JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

JAC Board Class 10th Social Science Solutions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

JAC Class 10th History यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय Textbook Questions and Answers

संक्षेप में लिखें

प्रश्न 1.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए
(क) ज्युसेपे मेत्सिनी
(ख) काउंट कैमिलो द कावूर
(ग) यूनानी स्वतन्त्रता युद्ध
(घ) फ्रैंकफर्ट संसद
(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका।
उत्तर:
(क) ज्युसेपे मेत्सिनी-ज्युसेपे मेत्सिनी इटली का एक युवा क्रान्तिकारी था। इसका जन्म सन् 1807 को जेनोआ में हुआ था। देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर वह कार्बोनारी के गुप्त संगठन का सदस्य बन गया। 24 वर्ष की आयु में लिगुरिया में क्रान्ति करने के कारण उसे बहिष्कृत कर दिया गया। इसके पश्चात् मेत्सिनी ने मार्सेई में यंग इटली एवं बर्न में ‘यंग यूरोप’ नामक दो भूमिगत संगठनों की स्थापना की जिसके सदस्य पोलैण्ड, फ्रांस, इटली एवं जर्मनी आदि राज्यों में समान विचार रखने वाले युवा थे।

मेत्सिनी का विश्वास था कि ईश्वर की इच्छा के अनुसार राष्ट्र ही मनुष्यों की प्राकृतिक इकाई थी। अतः इटली छोटे राज्यों की तरह नहीं रह सकता। उसे जोड़कर राष्ट्रों के व्यापक गठबंधन के अन्दर एकीकृत गणतन्त्र बनाना ही था। यह एकीकरण ही इटली की मुक्ति का आधार हो सकता है। मेत्सिनी ने राजतन्त्र का घोर विरोध करके एवं प्रजातान्त्रिक गणतन्त्रों के अपने स्वप्न से रूढ़िवादियों को पराजित कर दिया।

(ख) काउंट कैमिलो द कावूर-काउंट कैमिलो द कावूर इटली के सार्डीनिया-पीडमॉण्ट राज्य का प्रमुख मंत्री था। वह न तो एक क्रांतिकारी था और न ही जनतंत्र में विश्वास रखने वाला व्यक्ति था। वह इटली के उच्च धनी एवं शिक्षित सदस्यों की भाँति इतालवी की अपेक्षा फ्रेंच भाषा को अच्छे तरीके से बोलने वाला था।

कावूर के प्रयत्नों से फ्रांस और सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के बीच एक कूटनीतिक संधि हुई थी। फ्रांस से उसके घनिष्ठ सम्बन्ध थे जिसकी सहायता से सार्डिनिया-पीडमॉण्ट ने सन् 1859 में ऑस्ट्रिया को पराजित कर दिया था। इसने इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आंदोलन का नेतृत्व किया।

(ग) यूनानी स्वतन्त्रता युद्ध-यूरोप में उदारवाद एवं राष्ट्रवाद के विकास के साथ क्रान्तियों का युग प्रारम्भ हुआ। 19वीं शताब्दी में यूनान का स्वतन्त्रता संग्राम भी राष्ट्रवादी भावना से प्रेरित था। यूनान के स्वतन्त्रता संग्राम ने यूरोप के शिक्षित अभिजात वर्ग में राष्ट्रीय भावनाओं का संचार किया। 15वीं शताब्दी से ही यूनान पर ऑटोमन साम्राज्य का शासन था। यूरोप महाद्वीप में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति से यूनान के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ।

इसके परिणामस्वरूप सन् 1821 में यूनान की स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष प्रारम्भ हो गया। यूनान से राष्ट्रवादी नेताओं को निष्कासित कर दिया गया। यूनानवासियों को पश्चिमी यूरोपीय देशों के साथ-साथ अन्य यूरोपीय देशों में रहने वाले निष्कासित यूनानियों का भी समर्थन प्राप्त हुआ क्योंकि वे लोग प्राचीन यूनानी संस्कृति के प्रति सहानुभूति रखते थे। कवियों और कलाकारों ने भी यूनान को यूरोपीय सभ्यता का पालना बताकर उसकी मुक्त कंठ से प्रशंसा की तथा ऑटोमन साम्राज्य के विरुद्ध यूनानी संघर्ष के लिए जनमत जुटाया।

अंग्रेज कवि लॉर्ड बायरन ने धन एकत्रित किया और बाद में युद्ध में भी सम्मिलित हुए लेकिन दुर्भाग्यवश सन् 1824 में बुखार से उनकी मृत्यु हो गयी। अतः सन् 1832 में कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतन्त्र राष्ट्र की मान्यता दी। इस तरह यूनान का स्वतन्त्रता संग्राम पूर्ण हुआ।

(घ) फ्रैंकफर्ट संसद-जर्मनी में राष्ट्रवादी नेताओं व राजनैतिक संगठनों द्वारा फ्रैंकफर्ट शहर में एक सर्व जर्मन नेशनल एसेंबली की स्थापना करने का निश्चय किया गया। यह फ्रैंकफर्ट संसद के नाम से जाना जाता है। इसके सदस्यों का चुनाव मताधिकार के द्वारा किया गया। इस संसद का प्रथम अधिवेशन 18 मई, 1848 में आयोजित किया गया। इसमें 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह संसद सेंट पाल चर्च में आयोजित की गई। इस अधिवेशन में जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविदा।

