Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 9 Science Solutions Chapter 10 गुरुत्वाकर्षण
Jharkhand Board Class 9 Science गुरुत्वाकर्षण Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
यदि दो वस्तुओं के बीच की दूरी को आधा कर दिया जाए तो उनके बीच गुरुत्वाकर्षण बल किस प्रकार बदलेगा?
उत्तर:
सूत्र F = \(\frac{\mathrm{G} m_1 m_2}{r^2}\) से
अतः दूरी को आधा करने पर गुरुत्वाकर्षण बल चार गुना हो जाएगा।
प्रश्न 2.
सभी वस्तुओं पर लगने वाला गुरुत्वीय बल उनके द्रव्यमान के समानुपाती होता है। फिर एक भारी वस्तु, हल्की वस्तु के मुकाबले तेजी से क्यों नहीं गिरती?
उत्तर:
∵ F ∝ m
अर्थात् F = km
जहाँ K = नियतांक
अत: सूत्र F = ma से,
वस्तु का त्वरण a = \(\frac { F }{ m }\)
अर्थात् a = \(\frac { γm }{ m }\) = K ( नियतांक)
इससे स्पष्ट होता है कि भले ही गुरुत्वीय बल वस्तु के द्रव्यमान के समानुपाती होता है, परन्तु वस्तुओं के मुक्त पतन का त्वरण सभी वस्तुओं के लिए नियत है। अब चूँकि कोई वस्तु कितनी तेजी से गिरेगी यह वस्तु के त्वरण पर निर्भर करता है (न कि गुरुत्वीय बल पर); अतः त्वरण के नियत होने के कारण हल्की तथा भारी सभी वस्तुएँ समान तेजी से गिरती हैं।
प्रश्न 3.
पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी किग्रा की वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल का परिमाण क्या होगा? (पृथ्वी का द्रव्यमान 6 x 1024 किग्रा है तथा पृथ्वी की त्रिज्या 6.4 x 100 मीटर है)।
हल:
पृथ्वी का द्रव्यमान M = 6.4 x 1024 किग्रा, पृथ्वी की त्रिज्या R = 6.4 x 106 मीटर, m = 1 किग्रा, d = R.
G = 6.67 × 10-11 न्यूटन मीटर² / किग्रा²
∴ पृथ्वी तथा वस्तु के बीच गुरुत्वीय बल
F = G\(\frac{\mathrm{M} m}{d^2}\) = 6.67 x 10-11 x \(\frac{6 \times 10^{24} \times 1}{\left(6.4 \times 10^6\right)^2}\) न्यूटन
= \(\frac{6.67 \times 6 \times 10}{6.4 \times 6.4}\)
= 9.77 न्यूटन
प्रश्न 4.
पृथ्वी तथा चन्द्रमा एक-दूसरे को गुरुत्वीय बल से आकर्षित करते हैं। क्या पृथ्वी जिस बल से चन्द्रमा को आकर्षित करती है वह बल, उस बल से जिससे चन्द्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है बड़ा है या छोटा है या बराबर है? बताइए, क्यों?
उत्तर:
क्रिया-प्रतिक्रिया के नियम से पृथ्वी का चन्द्रमा पर आकर्षण बल चन्द्रमा के पृथ्वी पर आकर्षण बल के बराबर है।
प्रश्न 5.
यदि चन्द्रमा पृथ्वी को आकर्षित करता है तो पृथ्वी चन्द्रमा की ओर गति क्यों नहीं करती है?
उत्तर:
चन्द्रमा और पृथ्वी दोनों एक-दूसरे पर समान परिमाण का आकर्षण बल लगाते हैं, परन्तु चन्द्रमा का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान की तुलना में बहुत कम होने के कारण, समान बल होने पर भी चन्द्रमा का पृथ्वी की ओर त्वरण, पृथ्वी के चन्द्रमा की ओर त्वरण से बहुत अधिक है। इसीलिए चन्द्रमा पृथ्वी के चारों ओर गति करता है, पृथ्वी चन्द्रमा की ओर गति करती प्रतीत नहीं होती।
प्रश्न 6.
दो वस्तुओं के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का क्या होगा, यदि –
(i) एक वस्तु का द्रव्यमान दो गुना कर दिया जाए?
(ii) वस्तुओं के बीच की दूरी दोगुनी अथवा तीन गुनी कर दी जाए?
(iii) दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने कर दिए जाएँ?
उत्तर:
(i) ∵ F ∝ m1 m2
∵ एक वस्तु का द्रव्यमान दोगुना कर देने पर बल भी दोगुना हो जाएगा।
(ii) ∵ F ∝ \(\frac{1}{d^2}\)
∴ दूरी दोगुनी करने पर बल एक-चौथाई रह जाएगा। जबकि दूरी तीन गुनी कर देने पर बल 9वाँ भाग रह जाएगा।
(iii) ∵ F ∝ m1 m2 अतः दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान दोगुने करने पर बल चार गुना हो जाएगा।
प्रश्न 7.
