथा दोलन है जिसके द्वारा चट्टानें ऊपर नीचे सरकती हैं। यह एक आकस्मिक एवं अस्थायी गति है। भूकम्प अपने केन्द्र से चारों ओर तरंगों के माध्यम से आगे बढ़ता है। भूकम्प के कारण – प्राचीन काल में लोग भूकम्प को भगवान् का कोप मानते थे, परन्तु वैज्ञानिकों के अनुसार भूकम्प के निम्नलिखित कारण हैं

  1. ज्वालामुखी उद्गार (Volcanic Eruption ): ज्वालामुखी विस्फोट में शक्ति होती है जिससे विस्फोट स्थान के समीपवर्ती क्षेत्र कांप उठते हैं। सन् 1883 में क्राकटोआ विस्फोट से दूर-दूर तक भूकम्प अनुभव किए गए।
  2. विवर्तनिक कारण (Tectonic Causes ): पृथ्वी की भीतरी हलचलों के कारण धरातल पर चट्टानों में मोड़ तथा दरारें पड़ जाती हैं । दरारों के सहारे हलचल होती है और भूकम्प आते हैं।
  3. पृथ्वी का सिकुड़ना (Contraction of Earth): तापमान कम होने से पृथ्वी सिकुड़ती है तथा चट्टानों में हलचल के कारण भूकम्प आते हैं ।
  4. लचक शक्ति (Elasticity of Rocks): जब किसी चट्टान पर दबाव पड़ता है तो वह चट्टान उस दबाव को वापस धकेलती है।
  5. सामान्य कारण (General Causes ): पर्वतीय भागों में भूस्खलन कार्स्ट प्रदेशों में गुफ़ाओं की छतों के धंसने से, तूफानी लहरों के कारण तथा अणु बमों के विस्फोट से साधारण भूकम्प उत्पन्न होते हैं ।

प्रश्न 3.
ज्वालामुखी स्थलाकृति के मुख्य लक्षणों का वर्णन करो।
उत्तर:
ज्वालामुखी क्रिया (Vulcanicity ) वह क्रिया है जिससे गर्म पदार्थ धरातल के नीचे या बाहर प्रकट होते हैं। ज्वालामुखी पृथ्वी की भीतरी शक्तियों (Internal Forces) में से एक है। ज्वालामुखी के मुख से निकले पदार्थ मुख के आस-पास जमा हो जाते हैं। धीरे-धीरे ये शंकु (Cone) का रूप धारण कर लेते हैं। इन्हें ज्वालामुखी शंकु (Volcanic Cones) कहते हैं। ज्वालामुखी स्थल के रूप
1. क्रेटर (Crater):
ज्वालामुखी के छिद्र के ऊपर गर्त बन जाता है। यह कटोरे के समान या कीपाकार (Funnel Shaped) होता है। क्रेटर में जल भर जाने से झील की रचना होती है। जैसे U.S.A. की क्रेटर लेक (Crater Lake) तथा महाराष्ट्र की लोनार झील।

2. काल्डेरा (Caldera ): विशाल क्रेटर को काल्डेरा कहते हैं। तीव्र विस्फोट से शंकु का ऊपरी भाग उड़ जाता है या क्रेटर के धंस जाने से इसका विस्तार बढ़ जाता है। जापान का काल्डेरा इतना बड़ा है कि इसे “Volcano of a Hundred Villages” कहते हैं।
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3. राख शंकु (Ash Cone): यह कम ऊंचे शंकु होते हैं जिनकी रचना धूल तथा राख से होती है। इनके किनारे अवतल (Concave) ढाल वाले होते हैं। इसे सिंडर शंकु (Cinder Cone) भी कहते हैं।
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4. शील्ड शंकु (Shield Cones): इनका निर्माण पैठिक लावा (Basic Lava) से होता है। पैठिक लावा हल्का तथा पतला होता है। इसमें सिलिका की मात्रा कम होती है। यह लावा दूर तक फैल जाता है। इस प्रकार लम्बे तथा कम ऊंचे शंकु का निर्माण होता है। जैसे हवाई द्वीप समूह के ज्वालामुखी शंकु।

5. गुम्बद शंकु (Lava Dome ): इनका निर्माण एसिड लावा से होता है। यह लावा काफ़ी गाढ़ा तथा चिपचिपा होता है। इसमें सिलिका की मात्रा अधिक होती है। यह मुख के निकट ही जल्दी जम कर गुम्बद बन जाता है। इस प्रकार तीव्र ढाल वाले ऊंचे शंकु का निर्माण होता है। फ्रांस में पाई डी डोम (Puy de dome) 1500 मीटर ऊंचा है।
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6. लावा डॉट (Volcanic Plugs ):
जब शंकु पूरी तरह नष्ट हो जाता है तो नली व छिद्र ठोस लावा से भर जाते हैं। यह नली एक डॉट या प्लग की तरह दिखाई देती है। जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) में लैसेन चोटी (Lassen Peak)।
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7. मिश्रित शंकु (Composite Cones): ये सबसे बड़े व ऊंचे शंकुओं में गिने जाते हैं। इसका निर्माण लावा, राख तथा दूसरे पदार्थों के बारी-बारी जमा होने से होता है। यह जमाव समानान्तर
परतों में होता है। इटली का स्ट्रॉम्बोली (Stromboli) इसका मुख्य उदाहरण है जिसमें प्रति घण्टा के बाद उद्गार होता है। इसे रूम क्रेटर सागर का प्रकाश स्तम्भ (Light house of the Mediterranean) कहते हैं। जापान का फ्यूजीयामा पर्वत इसका सुन्दर उदाहरण है। ढलानों पर बनने वाले छोटे-छोटे शंकुओं को परजीवी शंकु (Parastic Cone) कहते हैं।
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8. बेसाल्ट प्रवाह क्षेत्र (Flood basalt provinces): ये ज्वालामुखी अत्यधिक तरल लावा उगलते हैं जो बहुत दूर तक बह निकलता है। संसार के कुछ भाग हजारों वर्ग कि० मी० घने लावा प्रवाह से ढके हैं। इनमें लावा मैग्मा प्रवाह क्रमानुसार होता है और कुछ प्रवाह 50 मीटर से भी।

अधिक मोटे हो जाते हैं। कई बार अकेला प्रवाह सैंकड़ों कि० मी० दूर तक फैल जाता है। भारत का दक्कन ट्रैप, जिस पर वर्तमान महाराष्ट्र पठार पर ज्यादातर भाग पाया जाता है, वृहत् बेसाल्ट लावा प्रवाह क्षेत्र है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि आज की अपेक्षा, आरंभ में एक अधिक वृहत् क्षेत्र इस प्रवाह से ढका था।

9. मध्य-महासागरीय कटक ज्वालामुखी-इन ज्वालामुखियों का उद्गार महासागरों में होता है। मध्य महासागरीय कटक एक श्रृंखला है जो 70,000 कि० मी० से अधिक लंबी है और जो सभी महासागरीय बेसिनों में फैली है। इस कटक के मध्यवर्ती भाग में लगातार उद्गार होता रहता है। अगले अध्याय में हम इसे विस्तारपूर्वक पढ़ेंगे।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 16 जैव-विविधता एवं संरक्षण

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. जैव विविधता का संरक्षण निम्न में किसके लिए महत्त्वपूर्ण है?
(A) जन्तु
(B) पौधे
(C) पौधे और प्राणी
(D) सभी जीवधारी।
उत्तर:
(D) सभी जीवधारी।

2. असुरक्षित प्रजातियां कौन-सी हैं?
(A) जो दूसरों को असुरक्षा दें
(B) बाघ व शेर
(C) जिनकी संख्या अत्यधिक हो
(D) जिन प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा है।
उत्तर:
(D) जिन प्रजातियों के लुप्त होने का खतरा है।

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3. राष्ट्रीय पार्क (National parks) और अभ्यारण्य (Sanctuaries) किस उद्देश्य के लिए बनाए गए हैं?
(A) मनोरंजन
(B) पालतू जीवों के लिए
(C) शिकार के लिए
(D) संरक्षण के लिए।
उत्तर:
(D) संरक्षण के लिए।

4. जैव-विविधता समृद्ध क्षेत्र हैं
(A) उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र
(B) शीतोष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र
(C) ध्रुवीय क्षेत्र
(D) महासागरीय क्षेत्र।
उत्तर:
(A) उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र।

5. निम्न में से किस देश में अर्थ सम्मेलन (Earth summit) हुआ था?
(A) यू० के० (U.K.)
(B) ब्राज़ील
(C) मैक्सिको
(D) चीन।
उत्तर:
(B) ब्राज़ील

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
मानव के लिये पौधे किस प्रकार महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
पौधे मनुष्य को कई प्रकार की फसलें, प्रोटीन देते हैं यह जनसंख्या के पोषण के लिये एक प्राकृतिक साधन हैं।

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प्रश्न 2.
मानव के लिये जन्तुओं के महत्त्व का संक्षिप्त का वर्णन करो।
उत्तर:
मानव के आहार में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के पदार्थ मिलते हैं। इतिहास के प्रारम्भिक काल में मानव पशु पालन पर निर्भर था। असंख्य पशु प्राकृतिक वनस्पति खा कर मांस तथा डेयरी पदार्थ प्रदान करते हैं, जिससे मानव जनसंख्या का पोषण होता है।

प्रश्न 3.
जैव विविधता के विभिन्न स्तर क्या हैं?
उत्तर:
जैविक विविधता का अस्तित्व तीन विभिन्न स्तरों पर निम्नलिखित हैं

  1. प्रजातीय विविधता (Species Diversity): जो आकृतिक, शरीर क्रियात्मक तथा आनुवंशिक लक्षणों द्वारा प्रतिबिम्बित होती है।
  2. आनुवांशिक विविधता (Genetic Diversity): जो प्रजाति के भीतर आनुवंशिक या अन्य परिवर्तनों से युक्त होती है।
  3. पारिस्थितिक तंत्र विविधता (Ecosyotem Diversity): विविधता, जो विभिन्न जैव भौगोलिक क्षेत्रों जैसेझील, मरुस्थल, तटीय क्षेत्र, ज्वारनदमुख आदि द्वारा प्रतिबिम्बित होती है। इस पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित रखना एक महान् चुनौती है।

