JAC Board Class 9th Social Science Important Questions Economics Chapter 2 संसाधन के रूप में लोग
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए
1. कौशल एवं उनमें निहित उत्पादन के ज्ञान का स्टॉक है
(अ) भौतिक पूँजी
(ब) प्राकृतिक संसाधनों
(स) मानव पूँजी
(द) भूमि।
उत्तर:
(स) मानव पूँजी
2. भारत की विशाल जनसंख्या को माना जाता रहा है
(अ) परिसम्पत्ति
(ब) दायित्व
(स) समस्या
(द) पूँजी।
उत्तर:
(ब) दायित्व
3. सन् 2014 में भारत में जीवन प्रत्याशा थी
(अ) 55 वर्ष
(ब) 68.3 वर्ष
(स) 75 वर्ष
(घ) 60 वर्ष।
उत्तर:
(ब) 68.3 वर्ष
अति लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानव पूँजी क्या है?
उत्तर:
शिक्षित, प्रशिक्षित एवं स्वस्थ जनसंख्या ही मानव पूँजी है।
प्रश्न 2.
शिक्षित माँ-बाप ही अपने बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान क्यों दे पाते हैं?
उत्तर:
शिक्षित व जागरूक माँ-बाप अपने बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर इसलिए अधिक ध्यान दे पाते हैं क्योंकि वे स्वयं इनके महत्व का अनुभव कर चुके होते हैं।
प्रश्न 3.
जापान जैसा देश बिना किसी प्राकृतिक संसाधन के विकसित व धनी देश कैसे बना?
उत्तर:
जापान बिना किसी पर्याप्त प्राकृतिक संसाधन के विकसित व धनी देश लोगों की शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश से बना। क्योंकि इन शिक्षित और स्वस्थ लोगों ने कुशलता और प्रौद्योगिकी विकसित की जिससे भूमि और पूँजी जैसे संसाधनों का बेहतर उपयोग किया गया।
प्रश्न 4.
मानव के क्रियाकलापों के कितने क्षेत्रकों में वर्गीकृत किया गया है?
उत्तर:
विभिन्न मानवीय क्रिया कलापों को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक इन तीन क्षेत्रकों में वर्गीकृत किया गया है।
प्रश्न 5.
आर्थिक क्रियाओं के तीनों क्षेत्रकों से सम्बन्धित क्रियाओं का एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्राथमिक क्षेत्रक-कृषि कार्य द्वितीयक क्षेत्रक-विनिर्माण तृतीयक क्षेत्रक-परिवहन सेवा।
प्रश्न 6.
आर्थिक क्रियाओं से क्या आशय है?
उत्तर:
वे क्रियाएँ जो राष्ट्रीय आय में मूल्यवर्धन करती हैं उन्हें आर्थिक क्रिया कहते हैं।
प्रश्न 7.
आर्थिक क्रियाओं के दोनों भागों के नाम लिखिए।
उत्तर:
- बाजार क्रियाएं,
- गैर-बाजार क्रियाएँ।
प्रश्न 8.
बाजार क्रियाओं से क्या आशय है?
उत्तर:
मानव द्वारा वेतन प्राप्ति या लाभ के उद्देश्य से की गई क्रियाओं को बाजार क्रियाएँ कहते हैं।
प्रश्न 9.
गैर-बाजार क्रियाओं से क्या आशय है?
उत्तर:
गैर-बाजार क्रियाओं से अभिप्राय स्व-उपभोग के लिए किये गये उत्पादन से है।
प्रश्न 10.
जनसंख्या की गुणवत्ता किस पर निर्भर करती है?
उत्तर:
जनसंख्या की गुणवत्ता साक्षरता दर, जीवन प्रत्याशा से निरूपित व्यक्तियों के स्वास्थ्य एवं देश के लोगों द्वारा प्राप्त कौशल निर्माण पर निर्भर होती है।
प्रश्न 11.
कक्षा में बच्चों की उपस्थिति को बढ़ावा देने तथा कक्षा में ठहराव को सुनिश्चित करने के लिए कौन-सी योजना प्रारम्भ की गई है?
उत्तर:
कक्षा में बच्चों की उपस्थिति को बढ़ावा देने तथा कक्षा में ठहराव को सुनिश्चित करने के लिए “दोपहर के भोजन’ की योजना प्रारम्भ की गई है।
प्रश्न 12.
वर्ष 2019-20 में भारत में कितने विश्वविद्यालय थे?
उत्तर:
911.
प्रश्न 13.
सन् 2011 में भारत में कितने प्रतिशत साक्षरता थी?
उत्तर:
74 प्रतिशत।
प्रश्न 14.
‘शिशु मृत्यु दर’ से क्या आशय है?
उत्तर:
एक निश्चित अवधि में एक वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु को ‘शिशु मृत्यु दर’ कहते हैं।
प्रश्न 15.
