JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

Jharkhand Board JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

बहुचयनात्मक प्रश्न

1. विविधता के सवाल पर भारत ने कौन-सा दृष्टिकोण अपनाया?
(क) लोकतांत्रिक
(ख) राजनीतिक
(ग) सामाजिक
(घ) सांस्कृतिक
उत्तर:
(क) लोकतांत्रिक

2. इन्दिरा गाँधी की हत्या कब हुई थी?
(क) 24 जून, 1982
(ख) 25 अगस्त, 1974
(ग) 31 अक्टूबर, 1983
(घ) 31 अक्टूबर, 1984
उत्तर:
(घ) 31 अक्टूबर, 1984

3. किस राज्य में असम गण परिषद् सक्रिय है?
(क) गुजरात
(ख) तमिलनाडु
(ग) पंजाब
(घ) असम
उत्तर:
(घ) असम

4. द्रविड़ आंदोलन के प्रणेता कौन थे-
(क) हामिद अंसारी
(ख) लाल डेंगा
(ग) ई.वी. रामास्वामी नायकर
(घ) शेख मोहम्मद अब्दुल्ला
उत्तर:
(ग) ई.वी. रामास्वामी नायकर

5. पंजाब और हरियाणा राज्य बने
(क) 1950
(ख) 1966
(ग) 1965
(घ) 1947
उत्तर:
(ख) 1966

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6. जम्मू और कश्मीर को संविधान के किस अनुच्छेद के अंतर्गत विशेष दर्जा दिया गया था?
(क) अनुच्छेद 370
(ख) अनुच्छेद 371
(ग) अनुच्छेद 375
उत्तर:
(क) अनुच्छेद 370

7. डी. एम. के. किस राज्य में सक्रिय है?
(क) तमिलनाडु
(ख) आन्ध्रप्रदेश
(ग) पंजाब
(घ) उत्तरप्रदेश
उत्तर:
(क) तमिलनाडु

8. नेशनल कान्फ्रेंस किस राज्य में सक्रिय है?
(क) जम्मू-कश्मीर
(ख) राजस्थान
(ग) पंजाब
(घ) हिमाचल प्रदेश
उत्तर:
(क) जम्मू-कश्मीर

9. शेख अब्दुल्ला के निधन के पश्चात् नेशनल कॉन्फेरेंस का नेतृत्व किसके पास गया?
(क) उमर अब्दुल्ला
(ख) गुलाम मोहम्मद सादिक
(ग) फारूक अब्दुल्ला
(घ) महबूबा मुफ्ती
उत्तर:
(ग) फारूक अब्दुल्ला

10. जम्मू और कश्मीर राज्य को पुनर्गठित करके किन दो केन्द्र शासित प्रदेशों का गठन किया?
और कश्मीर
(क) लेह और लद्दाख
(ख) जम्मू
(ग) जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख
(घ) लद्दाख और कश्मीर
उत्तर:
(ग) जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

1. सिखों की राजनीतिक शाखा के रूप में 1920 के दशक में …………………. दल का गठन किया गया।
उत्तर:
अकाली

2. ………………… को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 द्वारा अनुच्छेद 370 को समाप्त कर दिया गया।
उत्तर:
5 अगस्त, 2019

3. भारत सरकार द्वारा ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ ………………. में चलाया गया।
उत्तर:
जून, 1984

4. पूर्वोत्तर क्षेत्र को भारत से जोड़ने वाली राहदारी ………………….. किलोमीटर लंबी है।
उत्तर:
22

5. नागालैंड को राज्य का दर्जा …………………में दिया गया।
उत्तर:
1963

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय भू-भाग में किस क्षेत्र को सात बहनों का भाग कहा जाता है?
उत्तर:
पूर्वोत्तर के सात राज्यों को।

प्रश्न 2.
भारत और पाकिस्तान के मध्य विवाद का मुख्य मुद्दा क्या रहा है?
उत्तर:
कश्मीर मुद्दा।

प्रश्न 3.
1947 से पहले जम्मू-कश्मीर का शासक कौन था ?
उत्तर:
हरि सिंह।

प्रश्न 4.
नेशनल कांफ्रेंस ने किसके नेतृत्व में आन्दोलन चलाया?
उत्तर:
शेख अब्दुल्ला।

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प्रश्न 5.
ई. वी. रामास्वामी नायकर किस नाम से प्रसिद्ध थे?
उत्तर:
पेरियार।

प्रश्न 6.
जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी ताकतों का बोलबाला कब से शुरू हुआ?
उत्तर:
1989 से।

प्रश्न 7.
धारा 370 किस राज्य से सम्बन्धित है?
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर।

प्रश्न 8.
धारा 370 को समाप्त करने के पक्ष में कौनसी पार्टी रही है?
उत्तर;
भारतीय जनता पार्टी।

प्रश्न 9.
दक्षिण भारत का सबसे बड़ा आन्दोलन किसे माना जाता है?
उत्तर:
द्रविड़ आन्दोलन।

प्रश्न 10.
1984 में स्वर्ण मन्दिर में हुई सैनिक कार्यवाही को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
ऑपरेशन ब्लू स्टार।

प्रश्न 11.
असम को बाँटकर किन प्रदेशों को बनाया गया?
उत्तर:
मेघालय, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश।

प्रश्न 12.
लाल डेंगा किस दल के नेता थे?
उत्तर:
मीजो नेशनल फ्रंट|

प्रश्न 13.
सिक्किम विधानसभा के लिए पहला लोकतांत्रिक चुनाव कब हुआ?
उत्तर:
1974 में।

प्रश्न 14.
अंगमी जापू फिजो किसकी आजादी के आन्दोलन के नेता थे?
उत्तर:
नगालैण्ड|

प्रश्न 15.
असम आन्दोलन आसू ( AASU) का पूरा नाम क्या है?
उत्तर:
ऑल असम स्टूडेन्ट यूनियन।

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प्रश्न 16.
पूर्वोत्तर के किन राज्यों को सात बहनों के नाम से जाना जाता है?
उत्तर:

  1. असम
  2. नगालैंड
  3. मेघालय,
  4. मिजोरम,
  5. अरुणाचल प्रदेश,
  6. त्रिपुरा और
  7. मणिपुर।

प्रश्न 17.
जम्मू-कश्मीर में कौनसे तीन राजनीतिक क्षेत्र शामिल हैं?
उत्तर:
जम्मू, कश्मीर और लद्दाख।

प्रश्न 18.
नेशनल कांफ्रेन्स किस राज्य में सक्रिय क्षेत्रीय दल है?
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर।

प्रश्न 19.
अकाली दल और जनसंघ ने किस वर्ष पंजाब में गठबन्धन सरकार का निर्माण किया?
उत्तर:
1967 में।

प्रश्न 20.
पूर्वोत्तर भारत के किन्हीं दो पड़ौसी देशों के नाम बताइए।
उत्तर: म्यांमार, चीन।

प्रश्न 21.
क्षेत्रवाद को बढ़ावा देने वाला कोई एक कारण बतायें।
उत्तर:
क्षेत्र का असन्तुलित आर्थिक विकास।

प्रश्न 22.
ऑपरेशन ब्लू स्टार कब और किसके द्वारा चलाया गया?
उत्तर:
ऑपरेशन ब्लू स्टार 1984 में इंदिरा गाँधी द्वारा चलाया गया।

प्रश्न 23.
क्षेत्रीय आकांक्षाओं का एक आधारभूत सिद्धान्त क्या है?
उत्तर:
क्षेत्रीय आकांक्षाएँ लोकतान्त्रिक राजनीति का अभिन्न अंग हैं।

प्रश्न 24.
अकाली दल किस राज्य से सम्बन्धित है?
उत्तर:
अकाली दल पंजाब से सम्बन्धित है।

प्रश्न 25.
किन्हीं दो क्षेत्रीय दलों के नाम लिखिए।
उत्तर:  नेशनल कान्फ्रेंस, डी. एम. के.।.

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प्रश्न 26.
1979 से 1985 तक चला असम आन्दोलन किसके विरुद्ध चला?
उत्तर:
यह आन्दोलन विदेशियों के विरुद्ध चला।

प्रश्न 27.
गोवा, दमन और दीव पुर्तगाल से कब स्वतन्त्र हुए?
उत्तर:
दिसम्बर, 1961 में गोवा, दमन और दीव पुर्तगाल से स्वतन्त्र हुए।

प्रश्न 28.
सिक्किम विधानसभा के लिए प्रथम लोकतान्त्रिक चुनाव कब हुए?
उत्तर:
सिक्किम विधानसभा के लिए प्रथम लोकतान्त्रिक चुनाव 1974 में हुए।

प्रश्न 29.
आनन्दपुर साहिब प्रस्ताव कब पास किया गया और इसका सम्बन्ध किसके साथ है?
उत्तर:
आनन्दपुर साहिब प्रस्ताव 1973 में पास किया गया और इसका सम्बन्ध राज्यों की स्वायत्तता से है।

प्रश्न 30.
पंजाब में किस दल ने पंजाबी सूबा के लिए आन्दोलन चलाया?
उत्तर:
पंजाब में अकाली दल ने पंजाबी सूबा के लिए आन्दोलन चलाया।

प्रश्न 31.
जम्मू-कश्मीर के उग्रवादियों की सहायता कौनसा देश कर रहा था?
उत्तर:
कश्मीर के उग्रवादियों को पाकिस्तान भौतिक और सैन्य सहायता दे रहा था।

प्रश्न 32.
अनुच्छेद 370 किस राज्य को अन्य राज्यों के मुकाबले में अधिक स्वायत्तता देता है?
उत्तर:
अनुच्छेद 370 में जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक स्वायत्तता दी गई है।

प्रश्न 33.
विविधता की चुनौती से निपटने के लिए क्या किया गया?
उत्तर:
विविधता की चुनौती से निपटने के लिए देश की अंदरूनी सीमा रेखाओं का पुनर्निर्धारण किया गया।

प्रश्न 34.
भारत में किस दशक को स्वायत्तता की माँग के दशक के रूप में देखा जाता है?
उत्तर:
भारत में 1980 के दशक को स्वायत्तता की माँग के दशक के रूप में देखा जाता है।

प्रश्न 35.
डी.एम. के. ने किस भाषा का विरोध किया?
उत्तर:
डी. एम. के. ने हिन्दी भाषा का विरोध किया।

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प्रश्न 36.
क्षेत्रवाद को रोकने के कोई दो उपाय बताइये।
उत्तर:
क्षेत्रवाद को रोकने के दो उपाय हैं।

  1. राष्ट्रीय नीति का निर्धारण करना तथा
  2. सांस्कृतिक एकीकरण के लिए प्रयास करना।

