Jharkhand Board JAC Class 9 Sanskrit Solutions अपठित-अवबोधनम् अपठित अनुच्छेदाः Questions and Answers, Notes Pdf.
JAC Board Class 9th Sanskrit अपठित-अवबोधनम् अपठित अनुच्छेदाः
परिचय – ‘अपठित’ शब्द का निर्माण ‘पठित’ शब्द में ‘अ’ उपसर्ग लगने से हुआ है, जिसका अर्थ है-‘जो पढ़ा हुआ नहीं है। ‘अवबोधन’ शब्द का निर्माण ‘बोधन’ शब्द में ‘अव’ उपसर्ग लगने से हुआ है, जिसका अर्थ है-‘जानना’ या ‘समझना’। अपठितस्य = न पढ़े हुए (संस्कृत-गद्यांशों) का, अवबोधनम् = जानना। इस प्रकार के अनुच्छेदों का उद्देश्य विद्यार्थियों का बुद्धि-परीक्षण करना है।
अनच्छेद किसी कथा. घटना, निबन्ध या महान व्यक्ति के ऊपर लिखे जाते हैं।
अनुच्छेद के नीचे उससे सम्बन्धित प्रश्न दिये होते हैं, जिनके उत्तर संस्कृत भाषा में ही देने होते हैं।
अनुच्छेद पर निम्नलिखित प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं –
अनुच्छेद पर प्रश्न –
- अनुच्छेद का शीर्षक देना।
- एक शब्द में व पूर्ण वाक्य में प्रश्नों के उत्तर देना।
- अनुच्छेद पर आधारित भाषिक कार्य।
नोट – भाषिक कार्य के अन्तर्गत निम्न प्रकार के प्रश्न होंगे –
- वाक्य.में कर्त्ता और क्रिया पदों का चयन।
- कर्ता और क्रिया की अन्विति (क्रम में होना)।
- विशेषण और विशेष्य की अन्विति (क्रम में होना)।
- संज्ञा के स्थान पर सर्वनाम का प्रयोग अथवा सर्वनाम के स्थान पर संज्ञा का प्रयोग।
- कोई शब्द देकर अनुच्छेद में से उसके पर्याय अथवा विलोम शब्द का चयन।
अनुच्छेदाः
निर्देश:-अधोलिखितान् अनुच्छेदान् पठित्वा अनुच्छेदाधारितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि स्व-उत्तरपुस्तिकायां लिखत (नीचे लिखे अनुच्छेदों को पढ़कर (उन) अनुच्छेदों पर आधारित प्रश्नों के उत्तर अपनी उत्तर-पुस्तिका में लिखिए-)
1. संस्कृतसाहित्ये महाकवेः बाणभट्टस्य स्थानं सर्वोपरि अस्ति। अयं स्वकीयायाः सर्वप्रथमायाः गद्यकृतेः ‘हर्षचरितस्य’ प्रारम्भिके उच्छ्वासत्रये स्वकीयं परिचयं दत्तवान्। अस्य जन्म वत्स गोत्रे अभवत्। कविः बाणभट्टः सारस्वतः ब्राह्मणः आसीत्। अस्य एकः पूर्वजः ‘कुबेरः’ इति नामा आसीत्, यः संस्कृतभाषायाः प्रकाण्डविद्वान् आसीत्। कुबेरस्य पौत्र: अर्थपतिः, बाणस्य पितामहः आसीत्। बाणस्य पितुः नाम चित्रभानुः आसीत्। महाकविः बाणभट्ट: बाल्यकाले अभिभावकविहीनः जातः। अयं भ्रमणशीलः आसीत्, येन कारणात् तेन अनेकविधानां जनानां सम्पर्कः प्राप्तः। एकदा सः महाराज हर्षस्य राजसभां प्राप्तवान्। हर्षस्य राज्ये कतिषुचित् दिनेषु एव अस्य चरित्रस्य पाण्डित्यस्य च प्रभावः रूढः जातः, फलतश्च महाराजेन हर्षेण अयम् ‘वश्यवाणी कविचक्रवर्ती’ इति उपाधिना विभूषितः। महाकविबाणस्य प्रमुखाः तिम्रः रचनाः सन्ति-‘हर्षचरितम्, ‘कादम्बरी’ चण्डीशतकम् च।
हिन्दी-अनुवाद – संस्कृत साहित्य में महाकवि बाणभट्ट का स्थान सर्वोपरि है। इन्होंने स्वयं रचित प्रथम गद्यरचना ‘हर्षचरित’ के प्रारम्भिक तीन उच्छ्वासों में अपना परिचय दिया है। इनका जन्म वत्स गोत्र में हुआ था। कवि बाणभट्ट सारस्वत ब्राह्मण थे। इनके एक पूर्वज का नाम ‘कुबेर’ था, जो संस्कृत भाषा के प्रकाण्ड विद्वान् थे। कुबेर के पौत्र अर्थपति बाण के पितामह थे। बाण के पिता का नाम चित्रभानु था। महाकवि बाणभट्ट बचपन में ही माता-पिता से रहित हो गए। ये भ्रमणशील थे, जिसके कारण वे अनेक प्रकार के लोगों के सम्पर्क में आये। एक बार वे महाराज हर्ष की राजसभा में पहुँचे। हर्ष के राज्य में कुछ दिनों में ही इनके चरित्र एवं पाण्डित्य का प्रभाव जम गया, परिणामस्वरूप महाराज हर्ष ने इन्हें ‘वश्यवाणी कविचक्रवर्ती’ उपाधि से विभूषित किया। महाकवि बाण की प्रमुख तीन रचनाएँ हैं-‘हर्षचरितम्’, ‘कादम्बरी’ और ‘चण्डीशतकम्।
प्रश्न: 1.
एतस्य अनुच्छेदस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस अनुच्छेद का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
महाकविः बाणभट्टः (महाकवि बाणभट्ट।)
प्रश्न: 2.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन देयानि- (नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में दीजिए-)
(क) महाकवेः बाणभट्टस्य प्रथमरचना किम् अस्ति? (महाकवि बाणभट्ट की प्रथम रचना क्या है?)
बाणस्य जन्म कस्मिन् गोत्रे अभवत् ? (बाण का जन्म किस गोत्र में हुआ?)
(ग) ‘कविः बाणभट्टः कः ब्राह्मणः आसीत्? (कवि बाणभट्ट कौनसे ब्राह्मण थे ?)
(घ) बाणस्य जनकस्य नाम किम् आसीत् ? (बाण के पिता का नाम क्या था?)
उत्तराणि :
(क) हर्षचरितम्
(ख) वत्सगोत्रे
(ग) सारस्वतः
(घ) चित्रभानुः।
प्रश्न: 3.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि पूर्णवाक्येन देयानि- (नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर पूर्ण वाक्य में दीजिए-)
(क) कुबेरः कः आसीत् ? (कुबेर कौन थे?)
(ख) बाणेन अनेकविधानां जनानां सम्पर्कः कथं प्राप्त:? (बाण ने अनेक प्रकार के लोगों का सम्पर्क कैसे प्राप्त किया?)
(ग) महाराजेन हर्षेण बाण: केन उपाधिना विभूषितः? (महाराज हर्ष ने बाण को किस उपाधि से विभूषित किया?)
उत्तराणि :
(क) कुबेर: बाणस्य पूर्वजः आसीत्, य: संस्कृतभाषायाः प्रकाण्डविद्वान् आसीत्।
(कुबेर बाण के पूर्वज थे, जो संस्कृत भाषा के प्रकाण्ड विद्वान् थे।)
(ख) बाणः भ्रमणशीलः आसीत्, येन कारणात् तेन अनेकविधानां जनानां सम्पर्कः प्राप्तः।
(बाण भ्रमणशील थे, इसी कारण उन्होंने अनेक प्रकार के लोगों का सम्पर्क प्राप्त किया।)
(ग) महाराजेन हर्षेण बाणः ‘वश्यवाणी कविचक्रवर्ती’ इति उपाधिना विभूषितः।
(महाराज हर्ष ने बाण को ‘वश्यवाणी कविचक्रवर्ती’ उपाधि से विभूषित किया।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरं देयम्- (निर्देशानुसार उत्तर दीजिए-)
(क) “कुबेरस्य पौत्रः अर्थपतिः, बाणस्य पितामहः आसीत्”, वाक्यस्य कर्ता कः?
(“कुबेर का नाती अर्थपति, बाण का बाबा था” वाक्य का कर्ता कौन है?)
(ख) “अभवत् वत्सगोत्रे अस्य जन्म”, वाक्ये कर्तृ-क्रिया-अन्वितिः कार्या।
(“इनका जन्म वत्स गोत्र में हुआ था,” वाक्य में कर्ता और क्रिया का अन्वय कीजिए।)
(ग) “अयं भ्रमणशीलः आसीत्” अत्र अयम् इति सर्वनामपदं कस्य संज्ञा स्थाने प्रयुक्त?
(“अयं भ्रमणशीलः आसीत्” यहाँ ‘अयम्’ सर्वनाम पद किस संज्ञा के स्थान पर प्रयोग किया गया है?)
उत्तराणि :
(क) अर्थपतिः (अर्थपति)
(ख) अस्य जन्म वत्सगोत्रे अभवत्। (इनका जन्म वत्स गोत्र में हुआ था।)
(ग) बाणस्य स्थाने।
2. प्रत्येकस्मिन् धर्मे कतिपयाः सम्प्रदायाः भवन्ति। हिन्दूनां शैवशाक्तवैष्णवादयः सम्प्रदायाः प्रसिद्धाः। मुस्लिमाः शिया-सुन्नी-बहावी-सम्प्रदायेषु विभक्ताः। ख्रीष्टानुयायिनः कैथोलिकप्रोटेस्टैण्ट इति सम्प्रदायद्वये वर्गीकृताः। सर्वेषां सम्प्रदायानां ‘सत्याराधनम्’ इति एकमेव लक्ष्यम् अस्ति। किन्तु केचित् दुष्टाः काल्पनिक मतभेदं विभाव्य परस्परं द्वेषम् उद्भावयन्ति। एक: सम्प्रदायः अपरं स्वशत्रुः मन्यते। जनाः वृथैव परस्परं युध्यन्ते। युद्धम् एव तेषां लक्ष्य सञ्जायते। ईशाराधनं तत्र गौणी भवति। भीषणं रक्तपातं धन-जनहानिश्च भवतः। अस्माकं राष्ट्रे तु विविधसम्प्रदायानां समवायः विद्यते। अत्र साम्प्रदायिक सौमनस्यं तु अत्यावश्यकम्। वयं भ्रातरः भगिन्यश्च परस्परं युद्धरताः चेत् तर्हि राष्ट्रिया एकता कुतः स्यात् ? एकतां विना सुख-समृद्धि-कल्पना निराधारा एव। अतः अस्माभिः साम्प्रदायिक सौमनस्यम् स्थिरीकर्तव्यम्।
हिन्दी-अनुवाद – प्रत्येक धर्म में कुछ सम्प्रदाय होते हैं। हिन्दुओं के शैव, शाक्त, वैष्णव आदि सम्प्रदाय प्रसिद्ध हैं। मुस्लिम-शिया, सुन्नी, बहावी सम्प्रदायों में विभक्त हैं। ईशा के अनुयायी कैथोलिक और प्रोटेस्टैण्ट इन दो सम्प्रदायों में वर्गीकृत हैं। सभी सम्प्रदायों का ‘सत्य की आराधना’ यही एक लक्ष्य है। किन्तु कुछ दुष्ट लोग काल्पनिक मतभेद को सोचकर परस्परं द्वेष पैदा करते हैं। एक सम्प्रदाय दूसरे सम्प्रदाय को अपना शत्रु मानता है। लोग बेकार ही परस्पर युद्ध करते हैं। युद्ध ही उनका लक्ष्य हो जाता है। भगवान की आराधना वहाँ गौण होती है। भीषण रक्तपात, धन है। हमारे राष्ट्र में तो विविध सम्प्रदायों का एकत्रीकरण है। यहाँ साम्प्रदायिक सौहार्द्र अत्यावश्यक है। हम भाई और बहिन यदि परस्पर युद्ध में संलग्न हों तो राष्ट्रीय एकता कहाँ से होगी ? एकता के बिना सुख-समृद्धि की कल्पना ही निराधार है। इसलिए हमें साम्प्रदायिक सौहार्द्र स्थिर करना चाहिए।
प्रश्न: 1.
अस्य वाद्यांशस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
साम्प्रदायिक सौमनस्यम्। (साम्प्रदायिक सौहार्द्र।)
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) प्रत्येकस्य धर्मस्य कतिपयाः के भवन्ति? (प्रत्येक के धर्म के कुछ क्या होते हैं?)
(ख) सर्वेषां सम्प्रदायानां किम एकमेव लक्ष्यम् अस्ति? (सभी सम्प्रदायों का एक ही लक्ष्य क्या है?)
(ग) के काल्पनिक मतभेदं विभाव्य परस्परं द्वेषम् उद्भवन्ति? (कौन काल्पनिक मतभेद को सोचकर परस्पर द्वेष पैदा करते हैं?)
(घ) एकः सम्प्रदायः अपरं कः मन्यते? (एक सम्प्रदाय दूसरे को क्या मानता है?)
उत्तराणि :
(क) सम्प्रदायाः
(ख) सत्याराधनम्
(ग) केचित् दुष्टाः
(घ) स्वशत्रुः।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूर्ण वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) हिन्दूनां के सम्प्रदायाः प्रसिद्धाः? (हिन्दुओं के कौन से सम्प्रदाय प्रसिद्ध हैं?)
(ख) मुस्लिमानां के सम्प्रदायाः सन्ति ? (मुस्लिमों के कौन से सम्प्रदाय हैं?)
(ग) राष्ट्रिया एकता कदा न स्यात्? (राष्ट्रीय एकता कब नहीं होगी?)
उत्तराणि :
(क) हिन्दूनां शैवशाक्तवैष्णवादयः सम्प्रदायाः प्रसिद्धाः। (हिन्दुओं के शैव-शाक्त-वैष्णव आदि सम्प्रदाय प्रसिद्ध हैं।)
(ख) मुस्लिमानां शिया-सुन्नी-बहाव्यादयः सम्प्रदायाः सन्ति। (मुस्लिमों के शिया, सुन्नी, बहावी आदि सम्प्रदाय हैं।)
(ग) यदि वयं परस्परं युद्धरताः भविष्यामः तर्हि राष्ट्रिया एकता न स्यात्। (यदि हम परस्पर युद्ध में लग जाएँगे तो राष्ट्रीय एकता नहीं होगी।)
प्रश्न 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरं देयम्- (निर्देशानुसार उत्तर दीजिए-)
(क) “अस्माकं सौमनस्यं साम्प्रदायिक स्थिरीकर्तव्यम्”, ” वाक्ये विशेषण-विशेष्य-अन्वितिः कार्या।
(“हमारा साम्प्रदायिक सौहार्द्र स्थिर करना चाहिए”, वाक्य में विशेषण और विशेष्य का अन्वय कीजिए।)
(ख) “जनाः परस्परं युध्यन्ते”, वाक्ये ‘जनाः’ इति संज्ञायाः स्थाने सर्वनामप्रयोगः कर्तव्य।
(“लोग आपस में युद्ध करते हैं” वाक्य में ‘जनाः’ संज्ञा के स्थान पर सर्वनाम का प्रयोग कीजिए।)
(ग) ‘उद्देश्यम्’ इति पदस्य पर्यायवाचि पदं अनुच्छेदात् चित्वा लिखत।
(‘उद्देश्य’ इस पद का पर्यायवाची शब्द अनुच्छेद से चुनकर लिखिए।)
उत्तरम् :
(क) अस्माकं साम्प्रदायिक सौमनस्यं स्थिरीकर्तव्यम्। (हमारा साम्प्रदायिक सौहार्द्र स्थिर करना चाहिए।)
(ख) ते (वे सब)
(ग) लक्ष्यम्।
3. अस्माकं देशस्य नाम ‘भारतवर्षम्’ इति अस्ति। पुरा अस्माकं देशे भरतनामा दुष्यन्तपुत्रः महाप्रतापी राजा बभूव। तस्य एव सम्बन्धात् अस्य देशस्य नाम अपि ‘भारतम्’ इति प्रसिद्धम्। अस्मदीयः देशः प्रकृति-सम्पन्नः अस्ति। अत्र षड् ऋतवः यथासमयम् आगत्य भारतं विविधाभिः सुषमाभिः भूषयन्ति। अस्य चरणौ रत्नाकरः दिवानक्तं प्रक्षालयति। नगाधिराजः हिमालयः अस्य मुकुट-माधुरीम् आधत्ते। गङ्गा-यमुनाद्यनेकाः नद्यः विविधेभ्यः स्थानेभ्यः निर्गत्य अस्य पावनत्वम् आपादयन्ति। अस्य भूमिः उर्वरा अस्ति। सर्वविधम् अन्नम् अत्र उत्पद्यते। अस्माकं देश: विश्वगुरुः अस्ति। अवं सभ्यतायाः प्रकाशम् अन्येभ्यः देशेभ्यः दत्तवान्। ‘भारतवर्षम्’ अनेकेषां भाषा-वेश-धर्म-संस्कृति-परम्पराणां देशः अस्ति। अयं वस्तुतः एकः महान् देशः अस्ति। अयम् अस्मभ्यम् अस्माकं प्राणेभ्यः अपि प्रियतरः अस्ति।
हिन्दी-अनुवाद – हमारे देश का नाम ‘भारतवर्ष है। पहले हमारे देश में दुष्यन्त का पुत्र भरत नाम का महाप्रतापी राजा हुआ। उसी के सम्बन्ध से इस देश का ‘भारत’ भी नाम प्रसिद्ध है। हमारा देश-प्रकृति-सम्पन्न है। यहाँ छः ऋतुएँ यथासमय 1942 संस्कृत प्रभा, कक्षा आकर भारत को विविध प्रकार के सौन्दर्य से भूषित करती हैं। सागर इसके चरण रात-दिन धोता है। पर्वतराज हिमालय इसका सुन्दर मुकुट है। गंगा-यमुना आदि अनेक नदियाँ विविध स्थानों से निकलकर इसको पवित्रता प्रदान करती हैं। इसकी भूमि उपजाऊ है। यहाँ सभी प्रकार के अन्न उत्पन्न होते हैं। हमारा देश विश्वगुरु है। इसने अन्य देशों को सभ्यता का प्रकाश दिया है। भारतवर्ष अनेक भाषा-वेश-धर्म-संस्कृति-परम्पराओं का देश है। वस्तुतः यह एक महान् देश है। यह हमें हमारे * प्राणों से भी अधिक प्रिय है।
प्रश्न: 1.
