Jharkhand Board JAC Class 11 History Solutions Chapter 5 यायावर साम्राज्य Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 11 History Solutions Chapter 5 यायावर साम्राज्य
Jharkhand Board Class 11 History यायावर साम्राज्य In-text Questions and Answers
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क्रियाकलाप 1 : यदि यह मान लें कि जुवैनी का बुखारा पर कब्जे का वृत्तान्त सही है, कल्पना करें कि आप बुखारा और खुरासान के निवासी हैं और ऐसा भाषण सुन रहे हैं, तो उस भाषण का आपके ऊपर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
परवर्ती तेरहवीं शताब्दी के ईरान के मंगोल शासकों के एक फारसी इतिवृत्तकार जुवैनी ने 1220 ई. में मंगोलों द्वारा बुखारा की विजय का वृत्तान्त किया है। जुवैनी ने लिखा है कि बुखारा की विजय के बाद चंगेजखान ‘उत्सव मैदान’ में गया जहाँ पर नगर के धनी व्यापारी एकत्रित थे। उसने उन्हें सम्बोधित कर कहा, ” अरे लोगो ! तुम्हें यह ज्ञात होना चाहिए कि तुम लोगों ने अनेक पाप किए हैं और तुममें से जो अधिक सम्पन्न लोग हैं, उन्होंने सबसे अधिक पाप किए हैं।
यदि तुम मुझसे पूछो कि इसका मेरे पास क्या प्रमाण है, तो इसके लिए मैं कहूँगा कि मैं ईश्वर का दण्ड हूँ। यदि तुमने पाप न किए होते, तो ईश्वर ने मुझे दण्ड हेतु तुम्हारे पास न भेजा होता।” अब कोई व्यक्ति, बुखारा पर अधिकार होने के बाद खुरासान भाग गया था। उससे नगर के भाग्य के बारे में पूछने पर उसने उत्तर दिया, “वे (नगर) आए, दीवारों को ध्वस्त कर दिया, जला दिया, लोगों का वध किया, लूटा और चल दिए।”
उपर्युक्त भाषण का मेरे ऊपर यह प्रभाव पड़ता कि मंगोल नेता चंगेजखान को ईश्वर से विश्व पर शासन करने का आदेश प्राप्त था। मुझे यह शिक्षा ग्रहण करने को मिलती कि गरीबों का शोषण कर अनुचित तरीकों से धन-सम्पत्ति एकत्रित नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने वालों को ईश्वर से दण्ड मिलता है। चंगेजखान के भाषण से यह ज्ञात होता है कि उसे ईश्वर ने ही बुखारा पर विजय प्राप्त करने और लोगों को दण्ड देने हेतु भेजा था। चंगेज खाँ यह प्रदर्शित करना चाहता था कि उसने ईश्वरीय आज्ञा से बुखारा पर अधिकार किया था और इसलिए बुखारावासियों को उसकी आधीनता स्वीकार कर लेनी चाहिए।
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क्रियाकलाप 3 : पशुचारकों और किसानों के स्वार्थों में संघर्ष का क्या कारण था ? क्या चंगेजखान खानाबदोश कमाण्डरों को देने वाले भाषण में इस तरह की भावनाओं को शामिल करता?
