Jharkhand Board JAC Class 9 Science Solutions Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई Textbook Exercise Questions and Answers.
JAC Board Class 9 Science Solutions Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई
Jharkhand Board Class 9 Science जीवन की मौलिक इकाई Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
पादप कोशिकाओं तथा जन्तु कोशिकाओं में तुलना करो।
उत्तर:
पादप कोशिका तथा जन्तु कोशिका में तुलना।
पादप कोशिका | जन्तु कोशिका |
1. इसमें सेल्यूलोज की बनी कोशिका भित्ति तथा प्लाज्मा झिल्ली दोनों पाई जाती हैं। | 1. इसमें कोशिका भित्ति नहीं होती केवल प्लाज्मा झिल्ली होती है। |
2. इनमें क्लोरोप्लास्ट होते हैं। | 2. इनमें क्लोरोप्लास्ट नहीं होता है। |
3. रसधानियौँ बड़ी होती हैं। | 3. रसधानियाँ छोटी या अनुपस्थित होती हैं। |
4. प्रायः कोशिका अंगक झिल्ली युक्त होते हैं। | 4. कोई भी कोशिका अंगक झिल्ली युक्त नहीं होता है। |
5. केन्द्रक कोशिका की परिधि की ओर खिसका रहता है। | 5. केन्द्रक गोल एवं कोशिका के मध्य में होता है। |
6. गॉल्जी उपकरण कम विकसित होते हैं। | 6. गॉल्जी उपकरण पूर्ण विकसित एवं स्पष्ट होता है। |
प्रश्न 2.
प्रोकैरियोटी कोशिकाएँ यूकैरियोटी कोशिकाओं से किस प्रकार भिन्न होती हैं?
उत्तर:
प्रोकैरियोटी व यूकैरियोटी कोशिका में भिन्नता
प्रोकैरियोटी कोशिका | यूकैरियोटीक कोशिका |
1. केन्द्रक झिल्ली नहीं होती है। | 1. केन्द्रक झिल्ली होती है। |
2. झिल्ली युक्त कोशिका अंगक नहीं होते हैं। | 2. झिल्ली युक्त कोशिका अंगक होते हैं। |
3. केवल एक क्रोमोसोम पाया जाता है। | 3. एक से अधिक क्रोमोसोम पाए जाते हैं। |
4. क्लोरोफिल झिल्लीदार पुटिका के साथ होता है। | 4. क्लोरोफिल प्लास्टिड में होता है। |
प्रश्न 3.
यदि प्लाज्मा झिल्ली फट जाए या टूट जाए तो क्या होगा?
उत्तर:
प्लाज्मा झिल्ली वर्णात्मक पारगम्य होती है। यह आवश्यक पदार्थों को अन्दर आने देती है तथा अनावश्यक पदार्थों को बाहर जाने देती है और अन्दर आने से रोकती है। यदि प्लाज्मा झिल्ली फट जाए या टूट जाए तो कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जायेगी।
प्रश्न 4.
यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका के जीवन में क्या होगा?
उत्तर:
यदि गॉल्जी उपकरण न हो तो कोशिका में बने पदार्थों का संचयन, रूपान्तरण और पैकिंग का कार्य सम्भव नहीं हो पायेगा।
प्रश्न 5.
कोशिका का कौन-सा अंगक बिजलीघर है? और क्यों?
उत्तर:
कोशिका का माइटोकॉन्ड्रिया महत्त्वपूर्ण अंगक तथा कोशिका का बिजलीघर है क्योंकि जीवन के लिए आवश्यक विभिन्न रासायनिक क्रियाओं के संचालन हेतु माइटोकॉन्ड्रिया भोजन के ऑक्सीकरण से ऊर्जा मुक्त करती है जो ATP के रूप में संचित रहती है। अतः ऊर्जा उत्पादन करने के कारण माइटोकॉन्ड्रिया को कोशिका का बिजलीघर कहते हैं।
प्रश्न 6.
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड तथा प्रोटीन का संश्लेषण कहाँ होता है?
