Jharkhand Board JAC Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 आदमी नामा Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 9 Hindi Solutions Sparsh Chapter 11 आदमी नामा
JAC Class 9 Hindi आदमी नामा Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के किन-किन रूपों का बखान करती है? क्रम से लिखिए।
(ख) चारों छंदों में कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों को परस्पर किन-किन रूपों में रखा है ? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
(ग) ‘आदमी नामा’ शीर्षक कविता के इन अंशों को पढ़कर आपके मन में मनुष्य के प्रति क्या धारणा बनती है ?
(घ) इस कविता का कौन-सा भाग आपको अच्छा लगा और क्यों ?
(ङ) आदमी की प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
(लघु उत्तरीय प्रश्न) (लघु उत्तरीय प्रश्न)
(निबंधात्मक प्रश्न)
उत्तर :
(क) पहले छंद में कवि ने आदमी को बादशाह, गरीब, भिखारी, दौलतमंद, कमजोर, स्वादिष्ट भोजन खाने वाले तथा सूखे टुकड़े चबाने वाले के रूप में चित्रित किया है।
(ख) इस कविता में कवि ने आदमी के सकारात्मक रूप को एक बादशाह, दौलतमंद, स्वादिष्ट भोजन खाने वाले, मसजिद बनाने वाले, धर्मगुरु बनने वाले, कुरान शरीफ़ और नमाज़ पढ़ने वाले, दूसरों के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले, शासन करने वाले, सज्जन, राजा, मंत्री, सबके दिलों को लुभाने वाले कार्य करने वाले, शिष्य, गुरु और अच्छे कार्य करने वाले के रूप में चित्रित किया है। कवि ने आदमी के नकारात्मक रूप को गरीब, भिखारी, कमजोर, सूखे टुकड़े चबाने वाले, मसजिद से जूते चुराने वाले, लोगों को तलवार से मारने वाले, दूसरों का अपमान करने वाले, सेवक के कार्य करने वाले, नीच और बुरे व्यक्ति के रूप में चित्रित किया है।
(ग) ‘आदमी नामा’ कविता पढ़कर हमें यह ज्ञात होता है कि इस संसार में मनुष्य से अच्छा और मनुष्य से बुरा दूसरा कोई नहीं है। मनुष्य ही राजा के समान महान और मनुष्य ही दीन-हीन भिखारी है। शक्तिशाली भी मनुष्य है और कमजोर भी वही है। मनुष्य धार्मिक और चोर है, तो मनुष्य ही किसी को बचाता और मारता भी है। शासक भी वही है और शासित भी वही है। सज्जन से लेकर नीच और राजा से लेकर मंत्री तक मनुष्य ही होता है। इसलिए मनुष्य को अच्छे कार्य करते हुए इस संसार को सुंदर बनाना चाहिए।
(घ) इस कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ मुझे अच्छी लगी हैं –
‘अच्छा भी आदमी ही कहाता है ए नज़ीर
और सबमें जो बुरा है सो है वो भी आदमी।’
ये पंक्तियाँ मुझे इसलिए अच्छी लगी, क्योंकि इन पंक्तियों से हमें सद्गुणों को अपनाकर अच्छा आदमी बनने की प्रेरणा मिलती है। हमें दुर्गुणों का त्याग कर देना चाहिए। दुर्गुणी व्यक्ति बुरा आदमी बन जाता है। समाज में अच्छे आदमी का आदर होता है, बुरे का नहीं।
(ङ) आदमी स्वभाव से अच्छा भी और बुरा भी है। वह दूसरों के दुखों का कारण है, तो वही उन दुखों का निवारण करने वाला भी है। आदमी ही आदमी पर शासन करता है: आदेश देता है और मनचाहे ढंग से परेशान करता है। आदमी दीन-हीन है और आदमी ही संपन्न है। आदमी धर्म-कर्म में विश्वास करता है और आदमी ही उस धर्म-कर्म के ढंग को बनाता है। आदमी के जूते आदमी चुराता है, तो आदमी ही उनकी देख-रेख करता है। आदमी ही आदमी की रक्षा करता है और आदमी ही आदमी का वध करता है। आदमी अपने स्वार्थ के लिए दूसरों को अपमानित करता है। अपनी रक्षा के लिए आदमी पुकारता है और सहायता के लिए आदमी ही दौड़कर आता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित अंशों की व्याख्या कीजिए – (निबंधात्मक प्रश्न)