उत्तर:
अधिकांश मंगोल पशुचारक थे तथा कुछ शिकारी-संग्राहक थे। मंगोलों ने कृषि – कार्य को नहीं अपनाया। वे अपने पशुधन के साथ शीतकालीन निवास स्थल से ग्रीष्मकालीन चारण भूमि की ओर चले जाते थे। प्राकृतिक आपदाओं जैसे शिकार – सामग्रियों के समाप्त होने अथवा वर्षा न होने पर घास के मैदानों के सूख जाने पर उन्हें चरागाहों की खोज में भटकना पड़ता था। वे अपने पशुओं को चरागाहों में छोड़ देते थे जिससे कृषकों की फसलों को नुकसान पहुँचता था। वे चाहते थे कि कृषि भूमि को चरागाहों में परिवर्तित कर दिया जाए।
दूसरी ओर कृषक चाहते थे कि पशुचारक चरागाहों दूर रहें और उनकी फसलों को नुकसान न पहुँचाएँ। इस कारण पशुचारकों तथा कृषकों के स्वार्थों में संघर्ष की स्थिति बनी रहती थी। दूसरी ओर चंगेजखान के सबसे छोटे पुत्र तोलुई के वंशज गजन खान ने खानाबदोश कमाण्डरों को सम्बोधित करते हुए कहा था कि किसानों को लूटा न जाए। उन्हें सताने की बजाय उनकी रक्षा की जाए। यदि चंगेजखान भी 13वीं शताब्दी में सत्तारूढ़ रहता, तो सम्भवतः वह भी खानाबदोश कमाण्डरों को देने वाले भाषण में इसी प्रकार की भावनाओं का समावेश करता।
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क्रियाकलाप 4: क्या इन चार शताब्दियों में यास का अर्थ बदल गया, जिसने चंगेजखान को अब्दुल्लाह खान से अलग कर दिया? हफीज-ए-तानीश के अनुसार अब्दुल्लाह खान ने मुसलमान उत्सव मैदान में किए गए धार्मिक अनुपालन के सम्बन्ध में चंगेजखान के ‘यास’ का उल्लेख क्यों किया?
उत्तर:
1221 ई. में बुखारा की विजय के पश्चात् चंगेजखाँ वहाँ के उत्सव मैदान में गया जहाँ पर बुखारा नगर के धनी व्यापारी एकत्रित थे। उसने धनी व्यापारियों की कटु निन्दा की। उसने उन्हें पापी कहा और चेतावनी दी कि इन पापों के प्रायश्चितस्वरूप उनको अपना छिपा हुआ धन उसे देना पड़ेगा। ‘यास’ का मतलब था-चंगेजखान की विधि – संहिता। यास मंगोल जनजाति की ही प्रथागत परम्पराओं का एक संकलन था। यास मंगोलों को समान आस्था रखने वालों के आधार पर संयुक्त करने में सफल हुआ।
यास ने मंगोलों को अपनी कबीलाई पहचान बनाए रखने और अपने नियमों को उन पराजित लोगों पर लागू करने का आत्मविश्वास दिया। सोलहवीं शताब्दी के अन्त में चंगेजखान के सबसे बड़े पुत्र जोची का एक दूर का वंशज अब्दुल्लाह खान बुखारा के उसी उत्सव मैदान में गया। चंगेजखान के विपरीत अब्दुल्लाह खान वहाँ छुट्टी की नमाज अदा करने गया। अब्दुल्लाह खान के इतिहासकार हफीज – ए – तानीश ने अपने स्वामी की इस मुस्लिम धर्मपरायणता का विवरण अपने इतिवृत्त में दिया और साथ में यह आश्चर्यचकित करने वाली टिप्पणी भी की : ” कि यह चंगेजखान के ‘यास’ के अनुसार था। ”
इस प्रकार सोलहवीं शताब्दी के अन्त में अब्दुल्लाह खान अपनी मुस्लिम धर्म-परायणता का प्रदर्शन करने के लिए बुखारा के उत्सव मैदान में गया था, जबकि चंगेजखान वहाँ के धनी व्यापारियों को ईश्वर के आदेश से दण्ड देने गया था। इस प्रकार यास के अर्थ में परिवर्तन आ गया था। परन्तु इतिहासकार हफीज-ए-तानीश के अनुसार ” यह चंगेजखान के यास के अनुसार था।” इससे पता चलता है कि परवर्ती मंगोलों ने ग्रास को चंगेज खान की विधि – संहिता के रूप में स्वीकार कर लिया था।
Jharkhand Board Class 11 History यायावर साम्राज्य Text Book Questions and Answers
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था ?