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प्रश्न 4.
जैव विविधता क्या है?
उत्तर:
जैव विविधता दो शब्दों के मेल से बना है (Bio) बायो का अर्थ है जीव तथा (Diversity) का अर्थ है विविधता। साधारण शब्दों में, किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की संख्या और उनकी विविधता को जैव विविधता कहते हैं।

प्रश्न 5.
हॉट-स्पॉट (Hot Spot) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जिन क्षेत्रों में प्रजातीय विविधता अधिक होती है उन्हें हॉट-स्पॉट कहते हैं। यहां प्रजातियों की संख्या अधिक होती है।

प्रश्न 6.
भारत के चार ‘जीवमण्डल निचय’ के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. नन्दा देवी,
  2. नीलगिरि,
  3. मानस,
  4. सुन्दरवन।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न-निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए।
प्रश्न 1.
प्रकृति को बनाए रखने में जैव विविधता की भूमिका का वर्णन करो।
उत्तर:
जैव विविधता का महत्त्व (Importance of biodiversity):
जैव विविधता ने मानव संस्कृति के विकास में बहुत योगदान दिया है और इसी प्रकार मानव समुदायों ने भी आनुवांशिक, प्रजातीय व पारिस्थितिक स्तरों पर प्राकृतिक, विविधता को बनाए रखने में बड़ा योगदान दिया है। जैव विविधता के चार प्रमुख योगदान हैं

  1. पारिस्थितिक (Ecological)
  2. आर्थिक (Economic)
  3. नैतिक (Ethical)
  4. वैज्ञानिक (Scientific)।

1. जैव विविधता की पारिस्थितिकीय भूमिका (Ecological role of biodiversity):
पारितन्त्र में विभिन्न प्रजातियां कोई न कोई क्रिया करती हैं। पारितन्त्र में कोई भी प्रजाति बिना कारण न तो विकसित हो सकती है और न ही बनी रह सकती है। अर्थात्, प्रत्येक जीव अपनी ज़रूरत पूरा करने के साथ-साथ दूसरे जीवों के पनपने में भी सहायक होता है।

  1. जीव व प्रजातियां ऊर्जा ग्रहण कर उसका संग्रहण करती हैं।
  2. कार्बनिक पदार्थ उत्पन्न एवं विघटित करती हैं।
  3. पारितन्त्र में जल व पोषक तत्त्वों के चक्र को बनाए रखने में सहायक होती हैं।
  4. इसके अतिरिक्त प्रजातियां वायुमण्डलीय गैस को स्थिर करती हैं
  5. जलवायु को नियन्त्रित करने में सहायक होती हैं।

ये पारितन्त्रीय क्रियाएं मानव जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण क्रियाएं हैं। पारितन्त्र में जितनी अधिक विविधता होगी प्रजातियों के प्रतिकूल स्थितियों में भी रहने की सम्भावना और उनकी उत्पादकता भी उतनी ही अधिक होगी। प्रजातियों की क्षति से तन्त्र के बने रहने की क्षमता भी कम हो जाएगी। अधिक आनुवांशिक विविधता वाली प्रजातियों की तरह अधिक जैव-विविधता वाले पारितन्त्र में पर्यावरण के बदलावों को सहन करने की अधिक सक्षमता होती है। दूसरे शब्दों में, जिस पारितन्त्र में जितनी प्रकार की प्रजातियां होंगी, वह पारितन्त्र उतना ही अधिक स्थायी होगा।

2. जैव-विविधता की आर्थिक भूमिका (Ecological role of biodiversity):
सभी मनुष्यों के लिए दैनिक जीवन में जैव विविधता एक महत्त्वपूर्ण संसाधन है। जैव विविधता का एक महत्त्वपूर्ण भाग ‘ फसलों की विविधता (Crop diversity) है, जिसे कृषि जैव विविधता भी कहा जाता है। जैव विविधता को संसाधनों के उन भण्डारों के रूप में भी समझा जा सकता है, जिनकी उपयोगिता भोज्य पदार्थ, औषधियां और सौन्दर्य प्रसाधन आदि बनाने में है। जैव संसाधनों की ये परिकल्पना जैव विविधता के विनाश के लिए उत्तरदायी है। साथ ही यह संसाधनों के विभाजन और बंटवारे को लेकर उत्पन्न नये विवादों का भी जनक है। खाद्य फसलें, पशु, वन संसाधन, मत्स्य और दवा संसाधन आदि हैं। कुछ ऐसे प्रमुख आर्थिक महत्त्व के उत्पाद हैं, जो मानव को जैव विविधता के फलस्वरूप उपलब्ध होते हैं।

3. जैव-विविधता की वैज्ञानिक भूमिका (Scientific role of biodiversity):
जैव विविधता इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि प्रत्येक प्रजाति हमें यह संकेत दे सकती है कि जीवन का आरम्भ कैसे हुआ और यह भविष्य में कैसे विकसित होगा। जीवन कैसे चलता है और पारितन्त्र, जिसमें हम भी एक प्रजाति हैं, उसे बनाये रखने में प्रत्येक प्रजाति की क्या भूमिका है, इन्हें हम जैव विविधता से समझ सकते हैं। हम सभी को यह तथ्य समझना चाहिए कि हम स्वयं जियें और दूसरी प्रजातियों को भी जीने दें।

4. जैव विविधता की नैतिक भूमिका (Ethical role of biodiversity):
यह समझना हमारी नैतिक ज़िम्मेदारी है कि हमारे साथ सभी प्रजातियों को जीवित रहने का अधिकार है। अत: कई प्रजातियों को स्वेच्छा से विलुप्त करना नैतिक रूप से गलत है। जैव विविधता का स्तर अन्य जीवित प्रजातियों के साथ हमारे सम्बन्ध का एक अच्छा पैमाना है। वास्तव में, जैव विविधता की अवधारणा कई मानव संस्कृतियों का अभिन्न अंग है।

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प्रश्न 2.
जैव विविधता के विनाश के लिए उत्तरदायी प्रमुख कारकों का वर्णन को। इसे रोकने के उपाय भी बताओ।
उत्तर:
जैव विविधता की हानि (Loss of biodiversity) पिछले कुछ दशकों से, जनसंख्या वृद्धि के कारण, प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग अधिक होने लगा है। इससे संसार के विभिन्न भागों में प्रजातियों तथा उनके आवास स्थानों में तेजी से कमी हुई है। उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र, जो विश्व के कुछ क्षेत्र का मात्र एक चौथाई भाग है, यहां संसार की तीन चौथाई जनसंख्या रहती है। अधिक जनसंख्या की ज़रूरत को पूरा करने के लिए संसाधनों का अत्यधिक दोहन और वनोन्मूलन अत्यधिक हुआ है। उष्णकटिबन्धीय वर्षा वाले वनों में पृथ्वी की लगभग 50 प्रतिशत प्रजातियां पाई जाती हैं और प्राकृतिक आवासों का विनाश पूरे जैवमण्डल के लिए हानिकारक सिद्ध हुआ है।

1. प्राकृतिक आपदाएं:
प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूकम्प, बाढ़, ज्वालामुखी, उद्गार, दावानल, सूखा आदि पृथ्वी पर पाई जाने वाली प्राणिजात और वनस्पति जात को क्षति पहुंचाते हैं और परिणामस्वरूप सम्बन्धित प्रभावित प्रदेशों की जैव विविधता में बदलाव आता है।

2. कीटनाशक:
कीटनाशक और अन्य, जैसे-हाइड्रोकार्बन (Hydrocarbon) और विषैली भारी धातु (Toxic heavy metals) संवेदनशील और कमज़ोर प्रजातियों को नष्ट कर देते हैं।

3. विदेशज प्रजातियां:
वे प्रजातियां, जो स्थानीय आवास की मूल जैव प्रजाति नहीं हैं, लेकिन उस तन्त्र में स्थापित की गई हैं, उन्हें ‘विदेशज प्रजातियां’ (Exotic species) कहा जाता है। ऐसे कई उदाहरण हैं, जब विदेशज प्रजातियों के आगमन से पारितन्त्र में प्राकृतिक या मूल जैव समुदाय को व्यापक नुकसान हुआ।

4. अवैध शिकार:
पिछले कुछ दशकों के दौरान, कुछ जन्तुओं जैसे-बाघ, चीता, हाथी, गैंडा, मगरमच्छ, मिंक और पक्षियों का, उनके सींग, सूंड व खालों के लिए निर्दयतापूर्वक अवैध शिकार किया जा रहा है। इसके फलस्वरूप कुछ प्रजातियां लुप्त होने के कगार पर आ गई हैं।

जैव-विविधता का संरक्षण (Conservation of biodiversity):
मानव के अस्तित्व के लिए जैव-विविधता अति आवश्यक है। जीवन का हर रूप एक-दूसरे पर इतना निर्भर है कि किसी एक प्रजाति पर संकट आने से दूसरों में असन्तुलन की स्थिति पैदा हो जाती है। यदि पौधों और प्राणियों की प्रजातियां संकटापन्न होती हैं, तो इससे पर्यावरण में गिरावट उत्पन्न होती है और अन्तोत्गत्वा मनुष्य का अपना अस्तित्व भी खतरे में पड़ सकता है।

आज यह अति अनिवार्य है कि मानव को पर्यावरण-मैत्री सम्बन्धी पद्धतियों के प्रति जागरूक किया जाए और विकास की ऐसी व्यावहारिक गतिविधियां अपनाई जाएं, जो दूसरे जीवों के साथ समन्वित हों और सतत् पोषणीय (Sustainable) हों। इस तथ्य के प्रति भी जागरूकता बढ़ रही है कि संरक्षण तभी सम्भव और दीर्घकालिक होगा, जब स्थानीय समुदायों व प्रत्येक व्यक्ति की इसमें भागीदारी होगी। इसके लिए स्थानीय स्तर पर संस्थागत संरचनाओं का विकास आवश्यक है। केवल प्रजातियों का संरक्षण और आवास स्थान की सुरक्षा ही अहम समस्या नहीं है, बल्कि संरक्षण की प्रक्रिया को जारी रखना भी उतना ही ज़रूरी है।

