Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव Important Questions and Answers.
JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव
बहुच्चयनात्मक प्रश्न
1. भारतीय दलीय व्यवस्था का स्वरूप है।
(क) एकदलीय
(ख) द्विदलीय
(ग) बहुदलीय
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) बहुदलीय
2. निर्बल व अस्थिर शासन जिस प्रणाली का दोष है, वह है।
(क) एकदल की तानाशाही
(ख) द्विदलीय प्रणाली
(ग) बहुदलीय प्रणाली
(घ) दलविहीन प्रणाली
उत्तर:
(ग) बहुदलीय प्रणाली
3. जनता पार्टी का उदय कब हुआ?
(क) 1980
(ख) 1998
(ग) 1999
(घ) 1977
उत्तर:
(घ) 1977
4. निम्न में कौनसा दल अखिल भारतीय दल है?
(क) तेलुगूदेशम
(ख) कांग्रेस
(ग) समाजवादी पार्टी
(घ) राष्ट्रीय जनता दल।
उत्तर:
(ख) कांग्रेस
5. निम्न में से किस राज्य में क्षेत्रीय दल प्रभावी है।
(क) तमिलनाडु
(ख) उत्तरप्रदेश
(ग) राजस्थान
(घ) मध्यप्रदेश
उत्तर:
(क) तमिलनाडु
6. निम्न में दक्षिण भारत की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी कौनसी है?
(क) डी. एम. के.
(ख) राष्ट्रीय जनता दल
(ग) इनैलो
(घ) नेशनल कांफ्रेंस
उत्तर:
(क) डी. एम. के.
7. 1980 के दशक के आखिर के सालों में देश की राष्ट्रीय राजनीति में किस मुद्दे का उदय हुआ?
(क) काँग्रेस प्रणाली
(ख) अन्य पिछड़ा वर्ग
(ग) मंडल मुद्दे
(घ) राष्ट्रीय मोर्चा
उत्तर:
(ग) मंडल मुद्दे
8. राजीव गाँधी की हत्या कब हुई थी?
(क) 1983
(ख) 1990
(ग) 1985
(घ) 1991
उत्तर:
(घ) 1991
9. राजीव गाँधी की मृत्यु के पश्चात् प्रधानमंत्री किसको चुना गया?
(क) संजय गाँधी
(ख) नरसिम्हा राव
(ग) गुलजारी लाल नंदा
(घ) मोरारजी देसाई
उत्तर:
(ख) नरसिम्हा राव
10. बामसेफ का गठन हुआ-
(क) 1978
(ख) 1980
(ग) 1991
(घ) 1989
उत्तर:
(क) 1978
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए
1. 1978 में ………….. का गठन हुआ।
उत्तर:
बामसेफ
2. बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक ……………. थे।
उत्तर:
कांशीराम
3. मुस्लिम महिला अधिनियम ………………में पास किया गया।
उत्तर:
1986
4. अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने का प्रस्ताव …………….. मुद्दे में किया गया था।
उत्तर:
मंडल
5. बाबरी मस्जिद के विवादित ढाँचे को विध्वंस करने की घटना ………………… के दिसंबर महीने में घटी।
उत्तर:
1992
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में गठबन्धन की राजनीति की शुरुआत कौनसे दशक में शुरू हुई?
उत्तर:
1990 के दशक में।
प्रश्न 2.
जनता दल का गठन कब किया गया?
उत्तर:
सन् 1988 में।
प्रश्न 3.
राजग का गठन हुआ
उत्तर:
1999 में।
प्रश्न 4.
संप्रग सरकार का गठन कब हुआ?
उत्तर:
2004 में।
प्रश्न 5.
सन् 1989 की प्रमुख राजनैतिक घटना क्या थी?
उत्तर:
कांग्रेस की हार।
प्रश्न 6.
किसी भी दल को बहुमत प्राप्त नहीं हो ऐसी संसद को कहते हैं।
उत्तर:
त्रिशंकु संसद।
प्रश्न 7.
2004 के लोकसभा चुनावों में किस गठबन्धन की सरकार बनी?
उत्तर:
संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन।
प्रश्न 8.
भारत में सन् 2009 में किस गठबंधन की सरकार केंन्द्र में दोबारा बनी थी?
उत्तर:
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की।
प्रश्न 9.
संयुक्त मोर्चा की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
सन् 1996 में।
प्रश्न 10.
मण्डल आयोग की सिफारिशों को कब लागू किया गया?
उत्तर:
1990 में।
प्रश्न 11.
1989 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को कितनी सीटों पर विजय मिली?
उत्तर:
1989 के चुनाव में काँग्रेस पार्टी को 197 सीटों पर विजय मिली थी।
प्रश्न 12.
कौनसा क्षेत्रीय दल है जो राष्ट्रभाषा हिन्दी का विरोध और राज्यों की स्वायत्तता का हिमायती है?
उत्तर:
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डी.एम.के.)।
प्रश्न 13.
भारत में राजनीतिक दलों को मान्यता देने वाली संस्था का नाम बताइये।
उत्तर:
निर्वाचन आयोग।
प्रश्न 14.
भारतीय दलीय व्यवस्था का वह कौनसा स्वरूप है जो राजनीतिक अस्थायित्व और अवसरवादिता को जन्म देता है?
उत्तर:
राजनीतिक दल-बदल।
प्रश्न 15.
राजनीतिक दलों के ध्रुवीकरण के प्रमुख बाधक तत्त्व क्या हैं?
उत्तर:
विचारधाराओं की विभिन्नता।
प्रश्न 16.
भारतीय दलीय व्यवस्था की दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर: बहुदलीय व्यवस्था, शासन सत्ता को मर्यादित करना।
प्रश्न 17.
राजनीतिक दलों के दो कार्य बताइए।
उत्तर:
,राजनीतिक चेतना का प्रसार, शासन सत्ता को मर्यादित करना।
प्रश्न 18.
क्षेत्रीय दल किसे कहते हैं?
उत्तर:
क्षेत्रीय दल वे दल कहलाते हैं जिनका संगठन एवं प्रभाव क्षेत्र प्रायः केवल एक राज्य या प्रदेश तक सीमित होता है।
प्रश्न 19.
वर्तमान दलीय व्यवस्था की उभरती हुई दो प्रवृत्तियाँ बताइए।
उत्तर:
- जाति आधारित दलों का गठन
- राजनीतिक अपराधीकरण।
प्रश्न 20.
भारतीय दलीय व्यवस्था के दो दोष बताइए।
उत्तर:
- साम्प्रदायिकता तथा क्षेत्रवाद की प्रबलता।
- नैतिकता का अभाव।
प्रश्न 21.
राजनीतिक दलों के दो आवश्यक तत्त्व बताइये।
उत्तर:
संगठन, सामान्य सिद्धान्तों में एकता।
प्रश्न 22.
किन्हीं चार क्षेत्रीय दलों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- डी. एम. के.
- ए. डी. एम. के.
- अकाली दल
- तेलगूदेशम।
प्रश्न 23.
किस चुनाव के बाद लोकसभा में किसी भी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला?
उत्तर:
1989 के लोकसभा चुनावों के बाद किसी भी एक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ।
प्रश्न 24.
1989 के चुनावों के पश्चात् केन्द्र में जनता दल ने किसके नेतृत्व में सरकार बनाई?
उत्तर:
1989 के चुनावों के पश्चात् केन्द्र में जनता दल ने वी. पी. सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई।
प्रश्न 25.
1989 से 2004 के चुनावों तक लोकसभा में किस पार्टी के स्थान बढ़ते रहे हैं?
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी के।
प्रश्न 26.
लोकतान्त्रिक सरकार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
लोकतान्त्रिक सरकार वह सरकार होती है जिसमें सत्ता के बारे में अन्तिम निर्णय जनता द्वारा लिया जाता है।
प्रश्न 27.
संयुक्त मोर्चा की एक विशेषता लिखिए।
उत्तर:
संयुक्त मोर्चा का गठन कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए किया गया।
प्रश्न 28.
मंडल मुद्दा से आपका क्या आशय है?
उत्तर:
अन्य पिछड़ा वर्ग को मिले आरक्षण के समर्थक और विरोधियों के बीच चले विवाद को मंडल मुद्दा कहा गया।
प्रश्न 29.
भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार से समर्थन वापस कब लिया?
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार से 23 अक्टूबर, 1990 को समर्थन वापस लिया।
प्रश्न 30.
भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था में गठबन्धन युग के उदय का कोई एक कारण लिखें।
उत्तर:
भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था में गठबन्धनवादी युग के उदय का महत्त्वपूर्ण कारण क्षेत्रीय दलों में वृद्धि है।
प्रश्न 31.
गठबन्धन की राजनीति से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
गठबन्धन की राजनीति का अर्थ कई दलों द्वारा सरकार का निर्माण करने से लिया जाता है।
प्रश्न 32.