उत्तर:
मंगोलों के निवास क्षेत्रों में कृषि उत्पादन करना अत्यन्त कठिन था। चारण क्षेत्र में वर्ष की सीमित अवधियों ही कृषि करना सम्भव था। अतः मंगोलों ने कृषि कार्य को नहीं अपनाया। इसलिए जीविकोपार्जन के लिए मंगोल व्यापार की ओर आकर्षित हुए। स्टेपी क्षेत्र में संसाधनों के अभाव के कारण मंगोलों और मध्य एशिया के यायावरों को व्यापार और वस्तुओं के विनिमय के लिए चीन जाना पड़ता था। यह व्यवस्था मंगोलों और चीनियों दोनों के लिए लाभदायक थी। मंगोल खेती से प्राप्त उत्पादों और लोहे के उपकरणों को चीन से लाते थे और घोड़े, फर और शिकार का विनिमय करते थे। जब मंगोल कबीलों के लोग साथ मिलकर व्यापार करते थे, तो वे चीनियों से व्यापार में अपेक्षाकृत अच्छी शर्तें रखते थे। इन परिस्थितियों के कारण मंगोलों के लिए व्यापार काफी महत्त्वपूर्ण था।
प्रश्न 2.
चंगेजखान ने यह क्यों अनुभव किया कि मंगोल कबीलों को नवीन सामाजिक और सैनिक इकाइयों में विभक्त करने की आवश्यकता है?
उत्तर:
मंगोलों और अन्य अनेक यायावर समाजों में प्रत्येक स्वस्थ वयस्क सदस्य हथियारबन्द होता था। आवश्यकता होने पर इन्हीं लोगों से सशस्त्र सेना का गठन होता था । विभिन्न लोगों के विरुद्ध किये गए अभियानों में चंगेज खाँ की सेना में नये सदस्य सम्मिलित हुए। इससे उसकी सेना, जो कि अपेक्षाकृत रूप से छोटी और अविभेदित समूह थी, वह एक विशाल विषमजातीय संगठन में परिवर्तित हो गई। स्टेपी क्षेत्र में कई मंगोल कबीले रहते थे। चंगेजखान मंगोलों के उन विभिन्न जनजातीय समूहों की पहचान को मिटाना चाहता था। जो उसके महासंघ के सदस्य थे। उसकी सेना स्टेपी. क्षेत्रों की प्राचीन दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गई थी।
यह सेना दस, सौ, हजार तथा दस हजार सैनिकों की इकाई में विभाजित थी। पुरानी पद्धति में कुल, कबीले और सैनिक दशमलव इकाइयाँ एक-साथ अस्तित्व में थीं। विभिन्न जनजातीय समूहों के सदस्यों की पहचान मिटाने के लिए ही चंगेजखान ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया। उसने प्राचीन जनजातीय समूहों को विभाजित कर उनके सदस्यों को नवीन सैनिक इकाइयों में बाँट दिया।
जो सैनिक अपने अधिकारी से अनुमति लिए बिना बाहर जाता था, उसे कठोर दण्ड दिया जाता था। सैनिकों की सबसे बड़ी इकाई दस हजार सैनिकों (तुमन) की थी जिसमें अनेक कबीलों और कुलों के लोग सम्मिलित थे। चंगेजखान ने स्टेपी क्षेत्र की पुरानी सामाजिक व्यवस्था को बदल दिया तथा विभिन्न वंशों और कुलों को एकीकृत कर इन सभी को एक नवीन पहचान प्रदान की। इसका कारण यह था कि उसे यह संदेह था कि कहीं ये सभी लोग संगठित होकर उसकी सत्ता पलटकर या विद्रोह कर अपने-अपने अलग साम्राज्य स्थापित न कर लें।
प्रश्न 3.
यास के बारे में परवर्ती मंगोलों का चिन्तन किस तरह चंगेजखान की स्मृति के साथ जुड़े हुए उनके तनावपूर्ण सम्बन्धों को उजागर करता है ?
