Jharkhand Board JAC Class 10 Sanskrit Solutions रचना वाक्य निर्माणम् Questions and Answers, Notes Pdf.
JAC Board Class 10th Sanskrit Rachana वाक्य निर्माणम्
पद एवं उनके वाक्य प्रयोग :
पदाधारितवाक्यानां निर्माणम्
1. राजानं – सभासदः राजानं पश्यन्ति।
2. मन्त्रिणा राजा मन्त्रिणा सह वार्ता करोति।
3. विदुषे – राजा विदुषे ग्रन्थं ददाति।
4. राज्ञः – राज्ञः वचनं पालनीयम्।
सर्वनामशब्दाधारितवाक्यानाम् निर्माणम्
1. एषा – एषा मम भगिनी।
2. भवती – भवती अध्यापिका अस्ति।
3. यूयं – यूयं संस्कृतं पठत।
4. सः – सः बालकः अस्ति।
उपसर्गाधारितवाक्यानाम् निर्माणम्
1. अधिवसति – शिवः कैलासम् अधिवसति।
2. अपकरोति – दुर्जनः सदा अपकरोति।
3. प्रभवति – हिमालयात् गङ्गा प्रभवति।
4. संहरति – राजा शत्रून् संहरति।
अव्ययाधारितवाक्यानाम् निर्माणम्
1. सदा – बटुः सदा पठति।
2. समया – ग्रामं समया नदी वहति।
3. प्रभृतिः – अहं बाल्यकालात् प्रभृतिः अत्र वसामि।
4. इदानीं – इदानी वृष्टिः भवति।
हलन्तशब्दाधारितवाक्यानाम् निर्माणम्
1. श्रद्धावान् – श्रद्धावान् ज्ञानं लभते।
2. वाक् – वाक् मधुरा अस्ति।
3. सरित् – सरितः वहन्ति।
4. महत् – रोगिसेवा महत् कार्यं भवति।
अजन्तशब्दाधारितवाक्यानाम् निर्माणम्
1. विष्णुः – विश्वस्य पालकः विष्णुः।
2. लता – अने शोभते लता।
3. धेनुः – नन्दिनी वसिष्ठस्य धेनुः।
4. अश्रुः – बालकस्य नेत्राभ्याम् एकैकम् अश्रुः पतति।
कारकाधारितवाक्यानाम् निर्माणम्
1. धिक् – धिक् दुर्जनम्। (दृष्टि व्यक्ति को धिक्कार है।)
2. सह – पुत्रः पित्रा सह गच्छति। (पुत्र पिता के साथ जाता है।)
रमेशः मया सह पठति। (रमेश मेरे साथ पढ़ता है।)
बालकाः मित्रः सह क्रीडन्ति। (बालक मित्रों के साथ खेलते हैं।)
3. नमः – गुरवे नमः। (गुरु के लिए नमस्कार है।)
4. क्रुध् – दुर्जनः सज्जनाय क्रुध्यति। (दुष्ट व्यक्ति सज्जन पर क्रोध करता है।)
पिता पुत्राय क्रुध्यति। (पिता पुत्र पर क्रोध करता है।)
प्रत्ययाधारित वाक्य निर्माणम्
1. पठित्वा – छात्रः अत्र पठित्वा गच्छति। (छात्र यहाँ पढ़कर जाता है।)
2. गत्वा – छात्रः विद्यालयं गत्वा पठति। (छात्र विद्यालय जाकर पढ़ता है।)
3. आगत्य – रामः अत्र आगत्य पठति। (राम यहाँ आकर पढ़ता है।)
4. प्रणम्य – सेवकः प्रणम्य अवदत्। (सेवक प्रणाम करके बोला।)
पदाधारित वाक्य निर्माणम्
1. आसन् – बालकाः कक्षायाम् आसन्। (बालक कक्षा में थे।)
2. कुर्वन्ति – छात्राः गृहकार्यं कुर्वन्ति। (छात्र गृहकार्य करते हैं।)
3. अपतत् – सोहनः अश्वात् अपतत्। (सोहन घोड़े से गिर पड़ा।)
4. गच्छताम् – तौ गृहं गच्छताम्। (वे दोनों घर जावें।)
अभ्यासः
प्रश्न 1.
