Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions अपठित बोध अपठित काव्यांश Questions and Answers, Notes Pdf.
JAC Board Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित काव्यांश
अपठित-बोध के अंतर्गत विद्यार्थी को किसी को पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर का चयन करना होता है। इन प्रश्नों का उत्तर देने से पूर्व अपठित को अच्छी प्रकार से पढ़कर समझ लेना चाहिए। जिन प्रश्नों के उत्तर पूछे गए हैं वे उसी में ही। छिपे रहते हैं। सटीक विकल्प का चयन करना चाहिए। अपठित का शीर्षक भी पूछा जाता है। शीर्षक अपठित में व्यक्त भावों के अनुरूप होना चाहिए। शीर्षक-चयन से अपठित का मूल-भाव भी स्पष्ट होना चाहिए। मुख्य भावार्थ का विकल्प भावों को स्पष्ट करने वाला होना चाहिए। 10 अभ्यास के लिए कुछ यहाँ दिए जा रहे हैं –
अपठित काव्यास के महत्तपूर्ण उदाहरण :
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के सही विकल्प वाले उत्तर चुनिए –
1. चाह नहीं, मैं सरबाला के गहनों में गूंथा जाऊँ,
चाह नहीं, प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ।
चाह नहीं, सम्राटों के शव पर हे हरि! डाला जाऊँ,
चाह नहीं, देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ।
मुझे तोड़ लेना, वनमाली उस पथ में देना तुम फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ पर जाएँ वीर अनेक।
1. प्रस्तुत पंक्तियों का शीर्षक है –
(क) सुरबाला का गहना
(ख) पुष्प की अभिलाषा
(ग) सम्राट
(घ) मातृभूमि
उत्तर :
(ख) पुण्य की अभिलाषा
2. कवि ने किसके माध्यम से देश-भक्ति का संदेश दिया है?
(क) भाग्य
(ख) वनमाली
(ग) फूल
(घ) ये सभी
उत्तर :
(ग) फूल
3. कवि द्वारा देश भक्ति का कौन-सा संदेश दिया गया है?
(क) श्रम करने का
(ख) ज्ञान प्राप्त करने का
(ग) सर्वस्व न्योछावर करने का
(घ) स्व-कल्याण करने का
उत्तर :
(ग) सर्वस्व न्योछावर करने का
4. पुष्प को किस बात की चाह नहीं है?
(क) देवबालाओं के शृंगार करने
(ख) प्रेमी की माला में गँथने
(ग) सम्राटों के शवों को सजाने तथा देवों पर अर्पित होने
(घ) ये सभी विकल्प
उत्तर :
(घ) ये सभी विकल्प
5. पुष्प किनके चरणों पर समर्पित होकर जीवन की सार्थकता प्रमाणित करना चाहता है?
(क) देशभक्तों के चरणों पर
(ख) भगवान के चरणों पर
(ग) देशवासियों के चरणों पर
(घ) महिलाओं के चरणों पर
उत्तर :
(क) देशभक्तों के चरणों पर
2. आँधियों ने गोद में हमको खिलाया है न भूलो;
कंटकों ने सिर हमें सादर झुकाया है न भूलो;
सिंधु का मथ कर कलेजा हम सुधा भी शोध लाए;
औ’ हमारे तेज से सूरज लजाया है न भूलो!
वे हमीं तो हैं कि इक हुँकार से यह भूमि काँपी,
वे हमीं तो हैं, जिन्होंने तीन डग में सृष्टि नापी,
और वे भी हम, कि जिनकी सभ्यता के विजयरथ की
धूल उड़कर छोड़ आई छाप अपनी विश्वव्यापी!
1. पंक्तियों का उचित शीर्षक है
(क) आँधिया
(ख) सिंधु
(ग) वीर पुरुष
(घ) विजय रथ
उत्तर :
(ग) वीर पुरुष
2. ‘कंटकों ने सिर हमें सादर झुकाया है’ पंक्ति का भाव है
(क) वीर भारतीयों के समक्ष मुसीबतें भी नमन करती हैं।
(ख) काँटों की चुभन दुखदाई प्रतीत होती है।
(ग) काँटों के चुभने से ही मुसीबतें आती हैं।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर :
(क) वीर भारतीयों के समक्ष मुसीबतें भी नमन करती हैं।
3. भारतीयों के तेज़ के सम्मुख कौन लज्जित हो जाता है?