उत्तर:
चंगेज खान के पश्चात् परवर्ती मंगोलों ने यास को स्वीकार कर लिया था, किन्तु उनके मध्य चंगेजखान की स्मृति के साथ उनके मन में भारी तनाव था जिसने मंगोलों में शंकालु सम्बन्ध उत्पन्न हुए।
यथा –
यास मंगोल जनजाति की प्रथागत परम्पराओं का एक संकलन था जिसे चंगेज खां के वंशजों द्वारा चंगेजखां की विधिसंहिता कहा गया। ऐसा चंगेज खां के वंशजों ने चंगेज खां का मान-सम्मान बढ़ाने के लिए किया था, लेकिन वे यह बात भलीभांति जानते थे कि अपने यास (हुक्मनामे) में बुखारा के लोगों की भर्त्सना की थी तथा उन्हें पापी कहकर चेतावनी दी थी कि अपने पापों के प्रायश्चित स्वरूप उनको अपना छिपा धन उन्हें देना चाहिए। इस हुक्मनामे ने चंगेज खां के उत्तराधिकारियों के लिए काफी कठिनाई पैदा कर दी थी।
बाद के मंगोल न तो चंगेज खां के कठोर नियमों को अपनी प्रजा पर लागू कर सकते थे और न ही वे प्रजा पर लागू कर सकते थे और न ही वे पूर्वज चंगेज खां की तरह उनकी भर्त्सना कर सकते थे। इस बात ने बाद के मंगोलों के लिए शंकालु और तनावपूर्ण सम्बन्ध उत्पन्न किए। इसका कारण यह था कि अब स्वयं वे काफी सभ्य हो चुके थे और अनेक सभ्य जातियों के लोगों पर उनका राज्य स्थापित हो चुका था। उन्हें अब स्थानबद्ध समाज में अपनी धाक जमानी थी, लेकिन वे अब वीरता की वह तस्वीर पेश नहीं कर सकते थे जैसाकि चंगेज खान ने की थी।
प्रश्न 4.
यदि इतिहास नगरों में रहने वाले साहित्यकारों के लिखित विवरणों पर निर्भर करता है, तो यायावर समाजों के बारे में हमेशा प्रतिकूल विचार ही रखे जायेंगे। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्या आप इसका कारण धनायेंगे कि फारसी इतिवृत्तकारों ने मंगोल अभियानों में मारे गए लोगों की इतनी बढ़ा-चढ़ाकर संख्या क्यों बताई है ?
उत्तर:
हाँ, मैं इस कथन से सहमत हूँ कि यदि इतिहास नगरों में रहने वाले साहित्यकारों के लिखित विवरणों पर निर्भर करता है, तो उन साहित्यकारों के लिखित विवरणों में यायावर समाजों के बारे में सदैव ही प्रतिकूल विचार ही रखे जायेंगे। इन साहित्यकारों ने यायावर समाजों के बारे में जो विवरण प्रस्तुत किए हैं, वे पक्षपातपूर्ण हैं। इन लेखकों की यायावरों के जीवन-सम्बन्धी सूचनाएँ अज्ञात और पूर्वाग्रहों से ग्रस्त हैं। इसका एक प्रमुख कारण यह है कि यायावरी लोगों ने अपने बारे में बहुत कम साहित्य की रचना की है।
यायावरी लोगों को लुटेरा, क्रूर और निर्दयी व्यक्तियों के रूप में चित्रित किया गया है। जो नगर यायावरी लोगों का प्रतिरोध करते थे, उनका विध्वंस कर दिया गया। ये लोग ऐसे नगरों पर धावा बोलकर उन्हें खूब लूटते थे तथा हजारों लोगों की क्रूरतापूर्वक हत्या कर देते थे। इसलिए शहरों के लोग उनसे घृणा करते थे। नगरों में रहने वाले साहित्यकार यायावर समाज के बारे में ऐसा चित्र प्रस्तुत करते हैं कि यायावर लोग क्रूर, बर्बर, हत्यारे तथा नगरों को ध्वस्त करने वाले थे।
दूसरी ओर फारसी इतिहासकार भी इस्लामी दृष्टिकोण से प्रभावित थे। वे भी मंगोलों से घृणा करते थे क्योंकि उन्होंने अनेक इस्लामी राज्यों को रौंद डाला था । इसलिए उन्होंने मंगोल – अभियानों में मारे गए लोगों की इतनी बढ़ा- चढ़ा कर संख्या बताई है। उदाहरण के लिए, एक प्रत्यक्षदर्शी गवाह के अनुसार बुखारा के दुर्ग की रक्षा के लिए 400 सैनिक नियुक्त थे, परन्तु इस विवरण के विरुद्ध एक इल- खानी इतिहासवृत्त में यह विवरण दिया गया है कि बुखारा के दुर्ग पर हुए आक्रमण में 30,000 सैनिक मारे गए।
इलखानों के फारसी इतिवृत्तकार जुवैनी के अनुसार मर्व में 13,00,000 लोगों का वध किया गया था। उसने इस संख्या का अनुमान इस प्रकार लगाया कि 13 दिनों तक एक लाख शव प्रतिदिन गिने जाते थे। दूसरी ओर इल-खानी के विवरणों में चंगेजखाँ की प्रशंसा की जाती थी परन्तु उनमें यह कथन भी दिया हुआ होता था कि समय बदल गया है और अब पहले की भाँति रक्तपात समाप्त हो चुका है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 5.