अधोलिखितशब्दानां सहायतया वाक्यनिर्माणं कुरुत-(निम्न शब्दों की सहायता से वाक्य-निर्माण कोजिए।)
[जीवितम्, शरणम्, दशनैः, निर्मलम्, करणीयम्, भृशम्, नगरात्, कान्तारे, क्षणमपि, कलरवः, जनेभ्यः, वनप्रदेशम्।]
उत्तरम् :
जीवितम् – प्रदूषितपर्यावरणे जीवितं कठिनं जातम्। (प्रदूषित पर्यावरण में जीवन कठिन हो गया है।)
शरणम् – श्रीकृष्णः शरणं मम। (श्रीकृष्ण मेरे आश्रय हैं।)
दशनैः – मानवः दशनैः भोजनं खादति। (मनुष्य दाँतों से खाना खाता है।)
निर्मलम् – निर्मलम् एव जलं पिबेत्। (शुद्ध जल ही पीना चाहिए।)
करणीयम् – कर्त्तव्यम् एव करणीयम्। (करने योग्य कार्य करना चाहिए।)
भृशम् – अद्य जलं भृशं दूषितम्। (आज पानी बहुत प्रदूषित है।)
नगरात – नगरात बहिरेव एकम् उद्यानम् अस्ति। (नगर के बाहर ही एक बाग है।)
कान्तारे – सीता निर्जनकान्तारे रामेण सह अगच्छत्। (सीता निर्जन वन में राम के साथ गई।)
क्षणमपि – न कश्चित् क्षणमपि तिष्ठति अकर्मकृत्। (कोई क्षणभर भी बिना काम किए नहीं रहता।)
कलरवः – खगानां कलरवः अतिमनोहरः भवति। (पक्षियों का कलरव मनोहर होता है।)
जनेभ्यः – स्वस्ति स्यात् जगतां जनेभ्यः। (संसार के लोगों का कल्याण हो।)
वनदेशम् – पशवः प्रातरेव वनप्रदेशं गच्छन्ति। (पशु प्रातः ही वन प्रदेश को जाते हैं।)
प्रश्न 2.
अधोलिखितानां पदानां सहायतया वाक्यनिर्माणं कुरुत-(निम्नलिखित शब्दों की सहायता से वाक्य बनाइए-)
[विमुक्ता, पितुहम्, दृष्ट्वा]
उत्तरम् :
विमुक्ता – सा व्याघ्रमारी निजबुद्ध्या व्याघ्रभयाद् विमुक्ता। (वह व्याघ्रमारी अपनी बुद्धि से बाघ के भय से मुक्त हो गई।)
पितुर्ग्रहम् – नार्यः रक्षाबन्धनोत्सवे पितुर्गृहं गच्छन्ति। (स्त्रियाँ रक्षाबन्धन के त्यौहार पर पिता के घर जाती हैं।)
दृष्ट्वा – सिंह दृष्ट्वा भयाद् असौ पलायितवान्। (सिंह को देखकर डर से वह भाग गया।)
प्रश्न 3.
