JAC Class 10 Social Science Solutions Civics 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Civics Chapter 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

JAC Class 10th Civics जाति, धर्म और लैंगिक मसले Textbook Questions and Answers

JAC Class 10 Social Science Solutions Civics 4 जाति, धर्म और लैंगिक मसले

प्रश्न 1.
जीवन के उन विभिन्न पहलुओं का जिक्र करें जिनमें भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव होता है या वे कमज़ोर स्थिति में होती हैं।
“भारत में आनदी के बाद से महिलाओं की स्थिति में सुधार तो हुआ है, परन्तु अभी भी स्त्रियाँ पुरुषों से काफी पीछे हैं।” इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
विभिन्न तरीकों का वर्णन कीजिए, जिनके माध्यम से भारत में महिलाओं के साथ भेदभाव और उनका दमन होता है।
उत्तर:
भारत में स्त्रियों के साथ अभी भी जीवन के निम्नलिखित पहलुओं में भेदभाव होते हैं.
1. शिक्षा के क्षेत्र में भेदभाव-आज भी भारत के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ लड़कियों को शिक्षा के लिए नहीं भेजा जाता है। यदि भेजा भी जाता है तो मात्र औपचारिकता पूरी करने के लिए। देश में स्त्री साक्षरता (54 प्रतिशत) आज भी कम है। यद्यपि विद्यालयी परीक्षाओं के परिणामों में लड़कियों का प्रदर्शन लड़कों से अच्छा रहता है लेकिन आगे की पढ़ाई के दरवाजे उनके लिए बंद हो जाते हैं क्योंकि उनके माता-पिता अपने संसाधनों को लड़के-लड़की दोनों पर खर्च करने के स्थान पर लड़कों पर अधिक खर्च करना पसंद करते हैं।

2.  उच्च पदों पर स्त्रियों की कम संख्या-आज भी भारत में उच्च वेतन एवं उच्च पदों पर कार्य करने वाली स्त्रियों की संख्या सीमित है। हमारे देश में औसतन एक स्त्री एक पुरुष की तुलना में प्रतिदिन एक घण्टा अधिक कार्य करती है पर उसको ज्यादातर कार्य के लिए पैसे नहीं मिलते इसलिए सामान्यतया उसके कार्य को मूल्यवान नहीं माना जाता।

3. समान कार्य के लिए समान मजदूरी नहीं-हमारे देश के समान मजदूरी से सम्बन्धित अधिनियम में कहा गया है कि समान काम के लिए समान मजदूरी प्रदान की जाएगी लेकिन कार्य के प्रत्येक क्षेत्र में स्त्रियों को पुरुषों की तुलना में कम मजदूरी मिलती है। भले ही दोनों ने समान कार्य किया हो।

4. केवल लड़के की चाह-हमारे देश में संतान के रूप में अधिकांशः दम्पत्ति लड़का ही चाहते हैं, कन्या भ्रूण की हत्या कर दी जाती है।

5. स्त्रियों का उत्पीड़न व शोषण-हमें समाचार-पत्रों में प्रतिदिन ही स्त्रियों के उत्पीड़न, शोषण एवं उन पर होने वाली हिंसा की खबरें पढ़ने को मिलती हैं। शहरी क्षेत्रों में स्त्रियाँ विशेष रूप से असुरक्षित हैं। वे अपने घरों में भी सुरक्षित नहीं हैं क्योंकि वहाँ भी उन्हें मारपीट एवं अनेक प्रकार की घरेलू हिंसा को सहन करना पड़ता है।

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प्रश्न 2.
विभिन्न तरह की,साम्प्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण भी दें। उत्तर-विभिन्न तरह की साम्प्रदायिक राजनीति का ब्यौरा निम्नलिखित है
1. धार्मिक पूर्वाग्रह:
साम्प्रदायिकता की सबसे आम अभिव्यक्ति दैनिक जीवन में ही देखने को मिलती है। इसमें धार्मिक पूर्वाग्रह, धार्मिक समुदायों के बारे में बनी-बनाई धारणाएँ एवं एक धर्म को दूसरे धर्म से श्रेष्ठ मानने की मान्यताएँ सम्मिलित हैं। ये चीजें इतनी सामान्य हैं कि सामान्यतया हमारा ध्यान इस ओर नहीं जाता है, जबकि ये हमारे अन्दर ही बैठी हर्ट होती हैं।

2. बहुसंख्यकवाद:
साम्प्रदायिक सोच अक्सर अपने धार्मिक समुदाय का राजनैतिक प्रभुत्व स्थापित करने की फिराक में रहती है। जो लोग बहुसंख्यक समुदाय से सम्बन्ध रखते हैं उनकी यह कोशिश बहुसंख्यकवाद का रूप ले लेती है। जो लोग अल्पसंख्यक समुदाय के होते हैं उनमें यह विश्वास अलग राजनीतिक इकाई बनाने की इच्छा का रूप ले लेता है।

3. साम्प्रदायिक आधार पर राजनीतिक गोलबंदी:
इसके अन्तर्गत धर्म के पवित्र प्रतीकों, धर्म-गुरुओं, भावनात्मक अपील एवं अपने ही लोगों के मन में डर बैठाने जैसे तरीके का उपयोग किया जाना एक सामान्य बात है। चुनावी राजनीति में एक धर्म के मतदाताओं की भावनाओं अथवा हितों की बात उठाने जैसे तरीके सामान्यतया अपनाए जाते हैं।

4. साम्प्रदायिक दंगे-कभी:
कभी साम्प्रदायिकता, साम्प्रदायिक हिंसा, दंगा, नरसंहार के रूप में सबसे बुरा रूप अपना लेती है। उदाहरण के लिए, देश विभाजन के समय भारत व पाकिस्तान में भयावह साम्प्रदायिक दंगे हुए थे। स्वतन्त्रता के पश्चात् भी बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक हिंसा हुई थी।

प्रश्न 3.
बताइए कि भारत में किस तरह अभी भी जातिगत असमानताएँ जारी हैं ?
उत्तर:
भारत में आज भी जातिगत असमानताएँ जारी हैं क्योंकि लोग अपनी ही जाति या समुदाय के लोगों के साथ ही विवाह संबंध स्थापित करते हैं। अन्य कार्यक्रमों में भी कुछ जातियाँ ऐसी हैं जो अपनी ही जाति के लोगों को ही बुलाती हैं। चुनाव में अपनी ही जाति के उम्मीदवार को वोट डालते हैं तथा अपनी जाति के अन्य लोगों को वोट डालने के लिए प्रेरित करते हैं। जिन जातियों में पहले से ही शिक्षा का प्रचलन था और जिनकी शिक्षा पर पकड़ थी, आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में भी उन्हीं का वर्चस्व है।

जिन जातियों को पहले शिक्षा से वंचित रखा जाता था, उनके सदस्याअभी भी स्वाभाविक रूप से शिक्षा में पिछड़े कि जाति व्यवस्था के अन्तर्गत सदियों से कुछ समूहों को लाभ की स्थिति में दो कुछ समूहों को दबाकर रखा गया है। इसका प्रभाव सदियों पश्चात् आज तक नज़र आता है। अतः यह कहा जा सकता है कि भारत में आज भी जातिगत असमानताएँ विद्यमान हैं।

प्रश्न 4.
दो कारण बताएं कि क्यों सिर्फ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीज तय नहीं हो सकते?
उत्तर:
भारत में सिर्फ जाति के आधार पर ही चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते क्योंकि
1. देश के किसी भी एक संसदीय चुनावी क्षेत्र में किसी एक जाति के लोगों का बहुमत नहीं है इसलिए प्रत्येक राजनैतिक दल और उम्मीदवार को चुनाव में विजय प्राप्त करने के लिए एक जाति व एक समुदाय से अधिक लोगों का समर्थन प्राप्त करना पड़ता है।

2. कोई भी राजनैतिक दल किसी एक जाति या समुदाय के समस्त लोगों का वोट प्राप्त नहीं कर सकता। किसी जाति विशेष को किसी एक दल का वोट बैंक कहते हैं तो इसका अर्थ यह होता है कि उस जाति के अधिकांश लोग उसी दल को वोट देते हैं।

प्रश्न 5.
भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है ?
उत्तर:
भारत की विधायिकाओं में महिला प्रतिनिधियों का अनुपात बहुत ही कम है। लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या पहली बार 2019 में ही 14.36 फीसदी तक पहुँची है। राज्यों की विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 5 प्रतिशत से भी कम है। इस मामले में भारत का स्थान विश्व के देशों में बहुत पीछे है। भारत इस मामले में अफ्रीका व लैटिन अमेरिका में कई विकासशील देशों से भी पीछे है। लेकिन वर्तमान में स्थानीय शासन की विधायिकाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई आरक्षण की व्यवस्था किए जाने के कारण इन संस्थाओं में महिलाओं की संख्या 10 लाख से अधिक हो गयी है।

प्रश्न 6.
किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाते हैं।
उत्तर:
(अ) संविधान देश में धर्म के आधार पर किसी भी भेदभाव पर प्रतिबंध लगाता है।
(ब) भारत में रहने वाला व्यक्ति किसी भी धर्म को मान सकता है, उसे व्यवहार में ला सकता है या किसी भी धर्म को न मानने के लिए स्वतन्त्र है।

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प्रश्न 7.
जब हम लैंगिक विभाजन की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय होता है
(क) स्त्री और पुरुष के बीच जैविक अन्तर
(ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएँ
(ग) बालक और बालिकाओं की संख्या का अनुपात
(घ) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में महिलाओं को मतदान का अधिकार न मिलना
उत्तर:
(ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएँ।

प्रश्न 8.
भारत में यहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है
(क) लोकसभा
(ख) विधानसभा
(ग) मंत्रिमण्डल
(घ) पंचायतीराज की संस्थाएँ
उत्तर:
(घ) पंचायतीराज की संस्थाएँ।

प्रश्न 9.
साम्प्रदायिक राजनीति के अर्थ सम्बन्धी निम्नलिखित कथनों पर गौर करें। साम्प्रदायिक राजनीति इस धारणा पर आधारित है कि
(अ) एक धर्म दूसरे से श्रेष्ठ है।
(ब) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं।
(स) एक धर्म के अनुयायी एक समुदाय बनाते हैं।
(द) एक धार्मिक समूह का प्रभुत्व बाकी सभी धर्मों पर कायम करने में शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता। इनमें से कौन या कौन सा कथन सही है?
(क) अ, ब, स और द
(ख) अ, ब और द
(ग) अ और स
(घ) ब और द
उत्तर:
(ग) अ और स।

प्रश्न 10.
भारतीय संविधान के बारे में इनमें से कौन-सा कथन गलत है?
(क) यह धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही करता है।
(ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।
(ग) सभी लोगों को कोई भी धर्म मानने की आज़ादी देता है।
(घ) किसी धार्मिक समुदाय के सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है।
उत्तर:
(ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।

प्रश्न 11.
पर आधारित सामाजिक विभाजन सिर्फ भारत में ही है।
उत्तर:
लिंग, धर्म तथा जाति।

प्रश्न 12.
सूची I और सूची II का मेल करायें और नीचे दिए गये कोड के आधार पर सही जवाब खोजें।

सूची-I सूची-II
1. अधिकारों और अवसरों के मामले में स्त्री और पुरुष की बराबरी मानने वाला व्यक्ति (क) साम्प्रदायिक
2. धर्म को समुदाय का मुख्य आधार मानने वाला व्यक्ति (ख) नारीवाद
3. जाति को समुदाय का मुख्य आधार मानने वाला व्यक्ति (ग) धर्मनिरपेक्ष
4. व्यक्तियों के बीच धार्मिक आस्था के आधार पर भेदभाव (घ) जातिवादी न करने वाला व्यक्ति
1 2 3 4
(सा)
(रे)
(गा)
(मा)

उत्तर:
(रे)-1 (ख), 2 (क) 3. (घ) 4. (ग)।

गतिविधि एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 41)

प्रश्न 1.
अपने समाज में आदर्श स्त्री के बारे में प्रचलित इन सारी धारणाओं पर चर्चा करें। क्या आप इन सबसे सहमत हैं ? अगर नहीं तो बताइए कि आदर्श स्त्री के बारे में आपकी धारणा क्या है ?
उत्तर:
चित्रों में आदर्श नारी के रूप को दर्शाया गया है कि इनमें से कोई भी नारी आदर्श नारी नहीं है। आज के हिसाब से आदर्श नारी वह है जो घर और बाहर के काम में सामंजस्य बैठा सके और जहाँ आवश्यक हो, पुरुषों का सहयोग ले।

मानचित्र से (पृष्ठ संख्या 43)

प्रश्न 1.
क्या आप इस मानचित्र में अपने राज्य को पहचान सकते हैं? इस राज्य में स्त्री-पुरुष का अनुपात कितना है? आप इस अनुपात को अलग रंगों में अंकित राज्यों से कितना कम या ज्यादा पाते हैं?
उत्तर:
हाँ, हम इस मानचित्र में हमारे राज्य को पहचान सकते हैं। इसका नाम राजस्थान है। इस राज्य में स्त्री-पुरुष (बाल) अनुपात 888 है। यह अपने समीपवर्ती की तुलना में काफी कम है।

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प्रश्न 2.
उन प्रांतों की पहचान करें जहाँ बाल लिंग अनुपात 900 से कम है।
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखण्ड, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र आदि प्रांतों में बाल लिंग अनुपात 900 से कम है।

प्रश्न 3.
अगले पृष्ठ पर दिए गए पोस्टर से इस नक्शे की तुलना करें। ये दोनों किस तरह हमें एक ही मुद्दे के बारे में अलग-अलग ढंग से बताते हैं ?
उत्तर:
पोस्टर और मानचित्र अलग-अलग ढंग से बाल लिंग अनुपात व स्त्री लिंगानुपात की घटती हुई दर के बारे में बताते हैं। मानचित्र में घटते हुए बाल लिंग अनुपात को दिखाया गया है जिसमें राष्ट्रीय अनुपात 914 है तथा पोस्टर में दक्षिण एशिया में महिलाओं की संख्या में विभिन्न प्रकार की हिंसा के कारण लगातार होती कमी को दिखाया गया है।

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प्रश्न 4.
मम्मी हरदम बाहर वालों से कहती हैं, “मैं काम नहीं करती। मैं तो हाउसवाइफ हूँ।” पर मैं देखती हूँ कि वह लगातार काम करती रहती हैं। अगर वह जो करती हैं उसे काम नहीं कहते तो फिर काम किसे कहते हैं ?
उत्तर:
समाज उसी कार्य को महत्त्व देता है जिसका पारिश्रमिक मौद्रिक रूप में व्यक्ति को प्राप्त होता है। महिलाओं के घरेलू कामकाज को समाज अधिक मूल्यवान नहीं मानता और उन्हें दिन-रात काम करके भी श्रम का मूल्य नहीं मिलता।

प्लस बॉक्स से (पृष्ठ संख्या 44)

प्रश्न 1.
भारत में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बहुत कम है। क्या आप इसके कुछ कारण बता सकते हैं ? क्या आप मानते हैं कि अमेरिका और यूरोप में महिलाओं का प्रतिनिधित्व इस स्तर तक पहुँच गया है कि उसे संतोषजनक कहा जा सके ?
उत्तर:
भारत में अशिक्षित महिलाओं की संख्या ज्यादा है। जो महिलाएँ शिक्षित हैं वे या तो राजनीति में आना नहीं चाही या फिर राजनीति के बारे में नहीं जानती हैं। भारत की लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या पहली बार 2019 में ही 14.36 फीसदी तक पहुँची है वहीं राज्यों की विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 5 फीसदी से भी कम है। अमेरिका और यूरोप में महिलाओं की स्थिति भारत की महिलाओं से बेहतर है किन्तु संतोषजनक नहीं है। अमेरिका और यूरोप की राष्ट्रीय संसद में महिलाओं का प्रतिनिधित्व पहले से अधिक हुआ है परन्तु वह जनसंख्या के अनुपात में कम है।

उन्नी मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 45)

प्रश्न 2.
अगर जातिवाद और संप्रदायवाद खराब चीज है तो नारीवाद क्यों अच्छा है? हम समाज में जाति, धर्म और लिंग के आधार पर बाँटने वाली हर बात का विरोध क्यों नहीं करते? – उत्तर-जातिवाद समाज को जाति के आधार पर बाँटने का कार्य करता है। इसी प्रकार संप्रदायवाद भी धर्म के नाम पर लोगों में विभाजन पैदा करता है। जातिवाद और संप्रदायवाद दोनों ही समाज के लिए ठीक नहीं हैं। जबकि नारीवाद, स्त्रियों को समाज में पुरुषों के समान अधिकार दिलाने के लिए जागरूक करता है। इससे स्त्रियाँ अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होती हैं। अतः नारीवाद खराब नहीं है।

कार्टून से (पृष्ठ संख्या 45)

प्रश्न 1.
यह कार्टून बताता है कि महिला आरक्षण विधेयक संसद में पास क्यों नहीं हो पाया? क्या आप इस नजरिए से सहमत हैं ?
उत्तर:
यह कार्टून बताता है कि यह समाज पुरुष प्रधान है। संसद के अंदर जाने वाले हर द्वार पर पुरुषों का कब्जा है। वे नहीं चाहते कि कोई महिला इसमें प्रवेश करे। उनके द्वारा सिर्फ ऐसा प्रदर्शित किया जाता है कि महिला आरक्षण विधेयक को वे पारित कराना चाहते हैं। कार्टून द्वारा प्रदर्शित इस नजरिए से मैं सहमत हूँ।

उन्नी मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 46)

प्रश्न 2.
मैं धार्मिक नहीं हूँ, मुझे सांप्रदायिकता और धर्मनिरपेक्षता की परवाह क्यों करनी चाहिए ?
उत्तर:
साम्प्रदायिकता कुछ धार्मिक समुदायों की घृणित प्रवृत्ति के कारण समाज में फैलने वाली गंदगी है, जिससे सामाजिक शांति भंग होती है। इसलिए हमें साम्प्रदायिकता का विरोध करना चाहिए, चाहे हम धार्मिक हों या न हों। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ यह है कि हमारे देश में किसी भी धर्म पर पाबंदी नहीं है। यहाँ सभी धर्म के लोगों का सम्मान किया जाता है। हम धार्मिक नहीं हैं, तब भी हमें धर्मनिरपेक्षता का ध्यान रखना चाहिए, ताकि किसी भी व्यक्ति की धार्मिक भावना को कोई ठेस न पहुँचे।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 47)

प्रश्न 1.
मैं अक्सर दूसरे धर्म के लोगों के बारे में चुटकुले सुनाता हूँ। क्या इससे मैं भी साम्प्रदायिक बन जाता हूँ?
उत्तर:
हमारे देश में विभिन्न जाति और धर्म के लोग रहते हैं, किसी भी धर्म के बारे में हास्यास्पद चुटकुले सुनाना उचित नहीं है। इससे उस धर्म के मानने वाले लोगों की भावना को ठेस पहुँचेगी, इससे साम्प्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 51)

प्रश्न 1.
मुझे अपनी जाति की परवाह नहीं रहती। हम पाठ्य-पुस्तक में इसकी चर्चा क्यों कर रहे हैं ? क्या हम जाति पर चर्चा करके जातिवाद को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं ?
उत्तर:
भारत में समाज, धर्म एवं जाति पर आधारित है। जाति-पाति संबंधी भेदभाव को दूर करने के लिए तथा जातिवाद को समाप्त करने के लिए जाति पर चर्चा की गई है न कि जातिवाद को बढ़ावा देने के लिए।

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प्रश्न 2.
अब तुम्हें यह पसंद नहीं आ रहा है ! क्या तुम्हीं ने नहीं कहा था कि यहाँ भी प्रभुत्व या वर्चस्व की बात आए तो हमें राजनीति विज्ञान में उसकी चर्चा करनी चाहिए ? क्या हमारे चुप रहने से जाति व्यवस्था समाप्त हो जायेगी ?
उत्तर:
राजनीति विज्ञान में हम उन-सभी विषयों की चर्चा करते हैं, जब एक जाति समुदाय दूसरे जाति समुदाय पर अपना वर्चस्व कायम करता है। यदि समाज जातिवाद के विषय पर चुप रहेगा तो जाति व्यवस्था कभी भी समाप्त नहीं होगी, यह जातिवाद बढ़ता रहेगा, इसलिए जातिवाद पर चर्चा करते हैं।

कार्टून से (पृष्ठ संख्या 53)

प्रश्न 1.
क्या आपको यह बात ठीक लगती है कि राजनेता किसी जाति के लोगों को अपने वोट बैंक के रूप में देखें?
उत्तर:
यह बात बिल्कुल ठीक नहीं है कि राजनेता किसी जाति को अपना वोट-बैंक समझ लेते हैं। राजनीतिक नेता विशेष जाति के पक्ष में सहूलियत की बातें करके अपना वोट-बैंक बनाते हैं तो बहुत गलत है। इससे समाज से जातिवाद समाप्त होने के बजाय इसको बढ़ावा ही मिलेगा और अन्य जातियों के बीच में तनाव बढ़ेगा, आगे चलकर यह एक आन्दोलन का रूप ले सकता है।

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JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 3 लोकतंत्र और विविधता

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JAC Class 10th Civics लोकतंत्र और विविधता Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तय करने वाले तीन कारकों की चर्चा करें।
अथवा
भारत में सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम किन कारकों पर निर्भर करता है ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सामाजिक विभाजनों की राजनीति का परिणाम निर्धारित करने वाले तथ्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक विभाजनों की राजनीति तय करने वाले तीन कारक निम्नलिखित हैं
1. विभिन्न समुदायों की माँग के प्रति सरकारी रुख-विभिन्न समुदायों के लोगों की माँग पर सरकार कैसा रुख अपनाती है। यदि सरकार उनकी मांगों को दबाने का प्रयास करती है तो इस स्थिति में सामाजिक विभाजन का खतरा रहता है। यदि माँग संविधान की सीमा के अन्तर्गत है तो सरकार को चाहिए कि माँगों पर पुनर्विचार करके उसे मान ले, इस स्थिति में सामाजिक विभाजन का खतरा टल जाता है।

2. लोगों में अपनी पहचान के प्रति आग्रह की भावना-यदि लोग स्वयं को सबसे विशिष्ट एवं अलग मानने लगते हैं तो उनके लिए दूसरों के साथ तालमेल बैठाना बहुत मुश्किल हो जाता है और यदि लोग अपनी बहुस्तरीय पहचान के प्रति सचेत हैं और इसे राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा या सहयोगी मानते हैं तब कोई समस्या नहीं होती।

