Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ Important Questions and Answers.
JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 1 राष्ट्र-निर्माण की चुनौतियाँ
बहुचयनात्मक प्रश्न
1. भारत कब स्वतन्त्र हुआ………………………..
(क) सन् 1945 की 14 अगस्त को।
(ख) सन् 1947 के 14-15 अगस्त की मध्य रात्रि को।
(ग) सन् 1946 के 15 अगस्त की मध्यरात्रि को।
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) सन् 1947 के 14-15 अगस्त की मध्य रात्रि को।
2. विभाजन के समय भारत में कुल रजवाड़ों की संख्या कितनी थी?
(क) 565
(ख) 570
(ग) 580
(घ) 562
उत्तर:
(क) 565
3. द्विराष्ट्र सिद्धान्त की बात जिस राजनीतिक दल ने सर्वप्रथम की थी, वह था।
(क) भारतीय जनता पार्टी
(ख) मुस्लिम लीग
(ग) कांग्रेस
(घ) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी
उत्तर:
(ख) मुस्लिम लीग
4. राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना कब हुई?
(क) सन् 1953
(ख) सन् 1954
(ग) सन् 1955
(घ) सन् 1956
उत्तर:
(क) सन् 1953
5. देशी रियासतों के एकीकरण में किस भारतीय नेता की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।
(क) पं. जवाहरलाल नेहरू
(ख) महात्मा गाँधी
(ग) सरदार पटेल
(घ) गोपाल कृष्ण गोखले
उत्तर:
(ग) सरदार पटेल
6. भारत का संविधान कब लागू किया गया
(क) 15 अगस्त, 1947
(ख) 26 जनवरी, 1950
(ग) 14 अगस्त, 1947
(घ) 30 जनवरी, 1947
उत्तर:
(ख) 26 जनवरी, 1950
7. खान अब्दुल गफ्फार खान को किस नाम से जाना जाता है
(क) महात्मा गाँधी
(ख) मोहम्मद अली जिन्ना
(ग) सीमान्त गाँधी
(घ) मौलाना
उत्तर:
(ग) सीमान्त गाँधी
8. बांग्लादेश का निर्माण किस वर्ष हुआ
(क) 1971
(ख) 1975
(ग) 1977
(घ) 1978
उत्तर:
(क) 1971
9. पूर्वी पाकिस्तान को वर्तमान में किस नाम से जाना जाता है
(क) बांग्लादेश
(ख) म्यांमार
(ग) भूटान
(घ) पश्चिमी बंगाल
उत्तर:
(क) बांग्लादेश
10. प्रसिद्ध फिल्म ‘गर्म हवा’ जिस वर्ष बनी, वह था-
(क)1971
(ख) 1965
(ग) 1947
(घ) 1973
उत्तर:
(घ) 1973
11. 1960 में विभाजित होने से पहले बॉम्बे राज्य में कौनसी दो भाषाएँ बोली जाती थीं?
(क) पंजाबी और मराठी
(ख) गुजराती और पंजाबी
(ग) मराठी और पंजाबी
(घ) मराठी और गुजराती
उत्तर:
(घ) मराठी और गुजराती
12. ‘नोआखली’ अब जिस देश में है, वह है
(क) बांग्लादेश
(ख) पाकिस्तान
(ग) भारत
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) बांग्लादेश
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. स्वतंत्र भारत की जनता को जवाहरलाल नेहरू ने एक विशेष सत्र को संबोधित किया। उनका यह प्रसिद्ध भाषण …………………… के नाम से जाना गया।
उत्तर:
ट्रिस्ट विद् डेस्टिनी
2. सन् ………………….. का साल अभूतपूर्व हिंसा और विस्थापन की त्रासदी का साल था।
उत्तर:
1947
3. संविधान में ………………………… अधिकारों की गारंटी दी गई है और हर नागरिक को ………………. का अधिकार दिया गया है।
उत्तर:
मौलिक, मतदान
4. भारत ने संसदीय शासन पर आधारित ……………………………लोकतंत्र को अपनाया।
उत्तर:
प्रतिनिधित्वमूलक
5.. रजवाड़ों के शासक ………………… पर हस्ताक्षर करके भारतीय संघ में शामिल होते थे।
उत्तर:
इंस्टूमेंट ऑफ एक्सेशन
6. स्वतंत्र भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ………………………थे।
उत्तर:
वल्लभभाई पटेल
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
1947 में भारत के विभाजन के पीछे कौन – सा सिद्धान्त था?
उत्तर:
द्वि- राष्ट्र सिद्धान्त।
प्रश्न 2.
भारत में राष्ट्र निर्माण के मार्ग की किन्हीं दो चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राष्ट्र निर्माण की चुनौतियाँ हैं।
- लोकतान्त्रिक व्यवस्था को कायम रखना
- राष्ट्र का विकास करना ताकि समस्त समाज का भला हो।
प्रश्न 3.
राष्ट्र निर्माण के लिए किन तत्वों का होना अनिवार्य है?
उत्तर:
राष्ट्र निर्माण के लिए भाषायी एकता, सामान्य संस्कृति तथा भौगोलिक एकता जैसे तत्वों का होना आवश्यक है।
प्रश्न 4.
मेघालय का निर्माण कब हुआ?
उत्तर:
मेघालय राज्य का निर्माण सन् 1972 में किया गया।.
प्रश्न 5.
भारत में राष्ट्र-निर्माण के मार्ग में बाधक तत्त्व कौन-कौनसे हैं?
उत्तर:
भारत में राष्ट्र-निर्माण के मार्ग में बाधक तत्त्वों में निर्धनता, अशिक्षा, बेरोजगारी, जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न 6.
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे?
उत्तर:
भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहरलाल नेहरू थे।
प्रश्न 7.
देश के विभाजन से सर्वाधिक प्रभावित दो राज्यों के नाम बताइये।
उत्तर:
देश के विभाजन से सर्वाधिक प्रभावित दो राज्य थे— पंजाब और बंगाल।
प्रश्न 8.
भारत विभाजन के समय धार्मिक बहुसंख्यकों के आधार पर विभाजित हुए दो प्रान्तों के नाम बताइये।
अथवा
भारत के विभाजन में किन दो प्रान्तों का भी बँटवारा किया गया ?
उत्तर:
- पंजाब
- बंगाल- दोनों प्रान्तों का भी बँटवारा भारत के विभाजन के समय किया गया।
प्रश्न 9.
आजादी के तुरंत बाद सबसे प्रमुख चुनौती क्या थी?
उत्तर:
राष्ट्र – निर्माण।
प्रश्न 10.
स्वतन्त्र राज्य बनने से पहले गुजरात और हरियाणा किन मूल राज्यों के अंग थे?
उत्तर:
गुजरात बम्बई राज्य का भाग था जबकि हरियाणा पंजाब का अंग था।
प्रश्न 11.
उन मूल राज्यों के नाम लिखिये जिनसे निम्नलिखित राज्यों को पृथक् किया गया।
(अ) मेघालय
(ब) गुजरात।
उत्तर:
(अ) असम राज्य
(ब) बम्बई प्रेसीडेंसी।
प्रश्न 12.
सन् 2000 में जिन तीन नए राज्यों का निर्माण किया गया, उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
सन् 2000 में निम्न तीन राज्य बने: झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और उत्तरांचल (उत्तराखण्ड)।
प्रश्न 13.
विभाजन के पश्चात् कौन-कौनसे राज्यों ने भारत और पाकिस्तान दोनों में शामिल होने से मना कर दिया?
उत्तर:
विभाजन के पश्चात् हैदराबाद तथा जम्मू-कश्मीर जैसी रियासतों ने भारत तथा पाकिस्तान दोनों में से किसी भी राज्य में शामिल होने से मना कर दिया।
प्रश्न 14.
पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त के उस नेता का नाम लिखिये जो द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त का विरोधी था।
उत्तर:
खान अब्दुल गफ्फार खां।
प्रश्न 15.
भारत के प्रथम गृहमंत्री कौन थे?
उत्तर:
भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल थे।
प्रश्न 16.
ब्रिटिश गवर्नर जनरल ने भारत विभाजन की घोषणा कब की?
उत्तर:
ब्रिटिश गवर्नर जनरल ने 3 जून, 1947 को विभाजन योजना की घोषणा की।
प्रश्न 17.
रियासतों से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
रियासतों पर उन राजाओं का शासन था जिन्होंने अंग्रेजों के वर्चस्व के तहत अपने आंतरिक मामलों पर नियंत्रण का कोई रूप नियोजित किया था।
प्रश्न 18.
भारत के किस राज्य में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के सिद्धान्त को अपनाकर सर्वप्रथम चुनाव हुए थे?
उत्तर:
मणिपुर में।
प्रश्न 19.
राज्य पुनर्गठन अधिनियम कब लागू किया गया ?
उत्तर:
राज्य पुनर्गठन अधिनियम सन् 1956 में लागू किया गया।
प्रश्न 20.
राज्य पुनर्गठन अधिनियम के आधार पर कितने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थापना की गई?
उत्तर:
राज्य पुनर्गठन अधिनियम के आधार पर 14 राज्य और 6 केन्द्र शासित प्रदेशों की स्थापना की गई।
प्रश्न 21.
भाषा के आधार पर सर्वप्रथम कब और किस राज्य का निर्माण किया गया?
उत्तर:
दिसम्बर, 1952 में सर्वप्रथम भाषा के आधार पर आंध्रप्रदेश राज्य का निर्माण हुआ।
प्रश्न 22.
