JAC Board Class 10th Social Science Solutions History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना
JAC Class 10th History भूमंडलीकृत विश्व का बनना Textbook Questions and Answers
संक्षेप में लिखें
प्रश्न 1.
सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका महाद्वीपों के बारे में चुनें।
उत्तर:
सत्रहवीं शताब्दी से पहले एशिया और अमेरिका में होने वाले आदान-प्रदान के उदाहरण निम्नलिखित हैं
- एशिया महाद्वीप-रेशम मार्ग से चीनी रेशम एवं चीनी पॉटरी तथा भारत व दक्षिण-पूर्व एशिया के कपड़े व मसाले विश्व के विभिन्न देशों में पहुँचते थे। वापसी में सोने-चाँदी जैसी कीमती धातुएँ यूरोप से एशिया पहुँचती थीं।
- अमेरिका महाद्वीप-आज से लगभग 500 वर्ष पूर्व आलू, मूंगफली, सोयाबीन, टमाटर, मिर्च, शकरकंद जैसे अनेक खाद्य पदार्थ हमारे पास उपलब्ध नहीं थे। परन्तु क्रिस्टोफर कोलम्बस द्वारा अमेरिका की खोज के पश्चात् ये खाद्य पदार्थ अमेरिका से यूरोप एवं एशिया के देशों में पहुंचे।
प्रश्न 2.
बताएँ कि पूर्व आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी ?
उत्तर:
लाखों वर्षों से समस्त विश्व से अलग-अलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर में चेचक से बचने की रोग प्रतिरोधक क्षमता का अभाव था। इस बीमारी का प्रसार यूरोप महाद्वीप से हुआ। जब यूरोपीय शक्तियों ने अमेरिका में अपने उपनिवेश स्थापित किये तब चेचक नामक बीमारी फैल गयी।
इस प्रकार यूरोपीय उपनिवेशवादी शक्तियों को अमेरिका के लोगों को जीतने के लिए सैन्य अस्त्रों का उपयोग नहीं करना पड़ा। समस्त अमेरिका में फैली इस घातक बीमारी ने अनेक लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इस प्रकार बीमारियों ने अमेरिकी भू-भागों के उपनिवेशीकरण में सहायता दी।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें.
(क) कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला। .
अथवा
‘कार्न लॉ’ के निरस्त होने के किन्हीं पाँच प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
(ख) अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना।
(ग) विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत।
अथवा
विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
(घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामन्दी का प्रभाव।
(ङ) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानान्तरित करने का फैसला।
उत्तर:
(क)
- ब्रिटेन की सरकार द्वारा कॉर्न लॉ समाप्त करने के पश्चात् बहुत ही कम मूल्य पर खाद्य पदार्थों का आयात किया जाने लगा।
- आयात किये जाने वाले खाद्य पदार्थों की लागत ब्रिटेन में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों से भी कम थी।
- फलस्वरूप ब्रिटेन के किसानों की हालत बिगड़ने लगी क्योंकि वे आयातित माल की कीमत का मुकाबला नहीं कर सकते थे।
- विशाल भूभागों पर कृषि कार्य बन्द हो गया। हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हो गये।
- गाँवों से निकलकर वे या तो शहरों अथवा अन्य देशों की ओर पलायन करने लगे।
(ख) रिंडरपेस्ट का रोग एशियाई मवेशियों से अफ्रीकी मवेशियों में फैला। मवेशियों में प्लेग की तरह फैलने वाली इस बीमारी ने लोगों की आजीविका व अर्थव्यवस्था पर बहुत अधिक प्रभाव डाला। इस बीमारी से हजारों की संख्या में मवेशी मर गये। इसने अफ्रीकी अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया जो मवेशियों व जमीन पर आधारित थी। इससे बेरोजगारी में वृद्धि हुई तो अफ्रीकी लोगों को यूरोपीय बागानों एवं खानों में काम करने के लिए बाध्य किया गया।
(ग) प्रथम विश्वयुद्ध में यूरोप की ओर से लड़ने वाले अधिकांश लोग कामकाजी उम्र के थे। युद्ध में इनकी मृत्यु अधि । क मात्रा में हुई तथा ये घायल भी अधिक हुए। इस विनाश के कारण यूरोप में कामकाज़ के लायक लोगों की संख्या बहुत कम रह गयी। परिवार के सदस्यों की संख्या घट जाने के कारण युद्ध के पश्चात् परिवारों की आमदनी भी कम हो गयी।
(घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामन्दी का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा। महामन्दी के दौरान देश का आयात घटकर आधा रह गया। भारत में कृषि उत्पादनों के मूल्यों में भारी में गिरावट आयी। इसके बावजूद सरकार ने लगान वसूली में छूट नहीं दी। विश्व बाजार के लिए खेती करने वाले किसानों को सर्वाधिक हानि उठानी पड़ी। शहरों में निश्चित आय वाले लोगों पर इस महामन्दी का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। इस महामन्दी से शहरी लोगों की बजाय किसानों एवं काश्तकारों को बहुत अधिक नुकसान हुआ।
(ङ) 1970 ई. के दशक के बीच बेरोजगारी बढ़ने लगी। इस समय बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने एशिया के ऐसे देशों में उत्पादन केन्द्रित किया जहाँ वेतन कम दिया जाता था। चीन में वेतन अन्य देशों की तुलना में कम था। विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने यहाँ पर्याप्त धन का निवेश किया। इसका प्रभाव चीनी अर्थव्यवस्था पर दिखाई दिया है।
प्रश्न 4.
खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें।
अथवा
19वीं सदी में विश्व अर्थव्यवस्था में आए तकनीकी परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास के दो उदाहरण निम्नलिखित हैं-
- तीव्र गति से चलने वाली रेलगाड़ियाँ बनी, बोगियों का भार कम किया गया, जलपोतों का आकार बढ़ा, जिससे किसी भी उत्पाद को खेतों से दूर के बाजारों में कम लागत पर और आसानी से पहुँचाया जा सका।
- पानी के जहाजों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक स्थापित होने से खाने-पीने के सामानों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाने में आसानी हो गयी। शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं को भी रेफ्रिजरेशन की तकनीक से लम्बी यात्राओं पर ले जाया जाने लगा।
प्रश्न 5.
ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है ?
अथवा
‘ब्रेटन वुड्स’ समझौते से विश्व में किस प्रकार की अर्थव्यवस्था का जन्म हुआ ?
अथवा
ब्रेटन वुड्स सम्मेलन से आप क्या समझते हैं? इसकी दो जुड़वाँ संतानें’ किसे कहा गया है?
उत्तर:
युद्धोत्तर अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार को बनाए रखना था। इसके अनुरूप जुलाई 1944 ई. में अमेरिका स्थित न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में सहमति बनी थी। सदस्य देशों के विदेश व्यापार में लाभ और घाटे से निपटने के लिए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में ही अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना की गयी।
युद्धोत्तर पुनर्निर्माण के लिए धन की व्यवस्था करने को अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक अर्थात् विश्व बैंक का गठन किया गया। इसलिए विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को ब्रेटन वुड्स ट्विन भी कहा जाता है। इसी युद्धोत्तर आर्थिक व्यवस्था को ब्रेटन वुड्स व्यवस्था कहा गया है। . ब्रेटन वुड्स व्यवस्था निश्चित विनिमय दरों पर आधारित थी। इस व्यवस्था में राष्ट्रीय मुद्राएँ एक निश्चित विनिमय दर में बँधी हुई थीं। उदाहरण के रूप में, एक डॉलर के बदले में रुपयों की संख्या निश्चित थी। डॉलर का मूल्य भी सोने से बँधा हुआ था। एक डॉलर का मूल्य 35 ओंस सोने के बराबर था।
चर्चा करें
प्रश्न 6.
कल्पना कीजिए कि आप कैरीबियाई क्षेत्र में काम करने वाले गिरमिटिया मजदूर हैं। इस अध्याय में दिए गए विवरणों के आधार पर अपने हालात और अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए अपने परिवार के नाम एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
आदरणीय माताजी एवं पिताजी,
सादर चरण स्पर्श व प्रणाम।
आप लोगों की इच्छा के विरुद्ध यहाँ आकर मुझे बहुत दुःख का अनुभव हो रहा है। जैसा मैं अपने देश से सुखद भविष्य को सोचकर यहाँ आया था वैसा यहाँ कुछ भी नहीं है। एजेंट ने हमें धोखा दिया है। यहाँ का जीवन एवं कार्य-परिस्थितियाँ बहुत कठोर हैं। हमें यहाँ दिन-रात कठोर परिश्रम करना पड़ता है। यदि हम कार्य को समय पर सही ढंग।
से पूरा नहीं कर पाते तो हमारा वेतन काट लिया जाता है। कई बार कठोर दण्ड भी दिया जाता है। यहाँ मजदूरों को अपने अनुबन्ध की अवधि में भारी कठिनाइयों एवं कष्टों का सामना करना पड़ता है। यहाँ की स्थिति देखकर मुझ जैसे अनेक मजदूरों की आशाएँ मिट्टी में मिल गयीं। मैं अपने अनुबन्ध की अवधि पूरी होने के बाद यहाँ एक मिनट भी नहीं रुकना चाहता। अपनी कुशलता के समाचार देना।
आपका पुत्र
रमेशचंद
प्रश्न 7.
अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से सम्बन्धित एक-एक उदाहरण दें और उनके बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियाँ या प्रवाह निम्नलिखित थे
(क) पहला प्रवाह व्यापार का होता है। यह 19वीं शताब्दी में मुख्य रूप से कपड़ा, गेहूँ आदि के व्यापार तक ही सीमित था।
(ख) दूसरा प्रवाह श्रम का होता है। इसमें लोग काम अथवा रोजगार की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते थे।
(ग) तीसरा प्रवाह पूँजी का होता है। इसमें छोटी तथा कम लम्बी अवधि के लिए पूँजी का दूर-दराज के क्षेत्रों में – निवेश कर दिया जाता है।
तीनों प्रकार की गतियों से भारत एवं भारतीयों से सम्बन्धित उदाहरण निम्नलिखित हैं:
(क) भारत से वस्तुओं के व्यापार का प्रवाह:
भारत से गेहूँ तथा समस्त प्रकार के कपड़े (सूती, ऊनी, रेशमी) आदि ब्रिटेन भेजे जाते थे। कपड़ों की रँगाई के लिए नील का भी व्यापार बड़े पैमाने पर होता था।
(ख) श्रम का प्रवाह:
19वीं शताब्दी में भारत के मजदूरों को बागानों, खदानों, सड़कों एवं रेलवे परियोजनाओं में काम करने के लिए दूर-दूर ले जाया गया। भारतीय अनुबन्धित मजदूरों को अनुबन्ध के आधार पर बाहर ले जाया जाता था इन अनुबन्धों में यह शर्त रखी जाती थी कि पाँच वर्ष तक बागानों में काम कर लेने के बाद ही वे स्वदेश लौट सकते थे। भारत के अनुबन्धित श्रमिक मुख्यतः कैरीबियाई द्वीप के गुयाना, त्रिनिदाद, सूरीनाम, मॉरीशस, फिजी, मलाया आदि में कार्य करने हेतु जाते थे।
(ग) पूँजी का प्रवाह:
भारतीय साहूकार एवं महाजनों ने एक देशी विनिमय व्यवस्था बना ली थी। ये न केवल भारत में ही पूँजी निवेश करते थे बल्कि अफ्रीका व यूरोपीय उपनिवेशों में भी करते थे। भारत के प्रमुख पूँजीपतियों में शिकारीपुरी श्राफ, नटटूकोट्टई चेट्टियार तथा हैदराबादी सिन्धी व्यापारी आदि थे।
प्रश्न 8.
महामन्दी (1929) के कारणों की व्याख्या करें।
अथवा
महामन्दी के क्या कारण थे ?
उत्तर:
महामन्दी के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे
(क) कृषि में अत्यधिक उत्पादन:
कृषि के क्षेत्र में अत्यधिक उत्पादन की समस्या बनी हुई थी इससे कृषि वस्तुओं की कीमतों में बहुत अधिक कमी आयी। कीमतें घटने से कृषि सम्बन्धी आय भी घट गयी जिसके कारण किसानों ने अपना उत्पादन बढ़ाने की कोशिश की ताकि वे कम कीमत पर ही ज्यादा माल बनाकर अपनी आय का स्तर बनाये रख सकें। इससे बाजार में कृषि उत्पादों की अधिकता के कारण कीमतों में गिरावट आयी। क्रेताओं के अभाव में कृषि उपज बढ़ने लगी।
(ख) ऋणों की कमी:
1920 ई. के दशक के मध्य में अनेक देशों ने अमेरिका से ऋण लेकर अपनी निवेश सम्बन्धी जरूरतों को पूरा किया था। जब स्थिति ठीक थी तो अमेरिका से ऋण जुटाना सरल था लेकिन संकट का संकेत मिलते ही अमेरिकी उद्यमियों में घबराहट पैदा हो गयी। 1928 से पहले छ: माह तक विदेशों से अमेरिका का ऋण एक अरब डॉलर था। वर्षभर के भीतर यह ऋण घटकर केवल एक-चौथाई रह गया था जो देश अमेरिकी दलालों पर सबसे ज्यादा निर्भर थे, उनके समक्ष गहरा संकट उत्पन्न हो गया।
प्रश्न 9.
