JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 4 औद्योगीकरण का युग

JAC Board Class 10th Social Science Solutions History Chapter 4 औद्योगीकरण का युग

JAC Class 10th History औद्योगीकरण का युग Textbook Questions and Answers

संक्षेप में लिखें

प्रश्न 1.
निम्नलिखित की व्याख्या करें
(क) ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए।
(ख) सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे।
अथवा
17 वीं और 18वीं शताब्दियों में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों की ओर रुख क्यों करने लगे थे?
(ग) सूरत बंदरगाह अठारहवीं सदी के अन्त तक हाशिये पर पहुँच गया था।
(घ) ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के लिए गुमाश्तों को नियुक्त किया था।
उत्तर:
(क) ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए क्योंकि यह मशीन एक ही पहिए से कई तकलियों को घुमा सकती थी। इससे जहाँ एक ओर उत्पादन बढ़ा, वहीं हाथ से पहियों को घुमाकर ऊन कातने वाली महिलाओं का रोजगार छिन गया। इसलिए नाराज महिलाओं ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले कर दिए।

(ख) यूरोपीय शहरों के सौदागर किसानों एवं कारीगरों को पैसा देते थे तथा उनसे अन्तर्राष्ट्रीय बाजार के लिए उत्पादन करवाते थे। सत्रहवीं शताब्दी में विश्व व्यापार के विस्तार और दुनिया के विभिन्न भागों में उपनिवेशों की स्थापना के कारण वस्तुओं की माँग बढ़ने लगी। इस मांग को पूरा करने के लिए शहरों में उत्पादन नहीं बढ़ाया जा सकता था क्योंकि शहरों में शहरी दस्तकार और व्यापारिक गिल्ड्स प्रभावशाली थे।

व्यापारिक गिल्ड्स बाजार, कच्चे माल, कारीगरों एवं उत्पादनों पर नियन्त्रण रखते थे। प्रतिस्पर्धा व मूल्य तय करते थे तथा व्यवसाय में नये लोगों को आने से रोकते थे। शासकों ने भी विभिन्न गिल्ड्स को विशेष उत्पादों के उत्पादन और व्यापार का एकाधिकार दिया हुआ था फलस्वरूप नये व्यापारी शहरों में व्यापार नहीं कर सकते थे इसलिए वे गाँवों की तरफ जाने लगे तथा वहाँ किसानों एवं कारीगरों से काम करवाने लगे।

(ग) भारत में यूरोपीय कम्पनियों की ताकत बढ़ती जा रही थी। व्यापार के माध्यम सूरत व हुगली दोनों पुराने बन्दरगाह कमजोर पड़ गये। सत्रहवीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में सूरत बन्दरगाह से होने वाले व्यापार का कुल मूल्य 1.6 औद्योगीकरण का युग 77 करोड़ रुपये था। 1740 ई. के दशक तक यह गिरकर केवल 30 लाख रुपये रह गया। सूरत व हुगली कमजोर पड़ रहे थे तथा बम्बई व कलकत्ता की स्थिति सुधर रही थी। उन्होंने नये बन्दरगाहों के माध्यम से व्यापार पर नियन्त्रण स्थापित कर लिया था। अत: 18वीं शताब्दी के अन्त तक सूरत बन्दरगाह से समुद्री व्यापार धराशायी हो गया और वह हाशिये पर पहुँच गया।

(घ) भारत के बुनकर ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ-साथ तथा फ्रांसीसी, डच और पुर्तगाली कम्पनियों के लिए भी कपड़ा बुनते थे। ईस्ट इण्डिया कम्पनी कपड़ा उत्पादन संघ व्यापार पर अपना एकाधिकार करना चाहती थी। फलस्वरूप कम्पनी ने बुनकरों पर निगरानी रखने, माल इकट्ठा करने एवं कपड़ों की गुणवत्ता जाँचने के लिए वेतन पर कर्मचारी नियुक्त किये जिन्हें गुमाश्ता कहा जाता था।

