JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Economics Chapter 3 मुद्रा और साख
बहविकल्पीय
प्रश्न 1.
केन्द्रीय सरकार की ओर से निम्नलिखित में कौन करेंसी नोट जारी करता है?
(क) भारतीय स्टेट बैंक
(ख) भारतीय रिजर्व बैंक
(ग) भारतीय वाणिज्यिक बैंक
(घ) यूनियन बैंक ऑफ इंडिया
उत्तर:
(ख) भारतीय रिजर्व बैंक
2. बैंकों से सम्बंधित निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है?
(क) बैंक जमा राशि का उपयोग लोगों की ऋण सम्बंधी माँगों को पूरा करने के लिए नहीं कर सकते
(ख) बैंक जमा राशि का उपयोग सरकार की आवश्यकताओं के लिए करते हैं।
(ग) बैंक जमा राशि रख लेते हैं और ऋण नहीं देते।
(घ) बैंक जमा राशि को लोगों की कर्जे सम्बन्धी माँगों को पूरा करने के लिए प्रयोग करते हैं
उत्तर:
(घ) बैंक जमा राशि को लोगों की कर्जे सम्बन्धी माँगों को पूरा करने के लिए प्रयोग करते हैं
3. ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज की आवश्यकता मुख्यतः किसलिए होती है?
(क) आवास
(ख) फसल उगाने के लिए
(ग) विदेश यात्रा के लिए
(घ) पारिवारिक यात्रा के लिए
उत्तर:
(ख) फसल उगाने के लिए
4. कर्ज लेने के लिए कर्जदार निम्नलिखित में से किसका उपयोग गारण्टी देने के लिए करता है?
(क) साख
(ख) करेंसी नोट
(ग) चैक
(घ) समर्थक ऋणाधार
उत्तर:
(घ) समर्थक ऋणाधार
5. निम्नलिखित में से कौन-सी संस्था ऋणों के औपचारिक स्रोतों की कार्यप्रणाली पर नज़र रखती है?
(क) भारतीय स्टेट बैंक
(ख) सैंट्रल बैंक ऑफ इण्डिया
(ग) भारतीय रिजर्व बैंक
(घ) ग्रामीण बैंक
उत्तर:
(ग) भारतीय रिजर्व बैंक
6. स्वयं सहायता समूह का सम्बन्ध है
(क) ग्रामीण लोगों का समूह जो ऋण के क्षेत्रक में मिलकर काम करते हैं
(ख) अमीर लोगों का समूह जो मिलकर काम करते हैं
(ग) एक औपचारिक ऋण क्षेत्रक
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) ग्रामीण लोगों का समूह जो ऋण के क्षेत्रक में मिलकर काम करते हैं
7. “अगर गरीब लोगों को सही और उचित शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है, तो लाखों छोटे लोग अपनी लाखों छोटी-छोटी गतिविधियों के जरिए विकास का सबसे बड़ा चमत्कार कर सकते हैं।” यह कथन किसका है?
(क) प्रो. मोहम्मद यूनुस
(ख) प्रो. अमर्त्य सेन
(ग) डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
(घ) डॉ. मनमोहन सिंह।
उत्तर:
(क) प्रो. मोहम्मद यूनुस
रिक्त स्थान
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
1. …………प्रणाली में मुद्रा का उपयोग किए बिना वस्तुओं का विनिमय किया जाता है।
उत्तर:
वस्तु विनिमय,
2. भारतीय रिजर्व बैंक…………की ओर से करेंसी नोट जारी करता है।
उत्तर:
केन्द्रीय सरकार,
3. बैंकों व सरकारी समितियों से लिया गया ऋण………. कहलाता है।
उत्तर:
औपचारिक क्षेत्रक ऋण,
4. साहूकार, मालिक या परिचित से लिया गया ऋण ………………कहलाता है।
उत्तर:
अनौपचारिक क्षेत्रक ऋण
अति लयूत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
वस्तु विनिमय किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब वस्तुओं का लेन-देन बिना मुद्रा के प्रयोग से आपस में ही हो जाता है तो ऐसी व्यवस्था को वस्तु विनिमय कहते हैं।
प्रश्न 2.
मुद्रा को परिभाषित कीजिए।
अथवा
मुद्रा किसे कहते हैं?
उत्तर:
मुद्रा से अभिप्राय उस वैधानिक वस्तु से है जिसका उपयोग सामान्यतः विनिमय माध्यम के रूप में किया जाता है।
प्रश्न 3.
वस्तु विनिमय प्रणाली किसे कहा जाता है?
उत्तर:
वस्तुओं के आदान-प्रदान की प्रणाली को वस्तु विनिमय प्रणाली कहा जाता है।
प्रश्न 4.
आवश्यकताओं का दोहरा संयोग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब दोनों पक्ष एक-दूसरे से वस्तुएँ खरीदने व बेचने पर सहमति रखते हैं तो इसे आवश्यकताओं का दोहरा संयोग कहते हैं।
प्रश्न 5.
वस्तु विनिमय प्रक्रिया का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण क्या है?
उत्तर:
विनिमय प्रक्रिया का सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण आवश्यकताओं का दोहरा संयोग है।
प्रश्न 6.
विनिमय का माध्यम क्या है?
उत्तर:
मुद्रा विनिमय का माध्यम है क्योंकि यह विनिमय प्रक्रिया में मध्यस्थता का काम करती है।
प्रश्न 7.
विनिमय की प्रक्रिया में मुद्रा किस प्रकार माध्यम का काम करती है?