(क) शत्रु
(ख) सूर्य
(ग) चाँद
(घ) नभ
उत्तर :
(ख) सूर्य
4. कविता की किस पंक्ति में समुद्र मंथन का जिक्र हुआ है?
(क) वे हमीं तो हैं कि इक हुँकार से यह भूमि काँपी।
(ख) सिंधु का मथकर कलेजा हम सुधा भी शोध लाए।
(ग) और वे भी हम, कि जिनकी सभ्यता के विजय रथ की।
(घ) आँधियों ने गोद में हमको खिलाया है न भूलो।
उत्तर :
(ख) सिंधु का मथकर कलेजा हम सुधा भी शोध लाए।
5. मुसीबतों के प्रतीक कौन-से शब्द हैं?
(क) आँधी, संघर्ष और कंटक
(ख) हुँकार, सृष्टि, डग
(ग) सिंधु, सूरज, सभ्यता
(घ) धूल, रथ, डग
उत्तर :
(क) आँधी, संघर्ष और कंटक
3. हिमालय के आँगन में उसे प्रथम किरणों का दे उपहार।
उषा ने हँस अभिनंदन किया और पहनाया हीरक हार।
जगे हम, लगे जगाने विश्व लोक में फैला फिर आलोक।
व्योम-तम-पुंज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक।
विमल प्राणी ने वीणा ली कमल कोमल कर में सप्रीत।
सप्तस्वर सप्तसिंधु में उठे, छिड़ा तब मधुर साम-संगीत।
बचाकर बीज रूप से सृष्टि, नाव पर झेल प्रलय का शीत।
अरुण-केतन लेकर निज हाथ वरुण पथ में हम बढ़े अभीत।
1. प्रस्तुत पंक्तियों का उचित शीर्षक कौन-सा है
(क) हमारा प्यारा भारतवर्ष
(ख) व्योम-तम-पुंज
(ग) सप्तस्वर
(घ) वरुण पथ
उत्तर :
(क) हमारा प्यारा भारतवर्ष
2. काव्यांश का उचित उद्देश्य क्या है?
(क) भारत के विश्व-संस्कृति के प्रथम उद्घोषक के रूप में चित्रित करना
(ख) भारत की गौरव-गाथा का प्रचार करना
(ग) अज्ञानता का शोक बताना
(घ) सूर्य की किरणों को ज्ञान का प्रतीक बताना
उत्तर :
(क) भारत को विश्व-संस्कृति के प्रथम उद्घोषक के रूप में चित्रित करना
3. भारत ने किसके प्रसार के द्वारा विश्व को शोक रहित बना दिया है?
(क) तकनीकी
(ख) मुद्रा
(ग) संदेश
(घ) ज्ञान
उत्तर :
(घ) ज्ञान
4. सूर्योदय की किरणें सबसे पहले कहाँ पड़ती हैं?
(क) सागर पर
(ख) हिमालय पर
(ग) नभ पर
(घ) मरुस्थल पर
उत्तर :
(ख) हिमालय पर
5. सिंधु यानी सागरों की संख्या कितनी बताई गई है?
(क) पाँच
(ख) छह
(ग) सात
(घ) आठ
उत्तर :
(ग) सात
4. तितली, तितली! कहाँ चली हो नंदन-वन की रानी-सी?
वन-उपवन में, गिरि-कानन में फिरती हो दीवानी-सी।
फूल-फूल पर, अटक-अटक कर करती कुछ मनमानी-सी।
पत्ती-पत्ती से कहती कुछ अपनी प्रणय कहानी-सी।
यह मस्ती, इतनी चंचलता किसे अलि! तुमने पाई?
कहाँ जा रही हो इस निर्जर मदिर उषा में अलसाई?
सोते ही सोते मीठी-सी सुधि तुमको किसकी आई?
जो चल पड़ी जाग तुम झटपट लेते-लेते अंगड़ाई।
1. काव्यांश का उचित शीर्षक है –
(क) उपवन
(ख) तितली रानी
(ग) प्रणय कहानी
(घ) चंचलता
उत्तर :
(ख) तितली रानी
2. कवि तितली को कहाँ की रानी कहकर संबोधित कर रहा है?
(क) स्वर्ग की रानी
(ख) रात की रानी
(ग) नंदनवन की रानी
(घ) जल की रानी
उत्तर :
(ग) नंदनवन की रानी
3. तितली रानी किसके समान वन-उपवन में भटकती रहती है?