अस्य गद्यांशस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
‘भारतवर्षम्’। (भारतवर्ष)
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) अस्माकं देशस्य नाम किम् अस्ति? (हमारे देश का नाम क्या है?)
(ख) दुष्यन्तस्य पुत्रस्य नाम किम् आसीत् ? (दुष्यन्त के पुत्र का नाम क्या था?)
(ग) भारतस्य चरणौ कः दिवानक्तं प्रक्षालयति? (भारत के चरणों को कौन दिन-रात धोता है?)
(घ) नगाधिराजः हिमालयः भारतवर्षस्य किम् अस्ति? (पर्वतराज हिमालय भारतवर्ष का क्या है?)
उत्तराणि :
(क) ‘भारतवर्षम्’
(ख) भरतः
(ग) रत्नाकरः
(घ) मुकुटम्।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूर्ण वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) कस्य सम्बन्धाद् अस्य देशस्य नाम ‘भारतम्’ प्रसिद्धम् अभवत् ?
(किसके सम्बन्ध से इस देश का नाम ‘भारत’ प्रसिद्ध हुआ?)
(ख) भारतस्य पावनत्वं का: आपादयन्ति? (भारत को पवित्रता कौन प्रदान करती हैं ?)
(ग) विश्वगुरुः कः अस्ति? (विश्वगुरु कौन है?)
उत्तराणि :
(क) दुष्यन्तपुत्रभरतस्य सम्बन्धाद् अस्य देशस्य नाम ‘भारतम्’ प्रसिद्धम् अभवत्।
(दुष्यन्त-पुत्र भरत के सम्बन्ध से इस देश का नाम ‘भारत’ प्रसिद्ध हुआ।)
(ख) गंगायमुनाद्यनेकाः नद्यः भारतस्य पावनत्वम् आपादयन्ति।
(गंगा-यमुना आदि अनेक नदियाँ भारत को पवित्रता प्रदान करती हैं।)
अस्माकं देशः ‘भारतवर्षम्’ विश्वगुरुः अस्ति। (हमारा देश ‘भारतवर्ष’ विश्वगुरु है।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) “अस्माकं देशस्य नाम भारतवर्षम् अस्ति” वाक्ये कर्ता क:?
(“हमारे देश का नाम भारतवर्ष है” वाक्य में कर्ता कौन है?)
(ख) ‘समुद्रः’ इति शब्दस्य पर्यायम् अनुच्छेदात् चित्वा लिखत।
(‘समुद्र’ शब्द का पर्याय अनुच्छेद से चुनकर लिखिए।)
(ग) ‘गत्वा’ इति पदस्य विलोमार्थकं पदं अनुच्छेदात् अन्विष्य लिखत।
(‘गत्वा’ शब्द का विलोम शब्द अनुच्छेद से खोजकर लिखिए।)
उत्तरम् :
(क) भारतवर्षम् (भारतवर्ष)
(ख) रत्नाकरः (रत्नाकर)
(ग) आगत्य।
4. शासनं मुख्यतः द्विविधं भवति-राजतन्त्रं प्रजातन्त्रं च। प्रजातन्त्रम् एव लोकतन्त्रं जनतन्त्रं वा कथ्यते। राजतन्त्रे एकः पुरुषः बुद्धिबलेन, शरीरबलेन परम्परया वा राजा भवति। सः पूर्णतः स्वेच्छाचारी भवति। तस्मै यद् यद् रोचते तत् तत् करोति प्रजाभिः कारयति च। लोकतन्त्र प्रजानां प्रतिनिधयः लोकहितं दृष्ट्वा संविधान निर्माणं कृत्वा तदनुसारं शासन परिचालयन्ति। प्रतिनिधीनां निर्वाचनं निश्चितकालानन्तरं पुनः भवति। प्रजातन्त्रं बहुजनहिताय बहुजनसुखाय च भवति। अस्यां शासन-प्रणाल्यां शासने कस्यापि एकस्य एव पुरुषस्य अधिकारः न भवति। प्रजातन्त्रप्रणाल्यां प्रजाभिः निर्वाचिताः जनाः एव अधिकारिणः भवन्ति। प्रजाजनैः निर्वाचितं मन्त्रिमण्डलं सर्वदा जनता-हितम् एव चिन्तयति।
हिन्दी-अनुवाद – शासन मुख्यतः दो प्रकार का होता है-राजतन्त्र और प्रजातन्त्र। प्रजातन्त्र को ही लोकतन्त्र अथवा जनतन्त्र कहा जाता है। राजतन्त्र में एक पुरुष बुद्धि बल से, शारीरिक बल से अथवा परम्परा से राजा होता है। वह पूर्णत: स्वेच्छाचारी होता है। उसे जो-जो अच्छा लगता है वही-वही करता है और प्रजा से कराता है। लोकतन्त्र में प्रजा के प्रतिनिधि लोग लोकहित को देखकर संविधान निर्माण करके उसके अनसार शासन चलाते हैं। प्रतिनिधियों का निर्वाचन निश्चित अवधि के बाद पुनः होता है। प्रजातन्त्र बहुजन के हित के लिए और बहुजन के सुख के लिए होता है। इस शासन प्रणाली में शासन पर किसी एक पुरुष का ही अधिकार नहीं होता है। प्रजातन्त्र प्रणाली में प्रजा के द्वारा चुने हुए लोग हो अधिकारी होते हैं। प्रजा के लोगों द्वारा चुना हुआ मन्त्रिमण्डल हमेशा जनता के हित की ही सोचता है।
प्रश्न: 1.
अस्य गद्यांशस्य चतं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
प्रजातन्त्रम्। (प्रजातन्त्र)
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) शासनं कति विधं भवति? (शासन कितने प्रकार का होता है?)
(ख) लोकतन्त्रं जनतन्त्रं वा किं कथ्यते? (लोकतन्त्र अथवा जनतन्त्र किसे कहते हैं?)।
(ग) प्रजातन्त्रं कस्य हिताय भवति? (प्रजातन्त्र किसके हित के लिए होता है?)
(घ) प्रजातन्त्रप्रणाल्यां प्रजाभिः निर्वाचिताः जनाः एव के भवन्ति?
(प्रजातन्त्र प्रणाली में प्रजा के द्वारा चुने हुए लोग ही कौन होते हैं?)
उत्तराणि :
(क) द्विविधम् (दो प्रकार का)
(ख) प्रजातन्त्रम् (प्रजातन्त्र को)
(ग) बहुजनस्य (बहुत से लोगों के)
(घ) अधिकारिणः (अधिकारी लोग)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूर्ण वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) राजतन्त्रे एकः पुरुषः राजा कथं भवति? (राजतन्त्र में एक पुरुष राजा कैसे होता है?)
(ख) लोकतन्त्रे प्रजानां प्रतिनिधयः शासनं कथं परिचालयन्ति?
(लोकतन्त्र में प्रजा के प्रतिनिधि शासन कैसे चलाते हैं?)
(ग) प्रजातन्त्रं किमर्थं भवति? (प्रजातन्त्र किसलिए होता है?)
उत्तराणि :
(क) राजतन्त्रे एकः पुरुषः बुद्धिबलेन, शरीरबलेन परम्परया वा राजा भवति।
(राजतन्त्र में एक पुरुष बुद्धि के बल से, शरीर के बल से अथबा परम्परा से राजा होता है।)
(ख) लोकतन्त्रे प्रजानां प्रतिनिधयः लोकहितं दृष्ट्वा संविधाननिर्माणं कृत्वा तदनुसारं शासनं परिचालयन्ति।
(लोकतन्त्र में प्रजा के प्रतिनिधि लोग लोकहित को देखकर संविधान निर्माण उसके अनुसार शासन चलाते हैं।)
(ग) प्रजातन्त्रं बहुजनहिताय बहुजनसुखाय च भवति।
(प्रजातन्त्र बहुजन के हित के लिए और बहुजन के सुख के लिए होता है।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क)’प्रजातन्त्रम्’, ‘लोकतन्त्रम्’ शब्दयोः पर्यायः अत्र किम्? (प्रजातन्त्र, लोकतन्त्र शब्दों का पर्याय यहाँ क्या है?)
(ख)”प्रजातन्त्रम् एव लोकतन्त्रम् कथ्यते” वाक्ये क्रिया का? (“प्रजातन्त्र ही लोकतन्त्र कहा जाता है” वाक्य में क्रिया क्या है?)
(ग) ‘शासनं मुख्यतः द्विविधं भवति’ इति वाक्ये ‘शासनं’ पदस्य विशेषणपदं अनुच्छेदात् चित्वा लिखत।
(‘शासन मुख्यतः दो प्रकार का होता है’ इस वाक्य में ‘शासन’ पद का विशेषण अनुच्छेद से चुनकर लिखो।)
उत्तरम् :
(क) जनतन्त्रम् (जनतन्त्र)
(ख) कथ्यते (कहा जाता है)
(ग) द्विविधं ।
5. संसारे अनेकाः संस्कृतयः उदिताः अस्तंगताश्च। परं भारतीया संस्कृतिः इदानीमपि अक्षुण्णा वर्तते। अस्याः जीवनरसमूले आध्यात्मिकी भावना विद्यते। भारतीया संस्कृतिः कर्मसिद्धान्ते विश्वसिति, पुनर्जन्म खल ध्रुवं मन्ते। मनुष्येण सदा उच्चस्तरीयचिन्तनेन सह सरलजीवनं यापनीयम्। एषा धर्मप्रधानत्वेन ‘आचारः परमो धर्मः’ इति स्वीकृत्य धर्मभावनाम्, औदार्य सहिष्णुतां, भ्रातृत्वं च इमान् गुणान् सदाचारं च परिपालयितुमुपदिशति। धर्मस्य पालनेन भौतिकी उन्नतिर्भवति, अलौकिकं सुखं या संस्कृतिः आध्यात्मिकभावनया सर्वभूतेषु आत्मनः सत्तामवलोकयति। भारतीयजीवनमूल्यम् ‘वसुधैव कुटुम्बकम् एषा जीवने आचरति। भारतीया संस्कृतिः उत्कृष्टानां विचाराणामाचाराणां च समवायो विद्यते। लोकमंगलभावना अस्याः मूलसिद्धान्तः।
हिन्दी-अनुवाद – संसार में अनेक संस्कृतियाँ उदित हुईं और अस्त हो गईं। लेकिन भारतीय संस्कृति अब भी जीवित (1964 संस्कृत पभा, कक्षा…) है। इसके जीवन रूपी रस (सार) के मूल में आध्यात्मिकता की भावना है। भारतीय संस्कृति कर्म के सिद्धान्त में विश्वास करती है, पुनर्जन्म को निश्चय ही अटल मानती है। मनुष्य को सदा उच्चस्तरीय चिन्तन के साथ सादा जीवन जीना चाहिए। यह धर्म प्रधान होने के कारण ‘सदाचार ही श्रेष्ठ धर्म है’ इस प्रकार स्वीकार कर धर्म की भावना का, उदारता का, सहिष्णुता का और भाईचारे के गुण का तथा सदाचार का पालन करने का उपदेश देती है। धर्म का पालन करने से भौतिक उन्नति होती क सख प्राप्त होता है। भारतीय संस्कृति आध्यात्मिक भावना से सभी प्राणियों में आत्मा के अस्तित्व को देखती है। भारतीय जीवन के नैतिक सिद्धान्त (जीवनमूल्य) ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ (‘सम्पूर्ण पृथ्वी ही परिवार है’) का यह जीवन में आचरण करती है। भारतीय संस्कृति उत्कृष्ट विचारों और आचरणों का संकलन है। संसार के कल्याण की भावना इसका मूल सिद्धान्त है।
प्रश्न: 1.
अस्य गद्यांशस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
भारतीया संस्कृतिः (भारतीय संस्कृति)।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) संसारे अनेकाः काः उदिताः अस्तंगताश्च? (संसार में अनेक कौन उदित हुईं और अस्त हो गई?)
(ख) भारतीयसंस्कृतेः मूले का भावना विद्यते? (भारतीय संस्कृति के मूल में कौन-सी भावना विद्यमान है?)
(ग) इदानीम् अपि का अक्षुण्णा वर्तते? (अब भी कौन जीवित है?)
(घ) भारतीया संस्कृतिः किं खलु ध्रुवं मन्यते? (भारतीय संस्कृति क्या निश्चय ही अटल मानती है?)
उत्तराणि :
(क) संस्कृतयः (संस्कृतियाँ)
(ख) आध्यात्मिकी (आध्यात्मिक)
(ग) भारतीया संस्कृतिः (भारतीय संस्कृति)
(घ) पुनर्जन्म (पुनर्जन्म को)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) भारतीया संस्कृतिः किं मनुते? (भारतीय संस्कृति क्या मानती है?)
(ख) मनुष्येण सदा कीदृशं जीवन यापनीयम्? (मनुष्य को सदा कैसा जीवन जीना चाहिए?)
(ग) धर्मस्य पालनेन किं भवति? (धर्म का पालन करने से क्या होता है?)
उत्तराणि :
(क) भारतीया संस्कृतिः कर्मसिद्धान्ते विश्वसिति, पुनर्जन्म खलु ध्रुवं मनुते च।
(भारतीय संस्कृति कर्म के सिद्धान्त में विश्वास करती है और पुनर्जन्म को निश्चय ही अटल मानती है।)
(ख) मनुष्येण सदा उच्चस्तरीयचिन्तनेन सह सरलजीवनं यापनीयम्।
(मनुष्य को सदा उच्चस्तरीय चिन्तन के साथ सादा जीवन जीना चाहिए।)
(ग) धर्मस्य पालनेन भौतिकी उन्नतिर्भवति, अलौकिकं सुखं च प्राप्यते।
(धर्म का पालन करने से भौतिक उन्नति होती है और अलौकिक सुख प्राप्त होता है।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) ‘उदिताः’ एतस्य विपरीतार्थकः शब्दः अत्र किम्? (‘उदित हुई’ का विलोम शब्द यहाँ क्या है?)
(ख) धर्मस्य पालनेन अलौकिकं सुखं प्राप्यते” वाक्ये कर्ता कः? (“धर्म का पालन करने से अलौकिक सुख प्राप्त होता है” वाक्य में कर्ता कौन है?)
(ग) ‘एषा धर्म प्रधानत्वेन’ इति वाक्ये ‘एषा’ सर्वनाम् पदं कस्मै प्रयुक्तः? (‘एषा धर्म प्रधानत्वेन’ इस वाक्य में ‘एषा’ सर्वनाम पद किसके लिए प्रयोग हुआ है?)
उत्तरम् :
(क) अस्तंगताः (अस्त हुईं)।
(ख) अलौकिकं सुखम् (अलौकिक सुख)
(ग) भारतीया संस्कृतिः।
6. समाजस्य प्रगतिः नारीप्रगत्यधीना वर्तते। यतः नरः नारी च इति जीवनरथस्य द्वे चक्रे। यथा च एकं चक्रं रथस्य कारणं न तथा नारी विना पुरुषस्य गतिः न अस्ति। जीवनस्य सर्वेषु क्षेत्रेषु सुशिक्षिताः नार्यः पुंवत् सर्वकार्यसक्षमा वर्तन्ते। समानाधिकारस्य युगेऽस्मिन् ताः राजनीती, राजकीयसेवासु, अन्यक्षेत्रेषु वा यथेच्छं साफल्येन कर्म कर्तुं समर्थाः वर्तन्ते। स्वतन्त्रताप्राप्त्यनन्तरं तु राष्ट्रियशासनं नारीशिक्षायाः महत्त्वं सम्यगनुभवति। मध्यकालस्य अवगुण्ठनवत्यः अशिक्षिताः नार्यः सम्प्रति यथेच्छं शिक्षा प्राप्य सक्रियराजनीती, प्रशासकीयपदेषु अन्येषु च विविधेषु क्षेत्रेषु प्रतिष्ठिताः सन्ति। इत्थं नारीपूजा महिलाजनसमादरः वा समाजस्य श्रेयसे, तस्य अवहेलना तु राष्ट्रस्य विधाताय। यदा यदा नारीणाम् अवहेलना कृता, राष्ट्रस्य पतनं संजातम् । यत्र नार्याः सम्मानं, तत्रैव सनातनं सुखम् अखण्डा च शान्तिः सम्भाव्यते।
हिन्दी-अनुवाद – समाज की प्रगति नारी की प्रगति के अधीन है। क्योंकि नर और नारी जीवनरूपी रथ के दो पहिये हैं। जिस प्रकार एक पहिया रथ का कारण नहीं होता, उसी तरह नारी के बिना पुरुष की गति नहीं है। जीवन के सभी क्षेत्रों में ष के समान सभी कार्य करने में सक्षम हैं। वे समान अधिकार के इस युग में राजनीति में, राजकीय सेवाओं में अथवा अन्य क्षेत्रों में इच्छानुसार सफलतापूर्वक कर्म करने के लिए समर्थ हैं।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद तो राष्ट्रीय शासन नारी शिक्षा के महत्त्व को भली प्रकार से अनुभव करता है। मध्यकालीन पर्दा करने वाली अशिक्षित नारियाँ अब इच्छानुसार शिक्षा प्राप्त कर सक्रिय राजनीति में, प्रशासकीय पदों पर और दूसरे विविध क्षेत्रों में प्रतिष्ठित हैं। इस प्रकार नारी पूजा अथवा महिला का उचित सम्मान समाज के कल्याण के लिए है, उसकी अवहेलना तो राष्ट्र की हानि है। जब-जब नारियों की अवहेलना की गई है, राष्ट्र का पतन हुआ है। जहाँ नारी का सम्मान होता है, वहीं सनातन सुख और अखण्ड शान्ति की सम्भावना होती है।
प्रश्न: 1.
अस्य गद्यांशस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
नारीमहिमा (नारी की महिमा)।
प्रश्नः 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) समाजस्य किं नारी प्रगत्यधीना वर्तते? (समाज की क्या नारी की प्रगति के अधीन है?)
(ख) सुशिक्षिताः नार्यः किंवत् सर्वकार्यसक्षमा वर्तन्ते? (सुशिक्षित नारियाँ किसके समान सभी कार्य करने में सक्षम हैं?)
(ग) कस्याः अवहेलना राष्ट्रस्य विघाताय? (किसकी अवहेलना राष्ट्र की हानि है?)
(घ) नारीणाम् अवहेलनया कस्य पतनं संजातम्? (नारी की अवहेलना से किसका पतन हुआ है?)
उत्तराणि :
(क) प्रगतिः (उन्नति)
(ख) पंवत् (पुरुष के समान)
(ग) नार्याः (नारी की)
(घ) राष्ट्रस्य (राष्ट्र की)
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत। (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए।)
(क) अस्मिन् युगे नार्यः केषु क्षेत्रेषु कर्म कर्तुं समर्थाः वर्तन्ते?