मंगोल और बेदोइन समाज की यायावरी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए यह बताइए कि आपके विचार में किस तरह उनके ऐतिहासिक अनुभव एक-दूसरे से भिन्न थे? इन भिन्नताओं से जुड़े कारणों को समझाने के लिए आप क्या स्पष्टीकरण देंगे?
उत्तर:
(1) बेदोइन समाज –
(i) बहुत से अरब कबीले खानाबदोश होते थे, जो खजूर आदि खाद्य तथा अपने ऊँटों के लिए चारे की तलाश में रेगिस्तान में सूखे क्षेत्रों से हरे-भरे क्षेत्रों अर्थात् नखलिस्तानों की ओर जाते रहते थे।
(ii) कुछ शहरों में बस गए थे और व्यापार अथवा खेती का काम करने लगे थे। खलीफा के सैनिक जिनमें अधिकतर बेदोइन थे, रेगिस्तान के किनारों पर बसे शहरों जैसे कुफा और बसरा में शिविरों में रहते थे, ताकि वे अपने प्राकृतिक आवास स्थलों के निकट और खलीफा की कमान के अन्तर्गत बने रहें।
(iii) प्रत्येक कबीले को अपने स्वयं के देवी- देवता होते थे जिनकी बुतों के रूप में मस्जिदों में पूजा की जाती थी। तीर्थ यात्रा और व्यापार ने खानाबदोशों को एक-दूसरे के साथ वार्तालाप करने और अपने विश्वासों तथा रीति-रिवाजों को आपस में बाँटने का अवसर दिया।
(iv) बेदाइन क्षेत्रों में बसे लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि हुआ करता था। जमीन के मालिक बड़े और छोटे किसान होते थे। जमीन कृषि इकाइयों में बंटी होती थी। जो क्षेत्र स्थिर कृषि व्यवस्था तक पहुँच गए थे, वहां जमीन गाँव की साँझी सम्पत्ति थी।
(2) मंगोल समाज –
(i) मंगोल स्टेपी क्षेत्र के यायावर कबीले थे।
(ii) कुछ मंगोल पशुपालक थे और कुछ शिकारी-संग्राहक। पशुपालक समाज – पशुपालक घोड़ों, भेड़ों, बकरी और ऊंटों को पालते थे। उनका यायावरीकरण मध्य एशिया की चारण भूमि (स्टेपीज) में हुआ। स्टेपी क्षेत्र का परिदृश्य अत्यन्त मनोरम था। पशुचारण के लिए यहाँ पर अनेक हरी घास के मैदान और प्रचुर मात्रा में शिकार उपलब्ध हो जाते थे।
शिकारी संग्राहक लोग – शिकारी संग्राहक लोग पशुपालक कबीलों के आवास क्षेत्र के उत्तर में साइबेरियाई वनों में रहते थे।
(iii) पशुपालक लोगों की तुलना में ये अधिक गरीब होते थे और ग्रीष्मकाल में पकड़े गए जानवरों की खाल के व्यापार से अपना जीविकोपार्जन करते थे। मंगोलों ने कृषि कार्य को नहीं अपनाया। पशुपालक और शिकारी संग्राहकों की अर्थव्यवस्था घनी आबादी वाले क्षेत्रों का भरण-पोषण करने में असमर्थ थी। परिणामस्वरूप इन क्षेत्रों में नगर विकसित नहीं हो सके।
(iv) मंगोल तम्बुओं और जरों में निवास करते थे और अपने पशुधन के साथ शीतकालीन निवास-स्थल से ग्रीष्मकालीन चारण भूमि की ओर चले जाते थे।
(v) मंगोलों का समाज अनेक पितृपक्षीय वंशों में विभाजित था। धनी परिवार विशाल होते थे और उनके पास अधिक पशु तथा अधिक भूमि होती थी।
(vi) मंगोल वीर और साहसी योद्धा होते थे। वे कुशल घुड़सवार और तीरन्दाज होते थे । वे बड़े क्रूर, निर्दयी और खूंखार लोग थे। वे अपने शत्रुओं पर भीषण अत्याचार करते थे।