प्रश्न 37.
भाषा के आधार पर राज्यों के गठन की माँग करते हुए जनआंदोलन कहाँ चले?
उत्तर:
आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात।

प्रश्न 38.
जम्मू और कश्मीर किन तीन सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों को मिलाकर बना है?
उत्तर:
जम्मू, कश्मीर और लद्दाख।

प्रश्न 39.
द्रविड़ आंदोलन का लोकप्रिय नारा क्या था?
उत्तर:
‘उत्तर हर दिन बढ़ता जाए, दक्षिण दिन – दिन घटता जाए’।

प्रश्न 40.
डी. एम. के. के संस्थापक कौन थे?
उत्तर”:
सी. अन्नादुरै।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्षेत्रवाद से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
क्षेत्रवाद: क्षेत्रवाद से अभिप्राय किसी भी देश के उस छोटे से क्षेत्र से है जो औद्योगिक, सामाजिक आदि कारणों से अपने पृथक् अस्तित्व के लिए जागृत है। क्षेत्रवाद केन्द्रीयकरण के विरुद्ध क्षेत्रीय इकाइयों को अधिक शक्ति व स्वायत्तता प्रदान करने के पक्ष में है।

प्रश्न 2.
क्षेत्रवाद के उदय के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:
क्षेत्रवाद के उदय के कारण – क्षेत्रवाद के उदय के कारण हैं।

  1. भाषावाद: भारत में सदैव ही अनेक भाषाएँ बोलने वालों ने कई बार अलग-अलग राज्य के निर्माण के लिए व्यापक आन्दोलन किया।
  2. जातिवाद: जिन क्षेत्रों में किसी एक जाति की प्रधानता रही है, वहीं पर क्षेत्रवाद का उग्र रूप देखने को मिलता है।

प्रश्न 3.
क्षेत्रवादी आन्दोलन से हमें क्या सबक मिलता है?
उत्तर:
क्षेत्रीय आन्दोलन से हमें

  1. यह सबक मिलता है कि क्षेत्रीय आकांक्षाएँ लोक राजनीति का अभिन्न अंग हैं तथा
  2. लोकतान्त्रिक वार्ता करके क्षेत्रीय आकांक्षाओं का हल निकालना चाहिए।

प्रश्न 4.
क्षेत्र पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
क्षेत्र-क्षेत्र उस भू-भाग को कहते हैं जिसके निवासी सामान्य भाषा, धर्म, परम्पराएँ, सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक विकास आदि की दृष्टि से भावनात्मक रूप से एक-दूसरे से जुड़े हुए हों। यह भूभाग सीमावर्ती राज्य, राज्य का एक या अधिक भाग भी हो सकते हैं। भारतीय संदर्भ में प्रान्तों तथा संघीय प्रदेश को क्षेत्र कहा जाता है।

प्रश्न 5.
अलगाववाद का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अलगाववाद: अलगाववाद से अभिप्राय एक राज्य से कुछ क्षेत्र को अलग-अलग करके स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की माँग है। अर्थात् सम्पूर्ण इकाई से अलग अपना स्वतन्त्र अस्तित्व बनाए रखने की माँग अलगाववाद है। अलगाववाद का उदय उस समय होता है जब क्षेत्रवाद की भावना उग्र रूप धारण कर लेती है।

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प्रश्न 6.
भारत में अलगाववाद के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर:
अलगाववाद के उदाहरण- भारत में अलगाववाद के उदाहरण हैं।

  1. 1960 में डी. एम. के. तथा अन्य तमिल दलों ने तमिलनाडु को भारत से अलग करवाने का आन्दोलन किया।
  2. असम के मिजो हिल के लिए जिले के लोगों ने भारत से अलग होने की माँग की और इस मांग को पूरा करवाने के लिए उन्होंने मिजो फ्रंट की स्थापना की।

प्रश्न 7.
अलगाववाद के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:

  1. राजनीतिक कारण: अलगाववाद की भावना को भड़काने में राजनीतिक दलों की संकीर्ण मनोवृत्ति को प्रमुख कारण माना जा सकता है।
  2. आर्थिक पिछड़ापन: असमान आर्थिक विकास और पिछड़ापन भी अलगाववाद को बढ़ावा देता है। पिछड़े क्षेत्रों में पृथकतावाद की भावना जन्म लेती है।

प्रश्न 8.
भारत और पाकिस्तान का मसला सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ ने 21 अप्रैल, 1948 के प्रस्ताव में किन तीन चरणों वाली प्रक्रिया की अनुशंसा की?
उत्तर:
पाकिस्तान ने कश्मीर राज्य के बड़े हिस्से पर नियंत्रण जारी रखा इसलिए इस मामले को संयुक्त राष्ट्रसंघ में ले जाया गया। 21 अप्रेल, 1948 के अपने प्रस्ताव में निम्न तीन चरणों वाली प्रक्रिया की अनुशंसा की

  1. पाकिस्तान को अपने वे सारे नागरिक वापस बुलाने थे जो कश्मीर में घुस गए थे।
  2. भारत को धीरे-धीरे अपनी फौज कम करनी थी ताकि कानून व्यवस्था बनी रहे।
  3. स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से जनमत संग्रह कराया जाए।

प्रश्न 9.
भारत में क्षेत्रीय दलों के विकास के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:

  1. भारत एक विशाल देश है। इसकी बनावट में विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। भौगोलिक विभिन्नता के कारण अलग-अलग क्षेत्रीय दल भी पाये जाते हैं।
  2. राजनीतिक दलों की महत्त्वाकांक्षी प्रवृत्ति व अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए क्षेत्रीय भावनाओं को अपने स्वार्थ के लिए प्रयोग करते हैं।

प्रश्न 10.
रामास्वामी नायकर ( अथवा पेरियार ) के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
उत्तर:
रामास्वामी नायकर का जन्म सन् 1879 में हुआ। वे पेरियार के नाम से प्रसिद्ध हुए। वे जाति विरोधी आंदोलन और द्रविड़ संस्कृति और पहचान के पुनः संस्थापक के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्होंने दक्षिण में ब्राह्मण विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया तथा द्रविड़ कषगम नामक संस्था स्थापित की।

प्रश्न 11.
डी. एम. के. दल पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
डी. एम. के. – डी. एम. के. तमिलनाडु का महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल है। वर्तमान समय में इस दल के अध्यक्ष करुणानिधि हैं। इस दल की स्थापना 1949 में चेन्नई में श्री सी. एम. अन्नादुराय ने की। डी. एम. के. का पूरा नाम द्रविड़ – मुनेत्र कषगम है। इसमें द्रविड़ शब्द द्रविड़ जाति का प्रतीक है, मुनेत्र का अर्थ है प्रगतिशीलता और कषगम का अर्थ है- संगठन।

प्रश्न 12.
तेलगूदेशम् पार्टी का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
तेलगूदेशम् पार्टी: तेलगूदेशम् पार्टी आन्ध्रप्रदेश का महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल है। इस दल के वर्तमान अध्यक्ष चन्द्रबाबू नायडू हैं। इस दल की स्थापना 1982 में फिल्म अभिनेता एन. टी. रामाराव ने की। तेलगूदेशम् पार्टी की स्थापना कांग्रेस शासन की प्रतिक्रियास्वरूप हुई। तेलगूदेशम विकेन्द्रित संघवाद का समर्थक है।

प्रश्न 13.
अन्ना डी. एम. के. पार्टी के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
अन्ना डी. एम. के. – अन्ना डी. एम. के. पार्टी भी तमिलनाडु का महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल है। इस दल की वर्तमान अध्यक्ष सुश्री जयललिता हैं। इस दल की स्थापना रामचन्द्रन ने 1972 में की। यह दल हिन्दी भाषा को दक्षिण के राज्यों पर थोपने के विरुद्ध है। यह दल द्विभाषा फार्मूला का समर्थन करता है।

प्रश्न 14.
आनंदपुर साहिब प्रस्ताव का सिखों तथा देश पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के निम्न प्रभाव पड़े चलाया।

  1. इसके प्रभावस्वरूप अकाली दल ने पंजाब और पड़ौसी राज्यों के मध्य पानी के बँटवारे के मुद्दे पर आंदोलन
  2. इसके प्रभावस्वरूप स्वायत्त सिख पहचान की बात उठी।
  3. इसके प्रभावस्वरूप ही चरमपंथी सिखों ने भारत से अलग होकर खालिस्तान की माँग की।

प्रश्न 15.
1980 में अकाली दल की प्रमुख मांगों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. चण्डीगढ़ को पंजाब की राजधानी बनाया जाए।
  2. दूसरे राज्यों के पंजाबी भाषी क्षेत्रों को पंजाब में मिलाया जाए।
  3. पंजाब का औद्योगिक विकास किया जाए।
  4. भाखड़ा नांगल योजना पंजाब के नियन्त्रणाधीन हो।
  5. देश के सभी गुरुद्वारे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्ध कमेटी के प्रबन्ध में हों।

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प्रश्न 16.
ऑपरेशन ब्लू स्टार से क्या आशय है?
उत्तर:
ऑपरेशन ब्लू स्टार: 1980 के दशक में पंजाब में सन्त भिण्डरावाले ने स्वर्ण मन्दिर को अपने कब्जे में लेकर वहाँ पर अस्त्र-शस्त्र एकत्र करना शुरू कर दिये जिसके कारण श्रीमती इन्दिरा गाँधी की सरकार को भिण्डरावाले के विरुद्ध ऑपरेशन ब्लू स्टार के अन्तर्गत कार्यवाही करनी पड़ी। सरकार ने स्वर्ण मन्दिर में सेना भेजकर उसे भिण्डरावाला से मुक्त करवाया।

प्रश्न 17.
1985 के पंजाब समझौते के किन्हीं दो महत्त्वपूर्ण पक्षों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. एक सितम्बर, 1982 के बाद हुई किसी कार्यवाही के दौरान आन्दोलन में मारे गये लोगों को अनुग्रह राशि के भुगतान के साथ-साथ सम्पत्ति की क्षति के लिए मुआवजा दिया जायेगा।
  2. दिल्ली में नवम्बर में हुए दंगों की जाँच कर रहे रंगनाथ मिश्र आयोग का कार्यक्षेत्र बढ़ाकर उसमें बोकारो और में उपद्रवों की जांच को भी शामिल किया जायेगा।

प्रश्न 18.
सिख विरोधी दंगे कब और क्यों हुए?
उत्तर:
सिख विरोधी दंगे 1984 में हुए। यह दंगे 31 अक्टूबर, 1984 में श्रीमती गांधी की हत्या के विरोध में हुए जिसमें 2000 से अधिक सिख स्त्री-पुरुष व बच्चे मारे गये। इन दंगों से देश की एकता व अखण्डता के लिए खतरा उत्पन्न हो गया। इसलिए राजीव गांधी ने पंजाब में शान्ति बनाये रखने के लिए अकाली नेताओं से समझौता किया जिसे पंजाब समझौता कहा जाता है।