गठबन्धनवादी राजनीति की प्रमुख समस्या क्या है?
उत्तर:
गठबन्धनवादी राजनीति की प्रमुख समस्या है। इसमें क्षेत्रीय पार्टियाँ राजनीतिक सौदेबाजी तथा अवसरवादिता की राजनीति करती हैं।
प्रश्न 33.
बाबरी मस्जिद कब गिराई गई, उस समय केन्द्र में किस पार्टी की सरकार थी?
उत्तर:
बाबरी मस्जिद 6 दिसम्बर, 1992 को गिराई गई, उस समय केन्द्र में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी तथा पी. वी. नरसिम्हा राव प्रधानमन्त्री थे।
प्रश्न 34.
2014 के लोकसभा चुनावों में किस दल को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ है?
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी को।
प्रश्न 35.
वैचारिक प्रतिबद्धता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
वैचारिक प्रतिबद्धता: वैचारिक प्रतिबद्धता से अभिप्राय है। राजनीतिक दलों का आर्थिक तथा राजनीतिक विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध होना।
प्रश्न 36.
चुनावों में क्षेत्रीय दलों की शक्ति में वृद्धि के फलस्वरूप होने वाले तीन राजनैतिक परिणाम बताइये।
उत्तर:
चुनावों में क्षेत्रीय दलों की शक्ति में वृद्धि के फलस्वरूप होने वाले तीन राजनैतिक परिणाम हैं।
- राजनीतिक अस्थिरता में वृद्धि
- क्षेत्रवाद को बढ़ावा
- मिली-जुली राजनीति का प्रारंभ।
प्रश्न 37.
भारत के किन्हीं तीन क्षेत्रीय दलों के नाम लिखिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय दल हैं।
- द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डी.एम.के.)।
- अखिल भातीय अन्ना द्रविड़ मुनैत्र कड़गम (ए. आई. अन्ना डी. एम. के.) तथा।
- तेलगूदेशम।
प्रश्न 38.
भारत के दो राष्ट्रीय दलों के नाम लिखिये।
उत्तर:
राष्ट्रीय दल हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी।
प्रश्न 39.
भारत में दलीय व्यवस्था की कोई तीन समस्याएँ बताइए।
उत्तर:
भारतीय दलीय व्यवस्था की तीन समस्याएँ ये हैं।
- दलों की सरकार
- दलों में वैचारिक प्रतिबद्धता का अभाव
- दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र का अभाव।
प्रश्न 40.
निम्न को सुमेलित कीजिए:
(i) राष्ट्रीय मोर्चा – कांग्रेस व क्षेत्रीय दल
(ii) संयुक्त मोर्चा – भाजपा व क्षेत्रीय दल
(iii) राजग – कांग्रेस व राष्ट्रीय मोर्चा
(iv) संप्रग – जनता दल व क्षेत्रीय दल
उत्तर:
(i) राष्ट्रीय मोर्चा – जनता दल व क्षेत्रीय दल
(ii) संयुक्त मोर्चा – कांग्रेस व राष्ट्रीय मोर्चा
(iii) राजग – भाजपा व क्षेत्रीय दल
(iv) संप्रग – कांग्रेस व क्षेत्रीय दल
प्रश्न 41.
राजीव गाँधी की हत्या के जिम्मेदार कौन थे?
उत्तर:
राजीव गाँधी की हत्या के जिम्मेदार लिट्टे से जुड़े श्रीलंकाई तमिल थे
प्रश्न 42.
अन्य पिछड़ा वर्ग को और क्या बोल कर संकेत किया जाता है?
उत्तर:
अदर बैकवर्ड क्लासेज।
प्रश्न 43.
मंडल आयोग को आधिकारिक रूप से क्या कहा गया?
उत्तर:
मंडल आयोग को आधिकारिक रूप से दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग कहा गया।
प्रश्न 44.
बामसेफ का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्पलाइज फेडरेशन।
प्रश्न 45.
हिन्दुत्व अथवा हिंदूपन शब्द को किसने गढ़ा था?
उत्तर:
हिन्दुत्व अथवा हिंदूपन शब्द को वी. डी. सावरकर ने गढ़ा था।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
किस वर्ष भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई और इसके प्रथम अध्यक्ष कौन थे?
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी की स्थापना सन् 1980 में हुई। पहले यह जनता पार्टी का घटक थी लेकिन दोहरी सदस्यता के प्रश्न पर जनता पार्टी से मतभेद हो गया और पूर्व जनसंघ अलग हो गया। अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी के प्रथम अध्यक्ष थे।
प्रश्न 2.
राजनीतिक दल-बदल से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
कोई जनप्रतिनिधि किसी खास दल के चुनाव चिह्न को लेकर चुनाव लड़े और चुनाव जीतने के बाद इस दल को छोड़कर किसी दूसरे दल में शामिल हो जाए, तो इसे राजनीतिक दल-बदल कहते हैं।
प्रश्न 3.
संयुक्त मोर्चा सरकार की प्रमुख विशेषता बताइये।
उत्तर:
संयुक्त मोर्चा सरकार 1 जून, 1996 में देवेगौड़ा के नेतृत्व में बनी। इस सरकार की महत्त्वपूर्ण विशेषता यह थी कि केन्द्र में बनी सरकार क्षेत्रीय पार्टियों के समर्थन पर टिकी हुई थी और भारतीय राजव्यवस्था के इतिहास में पहली बार भारतीय साम्यवादी दल केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में शामिल हुआ।
प्रश्न 4.
1989 में भारत में गठबन्धन सरकार की आवश्यकता क्यों पड़ी? एक उदाहरण दें।
उत्तर:
1989 में भारत में गठबन्धन सरकार की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि लोकसभा के चुनाव में त्रिशंकु लोकसभा का गठन हुआ था। किसी भी एक राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ और यह समय की आवश्यकता थी।
प्रश्न 5.
गठबंधन सरकार का क्या अर्थ है? गठबंधन सरकार सबसे पहले केन्द्र में कब बनी?
उत्तर:
गठबंधन सरकार: विभिन्न दल एक गठबंधन बनाकर जब एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अन्तर्गत सरकार का गठन करते हैं तो उसे गठबंधन सरकार कहा जाता है। केन्द्र में पहली गठबंधन सरकार सन् 1989 में वी. पी. सिंह के नेतृत्व में बनी थी।
प्रश्न 6.
पोखरण नाभिकीय परीक्षण कब किए गये और उस समय किस दल की सरकार थी?
उत्तर:
पोखरण में पहली बार 1974 में नाभिकीय परीक्षण किये गये। उस समय केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी। इन्दिरा गांधी प्रधानमन्त्री थीं। पोखरण – II नाभिकीय परीक्षण 11 मई और 13 मई, 1999 में किए गए, उस समय राजग की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे।
प्रश्न 7.
1988 का वर्ष भारतीय राजनीति में क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
1988 का वर्ष भारतीय राजनीति में विशेष स्थान रखता है क्योंकि इस वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर एक नए राजनीतिक दल – जनता दल का निर्माण हुआ था। वी. पी. सिंह को जनता दल का सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया था।
प्रश्न 8.
क्या क्षेत्रीय दल आवश्यक हैं? अपने उत्तर के पक्ष में दो तर्क दीजिए।
उत्तर:
भारत में क्षेत्रीय दल आवश्यक हैं, क्योंकि।
- भारत एक विशाल देश है जिसमें विभिन्न भाषाओं, धर्मों तथा जातियों के लोग रहते हैं। अनेक क्षेत्रीय दलों का निर्माण जाति, धर्म एवं भाषा के आधार पर हुआ है।
- भारत में विभिन्न क्षेत्रों की अपनी समस्याएँ तथा आवश्यकताएँ हैं। इनके हितों की पूर्ति के लिए विभिन्न क्षेत्रीय दलों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है।
प्रश्न 9.
भारत में गठबन्धन सरकारों के निर्माण के दो कारण बताइए।
उत्तर:
- 1989 के बाद राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस का आधिपत्य समाप्त हो गया और कांग्रेस के विरुद्ध अनेक राजनीतिक दल आये जिससे गठबन्धनवादी सरकारों का दौर शुरू हुआ।
- क्षेत्रीय दलों की बढ़ती संख्या के कारण भी एक राष्ट्रीय दल को लोकसभा या विधानसभा में बहुमत मिलना कठिन हो गया, जिससे गठबन्धन की राजनीति शुरू हुई।
प्रश्न 10.
संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग): संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन का निर्माण मई, 2004 में कांग्रेस एवं उसके सहयोगी दलों ने किया। इस दल की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी को बनाया गया तथा कांग्रेस के नेता डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने का निर्णय लिया गया जिन्होंने 2004 और 2009 में अपनी सरकार बनाई।
प्रश्न 11.