3. राजनीतिक दलों का रवैया-विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता सामाजिक मूल्यों के प्रति अपने विचार किस प्रकार व्यक्त करते हैं। यदि वे किसी एक धर्म या समुदाय की माँग का समर्थन करते हैं तो इस प्रकार सामाजिक विभाजन की स्थिति उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
सामाजिक अन्तर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं ?
उत्तर:
सामाजिक अन्तर उस समय सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेता है, जब एक सामाजिक अन्तर, दूसरे सामाजिक अन्तर पर हावी हो जाता है। ऐसी स्थिति में सामाजिक अन्तरों के मध्य सामंजस्य की गुंजाइश नहीं रह जाती है। परिणामस्वरूप इस अन्तर को मानने वाले जनसमूहों द्वारा नए सामाजिक वर्ग का निर्माण होता है। तब सामाजिक अन्तर और बढ़ जाता है और अन्त में सामाजिक विभाजन का रूप ग्रहण कर लेता है।

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प्रश्न 3.
सामाजिक विभा न किस तरह से राजनीति को प्रभावित करते हैं ? दो उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
सामाजिक विभाजन से राजनीति प्रभावित होती है। यदि सामाजिक विभाजन किसी समूह विशेष द्वारा अपनी पहचान बनाने के लिए होता है तो इस प्रकार के विभाजन में समझौते की गुंजाइश नहीं होती; जैसे-आयरलैंड में लोग अपनी पहचान कैथोलिक या प्रोटेस्टेंट के रूप में बनाना चाहते हैं। दूसरा उदाहरण बेल्जियम का है, जहाँ के लोग अलग-अलग भाषा बोलने वाले हैं किन्तु एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हैं। इन अलग-अलग भाषाओं से दूस समुदाय के लोगों का कोई अहित नहीं होता है।

प्रश्न 4.
सामाजिक अन्तर गहरे सामाजिक विभाजन और तनावों की स्थिति पैदा करते हैं। ..सामाजिक अन्तर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।
उत्तर:
कुछ, सभी।

प्रश्न 5.
सामाजिक विभाजनों को सँभालने के सन्दर्भ में इनमें से कौन-सा बयान लोकतान्त्रिक व्यवस्था पर लागू नहीं होता?
(क) लोकतन्त्र में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते सामाजिक विभाजनों की छाया राजनीति पर भी पड़ती है।
(ख) लोकतन्त्र में विभिन्न समुदायों के लिए शान्तिपूर्ण ढंग से अपनी शिकायतें जाहिर करना सम्भव है।
(ग) लोकतन्त्र सामाजिक विभाजनों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है।
(घ) लोकतन्त्र सामाजिक विभाजन के आधार पर समाज को विखण्डन की ओर ले जाता है।
उत्तर:
(घ) लोकतन्त्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखण्डन की ओर ले जाता है।

प्रश्न 6.
निम्नलिखित तीन बयानों पर विचार करें
(अ) जहाँ सामाजिक अन्तर एक-दूसरे से टकराते हैं वहाँ सामाजिक विभाजन होता है।
(ब) यह सम्भव है कि एक व्यक्ति की कई पहचान हों।
(स) सिर्फ भारत जैसे बड़े देशों में ही सामाजिक विभाजन होते हैं।
इन बयानों में से कौन-कौन से बयान सही हैं।
(क) अ, ब और स
(ख) अ और ब
(ग) ब और स
(घ) सिर्फ स।
उत्तर:
(ख) अ और ब।

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प्रश्न 7.
निम्नलिखित बयानों को तार्किक क्रम से लगाएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब ढूँढ़ें।
(अ) सामाजिक विभाजन की सारी राजनीतिक अभिव्यक्तियाँ खतरनाक ही हों, यह जरूरी नहीं है।
(ब) हर देश में किसी न किसी तरह के सामाजिक विभाजन रहते ही हैं।
(स) राजनीतिक दल सामाजिक विभाजनों के आधार पर राजनीतिक समर्थन जुटाने का प्रयास करते हैं।
(द) कुछ सामाजिक अन्तर सामाजिक विभाजनों का रूप ले सकते हैं।
(क) द, ब, स, अ
(ख) द, ब, अ, स
(ग) द, अ, स, ब
(घ) अ, ब, स, द।
उत्तर:
(क) द, ब, स, अ।

प्रश्न 8.
निम्नलिखित में किस देश को धार्मिक और जातीय पहचान के आधार पर विखण्डन का सामना करना पड़ा?
(क) बेल्ज़ियम
(ख) भारत
(ग) यूगोस्लाविया
(घ) नीदरलैंड।
उत्तर:
(ग) यूगोस्वालिया।

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प्रश्न 9.
मार्टिन लूथर किंग जूनियर के 1963 के प्रसिद्ध भाषण के निम्नलिखित अंश को पढ़ें। वे किस सामाजिक विभाजन की बात कर रहे हैं? उनकी उम्मीदें और आशंकाएँ क्या-क्या थीं ? क्या आप उनके बयान और मैक्सिको ओलंपिक की उस घटना में कोई सम्बन्ध देखते हैं जिसका जिक्र इस अध्याय में था?

“मेरा एक सपना है कि मेरे चार नन्हें बच्चे एक दिन ऐसे मल्क में रहेंगे जहाँ उन्हें चमड़ी के रंग के आधार पर नहीं, बल्कि उनके चरित्र के असल गुणों के आधार पर परखा जायेगा। स्वतन्त्रता को उसके असली रूप में आने दीजिए। स्वतन्त्रता तभी कैद से बाहर आ पाएगी जब यह हर बस्ती, हर गाँव तक पहुँचेगी, हर राज्य और हर शहर में होगी और हम उस दिन को ला पाएँगे जब ईश्वर की सारी संतानें-अश्वेत स्त्री-पुरुष, गोरे लोग, यहूदी तथा गैर-यहूदी, प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक-हाथ में हाथ डालेंगी और इस पुरानी नीग्रो प्रार्थना को गाएँगी- ‘मिली आज़ादी, मिली आज़ादी! प्रभु बलिहारी, मिली आज़ादी!’ मेरा एक सपना है कि एक दिन यह देश उठ खड़ा होगा और अपने वास्तविक स्वभाव के अनुरूप कहेगा, “हम इस स्पष्ट सत्य को मानते हैं कि सभी लोग समान हैं।”
उत्तर:
1. सन् 1963 में दिए गए अपने इस भाषण में मार्टिन लूथर किंग जूनियर चमड़ी के आधार पर काले एवं गोरों के बीच सामाजिक विभाजन की बात कर रहे हैं।

2. उनकी उम्मीदें एवं आशंकाएँ यह हैं कि उन्होंने अपने चार छोटे बच्चों के लिए एक सपना देखा है जो उनके अनुसार एक ऐसे देश में रहेंगे जिसमें लोग उन्हें उनकी चमड़ी के रंग के आधार पर नहीं बल्कि उनके चरित्र के गुणों के आधार पर परखेंगे। वे उस दिन की कामना कर रहे हैं जब सभी व्यक्ति स्त्री-पुरुष, काले-गोरे, यहूदी-गैर यहूदी, कैथोलिक एवं प्रोटेस्टेंट एक ही प्रकार के अधिकारों तथा स्वतन्त्रता का प्रयोग कर सकेंगे।

3. हाँ, हम मार्टिन लूथर किंग जूनियर के बयान और मैक्सिको ओलंपिक की इस घटना में निश्चित रूप से सम्बन्ध देखते हैं। मार्टिन लूथर किंग का भाषण चमड़ी के रंग को लेकर बनाए गए सामाजिक विभाजन में दर्द को प्रदर्शित करता है। चूँकि ऐसी ही काली चमड़ी वाले एफ्रो-अमरीकन खिलाड़ियों द्वारा मैक्सिको ओलम्पिक के दौरान प्रदर्शन किया गया था। अतः दोनों में स्पष्ट सम्बन्ध दिखता है।

गतिविधि एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

बीच बहस में (पृष्ठ संख्या 31)

कुछ दलित समूहों ने 2001 में डरबन में हुए संयुक्त राष्ट्र के नस्लभेद विरोधी सम्मेलन में हिस्सा लेने का फैसला किया और माँग की कि सम्मेलन की कार्यसूची में जातिभेद को भी रखा जाए। इस फैसले पर ये तीन प्रतिक्रियायें सामने आईं:
अमनदीप कौर (सरकारी अधिकारी): हमारे संविधान में जातिगत भेदभाव को गैर-कानूनी करार दिया गया है। अगर कहीं-कहीं जातिगत भेदभाव होता है तो यह हमारा आन्तरिक मामला है और इसे प्रशासनिक अक्षमता के रूप में देखा जाना चाहिए। मैं इसे अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर उठाए जाने के खिलाफ़ हूँ।

ओइनम (समाजशास्त्री):
जाति और नस्ल एक जैसे सामाजिक विभाजन नहीं हैं। इसलिए मैं इसके खिलाफ़ हूँ। जाति का आधार सामाजिक है जबकि नस्ल का आधार जीवशास्त्रीय होता है। नस्लवाद विरोधी सम्मेलन में जाति के मुद्दे को उठाना दोनों को समान मानने जैसा होगा।

अशोक (दलित कार्यकता):
किसी मुद्दे को आन्तरिक मामला कहना दमन और भेदभाव पर खुली चर्चा को रोकना है। नस्ल विशुद्ध रूप से जीवशास्त्रीय नहीं है, यह जाति की तरह ही काफ़ी इद तक समाजशास्त्री और वैधानिक वर्गीकरण है। इस सम्मेलन में जातिगत भेदभाव का मसला ज़रूर उठाना चाहिए। इनमें से किस राय को आप सबसे सही मानते हैं ? कारण बताइए।
उत्तर:
मैं अमनदीप कौर के विचार से सहमत हूँ, क्योंकि हमारे संविधान में जातिगत भेदभाव को गैर-कानूनी करार दिया गया है और यदि फिर भी भेदभाव होता है तो यह हमारे देश का आन्तरिक मामला है, यह कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिसे – अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर उठाया जाए।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 31)

प्रश्न 1.
मैं पाकिस्तानी लड़कियों की एक टोली से मिली और मुझे लगा कि अपने ही देश के दूसरे हिस्सों की लड़कियों की तुलना में वे मुझसे ज्यादा समानता रखती हैं, क्या इसे राष्ट्र-विरोधी मेल कहा जायेगा ?
उत्तर:
नहीं, ऐसा महसूस करना राष्ट्र-विरोधी मेल नहीं कहा जायेगा क्योंकि कोई भी व्यक्ति किसी के समान हो सकता है, किसी भी भाषा को बोल सकता है। भारत में रहने वाली मुस्लिम लड़की और पाकिस्तान में रहने वाली लड़की दोनों ही उर्दू बोलती हैं, तो वे समान हैं।

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कार्टून (पृष्ठ संख्या 32)

प्रश्न 1.
इस कार्टून से हर व्यक्ति अलग अर्थ निकाल सकता है। आपको इस कार्टून का क्या मतलब समझ में आता है ? आपकी कक्षा के अन्य छात्र इससे क्या अर्थ निकालते हैं ?
उत्तर:
इस कार्टून में व्यक्ति अपने ही अंगों को काटकर स्वयं को क्षति पहुँचा रहा है। वह यह बताने की कोशिश कर रहा है कि हम सामाजिक मतभेद और जातिगत भेदभाव की वजह से अपने ही अंगों को काट रहे हैं। कक्षा में अन्य छात्रों के बीच इस कार्टून को लेकर मतभेद हैं, जैसे कुछ मानते हैं कि इसमें धनी और शक्तिशाली लोगों के बारे में बताया गया है जो निर्धन वर्ग के अधिकारों को क्षति पहुँचा रहे हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ 33)

प्रश्न:
दलित कवियों की इन दो कविताओं को पढ़ें-पोस्टर के ऊपर, अप्रकट रंगभेद’ क्यों लिखा गया है ?
उत्तर:
दलित कवियों की कविताओं से यह पता चलता है कि सामाजिक भेदभाव समाप्त हो गया है। सभी एक नल से पानी पी रहे हैं कोई ऊँचा, नीचा नहीं है। दूसरी कविता में गरीबी का भयावह दृश्य दर्शाया गया है। माँ लकड़ी बेचकर आयेगी तब घर में खाना बनेगा, यदि लकड़ी नहीं बिकेगी तो हम भूखे सो जायेंगे, इसमें आमदनी का जरिया सिर्फ लकड़ी बेचना है। यहाँ समानता रूपी दशाएँ दर्शाने का प्रयास तो किया गया है किन्तु वास्तविक रूप से समानता न हो पाने के कारण ही अप्रकट रंगभेद लिखा गया है।

क्या समझा ? क्या जाना ? (पृष्ठ संख्या 34)

प्रश्न 1.
इमराना दसवीं कक्षा के सेक्शन ‘ब’ की छात्रा है। वह बारहवीं कक्षा के छात्रों को विदाई पार्टी देने की तैयारी में अपनी कक्षा के अन्य छात्रों की मदद कर रही है। पिछले महीने उसने अपने सेक्शन की खो-खो टीम की तरफ़ से दसवीं कक्षा के सेक्शन ‘अ’ की टीम के खिलाफ़ मैच खेला था। वह बस से घर जाती है और उसी बस में यमुना पार से आने वाले और भी बच्चे होते हैं जो अलग-अलग कक्षाओं में पढ़ते हैं। इमराना उनसे भी हिली-मिली है।

इमराना और उसकी बड़ी बहन नईमा की शिकायत है कि उन्हें तो माँ के साथ घर के काम में हाथ बँटाना पड़ता है जबकि उनका भाई कोई काम नहीं करता। इमराना के पिता उसकी बड़ी बहन के लिए लड़का ढूँढ़ रहे हैं। उनकी कोशिश है कि लड़का उन्हीं की हैसियत का हो। क्या आप बता सकते हैं कि इमराना की पहचान किस आधार पर की जा सकती है
घर में वह एक लड़की है।
धर्म के हिसाब से वह
स्कू ल में वह………….
………वह ………..
…………..वह……….
उत्तर:
धर्म के हिसाब से वह एक मुस्लिम है। स्कूल में वह कक्षा-दस की एक छात्रा है। खेल में वह खो-खो टीम की एक सदस्या है। परिवार में वह नईमा की छोटी बहन है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 35)

प्रश्न 1.
क्या आपको महाश्वेता की बातें सही लगती हैं ? क्या आप अपने इलाके के कुछ ऐसे समुदायों को जानते हैं जिनके साथ रोमानी लोगों जैसा बर्ताव होता है ?
उत्तर:
हाँ, मुझे महाश्वेता की बातें सही लगती हैं। हमारे देश में भी कुछ ऐसी जातियाँ (नट, बंजारा आदि) हैं, जिनके साथ वैसा ही व्यवहार किया जाता है जैसा कि रोमानी लोगों के साथ हो रहा है।

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प्रश्न 2.
क्या आपने कुछ लोगों को वैसी बातें कहते हुए सुना है, जैसी योन्किा और मोद्रजेनी कह रही थीं ? अगर हाँ, तो जरा यह कल्पना करें कि अगर आपको ऐसी बातें उनसे सुनने को मिलतीं तो यह कहानी कैसी होगी ?
उत्तर:
कुछ जाति के लोगों को ऐसी बातें करते सुना है, इन लोगों की इस स्थिति की जिम्मेदार सरकार है, जो इन पर ध्यान नहीं देती है। इस कहानी से हमें नस्लीय भेदभाव की स्थिति का पता चलता है।

प्रश्न 3.
क्या बुल्गारिया की सरकार को यह प्रयास करना चाहिए कि रोमानी लोग भी बुल्गारिया के बाकी लोगों जैसी पोशाक पहनें और वैसा ही आचरण करें ?
उत्तर:
नहीं यह आवश्यक नहीं है कि सभी एक जैसी पोशाक पहनें व समान आचरण करें। हाँ बुल्गारिया की सरकार को चाहिए कि वह रोमानी लोगों की स्थिति में सुधार लाने का प्रयास करे जिससे वे भी बुल्गारिया के लोगों की तरह रह सकें। लोकतन्त्र में सभी लोगों को समान मानना चाहिए, सभी लोगों को समान सुविधाएँ देनी चाहिए।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 36)

प्रश्न 1.
उत्तरी आयरलैंड के कुछ स्थानों में प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक लोगों के समुदाय दीवार के माध्यम से बँटे हैं। इन दीवारों पर अक्सर कुछ न कुछ लिखा हुआ देखने को मिल जाता है। इस तस्वीर में भी आप यह देख सकते हैं। आयरिश रिपब्लिकन आर्मी और ब्रिटेन की सरकार के बीच 2005 में एक समझौता हुआ था। यहाँ अंकित दीवार-लेखन सामाजिक तनाव के बारे में क्या कहता है ?
उत्तर:
इस दीवार-लेखन से यह स्पष्ट होता है कि सन् 1966 में लन्दन में जातिगत भेदभाव व्याप्त था। लोग काले और आयरिश मूल के लोगों के साथ भेदभाव करते थे। दूसरा चित्र यह बताता है कि 2005 में बेलफास्ट में जातिगत भेदभाव का अन्त हो चुका है और लोग एक-दूसरे के साथ समानता का व्यवहार करते हैं, ताकि वे शान्ति से रह सकें।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या 37)

प्रश्न 1.
क्या आप खेल के मामले में सामाजिक विभाजन या भेदभाव के कुछ उदाहरण सोच सकते हैं ?
उत्तर:
दक्षिण अफ्रीका में कुछ समय पहले क्रिकेट टीम में काले कप्तान नहीं बनाये जाते थे। आज कई खेल ऐसे हैं, जिन्हें सामान्य लोग नहीं खेल सकते हैं, क्योंकि ये काफी खर्चीले हैं। उदाहरण-पोलो, गोल्फ आदि।

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प्रश्न 2.
तो आपके कहने का मतलब है कि एक बड़े विभाजन की जगह अनेक छोटे विभाजन लाभकर होते हैं ? और आपके कहने का यह भी मतलब है कि राजनीति एकता पैदा करने वाली शक्ति है ?
उत्तर:
सामाजिक विभिन्नता ही समाज में विभाजन का कारण होती है। सामाजिक विभिन्नता से मतभेद उत्पन्न होते हैं। उन मतभेदों के कारण विभाजन की स्थिति पैदा होती है। विभाजन का मुद्दा और सरकार का रुख विभाजन की प्रकृति – तय करता है कि विभाजन अच्छा है या बुरा। राजनेताओं की सोच के आधार पर विभाजन का स्वरूप निर्भर करता है। राजनीति कुछ हद तक विभाजन को कम कर सकती है।

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JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद

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JAC Class 10th Civics संघवाद Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
भारत के खाली राजनीतिक नक्शे पर इन राज्यों की उपस्थिति दर्शाएँ :
मणिपुर, सिक्किम, छत्तीसगढ़ और गोवा।
उत्तर:
JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद 1

प्रश्न 2.
विश्व के खाली राजनीतिक मानचित्र पर भारत के अलावा संघीय शासन वाले तीन देशों की अवस्थिति बताएँ और उनके नक्शे को रंग से भरें।
JAC Class 10 Social Science Solutions Civics Chapter 2 संघवाद 2

प्रश्न 3.
भारत की संघीय व्यवस्था में बेल्जियम से मिलती-जुलती एक विशेषता और उससे अलग एक विशेषता को बताएँ।
उत्तर:
मिलती: जुलती विशेषता-बेल्जियम तथा भारत दोनों ही संघीय व्यवस्था वाले देश हैं तथा इनमें त्रि-स्तरीय सरकारें हैं।
अलग विशेषता-तीसरे स्तर पर बेल्जियम में सामुदायिक सरकार है। भारत में तीसरे स्तर पर स्थानीय स्वशासन है।

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प्रश्न 4.
शासन के संघीय और एकात्मक स्वरूपों में क्या-क्या मुख्य अन्तर है ? इसे उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करें।
अथवा
‘एकात्मक शासन’ की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
शासन के संघीय एवं एकात्मक स्वरूपों में मुख्य अन्तर निम्नलिखित हैं

संघीय शासन व्यवस्था एकात्मक शासन व्यवस्था
1. इस शासन के स्वरूप में दो स्तरों पर सरकारें होती हैं तथा सत्ता के इन दोनों स्तरों की सरकारें अपने-अपने राज्य सरकारें उसके अधीन होकर कार्य करती हैं। 1. इस शासन के स्वरूप में शासन का एक ही स्तर होता है तथा स्तर पर स्वतन्त्र होकर कार्य करती हैं।
2. इस व्यवस्था में राज्य सरकारों को शक्तियाँ संविधान प्राप्त होती हैं। 2. इसमें राज्य सरकारों को अपनी शक्तियाँ केन्द्रीय सरकार से से प्राप्त होती हैं।
3. इस व्यवस्था में संघ और राज्य सरकारों के बीच विषयों का विभाजन होता है। 3. इस व्यवस्था में विषयों का विभाजन नहीं होता है।
4. इस व्यवस्था में राज्य सरकारें अपने कार्यों के लिए केन्द्रीय सरकार के प्रति जिम्मेदार नहीं होती हैं। 4. इस व्यवस्था में राज्य सरकारें अपने कार्यों के लिए केन्द्रीय सरकार के प्रति जिम्मेदार होती हैं।
5. इस व्यवस्था में केन्द्रीय सरकार राज्य सरकारों को कुछ विशेष कार्य करने का आदेश नहीं दे सकती हैं। उदाहरण: भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, बेल्जियम, कनाडा व ऑस्ट्रेलिया ने संघीय शासन व्यवस्था को अपनाया है। 5. इस व्यवस्था में केन्द्रीय सरकार राज्य सरकारों को आदेश दे सकती है। उदाहरण: फ्रांस, हॉलैण्ड, जापान, इटली आदि देशों ने एकात्मक शासन व्यवस्था को अपनाया है।

प्रश्न 5.
1992 के संविधान के पहले और बाद के स्थानीय शासन के दो महत्वपूर्ण अन्तरों को बताएँ।
उत्तर:

स्थानीय शासन (1992 से पूर्व) स्थानीय शासन (1992 के बाद)
1. स्थानीय सरकारों का चुनाव नहीं होता था। 1. स्थानीय सरकारों का नियमित चुनाव होता है।
2. स्थानीय सरकार के पास स्वयं का आय का स्रोत नहीं था। 2. केन्द्र सरकार द्वारा स्थानीय सरकार को सीधे पैसा भेजा जाता है।

