JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक Important Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित यौगिकों के संरचना सूत्र लिखिए-
(i) मेथेन
(iii) एथिलीन
(v) बेन्जीन
(vii) ऐसीटिक एसिड।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 1

प्रश्न 2.
(i) एथेनॉल (ii) ऐसीटिक एसिड के के हाइड्रोकार्बन भाग तथा क्रियात्मक समूह भाग के संरचना सूत्र अलग-अलग लिखिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 2

प्रश्न 3.
(i) एथिलीन (ii) एथिल ऐल्कोहॉल (iii) ऐसीटिक एसिड के आई. यू. पी. ए. सी. नाम लिखिए।
उत्तर:

  • एथीन
  • एथेनॉल
  • एथेनोइक एसिड

प्रश्न 4.
एथिलीन की सजातीय श्रेणी का नाम तथा सामान्य सूत्र लिखिए।
उत्तर:
एल्कीन श्रेणी: CnH2n

प्रश्न 5.
एथिलीन में कार्बन परमाणुओं के बीच कैसा बंध होता है: एकल, द्विक् अथवा त्रिक्?
उत्तर:
द्विक् – बंध (double bond), – C = C –

प्रश्न 6.
C2H6O तथा C2H4O2 अणुसूत्रों में से कौन-सा सूत्र ऐल्कोहॉल का है तथा कौन-सा कार्बोक्सिलिक एसिड का?
उत्तर:
C2H6O – ऐल्कोहॉल (C2H5OH)
C2H4O2 – कार्बोक्सिलिक अम्ल (CH3COOH)।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

प्रश्न 7.
कैसे प्राप्त कीजियेगा-
(i) एथिलीन से एथेन
(ii) ऐसीटिलीन से एथिलीन
(iii) मेथिल आयोडाइड से मेथेन
(iv) एथिल ऐल्कोहॉल से एथिलीन
(v) एथिलीन से एथेनॉल
(vi) एथिलीन से फॉर्मेल्डिहाइड
(vii) मेथेन से एथेन
(viii) मेथेन से फॉर्मेल्डिहाइड या मेथेनॉल
(ix) एथिलीन से एथिलीन ग्लायकॉल
(x) ऐसीटिक अम्ल से मेथेन
(xi) एथिलीन से एथिल ब्रोमाइड
(xii) एथेनॉल से डाईएथिल ईथर
(xiii) एथेनॉल से एसिटल्डिहाइड
(xiv) ऐसीटिक एसिड से एथिल ऐसीटेट
(xv) तेल या वसा से साबुन
(xvi) ऐसीटिक अम्ल से एथेनॉल
(xvii) एथिल ऐल्कोहॉल से क्लोरोफॉर्म
(xviii) एथिलीन से मस्टर्ड गैस
उत्तर:
(i) एथिलीन से एथेन- एथिलीन को
निकिल की उपस्थिति में 200-300°C पर हाइड्रोजन में प्रवाहित करने पर एथेन गैस प्राप्त होती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 3

(ii) ऐसीटिलीन को 200°C ताप पर निकिल की उपस्थिति में हाइड्रोजन से संयोग कराने पर एथिलीन तथा बाद में एथेन मिलता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 4

(iii) मेथिल आयोडाइड के Zn-Cu युग्म तथा एथिल ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया से प्राप्त नवजात हाइड्रोजन द्वारा उपचयन से प्राप्त करते हैं।
2C2H5OH + Zn → (C2H5O)2 Zn+ 2H
C3I + 2H → CH4 + HI

(iv) एथिल ऐल्कोहॉल की वाष्प को गर्म एलुमिना पर 350°C 380°C पर प्रवाहित करने पर एथिलीन प्राप्त होती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 5

(v) एथिलीन की सान्द्र H2SO4 से क्रिया कराने पर एथिल हाइड्रोजन सल्फेट बनता है जिसमें जल मिलाने पर एथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 6
एथिलीन ओजोनाइड की जल से क्रिया कराने पर यह विच्छेदित होकर फॉर्मेल्डिहाइड देता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 7

(viii) मेथेन, ओजोन के साथ क्रिया कर फॉर्मेल्डिहाइड बनाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 8

(x) CH3COOH + NaOH → CH3COON a + H2O
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 9

(xi) एथिलीन एवं हाड्रो ब्रोमिक एसिड की योगात्मक क्रिया द्वारा :
C2H4 + Br → C2H5Br

(xii) सान्द्र H2SO4 द्वारा 140°C पर निर्जलीकरण से-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 10

(xiii) 300°C पर गर्म किये गये क्यूप्रिक ऑक्साइड पर एथेनॉल वाष्प प्रवाहित करने से।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 11

(xiv) सान्द्र H2SO4 की उपस्थिति में एथेनॉल से क्रिया द्वारा
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 12

(xv) तेल या वसा को क्षार (NaOH / KOH) के साथ गर्म करने से।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 13

प्रश्न 8.
केवल समीकरण देकर बताइए, क्या होता है जब-
(i) एथिलीन तथा हाइड्रोजन को उच्च ताप पर निकिल पर प्रवाहित किया जाता है।
(ii) मेथेन का ओजोन से ऑक्सीकरण किया जाता है।
(iii) एथिलीन की क्रिया क्षारीय पोटैशियम परमैगनेट से होती है।
(iv) एथिलीन की क्रिया HOCI से होती है।
(v) एथिलीन की क्रिया ओजोन से होती है।
(vi) मेथेन की क्रिया सान्द्र नाइट्रिक एसिड से होती है।
(vii) मेथेन को वायु में जलाया जाता है।
(viii) (a) एथिलीन (b) एथेनॉल को वायु में जलाया जाता है।
(ix) सोडियम ऐसीटेट को कॉस्टिक सोडा तथा चूना के मिश्रण के साथ गर्म किया जाता है।
(x) एथिल ऐल्कोहॉल को सोडियम धातु के साथ क्रिया करते हैं।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 14

प्रश्न 9.
एल्कीनों का सामान्य सूत्र क्या है?
उत्तर:
CnH2n.

प्रश्न 10.
एक कार्बनिक यौगिक कालिख ज्वाला के साथ जलता है। क्या यह संतृप्त है अथवा असंतृप्त?
उत्तर:
असंतृप्त।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

प्रश्न 11.
एथेनॉल की सोडियम से अभिक्रिया लिखो।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 15

प्रश्न 12.
किन्हीं दो ऑक्सीकरण कारक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:

  • क्षारीय पोटैशियम परमँगनेट (KMnO4)।
  • अम्लीकृत पोटैशियम डाइक्रोमेट (K2Cr2O7)

प्रश्न 13.
निम्न अभिक्रिया से क्या प्राप्त होता है?
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 16
उत्तर:
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन बनाने के लिए अभिक्रिया: 443 केल्विन (K) तापमान पर एथेनॉल को अत्यधिक सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करने पर एथेनॉल का निर्जलीकरण होकर एथीन बनता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 17
इस अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल निर्जलीकारक के रूप में काम करता है जो एथेनॉल से जल को अलग कर देता है।

प्रश्न 14.
कार्बनिक यौगिकों में (i) योगात्मक, (ii) प्रतिस्थापन क्रिया का एक उदाहरण समीकरण द्वारा दीजिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 18

प्रश्न 15.
किन्हीं दो असंतृप्त हाइड्रोकार्बन के संरचना सूत्र तथा उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 19

प्रश्न 16.
किसी ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बन का नाम तथा संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 20

प्रश्न 17.
एथिलीन से मस्टर्ड गैस के निर्माण का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 21

प्रश्न 18.
‘बहुलीकरण’ क्रिया का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 22

प्रश्न 19.
कच्चे फलों को पकाने के लिए किस गैस का उपयोग किया जाता है? नाम तथा संरचना सूत्र लिखिए।
उत्तर:
एथिलीन C2H4

प्रश्न 20.
एन्जाइम क्रिया से ग्लूकोस से एथेनॉल बनने की क्रिया का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 23

प्रश्न 21.
‘सिरका’ में कौन-सा एसिड होता है? नाम तथा सूत्र लिखिए।
उत्तर:
ऐसीटिक एसिड: CH3COOH।

प्रश्न 22.
ऐसीटिक एसिड के अणु में कितने हाइड्रोजन परमाणु होते हैं? इसमें से कितने परमाणु इसकी अम्लीय क्रिया भाग लेते हैं?
उत्तर:
4 हाइड्रोजन परमाणु केवल एक।

प्रश्न 23.
ऐसीटिक एसिड की क्षारकता कितनी है?
उत्तर:
एक।

प्रश्न 24.
एथेनॉल (C2H5OH) में (-OH) समूह होता है। क्या यह क्षारक (Alkali) है? कारण देकर बताइए।
उत्तर:
किसी क्षारक जैसे NaOH का -OH समूह आयन (OH) के रूप में होता है जो किसी अम्ल के H+ आयन से क्रिया करके H2O बनाता है। परन्तु एथेनॉल, C2H5OH का आयनीकरण नहीं होता- अतः इसकी किसी अम्ल से क्रिया H+ से नहीं होती। अतः यह क्षारक नहीं है।

[टिप्पणी : C2H5OH की CH3COOH से क्रिया में एथेनॉल का H परमाणु CH3COOH के -OH समूह क्रिया करके जल बनाता है।]

प्रश्न 25.
ऐसीटिक एसिड के आयनीकरण का समीकरण लिखिए।
उत्तर:
CH3COOH → H+ + CH3COO

प्रश्न 26.
अणुसूत्र लिखिए-

  1. सोडियम पामिटेट
  2. सोडियम स्टियरेट
  3. सोडियम ओलिएट

उत्तर:

  1. C15H31COONa
  2. C17H35COONa
  3. C17H31COONa

प्रश्न 27.
‘साबुनीकरण’ क्रिया के अभिकर्मकों तथा उत्पादों के नाम लिखिए।
अथवा
साबुन के निर्माण की रासायनिक अभिक्रिया समीकरण द्वारा दर्शाएँ। इस अभिक्रिया का नाम भी लिखिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 24

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उन यौगिकों के नाम लिखिए जिन पर जिंक (Zn) की अभिक्रिया से एथिलीन प्राप्त की जा सकती है।
उत्तर:
एथिलीन डाईहैलाइड / क्लोराइड / ब्रोमाइड / आयोडाइड अथवा 1, 2 – डाई हैलोएथेन
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 25

प्रश्न 2.
आवश्यक समीकरण देकर मेथेन तथा एथिलीन पर ओजोन की अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 26

प्रश्न 3.
मेथेन तथा एथिलीन के दहन की अभिक्रियाएँ लिखिए।
उत्तर:

  • CH4 + 2O2 → CO2 + 2H2O
  • C2H4 + 3O2 → 2CO2 + 2H2O

प्रश्न 4.
दहन अभिक्रिया किसे कहते हैं? क्या ये ऑक्सीकरण अभिक्रियाएँ भी होती हैं?
उत्तर:
कार्बन या कार्बनिक यौगिकों को वायु में जलाने से CO2, ऊष्मा एवं प्रकाश मुक्त होती है, जिसे दहन कहा जाता है।
जैसे-
C + O2 → CO2 + ऊष्मा एवं प्रकाश
CH4 + 2O2 → CO2 + 2H2O ऊष्मा एवं प्रकाश हाँ, ये ऑक्सीकरण अभिक्रियाएँ भी हैं।

प्रश्न 5.
संकलन अभिक्रिया किसे कहते हैं? एक उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पैलेडियम अथवा निकिल जैसे उत्प्रेरकों की उपस्थिति में असंतृप्त हाइड्रोकार्बन का हाइड्रोजन के योग द्वारा संतृप्त हाइड्रोकार्बन में बदलना संकलन अभिक्रिया कहलाती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 27

प्रश्न 6.
प्रतिस्थापन अभिक्रिया किसे कहते हैं? एक उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब
संतृप्त हाइड्रोकार्बन के हाइड्रोजन परमाणुओं को एक-एक करके क्लोरीन के परमाणुओं द्वारा प्रतिस्थापित ( हटाते) हैं, तो इसे प्रतिस्थापन अभिक्रिया कहते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 28
इसी प्रकार आगे भी Cl2 से अभिक्रिया होती है, तथा CCl4 (कार्बन टेट्राक्लोराइड) बनता है।

प्रश्न 7.
एथेनॉल के ऑक्सीकरण की अभिक्रिया लिखिए। क्षारीय KMnO4 को ऑक्सीकारक क्यों कहते हैं।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 29
क्योंकि क्षारीय KMnO4 एथाइल ऐल्कोहॉल (एथेनॉल) में ऑक्सीकरण जोड़कर उसे एथेनॉइक अम्ल में आक्सीकृत कर देते हैं, इसलिए उसे ऑक्सीकारक कहा जाता है।

प्रश्न 8.
एथिलीन की बहुलीकरण क्रियाएँ लिखिऐ।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 30

प्रश्न 9.
‘असंतृप्त’ तथा ‘संतृप्त’ प्रइड्रोकार्बनों का अन्तर एक-एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों में C पर माणुओं के बीच द्विक् (double) अथवा त्रिक् (triple) बंध होते हैं, जैसे
एथीन (H2C = CH2) ऐसीटिलीन (HC ≡CH) संतृप्त हाइड्रोकार्बन में C परमाणुओं के बीच केवल एकल बंध होता है जैसे एथेन (H3C – CH3)।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

प्रश्न 10.
‘डायास्टेस’, ‘माल्टेस’ तथा ‘जाथमेज’ क्या होते हैं? एथिल ऐल्कोहॉल के औद्योगिक निर्माण में इनका क्या कार्य है? रासायनिक समीकरण देकर बताइए।
उत्तर:
डायास्टेस, माल्टेस तथा जायमेज, एन्जाइम (विशेष प्रकार के नाइट्रोजनी कार्बनिक यौगिक) होते हैं जिनका उपयोग स्टार्च तथा शर्करा से ऐल्कोहॉल बनाने में किया जाता है-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 31
एथिल ऐल्कोहॉल के निर्माण की औद्योगिक faferat (Industrial Methods of Forma- tion of Ethyl Alcohol)-
1. एथीन के जल अपघटन से-एथीन गैस को लगभग 80°C ताप एवं 30 वायुमण्डल दाब पर सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) में अवशोषित किया जाता है। इसमें एथिल हाइड्रोजन सल्फेट बनता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 32
एथिल हाइड्रोजन सल्फेट को जल के साथ गर्म करने से एथेनॉल बनता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 33

2. स्टार्च या शीरा (Molasses) से स्टार्च [C6H10O5)n]को माल्ट निष्कर्ष (malt extract), जिसमें डायास्टेस (rliastase) एन्जाइम होता है के साथ 60°C पर गर्म किया जाता है। इससे स्टार्च का परिवर्तन माल्टोज शर्करा (raaltose sugar) में हो जाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 34
अब माल्टोज विलयन अथवा शीरा का 20% विलयन यीस्ट (yeast) के साथ मिलाकर 30°C पर 4 दिनों तक रखा जाता है यीस्ट में उपस्थित एन्जाइम माल्टेज (Maltase) तथा जायमेज (zymase), माल्टोज शर्करा को पहले ग्लूकोस (glucose) में, तत्पश्चात् एथेनॉल में बदल देते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 35

प्रश्न 11.
सोडियम की एथेनॉल से क्रिया का आवश्यक समीकरण लिखिए। यह क्रिया, सोडियम की जल से अभिक्रिया से क्या समानता है? समीकरण देकर समझाइए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 36
दोनों अभिक्रियाओं में सोडियम परमाणु -OH समूह से H को विस्थापित कर देता है तथा -O. Na समूह बनाता है।

प्रश्न 12.
एथेनॉल की सान्द्र सल्फ्यूरिक एसिड से अभिक्रिया के समीकरण लिखिए, जब अभिक्रिया में (i) एथेनॉल का, (ii) सल्फ्यूरिक एसिड का आधिक्य हो।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 37

प्रश्न 13.
‘एस्टरीकरण’ (esterification) अभिक्रिया एक उदाहरण देकर समझाइए। यह क्रिया ‘उदासीनीकरण’ से समान प्रतीत होते हुए भी किस प्रकार भिन्न होती है। एस्टरीकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। उत्तर:
एस्टरीकरण में किसी ऐल्कोहॉल (जैसे एथेनॉल) तथा किसी अम्ल (जैसे ऐसीटिक एसिड) की पारस्परिक क्रिया से एस्टर तथा जल बनता है।
उदाहरण-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 38
उदासीनीकरण में कोई एसिड किसी क्षार से क्रिया करके लवण तथा जल बनाता है :
उदाहरण-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 39
दोनों अभिक्रियाओं में जल का अणु बनता है परन्तु एस्टरीकरण में एसिड के -OH समूह से ऐल्कोहॉल के H परमाणु का निर्माण होता हैं तथा एस्टर में (CH3COO) तथा (C2H5)+ आयन नहीं होते हैं।

इसके विपरीत उदासीनीकरण में ऐसिड के H+ आयन का संयोग क्षार के OH आयन से होकर जल बनता है तथा लवण में (CH3COO) तथा Na+ आयन होते हैं।

प्रश्न 14.
एथेनॉल से ऐसीटिक एसिड का सीधा निर्माण कैसे किया जाता है? आवश्यक समीकरण देकर बताइए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 40

प्रश्न 15.
‘साबुन’ की रासायनिक प्रकृति, उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘साबुन’ (soap ) उच्च अणुभार के वसीय अम्लों के सोडियम अथवा पोटैशियम लवण होते हैं।
जैसे-

  • C15H31COO.Na ( सोडियम पामिटेट)
  • C17H33COO.K (पोटैशियम स्टियरेट)
  • C17H31COO.Na (सोडियम ओलिएट)

प्रश्न 16.
उदाहरण देकर ‘साबुनीकरण’ का अर्थ समझाइए।
अथवा
साबुनीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
साबुनीकरण- तेल अथवा वसा (जो उच्च अणुभार के कार्बोक्सिलिक एसिडों के ग्लिसरॉल से संयोग से बने एस्टर होते हैं) पर क्षार की अभिक्रिया (जल अपघटन) से साबुन (उच्च अणुभार के एवं कार्बोक्सिलिक एसिडों के सोडियम / पोटैशियम बनने की अभिक्रिया को ‘साबुनीकरण’ कहते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 41
सामान्यीकृत रूप से किसी एस्टर के क्षार द्वारा जल-अपघटन को ही साबुनीकरण कहते हैं।
जैसे-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 42

प्रश्न 17.
श्रेष्ठ साबुन के क्या गुण होने चाहिए?
उत्तर:
श्रेष्ठ साबुन के निम्नलिखित गुण होने चाहिए-

  • साबुन में किसी प्रकार का स्वतन्त्र क्षार नहीं होना चाहिए।
  • साबुन चिकना (खुरदुरा नहीं) होना चाहिए।
  • साबुन भंगुर (Brittle) नहीं होना चाहिए।
  • साबुन ऐल्कोहॉल (एथेनॉल) में विलेय होना चाहिए।

प्रश्न 18.
साबुन घोलने पर जल के पृष्ठ तनाव पर क्या प्रभाव पड़ता है? यह कपड़े की सफाई करने में किस प्रकार सहायक होता है?
उत्तर:
साबुन घोलने पर जल का पृष्ठ तनाव कम हो जाता है पृष्ठ तनाव कम हो जाने से साबुन युक्त जल, कपड़े के तन्तुओं के भीतर आसानी से प्रवेश करके तेल/ वसा का कोलॉइडी विलयन बना लेता है तथा जल में मिश्रित मैल/ धूल के कण जल के साथ बह कर कपड़े से निकल जाते हैं।

प्रश्न 19.
साबुन क्या है? किसी एक साबुन का सूत्र व नाम लिखिए।
अथवा
साबुन पर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
साबुन- उच्च अणुभार के कार्बनिक एसिडों (जिन्हें वसीय एसिड भी कहते हैं) के सोडियम अथवा पोटैशियम लवणों को साबुन (soap) कहते हैं।
जैसे-

  • सोडियम पामिटेट – C15H31. COO Na
  • सोडियम स्टियरेट – C17H33.COO.Na
  • सोडियम ओलिएट – C17H31.COO.Na
  • पोटैशियम पामिटेट – C15H31.COO.K
  • पोटैशियम स्टियरेट – C17H33.COO.K
  • पोटैशियम ओलिएट – C17H31.COO.K

प्रश्न 20.
क्या होता है, जब-
(i) मेथिल सायनाइड का तनु अम्ल से जल अपघटन किया जाता है।
(ii) एसिटामाइड की नाइट्स अम्ल से क्रिया होती है।
(iii) एथिल एल्कोहाल को सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ 160°C – 170°C तक गर्म किया जाता है।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 43

प्रश्न 21.
क्या होता है जबकि –
(i) ऐसीटिक अम्ल को P2O5 के साथ गर्म किया जाता है।
(ii) एथिलीन सल्फर मोनो क्लोराइड के साथ
(iii) एथिल एल्कोहॉल की अधिक मात्रा को सान्द्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म किया जाता है।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 44

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
एथिलीन से एथिल ऐल्कोहॉल बनाने की विधि का रासायनिक समीकरण दीजिए। एथिल ऐल्कोहॉल की निम्न अभिक्रियाओं को स्पष्ट कीजिए-
(i) अमोनिया से
(ii) फॉस्फोरस पेण्टाक्लोराइड से
(iii) हैलोफॉर्म अभिक्रिया।
उत्तर:
एथिलीन से एथिल एल्कोहॉल – एथिलीन की क्रिया सान्द्र H2SO4 से 80°C ताप व 30 वायुमण्डल दाब पर कराने पर प्राप्त यौगिक को जल के साथ गर्म करने पर एथिल ऐल्कोहॉल बनता है-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 45

प्रश्न 2.
मृदु एवं कठोर साबुन क्या होते हैं? इसकी स्वच्छीकारक क्रिया को समझाइए।
अथवा
मृदु साबुन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कठोर साबुन सोडियम साबुन कठोर साबुन कहलाते हैं। जैसे – C17H35COONa (सोडियम स्टियरेट)

मृदु साबुन – पोटैशियम साबुन मुलायम या मृदा साबुन कहलाते हैं।

जैसे – C12H35COOK (पोटैशियम स्टियरेट)

साबुन की सफाई प्रक्रिया – साबुन के अणु के दो भिन्न भाग होते हैं। एक भाग हाइड्रोकार्बन शृंखला का होता हैं जो अध्रुवीय (non-polar) होता है तथा तेल या वसा में विलेय होता है तथा दूसरा भाग कार्बोक्सिलेट आयन होता है जो ध्रुवीय (polar) तथा जल में विलेय होता है।

उदाहरणत:
एक साबुन सोडियम के दो भाग निम्नवत् हैं-
जब साबुन को जल में डाला जाता है तो साबुन के बना लेते हैं कि उनका कार्बोक्सिल समूह जल के भीतर अणु जल के बाह्य तल पर एक अणु मोटी ऐसी पर्त समाया रहता है तथा हाइड्रोकार्बन श्रृंखला जल के तल के ऊपर हाइड्रोकार्बन की पर्त बना लेती है।

अब जब किसी मैले कपड़े को जाता है तो कपड़े धूल, धुआँ आदि के सूक्ष्म कणों से युक्त तेल / वसा के कणों को अपने में घोल लेता है। इस डुबोया क्रिया में मैल युक्त तेल की बूँद एक गोले के रूप में होती है जिसमें तेल में विलेय हाइड्रोकार्बन शृंखलाएँ फँसी रहती हैं तथा जल में विलेय कार्बोक्सिलेट आयन इस बूँद के पृष्ठ के चारों ओर एक जल स्नेही (hydrophilic ) पर्त बना लेते हैं। (चित्र B) इससे तेल की सूक्ष्म बूँदों का यह समूह (micelles) जल में घुलकर उसके साथ कपड़े से अलग होकर बह जाता है। यदि जल में साबुन न धुला हो तो मैल युक्त तैलीय बूँदें जलरोधी (hydrophobic) होने के कारण कपड़े से ही चिपकी रहती हैं तथा जल में नहीं घुलतीं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 46
ऐसा पाया गया है, कि साबुन के अणु जल के बाह्य पृष्ठ पर ही एकत्र होने के कारण उसके पृष्ठ तनाव (surface tension) को घटा देते हैं, जिससे जल में झाग (सूक्ष्म बूँदों का समूह ) बनता है पृष्ठ तनाव कम हो जाने के कारण साबुन युक्त जल का झाग कपड़े के तन्तुओं के भीतर आसानी से प्रवेश करके तेल / वसा का कोलॉइडी विलयन (emulsion) बना लेता है। जल में धुली हुई मैल युक्त ये तेल-बूँदें जल के साथ बहकर कपड़े से निकल जाती है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

प्रश्न 3.
स्टार्च से एथिल ऐल्कोहॉल के निर्माण में होने वाली अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए। इससे केवल समीकरण दीजिए। आयोडोफॉर्म तथा डाइएथिल ईथर कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर:
स्टार्च से एथिल ऐल्कोहॉल-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 47
(i) एथिल ऐल्कोहॉल से आयोडोफॉर्म-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 48

(ii) एथिल ऐल्कोहॉल से डाईएथिल ईथर-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 49

प्रश्न 4.
परिशुद्ध ऐल्कोहॉल, परिशोधित स्पिरिट तथा विकृत स्पिरिट क्या होते हैं? एथिल ऐल्कोहॉल के चार मुख्य उपयोग लिखिए।
उत्तर:

  • परिशुद्ध ऐल्कोहॉल – 100 प्रतिशत शुद्ध ऐल्कोहॉल परिशुद्ध ऐल्कोहॉल कहलाता है।
  • परिशोधित स्पिरिट – 93-95 प्रतिशत शुद्ध ऐल्कोहॉल परिशोधित स्पिरिट कहलाता है।
  • विकृत स्पिरिट – परिशोधित स्पिरिट जिसमें मेथिल एल्कोहॉल और अन्य विषैले पदार्थ मिले होते हैं विकृत स्पिरिट कहलाता है।

एथिल ऐल्कोहॉल के उपयोग (Uses of Ethyl Alcohol) इसके निम्नलिखित उपयोग हैं-

  • विलायक के रूप में,
  • ऐसीटिक अम्ल, क्लोरोफॉर्म आदि के निर्माण में,
  • पूतिनाशक के रूप में,
  • मादक पेय के रूप में।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित परीक्षणों के आधारभूत कारण सुझाइए।
(a) कार्बन से बने यौगिकों की संख्या अत्यंत अधिक है।
(b) जब ज्वाला पर खाना बनाने वाले बर्तन काले पड़ने लगें तो गैस बर्नरों के वायु छिद्रों में समयोजन करना पड़ता है।
(c) संश्लेषित अपमार्जकों के उपयोग से जल प्रदूषित हो जाता है।
उत्तर:
(a) कार्बन से बने यौगिकों की संख्या अत्यंत अधिक चतु: संयोजकता, शृंखलन तथा समावयवता के कारण होते हैं। चतुःसंयोजकता का तात्पर्य है इसकी संयोजकता 4 है, जिसके कारण बड़ी संख्या में अन्य चार परमाणु जुड़ सकते हैं। कार्बन परमाणु का कार्बन के साथ जुड़ना श्रृंखलन तथा समान अणुसूत्र परंतु भिन्न-भिन्न संरचना के कारण भी इसके यौगिकों की संख्या अधिक होती है, जिन्हें समावयवता कहते हैं।

(b) वायु छिद्र अवरुद्ध होने के कारण ईंधन को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पाती है तथा पूर्ण दहन नहीं होता है, जिससे धुआँ निकलता है और ईंधन व्यर्थ होता है। अतः गैस बर्नरों के छिद्रों को समायोजित करना पड़ता है ताकि पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन समृद्ध मिश्रण का दहन हो सकें।

(c) डिटरजेंट (संश्लेषित अपमार्जक) अजैव-विघटनीय (Non-biodegradable) होते हैं, जिसके कारण जल प्रदूषित होता है तथा जलीय जीव-जन्तु एवं जलीय परितंत्र प्रभावित होता है।

प्रश्न 6.
(a) सिरका क्या होता है? (b) एक रासायनिक समीकरण लिखकर वर्णन कार्बोनेट, एथेनॉइक अम्ल से अभिक्रिया करता है। कीजिए कि क्या होता है, जब सोडियम हाइड्रोजन
उत्तर:
(a) एसीटिक अम्ल का 5 8% विलयन सिरका कहलाता है।

(b) एथेनॉइक अम्ल, सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट से अभिक्रिया करके, सोडियम एसीटेट, कार्बन डाइऑक्साइड और जल बनाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 50

प्रश्न 7.
संतृप्त और असंतृप्त हाइड्रोकार्बन में क्या अन्तर है? प्रत्येक के लिए एक-एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
संतृप्त और असंतृप्त हाइड्रोकार्बन में निम्नलिखित अन्तर पाये जाते हैं-

संतृप्त हाइड्रोकार्बन असंतृप्त हाइड्रोकार्बन
1. इसमें दो कार्बन परमाणुओं के बीच एकल आबंध या बंध (Single bond) होता है। 1. इसमें कार्बन-कार्बन के बीच द्वि-आबंध या त्रि-आबंध होते हैं।
2. यह नीली जवाला के साथ जलती है। 2. एक कज्जली धुएँ के साथ (Sooty flame) जलती है।
3. इसमें प्रतिस्थापन अभिक्रिया होती है। 3. इसमें संकलन अभिक्रिया होती है।
4. यह अपेक्षाकृत कम अभिक्रियाशील होते हैं।
जैसे-मेथेन (Methane): CH4
एथेन (Ethane): C2H6
4. यह अधिक अभिक्रियाशील होते हैं।
जैसे-एथीन (Ethene): C2H4 या
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 51
एथाइन (Ethyne): C2H2
या H – C ≡ C – H

प्रश्न 8.
समावयवता की व्याख्या कीजिए। समावयवियों की कोई चार विशेषताएँ लिखिए। ब्यूटेन के संभव समावयवियों की संरचना चित्रित कीजिए।
उत्तर:
समावयवता – समावयव एक ऐसा गुण है, जिसमें दो या दो से अधिक कार्बनिक यौगिकों के अणुसूत्र हैं। ऐसे समान होते हैं परन्तु संरचना भिन्न-भिन्न होती कार्बनिक यौगिकों को समावयव कहते हैं तथा इस परिघटना को समावयवता कहते हैं।

समावयवियों की चार विशेषताएँ:

  • समावयवियों के अणुसूत्र समान होते हैं।
  • समावयवियों के संरचना सूत्र भिन्न-भिन्न होते हैं।
  • समावयवियों के भौतिक गुण भिन्न होते हैं।
  • समावयवियों के रासायनिक गुण भिन्न होते हैं।
    ब्यूटेन (C4H10) के दो समावयव होते हैं:
    JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 52

प्रश्न 9.
हाइड्रोकार्बन क्या हैं? (a) संतृप्त सामान्य सूत्र लिखिए तथा प्रत्येक प्रकार के एक हाइड्रोकार्बन (b) असंतृप्त हाइड्रोकार्बनों का नाम तथा हाइड्रोकार्बन की संरचना को दर्शाइए। किसी असंतृप्त हाइड्रोकार्बन को किस प्रकार संतृप्त बनाया जा सकता है?
उत्तर:
केवल कार्बन और हाइड्रोजन वाले कार्बनिक यौगिकों को हाइड्रोकार्बन कहते हैं।
(a) संतृप्त हाइड्रोकार्बन-वे कार्बनिक यौगिक जिनमें कार्बन कार्बन के बीच एकल आबंध (-) हो संतृप्त हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं, इसे एल्केन कहते हैं।
सामान्य सूत्र – CnH2n + 2
जहाँ n = 1, 2, 3, ….
जब n = 1, तो CH4 मेथेन, जब = 2
जब C2H6 एथेन
जब n = 3, तो C3H8 प्रोपेन
इसी प्रकार, ब्यूटेन, पेन्टेन, हेक्सेन, ऑक्टेन इत्यादि।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 53

(b) असंतृप्त हाइड्रोकार्बन-
(i) एल्कीन-वे असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जिसमें एक या एक से अधिक द्वि-आबंध (=) हो।
सामान्य सूत्र – CnH2n
जहाँ n = 2, 3, 4,
जब = 2 तो C2H4 एथीन
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 54
सामान्य नाम – एथिलीन
IUPAC नाम एथीन

(ii) एल्काइन – ऐसे असंतृप्त हाइड्रोकार्बन जिसमें या एक से अधिक त्रि-आबंध कार्बन कार्बन के बीच हो।
सामान्य सूत्र – CnH2n-2 जहाँ, n = 2, 3, 4 है।
जब n = 2, C2H2
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 55
सामान्य नाम एसीटिलीन
IUPAC नाम एथाइन
असंतृप्त हाइड्रोकार्बन को संतृप्त हाइड्रोकार्बन में संकलन अभिक्रिया द्वारा बदला जाता है। इसमें पैलेडियम, Ni जैसे उत्प्रेरकों की उपस्थिति भी अनिवार्य होती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 56
यह अभिक्रिया हाइड्रोजनीकरण अभिक्रिया भी कहलाती है।

प्रश्न 10.
रासायनिक दृष्टि से अपमार्जक क्या हैं? सफाई के लिए अपमार्जकों के उपयोग के दो लाभ एवं दो हानियों की सूची बनाइए। उन स्थानों पर भी, जहाँ जल में कैल्सियम आयन होते हैं, घुलाई के लिए
उत्तर:
अपमार्जकों के उपयुक्त होने का कारण लिखिए। कार्बोक्सिलिक अम्ल श्रृंखला के अमोनियम एवं रासायनिक दृष्टि से अपमार्जक लंबी सल्फोनेट लवण होते हैं।

लाभ-

  • अपमार्जक कठोर जल के साथ भी कार्य करते हैं तथा झाग उत्पन्न करता है जबकि साबुन कठोर जल के साथ ठीक से कार्य नहीं करता है।
  • अपमार्जक साबुन की तुलना में अच्छे सफाई एजेंट हैं।

हानियाँ-

  • कुछ अपमार्जक जैवविघटनीय (biodegradable) नहीं होते अर्थात् बैक्टीरिया द्वारा इनका विघटन नहीं हो पाता है जिससे जल प्रदूषण बढ़ता है।
  • जलीय पौधे जैसे एलगे ( algae) की वृद्धि हो जाती है, जिससे जल में ऑक्सीजन की कमी (deoxy-genation of water) होती है और जलीय जीव मर जाते हैं। कैल्सियम तथा मैग्नीशियम आयन वाले जल में भी अपमार्जक धुलाई के लिए उपयुक्त होते हैं, क्योंकि अपमार्जक के आवेशित सिरा कैल्सियम और मैग्नीशियम आयनों के साथ अघुलनशील पदार्थ (Scum) नहीं बनाते हैं। इस तरह अपमार्जक कठोर जल के साथ भी प्रभावी (effective) बने रहते हैं।

प्रश्न 11.
किण्वन विधि द्वारा एथिल ऐल्कोहॉल कैसे प्राप्त करोगे? सम्बन्धित अभिक्रिया लिखिए एवं इसके चार रासायनिक गुणधर्म लिखिए। अथवा किण्वन विधि द्वारा एथिल एल्कोहॉल से ऐसीटिक अम्ल बनाने की विधि का रासायनिक समीकरण सहित वर्णन कीजिए। इसकी निम्न के साथ रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
(i) PCl5
(ii) CH3OH
(iii) NaOH
(iv) NH3
(v) Cl2
उत्तर:
किण्वन विधि द्वारा एथिल ऐल्कोहॉल (Ethyl Method)- Alcohal by Fermentation-
सुक्रोज में यीस्ट (Yeast) मिलाकर विलयन को 30-35° के बीच ताप पर रख दिया जाता है तो यीस्ट में उपस्थित इन्वर्टेस एन्जाइम शर्करा को ग्लूकोज और फ्रक्टोज में परिवर्तित कर देता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 57
यीस्ट में उपस्थित दूसरा एन्जाइम जाइमेज ग्लूकोज और फ्रक्टोज मिश्रण को एथेनॉल में परिवर्तित कर देता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 58
किण्वन विधि द्वारा एथिल एल्कोहॉल से एसीटिक अम्ल (Acetic Acid by Ethyl Alcohol) –
अम्लीकृत पोटैशियम डाइक्रोमेट से एथेनाल को अम्लीकृत पोटैशियम डाइक्रोमेट विलयन से साथ क्रिया कराने पर, एथेनॉल का ऑक्सीकरण होकर एसीटिक अम्ल बनता है।

रासायनिक गुण (Chemical Properties) –
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 59
1. PCl5 से अभिक्रिया :
C2H5-OH + PCl5 → C2H5Cl+ POCl3 + HCl

2. CH3OH से अभिक्रिया :
CH3CH2OH + O → CH3CHO + H2O
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 60

3. NaOH से अभिक्रियाः
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 61

4. NH3 से अभिक्रिया :
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 62

5. Cl2 से अभिक्रिया :
C2H5OH + Cl2 → CH3CHO + 2HCl
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 63

प्रश्न 12.
साबुन क्या है? एक साबुन का सूत्र लिखिए। इसके निर्माण में प्रयुक्त होने वाले पदार्थों के नाम लिखिए। साबुन के निर्माण की किसी एक विधि का वर्णन कीजिए। अच्छे साबुन में कौन-से गुण होने चाहिए?
अथवा
साबुनीकरण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
साबुन तथा साबुनीकरण (Soaps and Saponification) – उच्च अणुभार के कार्बनिक एसिडों (जिन्हें वसीय एसिड (fatty acids) भी कहते हैं) के सोडियम अथवा पोटैशियम लवणों को साबुन (soap) कहते हैं। ये एसिड मुख्यतः

  • पामीटिक एसिड (C15H31COOH)
  • स्टियरिक एसिड (C17H33COOH) तथा
  • ओलिक एसिड (C17H31COOH) हैं।

इनके सोडियम तथा पोटैशियम लवण निम्नवत् होते हैं-

सोडियम पामीटेट (Sodium Palmitate) C15H31COONa
सोडियम स्टियरेट (Sodium Stearate) C17H33COONa
सोडियम ओलिएट (Sodium Oleate) C17H31COONa
पोटैशियम पामीटेट (Potassium Palmitate) C15H31 COO.K
पोटैशियम स्टियटेट (Potassium Stearate) C17H33COO.K
पोटैशियम ओलिएट (Potassium Oleate) C17H31COO.K

सोडियम लवणों को कठोर साबुन (Hard soap ) तथा पोटैशियम लवणों को मृदु साबुन (Soft soap ) कहते हैं।

साबुन का निर्माण तेलों (oils) अथवा वसाओं (fats) पर कास्टिक सोडा (NaOH) अथवा कास्टिक पोटाश (KOH) की क्रिया से होता है तेल (जैसे नारियल का तेल, तिल का तेल, मछुआ का तेल आदि) तथा वसा (जैसे जानवरों की चर्बी ) उपर्युक्त वसीय एसिडों तथा ग्लिसरॉल ( ग्लिसरीन ) के संयोग से बने यौगिक होते हैं. जिन्हें ग्लिसराइड (glycerides) कहते हैं। तेलों तथा अभिक्रिया को निम्नवत् लिखा जा सकता है-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 64
तेल या वसा पर क्षार की अभिक्रिया से साबुन बनने की क्रिया की साबुनीकरण (soaponification) कहते हैं। हमारे प्रयोग में आने वाले कपड़ा धोने के साबुन

(4) द्रव साबुन (Liquid soap)- कठोर साबुन होते हैं। नहाने, दाढ़ी बनाने आदि के साबुन मृदु साबुन होते हैं।
श्रेष्ठ साबुन के गुण (Properties of Quality Soap):

  • साबुन खुरदरा नहीं वरन चिकना होना चाहिए।
  • साबुन में किसी प्रकार का अप्रयुक्त (स्वतन्त्र) क्षार नहीं होना चाहिए।
  • साबुन ऐल्कोहॉल में विलेय होना चाहिए।
  • साबुन भंगुर (Brittle) नहीं होना चाहिए अर्थात् प्रयोग करते समय चटखना या टूटना नहीं चाहिए।

विशेष प्रकार के साबुन (Soap of Special Type) :
(1) पारदर्शी साबुन (Transparent Soap ) – वास्तव में ये प्रकाश के लिए पारभासी (transluscent) होते हैं, इनमें कुछ ग्लिसरॉल तथा ऐल्कोहॉल मिला रहता है जो इन्हें पारभासी बनाता है।
(विज्ञापनों में बहुधा पारभासिता को साबुन की शुद्धता का सूचक कहा जाता है, जो भ्रामक तथा निरर्थक प्रचार है।)

(2) औषधियुक्त साबुन (Medicated Soap ) – इनमें त्वचा के रोगों के उपचार अथवा निवारण हेतु कोई कीटनाशक पदार्थ जैसे नीम का तेल, 0.5% फिनॉल (कार्बोलिक साबुन में) मिला रहता है।

(3) शेविंग साबुन (Shaving soap ) – इनमें ग्लिसरॉल तथा गोंद (gum) मिला रहता है जो झाग को शीघ्र सूखने से रोकता है। इनमें 70 से 85% तक जल होता है। इन्हें नारियल के तेल पर कास्टिक पोटाश की क्रिया से बनाया जाता है।

कपड़ा धोने के साबुन तथा नहाने के साबुन में अन्तर
(Differences between Bath Soap and Wash Soap)

कपड़ा धोने का साबुन नहाने का साबुन
1. घटिया किस्म के तेल या वसा से बनाये जाते हैं। 1. उच्च कोटि का तेल (लाई) का प्रयोग किया जाता है।
2. कपड़ा धोने के साबुन में पूरक पदार्थ जैसे-स्टार्च, सोडियम सिलिकेट आदि मिलाये जाते हैं। 2. नहाने के साबुन में पूरक पदार्थ नहीं मिलाये जाते हैं।
3. प्रायः अरुचिकर गन्ध को दबाने के लिए सामान्य प्रकार की सुगन्ध मिलाते हैं। 3. इसमें अच्छे प्रकार की सुगन्ध (Perfumes) मिलाये जाते हैं।
4. कपड़ा धोने के साबुन में हानिकारक क्षार मिला होता है। 4. नहाने के साबुन में हानिकारक क्षार की मात्रा नहीं होती।
5. यह प्रायः कठोर होता है, क्योंकि इसे कास्टिक सोडा से बनाते हैं। 5. यह प्रायः मृदु होता है, क्योंकि इसे कास्टिक पोटाश से बनाते हैं।

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. एथीन की हाइड्रोजन ब्रोमाइड के साथ अभिक्रिया है-
(a) योगात्मक
(b) बहुलीकरण
(c) संघनन
(d) प्रतिस्थापन
उत्तर:
(a) योगात्मक

2. C2H5OH का नाम है-
(a) मेथेनॉल
(b) एथनॉल
(c) मेथेनल
(d) एथेनल
उत्तर:
(b) एथनॉल

3. निम्न में से मेथेनाइक अम्ल है-
(a) CH3OH
(b) C2H5COOH
(c) C2H5OH
(d) HCOOH
उत्तर:
(d) HCOOH

4. एल्कोहॉल में क्रियात्मक समूह है-
(a) – OH
(b) – CHO
(c) – COOH
(d) > C = 0
उत्तर:
(a) – OH

5. एल्कोहॉल निम्न के साथ हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करते हैं-
(a) Zn के साथ
(b) Fe के साथ
(c) Al के साथ
(d) Na के साथ
उत्तर:
(d) Na के साथ

6. कार्बनिक अम्लों में उपस्थित क्रियात्मक समूह है-
(a) – OH
(b) – CHO
(c) – COOH
(d) > C = 0
उत्तर:
(c) – COOH

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

7. एथनॉल को एसीटिक अमल के साथ सान्द्र सल्फ्यूरिक अमल की उपस्थिति में गर्म किया जाता है, उत्पाद होगा-
(a) एल्डीहाइड
(b) मिथाइल एसीटेट
(c) एथायल एसीटेट
(d) एसीटिक एनहाइड्राइड
उत्तर:
(c) एथायल एसीटेट

8. कौन-सा कथन असत्य है-
(a) अपमार्जक प्रदूषण की दृष्टि से सुरक्षित है।
(b) साबुन प्रदूषण की दृष्टि से सुरक्षित है।
(c) अपमार्जक कठोर जल में प्रभावशाली है
(d) साबुन कठोर जल में प्रभावशाली नहीं है।
उत्तर:
(a) अपमार्जक प्रदूषण की दृष्टि से सुरक्षित है।

9. साबुन है-
(a) सल्फोनिक अम्लों के सोडियम लवण जिनमें 10 से 16 कार्बन हैं
(b) वसा अम्लों के सोडियम लवण जिनमें 16 से 18 कार्बन हैं
(c) ट्राइहाइड्रॉक्सी ऐल्कोहॉल के सोडियम लवण
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(b) वसा अम्लों के सोडियम लवण जिनमें 16 से 18 कार्बन हैं

10. ऐसीटिक एसिड में क्रियात्मक समूह है-
(a) > C = 0
(b) – OH
(c) – COOH
(d) – CHO
उत्तर:
(c) – COOH

11. C2H5.HSO4 को 160°C 170°C ताप तक गर्म करने पर बनता है-
(a) CH4
(b) C2H6
(c) C2H4
(d) (C2H5)2O
उत्तर:
(c) C2H4

12. ठण्डे जल से क्रिया करके मेथेन बनाता है-
(a) कैल्सियम कार्बोनेट
(b) कैल्सियम कार्बाइड
(c) एलुमिनियम कार्बोनेट
(d) एलुमिनियम कार्बाइड
उत्तर:
(d) एलुमिनियम कार्बाइड

13. डीजल तेल में कार्बन परमाणुओं की संख्या है-
(a) C3-C5
(b) C16-C18
(c) C11-C16
(d) C4-C11
उत्तर:
(b) C16-C18

14. किसी एल्कीन का सूत्र है-
(a) C4H10
(b) C4H6
(c) C4H8
(d) C4H12
उत्तर:
(c) C4H8

15. एथेनोइक एसिड (आई. यू. पी. ए. सी. प्रणाली में) का साधारण नाम है-
(a) फॉर्मिक एसिड
(b) ऐसीटिक एसिड
(c) प्रोपियोनिक एसिड
(d) ऐसीटोन
उत्तर:
(b) ऐसीटिक एसिड

16. ब्यूटेनोन में क्रियात्मक समूह है-
(a) > C = 0
(b) CHO
(c) – OH
(d) – COOH
उत्तर:
(a) > C = 0

17. पैलेडियम अथवा निकिल उत्प्रेरक की उपस्थिति में तेल, हाइड्रोजन से अभिकृत कराने पर बसा देते हैं।
यह उदाहरण है, एक-
(a) संकलन अभिक्रिया
(b) प्रतिस्थापन अभिक्रिया का
(c) विस्थापन अभिक्रिया का
(d) ऑक्सीकरण अभिक्रिया का
उत्तर:
(a) संकलन अभिक्रिया

18. निम्नलिखित यौगिकों में से किसमें – OH एक क्रियात्मक समूह है।
(a) ब्यूटेनोन
(b) ब्यूटेनॉल
(c) ब्यूटेनोइक अम्ल
(d) ब्यूटेनल
उत्तर:
(b) ब्यूटेनॉल

19. साबुन के अणु में होता है-
(a) जलरागी शीर्ष तथा जलविरागी पूँछ
(b) जलविरागी शीर्ष तथा जलरागी पूँछ
(c) जलविरागी शीर्ष तथा जलविरागी पूँछ
(d) जलरागी शीर्ष तथा जलरागी पूँछ
उत्तर:
(b) जलविरागी शीर्ष तथा जलरागी पूँछ

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक

20. अपमार्जक के बारे में क्या सत्य है?
(a) लंबी कार्बोक्सिलिक अम्ल श्रंखला के अमोनियम एवं सल्फेट लवण होते हैं।
(b) कार्बोनिक अम्ल का सोडियम लवण है।
(c) ये जैवविघटनीय होते हैं।
(d) इसमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(a) लंबी कार्बोक्सिलिक अम्ल श्रंखला के अमोनियम एवं सल्फेट लवण होते हैं।

21. सिरका एक विलयन है-
(a) एल्कोहॉल में 40%-50% ऐसीटिक अम्ल
(b) एल्कोहॉल में 5%-50% ऐसीटिक अम्ल
(c) जल 5%-8% ऐसीटिक अम्ल
(d) जल में 40%-50% ऐसीटिक अम्ल
उत्तर:
(c) जल 5%-8% ऐसीटिक अम्ल

22. निम्नलिखित में से कौन एक समजातीय श्रेणी से संबंधित नहीं है?
(a) CH4
(b) C2H6
(c) C3H8
(d) C4H8
उत्तर:
(d) C4H8

23. यौगिक CH3 – CH2 – CHO का नाम है-
(a) प्रोपेनल
(b) प्रोपेनोल
(c) एथेनॉल
(d) एथेनल
उत्तर:
(a) प्रोपेनल

24. CH2 – CH2 – O – CH2 – CH2Cl में
उपस्थित विषम परमाणु है-
(i) ऑक्सीजन
(ii) कार्बन
(iii) हाइड्रोजन
(iv) क्लोरीन
(a) (i) तथा (ii)
(b) (ii) तथा (iii)
(c) (iii) तथा (iv)
(d) (i) तथा (iv)
उत्तर:
(d) (i) तथा (iv)

25. सामान्य सूत्र CnH2n+2 वाले हाइड्रोकार्बन हैं-
(a) एल्केन
(b) एल्कीन
(c) एल्काइन
(d) एल्काइल
उत्तर:
(a) एल्केन

26. निम्नलिखित में से कौन सहसंयोजक आबंध को परिभाषित करता है?
(a) इलेक्ट्रॉनों का स्थानान्तरण होता है।
(b) इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी होती है।
(c) कुछ इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी होती है तथा कुछ का स्थानान्तरण होता है।
(d) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी होती है।

27. कार्बोक्सिल अम्ल के सोडियम लवण हैं-
(a) अपमार्जक
(b) साबुन
(c) डिटरजेंट
(d) शैम्पू
उत्तर:
(b) साबुन

28. वायुमंडल में कार्बन निम्नलिखित में से किस रूप में रहता है?
(a) केवल कार्बन मोनोक्साइड
(b) अल्प मात्रा में कार्बन मोनोक्साइड तथा कार्बन
(c) केवल कार्बन डाइऑक्साइड
(d) कोयला
उत्तर:
(b) अल्प मात्रा में कार्बन मोनोक्साइड तथा कार्बन

29. JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 4 कार्बन एवं इसके यौगिक 65
उपर्युक्त अभिक्रिया में क्षारीय KMnO4 किस रूप में कार्य करता है?
(a) अपचायक
(b) ऑक्सीकारक
(c) उत्प्रेरक
(d) निर्जलीकारक
उत्तर:
(a) अपचायक

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. उच्च अणुभार वाले हाइड्रोकार्बनों को गर्म करके निम्नतर हाइड्रोकार्बनों में तोड़ने की प्रक्रिया ……………….. कहलाती है।
  2. एक कार्बनिक यौगिक का वह भाग जो उसके गुणों को निर्धारित करता है ……………….. कहलाता है।
  3. ……………….. की उपस्थिति में एक असंतृप्त हाइड्रोकार्बन में हाइड्रोजन के योग की क्रिया हाइड्रोजनीकरण कहलाती है।
  4. – COOH ऐसे यौगिक जिनके अणुसूत्र तो समा होते हैं लेकिन संरचना सूत्र भिन्न होते हैं ……………… कहलाते हैं।
  5. क्रियात्मक समूह वाले कार्बनिक यौगिक ……………… कहलाते हैं।
  6. ……………… का सामान्य सूत्र CnH2n+1OH है।

उत्तर:

  1. भंजन
  2. क्रियात्मक समूह
  3. उत्प्रेरक
  4. समावयव
  5. कार्बनिक या कार्बोक्सिलिक अम्ल
  6. ऐल्कोहॉल।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र Important Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र

प्रश्न 1.
एक त्रिभुज की भुजाएँ 40 सेमी, 70 सेमी एवं 90 सेमी हैं । त्रिभुज का क्षेत्रफल होगा :
(A) 600\(\sqrt{5}\) वर्ग सेमी
(B) 500\(\sqrt{6}\) वर्ग सेमी
(C) 482\(\sqrt{5}\) वर्ग सेमी
(D) 60\(\sqrt{5}\) वर्ग सेमी
हल :
यहाँ a = 40 सेमी, b = 70 सेमी, c = 90 सेमी
अर्द्ध-परिमाप (s) = \(\frac{a+b+c}{2}=\frac{40+70+90}{2}\)
= \(\frac {200}{2}\) = 100 सेमी
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र - 1

प्रश्न 2.
एक समबाहु त्रिभुज की भुजा 6 सेमी है। त्रिभुज का क्षेत्रफल होगा :
(A) 6\(\sqrt{3}\) वर्ग सेमी
(B) 9\(\sqrt{3}\) वर्ग सेमी
(C) 16\(\sqrt{3}\) वर्ग सेमी
(D) 3\(\sqrt{3}\) वर्ग सेमी
हल :
हम जानते हैं कि
समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = \(\frac{a^2 \sqrt{3}}{4}\), जहाँ ‘a’ भुजा है।
= \(\frac{(6)^2 \sqrt{3}}{4}=\frac{36 \sqrt{3}}{4}\)
= 9\(\sqrt{3}\) वर्ग सेमी
अतः विकल्प (B) सही है।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र

प्रश्न 3.
एक समकोण त्रिभुज का क्षेत्रफल 36 वर्ग सेमी है एवं आधार 9 सेमी है, तो इसके लम्ब की लम्बाई होगी :
(A) 8 सेमी
(B) 4 सेमी
(C) 16 सेमी
(D) 32 सेमी
हल :
त्रिभुज का क्षेत्रफल = \(\frac {1}{2}\) × आधार × लम्ब
⇒ 36 = \(\frac {1}{2}\) × 9 × लम्ब
⇒ 36 × 2 = 9 × लम्ब
∴ लम्ब = \(\frac{36 \times 2}{9}\)
= 4 × 2 = 8 सेमी
अत: सही विकल्प (A) है।

प्रश्न 4.
एक समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल 96 सेमी² एवं ऊँचाई 8 सेमी हो तो आधार होगा :
(A) 9.7 सेमी
(B) 8 सेमी
(C) 14 सेमी
(D) 12 सेमी
हल :
समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रपफल आधार ऊँचाई = आधार × ऊँचाई
∴ आधार = समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल / ऊँचाई
= \(\frac {96}{8}\) = 12 सेमी
अतः सही विकल्प (D) है।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र

प्रश्न 5.
यदि किसी समद्विबाहु त्रिभुज की समान भुजाएँ 6 सेमी एवं अन्य भुजा 8 सेमी हो, तो इसका क्षेत्रफल होगा :
(A) 8\(\sqrt{5}\) वर्ग सेमी
(B) 5\(\sqrt{8}\) वर्ग सेमी
(C) 3\(\sqrt{55}\) वर्ग सेमी
(D) 3\(\sqrt{8}\) वर्ग सेमी
हल :
समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल
= \(\frac {b}{4}\)\(\sqrt{4 a^2-b^2}\)
जहाँ a समान भुजा एवं b अन्य भुजा है।
समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल
= \(\frac {8}{4}\)\(\sqrt{4(6)^2-(8)^2}\)
= \(\frac {8}{4}\)\(\sqrt{4 \times 36-64}\)
= 2\(\sqrt{144-64}\)
= 2\(\sqrt{80}\) = 2\(\sqrt{4 \times 4 \times 5}\)
= 2 × 4 × \(\sqrt{5}\) = 8\(\sqrt{5}\) वर्ग सेमी
अत: सही विकल्प (A) है।

प्रश्न 6.
यदि किसी समचतुर्भुज के विकर्ण 10 सेमी एवं 8 सेमी हों तो इसका क्षेत्रफल होगा :
(A) 80 वर्ग सेमी
(B) 40 वर्ग सेमी
(C) 9 वर्ग सेमी
(D) 36 वर्ग सेमी
हल :
समचतुर्भुज का क्षेत्रफल
= \(\frac {1}{2}\) × विकर्णों का गुणनफल
= \(\frac {1}{2}\) × 10 × 8
= 5 × 8 = 40 वर्ग सेमी
अत: सही विकल्प (B) है।

प्रश्न 7.
एक त्रिभुज का आधार 14 सेमी एवं ऊँचाई 10 सेमी है, तो त्रिभुज का क्षेत्रफल होगा :
(A) 240 सेमी²
(B) 60 सेमी²
(C) 70 सेमी²
(D) 140 सेमी²
हल :
त्रिभुज का क्षेत्रफल = \(\frac {1}{2}\) × आधार × ऊँचाई
= \(\frac {1}{2}\) × 14 × 10 वर्ग सेमी
= 70 वर्ग सेमी
अत: सही विकल्प (C) है।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र

प्रश्न 8.
यदि किसी आयत की आसन्न भुजाएँ 3 सेमी व 4 सेमी इसका विकर्ण खींचने पर बने एक त्रिभुज का अर्द्ध-परिमाप होगा :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र - 2
(A) 6 सेमी
(B) 10 सेमी
(C) 7 सेमी
(D) 12 सेमी।
हल :
ΔABC पाइथागोरस प्रमेय से,
AC = \(\sqrt{3^2+4^2}=\sqrt{9+16}\) = 5 सेमी
∴ ΔABC का अर्द्ध परिमाप = \(\frac{3+4+5}{2}\)
= \(\frac {12}{2}\) = 6 सेमी
अतः सही विकल्प (A) है।

प्रश्न 9.
हीरोन के सूत्र में 3 प्रकट करता है
(A) परिमाप को
(B) क्षेत्रफल को
(C) अर्द्ध परिमाप को
(D) A और B दोनों
हल :
अर्द्धपरिमाप को अत: विकल्प (C) सही है।

प्रश्न 10.
किसी अनियमित आकार के बहुभुजाकार खेत का क्षेत्रफल ज्ञात करने के लिए उसे बाँट लिया जाता है :
(A) आयतों में,
(B) वर्गों में
(C) समचतुर्भुजों में
(D) त्रिभुओं में
हल :
त्रिभुजों में, अतः विकल्प (D) सही है।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र

प्रश्न 11.
एक समान्तर चतुर्भुज का आधार 18 मीटर एवं क्षेत्रफल 174.60 वर्ग मीटर हो, तो इसकी ऊंचाई ज्ञात कीजिए।
हल :
समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल = आधार × ऊँचाई
⇒ 174.60 = 18 × ऊँचाई
∴ ऊँचाई = \(\frac {174.60}{18}\)
= 9.7 मीटर।

प्रश्न 12.
उस समबाहु त्रिभुज की भुजा की लम्बाई ज्ञात कीजिए, जिसका क्षेत्रफल 9\(\sqrt{3}\) वर्ग सेमी है।
हल :
समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल = \(\frac{a^2 \sqrt{3}}{4}\), जहाँ भुजा है।
⇒ 9\(\sqrt{3}\) = \(\frac{a^2 \sqrt{3}}{4}\)
⇒ 9 × 4\(\sqrt{3}\) = a2\(\sqrt{3}\)
⇒ a2 = \(\frac{9 \times 4 \times \sqrt{3}}{\sqrt{3}}\) = 9 × 4
⇒ a2 = 36
∴ a = 6 सेमी
अतः समबाहु Δ की भुजा की लम्बाई = 6 सेमी।

प्रश्न 13.
एक समद्विबाहु त्रिभुज की दो समान भुजाओं में प्रत्येक 5 सेमी एवं तीसरी भुजा 4 सेमी लम्बी है, तो त्रिभुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :
माना कि a = 5 सेमी, b = 4 सेमी
अतः समद्विबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल
= \(\frac {b}{4}\) × \(\sqrt{4 a^2-b^2}\)
= \(\frac {b}{4}\) × \(\sqrt{4 \times 25-16}\) वर्ग सेमी
= \(\sqrt{84}\) वर्ग सेमी
= 2\(\sqrt{21}\) वर्ग सेमी।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र