कांग्रेस प्रणाली से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
कांग्रेस पार्टी की स्थापना 1885 में हुई। उसके कई वर्षों बाद तक भी कांग्रेस स्वयं में एक गठबन्धन पार्टी के रूप में कार्य करती रही क्योंकि इसमें कई धर्मों, जातियों, भाषाओं तथा क्षेत्रों के लोग शामिल थे। इसे ही कांग्रेस प्रणाली कहते हैं।
प्रश्न 12.
मंडल मुद्दा क्या था?
उत्तर: मंडल मुद्दा – सन् 1990 में वी. पी. सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करते हुए यह प्रावधान किया कि केन्द्र सरकार की नौकरियों ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ को 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जायेगा। इससे अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के समर्थक और विरोधियों के बीच एक विवाद चला। इस विवाद को ही मंडल मुद्दा कहा गया।
प्रश्न 13.
अयोध्या में विवादित ढाँचे को कब गिराया गया था? राज्य सरकार को कैसे दंडित किया गया?
उत्तर:
6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढाँचे को गिराया गया था। इसके दंड स्वरूप प्रथमतः उत्तर प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार को बर्खास्त किया गया। दूसरे, मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा न्यायालय के अवमानना के विरोध में मुकदमा दर्ज किया गया। तीसरे, जिन-जिन राज्यों में भाजपा सरकारें थीं उन्हें बर्खास्त कर वहाँ राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।
प्रश्न 14.
वी. पी. मंडल पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
वी.पी. मंडल का जन्म 1918 में हुआ था। ये 1967-1970 तथा 1977 – 1979 में बिहार से सांसद चुने गए। इन्होंने दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग की अध्यक्षता की। इस आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने की सिफारिश समाजवादी नेता बने। 1968 में ये डेढ़ माह के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बने। 1977 में ये जनता पार्टी में शामिल हुए।
प्रश्न 15.
मिली-जुली सरकारों के दुष्परिणामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
साझा सरकारों के दुष्परिणाम निम्न हैं।
- विभाजन व विघटन की प्रवृत्ति
- अवसरवादिता की प्रवृत्ति
- उत्तरदायित्व की प्रवृत्ति
- राजनीतिक दलों की नीतियों और कार्यक्रमों में अनिश्चितता और अस्पष्टता।
प्रश्न 16.
निर्दलीय उम्मीदवार की वर्तमान समय में बढ़ती संख्या एक चुनौती है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चुनावों में किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि हो रही है। यह निर्दलीय उम्मीदवार भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं। यह भारतीय दलीय व्यवस्था के हित में नहीं है।
प्रश्न 17.
राजनीतिक अपराधीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
राजनीतिक दलों द्वारा अपराध जगत के माफिया सरदारों को चुनावों में उम्मीदवार बनाकर धन-बल, बल के आधार पर लोकसभा और विधानसभाओं में पहुँचाया जाना राजनीतिक अपराधीकरण कहलाता है।
प्रश्न 18.
स्पष्ट जनादेश और खण्डित जनादेश में क्या अन्तर है?
उत्तर:
स्पष्ट जनादेश का अभिप्राय है। किसी एक राजनैतिक दल को लोकसभा के चुनावों में स्पष्ट बहुमत मिलना और खण्डित जनादेश का अभिप्राय है। लोकसभा के चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत न मिलना।
प्रश्न 19.
बहुदलीय प्रणाली से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
बहुदलीय व्यवस्था: बहुदलीय व्यवस्था से अभिप्राय है। लोकसभा या राज्य विधानसभाओं में अनेक राजनीतिक दल विद्यमान होना जैसे आज लोकसभा में 50 से भी अधिक राजनीतिक दल हैं।
प्रश्न 20.
भारत की नई आर्थिक नीति कब शुरू की गई थी? इसका मुख्य वास्तुकार कौन था?
उत्तर:
भारत की नई आर्थिक नीति को 1991 में संरचना समायोजन कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया था और इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव द्वारा शुरू किया गया था।
- भारत की नई आर्थिक नीति का शुभारंभ तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने किया था।
- आर्थिक परिवर्तन पहली बार 1991 में दिखाई दिए और मौलिक रूप से उस दिशा को बदल दिया जो भारतीय अर्थव्यवस्था ने आजादी के बाद से उदारीकृत और खुली अर्थव्यवस्था के लिए अपनायी थी।
प्रश्न 21.
शाहबानो मामला क्या था? इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस विरोधी रुख क्यों अपनाया?
उत्तर:
शाहबानो मामला: शाहबानो मामला एक 62 वर्षीया तलाकशुदा मुस्लिम महिला शाहबानो का है। उसने अपने भूतपूर्व पति से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए अदालत में एक अर्जी दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाया। पुरातनपंथी मुसलमानों ने अदालत के इस फैसले को अपने ‘पर्सनल लॉ’ में हस्तक्षेप माना । कुछ मुस्लिम नेताओं की माँग पर सरकार ने मुस्लिम महिला अधिनियम, 1986 पास किया जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया गया।
प्रश्न 12.
मंडल मुद्दा क्या था?
उत्तर:
मंडल मुद्दा: सन् 1990 में वी. पी. सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करते हुए यह प्रावधान किया कि केन्द्र सरकार की नौकरियों ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ को 27 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जायेगा। इससे अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के समर्थक और विरोधियों के बीच एक विवाद चला। इस विवाद को ही मंडल मुद्दा कहा गया।
प्रश्न 13.
अयोध्या में विवादित ढाँचे को कब गिराया गया था? राज्य सरकार को कैसे दंडित किया गया?
उत्तर:
6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढाँचे को गिराया गया था। इसके दंड स्वरूप प्रथमतः उत्तर प्रदेश की तत्कालीन भाजपा सरकार को बर्खास्त किया गया। दूसरे, मुख्यमंत्री कल्याण सिंह पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा न्यायालय के अवमानना के विरोध में मुकदमा दर्ज किया गया। तीसरे, जिन-जिन राज्यों में भाजपा सरकारें थीं उन्हें बर्खास्त कर वहाँ राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।
प्रश्न 14.
वी. पी. मंडल पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
वी.पी. मंडल का जन्म 1918 में हुआ था। ये 1967-1970 तथा 1977 – 1979 में बिहार से सांसद चुने गए। इन्होंने दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग की अध्यक्षता की। इस आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने की सिफारिश समाजवादी नेता बने। 1968 में ये डेढ़ माह के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बने। 1977 में ये जनता पार्टी में शामिल हुए।
प्रश्न 15.
मिली-जुली सरकारों के दुष्परिणामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
साझा सरकारों के दुष्परिणाम निम्न हैं।
- विभाजन व विघटन की प्रवृत्ति
- अवसरवादिता की प्रवृत्ति
- उत्तरदायित्व की प्रवृत्ति
- राजनीतिक दलों की नीतियों और कार्यक्रमों में अनिश्चितता और अस्पष्टता।
प्रश्न 16.
निर्दलीय उम्मीदवार की वर्तमान समय में बढ़ती संख्या एक चुनौती है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चुनावों में किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या में वृद्धि हो रही है। यह निर्दलीय उम्मीदवार भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति को बढ़ावा देते हैं। यह भारतीय दलीय व्यवस्था के हित में नहीं है।
प्रश्न 17.
राजनीतिक अपराधीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
राजनीतिक दलों द्वारा अपराध जगत के माफिया सरदारों को चुनावों में उम्मीदवार बनाकर धन-बल, बल के आधार पर लोकसभा और विधानसभाओं में पहुँचाया जाना राजनीतिक अपराधीकरण कहलाता है।
प्रश्न 18.
स्पष्ट जनादेश और खण्डित जनादेश में क्या अन्तर है?
उत्तर:
स्पष्ट जनादेश का अभिप्राय है। किसी एक राजनैतिक दल को लोकसभा के चुनावों में स्पष्ट बहुमत मिलना और खण्डित जनादेश का अभिप्राय है। लोकसभा के चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत न मिलना।
प्रश्न 19.
बहुदलीय प्रणाली से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
बहुदलीय व्यवस्था: बहुदलीय व्यवस्था से अभिप्राय है। लोकसभा या राज्य विधानसभाओं में अनेक राजनीतिक दल विद्यमान होना जैसे आज लोकसभा में 50 से भी अधिक राजनीतिक दल हैं।
प्रश्न 20.
भारत की नई आर्थिक नीति कब शुरू की गई थी? इसका मुख्य वास्तुकार कौन था?
उत्तर:
भारत की नई आर्थिक नीति को 1991 में संरचना समायोजन कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया था और इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव द्वारा शुरू किया गया था।
- भारत की नई आर्थिक नीति का शुभारंभ तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने किया था।
- आर्थिक परिवर्तन पहली बार 1991 में दिखाई दिए और मौलिक रूप से उस दिशा को बदल दिया जो भारतीय अर्थव्यवस्था ने आजादी के बाद से उदारीकृत और खुली अर्थव्यवस्था के लिए अपनायी थी।
प्रश्न 21.