प्रश्न 6.
रिक्त स्थानों को भरें चँकि अमरीका……… तरह का संघ है इसलिए वहाँ सभी इकाइयों को समान अधिकार है। संघीय सरकार के मुकाबले प्रान्त……….. हैं। लेकिन भारत की संघीय प्रणाली……… की है और यहाँ कुछ राज्यों को औरों से ज्यादा शक्तियाँ प्राप्त हैं।
उत्तर:
‘साथ आकर संघ बनाने की’, शक्तिशाली एवं ‘सबको साथ लेकर चलने’ की नीति।

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प्रश्न 7.
भारत की भाषा नीति पर नीचे तीन प्रतिक्रियाएँ दी गई हैं। इनमें से आप जिसे ठीक समझते हैं उसके पक्ष में तर्क और उदाहरण दें।
संगीता: प्रमुख भाषाओं को समाहित करने की नीति ने राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है।
अरमान: भाषा के आधार पर राज्यों के गठन ने हमें बाँट दिया है। हम इसी कारण अपनी भाषा के प्रति सचेत हो गए हैं।
रीश: इस नीति ने अन्य भाषाओं के ऊपर अंग्रेजी के प्रभुत्व को मजबूत करने का काम किया है।
उत्तर:
मुझे संगीता की प्रतिक्रिया ठीक लगती है, क्योंकि यह सच है कि सामंजस्य की नीति ने हमारी राष्ट्रीय एकता को मजबूत किया है। प्रारम्भ में हिन्दी को आधिकारिक भाषा बनाया गया और अंग्रेजी का प्रयोग आधिकारिक रूप से बन्द कर दिया गया। इस पर तमिलनाडु में लोगों ने आन्दोलन करना प्रारम्भ कर दिया।

हमारे देश में 121 प्रमुख भाषाएँ हैं, हमको इन सभी भाषाओं का आदर करना चाहिए, जिससे ये देश की उन्नति में मदद कर सकें और विकसित हो सकें। हमारे समक्ष श्रीलंका का उदाहरण है, जहाँ भाषायी विवाद ने देश को गृहयुद्ध के कगार पर ला खड़ा किया था।

प्रश्न 8.
संघीय सरकार की एक विशिष्टता है:
(क) राष्ट्रीय सरकार अपने कुछ अधिकार प्रान्तीय सरकारों को देती है।
(ख) अधिकार विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच बँट जाते हैं।
(ग) निर्वाचित पदाधिकारी ही सरकार में सर्वोच्च ताकत का उपयोग करते हैं।
(घ) सरकार की शक्ति शासन के विभिन्न स्तरों के बीच बँट जाती है।
उत्तर:
(घ) सरकार की शक्ति शासन के विभिन्न स्तरों के बीच बँट जाती है।

प्रश्न 9.
भारतीय संविधान की विभिन्न सूचियों में दर्ज कुछ विषय यहाँ दिए गए हैं। इन्हें नीचे दी गई तालिका में संघीय सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची वाले समूहों में लिखें।
(क) रक्षा, (ख) पुलिस, (ग) कृषि, (घ) शिक्षा, (ङ) बैंकिंग, (च) वन, (छ) संचार, (ज) व्यापार, (झ) विवाह।

संघीय सूची (क) रक्षा (ङ) बैंकिंग (छ) संचार
राज्य सूची (ख) पुलिस (ग) कृषि (ज) व्यापार
समवर्ती सूची (घ) शिक्षा (च) वन (झ) विवाह

प्रश्न 10.
नीचे भारत में शासन के विभिन्न स्तरों और उनके कानून बनाने के अधिकार क्षेत्र के जोड़े दिए गए हैं। इनमें से कौन-सा जोड़ा सही मेल वाला नहीं है ?

(क) राज्य सरकार राज्य सूची
(ख) केन्द्र सरकार संघीय सूची
(ग) केन्द्र और राज्य सरकार समवर्ती सूची
(घ) स्थानीय सरकार अवशिष्ट अधिकार

उत्तर: (घ) स्थानीय सरकार-अवशिष्ट अधिकार।

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प्रश्न 11.
सूची I और सूची II में मेल ढूँढें और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही उत्तर चुनें। सूची। ।

सूची I सूची II
1. भारतीय संघ (अ) प्रधानमन्त्री
2. राज्य (ब) सरपंच
3. नगर निगम (स) राज्यपाल
4. ग्राम पंचायत (द) मेयर
1 2 3 4
(सा)
(रे)
(गा)
(मा)

उत्तर:
(गा) 1. (अ), 2. (स), 3. (द), 4. (ब)

प्रश्न 12.
इन बयानों पर गौर करें:
(अ) संघीय व्यवस्था में संघ और प्रान्तीय सरकारों के अधिकार स्पष्ट रूप से तय होते हैं।
(ब) भारत एक संघ है क्योंकि केन्द्र और राज्य सरकारों के अधिकार संविधान में स्पष्ट रूप से दर्ज हैं और अपने-अपने विषयों पर उनका स्पष्ट अधिकार है।
(स) श्रीलंका में संघीय व्यवस्था है क्योंकि उसे प्रान्तों में बाँट दिया गया है।
(द) भारत में संघीय व्यवस्था नहीं रही, क्योंकि राज्यों के कुछ अधिकार स्थानीय शासन की इकाइयों में बाँट दिए गए हैं।

ऊपर दिए गए बयानों में कौन-कौन सही हैं।
(सा) अ, ब और स
(रे) अ, स और द
(गा) अ और ब
(मा) ब और स।
उत्तर:
(गा) अ और ब।

गतिविधि एवं क्रियाकलाप आधारित प्रश्न

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 14)

प्रश्न 1.
मैं थोड़ी उलझन में हूँ। आखिर, भारत की शासन-व्यवस्था को क्या नाम दिया जाए? यह एकात्मक है, संघात्मक अथवा केन्द्रीकृत?
उत्तर:
भारत राज्यों से मिलकर बना है, अतः भारत की शासन व्यवस्था को संघात्मक शासन व्यवस्था का नाम दिया जा सकता है। लेकिन इसमें राज्य सरकारों की तुलना में केन्द्र सरकार को अधिक शक्तिशाली बनाया गया है।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 15)

प्रश्न 1.
संघीय व्यवस्था जब सिर्फ बड़े देशों के अनुकूल है तो बेल्जियम ने इसे क्यों अपनाया ?
उत्तर:
बेल्जियम एक छोटा देश है, लेकिन इसकी जनसंख्या में विविधता है। बेल्जियम में कई भाषा वाले लोग रहते हैं और उनमें अपने लाभ को लेकर आपसी संघर्ष हो सकता है। अतः सम्भावित संघर्ष तथा राजनैतिक अस्थिरता को रोकने के लिए बेल्जियम ने संघीय व्यवस्था को अपनाया।

क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 16)

प्रश्न 1.
कुछ नेपाली नागरिक अपने संविधान में संघीय व्यवस्था अपनाने की बात कर रहे थे। उनकी चर्चा कुछ इस प्रकार की थी
खगराज मुझे संघीय व्यवस्था पसन्द नहीं है। इससे भारत की तरह हमारे यहाँ भी सीटों को आरक्षित करना पड़ेगा।
मीता हमारा देश तो कोई बड़ा नहीं है। हमें संघ की क्या ज़रूरत है?
बाबूलाल: मुझे लगता है कि अगर तराई क्षेत्र की अपनी अलग राज्य सरकार बने तो क्षेत्र को ज़्यादा स्वायत्तता मिल सकेगी। रामगणेश: मुझे संघीय व्यवस्था पसन्द है क्योंकि इसका मतलब होगा कि पहले राजा जिन शक्तियों का प्रयोग करता था, उनका इस्तेमाल इस व्यवस्था में हमारे निर्वाचित प्रतिनिधि करेंगे। अगर आप इस चर्चा में शामिल होते तो प्रत्येक टिप्पणी पर आपकी क्या प्रतिक्रिया होती ? इनमें से किसने संघीय व्यवस्था को लेकर गलत टिप्पणी की है ?
उत्तर:
1. खगराज को उत्तर:
यह ज़रूरी नहीं है कि भारत की ही तरह नेपाल में भी सीटों को आरक्षित करना पड़े क्योंकि भारत में तो विभिन्न जातीय समूहों को जो भी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं, वे उनके अधिकार हैं, जिनसे उन्हें वर्षों तक वंचित रखा गया था। संघीय व्यवस्था अपने उद्देश्य में तभी सफल हो सकती है जब लोगों में आपसी विश्वास की भावना बनी रहे।

2. मीता को उत्तर:
संघीय व्यवस्था के लिए देश का बड़ा होना आवश्यक नहीं है। बेल्जियम जो एक छोटा देश है, उसने भी संघीय व्यवस्था को अपनाया है। संघीय व्यवस्था सत्ता में सभी लोगों का प्रतिनिधित्व बढ़ाती है और उन्हें चुनाव लड़ने, मतदान करने का अधिकार प्रदान करती है।

3. बाबूलाल को उत्तर:
आपका विचार बहुत अच्छा है परन्तु आप यह क्यों चाहते हैं कि यह व्यवस्था केवल तराई क्षेत्र में हो, बल्कि इस व्यवस्था को तो पूरे देश में होना चाहिए जिससे सभी लोगों को उसमें भागीदारी करने का मौका मिल सके।

4. रामगणेश को उत्तर:
मैं आपके विचार से सहमत हूँ। संघीय व्यवस्था में शक्ति जनता के हाथ में निहित होती है। जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है। चुना गया प्रतिनिधि जनता का प्रतिनिधित्व करता है।
खगराज और मीता ने संघीय व्यवस्था को लेकर गलत टिप्पणी की है।

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उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 16)

प्रश्न 1.
क्या यह कुछ अजीब बात नहीं है? क्या हमारे संविधान निर्माताओं को मालूम नहीं था कि संघीय व्यवस्था क्या होती है या वे इसके बारे में कहने से बचना चाहते थे ?
उत्तर:
यह कुछ अजीब बात नहीं है। संविधान निर्माताओं को संघीय व्यवस्था के बारे में मालूम था लेकिन हमारा लोकतन्त्र उस समय अपनी शैशवावस्था में था। उस समय इन राज्यों को संघीय व्यवस्था का अधिकार दिया जाता तो देश के कई टुकड़े हो सकते थे। उन्होंने सोचा कि जैसे-जैसे लोकतन्त्र मजबूत होता जायेगा, वैसे-वैसे संविधान में संशोधन करके · आवश्यक परिवर्तन किए जायेंगे।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या17)

प्रश्न 1.
अगर कृषि और वाणिज्य राज्य के विषय हैं तो केन्द्र में कृषि और वाणिज्य मन्त्री क्यों बनाए जाते हैं ?
उत्तर:
केन्द्र में कृषि और वाणिज्य मन्त्री इसलिए बनाये जाते हैं ताकि सभी राज्य नियन्त्रण में रहें। राज्यों को वाणिज्य और कृषि सम्बन्धी व्यवहार आपस में करने होते हैं। कई बार एक राज्य मूल्य आदि पर मनमाना रवैया अपनाता है तो केन्द्र द्वारा उस पर नियन्त्रण किया जाता है। कई बार एक देश को दूसरे देशों के साथ वाणिज्य अथवा कृषि सम्बन्धी व्यवहार करना पड़ता है। उस स्थिति में केन्द्र की भूमिका प्रमुख होती है। इसके लिए कृषि एवं वाणिज्य मन्त्रालय में मन्त्रियों की आवश्यकता होती है।

क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 18)

प्रश्न 1.
पोखरण, जहाँ भारत ने अपने परमाणु परीक्षण किए, राजस्थान में पड़ता है। मान लें कि अगर राजस्थान की सरकार केन्द्र सरकार की परमाणु-नीति की विरोधी होती तो क्या वह केन्द्र सरकार को परमाणु परीक्षण करने से रोक सकती थी?
उत्तर:
नहीं, राजस्थान सरकार, भारत सरकार को परमाणु परीक्षण करने से नहीं रोक सकती थी क्योंकि देश की सुरक्षा केन्द्रीय सूची का विषय है, जिससे सम्बन्धित प्रत्येक फैसला लेने का अधिकार केन्द्र सरकार को प्राप्त है।

प्रश्न 2.
मान लें कि सिक्किम की सरकार अपने स्कूलों में नई पाठ्य-पुस्तकें लागू करना चाहती है। मान लें कि केन्द्र सरकार को पाठ्य-पुस्तकों की विषय-वस्तु और शैली पसन्द नहीं है। ऐसी स्थिति में क्या राज्य सरकार को नई पाठ्य-पुस्तकें लागू करने के लिए केन्द्र सरकार से अनुमति लेना जरूरी है ?
उत्तर:
ऐसी स्थिति में राज्य सरकार को केन्द्र सरकार से अनुमति लेना आवश्यक है, क्योंकि शिक्षा सम्बन्धी विषयों पर राज्य तथा केन्द्र दोनों ही सरकार कानून बना सकती हैं, किन्तु विवाद की अवस्था में केवल केन्द्र सरकार का कानून ही मान्य होगा।

प्रश्न 3.
मान लें कि नक्सलियों से निपटने की नीतियों के बारे में आन्ध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के मुख्यमन्त्रियों की राय अलग-अलग है। क्या ऐसे मामले में भारत के प्रधानमन्त्री दखल दे सकते हैं और क्या ऐसा आदेश जारी कर सकते हैं जिसे सभी मुख्यमन्त्री मानें ?
उत्तर:
नहीं, पुलिस विभाग राज्य सरकार के अधीन आता है। पुलिस विभाग सम्बन्धी विषय पर केवल राज्य सरकार ही कानून बना सकती है। इसमें केन्द्र सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होता।

मानचित्र आधारित (पृष्ठ संख्या 19)

प्रश्न 1.
क्या आपका गाँव या शहर आजादी के बाद से एक ही प्रान्त के अन्तर्गत रहा है? अगर नहीं तो इससे पहले के राज्य का क्या नाम था ?
उत्तर:
हाँ, हमारा गाँव या शहर आजादी के बाद से राजस्थान प्रान्त के अन्तर्गत रहा है।

प्रश्न 2.
क्या आप सन् 1947 के तीन राज्यों के ऐसे नामों को याद कर सकते हैं, जो आज बदल गए हैं ?
उत्तर:

  1. राजस्थान ‘राजपूताना’ का अंग था।
  2. पंजाब ‘उत्तरी-पूर्वी प्रान्त’ का भाग था।
  3. मध्य प्रदेश को ‘केन्द्रीय प्रान्त’ कहा जाता था।

प्रश्न 3.
तीन ऐसे राज्यों की पहचान करें जिन्हें बड़े राज्यों को काटकर बनाया गया है।
उत्तर:

  1. बिहार से अलग होकर ‘झारखण्ड’ बना है।
  2. मध्य प्रदेश से अलग होकर ‘छत्तीसगढ़’ बना है।
  3. उत्तर प्रदेश से अलग होकर ‘उत्तराखण्ड’ बना है।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 20)

प्रश्न 1.
हिन्दी ही क्यों ? बांग्ला या तेलुगु क्यों नहीं ?
उत्तर:
हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा को भारत सरकार ने अपने संविधान में आधिकारिक भाषाएँ घोषित किया है किन्तु सरकार उन राज्यों को जो हिन्दी भाषी नहीं हैं हिन्दी बोलने पर मजबूर नहीं करती है। उन लोगों को अपनी आधिकारिक भाषा चयन करने का अधिकार प्राप्त है। सभी लोग एक-दूसरे की भाषा तथा संस्कृति का सम्मान करते हैं। केन्द्र सरकार की यह नीति संघ के उन राज्यों की इच्छा के अनुसार है, जिन्होंने हिन्दी के साथ अंग्रेजी को भी आधिकारिक भाषा बनाए रखने की माँग की थी।

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उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 21)

प्रश्न 1.
आप यह कह रहे हैं कि क्षेत्रवाद लोकतन्त्र के लिए अच्छा है, क्या आप गम्भीरता से ऐसा कह रहे हैं ?
उत्तर:
नहीं, मैं ऐसा गम्भीरता से नहीं कह रहा हूँ क्योंकि क्षेत्रवाद लोकतन्त्र के लिए अच्छा नहीं है। हमारे देश में लोग विभिन्न भाषा, रंग-रूप, संस्कृति, परम्परा को मानते हैं। इन सभी से मिलकर यह देश बना हैं। किसी एक क्षेत्र को किसी भी मायने में समर्थन देना उचित नहीं है। देश की उन्नति तभी सम्भव है जब सभी क्षेत्र साथ-साथ वृद्धि एवं विकास करें।

एक-दूसरे के साथ मिल-जुलकर रहें। (पृष्ठ संख्या 22)

प्रश्न 1.
ऐसी तीन भाषाएँ ढूँढें जिनको भारत में बोला तो जाता है, पर जो इस सूची में नहीं हैं।
उत्तर:
बुन्देलखण्डी, राजस्थानी, भोजपुरी।

क्या समझा? क्या जाना? (पृष्ठ संख्या 23)

प्रश्न 1.
प्रसिद्ध इतिहासकार रामचन्द्र गुहा के आलेख से उद्धृत निम्नलिखित उद्धरणों को पढ़ें। यह आलेख ‘टाइम्स ऑफ इण्डिया’ में 1 नवम्बर, 2006 को छपा था।
अपने राज्य या अन्य किसी ऐसे राज्य का उदाहरण लें, जो भाषावार पुनर्गठन से प्रभावित हुआ। यहाँ जो तर्क दिया गया है उसके पक्ष या विपक्ष में उदाहरणों के साथ टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
श्रीलंका में लोगों के बीच में भाषा के विवाद के कारण सामाजिक संघर्ष उत्पन्न हुआ और इस संघर्ष ने। गृह-युद्ध का रूप ले लिया। भारत में 121 भाषाएँ हैं। इतनी भाषाएँ होते हुए भी सभी भाषायी समुदाय साथ-साथ और प्रेम और सद्भावना से रहते हैं। तमिलनाडु में अंग्रेजी पर रोक लगाने से आन्दोलन होने लगा, भाषा के आधार पर राज्यों के निर्माण से हमारे देश की एकता और अखण्डता और मजबूत हुई है।

उन्नी-मुन्नी के सवाल (पृष्ठ संख्या 25)

प्रश्न 1.
प्रधानमन्त्री देश चलाता है। मुख्यमन्त्री राज्यों को चलाते हैं। इसी तर्क से जिला परिषद् के प्रधान को जिले का शासन चलाना चाहिए। फिर जिलों का शासन कलक्टर या जिलाधीश क्यों चलाते हैं ?
उत्तर:
जिले का शासन चलाने का अधिकार जिला परिषद् के प्रधान अर्थात् जिला प्रमुख को नहीं दिया जा सकता क्योंकि यदि उन्हें यह अधिकार दिया जाता है तो प्रत्येक जिले में अलग-अलग कानून व अलग-अलग नीतियाँ होंगी जिससे राज्य में अव्यवस्था फैल सकती है। अत: इस प्रशासनिक अव्यवस्था को रोकने के लिए वर्तमान व्यवस्था में राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नीति के अनुसार समस्त जिलों का प्रशासन कलक्टर या जिलाधीश चलाते हैं जिससे शासन में एकरूपता एवं व्यवस्था बनी रहती है।

प्रश्न 2.
भारत में हुए विकेन्द्रीकरण के प्रयासों के बारे में अखबार की इन कतरनों में क्या कहा गया है ?
उत्तर:

  1. अखबार की इन कतरनों में पंचायतों से सम्बन्धित समाचार हैं।
  2. यह कतरनें पंचायतों में महिला प्रतिनिधियों की वृद्धि के बारे में बताती हैं अर्थात् राजनीति में महिलाओं की साझेदारी में वृद्धि हुई है।
  3. न्याय सभी को सुलभ हो गया है तथा सस्ता है।
  4. विकास हेतु पंचायतों को पैसा सीधे केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाता है।”

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JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 3 जल संसाधन

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Geography Chapter 3 जल संसाधन

JAC Class 10th Geography जल संसाधन Textbook Questions and Answers

बहुवैकल्पिक

प्रश्न 1.
(i) नीचे दी गई सूचना के आधार पर स्थितियों को ‘जल की कमी से प्रभावित’ या ‘जल की कमी से अप्रभावित’ में वर्गीकृत कीजिए:
(क) अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र
(ख) अधिक वर्षा और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र
(ग) अधिक वर्षा वाले परन्तु अत्यधिक प्रदूषित जल क्षेत्र
(घ) कम वर्षा और कम जनसंख्या वाले क्षेत्र
उत्तर:
(क) अधिक वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र – जल की कमी से अप्रभावित
(ख) अधिक वर्षा और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र – जल की कमी से अप्रभावित
(ग) अधिक वर्षा वाले परन्तु अत्यधिक प्रदूषित जल क्षेत्र – जल की कमी से प्रभावित
(घ) कम वर्षा और कम जनसंख्या वाले क्षेत्र – जल की कमी से प्रभावित

(ii) निम्नलिखित में से कौन-सा वक्तव्य बहुउद्देशीय नदी परियोजनाओं के पक्ष में दिया गया तर्के नहीं है
(क) बहुउद्देशीय परियोजनाएँ उन क्षेत्रों में जल लाती हैं जहाँ जल की कमी होती है।
(ख) बहुउद्देशीय परियोजनाएं जल बहाव को नियन्त्रित करके बाढ़ पर काबू पाती हैं।
(ग) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से वृहत स्तर पर विस्थापन होता है और आजीविका खत्म होती है।
(घ) बहुउद्देशीय परियोजनाएँ हमारे उद्योग और घरों के लिए विद्युत पैदा करती हैं।
उत्तर:
(ग) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से वृहत स्तर पर विस्थापन होता है और आजीविका खत्म होती है।

(iii) यहाँ कुछ गलत वक्तव्य दिए गए हैं। इनमें गलती पहचानें और दोबारा लिखें
(क) शहरों की बढ़ती संख्या, उनकी विशालता और सघन जनसंख्या तथा शहरी जीवन शैली ने जल संसाधनों के सही उपयोग में मदद की है।
(ख) नदियों पर बाँध बनाने और उनको नियन्त्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव और तलछट बहाव प्रभावित नहीं होता।
(ग) गुजरात में साबरमती बेसिन में सूखे के दौरान शहरी क्षेत्रों में अधिक जल आपूर्ति करने पर भी किसान नहीं भड़के।
(घ) आज राजस्थान में इन्दिरा गाँधी नहर से उपलब्ध पेयजल के कारण छत वर्षाजल संग्रहण लोकप्रिय हो रहा है।
उत्तर:
(क) शहरों की बढ़ती जनसंख्या, उनकी विशालता और सघन जनसंख्या तथा शहरी जीवन-शैली ने जल संसाधनों के सही उपयोग में अवरोध उत्पन्न किया है।
(ख) नदियों पर बाँध बनाने और उनको नियन्त्रित करने से उनका प्राकृतिक बहाव और तलछट बहाव बुरे तरीके से प्रभावित होता है।
(ग) गुजरात में साबरमती बेसिन में सूखे के दौरान शहरी क्षेत्रों में अधिक जल आपूर्ति करने पर किसान भड़क गये।
(घ) आज राजस्थान में इन्दिरा गांधी नहर से उपलब्ध पेयजल के कारण छत वर्षाजल संग्रहण की लोकप्रियता घट रही है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 3 जल संसाधन

