Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार Important Questions and Answers.
JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. रेशम मार्ग किन देशों के मध्य था ?
(A) चीन तथा रोम
(B) चीन तथा भारत
(C) जापान तथा श्रीलंका
(D) अफ्रीका तथा चीन।
उत्तर:
(A) चीन तथा रोम
2. दास व्यापार संयुक्त राज्य में कब समाप्त हुआ ?
(A) 1708
(B) 1758
(C) 1778
(D) 1808
उत्तर:
(D) 1808
3. कौन-सा देश कालीन बनाने में प्रसिद्ध था ?
(A) भारत
(B) पाकिस्तान
(C) तिब्बत
(D) ईरान।
उत्तर:
(D) ईरान।
4. E.U. का मुख्यालय है
(A) लन्दन
(B) पेरिस
(C) ब्रसेलस
(D) बर्लिन।
उत्तर:
(C) ब्रसेलस
5. GATT की स्थापना कब हुई ?
(A) 1904
(B) 1924
(C) 1954
(D) 1994।
उत्तर:
(D) 1994।
6. मूल्य उच्च रखने के लिए क्या प्रक्रिया की जाती है ?
(A) फालतू उत्पादन को जलाना
(B) समुद्र में फेंकना
(C) कृषि बन्द करना
(D) निर्यात बन्द करना।
उत्तर:
(A) फालतू उत्पादन को जलाना
7. सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापार वस्तु है
(A) कोयला
(B) पेट्रोलियम
(C) परिवहन तथा मशीनरी
(D) गेहूँ।
उत्तर:
(C) परिवहन तथा मशीनरी
8. जब निर्यात का मूल्य आयात से अधिक हो तो व्यापार
(A) अनुकूल
(B) प्रतिकूल
(C) विपरीत
(D) असन्तुलित।
उत्तर:
(A) अनुकूल
9. E.U. में कौन-सा देश नहीं है ?
(A) इटली
(B) फ्रांस
(C) जर्मनी
(D) फिनलैण्ड।
उत्तर:
(D) फिनलैण्ड।
10. आइसलैण्ड किस प्रादेशिक व्यापार संघ में है ?
(A) E.U.
(B) E.F.T.A.
(C) N.A.E.A.T.A.
(D) OPECI
उत्तर:
(B) E.F.T.A.
11. OPEC संगठन में कितने देश हैं ?
(A) 10
(B) 11
(C) 12
(D) 13.
उत्तर:
(D) 13.
12. SAARC संगठन में कौन-से देश नहीं हैं ?
(A) भारत
(B) पाकिस्तान
(C) नेपाल
(D) ईरान।
उत्तर:
(D) ईरान।
13. कौन-सा पत्तन नदी पत्तन है ?
(A) मुम्बई
(B) कोच्चि
(C) कोलकाता
(D) कांडला।
उत्तर:
(C) कोलकाता
14. कौन-सा पत्तन मार्ग पत्तन है ?
(A) लन्दन।
(B) कराची
(C) गोआ
(D) चेन्नई।
उत्तर:
(A) लन्दन।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
प्रश्न 1.
व्यापार किस वर्ग की क्रिया है ?
उत्तर:
तृतीयक।
प्रश्न 2.
व्यापार के दो प्रकार बताओ।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय।
प्रश्न 3.
व्यापार का आरम्भ में क्या रूप था ?
उत्तर:
वस्तुओं का विनिमय।
प्रश्न 4.
सैलेरी शब्द का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
यह लैटिन भाषा के शब्द ‘सैलेरिअम’ से बना है जिसका अर्थ है कि नमक के द्वारा भुगतान क्योंकि नमक उस समय दुर्लभ था।
प्रश्न 5.
प्राचीन समय में व्यापार की दो प्रमुख वस्तुएं क्या थी ?
उत्तर:
भोजन और कपड़े।
प्रश्न 6.
महासागरों के द्वारा व्यापार कब आरम्भ हुआ ?
उत्तर:
12वीं तथा 13वीं शताब्दी में।
प्रश्न 7.
रेशम मार्ग की कुल लम्बाई कितनी थी ?
उत्तर:
रोम से चीन तक 6000 कि०मी०।
प्रश्न 8.
रेशम मार्ग पर चीन से किस वस्तु का निर्यात था ?
उत्तर:
रेशम। ।
प्रश्न 9.
संयुक्त राज्य अमेरिका में दास व्यापार कब समाप्त हुआ ?
उत्तर:
1808 में।
प्रश्न 10.
ऊष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र से निर्यात होने वाली दो वस्तुएं बताओ।
उत्तर:
केले, रबड़, कोको।
प्रश्न 11.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के तीन पक्ष बताओ।
उत्तर:
मात्रा, संरचना तथा दिशा।
प्रश्न 12.
अनुकूल व्यापार से सन्तुलन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
जब निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक हो।
प्रश्न 13.
प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
जब आयात मूल्य निर्यात मूल्य से अधिक हो।
प्रश्न 14.
MFN का विस्तार करें।
उत्तर:
Most Favoured Nature.
प्रश्न 15.
WTO की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
पहली जनवरी, 1995।
प्रश्न 16.
WTO का विस्तार करें।
उत्तर:
World Trade Organisation.
प्रश्न 17.
GATT से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
General Agreement on Trade and Tariffs.
प्रश्न 18.
OPEC का विस्तार करें।
उत्तर:
Organisation of Petroleum Exporting Countries.
प्रश्न 19.
SAARC का विस्तार करें।
उत्तर:
South Asian Association of Regional Cooperation.
प्रश्न 20.
एक आन्तरिक पत्तन का उदाहरण दो।
उत्तर:
मानचेस्टर।
प्रश्न 21.
‘विश्व व्यापार संगठन’ का मुख्यालय कहां स्थित है ?
उत्तर:
जिनेवा (स्विटजरलैंड) में।
प्रश्न 22.
विश्व व्यापार में सबसे अधिक किस वस्तु समूह का व्यापार होता है ?