शाहबानो मामला क्या था? इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस विरोधी रुख क्यों अपनाया?
उत्तर:
शाहबानो मामला: शाहबानो मामला एक 62 वर्षीया तलाकशुदा मुस्लिम महिला शाहबानो का है। उसने अपने भूतपूर्व पति से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए अदालत में एक अर्जी दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाया। पुरातनपंथी मुसलमानों ने अदालत के इस फैसले को अपने ‘पर्सनल लॉ’ में हस्तक्षेप माना।
कुछ मुस्लिम नेताओं की माँग पर सरकार ने मुस्लिम महिला अधिनियम, 1986 पास किया जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया गया। भाजपा ने कांग्रेस सरकार के इस कदम की आलोचना की और इसे अल्पसंख्यक समुदाय को दी गई अनावश्यक रियायत तथा तुष्टिकरण करार दिया।
प्रश्न 22.
भारत में वामपंथी एवं दक्षिणपंथी राजनीतिक दलों का उल्लेख कीजिए तथा उनकी विचारधारा में कोई दो अन्तर लिखिये।
उत्तर:
प्रमुख वामपंथी तथा दक्षिण पंथी राजनैतिक दल: भारत में वामपंथी विचारधारा के पोषक दल हैं। सीपीएम, सीपीआई, रिपब्लिक पार्टी, फारवर्ड ब्लाक एवं समाजवादी पार्टी, जबकि दक्षिणपंथी विचारधारा का पोषक दल भारतीय जनता पार्टी है। वामपंथी तथा दक्षिणपंथी राजनैतिक दलों की विचारधारा में अन्तर:
- वामपंथी दल धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक- आर्थिक न्याय, राष्ट्रीयकरण आदि का समर्थन करते हैं, जबकि दक्षिणपंथी दल भारतीय संस्कृति, प्रबल राष्ट्रवाद, उदारीकरण, भूमंडलीकरण की नीतियों का समर्थन करते हैं।
- वामपंथी दल सार्वजनिक क्षेत्र के समर्थक हैं जबकि दक्षिणपंथी दल निजी क्षेत्र के समर्थक हैं ।
प्रश्न 23.
राजनीतिक दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र के अभाव से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
राजनीतिक दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र का अभाव: भारत के अधिकांश राजनीतिक दलों में आन्तरिक लोकतन्त्र का अभाव है। यथा – प्रथमतः 1997 तक अधिकांश राजनीतिक दलों में लम्बे समय से संगठनात्मक चुनाव नहीं हुए। 1997 में चुनाव आयोग के निर्देश पर ही ये चुनाव हो सके। दूसरे, भारतीय राजनीतिक दलों का निर्माण किन्हीं प्रक्रियाओं, मर्यादाओं, सिद्धान्तों या कानूनों के आधार पर नहीं होता है। तीसरे, भारतीय राजनीतिक दलों के आय-व्यय का कोई लेखा-जोखा सदस्यों के सामने प्रस्तुत नहीं किया जाता।
प्रश्न 24.
भारत की बहुदलीय व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
बहुदलीय व्यवस्था: भारत में बहुदलीय व्यवस्था है अर्थात् लोकसभा में अनेक राजनैतिक दलों के सदस्य हैं। वर्तमान में लोकसभा में कुल मिलाकर 50 से भी अधिक राजनैतिक दल हैं। कुछ राजनैतिक दल राष्ट्रीय या अखिल भारतीय राजनैतिक दल हैं तो कुछ राज्य स्तरीय तथा क्षेत्रीय दल हैं। 1989 तक भारत की बहुदलीय व्यवस्था में एक राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रधानता की स्थिति बनी रही, लेकिन धीरे-धीरे कांग्रेस का वर्चस्व समाप्त हो गया और वर्तमान में किसी एक राजनैतिक दल का वर्चस्व नहीं है। यद्यपि 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिला है तथापि अनेक क्षेत्रीय दलों को भी अपने राज्यों में अच्छी सफलता मिली है।
प्रश्न 25.
जनता दल का निर्माण किन कारणों से हुआ? इसके मुख्य घटकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
जनता दल: जनता दल का निर्माण 1988 में हुआ। 1987 में कांग्रेस के कई प्रमुख नेताओं ने पार्टी का त्याग करके जनमोर्चा का निर्माण किया। इसके साथ ही अनेक नेता एक ऐसे नये राजनीतिक दल का निर्माण करने का प्रयास कर रहे थे, जो कांग्रेस का विकल्प बन सके। 26 जुलाई, 1988 को चार विपक्षी दलों जनता पार्टी, लोकदल, कांग्रेस (स) और जनमोर्चा के विलय से एक नये राजनीतिक दल की स्थापना की गई। इस नये दल का नाम समाजवादी जनता दल रखा गया। 11 अक्टूबर, 1988 को बैंगलोर में समाजवादी जनता दल का नाम बदलकर जनता दल कर दिया गया। श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह को जनता दल का प्रधान मनोनीत किया गया।
प्रश्न 26.
जनता दल के कार्यक्रमों एवं नीतियों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
जनता दल के कार्यक्रम एवं नीतियाँ – जनता दल के प्रमुख कार्यक्रम एवं नीतियाँ निम्नलिखित हैं।
- जनता दल का लोकतन्त्र में दृढ़ विश्वास है और उत्तरदायी प्रशासनिक व्यवस्था को अपनाने के पक्ष में है।
- जनता दल ने भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सात सूत्रीय कार्यक्रम अपनाने की बात कही है।
- पार्टी राजनीति में बढ़ते हुए भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लोकपाल की नियुक्ति के पक्ष में है।
- पार्टी पंचायती राज संस्थाओं को अधिक स्वायत्तता देने के पक्ष में है।
- जनता दल महिलाओं को संसद और राज्य विधानमण्डलों में 33 प्रतिशत और सरकारी, सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिलाने के पक्ष में है।
प्रश्न 27.
1990 के पश्चात् भारत में राजनीतिक दलों के कौनसे गठबंधन उभरे? इस परिवर्तन के किन्हीं दो परिणामों को उजागर कीजिये।
उत्तर:
- 1990 के पश्चात् भारत में केन्द्र में राजनीतिक दलों के तीन गठबंधन उभरे
- 1996 और 1997 में देवेगोड़ा और इन्द्रकुमार गुजराल के नेतृत्व में संयुक्त मोर्चा सरकार बनी जिसे कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दिया।
- 1998 और 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपानीत राजग की गठबंधन सरकार बनी।
- 2004 तथा 2009 में कांग्रेसनीत संप्रग सरकार का गठन हुआ।
- 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपानीत राजग की सरकार बनी।
- गठबंधन राजनीति के परिणाम इस प्रकार रहे।
- गठबंधन की राजनीति के परिणामस्वरूप पिछड़ी जातियों के राजनीतिक और सामाजिक दावे को सभी दलों ने स्वीकार कर लिया।
- गठबंधन की राजनीति के परिणामस्वरूप केन्द्रीय शासन में क्षेत्रीय दलों का प्रभुत्व बढ़ा।
प्रश्न 28.
भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था में गठबन्धनवादी युग के उदय के किन्हीं चार कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारतीय लोकतान्त्रिक व्यवस्था में गठबन्धनवादी राजनीति के उदय के कारण – भारत में गठबन्धनवादी राजनीति के उदय के कारण निम्नलिखित हैं।
- कांग्रेसी प्रभुत्व का अन्त: 1989 के बाद कांग्रेस पार्टी की स्थिति पहले जैसी नहीं रही जिससे गठबन्धनवादी सरकारों का दौर शुरू हुआ।
- क्षेत्रीय दलों की संख्या में वृद्धि: क्षेत्रीय दलों की बढ़ती संख्या के कारण किसी भी एक राष्ट्रीय दल को लोक सभा या विधानसभा में बहुमत मिलना कठिन हो गया। इससे राजनीतिक दल गठबन्धन बनाने लगे हैं।
- दलबदल -दल-बदल के कारण सरकारों का अनेक बार पतन हुआ और जो नई सरकारें बनीं वे भी गठबन्धन करके बनीं।
- क्षेत्रीय हितों की उपेक्षा: प्रायः केन्द्र में बनी राष्ट्रीय दलों की सरकारों ने क्षेत्रीय हितों की उपेक्षा की है। इससे क्षेत्रीय स्तर के दलों ने मुद्दों पर आधारित राजनीति के अनुसार गठबन्धनकारी दौर की शुरुआत की।
प्रश्न 29.