का प्रारूप तैयार किया गया। जर्मन राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गयी जिसे संसद के अधीन रहना था। फ्रैंकफर्ट संसद के प्रतिनिधियों ने प्रशा के राजा फ्रेड्रिक विल्हेम चतुर्थ को जर्मन राष्ट्र का राजा नियुक्त किया। उसने एकीकृत जर्मन राष्ट्र का राजा बनना अस्वीकार कर दिया तथा उसने निर्वाचित सभा के विरोधी राजाओं का साथ दिया। इस प्रकार कुलीन वर्ग एवं सेना का विरोध बढ़ गया और संसद का सामाजिक महत्व कमजोर हो गया।

संसद में मध्यम वर्गों का अधिक प्रभाव था जिन्होंने मजदूरों व कारीगरों की मांगों का विरोध किया। इससे वे मजदूरों का समर्थन खो बैठे। अन्त में सैनिकों को बुलाया गया तथा एसेंबली को भंग कर दिया गया। यद्यपि फ्रैंकफर्ट संसद जर्मनी को एकीकृत करने में असफल रही परन्तु इसने जर्मनी में दूरगामी प्रभाव छोड़े।

(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिका-राष्ट्रवादी संघर्षों में सम्पूर्ण विश्व की महिलाओं ने बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की। राष्ट्रवादी आन्दोलन के अन्तर्गत महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने का मुद्दा विवाद का विषय बन चुका था। यद्यपि राष्ट्रवादी आन्दोलनों में बहुत पहले से ही बड़ी संख्या में महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया था।

महिलाओं ने अपने राजनीतिक संगठन तैयार किये, समाचार-पत्र शुरू किये तथा राजनैतिक बैठकों व प्रदर्शनों में भाग लिया लेकिन इसके बावजूद वे राजनीतिक अधिकारों से वंचित थीं। उन्हें एसेम्बली के चुनाव के दौरान मताधिकार से वंचित रखा गया। 1848 ई. में जर्मनी के सेंट पॉल चर्च में जब फ्रैंकफर्ट संसद की सभा आयोजित की गयी थी तब महिलाओं को केवल प्रेक्षकों की हैसियत से दर्शक-दीर्घा में खड़े होने की अनुमति प्रदान की गयी।

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प्रश्न 2.
फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने क्या कदम उठाए ?
अथवा
फ्रांसीसियों द्वारा उपनिवेशों के विकास हेतु किये गये कार्यों का वर्णन कीजिए। (मा.शि.बो. राज., 2013)
अथवा
फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों द्वारा फ्रांसीसी लोगों में एक सामूहिक पहचान की भावना पैदा करने के लिए प्रारम्भ किए गए किन्हीं पाँच उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने निम्नलिखित कदम उठाये

  1. उन्होंने पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों पर बल दिया।
  2. इन विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया जिसे एक संविधान के अन्तर्गत समान अधिकार प्राप्त थे।
  3. उन्होंने एक नया फ्रांसीसी झंडा-तिरंगा चुना, जिसने पहले के राष्ट्रध्वज का स्थान ले लिया।
  4. उन्होंने एस्टेट जनरल का चुनाव सक्रिय नागरिक समूहों द्वारा करवाया तथा उसका नाम बदलकर नेशनल एसेम्बली कर दिया गया।
  5. उन्होंने नयी स्तुतियाँ रची, शपथें ली, शहीदों का गुणगान किया और यह सब राष्ट्र के नाम पर हुआ।
  6. उन्होंने एक केन्द्रीय प्रशासनिक व्यवस्था लागू की जिसने अपने भू-भाग में रहने वाले समस्त नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाये।
  7. उन्होंने आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिये तथा भार व नाप की एक समान व्यवस्था लागू की।
  8. उन्होंने क्षेत्रीय बोलियों के स्थान पर फ्रेंच भाषा को ही राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित किया।
  9. फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों ने यह भी घोषणा की कि फ्रांसीसी राष्ट्र का यह भाग्य और लक्ष्य है कि वह यूरोप के लोगों को निरंकुश शासकों से मुक्त कराये अर्थात् फ्रांस, यूरोप के अन्य लोगों को राष्ट्र के गठित होने में मदद देगा।

प्रश्न 3.
मारीआन और जर्मेनिया कौन थे ? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्त्व शा ?
अथवा
मारीआन और जर्मेनिया कौन थे? नारी रूपकों की यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में क्या भूमिका थी?
उत्तर:
मारीआन-मारीआन फ्रांस राष्ट्र का नारी का प्रतीक रूपक था। फ्रांसीसी क्रान्ति के दौरान कलाकारों ने स्वतन्त्रता, न्याय एवं गणतन्त्र जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए नारी रूपकों का प्रयोग किया। फ्रांस में इसे लोकप्रिय ईसाई नाम ‘मारीआन’ दिया गया जिसने जन राष्ट्र के विचारों को रेखांकित किया।

उसके चिह्न भी स्वतन्त्रता एवं गणतन्त्र के थे-लाल टोपी, तिरंगा व कलगी। फ्रांस में मारीआन की प्रतिमाएँ सार्वजनिक चौराहों पर लगायी गयीं ताकि जनता को एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद रहे तथा लोगों का विश्वास बना रहे। इसके अतिरिक्त मारीआन की छवि डाक टिकटों एवं सिक्कों पर अंकित की गयी। जर्मेनिया-जर्मेनिया जर्मन राष्ट्र का नारी प्रतीक रूपक था।

चाक्षुष अभिव्यक्तियों में जर्मेनिया बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है। जर्मेनिया की तलवार पर ‘जर्मन तलवार, जर्मन राइन की रक्षा करती है’, अंकित है। इस प्रकार नारी रूप में जर्मेनिया की तस्वीर स्वतन्त्रता, न्याय तथा गणतन्त्र जैसे विचारों को प्रतीकात्मक रूप में व्यक्त करती है। मारीआन व जर्मेनिया को इस प्रकार चित्रित किया गया था कि वे राष्ट्र राज्य के विचार को प्रदर्शित करते थी। वे इस तरह अपने देश का प्रतिनिधित्व करते थे मानो न एक व्यक्ति में। इन्होंने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया।