उत्तर:
मशीनरी और परिवहन उपकरण।
प्रश्न 23.
यूरोपीय संघ का मुख्यालय कहां है ?
उत्तर:
ब्रूसेल्स।
प्रश्न 24.
ओपेक देशों के समूह का मुख्यालय कहां है ?
उत्तर:
वियना।
प्रश्न 25.
आसियान समूह का मुख्यालय कहां है ?
उत्तर:
जकार्ता।
प्रश्न 26.
यूरोपीय संघ व्यापार समूह में कौन से पाँच देश शामिल है ?
उत्तर:
इटली, फ्रांस, जर्मनी, डेनमार्क, नीदरलैंड।
प्रश्न 27.
धनात्मक व्यापार सन्तुलन क्या होता है ?
उत्तर:
जब आयात का मूल्य निर्यात से अधिक हो।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
व्यापार से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
व्यापार का तात्पर्य वस्तुओं और सेवाओं के स्वैच्छिक आदान-प्रदान से होता है। व्यापार करने के लिए दो पक्षों का होना आवश्यक है। एक व्यक्ति/पक्ष बेचता है और दूसरा खरीदता है। कुछ स्थानों पर लोग वस्तुओं का विनिमय करते हैं। व्यापार दोनों ही पक्षों के लिए समान रूप से लाभदायक होता है।
प्रश्न 2.
व्यापार के ‘विनिमय व्यवस्था’ (आदान-प्रदान) से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
आदिम समाज में व्यापार का आरम्भिक स्वरूप ‘विनिमय व्यवस्था’ (Barter System) था, जिसमें वस्तुओं का प्रत्यक्ष आदान-प्रदान होता था अर्थात् वस्तु के बदले में रुपये के स्थान पर वस्तु दी जाती थी।
प्रश्न 3.
भारत में अब भी विनिमय व्यवस्था है ?
उत्तर:
हर जनवरी में फ़सल कटाई की ऋतु के बाद गुवाहाटी से 35 कि०मी० दूर जागीरॉड में जॉन बील मेला लगता है और सम्भवतः यह भारत का एकमात्र मेला है जहां जनजातियों और समुदायों में व्यापार की विनिमय व्यवस्था प्रचलित है।
प्रश्न 4.
औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात् व्यापार का रूप क्या था ?
उत्तर:
औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात्, कच्चे माल जैसे-अनाज, मांस, ऊन की माँग भी बढ़ी, लेकिन विनिर्माण की वस्तुओं की तुलना में उनका मौद्रिक मूल्य घट गया। __ औद्योगिकृत राष्ट्रों ने कच्चे माल के रूप में प्राथमिक उत्पादों का आयात किया और मूल्यपरक तैयार माल को वापस अनौद्योगीकृत राष्ट्रों को निर्यात कर दिया।
प्रश्न 5.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कौन-से मुलभूत तत्त्वों पर आधारित है ?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण का परिणाम है। यह निम्नलिखित तत्त्वों पर आधारित है –
- तुलनात्मक लाभ
- परिपूरकता
- हस्तांतरणीयता के सिद्धान्त।
प्रश्न 6.
विभिन्न देशों में कला तथा हस्तशिल्प की वस्तुओं के निर्माण का वर्णन करो।
उत्तर:
- चीन द्वारा उत्पादित उत्तम कोटि का पॉर्सलिन तथा ब्रोकेड।
- उत्तरी अफ्रीका में चमडे का कार्य।
- इण्डोनेशिया में बुटिक वस्त्र का कार्य।
प्रश्न 7.
विश्व व्यापार में व्यापारिक वस्तुओं का वर्णन करो।
उत्तर:
विश्व व्यापार में विभिन्न व्यापारिक वस्तुएं निम्नलिखित हैं –
- मशीनरी तथा उपकरण
- ईंधन तथा खदान उत्पादन
- कार्यालय तथा दूरसंचार उत्पादन
- रसायन तथा स्वचालित उत्पादन
- लौह तथा इस्पात
- कपड़ा तथा वस्त्र।
प्रश्न 8.
तेल पत्तन क्या है ? उदाहरण दो।
उत्तर;
ये पत्तन तेल के प्रक्रमण तथा नौ-परिवहन का कार्य करते हैं। इनमें से कुछ टैंकर पत्तन हैं तथा कुछ तेल शोधन पत्तन हैं। वेनेजुएला में माराकाइबो, ट्यूनिशिया में एस्सखीरा, लेबनान में त्रिपौली टैंकर पत्तन हैं। ईरान की खाड़ी पर अबादान एक तेल शोधन पत्तन है।
प्रश्न 9.
नौ सेना पत्तन क्या है ? इनके कार्य बताओ एवं भारत से दो उदाहरण दो।
उत्तर:
नौ सेना पत्तन-ये केवल सामाजिक महत्त्व के पत्तन हैं। ये पत्तन युद्धक जहाज़ों को सेवाएँ देते हैं तथा उनके लिए मरम्मत कार्यशालाएँ चलाते हैं। कोच्चि तथा कारवाड़ भारत में ऐसे पत्तनों के उदाहरण हैं।
प्रश्न 10.
