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JAC Board Class 9 Science Notes Chapter 9 बल तथा गति के नियम
→ बल वह बाह्य कारक है जो किसी वस्तु में गति उत्पन्न कर सकता है, अथवा गति उत्पन्न करने का प्रयास करता है।
→ बल किसी वस्तु की गति की अवस्था में परिवर्तन उत्पन्न कर सकता है, उसकी गति को धीमा या तेज कर सकता है।
→ बल किसी वस्तु के रूप अथवा आकार को बदल सकता है।
→ बल दो प्रकार के होते हैं-(i) सन्तुलित बल (ii) असन्तुलित बल।
→ वस्तु पर असन्तुलित बल लगा होने पर वस्तु में अवश्य ही गति उत्पन्न हो जाती है।
→ किसी वस्तु पर लगे सन्तुलित बल वस्तु में गति उत्पन्न नहीं कर सकते।
→ S.I. पद्धति में बल का मात्रक किग्रा मी./से² है। इसे न्यूटन के नाम से भी जाना जाता है।
→ एक न्यूटन का बल किसी एक किग्रा की वस्तु में एक मीटर प्रति सेकण्ड² का त्वरण उत्पन्न करता है।
→ बल के प्रभाव से वस्तुओं में होने वाली गति के लिए न्यूटन ने तीन मौलिक नियम दिए-प्रथम नियम-प्रत्येक वस्तु अपनी वर्तमान अवस्था (विराम की अवस्था या एकसमान गति की अवस्था) को बनाए रखती है, जब तक कि उस पर कोई बाह्य बल न लगाया जाए। इस नियम को ‘जड़त्व का नियम’ भी कहते हैं।
→ द्वितीय नियम-किसी वस्तु के संवेग परिवर्तन की दर उस पर लगाए गए असन्तुलित बल की दिशा में तथा उस बल के समानुपाती होती है।
→ तृतीय नियम-जब एक वस्तु दूसरी वस्तु पर बल लगाती है तो दूसरी वस्तु भी पहली वस्तु पर बल लगाती है। ये दोनों बल परिमाण में बराबर तथा दिशा में विपरीत होते हैं। इस नियम को ‘क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम’ भी कहते हैं।
→ वस्तुओं में उनकी वर्तमान अवस्था को बनाए रखने की प्रवृत्ति को ‘जड़त्व’ कहते हैं।
→ किसी वस्तु का द्रव्यमान ही उसंके जड़त्व की माप है।
→ किसी वस्तु के द्रव्यमान m तथा वेग v के गुणनफल को संवेग कहते हैं। इसे p से प्रदर्शित करते हैं। p = m v
→ संवेग एक सदिश राशि है। संवेग की दिशा वही होती है जो वस्तु के वेग की होती है। इसका मात्रक किग्रा-मीटर/सेकण्ड है।
→ गति के दूसरे नियम का गणितीय रूप F = m a है, वहाँ F वस्तु पर लगा बल, m वस्तु का द्रव्यमान तथा a वस्तु का त्वरण है।
→ एक विलग निकाय में कुल संवेग संरक्षित रहता है।