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए
(i) व्याख्या करें कि जल किस प्रकार नवीकरण योग्य संसाधन है ?
उत्तर:
नवीकरण योग्य संसाधन वे संसाधन होते हैं जिनका बार-बार प्रयोग किया जा सकता है। इस परिभाषा के अनुसार जल एक नवीकरण योग्य संसाधन है। जल समुद्रों, नदियों, झीलों, तालाबों आदि से वाष्प बनकर उड़ता रहता है। जलवाष्प हवा में संघनित होकर बादलों में बदल जाती है। यह संघनित जलवाष्प पुनः वर्षा के रूप में धरती पर आ जाती है। धरती से जल पुनः सागरों आदि में पहुँचकर फिर वाष्पीकृत होता है। इस प्रकार यह सदैव गतिशील जलीय-चक्र, जल को एक नवीकरण योग्य संसाधन बना देता है, जिसका प्रयोग बार-बार किया जा सकता है।

(ii) जल दुर्लभता क्या है और इसके मुख्य कारण क्या हैं ?
उत्तर:
किसी स्थान पर माँग की तुलना में जल की कमी होना जल दुर्लभता कहलाता है। जल दुर्लभता के कारण

  1. निरन्तर बढ़ रही जनसंख्या के कारण प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता में निरन्तर कमी होना।
  2. जल का अतिदोहन।
  3. जल का अत्यधिक प्रयोग।
  4. समाज में जल संसाधनों का असमान वितरण
  5. जल का प्रदूषित होना।

(iii) बहुउद्देशीय परियोजनाओं से होने वाले लाभ और हानियों की तुलना करें।
उत्तर:

तुलना बहुउद्देशीय परियोजनाओं से लाभ बहुउद्देशीय परियोजनाओं से हानियाँ
(i) बाँधों में एकत्रित जल का प्रयोग सिंचाई के लिए (i) नदियों का प्राकृतिक बहाव अवरुद्ध होने से तलछट किया जाता है। बहाव कम हो जाता है।
(ii) ये जल-विद्युत ऊर्जा प्राप्ति का प्रमुख साधन है। (ii) अत्यधिक तलछट जलाशय की तली पर जमा हो जाता है।
(iii) जल उपलब्धता के कारण जल की कमी वाले क्षेत्रों (iii) इनसे भूमि का निम्नीकरण होता है। में फसलें उगायी जा सकती हैं।
(iv) घरेलू और औद्योगिक उपयोग हेतु जल की प्राप्ति। (iv) भूकम्प की सम्भावना का बढ़ना।
(v) बाढ़ नियन्त्रण, मनोरंजन, आन्तरिक नौकायन, मत्स्य (v) किसी कारणवश बाँध के टूटने पर बाढ़ आ जाना। पालन व मृदा संरक्षण। जलजनित बीमारियाँ, प्रदूषण, वनों की कटाई, मृदा व वनस्पति का अपघटन।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए
(i) राजस्थान के अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण किस प्रकार किया जाता है ? व्याख्या कीजिए।
अथवा
राजस्थान के अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में जल संग्रहण की विधियों के बारे में बताइए।
उत्तर:
राजस्थान जैसे अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में वर्षा जल संग्रहण निम्नलिखित विधियों से किया जाता है:

  1. राजस्थान जैसे अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में रहने वाले लोग पीने का पानी एकत्रित करने के लिए ‘छत वर्षा-जल संग्रहण’, तकनीक का प्रयोग करते हैं।
  2. शुष्क व अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में वर्षाजल एकत्रित करने के लिए गड्ढे बनाये जाते हैं ताकि मृदा को सिंचित किया जा सके; जैसे-जैसलमेर में ‘खादीन’ (खडीन) एवं अन्य क्षेत्रों में ‘जोहड़’।
  3. राजस्थान में शुष्क व अर्द्धशुष्क क्षेत्रों विशेषकर बीकानेर, फलौदी और बाड़मेर में लगभग प्रत्येक घर में पीने का पानी एकत्रित करने के लिए भूमिगत टैंक अथवा टाँका होते हैं।
  4. इन क्षेत्रों में छत वर्षा जल संग्रहण तंत्र का प्रयोग पानी को एकत्रित करने के लिए होता है एवं ये टैंक सुविकसित छत वर्षा जल संग्रहण तंत्र का एक अभिन्न हिस्सा होते हैं। जिसे मुख्य घर या आँगन में बनाया जाता है। ये टैंक घरों की ढलवाँ छतों से पाइप द्वारा जुड़े होते हैं।
  5. छत से वर्षा का पानी इन पाइपों से होकर भूमिगत टाँका तक पहुँचता है जहाँ इसे एकत्रित किया जाता है। वर्षा का पहला जल छतों, पाइपों व नलों को साफ करने में प्रयोग होता है और इसे संग्रहीत नहीं किया जाता है। इसके बाद होने वाली वर्षा का जल संग्रहीत किया जाता है।
  6. टाँका में वर्षा जल जल संसाधन 151 अगली वर्षा ऋतु तक संग्रहीत किया जाता है तथा जल की कमी वाले दिनों में इस जल का उपयोग किया जाता है। यह वर्षा जल (पालर पानी) प्राकृतिक जल का शुद्धतम रूप माना जाता है। कुछ घरों में तो टाँकों के साथ भूमिगत कमरे भी बनाये जाते हैं, क्योंकि जल का यह स्रोत इन कमरों को भी ठण्डा रखता है, जिससे ग्रीष्म ऋतु में गर्मी से राहत मिलती है।

(ii) परम्परागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों को आधुनिक काल में अपनाकर जल संग्रहण एवं भण्डारण किस प्रकार किया जा रहा है?
अथवा
“पारम्परिक वर्षा जल संग्रहण प्रणाली जल संरक्षण और जल भण्डारण के लिए उपयोगी है।” इस प्रणाली की महत्ता को दो उदाहरणों सहित उजागर कीजिए।
अथवा
वर्षा जल संग्रहण की पारम्परिक विधियाँ विभिन्न प्रदेशों में जल संसाधनों के संरक्षण के लिए किस प्रकार चलाई जाती रही हैं? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
परम्परागत वर्षा जल संग्रहण की पद्धतियों को आधुनिक काल में अपनाकर निम्न प्रकार से जल संग्रहण एवं भण्डारण किया जा रहा है

  1. प्राचीन भारत में उत्कृष्ट जल संरचनाओं के साथ-साथ जल संग्रहण टैंक भी बनाये जाते थे। लोगों को वर्षा पद्धति एवं मृदा के गुणों के बारे में पूर्ण जानकारी थी। उन्होंने स्थानीय पारिस्थितिकीय स्थितियों और उनकी जल आवश्यकतानुसार वर्षाजल भौम-जल, नदी-जल एवं बाढ़-जल संग्रहण की अनेक विधियाँ विकसित कर ली थीं।
  2. पहाड़ी एवं पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों ने ‘गुल’ अथवा ‘कुल’ (पश्चिमी हिमालय क्षेत्र) जैसी वाहिकाएँ, नदी की – धारा का रास्ता बदलकर खेतों में सिंचाई के लिए बनाई हैं।
  3.  पश्चिमी राजस्थान में पीने का पानी एकत्रित करने के लिए ‘छत वर्षाजल संग्रहण’ की विधि एक सामान्य प्रचलित विधि है।
  4. पश्चिमी बंगाल में बाढ़ के मैदान में लोग अपने खेतों की सिंचाई करने के लिए बाढ़ जल वाहिकाएँ बनाते हैं।
  5. शुष्क व अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में वर्षाजल एकत्रित करने के लिए गड्ढे बनाये जाते हैं ताकि मृदा को सिंचित किया जा सके तथा संरक्षित जल को खेती के लिए प्रयोग में लाया जा सके। उदाहरण-जैसलमेर (राजस्थान) में ‘खादीन (खडीन) एवं अन्य क्षेत्रों में ‘जोहड़’ बनाये जाते हैं।
  6. राजस्थान के अर्द्ध शुष्क एवं शुष्क क्षेत्रों विशेषकर फलौदी, बीकानेर व बाड़मेर आदि में लगभग प्रत्येक घर में पीने का पानी संग्रहण के लिए भूमिगत टैंक अथवा टाँका बने हुए हैं।
  7.  कर्नाटक के मैसूर जिले के गंडाथूर गाँव में ग्रामीणों ने अपने घर में जल की आवश्यकता-पूर्ति हेतु छत वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था की हुई है। शिलांग (मेघालय) में भी यह विधि प्रचलित है।
  8. मेघालय में नदियों एवं झरनों के जल को बाँस से बने पाइपों द्वारा एकत्रित करने वाली लगभग 200 वर्ष पुरानी सिंचाई विधि प्रचलन में है। इसे बाँस ड्रिप सिंचाई प्रणाली कहा जाता है।

क्रियाकलाप आधारित एवं अन्य सम्बन्धित प्रश्न

पृष्ठ संख्या 27

प्रश्न 1.
अपने दिन-प्रतिदिन के अनुभव के आधार पर जल संरक्षण के लिए एक संक्षिप्त प्रस्ताव लिखें।
उत्तर:
मेरे अनुभव के आधार पर जल संरक्षण के लिए एक संक्षिप्त प्रस्ताव निम्न प्रकार से है:

  1. जल संरक्षण के प्रति जागरूक लोगों के एक समूह का निर्माण करें।
  2. इस समूह में अपने पड़ौसियों, मित्रों, परिवारीजनों एवं रिश्तेदारों को सम्मिलित किया जाना चाहिए।
  3. जल संरक्षण का समाज में पर्चे बाँटकर अथवा बुलेटिन बोर्ड में नोटिस लगाकर प्रचार-प्रसार करें।
  4. दाँत साफ करते समय नल खुला रखने की अपेक्षा मग का उपयोग किया जाना चाहिए।
  5. स्नान करने में शॉवर अथवा ब्राथटब का उपयोग करने की अपेक्षा बाल्टी व मग का प्रयोग करना चाहिए।
  6. हाथ साफ करते समय नल को लगातार खुला न रखें।
  7. मग में पानी लेकर शेव बनानी चाहिए।
  8. शौचालय में प्रतिदिन फ्लश का प्रयोग करने की अपेक्षा बाल्टी को काम लिया में जाना चाहिए।
  9. वाहन को पाइप की अपेक्षा बाल्टी में पानी लेकर धोना चाहिए तथा वाहन को प्रतिदिन नहीं धोना चाहिए।
  10. पानी पीते समय गिलास को झूठा न करें बल्कि ऊपर से पानी पियें जिससे बार-बार धोने में लगने वाला पानी बचेगा।
  11. बर्तनों को साफ करते समय लगातार नल न चलायें। बल्कि पानी से भरे बड़े बर्तन (बेसिन) में बर्तनों को साफ किया जाना चाहिए।
  12. घर के बगीचे में कम पानी की जरूरत वाले पौधे लगाये जाने चाहिए।
  13. रसोईघर व स्नानागार से निकलने वाले पानी को पुनः बगीचे में काम में लिया जाना चाहिए।
  14. घास को पानी की अत्यधिक आवश्यकता होती है। अत: लॉन संस्कृति को नहीं अपनाना चाहिए।
  15. सब्जियों को सीधे नल के नीचे साफ करने की अपेक्षा किसी बर्तन में साफ किया जाना चाहिए।
  16. वर्षा के समय छत पर एकत्रित पानी को टैंक में एकत्रित किया जाना चाहिए अथवा इसे भूमि पर उतारना चाहिए।
  17. उपयोग में लेने के पश्चात् नल को अच्छी तरह बन्द किया जाना चाहिए। नल से पानी का रिसाव होने पर नल को तुरन्त ठीक कराना चाहिए।

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 3 जल संसाधन

पृष्ठ संख्या 29

प्रश्न 2.
अन्तर्राज्यीय जल विवादों की सूची तैयार करें।
उत्तर:
प्रमुख अन्तर्राज्यीय जल विवादों की सूची इस प्रकार से है
1. कृष्णा-गोदावरी जल विवाद,
2. रावी-व्यास जल विवाद।

पृष्ठ संख्या 33

प्रश्न 3.
अपने क्षेत्र में पाये जाने वाले अन्य वर्षा जल संग्रहण तंत्रों के बारे में पता लगाएँ।.
उत्तर:
हमारे क्षेत्र में पाये जाने वाले अन्य वर्षा जल संग्रहण तन्त्र निम्नलिखित हैं

  1. तालाब
  2. पोखर
  3. बावड़ी
  4. छत पर पानी संग्रहण
  5. चेक बाँध
  6. कुई
  7. कुंडी
  8. एनिकट।

पृष्ठ संख्या 35

प्रश्न 4.
सूचना एकत्रित करें कि उद्योग किस प्रकार हमारे जल-संसाधनों को प्रदूषित कर रहे हैं ?
उत्तर:
अधिकांश उत्पादन जल के उपयोग पर निर्भर हैं तथा उत्पादन प्रक्रिया के अन्त में उद्योगों से निकलने वाला बहिस्राव हानिकारक अपशिष्ट पदार्थों से युक्त रहता है जिनका निस्तारण अति आवश्यक होता है। सदा से ही उद्योगों को जल की माँग की पूर्ति के लिए तथा अपशिष्ट पदार्थों के सुगम निस्तारण के उद्देश्य से अधिकांशत: बड़ी नदियों तथा तालाबों के किनारे स्थापित किया जाता रहा है।

उद्योगों को यह आर्थिक सुरक्षा एवं सुविधा की दृष्टि से लाभप्रद भी होता है कि जो भी अनुपचारित बहिःस्राव हो तो उसे निकटतम जलाशय में सन्निक्षेपित कर दिया जाये। प्रारम्भ में तो इसके दुष्परिणाम परिलिक्षित नहीं होते, पर जैसे-जैसे औद्योगीकरण बढ़ता है, नदी तथा तालाब औद्योगिक अपशिष्टों की मात्रा में वद्धि के कारण अधिकाधिक प्रदूषित होते जाते हैं। यही कारण है कि औद्योगिक रूप से विकसित देशों के तो अधिकांश बड़े जलस्रोत गंभीर रूप से सन्दूषित होकर नष्ट होने की स्थिति में पहुँच गये हैं।

प्रत्येक उद्योग में उत्पादन प्रक्रिया के उपरान्त अनेक अनुपयोगी पदार्थ शेष बचे रहते हैं। अधिकांश उद्योगों के बहिःस्राव में अनेक धात्विक तत्व तथा अम्ल, क्षार, लवण, तेल, वसा आदि रासायनिक पदार्थ उपस्थित रहते हैं, जिनसे गम्भीर जल प्रदूषण की सम्भावना रहती है। लुगदी कागज उद्योग, शक्कर उद्योग, कपड़ा उद्योग, चमड़ा उद्योग, शराब उद्योग, औषधि निर्माण उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग एवं रासायनिक उद्योगों द्वारा विशाल मात्रा में विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट बहिःस्राव रूप में जलमार्गों में बहाये जाते हैं।

विभिन्न धातुओं के खनन के पश्चात् खुली खदानों में वर्षा-काल में जल के साथ बहकर बहुत-सी खनिज मृदा भी जलाशयों में जा मिलती है। इस मृदा में अनेक धातु अयस्क पर्याप्त मात्रा में होते हैं जो जलस्रोतों में प्रदूषणकारी परिवर्तन ला देते हैं। इनके अतिरिक्त पारा, ताँबा, केडमियम भी प्रमुख विपैली धातुएँ हैं जो औद्योगिक स्रोतों से जल में जा मिलती हैं। जिससे जल-संसाधन अत्यधिक प्रदूषित हो जाते हैं।

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JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन

JAC Class 10th Geography वन और वन्य जीव संसाधन Textbook Questions and Answers

बहुवैकल्पिक प्रश्न

प्रश्न 1.
(i) इनमें से कौन-सी टिप्पणी प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास का सही कारण नहीं है?
(क) कृषि प्रसार
(ख) वृहत स्तरीय विकास परियोजनाएँ
(ग) पशुचारण और ईंधन-लकड़ी एकत्रित करना
(घ) तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण
उत्तर:
(ग) पशुचारण और ईंधन-लकड़ी एकत्रित करना

(ii) इनमें से कौन-सा संरक्षण तरीका समुदायों की सीधी भागीदारी नहीं करता?
(क) संयुक्त वन प्रबन्धन ।
(ख) चिपको आन्दोलन
(ग) बीज बचाओ आन्दोलन
(घ) वन्य जीव पशुविहार (Santuary) का परिसीमन
उत्तर:
(घ) वन्य जीव पशुविहार (Santuary) का परिसीमन

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्राणियों/पौधों का उनके अस्तित्व के वर्ग से मेल करें

जानवर/पौधे अस्तित्व वर्ग
1. काला हिरण (A) लुप्त
2. एशियाई हाथी (B) दुर्लभ
3. अंडमानी जंगली सुअर (C) संकटग्रस्त
4. हिमालयन भूरा भालू (D) सुभेद्य
5. गुलाबी सिर वाली बत्तख (E) स्थानिक

उत्तर:

जानवर/पौधे अस्तित्व वर्ग
1. काला हिरण (C) संकटग्रस्त
2. एशियाई हाथी (D) सुभेद्य
3. अंडमानी जंगली सुअर (E) स्थानिक
4. हिमालयन भूरा भालू (B) दुर्लभ
5. गुलाबी सिर वाली बत्तख (A) लुप्त

प्रश्न 3.
निम्नलिखित का मेल करें:
1. आरक्षित वन सरकार, व्यक्तियों के निजी और समुदायों के अधीन वन और बंजर भूमि
2. रक्षित वन वन और वन्य जीव संसाधन संरक्षण की दृष्टि से सर्वाधिक मूल्यवान वन।
3. अवर्गीकृत वन वन भूमि जो और अधिक क्षरण से बचाई जाती है।
उत्तर:

  1. आरक्षित वन-वन और वन्य-जीव संसाधन संरक्षण की दृष्टि से सर्वाधिक मूल्यवान वन
  2. रक्षित वन-वन भूमि जो और अधिक क्षरण से बचाई जाती है।
  3. अवर्गीकृत वन-सरकार, व्यक्तियों के निजी और समुदायों के अधीन वन और बंजर भूमि।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:
(i) जैव-विविधता क्या है? यह मानव जीवन के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के प्राणिजात एवं वनस्पतिजात का पाया जाना जैव-विविधता कहलाता है। जैव-विविधता वनस्पति व प्राणियों में पाए जाने वाले जातीय विभेद को प्रकट करती है।
जैव-विविधता मानव जीवन के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि जैव विविधता के कारण मानव को अनेक प्रकार की आवश्यक वस्तुएँ प्राप्त होती हैं, जिससे पृथ्वी पर उसका जीवन सम्भव है।

(ii) विस्तारपूर्वक बताएँ कि मानव-क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास की कारक हैं?
उत्तर:
मानव ने अपनी विभिन्न प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वन एवं वन्य जीवन को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाया है। भारत में वनों और वन्य-जीवों को सर्वाधिक हानि उपनिवेश काल में रेलवे लाइन, कृषि, व्यवसाय, वाणिज्य-वानिकी एवं खनन क्रियाओं में वृद्धि से हुई है।

स्थानान्तरी (झूमिंग) कृषि से भी वन तथा वन्य-जीव नष्ट हुए हैं। बड़ी-बड़ी विकास योजनाओं, खनन, वन्य-जीवों के आवासों का विनाश, आखेट, पर्यावरणीय प्रदूषण व विषाक्तीकरण तथा दावानल आदि ने भी जैव विविधता को कम किया है। अतः मानव अन्य सभी कारकों की अपेक्षा प्राकृतिक वनस्पतिजात एवं प्राणिजात के ह्रास व विनाश के लिए अपेक्षाकृत अधिक उत्तरदायी है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन

प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए:
(i) भारत में विभिन्न समुदायों ने किस प्रकार वनों तथा वन्य-जीव संरक्षण और रक्षण में योगदान किया है? विस्तारपूर्वक विवेचना करें।
उत्तर:
1. भारत में विभिन्न समुदायों द्वारा वन, वन्य-जीव संरक्षण तथा वन रक्षण के लिए किए गए योगदान को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

(ii) राजस्थान के अलवर जिले के सरिस्का बाघ रिजर्व में स्थानीय गाँवों के लोग वन्य जीव रक्षण अधिनियम के अन्तर्गत वहाँ से खनन कार्य बन्द करवाने के लिए संघर्षरत हैं।

(iii) अलवर (राजस्थान) के 5 गाँवों के लोगों ने 1200 हेक्टेयर वन भूमि को भैरोंदेव डाकव ‘सोंचुरी’ घोषित कर दिया है जिसके अपने ही नियम हैं जो शिकार वर्जित करते हैं एवं बाहरी लोगों की घुसपैठ से यहाँ के वन्य-जीवों को बचाते हैं।

(iv) उत्तराखण्ड का प्रसिद्ध ‘चिपको आन्दोलन’ कई क्षेत्रों में वन कटाई रोकने में ही सफल नहीं रहा बल्कि इसने स्थानीय पौधों की प्रजातियों की वृद्धि में भी योगदान दिया है। उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी जिले के किसानों का ‘बीज बचाओ आन्दोलन’ एवं ‘नवदानय’ ने रासायनिक खादों के स्थान पर जैविक-खाद का प्रयोग करके यह दिखा दिया है कि आर्थिक रूप से व्यवहार्य कृषि उत्पादन किया जाना सम्भव है।

(v) भारत में संयुक्त वन प्रबन्धन कार्यक्रम ने भी वनों के प्रबन्धन एवं पुनर्जीवन में स्थानीय समुदाय की भूमिका को उजागर किया है। औपचारिक रूप से इन कार्यक्रमों का शुभारम्भ सन् 1988 में ओडिशा राज्य से हुआ। यहाँ ग्राम स्तर पर इस कार्यक्रम को सफल बनाने के उद्देश्य से संस्थाएँ बनाई गईं जिनमें ग्रामीण तथा वन विभाग के अधिकारी संयुक्त रूप से कार्य करते हैं।