आंत्रपो पत्तन क्या है ? एक उदाहरण दो।
उत्तर:
आंत्रपो पत्तन-ये वे एकत्रण केन्द्र हैं, जहाँ विभिन्न देशों से निर्यात हेतु वस्तुएँ लाई जाती हैं। सिंगापुर एशिया के लिए एक आंत्रपो पत्तन है, रोटरडम यूरोप के लिए और कोपेनहेगेन बाल्टिक क्षेत्र के लिए आंत्रपो पत्तन है।
प्रश्न 11.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दो प्रकार बताओ। प्रत्येक के दो लक्षण बताओ।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के दो मुख्य प्रकार हैं –
(क) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
(ख) राष्ट्रीय व्यापार।
(क) अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार-अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विभिन्न देशों के बीच अतिरिक्त वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान है। कुछ देश कई वस्तुओं में आत्मनिर्भर नहीं होते। इन्हें विदेशों से वे वस्तुएं आयात करनी पड़ती हैं जिनका यहां उत्पादन नहीं होता। यह व्यापक रूप से होता है।
(ख) राष्ट्रीय व्यापार-जब किसी देश के विभिन्न राज्यों के मध्य व्यापार होता है तो इसे राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं। यह सीमित होता है। कुछ राज्यों में कई वस्तुओं की कमी होती है। ये वस्तुएं उन राज्यों से आयात की जाती हैं जहां इनका उत्पादन अतिरिक्त होता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार तथा राष्ट्रीय व्यापारों में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
व्यापार दो स्तरों पर किया जा सकता है-अन्तर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विभिन्न राष्ट्रों के बीच राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को कहते हैं। राष्ट्रों को व्यापार करने की आवश्यकता उन वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए होती है, जिन्हें या तो वे (देश) स्वयं उत्पादित नहीं कर सकते या जिन्हें वे अन्य स्थान से कम दामों में खरीद सकते हैं। जब किसी देश के विभिन्न राज्यों के मध्य व्यापार होता है तो इसे राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।
प्रश्न 2.
रेशम मार्ग के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
रेशम मार्ग लम्बी दूरी के व्यापार का एक आरम्भिक उदाहरण है, जो 6000 कि०मी० लम्बे मार्ग के सहारे रोम को चीन से जोड़ता था। व्यापारी भारत, पर्शिया (ईरान) और मध्य एशिया के मध्यवर्ती स्थानों से चीन में बने रेशम, रोम की ऊन व बहुमूल्य धातुओं तथा अन्य अनेक महँगी वस्तुओं का परिवहन करते थे।
प्रश्न 3.
दास व्यापार के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
विदेशी वस्तुओं के साथ व्यापार के साथ ही व्यापार के एक नए स्वरूप का उदय हुआ, जिसे ‘दास व्यापार’ कहा गया। पुर्तगालियों, डचों, स्पेनिश लोगों व अंग्रेजों ने अफ्रीकी मूल निवासियों को पकड़ा और उन्हें बलपूर्वक बागानों में श्रम हेतु नए खोज गए अमेरिका में परिवहित किया। दास व्यापार दो सौ वर्षों से भी अधिक समय तक एक लाभदायक व्यापार रहा जब तक कि यह 1792 में डेनमार्क में, 1807 में ग्रेट ब्रिटेन में और 1808 में संयुक्त राज्य में पूर्णरूपेण समाप्त नहीं कर दिया गया।
प्रश्न 4.
द्विपक्षीय व्यापार तथा बहुपक्षीय व्यापार में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
(क) द्विपाश्विक व्यापार-द्विपाश्विक व्यापार दो देशों के द्वारा एक-दूसरे के साथ किया जाता है। आपस में निर्दिष्ट वस्तुओं का व्यापार करने के लिए वे सहमति करते हैं। उदाहरणार्थ देश ‘क’ कुछ कच्चे पदार्थ के व्यापार के लिए इस समझौते के साथ सहमत हो सकता है कि देश ‘ख’ कुछ अन्य निर्दिष्ट सामग्री खरीदेगा अथवा स्थिति इसके विपरीत भी हो सकती है।
(ख) बहु पाश्विक व्यापार-जैसा कि शब्द से स्पष्ट होता है कि बहु पाश्विक व्यापार बहुत-से व्यापारिक देशों के साथ किया जाता है। वही देश अन्य अनेक देशों के साथ व्यापार कर सकता है। देश कुछ व्यापारिक साझेदारों को ‘सर्वाधिक अनुकूल राष्ट्र’ (MFN) की स्थिति प्रदान कर सकता है।
प्रश्न 5.
मुक्त व्यापार से क्या अभिप्राय है ? इसके क्या प्रभाव हैं ?
उत्तर:
मुक्त व्यापार की स्थिति-व्यापार हेतु अर्थव्यवस्थाओं को खोलने का कार्य मुक्त व्यापार अथवा व्यापार उदारीकरण के रूप में जाना जाता है। यह कार्य व्यापारिक अवरोधों जैसे सीमा शुल्क को घटाकर किया जाता है। घरेलू उत्पादों एवं सेवाओं से प्रतिस्पर्धा करने के लिए व्यापार उदारीकरण सभी स्थानों से वस्तुओं और सेवाओं के लिए अनुमति प्रदान करता है।
प्रभाव-भूमण्डलीकरण और मुक्त व्यापार विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं को उन पर प्रतिकूल थोपते हुए तथा उन्हें विकास के समान अवसर न देकर बुरी तरह से प्रभावित कर सकते हैं। परिवहन एवं संचार तन्त्र के विकास के साथ ही वस्तुएँ एवं सेवाएँ पहले की अपेक्षा तीव्रगति से एवं दूरस्थ क्षेत्रों तक पहुँच सकती हैं। किन्तु व्यापार मुक्त व्यापार को केवल सम्पन्न देशों के द्वारा ही बाजारों की ओर नहीं ले जाना चाहिए, बल्कि विकसित देशों को चाहिए कि वे अपने स्वयं के बाजारों को विदेशी उत्पादों से सुरक्षित रखें।
प्रश्न 6.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि किस प्रकार भूमण्डलीय वातावरण को प्रभावित कर रही है ?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार देशों के लिए हानिकारक हो सकता है।
(1) यह अन्य देशों पर निर्भरता, विकास के असमान स्तर, शोषण और युद्ध का कारण बनने वाली प्रतिद्वंद्विता की ओर उन्मुख है।
(2) विश्वव्यापी व्यापार जीवन के अनेक पक्षों को प्रभावित करते हैं। यह सारे विश्व में पर्यावरण से लेकर लोगों के स्वास्थ्य एवं कल्याण इत्यादि सभी को प्रभावित कर सकता है।
(3) जैसे-जैसे देश अधिक व्यापार के लिए प्रतिस्पर्धी बनते जा रहे हैं, उत्पादन और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग बढ़ता जा रहा है, और संसाधनों के नष्ट होने की दर उनके पुनर्भरण की दर से तीव्र होती है।
(4) परिणामस्वरूप समुद्री जीवन भी तीव्रता से नष्ट हो रहा है, वन काटे जा रहे हैं और नदी बेसिन निजी पेय जल कम्पनियों को बेचे जा रहे हैं।
(5) तेल गैस खनन, औषधि विज्ञान और कृषि व्यवसाय में संलग्न बहुराष्ट्रीय निगम और अधिक प्रदूषण उत्पन्न करते हुए हर कीमत पर अपने कार्यों को बढ़ाए रखती है।
(6) उनके कार्य करने की पद्धति सतत् पोषणीय विकास के मानकों का अनुसरण नहीं करती। यदि संगठन केवल लाभ बनाने की ओर उन्मुख रहते हैं और पर्यावरणीय तथा स्वास्थ्य सम्बन्धी विषयों पर ध्यान नहीं देते तो यह भविष्य के लिए इसके गहरे निहितार्थ हो सकते हैं।
प्रश्न 7.
“अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार किसी राष्ट्र के आर्थिक विकास का मापदण्ड होता है।” व्याख्या करो।
अथवा
“अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को आर्थिक बैरोमीटर कहा जाता है।” क्यों ?
उत्तर:
किसी देश के आर्थिक विकास का ज्ञान उस देश के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार द्वारा होता है। आधुनिक युग व्यापार का युग है। प्रौद्योगिकी के उन्नत होने तथा यातायात साधनों के विस्तार के कारण व्यापार में बहुत वृद्धि हुई है। आज संसार के बड़े व्यापारिक देश उन्नत देश हैं। कम व्यापार वाले देश विकासशील देश हैं।
औद्योगिक विकास के कारण कई देश कच्चा माल आयात करके तैयार माल निर्यात करते हैं। इस प्रकार विदेशी मुद्रा प्राप्त होने से लोगों के रहन-सहन का स्तर ऊंचा होता है। इस प्रकार अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार किसी देश की आर्थिक सम्पन्नता का परिचय देता है। प्रति व्यक्ति अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार आर्थिक विकास का मापक है, परन्तु अत्यधिक जनसंख्या वाले देशों में अधिक व्यापार होते हुए भी प्रति व्यक्ति व्यापार कम होता है।
प्रश्न 8.
“विभिन्न देशों में उत्पादों की अतिरिक्त मात्रा में उपलब्धि ही व्यापार का आधार होती है।” स्पष्ट करो।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में अतिरिक्त उत्पादन का ही आदान-प्रदान होता है। कुछ देश अपनी प्रौद्योगिकी कुशलता के आधार पर कुछ उत्पादन अपनी आवश्यकता से अधिक करते हैं। इनके पास बेचने के लिए अधिशेष (Surplus) उपलब्ध होता है। जिन देशों में इन उत्पादों की मांग अधिक होती है, उन देशों के साथ व्यापार होता है।
सऊदी अरब में तेल का अधिक उत्पादन है। इसलिए सऊदी अरब जापान आदि देशों को तेल भेजता है, जहां तेल का उत्पादन कम तथा मांग अधिक है। इसी प्रकार कम जनसंख्या वाले देशों कनाडा, आस्ट्रेलिया, अर्जेन्टाइना द्वारा गेहूँ निर्यात किया जाता है। जापान से मछली तथा भारत से चाय का निर्यात होता है। इसलिए अन्तराष्ट्रीय व्यापार के लिए अधिशेष उत्पाद एक आवश्यक शर्त है।
प्रश्न 9.
‘अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार आयातक एवं निर्यातक दोनों देशों के लिए लाभदायक होता है।’ व्याख्या करो।
उत्तर:
विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहलाता है। जो देश किसी विशेष वस्तु का अधिक उत्पादन करते हैं वहां से उस वस्तु का निर्यात होता है। इससे विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। कुछ देशों में अधिक मांग के कारण वस्तुएं आयात करनी पड़ती हैं। ऐसे देशों का आर्थिक विकास आयात किये गये कच्चे माल पर निर्भर करता है ; जैसे श्रीलंका की अर्थव्यवस्था चाय के निर्यात पर निर्भर है। जापान का औद्योगिक विकास कच्चे माल के आयात पर निर्भर है।
प्रश्न 10.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
आधुनिक युग में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के स्वरूप में बड़े परिवर्तन हुए हैं। औद्योगिक क्रान्ति के कारण कच्चे माल, खनिज तथा खाद्यान्नों का आयात-निर्यात बढ़ा है। उष्ण कटिबन्धीय देशों से कच्चे माल निर्यात किये जाते हैं तथा समशीतोष्ण कटिबन्ध के देशों से मशीनरी व तैयार माल निर्यात किये जाते हैं। अब विकासशील देश भी औद्योगिक उन्नति के कारण तैयार माल निर्यात करने लगे हैं।
प्रश्न 11.
‘पत्तन प्रायः अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार होते हैं।’ व्याख्या करो।
उत्तर:
पत्तन समुद्र तट पर स्थित वह स्थान है जहां जहाजों को खड़ा करने, सामान लादने-उतारने, सामान को गोदामों में रखने की सुविधाएं होती हैं। पत्तन द्वारा ही किसी देश का आयात-निर्यात व्यापार किया जाता है। पत्तन अपने पृष्ठ प्रदेश से सड़क-रेलमार्ग द्वारा जुड़ा होता है। इन स्थल मार्गों द्वारा पत्तन तक माल भेजा जाता है जो समुद्री मार्ग द्वारा निर्यात किया जाता है।
इसी प्रकार आयात माल पत्तन से ही अपने पृष्ठ प्रदेश को भेजा जाता है। इस प्रकार पत्तन विदेशी माल का प्रवेश द्वार (Point of entry) होता है तथा अपने पृष्ठ प्रदेश के उत्पादों का निकास द्वार (Point of exit) होता है। इसलिए किसी पत्तन को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रवेश द्वार (Gateway) कहा जाता है; जैसे कोलकाता अपने पृष्ठ प्रदेश पश्चिमी बंगाल, असम, बिहार के लिए एक व्यापारिक द्वार का काम करता है।
प्रश्न 12.