प्रश्न 14.
उस समबाहु त्रिभुज की ऊँचाई ज्ञात कीजिए जिसकी एक भुजा 2a है।
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र - 3
दिया है : भुजा = 2a
समबाहु त्रिभुज में शीर्ष से खींचा गया लम्ब सम्मुख भुजा को समद्विभाजित करता हैं। अत: समबाहु ΔABD में
∠ADB = 90°
AD²= AB² – BD²
(पाइथागोरस प्रमेय से)
= (2a)² – (a)²
= 4a² – a² = 3a²
AD = \(\sqrt{3}\)a इकाई
∴ त्रिभुज की ऊँचाई = \(\sqrt{3}\)a

प्रश्न 15.
एक त्रिभुजाकार खेत की भुजाएँ 20 मीटर, 51 मीटर एवं 37 मीटर हैं। 2 × 3 वर्ग मीटर माप की कितनी क्यारियाँ इस खेत में बनाई जा सकती हैं ?
हल :
त्रिभुजाकार खेत की भुजाएँ a = 20 मीटर, b = 51 मीटर, c = 37 मीटर
खेत का अर्द्ध परिमाप (s) = \(\frac{a+b+c}{2}\)
= \(\frac{20+51+37}{2}\)
= \(\frac {108}{2}\) = 54 सेमी
त्रिभुजाकार खेत का क्षेत्रफल = \(\sqrt{s(s-a)(s-b)(s-c)}\)
= \(\sqrt{54(54-20)(54-51)(54-37)}\)
= \(\sqrt{54 \times 34 \times 3 \times 17}\)
= 306 वर्ग मीटर
एक क्यारी का क्षेत्रफल = 2 × 3 वर्ग मीटर
= 6 वर्ग मीटर
क्यारियों की संख्या = खेत का क्षेत्रफल / एक क्यारी का क्षेत्रफल
= 306 वर्ग मीटर / 6 वर्ग मीटर
= 51 क्यारियाँ

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र

प्रश्न 16.
उस समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल एवं ऊंचाई ज्ञात कीजिए जिसकी एक भुजा 6 सेमी हो।
हल :
माना कि एक भुजा a = 6 सेमी
समबाहु त्रिभुज का क्षेत्रफल
= \(\frac{\sqrt{3}}{4}\)a2 = \(\frac{\sqrt{3}}{4}\) × (6)2
= 9\(\sqrt{3}\) वर्ग सेमी
त्रिभुज की ऊँचाई = 2 × क्षेत्रफल / आधार
= \(\frac{2 \times 9 \sqrt{3}}{6}\)
= 3\(\sqrt{3}\) सेमी
अतः त्रिभुज का क्षेत्रफल 9\(\sqrt{3}\) वर्ग सेमी एवं ऊँचाई 3\(\sqrt{3}\) सेमी है।

प्रश्न 17.
किसी समान्तर चतुर्भुज की दो आसन्न भुजाएँ क्रमश: 5 सेमी एवं 3.5 सेमी तथा विकर्ण 6.5 सेमी है। समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :
समान्तर चतुर्भुज का विकर्ण उसे दो बराबर क्षेत्रफल वाले त्रिभुओं में बाँटता है।
∴ समान्तर चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल
= 2 × (ΔABC का क्षेत्रफल)
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र - 4
अतः समान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल
= 2 × 5\(\sqrt{3}\) वर्ग सेमी
= 10\(\sqrt{3}\) वर्ग सेमी।

प्रश्न 18.
उस चतुर्भुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए, जिसकी भुजाएँ क्रमशः 9 सेमी, 40 सेमी, 28 सेमी एवं 15 सेमी हैं एवं प्रथम दो भुजाओं के मध्य का कोण समकोण है।
हल :
माना चतुर्भुज ABCD में भुजाएँ AB, BC, CD और DA
क्रमशः 9 सेमी, 40 सेमी, 28 सेमी और 15 सेमी हैं।
AB तथा BC के मध्य कोण 90° है।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र - 5
AC विकर्ण खींचा, जो चतुर्भुज ABCD को दो त्रिभुजों (ΔABC और ΔACD) में विभक्त कर देता है।
ΔABC का क्षेत्रफल
= \(\frac {1}{2}\) × (आधार × ऊँचाई )
= \(\frac {1}{2}\) × 9 × 40 = 9 × 20 = 180 वर्ग सेमी
∴ ΔABC में, पाइथागोरस प्रमेय से,
(कर्ण)² = (आधार)² + (लम्ब)²
AC² = BC² + AB²
AC² = (40)² + (9)² = 1600 + 81
AC² = 1681 वर्ग सेमी
∴ AC = \(\sqrt{1681}\) = 41 सेमी
अतः ΔACD में,
AC = 41 सेमी, CD = 28 सेमी, DA = 15 सेमी
अर्द्ध परिमाप (s) = \(\frac{41+28+15}{2}\)
= \(\frac {84}{2}\) = 42 सेमी
ΔACD का क्षेत्रफल
= \(\sqrt{42(42-41)(42-28)(42-15)}\)
= \(\sqrt{42 \times 1 \times 14 \times 27}\)
= \(\sqrt{14 \times 3 \times 14 \times 3 \times 3 \times 3}\)
= 14 × 3 × 3 = 126 वर्ग सेमी
अत: चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल
= ΔABC का क्षेत्रफल + ΔACD का क्षेत्रफल
= 180 वर्ग सेमी + 126 वर्ग सेमी
= 306 वर्ग सेमी।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र

प्रश्न 19.
उस समलम्ब चतुर्भुज का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए जिसकी समान्तर भुजाएँ क्रमशः 55 सेमी एवं 40 सेमी हैं तथा असमान्तर भुजाएँ क्रमश: 20 सेमी एवं 25 सेमी हैं।
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र - 6
समलम्ब चतुर्भुज ABCD में समान्तर भुजाएँ AB = 55 सेमी, व DC = 40 सेमी एवं असमान्तर भुजाएँ AD = 20 सेमी एवं BC = 25 सेमी हैं। ΔBEC में,
रचना : AD || EC एवं CF ⊥ AB खींचा।
अत: EB = AB – AE = 55 – 40 = 15 सेमी एवं EC = 20 सेमी
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र - 7
समान्तर चतुर्भुज AECD का क्षेत्रफल
= AE × CF
= 40 × 20
= 800 वर्ग सेमी
अतः समलम्ब चतुर्भुज ABCD का क्षेत्रफल
= (स.च. AECD का क्षे.) + (ΔBEC का क्षे.)
= 800 वर्ग सेमी + 150 वर्ग सेमी
= 950 वर्ग सेमी।

प्रश्न 20.
सोनिया के पास एक खेत है जो एक समचतुर्भुज के आकार का है। वह अपनी एक पुत्री और एक पुत्र से यह चाहती थी कि वे उस खेत पर काम करके अलग-अलग फसलों का उत्पादन करें। उसने इस खेत को दो बराबर भागों में विभाजित कर दिया। यदि इस खेत का परिमाप 400 मीटर है और एक विकर्ण 160 मीटर है, तो प्रत्येक को खेती के लिए कितना क्षेत्रफल प्राप्त होगा ?
हल :
माना ABCD समचतुर्भुजाकार खेत है जिसका परिमाप 400 मीटर है। विकर्ण AC इस खेत को दो बराबर भागों में विभाजित करता है।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र - 8
∴ प्रत्येक भुजा = \(\frac {परिमाप}{4}\) = \(\frac {400}{4}\) = 100 मीटर
विकर्ण = 160 मीटर
ΔABC का अर्द्ध परिमाप
s = \(\frac{100+100+160}{2}\)
= \(\frac {360}{2}\)
= 180 मीटर
∴ ΔABC का क्षेत्रफल
= \(\sqrt{180(180-100)(180-100)(180-160)}\)
= \(\sqrt{180 \times 80 \times 80 \times 20}\) = 4800 मीटर²
अतः प्रत्येक को खेती करने के लिए 4800 मीटर² क्षेत्रफल प्राप्त होगा।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र - 9
वैकल्पिक विधिः
CE ⊥ BD
∵ समद्विबा के शीर्ष से असमान भुजा पर डाला गया लम्ब उसे अद्धित करता है ।
और चूँकि विकर्ण
BD = 160 मी.
∴ DE = \(\frac {180}{2}\) = 80 मी.
अब समकोण त्रिभुज CED में
CE = \(\sqrt{(C D)^2-(D E)^2}\)
= \(\sqrt{100^2-80^2}\)
= \(\sqrt{10000-6400}\)
= \(\sqrt{3600}\)
= 60 मी.
क्षेत्रफल ΔBCD
= \(\frac {1}{2}\) × आधार × ऊँचाई
= \(\frac {1}{2}\) × 160 × 60
= 80 × 60
= 4800 मी²

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र

प्रश्न 21.
कमला के पास 240 मीटर, 200 मीटर और 360 मीटर भुजाओं वाला एक त्रिभुजाकार खेत है, जहाँ वह गेहूँ उगाना चाहती है। इसी खेत से संलग्न 240 मीटर, 320 मीटर और 400 मीटर भुजाओं वाला एक अन्य खेत है, जहाँ वह आलू और प्याज उगाना चाहती है। उसने इस खेत की सबसे लम्बी भुजा के मध्य बिन्दु को सम्मुख शीर्ष से जोड़कर उसे दो भागों में विभाजित कर दिया। इनमें से एक भाग में उसने आलू उगाये और दूसरे भाग में प्याज उगाई गेहूँ, आलू और प्याज के लिए कितने-कितने क्षेत्रफलों (हेक्टेअर में) का प्रयोग किया गया है। (1 हेक्टेअर = 10000 वर्ग मीटर) ।
हल :
माना कि ABC वह खेत है जहाँ गेहू उगाया गया है और ACD वह खेत है जिसकी सबसे लम्बी भुजा AD के मध्य-बिन्दु E को C से जोड़कर इस खेत को दो भागों में बाँटा गया है।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र - 10
ΔABC का क्षेत्रफल :
a = 200 मीटर
b = 240 मीटर
c = 360 मीटर
s = \(\frac{200+240+360}{2}\)
s = 400 मीटर
∴ गेहूँ उगाने के लिए ΔABC का क्षेत्रफल
= \(\sqrt{400(400-200)(400-240)(400-360)}\)
= \(\sqrt{400 \times 200 \times 160 \times 40}\)
= 16000\(\sqrt{2}\) वर्ग मीटर
= 1. 6\(\sqrt{2}\) हेक्टेअर
= 1·6 × 1.414 = 2.26 हेक्टेअर (लगभग)
आलू और प्याज उगाने के लिए ΔACD का क्षेत्रफल :
s = \(\frac{240+320+400}{2}\) = 480 मीटर
ΔACD का क्षेत्रफल
= \(\sqrt{480(480-240)(480-320)(480-400)}\)
= \(\sqrt{480 \times 240 \times 160 \times 80}\)
= 38400 वर्ग मीटर
= 3.84 हेक्टेअर
CE, ΔACD की माध्यिका है। यह त्रिभुज को दो बराबर भागों में बाँटेगी।
आलू उगाने के लिए क्षेत्रफल = प्याज उगाने के लिए क्षेत्रफल
= \(\frac {3.84}{2}\)
= 1.92 हेक्टेअर
अतः गेहूँ उगाने के लिए क्षेत्रफल = 2.26 हेक्टेअर
आलू उगाने के लिए क्षेत्रफल = 1.92 हेक्टेअर
और प्याज उगाने के लिए क्षेत्रफल = 1.92 हेक्टेअर ।

प्रश्न 22.
किसी स्कूल के विद्यार्थियों ने सफाई अभियान के लिए एक रैली निकाली। उन्होंने दो समूहों में, विभिन्न गलियों में चलकर मार्च किया। एक समूह ने गलियों AB, BC और CA में मार्च किया। फिर उन्होंने इन गलियों द्वारा घेरे गये भागों को साफ किया। यदि AB = 9 मीटर, BC = 40 मीटर, CD = 15 मीटर, DA = 28 मीटर और ∠B = 90° है, तो किस समूह ने अधिक सफाई की और कितनी अधिक ? विद्यार्थियों द्वारा सफाई किया गया कुल क्षेत्रफल भी ज्ञात कीजिए।
हल :
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र - 11
AB = 9 मीटर
BC = 40 मीटर
∠B = 90°
पाइथागोरस प्रमेय से,
AC = \(\sqrt{A B^2+B C^2}\)
= \(\sqrt{9^2+40^2}\)
= \(\sqrt{81+1600}\)
= \(\sqrt{1681}\) = 41 मीटर
पहले समूह द्वारा की गई सफाई का क्षेत्रफल
= समकोण ΔABC का क्षेत्रफल
= \(\frac {1}{2}\) × BC × AB
= \(\frac {1}{2}\) × 40 × 9
= 180 वर्ग मीटर
दूसरे समूह द्वारा की गई सफाई का क्षेत्रफल = ΔACD का क्षेत्रफल
जहाँ a = 41 मी., b = 15 मी. , c = 28 मीटर
∴ S = \(\frac{41+15+28}{2}=\frac{84}{2}\)
= 42 मीटर
ΔACD का क्षेत्रफल = \(\sqrt{s(s-a)(s-b)(s-c)}\)
= \(\sqrt{42(42-41)(42-15)(42-28)}\)
= \(\sqrt{42 \times 1 \times 27 \times 14}\)
= 126 वर्ग मीटर
∴ पहले समूह ने दूसरे समूह की अपेक्षा (180 – 126) = 54 वर्ग मीटर अधिक सफाई की है।
सभी विद्यार्थियों द्वारा की गई सफाई का कुल क्षेत्रफल
= 180 + 126
= 306 वर्ग मीटर।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र

प्रश्न 23.
एक समबाहु त्रिभुज की माध्यिका की लम्बाई x सेमी है तो उस त्रिभुज का क्षेत्रफल ज्ञात करो ।
हल :
दिया है त्रिभुज ABC समबाहु त्रिभुज है जिसकी प्रत्येक भुजा a (माना) है।
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र - 12
ΔAPC मैं,
AC² = AP² + PC²
a² = x² + (\(\frac {a}{2}\))²
⇒ a² = x² + \(\frac{a^2}{4}\)
⇒ a² – \(\frac{a^2}{4}\) = x²
⇒ \(\frac{3 a^2}{4}\) = x²
⇒ a² = \(\frac{4 x^2}{3}\)
⇒ a = \(\sqrt{\frac{4 x^2}{3}}\)
∴ a = \(\frac{2 x}{\sqrt{3}}\)
अब, त्रिभुज ABC का क्षेत्रफल
= \(\frac {1}{2}\) × BC × AP
= \(\frac {1}{2}\) × a × x
= \(\frac {1}{2}\) × \(\frac{2 x}{\sqrt{3}}\) × x
= \(\frac{x^2}{\sqrt{3}}\)
अतः क्षेत्रफल = \(\frac{x^2}{\sqrt{3}}\) वर्ग इकाई

प्रश्न 24.
एक त्रिभुजाकार प्लाट की भुजाओं का अनुपात 3 : 5 : 7 है तथा उसका परिमाप 300 मीटर है। इस प्लाट का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए।
हल :
मान लीजिए त्रिभुजाकार प्लॉट की भुजाएँ 3x, 5x तथा 7x हैं।
∴ परिमाप = 3x + 5x + 7x = 300
⇒ 15x = 300
∴ x = \(\frac {300}{15}\) = 20 मीटर
∴ प्लॉट की भुजाएँ,
a = 3 × 20 = 60 मीटर
b = 5 × 20 = 100 मीटर
c = 7 × 20 = 140 मीटर
अब, s = \(\frac{60+100+140}{2}=\frac{300}{2}\) = 150 मीटर
∴ त्रिभुज का क्षेत्रफल = \(\sqrt{s(s-a)(s-b)(s-c)}\)
= \(\sqrt{150(150-60)(150-100)(150-140)}\)
= \(\sqrt{150 \times 90 \times 50 \times 10}\)
अत: क्षेत्रफल = 1500\(\sqrt{3}\) वर्ग मीटर ।

JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र

प्रश्न 25.
यदि किसी त्रिभुज की प्रत्येक भुजा को दुगुना कर दिया जाय तो इस त्रिभुज के क्षेत्रफल में कितने प्रतिशत की वृद्धि हो जायेगी।
हल :
माना कि किसी त्रिभुज की भुजाएँ क्रमश: x, y तथा z हैं एवं s इसका अर्द्ध परिमाप है। अतः
s = \(\frac{x+y+z}{2}\)
अब पुनः माना कि नये त्रिभुज की भुजाएँ 2x, 2y तथा 2z हैं एवं s’ इसका अर्द्ध परिमाप है। अतः
s’ = \(\frac{2 x+2 y+2 z}{2}\)
= \(\frac{2(x+y+z)}{2}\) = 2s
∴ s’ = 2s
अब माना कि दोनों त्रिभुजों के क्षेत्रफल क्रमश A तथा A’ हैं तो
JAC Class 9 Maths Important Questions Chapter 12 हीरोन का सूत्र - 13
∴ त्रिभुज के क्षेत्रफल में वृद्धि = A’ – A = 4S – S = 3S
प्रतिशत वृद्धि = \(\frac {3S}{S}\) × 100 = 300%
अतः क्षेत्रफल में वृद्धि = 300%

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

Jharkhand Board Class 10 Science विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव Textbook Questions and Answers

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या-269-270)

प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत धारावाही तार के निकट चुम्बकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है ?
(a) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लम्बवत् होती हैं।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समान्तर होती हैं।
(c) चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं जिनका उद्भव तार से होता है।
(d) चुम्बकीय क्षेत्र की संकेन्द्री क्षेत्र रेखाओं का केन्द्र तार होता है।
उत्तर:
(d) चुम्बकीय क्षेत्र की संकेन्द्री क्षेत्र रेखाओं का केन्द्र तार होता है।

प्रश्न 2.
वैद्युतचुम्बकीय प्रेरण की परिघटना-
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(b) किसी कुण्डली में विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।
(c) कुण्डली तथा चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।
(d) किसी विद्युत मोटर की कुण्डली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया
उत्तर:
(c) कुण्डली तथा चुम्बक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।

प्रश्न 3.
विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं-
(a) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) ऐमीटर
(d) मोटर
उत्तर:
(a) जनित्र

प्रश्न 4.
किसी ac जनित्र तथा de जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि
(a) ac जनित्र में विद्युत चुम्बक होता है जबकि de मोटर स्थायी चुम्बक होता है।
(b) de जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(c) ae जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) ae जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि de जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
उत्तर:
(d) ac जनित्र में सर्पों वलय होते हैं जबकि de जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।

प्रश्न 5.
लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा का मान
(a) बहुत कम हो जाता है।
(b) परिवर्तित नहीं होता।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(d) निरंतर परिवर्तित होता है।
उत्तर:
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 6.
निम्नलिखित प्रकथनों में कौन-सा सही है तथा कौन-सा गलत है, इसे प्रकथन के सामने अंकित कीजिए-
(a) विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है।
(b) विद्युत जनित्र वैद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है।
(c) किसी लम्बी वृत्ताकार विद्युत धारावाही कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र समान्तर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।
(d) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।
उत्तर:
(a) असत्य
(b) सत्य
(c) सत्य
(d) असत्य।

प्रश्न 7.
चुम्बकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने के दो तरीकों की सूची बनाइए।
उत्तर:

  • एक प्राकृतिक चुम्बक के चारों तरफ चुम्बकीय क्षेत्र होता है।
  • एक धारावाही सीधा चालक के चारों तरफ चुम्बकीय क्षेत्र होता है।
  • एक धारावाही परिनालिका के चारों तरफ चुम्बकीय क्षेत्र होता है।

प्रश्न 8.
परिनालिका चुम्बक की भाँति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुम्बक की सहायता से किसी विद्युत धारावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा का दक्षिण ध्रुव का निर्धारण कर सकते हैं?
उत्तर:
पास-पास लिपटे विद्युतरोधी ताँबे के तार की आकृति की अनेक फेरों वाली कुण्डली को परिनालिका कहते हैं। धारावाही परिनालिका का एक सिरा दक्षिणी ध्रुव एवं दूसरा सिरा उत्तरी ध्रुव की तरह कार्य करता है। परिनालिका के अन्दर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ परस्पर समानान्तर होती हैं। इसका मतलब है कि परिनालिका के केन्द्र पर विद्युत क्षेत्र सबसे अधिक होता है तथा सभी जगह एकसमान होता है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 1
हाँ, परिनालिका के उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव की पहचान दिक्सूचक से कर सकते हैं। यदि दिक्सूचक की सुई का उत्तरी ध्रुव परिनालिका की ओर आकर्षित होता है। तो यह सिरा दक्षिणी ध्रुव होता है। इसी प्रकार उत्तरी ध्रुव की भी पहचान की जा सकती है।

प्रश्न 9.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धारावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?
उत्तर:
जब किसी धारावाही चालक को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो उस पर कार्यरत बल के लिए निम्नलिखित होता है-
F = BIL sin θ
B = चुम्बकीय क्षेत्र
I= धारा की शक्ति
L = चालक की लम्बाई
θ = धारावाही चालक एवं चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच का कोण।
अतः F का मान जब θ = 90° होगा तो अधिकतम होगा अर्थात् चालक एवं चुम्बकीय क्षेत्र दोनों एक-दूसरे के लम्बवत हैं।

प्रश्न 10.
मान लीजिए आप किसी चैम्बर में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉन पुंज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा आपके दायीं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र उस समतल के लम्बवत् दिशा में होगा जिस समतल में इलेक्ट्रॉन का प्रवाह एवं बल एक-दूसरे के लम्बवत् हो।

प्रश्न 11.
विद्युत मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सिद्धान्त तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। विद्युत मोटर में विभक्त विलय का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
सिद्धान्त – जब कोई विद्युत धारावाही चालक किसी चुम्बकीय क्षेत्र में इस प्रकार रखा जाता है कि चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् हो तो वह चालक एक बल का अनुभव करता है। इस बल के कारण वह चालक गति करने लग है।

कार्यविधि-बैटरी से से चलकर चालक ब्रुश X से होते हुए विद्युत धारा कुण्डली ABCD मैं प्रवेश करती है तथा चालक बुश Y से होते हुए बैटरी के दूसरे टर्मिनल वापस भी आ जाती है। कुण्डली में विद्युत धारा इसकी भुजा AB A से B की ओर तथा भुजा CD में C से D की ओर प्रवाहित। होती है।

अतः AB तथा CD में विद्युत धारा का दिशाएँ परस्पर विपरीत होती हैं। चुम्बकीय क्षेत्र में रखे विद्युत धारावाही चालक पर प बल की दिशा बल इसे अधोमुखी धकेलता है, जबकि भुजा CD पर आरोपित बल इसे उपरिमुखी धकेलता है। इस प्रकार किसी अक्ष पर घूमने के लिए स्वतंत्र कुण्डली तथा धुरी वामावर्त घूर्णन करते हैं। आधे घूर्णन में Q का संपर्क बुश X से होता है तथा P का संपर्क बुश Y से होता है। अतः कुडंली में विद्युत धारा उत्क्रमित होकर पथ DCBA के अनुदिश प्रवाहित होती है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 2
विभक्त वलय का महत्त्व – विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक्परिवर्तक का कार्य करता है। विद्युत धारा के उत्क्रमित होने पर दोनों भुजाओं AB तथा CD पर आरोपित बलों की दिशाएँ भी उत्क्रमित हो जाती हैं। इस प्रकार कुण्डली की भुजा AB जो पहले अधोमुखी धकेली गई थी, अब उपरिमुखी धकेली जाती है तथा कुण्डली की भुजा CD जो पहले उपरिमुखी धकेली गई, अब अधोमुखी धकेली जाती है। अतः कुण्डली तथा धुरी उसी दिशा में अब आधा घूर्णन और पूरा कर लेती हैं। प्रत्येक आधे घूर्णन के पश्चात् विद्युत धारा के उत्क्रमित होने का क्रम दोहराता रहता है जिसके फलस्वरूप कुण्डली तथा धुरी का निरंतर घूर्णन होता रहता है।

प्रश्न 12.
ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं।
उत्तर:

  • कूलर
  • पंखा
  • एअरकंडीशनर,
  • पंप में विद्युत मोटर का उपयोग किया जाता है।

प्रश्न 13.
कोई विद्युतरोधी ताँबे के तार की कुण्डली किसी गैल्वेनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुम्बक
(i) कुण्डली में धकेला जाता है?
(ii) कुण्डली के भीतर से बाहर खींचा जाता है?
(iii) कुण्डली के भीतर स्थिर रखा जाता है?
उत्तर:
(i) इस स्थिति में कुण्डली में प्रेरित धारा उत्पन्न होती है।

  • यदि उत्तरी ध्रुव कुण्डली में धकेलते हैं तो कुण्डली धारा की दिशा घड़ी की सुई की विपरीत दिशा में होती है।
  • यदि कुण्डली में दक्षिणी ध्रुव धकेलते हैं तो कुण्डली धारा की दिशा घड़ी की सुई की दिशा में होती है।

(ii) यदि कुण्डली से दक्षिणी ध्रुव चुम्बक को बाहर निकालोगे तो कुण्डली में धारा वामावर्ती दिशा में तथा यदि उत्तरी ध्रुव बाहर निकालोगे तो कुण्डली में धारा दक्षिणावर्ती दिशा में उत्पन्न होती है।

(iii) इस स्थिति में कुण्डली में धारा उत्पन्न नहीं होती है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 14.
दो वृत्ताकार कुण्डली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कुण्डली A में विद्युत धारा में कोई परिवर्तन करें, तो क्या कुण्डली B में कोई विद्युत धारा प्रेरित होगी? कारण लिखिए।
उत्तर:
हाँ, प्रेरित धारा उत्पन्न होगी। कुण्डली A में धारा परिवर्तन के कारण A से होकर गुजरने में चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होने के कारण B में धारा प्रेरित होती है।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित की दिशा को निर्धारित करने वाला नियम लिखिए-
(i) किसी विद्युत धारावाही सीधे चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
(ii) किसी चुम्बकीय क्षेत्र में, क्षेत्र के लम्बवत् स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल तथा
(iii) किसी चुम्बकीय क्षेत्र में किसी कुण्डली के घूर्णन करने पर उस कुण्डली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा।
उत्तर:
(i) किसी धारावाही चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा मैक्सवेल के दक्षिण- हस्त नियम से ज्ञात किया जाता है।
मैक्सवेल का दक्षिण- हस्त नियम- यदि धारावाही चालक को दाहिने हाथ में इस प्रकार पकड़ें कि अँगूठा चालक में प्रवाहित धारा की दिशा को निर्देशित करे तो चालक को पकड़ने वाली अंगुलियों की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा होती है।

(ii) चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर बल की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम से ज्ञात की जाती है। इस नियम के अनुसार यदि बाएँ हाथ की प्रथम तीन अंगुलियों को एक-दूसरे के लम्बवत् इस प्रकार रखा जाए कि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में एवं मध्यमा धारा की अंगूठे की दिशा चालक पर आरोपित बल दिशा प्रेरित की दिशा को दर्शाता है।

(iii) चुम्बकीय क्षेत्र में गतिशील चालक में उत्पन्न दिशा ज्ञात करने के लिए फ्लेमिंग के दाहिने हस्त के नियम इस नियम का उपयोग किया जाता है।
इस नियम के अनुसार यदि दाएँ हाथ की प्रथम तीन अंगुलियों को एक-दूसरे के लम्बवत् इस प्रकार रखें कि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा एवं अंगूठा चालक में गति की दिशा को दर्शांता है तो चालक में प्रेरित धारा की दिशा मध्यमा द्वारा सूचित होती है।

प्रश्न 16.
नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत जनित्र का मूल सिद्धान्त तथा कार्यविधि स्पष्ट कीजिए। इसमें बुशों का क्या कार्य है?
उत्तर:
विद्युत जनित्र का सिद्धान्त-विद्युत जनित्र विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है अर्थात् परिवर्तनशील चुम्बकीय क्षेत्र के कारण चालक में विद्युत धारा प्रेरित होती है। फ्लेमिंग के दाएँ हस्त के नियम से प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात करते हैं। विद्युत जनित्र में आर्मेचर शक्तिशाली चुम्बकों के ध्रुवों के बीच घुमाया जाता है जिसके कारण आर्मेचर से गुजरने वाली चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की संख्या में परिवर्तन होता है तथा प्रेरित धारा उत्पन्न होती है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 3
बनावट –

  • ABCD आर्मेचर अपने अक्ष के चारों तरफ घूर्णनशील होता है।
  • आर्मेचर पर अवरोधी ताँबे की तार की लपेटें होती हैं।
  • ताँबे की तारों की दो सिरे धातु के बने दो वलय S1 एवं S2 से जुड़े होते हैं। ये दोनों वलय स्थिर दो कार्बन ब्रुश B1 एवं B2 के सम्पर्क में रहते हैं।
  • दोनों ख़ुशों का सम्पर्क गैल्वेनोमीटर (G) से होता है।

कार्यविधि –

  • आर्मेचर को यांत्रिक रूप से दो शक्तिशाली चुम्बकों के ध्रुवों के बीच घुमाया जाता है।
  • दो वलय भी घूमते हैं किन्तु दोनों वलय अलग-अलग दोनों कार्बन बुशों के सम्पर्क में रहते हैं।
  • गति के समय जब AB भुजा ऊपर एवं CD नीचे की तरफ रहती है, आर्मेचर में धारा की दिशा A से B एवं CD होती है।
  • यदि आर्मेचर की भुजा CD ऊपर एवं AB नीचे हों तो फ्लेमिंग के दाएँ हस्त के नियम से धारा की दिशा D से C एवं B से A की तरफ हो जाती है।

इस प्रकार आर्मेचर के एक घूर्णन में धारा की दिशा दो बार परिवर्तित होती है। अतः इस यंत्र द्वारा प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 17.
किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?
उत्तर:
जब घरेलू विद्युत परिपथ में विद्युतमन्य तार एवं उदासीन तार एक-दूसरे के सम्पर्क में आ जाते हैं तो परिपथ मैं धारा का मान बहुत अधिक हो जाता है। इस घटना को लघुपथन कहते हैं।

प्रश्न 18.
भूसंपर्क तार का क्या कार्य है? धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
किसी विद्युत उपकरण के धात्विक भाग को तार की मदद से पृथ्वी के सम्पर्क करने वाले तार को भूसम्पर्क तार कहते हैं। यह तार सुरक्षा यंत्र के रूप में विद्युत परिपथ में उपयोग में लाया जाता है। यदि किसी भी प्रकार से उपकरण में विद्युत धारा आ जाती है तो यह पृथ्वी को स्थानांतरित हो जाती है जिसके फलस्वरूप कोई दुर्घटना होने से बच जाती है।

Jharkhand Board Class 10 Science विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव InText Questions and Answers

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-250)

प्रश्न 1.
चुम्बक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है?
उत्तर:
वास्तव में दिक्सूचक की सुई एक छोटा छड़ चुम्बक ही होती है। किसी दिक्सूचक की सूई के दोनों सिरे लगभग उत्तर और दक्षिण दिशाओं की ओर संकेत करते हैं। उत्तर दिशा की ओर संकेत करने वाले सिरे का उत्तरोमुखी ध्रुव अथवा उत्तर ध्रुव कहते हैं। दूसरा सिरा जो दक्षिण दिशा की ओर संकेत करता है उसे दक्षिणोमुखी ध्रुव अथवा दक्षिण ध्रुव कहते हैं।

हम जानते हैं कि चुम्बकों में सजातीय ध्रुवों में परस्पर प्रतिकर्षण तथा विजातीय ध्रुवों में परस्पर आकर्षण होता है। अतः चुम्बक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सूई विक्षेपित हो जाती है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 255)

प्रश्न 1.
किसी छड़ चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।
उत्तर:
किसी छड़ चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ-
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 4

प्रश्न 2.
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के गुण निम्नलिखित हैं-

  • चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ चुम्बक के उत्तर ध्रुव से प्रकट होती हैं तथा दक्षिण ध्रुव पर विलीन हो जाती हैं।
  • चुम्बक के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा उसके दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर होती है।
  • चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक बंद वक्र बनाती हैं।
  • जहाँ पर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ अपेक्षाकृत अधिक निकट होती हैं वहाँ चुम्बकीय क्षेत्र अधिक प्रबल होता है।
  • दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ कहीं भी एक-दूसरे को नहीं काटती हैं।

प्रश्न 3.
दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक-दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं?
उत्तर:
क्योंकि यदि वे ऐसा करें तो इसका अर्थ यह होगा कि प्रतिच्छेद बिंदु पर दिक्सूची को रखने पर उसकी सुई दो दिशाओं की ओर संकेत करेगी जो संभव नहीं हो सकता।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 256-57)

प्रश्न 1.
मेज के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश में दक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण- हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाश के भीतर तथा बाहर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 5
उत्तर:
दक्षिण-हस्त अंगुष्ठ नियम के अनुसार यदि आप चालक तार को पकड़े हुए हैं तब अँगूठा विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करता है, जबकि अँगुलियाँ चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा को निरूपित करती हैं।

स्पष्टत: वृत्ताकार पाश (लूप) के अंदर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा कागज के तल (मेज के तल) के लम्बवत् अंदर की ओर होगी तथा पाश के बाहर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा पाश (मेज) के तल के लम्बवत् ऊपर की ओर होगी।

प्रश्न 2.
किसी दिए गए क्षेत्र में चुम्बकीय क्षेत्र एकसमान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 6

प्रश्न 3.
सही विकल्प चुनिए-किसी विद्युत धारावाही सीधी लम्बी परिनालिका के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र
(a) शून्य होता है।
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है।
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।
उत्तर:
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 259)

प्रश्न 1.
किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन-सा गुण किसी चुम्बकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समय परिवर्तित हो जाता है? (यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं।
(a) द्रव्यमान, (b) चाल, (c) वेग, (d) संवेग।
उत्तर:
(c) वेग, (d) संवेग।

प्रश्न 2.
क्रियाकलाप 13.7 में हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा यदि
(i) छड AB प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए।
(ii) अधिक प्रबल नाल चुम्बक प्रयोग किया जाए और
(iii) छड़ AB की लम्बाई में वृद्धि कर दी जाए?
उत्तर:
हम जानते हैं कि F = B X I X L
जहाँ F = चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर लगने वाला बल
B = चुम्बकीय क्षेत्र तथा
L = चालक तार (छड़) की लम्बाई
अत: (i) F ∝ I; इसलिए छड़ AB के विस्थापन में वृद्धि होगी।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 3.
पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फ्त-कण) किसी चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर की ओर विक्षेपित हो जाता है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
(a) दक्षिण की ओर
(b) पूर्व की ओर
(c) अधोमुखी
(d) उपरिमुखी
उत्तर:
(d) उपरिमुखी।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 261)

प्रश्न 1.
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम लिखिए।
उत्तर:
फ्लेमिंग का वामहस्त नियम- इस नियम के अनुसार अपने बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा और अँगूठे को
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 7
इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनों एक-दूसरे के परस्पर लम्बवत् हों। यदि तर्जनी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा प्रदर्शित करें तो अँगूठा चालक की गति की दिशा अथवा चालक पर आरोपित बल की दिशा की ओर संकेत करेगा।

प्रश्न 2.
विद्युत मोटर का क्या सिद्धान्त है?
उत्तर:
एक विद्युत मोटर इस सिद्धान्त पर कार्य करती है कि जब एक धारावाही चालक को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है, तो उस चालक पर एक यांत्रिक बल लगता है। चालक पर आरोपित बल की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम द्वारा प्राप्त की जाती है।

प्रश्न 3.
विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?
उत्तर:
विद्युत मोटर में विभक्त वलय कॉमुटेटर का कार्य करता है। धारा की दिशा परिवर्तन के कारण आर्मेचर पर लगने वाले बल की भी दिशा परिवर्तित हो जाती है। इस प्रकार कुण्डली पर लगने वाला घूर्णी बल कुण्डली में घूर्णन उत्पन्न करता है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 264)

प्रश्न 1.
किसी कुण्डली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निम्नलिखित ढंग से किसी कुण्डली में विद्युत धारा उत्पन्न की जा सकती है-

  • कुण्डली एवं चुम्बक को आपेक्षिक गति में लाकर।
  • एक धारावाही कुण्डली एवं एक सामान्य कुण्डली में सापेक्षिक गति उत्पन्न करके।
  • दो कुण्डलियों में से किसी एक में धारा के मान को परिवर्तित करके।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 265-266)

प्रश्न 1.
विद्युत जनित्र का सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर:
विद्युत जनित्र विद्युत चुम्बकीय प्रेरण पर आधारित होता है। विद्युत जनित्र में यांत्रिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित होती है।

प्रश्न 2.
दिष्टधारा के कुछ स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
दिष्टधारा के कुछ मुख्य स्रोत हैं-

  • विद्युत रासायनिक सेल
  • स्टोरेज सेल
  • dc जनित्र

प्रश्न 3.
प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्त्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
पॉवर स्टेशन आदि।

प्रश्न 4.
सही विकल्प का चयन कीजिए-
ताँबे के तार की एक आयताकार कुण्डली किसी चुम्बकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है। इस कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा की दिशा में कितने परिभ्रमण के पश्चात परिवर्तन होता है।
(a) दो
(b) एक
(c) आधे
(d) चौथाई
उत्तर:
(c) आधे।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 267)

प्रश्न 1.
विद्युत परिपथ तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विद्युत परिपथ तथा साधित्रों में सामान्यतः सुरक्षा उपाय के तौर पर उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपाय निम्नलिखित हैं-

  • भू-संपर्क तार (Earthwire) एवं
  • फ्यूज

प्रश्न 2.
2kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ (220V) में प्रचालित किया जाता है जिसका विद्युत धारा अनुमतांक 5A है, इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हम अपेक्षा करते हैं कि विद्युत धारा आपूर्ति बंद हो जाएगी तथा फ्यूज तार ओवर लोडिंग के कारण पिघल जाएगा क्योंकि विद्युत धारा की 5A दर 2kW शक्ति वाले विद्युत तंदूर के लिए बहुत ही कम है।

प्रश्न 3.
घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर:
घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए निम्न सावधानियाँ बरतनी चाहिए-

  • एक ही सॉकेट बहुत से उपकरण नहीं लगाने चाहिए और
  • तारों को इंसुलेटिड करके लगाना चाहिए ताकि वे आपस में एक-दूसरे को न छू सकें।

क्रिया-कलाप-13.1

  • ताँबे का एक सीधा मोटा तार लीजिए तथा इसे चित्र में दर्शाए अनुसार विद्युत परिपथ के दो बिंदुओं X तथा Y के बीच रखिए। (तार XY कागज की सतह के लम्बवत रखा है।)
  • इस ताँबे के तार के निकट क्षैतिज रूप में एक छोटी दिक्सूचक रखिए। इसकी सुई की स्थिति नोट कीजिए।
  • प्लग में कुंजी लगाकर विद्युत परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित कराइए।
  • दिक्सूचक सुई की स्थिति में परिवर्तन का प्रेक्षण कीजिए।

अवलोकन-सूई विक्षेपित हो जाती है। इसका यह अर्थ है कि ताँबे के तार से प्रवाहित विद्युत धारा ने एक चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न किया है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 8

क्रिया-कलाप-13.2

  • किसी चिपचिपे पदार्थ का उपयोग करके ड्राइंग बोर्ड पर एक सफेद कागज लगाइए।
  • इसके बीचों बीच एक छड़ चुम्बक रखिए।
  • छड़ चुम्बक के चारों ओर एकसमान रूप से कुछ लौह-चूर्ण छितराइए (चित्र)। इस कार्य के लिए नमकछितरावक का उपयोग किया जा सकता है।
  • अब बोर्ड को धीरे से थपथपाइए।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 9

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आप क्या प्रेक्षण करते हैं?
उत्तर:
लौह-चूर्ण चित्र में दर्शाए गए पैटर्न के अनुसार व्यवस्थित हो जाते हैं।

प्रश्न 2.
यह पैटर्न क्या निदर्शित करता है?
उत्तर:
लौह-चूर्ण एक बल का अनुभव करता है, जो उस चुम्बक के चारों ओर होता है। इसे चुम्बकीय क्षेत्र कहते हैं।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 3.
लौह-चूर्ण किस स्थान पर अधिक आकर्षित होता है?
उत्तर:
दोनों ध्रुवों पर।

क्रिया-कलाप- 13.3

  • एक छड़ चुम्बक तथा एक छोटी दिक्सूची लीजिए।
  • किसी चिपचिपे पदार्थ से ड्राइंग बोर्ड पर चिपकाए गए सफेद कागज के बीचोंबीच इस चुम्बक को रखिए।
  • चुम्बक की सीमा रेखा अंकित कीजिए।
  • दिक्सूची को चुम्बक के उत्तर ध्रुव के निकट ले जाइए। यह कैसे व्यवहार करता है? दिक्सूची का दक्षिण ध्रुव चुम्बक के उत्तर ध्रुव की ओर संकेत करता है। दिक्सूची का उत्तर ध्रुव चुम्बक के उत्तर ध्रुव से दूर की ओर संकेत करता है।
  • दिक्सूची के दोनों सिरों की स्थितियाँ नुकीली पेंसिल से अंकित कीजिए।
  • दिक्सूची को इस प्रकार रखिए कि इसका दक्षिण ध्रुव उस स्थिति पर आ जाए जहाँ पहले उत्तर ध्रुव की स्थिति को अंकित किया था। उत्तर ध्रुव की इस नयी स्थिति को अंकित कीजिए।
  • चित्र में दर्शाए अनुसार चुम्बक के दक्षिण ध्रुव पर पहुँचने तक इस क्रिया को दोहराते जाइए।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 10
  • अब कागज पर अंकित बिंदुओं को इस प्रकार मिलाइए कि एक निष्कोण वक्र प्राप्त हो जाए। यह वक्र एक चुम्बकीय क्षेत्र रेखा को निरूपित करता है। उपर्युक्त प्रक्रिया को दोहरा कर जितनी संभव हो सके क्षेत्र रेखाएँ खींचिए। आपकों चित्र में दर्शाए जैसा पैटर्न प्राप्त होगा। ये रेखाएँ चुम्बक के चारों ओर के चुम्बकीय क्षेत्र को निरूपित करती हैं। इन्हें चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ कहते हैं।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 11
  • किसी चुम्बकीय क्षेत्र रेखा के अनुदिश गमन करते समय दिक्सूची के विक्षेप का प्रेक्षण कीजिए। चुम्बक के ध्रुवों के निकट जाने पर सुई के विक्षेप में वृद्धि होती जाती है।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
किसी चुम्बक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा किसी बिन्दु पर किस प्रकार ज्ञात कर सकते हैं?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र के उस बिन्दु पर दिक्सूचक सूई को रखते हैं। दिक्सूचक सूई के उत्तरी ध्रुव की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को दर्शाती है।

प्रश्न 2.
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा क्या होती है?
उत्तर:
चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से दक्षिण ध्रुव की ओर बंद वक्र के समान होती है।

प्रश्न 3.
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ अधिक संख्या में कहाँ होती हैं?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ ध्रुवों पर ज्यादा सघन होती हैं।

क्रिया-कलाप- 13.4
(i) एक लम्बा सीधा ताँबे का तार, 1.5 V के दो या तीन सेल तथा एक प्लग कुंजी लीजिए। इन सबको चित्र (a) में दर्शाए अनुसार श्रेणीक्रम में संयोजित कीजिए।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 11

(ii) सीधे तार को दिक्सूची के ऊपर उसकी सूई के समान्तर रखिए। अब प्लग में कुंजी लगाकर परिपथ को पूरा कीजिए। सुई के उत्तर ध्रुव के विक्षेप की दिशा नोट कीजिए। यदि विद्युत धारा चित्र (a) में दर्शाए अनुसार उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित हो रही है तो दिक्सूची का उत्तर ध्रुव पूर्व की ओर विक्षेपित होगी।

(iii) चित्र (b) में दर्शाए अनुसार परिपथ में जुड़े सेलों के संयोजनों को प्रतिस्थापित कीजिए। इसके परिणामस्वरूप ताँबे के तार में विद्युत धारा के प्रवाह की दिशा में परिवर्तन होगा अर्थात् विद्युत धारा के प्रवाह की दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर हो जायेगी। दिक्सूची के विक्षेप की दिशा में परिवर्तन का प्रेक्षण कीजिए। आप यह देखेंगे कि अब सूई विपरीत दिशा में अर्थात् पश्चिम की ओर विक्षेपित होती है। इसका अर्थ यह हुआ कि विद्युत धारा द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा भी उत्क्रमित हो गयी है।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 13

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
दिक्सूचक सुई के ऊपर यदि धारावाही चालक रखा जाए तो क्या होगा?
उत्तर:
दिक्सूचक सुई की भुजाओं में विचलन होगा। यह दिशा SNOW नियम की मदद से ज्ञात कर सकते हैं।

प्रश्न 2.
SNOW नियम क्या हैं?
उत्तर:
यदि चालक में धारा की दिशा दक्षिण से उत्तर दिशा की तरफ हो तो दिक्सूचक सुई की दिशा के पश्चिम दिशा में विक्षेपण होगा।

प्रश्न 3.
क्या होगा यदि धारावाही चालक में धारा की दिशा को उल्टा कर दिया जाए?
उत्तर:
दिक्सूचक सुई की भुजाओं में विक्षेपण की दिशा उल्टी हो जाएगी।

प्रश्न 4.
यदि सीधे तार में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा को उत्क्रमित कर दिया जाए, तो क्या चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रमित हो जाएगी?
उत्तर:
हाँ, चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रिमित हो जाएगी।

क्रिया-कलाप-13.5
(i) एक 12 V की बैटरी, एक परिवर्ती प्रतिरोध (धारा नियंत्रक), 0-5 A परिसर का ऐमीटर, एक प्लग कुंजी तथा एक लंबा मोटा सीधा ताँबे का तार लीजिए।

(ii) एक आयताकार कार्डबोर्ड का टुकड़ा लेकर उसके बीचोंबीच कार्डबोर्ड के तल के अभिलम्बवत इस मोटे तार को प्रविष्ट कराइए। यह सावधानी रखिए कि कार्डबोर्ड तार में स्थिर रहे, ऊपर-नीचे हिले-डुले नहीं।

(iii) चित्र (a) में दर्शाए अनुसार ताँबे के तार को ऊर्ध्वाधरत: बिंदुओं X तथा Y के बीच श्रेणीक्रम में बैटरी, ऐमीटर, धारा नियंत्रक तथा प्लग कुंजी से संयोजित कीजिए।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 14

(iv) तार के चारों ओर कार्डबोर्ड पर कुछ लौह-चूर्ण एकसमान रूप से छितराइए। (इसके लिए आप नमक छितरावक का उपयोग भी कर सकते हैं।)

(v) धारा-नियंत्रक के परिवर्तक को किसी एक नियत स्थिति पर रखिए तथा ऐमीटर में विद्युत धारा का पाठ्यांक नोट कीजिए।

(vi) कुंजी लगाकर परिपथ बंद कीजिए ताकि ताँबे के तार से विद्युत धारा प्रवाहित हो। यह सुनिश्चित कीजिए। कि बिंदुओं X तथा Y के बीच में लगा ताँबे का तार ऊर्ध्वाधरतः सीधा रहे।

(vii) कार्डबोर्ड को हलके से कुछ बार थपथपाइए। लौह-चूर्ण के पैटर्न का प्रेक्षण कीजिए। आप यह देखेंगे कि लौह-चूर्ण संरेखित होकर तार के चारों ओर संकेन्द्री वृत्तों के रूप में व्यवस्थित होकर एक वृत्ताकार पैटर्न बनाता है (चित्र (b))।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 15

(viii) ये संकेन्द्री वृत्त क्या निरूपित करते हैं ? ये चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं को निरूपित करते हैं।

(ix) इस प्रकार उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कैसे ज्ञात करें ? वृत्त के किसी बिंदु (जैसे P) पर दिक्सूची रखिए। सुई की दिशा का प्रेक्षण कीजिए। दिक्सूची का उत्तर ध्रुव बिंदु विद्युत धारा द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखा की दिशा बताता है। इस दिशा को तीर द्वारा दर्शाइए।

(x) यदि सीधे तार में प्रवाहित विद्युत धारा की दिशा को उत्क्रमित कर दिया जाए, तो क्या चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रमित हो जाएगी ? इसका परीक्षण कीजिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
लौह-चूर्ण किस प्रकार व्यवस्थित होते हैं?
उत्तर:
लौह-चूर्ण सरेखित होकर तार के चारों ओर संकेन्द्री वृत्तों के रूप में व्यवस्थित होते हैं।

प्रश्न 2.
ये संकेन्द्री वृत्त क्या निरूपित करते हैं?
उत्तर:
ये संकेन्द्री वृत्त, चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं को निरूपित करते हैं।

प्रश्न 3.
इस प्रकार उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा आप कैसे ज्ञात करेंगे ?
उत्तर:
दिक्सूची द्वारा ज्ञात करेंगे। वृत्त के किसी बिंदु P पर दिक्सूची का उत्तर ध्रुव विद्युत धारा द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखा की दिशा बताता है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 4.
विद्युत धारा की दिशा उत्क्रमित करने पर क्या होता है?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा भी उत्क्रमित हो जाती है।

प्रश्न 5.
क्या दिकससूी के विक्षेप पर धारा के परिमाण में वृद्धि और तार से दूरी का प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
हाँ, धारा के परिमाण में वृद्धि होने पर विक्षेप में भी वृद्धि होती है तथा तार से दूसरे किसी बिंदु Q पर दिक्सूची रखने पर इसका विक्षेप घट जाता है।

क्रिया-कलाप- 13.6

  • एक ऐसा आयताकर कार्डबोर्ड लीजिए जिसमें दो छिद्र हों। एक ऐसी वृत्ताकर कुण्डली लीजिए जिसमें फेरों की संख्या काफी अधिक हो और उसे कार्डबोर्ड के तल के अभिलम्बवत् लगाया गया हो।
  • चित्र में दर्शाए अनुसार कुण्डली के सिरों को श्रेणीक्रम में बैटरी, एक कुंजी तथा एक धारा नियंत्रक से संयोजित कीजिए।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 16
  • कार्डबोर्ड पर लौह-चूर्ण एकसमान रूप से छितराइए।
  • कुंजी लगाकर परिपथ पूरा कीजिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कॉर्डबोर्ड को हल्के से कुछ बार थपथपाइए। कॉर्डबोर्ड पर जो पैटर्न बनता दिखाई दे उसका प्रेक्षण कीजिए।
उत्तर:
दोनों छिद्रों के पास लौह-चूर्ण संकेन्द्रीय वृत्ताकार पैटर्न में व्यवस्थित हो जाते हैं। इसका अर्थ हुआ कि धारावाही वृत्ताकार चालक का प्रत्येक भाग चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जो संकेन्द्रीय वृत्ताकार होते हैं।

प्रश्न 2.
क्या धारावाही वृत्ताकार चालक के आस-पास चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है?
उत्तर:
हाँ, धारावाही वृत्ताकार चालक के आसपास चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।

प्रश्न 3.
धारावाही वृत्ताकार चालक के दो विपरीत बिन्दुओं पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की प्रकृति में अन्तर बताइए।
उत्तर:
दोनों ही बिन्दुओं पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा विपरीत होती है। इन दोनों बिन्दुओं पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ संकेन्द्रीय वृत्ताकार होती हैं।

प्रश्न 4.
धारावाही वृत्ताकार चालक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का मान सबसे अधिक कहाँ पर होता है?
उत्तर:
धारावाही वृत्ताकार चालक के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र का मान सबसे अधिक होता है।

क्रिया-कलाप -13.7

  • ऐलुमिनियम की एक छोटी छड़ (लगभग 5 cm लम्बी) लीजिए। चित्र में दर्शाए अनुसार इस छड को दो संयोजक तारों द्वारा किसी स्टैडs से क्षैतिजतः लटकाइए।
  • एक प्रवल नाल चुम्बक इस प्रकार से व्यवस्थित कीजिए कि छड़ नाल चुम्बक के दो ध्रुवों के बीच में हो तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा उपरिमुखी हो। ऐसा करने के लिए नाल चुम्बक का उत्तर ध्रुव की छड के ऊध्वांधरतः नीचे एवं दक्षिण ध्रुव ऊर्ध्याधरतः ऊपर रखिए।
  • ऐलुमिनियम की छउ को एक बैटरी, एक कुंजी तथा एक धारा नियंख्रक के साथ श्रेणीक्रम में संयोजित कीजिए। ऐलुमिनियम छड में सिरे B से A की और विद्युत धारा प्रवाहित कराइए।
    JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 17

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
आप क्या देखते हैं?
उत्तर:
हम देखते हैं कि विद्युत ध्षारा प्रवाहित होते ही छड़ बाई दिशा में विस्थापित होती है।

प्रश्न 2.
अब छड़ में प्रवाहित होने वार्ली विद्युत थारा की दिशा उत्क्रमित कीजिए और छड़ के विस्थापन की दिशा नोट कीजिए। अब यह दाई ओर विस्थापित होती है। छड़ क्यों विस्थापित होती है?
उत्तर:
फ्लेमिंग के अनुसार धाराबाही चालक पर चुम्बकीय क्षेत्र में बल लगता है। इसलिए धारावाही चालक को चुम्बक के धुवों के बीच स्थिर रलने पर अपनी स्थिति से विस्थापित हो जाता है। इस छड़ पर लगने वाला बल छड़ पर लम्बवत् दिशा में होता है।

प्रश्न 3.
जब एक धारावाही चालक को चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो क्या होता है?
उत्तर:
जब धारावाही चालक को चुम्बकीय क्षेत्र में रग्बते हैं तो उस पर एक बल आरोपत होता है।

प्रश्न 4.
उस नियम का मात्र नाम लिखो जिसकी मदद से धारावाही चालक पर चुम्बकीय क्षेत्र में लगने वाले बल की दिशा ज्ञात करते हैं?
उत्तर:
फ्लेमिंग का वामहस्त का नियम।

प्रश्न 5.
किन कारकों पर चालक पर आरोपित बल का मान निर्भर करता है?
उत्तर:

  • चुम्बकीय क्षेत्र के मान पर।
  • चालक की लम्बाई पर।
  • चालक में प्रवाहित धारा के मान पर।

प्रश्न 6.
क्या होगा यदि चुम्बकीय क्षेत्र में रखे चालक में प्रवाहित धारा की दिशा को विपरीत दिशा में प्रवाहित किया जाए ?
उत्तर:
चालक पर आरोपित बल की दिशा विपरीत दिशा में हो जाती है।

क्रिया-कलाप- 13.8
(i) अनेक फेरों वाली तार की एक कुण्डली AB लीजिए।

(ii) कुण्डली के सिरों को किसी गैल्वेनोमीटर से चित्र में दर्शाए अनुसार संयोजित कीजिए।
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 18

(iii) एक प्रबल छड़ चुम्बक लीजिए तथा इसके उत्तर:ध्रुव को कुण्डली के सिरे B की ओर ले जाइए। क्या आप गैल्वेनोमीटर की सुई में कोई परिवर्तन पाते हैं ?

