JAC Class 10 Social Science Important Questions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार

JAC Board Class 10th Social Science Important Questions Economics Chapter 5 उपभोक्ता अधिकार

बहुविकल्पीय

प्रश्न 1.
उपभोक्ता शोषण का मूल कारण है
(क) बेरोजगारी
(ख) अशिक्षा
(ग) गरीबी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) अशिक्षा

2. कोपरा (COPRA) क्या है?
(क) उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम
(ख) उपभोक्ता आन्दोलन
(ग) उपभोक्ता दल
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम

3. अक्टूबर 2005 में भारत सरकार ने एक कानून लागू किया, वह कानून है
(क) सूचना पाने का अधिकार
(ख) चुनने का अधिकार
(ग) क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार
(घ) ये सभी
उत्तर:
(क) सूचना पाने का अधिकार

4. 20 लाख से लेकर एक करोड़ तक के दावों से सम्बन्धित मुकदमों की शिकायतें किसमें प्रस्तुत की जा सकती हैं?
(क) जिलास्तरीय न्यायालय
(ख) राज्यस्तरीय न्यायालय
(ग) राष्ट्रीयस्तर की अदालतें
(घ) ये सभी
उत्तर:
(ख) राज्यस्तरीय न्यायालय

5. एगमार्क किन वस्तुओं के लिए प्रामाणिक चिह्न है?
(क) उत्पादित सामान
(ख) स्वर्ण व चाँदी
(ग) खाद्य-पदार्थ
(घ) उत्पादित मशीन
उत्तर:
(ग) खाद्य-पदार्थ

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6. भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस कब मनाया जाता है?
(क) 24 सितम्बर
(ख) 24 दिसम्बर
(ग) 5 सितम्बर
(घ) 21 जून।।
उत्तर:
(क) 24 सितम्बर

रिक्त स्थानपूर्ति

निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. ………….के रूप में हम वस्तुओं तथा सेवाओं को कम करते हैं।
उत्तर:
उपभोक्ता,

2. भारत में …………के दशक में व्यवस्थित उपभोक्ता आन्दोलन का उदय हुआ?
उत्तर:
1960,

3. भारत सरकार ने…………सूचना पाने का अधिकार लागू किया।
उत्तर:
अक्टूबर, 2005,

4. भारत से प्रतिवर्ष………..को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है।
उत्तर:
दिसम्बर

अति लयूत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उपभोक्ताओं की बाजार में भागीदारी कब होती है?
उत्तर:
उपभोक्ताओं की बाजार में भागीदारी तब होती है जब वे अपनी आवश्यकतानुसार वस्तुओं और सेवाओं को खरीदते हैं।

प्रश्न 2.
उपभोक्ताओं का शोषण क्यों होता रहता है?
उत्तर:
उपभोक्ताओं का शोषण इसलिए होता रहता है कि वे या तो अपने अधिकारों के बारे में जानते नहीं या जानते हैं तो वे उनका प्रयोग नहीं करते।

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प्रश्न 3.
अधिकारों की प्राप्ति के लिए उपभोक्ता को किसका निर्वहन करना आवश्यक है?
उत्तर:
अधिकारों की प्राप्ति के लिए उपभोक्ता को अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करना आवश्यक है।

प्रश्न 4.
उपभोक्ता आन्दोलन का प्रारम्भ किस कारण हुआ?
उत्तर:
उपभोक्ता आन्दोलन का प्रारम्भ उपभोक्ताओं के असन्तोष के कारण हुआ।

प्रश्न 5.
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर:
कोपरा (COPRA)।

प्रश्न 6.
‘सूचना का अधिकार’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
अक्टूबर, 2005 में भारत सरकार द्वारा निर्मित एक कानून जो अपने नागरिकों को सरकारी विभागों के कार्यकलापों की सभी सूचनाएँ प्राप्त करने के अधिकार को सुनिश्चित करता है।

प्रश्न 7.
उपभोक्ता के किन्हीं दो अधिकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. सुरक्षा का अधिकार,
  2. सूचना पाने का अधिकार ।

प्रश्न 8.
यदि व्यापारी द्वारा उपभोक्ता को कोई क्षति पहुँचाई गई है, तो किस उपभोक्ता अधिकार के अन्तर्गत वह नुकसान की भरपाई के लिए उपभोक्ता न्यायालय जा सकता है?
उत्तर;
सुरक्षा का अधिकार।