किसी आदर्श पत्तन के विकास के लिए कौन-से भौगोलिक कारक आवश्यक हैं ?
उत्तर:
पत्तन द्वारा किसी देश का आयात-निर्यात व्यापार होता है। इसलिए यह अपने पृष्ठ प्रदेश (Hinder land) के लिए एक व्यापार द्वार है। पत्तन के विकास के लिए निम्नलिखित भौगोलिक कारक आवश्यक हैं –
- एक अच्छे, सुरक्षित पोताश्रय (Harbour) का होना।
- गहरे जल में प्राकृतिक पोताश्रय का होना।
- जहाजों को लंगर डालने के लिए पर्याप्त स्थान प्राप्त हो।
- पृष्ठ प्रदेश से रेल-सड़क मार्गों द्वारा जुड़ा होना।
- धनी तथा उन्नत पृष्ठ प्रदेश होना चाहिए।
- अनुकूल जलवायु ताकि पत्तन सारा साल खुले रह सकें।
- ईंधन की सुविधाएं प्राप्त हों।
अन्तर स्पष्ट करो
प्रश्न 1.
वस्तु-विनिमय तथा मुद्रा पर आधारित व्यापार में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
मुद्रा पर आधारित व्यापार | वस्तु विनिमय |
(1) यह अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का आधुनिक ढंग है। | (1) यह स्थानीय व्यापार का प्राचीन ढंग है। |
(2) इस व्यापार में वस्तुओं का आदान-प्रदान मुद्रा के प्रयोग द्वारा होता है। | (2) इस विधि में वस्तुओं के विनिमय द्वारा ही। व्यापार होता है। |
(3) यह विधि संसार के विकसित देशों में प्रयोग की जाती है। | (3) यह विधि आज भी विश्व की आदि जातियों में प्रचलित है। |
(4) यह विधि सीमित विधि है। | (4) यह विधि संसार के अन्य अनेक देशों में प्रयोग की जाती है। |
प्रश्न 2.
पक्ष एवं विपक्ष व्यापार सन्तुलन
उत्तर:
पक्ष व्यापार सन्तुलन (Favourable Balance of Trade) | विपक्ष व्यापार सन्तुलन (Unfavourable Balance of Trade) |
(1) किसी वर्ष में जब निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक होता है तो उसे पक्ष व्यापार सन्तुलन कहते हैं। | (1) किसी वर्ष में जब निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक होता है तो उसे विपक्ष व्यापार सन्तुलन कहते हैं। |
(2) भारत में 1976-77 में जैसे
आयात व्यापार = ₹ 5073 करोड़ निर्यात व्यापार = ₹ 5142 करोड़ व्यापार सन्तुलन = ₹ 69 करोड़ |
(2) भारत में 1982-83 में जैसे आयात व्यापार = ₹ 14047करोड़ निर्यात व्यापार = ₹ 8637 करोड़व्यापार सन्तुलन = ₹ 5410 करोड़ |
(3) इस स्थिति में देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। | (3) इस अवस्था में देश को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। |
प्रश्न 3.
राष्ट्रीय व्यापार तथा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
राष्ट्रीय व्यापार (National Trade) | अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार (International Trade) |
(1) किसी प्रदेश के प्रादेशिक व्यापार को राष्ट्रीय व्यापार कहा जाता है। | (1) विभिन्न देशों के मध्य होने वाले व्यापार को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहा जाता है। |
(2) इसे आन्तरिक व्यापार भी कहा जाता है। | (2) इसे विदेशी व्यापार भी कहा जाता है। |
(3) यह किसी देश के विस्तार पर निर्भर करता है। | (3) यह किसी देश के लोगों की क्रय-शक्ति तथा फ़ालतू उत्पादन पर निर्भर करता है। |
(4) यह व्यापार दो या दो से अधिक देशों के मध्य होता है। | (4) यह एक ही देश के विभिन्न राज्यों में उत्पन्न होने वाली वस्तुओं का आदान-प्रदान होता है। |
(5) यह व्यापार सरकारी नीतियों पर निर्भर करता है। | (5) हर देश दूसरे देश से व्यापार करने में स्वतन्त्र होता |
निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)
प्रश्न 1.
