JAC Board Class 10th Social Science Notes History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया
→ मुद्रित का महत्व्
- मुद्रित अर्थात् छपी हुई सामग्री के बिना विश्व की कल्पना करना हमारे लिए मुश्किल है।
- छपाई अर्थात् मुद्रण की सबसे पहली तकनीक चीन, जापान और कोरिया में विकसित हुई।
- लगभग 594 ई. से चीन में स्याही लगे काठ के ब्लॉक या तख्ती पर कागज को रगड़कर किताबों को छापा जाने लगा था।
- एक लम्बे समय तक चीनी राजतन्त्र मुद्रित सामग्री का सबसे बड़ा उत्पादक रहा है।
- जापान में सर्वप्रथम चीनी बौद्ध प्रचारक 768-770 ई. के आस-पास छपाई की तकनीक को लाये थे।
- 868 ई. में छपी ‘डायमंड सूत्र’ जापान की सबसे प्राचीन पुस्तक है।
- 13वीं सदी के मध्य में, ‘त्रिपीटका कोरियाना’ वुडब्लॉक्स मुद्रण के रूप में बौद्ध ग्रंथों का कोरियाई संग्रह है जिसे लगभग 80,000 वुडब्लॉक्स पर उकेरा गया। 2007 में इन ग्रंथों को यूनेस्को ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में दर्ज किया गया।
- 1753 ई. में एदो (टोक्यो) में जन्मे कितागावा उतामारो ने उकियो (तैरती दुनिया के चित्र) नामक एक नयी चित्रशैली को जन्म दिया।
→ यूरोप में मुद्रण:
- 11वीं शताब्दी में रेशम मार्ग से चीनी कागज यूरोप पहुँचा।
- 1295 ई. में मार्कोपोलो (महान खोजी यात्री) चीन में लम्बे समय तक रहने के बाद अपने साथ वहाँ से वुडब्लॉक वाली छपाई की तकनीक लेकर इटली वापस आया।
- पुस्तकों की माँग बढ़ने के साथ-साथ यूरोप के पुस्तक विक्रेता समस्त विश्व में इनका निर्यात करने लगे।
- गुटेनबर्ग ने जैतून प्रेस का आविष्कार किया। यही जैतून प्रेस ही प्रिंटिंग प्रेस का मॉडल या आदर्श बना।
- गुटेनबर्ग ने अपनी जैतून प्रेस से सर्वप्रथम बाईबिल छापी। इनके द्वारा निर्मित प्रेस को मुवेबल टाइप प्रिंटिंग मशीन के नाम से जाना गया।
- 1450-1550 ई. के मध्य यूरोप के अधिकांश देशों में छापेखाने लग गए थे।
- छापेखाने के आविष्कार से एक नये पाठक वर्ग का जन्म हुआ।
- पुस्तकों तक पहुँच आसान हो जाने से पढ़ने की एक नयी संस्कृति का विकास हुआ।
→ धार्मिक विवाद व मुद्रण
- छापेखाने के आविष्कार से लोगों के विचारों के आदान-प्रदान का रास्ता खुला। अब लोग शासन के विचारों से असहमति व्यक्त करते हुए अपने विचारों को छापकर जनता में प्रचारित कर सकते थे।
- प्रसिद्ध धर्म सुधारक मार्टिन लूथर किंग ने रोमन कैथोलिक चर्च की कुरीतियों की आलोचना की तथा पिच्चानवेस्थापनाओं का लेखन किया।
- लूथर ने मुद्रण के विषय में कहा, “मुद्रण ईश्वर की दी हुई महानतम देन है, सबसे बड़ा तोहफा।”
→ मुद्रण और प्रतिरोध
- मुद्रित साहित्य के बल पर कम शिक्षित लोग धर्म की भिन्न-भिन्न व्याख्याओं से परिचित हुए।
- 17वीं व 18वीं शताब्दी के दौरान यूरोप में साक्षरता में तेजी से वृद्धि हुई।
- यूरोप में विभिन्न सम्प्रदायों के चर्चों ने गाँवों में विद्यालयों की स्थापना की तथा उनमें किसानों व कारीगरों को शिक्षा प्रदान की जाने लगी। 18वीं शताब्दी के प्रारम्भ में यूरोप में पत्रिकाओं का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ जिनमें समसामयिक घटनाओं की सूचना के साथ-साथ मनोरंजन भी होता था।