प्रश्न 19.
नेशनल कान्फ्रेंस के विषय में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
नेशनल कान्फ्रेंस: नेशनल कान्फ्रेंस जम्मू-कश्मीर का महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल है। इस दल के वर्तमान अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला हैं। इस दल की स्थापना 1920 में हुई। नेशनल कान्फ्रेंस धारा 370 को बनाये रखने के पक्ष में है। तथा जम्मू-कश्मीर को और अधिक स्वायत्तता देने के पक्ष में है। इस पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को स्थायी माना है।

प्रश्न 20.
1980 के दशक में पंजाब एवं असम संकट में एक समानता एवं एक असमानता बताइए।
उत्तर:

  1. समानता: 1980 के दशक में पंजाब एवं असम में होने वाले दोनों संकट क्षेत्रीय स्तर के थे।
  2. असमानता: पंजाब संकट केवल एक धर्म एवं समुदाय से सम्बन्धित था, जबकि असम संकट अलग धर्मों एवं समुदायों से सम्बन्धित था।

प्रश्न 21.
क्षेत्रवाद राष्ट्रीय एकता के लिए चुनौती है। समझाइये|
उत्तर:
संकीर्ण क्षेत्रवाद राष्ट्रीय एकता के लिए चुनौती बन जाता है। क्षेत्रवाद के फलस्वरूप विभिन्न क्षेत्र के लोग कभी प्रादेशिक भाषा, कभी राजनीतिक स्वशासन, कभी क्षेत्रीय स्वार्थ को लेकर पृथक् राज्य की माँग करने लगते हैं, जो राष्ट्रीय एकता के लिए चुनौती होती है।

प्रश्न 22.
नये राज्यों के निर्माण के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
नये राज्यों के निर्माण के पक्ष में तर्क।

  1. पिछड़े क्षेत्रों का विकास तीव्र गति से होने लगता है।
  2. लोगों की शासन में सहभागिता बढ़ती है।
  3. राजनीतिक चेतना का विकास होता है।
  4. केन्द्रीय शासन के प्रशासनिक दबाव से मुक्ति मिल जाती है।
  5. नये राज्यों का गठन राष्ट्रविरोधी गतिविधि नहीं है।

प्रश्न 23.
नये राज्यों के निर्माण के विपक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
नये राज्यों के निर्माण के विपक्ष में तर्क।

  1. नये राज्यों की माँग विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष तथा तनाब पैदा करती है।
  2. पिछड़े क्षेत्रों का विकास नये राज्यों के गठन मात्र से सम्भव नहीं है।
  3. नये राज्यों के गठन से अनावश्यक प्रशासनिक तन्त्र में वृद्धि होती है।
  4. नये राज्यों के गठन से क्षेत्रवाद की भावना को बल मिलता है।

प्रश्न 24.
द्रविड आन्दोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए द्रविड़ आन्दोलन।
उत्तर:
द्रविड आन्दोलन की बागडोर तमिल समाज सुधारक ई.वी. रामा स्वामी नायकर ‘पेरियार’ के हाथों में थी। इस आन्दोलन से एक राजनीतिक संगठन ‘द्रविड – कषगम’ का सूत्रपात हुआ। यह संगठन ब्राह्मणों के वर्चस्व तथा हिन्दी का विरोध करता था तथा उत्तरी भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभुत्व को नकारते हुए क्षेत्रीय गौरव की प्रतिष्ठा पर जोर देता था। प्रारम्भ में द्रविड आन्दोलन समग्र दक्षिण भारतीय सन्दर्भ में अपनी बात रखता था लेकिन अन्य दक्षिणी राज्यों से समर्थन न मिलने के कारण धीरे-धीरे तमिलनाडु तक ही सिमट कर रह गया। बाद में द्रविड कषगम दो धड़ों में बँट गया और आन्दोलन की समूची राजनीतिक विरासत द्रविड मुनेत्र कषगम के पाले में केन्द्रित हो गयी।

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प्रश्न 25.
क्षेत्रवाद क्या है? यह भारत की राज्य व्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित करता है?
उत्तर:
क्षेत्रवाद: क्षेत्रवाद का अर्थ किसी ऐसे छोटे से क्षेत्र से है जो भाषायी धार्मिक, भौगोलिक, सामाजिक अथवा ऐसे ही अन्य कारक के आधार पर अपने पृथक् अस्तित्व के लिए प्रयत्नशील है। इस प्रकार क्षेत्रवाद से अभिप्राय है राज्य की तुलना में किसी क्षेत्र विशेष से लगाव| क्षेत्रवाद के प्रभाव: भारत की राज्य व्यवस्था को क्षेत्रवाद निम्न प्रकार से प्रभावित करता है।

  1. क्षेत्रवाद के आधार पर राज्य केन्द्र सरकार से सौदेबाजी करते हैं।
  2. क्षेत्रवाद ने कुछ हद तक भारतीय राजनीति में हिंसक गतिविधियों को उभारा है।
  3. चुनावों के समय क्षेत्रवाद के आधार पर राजनीतिक दल उम्मीदवारों का चुनाव करते हैं और क्षेत्रीय भावनाओं को भड़काकर वोट प्राप्त करने की चेष्टा करते हैं।
  4. मन्त्रिमण्डल का निर्माण करते समय मन्त्रिमण्डल में प्रायः सभी मुख्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को लिया जाता है।

प्रश्न 26. भारत में क्षेत्रवाद के उदय के चार कारण बताइये।
उत्तर:
क्षेत्रवाद के कारण: क्षेत्रवाद के उदय के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।

  1. आर्थिक असन्तुलन:क्षेत्र विशेष के लोगों की यह धारणा है कि पिछड़ेपन के कारण उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है तथा उनके आर्थिक विकास की उपेक्षा की जा रही है, यह भावना भी क्षेत्रवाद को बढ़ावा देती है।
  2. भाषागत विभिन्नताएँ: भारत में भाषा के आधार पर अनेक राज्यों का निर्माण हुआ है।
  3. राज्यों के आकार में असमानता: राज्यों का विशाल आकार भी क्षेत्रवाद को बढ़ावा देता है।
  4. प्रशासनिक कारण: प्रशासनिक कारणों से भी विभिन्न राज्यों की प्रगति में अन्तर रहा है, पंचवर्षीय योजनाओं के द्वारा भी राज्यों का समान विकास नहीं हुआ। यह अन्तर भी क्षेत्रवाद को बढ़ावा देता है।

प्रश्न 27.
संविधान की धारा 370 क्या है? इस प्रावधान का विरोध क्यों हो रहा है?
उत्तर:
संविधान की धारा 370: कश्मीर को संविधान में धारा 370 के तहत विशेष दर्जा दिया गया है। धारा 370 के अन्तर्गत जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक स्वायत्तता दी गई है। राज्य का अपना संविधान है। धारा 370 का विरोध: धारा 370 का विरोध लोगों का एक समूह इस आधार पर कर रहा है कि जम्मू-कश्मीर राज्य को धारा 370 के अन्तर्गत विशेष दर्जा देने से यह भारत के साथ नहीं जुड़ पाया है। अतः धारा 370 को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर राज्य को भी अन्य राज्यों के समान होना चाहिए।

प्रश्न 28.
क्षेत्रीय असन्तुलन से आप क्या समझते हैं? भारतीय राजनीतिक व्यवस्था पर इसके प्रभावों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय असन्तुलन: क्षेत्रीय असन्तुलन का अर्थ यह है कि भारत के विभिन्न राज्यों तथा क्षेत्रों का विकास एक जैसा नहीं है। भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के विकास स्तर और लोगों के जीवन स्तर में पाये जाने वाले अन्तर को क्षेत्रीय असन्तुलन का नाम दिया जाता है। क्षेत्रीय असन्तुलन के प्रभाव: क्षेत्रीय असन्तुलन भारतीय लोकतन्त्र पर मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रभाव डाल रहा

  1. पिछड़े क्षेत्रों में असन्तुष्टता की भावना बड़ी तेजी से बढ़ रही है।
  2. क्षेत्रीय असन्तुलन से क्षेत्रवाद की भावना को बल मिला है।
  3. क्षेत्रीय असन्तुलन ने अनेक क्षेत्रीय दलों को जन्म दिया है।
  4. क्षेत्रीय असन्तुलन से पृथकतावाद तथा आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा मिला है।

प्रश्न 29.
भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन के प्रमुख कारणों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय असन्तुलन के कारण: भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन के प्रमुख कारण अग्रलिखित हैं।

  1. भौगोलिक विषमताओं ने क्षेत्रीय असन्तुलन पैदा किया है। परिस्थितियों के कारण भारत में एक ओर राजस्थान जैसा मरुस्थल है। जो कम उपजाऊ है तो दूसरी ओर पंजाब जैसे उपजाऊ क्षेत्र हैं।
  2. भाषा की विभिन्नता ने क्षेत्रीय असन्तुलन को बढ़ावा दिया है।
  3. ब्रिटिश सरकार ने कुछ क्षेत्रों का विकास किया और कुछ का नहीं किया, जिससे क्षेत्रीय असन्तुलन पैदा हुआ।
  4. क्षेत्रीय असन्तुलन का एक महत्त्वपूर्ण कारण नेताओं की अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास पर अधिक बल देने की प्रवृत्ति भी है।

प्रश्न 30.
क्षेत्रीय असन्तुलन को दूर करने के सुझाव दीजिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय असन्तुलन को दूर करने के उपाय: क्षेत्रीय असन्तुलन को दूर करने हेतु निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते हैं।

  1. पिछड़े हुए क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष प्रयास किए जाएँ। पिछड़े क्षेत्रों में विशेषकर बिजली, यातायात व संचार के साधनों का विकास किया जाए।
  2. पिछड़े लोगों व जन-जातियों के विकास के लिए विशेष कदम उठाए जाएँ।
  3. जो प्रशासनिक अधिकारी आदिवासी क्षेत्रों में नियुक्त किए जाएँ उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाए और उन्हीं को नियुक्त किया जाए जो इन क्षेत्रों के बारे में थोड़ा-बहुत ज्ञान भी रखते हों।
  4. केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में सभी क्षेत्रों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए।