(vi) छोटा नागपुर क्षेत्र में मुंडा व संथाल जनजातियाँ महुआ और कदम्ब के पेड़ों की पूजा करती हैं तथा उनका संरक्षण, भी करती हैं।

(vii) राजस्थान में बिश्नोई गाँवों के लोग अपने आस-पास के क्षेत्रों में निवास करने वाले हिरन, चिंकारा, नीलगाय एवं मोर आदि वन्य पशुओं की सुरक्षा करते हैं।

2. वन और वन्य-जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
भारत एक विभिन्न सांस्कृतिक विविधता वाला देश है। यहाँ प्रकृति को पहले से ही पवित्र मानकर उसकी पूजा होती रही है। यहाँ के लोग पारम्परिक रूप से पेड़-पौधों, पशु-पक्षी, पर्वत, जल-स्रोतों आदि के उपासक रहे हैं। अपने रीति-रिवाजों द्वारा भारतवासी इनके प्रति अपनी श्रद्धा को प्रकट करते आ रहे हैं। रीति-रिवाजों के कारण ही बहुत-से वन क्षेत्र अपने कौमार्य रूप में आज भी विद्यमान हैं।

इन रिवाजों में वन व वन्य-जीवों से सम्बन्धित कुछ रीति-रिवाज महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये वन एवं वन्य-जीवों को सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करते हैं। राजस्थान में बिश्नोई समाज के लोग खेजड़ी के वृक्ष, काले हिरन, नीलगाय व मोर आदि जीवों को सुरक्षा व संरक्षण प्रदान करते हैं। ओडिशा व बिहार राज्य की कुछ जनजातियाँ विवाह समारोह के दौरान इमली व आम के वृक्षों की पूजा करती हैं। छोटा नागपुर के पठारी क्षेत्रों में मुंडा और संथाल जनजातियों महुआ और कदम्ब के वृक्षों की पूजा करती हैं।

भारत के कई स्थानों पर पीपल व वटवृक्ष की पूजा की जाती है। तुलसी के पौधे की सम्पूर्ण भारत में हिन्दुओं द्वारा पूजा की जाती है। भारत के विभिन्न भागों में मन्दिरों के आसपास दिखने वाले बंदरों व लंगूरों को लोगों को केले व चने आदि खिलाते हुए देखा जा सकता है। हिन्दू समाज में गाय को एक पवित्र पशु माना जाता है। इस तरह हम देखते हैं कि रीति-रिवाजों द्वारा वन और वन्य-जीवों को पर्याप्त संरक्षण व सुरक्षा मिलती है।

क्रियाकलाप आधारित एवं अन्य सम्बन्धित प्रश्न

पृष्ठ संख्या  17

प्रश्न 1.
वे प्रतिकल कारक कौन से हैं जिनसे वनस्पतिजात और प्राणिजात का ऐसा भयानक ह्रास हुआ है?
उत्तर:
वे प्रतिकूल कारक निम्नलिखित हैं जिनसे वनस्पतिजात और प्राणिजात का तीव्रगति से ह्रास हुआ है

  1. उपनिवेशकाल में रेलवे लाइनों का विस्तार
  2. वन क्षेत्र का कृषि भूमि में परिवर्तन
  3. वाणिज्य, वानिकी का विस्तार
  4. खनन-क्रियाएँ
  5. बड़ी विकास परियोजनाओं का निर्माण
  6. पशुचारण व ईंधन के लिए कटाई
  7. जंगली जानवरों का शिकार करना
  8. पर्यावरणीय प्रदूषण व विषाक्तिकरण।

पृष्ठ संख्या 18

प्रश्न 2.
क्या उपनिवेशी वन नीति को दोषी माना जाए ?
उत्तर:
भारत में उपनिवेशकाल में वनों को सबसे अधिक नुकसान हुआ। उपनिवेशकाल में रेल लाइनों के विस्तार, कृषि के विस्तार, वाणिज्य, वानिकी तथा खनन क्रियाओं में अप्रत्याशित वृद्धि की गई जिसके फलस्वरूप वनों का तीव्र गति से इस हुआ । वनों के दोहन की तुलना में उनके संरक्षण के प्रयास नहीं किए गए। अतः उपनिवेशी वन नीति भारत में वन हास के लिए दोषी रही है।

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन

पृष्ठ संख्या 20

प्रश्न 1.
क्या आपने अपने आसपास ऐसी गतिविधियाँ देखी हैं जिससे जैव-विविधता कम होती है। इस पर एक टिप्पणी लिखें और इन गतिविधियों को कम करने के उपाय सुझाएँ।
उत्तर:
मैंने अपने आसपास निम्नलिखित गतिविधियाँ देखी हैं जिससे जैव-विविधता कम होती है

  1. हमारे पड़ोस में कुछ परिवार झोंपड़ियों में रहते हैं, जो प्रतिदिन लकड़ी को ईंधन के रूप में प्रयोग करते हैं जिससे वनों का विनाश होता है।
  2. हमारे शहर में लकड़ी के फर्नीचर की बहुत अधिक माँग है जिसके कारण लकड़ी के फर्नीचर बनाने की कई दुकान खुल गई हैं। जहाँ लकड़ियों से फर्नीचर बनाया जाता है। अतः लकड़ी के फर्नीचर की माँग बढ़ने से वनों का बहुत तीव्र गति से विनाश हो रहा है।
  3. हमारे शहर में एक बूचड़खाना है, जहाँ पशुओं को मारा जाता है। हमारे पड़ोस में रहने वाले कई लोग पशु-पक्षियों का शिकार कर उनके माँस का भोजन के रूप में प्रयोग करते हैं जिससे जैव-विविधता का ह्रास होता है।
  4. कुछ लोग जीवों के विभिन्न अंगों; जैसे- खाल, दाँत, हड्डी आदि का व्यवसाय करते हैं जिससे वन्य जीवों के जीवन को हानि पहुँचती है तथा वे धीरे-धीरे समाप्त हो जाते हैं।

जैव-विविधता में कमी लाने वाली गतिविधियों पर रोक लगाने के उपाय:

  1. केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा शिकार पर कठोर प्रतिबन्ध लगाना तथा कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही का प्रावधान होना चाहिए ।
  2. लोगों को लकड़ी के स्थान पर प्लास्टिक का फर्नीचर प्रयोग करने हेतु प्रेरित करना जिससे लकड़ी की बचत हो सके व वन सुरक्षित रह सकें ।
  3. लोगों को जागरूक करना कि पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाये रखने के लिए जैव-विविधता की आवश्यकता है।
  4. बूचड़खानों पर प्रतिबन्ध लगाना।

पृष्ठ संख्या 21

प्रश्न 1.
भारत में वन्य जीव पशु विहार और राष्ट्रीय उद्यानों के बारे में और जानकारी प्राप्त करें और उनकी स्थिति मानचित्र पर अंकित करें।
JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 2 वन और वन्य जीव संसाधन 1

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JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

JAC Board Class 10th Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

JAC Class 10th Geography संसाधन एवं विकास Textbook Questions and Answers

बहुवैकल्पिक

प्रश्न 1.
(i) लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन है?
(क) नवीकरण योग्य
(ख) प्रवाह
(ग) जैव
(घ) अनवीकरण योग्य
उत्तर:
(ग) जैव

(ii) ज्वारीय ऊर्जा निम्नलिखित में से किस प्रकार का संसाधन नहीं है?
(क) पुनः पूर्ति योग्य
(ख) अजैव
(ग) मानवकृत
(घ) अचक्रीय
उत्तर:
(क) पुनः पूर्ति योग्य

(iii) पंजाब में भूमि निम्नीकरण का निम्नलिखित में से मुख्य कारण क्या है?
(क) गहन खेती
(ख) अधिक सिंचाई
(ग) वनोन्मूलन
(घ) अति पशुचारण
उत्तर:
(ग) वनोन्मूलन

(iv) निम्नलिखित में से किस प्रांत में सीढ़ीदार (सोपानी) खेती की जाती है?
(क) पंजाब
(ख) उत्तर प्रदेश के मैदान
(ग) हरियाणा
(घ) उत्तराखण्ड
उत्तर:
(घ) उत्तराखण्ड

(v) इनमें से किस राज्य में काली मृदा मुख्य रूप से पाई जाती है?
(क) जम्मू और कश्मीर
(ख) राजस्थान
(ग) महाराष्ट्र
(घ) झारखण्ड
उत्तर:
(ग) महाराष्ट्र

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए:
(i) तीन राज्यों के नाम बताएं जहाँ काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कौन-सी फसल उगाई जाती है?
उत्तर:
वे तीन राज्य निम्नलिखित हैं जहाँ काली मृदा पाई जाती है

1. महाराष्ट्र,
2. मध्य प्रदेश
3. छत्तीसगढ़। इस मृदा पर मुख्य रूप से कपास की फसल उगाई जाती है।

(ii) पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किस प्रकार की मृदा पाई जाती है? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर जलोढ़ मृदा पाई जाती है। इस प्रकार की मृदा (जलोढ़ मृदा) की तीन प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. यह मृदा बहुत अधिक उपजाऊ होती है।
  2. इस मृदा में रेत, सिल्ट एवं मृत्तिका के विभिन्न अनुपात पाए जाते हैं।
  3. ये मृदाएँ पोटाश, फास्फोरस एवं चूनायुक्त होती हैं।

(iii) पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर:
पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए

  1. अतिरिक्त ढाल वाली भूमि पर समोच्च रेखाओं के समान्तर जुताई की जानी चाहिए।
  2. पहाड़ी क्षेत्रों में सीढ़ीदार खेत बनाकर कृषि की जानी चाहिए।
  3. पहाड़ी ढालों पर वृक्षों को कतारों में लगाकर रक्षक मेखला का विकास किया जाना चाहिए।

(iv) जैव और अजैव संसाधन क्या होते हैं? कुछ उदाहरण दें।
उत्तर:
जैव संसाधन-वे संसाधन जिनकी प्राप्ति जैव मण्डल से होती है तथा जिनका एक निश्चित जीवन-चक्र होता है, जैव संसाधन कहलाते हैं, जैसे-मनुष्य, वनस्पति-जगत, प्राणि-जगत व पशुधन आदि। अजैव संसाधन-वे संसाधन जिनमें निश्चित जीवनक्रिया का अभाव होता है, अजैव संसाधन कहलाते हैं, जैसे-चट्टानें व धातुएँ आदि।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए:
(i) भारत में भूमि उपयोंग प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960 – 61 से वन के अन्तर्गत क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई, इसका क्या कारण है?
उत्तर:
भारत में भूमि उपयोग प्रारूप:
भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर है लेकिन वर्तमान में इसके 93 प्रतिशत भूभाग के ही भूमि उपयोग आँकड़े उपलब्ध हैं। असम को छोड़कर बाकी पूर्वोत्तर राज्यों के भूमि उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त नहीं है। जम्मू और कश्मीर में पाकिस्तान व चीन अधिकृत क्षेत्रों के भूमि उपयोग का सर्वेक्षण न होने के कारण इनके भी आँकड़ें प्राप्त नहीं हैं। उपलब्ध आँकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत में भूमि उपयोग सन्तुलित नहीं है।

वर्ष 2014 – 15 के आँकड़ों से स्पष्ट है कि भूमि का सर्वाधिक 45.5 प्रतिशत उपयोग शुद्ध बोए गए क्षेत्र के अन्तर्गत एवं सबसे कम उपयोग 1.0 प्रतिशत विविध वृक्षों, वृक्ष, फैसलों एवं उपवनों के अन्तर्गत है। इसके अतिरिक्त वनों के अन्तर्गत 23.3 प्रतिशत क्षेत्र है। स्थायी चारागाहों के अन्तर्गत भी भूमि कम (3.3 प्रतिशत) है। हमारे देश में भूमि उपयोग का यह प्रारूप राष्ट्रीय, राज्य एवं स्थानीय स्तर पर भी सन्तुलित रूप में नहीं है। अतः भारत जैसे अधिक जनसंख्या एवं सीमित भू-संसाधन वाले देश में नियोजित व सन्तुलित भूमि उपयोग प्रारूप स्थापित करने की अति आवश्यकता है।

वर्ष 1960 – 61 से वन के अन्तर्गत क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं होने के कारण:
भारत में वन क्षेत्र पर्याप्त एवं संतुलित नहीं है। यद्यपि वर्ष 1960-61 की तुलना में वर्ष 2014-15 के वन क्षेत्र में 5.19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है परन्तु इस वृद्धि को सन्तोषजनक नहीं कहा जा सकता। इस लम्बी अवधि में वनों के अन्तर्गत क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि न होने का मुख्य कारण वनों की आर्थिक लाभ के लिए कटाई करना है।

विभिन्न उद्योगों के विकास, कृषि कार्य एवं आवास के लिए भूमि निर्माण के उद्देश्य से ऐसा किया गया। इससे कई तरह की समस्याएँ उत्पन्न हुईं। फलस्वरूप सरकार द्वारा वनों की सुरक्षा व संरक्षण सम्बन्धी अनेक नीतियाँ बनाई गईं। इससे वनों का घटता हुआ ग्राफ थम गया। वहीं दूसरी तरफ स्थानीय स्तर पर वनों की कटाई होती रही है। यही कारण है कि वर्ष 1960-61 से वन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई।

(ii) प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग कैसे हुआ है?
उत्तर:
किसी भी देश की प्रगति के लिए प्रौद्योगिकी एवं अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में विकास अति आवश्यक है। प्रौद्योगिकी के विकास के कारण ही हम अपनी प्राकृतिक सम्पदा से उपयोगी वस्तुओं का निर्माण कर न केवल अपनी आर्थिक व्यवस्था में सुधार कर सकते हैं, वरन् देश की बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्वि भी कर सकते हैं। प्रौद्योगिकी विकास हमें आधुनिक औजार एवं मशीनें प्रदान करता है जिससे हमारे उत्पादन में वृद्धि होती है, फलस्वरूप संसाधनों का अधिक उपभोग होता है।

प्रौद्योगिकी विकास में आर्थिक विकास भी होता है, जब किसी देश की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है तो लोगों की आवश्यकतायें भी बढ़ती हैं जिसके फलस्वरूप संसाधनों का अधिकाधिक उपयोग होता है। वहीं आर्थिक विकास आधुनिकतम प्रौद्योगिकी के विकास हेतु अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। यह हमारे आसपास की विभिन्न वस्तुओं को संसाधन में परिवर्तित करने में मदद करता है। अतः नये संसाधनों का दोहन प्रारम्भ हो जाता है। आज प्रौद्योगिक एवं आर्थिक विकास के कारण ही संसाधनों का अधिक उपभोग हुआ है।

उदाहरण के लिए; राजस्थान खनिज एवं शक्ति संसाधनों की दृष्टि से एक सम्पन्न राज्य है परन्तु पहले उचित प्रौद्योगिकी के विकास के अभाव में इन संसाधनों का पर्याप्त उपयोग नहीं हो पाया था। आज उचित प्रौद्योगिकी के विकास से विभिन्न खनिज व शक्ति संसाधनों का पर्याप्त दोहन किया जा रहा है, जिससे विकास तीव्र गति से हो रहा है। अतः यह कहना उचित है कि प्रौद्योगिकी आर्थिक विकास को गति प्रदान करती है तथा इन दोनों द्वारा संसाधनों का अधिक मात्रा में उपयोग होने लगता है।

परियोजना/क्रियाकलाप

प्रश्न 1.
अपने आसपास के क्षेत्रों में संसाधनों के उपभोग और संरक्षण को दर्शाते हुए एक परियोजना तैयार करें।
उत्तर:
विद्यार्थी इस परियोजना कार्य को स्वयं करें।

प्रश्न 2.
आपके विद्यालय में उपयोग किए जा रहे संसाधनों के संरक्षण विषय पर अपनी कक्षा में एक चर्चा आयोजित करें।
उत्तर:
विद्यार्थी स्वयं चर्चा का आयोजन करें।

प्रश्न 3.
वर्ग पहेली को सुलझाएँ; ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज छिपे उत्तरों को ढूँढ़ें। नोट-पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।
JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास 1
प्रश्न 1.
भूमि, जल, वनस्पति और खनिज के रूप में प्राकृतिक सम्पदा
उत्तर:
Resource

प्रश्न 2.
अनवीकरण योग्य संसाधन का एक प्रकार
उत्तर:
Minerals

प्रश्न 3.
उच्च नमी. रखाव क्षमता वाली मृदा
उत्तर:
Black

प्रश्न 4.
मानसून जलवायु में अत्यधिक निक्षालित मृदाएँ
उत्तर:
Laterite

प्रश्न 5.
मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए वृहत स्तर पर पेड़ लगाना
उत्तर:
Afforestation

प्रश्न  6.
भारत के विशाल मैदान इन मृदाओं से बने हैं।
उत्तर:
Alluvial.

क्रियाकलाप आधारित एवं अन्य सम्बन्धित प्रश्न

पृष्ठ संख्या 1

प्रश्न 1.
क्या आप उन वस्तुओं का नाम बता सकते हैं जो गाँवों और शहरों में हमारे जीवन को आराम पहुँचाती हैं ? ऐसी वस्तुओं की एक सूची तैयार करें और इनको बनाने में प्रयोग होने वाले पदार्थों का नाम बताएँ ।
उत्तर:
जो वस्तुएँ गाँवों और शहरों में हमारे जीवन को आराम पहुँचाती हैं, उनके नाम निम्नवत हैं:

स्थान वस्तु का नाम वस्तु बनाने में प्रयुक्त होने वाले पदार्थ
गाँव कपड़े कपास, ऊन, रेशम आदि।
फर्नीचर लकड़ी, स्टील, रबड़ आदि।
घर ईंट, सीमेंट, लकड़ी, काँच आदि।
साइकिल और मोटरसाइकिल स्टील, रबड़, लोहा आदि।
मिट्टी के तेल का स्टोव स्टील, पीतल आदि।
बल्ब और ट्यूबलाइट ताँबा, काँच, आदि
शहर कपड़े कपास, ऊन, रेशम आदि।
फर्नीचर लकड़ी, स्टील, रबड़ आदि।
गैस स्टोव व सिलेण्डर स्टील, रबड़ लोहा, पीतल आदि।
कार और मोटरसाइकिल स्टील, पीतल, लोहा, प्लास्टिक, फाइबर आदि।
पंखे, कूलर स्टील, लोहा, ताँबा, प्लास्टिक आदि।

 

पृष्ठ संख्या 2

प्रश्न 1.
प्रत्येक संवर्ग से कम से कम दो संसाधनों की पहचान करें।
उत्तर:

  • उत्पत्ति के आधार पर:
    1. जैवं संसाधन — मनुष्य, वनस्पति, जीव-जन्तु, वन, वन्य-जीवन
    2. अजैव संसाधन — चट्टान, खनिज एवं मृदा
  • समाप्यता के आधार पर:
    1. नवीकरण योग्य संसाधन — सौर-ऊर्जा, पवन-ऊर्जा, जल, वन व वन्य-जीवन
    2. अनवीकरण योग्य संसाधन — खनिज व जीवाश्म ईंधन
  • स्वामित्व के आधार पर:
    1. व्यक्तिगत संसाधन — भूखंड, घर, बाग. चारागाह, तालाब, कुएँ
    2. सामुदायिक संसाधन — चारणभूमि, श्मशान भूमि, तालाब, कुएँ, सार्वजनिक पार्क
    3. राष्ट्रीय संसाधन — सड़कें, नहरें, रेल लाइनें, खनिज पदार्थ, जल, वन, वन्य जीवन
    4. अन्तर्राष्ट्रीय संसाधन — तट रेखा से 200 किमी की दूरी (अपवर्जक आर्थिक क्षेत्र), महासागरीय मार्ग
  • विकास के आधार पर:
    1. संभावी संसाधन — ज्वारीय-ऊर्जा, पवन-ऊर्जा, भूतापीय-ऊर्जा
    2. विकसित संसाधन — कोयला, खनिज तेल, जल
    3. भंडार — जल, दो ज्वलनशील गैसों-हाइड्रोजन व ऑक्सीजन का यौगिक है एवं यह ऊर्जा का प्रमुख स्रोत बन सकता है परन्तु इस उद्देश्य से इसका प्रयोग करने के लिए हमारे पास तकनीकी ज्ञान उपलब्ध नहीं है। अतः यह भंडार है। भूगर्भीय ऊर्जा असीमित है परन्तु इसका उपयोग करने के लिए हमारे पास आवश्यक तकनीकी ज्ञान उपलब्ध नहीं है। अतः यह भंडार है।
    4. संचित कोष — बाँधों में संचित जल, वन।

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

पृष्ठ संख्या  3

प्रश्न 1.
अपने आसपास के क्षेत्र में पाए जाने वाले भण्डार और संचित कोष संसाधनों की एक सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
भंडार-जल, सौर-ऊर्जा, भूतापीय-ऊर्जा, पवन-ऊर्जा आदि। संचित कोष-वन, नदियों का जल, बाँधों का जल आदि।

प्रश्न 2.
कल्पना करें कि तेल संसाधन खत्म होने पर इनका हमारी जीवन-शैली पर क्या प्रभाव होगा?
उत्तर:
यदि तेल संसाधन खत्म हो जाए तो इनका हमारी जीवन-शैली पर निम्नलिखित रूप से प्रभाव पड़ेगा

  1. परिवहन तंत्र सर्वाधिक प्रभावित होगा।
  2. हमें पैदल अथवा साइकिल से विद्यालय जाना पड़ेगा।
  3. लोग अपने ऑफिस व अन्य स्थानों पर समय पर नहीं पहुँच पायेंगे।
  4. वस्तुएँ एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं पहुंचाई जा सकेंगी। सब्जियाँ व दैनिक उपयोग की वस्तुएँ महँगी हो जाएँगी।

प्रश्न 3.
घरेलू और कृषि संबंधित अपशिष्ट को पुनः चक्रण करने के बारे में लोगों के विचार जानने के लिए अपने मोहल्ले अथवा गाँव में एक सर्वेक्षण करें । लोगों से प्रश्न पूछे कि:
(अ) उनके द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले संसाधनों के बारे में वे क्या सोचते हैं ?
उत्तर:
उनके द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले संसाधनों के बारे में वे यह सोचते हैं कि वह किसी भी प्रकार से अपने संसाधनों का उचित रूप से प्रयोग करें जिससे कि वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें । उन्हें कम से कम तथा सीमित मात्रा में प्रयोग करें, जिससे कि भविष्य में कठिनाइयों का सामना न करना पड़े ।