स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू ने 14-15 अगस्त, 1947 की मध्य रात्रि को संविधान सभा में जो भाषण दिया, वह किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का वह भाषण ‘भाग्यवधु से चिर-प्रतीक्षित भेंट’ या ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 23.
‘भाग्यवधू से चिर-प्रतीक्षित भेंट या ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ प्रसिद्ध भाषण किस प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया?
उत्तर:
स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के द्वारा।
प्रश्न 24.
राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट का आधार क्या था?
उत्तर:
राज्यों के पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट भाषाई पहलुओं को प्रतिबिंबित करने के लिए भाषा के आधार पर राज्यों की सीमाओं के वितरण पर आधारित थी।
प्रश्न 25.
सन् 1960 में मुम्बई राज्य का विभाजन करके कौन-कौनसे दो राज्यों का निर्माण किया गया?
उत्तर:
सन् 1960 में मुम्बई राज्य का विभाजन करके महाराष्ट्र और गुजरात नामक दो राज्यों का निर्माण किया गया।
प्रश्न 26.
राज्य पुनर्गठन आयोग की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण सिफारिश क्या है?
उत्तर:
राज्य पुनर्गठन आयोग की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण सिफारिश भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन है।
प्रश्न 27.
किन चार देशी रियासतों का भारतीय संघ में विलय अन्यों की तुलना में अधिक कठिन साबित हुआ?
उत्तर:
- हैदराबाद
- जम्मू एवं कश्मीर
- जूनागढ़
- मणिपुर।
प्रश्न 28.
अलगाववाद से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब एक समुदाय या सम्प्रदाय संकीर्ण भावना से ग्रस्त होकर अलग एवं स्वतन्त्र राज्य बनाने की मांग करे तो उसे अलगाववाद कहा जाता है
प्रश्न 29.
राज्य पुनर्गठन से क्या अभिप्राय है? यह कब किया गया?
उत्तर:
राज्यों के पुनर्गठन का अर्थ है कि राज्यों का भाषा के आधार पर पुनः गठन करना। भारत में राज्यों का पुनर्गठन 1956 में किया गया।
प्रश्न 30.
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारत द्वारा किन दो चुनौतियों का सामना किया जा रहा था?
उत्तर:
- शरणार्थियों के पुनर्वास की समस्या।
- राज्यों के पुनर्गठन की समस्या।
प्रश्न 31. भारत में वर्तमान में राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों की स्थिति बताइये।
उत्तर:
भारत में वर्तमान में 28 राज्य और 9 केन्द्रशासित प्रदेश हैं।
प्रश्न 32.
राज्यों के पुनर्गठन के लिए भाषा आधार होगा। यह प्रस्ताव कांग्रेस के किस सत्र में माना गया?
उत्तर:
सन् 1920 में कांग्रेस का नागपुर अधिवेशन।
प्रश्न 33.
मद्रास प्रांत के तेलुगुवासी इलाकों को अलग करके नया राज्य बनाने की माँग किस आंदोलन द्वारा की गयी थी?
उत्तर:
विशाल आंध्र आंदोलन|
प्रश्न 34.
महाराष्ट्र और गुजरात राज्य का गठन किस सन् में हुआ?
उत्तर:
महाराष्ट्र और गुजरात राज्य का गठन सन् 1960 में हुआ।
प्रश्न 35.
मुस्लिम लीग का गठन क्यों हुआ था?
उत्तर:
मुस्लिम लीग का गठन मुख्य रूप से औपनिवेशिक भारत में मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए हुआ था। प्रश्न 36, भारत और पाकिस्तान के बँटवारे के समय वित्तीय संपदा के साथ-साथ किन चीजों का बँटवारा हुआ ? उत्तर-वित्तीय संपदा के साथ-साथ टेबल, कुर्सी, टाईपराइटर और पुलिस के वाद्ययंत्रों तक का बँटवारा हुआ था।
लघुत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत के सामने मुख्य चुनौतियाँ कौन-कौनसी थीं?
उत्तर:
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत के सामने निम्नलिखित मुख्य चुनौतियाँ थीं
- भारत की क्षेत्रीय अखण्डता को कायम रखना।
- लोकतांत्रिक व्यवस्था को लागू करना।
- सभी वर्गों का समान विकास करना।
प्रश्न 2.
“भारत को किसी अन्य देश के बजाय बहुत कठिन परिस्थितियों में स्वतंत्रता मिली।” कथन को सत्यापित कीजिए।
उत्तर:
भारत को स्वतंत्रता बहुत कठिन परिस्थितियों में मिली:
- भारत की स्वतंत्रता भारत के बँटवारे के साथ आई।
- वर्ष 1947 अभूतपूर्व हिंसा और आघात का वर्ष बन गया।
- फिर भी हमारे नेताओं ने क्षेत्रीय विविधताओं को भी समायोजित करके इन सभी चुनौतियों का सराहनीय तरीके से सामना किया।
प्रश्न 3.
क्षेत्र से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भूमि के उस छोटे से टुकड़े को रहने वाले लोगों में एकता की भावना है। यह सामाजिक जीवन के कारण उत्पन्न होती है। क्षेत्र कहा जाता है जो किसी बड़े संगठित क्षेत्र का एक भाग है और जिसमें भावना सामान्य भाषा, सामान्य धर्म, भौगोलिक समीपता, आर्थिक और
प्रश्न 4.
भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन का क्या आधार तय किया गया था?
उत्तर:
भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन का आधार धार्मिक बहुसंख्या को बनाया गया था कि जिन क्षेत्रों में मुसलमान बहुसंख्यक थे, वे क्षेत्र पाकिस्तान के भू-भाग होंगे तथा शेष भाग ‘भारत’ कहलायेगा।
प्रश्न 5.
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् रजवाड़ों के विलय का क्या आधार निश्चित किया गया था?
उत्तर:
स्वतंत्रता के बाद रजवाड़ों को भी कानूनी रूप से स्वतंत्र होना था। ब्रिटिश शासन ने यह दृष्टिकोण दिया कि रजवाड़े अपनी मर्जी से भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकते हैं या वे चाहें तो अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रख सकते हैं। यह फैसला लेने का अधिकार राजाओं को दिया गया था, न कि वहाँ की जनता को।
प्रश्न 6.
भारत में हरियाणा राज्य का पुनर्गठन कब हुआ ? इसकी प्रमुख समस्याएँ बताइए।
उत्तर:
1 नवम्बर, 1966 को पंजाब से हिन्दी भाषी क्षेत्र को पंजाब से अलग करके हरियाणा और हिमाचल प्रदेश राज्यों का निर्माण हुआ। पंजाब और हरियाणा में भाषा के आधार पर अब भी विवाद बना हुआ है। पंजाब हरियाणा के पंजाबी भाषी क्षेत्रों को पंजाब को हस्तान्तरित करने की माँग करता है, जबकि हरियाणा पंजाब के हिन्दी भाषी क्षेत्रों को हरियाणा को देने की माँग करता है ।
प्रश्न 7.
पोट्टी श्रीरामुलु कौन थे?
उत्तर:
पोट्टी श्रीरामुलु गाँधीवादी विचारों से प्रभावित कार्यकर्ता थे। इन्होंने नमक सत्याग्रह में भाग लेने के लिए सरकारी पद को त्याग दिया। 19 अक्टूबर, 1952 को वह आन्ध्रप्रदेश नाम से अलग राज्य निर्माण की माँग को लेकर अनशन पर बैठे। 15 दिसम्बर, 1952 को अनशन के दौरान ही वह मृत्यु को प्राप्त हो गये।
प्रश्न 8.
संक्षेप में देश विभाजन से हुई जन-हानि का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
एक अनुमान के अनुसार विभाजन के फलस्वरूप 80 लाख लोगों को अपना घर-बार छोड़कर सीमा पार जाना पड़ा। विभाजन की हिंसा में लगभग पाँच से दस लाख लोगों ने अपनी जान गँवाई । अनेक लोगों के अंग-भंग कर दिए गए। उनके बच्चे अनाथ हो गये।
प्रश्न 9.
राष्ट्रीय आंदोलन के नेता एक पंथ निरपेक्ष राज्य के पक्षधर क्यों थे?
उत्तर:
राष्ट्रीय आंदोलन के नेता एक पंथनिरपेक्ष राज्य के पक्षधर थे क्योंकि वे जानते थे कि बहुधर्मावलम्बी देश भारत में किसी धर्म विशेष को संरक्षण देना भारत की एकता के लिए बाधक बनेगा तथा इससे विविध धर्मावलम्बियों के मूल अधिकारों का हनन होगा।
प्रश्न 10.
अमृता प्रीतम कौन थी?
उत्तर:
अमृता प्रीतम पंजाबी भाषा की प्रमुख कवयित्री और कथाकार, साहित्य उपलब्धियों के लिए साहित्य अकादमी, पद्मश्री और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित महिला थी। राष्ट्र विभाजन के बाद वह दिल्ली में ही स्थायी रूप से बस गई। उन्होंने जीवन के अन्तिम समय पंजाब की साहित्यिक पत्रिका ‘नागमणि’ का सम्पादन किया।
प्रश्न 11.