उत्तर:
कोशिका झिल्ली को बनाने वाले लिपिड का संश्लेषण चिकनी अन्तर्द्रव्यी जालिका (SER) द्वारा तथा प्रोटीन का संश्लेषण राइबोसोम्स द्वारा होता है।
प्रश्न 7.
अमीबा अपना भोजन कैसे प्राप्त करता है?
उत्तर:
अमीबा एन्डोसाइटोसिस प्रक्रिया द्वारा बाह्य वातावरण से अपना भोजन प्राप्त करता है। इसकी प्लाज्मा झिल्ली अन्दर की ओर मुड़कर कप के आकार का गड्ढा (Cavity) बना लेती है, जिसमें भोजन प्रवेश कर जाता है। इसके बाद यह खाद्यधानी का रूप ले लेती है।
प्रश्न 8.
परासरण क्या है?
उत्तर:
परासरण एक विशिष्ट विधि है जिसके द्वारा जल के अणु वरणात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा उच्च जल की सान्द्रता से निम्न जल की सान्द्रता की ओर जाते हैं।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित परासरण प्रयोग करें-
छिले हुए आधे-आधे आलू के चार टुकड़े लो, इन चारों को खोखला करो जिससे कि आलू के कप बन जायें। इनमें से एक कप को उबले आलू में बनाना है। आलू के प्रत्येक कप को जल वाले बर्तन में रखो। अब
(a) कप ‘A’ को खाली रखो,
(b) कप ‘B’ में एक चम्मच चीनी डालो,
(c) कप ‘C’ में एक चम्मच नमक डालो, तथा
(d) उबले आलू से बनाए गए कप D में एक चम्मच चीनी डालो।
आलू के इन चारों कपों को दो घन्टे तक रखने के पश्चात् उनका अवलोकन करो तथा निम्न प्रश्नों के उत्तर दो-
(i) ‘B’ तथा ‘C’ के खाली भाग में जल क्यों एकत्र हो गया? इसका वर्णन करो।
(ii) ‘A’ आलू इस प्रयोग के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
(iii) ‘A’ तथा ‘D’ आलू के खाली भाग में जल क्यों एकत्र नहीं हुआ ? इसका वर्णन करो।
उत्तर:
(i) ‘B’ तथा ‘C’ के खाली भाग में जल इसलिए एकत्र हो गया क्योंकि परासरण द्वारा जल कप B तथा C के अन्दर चला गया।
(ii) ‘A’ आलू इस प्रयोग के लिए इसलिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि भीतर से खाली होने के कारण जल में कोई शुद्ध गति नहीं हुई।
(iii) ‘A’ तथा ‘D’ आलू के खाली भाग में जल एकत्र नहीं हुआ क्योंकि A कप कच्चे आलू का बना था और भीतर से खाली था परन्तु कप D उबले आलू का था जिसमें एक चम्मच चीनी थी। उबला होने के कारण वह वरणात्मक झिल्ली का कार्य नहीं करता। इसलिए आलू के कप A तथा D से जल में कोई शुद्ध गति नहीं हुई।
प्रश्न 10.
कायिक वृद्धि एवं मरम्मत हेतु किस प्रकार के कोशिका विभाजन की आवश्यकता होती है तथा इसका औचित्य बताएँ?
उत्तर:
कायिक वृद्धि एवं मरम्मत हेतु सूत्री विभाजन की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में हर कोशिका (मातृ कोशिका) विभाजित होती है तथा दो समरूप संतति कोशिकाओं का निर्माण करती हैं। संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका के समान होती है।
प्रश्न 11.
युग्मकों के बनने के लिए किस प्रकार का कोशिका विभाजन होता है? इस विभाजन का महत्त्व बताएँ ।
उत्तर:
युग्मकों के बनने के लिए अर्धसूत्री विभाजन होता है। इस विभाजन में प्रत्येक कोशिका अर्धसूत्रण द्वारा विभाजित होती हैं जिससे दो की जगह चार नई कोशिकाओं का निर्माण होता है।
Jharkhand Board Class 9 Science जीवन की मौलिक इकाई InText Questions and Answers
क्रियाकलाप – 1.