(ब) अपशिष्ट और उसके उपयोग के बारे में उनका क्या विचार है ?
उत्तर:
उनका मानना है कि कूड़ा अव्यवस्थित तरीके से नष्ट करने की अपेक्षा उचित यह है कि उसका विभिन्न प्रकार से उपयोग कर लिया जाए। जैसे- कूड़े को नष्ट करने की सर्वोत्तम विधि है उससे खाद बनाना। बड़े-बड़े गड्ढों में कूड़ा। भरकर उसे मिट्टी से दबा दिया जाता है। कुछ ही दिनों में कूड़ा सड़कर खाद के रूप में तैयार हो जाता है।

(स) अपने परिणामों का समुच्चित चित्र (collage) तैयार करें।
उत्तर:
विद्यार्थी इस प्रश्न को अपने शिक्षक की सहायता से स्वयं हल करें ।

पृष्ठ संख्या  4

प्रश्न 1.
अपने राज्य में पाए जाने वाले संसाधनों की सूची तैयार करें और जिन महत्वपूर्ण संसाधनों की आपके राज्य में कमी है, उनकी पहचान करें।
उत्तर:
राजस्थान राज्य में पाये जाने वाले संसाधन:
1. खनिज
2. मृदा
3. पशु।
राजस्थान राज्य में कम पाये जाने वाले संसाधन-ऊर्जा संसाधन, जैसे-कोयला. खनिज तेल व प्राकृतिक गैस।

प्रश्न 2.
समुदाय भागीदारी की सहायता से समुदाय/ग्राम पंचायत/वार्ड स्तरीय समुदायों द्वारा आपके आसपास के क्षेत्र में कौन से संसाधन विकसित किए जा रहे हैं?
उत्तर:
समुदाय भागीदारी की सहायता से समुदाय, ग्राम पंचायत, वॉर्ड स्तरीय समुदायों द्वारा हमारे आसपास के क्षेत्र में निम्नलिखित संसाधन विकसित किये जा रहे हैं

  • समुदाय स्तर पर:
    1. चारण भूमि का विकास ।
    2. सार्वजनिक पार्कों का निर्माण
    3. पिकनिक स्थल और खेल के मैदानों का विकास ।
    4. मंदिर, मस्जिद व चर्च आदि का निर्माण ।
  • ग्राम पंचायत स्तर पर:
    1. कृषि बागवानी का विकास
    2. बंजर भूमि का विकास
    3. चारागाहों का विकास।
    4. कुआँ, तालाबों व पोखरों का निर्माण
    5. श्मशान भूमि का विकास
    6. सामुदायिक भवन का निर्माण।
  • वार्ड स्तर पर:
    1. फल तथा फूलों के पौधे लगाने हेतु. बगीचे का विकास।
    2. बालकों के खेलने के लिए पार्क
    3. पेयजल हेतु पानी की टंकी।

JAC Class 10 Social Science Solutions Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास

प्रश्न 3.
क्या आप संसाधन सम्पन्न परन्तु आर्थिक रूप से पिछड़े और संसाधन विहीन परन्तु आर्थिक रूप से विकसित प्रदेशों के नाम बता सकते हैं? ऐसी परिस्थिति होने के कारण बताएँ ।
उत्तर:
भारत में छत्तीसगढ़, झारखण्ड, मध्यप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश तथा राजस्थान संसाधन सम्पन्न राज्य हैं परन्तु यह आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। वहीं दूसरी ओर पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र संसाधन विहीन परन्तु आर्थिक रूप से विकसित राज्य हैं। इसका प्रमुख कारण यही है कि पिछड़े राज्यों में पर्याप्त प्रौद्योगिकी विकास तथा संस्थागत परिवर्तनों की कमी है जबकि विकसित राज्यों में प्रौद्योगिकी विकास तथा संस्थागत परिवर्तन बहुत अधिक होता है। पिछड़े राज्यों की अधिकतम जनता अशिक्षित है। विकसित राज्यों की परिवहन व्यवस्था अधिक विकसित रूप में पायी जाती है। वहाँ के अधिकतर लोग शिक्षित हैं। इन्हीं कारणों से उपर्युक्त परिस्थितियों का सामना हमारे देश के राज्यों को करना पड़ रहा है।

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JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया

JAC Board Class 10th Social Science Solutions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया

JAC Class 10th History मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया Textbook Questions and Answers

संक्षेप में लिखें

प्रश्न 1.
निम्नलिखित के कारण दें
(क) वुडब्लॉक प्रिन्ट या तख्ती की छपाई यूरोप में 1295 के बाद आयी।
(ख) मार्टिन लूथर मुद्रण के पक्ष में था और उसने इसकी खुलेआम प्रशंसा की।
अथवा
मार्टिन लूथर ने ऐसा क्यों कहा था कि मुद्रण ईश्वर की दी हुई अंतिम और महानतम देन है?
(ग) रोमन कैथोलिक चर्च ने सोलहवीं सदी के मध्य से प्रतिबन्धित किताबों की सूची रखनी शुरू कर दी।
अथवा
‘रोमन कैथोलिक चर्च’ ने प्रकाशकों और पुस्तकों पर पाबंदियाँ क्यों लगाईं?
(घ) महात्मा गाँधी ने कहा कि स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस और सामूहिकता के लिए लड़ाई है।
उत्तर:
(क) चीन के पास वुडब्लॉक प्रिन्ट या तख्ती की छपाई की तकनीक पहले से ही मौजूद थी। 1295 ई. में मार्कोपोलो नामक महान खोजी यात्री चीन में कई वर्ष तक खोज करने के पश्चात् अपने देश इटली.वापस लौटा। वह अपने साथ वुडब्लॉक प्रिन्ट तकनीक को भी ले गया। अतः 1295 ई. के पश्चात् इटली सहित सम्पूर्ण यूरोप में भी वुडब्लॉक प्रिन्ट तकनीक का प्रयोग किया जाने लगा। यहाँ तख्ती की छपाई से पुस्तकें छपने लगी।

(ख) मार्टिन लूथर मुद्रण के पक्ष में था और उसने इसकी खुलेआम प्रशंसा की। धर्म सुधारक मार्टिन लूथर ने रोमन कैथोलिक चर्च की कुरीतियों की आलोचना करते हुए अपनी पिच्चानवे स्थापनाएँ लिखीं। इसकी एक छपी प्रति विटेनबर्ग के गिरजाघर पर टाँगी गई। उसने न्यूटेस्टामेन्ट का अनुवाद किया जिसकी अल्प समय में 5,000 प्रतियाँ बिक गर्दी और तीन महीने के अन्दर दूसरा संस्करण निकालना पड़ा। लूथर ने मुद्रण की प्रशंसा करते हुए कहा कि “मुद्रण ईश्वर की दी हुई महानतम देन है और सबसे बड़ा तोहफा है।”

(ग) रोमन कैथोलिक चर्च ने सोलहवीं सदी के मध्य से प्रतिबन्धित किताबों की सूची रखना प्रारम्भ कर दिया था क्योंकि छपे हुए लोकप्रिय साहित्य के बल पर शिक्षित लोग धर्म की अलग-अलग व्याख्याओं से परिचित हुए। इटली की आम जनता ने किताबों के आधार पर बाईबिल के नए अर्थ लगाने प्रारम्भ कर दिए।

ये पुस्तकों के माध्यम से ईश्वर और सृष्टि के सही अर्थ समझ पाए। इससे रोमन कैथोलिक चर्च में बहुत अधिक प्रतिक्रिया हुई। ऐसे धर्मविरोधी विचारों पर नियन्त्रण स्थापित करने के लिए रोमन चर्च ने इन्क्वीजीशन यानि धर्मद्रोहियों को सुधारना आवश्यक समझा। अतः रोमन चर्च ने प्रकाशकों और पुस्तक विक्रेताओं पर कई तरह की पाबन्दियाँ लगाईं और 1558 ई. से प्रतिबन्धित किताबों की सूची रखने लगे।

(घ) महात्मा गाँधी ने कहा कि स्वराज की लड़ाई दरअसल अभिव्यक्ति, प्रेस और सामूहिकता के लिए लड़ाई है। ये तीनों अभिव्यक्तियाँ जनता के विचारों को व्यक्त करने व बचाने का एक शक्तिशाली हथियार हैं। स्वराज, खिलाफत और असहयोग की लड़ाई में सबसे पहले इन तीनों संकटग्रस्त आजादियों की लड़ाई है। महात्मा गाँधी ने इन तीनों-अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता, प्रेस की स्वतन्त्रता और सामूहिकता की स्वतन्त्रता को अधिक आवश्यक बताया।

JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 5 मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया

प्रश्न 2.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें
(क) गुटेनबर्ग प्रेस,
(ख) छपी किताब को लेकर इरैस्मस के विचार,
(ग) वर्नाक्युलर या देशी प्रेस एक्ट अथवा 19वीं सदी में अंग्रेजों ने देसी प्रेस’ को बन्द करने की माँग क्यों की?
उत्तर:
(क) गुटेनबर्ग प्रेस:
स्ट्रॉसबर्ग के योहान गुटेनबर्ग ने 1448 ई. में प्रिन्टिग प्रेस का निर्माण किया। इस प्रेस में स्क्रू से लगा एक हैंडल होता था। हैंडल की सहायता से स्क्रू को घुमाकर प्लेटैन को गीले कागज पर दबा दिया जाता था। गुटेनबर्ग ने रोमन वर्णमाला के समस्त 26 अक्षरों के लिए टाइप बनाए। इसमें यह प्रयास किया गया था कि इन्हें इधर-उधर मूव कराकर या घुमाकर शब्द बनाए जा सकें इसलिए इसे मूवेबल टाइप मशीन के नाम से भी जाना गया और यह आगामी 300 वर्षों तक छपाई की बुनियादी तकनीक बनी रही। यह प्रेस एक घण्टे में एकतरफा 250 पन्ने छाप सकती थी। इसमें छपने वाली प्रथम पुस्तक ‘बाईबिल’ थी। गुटेनबर्ग ने तीन वर्षों । बाईबिल की 180 प्रतियाँ छापी जो उस समय के हिसाब से बहुत तेज छपाई थी।

(ख) छपी किताब को लेकर इरैस्मस के विचार:
इरैस्मस एक लैटिन विद्वान एवं कैथोलिक धर्म सुधारक था। इन्होंने कैथोलिक धर्म की ज्यादतियों की आलोचना की लेकिन इन्होंने मार्टिन लथर से भी एक दूरी बनाकर रखी। उसने किताबों की छपाई की आलोचना की। 1508 ई. में उन्होंने एडेजेज़ में लिखा कि किताबें भिन-भिनाती मक्खियों की तरह हैं जो समस्त विश्व में पहुँच जाती हैं। इन पुस्तकों का अधिकांश हिस्सा तो विद्वता के लिए हानिकारक ही है। किताबें बेकार ढेर हैं क्योंकि अच्छी वस्तुओं की अति भी हानिकारक ही होती है, इनसे बचना चाहिए। मुद्रक विश्व को मात्र तुच्छ लिखी हुई पुस्तकों से ही नहीं पाट रहे बल्कि बकवास, बेवकूफ, सनसनीखेज, धर्मविरोधी, अज्ञानी और षड्यन्त्रकारी पुस्तकें छापते हैं और उनकी संख्या इतनी है कि मूल्यवान साहित्य का मूल्य ही नहीं रह जाता।

(ग) वर्नाक्युलर या देशी प्रेस एक्ट:
भारत की ब्रिटिश सरकार ने 1857 ई. की क्रान्ति के पश्चात्.प्रेस की स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। अंग्रेजों ने देसी प्रेस को बन्द करने की माँग की। जैसे-जैसे भाषाई समाचार-पत्र राष्ट्रवाद की भावना को जाग्रत करने लगे वैसे-वैसे ही औपनिवेशिक सरकार में कठोर नियन्त्रण के प्रस्तावों पर बहस तेज होने लगी। आयरिश प्रेस कानून की तर्ज पर 1878 ई. में वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट लागू कर दिया गया। इससे सरकार को भाषायी प्रेस में छपी रपट तथा सम्पादकीय को सेंसर करने का व्यापक अधिकार मिल गया। ब्रिटिश सरकार विभिन्न प्रदेशों में छपने वाले भाषायी समाचार-पत्रों पर नियमित रूप से नजर रखने लगी। यदि किसी रपट को बागी करार दिया जाता था तो अखबार को पहले चेतावनी दी जाती थी और यदि चेतावनी की अनसुनी हुई तो अखबार को जब्त किया जा सकता था तथा छपाई की मशीनें छीनी जा सकती थीं।

प्रश्न 3.
उन्नीसवीं सदी में भारत में मुद्रण संस्कृति के प्रसार का इनके लिए क्या मतलब था ?
(क) महिलाएँ,
(ख) गरीब जनताए
(ग) सुधारक।
उत्तर:
(क) महिलाएँ:
उन्नीसवीं सदी में महिलाओं की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी। मुद्रण संस्कृति के प्रसार से महिला लेखिकाओं ने औरतों के बारे में लिखा और उनमें जाग्रति पैदा की, जिससे उनमें अपनी स्थिति को सुधारने की हिम्मत आयी। उदारवादी परिवारों ने महिलाओं की शिक्षा का समर्थन किया, वहीं रूढ़िवादी परिवारों ने महिला शिक्षा का विरोध किया, फिर भी अनेक महिलाओं ने चोरी-छिपे (रसोईघरों में) पढ़ना प्रारम्भ कर दिया। बाद में उन्होंने अपनी जीवन-गाथा को आत्मकथाओं के रूप में लिखा एवं प्रकाशित करवाया। इस प्रकार कहा जा सकता है कि मुद्रण संस्कृति ने भारतीय महिलाओं में आत्मविश्वास की भावना उत्पन्न कर दी।

(ख) गरीब-जनता:
गरीब जनता की पहुँच से किताबें बहुत दूर थी, क्योंकि उनका मूल्य अत्यधिक होता था किन्तु मुद्रण के प्रसार से किताबें सस्ती हो गयीं और जनता की पहुँच में आ गयीं। बीसवीं सदी के आरम्भ से शहरों व कस्बों में सार्वजनिक पुस्तकालय खुलने लगे थे जहाँ गरीब जनता भी जाकर पुस्तकें पढ़ सकती थी। बंगलौर सूती मिल मजदूरों ने स्वयं को शिक्षित करने के विचार से पुस्तकालय स्थापित किये। इस प्रकार भारत में मुद्रण संस्कृति के विकास से गरीब जनता बहुत अधिक लाभान्वित हुई।

(ग) सुधारक:
मुद्रण संस्कृति के प्रसार से सुधारक अपने विचारों को लिखकर जनता तक पहुँचाने लगे और लोगों में उनके विचारों का असर होने लगा। वे समाज में होने वाले अत्याचार और अन्धविश्वास से जनता को जागरुक करने लगे। मुद्रण संस्कृति ने उन्हें धार्मिक अन्धविश्वासों को तोड़ने तथा आधुनिक, सामाजिक एवं राजनीतिक विचारों को फैलाने का मंच प्रदान किया।

चर्चा करें

प्रश्न 1.
अठारहवीं सदी के यूरोप में कुछ लोगों को क्यों ऐसा लगता था कि मुद्रण संस्कृति से निरंकुशता का अन्त, और ज्ञानोदय होगा?
उत्तर:
अठारहवीं सदी के मध्य तक यह आम विश्वास बन चुका था कि किताबों के जरिए प्रगति और ज्ञानोदय होता है। लोगों का मानना था कि वे निरंकुशवाद और राजसत्ता से समाज को मुक्ति दिलाकर ऐसा दौर लायेंगे जब विवेक और बुद्धि का राज होगा। अठारहवीं सदी में फ्रांस के एक उपन्यासकार लुई सेबेस्तिए मर्सिए ने घोषणा की, “छापाखाना प्रगति का सबसे बड़ा ताकतवर औजार है, इससे बन रही जनमत की आँधी में निरंकुशवाद उड़ जाएगा।”

मर्सिए के उपन्यासों में नायक सामान्यतया किताबें पढ़ने में बदल जाते हैं। वे किताबें घोंटते हैं, किताबों की दुनिया में जीते हैं और इसी क्रम में ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं। ज्ञानोदय को लाने और निरंकुशवाद के आधार को नष्ट करने में छापेखाने की भूमिका के बारे में आश्वस्त मर्सिए ने कहा, “हे निरंकुशवादी शासक, अब तुम्हारे काँपने का वक्त आ गया है! आभासी लेखक की कलम के जोर के आगे तुम हिल उठोगे!”

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प्रश्न 2.
कुछ लोग किताबों की सुलभता को लेकर चिन्तित क्यों थे ? यूरोप और भारत से एक-एक उदाहरण लेकर समझाएँ।
उत्तर:
कुछ लोग किताबों को लेकर चिन्तित इसलिए थे क्योंकि वे मानते थे, किताबों में लिखा हुआ पढ़ने से लोग बागी हो जायेंगे, सत्ता का विरोध करेंगे, विरोध करने के लिए वे छपाई का दुरुपयोग करेंगे, लोग अधार्मिक प्रवृत्ति के हो जायेंगे, धर्म के प्रति उनका लगाव कम हो जायेगा, वे अनुशासनहीन हो जायेंगे, महिलाएँ अपने स्वाभाविक कार्यों को छोड़कर पढ़ी हुई बातों का अनुसरण करने लगेंगी, जिससे सामाजिक अव्यवस्था फैल जायेगी।

यूरोप का एक उदाहरण-रोमन कैथोलिक चर्च ने धर्म विरोधी विचारों को दबाने के लिए इन्क्वीजीशन शुरू किया तथा प्रकाशकों व पुस्तक विक्रेताओं पर कई प्रकार की पाबन्दियाँ लगाईं और 1558 ई. से प्रतिबन्धित किताबों की सूची रखने लगे।भारत का उदाहरण – 1857 ई. की क्रान्ति से भारत में प्रेस की स्वतन्त्रता के प्रति ब्रिटिश सरकार का रवैया बदल गया।

औपनिवेशिक सरकार ने राष्ट्रवाद के समर्थक भाषायी समाचार पत्रों पर नियन्त्रण स्थापित करने के लिए 1878 ई. में आयरिश प्रेस कानून की तर्ज पर वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट लागू कर दिया। इस एक्ट के माध्यम से ब्रिटिश सरकार ने राष्ट्रवादी गतिविधियों को रोकने के लिए अनेक स्थानीय अखबारों पर प्रतिबन्ध लगा दिया तथा उनसे छपाई की मशीनें छीन ली गयीं।

प्रश्न 3.
उन्नीसवीं सदी में भारत में गरीब जनता पर मुद्रण संस्कृति का क्या असर हुआ ?
अथवा
“मुद्रण क्रांति ने सूचना और ज्ञान से उनके सम्बन्धों को बदलकर लोगों की जिन्दगी बदल दी।” कथन का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
उन्नीसवीं सदी में भारत में गरीब जनता पर मुद्रण संस्कृति का निम्नकित असर हुआ

  1. देश के अनेक लोगों को छापेखानों में काम मिलने लगा।
  2. भाषायी प्रेस ने गरीब लोगों के मन-मस्तिष्क में राष्ट्रवादी विचारों का रोपण किया।
  3. सस्ती मुद्रण सामग्री से गरीब लोगों को राष्ट्रीय, स्थानीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय गतिविधियों की समाचार-पत्रों के माध्यम से जानकारी मिलने लगी।
  4. मुद्रण संस्कृति के कारण जातिभेद के बारे में विभिन्न प्रकार की पुस्तिकाओं व निबन्धों को लिखा जाने लगा।
  5. मुद्रण संस्कृति द्वारा गरीबों में नशाखोरी कम करने तथा हिंसा को समाप्त करने का सन्देश पहुँचाया गया।

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प्रश्न 4.
मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में क्या मदद की ?
अथवा
मुद्रण संस्कृति ने 19वीं सदी में भारत में राष्ट्रवाद के विकास में किस प्रकार सहायता की? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मुद्रण संस्कृति ने भारत में राष्ट्रवाद के विकास में निम्न प्रकार से मदद की

  1. मुद्रण संस्कृति द्वारा देश में राष्ट्रवाद का प्रचार-प्रसार किया जाता था।
  2. स्थानीय भाषायी समाचार पत्रों के माध्यम से औपनिवेशिक सरकार के शोषण के तरीकों की आम जनता को जानकारी दी जाती थी।
  3. मुद्रण संस्कृति के माध्यम से शिक्षा का प्रचार-प्रसार होता था।
  4. मुद्रण संस्कृति से स्थानीय भाषाओं में धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा मिला।
  5. राष्ट्रवादी राष्ट्रीय व स्थानीय समाचार-पत्रों द्वारा हमेशा भारतीय जनता के दृष्टिकोण को प्रचारित किया जाता था।
  6. ब्रिटिश सरकार के गलत नियमों, राष्ट्रवादी भावनाओं को फैलने से रोकने आदि के प्रयासों, दमनकारी नीतियों एवं प्रेस की स्वतन्त्रता पर प्रतिबन्ध आदि की जानकारी विस्तार से प्रकाशित की जाती थी।
  7. भारत के विभिन्न समाज सुधारकों के विचारों को आम जनता तक पहुँचाया जाता था तथा समाज सुधार के प्रयास किये जाते थे।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
पिछले सौ सालों में मुद्रण संस्कृति में हुए अन्य बदलावों का पता लगाएँ। फिर इनके बारे में यह बताते हुए लिखें कि ये क्यों हुए और इनके कौन से नतीजे हुए ?
उत्तर:
विद्यार्थी इस परियोजना कार्य को शिक्षक की सहायता से स्वयं करें।

गतिविधि एवं अन्य सम्बन्धित प्रश्न

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 108)

प्रश्न 1.
कल्पना कीजिए आप मार्कोपोलो हैं। चीन में आपने प्रिन्ट का कैसा संसार देखा, यह बताते हुए एक चिट्ठी लिखें।
उत्तर:
मैं स्वयं को मार्कोपोलो मानते हुए चीन में देखे गये प्रिन्ट के बारे में निम्नलिखित प्रकार से एक चिट्ठी लिखूगा विश्व में मुद्रण की प्रथम तकनीक चीन, जापान व कोरिया में विकसित हुई थी। प्रारम्भ में यह छपाई हाथ से की जाती थी। 594 ई. से चीन में स्याही लगे काठ के ब्लॉक या तख्ती पर कागज को रगड़कर किताबें छापी जाने लगीं। इस तकनीक के अन्तर्गत पतले छिद्रित कागज के दोनों तरफ छपाई सम्भव नहीं है। अत: पारम्परिक चीनी किताबें एकार्डियन शैली में किनारों को मोड़ने के पश्चात् सिलकर बनायी जाती हैं। इन किताबों पर सुलेखन कार्य भी किया जाता है।