फैज अहमद फैज पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
प्रसिद्ध मानवतावादी तथा क्रांतिकारी कवि फैज अहमद फैज़ का जन्म सियालकोट (अब पाकिस्तान में ) हुआ। वह विभाजन के बाद पाकिस्तान में ही रहे। वामपंथी रुझान के कारण उनका पाकिस्तानी शासन से हमेशा टकराव बना रहा। उन्होंने लम्बा समय कारावास में बिताया । नक्से फिरयादी, दस्त-ए-सबा तथा जिंदानामा उनके प्रमुख कविता संग्रह हैं।
प्रश्न 12.
क्षेत्रीय संस्कृति तथा क्षेत्रीय असन्तुलन के आधार पर किन राज्यों का निर्माण किया गया है?
उत्तर:
अनेक उपक्षेत्रों ने अलग क्षेत्रीय संस्कृति अथवा विकास के मामले में क्षेत्रीय असन्तुलन का मुद्दा उठाकर अलग राज्य बनाने की माँग की। ऐसे तीन राज्य झारखण्ड, छत्तीसगढ़ और उत्तरांचल ( अब उत्तराखंड) सन् 2000 में बने तथा तेलंगाना 2014 में बना।
प्रश्न 13.
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए:
1. द्वि- राष्ट्र सिद्धान्त
2. मुस्लिम लीग।
उत्तर:
- द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त: द्विराष्ट्र सिद्धान्त के अनुसार भारत किसी एक कौम का नहीं बल्कि हिन्दू और मुसलमान नामक दो कौमों का है।
- मुस्लिम लीग: स्वतंत्रता से पूर्व मुस्लिम लीग मुसलमानों का राजनैतिक दल था। विभाजन से पूर्व इसने द्विराष्ट्र सिद्धान्त के तहत मुसलमानों के लिए पाकिस्तान की माँग की और अन्ततः भारत का विभाजन हुआ।
प्रश्न 14.
भारत धर्मनिरपेक्ष राज्य कैसे बना?
उत्तर:
यद्यपि भारत और पाकिस्तान का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था, परन्तु विभाजन के बाद 1951 में भारत की कुल आबादी में 12 प्रतिशत मुसलमान थे। इसके अतिरिक्त अन्य अल्पसंख्यक धर्मावलम्बी भी थे। भारत सरकार के अधिकतर नेता सभी नागरिकों को समान दर्जा देने के पक्षधर थे, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। वे मानते थे कि नागरिक चाहे जिस धर्म को माने, उसका दर्जा बाकी नागरिकों के बराबर ही होना चाहिए। धर्म को नागरिकता की कसौटी नहीं बनाया जाना चाहिए। उनके इस धर्मनिरपेक्ष आदर्श की अभिव्यक्ति भारतीय संविधान में हुई। इस प्रकार भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बना।
प्रश्न 15.
विभाजन के समय पाकिस्तान को दो भागों-पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान में क्यों बांटा गया?
उत्तर:
भारत के विभाजन का यह आधार तय किया गया कि ब्रिटिश इण्डिया के जिन इलाकों में मुसलमान बहुसंख्यक थे, वे इलाके पाकिस्तान के भू-भाग होंगे। अविभाजित भारत में ऐसे दो इलाके थे। एक इलाका पश्चिम में था तो दूसरा इलाका पूर्व में। इसे देखते हुए फैसला हुआ कि पाकिस्तान में ये दो इलाके शामिल होंगे। ये पूर्वी पाकिस्तान तथा पश्चिमी पाकिस्तान कहलाये। ऐसा कोई तरीका नहीं था कि इन दो इलाकों को जोड़कर एक जगह कर दिया जाये। इसलिए पाकिस्तान को दो भागों में बाँटा गया।
प्रश्न 16.
भारतीय संघ में जूनागढ़ को शामिल करने की घटना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
जूनागढ़ रियासत का भारत में विलय:
जूनागढ़ गुजरात के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक रियासत थी। जूनागढ़ की लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या हिन्दू थी। जूनागढ़ के नवाब महाबत खान ने पाकिस्तान के साथ शामिल होने का निर्णय किया। जबकि भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर जूनागढ़ भारत में ही शामिल हो सकता था। जूनागढ़ के शासक के न मानने पर सरदार पटेल ने जूनागढ़ के शासक के विरुद्ध बल प्रयोग का आदेश दिया। जूनागढ़ में भारतीय सैनिकों का सामना करने की क्षमता नहीं थी अन्ततः दिसम्बर, 1947 में करवाये गए जनमत संग्रह में जूनागढ़ के लगभग 99 प्रतिशत लोगों ने भारत में शामिल होने की बात कही।
प्रश्न 17.
हैदराबाद को भारत में किस प्रकार सम्मिलित किया?
उत्तर:
हैदराबाद रियासत का भारत में विलय:
स्वतन्त्रता प्राप्ति एवं भारत के विभाजन के पश्चात् हैदराबाद के निजाम उसमान अली खान ने हैदराबाद को स्वतन्त्र रखने का निर्णय लिया परन्तु हैदराबाद का निजाम परोक्ष रूप से पाकिस्तान का समर्थक था। हैदराबाद भारत के केन्द्र में स्थित होने के कारण तथा यहाँ की जनसंख्या का हिन्दू बहुसंख्यक होने के कारण भारत में विलय आवश्यक था। तत्कालीन गृहमन्त्री सरदार पटेल को आशंका थी कि आने वाले समय में हैदराबाद पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है। सरदार पटेल तथा लार्ड माउंटबेटन के निजाम को समझाने के प्रयासों की विफलता के बाद भारत ने सैनिक कार्यवाही करके हैदराबाद को भारत में मिला लिया।
प्रश्न 18.
‘ट्रिस्ट विद् डेस्टिनी’ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत 14-15 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि को आजाद हुआ। स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस रात संविधान सभा के एक विशेष सत्र को संबोधित किया था। उनका यह प्रसिद्ध भाषण ‘भाग्यवधू से चिर-प्रतीक्षित भेंट’ या ‘ट्रिस्ट विद् डेस्टिनी’ के नाम से जाना गया।
प्रश्न 19.
भारत में देसी रजवाड़ों के एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में देशी रजवाड़ों के एकीकरण में सरदार पटेल की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण रही है। उनके अथक प्रयास के फलस्वरूप सभी रजवाड़ों का भारत में विलय तो हुआ और साथ ही हैदराबाद के निजाम तथा जूनागढ़ के नवाब के साथ सरदार पटेल को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। किन्तु उन्होंने उन दिक्कतों के बारे में सोचे बिना इन दोनों रियासतों को भारत का अभिन्न अंग बना दिया।
प्रश्न 20.
देशी राज्यों (रजवाड़ों) के भारत संघ में विलय के संदर्भ में तीन विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
देशी राज्यों के भारत संघ में विलय सम्बन्धी विशेषताएँ निम्नलिखित थीं-
- अधिकतर रजवाड़ों के लोग भारतीय संघ में शामिल होना चाहते थे।
- इस संदर्भ में भारत सरकार का रुख लचीला था और वह कुछ इलाकों को स्वायत्तता देने के लिए तैयार थी, जैसा कि जम्मू-कश्मीर में हुआ। भारत सरकार ने विभिन्नताओं को सम्मान देने और
- विभिन्न क्षेत्रों की माँगों को संतुष्ट करने के लिये यह रुख अपनाया था।
- विभाजन की पृष्ठभूमि में विभिन्न इलाकों के सीमांकन के सवाल पर खींचतान जोर पकड़ रही थी। ऐसे में देश की क्षेत्रीय अखंडता एकता का प्रश्न महत्त्वपूर्ण हो उठा था।
प्रश्न 21.
सीमान्त गाँधी कौन थे? उनके द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त के बारे में दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए उनकी भूमिका का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
खान अब्दुल गफ्फार खान को सीमान्त गाँधी कहा जाता है। वे पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त (पेशावर के मूलतः निवासी) के निर्विवाद नेता थे। वे कांग्रेस के नेता तथा लाल कुर्ती नामक संगठन के समर्थक थे। सच्चे गाँधीवादी, अहिंसा व शान्ति के समर्थक होने के कारण उनको ‘सीमान्त गाँधी’ कहा जाता था। वे द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त के एकदम विरोधी थे। संयोग से उनकी आवाज की अनदेखी की गई और ‘पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत’ को पाकिस्तान में शामिल मान लिया गया।
प्रश्न 22.
रजवाड़ों के संदर्भ में सहमति-पत्र का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रजवाड़ों का सहमति – पत्र – आजादी के तुरन्त पहले अंग्रेजी शासन ने घोषणा की कि भारत पर ब्रिटिश प्रभुत्व के समाप्त होने के साथ ही रजवाड़े भी ब्रिटिश- अधीनता से आजाद हो जाएँगे और उसके राजा या शासक अपनी इच्छानुसार भारत या पाकिस्तान में सम्मिलित हो सकते हैं या अपना स्वतन्त्र अस्तित्व बनाए रख सकते। शांतिपूर्ण बातचीत के जरिए लगभग सभी रजवाड़े जिनकी सीमाएँ आजाद हिन्दुस्तान की नयी सीमाओं से मिलती थीं, के शासकों ने भारतीय संघ में अपने विलय के सहमति – पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये। इस सहमति – पत्र को इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन कहा जाता है। इस पर हस्ताक्षर का अर्थ था कि रजवाड़े भारतीय संघ का अंग बनने के लिए सहमते हैं।
प्रश्न 23.
