JAC Board Class 10th Social Science Notes Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था
→ अन्तरदेशीय उत्पादन
- पिछले कुछ वर्षों से भारतीय बाजार पूर्णतः परिवर्तित हो गया है। अब हमारे उपभोक्ताओं के समक्ष वस्तुओं एवं सेवाओं के विस्तृत विकल्प उपलब्ध हैं।
- बीसवीं शताब्दी के मध्य तक उत्पादन मुख्य रूप से देश की सीमाओं के भीतर तक ही सीमित था।
- भारत जैसे उपनिवेशों से कच्चे माल का विदेशों को निर्यात होता था तथा तैयार माल का आयात होता था।
→ बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ
- बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के उद्भव के पश्चात् व्यापार विश्व स्तर पर होने लगा।
- सामान्यतः बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ उन्हीं स्थानों पर अपने कारखाने स्थापित करती हैं जहाँ उन्हें विभिन्न सुविधाएँ प्राप्त होती हैं, जैसे- बाजार की समीपता, सस्ते श्रम की उपलब्धता आदि।
- बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं का विश्व स्तर पर उत्पादन करने के परिणामस्वरूप उत्पादन प्रक्रिया क्रमशः जटिल ढंग से संगठित हुई है।
- बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा कोई भी निवेश लाभ अर्जित करने की दृष्टि से ही किया जाता है।
- सामान्यत: बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ विश्व के विभिन्न देशों में स्थानीय कम्पनियों को खरीदकर उत्पादन का प्रसार करती हैं।
- अमेरिकी कम्पनी फोर्ड मोटर्स विश्व के 26 देशों में प्रसार के साथ विश्व की सबसे बड़ी मोटरगाड़ी निर्माता कम्पनी है। सन् 1995 में भारत आने वाली फोर्ड मोटर्स ने 1700 करोड़ रुपए का निवेश चेन्नई के समीप एक विशाल संयंत्र की स्थापना की। यह संयंत्र महिन्द्रा एण्ड महिन्द्रा (भारत में जीपों व ट्रकों की प्रमुख निर्माता कम्पनी) के सहयोग से पित
किया।
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→ विदेशी व्यापार
- बहुत लम्बे समय से विदेश व्यापार विभिन्न देशों को आपस में जोड़ने या एकीकरण करने का एक माध्यम रहा है।
- विदेश व्यापार अपने देश के बाजारों से बाहर के बाजारों में पहुँचने के लिए उत्पादकों को एक अवसर प्रदान करता है।
- विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजार को जोड़ने या एकीकरण करने में एक सहायक का कार्य करता है।
- अधिकांश बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के क्रियाकलापों में वस्तुओं एवं सेवाओं का वृहत स्तर पर व्यापार सम्मिलित होता है।
→ वैश्वीकरण
- विभिन्न देशों के मध्य परस्पर सम्बन्ध तथा तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया को ही वैश्वीकरण कहा जाता है।
- आज विश्व के विभिन्न देशों के मध्य अधिक से अधिक वस्तुओं और सेवाओं, निवेश एवं प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान हो रहा है। लोगों का आवागमन भी विभिन्न देशों को आपस में जोड़ने का एक माध्यम है।
- वैश्वीकरण की प्रक्रिया को उत्प्रेरित करने वाला मुख्य कारक प्रौद्योगिकी में तीव्र उन्नति है। इससे लम्बी दूरियों तक वस्तुओं की तीव्रतर आपूर्ति कम लागत पर सम्भव हुई है।
- सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के विकास से भी विश्व स्तर पर व्यापार में वृद्धि हुई है।
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→ विदेशी व्यापार व विदेशी निवेश का उदारीकरण
- आयात पर कर, व्यापार अवरोधक का एक उदाहरण हैं क्योंकि यह कुछ प्रतिबन्ध लगाता है।
- भारत सरकार द्वारा सन् 1991 से विदेश व्यापार व विदेशी निवेश पर से अधिकांश अवरोधों को हटा दिया गया है।
- सरकार द्वारा अवरोधों या प्रतिबन्धों को हटाने की प्रक्रिया को उदारीकरण कहा जाता है।
- विश्व व्यापार संगठन एक ऐसा संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के तौर-तरीकों को सरल बनाना है। यह अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से सम्बन्धित नियमों को निर्धारित करता है।
- भारत सरकार व राज्य सरकारें विदेशी निवेश को आकर्षित करने हेतु अनेक कदम उठा रही हैं।
- वैश्वीकरण से सभी उपभोक्ता, कुशल, शिक्षित एवं धंनी उत्पादक ही लाभान्वित हुए हैं परन्तु बढ़ती हुई प्रतियोगिता से अनेक छोटे उत्पादक एवं श्रमिक प्रभावित हुए हैं।
- वैश्वीकरण के कारण टाटा मोटर्स, इंफोसिस (आईटी), रैनबैक्सी (दवाइयाँ), एशियन पेंट्स (पेंट) तथा सुंदरम फास्नर्स (नट व बोल्ट) जैसी कुछ भारतीय कम्पनियाँ बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के रूप में उभरी हैं।
- न्यायसंगत वैश्वीकरण सभी के लिए अवसरों का सृजन करेगा एवं यह भी सुनिश्चित करेगा कि वैश्वीकरण के लाभों में सभी की बेहतर हिस्सेदारी हो।
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→ प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली
1. बहुराष्ट्रीय कम्पनी: वह कम्पनी जो एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियन्त्रण अथवा स्वामित्व रखती है।
2. निवेश: परिसम्पतियों, जैसे-भूमि, भवन, मशीन व अन्य उपकरणों की खरीद में व्यय की गई मुद्रा को निवेश कहते हैं।
3. विदेशी निवेश: बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा किया गया निवेश विदेशी निवेश कहलाता है।
4. विदेशी व्यापार: दो या दो से अधिक देशों के मध्य वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान विदेशी व्यापार कहलाता है।
5. वैश्वीकरण: अपनी अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना वैश्वीकरण कहलाता है।
6. व्यापार: अवरोधक विदेशों से होने वाले आयात पर लगने वाले प्रतिबन्ध।
7. उदारीकरण: सरकार द्वारा अवरोधों अथवा प्रतिबन्धों को हटाने की प्रक्रिया।
8. कोटा: सरकार द्वारा आयात की जाने वाली वस्तुओं की संख्या को सीमित करना ‘कोटा’ कहलाता है।
9. विश्व व्यापार संगठन: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से सम्बन्धित नियमों को निर्धारित करने वाला अन्तर्राष्ट्रीय संगठन।