प्रश्न 31.
क्षेत्रीय असन्तुलन क्षेत्रवाद का जनक है। व्याख्या कीजिए।
अथवा
क्षेत्रीय असन्तुलन भारत में क्षेत्रवाद का प्रमुख कारण है। समझाइये
उत्तर:
क्षेत्रीय असन्तुलन क्षेत्रवाद के जनक के रूप में – क्षेत्रीय असन्तुलन से अभिप्राय विभिन्न क्षेत्रों के बीच प्रति व्यक्ति आय, साक्षरता दरों, स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता, औद्योगीकरण का स्तर आदि के आधार पर अन्तर पाया जाना है। भारत में विभिन्न राज्यों के बीच बड़े पैमाने पर असन्तुलन पाया जाता है। क्षेत्रीय असन्तुलन ने भारत में निम्न रूप में क्षेत्रवाद को पैदा किया है।

  1. क्षेत्रीय विभिन्नताओं एवं असन्तुलन के कारण क्षेत्रीय भेदभाव को बढ़ावा मिला है।
  2. भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन के कारण क्षेत्रवादी भावनाओं को बल मिला है। इसके कारण कई क्षेत्रों ने पृथक् राज्य की मांग की है।
  3. क्षेत्रीय असन्तुलन ने क्षेत्रवादी हिंसा, आन्दोलनों व तोड़-फोड़ को बढ़ावा दिया है।
  4. अनेक क्षेत्रीय दल क्षेत्रीय असन्तुलन के कारण ही बने हैं जो अब क्षेत्रवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।

प्रश्न 32.
भारत में दबाव की प्रक्रिया के रूप में क्षेत्रवाद की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में दबाव की प्रक्रिया के रूप में क्षेत्रवाद की भूमिका- भारत में दबाव की प्रक्रिया के रूप में क्षेत्रवाद को निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है।

  1. दबाव की प्रक्रिया के रूप में क्षेत्रवाद एक सीमा तक भारत के विकास में गति प्रदान करता है। क्षेत्रवादी नेतृत्व सत्ता में रहकर अपने राज्यों के विकास के लिए विशेष प्रयत्न करता है। तमिलनाडु, पंजाब व हरियाणा इसके प्रमाण हैं।
  2. दबाव की प्रक्रिया के रूप में क्षेत्रवाद अनेक बार पूर्ण या पृथक् राज्य की मांग के रूप में उभरता है। इसके कारण अनेक आन्दोलन हुए और अनेक पृथक् राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा, गुजरात, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा आदि का जन्म हुआ।
  3. दबाव की प्रक्रिया की भूमिका में क्षेत्रवाद का एक अन्य रूप अन्तर्राज्यीय नदी विवादों के रूप में सामने आया है। कावेरी, रावी, व्यास नदियों का पानी आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रश्न 33.
” क्षेत्रवाद का अभिप्राय पृथकतावाद नहीं है ।” व्याख्या कीजिये।
उत्तर:
क्षेत्रवाद क्षेत्रीय असन्तुलन का परिणाम है। क्षेत्रीय हितों के संरक्षण हेतु यह लोकतंत्र की प्राणवायु है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में काफी समय से अनेक क्षेत्रवादी आंदोलन चल रहे हैं। ये आंदोलन अपने क्षेत्र को भारतीय संघ में एक अलग राज्य की माँग करते हैं। झारखण्ड, छत्तीसगढ़ के क्षेत्रवादी आंदोलन इसी तरह के थे। क्षेत्रवादी आंदोलन अपने क्षेत्र में आर्थिक विकास की गति को तेज करना चाहते हैं तथा अपनी सांस्कृतिक भाषायी पहचान भी बनाए रखना चाहते हैं। इस प्रकार क्षेत्रवाद का अभिप्राय पृथकतावाद नहीं है।

प्रश्न 34.
लोकतांत्रिक दृष्टिकोण से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
भारत ने विविधता के सवाल पर लोकतांत्रिक दृष्टिकोण को अपनाया। लोकतंत्र में क्षेत्रीय आकांक्षाओं की राजनीतिक अभिव्यक्ति की अनुमति है और लोकतंत्र क्षेत्रीयता को राष्ट्र-विरोधी नहीं मानता। लोकतांत्रिक राजनीति में इस बात के पूरे अवसर होते हैं कि विभिन्न दल और समूह क्षेत्रीय पहचान, आकांक्षा अथवा किसी खास क्षेत्रीय समस्या को आधार बनाकर लोगों की भावनाओं की नुमाइंदगी करें। इस तरह लोकतांत्रिक राजनीति की प्रक्रिया में क्षेत्रीय आकांक्षाएँ और बलवती होती हैं। लोकतांत्रिक राजनीति का एक अर्थ यह भी है कि क्षेत्रीय मुद्दों और समस्याओं पर नीति-निर्माण की प्रक्रिया में समुचित ध्यान दिया जाएगा और उन्हें इसमें भागीदारी दी जाएगी।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 35.
जम्मू और कश्मीर के सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों के बारे में बताइए।
उत्तर:
जम्मू और कश्मीर तीन सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों: जम्मू, कश्मीर और लद्दाख से बना हुआ है।

  1. जम्मू: इस क्षेत्र में छोटी पहाड़ियाँ और मैदानी भाग हैं। इसमें मुख्य रूप से हिन्दू रहते हैं। मुसलमान, सिख और अन्य मतों के लोग भी रहते हैं।
  2. कश्मीर: यह क्षेत्र मुख्य रूप से कश्मीर घाटी है। यहाँ रहने वाले अधिकतर कश्मीरी मुसलमान हैं और शेष हिन्दू, सिख, बौद्ध तथा अन्य हैं।
  3. लद्दाख: यह पहाड़ी क्षेत्र है। इसकी जनसंख्या बहुत कम है, जिसमें बराबर संख्या में बौद्ध और मुसलमान रहते हैं।

प्रश्न 36.
कश्मीरियत से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
जम्मू और कश्मीर एक राजसी रियासत थी। यहाँ हिन्दू राजा हरिसिंह का शासन था। हरिसिंह भारत या पाकिस्तान में न शामिल होकर अपना स्वतंत्र राष्ट्र बनाना चाहते थे। पाकिस्तानी नेताओं के अनुसार कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा है क्योंकि वहाँ अधिकांश आबादी मुसलमान थी। परंतु उस रियासत के लोगों ने इसे इस तरह नहीं देखा उन्होंने सोचा कि सबसे पहले वे कश्मीरी हैं। क्षेत्रीय अभिलाषा का यह मुद्दा कश्मीरियत कहलाता है।

प्रश्न 37.
पंजाब समझौते के मुख्य प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पंजाब समझौता: पंजाब समझौते के महत्त्वपूर्ण प्रावधान निम्न हैं।

  1. मारे गये निरपराध व्यक्तियों के लिए मुआवजा: एक सितम्बर, 1982 के बाद हुई किसी कार्यवाही में आन्दोलन में मारे गये लोगों को अनुग्रह राशि के भुगतान के साथ सम्पत्ति की क्षति के लिए मुआवजा दिया जायेगा।
  2. सेना में भर्ती: देश के सभी नागरिकों को सेना में भर्ती का अधिकार होगा और चयन के लिए केवल योग्यता ही आधार होगा।
  3. नवम्बर दंगों की जाँच: दिल्ली में नवम्बर में हुए दंगों की जांच कर रहे रंगनाथ मिश्र आयोग का कार्यक्षेत्र बढ़ाकर उसमें बोकारो और कानपुर में हुए उपद्रवों की जाँच को शामिल किया जायेगा।
  4. सेना से निकाले हुए व्यक्तियों का पुनर्वास – सेना से निकाले हुए व्यक्तियों को पुनर्वास और उन्हें लाभकारी रोजगार दिलाने के प्रयास किये जायेंगे।

प्रश्न 38.
असम समझौता क्या था और इसके क्या परिणाम हुए?
उत्तर:
असम समझौता: 1985 में प्रधानमंत्री राजीव गाँधी और आसू के बीच एक समझौता हुआ जिसमें यह तय किया गया कि जो लोग बांग्लादेश युद्ध के दौरान या उसके बाद के वर्षों में असम आए हैं, उनकी पहचान की जाएगी और . उन्हें वापस भेजा जायेगा। समझौते के परिणाम: समझौते के निम्न प्रमुख परिणाम निकले

  1. समझौते के बाद ‘आसू’ और असम-गण-संग्राम परिषद् ने साथ मिलकर ‘असम-गण- क्षेत्रीय राजनीतिक दल बनाया।
  2. असम गण परिषद् 1985 में इस वायदे के साथ सत्ता में आया कि विदेशी लोगों की समस्या का समाधान कर लिया जायेगा।
  3. असम समझौते से प्रदेश में शान्ति कायम हुई तथा प्रदेश की राजनीति का चेहरा बदल गया।

प्रश्न 39.
शेख अब्दुल्ला के जीवन के कुछ प्रमुख पहलुओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
शेख अब्दुल्ला:
शेख अब्दुल्ला का जन्म 1905 में हुआ। वे भारतीय स्वतन्त्रता से पूर्व ही जम्मू एवं कश्मीर के नेता के रूप में उभरे। वे जम्मू-कश्मीर को स्वायत्तता दिलाने के साथ-साथ वहाँ धर्मनिरपेक्षता की स्थापना के समर्थक थे। उन्होंने राजशाही के विरुद्ध राज्य में जन-आन्दोलन का नेतृत्व किया। वे धर्मनिरपेक्षता के आधार पर जीवन भर पाकिस्तान का विरोध करते रहे। वे नेशनल कान्फ्रेंस के संगठनकर्ता और प्रमुख नेता थे।

वे भारत में जम्मू-कश्मीर के विलय के उपरान्त जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री (1947 में) बने। उनके मन्त्रिमण्डल को भारत सरकार की कांग्रेस सरकार ने 1953 में बर्खास्त कर दिया था तभी से 1968 तक उन्हें कारावास में ही रखा। 1974 में इन्दिरा गाँधी की कांग्रेस सरकार से समझौता हुआ। वे राज्य के मुख्यमन्त्री पद पर आरूढ़ हुए। 1982 में उनका देहान्त हो गया।

प्रश्न 40.
लालडेंगा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
लालडेंगा-लालडेंगा का जन्म 1937 में हुआ। वे मिजो नेशनल फ्रंट के संस्थापक और सबसे ख्याति प्राप्त नेता थे। 1959 में मिजोरम में पड़े भयंकर अकाल और उस समय की असम सरकार द्वारा उस समय के अकाल की समस्या के समाधान में विफल होने के कारण वे देश-विद्रोही बन गए। वे अनेक वर्षों तक भारत के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष करते रहे। यह संघर्ष लगभग बीस वर्षों तक चला। वे पाकिस्तान में एक राज्य शरणार्थी के रूप में रहते हुए भी भारत विरोधी गतिविधियाँ चलाते रहे।

