JAC Board Class 9th Social Science Notes Civics Chapter 4 संस्थाओं का कामकाज
→ राष्ट्रपति देश का राष्ट्राध्यक्ष होता है एवं औपचारिक रूप से देश का सबसे बड़ा अधिकारी होता है।
→ प्रधानमन्त्री सरकार का प्रमुख होता है और सरकार की ओर से अधिकांश अधिकारों का प्रयोग वही करता है।
→ प्रधानमन्त्री की सिफारिश पर राष्ट्रपति मन्त्रियों को नियुक्त करता है। मन्त्रिमण्डल की बैठकों में ही राजकार्य से जुड़े अधिकतर निर्णय लिये जाते हैं।
→ प्रधानमन्त्री को लोकसभा के सदस्यों के बहुमत का समर्थन प्राप्त होना आवश्यक होता है।
→भारत सरकार ने सन् 1979 ई. में दूसरा पिछड़ी जाति आयोग गठित किया था। इसके अध्यक्ष बी. पी. मण्डल थे और इसी के कारण इसे मण्डल आयोग कहते हैं।
→ मण्डल आयोग ने सन् 1981 में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की। आयोग द्वारा सुझाये गये उपायों में एक सिफारिश थी सरकारी नौकरियों में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण देना।
→ 13 अगस्त सन् 1990 को भारत सरकार ने एक आदेश जारी करके सामाजिक एवं शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण लागू कर दिया।
→ आरक्षण के इस फैसले पर पूरे देश में विवाद उत्पन्न हुआ तथा सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद एक और आदेश 8 सितम्बर 1993 को जारी किया गया जिसके द्वारा पिछड़े वर्ग के अच्छी स्थिति वाले लोगों को इसके लाभ से वंचित कर दिया गया।
→ सरकारी निर्णय से उठने वाले विवादों का निपटारा सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय करते हैं।
→ प्रधानमन्त्री और कैबिनेट ऐसी संस्थाएँ हैं जो समस्त महत्वपूर्ण नीतिगत फैसले करती हैं। भारत में निर्वाचित प्रतिनिधियों की राष्ट्रीय सभा को संसद कहा जाता है। राज्य स्तर पर इसे विधान सभा कहते हैं।
→ हमारे देश में संसद के दो सदन हैं-एक को राज्यसभा तथा दूसरे को लोकसभा कहा जाता है। भारत का राष्ट्रपति संसद का हिस्सा होता है लेकिन वह किसी की सदन का सदस्य नहीं होता। इसीलिए संसद के फैसले राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही लागू होते हैं।
→ किसी भी देश में कानून बनाने का सबसे बड़ा अधिकार संसद को होता है। कानून बनाने या विधि निर्माण का यह कार्य इतना महत्वपूर्ण होता है कि इन सभाओं को विधायिका कहते हैं।
→ राज्यसभा को ‘अपर हाउस’ एवं लोकसभा को ‘लोअर हाउस’ भी कहा जाता है। लोकसभा में सरकार का बजट या धन से सम्बन्धित कोई कानून पारित हो जाए तो राज्यसभा उसे खारिज नहीं कर सकती।
→ किसी भी सामान्य कानून को पारित कराने के लिए दोनों सदनों की सहमति की जरूरत होती है लेकिन दोनों सदनों के बीच कोई मतभेद हो तो अन्तिम फैसला दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में किया जाता है।
→ भारत में प्रधानमन्त्री सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक संस्था है। राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी या पार्टियों के नेता को ही प्रधानमन्त्री नियुक्त करता है। प्रधानमन्त्री को नियुक्त करने के बाद राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री की सलाह पर दूसरे मन्त्रियों को नियुक्त करते हैं। मन्त्रियों में सामान्यतया कैबिनेट मन्त्री, स्वतन्त्र प्रभार वाले राज्यमन्त्री एवं राज्यमन्त्री होते हैं।
→ राष्ट्रपति राष्ट्राध्यक्ष एवं देश का प्रथम नागरिक होता है। राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मण्डल द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य एवं राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं। इस प्रकार राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रीति से होता है।