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन के उदय का वर्णन करें।
उत्तर:
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन;
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन (NDA) का निर्माण मई, 1999 में भारतीय जनता पार्टी एवं इसके सहयोगी दलों ने किया। इस गठबन्धन में अधिकतर वे दल ही सम्मिलित थे जो बारहवीं लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के गठबन्धन में सम्मिलित थे। राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमन्त्री के रूप में पेश किया। इस गठबन्धन ने 1999 में हुए 13वीं लोकसभा के चुनावों में 297 सीटों पर विजय प्राप्त की तथा अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनाई, परन्तु 2004 में 14वीं और 2009 में 15वीं लोकसभा के चुनावों में इस गठबन्धन को हार का सामना करना पड़ा। 2014 के लोकसभा चुनावों में पुन: इस गठबन्धन ने विजय प्राप्त की और नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वर्तमान में राजग की ही सरकार है।
प्रश्न 30.
1989 के बाद कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी के निर्वाचित प्रदर्शन का क्या रुझान रहा? उत्तर-1989 के बाद कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी के निर्वाचन प्रदर्शन का रुझान इस प्रकार रहा-
1. कांग्रेस:
1989 के बाद कांग्रेस के निर्वाचन प्रदर्शन में गिरावट आई है तथा प्रत्येक चुनाव में कांग्रेस के वोट एवं सीटें कम होती चली गईं तथा जो पार्टी 1960 एवं 70 के दशक में दो-तिहाई बहुमत प्राप्त कर लेती थी वह अपने दम पर इतनी सीट भी नहीं जीत पाती कि वह अपनी सरकार बना ले। 2004 के 14वीं और 2009 के 15वीं लोकसभा के चुनावों के पश्चात् कांग्रेस अन्य दलों के सहयोग से केन्द्र में सरकार बनाने में सफल रही है, लेकिन 2014 के 16वीं लोकसभा चुनावों में उसे केवल 44 सीटें ही प्राप्त हुई हैं।
2. भारतीय जनता पार्टी:
1989 के बाद भारतीय जनता पार्टी की वोट एवं सीटें बढ़ती गईं तथा भारतीय राजनीति में इसने महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया तथा 1998, 1999 तथा 2014 के लोकसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी और इसने केन्द्र में सरकार बनाई।
प्रश्न 31.
यह कहना कहाँ तक उचित है कि भारत में कुछ सहमति बनाने में गठबंधन सरकार ने सहायता की है?
उत्तर:
गठबंधन सरकार की सहमति बनाने में भूमिका:
- नयी आर्थिक नीति पर सहमति: अधिकतर दलों का मानना है कि नई आर्थिक नीतियों से देश समृद्ध होगा और भारत विश्व की एक आर्थिक शक्ति बनेगा।
- पिछड़ी जातियों के राजनीतिक और सामाजिक दावे की स्वीकृति: गठबंधन सरकारों में शामिल राजनीतिक दलों में यह सहमति बनी है कि पिछड़ी जातियों को शिक्षा तथा रोजगार में आरक्षण दिया जाए।
- केन्द्रीय शासन में प्रान्तीय दलों की भूमिका की स्वीकृति: गठबंधन सरकारों में प्रान्तीय दल केन्द्रीय सरकार में साझेदार बन रहे हैं। अब प्रान्तीय और केन्द्रीय दलों का भेद कम हो रहा है।
- विचारधारा की जगह कार्यसिद्धि पर जोर-गठबंधन सरकार में एक साझा कार्यक्रम होता है और इस कार्यक्रम की क्रियान्विति पर अधिक जोर दिया जाता है। विचारधारा का तत्त्व इस सरकार में गौण हो गया है।
प्रश्न 32.
कांशीराम के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
कांशीराम का जन्म 1934 में हुआ था। ये बहुजन समाज के सशक्तीकरण के प्रतिपादक और बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक थे। इन्होंने सामाजिक और राजनीतिक कार्य के लिए केन्द्र सरकार की नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। इन्होंने डीएस-4 की स्थापना की। ये एक कुशाग्र रणनीतिकार थे। इनके अनुसार राजनीतिक सत्ता, सामाजिक समानता का आधार है। ये उत्तर भारत के राज्यों में दलित राजनीति के संगठनकर्ता की भूमिका निभा चुके हैं।
प्रश्न 33.
गठबन्धन की राजनीति के उदय का हमारे लोकतंत्र पर क्या असर पड़ा है?
अथवा
भारत में गठबन्धन की राजनीति के प्रभाव समझाइये।
उत्तर:
गठबन्धन की राजनीति के लोकतन्त्र पर प्रभाव: भारत में गठबन्धन की राजनीति का भारतीय लोकतंत्र पर निम्न प्रमुख प्रभाव पड़े-
- एकदलीय प्रभुत्व की समाप्ति: गठबन्धन की राजनीति से भारतीय लोकतंत्र में कांग्रेस के दबदबे की समाप्ति हुई और बहुदलीय प्रणाली का युग शुरू हुआ।
- क्षेत्रीय पार्टियों का बढ़ता प्रभाव: क्षेत्रीय पार्टियों ने गठबन्धन सरकार बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। अब प्रान्तीय दल केन्द्रीय सरकार में साझेदार बन रहे हैं तथा उनका दृष्टिकोण व्यापक हुआ है।
- विचारधारा की जगह कार्यसिद्धि पर जोर-गठबंधन की राजनीति के इस दौर में राजनीतिक दल विचारधारागत की जगह सत्ता में हिस्सेदारी पर जोर दे रहे हैं।
- जन-आंदोलन और संगठन विकास के नये रूप-गठबंधन की राजनीति में जन-आंदोलन और संगठन विकास के नये रूप सामने आ रहे हैं। ये रूप गरीबी, विस्थापन, न्यूनतम मजदूरी, भ्रष्टाचार विरोध, आजीविका और सामाजिक सुरक्षा के मुद्दों पर जन-आंदोलन के जरिये राजनीति में उभर रहे हैं।
प्रश्न 34.
भारतीय जनता पार्टी के उदय पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
भारतीय जनता पार्टी: भारतीय जनता पार्टी का उदय 1980 में जनता पार्टी में दोहरी सदस्यता के मुद्दे को लेकर असहमति के कारण हुआ। 19 मार्च, 1980 को जनता पार्टी के केन्द्रीय संसदीय बोर्ड ने बहुमत से फैसला किया कि जनता पार्टी का कोई भी अधिकारी, विधायक और सांसद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की दैनिक गतिविधियों में भाग नहीं ले सकता। परन्तु बोर्ड की बैठक में श्री अटल बिहारी वाजपेयी और श्री लालकृष्ण आडवाणी तथा नाना जी देशमुख ने इस निर्णय का विरोध किया।
5 अप्रैल, 1980 को भूतपूर्व जनसंघ के सदस्यों ने नई दिल्ली में दो दिन का सम्मेलन किया और एक नई पार्टी बनाने का निश्चय किया। 6 अप्रैल, 1980 को भूतपूर्व विदेशमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में भारतीय जनता पार्टी के नाम से एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल का गठन किया गया।
प्रश्न 35.
संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन की नीतियों एवं कार्यक्रमों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) के नीति एवं कार्यक्रम-संप्रग की प्रमुख नीतियाँ एवं कार्यक्रम निम्नलिखित हैं।
- सामाजिक सद्भावना को बनाए रखना और उसमें वृद्धि करना।
- आने वाले दशकों में आर्थिक विकास की दर 7% से 8% के मध्य बनाए रखना ताकि रोजगार के अवसर पैदा हो सकें।
- कृषकों, कृषि श्रमिकों व विशेष तौर पर असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों के कल्याण में वृद्धि करना और उनके परिवार के भविष्य को विश्वसनीय व सुरक्षित बनाना
- स्त्रियों को राजनीतिक, शैक्षणिक, आर्थिक और कानूनी पक्ष से सुदृढ़ करना।
- अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़ी जातियों तथा धार्मिक अल्पसंख्यकों को पूर्ण अवसर की समानता, विशेषकर शिक्षा तथा रोजगार के क्षेत्र में दी जाए।
प्रश्न 36.
भारत के राजनीतिक मानचित्र में लोकसभा चुनाव, 2004 में निम्नांकित को दर्शाइये।
1. ऐसे दो राज्य जहाँ राजग को संप्रग से अधिक सीटें मिलीं।
2. ऐसे दो राज्य जहाँ संप्रग को राजग से अधिक सीटें मिलीं।
उत्तर:
(नोट- मानचित्र सम्बन्धी प्रश्नों में प्रश्न संख्या 5 का उत्तर देखें।)
प्रश्न 37.