अधोलिखितशब्दानां सहायतया वाक्यानां निर्माणं कुरुत- (निम्नलिखित शब्दों की सहायता से वाक्य का निर्माण कीजिए)-
[कृत्वा, सुखम्, समन्ततः, गात्राणाम्, लाघवम्, सुविभक्तता, आरोग्य, परमम्, पिपासा, सहसा]
उत्तरम् :
कृत्वा – सा गृहकार्यं कृत्वा विद्यालयं गच्छति। (वह गृहकार्य करके विद्यालय को जाती है।)
सुखम् – यावत् जीवेत् सुखं जीवेत्। (जब तक जीओ सुख से जीओ।)
समन्ततः – जनाः समन्ततः तत्र आगताः (लोग सभी ओर से वहाँ आ गये।)
गात्राणाम् – गात्राणाम् अनीशोऽहमस्मि। (मैं अपने अंगों का भी स्वामी नहीं हूँ।)
लाघवम् – मनुष्यः प्रयत्नलाघवम् अनुसरति। (मनुष्य प्रयत्न लाघव का अनुसरण करता है। )
सुविभक्तता – गात्राणाम् अपि सुविभक्तता शोभते। (अंगों का सुन्दर विभाजन शोभा देता है।)
आरोग्यम् – आरोग्यं परमं सुखम्। (नीरोग होना सबसे बड़ा सुख है।)
परमम् – दारिद्रयं परमापदां पदम्। (दरिद्रता महान आपदाओं का स्थान है।)
पिपासा – ग्रीष्मे पिपासा अतिबाधते। (गर्मियों में प्यास अधिक कष्ट देती है।)
सहसा – सहसा विदधीत न क्रियाम्। (अकस्मात् कोई काम नहीं करना चाहिए।)
प्रश्न 4.
अधोलिखितशब्दानां सहायतया वाक्यनिर्माणं कुरुत – (निम्नलिखित शब्दों की सहायता से वाक्य-निमाण कीजिए-)
[उपसृत्य, अलम्, लालनीयः, खलु, नामधेयम्, धिक, अपूर्वः, श्लाघ्या, त्वरयति।]
उत्तरम् :
उपसृत्य – रामः जनकम् उपसृत्य प्रणमति। (राम पिता के पास जाकर प्रणाम करता है।)
अलम् – अलं विवादेन। (विवाद मत करो।)
लालनीयः – शिशु पित्रोः लालनीयः भवति। (बच्चा पिता का लाडला होता है।)
खलु – मा खलु चापलं कुरु। (निश्चित ही चपलता मत करो !)
नामधेयम् – किं ते नामधेयम् ? (तेरा क्या नाम है ?)
धिक् – धिक् त्वाम्। (तुझे धिक्कार है।)
अपूर्वः – अपूर्वः कोऽपि कोशोऽयं विद्यते तव भारती। (हे सरस्वती ! यह तुम्हारा खजाना अनोखा है।)
श्लाघ्या – श्लाघ्या इयं रामायणी कथा। (यह रामायण की कथा सराहनीय है।)
त्वरयति – श्रमस्य फलं मां त्वरयति। (श्रम का फल मुझसे जल्दी करवा रहा है।)
प्रश्न 5.
अधोलिखित पदानां सहायताया वाक्य निर्माणं कुरुत। (निम्न पदों से वाक्य बनाइये)
[हलमा पपात, जवन, कषावल, वषभ, भारम, धेनूनाम्, अश्रूणि, वासवः, बोदुम्।]
उत्तरम् :
हलम् – वृषभौ हलम् स्कन्धो धृत्वा क्षेत्रं गच्छतः। (बैल हल लेकर खेत पर जाते हैं।)
पपात – एकं पाषाण खण्डं उपरितः पपात तेन सः हतः। (एक पत्थर का टुकड़ा ऊपर से गिरा, जिससे वह मर गया।)
जवेन – सः जवेन गच्छति एव, मार्गेऽहं मिलितवान्। (वह तेज गति से जा ही रहा था कि रास्ते में मैं मिल गया)
कृषीवलः – कृषीवल: अन्नमुत्पादयति। (किसान अन्न पैदा करता है।)
वृषभः – वृषभः कृषिकार्ये कृषकस्य सदैव सहायतां करोति। (बैल खेती के काम में किसान की सदैव सहायता करता है।)
भारम् – निर्बलः जनः भारम् न सोढुं शक्नोति। (निर्बल व्यक्ति भार नहीं ढो सकता।)
धेनूनाम् – सर्वासां धेनूनाम् जननी सुरभिः। (सभी गायों की माता सुरभि है।)
अश्रूणि – तस्य नेत्राभ्याम् अश्रूणि पतन्ति। (उसकी आँखों से आँसू गिरते हैं।)
वासवः – इन्द्रः वासवः इति नाम्नानि ख्यातः। (इन्द्र वासव के नाम से भी प्रसिद्ध हैं।)
बोढुम् – स्वस्थ मनुष्य एव भारं बोढुं शक्नोति। (स्वस्थ मनुष्य ही बोझा ढो सकता है।)
प्रश्न 6.