प्रश्न 9.
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के तहत स्थापित की गई अदालतों के नाम लिखिए।
उत्तर;

  1. जिला स्तर की उपभोक्ता अदालत,
  2. राज्य स्तर की उपभोक्ता अदालत,
  3. राष्ट्र स्तर की उपभोक्ता अदालत।

प्रश्न 10.
बाजार से वस्तुएँ खरीदते समय उपभोक्ता को आई.एस.आई. या एगमार्क के शब्द चिह्न क्यों देखने चहिए?
उत्तर:
क्योंकि यह वस्तु की गुणवत्ता सुनिश्चित करते हैं।

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प्रश्न 11.
विद्युत उपकरणों एवं खाद्य वस्तुओं पर अंकित शब्द चिह्न और प्रमाणकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विद्युत उपकरण ISI चिद्न। खाद्य वस्तुओं पर AGMARK चिह्न।

प्रश्न 12.
मान लीजिए कि आपको बिजली का सामान (उपकरण) खरीदना है, तो उस सामान पर गुणवत्ता के लिए आप कौन-सा लोगो या शब्द चिह्न देखोगे ?
उत्तर:
विद्युत उपकरणों पर हम ISI चिह्न देखेंगे।

प्रश्न 13.
कल्पना कीजिए कि आपको यात्रा के ौरान पीने के लिए पानी की पैक बोतल खरीदनी पड़ी। इसकी गुणवत्ता के प्रति आश्वस्त होने के लिए आप कौन-सा शब्द चिह्न (Logo) देखना चाहोगे ?
उत्तर:
पानी की बोतल पर हम AGMARK का चिह्न देखेंगे।

प्रश्न 14.
मान लीजिए कि आपके माता-पिता आपके साथ सोने के आभूषण खरीदना चाहते हैं, तो इसके लिए आप आभूषणों पर कौन-सा शब्द चिह्न (लोगो) देखना चाहोगे?
उत्तर:
हॉलमार्क।

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प्रश्न 15.
भारत में प्रतिवर्ष 24 दिसम्बर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस क्यों मनाया जाता है?
उत्तर:
क्योंकि 1986 में इसी दिन भारतीय संसद ने उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम पारित किया था।

लयूत्तरात्मक प्रश्न (SA1)

प्रश्न 1.
बाजार में हमारी भागीदारी कैसे होती है?
उत्तर:
बाजार में हमारी भागीदारी निम्न प्रकार से होती है

  1. बाजार में हमारी भागीदारी उत्पादक और उपभोक्ता दोनों रूपों में होती है।
  2. वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादक के रूप में हम कृषि, उद्योग या सेवा में से किसी क्षेत्रक में कार्यरत हो सकते हैं।
  3. उपभोक्ता के रूप में हमारी भागीदारी तब होती है जब हम अपनी आवश्यकतानुसार वस्तुओं या सेवाओं को खरीदते हैं।

प्रश्न 2.
चयन के अधिकार को संक्षेप में उदाहरण सहित बताइए।
अथवा
उपभोक्ता के ‘चुनने का अधिकार’ का कोई एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
किसी भी उपभोक्ता को जो कि किसी सेवा को प्राप्त करता है, चाहे वह किसी भी आयु एवं लिंग का हो तथा किसी भी प्रकार की सेवा प्राप्त करता हो, उसको सेवा प्राप्त करते हुए हमेशा चयन का अधिकार होता है। उदाहरण के लिए, यदि विक्रेता हमें कहता है कि एक दंत मंजन के साथ कुछ खरीदना पड़ेगा तो यह हमारे चयन के अधिकार का उल्लंघन होगा। अत: हम अपने ‘चयन (चुनने) के अधिकार’ का इस्तेमाल करते हुए केवल दंत मंजन ही खरीद सकते हैं।

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प्रश्न 3.
क्षतिपूर्ति निवारण के अधिकार को संक्षेप में बताइए।
अथवा
उपभोक्ताओं के लिए ‘क्षतिपूर्ति निवारण के अधिकार’ के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता को अनुचित व्यवसाय कार्यों एवं शोषण के विरुद्ध क्षतिपूर्ति माँगने का अधिकार होता है। यदि उपभोक्ता को कोई क्षति पहुँचायी जाती है तो उसे हुई क्षति की मात्रा के आधार पर क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार होता है। इस कार्य को पूर्ण करने के लिए एक सरल व प्रभावी जन-प्रणाली बनाने की आवश्यकता है।