(vii) समय-समय पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं के अवसरों पर मंगोल यायावरों को चरागाहों की खोज में भटकना पड़ता था। पशुधन को प्राप्त करने के लिए वे लूटपाट भी करते
(viii) स्टेपी क्षेत्र में संसाधनों के अभाव में मंगोलों को व्यापार और वस्तु-विनिमय के लिए चीन जाना पड़ता था। ये लोग खेती से प्राप्त उत्पादों और लोहे के उपकरणों को चीन से लाते थे और घोड़े, फर और शिकार का विनिमय करते थे।
कभी-कभी ये लोग व्यापारिक सम्बन्धों को नकार कर केवल लूटमार करने लगते थे। यायावर लोग लूटपाट कर संघर्ष – क्षेत्र से दूर भाग जाते थे जिससे उन्हें बहुत कम हानि होती थी। अपने सम्पूर्ण इतिहास में इन यायावरों ने चीन को बहुत हानि पहुँचाई। भिन्नता का कारण – मंगोलों को चंगेजखान तथा अन्य योग्य नेताओं का कुशल नेतृत्व मिलना, यायावरी क्षेत्रों की स्थिति तथा परिदृश्य तथा भौगोलिक परिस्थितियाँ आदि भिन्नता के प्रमुख कारण थे।
प्रश्न 6.
तेरहवीं शताब्दी के मध्य में मंगोलिया द्वारा निर्मित ‘पैक्स मंगोलिका’ का निम्नलिखित विवरण उसके चरित्र को किस तरह उजागर करता है ?
एक फ्रेन्सिसकन भिक्षु, रूब्रुक निवासी विलियम को फ्रांस के सम्राट लुई – IX ने राजदूत बनाकर महान खान मोंके के दरबार में भेजा। वह 1254 में मोंके की राजधानी कराकोरम पहुँचा और वहाँ वह लोरेन, फ्रांस की एक महिला पकेट के सम्पर्क में आया जिसे हंगरी से लाया गया था। यह महिला राजकुंमार की पत्नियों में से एक पत्नी की सेवा में नियुक्त थी जो नेस्टोरियन ईसाई थी।
वह दरबार में एक फारसी जौहरी ग्वीयोम बूशेर के सम्पर्क में आया जिसका भाई पेरिस के ‘ग्रेन्ड पोन्ट’ में रहता था। इस व्यक्ति को सर्वप्रथम रानी सोरगकतानी ने और उसके उपरान्त मोंके के छोटे भाई ने अपने पास नौकरी में रखा। विलियम ने यह देखा कि विशाल दरबारी उत्सवों में सर्वप्रथम नेस्टोरिन पुजारियों को उनके चिन्हों के साथ तथा इसके उपरान्त मुसलमान, बौद्ध और ताओ पुजारियों को महान खान को आशीर्वाद देने के लिए आमन्त्रित किया जाता था।
उत्तर:
उपर्युक्त विवरण से पता चलता है कि मंगोल शासक विभिन्न धर्मों, आस्थाओं से सम्बन्ध रखने वाले थे। वे ईसाई, बौद्ध, इस्लाम आदि धर्मों का सम्मान करते थे। वे विदेशियों तथा विभिन्न धर्मावलम्बियों को अपने दरबार में आश्रय प्रदान करते थे तथा उन्हें राजकीय पदों पर नियुक्त करते थे। मंगोल महिलाओं का भी सम्मान करते थे। ईसाई धर्मावलम्बी महिलाओं को भी राजमहलों में रानियों की सेवा में नियुक्त किया जाता था। इस प्रकार मंगोलों के शासन काल में विभिन्न धर्मावलम्बी शान्तिपूर्वक रहते थे और उनके साथ किसी प्रकार का भेद-भाव नहीं किया जाता था।
