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JAC Board Class 10 Science Notes Chapter 2 अम्ल, क्षारक एवं लवण
→ अम्ल-वह यौगिक जो अत्यधिक क्रियाशील धातु से अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस बनाते हों, उन्हें अम्ल कहते हैं।
→ क्षार-जल में घुलनशील क्षारक को क्षार कहते हैं। इनका स्पर्श साबुन की तरह, स्वाद कड़वा तथा प्रकृति संक्षारक होती है।
→ लवण-जब अम्लों से हाइड्रोजन धातु द्वारा विस्थापित होते हैं, तब लवण बनता है। दूसरे शब्दों में, जब अम्ल एवं क्षारक उदासीनीकरण अभिक्रिया करते हैं, तब लवण एवं जल बनता है।
→ अम्ल-क्षारक सूचक रंजक या रंजकों के मिश्रण होते हैं जिनका उपयोग अम्ल एवं क्षारक की उपस्थिति को सूचित करने के लिए किया जाता है।
→ विलयन में H+(aq) आयन के निर्माण के कारण ही पदार्थ की प्रकृति अम्लीय होती है। विलयन में OH– आयन के निर्माण से पदार्थ की प्रकृति क्षारकीय होती है।
→ जब कोई अम्ल किसी धातु के साथ अभिक्रिया करता है तो हाइड्रोजन गैस का उत्सर्जन होता है। साथ ही संगत लवण का निर्माण होता है।
→ जब क्षारक किसी धातु से अभिक्रिया करता है तो हाइड्रोजन गैस के उत्सर्जन के साथ एक लवण का निर्माण होता है जिसका ऋणआयन एक धातु एवं ऑक्सीजन के परमाणुओं से संयुक्त रूप से
निर्मित होता है।
→ जय अम्ल किसी धातु कार्बोनेट या धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट से अभिक्रिया करता है तो यह संगत लवण उसके यौगिक में से हटाकर स्वयं उसका स्थान ले लेता है, विस्थापन अभिक्रिया कहलाती है।
→ द्विविस्थापन अभिक्रिया में दो अलग-अलग परमाणु या परमाणुओं के समूह (आयन) का आपस में आदान-प्रदान होता है।
→ अवक्षेपण अभिक्रिया से अविलेय लवण प्राप्त होता है।
→ सह-संयोजक अभिक्रिया जब रासायनिक अभिक्रिया में अभिकारकों एवं क्रियाफलों के मध्य सह-संयोजक बन्ध टूटकर नये सह-संयोजक बन्ध बनाते हैं तो इसे सह-संयोजक अभिक्रिया कहते हैं।
→ उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ ऐसी अभिक्रियाएँ जो समान परिस्थितियों में अग्र एवं पश्च दोनों दिशाओं में होती हैं और किसी भी दिशा में पूर्णता को नहीं पहुँचतीं उत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
→ अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ-वे अभिक्रियाएँ जो केवल एक ही दिशा में चलती हैं तथा पूर्णता को प्राप्त होती हैं, अनुत्क्रमणीय अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
→ अभिक्रिया दर- अभिकारकों की वह मात्रा जो इकाई समय में उत्पादों में परिवर्तित होती हैं, उस अभिक्रिया की दर कहलाती है।
→ मंद अभिक्रियाएँ वे अभिक्रियाएँ जो धीरे-धीरे होती हैं व जिनके पूर्ण होने में अत्यधिक समय लगता है, मंद अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
→ तीव्र अभिक्रियाएँ वे अभिक्रियाएँ जो अतिशीघ्रता (लगभग 10 सेकण्ड) में पूर्ण होती हैं तीव्र अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।
→ रासायनिक साम्यावस्था किसी उत्क्रमणीय अभिक्रिया की वह अवस्था जिसमें अग्र व विपरीत दोनों अभिक्रियाओं के वेग बराबर हो जाते हैं, रासायनिक साम्यावस्था कहलाती हैं।