JAC Class 9th Social Science Notes Civics Chapter 3 चुनावी राजनीति

JAC Board Class 9th Social Science Notes  Civics Chapter 3 चुनावी राजनीति

→ अधिकांश लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्थाओं में लोग अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करते हैं। लोकतान्त्रिक देशों में तो चुनाव होते ही हैं परन्तु अधिकांश गैर लोकतान्त्रिक देशों में भी किसी न किसी तरह के चुनाव होते हैं। चुनाव का अभिप्राय राजनैतिक प्रतियोगिता या प्रतिद्विन्द्विता है। चुनाव के उद्देश्य से देश को अनेक क्षेत्रों में बाँट लिया गया है। इन्हें निर्वाचन क्षेत्र कहते हैं।

→ भारत में लोक सभा एवं विधान सभाओं के चुनाव प्रत्येक 5 वर्ष बाद होते हैं। पाँच वर्ष के पश्चात् सभी चुने हुए प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो जाता है। लोक सभा और विधान सभाएँ भंग हो जाती हैं। सभी चुनाव क्षेत्रों में एक ही दिन या एक छोटे अन्तराल में अलग-अलग दिन चुनाव होते हैं। इसे आम चुनाव कहते हैं।

→ कई बार केवल एक क्षेत्र में चुनाव होता है जो किसी सदस्य की मृत्यु अथवा इस्तीफे से खाली हुआ स्थान भरने के लिए होता है। इसे उपचुनाव कहते हैं।

→ लोक सभा चुनाव के लिए देश को 543 निर्वाचन क्षेत्रों में बाँटा गया है। प्रत्येक क्षेत्र से चुने गये प्रतिनिधियों को ‘संसद सदस्य’ कहते हैं।

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→ हमारे देश के लोकतान्त्रिक चुनावों की एक प्रमुख विशेषता प्रत्येक वोट का बराबर मूल्य है।

→ प्रत्येक राज्य को उसकी विधान सभा की सीटों के हिसाब से विभाजित किया गया है। इन सीटों से चुने गये प्रतिनिधियों को ‘विधायक’ कहते हैं।

→ ग्राम पंचायतों एवं नगर पालिका के चुनावों में भी यही तरीका अपनाया जाता है। प्रत्येक ग्राम पंचायत व नगर पालिका को कई वार्डों में बाँटा जाता है जो छोटे-छोटे निर्वाचन क्षेत्र हैं। प्रत्येक वार्ड से पंचायत या नगर पालिका के लिए एक सदस्य का चुनाव होता है।

→ हमारे देश में कुछ चुनाव क्षेत्रों को अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के लोगों के लिए आरक्षित किया गया है। इन सीटों से केवल आरक्षित वर्ग के व्यक्ति ही चुनाव लड़ सकते हैं। वर्तमान में लोकसभा की 84 सीटें अनुसूचित जातियों एवं 47 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं।

→ कमजोर समूहों के लिए आरक्षण की यह व्यवस्था जिला एवं स्थानीय स्तर पर भी लागू की गई है।

→ ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई हैं।

→ लोकतान्त्रिक चुनाव में मतदान की योग्यता रखने वाले व्यक्तियों की सूची चुनाव के बहुत पहले तैयार कर ली जाती है। इस सूची को आधिकारिक रूप से मतदाता सूची कहते हैं। आम बोलचाल की भाषाओं में इसे वोटरलिस्ट कहते हैं। हमार देश में 18 वर्ष और उससे ऊपर की उम्र के सभी नागरिक चुनाव में वोट डाल सकते हैं। जबकि चुनाव में उम्मीदवार बनने की न्यूनतम आयु 25 वर्ष है।

→ प्रत्येक पाँच वर्ष पश्चात् मतदाता सूची का पूर्ण नवीनीकरण किया जाता है।

→ पिछले कुछ वर्षों से चुनावों में फोटो पहचान पत्र की नयी व्यवस्था लागू की गयी है। सरकार ने मतदाता सूची में दर्ज सभी व्यक्तियों को यह पहचान कार्ड देने की कोशिश की है।

→ चुनाव में भाग लेने वाले सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवार मनोनीत करते हैं जिन्हें सम्बन्धित पार्टी का चुनाव चिह्न और समर्थन मिलता है। पार्टी के मनोनयन को आम बोलचाल की भाषा में ‘टिकट’ कहते हैं।

→ चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्येक उम्मीदवार को एक नामांकन पत्र भरना पड़ता है एवं कुछ धनराशि जमानत के रूप में जमा करानी पड़ती है। हमारे देश में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की अन्तिम सूची की घोषणा एवं मतदान की तारीख के मध्य आमतौर पर दो सप्ताह का समय चुनाव प्रचार के लिए दिया जाता है।

→ चुनाव अभियान के दौरान विभिन्न राजनीतिक पार्टियाँ जनता का ध्यान कुछ बड़े मुद्दों पर केन्द्रित कराकर अपनी पार्टी के पक्ष में वोट देने को कहती हैं।