अधोलिखितपदानां सहायतया वाक्यनिर्माणं कुरुत (निम्नलिखित पदों की सहायता से वाक्य बनाइए)
उत्तरम् :
महान् – सुभाषः महान् पुरुषः आसीत्। (सुभाष महान् पुरुष था।)
समः – न कोऽपि वीरः रामेण समः। (राम के समान कोई वीर नहीं।)
कृत्वा – बालकः गृहकार्यं कृत्वा विद्यालयं गच्छति। (बालक गृहकार्य करके विद्यालय जाता है।)
ध्रुवम् – ध्रुवम् एव सः आयास्यति। (निश्चित ही वह आयेगा।)
अपगमे – मेघजालस्यापगमे चन्द्रः दृश्यते। (मेघजाल के हट जाने पर चन्द्रमा दिखाई पड़ता है।)
निमित्तम् – मूर्खाः किमपि निमित्तं विधाय कलहं कुर्वन्ति। (मूर्ख कोई कारण रखकर झगड़ा करते हैं।)
प्रथमः – पुस्तके प्रथमः पाठः मङ्गलाचरणं भवति। (पुस्तक में पहला पाठ मंगलाचरण होता है।)
यथा – यथा वृष्टिः भवति तथैव जलं प्रवहति। (जैसे वर्षा होती है वैसे ही जल बहता है।)
एव – माम् सः एव जानाति। (मुझे वह ही जानता है।)
सेवितव्यः – आचार्यः सर्वतोभावेन सेवितव्यः। (आचार्य की पूर्ण रूप से सेवा करनी चाहिए।)
प्रश्न 7.
अधोलिखित पदानां सहायतया वाक्य निर्माणं कुरुत – (निम्न पदों की सहायता से वाक्य निर्माण कीजिए।)
[समीपे, प्रहर्तुम्, आरूढः, आकृष्य, तुदन्ति, गर्जति, इतस्ततः, सन्नपि, जायते, किमर्थम्।]
उत्तरम् :
समीपे – समीपे एव उद्यानमस्ति यत्र वयं भ्रमामः। (पास में एक उद्यान है जहाँ हम घूमते हैं।)
प्रहर्तुम् – चौरः गृहस्वामिनः उपरि प्रहर्तुम् ऐच्छत। (चोर ने गृहस्वामी पर प्रहार करना चाहा।)
आरूढः – रथम् आरूढ़ः अर्जुनः शत्रून हन्ति। (रथ पर चढ़ता हुआ अर्जुन शत्रुओं को मारता है।)
आकृष्य – वानरः सिंहस्य कर्णमाकृष्य वृक्षमारोहति। (वानर सिंह का कान खींचकर पेड़ पर चढ़ जाता है।)
तुदन्ति – किमर्थं मामेव तुदन्ति सर्वे मिलित्वा। (तुम सभी मिलकर क्यों तंग कर रहे हो?)
गर्जति – सिंहः उच्चैः गर्जति। (सिंह जोर से दहाड़ता है।)
इतस्ततः – वानरं दृष्ट्वा बालकः इतस्ततः धावन्ति। (बन्दर को देखकर बालक इधर-उधर दौड़ते हैं।)
सन्नपि – सिंह सन्नपि वानरेभ्य विभेति। (शेर होते हुए भी वानरों से डरते हो।)
जायते – कामात् जायते क्रोधः। (काम से क्रोध पैदा होता है।)
किमर्थम् – त्वं किमर्थम् अत्र आगतोऽसि? (तुम यहाँ किसलिए आये हो?)
प्रश्न 8.