(क) बालिका के समान
(ख) चंचल हवा के समान
(ग) दीवानी के समान
(घ) भ्रामरी के समान
उत्तर :
(ग) दीवानी के समान
4. तितली किस समय आलस्य से भरकर अंगड़ाई लेते हुए किसी से मिलने जा रही है?
(क) प्रभात की बेला में
(ख) अपराहन में
(ग) सायंकालीन बेला में
(घ) रात्रि में
उत्तर :
(क) प्रभात की बेला में
5. तितली अपनी प्रणय कहानी किससे कहती फिरती है?
(क) पत्ती-पत्ती से
(ख) फूल-फूल से
(ग) वन-उपवन से
(घ) ये सभी विकल्प
उत्तर :
(घ) ये सभी विकल्प
5. रोमांचित-सी लगती वसुधा आई जी गेहूँ में बाली,
अरहर-सनई की सोने की किंकिणियाँ हैं शोभाशाली।
उड़ती भीनी तैलाक्त गंध फूली सरसों पीली-पीली,
लो, हरित धरा से झाँक रही नीलम की कलि, तीसी नीली।
अब रजत स्वर्ण मंजरियों से लद गई आम तरु की डाली,
झर रहे ढाँक, पीपल के दल हो उठी कोकिला मतवाली।
1. प्रस्तुत काव्यांश का उचित शीर्षक है –
(क) फूली सरसों
(ख) ग्रामश्री
(ग) हरित धरा
(घ) स्वर्ण मंजरियाँ
उत्तर :
(ख) ग्रामश्री
2. धरती रोमांचित लग रही है क्योंकि
(क) बरसात हो गई है।
(ख) जौ-गेहूँ में बालियाँ आ गई हैं।
(ग) बीजों में अंकुरण हो गया है।
(घ) उसकी मिट्टी में उर्वरता आ गई है।
उत्तर :
(ख) जौ-गेहूँ में बालियाँ आ गई हैं।
3. वातावरण में किसके तेल की सगंध आ रही है?
(क) सरसों के तेल की
(ख) मूंगफली के तेल की
(ग) तिल के तेल की
(घ) अलसी के तेल की
उत्तर :
(क) सरसों के तेल की
4. किस वृक्ष की डालियाँ सुनहरे बौरों से लद गई हैं?
(क) महुआ
(ख) नीम
(ग) आम
(घ) जामुन
उत्तर :
(ग) आम
5. ‘नीलम की कलि’ किन्हें कहा गया है?
(क) अलसी पर खिली नीली कलियों को कहा गया है।
(ख) पीली सरसों पर खिली लाल कलियों को कहा गया है।
(ग) आम की हरी बौरों में नीली कलियों को कहा गया है।
(घ) नीलम पत्थर को कहा गया है।
उत्तर :
(क) अलसी पर खिली नीली कलियों को कहा गया है।
6. यह लघु सरिता का बहता जल, कितना शीतल, कितना निर्मल।
हिमगिरि के हिम से निकल-निकल, यह विमल दूध-सा हिम का जल
कर-कर निनाद कल-कल, छल-छल, बहता आता नीचे पल-पल।
तन का चंचल, मन का विह्वल, यह लघु सरिता का बहता जल।
निर्मल जल की यह तेज धार, करके कितनी श्रृंखला पार,
बहती रहती है लगातार, गिरती-उठती है बार-बार।
रखता है तन में इतना बल, यह लघु सरिता का बहता जल।
1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए
(क) सरिता का बहता जल
(ख) निर्मलता
(ग) चंचलता
(घ) विह्वलता
उत्तर :
(क) सरिता का बहता जल
2. सरिता का जल कहाँ से निकलकर मैदानों तक आ जाता है?
(क) सागर से
(ख) हिमालय से
(ग) खाड़ी से
(घ) पाताल से
उत्तर :
(ख) हिमालय से
3. हिमालय से निकलते हुए जल का रंग कैसा बताया गया है?
(क) मटमैला
(ख) पीला
(ग) दूधिया
(घ) भूरा
उत्तर :
(ग) दूधिया
4. ‘कर-कर निनाद कल-कल, छल-छल’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) यमक अलंकार
(ख) श्लेष अलंकार
(ग) उपमा अलंकार
(घ) अनुप्रास अलंकार
उत्तर :
(घ) अनुप्रास अलंकार
5. काव्यांश का उद्देश्य क्या है?