सन् 1992 में ब्राजील के रियो-डी-जेनेरो (Rio-de-Janeiro) में हुए जैव विविधता के सम्मेलन (Earth summit) में लिए गए संकल्पों का भारत अन्य 155 देशों सहित हस्ताक्षरी है। विश्व संरक्षण कार्य योजना में जैव-विविधता संरक्षण के निम्न तरीके सुझाए गए हैं

  1. संकटापन्न प्रजातियों के संरक्षण के लिए प्रयास करने चाहिएं।
  2. प्रजातियों को विलुप्ती से बचाने के लिए उचित योजनाएं प्रबन्धन अपेक्षित हैं।
  3. खाद्यान्नों की किस्में, चारे सम्बन्धी पौधों की किस्में, इमारती पेड़, पशुधन, जन्तु व उनकी वन्य प्रजातियों की किस्मों को संरक्षित करनी चाहिए।
  4. प्रत्येक देश को वन्य जीवों के आवास को रेखांकित कर उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना चाहिए।
  5. प्रजातियों के पलने-बढ़ने तथा विकसित होने के स्थान सुरक्षित व संरक्षित हों।
  6. वन्य जीवों व पौधों का अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों के अनुरूप हो।

भारत सरकार ने प्राकृतिक सीमाओं के भीतर विभिन्न प्रकार की प्रजातियों को बचाने, संरक्षित करने और विस्तार करने के लिए, वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 (Wild life protection act, 1972), पास किया है, जिसके अन्तर्गत राष्ट्रीय पार्क (National Parks), अभ्यारण्य (Sanctuaries) स्थापित किये गए तथा जैव संरक्षित क्षेत्र (Biosphere reserves) घोषित किये गए। वे देश, जो उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र में स्थित हैं, उनमें संसार की सर्वाधिक प्रजातीय विविधता पाई जाती है। उन्हें ‘महा विविधता केन्द्र’ (Mega diversity centres) कहा जाता है। इन देशों की संख्या 12 है और उनके नाम हैं : मैक्सिको, कोलम्बिया, इक्वेडोर, पेरू, ब्राजील, जायरे, मेडागास्कर, चीन, भारत, मलेशिया, इण्डोनेशिया और आस्ट्रेलिया। इन देशों में समृद्ध महा-विविधिता के केन्द्र स्थित हैं।

ऐसे क्षेत्र, जो अधिक संकट में हैं, उनमें संसाधनों को उपलब्ध कराने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय संरक्षण संघ (IUCN) ने जैव विविधता हॉट-स्पॉट (Hotspots) क्षेत्र के रूप में निर्धारित किया है। हॉट-स्पॉट उनकी वनस्पति के आधार पर परिभाषित किये गए हैं। पादप महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि ये ही किसी पारितन्त्र की प्राथमिक उत्पादकता को निर्धारित करते हैं। यह भी देखा गया है कि ज्यादातर हॉटस्पॉट रहने वाले भोजन, जलाने के लिए लकड़ी, कृषि भूमि और इमारती लकड़ी आदि के लिए वहां पाई जाने वाली प्रजाति समृद्ध पारितन्त्रों पर ही निर्भर है।

उदाहरण के लिए मेडागास्कर में, जहां 85 प्रतिशत पौधे व प्राणी संसार में अन्यत्र कहीं भी नहीं पाए जाते-वहां के रहने वाले संसार के सर्वाधिक गरीबों में से एक है और वे जीवित खेती के लिए जंगलों को काटकर और (Slash and burn) पायी गयी कृषि भूमि पर निर्भर हैं। अन्य हॉट-स्पॉट, जो समृद्ध देशों में पाए जाते हैं, वहां कुछ अन्य प्रकार की समस्याएं हैं। हवाई द्वीप जहां विशेष प्रकार की पादप व जन्तु प्रजातियां मिलती हैं, वह विदेशज प्रजातियों के आगमन और भूमि विकास के कारण असुरक्षित हैं।

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जैव-विविधता एवं संरक्षण  JAC Class 11 Geography Notes

→ पौधे और जीव-जन्तु (Plants and animals): पौधे तथा जीव-जन्तु मानव के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण हैं।

→ जैविक विविधता (Biodiversity): विश्व में पौधों तथा जीव-जन्तुओं में अत्यधिक विविधता पाई जाती |

→ जैविक विविधता के स्तर (Levels of Bio-diversity):

  • प्रजातीय विविधता
  • आनुवांशिक विविधता
  • पारिस्थितिक तंत्र विविधता।

→ जैविक विविधता का ह्रास (Loss of Biodiversity): संसाधनों की बढ़ती मांग के कारण कुछ प्रजातियां समाप्त हो गई हैं।

→ जैविक विविधता का संरक्षण (Conservation of Biodiversity) विकास की निरंतरता बनाए रखने के लिए विभिन्न प्रजातियों का संरक्षण आवश्यक है।

JAC Class 10 Hindi रचना संवाद-लेखन

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Rachana संवाद-लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi Rachana संवाद-लेखन

दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच होने वाली आपसी बातचीत को संवाद कहते हैं। संवादों के माध्यम से केवल शब्दों का ही आदान- प्रदान नहीं होता बल्कि उनका प्रयोग करने वालों के चेहरे पर तरह-तरह के हाव-भाव भी प्रकट होते हैं, जो संवादों में प्रयुक्त किए जाने वाले शब्दों के आरोह-अवरोह को नाटकीय ढंग से स्वाभाविकता प्रदान करते हैं।

संवादों के बिना दो लोगों के बीच बातचीत गति नहीं पकड़ सकती। संवादहीनता की स्थिति तो जड़ अवस्था को जन्म देती है। सामान्य बातचीत, लड़ाई-झगड़ा, हँसी-मज़ाक, प्रेम-घृणा, वाद-विवाद आदि सभी संवादों के सहारे ही पूरे होते हैं। संवादों में अनेक गुण होने चाहिए ताकि उनसे दूसरों को मनचाहे ढंग से प्रभावित किया जा सके या उन पर वही प्रभाव डाला जा सके जो हम डालना चाहते हैं। संवादों में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए –

  • संवाद स्वाभाविक होने चाहिए।
  • उनकी भाषा अति सरल, सरस, भावपूर्ण और प्रवाहमयी होनी चाहिए।
  • उनमें जहाँ कहीं संभव हो वहाँ विराम चिह्नों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  • उनकी लंबाई अधिक नहीं होनी चाहिए। छोटे संवाद स्वाभाविक और सहज होते हैं। लंबे संवाद भाषण का बोध कराते हैं।
  • भाषा में भावों के अनुरूप चुटीलापन, पैनापन, स्पष्टता और सहजता होनी चाहिए।
  • उनमें कही जाने वाली बात निश्चित रूप से स्पष्ट हो जानी चाहिए।

संवाद के कुछ उदाहरण – 

प्रश्न 1.
घर आए मेहमान और राकेश की बातचीत संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :

  • राकेश – कौन है बाहर ?
  • मेहमान – मैं हूँ नीरज गुप्ता। मुझे श्रीवास्तव जी से मिलना है। क्या यहीं रहते हैं ?
  • राकेश – जी हाँ। वे यहीं रहते हैं। आप भीतर आइए। इस समय वे घर पर नहीं हैं।
  • मेहमान – आप कौन हैं? मैं आपको नहीं पहचानता। श्रीवास्तव जी मेरे सहयोगी हैं।
  • राकेश – मैं उनका बड़ा बेटा हूँ। बेंगलुरू रहता हूँ। छुट्टियों में घर आया था। इसलिए मैं भी आप को नहीं पहचानता।
  • मेहमान – क्या करते हो वहाँ ?
  • राकेश – वहाँ एक अस्पताल में डॉक्टर हूँ।
  • मेहमान – नहीं चलता हूँ। जब श्रीवास्तव जी आएँ तो कह देना नीरज गुप्ता आए थे।
  • राकेश – आप उनसे मोबाइल पर बात कर लीजिए।
  • मेहमान – उनका नंबर नहीं लग रहा, मैं दोपहर बाद फिर आ जाऊँगा। मुझे कुछ चर्चा करनी थी उनसे दफ़्तर की किसी समस्या के बारे में।
  • राकेश – ठीक है। जैसा आप उचित समझें।

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प्रश्न 2.
हिंदी की महत्ता को प्रकट करते हुए दो मित्रों की बातचीत लिखिए।
उत्तर :

  • कमल – यह ज्योत्सना तो हर समय अंग्रेज़ी में ही बात करती है। क्या इसे अपनी मातृभाषा नहीं आती ?
  • रजत – आती क्यों नहीं ! बस उसके मन में यही भावना छिपी है कि अंग्रेज़ी बोलने से दूसरों पर प्रभाव अधिक पड़ता है।
  • कमल – भाषा का संबंध अच्छे-बुरे भाव से नहीं होता। अपनी भाषा तो सबसे अच्छी होती है।
  • रजत – हाँ, अपनी भाषा सबसे अच्छी होती है। इसी से तो हमारी पहचान बनती है। मैंने उसे कई बार यह समझाया भी है।
  • कमल – अपनी-अपनी समझ है। हिंदी तो हमारे यहाँ सभी समझते हैं पर अंग्रेज़ी तो सबको समझ भी नहीं आती।
  • रजत – वैसे भी हम जितनी अच्छी तरह अपने भाव अपनी भाषा में व्यक्त कर सकते हैं वे दूसरी भाषा में नहीं कर सकते।
  • कमल – सारे संसार में तो लोग अपनी मातृभाषा का ही प्रयोग करना अच्छा मानते हैं पर हमारे देश में अभी भी कहीं-कहीं विदेशी मानसिकता हावी है।
  • रजत – विदेशी भाषाओं का ज्ञान तो होना चाहिए पर फिर भी महत्त्व तो अपनी मातृभाषा को ही देना चाहिए और फिर हिंदी तो वैज्ञानिक भाषा है।
  • कमल – हाँ, हम इसमें जैसा लिखते हैं वैसा ही बोलते हैं।

