JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Civics Chapter 6 राजनीतिक दल
बहुविकल्पीय
प्रश्न 1.
एक लोकतान्त्रिक व्यवस्था में सबसे अलग दिखाई देने वाली संस्था है
(क) राजनीतिक दल
(ख) हित समूह
(ग) दबाव समूह
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) राजनीतिक दल
2. निम्न में से राजनीतिक दल का कार्य है?
(क) दल चुनाव लड़ते हैं,
(ख) दल अलग-अलग नीतियों और कार्यक्रमों को मतदाताओं के समक्ष रखते हैं,
(ग) दल ही सरकार बनाते और चलाते हैं,
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
3. निम्न में से जनमत निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है
(क) राष्ट्रपति
(ख) मुख्यमन्त्री
(ग) सरपंच
(घ) राजनीतिक दल
उत्तर:
(घ) राजनीतिक दल
4. चीन में शासन करने वाली अकेली पार्टी कौन-सी है?
(क) कम्युनिस्ट पार्टी
(ख) सोशलिस्ट पार्टी
(ग) चीन की पीपुल्स पार्टी
(घ) कांग्रेस पार्टी
उत्तर:
(क) कम्युनिस्ट पार्टी
5. भारत में व्यवस्था है
(क) बहुदलीय
(ख) एक दलीय
(ग) गठबन्धन
(घ) दो दलीय
उत्तर:
(क) बहुदलीय
6. भारत में राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दलों की संख्या है-
(क) 5
(ख) 6
(ग) 7
(घ) 8
उत्तर:
(ग) 7
7. विश्व के सबसे पुराने राजनीतिक दलों में से एक है:
(क) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
(ख) भारतीय जनता पार्टी
(ग) बहुजन समाजवादी पार्टी
(घ) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी
उत्तर:
(क) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
8. निम्नलिखित में से कौन-सी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी है?
(क) राष्ट्रीय जनता दल
(ख) भारतीय जनता पार्टी
(ग) समाजवादी पार्टी
(घ) समता पार्टी
उत्तर:
(ख) भारतीय जनता पार्टी
रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. राजनीतिक दल के तीन प्रमुख अंग हैं नेता, सक्रिय सदस्य और …………
उत्तर:
समर्थक,
2. भारत में 2017 तक …………… दल राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त थे।
उत्तर:
सात,
3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना सन् …………. में हुई थी SNA
उत्तर:
1885,
4. भारतीय …………… को पुनजीवित करने भरतीय जनता पार्टी का निर्माण हुआ।
उत्तर:
जनसंघ।
अतिलयूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अधिकांश आम नागरिकों के लिए लोकतन्न्र का क्या मतलब है?
उत्तर:
अधिकांश आम नागरिकों के लिए लोकतन्त्र का मतलब राजनीतिक दल ही है।
प्रश्न 2.
राजनीतिक दलों में पक्षपात क्यों विकसित होते हैं?
उत्तर:
राजनीतिक दल समाज के किसी एक हिस्से
रूम्बान्धित होते हैं। इसलिए उसका नजरिया समाज के राजनीतिक दलों में लंक्षण विकसित करता है।
प्रश्न 3.
राजनीतिक दल के प्रमुख अंग कौन-कौम से हैं?
उत्तर:
- नेता,
- सक्रिय सदस्य,
- अनुयायी या समर्थक।
प्रश्न 4.
राजनीतिक दल के कोई दो कार्य लिखिए।
उत्तर:
- राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं।
- राजनीतिक दल ही सरकार बनाते व चलाते हैं।
प्रश्न 5.
हमें राजनीतिक दलों की जरूरत क्यों पड़ती है? कोई एक कारण बताइये।
उत्तर:
राजनीतिक दलों के अभाव में सरकार निरकुंश हो सकती है।
प्रश्न 6.
दो दलीय व्यवस्था वाले किन्हीं दो देशों के नाम बताइये।
उत्तर:
- ग्रेट ब्रिटेन,
- संयुक्त राज्य अमेरिका।
प्रश्न 7.
भारत में बहुदलीय व्यवस्था का उदय क्यों हुआ ?
उत्तर:
क्योंकि दो-तीन राजनीतिक दल इतने बड़े देश की समस्त सामाजिक एवं भौगोलिक विविधताओं को समेट पाने में अक्षेम हैं।
प्रश्न 8.
कौन-सी संस्था राजनीतिक दलों का पंजीकरण करती है?