संक्षेप में राज्य पुनर्गठन आयोग के निर्माण की पृष्ठभूमि, कार्य तथा इससे जुड़े एक्ट का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
राज्य पुनर्गठन आयोग:
भारत में आंध्रप्रदेश के गठन के साथ ही देश के दूसरे हिस्सों की भाषायी आधार पर राज्यों को गठित करने का संघर्ष चल पड़ा। इन संघर्षों से बाध्य होकर केन्द्र सरकार ने 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग बनाया। इस आयोग का काम राज्यों के सीमांकन के मामलों पर गौर करना था। इसने अपनी रिपोर्ट में स्वीकार किया कि राज्यों की सीमाओं का निर्धारण वहाँ बोली जाने वाली भाषा के आधार पर होना चाहिए। इस आयोग की रिपोर्ट के आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियमं पास हुआ। इस अधिनियम के आधार पर 14 राज्य और 6 केन्द्र शासित प्रदेश बनाए गए।
प्रश्न 24.
मोहम्मद अली जिन्ना कौन थे? उनके बारे में संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
मोहम्मद अली जिन्ना:
मोहम्मद अली जिन्ना आधुनिक पाकिस्तान के जनक थे। वे स्वराज्य संघर्ष के कुछ प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस पार्टी में रहे। बाद में वे मुस्लिम लीग में शामिल हो गये। वे देश विभाजन के साथ-साथ अपने जीवन के सबसे बड़े राजनीतिक उद्देश्य पाकिस्तान निर्माण की प्राप्ति को समीप देखकर साम्प्रदायिक सद्भाव बनाने के पक्ष में बातें भी करने लगे। जिन्ना ने अल्पसंख्यक एवं बहुसंख्यक समुदायों में पारस्परिक एकता के मार्ग पर चलने का सन्देश दिया। पाकिस्तान की संविधान सभा में अध्यक्षीय भाषण में आपने कहा कि पाकिस्तान में आप अपने मंदिर या मस्जिद में जाने या किसी भी अन्य पूजास्थल पर जाने के लिये आजाद हैं। आपके धर्म, आपकी जाति या विश्वास से राज्य का कुछ लेना-देना नहीं है।
प्रश्न 25.
भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन से उपजी समस्या को संक्षेप में समझाइये।
उत्तर:
भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की समस्या – भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करने से कई राज्यों के लोग सन्तुष्ट नहीं थे, क्योंकि कई राज्यों में रहते लोग, अपनी भाषा के आधार पर अलग राज्य की स्थापना चाहते थे। इसी कारण देश के कई भागों में लोगों द्वारा गम्भीर आंदोलन आरम्भ कर दिए और सरकार को विवश होकर नए राज्य स्थापित करने पड़े। उदाहरणार्थ- 1960 में बम्बई राज्य को महाराष्ट्र और गुजरात दो राज्यों में, 1966 में पंजाब राज्य को हरियाणा और पंजाब दो राज्यों में बांटना पड़ा था।
इसी प्रकार 1963 में नागालैण्ड और 1972 में मेघालय, मणिपुर और त्रिपुरा राज्य की स्थापना करनी पड़ी तथा 1987 में अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम राज्य वजूद में आए। 2014 में तेलंगाना राज्य वजूद में आया। वर्तमान समय में विदर्भ, मैथली, बोडो, डोगरालैण्ड, गोरखा व कच्छ आदि राज्यों की माँग भाषा के आधार पर ही की जा रही है।
प्रश्न 26.
भारतीय राजनीति पर भाषा के प्रभावों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय राजनीति पर भाषा के प्रभाव – भाषा ने राजनीति को अग्र प्रकार से प्रभावित किया
- राष्ट्रीय एकता को खतरा: भारत को बहुभाषी होने के कारण अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा है। यद्यपि हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा माना गया है लेकिन दक्षिण के राज्यों तथा उत्तर के राज्यों में मुख्य विवाद का कारण भाषा ही है।
- भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन: राज्य पुनर्गठन कानून 1956 के आधार पर भारत को 14 राज्यों तथा 6 संघीय क्षेत्रों में विभाजित किया गया। लेकिन इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ और भाषा के आधार पर राज्यों की माँग की समस्या वर्तमान में भी बनी हुई है।
- सीमा विवाद: भाषा के कारण अनेक राज्यों में सीमा विवाद उत्पन्न हुए हैं और आज भी अनेक राज्यों के बीच यह विवाद चल रहे हैं। पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
प्रश्न 27.
स्वतंत्र भारत को राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया के दौरान किन तीन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?
उत्तर:
स्वतंत्र भारत को राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया के दौरान निम्न तीन चुनौतियों का सामना करना पड़ा:
- राष्ट्र निर्माण की चुनौती:
स्वतंत्रता के समय भारत अलग-अलग राज्यों में विभाजित था। इसलिए पहली चुनौती एकता के सूत्र में बँधे एक ऐसे भारत को गढ़ने की थी जिसमें भारतीय समाज में सारी विविधताओं के लिए जगह हो। इस कार्य को पूरा करने का काम सरदार वल्लभभाई पटेल ने किया। इस कार्य को अलग-अलग चरणों में पूरा करने के लिए उन्होंने राजनीति तथा कूटनीति दोनों का प्रयोग किया। - लोकतंत्र कायम करना:
भारत ने सरकार के संसदीय स्वरूप के आधार पर प्रतिनिधि लोकतंत्र का गठन किया और राष्ट्र में इन लोकतांत्रिक प्रथाओं को विकसित करना एक बड़ी चुनौती थी। - समाज का विकास और कल्याण सुनिश्चित करना:
भारतीय राजनीति ने राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांतों के अंतर्गत लोक-कल्याण के उन लक्ष्यों को स्पष्ट कर दिया था जिन्हें राजनीति को जरूर पूरा करना चाहिए ।
प्रश्न 28.
“कल हम अंग्रेजी की गुलामी से आजाद हो जायेंगे लेकिन आधी रात को भारत का बँटवारा होगा इसलिए कल का दिन हमारे लिए खुशी का दिन होगा और गम का भी।” गाँधीजी के उपर्युक्त कथन के अनुसार कल का दिन हमारे लिए क्यों खुशी एवं गम दोनों का होगा? उत्तर- गाँधीजी के अनुसार यह दिन खुशी एवं गम का इसलिए होगा क्योंकि 14 अगस्त, 1947 की आधी रात को लगभग 12 बजे से भारत में लम्बे समय से चला आ रहा ब्रिटिश राज का अन्त हो जायेगा तथा लोग स्वतन्त्रता के वातावरण में जीवन व्यतीत करेंगे। इसलिए 15 अगस्त, 1947 का दिन सभी भारतवासियों के लिए खुशी का दिन होगा । लेकिन उसी दिन गम को भी सहन करना होगा क्योंकि देश का दो स्वतन्त्र राष्ट्रों भारत एवं पाकिस्तान के रूप में विभाजन हो जायेगा।
प्रश्न 29.
हमें बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों की इन जटिलताओं को दूर करने की भावना चाहिए। बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों ही समुदायों में तरह-तरह के लोग शामिल हैं। अगर मुसलमान पठान, पंजाबी, शिया और सुन्नी आदि समुदायों में बँटे हैं तो हिन्दू भी ब्राह्मण, वैष्णव, खत्री तथा बंगाली, मद्रासी आदि समुदायों। पाकिस्तान में आप आजाद हैं। जिन्ना साहब के उपर्युक्त कथन को समझाइये।
उत्तर:
पाकिस्तान की मुस्लिम लीग की माँग जब लगभग समीप दिखाई दी तो जिन्ना साहब ने पंथ निरपेक्षता एवं साम्प्रदायिक सद्भाव उत्पन्न करने के लिए अपने भाव व्यक्त किये। उनके विचारानुसार पाकिस्तान में बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों की जटिलताओं को दूर करने की भावना से काम करना चाहिए। हमें याद रखना चाहिए कि बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक दोनों ही समुदायों में तरह-तरह के लोग शामिल हैं।
जैसे कि अगर हम पाकिस्तान के बहुसंख्यक समुदाय यानी मुसलमानों की बात करते हैं तो हमें मानना पड़ेगा कि उनमें कुछ लोग पठान हैं तो कुछ लोग पंजाबी, कुछ लोग शिया तो कुछ सुन्नी इत्यादि भी हैं अर्थात् बहुसंख्यक भी ‘स्थल’ पर विभाजित हैं। दूसरी ओर पाकिस्तान में हिन्दू समाज यदि अल्पसंख्यक हैं तो वे भी कई जातियों या वर्णों में विभाजित हैं, जैसे—ब्राह्मण, वैश्य, खत्री, बंगाली, मद्रासी आदि। पाकिस्तान में सभी लोग स्वतन्त्र हैं। वे अपने या अन्य पूजा स्थलों पर जाने के लिए स्वतन्त्र हैं।
प्रश्न 30.