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम के क्या महत्व हैं?
उत्तर:
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्व – यह नियम अनेक ऐसी परिघटनाओं की व्याख्या करता है, जो प्राचीनकाल में असम्बद्ध मानी जाती थीं; जैसे-
- इस नियम द्वारा सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति की व्याख्या की जाती है।
- इस नियम द्वारा पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति की व्याख्या की जाती है।
- इस नियम द्वारा वस्तुओं के पृथ्वी की ओर गिरने की व्याख्या की जाती है।
- इस नियम द्वारा समुद्र में आने वाले ज्वार भाटा की व्याख्या की जाती है।
पृथ्वी की कक्षा में कृत्रिम उपग्रह स्थापित करना, चन्द्रमा तथा अन्य ग्रहों तक खोजी यान भेजना तथा अन्तरिक्ष स्टेशन स्थापित करना आदि इसी नियम का ज्ञान प्राप्त होने के बाद ही सम्भव हो पाया है।
प्रश्न 8.
मुक्त पतन का त्वरण क्या है?
उत्तर:
मुक्त पतन का त्वरण- किसी ऊँची मीनार की छत से छोड़ी गई किसी वस्तु का पृथ्वी की ओर त्वरण, मुक्त पतन का त्वरण कहलाता है, जिसे g से प्रदर्शित करते हैं। पृथ्वी तल पर मुक्त पतन के त्वरण का मान 9.8 मीटर/सेकण्ड² है।
प्रश्न 9.
पृथ्वी तथा किसी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वीय बल को हम क्या कहेंगे?
उत्तर:
उस वस्तु का भार कहेंगे।
प्रश्न 10.
एक व्यक्ति A अपने मित्र के निर्देश पर ध्रुवों पर कुछ ग्राम सोना खरीदता है वह इस सोने को विषुवत् वृत्त पर अपने मित्र को देता है क्या उसका मित्र इस खरीदे हुए सोने के भार से सन्तुष्ट होगा? यदि नहीं, तो क्यों?
उत्तर:
मित्र सोने के भार से सन्तुष्ट नहीं होगा इसका कारण यह है कि विषुवत् वृत्त पर तौलने पर सोने का भार, ध्रुवों पर उसके भार की तुलना में कम होगा (g के मान में कमी के कारण)।
प्रश्न 11.
एक कागज की शीट उसी प्रकार की शीट को मोड़कर बनाई गई गेंद से धीमी क्यों गिरती है?
उत्तर:
ऐसा वायु के प्रतिरोध के कारण होता है। वायु कागज की शीट पर गेंद की अपेक्षा अधिक प्रतिरोध लगाती है; अतः कागज की शीट गेंद की तुलना में धीमी गिरती है।
प्रश्न 12.
चन्द्रमा की सतह पर गुरुत्वीय बल, पृथ्वी की सतह पर गुरुत्वीय बल की अपेक्षा 1/6 गुना है। एक 10 किग्रा द्रव्यमान की वस्तु का चन्द्रमा पर तथा पृथ्वी पर न्यूटन में भार कितना होगा?
हल:
दिया है वस्तु का द्रव्यमान m = 10 किग्रा,
पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण g = 9.8 मीटर / सेकण्डर²
∴ पृथ्वी पर वस्तु का भार W1 = mg
= 10 × 9.8 = 98 न्यूटन
अब चूँकि चन्द्रमा पर गुरुत्वीय बल
= \(\frac { 1 }{ 6 }\) x पृथ्वी पर गुरुत्वीय बल
∴ चन्द्रमा पर वस्तु का भार W2
= \(\frac { 1 }{ 6 }\) x पृथ्वी पर वस्तु का भार (W1)
= \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 98 न्यूटन
= 16.33 न्यूटन
अतः पृथ्वी पर वस्तु का भार = 98 न्यूटन
तथा चन्द्रमा पर वस्तु का भार = 16.33 न्यूटन।
प्रश्न 13.
एक गेंद ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 49 मीटर / सेकण्ड के वेग से फेंकी जाती है। परिकलन कीजिए- (i) अधिकतम ऊंचाई जहाँ तक कि गेंद पहुँचती है। (ii) पृथ्वी की सतह पर वापस लौटने में लिया गया समय।
हल:
दिया है, गेंद का वेग 49 मीटर / सेकण्ड ऊपर की ओर
गुरुत्वीय त्वरण g = 9.8 मीटर/सेकण्ड² नीचे की ओर
माना कि गेंद। ऊँचाई तक ऊपर जाती है तथा ऊपर तक जाने में समय लेती है।
ऊपर की दिशा को धनात्मक तथा नीचे की दिशा को ऋणात्मक मानने पर,
सूत्र v² = u² + 2as से, (उच्चतम बिन्दु पर वेग v = 0)
कोई वस्तु जितना समय उच्चतम बिन्दु तक जाने में लेती है, उतना ही समय पृथ्वी तल तक आने में लेती है।
∴ पृथ्वी की सतह तक लौटने में लगा समय = 2 + उच्चतम बिन्दु तक जाने में लगा समय
= 25 10 सेकण्ड
∴ अधिकतम ऊँचाई / 122.5 मीटर
कुल समय = 10 सेकण्ड।
प्रश्न 14.