जी-77 देशों से आप क्या समझते हैं ? जी-77 को किस आधार पर ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ सन्तानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है ? व्याख्या करें।
अथवा
जी-77 देशों से आप क्या समझते हैं ? जी-77 को ब्रेटन वुड्स की सन्तानों की प्रतिक्रिया किस आधार पर कहा जा सकता है ?
उत्तर:
जी-77 विश्व के विभिन्न विकासशील देशों का एक ऐसा समूह है जो नई अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली (NIEO) प्राप्त करने के लिए सामूहिक रूप से कार्य करता है। 1944 ई. में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (विश्व बैंक) की स्थापना की गयी थी। इन्हें ब्रेटन वुड्स संस्थान अथवा ब्रेडन वुड्स की जुड़वाँ सन्तान कहा जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष एवं विश्व बैंक (ब्रेटन वुड्स के दोहरे समझौते) की असन्तोषप्रद सेवाओं के कारण नये स्वतन्त्र हुए देशों ने जी-77 का संगठन किया।
इन देशों की स्वतन्त्रता के पश्चात् ब्रेटन वुड्स की संस्थाओं ने निर्धन देशों की सहायता का प्रस्ताव रखा लेकिन इसके बदले में इन संस्थाओं ने उन देशों के प्राकृतिक संसाधनों को गारण्टी के रूप में अपने नियन्त्रण में ले लिया। इस प्रकार विकासशील देश जो नियमित देशों की तरह ही औद्योगिक विकास के पथ पर चलना चाहते थे, ब्रेटन वुड्स की संस्थाओं ने उनके मार्ग में व्यवधान उत्पन्न किया। जिस कारण जी-77 अस्तित्व में आ गया।
परियोजना कार्य
प्रश्न 10.
उन्नीसवीं सदी के दौरान दक्षिण अफ्रीका में स्वर्ण, हीरा खनन के बारे में और जानकारियाँ इकट्ठी करें। सोना और हीरा कम्पनियों पर किसका नियन्त्रण था? खनिक लोग कौन थे और उनका जीवन कैसा था ?
उत्तर:
विद्यार्थी अपने शिक्षक की सहायता से इस परियोजना कार्य को पूरा करें।
क्रियाकलाप सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
चर्चा करें (पृष्ठ 56)
प्रश्न 1.
जब हम कहते हैं कि सोलहवीं सदी में दुनिया सिकड़ने लगी थी, तो इसका क्या मतलब है?
उत्तर:
16वीं शताब्दी से पूर्व विश्व के विभिन्न देशों के मध्य व्यापार एवं अन्य प्रकार के सांस्कृतिक आदान-प्रदान का अभाव था। लेकिन 16वीं शताब्दी में विश्व के विभिन्न देशों के मध्य व्यापार एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान से लोगों की आवाजाही में वृद्धि हुई है। इस तरह सिकुड़ने का अर्थ विश्व के विभिन्न देशों के लोगों के बीच पारस्परिक सम्बन्धों में वृद्धि से लगाया जा सकता है।
गतिविधि (पृष्ठ 59)
प्रश्न 2.
कल्पना कीजिए कि आप आयरलैंड से अमेरिका में आए एक खेत मजदूर हैं। इस बारे में एक पैराग्राफ लिखिए कि आपने यहाँ आने का फैसला क्यों किया और अब आप अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए क्या करते हैं?
उत्तर:
- आयरलैंड में किसानों की हालत का बिगड़ना
- बड़े-बड़े भू भागों पर खेती का बंद हो जाना
- आयातित माल की कीमत से मुकाबला नहीं कर पाना
- बेरोजगारी फैलना
- गाँवों का उजड़ जाना
- अमेरिकन क्षेत्रों में संसाधनों की प्रधानता के बारे में सुनकर अच्छे जीवन की तलाश में वहाँ जाना। अमेरिका आने के पश्चात आयरलैण्ड की तुलना में अच्छा खान-पान प्राप्त हो रहा है। पर्याप्त कृत्रि क्षेत्र होने से आय के स्तर में भी सकारात्मक परिवर्तन आया है। यहाँ अपने अनुभव का प्रयोग करते हुए अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार किया।
गतिविधि (पृष्ठ 59)
प्रश्न 3.