महात्मा गाँधी की शहादत (बलिदान) से जुड़ी प्रमुख घटनाओं का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
महात्मा गाँधी की शहादत (बलिदान) से जुड़ी प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं।
- महात्मा गाँधी की नीति एवं कार्यों से तत्कालीन समय के अतिवादी हिन्दू एवं मुसलमान दोनों अप्रसन्न थे। दोनों समुदायों के अतिवादी गाँधीजी पर दोष मंढ रहे थे।
- हिन्दू-मुस्लिम एकता के अनेक अडिग प्रयासों से अतिवादी हिन्दू महात्मा गाँधी से इतने नाराज थे कि उन्होंने अनेक बार गाँधीजी को जान से मारने का प्रयास किया।
- गाँधीजी ने प्रार्थना सभा में हर किसी से मिलना जारी रखा। आखिरकार 30 जनवरी, 1948 के दिन एक हिन्दू अतिवादी नाथूराम विनायक गोडसे ने गोली मारकर गाँधीजी की हत्या कर दी।
- गाँधीजी की मौत का देश के साम्प्रदायिक माहौल पर जादुई असर हुआ । विभाजन से जुड़ा क्रोध और हिंसा अचानक मंद पड़ गये। भारत सरकार ने साम्प्रदायिक संगठनों की मुश्कें कस दीं और साम्प्रदायिक राजनीति का जोश लोगों में घटने लगा।
प्रश्न 31.
“हम भारत के इतिहास के एक यादगार मुकाम पर खड़े हैं। साथ मिलकर चलें तो देश को हम महानता की नयी बुलंदियों तक पहुँचा सकते हैं, जबकि एकता के अभाव में हम अप्रत्याशित विपदाओं के घेरे में होंगे। मैं उम्मीद करता हूँ कि भारत की रियासतें इस बात को पूरी तरह समझेंगी कि अगर हमने सहयोग नहीं किया और सर्व-सामान्य की भलाई में साथ मिलकर कदम नहीं बढ़ाया तो अराजकता और अव्यवस्था हममें से सबको चाहे कोई छोटा हो या बड़ा घेर लेंगी और हमें बर्बादी की तरफ ले जाएँगी सरदार पटेल के उपर्युक्त कथन को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
उपर्युक्त कथन में सरदार पटेल ने देश की अनेकानेक रियासतों के शासकों को सम्बोधित कर एक पत्र के माध्यम से (1947) बताया कि हम सभी देशवासी अपने भारत के इतिहास के स्मरणीय क्षण पर खड़े हैं। यदि हम सभी देशवासी साथ-साथ मिलकर चलें तो निःसन्देह देश को महानता की नई ऊँचाइयों तक पहुँचा सकते हैं। बकि एकता के अभाव में हम अप्रत्याशित संकट से घिर जायेंगे। सरदार पटेल ने आशा प्रकट की कि देशी रियासतें इस बात को पूरी तरह समझेंगी कि यदि हमने परस्पर सहयोग नहीं किया और जनसामान्य की भलाई में साथ मिलकर कदम नहीं बढ़ाया तो देश में अराजकता और अव्यवस्था हम सभी को घेर लेंगी और हमें बर्बादी की ओर ले जायेंगी। एकता में बल है, पारस्परिक फूट में बर्बादी है।
प्रश्न 32.
भारत विभाजन से संबंधित किन्हीं दो परिणामों पर प्रकाश डालिये।
उत्तर:
14-15 अगस्त, 1947 को भारत का विभाजन हुआ तथा भारत व पाकिस्तान नामक दो स्वतंत्र राष्ट्र अस्तित्व में आए। इस विभाजन के दो परिणाम निम्नलिखित हैं।
- आबादी का स्थानान्तरण: विभाजन से बड़े पैमाने पर एक जगह की अल्पसंख्यक आबादी दूसरी जगह जाने को मजबूर हुई। आबादी का यह स्थानान्तरण आकस्मिक, अनियोजित और त्रासदीपूर्ण था।
- हिंसक अलगाववाद: विभाजन में सिर्फ सम्पत्ति, देनदारी और परिसम्पत्तियों का ही बंटवारा नहीं हुआ बल्कि दो समुदायों, जो अब तक पड़ौसियों की तरह रहते थे, में हिंसक अलगाववाद व्याप्त हो गया। धर्म के नाम पर एक समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदाय के लोगों को अत्यन्त बेरहमी से मारा।
प्रश्न 33.
भारत की स्वतंत्रता के समय देश के समक्ष आई किन्हीं दो चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर:
भारत की स्वतंत्रता के समय देश के समक्ष आई दो प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित थीं।
- राष्ट्रीय एकता की चुनौती: स्वतंत्र भारत के सामने तात्कालिक चुनौती विविधता से भरे भारत में एकता की स्थापना करती थी। इस समय भारत की क्षेत्रीय अखण्डता को कायम रखने की चुनौती प्रमुख थी क्योंकि अनेक रियासतें अपने को स्वतंत्र रखना चाह रही थीं तो अनेक पाकिस्तान में मिलने की इच्छा बता रही थीं।
- लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम करने की चुनौती: स्वतंत्र भारत के समक्ष दूसरी प्रमुख चुनौती लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम करने की थी। यद्यपि भारतीय संविधान में संसदीय लोकतंत्र की स्थापना की थी, नागरिकों को मौलिक अधिकारों की गारण्टी दी गई थी, वयस्क मताधिकार प्रदान किया गया था, तथापि संविधान से मेल खाते लोकतांत्रिक व्यवहार को प्रचलन में लाने की चुनौती बनी हुई थी।
प्रश्न 34.
जवाहर लाल नेहरू ने भारत में मुसलमान अल्पसंख्यकों के संदर्भ में 15 अक्टूबर, 1947 को मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में क्या लिखा था?
उत्तर:
मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र में नेहरूजी ने लिखा था कि- “भारत में मुसलमान अल्पसंख्यकों की संख्या इतनी ज्यादा है कि यदि वे चाहें तब भी यहाँ से कहीं और नहीं जा सकते। यह एक बुनियादी तथ्य है और इस पर कोई अँगुली नहीं उठाई जा सकती। पाकिस्तान चाहे जितना उकसावा दे या वहाँ के गैर-मुस्लिमों को अपमान और भय के चाहे जितने भी घूँट पीने पड़ें, हमें अल्पसंख्यकों के साथ सभ्यता और शालीनता के साथ पेश आना है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में हमें उन्हें नागरिक के अधिकार देने होंगे और उनकी रक्षा करनी होगी। अगर हम ऐसा करने में कामयाब नहीं होते तो यह एक नासूर बन जाएगा जो पूरी राज व्यवस्था में जहर फैलाएगा और शायद उसको तबाह भी कर दे।”
प्रश्न 35.
पाकिस्तान के द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की माँग क्यों मान ली?
उत्तर:
स्वतंत्रता के समय मुस्लिम लीग ने ‘द्वि-राष्ट्र सिद्धांत’ की बात कही और इस सिद्धांत के अनुसार भारत किसी एक कौम का नहीं बल्कि ‘हिन्दू’ और ‘मुसलमान’ इन दो कौमों का देश था और इसीलिए मुस्लिम लीग ने मुसलमानों के लिए अलग देश यानि पाकिस्तान की माँग की। काँग्रेस ने इस सिद्धांत का विरोध किया। सन् 1940 के दशक में राजनीतिक मोर्चे पर कई बदलाव आए, काँग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धा तथा ब्रिटिश- शासन की भूमिका जैसी कई बातों का जोर रहा । फलस्वरूप पाकिस्तान की माँग मान ली गई ।
प्रश्न 36.
विभाजन के परिणाम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सन् 1947 के विभाजन पर एक जगह की आबादी दूसरी जगह जाने को मजबूर हुई थी। यह स्थानांतरण मानव-इतिहास के अब तक सबसे बड़े स्थानांतरणों में से एक था। धर्म के नाम पर एक समुदाय के लोगों ने दूसरे समुदाय के लोगों को बेरहमी से मारा। लोग अपना घर – बार छोड़ने पर मजबूर हुए। दोनों ही तरफ के अल्पसंख्यक अपने घरों से भाग गए और उन्होंने शरणार्थी शिविर में पनाह ली। सीमा के दोनों ओर हजारों की तादाद में औरतों को अगवा करने वाले का धर्म भी अपनाना पड़ा। कई मामलों में यह भी हुआ कि खुद परिवार के लोगों ने अपने ‘कुल की इज्जत’ बचाने के नाम पर घर की बहू-बेटियों को मार डाला । बहुत से बच्चे अपने माँ-बाप से बिछड़ गए। लाखों की संख्या में लोग बेघर हो गए।
प्रश्न 37.
भारत के नेताओं ने नागरिकता की कसौटी धर्म को नहीं बनाया । इस कथन को सत्यापित कीजिए।
उत्तर:
मुस्लिम लीग का गठन मुख्य रूप से औपनिवेशिक भारत में मुसलमानों के हितों की रक्षा के लिए हुआ था। इसी प्रकार कुछ भारतीय संगठनों ने भी भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए हिन्दुओं को लामबंद करने की कोशिश की। लेकिन भारत की कौमी सरकार के अधिकतर नेता सभी नागरिकों को समान दर्जा देने के पक्षधर थे चाहे नागरिक किसी भी धर्म का हो। वे भारत को ऐसे राष्ट्र के रूप में नहीं देखना चाहते थे जहाँ किसी एक धर्म के अनुयायियों को दूसरे धर्मावलंबियों के ऊपर वरीयता दी जाए अथवा किसी एक धर्म के विश्वासियों के मुकाबले बाकियों को हीन समझा जाता हो। वे मानते थे कि नागरिक चाहे किसी भी धर्म का हो, उसका दर्जा बाकी नागरिकों के बराबर होना चाहिए। हमारे नेतागण धर्मनिरपेक्ष राज्य के आदर्श के हिमायती थे।
प्रश्न 38.