19.6 मीटर ऊँची मीनार की चोटी से एक पत्थर छोड़ा जाता है। पृथ्वी पर पहुँचने से पहले उसका अन्तिम वेग ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है मीनार की ऊँचाई h = 19.6 मीटर,
पत्थर छोड़ते समय वेग v = 0,
त्वरण g = 9.8 मीटर / सेकण्ड² नीचे की ओर
सूत्र v² = u² + 2as से,
= 0² + 2 × 9.8 × 19.6
= 19.6 × 19.6 या v² = (19.6)²
∴ v = 19.6 मीटर/सेकण्ड
अतः पृथ्वी से टकराने से पहले अन्तिम वेग = 19.6 मीटर / सेकण्ड।
प्रश्न 15.
कोई पत्थर ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर 40 मीटर / सेकण्ड के प्रारम्भिक वेग से फेंका गया है। g 10 मीटर / सेकण्ड लेते हुए ग्राफ की सहायता से पत्थर द्वारा पहुँची अधिकतम ऊँचाई ज्ञात कीजिए नेट विस्थापन तथा पत्थर द्वारा चली गई कुल दूरी कितनी होगी?
हल:
दिया है प्रारम्भिक वेग u = 40 मीटर / सेकण्ड ऊपर की ओर
गुरुत्वीय त्वरण g = 10 मीटर / सेकण्ड² नीचे की ओर
माना कि पत्थर को उच्चतम बिन्दु तक जाने में t सेकण्ड लगते हैं जहाँ उसका वेग v = 0 हो जाता है तब y = u- gt से,
0 = 40 – 10 x t
10t = 40
∴ t = \(\frac { 40 }{ 10 }\) = 4 सेकण्ड
अर्थात् अधिकतम ऊँचाई तक पहुँचने में पत्थर को 4 सेकण्ड लगते हैं।
पुन: सूत्र v = u – gt में g = 10 मीटर / सेकण्ड² तथा क्रमशः t = 0, 1, 2, 3, 4 प्राप्त होती है-
t (सेकण्ड में) | 0 | 1 | 2 | 3 | 4 |
v (मीटर/सेकण्ड मे) | 40 | 30 | 20 | 10 | 0 |
उपर्युक्त सारणी की सहायता से खींचा गया वेग- समय ग्राफ चित्र 10.7 में प्रदर्शित है।
वेग-समय ग्राफ से,
पत्थर द्वारा प्राप्त अधिकतम ऊँचाई
h = वेग समय ग्राफ के नीचे घिरा क्षेत्र
= ∆OAB का क्षेत्रफल
= \(\frac { 1 }{ 2 }\) OA × OB
= \(\frac { 1 }{ 2 }\) (40 मीटर/सेकण्ड ) x (4 सेकण्ड)
= 80 मीटर।
पत्थर उच्चतम बिन्दु पर क्षणिक विराम की अवस्था में आता है और फिर नीचे की ओर गिरता हुआ अपने प्रारम्भिक बिन्दु पर वापस पहुँच जाता है।
∴ पत्थर का कुल विस्थापन = प्रारम्भिक व अन्तिम बिन्दु के बीच सरल रेखीय दूरी = 0
जबकि कुल तय दूरी = तय किए गए पथ की लम्बाई
= 2 x अधिकतम ऊँचाई = 2 x 80 = 160 मीटर।
प्रश्न 16.
पृथ्वी तथा सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण बल का परिकलन कीजिए।
दिया है, पृथ्वी का द्रव्यमान 6 x 1024 किग्रा, सूर्य का द्रव्यमान = 2 x 1030 किग्रा
दोनों के बीच औसत दूरी 1.5 x 1011 मीटर है।
हल:
m1 = 6 × 1024 किग्रा, m2 = 2 x 1030 किग्रा,
d = 1.5 x 1011 मीटर
G = 6.67 x 10-11 न्यूटन मीटर²/किग्रार²
∴ पृथ्वी तथा सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण बल
F = G\(\frac{m_1 m_2}{d^2}\)
= 6.67 × 10-11 x \(\frac{6 \times 10^{24} \times 2 \times 10^{30}}{\left(1.5 \times 10^{11}\right)^2}\)
= \(\frac{6.67 \times 6 \times 2}{1.5 \times 1.5}\)
= 3.56 x 1022 न्यूटन।
प्रश्न 17.
कोई पत्थर 100 मीटर ऊँची मीनार की चोटी से गिराया गया और उसी समय कोई दूसरा पत्थर 25 मीटर / सेकण्ड के वेग से ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंका गया। परिकलन कीजिए कि दोनों पत्थर कब और कहाँ मिलेंगे?