अधोलिखितानां पदानां सहायतया वाक्यनिर्माणं कुरुत – (निम्नलिखित पदों की सहायता से वाक्य बनाइये।)
उत्तरम् :
भूरि – सः निर्धनेभ्यः भूरि धनमयच्छत्। (उसने निर्धनों के लिए बहुत-सा धन दिया।)
संलग्नः – साधुः स्वकार्ये संलग्नः अभवत् (साधु अपने काम में लग गया।)
विचार्य – किञ्चित् विचार्य सोऽवदत्। (कछ विचार कर वह बोला।)
उपस्थातुम् – अंहं विद्यालये उपस्थातुम् असमर्थोऽस्मि। (मैं विद्यालय में उपस्थित होने में असमर्थ हूँ।)
अन्येधुः – अन्येधुः सः विदेशं गतवान्। (दूसरे दिन वह विदेश चला गया।)
निकषा – ग्रामं निकषा पाठशाला अस्ति। (गाँव के पास पाठशाला है।)।
वक्तुम् – अपि किमपि वक्तुम् इच्छति भवान्। (क्या आप कुछ कहना चाहते हैं ?)
अध्वनि – स: मां अध्वनि सर्वम् एव वृत्तम् अकथयत्। (उसने मुझसे मार्ग में सारा वृत्तान्त कह दिया।)
भुक्ष्व – भुक्ष्व इदानी स्वकर्मणः फलम्। (भोग अब अपने कर्म का फल।)
प्रश्न 9.
अधोलिखित शब्दानां सहायतया वाक्य निर्माणं कुरुत –
(निम्नलिखित शब्दों की सहायता से वाक्य निर्माण कीजिये।)
[यच्छति, विद्याधनम्, चित्ते, वाचि, त्यक्त्वा, पक्वं, वदने, प्रोक्तम्, परिभूयते, आत्मनः]
उत्तरम् :
यच्छति – धनिकः भिक्षुकेभ्यः भोजनं यच्छति। (धनवान भिक्षुओं को भोजन देता है।)
विद्याधनम् – विद्याधनं सर्वधन प्रधानम्। (विद्याधन सभी धनों में प्रमुख है।)
चित्ते – न चित्ते केभ्यः अपि अहितभावः भवेत्। (मन में किसी के लिये अहित का भाव न हो।)
वाचि – वाचि सत्यम् भवेत्। (वाणी में सत्यता होनी चाहिये।)
त्यक्त्वा – परपीडनं त्यक्त्वा सदैव परोपकारमेव कुर्यात्। (दूसरों को दुख देने को त्यागकर परोपकार करना चाहिये।)
पक्वं – पक्वमेव फलं मधुरं भवति। (पका हुआ फल ही मीठा होता है।)
वदने – तस्य वदने स्मिति तस्य प्रसन्नतां दर्शयिति। (उसके मुँह पर मुस्कराहट उसकी प्रसन्नता को दर्शाती है।)
प्रोक्तम् – इति महापुरुषैः प्रोक्तम्। (ऐसा महापुरुषों ने कहा)
परिभूयते – मूर्खः सर्वत्रैव परिभूयते। (मूर्ख सब जगह अपमानित किया जाता है।)
आत्मनः – आत्मनः हितचिन्तनमेव स्वार्थम्। (अपना हित सोचना ही स्वार्थ है।)
प्रश्न 10.