प्याज का एक छोटा टुकड़ा लेकर चिमटी की सहायता से प्याज की अवतल सतह की ओर (भीतरी सतह) से झिल्ली उतार लेते हैं। इस झिल्ली को तुरंत पानी से भरे वॉच ग्लास में रख लेते हैं। इससे झिल्ली मुड़ने या सूखने से बच जाती है। अब काँच की एक स्लाइड लेकर इस पर पानी की एक बूँद डालते हैं। इसके बाद वॉच ग्लास में रखी झिल्ली के छोटे टुकड़े को सीधी इस स्लाइड पर रखते हैं। अब इस पर एक बूँद आयोडीन की डालकर इसे कवर स्लिप से ढक देते हैं। कवर स्लिप को इस प्रकार से ढकते हैं कि इसमें वायु के बुलबुले न आने पायें। अब इस स्लाइड को संयुक्त सूक्ष्मदर्शी यंत्र से पहले कम शक्ति वाले तथा इसके बाद उच्च शक्ति वाले अभिदृश्यक द्वारा देखते हैं।
सूक्ष्मदर्शी द्वारा देखने पर झिल्ली की सभी संरचनाएँ एक जैसी दिखाई देती हैं। प्याज की झिल्ली की कोशिकाएँ एक समान होती हैं। प्याज के आकार से इनका कोई सम्बन्ध नहीं होता है। ये छोटी-छोटी संरचनाएँ प्याज के शल्ककन्द की मूलभूत इकाई हैं। इन संरचनाओं को कोशिका (Cell ) कहते हैं। इसी प्रकार सभी जीव-जन्तुओं का शरीर कोशिकाओं से मिलकर बना होता है। यद्यपि कुछ जीव एककोशिकीय भी होते हैं। सूक्ष्मदर्शी के आविष्कार के बाद ही यह पता चला है कि एक कोशिका स्वयं में ही एक सम्पूर्ण जीव जैसे – अमीबा, क्लैमिडोमोनास, पैरामीशियम तथा बैक्टीरिया हो सकती है।
इन सजीवों को एक कोशिकीय जीव कहते हैं। बहुकोशिकीय जीवों में अनेक कोशिकाएँ समाहित होकर विभिन्न कार्यों को सम्पन्न करने के लिए विभिन्न अंगों का निर्माण करती हैं। उदाहरणार्थ- फंजाई (कवक), पादप तथा जन्तु। सभी कोशिकाएँ अपनी पूर्ववर्ती कोशिकाओं से उत्पन्न होती हैं। (पा. पु. पृ. सं. – 65)
क्रियाकलाप – 2.
प्याज की पत्ती की झिल्ली, प्याज की मूलाग्र अथवा विभिन्न आकार के प्याज की झिल्ली की अस्थायी स्लाइड बना सकते हैं।
कोशिकाओं की आकृति तथा आकार उनके विशिष्ट कार्यों के अनुरूप होते हैं। कुछ कोशिकाएँ अपना आकार
बदलती रहती हैं, जैसे- एककोशिकीय अमीबा कुछ जीवों में कोशिका का आकार लगभग स्थिर रहता है और प्रत्येक प्रकार की कोशिका के लिए विशिष्ट होता है। उदाहरण के लिए तंत्रिका कोशिका।
प्रत्येक जीवित कोशिका में कुछ मूलभूत कार्य करने की क्षमता होती है, जो सभी सजीवों का गुण है। शरीर के विभिन्न अंग विभिन्न कार्य करते हैं जैसे मनुष्य के शरीर में हृदय रुधिर को पम्प करता है तथा आमाशय भोजन का पाचन करता है आदि। इसी प्रकार एककोशिकीय जीवों में भी श्रम विभाजन होता है।
वास्तव में ऐसी प्रत्येक कोशिका में कुछ विशिष्ट घटक होते हैं जिन्हें कोशिकांग कहते हैं। प्रत्येक कोशिकांग एक विशिष्ट कार्य करता है, जैसे कोशिका में नए पदार्थ का निर्माण, अपशिष्ट पदार्थों का निष्कासन आदि। इन कोशिकांगों के कारण ही एक कोशिका जीवित रहती है और अपने सभी कार्य करती हैं। ये कोशिकांग मिलकर एक मूलभूत इकाई बनाते हैं जिसे कोशिका कहते हैं।
प्रश्न 1.