प्रश्न 4.
प्रतिनिधित्व के अधिकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
हमें उपभोक्ता के रूप में उपभोक्ता न्यायालयों में जाने का अधिकार है। हमारे हितों को उपयुक्त मंचों पर उचित महत्त्व मिलना चाहिए। यदि कोई मुकदमा जिला स्तर के न्यायालय में निरस्त कर दिया जाता है तो उपभोक्ता राज्य स्तर के न्यायालय में और उसके पश्चात् राष्ट्रीय स्तर के न्यायालय में भी अपील कर सकता है।

प्रश्न 5.
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की प्रगति के समर्थन में कोई तीन तर्क दीजिए। उत्तर–भारत में उपभोक्ता आन्दोलन की प्रगति के समर्थन में प्रमुख तर्क निम्नलिखित हैं

  1. भारत विश्व के उन गिने-चुने देशों में से एक है जहाँ उपभोक्ता निपटारे के लिए अलग अदालतें हैं।
  2. हमारे देश में 700 से अधिक उपभोक्ता संगठन हैं जिसमें से 20-25 संगठन ऐसे हैं जो सुसंगठित एवं अच्छी कार्यप्रणाली के लिए जाने जाते हैं।
  3. भारत में उपभोक्ता ज्ञान धीरे-धीरे फैल रहा है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1.
भारत में उपभोक्ता आंदोलन के लिए उत्तरदायी किन्हीं तीन कारणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत सरकार द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986′ को पारित करने के किन्हीं तीन कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में उपभोक्ता आंदोलन के लिए उत्तरदायी कारण निम्नलिखित हैं

  1. उपभोक्ता आंदोलन का प्रारम्भ उपभोक्ताओं के असन्तोष के कारण हुआ क्योंकि विक्रेता कई अनुचित व्यवहारों में सम्मिलित होते हैं।
  2. 1980 के दशक से पहले बाजार में उपभोक्ता को शोषण से बचाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी। लम्बे समय तक जब तक उपभोक्ता एवं विशेष ब्रांड के उत्पाद या दुकान से संतुष्ट नहीं होता था तो सामान्यत: वह उस ब्रांड उत्पाद को एवं उस दुकान से खरीददारी करना बंद कर देता था।
  3. यह मान लिया जाता था कि यह उपभोक्ता की जिम्मेदारी है कि एक वस्तु या सेवा को खरीदते समय वह सावधानी बरते विक्रेता का कोई उत्तरदायित्व नहीं है।
  4. अनुचित व्यवसाय कार्यों, अत्यधिक खाद्य कमी, जमाखोरी एवं कालाबाजारी ने भी उपभोक्ता आन्दोलन को प्रोत्साहन प्रदान किया।

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प्रश्न 2.
उपभोक्ता आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं? समझाइए।
उत्तर:
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन का प्रारम्भ उपभोक्ताओं के असन्तोष के कारण हुआ क्योंकि विक्रेता कई अनुचित व्यावसायिक व्यवहारों में सम्मिलित होते थे। बाजार में उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए कोई कानूनी व्यवस्था उपलब्ध नहीं थी। यह मान लिया गया था कि वस्तु या सेवा खरीदते समय सावधान रहना उपभोक्ता की जिम्मेदारी है।

सन् 1985 में संयुक्त राष्ट्र ने उपभोक्ता सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र संस्था के दिशा-निर्देश को अपनाया। यह उपभोक्ताओं की सुरक्षा हेतु उपयुक्त तरीके अपनाने हेतु राष्ट्रों के लिए एवं सेवा करने के लिए अपनी सरकारों को मजबूर करने हेतु उपभोक्ता वकालत दलों के लिए एक हथियार था। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर यह उपभोक्ता आन्दोलन का आधार बना।