(क) वीरतापूर्वक सामना करते हुए लक्ष्य की ओर बढ़ना
(ख) बाधाओं से दूर भागने की कोशिश करना
(ग) सरिता के जल से आचमन करना
(घ) सरिता के जल से स्वयं को पवित्र करना
उत्तर :
(क) बाधाओं का वीरतापूर्वक सामना करते हुए लक्ष्य की ओर बढ़ना
7. भारत के शीश हिमालय को, है मेरा बारंबार नमन!
सबसे पहले जिसके माथे पर-सूरज तिलक लगाता है,
जिसके यश को सागर अपनी अनगिन लहरों से गाता है,
जिसकी ऊँचाई पर, मैं ही क्या गर्वित भारत माता है,
जननी के इस गौरव गिरि की आरती सजाता नील गगन!
1. कवि ने हिमालय को क्या कहा है?
(क) अधिपति
(ख) नागमणि
(ग) भारत का शीश
(घ) भारत का भाल
उत्तर :
(ग) भारत का शीश
2. उपयुक्त शीर्षक चुनिए
(क) हिमालय
(ख) भारत देश
(ग) जननी
(घ) नील गगन
उत्तर :
(क) हिमालय
3. कवि किसे बार-बार नमन करता है?
(क) भारत-माता को
(ख) हिमालय को
(ग) अपनी जननी को
(घ) सागर को
उत्तर :
(ख) हिमालय को
4. हिमालय के यश का गान कौन कर रही हैं?
(क) भारत की महिलाएँ
(ख) औषधियाँ
(ग) सागर की लहरें
(घ) ऊँची लताएँ
उत्तर :
(ग) सागर की लहरें
5. भारत-माता को हिमालय की किस बात पर गर्व है?
(क) सबसे साफ़-सुथरा होने के कारण
(ख) सबसे ऊँचा होने के कारण
(ग) सबसे हरा-भरा होने के कारण।
(घ) गुणकारी औषधियों की मौजूदगी के कारण
उत्तर :
(ख) सबसे ऊँचा होने के कारण
8. वे मुसकाते फूल नहीं-जिनको आता है मुरझाना,
वे तारों के दीप नहीं-जिनको भाता है बुझ जाना,
वे नीलम से मेघ, नहीं-जिनको है घुल जाने की चाह,
वह अनंत ऋतुराज, नहीं-जिससे देखी जाने की राह!
वे सूने से नयन नहीं-जिनमें बनते आँसू मोती,
वह प्राणों की सेज, नहीं-जिनमें बेसुध पीड़ा सोती।
ऐसा तेरा लोक, वेदना नहीं, नहीं जिसमें अवसाद,
जलना जाना नहीं, नहीं-जिसने जाना मिटने का स्वाद!
क्या अमरों का लोक मिलेगा तेरी करुणा का उपहार?
रहने दो हे देव! अरे यह मेरा मिटने का अधिकार!
1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए
(क) मुसकाते फूल
(ख) मिटने का अधिकार
(ग) ऋतुराज वसंत
(घ) मोती के समान आँसू
उत्तर :
(ख) मिटने का अधिकार
2. वसंत ऋतु कब अर्थहीन हो जाती है?
(क) जब अर्ध यौवन पर आ जाती है।
(ख) जब समय-सीमा को त्याग कर परे साल बनी रहती है।
(ग) जब वह यौवन की अवहेलना करती है।
(घ) जब वह समय से पहले चली जाती है।
उत्तर :
(ख) जब समय सीमा को त्यागकर पूरे साल बनी रहती है।
3. कवि ने संसार को क्या कहा है?
(क) प्राणों की सेज
(ख) तारों का दीप
(ग) वेदना का लोक
(घ) आस्था का संगम
उत्तर :
(ग) वेदना का लोक
4. काव्यांश का उद्देश्य है
(क) विपत्तियों का हँसकर सामना कर आत्म-बलिदान देना
(ख) विपत्तियों को आने न देना
(ग) विपत्तियों पर नियंत्रण लगाना
(घ) मिटने के स्वाद का आनंद लेना
उत्तर :
(क) विपत्तियों का हँसकर सामना कर आत्म-बलिदान देना
5. प्रभु की करुणा का उपहार किसे मिल सकता है?
(क) जो अमर हो गए हैं।
(ख) जो गुमनाम हो गए हैं।
(ग) जो अचानक मिट गए हैं।
(घ) जो जीवन के आनंद में लिप्त हो गए हैं।
उत्तर :
(क) जो अमर हो गए हैं।
9. आवश्यकता की पुकार को श्रुति ने श्रवण किया है?