उत्तर:
मुद्रा के माध्यम से वस्तुएँ खरीदी व बेची जा सकती हैं।
प्रश्न 8.
आधुनिक मुद्रा को विनिमय का माध्यम क्यों स्वीकार किया जाता है?
अथवा
मुद्रा को विनिमय का माध्यम क्यों स्वीकार किया जाता है?
उत्तर:
क्योंकि किसी देश की सरकार इसे प्राधिकृत करती है।
प्रश्न 9.
मुद्रा के सम्बन्ध में भारतीय कानून क्या है?
उत्तर:
भारतीय कानून के अनुसार किसी व्यक्ति या संस्था को मुद्रा जारी करने की अनुमति नहीं है।
प्रश्न 10.
माँग जमा क्या है?
उत्तर:
जब बैंक खातों में जमा धन को ग्राहक द्वारा माँग के अनुसार निकाला जा सकता है तो उसे माँग जमा कहते हैं।
प्रश्न 11.
बैंक चेक क्या है?
उत्तर:
चेक एक ऐसा कागज है जो बैंक को कोई व्यक्ति अपने खाते से चेक पर लिख्रे नाम के किसी दूसरे व्यक्ति को एक विशेष रकम का धुगतान करने का आदेश देता है।
प्रश्न 12.
हम चेक क्यों जारी करते हैं?
उत्तर:
हम माँग जमाओं के विरुद्ध चेक जारी करते हैं जिससे बिना नकद का इस्तेमाल किए सीधा भुगतान करना सम्भव होता है।
प्रश्न 13.
माँग जमा को मुद्रा क्यों समझा जाता है?
उत्तर:
बैंक खातों में जमाधन को माँग करने पर निकाला जा सकता है। अतः इस माँग जमा को मुद्रा समझा जाता है।
प्रश्न 14.
बैंक जमा का एक छोटा हिस्सा अपने पास नकद रूप में क्यों रखते हैं?
उत्तर:
किसी एक दिन में केवल कुछ जमाकर्ता ही वैंक से नगदी निकालने के लिए आते हैं। इन्हें नगदी देने के लिए बैंक जमा का एक छोटा हिस्सा अपने पास रखते हैं।
प्रश्न 15.
भारत में बैंक जमा का कितना प्रतिशत हिस्सा’ नकद के रूप में अपने पास रखते हैं?
उत्तर:
भारत में बैंक जमा का 15 प्रतिशत हिस्सा नकद् रूप में अपने पास रखते हैं।
प्रश्न 16.
बैंक शेष जमा राशि का कैसे उपयोग करते हैं?
उत्तर:
बैंक शेष जमा राशि का लोगों की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग करते हैं।
प्रश्न 17.
बैंक के कोई दो कार्य लिखिए।
उत्तर:
- धन जमा करना
- ऋण देना।
प्रश्न 18.
बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत क्या है?
अथवा
बैंकों में जमा राशियाँ किस प्रकार बैंकों की आय का स्रोत बनती है?
उत्तर:
कर्जदारों से लिए गए ब्याज और जमाकर्ताओं को दिए गए ब्याज के बीच का अन्तर बैंकों की आय का प्रमुख स्रोत है।
प्रश्न 19.
ऋण से क्या तात्पर्य है?
अथवा
ॠण क्या है?
उत्तर:
ऋण से तात्पर्य एक सहमति से है जहाँ साहूका कर्जदार को धन, वस्तुएँ या सेवाएँ उपलब्ध कराता है और बदल में भविष्य में कर्जदार से भुगतान करने का वायदा लेता है।
प्रश्न 20.
ऋण किस प्रकार एक महत्त्वपूर्ण एव सकारात्मक भूमिका निभाता है ?
उत्तर:
ऋण उत्पादन के कार्यशील खर्चों को पूरा करने, उत्पादन को समय पर पूरा करने एवं आय बढ़ाने मे सहायता करता है।
प्रश्न 21.
बैंकों के अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ते ऋण का प्रमुख स्रोत कौन-सा है ?
उत्तर:
सहकारी समितियाँ ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ते ऋण का एक प्रमुख स्रोत हैं।
प्रश्न 22.
कृषक सहकारी समिति का क्या कार्य है?
उत्तर:
कृषक सहकारी समिति उपकरण खरीदने, खेती एवं व्यापार करने, मछली पालन करने, घर बनाने एवं अन्य विभिन्न प्रकार के खर्चों के लिए ॠण उपलब्ध कराती है।
प्रश्न 23.
ॠणों को कितने वर्गों में बाँटा जा सकता है? नाम लिखो।
उत्तर:
- औपचारिक क्षेत्रक ॠण
- अनौपचारिक क्षेत्रक ऋण।
प्रश्न 24.
औपचारिक क्षेत्रक ऋण के स्रोत क्या हैं?
अथवा
ऋण के औपचारिक स्रोत क्या हैं ?
उत्तर:
- बैंक
- सहकारी समितियौ।
प्रश्न 25.
ऋणों के औपचारिक स्रोतों की कार्य प्रणाली पर नजर रखना क्यों अनिवार्य है?
उत्तर:
ऋणों के समान वितरण और ब्याज दरों को निम्न रखने के लिए।
प्रश्न 26.
अनौपचारिक क्षेत्रक ऋण के स्रोत क्या हैं?
अथवा
साख (ऋण) के अनौपचारिक क्षेत्रक के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
- साहूकार,
- व्यापारी,
- मालिक,
- रिश्तेदार,
- दोस्त आदि।
प्रश्न 27.
