JAC Class 10 Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

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JAC Board Class 10 Science Notes Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

→ डॉबेराइनर के त्रिक-सन् 1817 में जर्मन रसायनज्ञ वुल्फगांग डॉबेराइनर ने समान गुणधर्मों वाले तत्त्वों को समूहों में व्यवस्थित करने का प्रयास किया-

  • तीन-तीन तत्त्वों वाले कुछ समूहों को चुना एवं उन समूहों को त्रिक कहा गया।
  • त्रिक के तीनों तत्त्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में रखने पर बीच वाले तत्त्व का परमाणु द्रव्यमान, अन्य दो तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमान का औसत होता है।

→ न्यूलैंड्स का अष्टक सिद्धान्त-

  • अंग्रेज वैज्ञानिक जॉन न्यूलैंड्स ने सबसे कम परमाणु द्रव्यमान वाले तत्त्व से आरम्भ कर 56वें तत्त्व थोरियम तक आरोही क्रम में तत्त्वों को व्यवस्थित किया।
  • न्यूलैंड्स ने देखा कि प्रत्येक आठवें तत्त्व का गुणधर्म पहले तत्त्व के समान है। उन्होंने इसकी तुलना संगीत के अष्टक से की और इसलिए उन्होंने इसे अष्टक का सिद्धान्त कहा।

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→ न्यूलैंड्स का अष्टक सिद्धान्त केवल हल्के तत्त्वों के लिए ही ठीक से लागू हो पाया था।

→ न्यूलैंड्स के अष्टक नियम की सीमाएँ-

  • न्यूलैंड्स ने कल्पना की कि प्रकृति में केवल 56 तत्त्व विद्यमान हैं और भविष्य में किसी अन्य तत्त्व की खोज नहीं होगी। बाद में कई नये तत्त्वों की खोज हुई जिसके गुणधर्म, अष्टक सिद्धान्त से मेल नहीं खाते थे।
  • न्यूलैंड्स का अष्टक का सिद्धान्त केवल कैल्सियम तक ही लागू होता था क्योंकि कैल्सियम के प्रत्येक आठवें तत्त्व का गुणधर्म पहले तत्त्व से नहीं मिलता था।

→ मेण्डलीफ की आवर्त सारणी-

  • मेण्डलीफ ने तत्त्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम तथा रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर वर्गीकृत किया।
  • मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में ऊर्ध्व स्तंभ को समूह तथा क्षैतिज पंक्तियों को आवर्त कहते हैं।

→ मेण्डलीफ के आवर्त सारणी का सिद्धान्त-

  • तत्त्वों के गुणधर्म उनके परमाणु द्रव्यमान का आवर्तफलन होते हैं।
  • मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में आठ Group तथा 6 Period होते हैं।
  • उस समय तक 63 तत्त्व ज्ञात थे, जिनके ऊपर मेण्डलीफ ने प्रयोग किया।

→ मेण्डलीफ की आवर्त सारणी की उपलब्धियाँ-

  • मेण्डलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ रिक्त स्थान छोड़ दिये और इनसे सम्बन्धित तत्त्वों के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी तथा उनके गुणों का भी अनुमान किया। इसलिए यह नये तत्त्वों की खोज के लिए प्रेरित करती है।
  • अक्रिय गैसों की खोज होने पर सारणी में छेड़छाड़ किये बिना ही इन्हें नये समूह में रखा गया।

→ मेण्डलीफ के वर्गीकरण की सीमाएँ-

  • वह अपनी सारणी में हाइड्रोजन को सही स्थान नहीं दे पाये। इसे क्षारीय धातु के साथ Group I में रखा गया परन्तु ये हैलोजन की तरह भी द्विपरमाणुक अणु के रूप में पायी जाती है और धातुओं तथा अधातुओं के साथ सहसंयोजक यौगिक बनाती है।
  • समस्थानिकों की खोज होने पर सारणी में इन्हें उचित स्थान देने में कठिनाई आती है।

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→ आधुनिक आवर्त सारणी-

  • हेनरी मोज्ले ने कहा कि तत्त्व के परमाणु द्रव्यमान की तुलना में उसका परमाणु संख्या अधिक आधारभूत गुणधर्म है।
  • आधुनिक आवर्त नियम-तत्त्वों के गुणधर्म उनकी परमाणु संख्या का आवर्त फलन होते हैं।
  • आवर्त सारणी में तत्त्वों की स्थिति से उनकी रासायनिक अभिक्रियाशीलता का पता चलता है।
  • आधुनिक आवर्त सारणी में 18 ऊर्ध्व स्तंभ हैं, जिन्हें समूह (Group) कहा जाता है तथा 7 क्षैतिज पंक्तियाँ हैं, जिन्हें आवर्त (Period) कहा जाता है।

→ आधुनिक आवर्त सारणी की प्रवृत्ति-

  • संयोजकता – किसी भी तत्त्व की संयोजकता उसके परमाणु के सबसे बाहरी कोश में उपस्थित संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या से निर्धारित होती है।
  • परमाणु साइज – (a) समूह में – जब किसी ग्रुप में नीचे बढ़ते हैं तब परमाणु साइज में वृद्धि होती है, क्योंकि ऊपर से नीचे जाने पर एक एक कोश की वृद्धि होती जाती है।, (b) आवर्त में आवर्त में बायें से दायें ओर जाने पर परमाणु त्रिज्या घटती है क्योंकि नाभिक में आवेश के बढ़ने से यह इलेक्ट्रॉनों को नाभिक की ओर खींचता है जिससे परमाणु का साईज घट जाता है।
  • धात्विक अभिलक्षण – धात्विक अभिलक्षण आवर्त में घटता है तथा समूह में नीचे जाने पर बढ़ता है।
  • धातुओं के ऑक्साइड क्षारीय तथा अधातुओं के ऑक्साइड सामान्यतः अम्लीय होते हैं।

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