गठबन्धन की राजनीति पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
गठबन्धन सरकार की शुरुआत केन्द्रीय स्तर पर 1977 में हुई जब केन्द्र में जनता पार्टी की सरकार बनी। इसी दौरान केन्द्र स्तर पर काँग्रेस का एकाधिकार समाप्त हो चुका था। आगे चलकर भारत में कई गठबन्धन की सरकारें बनीं। 1989, 1991, 1996, 1998, 1999, 2004, 2009 तथा 2014 के चुनावों में गठबंधन की सरकार बनी। 1999 में भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन का निर्माण किया तो 2004 में काँग्रेस ने सत्ता प्राप्ति के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का निर्माण किया।
प्रश्न 38.
बामसेफ पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
बामसेफ का गठन 1978 में हुआ। इसका पूरा नाम बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्पलाइज फेडरेशन है। यह सरकारी कर्मचारियों का कोई साधारण – सा ट्रेड यूनियन नहीं था। इस संगठन ने ‘बहुजन’ अर्थात् अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों की राजनीतिक सत्ता की जबरदस्त तरफदारी की।
प्रश्न 39.
बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद राज्य सरकार का क्या हुआ?
उत्तर:
- भाजपा की राज्य सरकार बर्खास्त कर दी गई थी।
- इसके साथ ही, अन्य राज्य जहाँ भाजपा सत्ता में थी, उन्हें भी राष्ट्रपति शासन के तहत रखा गया था।
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज किया गया था।
प्रश्न 40.
‘हिन्दुत्व’ अथवा ‘हिंदूपन’ शब्द को परिभाषित करते हुए वी.डी. सावरकर का क्या आशय था?
उत्तर:
‘हिन्दुत्व’ अथवा ‘हिन्दूपन’ शब्द को वी. डी. सावरकर ने गढ़ा था और इसको परिभाषित करते हुए उन्होंने इसे भारतीय राष्ट्र की बुनियाद बताया। उनके कहने का आशय यह था कि भारत राष्ट्र का नागरिक वही हो सकता है, जो भारतभूमि को न सिर्फ ‘पितृभूमि’ बल्कि अपनी ‘पुण्यभूमि’ भी स्वीकार करें। हिन्दुत्व के समर्थकों का तर्क है कि मजबूत राष्ट्र सिर्फ एकीकृत राष्ट्रीय संस्कृति की बुनियाद पर ही बनाया जा सकता है।
प्रश्न 41.
भारत में गठबंधन राजनीति का।
उत्तर:
भारत में गठबंधन का युग 1989 के लंबा दौर कब और क्यों शुरू हुआ?
चुनावों के बाद देखा जा सकता है। काँग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन उसने एक भी बार बहुमत हासिल नहीं किया, इसलिए उसने विपक्षी पार्टी की भूमिका निभाई। इसके कारण राष्ट्रीय मोर्चा (जनता दल और अन्य क्षेत्रीय दलों का गठबंधन) अस्तित्व में आया। इसको बीजेपी और लेफ्ट फ्रंट का समर्थन मिला। बीजेपी और लेफ्ट फ्रंट सरकार में शामिल नहीं हुए लेकिन उन्होंने बाहर से अपना समर्थन दिया। गठबंधन के दौर में कई प्रधानमंत्री बने और उनमें से कुछ के पास छोटी अवधि के लिए कार्यालय था।
प्रश्न 42.
मंडल आयोग को लागू करने का समाज और राजनीति पर क्या प्रभाव हुआ?
उत्तर:
मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने का फैसला राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार द्वारा लिया गया। इससे अन्य पिछड़ा वर्ग की राजनीति को सुगठित रूप देने में मदद मिली। नौकरी में आरक्षण के सवाल पर बहस हुई और इनसे’अन्य पिछड़ा वर्ग अपनी पहचान लेकर सजग हुआ। जो इस तबके को लामबंद करना चाहते थे उनका फायदा हुआ। इस दौर में अनेक पार्टियाँ आगे आयीं, जिन्होंने रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में अन्य पिछड़ा वर्ग को बेहतर अवसर उपलब्ध कराने की माँग की। इन दलों ने सत्ता में ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ की हिस्सेदारी का सवाल भी उठाया।
प्रश्न 43.
मंडल आयोग का गठन क्यों किया गया था?
उत्तर:
मंडल आयोग का गठन भारतीय समाज के विभिन्न तबकों के बीच शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ेपन की व्यापकता का पता लगाने और इन पिछड़े वर्गों की पहचान के तरीके बताने के लिए किया गया था। आयोग से यह भी अपेक्षा की गई थी कि वह इन वर्गों के पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय सुझाएगा।
प्रश्न 44.
बसपा पार्टी के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
1978 में दलितों के राजनीतिक संगठन बामसेफ का उदय हुआ । इस संगठन ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों की राजनीतिक सत्ता की जबरदस्त तरफदारी की। इसी का परवर्ती विकास ‘दलित-शोषित समाज संघर्ष समिति’ है, जिससे बाद के समय में बहुजन समाज पार्टी का उदय हुआ। इस पार्टी की अगुवाई कांशीराम ने की। यह पार्टी अपने शुरुआती दौर में एक छोटी पार्टी थी और इसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के दलित मतदाताओं का समर्थन हासिल था, लेकिन 1989 और 1991 के चुनावों में इस पार्टी को उत्तर प्रदेश में सफलता मिली। आजाद भारत में यह पहला मौका था, जब कोई राजनीतिक दल मुख्यतया दलित मतदाताओं के समर्थन के बूते ऐसी राजनीतिक सफलता हासिल कर पाया था। इस पार्टी का समर्थन सबसे ज्यादा दलित मतदाता करते हैं।
प्रश्न 45.
इंदिरा साहनी केस के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
1990 के अगस्त में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों में से एक को लागू करने का फैसला लिया। यह सिफारिश केन्द्रीय सरकार और उसके उपक्रमों की नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के संबंध में थी। सरकार के फैसले से उत्तर भारत के कई शहरों में हिंसक विरोध का स्वर उमड़ा। इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में भी चुनौती दी गई और यह प्रकरण ‘इंदिरा साहनी केस’ के नाम से जाना जाता है। क्योंकि सरकार के फैसले के खिलाफ अदालत में जिन लोगों ने अर्जी दायर की थी, उनमें एक नाम इंदिरा साहनी का भी था।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में क्षेत्रीय दलों का महत्त्व क्यों बढ़ता जा रहा है?
अथवा
भारत में राज्य स्तरीय (क्षेत्रीय) पार्टियों की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत में क्षेत्रीय दलों की बढ़ती भूमिका: भारत में अनेक राजनैतिक दल क्षेत्रीय आधार पर गठित हैं। ऐसे दलों में द्रमुक, अन्ना द्रमुक, अकाली दल मुस्लिम लीग, नेशनल कांफ्रेंन्स, असम गण परिषद्, सिक्किम संग्राम परिषद्, तेलगूदेशम, तमिल मनीला कांग्रेस, नगालैण्ड लोकतान्त्रिक दल, मणिपुर पीपुल्स पार्टी – सपा, बीजद, राष्ट्रीय लोकदल, एकीकृत जनता दल, राजद आदि प्रमुख हैं। अपने-अपने क्षेत्रों में यह दल प्रभावी हैं और राष्ट्रीय दलों का कुछ राज्यों को छोड़कर शेष में प्रभाव नगण्य है।
1989 से 2009 तक के चुनावों में किसी भी एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाने के कारण भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों का महत्त्व बढ़ गया। जहाँ-जहाँ क्षेत्रीय दल प्रभावी हैं, वहाँ-वहाँ राष्ट्रीय दल, विशेषकर कांग्रेस और भाजपा उखड़ गये हैं। इसका परिणाम यह हुआ कि लोकसभा में राजनैतिक दल चार समूहों में विभाजित हो गए।
- भाजपा और उसके क्षेत्रीय सहयोगी दल
- कांग्रेस और उसके सहयोगी दल
- वामपंथी दल और उसके सहयोगी क्षेत्रीय दल
- तीनों मोर्चों से तटस्थ क्षेत्रीय व राष्ट्रीय दल (सपा तथा बसपा आदि)।
इस प्रकार अब सरकार बनाने के लिए राष्ट्रीय दलों को क्षेत्रीय दलों के साथ गठबन्धन करना तथा सरकार निर्माण में तथा सत्ता की भागीदारी में उनको शामिल करना संसद में आवश्यक बहुमत प्राप्त करने के लिए आवश्यक हो गया है।
प्रश्न 2.