फ्लो चार्ट के माध्यम से दर्शाइए कि जब ब्रिटेन ने खाद्य पदार्थों के आयात का निर्णय लिया तो उसके कारण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की ओर पलायन करने वालों की संख्या क्यों बढ़ने लगी ?
उत्तर:
जब ब्रिटेन ने खाद्य पदार्थों के आयात का निर्णय लिया तो उसके कारण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की ओर पलायन करने वालों की संख्या बढ़ने लगी। इसे फ्लो चार्ट द्वारा निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है
चर्चा करें (पृष्ठ 64)
प्रश्न 4.
राष्ट्रीय पहचान के निर्माण में भाषा और लोक परम्पराओं के महत्त्व पर चर्चा करें।
उत्तर:
किसी व्यक्ति की राष्ट्रीय पहचान के निर्माण में भाषा और लोक परम्पराओं का बहुत अधिक महत्त्व होता है। किसी व्यक्ति की पहचान उसकी भाषा व पारम्परिक रीति-रिवाजों से होती है क्योंकि वह जो भाषा बोलता है वह उसके राष्ट्र अर्थात् उसकी मातृभूमि से सम्बन्धित होती है। भाषा और परम्पराएँ अचानक ही विकसित नहीं होतीं बल्कि एक लम्बी समयावधि में विकसित होती हैं। हम देखते हैं कि लोग जन्म लेते हैं, मरते हैं, लेकिन मानव परम्पराएँ यथावत् बनी रहती हैं। वे मरती नहीं हैं। वे सदैव जीवित रहती हैं। व्यक्ति जहाँ भी जाता है वह उसे पहचान देती हैं।
चर्चा करें (पृष्ठ – 73)
प्रश्न 5.
पटसन (जूट) उगाने वालों के विलाप में पटसन की खेती से किसके मुनाफे का जिक्र आया है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
पटसन (जूट) उगाने वालों के विलाप में कवि काश्तकारों से कहते हैं कि चाहे तुम कितनी भी मेहनत कर लो, कर्जे पर पैसे लेकर पटसन की खेती में लगाओ। जब फसल पकेगी तो इसकी कुछ भी कीमत नहीं रहेगी। व्यापारी अपने घर पर बैठे तुम्हें इसका पाँच रुपया मन देंगे तथा समस्त लाभ को स्वयं प्राप्त कर लेंगे। इस विलाप में पटसन की खेती से व्यापारी वर्ग के मुनाफे का जिक्र आया है, जो काश्तकारों से कम कीमत पर फसल खरीदकर क्रेताओं को अधिक कीमत पर बेचा करते थे।
चर्चा करें (पृष्ठ 75)
प्रश्न 6.
संक्षेप में बताएँ कि दो महायुद्धों के बीच जो आर्थिक परिस्थितियाँ पैदा हुई, उनसे अर्थशास्त्रियों और राजनेताओं ने क्या सबक सीखे ?
उत्तर:
दो महायुद्धों के बीच मिले आर्थिक अनुभवों से अर्थशास्त्रियों और राजनीतिज्ञों ने दो प्रमुख सबक सीखे
1. पहला सबक, वृहत् उत्पादन पर आधारित किसी औद्योगिक समाज को व्यापक उपभोग के बिना कायम नहीं रखा जा सकता। लेकिन व्यापक उपभोग को बनाये रखने के लिए यह आवश्यक था कि आमदनी काफी ज्यादा और स्थिर हो। यदि रोजगार अस्थिर होंगे तो आय स्थिर नहीं हो सकती थी। स्थिर आय के लिए पूर्ण रोजगार भी जरूरी था। लेकिन बाजार पूर्ण रोजगार की गारण्टी नहीं दे सकता। कीमत, उपज और रोजगार में आने वाले उतार-चढ़ावों को नियन्त्रित करने के लिए सरकार का दखल जरूरी था। आर्थिक स्थिरता केवल सरकारी हस्तक्षेप के जरिए ही सुनिश्चित की जा सकती थी। .
2. दूसरा सबक, बाहरी दुनिया के साथ आर्थिक सम्बन्धों के बारे में था। पूर्ण रोजगार का लक्ष्य केवल तभी हासिल किया जा सकता है जब सरकार के पास वस्तुओं, पूँजी और श्रम की आवाजाही को नियन्त्रित करने की ताकत उपलब्ध हो।