JAC Class 10 Social Science Notes History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद 

JAC Board Class 10th Social Science Notes History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद

→ भारत में राष्ट्रवाद का उदय

  • भारत में भी आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की घटना उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन का परिणाम रही है।
  • 1914 ई. में प्रारम्भ हुए प्रथम विश्वयुद्ध ने भारत में एक नयी राजनीतिक एवं आर्थिक स्थिति उत्पन्न कर दी जिसके कारण रक्षा खर्च में बहुत अधिक वृद्धि हुई। सीमा शुल्क में वृद्धि के साथ आयकर की शुरुआत की गई।
  • 1918-19 ई तथा 1920-21ई. में देश के अनेक क्षेत्रों में फसल खराब होने के कारण खाद्य पदार्थों की भारी कमी हो गई। इसी दौरान फ्लू की महामारी फैल गई। जनगणना 1921 के अनुसार दुर्भिक्ष तथा महामारी की वजह से 120-130 लाख मारे गए।

→  सत्याग्रह का विचार

  • महात्मा गांधी जनवरी, 1915 में दक्षिणी अफ्रीका से भारत वापस आये थे। वहाँ उन्होंने सत्याग्रह का मार्ग अपनाकर वहाँ की नस्लभेदी सरकार से लोहा लिया।
  • गाँधीजी का विश्वास था कि अहिंसा समस्त भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध सकती है।
  • भारत आने के पश्चात् गाँधीजी ने अनेक स्थानों पर सत्याग्रह आन्दोलन चलाया, जिनमें चंपारन 1916 ई., खेड़ा 1917 ई. एवं अहमदाबाद 1918 ई. आदि प्रमुख हैं।

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→  रॉलेट एक्ट

  • 1919 ई. में गाँधीजी ने रॉलेट एक्ट के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आन्दोलन चलाया।
  • रॉलेट एक्ट के तहत सरकार राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने तथा राजनीतिक कैदियों को बिना मुकदमा चलाए दो साल तक जेल में बन्द रख सकती थी।
  • 13 अप्रैल, 1919 ई. को अमृतसर में जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ जिसमें सैंकड़ों लोग मारे गए।
  • सितंबर 1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में महात्मा गाँधी ने खिलाफत आन्दोलन के समर्थन तथा स्वराज के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू करने पर अन्य नेताओं को राजी किया।

→  असहयोग आंदोलन

  • महात्मा गाँधी ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘हिन्द स्वराज’ (1909 ई.) में कहा था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से स्थापित हुआ था तथा उनके सहयोग से ही चल पा रहा है। यदि भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो शीघ्र ही ब्रिटिश शासन ढह जाएगा और स्वराज्य की स्थापना हो जाएगी।
  • दिसंबर 1920 में कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में एक समझौते के साथ असहयोग कार्यक्रम को मंजूरी दी गई।
  • असहयोग-खिलाफत आन्दोलन जनवरी, 1921 में प्रारम्भ हुआ। असहयोग-खिलाफत आन्दोलन की शुरुआत शहरी मध्यम वर्ग की भागीदारी के साथ हुई। विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिये तथा लोगों ने विदेशी कपड़ों का बहिष्कार किया।
  • असहयोग आन्दोलन शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी फैल गया। देश के विभिन्न भागों में संचालित किसानों व आदिवासियों के संघर्ष भी इस आन्दोलन में सम्मिलित हो गये।
  • अंग्रेजों के बागानों में कार्य करने वाले मजदूरों को बिना इजाजत के बागान से बाहर जाने की छूट नहीं होती थी। जब उन्होंने असहयोग आन्दोलन के बारे में सुना तो हजारों मजदूरों ने अपने अधिकारियों की अवहेलना कर बागान छोड़ दिये और अपने घर को चल दिए।
  • गोरखपुर के चौरी-चौरा नामक स्थान पर घटित घटना के विरोध में फरवरी, 1922 में महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन वापस लेने का फैसला किया।
  • वल्लभ भाई पटेल ने 1928 ई. में गुजरात के बारदोली में किसान आन्दोलन का सफल नेतृत्व किया। यह आन्दोलन भू-राजस्व में वृद्धि के खिलाफ था। इस आन्दोलन को ‘बारदोली सत्याग्रह’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • सन् 1928 में जब साइमन कमीशन भारत पहुँचा तो उसका स्वागत ‘साइमन कमीशन वापस जाओ’ के नारों से किया गया।
  • दिसम्बर, 1929 में पं. जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज’ की माँग को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया गया तथा 26 जनवरी, 1930 को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जाना तय किया गया।

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→  नमक यात्रा और सविनय अवज्ञा आंदोलन:

  • देश को एकजुट करने के लिए महात्मा गाँधी ने नमक को एक हथियार के रूप में प्रयोग किया। 6 अप्रैल, 1930 को महात्मा गाँधी ने दांडी पहुँचकर वहाँ नमक बनाकर ब्रिटिश कानून को तोड़ा तथा सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया।
  • 5 मार्च, 1931 को महात्मा गाँधी ने लॉर्ड इरविन के साथ एक समझौते पर दस्तखत किए तथा लन्दन में होने वाले दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने पर सहमति प्रदान की। •गाँवों में सम्पन्न कृषक समुदाय जैसे गुजरात के पटीदार व उत्तर प्रदेश के जाट सविनय अवज्ञा आन्दोलन में सक्रिय थे।
  • औद्योगिक श्रमिक वर्ग ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में नागपुर के अतिरिक्त कहीं भी बहुत बड़ी संख्या में भाग नहीं लिया।
  • इस आन्दोलन में महिलाओं ने भी बड़े पैमाने पर भाग लिया।
  • महात्मा गाँधीजी ने घोषणा की कि छुआछूत को समाप्त किये बिना हम स्वराज की स्थापना नहीं कर सकते। उन्होंने अछूतों को हरिजन यानि ईश्वर की सन्तान बताया।
  • डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने सन् 1930 में दलितों को दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया।
  • अंबेडकर ने गाँधीजी की बात मानकर सितंबर, 1932 में पूना पैक्ट पर दस्तखत किए।
  • भारत में सामूहिक अपनेपन की भावना आंशिक रूप से संयुक्त संघर्षों के चलते उत्पन्न हुई थी।
  • राष्ट्रवाद को साकार करने में इतिहास व साहित्य, लोक कथाएँ व गीत, चित्र व प्रतीक, सभी ने अपना योगदान दिया था।
  • 1870 के दशक में बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय ने मातृभूमि की स्तुति में ‘वन्देमातरम्’ गीत लिखा। यह गीत उनके उपन्यास ‘आनन्दमठ’ में शामिल है।
  • स्वदेशी आन्दोलन की प्रेरणा से अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत माता की छवि को चित्रित किया।
  • जैसे-जैसे राष्ट्रीय आन्दोलन आगे-बढ़ा। राष्ट्रवादी नेताओं ने लोगों को एकजुट करने तथा उनमें राष्ट्रवाद की भावना भरने के लिए विभिन्न प्रकार के चिह्नों व प्रतीकों का प्रयोग किया।
  • अंग्रेज सरकार के विरुद्ध तीव्र गति से बढ़ता गुस्सा भारतीय समूहों एवं वर्गों के लिए स्वतन्त्रता का साझा संघर्ष बनता जा रहा था। औपनिवेशिक शासन से मुक्ति की चाह में लोगों को सामुहिक होने का आधार प्रदान किया था।

→  महत्त्वपूर्ण तिथियाँ एवं घटनाएँ

तिथि घटनाएँ
1. 1913 ई. 6 नवम्बर को महात्मा गाँधी ने दक्षिण अफ्रीका में अश्वेत मजदूरों के अधिकारों को हनन करने वाले नस्लभेदी कानून के विरुद्ध सत्याग्रह किया।
2. 1915 ई. जनवरी माह में महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आये।
3. 1916 ई. महात्मा गाँधी ने बिहार के चम्पारन क्षेत्र का दौरा किया।
4. 1918-19 ई. बाबा रामचन्द्र द्वारा उत्तर-प्रदेश के कृषकों को संगठित किया।
5. 1918 ई. महात्मा गाँधी सूती वस्त्र कारखानों के श्रमिकों के मध्य सत्याग्रह आन्दोलन चलाने अहमदाबाद पहुँचे।
6. 1919 ई. रॉलेट एक्ट के विरुद्ध गाँधीजी ने राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह चलाने का निश्चय किया। 13 अप्रैल को अमृतसर का जलियाँवाला बाग हत्याकांड हुआ।
7. 1920 ई. सितम्बर माह में महात्मा गाँधी द्वारा कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में खिलाफत आन्दोलन के समर्थन एवं स्वराज के लिए एक असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ करने हेतु अन्य नेताओं को सहमत किया।
8. 1921 ई. असहयोग आन्दोलन के लिए समर्थन जुटाने हेतु गाँधीजी व शौकत अली ने देशभर में यात्राएँ कीं। दिसम्बर माह में कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में असहयोग कार्यक्रम पर स्वीकृति हेतु समझौता। भारतीय औद्योगिक एवं व्यावसायिक कांग्रेस का गठन।
9. 1922 ई. जनवरी माह में असहयोग एवं खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ।
10. 1924 ई. फरवरी माह चौरी-चौरा कांड, महात्मा गाँधी ने असहयोग आन्दोलन वापस लिया।
11. 1927 मई माह में अल्लूरी सीताराम राजू की गिरफ्तारी। दो वर्ष से चला आ रहा हथियारबन्द आदिवासी संघर्ष समाप्त।
12. 1928 भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग परिसंघ का गठन।
13. 1929 साइमन कमीशन भारत पहुँचा। सर्वदलीय सम्मेलन का आयोजन।
14. 1930 ई. अक्टूबर माह में वायसराय लॉर्ड इरविन द्वारा भारत के लिए डोमीनियन स्टेट्स की घोषणा। दिसम्बर माह में जवाहर लाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की माँग औपचारिक रूप से स्वीकार, 26 जनवरी, 1930 को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाये जाने का निर्णय।
15. 1931 जनवरी माह में महात्मा गाँधी द्वारा 11 सूत्री माँगों के साथ वायसराय इरविन को पत्र लिखा गया। मार्च में गाँधीजी द्वारा दांडी में नमक कानून का उल्लंघन करके सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू करना, डॉ. अम्बेडकर द्वारा दलितों को दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित करना।
16. 1932 मार्च माहृ में गाँधीजी द्वारा सविनय अवज्ञा आन्दोलन का वापस लिया जाना। 5 मार्च को गाँधी-इरविन समझौता हुआ। दिसम्बर माह द्वितीय गोलमेज सम्मेलन। गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने महात्मा गाँधीजी लन्दन गये। सविनय अवज्ञा आन्दोलन पुन: प्रारम्भ, सितम्बर माह में पूना समझौता हुआ।
17. 1942 14 जुलाई को अपनी कार्यकारिणी में कांग्रेस कार्य समिति में ऐतिहासिक ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पारित किया। 8 अगस्त को बंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। महात्मा गाँधी ने प्रसिद्ध ‘करो या मरो’ का नारा दिया।