(क) दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
(ख) अशराफ़ और कमीने से ले शाह ता वज़ीर
ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिलपज़ीर
उत्तर :
(क) और (ख) की व्याख्या के लिए इस कविता के व्याख्या भाग क्रमांक 1 और 4 को देखिए।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए –
(क) पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी
(ख) पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी
उत्तर :
(क) कवि ने व्यंग्य किया है मसजिद में आदमी कुरान शरीफ़ पढ़ने और नमाज़ अदा करने जाते हैं परंतु उनमें कुछ ऐसे आदमी भी होते हैं, जो वहाँ आने वालों की जूतियाँ चुराते हैं। उन जूता चोरों पर नज़र रखने वाले भी आदमी ही होते हैं। जूता चोरों और उन पर नज़र रखने वालों का ध्यान परमात्मा की ओर नहीं बल्कि अपने – अपने लक्ष्य पर होता है।
(ख) कवि ने व्यंग्यात्मक स्वर में कहा है कि आदमी ही आदमी का अपमान करता है। सहायता प्राप्ति के लिए आदमी ही आदमी को पुकारता है और सहायता देने के लिए भी आदमी ही दौड़कर आता है। अपमान करने वाला आदमी और सहायता करने वाला भी आदमी ही है। कवि के अनुसार अलग-अलग प्रवृत्तियाँ आदमी से अलग-अलग काम करवाती हैं।
प्रश्न 4.
नीचे लिखे शब्दों का उच्चारण कीजिए और समझिए कि किस प्रकार नुक्ते के कारण उनमें अर्थ परिवर्तन आ गया है।
(क) (ख)
राज (रहस्य) – फ्रन (कौशल)
राज (राज्य) – फन (साँप का मुँह)
ज्रा (थोड़ा) – फलक (आकाश)
जरा (बुढ़ापा) – फलक (लकड़ी का तखा)
जफ़ से युक्त दो-दो शब्दों को और लिखिए।
उत्तर :
ज़ – जमीन, ज़मीर। फ़ – फ़ना, फ़रक।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग वाक्यों में कीजिए –
(क) टुकड़े चबाना (ख) पगड़ी उतारना (ग) मुरीद होना (घ) जान वारना (ङ) तेग मारना
उत्तर :
(क) टुकड़े चबाना – गरीब को सूखे टुकड़े चबाकर अपना पेट भरना पड़ता है।
(ख) पगड़ी उतारना – भरी सभा में मंत्री ने सेठ करोड़ीमल की कंजूसी का वर्णन करके उनकी पगड़ी उतार दी।
(ग) मुरीद होना – इन दिनों क्रिकेट के दीवाने धोनी के मुरीद हो गए हैं।
(घ) जान वारना – माँ अपने लाडले पर अपनी जान वारती है।
(ङ) तेग मारना – कृष्णन ने तेग मारकर भागते हुए डकैत को घायल कर दिया।
योग्यता – विस्तार –
प्रश्न 1.
अगर ‘बंदर नामा’ लिखना हो तो आप किन-किन सकारात्मक और नकारात्मक बातों का उल्लेख करेंगे ?
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।
JAC Class 9 Hindi आदमी नामा Important Questions and Answers
प्रश्न 1.
नज़ीर अकबराबादी की कविता ‘आदमी नामा’ के आधार पर आदमी की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
नज़ीर अकबराबादी की कविता ‘आदमी नामा’ के आधार पर आदमी की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
(i) धार्मिक – आदमी ईश्वर में विश्वास करता है। वह मसजिदें बनाता है; नमाज अदा करता है; कुरान शरीफ़ पढ़ता-सुनता
है और स्वयं को सौभाग्यशाली मानता है।
(ii) चोर – आदमी मौका मिलने पर दूसरों का सामान चुराने में तनिक नहीं झिझकता। वह तो यह भी नहीं सोचता कि उसे कहाँ चोरी करनी चाहिए और कहाँ नहीं।
(iii) अत्याचारी और अनाचारी – आदमी दूसरे आदमियों का शोषण करता है; उन्हें गरीब बनाता है। उनके मुँह का कोर छीनने को सदा तैयार रहता है। वह दूसरों की हत्या करने में भी नहीं झिझकता। वह अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए किसी का भी अपमान करने को तैयार रहता है।
(iv) दयाभाव से संपन्न – आदमी के हृदय में दया के भाव पैदा होते हैं। वह दूसरों को रोटी देता है। कष्ट की घड़ी में उनकी सहायता करता है। आदमी ही गुरु बनता है और आदमी को शिक्षा देता है।
प्रश्न 2.