प्रश्न 3.
परीक्षा आरंभ होने से पहले मनस्वी और काम्या के बीच बातचीत को लिखिए।
उत्तर :

  • मनस्वी – मुझे तो बहुत डर लग रहा है। पता नहीं क्या होगा ?
  • काम्या – तुझे किस बात का डर है ? तू तो पढ़ाई-लिखाई में तेज़ है।
  • मनस्वी – वह अलग बात है। परीक्षा तो परीक्षा होती है – इससे तो बड़े-बड़े भी डरते हैं।
  • काम्या – क्या तूने सारे पाठ दोहरा लिए?
  • मनस्वी – नहीं। पिछले दो पाठ दोहराने रह गए। इस बार परीक्षा में एक भी छुट्टी नहीं मिली। इतना बड़ा सिलेबस था।
  • काम्या – मैं तो रात भर पढ़ती रही पर पूरा सिलेबस दोहरा ही नहीं पाई। जो पहले पढ़ा हुआ था उसी से काम चलाना पड़ेगा।
  • मनस्वी – विषय तो पूरी तरह आता है पर दोहराना तो आवश्यक होता है।
  • काम्या – यह बात तो ठीक है। पर अब हम कर क्या सकते हैं ?

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प्रश्न 4.
मनुज और गीतिका में हुई बातचीत में गाँव और नगर की तुलना संवाद रूप में कीजिए।
उत्तर :

  • मनुज – हमारा देश तो गाँवों का देश है। गाँवों से ही तो नगर बने हैं।
  • गीतिका – वह तो ठीक है पर, नगरों के कारण ही गाँवों के सुख हैं।
  • मनुज – नहीं। भौतिक सुख चाहे नगरों में अधिक हैं पर आपसी भाईचारा और सहयोग का भाव जो गाँवों में है वह नगरों में कहाँ है ?
  • गीतिका – ऐसी तो कोई बात नहीं।
  • मनुज – ऐसा ही है। हमारे नगरों में कोई अनजान व्यक्ति हमारे घर आ जाए तो हमारा व्यवहार उसके प्रति कैसा होता है ?
  • गीतिका n- हम उन्हें शक की दृष्टि से देखते हैं। कहीं वह चोर लुटेरा ही न हो।
  • मनुज – पर गाँवों में ऐसा नहीं है। लोग अनजानों को भी मेहमान मानने से डरते नहीं हैं। उन्हें उन पर भरोसा जल्दी हो जाता है।
  • गीतिका – यह अच्छा है।
  • मनुज – रिश्ते-नाते और भाइचारे का भाव तो गाँव में ही है।

प्रश्न 5.
मालविका और सागरिका में पेड़-पौधों की रक्षा से संबंधित बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :

  • मालविका – कल वन महोत्सव है।
  • सागरिका – तो, कल क्या होगा ?
  • मालविका – हम तो मिलजुल कर अपने स्कूल में नए पौधे लगाएँगे और उनकी देखभाल करने की शपथ लेंगे।
  • सागरिका – उससे क्या लाभ? इतने पेड़-पौधे तो पहले से ही हैं।
  • मालविका – अरे नहीं। संसार भर में सबसे कम जंगल हमारे देश में बचे हैं और जनसंख्या की दृष्टि से हम संसार में दूसरे नंबर पर आ गए हैं।
  • सागरिका – इससे क्या होता है ?
  • मालविका – इसी से तो होता है। पेड़-पौधे वे संसाधन हैं जो हमें उपयोगी सामान ही नहीं देते, वे वर्षा भी लाने में सहायक होते हैं।
  • सागरिका – हाँ, जंगलों में जंगली जीव भी सुरक्षा पाते हैं। इनसे भूमि कटाव भी रुकता है। हवा भी शुद्ध होती है।
  • मालविका – तभी तो कह रही हूँ। हमें और अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए और उनकी रक्षा करनी चाहिए।
  • सागरिका – जो पेड़ लगे हैं उन्हें कटने से रोकना चाहिए। तभी तो हमारा देश हरा-भरा रह सकेगा।

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प्रश्न 6.
वृंदा और मानसी के बीच चिड़ियाघर को देखते समय की गई बातचीत को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :

  • वृंदा (ऊपर की तरफ़ देखते हुए) – देख ऊपर, पेड़ पर चार लंगूर कैसे बैठे हैं।
  • मानसी – उनका मुँह कितना काला है और पूँछें कितनी लंबी-लंबी।
  • वृंदा – हाँ, उधर देख मोर अपने पंख फैलाकर कैसे नाच रहा है।
  • मानसी – बादल छाए हुए हैं न। पापा ने बताया था कि बादलों को देखकर मोर नाचते हैं। इनके पंख कितने सुंदर हैं। ये तो गोल-गोल घूम भी रहे हैं।
  • वृंदा – उधर देख, कितने बड़े-बड़े दो शेर हैं।
  • मानसी – चलो भागें यहाँ से। कहीं इन्होंने हमें देख लिया तो खा जाएँगे।
  • वृंदा – डर मत हमारे और इनके बीच गहरी खाई है और चारों तरफ़ जाल भी तो लगा है। ये हम तक नहीं पहुँच सकते।
  • मानसी – वह देख, हिरणों के कितने सुंदर झुंड हैं। उनकी आँखें देख, कितनी सुंदर हैं। हम भी एक हिरण घर में पालेंगे – पापा से कहेंगे कि हमें भी एक हिरण ला दें।
  • वृंदा- नहीं, जंगली जीवों को यहीं रहना चाहिए या जंगल में। इन्हें घर में रखना तो अपराध है।

प्रश्न 7.
छुट्टियों में किसी दर्शनीय स्थल को देखने की योजना पर अपने और अपने भाई के बीच हुई बातचीत को संवाद रूप में लिखो।
उत्तर :

  • सानिया – अगले हफ़्ते से स्कूल में छुट्टियाँ हो जाएँगी। चल अब्बा-अम्मी से कहें कि कहीं बाहर चलें।
  • अज्जू – हाँ। हमें बाहर कहीं भी गए हुए दो साल हो गए हैं।
  • सानिया – उन्हें कहते हैं कि मसूरी ले चलें।
  • अज्जू – हाँ, वह बहुत सुंदर जगह है।
  • सानिया – तुझे कैसे पता ?
  • अज्जू – गुरुप्रीत कह रहा था। वह पिछले वर्ष छुट्टियों में गया था अपनी मम्मी-पापा के साथ।
  • सानिया – वहाँ तो गर्मियों में भी गर्मी नहीं होती। वह तो पर्वतों की रानी है।
  • अज्जू – वहाँ तो सब तरफ पहाड़ – ही पहाड़ हैं। वहाँ तो एक बड़ा और सुंदर प्राकृतिक झरना भी है।
  • सानिया – वह कैंप्टी फॉल है। बहुत ऊँचाई से पानी नीचे गिरता है।
  • अज्जू – तुझे कैसे पता ?
  • सानिया – मैंने एक मैग्जीन में पढ़ा था और उसकी फ़ोटो देखी थी।

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प्रश्न 8.
मनजीत और सिमरन में बार-बार बिजली जाने से उत्पन्न परेशानी को संवाद रूप में लिखिए।
उत्तर :

  • सिमरन – लो, बिजली तो फिर गई।
  • मनजीत – अब गई और पता नहीं कब आएगी ? इसने हर समय का मज़ाक बना दिया है।
  • सिमरन – पता नहीं, ये बिजली बोर्ड वाले करते क्या हैं ? बार-बार बिजली खराब क्यों हो जाती है ?
  • मनजीत – यह खराब नहीं हो जाती। इसे पीछे से बंद कर देते हैं। अलग-अलग समय में अलग-अलग क्षेत्रों को बिजली देते हैं।
  • सिमरन – क्यों ?
  • मनजीत – बिजली पैदा कम हो रही है और इसकी खपत बढ़ गई है। हर घर में तो कूलर और एयर कंडीशनर लगे हैं। वे दिन-रात चलते हैं।
  • सिमरन – तो सरकार को अधिक बिजली बनानी चाहिए। वह ऐसा क्यों नहीं करती ?
  • मनजीत – नए बिजली – घर बनाए जा रहे हैं पर उनकी भी कई तरह की समस्याएँ हैं।
  • सिमरन – समस्याएँ तो हैं पर सरकार को उनसे निपटना भी चाहिए।

प्रश्न 9.
नगर की टूटी-फूटी सड़कों से परेशान विनीता और पल्लवी के बीच बातचीत को लिखिए।
उत्तर :

  • विनीता – मैं तो कल बड़े ज़ोर से सड़क पर गिर गई थी। सारी टाँग छिल गई है।
  • पल्लवी – वह कैसे ? फिसल गई थी क्या ?
  • विनीता – नहीं। सारे नगर की सड़कों का हाल तो तुझे पता ही है। हमारी सड़कों पर चंद्रमा की सतह की तरह गड्ढे हैं। मेरी साइकिल
  • उछल गई और मैं गिर गई।
  • पल्लवी – सारी सड़कें ही खराब हैं। सरकार कुछ करती भी तो नहीं।
  • विनीता – अब बरसातें आने वाली हैं। इनमें पानी भर जाएगा और फिर वहाँ मच्छरों के अंडों की भरमार हो जाएगी।
  • पल्लवी – तभी तो पिछले साल कितना मलेरिया फैला था।
  • विनीता – पता नहीं रोज़ कितने लोग गिरते हैं इनके कारण।
  • पल्लवी – लोगों को कुछ करना चाहिए। यदि हम अपने आस-पास की सड़कों के गड्ढों में खुद मिट्टी भर दें तो …..।
  • विनीता – मिट्टी तो एक दिन में निकल जाएगी। इस काम में पैसा लगता है और वह सरकार के पास है।