हल:
माना कि दोनों पत्थर, छोड़े जाने के क्षण से सेकण्ड बाद, पृथ्वी तल से t ऊँचाई पर मिलते हैं, तब मिलते क्षण तक नीचे से फेंका गया पत्थर ऊपर की ओर ऊँचाई तय कर चुका होगा; अतः
अतः
h = u2 x t – \(\frac { 1 }{ 2 }\) gt² … (1)
जबकि मीनार की चोटी से छोड़ा गया पिण्ड नीचे की ओर (100-h) दूरी गिर चुका होगा; अतः
100 – h = u1 x t + \(\frac { 1 }{ 2 }\)gt²
या 100 – h = \(\frac { 1 }{ 2 }\) gt² [∵ u1 = 0] … (2)
समीकरण (1) व (2) को जोड़ने पर,
t = 4 सेकण्ड तथा g 10 मीटर / सेकण्ड² समीकरण (2) में रखने में,
100 – h = \(\frac { 1 }{ 2 }\) × 10 × (4)²
या 100 – h = 80 या h = 100 – 80 = 20 मीटर
अतः पत्थर, प्रारम्भिक क्षण से 4 सेकण्ड बाद, पृथ्वी तल से 20 मीटर की ऊँचाई पर मिलेंगे।.
प्रश्न 18.
ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंकी गई एक गेंद 6 सेकण्ड पश्चात् फेंकने वाले के पास लौट आती है। ज्ञात कीजिए-
(a) यह किस वेग से ऊपर फेंकी गई?
(b) गेंद द्वारा प्राप्त की गई अधिकतम ऊँचाई, तथा
(c) 4 सेकण्ड बाद गेंद की स्थिति।
हल:
(a) माना कि गेंद u वेग से ऊपर की ओर फेंकी गई थी।
चूँकि गेंद 6 सेकण्ड पश्चात् प्रारम्भिक बिन्दु पर लौट आती है
अत: t = 6 सेकण्ड में गेंद का विस्थापन s = 0
जबकि त्वरण a = – g = – 9.8 मीटर/सेकण्डर²
∴ s = ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\) at² से,
0 = u × 6 + \(\frac { 1 }{ 2 }\) (- 9.8) × 6²
या 6u = \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 9.8 × 6 × 6 या u = 3 x 9.8 = 29.4
अत: गेंद 29.4 मीटर/सेकण्ड के वेग से फेंकी गई थी।
(b) माना कि गेंद अधिकतम ऊँचाई तक जाती है, तब s = h ऊँचाई पर वेग = 0
∴ v² = u² + 2as से,
0² = (29.4)² + 2 × (- 9.8) × h
या 2 × 9.8 × h = 29.4 × 29.4
∴ h = \(\frac{29.4 \times 29.4}{2 \times 9.8}\) = 44.1 मीटर
(c) माना कि t = 4 सेकण्ड बाद गेंद पृथ्वी तल से h1 ऊँचाई पर है,
तब S = ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\) at² से,
h1 = 29.4 × 4 + \(\frac { 1 }{ 2 }\) x (- 9.8) × 4²
= 117.6 – 78.4
= 39.2 मीटर
अतः 4 सेकण्ड बाद गेंद पृथ्वी तल से 39.2 मीटर ऊपर होगी।
प्रश्न 19.
किसी द्रव में डुबोई गई वस्तु पर उत्प्लावन बल किस दिशा में कार्य करता है?
उत्तर:
उत्प्लावन बल सदैव भार के विपरीत दिशा में अर्थात् ऊपर की और कार्य करता है।
प्रश्न 20.
पानी के भीतर किसी प्लास्टिक के गुटके को छोड़ने पर यह पानी की सतह पर क्यों आ जाता है?
उत्तर:
चूँकि प्लास्टिक का घनत्व, पानी के घनत्व से कम होता है, इस कारण प्लास्टिक के गुटके को जल में डुबोने पर उस पर लगने वाला उत्प्लावन बल गुटके के भार से अधिक होगा। अतः गुटका पानी की सतह पर आ जाता है।
प्रश्न 21.
50 ग्राम के किसी पदार्थ का आयतन 20 सेमी है। यदि पानी का घनत्व 1 ग्राम / सेमी हो तो पदार्थ तैरेगा या डूबेगा?
हल:
पदार्थ का द्रव्यमान 50 ग्राम
तथा आयतन 20 सेमी³
जल का घनत्व = 1 ग्राम/सेमी³
∵ पदार्थ का घनत्व > जल का घनत्व
∴ यह पदार्थ जल में डूब जाएगा।
प्रश्न 22.
500 ग्राम के एक मुहरबन्द पैकेट का आयतन 350 सेमी है। पैकेट 1 ग्राम / सेमी³ घनत्व वाले पानी में तैरेगा या डूबेगा? इस पैकेट द्वारा विस्थापित पानी का द्रव्यमान कितना होगा?