संसार में आकर व्यक्ति क्या-क्या बनता है ?
उत्तर :
संसार में आकर आदमी ही राजा बनता है और आदमी ही दीन-हीन गरीब है। अमीर भी आदमी है और गरीब भी आदमी है। रूखा- सूखा चबाने वाला आदमी है, तो स्वादिष्ट भोजन खाने वाला भी आदमी है।
प्रश्न 3.
संसार में आकर मनुष्य क्या-क्या काम करता है ?
उत्तर :
संसार में आकर मनुष्य कई तरह के काम करता है। वह मस्जिद बनाता है; मस्जिद में नमाज पढ़ने वाला भी आदमी होता है। कुरान शरीफ़ का अर्थ बताने वाला धर्मगुरु भी आदमी ही है। आदमी ही मस्जिद में आकर जूते चुराने का काम करते हैं तथा जूतों को चुराने वाले आदमियों पर नज़र रखने वाला भी आदमी होता है
प्रश्न 4.
‘अच्छा भी आदमी ही कहाता है ए नज़ीर
और सबमें जो बुरा है सो हैं वो भी आदमी’
उपरोक्त पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य को प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर :
उपर्युक्त पंक्तियों में कवि ने आदमी के अच्छे-बुरे रूपों को प्रकट किया है और कहा है कि आदमी ही प्रत्येक अच्छाई और बुराई के पीछे होता है। कवि की भाषा में उर्दू शब्दावली की अधिकता है। स्वरमैत्री ने लयात्मकता की सृष्टि की है। अभिधा शब्द – शक्ति ने कथन को सरलता और सहजता प्रदान की है। तुकांत छंद लयात्मकता का आधार बना है।
प्रश्न 5.
‘आदमी नामा’ किस प्रकार की रचना है ?
उत्तर :
‘आदमी नामा’ कवि नज़ीर अकबराबादी द्वारा रचित एक उद्बोधनात्मक कविता है। कवि ने अपनी इस रचना में आदमी को संसार की सर्वश्रेष्ठ रचना माना है। कविता में कवि ने आदमी की कमियों का व्याख्यान करते हुए उसे जीवन में सद्गुणों को अपनाने की बात कही है।
प्रश्न 6.
‘आदमी नामा’ कविता आम आदमी से जुड़ी हुई कविता कैसे है ?
उत्तर :
‘आदमी नामा’ नज़ीर अकबराबादी की एक सर्वश्रेष्ठ रचना है। यह आम आदमी से जुड़ी हुई कविता है। इसे गाकर फेरीवाले, नाचने-गाने वाले नर-नारियाँ अपना जीवन निर्वाह करते थे। कवि ने अपनी इस रचना में तत्कालीन जनजीवन का यथार्थ चित्रण किया है। कवि ने अपनी इस काव्य-कृति में आम आदमी की कमियों से मानव को अवगत करवाना चाहा है। कवि के अनुसार संसार में अच्छा-बुरा, छोटा-बड़ा- हर तरह का काम करने वाला आदमी ही होता है। आदमी के अंतरिक गुण-अवगुण ही समाज में उसकी पहचान निर्धारित करते हैं।
प्रश्न 7.
कवि के अनुसार संसार में आकर आदमी क्या बनता है ?
उत्तर :
कवि के अनुसार संसार में आकर जो व्यक्ति राजा बनता है, वह आदमी होता है। संसार में व्याप्त गरीब भी आदमी हैं। ऊँचे-ऊँचे महलों में निवास करने वाले सेठ और बादशाह भी आदमी हैं। बलशाली भी आदमी है और एक दीनहीन भी आदमी है।
प्रश्न 8.