प्रश्न 3.
उपभोक्ता अधिकार के रूप में ‘सुरक्षा का अधिकार’ को उदाहरण सहित संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
जब हम एक उपभोक्ता के रूप में बहुत सी वस्तुओं एवं सेवाओं का उपयोग करते हैं तो हमें वस्तुओं के बाजारीकरण और सेवाओं की प्राप्ति के खिलाफ सुरक्षित रहने का अधिकार प्राप्त होता है क्योंकि ये जीवन व सम्पत्ति के लिए खतरनाक होते हैं। उत्पादकों के लिए आवश्यक है कि वे सुरक्षा विनियमों एवं नियमों का पालन करें। ऐसी बहुत सी वस्तुएँ एवं सेवाएँ हैं, जिन्हें हम खरीदते हैं तो सुरक्षा की दृष्टि से विशेष सावधानी की जरूरत होती है। उदाहरण के लिए प्रेशर कुकर में एक सेफ्टी वाल्व होता है जो यदि खराब हो तो भयंकर दुर्घटना का कारण बन सकता है। सेफ्टी वाल्व के निर्माता को इसकी उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करनी चाहिए।

प्रश्न 4.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 में उपभोक्ता को प्राप्त किन्हीं तीन अधिकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम 24 दिसम्बर, 1986 में पारित हुआ था। उपभोक्ता अधिकार उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 में उपभोक्ता को निम्नलिखित अधिकार दिए गए हैं।

1. सुरक्षा का अधिकार- इसके अन्तर्गत उपभोक्ताओं को ऐसे माल के क्रय:
विक्रय के विरुद्ध संरक्षण पाने का अधिकार प्रदान किया गया है, जो जीवन व सम्पत्ति के लिए हानिकारक हैं। उपभोक्ता को किसी भी वस्तु या सेवा के क्रय या उपभोग से बीमार होने, चोट लगने या किसी भी व्यक्ति के अविवेकपूर्ण इस्तेमाल से होने वाली हानि के विरुद्ध सुरक्षा पाने का अधिकार है।

2. सूचना पाने का अधिकार:
उपभोक्ता को यह अधिकार प्रदान किया गया है कि उसे माल की गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता, मानक एवं मूल्यों के बारे में सूचना प्रदान की जाये। यदि ये सूचनाएँ माल के उत्पादक द्वारा नहीं लिखी गयी हैं तो उपभोक्ता इन सूचनाओं को प्राप्त करने का अधिकार रखता है। आज सरकार द्वारा प्रदत्त विविध सेवाओं को उपयोगी बनाने के लिए सूचना पाने के अधिकार का दायरा बढ़ा दिया गया है। अक्टूबर 2005 में भारत सरकार ने एक नया कानून लागू किया जो RTI या सूचना पाने के अधिकार के नाम से जाना जाता है।

3. चुनाव का अधिकार:
इस अधिकार के तहत उपभोक्ता बाजार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार की वस्तुओं एवं सेवाओं में से किसी का भी चयन कर सकता है। वह किसी भी व्यवसायी द्वारा उत्पादित माल की किसी भी किस्म को अपनी इच्छा से पसन्द कर सकता है। …

4. क्षतिपूर्ति निवारण का अधिकार:
इस अधिकार के अन्तर्गत उपभोक्ता को व्यवसायी द्वारा किये जाने वाले प्रतिबन्धात्मक एवं अनुचित व्यवहार के कारण होने वाली हानि की क्षतिपूर्ति कराने का अधिकार दिया गया है।

5. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार:
इस अधिकार के अन्तर्गत उपभोक्ता को वस्तुओं, सेवाओं एवं उनके उपयोग की विधि आदि के सम्बन्ध में जानकारी या शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार होता है। यह अधिकार उपभोक्ताओं को जागरूक बने रहने के लिए ज्ञान तथा क्षमता प्रदान करने का अधिकार है।

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प्रश्न 5.
सूचना का अधिकार क्या है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
उपभोक्ताओं के लिए ‘सूचना पाने का अधिकार’ (आर.टी.आई.) के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता को खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होता है। इसके अन्तर्गत माल की गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता, मानक एवं मूल्यों आदि की सूचना सम्मिलित है। यदि ये सूचनाएँ माल के उत्पादक द्वारा नहीं लिखी गयी हैं तो उपभोक्ता इन सूचनाओं को प्राप्त करने का अधिकार रखता है।