(iv) गैल्वेनोमीटर की सुई में क्षणिक विक्षेप होता है, मान लीजिए यह दाईं ओर है। यह कुण्डली AB में विद्युत धारा की उपस्थिति का संकेत देता है। जैसे ही चुम्बक की गति समाप्त होती है, गैल्वेनोमीटर में विक्षेप शून्य हो जाता है।

(v) अब चुम्बक के उत्तर ध्रुव को कुण्डली से दूर ले जाइए। इस बार गैल्वेनोमीटर की सुई बाई ओर विक्षेपित होती है, जो यह दर्शाता है कि अब परिपथ में उत्पन्न विद्युत धारा की दिशा पहले के विपरीत है।

(vi) कुण्डली के निकट किसी चुम्बक को स्थिर अवस्था में इस प्रकार रखिए कि चुम्बक का उत्तर ध्रुव कुण्डली के सिरे B की ओर हो। हम यह देखते हैं कि जैसे ही कुण्डली को चुम्बक के उत्तर ध्रुव की ओर ले जाते हैं, गैल्वेनोमीटर की सुई दाई ओर विक्षेपित होती है। इसी प्रकार, जब कुण्डली को उत्तर ध्रुव से दूर हटाते हैं तो गैल्वेनोमीटर की सुई बाई ओर विक्षेपित होती है।

(vii) जब कुण्डली को चुम्बक के सापेक्ष स्थिर रखते हैं तो गैल्वेनोमीटर में विक्षेप शून्य हो जाता है।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
इस क्रिया-कलाप से आप क्या निष्कर्ष निकालते हैं?
उत्तर:
इस क्रिया कलाप से यह स्पष्ट होता है कि कुंडली के सापेक्ष चुंबक की गति एक प्रेरित विभवान्तर उत्पन्न करती है, जिसके कारण परिपथ में प्रेरित विद्युत धारा प्रवाहित होती है।

क्रिया-कलाप- 13.9
(i) ताँबे के तार की दो भिन्न कुण्डलियाँ लीजिए जिनमें फेरों की संख्या काफी अधिक (जैसे क्रमशः 50 तथा 100 फेरे) हों। इन कुण्डलियों को चित्र में दर्शाए अनुसार किसी विद्युतरोधी खोखले बेलन पर चढ़ाइए (आप मोटे कागज को भी खोखले बेलन के रूप में लपेटकर यह कार्य कर सकते हैं)।

(ii) कुण्डली-1 को जिसमें फेरों की संख्या अपेक्षाकृत अधिक है, श्रेणीक्रम में बैटरी तथा प्लग कुंजी से संयोजित कीजिए। अन्य कुण्डली- 2 को भी चित्र में दर्शाए अनुसार गैल्वेनोमीटर से संयोजित कीजिए।

(iii) कुंजी को प्लग में लगाइए। गैल्वेनोमीटर का प्रेक्षण कीजिए। क्या इसकी सुई कोई विक्षेप दर्शाती है? आप यह देखेंगे कि गैल्वेनोमीटर की सुई तुरंत ही एक दिशा में तीव्र
JAC Class 10 Science Solutions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 19
गति से विक्षेपित होकर उसी गति से शीघ्र वापस शून्य पर आ जाती है। यह कुण्डली- 2 में क्षणिक विद्युत धारा का उत्पन्न होना सूचित करता है।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
जब एक धारावाही कुण्डली को दूसरी कुण्डली के पास लाते हैं तो क्या होता है?
उत्तर:
दूसरी कुण्डली में धारा प्रेरित होती है।

प्रश्न 2.
प्राथमिक कुण्डली में स्थिर धारा प्रवाहित होने पर द्वितीय कुण्डली में धारा का मान क्या होगा?
उत्तर:
शून्य।

प्रश्न 3.
धारावाही कुण्डली एवं प्रेरित धारा कुण्डली का क्या नाम है?
उत्तर:
धारावाही कुण्डली को प्राथमिक कुण्डली एवं प्रेरित धारा कुण्डली को द्वितीयक कुण्डली कहते हैं।

प्रश्न 4.
कौन-सी कुण्डली चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करती है?
उत्तर:
प्राथमिक कुण्डली से चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है क्योंकि यह धारावाही कुण्डली होती है।

प्रश्न 5.
कुण्डली-2 में प्रेरित धारा की प्रबलता को कौन-से कारक प्रभावित करते हैं?
उत्तर:

  • प्राथमिक कुण्डली में धारा की प्रबलता।
  • प्राथमिक कुण्डली में तार के फेरों की संख्या।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

Jharkhand Board Class 10 Science प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Questions and Answers

अभ्यास प्रश्न (पृष्ठ संख्या-314)

प्रश्न 1.
अपने घर को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए आप उसमें कौन-कौन से परिवर्तन सुझा सकते हैं?
उत्तर:
अपने घर को पर्यावरण-मित्र बनाने के लिए हम तीन R का प्रयोग करेंगे-
1. कम उपयोग (Reduce) – इसका अर्थ है कि आपको कम से कम वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए। जैसे- बिजली के पंखे एवं बल्ब का स्विच बंद कर देना, खराब नल की मरम्मत करना, ताकि जल व्यर्थ न टपके आदि।

2. पुनः चक्रण (Recycle ) – इसका अर्थ है कि आपको प्लास्टिक, कागज, काँच, धातु की वस्तुओं को कचरे के साथ नहीं फेंकना चाहिए, बल्कि पुनः चक्रण के लिए देना चाहिए।

3. पुन: उपयोग ( Reuse) – यह पुनः चक्रण से भी अच्छा तरीका है क्योंकि उसमें भी कुछ ऊर्जा व्यय होती है। यह एक तरीका है, जिसमें किसी वस्तु का उपयोग बार-बार किया जाता है। जैसे-लिफाफों को फेंकने की अपेक्षा फिर से उपयोग करना, प्लास्टिक की बोतलें, डिब्बों का उपयोग रसोई में करना, खराब बाल्टी गमला बनाना, बोतलों तथा डिब्बों से कलमदान एवं सजावटी सामान बनाना इत्यादि।

उपर्युक्त तरीकों के अलावा भी कुछ तरीके निम्न हैं-

  • सौर ऊर्जा का उपयोग करना; जैसे- सौर जल ऊष्मक, सौर कुकर, सौर पैनल इत्यादि।
  • बल्ब के स्थान पर CFLs तथा LED का उपयोग करना चाहिए।
  • अपने घर के आस-पास जल संग्रह नहीं होने दें तथा कूड़ा-कचरा सड़क के किनारे न फेंकें।

प्रश्न 2.
क्या आप अपने विद्यालय में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यानुकूलित बनाया जा सके।
उत्तर:
प्रश्न 1 के उपर्युक्त तरीकों को अपनाकर अपने विद्यालय को भी पर्यानुकूलित बना सकते हैं।

प्रश्न 3.
इस अध्याय में हमने देखा कि जब हम वन एवं वन्य जन्तुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं। इनमें से किसे वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं? आप ऐसा क्यों सोचते हैं?
उत्तर:
इन चार दावेदारों जैसे, वन के अंदर एवं इसके निकट रहने वाले लोगों, सरकार का वन विभाग, उद्योगपति तथा वन्य जीवन एवं प्रकृति प्रेमी में मेरे विचार से उत्पादों के प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिये जाने के लिए स्थानीय उपयुक्त हैं। क्योंकि स्थानीय लोग भवन का संपोषित तरीके से उपयोग करते हैं। सदियों से ये स्थानीय लोग इन वनों का उपयोग करते आ रहे हैं साथ ही इन्होंने ऐसी पद्धतियों का भी विकास किया है जिससे संपोषण रहा है तथा आने वाली पीढ़ियों के लिए उत्पाद बचे रहेंगे। इसके अतिरिक्त गडरियों द्वारा वनों के पारम्परिक उपयोग ने वन के पर्यावरण संतुलन को भी सुनिश्चित किया है।

दूसरी तरफ वन के प्रबंधन से स्थानीय लोगों को दूर रखने का हानिकारक प्रभाव वन की क्षति के रूप में सामने आ सकता है। वास्तव में वन संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करना होगा कि यह पर्यावरण एवं विकास दोनों के हित में हो तथा नियंत्रित दोहन का फायदा स्थानीय लोगों को प्राप्त हो।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्रश्न 4.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबंधन में क्या योगदान दे सकते हैं- (a) वन एवं वन्य जंतु (b) जल संसाधन (c) कोयला एवं पेट्रोलियम?
उत्तर:
(a) वन एवं वन्य जंतु स्थानीय लोगों की भागीदारी के बिना बना के बिना वनों का प्रबंधन संभव नहीं है। इसका एक सुंदर उदाहरण अराबारी वन क्षेत्र है जहाँ एक बड़े क्षेत्र में वनों का का पुनर्भरण संभव सका। अतः मैं लोगों की सक्रिय भागीदारी को सुनिश्चित करना चाहूँगा। मैं सम्पोषित तरीके संसाधन के समान वितरण पर जोर देना चाहूँगा ताकि इसका फायदा सिर्फ मुट्ठी भर अमीर एवं शक्तिशाली लोगों को ही प्राप्त न हो।

(b) जल संसाधन – अपने दैनिक जीवन में हम जाने- अनजाने पानी की एक बहुत मात्रा का अपव्यय करते हैं जिसे निश्चित रूप से रोका जाना चाहिए। मैं यह सुनिश्चित करना चाहूँगा कि मुझमें ऐसी आदतों का विकास हो जिसके द्वारा पानी बचाना संभव हो सके। इसके अतिरिक्त किसी जल संभर तकनीकी की सहायता से भी जल को संरक्षित किया जा सकता है।

(c) कोयला एवं पेट्रोलियम – वर्तमान में ये ऊर्जा के मुख्य स्रोत हैं। इन्हें हम कई तरीकों से बचा सकते हैं। उदाहरण के दाहरण के लिए-

  • LED बल्बों ट्यूबलाईट का उपयोग करके।
  • अनावश्यक बल्ब तथा पंखों का स्विच बंद करके।
  • सौर उपकरणों का उपयोग करके।
  • वाहनों की जगह पैदल अथवा साइकिल द्वारा छोटी दूरियाँ तय करके।
  • यदि हम वाहन का प्रयोग करते हैं, तो जब हम रेड लाइट पर रुकते हैं तो हमें अपने वाहन के इंजन को बंद कर देना चाहिए।
  • लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करके।
  • वाहनों के टायरों में हवा का उपयुक्त दबाव रखकर।

प्रश्न 5.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत निम्नलिखित तरीकों से कम की जा सकती है-

  • अनावश्यक बल्ब तथा पंखे बंद करके हम बिजली की बचत कर सकते हैं।
  • सामान्य बल्ब की जगह हम LED बल्बों का उपयोग कर सकते हैं।
  • लिफ्ट की जगह सीढ़ी का इस्तेमाल करके हम बिजली की बचत कर सकते हैं।
  • छोटी दूरियाँ तय करने के लिए हम वाहनों की जगह पैदल अथवा साइकिल का उपयोग करके पेट्रोल की बचत कर सकते हैं।
  • जब गाड़ियाँ रेड लाइट पर खड़ी होती हैं तो उनका इंजन बंद करके हम पेट्रोल की बचत कर सकते हैं।
  • टपकने वाले नलों की मरम्मत कराकर हम पानी की बचत कर सकते हैं।
  • हम खाने को व्यर्थ में न फेंककर भोजन की बचत कर सकते हैं।

प्रश्न 6.
निम्न से सम्बन्धित ऐसे पाँच कार्य लिखिए जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं-
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है।
उत्तर:
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण-

  • अनावश्यक पंखे एवं बल्ब को बंद करके हमने बिजली बचाई।
  • वाहन की जगह पैदल चलकर हमने पेट्रोल बचाया।
  • हमने टपकने वाले नल की मरम्मत कराकर पानी बचाया।
  • हमने लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल क बिजली बचाई।
  • हमने चटनियों के खाली बोतल का उपयोग मसाले रखने के लिए किया।

(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है-

  • दाढ़ी बनाते समय हमने पानी का अपव्यय किया है।
  • मैं सो गया किंतु टेलीविजन चलता रहा।
  • कमरे को गर्म रखने के लिए बिजली उपकरणों का उपयोग किया।
  • ट्यूबलाइट की जगह बल्ब का उपयोग किया।
  • अपना भोजन फेंका।

प्रश्न 7.
इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर आप अपनी जीवन शैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके?
उत्तर:
हम अपनी जीवन शैली में तीन ‘Rs’ की संकल्पना को लागू करना चाहेंगे। ये तीन ‘Rs’ हैं-कम करना, पुनः चक्रण, पुन: उपयोग ये हमें संसाधनों के संपोषित उपयोग में हमारी मदद करते हैं।

Jharkhand Board Class 10 Science प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन InText Questions and Answers

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-303)

प्रश्न 1.
पर्यावरण मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन-से परिवर्तन ला सकते हैं?
उत्तर:

  • ऊर्जा का न्यूनतम उपयोग करें, जब आवश्यकता न हो तो कूलर, बल्ब तथा पंखे ऑफ कर दें।
  • जैव निम्नीकरणीय और अजैव निम्नीकरणीय कचरे को अलग-अलग कूड़ेदान में डालें।
  • जहाँ तक संभव हो पैदल या साइकिल का प्रयोग करें।
  • पेट्रोल, डीजल के बजाए C. N. G. का प्रयोग कीजिए।
  • ईंधन के रूप में लकड़ी, कोयला व केरोसिन के बजाए L.P.G. का प्रयोग करें।
  • जैव निम्नीकरणीय कचरे को जलाने के बजाए मिट्टी में दबा करें।
  • पॉलिथीन बैग के स्थान पर कपड़े या जूट के बैग का प्रयोग करके।

प्रश्न 2.
संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर:
संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि वाली परियोजनाएँ वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। इससे तत्काल भोजन, पानी तथा ऊर्जा की पूर्ति होती है, परन्तु यह परियोजना पर्यावरण पहुँचा सकती है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्रश्न 3.
यह लाभ, लम्बी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
लम्बी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं का उद्देश्य संपोषित विकास तथा पर्यावरण संरक्षण की संकल्पना पर आधारित है। संपोषित विकास में मनुष्य की वर्तमान आधारभूत आवश्यकताओं के साथ-साथ भावी संतति के लिए संसाधनों का संरक्षण भी निहित होता है। प्रदूषण नियंत्रण पर भी ध्यान रखा जाता है।

प्रश्न 4.
क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन-कौन सी ताकतें कार्य कर सकती हैं?
उत्तर:

  • संसाधनों का वितरण सभी वर्गों में समान रूप से होना चाहिए।
  • अमीर और शक्तिशाली लोग समान वितरण के विरुद्ध हो सकते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-308)

प्रश्न 1.
हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
उत्तर:
वनों का संरक्षण आवश्यक है क्योंकि यह हमारे लिए अनेक प्रकार से उपयोगी हैं-

  • वनों से हमें इमारती लकड़ी (टिम्बर), गोंद, कागज, लाख, दवाई तथा खेल के उद्योगों को कच्चे माल प्राप्त होते हैं।
  • वन मृदा अपरदन (soil erosion) तथा बाढ़ (flood) को रोकने में सहायता करता है।
  • जलचक्र बनाए रखने तथा वर्षा कराने में वन की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है।
  • वन प्राकृतिक रूप से जंगली जानवरों, पक्षियों आदि को निवास स्थान (habital) प्रदान करता है।

वन्य जीव संरक्षण आवश्यक है क्योंकि-

  • पर्यावरण संतुलन कायम करता है।
  • जंगली मांसाहारी जानवर शाकाहारी जानवरों को खाते हैं, जिससे घास एवं छोटे पौधों का अस्तित्व कायम रहता है तथा वन एवं वनस्पति के रहने से पर्याप्त वर्षा होती है।
  • जंगलों साफ रखने तथा बीजों को एक जगह में सहायता करता है, जिससे पौधे वृद्धि करते हैं।
  • घास चरने से भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है।

प्रश्न 2.
सरंक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर:
वन संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करना होगा कि यह पर्यावरण एवं विकास दोनों के हित में हो। दूसरे शब्दों में जब पर्यावरण अथवा वन संरक्षित किए जाएँ, उनके सुनियोजित उपयोग का लाभ स्थानीय लोगों को मिलना चाहिए। यह विकेन्द्रीकरण की एक ऐसी व्यवस्था है जिससे आर्थिक विकास एवं पारिस्थितिक संरक्षण दोनों साथ-साथ चल सकते हैं।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 311)

प्रश्न 1.
अपने निवास क्षेत्र के आस-पास जल संग्रहण की परम्परागत पद्धति का पता लगाइए।
उत्तर:
भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों में जल संग्रहण की पद्धति (तरीका) भिन्न-भिन्न होती है। यहाँ कुछ राज्यों की पद्धतियाँ निम्न हैं-

1. महाराष्ट्र बंधारस एवं तीले
2. बिहार अहार तथा पोइने
3. हिमाचल प्रदेश कुल्ह
4. दिल्ली बावड़ी तथा तालाब
5. केरल सुरंगम
6. कर्नाटक कट्टा
7. MP और UP बंधिस
8. राजस्थान खादिन, बड़े पात्र एवं नाड़ी
9. जम्मू के काँदी क्षेत्र में तालाब
10. तमिलनाडु एरिस (Tank)

प्रश्न 2.
इस पद्धति की पेयजल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।
उत्तर:
हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में नहर सिंचाई की स्थानीय प्रणाली का विकास हुआ है। इन्हें ‘कुल्ह’ कहा जाता है। झरनों से बहने वाले जल को मानव-निर्मित छोटी-छोटी नालियों से पहाड़ी पर स्थित निचले गाँवों तक ले जाया जाता है। इन कुल्ह से प्राप्त जल का प्रबंधन क्षेत्र के सभी गाँवों की सहमति किया जाता था। कृषि के मौसम में जल सर्वप्रथम दूरस्थ गाँव को दिया जाता था फिर उत्तरोत्तर पर स्थित गाँव उस जल का उपयोग करते थे।

हरियाणा में बावड़ी, राजस्थान राजस्थान खादिन, बड़े पात्र तथा नाड़ी, महाराष्ट्र के बंधारस एवं ताल, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में बंधिस, बिहार में अहार तथा पाइन, जम्मू के काँदी क्षेत्र में तालाब तथा तमिलनाडु में एरिस, केरल सुरंगम, कर्नाट कट्टा इत्यादि प्राचीन जल संग्रहण तथा जल परिवहन संरचनाएँ आज भी उपयोग में हैं।

प्रश्न 3.
अपने क्षेत्र में जल के स्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्त्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है?
उत्तर:
हमारे क्षेत्र में जल का स्रोत (दिल्ली क्षेत्र में) गंगा और यमुना नदियों का जल है। इस जल को म्युनिसिपल कमेटी द्वारा पाइप लाइनों की सहायता से लोगों के घरों तक पहुँचाया जाता है। हाँ, इस स्रोत से उपलब्ध जल हमारे क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

क्रिया-कलाप – 16.1

प्रश्न 1.
कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन के विनियमन के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक का पता लगाइए।
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्रसंघ की देख-रेख में क्योटो प्रोटोकॉल में कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन के नियमन के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों की चर्चा की गई है। वातावरण में में होने सम्बन्धित यह यह सम्मेलन संयुक्त राष्ट्रसंघ इस समझौते के वाले परिवर्तनों की देखरेख में में आयोजित किया गया तहत गया था। इस 1 औद्योगिक राष्ट्र राष्ट्रों को 1990 में अपने कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य हरित गैस उत्सर्जन के स्तर में 5.29% की कमी लाने के लिए कहा गया है। ऑस्ट्रेलिया एवं आइसलैंड के के लिए र क्रमश: 8% तथा 10% के राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित किये गये हैं।

स्पष्टत: क्योटो प्रोटोकॉल के अधिकतर उपबंध विकसित देशों पर लागू होते हैं। ये समझौते जापान में क्योटो शहर में दिसम्बर, 1997 में हुआ था तथा 16 फरवरी, 2005 को इसे लागू किया गया था। दिसम्बर 2006 तक 169 देशों तथा सरकारी प्रतिष्ठानों ने इस समझौते का अनुमोदन कर दिया था। हालाँकि अमेरिका एवं ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ अपवाद भी हैं। चीन एवं भारत जैसे देश जिन्होंने इसका अनुमोदन कर दिया है, उन्हें वर्तमान समझौते के तहत अपने CO2 उत्सर्जन को मात्रा में कोई कटौती नहीं करनी होगी।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्रश्न 2.
इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए कि हम इन मानकों को प्राप्त करने हेतु किस प्रकार सहयोग कर सकते हैं?
उत्तर:
हम CO2 के उत्सर्जन को कई तरीकों से रोक सकते हैं। जैसे- किसी वाहन के इस्तेमाल की जगह पैदल चलना या साइकिल का उपयोग करना, लालबत्ती पर वाहनों के इंजन को बंद रखना, बल्ब की जगह कम खपत वाली LED बल्बों लाईट का उपयोग करना, लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करना, जाड़े के दिनों में गर्म रखने वाले उपकरणों का कम उपयोग करना, आदि ये उपाय ऊर्जा व्यय को निश्चित रूप से कम करेंगे तथा अंततः इसका प्रभाव ऊर्जागृहों द्वारा उत्सर्जित होने वाले CO2 की मात्रा पर पड़ेगा। लोगों को CO2 के आधिक्य मात्रा से होने वाली समस्याओं से अधिक संख्या में उनकी सहभागिता सुनिश्चित की जा सके।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

क्रिया-कलाप – 16.2

प्रश्न 1.
ऐसे अनेक संगठन हैं जो पर्यावरण के प्रति जागरुकता फैलाने में लगे हैं। वे ऐसे क्रिया-कलापों का भी प्रोत्साहन करते हैं जिससे हमारे पर्यावरण एवं प्राकृतिक संरक्षण को बढ़ावा मिलता है। अपने आसपास के क्षेत्र / शहर / कस्बे / गाँव में कार्य करने वाले संगठनों के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
दिल्ली में ऐसे कई संगठन हैं जो हमारे पर्यावरण तथा प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-

  • विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र (CSE)
  • भारतीय वन्य जीवन ट्रस्ट (WTI)
  • विकास विकल्प
  • कल्पवृक्ष
  • सृष्टि
  • ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (TERI)
  • वातावरण
  • इंडिया हैबिटेट सेंटर (IHC)

प्रश्न 2.
पता लगाइए कि इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आप क्या योगदान दे सकते हैं?
उत्तर:
तीन ‘R’ अर्थात् कम करना (Reduce), पुन: चक्रण (Recycle) तथा पुन: उपयोग ( Reuse) पर कार्य की शुरुआत करके इस समस्या को प्रभावी रूप से कम करने योगदान दे सकते हैं। विद्युत, जल, कोयला, पेट्रोलियम आदि की बचत करके भी ‘इस समस्या को कम अपना किया जा सकता है। नई वस्तुओं के निर्माण के लिए उपलब्ध संसाधनों का दोहन करने की जगह प्लास्टिक, कागज, काँच तथा धातुओं से बनी वस्तुओं का पुनः चक्रण तथा पुनः उपयोग भी इस समस्या से निपटने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

क्रिया-कलाप – 16.3

प्रश्न 1.
सासूचक (Universal indicator) की सहायता अपने घर में आपूर्त पानी का pH ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
सार्वसूचक द्वारा पानी का pH ज्ञात करना- वसूचक एक pH सूचक है जो pH के विभिन्न परासों विलयनों में रखे जाने पर विभिन्न रंग प्रदर्शित करता है।

पानी के कुछ नमूने अलग-अलग परखनलियों में लिए जाते हैं। इन परखनलियों में ड्रॉपर की सहायता से सार्वसूचक की कुछ बूँदें डाली जाती हैं। परखनली में रखे पानी के रंग में आया परिवर्तन, उनमें pH की जानकारी देता है।

रंग तथा निष्कर्ष –

  • लाल – अत्यधिक अम्लीय
  • नारंगी / पीला – अम्लीय
  • हरा – उदासीन
  • नीला – भस्मीय या क्षारीय
  • बैंगनी – अत्यधिक भस्मीय या क्षारीय

लिटमस पत्र द्वारा pH ज्ञात करना – पानी में कुछ नमूने अलग-अलग बीकरों में लिये जाते हैं तथा इनमें लिटमस कागज डाला जाता है। पत्र के में आने वाले परिवर्तनों से नमूनों की प्रकृति ज्ञात की जा सकती है। यदि रंग में कोई परिवर्तन नहीं होता है तो वह नमूना उदासीन है अर्थात् उसका PH 7 है।

रंग तथा निष्कर्ष –

  • लाल – अत्यधिक अम्लीय
  • नारंगी – अम्लीय
  • नीला – भस्मीय / क्षारीय
  • बैंगनी – अत्यधिक भस्मीय / क्षारीय

प्रश्न 2.
अपने अड़ोस-पड़ोस के जलाशय (तालाब, झील, ल, नदी, झरने) का pH भी ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
pH पत्र से अलग-अलग स्थानों के जल का pH भिन्न-भिन्न पाया गया; जैसे- तालाब के जल का pH = 8, झील का pH = 6 तथा नदी के जल का pH = 6.5 है।

प्रश्न 3.
क्या अपने प्रक्षेणों के आधार पर आप कह सकते हैं कि जल प्रदूषित है या नहीं।
उत्तर:
हाँ, क्योंकि शुद्ध जल का pH = 7 होता है। परंतु यहाँ pH का मान या तो 7 से कम या 7 से अधिक पाया गया।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

क्रिया-कलाप – 16.4

प्रश्न 1.
क्या आप कई वर्षों के बाद किसी गाँव अथवा शहर में गए हैं? यदि हाँ, तो क्या पिछली बार की अपेक्षा नए घर एवं सड़कें बन गई हैं? आपके विचार में इन्हें बनाने के लिए आवश्यक वस्तुएँ कहाँ प्राप्त हुई होंगी?
उत्तर:
हाँ, पिछली बार की अपेक्षा नए घर एवं सड़कें बन गई हैं। मैं सोचता हूँ कि नए घरों के निर्माण के लिए लकड़ियाँ वनों से लाई गई हैं। प्लाईवुड भी लकड़ियों के संसाधित उत्पाद हैं जो वनों से प्राप्त होते हैं। ईंटें मिट्टी से बनाई जाती हैं तथा प्रयुक्त स्टील लौह अयस्कों से प्राप्त किया जाता है।

उसी तरह कोलतार जो सड़कें बनाने में प्रयुक्त होती है, भी खानों से प्राप्त होता है। सीमेंट विभिन्न अयस्कों तथा पत्थरों आदि से बनता है। ग्रेनाइट खदानों से प्राप्त होता है।

प्रश्न 2.
उन पदार्थों की सूची बनाइए तथा उनके स्त्रोतों का भी पता लगाइए।
उत्तर:

पदार्थ संभावित स्रोत
लकड़ियाँ वन
प्लाईवुड वन
ईेटें मिट्टी
सीमेंट पत्थर, रसायन
स्टील खदान
पेंट रसायन
कोयला खदान
ग्रेनाइट चट्टान
संगमरमर पत्थर
प्लास्टिक रसायन

प्रश्न 3.
अपने द्वारा बनाई गई सूची को अपने सहपाठियों के साथ चर्चा कीजिए। क्या आप ऐसे उपाय सुझा सकते हैं जिनसे इन वस्तुओं के उपयोग में कमी लाई जा सके।
उत्तर:
हम निश्चित रूप से इन वस्तुओं के उपयोग में कमी ला सकते हैं। कंक्रीट के बीम अथवा ऐलुमिनियम या फाइबर से बने खिड़कियाँ या दरवाजों के उपयोग द्वारा हम लकड़ी के उपयोग को कम कर सकते हैं।

आजकल राख से बनी ईटें उपलब्ध जो हल्के होने के साथ-साथ अन्य कई खास गुणों वाली होती हैं। इनका उपयोग मिट्टी से बनी ईंटों की जगह किया जा सकता है। उसी तरह कोलतार की जगह सीमेंट के उपयोग द्वारा सड़कें अनाई जा सकती हैं। वनों को बचाने के लिए-

  • ईंधन के रूप में लकड़ी का उपयोग कम-से-कम करना चाहिए। CNG तथा LPG का उपयोग बढ़ाना चाहिए।
  • इमारतों में जहाँ तक संभव हो लकड़ी व प्लाईवुड के स्थान पर लोहे या ऐलुमिनियम का उपयोग करें। 16.2 वन एवं वन्य जीवन

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

क्रिया-कलाप – 16.6

प्रश्न 1.
जिन वन उत्पाद का आप प्रयोग करते हैं, उनकी एक सूची बनाइए।
उत्तर:
लकड़ी, विभिन्न प्रकार के फल, जड़ी-बूटी, ओषधि, बाँस, मछली आदि।

प्रश्न 2.
आपके विचार में वन के निकट रहने वाला व्यक्ति किन वस्तुओं का उपयोग करता होगा?
उत्तर:
वन के निकट रहने वाला व्यक्ति लकड़ी, फल, जड़ी-बूटी, सूखी पत्तियाँ (ईंधन के लिए), बाँस, चारा आदि का उपयोग करता है। इसके अतिरिक्त वे वन का उपयोग मछली मारने तथा शिकार करने वाले स्थान के रूप में करते हैं। यहाँ वे अपने पशुओं / मवेशियों को भी चराते हैं।

प्रश्न 3.
वन के अंदर रहने वाला व्यक्ति किन वस्तुओं का उपयोग करता होगा?
उत्तर:
वन के अंदर रहने वाला व्यक्ति अपनी प्रत्येक आवश्यकता के लिए वन पर ही निर्भर करता है। ऊपर (प्रश्न 2) में बताए गए सभी तरह के उपयोग वन के अंदर रहने वाले व्यक्ति द्वारा होता है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन

प्रश्न 4.
अपने सहपाठियों के साथ चर्चा कीजिए कि उपरोक्त व्यक्तियों की आवश्यकताओं में क्या कोई अंतर है अथवा कोई अंतर नहीं है एवं इनके कारण का भी पता लगाइए।
उत्तर:
शहरों या गाँवों में रहने वाले लोग वन के नजदीक रहने वाले अथवा वन में रहने वाले लोगों की अपेक्षा वन पर कम निर्भर करते हैं। एक व्यक्ति जो शहर में रहता है उसे विभिन्न वन उत्पादों जैसे- फल, लकड़ी, जड़ी-बूटी, ओषधि आदि की आवश्यकता होती है जबकि वे लोग जो वन के नजदीक या वन के अंदर रहते हैं वे लगभग अपनी प्रत्येक आवश्यकता की पूर्ति जैसे भोजन, आवास आदि के लिए पूर्णतया वन पर निर्भर करते हैं।

उन्हें जलावन की लकड़ी, सूखी पत्ती, झोपड़ी, टोकरी आदि बनाने के लिए बाँस और लकड़ी की आवश्यकता होती है। खेती के औजार, मछली पकड़ने तथा शिकार करने आदि के औजारों के लिए भी वे वन पर ही निर्भर करते हैं। इसके अतिरिक्त उनके पशु तथा मवेशी आदि वहीं चरते हैं या वे वन से ही उनके लिए चारा इकट्ठा करते हैं। इस तरह उनकी आवश्यकताओं में अन्तर हैं। इसका मुख्य कारण उनका परिवेश है।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

क्रिया-कलाप 16.7

प्रश्न 1.
किन्हीं दो वन उत्पादों का पता लगाइए जो किसी उद्योगों के आधार हैं।
उत्तर:
तेंदुपत्ती (बीड़ी बनाने के लिए), बाँस, (कागज उद्योगों के लिए), लकड़ी (प्लाईवुड उद्योग के लिए)।

प्रश्न 2.
चर्चा कीजिए कि यह उद्योग लंबे समय तक संपोषित हो सकता है। अथवा क्या हमें इन उत्पादों की खपत को नियंत्रित करने की आवश्यकता है?
उत्तर:
हाँ, लंबे समय तक इन उद्योगों को कच्चा माल वन से प्राप्त हो सके इसके लिए हमें विवेकपूर्ण ढंग से इन उत्पादों की खपत करनी होगी। इसलिए काटे गए पेड़ के स्थान पर नए पेड़ लगाएँ तथा खपत में कमी करें, ताकि वनों दोहन की गति कम हो जाए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

क्रिया-कलाप – 16.8
निम्न के द्वारा वनों को होने वाली क्षति पर परिचर्चा कीजिए-

प्रश्न 1.
राष्ट्रीय उद्यानों में पर्यटकों हेतु आरामगृह (rest house) का निर्माण करना।
उत्तर:
आरामगृह बनाने से निम्न हानियाँ हैं-

  • यह केवल छुट्टियाँ बिताने का स्थल हो जाता है जहाँ पर्यटक आकर कूड़ा-करकट फैलाते हैं।
  • जानवरों का शिकार एवं तश्करी बढ़ती है।
  • वनों का कटाव होता है तथा पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाता है।

प्रश्न 2.
राष्ट्रीय उद्यानों में पालतू पशुओं को चराना।
उत्तर:
पालतू पशुओं को चराने से घास एवं छोटे पौधे खत्म हो जाते हैं, जिससे प्राकृतिक खाद्य श्रृंखला या जैव पिरामिड को क्षति पहुँचती है। घास एवं छोटे पौधे मिट्टी को जकड़े रहते हैं, जिससे मृदा अपरदन नहीं हो पाता है। इस तरह राष्ट्रीय उद्यानों के पर्यावरण प्रभावित होते हैं।

प्रश्न 3.
पर्यटकों द्वारा प्लास्टिक बोतल, थैलियों तथा अन्य कचरों को राष्ट्रीय उद्यान फेंकना।
उत्तर:
प्लास्टिक बोतल, पॉलिथीन की थैलियाँ अजैव निम्नीकरणीय हैं, जो प्रदूषण फैलाती हैं। कूड़े-कचरे से रोगाणुओं को पनपने का अवसर मिलता है तथा पर्यावरण में प्रदूषण भी होता है।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

क्रिया-कलाप – 16.9

प्रश्न 1.
महाराष्ट्र के एक गाँव में जल की कमी की दीर्घकालीन समस्या से जूझ रहे ग्रामीण एक जल मनोरंजन पार्क का घेराव कर लेते हैं। इस पर परिचर्चा कीजिए कि क्या यह उपलब्ध जल का समुचित उपयोग है?
उत्तर:
यह संसाधन के असमान वितरण का एक सरल उदाहरण है। एक तरफ जहाँ लोगों को अपनी मौलिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जल उपलब्ध नहीं है वहीं दूसरी तरफ अन्य व्यक्तियों द्वारा अपने मनोरंजन के लिए इसका अत्यधिक उपयोग किया जा रहा है। यह कुछ ऐसी जिसे जितनी जल्दी हो सके रोका जाना चाहिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

क्रिया-कलाप – 16.10

प्रश्न 1.
एक एटलस की सहायता से भारत वर्षा के पैटर्न का अध्ययन कीजिए।
उत्तर:
उत्तर:
भारत में सामान्यतः जून के प्पहले सप्व़न में प्रायद्वीपीय भारत के दक्षिणी सिरे पर मानसून के आगमन के साथ वर्षा ऋतु की शुरुआत होती है। इसके बाद यह दो शाखाओं अरब-सागर शाखा तथा बंगाल की खाड़ी शाखा में बँट जाती है। अरब सागर शाखा 10 जून तक मुंबई पहुँच जाती है। बंगाल की खाड़ी शाखा भी तेजी से आगे बढ़ती है तथा जून के पहले सप्ताह में असम पहुँच जाती है। ऊँची पर्वत शृंखलाओं द्वारा मानसूनी हवाओं को पश्चिम की तरफ गंगा के विशाल मैदानों के ऊपर मोड़ दिया जाता है।

अरब सागर शाखा सौराष्ट्र-कच्छ तथा भारत के मध्यवर्ती हिस्से में पहुँच जाती है। अरब सागर शाखा तथा बंगाल की खाड़ी शाखा गंगा के मैदान के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में एक-दूसरे से मिल जाती हैं। दिल्ली को सामान्यतः जून के अंत तक बंगाल की खाड़ी शाखा से वर्षा प्राप्त होती है। जुलाई के पहले सप्ताह तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा तथा पूर्वी राजस्थान में मानसून पहुँच जाता है। मध्य जुलाई तक मानसून हिमाचल प्रदेश तथा शेष भारत में पहुँच जाता है।

मानसून का वापस लौटना अपेक्षाकृत एक धीमी प्रक्रिया है। इसकी शुरुआत सितम्बर के आरम्भ में उत्तर-पूर्वी राज्यों से होती है। मध्य अक्टूबर तक यह प्रायद्वीपीय भारत के उत्तरी आधे हिस्से से लौट चुका होता है। प्रायद्वीप के दक्षिणी आधे हिस्से से मानसून बहुत तेजी से लौटता है। दिसम्बर के आरम्भ तक पूरे देश से मानसून लगभग लौट चुका होता है।

द्वीपों को पहला मानसून अप्रैल के पहले सप्ताह से लेकर मई के पहले सप्ताह तक प्राप्त होता है जबकि दिसम्बर के पहले सप्ताह से जनवरी के पहले सप्ताह के बीच यहाँ से मानसून वापस लौट चुका होता है। इस समय के अंत तक शेष भारत शीत लहर के प्रभाव में आ चुका होता है।

प्रश्न 2.
ऐसे क्षेत्रों की पहचान कीजिए जहाँ पर जल की प्रचुरता है तथा ऐसे क्षेत्रों की जहाँ इसकी बहुत कमी है?
उत्तर:
भारी वर्षा वाले क्षेत्र (अर्थात् जहाँ प्रतिवर्ष 200 cm से अधिक वर्षा होती है) – इनमें महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश एवं असम शामिल हैं।

हल्की वर्षा वाले क्षेत्र (अर्थात् जहाँ प्रतिवर्ष 58- 100 cm) वर्षा होती है) – इनमें ऊपरी गंगा घाटी, पूर्वी राजस्थान, हरियाणा एवं पंजाब के कुछ हिस्से, जम्मू एवं कश्मीर, दक्कन का पठार तथा सिंधु का मैदान शामिल हैं।

शुष्क या अर्द्धशुष्क क्षेत्र (जहाँ प्रतिवर्ष 50em कम वर्षा होती है) – इनमें कश्मीर का उत्तरी हिस्सा, दक्षिणी पंजाब, हरियाण का कुल भाग, पश्चिमी राजस्थान, थार, कच्छ प्रायद्वीप तथा पश्चिमी घाट के वर्षा छाया क्षेत्र शामिल हैं।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

क्रिया-कलाप – 16.11

प्रश्न 1.
कोयले का उपयोग ताप बिजलीघरों में एवं पेट्रोलियम उत्पाद जैसे कि डीजल एवं पेट्रोल का यातायात के विभिन्न साधनों मोटरवाहन, जलयान एवं वायुयान में प्रयोग किया जाता है। आज के युग में विद्युत साधित्रों एवं यातायात में विद्युत के प्रयोग के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। अतः क्या आप कुछ ऐसी युक्ति सोच सकते हैं जिससे कोयला एवं पेट्रोलियम के उपयोग को कम किया जा सके?
उत्तर:
अधिकतर ताप विद्युत गृह में कोयले का उपयोग किया जाता है। अतः विद्युत को बचाकर हम कोयले की बचत कर सकते हैं। ऐसे कई तरीके हैं जिनके द्वारा हम विद्युत की बचत कर सकते हैं। जैसे- अनावश्यक पंखों एवं बल्बों को बंद करके, बल्ब की जगह LED बल्बों एवं टयूबलाइटों का प्रयोग करके, लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का इस्तेमाल करके।

इसी तरह पेट्रोलियम के उत्पादों की बचत के लिए हमें छोटी दूरियों के लिए वाहनों का उपयोग करने की जगह या तो पैदल चलना चाहिए या फिर साइकिल का उपयोग करना चाहिए। रेडलाइट पर गाड़ी का इंजन बंद कर देना चाहिए, भोजन पकाने के लिए कुकर का उपयोग करना चाहिए तथा गाड़ियों के पहियों में हवा का दबाव सही रखना चाहिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

क्रिया-कलाप – 16.12

प्रश्न 1.
आपने वाहनों से निकलने वाली गैसों के यूरो- I एवं यूरो- II मानक के विषय में तो अवश्य ही सुना होगा। पता लगाइए कि ये मानक वायु प्रदूषण कम करने में किस प्रकार सहायक हैं?
उत्तर:
यूरो मानक से तात्पर्य यूरोप में पेट्रोल एवं डीजल वाहनों को मान्यता प्राप्त उत्सर्जन स्तर से है। इन मानकों के अनुसार वाहन निर्माताओं को अपने वाहन के इंजन के डिजाइन का सुधार लाना होता है कि प्रदूषक उत्सर्जन का स्तर वर्तमान स्तर से कम हो। यूरो I के तहत CO का उत्सर्जन स्तर 2.75 ग्रा/किमी. है तथा यूरो- II में यह स्तर 2.20 ग्रा/किमी. है। इन मानकों को लागू करके प्रदूषण स्तर में काफी कमी लाई गई है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

Jharkhand Board Class 10 Science तत्वों का आवर्त वर्गीकरण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
आवर्त सारणी में बायीं से दायीं ओर जाने पर, प्रवृत्तियों के बारे में कौन-सा कथन असत्य है?
(a) तत्त्वों की धात्विक प्रकृति घटती है।
(b) संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ जाती है।
(c) परमाणु आसानी से इलेक्ट्रॉन का त्याग करते हैं।
(d) इनके ऑक्साइड अधिक अम्लीय हो जाते हैं।
उत्तर:
(c) परमाणु आसानी से इलेक्ट्रॉन का त्याग करते हैं।

प्रश्न 2.
तत्त्व X, XCl, सूत्र वाला एक क्लोराइड बनाता है, जो एक ठोस है तथा जिसका गलनांक अधिक है। आवर्त सारणी में यह तत्त्व संभवतः किस समूह के अंतर्गत होगा?
(a) Na
(b) Mg
(c) Al
(d) Si
उत्तर:
(b) Mg

प्रश्न 3.
किस तत्त्व में-
(a) दो कोश हैं तथा दोनों इलेक्ट्रॉनों से पूरित हैं?
(b) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 2 है?
(c) कुल तीन कोश हैं तथा संयोजकता कोश में चार इलेक्ट्रॉन हैं?
(d) कुल दो कोश हैं तथा संयोजकता कोश में तीन इलेक्ट्रॉन’
(e) दूसरे कोश में पहले कोश से दोगुने इलेक्ट्रॉन हैं?
उत्तर:
(a) निऑन – Ne (2, 8)
(b) मैग्नीशियम – Mg (2, 8, 2)
(c) सिलिकॉन Si (2, 8
(d) बोरॉन B (2, 3)
(e) कार्बन C (2, 4)

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 4.
(a) आवर्त सारणी में बोरान के स्तंभ के सभी तत्त्वों के कौन-से गुणधर्म समान हैं?
(b) आवर्त सारणी में फ्लुओरीन के स्तंभ के सभी तत्त्वों के कौन-से गुणधर्म समान हैं?
उत्तर:
(a) सभी तत्त्व धातुएँ हैं और उनके गुणधर्म हैं-

  • सभी विद्युत के सुचालक होते हैं।
  • दोनों आघातवर्ध्य होते हैं।

(b) ये सभी अधातुएँ हैं और उनके गुणधर्म हैं-

  • सभी विद्युत के अचालक होते हैं।
  • ये सभी भंगुर होते हैं।

प्रश्न 5.
एक परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 8, 7 है।
(a) इस तत्त्व की परमाणु संख्या क्या है?
(b) निम्न में किस तत्त्व के साथ इसकी रासायनिक समानता होगी? (परमाणु संख्या कोष्ठक में दी गई है)
N (7) F(9) P (15) Ar (18).
उत्तर:
(a) 17.
(b) F (9), चूँकि F (9) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 7 है। अतः दोनों के बाहरी कोश में 7 इलेक्ट्रॉन हैं।

प्रश्न 6.
आवर्त सारणी में तीन तत्त्व A, B तथा C की स्थिति निम्न प्रकार है-

समूह 16 समूह 17
A
B C

अब बताइए कि-
(a) A धातु है या अधातु।
(b) A की अपेक्षा C अधिक अभिक्रियाशील है या कम?
(c) C का साइज B से बड़ा होगा या छोटा?
(d) तत्त्व A, किस प्रकार के आयन, धनायन या ऋणायन बनाएगा?
उत्तर:
(a) अधातु।
(b) A की अपेक्षा C अधिक अभिक्रियाशील है।
(c) C का आकार B से छोटा होगा।
(d) तत्त्व ऋणायन बनाएगा।

प्रश्न 7.
नाइट्रोजन (परमाणु संख्या 7) तथा फॉस्फोरस (परमाणु संख्या 15) आवर्त सारणी के समूह 15 के तत्त्व हैं। इन दोनों तत्त्वों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए। इनमें से कौन-सा तत्त्व अधिक ऋण विद्युत होगा और क्यों?
उत्तर:
नाइट्रोजन N (7) : 2, 5
फॉस्फोरस P (15) : 2, 8, 5
इन दोनों में से नाइट्रोजन अधिक ऋण विद्युती है। विद्युत ऋणात्मकता अर्थात् इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति किसी समूह में ऊपर से नीचे जाने पर घटती है।

प्रश्न 8.
तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास का आधुनिक आवर्त सारणी में तत्त्व की स्थिति से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तत्त्वों की आवर्त सारणी में स्थिति से सम्बन्धित होता है। बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या उस तत्त्व की समूह संख्या को सूचित करती है तथा बाह्यतम कोश संख्या उस तत्त्व की आवर्त को सूचित करता है।

प्रश्न 9.
आधुनिक आवर्त सारणी में कैल्सियम (परमाणु संख्या 20) चारों ओर 12, 19, 21 तथा 38 परमाणु संख्या वाले तत्त्व स्थित है। इनमें से किन तत्त्वों के भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म कैल्सियम के समान हैं?
उत्तर:
परमाणु संख्या 12 वाले तत्त्व का भौतिक एवं रासायनिक गुणधर्म एकसमान हैं क्योंकि Ca (20) एवं परमाणु संख्या 12 एवं 38 वाले तत्त्वों के अंतिम कोश में केवल 2 इलेक्ट्रॉन हैं। किंतु अन्य परमाणु संख्याओं की स्थिति में ऐसा नहीं है-

परमाणु संख्या इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
Ca (20) 2, 8, 8, 2 । । ।
12 2, 8, 2
19 2, 8, 8, 1
21 2, 8, 9, 2
(संक्रमण धातु)
38 2, 8, 18, 8, 2

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 10.
आधुनिक आवर्त सारणी एवं मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में तत्त्वों की व्यवस्था की तुलना कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक आवर्त सारणी एवं मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में अन्तर

मेण्डलीफ की आवर्त सारणी आधुनिक आवर्त सारणी
1. तत्त्वों को उनके बढ़ते परमाणु द्रव्यमान के क्रम में व्यवस्थित किया गया है। 1. तत्त्वों को उनके बढ़ते परमाणु संख्या के क्रम में व्यवस्थित किया गया है।
2. इसमें 8 समूह (ग्रुप) तथा 6 पीरियड (आवर्त) होते हैं। 2. इसमें 18 समूह (गुप) तथा 7 पीरियड होते हैं।
3. मेण्डलीफ आवर्त सारणी में कई कमियाँ/विसंगतियाँ पाई गईं; जैसे-हाइड्रोजन का स्थान, समस्थानिकों का स्थान, अधिक परमाणु द्रव्यमान वाले तत्त्व (Co) को (Ni) के पहले रखना आदि। 3. इसमें ये सारी कमियाँ/ विसंगतियाँ नहीं पाई गईं बल्कि दूर हो गईं।
4. तत्त्वों के स्थान ग्रुप तथा आवर्त का अनुमान लगाना संभव नहीं है। 4. इसमें इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर तत्त्वों के ग्रुप तथा आवर्त का पता चल जाता है।
5. इसमें संक्रमण तत्त्वों (Transition elements) का अलग से स्थान नहीं है। 5. इसमें संक्रमण तत्त्वों का अलग से स्थान है।
6. यह किसी ग्रुप में तत्त्वों के रासायनिक गुणों की समानता की व्याख्या करने में असमर्थ है। 6. किसी ग्रुप में तत्त्वों के रासायनिक गुण समान इसलिए होते हैं, क्योंकि इनमें तत्त्वों की संयोजकता इलेक्ट्रॉन समान होती है अर्थात् इसकी व्याख्या करने में समर्थ है।
7. इसमें अक्रिय गैस नहीं है। 7. इसमें अक्रिय गैसों के लिए अलग से स्थान है।
8. लैन्थेनाइड तथा ऐक्टिनाइड अनुपस्थित होते हैं। 8. इसमें आवर्त सारणी के नीचे लैन्थेनाइड तथा ऐक्टिनाइड होते हैं।

Jharkhand Board Class 10 Science तत्वों का आवर्त वर्गीकरण InText Questions and Answers

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 91)

प्रश्न 1.
क्या डॉबेराइनर के त्रिक, न्यूलैंड्स के अष्टक के स्तंभ में भी पाए जाते हैं? तुलना करके पता कीजिए।
उत्तर:
हाँ डॉवेगइनर के त्रिक, न्यूलैंड्स के अष्टक के स्तंभ में पाए जाते हैं। उदाहरण- Li, Na, K डॉबेराइनर के त्रिक हैं जो न्यूलैंड्स के अष्टक के स्तंभ हैं।

प्रश्न 2.
डॉबेराइनर के वर्गीकरण की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर:

  1. उस समय ज्ञात सभी तत्त्वों का वर्गीकरण डॉबेराइनर के त्रिक के आधार पर नहीं हो सका।
  2. डॉबेराइनर केवल तीन तत्त्वों के त्रिक को उस समय पहचान सके। यही कारण है कि डॉबेराइनर के त्रिक को मान्यता प्राप्त नहीं हुई।

प्रश्न 3.
न्यूलैंड्स के अष्टक नियम की क्या सीमाएँ हैं?
उत्तर:

  1. यह नियम केवल Ca तक के परमाणु भार वाले तत्त्वों को वर्गीकृत कर पाता है इसके बाद आठवाँ तत्त्व प्रथम तत्त्व से समानता प्रदर्शित नहीं करता है।
  2. न्यूलैंड्स ने माना कि केवल 56 तत्त्व ही संभव हैं, अन्य तत्त्वों का आविष्कार नहीं हो सकता।
  3. न्यूलैंड्स के अष्टक में कुछ ऐसे भी तत्त्व हैं जिनके गुणों में समानता नहीं पाई जाती है।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 94)

प्रश्न 1.
मेण्डलीफ की आवर्त सारणी का उपयोग कर निम्नलिखित तत्त्वों के ऑक्साइड के सूत्र का अनुमान कीजिए – K, C, Al, Si, Ba
उत्तर:

तत्व समूह संख्या ऑक्साइड के सूत्र
K 1 K2O
C 4 CO2
Al 3 Al2O3
Si 4 SiO2
Be 2 BaO

प्रश्न 2.
गैलियम के अतिरिक्त, अब तक कौन-कौन से तत्त्वों का पता चला है, जिसके लिए मेण्डलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में खाली स्थान छोड़ दिया था? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
गैलियम के अतिरिक्त स्कैंडियम तथा जर्मेनियम तत्त्वों का पता बाद में चला जिसके लिए खाली स्थान छोड़ा गया था।

प्रश्न 3.
मेण्डलीफ ने अपनी आवर्त सारणी तैयार करने के लिए कौन-सा मापदंड अपनाया?
उत्तर:

  • उन्होंने तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमान के क्रम में सजाया।
  • उन्होंने समान गुण वाले तत्त्वों को एक समूह में रखने का प्रयास किया।
  • तत्त्वों के हाइड्राइडों एवं ऑक्साइडों के अणुसूत्रों को एक आधारभूत गुण मानकर तत्त्वों का वर्गीकरण किया।

प्रश्न 4.
आपके अनुसार उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में क्यों रखा गया?
उत्तर:
अक्रिय या उत्कृष्ट गैसों को अलग समूह में रखा गया क्योंकि-

  • ये गैसें बहुत ही अक्रियाशील होती हैं एवं इनकी खोज बहुत बाद में हुई।
  • इन गैसों को एक नये समूह में बिना आवर्त सारणी को छेड़-छाड़ किए हुए रखा गया।

पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या – 100)

प्रश्न 1.
आधुनिक आवर्त सारणी द्वारा किस प्रकार से मेण्डलीफ की आवर्त सारणी की विविध विसंगतियों को दूर किया गया?
उत्तर:

  • आधुनिक आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का प्रथम समूह में तर्कसंगत स्थान है क्योंकि हाइड्रोजन विद्युत धनात्मक होती है।
  • आधुनिक आवर्त सारणी में तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु संख्या के क्रम में रखा गया है इसलिए किसी तत्त्व के समस्थानिकों को तत्त्व के साथ उसी स्थान पर आवर्त सारणी में रखा गया है।
  • भारी एवं हल्के तत्त्वों का क्रम भी आधुनिक आवर्त सारणी में सही है जो मेण्डलीफ के आवर्त सारणी में नहीं था।
    अक्रिय गैसों का स्थान भी तर्कसंगत 18वें समूह में है।

प्रश्न 2.
मैग्नीशियम की तरह रासायनिक अभिक्रियाशीलता दिखाने वाले दो तत्त्वों के नाम लिखिए। आपके चयन का क्या आधार है?
उत्तर:
कैल्सियम (Ca) एवं बेरियम (Ba) क्योंकि

  • ये दोनों तत्त्व मैग्नीशियम समूह के हैं।
  • इन दोनों तत्त्वों में मैग्नीशियम की तरह 2 संयोजी इलेक्ट्रॉन हैं।

प्रश्न 3.
के नाम बताइए :
(a) तीन तत्त्वों जिनके बाहरी कोश में एक इलेक्ट्रॉन हो।
(b) दो तत्त्व जिनके सबसे बाहरी कोश में दो इलेक्ट्रॉन उपस्थित हों।
(c) तीन तत्त्व जिनका बाहरी कोश पूर्ण हो।
उत्तर:
(a) लीथियम Li (3) : 2, 1
सोडियम Na (11) : 2, 8, 1
पोटैशियम K (19) : 2, 8, 8, 1

(b) बेरीलियम Be (4) : 2, 2
मैग्नीशियम Mg (12) : 2, 8, 2

(c) हीलियम He (2) : 2
नीऑन Ne (10) : 2, 8
आर्गन Ar (18) : 2, 8, 8

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

प्रश्न 4.
(a) लीथियम, सोडियम, पोटैशियम, ये सभी धातुएँ जल से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करती हैं। क्या इन तत्त्वों के परमाणुओं में कोई समानता है?
(b) हीलियम एक अक्रियाशील गैस है जबकि निऑन की अभिक्रियाशीलता अत्यंत कम है। इनके परमाणुओं में कोई समानता है?
उत्तर:
(a) हाँ, इन सभी के परमाणुओं के बाह्यतम कोश में एक ही इलेक्ट्रॉन होता है।
लीथियम Li (3) : 2, 1
सोडियम Na (11) : 2, 8, 1
पोटैशियम K (19) : 2, 8, 8, 1

(b) हाँ, इन दोनों के बाहरी कोश पूर्ण हैं।
हीलियम He (2) : 2
नीऑन Ne (10) : 2, 8.

प्रश्न 5.
आधुनिक आवर्त सारणी में पहले दस तत्त्वों में कौन-सी धातुएँ हैं?
उत्तर:
केवल लीथियम, बेरीलियम एवं बोरॉन धातुएँ हैं।

प्रश्न 6.
आवर्त सारणी में इनके स्थान के आधार पर इनमें से किस तत्त्व में सबसे अधिक धात्विक अभिलक्षण की विशेषता है? Ga, Ge, As, Se, Be
उत्तर:
Be में अधिकतम धात्विक लक्षण हैं क्योंकि शेष अन्य तत्त्व आवर्त सारणी में दायीं ओर रखे गए हैं। बार्थी तरफ वाले तत्त्व धातु एवं दार्यो तरफ वाले तत्त्व अधातु होते हैं।

क्रिया-कलाप 5.1

प्रश्न 1.
क्षार धातुओं एवं हैलोजन कुल की समानता को ध्यान में रखते हुए हाइड्रोजन को मेण्डलीफ की आवर्त सारणी में उचित स्थान पर रखिए।
उत्तर:
हाइड्रोजन को मेण्डलीफ आवर्त सारणी में क्षारीय धातुओं के साथ रखा गया है किन्तु इसके कुछ गुण हैलोजन से भी मिलते हैं। आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान उचित है क्योंकि इसके गुण क्षारीय धातुओं के समान ज्यादातर हैं। जैसे यह इलेक्ट्रॉन को त्यागकर विद्युत धनात्मकता के गुण को प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 2.
हाइड्रोजन को किस समूह एवं आवर्त में रखना चाहिए?
उत्तर:
हाइड्रोजन को प्रथम समूह एवं प्रथम आवर्त में रखना चाहिए।

क्रिया-कलाप – 5.2
(i) क्लोरीन के समस्थानिक C1-35 तथा C1 – 37 पर विचार कीजिए।

क्रिया-कलाप के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
उनमें परमाणु द्रव्यमान भिन्न-भिन्न होने के कारण क्या आप उन्हें अलग-अलग रखेंगे?
उत्तर:
नहीं, क्योंकि तत्त्वों के वर्गीकरण के लिए परमाणु संख्या अधिक उपयोगी मौलिक गुण है परमाणु द्रव्यमान नहीं।

प्रश्न 2.
क्या रासायनिक गुणधर्म समान होने के कारण आप दोनों को ही स्थान पर रखेंगे?
उत्तर:
हाँ, क्योंकि दोनों ही समस्थानिकों की परमाणु संख्या एकसमान है अतः इन्हें एक ही स्थान पर रखा जा सकता है।

क्रिया-कलाप – 5.3

प्रश्न 1.
आधुनिक आवर्त सारणी में कोबाल्ट एवं निकिल के स्थान कैसे निर्धारित किये गये?
उत्तर:
कोबाल्ट का परमाणु संख्या 27 एवं निकिल का 28 होता है अतः आधुनिक आवर्त सारणी में कोबाल्ट को निकिल से पहले रखा गया है।

प्रश्न 2.
आधुनिक आवर्त सारणी में विभिन्न के समस्थानिकों का स्थान कैसे सुनिश्चित किया गया है?
उत्तर:
सभी समस्थानिकों की परमाणु संख्या एक समान होती है। अतः सभी समस्थानिकों को उस तत्त्व के साथ आधुनिक आवर्त सारणी में एक ही जगह (स्थान) प्राप्त है।

प्रश्न 3.
क्या 1.5 परमाणु संख्या वाले किसी तत्त्व को हाइड्रोजन एवं हीलियम के मध्य रखा जा सकता है?
उत्तर:
नहीं। यह संभव नहीं है क्योंकि परमाणु संख्या सदैव पूर्ण संख्या होती है।

प्रश्न 4.
आपके अनुसार आधुनिक आवर्त सारणी में हाइड्रोजन को कहाँ रखना चाहिए?
उत्तर:
Group-I में क्योंकि हाइड्रोजन परमाणु संख्या 1 है। अत: इलेक्ट्रॉनिक विन्यास H 1k (k कोश )।

क्रिया-कलाप – 5.4

प्रश्न 1.
आधुनिक आवर्त सारणी के समूह I में उपस्थित तत्त्वों के नाम बताइये।
उत्तर:
हाइड्रोजन (H), लीथियम (Li), सोडियम (Na), पोटैशियम (K), रूबिडियम (Rb) सीजियम ( Cs) तथा फ्रॉन्सियम (Fr) ये सभी समूह I के हैं।

प्रश्न 2.
समूह 1 के पहले तीन तत्त्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर:

  • H(1) → 1s1 = 1
  • Li(3) → 1s2, 2s1 = 2, 1
  • Na(11) → 1s2, 2s²p6, 3s1 = 2, 8, 1

प्रश्न 3.
इन तत्त्वों में इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में क्या समानता है?
उत्तर:
इनकी अन्तिम कक्षा में एक इलेक्ट्रॉन है।

प्रश्न 4.
इन तीनों तत्त्वों में कितने संयोजकता इलेक्टॉन हैं?
उत्तर:
एक संयोजी इलेक्ट्रॉन हैं।

क्रिया-कलाप – 5.5

प्रश्न 1.
यदि आप आवर्त सारणी के आधुनिक रूप को देखें तो आपको पता चलेगा कि Li, Be, B, C, N, O, F तथा Ne दूसरे आवर्त के तत्त्व हैं। इनका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास लिखिए।
उत्तर:

  • Li – 2, 1
  • B – 2, 3
  • N – 2, 5
  • F – 2,7
  • Be – 2, 2
  • C – 2, 4
  • O – 2.6
  • Ne – 2, 8.

प्रश्न 2.
क्या इन सभी तत्त्वों के भी संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या एकसमान है?
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 3.
क्या इनके कोशों की संख्या समान है?
उत्तर:
हाँ।
नोट- एक ही आवर्त के तत्त्वों में कोशों की संख्या समान होती है किन्तु संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या असमान होती है।

JAC Class 10 Science Solutions Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण

क्रिया-कलाप – 5.6

प्रश्न 1.
किसी तत्त्व के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास से आप उसकी संयोजकता का परिकलन कैसे करेंगे?
उत्तर:

  • धातुओं की संयोजकता = संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या (1, 2, 3)
  • अधातुओं की संयोजकता की संख्या = 8 – संयोजी इलेक्ट्रॉनों

प्रश्न 2.
परमाणु संख्या 12 वाले मैग्नीशियम तथा परमाणु संख्या 16 वाले सल्फर की संयोजकता क्या है?
उत्तर:
Mg – 2, 8, 2 (धातु) संयोजकता = 2
S – 2, 8, 6 (अधातु) संयोजकता = 8 – 6 = 2

प्रश्न 3.
इसी प्रकार पहले 20 तत्त्वों की संयोजकताएँ ज्ञात कीजिए।
उत्तर:

तत्त्व संयोजी इलेक्ट्रॉन संयोजकता
H 1 1
He 2 2
Li 1 1
Be 2 2
B 3 3
C 4 4
N 5 8 – 5 = 3
O 6 8 – 6 = 2
F 7 8 – 7 = 1
Ne 8 8 – 8 = 0
Na 1 1
Mg 2 2
Al 3 3
Si 4 4
P 5 8 – 5 = 3
S 6 8 – 6 = 2
Cl 7 8 – 7 = 1
Ar 8 8 – 8 = 0
K 1 1
Ca 2 2

प्रश्न 4.
आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर संयोजकता किस प्रकार परिवर्तित होती है?
उत्तर:
पहले 1 से 4 तक बढ़ती है और फिर घटकर शून्य (0) हो जाता है।

प्रश्न 5.
समूह में ऊपर से नीचे जाने पर संयोजकता किस प्रकार परिवर्तित होती है।
उत्तर:
सभी तत्त्वों की संयोजकता किसी समूह में समान रहती है।

क्रिया-कलाप – 5.7

प्रश्न 1.
दूसरे आवर्त के तत्त्वों की परमाणु त्रिज्याएँ नीचे दी गई हैं-

दूसरे आवर्त के तत्त्व B Be O N Li C
परमाणु त्रिज्या (pm) 88 111 66 74 152 77

इन्हें परमाणु त्रिज्या के अवरोही क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
उत्तर:
परमाणु त्रिज्या के अवरोही क्रम

Li Be B C N O
152 111 88 77 74 66

प्रश्न 2.
क्या ये तत्त्व अब आवर्त सारणी के आवर्त की तरह ही व्यवस्थित हैं?
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 3.
किस तत्त्व का परमाणु सबसे बड़ा है एवं किसका सबसे छोटा है?
उत्तर:

  • सबसे बड़ा परमाणु – Li
  • सबसे छोटा परमाणु- O

प्रश्न 4.
आवर्त में बायीं से दायीं जाने पर परमाणु त्रिज्या किस प्रकार बदलती है?
उत्तर:
परमाणु त्रिज्या आवर्त में बायें से दायीं ओर जाने पर सदैव घटती है।

क्रिया-कलाप – 58

प्रश्न 1.
प्रथम समूह के तत्त्वों के परमाणु त्रिज्या में परिवर्तन का अध्ययन कीजिए तथा उन्हें आरोही क्रम प्रथम समूह के तत्त्व में व्यवस्थित कीजिए।

प्रथम समूह के तत्त्व Na Li Rb Cs K
परमाणु त्रिज्या (pm) 186 152 244 262 231

उत्तर:

Li Na K Rb Cs
152 186 231 244 262

प्रश्न 2.
किस तत्त्व का परमाणु सबसे छोटा तथा किसका सबसे बड़ा है?
उत्तर:

  • सबसे छोटा Li (152)
  • सबसे बड़ा – Cs (262)

प्रश्न 8.
समूह ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु साइज में कैसा परिवर्तन होगा?
उत्तर:
परमाणु साइज बढ़ता है।

क्रिया-कलाप – 5.9

प्रश्न 1.
तीसरे आवर्त के तत्त्वों की जाँच कर उन्हें धातु एवं अधातु में वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
तीसरे आवर्त के तत्त्व – Na (11), Mg (12),
Al (13), Si( 14 ), P( 15 ), S (16), Cl ( 17 ), Ar(18).
धातु – Na, Mg. Al
अधातु – Si, P, S, Cl, Ar.