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प्रश्न 10.
खाद्य-पदार्थों में होने वाली मिलावट के बारे में मित्र के साथ हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • मोहन – (सोहन को मुँह लटकाए देखकर) क्या हुआ? ये थैला लिए कहाँ चल दिए ?
  • सोहन – क्या बताऊँ ? चावल लाया था, वापस करने जा रहा
  • मोहन – क्यों ?
  • सोहन – माँ ने बताया, इनमें संगमरमर का चूरा मिला है।
  • मोहन – अरे ! आजकल खूब देखभाल कर खरीदा करो, हर चीज़ में मिलावट आ रही है।
  • सोहन – हाँ, ठीक तो है, पर सरकार कुछ क्यों नहीं करती ?
  • मोहन – उपभोक्ता फोरम में शिकायत करो तो सरकार भी कुछ करेगी।
  • सोहन – ठीक है, फिर ऐसा ही करता हूँ।

प्रश्न 11.
आजकल दूरदर्शन पर होने वाले किशोरों के लिए कार्यक्रमों में सुधार की आवश्यकता पर मित्र से हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • विजय – अरे, देव! इस समय इधर कैसे, दूरदर्शन पर तो विशेष किशोर सभा आ रही होगी, चलो देंखें।
  • देव – अरे, छोड़ो, उसमें क्या है, वही घिसे-पिटे उपदेशात्मक कार्यक्रम !
  • विजय – हाँ, अच्छा तो मुझे भी नहीं लगता पर क्या दूरदर्शन वाले किशोरों के लिए उनके ज्ञानवर्धन के कार्यक्रम नहीं दे सकता ?
  • देव – क्यों नहीं, अनेक कार्यक्रम हैं, जैसे देशभक्ति से संबंधित, महापुरूषों के जीवन की घटनाओं पर आधारित कार्यक्रम
  • विजय – किशोरों के सामान्य ज्ञान, स्वास्थ्य, खेल-कूद से संबंधित कार्यक्रम भी तो हो सकते हैं।
  • देव – हाँ, चलो आराम से बैठकर इस संबंध में दूरदर्शन के निदेशक को पत्र लिखते हैं।

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प्रश्न 12.
शहर में आए दिन होने वाली सड़क दुर्घटनाओं से बचकर रहने के बारे में मित्र से हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • मानव – (कमल को लंगड़ा कर चलते देख) क्या हुआ कमल ?
  • कमल – कल सड़क पर गिर गया था, टांग दब गई है।
  • मानव – कैसे, क्या हुआ था ?
  • कमल – सड़क पर इतने गड्ढे हैं कि पता ही नहीं चलता कि सड़क कहाँ है, बस मेरी बाईक गड्ढे में फंस गई और मैं उछल कर जा गिरा।
  • मानव – ध्यान से चलाया कर, पर तेरा भी क्या दोष, सारी सड़कें ही खराब हैं और निर्माण विभाग सोया हुआ है।
  • कमल – मैं नगर निगम में पत्र लिखकर दे आया हूँ तो शायद सड़कों की मरम्मत हो जाए।
  • मानव – फिर भी हमें यातायात नियमों का पालन करते हुए तथा ध्यानपूर्वक वाहन चलाना चाहिए।
  • कमल – वाहन चलाते हुए पैदल चलने वालों को अपनी दिशा, ओवरटेक करना आदि भी सावधानी से करना चाहिए।
  • मानव – ठीक तो है, सावधानी हटी, तो दुर्घटना घटी।

प्रश्न 13.
आजकल स्कूली वाहनों द्वारा हो रही असावधानियों पर माँ-बेटे के बीच हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • माँ – रमन, आज देर कैसे हो गई?
  • रमन – माँ, बस खराब हो गई थी।
  • माँ – कैसे ? सुबह तो ठीक थी।
  • रमन – सामने से दूसरे स्कूल की बस ने हमारी बस को टक्कर मार दी थी, जिससे ब्रेक जाम हो गई थी।
  • माँ – अरे, क्या चोट तो नहीं लगी?
  • रमन – नहीं, हमारी बस के ड्राइवर ने सावधानी से हैंडब्रेक का प्रयोग किया और सभी बच्चे सुरक्षित रहे।
  • माँ – कई बस चालक तेज़ गति से बस चलाते हैं, जिससे दुर्घटना हो जाती है, ऐसे चालकों को नौकरी से निकाल देना चाहिए।
  • रमन – ठीक है, पर करेगा कौन?
  • माँ – तुम तेज़ चलते वाहनों का नंबर नोट कर लिया करो, मैं परिवहन विभाग को सूचित कर दूँगी कि इनका चालान किया जाए।

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प्रश्न 14.
गृहकार्य में शिथिलता देखकर पिता-पुत्र के बीच हुए संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • पिता – मोहित, अपने विद्यालय की डायरी दिखाना।
  • मोहित – पता नहीं कहाँ रख दी !
  • पिता – मुझे तुम्हारे अध्यापक का फोन आया था कि तुम गृहकार्य ठीक से नहीं कर रहे।
  • मोहित – नहीं, ऐसा तो नहीं है।
  • पिता – इसलिए डायरी नहीं मिल रही।
  • मोहित – (डायरी लाकर दिखाता है) मिल गई है।
  • पिता – (डायरी देखकर) देखो, जगह-जगह अध्यापक की टिप्पणियाँ हैं।
  • मोहित – गलती हो गई, आगे से ऐसा नहीं होगा।

प्रश्न 15.
परीक्षा में आपकी शानदार उपलब्धियों पर आपके और पिताजी के बीच हुए संवाद को 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर :

  • कमल – पिताजी! मेरा परीक्षा परिणाम आ गया है।
  • पिता – अच्छा, कैसा रहा?
  • कमल – बहुत अच्छा, मुझे तीन विषयों में विशेष योग्यता प्राप्त हुई है।
  • पिता – शाबाश! ये तो बहुत बड़ी उपलब्धि है। आगे क्या करना है?
  • कमल – मैं कॉमर्स विषयों के साथ स्नातक बनकर सी०ए० करना चाहता हूँ।
  • पिता – ठीक है, मैं तुम्हारी पूरी सहायता करूँगा, पर खूब मेहनत करनी होगी।
  • कमल – आप के आशीर्वाद से मैं और भी अच्छे परिणाम लाऊँगा।
  • पिता – ऐसा ही आत्मविश्वास बनाकर आगे बढ़ो।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. जैवमण्डल में सम्मिलित हैं
(A) केवल पौधे
(B) केवल प्राणी
(C) सभी जैव व अजैव जीव
(D) सभी जीवित जीव।
उत्तर:
(D) सभी जीवित जीव।

2. उष्ण कटिबन्धीय वन (Tropical) बायोम में वृक्षों की औसत ऊंचाई है
(A) 25-35 मीटर
(B) 50-55 मीटर
(C) 10-15 मीटर
(D) 10 मीटर से कम।
उत्तर:
(C) 10-15 मीटर।

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3. उष्ण कटिबन्धीय घास के मैदान निम्न में से किस नाम से जाने जाते हैं?
(A) प्रेयरी
(B) स्टैपी
(C) सवाना
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(C) सवाना।

4. चट्टानों में पाए जाने वाले लोहांश के साथ ऑक्सीजन मिलकर क्या बनाती है?
(A) आयरन कार्बोनेट
(B) आयरन ऑक्साइड
(C) आयरन नाइट्राइट
(D) आयरन सल्फेट।
उत्तर:
(B) आयरन ऑक्साइड।

5. प्रकाश-संश्लेषण प्रक्रिया के दौरान, प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड जल के साथ मिलकर क्या बनाती है?
(A) प्रोटीन
(B) कार्बोहाइड्रेट्स
(C) एमिनोएसिड
(D) विटामिन्स।
उत्तर:
(B) कार्बोहाइड्रेटस।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पारितन्त्र क्या है? चराई खाद्य श्रृंखला का एक उदाहरण देते हुए इसके अनेक स्तर बताएं।
उत्तर:
पारितन्त्र के प्रकार (Types of Ecosystems): प्रमुख पारितन्त्र मुख्यतः दो प्रकार के हैं।

  1. स्थलीय (Terrestrial) पारितन्त्र
  2. जलीय (Aquatic) पारितन्त्र।

स्थलीय पारितन्त्र को पुनः बायोम (Biomes) में विभक्त किया जा सकता है। बायोम, पौधों व प्राणियों का एक समुदाय है, जो एक बड़े भौगोलिक क्षेत्र में पाया जाता है। पृथ्वी पर विभिन्न बायोम की सीमा का निर्धारण जलवायु व अपक्षय सम्बन्धी तत्त्व करते हैं। अत: विशेष परिस्थितियों में पादप व जन्तुओं के अन्त:सम्बन्धों के कुल योग को ‘बायोम कहते हैं। इसमें वर्षा, तापमान, आर्द्रता व मिट्टी सम्बन्धी अवयव भी शामिल हैं।

संसार के कुछ प्रमुख पारितन्त्र : वन, घास क्षेत्र, मरुस्थल और टुण्ड्रा (Tundra) पारितन्त्र हैं। जलीय पारितन्त्र को समुद्री पारितन्त्र व ताज़े जल के पारितन्त्र में बाँटा जाता है। समुद्री पारितन्त्र में महासागरीय, तटीय ज्वारनदमुख, प्रवाल भित्ति (Coral reef), पारितन्त्र सम्मिलित हैं। ताज़े जल के पारितन्त्र में झीलें, तालाब, सरिताएँ, कच्छ व दलदल (Marshes and bogs) शामिल हैं।