कवि नज़ीर अकबराबादी के काव्य की भाषा-शैली स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
कवि नज़ीर अकबराबादी का काव्य आम आदमी से जुड़ा हुआ काव्य है। इस कविता में उन्होंने आदमी के अलग-अलग रूपों का उल्लेख किया है। उनके अनुसार हर अच्छे बुरे कार्य के पीछे आदमी ही निहित होता है। इन्होंने अपने काव्य में उर्दू-फारसी के शब्दों का अत्यधिक प्रयोग किया है। इनके काव्य की भाषा को उर्दू मिश्रित खड़ी बोली कहा जा सकता है, जिसमें कहीं-कहीं देशज शब्दों का प्रयोग देखा जा सकता है। इनके काव्य में सरल, सहज एवं संक्षिप्त वाक्यों का प्रयोग हुआ है।
आदमी नामा Summary in Hindi
कवि-परिचय :
जीवन-परिचय – नज़ीर अकबराबादी का जन्म उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में सन 1735 ई० में हुआ था। इन्होंने आगरा के सुप्रसिद्ध शिक्षाविदों से अरबी – फ़ारसी की शिक्षा प्राप्त की थी। इन्हें हर प्रकार के तीज-त्योहारों में बहुत दिलचस्पी थी। इन्हें किसी भी विषय पर कविता करने में कोई कठिनाई नहीं होती थी। इनके प्रशंसक इन्हें रास्ते में रोककर इनसे अपनी मनपसंद कविता सुनते थे। इनका निधन सन 1830 ई० में हुआ।
रचनाएँ -नज़ीर अकबराबादी ने विभिन्न विषयों पर कविताएँ लिखी हैं। इनकी कविता उर्दू की ‘नज़्म’ शैली में आती है। इन्होंने ‘सब ठाठ पड़ा जाएगा, जब लाद चलेगा बंजारा’ जैसी नीति से संबंधित नज़्मों के अतिरिक्त भिश्ती, ककड़ी बेचने वालों, बिसाती, गाना गाकर जीवनयापन करने वालों आदि के काम में सहायता देने वाली नज़्में भी लिखी हैं। ‘आदमी नामा’ इनकी एक उद्बोधनात्मक कविता है।
काव्य की विशेषताएँ – नज़ीर अकबराबादी की कविता आम आदमी से जुड़ी हुई कविता है। इसे गा-गाकर फेरीवाले, गानेवालियाँ आदि अपना जीवन-यापन करते थे। इन्होंने अपनी कविताओं में तत्कालीन जनजीवन का यथार्थ अंकन किया है। इन नज़्मों में मानव-जीवन के सुख-दुख, हँसी-मज़ाक, मेले- त्योहारों आदि का सहज भाव से चित्रण किया गया है। इनके काव्य की भाषा उर्दू मिश्रित खड़ी बोली है, जिसमें कहीं-कहीं देशज शब्दों का प्रयोग भी देखा जा सकता है।
कविता का सार :
आदमी नामा’ नज़ीर अकबराबादी द्वारा रचित एक उद्बोधनात्मक कविता है। इसमें कवि ने आदमी को संसार की सर्वश्रेष्ठ रचना मानते हुए उसे उसकी कमियों से परिचित करवाया है और उसे अपने जीवन में सद्गुणों को अपनाकर संसार को और भी अधिक सुंदर बनाने की प्रेरणा दी है। कवि के अनुसार इस दुनिया में आदमी ही सबकुछ करता प्रतीत होता है। वही दुनिया का बादशाह है और वही प्रजा है।
मालदार भी वही है और गरीब भी वही है। रोटी देने वाला भी वही है और रोटी खाने वाला भी वही है। मसजिद बनाने वाला, नमाज़ पढ़ने वाला, वहाँ से जूते चुराने वाला यदि आदमी है तो इमाम और खुतबाख्वां भी आदमी ही है। आदमी का अपमान करने वाला आदमी है; हत्यारा भी आदमी है; अपमान करने वाला आदमी है, तो रक्षक भी आदमी है। शरीफ़ भी आदमी है और कमीना भी आदमी है। आदमी ही गुरु है और चेला भी आदमी है। अच्छा भी आदमी है और बुरा भी वही है।
व्याख्या :
1. दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी
और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी
निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी
टुकड़े चबा रहा है सो है वो भी आदमी
शब्दार्थ : बादशाह – राजा। मुफ़लिस – गरीब। ओ – और। गदा – भिखारी, फ़कीर। ज़रदार – अमीर, दौलतवाला। बेनवा – कमज़ोर। निअमत – स्वादिष्ट भोजन, बहुत अच्छा पदार्थ।
प्रस्तुत : पंक्तियाँ नज़ीर अकबराबादी द्वारा रचित कविता ‘आदमी नामा’ से ली गई हैं। इस कविता में कवि ने मनुष्य के विभिन्न रूपों का चित्रण करते हुए उसे सद्गुण अपनाकर, संसार को और भी अच्छा बनाने की प्रेरणा दी है।