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प्रश्न 2.
प्रत्येक वक्तव्य के आगे ‘सही’ या ‘गलत’ लिखें:
(क) उन्नीसवीं सदी के आखिर में यूरोप की कुल श्रम शक्ति का 80 प्रतिशत तकनीकी रूप से विकसित औद्योगिक क्षेत्र में काम कर रहा था।
(ख) अठारहवीं सदी तक महीन कपड़े के अन्तर्राष्ट्रीय बाजार पर भारत का दबदबा था।
(ग) अमेरिकी गृह युद्ध के फलस्वरूप भारत के कपास निर्यात में कमी आयी।
(घ) फ्लाई शटल के आने से हथकरघा कामगारों की उत्पादकता में सुधार हुआ।
उत्तर:
(क) गलत,
(ख) सही,
(ग) गलत,
(घ) सही।

प्रश्न 3.
पूर्व-औद्योगीकरण का मतलब बताएँ।
उत्तर:
इंग्लैण्ड और यूरोप में कारखानों की स्थापना से पहले ही अन्तर्राष्ट्रीय बाजार के लिए बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन होने लगा था। यह उत्पादन कारखानों में नहीं होता था। आदि या पूर्व किसी वस्तु की पहली या प्रारम्भिक अवस्था या संकेत है। अतः अनेक इतिहासकारों ने औद्योगीकरण के इस चरण को आदि या पूर्व-औद्योगीकरण का नाम दिया। आदि-औद्योगिक काल में औद्योगिक बाजार के लिए उत्पाद कारखानों की बजाय घरों पर हाथों से बनाये जाते थे।

चर्चा करें

प्रश्न 1.
उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाप हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता क्यों देते थे ?
उत्तर:
उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति निम्नलिखित कारणों से मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता देते थे

  1. विक्टोरिया कालीन ब्रिटेन में मानव श्रम की कोई कमी नहीं थी। इसलिए कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता देते थे।
  2. कुछ उद्योगपति बड़ी-बड़ी मशीनों पर बहुत अधिक खर्च करने से हिचकिचाते थे क्योंकि मशीनें लगाने से यह जरूरी नहीं था कि उनको ऐसा करने से लाभ ही हो।
  3. बहुत से उद्योगों में श्रमिकों की माँग मौसमी आधार पर घटती-बढ़ती रहती थी, जैसे-गैसघरों, शराबखानों, बुक बाइंडरों, प्रिंटरों, बन्दरगाहों में जहाजों की मरम्मत, साफ-सफाई व सजावट के काम में आदि। ऐसे उद्योगों में उद्योगपति मशीनों की बजाय मजदूरों को ही काम पर रखना पसन्द करते थे।
  4. बाजार में अक्सर बारीक डिजाइन एवं विशेष आकार वाली वस्तुओं की बहुत अधिक माँग रहती थी। इन्हें बनाने के लिए मशीनी तकनीक की बजाय मानवीय निपुणता की आवश्यकता पड़ती थी।
  5. अनेक वस्तुएँ केवल हाथ से ही बनायी जा सकती थीं। मशीनों से एक जैसे निश्चित किस्म की वस्तुएँ नहीं बनायी जा सकती थीं।
  6. विक्टोरियाकाल में ब्रिटेन के उच्च वर्ग के लोग कुलीन और पूँजीपति वर्ग हाथों से निर्मित वस्तुओं को अधिक महत्त्व देते थे। हस्तनिर्मित वस्तुओं को परिवार और सुरुचि का प्रतीक माना जाता था। उनकी फिनिशिंग अच्छी होती थी। उनको एक-एक करके बनाया जाता था। अतः सबका डिजाइन अलग-अलग और अधिक अच्छा होता था।

प्रश्न 2.
ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया ?
उत्तर:
ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कार्य किये।
1. गुमाश्तों की नियुक्ति:
ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने कपड़ा व्यापार में सक्रिय व्यापारियों एवं दलालों को समाप्त करने तथा बुनकरों पर निगरानी रखने, उन्हें माल उपलब्ध कराने एवं कपड़ों की गुणवत्ता जाँचने के लिए वेतनभोगी कर्मचारी नियुक्त किये, जिन्हें गुमाश्ता कहा जाता था।