- 18वीं शताब्दी के मध्य तक लोगों को यह विश्वास हो चुका था कि पुस्तकों के माध्यम से प्रगति संभव है। किताबें ही निरंकुशवाद व आतंकी राजसत्ता से मुक्ति दिला सकती हैं। • 18वीं शताब्दी में फ्रांसीसी उपन्यासकार लुई सेबेस्तिएँ मर्सिए ने घोषणा की, “छापाखाना प्रगति का सबसे ताकतवर औजार है, इससे बन रही जनमत की आँधी में निरंकुशवाद उड़ जाएगा।”
→ मुद्रण संस्कृति और फ्रांसीसी क्रांति
- कई इतिहासकारों का मत है कि फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण मुद्रण संस्कृति ने ही किया था।
- 1780 ई. के दशक तक राजशाही और उसकी नैतिकता का मखौल उड़ाने वाले साहित्य का बहुत अधिक लेखन हो चुका था।
- 19वीं सदी के अन्त में यूरोप में प्राथमिक शिक्षा की अनिवार्यता ने पाठ्य-पुस्तकों के प्रकाशन को बढ़ावा दिया।
- फ्रांस में मात्र बाल पुस्तकें छापने के लिए एक प्रेस अथवा मुद्रणालय स्थापित किया गया।
- 19वीं शताब्दी में उपन्यास छपने शुरू हुए तो महिलाएँ उनकी अहम पाठक मानी गईं।
- जेन ऑस्टिन, ब्रॉण्ट बहनें व जॉर्ज इलियट आदि प्रसिद्ध अग्रणी लेखिकाएँ थीं।
→ तकनीकी परिष्कार व मुद्रण
- 18वीं शताब्दी के आखिर तक प्रेस धातु से बनने लगे थे।
- 17वीं सदी से ही किराए पर पुस्तकें देने वाले पुस्तकालय अस्तित्व में आ चुके थे।
- 19वीं शताब्दी के मध्य तक न्यूयॉर्क के रिचर्ड एम. हो. ने शक्ति चालित बेलनाकार प्रेस का निर्माण किया।
- 19वीं सदी में ही पत्रिकाओं ने उपन्यासों को धारावाहिक के रूप में छापकर लिखने की एक विशेष शैली को जन्म दिया।
→ भारत का मुद्रण संसार
- भारत में प्राचीन काल से ही संस्कृत, अरबी, फारसी और विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में हस्तलिखित पांडुलिपियों की प्राचीन एवं समृद्ध परम्परा थी।
- पाण्डुलिपियाँ ताड़ के पत्तों या हाथ से बने कागज पर नकल कर बनायी जाती थीं।
- भारत में सर्वप्रथम प्रिंटिंग प्रेस गोवा में पुर्तगाली धर्म प्रचारकों के साथ आया था।
- कैथोलिक पुजारियों ने सर्वप्रथम 1579 ई. में कोचीन में प्रथम तमिल पुस्तक तथा 1713 ई. में मलयालम पुस्तक छापी।
- ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने 17वीं शताब्दी के अंत तक छापेखाने का आयात करना प्रारम्भ कर दिया।
- जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने 1780 ई. में ‘बंगाल गजट’ नामक एक साप्ताहिक पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया।
- 19वीं सदी में भारत में अलग-अलग समूह औपनिवेशिक समाज में हो रहे परिवर्तनों से जूझते हुए धर्म की अपने-अपने अनुसार व्याख्या प्रस्तुत कर रहे थे।
→ धार्मिक सुधार पर मुद्रण का प्रभाव
- 16वीं शताब्दी की प्रसिद्ध पुस्तक ‘तुलसीदास कृत रामचरितमानस’ का प्रथम मुद्रित संस्करण 1810 ई. में कलकत्ता से प्रकाशित हुआ।
- 1870 ई. के दशक तक पत्र-पत्रिकाओं में सामाजिक व राजनीतिक विषयों पर टिप्पणी करते हुए कैरिकेचर व कार्टून प्रकाशित होने लगे।
- भारत में महिलाओं की जिन्दगी व उनकी भावनाओं पर भी सामग्री का प्रकाशन होना प्रारम्भ हुआ।
- हिन्दी भाषा में छपाई की शुरुआत 1870 ई. के दशक में हुई।
→ महिलाएँ और मुद्रण तथा जनता