प्रश्न 4.
जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएँ।
अथवा
जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का विवरण निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है-

  1. जर्मन लोगों में सन् 1848 से पहले ही राष्ट्रीयता की भावना जाग्रत हो चुकी थी। राष्ट्रीयता की सहभावना मध्यम वर्ग के जर्मन लोगों में बहुत अधिक थी।
  2. मध्यम वर्ग ने सन् 1848 में जर्मन महासंघ के विभिन्न क्षेत्रों को जोड़कर एक निर्वाचित संसद द्वारा शासित राष्ट्र राज्य बनाने का प्रयास किया गया था।
  3. राष्ट्र निर्माण की इस उदारवादी विचारधारा को राजशाही तथा सेवा ने मिलकर समाप्त कर दिया। इन ताकतों का प्रशा के बड़े भूस्वामियों ने भी समर्थन किया।
  4. प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के इस आंदोलन का नेतृत्व सँभाला तथा इसे एक नई दिशा प्रदान की।
  5. प्रशां का प्रमुख मंत्री ऑटो वॉन बिस्मार्क इस प्रक्रिया का जनक था जिसने प्रशा की सेना तथा नौकरशाही की सहायता ली।
  6. सात वर्ष में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क तथा फ्रांस से तीन युद्धों में प्रशा को विजय प्राप्त हुई।
  7. 18 जनवरी, 1871 को वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया। इस तरह जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया पूर्ण हुई।

प्रश्न 5.
अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए ?
अथवा
नेपोलियन की संहिता को फ्रांसीसी नियंत्रण के अधीन क्षेत्रों में किस प्रकार लागू किया गया? उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने निम्नलिखित बदलाव किए:

  1. नेपोलियन ने प्रशासनिक तंत्र में क्रान्तिकारी सिद्धान्तों का समावेश कर उसे अधिक तर्कसम्मत और प्रभावी बनाया।
  2. उसने सन् 1804 में एक नागरिक संहिता (नेपोलियन संहिता या नेपोलियन कोड) बनाई। उसने जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए थे।
  3. उसने कानून के समक्ष समानता एवं सम्पत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।
  4. उसने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया, सामंती व्यवस्था को खत्म किया तथा किसानों को भू-दासत्व एवं जागीरदारी शुल्कों से मुक्ति दिलवायी।
  5. उसने शहरों में भी कारीगरों के श्रेणी संघों के नियन्त्रणों को हटा दिया था।
  6. यातायात व संचार व्यवस्थाओं में सुधार किये।
  7. एक समान कानून व्यवस्था एवं माप तौल की एक जैसी प्रणाली लागू की।
  8. सम्पूर्ण देश में एक राष्ट्रीय मुद्रा प्रचलित की गई।

चर्चा करें

प्रश्न 1.
उदारवादियों की 1848 की क्रान्ति का क्या अर्थ लगाया जाता है ? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया ?
अथवा
उदारवाद क्या है ? उदारवादियों की 1848 की क्रान्ति ने विश्व में किन विचारों को बढ़ावा दिया ?
अथवा
19वीं शताब्दी के दौरान यूरोप में आर्थिक क्षेत्र में ‘उदारवाद’ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
उदारवाद से आशय-उदारवाद यानि Liberalism शब्द लैटिन भाषा के मूल liber पर आधारित है जिसका अर्थ है। ‘आजाद’। यूरोप में 19वीं शताब्दी में मध्य वर्ग के लोगों एवं बुद्धिजीवियों द्वारा प्रोत्साहित वह विचारधारा, जिसमें उनको राजनीतिक एवं आर्थिक क्षेत्र में अधिकाधिक अवसर प्राप्त हुए तथा उनकी हिस्सेदारी को महत्व प्रदान किया गया, उदारवाद कहलाया।

उदारवादियों की 1848 की क्रान्ति का अर्थ था-राजतंत्र का अन्त तथा गणतंत्र की स्थापना। वे स्वतन्त्र राष्ट्र-राज्य की स्थापना करना चाहते थे जहाँ क्रान्ति की स्वतन्त्रता एवं सभी लोगों के लिए समान कानून तथा स्वतन्त्रता हो। उदारवादियों ने निम्नलिखित राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया

  1. सन् 1848 में खाद्य सामग्री का अभाव एवं बेरोजगारी की बढ़ती हुई समस्या के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका था। इस संकट के समाधान के लिए उदारवादियों के द्वारा क्रान्ति एवं प्रदर्शन पर बल दिया गया।
  2. सार्वजनिक मताधिकार पर आधारित जनप्रतिनिधि सभाओं (नेशनल एसेम्बली) के निर्माण की माँग बढ़ने लगी।
  3. जर्मनी, इटली, पोलैण्ड, ऑस्ट्रिया व हंगरी आदि के उदारवादी मध्यम वर्ग के स्त्री-पुरुषों ने संविधानवाद की माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग से जोड़ दिया।
  4. उदारवादियों ने जनता के असन्तोष का लाभ उठाया तथा एक राष्ट्र राज्य के निर्माण की माँगों को आगे बढ़ाया। यह राष्ट्र राज्य संविधान, प्रेस की स्वतन्त्रता एवं संगठन बनाने की स्वतन्त्रता जैसे संसदीय सिद्धान्तों पर आधारित था।
  5. भू-दासत्व एवं बँधुआ मजदूरी को समाप्त करने की माँग उदारवादी नेताओं द्वारा की जाने लगी।