कहो, करो ने आगे बढ़ किसको साहाय्य दिया है?
आर्तनाद तक कभी पदों ने क्या तुमको पहुँचाया?
क्या नैराश्य-निमग्न जनों को तुमने कंठ लगाया?
पैदा कर जिस देश जाति ने तुमको पाला-पोसा।
किए हुए है वह निज हित का तुमसे बड़ा भरोसा।
उससे होना उऋण प्रथम है सत्कर्तव्य तुम्हारा।
फिर दे सकते हो वसुधा को शेष स्वजीवन सारा।
1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए –
(क) आवश्यकता की पुकार
(ख) आर्तनाद
(ग) स्वजीवन
(घ) सत्कर्तव्य
उत्तर :
(घ) सत्कर्तव्य
2. आवश्यकता की पुकार क्या है?
(क) ज़रूरतमंद की आवश्यकता की पुकार सुनकर उसकी पूर्ति करना
(ख) किसी की भी आवश्यकता की पुकार सुनकर उसकी पूर्ति करना
(ग) गैर-ज़रूरतमंद की आवश्यकता की पूर्ति करना
(घ) ये सभी विकल्प सही हैं
उत्तर :
(क) ज़रूरतमंद की आवश्यकता की पुकार सुनकर उसकी पूर्ति करना
3. मनुष्य का प्रथम कर्तव्य क्या है?
(क) देश-जाति के ऋण से दबकर शांत रहना
(ख) देश-जाति के ऋण से मुक्त होकर उसकी सेवा करना
(ग) देश की स्वार्थ की भावना से सेवा करना
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर :
(ख) देश-जाति के ऋण से मुक्त होकर उसकी सेवा करना
4. किन लोगों को गले लगाकर सांत्वना देनी चाहिए?
(क) निराश लोगों को
(ख) बेसुध लोगों को
(ग) पिछड़े लोगों को
(घ) असहाय लोगों को
उत्तर :
(क) निराश लोगों को
5. हमें क्या सुनकर सहायता करनी चाहिए?
(क) करुण पुकार
(ख) कराह
(ग) वेदना की पुकार
(घ) ये सभी विकल्प सही हैं
उत्तर :
(घ) ये सभी विकल्प सही हैं
10. मैं तो वही खिलौना लूंगा, मचल गया दीना का लाल।
खेल रहा था जिसको लेकर, राजकुमार उछाल-उछाल।
व्यथित हो उठी मां बेचारी, था सुस्वर्ण निर्मित वह तो।
खेल इसी से लाल, नहीं है, राजा के घर भी यह तो।
राजा के घर नहीं, नहीं माँ, तू मुझको बहकाती है।
इस मिट्टी से खेलेगा क्या, राजपुत्र तू ही कह तो।
फेंक दिया मिट्टी में उसने, मिट्टी का गुड्डा तत्काल।
मैं तो वही खिलौना लूँगा, मचल गया दीना का लाल।
1. कविता का उपयुक्त शीर्षक है –
(क) दीना का लाल
(ख) खिलौना
(ग) राजकुमार
(घ) खेल
उत्तर :
(ख) खिलौना
2. माँ ने बेटे को क्या समझाने का प्रयास किया है?
(क) ऐसा खिलौना तो ढूँढने से नहीं मिलेगा।
(ख) ऐसा खिलौना तो राजकुमार के पास भी नहीं होगा।
(ग) ऐसा खिलौना तो बाजार में भी नहीं मिलेगा।
(घ) ये सभी विकल्प सही हैं।
उत्तर :
(ख) ऐसा खिलौना तो राजकुमार के पास भी नहीं होगा।
3. दीना का लाल क्या लेना चाहता है?
(क) सस्ता खिलौना
(ख) मखमल का खिलौना
(ग) राजकुमार के खिलौने जैसा
(घ) स्वचालित खिलौना
उत्तर :
(ग) राजकुमार के खिलौने जैसा
4. दीना के लाल ने मिट्टी का गुड्डा कहाँ फेंक दिया?
(क) छत पर
(ख) मिट्टी में
(ग) द्वार पर
(घ) घास में
उत्तर :
(ख) मिट्टी में
5. ‘तू’ मुझको बहकाती है। पंक्ति में ‘तू’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
(क) पिता
(ख) माता
(ग) बेटा
(घ) राजकुमार
उत्तर :
(ख) माता
11. “माँ, कह एक कहानी!’