इससे ज्ञात होता है कि मंगोलों का शासन बहु-जातीय, बहु-भाषी, बहु- धार्मिक था। उनके शासन काल में विदेशियों का भी आदर-सम्मान किया जाता था तथा उन्हें महत्त्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया जाता था। वे अपने शासन के लिए विभिन्न धर्मों के सन्तों से आशीर्वाद प्राप्त करते थे। इस विवरण से यह भी ज्ञात होता है कि मंगोल शासक चतुर कूटनीतिज्ञ थे तथा विभिन्न देशों से कूटनीतिक सम्बन्ध बनाए रखते थे। मंगोल शासक ऐश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करते थे तथा उनके महलों में सभी प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध थीं। वे धार्मिक दृष्टिकोण से आस्तिकतावादी थे, लेकिन धार्मिक कट्टरवाद से काफी दूर थे।
यायावर साम्राज्य JAC Class 11 History Notes
पाठ- सार
1. मंगोल – मंगोल विविध जन-समुदाय का एक निकाय था। ये लोग तातार, खितान, मंचू और तुर्की कबीलों से परस्पर सम्बद्ध थे। कुछ मंगोल पशु-पालक थे तथा कुछ शिकारी संग्राहक थे। उनका यायावरीकरण मध्य एशिया की चारण भूमि (स्टेपीज) में था। ये लोग तम्बुओं और जरों में रहते थे और अपने पशुधन के साथ शीतकालीन निवास- स्थान से ग्रीष्मकालीन चारण भूमि की ओर चले जाते थे।
2. समाज – मंगोलों का समाज अनेक पितृपक्षीय वंशों में विभाजित था। धनी परिवार विशाल होते थे। उनके पास अधिक संख्या में पशु और चारण भूमि होती थी। मंगोल पशुधन को प्राप्त करने के लिए लूटपाट भी करते थे। परिवारों के समूह परिसंघ बना लेते थे।
3. चीन से व्यापारिक सम्बन्ध – मंगोल खेती से प्राप्त उत्पादों और लोहे के उपकरणों को चीन से लाते थे तथा घोड़े, फर और स्टेपी में पकड़े गए शिकार का विनिमय करते थे। कभी-कभी मंगोल व्यापारिक सम्बन्धों को नकार कर केवल लूटपाट करने लगते थे। मंगोलों की लूटपाट से अपनी प्रजा की रक्षा के लिए चीनी शासकों को आठवीं शताब्दी से ही किलेबन्दी करनी पड़ी थी।
4. चंगेजखान का जीवन-वृत्त – चंगेजखान का जन्म 1162 ई. के आसपास आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट हुआ था। उसका प्रारम्भिक नाम तेमुजिन था। 1206 में उसने अपने प्रतिद्वन्द्वियों को पराजित किया। मंगोल कबीले के सरदारों की एक सभा – कुरिलताई ने उसे ‘ चंगेजखान’, ‘सार्वभौम शासक’ की उपाधि दी और उसे मंगोलों का महानायक घोषित किया गया।
5. चंगेजखान की विजयें- चंगेजखान ने एक शक्तिशाली सेना का गठन किया। उसने चीन पर विजय प्राप्त की और 1215 में पेकिंग नगर को खूब लूटा। 1219 तथा 1221 ई. तक मंगोलों ने ओट्रार, बुखारा, समरकन्द, बल्ख, गुरगंज, मर्व, निशापुर और हेरात पर विजय प्राप्त की। निशापुर के घेरे के दौरान एक मंगोल राजकुमार की हत्या कर दी गई, तो निशापुर को तहस-नहस कर दिया गया। 1227 ई. में चंगेज खान की मृत्यु हो गई।
6. चंगेजखान के पश्चात् मंगोल – 1236 – 1242 तक मंगोलों ने रूस के स्टैपी क्षेत्र, बुलघार, कीव, पोलैण्ड तथा हंगरी में भारी सफलता प्राप्त की। 1255 से 1300 तक की अवधि में मंगोलों ने समस्त चीन, ईरान, इराक और सीरिया पर विजय प्राप्त की।