(इस युग में नारियाँ किन क्षेत्रों में कार्य करने में समर्थ हैं?)
(ख) स्वतन्त्रताप्राप्त्यनन्तरं राष्ट्रियशासनं किम् अनुभवति?
(स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद राष्ट्रीय शासन क्या अनुभव करता है?)
(ग) राष्ट्रस्य पतनं कदा संजातम्? (राष्ट्र का पतन कब हुआ है?)
उत्तराणि :
(क) अस्मिन् युगे नार्यः राजनीती, राजकीयसेवासु अन्यक्षेत्रेषु वा कर्म कर्तुं समर्थाः वर्तन्ते ।
(इस युग में नारियाँ राजनीति में, राजकीय सेवाओं में अथवा अन्य क्षेत्रों में काम करने में समर्थ हैं।)
(ख) स्वतन्त्रताप्राप्त्यनन्तरं राष्ट्रियशासनं नारीशिक्षायाः महत्त्वं सम्यगनुभवति।
(स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद राष्ट्रीय शासन नारी शिक्षा के महत्त्व को भली-भाँति अनुभव करता है।)
(ग) यदा-यदा नारीणाम् अवहेलना कृता, राष्ट्रस्य पतनं संजातम्।
(जब-जब नारियों की अवहेलना की गई है, राष्ट्र का पतन हुआ है।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) “श्रेयसे समाजस्य नारीपूजा” वाक्ये कर्त-क्रिया-अन्वितिः कार्या।
(“नारी पूजा समाज के कल्याण के लिए” वाक्य में कर्ता और क्रिया का अन्वय कीजिए।)
(ख) ‘अपमानम्’ इत्यस्य शब्दस्य विलोमपदम् अनुच्छेदात् चिनुत। (अनुच्छेद से ‘अपमान’ शब्द का विलोम चुनिए।)
(ग) ‘जीवनस्य सर्वेषु क्षेत्रेषु’ वाक्यात् विशेषणपदं चिनुत। (‘जीवनस्य सर्वेषु क्षेत्रेषु’ वाक्य से विशेषण पद चुनिये।)
उत्तरम् :
(क) नारीपूजा समाजस्य श्रेयसे (नारी पूजा समाज के कल्याण के लिए)।
(ख) समादरः (सम्मान)
(ग) सर्वेषु (सभी)।
7. ‘स्वातन्त्र्यमेव जीवनम्’ इति ऊरीकृत्य ये केचन पुरुषाः अस्मिन् जगति समजायन्त, तेषु नेतृवरः सुभाषः एकतमः। यस्य प्रात:वन्दनीयस्य पावननामस्मरणेन जीवनं धन्यं भवति। जीवनचरितस्य यस्य प्रेरकसंस्मरणानि स्मृत्वा न केवलं चेतः समुल्लसति अपितु तस्य जीवनस्य प्रशस्तपथमनुसृत्य देशकृते मनसा वचसा कर्मणा सर्वमेव समर्पणस्य भावना समुद्जायते।। बाल्यकाले सुभाषः एंग्लोभारतीयानामेकस्मिन् विद्यालये शिक्षार्थं प्रवेशितः। अधीयानः सुभाषः सपद्येव आंग्लभाषायां प्रावीण्यमधिगतवान् । विद्यालये तस्मिन् अध्ययनरतेषु एंग्लोइंडियनबालकेषु भारतीयबालकेषु च समव्यवहारः नासीत्। तत्र अधीयानाः प्रावीण्यं च प्रकटयन्तः भारतीयाः बालकाः छात्रवृत्तिं प्राप्तुं नाधिकृताः आसन्। वर्गभेदेन इमे बालकाः प्रायः कलहायमानाः एव निवसन्ति स्म। स्वात्मकथायां सुभाषः खिन्नमनसा सर्वान् भारतीयछात्रान् विद्यालयेऽस्मिन् प्रवेशात् न्यवारयत्।
हिन्दी-अनुवाद – ‘स्वतन्त्रता ही जीवन है’ इस प्रकार स्वीकार कर जो कुछ पुरुष इस संसार में पैदा हुए हैं, उनमें से नेताजी सुभाषचन्द्र एक थे। जिनका प्रातः वन्दनीय पावन नाम का स्मरण करने से जीवन धन्य हो जाता है। जिनके जीवन-चरित्र के प्रेरक संस्मरणों को स्मरण कर न केवल मन प्रसन्न होता है, अपितु उनके जीवन के प्रशंसनीय मार्ग का अनुसरण करके देश के लिए मन, वाणी और कर्म से सब कुछ समर्पण की भावना उत्पन्न होती है। बचपन में सुभाष को एंग्लो-भारतीयों के एक विद्यालय में पढ़ने के लिए प्रवेश दिलाया गया। पढ़ते हुए सुभाष ने शीघ्र ही अंग्रेजी भाषा में दक्षता प्राप्त की। उस विद्यालय में पढ़ने वाले एंग्लो-इंडियन बालकों में और भारतीय बालकों में समान व्यवहार नहीं था। वहाँ पढ़ते हुए दक्षता को प्रकट करने वाले भारतीय बालक छात्रवृत्ति प्राप्त करने के अधिकारी नहीं थे। वर्गभेद के कारण ये बालक प्रायः झगड़ते ही रहते थे। अपनी आत्मकथा में सुभाष ने खिन्न मन से सभी भारतीय छात्रों को इस विद्यालय में प्रवेश लेने से रोका।
प्रश्न: 1.
अस्य गद्यांशस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
नेतृवरसुभाषस्य संस्मरणानि (नेताजी सुभाष के संस्मरण)।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम उत्तरपस्तिकायां लिखत- (एक शब्द में उत्तर उत्तरपस्तिका में लिखिए-)
(क) कस्य पावननामस्मरणेन जीवनं धन्यं भवति ?
(किसके पावन नाम का स्मरण करने से जीवन धन्य हो जाता है?)
(ख) बाल्यकाले सुभाष: कस्मिन् विद्यालये शिक्षार्थं प्रवेशितः?
(बचपन में सुभाष को किस विद्यालय में पढ़ने के लिए प्रवेश दिलाया गया?)
(ग) सुभाषः कस्यां भाषायां प्रावीण्यमधिगतवान् ?
(सुभाष ने किस भाषा में प्रवीणता प्राप्त की?)
(घ) सुभाषः भारतीयछात्रान् विद्यालयेऽस्मिन् कस्मात् न्यवारयत्?
(सुभाष ने भारतीय छात्रों को इस विद्यालय में किससे रोका?)
उत्तराणि :
(क) सुभाषस्य (सुभाष के)
(ख) एंग्लोभारतीयानाम् (एंग्लो-भारतीयों के)
(ग) आंग्लभाषायाम् (अंग्रेजी भाषा में)
(घ) प्रवेशात् (प्रवेश लेने से)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) किम् ऊरीकृत्य केचन पुरुषाः अस्मिन् जगति समजायन्त?
(क्या स्वीकार कर कुछ पुरुष इस संसार में पैदा हुए हैं?)
(ख) अधीयान: सुभाषः किम् अधिगतवान्? (पढ़ते हुए सुभाष ने क्या प्राप्त कर लिया?)
(ग) एंग्लोभारतीयानां विद्यालये भारतीयबालकैः सह कीदृशं व्यवहारम् आसीत्?
(एंग्लो-भारतीयों के विद्यालय में भारतीय बालकों के साथ कैसा व्यवहार था?)
उत्तराणि :
(क) ‘स्वातन्त्र्यमेव जीवनम्’ इति ऊरीकृत्य केचन पुरुषाः अस्मिन् जगति समजायन्त।
(‘स्वतन्त्रता ही जीवन है’ यह स्वीकार कर कुछ पुरुष इस संसार में पैदा हुए हैं।)
(ख) अधीयानः सुभाषः सपद्येव आंग्लभाषायां प्रावीण्यमधिगतवान्।।
(पढ़ते हुए सुभाष ने शीघ्र ही अंग्रेजी भाषा में प्रवीणता प्राप्त कर ली।)
(ग) एंग्लोभारतीयानां विद्यालये भारतीयबालकैः सह पक्षपातपूर्णव्यवहारः आसीत्।
(एंग्लो-भारतीयों के विद्यालय में भारतीय बालकों के साथ पक्षपातपूर्ण व्यवहार था।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) ‘पावननाम’ इति कस्य नाम्नः विशेषणः अस्ति? (‘पावन नाम’ यह किसके नाम का विशेषण है?)
(ख) “ते छात्रवृत्तिं प्राप्तुं नाधिकृताः आसन्” वाक्ये ‘ते’ इति सर्वनाम्नः स्थाने संज्ञाप्रयोगः कर्तव्यः।
(“वे छात्रवृत्ति प्राप्त करने के अधिकारी नहीं थे” वाक्य में ‘ते’ सर्वनाम के स्थान पर संज्ञा का प्रयोग कीजिए।)
(ग) ‘जीवनं धन्यं भवति’ इति वाक्ये ‘भवति’ क्रियापदस्य कर्ता कः?
(‘जीवनं धन्यं भवति’ वाक्य में ‘भवति’ क्रिया का कर्ता कौन है?)
उत्तरम् :
(क) सुभाषस्य (सुभाष के),
(ख) भारतीयाः बालकाः (भारतीय बालक)
(ग) जीवनम्।
8. पृथ्वीजलाकाशवनस्पतयः जीवाश्च पर्यावरणसर्जकाः सन्ति। प्रकृत्याः समग्रं रूपमेव पर्यावरणमिति कथ्यते। पर्यावरणेन अस्माकं शरीरं मनः स्वास्थ्यं च प्रभावितानि भवन्ति। वर्तमानकाले प्राकृतिकसंसाधनानाम् असन्तुलितदोहनेन औद्योगिकविस्तारेण चास्माकं मृद्वायुजलानि दूषितानि। अनेन न केवलं वयम् अपितु वृक्षलता-गुल्मवायुजलजीवाः सर्वेऽपि प्रभाविताः सन्ति । वृक्षवनस्पतीनां पशुपक्षिणां चानेकाः दुर्लभाः प्रजातयः विलुप्यन्ते। सघनवनानि नश्यन्ति। अस्माभिः प्रतिश्वासं विषपानं क्रियते। सततं क्रियमाणेन औद्योगिकीकरणेन पैट्रोलचालितवाहनैः च प्राणवायुः न्यूनतां प्राप्नोति, विषयुक्तः कार्बनडाइऑक्साइडवायुः वृद्धिम् आप्नोति। वायुप्रदूषणम् अम्लीयवर्षारूपेण परिणमति। विषयुक्तेन वायुना पृथिव्याम् ऊष्मा वृद्धिम् आप्नोति।
वायुप्रदूषणनिवारणाय वनस्पतीनां वनानां च संरक्षणं परमावश्यकम्। पर्यावरणविशेषज्ञमतानुसारेण भूभागस्य तृतीयांशः वनाच्छादितः भवेत्। – हिन्दी-अनुवाद-पृथ्वी, जल, आकाश, वनस्पति और जीव पर्यावरण के सर्जक हैं। प्रकृति का सम्पूर्ण रूप ही पर्यावरण कहा जाता है। पर्यावरण से हमारे शरीर, मन और स्वास्थ्य प्रभावित होते हैं। वर्तमान काल में प्राकृतिक संसाधनों के असन्तुलित दोहन से और औद्योगिक विस्तार से हमारे मृदा, वायु, जल दूषित हो रहे हैं। इससे न केवल हम अपितु वृक्ष, लता, पौधे, वायु, जल, जीव सभी प्रभावित हैं। वृक्षों की, वनस्पतियों की और पशु-पक्षियों की अनेक दुर्लभ प्रजातियाँ लुप्त हो रही हैं।
सघन वन नष्ट किये जा रहे हैं। हम प्रत्येक श्वास के साथ विषपान कर रहे हैं। सतत (निरन्तर) किये जाने वाले औद्योगिकीकरण से और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों से प्राणवायु (ऑक्सीजन) न्यून हो रही है (न्यूनता को प्राप्त कर रही है।)। विषयुक्त कार्बन डाइऑक्साइड वायु वृद्धि को प्राप्त हो रही है। वायु प्रदूषण अम्लीय वर्षा के रूप में परिणित हो रहा है। विषयुक्त वायु से पृथ्वी पर गर्मी वृद्धि को प्राप्त हो रही है। वायु प्रदूषण निवारण के लिए वनस्पति और वनों का संरक्षण परम आवश्यक है। पर्यावरण विशेषज्ञों के मतानुसार पृथ्वी का एक-तिहाई भाग वनों से आच्छादित (घिरा हुआ) होना चाहिए।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
पर्यावरणप्रदूषणम् (पर्यावरण प्रदूषण)।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) प्रकृत्याः समग्रं रूपमेव किम् कथ्यते? (प्रकृति का समग्र रूप ही क्या कहा जाता है?) ।
(ख) वयम् अपि प्रतिश्वासेन सह किं पिबामः? (हम सब भी प्रत्येक श्वास के साथ क्या पी रहे हैं?)
(ग) कस्य निवारणाय वनानां संरक्षणं परमावश्यकम्?
(किसके निवारण के लिए वनों का संरक्षण परम आवश्यक है?)
(घ) पर्यावरणविशेषज्ञमतानुसारेण भूभागस्य कियान अंशः वनाच्छादितः भवेत् ?
(पर्यावरण विशेषज्ञों के मतानुसार पृथ्वी का कितना भाग वनों से आच्छादित होना चाहिए?)
उत्तराणि :
(क) पर्यावरणम् (पर्यावरण)
(ख) विषम् (विष)
(ग) वायुप्रदूषणस्य (वायु प्रदूषण के)
(घ) तृतीयांशः (एक-तिहाई भाग)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) पर्यावरणसर्जकाः के सन्ति ? (पर्यावरण के सर्जक कौन हैं?)
(ख) पर्यावरणेन अस्माकं कानि प्रभावितानि भवन्ति? (पर्यावरण से हमारे क्या प्रभावित होते हैं?)
(ग) वर्तमानकाले केन कारणेन मृद्वायुजलानि दूषितानि?
(वर्तमान काल में किस कारण से मृदा, वायु और जल दूषित हो रहे हैं?)
उत्तराणि :
(क) पृथ्वीजलाकाशवनस्पतयः जीवाश्च पर्यावरणसर्जकाः सन्ति।
(पृथ्वी, जल, आकाश, वनस्पति और जीव पर्यावरण के सर्जक हैं।)
(ख) पर्यावरणेन अस्माकं शरीरं, मनः स्वास्थ्यं च प्रभावितानि भवन्ति।
(पर्यावरण से हमारे शरीर, मन और स्वास्थ्य प्रभावित होते हैं।)
(ग) वर्तमानकाले प्राकृतिकसंसाधनानाम् असन्तुलितदोहनेन औद्योगिकविस्तारेण चास्माकं मृद्वायुजलानि दूषितानि।
(वर्तमान काल में प्राकृतिक संसाधनों के असन्तुलित दोहन से और औद्योगिक विस्तार से हमारे मृदा, वायु और जल दूषित हो रहे हैं।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) “तस्याः समग्ररूपमेव पर्यावरणमिति कथ्यते” वाक्ये ‘तस्याः’ सर्वनाम्नः स्थाने संज्ञाप्रयोग: कार्यः।
(“उसका सम्पूर्ण रूप ही पर्यावरण कहा जाता है”-वाक्य में ‘उसका’ सर्वनाम के स्थान पर संज्ञा का प्रयोग कीजिए।)
(ख) ‘भाष्यते’ इत्यस्य पर्यायम् अनुच्छेदात् चिनुत । (‘भाष्यते’ शब्द का पर्याय अनुच्छेद से चुनिए।)
(ग) अनुच्छेदात् ‘सुलभाः’ इति पदस्य विलोमार्थकं पदं चिनुत।
(अनुच्छेद से ‘सुलभाः’ पद का विलोमार्थक का पद चुनिये।)
उत्तरम् :
(क) प्रकृत्याः (प्रकृति का)
(ख) कथ्यते (कहा जाता है)
(ग) दुर्लभाः।
9. लालबहादुरशास्त्रिमहोदयस्य नाम को न जानाति। पण्डित जवाहरलालनेहरूमहोदयस्य निधनान्तेऽयमेव भारतस्य प्रधानमन्त्री अभवत्। लालबहादुरशास्त्रिणो जन्म 1904 ख्रिस्ताब्दे अक्टूबरमासस्य द्वितीयदिनांके वाराणसीमण्डलान्तर्गते मुगलसरायनाम्नि नगरे निर्धनतमे परिवारे अभवत् । शास्त्रिण: शैशवकालः निर्धनतायामेव व्यतीतोऽभूत्। स्वावलम्बी शास्त्रिमहोदयः स्वीयानि वस्त्राणि स्वयमेव क्षालयति स्म, सर्वाणि कार्याणि स्वयमेव करोति स्म पदसञ्चलनेन अध्येतुं विद्यालयं गच्छति स्म च। अन्ये छात्राः नौकामारुह्य गंगां पारयन्ति स्म किञ्च निर्धनोऽयं स्वयमेव तीत्वा विद्यालयं गच्छति स्म। देशस्य स्वतन्त्रतायाः समर्थकोऽयं सत्वरमेव अध्ययनं परित्यज्य महात्मागान्धिमहाभागैः प्रायोजिते असहयोगान्दोलने सम्मिलितोऽभवत्। अनन्तरं स्वकीयमध्ययनं पूर्ण कर्तुं काशीविद्यापीठमगच्छत्। काशीविद्यापीठादेव ‘शास्त्री’ इति उपाधिं लब्धवान्।
हिन्दी-अनुवाद – लालबहादुर शास्त्री महोदय का नाम कौन नहीं जानता। पं. जवाहरलाल नेहरू महोदय की मृत्यु के बाद यही भारत के प्रधानमन्त्री बने। लालबहादुर शास्त्री का जन्म सन् 1904 ई. में अक्टूबर मास की 2 तारीख को, वाराणसी मण्डल के अन्तर्गत मुगलसराय नामक नगर में अत्यन्त निर्धन परिवार में हुआ था। शास्त्रीजी का बचपन निर्धनता में ही व्यतीत हुआ। स्वावलम्बी शास्त्री महोदय अपने वस्त्र स्वयं ही धोते थे, सभी कार्य स्वयं ही करते थे और पैदल चलकर पढ़ने के लिए विद्यालय जाते थे। अन्य छात्र नाव पर चढ़कर गंगा पार करते थे, किन्तु यह निर्धन स्वयं ही तैरकर विद्यालय जाते थे। देश की स्वतन्त्रता का समर्थन करने वाले यह (शास्त्रीजी) शीघ्र ही अध्ययन छोड़कर महात्मा गाँधी महोदय द्वारा चलाए गए असहयोग आन्दोलन में सम्मिलित हो गए। बाद में अपना अध्ययन पूर्ण करने के लिए काशी विद्यापीठ गए। काशी विद्यापीठ से ही ‘शास्त्री’ यह उपाधि प्राप्त की।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
श्रीलालबहादुरशास्त्री। (श्री लालबहादुर शास्त्री)
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) पं. जवाहरलालनेहरूमहोदयस्य निधनान्ते भारतस्य प्रधानमन्त्री कः अभवत् ?