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से क्या अभिप्राय है ? अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के आधारों का वर्णन करो।
अथवा
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के क्या आधार हैं ?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का अर्थ है कि अतिरिक्त उत्पादन और सेवाओं का विभिन्न देशों में आदान-प्रदान है। यह कई भौगोलिक तथा आर्थिक कारकों पर निर्भर हैं। इन कारकों को अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार कहते हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार –
(i) राष्ट्रीय संसाधनों में भिन्नता – भौतिक संरचना जैसे कि भूविज्ञान, उच्चावच, मृदा व जलवायु में भिन्नता के कारण विश्व के राष्ट्रीय संसाधन असमान रूप से विपरीत हैं।
(क) भौगोलिक संरचना खनिज संसाधन आधार को निर्धारित करती है और धरातलीय विभिन्नताएं फसलों व पशुओं की विविधता सुनिश्चित करती हैं। निम्न भूमियों में कृषि-संभाव्यता अधिक होती है। पर्वत पर्यटकों को आकर्षित करते हैं और पर्यटन को बढ़ावा देते हैं।
(ख) खनिज संसाधन सम्पूर्ण विश्व में असमान रूप से वितरित हैं। खनिज संसाधनों की उपलब्धता औद्योगिक विकास का आधार प्रदान करती है।
(ग) जलवायु किसी दिए हुए क्षेत्र में जीवित रह जाने वाले पादप व वन्य जात के प्रकार को प्रभावित करती है। यह विभिन्न उत्पादों की विविधता को भी सुनिश्चित करती है, उदाहरणतः ऊन-उत्पादन ठण्डे क्षेत्रों में भी हो सकता है; केला, रबड़ तथा कहवा उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में ही उग सकते हैं।
(ii) जनसंख्या कारक – विभिन्न देशों में जनसंख्या के आकार, वितरण तथा उसकी विविधता व्यापार की गई वस्तुओं के प्रकार और मात्रा को प्रभावित करते हैं।
(क) सांस्कृतिक कारक-विशिष्ट संस्कृतियों में कला तथा हस्तशिल्प के विभिन्न रूप विकसित हुए हैं जिन्हें विश्व-भर में सराहा जाता है। उदाहरणस्वरूप चीन द्वारा उत्पादित उत्तम कोटि का पॉर्सलिन (चीनी मिट्टी का बर्तन) तथा ब्रोकेड (किमखाब-जरीदार या बूटेदार कपड़ा)। ईरान के कालीन प्रसिद्ध हैं, जबकि उत्तरी अफ्रीका का चमड़े का काम और इंडोनेशियाई बटिक (छींट वाला) वस्त्र बहुमूल्य हस्तशिल्प हैं।
(ख) जनसंख्या का आकार-सघन बसाव वाले देशों में आंतरिक व्यापार अधिक है जबकि बाह्य व्यापार कम परिमाण वाला होता है, क्योंकि कृषीय और औद्योगिक उत्पादों का अधिकांश भाग स्थानीय बाजारों में ही खप जाता है। जनसंख्या का जीवन स्तर बेहतर गुणवत्ता वाले आयातित उत्पादों की मांग को निर्धारित करता है क्योंकि निम्न जीवन स्तर के साथ केवल कुछ लोग ही महंगी आयातित वस्तुएं खरीद पाने में समर्थ होते हैं।
(ii) आर्थिक विकास की प्रावस्था-देशों के आर्थिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं में व्यापार की गई वस्तुओं का स्वभाव (प्रकार) परिवर्तित हो जाता है। कृषि की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण देशों में, विनिर्माण की वस्तुओं के लिए कृषि उत्पादों का विनिमय किया जाता है, जबकि औद्योगिक राष्ट्र मशीनरी और निर्मित उत्पादों का निर्यात करते हैं तथा खाद्यान्न तथा अन्य कच्चे पदार्थों का आयात करते हैं।
(iv) विदेशी निवेश की सीमा-विदेशी निवेश विकासशील देशों में व्यापार को बढ़ावा दे सकता है जिनके पास खनन, प्रवेधन द्वारा तेल-खनन, भारी अभियांत्रिकी, काठ कबाड़ तथा बागवानी कृषि के विकास के लिए आवश्यक पूंजी का अभाव है। विकासशील देशों में ऐसे पूंजी प्रधान उद्योगों के विकास द्वारा औद्योगिक राष्ट्र खाद्य पदार्थों, खनिजों का आयात सुनिश्चित करते हैं तथा अपने निर्मित उत्पादों के लिए बाजार निर्मित करते हैं। यह सम्पूर्ण चक्र देशों के बीच में व्यापार के परिमाण को आगे बढ़ाता है। .
(v) परिवहन-पुराने समय में परिवहन के पर्याप्त और समुचित साधनों का अभाव स्थानीय क्षेत्रों में व्यापार को प्रतिबंधित करता था। केवल उच्च मूल्य वाली वस्तुओं, जैसे-रत्न, रेशम तथा मसाले का लंबी दूरियों तक व्यापार किया जाता था। रेल, समुद्री तथा वायु परिवहन के विस्तार और प्रशीतन तथा परिरक्षण के बेहतर साधनों के साथ, व्यापार ने स्थानिक विस्तार का अनुभव किया है।
प्रश्न 2.
विभिन्न आधारों पर पत्तनों का वर्गीकरण करो। प्रत्येक का उदाहरण सहित वर्णन करें।
अथवा
पत्तनों का नौभार के अनुसार वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
पत्तन के प्रकार- सामान्यतः पत्तनों का वर्गीकरण उनके द्वारा संभाले गए यातायात के प्रकार के अनुसार किया जाता है। निपटाए गये नौभार के अनुसार पत्तनों के प्रकार –