उत्तर:
भारतीय चुनाव आयोग राजनीतिक द्वों का पंजीकरण करती है।
प्रश्न 9.
मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल क्या हैं?
उत्तर:
चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत दलों को मान्यता प्राप्त देल कहते है।
प्रश्न 10.
भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धान्त क्या है?
उत्तर भारत की प्राचीन संस्कृति और मूल्यों से
उत्तर:
भारत की प्राचीन संस्कृति और मूल्यों से प्रेरण लेकर मजंबूत और आधुनिक भारंत बनाने का लक्ष्य।
प्रश्न 11.
प्रान्तीय दल के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- समाजवादी पार्टी,
- बीजू जनता दल।
प्रश्न 12.
किसी एक राजनीतिक दल का नाम लिखिए जिसका राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक संगठन है, परन्तु उसे राष्टीय राजनीतिक दल के रूप में मान्यता नहीं
उत्तर:
समांजवादी पार्टी (सपा)
प्रश्न 13.
रूर्जनीतिक दलों में सुधार हेतु.कोई दो सुझाव दीजिए।
उत्तर:
-
- रूर्जनीतिक दलों में में आन्तरिक लोकतन्त्र की स्थापनो हैतु कीमिन बनाया जाये।
- चुनाव का खर्च सरकार वहन करे।
लयत्तरात्मक प्रश्न (SA2)
प्रश्न 1.
राजनीतिक दल क्या है? राजनीतिक दलों राजनीतिक दलों के विषय में लोग क्या सोचते के विषय में लोगों की क्या राय है? संक्षेप में बताइए। हुआ?
उत्तर:
राजनीतिक दल-राजनीतिक दल लोगों का एक समूह होता है जो चुनाव लड़ने एवं सरकार में राजनीतिक सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से कार्य करता है। यह सम्पूर्ण राष्ट्र के हितों को ध्यान में रखकर कुछ नीतियाँ एवं कार्यक्रम तय करता है। अधिकांश लोग राजनीतिक दलों की आलोचना करते नजर आते हैं। अपनी लोकतान्त्रिक व्यवस्था एवं राजनीतिक जीवन की प्रत्येक बुराई के लिए वे दलों को ही ज़िम्मेदार मानते हैं। इसके अतिरिक्त सामाजिक व राजनीतिक विभाजनों के लिए भी दलों को ही दोषी माना जाता है।
प्रश्न 2.
राजनीतिक दल के कोई चार कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं।
- राजनीतिक दल अलग-अलग नीतियों और कार्यक्रमों को जनता के समक्ष रखते हैं।
- राजनीतिक दल सरकार बनाते और चलाते हैं।
- राजनीतिक दल देश के कानूमें निर्माण में निर्णायक की भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 3.
चुनाव आयोग द्वारा प्रान्तीय दल की स्थिति कैसे तय की जाती है?
अथवा
क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी से क्या अभिप्राय है? ‘क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी’ की मान्यता प्राप्त करने के लिए आवश्यक शतों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी से अभिप्राय उन दलों से जिनका जन्म किसी विशेष क्षेत्र अथवा राज्य में होता है तथा जो उस क्षेत्र के निवासियों के लिए कार्य करती हैं। इन्हें राज्यीय या प्रान्तीय दल भी कहते हैं; जैसे-समाजवादी पार्टी, जनता दल, बीजू जनता दल, सिक्किम लोकतान्त्रिक मोर्चा व तेलंगाना राष्ट्र समिति आदि।
राजनीतिक दलों का पंजीकरण राष्ट्रीय चुनाव आयोग द्वारा किया जाता है। ‘जब कोई राजनीतिक दल राज्य विधानसभा के चुनाव में पड़े कुल मतों का 6 प्रतिशत या उससे अधिक प्राप्त करता है और कम से कम दो सीटों पर जीत दर्ज करता है तो उसे अपने राज्य के राजनीतिक दल अर्थात् प्रान्तीय दल के रूप में चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्रदान की जाती है।
प्रश्न 4.
किसी राजनीतिक दल के लिए राष्ट्रीय दल की मान्यता प्राप्त करने की आवश्यक शर्तों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
भारत में राजनीतिक दलों को राष्ट्रीय स्तर की मान्यता देने के क्या मापदण्ड हैं?