ऋण की ऊँची लागत का क्या अर्थ है?
उत्तर:
ऋण की ऊँची लागत का अर्थ है कि कर्जदार की आय का अधिकांश भाग ऋण कै ब्याज भुगतान में ही खर्च हो जाता है। इसलिए कर्जदारों के पास अपने लिए कम आय शेष रहती है।
प्रश्न 28.
कर्जदारों की अनौपचारिक स्रोतों पर से निर्भरता कम करने के लिए क्या किया जाना चाहिए?
उत्तर:
बैकों व सहकारी समितियों को अपनी गतिविधियाँ विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़्मनी चाहिए।
प्रश्न 29.
एक स्वयं सहायता समूह में कितने सदस्य होते हैं?
उत्तर:
एक स्वयं सहायता समूह में 15-20 सदस्य होते हैं।
प्रश्न 30.
लोग स्वर्यं सहायता समूह से ऋण लेने के लिए प्राथमिकता देते हैं। क्यों?
उत्तर:
क्योंकि इनकी ब्याज की दरें अनौपचारिक स्रोतों से कम होती हैं।
प्रश्न 31.
यदि स्वयं सहायता समूह नियमित रूप से बचत करता है तो वह किससे ऋण लेने योग्य हो जाता है?
उत्तर:
स्वयं सहायता समूह बैंक से ऋण लेने के योग्य हो जाता है।
प्रश्न 32.
स्वयं सहायता समूह द्वारा बैंक से समूह के नाम से लिये गये ऋणों का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
उत्तर:
सदस्यों के लिए स्वरोजगार के अवसरों का सृजन करना।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)
प्रश्न 1.
भारत में मुद्रा के आधुनिक रूप कौन कौन से हैं? इसे विनिमय का माध्यम क्यों स्वीकार किया जाता है?
अथवा
आधुनिक मुद्रा को, जिसका अपना कोई उपयोग नहीं है, विनिमय का माध्यम क्यों स्वीकार किया जाता है? कारण ज्ञात कीजिए।
अथवा
“करेंसी’ का अर्थ स्पष्ट कीजिएस.
उत्तर:
भारत में मुद्रा का आधुनिक रूप करेंसी है जिसमें कागज के नोट व सिक्के सम्मिलित हैं। इसे विनिमय का माध्यम इसलिए स्वीकार किया जाता है क्योंकि सरकार द्वारा इसे प्राधिकृत किया गया है। भारत में भारतीय रिजर्व बैंक केन्द्रीय सरकार की ओर से करेंसी को छापती है और वैधानिक विनिमय के माध्यम के रूप में इसे इस्तेमाल करने के लिए स्वीकार करती है। भारत में किसी भी सौदे एवं लेन-देन के लिए इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 2.
मुद्रा के आधुनिक रूप एवं पार व्यरिक रूप में अन्तर बताइए।
उत्तर:
मुद्रा के आधुनिक रूप एवं पारम्पक रूप में निम्नलिखित अन्तर हैं
- मुद्रा का आधुनिक रूप:
- मुद्रा के आधुनिक रूप में करेंसी-कागज के नोट एवं सिक्के सम्मिलित किये जाते हैं।
- मुद्रा का यह रूप वर्तमान काल में प्रचलन में है।
- आधुनिक मुद्रा का अपना कोई इस्तेमाल नहीं है।
- मुद्रा का पारम्परिक रूप
- मुद्रा के प म्परिक रूप में सोना, चाँदी, ताँबा जैसी धातुओं को सम्मिलित किया जाता था।
- मुद्रा का यह रूप प्राचीनकाल में प्रचलन में था।
- इस मुद्रा का अपना इस्तेमाल होता था।
प्रश्न 3.
माँग जमा क्या है? माँग जमा की मुद्रा क्यों समझा जाता है?
उत्तर:
माँग जमा:
बैंक खातों में वह जमा राशि जिसे माँग के अनुसार निकाला जा सके जमा कहलाती है। माँग जमा को मुद्रा समझा जाता है क्योंकि:
- इसे विनिमय के माध्यम के रूप से प्रयोग किया जा सकता है।
- यह आसानी से सबको स्वीकार्य होती है।
- बिना नकद का प्रयोग किए इससे भगतान करने में सहायता मिलती है।
प्रश्न 4.
‘माँग जमा में मुद्रा के अनिवार्य लक्षण मिलते हैं।’ कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बैंक खाते में वह जमा राशि जिसे माँग के अनुसार निकाला जा सके माँग जमा कहलाती है। माँग जमा में मुद्रा के निम्नलिखित अनिवार्य लक्षण मिलते हैं
- लोगों की मुद्रा बैंकों में सुरक्षित रहती है।
- लोगों को बैंक में जमा राशि पर ब्याज भी मिलती है।
- भुगतान नकद के बदले चेक के द्वारा भी किया जा सकता है। इसलिए बैंकों के द्वारा अपने खाताधारकों को चेक बुक जारी की जाती है।
- लोग अपनी इच्छानुसार बैंकों से की भी मुद्रा निकाल सकते हैं।
प्रश्न 5.
चेक क्या है? हम चेक क्यों और कैसे जारी करते हैं?