अधोलिखितानां पदानां सहायतया वाक्यनिर्माणं कुरुत।
(निम्नलिखित पदों की सहायता से वाक्य-निर्माण कीजिए।)
[जातम्, अकस्मात्, बहुभूमिकानि, महत्कम्पनम्, भीषणम्, विभीषिका, खलु, वस्तुतः, निर्माय।]
उत्तरम् :
जातम् – स्वातन्त्र्यं प्राप्य भारतं राष्ट्र प्रसन्नं जातम्। (स्वतन्त्रता प्राप्त करके भारत राष्ट्र प्रसन्न हो गया।)
अकस्मात् – अकस्मात् एव युद्धस्य स्थितिः उपस्थिता। (अचानक ही युद्ध की स्थिति उपस्थित हो गई।)
बहुभूमिकानि – महानगरेषु बहुभूमिकानि भवनानि सन्ति। (महानगरों में बहुमंजिले भवन हैं।)
महत्कम्पनम् – भूकम्पे जाते धरायाः महत् कम्पनम् आरभते। (भूकम्प आने पर धरती का अत्यन्त काँपना आरम्भ होता है।)
भीषणम् – कौरवपाण्डवयोः भीषणं युद्धम् अजायत। (कौरव-पाण्डवों का भीषण युद्ध हुआ।)
विभीषिका – भूकम्पस्य विभीषिका युद्धाद् अपि भयङ्करा। (भूकम्प की आपदा युद्ध से भी अधिक भयंकर है।)
खलु – मा खलु चापलं कुरु। (निश्चय ही चपलता मत करो।)
वस्तुतः – वस्तुतः प्रदूषणम् एव रोगाणां कारणम्। (वास्तव में प्रदूषण ही रोगों का कारण है।)
निर्माय – खगाः अपि नीडं निर्माय निवसन्ति। (पक्षी भी घोंसला बनाकर निवास करते हैं।)
प्रश्न 11.
अधोलिखितानां पदानां सहायतया वाक्य-निर्माणं कुरुत – (निम्नलिखित शब्दों की सहायता से वाक्य बनाइये)
[द्रष्टुम्, निष्क्रम्य, प्रविश्य, पिधाय, भवान्, रक्षसि, क्व, ज्ञायते, दुष्करम्।]
उत्तरम् :
द्रष्टुम् – बालकः चलचित्रं द्रष्टुम् इच्छति। (बालक चलचित्र देखना चाहता है।)
निष्क्रम्य – मूषक: बिलात् निष्क्रम्य भूमौ लुण्ठति। (चूहा बिल से निकलकर धरती पर लोटता है।)
प्रविश्य – सा कक्षां प्रविश्य आचार्यां नमति। (वह कक्षा में प्रवेश करके आचार्या को नमस्कार करती है।)
पिधाय – धनिकः कुम्भं पिधाय भूमौ निक्षिप्तवान्। (धनवान् ने घड़े को ढंककर धरती में रख दिया।)
भवान् – भवान् कुत्र गच्छति ? (आप कहाँ जा रहे हैं ?)
रक्षसि – हे ईश्वर ! त्वं सर्वान् रक्षसि। (हे ईश्वर ! तू सबकी रक्षा करता है।)
क्व – इदानीं सः धूर्तः क्व गतः ? (अब वह चालाक कहाँ गया ?)
ज्ञायते – सर्वमिदं मया ज्ञायते। (यह सब मुझे ज्ञात है।)
दुष्करम् – कः कुर्यात् इदं दुष्करं शिविना विना ? (शिवि के बिना इस दुष्कर कार्य को और कौन करे!)
प्रश्न 12.
अधोलिखितानां शब्दानां सहायतया वाक्यनिर्माणं कुरुत – (निम्नलिखित शब्दों की सहायता से वाक्य बनाइये।)
उत्तरम् :
भुक्तम् – तेन भोजनं भुक्तम्। (उसने खाना खाया।)
निपीतम् – मया भोजनान्ते तक्रं निपीतम्। (मैंने भोजन के बाद छाछ पी है।)
वद – सत्यं वद। (सत्य बोल।)
परितः – ग्रामं परितः राजमार्गः। (गाँव के चारों ओर सड़क है।)
रसालमुकुलानि – भ्रमराः वसन्तकाले रसालमुकुलानि आश्रयन्ते। (भौरे वसन्तकाल में आम के बौर का आश्रय लेते हैं।)
हन्त – हन्त ! अनेके वीराः हताः युद्धे। (खेद है, अनेक वीर युद्ध में मारे गये।)
पूरयित्वा – वारिदः जलाशयान् पूरयित्वा रिक्तः भवति। (बादल जलाशयों को भरकर खाली हो जाता है।)
काननानि – सीता लक्ष्मणेन सह काननानि द्रष्टुम् अगच्छत्। (सीता लक्ष्मण के साथ जंगलों को देखने गई।)
जलदः – जलदः वर्षति जलं च प्रवहति। (बादल बरसता है और पानी बहता है।)