2. बुनकरों पर पाबन्दियाँ:
कम्पनी को माल बेचने वाले बुनकरों पर अन्य खरीददारों के साथ कारोबार करने पर पाबन्दी लगा दी। इसके लिए उन्हें पेशगी रकम दी जाती थी।

3. बुनकरों को ऋण उपलब्ध कराना:
कार्य का आदेश मिलने पर कम्पनी द्वारा बुनकरों को कच्चा माल खरीदने के लिए ऋण उपलब्ध करा दिया जाता था। ऋण लेने वाले बुनकरों को अपना बनाया हुआ कपड़ा गुमाश्ता को ही देना पड़ता था। वे अन्य किसी व्यापारी को नहीं बेच सकते थे।

4. बुनकरों का शोषण:
गुमाश्ते बुनकरों के साथ अपमानजनक व्यवहार करने लगे। गुमाश्ते बाहर के लोग थे उनका गाँवों से पुराना सामाजिक सम्बन्ध नहीं था, वे दंभपूर्ण व्यवहार वाले थे। वे सिपाहियों व चपरासियों को लेकर आते थे तथा माल समय पर तैयार न होने की स्थिति में बुनकरों को सजा के तौर पर पीटा जाता था व कोड़े बरसाये जाते थे फलस्वरूप बुनकरों की दशा अत्यन्त दयनीय हो गयी। अब वे न तो दाम पर मोलभाव कर सकते थे और न ही किसी और को माल बेच सकते थे। उन्हें कम्पनी से जो कीमत मिलती थी वह बहुत कम थी परन्तु वे ऋण के कारण कम्पनी के लिए काम करने को मजबूर थे।

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प्रश्न 3.
कल्पना कीजिए कि आपको ब्रिटेन तथा कपास के इतिहास के बारे में विश्वकोश (Encyclopaedia) के लिए लेख लिखने को कहा गया। इस अध्याय में दी गई जानकारियों के आधार पर अपना लेख लिखिए।
उत्तर:
ब्रिटेन का इतिहास:

  1. ब्रिटेन में 1730 ई. के दशक में कारखाने खुले लेकिन इनकी संख्या में तीव्र गति से वृद्धि 18वीं शताब्दी के अन्तिम चरण में हुई।
  2. कपास नये युग का प्रथम प्रतीक था। 19वीं शताब्दी के अन्त में उत्पादन में बहुत अधिक वृद्धि हुई।
  3. सन् 1760 ई. में ब्रिटेन अपने कपास उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 25 लाख पौंड कच्चे कपास का आयात करता था। 1787 ई. में यह आयात बढ़कर 220 लाख पौंड तक पहुँच गया।
  4. 18वीं शताब्दी में ब्रिटेन में कई आविष्कार हुए जिन्होंने उत्पादन प्रक्रिया कार्डिंग, ऐंठना, कताई व लपेटने के प्रत्येक चरण की कुशलता में वृद्धि कर दी। पहले से ज्यादा मजबूत धागों व रेशों का उत्पादन होने लगा।
  5. रिचर्ड आर्कराइट ने सूती कपड़ा मिल की रूपरेखा तैयार की।
  6. 1840ई. के दशक तक औद्योगीकरण के प्रथम चरण में सूती उद्योग एवं कपास उद्योग ब्रिटेन का सबसे बड़ा उद्योग बन चुका था।
  7. ब्रिटेन के लंकाशायर में एक कॉटन मिल की स्थापना की गयी।
  8. 1830 ई. में एक कताई कारखाने की स्थापना की गयी जिसमें भाप की सहायता से चलने वाले विशाल पहिये एक साथ सैकड़ों तकलियों को घुमाने लगते थे।
  9. जेम्स हरग्रीव्ज ने कताई की प्रक्रिया को तेज करने वाली एक मशीन ‘स्पिनिंग जेनी’ का निर्माण किया।
  10. ब्रिटेन ने समस्त प्रकार के सूती कपड़े पर अपना पूर्ण नियन्त्रण स्थापित कर लिया।
  11. ब्रिटेन ने मैनचेस्टर निर्मित सूती कपड़े को बेचने के लिए अपने समस्त उपनिवेशों में बाजार बना लिये थे। मशीनों द्वारा निर्मित ये कपड़े हाथ से बने कपड़ों से सस्ते पड़ते थे।
  12. यूरोप में बारीक भारतीय कपड़ों की माँग थी। ईस्ट इण्डिया कम्पनी भारतीय बुनकरों को कर्ज देती थी और गुमाश्तों से उनकी निगरानी करवाती थी जिससे कि ब्रिटेन से मोटे और बारीक कपड़े की नियमित आपूर्ति मिलती रहे। इस कपास के व्यापार एवं सूती वस्त्र उद्योग पर कई शताब्दियों तक ब्रिटेन का आधिपत्य बना रहा।