अंत में वे प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के बुलाने पर स्वदेश लौटे और 1986 में राजीव गाँधी के साथ उन्होंने सुलह की और दोनों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये और मिजोरम को नया राज्य बनाया गया। लालडेंगा नवनिर्मित मिजोरम के मुख्यमन्त्री बने। 1990 में उनका निधन हो गया।

प्रश्न 41.
राजीव गाँधी का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
राजीव गाँधी फिरोज गाँधी और इन्दिरा गाँधी के पुत्र थे। उनका जन्म 1944 में हुआ। 1980 के बाद वे देश की सक्रिय राजनीति में शामिल हुए। अपनी माँ इन्दिरा गाँधी की हत्या के बाद वे राष्ट्रव्यापी सहानुभूति के वातावरण में भारी बहुमत से 1984 में देश के प्रधानमंत्री बने और 1989 के बीच वह प्रधानमंत्री पद पर रहे। उन्होंने पंजाब में आतंकवाद के विरुद्ध उदारपंथी नीतियों के समर्थक लोंगोवाल से समझौता किया।

उन्हें मिजो विद्रोहियों और असम के छात्र संघों में समझौता करने में सफलता मिली। राजीव देश में उदारवाद या खुली अर्थव्यवस्था एवं कंप्यूटर प्रौद्योगिकी के प्रणेता थे। श्रीलंका नक्सलीय समस्या को सुलझाने के लिए उन्होंने भारतीय शांति सेना को श्रीलंका भेजा। संभवत: ऐसा माना जाता है कि श्रीलंका के विद्रोही तमिल संगठन (एल.टी.टी.ई.) ने आत्मघाती हमले द्वारा 1991 में उनकी हत्या कर दी।

प्रश्न 42.
गोवा को संघ शासित प्रदेश तथा पूर्ण राज्य का दर्जा किस प्रकार प्राप्त हुआ? संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा: 1961 में पुर्तगालियों से गोवा को मुक्त कराने के बाद महाराष्ट्रवादी पार्टी ने गोवा को महाराष्ट्र में मिलाने की माँग रखी जबकि यूनाइटेड गोअन पार्टी ने गोवा को स्वतन्त्र या पृथक् राज्य बनाने की माँग की। फलतः 1967 की जनवरी में केन्द्र सरकार ने गोवा में एक विशेष जनमत सर्वेक्षण कराया। इसमें गोवा के लोगों से पूछा गया कि आप लोग महाराष्ट्र में शामिल होना चाहते हैं अथवा अलग बने रहना चाहते हैं। भारत में यही एकमात्र अवसर था जब किसी मसले पर सरकार ने जनमत की इच्छा को जानने के लिए जनमत संग्रह जैसी प्रक्रिया अपनायी थी। अधिकतर लोगों ने महाराष्ट्र से अलग रहने के पक्ष में मत डाला। इस तरह गोवा संघ शासित प्रदेश बना रहा। अन्ततः 1987 में गोवा भारत संघ का एक राज्य बना।

प्रश्न 43.
1980 के दशक में उत्पन्न पंजाब और असम संकट के बीच एक समानता और एक अन्तर बताइये।
उत्तर:
पंजाब व असम संकट के बीच समानता: 1980 के दशक में पंजाब और असम दोनों में भाषा के आधार पर नवीन राज्य गठन की माँग उठाई गई। इसके तहत पंजाबी और हिन्दी भाषा के आधार पर पंजाब का तीन राज्यों- पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में विभाजन हुआ। इसी प्रकार असम भी क्षेत्रीय भाषाओं के आधार पर क्रमशः नगालैंड, मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश व मिजोरम और असम सात राज्यों में विभाजित हुआ। पंजाब व असम के विभाजन के बीच अन्तर: पंजाब, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश की मांग पूर्णत: भाषा पर आधारित थी जबकि असम से पृथक् हुए राज्यों का आधार भाषा के साथ-साथ संस्कृति और क्षेत्रीय परिवेश भी थे।

प्रश्न 44.
भारत में पूर्वोत्तर की क्षेत्रीय आकांक्षा स्वायत्तता की माँग रही है ।” इस कथन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में पूर्वोत्तर में स्वायत्तता की माँग भारत में पूर्वोत्तर की क्षेत्रीय आकांक्षा स्वायत्तता की माँग रही है। स्वतंत्रता के समय मणिपुर और त्रिपुरा को छोड़कर पूर्वोत्तर का सारा हिस्सा असम कहलाता था। इस क्षेत्र के गैर असमी लोगों को जब लगा कि असम सरकार उन पर असमी भाषा थोप रही है तो इस क्षेत्र से राजनीतिक स्वायत्तता की माँग उठी। 1970 के दशक में पूरे राज्य में असमी भाषा लादने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और दंगे हुए।

इन्होंने ‘आल पार्टी हिल्स कांफ्रेंस’ का गठन किया और माँग की कि असम से अलग जनजातीय राज्य बनाये जाएं। अन्ततः केन्द्र सरकार ने असम को बाँट कर मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश बनाया तथा त्रिपुरा और मणिपुर को भी राज्य का दर्जा दिया करबी और दिमसा समुदायों को जिला परिषद् के अन्तर्गत स्वायत्तता दी गई तथा बोड़ो जनजाति को स्वायत्त परिषद् का दर्जा दिया गया।

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प्रश्न 45.
मास्टर तारा सिंह का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
मास्टर तारा सिंह: मास्टर तारा सिंह 1885 में जन्मे। वे युवा अवस्था में ही प्रमुख सिख धार्मिक एवं राजनैतिक नेता के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त कर सके। वे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्ध कमेटी (एस.पी.डी.) के शुरुआती नेताओं में से एक थे। उन्हें इतिहास में अकाली आन्दोलन के सबसे महान नेता के रूप में याद किया जाता है। वे देश की स्वतन्त्रता आन्दोलन के समर्थक, ब्रिटिश सत्ता के विरोधी थे लेकिन उन्होंने केवल मुसलमानों के साथ समझौते की कांग्रेस
नीति का डटकर विरोध किया। वे देश की आजादी के बाद अलग पंजाबी राज्य के निर्माण के समर्थक रहे। 1967 में उनका निधन हो गया।

प्रश्न 46.
कश्मीर का भारत में विलय किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
अक्टूबर 1947 में, पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जा करने के लिए अपनी तरफ से कबायली घुसपैठिए भेजे। इसने महाराजा को भारतीय सैनिक सहायता लेने के लिए बाध्य किया। भारत ने सैनिक सहायता दी और कश्मीर घाटी से. घुसपैठियों को वापस खदेड़ दिया, परंतु भारत ने सहायता देने से पहले महाराजा से विलय प्रपत्र पर हस्ताक्षर करवा लिये। इस प्रकार कश्मीर का भारत में विलय हुआ।

प्रश्न 47.
भारत सरकार ने सन् 2000 में कौनसे तीन नये राज्यों का गठन किया? इनके गठन का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए। नये राज्यों के निर्माण के दो उद्देश्य बताइये|
अथवा
उत्तर:
नये राज्यों के निर्माण के उद्देश्य: भारत सरकार ने सन् 2000 में उत्तरांचल (उत्तराखण्ड), झारखण्ड और छत्तीसगढ़ नामक तीन नये राज्यों का गठन किया। इन राज्यों के गठन के प्रमुख उद्देश्य निम्न हैं।
1. ऐतिहासिक कारण: स्वतन्त्र भारत में विभिन्न देशी रियासतों और प्रान्तों को मिलाकर राज्यों का पुनर्गठन किया गया था। लेकिन कुछ रियासतों को यह महसूस होता था कि यदि उनका पृथक् अस्तित्व रहता तो वे न केवल अपनी मौलिक संस्कृति तथा क्षेत्रीय विशिष्टता को बनाये रखते बल्कि सीमित क्षेत्र होने के कारण उनका विकास भी बेहतर और तीव्र गति से सम्भव हो पाता।

2. राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाएँ: स्थानीय नेताओं और राजनीतिक दलों ने अपनी राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए जनता को उज्ज्वल भविष्य के नाम पर पृथक् राज्य निर्माण के लिए भड़काया।

प्रश्न 48.
भारत में सिक्किम का विलय किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
भारत में सिक्किम का विलय: स्वतंत्रता के समय सिक्किम भारत का अंग तो नहीं था लेकिन उसकी रक्षा और विदेशी मामलों का जिम्मा भारत सरकार का था और वहाँ के आंतरिक प्रशासन की बागडोर यहाँ के राजा चोग्याल के हाथों में थीं। लेकिन सिक्किम के राजा स्थानीय जनता की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को संभाल नहीं सके। वहाँ की नेपाली मूल की जनता में यह भाव घर कर गया कि चोग्याल अल्पसंख्यक लेवचा भूटिया के छोटे से अभिजन तबके का शासन उन पर लाद रहा है। 1975 में अप्रैल में भारत के साथ सिक्किम के पूर्ण विलय का एक प्रस्ताव सिक्किम विधानसभा ने पारित किया। इस प्रस्ताव के बाद सिक्किम में जनमत संग्रह कराया गया जिसमें जनता ने प्रस्ताव के पक्ष में मुहर लगा दी। भारत सरकार ने सिक्किम विधानसभा के अनुरोध को तुरन्त मान लिया तथा सिक्किम भारत का 22वाँ राज्य बन गया।

प्रश्न 49.
भारत में मणिपुर के विलय को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में मणिपुर का विलय: वर्तमान में पूर्वोत्तर क्षेत्र में सात राज्य हैं। असम, मेघालय, मिजोरम, नगालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और मणिपुर। इन सात राज्यों को ‘सात बहनें’ कहा जाता है। 1947 के भारत विभाजन से पूर्वोत्तर के इलाके भारत के शेष भागों से एकदम अलग-थलग पड़ गये। अलग-थलग पड़ जाने के कारण इस इलाके में विकास नहीं हो सका। स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय मणिपुर भी ब्रिटिश शासन के अधीन था। 15 अक्टूबर, 1949 को भारतीय संघ में भाग ‘ग’ के राज्य के रूप में शामिल हुआ। इसके बाद 1963 में केन्द्र शासित प्रदेश अधिनियम के अन्तर्गत विधानसभा गठित की गयी। 21 जनवरी, 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया।

प्रश्न 50.
संत हरचंद सिंह लोंगोवाल का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
हरचंद सिंह का जन्म 1932 में हुआ था। ये सिखों के धार्मिक एवं राजनीतिक नेता थे। इन्होंने छठे दशक के दौरान राजनीतिक जीवन की शुरुआत अकाली नेता के रूप में की। 1980 में अकाली दल के अध्यक्ष बने। इन्होंने अकालियों की प्रमुख माँगों को लेकर प्रधानमंत्री राजीव गाँधी से समझौता किया। 1985 में एक अज्ञात युवक ने इनकी हत्या कर दी।