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प्रश्न 2.
यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण दें।
अथवा
रूमानीवाद से आप क्या समझते हैं ? रूमानीवाद ने राष्ट्रीयता की धारणा के विकास में किस प्रकार योगदान दिया ? वर्णन कीजिए।
अथवा
यूरोप में संस्कृति के माध्यम से राष्ट्रवाद किस प्रकार विकसित हुआ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में सांस्कृतिक जुड़ाव को रूमानीवाद नाम दिया गया। रूमानीवाद के उदाहरण निम्नलिखित हैं

1. लोक संस्कृति-प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक योहना गॉटफ्रीड ने दावा किया कि रूमानी जर्मन संस्कृति उसके आम लोगों में निहित थी। उसने लोक संगीत, लोक काव्य एवं लोक नृत्यों के माध्यम से जर्मन राष्ट्र की भावना को प्रचारित व प्रसारित किया।

2. भाषा-राष्ट्रवाद के विकास में भाषा का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिसका उदाहरण पोलैण्ड है। पोलैण्ड में राष्ट्रवाद के विकास में भाषा ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। पोलैण्ड के रूस के कब्जे वाले हिस्सों में पोलिश भाषा को विद्यालयों से बलपूर्वक हटाकर रूसी भाषा को जबरदस्ती लाद दिया गया। जब पादरियों और बिशपों ने रूसी बोलने से इन्कार कर दिया तो उन्हें सजा दी गयी। इस प्रकार पोलिश भाषा रूसी प्रभुत्व के विरुद्ध संघर्ष के प्रतीक के रूप में देखी जाने
लगी।

3. संगीत-पोलैण्ड में परतन्त्रता की स्थिति में संगीत के द्वारा ही राष्ट्रीय भावना जाग्रत रखी गयी। कैरोल कुर्पिस्की नामक एक पोलिश नागरिक था जिसने राष्ट्रीय संघर्ष का अपने ऑपेरा व संगीत से गुणगान किया तथा पोलेनेस व माजुरका जैसे लोकनृत्यों को राष्ट्रीय प्रतीक में बदल दिया।

प्रश्न 3.
किन्हीं दो देशों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए बताएं कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए ?
अथवा
19वीं सदी के मध्य में इटली के राजनीतिक रूप में बँटे होने के कारणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
इटली के एकीकरण का वर्णन कीजिए।
अथवा
जर्मनी व इटली के एकीकरण की प्रक्रिया को समझाइए।
अथवा
जर्मनी का एकीकरण किस प्रकार हुआ था ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उन्नीसवीं सदी में यूरोप में अनेक राष्ट्र विभिन्न तरीकों से विकसित हुए, जिनमें से जर्मनी व इटली प्रमुख हैं

1. जर्मनी:

  • जर्मनी में राष्ट्रवादी भावनाएँ मध्य वर्ग के लोगों में अधिक थीं। सन् 1848 में जर्मन महासंघ ने विभिन्न शेत्रों को जोड़कर एक निर्वाचित संसद (फ्रैंकफर्ट संसद) द्वारा शासित राष्ट्र राज्य बनाने का प्रयास किया था।
  • उदारवादी मध्यम वर्ग द्वारा राष्ट्र निर्माण के इन प्रयासों को राजशाही एवं सेना ने मिलकर दबा दिया। उनका प्रशा के बड़े भूस्वामियों ने भी समर्थन किया।
  • इसके पश्चात् प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आन्दोलन का नेतृत्व सँभाला। प्रशा के प्रमुख मंत्री ऑटोवान बिस्मार्क ने इस कार्य में प्रशा की सेना व नौकरशाही की मदद ली।
  • सात वर्ष के दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क एवं फ्रांस से तीन युद्धों में प्रशा को विजय प्राप्त हुई और जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया पूर्ण हुई।
  • जर्मनी में राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया ने प्रशा राज्य की शक्ति के प्रभुत्व को दर्शाया है।
  • एकीकरण के पश्चात् नये जर्मन राज्य में मुद्रा, बैंकिंग, कानूनी तथा न्यायिक व्यवस्थाओं के आधुनिकीकरण पर बल दिया गया।

2. इटली:

  • जर्मनी की तरह इटली में भी राजनैतिक विखण्डन का एक लम्बा इतिहास रहा है।
  • इटली अनेक वंशानुगत राज्यों एवं बहुराष्ट्रीय हैब्यबर्ग साम्राज्य में बिखरा हुआ था। 19वीं शताब्दी के मध्य में इटली सात राज्यों में विभाजित था, जिनमें से केवल एक राज्य सार्डिनिया- पीडमॉण्ट में एक इतालवी राजघराने का शासन था। उत्तरी भाग ऑस्ट्रिया व हैब्सबर्ग के नियन्त्रण में था, मध्य भाग पर पोप का शासन था तथा दक्षिण भाग स्पेन के बूढे राजाओं के अधीन था।
  • इस समय तक इतालवी भाषा ने भी साझा रूप हासिल नहीं किया था तथा अभी तक उसके विभिन्न क्षेत्रीय व स्थानीय रूप भी मौजूद थे।
  • सन् 1830 के दशक में ज्युसेपे मेत्सिनी ने एकीकृत इतालवी गणराज्य के लिए एक कार्यक्रम का निर्माण किया तथा अपने उद्देश्यों के प्रचार-प्रसार के लिए ‘यंग इटली’ नामक गुप्त संगठन भी बनाया।
  • सन् 1831 और 1848 में क्रान्तिकारी विद्रोहों की असफलता के पश्चात् युद्ध के द्वारा इतालवी सज्यों को संगठित  करने का दायित्व सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के शासक विक्टर इमेनुएल पीय पर आ गया।
  •  इटली के प्रदेशों को एकीकृत करने वाले आन्दोलन का नतृत्वकर्ता मंत्री प्रमुख कावूर ने फ्रांस और सार्डिनिया पीडमॉण्ट के मध्य कूटनीतिक संधि करायी।
  • सन् 1859 में सार्डिनिया-पीडमॉण्ट ने ऑस्ट्रिया को पराजित किया। इस युद्ध में नियमित सैनिकों के अतिरिक्त ज्युसेपे मेत्सिनी एवं गैरीबॉल्डी के नेतृत्व में अनेक सशस्त्र स्वयंसेवकों ने भी भाग लिया था।
  • सन् 1860 में वे दक्षिण इटली एवं दो सिसिलियों के राज्यों में प्रवेश कर गये तथा स्पेनी शासकों को हटाने के लिए किसानों की मदद प्राप्त करने में सफल हुए। ।
  • सन् 1861 में इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया।
  • सन् 1866 में वेनेशिया को भी इटली में मिला दिया गया। सन 1870 में फ्रांस तथा प्रशा के मध्य युद्ध हुआ। फ्रांस ने अपने सैनिक रोम से हटा लिए। इस अवसर का लाभ उठाकर इटली की सेनाओं ने रोम पर भी अधिकार कर लिया, मेपल राज्य भी इटली में सम्मिलित हो गया। इस प्रकार इटली का एकीकरण हुआ।