यह अधिकार उपभोक्ताओं को इसलिए दिया गया है ताकि विक्रेता द्वारा धोखा दिया जाने पर उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। अक्टूबर, 2005 में भारत सरकार ने सूचना पाने के अधिकार को एक कानून के रूप में लागू किया। यह अधिकार भारतीय नागरिकों को सरकारी विभागों के कार्यालयों की सभी सूचनाएँ पाने के अधिकार को सुनिश्चित करता है। इसे RTI या सूचना पाने का अधिकार के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 6.
उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि क्षतिपूर्ति निवारण के अधिकार का आप किस प्रकार उपयोग कर सकते हैं?
अथवा
उपभोक्ता अपने ‘क्षतिपूर्ति निवारण के अधिकार’ का उपयोग किस प्रकार कर सकते हैं? उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उपभोक्ता को अनुचित व्यवसाय कार्यों एवं शोषण के विरुद्ध क्षतिपूर्ति माँगने का अधिकार होता है। यदि उपभोक्ता को कोई क्षति पहुँचायी जाती हैं तो उसे हुई क्षति की मात्रा के आधार पर क्षतिपूर्ति प्राप्त करने का अधिकार होता है। इस कार्य को पूर्ण करने के लिए एक सरल व प्रभावी जन-प्रणाली बनाने की आवश्यकता है। उदाहरण-रामप्रसाद ने अपनी पुत्री के विवाह के लिए अपने गाँव एक मनीआर्डर भेजा।

उसकी पुत्री को जब इन पैसों की आवश्यकता थी, तब पैसे पोस्ट ऑफिस में जाकर मनीआर्डर के बारे में पूछताछ की लेकिन वहाँ से उसे कोई 10 सन्तोषप्रद जबाव नहीं मिला। तत्पश्चात् रामप्रसाद अपने जिले की उपभोक्ता अदालत में मुकदमा दर्ज कराते हैं तथा आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करते हैं। उपभोक्ता अदालत ने निर्धारित तिथि को दोनों पक्षों के तर्क सुनकर रामप्रसाद के पक्ष में फैसला देते हैं तथा पोस्ट ऑफिस से मनीआर्डर की राशि मय ब्याज के रामप्रसाद को उपलब्ध करवाते हैं। इस प्रकार हम भी अनुचित व्यवसाय कार्यों के विरुद्ध क्षतिपूर्ति प्राप्त कर सकते हैं।

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प्रश्न 7.
उपभोक्ता संरक्षण परिषद क्या है? ये उपभोक्ताओं के संरक्षण हेतु क्या-क्या सेवाएं प्रदान करते हैं?
उत्तर:
भारत में उपभोक्ता आन्दोलन ने विभिन्न ऐच्छिक संगठनों के निर्माण को प्रेरित किया है। उन्हें सामान्य तथा उपभोक्ता अदालत अथवा उपभोक्ता संरक्षण परिषद के नाम से जाना जाता है।
उपभोक्ता संरक्षण परिषद उपभोक्ताओं को संरक्षण देने के लिए निम्नलिखित सेवाएँ प्रदान करती हैं

  1. ये उपभोक्ताओं को जानकारी देते हैं कि किस प्रकार उपभोक्ता अदालत में मुकदमा दर्ज करायें।
  2. सामान्यतः ये उपभोक्ता अदालत में व्यक्ति विशेष का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।
  3. वें जनता में उपभोक्ता के अधिकारों एवं कर्त्तव्य को प्रति उन्हें जागरूक करने का कार्य करते हैं।

प्रश्न 8.
उपभोक्ता विवादों के निपटारे के लिए स्थापित न्यायिक तंत्र को समझाइए।
अथवा
उपभोक्ता विवादों के निपटारे के लिए त्रिस्तरीय न्यायिक तंत्र किस प्रकार स्थापित किया गया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता विवादों के निपटारे के लिए कोपरा (उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986) के अन्तर्गत जिला, राज्य तथा राष्ट्रीय स्तर पर एक त्रिस्तरीय न्यायिक तंत्र की स्थापना की गई है। जिला स्तर के न्यायालय को जिला केन्द्र भी कहते हैं। यह 20 लाख तक दावों से सम्बन्धित मुकदमों पर विचार करता है।