क्या सभी कोशिकाओं का आकार तथा आकृति एक जैसी दिखाई देती हैं?
उत्तर:
नहीं, कोशिकाओं की आकृति तथा आकार उनके विशिष्ट कार्यों के अनुरूप होते हैं।
प्रश्न 2.
क्या सभी कोशिकाओं की संरचना एक जैसी दिखाई देती है?
उत्तर:
हाँ, सभी कोशिकाओं की संरचना एक जैसी दिखाई देती है।
प्रश्न 3.
क्या पादप के विभिन्न भागों में पाई जाने वाली कोशिकाओं में कोई अन्तर है?
उत्तर:
पादप के विभिन्न भागों की कोशिकाएँ विभिन्न प्रकार के विशिष्ट कार्य करती हैं। पादप बहुकोशिकीय होते हैं। इनका विकास ही एक ही कोशिका से हुआ है। कोशिकाएँ विभाजित होकर अपने जैसी ही कोशिकाएँ बनाती हैं। अतः सभी भागों की कोशिकाएँ एक जैसी होती हैं।
प्रश्न 4.
हमें कोशिकाओं में क्या समानता दिखाई देती है?
उत्तर:
सभी कोशिकाओं की संरचना एक समान दिखाई देती है। चूँकि सभी कोशिकाओं में एक ही प्रकार के कोशिकांग होते हैं।
खण्ड 5.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पू. सं. 66)
प्रश्न 1.
कोशिका की खोज किसने और कैसे की?
उत्तर:
कोशिका की खोज सर्वप्रथम रॉबर्ट हुक ने 1605 में की। उन्होंने कोशिका को कॉर्क की पतली काट में अनगढ़ सूक्ष्मदर्शी की सहायता से देखा। उन्हें कॉर्क की संरचना मधुमक्खी के छत्ते जैसी दिखाई दी। उन्होंने कॉर्क के प्रकोष्ठों को कोशिका (Cell) नाम दिया।
प्रश्न 2.
कोशिका को जीवन की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई क्यों कहते हैं?
उत्तर:
कोशिका जीवन की संरचनात्मक इकाई हैक्योंकि कोशिकाएँ विभाजित होकर अपने जैसी ही कोशिकाएँ बनाती हैं जिससे जीवों का शरीर बनता है। अतः कोशिका जीवन की संरचनात्मक इकाई है।
कोशिका जीवन की क्रियात्मक इकाई है क्योंकि कोशिकाओं की आकृति तथा आकार उनके विशिष्ट कार्यों के अनुरूप होते हैं। प्रत्येक सजीव कोशिका में कुछ मूलभूत कार्य करने की क्षमता होती है। ये कार्य कोशिका में स्थित कोशिकांगों द्वारा किये जाते हैं। प्रत्येक कोशिकांग एक विशिष्ट कार्य करता है। अतः कोशिका को जीवन की क्रियात्मक इकाई कहते हैं।
क्रियाकलाप-3.
(a) एक अण्डे को तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) में डालकर उसके कवच को हटा देते हैं। इसका कवच प्राय: कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3) का बना होता है। अब अण्डे को एक पतली बाह्य त्वचा (झिल्ली) घेरे रहती है। इस अण्डे को शुद्ध जल में रखते हैं और 5 मिनट के बाद देखते हैं तो अण्डा फूल जाता है, क्योंकि परासरण द्वारा जल अण्डे के अन्दर चला जाता है।
(b) इसी प्रकार एक कवच रहित अण्डे को नमक के सान्द्र विलयन (NaCl) में रखते हैं। 5 मिनट बाद देखने से ज्ञात होता है कि अण्डा सिकुड़ जाता है। जल अण्डे से निकलकर नमक के विलयन में आ जाता है, क्योंकि नमक का विलयन अधिक सान्द्रित होता है। (पा. पु. पृ. सं. -68)
क्रियाकलाप – 4.