‘बेटा, समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी?’
‘कहती है मुझसे यह चेटी, तू मेरी नानी की बेटी।
कह माँ, कह लेटी ही लेटी, राजा था या रानी?
माँ, कह एक कहानी?’
‘सुन, उपवन में बड़े सवेरे, तात भ्रमण करते थे तेरे।
जहाँ सुरभि मनमानी।”जहाँ सुरभि मनमानी! हाँ माँ, यही कहानी।’
‘वर्ण-वर्ण के फूल खिले थे, झलमल कर हिम-बिंदु झिले थे,
हलके झोंके हिले-मले थे, लहराता था पानी।’
‘लहराता था पानी! हाँ, हाँ, यही कहानी।’
1. बेटा किससे कहानी कहने के लिए कह रहा है?
(क) माँ से
(ख) पिता से
(ग) नानी से
(घ) दादी से
उत्तर :
(क) माँ से
2. दासी ने बेटे को क्या बताया?
(क) उसकी माँ नानी की बहन है।
(ख) उसकी माँ नानी की बेटी है।
(ग) उसकी माँ नानी की बहू है।
(घ) उसकी माँ दादी की बेटी है।
उत्तर :
(ख) उसकी माँ की बेटी है।
3. माँ कहानी की शुरुआत कहाँ से करती है?
(क) पिता के उपवन घूमने से
(ख) नानी के बाग से
(ग) नदी-किनारे से
(घ) स्वयं की सुबह की सैर से
उत्तर :
(क) पिता के उपवन घूमने से
4. ओस की बूंदें कहाँ झलक रही थीं?
(क) रंगीन फ़र्श पर
(ख) रंगीन फूलों पर
(ग) पेड़ की सूखी डालों पर
(घ) फलों पर
उत्तर :
(ख) रंगीन फूलों पर
5. उपवन में किसे मनमानी करते बताया गया है?
(क) राजकुमारी को
(ख) माँ को
(ग) तितली
(घ) सुरभि
उत्तर :
(घ) सुरभि
12. रात यों कहने लगा मुझ से गगन का चाँद,
आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है!
उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता है,
और फिर बेचैन हो जगता न सोता है।
जानता है तू कि मैं कितना पुराना हूँ?
मैं चुका हूँ देख मनु को जनमते-मरते;
और लाखों बार तुझ-से पागलों को भी
चाँदनी में बैठ स्वप्नों पर सही करते।
1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए
(क) अनोखा जीव
(ख) चाँद और कवि
(ग) चाँदनी
(घ) उलझन
उत्तर :
(ख) चाँद और कवि
2. चाँद ने मनष्य को क्या कहा?
(क) विचित्र प्राणी
(ख) ज्ञानशील प्राणी
(ग) भोला-भाला प्राणी
(घ) विवेकशून्य प्राणी
उत्तर :
(क) विचित्र प्राणी
3. कवि हमेशा कहाँ खोया रहता है?
(क) यथार्थ लोक में
(ख) परलोक में
(ग) कल्पना लोक में
(घ) स्वर्गलोक में
उत्तर :
(ग) कल्पना लोक में
4. चाँद स्वयं के बारे में क्या बताता है?
(क) एकदम नया
(ख) बहुत पुराना
(ग) शीतल करने वाला
(घ) चाँदनी देने वाला
उत्तर :
(ख) बहुत पुराना
5. चाँद ने किसे मरते और जन्म लेते देखा है?
(क) सूर्य भगवान को
(ख) सप्तर्षि को
(ग) प्रथम पुरुष मनु को
(घ) राजा इक्ष्वाकु को
उत्तर :
(ग) प्रथम पुरुष मनु को
13. हम अनिकेतन, हम अनिकेतन।
हम तो रमते राम हमारा क्या घर, क्या दर, कैसा वेतन?
अब तक इतनी यों ही काटी, अब क्या सीखें नव परिपाटी।
कौन बनाए आज घरौंदा, हाथों चुन-चुन कंकड़-माटी।
ठाठ फ़कीराना है अपना बाघंबर सोहे अपने तन।
देखे महल, झोंपड़े देखे, देखे हास-विलास मजे के।
संग्रह के सब विग्रह देखे, अँचे नहीं कुछ अपने लेखे।
लालच लगा कभी, पर हिय में मच न सका शोणित-उद्वेलन।
1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए –
(क) फ़कीराना ठाठ
(ख) हम अनिकेतन
(ग) नव परिपाटी
(घ) हास-विलास
उत्तर :
(ख) हम अनिकेतन
2. कवि किसके प्रति रुचि नहीं रखता?