अथवा
‘राष्ट्रीय राजनीतिक दल’ से क्या अभिप्राय है? राष्ट्रीय राजनीतिक दल बनने के लिए आवश्यक शर्तों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्रीय राजनीतिक दल से अभिप्राय उन पार्टियों (दलों) से है जो पूरे देश में फैली हुई हैं। इनकी विभिन्न राज्यों में इकाइयाँ हैं जो राष्ट्रीय स्तर पर तय होने वाली नीतियों, कार्यक्रमों तथा रणनीतियों का पालन करती हैं। यदि कोई दल लोकसभा चुनाव में पड़े कुल वोटों का अथवा चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में पड़े कुल वोटों का 6 प्रतिशत प्राप्त करता है और लोकसभा चुनाव में कम-से-कम 4 सीटों पर जीत दर्ज करता है, तो उसे राष्ट्रीय दल की मान्यता प्राप्त हो जाती है।
प्रश्न 5.
भारत में राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कितने दल हैं 2 नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत में सन् 2017 में देश में सात दल राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दल थे
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई.एन.सी)
- भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा)
- बहुजन समाज पार्टी (ब.स.पा.)
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (सी.पी. आई-एम)
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी.पी. आई.)
- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एन.सी.पी.)
- ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस
प्रश्न 6.
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना कब हुई ? इसके प्रमुख सिद्धान्त क्या हैं?
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना 1980 ई. में हुई थी। इस दल के प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं
- यह पार्टी भारत की प्राचीन पद्धति और मूल्यों से प्रेरणा लेकर मजबूत और आधुनिक भारत बनाना चाहती है।
- भारतीय राष्ट्रवाद और राजनीति की इसकी अवधारणा में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद एक प्रमुख तत्व है।
- यह दल जम्मू और कश्मीर को प्रादेशिक एवं राजनीतिक स्तर पर विशेष दर्जा देने के विरुद्ध है।
- यह दल देश में निवास करने वाले सभी धर्मों के लोगों के लिए स्वतन्त्र नागरिक संहिता बनाने और धर्मांतरण पर रोक लगाने का पक्षधर है।
प्रश्न 7.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई? इसके प्रमुख सिद्धान्तों को बताइए। उत्तर-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन 1885 ई. में हुआ था। इस पार्टी के प्रमुख सिद्धान्त निम्नलिखित हैं
- इस दल ने धर्मनिरपेक्ष के सिद्धान्त को अपनाया।
- इस दल ने कमजोर वर्गों एवं अल्पसंख्यक समुदायों के हितों को अपना मुख्य एजेण्डा बनाया।
- यह दल नयी आर्थिक नीतियों का समर्थक है।
- अपने वैचारिक रुझान से यह दल एक मध्य मार्गीय दल है।
प्रश्न 8.
हमारे देश के प्रान्तीय दलों ने किस प्रकार संघवाद तथा लोकतन्त्र को मजबूत बनाने में योगदान दिया है?
उत्तर:
हमारे देश में पिछले तीन दशकों से प्रान्तीय दलों की संख्या व ताकत में वृद्धि हुई है। इन दलों ने भारतीय संसद को राजनीतिक रूप से अधिक से अधिक विविधता प्रदान की है। सम्बन्धित राज्यों में प्रान्तीय दलों की स्थिति मजबूत होने के कारण राष्ट्रीय राजनीतिक दल इनके साथ गठबन्धन बनाने के लिए बाध्य हुए हैं। सन् 1996 ई. के पश्चात् से लगभग प्रत्येक प्रान्तीय दल को राष्ट्रीय स्तर पर बनने वाली गठबन्धन सरकार में सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ है। इससे हमारे देश में संघवाद और लोकतन्त्र मजबूत हुआ हैं।
प्रश्न 9.
राजनीतिक दलों में जन-भागीदारी को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
सम्पूर्ण विश्व में राजनीतिक दल ही एक ऐसी संस्था है जिस पर लोग सबसे कम भरोसा करते हैं। वर्तमान में राजनीतिक दलों में लोगों की भागीदारी का स्तर बहुत ऊँचा है। कनाडा, जापान, स्पेन, दक्षिण कोरिया जैसे देशों की तुलना में भारत में अधिकांश संख्या में लोग किसी न किसी राजनीतिक दल के सदस्य हैं। पिछले तीन दशकों के दौरान भारत में राजनीतिक दलों की सदस्यता का अनुपात धीरे-धीरे बढ़ता गया है।
लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1 )
प्रश्न 1.