- औद्योगिक पत्तन-ये पत्तन थोक नौभार के लिए विशेषीकृत होते हैं, जैसे-अनाज, चीनी, अयस्क, तेल, रसायन और इसी प्रकार के पदार्थ।
- वाणिज्यिक पत्तन-ये पत्तन सामान्य नौभार संवेष्टित उत्पादों तथा विनिर्मित वस्तुओं का निपटान करते हैं। ये पत्तन यात्री-यातायात का भी प्रबन्ध करते हैं।
- विस्तृत पत्तन-ये पत्तन बड़े परिमाण में सामान्य नौभार का थोक में प्रबन्ध करते हैं। संसार के अधिकांश महान् पत्तन विस्तृत पत्तनों के रूप में वर्गीकृत किए गए हैं।
अवस्थिति के आधार पर पत्तनों के प्रकार –
(i) अन्तर्देशीय पत्तन – ये पत्तन समुद्री तट से दूर अवस्थित होते हैं। ये समुद्र से एक नदी अथवा नहर द्वारा जुड़े होते हैं। ऐसे पत्तन चौरस तल वाले जहाज़ या बजरे द्वारा ही गम्य होते हैं। उदाहरणस्वरूप-मानचेस्टर एक नहर से जुड़ा है; मेंफिस. मिसीसिपी नदी पर अब स्थित हैं; राइन के अनेक पत्तन हैं जैसे-मैनहीम तथा ड्यूसबर्ग; और कोलकाता हगली नदी, जो गंगा नदी की एक शाखा है, पर स्थित है।
(ii) बाह्य पत्तन – ये गहरे जल के पत्तन हैं जो वास्तविक पत्तन से दूर बने होते हैं। ये उन जहाज़ों, जो अपने बड़े आकार के कारण उन तक पहुंचने में अक्षम हैं, को ग्रहण करके पैतृक पत्तनों को सेवाएं प्रदान करते हैं। उदाहरणस्वरूप एथेंस तथा यूनान में इसके बाह्य पत्तन पिरेइअस एक उच्चकोटि का संयोजन है।
विशिष्टीकृत कार्यकलापों के आधार पर पत्तनों के प्रकार –
(i) तैल पत्तन-ये पत्तन तेल के प्रक्रमण और नौ-परिवहन का कार्य करते हैं। इनमें से कुछ टैंकर पत्तन हैं तथा कुछ तेल शोधन पत्तन हैं। वेनेजुएला में माराकाइबो, ट्यूनिशिया में एस्सखीरा, लेबनान में त्रिपोली टैंकर पत्तन हैं। पर्शिया की खाड़ी पर अबादान एक तेलशोधन पत्तन है।
(ii) मार्ग पत्तन (विश्राम पत्तन)-ये ऐसे पत्तन हैं, जो मूल रूप से मुख्य समुद्री मार्गों पर विश्राम केन्द्र के रूप में विकसित हुए, जहां पर जहाज़ पुनः ईंधन भरने, जल भरने तथा खाद्य सामग्री लेने के लिए लंगर डाला करते थे। बाद में, वे वाणिज्यिक पत्तनों में विकसित हो गए। अदन, होनोलूलू तथा सिंगापुर इसके अच्छे उदाहरण हैं।
(iii) पैकेज स्टेशन-इन्हें फेरी-पत्तन के नाम से भी जाना जाता है। ये पैकेट स्टेशन विशेष रूप से छोटी दूरियों को तय करते हुए जलीय क्षेत्रों के आर-पार डाक तथा यात्रियों के परिवहन (आवागमन) से जुड़े होते हैं। ये स्टेशन जोड़ों में इस प्रकार अवस्थित होते हैं कि वे जलीय क्षेत्र के आर-पार एक दूसरे के सामने होते हैं। उदाहरणस्वरूप इंग्लिश चैनल के आर-पार इंग्लैंड में डोवर तथा फ्रांस में कैलाइस।
(iv) आंत्रपो पत्तन-ये वे एकत्रण केन्द्र हैं, जहां विभिन्न देशों से निर्यात हेतु वस्तुएं लाई जाती हैं। सिंगापुर एशिया के लिए एक आंत्रपो पत्तन है, रोटरडम यूरोप के लिए और कोपेनहेगेन बाल्टिक क्षेत्र के लिए आंत्रपो पत्तन हैं।
(v) नौ सेना पत्तन-ये केवल सामाजिक महत्त्व के पत्तन हैं। ये पत्तन युद्धक जहाज़ों को सेवाएं देते हैं तथा उनके लिए मरम्मत कार्यशालाएं चलाते हैं। कोच्चि तथा कारवाड़ भारत में ऐसे पत्तनों के उदाहरण हैं।
प्रश्न 3.
विभिन्न प्रादेशिक व्यापारिक संघों का वर्णन करो।
उत्तर:
प्रादेशिक व्यापारिक संघ-अधिकांश देशों द्वारा यह देखा जा रहा है कि व्यापार में संरक्षणात्मक बाधाएं राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए घातक होती हैं। अत: अधिकांश सरकारों ने आयात पर शुल्क तथा नियन्त्रण कम कर दिया. है। अनेक देशों के अपने व्यापारिक सदस्य देशों के साथ सरल द्विपक्षीय अनुबन्ध है।
इससे अलग-अलग उत्पादों के आधार पर व्यापार बाधाओं में ढील या उनका उन्मूलन हो जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध से ही विश्वस्तर पर इस उद्देश्य की पूर्ति करने वाली प्राथमिक संस्था गैट (व्यापार एवं शुल्क पर सामान्य सहमति) है। अनेक सहमतियों के आधार पर इसने विश्व स्तर पर व्यापार शुल्क में क्रमबद्ध रूप से कमी करायी है। द्वितीय विश्व युद्ध के उत्तर काल में इसने भूमण्डलीय आर्थिक क्रान्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है।
प्रारम्भ में गैट के सभी सदस्य मूलतः विकसित राष्ट्र के ही थे। बाद में इसमें विकासशील देशों को सम्मिलित किया गया है। संसार के लगभग सभी देश अब इसके सदस्य हैं। W.T.0.-सन् 1995 में गैट का रूप बदलकर विश्व व्यापार संगठन बनाया गया। यह जेनेवा में एक स्थायी संगठन के रूप में कार्यरत है तथा यह व्यापारिक झगड़ों का निपटारा भी करता है। यह संगठन सेवाओं के व्यापार को भी नियन्त्रित करता है, किन्तु इसे अभी भी महत्त्वपूर्ण कर-रहित नियन्त्रणों जैसे निर्यात निषेध, निरीक्षण की आवश्यकता, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा स्तरों तथा आयात लाइसेंस व्यवस्था, जिनसे आयात प्रभावित होता है, को सम्मिलित करना शेष है।