जन्म दर से क्या आशय है?
उत्तर:
एक निश्चित अवधि में प्रति एक हजार व्यक्तियों के पीछे जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या को जन्म दर कहा जाता है।
प्रश्न 16.
मृत्यु दर किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक निश्चित अवधि में प्रति एक हजार व्यक्तियों के पीछे मरने वाले लोगों की संख्या मृत्यु दर कहलाती है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानवीय आर्थिक क्रिया-कलापों के वर्गीकरण को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मानवीय आर्थिक क्रियाकलापों को प्रमुख रूप से तीन क्षेत्रकों में विभाजित किया जाता है
1. प्राथमिक क्षेत्रक:
प्राथमिक क्षेत्रक में वे मानवीय क्रिया-कलाप हैं जो सीधे ही प्रकृति से सम्बन्धित हैं, जैसे-कृषि, वानिकी, मुर्गी पालन, पशु पालन, मछली पालन और खनन आदि की क्रियाएँ।
2. द्वितीयक क्षेत्रक:
प्राथमिक क्षेत्रक से प्राप्त पदार्थों को मानव उपयोगी पदार्थों के रूप में बदलने की क्रिया अर्थात् विनिर्माण की क्रियाएँ जिस क्षेत्र में की जाती हैं उसे द्वितीयक क्षेत्रक कहते हैं। इस क्षेत्रक की क्रियाओं में प्रमुखतः उत्खनन और विनिर्माण कार्यों को शामिल किया जाता है।
3. तृतीयक क्षेत्रक:
इस क्षेत्रक में मानव को सभी प्रकार की सेवाएं प्रदान करने के क्रियाकलापों को शामिल किया जाता है। इस क्षेत्रक में मुख्यतः व्यापार, बीमा, बैंकिंग, परिवहन, संचार, शिक्षा, स्वास्थ्य व पर्यटन सेवाओं को शामिल किया जाता है।
प्रश्न 2.
मानव पूँजी का व्यवसाय के लिए क्या महत्व है? संक्षेप में बताएँ।
उत्तर:
देश के आर्थिक विकास के लिए जिस प्रकार भौतिक एवं पूँजीगत संसाधन आवश्यक होते हैं उसी प्रकार मानव संसाधन भी देश के विकास के लिए आवश्यक होते हैं। मानव पूंजी में निवेश (शिक्षा, प्रशिक्षण एवं स्वास्थ्य सेवा के द्वारा) भौतिक पूँजी की ही भाँति प्रतिफल प्रदान करते हैं।
अधिक शिक्षित या बेहतर प्रशिक्षित कार्यों की उच्च उत्पादकता के कारण होने वाली अधिक आय एवं साथ ही अधिक स्वस्थ लोगों की उच्च उत्पादकता के रूप में इसे प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास एवं नागरिक सुविधाएँ लोगों की कार्य कुशलता व उत्पादकता में वृद्धि करते हैं जो किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के विकास में सहायक होते हैं।
प्रश्न 3.
मौसमी बेरोजगारी क्या है? समझाइये।
उत्तर:
जब काम करने योग्य व्यक्तियों को वर्ष के कुछ महीने रोजगार नहीं मिलता है तो ऐसी स्थिति मौसमी बेरोजगारी कहलाती है। यह आमतौर पर कृषि क्षेत्र में पायी जाती है। क्योंकि बुआई, कटाई, निराई आदि के समय तो कृषि कार्य में लगे लोगों के पास रोजगार होता है लेकिन शेष समय में वे बेरोजगार ही रहते हैं। अतः इसे मौसमी बेरोजगारी कहा जाता है।
प्रश्न 4.
प्रच्छन्न बेरोजगारी से क्या आशय है?