(क) वैभव और विलास के प्रति
(ख) भ्रमण
(ग) विरक्तता
(घ) फकीराना ठाठ
उत्तर :
(ख) वैभव और विलास के प्रति
3. व्यक्ति में भटकाव और बेचैनी किस कारण होती है?
(क) मोह के कारण
(ख) अशांति के कारण
(ग) वैभव के कारण
(घ) ये सभी विकल्प
उत्तर :
(ग) वैभव के कारण
4. वैभव के प्रति रुचि रखने वाला व्यक्ति प्रायः कैसा होता है?
(क) परोपकारी
(ख) धनवान
(ग) परस्वार्थी
(घ) स्वार्थी-आत्मकेंद्रित
उत्तर :
(घ) स्वार्थी-आत्मकेंद्रित
5. विरक्त लोगों के बारे में कौन-सा कथन असत्य है?
(क) ये साधु स्वभाव के होते हैं।
(ख) ये लालची नहीं होते हैं।
(ग) इनमें संग्रह करने की भावना होती है।
(घ) ये एक स्थान में टिककर नहीं रहते।
उत्तर :
(ग) इनमें संग्रह करने की भावना होती है।
14. हे ग्राम-देवता नमस्कार!
सोने-चाँदी से नहीं किंतु तुमने मिट्टी से किया प्यार
हे ग्राम-देवता नमस्कार!
जन-कोलाहल से दूर कहीं एकाकी सिमटा-सा निवास
रवि-शशि का उतना नहीं कि जितना प्राणों को होता प्रकाश।
श्रम-वैभव के बल पर करते हो जड़ में चेतन का विकास।
दानों-दानों से फूट रहे सौ-सौ दानों के हरे हास।
यह है न पसीने की धारा, यह गंगा की है धवल धार।
हे ग्राम-देवता नमस्कार!
1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए
(क) मिट्टी से प्यार
(ख) कोलाहल
(ग) ग्राम-देवता
(घ) श्रम-वैभव
उत्तर :
(क) ग्राम-देवता
2. ग्राम-देवता कहाँ रहता है?
(क) मंदिर में
(ख) पहाड़ में
(ग) महल में
(घ) छोटी-सी कुटिया में
उत्तर :
(घ) छोटी-सी कुटिया में
3. ग्राम-देवता किससे प्यार करता है?
(क) भक्तों से
(ख) मिट्टी से
(ग) प्रसाद से
(घ) फल-मेवों से
उत्तर :
(ख) मिट्टी से
4. ग्राम-देवता क्या करके धरती को चेतन बना देता है?
(क) धरती में अन्न पैदा कर
(ख) बारिश करवाकर
(ग) फसल काटकर
(घ) अन्न बाँटकर
उत्तर :
(क) धरती में अन्न पैदा कर
5. ग्राम-देवता के परिश्रम से निकलने वाले पसीने को क्या बताया गया है?
(क) आकाशगंगा
(ख) गंगा की उज्जवल धारा
(ग) चूने की लकीर
(घ) दूध की सफ़ेद धारा
उत्तर :
(ख) गंगा की उज्जवल धारा
15. जग में सचर-अचर जितने हैं, सारे कर्म निरत हैं।
धुन है एक न एक सभी को, सबके निश्चित व्रत हैं।
जीवन-भर आतप वह वसुधा पर छाया करता है।
तुच्छ पत्र की भी स्वकर्म में कैसी तत्परता है।
रवि जग में शोभा सरसाता, सोम सुधा बरसाता।
सब हैं लगे कर्म में, कोई निष्क्रिय दृष्टि न आता।
है उद्देश्य नितांत तुच्छ तृण के भी लघु जीवन का।
उसी पूर्ति में वह करता है अंत कर्ममय तन का।
1. काव्यांश का उचित शीर्षक है
(क) सचर-अचर
(ख) वसुधा
(ग) कर्म करो
(घ) कर्ममय तन
उत्तर :
(ग) कर्म करो
2. सांसारिक लोग किस धुन में लगे हुए हैं?
(क) लक्ष्य-प्राप्ति की
(ख) भोग-विलास की
(ग) व्रत करने की
(घ) कर्म करने की
उत्तर :
(क) लक्ष्य-प्राप्ति की
3. संसार को तेज़ की प्राप्ति किससे होती है?