प्रश्न 2.
सारणी में किस ओर धातुएँ स्थित हैं?
उत्तर:
सारणी के बायीं ओर धातुएँ स्थित हैं।

प्रश्न 3.
सारणी के किस ओर अधातुएँ स्थित हैं?
उत्तर:
सारणी के दायीं और अधातुएँ स्थित हैं।

क्रिया-कलाप – 5.10

प्रश्न 1.
समूह में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति किस प्रकार बदलती है?
उत्तर:
समूह में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति ऊपर से नीचे जाने पर बढ़ती जाती है।

प्रश्न 2.
आवर्त में यह प्रवृत्ति कैसे बदलेगी?
उत्तर:
आवर्त में इलेक्ट्रॉन त्यागने की प्रवृत्ति बायें से दायें जाने पर घटती जाती है।

क्रिया-कलाप – 5.11

प्रश्न 1.
आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति कैसे परिवर्तित होगी?
उत्तर:
आवर्त में बायीं से दायीं ओर जाने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है। यह प्रवृत्ति 18वें समूह के तत्त्वों के लिए घटती है।

प्रश्न 2.
समूह में ऊपर से नीचे जाने पर इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति कैसे परिवर्तित होगी?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की प्रवृत्ति नीचे जाने पर समूहों में घटती जाती है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार Important Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव नेत्र में किस प्रकार का लेंस होता है एवं प्रतिबिम्ब कहाँ बनता है?
उत्तर:
मानव नेत्र में मांसपेशियों का बना मुलायम, पारदर्शक, मोटा उत्तल लेंस होता है जो वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनाता है।

प्रश्न 2.
दूर दुष्टिदोष एवं निकट दृष्टिदोष के निवारण हेतु कौन-कौन से लेंस का प्रयोग होता है?
उत्तर:
दूर दृष्टिदोष के निवारण हेतु उत्तल लेंस तथा निकट दृष्टिदोष के निवारण हेतु अवतल लेंस का प्रयोग किया जाता है।

प्रश्न 3.
जरा दृष्टि दोष एवं दृष्टि वैषम्य दोष के निवारण हेतु कौन-कौन से लेंस का प्रयोग होता है?
उत्तर:
जरा दृष्टि दोष के निवारण हेतु द्विफोकल लेंस एवं दृष्टि वैष्म्य दोष के निवारण हेतु बेलनाकार लेंस का प्रयोग होता है।

प्रश्न 4.
स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी से आप क्या समझते हैं? स्वस्थ नेत्र के लिए इसका मान कितना होता है?
उत्तर:
किसी नेत्र के लिए वह न्यूनतम दूरी जिसमें आने वाली किरणें नेत्र के रेटिना पर प्रतिबिम्ब बनाती हैं स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी कहते हैं। स्वस्थ नेत्र के लिए इसका मान 25 सेमी होता है।

प्रश्न 5.
निकट दृष्टिदोष उत्पन्न होने के दो कारण दीजिए।
उत्तर:
निकट दृष्ट्टिदोष उत्पन्न होने के कारण हैं-

  • नेत्र गोलक का बड़ा हो जाना।
  • नेत्र लेंस की फोकस दूरी कम हो जाना।

प्रश्न 6.
दूर दृष्टिदोष उत्पन्न होने के दो कारण लिखिए।
उत्तर:
दूर दृष्टिदोष उत्पन्न होने के दो कारण हैं-

  • नेत्र गोलक का छोटा हो जाना।
  • नेत्र लेंस की फोकस दूरी अधिक हो जाना।

प्रश्न 7.
पौधे हरे क्यों दिखाई देते हैं?
उत्तर:
हरे पौधों में क्लोरोफिल नामक पदार्थ पाया जाता है। जब सूर्य का प्रकाश इस पर पड़ता है तो यह सात रंगों में से हरे रंग को परावर्तित कर देता है जो हमारे नेत्र तक पहुँचता है तथा शेष रंगों को अवशोषित कर लेता है जिसके कारण पौधा हमें हरा दिखाई देता है।

प्रश्न 8.
मनुष्य के नेत्र में वस्तु का प्रतिबिम्ब कहाँ पर बनता है? यह प्रतिबिम्ब कैसा होता है?
उत्तर:
मनुष्य के नेत्र में वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनता है। यह प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा व छोटा होता है।

प्रश्न 9.
रेटिना के उस बिन्दु का नाम लिखिए जहाँ बना प्रतिबिम्ब दिखाई देता है।
उत्तर:
रेटिना के पीत बिन्दु पर बना प्रतिबिम्ब दिखाई देता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 10.
रेटिना के उस बिन्दु का नाम लिखिए जहाँ बना प्रतिबिम्ब दिखाई नहीं देता है?
उत्तर:
रेटिना के अन्ध बिन्दु पर बना प्रतिबिम्ब दिखाई नहीं देता है।

प्रश्न 11.
निकट बिन्दु किसे कहते हैं?
उत्तर:
नेत्र से न्यूनतम दूरी पर स्थित वह बिन्दु जहाँ पर रखी वस्तु को नेत्र स्पष्ट देख सकता है, निकट बिन्दु कहलाता है।

प्रश्न 12.
दूर बिन्दु किसे कहते हैं?
उत्तर:
नेत्र से अधिकतम दूरी पर स्थित वह बिन्दु जहाँ पर रखी वस्तु को नेत्र स्पष्ट देख सकता है, दूर बिन्दु कहलाता है।

प्रश्न 13.
फोटोग्राफिक कैमरे से बना प्रतिबिम्ब कैसा होता है?
उत्तर:
फोटोग्राफिक कैमरे से बना प्रतिबिम्ब स्थायी होता है।

प्रश्न 14.
निकट दृष्टिदोष क्या है?
उत्तर:
वह दृष्टिदोष जिसके कारण व्यक्ति निकट की वस्तुएँ तो देख सकता है किन्तु दूर की वस्तुएँ स्पष्ट नहीं देख सकता है निकट दृष्टि दोष कहलाता है।

प्रश्न 15.
दूर दृष्टिदोष क्या है?
उत्तर:
वह दृष्टिदोष जिसके कारण व्यक्ति दूर की वस्तुएँ तो देख सकता है किन्तु निकट की वस्तुएँ स्पष्ट नहीं देख सकता है, दूर दृष्टिदोष कहलाता है।

प्रश्न 16.
एक व्यक्ति के चश्मे में अवतल लेंस लगे हैं। व्यक्ति की आँख में कौन-सा दृष्टिदोष है?
उत्तर:
यदि व्यक्ति के चश्मे में अवतल लेंस लगे हैं तो उसकी आँख में निकट दृष्टिदोष है।

प्रश्न 17.
एक व्यक्ति के चश्मे में उत्तल लेन्स लगे हैं। व्यक्ति की आँख में कौन-सा दृष्टिदोष है?
उत्तर:
एक व्यक्ति के चश्मे में उत्तल लेंस लगे हैं तो व्यक्ति की आँख में दूर दृष्टिदोष है।

प्रश्न 18.
एक मनुष्य न अधिक दूर की वस्तु देख पाता है और न ही अधिक पास की वस्तु देख पाता है। उसके चश्मे में किस प्रकार का लेंस होगा?
उत्तर:
द्विफोकसी लेन्स।

प्रश्न 19.
फोटोग्राफिक फिल्म क्या है?
उत्तर:
सेल्युलाइड की बनी पतली फिल्म है जिस पर जिलेटिन में सिल्वर ब्रोमाइड की पतली तह लगी रहती है। यह प्रकाश के प्रति अधिक सुग्राही होती है।

प्रश्न 20.
ऑप्टिक तन्त्रिका का क्या कार्य है?
उत्तर:
ऑप्टिक तन्त्रिका रेटिना से संवेदनाओं को मस्तिष्क तक पहुँचाती है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 21.
आँख की रेटिना पर स्थित दो प्रकाश संवेदी कोशिकाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
दो प्रकाश संवेदनशील कोशिकाएँ हैं-

  • शंकु और
  • शलाका।

प्रश्न 22.
उस कोशिका का नाम लिखिए जिनसे प्रकाश तथा अन्धकार का ज्ञान होता है?
उत्तर:
शलाका (Rods) कोशिकाएँ।

प्रश्न 23.
उस कोशिका का नाम लिखिए जिनके द्वारा रंगों की पहचान होती है?
उत्तर:
शंकु (Cone) कोशिकाएँ।

प्रश्न 24.
प्रकाशीय यन्त्र क्या है? एक प्राकृतिक तथा एक कृत्रिम प्रकाशीय यन्त्र का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रकाश के प्रति संवेदनशील वह उपकरण जिसके द्वारा वस्तुओं को स्पष्टता से देखा जा सकता है मानव नेत्र प्राकृतिक तथा फोटोग्राफिक कैमरा कृत्रिम प्रकाशिक यन्त्र हैं।

प्रश्न 25.
जलीय द्रव (aqueous humur) क्या है?
उत्तर:
मानव नेत्र में नेत्र लेन्स एवं कॉर्निया के बीच में एक पतला पारदर्शक द्रव भरा रहता है, इसे जलीय द्रव, कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव नेत्र की संरचना का केवल स्पष्ट नामांकित चित्र बनाइये।
उत्तर:
मानव नेत्र की संरचना का नामांकित चित्र-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 1

प्रश्न 2.
मानव नेत्र के कौन-कौन से दोष होते हैं? समझाइये।
उत्तर:
मानव नेत्र के निम्नलिखित प्रमुख दोष होते हैं-
1. निकट दृष्टि दोष- जब व्यक्ति निकट की वस्तुएँ देख सकता है परन्तु दूर की वस्तुएँ स्पष्ट नहीं देख सकता तो ऐसे दोष को निकट दृष्टि दोष कहते हैं। यह दोष नेत्र गोलक का बड़ा हो जाने पर अथवा नेत्र लेंस की फोकस दूरी कम हो जाने पर होता है। इस दोष के कारण किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना के पूर्व बनता है जिसे अवतल लेंस का प्रयोग करके दूर किया जा सकता है।

2. दूर दृष्टि दोष- जब व्यक्ति दूर की वस्तुएँ देख सकता है किन्तु निकट की वस्तुएँ स्पष्ट नहीं देख सकता तो ऐसे दोष को दूर दृष्टि दोष कहते हैं। यह दोष नेत्र गोलक का छोटा हो जाने पर अथवा नेत्र लेंस की फोकस दूरी बढ़ जाने पर होता है। इसे उत्तल लेंस का प्रयोग करके दूर किया जा सकता है।

3. जरा दृष्टि दोष- जब व्यक्ति निकट एवं दूर दोनों की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है तो वह जरा दृष्टि दोष कहलाता है। आयु वृद्धि के कारण नेत्रों की समंजन क्षमता घट जाती है। इसे द्विफोकस लेंस प्रयुक्त करके दूर किया जा सकता है।

4. दृष्टि वैषम्य- जब व्यक्ति सामान्य दूरी पर स्थित क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर रेखाओं को एक साथ स्पष्ट नहीं देख सकता है तो दृष्टि वैषम्य कहलाता है। यह सिलियरी मांसपेशियों में विकृति उत्पन्न होने के कारण होता है जो बेलनाकार लेंस प्रयुक्त करके दूर किया जा सकता है।

प्रश्न 3.
पीत बिन्दु एवं अन्धबिन्दु किसे कहते हैं?
उत्तर:

  • पीत बिन्दु – रेटिना का वह स्थान जहाँ पर किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनता है, उसे पीत बिन्दु कहते हैं।
  • अन्ध बिन्दु – रेटिना का वह स्थान जहाँ पर किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब नहीं बनता है, उसे अन्ध बिन्दु कहते हैं।

प्रश्न 4.
दूर दृष्टि दोष किसे कहते हैं? इसके कारण एवं इस दोष का निवारण लिखिए।
उत्तर:
दूर दृष्टि दोष – जब व्यक्ति दूर की वस्तुएँ देख सकता है परन्तु निकट की वस्तुएँ स्पष्ट नहीं देख सकता तो ऐसे दोष को दूर दृष्टि दोष कहते हैं।

दोष के कारण इस दोष के होने के निम्नलिखित कारण हैं-

  • नेत्र गोलक का छोटा होना।
  • नेत्र लेंस की फोकस दूरी अधिक होना।
    JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 2

इस दोष में पास से आने वाली किरणों का प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है जबकि दूर से आने वाली किरणों का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनता है।

दोष का निवारण – इस दोष के निवारण के लिए उत्तल लें प्रयुक्त करते हैं जिसके द्वारा सामान्य निकट बिन्दु पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब दोष युक्त नेत्र के निकट बिन्दु पर बन जाता है, जिससे वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 3a
इस दृष्टि दोष के निवारण के लिए ऐसे उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाना चाहिए जिसकी फोकस दूरी
f = \(\frac { Dx }{ x – D }\) के अनुरूप हो।
जहाँ D = स्वस्थ नेत्र की स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी
तथा x = दोषयुक्त नेत्र की निकट बिन्दु की दूरी

प्रश्न 5.
निकट दृष्टि दोष किसे कहते हैं? इस दोष के कारण एवं निवारण लिखिए।
उत्तर:
निकट दृष्टि दोष-जब व्यक्ति निकट की वस्तुएँ देख सकता है परन्तु दूर की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है ऐसे दोष को निकट दृष्टि दोष कहते हैं।

दोष के कारण इस दोष के होने के निम्नलिखित कारण हैं-

  • नेत्र गोलक का बड़ा हो जाना।
  • नेत्र लेंस की फोकस दूरी कम हो जाना।

इस दोष में दूर से आने वाली किरणों का प्रतिबिम्ब रेटिना के पूर्व बनता है जबकि पास से आने वाली किरणों का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 3
दोष का निवारण इस दोष के निवारण के लिए ऐसे अवतल लेंस प्रयुक्त करते हैं जिसकी फोकस दूरी उसके दूर बिन्दु की दूरी के बराबर होती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 4
इसके अनन्त पर स्थित वस्तु का आभासी प्रतिबिम्ब अवतल लेंस के फोकस पर बनता है जहाँ पर नेत्र का दूर बिन्दु होता है। फोकस (दूर बिन्दु) पर बना प्रतिबिम्ब नेत्र के लिए वस्तु का कार्य करता है, जिसका अन्तिम प्रतिबिम्ब रेटिना पर बन जाता है अतः अब वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है।

प्रश्न 6.
मानव नेत्र क्या है? इसकी क्रियाविधि को लिखिए।
उत्तर:
मानव नेत्र मानव नेत्र प्रकाश संवेदनशील प्राकृतिक प्रकाशीय यन्त्र है जिसके द्वारा समीप एवं दूर की वस्तुओं को देखा जाता है। नेत्र की क्रियाविधि – किसी वस्तु से आने वाली प्रकाश की किरणें कॉर्निया, जलीय द्रव, पुतली, नेत्र लेन्स, काचाभ द्रव से होकर रेटिना तक पहुँचती हैं। रेटिना में उपस्थित शंकु एवं शलाका, प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती हैं, इन्हीं संवेदनाओं को ऑप्टिक तन्त्रिका द्वारा मस्तिष्क में पहुँचाती हैं जहाँ पर हमें वस्तु को देखने की अनुभूति होती है। चित्र में इसका किरण आरेख प्रदर्शित है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 5

प्रश्न 7.
नेत्र की समंजन क्षमता में सिलियरी की भूमिका समझाइए।
उत्तर:
मानव नेत्र-मानव नेत्र प्रकाश संवेदनशील प्राकृतिक प्रकाशीय यन्त्र है जिसके द्वारा समीप एवं दूर की वस्तुओं को देखा जाता है। नेत्र की क्रियाविधि-किसी वस्तु से आने वाली प्रकाश की किरणें कॉर्निया, जलीय द्रव, पुतली, नेत्र लेन्स, काचाभ द्रव से होकर रेटिना तक पहुँचती हैं। रेटिना में उपस्थित शंकु एवं शलाका, प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती हैं, इन्हीं संबेदनाओं को ऑप्टिक तन्त्रिका द्वारा मस्तिष्क में पहुँचाती हैं जहाँ पर हमें वस्तु को देखने की अनुभूति होती है। चित्र में इसका किरण आरेख प्रदर्शित है।

प्रश्न 8.
नेत्र की समंजन क्षमता को सचित्र समझाइए।
उत्तर:
किसी वस्तु को स्पष्ट देखने के लिए आवश्यक है कि उसका प्रतिबिम्ब रेटिना पर बने जिससे संवेदनाएँ ऑप्टिक तन्त्रिका द्वारा मस्तिष्क में पहुँच सकें।

एक स्वस्थ आँख की यह विशेषता होती है कि वह दूर तथा पास की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकती है। जब वस्तु अत्यधिक दूरी (अनन्त) पर होती है तो उससे आने वाली समान्तर किरणों को नेत्र लेंस स्वत: ही रेटिना पर केन्द्रित कर देता है। इस स्थिति में आँख की मांसपेशियों पर कोई तनाव नहीं पड़ता है परन्तु जब वस्तु बहुत पास स्थित होती है तो सिलियरी मांसपेशियाँ सिकुड़ जाती हैं जिससे नेत्र लेंस इतना मोटा हो जाता है कि लेंस की फोकस दूरी कम होकर इस प्रकार समंजित हो जाती है कि वस्तु का प्रतिबिम्ब पुनः रेटिना पर ही बनता है। इस प्रकार नेत्र लेंस का सिलियरी मांसपेशियों द्वारा स्वतः रेटिना पर ही बनता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 6

इस प्रकार नेत्र लेंस का सिलियरी मांसपेशियों द्वारा स्वतः ही मोटा या पतला होकर दूर तथा पास की वस्तुओं का प्रतिबिम्ब बन जाना नेत्र की समंजन क्षमता कहलाती है।

प्रश्न 9.
मानव नेत्र में कौन-कौन से दोष होते हैं? उनका निवारण किन लेंसों के द्वारा किया जाता है?
उत्तर:
मानव नेत्र में मुख्यतः चार प्रकार के दोष होते हैं-

दृष्टि दोष निवारण हेतु प्रयुक्त लेंस
1. निकट दृष्टि दोष अवतल लेंस
2. दूर दृष्टि दोष उत्तल लेंस
3. जरा दृष्टि दोष द्विफोकसी
4. दृष्टि वैषम्य बेलनाकार

प्रश्न 10.
प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण क्यों होता है?
उत्तर:
श्वेत प्रकाश वास्तव में कई रंगों का मिश्रण है। ‘किसी प्रिज्म से गुजरने के पश्चात्, प्रकाश के विभिन्न वर्ण, आपतित किरण के सापेक्ष अलग-अलग कोणों पर झुकते (मुड़ते हैं। लाल प्रकाश सबसे कम झुकता है जबकि बैंगनी सबसे अधिक झुकता है। इसलिए प्रत्येक वर्ण की किरणें अलग-अलग पथ के अनुदिश निर्गत होती हैं तथा सुस्पष्ट दिखाई देती हैं। यह सुस्पष्ट वर्णों का बैंड ही हमें स्पेक्ट्रम के रूप में दिखाई देता है।

प्रश्न 11.
श्वेत प्रकाश के स्पेक्ट्रम (अवयवी वर्णों का बैंड) को किस प्रकार पुनयोंजित किया जा सकता है?
उत्तर:
जब हम दो सर्वसम प्रिज्मों को एक-दूसरे सापेक्ष उल्टी स्थिति में रखते हैं तो पहले प्रिज्म द्वारा विक्षेपण से प्राप्त स्पेक्ट्रम के सभी वर्ण दूसरे प्रिज्म से होकर गुजरते हैं। इस स्थिति में हम देखते हैं कि दूसरे प्रिज्म से श्वेत प्रकाश का किरण पुंज निर्गत हो रहा है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 7

प्रश्न 12.
किसी माध्यम के ‘निरपेक्ष अपवर्तनांक’ तथा दो माध्यमों के ‘सापेक्ष अपवर्तनांक’ में अन्तर स्पष्ट कीजिए। इनमें क्या सम्बन्ध होता है?
उत्तर:
निरपेक्ष अपवर्तनांक (Relative Refrac-tive Index) – यदि प्रकाश की किरण निर्वात (free space or vacuum) से किसी प्रकाशिक माध्यम में जा रही हो तो निर्वात में आपतन कोण का ज्या तथा माध्यम में अपवर्तन कोण की ज्या के अनुपात को माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं।
अर्थात् माध्यम का निरपेक्ष अपवर्तनांक = \(\frac { sin i }{ sin r }\) जबकि i निर्वात में आपतन कोण तथा r माध्यम में अपवर्तन कोण है।
सापेक्ष अपवर्तनांक (Absolute Refractive Index) – यदि प्रकाश किरण का माध्यम (1) में आपतन कोण (i) तथा माध्यम (2) में अपवर्तन कोण (r) हो तो माध्यम (1) के सापेक्ष माध्यम (2) का
सापेक्ष अपवर्तनांक \({ }_1 n_2=\frac{\sin i}{\sin r}\)
यदि माध्यम (1) का निरपेक्ष अपवर्तनांक n1 तथा माध्यम (2) का निरपेक्ष अपवर्तनांक n2 हो तो
\({ }_1 n_2=\frac{n_2}{n_1}\)
अर्थात् माध्यम (2) का (1) के सापेक्ष अपवर्तनांक
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 8
[व्यावहारिक रूप में निरपेक्ष अपवर्तनांक के लिए निर्वात के स्थान पर वायु से लिया जा सकता है।]

प्रश्न 13.
किसी माध्यम में प्रकाश के ‘पूर्ण आन्तरिक परावर्तन’ हेतु आवश्यक दशाएँ लिखिए। इस प्रकार के परावर्तन को ‘पूर्ण’ क्यों कहते हैं?
अथवा
प्रकाश के पूर्ण आन्तरिक परावर्तन की आवश्यक शर्तें लिखिए।
उत्तर:
प्रकाश के पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के लिए निम्नलिखित शर्तें आवश्यक हैं-

  • प्रकाश का गमन सघन माध्यम से विरल माध्यम में होना चाहिए।
  • सघन माध्यम में प्रकाश का आपतन कोण, विरल माध्यम के सापेक्ष सघन माध्यम के क्रान्तिक कोण से अधिक होना चाहिए।

सामान्यतः किन्हीं दो पारदर्शी माध्यमों के पृथक्कारी तल पर अपवर्तन के साथ, आपतित प्रकाश के कुछ अंश का परावर्तन भी होता है परन्तु आपतन कोण का क्रान्तिक कोण से अधिक होने पर प्रकाश की संपूर्ण मात्रा का परावर्तन हो जाता है। अत: इसे पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 14.
प्रिज्म में ‘न्यूनतम विचलन’ का किरण आरेख बनाइए। प्रिज्म में अपवर्तन की इस विशेष स्थिति का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
आवश्यक किरण आरेख निम्नवत् है-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 9
i1 आपतन कोण
r2 = निर्गत कोण
δm = न्यूनतम विचलन कोण
N1, N2 = अभिलम्ब
न्यूनतम विचलन की दशा में,
(1) प्रिज्म के भीतर अपवर्तित किरण, दोनों अपवर्तनांक तलों से समान कोण बनाती है अर्थात्
∠APQ = ∠AQP

(2) आपतन कोण (i1) = निर्गत कोण (r2)

(3) ‘न्यूनतम विचलन’ की स्थिति में प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण अधिकतम होता है। इस स्थिति का यही विशेष महत्त्व है।

प्रश्न 15.
किसी प्रिज्म का आपतन विचलन वक्र (i-d curve) का आरेख बनाइए तथा ‘न्यूनतम विचलन’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रिज्म का आपतन विचलन वक्र निम्न चित्र में प्रदर्शित है। इसके अनुसार यदि प्रिज्म पर प्रकाश का आपतन कोण (i) बढ़ाते जायें तो विचलन कोण (δ) का मान पहले घटता जाता है तथा एक स्थिति के बाद बढ़ने लगता है। विचलन कोण के इस परिवर्तन में इसके न्यूनतम मान को न्यूनतम विचलन कोण कहते हैं। चित्र में इसे δm से व्यक्त किया गया है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 10

प्रश्न 16.
प्रकाश तरंगों के न्यूनतम एवं अधिकतम तरंगदैष्यों के मान लिखिए तथा न्यूनतम से अधिकतम तरंगदैयों तक श्वेत प्रकाश के रंगों को क्रम से लिखिए।
उत्तर:
प्रकाश का न्यूनतम तरंगदैर्घ्य : 4000 ऐंग्स्ट्रॉम (4 x 10-10 मीटर)
अधिकतम तरंगदैर्ध्य : 7500 ऐंग्स्ट्रॉम
(7.5 x 10-10 मीटर)
रंगों का क्रम – बैंगनी, नीला, आसमानी, हरा, पीला, नारंगी, लाल

प्रश्न 17.
किसी माध्यम के अपवर्तनांक में प्रकाश के वर्ण के अनुसार क्या परिवर्तन होता है? इनमें से किस वर्ण का अपवर्तनांक अधिकतम, किस वर्ण का न्यूनतम एवं किस रंग के प्रकाश का अपवर्तनांक, उनका मध्यमान होता है?
उत्तर:
किसी माध्यम का अपवर्तनांक प्रकाश के वर्णों के तरंगदैय बढ़ते जाने से घटता जाता है।

  • अधिकतम अपवर्तनांक : बैंगनी रंग का
  • न्यूनतम अपवर्तनांक : लाल रंग का
  • मध्यमान अपवर्तनांक : पीले रंग का

प्रश्न 18.
प्रिज्म द्वारा प्रकाश के ‘वर्ण-विक्षेपण’ का क्या अर्थ है? प्रकाश के वर्ण-विक्षेपण का मूल कारण क्या है?
अथवा
उचित चित्र के द्वारा प्रकाश के वर्ण-विक्षेपण को समझाइए।
उत्तर:
एक से अधिक वर्णों (रंग) के मिश्रित प्रकाश का प्रिज्म से होकर अपवर्तन होने पर प्रकाश के संयोजी वर्णों के अलग-अलग हो जाने की क्रिया को प्रकाश का
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 11
वर्ण-विक्षेपण कहते हैं। इसका मूल कारण, विभिन्न वर्णों के प्रकाश के लिए प्रिज्म के माध्यम के अपवर्तनांक का भिन्न-भिन्न होना है।

प्रश्न 19.
स्पष्ट कीजिए कि काँच के आयताकार गुटके द्वारा प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण क्यों नहीं होता?
उत्तर:
जब प्रकाश आयताकार गुटके के दो समान्तर पृष्ठों से होकर गुजरता है तो पहले तल पर प्रकाश का एक ओर को विचलन दूसरे तल पर प्रकाश के विचलन के बराबर परन्तु विपरीत दिशा में होता है- अर्थात् गुटके में होकर जाने से प्रकाश संपूर्ण विचलन शून्य होता है। चूँकि वर्ण-विक्षेपण का कारण विभिन्न रंगों के प्रकाश के विचलन की भिन्नता है, गुटके द्वारा विचलन ‘शून्य’ होने के कारण वर्ण-विक्षेपण भी ‘शून्य’ होता है।

प्रश्न 20.
प्रकाश का ‘प्रकीर्णन’, प्रकाश के ‘विसरण’ से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
प्रकाश के विसरण की क्रिया उसके अनियमित परावर्तन से होती है, जिसमें जिस रंग का प्रकाश तल पर आपतित होता है, उसी रंग का प्रकाश परावर्तित होकर विसरित हो जाता है। इसके विपरीत प्रकीर्णन की क्रिया प्रकाश का विशेष रंग माध्यम के अणुओं द्वारा अवशोषित होकर पुनः होता है।

प्रश्न 21.
सूर्य के श्वेत प्रकाश में भी दिन के समय स्वच्छ वायुमण्डल का रंग नीला क्यों दिखायी देता है, जबकि सभी वायुमण्डलीय गैसें रंगहीन होती हैं?
उत्तर:
सूर्य के श्वेत प्रकाश में भी दिन के समय स्वच्छ वायुमण्डल का रंग नीला दिखायी देता है, क्योंकि वास्तव में वायुमण्डल का कोई अपना रंग नहीं होता है। यह नीला रंग, वायुमण्डल में उपस्थित गैसीय अणुओं का रंग है, जो जब श्वेत में नीले दिखाई देते हैं। सूर्य से आने वाला श्वेत प्रकाश गैसीय अणुओं से टकराता है तो उसके नीले रंग का हो जाते हैं।

लगभग तुरन्त ही ये अणु इस अतिरिक्त ऊर्जा ओं में अवशोषित हो जाता है जिससे अणु ऊर्जित को नीले रंग के प्रकाश के रूप में उत्सर्जित करके सभी दिशाओं में बिखेर देते हैं। यही नीला प्रकाश वायुमण्डलीय अणुओं के रंग के रूप में दिखायी देता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
मानव नेत्र का नामांकित आरेख बनाइए तथा प्रमुख भागों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
मानव नेत्र द्वारा वस्तुओं से आने वाले प्रकाश के नेत्र में स्थित लेंस द्वारा अपवर्तन के कारण नेत्र के पिछले भाग में स्थित रेटिना (संवेदनशील पर्दा) पर वास्तविक उल्टे तथा छोटे प्रतिबिम्ब बनते हैं।

मानव नेत्र के प्रमुख भाग निम्नवत् हैं-
(1) दृढ़ पटल (Scelerotic) तथा रक्तक पटल (Choroid) – मनुष्य का नेत्र लगभग एक खोखले गोले के समान होता है। इसकी सबसे बाहरी पर्त, अपारदर्शी, श्वेत तथा दृढ़ (hard) होती है। इसे दृढ़ पटल (Scelerotic) कहते है। इसके द्वारा नेत्र के भीतरी भागों की सुरक्षा होती हैं।

(2) रक्तक पटल (Choroid) – दृढ़ पटल के भीतरी पृष्ठ से लगी एक पर्त या झिल्ली होती है जो काले रंग की होती है। इसे रक्तक पटल (Choroid) कहते हैं। काले रंग के कारण यह प्रकाश को अवशोषित करती तथा नेत्र के भीतर परावर्तन को रोकती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि केवल बाहर से आने वाली प्रकाश किरणें ही रेटिना पर पड़ें।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 12

(3) कॉर्निया (Cornea) – दृढ़ पटल के सामने का भाग कुछ हुआ और पारदर्शी होता है। इसे कॉर्निया कहते हैं। नेत्र में प्रकाश इसी भाग से होकर प्रवेश करता है। यह नेत्र का लगभग 1/6 भाग होता है।

(4) आइरिस (Iris) – कॉर्निया के पीछे एक रंगीन एवं अपारदर्शी झिल्ली का पर्दा होता है जिसे आइरिस कहते हैं।

(5) पुतली अथवा नेत्र तारा (Pupil) – आइरिस के बीच में एक छिद्र होता है जिसको पुतली कहते हैं यह गोल तथा काली दिखाई देती है। कॉर्निया से आया प्रकाश पुतली से होकर ही लेन्स पर पड़ता है। पुतली की यह विशेषता होती है कि अन्धकार में यह अपने आप बड़ी व अधिक प्रकाश में अपने-आप छोटी हो जाती है। इस प्रकार नेत्र में सीमित मात्रा में ही प्रकाश जा पाता है।

जब प्रकाश की मात्रा कम होती है तो आइरिस की मांसपेशियाँ की ओर सिकुड़कर पुतली बड़ा कर देती हैं जिससे है जिससे लेन्स पर पड़ने वाले प्रकाश की मात्रा बढ़ जाती है और जब प्रकाश की मात्रा अधिक होती है पुतली की मांसपेशियाँ ढीली हो जाती हैं जिससे पुतली छोटी हो जाती है और लेन्स पर कम प्रकाश आपतित होता है। इस क्रिया को पुतली-समायोजन कहते हैं। नेत्रों में यह क्रिया स्वतः होती रहती है।

(6) नेत्र लेन्स (Eye-lens) – पुतली के ठीक पीछे पारदर्शी ऊतकों (Tissues) का बना द्वि- उत्तल लेन्स होता है जिसे नेत्र-लेन्स कहते हैं। नेत्र लेन्स के पिछले भाग की वक्रता त्रिज्या छोटी तथा अगले भाग की भाग की वक्रता त्रिज्या बडी होती है। यह ऊतकों की कई पत मिलकर बना होता है जिनके अपवर्तनांक बाहर से अंदर की ओर बढ़ते जाते हैं।

अंदर का और बढ़त (माध्य n 1.44) सिलियरी (ciliary) मासपी मांसपेशियों द्वारा लेंस पर अधिक अथवा कम दबाव डालकर लेन्स की वक्रता त्रिज्याओं को बदला जा सकता है जिससे लेन्स की फोकस दूरी बदल जाती है और लेन्स द्वारा दूर एवं पास वाली सब वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बन सकता है। इस प्रकार हम र हम दूर एवं पास वाली वस्तुओं को देख सकते हैं।

(7) जलीय द्रव तथा काचाभ द्रव (Aqueous humur and Vitreous humur ) – कॉर्निया एवं नेत्र लेन्स के बीच के स्थान में जल समान पारदर्शी द्रव भरा रहता जिसका अपवर्तनांक 1.336 होता है। इसे जलीय द्रव कहते हैं। इसी प्रकार लेन्स के पीछे दृश्य-पटल तक का स्थान एक गाढ़े पारदर्शी एवं उच्च अपवर्तनांक के द्रव से भरा होता है। इसे काचाभ द्रव कहते हैं।

(8) रेटिना (Retina) कोरॉइड झिल्ली के नीचे तथा नेत्र के सबसे अन्दर की ओर एक पारदर्शी झिल्ली होती हैं जिसे रेटिना कहते हैं। वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर ही बनता रेटिना: बहुत सारी प्रकाश तंत्रिकाओं (Optic Nerves) की एक फिल्म होती है। रेटिना पर बने प्रतिबिम्ब का (वस्तु के रूप) रंग एवं आकार आदि का ज्ञान मस्तिष्क को इन तंत्रिकाओं द्वारा ही होता है। रेटिना के सब भाग प्रकाश के लिए समान सुग्राही नहीं होते।

(9) पीत बिन्दु (Yellow Spot) – लेन्स की मुख्य अक्ष, रेटिना को जिस बिन्दु पर काटती है उसे पीत बिन्दु (yellow spot) कहते हैं। रेटिना के इस भाग की सुग्राहिता सबसे अधिक होती है।

(10) अन्य बिन्दु (Blind Spot) – जिस स्थान से प्रकाश तंत्रिकाएँ, रेटिना को छेदकर मस्तिष्क को जाती हैं, उस स्थान की प्रकाश के लिए सुग्राहिता शून्य होती है। उसे अन्ध बिन्दु (blind spot) कहते हैं।

प्रश्न 2.
उपयुक्त किरण आरेख बनाकर नेत्र में का बनना स्पष्ट कीजिए तथा प्रतिबिम्ब की प्रकृति बताइए।
उत्तर:
नेत्रों की पलकें, फोटोग्राफिक कैमरे के शटर की भाँति कार्य करती हैं। पलकें खुलने पर वस्तु से आने वाला प्रकाश कॉर्निया पर पड़ता है तथा नेत्र तारा से होकर लेन्स पर आपतित होता है। इस क्रिया में आयरिस झिल्ली
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 13
नेत्र – तारा के व्यास को इस प्रकार समंजित करती है कि तेज प्रकाश की वस्तु से सीमित मात्रा में तथा कम प्रकाशवान वस्तु से पर्याप्त मात्रा में प्रकाश नेत्र में प्रवेश करे। इसके साथ ही सिलियरी – पेशियाँ लेंस के पृष्ठों की वक्रता त्रिज्याओं को घटा-बढ़ाकर लेंस की फोकस – दूरी को ऐसा समंजित करती हैं कि वस्तु दूर या निकट, उसका स्पष्ट प्रतिबिम्ब रेटिना पर बने यह प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा तथा छोटा होता है।

रेटिना की तंत्रिकाओं के सिरे इस प्रतिबिम्ब के प्रकाश से प्रभावित होकर मस्तिष्क को संदेश भेजते हैं, जिससे हम वस्तुओं को देखते हैं। किरण- आरेख – नेत्र से देखते समय वस्तु नेत्र के लेंस की फोकस दूरी के दुगुने से अधिक दूरी पर र होती है ती है। अतः सैद्धान्तिक किरण- आरेख को निम्नवत् दिखाया जा सकता है- वास्तव में रेटिना का भीतरी तल गोलीय अवतल होता है। नेत्र के लेन्स की वक्रता त्रिज्याओं की भिन्नता तथा लेन्स के मोटे होने के कारण सीधी वस्तु का प्रतिबिम्ब भी गोलीय है, जिससे प्रतिबिम्ब के सभी भाग गोलीय रेटिना पर स्पष्ट बनते हैं।

प्रश्न 3.
समंजन क्षमता का अर्थ, आवश्यक किरण आरेख बनाकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नेत्र की समंजन क्षमता (Accommoda-tion Power of Eye) – नेत्र में लेन्स की फोकस दूरी, बिना किसी समंजन के सामान्य अवस्था में लेन्स से रेटिना की दूरी के बराबर होती है अर्थात् यदि लेन्स की फोकस दूरी हो तो अनन्त पर स्थित वस्तु का प्रतिबिम्ब ठीक रेटिना पर ही बनता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 14
अब यदि वस्तु को नेत्र के निकट लाया जाय अर्थात् u का मान घटाया जाय तो लेन्स की फोकस दूरी स्थिर रहने पर v का मान बढ़ता है अर्थात् \(\frac { v }{ f }\) हो जाता है। इस दशा में F वस्तु का रेटिना पर प्रतिबिम्ब स्पष्ट नहीं बनेगा। [चित्र (क)]
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 15
यदि प्रतिबिम्ब रेटिना पर ही स्पष्ट बनाना तो इसके दो उपाय हैं-

  • लेन्स से रेटिना की दूरी बढ़ जाय अथवा
  • लेन्स की फोकस दूरी घट जाय।

चूँकि नेत्र में लेन्स तथा रेटिना अपने स्थान पर अचर रहते हैं, निकट स्थित वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनाने के लिए नेत्र- लेंस की फोकस दूरी घट जाती है [चित्र (ख)]। इसका अर्थ यह है कि नेत्र में v का मान निश्चित रहता है परन्तु 14 के घटने-बढ़ने के साथ का मान घटता-बढ़ता रहता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 16
‘नेत्र- लेंस द्वारा अपनी फोकस दूरी को आवश्यकतानुसार परिवर्तित कर लेने की क्षमता को समंजन क्षमता कहते हैं।

अब किसी लेंस की फोकस दूरी उसके पृष्ठों की वक्रता त्रिज्याओं पर निम्नलिखित सूत्र के अनुसार निर्भर करती है-
\(\frac { 1 }{ f }\) = (n – 1)\(\left[\frac{1}{\mathrm{R}_1}-\frac{1}{\mathrm{R}_2}\right]\)
जबकि n, लेंस के पदार्थ का अपवर्तनांक हैं।

नेत्र लेंस के लिए n का मान अचर रहता है। अतः फोकस दूरी को घटाने का कार्य लेंस के गोलीय पृष्ठों की वक्रता-त्रिज्याओं R1 तथा R2 को घटाकर किया जाता है। नेत्र का लेंस जिन सिलियरी पेशियों (Ciliary muscles) द्वारा अपने स्थान पर टिका रहता है, उनके द्वारा लेंस की परिधि पर चारों ओर से दबाव डालने लेंस के पृष्ठ अधिक वक्र अर्थात् कम वक्रता त्रिज्या के हो जाते हैं।

नेत्र की सामान्य अथवा श्रांत (relaxed) दशा में लेंस की फोकस दूरी अधिकतम (लेंस से रेटिना की दूरी के बराबर) होती है। इस दिशा में नेत्र अनन्त दूरी की वस्तुओं को स्पष्ट देख सकते हैं। इसे असमंजित दृष्टि (Unaccom modated Vision) कहते हैं।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 4.
निकट दृष्टि दोष तथा इसके निवारण का उपाय आवश्यक किरण आरेख बनाकर समझाइए।
अथवा
निकट दृष्टि दोष किसे कहते हैं? इस दोष के क्या कारण हैं? एक किरण आरेख खींचकर वर्णन कीजिए कि इस दोष को कम कैसे किया जाता है?
उत्तर:
निकट कट दृष्टि दोष (Short Sigh- tedness) – मनुष्य की दोष रहित सामान्य आँख अनन्त दूरी पर स्थित वस्तुओं को बिना समंजन के स्पष्ट देख सकती है तथा निकट स्थित वस्तुओं के लिए नेत्र- लेंस की फोकस दूरी के समंजन से देखना भी सम्भव होता है।

निकट-दृष्टि दोष नेत्र का वह दृष्टि दोष है, जिसके कारण मनुष्य को निकट की वस्तुएँ तो स्पष्ट दिखायी देती हैं परन्तु एक सीमित दूरी के आगे की वस्तुएँ स्पष्ट नहीं दिखायी देतीं। इस दोष को चिकित्सा-विज्ञान की भाषा में मायोपिया (Myopia) कहते हैं।

निकट दृष्टि दोष का कारण (Causes of short Sightedness) -इस दोष का सामान्य कारण, नेत्र-गोलक का कुछ लम्बा हो जाना है। इससे लेंस तथा रेटिना के बीच की दूरी कुछ अधिक हो जाती है तथा असंमंजित दशा में अनन्त पर स्थित वस्तुओं से आने वाली सैमान्तर किरणें रेटिना पर केन्द्रित न होकर उसके पहले ही प्रतिबिम्ब (I) बनाती हैं। अतः रेटिना (R) पर प्रतिबिम्ब स्पष्ट नहीं बनता। [चित्र (ख)]
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 17

निकट दृष्टि दोष का निवारण (Remedy of short Sightedness) – चूँकि निकट दृष्टि दोष में अनन्त स्थित वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना के पहले ही बन जाता है, यदि आपतित समान्तर किरणों को नेत्र-लेंस पर पड़ने के पहले कुछ अपसरित (diverge) कर दिया जाय तो वेलेंस से कुछ दूर हटकर रेटिना पर प्रतिबिम्ब बना सकती हैं। अतः निकट दृष्टि दोष के निवारण के लिए नेत्र के सामने (चश्मे में) एक अवतल (अपसारी) लेंस का प्रयोग किया जाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 18a
यह अवतल लेंस, अनन्त स्थित वस्तु से आने वाली समान्तर किरणों को अपसरित कर देता है, जिससे वस्तु का एक आभासी प्रतिबिम्ब 0, लेंस के फोकस (F) पर बन जाता है। यह प्रतिबिम्ब नेत्र-लेंस के लिए वस्तु का कार्य करता है तथा इसका प्रतिबिम्ब (I), रेटिना पर स्पष्ट बनता है।

चश्म में प्रयुक्त अवतल लेंस की उपयुक्त फोकस-दूरी ज्ञात करने के लिए पहले यह ज्ञात किया जाता है कि मनुष्य बिना चश्मे के अधिक-से-अधिक कितनी दूरी तक की वस्तु को स्पष्ट देख सकता है। इस दूरी को नेत्र का दूर-बिन्दु (Far-point) कहते हैं।

चूँकि सामान्य नेत्र के लिए दूर- दूर-बिन्दु अनन्त पर होता है, यह आवश्यक है कि दोष युक्त नेत्र के लिए अनन्त पर का प्रतिबिम्ब (अवतल लेंस द्वारा) नेत्र के स्थित वस्तु दूर-बिन्दु पर नेत्र का पर बने चित्र से स्पष्ट है कि O ही दोष युक्त दूरी लेन्स का दूर-बिन्दु है तथा अवतल लेन्स से इसकी की फोकस दूरी को व्यक्त करती है।

अतः निकट दृष्टि दोष निवारण हेतु प्रयुक्त अवतल लेंस की फोकस दूरी, दोष युक्त नेत्र के दूर-बिन्दु की दूरी के बराबर होनी चाहिए।
उदाहरणतः यदि कोई मनुष्य अधिक से अधिक 50 सेमी दूर स्थित वस्तु को ही स्पष्ट देख सकता है तो उसके चश्मे में 50 सेमी फोकस दूरी का अवतल लेंस लगाना होगा जिसकी क्षमता = \(\frac { 1 }{ 0.50 मीटर }\) = – 2D

प्रश्न 5.
‘दूर दृष्टि दोष’ क्या होता है? आवश्यक आरेख बनाकर इसके निवारण की विधि स्पष्ट कीजिए।
अथवा
आँख में दर दृष्टि दोष क्या होता है? इस दोष को दूर करने के लिए क्या करना होगा? चित्र बनाकर स्पष्ट रूप से ‘समझाइए।
उत्तर:
दूर दृष्टि दोष (Long Sightedness)-मनुष्य सामान्य नेत्र द्वारा निकट स्थित वस्तुओं को नेत्र- लेंस के समंजन के द्वारा स्पष्ट देख पाता है। यह समंजन सामान्य नेत्र में कम-से-कम 25 सेमी दूरी तक के लिए है। इससे कम दूरी की वस्तुओं को समंजन द्वारा भी स्पष्ट देखना सम्भव नहीं हो पाता इस दूरी (लगभग 25 सेमी) को नेत्र का निकट-बिन्दु (Near point ) अथवा स्पष्ट दृष्टि की दूरी (distance of distinct sion) कहते हैं तथा प्रतीक D से व्यक्त करते हैं।

यदि मनुष्य के नत्र। के नेत्र में दूर दृष्टि का दोष हो जाता है तो वह दूर स्थित परन्तु एक सीमा से कम दूरी की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं यह सीमा, सामान्य नेत्र के निकट-बिन्दु देख पाता तथा (25 सेमी) से अधिक दूरी पर हो जाता है। इस दोष को हाइपरमेट्रोपिया (Hypermetropia) कहते हैं।

इस दोष में, सामान्य निकट-बिन्दु पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है अतः स्पष्ट नहीं दिखायी देता [चित्र (क) तथा (ख)]। जिस मनुष्य की दृष्टि में यह दोष होता है उसे पुस्तक पढ़ने अथवा अन्य निकटस्थ वस्तुओं को स्पष्ट देखने के लिए 25 सेमी से अधिक दूरी पर रखना पड़ता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 18
दूर दृष्टि दोष के कारण (Causes of Long Sightedness) – दूर दृष्टि दोष दो कारणों से उत्पन्न हो सकता है-

  • नेत्र गोलक का कुछ चपटा हो जाना अर्थात् नेत्र में लेंस तथा रेटिना के बीच की दूरी सामान्य से कम हो जाती है, अथवा
  • नेत्र की समंजन – क्षमता का कम हो जाना या पूर्णत: नष्ट हो जाना।

दूर दृष्टि दोष का निवारण (Remedy of Long Sightedness) – इस दोष का निवारण करने के लिए चश्मे में उपयुक्त फोकस दूरी के उत्तल लेंस का प्रयोग किया जाता है। यह लेंस, सामान्य निकट-बिन्दु पर स्थित वस्तु से आने वाली किरणों को कुछ अभिसरित (Converge) कर देता है, जिससे नेत्र- लेंस द्वारा बना अन्तिम प्रतिबिम्ब लेंस की ओर आकर रेटिना पर बनने लगता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 19
दूर दृष्टि हेतु प्रयुक्त उत्तल लेन्स की फोकस दूरी की गणना निम्नवत की जाती है-

माना कि दोष युक्त नेत्र द्वारा मनुष्य दूरी D से कम दूरी पर स्थित वस्तु को स्पष्ट नहीं देख सकता, जबकि सामान्य नेत्र की स्पष्ट दृष्टि की दूरी D (या 25 सेमी) है। इसका अर्थ यह है कि दूरी D पर रखी गयी वस्तु का प्रतिबिम्ब, उत्तल लेंस द्वारा, वस्तु के पीछे दूरी D पर बनना चाहिए। यदि प्रयुक्त उत्तल लेंस की फोकस दूरी हो तो इस लेंस के लिए u = – D तथा v = D’
अतः सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) से.
\(\frac{1}{f}=-\frac{1}{D’}-\frac{1}{-D}\)
या \(\frac{1}{f}=\frac{1}{D}-\frac{1}{D’}\)
उदाहरणतः यदि कोई मनुष्य 50 सेमी से कम दूरी पर स्पष्ट नहीं देख सकता तो
u = – 25 सेमी तथा v = – 50 सेमी लेने पर,
\(\frac{1}{f}=-\frac{1}{50}-\frac{1}{-25}\)
= \(\frac{1}{25}=\frac{1}{50}=\frac{1}{50}\)
अथवा f = 50 सेमी
अत: मनुष्य के चश्मे में 50 सेमी फोकस-दूरी का उत्तल लेंस लगाना होगा।
इस लेन्स की क्षमता
P = \(\frac{1}{+0.50 \text { मीटर }}\) = + 2D

प्रश्न 6.
उपयुक्त आरेख बनाकर ‘क्रान्तिक कोण’ एवं ‘पूर्ण आन्तरिक परावर्तन’ को स्पष्ट कीजिए तथा क्रान्तिक कोण एवं अपवर्तनांक में सम्बन्ध निगमित कीजिए।
उत्तर:
जब प्रकाश किसी सघन माध्यम (जैसे कांच, जल आदि) से किसी विरल माध्यम (जैसे वायु में गमन करता है तो अपवर्तन कोण (r), आपतन कोण (i) से बड़ा होता है। यदि आपतन कोण को बक़ते जाएं तो एक स्थिति ऐसी आती है जब अपवर्तन कोण (r) का मान 90° हो जाता है तथा आपतन कोण (i) का मान 90° से कम ही रहता है। इस दशा में अपवर्तित किरण, दोनों माध्यमों के पृथककारी तल को स्पर्श करती हुई जाती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 19a
सघन माध्यम में उस आपतन कोण को, जिसके लिए उंखल माध्यम में अपवर्तन कोण 90° होता है, संघन माध्यम स्केक्रक्रान्तिक कोण कहते हैं।
इस दशा में, यदि आपतन कोण (i = C) हो तथा a. विरल माध्यम के सापेक्ष सघन माध्यम का अपवर्तनांक हो तो स्नैल के नियम के अनुसार,
\(\frac{\sin i}{\sin r}\) = n’
अब i = C तथा r = 90°, (परन्तु sin 90° = 1 )
अतः \(\frac{ sin C}{ 1 }\) = n’ अथवा n’ = sin C.
यदि सघन माध्यम का अपवर्तनांक (विरल माध्यम के सापेक्ष) n हो तो
n = \(\frac{1}{n’}\) = \(\frac{1}{sin C}\)
अर्थात् माध्यम का अपवर्तनांक (n) = 1/sin C
जबकि माध्यम का क्रान्तिक कोण C है।

पूर्ण आन्तरिक परावर्तन (Total Internal Reflection ) – यदि सघन माध्यम में प्रकाश का आपतन कोण (i), क्रान्तिक कोण से अधिक हो, तो विरल माध्यम में अपवर्तन कोण 90° से बड़ा होना चाहिए। परन्तु ऐसा होने पर प्रकाश, विरल माध्यम में न जाकर पुनः सघन माध्यम से ही वापस आ जाता है अर्थात् परावर्तित हो जाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 20
दो पारदर्शी माध्यमों के बीच सघन माध्यम से विरल माध्यम की ओर गमन करने पर दोनों माध्यमों के पृथक्कारी तल से प्रकाश के पूर्णत: परावर्तित होने की क्रिया को पूर्ण आन्तरिक परावर्तन कहते हैं। इस क्रिया में परावर्तन के नियम (i = r) का पालन होता है।

प्रश्न 7.
प्रकाश के सन्दर्भ में प्रिज्म क्या होता है? किसी प्रिज्म से होकर प्रकाश के अपवर्तन एवं विचलन की क्रिया, किरण आरेख बनाकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी दो असमान्तर तलों के बीच स्थित पारदर्शी माध्यम (जैसे काँच) को, प्रकाश के संचरण के सन्दर्भ में प्रिज्म कहते हैं।

प्रिज्म के जिन दो असमान्तर समतलों से होकर प्रकाश का अपवर्तन होता है उसे प्रिज्म कोण (A) कहते हैं। संलग्न चित्र में प्रिज्म के प्रथम पृष्ठ के बिन्दु P पर प्रकाश आपतित किरण AP है, जो P पर खींचे गये अभिलम्ब से आपतन कोण (i1) बनाती है। ती है। इस तल पर प्रकाश का विचलन विरल माध्यम (वायु) सघन मध् माध्यम (काँच) में होने के कारण अपवर्तन कोण (r1), आपतन आपतन कोण (i1) से छोटा होता है, तथा अपवर्तित किरण PQ, आधार की ओर कुछ झुक जाती है।

दूसरे दूसरे अपवर्तक तल पर किरण PQ, कोण r2 बनाते हुए आपतित होती है तथा इस बिन्दु पर सघन से विरल माध्यम में जाने के कारण अपवर्तन कोण (i2), आपतन कोण (r2) से बड़ा होता है। अतः दूसरे तल से निर्गत किरण (QB), आधार की ओर कुछ और झुक जाती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 20a
अतः प्रिज्म के दोनों तलों पर अपवर्तन के कारण प्रकाश के मार्ग जो संपूर्ण परिवर्तन होता है, उसे विचलन कहते हैं। चित्रानुसार यह विचलन, आपतित किरण AP तथा निर्गत किरण QB के बीच बने कोण COB द्वारा व्यक्त होता है। इसे विचलन कोण (δ) कहते हैं।

प्रश्न 8.
‘वर्ण-विक्षेपण’ से क्या तात्पर्य है? प्रिज्म द्वारा वर्ण-विक्षेपण की क्रिया, आरेख बनाकर समझाइए।
अथवा
प्रिज्म द्वारा श्वेत प्रकाश के वर्ण विक्षेपण का वर्णन कीजिए। इसका नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
वर्ण-विक्षेपण (Dispersion ) – जब प्रकाश किरणें किसी एक माध्यम (जैसे वायु) से किसी दूसरे माध्यम (जैसे काँच) जाती हैं अपने मार्ग से कुछ मुड़ जाती हैं अथवा विचलित (deviate) हो जाती हैं। यह विचलन माध्यम के अपवर्तनांक पर निर्भर होता है। प्रकाश के विभिन्न वर्णों (रंग) के लिए किसी माध्यम का अपवर्तनांक भिन्न-भिन्न होता है। बैंगनी रंग के प्रकाश के लिए अपवर्तनांक सर्वाधिक तथा लाल रंग के प्रकाश के लिए सबसे कम होता है। जिस वर्ण का अपवर्तनांक अधिक होता है उस वर्ण के प्रकाश का विचलन भी अधिक होता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 21
अतः यदि दो या दो से अधिक वर्णों के मिश्रित प्रकाश की एक किरण वायु से आती हुई काँच के तल पर आप काँच ‘मैं जाने पर बैंगनी प्रकाश का विचलन सर्वाधिक तथा लाल प्रकाश का विचलन सबसे कम होगा। अतः विभिन्न वर्णों के लिए अपवर्तनांक की भिन्नता के कारण, की मिश्रित किरण, विभिन्न वर्णों की -किरणों ‘की प्रकाश- में अलग-अलग बँट जाएगी (चित्र)। किसी माध्यम में अपरिवर्तित होने पर एक से अधिक वर्णों के मिश्रित प्रकाश के अलग-अलग वर्णों के प्रकाश से विभक्त हो जाने की घटना को प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण (Dispersion of Light) कहते हैं। चित्र में बैंगनी (V) तथा लाल (R) वर्ण के मिश्रित प्रकाश का दो वर्णों में वर्ण-विक्षेपण प्रदर्शित है।

प्रिज्म द्वारा वर्ण-विक्षेपण (Dispersion by Prism)
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 22
यदि श्वेत प्रकाश को किसी पतली झिल्ली (Slit ) से पतले पुंज के रूप में निकालकर एक प्रिज्म पर डाला जाय तथा प्रिज्म के दूसरे फलक से निर्गत प्रकाश को एक श्वेत पर्दे पर लिया जाय तो पर्दे पर कई रंगों की एक पट्टी दिखायी देती है।

इस पट्टी का ऊपरी सिरा लाल और नीचे का सिरा बैंगनी दिखायी देता है तथा ऊपर से नीचे तक पट्टी का रंग क्रमशः बदलता जाता है- लाल (Red), नारंगी (Orange), पीला (Yellow), हरा (Green), आसमानी (Blue) नीला (Indigo) तथा बैंगनी (Violet)।

पट्टी में एक रंग से दूसरे में परिवर्तन धीरे-धीरे होता है तथा विभिन्न रंगों के बीच कोई तीक्ष्ण विभाजन रेखा नहीं होती। वास्तव में पट्टी के एक सिरे से दूसरे तक असंख्य रंगों का अविरल क्रम होता है, परन्तु हम अपने नेत्र से इन्हें अधिक-से-अधिक सात भिन्न समूहों में पहचान पाते हैं प्रिज्म से गुजरने पर प्रकाश के जिस रंग का अपवर्तनांक अधिक होता है, उसका विचलन भी अधिक होता है।

चूँकि श्वेत प्रकाश के संयोजी रंगों में बैंगनी रंग का अपवर्तनांक अधिकतम तथा लाल रंग का न्यूनतम होता है, बैंगनी रंग का विचलन सर्वाधिक एवं लाल रंग का विचलन न्यूनतम होता हैं। इसके बीच के रंग अपने अपवर्तनांक के अनुसार क्रम से विचलित होते हैं तथा श्वेत प्रकाश के संयोजी रंगों का स्पेक्ट्रम प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 9.
प्रकाश के प्रकीर्णन से क्या तात्पर्य है? उदाहरण देकर समझाइए।
अथवा
प्रकाश का प्रकीर्णन किसे कहते हैं? किस रंग के प्रकाश के लिए प्रकीर्णन अधिकतम होता है?
अथवा
प्रकाश का प्रकीर्णन क्या होता है? किसी अंतरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर:
प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of Light) – सूर्य के श्वेत प्रकाश में भी आकाश नीला दिखायी देता है। वास्तव में आकाश का कोई रंग नहीं है, यह नीला रंग वायुमण्डल उपस्थित गैसीय अणुओं रंग का रंग है, जो श्वेत नीले रंग के ‘दिखायी देते हैं।

सूर्य से आने वाला श्वेत प्रकाश जब गैसीय अण अणु से टकराता है तो उसके नीले रंग का अंश अणुओं में अवशोषित हो जाता है जिससे अणु ऊर्जित (energised ) हो जाते हैं। लगभग तुरन्त ही अणु इस अतिरिक्त ऊर्जा को नीले के प्रकाश के रूप में उत्सर्जित करके सभी दिशाओं बिखेर देते हैं। यही नीला प्रकाश वायुमण्डलीय अणुओं के में दिखायी देता है।

किसी पदार्थ के अणुओं द्वारा किसी विशेष रंग के प्रकाश की ऊर्जा को अवशोषित करके उसे पुन: उत्सर्जित करने की क्रिया को प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं। किसी अणु द्वारा अवशोषित एवं प्रकीर्णित प्रकाश का रंग अणु की संरचना एवं आकार (size) पर निर्भर करता है।

उदाहरणत:
(i) स्वच्छ गहरे जल का नीला-हरा दिखायी देना भी श्वेत प्रकाश के प्रकीर्णन का प्रभाव है। इसी प्रकार स्वर्ण (gold ) के कोलाइडी विलयन का रंग बैंगनी (violet) तथा रजत (silver) के कोलाइडी विलयन का रंग धूसर (grey) दिखायी देता है। लाल रंग के प्रकाश का प्रकीर्णन सबसे कम तथा बैंगनी रंग का प्रकीर्णन सबसे अधिक होता है।