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प्रश्न 4.
ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था ?
अथवा
ब्रिटेन एवं अन्य यूरोपीय देशों के राष्ट्रवाद का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए। (मा.शि.बो. राज., 2012)
उत्तर:
यूरोप में राष्ट्रवाद शक्तिशाली क्रान्तियों, युद्धों तथा सैन्य अभियानों के फलस्वरूप विकसित हुआ। इसका उदाहरण जर्मनी और इटली का एकीकरण है। लेकिन ब्रिटेन में राष्ट्र राज्य का निर्माण किसी क्रान्ति का परिणाम नहीं था बल्कि यह एक क्रमिक विकास के अन्तत सम्भव हुआ। ब्रिटेन में राष्ट्रवाद के लिए कोई युद्ध नहीं लड़ा गया। अतः ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप से भिन्न है।

ब्रिटेन में अंग्रेज, वेल्स, स्कॉटिश व आयरिश आदि जातीय समूह थे जिनकी पहचान नृजातीय थी। इन जातीय समूहों में से अंग्रेज धीरे-धीरे ताकतवर होते चले गए और उन्होंने अन्य जातीय समूहों पर प्रभुत्व जमाना प्रारम्भ कर दिया। सर्वप्रथम उन्होंने स्कॉटिश लोगों को अपने देश में सम्मिलित किया फिर उन पर प्रभुत्व यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय 11 स्थापित किया। इसके पश्चात् उन्होंने आयरिश लोगों पर नियन्त्रण किया तथा आयरलैण्ड को बलपूर्वक ब्रितानी राज्य में सम्मिलित कर लिया। इस प्रकार ‘यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन’ का शांतिपूर्ण तरीके से गठन हुआ।

प्रश्न 5.
बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा?
अथवा
यूरोप में सन् 1871 के बाद बाल्कन क्षेत्र में बनी विस्फोटक परिस्थितियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सन् 1871 के पश्चात् यूरोप में गंभीर राष्ट्रवादी तनाव का प्रमुख स्रोत बाल्कन क्षेत्र था। इस तनाव के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे

  1. बाल्कन प्रदेश में अनेक जातीय समूह निवास करते थे।
  2. इस क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा ऑटोमन साम्राज्य के नियन्त्रण में था, जो पतन के कगार पर था।
  3. 19वीं शताब्दी में ऑटोमन साम्राज्य ने आधुनिकीकरण एवं आंतरिक सुधारों के माध्यम से स्थिति में परिवर्तन लाने का प्रयास किया लेकिन कोई विशेष सफलता नहीं मिल पायी।
  4. जैसे-जैसे विभिन्न स्लाव राष्ट्रीय समूहों में अपनी पहचान तथा स्वतन्त्रता का विकास हुआ वैसे-वैसे बाल्कन क्षेत्र में तनाव बढ़ता गया।
  5. बाल्कन क्षेत्र में बड़ी शक्तियों के मध्य अधिक-से-अधिक क्षेत्र हथियाने की प्रतिस्पर्धा होने लगी। इसी समय यूरोपीय शक्तियों के बीच व्यापार व उपनिवेशों के साथ नौ-सैनिक और सैन्य ताकतों के लिए गहरी प्रतिस्पर्धा थी।
  6. रूस, जर्मनी, इंग्लैण्ड, ऑस्ट्रिया-हंगरी आदि बाल्कन क्षेत्र पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने का प्रयास करने लगे जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में कई युद्ध हुए और अन्त में प्रथम विश्वयुद्ध जैसे परिणाम का सामना करना पड़ा।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
यरोप से बाहर के देशों में राष्ट्रवादी प्रतीकों के बारे में और जानकारियाँ इकट्ठा करें। एक या दो देशों के विषय में ऐसी तस्वीरें, पोस्टर्स और संगीत इकट्ठा करें जो राष्ट्रवाद के प्रतीक थे। वे यूरोपीय राष्ट्रवाद के प्रतीकों से भिन्न कैसे हैं ?
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं हल करें।

क्रियाकलाप सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 3)