हल:
पैकेट का द्रव्यमान = 500 ग्राम तथा आयतन = 350 सेमी³
जल का घनत्व = 1 ग्राम / सेमी³
∵ पैकेट का घनत्व > जल का घनत्व
∴ पैकेट जल में डूब जायेगा।
∵ पैकेट पूरा डूब जाएगा, अतः यह अपने आयतन (350 सेमी³) के बराबर पानी को विस्थापित करेगा।
∴ विस्थापित पानी का द्रव्यमान विस्थापित पानी का आयतन x पानी का घनत्व
= 350 सेमी³ x 1 ग्राम / सेमी³
= 350 ग्राम।
Jharkhand Board Class 9 Science गुरुत्वाकर्षण InText Questions and Answers
क्रियाकलाप 10.1. (पा. पु. पू. सं. 145)
धागे का एक टुकड़ा लेकर इसके सिरे पर एक छोटा पत्थर बाँधकर दूसरे सिरे से पकड़कर पत्थर को वृत्ताकार पथ में घुमाइए तथा पत्थर की गति की दिशा देखिए। अब धागे को छोड़िए तथा फिर से पत्थर की गति की दिशा को देखिए।
निष्कर्ष-धागे को छोड़ने से पहले पत्थर एक निश्चित चाल से वृत्ताकार पथ में गति करता है तथा प्रत्येक बिन्दु पर उसकी गति की दिशा बदलती है। वस्तु को वृत्ताकार पथ पर गतिशील रखने वाला बल, जिसके कारण त्वरण होता है, अभिकेन्द्रीय बल कहलाता है।
पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति अभिकेन्द्रीय बल के कारण है। अभिकेन्द्रीय बल पृथ्वी के आकर्षण बल के कारण होता है। हमारे सौर परिवार में सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सूर्य तथा ग्रह के बीच एक बल विद्यमान है जो गुरुत्वाकर्षण बल कहलाता है।
न्यूटन के निष्कर्ष के आधार पर विश्व के सभी पिण्ड एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।
खण्ड 10.1 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. 149)
प्रश्न 1.
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम बताइए।
उत्तर:
दो वस्तुओं के बीच लगने वाला बल, दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती तथा उनकी बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। यह गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम कहलाता है।
प्रश्न 2.
पृथ्वी तथा उसकी सतह पर रखी किसी वस्तु के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल का परिमाण ज्ञात करने को सूत्र लिखिए।
उत्तर:
सूत्र F = G\(\frac{\mathrm{M} m}{d^2}\) से पृथ्वी की सतह के लिए d = R अत: F = \(\frac{\mathrm{GM} m}{R^2}\)
क्रियाकलाप 10.2. (पा.पु. पृ. सं. 149)
एक पत्थर लेकर ऊपर की ओर फेंकिए। यह एक निश्चित ऊँचाई तक पहुँचता है और फिर नीचे की ओर गिरने लगता है।
पृथ्वी सभी वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। पृथ्वी के इस आकर्षण बल को गुरुत्वीय बल कहते हैं। वस्तुओं के पृथ्वी की ओर गिरने पर वस्तुओं को मुक्त पतन में होना कहा जाता है। गिरते समय वस्तुओं की गति की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होता है परन्तु पृथ्वी के आकर्षण के कारण वेग के परिमाण में परिवर्तन होता है जिससे त्वरण उत्पन्न होता है तथा इस त्वरण को पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण त्वरण या गुरुत्वीय त्वरण g कहते हैं।
गति के दूसरे नियम से हमें ज्ञात है कि द्रव्यमान तथा त्वरण का गुणनफल, बल कहलाता है। माना पत्थर का है तथा गिरती हुई वस्तुओं में गुरुत्वीय बल के द्रव्यमान कारण त्वरण लगता है और इसे g से प्रदर्शित करते हैं।
अतः
F = mg … (i)
तथा न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के नियम से
F = \(\frac{\mathrm{GMm}}{d^2}\) … (ii)
समी. (i) व (ii) से,
mg = \(\frac{\mathrm{GMm}}{d^2}\)
या g = \(\frac{\mathrm{GM}}{d^2}\)
जहाँ M पृथ्वी का द्रव्यमान तथा वस्तु और पृथ्वी के बीच की दूरी है।
यदि वस्तु पृथ्वी पर या इसके पृष्ठ के पास है तो d के स्थान पर पृथ्वी की त्रिज्या R रखनी होगी। इस प्रकार पृथ्वी के पृष्ठ पर या इसके समीप रखी वस्तुओं के लिए
g = \(\frac{\mathrm{GM}}{R^2}\)
पृथ्वी की त्रिज्या ध्रुवों से विषुवत रेखा की ओर जाने पर बढ़ती है अतः g का मान ध्रुवों पर विषुवत रेखा की अपेक्षा अधिक होता है।
क्रियाकलाप 10.3. (पा. पु. पू. सं. 150)
कागज की एक शीट तथा एक पत्थर लीजिए तथा दोनों को किसी इमारत की पहली मंजिल से एक साथ गिरा कर देखिए कि क्या दोनों एक साथ धरती पर पहुँचते हैं?