(ii) अंतरिक्ष में वायुमण्डल न होने के कारण प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं होता है इसी कारण अंतरिक्ष से अंतरिक्ष – यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला प्रतीत होता है।

आंकिक प्रश्न

प्रश्न 1.
एक व्यक्ति अपनी आँखों से 70 सेमी से कम दूरी पर रखी वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाता है। इस प्रकार व्यक्ति की आँखों में किस प्रकार का दोष है? इस दोष के निवारण के लिए उसे चश्मे में किस प्रकार का तथा कितनी फोकस दूरी के लेन्स का प्रयोग करना चाहिए?
हल:
इस तरह के व्यक्ति की आँख में दूर दृष्टि दोष है। इस दोष को दूर करने के लिए उसे चश्मे में ऐसे उत्तल लेंस का प्रयोग करना चाहिए जो 25 सेमी दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब 70 सेमी दूरी पर बना दे। माना उत्तल लेंस की फोकस दूरी f है, तब
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
या, \(\frac{1}{-70}-\frac{1}{-25}=\frac{1}{f}\)
[∴ u = – 25 सेमी; v = – 70 सेमी]
या \(\frac{1}{f}=\frac{1}{25}-\frac{1}{70}\)
= \(\frac{14-5}{350}=\frac{9}{350}\)
∴ f = \(\frac { 350 }{ 9 }\) = 38.8 सेमी

प्रश्न 2.
एक व्यक्ति अपने नेत्रों से 40 सेमी से कम दूरी पर स्थित पुस्तक के अक्षरों को स्पष्ट नहीं देख सकता है। उसकी दृष्टि में कौन-सा दोष है? इस दोष का निवारण करने के लिए उसे किस प्रकार का तथा कितनी क्षमता के लेन्स का प्रयोग करना होगा?
हल:
व्यक्ति की आँख में दूर दृष्टि दोष है। इस दोष दूर करने के लिए उसे उत्तल लेन्स का प्रयोग करना को चाहिए।
यहाँ पर u = – 25 सेमी, v = – 40 सेमी, माना लेन्स की फोकस दूरी = f सेमी, तथा सूत्र \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 23

प्रश्न 3.
निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति 20 सेमी दूर रखी पुस्तक को पढ़ सकता है। इस व्यक्ति को कितनी क्षमता के लेन्स को चश्मे में प्रयुक्त करना चाहिए, ताकि वह पुस्तक को नेत्र से 25 सेमी दूर रखकर पढ़ सके?
हल:
निकट दृष्टि दोष को दूर करने के लिए ऐसे अवतल लेन्स जिसकी फोकस दूरी है, का प्रयोग करना होगा, जो 25 सेमी दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब 20 सेमी पर बना दे।
v = 20 सेमी, u = – 25 सेमी f = ?
सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) में रखने पर,
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{-20}-\frac{1}{-25}\)
= \(\frac{1}{25}-\frac{1}{20}\)
= \(\frac{4-5}{100}=\frac{-1}{100}\)
अत: f = 100 सेमी (अवतल लेन्स)
तथा इसकी क्षमता
P = \(\frac { 100 }{ f }\) = \(\frac { 100 }{ -100 }\) = – 1.0 D

प्रश्न 4.
निकट दृष्टि दोष से पीड़ित एक व्यक्ति अधिकतम 2 मीटर की दूरी तक देख सकता है। उसकी सही दृष्टि के लिए किस प्रकृति व कितनी फोकस दूरी का लेंस प्रयोग करना होगा स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 0.25 मीटर है।
अथवा
स्वस्थ आँख के लिए दूर बिन्दु कितनी दूरी पर होता है? निकट दृष्टि दोष के कारण एक व्यक्ति अधिकतम 2 मीटर की दूरी तक देख सकता है, सही दृष्टि के लिए उसे किस क्षमता का लेंस प्रयोग करना चाहिए?
हल:
मनुष्य को अनन्त पर स्थित वस्तुएँ 2 मीटर की दूरी पर दिखाई देनी चाहिए।
अतः u = ∞, v = – 2 मीटर
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\),
या \(\frac{1}{f}=\frac{1}{-2}-\frac{1}{∞}\) f = – 2
अर्थात् फोकस दूरी 2 मीटर
लेंस की प्रकृति अवतल होगी।
क्षमता =\(\frac { 1 }{ f }\) = \(\frac { 1 }{ -2 }\) = 0.5D
स्वस्थ आँख के लिए दूर बिन्दु अनन्त होता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

प्रश्न 5.
किसी निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिन्दु नेत्र के सामने 80 सेमी दूरी पर है। इस दोष को दूर करने के लिए आवश्यक लेंस की प्रकृति तथा क्षमता क्या होगी?
हल:
दिया है-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार 24

प्रश्न 6.
दूर दृष्टि से पीड़ित एक व्यक्ति न्यूनतम 0.50 मीटर की दूरी तक देख सकता है। उसे सही दृष्टि के लिए किस प्रकृति तथा कितनी फोकस दूरी के लेंस का प्रयोग करना होगा ‘गणना कीजिए। स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 0.25 मीटर है।
अथवा
दूर दृष्टि से पीड़ित एक व्यक्ति कम से कम 50 सेमी की दूर पर रखी वस्तु को स्पष्ट देख सकता है? इस व्यक्ति के दोष निवारण हेतु चश्मे में प्रयुक्त लेंस की प्रकृति, फोकस दूरी एवं क्षमता ज्ञात कीजिए।
हल:
मनुष्य को 25 सेमी पर स्थित वस्तु का प्रतिबिम्ब 50 सेमी पर बनना चाहिए अर्थात् u = – 0.25 मी = – 25 सेमी v = – 0.50 मी = – 50 सेमी
अतः सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) से,
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{-50}-\frac{1}{-25}=+\frac{1}{50}\)
∴ f = + 50 सेमी (उत्तल लेंस)
क्षमता = \(\frac { 1 }{ f }\) = \(\frac { 1 }{ 0.50 }\) = 2 D

प्रश्न 7.
37.5 सेमी फोकस दूरी के अवतल लेंस की सहायता से 25 सेमी दूरी पर रखी पुस्तक को पढ़ने वाले व्यक्ति की दृष्टि में कौन-सा दोष होगा? उसकी आँखों से प्रतिबिम्ब कितनी दूरी पर बनेगा?
हल:
चूँकि पुस्तक पढ़ने के लिए अवतल लेन्स की आवश्यकता है, अत: निकट दृष्टि दोष होगा।
दिया है, f = 37.5 सेमी, u = – 25 सेमी, v = ?
सूत्र \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) में रखने पर,
\(\frac{1}{-37.5}=\frac{1}{v}-\frac{1}{-25}\)
अथवा
\(\frac{1}{v}=\frac{1}{-37.5}-\frac{1}{25}\) = \(\frac { 1 }{ -15 }\)
अथवा v = – 15 सेमी
अतः आँखों से प्रतिबिम्ब की दूरी = 15 सेमी होगी।

प्रश्न 8.
100 सेमी की फोकस दूरी के अवतल लेंस की क्षमता की गणना होगी।
हल:
अवतल लेंस की फोकस दूरी (f) = 100 सेमी
लेंस की क्षमता P = \(\frac { 100 }{ f }\)
= – \(\frac { 100 }{ 100 }\)
= – 1D

प्रश्न 9.
एक लेंस की फोकस दूरी 2.5 सेमी है। यदि इसके द्वारा बना प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी 25 सेमी पर हो, तो लेंस की आवर्धन क्षमता की गणना कीजिए।
हल :
आवर्धन क्षमता M = 1 + \(\frac { D }{ f }\); दिया है f = 2.5 सेमी, D 25 सेमी
∴ M = 1 + \(\frac { 25 }{ 2.5 }\) = 11

प्रश्न 10.
निकट दृष्टि से पीड़ित एक व्यक्ति अधिक-से-अधिक 5 मीटर की दूरी तक देख सकता है। सही दृष्टि के लिए उसे किस क्षमता का लेंस प्रयोग करना होगा?
हल:
निकट दृष्टि के निवारण हेतु प्रयुक्त अवतल लेंस की फोकस दूरी = व्यक्ति की स्पष्ट दृष्टि की अधिकतम दूरी = 5 मीटर = 500 सेमी
∴ लेंस की क्षमता = –\(\frac { 100 }{ f }\) = –\(\frac { 100 }{ 500 }\)
= – 0.2 डायोप्टर

प्रश्न 11.
एक व्यक्ति पास की वस्तुएँ तो स्पष्ट देख सकता है, परन्तु 2 मीटर से अधिक दूरी की वस्तु को स्पष्ट नहीं देख सकता है। उसको कौन सा लेंस उपयोग करना चाहिए व किस क्षमता का?
हल:
दिया है-
v = – 2 मीटर
u = ∞
f = ?
लेंस के सूत्र –
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\) से,
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{-2}-\frac{1}{-∞}\)
\(-\frac{1}{2}+\frac{1}{\infty}\)
f = – 2 मीटर (अवतल लेंस)
P = \(\frac { 1 }{ f }\) = \(\frac { 1 }{ -2 }\) = – 0.5 क्षमता का आभासी, अवतल लेंस।

बहुविकल्पीय प्रश्न

निर्देश: प्रत्येक प्रश्न में दिये गये वैकल्पिक उत्तरों में से सही विकल्प चुनिए-

1. स्वस्थ नेत्रों का निकट बिन्दु होता है-
(a) अनन्त
(b) 35 सेमी पर
(c) 30 सेमी पर
(d) 25 सेमी पर
उत्तर:
(d) 25 सेमी पर

2. आँखों में प्रवेश करने वाली प्रकाश की मात्रा को नियंत्रित करता है-
(a) परितारिका
(b) पुतली
(c) श्वेत मण्डल
(d) सिलियरी पेशियाँ
उत्तर:
(b) पुतली

3. निकट दृष्टि को ठीक करने के लिए आवश्यक अवतल लेन्स की फोकस दूरी-
(a) आँख से दूर बिन्दु की दूरी से कम होती है
(b) आँख से दूर बिन्दु की दूरी के बराबर होती है।
(c) 25 सेमी होती है
(d) आँख से दूर बिन्दु की दूरी से अधिक होती है
उत्तर:
(b) आँख से दूर बिन्दु की दूरी के बराबर होती है।

4. निकट दृष्टि दोष में-
(a) पास की वस्तु साफ नहीं दिखाई देती
(b) दूर की वस्तु साफ नहीं दिखाई देती
(c) पास बैठकर चाय नहीं पी सकते
(d) दिखना बिल्कुल बन्द हो जाता है।
उत्तर:
(b) दूर की वस्तु साफ नहीं दिखाई देती

5. मानव नेत्र में रेटिना पर बनने वाला प्रतिबिम्ब-
(a) सीधा होता है तथा सीधा ही दिखाई देता है
(b) उल्टा होता है तथा उल्टा ही दिखाई देता है
(c) उल्टा होता है परन्तु दिखाई सीधा देता है
(d) उपर्युक्त में से कोई सत्य नहीं
उत्तर:
(c) उल्टा होता है परन्तु दिखाई सीधा देता है

6. नेत्र लेन्स होता है-
(a) अभिसारी
(b) अपसारी
(c) अभिसारी या अपसारी कोई भी
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(a) अभिसारी

7. नेत्रों द्वारा रंगों का आभास होता है-
(a) रेटिना पर
(b) रेटिना की दण्ड कोशिकाओं द्वारा
(c) रेटिना की शंकु आकार की कोशिकाओं द्वारा
(d) पीत बिन्दु द्वारा
उत्तर:
(c) रेटिना की शंकु आकार की कोशिकाओं द्वारा

8. आँख के किस स्थान पर वस्तु का प्रतिबिम्ब बनने से यह दिखाई नहीं देगी-
(a) पीत बिन्दु
(b) अन्धबिन्दु
(c) रेटिना
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) अन्धबिन्दु

9. मानव नेत्र में स्पष्ट प्रतिबिम्ब बनने का कारण-
(a) नेत्र लेन्स तथा रेटिना के बीच की दूरी का आँख द्वारा समंजन
(b) नेत्र लेन्स का अपने स्थान से आगे या पीछे खिसकना
(c) नेत्र लेन्स की वक्रता त्रिज्या का आवश्यकतानुसार कम या अधिक होना
(d) नेत्र लेन्स का अपवर्तनांक बदलना
उत्तर:
(c) नेत्र लेन्स की वक्रता त्रिज्या का आवश्यकतानुसार कम या अधिक होना

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार

10. निकट दृष्टि दोष के निवारण करने हेतु प्रयोग किया जाता है-
(a) अवतल लेन्स
(b) उत्तल लेन्स
(c) बेलनाकार लेन्स
(d) समोत्तल लेन्स
उत्तर:
(a) अवतल लेन्स

11. दूर दृष्टि दोष का कारण है, नेत्र लेंस-
(a) की फोकस – दूरी घट जाना
(b) की रेटिना से दूरी बढ़ जाना
(c) की रेटिना से दूरी घट जाना
(d) की से वक्रपृष्ठ का बेलनाकार हो जाना
उत्तर:
(c) की रेटिना से दूरी घट जाना

12. एक पारदर्शी पदार्थ जिसका अपवर्तनांक 1.0 से अधिक है, उसकी आभासी मोटाई उसकी वास्तविक मोटाई की तुलना में है-
(a) बराबर
(b) अधिक
(c) कम
(d) शून्य
उत्तर:
(c) कम

13. स्वस्थ आँखों के लिए दूर-बिन्दु स्थित होता है-
(a) 25 सेमी दूरी पर
(b) 50 सेमी दूरी पर
(c) 100 सेमी दूरी पर
(d) अनन्त पर
उत्तर:
(d) अनन्त पर

14. दूर दृष्टि दोष के निवारण में प्रयुक्त किया जाता है-
(a) निश्चित फोकस दूरी का अवतल लेंस
(b) निश्चित फोकस दूरी का उत्तल लेंस
(c) किसी भी फोकस दूरी का अवतल लेंस
(d) किसी भी फोकस दूरी का उत्तल लेंस
उत्तर:
(b) निश्चित फोकस दूरी का उत्तल लेंस

15. निकट दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिन्दु स्थित होता है-
(a) 25 सेमी पर
(b) 25 सेमी से कम दूरी पर
(c) अनन्त पर
(d) अनन्त से कम दूरी पर
उत्तर:
(d) अनन्त से कम दूरी पर

16. मनुष्य के स्वस्थ नेत्र में प्रतिबिम्ब बनता है-
(a) रेटिना पर
(b) रेटिना से आगे
(c) रेटिना के पीछे
(d) अनन्त पर
उत्तर:
(a) रेटिना पर

17. दूर दृष्टि दोष के निवारण के लिए निम्न में क्या विकल्प है-
(a) उत्तल दर्पण
(b) अवतल लेंस
(c) उत्तल लेंस
(d) अवतल दर्पण
उत्तर:
(c) उत्तल लेंस

18. स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी है-
(a) 25 सेमी
(b) 50 सेमी
(c) 75 सेमी
(d) 100 सेमी
उत्तर:
(a) 25 सेमी

19. एक व्यक्ति अपने चश्मे में 20 सेमी की फोकस दूरी का उत्तल लेंस प्रयोग करता है। इस लेंस की क्षमता होगी-
(a) 2 डायोप्टर
(b) + 5 डायोप्टर
(c) + 2 डायोप्टर
(d) 2 डायोप्टर
उत्तर:
(b) + 5 डायोप्टर

20. मानव नेत्र द्वारा किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनता है-
(a) कॉर्निया पर
(b) आइरिस पर
(c) पुतली पर
(d) रेटिना पर
उत्तर:
(d) रेटिना पर

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

  1. नेत्र की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित करके निकट तथा दूरस्थ वस्तुओं को फोकसित कर लेता है, नेत्र की ……………….. क्षमता कहलाती है।
  2. वह अल्पतम दूरी जिस पर रखी वस्तु को नेत्र बिना किसी तनाव के सुस्पष्ट देख सकता है उसे नेत्र का ……………….. अथवा सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी कहते हैं। सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए यह दूरी लगभग ……………….. होती है।
  3. दृष्टि की सामान्य अपवर्तक दोष हैं-निकट दृष्टि, दीर्घ दृष्टि तथा जरा दूरदृष्टिता निकट दृष्टि (निकट दृष्टिता दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब दृष्टिपटल के ……………….. बनता है) को उचित क्षमता के ……………….. लेंस द्वारा संशोधित किया जाता है। दीर्घ-दृष्टि के ……………….. (दूरदृष्टिता – पास रखी वस्तुओं के प्रतिबिम्ब दृष्टिपटल ‘बनते हैं) को उचित क्षमता के ……………….. लेंस द्वारा संशोधित किया जाता है।
  4. वृद्धावस्था में नेत्र की समंजन क्षमता ……………….. जाती है।
  5. श्वेत प्रकाश का इसके अवयवी वर्णों में विभाजन ……………….. कहलाता है।
  6. प्रकाश के ……………….. के कारण आकाश का रंग नीला तथा सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य प्रतीत होती है।

उत्तर:

  1. समंजन
  2. निकट बिन्दु, 25 cm
  3. सामने, अवतल पीछे उत्तल
  4. घट
  5. विक्षेपण
  6. प्रकीर्णन, रक्ताभ

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत Important Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित की परिभाषा लिखिए-
(i) विद्युत धारा
(ii) विभवान्तर
(iii) प्रतिरोध
(iv) विद्युत वाहक बल।
उत्तर:
(i) विद्युत आवेश विद्युत आवेशित कणों के किसी निश्चित दिशा में गति को विद्युत धारा कहते हैं। किसी चालक में विद्युत धारा का मान चालक से होकर प्रवाहित आवेश की मात्रा प्रति एकांक समय के बराबर होता है।

(ii) दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर, एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक जाने में आवेशित कणों द्वारा किये गये कार्य प्रति एकांक आवेश के बराबर होता है।

(iii) किसी चालक में विद्युत धारा के प्रवाह से उत्पन्न विभवान्तर एवं प्रवाहित धारा के अनुपात को चालक का प्रतिरोध कहते हैं।

(iv) किसी विद्युत-सेल द्वारा सम्पूर्ण परिपथ में आवेश के प्रवाह हेतु दी गयी ऊर्जा प्रति एकांक आवेश को विद्युत वाहक बल कहते हैं।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित के मात्रक लिखिए-
(i) विद्युत आवेश
(ii) विद्युत धारा
(iii) विभवान्तर
(iv) प्रतिरोध
(v) विद्युत वाहक बल
उत्तर:
(i) कूलॉम (coulomb)
(ii) एम्पियर (ampere)
(iii) वोल्ट (volt)
(iv) ओम (ohm)
(v) वोल्ट (volt)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित राशियों का सम्बन्ध सूत्र के रूप में लिखिए-
(i) विद्युत धारा तथा प्रवाहित आवेश
(ii) विभवान्तर, धारा तथा प्रतिरोध
(iii) सेल द्वारा दी गयी ऊर्जा तथा विद्युत वाहक बल
(iv) श्रेणी क्रम में संयोजित दो प्रतिरोधकों के प्रतिरोध तथा सम्पूर्ण प्रतिरोध,
(v) समान्तर क्रम में संयोजित तीन प्रतिरोधकों के प्रतिरोध तथा परिपथ का सम्पूर्ण प्रतिरोध
उत्तर:
(i) विद्युत धारा तथा प्रवाहित आवेश-
विद्युत धारा x समय (q = it)

(ii) विभवान्तर, धारा तथा प्रतिरोध-
विभवान्तर = धारा x प्रतिरोध (V = i. R)

(iii) सेल द्वारा दी गयी ऊर्जा तथा विद्युत वाहक
दी गयी ऊर्जा = विद्युत्-वाहक बल x प्रवाहित आवेश (E = e.q)

(iv) श्रेणी क्रम में संयोजित दो प्रतिरोधकों के प्रतिरोध तथा सम्पूर्ण प्रतिरोध –
सम्पूर्ण प्रतिरोध R = r1 + r2

(v) समान्तर क्रम में संयोजित तीन प्रतिरोधकों के प्रतिरोध तथा परिपथ का सम्पूर्ण प्रतिरोध-
यदि सम्पूर्ण प्रतिरोध R हो तो \(\frac{1}{R}+\frac{1}{r_1}+\frac{1}{r_2}+\frac{1}{r_3}\)

प्रश्न 4.
विद्युत धारा नापने के यंत्र का नाम लिखिए।
उत्तर:
एमीटर (Ammeter)

प्रश्न 5.
विभवान्तर नापने के यंत्र का नाम लिखिए।
उत्तर:
वोल्टमीटर (Voltmeter)।

प्रश्न 6.
यदि किसी चालक में प्रवाहित धारा ऐम्पियर तथा चालक के सिरों का विभवान्तर V वोल्ट हो तो चालक का प्रतिरोध कितना होगा?
उत्तर:
प्रतिरोध R = \(\frac { V }{ i }\) ओम।

प्रश्न 7.
किसी परिपथ में प्रवाहित धारा का मान-
(i) घटाने के लिए
(ii) बढ़ाने के लिए एक अतिरिक्त प्रतिरोधक किस क्रम में जोड़िएगा?
उत्तर:
(i) श्रेणीक्रम में (सम्पूर्ण प्रतिरोध बढ़ने से धारा घटेगी।
(ii) समान्तर क्रम में (सम्पूर्ण प्रतिरोध घटने से धारा बढ़ेगी)।

प्रश्न 8.
किसी परिपथ में विद्युत-सेल का कार्य क्या है?
उत्तर:
विद्युत-सेल परिपथ में आवेश को प्रवाहित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करती है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 9.
किसी चालक में प्रवाहित धारा पर क्या प्रभाव पड़ेगा यदि-
(i) चालक के सिरों का विभवान्तर आधा कर दिया जाए?
(ii) समान प्रतिरोध को ही एक और चालक श्रेणी क्रम में जोड़ दिया जाए?
(iii) समान प्रतिरोध का चालक समान्तर क्रम में जोड़ दिया जाए?
उत्तर:
(i) धारा का मान आधा हो जाएगा (i ∝ V)
(ii) धारा कम हो जायेगी (प्रतिरोध बढ़ जाएगा)
(iii) धारा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा (प्रत्येक समान्तर की अपनी धारा अलग होती है।)

प्रश्न 10.
किसी चालक के विभवान्तर पर क्या प्रभाव पड़ेगा यदि-
(i) चालक में प्रवाहित धारा दो गुनी कर दी जाए?
(ii) चालक का प्रतिरोध आधा कर दिया जाए?
(iii) चालक के समान्तर क्रम में एक और प्रतिरोध जोड़ दिया जाए जाए?
उत्तर:
(i) विभवान्तर दो गुना हो जायेगा (V ∝ i)।
(ii) विभवान्तर आधा रह जायेगा (V ∝ R)।
(iii) कोई प्रभाव नहीं (समान्तर क्रम में दोनों प्रतिरोधों के विभवान्तर सेल के ही बराबर होंगे)।

प्रश्न 11.
इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन के आवेशों में क्या समानता तथा क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
समानता- दोनों के आवेश की मात्राएँ समान होती हैं (1.6 x 10-19 कूलॉम)।
अन्तर-

  • प्रोटॉन धनावेशित तथा इलेक्ट्रॉन ऋणावेशित होता है।
  • प्रोटॉन का द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन के द्रव्यमान से बहुत अधिक (लगभग 1840 गुना) होता है।

प्रश्न 12.
विद्युत ऊर्जा के किन्हीं दो स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर:
विद्युत-सेल, विद्युत जनित्र (Generator) अथवा डायनमों (Dynamo)।

प्रश्न 13.
परमाणु में उपस्थित आवेशित मूल कणों के नाम तथा आवेश की प्रकृति बताइए।
उत्तर:
प्रोटॉन- धनावेशित तथा इलेक्ट्रॉन – ऋणावेशित।

प्रश्न 14.
इलेक्ट्रॉन के आवेश की मात्रा S.I. मात्रक में लिखिए।
उत्तर:
1.6 x 10-19 कूलॉम।

प्रश्न 15.
मूल आवेश क्या होता है? इसका मान कूलॉम में लिखिए।
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन अथवा प्रोटॉन के आवेश की मात्रा को मूल आवेश (Elementary charge) कहते हैं। इसका मान 1.6 x 10-19 कूलॉम होता है।

प्रश्न 16.
‘ऐम्पियर’ की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
यदि परस्पर 1 मीटर की दूरी पर स्थित दो समान्तर चालकों में समान विद्युत धाराएँ प्रवाहित करने पर, चालकों की प्रति मीटर लम्बाई पर 2.0 x 10-7 न्यूटन का प्रतिकर्षण / आकर्षण बल लगे तो चालकों प्रवाहित धारा का मान 1 ऐम्पियर होता है।

प्रश्न 17.
संलग्न चित्र में प्रदर्शित परिपथ में बताइए-
(i) बिन्दुओं B तथा C का विभवान्तर, जबकि इनके बीच कोई चालक नहीं हो।
(ii) यदि B एवं C को एक शून्य प्रतिरोध के चालक से जोड़ दिया जाय तो
(क) A एवं B
(ख) B एवं C तथा
(ग) C एवं D के बीच विभवान्तर।
अपने उत्तरों का तर्क भी दीजिए।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 1
उत्तर:
(i) बिन्दुओं B तथा C के बीच विभवान्तर = 6 वोल्ट।

(ii) B एवं C को शून्य प्रतिरोध के चालक से जोड़ने पर परिपथ का कुल प्रतिरोध = 2 + 1 = 3 Ω
अतः परिपथ में प्रवाहित धारा i = \(\frac { V }{ R }\) = \(\frac { 6 }{ 3 }\) = 2 एम्पियर।

  • A एवं B के बीच विभवान्तर V = i x R से V = 2 x 2 = 4 वोल्ट।
  • B एवं C के बीच विभवान्तर शून्य होगा क्योंकि B और C का प्रतिरोध शून्य है।
  • C एवं D के बीच विभवान्तर = 2 x 1 = 2 वोल्ट।

प्रश्न 18.
विद्युत आवेशन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
दो वस्तुओं को आपस में रगड़ने पर उन पर घर्षण के कारण समान मात्रा में एक-दूसरे से विपरीत आवेश उत्पन्न होते हैं, उसे विद्युत आवेश कहते हैं?

प्रश्न 19.
ओम को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
यदि किसी चालक के सिरों पर एक वोल्ट विभवान्तर लगाने पर चालक में एक ऐम्पियर धारा बहने लगे तो उसका प्रतिरोध एक ओम कहलाता है।

प्रश्न 20.
एकांक आवेश किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक कूलॉम वह आवेश है जो अपने ही बराबर एवं सजातीय आवेश से हवा या निर्वात में 1 मीटर की दूरी पर रखने पर उस पर 9 x 109 न्यूटन प्रतिकर्षण बल आरोपित करता है।

प्रश्न 21.
फ्यूज तार का क्या उपयोग है?
उत्तर:
फ्यूज तार का उपयोग विद्युत परिपथ में सुरक्षा युक्ति के रूप में किया जाता है तो परिपथ में स्वीकृत सीमा अधिक धारा प्रवाहित होने पर गर्म होकर पिघल जाता है, फलस्वरूप परिपथ टूट जाता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 22.
प्रतिरोध से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रतिरोध से अभिप्राय किसी चालक द्वारा विद्युत प्रवाह में डाली गयी उस रुकावट से है जिसका परिमाण उसके सिरों पर आरोपित विभवान्तर V तथा उसमें बहने वाली धारा I के अनुपात के बराबर होता है।

प्रश्न 23.
विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव क्या है?
उत्तर:
विद्युत धारा के प्रवाह से किसी चालक के ताप बढ़ने की घटना को धारा का ऊष्मीय प्रभाव कहते हैं।

प्रश्न 24.
किसी बिन्दु आवेश के लिए विद्युत विभव का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 2

प्रश्न 25.
उस बल की प्रकृति क्या होगी, जो दो विपरीत आवेशों के बीच लगाया जा रहा हो?
उत्तर:
दो विपरीत आवेशों के बीच लगने वाला बल आकर्षण प्रकृति का होगा।

प्रश्न 26.
विद्युत क्षेत्र किसे कहते हैं? इसकी तीव्रता परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
विद्युत क्षेत्र – किसी विद्युत आवेश अथवा आवेश समुदाय के चारों ओर का वह क्षेत्र जहाँ विद्युत प्रभाव अनुभव किया जा सके विद्युत क्षेत्र कहलाता है।

विद्युत क्षेत्र की तीव्रता – किसी विद्युत क्षेत्र में (जो कि बिन्दु आवेश q द्वारा उत्पन्न हुआ है) किसी भी बिन्दु पर रखे एकांक आवेश पर बिन्दु आवेश q के कारण लगने वाला बल उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता कहलाता है।

प्रश्न 27.
1 वाट विद्युत शक्ति क्या है?
उत्तर:
यदि किसी परिपथ में 1 जूल प्रति सेकण्ड की दर से ऊर्जा क्षय हो रहा हो, परिपथ की विद्युत् शक्ति 1 वाट कहलाती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 3

प्रश्न 28.
दो चालक प्रतिरोधक जिनमें से प्रत्येक का प्रतिरोध R ओम है श्रेणी क्रम में जोड़े गए हैं। कुल प्रतिरोध कितना होगा?
उत्तर:
दिया है, R1 = R एवं R2 = R
∵ श्रेणी क्रम में संयोजन का तुल्य प्रतिरोध
Rs = R1 + R2
= R+ R
∴ Rs = 2R
अतः श्रेणी क्रम में जोड़े गए दो मात्रक प्रतिरोध जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध R है, का तुल्य प्रतिरोध 2R होगा।

प्रश्न 29.
क्या कारण है कि बिजली के तार ऐलुमिनियम के बनाए जाते हैं?
उत्तर:
एल्युमीनियम धातु में अन्य धातुओं की तुलना में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या बहुत अधिक होती है तथा इसका प्रतिरोध बहुत कम होता है जिससे इसमें विद्युत चालन शीघ्रता से सम्भव होता है। इसलिए बिजली के तार एल्युमीनियम से बनाए जाते हैं।

प्रश्न 30.
किसी चालक में विद्युत धारा का प्रवाह किस प्रकार होता है?
उत्तर:
किसी चालक में विद्युत धारा का प्रवाह आवेश वाहक इलेक्ट्रॉन के माध्यम से होता है।

प्रश्न 31.
विद्युत धारा का मात्रक क्या है? परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
विद्युत धारा का मात्रक ऐम्पियर है। विद्युत परिपथ में किसी बिन्दु से एक सेकण्ड में प्रवाहित इलेक्ट्रॉन की संख्या 6.25 x 1018 होती है तब उस परिपथ में विद्युत धारा की सामर्थ्य एक ऐम्पियर कहलाती है।

प्रश्न 32.
विद्युत आवेशन किन वस्तुओं में पाया जाता है?
उत्तर:
विद्युत आवेशन उन वस्तुओं में पाया जाता है जिनमें मुक्त इलेक्ट्रॉन पाये जाते हैं जो घर्षण अथवा अन्य विधियों से आसानी से निकाला जा सकता है।

प्रश्न 33.
विद्युत आवेश कितने प्रकार के होते हैं?
उत्तर:
विद्युत आवेश दो प्रकार के होते हैं-

  • धन आवेश
  • ऋण आवेश।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
परमाणु संरचना के आधुनिक सिद्धान्त के अनुसार बताइए कि किसी धनावेशित, ऋणावेशित तथा उदासीन वस्तु में क्या अन्तर होता है?
उत्तर:
आधुनिक सिद्धान्त के अनुसार, पदार्थ के परमाणुओं की संरचना तीन प्रकार के मूल कणों से होती है-

  • ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन
  • धनावेशित प्रोटॉन तथा
  • उदासीन न्यूट्रॉन इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन के आवेश की मात्राएँ परस्पर समान होती हैं। सामान्य दशा में किसी परमाणु, अणु अथवा किसी वस्तु में इलेक्ट्रॉनों तथा प्रोटॉनों की संख्याएँ परस्पर बराबर होती हैं। अतः इस दशा में वस्तु का सम्पूर्ण आवेश शून्य रहता है तथा वस्तु उदासीन रहती है।

यदि किसी वस्तु में इलेक्ट्रॉनों की संख्या, कुछ इलेक्ट्रॉनों के निकल जाने के कारण, प्रोटॉनों की संख्या से कम हो जाती है तो वस्तु में सम्पूर्ण धनावेश की मात्रा सम्पूर्ण ऋणावेश की मात्रा से अधिक हो जाती है अर्थात् वस्तु धनावेशित हो जाती है।

इसके विपरीत यदि किसी वस्तु में कुछ अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनों के आ जाने के कारण इलेक्ट्रॉनों की संख्या प्रोटॉनों की संख्या से अधिक हो जाती है तो वस्तु में सम्पूर्ण ऋणावेश की मात्रा सम्पूर्ण धनावेश की मात्रा से अधिक हो जाती है अर्थात् वस्तु ऋणावेशित हो जाती है।

सारांश यह है कि यदि वस्तु में इलेक्ट्रॉनों एवं प्रोटॉनों की संख्याएँ क्रमश: Ne तथा Np हों तो
धनावेशित वस्तु में Ne < Np
ऋणावेशित वस्तु में Ne > Np
उदासीन वस्तु में Ne = Np

प्रश्न 2.
‘धारा की तीव्रता से क्या तात्पर्य है? आवश्यक सूत्र देकर समझाइए।
उत्तर:
विद्युत आवेश प्रवाह की समय दर को विद्युत धारा की तीव्रता (Intensity of electric current) कहते हैं। सामान्यतः इसे केवल विद्युत धारा भी कहा जाता है।

दूसरे शब्दों में, किसी चालक में विद्युत धारा की माप उस चालक की किसी अनुप्रस्थ काट से होकर प्रति सेकण्ड प्रवाहित विद्युत आवेश से की जाती है अतः यदि किसी चालक की अनुप्रस्थ काट A से होकर समय में आवेश की मात्रा प्रवाहित हो तो विद्युत धारा-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 4

प्रश्न 3.
‘धारा’ के मात्रक की परिभाषा लिखिए तथा इसके द्वारा, आवेश का मात्रक निगमित कीजिए।
उत्तर:
विद्युत धारा का मात्रक (Unit of Elec tric Current) – मापन की SI प्रणाली में विद्युत धारा को मूल राशि माना गया है, जिसका मूल मात्रक ऐम्पियर (ampere) है। इसका प्रतीक A है ऐम्पियर की परिभाषा विद्युत चुम्बकीय बल के आधार पर निम्नवत् दी जाती है-
“1 ऐम्पियर तीव्रता की विद्युत धारा वह होती है, जिसे, परस्पर 1 मीटर की दूरी पर स्थित दो समान्तर चालकों में प्रवाहित करने पर, चालकों की प्रति मीटर लम्बाई पर 2 x 10-7 न्यूटन का प्रतिकर्षण अथवा आकर्षण बल उत्पन्न होता है।
विद्युत आवेश का S.I. मात्रक-
∵ आवेश धारा x समय
अतः आवेश का मात्रक धारा का मात्रक x समय का मात्रक = ऐम्पियर x सेकण्ड अथवा ऐम्पियर सेकण्ड आवेश के इस मात्रक को कलॉम (coulomb) कहते हैं – अर्थात् 1 कूलॉम = 1 ऐम्पियर सेकण्ड।

प्रश्न 4.
‘विद्युत चालक’, ‘विद्युत रोधी’ तथा ‘अर्द्ध-चालक’ में व्यावहारिक अन्तर बताइए। प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
ऐसे पदार्थ जिनमें होकर विद्युत आवेश एक सिरे से दूसरे सिरे तक चला जाता है। विद्युत चालक कहलाते हैं। पृथ्वी पर सभी धातुएँ तथा अम्लों, क्षारों एवं लवणों के जलीय विलयन विद्युत चालक होते हैं। इनके विपरीत ऐसे पदार्थ जो अपने से होकर विद्युत् आवेश को एक सिरे से दूसरे सिरे तक नहीं जाने देते अथवा जिनमें से होकर आवेश का स्थानान्तरण नहीं होता है, विद्युत- अचालक अथवा विद्युतरोधी (Insulator) कहलाते हैं।

रबड़, अभ्रक, सूखी लकड़ी, प्लास्टिक, काँच, चीनी मिट्टी, लाख, कागज आदि [शुद्ध आसुत जल (distilled water) भी विद्युत का कुचालक होता है परन्तु इसमें थोड़ा-सा अम्ल, क्षार अथवा लवण मिलाने पर यह विद्युत चालक की भाँति कार्य करता है। इसके अतिरिक्त कुछ ऐसे भी पदार्थ होते हैं जो सामान्यतः अचालक की भाँति व्यवहार करते हैं परन्तु विशेष भौतिक परिस्थितियों (special physical conditions) जैसे उच्च ताप पर अथवा अशुद्धियों की उपस्थिति में चालक की भाँति व्यवहार करते हैं, इन्हें अर्द्धचालक (semi-conductor) कहते हैं, जैसे सिलिकॉन तथा जर्मेनियम।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 5.
विभवान्तर की परिभाषा लिखिए तथा मात्रक निगमित कीजिए।
उत्तर:
विद्युत विभवान्तर (Electric Potential)- जब किसी चालक में विद्युत धारा बह रही होती है, उस समय चालक में गति कर रहे मुक्त इलेक्ट्रॉन चालक के परमाणुओं से टकराते रहते हैं, जिससे उनकी गति में बाधा उत्पन्न होती है। इस बाधा के विरुद्ध अपनी गति को बनाये रखने के लिए इलेक्ट्रॉनों को कार्य करना पड़ता है।

“किसी चालक में एक स्थान से दूसरे स्थान तक गति करने में एकांक आवेश द्वारा किये गये कार्य को विभवान्तर द्वारा “किसी चालक में दो बिन्दुओं के बीच का विभवान्तर उन बिन्दुओं के बीच गति करने में प्रति एकांक आवेश द्वारा किये गये कार्य के बराबर होता है।” अर्थात् यदि एक बिन्दु व्यक्त किया जाता है। से दूसरे बिन्दु तक आवेश द्वारा गति करने में किया गया कार्य W हो तो इन बिन्दुओं के बीच
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 5
अर्थात् यदि दो बिन्दुओं के बीच 1 कूलॉम आवेश स्थानान्तरित करने में किया गया कार्य 1 जूल हो तो उन बिन्दुओं का विभवान्तर 1 वोल्ट होता है।

प्रश्न 6.
ओम का नियम लिखिए तथा इसकी सहायता से प्रतिरोध का अर्थ समझाइए।
अथवा
ओम के नियम का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
ओम का नियम-“यदि किसी चालक की भौतिक अवस्थायें अपरिवर्तित रहें तो उसके सिरों का विभवान्तर चालक में बहने वाली धारा की प्रबलता के समानुपाती होता है।”

ओम के नियम के अनुसार किसी चालक के सिरों के बीच विभवान्तर (V) उसमें प्रवाहित धारा (i) के समानुपाती होती है। अतः
V ∝ i
या
V = Ri
यहाँ R एक समानुपाती स्थिरांक है। इसे चालक का प्रतिरोध कहते हैं।
अतः किसी चालक का प्रतिरोध, उस चालक के परमाणुओं द्वारा चालक के मुक्त इलेक्ट्रॉनों की गति में उत्पन्न बाधा को व्यक्त करता है।
R = \(\frac { V }{ i }\)

प्रश्न 7.
किसी चालक का प्रतिरोध किन कारकों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
चालक के प्रतिरोध की निर्भरता (Depen-dency of Resistance of Conductors)- किसी चालक तार का प्रतिरोध, तार की

  • लम्बाई,
  • अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल,
  • तार के पदार्थ, तथा
  • ताप पर निर्भर करता है।

(i) तार की लम्बाई पर किसी चालक तार का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के अनुक्रमानुपाती होता है,
R ∝ I
अर्थात् तार जितना लम्बा होगा उसका प्रतिरोध उतना ही अधिक होगा।

(ii) तार के क्षेत्रफल पर किसी चालक तार का प्रतिरोध उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
R ∝ 1/A
अर्थात् तार जितना मोटा होगा उसका प्रतिरोध उतना ही कम होगा।

(iii) तार के पदार्थ पर यदि विभिन्न पदार्थों के तार समान लम्बाई (l) एवं समान अनुप्रस्थ काट (A) के खींचे जायें तो चालक तारों का प्रतिरोध अलग-अलग होता है।

(iv) इसके अतिरिक्त चालक पदार्थों का प्रतिरोध ताप पर भी निर्भर करता है तथा ताप बढ़ाने बढ़ता है।

प्रश्न 8.
किसी सेल के ‘विद्युत वाहक बल’ का अर्थ आवश्यक सूत्र देकर बताइए। इसका मात्रक क्या है? विद्युत वाहक बल तथा विभवान्तर में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
विद्युत् सेल का विद्युत्-वाहक बल (Electro Motive Force of Electric Cell) किसी चालक में गतिमान मुक्त इलेक्ट्रॉनों को चालक के परमाणुओं द्वारा उत्पन्न बाधा के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है, जिससे उनकी ऊर्जा का ह्रास होता है। इससे स्पष्ट है कि चालक में विद्युत धारा का प्रवाह बनाये रखने के लिए, मुक्त इलेक्ट्रॉनों ऐसे किसी स्रोत को, जो किसी अन्य प्रकार की ऊर्जा को किसी स्रोत से ऊर्जा देते रहना आवश्यक होगा।

ऐसे किसी स्रोत को, जो किसी अन्य प्रकार की ऊर्जा को रूपान्तरित करके विद्युत् आवेश के प्रवाह हेतु आवश्यक ऊर्जा की पूर्ति कर सके, विद्युत वाहक बल का स्रोत कहते हैं। विद्युत सेल भी विद्युत वाहक बल का एक स्रोत है। अतः विद्युत-सेल एक ऐसी युक्ति है जो किसी परिपथ में आवेश के प्रवाह के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।

यदि किसी सम्पूर्ण बन्द परिपथ में कूलॉम आवेश को प्रवाहित कराने के लिए सेल से W जूल ऊर्जा प्राप्त हो, तो सेल का विद्युत-वाहक-बल
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 6
विभवान्तर की भाँति विद्युत वाहक बल का भी मात्रक वोल्ट है।

अतः किसी सेल का विद्युत वाहक- बल, सम्पूर्ण परिपथ में आवेश को प्रवाहित कराने के लिए सेल द्वारा दी गयी ऊर्जा प्रति एकांक आवेश के बराबर होता है।

किसी सेल से परिपथ को दी गयी सम्पूर्ण विद्युत् ऊर्जा प्रति एकांक आवेश को सेल का विद्युत्-वाहक बल कहते हैं- जबकि परिपथ में किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच धारा प्रवाहित होने में व्यय हुई विद्युत् ऊर्जा प्रति एकांक आवेश को उन बिन्दुओं का विभवान्तर कहते हैं।

प्रश्न 9.
अलग-अलग परिपथ आरेख बनाकर बताइए कि किसी प्रतिरोधक में- (i) प्रवाहित धारा, (ii) उत्पन्न विभवान्तर की माप किस प्रकार की जाती है? दोनों मापक उपकरणों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) किसी प्रतिरोध में प्रवाहित धारा नापने के लिए आवश्यक है कि प्रतिरोध में प्रवाहित धारा, एमीटर से
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 7
भी प्रवाहित हो। अतः परिपथ में एमीटर को, उस प्रतिरोधक के श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है जिसमें प्रवाहित धारा की माप करनी हो।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 8

(ii) विभवान्तर की माप वोल्टमीटर (Voltmeter) से की जाती है। यह एक उच्च प्रतिरोध का धारामापी होता है तथा इसके डायल पर बने विक्षेपमापक पैमाने को विभवान्तर के मात्रक वोल्ट में अंशांकित किया होता है।

किसी परिपथ में जिन दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर नापना होता है, वोल्टमीटर के टर्मिनलों को उन बिन्दुओं से सीधे जोड़ा जाता है। इस प्रकार वोल्टमीटर उन बिन्दुओं के बीच जुड़े प्रतिरोधक या परिपथ के समान्तर क्रम में होता है।

प्रश्न 10.
दो प्रतिरोधकों r1 तथा r2 को-
(i) श्रेणी क्रम में,
(ii) समान्तर क्रम में एक विद्युत-सेल से जोड़ने का परिपथ आरेख बनाइए। दोनों में समतुल्य प्रतिरोध का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
(i) श्रेणी क्रम में समतुल्य प्रतिरोध के लिए
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 9

(ii) समान्तर क्रम में समतुल्य प्रतिरोध के लिए
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 10

प्रश्न 11.
निम्नलिखित का कारण लिखिए-
(i) धातुएँ उत्तम विद्युत चालक होती हैं।
(ii) काँच विद्युत अचालक होता है।
(iii) किसी चालक की धारा नापने के लिए एमीटर को चालक के श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।
(iv) किसी परिपथ में एक और प्रतिरोध श्रेणी क्रम में जोड़ने पर परिपथ की धारा कम हो जाती है।
(v) किसी परिपथ में समान्तर क्रम में अतिरिक्त प्रतिरोध जोड़ने पर परिपथ की सम्पूर्ण धारा बढ़ जाती है।
उत्तर:
(i) धातुओं में परमाणुओं से मुक्त हुए कुछ इलेक्ट्रॉन उपलब्ध रहते हैं जो स्वतंत्र रूप से गति कर सकने के कारण आवेश वाहक का कार्य करते हैं। अतः धातुएँ उत्तम विद्युत चालक होती हैं।

(ii) काँच अधातु है इसमें मुक्त इलेक्ट्रॉन उपलब्ध नहीं होते। अतः यह अचालक होता है।

(iii) एमीटर का पाठ्यांक उसमें होकर प्रवाहित धारा के अनुक्रमानुपाती होता है। इसके लिए आवश्यक है कि चालक में प्रवाहित सम्पूर्ण धारा एमीटर से होकर प्रवाहित हो। चूँकि श्रेणीक्रम में जुड़े सभी उपकरणों में धारा समान होती है, अतः एमीटर को चालक के श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है।

(iv) परिपथ में अतिरिक्त प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोड़ने पर परिपथ का सम्पूर्ण प्रतिरोध बढ़ जाता है। चूँकि ओम के नियम के अनुसार परिपथ में धारा, उसके प्रतिरोध के व्युत्क्रमानुपाती होती है, प्रतिरोध बढ़ने से धारा कम होती है।

(v) समान्तर क्रम के नियम \(\frac{1}{R}=\frac{1}{r_1}+\frac{1}{r_2}\) अनुसार परिपथ में समान्तर क्रम में अतिरिक्त प्रतिरोध जोड़ने पर परिपथ का सम्पूर्ण प्रतिरोध कम हो जाता है। अतः ओम के नियम (i = \(\frac { V }{ R }\)) के अनुसार, सम्पूर्ण धारा का मान बढ़ जाता है।

प्रश्न 12.
विद्युत परिपथ में विद्युत-सेल का क्या कार्य है? इसके ‘विद्युत वाहक बल’ की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
विद्युत-सेल ऐसी युक्ति है जो उसमें प्रयुक्त पदार्थों की रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है तथा यह ऊर्जा परिपथ में आवेश के प्रवाह के लिए आवश्यक ऊर्जा के रूप में प्राप्त होती है। अतः विद्युत परिपथ में विद्युत सेल ऊर्जा का स्रोत है।

सम्पूर्ण परिपथ में आवेश के प्रवाह के लिए सेल द्वारा दी गयी “ऊर्जा प्रति एकांक आवेश” को सेल का विद्युत वाहक बल कहते हैं।

प्रश्न 13.
विभवान्तर का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसका मात्रक लिखिए।
उत्तर:
दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर एकांक धन आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक लाने में किये गये कार्य के बराबर होता है।

यदि किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर V वोल्ट है, तो q कूलॉम आवेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किया गया कार्य W होगा-
W = qV जूल
विभवान्तर का मात्रक विभवान्तर का मात्रक जूल/कूलॉम या वोल्ट है।

प्रश्न 14.
किसी विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मापन किस प्रकार किया जाता है?
उत्तर:
विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मापन उस बिन्दु पर रखे परीक्षण धनावेश पर लगने वाले बल और परीक्षण धन आवेश के अनुपात के बराबर होता है।

यदि विद्युत क्षेत्र के किसी बिन्दु पर रखे परीक्षण धनावेश q0 पर विद्युत क्षेत्र के कारण लगने वाला बल F हो तो उस बिन्दु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता E का माप होगा-
E = \(\frac{\mathrm{F}}{\mathrm{q}_0}\)
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का SI मात्रक न्यूटन / कूलॉम अथवा NC-1 है।

प्रश्न 15.
किसी धातु के विलगित गोले को धनावेश दिया जाता है तो इसके दुव्यमान पर क्या असर पड़ेगा?
उत्तर:
किसी धातु के विलगित गोले को धनावेश दिया जाता है तो इसका द्रव्यमान घटेगा क्योंकि इलेक्ट्रॉन के निकल जाने के कारण धनावेशित होता है।

प्रश्न 16.
वे कौन-सी परिस्थितियाँ हैं जिनमें ओम का नियम लागू नहीं होता है?
उत्तर:
निम्नलिखित परिस्थितियों में ओम का नियम लागू नहीं होता है-

  • जब धारा का मान अत्यधिक हो।
  • जब मात्रक असमांगी हो
  • जब चालक विभिन्न पदार्थों से मिलकर बना हो।

प्रश्न 17.
जब प्रतिरोधों का संयोजन श्रेणी क्रम में किया जाता है तो तुल्य प्रतिरोध का सूत्र लिखते हुए परिपथ का आरेख बनाइये।
उत्तर:
यदि तीन प्रतिरोध क्रमश: R1R2 R3 श्रेणी क्रम में संयोजित किये गये हों तो उनका तुल्य प्रतिरोध R होगा-
R = R1 + R2 + R3
श्रेणी क्रम संयोजन हेतु विद्युत परिपथ का आरेख –
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 11

प्रश्न 18.
संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
(i) अतिभारण
(ii) ऐम्पियर
(iii) प्रतिरोधों का समांतर संयोजन।
उत्तर:
(i) अतिभारण- किसी विद्युत परिपथ में वह रही धारा का परिमाण उसमें इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की शक्ति पर निर्भर करता है। यदि उपकरण की कुल शक्ति इस स्वीकृत सीमा से बढ़ जाती है तो उपकरण आवश्यकता से अधिक धारा खींचने लगते हैं, इसे अतिभारण कहते हैं। अतिभारण से बचने के लिए विद्युत परिपथ में इस्तेमाल के लिए तारों का चुनाव इस प्रकार किया जाना चाहिए कि उनमें किसी अधिकतम परिपथ तक की धारा बिना किसी हानि के प्रवाहित हो। इसके अतिरिक्त परिपथों को विभिन्न भागों में बाँट देना चाहिए एवं प्रत्येक भाग में उचित क्षमता का फ्यूज तार लगाया जाना चाहिए।

(ii) ऐम्पियर-किसी विद्युत परिपथ में विद्युत आवेश का प्रवाह किस परिमाण में हो रहा है, का मापन ऐम्पियर द्वारा किया जाता है। यह विद्युत धारा सामर्थ्य का मात्रक है। किसी परिपथ में जब एक कूलॉम आवेश एक सेकण्ड में प्रवाहित होता है तब विद्युत धारा की सामर्थ्य एक ऐम्पियर कहलाती है।

(iii) प्रतिरोधों का समान्तर संयोजन-दो या दो से अधिक प्रतिरोधों को समांतर क्रम में संयोजित करने के लिए सभी प्रतिरोधों का एक सिरा एक बिन्दु पर, दूसरा सिरा दूसरे बिन्दु पर मिले ताकि हर प्रतिरोध के सिरों के बीच विभवान्तर वही होता है जो तुल्य प्रतिरोध के सिरों पर होता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 12
चित्र में तीन प्रतिरोध R1R2 और R3 समांतर क्रम में संयोजित हैं जिनके सिरों A व B के बीच विभवान्तर V है, परिपथ बहने वाली धारा I है जो सिरे A पर तीन भागों में I1, I2 व I3 में विभाजित हो जाती है।

इस प्रकार समांतर क्रम में संयोजन का तल्य प्रतिरोध R की गणना निम्न सूत्र से की जा सकती है।
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}+\frac{1}{R_3}\)
इस प्रकार के संयोजन का तुल्य प्रतिरोध संयोजित न्यूनतम प्रतिरोध से भी कम होता है।

प्रश्न 19.
किसी चालक में विद्युत ‘बहने पर वह गर्म क्यों हो जाता है? कारण लिखिए।
उत्तर:
एक धात्विक चालक में अत्यधिक संख्या में यादृच्छिक गति करते हुए मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं। जब इस चालक में विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं तो चालक के मुक्त इलेक्ट्रॉन की उसके परमाणुओं से टक्कर होती है जिनमें इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा का अधिकांश भाग परमाणुओं को स्थानान्तरित हो जाता है। इससे चालक की आन्तरिक ऊर्जा बढ़ती है और इसके कारण चालक का ताप बढ़ जाता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘विद्युत धारा’ से क्या तात्पर्य है? किसी धातु में विद्युत आवेश का प्रवाह किस रूप में होता है?
उत्तर:
विद्युत धारा (Electric Current) – विद्युत-आवेश के प्रवाह अर्थात् विद्युत आवेशित कणों (जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन आयन आदि) के किसी निश्चित दिशा में गति करने को विद्युत धारा कहते हैं।

धातुओं में विद्युत-आवेश का प्रवाह (Flow of Electric Charge in Metals)-धातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं जो कि धातु के सभी भागों में समान रूप से वितरित रहते हैं। ये धातु के अन्दर सभी दिशाओं में अनियमित गति करते हैं, परन्तु इनके गति करते रहने पर भी इलेक्ट्रॉनों की माध्य स्थिति में कोई अन्तर नहीं पड़ता। किसी बाह्य बल के अभाव में मुक्त इलेक्ट्रॉनों का सामूहिक रूप से कोई स्थानान्तरण नहीं होता है (चित्र (क))।

मुक्त इलेक्ट्रॉनों पर बाहरी बल लगाने पर इलेक्ट्रॉन अनियमित गति के साथ-साथ बल की दिशा में भी आगे बढ़ते जाते हैं अर्थात् बल की दिशा में उनका स्थानान्तरण भी होता है तथा धातु के मुक्त इलेक्ट्रॉन बल की दिशा में सामूहिक रूप से स्थानान्तरित भी होते हैं। इलेक्ट्रॉन पर विद्युत आवेश होने के कारण, विद्युत आवेश का स्थानान्तरण होता है जिसे विद्युत आवेश का प्रवाह अथवा विद्युत-धारा कहते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 13
अतः धातुओं में विद्युत आवेश का प्रवाह, मुक्त इलेक्ट्रॉनों की नियमित गति के रूप में होता है।

प्रश्न 2.
इलेक्ट्रॉन सिद्धान्त के आधार पर समझाइए कि धातुएँ विद्युत्- चालक तथा अधातुएँ अचालक क्यों होती हैं?
उत्तर:
विद्युत आवेशित कणों की स्थानान्तरीय गति को विद्युत धारा कहते हैं अर्थात् ऐसे पदार्थ जिनमें विद्युत आवेश की गति हो सके, विद्युत चालक होते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि पदार्थ में विद्युत आवेश कण मुक्त रूप से गति करने के लिए उपलब्ध हों। यदि पदार्थ में मुक्त आवेशित कण उपलब्ध न हों तो पदार्थं अचालक होगा।

धातुएँ विद्युत चालक क्यों होती हैं? (Why Metals Electric Conductor?) विद्युत चालन के इलेक्ट्रॉन सिद्धान्त के अनुसार, किसी धातु-खण्ड धातु के परमाणुओं से कुछ इलेक्ट्रॉन अलग हो जाते हैं तथा परमाणुओं बीच के रिक्त स्थान में स्वतन्त्रतापूर्वक, अनियंत्रित अथवा यादृच्छ गति (Random motion) करते रहते हैं (चित्र (क))। इस प्रकार की गति से इलेक्ट्रॉनों का किसी दिशा में भी कुल विस्थापन शून्य रहता है। इन स्वतन्त्र गति करते हुए इलेक्ट्रॉनों को मुक्त इलेक्ट्रॉन (free electrons) कहते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 14
अब यदि धातु खण्ड का एक सिरा धनावेशित तथा दूसरा सिरा ऋणावेशित कर दिया जाय तो ऋणावेशित मुक्त इलेक्ट्रॉन विद्युत-आकर्षण के कारण चालक के धनावेशित सिरे की ओर नियमित गति करने लगते हैं। इससे चालक वस्तु में ऋणावेशित सिरे से धनावेशित सिरे की ओर मुक्त इलेक्ट्रॉनों का विस्थापन (प्रवाह) होता है, जिसे विद्युत धारा कहते हैं।

इलेक्ट्रॉन के अलग हो जाने से अवशेष परमाणु धनावेशित रहता है, परन्तु ठोस धातु के दृढ़ता से अपने स्थान से बँधे रहने के कारण गति नहीं कर सकता (चित्र (ख))। इस प्रकार धातुएँ, मुक्त इलेक्ट्रॉनों की उपलब्धता के कारण विद्युत् चालक होती हैं।

अधातुएँ अथवा अन्य अचालक पदार्थों में परमाणुओं अथवा अणुओं से इलेक्ट्रॉन सामान्यतः अलग नहीं हो पाते। अतः मुक्त इलेक्ट्रॉनों की अनुपलब्धता के कारण ऐसे पदार्थ अचालक होते हैं।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 4.
‘विभवान्तर’ से क्या तात्पर्य है? किसी चालक में प्रवाहित धारा तथा विभवान्तर में क्या सम्बन्ध होता है? आवश्यक नियम तथा सूत्र देकर समझाइए।
उत्तर:
उत्तर-विभवान्तर (Potential Difference)जब किसी चालक जैसे धात्वीय तार में विद्युत-धारा बहती है, तो धातु में उपस्थित मुक्त इलेक्ट्रॉन अपनी यादृच्छ गति (Random motion) के साथ-साथ एक निश्चित दिशा में भी गति करते हैं। मुक्त इलेक्ट्रॉनों को नियमित गति की गतिज ऊर्जा विद्युत्-वाहक-बल के किसी स्रोत (जैसे विद्युत् सेल या डायनमो) से प्राप्त होती है।

मुक्त इलेक्ट्रॉन गति करते समय धातु के परमाणुओं से टकराते रहते हैं। चूँंकि इलेक्ट्रॉन की अपेक्षा परमाणुओं का द्रव्यमान बहुत अधिक होता है, टकराने पर इलेक्ट्रॉन की लगभग समस्त गतिज ऊर्जा, परमाणु को स्थानान्तरित हो जाती है। अब इलेक्ट्रॉन स्रोत द्वारा स्थापित विद्युत-क्षेत्र से पुनः ऊर्जा प्रदान करके आगे बढ़ता है।

इस प्रकार चालक से होकर विद्युत्-धारा बहने में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा का निरन्तर क्षय होता रहता है। यदि चालक के किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच गति करने में इलेक्ट्रानों की गति ऊर्जा का क्षय W तथा बिन्दुओं के बीच प्रवाहित आवेश q हो तो, इन बिन्दुओं के बीच
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 15
गतिज ऊर्जा का क्षय (W), उस कार्य के बराबर होता है जो गति करने वाले आवेशित कर्णो (जैसे मुक्त इलेक्ट्रॉनों) द्वारा एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक जाने में किया जाता है।

अतः दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक जाने में आवेशित कणों के द्वारा किये गये कार्य प्रति एकांक आवेश के बराबर होता है।

चालक में प्रवाहित धारा तथा विभवान्तर में सम्बन्ध (Relation between Potential Difference and Flowing Current in Conductors)
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 16
प्रयोगों द्वारा यह पाया जाता है कि “किसी चालक में धारा प्रवाहित करने से चालक के सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर चालक में प्रवाहित धारा की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होता है।”