(पं. जवाहरलाल नेहरू महोदय के निधन के बाद भारत का प्रधानमन्त्री कौन हुआ?)
(ख) शास्त्रिण: कः कालः निर्धनतायामेव व्यतीतोऽभूत् ?
(शास्त्री जी का कौन-सा समय निर्धनता में ही व्यतीत हुआ?)
(ग) लालबहादुरशास्त्रिमहोदयस्य ग्रामः कः आसीत् ?
(लालबहादुर शास्त्री महोदय का गाँव कौन-सा था?)
(घ) शास्त्री: देशस्य कस्याः समर्थकः आसीत् ?
(शास्त्री जी देश की किसके समर्थक थे?)
उत्तराणि :
(क) श्रीलालबहादरशास्त्री (श्री लालबहादुर शास्त्री)
(ख) शैशवकालः (बचपन)
(ग) मुगलसरायः (मुगलसराय)
(घ) स्वतन्त्रतायाः (स्वतन्त्रता के)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) लालबहादुरशास्त्रिणो जन्म कदा अभवत् ? (लालबहादुर शास्त्री का जन्म कब हुआ?)
(ख) लालबहादुरः स्वयमेव किं करोति स्म? (लालबहादुर स्वयं ही क्या करते थे?)
(ग) अध्ययनं परित्यज्य लालबहादुरः कुत्र सम्मिलितोऽभवत् ? (अध्ययन त्यागकर लालबहादुर कहाँ सम्मिलित हो गए?)
उत्तराणि :
(क) लालबहादुरशास्त्रिणो जन्म 1904 ख्रिस्ताब्दे अक्टूबरमासस्य द्वितीयदिनांके अभवत्।
(लालबहादुर शास्त्री का जन्म सन् 1904 ई. में अक्टूबर मास की दो तारीख को हुआ।)
(ख) लालबहादुरः स्वयमेव स्वीयानि वस्त्राणि क्षालयति स्म सर्वाणि कार्याणि च स्वयमेव करोति स्म।
(लालबहादुर स्वयं ही अपने वस्त्र धोते थे और सभी कार्य स्वयं ही करते थे।)
(ग) अध्ययनं परित्यज्य लालबहादुरः गान्धिमहाभागैः प्रायोजिते असहयोगान्दोलने सम्मिलितोऽभवत्।
(अध्ययन त्यागकर लालबहादुर गान्धी महोदय द्वारा चलाये गए असहयोग आन्दोलन में सम्मिलित हो गए।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) “क्षालयति स्म अयं स्वकीयानि वस्त्राणि” वाक्ये कर्तृ-क्रिया-अन्वितिः कार्या।
(“ये अपने वस्त्रों को धोते थे” वाक्य में कर्ता और क्रिया का अन्वय कीजिए।)
(ख) “अस्य जन्म परिवारे निर्धनतमे अभवत्” वाक्ये विशेषण-विशेष्य-अन्वितिः कार्या।
(“इनका जन्म अत्यन्त निर्धन परिवार में हुआ था” वाक्य में विशेषण और विशेष्य का अन्वय कीजिए।)
(ग) ‘मरणान्ते’ इति पदस्य अनुच्छेदात् चित्वा पर्याय पदं लिखत।
(‘मरणान्ते’ पद का पर्याय अनुच्छेद से चुनकर लिखिए।
उत्तराणि :
(क) अयं स्वकीयानि वस्त्राणि क्षालयति स्म। (ये अपने वस्त्रों को धोते थे।)
(ख) अस्य जन्म निर्धनतमे परिवारे अभवत्। (इनका जन्म अत्यन्त निर्धन परिवार में हुआ था।)
(ग) निधनान्ते (निधन के बाद)।
10. अस्माकं राजस्थान वीराणां जनको वर्तते। त्यागेन बलिदानेन च पूता अस्य भूमिः प्रणम्या। कवयः अपि काव्येषु अस्य गौरव-गीतानि गायन्ति। राजस्थानस्य वीराणां देशरक्षायै, स्वाभिमानं रक्षयितुञ्च कृतमात्मोसर्ग सगर्वं वदन्ति इतिहासविदः । राजस्थानस्य सभ्यतायाः उद्भवः विकासश्च अतिप्राचीनो वर्तते। कालीबंगा आहड़ादि स्थानेषु कृतेन उत्खननेन अस्याः सभ्यतायाः अस्तित्वं मोहनजोदड़ो-हड़प्पादिसभ्यतानां समकालिकं सिध्यति। पुरातात्विकसाक्ष्यैः सिध्यति यत् लक्षवर्षेभ्यः प्राक् राजस्थानस्य दक्षिणभागे बनासगम्भीरी बेड़चादिनदीनां च तटेषु निवासिनो मानवाः प्रस्तरयुगस्य आयुधैः मृगयां कुर्वन्ति स्म। प्रस्तरसभ्यतायाः चिह्नानि चर्मण्वत्यादिनदीनां समीये समुपलब्धानि। ऋग्वेदानुसारं राजस्थानीयस्य गंगानगरमण्डलस्य पूर्वस्यां सीमायां दृषद्वती सरित वहति स्म प्रतीच्यां च सरस्वती नदी अवहत। तस्मिन् समये अयं भू-भागः ब्रह्मावर्तनाम्ना कथ्यते स्म।
हिन्दी-अनुवाद – हमारा राजस्थान वीरों का जनक (उत्पन्न करने वाला) है। त्याग और बलिदान से पवित्र इसकी भूमि प्रणाम करने योग्य है। कवि भी काव्यों में इसके गौरव के गीत गाते हैं। देश की रक्षा के लिए और स्वाभिमान की रक्षा के लिए राजस्थान के वीरों द्वारा किए गए आत्मबलिदान को इतिहास के ज्ञाता गर्वपूर्वक बतलाते हैं। राजस्थान की सभ्यता का उद्भव और विकास अत्यन्त प्राचीन है। कालीबंगा, आहड़ आदि स्थानों पर की गई खुदाई से इस सभ्यता का अस्तित्व मोहनजोदड़ो, हड़प्पा आदि सभ्यताओं के समकालीन सिद्ध होता है। पुरातत्वविषयक प्रमाणों से सिद्ध होता है कि लाखों वर्ष पहले राजस्थान के दक्षिण भाग में बनास, गम्भीरी, बेड़च आदि नदियों के तटों पर निवास करने वाले मनुष्य पाषाणयुग के हथियारों से शिकार करते थे। पाषाण सभ्यता के चिह्न चम्बल आदि नदियों के समीप प्राप्त होते हैं। ऋग्वेद के अनुसार राजस्थान के गंगानगर मण्डल की पूर्वी सीमा में दृषद्वती नदी बहती थी और पश्चिम दिशा में सरस्वती नदी बहती थी। उस समय यह भू-भाग ब्रह्मावर्त नाम से कहा जाता था।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
अस्माकं राजस्थानम् (हमारा राजस्थान)।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम उत्तरपस्तिकायां लिखत – (एक शब्द में उत्तर उत्तरपस्तिका में लिखिए-)
(क) अस्माकं राजस्थानं केषां जनकः वर्तते ? (हमारा राजस्थान किनका जनक है?)
(ख) के काव्येषु राजस्थानस्य गौरव-गीतानि गायन्ति? (कौन काव्यों में राजस्थान के गौरव-गीत गाते हैं?)
(ग) कस्य सभ्यतायाः उद्भवः विकासश्च अतिप्राचीनो वर्तते?
(किस सभ्यता का उद्भव और विकास अत्यन्त प्राचीन है?)
(घ) गंगानगरमण्डलस्य पूर्वस्यां सीमायां का सरित् वहति स्म?
(गंगानगरमण्डल की पूर्वी सीमा में कौन-सी नदी बहती थी?)
उत्तराणि-
(क) वीराणाम् (वीरों का)
(ख) कवयः (कवि लोग)
(ग) राजस्थानस्य (राजस्थान के)
(घ) दृषद्वती (दृषद्वती)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) राजस्थानस्य विषये इतिहासविदः सगर्वं किं वदन्ति?
(राजस्थान के विषय में इतिहास के ज्ञाता गर्वपूर्वक क्या बतलाते हैं ?)
(ख) राजस्थानस्य सभ्यता कस्याः सभ्यतायाः समकालिकी सिध्यति?
(राजस्थान की सभ्यता किस सभ्यता के समकालीन सिद्ध होती है?)
(ग) लक्षवर्षेभ्यः प्राक् राजस्थानस्य दक्षिणभागे का: नद्यः वहन्ति स्म?
(लाखों वर्ष पहले राजस्थान के दक्षिण भाग में कौन-सी नदियाँ बहती थीं?)
उत्तराणि :
(क) राजस्थानस्य वीराणाम् आत्मोत्सर्गम् इतिहासविदः सगर्वं वदन्ति।
(राजस्थान के वीरों के आत्मबलिदान को इतिहास के ज्ञाता गर्व के साथ बतलाते हैं।)
(ख) राजस्थानस्य सभ्यता मोहनजोदड़ोहड़प्पादिसभ्यतानां समकालिकी सिध्यति।
(राजस्थान की सभ्यता मोहनजोदड़ो, हड़प्पा आदि सभ्यताओं के समकालीन सिद्ध होती है।)
(ग) लक्षवर्षेभ्यः प्राक् राजस्थानस्य दक्षिणभागे बनासगम्भीरीबेड़चादयः नद्यः वहन्ति स्म।
(लाखों वर्ष पहले राजस्थान के दक्षिण भाग में बनास-गम्भीरी-बेड़च आदि नदियाँ बहती थीं।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) “कवयः अस्य गौरवगीतानि गायन्ति” वाक्ये क्रिया का?
(“कवि इसके गौरव के गीत गाते हैं” वाक्य में क्रिया क्या है?)
(ख) ‘प्राप्तानि’ इत्यस्य शब्दस्य पर्यायम् अनुच्छेदात् चिनुत। (‘प्राप्त होते हैं’ शब्द का पर्याय अनुच्छेद से चुनिए।)
(ग) ‘काव्येषु अस्य गौरव-गीतानि गायन्ति।’ अस्य पदं कस्मै प्रयुक्तम्? – (‘काव्येषु अस्य गौरव-गीतानि गायन्ति।’ इस पद का प्रयोग किसलिए किया गया है?)
उत्तरम् :
(क) गायन्ति (गाते हैं)।
(ख) समुपलब्धानि (उपलब्ध होते हैं)
(ग) राजस्थानस्य।
11. भारतीयसंस्कृतौ मानवजीवनं चतुर्धा विभक्तं ब्रह्मचर्य, गृहस्थः, वानप्रस्थः संन्यासश्चेति। अनेन विभागेन ब्रह्मचर्य, गार्हस्थ्य, वानप्रस्थः, संन्यासश्चेति चत्वारः आश्रमाः सन्ति। ब्रह्मचर्याश्रमे बालकाः गुरोः समीपं गत्वा विद्यायाः अध्ययन कुर्वन्ति स्म। स एव कालः विद्यार्थिजीवनं कथ्यते। आधुनिकयुगे अपि छात्राः विद्यालयं गच्छन्ति तत्र पठन्ति च। विद्यार्थिनां जीवनाधारः अयमेव कालः।
विद्यार्थिजीवनम् अतिरमणीयम् अस्ति। मानवजीवनस्य कोऽपि भागः तादृशो नास्ति, यो विद्यार्थिजीवनस्य साम्यं कुर्यात् । एतस्मिन् बाल्यजीवने लवणतैलयोः चिन्ता न भवति नापि स्वपालनपोषणयोः। अस्मिन् काले बाल: चिन्तारहितः भवति। अधुना विद्यार्थिन: शुल्क दत्वा पठन्ति, परन्तु प्राचीनकाले विद्यार्थिनः गुरोः सेवां कृत्वा एव पठन्ति स्म। वर्तमानकालस्य विद्यार्थिजीवनं बाह्याडम्बरपूर्णमस्ति।
हिन्दी-अनुवाद – भारतीय संस्कृति में मानव जीवन चार भागों में विभाजित है- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। इस विभाग से ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास चार आश्रम हैं। ब्रह्मचर्य आश्रम में बालक गुरु के समीप जाकर विद्या का अध्ययन करते थे। वही समय विद्यार्थी जीवन कहलाता है। आधुनिक युग में भी छात्र विद्यालय जाते हैं और वहाँ पढ़ते हैं। विद्यार्थियों के जीवन का आधार यही समय है।
विद्यार्थी जीवन अति सुन्दर है। मानव जीवन का कोई भी भाग वैसा नहीं है जो विद्यार्थी जीवन की समानता कर सके। इस बाल जीवन में न नमक-तेल की चिन्ता होती है और न अपने पालन-पोषण क . स समय बालक चिन्तारहित होता है। आजकल विद्यार्थी शुल्क देकर पढ़ते हैं परन्तु प्राचीन समय में विद्यार्थी गुरु की सेवा करके ही पढ़ते थे। वर्तमान समय का विद्यार्थी जीवन बाहरी आडम्बरों से पूर्ण है।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
विद्यार्थिजीवनम् (विद्यार्थी जीवन)।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(को भारतीयसंस्कतौ कति आश्रमाः सन्ति? (भारतीय संस्कति में कितने आश्रम हैं?)
(ख) विद्यार्थिनां जीवनाधारः कः कालः अस्ति? (विद्यार्थियों के जीवन का आधार कौन-सा समय है।)
(ग) किं जीवनं चिन्तारहितं भवति? (कौन-सा जीवन चिन्तारहित होता है?)
(घ) अधुना विद्यार्थिनः किं दत्वा पठन्ति? (आजकल विद्यार्थी क्या देकर पढ़ते हैं?)
उत्तराणि :
(क) चत्वारः (चार),
(ख) ब्रह्मचर्यम् (ब्रह्मचर्य),
(ग) विद्यार्थिजीवनम् (विद्यार्थी जीवन),
(घ) शुल्कम् (शुल्क)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) चत्वारः आश्रमाः के सन्ति? (चार आश्रम कौन-से हैं?)
(ख) ब्रह्मचर्याश्रमे बालकाः किं कुर्वन्ति? (ब्रह्मचर्य आश्रम में बालक क्या करते हैं?)
(ग) बाल्यजीवने का चिन्ता न भवति? (बालजीवन में किसकी चिन्ता नहीं होती है?)
उत्तराणि :
(क) ब्रह्मचर्य, गार्हस्थ्यंः, वानप्रस्थः संन्यासश्चेति चत्वारः आश्रमाः सन्ति।
(ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास ये चार आश्रम हैं।)
(ख) ब्रह्मचर्याश्रमे बालकाः गुरोः समीपं गत्वा विद्यायाः अध्ययनं कुर्वन्ति।
(ब्रह्मचर्य आश्रम में बालक गुरु के समीप जाकर विद्या का अध्ययन करते हैं।)
(ग) बाल्यजीवने लवणतैलयोः स्वपालनपोषणयोः च चिन्ता न भवति।
(बालजीवन में नमक-तेल की और अपने पालन-पोषण की चिन्ता नहीं होती है।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-).
(क) “अस्ति जीवनाधारः अयमेव कालः” वाक्ये कर्तृ-क्रिया-अन्वितिः कार्या।
(“जीवन का आधार यही समय है” वाक्य में कर्ता और क्रिया का अन्वय कीजिए।)
(ख) ‘सरलम्’ इत्यस्य शब्दस्य विलोमपदम् अनुच्छेदात् चिनुत। ..
(‘सरल’ शब्द का विलोम शब्द अनुच्छेद से चुनिए।)
(ग) ‘प्राचीन काले’ इति पदयोः किं विशेषणपदम्?
(‘प्राचीन काले’ इन दोनों पदों में विशेषण पद क्या है?)
उत्तरम् :
(क) अयमेव काल: जीवनाधारः अस्ति (यही समय जीवन का आधार है)।
(ख) बाह्याडम्बरपूर्णम् (बाहरी. आडम्बरों से पूर्ण)।
(ग) प्राचीनः।
12. हिन्दी भाषायामस्माकं राष्ट्रस्य गौरवं सन्निहितं विद्यते। कोऽपि देशः यदा स्वभाषया व्यवहरति, तदैव तस्य गौरवं महत्त्वञ्च सुरक्षितं भवति। किन्तु यदा देश: मातृसमां स्वभाषाम् अनादृत्य अन्यदेशस्य भाषया व्यवहारं करोति तदा मानसिक दास्यमेव स्वीक्रियते स्वातन्त्र्यप्रेमिभिः। अत: भारतीयैः स्वराष्ट्रभाषायै एव महत्त्वं देयम्। अद्य भारते कथ्यते कैश्चित् जनैः यद् हिन्दीभाषा अन्तर्राष्ट्रीयव्यवहाराय समर्था नास्ति। परं तैः स्मर्तव्यं यदियं भाषा अन्तर्राष्ट्रीयव्यवहाराय समर्थाऽस्ति सर्वभावेन। हिन्दीभाषायाः विद्वांसः सर्वेषु एव देशेषु विद्यन्ते। महद्दुःखमद्य तु इदं यत् भारतीयाः आंग्लभाषायाः ज्ञानद्वारा आत्मानं ख्यापयन्ति, कृतकृत्यतामनुभवन्ति। बुद्धौ भ्रमपूर्णः अयं विचारः रूढः सज्जातोऽस्ति यद् हिन्दीभाषया जीवने कापि उन्नतिः प्राप्तुं न शक्यते। अस्मिन् विषये अस्माभिः अन्ये: देशाः अवलोकनीयाः यैः ईदृशाः हीनाः विचाराः सर्वथा परित्याज्याः।
हिन्दी-अनुवाद – हिन्दी भाषा में हमारे राष्ट्र का गौरव टिका हुआ है। कोई भी देश जब अपनी भाषा में व्यवहार करता है तभी उसका गौरव और महत्त्व सुरक्षित होता है। किन्तु जब देश माता के समान अपनी भाषा का अनादर कर अन्य देश की भाषा में व्यवहार करता है तब स्वतन्त्रता के प्रेमियों के द्वारा मानसिक दासता ही स्वीकार की जाती है। इसलिए भारतीय लोगों को अपनी राष्ट्रभाषा को ही महत्त्व देना चाहिए। आज भारत में कुछ लोग कहते हैं कि हिन्दी भाषा अन्तर्राष्ट्रीय व्यवहार के लिए योग्य नहीं है। परन्तु उन्हें यह याद रखना चाहिए कि हिन्दी भाषा अन्तर्राष्ट्रीय व्यवहार के लिए सब प्रकार से समर्थ है।
हिन्दी भाषा के विद्वान लोग सब देशों में विद्यमान हैं। आज बड़ा दुःख तो यह है कि भारतीय लोग अंग्रेजी भाषा के ज्ञान द्वारा स्वयं को बखानते हैं और कृतकृत्य अनुभव करते हैं। उनकी बुद्धि में यह भ्रमपूर्ण विचार घर कर गया है कि हिन्दी भाषा से जीवन में कोई भी उन्नति प्राप्त नहीं की जा सकती। इस विषय में हमारे द्वारा अन्य देश देखने योग्य हैं जिनके द्वारा ऐसे हीन विचार को सदैव त्यागने योग्य हैं।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
राष्ट्रभाषा हिन्दी (राष्ट्रभाषा हिन्दी)।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) अस्माकं राष्ट्रस्य गौरवं कुत्र सन्निहितं विद्यते? (हमारे राष्ट्र का गौरव किसमें टिका हुआ है?).