व्याख्या : कवि कहता है कि इस संसार में आकर जो राजा बनता है, वह आदमी ही है तथा इस संसार में दीन-हीन, गरीब और भिखारी भी आदमी ही होता है। दौलतवाला आदमी है और कमज़ोर भी आदमी ही है। जो प्रतिदिन स्वादिष्ट भोजन खाता है, वह आदमी है; रूखे टुकड़े चबाने वाला भी आदमी ही है।
2. मसजिद भी आदमी ने बनाई है यां मियाँ
बनते हैं आदमी ही इमाम और खुतबाख्वाँ
पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी।
शब्दार्थ : यां – यहाँ। मियाँ श्रीमान। इमाम- नमाज़ पढ़ाने वाले धर्मगुरु। खुतबाख्वाँ – कुरान शरीफ़ का अर्थ बताने वाला। ताड़ता – भाँप लेना, डाँटना।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ नज़ीर अकबराबादी द्वारा रचित कविता ‘आदमी नामा’ से ली गई हैं। इस कविता में कवि ने मनुष्य के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए उसे एक अच्छा आदमी बनकर संसार का कल्याण करने की प्रेरणा दी है।
व्याख्या : कवि कहता है कि इस संसार में मसजिद भी आदमी ने बनाई है और आदमी ही मसजिद में नमाज़ पढ़ाने वाले व कुरान शरीफ़ का अर्थ बताने वाले धर्मगुरु बनते हैं। आदमी ही कुरान शरीफ़ पढ़ते हैं और नमाज़ अदा करते हैं। आदमी ही मसजिद में आने वालों के जूते चुराते हैं और उन जूतों को चुराने वालों पर नज़र रखने वाला भी आदमी ही होता है।
3. यां आदमी पै जान को वारे है आदमी
और आदमी पै तेग को मारे है आदमी
पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे हैं आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी
शब्दार्थ : जान को वारे – प्राण न्योछावर करना। तेग – तलवार। पगड़ी उतारना – अपमान करना।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ नज़ीर अकबराबादी द्वारा रचित कविता ‘आदमी नामा’ से ली गई हैं। इस कविता में कवि ने मनुष्य के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए उसे अच्छा आदमी बनकर संसार को सुंदर बनाने की प्रेरणा दी है।
व्याख्या : कवि कहता है कि इस संसार में मनुष्य ही मनुष्य के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर देता है और आदमी ही आदमी को तलवार से मार देता है। आदमी ही दूसरे आदमी का अपमान करता है। आदमी ही आदमी के ऊपर अधिकार जमाते हुए उसे चिल्लाकर पुकारता है, तो उसकी सेवा करने वाला आदमी उसकी पुकार सुनकर दौड़ता चला जाता है।
4. अशराफ़ और कमीने से ले शाह ता वज़ीर
ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिलपज़ीर
यां आदमी मुरीद है और आदमी ही पीर
अच्छा भी आदमी ही कहाता है ए नज़ीर
और सबमें जो बुरा है सो है वो भी आदमी
शब्दार्थ : अशराफ़ – सज्जन, शरीफ़। कमीना ओछा, नीच। शाह – राजा, सम्राट। वज़ीर मंत्री। ता तक। कारे काम। दिलपज़ीर दिल को अच्छा लगने वाला। मुरीद – शिष्य। पीर – गुरु।
प्रसंग : प्रस्तुत पंक्तियाँ नज़ीर अकबराबादी द्वारा रचित कविता ‘आदमी नामा’ से ली गई हैं। इस कविता में कवि ने मनुष्य के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए उसे सद्गुणों से युक्त होकर संसार को सुंदर बनाने की प्रेरणा दी है।
व्याख्या : इन पंक्तियों में कवि कहता है कि आदमी ही सज्जन और आदमी ही नीच होता है। राजा से मंत्री तक भी कोई आदमी ही होता है। आदमी ही ऐसे कार्य करता है, जो सबके दिल को लुभाने वाले होते हैं। इस संसार में आदमी ही शिष्य होता है, तो दूसरा आदमी उसका गुरु होता है। कवि कहता है कि संसार में अच्छा आदमी भी होता है और संसार में जो सबसे बुरा है, वह भी आदमी ही होता है।