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प्रश्न 2.
पारिस्थितिकी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
इकोलोजी (ecology) शब्द ग्रीक भाषा के दो शब्दों (Oikos) ‘ओइकोस’ और (logy) ‘लोजी’ से मिलकर बना है। ओइकोस का शाब्दिक अर्थ ‘घर तथा ‘लोजी’ का अर्थ विज्ञान या अध्ययन से है। शाब्दिक अर्थानुसार इकोलोजी-पृथ्वी के पौधों, मनुष्यों, जन्तुओं व सूक्ष्म जीवाणुओं के ‘घर के रूप में अध्ययन है। एक-दूसरे पर आश्रित होने के कारण ही ये एक साथ रहते हैं।

जर्मन प्राणीशास्त्री अर्नस्ट हैक्कल (Ernst haeckel) जिन्होंने सर्वप्रथम सन् 1869 में ओइकोलोजी (Oekologie) शब्द का प्रयोग किया, पारिस्थितिकी के ज्ञाता के रूप में जाने जाते हैं। जीवधारियों (जैविक) व अजैविक (भौतिक पर्यावरण) घटकों के पारस्परिक सम्पर्क के अध्ययन को ही पारिस्थितिकी विज्ञान कहते हैं। अत: जीवधारियों का आपस में व उनका भौतिक पर्यावरण के अन्तःसम्बन्धों का वैज्ञानिक अध्ययन ही पारिस्थितिकी है।

प्रश्न 3.
बायोम क्या है?
उत्तर:
बायोम के प्रकार (Types of Biomes) पिछले भागों से आप जान गए हैं कि बायोम का अर्थ क्या है? आओ, हम अब संसार के कुछ प्रमुख बायोम पहचानें और उन्हें रेखांकित करें। संसार के पाँच प्रमुख बायोम इस प्रकार हैं : वन बायोम, मरुस्थलीय बायोम, घासभूमि बायोम, जलीय बायोम और उच्च प्रदेशीय बायोम।।

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प्रश्न 4.
खाद्य श्रृंखला क्या है? चराई खाद्य श्रृंखला का एक उदाहरण देते हुए इसके अनेक स्तर बताएं।
उत्तर:
खाद्य श्रृंखला:
किसी पारिस्थितिक तन्त्र में एक स्रोत से दूसरे में ऊर्जा अन्तरण की साधारण प्रक्रिया को खाद्य श्रृंखला कहते हैं। उदाहरण के लिए पौधे अपने भोजन व विकास के लिए सौर ऊर्जा का प्रयोग करते हैं। हरे पौधे उपभोक्ता के लिए भोजन के रूप में ऊर्जा प्रदान करते हैं। वास्तव में खाद्य श्रृंखला सूर्यतप ऊर्जा का प्रवाह चक्र है। जैसे-एक घास भूमि में शाकाहारी जीव हिरण अपना भोजन घास से प्राप्त करता है। दूसरे प्रकाश संश्लेषण स्तर पर मांसाहारी जीव, जैसे-शेर भोजन के लिए हिरण भोजनभोजन पर निर्भर है। इस प्रकार खाद्य श्रृंखला में निम्न से उच्च | प्राथमिक प्राथमिक द्वितीय स्तरों की ओर खाद्य के रूप में ऊर्जा का प्रवाह होता है।
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चराई खाद्य श्रृंखला:
चराई खाद्य श्रृंखला में ऊर्जा एक स्तर से दूसरे स्तर पर प्रवाहित होती है। शाकाहारियों Fig. Food Chain में भोजन के रूप में लिए गए पदार्थों का कुछ अंश उनकेसर्वाहारी शरीर में एकत्रित हो जाता है, शेष ऊर्जा शारीरिक कार्यों के दौरान नष्ट हो जाती है। इसी प्रकार एक माँसाहारी, मांसाहारी जब अपना शिकार खाता है, तो उससे प्राप्त कुछ ऊर्जा ही) शाकाहारी इसके शरीर में संचित होती है। इस प्रकार खाद्य श्रृंखला के जीवाणु अगले पोषण स्तर पर बहुत कम ऊर्जा रूपांतरण  करते हैं, क्योंकि हर स्तर पर ऊर्जा का ह्रास होता है।

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पिरामिड आकृति की खाद्य श्रृंखला दिखाती है कि बहुत से पेड़-पौधे व झाड़ियाँ आदि जिराफ को भोजन व ऊर्जा Fig. Ecological Pyramid प्रदान करते हैं। पौधों की तुलना में जिराफ की संख्या बहुत कम होती है और शेरों की संख्या जिराफ से भी कम है। दूसरे शब्दों में, शीर्ष पर कुछ जीवों के जिन्दा रहने के लिए आधार पर या पहले पोषण स्तर पर विस्तृत जैविक पदार्थ अनिवार्य हैं। खाद्य श्रृंखला के जीवों की यह परस्पर निर्भरता पौधों व जन्तुओं के एक-एक समुदाय को सन्तुलित करने में सहायक होती है। इसीलिए, पर्यावरण में अधिक शाकाहारी व कम मांसाहारी हैं।

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प्रश्न 5.
खाद्य जाल से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित बताइए।
उत्तर-खाद्य जाल (Food Web):
किसी भी पारिस्थितिक तन्त्र में खाद्य श्रृंखला सरल रूप में नहीं मिलती। जब कई खाद्य श्रृंखलाएं एक-दूसरे से घुल-मिल कर एक जटिल रूप धारण करती हैं तो उसे खाद्य जाल कहते हैं। इस प्रकार खाद्य जाल अनेक स्त्रोतों से ऊर्जा के अन्तरण की एक जटिल प्रक्रिया है। उदाहरण के लिए प्रत्येक जीव कई जीवों से भिन्न-भिन्न प्रकार का भोजन खा सकता है। अगले स्तर पर अनेक जीवों द्वारा उस जीव को खाया जा सकता है। इस प्रकार जीवों के परस्पर सम्बन्ध जटिल हो जाते हैं तथा अनेक प्रक्रियाएं हो सकती हैं।

प्राथमिक उत्पादक पौधे आदि सौर ऊर्जा का प्रयोग करते हैं तथा उच्च स्तर के जीवों के लिये भोजन प्रदान करते हैं। परन्तु ऊर्जा अन्तरण के प्रत्येक स्तर पर ऊर्जा की काफ़ी मात्रा कम हो जाती है। एक खाद्य श्रृंखला में विभिन्न जीवों का सम्बन्ध व ऊर्जा अन्तरण को पिरामिड से प्रदर्शित किया जा सकता है। इस पिरामिड में मनुष्य का सर्वोपरि स्थान है। इस पिरामिड का आधार चौड़ा होता है तथा प्राथमिक उत्पादक का स्तर होता है। आधार से शीर्ष की ओर संख्या घटती जाती है व खाद्य के रूप में प्राप्त ऊर्जा भी घटती जाती है। परिणामस्वरूप अधिकतर खाद्य श्रृंखलाएं चार या पांच स्तरों तक ही सीमित होती हैं। इस पिरामिड को सांख्यिक पिरामिड भी कहते हैं।

पौधे पर जीवित रहने वाला एक कीड़ा (Beetle) एक मेंढक का भोजन है, जो (मेंढक) साँप का भोजन है और साँप एक बाज़ द्वारा खा लिया जाता है। यह खाद्य क्रम और इस क्रम से एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा प्रवाह ही खाद्य श्रृंखला (Food Chain) कहलाती है। खाद्य श्रृंखला की प्रक्रिया में एक स्तर से दूसरे स्तर पर ऊर्जा के रूपान्तरण को ऊर्जा प्रवाह (Flow of energy) कहते हैं। खाद्य श्रृंखलाएं पृथक् अनुक्रम न होकर एक-दूसरे से जुड़ी होती हैं। उदाहरणार्थ-एक चूहा, जो अन्न पर निर्भर है, वह अनेक द्वितीयक उपभोक्ताओं का भोजन है और तृतीयक माँसाहारी अनेक द्वितीयक जीवों से अपने भोजन की पूर्ति करते हैं।

इस प्रकार प्रत्येक माँसाहारी जीव एक से अधिक प्रकार के शिकार पर निर्भर है। परिणामस्वरूप खाद्य श्रृंखलाएं आसपास में एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। प्रजातियों के इस प्रकार जुड़े होने (अर्थात् जीवों की खाद्य श्रृंखलाओं के विकल्प उपलब्ध होने पर) को खाद्य जाल (Food web) कहा जाता है। सामान्यतः दो प्रकार की खाद्य श्रृंखलाएं पाई जाती हैं-चराई खाद्य श्रृंखला (Grazing food chain) और अपरद खाद्य श्रृंखला (Detritus food chain) चराई खाद्य श्रृंखला पौधों (उत्पादक) से आरम्भ होकर माँसाहारी (तृतीयक उपभोक्ता) तक जाती है, जिसमें शाकाहारी मध्यम स्तर पर हैं। हर स्तर पर ऊर्जा का ह्रास होता है, जिसमें श्वसन, उत्सर्जन व विघटन प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं। खाद्य श्रृंखला में तीन से पाँच स्तर होते हैं और हर स्तर पर ऊर्जा कम होती जाती है। अपरद खाद्य श्रृंखला चराई खाद्य श्रृंखला से प्राप्त मृत पदार्थों पर निर्भर है और इसमें कार्बनिक पदार्थ का अपघटन सम्मिलित है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न-निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए
प्रश्न 1.
जैव भू-रासायनिक चक्र क्या है? वायुमण्डल के नाइट्रोजन का भौमीकरण कैसे होता है? वर्णन करें।
उत्तर:
जैव भू-रसायन चक्र (Biogeo-chemical Cycle):
सूर्य ऊर्जा का मूल स्त्रोत है जिस पर सम्पूर्ण जीवन निर्भर है। यही ऊर्जा जैवमण्डल में प्रकाश संश्लेषण-क्रिया द्वारा जीवन प्रक्रिया आरम्भ करती है, जो हरे पौधों के लिए भोजन व ऊर्जा का मुख्य आधार है। प्रकाश संश्लेषण के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन व कार्बनिक यौगिक में परिवर्तित हो जाती है। धरती पर पहुँचने वाले सूर्यातप का बहुत छोटा भाग (केवल 0.1 प्रतिशत) प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में काम आता है। इसका आधे से अधिक भाग पौधे की श्वसन-विसर्जन क्रिया में और शेष भाग अस्थाई रूप से पौधे के अन्य भागों में संचित हो जाता है।