प्रश्न 4.
पहले विश्वयुद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा ?
उत्तर:
पहले विश्वयुद्ध के समय निम्नलिखित कारणों से भारत का औद्योगिक उत्पादन बढ़ा

  1. प्रथम विश्वयुद्ध तक औद्योगिक विकास धीमा रहा। युद्ध ने एक नई स्थिति उत्पन्न कर दी थी।
  2. ब्रिटिश कारखाने सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए युद्ध सम्बन्धी उत्पादन में व्यस्त थे इसलिए भारत में मैनचेस्टर के माल का आयात कम हो गया।
  3. भारतीय उद्योगों के लिए यह एक सुअवसर था उन्हें रातों-रात एक विशाल देशी बाजार मिल गया। इस प्रकार औद्योगिक उत्पादन में भी वृद्धि हुई।
  4. युद्ध लम्बे समय तक चला जिसके परिणामस्वरूप भारतीय कारखानों में भी सैनिकों के लिए जूट की बोरियाँ, सैनिकों के लिए वर्दी के कपड़े, टैण्ट और चमड़े के जूते, फोर्ड की जीन एवं अन्य अनेक प्रकार के समान बनने लगे।
  5. माँग में वृद्धि होने से नये-नये कारखानों की स्थापना होने लगी तथा पुराने कारखानों में भी उत्पादन बढ़ाने के लिए कई पालियों में काम होने लगा।
  6. उत्पादन में वृद्धि करने के लिए पर्याप्त मात्रा में श्रमिकों को काम पर रखा गया। प्रत्येक श्रमिक को पहले की तुलना में अधिक कार्य करना पड़ता था। यही कारण था कि प्रथम विश्वयुद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन बढ़ गया।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
अपने क्षेत्र में किसी एक उद्योग को चुनकर उसके इतिहास का पता लगाएँ। उसकी प्रौद्योगिकी किस तरह बदली? उसमें मजदूर कहाँ से आते हैं? उसके उत्पादनों का विज्ञापन और मार्केटिंग किस तरह किया जाता है ? इस उद्योग के इतिहास के बारे में मालिकों और उसमें काम करने वाले कुछ मजदूरों से बात करके देखिए।
उत्तर:
विद्यार्थी अपने शिक्षक की सहायता से इस परियोजना कार्य को पूर्ण करें।

क्रियाकलाप सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 80)

प्रश्न 1.
दो ऐसे उदाहरण दीजिए जहाँ आधुनिक विकास से प्रगति की बजाय समस्याएँ पैदा हुई हैं? आप चाहें तो पर्यावरण, आणविक हथियारों व बीमारियों से सम्बन्धित क्षेत्रों पर विचार कर सकते हैं ?
उत्तर:
1. औद्योगिक विकास:
विभिन्न देशों के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न प्रकार के उद्योगों की बड़ी संख्या में स्थापना की गई। मिल से निकलने वाले धुएँ, हानिकारक गैसें व अन्य प्रदूपक पदार्थ उत्सर्जित होने से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। औद्योगिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण की समस्या में भी वृद्धि हुई है।

उदाहरण के तौर पर मथुरा तेल शोधनशाला से निकलने वाले धुएँ के कारण ताजमहल की सुन्दरता को खतरा उत्पन्न हो गया है। भोपाल गैस त्रासदी दिसम्बर, 1984 को यूनियन कार्बाइड कारखानों से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से हजारों व्यक्ति अकाल मृत्यु के शिकार हो गये तथा 10,000 से अधिक लोगों के शरीर विकृत हो गये।