प्रश्न 1.
आपकी राय में चित्र 1 किस प्रकार एक कल्पनादी दृष्टि को प्रतिबिम्बित करता है?
उत्तर:
पाठ्य-पुस्तक में दिया गया चित्र 1 सन् 1848 में एक फ्रांसीसी कलाकार फ्रेड्रिक सॉरयू के द्वारा बनाया गया था। इस चित्र में विश्वव्यापी प्रजातांत्रिक एवं सामाजिक गणराज्यों का स्वप्न चित्रित किया गया है। इसमें यूरोप और अमेरिका के लोगों को दिखाया गया है जो प्रजातांत्रिक एवं सामाजिक गणतंत्र बनाने की दिशा में अग्रसर होंगे। यह वास्तव में एक आदर्श स्थिति होगी। अत: यह चित्र एक कल्पनादर्शी स्थिति का चित्रण करता है क्योंकि इस स्थिति के साकार होने की सम्भावना अत्यन्त कम है।

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 11)

प्रश्न 3.
यूरोप के नक्शे पर उन परिवर्तनों को चिह्नित करें जो वियना कांग्रेस के फलस्वरूप सामने आए।
उत्तर:
विद्यार्थी पाठ्य-पुस्तक में पेज 6 पर मानचित्र को देखें।

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 16)

प्रश्न 4.
कल्पना कीजिए कि आप एक बुनकर हैं जिसने चीज़ों को बदलते हुए देखा है। आपने क्या देखा, इस आधार पर एक रिपोर्ट लिखिए।
उत्तर:
मैं एक बुनकर हूँ। मैंने देखा कि बुनकर समय पर माल की आपूर्ति करने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं, इसके बावजूद उन्हें समय पर बकाया पैसा नहीं मिलता है। जब ठेकेदारों से अपना बकाया पैसा माँगा जाता है तो वे उन्हें डाँटते-फटकारते हैं और मारपीट भी करते हैं। इस पर बुनकर समुदाय कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। वे गैर-कानूनी रूप से ठेकेदारों के घरों में प्रवेश करते हैं। बुनकर अपना गुस्सा ठेकेदारों के घरों पर निकालते हैं। ठेकेदार डर कर भाग जाते हैं। अगले दिन ठेकेदार सेना के साथ लौटते हैं तथा बुनकरों को गोली मरवा दी जाती है।

JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 20)

प्रश्न 5.
इस व्यंग्य चित्र का वर्णन करें। इसमें बिस्मार्क और संसद के निर्वाचित डेप्युटीज के बीच किस प्रकार का संबंध दिखायी देता है ? यहाँ चित्रकार लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की क्या व्याख्या करना चाहता है ?
उत्तर:
पुस्तक में दिये गये इस व्यंग्य चित्र में जर्मन संसद (राइखस्टैग) में बिस्मार्क को हाथ में हंटर थामे दिखाया गया है, जिसे वह हवा में घुमा रहा है। शेष प्रतिनिधि उससे भयभीत हो रहे हैं। अपने बचाव के लिए सभी प्रतिनिधि बिस्मार्क के लिए आदर प्रदर्शित करते हुए संसद में सिर झुकाए बैठे हैं। यह व्यंग्य चित्र बतलाता है कि बिस्मार्क जर्मनं सांसदों के मस्तिष्कों पर शासन करता था। वह अपने लोगों पर प्रभावी नियंत्रण रखता था। इस चित्र में कलाकार हास्यास्पद ढंग से जनतांत्रिक व्यवस्था की व्याख्या करता है जिसमें जनतंत्र केवल नाम के लिए ही अस्तित्व में है। वास्तव में यह एक व्यक्ति (बिस्मार्क) का एकतंत्र है, जो जर्मन संसद में अस्तित्वमान होता है।

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 21)

प्रश्न 6.
पाठ्य-पुस्तक के चित्र 14 (क) को देखें। क्या आपको लगता है कि इनमें से किसी भी क्षेत्र में रहने वाले खुद को इतालवी मानते होंगे ?
पाठ्य-पुस्तक के चित्र 14(ख) की जाँच करें। कौन-सा क्षेत्र सबसे पहले एकीकृत इटली का हिस्सा बना ? सबसे आखिर में कौन-सा क्षेत्र शामिल हुआ ? किस साल सबसे ज्यादा राज्य एकीकृत इटली में शामिल हुए ?
उत्तर:
(क) हाँ, दोनों सिसलियों के राजतन्त्र में निवास करने वाले लोग तथा वेनेशिया एवं लॉम्बार्डी के लोग खुद को इतालवी मानते होंगे।
(ख)

  1. वेनेशिया क्षेत्र सबसे पहले एकीकृत इटली का हिस्सा बना।
  2. मेपल का क्षेत्र सबसे बाद में एकीकृत इटली में सम्मिलित हुआ।
  3. सन् 1858 ई. में सबसे ज्यादा राज्य एकीकृत इटली में सम्मिलित हुए।

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 22)

प्रश्न 7.
चित्रकार ने गैरीबॉल्डी को सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के राजा को जूते पहनाते हुए दिखाया गया है। अब इटली के नक्शे को फिर देखें। यह व्यंग्य चित्र क्या कहने का प्रयास कर रहा है ?
उत्तर:
चित्रानुसार जूते दक्षिण इटली के दो सिसलियों के राज्य को दर्शा रहे हैं। जिन पर गैरीबॉल्डी ने विजय प्राप्त की थी तथा बाद में उन्हें सार्डिनिया-पीडमॉण्ट के शासक को सौंप दिया था, जिसे संयुक्त इटली का राजा घोषित किया गया था। इस चित्र में इटली के एकीकरण तथा इसमें गैरीबॉल्डी की भूमिका को दर्शाया गया है।

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 24)