7. सैनिक संगठन – मंगोलों ने एक विशाल विषमजातीय सेना का गठन किया। यह सेना दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गई थी। सैनिकों की सबसे बड़ी इकाई लगभग दस हजार सैनिकों की थी जिसमें अनेक कबीलों तथा कुलों के लोग शामिल होते थे। नवीन सैनिक टुकड़ियाँ चंगेज खान के चार पुत्रों जोची, चघनाई, ओगोदेई और तोलो के अधीन थीं।
8. नवविजित प्रदेशों का शासन- चंगेजखान ने नव-विजित प्रदेशों पर शासन करने का उत्तरदायित्व अपने चार पुत्रों को सौंप दिया। इससे ‘उलुस’ का गठन हुआ।
9. हरकारा पद्धति – चंगेज खान ने एक चुस्त हरकारा पद्धति अपना रखी थी जिससे राज्य के दूरदराज के स्थानों में परस्पर सम्पर्क रखा जाता था। अनेक स्थानों पर सैनिक चौकियाँ स्थापित थीं जिनमें बलवान घोड़े तथा घुड़सवार सन्देशवाहक नियुक्त रहते थे। चंगेजखान की मृत्यु के बाद. इस हरकारा पद्धति में और भी सुधार लाया गया।
10. व्यापार – मंगोलों की देखरेख में रेशम मार्ग पर व्यापार अपनी चरम अवस्था पर पहुँच गया था परन्तु पहले की भाँति अब व्यापारिक मार्ग चीन में ही समाप्त नहीं होते थे। सुरक्षित यात्रा के लिए यात्रियों को पास दिये जाते थे। इस सुविधा के लिए व्यापारी ‘बाज’ नामक कर अदा करते थे।
11. नागरिक प्रशासक – मंगोलों ने विजित राज्यों से नागरिक प्रशासकों को अपने यहाँ भर्ती कर लिया था। इनको कभी-कभी एक स्थान से दूसरे स्थान पर भी भेज दिया जाता था। इनमें से कुछ प्रशासक काफी प्रभावशाली होते थे तथा अपने प्रभाव का उपयोग मंगोल खानों पर भी कर पाते थे।
12. यास-यास का सम्बन्ध प्रशासनिक विनियमों से है, जैसे-आखेट, सैन्य और डाक प्रणाली का संगठन। यास वह नियम-संहिता थी जिसे चंगेजखान ने लागू की थी। यास मंगोलों को समान आस्था रखने वालों के आधार पर संयुक्त करने में सफल हुआ।
13. चंगेजखान और मंगोलों का विश्व इतिहास में स्थान – मंगोलों के लिए चंगेजखान अब तक का सबसे महान शासक था। उसने मंगोलों को संगठित किया। उसने मंगोलों को शक्तिशाली और समृद्ध बनाया। उसने एक विशाल पारमहाद्वीपीय साम्राज्य बनाया और व्यापार के मार्गों तथा बाजारों को पुनर्स्थापित किया। मंगोलों ने सब जातियों और धर्मों के लोगों को अपने यहाँ प्रशासकों और सशस्त्र सैन्य दल के रूप में भर्ती किया। उनका शासन बहु-जातीय, बहु-भाषी, बहु- धार्मिक था जिसको अपने बहुविध संविधान का कोई भय नहीं था । यह उस समय के लिए एक असामान्य बात थी।
14. एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में मंगोलिया – आज, दशकों के रूसी नियन्त्रण के बाद मंगोलिया एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। उसने चंगेजखान को एक महान राष्ट्र नायक के रूप में लिया है जिसका सार्वजनिक रूप से सम्मान किया जाता है और जिसकी उपलब्धियों का वर्णन बड़े गर्व के साथ किया जाता है। मंगोलिया के इतिहास में चंगेजखान मंगोलों के लिए एक आराध्य व्यक्ति के रूप में उपस्थित हुआ है।