अन्य व्यापार संघ
(i) यूरोपीय संघ – यूरोपीय संघ (ई० यू०) का गठन मूल रूप से 1957 में रोम सन्धि के फलस्वरूप छ: देशों-इटली, फ्रांस, जर्मनी, बेल्जियम, नीदरलैण्ड द्वारा किया गया। इसे यूरोपीय आर्थिक समुदाय (ई० ई० सी०) कहा गया था। बाद में इसमें पश्चिमी यूरोप के अधिकांश देशों को सम्मिलित कर इसका विस्तार कर दिया गया।
सन् 1995 में ई० ई० सी० का यूरोपीय संघ में विलय हो गया। इसने कई उत्पादन एवं व्यापार नीतियों का सामंजस्यीकरण किया। 1999 के प्रारम्भ में सभी सदस्य देशों में समान रूप से चलने वाली मुद्रा-यूरो को प्रचलित किया गया ताकि विभिन्न देशों को एक आर्थिक व्यवस्था के अन्तर्गत प्रभावशाली ढंग से एक सूत्र में बाँधा जा सके। 400 करोड़ की जनसंख्या वाला यह संघ संसार का अकेला सबसे बड़ा बाजार है।
(ii) यूरोपीय स्वतन्त्र व्यापार संघ (ई० एफ० टी० ए०)-वर्ष 1960 में यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, नार्वे, स्वीडन, पुर्तगाल तथा स्विट्ज़रलैण्ड ने मिलकर इस संघ का गठन किया जिसका उद्देश्य भी व्यापार के क्षेत्र में आपसी सहयोग करना था। इन देशों के आपसी व्यापार में व्यापार-कर को हटा दिया गया है। दिसम्बर, 1972 में यूनाइटेड किंगडम तथा डेनमार्क ने इसकी सदस्यता त्याग दी तथा ई० ई० सी० के सदस्य बन गये, परन्तु आइसलैण्ड इसमें सम्मिलित हो गया और फिनलैण्ड ने इस संगठन की सह-सदस्यता स्वीकार कर ली। अतः अब इनकी सदस्यता पुनः सात देशों की हो गई।
(iii) नाफ्टा (एन० ए० एफ० टी० ए०) – यूरोपीय संघ की तुलना में उत्तरी अमेरिका स्वच्छंद व्यापार संधि (नाफ्टा) अधिक सरल है। इसका उद्भव 1988 में यू० एस०-कनाडा फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (संयुक्त राज्य-कनाडा स्वच्छंद व्यापार संधि) के रूप में हआ जिसमें धीरे-धीरे व्यापार-निषेधों को दुनिया के दो वहत्तम व्यापारिक सहयोगियों के बीच समाप्त कर दिया गया। वर्ष 1994 में नाफ्टा का विस्तार कर उसमें मेक्सिको को सम्मिलित कर लिया गया। यह पहला अवसर था जब विकसित देशों के व्यापार संघ में एक विकासशील देश को सदस्यता मिली थी। नाफ्टा में अब लैटिन अमेरिकी देशों को भी सम्मिलित कर लिया गया है। इससे इस प्रकार एक ऐसे स्वच्छंद व्यापार क्षेत्र का निर्माण हुआ है, जो अलास्का से टिएरा डेल फ्यूगो तक के क्षेत्र में फैला हुआ है।
(iv) पेट्रोलियम निर्यातक देशों का संगठन (ओपेक) – ओपेक के 13 सदस्य देश हैं-अल्जीरिया, इक्वेडोर, गैबन; इण्डोनेशिया, ईरान, ईराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब, अमेरिका और वेनेजुएला। यह संगठन 1960 में पेट्रोलियम (कच्चे तेल) के मूल्यों सम्बन्धी नीतियों को निर्धारित करने के लिये पेट्रोलियम उत्पादक देशों द्वारा बनाया गया था। .
(v) आसियान (ए० एस० ई० ए० एन०) – दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन का गठन 1967 में हुआ था। इण्डोनेशिया, मलेशिया, थाइलैण्ड, फिलिपीन और सिंगापुर जैसे देश इसके सदस्य हैं। आसियान तथा शेष संसार के देशों के बीच व्यापार शुल्क दर, इस के भीतर के देशों की तुलना में अधिक तीव्र गति से बढ़ रही हैं। जापान, यूरोपीय-संघ तथा ऑस्ट्रेलिया एवं न्यूजीलैण्ड से व्यापारिक बातचीत करते समय आसियान अपने सदस्य देशों को एक संयुक्त मसौदा का उदाहरण प्रस्तुत करके उनकी मदद करता है। आजकल भारत भी इसका एक सह-सदस्य बन गया है।
(vi) सार्क (एस० ए० ए० आर० सी०) – भारत, पाकिस्तान, बंगला देश, नेपाल, भूटान, श्रीलंका और मालदीव, सात दक्षिण एशियाई देशों ने मिलकर ‘दक्षिणी एशिया प्रादेशिक सहयोग संगठन का गठन किया है। इसका एक उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों के बीच व्यापार का विकास करना है। भारत और पाकिस्तान के बीच सम्बन्धों के बिगड़ने के कारण व्यापार के क्षेत्र में प्रगति रुक गई है।
(vi) CIS (राष्ट्र कुल संघ) – इसे स्वतन्त्र देशों का राष्ट्र कुल कहते हैं। इसका मुख्यालय मिस्क (बेलारुस) में है। इसके निम्नलिखित 12 देश सदस्य हैं-आमिनिया, एज़रबाईजान, बेलारुस, जार्जिया, कजाखस्तान, इर्गिस्तान, मालडोवा, रूस, तुर्केमेनिस्तान, यूक्रेन तथा उज़बेकिस्तान। व्यापार की वस्तुए हैं-खनिज तेल, प्राकृतिक गैस, कपास, एल्यूमीनियम। ये देश एक-दूसरे से आर्थिकता, सुरक्षा तथा विदेशी नीतियों पर सहयोग करते हैं।
(vii) LAIA – इसे लैटिन अमेरिकन इन्टैग्रेशन एसोसिएशन भी कहते हैं। इसका मुख्यालय मांटीविडियो (युरुगुए) में है। अर्जेंटाईना, बोलीविया, ब्राज़ील, कोलम्बिया, इक्वेडार, मेक्सिको, पेरागुए, पेरु, युरुगुए तथा वेनेजुएला इस संघ के सदस्य हैं।