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→ कोई पार्टी या उम्मीदवार मतदाताओं को धमकी या घूस देकर, जाति/धर्म के नाम पर, सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल करके, वोट नहीं माँग सकता है तथा लोक सभा में 25 लाख तथा विधान सभा में 10 लाख रुपये से अधिक खर्च नहीं कर सकता है।

→ हमारे देश की सभी राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव प्रचार की आदर्श आचार संहिता को भी स्वीकार किया है।

→ वर्तमान समय में भारत में मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का प्रयोग होने लगा है। मशीन के ऊपर उम्मीदवारों के नाम एवं उनके चुनाव चिह्न बने होते हैं। निर्दलीय उम्मीदवारों को भी चुनाव अधिकारी चुनाव चिह्न आवंटित करते हैं।

→ मतदान समाप्ति पर सभी वोटिंग मशीनों को सील बन्द करके एक सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दिया जाता है। फिर निश्चित तारीख पर एक चुनाव क्षेत्र की सभी मशीनों को एक साथ खोला जाता है तथा मतों की गणना की जाती है।

→ हमारे देश में चुनाव एक स्वतन्त्र एवं बहुत ताकतवर चुनाव आयोग द्वारा करवाये जाते हैं। चुनाव आयोग को न्याय पालिका के समान ही स्वतन्त्रता प्राप्त है। चुनाव आयोग का अध्यक्ष मुख्य चुनाव आयुक्त होता है जिसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति करते हैं।

→ संसार में शायद ही किसी देश के चुनाव आयोग को भारत के चुनाव आयोग जितने अधिकार प्राप्त होंगे।

→ यदि निर्वाचन आयोग को लगता है कि कुछ मतदान केन्द्रों पर पूरे चुनाव क्षेत्र में मतदान ठीक ढंग से नहीं हुआ है तो वह उसे रद्द करके पुनः मतदान करा सकता है।

→ भारत में अमीर एवं बड़े लोगों की तुलना में निर्धन, अशिक्षित एवं कमजोर लोग अधिक संख्या में मतदान करते हैं।

→ यदि चुनाव स्वतन्त्र और निष्पक्ष न हों तो शासक पार्टी कभी चुनाव नहीं हारेगी, जबकि भारत में लगभग प्रत्येक तीन में से 2 चुनावों में शासक पार्टी चुनाव हारती रही है।

→ निर्वाचन क्षेत्र – एक भौगोलिक क्षेत्र जिसके मतदाता अपने एक प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं।

→ मतदान – अपना प्रतिनिधि चुनने हेतु जनता द्वारा वोट डालने की प्रक्रिया मतदान कहलाती है।

→ आचार संहिता – चुनाव में सभी राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों द्वारा अपनाये गये कुछ कायदे कानून एवं दिशा निर्देश।

→ चुनाव धांधली – चुनाव में अपने वोट बढ़ाने के लिए उम्मीदवारों एवं पार्टियों द्वारा की जाने वाली गड़बड़ या फरेब।

→ मतदान केन्द्र पर कब्जा करना – जबकि किसी दल अथवा उम्मीदवार के समर्थकों द्वारा अथवा भाड़े के अपराधियों द्वारा किसी मतदान केन्द्र पर जबरदस्ती नियन्त्रण करके सबको धमकाकर झूठे वोट डलवाना अथवा असली मतदाताओं को मतदान केन्द्र पर आने से रोकना और स्वयं समस्त वोट या अधिकांश वोट डाल देना।

→ आम चुनाव – संसद तथा विधान सभाओं के लिए रीति के अनुसार नियत अवधि पर आयोजित चुनाव को आम चुनाव कहते हैं। भारत में ये चुनाव प्रत्येक 5 वर्ष बाद होते हैं।

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→ उप-चुनाव – जब एक निर्वाचन क्षेत्र के जनप्रतिनिधि की कार्यकाल के दौरान मृत्यु हो जाती है अथवा त्यागपत्र आदि कारणों से वह पद रिक्त हो जाता है तो उस विशेष निर्वाचन क्षेत्र में नये चुनाव होते हैं।

→ इस प्रकार के चुनाव को उप – चुनाव कहते हैं। निर्वाचन-यह एक कार्यप्रणाली है जिनके द्वारा जनता एक नियमित अन्तराल में अपने प्रतिनिधियों का चुनाव
करती है तथा जनता यदि चाहे तो उन्हें बदल भी सकती है।

→ निर्वाचन आयोग – हमारे देश में निर्वाचन की सम्पूर्ण प्रक्रिया एक स्वतन्त्र संगठन द्वारा संचालित, नियन्त्रित एवं पर्यवेक्षित की जाती है, जिसे निर्वाचन आयोग के नाम से जाना जाता है।

→ चुनाव चिह्न – मत पत्र में उम्मीदवार के नाम के आगे अंकित चिह्न को चुनाव चिह्न कहते हैं।

→ ई.वी.एम. – इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन, इसके द्वारा उम्मीदवार के नाम के सामने बटन दबाकर वोट दे सकते हैं।

→ मतदाता सूची – मतदान की योग्यता रखने वालों की सूची, इसे वोटर लिस्ट भी कहते हैं।

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