प्रश्न 51.
अंगमी जापू फिजो कौन थे? संक्षेप में परिचय दीजिए।
उत्तर:
अंगमी जापू फिजो का जन्म 1904 में हुआ था। वे पूर्वोत्तर भारत में नागालैंड की आजादी के आंदोलन के नेता के रूप में प्रसिद्ध हुए। वे नागा नेशनल काउंसिल के अध्यक्ष बने। उन्होंने नागालैंड को भारत से अलग देश बनाने के लिए भारत सरकार के विरुद्ध अनेक वर्षों तक सशस्त्र संघर्ष चलाया। वे भूमिगत हो गए और पाकिस्तान में शरण ली अपने जीवन के अंतिम तीन वर्ष ब्रिटेन में गुजारें। 1990 में इनका निधन हो गया।

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प्रश्न 52.
1990 के दशक के मध्यवर्ती वर्षों में पंजाब में किस प्रकार शांति आई? इसके अच्छे परिणाम क्या थे?
उत्तर:
यद्यपि 1992 में पंजाब राज्य में आम चुनाव हुए लेकिन गुस्से में आई जनता ने मतदान में सहयोग नहीं दिया। महज 24 फीसदी मतदाता वोट डालने आए। हालाँकि उग्रवाद को सुरक्षा बलों ने दबा दिया था परंतु पंजाब के लोगों ने, चाहे वे सिख हों या हिन्दू, इस क्रम में अनेक कष्ट और यातनाएँ सहीं। 1990 के दशक के मध्यवर्ती वर्षों में पंजाब में शांति बहाल हुई। इसके पश्चात् 1997 में अकाली दल और भाजपा के गठबंधन को बड़ी विजय मिली। उग्रवाद के खात्मे के बाद के दौर में यह पंजाब का पहला चुनाव था। राज्य में एक बार फिर आर्थिक विकास और सामाजिक परिवर्तन के सवाल प्रमुख हो उठे। हालांकि धार्मिक पहचान यहाँ की जनता के लिए लगातार प्रमुख बनी हुई है लेकिन राजनीति अब धर्मनिरपेक्षता की राह पर चल पड़ी है।

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सिक्किम का भारत में विलय किस प्रकार हुआ? विस्तार में लिखिए।
उत्तर:
आजादी के समय सिक्किम को भारत की ‘शरणागति’ प्राप्त थी। इसका मतलब यह था कि सिक्किम भारत का अंग नहीं था लेकिन वह पूरी तरह संप्रभु राष्ट्र भी नहीं था। सिक्किम की रक्षा और विदेशी मामलों का जिम्मा भारत सरकार का था जबकि सिक्किम के आंतरिक प्रशासन की बागडोर यहाँ के राजा चोग्याल के हाथों में थी। यह व्यवस्था टिक नहीं पायी क्योंकि सिक्किम के राजा स्थानीय जनता की लोकतांत्रिक आकांक्षाओं को संभाल नहीं सके। यहाँ की आबादी में एक बड़ा हिस्सा नेपालियों का था। नेपाल मूल की जनता के मन में यह भाव घर कर गया कि चोग्याल अल्पसंख्यक लेपचा-भूटिया के एक छोटे से अभिजन तबके का शासन उन पर लाद रहा है। चोग्याल विरोधी दोनों समुदायों के नेताओं ने भारत सरकार से मदद माँगी और भारत सरकार का समर्थन हासिल किया।

सिक्किम विधानसभा के लिए पहला लोकतांत्रिक चुनाव 1974 में हुआ और इसमें सिक्किम काँग्रेस को जीत मिली। यह पार्टी भारत में सिक्किम विलय की पक्षधर थी। सिक्किम विधानसभा ने पहले भारत के सह-प्रान्त बनने की कोशिश की और 1975 के अप्रैल में एक प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव में भारत के साथ सिक्किम विलय की बात कही गई थी। इसके बाद तुरंत सिक्किम में जनमत-संग्रह कराया गया और जनमत संग्रह में जनता ने विधानसभा के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी। भारत सरकार ने सिक्किम विधानसभा की बात तुरंत मान ली और इस प्रकार सिक्किम, भारत का 22वाँ राज्य बना।

प्रश्न 2.
भारत में नए राज्यों के निर्माण सम्बन्धी दृष्टिकोण का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में नए राज्यों के निर्माण सम्बन्धी दृष्टिकोण भारत में नए राज्यों के निर्माण की माँग के प्रमुख कारण व दृष्टिकोण निम्नलिखित हैं।
1. आर्थिक असन्तुलन एवं विषमताएँ: स्वतन्त्रता के पश्चात् देश की विकास योजनाओं तथा कार्यक्रमों का लाभ सभी राज्यों को समान रूप से नहीं मिल पाया। परिणामस्वरूप क्षेत्र आर्थिक रूप से पिछड़ गये। उन्होंने नए राज्यों की माँग प्रारम्भ कर दी। विदर्भ, तेलंगाना, उत्तराखण्ड आदि राज्य इसी के अन्तर्गत आते हैं।

2. भाषायी और सांस्कृतिक कारण: भारत भाषायी तथा सांस्कृतिक विविधता वाला देश है। अतः स्वतन्त्रता के बाद इसी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की माँग उठने लगी और इसी आधार पर आंध्रप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा. आदि राज्यों का गठन हुआ।

3. ऐतिहासिक कारण: स्वतन्त्र भारत में किसी राज्य में विलीन हुई कुछ रियासतों को यह महसूस होता था कि उनका अलग अस्तित्व रहता तो वे अपनी मौलिक संस्कृति और क्षेत्रीय विशिष्टता को बनाये रखतीं।

4. राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाएँ: कुछ स्थानीय नेताओं तथा राजनीतिक दलों ने अपनी महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए स्थानीय जनता को पृथक् राज्य निर्माण के लिए भड़काया। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, नगा राष्ट्रीय मोर्चा, गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट इसी श्रेणी में आते हैं।

5. विशिष्ट क्षेत्रीय मुद्दे: उत्तराखण्ड राज्य की माँग पहाड़ी क्षेत्र के विकास के सन्दर्भ में तथा झारखण्ड और छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण की माँग आदिवासी बहुल क्षेत्र के विकास के सन्दर्भ में उठी।

प्रश्न 3.
पुर्तगाल से गोवा मुक्ति का संक्षेप में विवरण दीजिए।
अथवा
गोवा का भारत में विलय किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
1974 में भारत में अंग्रेजी साम्राज्य का खात्मा हो गया था लेकिन पुर्तगाल ने गोवा, दमन और दीव से अपना शासन हटाने से इनकार कर दिया। यह क्षेत्र सोलहवीं सदी से ही औपनिवेशिक शासन में था। अपने लंबे शासनकाल में पुर्तगाल ने गोवा की जनता का दमन किया था। उसने यहाँ के लोगों को नागरिक के अधिकार से वंचित रखा और जबरदस्ती धर्म-परिवर्तन कराया। आजादी के बाद भारत सरकार ने बड़े धैर्यपूर्वक पुर्तगाल को गोवा से शासन हटाने के लिए रजामंद करने का प्रयत्न किया। गोवा में आजादी के लिए मजबूत जन आंदोलन चला। इस आंदोलन को महाराष्ट्र के समाजवादी सत्याग्रहियों का साथ मिला।

दिसंबर, 1961 में भारत सरकार ने गोवा में अपनी सेना भेज दी। दो दिन की कार्यवाही में भारतीय सेना ने गोवा मुक्त करा लिया। जल्दी ही एक और समस्या उठ खड़ी हुई। महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के नेतृत्व में एक तबके ने माँग रखी कि गोवा को महाराष्ट्र में मिला दिया जाए क्योंकि यह मराठी भाषी क्षेत्र है। परंतु बहुत से गोवावासी गोवानी पहचान और संस्कृति की स्वतंत्र अहमियत बनाए रखना चाहते थे। कोंकणी भाषा के लिए भी इनके मन में आग्रह था। इस तबके का नेतृत्व यूनाइटेड गोअन पार्टी ने किया। 1967 के जनवरी में केन्द्र सरकार ने गोवा में एक विशेष जनमत सर्वेक्षण कराया। अधिकतर लोगों ने महाराष्ट्र से अलग रहने के पक्ष में मत डाला। इस तरह गोवा संघ शासित प्रदेश बना रहा। अंततः 1987 में गोवा भारत संघ का एक राज्य बना।

प्रश्न 4.
संक्षेप में स्वतंत्र भारत के समक्ष 1947 से 1991 के मध्य तनाव के दायरे के नामों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
तनाव के दायरे निम्नलिखित हैं।

  1. आजादी के तुरंत बाद ही हमारे देश को विभाजन, विस्थापन, देसी रियासतों के विलय और राज्यों के पुनर्गठन जैसे कठिन मसलों का सामना करना पड़ा। देश और विदेश के अनेक पर्यवेक्षकों का अनुमान था कि भारत एकीकृत राष्ट्र के रूप में ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाएगा।
  2. आजादी के तुरंत बाद जम्मू-कश्मीर का मसला सामने आया। यह मद्दा सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष का नहीं था। कश्मीर घाटी के लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं का सवाल भी इससे जुड़ा हुआ था।
  3. पूर्वोत्तर के कुछ भागों में भारत का अंग होने के मसले पर सहमति नहीं थी। पहले नागालैंड में और फिर मिजोरम में भारत से अलग होने की माँग उठी । दक्षिण भारत में भी द्रविड़ आंदोलन से जुड़े कुछ समूहों ने अलग राष्ट्र की बात उठायी थी।
  4. अलगाव के इन आंदोलनों के अतिरिक्त देश में भाषा के आधार पर राज्यों के गठन की मांग करते हुए जन आंदोलन चले। मौजूदा आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात ऐसे ही आंदोलनों वाले राज्य हैं। दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों खासकर तमिलनाडु में हिन्दी को राजभाषा बनाने के खिलाफ विरोध आंदोलन चला।
  5. 1950 के दशक के उत्तरार्द्ध से पंजाबी भाषी लोगों ने अलग राज्य बनाने की आवाज उठानी शुरू कर दी। उनकी माँग आखिरकार मान ली गई और 1966 में पंजाब और हरियाणा नाम से राज्य बनाए गए। बाद में छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड का गठन हुआ। विविधता की चुनौती से निपटने के लिए देश की अंदरूनी सीमा रेखाओं का पुनर्निर्धारण किया गया।