इस नियम के अन्वेषक वैज्ञानिक ओम (Ohm) के नाम पर इसे ओम का नियम (Ohm’s Law) कहते हैं। इसके अनुसार, यदि चालक में प्रवाहित धारा की तीव्रता तथा चालक के सिरों पर उत्पन्न विभवान्तर V हो,
तो V ∝ i
अथवा V = Ri
‘R’ समानुपातिक नियतांक है। इसे चालक का विद्युत प्रतिरोध (electrical resistance) अथवा संक्षेप में प्रतिरोध (resistance) कहते हैं।

प्रश्न 5.
‘प्रतिरोधक’ से क्या तात्पर्य है? विद्युत- परिपथों में इसकी क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
प्रतिरोधक (Resistor)-कोई चालक जो उसमें होकर विद्युत आवेश के प्रवाह में प्रतिरोध उत्पन्न करता है अर्थात् जिसमें होकर गति करने में विद्युत आवेशित कण की ऊर्जा का क्षय होता है, प्रतिरोधक (Resistor) कहलाता है।

उपयोगिता (Utility)-
1. परिपथ में धारा का नियन्त्रण-ओम के नियम से
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 17
इससे यह स्पष्ट है कि किसी सेल द्वारा यदि परिपथ के सिरों के बीच का विभवान्तर (V) नियत रखा जाये तो परिपथ की धारा का मान (i) परिपथ के प्रतिरोध (R) को बढ़ाकर घटाया और घटाकर बढ़ाया जा सकता है। अर्थात् परिपथ में प्रतिरोध के मान को उचित रूप में चुनकर धारा का अपेक्षित मान प्राप्त किया जा सकता है।

विद्युत परिपथ में धारा का मान घटाने बढ़ाने के लिए धारा- नियंत्रक का प्रयोग किया जाता है जो एक प्रकार के परिवर्तनीय प्रतिरोधक (variable resistance) होते हैं। घरों में प्रयुक्त विद्युत पंखों तथा विद्युत मोटरों के रेगुलेटर, रेडियो आदि में प्रयुक्त ध्वनि नियंत्रक (volume controller) आदि भी परिवर्तनीय प्रतिरोधक होते हैं।

2. विद्युत ऊर्जा का रूपान्तरण-विद्युत धारा के उपयोग से काम करने वाले उपकरणों जैसे विद्युत बल्ब, ऊष्मक ( Heater), पंखा तथा विद्युत मोटर चालित अन्य मशीनों में विद्युत् ऊर्जा का रूपान्तरण ऊष्मीय ऊर्जा, प्रकाश, कार्य (यांत्रिक ऊर्जा), ध्वनि आदि में किया जाता है। वोल्टामीटर (Voltameter) में भी विद्युत ऊर्जा का रूपान्तरण रासायनिक ऊर्जा में होता है।

विद्युत धारा के मुक्त इलेक्ट्रॉन मॉडल से स्पष्ट है कि धारा के रूप में गतिमान इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा के रूपान्तरण हेतु उनकी गति में बाधा पड़ना अनिवार्य रूप से आवश्यक है। किसी प्रतिरोधक (प्रतिरोधयुक्त चालक) में विद्युत धारा के प्रवाहित होने पर ही उसकी ऊर्जा यांत्रिक कार्य (जैसे विद्युत मीटर में), ऊष्मा एवं प्रकाश (विद्युत बल्ब, हीटर आदि में) अथवा ऊर्जा के अन्य स्वरूपों में बदलती है। अतः विद्युत् ऊर्जा के व्यावहारिक उपयोग हेतु परिपथ में प्रतिरोध की आवश्यकता होती है। प्रतिरोधरहित परिपथ द्वारा विद्युत ऊर्जा का कोई उपयोग नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 6.
सरल परिपथ आरेख बनाकर बताइए कि किसी प्रतिरोधक में –
(i) प्रवाहित धारा का,
(ii) विभवान्तर का मापन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
(i) धारा का मापन (Measurement of Current) विद्युत धारा का मात्रक ऐम्पियर (Am- pere) है। इसके मापन हेतु जिस यंत्र का प्रयोग किया जाता है उसे ऐम्पियर मीटर अथवा संक्षेप में एमीटर (Ammeter) कहते हैं।

एमीटर बहुत कम प्रतिरोध का धारामापी (Galva- nometer) होता है, जिसमें एक नाल चुम्बक के दो ध्रुवों के बीच स्थित चालक तार की एक कुण्डली में धारा प्रवाहित होने से कुण्डली कुछ घूम जाती है। कुण्डली का यह विक्षेप उसमें प्रवाहित धारा की तीव्रता को व्यक्त करता है।

कुण्डली का विक्षेप नापने के लिए उसकी धुरी से एक सुई लगी रहती है जो यंत्र में लगे वृत्तीय पैमाने पर घूमती है वृत्तीय पैमाने का अंशांकन सामान्यतः ऐम्पियर अथवा मिली ऐम्पियर में होता है एमीटर को परिपथ में जोड़ने के लिए यंत्र के ऊपर दो टर्मिनल होते हैं जिनमें से एक पर चिन्ह + बना होता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 18
किसी परिपथ में प्रवाहित धारा को नापने के लिए एमीटर को परिपथ में श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है, जिससे परिपथ सम्पूर्ण धारा मीटर से होकर त हो (चित्र (क))। यह भी ध्यान रखना होगा कि एमीटर का + टर्मिनल विद्युत सेल के + टर्मिनल (एनोड) की ओर से आने वाले तार से सम्बन्धित हो, अन्यथा कुण्डल का विक्षेप विपरीत दिशा में होगा। परन्तु उस दिशा में विक्षेप में बाधा होने के कारण यंत्र के खराब हो जाने की आशंका है।

यदि परिपथ में एक से अधिक चालक समान्तर क्रम मैं हों तो जिस चालक की धारा नापनी हो एमीटर को उसी के श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 19
उदाहरण- चित्र (ख) में दिखाये गये परिपथ में चालक Y में धारा नापने के लिए एमीटर (A) को इसी के श्रेणी – क्रम में जोड़ा गया है।

(ii) विभवान्तर का मापन (Measurement of Potential Difference) – विभवान्तर का मात्रक वोल्ट (Volt) है। इसके मापन हेतु प्रयोग किये जाने वाले उपकरण को वोल्टमीटर (Voltmeter) कहते हैं। एमीटर की भाँति यह भी एक धारामापी होता है परन्तु इसका प्रतिरोध यथासम्भव अधिक रखा जाता है। इसकी अन्य रचना एमीटर के समान ही होती है। इसके वृत्तीय पैमाने का अंशांकन वोल्ट में किया जाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 20
परिपथ में वोल्टमीटर को जोड़ने की विधि एमीटर को जोड़ने की विधि से भिन्न है। परिपथ के जिन दो बिन्दुओं के बीच का विभवान्तर नापना होता है, वोल्टमीटर के टर्मिनलों को सीधे उन्हीं बिन्दुओं से जोड़ा जाता है। इस प्रकार के संयोजन को समान्तर संयोजन कहते हैं। चित्र (ख) में प्रदर्शित परिपथ में कई चालकों को संयोजित किया गया है। चालक P के सिरों का विभवान्तर नापने के लिए वोल्टमीटर (V) की स्थिति को तथा चालक R में प्रवाहित धारा नापने के लिए एमीटर (A) की स्थिति को परिपथ में दिखाया गया है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 21
वोल्टमीटर को भी जोड़ते समय यह ध्यान रखना होता है कि उसका + टर्मिनल विद्युत सेल के (एनोड) की ओर रहे।

प्रश्न 7.
सरल परिपथ आरेख तथा सूत्र देकर बताइए कि किसी चालक का प्रतिरोध कैसे ज्ञात किया जा सकता है?
उत्तर:
प्रतिरोध का मापन (Measurement of Resistance) ओम के नियम से चालक का प्रतिरोध
R = \(\frac { V }{ i }\)
अतः प्रतिरोध मापन हेतु दिये गये चालक R को श्रेणीक्रम में एक एमीटर (A) तथा समान्तर क्रम में एक वोल्टमीटर (V) से जोड़ा जाता है। चालक में धारा प्रवाहित करने के लिए सेल (E) धारा को चलाने तथा रोकने के लिए प्लग – कुंजी (K) तथा धारा का मान आवश्यकतानुसार घटाने बढ़ाने के लिए परिवर्तनीय प्रतिरोधक अथवा धारा नियंत्रक (Rheostat ) Rh को चालक R के श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 22
प्लग-कुंजी को बन्द करके रिहॉस्टेट द्वारा एमीटर में धारा का एक उपयुक्त मान समंजित किया जाता है तथा एमीटर एवं वोल्टमीटर के पाठ्यांक नोट किये जाते हैं। इनसे सूत्र द्वारा प्रतिरोध R की गणना की जाती है।

अधिक शुद्धता हेतु धारा नियंत्रक द्वारा धारा के मान बदल-बदलकर अनेक पाठ्यांक लिए जाते हैं। इनसे प्राप्त प्रतिरोध के विभिन्न मानों का मध्यमान ही प्रतिरोध R का मान होता है।

प्रश्न 8.
तीन प्रतिरोधकों के श्रेणी संयोजन के सूत्र का आवश्यक आरेख देकर, निगमन कीजिए। अथवा श्रेणीक्रम में प्रतिरोधों को किस प्रकार जोड़ा जाता है? प्रतिरोधों के इस समायोजन के लिए सूत्र ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
चित्र में n प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया है। इनके प्रतिरोध क्रमश: R1, R2, R3, …. Rn है। पूरे संयोजन को एक सेल (E) से जोड़ने पर परिपथ में धारा (i) प्रवाहित होती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 23
चूँकि आवेश संरक्षण के नियम के अनुसार, विद्युत आवेश न तो नष्ट होता है, न ही उत्पन्न, किसी भी प्रतिरोधक में जितना आवेश प्रति सेकण्ड प्रवेश करता है, उतना ही निर्गत भी होता है। अतः श्रेणी क्रम में जोड़े गये। प्रत्येक प्रतिरोधक में आवेश प्रवाह की दर अर्थात् विद्युत धारा (i) समान होती है।

अब यदि धारा के प्रवाह के कारण प्रतिरोधकों के सिरों के विभवान्तर क्रमश: V1, V2, V3 …. Vn हों तो संयोजन का सम्पूर्ण विभवान्तर = प्रतिरोधकों के विभवान्तरों का योग
अथवा
V = V1 + V2 + V3 + … + Vn
अब ओम के नियम से
V1 = i.R1, V2 = i.R2, V3 = i.R3+ … Vn = i. Rn
V = i.R1 + i.R2 + i.R3 + … + i.Rn
अथवा V = i.(R1 + R2 + R3 … + Rn)
अथवा \(\frac { V }{ i }\) = R1+ R2 + R3 … + Rn
यदि संयोजन का समतुल्य प्रतिरोध R हो तो
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 24
∴ R = R1+ R2 + R3 … + Rn यही अभीष्ट सूत्र है।

प्रश्न 9.
प्रतिरोधकों के समान्तर संयोजन के सूत्र का आवश्यक आरेख देकर, निगमन कीजिए। अथवा समान्तर संयोजन में जोड़े गये दो प्रतिरोधों R, और Rg के तुल्य प्रतिरोध का व्यंजक प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
समान्तर क्रम में जोड़े गये सभी प्रतिरोधकों के एक सिरे सेल के एक टर्मिनल (+) से तथा दूसरे सिरे सेल के दूसरे टर्मिनल (-) से जोड़े जाते हैं। चूँकि एक ही बिन्दु पर जोड़े गये सभी सिरे समान विभव पर होंगे, स्पष्ट है कि समान्तर क्रम में जोड़े गये सभी प्रतिरोधकों के सिरों का विभवान्तर समान होता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 25
अतः यदि प्रतिरोधकों R1, R2 … Rn विभवान्तर क्रमश: V1 = Vn ….. Vn तो
V1 = V2 ….. = Vn – V
अब प्रत्येक प्रतिरोधक में प्रवाहित धारा उससे होकर प्रवाहित ‘आवेश प्रति सेकण्ड’ को व्यक्त करती है। चूँकि इन प्रतिरोधकों के मार्ग अलग-अलग हैं, प्रत्येक में प्रति सेकण्ड प्रवाहित आवेश भिन्न-भिन्न होगा तथा किसी समय में सेल से होकर प्रवाहित सम्पूर्ण आवेश अलग-अलग प्रतिरोधकों में प्रवाहित आवेशों का योग होगा।

अतः संयोजन की सम्पूर्ण धारा = विभिन्न प्रतिरोधकों में धाराओं का योग
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 26

आंकिक प्रश्न

[आवश्यकतानुसार इलेक्ट्रॉन का आवेश (e) 1.6 x 10-19 कूलॉम मानिए।]

प्रश्न 1.
एक चालक पर 1.12 x 10-18 कूलॉम धन आवेश है इस पर सामान्य अवस्था से कितने इलेक्ट्रॉन कम या अधिक हैं?
हल:
धनावेशित होने के कारण इलेक्ट्रॉन कम हैं। यदि n इलेक्ट्रॉन कम हों, तो q = n.e
अथवा 1.12 x 10-18 कलॉम
= n x 1.6 x 10-19 कूलॉम
n = \(\frac{1.12 \times 10^{-18}}{1.6 \times 10^{-19}}=\frac{11.2 \times 10^{-19}}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac { 112 }{ 16 }\) = 7 इलेक्ट्रॉन

प्रश्न 2.
एक विद्युत चालक में 10 ऐम्पियर की धारा बह रही है। उसमें प्रति सेकण्ड बहने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या की गणना कीजिए।
हल:
दिया है i = 10 ऐम्पियर
∵ i = \(\frac { ne }{ t }\)
\(\frac { n }{ t }\) = \(\frac { i }{ e }\) = \(\frac{10}{1.6 \times 10^{-19}}\)
= \(\frac{100 \times 10^{19}}{16}\)
प्रति सेकण्ड इलेक्ट्रॉनों की संख्या 6.25 x 1019

प्रश्न 3.
संलग्न विद्युत परिपथ में बहने वाली विद्युत धारा i की गणना कीजिए।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 27
उत्तर:
PQ ST के बीच श्रेणीक्रम में तुल्य प्रतिरोध
R1 = 1 + 4 + 1 = 6Ω
∴ P तथा T के बीच समान्तर क्रम में तुल्य प्रतिरोध
\(\frac{1}{\mathrm{R}_2}=\frac{1}{6}+\frac{1}{6}=\frac{1}{3}\)
R2 = 3Ω
अब परिपथ में धारा i = \(\frac { v }{ R }\)
∴ i = \(\frac { 12 }{ 6 }\)
i = 2 ऐम्पियर

प्रश्न 4.
किसी चालक में 200 मिली ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। इससे होकर प्रति सेकण्ड कितने मुक्त इलेक्ट्रॉन प्रवाहित होंगे?
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 28

प्रश्न 5.
संलग्न परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा i का मान ज्ञात कीजिए।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 29
उत्तर:
PQ के बीच का प्रतिरोध
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{2}+\frac{1}{2}=\frac{2}{2}\) = 1
∴ परिपथ का तुल्य प्रतिरोध
R1 = 1 + 4 = 5Ω
∴ V = 10 वोल्ट
∴ परिपथ में धारा (i) = \(\frac { v }{ R }\)
i = \(\frac { 10 }{ 5 }\) = 2
i = 2 ऐम्पियर

प्रश्न 6.
एक चालक तार से 1.0 मिली सेकण्ड में 200 माइक्रोकूलॉम आवेश गुजर जाता है तार में प्रवाहित धारा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 30

प्रश्न 7.
एक प्रतिरोधक में 0.5 एम्पियर धारा प्रवाहित करने से 2.5 वोल्ट विभवान्तर उत्पन्न होता है। प्रतिरोधक के सिरों पर 1.0 वोल्ट विभवान्तर उत्पन्न करने के लिए उसमें कितनी धारा प्रवाहित करनी होगी?
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 31

प्रश्न 8.
20 ओम प्रतिरोध के तार में 100 मिली ऐम्पियर धारा प्रवाहित करने से तार में कितना विभवान्तर उत्पन्न होगा?
उत्तर:
V = i. R = 100 x 10-3 ऐम्पियर x 20 ओम = 2.0 वोल्ट।

प्रश्न 9.
2 वोल्ट की सेल से एक बल्ब को जोड़ने पर सेल से 0.2 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित होती है। बल्ब का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 32

प्रश्न 10.
3Ω तथा 6Ω के दो प्रतिरोधकों को- (i) समान्तर क्रम में, (ii) श्रेणी क्रम में जोड़ने पर समतुल्य प्रतिरोध कितना होगा?
उत्तर:
(i) \(\frac{1}{R}=\frac{1}{r_1}+\frac{1}{r_2}=\frac{1}{3}+\frac{1}{6}=\frac{1}{2}\)
∴ R = 2 ओम

(ii) R = r1 + r2 = 3 + 6 = 9 ओम।

प्रश्न 11.
तीन प्रतिरोधकों में से प्रत्येक का प्रतिरोध 6 ओम है। इनके संयोजन से-
(i) अधिकतम
(ii) न्यूनतम
कितना प्रतिरोध कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर:
(i) अधिकतम प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जोड़ने से प्राप्त होगा।
R = r1 + r2 + r3 = 6 + 6 + 6
= 18 ओम।

(ii) न्यूनतम प्रतिरोध समान्तर क्रम में जोड़ने पर प्राप्त होगा।
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{r_1}+\frac{1}{r_2}+\frac{1}{r_3}=\frac{1}{6}+\frac{1}{6}+\frac{1}{6}=\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)
∴ R = 2

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 12.
संलग्न चित्र में प्रदर्शित परिपथ में A एवं B के बीच समतुल्य प्रतिरोध की गणना कीजिए।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 33
उत्तर:
A एवं B के बीच ऊपर की शाखा में कुल प्रतिरोध (श्रेणीक्रम में)
r1 = 1 + 1 = 2Ω
नीचे की शाखा कुल प्रतिरोध (श्रेणीक्रम में)
r2 = 1 + 1 = 2Ω
r1 तथा r2 समान्तर क्रम में हैं। अतः यदि सम्पूर्ण प्रतिरोध R हो तो
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{r_1}+\frac{1}{r_2}=\frac{1}{2}+\frac{1}{2}=\frac{2}{2}\) = 1
∴ R = 1 ओम।

प्रश्न 13.
संलग्न चित्र में प्रदर्शित परिपथ में जात कीजिए-
(i) चालक R का प्रतिरोध
(ii) चालक P में धारा
(iii) A एवं B के बीच विभवान्तर।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 34
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 35
(ii) चालक P में धारा R में धारा सम्पूर्ण धारा
अथवा i + 1.5 A = 2A
i = 2 – 1.5 = 0.5 A

(iii) A एवं B का विभवान्तर = P का प्रतिरोध x P में धारा = 6Ω x 0.5A = 3 वोल्ट

प्रश्न 14.
दो प्रतिरोधकों में से प्रत्येक का प्रतिरोध 5 ओम है। इन्हें किसी सेल से श्रेणीक्रम में जोड़ने पर सेल से 0.5 ऐम्पियर धारा प्रवाहित होती है। यदि दोनों प्रतिरोधों को समान्तर क्रम में उसी सेल से जोड़ दिया जाय तो सेल से कितनी धारा प्रवाहित होगी? यह भी बताइए कि समान्तर क्रम में प्रत्येक प्रतिरोधक से कितनी धारा प्रवाहित होगी?
उत्तर:
श्रेणीक्रम में सम्पूर्ण प्रतिरोध = 5Ω + 5Ω = 10Ω
सेल का विभवान्तर धारा x प्रतिरोध = 0.5 A x 10Ω = 5 वोल्ट
समान्तर क्रम में यदि सम्पूर्ण प्रतिरोध R हो तो
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 36

प्रश्न 15.
4 ओम, 8 ओम, 12 ओम तथा 24 ओम प्रतिरोध की चार कुण्डलियों को कैसे संयोजित करेंगे कि संयोजन से (1) अधिकतम, (ii) न्यूनतम प्रतिरोध प्राप्त हो सके? परिपथ आरेख भी बनाइए।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 37
उत्तर:
(i) अधिकतम प्रतिरोध श्रेणी क्रम में जोड़ने से प्राप्त होता है।
अतः A एवं B के बीच ऊपर की शाखा में कुल प्रतिरोध (श्रेणीक्रम में)
r1 = 4Ω + 8Ω = 12Ω
नीचे की शाखा में कुल प्रतिरोध
r2 = 12Ω + 24Ω = 36Ω
तुल्य प्रतिरोध
r = r1 + r2
= 12Ω + 36Ω = 48Ω

(ii) न्यूनतम प्रतिरोध समान्तर क्रम में जोड़ने पर प्राप्त होता है।
अत: 1 तथा 2 समान्तर क्रम में जोड़ने पर
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{12}+\frac{1}{36}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{4}{36}=\frac{1}{9}\)
R = 9
अधिकतम 48Ω, न्यूनतम 9Ω

प्रश्न 16.
2Ω व 4Ω के तार क्रमशः श्रेणी-क्रम तथा समान्तर क्रम में जोड़े गये हैं। दोनों अवस्था में इनका तुल्य प्रतिरोध ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
प्रतिरोधों का श्रेणीक्रम-
तुल्य प्रतिरोध
R = R1 + R2
∴ R = 2 + 4 = 6Ω
समान्तर क्रम में जोड़ने पर,
तुल्य प्रतिरोध
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}\)
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{2}+\frac{1}{4}=\frac{2+1}{4}=\frac{3}{4}\)
∴ 3R = 4
⇒ R = \(\frac { 4 }{ 3 }\) = 1.33Ω

प्रश्न 17.
तीन प्रतिरोध 4 ओम, 6 ओम तथा 12 ओम के हैं। इन्हें 22 वोल्ट की बैटरी से जोड़ने पर परिपथ में धारा का मान ज्ञात कीजिए जबकि-
(i) प्रतिरोधों को श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है।
(ii) प्रतिरोधों को समान्तर क्रम में जोड़ा जाता है।
उत्तर:
(i) प्रतिरोधों को श्रेणी क्रम में जोड़ने पर
तुल्य प्रतिरोध
R = R1 + R2 + R3
= 4Ω + 6Ω + 12Ω
= 22Ω
विभव = 22 वोल्ट
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 38

(ii) प्रतिरोधों को समान्तर क्रम में जोड़ने पर
तुल्य प्रतिरोध
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 39

प्रश्न 18.
दिये गये परिपथ में 1.5 एम्पियर धारा प्रवाहित हो रही है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 40
ज्ञात कीजिए-
(i) प्रतिरोध R का मान
(ii) A व B के बीच विभवान्तर।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 41
(i) प्रतिरोध R = \(\frac { V }{ I }\) = \(\frac { 3.0V }{ 1.5A }\) = 2Ω

(ii) A व B के बीच तुल्य प्रतिरोध
R = R1 + R2 R3
R = 3Ω + 2Ω + 4Ω = 9Ω
A व B के बीच विभवान्तर (V) = IR
= 1.5 x 9 = 13.5 वोल्ट

प्रश्न 19.
एक विद्युत परिपथ चित्र में दर्शाया गया है। इसके 1 ओम प्रतिरोध में प्रवाहित धारा तथा विभवान्तर की गणना कीजिए-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 42
उत्तर:
परिपथ के तुल्य प्रतिरोध की गणना- 3.0Ω व 6.0Ω समान्तर क्रम में हैं अतः
तुल्य प्रतिरोध R1 = \(\frac{1}{r_1}+\frac{1}{r_2}\)
\(\frac{1}{3}+\frac{1}{6}=\frac{3}{6}\)
R1 = 2Ω
2Ω व 1.0Ω श्रेणी क्रम में है अतः
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 43
परिपथ का तुल्य प्रतिरोध R2 = R1 + 3
= 2 + 1
= 3Ω
1Ω में प्रवाहित धारा I = \(\frac{V}{R}=\frac{3.0 \mathrm{~V}}{3 \Omega}\) = 1 ऐम्पियर

प्रश्न 20.
दिये गये परिपथ में सेल का आन्तरिक प्रतिरोध 1 ओम है तथा विद्युत वाहक बल 20 वोल्ट है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 44
ज्ञात कीजिए-
(i) परिपथ का सम्पूर्ण प्रतिरोध
(ii) परिपथ की धारा (i)
(iii) बिन्दुओं A व B के बीच विभवान्तर।
हल:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 45
(i) R1 व R2 श्रेणी क्रम में हैं इनका तुल्य प्रतिरोध
Rs = R1 + R2
= 4 + 2
= 6 ओम
Rs व R3 समान्तर क्रम में है इनका तुल्य प्रतिरोध
\(\frac{1}{R_p}=\frac{1}{R_s}+\frac{1}{R_3}=\frac{1}{6}+\frac{1}{6}\)
Rs = 3Ω
Rp व Rs श्रेणी क्रम में हैं इनका तुल्य प्रतिरोध
R = Rp + Rs = 3 + 6 = 9Ω
तो परिपथ का सम्पूर्ण प्रतिरोध = 9Ω

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 46
(iii) बिन्दु A व B के बीच विभवान्तर
V = IR
= 2 ऐम्पियर
V = 2 ऐम्पियर x 3Ω = 6 वोल्ट

प्रश्न 21.
दिये गये परिपथ में ज्ञात कीजिए-
(i) A व B के मध्य प्रतिरोध,
(ii) परिपथ में प्रवाहित धारा (i),
(iii) A व B के मध्य विभवान्तर
(iv) 352 के प्रतिरोध के सिरों का विभवान्तर।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 47
हल:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 47
(i) A व B के मध्य प्रतिरोध-
r1 व r2 श्रेणी क्रम में हैं अतः तुल्य प्रतिरोध (R1) = 4 + 2 = 6 ओम
r3 व r4 श्रेणी क्रम में हैं अतः तुल्य प्रतिरोध (R2) = 2 + 1 = 3 ओम
R1 व R2 समान्तर क्रम हैं अतः तुल्य प्रतिरोध-
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}\)
= \(\frac { 1 }{ 6 }\) + \(\frac { 1 }{ 3 }\)
\(\frac { 1 }{ R }\) = \(\frac { 3 }{ 6 }\)
R = 2 ओम

(ii) परिपथ का तुल्य प्रतिरोध = 2 + 3 = 5Ω
अतः परिपथ में प्रवाहित धारा
(i) = \(\frac { v }{ r }\) ⇒ \(\frac { 10 }{ 5 }\) = 2 ऐम्पियर

(iii) A व B के मध्य विभवान्तर V=IR = 2 x 2 = 4 वोल्ट

(iv) 3Ω के प्रतिरोध के सिरों का विभवान्तर
V = IR
= 2 x 6
= 6 वोल्ट

प्रश्न 22.
किसी तार में 2.5 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित हो रही है। 20 मिनट में कितना आवेश प्रवाहित होगा?
उत्तर:
धारा = 2.5 ऐम्पियर
समय = 20 मिनट
= 20 x 60 = 1200 सेकण्ड
तो आवेश = धारा x समय
Q = I x t = 2.5 x 1200
= 3000 कूलॉम

प्रश्न 23.
दो प्रतिरोधों के मान क्रमशः 6 ओम एवं 3 ओम हैं। इनके संयोजन से बनने वाले अधिकतम एवं न्यूनतम प्रतिरोध की गणना कीजिए।
उत्तर:
अधिकतम प्रतिरोध के लिए श्रेणी क्रम में जोड़ना होगा।
अतः तुल्य प्रतिरोध (R) = R1 + R2
= 6 + 3 = 9 ओम
न्यूनतम प्रतिरोध के लिए समान्तर क्रम में जोड़ना होगा। अतः तुल्य प्रतिरोध
\(\left(\frac{1}{R}\right)=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}=\frac{1}{6}+\frac{1}{3}\)
= \(\frac { 1+2 }{ 6 }\) = \(\frac { 3 }{ 6 }\)
R = \(\frac { 6 }{ 3 }\) = 2 ओम
अधिकतम 9 ओम, न्यूनतम 2 ओम।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

प्रश्न 24.
किसी चालक का कुल आवेश 8.0 x 10-19 कूलॉम है जो कि ऋणात्मक है। इस पर कितने इलेक्ट्रॉन की अधिकता है?
उत्तर:
एक इलेक्ट्रॉन का आवेश 1.6 x 10-19 कूलॉम
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 48

प्रश्न 25.
दिये गये परिपथ में सेल का विद्युत वाहक बल 4 वोल्ट व आन्तरिक प्रतिरोध नगण्य है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 49
ज्ञात कीजिए-
(i) कुल प्रतिरोध
(ii) परिपथ की धारा का मान
(iii) A व B बिन्दुओं के बीच विभवान्तर।
उत्तर:
(i) A व C के बीच तुल्य प्रतिरोध
= (\(\frac { 1 }{ 3 }\) + \(\frac { 1 }{ 3 }\))
\(\frac { 1 }{ R }\) = \(\frac { 2 }{ 3 }\)
R = \(\frac { 3 }{ 2 }\) = 1.5Ω
A व D के बीच तुल्य प्रतिरोध = 1.5 + 1 = 2.5Ω

(ii) धारा (i) = \(\frac {V }{ R }\) = \(\frac { 4 }{ 2.5 }\) = 1.6 Å
= 1.6 Å

(iii) A व C के बीच विभवान्तर = i x R
= 1.6 x 1.5 = 2.4 वोल्ट

प्रश्न 26.
निम्न परिपथ में ज्ञात कीजिए।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 50
(i) सेल में प्रवाहित धारा।
(ii) 2Ω के प्रतिरोध के सिरों के बीच विभवान्तर।
उत्तर:
(i) समान्तर क्रम में जुड़े प्रतिरोधों का तुल्य
प्रतिरोध \(\frac{1}{R}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}+\frac{1}{R_3}\)
\(\frac{1}{3}+\frac{1}{3}+\frac{1}{3}=\frac{3}{3}\)
R = 1Ω
कुल प्रतिरोध = 1 + 2 = 3Ω
धारा (v) = \(\frac {v }{ R }\) = \(\frac { 6 }{ 3 }\) = 2 ऐम्पियर

(ii) विभवान्तर (v) = i x R = 2 x 2 = 4V

प्रश्न 27.
दिये गये परिपथ में AB व AC के बीच तुल्य प्रतिरोध की गणना कीजिए।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 51
उत्तर:
AB के बीच तुल्य प्रतिरोध
R = R1 + R2 = 6 + 6 = 12Ω
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 52

प्रश्न 28.
दो तार जिनके प्रतिरोध 4Ω व 2Ω हैं श्रेणी क्रम में बैटरी से जुड़े हैं। पहले तार में 2 ऐम्पियर की धारा बह रही है। दूसरे तार में धारा का मान कितना है?
उत्तर:
चूँकि श्रेणी क्रम में प्रत्येक प्रतिरोध में धारा का मान समान होता है। अतः 2Ω के प्रतिरोध में भी धारा का मान 2 ऐम्पियर ही होगा।

प्रश्न 29.
निम्नांकित वैद्युत परिपथ में सेल के आन्तरिक प्रतिरोध की गणना कीजिए-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 53
उत्तर:
दिया है-
V = 1.5V
i = 0.6
P और Q के बीच प्रतिरोध
\(\frac{1}{R}=\frac{1}{3}+\frac{1}{3}=\frac{2}{3}\)
R = \(\frac { 3 }{ 2 }\) = 1.5Ω
अतः परिपथ का आन्तरिक प्रतिरोध
∵ V = (R + r)
∴ 1.5 = 0.6 (r + 1.5)
\(\frac { 5 }{ 2 }\) = r + 1.5
2.5 – 1.5 = r
r = 1.0 Ω

प्रश्न 30.
निम्नांकित परिपथ में गणना कीजिए-
(i) A और B बिन्दुओं के मध्य तुल्य प्रतिरोध
(ii) बैटरी से प्रवाहित धारा का मान
(iii) 2Ω प्रतिरोध के सिरों पर विभवान्तर।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 54a
उत्तर:
PQ ST के बीच प्रतिरोध
R1 = 1 + 4 + 1 = 6Ω
∴ P तथा T के बीच तुल्य प्रतिरोध
\(\frac{1}{R_2}=\frac{1}{6}+\frac{1}{6}=\frac{1}{3}\)
R2 = 3Ω
अब परिपथ का तुल्य प्रतिरोध
R = 1 + 2 + 3 = 6Ω
अब परिपथ में धारा i = \(\frac { V }{ R }\)
∴ i = \(\frac { 12 }{ 6 }\) = 2
i = 2 ऐम्पियर

बहुविकल्पीय प्रश्न

निर्देश- प्रत्येक प्रश्न में दिये गये वैकल्पिक उत्तरों में से सही विकल्प चुनिए-

1. किसी चालक तार में विद्युत धारा का प्रवाह होता है-
(a) प्रोट्रॉनों द्वारा
(b) मुक्त इलेक्ट्रॉनों द्वारा
(c) न्यूट्रॉनों द्वारा
(d) आयनों द्वारा
उत्तर:
(b) मुक्त इलेक्ट्रॉनों द्वारा

2. ओम के नियम का सूत्र है-
(a) I = VxR
(b) V = I × R
(c) R = V × 1
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(b) V = I × R

3. विद्युत-सेल स्रोत है-
(a) विद्युत धारा का
(b) विद्युत आवेश का
(c) इलेक्ट्रॉनों का
(d) विद्युत ऊर्जा का
उत्तर:
(d) विद्युत ऊर्जा का

4. निम्नलिखित में से अशुद्ध सम्बन्ध है-
(a) 1 एम्पियर x सेकण्ड = 1 कूलॉम
(b) 1 वोल्ट x 1 ऐम्पियर = 1 ओम
(c) 1 वोल्ट / 1 ओम 1 ऐम्पियर
(d) 1 वोल्ट x 1 कूलॉम = 1 जूल
उत्तर:
(b) 1 वोल्ट x 1 ऐम्पियर = 1 ओम

5. प्रतिरोध का मात्रक होगा-
(a) ऐम्पियर / वोल्ट
(b) कूलॉम/सेकण्ड
(c) वोल्ट / कूलॉम
(d) वोल्ट / ऐम्पियर
उत्तर:
(d) वोल्ट / ऐम्पियर

6. निम्नांकित में से कौन-सा कथन ओम के नियम को व्यक्त नहीं करता?
(a) धारा / विभवान्तर = नियतांक
(b) विभवान्तर / धारा नियतांक
(c) विभवान्तर = धारा x प्रतिरोध
(d) धारा विभवान्तर x प्रतिरोध
उत्तर:
(d) धारा विभवान्तर x प्रतिरोध

7. विभवान्तर मापक यंत्र है-
(a) वोल्टामीटर
(b) वोल्टमीटर
(c) एमीटर
(d) ओम मीटर
उत्तर:
(b) वोल्टमीटर

8. एमीटर नापता है-
(a) आवेश
(b) धारा
(c) विभवान्तर
(d) प्रतिरोध
उत्तर:
(b) धारा

9. किसी धात्वीय चालक AB में विद्युत धारा (i) प्रवाहित हो रही है। चालक में-
(a) प्रोट्रॉनों का प्रवाह A से B की ओर होगा
(b) इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह A से B की ओर होगा
(c) इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह B से A की ओर होगा
(d) प्रोट्रॉनों का प्रवाह A से B की ओर होगा तथा
इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह B से Á की ओर होगा।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 54
उत्तर:
(c) इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह B से A की ओर होगा

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत

10. निम्न परिपथ में A एवं B बिन्दुओं के बीच विभवान्तर होगा-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 55
(a) 3 बोल्ट
(b) 2 वोल्ट
(c) 1 वोल्ट
(d) 1 वोल्ट
उत्तर:
(a) 3 बोल्ट

11. प्रतिरोध का मात्रक होता है-
(a) ओम
(b) ओम / मीटर
(c) ओम मीटर
(d) मीटर / ओम
उत्तर:
(a) ओम

12. एक माइको ऐम्पियर की विद्युत धारा का मान है-
(a) 10+3 ऐम्पियर
(b) 10-3 ऐम्पियर
(c) 10-6 ऐम्पियर
(d) 10+6 ऐम्पियर
उत्तर:
(c) 10-6 ऐम्पियर

13. एक प्रोटॉन पर विद्युत आवेश की मात्रा होती है-
(a) 1.0 x 10-19 कूलॉम
(b) 6.25 x 10+19 कूलॉम
(c) 1.6 x 10+19 कूलॉम
(d) 1.6 x 10-19 कूलॉम
उत्तर:
(d) 1.6 x 10-19 कूलॉम

14. 4 ओम के चार प्रतिरोध एक-दूसरे के समानान्तर क्रम में जोड़े गये हैं तो तुल्य प्रतिरोध होगा-
(a) 4 ओम
(b) 2 ओम
(c) 3 ओम
(d) 1 ओम
उत्तर:
(d) 1 ओम

15. ऐम्पियर सेकण्ड किसका मात्रक है-
(a) विद्युत ऊर्जा का
(b) विद्युत वाहक बल का
(c) आवेश का
(d) विद्युत धारा का
उत्तर:
(c) आवेश का

16. सिलिकॉन पदार्थ होता है-
(a) सुचालक
(b) कुचालक
(c) अर्द्धचालक
(d) कोई नहीं
उत्तर:
(c) अर्द्धचालक

17. विद्युत् आवेश का मात्रक है-
(a) जूल
(b) कूलॉम
(c) वोल्ट
(d) ऐम्पियर
उत्तर:
(b) कूलॉम

18. धारा का मात्रक है-
अथवा
विद्युत धारा का SI मात्रक है-
(a) कूलॉम
(b) जूल
(c) ऐम्पियर
(d) कैलोरी
उत्तर:
(c) ऐम्पियर

19. संलग्न परिपथ में धारा का मान है-
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 12 विद्युत 56
(a) 1 ऐम्पियर
(b) 0.5 ऐम्पियर
(c) 4 ऐम्पियर
(d) 2 ऐम्पियर
उत्तर:
(d) 2 ऐम्पियर

20. इलेक्ट्रॉन पर आवेश होता है-
(a) -1.6 x 10-19 कूलॉम
(b) + 1.6 x 10-19 कूलॉम
(c) – 1.6 x 10+19 कूलॉम
(d) + 1.6 x 10+19 कूलॉम
उत्तर:
(a) -1.6 x 10-19 कूलॉम

21. R1 व R2 प्रतिरोध के दो समान्तर तार समान्तर क्रम में जोड़े गये हैं। इनका तुल्य प्रतिरोध होगा-
(a) R1+ R2
(b) R1 x R2
(c) \(\frac{R_1 \times R_2}{R_1+R_2}\)
(d) \(\frac{R_1+R_2}{R_1 \times R_2}\)
उत्तर:
(c) \(\frac{R_1 \times R_2}{R_1+R_2}\)

22. एक माइक्रो- ओम का मान होता है-
(a) 10-9 ओम
(b) 10-6 ओम
(c) 10-3ओम
(d) 1 ओम
उत्तर:
(b) 10-6 ओम

23. किसी तार की लम्बाई उसकी प्रारम्भिक लम्बाई की तीन गुना करने पर उसका प्रतिरोध हो जायेगा-
(a) 9 गुना
(b) 3 गुना
(c) \(\frac { 1 }{ 9 }\) गुना
(d) \(\frac { 1 }{ 3 }\) गुना
उत्तर:
(a) 9 गुना

24. निम्नलिखित में से कौन-सा पद परिपथ में वैद्युत शक्ति को प्रदर्शित नहीं करता है?
(a) I²R
(b) IR²
(c) V I
(d) \(\frac { V² }{ R }\)
उत्तर:
(c) V I

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

  1. विद्युत धारा का SI मात्रक ……………….. है।
  2. किसी विद्युत परिपथ में इलेक्ट्रॉनों को गति प्रदान करने के लिए हम किसी सेल अथवा बैटरी का उपयोग करते हैं। सेल अपने सिरों के बीच ……………….. उत्पन्न करता है। इस विभवान्तर को वोल्ट (V) में मापते हैं।
  3. ……………….. एक ऐसा गुणधर्म है जो किसी चालक में इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह का विरोध करता है। यह विद्युत धारा के परिमाण को नियंत्रित करता है। प्रतिरोध का SI मात्रक ओम (52) है।
  4. ओम का नियम किसी प्रतिरोध के सिरों के बीच विभवान्तर उसमें प्रवाहित विद्युत धारा के ……………….. होता है परन्तु एक शर्त यह है कि प्रतिरोधक का ताप उसकी लम्बाई पर समान रहना चाहिए।
  5. किसी चालक का ……………….. सीधे उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल पर प्रतिलोमत : निर्भर करता है और उस पदार्थ की प्रकृति पर भी निर्भर करता है जिससे वह बना है।
  6. ……………….. में संयोजित बहुत से प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध उनके व्यष्टिगत प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है।
  7. ……………….. में संयोजित प्रतिरोधकों के समुच्चय का तुल्य प्रतिरोध Rp निम्नलिखित संबंध द्वारा व्यक्त किया जाता है-
    \(\frac{1}{R_P}=\frac{1}{R_1}+\frac{1}{R_2}+\frac{1}{R_3}\) + ….

उत्तर:

  1. ऐम्पियर
  2. विभवान्तर
  3. प्रतिरोध
  4. अनुक्रमानुपाती
  5. प्रतिरोध
  6. श्रेणीक्रम
  7. पार्श्वक्रम

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

Jharkhand Board JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव Important Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
किसी स्थान पर चुम्बकीय सुई दक्षिण-उत्तर दिशा में ही क्यों ठहरती है?
उत्तर:
किसी स्थान पर चुम्बकीय सुई उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के अनुदिश ही ठहरती है तथा पृथ्वी पर किसी भी स्थान पर पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर होती है।

प्रश्न 2.
किसी धारावाही तार के निकट चुम्बकीय सुई अपनी स्थिति से विचलित क्यों हो जाती है?
उत्तर:
धारावाही चालक के द्वारा आसपास एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। सामान्यतः दक्षिण-उत्तर दिशा में स्थित चुम्बकीय सुई धारावाही चालक के चुम्बकीय प्रभाव से अपनी सामान्य स्थिति से हट जाती है।

प्रश्न 3.
धारा के चुम्बकीय प्रभाव से कैसे ज्ञात कीजिएगा कि किसी तार में विद्युत धारा बह रही है या नहीं?
उत्तर:
तार के निकट रखने पर यदि कोई चुम्बकीय सुई अपनी दक्षिण-उत्तर दिशा में स्थिति से विचलित हो जाय तो तार में विद्युत धारा प्रवाहित हो रही होगी अन्यथा नहीं।

प्रश्न 4.
एक स्थान रखी चुम्बकीय सुई किसी भी दिशा में स्थिर रखी जा सकती है। इससे उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र के बारे में क्या सूचना मिलती है?
उत्तर:
उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता शून्य होती है।

प्रश्न 5.
चुम्बकीय क्षेत्र के दो मात्रक तथा उनमें सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
न्यूटन एम्पियर-1 मीटर तथा वेबर मीटर 2 दोनों मात्रक परस्पर समान होते हैं। [इन मात्रकों को टेस्ला (Tesla) भी कहा जाता है।]

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 6.
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
किसी स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता उस बल के परिमाण से व्यक्त होती है जो उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् स्थित एकांक लम्बाई के चालक में एकांक विद्युत धारा प्रवाहित करने पर कार्य करता है तथा चुम्बकीय बल की दिशा, धारा एवं चुम्बकीय क्षेत्र दोनों की दिशाओं के लम्बवत होती है।

मात्रक-न्यूटन एम्पियर-1, मीटर-1 या वेबर मीटर-2

प्रश्न 7.
पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की क्या दिशा होती है?
उत्तर:
पृथ्वी के सम्पूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा किसी स्थान पर चुम्बकीय दक्षिण से चुम्बकीय उत्तर की ओर, उत्तरी गोलार्द्ध में क्षैतिज तल से कुछ नीचे की ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में क्षैतिज तल से कुछ ऊपर की ओर झुकी हुई होती है।

चुम्बकीय विषुवत् रेखा पर चुम्बकीय क्षेत्र क्षैतिज तल में दक्षिण से उत्तर की ओर होता है। उत्तरी चुम्बकीय ध्रुव पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र ऊर्ध्वाधरतः नीचे की ओर तथा दक्षिणी चुम्बकीय ध्रुव पर ऊर्ध्वाधरत ऊपर की ओर होता है।
(सामान्य उत्तर दक्षिण से उत्तर की ओर)

प्रश्न 8.
किसी धारावाही परिनालिका के सिरे की ओर देखने पर धारा की दिशा क्या होगी यदि वह सिरा चुम्बकीय सुई के उत्तरी ध्रुव को (i) आकर्षित करे, (ii) प्रतिकर्षित करे?
उत्तर:
(i) उत्तरी ध्रुव को आकर्षित करने वाला परिनालिका का सिरा दक्षिणी ध्रुव (S) होगा। अतः इस सिरे से धारा दक्षिणावर्त (clockwise) प्रतीत होगी। [चित्र (b)]
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 1
(ii) उत्तरी ध्रुव को आकर्षित करने वाला परिनालिका का सिरा उत्तरी ध्रुव (N) होगा। अत: इस सिरे से धारा वामावर्त (Anticlockwise) प्रतीत होगी। (चित्र (a))

प्रश्न 9.
चित्र में तार का आयताकार लूप प्रदर्शित है तार हमें धारा प्रवाहित हो रही है। तार के खण्ड AB के कारण बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मान लिखिए।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 2
उत्तर:
शून्य।
[धारा की दिशा में आगे या पीछे दोनों ओर धारा के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र शून्य होता है।]

प्रश्न 10.
किस परिस्थिति में किसी चुम्बकीय क्षेत्र में रखे धारावाही चालक पर लगने वाला बल शून्य होता है?
उत्तर:
धारावाही चालक को चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर रखने पर चालक पर बल नहीं लगता अर्थात् शून्य हो जाता है।

प्रश्न 11.
विद्युत मोटर में किस प्रकार की ऊर्जा- रूपान्तरण होती है?
उत्तर:
विद्युत ऊर्जा (मुक्त इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा ) का मोटर के आर्मेचर (कुण्डली) की घूर्णन गति की गतिज ऊर्जा में।

प्रश्न 12.
विद्युत मोटर में ‘क्षेत्र चुम्बक’ का कार्य क्या है?
उत्तर:
क्षेत्र चुम्बक से वह चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न किया जाता है, जिसमें स्थित धारावाही कुण्डली पर चुम्बकीय बल-आघूर्ण उत्पन्न होता है तथा वह घूर्णन करती है।

प्रश्न 13.
विद्युत मोटर में ‘आर्मेचर’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
नर्म लोहे के क्रोड (core) पर ताँबे के विद्युत अवरोधित तारों की वह कुण्डली जो चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित होती है तथा जिसमें धारा प्रवाहित होने पर, कुण्डली का घूर्णन होता है, आर्मेचर (Armature) कहलाती हैं।

प्रश्न 14.
स्वतंत्रतापूर्वक लटकी परिनालिका में धारा प्रवाहित करने पर यह उत्तर:दक्षिण दिशा में ही क्यों रुकती है?
उत्तर:
परिनालिका में धारा प्रवाहित करने पर यह एक चुम्बकीय द्विध्रुव (Magnetic Dipole) बन जाती है तथा पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में (जिसकी दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर होती है) स्थित होने के कारण पर चुम्बकीय बल आघूर्ण है, जो इसे घुमाकर (चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर) दिशा में ले आता है।

प्रश्न 15.
धारावाही चालक पर चुम्बकीय क्षेत्र के कारण लगने वाले बल का सूत्र लिखिए। यह बल किस दशा में अधिकतम और किस दशा में न्यूनतम होता है?
उत्तर:
F = iBl sine. जब धारावाही चालक क्षेत्र के लम्बवत् है तो चालक पर आरोपित बल अधिकतम (iBl) होता है जब धारावाही चालक क्षेत्र की दिशा में है तो चालक पर आरोपित बल न्यूनतम (शून्य) होता है।

प्रश्न 16.
टेस्ला की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र B के S. I मात्रक न्यूटन. ऐम्पियर-1 मीटर-1 को वेबर मीटर-2 तथा टेस्ला कहा जाता है।
अर्थात् 1 टेस्ला = 1 वेबर मीटर-2
= 1 न्यूटन ऐम्पियर-1, मीटर-1

प्रश्न 17.
यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करने वाले उपकरण का नाम लिखिए।
उत्तर:
विद्युत जनित्र (Electric Generator) अथवा डायनमो (Dynamo)।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 18.
‘फ्लक्स घनत्व’ की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
चुम्बकीय फ्लक्स तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् किसी तल के क्षेत्रफल को निष्पत्ति फ्लक्स घनत्व कहलाते हैं।

प्रश्न 19.
विद्युत जनित्र कितने प्रकार के होते हैं? नाम लिखिए।
उत्तर:
दो प्रकार के –

  • प्रत्यावर्ती धारा जनित्र
  • दिष्ट धारा जनित्र।

प्रश्न 20.
विद्युत जनित्र का क्या उपयोग है?
उत्तर:
यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग करके विद्युत ऊर्जा का उत्पादन।

प्रश्न 21.
दिष्ट धारा जनित्र के उस भाग का नाम लिखें-
(i) जिसमें विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है।
(ii) जो धारा की दिशा का परिवर्तन करता है।
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है।
उत्तर:
(i) आर्मेचर कुण्डली
(ii) विभक्त वलय दिशा परिवर्तक
(iii) क्षेत्र- चुम्बक।

प्रश्न 22.
लेन्ज का नियम क्या है?
उत्तर:
लेन्ज के नियम के अनुसार, प्रेरित विद्युत वाहक बल सदैव उस कारण का विरोध करता जिसके द्वारा बल स्वयं उत्पन्न होता है।

प्रश्न 23.
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता तथा चुम्बकीय फ्लक्स में संबंध लिखें।
उत्तर:
किसी क्षेत्र से गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स Φ = B.A. cos θ जबकि B = चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता; A = क्षेत्र का क्षेत्रफल।
θ = चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा का क्षेत्र पर अभिलम्ब से झुकाव।

प्रश्न 24.
ऐसा कब हो सकता है कि चुम्बकीय क्षेत्र में रखी कुण्डली से होकर गुजरने वाला फ्लक्स शून्य हो?
उत्तर:
जब कुण्डली का तल चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा समान्तर हो।

प्रश्न 25.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित कुण्डली से होकर गुजरने वाले फ्लक्स का मान अधिकतम कब होता है?
उत्तर:
जब चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कुण्डली के तल के अभिलम्बवत् हो।

प्रश्न 26.
चुम्बकीय फ्लक्स अदिश राशि है अथवा सदिश।
उत्तर:
अदिश राशि है।

प्रश्न 27.
‘वेबर’ किस भौतिक राशि का मात्रक है?
उत्तर:
चुम्बकीय फ्लक्स का।

प्रश्न 28.
एक लम्बा क्षैतिज तार पूर्व-पश्चिम दिशा में फैला है। यदि तार ऊर्ध्वाधर दिशा में ऊपर से नीचे की ओर गिरे तो बताइए-
(i) क्या तार में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण होगा,
(ii) यदि हाँ तो तार में प्रेरित धारा की दिशा क्या होगी?
उत्तर:
(i) पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में उसकी दिशा के लम्बवत् तार की गति के कारण विद्युत चुम्बकीय प्रेरण होगा।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 3
(ii) यदि तार किसी बंद परिपथ का भाग है तो फ्लेमिंग के दक्षिण- हस्त नियम के अनुसार तार में प्रेरित धारा की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर होगी।

प्रश्न 29.
किसी बैटरी से बल्ब में प्रवाहित धारा कैसी होती है, A. C. या D. C.?
उत्तर:
D.C.