- 20वीं शताब्दी के आरम्भ में महिलाओं के लिए मुद्रित तथा कभी-कभी उनके द्वारा सम्पादित पत्रिकाएँ लोकप्रिय हो गयीं।
- 19वीं सदी में भारत में निर्धन वर्ग भी बाजार से पुस्तकें खरीदने की स्थिति में आ गया था।
- 20वीं शताब्दी में भारत में सार्वजनिक पुस्तकालय खुलने लगे जिससे किताबों तक लोगों की पहुँच में वृद्धि हुई।
- 1820 ई. के दशक में कलकत्ता सर्वोच्च न्यायालय ने प्रेस की स्वतन्त्रता को नियन्त्रित करने वाले कुछ कानून पास किए तथा कम्पनी ने ब्रिटिश शासन का उत्सव मनाने वाले अखबारों के प्रकाशन को प्रोत्साहन देना प्रारम्भ किया।
- 1857 ई. की क्रान्ति के पश्चात् प्रेस की स्वतन्त्रता के प्रति रवैया बदल गया तथा नाराज अंग्रेजों ने देसी प्रेस को बन्द करने की माँग की।
- 1878 ई. में आयरिश प्रेस कानून की तरह वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट भारत में लागू किया गया।
→ महत्त्वपूर्ण तिथियां व घटनाएं
तिथि | चीन में स्याही लगे काठ के ब्लॉक या तखी पर कागज को रगड़कर किताबें छपना प्रारम्भ हुआ। |
1. सन् 594 ई. | इस अवधि के दौरान चीनी बौद्ध प्रचारक छपाई की तकनीक लेकर जापान गये। |
2. सन् 768-770 ई. | जापान की सबसे पुरानी पुस्तक ‘डायमण्ड सूत्र’ का प्रकाशन। इस पुस्तक में पाठ के साथ-साथ काष्ठ पर चित्र खुदे थे। |
3. सन् 868 ई. | मार्कोपोलो नामक महान खोजी यात्री चीन में कई वर्ष खोज करने के पश्चात् इटली वापस लौटा। |
4. सन् 1295 ई. | स्ट्रॉसबर्ग के योहान गुटेनबर्ग ने जैतून प्रेस का आविष्कार किया। इस मशीन के द्वारा उन्होंने सर्वप्रथम बाईबिल पुस्तक छापी। इस मशीन को मूवेबल टाइप प्रिटिंग प्रेस भी कहा जाता था। |
5. सन् 1448 ई. | रोमन चर्च द्वारा प्रतिबन्ध्रित पुस्तकों की सूची रखना प्रारम्भ हुआ। |
6. सन् 1558 ई. | कैथोलिक पुजारियों ने कोचीन में प्रथम तमिल पुस्तक का प्रकाशन किया। |
7. सन् 1579 ई. | कैथोलिक पुजारियों ने प्रथम मलयालम पुस्तक का प्रकाशन किया। |
8. सन् 1713 ई. | एदो में कितागावा उतामारो का जंन्म। इन्होंने उकियो (तैरती दुनिया के चित्र) नामक एक नयी चित्र शैली को जन्म दिया। |
9. सन् 1753 ई. | 1780 ई. के दशक तक राजशाही व उसकी नैंतिकता का मजाक उड़ाने वाले साहित्य का पर्याप्त लेखन हो चुका था। |
10. सन् 1780 ई. | जेम्स ऑगस्टस हिक्की द्वारा बंगाल गजट, नामक एक साप्ताहिक पत्रिका का सम्पादन किया गया। |
11. सन् 1810 ई. | तुलसीदास कृत रामचरितमानस का पहला मुद्रित संस्करण कलकत्ता से प्रकाशित। |
12. सन् 1821 ई. | राजा राममोहन राय द्वारा संवाद कौमुदी का प्रकाशन। |
13. सन् 1857 ई. | भारत में प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम। |
14. सन् 1867 ई. | देवबन्द मिशनरी की स्थापना जिसने मुसलमान पाठकों को रोजमर्रा का जीवन जीने का तरीका एवं सिद्धान्त बताने वाले विभिन्न फतवे जारी किये। |
15. सन् 1878 ई. | भारत में आयरिश प्रेस कानून की तर्ज पर वर्नाक्यूलर एक्ट लागू किया गया। |
16. सन् 1907 ई. | ब्रिटिश सरकार द्वारा पंजाब के क्रान्तिकारियों को कालापानी भेजा गया। |
17. सन् 1908 ई. | पंजाब के क्रान्तिकारियों को कालापानी भेजने का अपने पत्र ‘केसरी’ में विरोध करने पर बाल गंगाधर तिलक को अंग्रेजी सरकार द्वारा कैद कर लिया गया। |