निष्कर्ष – हम यह पाते हैं कि कागज धरती पर पत्थर की अपेक्षा कुछ देर से पहुँचता है। ऐसा वायु के प्रतिरोध के कारण होता है। गिरती हुई गतिशील वस्तुओं पर घर्षण के कारण वायु प्रतिरोध लगाती है। कागज पर लगने वाला वायु का प्रतिरोध पत्थर पर लगने वाले प्रतिरोध से अधिक होता है।
यदि इस प्रयोग को ऐसे जार में करें जिसमें से वायु निकाल दी गई है तो कागज तथा पत्थर एक ही दर से नीचे गिरेंगे।
पृथ्वी के निकट g का मान स्थिर है अतः एक समान त्वरित गति के सभी समीकरण त्वरण a के स्थान पर g रखने पर भी मान्य रहेंगे, ये समीकरण निम्न हैं-
सरल रेखीय | गुरुत्व के अधीन |
v = u + at | v = u + gt |
s = ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\)at² | h = ut + \(\frac { 1 }{ 2 }\)gt² |
v² = u² + 2as | v² = u² + 2gs |
जहाँ
u – वस्तु का प्रारस्भिक वेग
v – वस्तु का अन्तिम वेग
s – वस्तु द्वारा t समय में चली गई दूरी
नोट- यदि त्वरण गति की दिशा में लग रहा हो तो इसे धनात्मक लेते हैं तथा यदि त्वरण गति की दिशा के विपरीत लग रहा हो तो इसे ऋणात्मक लेते हैं।
उदाहरण 10.2.
एक कार किसी कगार से गिरकर 0.55 में धरती पर आ गिरती है। परिकलन में सरलता के लिए g का मान 10 मी / से.2 लीजिए।
(i) धरती पर टकराते समय कार की चाल क्या होगी?
(ii) 0.5 से. के दौरान इसकी औसत चाल क्या होगी?
(iii) धरती से कगार कितनी ऊँचाई पर है?
हल:
प्रश्नानुसार समय t = 0.58
प्रारम्भिक वेग u = 0 ms-1
गुरुत्वीय त्वरण g = 10 m s-2
कार का त्वरण a = + 10m/sec² (अधोमुखी)
(i) चाल v = at से
v = 10 मी/से.² x 0.5 से.
= 5 मी./से.-1
(ii) औसत चाल = \(\frac { u+v }{ 2 }\)
= (0 मी/से +5 मी/से.-1) / 2 = 2.5 मी/से.
(iii) तय की गई दूरी s = \(\frac { 1 }{ 2 }\) at² + \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 10 मी/से.² x (0.5 से.)²
= \(\frac { 1 }{ 2 }\) x 10 मी/से.-2 x 0.25 से.²
अतः = 1.25 मीटर
(i) धरती पर टकराते समय इसकी चाल 5मी/से.-1
(ii) 0.5 सेकण्ड के दौरान इसकी औसत चाल = 2.5 मी/से.-1
(iii) धरती से कगार की ऊँचाई = 1.25 मी.
उदाहरण 10.3.
एक वस्तु को ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर की ओर फेंका जाता है और यह 10 मीटर की ऊँचाई तक पहुँचती है। परिकलन कीजिए-
(i) वस्तु कितने वेग से ऊपर फेंकी गई तथा
(ii) वस्तु द्वारा उच्चतम बिन्दु तक पहुँचने में लिया गया समय।
हल:
तय की गई दूरी s = 10 मी
अन्तिम वेग v = 0 मी/से.
गुरुत्वीय त्वरण g = 9.8 मी/से.²
वस्तु का त्वरण a = – 9.8 मी / से.² (ऊर्ध्वमुखी)
(i) v² = u² + 2as
0 = u² + 2 × (- 9.8 मी / से.²) x 10m
– u² = – 2 × 9.8 × 10 मी² / से.²
u = \(\sqrt{196}\) मी/से.
u = 14 मी/से.
(ii) v = u + at
0 = 14 मी / से. – 9.8 मी / से.² x 1
t = 1.43 से
(i) प्रारम्भिक वेग u = 14 मी / से. तथा
(ii) लिया गया समय t = 1.43 सेकण्ड।
खण्ड 10.2 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पृ. सं. 152)
प्रश्न 1.
मुक्त पतन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
वस्तुएँ पृथ्वी की ओर गुरुत्वीय आकर्षण बल के कारण गिरती हैं। इसे हम कहते हैं कि वस्तुएँ मुक्त पतन में हैं।
प्रश्न 2.
गुरुत्वीय त्वरण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब कोई वस्तु पृथ्वी की ओर गिरती है तो पृथ्वी के आकर्षण के कारण वेग के परिमाण में परिवर्तन होता है। वेग में यह परिवर्तन त्वरण उत्पन्न करता है। यह त्वरण पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण है। इसलिए इसे गुरुत्वीय त्वरण कहते हैं।
खण्ड 10.3 एवं 10.4 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पृ. सं. 153)
प्रश्न 1.