सूखी किशमिश को केवल जल में कुछ देर तक रखते हैं। उसके बाद उसे शक्कर या नमक के सान्द्रित विलयन में रखते हैं जल में रखने पर किशमिश जल ग्रहण करके फूल जाती है सान्द्रित घोल में रखने पर वह सिकुड़ जाती है क्योंकि उसका जल बाहर निकल जाता है।
एक कोशिकीय अलवणीय जलीय जीव तथा अधिकांश पादप कोशिकाएँ परासरण द्वारा जल ग्रहण करते हैं। पौधों के मूल द्वारा जल का अवशोषण परासरण का एक उदाहरण है। इसके अतिरिक्त विसरण, कोशिका को अपने बाहरी पर्यावरण से पोषण ग्रहण करने में सहायता करता है। कोशिका के विभिन्न अणुओं का अन्दर आना तथा बाहर निकलना भी विसरण द्वारा ही होता है। इस प्रकार के परिवहन में ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
प्लाज्मा झिल्ली लचीली होती है। यह कार्बनिक अणुओं जैसे- लिपिड तथा प्रोटीन की बनी होती है। कोशिका झिल्ली का लचीलापन एककोशिकीय जीवों में कोशिका के बाह्य पर्यावरण से अपना भोजन तथा अन्य पदार्थ ग्रहण करने में सहायता करता है। इस प्रक्रिया को एण्डोसाइटोसिस कहते हैं। अमीबा अपना भोजन इसी प्रक्रिया द्वारा प्राप्त करता है।
(पा. पु. पू. सं. – 68)
क्रियाकलाप – 5.
विद्यालय के पुस्तकालय या इंटरनेट की सहायता से इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के बारे में पता करें। इससे संबंधित विषय में अपने अध्यापक/अध्यापिका से चर्चा करें।
खण्ड 5.2.1 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पू. सं. – 68)
प्रश्न 1.
CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका में कैसे अन्दर तथा बाहर जाते हैं? इस पर चर्चा करें।
उत्तर:
CO2 तथा पानी जैसे पदार्थ कोशिका झिल्ली के अन्दर तथा बाहर विसरण प्रक्रिया द्वारा आ-जा सकते हैं। जब कोशिका के भीतर CO2 की सान्द्रता बढ़ जाती है तो उच्च सान्द्रता से निम्न सान्द्रता की ओर विसरण द्वारा CO2 बाहर निकल जाती है। इसी प्रकार परासरण द्वारा जल के अणु वरणात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा उच्च जल की सान्द्रता से निम्न जल की सान्द्रता की ओर जाते हैं।
प्रश्न 2.
प्लाज्मा झिल्ली को वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली क्यों कहते हैं?
उत्तर:
प्लाज्मा झिल्ली कोशिका के घटकों को बाहरी पर्यावरण से अलग करती है। प्लाज्मा झिल्ली केवल कुछ वांछित पदार्थों को ही कोशिका के अन्दर आने देती है और अवांछित पदार्थों को अन्दर आने से रोक देती है। इसी प्रकार यह झिल्ली कोशिका के लिए अनावश्यक पदार्थों को तो बाहर जाने देती है तथा वांछित पदार्थों को अन्दर ही रोक लेती है। इसीलिए प्लाज्मा झिल्ली को वरणात्मक पारगम्य झिल्ली कहते हैं।
क्रियाकलाप – 6.