(क) ज्ञान से
(ख) वैभव से
(ग) अग्नि से
(घ) सूर्य से
उत्तर :
(घ) सूर्य से
4. अमृत के समान शीतलता कौन प्रदान करता है?
(क) जाड़ा
(ख) वसंत
(ग) चंद्रमा
(घ) समीर
उत्तर :
(ग) चंदमा
5. काव्यांश में कवि का उद्देश्य क्या है?
(क) सदा कर्म करते रहना
(ख) सदा अच्छे समय की प्रतीक्षा करना
(ग) ज़रूरत पड़ने पर कर्म करना
(घ) मनमर्जी कर्म करते रहना
उत्तर :
(क) सदा कर्म करते रहना
16. इतने ऊँचे उठो कि जितना उछा गगन है।
देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से
सिंचित करो धरा, समता की भाव वृष्टि से
जाति-भेद की, धर्म-वेस की
काले गोरे रंग-द्वेष की
काले गोरे रंग-द्वेष की
ज्वालाओं से जलते जग में
इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है।
1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए
(क) दुनिया
(ख) जाति-भेद
(ग) इतने ऊँचे उठो
(घ) रंग-द्वेष
उत्तर :
(ग) इतने ऊँचे उठो
2. कवि मनुष्य को किसके समान ऊँचे उठने को कह रहा है?
(क) हिमालय
(ख) आसमान
(ग) सूर्य
(घ) चाँद
उत्तर :
(ख) आसमान
3. ऊँचे विचारों वाला मनुष्य क्या करता है?
(क) स्वयं को अलग रखता है।
(ख) सर्व-कल्याण की भावना रखता है।
(ग) सिर्फ़ परिचितों के कल्याण की भावना रखता है।
(घ) मनमौजी होकर अपने लोगों का कल्याण करता है।
उत्तर :
(ख) सर्व-कल्याण की भावना रखता है।
4. संसार किस भेद-भाव से ग्रस्त है?
(क) जाति-धर्म
(ख) वेश-भूषा
(ग) काले-मोटे रंग
(घ) ये सभी विकल्प
उत्तर :
(घ) ये सभी विकल्प
5. भेदभाव को दूर करने के लिए कवि ने क्या कहा है?
(क) ममता की भावना का प्रचार करना
(ख) द्वेष-भावना का प्रचार करना
(ग) हीन भावना का प्रचार करना
(घ) ये सभी विकल्प
उत्तर :
(क) ममता की भावना का प्रचार करना
17. ऊषा की सुकुमार रश्मि से रंचित थी जिसकी चितवन,
प्रात-स्वप्न-सा कहाँ खो गया वह मेरा भोला बचपन!
मृदुल सुनहरी चंचलता वह आज कहाँ है! लीन हुई,
यौवन की मोहलक सरिता में, क्या पीड़ा की मीन हुई!
सरल हंसी जिसमें सोती थी पड़ी हुई पीड़ा चुपचाप,
आज अश्रु से लिखती उर में अतीत का भूला इतिह्मस!
1. काव्यांश का उचित शीर्षक चुनिए
(क) सरिता
(ख) उषा की रश्मि
(ग) मेरा बचपन
(घ) इतिहास
उत्तर :
(ग) मेरा बचपन
2. कवि अपने बचपन के दिनों को क्या कहता है?
(क) अतीत का भूला इतिहास
(ख) नव लिखित इतिहास
(ग) अविस्मृत यादें
(घ) स्वर्णिम स्मृतियाँ
उत्तर :
(क) अतीत का भूला इतिहास
3. कवि की बचपन की चंचलता किसमें बदल गई है?
(क) मुसीबतों में
(ख) कठिन दिनचर्या में
(ग) यौवन की गंभीरता में ।
(घ) यौवन की सुकुमारता में
उत्तर :
(ग) अतीत की गंभीरता में
4. कवि अपने बचपन की यादों को हृदय पर किससे लिख रहा है?
(क) स्याही से
(ख) अश्रु से
(ग) पंख से
(घ) पेन से
उत्तर :
(ख) अश्रु से
5. कवि ने बचपन को किसके समान खो दिया है?
(क) हवा के समान
(ख) दिवा-स्वप्न के समान
(ग) बहुमूल्य हीरे के समान
(घ) रात्रि के स्वप्न के समान
उत्तर :
(ख) दिवा-स्वप्न के समान