उत्तर:
चेक चेक एक ऐसा कागज है, जो बैंक को किसी व्यक्ति के खाते से चेक पर लिखे नाम के किसी दूसरे व्यक्ति को एक विशेष धनराशि का भुगतान करने का आदेश देता है। हम माँग जमाओं के विरुद्ध चेक जारी करते हैं, जिससे बिना नकद लेन-देन का प्रयोग किए सीधे भुगतान करना संभव होता है। चेक से भुगतान करने के लिए भुगतानकर्ता, जिसका किसी बैंक में खाता है, एक निश्चित राशि के लिए चेक काटता है।
प्रश्न 6.
बैंकों की आवश्यकता हमें क्यों है? बैंक लोगों को किस प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं?
उत्तर:
बैंकों की आवश्यकता व सेवाएँ निम्नलिखित हैं
- लोगों का धन बैंक के पास सुरक्षित रहता है।
- बैंक में जमा धन से लोगों को ब्याज प्राप्त होता है।
- बैंक बचत के लिए आवश्यक हैं।
- बैंक जमा राशि से लोगों की आवश्? कताओं को पूरा करने के लिए ऋण सुविधाएँ उपलब्ध कराते हैं।
- माँग जमा के बदले चेक लिखने की सुविधा से बिना नकद का प्रयोग किए सीधा भुगतान किया जा सकता है।
प्रश्न 7.
ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण की माँग क्यों होती है?
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण की मुख्य मांग फसल उगाने के लिए होती है। फसल उगाने में बीज, खाद, कीटनाशक दवाओं, पानी, विद्युत, कृषि उपकरणों की मरम्मत आदि पर बहुत खर्च होता है। इन आगतों को खरीदने एवं फसल की बिक्री होने के बीच कम से कम 3-4 महीने का अन्तरल होता है। अधिकांशतया किसान ऋतु के प्रारम्भ में फसल उगाने के लिए उधार लेते हैं और फसल तैयार होने के पश्चात् का देते हैं। उधार का भुगतान मुख्य रूप से फसल से प्राप्त आय पर निर्भर करता है।
प्रश्न 8.
भारत में बैंकों एवं सहकारी सतियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक ऋण सुविधाएँ क्यों प्रदान करनी चाहिए?
अथवा
बैंकों और सहकारी समितियों को अपनी ऋण देने की गतिविधियों को ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ाने के किन्हीं तीन कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में बैंकों एवं सहकारी समितियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक ऋण सुविधाएँ निम्न कारणों से प्रदान करनी चाहिए
- ग्रामीण क्षेत्रों में साहूकार, व्यापारी आदि ऊँची ब्याज दरों पर ऋण प्रदान करते हैं।
- साहूकार व व्यापारी आदि अपना पैसा वापस लेने के लिए अनुचित साधनों का प्रयोग करते हैं।
- सस्ता कर्ज उत्पादन की लागत में कमी करता है तथा आय बढ़ाता है।
- ग्रामीण विकास के लिए सस्ता और सामर्थ्य के अनुकूल कर्ज होना चाहिए।
प्रश्न 9.
कर्ज जाल क्या है? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
एक स्थिति में ऋण आय बढ़ाने में सहायता करता है, जिससे व्यक्ति की स्थिति पहले से बेहतर हो जाती है। दूसरी स्थिति में फसल बर्बाद होने के कारण ऋण व्यक्ति को अपने जाल में फंसा लेता है। कर्ज उतारने के लिए उसे जमीन का टुकड़ा बेचना पड़ता है जिससे उसकी स्थिति पहले की तुलना में बुरी हो जाती है। इस तरह ऋण कर्जदार को ऐसी परिस्थिति में धकेल देता है जहाँ से बाहर निकलना बहुत कष्टदायक होता है। इसे ही कर्ज जाल कहते हैं।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)
प्रश्न 1.
खरीददारी मुद्रा के माध्यम से क्यों होती है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मुद्रा में लेन-देन क्यों किए जाते हैं? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मुद्रा मूल्य के मापन का कार्य करती है। मुद्रा के रूप में विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं के मूल्य का निर्धारण किया । जा सकता है। मुद्रा विनिमय का एक माध्यम है। यह आसानी से स्वीकार्य है। जिस व्यक्ति के पास मुद्रा होती है वह इसका विनिमय किसी भी वस्तु या सेवा खरीदने के लिए आसानी से कर सकता है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति भुगतान मुद्रा के रूप में लेना पसन्द करता है फिर उस मुद्रा का इस्तेमाल अपनी आवश्यकता की वस्तुओं को खरीदने के लिए करता है।
उदाहरण:
एक किसान बाजार में गेहूँ बेचना चाहता है और घरेलू आवश्यकता की वस्तुएँ खरीदना चाहता है। इसलिए किसान सबसे पहले गेहूँ के बदले मुद्रा प्राप्त करेगा। इसके पश्चात् मुद्रा का प्रयोग घरेलू आवश्यकता की वस्तुएँ खरीदने के लिए करेगा।
प्रश्न 2.
“मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की आवश्यकता को समाप्त कर देती है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
वस्तु विनिमय प्रणाली को समझाइए।
उत्तर:
आवश्यकताओं का दोहरा संयोग वस्तु विनिमय प्रणाली में देखने को मिलता है। वस्तु विनिमय प्रणाली में मुद्रा का उपयोग किए बिना वस्तुओं का विनिमय होता है। वस्तु विनिमय प्रणाली में मनुष्य ऐसे व्यक्ति को ढूँढ़ता है जो उसकी अतिरिक्त वस्तु लेकर उसे इच्छित वस्तु दे। उदाहरण के लिए, किसान गेहूँ बेचकर जूते खरीदना चाहता है तो उसे ऐसा व्यक्ति ढूँढ़ना पड़ेगा जो उससे गेहूँ लेकर जूते दे दे।
यह एक कठिन कार्य है। इसकी तुलना में ऐसी अर्थव्यवस्था में जहाँ मुद्रा का प्रयोग होता है मुद्रा महत्त्वपूर्ण मध्यवर्ती भूमिका प्रदान करके आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की जरूरत को समाप्त कर देती है। अब किसान के लिए जरूरी नहीं रह जाता कि वह ऐसे जूता निर्माता को ढूँढ़े जो न केवल उसका गेहूँ खरीदे बल्कि साथ-साथ उसको जूते में बेचे।
प्रश्न 3.