रिओ की पत्ती की झिल्ली को पानी में रखकर एक स्लाइड बनाते हैं इसे उच्च शक्ति वाले सूक्ष्मदर्शी से देखने पर इसमें छोटे-छोटे कण दिखाई देते हैं। इन्हें क्लोरोप्लास्ट कहते हैं। इनमें एक हरा पदार्थ क्लोरोफिल होता है। अब स्लाइड पर शक्कर या नमक का सान्द्र विलयन डालते हैं। अब रिओ की पत्तियों को कुछ मिनट तक जल में उबालते हैं। इससे पत्तियों की सभी कोशिकाएँ मर जायेंगी। अब स्लाइड पर रखी झिल्ली पर नमक का सान्द्र विलयन डालते हैं। इसे एक मिनट बाद पुनः सूक्ष्मदर्शी से देखते हैं तो पता लगता है कि केवल जीवित कोशिकाओं में ही परासरण द्वारा जल अवशोषण की क्षमता होती है न कि मृत कोशिकाओं में।
कोशिका भित्ति पौधों, कवक तथा बैक्टीरिया की कोशिकाओं को अपेक्षाकृत कम तनु विलयन में बिना फटे बनाये रखती है। ऐसे माध्यम से कोशिका परासरण विधि द्वारा पानी लेकर फूल जाती है और कोशिका भित्ति के ऊपर दबाव डालती है। कोशिका भित्ति भी फूली हुई कोशिका के प्रति समान रूप से दबाव डालती है। कोशिका भित्ति के कारण पादप कोशिकाएँ परिवर्तनीय माध्यम को जन्तु कोशिका की अपेक्षा आसानी से सहन कर सकती हैं।
क्रियाकलाप – 7.
काँच की एक स्लाइड लेकर उस पर एक बूँद पानी रखते हैं। अब अपने गाल के अन्दर की त्वचा को आइसक्रीम खाने वाले चम्मच से खुरचकर सुई की सहायता से स्लाइड पर समान रूप से फैलाते हैं। इसे रंगने के लिए एक बूँद मेथलीन ब्लू की डालते हैं। अब इसके ऊपर कवर स्लिप रखते हैं और सूक्ष्मदर्शी द्वारा अवलोकन करते हैं।
हम देखते हैं कि कोशिका के मध्य में एक गहरे रंग की गोलाकार अथवा अण्डाकार, डॉट के समान संरचना दिखाई देती है। इस संरचना को केन्द्रक कहते हैं।
केन्द्रक के चारों और दोहरे परत का एक स्तर होता है जिसे केन्द्रक झिल्ली कहते है। केन्द्रक झिल्ली में छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। इन छिद्रों के द्वारा केन्द्रक के अन्दर का कोशिका द्रव्य केन्द्रक के बाहर जा सकता है केन्द्रक में क्रोमोसोम होते हैं जो कोशिका विभाजन के समय छड़ों की तरह दिखाई देते हैं। क्रोमोसोम में आनुवंशिक गुण होते हैं जो माता-पिता DNA (डिऑक्सीराइबो न्यूक्लीइक अम्ल) अणु के रूप में अगली संतति में जाते हैं।
क्रोमोसोम DNA तथा प्रोटीन के बने होते हैं। DNA अणु में कोशिका के निर्माण व संगठन की सभी आवश्यक सूचनाएँ होती हैं DNA के क्रियात्मक खण्ड को जीन कहते हैं। अविभाजित कोशिका में DNA क्रोमेटिन पदार्थ के रूप में विद्यमान रहता है। क्रोमेटिन पदार्थ धागे के समान रचनाओं के एक जाल का पिण्ड होता है। कोशिका विभाजन के समय यह क्रोमोसोम में संगठित हो जाता है।
कुछ जीवों में केन्द्रक कोशिका जनन के समय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह कोशिका के विकास एवं परिपक्वन को निर्धारित करता है तथा साथ ही सजीव कोशिका की रासायनिक क्रियाओं को भी निर्देशित करता है। बैक्टीरिया जैसे कुछ जीवों में केन्द्रक झिल्ली नहीं होती है ऐसे अस्पष्ट केन्द्रक क्षेत्र में केवल क्रोमेटिन पदार्थ होता है। ऐसे क्षेत्र को केन्द्रकाय कहते हैं। ऐसे जीव जिसकी कोशिकाओं में केन्द्रक झिल्ली नहीं होती है उन्हें प्रोकेरियोट तथा जिन जीवों की कोशिकाओं में केन्द्रक झिल्ली होती है। उन्हें यूकेरियोट कहते हैं।
खण्ड 5.2.4 से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा.पु. पृ. सं. – 70)
प्रश्न 1.