2. परमाणु अस्त्रों का विकास:
परमाणु बमों एवं आणिवक हथियारों के निर्माण में कई रेडियोधर्मी पदार्थों को काम में लिया जाता है। इनसे निकला घातक विकिरण मानव जाति व पेड़-पौधों के लिए अत्यन्त विनाशक है। उदाहरण के रूप में, इनका महाघातक प्रभाव सर्वप्रथम संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा व नागासाकी पर डाले परमाणु बमों के समय देखा गया। इस दुर्घटना में अनेक लोग मारे गये व आज भी लोग इसके घातक प्रभाव झेल रहे हैं।

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गतिविधि (पृष्ठ संख्या – 83)

प्रश्न 2.
चित्र 4 व 5 को देखें। क्या आपको दोनों तस्वीरों में औद्योगीकरण को दर्शाने के ढंग में कोई फर्क दिखाई देता है? अपना दृष्टिकोण संक्षेप में व्यक्त करें।
उत्तर:
हाँ चित्र 4 व 5 की दोनों तस्वीरों में फर्क दिख रहा है। चित्र 4 औद्योगीकरण के प्रारम्भ को दर्शाता है। इस समय  औद्योगीकरण विकास का अहम पहलू बन गया था तथा इसे आकर्षक रूप में स्थान प्राप्त हुआ। चित्र 5 की तस्वीर औद्योगीकरण के अति विकसित स्वरूप को दर्शा रही है। अत्यधिक औद्योगिक इकाइयों की स्थापना से चारों ओर पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता नजर आ रहा है तथा इस दौर तक औद्योगीकरण एक विकराल समस्या बन चुका था।

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 85)

प्रश्न 3.
कल्पना कीजिए कि आप सौदागर हैं और एक ऐसे सैल्समेन को चिट्ठी लिख रहे हैं जो आपको नयी मशीन खरीदने के लिए राजी करने की कोशिश कर रहा है। अपने पत्र में बताइए कि मशीन के बारे में आपने क्या पूछा है और आप नयी प्रौद्योगिकी में पैसा क्यों नहीं लगाना चाहते?
उत्तर:
मशीनों के बारे में मैंने सुना है कि मशीनों को लगाने में अधिक खर्चा आता है। मशीनें अक्सर खराब हो जाती हैं। इनकी मरम्मत कराना कठिन होता है। मशीनों से एक जैसी तय किस्म का माल तैयार होता है जबकि उपभोक्ता विचित्र रूप, रंग व विशेष प्रकार की डिजाइन के हाथ से बने हुए माल की माँग करते हैं। इसलिए मैं इस नयी प्रौद्योगिकी में पैसा नहीं लगाना चाहता हूँ।

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गतिविधि (पृष्ठ संख्या 87)

प्रश्न 4.
चित्र 3, 7 और 11 को देखिए। इसके बाद स्रोत-ख को दोबारा पढ़िए। अब बताइए कि बहुत सारे मजदूर स्पिनिंग जेनी के इस्तेमाल का विरोध क्यों कर रहे थे ?
उत्तर:
1764 ई. में जेम्स हरग्रीज द्वारा निर्मित स्पिनिंग जेनी एक ऐसी मशीन थी जिसने एक ही पहिए से अनेक तकलियों को घुमाना सम्भव बना दिया था जबकि इसके पहले एक पहिए की मशीन केवल एक ही तकली को घुमा सकती थीं। उस समय परिवार के सभी लोग इस कार्य में लगे रहते थे और कमाते थे। लेकिन स्पिनिंग जेनी मशीन के आविष्कार ने उनके रोजगार को समाप्त कर दिया और बेरोजगारी को बढ़ावा दिया। अब इस मशीन के एक ही पहिए से एक समय में अनेक तकलियाँ घुमायी जा सकती थीं। इसलिए बहुत सारे मजदूर स्पिनिंग जेनी के इस्तेमाल का विरोध कर रहे थे।

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 89)

प्रश्न 5.
एशिया के मानचित्र पर भारत से मध्य एशिया, पश्चिमी एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ होने वाले कंपड़ा व्यापार के समुद्री व सड़क सम्पर्कों को चिह्नित कीजिए।
उत्तर:
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