1980 के दशक के आखिर के सालों में आए उन बदलावों का उल्लेख कीजिये, जिनका हमारी भावी राजनीति पर गहरा असर पड़ा।
उत्तर:
1980 के दशक के आखिर के सालों में देश में ऐसे पांच बदलाव आए, जिनका हमारी आगे की राजनीति पर गहरा असर पड़ा। यथा।
- 1989 के चुनावों में कांग्रेस की हार: 1989 के इस चुनाव में कांग्रेस लोकसभा की 197 सीटें ही जीत की और केन्द्र में भी एकदलीय प्रभुत्व की स्थिति समाप्त हो गई।
- मंडल मुद्दे का उदय: 1990 में राष्ट्रीय मोर्चा की नयी सरकार ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया जिसमें प्रावधान किया गया कि केन्द्र सरकार की नौकरियों में ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ को 27% आरक्षण दिया जायेगा। इसके बाद की देश की राजनीति में पिछड़ी जातियों के आरक्षण का यह मुद्दा, जिसे ‘मंडल मुद्दा’ कहा गया, छाया रहा।
- नये आर्थिक सुधार की नीतियाँ: इस दौर में विभिन्न सरकारों ने आर्थिक सुधार की नीतियाँ अपनायीं। इसकी शुरुआत राजीव गाँधी की सरकार के समय हुई। बाद की सभी सरकारों ने इस नयी आर्थिक नीति पर अमल जारी रखा।
- अयोध्या के विवादित ढाँचे का बिध्वंस: 1992 में अयोध्या के विवादित ढाँचे को ध्वस्त करने की घटना ने राजनीति में कई परिवर्तनों को जन्म दिया। इन बदलावों का संबंध भाजपा के उदय और हिंदुत्वं की राजनीति से है।
- राजीव गाँधी की हत्या; मई, 1991 में राजीव गाँधी की हत्या के परिणामस्वरूप कांग्रेस के प्रति चुनावों में सहानुभूति लहर ने कांग्रेस को लाभ पहुँचाया तथा केन्द्र में कांग्रेस पार्टी सत्तारूढ़ हुई।
प्रश्न 3.
भारत में मिली-जुली या गठबन्धन सरकारों की राजनीति की व्याख्या करें।
उत्तर:
भारत में मिली-जुली या गठबन्धन की राजनीति मिली-जुली सरकार का साधारण अर्थ है। कई दलों द्वारा मिलकर सरकार का निर्माण करना। मिली-जुली सरकार का निर्माण प्रायः उस स्थिति में किया जाता है। जब किसी एक दल को चुनावों के बाद स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हुआ हो। तब दो या दो से अधिक दल मिलकर संयुक्त सरकार का निर्माण करते हैं। इन मिली-जुली सरकारों की राजनीति की अपनी कुछ विशेषताएँ होती हैं। जिनका वर्णन निम्नलिखित है।
- समझौतावादी कार्यक्रम: ऐसी सरकारों का राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक कार्यक्रम समझौतावादी होता है, जिसमें कि प्रत्येक दल की बातों को व कार्यक्रम को ध्यान में रखा जाता है।
- सर्वसम्मत नेता: मिली-जुली सरकार के निर्माण से पूर्व यद्यपि सभी दल मिलकर अपने नेता का चुनाव करते हैं, नेता का चुनाव प्रायः सर्वसम्मति के आधार पर किया जाता है तथापि घटक दलों के नेता व उनके अस्तित्व को नकारा नहीं जाता। इसके कारण सरकार में एकता बनी रहती है।
- सर्वसम्मत निर्णय: मिली-जुली सरकार में शामिल घटक दल किसी भी राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय समस्या का हल सर्वसम्मति से करते हैं।
- मिल-जुलकर कार्य करना: मिली-जुली सरकार में शामिल सभी घटक दल मिल-जुलकर कार्य करते हैं। एक दल द्वारा किया गया गलत कार्य सभी दलों द्वारा किया गया गलत कार्य समझा जाएगा, इसलिए सभी दल मिल-जुल कर कार्य करते हैं।
प्रश्न 4.
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की नीतियों एवं कार्यक्रमों का वर्णन करें।
उत्तर:
राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन: अप्रैल, 1999 में वाजपेयी की सरकार मात्र 13 दिन की अवधि में ही गिर जाने के बाद मई, 1999 में 24 राजनीतिक दलों ने मिलकर राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन (राजग) के नाम से एक गठबन्धन बनाया। राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन ने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी को प्रधानमन्त्री के रूप में पेश किया। राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की नीतियाँ एवं कार्यक्रम – राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की प्रमुख नीतियाँ व कार्यक्रम निम्नलिखित हैं।
- लोकपाल; घोषणा पत्र में वायदा किया गया कि प्रधानमन्त्री समेत सभी व्यक्तियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच के लिए लोकपाल विधेयक पारित किया जाएगा।
- आर्थिक उदारीकरण-: देश में आर्थिक उदारीकरण की नीति को जारी रखा जायेगा।
- निर्धनता: घोषणा पत्र में निर्धनता के निवारण पर बल दिया गया।
- आम सहमति से शासन: घोषणा पत्र में सभी प्रमुख मुद्दों पर विपक्ष के साथ मिलकर आम सहमति से शासन चलाने की बात कही गयी।
- नए राज्य: छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड तथा झारखण्ड नए राज्य बनाए गए।
- प्रसार भारती: प्रसार भारती अधिनियम की समीक्षा की जाएगी। इसके साथ भारतीय हितों के संरक्षण के लिए व्यापक प्रसारण विधेयक पारित किया जाएगा।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को विभिन्न सामाजिक- आर्थिक क्षेत्रों में विकास कार्यक्रम के साथ जोड़ने के प्रयास किए जाएंगे।
- राष्ट्रीय सुरक्षा: गठबन्धन ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि महत्त्व देने का वायदा किया।
- अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध: अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पड़ौसी व मित्र राष्ट्रों के सम्बन्धों में प्रगाढ़ता लाई जाएगी तथा सार्क और आसियान की तरह क्षेत्रीय और समूहीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा।
प्रश्न 5.
वर्तमान में भारतीय दलीय व्यवस्था की उभरती प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय दलीय व्यवस्था की उभरती प्रवृत्तियाँ वर्तमान में भारतीय दलीय व्यवस्था की उभरती हुई प्रवृत्तियाँ निम्नलिखित हैं।
- एक दल से साझा सरकारों की ओर: 1989 के बाद के लोकसभा के चुनावों में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला परिणामतः साझा सरकारें अस्तित्व में आईं।
- क्षेत्रीय दलों का बढ़ता वर्चस्व: वर्तमान राजनीतिक दलीय स्थिति में सत्ता की जोड़-तोड़ में क्षेत्रीय दलों की भूमिका बढ़ी है।
- निर्दलीय सदस्यों की बढ़ती भूमिका: किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिलने की स्थिति में निर्दलीय उम्मीदवारों की भी भूमिका बढ़ जाती है।
- दलीय प्रणाली का सत्ता केन्द्रित स्वरूप: वर्तमान समय में राजनीतिक दलों का उद्देश्य केवल सत्ता प्राप्त करना रह गया है तथा उनके लिए विचारधाराएँ, समस्याएँ गौण हो गई हैं।
- भाषावाद, जातिवाद, सम्प्रदायवाद का प्रभाव: सत्ता प्राप्ति के लिए राजनीतिक दल भाषा, जाति एवं सम्प्रदायों का भी सहारा लेते हैं।
- दलों में आन्तरिक गुटबन्दी: भारत के सभी राजनीतिक दल आन्तरिक गुटबन्दी की समस्या से पीड़ित हैं।
- राजनीतिक अपराधीकरण: प्रायः सभी राजनीतिक दलों द्वारा आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों को चुनावों में खड़ा किया जा रहा है जो धन-बल व भुज-बल के आधार पर मत प्राप्त करते हैं।
- दल की कथनी व करनी में अन्तर: पिछले कुछ वर्षों में भारतं में दलों की कथनी व करनी में अन्तर अपने भीषणतम रूप में उभरा है।
- केन्द्र व राज्य में टकराहट: केन्द्र व राज्यों में अलग-अलग दलों की सरकारें होती हैं जिससे केन्द्र व राज्यों के मध्य विभिन्न राजनीतिक मुद्दों को लेकर टकराहट की स्थिति बनी रहती है।
प्रश्न 6.