अंग्रेजी – राज का नजरिया यह था कि रजवाड़े अपनी मर्जी से चाहें तो भारत या पाकिस्तान में शामिल हो जाएँ या फिर अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखें। यह अपने आप में गंभीर समस्या थी। उदाहरण के साथ स्पष्ट करें।
उत्तर:
आजादी के तुरंत पहले अंग्रेजी शासन ने घोषणा की कि भारत पर ब्रिटिश-प्रभुत्व के साथ ही रजवाड़े भी ब्रिटिश- अधीनता से आजाद हो जाएँगे। अंग्रेजी राज के अनुसार रजवाड़े अपनी इच्छानुसार भारत या पाकिस्तान में मिल सकते हैं या स्वतंत्र रह सकते हैं । यह अपने आप में गंभीर समस्या थी और इससे अखंड भारत के अस्तित्व पर ही खतरा मँडरा रहा था। उदाहरण के लिए – त्रावणकोर के राजा ने अपने राज्य को आजाद रखने की घोषणा की। अगले दिन हैदराबाद के निजाम ने भी ऐसी ही घोषणा की। कुछ शासक जैसे कि भोपाल के नवाब संविधान सभा में शामिल नहीं होना चाहते थे । अतः रजवाड़ों के शासकों के रवैये से यह बात साफ हो गई कि आजादी के बाद हिन्दुस्तान कई छोटे- छोटे देशों की शक्ल में बँट जाने वाला था।
प्रश्न 39.
देशी रजवाड़ों की चर्चा से कौन-सी तीन बातें सामने आती हैं?
उत्तर:
देशी रजवाड़ों की चर्चा से निम्न तीन बातें सामने आती हैं।
- अधिकतर रजवाड़ों के लोग भारतीय संघ में शामिल होना चाहते थे संजीव पास बुक्स
- भारत सरकार का रुख लचीला था और वह कुछ इलाकों को स्वायत्तता देने के लिए तैयार थी जैसा कि जम्मू-कश्मीर में हुआ।
- विभाजन की पृष्ठभूमि में विभिन्न इलाकों के सीमांकन के सवाल पर खींचतान जोर पकड़ रही थी और ऐसे में देश की क्षेत्रीय अखंडता एकता का सवाल सबसे अहम था।
प्रश्न 40.
यदि आजाद भारत को प्रांतों में बाँटने का आधार भाषा को बनाया गया तो अव्यवस्था फैल सकती है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आजादी और बँटवारे के बाद स्थितियाँ बदलीं भारत के नेताओं को यह आभास हो गया था कि अगर भाषा के आधार पर प्रांत बनाए गए तो इससे अव्यवस्था फैल सकती है तथा देश के टूटने का खतरा पैदा हो सकता है। भाषावार राज्यों के गठन से दूसरी सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों से ध्यान भटक सकता।
प्रश्न 41.
आंध्रप्रदेश राज्य का गठन क्यों करना पड़ा?
उत्तर:
भारत के आज़ाद होने पर भारतीय नेताओं ने भाषा के आधार पर प्रांत बनाने का फैसला स्थगित कर दिया। केन्द्रीय नेतृत्व के इस फैसले को स्थानीय नेताओं और लोगों ने चुनौती दी। पुराने मद्रास प्रांत में आज के तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश शामिल थे। विशाल आंध्र आंदोलन ने माँग की कि मद्रास प्रांत के तेलुगुवासी इलाकों को अलग करके एक नया राज्य आंध्रप्रदेश बनाया जाए। इस आंदोलन को लोगों का सहयोग मिला।
कांग्रेस के नेता और दिग्गज गाँधीवादी, पोट्टी श्रीरामुलु, अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए। 56 दिनों की हड़ताल के बाद उनकी मृत्यु हो गई। फलस्वरूप आंध्रप्रदेश में जगह-जगह हिंसक घटनाएँ हुईं। लोग बड़ी संख्या में सड़कों पर निकल आए। पुलिस फायरिंग में अनेक लोग घायल हुए या मारे गए। मद्रास में अनेक विधायकों ने विरोध जताते हुए अपनी सीट से इस्तीफा दे दिया। आखिरकार 1952 के दिसंबर में प्रधानमंत्री ने आंध्रप्रदेश नाम से अलग राज्य बनाने की घोषणा की।
प्रश्न 42.
भाषाई राज्य तथा इन राज्यों के गठन के लिए चले आंदोलनों ने लोकतांत्रिक राजनीति तथा नेतृत्व की प्रकृति को बुनियादी रूपों में बदला है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भाषावार राज्यों के पुनर्गठन की घटना को आज 50 साल से भी अधिक समय हो गया। अर्थात् हम यह कह सकते हैं क़ि भाषाई राज्य तथा इन राज्यों के गठन के लिए चले आंदोलनों ने लोकतांत्रिक राजनीति तथा नेतृत्व की प्रकृति को बुनियादी रूपों में बदला है। क्योंकि राजनीति और सत्ता में भागीदारी का रास्ता अब एक छोटे-से अंग्रेजी भाषी अभिजात तबके के लिए ही नहीं बल्कि बाकियों के लिए भी खुल चुका था। भाषावार पुनर्गठन से राज्यों के सीमांकन के लिए एक समरूप आधार भी मिला । बहुतों की आशंका के विपरीत इससे देश नहीं टूटा। इसके विपरीत देश की एकता . और ज्यादा मजबूत हुई। सबसे बड़ी बात यह कि भाषावार राज्यों के पुनर्गठन से विभिन्नता के सिद्धांत को स्वीकृति मिली।
प्रश्न 43.
भारत देश के लोकतांत्रिक होने का वृहत्तर अर्थ है। संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जब हम यह कहते हैं कि भारत ने लोकतांत्रिक शासन प्रणाली को अपनाया है तो इसका मतलब मात्र यह नहीं है कि भारत में लोकतांत्रिक संविधान पर अमल होता है अथवा भारत में चुनाव करवाए जाते हैं। भारत के लोकतांत्रिक होने का वृहत्तर अर्थ है । लोकतंत्र को चुनने का अर्थ था विभिन्नताओं को पहचानना और उन्हें स्वीकार करना। इसके साथ ही यह भी मानकर चलना कि विभिन्नताओं में आपसी विरोध भी हो सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो भारत में लोकतंत्र की धारणा विचारों और जीवन-पद्धतियों की बहुलता की धारणा से जुड़ी हुई थी ।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत विभाजन में आने वाली कठिनाइयों की विवेचना कीजिये।
उत्तर:
भारत विभाजन में आने वाली कठिनाइयाँ: भारत के विभाजन में आने वाली प्रमुख कठिनाइयाँ निम्नलिखित थीं।
1. मुस्लिम बहुल इलाकों का निर्धारण करना: भारत में दो इलाके ऐसे थे जहाँ मुसलमानों की आबादी ज्यादा थी। एक इलाका पश्चिम में था तो दूसरा इलाका पूर्व में था। ऐसा कोई तरीका न था कि इन दोनों इलाकों को जोड़कर एक जगह कर दिया जाये।
2. प्रत्येक मुस्लिम बहुल क्षेत्र को पाकिस्तान में जाने को राजी करना: मुस्लिम बहुल हर इलाका पाकिस्तान में जाने को राजी हो, ऐसा भी नहीं था। विशेषकर पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त जिसके नेता खान अब्दुल गफ्फार खां थे, जो द्विराष्ट्र सिद्धान्त के खिलाफ थे।
3. पंजाब और बंगाल के बँटवारे की समस्या: तीसरी कठिनाई यह थी कि ‘ब्रिटिश इण्डिया’ के मुस्लिम बहुल प्रान्त पंजाब और बंगाल में अनेक हिस्से बहुसंख्यक गैर-मुस्लिम आबादी वाले थे। इन प्रान्तों का बंटवारा किस प्रकार किया जाये। 14-15 अगस्त मध्य रात्रि तक यह फैसला नहीं हो पाया था।
4. अल्पसंख्यकों की समस्या: सीमा के दोनों तरफ अल्पसंख्यक थे। ये लोग एक तरह से सांसत में थे। जैसे ही यह बात साफ हुई कि देश का बँटवारा होने वाला है, वैसे ही दोनों तरफ से अल्पसंख्यकों पर हमले होने लगे आबादी का यह स्थानान्तरण आकस्मिक, अनियोजित और त्रासदी भरा था। दोनों ही तरफ के अल्पसंख्यक अपने घरों से भाग खड़े हुए और अक्सर अस्थाई तौर पर उन्हें शरणार्थी शिविरों में पनाह लेनी पड़ी। इस प्रकार विभाजन में सिर्फ संपदा, देनदारी और परिसम्पत्तियों का ही बँटवारा नहीं हुआ, बल्कि इसमें दोनों समुदाय हिंसक अलगाव के शिकार भी हुए।
प्रश्न 2.
भारत विभाजन में आने वाली कठिनाइयों का हल किस प्रकार किया गया?