“बैंक जिन लोगों के पास अतिरिक्त धनराशि है और जिन्हें धनराशि की जरूरत है, के बीच मध्यस्थता का काम करते हैं।” कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बैंक जिन लोगों के पास अतिरिक्त धनराशि है और जिन्हें धनराशि की जरूरत है, के बीच मध्यस्थता का कार्य निम्न प्रकार करते हैं
- बैंक उन लोगों से जमा राशि स्वीकार करते हैं जिनके पास अतिरिक्त धन होता है।
- बैंक जमाओं पर ब्याज का भी भुगतान करते हैं।
- बैंक अपने पास जमा धनराशि का एक छोटा भाग नकद के रूप में रखते हैं। इसे किसी एक दिन में जमाकर्ताओं द्वारा धन निकालने की सम्भावना को देखते हुए रखा जाता है।
- चूँकि किसी एक दिन में केवल कुछ जमाकर्ता ही नकद रुपया निकालने के लिए आते हैं, इसलिए बैंक अपने पास जमाओं का अधिकांश भाग उन्हें ऋण देने के लिए प्रयोग में लेते हैं, जिन्हें धन की आवश्यकता होती है। इस तरह बैंक जिन लोगों के पास अतिरिक्त धनराशि है और जिन्हें धनराशि की जरूरत है के बीच मध्यस्थता का काम करते हैं।
प्रश्न 4.
“बैंकों द्वारा मुद्रा निक्षेप स्वीकार करना उनका सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है।” व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
- लोग अपनी अतिरिक्त मुद्रा को बैंकों में निक्षेप के रूप में सुरक्षित रखते हैं।
- लोग अतिरिक्त नकद को बैंकों में अपने नाम से खाता खोलकर जमा कर देते हैं। बैंक जमा स्वीकार करते हैं और इस पर ब्याज़ भी देते हैं।
- लोगों को आवश्यकतानुसार इसमें से धन निकालने की सुविधा भी उपलब्ध करायी जाती है। चूँकि बैंक खातों में जमा धन को माँग के जरिए निकाला जा सकता है, इसलिए इस जमा को ‘माँग जमा’ कहा जाता है।
प्रश्न 5.
जब कोई ऋण लेने वाला किसी महाजन अथवा साहूकार से कर्ज लेता है, तो उसके समक्ष आने वाली समस्याओं में से किन्हीं तीन का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
- हर ऋण समझौते के अंतर्गत ब्याज दर निश्चित कर दी जाती है, जिसे कर्जदार महाजन को मूल रकम के साथ वापस करता है। इसके अलावा, उधारदाता कोई समर्थक ऋणाधार (गिरवी रखने के लिए) की माँग कर सकता है।
- समर्थक ऋणाधार ऐसी सम्पत्ति है, जिसका मालिक कर्जदार है (जैसे कि भूमि, इमारत, गाड़ी, पशु बैंकों में पूँजी) और इसका इस्तेमाल वह उधारदाता को गारण्टी देने के रूप में करता है, जब तक कि ऋण का भुगतान नहीं हो जाता।
- यदि कर्जदार ऋण का भुगतान नहीं कर पाता है तो ऋणदाता को ऋणाधार बेचने का अधिकार होता है।
प्रश्न 6.
सहकारी समितियाँ क्या होती हैं? संक्षेप में बताइए।
अथवा
सहकारी समितियों की कार्य-प्रणाली को बताइए।
अथवा
ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों की गतिविधियाँ बढ़ाने हेतु कोई तीन सुझाव दीजिए
उत्तर:
वे लोग जो कुछ सामान्य उद्देश्यों पर एक साथ मिल-जुलकर कार्य करना चाहते हैं, एक समिति का गठन कर लेते हैं जिसे सहकारी समिति कहते हैं। यह लोगों का एक ऐच्छिक संगठन होता है जिसके अन्तर्गत वे अपने आर्थिक हितों की पूर्ति के लिए एक साथ मिलकर कार्य करते हैं। सहकारी समितियाँ पारस्परिक सहायता के सिद्धान्त पर कार्य करती हैं। लोग एक समूह के रूप में एकत्रित होकर अपने व्यक्तिगत संसाधनों को एकत्रित करते हैं तथा उनका सर्वोत्तम ढंग से उपयोग करते हैं और इससे प्राप्त सामूहिक लाभ को आपस में मिलजुलकर बाँट लेते हैं। सुझाव:
- बैंकों द्वारा सहकारी समितियों को सस्ती दर पर ऋण प्रदान करना।
- सहकारी समितियों द्वारा अपने सदस्यों को कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराना।
- कृषकों पर किसी भी प्रकार की कोई अनुचित शर्त न लगाना ताकि सहकारी समिति के अधिकाधिक सदस्य बन सकें।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
आपके दृष्टिकोण से वस्तु विनिमय प्रणाली और मौद्रिक प्रणाली में कौन-सी प्रणाली श्रेष्ठ है और क्यों?