(ख) भारतीयैः कस्यै महत्त्वं देयम् ? (भारतीयों को किसके लिए महत्त्व देना चाहिए?)
(ग) भारतीया: कां भाषां विना जीवने उन्नतिं प्राप्तुं न शक्नुवन्ति?
(भारतीय किस भाषा के बिना जीवन में उन्नति प्राप्त नहीं कर सकते हैं?)
(घ) मानसिकदास्यं कैः स्वीक्रियते? (मानसिक दासता किनके द्वारा स्वीकार की जाती है?)
उत्तराणि :
(क) हिन्दी भाषायाम् (हिन्दी भाषा में),
(ख) स्वराष्ट्रभाषायै (अपनी राष्ट्रभाषा के लिए),
(ग) हिन्दीभाषाम् (हिन्दी भाषा के)
(घ) स्वातन्त्र्यप्रेमिभिः (स्वतन्त्रता के प्रेमियों के द्वारा)।
प्रश्न: 3. पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) कस्यापि देशस्य गौरवं कदा सुरक्षितं भवति? (किसी भी देश का गौरव कब सुरक्षित होता है?)
(ख) अद्य केचन भारतीयाः किं कथयन्ति? (आज कुछ भारतीय लोग क्या कहते हैं?) ।
(ग) अद्य हिन्दीभाषायाः विद्वांसः कुत्र विद्यन्ते? (आज हिन्दी भाषा के विद्वान लोग कहाँ विद्यमान हैं?)
उत्तराणि :
(क) कोऽपि देशः यदा स्वभाषया व्यवहरति तदैव तस्य गौरवं सुरक्षितं भवति।
(कोई भी देश जब अपनी भाषा में व्यवहार करता है तभी उसका गौरव सुरक्षित होता है।)
(ख) अधः केचन भारतीयाः कथयन्ति यत् हिन्दीभाषा अन्तर्राष्ट्रीयव्यवहारार्थं नैव क्षमा।
(आज कुछ भारतीय लोग कहते हैं कि हिन्दी भाषा अन्तर्राष्ट्रीय व्यवहार के लिए योग्य नहीं है।)
(ग) अद्य हिन्दीभाषायाः विद्वांसः सर्वेषु एव देशेषु विद्यन्ते।
(आज हिन्दी भाषा के विद्वान् लोग सब देशों में ही विद्यमान हैं।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) “अस्यां भारतवर्षस्य गौरवं सन्निहितम्” वाक्ये ‘अस्यां’ सर्वनाम्नः स्थाने संज्ञाप्रयोगः कर्तव्यः।
(“इसमें भारतवर्ष का गौरव टिका हुआ है” वाक्य में ‘इसमें सर्वनाम के स्थान पर संज्ञा का प्रयोग कीजिए।)
(ख) ‘आदृत्य’ इत्यस्य शब्दस्य विलोमपदम् अनुच्छेदात् चिनुत ।
(‘आदर करके’ शब्द का विलोम शब्द अनुच्छेद से चुनिए।)
(ग) ‘राष्ट्रस्य गौरवं सन्निहितं विद्यते’ अत्र ‘विद्यते’ इति क्रियापदस्य कर्तृपदं लिखत।
(‘राष्ट्रस्य गौरवं सन्निहितं विद्यते’ यहाँ विद्यते क्रिया पद का कर्ता पद लिखिए।)
उत्तरम् :
(क) हिन्दीभाषायाम् (हिन्दी भाषा में)।
(ख) अनादृत्य (अनादर करके)
(ग) गौरवम्।
13. रामायणं मम अभीष्टतमः ग्रन्थः। अस्य लौकिककाव्यस्य प्रादुर्भावः वैदिकवाङ्मयानन्तरम् अभवत् । रामायण लौकिकं संस्कृतभाषानिबद्धमयम् आदिकाव्यम् इति कथ्यते। अस्य ग्रन्थस्य रचना आदिकविना वाल्मीकिना कृता। अस्मिन् महाकाव्ये भगवतो रामचन्द्रस्य चरितं. वर्णितं वर्तते। अस्मिन् काव्ये सप्तकाण्डानि सन्ति। दशरथनन्दनो रामो मानवतायाः
आदर्शभूतः।
त्रेतायुगे जातस्य परमादर्शभूतस्य रघुवंशस्य विविधाः कथाः जनैः सावधानतया कथ्यन्ते श्रूयन्ते च। महर्षिणा वाल्मीकिना रघुवंशचूडामणे: श्रीरामभद्रस्य सर्वा कथा रामायणे विलिखिता। बालकाण्डत: उत्तरकाण्डावधिः श्रीरामचन्द्रस्य कथा मुनिना रामायणे विलिखिता। रसस्य परिपाकः, अलङ्काराणां विन्यासः लौकिकछन्दांसि च रामायणे सर्वोत्कृष्टत्वं प्राप्नुवन्ति।
हिन्दी-अनुवाद – रामायण मेरा सबसे प्रिय ग्रन्थ है। इस लौकिक काव्य का उदय वैदिक भाषा के बाद हुआ। रामायण लौकिक संस्कृत भाषा में लिखा गया आदिकाव्य है, ऐसा कहा जाता है। इस ग्रन्थ की रचना आदिकवि वाल्मीकि जी के द्वारा की गई। इस महाकाव्य में भगवान् रामचन्द्र का चरित्र वर्णन किया गया है। इस काव्य में सात काण्ड हैं। दशरथ के पुत्र राम मानवता के आदर्श थे।
त्रेता युग में हुए परमादर्श स्वरूप रघुवंश की विभिन्न कथाएँ लोगों द्वारा सावधानी से कही जाती हैं और सुनी जाती हैं। महर्षि वाल्मीकि जी के द्वारा रघुवंश के शोभा स्वरूप श्री रामचन्द्र की सम्पूर्ण कथा रामायण में लिखी गई है। बालकाण्ड से उत्तरकाण्ड तक श्री रामचन्द्र की कथा मुनि के द्वारा रामायण में लिखी गई है। रस परिपाक, अलंकारों का विन्यास और लौकिक छन्द रामायण में सर्वश्रेष्ठता को प्राप्त करते हैं।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं देयम्। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक दीजिए।
उत्तरम् :
रामायणम् (रामायण)।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए।)
(क) लेखकस्य अभीष्टतमः ग्रन्थः किम्? (लेखक का सबसे प्रिय ग्रन्थ क्या है?)
(ख) आदिकाव्यं किम् अस्ति? (आदिकाव्य क्या है?)
(ग) रामायणस्य रचना केन कृता? (रामायण की रचना किसके द्वारा की गई?)
(घ) रामायणे कति काण्डानि सन्ति? (रामायण में कितने काण्ड हैं?)
उत्तराणि :
(क) रामायणम् (रामायण)
(ख) रामायणम् (रामायण है),
(ग) वाल्मीकिना (वाल्मीकि जी के द्वारा),
(घ) सप्त (सात)।
प्रश्न: 3. पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) रामायणस्य प्रादुर्भाव: कदा अभवत् ? (रामायण का उदय कब हुआ?)
(ख) रामायणे कस्य चरितं वर्णितम् अस्ति? (रामायण में किसका चरित्र वर्णन किया गया है?)
(ग) काः कथाः जनैः सावधानतया श्रूयन्ते? (कौन-सी कथाएँ लोगों द्वारा सावधानी से सुनी जाती हैं?)
उत्तराणि :
(क) रामायणस्य प्रादुर्भावः वैदिकवाङ्मयानन्तरम् अभवत्। (रामायण का उदय वैदिक भाषा के बाद हुआ।)
(ख) रामायणे भगवतो रामचन्द्रस्य चरितं वर्णितम् अस्ति। (रामायण में भगवान् रामचन्द्र का चरित्र वर्णन किया गया है।)
(ग) त्रेतायुगे जातः रघुवंशस्य विविधाः कथाः जनैः सावधानतया श्रूयन्ते। .
(त्रेतायुग में हए रघवंश की विभिन्न कथाएँ लोगों द्वारा सावधानी से सनी जाती हैं।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) “रामायणम् आदिकाव्यं कथ्यते” वाक्ये क्रिया का?
(“रामायण आदिकाव्य कहा जाता है” वाक्य में क्रिया क्या है?)
(ख) “ग्रन्थः अस्ति मम अभीष्टतमः रामायणम्” वाक्ये कर्तृ-क्रिया-अन्वितिः कार्या।
(“ग्रंथ है मेरा सबसे प्रिय रामायण” वाक्य में कर्ता और क्रिया का अन्वय कीजिए।)
(ग) ‘रामायणं मम अभीष्टतमः ग्रन्थः’ इति वाक्ये ग्रंथस्य विशेषण पदं किम्?
(‘रामायणं मम अभीष्टतमः ग्रन्थः’ वाक्य में ग्रन्थ का विशेषण पद क्या है?)
उत्तराणि :
(क) कथ्यते (कहा जाता है)।
(ख) रामायणं मम अभीष्टतमः ग्रन्थः अस्ति (रामायण मेरा सबसे प्रिय ग्रन्थ है)।
(ग) अभीष्टतमः (सर्वोत्तम)
14. संसारे अनेकाः ऋतवः भवन्ति, किन्तु भारतवर्षे षड्ऋतवः प्रमुखाः सन्ति। तासां नामानि वसन्तः, ग्रीष्मः, वर्षा, शरद्, हेमन्तः, शिशिरः सन्ति। एतासु ऋतुषु वर्षाः अति महत्वम् अस्ति यतो हि भारतदेशः एकः कृषिप्रधानदेशः अस्ति। भारतवर्षस्य कृषकाः ग्रामेषु एव वसन्ति। ते वर्षायाम् एव निर्भराः भवन्ति। ग्रीष्मतापेन सन्तप्तोऽयं लोकः वर्षासमये सुखानुभवं करोति। कृषका: बलीवर्दान् संयोज्य क्षेत्रकर्षणमारभन्ते। क्षेत्रेषु एव भूरि शस्यं प्रजायते। सुवृष्ट्या मानवस्य जीवनं निर्विघ्नं प्रचलति। फल-पुष्प-लता-पादपादयः वनस्पतयः प्रसन्नतामभिव्यञ्जयन्ति। सायसमये गावः वनात् प्रतिनिवृत्य गोष्ठमुपगच्छन्ति। युवतयः वृक्षशाखासु दोलानन्दम् अनुभवन्ति। ब्रजस्थमन्दिरेषु ‘घटाच्छटादर्शनम्’ सज्जा प्रारभ्यते। वृन्दावने तु सर्वत्र रासलीलादर्शनं भवति।
हिन्दी-अनुवाद – संसार में अनेक ऋतुएँ होती हैं लेकिन भारतवर्ष में छः ऋतुएँ प्रमुख हैं। उनके नाम हैं-वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर। इन ऋतुओं में वर्षा का अति महत्त्व है क्योंकि भारतदेश एक कृषि प्रधान देश है। भारत के किसान गाँवों में ही रहते हैं। वे वर्षा पर ही निर्भर होते हैं। गर्मी के ताप से तपा हुआ यह संसार वर्षा के समय में सुख का अनुभव करता है। किसान बैलों को जोड़कर खेत जोतना प्रारम्भ करते हैं। खेतों में खूब अन्न उत्पन्न होता है। अच्छी वर्षा से मनुष्य का जीवन निर्विघ्न चलता है। फल-फूल-बेल-पौधे आदि वनस्पतियाँ प्रसन्नता व्यक्त करती हैं। सन्ध्या के समय गायें वन से लौटकर गौशाला में जाती हैं। युवतियाँ वृक्षों की शाखाओं पर झूले के आनन्द का अनुभव करती हैं। ब्रज के मन्दिरों में ‘घटाच्छटादर्शन’ (‘अनेक रंगों की घटाओं के प्रदर्शन की शोभा’) की सजावट प्रारम्भ हो जाती है। वृन्दावन धाम में तो ‘सब जगह रासलीला के दर्शन होते हैं।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
वर्षाकालः (वर्षा ऋतु का समय)।
प्रश्नः 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) भारतवर्षे कति ऋतवः प्रमुखाः सन्ति? (भारतवर्ष में कितनी ऋतुएँ प्रमुख हैं?)
(ख) भारतदेशः कीदृशः देशोऽस्ति? (भारत देश कैसा देश है?)
(ग) भारतदेशस्य कृषकाः कुत्र निवसन्ति? (भारत देश के किसान कहाँ रहते हैं?)
(घ) रासलीलायाः दर्शनं कुत्र भवति? (रासलीला के दर्शन कहाँ होते हैं ?)
उत्तराणि :
(क) षड्ऋतवः (छः ऋतुएँ),
(ख) कृषिप्रधानः (कृषि की प्रधानता वाला),
(ग) ग्रामेषु (गाँवों में),
(घ) वृन्दावने (वृन्दावन धाम में)।
प्रश्न: 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) षड्ऋतवः काः सन्ति? (छः ऋतुएँ कौन-सी हैं?)
(ख) अयं लोकः कदा सुखानुभवं करोति? (यह लोक कब सुख का अनुभव करता है?)
(ग) वर्षाकाले कृषकाः किं कुर्वन्ति ? (वर्षा के समय में किसान क्या करते हैं?)
उत्तराणि :
वसन्तः, ग्रीष्मः, वर्षा, शरद्, हेमन्तः शिशिरः च षड्ऋतवः सन्ति।
(वसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर छः ऋतुएँ हैं।)
(ख) ग्रीष्मतापेन सन्तप्तोऽयं लोकः वर्षासमये सुखानुभवं करोति।
(गर्मी के ताप से तपा हुआ यह संसार वर्षा के समय में सुख का अनुभव करता है।)
(ग) वर्षाकाले कृषकाः बलीवर्दान् संयोज्य क्षेत्रेषु कर्षणमारभन्ते।
(वर्षा के समय में किसान बैलों को जोड़कर खेत जोतना प्रारम्भ करते हैं।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) ‘ग्रीष्मः’ शब्दस्य विपरीतार्थकः शब्दः अत्र कः? (‘ग्रीष्म ऋतु’ शब्द का विलोम शब्द यहाँ क्या है?)
(ख) “कषकाः वर्षायामेव निर्भराः भवन्ति” वाक्ये ‘कषकाः’ इति संजाया म
(‘किसान लोग वर्षा पर ही निर्भर होते हैं’ वाक्य में ‘किसान लोग’ संज्ञा के स्थान पर सर्वनाम का प्रयोग कीजिए।)
(ग) ‘संसारे अनेकाः ऋतवः भवन्ति’ एतेषु पदेषु किं विशेष्यपदम?
(‘संसारे अनेकाः ऋतवः भवन्ति’ इन पदों में विशेष्य पद क्या है?)
उत्तरम् :
(क) शिशिरः (जाड़ा ऋतु)।
(ख) ते (वे सब)
(ग) ऋतवः (ऋतुएँ)।
15. अस्माकं देशः कृषिप्रधान: देशोऽस्ति। ग्रामेषु एव कृषिकर्म भवति यतोहि अत्र देशस्य बहुसंख्यकाः मनुष्याः ग्रामेषु एव वसन्ति। ग्रामवासिनां जीवन सुखमयं भवति । प्रकृत्याः मनोरमरूपं ग्रामवासिनेभ्यः प्रसन्नतां ददाति। कुत्रचित् हरितशस्यमयी स्थली शोभते, क्वचित् च हरितानि क्षेत्राणि राजन्ते। वृक्षाः शोभया, पवनः स्वसुगंधिना पुष्पाणि च रूपेण ग्रामवासिनां मनोरञ्जनं कुर्वन्ति। पक्षिणां मधुरः कलरवः कर्णयोः मधुधारां सिञ्चति। उपवनानां शोभा ग्रामवासिनां जीवने सरसतायाः मधुरतायाः च संचारं करोति । क्वचित् पुष्पाणि विकसन्ति तु क्वचित् गुञ्जन्तो भ्रमराः पुष्पेषु भ्रमन्ति तेषां मधु च पिबन्ति । ग्राम परितः क्षेत्राणि पीतपुष्पैः ग्रामवासिनां मनांसि मोहयन्ति। ग्रामीणजनाः प्रकृतेः क्रोडे वर्धन्ते। स्वच्छ: पवनः, दिनकरस्य रश्मय, . पवित्रं स्वच्छं च जलं ग्रामीणजनानां स्वास्थ्यं वर्धयन्ति।
हिन्दी-अनुवाद – हमारा देश कृषि प्रधान देश है। गाँवों में ही खेती का कार्य होता है, क्योंकि यहाँ देश के अधिकांश मनुष्य गाँवों में ही रहते हैं। ग्रामवासियों का जीवन सुखमय होता है। प्रकृति का मनोरम रूप ग्रामवासियों को प्रसन्नता देता है। कहीं हरी-अन्नमय धरती सुशोभित होती है और कहीं हरे खेत विराजमान हैं। वृक्ष शोभा के द्वारा, हवा अपनी सुगन्ध के द्वारा और फूल रूप के द्वारा ग्रामीणों का मनोरंजन करते हैं। पक्षी मधुर कलरव से कानों को मधु की धारा से सींचते हैं। उपवनों की शोभा ग्रामवासियों के जीवन में सरसता और मधुरता का सञ्चार करती है। कहीं फूल खिलते हैं तो कहीं गूंजते हुए भौरे फूलों पर घूमते हैं और उनका मधु पीते हैं। गाँव के चारों ओर खेतों में पीले पुष्प ग्रामवासियों के मन को मोहते हैं। ग्रामीणजन प्रकृति की गोद में बढ़ते हैं। स्वच्छ वायु, सूर्य की किरणें, पवित्र और स्वच्छ जल ग्रामीणजनों के स्वास्थ्य को बढ़ाते हैं।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
ग्राम्यजीवनम् (गाँवों का जीवन)।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) अस्माकं देशः कीदृशो देशोऽस्ति? (हमारा देश कैसा देश है?)