उत्तर:
इस प्रकार की बेरोजगारी में कुछ लोग अतिरिक्त लगे होते हैं जो देखने में तो रोजगार में लगे होते हैं लेकिन वास्तव में उनके बगैर भी काम हो सकता था इसलिए वे प्रच्छन रूप से बेरोजगार होते हैं। जैसे माना कि एक कार्य को 5 लोग कर सकते हैं लेकिन उसी कार्य में यदि 8 लोग लगा दिये जायें तो 3 अतिरिक्त लगे लोग प्रच्छन्न रूप से बेरोजगार कहलायेंगे।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत में शैक्षिक विकास हेतु क्या-क्या प्रयास किए गए हैं? विस्तार से लिखिए। उत्तर भारत में शैक्षिक विकास हेतु निम्नलिखित प्रयास किए गए हैं
- भारत में शिक्षा पर किए जाने वाले सार्वजनिक व्यय में वृद्धि की गई है। शिक्षा पर योजना परिव्यय प्रथम पंचवर्षीय योजना में 151 करोड़ रुपये था जो ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में बढ़कर 3766.90 करोड़ रुपये हो गया।
- सकल घरेलू उत्पादन के प्रतिशत के रूप में शिक्षा पर व्यय सन् 1951-52 के 0.64 प्रतिशत से बढ़कर सन् 2015-16 में 3 प्रतिशत हो गया। इससे साक्षरता दर सन् 1951 में 18 प्रतिशत से बढ़कर सन् 2011 में 74 प्रतिशत हो
गई। - प्रत्येक जिले में नवोदय विद्यालय जैसे प्रगति निर्धारक विद्यालयों की स्थापना की गई है।
- पर्याप्त मात्रा में हाईस्कूल के विद्यार्थियों को ज्ञान और कौशल से सम्बन्धित व्यवसाय उपलब्ध कराने के लिए व्यावसायिक शाखाएँ विकसित की गई हैं।
- भारत के 8.58 लाख से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्कूल प्रणाली का विस्तार किया गया है।
- 6-14 आयु वर्ग के सभी स्कूली बच्चों को सन् 2010 तक प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने के लिए सर्वशिक्षा अभियान चलाया गया। राज्यों, स्थानीय सरकारों एवं प्राथमिक शिक्षा सार्वभौमिक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समुदाय की सहभागिता के साथ भारत सरकार की यह एक समयबद्ध पहल है।
- प्राथमिक शिक्षा में नामांकन बढ़ाने के लिए ‘सेतु पाठ्यक्रम’ एवं ‘स्कूल लौटो शिविर’ प्रारम्भ किए गए हैं।
- कक्षा में बच्चों की उपस्थिति को बढ़ावा देने, बच्चों के स्वास्थ्य एवं उनकी पोषण स्थिति में सुधार करने के लिए ‘दोपहर के भोजन’ की योजना कार्यान्वित की जा रही है।
- सन् 1950 से 2017 तक के 67 वर्षों में विशेष क्षेत्रों में उच्च शिक्षा देने वाले शिक्षण संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई। सन् 1950-51 में यह संख्या केवल 30 थी जबकि 2018-19 में 911 हो गई थी।
- बारहवीं योजना में उच्च शिक्षा में 18-23 वर्ष आयु वर्ग के नामांकन में 25.2 प्रतिशत तक की वृद्धि 2017-18 में एवं 2020-21 तक 30 प्रतिशत वृद्धि तक करने का प्रयास जारी है।
- स्वतन्त्रता के पश्चात् विशेष क्षेत्रों में उच्च शिक्षा देने वाले शिक्षा संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
प्रश्न 2.
बेरोजगारी क्या है? भारत में बेरोजगारी के विभिन्न प्रकारों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बेरोजगारी से आशय-बेरोजगारी का आशय उस स्थिति से है जब व्यक्ति प्रचलित पारिश्रमिक पर काम करने के लिए तैयार होता है, लेकिन उसे कार्य नहीं मिलता है अर्थात् वह बेरोजगार रहता है या उसके द्वारा किए गए कार्य से उत्पादन कोई वृद्धि नहीं होती है। भारत में बेरोजगारी के प्रकार भारत में बेरोजगारी के निम्नलिखित प्रमुख प्रकार पाये जाते हैं
1. मौसमी बेरोजगारी:
मौसमी बेरोजगारी वह होती है जब लोगों को वर्ष के कुछ महीनों में तो काम मिलता है और शेष महीनों में वे कोई कार्य नहीं करते हैं। इस प्रकार की बेरोजगारी कृषि क्षेत्रों व मौसम के आधार पर व्यापार करने वाले लोगों में अधिक दिखाई देती है। कृषि क्षेत्र में वर्ष में कुछ व्यस्त मौसम होते हैं जब बुवाई, कटाई, निराई एवं गुड़ाई होती है। कुछ विशेष महीनों में कृषि पर आश्रित लोगों को अधिक काम नहीं मिल पाता है।
2. प्रच्छन्न बेरोजगारी:
प्रच्छन्न बेरोजगारी वह स्थिति है, जबकि व्यक्ति काम में लगा हुआ तो प्रतीत होता है लेकिन उसके कार्य से उत्पादन में किसी प्रकार की वृद्धि नहीं होती है अर्थात् आय में कोई बढ़ोत्तरी नहीं होती। ऐसी बेरोजगारी कृषि क्षेत्र में अधिक पायी जाती है।
3. शिक्षित बेरोजगारी:
शिक्षित बेरोजगारी मुख्य रूप से शहरों में पायी जाती है। इस प्रकार की बेरोजगारी में विभिन्न शिक्षित लोगों को उसकी योग्यता के अनुरूप रोजगार नहीं मिल पाता है। उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों में बेरोजगारी का यह प्रकार अधिक पाया जाता है।