उत्तर:
भारत विभाजन में आने वाली कठिनाइयों का हल निम्न प्रकार किया गया।
- मुस्लिम बहुल इलाकों का निर्धारण करना: भारत में दो इलाके ऐसे थे जहाँ मुसलमानों की आबादी ज्यादा थी। एक इलाका पश्चिम में था तो दूसरा पूर्व में। अतः यह निर्णय किया गया कि पाकिस्तान के दो इलाके होंगे
- पूर्वी पाकिस्तान और
- पश्चिमी पाकिस्तान।
- प्रत्येक मुस्लिम बहुल क्षेत्र को पाकिस्तान में जाने को राजी करना: जो मुस्लिम बहुल इलाका पाकिस्तान में जाने को राजी नहीं था, जैसे पश्चिमोत्तर सीमा प्रान्त। उसकी आवाज की अनदेखी कर उसे पाकिस्तान में मिलाया गया।
- पंजाब व बंगाल के बंटवारे की समस्या: इस सम्बन्ध में यह फैसला किया गया कि इन दोनों प्रान्तों का बंटवारा धार्मिक बहुसंख्यकों के आधार पर होगा तथा इसमें जिले अथवा तहसील को आधार माना जायेगा। लेकिन यह फैसला देर से होने के कारण दोनों प्रान्तों के बंटवारे में जान-माल की भारी हानि हुई।
- अल्पसंख्यकों की समस्या: हर हाल में अल्पसंख्यकों को सीमा के दूसरी तरफ जाना पड़ा। दोनों तरफ शरणार्थी शिविर लगाये गये और फिर उन्हें बसाया गया।
प्रश्न 3.
1947 में भारत के विभाजन के क्या परिणाम हुए?
अथवा
‘भारत और पाकिस्तान का विभाजन अत्यन्त दर्दनाक था । ‘ विभाजन के परिणामों का उल्लेख उपर्युक्त तथ्य के प्रकाश में कीजिये।
उत्तर:
भारत-विभाजन के परिणाम: 14 – 15 अगस्त, 1947 को ‘ब्रिटिश इंडिया’ का दो राष्ट्रों में विभाजन हो गया। ये राष्ट्र हैं। भारत और पाकिस्तान भारत और पाकिस्तान के विभाजन के निम्न प्रमुख परिणाम सामने आये-
- आबादी का स्थानान्तरण: इसके कारण बड़े पैमाने पर एक जगह की अल्पसंख्यक आबादी दूसरी जगह जाने को मजबूर हुई थी। आबादी का यह स्थानान्तरण आकस्मिक, अनियोजित और त्रासदी से भरा था।
- घर बार छोड़ने की मजबूरी: विभाजन के परिणामस्वरूप दोनों तरफ के 80 लाख अल्पसंख्यक लोगों को अस्थाई तौर पर शरणार्थी शिविरों में पनाह लेनी पड़ी। वहाँ का स्थानीय प्रशासन इन लोगों के साथ रुखाई का बरताव कर रहा था।
- महिलाओं तथा बच्चों के साथ अत्याचार हुए- सीमा के दोनों ओर हजारों की तादाद में अल्पसंख्यक औरतों को अगवा कर लिया गया। उन्हें जबरन शादी करनी पड़ी और अगवा करने वाले का धर्म भी अपनाना पड़ा। बहुत से बच्चे अपने माँ-बाप से बिछड़ गये।
- हिंसक अलगाव: इस विभाजन में दो समुदाय हिंसक अलगाव के शिकार हुए। विभाजन की हिंसा में लगभग 5 से 10 लाख लोग मारे गये।
- भौतिक सम्पत्ति का बँटवारा: विभाजन में वित्तीय संपदा, परिसम्पत्तियों, सरकारी काम-काज में आने वाले फर्नीचर, मशीनरी तथा सरकारी व रेलवे के कर्मचारियों का बँटवारा हुआ। साथ ही साथ टेबल, कुर्सी, टाइपराइटर और पुलिस के वाद्य यंत्रों तक का बंटवारा हुआ था। अतः स्पष्ट है कि भारत तथा पाकिस्तान का विभाजन दर्दनाक तथा त्रासदी से भरा था।
प्रश्न 4.
देशी रियासतों के एकीकरण में सरदार वल्लभ भाई पटेल के योगदान पर प्रकाश डालिए।
अथवा
भारत में देशी राज्यों (रजवाड़ों) के विलय पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
देशी राज्यों या रजवाड़ों के विलय की समस्या:
स्वतंत्रता के तुरन्त पहले ब्रिटिश शासन ने घोषणा की कि भारत पर ब्रिटिश प्रभुत्व के साथ ही रजवाड़े भी ब्रिटिश- अधीनता से स्वतंत्र हो जायेंगे तथा ये रजवाड़े अपनी मर्जी से चाहें तो भारत या पाकिस्तान में शामिल हो जाएँ या फिर अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखें। यह फैसला लेने का अधिकार राजाओं को दिया गया है। यह एक गंभीर समस्या थी और इससे अखंड भारत के अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा रहा था। राज्यों के पुनर्गठन की समस्या का समाधान सरदार पटेल के नेतृत्व में देशी रियासतों के विलय की समस्या का समाधान निम्न प्रकार तीन चरणों में किया गया
- प्रथम चरण: एकीकरण प्रथम चरण में अधिकांश देशी रियासतों के शासकों ने भारतीय संघ में स्वेच्छा से अपने विलय के एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये, जिसे ‘इन्स्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन’ कहा जाता है। इस पर हस्ताक्षर का अर्थ था कि रजवाड़े भारतीय संघ का अंग बनने के लिए सहमत है।
- द्वितीय चरण- अधिमिलन: मणिपुर, जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर जैसी रियासतों ने स्वेच्छा से भारत में शामिल होना स्वीकार नहीं किया था, परन्तु सरदार पटेल ने अपने रणनीतिक कौशल एवं सूझ-बूझ से इन रियासतों को भारत में विलय होने के लिए मजबूर कर दिया।
- तृतीय चरण: प्रजातन्त्रीकरण: इस चरण में देशी राज्यों के प्रान्तों में भी संसदीय प्रणाली लागू की गई तथा निर्वाचित विधानसभाओं की स्थापना की गई। इस प्रकार इनमें प्रजातन्त्रीकरण की समस्या को हल किया गया।
प्रश्न 5.
विभाजन की विरासतों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
अथवा
भारत विभाजन के साथ भारत को जो समस्याएँ विरासत में मिलीं उनका उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत को विभाजन के साथ मिली समस्याएँ: भारत विभाजन के साथ भारत को जो समस्याएँ विरासत में मिलीं उन्हें विभाजन की विरासत कहा जाता है। यह समस्याएँ निम्नलिखित हैं।
1. शरणार्थियों की समस्या:
भारत के विभाजन के फलस्वरूप पाकिस्तान छोड़कर भारत आने वाले शरणार्थियों की संख्या लाखों में थी। अतः सरकार के सामने इन लोगों के पुनर्वास की कठिन समस्या सामने आयी। भारत सरकार को न केवल इन शरणार्थी लोगों को भारत में रहने के लिए घरों की व्यवस्था करनी थी, बल्कि उन्हें मनोवैज्ञानिक आधार पर यह समझाना भी था कि यहाँ उन्हें सुरक्षित रूप से जीवन व्यतीत करने की व्यवस्था भी की जाएगी। पं. नेहरू ने इस समस्या के समाधान हेतु पुनर्वास मन्त्रालय बनाया, शरणार्थियों के लिए जगह- जगह शिविर लगाये,
उन्हें बसाया तथा मुआवजे के रूप में यथायोग्य जमीन-जायदाद दी तथा उन्हें भारत का नागरिक बनाया।
2. कश्मीर समस्या:
भारत के विभाजन के समय देशी रियासत कश्मीर के राजा हरि सिंह ने कश्मीर को एक स्वतन्त्र राज्य बनाने का निर्णय लिया। परन्तु पाकिस्तान ने पश्चिमी सीमा प्रान्त के कबाइली लोगों को प्रेरणा और सहायता देकर कश्मीर पर आक्रमण करवा दिया। फलतः आक्रमणकारियों में अधिकांशतः पाकिस्तानी सैनिक थे। इस आक्रमण से कश्मीर के अस्तित्व को खतरा हो गया।
3. कश्मीर के राजा हरिसिंह ने कश्मीर के भारत में विलय के घोषणा: पत्र पर हस्ताक्षर कर भारत से सहायता माँगी पं. नेहरू और सरदार पटेल ने भारतीय सेना को कश्मीर भेजा, इसके साथ भारत ने पाकिस्तान से यह आग्रह किया कि वह कश्मीर में अपनी सैनिक गतिविधियाँ बन्द करे। परन्तु पाकिस्तान ने इससे इन्कार कर दिया। कश्मीर की समस्या पर कोई सर्वमान्य हल निकल सके, इस हेतु पं. नेहरू इसे संयुक्त राष्ट्र संघ में ले गये परन्तु कश्मीर की समस्या का अब तक भी कोई सर्वमान्य हल नहीं निकल पाया है।
प्रश्न 6.
स्वतंत्रता के बाद राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों को समझाते हुए राज्यों का पुनर्गठन समझाइए।
अथवा
राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन कब और क्यों हुआ? इसकी मुख्य सिफारिश क्या थी?
अथवा
राज्य पुनर्गठन आयोग का क्या कार्य था? इसकी प्रमुख सिफारिशों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिये।
उत्तर:
राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन: भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की माँग के जोर पकड़ने पर केन्द्र सरकार ने सन् 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया। राज्य पुनर्गठन आयोग का कार्य: राज्य पुनर्गठन आयोग का काम राज्यों के सीमांकन के मसले पर गौर करना था। राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिश ।
राज्य पुनर्गठन आयोग ने यह सिफारिश की कि राज्यों की सीमाओं का निर्धारण वहाँ बोली जाने वाली भाषा के आधार पर होना चाहिए इस आयोग की सिफारिश के आधार पर 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम पास हुआ जिसके आधार पर 14 राज्य और 6 केन्द्र: शासित प्रदेश बनाये गये। सिफारिशों का आलोचनात्मक विश्लेषण: भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन के निम्न परिणाम निकले हैं।
- एक लोकतांत्रिक कदम: भाषा के आधार पर नये राज्यों का गठन करना एक लोकतांत्रिक कदम के रूप में देखा गया।
- सीमांकन का समरूप आधार: भाषावार पुनर्गठन से राज्यों के सीमांकन के लिए एक समरूप आधार भी मिला।
- एकता को बल: भाषावार पुनर्गठन से देश की एकता और ज्यादा मजबूत हुई।
- विभिन्नता के सिद्धान्त को स्वीकृति भाषावार राज्यों के पुनर्गठन से विभिन्नता के सिद्धान्त को स्वीकृति
प्रश्न 7.