क्या अब आप निम्नलिखित तालिका में दिए गए रिक्त स्थानों को भर सकते हैं; जिससे कि प्रोकैरियोटी तथा यूकैरियोटी कोशिकाओं में अन्तर स्पष्ट हो सके।
उत्तर:
प्रोकैरियोटी कौशिका | यूकैरियोटी कोशिका |
1. आकार प्राय : छोटा (1-10 um) 1m = 10-6m | 1. आकार प्राय: बड़ा (5-100 um) |
2. केन्द्रकीय क्षेत्रः बहुत कम स्पष्ट होता है। अस्पष्ट केन्द्रक क्षेत्र में केवल क्रोमेटिन पदार्थ होता है। उसे केन्द्रकाय कहते हैं। | 2. केन्द्रकीय क्षेत्र: सुस्पष्ट। जो चारों ओर से केन्द्रकीय झिल्ली से घिरा रहता है। |
3. क्रोमोसोम : एक। | 3. क्रोमोसोम : एक से अधिक। |
4. झिल्ली युक्त कोशिका अंगक अनुपस्थित होते हैं। | 4. झिल्ली युक्त कोशिका अंगक उपस्थित होते हैं। |
खण्ड 5.2.5 से सम्बन्धित पाठ्य-पुस्तक के प्रश्नोत्तर (पा. पु. पृ. सं. -73)
प्रश्न 1.
क्या आप दो ऐसे अंगकों का नाम बता सकते हैं, जिनमें अपना आयुवंशिक पदार्थ होता है?
उत्तर:
ऐसे दो अंगक जिनमें अपना आनुवंशिक पदार्थ होता है- वे हैं-
- माइटोकॉन्ड्रिया तथा
- प्लास्टिड।
प्रश्न 2.
यदि किसी कोशिका का संगठन किसी भौतिक अथवा रासायनिक प्रभाव के कारण नष्ट हो जाता है, तो क्या होगा?
उत्तर:
यदि किसी कोशिका का संगठन नष्ट हो जाता है तो लाइसोसोम फट जाते हैं और एन्जाइम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं फलस्वरूप कोशिका नष्ट हो जाती है।
प्रश्न 3.
लाइसोसोम को आत्मघाती थैली क्यों कहते हैं?
उत्तर:
कोशिकीय उपापचय में व्यवधान के कारण जब कोशिका क्षतिग्रस्त या मृत हो जाती है तो लाइसोसोम फट जाते हैं और एन्जाइम अपनी ही कोशिकाओं को पाचित कर देते हैं इसलिए लाइसोसोम को कोशिका की ‘आत्मघाती थैली’ कहते हैं।
प्रश्न 4.
कोशिका के अन्दर प्रोटीन संश्लेषण कहाँ होता है?
उत्तर:
कोशिका के अन्दर प्रोटीन संश्लेषण राइबोसोम में होता है।
कोशिका विभाजन-जीवधारियों में वृद्धि के लिए नई कोशिकाओं का निर्माण होता है। इससे पुराने, मृत और क्षतिग्रस्त कोशिकाएँ प्रतिस्थापित हो जाती हैं तथा प्रजनन के लिए युग्मक बनते हैं। नई कोशिकाओं के निर्माण की प्रक्रिया को कोशिका विभाजन कहते हैं। कोशिका विभाजन के दो प्रकार होते हैं-सूत्री विभाजन और अर्ध सूत्री विभाजन।
सूत्री विभाजन – इस प्रक्रिया में अधिकतर कोशिकाएँ वृद्धि के लिए विभाजित होती हैं। प्रत्येक कोशिका (मातृ कोशिका), दो समरूप कोशिकाओं में विभाजित होती हैं। संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका के बराबर होती है। यह जीवों में वृद्धि और ऊतकों के मरम्मत में सहायक होती है।
अर्धसूत्री विभाजन-जंतुओं तथा पादपों के प्रजनन अंगों या ऊतकों की विशेष कोशिकाएँ विभाजित हो, युग्मक बनाती है जो निषेचन के बाद संतति उत्पन्न करती है। इस विभाजन को अर्धसूत्रण भी कहते हैं। इस प्रक्रिया में चार नई कोशिकाएँ बनती हैं। नई कोशिकाओं में मातृ कोशिकाओं की अपेक्षा गुणसूत्रों की संख्या आधी होती है।