उत्तर:
मेरे दृष्टिकोण से दोनों प्रणालियों में से मौद्रिक प्रणाली श्रेष्ठ है क्योंकि जिस व्यक्ति के पास मुद्रा है, वह इसका विनिमय कोई भी वस्तु या सेवा खरीदने के लिए कर सकता है। हर कोई मुद्रा के रूप में भुगतान लेना पसंद करता है, फिर उस मुद्रा का उपयोग अपनी जरूरत की चीजें खरीदने के लिए कर सकता है। एक जूता निर्माता का उदाहरण लेते हैं। वह बाज़ार में जूता बेचकर गेहूँ खरीदना चाहता है।
जूता बनाने वाला पहले जूतों के बदले मुद्रा प्राप्त करेगां फिर इस मुद्रा का इस्तेमाल गेहूँ खरीदने के लिए करेगा। यदि जूता निर्माता बिना मुद्रा का इस्तेमाल किए जूते का सीधे गेहूँ से विनिमय करता है, तो उसे गेहूँ शास्त्र पैदा करने वाले ऐसे किसान को खोजना पड़ेगा, जो न केवल गेहूँ बेचना चाहता हो बल्कि साथ में जूते भी खरीदना चाहता हो अर्थात् दोनों पक्ष एक-दूसरे से चीजें खरीदने व बेचने पर सहमत हों। विनिमय की दूसरी प्रणाली में समय एवं श्रम अधिक लगेगा जबकि मौद्रिक प्रणाली में समय एवं श्रम की बचत है। चूँकि मुद्रा विनिमय प्रक्रिया में मध्यस्थता का काम करती है, अतः वस्तु विनिमय की तुलना में मुद्रा विनिमय प्रणाली श्रेष्ठ है।
प्रश्न 2.
भारत में ‘करेंसी नोट’ कौन जारी करता है? बैंकों के तीन कार्य बताइए।
अथवा
भारत की अर्थव्यवस्था में बैंक किस प्रकार महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“बैंक, देश के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।” कथन की उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
भारत में भारतीय रिजर्व बैंक केन्द्र सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है। भारतीय कानून के अनुसार किसी व्यक्ति या संस्था को मुद्रा जारी करने की अनुमति नहीं है। मुद्रा के आधुनिक रूपों में करेंसी में कागज के नोट एवं सिक्कों को सम्मिलित किया गया है। बैंक के कार्य अथवा भारत की अर्थव्यवस्था में बैंकों की भूमिका
1. जमा राशि को स्वीकार करना:
बैंक जनता से जमा स्वीकार करते हैं। लोग अपनी नकदी को सुविधा के लिए बैंकों के बचत जमा खाता, सावधि जमा खाता, चालू खाता आदि में जमा कराते हैं। बैंक इन जमाओं पर ब्याज भी देता है। इस तरह लोगों का धन बैंक के पास सुरक्षित रहता है।
2. ऋण प्रदान करना:
बैंक अपने पास जमा रकम का एक छोटा हिस्सा नकदं के रूप में रखते हैं। उदाहरण के लिए आजकल भारत में बैंक जमा धन का केवल 15 प्रतिशत हिस्सा नकद में अपने पास रखते हैं। इसे किसी एक दिन में जमाकर्ताओं द्वारा धन निकालने की सम्भावना को देखते हुए रखा जाता है। चूँकि किसी एक दिन में केवल कुछ जमाकर्ता ही नगद राशि निकालने के लिए आते हैं, इसलिए बैंक अपने पास जमाओं का अधिकांश हिस्सा ऋण देने के लिए प्रयोग करते हैं।
3. पूँजी निर्माण:
बैंक लोगों की बचतों को संग्रह करते हैं तथा उसे अन्य उत्पादक क्रियाओं में निवेश करते हैं। इस प्रकार बैंक देश में पूँजी निर्माण को प्रोत्साहित करते हैं तथा आर्थिक विकास की दर को तीव्र करते हैं।
4. लॉकर सुविधाएँ:
बैंक अपने ग्राहकों को लॉकर सुविधाएँ उपलब्ध कराते हैं, जिसमें लोग अपनी मूल्यवान वस्तुओं एवं महत्त्वपूर्ण कागजातों को सुरक्षित रख सकते हैं।
प्रश्न 3.
उदाहरण सहित समझाइए कि किस प्रकार से बैंक ऋण उत्पादन में सकारात्मक भूमिका अदा करते हैं?