→ भारतीय न्यायपालिका में सम्पूर्ण देश के लिए सर्वोच्च न्यायालय, राज्यों में उच्च न्यायालय, जिला न्यायालय एवं स्थानीय स्तर के न्यायालय होते हैं।
→ राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को प्रधानमन्त्री एवं सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सलाह से नियुक्त करता है।
→ किसी भी न्यायाधीश को संसद के दोनों सदनों में अलग-अलग दो तिहाई बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित करके ही हटाया जा सकता है।
→ सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों को देश के संविधान की व्याख्या का अधिकार है।
→ भारतीय न्यायपालिका के अधिकार और स्वतन्त्रता उसे मौलिक अधिकारों के रक्षक के रूप में काम करने की क्षमता प्रदान करते हैं।
→ न्यायपालिका सरकार को निर्णय करने की शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए हस्तक्षेप करती है तथा सरकारी अधिकारियों को भ्रष्ट आचरण से रोकती है। लोकतन्त्र के लिये स्वतन्त्र और प्रभावशाली न्यायपालिका आवश्यक है।
→ कार्यालय ज्ञापन – सक्षम अधिकारी द्वारा जारी पत्र जिसके माध्यम से सरकार के फैसले अथवा नीति के बारे में बताया जाता है, कार्यालय ज्ञापन कहलाता है।
→ सरकार – संस्थाओं का एक समूह जिसके पास कानून वनाने, न्याय करने और उसकी व्याख्या करने का अधिकार होता है, जिससे राज्य का जीवन सुनिश्चित एवं व्यवस्थित हो सके।
→ विधायिका – विधायिका जनता के प्रतिनिधियों की वह सभा होती है, जिसके पास देश का कानून बनाने का अधिकार होता है। कानून बनाने के अतिरिक्त विधायिका को कर लगाने, बजट बनाने एवं दूसरे वित्त विधेयकों को बनाने का विशेष अधिकार होता है।
→ कार्यपालिका – अधिकार प्राप्त लोगों की एक संस्था जो देश के संविधान और कानून के आधार पर प्रमुख नीति बनाती है, निर्णय लेकर उन्हें लागू करने का कार्य करती है।
→ राजनीतिक संस्था – देश की सरकार एवं राजनीतिक जीवन के आचार को नियमित करने वाली प्रक्रियाओं का समूह राजनीतिक संस्था कहलाती है।
→ न्यायपालिका – एक ऐसी संस्था जिसके पास न्याय करने एवं कानूनी विवादों को निपटाने का अधिकार होता है। देश की सभी अदालतों को न्यायपालिका के नाम से जाना जाता है।
→ गठबन्धन सरकार – साधारणतया जब विधायिका में किसी एक दल को बहुमत प्राप्त नहीं होता है तो दो या दो से अधिक राजनैतिक दलों के गठबन्धन से बनी सरकार गठबन्धन सरकार कहलाती है।
→ आरक्षण – भेदभाव के शिकार, वंचित एवं पिछड़े लोगों और समुदायों के लिए सरकारी नौकरियों तथा शैक्षिक संस्थाओं में पद एवं सीटें आरक्षित करने की नीति आरक्षण कहलाती है।
→ राज्य – निश्चित क्षेत्र में फैली राजनीतिक इकाई जिसके पास संगठित सरकार हो एवं घरेलू व विदेश नीतियों को बनाने का अधिकार हो। सरकारें बदल सकती हैं पर राज्य स्थाई रूप से बना रहता है।
→ सामान्य बोलचाल – की भाषा में देश, राष्ट्र एवं राज्य को समानार्थी के रूप में प्रयोग किया जाता है। राज्य शब्द का एक अन्य प्रयोग किसी देश के अन्दर की प्रशासनिक इकाइयों अथवा प्रान्तों के लिए भी होता है। इसी अर्थ में राजस्थान, झारखण्ड, उत्तराखण्ड. मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि भी राज्य कहे जाते हैं।
→ संसद – देश की सर्वोच्च कानून बनाने वाली संस्था। इस संस्था को विभिन्न देशों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। भारत में इसे ‘संसद’ कहा जाता है।
→ जनहित याचिका – यदि सरकार की कार्यवाहियों से आम जनता के हितों को कोई नुकसान पहुंचता है तो इस सम्बन्ध में न्यायालय में याचिका दायर की जा सकती है। इसे जनहित याचिका कहते हैं!