पृथ्वी पर जीवन विविध प्रकार के जीवित जीवों के रूप में पाया जाता है। ये जीवधारी विविध प्रकार के पारिस्थितिकीय अन्तर्सम्बन्धों पर जीवित हैं। जीवधारी बहुतलता व विविधता में ही ज़िन्दा रह सकते हैं। इसमें (अर्थात्, जीवित रहने की प्रक्रिया में) विधिवत प्रवाह जैसे-ऊर्जा, जल व पोषक तत्त्वों की उपस्थिति सम्मिलित है। इनकी उपलब्धता संसार के विभिन्न भागों में भिन्न है। यह भिन्नता क्षेत्रीय होने के साथ-साथ सामयिक (अर्थात् वर्ष के 12 महीनों में भी भिन्न है) भी है। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि पिछले 100 करोड़ वर्षों में वायुमण्डल व जलमण्डल की संरचना में रासायनिक घटकों का सन्तुलन लगभग एक जैसा अर्थात् बदलाव रहित रहा है।

रासायनिक तत्त्वों का यह सन्तुलन पौधे व प्राणी ऊतकों से होने वाले चक्रीय प्रवाह के द्वारा बना रहता है। यह चक्र जीवों द्वारा रासायनिक तत्त्वों के अवशोषण से आरम्भ होता है और उनके वाय, जल व मिट्टी में विघटन से पुनः आरम्भ होता है। ये चक्र मुख्यतः सौर ताप से संचालित होते हैं। जैवमण्डल में जीवधारी व पर्यावरण के बीच ये रासायनिक तत्त्वों के चक्रीय प्रवाह जैव भू-रासायनिक चक्र (Biogeochemical cycles) कहे जाते हैं। बायो (Bio) का अर्थ है जीव तथा ‘जीयो’ (Geo) का तात्पर्य पृथ्वी पर उपस्थित चट्टानें, मिट्टी, वायु व जल से है। जैव भू-रासायनिक चक्र दो प्रकार के हैं-एक गैसीय (Gaseous cycle) और दूसरा तलछटी चक्र (Sedimentary cycle), गैसीय चक्र में पदार्थ का मुख्य भण्डार/स्रोत वायुमण्डल व महासागर हैं। तलछटी चक्र के प्रमुख भण्डार पृथ्वी की भूपर्पटी पर पाई जाने वाली मिट्टी, तलछट व अन्य चट्टानें हैं।

नाइट्रोजन चक्र (The Nitrogen Cycle): वायुमण्डल की संरचना का प्रमुख घटक नाइट्रोजन वायुमण्डलीय गैसों का 79 प्रतिशत भाग है। विभिन्न कार्बनिक यौगिक जैसे-एमिनो एसिड, न्यूक्लिक एसिड, विटामिन व वर्णक (Pigment) आदि में यह एक महत्त्वपूर्ण घटक है। (वायु में स्वतन्त्र रूप से पाई जाने वाली नाइट्रोजन को अधिकांश जीव प्रत्यक्ष रूप से ग्रहण करने में असमर्थ हैं) केवल कुछ विशिष्ट प्रकार के जीव जैसे-कुछ मृदा जीवाणु व ब्लू ग्रीन एलगी (Blue green algae) ही इसे प्रत्यक्ष गैसीय रूप में ग्रहण करने में सक्षम हैं। सामान्यतः नाइट्रोजन यौगिकीकरण (Fixation) द्वारा ही प्रयोग में लाई जाती है। नाइट्रोजन का लगभग 90 प्रतिशत भाग जैविक (Biological) है, अर्थात् जीव ही ग्रहण कर सकते हैं।

स्वतन्त्र नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत मिट्टी के सूक्ष्म जीवाणुओं की क्रिया व सम्बन्धित पौधों की जड़ें व रन्ध्र वाली मृदा है, जहाँ से यह वायुमण्डल में पहुँचती है। वायुमण्डल में भी बिजली चमकने (Lightening) व कोसमिक रेडियेशन (Cosmic radiation) द्वारा नाइट्रोजन का यौगिकीकरण होता है, महासागरों में कुछ समुद्री जीव भी इसका यौगिकीकरण करते हैं। वायुमण्डलीय नाइट्रोजन के इस तरह यौगिक रूप में उपलब्ध होने पर हरे पौधे में इसका स्वांगीकरण (Nitrogen assimilation) होता है। शाकाहारी जन्तुओं द्वारा इन पौधों के खाने पर इसका (नाइट्रोजन) कुछ भाग उनमें चला जाता है।

फिर मृत पौधों व जानवरों के नाइट्रोजनी अपशिष्ट (Excretion of nitrogenous wastes) मिट्टी, में उपस्थित बैक्टीरिया द्वारा नाइट्राइट में परिवर्तित हो जाते हैं। कुछ जीवाणु नाइट्राइट को नाइट्रेट में परिवर्तित करने में सक्षम होते हैं व पुनः हरे पौधों द्वारा नाइट्रोजन-यौगिकीकरण हो जाता है। कुछ अन्य प्रकार के जीवाणु इन नाइट्रेट को पुनः स्वतन्त्र नाइट्रोजन में परिवर्तित करने में सक्षम होते हैं और इस प्रक्रिया को डी नाइट्रीकरण (De-nitrification) कहा जाता है। (इस तरह नाइट्रोजन चक्र चलता रहता है)

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प्रश्न 2.
पारिस्थितिक सन्तुलन क्या है? इसके असन्तुलन को रोकने के लिए महत्त्वपूर्ण उपायों की चर्चा करें।
उत्तर:
पारिस्थितिक सन्तुलन (Ecological balance)-किसी पारितन्त्र या आवास में जीवों के समुदाय में परस्पर गतिक साम्यता की अवस्था ही पारिस्थितिक सन्तुलन है। यह तभी सम्भव है, जब जीवधारियों की विविधता अपेक्षाकृत स्थायी रहे। क्रमश: परिवर्तन भी हो, लेकिन ऐसा प्राकृतिक अनुक्रमण (Natural succession) के द्वारा ही होता है। इसे पारितन्त्र में हर प्रजाति की संख्या के एक स्थायी सन्तुलन के रूप में भी वर्णित किया जा सकता है। यह सन्तुलन निश्चित प्रजातियों में प्रतिस्पर्धा व आपसी सहयोग से होता है। कुछ प्रजातियों के ज़िन्दा रहने के संघर्ष से भी पर्यावरण सन्तुलन प्राप्त किया जाता है। सन्तुलन इस बात पर भी निर्भर करता है कि कुछ प्रजातियाँ अपने भोजन व जीवित रहने के लिए दूसरी प्रजातियों पर निर्भर रहती हैं (जिससे प्रजातियों की संख्या निश्चित रहती है और सन्तुलन बना रहता है

उदाहरण: इसके उदाहरण विशाल घास के मैदानों में मिलते हैं, जहाँ शाकाहारी जन्तु (हिरण, जेबरा व भैंस आदि) अत्यधिक संख्या में होते हैं। दूसरी तरफ माँसाहारी (बाघ, शेर और कोयोटस आदि) अधिक नहीं होते और शाकाहारियों के शिकार पर निर्भर होते हैं, अतः इनकी संख्या नियन्त्रित रहती है।

असन्तुलन के कारण: पौधों के पारिस्थितिक सन्तुलन में बदलाव के कारण हैं
1. वनों की प्रारम्भिक प्रजातियों में कोई खलल जैसे: स्थानान्तरी कृषि में वनों को साफ करने से प्रजातियों के वितरण में बदलाव लाता है। यह परिवर्तन प्रतिस्पर्धा के कारण है, जहाँ द्वितीय वन प्रजातियों जैसे-घास, बाँस और चीड़
आदि के वृक्ष प्रारम्भिक प्रजातियों के स्थान पर उगते हैं और प्रारम्भिक (Original) बनों की संरचना को बदल देते हैं। यही अनुक्रमण (Succession) कहलाता है।

2. पारिस्थितिक असन्तुलन के कारण: नई प्रजातियों का आगमन, प्राकृतिक विपदाएं और मानव जनित कारक भी हैं।

3. मनुष्य के हस्तक्षेप से पादप समुदाय का सन्तुलन प्रभावित होता है, जो अन्तोगत्वा पूरे पारितन्त्र के सन्तुलन को प्रभावित करता है। इस असन्तुलन से कई अन्य द्वितीय अनुक्रमण आते हैं।

4. प्राकृतिक संसाधनों पर जनसंख्या दबाव से भी पारिस्थितिकी बहुत प्रभावित हुई है। इसने पर्यावरण के वास्तविक रूप को लगभग नष्ट कर दिया है और सामान्य पर्यावरण पर भी बुरा प्रभाव डाला है। पर्यावरण असन्तुलन से ही प्राकृतिक आपदाएँ जैसे-बाढ़ भूकम्प, बीमारियाँ, और कई जलवायु सम्बन्धी परिवर्तन होते हैं। विशेष आवास स्थानों में पौधों व प्राणी समुदायों में घनिष्ठ अन्तर्सम्बन्ध पाए जाते हैं। निश्चित स्थानों पर जीवों में विविधता वहाँ के पर्यावरणीय कारकों का संकेतक है। इन कारकों का समुचित ज्ञान व समझ ही पारितन्त्र के संरक्षण व बचाव के प्रमुख आधार हैं।