भारतीय दलीय व्यवस्था की प्रमुख समस्याओं का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय दलीय व्यवस्था की: समस्याएँ भारतीय दलीय व्यवस्था की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं।
- दलों की संख्या में वृद्धि: भारत में बहुदलीय व्यवस्था है। राजनीतिक दलों की इस प्रकार की भरमार ने अस्थिर राजनैतिक स्थिति के साथ-साथ अन्य समस्याओं को भी जन्म दिया है।
- वैचारिक प्रतिबद्धता का अभाव: भारतीय राजनीतिक दलों में वैचारिक प्रतिबद्धता का अभाव है। वैचारिक प्रतिबद्धता से रहित इन दलों का मुख्य उद्देश्य येन-केन-प्रकारेण सत्ता प्राप्त करना होता है।
- दलीय व्यवस्था में अस्थायित्व: भारतीय राजनीतिक दल निरन्तर बिखराव और विभाजन के शिकार हैं। इस कारण इन दलों में तथा भारतीय दलीय व्यवस्था में स्थायित्व का अभाव है।
- दलों में आन्तरिक लोकतंत्र का अभाव: भारत के अधिकांश राजनीतिक दलों में आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है और वे घोर अनुशासनहीनता से पीड़ित हैं।
- राजनीतिक दलों में गुटीय राजनीति: लगभग सभी राजनीतिक दल तीव्र आंतरिक गुटबन्दी की समस्या से पीड़ित हैं।
- सत्ता के लिए संविधानेतर और विघटनकारी प्रवृत्तियों को अपनाना: राजनीतिक दलों ने पिछले दशक की राजनीति में बहुत अधिक मात्रा में संविधानेतर और विघटनकारी प्रवृत्तियों को अपना लिया है।
- नेतृत्व का संकट: भारत में वर्तमान में राजनीतिक दलों के समक्ष नेतृत्व का संकट भी बना हुआ है। अधिकांश राजनीतिक दलों के पास ऐसा नेतृत्व नहीं है, जिसका अपना ऊँचा राजनैतिक कद हो।
प्रश्न 7.
” भारतीय राजनीतिक दलों में अत्यधिक प्रतियोगिता एवं विरोध होने के बावजूद भी कई विषयों में सर्वसहमति है।” इस कथन के संदर्भ में सर्व- सहमति के बिन्दुओं की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था की यह एक महत्त्वपूर्ण विशेषता है कि ” भारतीय राजनीतिक दलों में अत्यधिक प्रतियोगिता एवं विरोध होने के बावजूद भी कई विषयों में सर्वसहमति है।” यथा।
- संवैधानिक व्यवस्था में विश्वास; भारत का प्रत्येक राजनीतिक दल भारतीय संवैधानिक व्यवस्था में विश्वास रखता हैं तथा विभिन्न मुद्दों का संवैधानिक दायरे के अन्तर्गत ही हल चाहता है।
- राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता बनाये रखना: भारत के सभी राजनीतिक दल देश की एकता व अखण्डता को बनाये रखने पर सहमत हैं।
- मौलिक अधिकार एवं स्वतन्त्रताओं की रक्षा: भारत के सभी राजनीतिक दल लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के प्रति एकमत रहते हैं।
- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ी जातियों के राजनीतिक तथा सामाजिक दावे की स्वीकृति: आज सभी राजनीतिक दल शिक्षा और रोजगार में अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़ी जातियों के लिए सीटों के आरक्षण के पक्ष में हैं।
- नई आर्थिक नीतियों पर सहमति: ज्यादातर राजनीतिक दल नई आर्थिक नीतियों के पक्ष में हैं। इनका मानना है कि नई आर्थिक नीतियों से देश समृद्ध होगा और भारत विश्व की एक आर्थिक शक्ति बनेगा।
- राष्ट्र के शासन में प्रान्तीय दलों की भूमिका की स्वीकृति -गठबंधन सरकारों में प्रान्तीय दल केन्द्रीय सरकार में साझेदार बन रहे हैं।
- विचारधारा की जगह कार्यसिद्धि पर जोर- अब राजनीतिक दलों में विचारधारा के स्थान पर सत्ता प्राप्ति तथा कार्यसिद्धि पर सहमति बनती जा रही है।
प्रश्न 8.
मंडल आयोग पर विस्तार में लेख लिखिए।
उत्तर:
1977-79 की जनता पार्टी की सरकार के समय उत्तर भारत में पिछड़े वर्ग के आरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से आवाज उठाई गई। बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर इस दिशा में अग्रणी थे। उनकी सरकार ने बिहार में ‘ओबीसी’ को आरक्षण देने के लिए एक नीति लागू की। इसके बाद केन्द्र सरकार ने 1978 में एक आयोग बैठाया। इस आयोग को पिछड़ा वर्ग की स्थिति को सुधारने के उपाय बताने का काम दिया गया। इसी कारण आधिकारिक रूप से इस आयोग को ‘दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग’ कहा गया। इस आयोग को इसके अध्यक्ष बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल के नाम पर ‘मंडल कमीशन’ कहा गया।
मंडल आयोग का गठन भारतीय समाज के विभिन्न तबकों के बीच शैक्षिक और सामाजिक पिछड़ेपन की व्यापकता का पता लगाने और इन पिछड़े वर्गों की पहचान के तरीके बताने के लिए किया गया था। आयोग से यह भी अपेक्षा की गई थी कि वह इन वर्गों के पिछड़ेपन को दूर करने के उपाय सुझाएगा। आयोग ने 1980 में अपनी सिफारिशें पेश कीं। आयोग का मशविरा था कि पिछड़ा वर्ग को पिछड़ी जाति के अर्थ में स्वीकार किया जाए, क्योंकि अनुसूचित जातियों से इतर ऐसी अनेक जातियाँ हैं, जिन्हें वर्ण व्यवस्था में ‘नीच’ समझा जाता है।
आयोग ने एक सर्वेक्षण किया और पाया कि इन पिछड़ी जातियों की शिक्षा संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में बड़ी कम मौजूदगी है। इस वजह से आयोग ने इन समूहों के लिए शिक्षा संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में 27 प्रतिशत सीट आरक्षित करने की सिफारिश की। मंडल आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग की स्थिति सुधारने के लिए कई और समाधान सुझाए जिनमें भूमि सुधार भी एक था।
प्रश्न 9.
अयोध्या विवाद के बारे में विस्तारपूर्वक लिखिए।
उत्तर:
बाबरी विवाद पर फैजाबाद जिला न्यायालय द्वारा फरवरी, 1986 में एक फैसला सुनाया गया। इस अदालत ने फैसला सुनाया था कि बाबरी मस्जिद के अहाते का ताला खोल दिया जाना चाहिए ताकि हिन्दू यहाँ पूजा कर सकें संजीव पास बुक्स क्योंकि वे इस जगह को पवित्र मानते हैं। अयोध्या स्थित बाबरी मस्जिद को लेकर दशकों से विवाद चला आ रहा था। बाबरी मस्जिद 16वीं सदी में बनी थी। कुछ हिन्दुओं के मतानुसार यह मस्जिद एक राम मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी।
इस विवाद ने अदालती मुकदमे का रूप ले लिया और मुकदमा कई दशकों तक जारी रहा। 1940 के दशक के आखिरी सालों में मस्जिद में ताला लगा दिया गया क्योंकि मामला अदालत में था। जैसे ही बाबरी मस्जिद के अहाते का ताला खुला वैसे ही दोनों पक्षों में लामबंदी होने लगी। अनेक हिन्दू और मुस्लिम संगठन इस मसले पर अपने-अपने समुदाय को लामबंद करने की कोशिश में जुट गए। भाजपा ने इसे अपना बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया।
प्रश्न 10.
कड़े मुकाबले और कई संघर्षों के बावजूद अधिकतर दलों के बीच सहमति उभरती सी दिखती है। इस कथन की पुष्टि के लिए तर्क दीजिए।
उत्तर:
- नयी आर्थिक नीति पर सहमति: कई समूह नयी आर्थिक नीति के खिलाफ हैं, लेकिन ज्यादातर राजनीतिक दल इन नीतियों के पक्ष में हैं। इन दलों का मानना है कि नई आर्थिक नीतियों से देश समृद्ध होगा और भारत, विश्व की एक आर्थिक शक्ति बनेगा।
- पिछड़ी जातियों के राजनीतिक और सामाजिक दावे की स्वीकृति: राजनीतिक दलों ने पहचान लिया है कि पिछड़ी जातियों के सामाजिक और राजनीतिक दावे को स्वीकार करने की जरूरत है। इस कारण आज सभी राजनीतिक दल शिक्षा और रोजगार में पिछड़ी जातियों के लिए सीटों के आरक्षण के पक्ष में हैं। राजनीतिक दल यह भी सुनिश्चित करने के लिए तैयार हैं कि ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ को सत्ता में समुचित हिस्सेदारी मिले।
- देश के शासन में प्रांतीय दलों की भूमिका की स्वीकृति: प्रांतीय दल और राष्ट्रीय दल का भेद लगातार कम होते जा रहा है। प्रांतीय दल केन्द्रीय सरकार में साझीदार बन रहे हैं और इन दलों ने पिछले बीस सालों में देश की राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- विचारधारा की जगह कार्यसिद्धि पर जोर और विचारधारागत सहमति के बगैर राजनीतिक गठजोड़: गठबंधन की राजनीति के इस दौर में राजनीतिक दल विचारधारागत अंतर की जगह सत्ता में हिस्सेदारी की बातों पर जोर दे रहे हैं। उदाहरण: अनेक दल भाजपा की ‘हिन्दुत्व’ की विचारधारा से सहमत नहीं हैं, लेकिन ये दल भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल हुए और सरकार बनाई, जो पाँच सालों तक चली।