चर्चा करें (पृष्ठ संख्या 113)

प्रश्न 2.
छपाई से विरोधी विचारों के प्रसार को किस तरह बल मिलता था ? संक्षेप में लिखें।
उत्तर:
यूरोप में छपाई से कैथोलिक चर्च के साथ-साथ अन्य उच्च वर्ग के लोगों को यह लगता था कि लोग वर्तमान राजशाही एवं धार्मिक व्यवस्था के विरुद्ध हो जायेंगे जिससे विद्रोह की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इस तरह से छपाई के विरोधी विचारों के प्रसार को बल मिला।

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गतिविधि (पृष्ठ संख्या 116)

प्रश्न 3.
कुछ इतिहासकार ऐसा क्यों मानते हैं कि मुद्रण संस्कृति ने फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए जमीन तैयार की ?
उत्तर:
मुद्रण संस्कृति ने फ्रांसीसी क्रान्ति के लिए जमीन तैयार की। यह निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट है

  1. छपाई के चलते ज्ञानोदय से वॉल्टेयर एवं रूसों जैसे चिन्तकों के विचारों का प्रसार हुआ।
  2. सामूहिक रूप से उन्होंने परम्परा, अन्धविश्वास एवं निरंकुशवाद की आलोचना प्रस्तुत की। रीतिरिवाजों के स्थान पर विवेक के शासन पर बल दिया तथा प्रत्येक वस्तु को तर्क व विवेक की कसौटी पर परखने की माँग की।
  3. छपाई ने वाद-विवाद की नयी संस्कृति को जन्म दिया जिससे फ्रांस में नये विचारों का सूत्रपात हुआ।
  4. कार्टूनों तथा कैरिकेचरों (व्यंग्य चित्रों) में यह भाव उभरता था कि जनता तो मुश्किल में फँसी है जबकि राजशाही भोग-विलास में डूबी हुई है। इस तरह के कार्टूनों के चलन से क्रान्ति से पहले लोगों के मन-मस्तिष्क पर विशेष असर हुआ। इससे राजतन्त्र के विरुद्ध क्रान्ति की ज्वाला भड़क उठी।

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JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 4 औद्योगीकरण का युग

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संक्षेप में लिखें

प्रश्न 1.
निम्नलिखित की व्याख्या करें
(क) ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए।
(ख) सत्रहवीं शताब्दी में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों में किसानों और कारीगरों से काम करवाने लगे।
अथवा
17 वीं और 18वीं शताब्दियों में यूरोपीय शहरों के सौदागर गाँवों की ओर रुख क्यों करने लगे थे?
(ग) सूरत बंदरगाह अठारहवीं सदी के अन्त तक हाशिये पर पहुँच गया था।
(घ) ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारत में बुनकरों पर निगरानी रखने के लिए गुमाश्तों को नियुक्त किया था।
उत्तर:
(क) ब्रिटेन की महिला कामगारों ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले किए क्योंकि यह मशीन एक ही पहिए से कई तकलियों को घुमा सकती थी। इससे जहाँ एक ओर उत्पादन बढ़ा, वहीं हाथ से पहियों को घुमाकर ऊन कातने वाली महिलाओं का रोजगार छिन गया। इसलिए नाराज महिलाओं ने स्पिनिंग जेनी मशीनों पर हमले कर दिए।

(ख) यूरोपीय शहरों के सौदागर किसानों एवं कारीगरों को पैसा देते थे तथा उनसे अन्तर्राष्ट्रीय बाजार के लिए उत्पादन करवाते थे। सत्रहवीं शताब्दी में विश्व व्यापार के विस्तार और दुनिया के विभिन्न भागों में उपनिवेशों की स्थापना के कारण वस्तुओं की माँग बढ़ने लगी। इस मांग को पूरा करने के लिए शहरों में उत्पादन नहीं बढ़ाया जा सकता था क्योंकि शहरों में शहरी दस्तकार और व्यापारिक गिल्ड्स प्रभावशाली थे।

व्यापारिक गिल्ड्स बाजार, कच्चे माल, कारीगरों एवं उत्पादनों पर नियन्त्रण रखते थे। प्रतिस्पर्धा व मूल्य तय करते थे तथा व्यवसाय में नये लोगों को आने से रोकते थे। शासकों ने भी विभिन्न गिल्ड्स को विशेष उत्पादों के उत्पादन और व्यापार का एकाधिकार दिया हुआ था फलस्वरूप नये व्यापारी शहरों में व्यापार नहीं कर सकते थे इसलिए वे गाँवों की तरफ जाने लगे तथा वहाँ किसानों एवं कारीगरों से काम करवाने लगे।

(ग) भारत में यूरोपीय कम्पनियों की ताकत बढ़ती जा रही थी। व्यापार के माध्यम सूरत व हुगली दोनों पुराने बन्दरगाह कमजोर पड़ गये। सत्रहवीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में सूरत बन्दरगाह से होने वाले व्यापार का कुल मूल्य 1.6 औद्योगीकरण का युग 77 करोड़ रुपये था। 1740 ई. के दशक तक यह गिरकर केवल 30 लाख रुपये रह गया। सूरत व हुगली कमजोर पड़ रहे थे तथा बम्बई व कलकत्ता की स्थिति सुधर रही थी। उन्होंने नये बन्दरगाहों के माध्यम से व्यापार पर नियन्त्रण स्थापित कर लिया था। अत: 18वीं शताब्दी के अन्त तक सूरत बन्दरगाह से समुद्री व्यापार धराशायी हो गया और वह हाशिये पर पहुँच गया।

(घ) भारत के बुनकर ईस्ट इण्डिया कम्पनी के साथ-साथ तथा फ्रांसीसी, डच और पुर्तगाली कम्पनियों के लिए भी कपड़ा बुनते थे। ईस्ट इण्डिया कम्पनी कपड़ा उत्पादन संघ व्यापार पर अपना एकाधिकार करना चाहती थी। फलस्वरूप कम्पनी ने बुनकरों पर निगरानी रखने, माल इकट्ठा करने एवं कपड़ों की गुणवत्ता जाँचने के लिए वेतन पर कर्मचारी नियुक्त किये जिन्हें गुमाश्ता कहा जाता था।

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प्रश्न 2.
प्रत्येक वक्तव्य के आगे ‘सही’ या ‘गलत’ लिखें:
(क) उन्नीसवीं सदी के आखिर में यूरोप की कुल श्रम शक्ति का 80 प्रतिशत तकनीकी रूप से विकसित औद्योगिक क्षेत्र में काम कर रहा था।
(ख) अठारहवीं सदी तक महीन कपड़े के अन्तर्राष्ट्रीय बाजार पर भारत का दबदबा था।
(ग) अमेरिकी गृह युद्ध के फलस्वरूप भारत के कपास निर्यात में कमी आयी।
(घ) फ्लाई शटल के आने से हथकरघा कामगारों की उत्पादकता में सुधार हुआ।
उत्तर:
(क) गलत,
(ख) सही,
(ग) गलत,
(घ) सही।

प्रश्न 3.
पूर्व-औद्योगीकरण का मतलब बताएँ।
उत्तर:
इंग्लैण्ड और यूरोप में कारखानों की स्थापना से पहले ही अन्तर्राष्ट्रीय बाजार के लिए बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन होने लगा था। यह उत्पादन कारखानों में नहीं होता था। आदि या पूर्व किसी वस्तु की पहली या प्रारम्भिक अवस्था या संकेत है। अतः अनेक इतिहासकारों ने औद्योगीकरण के इस चरण को आदि या पूर्व-औद्योगीकरण का नाम दिया। आदि-औद्योगिक काल में औद्योगिक बाजार के लिए उत्पाद कारखानों की बजाय घरों पर हाथों से बनाये जाते थे।

चर्चा करें

प्रश्न 1.
उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाप हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता क्यों देते थे ?
उत्तर:
उन्नीसवीं सदी के यूरोप में कुछ उद्योगपति निम्नलिखित कारणों से मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता देते थे

  1. विक्टोरिया कालीन ब्रिटेन में मानव श्रम की कोई कमी नहीं थी। इसलिए कुछ उद्योगपति मशीनों की बजाय हाथ से काम करने वाले श्रमिकों को प्राथमिकता देते थे।
  2. कुछ उद्योगपति बड़ी-बड़ी मशीनों पर बहुत अधिक खर्च करने से हिचकिचाते थे क्योंकि मशीनें लगाने से यह जरूरी नहीं था कि उनको ऐसा करने से लाभ ही हो।
  3. बहुत से उद्योगों में श्रमिकों की माँग मौसमी आधार पर घटती-बढ़ती रहती थी, जैसे-गैसघरों, शराबखानों, बुक बाइंडरों, प्रिंटरों, बन्दरगाहों में जहाजों की मरम्मत, साफ-सफाई व सजावट के काम में आदि। ऐसे उद्योगों में उद्योगपति मशीनों की बजाय मजदूरों को ही काम पर रखना पसन्द करते थे।
  4. बाजार में अक्सर बारीक डिजाइन एवं विशेष आकार वाली वस्तुओं की बहुत अधिक माँग रहती थी। इन्हें बनाने के लिए मशीनी तकनीक की बजाय मानवीय निपुणता की आवश्यकता पड़ती थी।
  5. अनेक वस्तुएँ केवल हाथ से ही बनायी जा सकती थीं। मशीनों से एक जैसे निश्चित किस्म की वस्तुएँ नहीं बनायी जा सकती थीं।
  6. विक्टोरियाकाल में ब्रिटेन के उच्च वर्ग के लोग कुलीन और पूँजीपति वर्ग हाथों से निर्मित वस्तुओं को अधिक महत्त्व देते थे। हस्तनिर्मित वस्तुओं को परिवार और सुरुचि का प्रतीक माना जाता था। उनकी फिनिशिंग अच्छी होती थी। उनको एक-एक करके बनाया जाता था। अतः सबका डिजाइन अलग-अलग और अधिक अच्छा होता था।

प्रश्न 2.
ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या किया ?
उत्तर:
ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने भारतीय बुनकरों से सूती और रेशमी कपड़े की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित कार्य किये।
1. गुमाश्तों की नियुक्ति:
ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने कपड़ा व्यापार में सक्रिय व्यापारियों एवं दलालों को समाप्त करने तथा बुनकरों पर निगरानी रखने, उन्हें माल उपलब्ध कराने एवं कपड़ों की गुणवत्ता जाँचने के लिए वेतनभोगी कर्मचारी नियुक्त किये, जिन्हें गुमाश्ता कहा जाता था।

2. बुनकरों पर पाबन्दियाँ:
कम्पनी को माल बेचने वाले बुनकरों पर अन्य खरीददारों के साथ कारोबार करने पर पाबन्दी लगा दी। इसके लिए उन्हें पेशगी रकम दी जाती थी।

3. बुनकरों को ऋण उपलब्ध कराना:
कार्य का आदेश मिलने पर कम्पनी द्वारा बुनकरों को कच्चा माल खरीदने के लिए ऋण उपलब्ध करा दिया जाता था। ऋण लेने वाले बुनकरों को अपना बनाया हुआ कपड़ा गुमाश्ता को ही देना पड़ता था। वे अन्य किसी व्यापारी को नहीं बेच सकते थे।

4. बुनकरों का शोषण:
गुमाश्ते बुनकरों के साथ अपमानजनक व्यवहार करने लगे। गुमाश्ते बाहर के लोग थे उनका गाँवों से पुराना सामाजिक सम्बन्ध नहीं था, वे दंभपूर्ण व्यवहार वाले थे। वे सिपाहियों व चपरासियों को लेकर आते थे तथा माल समय पर तैयार न होने की स्थिति में बुनकरों को सजा के तौर पर पीटा जाता था व कोड़े बरसाये जाते थे फलस्वरूप बुनकरों की दशा अत्यन्त दयनीय हो गयी। अब वे न तो दाम पर मोलभाव कर सकते थे और न ही किसी और को माल बेच सकते थे। उन्हें कम्पनी से जो कीमत मिलती थी वह बहुत कम थी परन्तु वे ऋण के कारण कम्पनी के लिए काम करने को मजबूर थे।

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प्रश्न 3.
कल्पना कीजिए कि आपको ब्रिटेन तथा कपास के इतिहास के बारे में विश्वकोश (Encyclopaedia) के लिए लेख लिखने को कहा गया। इस अध्याय में दी गई जानकारियों के आधार पर अपना लेख लिखिए।
उत्तर:
ब्रिटेन का इतिहास:

  1. ब्रिटेन में 1730 ई. के दशक में कारखाने खुले लेकिन इनकी संख्या में तीव्र गति से वृद्धि 18वीं शताब्दी के अन्तिम चरण में हुई।
  2. कपास नये युग का प्रथम प्रतीक था। 19वीं शताब्दी के अन्त में उत्पादन में बहुत अधिक वृद्धि हुई।
  3. सन् 1760 ई. में ब्रिटेन अपने कपास उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 25 लाख पौंड कच्चे कपास का आयात करता था। 1787 ई. में यह आयात बढ़कर 220 लाख पौंड तक पहुँच गया।
  4. 18वीं शताब्दी में ब्रिटेन में कई आविष्कार हुए जिन्होंने उत्पादन प्रक्रिया कार्डिंग, ऐंठना, कताई व लपेटने के प्रत्येक चरण की कुशलता में वृद्धि कर दी। पहले से ज्यादा मजबूत धागों व रेशों का उत्पादन होने लगा।
  5. रिचर्ड आर्कराइट ने सूती कपड़ा मिल की रूपरेखा तैयार की।
  6. 1840ई. के दशक तक औद्योगीकरण के प्रथम चरण में सूती उद्योग एवं कपास उद्योग ब्रिटेन का सबसे बड़ा उद्योग बन चुका था।
  7. ब्रिटेन के लंकाशायर में एक कॉटन मिल की स्थापना की गयी।
  8. 1830 ई. में एक कताई कारखाने की स्थापना की गयी जिसमें भाप की सहायता से चलने वाले विशाल पहिये एक साथ सैकड़ों तकलियों को घुमाने लगते थे।
  9. जेम्स हरग्रीव्ज ने कताई की प्रक्रिया को तेज करने वाली एक मशीन ‘स्पिनिंग जेनी’ का निर्माण किया।
  10. ब्रिटेन ने समस्त प्रकार के सूती कपड़े पर अपना पूर्ण नियन्त्रण स्थापित कर लिया।
  11. ब्रिटेन ने मैनचेस्टर निर्मित सूती कपड़े को बेचने के लिए अपने समस्त उपनिवेशों में बाजार बना लिये थे। मशीनों द्वारा निर्मित ये कपड़े हाथ से बने कपड़ों से सस्ते पड़ते थे।
  12. यूरोप में बारीक भारतीय कपड़ों की माँग थी। ईस्ट इण्डिया कम्पनी भारतीय बुनकरों को कर्ज देती थी और गुमाश्तों से उनकी निगरानी करवाती थी जिससे कि ब्रिटेन से मोटे और बारीक कपड़े की नियमित आपूर्ति मिलती रहे। इस कपास के व्यापार एवं सूती वस्त्र उद्योग पर कई शताब्दियों तक ब्रिटेन का आधिपत्य बना रहा।

प्रश्न 4.
पहले विश्वयुद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन क्यों बढ़ा ?
उत्तर:
पहले विश्वयुद्ध के समय निम्नलिखित कारणों से भारत का औद्योगिक उत्पादन बढ़ा

  1. प्रथम विश्वयुद्ध तक औद्योगिक विकास धीमा रहा। युद्ध ने एक नई स्थिति उत्पन्न कर दी थी।
  2. ब्रिटिश कारखाने सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए युद्ध सम्बन्धी उत्पादन में व्यस्त थे इसलिए भारत में मैनचेस्टर के माल का आयात कम हो गया।
  3. भारतीय उद्योगों के लिए यह एक सुअवसर था उन्हें रातों-रात एक विशाल देशी बाजार मिल गया। इस प्रकार औद्योगिक उत्पादन में भी वृद्धि हुई।
  4. युद्ध लम्बे समय तक चला जिसके परिणामस्वरूप भारतीय कारखानों में भी सैनिकों के लिए जूट की बोरियाँ, सैनिकों के लिए वर्दी के कपड़े, टैण्ट और चमड़े के जूते, फोर्ड की जीन एवं अन्य अनेक प्रकार के समान बनने लगे।
  5. माँग में वृद्धि होने से नये-नये कारखानों की स्थापना होने लगी तथा पुराने कारखानों में भी उत्पादन बढ़ाने के लिए कई पालियों में काम होने लगा।
  6. उत्पादन में वृद्धि करने के लिए पर्याप्त मात्रा में श्रमिकों को काम पर रखा गया। प्रत्येक श्रमिक को पहले की तुलना में अधिक कार्य करना पड़ता था। यही कारण था कि प्रथम विश्वयुद्ध के समय भारत का औद्योगिक उत्पादन बढ़ गया।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
अपने क्षेत्र में किसी एक उद्योग को चुनकर उसके इतिहास का पता लगाएँ। उसकी प्रौद्योगिकी किस तरह बदली? उसमें मजदूर कहाँ से आते हैं? उसके उत्पादनों का विज्ञापन और मार्केटिंग किस तरह किया जाता है ? इस उद्योग के इतिहास के बारे में मालिकों और उसमें काम करने वाले कुछ मजदूरों से बात करके देखिए।
उत्तर:
विद्यार्थी अपने शिक्षक की सहायता से इस परियोजना कार्य को पूर्ण करें।

क्रियाकलाप सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 80)

प्रश्न 1.
दो ऐसे उदाहरण दीजिए जहाँ आधुनिक विकास से प्रगति की बजाय समस्याएँ पैदा हुई हैं? आप चाहें तो पर्यावरण, आणविक हथियारों व बीमारियों से सम्बन्धित क्षेत्रों पर विचार कर सकते हैं ?
उत्तर:
1. औद्योगिक विकास:
विभिन्न देशों के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न प्रकार के उद्योगों की बड़ी संख्या में स्थापना की गई। मिल से निकलने वाले धुएँ, हानिकारक गैसें व अन्य प्रदूपक पदार्थ उत्सर्जित होने से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। औद्योगिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण प्रदूषण की समस्या में भी वृद्धि हुई है।

उदाहरण के तौर पर मथुरा तेल शोधनशाला से निकलने वाले धुएँ के कारण ताजमहल की सुन्दरता को खतरा उत्पन्न हो गया है। भोपाल गैस त्रासदी दिसम्बर, 1984 को यूनियन कार्बाइड कारखानों से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से हजारों व्यक्ति अकाल मृत्यु के शिकार हो गये तथा 10,000 से अधिक लोगों के शरीर विकृत हो गये।

2. परमाणु अस्त्रों का विकास:
परमाणु बमों एवं आणिवक हथियारों के निर्माण में कई रेडियोधर्मी पदार्थों को काम में लिया जाता है। इनसे निकला घातक विकिरण मानव जाति व पेड़-पौधों के लिए अत्यन्त विनाशक है। उदाहरण के रूप में, इनका महाघातक प्रभाव सर्वप्रथम संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान के हिरोशिमा व नागासाकी पर डाले परमाणु बमों के समय देखा गया। इस दुर्घटना में अनेक लोग मारे गये व आज भी लोग इसके घातक प्रभाव झेल रहे हैं।

JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 4 औद्योगीकरण का युग

गतिविधि (पृष्ठ संख्या – 83)

प्रश्न 2.
चित्र 4 व 5 को देखें। क्या आपको दोनों तस्वीरों में औद्योगीकरण को दर्शाने के ढंग में कोई फर्क दिखाई देता है? अपना दृष्टिकोण संक्षेप में व्यक्त करें।
उत्तर:
हाँ चित्र 4 व 5 की दोनों तस्वीरों में फर्क दिख रहा है। चित्र 4 औद्योगीकरण के प्रारम्भ को दर्शाता है। इस समय  औद्योगीकरण विकास का अहम पहलू बन गया था तथा इसे आकर्षक रूप में स्थान प्राप्त हुआ। चित्र 5 की तस्वीर औद्योगीकरण के अति विकसित स्वरूप को दर्शा रही है। अत्यधिक औद्योगिक इकाइयों की स्थापना से चारों ओर पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता नजर आ रहा है तथा इस दौर तक औद्योगीकरण एक विकराल समस्या बन चुका था।

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 85)

प्रश्न 3.
कल्पना कीजिए कि आप सौदागर हैं और एक ऐसे सैल्समेन को चिट्ठी लिख रहे हैं जो आपको नयी मशीन खरीदने के लिए राजी करने की कोशिश कर रहा है। अपने पत्र में बताइए कि मशीन के बारे में आपने क्या पूछा है और आप नयी प्रौद्योगिकी में पैसा क्यों नहीं लगाना चाहते?
उत्तर:
मशीनों के बारे में मैंने सुना है कि मशीनों को लगाने में अधिक खर्चा आता है। मशीनें अक्सर खराब हो जाती हैं। इनकी मरम्मत कराना कठिन होता है। मशीनों से एक जैसी तय किस्म का माल तैयार होता है जबकि उपभोक्ता विचित्र रूप, रंग व विशेष प्रकार की डिजाइन के हाथ से बने हुए माल की माँग करते हैं। इसलिए मैं इस नयी प्रौद्योगिकी में पैसा नहीं लगाना चाहता हूँ।

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गतिविधि (पृष्ठ संख्या 87)

प्रश्न 4.
चित्र 3, 7 और 11 को देखिए। इसके बाद स्रोत-ख को दोबारा पढ़िए। अब बताइए कि बहुत सारे मजदूर स्पिनिंग जेनी के इस्तेमाल का विरोध क्यों कर रहे थे ?
उत्तर:
1764 ई. में जेम्स हरग्रीज द्वारा निर्मित स्पिनिंग जेनी एक ऐसी मशीन थी जिसने एक ही पहिए से अनेक तकलियों को घुमाना सम्भव बना दिया था जबकि इसके पहले एक पहिए की मशीन केवल एक ही तकली को घुमा सकती थीं। उस समय परिवार के सभी लोग इस कार्य में लगे रहते थे और कमाते थे। लेकिन स्पिनिंग जेनी मशीन के आविष्कार ने उनके रोजगार को समाप्त कर दिया और बेरोजगारी को बढ़ावा दिया। अब इस मशीन के एक ही पहिए से एक समय में अनेक तकलियाँ घुमायी जा सकती थीं। इसलिए बहुत सारे मजदूर स्पिनिंग जेनी के इस्तेमाल का विरोध कर रहे थे।