राज्य स्तरीय अदालत को राज्य आयोग भी कहते हैं। यह 20 लाख से 1 करोड़ तक के विवादों पर विचार करते हैं। राष्ट्रीय स्तर की अदालत को राष्ट्रीय आयोग भी कहते हैं। यह 1 करोड़ से ऊपर की दावेदारियों से सम्बन्धित मुकदमों को देखती है। यदि कोई मुकदमा जिला केन्द्र से खारिज हो जाता है तो उपभोक्ता राज्य आयोग में तथा उसके बाद राष्ट्रीय आयोग में भी अपील कर सकता है।

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प्रश्न 9.
भारत में उपभोक्ता निवारण प्रक्रिया जटिल क्यों होती जा रही है ? कारण दीजिए।
अथवा
भारत में उपभोक्ता शिकायतों की निवारण प्रक्रिया किस प्रकार जटिल, खर्चीली और समयसाध्य साबित हो रही है? कोई तीन कारण स्पष्ट कीजिए।
अथवा
“उपभोक्ता निवारण प्रक्रिया जटिल, खर्चीली और समयसाध्य साबित हो रही है।” इस समस्या के समाधान के लिए किन्हीं तीन कारकों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
उपभोक्ता निवारण प्रक्रिया किस प्रकार जटिल, खर्चीली और समय-साध्य हो रही है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में उपभोक्ता निवारण प्रक्रिया निम्न कारणों में जटिल होती जा रही है

  1. उपभोक्ता निवारण प्रक्रिया खर्चीली एवं समयसाध्य साबित हो रही है।
  2. कई बार उपभोक्ताओं को वकीलों का सहारा लेना पड़ता है। ये मुकदमे अदालती कार्यवाहियों में शामिल होने एवं आगे बढ़ने आदि में बहुत अधिक समय लेते हैं।
  3. अधिकांश क्रेताओं को खरीददारी के समय विक्रेताओं द्वारा रसीद नहीं दी जाती। ऐसी स्थिति में प्रमाण जुटाना, आसान नहीं होता। इसके अतिरिक्त बाजार में अधिकांश खरीदारियाँ छोटी फुटकर दुकानों से होती हैं।
  4. श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए कानूनों के लागू होने के बावजूद विशेषकर असंगठित क्षेत्र में ये कमजोर हैं। इस प्रकार बाजार के कार्य करने के लिए नियमों और विनियमों का प्रायः पालन नहीं होता है।
    पभोक

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में उपभोक्ता संगठनों के प्रारम्भ के लिए उत्तरदायी कारक कौन-कौन से हैं? विस्तारपूर्वक बताइए।
उत्तर:
भारत में उपभोक्ता संगठनों के प्रारम्भ के लिए उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं

  1. भारत में सामाजिक बल के रूप में उपभोक्ता आंदोलन का जन्म अनैतिक एवं अनुचित व्यवसाय कार्यों से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने एवं उन्हें प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के साथ हुआ।
  2. देश में अत्यधिक खाद्य पदार्थों की कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, खाद्य पदार्थों में एवं तेलों में मिलावट के कारण से 1960 के दशक में व्यवस्थित रूप में उपभोक्ता आन्दोलन का जन्म हुआ।
  3. 1970 के दशक तक उपभोक्ता संस्थाएँ वृहत स्तर पर उपभोक्ता अधिकार से सम्बन्धित आलेखों एवं प्रदर्शनों के आयोजन का कार्य करने लगी थीं। उन्होंने सड़क यात्री परिवहन में अत्यधिक भीड़-भाड़ एवं राशन की दुकानों में होने वाले अनुचित कार्यों पर निगरानी रखने के लिए उपभोक्ता दल बनाये।
  4. पिछले कुछ वर्षों से भारत में उपभोक्ता दलों की संख्या में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। ऐसा इसलिए हुआ कि. व्यापारियों द्वारा उपभोक्ताओं के शोषण के अनेक मामले लगातार हमारे समक्ष आते जा रहे हैं।
  5. उपभोक्ता आन्दोलन वृहत स्तर पर उपभोक्ताओं के हितों के खिलाफ एवं अनुचित व्यवसाय शैली को सुधारने के लिए व्यावसायिक कंपनियों एवं सरकार दोनों पर दबाव डालने में सफल हुआ। 1986 में भारत सरकार द्वारा एक बड़ा कदम उठाया गया जिसे उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम, 1986 के नाम से जाना जाता है। 24 दिसम्बर, 1986 को भारत की संसद ने उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम पारित किया जो कोपरा (COPRA) नाम से जाना जाता है।
  6. कोपरा के अन्तर्गत उपभोक्ता विवादों के निपटारे के लिए जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तरों या एक त्रिस्तरीय न्यायिक तंत्र की स्थापना की गयी है।