उत्तर:
हमारी दिन-प्रतिदिन की क्रियाओं में व्यापक लेन-देन किसी-न-किसी रूप में ऋण द्वारा ही होता है। ऋण किसानों को अपनी फसल उगाने में मदद करता है। यह उद्यमियों के लिए व्यावसायिक इकाइयों की स्थापना, समय पर उत्पादन को पूरा करने एवं उत्पादन के कार्यशील खर्चों को पूरा करने में सहायक होता है। इससे उनकी आय में वृद्धि होती है। ऋण देश के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वर्तमान में बैंकों द्वारा ऋण के अन्य स्रोतों के मुकाबले सस्ती दर पर अपने ग्राहकों को ऋण प्रदान किया जाता है।
बैंक जमा रकम का एक छोटा हिस्सा अपने पास नकद रूप में रखकर शेष जमा राशि के एक बड़े भाग को ऋण देने के लिए प्रयोग करते हैं। विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के लिए ऋण की बहुत अधिक माँग रहती है। बैंक जमा धनराशि का लोगों की ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रयोग करते हैं! लोग बैंकों से सस्ती दर पर ऋण प्राप्त कर उत्पादन कार्यों में लगाते हैं तथा अधिक लाभ प्राप्त करते हैं।
उदाहरण: सोहन का जूते बनाने का कारखाना है। उसके पास शहर के एक बड़े व्यापारी से 5000 जोड़ी जूतों की माँग आती है जिसे एक महीने के अन्दर पूरा करना है। उत्पादन के कार्य को समय पर पूर्ण करने के लिए सोहन को सिलाई व चिपकाने के काम के लिए अतिरिक्त मजदूर रखने की आवश्यकता है तथा उसे कच्चा माल भी खरीदना है। अतः सोहन को इस कार्य के लिए अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है।
वह बैंक की औपचारिकताओं को पूर्ण करके उससे ऋण ले लेता है। समय पर शहर के व्यापारी को जूते बनाकर दे देता है। इस प्रकार सोहन उत्पादन के लिए कार्यशील पूँजी की जरूरत को ऋण के द्वारा पूरा करता है। ऋण उसे उत्पादन के कार्यशील खर्चों तथा उत्पादन को समय पर पूरा करने में सहायता प्रदान करता है। इस प्रकार सोहन बैंक ऋण द्वारा अपनी कमाई बढ़ा लेता है। इस प्रकार बैंक ऋण उत्पादन में सकारात्मक भूमिका निभाते हैं।
प्रश्न 4.
साख की दो विभिन्न स्थितियाँ बताइए एवं बैंकों से ऋण लेने की आवश्यक शर्तों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
साख की स्थितियाँ प्रथम स्थिति:
एक स्थिति में ऋण (साख) आय बढ़ाने में सहयोग करता है, जिससे व्यक्ति की स्थिति पहले से बेहतर हो जाती है।
द्वितीय स्थिति:
दूसरी स्थिति में फसल बर्बाद होने के कारण ऋण व्यक्ति को अपने जाल में फंसा लेता है। जहाँ से बाहर निकलना काफी कष्टदायक होता है। आमदनी में वृद्धि की बजाय कर्जदार की स्थिति पहले से बदतर हो जाती है। ऋण उपयोगी होगा या नहीं, यह परिस्थितियों के खतरों एवं हानि होने पर प्राप्त सहयोग की सम्भावना पर निर्भर करता है।
बैंकों से ऋण लेने की आवश्यक शर्ते: बैंकों से ऋण लेने की आवश्यक शर्ते निम्नलिखित हैं
- सर्वप्रथम ऋण लेने वाले व्यक्ति को यह प्रमाण-पत्र देना होगा कि यह देख लिया जाए कि उसे कितना ऋण दिया जाए, जिसे वह आसानी से उतार सके।
- यदि वह व्यक्ति कहीं नौकरी कर रहा हो तो उसे अपनी आय के विषय में ब्यौरा उपलब्ध कराना होगा।
- बैंक कर्जदार से समर्थक ऋणाधार की माँग कर सकता है, जिसमें भूमि, पशु, सम्पत्ति एवं बैंकों में जमा-पूँजी आदि सम्मिलित होती है।
- बैंक कर्जदार से किसी ऐसे व्यक्ति की गारंटी माँग सकता है जो उसके कर्ज न चुकाने पर रकम वापस कर सके।
प्रश्न 5.
शहरी गरीबों व अमीरों के ऋणों में औपचारिक साख के योगदान की तुलना कीजिए। औपचारिक क्षेत्र की ऋणों के सृजन में भागीदारी बढ़ाने हेतु कोई दो सुझाव दीजिए।
उत्तर:
गरीबों की तुलना में अमीर परिवारों को औपचारिक ऋणों का अधिक हिस्सा मिलता है क्योंकि अमीर परिवारों के पास ऋण लेने हेतु समर्थक ऋणाधार होता है तथा उन परिवारों की ऋण चुकाने की क्षमता भी अधिक होती है। जिस प्रकार से साहूकार, महाजन आदि गरीबों का शोषण करते हैं, जबकि औपचारिक स्रोतों द्वारा कर्ज लिए जाने पर उनका शोषण नहीं किया जाता है।
गरीबों को उचित व कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान किया जाता है। इसी प्रकार से अमीरों को ऋण उचित ब्याज दरों पर प्रदान कर औपचारिक संस्थाएँ, बहुत से उद्योगपतियों की उनकी विनियोग संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करती हैं। जिससे लोगों को रोजगार की प्राप्ति होती है तथा राष्ट्रीय उत्पादन व आय में भी वृद्धि होती है। औपचारिक क्षेत्र की ऋणों के सृजन में भागीदारी बढ़ाने हेतु दो उपाय इस प्रकार से हैं
- औपचास्कि स्रोतों को गैर-उत्पादक उद्देश्यों के लिए भी ऋण प्रदान करना चाहिए ।
- औपचारिक स्रोतों को ऋण के दस्तावेज संबंधी प्रक्रिया सरल कर देनी चाहिए, जिससे कि सभी जरूरतमंद लोग जरूरत के समय जल्द से जल्द ऋण प्राप्त कर सकें।
प्रश्न 6.
अनौपचारिक क्षेत्रक ऋणों की कोई दो कमियाँ बताइए। इस सन्दर्भ में औपचारिक क्षेत्रक ऋण किस प्रकार बेहतर हैं?