किसी वस्तु के द्रव्यमान तथा भार में क्या अन्तर है?
उत्तर:
द्रव्यमान तथा भार में अन्तर
द्रव्यमान | भार |
1. किसी वस्तु में उपस्थित पदार्थ की मात्रा ही उसका द्रव्यमान होती है। | किसी वस्तु का भार उस बल के बराबर होता है जिससे पृथ्वी उस वस्तु को आकर्षित करती है। |
2. द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम है। | भार का मात्रक न्यूटन या किलोग्राम-भार है। |
3. किसी वस्तु के द्रव्यमान का मान प्रत्येक स्थान पर समान रहता है। | वस्तु का भार (m g) गुरुत्वीय त्वरण g के परिवर्तन के कारण भिन्न-भिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न होता है। |
4. द्रव्यमान अदिश राशि है। | भार सदिश राशि है। |
5. द्रव्यमान को भौतिक तुला से तोला जाता है। | भार को कमानीदार तुला से तोला जाता है। |
प्रश्न 2.
किसी वस्तु का चन्द्रमा पर भार पृथ्वी पर इसके भार का 1/6 गुना क्यों होता है?
उत्तर:
चन्द्रमा का द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान की तुलना में काफी कम है, इस कारण चन्द्रमा की सतह पर चन्द्रमा के कारण गुरुत्वीय त्वरण का मान, पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण के मान का 1/6 होता है। अब चूँकि किसी स्थान पर किसी वस्तु का भार उस स्थान पर गुरुत्वीय त्वरण के समानुपाती होता है; अंतः चन्द्रमा पर किसी वस्तु का भार पृथ्वी पर उसके भार का 1/6 गुना होता है।
क्रियाकलाप 10.4. (पा. पु. पृ. सं. 155)
प्लास्टिक की एक खाली बोतल लेकर उसके मुँह को एक वायुरुद्ध डाट से बन्द करके इसे एक पानी की बाल्टी में रखिए। बोतल को पानी में धकेलने पर ऊपर की ओर एक धक्का महसूस होता है तथा इसे और नीचे धकेलने में आपको कठिनाई महसूस होगी। पानी द्वारा बोतल पर ऊपर की ओर एक बल लगाया जाता है जिसे उत्प्लावन बल कहते हैं।
क्रियाकलाप 10.5. (पा.पु. पृ. सं. 156)
एक बीकर लेकर उसमें भरे पानी की सतह पर एक लोहे की कील रखिए। कील पानी में डूब जाती है। इस प्रकार का उत्तर जानने के लिए एक क्रियाकलाप करते हैं।
क्रियाकलाप 10.6 (पा.पु. पू. सं. 156)
पानी से भरा बीकर लेकर एक कील तथा समान द्रव्यमान का एक कॉर्क का टुकड़ा लेकर उन्हें पानी की सतह पर रखा। आप पायेंगे कि कील पानी में डूब जाती है जबकि कॉर्क का टुकड़ा पानी के ऊपर तैरता
रहता है।
कारण- कॉर्क तैरता है जबकि कील डूब जाती है। ऐसा उनके घनत्वों में अन्तर के कारण होता है। किसी पदार्थ का घनत्व, उसके एकांक आयतन के द्रव्यमान को कहते हैं। कॉर्क का घनत्व पानी के घनत्व से कम है अर्थात् कॉर्क पर पानी का उत्प्लावन बल, कॉर्क के भार से अधिक है इसलिए यह तैरता है।
इस प्रकार द्रव के घनत्व से कम घनत्व की वस्तुएँ द्रव पर तैरती हैं। द्रव के घनत्व से अधिक घनत्व की वस्तुएँ द्रव मैं डूब जाती हैं।
खण्ड 10.5 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पू. सं. 157)
प्रश्न 1.
एक पतली तथा मजबूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से स्कूल बैग को उठाना कठिन होता है, क्यों?
उत्तर:
यदि स्कूल बैग को पतली तथा मजबूत डोरी से बने पट्टे की सहायता से हाथ में उठाया जाए अथवा कन्धे से लटकाया जाए तो यह पट्टा हाथ अथवा कन्धे के छोटे से क्षेत्रफल के सम्पर्क में होगा। तब बैग का सम्पूर्ण भार इस छोटे से क्षेत्रफल पर लगेगा जिसके फलस्वरूप इस क्षेत्रफल पर दाब बहुत अधिक होगा और पट्टा हाथ या कन्धे में गढ़ जाएगा।
प्रश्न 2.
उत्प्लावकता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
उत्प्लावकता- किसी द्रव का वह गुण जिसके कारण वह द्रव में छोड़ी गई किसी वस्तु पर ऊपर की ओर एक बल लगाता है, उत्प्लावकता’ कहलाता है।
प्रश्न 3.
पानी की सतह पर रखने पर कोई वस्तु क्यों तैरती या डूबती है?