राजनीतिक दल कैसे सरकार बनाते और चलाते हैं? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जब चुनाव समाप्त हो जाते हैं, तो वह दल जिसे सर्वाधिक सीटें प्राप्त होती हैं उसे सरकार बनाने के लिए आमन्त्रित किया जाता है। सरकार नीतियाँ व कार्यक्रमों का निर्माण करती है। ये निर्णय मन्त्रियों द्वारा ही लागू किये जाते हैं, राजनीतिक दल नेताओं की नियुक्ति करते हैं। उन्हें राजनीति में प्रशिक्षित करते हैं और फिर दल के सिद्धान्तों व कार्यक्रम के अनुसार फैसले करने के लिए उन्हें मन्त्री बनाते हैं ताकि वे पार्टी की इच्छा के अनुसार सरकार चला सकें।
प्रश्न 2.
राजनीतिक दल जनमत एवं कानून निर्माण में किस प्रकार निर्णायक भूमिका निभाते हैं?
अथवा
“राजनीतिक दल देश के कानून निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
1. जनमत निर्माण में भूमिका:
जनमत निर्माण में राजनीतिक दल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे मुद्दों को उठाते हैं एवं उन पर बहस करते हैं। विभिन्न दलों के लाखों कार्यकर्ता देश-भर में बिखरे होते हैं। कई बार राजनीतिक दल लोगों की समस्याओं को लेकर आन्दोलन भी करते हैं। सामान्यतया विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा रखी जाने वाली राय के आस-पास ही समाज के लोगों की राय बनती चली जाती है।
2. कानुन निर्माण में भूमिका:
राजनीतिक दल देश के कानून निर्माण में निर्णायक भूमिका का निर्वाह करते हैं। कानूनों पर औपचारिक ढंग से बहस होती है और उन्हें विधायिका में पारित करवाना पड़ता है। विधायिका दलों द्वारा ही बनायी जाती है। लेकिन विधायिका के अधिकांश सदस्य किसी-न-किसी दल के सदस्य होते हैं। इस कारण वे अपने दल के नेता के निर्देश पर कानून निर्माण में अपनी भूमिका का निर्वाह करते हैं।
प्रश्न 3.
राजनीतिक दलों की जरूरत क्यों हैं? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
लोकतांत्रिक देशों में राजनीतिक दलों की आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
अथवा
लोकतन्त्र में राजनीतिक दलों की आवश्यकता की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
राजनीतिक दलों की जरूरत निम्नलिखित कारणों से है
- यदि राजनीतिक दल न हों तो समस्त उम्मीदवार स्वतन्त्र या निर्दलीय होंगे। तब इनमें से कोई भी बड़े नीतिगत परिवर्तन के बारे में लोगों से चुनावी वायदे करने की स्थिति में नहीं होगा।
- सरकार बन जाने के पश्चात् इनकी उपयोगिता संदिग्ध होगी।
- राजनैतिक दलों के अभाव में निर्वाचित प्रतिनिधि सिर्फ अपने निर्वाचन क्षेत्रों के लिए किए गये कार्यों के प्रति जवाबदेह होंगे। लेकिन देश कैसे चलाया जा रहा है, इसके लिए कोई भी उत्तरदायी नहीं होगा।
- राजनीतिक दल के अभाव में सरकार निरकुंश हो सकती है क्योंकि सरकार की गलत नीतियों एवं कार्यक्रमों का विरोध करने के लिए कोई समूह नहीं होगा। इस प्रकार कहा जा सकता है कि राजनीतिक दल लोकतन्त्र की एक अनिवार्य शर्त है।
- हमें विभिन्न कार्यों के सम्पादन के लिए राजनीतिक दलों की आवश्यकता होती है। वे नीतियाँ व कार्यक्रम बनाते हैं, कानून बनाते हैं, सरकार बनाते व चलाते हैं। विपक्ष की भूमिका के साथ-साथ अन्य कार्य भी करते हैं।
प्रश्न 4.