18. सन् 1919 ई. | रॉलेट एक्ट के अधीन कार्यरत षड्यन्त्र समिति ने विभिन्न समाचार-पत्रों के विरुद्ध जुर्माना आदि कार्यवाहियों को और अधिक कठोर बना दिया। |
19. सन् 1920 ई. | इ दशक में हॉलैण्ड-इंग्लैण्ड में लोकप्रिय पुस्तकों की एक सस्ती भृंखला-शिलिंग श्रृंखला के तहत छापी गई। |
20. सन् 1930 ई. | आर्थिक मन्दी के कारण प्रकाशकों में पुस्तकों की बिक्री गिरने का भय व्याप्त। |
21. सन् 1938 ई. | कानपुर के मिल मजदर काशीबाबा ने छोटे-बडे सवाल लिखकर और छापकर जातीय तथा वर्गीय शोषण के मध्य का रिश्ता समझाने का त्रयास किया। |
→ प्रमुख पारिभाषिक शब्दावली
1. खुशनवीसी: सुलेखन। सुन्दर एवं कलात्मक लेखन कला को खुशनवीसी (सुलेखन) कहा जाता है।
2. वेलम: चर्मपत्र अथवा जानवरों के चमड़े से बनी लेखन की सतह को वेलम कहा जाता है।
3. गाथा गीत: लोकगीत का ऐतिहासिक आख्यान जिसे गाया या सुनाया जाता है।
4. कम्पोजीटर: छपाई के लिए इबारत कम्पोज करने वाला व्यक्ति कम्पोजीटर कहलाता है।
5. गैली: वह धात्विक फ्रेम जिसमें टाइप बिछाकर इबारत बनायी जाती थी।
6. शराबघर: वह स्थान जहाँ व्यक्ति शराब पीने, कुछ खाने व मित्रों से मिलने व विचार-विमर्श के लिए आते थे।
7. प्लाटेन: लेटर प्रेस छपाई में प्लाटेन एक बोर्ड होता है जिसे कागज के पीछे दबाकर टाइप की छाप प्राप्त की जाती थी। पहले यह बोर्ड काठ का होता था, बाद में यह इस्पात का बनने लगा।
8. प्रोटेस्टेंट धर्म सुधार: 16वीं शताब्दी में यूरोप में रोमन कैथोलिक चर्च में सुधार का आन्दोलन। इस आन्दोलन से कैथोलिक ईसाई मत के विरोध में कई धाराएँ निकलीं। मार्टिन लूथर किंग प्रोटेस्टेंट सुधारकों में से एक थे।
9. धर्म विरोधी: इन्सान अथवा विचार जो चर्च की मान्यताओं से असहमत हों। मध्य काल में चर्च विधर्मियों अथवा धर्म द्रोह के प्रति कठोर था। उसे लगता था कि लोगों की आस्था, उनके विश्वास पर मात्र उसका अधिकार है जहाँ उसकी बात ही अन्तिम है।
10. इन्कवीजीशन: इसे धर्म अदालत भी कहते हैं। विधर्मियों की पहचान करने एवं दण्ड देने वाली रोमन कैथोलिक संस्था।
11. पंचांग: सूर्य व चन्द्रमा की गति, ज्वार-भाटा के समय और लोगों के दैनिक जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ देने वाला वार्षिक प्रकाशन पंचांग कहलाता है।
12. सम्प्रदाय: किसी धर्म का एक उपसमूह सम्प्रदाय कहलाता है।
13. चेयबुक (गुटका): पॉकेट बुक के आकार की पुस्तकों के लिए प्रयोग किया जाने वाला शब्द। सामान्यतया इन्हें फेरीवाले बेचते थे। ये गुटका सोलहवीं सदी की मुद्रण क्रान्ति के समय से बहुत अधिक लोकप्रिय हुआ।
14. उलेमा: इस्लामी कानून व शरियत के विद्वान।
15. निरंकुशवाद: शासन संचालन की एक ऐसी व्यवस्था जिसमें किसी एक व्यक्ति को सम्पूर्ण शक्ति प्राप्त हो तथा उस पर न संवैधानिक पाबन्दी लगी हो और न ही कानूनी पाबन्दी।
16. फतवा: अनिश्चय अथवा असमंजस की स्थिति में इस्लामी कानून को जानने वाले विद्वान, सामान्यतया मुफ्ती के द्वारा की जाने वाली वैधानिक घोषणा।
17. बिब्लियोथीक ब्ल्यू: फ्रांस में छपने वाली सस्तो मूल्य को छोटी पुस्तकें। इनकी छपाई घटिया कागज पर होती थी तथा ये पुस्तकें नीली जिल्द में बँधी होतीगीं।