गतिविधि (पृष्ठ संख्या 89)

प्रश्न 5.
एशिया के मानचित्र पर भारत से मध्य एशिया, पश्चिमी एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ होने वाले कंपड़ा व्यापार के समुद्री व सड़क सम्पर्कों को चिह्नित कीजिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 4 औद्योगीकरण का युग 1

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JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना

JAC Board Class 10th Social Science Solutions History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना

JAC Class 10th History भूमंडलीकृत विश्व का बनना Textbook Questions and Answers

संक्षेप में लिखें

प्रश्न 1.
सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका महाद्वीपों के बारे में चुनें।
उत्तर:
सत्रहवीं शताब्दी से पहले एशिया और अमेरिका में होने वाले आदान-प्रदान के उदाहरण निम्नलिखित हैं

  1. एशिया महाद्वीप-रेशम मार्ग से चीनी रेशम एवं चीनी पॉटरी तथा भारत व दक्षिण-पूर्व एशिया के कपड़े व मसाले विश्व के विभिन्न देशों में पहुँचते थे। वापसी में सोने-चाँदी जैसी कीमती धातुएँ यूरोप से एशिया पहुँचती थीं।
  2. अमेरिका महाद्वीप-आज से लगभग 500 वर्ष पूर्व आलू, मूंगफली, सोयाबीन, टमाटर, मिर्च, शकरकंद जैसे अनेक खाद्य पदार्थ हमारे पास उपलब्ध नहीं थे। परन्तु क्रिस्टोफर कोलम्बस द्वारा अमेरिका की खोज के पश्चात् ये खाद्य पदार्थ अमेरिका से यूरोप एवं एशिया के देशों में पहुंचे।

प्रश्न 2.
बताएँ कि पूर्व आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी ?
उत्तर:
लाखों वर्षों से समस्त विश्व से अलग-अलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर में चेचक से बचने की रोग प्रतिरोधक क्षमता का अभाव था। इस बीमारी का प्रसार यूरोप महाद्वीप से हुआ। जब यूरोपीय शक्तियों ने अमेरिका में अपने उपनिवेश स्थापित किये तब चेचक नामक बीमारी फैल गयी।

इस प्रकार यूरोपीय उपनिवेशवादी शक्तियों को अमेरिका के लोगों को जीतने के लिए सैन्य अस्त्रों का उपयोग नहीं करना पड़ा। समस्त अमेरिका में फैली इस घातक बीमारी ने अनेक लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इस प्रकार बीमारियों ने अमेरिकी भू-भागों के उपनिवेशीकरण में सहायता दी।

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प्रश्न 3.
निम्नलिखित के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें.
(क) कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला। .
अथवा
‘कार्न लॉ’ के निरस्त होने के किन्हीं पाँच प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
(ख) अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना।
(ग) विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत।
अथवा
विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
(घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामन्दी का प्रभाव।
(ङ) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानान्तरित करने का फैसला।
उत्तर:
(क)

  1. ब्रिटेन की सरकार द्वारा कॉर्न लॉ समाप्त करने के पश्चात् बहुत ही कम मूल्य पर खाद्य पदार्थों का आयात किया जाने लगा।
  2. आयात किये जाने वाले खाद्य पदार्थों की लागत ब्रिटेन में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों से भी कम थी।
  3. फलस्वरूप ब्रिटेन के किसानों की हालत बिगड़ने लगी क्योंकि वे आयातित माल की कीमत का मुकाबला नहीं कर सकते थे।
  4. विशाल भूभागों पर कृषि कार्य बन्द हो गया। हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हो गये।
  5. गाँवों से निकलकर वे या तो शहरों अथवा अन्य देशों की ओर पलायन करने लगे।

(ख) रिंडरपेस्ट का रोग एशियाई मवेशियों से अफ्रीकी मवेशियों में फैला। मवेशियों में प्लेग की तरह फैलने वाली इस बीमारी ने लोगों की आजीविका व अर्थव्यवस्था पर बहुत अधिक प्रभाव डाला। इस बीमारी से हजारों की संख्या में मवेशी मर गये। इसने अफ्रीकी अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया जो मवेशियों व जमीन पर आधारित थी। इससे बेरोजगारी में वृद्धि हुई तो अफ्रीकी लोगों को यूरोपीय बागानों एवं खानों में काम करने के लिए बाध्य किया गया।

(ग) प्रथम विश्वयुद्ध में यूरोप की ओर से लड़ने वाले अधिकांश लोग कामकाजी उम्र के थे। युद्ध में इनकी मृत्यु अधि । क मात्रा में हुई तथा ये घायल भी अधिक हुए। इस विनाश के कारण यूरोप में कामकाज़ के लायक लोगों की संख्या बहुत कम रह गयी। परिवार के सदस्यों की संख्या घट जाने के कारण युद्ध के पश्चात् परिवारों की आमदनी भी कम हो गयी।

(घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामन्दी का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा। महामन्दी के दौरान देश का आयात घटकर आधा रह गया। भारत में कृषि उत्पादनों के मूल्यों में भारी में गिरावट आयी। इसके बावजूद सरकार ने लगान वसूली में छूट नहीं दी। विश्व बाजार के लिए खेती करने वाले किसानों को सर्वाधिक हानि उठानी पड़ी। शहरों में निश्चित आय वाले लोगों पर इस महामन्दी का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा। इस महामन्दी से शहरी लोगों की बजाय किसानों एवं काश्तकारों को बहुत अधिक नुकसान हुआ।

(ङ) 1970 ई. के दशक के बीच बेरोजगारी बढ़ने लगी। इस समय बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने एशिया के ऐसे देशों में उत्पादन केन्द्रित किया जहाँ वेतन कम दिया जाता था। चीन में वेतन अन्य देशों की तुलना में कम था। विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने यहाँ पर्याप्त धन का निवेश किया। इसका प्रभाव चीनी अर्थव्यवस्था पर दिखाई दिया है।

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प्रश्न 4.
खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें।
अथवा
19वीं सदी में विश्व अर्थव्यवस्था में आए तकनीकी परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास के दो उदाहरण निम्नलिखित हैं-

  1. तीव्र गति से चलने वाली रेलगाड़ियाँ बनी, बोगियों का भार कम किया गया, जलपोतों का आकार बढ़ा, जिससे किसी भी उत्पाद को खेतों से दूर के बाजारों में कम लागत पर और आसानी से पहुँचाया जा सका।
  2. पानी के जहाजों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक स्थापित होने से खाने-पीने के सामानों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाने में आसानी हो गयी। शीघ्र खराब होने वाली वस्तुओं को भी रेफ्रिजरेशन की तकनीक से लम्बी यात्राओं पर ले जाया जाने लगा।

प्रश्न 5.
ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है ?
अथवा
‘ब्रेटन वुड्स’ समझौते से विश्व में किस प्रकार की अर्थव्यवस्था का जन्म हुआ ?
अथवा
ब्रेटन वुड्स सम्मेलन से आप क्या समझते हैं? इसकी दो जुड़वाँ संतानें’ किसे कहा गया है?
उत्तर:
युद्धोत्तर अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार को बनाए रखना था। इसके अनुरूप जुलाई 1944 ई. में अमेरिका स्थित न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में सहमति बनी थी। सदस्य देशों के विदेश व्यापार में लाभ और घाटे से निपटने के लिए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में ही अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना की गयी।

युद्धोत्तर पुनर्निर्माण के लिए धन की व्यवस्था करने को अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक अर्थात् विश्व बैंक का गठन किया गया। इसलिए विश्व बैंक और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को ब्रेटन वुड्स ट्विन भी कहा जाता है। इसी युद्धोत्तर आर्थिक व्यवस्था को ब्रेटन वुड्स व्यवस्था कहा गया है। . ब्रेटन वुड्स व्यवस्था निश्चित विनिमय दरों पर आधारित थी। इस व्यवस्था में राष्ट्रीय मुद्राएँ एक निश्चित विनिमय दर में बँधी हुई थीं। उदाहरण के रूप में, एक डॉलर के बदले में रुपयों की संख्या निश्चित थी। डॉलर का मूल्य भी सोने से बँधा हुआ था। एक डॉलर का मूल्य 35 ओंस सोने के बराबर था।

चर्चा करें

प्रश्न 6.
कल्पना कीजिए कि आप कैरीबियाई क्षेत्र में काम करने वाले गिरमिटिया मजदूर हैं। इस अध्याय में दिए गए विवरणों के आधार पर अपने हालात और अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए अपने परिवार के नाम एक पत्र लिखिए।
उत्तर:
आदरणीय माताजी एवं पिताजी,
सादर चरण स्पर्श व प्रणाम।
आप लोगों की इच्छा के विरुद्ध यहाँ आकर मुझे बहुत दुःख का अनुभव हो रहा है। जैसा मैं अपने देश से सुखद भविष्य को सोचकर यहाँ आया था वैसा यहाँ कुछ भी नहीं है। एजेंट ने हमें धोखा दिया है। यहाँ का जीवन एवं कार्य-परिस्थितियाँ बहुत कठोर हैं। हमें यहाँ दिन-रात कठोर परिश्रम करना पड़ता है। यदि हम कार्य को समय पर सही ढंग।

से पूरा नहीं कर पाते तो हमारा वेतन काट लिया जाता है। कई बार कठोर दण्ड भी दिया जाता है। यहाँ मजदूरों को अपने अनुबन्ध की अवधि में भारी कठिनाइयों एवं कष्टों का सामना करना पड़ता है। यहाँ की स्थिति देखकर मुझ जैसे अनेक मजदूरों की आशाएँ मिट्टी में मिल गयीं। मैं अपने अनुबन्ध की अवधि पूरी होने के बाद यहाँ एक मिनट भी नहीं रुकना चाहता। अपनी कुशलता के समाचार देना।

आपका पुत्र
रमेशचंद

प्रश्न 7.
अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से सम्बन्धित एक-एक उदाहरण दें और उनके बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियाँ या प्रवाह निम्नलिखित थे
(क) पहला प्रवाह व्यापार का होता है। यह 19वीं शताब्दी में मुख्य रूप से कपड़ा, गेहूँ आदि के व्यापार तक ही सीमित था।

(ख) दूसरा प्रवाह श्रम का होता है। इसमें लोग काम अथवा रोजगार की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते थे।

(ग) तीसरा प्रवाह पूँजी का होता है। इसमें छोटी तथा कम लम्बी अवधि के लिए पूँजी का दूर-दराज के क्षेत्रों में – निवेश कर दिया जाता है।

तीनों प्रकार की गतियों से भारत एवं भारतीयों से सम्बन्धित उदाहरण निम्नलिखित हैं:
(क) भारत से वस्तुओं के व्यापार का प्रवाह:
भारत से गेहूँ तथा समस्त प्रकार के कपड़े (सूती, ऊनी, रेशमी) आदि ब्रिटेन भेजे जाते थे। कपड़ों की रँगाई के लिए नील का भी व्यापार बड़े पैमाने पर होता था।

(ख) श्रम का प्रवाह:
19वीं शताब्दी में भारत के मजदूरों को बागानों, खदानों, सड़कों एवं रेलवे परियोजनाओं में काम करने के लिए दूर-दूर ले जाया गया। भारतीय अनुबन्धित मजदूरों को अनुबन्ध के आधार पर बाहर ले जाया जाता था इन अनुबन्धों में यह शर्त रखी जाती थी कि पाँच वर्ष तक बागानों में काम कर लेने के बाद ही वे स्वदेश लौट सकते थे। भारत के अनुबन्धित श्रमिक मुख्यतः कैरीबियाई द्वीप के गुयाना, त्रिनिदाद, सूरीनाम, मॉरीशस, फिजी, मलाया आदि में कार्य करने हेतु जाते थे।

(ग) पूँजी का प्रवाह:
भारतीय साहूकार एवं महाजनों ने एक देशी विनिमय व्यवस्था बना ली थी। ये न केवल भारत में ही पूँजी निवेश करते थे बल्कि अफ्रीका व यूरोपीय उपनिवेशों में भी करते थे। भारत के प्रमुख पूँजीपतियों में शिकारीपुरी श्राफ, नटटूकोट्टई चेट्टियार तथा हैदराबादी सिन्धी व्यापारी आदि थे।

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प्रश्न 8.
महामन्दी (1929) के कारणों की व्याख्या करें।
अथवा
महामन्दी के क्या कारण थे ?
उत्तर:
महामन्दी के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे
(क) कृषि में अत्यधिक उत्पादन:
कृषि के क्षेत्र में अत्यधिक उत्पादन की समस्या बनी हुई थी इससे कृषि वस्तुओं की कीमतों में बहुत अधिक कमी आयी। कीमतें घटने से कृषि सम्बन्धी आय भी घट गयी जिसके कारण किसानों ने अपना उत्पादन बढ़ाने की कोशिश की ताकि वे कम कीमत पर ही ज्यादा माल बनाकर अपनी आय का स्तर बनाये रख सकें। इससे बाजार में कृषि उत्पादों की अधिकता के कारण कीमतों में गिरावट आयी। क्रेताओं के अभाव में कृषि उपज बढ़ने लगी।

(ख) ऋणों की कमी:
1920 ई. के दशक के मध्य में अनेक देशों ने अमेरिका से ऋण लेकर अपनी निवेश सम्बन्धी जरूरतों को पूरा किया था। जब स्थिति ठीक थी तो अमेरिका से ऋण जुटाना सरल था लेकिन संकट का संकेत मिलते ही अमेरिकी उद्यमियों में घबराहट पैदा हो गयी। 1928 से पहले छ: माह तक विदेशों से अमेरिका का ऋण एक अरब डॉलर था। वर्षभर के भीतर यह ऋण घटकर केवल एक-चौथाई रह गया था जो देश अमेरिकी दलालों पर सबसे ज्यादा निर्भर थे, उनके समक्ष गहरा संकट उत्पन्न हो गया।

प्रश्न 9.
जी-77 देशों से आप क्या समझते हैं ? जी-77 को किस आधार पर ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ सन्तानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है ? व्याख्या करें।
अथवा
जी-77 देशों से आप क्या समझते हैं ? जी-77 को ब्रेटन वुड्स की सन्तानों की प्रतिक्रिया किस आधार पर कहा जा सकता है ?
उत्तर:
जी-77 विश्व के विभिन्न विकासशील देशों का एक ऐसा समूह है जो नई अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली (NIEO) प्राप्त करने के लिए सामूहिक रूप से कार्य करता है। 1944 ई. में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (विश्व बैंक) की स्थापना की गयी थी। इन्हें ब्रेटन वुड्स संस्थान अथवा ब्रेडन वुड्स की जुड़वाँ सन्तान कहा जाता है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्राकोष एवं विश्व बैंक (ब्रेटन वुड्स के दोहरे समझौते) की असन्तोषप्रद सेवाओं के कारण नये स्वतन्त्र हुए देशों ने जी-77 का संगठन किया।

इन देशों की स्वतन्त्रता के पश्चात् ब्रेटन वुड्स की संस्थाओं ने निर्धन देशों की सहायता का प्रस्ताव रखा लेकिन इसके बदले में इन संस्थाओं ने उन देशों के प्राकृतिक संसाधनों को गारण्टी के रूप में अपने नियन्त्रण में ले लिया। इस प्रकार विकासशील देश जो नियमित देशों की तरह ही औद्योगिक विकास के पथ पर चलना चाहते थे, ब्रेटन वुड्स की संस्थाओं ने उनके मार्ग में व्यवधान उत्पन्न किया। जिस कारण जी-77 अस्तित्व में आ गया।

परियोजना कार्य

प्रश्न 10.
उन्नीसवीं सदी के दौरान दक्षिण अफ्रीका में स्वर्ण, हीरा खनन के बारे में और जानकारियाँ इकट्ठी करें। सोना और हीरा कम्पनियों पर किसका नियन्त्रण था? खनिक लोग कौन थे और उनका जीवन कैसा था ?
उत्तर:
विद्यार्थी अपने शिक्षक की सहायता से इस परियोजना कार्य को पूरा करें।

क्रियाकलाप सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

चर्चा करें (पृष्ठ 56)

प्रश्न 1.
जब हम कहते हैं कि सोलहवीं सदी में दुनिया सिकड़ने लगी थी, तो इसका क्या मतलब है?
उत्तर:
16वीं शताब्दी से पूर्व विश्व के विभिन्न देशों के मध्य व्यापार एवं अन्य प्रकार के सांस्कृतिक आदान-प्रदान का अभाव था। लेकिन 16वीं शताब्दी में विश्व के विभिन्न देशों के मध्य व्यापार एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान से लोगों की आवाजाही में वृद्धि हुई है। इस तरह सिकुड़ने का अर्थ विश्व के विभिन्न देशों के लोगों के बीच पारस्परिक सम्बन्धों में वृद्धि से लगाया जा सकता है।

गतिविधि (पृष्ठ 59)

प्रश्न 2.
कल्पना कीजिए कि आप आयरलैंड से अमेरिका में आए एक खेत मजदूर हैं। इस बारे में एक पैराग्राफ लिखिए कि आपने यहाँ आने का फैसला क्यों किया और अब आप अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए क्या करते हैं?
उत्तर:

  1. आयरलैंड में किसानों की हालत का बिगड़ना
  2. बड़े-बड़े भू भागों पर खेती का बंद हो जाना
  3. आयातित माल की कीमत से मुकाबला नहीं कर पाना
  4. बेरोजगारी फैलना
  5. गाँवों का उजड़ जाना
  6. अमेरिकन क्षेत्रों में संसाधनों की प्रधानता के बारे में सुनकर अच्छे जीवन की तलाश में वहाँ जाना। अमेरिका आने के पश्चात आयरलैण्ड की तुलना में अच्छा खान-पान प्राप्त हो रहा है। पर्याप्त कृत्रि क्षेत्र होने से आय के स्तर में भी सकारात्मक परिवर्तन आया है। यहाँ अपने अनुभव का प्रयोग करते हुए अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार किया।

गतिविधि (पृष्ठ 59)

प्रश्न 3.
फ्लो चार्ट के माध्यम से दर्शाइए कि जब ब्रिटेन ने खाद्य पदार्थों के आयात का निर्णय लिया तो उसके कारण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की ओर पलायन करने वालों की संख्या क्यों बढ़ने लगी ?
उत्तर:
जब ब्रिटेन ने खाद्य पदार्थों के आयात का निर्णय लिया तो उसके कारण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की ओर पलायन करने वालों की संख्या बढ़ने लगी। इसे फ्लो चार्ट द्वारा निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है
JAC Class 10 Social Science Solutions History Chapter 3 भूमंडलीकृत विश्व का बनना 2

चर्चा करें (पृष्ठ 64)

प्रश्न 4.
राष्ट्रीय पहचान के निर्माण में भाषा और लोक परम्पराओं के महत्त्व पर चर्चा करें।
उत्तर:
किसी व्यक्ति की राष्ट्रीय पहचान के निर्माण में भाषा और लोक परम्पराओं का बहुत अधिक महत्त्व होता है। किसी व्यक्ति की पहचान उसकी भाषा व पारम्परिक रीति-रिवाजों से होती है क्योंकि वह जो भाषा बोलता है वह उसके राष्ट्र अर्थात् उसकी मातृभूमि से सम्बन्धित होती है। भाषा और परम्पराएँ अचानक ही विकसित नहीं होतीं बल्कि एक लम्बी समयावधि में विकसित होती हैं। हम देखते हैं कि लोग जन्म लेते हैं, मरते हैं, लेकिन मानव परम्पराएँ यथावत् बनी रहती हैं। वे मरती नहीं हैं। वे सदैव जीवित रहती हैं। व्यक्ति जहाँ भी जाता है वह उसे पहचान देती हैं।

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चर्चा करें (पृष्ठ – 73)

प्रश्न 5.
पटसन (जूट) उगाने वालों के विलाप में पटसन की खेती से किसके मुनाफे का जिक्र आया है ? स्पष्ट करें।
उत्तर:
पटसन (जूट) उगाने वालों के विलाप में कवि काश्तकारों से कहते हैं कि चाहे तुम कितनी भी मेहनत कर लो, कर्जे पर पैसे लेकर पटसन की खेती में लगाओ। जब फसल पकेगी तो इसकी कुछ भी कीमत नहीं रहेगी। व्यापारी अपने घर पर बैठे तुम्हें इसका पाँच रुपया मन देंगे तथा समस्त लाभ को स्वयं प्राप्त कर लेंगे। इस विलाप में पटसन की खेती से व्यापारी वर्ग के मुनाफे का जिक्र आया है, जो काश्तकारों से कम कीमत पर फसल खरीदकर क्रेताओं को अधिक कीमत पर बेचा करते थे।

चर्चा करें (पृष्ठ 75)

प्रश्न 6.
संक्षेप में बताएँ कि दो महायुद्धों के बीच जो आर्थिक परिस्थितियाँ पैदा हुई, उनसे अर्थशास्त्रियों और राजनेताओं ने क्या सबक सीखे ?
उत्तर:
दो महायुद्धों के बीच मिले आर्थिक अनुभवों से अर्थशास्त्रियों और राजनीतिज्ञों ने दो प्रमुख सबक सीखे
1. पहला सबक, वृहत् उत्पादन पर आधारित किसी औद्योगिक समाज को व्यापक उपभोग के बिना कायम नहीं रखा जा सकता। लेकिन व्यापक उपभोग को बनाये रखने के लिए यह आवश्यक था कि आमदनी काफी ज्यादा और स्थिर हो। यदि रोजगार अस्थिर होंगे तो आय स्थिर नहीं हो सकती थी। स्थिर आय के लिए पूर्ण रोजगार भी जरूरी था। लेकिन बाजार पूर्ण रोजगार की गारण्टी नहीं दे सकता। कीमत, उपज और रोजगार में आने वाले उतार-चढ़ावों को नियन्त्रित करने के लिए सरकार का दखल जरूरी था। आर्थिक स्थिरता केवल सरकारी हस्तक्षेप के जरिए ही सुनिश्चित की जा सकती थी। .

2. दूसरा सबक, बाहरी दुनिया के साथ आर्थिक सम्बन्धों के बारे में था। पूर्ण रोजगार का लक्ष्य केवल तभी हासिल किया जा सकता है जब सरकार के पास वस्तुओं, पूँजी और श्रम की आवाजाही को नियन्त्रित करने की ताकत उपलब्ध हो।

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