उत्तर:
ऋण के स्रोत भारत में ऋण प्रदान करने वाले स्रोतों को दो भागों में बाँटा जा सकता है
1. औपचारिक ऋण स्रोत:
भारत में औपचारिक ऋण स्रोतों में व्यापारिक बैंक, सहकारी समितियाँ, ग्रामीण बैंक आदि को सम्मिलित किया जाता है। इन स्रोतों द्वारा कम ब्याज दर पर लम्बे समय के लिए ऋण उपलब्ध करवाया जाता है।
2. अनौपचारिक ऋण स्रोत:
भारत में बड़ी संख्या में ऋण अनौपचारिक स्रोतों द्वारा उपलब्ध करवाये जाते हैं। अनौपचारिक स्रोतों में साहूकार, महाजन, व्यापारियों, रिश्तेदारों एवं मित्रों को सम्मिलित किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश छोटे कृषक एवं मजदूर आज भी भारत के अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर हैं।
- अनौपचारिक क्षेत्रक ऋणों की कमियाँ: अनौपचारिक क्षेत्रक ऋणों की प्रमुख कमियाँ निम्नलिखित हैं
- भारत में अनौपचारिक ऋण स्रोतों द्वारा ऊँची दर पर ऋण दिया जाता है।
- अनौपचारिक स्रोतों द्वारा अत्यन्त कठोर शर्तों पर ऋण दिया जाता है।
- ऋण न चुकाने की स्थिति में ऋणदाता, कृषकों का अनाज सस्ते में खरीद लेते हैं तथा कई बार उन्हें अपने खेतों अथवा घरों पर बिना परिश्रम के कार्य करवाते हैं।
- औपचारिक क्षेत्रक ऋण निम्न प्रकार से बेहतर हैं:
- औपचारिक क्षेत्रक ऋण में ऋण के वे स्रोत सम्मिलित होते हैं जो सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं। इनमें बैंक व सहकारी समितियाँ प्रमुख हैं।
- भारतीय रिजर्व बैंक ऋण के औपचारिक स्रोतों के कामकाज पर निगरानी रखता है।
- ऋण के औपचारिक स्रोतों द्वारा ऋण प्रदान किये जाने का उद्देश्य लाभ कमाने के साथ-साथ सामाजिक भी होता है।
- इन स्रोतों से कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध करवाए जाते हैं।
- ऋण के औपचारिक स्रोत ऋण लेने वाले के समक्ष कोई अनुचित शर्त नहीं लगाते हैं।
- औपचारिक स्रोतों द्वारा कर्जदारों का शोषण नहीं किया जाता है।
प्रश्न 7.
स्वयं सहायता समूह क्या हैं? स्वयं सहायता समूहों की कार्यविधि को विस्तार से बताइए।
अथवा:
स्वयं सहायता समूहों के बारे में विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
स्वयं सहायता समूह क्या है? ये किस प्रकार कार्य करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
- हाल के वर्षों में लोगों ने गरीबों को उधार देने के कुछ नए तरीके अपनाने की कोशिश की है। इनमें से एक विचार ग्रामीण क्षेत्रों के गरीबों विशेषकर महिलाओं को छोटे-छोटे स्वयं सहायता समूहों में संगठित करने एवं उनकी बचत पूँजी को एकत्रित करने पर आधारित है।’
- एक विशेष सहायता समूह में एक-दूसरे के पड़ौसी 15-20 सदस्य होते हैं जो नियमित रूप से मिलते हैं और बचत करते हैं।
- स्वयं सहायता समूहों का प्रमुख उद्देश्य गरीब लोगों की बचत पूँजी को एकत्रित करना होता है।
- प्रतिव्यक्ति बचत 25 रुपये से लेकर 100 रुपये या उससे अधिक भी हो सकती है। यह परिवारों की बचत करने की क्षमता पर निर्भर करता है।
- स्वयं सहायता समूह अपने सदस्यों को कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करते हैं। यह साहूकार द्वारा लिये गये ब्याज से कम होता है।
- एक या दो वर्षों के पश्चात् अगर समूह नियमित रूप से बचत करता है तो समूह बैंक से ऋण लेने के योग्य हो जाता है।
- बैंकों द्वारा ऋण समूह के नाम पर दिया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य सदस्यों के लिए स्वरोजगार के अवसरों का सृजन करना है।
- सदस्यों को छोटे-छोटे ऋण अपनी गिरवी भूमि को छुड़ाने हेतु, कार्यशील पूँजी की जरूरतों, जैसे-बीज, खाद, . बाँस व कपड़ा खरीदने के लिए, घर बनाने तथा सिलाई मशीन, हथकरघा व पंशु आदि खरीदने के लिए दिये जाते हैं।
- स्वयं सहायता समूह के अन्तर्गत बचत व ऋण गतिविधियों से सम्बन्धित निर्णय समूह के सदस्य स्वयं लेते हैं। समूह ही दिये जाने वाले ऋण, उसका लक्ष्य, उसकी रकम, ब्याज-दर, वापस लौटाने की अवधि आदि के बारे में निर्णय करता है।
- स्वयं सहायता समूहों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें से अधिकांश समूह महिलाओं द्वारा संगठित किए गए हैं। ये समूह महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर करने में मदद करते हैं। समूह की नियमित बैठकों के माध्यम से लोगों को एक मंच मिलता है, जहाँ वह विभिन्न प्रकार के सामाजिक विषयों; जैसे-स्वास्थ्य, पोषण व घरेलू हिंसा आदि पर आपस में चर्चा कर पाते हैं।