(ख) कृषिकर्म कुत्र भवति? (कृषिकार्य कहाँ होता है?)
(ग) पुष्पेषु के भ्रमन्ति? (फूलों पर कौन घूमते हैं?)
(घ) ग्रामवासिनां जीवनं कीदृशं भवति? (ग्रामवासियों का जीवन कैसा होता है?)
उत्तराणि-(क) कृषिप्रधानः (कृषि की प्रधानता वाला),
(ख) ग्रामेषु (गाँवों में),
(ग) भ्रमराः (भौंरे),
(घ) सुखमयम् (सुख से युक्त)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) ग्रामेषु क्षेत्रेषु के राजन्ते? (गाँवों में खेतों में क्या सुशोभित होते हैं?)
(ख) ग्रामवासिनां मनोरञ्जनं के कुर्वन्ति? (ग्रामवासियों का मनोरंजन कौन करते हैं?)
(ग) उपवनानां शोभा किं करोति? (उपवनों की शोभा क्या करती है?)
उत्तराणि :
(क) ग्रामेषु क्षेत्रेषु हरितशस्यमयी स्थली हरितानि क्षेत्राणि च राजन्ते।
(गाँवों में खेतों में हरी अन्नमय धरती और हरे खेत सुशोभित होते हैं।)
(ख) वृक्षाः शोभया, पवनः स्वसुगन्धिना पुष्पाणि च रूपेण ग्रामवासिना मनोरंजनं कुर्वन्ति।
(वृक्ष शोभा के द्वारा, हवा अपनी सुगन्ध के द्वारा और फूल रूप के द्वारा ग्रामवासियों का मनोरंजन करते हैं।)
(ग) उपवनानां शोभा ग्रामवासिनां जीवने सरसतायाः मधुरतायाश्च संचारं करोति।
(उपवनों की शोभा ग्रामवासियों के जीवन में सरसता और मधरता का संचार करती है।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) ‘अंके’ इत्यस्य शब्दस्य पर्यायम् अनुच्छेदात् चिनुत। (अनुच्छेद से ‘गोद में’ शब्द का पर्याय चुनिए।)
(ख) “अस्माकं देश: कृषिप्रधानः देशोऽस्ति” वाक्ये कर्ता कः?
(‘हमारा देश कृषि प्रधान देश है’ वाक्य में कर्ता कौन है?)
(ग) ‘हरितानि क्षेत्राणि राजन्ते’ इत्यस्मिन् वाक्ये किं विशेषणं पदम्?
(‘हरितानि क्षेत्राणि राजन्ते’ इस वाक्य में विशेषण पद क्या है?)
उत्तरम् :
(क) क्रोडे (गोद में)।
(ख) अस्माकं देशः (हमारा देश)
(ग) हरितानि (हरे-भरे)।
16. एकः चञ्चलः काकः अस्ति। पर्यटने तस्य महती रुचिः अस्ति। कदाचित् सः वृक्षाग्रे तिष्ठति, कदाचित् विद्युत्स्तम्भाग्रे, कदाचित् गृहपृष्ठे च। यथारुचि खादन् जलं च पिबन् सः भ्रमति। रात्रौ निम्बवृक्षे स्थितं स्वनीडम् आगत्य विश्रामं करोति। एकदा ग्रीष्मे सः स्वनिवासस्थानात् सुदूरं निर्गच्छति। सुदूरम् उड्डयनात् पिपासया व्याकुलः सः इतस्ततः भ्रमति। जलम् अन्वेषयति किन्तु कुत्रापि जलंन प्राप्नोति। एकस्य वृक्षस्य अधः निक्षिप्तम् एकं घटं पश्यति।
घटं दृष्ट्वा तस्य उत्साहः जायते। घटसमीपम् आगत्य सः चञ्च्वा जलं प्राप्तुं प्रयतते, किन्तु हन्त! घटे अल्पं जलम् अस्ति। चञ्च्चा तत् पातुं न शक्यते। पिपासया व्याकुलः अपि सः धैर्य न मुञ्चति। इतस्ततः पश्यन् सः लघुशिलाखण्डानाम् एकं स्तूपं पश्यति। किंचिद् विचार्य चञ्च्चा कानिचित् लघुशिलाखण्डानि आदाय सः घटे शनैः शनैः निक्षिपति। जलम् उपरि आगच्छति। आतृप्तिं जलं पीत्वा सः अभिमतदिशं गच्छति।
हिन्दी-अनुवाद – एक चञ्चल कौआ था। भ्रमण में उसकी बहुत रुचि है। कभी वह वृक्ष के अग्रभाग पर बैठता है, कभी बिजली के खम्भे के अग्रभाग पर और कभी घर की छत पर। इच्छानुसार खाता हुआ और पानी पीता हुआ वह भ्रमण करता है। रात में नीम के पेड़ पर स्थित अपने घोंसले में आकर विश्राम करता है। एक दिन गर्मी में वह अपने निवास स्थान से अत्यधिक दूर निकल जाता है। अत्यधिक दूर उड़ने से प्यास से व्याकुल हुआ वह इधर-उधर घूमता है। जल ढूँढ़ता है किन्तु कहीं भी जल प्राप्त नहीं होता है। एक वृक्ष के नीचे रखे एक घड़े को देखता है।
घड़े को देखकर उसका उत्साह पैदा हो जाता है। घड़े के समीप आकर वह चोंच से जल प्राप्त करने का प्रयत्न करता है, किन्तु खेद! घड़े में जल थोड़ा है। चोंच से उसे नहीं पा सकता है। प्यास से व्याकुल हुआ भी वह धैर्य नहीं त्यागता है। इधर-उधर देखते हुए वह कंकड़ों का एक ढेर देखता है। कुछ विचारकर चोंच से कुछ कंकड़ लेकर वह घड़े में धीरे-धीरे डालता है। पानी ऊपर आ जाता है। तृप्ति होने तक जल पीकर वह इच्छित दिशा को चला जाता है।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
चतुरः काकः (चतुर कौआ)।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत। (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए।)
(क) एकः कः अस्ति? (एक कौन है?)
(ख) रात्रौ काकः कुत्र आगत्य विश्रामं करोति? (रात में कौआ कहाँ आकर विश्राम करता है?)
(ग) काकः कया व्याकुलः अभवत् ? (कौआ किससे व्याकुल हो गया?)
(घ) काकः कुत्रापि किं न प्राप्नोति? (कौआ कहीं भी क्या प्राप्त नहीं करता है?)
उत्तराणि :
(क) काकः (कौआ)
(ख) स्वनीडम् (अपने घोंसले में)
(ग) पिपासया (प्यास से)
(घ) जलम् (पानी)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत। (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए।)
(क) काकः कुत्र तिष्ठति ? (कौआ कहाँ बैठता है?)
(ख) एकदा काकः कुत्र निर्गच्छति? (एक बार कौआ कहाँ निकल जाता है?)
(ग) काकः इतस्ततः कथं भ्रमति? (कौआ इधर-उधर किसलिए घूमता है?)
उत्तराणि
(क) काकः कदाचित् वृक्षाग्रे, कदाचित् विद्युत्स्तम्भाग्रे कदाचित् गृहपृष्ठे च तिष्ठति।
(कौआ कभी वृक्ष के अग्रभाग पर, कभी बिजली के खम्भे पर और कभी घर की छत पर बैठता है।)
उत्तराणि :
(क) धनिकस्य गृहस्य पार्वे एकस्य निर्धनस्य कुटीरम् आसीत्।
(धनिक के घर के पास में एक निर्धन की कुटिया थी।)
(ख) धनिकः निर्धनं पृष्टवान-“किं भोजनं लब्धमद्य?”
(धनिक ने निर्धन से पूछा-“क्या आज भोजन मिल गया?”) धनिकस्य कथनं श्रुत्वा निर्धनः अवदत्-“भोजनं तु न लब्धमेव किन्तु तेन किम्? कदाचित् भोजनं न लभ्यते अपि। (धनिक के कथन को सुनकर निर्धन बोला-“भोजन तो नहीं मिला लेकिन उससे क्या? कभी भोजन नहीं भी मिलता है।”)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) ‘कुटीरम्’ इति शब्दस्य पर्यायः अत्र किम्? (‘कुटिया’ शब्द का पर्याय यहाँ क्या है?)
(ख) ‘शोभने’ इति कस्य शब्दस्य विशेषणपदमस्ति? (‘सुन्दर में’ किस शब्द का विशेषण पद है?)
(ग) धनिकोऽपि तत्र आयातः’ अत्र किं क्रियापदम्? (‘धनिकोऽपि तत्र आयातः’ यहाँ क्रियापद क्या है?)
उत्तरम् :
(क) गृहम् (घर),
(ख) गृहे (घर में)
(ग) आयातः (आ गया)।
18. एकदा महती वृष्टिः आरब्धा। सर्वे स्वपरिवारजनानां स्वस्य च प्राणान् रक्षितुं प्रयत्नशीलाः आसन्। एकः जनः सेवायां निरतः आसीत्। तस्य गृहस्य परिस्थितिः अपि गम्भीरा आसीत्। तस्य एकः पुत्रः आसीत्। बहुदिनेभ्यः रुग्णः वेदनां सोढुम् अशक्तः सः मातुः अङ्के शयितवान् आसीत्। तस्य माता पुत्रस्य दशां दृष्ट्वा रोदिति (स्म)। पिता अपि द्वन्द्वे आसीत्। एकतरः स्वीयः रुग्णः पुत्रः अपरत्र सहस्राधिकाः जनाः कष्टे आसन्। कर्तव्यपरायणः सः छत्रं गृहीत्वा बहि: गतवान्। गमनसमये पत्नी रुदती पृष्टवती–(भवान्) पुत्रं पश्यतु, अहं किं करिष्यामि?’ सः दृढस्वरेण उक्तवान्-‘अहमपि किं करिष्यामि? औषधं दत्तम्। इतः परं भगवदिच्छा। अन्यत्र अपि बाला: आपद्ग्रस्ताः। भगवतः इच्छानुसारं भवतु।’ इत्युक्त्वा स: गतवान्। रात्रौ पुत्रः मृतः। रुदन्त्याः मातुः समीपम् आगत्य अन्ये (जनाः) सान्त्वनां दत्तवन्तः। एतादृशः कर्तव्यनिष्ठः आसीत् श्रीगोपबन्धुदासः, उत्कलमणिः ओरिस्साजनपदीयः।
हिन्दी-अनुवाद – एक बार भारी वृष्टि (वर्षा) आरम्भ हुई। सभी अपने परिवारीजनों और अपने प्राणों की रक्षा करने में प्रयत्नशील थे। एक व्यक्ति सेवा में निरत था। उस व्यक्ति के घर की परिस्थिति भी गम्भीर थी। उसके एक बेटा था। बहुत दिनों से बीमार था। वह वेदना को सहन करने में असमर्थ था। माँ की गोद में सो रहा था। माता पुत्र की दशा को देखकर रो रही थी। पिता भी उलझन में था। एक ओर अपना बीमार पुत्र और दूसरी ओर हजारों से अधिक लोगों के कष्ट। वह कर्तव्यपरायण व्यक्ति छाता लेकर बाहर गया। जाने के समय में रोती हुई पत्नी पूछ बैठी-“(आप) पुत्र को देखो, मैं क्या करूँगी?” उसने दृढ़ स्वर में कहा-“मैं भी क्या करूँगा? दवाई दे दी है। इसके बाद ईश्वर की इच्छा। और जगह भी बालक आपद्ग्रस्त हैं। ईश्वर की इच्छानुसार हो।” ऐसा कहकर वह चला गया। रात में पुत्र मर गया। रोती हुई माता के समीप आकर अन्य (लोग) ने सान्त्वना दी। ऐसे कर्तव्यनिष्ठ थे श्री गोपबन्धुदास, उत्कल-रल (उत्कंलमणि) उड़ीसा जनपदवासी।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
उत्कलमणिः गोपबन्धुदासः।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) एकदा का आरब्धा? (एक बार क्या प्रारम्भ हो गई?)
(ख) एकः जनः कस्यां निरतः आसीत् ? (एक व्यक्ति किसमें निरत था?)
(ग) सः पुरुषः किं गृहीत्वा बहिः गतवान्? (वह पुरुष क्या लेकर बाहर चला गया?)
(घ) गोपबन्धुदासः कीदृशः आसीत् ? (गोपबन्धुदास कैसे थे?)
उत्तराणि-
(क) वृष्टिः (वर्षा)
(ख) सेवायाम् (सेवा में)
(ग) छत्रम् (छाता)
(घ) कर्तव्यनिष्ठः (कर्तव्यपरायण)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) वर्षाकाले सर्वे कुत्र प्रयत्नशीलाः आसन् ? (वर्षाकाल में सभी कहाँ प्रयत्नशील थे?)
(ख) पुरुषस्य गमनसमये पत्नी तं किम् अपृच्छत् ? (पुरुष के जाने के समय में पत्नी ने उसे क्या पूछा ?)
(ग) पुरुषः दृढस्वरेण किम् उक्तवान् ? (पुरुष ने दृढ़ स्वर में क्या कहा?)
उत्तराणि :
(क) वर्षाकाले सर्वे स्वपरिवारजनानां स्वस्य च प्राणान् रक्षितुं प्रयत्नशीलाः आसन्।
(वर्षाकाल में सभी अपने परिवारजनों और अपने प्राणों की रक्षा करने में प्रयत्नशील थे।
(ख) पत्नी तम् अपृच्छत्-“(भवान्) पुत्रं पश्यतु, अहं किं करिष्यामि?”
(पत्नी ने उससे पूछा-“(आप) पुत्र को देखो, मैं क्या करूँगी?”)
(ग) पुरुषः दृढस्वरेण उक्तवान्-“अहमपि किं करिष्यामि। औषधं दत्तम्।”
(पुरुष ने दृढ़ स्वर में कहा-“मैं भी क्या करूँगा। दवा दे दी है।”)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) ‘महती’ इति कस्य विशेषणमस्ति? (‘भारी’ किसका विशेषण है?)
(ख) “जनाः कष्टे आसन्” वाक्ये क्रिया का? (“लोग कष्ट में थे” वाक्य में क्रिया क्या है?)
(ग) ‘पीडाम्’ इति पदस्य पर्यायपदम् अनुच्छेदात् चित्वा लिखत।
(‘पीडाम्’ पद का पर्यायवाची पद अनुच्छेद से चुनकर लिखिए।)
उत्तरम् :
(क) ‘वृष्टिः ‘ इत्यस्य (‘वृष्टि’ का),
(ख) आसन् (थे)
(ग) वेदनाम् (पीड़ा)।
19. कर्णपुरनाम्नि नगरे एकः श्रेष्ठी आसीत्। तस्य प्रभूतं धनम् आसीत्। तस्य बढ्यः उद्योगशालाः आसन्। तासु उद्योग- शालासु अनेके कर्मचारिणः आसन्। श्रेष्ठी नियमपालने दृढः आसीत्। स कणं क्षणं वा व्यर्थं न करोति स्म। सः सर्वान् काल- पालनम् अपेक्षते स्म। तस्य कर्मचारिषु आसीत् एकः काल-पालनं प्रति उदासीनः। सः सदैव विलम्बन कार्यालयम् आयाति स्म। किमपि मिथ्यानिमित्तं कथयति स्म।
एकदा असौ कर्मचारी विलम्बेन कार्यालयम् आगच्छत्। श्रेष्ठी तम् आयान्तम् अपश्यत्। श्रेष्ठी तम् अपृच्छत्- ‘कथं विलम्बेन आयाति?’ कर्मचारी प्रकोष्ठे बद्धं घटिकायन्त्रं पश्यति कथयति च ‘ अहो मे घटिकायन्त्रं विलम्बेन चलति। अनेन कारणेन एव मम कालनिपातः।’ श्रेष्ठी कथयति-‘त्वं नवीनं घटिकायन्त्रं क्रीणीष्व अहं वा नवीनं कर्मचारिणं नियोजयिष्यामि।’ कर्मचारी क्षमाम् अयाचत प्रत्यशृणोत् च यत् भविष्ये अहं कदापि विलम्बेन न आयास्यामि।
हिन्दी-अनुवाद – कर्णपुर नामक नगर में एक सेठ था। उसके पास बहुत धन था। उसकी बहुत-सी उद्योगशालाएँ थीं। उन उद्योगशालाओं में अनेक कर्मचारी थे। सेठ नियम पालन में दृढ़ था। वह कण और क्षण को व्यर्थ नहीं गवाता था। वह सबसे समय पालन की अपेक्षा करता था। उन कर्मचारियों में एक समय-पालन के प्रति उदासीन था। वह सदैव देर से आता था। कोई भी मिथ्या बहाना बना देता था।
एक दिन वह कर्मचारी विलम्ब से कार्यालय आया। सेठ ने उसे आते हुए देख लिया। सेठ ने उससे पूछा-“देर से क्यों आते हो?” कर्मचारी कलाई में बँधी घड़ी को देखता है और कहता है-“अरे मेरी घड़ी तो विलम्ब से (लेट) चल रही है। इसी कारण से विलम्ब हो गया है।” सेठ ने कहा-“तुम नयी घड़ी खरीद लो अथवा मैं नया कर्मचारी नियुक्त कर लूँगा।” कर्मचारी ने क्षमा याचना की और वायदा किया कि भविष्य में मैं कभी भी देर से नहीं आऊँगा।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
समयपालनस्य महत्त्वम् (समय-पालन का महत्त्व)।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) कर्णपुरनाम्नि नगरे कः आसीत् ? (कर्णपुर नामक नगर में कौन था?)
(ख) श्रेष्ठस्य बढ्यः काः आसन्? (सेठ की बहुत-सी क्या. ?)
उद्योगशालासु अनेके के आसन्? (उद्योगशालाओं में अनेक कौन थे?)
(घ) काल-पालनं प्रति उदासीन: कर्मचारी: कदा कार्यालयम् आयाति स्म?
(समय-पालन के प्रति उदासीन.कर्मचारी कार्यालय कब आता था?)