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प्रश्न 3.
विश्व में मिलने वाले प्रमुख बायोमों का वर्णन करो।
उत्तर:
स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र विश्व के प्रमुख बायोम हैं-उष्णकटिबंधीय वर्षा वन, उष्णकटिबंधीय सवाना, भूमध्यसागरीय गुल्म वन, पर्णपाती वन, घास भूमि, मरुस्थल, टैगा एवं टुंड्रा।
1. उष्णकटिबंधीय वर्षा वन विस्तार:
यह बायोम विषुवतरेखीय क्षेत्रों में स्थित है, जहाँ वार्षिक वर्षा 140 से०मी० से अधिक है। यह पृथ्वी के धरातल का लगभग 8 प्रतिशत भाग घेरे हुए है, लेकिन आधे से अधिक वनस्पतिजात तथा प्राणिजात को संजोए है। वनस्पति-वनस्पति जीवन में काफ़ी भिन्नता है, जो प्रत्येक हेक्टेयर भूमि पर वृक्षों की 200 से अधिक प्रजातियों के रूप में देखी जा सकती है। यहाँ की गर्म तथा आर्द्र जलवायु में चौड़ी पत्ती वाले सदाबहार वृक्ष उगते हैं, जिनका विशिष्ट स्तरण होता है। इनमें एक सबसे ऊपर का स्तर होता है, जिसके नीचे पेड-पौधों का दो से तीन स्तर होता है। सबसे लंबे पेड़ ऊपर से एक खुला वितान आवरण बनाते हैं, लेकिन निचले शिखर-स्तर भूमि तक सूर्य प्रकाश को नहीं पहुँचने देते।

प्रकाश पाने की होड़ में वृक्षों और पौधों पर चढ़ती बेलें आपस में गुंथ कर फंदा जैसा बनाती हैं। इन बेलों को कठलता या लियाना कहते हैं। पशु जीवन का बाहुल्य है और उसमें काफ़ी भिन्नता है। इनमें भूमि पर तथा वृक्षों पर रहने वाले दोनों जीव शामिल हैं। जानवरों में बंदर, सांप, चींटी भक्षक, उष्णकटिबंधीय पक्षी, चमगादड़, विशाल मांसाहारी जानवर तथा नदियों में विभिन्न प्रकार की मछलियाँ शामिल हैं। सभी ज्ञात कीटों की प्रजातियों में से लगभग 70 से 80 प्रतिशत उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों में मिलती है।

2. उष्णकटिबंधीय सवाना:
उष्णकटिबंध की सीमाओं पर, जहाँ वर्षा मौसमी है, मोटी घास और बिखरे हुए वृक्ष पाए जाते हैं, जिन्हें सवाना कहते हैं। यहां एक के बाद एक आई और शुष्क मौसम का क्रम चलता रहता है। पौधे एवं पशु शुष्कता सहन करने वाले होते हैं और अधिक भिन्नता नहीं रखते । यह बायोम सर्वाधिक प्रकार के खुरवाले शाकाहारी पशुओं की प्रजातियों, जैसे जेबरा, जिराफ, हाथी तथा अनेक प्रकार के हिरनों का पोषण करती है। ऑस्ट्रेलिया के सवाना मैदानों में कंगारू पाया जाता है।

3. भूमध्यसागरीय गुल्म वन:
इस बायोम को बांज वन या चैपेरल भी कहते हैं। यहाँ की विशेषता अल्प मात्रा में होने वाली शीत ऋतु की वर्षा है। इसके पश्चात् वर्ष के शेष भाग में शुष्क मौसम रहता है। समुद्र की आई एवं ठंडी हवा के प्रभाव से तापमान सामान्य रहता है। इस बायोम में चौड़ी पत्ती वाली सदाबहार वनस्पति मिलती है। यह बायोम अग्निरोधी रेज़िनी पौधों तथा शुष्कता अनुकूलित पशुओं में बनी है।

4. पर्णपाती वन:
ये वन उत्तरी मध्यवर्ती यूरोप, पूर्वी एशिया तथा पूर्वी संयुक्त राज्य के शीतोष्ण कटिबंधी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। यहां वार्षिक वर्षा 75 से 150 से०मी० तक होती है। शरद ऋतु आते ही अधिकांश पेड़ और झाड़ियाँ पत्ते गिराकर पर्णविहीन हो जाते हैं। इस वनस्पति में चौड़ी पत्ती वाले कठोर लकड़ी के वृक्ष जैसे बांस, एल्म, भुर्ज, मैपिल तथा हिकरी आते हैं। प्राणिजगत् में मेढक, कछुए, सैलामैंडर, सांप, छिपकली, गिलहरी, खरगोश, हिरण, भालू, रैकून, लोमड़ी तथा गायक पक्षी शामिल हैं।

5. घासभूमि:
कनाडा तथा संयुक्त राज्य के प्रेरीज, दक्षिणी अमेरिका के पम्पास, यूरोप व एशिया के स्टेपीज़ तथा अफ्रीका के वेल्ड्स प्रमुख घास भूमियाँ हैं। यहाँ वार्षिक वर्षा 25 से 75 से०मी० है। शीत ऋतु में बर्फानी तूफान आते हैं और गर्मियों की शुष्कता असहनीय हो सकती है। समय-समय पर आग लगने से बड़ी हानि होती है। यहाँ पौधों की मुख्य प्रजाति छोटी एवं ऊँची घास है। पशु प्रजातियों में भरत पक्षी, बिलकारी उल्लू, दुनुकी सींग वाले बाहरसिंगा, बैज़र, काइयोट, जैकरैबिट, तथा गौर शामिल हैं।

6. मरुस्थल:
अत्यधिक कम वर्षा तथा उच्च वाष्पन की दर मरुस्थलों की विशेषताएँ हैं। तेज़ धरातलीय प्रवाह के कारण कम वर्षा से प्राप्त जल भी पौधों को प्राप्त नहीं होता। दिन अत्यधिक गर्म तथा रात ठंडी होती है। तापमान का मौसमी उतार-चढाव काफ़ी होता है। मरुस्थलों में पेड़-पौधे तथा जीव-जंतु कम होते हैं। विभिन्न प्रकार के एकेशिया, कैक्टस, यूफोर्बियाज़ तथा अन्य गूदेदार पौधे मरुस्थली वनस्पति में शामिल हैं। चींटियाँ, टिड्डियाँ, ततैये, बिच्छू, मकड़ी, छिपकली, रटल सांप तथा अनेक कीट-भक्षी पक्षी जैसे-बतासी और अबाबील, बटेर, बत्तख, मरू चूहे, खरगोश, लोमड़ी, गीदड़ तथा विभिन्न बिल्लियाँ सामान्य मरुभूमि पशु हैं।

7. टैगा:
उत्तरी शंकुधारी वन, जिन्हें टैगा कहते हैं, में पौधों का वर्धन काल केवल 150 दिन के लगभग है। क्योंकि यहाँ की भौतिक दशाएँ परिवर्तनशील हैं, इसलिए यहाँ जीवों को तापमान के उतार-चढ़ाव का प्रतिरोधी होना पड़ता है। चीड़, देवदार, फर, हेम्लॉक तथा स्यूस यहाँ की प्रमुख वनस्पतियाँ हैं। कुछ क्षेत्रों में वनस्पति इतनी घनी है कि वनों के धरातल तक बहुत कम प्रकाश पहुँच पाता है। आर्द्र क्षेत्रों में काई तथा पर्ण या पांग बहुतायत से उगते हैं। यह बायोम एल्क, तित्तिरी, हिरण, खरगोश, गिलहरी, प्यूमास, वनविडाल तथा कीटों की अनेक प्रजातियों के लिए अनुकूल आवास है।

8. टुंड्रा
ये वे मैदान हैं, जो हिम तथा बर्फ से ढंके रहते हैं तथा जहाँ मृदा सालों भर हिमशीतित रहती है। अत्यधिक कम तापमान तथा कम प्रकाश जीवन को सीमित करने वाले कारक हैं। हिमपात कम होता है। वनस्पति इतनी बिखरी हुई है कि इसे आर्कटिक मरुस्थल भी कहते हैं। यह बायोम वास्तव में वृक्षविहीन है। इसमें मुख्यतः लाइकेन, काई, प्रतृण, हीथ, घास तथा बौने विलो-वृक्ष शामिल हैं। हिमशीतित मृदा का मौसमी पिघलाव भूमि के कुछ सेंटीमीटर गहराई तक कारगर रहता है, जिससे यहाँ केवल उथली जड़ों वाले पौधे ही उग सकते हैं। इस क्षेत्र में कैरीबू, आर्कटिक खरगोश, आर्कटिक लोमड़ी, रेडियर, हिमउल्लू तथा प्रवासी पक्षी सामान्य रूप से पाए जाते हैं।

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पृथ्वी पर जीवन  JAC Class 11 Geography Notes

→ जैव-मण्डल (Biosphere): जैव मण्डल वह भाग है जहां सभी प्रकार के जीवन (मानव, वनस्पति तथा जन्तु) पाये जाते हैं। स्थल-मण्डल, जल-मण्डल तथा वायुमण्डल के सम्पर्क क्षेत्र में एक पतली परत को जैव मण्डल कहते हैं।
→ पारिस्थितिक तन्त्र (Eco-systems): स्थल आकृतियां, वनस्पति तथा जीव-जन्तुओं में अन्तः क्रिया को । पारिस्थितिक तन्त्र कहते हैं। इसमें जैविक तथा अजैविक दो प्रकार के घटक होते हैं।

→ ऊर्जा प्रवाह (Energy flow): इस तन्त्र में ऊर्जा तथा खनिज एक चक्र में प्रवाह करते हैं। पौधे प्रकाश ! संश्लेषण क्रिया द्वारा और ऊर्जा का प्रयोग करते हैं। एक स्तर से दूसरे स्तर से ऊर्जा परिवर्तन से एक खाद्य शृंखला बनती है।

→ मानवीय प्रभाव (Human Effect): मानव ने प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग तथा हस्तक्षेप से पारिस्थितिक | सन्तुलन को बिगाड़ दिया है। अति पशु चारण, वनों की कटाई तथा स्थानांतरित कृषि से कई समस्याएं उत्पन्न | हो गई हैं।

→ मानवीय अनुक्रिया (Human Response): मानव वातावरण का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। वातावरण में मनुष्य की भूमिका को मानवीय अनुक्रिया कहते हैं। मानव को भौतिक