प्रश्न 8.
1. बॉक्स 3 में दिए गए चार्ट की सहायता से वेइत की जर्मेनिया के गुणों को पहचानें और तस्वीर के प्रतीकात्मक अर्थ की व्याख्या करें। 1836 की एक पुरानी रूपात्मक तस्वीर में वेइत ने काइजर के मुकुट को उस जगह चित्रित किया था जहाँ अब उन्होंने टूटी हुई बेड़ियाँ दिखायी हैं। इस बदलाव का महत्व स्पष्ट करें।
उत्तर:
फिलिप वेट द्वारा चित्रित जर्मेनिया के चित्र में दर्शाया गया है कि जर्मन ‘राष्ट्र का उदय हुआ है। यह एक नये युग का सूत्रपात है जिसमें उदारवादी-राष्ट्रवादी विचारधारा को बल मिलेगा। नया जर्मन राष्ट्र बहुत अधिक शक्तिशाली है तथा अपने पड़ोसी राज्य के साथ युद्ध अथवा शांति के लिए सदैव तत्पर है। यह राष्ट्र राजशाही प्रभुत्व से पूर्णतः मुक्त है। जर्मेनिया ने बलूत के पत्तों का मुकुट पहन रखा है जो वीरता का प्रतीक है। जर्मेनिया के पूर्व के चित्र में परिवर्तन करते हुए मुकुट को टूटी हुई बेड़ियों के स्थान पर रखा गया है जो यह दर्शाता है कि जर्मन राष्ट्र राजशाही के निरंकुश शासन से पूर्णतः स्वतन्त्र है।

2. बताएं कि चित्र 18 में आपको क्या दिखाई पड़ रहा है? राष्ट्र के इस रूपात्मक चित्रण में बनर किन ऐतिहासिक घटनाओं की ओर संकेत कर रहे हैं?
उत्तर:
सन् 1850 में जूलियस ह्यूबनर द्वारा चित्रित इस चित्र में काइजर के मुकुट एवं छड़ी के समक्ष जर्मेनिया गिर गयी थी। राष्ट्र के इस रूपात्मक चित्रण का अर्थ है कि सर्व-जर्मन नेशनल एसेंबली, जो फ्रैंकफर्ट संसद के रूप में सेंट पाल यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय 130 चर्च में आयोजित हुई थी, असफल हो गयी। चित्र में मुकुट तथा छड़ी इस बात के प्रतीक दिखायी देते हैं कि फ्रैंकफर्ट संसद को राजशाही तथा सेना द्वारा भंग कर दिया गया।

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 25)

प्रश्न 9.
चित्र 10 को एक बार फिर देखें। कल्पना करें कि आप मार्च 1848 में फ्रैंकफर्ट के नागरिक हैं और संसद की कार्यवाही के समय वहीं मौजूद हैं। यदि आप हॉल ऑफ डेप्यूटीज में बैठे हुए पुरुष होते तो दीवार पर लगे जर्मेनिया के बैनर को देखकर क्या महसूस करते ? और अगर आप हॉल ऑफ डेप्यूटीज में बैठी महिला होतीं तो इस चित्र को देखकर क्या महसूस करती ? दोनों भाव लिखें।
उत्तर:
मैं मार्च 1848 फ्रैंकफर्ट का नागरिक होता/होती

  1. यदि मैं हॉल ऑफ डेप्यूटीज में बैठा हुआ पुरुष होता तो जर्मेनिया के बैनर को देखकर यह महसूस करता कि वह सच हो गया है।
  2. अगर मैं हॉल ऑफ डेप्यूटीज में बैठी महिला होती तो इस चित्र को देखकर यह महसूस करती कि जर्मेनिया का यह चित्र उदारवादी-राष्ट्रवादी विचारधारा का आंशिक रूप से प्रतिनिधित्व करता है।

चर्चा करें (पृष्ठ संख्या 4)

प्रश्न 10.
रेनन की समझ के अनुसार एक राष्ट्र की विशेषताओं का संक्षिप्त विवरण दें। उसके मतानुसार राष्ट्र क्यों महत्वपूर्ण है ?
उत्तर:
अर्स्ट रेनन एक फ्रांसीसी दार्शनिक था। रेनन की समझ के अनुसार, एक राष्ट्र की प्रमुख विशेषताएँ अग्रलिखित हैं

  1. एक राष्ट्र लम्बे प्रयासों, त्याग व निष्ठा का चरम बिन्दु होता है।
  2. शौर्य वीरता से मुक्त अतीत, महान पुरुषों के नाम तथा गौरव यह वह सामाजिक पूँजी है जिस पर एक राष्ट्रीय विचार आधारित किया गया है।
  3. राष्ट्र एक बड़ी व्यापक एकता है, जिसका अस्तित्व जनमत संग्रह पर निर्भर होता है।
  4. राष्ट्र में केवल उनके निवासियों को ही सलाह लेने का अधिकार प्राप है।
  5. किसी देश का विलय करने अथवा किसी देश पर उसकी इच्छा के विरुद्ध कब्जा जमाए रखने में एक राष्ट्र की वास्तविक रूप में कोई दिलचस्पी नहीं होती है। अटै रेनन के मतानुसार राष्ट्र महत्वपूर्ण है, क्योंकि राष्ट्रों का होना स्वतन्त्रता की गारंटी है।

चर्चा करें (पृष्ठ संख्या 10)