लोकतन्त्र में दलीय व्यवस्था की विवेचना उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर:
लोकतन्त्र में दलीय व्यवस्था की विवेचना निम्न प्रकार स्पष्ट की जा सकती है
- एकदलीय शासन:
व्यवस्था-कई देशों में सिर्फ एक ही दल को सरकार बनाने और चलाने की अनुमति होती है। इसे एकदलीय शासन-व्यवस्था कहा जाता है। उदाहरण के लिए, चीन में सिर्फ कम्युनिस्ट पार्टी को शासन करने की अनुमति है। - दो दलीय व्यवस्था:
कुछ देशों में सत्ता आमतौर पर दो मुख्य दलों के मध्य ही बदलती रहती है। इसे दो दलीय व्यवस्था कहते हैं। अमेरिका तथा ब्रिटेन में इस तरह की दो दलीय व्यवस्था है। - बहुदलीय व्यवस्था:
जब अनेक दल सत्ता के लिए होड़ में होते हैं और दो दलों से अधिक के लिए अपने बल पर या दूसरों से गठबन्धन करके सत्ता में आने का ठीक-ठाक अवसर हो तो उसे बहुदलीय व्यवस्था कहते हैं। भारत में ऐसी ही बहुदलीय व्यवस्था है।
प्रश्न 5.
भारत के सन्दर्भ में बहुदलीय व्यवस्था की व्याख्या करते हुए इसके लाभ व हानि बताइए।
अथवा:
भारत में बहुदलीय व्यवस्था ने प्रजातंत्र को किस प्रकार मजबूत किया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बहुदलीय व्यवस्था-जब अनेक राजनीतिक दल सत्ता के लिए होड़ में हों तथा दो दलों से अधिक के लिए अपनी ताकत से अथवा दूसरों से गठबन्धन करके सत्ता में आने का ठीक-ठाक अवसर हो तो इसे बहुदलीय व्यवस्था कहते हैं। भारत में बहुदलीय व्यवस्था है, जहाँ विभिन्न राजनीतिक दल गठबन्धन या मोर्चा बनाकर चुनाव लड़ते हैं तथा जीतते हैं एवं सरकार के निर्माण में भाग लेते हैं। कभी-कभी एक राजनीतिक दल भी अधिकांश सीटें जीतकर सरकार बना लेते हैं। उदाहरण के रूप में, सन् 2004 के संसदीय चुनाव में तीन गठबन्धन बने थे।
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन, संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन एवं वाममोर्चा। इनमें से कोई भी गठबन्धन सरकार बनाने के लिए आवश्यक सीटें नहीं जीत पाया। संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन ने वाम मोर्चा के समर्थन से सरकार का गठन किया। इस बहुदलीय व्यवस्था का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह कई हितों एवं विचारों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अवसर प्रदान करती है। वहीं इस व्यवस्था का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि यह बहुत अधिक जटिल व्यवस्था है तथा यह कभी-कभी राजनीतिक अस्थिरता का कारण भी बन जाती है।
प्रश्न 6.
राजनीतिक दलों के अन्दर आन्तरिक लोकतन्त्र का अभाव किस प्रकार राजनीतिक दल एवं लोकतन्त्र पर प्रभाव डालता है?
उत्तर:
राजनीतिक दलों में किसी एक या कुछ बड़े नेताओं के हाथों में शक्ति के केन्द्रीकरण की प्रवृत्ति पायी जाती है। कई दलों के पास तो सदस्यों की सूची तक नहीं होती है। राजनीतिक दल नियमित रूप से न तो संगठनात्मक बैठकें करते हैं और न ही नियमित रूप से आन्तरिक चुनाव कराते हैं। साथ ही वे अपने सदस्यों के साथ सूचनाओं की साझेदारी भी नहीं करना चाहते। इसके अतिरिक्त मुख्य फैसले बड़े नेताओं तक ही सीमित होने के कारण नए नेताओं को दल का उत्तरदायित्व लेने से रोका जाता है।
जिससे दल के भविष्य को क्षति पहँचती है। ये सभी कारण राजनीतिक दल की लोकप्रियता एवं उसके प्रति जन समर्थन को हानि पहुँचाते हैं। यह सब स्थिति लोगों एवं प्रतिनिधियों को सत्ता की भागीदारी से दूर कर देती है जिससे लोकतान्त्रिक मूल्यों के विस्तार में बाधा उत्पन्न होती है। जो अन्त में नुकसानदेह सिद्ध होता है।
प्रश्न 7.