उत्तराणि :
(क) श्रेष्ठी (सेठ)
(ख) उद्योगशालाः (उद्योगशालाएँ)
(ग) कर्मचारिणः (कर्मचारी लोग)
(घ) विलम्बेन (देरी से)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) श्रेष्ठिनः कर्मचारिषु एकः कीदृशः कर्मचारी आसीत् ? (सेठ के कर्मचारियों में एक कैसा कर्मचारी था?)
(ख) एकदा किम् अभवत् ? (एक बार क्या हुआ?)
(ग) स: कर्मचारी विलम्बस्य कारणं किम् अकथयत् ?
(उस कर्मचारी ने विलम्ब का कारण क्या बताया?)
उत्तराणि :
(क) श्रेष्ठिनः कर्मचारिषु एक: काल-पालनं प्रति उदासीनः कर्मचारी आसीत्।
(सेठ के कर्मचारियों में एक समय-पालन के प्रति उदासीन कर्मचारी था।)
(ख) एकदा स: कर्मचारी विलम्बेन कार्यालयम् आगच्छत्।
(एक बार वह कर्मचारी देरी से कार्यालय आया।)
(ग) सः अकथयत्-“अहो मे घटिकायन्त्रं विलम्बेन चलति।”
(उसने कहा-“अरे मेरी घड़ी तो विलम्ब से चल रही है।”)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) “तस्य धनं प्रभूतम् आसीत्” वाक्ये विशेषण-विशेष्य-अन्वितिः कार्या।।
(“उसके पास बहुत धन था” वाक्य में विशेषण और विशेष्य का अन्वय कीजिए।)
(ख) “कथं विलम्बेन आयाति” वाक्ये क्रिया का?
(“देर से क्यों आते हो” वाक्य में क्रिया क्या है?)
(ग) ‘तस्य प्रभूतं धनमासीत्’ वाक्ये ‘तस्य’ इति सर्वनामपदं कस्य संज्ञापदस्य स्थाने प्रयुक्तम्?
(‘तस्य प्रभूतं धनमासीत्’ वाक्य में ‘तस्य’ पद किस संज्ञा पद के स्थान पर प्रयुक्त हुआ है?)
उत्तरम् :
(क) तस्य प्रभूतं धनम् आसीत् (उसके पास बहुत धन था)।
(ख) आयाति (आते हो)
(ग) श्रेष्ठिनः (सेठ का)।
20. एकस्मिन् वनप्रदेशे एकः हृष्ट-पुष्टः हरिणः वसति स्म। कोऽपि शृगालः तस्य मांसलं शरीरमवलोक्य तस्य सुस्वादु-मांसं भक्षयितुमिच्छति स्म। सः मृगस्य समीपं गत्वा मैत्रीप्रस्तावं न्यवेदयत्। मृगेण प्रस्तावः स्वीकृतः। शृगालोऽचिन्तयत् एनं छलेन हत्वा विपुलं मांसं प्राप्य चिरं भोजनं करिष्यामि।
तौ उभौ मृगस्य आवासस्थलं प्राप्तवन्तौ। तत्र काकः हरिणस्य मित्रं तिष्ठति स्म। काकः अस्य सौहार्द्रस्य विरोधम् अकरोत् । एकदा धूर्तः शृगालः मृगं वञ्चयित्वा शस्यपूर्ण क्षेत्रमनयत्। तत्रासौ हिरणः कृषकेण पाशबद्धः जम्बुकं मोचयितुं न्यवेदयत्। परञ्च शृगालेन उपवासव्याजेन मोचनमस्वीकृतम्। संध्याकाले तमन्विषन् काकः अपि तत्र आगच्छत्। काकः मृगेण सह परामृश्य उपायमेकमचिन्तयत्। काकस्य योजानानुसारेण हिरणः पाशमुक्तः सन् पलायितः। कृषकः तं ताडयितुं लगुडं प्राक्षिपत्। प्रक्षिप्तेन लगुडेन गुल्मे स्थितः शृगालः आहतः हतश्च।
हिन्दी-अनुवाद – एक जंगल में एक हृष्ट-पुष्ट हिरन रहता था। किसी गीदड़ ने उसके मांसल शरीर को देखकर उसके स्वादिष्ट मांस को खाने की इच्छा की। उसने हिरन के समीप जाकर मित्रता का प्रस्ताव निवेदन किया। हिरन ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। गीदड़ ने सोचा कि इसको छल से मारकर बहुत-सा मांस प्राप्तकर बहुत दिनों तक भोजन करूँगा।
वे दोनों हिरण के निवास स्थान पर पहुँचे। वहाँ उसका (हिरन का) मित्र कौआ रहता था। कौए ने इस दोस्ती का विरोध किया। एक दिन चालाक गीदड़ हिरन को छलकर फसल से पूर्ण खेत में ले गया। वहाँ किसान द्वारा पाश में बँधे हुए हिरन ने मुक्त कराने के लिए गीदड़ से निवेदन किया। परन्तु गीदड़ ने उपवास के बहाने से उसे अस्वीकार कर दिया। संध्या समय उसे ढूँढ़ता हुआ कौआ भी वहाँ आ गया। कौए ने हिरन के साथ सलाह कर एक उपाय सोचा। कौए की योजनानुसार बन्धनमुक्त हिरन भाग गया। कृषक ने उसे पीटने के लिए लाठी फेंकी। फेंकी हुई लाठी से झाड़ियों में छुपा हुआ गीदड़ घायल हो गया और मारा गया।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
धूर्तः शृगालः (चालाक गीदड़)।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) एकस्मिन् वनप्रदेशे कः वसति स्म? (एक वन प्रदेश में कौन रहता था?)
(ख) शृगालः मृगस्य समीपं गत्वा किं न्यवेदयत् ? (गीदड़ ने हिरन के पास जाकर क्या निवेदन किया?)
(ग) हरिणस्य मित्रं कः आसीत् ? (हिरन का मित्र कौन था?)
(घ) अन्ते कः हतः? (अन्त में कौन मारा गया?)
उत्तराणि :
(क) हरिणः (हिरन)
(ख) मैत्रीप्रस्तावम् (मित्रता का प्रस्ताव)
(ग) काकः (कौआ)
(घ) शृगालः (गीदड़)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) कोऽपि शृगालः हरिणस्य शरीरमवलोक्य किम् इच्छति स्म?
(किसी गीदड़ ने हिरन के शरीर को देखकर क्या इच्छा की?)
(ख) शृगालः किम् अचिन्तयत् ? (गीदड़ ने क्या सोचा?)
(ग) एकदा धूर्तः शृगालः मृगं कुत्र अनयत् ?
(एक बार चालाक गीदड़ हिरन को कहाँ ले गया?)
उत्तराणि :
(क) कोऽपि शृगालः हरिणस्य शरीरमवलोक्य तस्य सुस्वादु मांसं भक्षयितुमिच्छति स्म।
(किसी गीदड़ ने हिरन के शरीर को देखकर उसके स्वादिष्ट मांस को खाने की इच्छा की।)
(ख) शृगालः अचिन्तयत् यत् हरिणं छलेन हत्वा विपुलं मांसं प्राप्य चिरं भोजनं करिष्यामि।
(गीदड़ ने सोचा कि हिरन को छल से मारकर बहुत-सा मांस प्राप्तकर बहुत दिनों तक भोजन करूंगा।
(ग) एकदा धूर्तः शृगालः मृगं शस्यपूर्ण क्षेत्रमनयत्।
(एक बार चालाक गीदड़ हिरन को फसल से पूर्ण खेत में ले गया।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) ‘जीवितः’ इत्यस्य शब्दस्य विलोमपदम् अनुच्छेदात् चिनुत ।
(‘जिन्दा’ शब्द का विलोम शब्द अनुच्छेद से चुनिए।)
(ख) “स्वीकृतः प्रस्तावः मृगेण” वाक्ये कर्तृ-क्रिया-अन्वितिः कार्या।
(“स्वीकार कर लिया गया प्रस्ताव हिरन के द्वारा” वाक्य में कर्ता और क्रिया का अन्वय कीजिए।)
(ग) “शृगालः तस्य मांसलं शरीरम् अवलोक्य भक्षितुमैच्छत्।” अत्र ‘तस्य’ इति सर्वनामपदं कस्य स्थाने प्रयुक्तम्?
(“शृगालः तस्य मांसलं शरीरम् अवलोक्य भक्षितुमैच्छत्।” यहाँ ‘तस्य’ सर्वनाम किसके स्थान पर प्रयुक्त हुआ है?)
उत्तरम् :
(क) हतः (मारा)।
(ख) मृगेण प्रस्तावः स्वीकृतः (हिरन के द्वारा प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया)।
(ग) हरिणस्य (हरिण के स्थान पर)।
21. संस्कृतभाषा संसारस्य प्राचीनतमासु भाषासु एका प्रसिद्धा भाषा अस्ति। प्राचीनकाले सर्वे जनाः संस्कृतभाषाम् एव दैनिककार्ये व्यवहरन्ति स्म। देववाणी, गीर्वाणी, देवगिरा, सुरवाणी, सुरभारती इत्यादीनि अस्याः नामानि सन्ति। वेदेषु संस्कृतभाषायाः प्राचीनं रूपं विद्यते। संस्कृतभाषायाः साहित्यम् अपि विश्वस्य प्राचीनतम साहित्यम् अस्ति। वेदाः, उपनिषदः पुराणानि च हिन्दूनां धर्मग्रन्थाः अस्यां भाषायामेव सन्ति। वाल्मीके: रामायणं, वेदव्यासस्य महाभारतम् अन्ये चापि ग्रन्थाः संस्कृतभाषायाः अमूल्यरत्नानि सन्ति। श्रीमद्भगवद्गीता महाभारतस्यैव एकम् अंगम् अस्ति।प्राचीनकाले संस्कृतमेव भारतस्य लोकभाषा राजभाषा च आसीत्। कालिदासः, भासः, बाणः, भारविः, दण्डी, भवभूतिः प्रभृतयः अनेके रचनाकाराः संस्कृतभाषायाम् एव स्वसाहित्यं व्यरचयन्।
हिन्दी-अनुवाद – संस्कृत भाषा संसार की प्राचीनतम भाषाओं में से एक प्रसिद्ध भाषा है। प्राचीनकाल में सभी लोग संस्कृत भाषा को ही दैनिक कार्य में व्यवहार में लाते थे। देववाणी, गीर्वाणी, देवगिरा, सुरवाणी, सुरभारती इत्यादि इसके नाम हैं। वेदों में संस्कृत भाषा का प्राचीनतम रूप विद्यमान है। संस्कृत भाषा का साहित्य विश्व का प्राचीनतम साहित्य है। हिन्दुओं और पुराण इस भाषा में ही है। वाल्मीकि की रामायण, वेदव्यास का महाभारत और भी अन्य ग्रन्थ संस्कृत भाषा के अमूल्य रत्न हैं। श्रीमद्भगवद् गीता महाभारत का ही एक अंग है। – प्राचीनकाल में संस्कृत ही भारत की लोकभाषा और राजभाषा थी। कालिदास, भास, बाण, भारवि, दण्डी, भवभूति आदि अनेक रचनाकारों ने संस्कृत भाषा में ही अपने साहित्य की रचना की है।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
संस्कृतभाषायाः महत्त्वम् (संस्कृत भाषा का महत्त्व)।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखित- (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) संसारस्य प्राचीनतमासु भाषासु प्रसिद्धा भाषा का अस्ति?
(संसार की प्राचीनतम भाषाओं में प्रसिद्ध भाषा कौन-सी है?)
(ख) संस्कृतभाषायाः प्राचीनतमं रूपं कुत्र विद्यते? (संस्कृत भाषा का प्राचीनतम रूप कहाँ विद्यमान है?)
(ग) कस्याः भाषायाः साहित्यं प्राचीनतमम् अस्ति? (किस भाषा का साहित्य सबसे पुराना है?)
(घ) महाभारतस्य रचनाकारः कः अस्ति? (महाभारत के रचनाकार कौन हैं?)
उत्तराणि :
(क) संस्कृतम् (संस्कृत),
(ख) वेदेषु (वेदों में),
(ग) संस्कृतभाषायाः (संस्कृत भाषा का),
(घ) वेदव्यासः (वेदव्यास)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूरे वाक्य में उत्तर-उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) संस्कृतभाषायाः कानि अन्यानि नामानि सन्ति? (संस्कृत भाषा के अन्य कौन-से नाम हैं ?)
(ख) संस्कृतभाषायां हिन्दूनां के धर्मग्रन्थाः सन्ति? (संस्कृत भाषा में हिन्दुओं के कौन-से धर्मग्रन्थ हैं?)
(ग) संस्कृतभाषायाः अमूल्यरत्नानि कानि सन्ति? (संस्कृत भाषा के अमूल्य रत्न कौन-से हैं ?)
उत्तराणि :
(क) देववाणी, गीर्वाणी, देवगिरा, सुरवाणी, सुरभारती संस्कृतभाषायाः अन्यानि नामानि सन्ति।
(देववाणी, गीर्वाणी, देवगिरा, सुरवाणी, सुरभारती संस्कृत भाषा के अन्य नाम हैं।)
(ख) संस्कृतभाषायां वेदाः, उपनिषदः पुराणानि च हिन्दूनां धर्मग्रन्थाः सन्ति।
(संस्कृत भाषा में वेद, उपनिषद् और पुराण हिन्दुओं के धर्मग्रन्थ हैं।)
(ग) रामायणं महाभारतम् अन्ये चापि ग्रन्थाः संस्कृतभाषायाः अमूल्यरत्नानि सन्ति।
(रामायण, महाभारत और अन्य ग्रन्थ भी संस्कृत भाषा के अमूल्य रत्न हैं।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) ‘सुरवाणी’ शब्दस्य एक पर्यायं चित्वा लिखत। (‘सुरवाणी’ शब्द का एक पर्याय चुनकर लिखिए।)
(ख) “श्रीमद्भगवद्गीता महाभारतस्यैव एकम् अंगम् अस्ति” वाक्ये कर्ता कः?
(“श्रीमद्भगवद्गीता महाभारत का ही एक अंग है,” वाक्य में कर्ता कौन है?)
(ग) अनुच्छेदात् ‘नवीनतमं’ इति पदस्य विलोमपदं अन्विष्य लिखत।
(अनुच्छेद से ‘नवीनतमं’ पद का विलोम पद ढूँढ़कर लिखिए।)
उत्तरम् :
(क) देवगिरा (देववाणी),
(ख) श्रीमद्भगवद्गीता (श्रीमद्भगवद्गीता)
(ग) प्राचीनतमम् (सबसे पुराना)।
22. परोपकारस्य भावना न केवलं मानवेषु भवति अपितु पशुपक्षिणोऽपि परोपकारं कुर्वन्ति। वृक्षाः परोपकाराय छायां ददति। जलाशयः परोपकाराय जलं ददाति। परोपकाराय गावः दुग्धं ददति। मानवस्य शरीरम् अपि परोपकाराय भवति।।
यथा भर्तृहरिणा उक्तम् –
परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः, परोपकाराय वहन्ति नद्यः।
परोपकाराय दुहन्ति गावः, परोपकारार्थमिदं शरीरम् ॥
मेघाः परोपकाराय जलवर्षणं कुर्वन्ति येन विविधानि शस्यानि जायन्ते। शिविर्नाम नृपः महान् परोपकारी आसीत्। एकदा सः कपोतस्य प्राणरक्षार्थ स्वशरीरस्य मांसंश्येनाय अददात्। दधीचिः अपि महान् परोपकारी आसीत्। सः वृत्रासुरवधार्थं स्वस्य अस्थीनि अपि अददात्। महाभारतकाले कुन्ती एकस्य ब्राह्मणस्य पुत्रस्य रक्षार्थं स्वस्याः प्राणप्रियं भीमनामकं पुत्रं राक्षसस्य समीये प्रेषितवती।
हिन्दी-अनुवाद – परोपकार की भावना न केवल मानवों में होती है बल्कि पशु-पक्षी भी परोपकार करते हैं। वृक्ष परोपकार के लिए छाया देते हैं। जलाशय परोपकार के लिए जल देते हैं। परोपकार के लिए गायें दूध देती हैं। मानव का शरीर भी परोपकार के लिए होता है। जैसा भर्तृहरि ने कहा है वृक्ष परोपकार के लिए फल देते हैं, परोपकार के लिए नदियाँ बहती हैं। परोपकार के लिए गायें दूध देती हैं, यह शरीर परोपकार के लिए है। बादल परोपकार के लिए ही जल की वर्षा करते हैं जिससे विभिन्न अन्न पैदा होते हैं। शिवि नामक राजा बड़े परोपकारी थे। एक बार उन्होंने कबूतर के प्राणों की रक्षा के लिए अपने शरीर का मांस बाज के लिए दे दिया। दधीचि भी बड़े परोपकारी थे। उन्होंने वृत्रासुर-वध के लिए अपनी हड्डियाँ भी दे दी। महाभारतकाल में कुन्ती ने एक ब्राह्मण के पुत्र की रक्षा के लिए अपने प्राणप्रिय भीम नामक पुत्र को राक्षस के पास भेज दिया।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यखण्ड का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
परोपकारः (परोपकार)।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) परोपकाराय छायां के ददति? (परोपकार के लिए छाया कौन देते हैं?)
(ख) परोपकाराय जलं कः ददाति? (परोपकार के लिए जल कौन देता है?)
(ग) परोपकाराय जलवर्षणं के कर्वन्ति? (परोपकार के लिए जल की वर्षा कौन करते हैं?)
(घ) कुन्त्याः कः पुत्रः अत्र उल्लिखितः? (यहाँ कुन्ती के किस पुत्र का उल्लेख है?)
उत्तरम् :
(क) वृक्षाः (वृक्ष)
(ख) जलाशयः (जलाशय)
(ग) मेघाः (बादल)
(घ) भीमः (भीम)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) जलवर्षणेन किं भवति? (जल-वर्षा से क्या होता है?)
(ख) शिविर्नाम नृपः एकदा किम् अकरोत्? (शिवि नामक राजा ने एक बार क्या किया?)
(ग) दधीचिः किम् अकरोत् ? (दधीचि ने क्या किया था?)
उत्तराणि :
(क) जलवर्षणेन विविधानि शस्यानि जायन्ते। (जल-वर्षा से विभिन्न अन्न पैदा होते हैं।)
(ख) शिविर्नाम नृपः एकदा कपोतस्य प्राणरक्षार्थं स्वशरीस्य मांसं श्येनाय अददात्।
(शिवि नामक राजा ने एक बार कबूतर के प्राणों की रक्षा के लिए अपने शरीर का मांस बाज के लिए दे दिया।)
(ग) दधीचिः वृत्रासुरवधार्थं स्वस्य अस्थीनि अपि अददात्।
(दधीचि ने वृत्रासुर-वध के लिए अपनी हड्डियाँ भी दे दी थीं।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) ‘रक्षार्थम्’ शब्दस्य विपरीतार्थकः शब्दः अत्र कः? (‘रक्षार्थम्’ शब्द का विलोम शब्द यहाँ क्या है?)