JAC Class 12 Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 5.
भारत के उत्तर पूर्वी भाग में बढ़ती राजनीतिक हिंसा की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में बढ़ती राजनीतिक हिंसा: भारत के उत्तर-1 – पूर्वी भाग में बढ़ती राजनीतिक हिंसा के मूल में निम्नलिखित तीन मुद्दे प्रमुख रहे हैं। यथा
1. स्वायत्तता की माँग:
स्वतंत्रता के समय मणिपुर और त्रिपुरा को छोड़कर पूर्वोत्तर का सारा हिस्सा असम कहलाता था। इस क्षेत्र के गैर- असमी लोगों को जब लगा कि असम की सरकार उन पर असमी भाषा थोप रही है तो इस इलाके से राजनीतिक स्वायत्तता की माँग उठी। 1970 के दशक में पूरे राज्य में असमी भाषा लादने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और दंगे हुए। इन्होंने ‘आल पार्टी हिल्स कांफ्रेंस’ का गठन किया और माँग की कि असम से अलग एक जनजातीय राज्य बनाया जाये। संजीव पास बुक्स अन्ततः केन्द्र सरकार ने असम को बाँटकर मेघालय, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश बनाया तथा त्रिपुरा और मणिपुर को भी राज्य का दर्जा दिया गया।

2. अलगाववादी आंदोलन:
पूर्वोत्तर के कुछ समूहों ने सिद्धान्तगत तैयारी के साथ अलग देश बनाने की माँग भी की। 1966 में लालडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट ने आजादी की माँग करते हुए सशस्त्र अभियान शुरू किया और भारतीय सेना और मिजो विद्रोहियों के बीच दो दशक तक लड़ाई चली। अन्ततः 1986 में राजीव गाँधी और लालडेंगा के बीच शांति समझौता हुआ।

3. बाहरी लोगों के खिलाफ आंदोलन:
बांग्लादेश से बहुत सी मुस्लिम आबादी असम में आकर बसी। इससे असमी लोगों के मन में यह भावना घर कर गई कि इन विदेशी लोगों को पहचान कर उन्हें अपने देश नहीं भेजा गया तो स्थानीय जनता अल्पसंख्यक हो जायेगी।
1979 में ‘आसू’ नामक छात्र संगठन ने विदेशियों के विरोध में एक आंदोलन चलाया जिसे पूरे असम का समर्थन मिला। आंदोलन के दौरान हिंसक और त्रासद घटनाएँ भी हुईं। अन्ततः 1985 में सरकार के साथ एक समझौता हुआ और हिंसक आन्दोलन समाप्त हुआ।

प्रश्न 6.
जम्मू-कश्मीर की 1948 से 1986 के मध्य राजनीति से जुड़ी प्रमुख घटनाओं का विवरण लिखिए।
उत्तर:

  1. जम्मू-कश्मीर में 1948 के उपरांत तथा 1952 तक की राजनीति: प्रधानमंत्री बनने के बाद, शेख अब्दुल्ला ने भूमि सुधार और अन्य नीतियाँ शुरू कीं जिनसे सामान्य जन को लाभ पहुँचा। हालाँकि कश्मीर के दर्जे पर उनकी स्थिति के विषय में उनके और केन्द्र सरकार के बीच मतभेद बढ़ता गया।
  2. शेख अब्दुल्ला की बर्खास्तगी एवं चुनाव: 1953 में शेख अब्दुल्ला को बर्खास्त कर दिया गया और कई वर्षों तक कैद रखा गया। शेख अब्दुल्ला के बाद जो नेता सत्तासीन हुए उनको उतना लोकप्रिय समर्थन नहीं मिला और वह राज्य में शासन नहीं चला पाए जिसका मुख्य कारण केन्द्र का समर्थन था। विभिन्न चुनावों में अनाचार और हेरफेर संबंधी गंभीर आरोप थे।
  3. जम्मू-कश्मीर में 1953 से 1977 तक की राजनीतिक घटनाएँ
    • 1953 से 1974 के बीच की अवधध में कांग्रेस पार्टी मे राज्य की नीतियों पर प्रभाव डाला। विभाजित हो चुकी नेशनल कांफ्रेंस काँग्रेस के समर्थन से राज्य में कुछ समय तक सत्तासीन रही लेकिन बाद में वह काँग्रेस में मिल गई। इस तरह राज्य की सत्ता सीधे काँग्रेस के नियंत्रण में आ गई। इसी बीच शेख अब्दुल्ला और भारत सरकार के बीच समझौते की कोशिश जारी रही।
    • 1965 में जम्मू और कश्मीर के संविधान में परिवर्तन करके राज्य के प्रधानमंत्री का पदनाम बदलकर मुख्यमंत्री कर दिया गया। इसके अनुसार, भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के गुलाम मोहम्मद सादिक राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने।
    • 1974 में इंदिरा गाँधी का शेख अब्दुल्ला के साथ समझौता हुआ और वे राज्य के मुख्यमंत्री बन गए। उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस को फिर से खड़ा किया और 1977 के विधानसभा चुनाव में बहुमत से जीत हासिल की।
  4. जम्मू-कश्मीर फारूख अब्दुल्ला के प्रथम कार्यकाल में (1982-1986): सन् 1982 में शेख अब्दुल्ला की मृत्यु के पश्चात् नेशनल कांफ्रेंस के नेतृत्व की कमान उनके पुत्र फारूख अब्दुल्ला ने संभाली और मुख्यमंत्री बने। परंतु कुछ ही समय बाद उन्हें पदच्युत कर दिया गया और नेशनल कांफ्रेंस से अलग हुआ एक गुट अल्प अवधि के लिए सत्ता में आया । केन्द्र सरकार के हस्तक्षेप से फारूख अब्दुल्ला की सरकार को हटाने पर कश्मीर में नाराजगी की भावना पैदा हुई। 1986 में नेशनल कांफ्रेंस ने केन्द्र में सत्तासीन पार्टी के साथ चुनावी गठबंधन किया।

प्रश्न 7.
भारत के कुछ भागों में व्याप्त अलगाववादी आंदोलन से हम क्या सबक सीख सकते हैं?
उत्तर:
1980 के बाद के दौर में भारत के कुछ भागों में व्याप्त अलगाववादी आन्दोलन से हम अग्रलिखित सबक सीख सकते हैं।

  1. क्षेत्रीय आकांक्षाएँ लोकतांत्रिक राजनीति का अभिन्न अंग हैं। क्षेत्रीय आकांक्षाएँ लोकतांत्रिक राजनीति का अभिन्न अंग हैं। अतः भारत को क्षेत्रीय आकांक्षाओं से निपटने की तैयारी लगातार रखनी होगी।
  2. क्षेत्रीय आकांक्षाओं के लिए लोकतांत्रिक बातचीत का रास्ता ही उचित है – क्षेत्रीय आकांक्षाओं को दबाने की जगह उनके साथ लोकतांत्रिक बातचीत का तरीका अपनाना सबसे अच्छा होता है। उदाहरण के लिए पंजाब के उग्रवाद, पूर्वोत्तर के अलगाववादी आन्दोलन तथा कश्मीर समस्या पर बातचीत के जरिये सरकार ने क्षेत्रीय आंदोलनों के साथ समझौता किया। इससे सौहार्द का माहौल बना और कई क्षेत्रों में तनाव कम हुआ।
  3. साझेदारी के महत्त्व को समझना: केवल लोकतांत्रिक ढाँचा खड़ा कर लेना ही पर्याप्त नहीं है। इसके साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के दलों और समूहों को केन्द्रीय राजव्यवस्था में हिस्सेदारी बनाना भी जरूरी है। यदि राष्ट्रीय स्तर के निर्णयों में क्षेत्रों को वजन नहीं दिया गया तो उनमें अन्याय और अलगाव का बोध पनपेगा।
  4. आर्थिक विकास की प्रक्रिया में पिछड़ेपन को प्राथमिकता दें: भारत में आर्थिक विकास की प्रक्रिया का एक तथ्य क्षेत्रीय असंतुलन भी है। ऐसे में पिछड़े इलाकों को लगता है कि उनके साथ भेदभाव हो रहा है। ऐसी स्थिति में यह प्रयास किया जाना चाहिए कि पिछड़े इलाकों को लगे कि उनके पिछड़ेपन को प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जा रहा है।

प्रश्न 8.
उत्तर-पूर्वी राज्यों की चुनौतियों एवं उसकी अनुक्रियाओं पर एक नोट लिखिए।
उत्तर:
उत्तर-पूर्वी राज्यों की चुनौतियाँ भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र सात राज्यों (असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नगालैण्ड, मिजोरम एवं त्रिपुरा) से मिलकर बनता है। इन सात राज्यों को सात बहनें भी कहकर पुकारा जाता है। इन राज्यों की चुनौतियों तथा उनकी अनुक्रियाओं को निम्न प्रकार वर्णित किया गया है।

  1. नगालैण्ड: नगालैण्ड की जनसंख्या लगभग 20 लाख है। नगालैण्ड में अनेक जातियाँ एवं कबीले पाये जाते हैं। इसमें यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट, नंगा नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी तथा नगा नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल जैसे राजनीतिक दल पाये जाते हैं। ये दल अलगाववादियों से सम्बन्धित हैं।
  2. मिजोरम: मिजोरम राज्य की जनसंख्या लगभग 10 लाख है। मिजोरम के मुख्य क्षेत्रीय दल पीपुल्स कान्फ्रेंस तथा मिजो यूनियन पार्टी, मिजोरम में एक अलगाववादी संगठन मिजो नेशनल फ्रंट भी है, जो हिंसक कार्यवाहियों में संलग्न रहता है।
  3. त्रिपुरा: त्रिपुरा की जनसंख्या लगभग 32 लाख है। त्रिपुरा में चार जिले हैं। यहाँ पर छोटे-छोटे क्षेत्रीय राजनीतिक दल हैं। इनमें त्रिपुरा उपजाति युवा समिति तथा त्रिपुरा जन मुक्ति संगठन सेना प्रमुख हैं।
  4. मणिपुर: मणिपुर की जनसंख्या लगभग 32 लाख है। इसमें मणिपुर हिल यूनियन, कूरी नेशनल एसेम्बली तथा मणिपुर जन मुक्ति सेना जैसे क्षेत्रीय दल हैं। अन्तिम दल अलगाववादी दल है।
  5. मेघालय: मेघालय की जनसंख्या लगभग 24 लाख है। मेघालय के कुछ क्षेत्रीय दल ऑल पार्टी हिल लीडर्स कान्फ्रेंस तथा हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी हैं।
  6. असम: असम की जनसंख्या 2 करोड़ 70 लाख से भी अधिक है। असम में उल्फा नामक एक उग्रवादी एवं अलगाववादी संगठन पाया जाता है।