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→ प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली

  1. जबरन भर्ती: इस प्रक्रिया के अन्तर्गत अंग्रेज भारतीय लोगों को अपनी सेना में जबरदस्ती भर्ती कर लेते थे।
  2. पिकेटिंग: विरोध अथवा प्रदर्शन का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोग किसी दुकान, कारखाना या दफ्तर के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते है।
  3. बहिष्कार: किसी के साथ सम्पर्क रखने एवं जुड़ने से इंकार करना अथवा गतिविधियों में हिस्सेदारी, वस्तुओं की खरीद एवं प्रयोग से इन्कार करना। सामान्यतया यह विरोध प्रदर्शन का एक रूप होता है।
  4. सत्याग्रह: दमनकारी शक्तियों के विरुद्ध गाँधीजी द्वारा प्रयोग किया गया एक अहिंसात्मक ढंग।
  5. गिरमिटिया मजदूर: औपनिवेशिक शासन के दौरान अधिक संख्या में लोगों को काम करने के लिए गयाना, फिजी, वेस्टइंडीज. आदि स्थानों पर ले जाया जाता था जिन्हें बाद में गिरमिटिया कहा जाने लगा। इन श्रमिकों को एक अनुबन्ध के तहत ले जाया जाता था, बाद में इसी समझौते के अन्तर्गत ये श्रमिक गिरमिट कहने लगे, जिससे आगे चलकर इन श्रमिकों को गिरमिटिया मजदूर कहा जाने लगा।
  6. खिलाफत आन्दोलन: यह मोहम्मद अली एवं शौकत अली बन्धुओं द्वारा संचालित एक विरोध आन्दोलन था जो तुर्की के साथ युद्ध के पश्चात् किए गए अन्याय के विरुद्ध चलाया गया था।
  7. असहयोग आन्दोलन: जनवरी, 1921 ई. में महात्मा गाँधी जी द्वारा संचालित आन्दोलन। इस आन्दोलन का उद्देश्य पंजाब एवं तुर्की में हुए अन्याय का विरोध करना एवं स्वराज की प्राप्ति था।
  8. इंग्लैंड इमिग्रेशन एक्ट: अंग्रेज सरकार द्वारा लागू एक कानून जिसके तहत बागानों में कार्य करने वाले श्रमिकों को बिना अनुमति बागान से बाहर जाने की छूट नहीं होती थी और यह इजाजत उन्हें कभी-कभी ही मिलती थी।
  9. पूना समझौता: सितम्बर, 1932 ई. में गाँधीजी एवं डॉ. बी. आर. अम्बेडकर के मध्य हुआ एक समझौता जिसके अन्तर्गत दलित वर्गों को प्रान्तीय एवं केन्द्रीय विधायी परिषदों में सीटों का आरक्षण दिया गया।
  10. दांडी यात्रा: महात्मा गाँधी जी अपने 78 अनुयायियों के साथ साबरमती आश्रम से समुद्र तट दांडी तक पैदल यात्रा की थी तथा वहाँ नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा था।

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