प्रश्न 11.
उन राजनीतिक उद्देश्यों का विवरण दें जिन्हें आर्थिक कदमों द्वारा हासिल करने की उम्मीद लिस्ट को है।
उत्तर:
प्रोफेसर फ्रेडरिक लिस्ट को निम्नलिखित राजनीतिक उद्देश्यों को आर्थिक कदमों द्वारा हासिल करने की उम्मीद है
जर्मनी के ट्यूबिजन विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर फ्रेडरिक लिस्ट ने 1834 में लिखा-“जॉलवेराइन का लक्ष्य लोगों का आर्थिक रूप से एक राष्ट्र में बाँध देना है। वह राष्ट्र की आर्थिक हालत जितना बाहरी तरह से उसके हितों की रक्षा करके मजबूत बनाएगा, उतना ही आंतरिक उत्पादकता को बढ़ाकर भी। उसे प्रांतीय हितों को आपस में जोड़कर राष्ट्रीय भावना को जगाना और उठाना चाहिए। जर्मन लोग यह समझ गए हैं कि एक मुक्त आर्थिक व्यवस्था ही राष्ट्रीय भावनाओं के उत्पन्न होने का एकमात्र जरिया है।”

JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 1 यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

चर्चा करें (पृष्ठ संख्या 11)

प्रश्न 12.
व्यंग्यकार क्या दर्शाने का प्रयास कर रहा है?
उत्तर;
व्यंग्यकार एक क्लब में बैठे मुंह पर पट्टी बाँधे कुछ पढ़े-लिखे लोगों को चित्र द्वारा यह दर्शाने का प्रयास कर रहा है कि सन् 1815 में स्थापित रूढ़िवादी शासन व्यवस्थाएं निरंकुश थीं। वे आलोचना और असहमति बरदाश्त नहीं करती थीं और उन्होंने उन गतिविधियों को दबाना चाहा जो निरंकुश सरकारों की वैधता पर सवाल उठाती थीं। ज्यादातर सरकारों ने सेंसरशिप के नियम बनाए जिनका उद्देश्य अखबारों, किताबों, नाटकों और गीतों में व्यक्त उन बातों पर नियंत्रण लगाना था, जिनसे फ्रांसीसी क्रांति से जुड़े स्वतन्त्रता और मुक्ति के विचार झलकते थे।

चर्चा करें (पृष्ठ संख्या 15)

प्रश्न 13.
राष्ट्रीय पहचान के निर्मित होने में भाषा और लोक परम्पराओं के महत्त्व की चर्चा करें।
उत्तर:
राष्ट्रीय पहचान के निर्मित होने में भाषा और लोक परम्पराओं का निम्नलिखित महत्त्व है

  1. किसी क्षेत्र विशेष अथवा देश की भाषा और लोक परम्पराएँ लोगों द्वारा एक साथ व्यतीत किए गए अतीत व सामूहिक एकता से जीवनयापन की जानकारी देते हैं।
  2. भाषा और लोक परम्पराएँ लोगों को सांस्कृतिक रूप से समान होने की भावना प्रदान करती हैं जिससे कि वे स्वयं को प्राकृतिक रूप से एक व संयुक्त समझते हैं।
  3. भाषा व लोक परम्पराएँ लोगों को एकता एवं गर्व के धागे से बाँधती हैं।

चर्चा करें (पृष्ठ संख्या 16)

प्रश्न 14.
सिलेसियाई बुनकरों के विद्रोह के कारणों का वर्णन करें। पत्रकार के नजरिए पर टिप्पणी करें।
उत्तर:
सिलेसियाई बुनकरों ने ठेकेदारों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया, जिसके निम्नलिखित कारण थे
1. सिलेसियाई बुनकरों के विद्रोह का कारण था, किए गए कार्य हेतु उन्हें बहुत कम पारिश्रमिक का मिलना।

2. तैयार किए गए कपड़े का कम दाम मिलना। पत्रकार विल्हेम वोल्फ ने सन् 1845 में घटित सिलेसिया के एक गाँव की घटना का वर्णन किया। पत्रकार का यह नजरियां था कि-श्रमिकों की हालत खराब है और काम के लिए बेताब लोगों का ठेकेदार कपड़ा उठाना चाहते हैं-पूरी तरह तर्कसंगत व स्वीकार्य हैं। इस प्रकार बुनकरों के प्रति पत्रकार का नजरिया सहानुभूतिपूर्ण था।

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चर्चा करें (पृष्ठ संख्या 18)

प्रश्न 15.
ऊपर ऊद्भुत तीन लेखकों द्वारा महिलाओं के अधिकारों के प्रश्न पर व्यक्त विचारों की तुलना करें। उनसे उदारवादी विचारधारा के बारे में क्या स्पष्ट होता है ?
उत्तर:
ऊपर उद्धृत तीन लेखकों द्वारा महिलाओं के अधिकारों के प्रश्न पर व्यक्त विचारों की तुलना

  1. कार्ल वेल्कर महिलाओं को किसी भी प्रकार का राजनीतिक अधिकार नहीं देने का समर्थन करता है। उसके अनुसार महिलाओं को पुरुष की सुरक्षा की आवश्यकता है।
  2. लुइजे ऑटो पीटर्स उन पुरुषों की आलोचना करती है, जिन्हें राजनीतिक अधिकार प्राप्त हैं। इन्होंने महिलाओं को राजनीतिक अधिकार देने की वकालत की है।
  3. एक अनाम पाठक ने महिला अधिकारों के विषय में तर्कपूर्ण पक्ष रखा है-उसने पुरुषों व महिलाओं से सम्बद्ध राजनीतिक अधिकारों पर एक तुलनात्मक अध्ययन भी प्रस्तुत किया है जिसमें महिलाओं के लिए मताधिकार की वकालत की गई है। तीनों लेखकों के विचारों से यह स्पष्ट होता है कि उनमें उदारवादी विचारधारा के प्रश्न पर बड़ा मतभेद है। उदारवादी लेखक व चिंतक महिला अधिकारों के प्रश्न पर एकमत नहीं हैं।

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