(ख) “ते परोपकाराय छयां ददति” वाक्ये ‘ते’ इति सर्वनाम्नः स्थाने संज्ञाप्रयोगः कर्तव्यः। .
(“वे परोपकार के लिए छया देते हैं” वाक्य में ‘वे’ सर्वनाम के स्थान पर संज्ञा का प्रयोग कीजिए।)
(ग) “येन विविधानि शस्यानि जायन्ते।” अत्र ‘येन’ सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम् ?
(“येन विविधानि शस्यानि जायन्ते” यहाँ ‘येन’ सर्वनाम पद किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?)
उत्तरम् :
(क) वधार्थम् (वध के लिए)
(ख) वृक्षाः (वृक्ष)
(ग) जलं वर्षणम् इति पदाय।
23. हिमालयः अस्माकं देशस्य उत्तरदिशायां स्थितः अस्ति। एषः पर्वतराजः उत्तरदिशायां भारतस्य प्रहरी अस्ति। अस्य महोन्नतानि शिखराणि सदैव हिमेनाच्छादितानि सन्ति। अस्य उन्नतानि शिखराणि उत्तरदिशायां शत्रुभ्यः अस्माकं रक्षां कुर्वन्ति। हिमस्य आलयः ‘हिमालयः’ सत्यमेव कथयन्ति जनाः। हिमालयः भारतस्य जागरूकः प्रहरी अस्ति। हिमालयात् अनेकाः नद्यः यथा-गंगा, यमुना, शतद्रुः, इरावती, विपाशा, चन्द्रभागा, वितस्तादयः निर्गच्छन्ति।
एता: नद्यः भारतस्य प्रमुखाः नद्यः सन्ति। एतासां नदीनां जलेन कृषकाः क्षेत्राणि सिञ्चन्ति। गंगा, यमुना, शतद्गः प्रभृतयः नद्यः तु भारतस्य आत्मानः सन्ति। आसां पवित्रता धार्मिकमहत्त्वं च विश्वप्रसिद्ध स्तः। अस्मिन् पर्वते विविधानां वस्तूनां भण्डारः विद्यते। हिमालये विविधाः औषधयः, पादपाः, धातवः रत्नानि च सन्ति। अस्योपत्यकासु हरितानि सघनानि वनानि सन्ति।
हिन्दी-अनुवाद – हिमालय हमारे देश की उत्तर दिशा में स्थित है। यह पर्वतों का राजा उत्तर दिशा में भारत का प्रहरी (पहरेदार) है। इसकी अत्यन्त ऊँची चोटियाँ सदैव बर्फ से ढंकी रहती हैं। इसकी ऊँची चोटियाँ उत्तर दिशा में शत्रुओं से.. हमारी रक्षा करती हैं। हिम का आलय (घर) ‘हिमालय’ लोग सत्य ही कहते हैं। हिमालय भारत का जागरूक पहरेदार है। हिमालय से अनेक नदियाँ निकलती हैं जैसे-गंगा, यमुना, शतगु, इरावती, विपाशा, चन्द्रभागा-वितस्ता आदि।
ये नदियाँ भारत की प्रमुख नदियाँ हैं। इन नदियों के जल से किसान खेतों को सींचते हैं। गंगा, यमुना, शतद् आदि नदियाँ तो भारत की आत्मा हैं। इनकी पवित्रता और धार्मिक महत्त्व विश्व-प्रसिद्ध है। इस पर्वत पर विभिन्न वस्तुओं का भण्डार विद्यमान है। हिमालय पर विभिन्न औषधियाँ, पौधे, धातुएँ और रत्न हैं। इसकी घाटियों में हरे घने वन हैं।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
पर्वतराजः हिमालयः। (हिमालय पर्वत)
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) उत्तरदिशायां भारतस्य प्रहरी कः अस्ति? (उत्तर दिशा में भारत का पहरेदार कौन है?)
(ख) हिमालयस्य शिखराणि सदैव केन आच्छादितानि सन्ति? (हिमालय की चोटियों सदैव किससे ढंकी रहती हैं?)
(ग) भारतस्य जागरूकः प्रहरी कः अस्ति? (भारत का जागरूक प्रहरी कौन है?)
(घ) पर्वतराजः कः अस्ति? (पर्वतों का राजा कौन है?)
उत्तराणि :
(क) हिमालयः (हिमालय पर्वत)
(ख) हिमेन (बर्फ से)
(ग) हिमालयः (हिमालय पर्वत)
(घ) हिमालयः (हिमालय पर्वत)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) हिमालयः कुत्र स्थितः अस्ति? (हिमालय कहाँ स्थित है?)
(ख) हिमालयात् का: नद्यः निर्गच्छन्ति? (हिमालय से कौन-सी नदियाँ निकलती हैं?)
(ग) एतासां नदीनां जलेन कृषकाः किं कुर्वन्ति? (इन नदियों के जल से किसान क्या करते हैं?)
उत्तराणि :
(क) हिमालयः अस्माकं देशस्य उत्तरदिशायां स्थितः अस्ति।
(हिमालय हमारे देश की उत्तर दिशा में स्थित है।)
(ख) हिमालयात् गंगा, यमुना, शतदू, इरावती, विपाशा, चन्द्रभागादयः नद्यः निर्गच्छन्ति।
(हिमालय से गंगा-यमुना-शतद्रु-इरावती-विपाशा-चन्द्रभागा आदि नदियाँ निकलती हैं।)
(ग) एतासां नदीनां जलेन कृषकाः क्षेत्राणि सिञ्चन्ति। (इन नदियों के जल से किसान खेतों को सींचते हैं।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) “अस्य शिखराणि उन्नतानि अस्मान् रक्षन्ति” वाक्ये विशेषण-विशेष्य-अन्वितिः कार्या।
(“इसकी ऊँची शिखरें हमारी रक्षा करती हैं” वाक्य में विशेषण और विशेष्य का अन्वय कीजिए।)
(ख) “एताः नद्यः भारतस्य प्रमुखाः नद्यः सन्ति” वाक्ये कर्ता कः?
(“ये नदियाँ भारत की प्रमुख नदियाँ हैं” वाक्य में कर्ता कौन है?)
(ग) “अस्य महोन्नतानि शिखराणि सदैव हिमेनाच्छादितानि सन्ति।” वाक्य ‘अस्य’ इति सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम् ?
(‘अस्य महोन्नतानि ………. सन्ति’ वाक्य में ‘अस्य’ सर्वनाम पद किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?)
उत्तरम् :
(क) अस्य उन्नतानि शिखराणि अस्मान् रक्षन्ति। (इसकी ऊँची शिखरें हमारी रक्षा करती हैं)
(ख) एता: नद्यः (ये नदियाँ)
(ग) हिमालयस्य (हिमालय के लिए)।
24. दीपावली हिन्दूनां पवित्रः धार्मिकः उत्सवः अस्ति। अयं महापर्वः कार्तिकमासस्य अमावस्यायां सम्पन्नः भवति। अस्मिन् अवसरे जनाः स्वगृहाणि लिम्पन्ति अन्याभिः सज्जासामग्रीभिश्च सुसज्जितं कुर्वन्ति। अस्मिन् अवसरे जनाः नगराणि ग्रामाञ्चलं कुर्वन्ति स्वच्छयन्ति च। गृहाणि सुधया धवलीकुर्वन्ति। भारतवर्षे दीपावलीमहोत्सवस्य एक विशिष्ट महत्त्वं विद्यते। वैश्यवर्गस्यायं महोत्सवः इति जनाः कथयन्ति। यथा ब्राह्मणानां श्रावणी पर्वः, क्षत्रियाणां दशहरा पर्वः, शूद्राणां : होलिका पर्वः, वैश्यानां तथैव दीपावली पर्वः, किन्तु न अयं शास्त्रमर्यादायामवस्थितः सिद्धान्तः। अस्मिन् दिवसे श्रीराम: लकाधिपति रावणं विजित्य सीतया लक्ष्मणेन च सह अयोध्या प्रत्यागच्छत्। तदा अयोध्यानगरवासिनः प्रसन्नाः भूत्वा तेषां’ स्वागतार्थं दीपावलीम् आयोजितवन्तः।
हिन्दी-अनुवाद – दीपावली हिन्दुओं का पवित्र धार्मिक उत्सव है। यह महापर्व कार्तिक माह की अमावस्या को सम्पन्न। होता है। इस अवसर पर लोग अपने घरों को लीपते हैं और अन्य सज्जा-सामग्री से सजावट करते हैं। इस अवसर पर लोग
नगरों और गाँवों को स्वच्छ करते हैं। घरों को सफेदी (कलई) से सफेद करते हैं। भारतवर्ष में दीपावली महोत्सव का एक विशेष महत्त्व है। लोग कहते हैं कि यह महोत्सव वैश्य वर्ग का है। जैसे ब्राह्मणों का श्रावणी पर्व, क्षत्रियों का दशहरा पर्व, शूद्रों का होली पर्व उसी प्रकार वैश्यों का दीपावली पर्व है किन्तु यह शास्त्रमर्यादा के अनुकूल सिद्धान्त नहीं है। इस दिन श्रीराम लंका के राजा रावण को जीतकर सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या को लौटे थे। तब अयोध्या नगरवासियों ने प्रसन्न होकर उनके स्वागत के लिए दीपावली मनाई थी।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं लिखत- (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए-)
उत्तरम् :
दीपावली (दीपावली)।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) दीपावली केषां पवित्रः धार्मिकः उत्सव: अस्ति? (दीपावली किनका पवित्र धार्मिक उत्सव है?)
(ख) भारतवर्षे कस्य महोत्सवस्य विशिष्टं महत्त्वं विद्यते? (भारतवर्ष में किस महोत्सव का विशेष महत्त्व है?)
(ग) क्षत्रियाणां कः पर्वः अस्ति? (क्षत्रियों का पर्व क्या है?)
(घ) रावणः कस्य देशस्य नृपः आसीत् ? (रावण किस देश का राजा था?)
उत्तराणि :
(क) हिन्दूनाम् (हिन्दुओं का)
(ख) दीपावल्या: (दीपावली का)
(ग) दशहरा (दशहरा)
(घ) लंकायाः (लंका का)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) दीपावल्याः उत्सवः कदा सम्पन्नः भवति? (दीपावली का उत्सव कब सम्पन्न होता है?)
(ख) दीपावली मुख्यत: केषाम् उत्सवः अस्ति? (दीपावली मुख्यत: किनका त्योहार है?)
(ग) अस्मिन् अवसरे जनाः कानि स्वच्छयन्ति? (इस अवसर पर लोग क्या स्वच्छ करते हैं? )
उत्तराणि
(क) दीपावल्याः उत्सवः कार्तिकमासस्य अमावस्यां सम्पन्नः भवति।
(दीपावली का उत्सव कार्तिक माह की अमावस्या को सम्पन्न होता है।)
(ख) दीपावली मुख्यतः वैश्यानाम् उत्सवः अस्ति।
(दीपावली मुख्यत: वैश्यों का त्योहार है।)
(ग) अस्मिन् अवसरे जनाः नगराणि ग्रामाञ्च स्वच्छयन्ति।
(इस अवसर पर लोग नगरों और गाँवों को स्वच्छ करते हैं।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तर उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) “जनाः गृहाणि धवलीकुर्वन्ति” वाक्ये क्रिया का?
(“लोग घरों की सफेदी करते हैं” वाक्य में क्रिया क्या है?)
(ख) ‘उत्सवः’ इत्येतस्य शब्दस्य पर्यायम् अनुच्छेदात् चिनुत ।
[अनुच्छेद से ‘उत्सवः’ (त्योहार) शब्द का पर्याय चुनिए।]
(ग) दीपावली हिन्दूनां धार्मिक उत्सवः। रेखांकित पदे विशेषणपदं चित्वा लिखत।
(दीपावली हिन्दुओं का धार्मिक त्योहार है। रेखांकित पद से विशेषण चुनकर लिखिए।)
उत्तरम् :
(क) धवलीकुर्वन्ति (सफेदी करते हैं)।
(ख) पर्वः (त्योहार)
(ग) धार्मिकः।
25. शिशिर ऋतोः शैत्यानन्तरं समशीतोष्णवातावरणोपेतः फाल्गुनमासः समायाति। अस्य मासस्य प्राकृतिकसौन्दर्यः प्राणिशरीरेषु नवप्राणान् सञ्चारयति। नायक-नायिकयोः हृदयेषु प्रेम्णः उद्रेक: संदृश्यते। रोगिणः अपि स्वास्थ्यं लभन्ते। वृक्षाणां पीतपत्राणि पतन्ति। तेषु पल्लवा: सजायन्ते। भगवता श्रीकृष्णेन तु गीतायाम् ‘ऋतूनां सुकुमारः’ इति उक्त्वा अस्य ऋतो: महत्त्वं प्रकटितम्। वसन्तकाल एव मधुऋतुनाम्ना अपि प्रसिद्धः। वसन्तकालस्य प्रमुखः उत्सव: होलिका भवति। होलिकोत्सवात् पूर्वे जनाः स्वगृहाणां मालिन्यम् अपवित्रतां च दूरीकुर्वन्ति। फाल्गुनमासस्य पूर्णिमायाः दिने गृहे-गृहे देवानाम् अर्चना भवति। ग्रामेषु नगरेषु च स्थाने-स्थाने होलिकाः स्थाप्यन्ते। गृहे-गृहे अपि होलिका स्थाप्यते।
हिन्दी-अनुवाद – शिशिर ऋतु की शीतलता के बाद शीत और उष्ण वातावरण से युक्त फाल्गुन का महीना आता है। इस माह का प्राकृतिक सौन्दर्य प्राणियों के शरीरों में नये प्राणों का संचार करता है। नायक और नायिका के हृदयों में प्रेम का उद्रेक दिखाई देता है। रोगी भी स्वस्थता प्राप्त करते हैं। वृक्षों के पीले पत्ते गिर जाते हैं। उन पर कोंपलें आ जाती हैं। भगवान श्री कृष्ण ने तो गीता में ‘ऋतुओं में सुकुमार’ कहकर इस ऋतु का महत्त्व प्रकट किया है। वसन्तकाल ही ‘मधुऋतु’ के नाम से प्रसिद्ध है। वसन्त काल का प्रमुख उत्सव होली है। होली के उत्सव से पूर्व लोग अपने घरों की गन्दगी और अपवित्रता दूर करते हैं। फाल्गुन माह की पूर्णिमा को दिन में घर-घर देवताओं की पूजा होती है। गाँव और नगरों में स्थान-स्थान प स्थापित की जाती है। घर-घर में भी होली स्थापित की जाती है।
प्रश्न: 1.
एतस्य गद्यखण्डस्य समुचितं शीर्षकं लिखत। (इस गद्यांश का समुचित शीर्षक लिखिए।)
उत्तरम् :
होलिकोत्सवः (होली का त्योहार)।
प्रश्न: 2.
एकपदेन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (एक शब्द में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) कस्य मासस्य प्राकृतिकसौन्दर्यः प्राणिशरीरेषु नवप्राणान् सञ्चारयति?
(किस माह का प्राकृतिक सौन्दर्य प्राणियों के शरीर में नए प्राणों का संचार करता है?)
(ख) रोगिणः अपि कदा स्वास्थ्यं लभन्ते? (रोगी भी कब स्वास्थ्य प्राप्त करते हैं?)
(ग) वसन्तकालः केन नाम्ना अपि प्रसिद्धः? (वसन्त काल किस नाम से भी प्रसिद्ध है?)
(घ) वसन्तकालस्य प्रमुखः उत्सवः कः भवति? (वसन्त काल का प्रमुख उत्सव कौन-सा होता है?)
उत्तराणि :
(क) फाल्गुनमासस्य (फाल्गुन माह का),
(ख) फाल्गुनमासे (फाल्गुन के माह में),
(ग) मधुऋतुनाम्ना (‘मधुऋतु’ नाम से),
(घ) होलिकोत्सवः (होली का त्योहार)।
प्रश्न: 3.
पूर्णवाक्येन उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत- (पूरे वाक्य में उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) फाल्गुनमासः कदा समायाति? (फाल्गुन माह कब आता है?)
(ख) भगवता श्रीकृष्णेन गीतायां किं प्रकटितम्? (भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता में क्या प्रकट किया है?)
(ग) होलिकोत्सवात् पूर्वे जनाः कि कुर्वन्ति? (होली के उत्सव से पूर्व लोग क्या करते हैं?).
उत्तराणि :
(क) शिशिर ऋतौः शैत्यानन्तरं फाल्गुनमासः समायाति। (शिशिर ऋतु की शीतलता के बाद फाल्गुन माह आता है।)
(ख) भगवता श्रीकृष्णेन गीतायां वसन्त ऋतोः महत्त्वं प्रकटितम्।।
(भगवान् श्रीकृष्ण ने गीता में वसन्तऋतु का महत्त्व प्रकट किया है।)
(ग) होलिकोत्सवात् पूर्वे जनाः स्वगृहाणां मालिन्यम् अपवित्रतां च दूरीकुर्वन्ति।
(होली के उत्सव से पूर्व लोग अपने घरों की गन्दगी और अपवित्रता दूर करते हैं।)
प्रश्न: 4.
निर्देशानुसारम् उत्तरम् उत्तरपुस्तिकायां लिखत – (निर्देशानुसार उत्तर उत्तरपुस्तिका में लिखिए-)
(क) “तेषां पीतपत्राणि पतन्ति” वाक्ये ‘तेषाम्’ इति सर्वनाम्नः स्थाने संज्ञाप्रयोगः कर्तव्यः ।
(“उनके पीले पत्ते गिरते हैं” वाक्य में ‘उनके’ सर्वनाम के स्थान पर संज्ञा का प्रयोग कीजिए।)
(ख) ‘आगच्छति’ इत्येतस्य शब्दस्य पर्यायम् अनुच्छेदात् चिनुत।
(‘आता है’ शब्द का पर्याय अनुच्छेद से चुनिए।)
(ग) ‘प्राकृतिक सौन्दर्यम्’ अनयो पदयो विशेष्यपदं लिखत।
(‘प्राकृतिक सौन्दर्यम्’ इन पदों में विशेष्य पद कौन सा है?)
उत्तरम् :
(क) वृक्षाणाम् (वृक्षों के)।
(ख) समायाति (आता है)
(ग) सौन्दर्यम्।