उत्तर:
जब किसी वस्तु को पानी की सतह पर रखा जाता है तो उस वस्तु पर दो बल कार्य करते हैं- प्रथम वस्तु पर पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल (वस्तु का भार) नीचे की ओर तथा द्वितीय वस्तु पर पानी का उत्प्लावन बल ऊपर की और।
किसी वस्तु का पानी में डूबना या तैरना उपर्युक्त दोनों बलों के आपेक्षिक मानों पर निर्भर करता है।
- यदि वस्तु का भार उत्प्लावन बल से अधिक है तो वस्तु पानी में डूब जाएगी।
- यदि वस्तु का भार उत्प्लावन बल से कम है तो वस्तु पानी में तैरेगी।
- यदि वस्तु का भार उत्प्लावन बल के बराबर है तो वस्तु पानी में पूरी डूबकर तैरती रहेगी।
किसी वस्तु के जल में तैरने या डूबने का ज्ञान उस वस्तु के घनत्व से प्राप्त किया जा सकता है। यदि वस्तु का घनत्व जल के घनत्व से कम है तो वह वस्तु जल में तैरेगी। इसके विपरीत यदि वस्तु का घनत्व, जल के घनत्व से अधिक है तो वह वस्तु जल में डूब जाएगी।
क्रियाकलाप 10.7. (पा.पु. पू. सं. 157)
एक पत्थर के टुकड़े को किसी कमानीदार तुला या रबड़ की डोरी के एक सिरे से बाँधकर लटकाएँ (चित्र 10.5 a) पत्थर के भार के कारण रबड़ की डोरी की लम्बाई में वृद्धि या कमानीदार तुला का पाठ्यांक नोट कीजिए। अब पत्थर को पानी से भरे एक बर्तन में डुबोइए (चित्र 10.5 b) डोरी की लम्बाई या तुला की माप में हुए परिवर्तन को नोट कीजिए।
आप देखेंगे कि पानी में डुबाने पर डोरी की लम्बाई या तुला के पाठ्यांक में कमी आती है। यह कमी पत्थर द्वारा हटाए गए पानी के भार के बराबर होगी।
“जब किसी वस्तु को किसी तरल में पूर्ण या आंशिक रूप में डुबोया जाता है तो वह ऊपर की दिशा में एक बल का अनुभव करती हैं जो वस्तु द्वारा हटाए गए तरल के भार के बराबर होता है। इसे आर्किमिडीज का सिद्धान्त कहते हैं।”
आर्किमिडीज के सिद्धान्त के बहुत से अनुप्रयोग हैं। यह जलयानों तथा पनडुब्बियों के डिजाइन बनाने में काम आता हैं। हाइड्रोमीटर तथा दुग्धमापी भी इसी सिद्धान्त पर आधारित हैं।
प्रश्न 1.
पनडुब्बियां किस सिद्धान्त पर कार्य करती हैं?
उत्तर:
आर्किमिडीज के सिद्धान्त पर
प्रश्न 2.
आर्किमिडीज का सिद्धान्त क्या है?
उत्तर:
जब किसी वस्तु को पूर्ण या आंशिक रूप से द्रव में डुबोया जाता है तो वह ऊपर की ओर एक बल का अनुभव करती है, जो उस वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के भार के बराबर होता है।
खण्ड 10.6 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पृ. सं. 158)
प्रश्न 1.
एक तुला पर आप अपना द्रव्यमान 42 किग्रा नोट करते हैं। क्या आपका द्रव्यमान 42 किग्रा से अधिक है या कम?
उत्तर:
चूँकि हम किसी वस्तु का द्रव्यमान वायु में मापते हैं; अतः वायु की उत्प्लावकता के कारण तुला का पाठ्यांक सदैव ही वस्तु के वास्तविक द्रव्यमान से कम होता है। अतः हमारा वास्तविक द्रव्यमान 42 किग्रा से अधिक होगा, यद्यपि यह अन्तर अत्यन्त कम होगा।
प्रश्न 2.
आपके पास एक रुई का बोरा तथा एक लोहे की छड़ है। तुला पर मापने पर दोनों 100 किग्रा द्रव्यमान दर्शाते हैं। वास्तविकता में एक दूसरे से भारी है। क्या आप बता सकते हैं कि कौन-सा भारी है और क्यों?
उत्तर:
वायु की उत्प्लावकता के कारण तुला दोनों का ही द्रव्यमान कम मापती है। चूँकि समान द्रव्यमान की रुई का आयतन लोहे की तुलना में अधिक है। अतः रुई पर उत्प्लावकता का प्रभाव अधिक होगा अर्थात् रुई के वास्तविक द्रव्यमान तथा प्रेक्षित द्रव्यमान में अन्तर लोहे के वास्तविक तथा प्रेक्षित द्रव्यमानों में अन्तर की तुलना में अधिक होगा। अतः रुई का वास्तविक द्रव्यमान लोहे के वास्तविक द्रव्यमान से अधिक होगा। अर्थात् रुई लोहे की तुलना में भारी होगी।