भारत में भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की समस्या का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करने से भारतीय राजनीतिक क्षेत्र में कई गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो गयी थीं। कई राज्यों के लोग अपनी भाषा के आधार पर नये राज्यों की माँग करने लगे। इसी कारण देश के कई भागों में लोगों द्वारा गंभीर आंदोलन आरंभ कर दिए गए और भारत सरकार को विवश होकर नए राज्य स्थापित करने पड़े। सन् 1960 में बंबई (मुम्बई) राज्य को महाराष्ट्र और गुजरात दो राज्यों में और 1966 में पंजाब राज्य को हरियाणा और पंजाब दो राज्यों में बाँटना पड़ा।
इसी प्रकार, 1963 में नगालैण्ड और 1972 में मेघालय राज्य की स्थापना करनी पड़ी। इसी वर्ष मणिपुर, त्रिपुरा भी अलग राज्य बने तथा अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम 1987 में वजूद में आए। नवम्बर, 2000 में तीन राज्यों उत्तरांचल (उत्तराखण्ड), छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के गठन तथा 2014 में तेलंगाना के गठन के बावजूद भाषा के आधार पर जम्मू-कश्मीर में डोगरालैंड, पश्चिमी बंगाल में गोरखा राज्य, गुजरात में कच्छ राज्य, मध्य प्रदेश में विदर्भ राज्य की मांग भाषा के आधार पर ही की जा रही है।
भाषायी क्षेत्रवाद की यह भावना देश की राजनीतिक और क्षेत्रीय एकता के लिए निरंतर ख़तरा बन रही है। यदि शुद्ध भाषात्मक एकरूपता के आधार पर भारतीय संघ का गठन किया जाए तो हमारा देश इतने अधिक राज्यों में बँट जाएगा कि भारत के लिए एक राष्ट्र के रूप में अपना अस्तित्व कायम रखना असंभव हो सकता है।
प्रश्न 8.
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारत की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौनसी थीं? व्याख्या करें।
अथवा
स्वतंत्रता के समय, भारत के समक्ष आई किन्हीं तीन चुनौतियों की विस्तार से व्याख्या कीजिये। स्वतंत्रता के समय भारत के समक्ष आई चुनौतियाँ
उत्तर:
भारत की स्वतंत्रता के समय भारत के समक्ष निम्नलिखित तीन तरह की चुनौतियाँ थीं-
1. राष्ट्र निर्माण की चुनौती:
स्वतंत्रता के तुरन्त बाद राष्ट्र-निर्माण की चुनौती प्रमुख थी। यहाँ विभिन्न धर्मों, जातियों, वर्गों, भाषाओं और संस्कृति को मानने वाले लोग रहते थे, इनमें एकता कायम करने की एक चुनौती थी। क्योंकि हर क्षेत्रीय व उप-क्षेत्रीय पहचान को कायम रखते हुए देश की एकता व अखण्डता को कायम रखना था। दूसरे, देशी राज्यों को भारत संघ में विलीन करने की भी एक विकट समस्या थी। इस तरह स्वतंत्रता के बाद तात्कालिक प्रश्न राष्ट्र निर्माण की चुनौतीका था।
2. लोकतांत्रिक व्यवस्था को कायम करना:
देश के सामने दूसरी प्रमुख चुनौती लोकतंत्र को कायम करने की थी। स्वतन्त्रता के बाद भारत ने संसदीय प्रतिनिध्यात्मक लोकतान्त्रिक मॉडल को अपनाया। लेकिन अब देश के सामने यह चुनौती थी कि संविधान पर आधारित लोकतांत्रिक व्यवहार की व्यवस्थाएँ चलन में आएं ताकि लोकतंत्र कायम रह सके। दूसरी चुनौती यह थी कि एक ऐसे समतामूलक समाज का विकास किया जाये जिसमें सभी वर्गों का भला हो सके।
3. आर्थिक विकास हेतु नीति निर्धारित करना:
स्वतंत्रता के समय देश के समक्ष तीसरी प्रमुख चुनौती आर्थिक विकास हेतु नीतियों का निर्धारण करना था। अतः देश के सामने नीति निर्देशक सिद्धान्तों के अनुरूप आर्थिक विकास करने और गरीबी को खत्म करने के लिए कारगर नीतियों का निर्धारण करने की चुनौती थी।
प्रश्न 9.
स्वतंत्रता के बाद भारत के एकीकरण को समझाइए स्वतंत्रता के बाद भारत का एकीकरण
उत्तर:
संजीव पास बुक्स: स्वतंत्रता के बाद भारत के समक्ष एकीकरण की प्रमुख चुनौती थी। यह चुनौती तीन रूपों में हमारे देश के नेताओं के समक्ष आई। यथा।
1. विभाजन:
विस्थापन और पुनर्वास तथा धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना – परिणामतः स्वतन्त्रता के बाद दोनों तरफ के अल्पसंख्यकों को अपने-अपने घरों को छोड़कर स्थानान्तरण के लिए मजबूर होना पड़ा। यह स्थानान्तरण त्रासदी भरा रहा। दूसरे, विभाजित भारत में अब भी 12% मुसलमान भारत में रह गये थे। इसके अतिरिक्त अन्य धर्मावलम्बी भी यहाँ रह रहे थे। इस समस्या का निपटारा भारतीय शासकों ने भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाकर किया तथा संविधान में सभी नागरिकों को समान दर्जा देकर देश के एकीकरण का प्रथम चरण पूरा किया गया।
2. रजवाड़ों का विलय:
स्वतंत्रता के बाद रजवाड़ों का स्वतंत्र होना अपने आप में एक गहरी समस्या थी । इससे अखंड भारत के अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा रहा था। लेकिन शांतिपूर्ण बातचीत के जरिये लगभग सभी रजवाड़े जिनकी सीमाएँ आजाद भारत की सीमाओं से मिलती थीं, 15 अगस्त, 1947 से पहले ही भारतीय संघ में शामिल हो गये। हैदराबाद, जूनागढ़, कश्मीर तथा मणिपुर की रियासतों का विलय सरदार पटेल की सूझबूझ, जनता के दबाव तथा भारतीय सेना के माध्यम से किया जा सका।
4. राज्यों का पुनर्गठन:
भारतीय प्रान्तों की आंतरिक सीमाओं को तय करने की चुनौती को हल करने हेतु 1953 में राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया गया और 1956 में इसकी सिफारिशों के आधार पर 14 राज्य और 6 केन्द्र शासित प्रदेश बनाए गए। इससे देश में विभिन्नता के सिद्धान्त को स्वीकृति मिली और देश की एकता भी सुदृढ़ हुई।
प्रश्न 10.
राज्यों के पुनर्गठन के मसले ने देश में अलगाववाद की भावना को कैसे पनपाया? भाषाई आधार पर राज्य पुनर्गठन की सफलताओं का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर:
आजादी के बाद के शुरुआती सालों में एक बड़ी चिंता यह थी कि अलग राज्य बनाने की माँग से देश की एकता पर आँच आएगी। आशंका थी कि नए भाषाई राज्यों में अलगाववाद की भावना पनपेगी और नवनिर्मित भारतीय राष्ट्र पर दबाव बढ़ेगा। जनता के दबाव में आखिरकार केन्द्रीय नेतृत्व ने भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन का मन बनाया।
आशंका यह थी कि अगर हर इलाके के क्षेत्रीय और भाषाई दावे को मान लिया गया तो बँटवारें और अलगाववाद के खतरे में कमी आएगी। इसके अलावा क्षेत्रीय माँगों को मानना और भाषा के आधार पर नए राज्यों का गठन करना ‘एक लोकतांत्रिक कदम के रूप में भी देखा गया। भाषावार राज्यों के पुनर्गठन की घटना को आज 50 साल से भी अधिक का समय व्यतीत हो चुका है। अतः यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भाषाई राज्य तथा इन राज्यों के गठन के लिए चले आन्दोलनों ने लोकतांत्रिक राजनीति तथा नेतृत्व की प्रकृति को बुनियादी रूपों में बदला है।
राजनीति और सत्ता में हिस्सेदारी का रास्ता अब एक सीमित अंग्रेजी अभिजात वर्ग के लिए ही नहीं बल्कि बाकियों के लिए भी खुल चुका है। भाषावार पुनर्गठन से राज्यों के सीमांकन ‘के लिए एक समरूप आधार भी मिला । बहुतों की आशंका के विपरीत इससे देश नहीं टूटा। इसके विपरीत देश की एकता और ज्यादा मजबूत हुई। सबसे बड़ी बात यह कि भाषावार राज्यों के पुनर्गठन से विभिन्नता के सिद्धान्त को स्वीकृति मिली।