प्रश्न 2.
क्या कोपरा (उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम) प्रभावकारी हैं? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क कीजिए।
उत्तर:
हाँ, कोपरा प्रभावकारी है। इसके पक्ष में निम्नलिखित तर्क दिये जा सकते हैं

  1. कोपरा (COPRA) अधिनियम ने केन्द्र और राज्य सरकारों में उपभोक्ता मामले के अलग विभागों को स्थापित करने में मुख्य भूमिका अदा की है।
  2. विज्ञापनों के माध्यम से सरकार नागरिकों को उपभोक्ता सुरक्षा सम्बन्धी कानूनी प्रक्रिया के बारे में अवगत कराती है, जिससे नागरिक कानूनों का प्रयोग कर सकें।
  3. जब हम विभिन्न वस्तुएँ और सेवाएँ खरीदते समय, उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों के प्रति सचेत होंगे, तब हम अच्छे और बुरे में फर्क करने तथा श्रेष्ठ का चुनाव करने में सक्षम होंगे। कोपरा के माध्यम से इस प्रकार की जागरूकता का विकास हुआ है।
  4. एक जागरूक उपभोक्ता बनने के लिए निपुणता और ज्ञान प्राप्त करने की जरूरत होती है। हम अपने अधिकारों के प्रति कैसे सजग रहें इसके लिए उपभोक्ता कानून बनाये गये हैं।
  5. कोपरा के माध्यम से विभिन्न उपभोक्ता अदालतों एवं मंचों का गठन किया गया है जिससे उपभोक्ता आसानी से एवं कम खर्च में न्याय प्राप्त कर सकते हैं।
  6. अब उपभोक्ता की तरफ से कोई उपभोक्ता संगठन भी उत्पाद की शिकायत करके क्षतिपूर्ति दिला सकता है।
  7. कोपरा के द्वारा अब उपभोक्ता वस्तु के खराब होने पर आसानी से क्षतिपूर्ति प्राप्त कर सकते हैं।

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प्रश्न 3.
उपभोक्ता का शोषण किस प्रकार किया जाता है? इसकी रोकथाम के लिए सरकार ने क्या किया है?
उत्तर:
बाजार में उपभोक्ताओं का निम्न प्रकार से शोषण किया जाता है

  1. विक्रेता प्रायः वस्तुओं की उचित ढंग से माप-तौल नहीं करते तथा माप-तौल में कमी करते हैं।
  2. कई अवसरों पर विक्रेता ग्राहकों से वस्तुओं के निर्धारित खुदरा मूल्य से अधिक राशि वसूलते हैं।
  3. बाजार में प्रायः घी, खाद्य पदार्थ, मसालों आदि में मिलावट होती है।
  4. कई बार विक्रेता या उत्पादक उपभोक्ताओं को गलत या अधूरी जानकारी देकर धोखे में डाल देते हैं।

उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सरकार द्वारा निर्मित 1986 का उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Consumer Protection Act, COPRA) सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। इसके अन्तर्गत दंड देने के स्थान पर उपभोक्ताओं की क्षतिपर्ति की व्यवस्था की गई है। उपभोक्ताओं की शिकायतों के समाधान अथवा उपभोक्ता-विवादों के निपटारे हेतु सरकार द्वारा उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 में त्रिस्तरीय न्यायिक व्यवस्था है

जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय आयोग, राज्य स्तर पर राज्य आयोग तथा जिला स्तर पर जिला उपभोक्ता मंच (फोरम) की स्थापना की गयी है। यह न्यायिक व्यवस्था उपभोक्ताओं के लिए बहुत ही उपयोगी एवं व्यवहारिक है। इस व्यवस्था से उपभोक्ताओं को त्वरित एवं सस्ता न्याय प्राप्त होता है और समय एवं धन की बचत होती है।

JAC Class 10 Social Science Important Questions

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