प्रश्न 9.
द्रविड़ आन्दोलन पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
द्रविड़ आन्दोलन: द्रविड़ आन्दोलन भारत के क्षेत्रीय आन्दोलनों में एक शक्तिशाली आन्दोलन था। देश की राजनीति में यह आन्दोलन क्षेत्रीय भावनाओं की सर्वप्रथम और सबसे प्रबल अभिव्यक्ति था। द्रविड़ आन्दोलन को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत समझा जा सकता

  1. आन्दोलन का स्वरूप: सर्वप्रथम इस आन्दोलन के नेतृत्व में एक हिस्से की आकांक्षा एक स्वतन्त्र द्रविड़ राज्य बनाने की थी, परन्तु आन्दोलन ने कभी सशस्त्र संघर्ष का मार्ग नहीं अपनाया। अन्य दक्षिणी राज्यों का समर्थन न मिलने के कारण यह आन्दोलन तमिलनाडु तक ही सीमित रहा।
  2. नेतृत्व के साधन: द्रविड़ आन्दोलन का नेतृत्व तमिल सुधारक नेता ई. वी. रामास्वामी नायकर के हाथों में था।
  3. आन्दोलन का संगठन: द्रविड़ आन्दोलन की प्रक्रिया से एक राजनैतिक संगठन द्रविड़ कषगम का सूत्रपात हुआ। यह संगठन ब्राह्मणों के वर्चस्व की खिलाफत (विरोध) करता था। उत्तरी भारत के राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक प्रभुत्व को नकारते हुए क्षेत्रीय गौरव की प्रतिष्ठा पर जोर देता था।
  4. डी. एम. के. की सफलताएँ: 1965 के हिन्दी विरोधी आन्दोलन की सफलता ने डी.एम. के. को जनता के बीच और भी लोकप्रिय बना दिया। 1967 के विधानसभा चुनावों में उसे सफलता मिली।
  5. डी.एम.के. का विभाजन एवं कालान्तर की राजनीतिक घटनाएँ: सी. अन्नादुरै की मृत्यु के बाद डी.एम.के. दल के दो टुकड़े हो गये। इसमें एक दल मूल नाम डी.एम. के. को लेकर आगे चला जबकि दूसरा दल खुद को ऑल इण्डिया अन्नाद्रमुक कहने लगा। तमिलनाडु की राजनीति में ये दोनों दल चार दशकों से दबदबा बनाए हुए हैं।

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प्रश्न 10.
भारतीय राजनीति में अलगाववादी आंदोलन का वर्णन कीजिये। भारतीय राजनीति में अलगाववादी आंदोलन
उत्तर:
भारतीय राजनीति में अलगाववादी आन्दोलन का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है।
1. अलगाववाद से आशय: अलगाववाद से अभिप्राय एक राज्य से कुछ क्षेत्र को अलग करके स्वतंत्र राज्य की स्थापना की माँग है अर्थात् सम्पूर्ण इकाई से अलग अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाए रखने की माँग अलगाववाद है। अलगाववाद का उदय उस समय होता है, जब क्षेत्रवाद की भावना उग्र रूप धारण कर लेती है।

2. भारत में हुए प्रमुख अलगाववादी आंदोलन: भारत में प्रमुख अलगाववादी आंदोलन निम्नलिखित रहे

  • जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन: स्वतंत्रता के तुरन्त बाद जम्मू-कश्मीर का मामला सामने आया। यह सिर्फ भारत – पाकिस्तान के मध्य संघर्ष का मामला नहीं था। कश्मीर घाटी के लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं का सवाल भी इससे जुड़ा हुआ था। 1989 में जम्मू-कश्मीर में पुनः अलगाववादी राजनीति ने सिर उठाया। अलगाववादियों का एक वर्ग कश्मीर को अलग राष्ट्र बनाना चाहता था जो न तो भारत का हिस्सा हो और न पाक का। केन्द्र ने विभिन्न अलगाववादी समूहों से बातचीत शुरू कर दी है। अलग राष्ट्र की माँग की जगह अब अलगाववादी समूह अपनी बातचीत में भारत संघ के साथ कश्मीर के रिश्ते को पुनर्परिभाषित करने पर जोर दे रहे हैं।
  • पूर्वोत्तर में अलगाववादी आंदोलन: पूर्वोत्तर के कुछ भागों में भारत का अंग होने के मुद्दे पर सहमति नहीं थी। पहले नागालैंड में और फिर मिजोरम में भारत से अलग होने की माँग करते हुए जोरदार आंदोलन चले। भारत के पूर्वोत्तर के राज्य असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा में इस प्रकार की मागें उठती रहती हैं।
  • द्रविड़ आंदोलन: दक्षिण भारत में द्रविड़ आंदोलन से जुड़े कुछ समूहों ने एक समय अलग राष्ट्र की बात उठायी थी। लेकिन कुछ समय बाद ही दक्षिणी राज्यों का यह आंदोलन समाप्त हो गया ।

3. लगाववादी आंदोलन के कारण: भारतीय राजनीति में अलगाववादी आंदोलन के प्रमुख कारण निम्नलिखित

  • राजनीतिक कारण: भारतीय राजनीति में अलगाववादी भावना को भड़काने में राजनीतिक दलों की संकीर्ण मनोवृत्ति प्रमुख कारण रही है। पूर्वोत्तर के अलगाववादी आंदोलन के पीछे उनकी क्षेत्रीय आकांक्षा रही है।
  • आर्थिक पिछड़ापन: असमान आर्थिक विकास और पिछड़ापन भी अलगाववाद को बढ़ावा देता है। पिछड़े क्षेत्रों में पृथकतावाद की भावना जन्म लेती है।

4. भारतीय राजनीति में अलगाववादी आंदोलन में सबक- भारतीय राजनीति को अलगाववादी आंदोलनों से निम्न शिक्षाएँ मिली हैं।

  • क्षेत्रीय आकांक्षाएँ लोकतांत्रिक राजनीति का अभिन्न अंग हैं। भारत सरकार को इनसे निपटने की तैयारी लगातार रखनी होगी।
  • क्षेत्रीय आकांक्षाओं के लिए लोकतांत्रिक बातचीत का रास्ता ही उचित है।
  • विभिन्न क्षेत्रीय दलों को केन्द्रीय राजनीति का हिस्सा बनाना भी आवश्यक है।
  • आर्थिक विकास में पिछड़े राज्यों को प्राथमिकता दी जाये।

प्रश्न 11.
जम्मू और कश्मीर में 2002 और इससे आगे की राजनीति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:

  1. 2002 में जम्मू और कश्मीर राज्य में चुनाव हुए जिसमें नेशनल कांफ्रेंस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और कॉंग्रेस की मिली-जुली सरकार आ गई। मुफ्ती मोहम्मद पहले तीन वर्ष सरकार के मुखिया बनें और बाद में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के गुलामनबी आजाद मुखिया बने। परंतु 2008 में राष्ट्रपति शासन लगने के कारण वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए।
  2. अगला चुनाव नवंबर: दिसंबर के 2008 में हुआ। एक और मिली-जुली सरकार 2009 में उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में सत्ता में आई। परन्तु, राज्य को लगातार हुर्रियत कॉन्फ्रेंस द्वारा पैदा की गई गड़बड़ियों का सामना करना पड़ा।
  3. 2014 में, राज्य में फिर चुनाव हुए, जिसमें पिछले 25 वर्षों में सबसे अधिक मतदान हुआ। परिणामस्वरूप पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन वाली सरकार सत्ता में आई। मुफ्ती मोहम्मद सईद के बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती
    अप्रैल, 2016 में राज्य की प्रथम महिला मुख्यमंत्री बनी। महबूबा मुफ्ती के कार्यकाल में बाहरी और भीतरी तनाव बढ़ाने वाली बड़ी आतंकवादी घटनाएँ हुईं।
  4. जून, 2018 में बीजेपी द्वारा मुफ्ती सरकार को दिया समर्थन वापस लेने पर वहाँ राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। 5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 द्वारा अनुच्छेद 370 समाप्त कर दिया और राज्य को पुनर्गठित कर दो केन्द्र शासित प्रदेश – जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख बना दिए गए।

प्रश्न 12.
1980 के बाद के दौर में भारत की राजनीति तनावों के घेरे में रही और समाज के विभिन्न तबकों की माँगों में पटरी बैठा पाने की लोकतांत्रिक राजनीति की क्षमता की परीक्षा हुई। इन उदाहरणों से क्या सबक मिलता है?
उत्तर:

  1. पहला और बुनियादी सबक यह है कि क्षेत्रीय आकांक्षाएँ लोकतांत्रिक राजनीति का अभिन्न अंग हैं। क्षेत्रीय मुद्दे की अभिव्यक्ति कोई असामान्य अथवा लोकतांत्रिक राजनीति के व्याकरण से बाहर की घटना नहीं है। भारत एक बड़ा लोकतंत्र है और यहां विभिन्नताएँ भी बड़े पैमाने पर हैं। अतः भारत को क्षेत्रीय आकांक्षाओं से निपटने की तैयारी लगातार रखनी होगी।
  2. दूसरा सबक यह है कि क्षेत्रीय आकांक्षाओं को दबाने की जगह उनके साथ लोकतांत्रिक बातचीत का तरीका अपनाना सबसे अच्छा होता है।
  3. तीसरा सबक है सत्ता की साझेदारी के महत्त्व को समझना। सिर्फ लोकतांत्रिक ढाँचा खड़ा कर लेना ही काफी नहीं होता बल्कि इसके साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के दलों और समूहों को केन्द्रीय राजव्यवस्था में हिस्सेदार बनाना भी जरूरी है।
  4. चौथा सबक यह है कि आर्थिक विकास के ऐतबार से विभिन्न इलाकों के बीच असमानता हुई तो पिछड़े क्षेत्रों को लगेगा कि उनके साथ भेदभाव हो रहा है। भारत में आर्थिक विकास प्रक्रिया का एक तथ्य क्षेत्रीय असंतुलन भी है। ऐसे में स्वाभाविक है कि पिछड़े प्रदेशों अथवा कुछ प्रदेशों के पिछड़े इलाकों को लगे कि उनके पिछड़ेपन को प्राथमिकता के आधार पर दूर किया जाना चाहिए।
  5. सबसे आखिरी और महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इन मामलों से हमें अपने संविधान निर्माताओं की दूरदृष्टि का पता चलता है। वे विभिन्नताओं को लेकर अत्यंत सजग थे। हमारे संविधान के प्रावधान इस बात के साक्ष्य हैं। संविधान की छठी अनुसूची में विभिन्न जनजातियों को अपने आचार-व्यवहार और पारंपरिक नियमों को संरक्षित रखने की पूर्ण स्वायत्तता दी गई है। पूर्वोत्तर की कुछ जटिल राजनीतिक समस्याओं को सुलझाने में ये प्रावधान बड़े निर्णायक साबित हुए।

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