प्रश्न 30.
किसी सेल से प्रवाहित धारा का समय-धारा ग्राफ बनाइए।
उत्तर:
चित्र के अनुसार धारा का मान नियत रहेगा, अतः ग्राफ की रेखा x अक्ष के समान्तर होगी तथा x अक्ष से उसकी दूरी, yoy’ x धारा i के मान को व्यक्त करेगी।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 4

प्रश्न 31.
प्रत्यावर्ती धारा को ‘प्रत्यावर्ती’ क्यों कहते हैं?
उत्तर:
प्रत्यावर्ती धारा की दिशा एक निश्चित आवर्त काल में विपरीत दिशाओं में बदलती (प्रति आवर्तित) रहती है अतः इसे ‘प्रत्यावर्ती’ कहते हैं।

प्रश्न 32.
घरों में प्रयुक्त विद्युत धारा की आवृत्ति कितनी होती है?
उत्तर:
50 हज।

प्रश्न 33.
L लम्बाई के एक सीधे चालक तार को B चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता वाले चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रखने पर उसमें I धारा प्रवाहित की जाती है। चालक तार पर कितना बल लगेगा?
उत्तर:
चालक तार पर लगने वाला बल = I.B.L. न्यूटन।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
‘चुम्बकीय क्षेत्र’ का क्या अर्थ है? यह कैसे ज्ञात होता है कि पृथ्वी के सभी स्थानों पर चुम्बकीय क्षेत्र होता है?
उत्तर:
किसी चुम्बकीय वस्तु अथवा किसी धारावाही चालक (अथवा गतिमान आवेश) के आसपास का वह क्षेत्र जिसमें स्थित अन्य किसी चुम्बकित वस्तु या धारावाही चालक (अथवा गतिमान आवेश) पर चुम्बकीय बल का अनुभव हो, चुम्बकीय क्षेत्र कहलाता है।

पृथ्वी के सभी स्थानों पर यदि किसी चुम्बकीय सुई को स्वतंत्रतापूर्वक लटका कर उसे छोड़ दिया जाय तो वह घूमकर, किसी एक निश्चित दिशा (उत्तर:दक्षिण) में आ जाती है। इससे सिद्ध होता है कि पृथ्वी पर स्थित चुम्बकीय सुई, उसे निश्चित दिशा में लाने वाले बल का अनुभव करती है। अतः पृथ्वी के सभी स्थानों पर चुम्बकीय क्षेत्र है।

प्रश्न 2.
यह कैसे ज्ञात होता है कि धारावाही तार चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है?
उत्तर:
यदि किसी धारावाही तार के निकट एक चुम्बकीय सुई रखी जाय तो सुई अपनी सामान्य (उत्तर-दक्षिण) स्थिति से घूम जाती है। इसी प्रकार यदि धारावाही तार के समान्तर दूसरा धारावाही तार जो गति के लिए स्वतंत्र हो, रखा जाय तो दूसरा धारावाही तार अपने स्थान से हट जाता है। इससे सिद्ध होता है कि धारावाही तार से चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है, जो चुम्बकीय सुई अथवा दूसरे धारावाही तार पर चुम्बकीय बल लगाता है।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 3.
फ्लेमिंग का वाम हस्त नियम लिखिए।
उत्तर:
‘यदि बायें हाथ की दो उँगलियों तथा अँगूठे को परस्पर लम्बवत् दिशाओं में इस प्रकार फैलाया जाय कि पहली उँगली (तर्जनी) चुम्बकीय क्षेत्र (B) की दिशा को दूसरी उंगली (मध्यमा) विद्युत धारा (I) की दिशा को व्यक्त करे तो अँगूठा चुम्बकीय बल (F) की दिशा को व्यक्त करता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 5

प्रश्न 4.
आरेख बनाकर किसी सीधे धारावाही तार के चुम्बकीय क्षेत्र की एक क्षेत्र-रेखा को प्रदर्शित कीजिए। धारा एवं क्षेत्र की दिशाएँ भी अंकित कीजिए।
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 6

प्रश्न 5.
उपयुक्त आरेख बनाकर ‘चुम्बकीय क्षेत्र रेखा’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा सीधी अथवा वक्र रेखाओं से प्रदर्शित की जा सकती है इन रेखाओं को चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ कहते हैं।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 7
चुम्बकीय क्षेत्र में किसी बिन्दु (P) पर चुम्बकीय क्षेत्र (B) की दिशा, उस बिन्दु से गुजरने वाली क्षेत्र रेखा पर खींचे गये स्पर्शी (Tangent) की दिशा से व्यक्त होती है।

प्रश्न 6.
मैक्सवेल का कार्क-स्क्र नियम बताइए।
उत्तर:
मैक्सवेल का कार्क स्क्रू नियम (Maxwell’s Cork-screw Rule) – किसी चालक तार में प्रवाहित विद्युत धारा से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा इस नियम से ज्ञात की जा सकती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 8
यदि किसी स्क्रू को दक्षिणावर्त (Clockwise) घुमाया जाय तो स्क्रू की नोक आगे को जाती है, तथा स्क्रू को वामावर्त घुमाने पर स्कू की नोक पीछे आती है। (चित्र)। अब यदि स्क्रू की नोक की गति की दिशा चालक में विद्युत धारा की दिशा को व्यक्त करे तो स्क्रू के घूर्णन की दिशा. चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में, वृत्ताकार क्षेत्र रेखाओं की, (दक्षिणावर्त अथवा वामावर्त) दिशा को प्रदर्शित करती है (चित्र (a) तथा (b))।

प्रश्न 7.
उपयुक्त आरेख बनाकर किसी धारावाही लूप के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा दिखाइए जब लूप में धारा की दिशा आपको (i) वामावर्त, (ii) दक्षिणावर्त दिखायी दे।
उत्तर:
वृत्ताकार लूप के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र रेखा लूप के तल के लम्बवत् होती है। अर्थात् धारावाही लूप के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा, लूप के तल के ठीक
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 9
लम्बवत् होती है। इसकी दिशा भी मैक्सवेल के कॉर्क-स्क्रू नियम से ज्ञात की जा सकती है। अर्थात् यदि स्क्रू के घूर्णन की दिशा, लूप में धारा की दिशा को व्यक्त करे तो स्क्रू की नोक की गति की दिशा, चुम्बकीय क्षेत्र (B) की दिशा को प्रदर्शित करती है।

प्रश्न 8.
धारावाही परिनालिका की चुम्बकीय बल रेखाओं को आरेख बनाकर दर्शाइए। परिनालिका के अन्दर नर्म लोहे की छड़ रखने पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
अथवा
धारावाही परिनालिका में चुम्बकीय बल रेखाएँ खींचिए।
उत्तर:
चित्र से स्पष्ट है कि चुम्बकीय बल रेखायें के एक सिरे से अन्दर की ओर जाती हैं तथा दूसरे सिरे से बाहर निकलती हैं। परिनालिका का वह सिरा जिससे होकर क्षेत्र रेखायें अन्दर की ओर जाती हैं दक्षिणी
चुम्बकीय-ध्रुव की तरह व्यवहार करता है, तथा दूसरा सिरा जिससे क्षेत्र रेखायें बाहर निकलती हैं, उत्तरी ध्रुव की तरह व्यवहार करता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 10
परिनालिका के अन्दर नर्म लोहे की छड़ रखने पर नर्म लोहे की छड़ चुम्बकित हो जायेगी।

प्रश्न 9.
किस धारावाही चालक के चुम्बकीय क्षेत्र के लिए लाप्लास का सूत्र लिखिए तथा चुम्बकीय पारगम्यता का मान लिखिए।
उत्तर:
लाप्लास का सूत्र (Laplace’s Formula)
∆B = \(\frac{\mu_0}{4 \pi} \times \frac{i \times \Delta l \times \sin \theta}{r^2}\)
चुम्बकीय पारगम्यता का मान 4π x 10-7 न्यूटन / ऐम्पियर² होता है।

प्रश्न 10.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारावाही चालक पर चुम्बकीय बल का सूत्र लिखिए तथा चुम्बकीय क्षेत्र का मात्रक प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
यदि तीव्रता B के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा से कोण θ बनाते हुए स्थित, लम्बाई l के चालक में विद्युत धारा i प्रवाहित हो तो चालक पर चुम्बकीय बल F = B.i.l sinθ
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 11

प्रश्न 11.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारावाही चालक पर चुम्बकीय बल शून्य है। ऐसा किस दशा में संभव है, यदि धारा तथा चुम्बकीय क्षेत्र दोनों अशून्य (Non-zero) हों?
उत्तर:
चुम्बकीय बल F = B.i.l sinθ
यदि धारा (i) तथा चुम्बकीय क्षेत्र (B) शून्य नहीं है तो चुम्बकीय बल तभी शून्य होगा जब sin θ = 0° हो। अतः इस दशा में 0 = 0° अर्थात् चालक में धारा की दिशा तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा परस्पर समान्तर हों।

प्रश्न 12.
धारा की दिशा बदलने पर परिनालिका की ध्रुवता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
परिनालिका में धारा की दिशा बदलने पर उत्तरी ध्रुव दक्षिणी ध्रुव के समान तथा दक्षिणी ध्रुव उत्तरी ध्रुव के समान व्यवहार करने लगेगा।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 13.
सम्बन्धित सूत्र देकर बताइए कि अनन्त लम्बाई के धारावाही तार के निकट किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता किन कारकों पर किस प्रकार निर्भर करती है?
अथवा
अनन्त लम्बाई के सीधे धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
अनंत लम्बाई के सीधे तार से लम्बवत् दूरी r पर किसी बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता,
B = \(\frac{\mu_0}{4 \pi} \cdot \frac{2 \mathrm{I}}{r}\)
जबकि I तार में प्रवाहित धारा की तीव्रता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 12
अतः अनन्त लम्बाई के धारावाही तार के चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता:

  • तार में धारा की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती, तथा
  • तार से लम्बवत् दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होती है।

प्रश्न 14.
चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेश पर लॉरेन्ज बल का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
लॉरेन्ज बल F = q.u.B. sin θ जबकि q = आवेश की मात्रा v = आवेश की चाल, B = चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता तथा θ = आवेश की गति की दिशा तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच कोण।

प्रश्न 15.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में गति करता हुआ विद्युत आवेश अपने ऋजुरेखीय मार्ग से विक्षेपित क्यों हो जाता है?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र में गति करते हुए आवेशित कण पर उसकी गति की दिशा के लम्बवत् चुम्बकीय बल लगता है। इसके प्रभाव से कण में अपनी गति की दिशा के लम्बवत् भी विस्थापन होता रहता है। अतः कण ऋजुरेखीय मार्ग से मुड़ता जाता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 13

प्रश्न 16.
किसी धातुखण्ड में बिना धारा प्रवाहित किये भी मुक्त इलेक्ट्रॉन निरन्तर गतिमान रहते हैं परन्तु उनकी गति से चालक के बाहर कोई चुम्बकीय क्षेत्र नहीं उत्पन्न होता। क्यों?
उत्तर:
मुक्त इलेक्ट्रॉनों की गति यादृच्छ होती है अर्थात् किसी भी क्षण पर चालक में जितने इलेक्ट्रॉन किसी एक ओर को गति करते हैं, लगभग उतने ही इलेक्ट्रॉन विपरीत दिशा में भी गति करते होते हैं। अतः चालक के बाहर किसी बिन्दु पर दो समान चुम्बकीय क्षेत्र विपरीत दिशाओं में उत्पन्न होते हैं, जिनका परिणामी शून्य होता है अथवा यादृच्छ गति में, किसी भी समय अन्तराल में इलेक्ट्रॉन का परिणामी विस्थापन शून्य होता है, जिससे मुक्त इलेक्ट्रॉनों का प्रभावी वेग शून्य होता है अतः उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र भी शून्य होता है।

प्रश्न 17.
दिये गये चित्र में धारावाही परिनालिका के सिरों पर उत्पन्न चुम्बकीय ध्रुवों के नाम अपनी उत्तर पुस्तिका में प्रदर्शित कीजिए।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 14
उत्तर:
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 15

प्रश्न 18.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में गतिशील आवेश पर लगने वाला बल किन-किन बातों पर निर्भर करता है? इस बल के लिए आवश्यक सूत्र लिखिए।
उत्तर:
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में गतिशील आवेश पर लगने वाला बल निम्नलिखित बातों पर निर्भर करता है-

  • आवेश की चाल
  • चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता,
  • आवेश की मात्रा
  • आवेश की गति की दिशा तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच कोण।

बल F = q.vB sinθ
जहाँ
q = आवेश की मात्रा
v = आवेश की चाल
B = चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
θ = आवेश की गति की दिशा तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच कोण

प्रश्न 19.
किसी चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेश पर लगने वाले बल का परिमाण एवं दिशा बताइए।
उत्तर:
किसी चुम्बकीय बल का परिमाण लगने वाले = आवेश गतिमान आवेश पर sin θ होगा।
जहाँ,
q = आवेश की मात्रा
v = आवेश की चाल
B = चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
θ = आवेश की गति की दिशा तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के बीच कोण
चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेश पर लगने वाले बल की दिशा आवेश के वेग की दिशा तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा, दोनों के लम्बवत् होगी।

प्रश्न 20.
‘चुम्बकीय फ्लक्स’ क्या होता है? आवश्यक सूत्र तथा मात्रक लिखिए।
उत्तर:
चुम्बकीय फ्लक्स (Magnetic Flux) – किसी तल से होकर गुजरने वाले संपूर्ण चुम्बकीय क्षेत्र की माप चुम्बकीय फ्लक्स (Magnetic flux) से की जाती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 16
किसी चुम्बकीय क्षेत्र (B) तथा उसके लम्बवत् किसी तल के क्षेत्रफल (A) के गुणनफल को उस क्षेत्र से गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स कहते हैं। अतः
चुम्बकीय फ्लक्स (Φ) = चुम्बकीय क्षेत्र (B) x क्षेत्र के लम्बवत् क्षेत्रफल (A)
यदि यह तल चुम्बकीय क्षेत्र B की दिशा से झुका हुआ रखा हो तो चुम्बकीय फ्लक्स की गणना में चुम्बकीय क्षेत्र का वह घटक लेना पड़ता है जो दिए हुए तल के लम्बवत् हो। जैसे यदि तल पर खींचा गया अभिलम्ब क्षेत्र की दिशा से θ कोण बनाये, चित्र (ख), तो इस तल से गुजने वाला चुम्बकीय फ्लक्स
Φ = B.cos θ × A = B.A cos θ
स्पष्ट है कि जब तल चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् होता है तो उसमें होकर अधिकतम चुम्बकीय फ्लक्स गुजरता है जिसका मान Φ = B.A cos 0° = B.A होता है। यदि यह तल चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर होता है तो उसमें होकर गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स शून्य होता है।
चुम्बकीय फ्लक्स का SI मात्रक न्यूटन मीटर / ऐम्पियर है, जिसे वेबर (Weber) कहते हैं।
चुम्बकीय फ्लक्स का मात्रक निम्नवत् प्राप्त किया जा सकता है-
Φ = B.A.
अतः Φ का मात्रक B का मात्रक x A का मात्रक
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 17

प्रश्न 21.
किसी गतिमान चालक में विद्युत-चुम्बकीय प्रेरण किस प्रकार होता है?
उत्तर:
चित्र में एक आयताकार चालक दिखाया गया है जिसकी भुजाओं का कुछ भाग चुम्बकीय क्षेत्र (B) में स्थित है। यदि चालक को बायीं ओर किसी वेग (v) से चलाया जाय तो धारामापी में विक्षेप होता है जो चालक में विद्युत वाहक बल की उत्पत्ति को व्यक्त करता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 18
यदि चालक को दाहिनी ओर चलाया जाय तो धारामापी में विक्षेप विपरीत दिशा में होता है। उपर्युक्त प्रयोग में चालक के आसपास के चुम्बकीय क्षेत्र में कोई परिवर्तन नहीं होता यह विद्युत चुम्बकीय प्रेरण, चुम्बकीय फ्लक्स रेखाओं तथा चालक के बीच सापेक्ष गति होने से उत्पन्न होता है। इस दशा में चुम्बकीय क्षेत्र चाहे समरूप हो या परिवर्तनीय, उसके सापेक्ष गति होने से ही प्रेरण होता है।

इस प्रयोग में यह आवश्यक है कि चालक की गति चुम्बकीय फ्लक्स रेखाओं के लम्बवत् तल में फ्लक्स रेखाओं को काटते हुए हो। उपर्युक्त उदाहरण में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण चालक के केवल OR भाग में होता है जो फ्लक्स रेखाओं को काटते हुए गति करता है। चालक के PQ तथा SR भाग में, जो क्षेत्र रेखाओं को काटते हुए गति नहीं करते, विद्युत चुम्बकीय प्रेरण नहीं होता है अतः जब कोई चालक, किसी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् दिशा में क्षेत्र रेखाओं को काटते हुए गति करता है तो चालक में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है।

प्रश्न 22.
फ्लेमिंग के दायें हाथ का नियम लिखिए। दायें हाथ के अंगूठे का नियम क्या है?
अथवा
उत्तर:
यदि हम अपने दायें हाथ का अंगूठा, उसके पास वाली अँगुली (Forefinger) तथा बीच वाली अँगुली (Middle finger) को इस प्रकार फैलायें कि तीनों परस्पर लम्बवत् रहें और यदि अँगूठे के पास की अँगुली चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा तथा अंगूठा चालक की गति की दिशा प्रदर्शित करे तो बीच वाली अँगुली प्रेरित धारा की दिशा बतायेगी।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 19

प्रश्न 23.
‘प्रत्यावर्ती धारा’ का क्या अर्थ है? किसी विद्युत सेल द्वारा प्राप्त धारा से प्रत्यावर्ती धारा किस प्रकार भिन्न होती है? आवश्यक समय-धारा ग्राफ बनाकर समझाइए।
उत्तर:
प्रत्यावर्ती धारा (Alternating Current) – प्रत्यावर्ती धारा वह वैद्युत धारा है जिसका परिमाण एवं दिशा आवर्त रूप में बदलती रहती है। विद्युत जनित्र एवं A. C. डायनमो द्वारा प्राप्त धारा प्रत्यावर्ती धारा होती है। प्रत्यावर्ती धारा एवं समय के मध्य खींचा गया ग्राफ एक ज्या वक्र होता है जैसा कि चित्र में प्रदर्शित किया गया है। OABCD विद्युत जनित्र की कुण्डली के एक चक्कर को प्रदर्शित करता है अर्थात् कुण्डली के प्रत्येक चक्कर में धारा की दिशा दो बार (ग्राफ में बिन्दु B तथा FT पर) बदलती है। ऐसा प्रत्येक चक्र में होता है। ग्राफ से स्पष्ट है कि धारा का मान भी समय के साथ बढ़ता-घटता रहती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 20
किसी विद्युत सेल से प्राप्त धारा एकदिशीय होती है तथा इसका मान भी नियत रहता है- अर्थात् समय परिवर्तन के साथ बढ़ता घटता नहीं इसका समय धारा ग्राफ चित्र में प्रदर्शित है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 21

प्रश्न 24.
दिष्ट धारा जनित्र उत्पन्न विद्युत वाहक बल, किसी बैटरी से प्राप्त विद्युत वाहक बल से किस प्रकार भिन्न होता है? आवश्यक समय-धारा ग्राफ बनाकर बताइए।
उत्तर:
बैटरी का विद्युत वाहक बल नियत होता है अर्थात् समय परिवर्तन के साथ बढ़ता घटता नहीं, जबकि दिष्ट धारा जनित्र से प्राप्त विद्युत वाहक बल समय के साथ, शून्य से निश्चित मान E के बीच, एक निश्चित समय में बढ़ता घटता रहता है। जनित्र के आर्मेचर कुंडल के प्रत्येक घूर्णन में यह दो बार शून्य तथा दो बार अधिकतम हो जाता है [चित्र (क) तथा (ख)]
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 22

प्रश्न 25.
दिष्ट धारा जनित्र में आर्मेचर में उत्पन्न विद्युत बल तथा बाह्य परिपथ में प्राप्त विद्युत वाहक बल में क्या अन्तर होता है तथा क्यों?
उत्तर:
दिष्ट धारा जनित्र के आर्मेचर में उत्पन्न विद्युत वाहक बल प्रत्यावर्ती होता है अर्थात् इसकी ध्रुवता एक निश्चित आवृत्ति से बदलती रहती है, जबकि इससे बाह्य परिपथ में प्राप्त विद्युत वाहक बल दिष्ट अर्थात् एकदिशीय होता है। इसकी ध्रुवता समय के साथ परिवर्तित नहीं होती। इसका कारण दिष्ट धारा जनित्र में दिशा परिवर्तक (Commutator) का उपयोग है जो आर्मेचर के सिरों का बाह्य परिपथ के सिरों से संपर्क को ठीक उस क्षण पर पलट देता है, जब आर्मेचर के सिरों पर विद्युत वाहक बल की ध्रुवता बदलती है।

प्रश्न 26.
चित्र में एक-दूसरे के निकट स्थित दो कुण्डलियाँ प्रदर्शित हैं। कारण देते हुए बताइए कि धारामापी G में विक्षेप होगा या नहीं-
(i) कुंजी K को दबाते ही,
(ii) कुंजी को देर तक दबाये रखने पर,
(iii) कुंजी को छोड़ने पर।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 23
उत्तर:
(i) कुंजी K दबाने के पहले परिपथ में धारा तथा चुम्बकीय फ्लक्स शून्य है। कुंजी दबाते ही धारा चालू होने के समय कुण्डली A में धारा प्रवाह के कारण चुम्बकीय फ्लक्स उत्पन्न होगा अर्थात् फ्लक्स की वृद्धि 0 से किसी मान तक होगी। इसके कारण कुण्डली B में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण होने से धारा प्रवाहित होगी तथा धारामापी में विक्षेप होगा परंतु कुण्डली A में धारा का मान स्थिर हो जाने पर का मान भी स्थिर हो जायगा अर्थात् फ्लक्स – परिवर्तन रुक जाएगा। अतः कुण्डली B में धारा शून्य हो जायगी। इस प्रकार कुंजी K को दबाने पर धारामापी में एक क्षणिक विक्षेप होगा।

(ii) कुंजी K को दबाये रखने पर G में विक्षेप शून्य रहेगा, क्योंकि में धारा नियत रहने के कारण फ्लक्स- परिवर्तन शून्य रहेगा तथा B में प्रेरण नहीं होगा।

(iii) कुंजी छोड़ने पर धारामापी में पुनः क्षणिक विक्षेप विपरीत दिशा में होगा क्योंकि इस क्षण पर A में धारा का मान शून्य होने के दौरान, B में फ्लक्स का मान 6 से 0 तक घटेगा जिससे विद्युत चुम्बकीय प्रेरण से उत्पन्न धारा विपरीत दिशा में एक क्षण के लिए प्रवाहित होगी।

प्रश्न 27.
विद्युत जनित्र में ऊर्जा रूपान्तरण किस प्रकार का होता है? यह रूपान्तरण, विद्युत मोटर में होने वाले ऊर्जा रूपान्तरण से किस प्रकार भिन्न होता है?
उत्तर:
विद्युत जनित्र द्वारा यांत्रिक ऊर्जा (आर्मेचर की घूर्णन गतिज ऊर्जा) का रूपान्तरण विद्युत ऊर्जा में किया जाता है। विद्युत मोटर में इसके ठीक विपरीत, विद्युत ऊर्जा का रूपांतरण यांत्रिक ऊर्जा (आर्मेचर की घूर्णन गतिज ऊर्जा) होता है।

प्रश्न 28.
दिष्ट धारा मोटर तथा दिष्ट धारा जनित्र की रचनाएँ समान होती हैं? क्या एक ही यंत्र का प्रयोग दोनों प्रकार किया जा सकता है? यदि हाँ, तो कैसे?
उत्तर:
हाँ। यदि यंत्र के आर्मेचर में किसी बाहरी विद्युत धारा प्रवाहित की जाय तो आर्मेचर घूमने लगेगा – अर्थात् मोटर का कार्य करेगा। इसके विपरीत यदि आर्मेचर को किसी अन्य उपकरण (जैसे पेट्रोल या डीजल इंजन) की सहायता से घुमाया जाय तो आर्मेचर में विद्युत वाहक बल उत्पन्न होगा, जिससे बाह्य परिपथ में प्रवाहित की जा सकेगी। इस समय यंत्र दिष्ट धारा जनित्र का कार्य करेगा।

प्रश्न 29.
चित्र के अनुसार, एक दण्ड चुम्बक, तार के लूप की ओर गति कर रहा है। दूसरी ओर से प्रेक्षक के अनुसार लूप में धारा वामावर्त होगी या दक्षिणावर्त। कारण स्पष्ट करते हुए बताइए।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 24
उत्तर:
दण्ड चुम्बक का N ध्रुव लूप की ओर गति करता है। इसका विरोध करने हेतु लूप का जो फलक चुम्बक की ओर है वह N ध्रुव बनेगा, जिससे वह चुम्बक प्रतिकर्षित करके दूर हटाए। तदनुसार प्रेक्षक की ओर का लूप का फलक S ध्रुव बनेगा, अतः प्रेक्षक की ओर से देखने पर लूप में प्रेरित धारा दक्षिणावर्त (Clockwise) होगी।

प्रश्न 30.
चित्र में दो कुण्डलियाँ P तथा S प्रदर्शित हैं। उपयुक्त नियम देते हुए बताइए कि कुंजी K को बंद करते तथा खोलते समय कुण्डली S में धारा की दिशा क्या होगी?
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 25
उत्तर:
कुंजी को बन्द करते समय P में धारा दक्षिणावर्त है, जिससे कुण्डली के केन्द्र पर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होगा। इस क्षेत्र की उत्पत्ति का विरोध तब होगा जब कुण्डली S द्वारा केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा विपरीत हो, अतः S में धारा की दिशा P में धारा की दिशा के विपरीत अर्थात् वामावर्त होगी।

कुंजी खोलते समय P का चुम्बकीय क्षेत्र घटेगा अतः इसका विरोध करने के लिए S में प्रेरित धारा P की समाप्त होने वाली धारा की ही दिशा में अर्थात दक्षिणावर्त होगी।

प्रश्न 31.
चित्र के अनुसार, एक दण्ड चुम्बक कुण्डली से होकर एक दिशा से दूसरी ओर ले जाने पर कुण्डली में प्रवाहित धारा की दिशा बदल जाती है। इसका कारण समझाइए।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 26
उत्तर:
चुम्बक का कुण्डली की ओर जाते समय कुण्डली से होकर जाने वाला चुम्बकीय फ्लक्स बढ़ता है तथा चुम्बक के दूसरी ओर बाहर जाते समय यही चुम्बकीय फ्लक्स घटता है। अतः कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा पलट जाती है।

प्रश्न 32.
चित्र में x, कागज के तल के लम्बवत् भीतर को प्रवेश करती हुई चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ हैं। यदि कुण्डली को इन क्षेत्र रेखाओं को काटते हुए तीर से प्रदर्शित दिशा में चलाया जाय तो कुण्डली में प्रेरित धारा की दिशा ज्ञात कीजिए, जब कुंजी K (i) खुली हो, (ii) बंद हो। उत्तर का उचित तर्क दीजिए। (iii) कुण्डली में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण किस दिशा में हो सकता है?
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 27
उत्तर:
(i) और (ii) कुंजी के खुले रहने या बंद रहने पर, किसी भी दशा में, कुण्डली में प्रेरित धारा शून्य ही रहेगी, क्योंकि तीर की दिशा में गति कराने पर कुण्डली से होकर गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स का मान परिवर्तित नहीं होगा [चुम्बकीय क्षेत्र एकसमान है तथा कुण्डली का क्षेत्रफल भी नियत है।

(iii) जब कोई चालक, किसी चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् दिशा में क्षेत्र रेखाओं को काटते हुए गति करता है जो चालक में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है।

प्रश्न 33.
‘विद्युत प्रेरण’, ‘चुम्बकीय प्रेरण’ तथा ‘विद्युत चुम्बकीय प्रेरण’ में अन्तर बताइए।
उत्तर:
यदि किसी आवेशित वस्तु के निकट किसी चालक पदार्थ की अनावेशित वस्तु को लाया जाता है तो अनावेशित वस्तु के दोनों सिरों पर विपरीत प्रकृति का आवेश उत्पन्न हो जाता है। चालक के आवेशित होने की इस प्रक्रिया को ‘विद्युतप्रेरण’ कहते हैं।

चुम्बकीय क्षेत्र में रखने से किसी पदार्थ के चुम्बकित हो जाने की प्रक्रिया को ‘चुम्बकीय प्रेरण’ कहते हैं। समय के साथ परिवर्तनीय चुम्बकीय क्षेत्र के प्रभाव से विद्युत वाहक बल उत्पन्न होने की प्रक्रिया को ‘विद्युत -चुम्बकीय प्रेरण’ कहते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
उदाहरण देकर समझाइए कि चुम्बकीय बल किस प्रकार उत्पन्न होता है तथा किन वस्तुओं पर कार्य करता है?
उत्तर:
चुम्बकीय बल (Magnetic Force) –
(i) प्राय: यह देखा जाता है कि स्वतंत्रतापूर्वक लटकी हुई अथवा किसी कीली (Pivot) पर टिकी हुई चुम्बकीय सुई जिसे कम्पास सुई (Compass needle) भी कहते हैं, उत्तर: दक्षिण दिशा में ठहरी रहती है। यदि सुई को उसकी स्थिति से किसी ओर घुमाकर छोड़ दिया जाय तो वह पुनः उत्तर:दक्षिण दिशा में लौट आती है इसका अर्थ यह है कि इस सुई पर कोई बल आघूर्ण (Torque) कार्य करता है, जो सुई को उत्तर: दक्षिण दिशा में बनाये रखने का प्रयास करता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 28

(ii) उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरी हुई चुम्बकीय सुई के निकट यदि किसी दण्ड चुम्बक (Bar-magnet) का कोई सिरा लाया जाय तो सुई अपनी उत्तर:दक्षिण दिशा से विचलित हो जाती है तथा कुछ घूमकर किसी अन्य दिशा में स्थिर होती है। इसका अर्थ है कि दण्ड चुम्बक भी सुई पर कोई बल आघूर्ण आरोपित करता है।

(iii) यदि किसी चालक तार में विद्युत धारा प्रवाहित हो रही हो तो चुम्बकीय सुई को तार के निकट लाने पर भी वह अपनी उत्तर:दक्षिण की दिशा से विचलित हो जाता है।
अर्थात् तार में प्रवाहित विद्युत धारा भी चुम्बकीय सुई पर बल आघूर्ण उत्पन्न करती है।

(iv) यह भी देखा जाता है कि उपर्युक्त दशाओं में बल-आघूर्ण केवल चुम्बकीय सुई अथवा किसी अन्य चुम्बकीय सुई अथवा किसी अन्य चुम्बकित वस्तु पर ही लगता है, सामान्य अचुम्बकित वस्तुओं पर नहीं। उपर्युक्त उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि चुम्बकीय सुई पर लगने वाला बल आघूर्ण किसी विशेष प्रकार के बल के कारण उत्पन्न होता है, जो चुम्बकित वस्तुओं तथा विद्युत धारा से सम्बन्धित है। इस विशेष बल को जो किसी चुम्बकित वस्तु में बल-आघूर्ण उत्पन्न करता है, चुम्बकीय बल (Mag- netic Force) कहते हैं।

उपर्युक्त उदाहरणों से यह भी ज्ञात होता है कि-

  • चुम्बकीय बल किसी चुम्बकित वस्तु (जैसे- दण्ड चुम्बक, चुम्बकीय सुई, पृथ्वी) अथवा किसी विद्युत धारा के द्वारा आरोपित किया जाता है।
  • चुम्बकीय बल का अनुभव किसी चुम्बकित वस्तु द्वारा अथवा किसी धारावाही चालक द्वारा ही होता है।

प्रश्न 2.
(क) ‘चुम्बकीय क्षेत्र’ से क्या तात्पर्य है? यह किस प्रकार उत्पन्न होता है?
(ख) ‘चुम्बकीय क्षेत्र रेखा’ से क्या तात्पर्य है? इनके लक्षण लिखिए तथा बताइए कि किसी स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं से चुम्बकीय क्षेत्र के बारे में क्या जानकारी प्राप्त होती है?
उत्तर:
(क) चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field) – किसी चुम्बकित वस्तु अथवा किसी धारावाही चालक के आस-पास का वह क्षेत्र, जिसमें चुम्बकीय बल का अनुभव किया जा सके, चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field) कहलाता है।

अर्थात् यदि किसी स्थान पर स्थित चुम्बकित वस्तु अथवा धारावाही चालक पर चुम्बकीय बल का अनुभव हो तो कहा जाता है कि उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र है। प्रयोगों से ज्ञात होता है कि-

  • पृथ्वी पर हर स्थान पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र होता है
  • किसी चुम्बकीय वस्तु के आसपास उस वस्तु का चुम्बकीय क्षेत्र होता है, तथा
  • किसी धारावाही चालक के आसपास विद्युत धारा का चुम्बकीय क्षेत्र होता है।

[चूँकि विद्युत धारा का अर्थ विद्युत आवेश की गति है, हम कहते हैं कि किसी गतिमान विद्युत आवेश के आस-पास उसका चुम्बकीय क्षेत्र होता है।]

चुम्बकीय क्षेत्र एक सदिश राशि है-अर्थात् इसकी एक दिशा होती है तथा इसका परिमाण मापा जा सकता है। (ख) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा (Direction of Magnetic Field) – किसी स्थान पर स्थिर अवस्था में रुकी हुई चुम्बकीय सुई के उत्तरी (N) एवं दक्षिणी (S) ध्रुवों को मिलाने वाली ऋजुरेखा, उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को व्यक्त करती है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा चुम्बकीय सुई के दक्षिणी ध्रुव, (S) से उत्तरी ध्रुव (N) की ओर मानी जाती है। चुम्बकीय क्षेत्र को प्रतीक B से व्यक्त किया जाता है।

उदाहरणतः पृथ्वी के सभी स्थानों पर चुम्बकीय सुई दक्षिण-उत्तर दिशा में स्थिर होती है अतः पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा दक्षिण से उत्तर की ओर होती है।

चुम्बकीय सुई चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता (Intensity of Mag- netic Field) – चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता ( अर्थात् परिमाण) की माप, चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारावाही चालक पर लगने वाले चुम्बकीय बल से की जाती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 30
यदि किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित हो तथा चालक तीव्रता B के चुम्बकीय क्षेत्र में, क्षेत्र की दिशा के लम्बवत् रखा हो तो चालक की लम्बाई पर लगने वाला चुम्बकीय बल (Fm) निम्नलिखित सूत्र से व्यक्त होता है:
Fm = i.B.l … (i)
यदि i = 1 ऐम्पियर
तथा i = 1 मीटर हो तो
Fm = 1 x B x 1 = B
अतः किसी स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता उस बल के परिमाण से व्यक्त होती है जो उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र में लम्बवत स्थित एकांक लम्बाई के चालक में एकांक विद्युत धारा प्रवाहित करने पर कार्य करता है।

चुम्बकीय क्षेत्र का मात्रक (Unit of Magnetic Field)-समीकरण (1) से,
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 31
चुम्बकीय क्षेत्र B का मात्रक वेबर / मीटर² (weber /metr²) भी लिखा जाता है अर्थात् 1 वेबर / मीटर² = 1 न्यूटन / ऐम्पियर मीटर।

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

प्रश्न 3.
प्रयोग द्वारा कैसे ज्ञात कीजिएगा कि किसी स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र है या नहीं तथा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा कैसे ज्ञात कीजिएगा?
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति ज्ञात करने के लिए उस स्थान पर एक हल्की एवं छोटी कम्पास सुई ( Com- pass-needle) रखी जाती है। यदि सुई अपनी सामान्य उत्तर:दक्षिण दिशा से विक्षेपित होकर किसी निश्चित दिशा में ठहरे तो उस स्थान पर (पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के यदि सुई उत्तर दिशा में ही ठहरती हैं तो उस स्थान पर अतिरिक्त) कोई चुम्बकीय क्षेत्र होगा।

पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति को व्यक्त करता है। यदि उस स्थान पर रखी गयी कम्पास सुई किसी भी दिशा में घुमाकर ठहरायी जा सके अर्थात् सुई के ठहरने की कोई निश्चित दिशा न हो तो उस स्थान पर चुम्बकीय क्षेत्र पूर्णत: शून्य होगा।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 32
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा – किसी स्थान पर रखी गयी यथासंभव (कम्पास ) सुई के ध्रुवों को मिलाने वाली रेखा, चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश होती है तथा सुई के दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर माना जाता है। यह व्यावहारिक नियम तभी पूर्णत: सही है जब सुई जितना स्थान घेरती है उसमें चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता एकसमान (Uniform ) हो।

प्रश्न 4.
बायो-सेव का नियम लिखिए तथा सम्बन्धित सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
बायो-सेवर्ट का नियम (Biot-Savart’s (Law) बायो एवं सेवर्ट (Biot and Savart) ने प्रयोगों द्वारा धारावाही चालक से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र प्राप्त किया। इस सूत्र के अनुसार धारावाही चालक के किसी छोटे खण्ड के द्वारा किसी बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता-

  • चालक खण्ड की लम्बाई के अनुक्रमानुपाती
  • चालक में बहने वाली धारा के अनुक्रमानुपाती
  • चालक खण्ड से बिन्दु तक की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती एवं
  • धारा की दिशा एवं चालक खण्ड को बिन्दु से मिलाने वाली रेखा के बीच में बनने वाले कोण ज्या (sine) के अनुक्रमानुपाती होती है।
    JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 33

अर्थात् यदि तार की लम्बाई ∆l, तार में बहने वाली धारा i, तार एवं बिन्दु P के बीच दूरी r तथा इस दूरी की धारा की दिशा में θ ( धीटा) का कोण बनाती हो और यदि बिन्दु P पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता B हो, तो बायो एवं सेवर्ट के नियमानुसार
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 34
μ0 एक नियतांक है, जिसे निर्वात (अथवा वायु) की चुम्बकशीलता अथवा चुम्बकीय पारगम्यता (Magnetic permeability) कहते हैं। इसका मान 4π x 10-7 न्यूटन / ऐम्पियर² होता है।
तद्नुसार \(\frac{\mu_0}{4 \pi}\)10-7 न्यूटन /ऐम्पियर²

प्रश्न 5.
चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित धारावाही चालक पर बल का सूत्र निगमित कीजिए तथा चुम्बकीय क्षेत्र का मात्रक ज्ञात कीजिए।
अथवा
समान चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित एक धारावाही चालक पर लगने वाले बल के लिए सूत्र लिखिए। इस बल की दिशा ज्ञात करने के लिए किस नियम का उपयोग करना होगा? समझाइए।
उत्तर:
चुम्बकीय क्षेत्र में धारावाही चालक पर बल धारावाही चालक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है अत: जब एक धारावाही चालक को एक बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो धारावाही चालक के चुम्बकीय क्षेत्र और बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के बीच पारस्परिक क्रिया होती है। इसके परिणामस्वरूप चालक पर एक बल कार्य करता है। यह बल बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र के परिमाण, दिशा, चालक में प्रवाहित धारा और चालक की लम्बाई पर निर्भर करता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 35
यदि एक बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र B में स्थित l लम्बाई के एक चालक में, चुम्बकीय क्षेत्र B की दिशा से θ कोण पर विद्युत धारा i प्रवाहित हो रही हो तो उस पर कार्य करने वाला बल
F ∝ B
F ∝ i
F ∝ l
F ∝ sin θ
उपर्युक्त सम्बन्धों को मिलाकर लिखने पर
या,
F ∝ B.i.l. sin θ
F = K x B.i.l. sin θ
जहाँ K एक नियतांक है। चुम्बकीय क्षेत्र B का मात्रक MKS प्रणाली में इस प्रकार चुना गया है कि K का मान 1 हो।
अतः F = B.i.l. sin θ
इस समीकरण के अनुसार यदि धारा चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर या चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में हो तो चालक पर लगने वाला बल (F = Bil sin 0° = 0) शून्य होगा। चालक पर लगने वाले बल की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्त नियम (Fleming’s Left Hand Rule) द्वारा दी जाती है। उपर्युक्त समीकरण से B के मात्रक की परिभाषा निम्नवत् दी जाती है-
B = \(\frac{\mathrm{F}}{i . l \sin \theta}\)
यदि l = 1 मीटर, i = 1 एम्पियर θ = 90° तथा F = 1 न्यूटन हो, तो B = 1 मात्रक होगा।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 36
कभी-कभी B का मात्रक वेबर / मीटर² भी लिखा जाता है।
अतः 1 वेबर / मीटर² = 1 न्यूटन / ऐम्पियर मीटर।

प्रश्न 6.
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण’ से क्या तात्पर्य है? प्रायोगिक उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण (Electro-Magnetic Induction) ‘यदि कोई चालक किसी चुम्बकीय क्षेत्र में फ्लक्स – रेखाओं को काटता हुए गति करे अथवा किसी चालक लूप या कुण्डली से होकर गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन हो तो चालक या लूप में एक विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है। इस घटना की विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहते हैं।’

इसके कुछ व्यावहारिक उदाहरण निम्नवत् हैं-
1. चित्र में एक कुण्डली अथवा परिनालिका प्रदर्शित है जो एक धारामापी से सम्बद्ध है। यदि किसी छड़-चुम्बक के एक सिरे को परिनालिका की ओर लाया जाता है तो धारामापी में विक्षेप होता है। यदि चुम्बक को दूर ले जाया जाता है तो धारामापी में विक्षेप पहले से विपरीत दिशा में होता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 37
छड़ चुम्बक को कुण्डली के निकट लाने से कुण्डली से होकर जाने वाला चुम्बकीय फ्लक्स बढ़ता है तथा दूर ले जाने से घटता है (चित्र)। अतः कुण्डली में विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है, जिससे बन्द परिपथ में धारा बहती है और धारामापी में विक्षेप होता है प्रयोग से स्पष्ट होता है कि कुण्डली में फ्लक्स बढ़ते समय विद्युत वाहक बल एक ओर से तथा फ्लक्स घटते समय दूसरी ओर से लागू होता है।

2. यदि चुम्बक को स्थिर रखकर कुण्डली को चुम्बक के सापेक्ष चलाया जाय तो भी पहले प्रयोग की भाँति ही विद्युत वाहक बल कुण्डली में उत्पन्न होता है।

3. चित्र में एक-दूसरे के निकट स्थित दो कुण्डली दिखाये गये हैं। एक कुण्डली M में एक सेल तथा कुंजी द्वारा इच्छानुसार धारा प्रवाहित की अथवा रोकी जा सकती है। दूसरे कुण्डली N से एक धारामापी सम्बद्ध है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 38
जब कुण्डली M में, कुंजी को बन्द करके धारा प्रारम्भ की जाती है तो कुंजी बन्द करते समय दूसरे कुण्डली में लगे धारामापी में क्षणिक विक्षेप एक ओर को होता है। इसी प्रकार जब कुण्डली M में लगी कुंजी को खोल कर धारा का बहना रोका जाता है तो धारामापी में दूसरी ओर को क्षणिक विक्षेप होता है।

यह विक्षेप धारा के प्रारम्भ होते तथा समाप्त होते समय ही होते हैं अचर धारा बहते रहने पर धारामापी में विक्षेप नहीं होता। इसका अर्थ यह है कि पहले कुण्डली (M) में धारा के प्रारम्भ अथवा समाप्ति के समय दूसरे कुण्डली में विद्युत वाहक बल का क्षणिक प्रेरण होता है।

पहले कुण्डली में धारा का प्रवाह प्रारम्भ करने पर उसका चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है। इस क्षेत्र के कारण दूसरे कुण्डली से होकर चुम्बकीय फ्लक्स प्रवाहित होता है। चूँकि धाराप्रवाह के पूर्व यह फ्लक्स नहीं था, धारा प्रवाहित करने से द्वितीय कुण्डली से होकर जाने वाले फ्लक्स में वृद्धि धारामापी में विक्षेप हुआ। इसी प्रकार पहले कुण्डली में धारा हुई, जिससे उसमें विद्युत वाहक बल का प्रेरण होने से समाप्त होने से द्वितीय कुण्डली से होकर जाने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में कमी होती है, जिससे विपरीत दिशा में विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 39
यदि प्रथम कुण्डली के परिपथ में धारा नियंत्रक (Rheostat) लगा कर धारा का मान घटाया या बढ़ाया जाय तो धारा घटाते समय द्वितीय कुण्डली में एक ओर से तथा धारा बढ़ाते समय दूसरी ओर से विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है। इसका कारण भी कुण्डली से होकर जाने वाले फ्लक्स का घटना या बढ़ना है।

इस प्रकार उपर्युक्त प्रयोगों से यह तथ्य प्राप्त होता है कि जब किसी कुण्डली से होकर जाने वाले चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है तो कुण्डली में विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है। यदि कुण्डली का विद्युत परिपथ बन्द हो तो उसमें प्रेरित धारा (Induced current) प्रवाहित होती है यदि परिपथ खुला हो तो केवल विद्युत वाहक बल प्रेरित होता है, धारा प्रवाहित नहीं होती।

प्रश्न 7.
डायनमो क्या है? प्रत्यावर्ती धारा डायनमो की संरचना एवं कार्यविधि का वर्णन कीजिए।
अथवा
प्रत्यावर्ती धारा डायनमो का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाकर इसकी कार्यविधि समझाइए।
अथवा
प्रत्यावर्ती धारा डायनमो के प्रमुख भागों का विवरण देते हुए इसकी क्रियाविधि स्पष्ट कीजिए तथा समय- विद्युत वाहक बल ग्राफ बनाइए।
अथवा
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण परिघटना के सिद्धान्त पर कार्य करने वाले प्रत्यावर्ती धारा डायनमों के कार्य विधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
डायनमो (Dynamo ) – आधुनिक युग में विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने का प्रमुख यंत्र डायनमो है। यह विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य करता है। डायनमो द्वारा यांत्रिक ऊर्जा का रूपान्तरण विद्युत ऊर्जा (Electrical energy) में किया जाता है।

डायनमो दो प्रकार के होते हैं-

  • प्रत्यावर्ती धारा डायनमो (Alternating Current Dynamo)
  • दिष्ट धारा डायनमो (Direct Current Dynamo)

(1) प्रत्यावर्ती धारा डायनमो (Alternating Current Dynamo ) – संरचना – प्रत्यावर्ती धारा डायनमो के तीन प्रमुख भाग होते हैं-
(i) क्षेत्र चुम्बक (Field magnets) – इसमें N.S. ध्रुव खण्डों वाला एक शक्तिशाली चुम्बक होता है। जिससे N, S के बीच में तीव्र चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न किया जा सके। इस चुम्बकीय क्षेत्र में कुण्डली (Coil) को घुमाया जाता है।

(ii) कुण्डली (Coil) – यह ताँबे के पृथक्कृत तारों की एक कुण्डली abcd होती है जिसे आर्मेचर (Armature) कहते हैं। कुण्डली को मुलायम लोहे के क्रोड पर लपेटा जाता है। इसे ध्रुवों के बीच क्षैतिज अक्ष के परितः भाप के टरबाइन या डीजल या पेट्रोल इंजन द्वारा घुमाया जाता है।

(iii) सप वलय तथा बुश (Slip Rings and Brushes) ताँबे के बने दो छल्ले या सर्पों वलय (slip rings) R1 तथा R2 होते हैं जिनका सम्बन्ध एक ओर तो कुण्डली abcd से आये ताँबे के तारों से होता है तथा दूसरी ओर ग्रेफाइट के दो खुश B1 तथा B2 से होता है। इन बुश का सम्बन्ध बाह्य परिपथ जिसमें धारा भेजनी है, से कर देते हैं। चित्र में बाह्य परिपथ को एक विद्युत बल्ब द्वारा दिखाया गया है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 40
सिद्धान्त (Principle)- जब किसी बन्द कुण्डली को चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है तो उसमें से गुजरने वाली फ्लक्स कारण रेखाओं में निरन्तर परिवर्तन होता रहता है, जिसके कुण्डली में एक प्रेरित विद्युत वाहक बल और बाह्य परिपथ व कुण्डली में प्रेरित विद्युत धारा बहती है। कुण्डली को घुमाने में व्यय यांत्रिक ऊर्जा विद्युत में परिवर्तित हो जाती हैं।

कार्यविधि – (i) चित्र में दिखाए अनुसार कुण्डली चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर है अर्थात् इस समय उत्पन्न प्रेरित विद्युत वाहक बल तथा धारा शून्य होगी।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 41

(ii) जैसे-जैसे कुण्डली दक्षिणावर्त दिशा में घूमती है, उनमें से होकर गुजरने वाली चुम्बकीय बल रेखाओं या फ्लक्स का मान बढ़ता जाता है तथा प्रेरित विद्युत वाहक बल तथा प्रेरित धारा उत्पन्न होती है, जिसकी दिशा फ्लेमिंग के दायें हाथ वाले नियम से जानी जा सकती है। बाह्य परिपथ में इनकी दिशा B1 से B2 की ओर होगी। जब कुण्डली उसी दिशा में घूमते हुए ऊर्ध्वाधर (भुजा AB ऊपर तथा CD नीचे) हो जाती है तो प्रेरित विद्युत वाहक बल तथा धारा अधिकतम होती है। कुण्डली इस बीच 0° से 90° घूम जाती है।

(iii) कुण्डली के और अधिक घूमने पर कुण्डली से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स का मान कम होता जाता है पर तथा कुण्डली के क्षैतिज होने पर (भुजा CD के स्थान AB तथा AB के स्थान पर CD) प्रेरित विद्युत वाहक बल बल तथा विद्युत धारा धीरे-धीरे कम होकर शून्य हो जाती है। कुण्डली इस बीच 90° से 180° के बीच घूम जाती है।

(iv) कुण्डली को और घुमाने पर उसमें से गुजरने चुम्बकीय फ्लक्स का मान फिर से बढ़ना शुरू होता है, परन्तु इस समय यदि धारा की दिशा फ्लेमिंग के दायें हाथ से मालूम की जाय तो वह दिशा (ii) की तुलना में विपरीत दिशा में होगी तथा बाह्य परिपथ में B2 से B की ओर प्रवाहित होगी। कुण्डली के ऊर्ध्वाधर (भुजा CD ऊपर तथा AB नीचे) होने पर प्रेरित विद्युत वाहक बल बल तथा विद्युत धारा अधिकतम होगी। इस बीच कुण्डली 180° से 270° के बीच घूम जाती है।

(v) यदि कुण्डली को और घुमाया जाय, जिससे कि वह दशा (i) की स्थिति में हो तो प्रेरित विद्युत वाहक बल तथा प्रेरित विद्युत धारा का शून्य होगा।

यदि कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल और कुण्डली के घूर्णीय कोण में एक ग्राफ मान कुण्डली के क्षैतिज होने पर खींचा जाय तो वह (चित्र) के अनुसार होगा इस ग्राफ को देखने से ज्ञात होता है कि-

(i) कुण्डली के एक पूरे चक्कर (0° से 360° तक) के एक अर्द्ध-चक्र (0° से 180° तक) में वि. वा. बल का मानधनात्मक तथा दूसरे अर्द्ध-चक्र (180° से 360° तक) में ऋणात्मक होता है। अतः कुण्डली से जुड़े बाह्य परिपथ में प्रवाहित धारा की दिशा क्रमागत रूप से आधे चक्कर में एक और तथा अगले आधे चक्कर में दूसरी (विपरीत) ओर को रहती है। धारा की दिशा के परिवर्तित होते रहने के कारण ऐसी धारा को प्रत्यावर्ती धारा (Alternating Current or A.C.) कहते हैं।

(ii) प्रत्येक चक्र में वि. वा. बल तथा धारा का मान दो बार शून्य (0° तथा 180° पर) तथा दो बार महत्तम मान (+E तथा E) पर होता है।

कुण्डली के लगातार घूमते रहने से क्रमागत चक्करों में विद्युत वाहक बल एवं धारा के यह परिवर्तन एक निश्चित आवर्तकाल (कुण्डली के एक चक्कर का समय) अथवा एक निश्चित आवृत्ति (Frequency) (कुण्डली के चक्करों की संख्या प्रति सेकण्ड ) से दोहरायी जाती है।

प्रश्न 8.
प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) डायनमो तथा दिष्ट धारा (D.C) डायनमो की रचना में मुख्य अन्तर क्या होता है रचना के इस अन्तर का डायनमो से प्राप्त विद्युत वाहक बल पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
प्रत्यावर्ती धारा डायनमो में आर्मेचर से बाह्य परिपथ का संपर्क करने के लिए दो सर्पों वलयों (Slip-Rings) का प्रयोग किया जाता है जिससे परिपथ सिरों का सम्पर्क आर्मेचर कुण्डली के सिरों से स्थायी होता है- अर्थात् आर्मेचर कुण्डली के एक पूर्ण घूर्णन में सिरों के संपर्क परस्पर बदलते नहीं। इससे परिपथ में धारा की दिशा परिवर्ती होती अर्थात् डायनमो का विद्युत वाहक बल प्रत्यावर्ती होता है।

दिष्ट-धारा डायनमो में दो सर्पी वलयों के स्थान पर के लिए एक ही वलय को दो – परिपथ से संपर्क के अर्द्ध-वलयों में विभक्त करके प्रत्येक अर्द्ध-वलय का संपर्क आर्मेचर – कुण्डली के एक सिरे से होता है। इस व्यवस्था से आर्मेचर कुण्डली के के सिरों एवं एवं बाह्य परिपथ सिरों का सम्पर्क प्रत्येक घूर्णन में दो बार परस्पर बदल जाता है। इसके प्रयोग से आर्मेचर में धारा प्रत्यावर्ती होते हुए भी बाहय परिपथ में धारा एक ही दिशा ही दिशा में प्रवाहित होती अर्थात् डायनमो दिष्ट विद्युत वाहक बल होती है, -वाहक बल प्राप्त होता है।

प्रश्न 9.
दिष्ट धारा जनित्र के सिद्धान्त, संरचना एवं क्रियाविधि का का आवश्यक चित्र सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दिष्ट धारा जनित्र (Direct Current Generator) – इसकी रचना प्रत्यावर्ती धारा डायनमो के समान ही होती है। अन्तर केवल इतना है कि इसमें सप वलयों (Slip-rings) के स्थान पर विभक्त वलयों (Split- rings) का उपयोग होता है।

संरचना (Structure) – इसके मुख्य भाग निम्नवत् हैं-
(1) क्षेत्र चुम्बक (Field magnets ) – चित्र में N तथा S ध्रुव खंडों वाला एक शक्तिशाली चुम्बक है। इसका कार्य शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करना है, जिसमें कुण्डली घूमती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 42

(2) आर्मेचर (Armature) – यह एक कच्चे लोहे के बेलन पर पृथक्कृत ताँबे के तार को बहुत से चक्करों में लपेटकर बनायी जाती है। इसे चुम्बक NS के ध्रुवों के बीच बाह्य शक्ति, जैसे पेट्रोल
इंजन या जल शक्ति द्वारा तेजी से घुमाया जाता है।

(3) विभक्त वलय (Split-rings) – विभक्त वलय पीतल के खोखले बेलन को उसकी लम्बाई के अनुदिश काटकर बनाये जाते हैं। कुण्डली का एक सिरा एक विभक्त वलय R1 तथा दुसरा सिरा दूसरे विभक्त वलय R2 से जोड़ दिया जाता है।

(4) ख़ुश (Brushes) – ग्रेफाइट (कार्बन) के दो ब्रुश B1 व B2 विभक्त वलय R1 और R2 को स्पर्श किये रहते हैं और बाह्य परिपथ में धारा प्रवाहित करते हैं। ये दोनों ब्रुश बाह्य परिपथ के समान सिरों से सदैव जुड़े रहते हैं, परन्तु जैसे-जैसे आर्मेचर घूमता है (B1B2) उनको बारी-बारी से स्पर्श करते हैं और एक अर्द्ध-चक्र (Half-cycle) तक उसके सम्पर्क में रहते हैं तत्पश्चात् ब्रशों को आपस में बदल देते हैं।

सिद्धान्त (Principle) – जब आर्मेचर कुण्डली को क्षेत्र चुम्बक द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है तो कुण्डली से सहबद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन होने के कारण कुण्डली में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण से विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है, जिससे कुण्डली तथा बाह्य परिपथ में धारा प्रवाहित होती है। कुण्डली में उत्पन्न विद्युत वाहक बलप्रत्यावर्ती होता है। जिससे कुण्डली में तो धारा प्रत्यावर्ती होती है। परन्तु विभक्त वलय दिशा परिवर्तन द्वारा, बाह्य परिपथ में दिष्ट धारा प्राप्त की जाती है।
JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव 43
कार्यविधि – चित्र में ABCD एक कुण्डली है जो दक्षिणावर्त दिशा में घुमायी जाती है तो कुण्डली में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के कारण एक धारा प्रेरित की जाती है। धारा की दिशा फ्लेमिंग के दाहिने हाथ के नियम से ज्ञात की जाती है।

कुण्डली के आधा चक्कर पूरा करने तक धारा की दिशा वही है। अतः पहले आधे चक्कर में धारा R2 से R1 की दिशा में बहती है। अगले आधे चक्कर में धारा की दिशा कुण्डली में बदल जाती है, परन्तु पहले ही ब्रुशों की स्थिति को इस प्रकार समायोजित किया जाता है कि जिस क्षण कुण्डली में धारा की दिशा बदलती है ठीक उसी क्षण ब्रुश का सम्बन्ध एक भाग से चक्कर दूसरे भाग से हो जाता है। अतः बाह्य परिपथ में धारा R2 से R1) की ओर ही बहती है, क्योंकि विभक्त वलय B1B2 ब्रुशों के सापेक्षा अपना स्थान बदल देते हैं। इस प्रकार बाह्य परिपथ में दिष्ट धारा प्राप्त होती है।

इस प्रकार के डायनमो से प्राप्त विद्युत वाहक बल तथा प्रेरित धारा समान दिशा की अवश्य होती है, परन्तु उसका मान विभिन्न घूर्णन कोणों पर एमसमान नहीं होता है या हम यह भी कह सकते हैं कि धारा या विद्युत वाहक बल का मान समय के साथ बदलता रहता है स्थिर नहीं रहता।

इस दोष को दूर करने के लिए तलों में विभिन्न कुण्डलियाँ बनाते हैं तथा उनसे प्राप्त विभिन्न विद्युत वाहक बल अथवा धारा का मान समय के साथ लगभग स्थिर रहता है।

प्रश्न 10.
प्रत्यावर्ती धारा जनित्र की रचना का सचित्र वर्णन करते हुए इसकी कार्यविधि समझाइए।
अथवा
प्रत्यावर्ती धारा जनित्र किस सिद्धान्त पर कार्य करता है? इसकी रचना एवं कार्यविधि का सचित्र वर्णन करो।
अथवा
प्रत्यावर्ती धारा जनित्र का कार्यकारी सिद्धान्त संरचना व उसकी कार्यविधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
अथवा
प्रत्यावर्ती धारा विद्युत जनित्र की संरचना एवं कार्यविधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रचना- इसके मुख्य भाग निम्नवत् हैं-
1. क्षेत्र चुम्बक इसमें N और S ध्रुव खण्डों वाला एक शक्तिशाली चुम्बक होता है। इसका कार्य शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करना है, जिससे कुण्डली घूमती है।

2. आर्मेचर – यह एक कच्चे लोहे के बेलन पर पृथक्कृत ताँबे के तार को बहुत से चक्करों में लपेटकर बनायी जाती है। इसके चुम्बक NS के ध्रुवों के बीच बाह्य शक्ति जैसे पेट्रोल इंजन या जल शक्ति द्वारा तेजी से घुमाया जाता है।

3. सप वलय-ये ताँबे के बने दो छल्ले या सर्पी वलय होते हैं, जिनका सम्बन्ध एक ओर तो कुण्डली से आये ताँबे के तारों से होता है तथा दूसरी ओर ग्रेफाइट के दो ब्रुश से होता है।

4. खुश (Brushes) – ग्रेफाइट (कार्बन) के दो ब्रुश वलय सर्पों को स्पर्श किये रहते हैं और बाह्य परिपथ में धारा प्रवाहित करते हैं। ये दोनों ब्रुश बाह्य परिपथ के समान सिरों से सदैव जुड़े रहते हैं।

नोट – इसकी कार्यविधि और चित्र के लिए छात्र दीर्घ उत्तीय प्रश्न सं. 7 को देखें।

बहुविकल्पीय प्रश्न

निर्देश: प्रत्येक प्रश्न में दिये गये वैकल्पिक उत्तरों में से सही विकल्प चुनिए-

1. चुम्बकीय बल क्षेत्र एक-
(a) सदिश राशि है
(b) अदिश राशि है
(c) अदिश भी है और सदिश भी
(d) न अदिश है और न ही सदिश
उत्तर:
(a) सदिश राशि है

2. दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखायें आपस में काट सकती हैं-
(a) हाँ
(b) नहीं
(c) काट भी सकती हैं और नहीं भी
(d) कभी-कभी काट भी सकती हैं
उत्तर:
(b) नहीं

3. चुम्बकीय क्षेत्र में रखे धारावाही चालक पर अधिकतम बल कार्य करेगा यदि-
(a) चालक पतला हो
(b) चालक मोटा हो
(c) चालक चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत हो
(d) चालक चुम्बकीय क्षेत्र के समान्तर हो
उत्तर:
(c) चालक चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत हो

4. कौन सा चुम्बकीय क्षेत्र का मात्रक नहीं है?
(a) वेबर / मीटर²
(b) टेस्ला
(c) गॉस
(d) न्यूटन / ऐम्पियर²
उत्तर:
(d) न्यूटन / ऐम्पियर²

5. किसी धारावाही परिनालिका को एक ओर से देखने पर यदि उसमें धारा की दिशा वामावर्त हो तो वह सिरा होगा-
(a) दक्षिणी ध्रुव
(b) उत्तरी ध्रुव
(c) उत्तरी या दक्षिणी ध्रुव कोई भी हो सकता है
(d) कोई भी ध्रुव नहीं बन सकता
उत्तर:
(b) उत्तरी ध्रुव

6. चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है-
(a) स्थिर विद्युत आवेश से
(b) केवल विद्युत धारा से
(c) केवल दण्ड चुम्बक से
(d) दण्ड चुम्बक तथा विद्युत धारा दोनों से
उत्तर:
(d) दण्ड चुम्बक तथा विद्युत धारा दोनों से

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

7. L मीटर लम्बाई के चालक में पूरब से पश्चिम की ओर क्षैतिज तल में I ऐम्पियर धारा बह रही है और यह चालक B न्यूटन (मीटर x एम्पियर) के चुम्बकीय क्षेत्र में रखा है। चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ऊर्ध्वाधरतः ऊपर की ओर है। चालक पर लगने वाला बल होगा-
(a) ILB न्यूटन दक्षिण से उत्तर की ओर
(b) IBL न्यूटन उत्तर से दक्षिण की ओर
(c) \(\frac { 1 }{ BL }\) न्यूटन क्षैतिज तल में
(d) \(\frac { 1 }{ BL }\) न्यूटन दक्षिण से उत्तर की ओर
उत्तर:
(b) IBL न्यूटन उत्तर से दक्षिण की ओर

8. विद्युत मोटर में रूपान्तरण होता है-
(a) रासायनिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में
(b) विद्युत ऊर्जा का यान्त्रिक ऊर्जा में
(c) विद्युत ऊर्जा का प्रकाश ऊर्जा में
(d) विद्युत ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में
उत्तर:
(b) विद्युत ऊर्जा का यान्त्रिक ऊर्जा में

9. धारावाही परिनालिका के कारण चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता निर्भर करती है-
(a) क्रोड के पदार्थ की प्रकृति
(b) विद्युत धारा का परिमाण
(c) कुण्डली में फेरों की संख्या पर
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी

10. चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक है-
(a) टेस्ला
(b) ओम
(c) एम्पियर
(d) वोल्ट ऐम्पियर
उत्तर:
(a) टेस्ला

11. चुम्बकीय क्षेत्र का मात्रक है-
(a) न्यूटन / ऐम्पियर मीटर
(b) न्यूटन – ऐम्पियर मीटर
(c) न्यूटन²/ ऐम्पियर मीटर
(d) न्यूटन / ऐम्पियर मीटर²
उत्तर:
(a) न्यूटन / ऐम्पियर मीटर

12. एक इलेक्ट्रॉन वेग से एक समान चुम्बकीय क्षेत्र लम्बवत् गति कर रहा है। इलेक्ट्रॉन पर लगने वाला बल होगा-
(a) ev/B
(b) evB
(c) eBo
(d) uB/e
उत्तर:
(b) evB

13. चुम्बकीय क्षेत्र में गतिमान आवेशित कण पर लगने वाला चुम्बकीय बल की दिशा ज्ञात करने के नियम हैं-
(a) ओम का नियम
(b) दायें हाथ के अंगूठे का नियम
(c) फ्लेमिंग के बायें हाथ का नियम पेंच का नियम
(d) दक्षिणावर्त
उत्तर:
(c) फ्लेमिंग के बायें हाथ का नियम पेंच का नियम

14. एक गतिमान आवेश उत्पन्न करता है-
(a) केवल चुम्बकीय क्षेत्र
(b) केवल विद्युत क्षेत्र
(c) चुम्बकीय व विद्युत क्षेत्र दोनों
(d) उपर्युक्त से कोई नहीं
उत्तर:
(c) चुम्बकीय व विद्युत क्षेत्र दोनों

15. किसी धारावाही चालक में बहने वाली धारा i और लम्बाई l को लम्बवत् B तीव्रता वाले चुम्बकीय क्षेत्र में रखा गया है। उस पर लगने वाला बल है-
(a) \(\frac { i }{ Bl }\)
(b) \(\frac { B }{ il }\)
(c) iBl
(d) \(\frac { l }{ Bi }\)
उत्तर:
(c) iBl

16. 1 टेस्ला बराबर होता है-
(a) 1 वेबर / मी²
(b) 1 गॉस
(c) 10-4 वेबर / मी²
(d) 10-4 गॉस
उत्तर:
(a) 1 वेबर / मी²

17. अनन्त लम्बाई के एक ऋजुरेखीय धारावाही चालक के निकट चुम्बकीय क्षेत्र का सूत्र है-
(a) \(\frac{\mu_0}{4 \pi}\left(\frac{i}{r}\right)\)
(b) \(\frac{\mu_0}{2 \pi}\left(\frac{i}{r}\right)\)
(c) \(\frac{\mu_0}{4 \pi}\left(\frac{i}{r^2}\right)\)
(d) \(\frac{\mu_0}{2 \pi}\left(\frac{i}{r^2}\right)\)
उत्तर:
(b) \(\frac{\mu_0}{2 \pi}\left(\frac{i}{r}\right)\)

18. चुम्बकीय क्षेत्र का मात्रक है-
(a) वेबर / मीटर
(b) वेबर / मीटर²
(c) वेबर मी²
(d) वेबर
उत्तर:
(b) वेबर / मीटर²

19. विद्युत जनित्र स्रोत है-
(a) विद्युत ऊर्जा का
(b) विद्युत आवेश का
(c) यांत्रिक ऊर्जा का
(d) इनमें से किसी का नहीं
उत्तर:
(a) विद्युत ऊर्जा का

20. डायनमो में रूपान्तरण होता है-
(a) यांत्रिक ऊर्जा का ऊष्मा में
(b) ऊष्मा का विद्युत ऊर्जा में
(c) चुम्बकीय ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में
(d) यांत्रिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में
उत्तर:
(d) यांत्रिक ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में

JAC Class 10 Science Important Questions Chapter 13 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव

21. विद्युत जनित्र में विद्युत चुम्बकीय प्रेरण होता है-
(a) क्षेत्र चुम्बकों में
(b) आर्मेचर
(c) सप वलयों में
(d) विभक्त वलयों में
उत्तर:
(b) आर्मेचर

22. दिष्ट धारा जनित्र से किसी परिपथ में प्रवाहित धारा-
(a) का मान तथा दिशा, दोनों बदलते रहते हैं
(b) का मान स्थिर रहता है परंतु दिशा बदलती रहती है
(c) का मान तथा दिशा, दोनों नहीं बदलते
(d) का मान बदलता है परंतु दिशा नहीं बदलती
उत्तर:
(d) का मान बदलता है परंतु दिशा नहीं बदलती

23. प्रत्यावर्ती धारा-
(a) का मान एवं दिशा दोनों परिवर्तनीय होते हैं
(b) का मान स्थिर परंतु दिशा परिवर्तनीय होती हैं
(c) का मान परिवर्तनीय परंतु दिशा अपरिवर्तित रहती है
(d) का मान एवं दिशा दोनों अचर रहते हैं
उत्तर:
(a) का मान एवं दिशा दोनों परिवर्तनीय होते हैं

24. पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र की दक्षिण से उत्तर की ओर होती है। एक तार को पूर्व-पश्चिम दिशा में फैलाकर ऊर्ध्वाधरत: ऊपर की ओर उठाया जाता है। यदि तार एक बंद परिपथ का भाग हो तो तार में प्रेरित धारा-
(a) पूर्व से पश्चिम की ओर होगी
(b) पश्चिम से पूर्व की ओर होगी
(c) शून्य होगी
(d) धारा की दिशा बदलती रहेगी
उत्तर:
(a) पूर्व से पश्चिम की ओर होगी

25. चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक है-
(a) न्यूटन / ऐम्पियर मीटर²
(b) न्यूटन / ऐम्पियर मीटर
(c) न्यूटन ऐम्पियर मीटर
(d) न्यूटन² / ऐम्पियर मीटर
उत्तर:
(c) न्यूटन ऐम्पियर मीटर

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

  1. फ्रिज तथा अल्मारियों के दरवाजों को बंद करने के लिए ………………….. प्रयोग किए जाते हैं।
  2. विद्युन्मय तार ………………….. रंग का प्रयोग किया जाता है।
  3. फ्यूज तार की मिश्र धातु में 63% टिन व 37% ………………….. होता है।
  4. हम अपने घरों में ………………….. V वोल्टता वाली प्रत्यावर्ती धारा प्राप्त करते हैं जिसकी आवृत्ति ………………….. Hz है।
  5. अतिभारण एवं लघुपथन से परिपथ की सुरक्षा के लिए ………………….. प्रयोग करना चाहिए।
  6. किसी परिपथ में धारा की उपस्थिति ज्ञात करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

उत्तर:

  1. चुम्बक
  2. लाल
  3. लैंड
  4. 220.50
  5. फ्यूजवार
  6. गैल्वेनोमीटर।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5

Jharkhand Board JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Exercise 6.5

प्रश्न 1.
कुछ त्रिभुजों की भुजाएँ नीचे दी गई हैं। निर्धारित कीजिए कि इनमें से कौन-कौन से त्रिभुज समकोण त्रिभुज हैं। इस स्थिति में कर्ण की लम्बाई भी लिखिए:
(i) 7 सेमी, 24 सेमी 25 सेमी
(ii) 3 सेमी, 8 सेमी, 6 सेमी
(iii) 50 सेमी, 80 सेमी, 100 सेमी
(iv) 13 सेमी, 12 सेमी, 5 सेमी
हल:
(i) माना कि ΔABC में,
AB = 7 सेमी
BC = 24 सेमी
और AC = 25 सेमी
अब AB2 + BC2 = (7)2 + (24)2
= 49 + 576
= 625
तथा AC2 = (25)2 = 625
∴ AB2 + BC2 = AC2
अत: पाइथागोरस प्रमेय के विलोम से ΔABC समकोण त्रिभुज है जिसमें ∠B समकोण है तथा कर्ण की लम्बाई = 25 सेमी।

(ii) माना कि ΔABC में,
AB = 3 सेमी
BC = 6 सेमी
और AC = 8 सेमी
AB2 + BC2 = (3)2 + (6)2
= 9 + 36 = 45
जबकि AC2 = (8)2 = 64
∵ AB2 + BC2 ≠ AC2
अत: ΔABC समकोण Δ नहीं है।

(iii) माना कि ΔMNP में
MN = 50 सेमी
NP = 80 सेमी
और MP = 100 सेमी
MN2 + NP2 = (50)2 + (80)2
= 2500 + 6400 = 8900
जबकि MP2 = (100)2 = 10000
अत: MN2 + NP2 ≠ MP2
अत: ΔMNP समकोण त्रिभुज नहीं है।

(iv) माना कि ΔPQR में,
PQ = 13 सेमी
QR = 12 सेमी
PR = 5 सेमी
(PR)2 + (QR)2 = (5)2 + (12)2 = 25 + 144
= 169
PQ2 = (13)2 = 169
∵ PR2 + QR2 = PQ2
अत: पाइथागोरस प्रमेय के विलोम से, ΔPQR एक समकोण त्रिभुज है जिसमें ∠R समकोण है और कर्ण की लम्बाई = 13 सेमी।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5

प्रश्न 2.
PQR एक समकोण त्रिभुज है जिसका कोण P समकोण है तथा QR पर बिन्दु M इस प्रकार स्थित है कि PM ⊥ QR है। दर्शाइए कि PM2 = QM.MR है।
हल:
दिया है: समकोण ΔPQR में कोण P समकोण है तथा PM ⊥ QR है।
सिद्ध करना है: PM2 = QM.MR
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 1
उपपत्ति: ∵ ΔPQR एक समकोण त्रिभुज है तथा PM कर्ण QR पर लम्ब है।
अतः प्रमेय 6.7 के अनुसार,
ΔQPM ~ ΔPRM
⇒ \(\frac{P M}{R M}=\frac{Q M}{P M}\)
(∵ समरूप त्रिभुजों की संगत भुजाएँ समानुपाती होती हैं।)
PM2 = RM × QM.