धन बल और बाहुबल किस प्रकार चुनावों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
धन बल और बाहुबल चुनावों में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह राजनीतिक दलों के समक्ष एक बहुत बड़ी चुनौती है। चुनावों में तीव्र गति से पैसा और अपराधी तत्वों की घुसपैठ बढ़ रही है। चूँकि समस्त दलों की चिन्ता चुनाव कहत ह। जीतने की होती है। अतः इसके लिए वे कोई भी जायज-नाजायज तरीका अपनाने से भी परहेज नहीं करते हैं। वे ऐसे ही लोगों को चुनाव में उम्मीदवार बनाते हैं जिनके पास बहुत पैसा हो अथवा जो पैसे जुटा सकें।
किसी दल को अधिक धन देने वाली कम्पनियाँ और धनवान लोग उस दल की नीतियों और फैसलों को प्रभावित करते हैं। कई बार राजनीतिक दल चुनाव जीत सकने वाले अपराधियों का भी समर्थन करते हैं अथवा चुनावी सहायता भी लेते हैं। सम्पूर्ण विश्व में लोकतन्त्र के समर्थक चुनावों में बढ़ते धन-बल और बाहुबल से चिन्तित हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारतीय जनता पार्टी एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की चार प्रमुख नीतियों-कार्यक्रमों को लिखिए।
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी की प्रमुख नीतियाँ व कार्यक्रम- भारतीय जनसंघ को पुनर्जीवित करके 1980 ई. में यह पार्टी बनी। इसकी प्रमुख नीतियाँ व कार्यक्रम निम्नलिखित हैं
- भारत की प्राचीन संस्कृति और मूल्यों से प्रेरणा लेकर मजबूत और आधुनिक भारत बनाना।
- भारतीय राष्ट्रवाद और राजनीति की इनकी अवधारणा में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद एक प्रमुख तत्व है।
- भारतीय जनता पार्टी जम्मू और कश्मीर को क्षेत्रीय और राजनीतिक स्तर पर विशेष दर्जा देने के विरुद्ध है।।
- यह पार्टी देश में रहने वाले समस्त धर्मों के लोगों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने एवं धर्मान्तरण पर रोक लगाने के पक्ष में है।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रमुख नीतियाँ व कार्यक्रम-इस दल का गठन 1885 में हुआ था। इसकी प्रमुख नीतियाँ व कार्यक्रम निम्नलिखित हैं
- इस पार्टी ने धर्मनिरपेक्षता एवं कमजोर वर्गों व अल्पसंख्यक समुदायों के हितों को अपना प्रमुख एजेंडा बनाया है।
- यह पार्टी नई आर्थिक नीतियों की समर्थक है तथा इस बात को लेकर जागरूक है कि इन नीतियों का गरीब व कमजोर वर्ग पर विपरीत प्रभाव न पड़े।
- भारत को एक आधुनिक धर्मनिरपेक्ष लोकतान्त्रिक गणराज्य बनाने का प्रयास करना।
- मध्यम मार्गी विचारधारा को अपनाना।
प्रश्न 2.
राजनीतिक दलों और उसके नेताओं को सुधारने के हाल में जो प्रयास किये गये हैं उन पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
अथवा
भारत में राजनीतिक दलों को सुधारने के लिए किए गए प्रयासों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को सुधारने के लिए हाल में ही निम्नलिखित प्रयास किये गये हैं
1. दल-बदल पर रोक:
विधायकों और सांसदों को दल बदल करने से रोकने के लिए संविधान में संशोधन किया गया है। निर्वाचित प्रतिनिधियों के मन्त्री पद अथवा धन के लोभ में दल बदल करने में आइतनी को टाष्टगत देखते हए ऐसा किया गया। नए कानून के अनुसार अपना दल बदलने वाले सांपट अथवा विधायक को अपना मांट भी गॅवानी पड़ेगी। देश में इस नए कानून के लागू होने से दल बदल की घटनाओं में कमी दंन्द्रनं को मिला है
2. चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा शपथ पत्र प्रस्तुत करना:
भारत में सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीति में धन और अपराधियों के प्रभाव को कम करने के लिए एक आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत चुनाव लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार को अपनी सम्पत्ति के साथ-साथ अपने खिलाफ चल रहे या नहीं चल रहे आपराधिक मामलों का विवरण एक शपथ पत्र के माध्यम से प्रस्तुत करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस नवीन व्यवस्था से सामान्य जनता को अपने उम्मीदवारों के बारे में बहुत-सी वास्तविक सूचनाएँ उपलब्ध होने लगी हैं। पर उम्मीदवार द्वारा दी गयी सूचनाएँ सही हैं या नहीं यह जाँच करने की कोई व्यवस्था नहीं है।
3. चुनाव आयोग द्वारा उठाये गये कदम:
चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों के लिए आदेश जारी किया कि वे संगठनात्मक चुनाव करायें ताकि आवश्यक रूप से आयकर रिटर्न भरें।