प्रश्न 3.
आकृति में, ABD एक समकोण त्रिभुज है जिसका कोण समकोण है तथा AC ⊥ BD है। दर्शाइए कि:
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 2
(i) AB2 = BC.BD
(ii) AC2 = BC.DC
(iii) AD2 = BD.CD
हल:
दिया है: ABD एक समकोण त्रिभुज है जिसमें ∠A समकोण है तथा AC ⊥ BD है।
सिद्ध करना है:
(i) AB2 = BC.BD
(ii) AC2 = BC.DC
(iii) AD2 = BD.CD
उपपत्ति: (i) ∵ ΔABD एक समकोण त्रिभुज है तथा AC कर्ण BD पर लम्ब है।
अतः प्रमेय 6.7 के अनुसार,
ΔDAB ~ ΔACB
⇒ \(\frac{A B}{C B}=\frac{B D}{A B}\)
⇒ AB2 = BC × BD

(ii) प्रमेय 6.7 के अनुसार,
ΔDCA ~ ΔACB
⇒ \(\frac{D C}{A C}=\frac{A C}{B C}\)
[दो समरूप त्रिभुजों की संगत भुजाएँ समानुपाती होती हैं]
⇒ AC2 = BC × DC

(iii) प्रमेय 6.7 के अनुसार,
ΔDAB ~ ΔDCA
⇒ \(\frac{D A}{D C}=\frac{D B}{A D}\)
AD2 = DB × DC

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5

प्रश्न 4.
ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसका कोण C समकोण है। सिद्ध कीजिए कि AB2 = 2AC2 है।
हल:
दिया है: ΔABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसका कोण C समकोण है।
सिद्ध करना है: AB2 = 2AC2
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 3
उपपत्ति: ΔACB में,
∠C = 90°
∴ पाइथागोरस प्रमेय से,
AB2 = AC2 + BC2
= AC2 + AC2 (∵ AC = BC)
∴ AB2 = 2AC2

प्रश्न 5.
ABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें AC = BC है। यदि AB2 = 2AC2 है, तो सिद्ध कीजिए कि ACB एक समकोण त्रिभुज है।
हल:
दिया है: ΔABC समद्विबाहु त्रिभुज है जिसमें AC = BC तथा AB2 = 2AC2 है।
सिद्ध करना है: ΔABC एक समकोण त्रिभुज है।
उपपत्ति: AB2 = 2AC2 (दिया है)
AB2 = AC2 + AC2
AB2 = AC2 + BC2 (∵ AC = BC)
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 4
∴ पाइथागोरस प्रमेय के विलोम से,
ΔACB एक समकोण त्रिभुज है।

प्रश्न 6.
एक समबाहु त्रिभुज ABC की प्रत्येक भुजा 2a है। उसके प्रत्येक शीर्षलम्ब की लम्बाई ज्ञात कीजिए।
हल:
ΔABC एक समबाहु त्रिभुज है जिसकी प्रत्येक भुजा 2a है।
AB = AC = BC = 2a
AD ⊥ BC
BD = CD = \(\frac{2a}{2}\) = a
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 5
अब समकोण ΔADB में,
AB2 = AD2 + BD2
(2a)2 = (AD)2 + (a)2
4a2 = (AD)22 + a2
(AD)2 = 4a2 – a
(AD)2 = 3a2
AD = \(\sqrt{3}\)a या a\(\sqrt{3}\)
अतः शीर्ष लम्ब की लम्बाई = a\(\sqrt{3}\)

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5

प्रश्न 7.
सिद्ध कीजिए कि एक समचतुर्भुज की भुजाओं के वर्गों का योग उसके विकर्णों के वर्गों के योग के बराबर होता है।
हल:
दिया है: समचतुर्भुज ABCD के विकर्ण AC और BD बिन्दु O पर प्रतिच्छेद करते हैं।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 6
सिद्ध करना है:
AB2 + BC2 + CD2 + DA2 = AC2 + BD2
उपपत्ति: हम जानते हैं कि समचतुर्भुज के विकर्ण समकोण पर समद्विभाजित करते हैं। अतः समकोण ΔAOB में,
OA2 + OB2 = AB2 …(1)
इसी प्रकर ΔBOC, ΔCOD और ΔAOD में क्रमश:
OB2 + OC2 = BC2 …(2)
OC2 + OD2 = CD22 …(3)
और OA2 + OD2 = AD2 …(4)
अत: समीकरण (1), (2) (3) और (4) को जोड़ने पर,
AB2 + BC2 + CD2 + AD2 = 2(OA2 + OC2 + OB2 + OD2)
यहाँ OA = OC = \(\frac{A C}{2}\) और OB = OD = \(\frac{B D}{2}\)
अत: AB2 + BC2 + CD2 + AD2 = \(2\left[\frac{A C^2}{4}+\frac{A C^2}{4}+\frac{B D^2}{4}+\frac{B D^2}{4}\right]\)
⇒ AB2 + BC2 + CD2 + AD2 = AC2 + BD2

प्रश्न 8.
आकृति में, ΔABC के अभ्यन्तर में स्थित कोई बिन्दु O है तथा OD ⊥ BC, OE ⊥ AC और OF ⊥ AB है। दर्शाइए कि:
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 7
(i) OA2 + OB2 + OC2 – OD2 – OE2 – OF2 = AF2 + BD2 + CE2
(ii) AF2 + BD2 + CE2 = AE2 + CD2 + BF2
हल:
दिया है: ΔABC के अन्दर एक बिन्दु O है जिससे भुजाओं BC, CA तथा AD पर क्रमश: OD, OE, और OF लम्ब खींचे गए हैं।
सिद्ध करना है:
(i) OA2 + OB2 + OC2 – OD2 – OE2 – OF2 = AF2 + BD2 + CE2
(ii) AF2 + BD2 + CE2 = AE2 + CD2 + BF2
रचना : रेखाखण्ड OA, OB तथा OC को मिलाया।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 8
उपपत्ति: (i) समकोण ΔAFO में,
AF2 + OF2 = OA2 …(1)
समकोण ΔODB में,
BD2 + OD2 = OB2 …(2)
समकोण ΔOEC में,
CE2 + OE2 = OC2 …(3)
समीकरण (1), (2) व (3) को जोड़ने पर,
AF2 + BD2 + CE2 + OF2 + OD2 + OE2 = OA2 + OB2 + OC2
⇒ AF2 + BD2 + CE2 = OA2 + OB2 + OC2 – OD2 – OE2 – OF2
⇒ OA2 + OB2 + OC2 – OD2 – OE2 – OF2 = AF2 + BD2 + CE2

(ii) समकोण ΔODB में,
OD2 + BD2 = OB2 …(4)
समकोण ΔODC मैं,
OD2 + CD2 = OC2 …(5)
समीकरण (4) में से (5) को घटाने पर,
BD2 – CD2 = OB2 – OC2 …(6)
इसी प्रकार समकोण ΔOEC तथा ΔOEA में,
CE2 – AE2 = OC2 – OA2 …(7)
और समकोण ΔOFA तथा ΔOFB में,
AF2 – BF2 = OA2 – OB2 …(8)
समीकरण (6), (7) व (8) को जोड़ने पर,
BD2 + CE2 + AF2 – CD2 – AE2 – BF2 = 0
⇒ AF2 + BD2 + CE2 = AE2 + CD2 + BF2
द्वितीय विधि: समीकरण (1) से
पुन: AF2 + BD2 + CE2 = (OA2 – OE2) + (OC2 – OD2) + (OB2 – OF2)
= AE2 + CD2 + BF2
{∵ AE2 = AO2 – OE2
CD2 = OC2 – OD2
BF2 = OB2 – OF2}

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5

प्रश्न 9.
10 मी. लम्बी एक सीढ़ी एक दीवार पर टिकाने पर भूमि से 8 मी. की ऊंचाई पर स्थित एक खिड़की तक पहुँचती है। दीवार के आधार से सीढ़ी के निचले सिरे की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
माना खिड़की की धरती से ऊँचाई (AB) = 8 मीटर
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 9
तथा AC एक सीढ़ी है।
सीढ़ी की लम्बाई (AC) = 10 मीटर
सीढ़ी के निचले सिरे और दीवार के आधार के बीच की दूरी (BC) = ?
समकोण ΔABC में,
AC2 = AB2 +BC2 ( पाइथागोरस प्रमेय से )
(10)2 = (8)2 + BC2
⇒ BC2 = 102 – 82 = 100 – 64 = 36
BC = 6 मीटर
अतः सीढ़ी के निचले सिरे और दीवार के आधार के बीच की दूरी = 6 मीटर।

प्रश्न 10.
18 मीटर ऊँचे एक ऊर्ध्वाधर खम्भे के ऊपरी सिरे से एक तार का एक सिरा जुड़ा हुआ है तथा तार का दूसरा सिरा एक खूंटे से जुड़ा हुआ है। खम्भे के आधार से खूंटे को कितनी दूरी पर गाड़ा जाए कि तार तना रहे, जबकि तार की लम्बाई 24 मीटर है।
हल:
माना खम्भे की ऊँचाई (AB) = 18 मीटर
तथा तार की लम्बाई (AC) = 24 मीटर
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 10
माना खूँटे की स्थिति C है। इसकी खम्भे के आधार से दूरी (BC) = ?
समकोण ΔABC में,
AC2 = AB2 + BC2 (पाइथागोरस प्रमेय से)
(24)2 = (18)2 + (BC)2
⇒ (BC)2 = (24)2 – (18)2
⇒ (BC)2 = 576 – 324
⇒ BC = \(\sqrt{252}\)
∴ BC = 6\(\sqrt{7}\) मीटर
अतः खम्भे के आधार से खूँट की दूरी = 6\(\sqrt{7}\) मीटर या 15.87 मीटर।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5

प्रश्न 11.
एक हवाई जहाज एक हवाई अड्डे से उत्तर की ओर 1000 किमी / घण्टा की चाल से उड़ता है। इसी समय एक अन्य हवाई जहाज उसी हवाई अड्डे से पश्चिम की ओर 1200 किमी/घण्टा की चाल से उड़ता है। 1\(\frac{1}{2}\) घण्टे के बाद दोनों हवाई जहाजों के बीच की दूरी कितनी होगी ?
हल:
माना कि O बिन्दु हवाई अड्डे को दर्शाता है।
पहले हवाई जहाज की चाल = 1000 किमी / घण्टा
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 11
पहले हवाई जहाज द्वारा O बिन्दु से उत्तर की और 1\(\frac{1}{2}\) घण्टे में तय की गई दूरी,
OA = 1000 × 1\(\frac{1}{2}\)
[∵ दूरी चाल × समय]
∴ OA = 1000 × \(\frac{3}{2}\) = 1500 किमी
दूसरे हवाई जहाज की चाल = 1200 किमी / घण्टा
दूसरे हवाई जहाज द्वारा बिन्दु O से पश्चिम की ओर 1\(\frac{1}{2}\) घण्टे में तय की गई दूरी,
OB = 1200 × 1\(\frac{1}{2}\)
∴ OB = 1200 × \(\frac{3}{2}\) = 1800 किमी
समकोण ΔAOB में, पाइथागोरस प्रमेय से,
AB2 = OA2 + OB2
= (1500)2 + (1800)2
= 2250000 + 3240000
= 5490000
∴ AB = \(\sqrt{5490000}\)
= 300\(\sqrt{61}\)
अतः दोनों हवाई जहाजों के बीच की दूरी (AB) = 300\(\sqrt{61}\) किमी।

प्रश्न 12.
दो खम्भे जिनकी ऊँचाइयाँ 6 मीटर और 11 मीटर हैं, समतल भूमि पर खड़े हैं। यदि इनके निचले सिरों के बीच की दूरी 12 मी है, तो इनके ऊपरी सिरों के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
माना कि एक खम्भे की ऊँचाई (AB) = 11 मीटर
तथा दूसरे खम्भे की ऊँचाई (CD) = 6 मीटर
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 12
खम्भों के आधारों के बीच की दूरी (BD) = 12 मीटर C से AB पर CE लम्ब खींचते हैं अर्थात् CE ⊥ AB
BE = DC = 6 मीटर
AE = AB – BE = 11 – 6
∴ AE = 5 मीटर
तथा CE = BD = 12 मीटर
समकोण ΔAEC में,
AC2 = AE2 + CE2
AC2 = (5)2 + (12)2
= 25 + 144 = 169
AC = \(\sqrt{169}\)
∴ AC = 13 मीटर
अतः खम्भों के ऊपरी सिरों के बीच की दूरी = 13 मीटर

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5

प्रश्न 13.
एक त्रिभुज ABC जिसका कोण C समकोण है, की भुजाओं CA और CB पर क्रमश: बिन्दु D और E स्थित हैं। सिद्ध कीजिए कि AE2 + BD2 = AB2 + DE2
हल:
दिया है: ΔABC एक समकोण त्रिभुज है जिसमें ∠C समकोण है तथा भुजाओं CA और CB पर क्रमश: बिन्दु D और E स्थित हैं।
सिद्ध करना है: AE2 + BD2 = AB2 + DE2
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 13
उपपत्ति: समकोण ΔBCA में,
पाइथागोरस प्रमेय से,
AB2 = BC2 + CA2 …(1)
समकोण ΔECD में,
DE2 = EC2 + DC2 …(2)
(पाइथागोरस प्रमेय से)
समकोण ΔACE में,
AE2 = AC2 + CE2 …(3)
समकोण ΔBCD में,
BD2 = BC2 + CD2 …(4)
समीकरण (3) व (4) को जोड़ने पर,
AE2 + BD2 = AC2 + CE2 + BC2 + CD2
= (AC2 + BC2) + (CE2 + CD2)
= AB2 + DE2 [समीकरण (1) व (2) से]
अतः AE2 + BD2 = AB2 + DE2

प्रश्न 14.
किसी ΔABC के शीर्ष A से भुजा BC पर डाला गया लम्ब BC को बिन्दु D पर इस प्रकार प्रतिच्छेदित करता है कि DB = 3 CD है। सिद्ध कीजिए कि 2AB2 = 2AC2 + BC2 है।
हल:
दिया है: ΔABC में आधार BC पर शीर्ष A से AD लम्ब इस प्रकार डाला गया है कि BD = 3CD
सिद्ध करना है: 2AB2 = 2AC2 + BC2
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 14
उपपत्ति: समकोण ΔADC में,
AC2 = AD2 + CD2 …(i)
समकोण ΔADB में,
AB2 = AD2 + BD2
दोनों ओर 2 से गुणा करने पर,
2AB2 = 2AD2 + 2BD2
2AB2 = 2(AC2 – CD2) + 2(3CD)2
[∵AD2 = AC2 – CD2; BD = 3CD]
⇒ 2AB2 = 2AC2 – 2CD2 + 18 CD2
= 2AC2 + 16CD2
= 2AC2 + (4CD)2
= 2AC2 + (CD + 3CD)
= 2AC2 + (CD + BD)2 (∵ 3CD = BD)
= 2AC2 + BC2 (∵BC = CD + BD)
अत : 2AB2 = 2AC2 + BC2

प्रश्न 15.
किसी समबाहु त्रिभुज ABC की भुजा BC पर एक बिन्दु D इस प्रकार स्थित है कि BD = \(\frac{1}{3}\)BC है। सिद्ध कीजिए कि 9AD = 7AB2 है।
हल:
दिया है: ΔABC एक समबाहु त्रिभुज है जिसके आधार BC पर एक बिन्दु D इस प्रकार है कि
BD = \(\frac{1}{3}\)BC
सिद्ध करना है: 9AD2 = 7AB2
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 15
रचना : A से BC पर AE लम्ब खींचा अर्थात् AE ⊥ BC है।
उपपत्ति: समबाहु त्रिभुज ABC में,
AE ⊥ BC
BE = CE = \(\frac{1}{2}\)BC
BE = \(\frac{1}{2}\)AB …(1)
(∵ AB = BC)
समकोण त्रिभुज AEB में,
AB2 = BE2 + AE2
⇒ AB2 = \(\left(\frac{1}{2} A B\right)^2\) + AE2
⇒ AB2 = \(\frac{1}{2}\)AB2 + AE2
AB2 – \(\frac{1}{4}\)AB2 = AE2
\(\frac{3}{4}\)AB2 = AE2 …(2)
समकोण त्रिभुज AED में,
AE2 + DE2 = AD2
⇒ AE2 = AD2 – DE2 …(3)
BD = \(\frac{1}{3}\)BC (दिया है)
⇒ BD = \(\frac{1}{3}\)AB …(4)
समीकरण (1) में से (4) को घटाने पर,
⇒ BE – BD = \(\frac{1}{2}\)AB – \(\frac{1}{3}\)AB
⇒ DE = \(\frac{1}{6}\)AB …(5)
समीकरण (2) तथा (3) से,
\(\frac{3}{4}\)AB2 = AD2 – DE2
⇒ \(\frac{3}{4}\)AB2 = AD2 – (\(\frac{1}{6}\)AB)2
⇒ \(\frac{3}{4}\)AB2 = AD2 – \(\frac{1}{36}\)AB2
⇒ \(\frac{3}{4}\)AB2 + \(\frac{1}{36}\)AB2 = AD2
⇒ \(\frac{27 A B^2+A B^2}{36}\) = AD2
⇒ 28AB2 = 36AD2
⇒ 7AB2 = 9AD2
अतः 9AD2 = 7AB2

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5

प्रश्न 16.
किसी समबाहु त्रिभुज में सिद्ध कीजिए कि उसकी एक भुजा के वर्ग का तिगुना उसके एक शीर्षलम्ब के वर्ग के चार गुने के बराबर होता है।
हल:
दिया है: ΔABC एक समबाहु त्रिभुज है जिसमें AB = BC = CA तथा AD ⊥ DC है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5 16
सिद्ध करना है: 3AB2 = 4AD2
उपपत्ति: ΔABC में,
माना कि AB = BC = CA = 2a
∵ AD ⊥ BC
∴ BD = DC = \(\frac{1}{2}\)BC = \(\frac{1}{2}\) × 2a = a
समकोण ΔABD में,
AB2 = AD2 + BD2
(2a)2 = AD2 + (a)2
⇒ (AD)2 = 4a2 – a2
⇒ AD2 = 3a2
[∵ AB = 2a
a = \(\frac{AB}{2}\)]
⇒ AD2 = 3 × \(\left[\frac{A B}{2}\right]^2\)
⇒ AD2 = \(\frac{3 A B^2}{4}\)
∴ AD2 = 3AB2
अर्थात् 3AB2 = 4AD2

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.5

प्रश्न 17.
सही उत्तर चुनकर उसका औचित्य दीजिए:
ΔABC में, AB = 6\(\sqrt{3}\) सेमी, AC = 12 सेमी और BC = 6 सेमी है। कोण B है:
(A) 120°
(B) 60°
(C) 90°
(D) 45°
हल:
AC = 12 सेमी
AB = 6\(\sqrt{3}\) सेमी
BC = 6 सेमी
⇒ AB2 + BC2 = (6\(\sqrt{3}\))2 + (6)2
= 108 + 36
= 144 = (12)2 = AC2
अतः AB2 + BC2 = AC2
पाइथागोरस प्रमेय के विलोम से, ΔABC में,
∠B = 90°
अत: सही विकल्प (C) है।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

Jharkhand Board JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Exercise 6.3

प्रश्न 1.
बताइए कि निम्न आकृतियों में दए गए त्रिभुजों के युग्मों में से कौन-कौन से युग्म समरूप हैं। उस समरूपता कसौटी को लिखिए जिसका प्रयोग आपने उत्तर देने में किया है तथा साथ ही समरूप त्रिभुजों को सांकेतिक रूप में व्यक्त कीजिए।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 1a
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 2a
हल:
(i) ΔABC तथा ΔPQR में,
∠A = ∠P (प्रत्येक 60°)
∠B = ∠Q (प्रत्येक 80°)
∠C = ∠R (प्रत्येक 40°)
A-A-A समरूपता कसौटी से,
ΔABC ~ ΔPQR

(ii) ΔABC तथा ΔQRP में,
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 3a
S-S-S समरूपता कसौटी से,
ΔABC ~ ΔQRP

(iii) ΔLMP तथा ΔDEF में,
\(\frac{M P}{D E}=\frac{2}{4}=\frac{1}{2}\)
\(\frac{P L}{D F}=\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)
\(\frac{L M}{E F}=\frac{2.7}{5}=\frac{27}{50}\)
यहाँ \(\frac{M P}{D E}=\frac{P L}{D F} \neq \frac{L M}{E F}\)
∵ दोनों त्रिभुजों की भुजाएँ समानुपात में नहीं हैं।
∴ दोनों त्रिभुज समरूप नहीं हैं।

(iv) ΔMNL तथा ΔQPR में,
\(\frac{M L}{Q R}=\frac{5}{10}=\frac{1}{2}\)
∠M = ∠Q = 70°
\(\frac{M N}{P Q}=\frac{2.5}{5}=\frac{1}{2}\)
S-A-S समरूपता कसौटी से,
ΔMNL ~ ΔQPR

(v) ΔABC तथा ΔDEF में,
\(\frac{A B}{D F}=\frac{2.5}{5}=\frac{1}{2}\)
\(\frac{B C}{E F}=\frac{3}{6}=\frac{1}{2}\)
∠B ≠ ∠F [∵ ∠B अज्ञात है]
अतः दोनों त्रिभुज समरूप नहीं हैं।

(vi) ΔDEF में,
∠D = 70°, ∠E = 80°
∵ ∠D + ∠E + ∠F = 180°
∴ 70° + 80° + ∠F = 180°
⇒ ∠F = 180° – 70° – 80°
∴ ∠F = 30°
ΔPQR में, ∠Q = 80°, ∠R = 30°
∵ ∠P + ∠Q + ∠R = 180°
⇒ ∠P + 80° + 30° = 180°
⇒ ∠P = 180° – 80° – 30°
∴ ∠P = 70°
ΔDEF एवं ΔPQR से,
∠D = ∠P (प्रत्येक 70°)
∠E = ∠Q (प्रत्येक 80°)
∠F = ∠R (प्रत्येक 30°)
A-A-A समरूपता कसौटी में,
ΔDEF ~ ΔPQR.

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 2.
निम्न आकृति में, ΔODC ~ ΔOBA, ∠BOC = 125° और ∠CDO = 70° है। ∠DOC, ∠DCO और ∠OAB ज्ञात कीजिए।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 4a
हल:
∠BOC = 125°
∠CDO = 70°
∵ DOB एक सरल रेखा है।
∴ ∠DOC + ∠COB = 180°
⇒ ∠DOC = ∠180° – ∠COB
⇒ ∠DOC = 180° – 125°
∴ ∠DOC = 55°
अतः ∠DOC = ∠AOB = 55° (शीर्षाभिमुख कोण)

ΔDCO में,
∠D + ∠O + ∠C = 180°
⇒ 70° + 55° + ∠C = 180°
⇒ ∠C = 180° – 70° – 55°
∴ ∠C = 55°
अर्थात् ∠DCO = 55°
∵ ΔODC ~ ΔOBA (दिया है)
∴ ∠DCO = ∠OAB
(∵ दो समरूप त्रिभुज के संगत कोण बराबर होते हैं)
∠OAB = 55°
अतः ∠DOC = 55°
∠DCO = 55°
और ∠OAB = 55°

प्रश्न 3.
समलम्ब ABCD, जिसमें AB || DC है, के विकर्ण AC और BD परस्पर O पर प्रतिच्छेद करते हैं। दो त्रिभुजों की समरूपता कसौटी का प्रयोग करते हुए, दर्शाइए कि \(\frac{O A}{O C}=\frac{O B}{O D}\) है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 5
हल:
दिया है: ABCD एक समलम्ब है जिसमें AB || CD तथा उसके विकर्ण AC और BD बिन्दु O पर काटते हैं।
सिद्ध करना है: \(\frac{O A}{O C}=\frac{O B}{O D}\)
उपपत्ति: AB || CD और AC तिर्यक रेखा है।
∠OAB = ∠OCD (एकान्तर कोण युग्म)
और ∠AOB = ∠COD (शीर्षाभिमुख कोण)
अब ΔAOB और ΔCOD में,
∠OAB = ∠OCD तथा ∠AOB = ∠COD
त्रिभुजों की समरूपता के उपगुणधर्म A-A से,
ΔAOB ~ ΔCOD
∴ \(\frac{O A}{O C}=\frac{O B}{O D}\)
(भुजाओं की आनुपातिकता से) इति सिद्धम्।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 4.
आकृति में \(\frac{Q R}{Q S}=\frac{Q T}{P R}\) तथा ∠1 = ∠2 है। दर्शाइए कि ΔPQS ~ ΔTQR है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 6
हल:
दिया है: दी गई आकृति में,
\(\frac{Q R}{Q S}=\frac{Q T}{P R}\) तथा ∠1 = ∠2
सिद्ध करना है: ΔPQS ~ ΔTQR
उपपत्ति: ΔPQR में,
∠1 = ∠2 (दिया है)
∴ PR = PQ
(बराबर कोणों की सम्मुख भुजाएँ बराबर होती हैं)
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 7
S-A-S समरूपता कसौटी से,
ΔPQS ~ ΔTQR इति सिद्धम्।

प्रश्न 5.
ΔPQR की भुजाओं PR और OR पर क्रमशः बिन्दु S और T इस प्रकार स्थित हैं कि ∠P = ∠RTS है। दर्शाइए कि ΔRPQ ~ ΔRTS है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 8
हल:
दिया है: ΔPQR की भुजाओं PR और OR पर क्रमश: S तथा T बिन्दु इस प्रकार स्थित हैं कि ∠P = ∠RTS है।
सिद्ध करना है: ΔRPQ ~ ΔRTS
उपपत्ति: ΔRPQ और ΔRTS में,
∠P = ∠RTS
तथा ∠R = ∠R (उभयनिष्ठ)
त्रिभुजों की समरूपता के उपगुणधर्म AA से
ΔRPQ ~ ΔRTS इति सिद्धम्।

प्रश्न 6.
दी गई आकृति में, यदि ΔABE ≅ ΔACD है, तो दर्शाइए कि ΔADE ~ ΔABC है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 9
हल:
दिया है: दी गई आकृति में ΔABE ≅ ΔACD है।
सिद्ध करना है: ΔADE ~ ΔABC
उपपत्ति: ΔABE ≅ ΔACD (दिया है)
AB = AC
(सर्वांगसम त्रिभुजों की संगत भुजाएँ)
और AE = AD
(सर्वांगसम त्रिभुजों की संगत भुजाएँ)
\(\frac{A B}{A C}=1\) …(i)
तथा \(\frac{A D}{A E}=1\) …(ii)
समीकरण (i) व समीकरण (ii) से,
\(\frac{A B}{A C}=\frac{A D}{A E}\) ⇒ \(\frac{A D}{A B}=\frac{A E}{A C}\)
ΔADE और ΔABC में,
\(\frac{A D}{A B}=\frac{A E}{A C}\)
∠A = ∠A (उभयनिष्ठ)
S-A-S समरूपता कसौटी से,
ΔADE ~ ΔABC इति सिद्धम्।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 7.
आकृति में, ΔABC के शीर्षलम्ब AD और CE परस्पर बिन्दु P पर प्रतिच्छेद करते हैं दर्शाइए कि :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 10
(i) ΔAEP ~ ΔCDP
(ii) ΔABD ~ ΔCBE
(iii) ΔAEP ~ ΔADB
(iv) ΔPDC ~ ΔBEC
हल:
दिया है: ΔABC में AD और CE शीर्ष लम्ब हैं, जो बिन्दु P पर काटते हैं।
सिद्ध करना है: (i) ΔAEP ~ ΔCDP
(ii) ΔABD ~ ΔCBE
(iii) ΔAEP ~ ΔADB
(iv) ΔPDC ~ ΔBEC
उपपत्ति: (i) ΔAEP और ΔCDP में,
∠E = ∠D (प्रत्येक 90°)
∠APE = ∠CPD (शीर्षाभिमुख कोण)
A-A समरूपता कसौटी से,
ΔAEP ~ ΔCDP

(ii) ΔABD और ΔCBE में,
∠D = ∠E (प्रत्येक 90°)
∠B = ∠B (उभयनिष्ठ)
A-A समरूपता कसौटी से,
ΔABD ~ ΔCBE

(iii) ΔAEP और ΔADB में,
∠E = ∠D (प्रत्येक 90°)
∠A = ∠A (उभयनिष्ठ)
A-A समरूपता कसौटी से,
ΔAEP ~ ΔADB

(iv) ΔPDC और ΔBEC में,
∠C = ∠C (उभयनिष्ठ)
∠D = ∠E (प्रत्येक 90°)
A-A समरूपता कसौटी से,
ΔPDC ~ ΔBEC इति सिद्धम्।

प्रश्न 8.
समान्तर चतुर्भुज ABCD की बढ़ाई गई भुजा AD पर स्थित E एक बिन्दु है तथा BE भुजा CD को F पर प्रतिच्छेद करती है। दर्शाइए कि ΔABE ~ ΔCFB है।
हल:
दिया है: समान्तर चतुर्भुज ABCD की बढ़ाई गई भुजा AD पर स्थित E एक बिन्दु हैं तथा BE भुजा CD को F बिन्दु पर प्रतिच्छेद करती है।
सिद्ध करना है: ΔABE ~ ΔCFB
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 11
उपपत्ति: ΔABE और ΔCFB में,
∠A = ∠C
(समान्तर चतुर्भुज के सम्मुख कोण)
∵ AE || BC
तथा BE तिर्यक् रेखा है।
∠AEB = ∠CBF (एकान्तर कोण)
A-A समरूपता कसौटी से,
ΔABE ~ ΔCFB इति सिद्धम्।

प्रश्न 9.
निम्न आकृति में, ABC और AMP दो समकोण त्रिभुज हैं, जिनके कोण B और M समकोण हैं। सिद्ध कीजिए कि:
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 12
(i) ΔABC ~ ΔAMP
(ii) \(\frac{C A}{P A}=\frac{B C}{M P}\)
हल:
दिया है:
ΔABC और ΔAMP दो समकोण त्रिभुज हैं, जिनके कोण B और M समकोण हैं।
सिद्ध करना है:
(i) ΔABC ~ ΔAMP
(ii) \(\frac{C A}{P A}=\frac{B C}{M P}\)
उपपत्ति: (i) ΔABC और ΔAMP में,
∠A = ∠A (उभनिष्ठ)
∠B = ∠M (प्रत्येक 90°)
A-A समरूपता कसौटी से,
ΔABC ~ ΔAMP

(ii) ∵ ΔABC और ΔAMP समरूप त्रिभुज है।
∴ \(\frac{A C}{P A}=\frac{B C}{M P}\)
(यदि दो त्रिभुज समरूप हों तो उनकी संगत भुजाएँ समानुपाती होती हैं)
अतः \(\frac{C A}{P A}=\frac{B C}{M P}\) इति सिद्धम्।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 10.
CD और GH क्रमश: ∠ACB और ∠EGF के ऐसे समद्विभाजक हैं कि बिंदु D और H क्रमशः ΔABC और ΔEFG की भुजाओं AB और FE पर स्थित हैं। यदि ΔABC ~ ΔFEG है, तो दर्शाइए कि :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 13
(i) \(\frac{C D}{G H}=\frac{A C}{F G}\)
(ii) ΔDCB ~ ΔHGE
(iii) ΔDCA ~ ΔHGE
हल:
दिया है: ΔABC तथा ΔFEG में, ZACB तथा ZEGF के समद्विभाजक CD तथा GH इस प्रकार है कि D, AB पर तथा H, FE पर स्थित है।
तथा ΔABC ~ ΔFEG
(i) ∵ ΔABC ~ ΔFEG
∴ ∠CAB = ∠GEF
⇒ ∠CAD = ∠GFH …(i)
और ∠ACB = ∠FGE
⇒ \(\frac{1}{2}\)∠ACB = \(\frac{1}{2}\)∠FGE
⇒ ∠ACD = ∠FGH …(ii)
समीकरण (i) व (ii) से
ΔACD ~ ΔFGH (AA समरूपता से)
∵ दो समरूप त्रिभुजों की संगत गुजाएँ समानुपात में होती हैं।
अतः \(\frac{C D}{G H}=\frac{A C}{F G}\)

(ii) ∵ ΔABC ~ ΔFEG
∴ ∠ABC = ∠FEG
⇒ ∠DBC = ∠HEG …(iii)
और ∠ACB = ∠FGE
⇒ \(\frac{1}{2}\)∠ACB = \(\frac{1}{2}\)∠FGE
ΔDCB = ΔHGE … (iv)
समीकरण (iii) और (iv) से,
ΔDCB ~ ΔHGE (AA समरूपता से)

(iii) ∵ ΔABC ~ ΔFEG
∴ ∠CAB = ∠GFE
⇒ ∠CAD = ∠GFH
⇒ ∠DAC = ∠HFG ….(v)
और ∠ACB = ∠FGE
⇒ \(\frac{1}{2}\)∠ACB = \(\frac{1}{2}\)∠FGE
⇒ ∠DCA = ∠HGF …(vi)
समीकरण (v) और (vi) से,
ΔDCA ~ ΔHGF (AA समरूपता से)

प्रश्न 11.
निम्न आकृति में, AB = AC वाले एक समद्विबाहु त्रिभुज ABC की बढ़ाई गई भुजा CB पर स्थित E एक बिन्दु है। यदि AD ⊥ BC और EF ⊥ AC है, तो सिद्ध कीजिए कि ΔABD ~ ΔECF है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 14
हल:
दिया है: एक समद्विबाहु त्रिभुज ABC है, जिसमें AB = AC है तथा CB को E बिन्दु तक इस प्रकार बढ़ाया गया है कि EF ⊥ AC और AD ⊥ BC है।
सिद्ध करना है: ΔABD ~ ΔECF
उपपत्ति: ΔABC एक समद्विबाहु त्रिभुज है। (दिया है)
∴ AB = AC
तथा ∠B = ∠C
(त्रिभुज में समान भुजाओं के सम्मुख कोण बराबर होते हैं)
अब ΔABD और ΔECF में,
∠ABD = ∠ECF (ऊपर सिद्ध किया है)
∠ADB = ∠EFC (प्रत्येक 90°)
∴ A-A समरूपता कसौटी से,
ΔABD ~ ΔECF इति सिद्धम्।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 12.
एक त्रिभुज ABC की भुजाएँ AB और BC तथा माध्यिका AD एक अन्य त्रिभुज PQR की क्रमशः भुजाओं PQ और QR तथा माध्यिका PM के समानुपाती हैं ΔABC ~ ΔPQR है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 15
हल:
दिया है:
ΔABC तथा ΔPQR दो त्रिभुज हैं जिनमें AD तथा PM माध्यिकाएँ हैं,
अर्थात् BD =\(\frac{1}{2}\)BC तथा QM = \(\frac{1}{2}\)QR
तथा \(\frac{A B}{P Q}=\frac{B C}{Q R}=\frac{A D}{P M}\) है …(i)
सिद्ध करना है: ΔABC और ΔPQR समरूप हैं।
उपपत्ति: \(\frac{B C}{Q R}=\frac{A D}{P M}\) (दिया है)
\(\frac{2 B D}{2 Q M}=\frac{A D}{P M}\)
[∵ BD = \(\frac{1}{2}\)BC तथा QM = \(\frac{1}{2}\)QR]
\(\frac{B D}{Q M}=\frac{A D}{P M}\) … (ii)
अब ΔABD तथा PQM में,
समी. (i) व (ii) से,
\(\frac{A B}{P Q}=\frac{B D}{Q M}=\frac{A D}{P M}\)
ΔABD ~ ΔPQM
∴ ∠B = ∠Q
ΔABC तथा ΔPQR में,
\(\frac{A B}{P Q}=\frac{B C}{Q R}\) [समी. (i) से]
∠B = ∠Q
∴ S-A-S समरूपता कसौटी से,
ΔABC ~ ΔPQR इति सिद्धम्।

प्रश्न 13.
एक त्रिभुज ABC की भुजा BC पर एक बिन्दु D इस प्रकार स्थित है कि ∠ADC = ∠BAC है। दर्शाइए कि CA2 = CB.CD है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 16
हल:
दिया है: ΔABC की भुजा BC पर एक बिन्दु D इस प्रकार है कि ∠ADC = ∠BAC
सिद्ध करना है: CA2 = CB × CD
उपपत्ति: ΔABC और ΔDAC में,
∠C = ∠C (उभयनिष्ठ)
∠BAC = ∠ADC (दिया है)
∴ A-A समरूपता कसौटी से,
ΔABC ~ ΔDAC
\(\frac{A C}{D C}=\frac{B C}{\dot{A C}}\)
(यदि दो त्रिभुज समरूप हों तो उनकी भुजाएँ समानुपाती होती हैं)
∴ AC2 = BC.DC
या AC2 = CB.CD इति सिद्धम्।

प्रश्न 14.
एक त्रिभुज ABC की भुजाएँ AB और AC तथा माध्यिका AD एक अन्य त्रिभुज की भुजाओं PQ और PR तथा माध्यिका PM के क्रमशः समानुपाती हैं। दर्शाइए कि ΔABC ~ ΔPQR है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 17
हल:
दिया है: दो त्रिभुज ABC और POR में, D, BC का मध्य-बिन्दु है और QR का मध्य- बिन्दु M है।
तथा \(\frac{A B}{P Q}=\frac{A C}{P R}=\frac{A D}{P M}\) …(i)
सिद्ध करना है:
ΔABC ~ ΔPQR
रचना: AD को E तक इस प्रकार बढ़ाया कि AD = DE हो। BE और CE को मिलाया तथा PM को N तक इस प्रकार बढ़ाया कि PM = MN हो। QN और NR को मिलाया।
उपपत्ति: चतुर्भुज ABEC के विकर्ण AE और BC परस्पर D बिन्दु पर समद्विभाजित करते हैं।
∴ चतुर्भुज ABEC एक समान्तर चतुर्भुज है।
∴ BE = AC …(ii)
इसी प्रकार PQNR भी एक समान्तर चतुर्भुज है।
∴ QN = PR …(iii)
समीकरण (ii) को (iii) से विभाजित करने पर,
\(\frac{B E}{Q N}=\frac{A C}{P R}\) …(iv)
अब \(\frac{A D}{P M}=\frac{2 A D}{2 P M}=\frac{A D}{P M}=\frac{A E}{P N}\) …(v)
समीकरण (i), (iv) और (v) में,
\(\frac{A B}{P Q}=\frac{B E}{Q N}=\frac{A E}{P N}\)
अत: ΔABE और ΔPQN मैं,
\(\frac{A B}{P Q}=\frac{B E}{Q N}=\frac{A E}{P N}\)
∴ ΔABE ~ ΔPQN (SSS से)
∴ ∠BAE = ∠QPN …(vi)
इसी प्रकार,
ΔAEC ~ ΔPNR
∴ ∠EAC = ∠NPR …(vii)
समीकरण (vi) व (vii) को जोड़ने पर,
∠BAE + ∠EAC = ∠QPN + ∠NPR
⇒ ∠BAC = ∠QPR
अब ΔABC और ∠PQR में,
\(\frac{A B}{P Q}=\frac{A C}{P R}\) [समी. (i) से]
∠A = ∠P
S-A-S समरूपता कसौटी से,
ΔABC ~ ΔPQR इति सिद्धम्।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3

प्रश्न 15.
6 मीटर लम्बाई वाले एक ऊर्ध्वाधर स्तम्भ की भूमि पर छाया की लम्बाई 4 मीटर है, जबकि उसी समय एक मीनार की छाया की लम्बाई 28 मीटर है। मीनार की ऊँचाई ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है: 6 मीटर लम्बे स्तम्भ CD की छाया DE = 4 मीटर प्राप्त होती है। उसी समय एक मीनार AB जिसकी ऊँचाई माना h मीटर है की छाया BE = 28 मीटर प्राप्त होती है।
ज्ञात करना है: मीनार AB की ऊँचाई (h)।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 18
गणना : ΔABE और ΔCDE समरूप हैं।
∴ \(\frac{A B}{C D}=\frac{B E}{D E}\)
⇒ \(\frac{h}{6}=\frac{28}{4}\)
⇒ h = \(\frac{28}{4}\) × 6
∴ h = 42 मीटर
अत: मीनार की ऊँचाई = 42 मीटर

प्रश्न 16.
AD और PM त्रिभुजों ABC और PQR की क्रमशः माध्यिकाएँ हैं, जबकि ΔABC ~ ΔPQR है।
सिद्ध कीजिए कि \(\frac{A B}{P Q}=\frac{A D}{P M}\) है।
हल:
दिया है: ΔABC और ΔPQR समरूप त्रिभुज हैं जिनमें AD और PM क्रमश: ΔABC और ΔPQR की माध्यिकाएँ हैं।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 6 त्रिभुज Ex 6.3 19
सिद्ध करना है: \(\frac{A B}{P Q}=\frac{A D}{P M}\)
उपपत्ति: ΔABC और ΔPQR समरूप हैं।
\(\frac{A B}{P Q}=\frac{B C}{Q R}\) …(i)
∠Q = ∠B (ΔABC ~ ΔPQR)
∵ AD, ΔABC की माध्यिका है।
∴ BD = \(\frac{1}{2}\)BC ⇒ BC = 2BD
तथा PM, ΔPQR की माध्यिका है।
∴ QM = \(\frac{1}{2}\)QR ⇒ QR = 2QM
समीकरण (i) से,
\(\frac{A B}{P Q}=\frac{2 B D}{2 Q M}\)
⇒ \(\frac{A B}{P Q}=\frac{B D}{Q M}\) …(ii)
अब ΔABD और ΔPQM की तुलना करने पर,
\(\frac{A B}{P Q}=\frac{B D}{Q M}\)
∠B = ∠Q
∴ S-A-S समरूपता कसौटी से,
ΔΑΒD ~ ΔΡQΜ
\(\frac{A B}{P Q}=\frac{A D}{P M}\)
(समरूप त्रिभुजों की संगत भुजाएँ समानुपातिक होती हैं) इति सिद्धम्।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2

Jharkhand Board JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Exercise 13.2

प्रश्न 1.
एक ठोस एक अर्द्धगोले पर खड़े एक शंकु के आकार का है जिनकी त्रिज्याएँ 1 ऊँचाई उसकी त्रिज्या के बराबर है। इस ठोस का आयतन π के पदों में ज्ञात कीजिए ।
हल :
दिया है,
सेमी हैं तथा शंकु की
अर्द्धगोले की त्रिज्या (r) = शंकु की त्रिज्या (r) = 1 सेमी
तथा शंकु की ऊँचाई (h) = शंकु की त्रिज्या (r)
h = 1 सेमी
अर्द्धगोले का आयतन = \(\frac {2}{3}\)πr3
= \(\frac {2}{3}\) × π × (1)3
= \(\frac {2}{3}\) π घन सेमी
शंक्वाकार भाग का आयतन = \(\frac {1}{3}\)πr2h
= \(\frac {1}{3}\)π × (1)2 × (1)
= \(\frac {1}{3}\)π घन सेमी
∴ ठोस का आयतन = अर्द्धगोले का आयतन + शंक्वाकार भाग का आयतन
= (\(\frac {2}{3}\)π + \(\frac {1}{3}\)π) घन सेमी
= π = 3.14 घन सेमी
अतः ठोस का आयतन = 3.14 घन सेमी

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2

प्रश्न 2.
एक इंजीनियरिंग के विद्यार्थी रचेल से एक पतली ऐलुमिनियम की शीट का प्रयोग करते हुए एक मॉडल बनाने को कहा गया जो एक ऐसे बेलन के आकार का हो जिसके दोनों सिरों पर दो शंकु जुड़े हुए हों। इस मॉडल का व्यास 3 सेमी है और इसकी लम्बाई 12 सेमी है। यदि प्रत्येक शंकु की ऊँचाई 2 सेमी हो, तो रचेल द्वारा बनाए गए मॉडल में अन्तर्विष्ट हवा का आयतन ज्ञात कीजिए। (यह मान लीजिए कि मॉडल की आन्तरिक और बाहरी विमाएँ लगभग बराबर हैं।)
हल :
दिया है,
शंकु की त्रिज्या (r) = बेलन की त्रिज्या (r)
= \(\frac {3}{2}\)सेमी = 1.5 सेमी
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 1
∵ प्रत्येक शंकु की ऊँचाई (h) = 2 सेमी
∴ बेलन की ऊँचाई (H) = (12 – 2 – 2) सेमी
= 8 सेमी
बेलन में हवा का आयतन = बेलन का आयतन + 2 × शंकु का आयतन
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 2
अतः बेलन में हवा का आयतन = 66 घन सेमी

प्रश्न 3.
एक गुलाबजामुन में उसके आयतन की लगभग 30% चीनी की चाशनी होती है। 45 गुलाबजामुनों में लगभग कितनी चाशनी होगी, यदि प्रत्येक गुलाब जामुन एक बेलन के आकार का है, जिसके दोनों सिरे अर्द्ध- गोलाकार हैं तथा इसकी लम्बाई 5 सेमी और व्यास 2.8 सेमी है (देखिए आकृति) ।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 3
हल :
दिया है,
बेलनाकार गुलाब जामुन का व्यास = 2.8 सेमी
गुलाब जामुन के बेलनाकार भाग तथा अर्द्धगोलाकार भाग की उभयनिष्ठ त्रिज्या (r) = \(\frac {2.8}{2}\) = 1.4 सेमी
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 4
बेलनाकार भाग की ऊँचाई (h) = (5 – 1.4 – 1.4) सेमी
= 2.2 सेमी
एक गुलाबजामुन का आयतन = बेलनाकार भाग का आयतन + 2 × अर्द्धगोलाकार भाग का आयतन
= πr²h + 2 × \(\frac {2}{3}\)πr3 = πr²[h + \(\frac {4}{3}\)r]
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 5
∴ एक गुलाब जामुन का = 25.05 घन सेमी
∴ 45 गुलाब जामुन का आयतन = 45 × 25.05 घन सेमी
= 1127.28 घन सेमी
चीनी की चाशनी का आयतन = 45 गुलाब जामुन के आयतन का 30%
= 1127.28 × \(\frac {30}{100}\)
= 338.184 घन सेमी
अतः चीनी की चाशनी की मात्रा = 338 घन सेमी (लगभग)।

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2

प्रश्न 4.
निम्न चित्र में एक कलमदान घनाभ के आकार की एक लकड़ी से बना है जिसमें कलम रखने के लिए चार शंक्वाकार गड्ढे बने हुए हैं। घनाभ की विमाएँ 15 सेमी × 10 सेमी × 3.5 सेमी हैं। प्रत्येक गड्ढे की त्रिज्या 0.5 सेमी है और गहराई 1.4 सेमी है। पूरे कलमदान में लकड़ी का आयतन ज्ञात कीजिए ।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 6
हल :
दिया है,
घनाभ की लम्बाई (l) = 15 सेमी
घनाभ की चौड़ाई (b) = 10 सेमी
घनाभ की ऊँचाई (h) = 3.5 सेमी
शंक्वाकार गड्ढे की त्रिज्या (r) = 0.5 सेमी
शंक्वाकार गड्ढे की गहराई (h’) = 1.4 सेमी
घनाभ का आयतन = l × b × h
= 15 × 10 × 3.5
= 525 घन सेमी
प्रत्येक शंक्वाकार गड्ढे का आयतन = \(\frac {1}{3}\)πr²h
= \(\frac{1}{3} \times \frac{22}{7}\) × 0.5 × 0.5 × 1.4
= \(\frac {1.1}{3}\) घन सेमी
चार शंक्वाकार गड्ढों का आयतन = 4 × \(\frac {1.1}{3}\) घन सेमी
= \(\frac {4.4}{3}\) = 1.467 घन सेमी
∴ कलमदान में लगी लकड़ी का आयतन
= घनाभ का आयतन – 4 शंक्वाकार गड्ढों का आयतन
= (525 – 1.467) घन सेमी
= 523.533 घन सेमी
अत: पूरे कलमदान में लकड़ी का आयतन
= 523.53 घन सेमी

प्रश्न 5.
एक बर्तन एक उल्टे शंकु के आकार का है। इसकी ऊँचाई 8 सेमी है और इसके ऊपरी सिरे (जो खुला हुआ है) की त्रिज्या 5 सेमी है। यह ऊपर तक पानी से भरा हुआ है। जब इस बर्तन में सीसे की कुछ गोलियाँ जिनमें वा प्रत्येक 0.5 सेमी त्रिज्या वाला एक गोला है, डाली जाती हैं 8 तो इसमें से भरे हुए पानी का एक-चौथाई भाग बाहर निकल जाता है। बर्तन में डाली गई सीसे की गोलियों की संख्या ज्ञात कीजिए।
हल :
दिया है,
शंकु की त्रिज्या (r) = 5 सेमी
तथा शंकु की ऊँचाई (h) = 8 सेमी
सीसे की गोली की त्रिज्या (r’) = 0.5 सेमी
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 7
∴ शंक्वाकार बर्तन या उसमें भरे पानी का आयतन
= \(\frac {1}{3}\)πr²h
= \(\frac {1}{3}\) × π × (5)² × 8
= \(\frac {200π}{3}\) घन सेमी
∵ सीसे की गोलियाँ डालने से भाग \(\frac {1}{4}\) पानी बाहर निकलता है।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 8

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2

प्रश्न 6.
ऊँचाई 220 सेमी और आधार व्यास 24 सेमी वाले एक बेलन, जिस पर ऊँचाई 60 सेमी और त्रिज्या 8 सेमी वाला एक अन्य बेलन आरोपित है, से लोहे का एक स्तम्भ बना है। इस स्तम्भ का द्रव्यमान ज्ञात कीजिए, जबकि दिया है 1 घन सेमी लोहे का द्रव्यमान लगभग 8 ग्राम होता है। (π = 3.14 लीजिए)
हल :
दिया है,
एक बेलन का व्यास = 24 सेमी
बेलन की त्रिज्या (R) = \(\frac {24}{2}\) = 12 सेमी
बेलन की ऊँचाई (H) = 220 सेमी
इस बेलन का आयतन = πr²H
= π × (12)² × 220
= π × 144 × 220 = 31680π घन सेमी
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 9
अब, दूसरे बेलन की त्रिज्या (r) = 8 सेमी
तथा ऊँचाई (h) = 60 सेमी
दूसरे बेलन का आयतन
= πr²h
= π × (8)² × 60
= π × 64 × 60
= 3840π घन सेमी
∴ पूरे स्तम्भ का आयतन = एक बेलन का आयतन + दूसरे बेलन का आयतन
= 31680π + 3840π
= 35520π घन सेमी
= 35520 × 3.14 घन सेमी
= 111532.8 घन सेमी
बेलनाकार स्तम्भ का द्रव्यमान
= आयतन × 1 घन सेमी लोहे का भार
= 111532.8 × 8 ग्राम
= 892262.4 ग्राम
= \(\frac {892262.4}{1000}\) किग्रा
= 892.2624 किग्रा = 892.26 किग्रा
अतः स्तम्भ का द्रव्यमान = 892.26 किग्रा

प्रश्न 7.
एक ठोस में, ऊँचाई 120 सेमी और त्रिज्या 60 सेमी वाला एक शंकु सम्मिलित है, जो 60 सेमी त्रिज्या वाले एक अर्द्धगोले पर आरोपित है। इस ठोस को पानी से भरे हुए एक लम्बवृत्तीय बेलन में इस प्रकार सीधा डाल दिया जाता है कि बेलन की तली को स्पर्श करे। यदि बेलन की त्रिज्या 60 सेमी है और ऊंचाई 180 सेमी है तो बेलन में शेष बचे पानी का आयतन ज्ञात कीजिए ।
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 10
हल :
दिया है,
शंकु की त्रिज्या (r) = अर्द्धगोले की त्रिज्या (r)
= बेलन की त्रिज्या (r)
= 60 सेमी
शंकु की ऊँचाई (h) = 120 सेमी
बेलन की ऊँचाई (H) = 180 सेमी
बेलनाकार बर्तन में पानी का आयतन = πr²H
= \(\frac {22}{7}\) × 60 × 60 × 180
= 2036571.4 घन सेमी
बेलन में डाले गये ठोस का आयतन
= अर्द्धगोले का आयतन + शंकु का आयतन
= \(\frac {2}{3}\)πr3 + \(\frac {1}{3}\)πr²h
= \(\frac {1}{3}\)πr²[2r + h]
= \(\frac {1}{3}\) × \(\frac {22}{7}\) × 60 × 60[2 × 60 + 120]
= \(\frac {1}{3}\) × \(\frac {22}{7}\) × 3600 × 240
= 905142.86 घन सेमी
∴ बेलन में शेष बचे पानी का आयतन = बेलन का आयतन – बर्तन में डाले गए ठोस का आयतन
= 2036571.4 – 905142.86
= 1131428.5 घन सेमी
= \(\frac{1131428.5}{100 \times 100 \times 100}\)घन मीटर
= 1.131 घन मीटर
अतः बेलन में शेष बच्चे पानी का आयतन = 1.131 घन मीटर

JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2

प्रश्न 8.
एक गोलाकार काँच के बर्तन की एक बेलन के आकार की गर्दन है जिसकी लम्बाई 8 सेमी है और व्यास 2 सेमी है जबकि गोलाकार भाग का व्यास 8.5 सेमी है। इसमें भरे जा सकने वाले पानी की मात्रा माप कर, एक बच्चे ने यह ज्ञात किया कि इस बर्तन का आयतन 345 सेमी है। जाँच कीजिए कि उस बच्चे का उत्तर सही है या नहीं, यह मानते है हुए कि उपर्युक्त मापन आन्तरिक मापन है और π = 3.14.
हल :
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 11
दिया है,
बेलनाकार गर्दन का व्यास = 2 सेमी
बेलनाकार गर्दन की त्रिज्या (r) = \(\frac {2}{2}\) = 1 सेमी
बेलनाकार भाग की ऊँचाई (h) = 8 सेमी
गोलाकार भाग का व्यास = 8.5 सेमी
गोलाकार भाग की त्रिज्या (R) = \(\frac {8.5}{2}\)सेमी
बर्तन में पानी का आयतन = गोलाकार भाग का आयतन + बेलनाकार भाग का आयतन
JAC Class 10 Maths Solutions Chapter 13 पृष्ठीय क्षेत्रफल एवं आयतन Ex 13.2 - 12
अतः बच्चे का उत्तर 345 घन सेमी गलत है।
बर्तन का आयतन = 346.51 घन सेमी।