Jharkhand Board JAC Class 11 History Important Questions Chapter 2 लेखन कला और शहरी जीवन Important Questions and Answers.
JAC Board Class 11 History Important Questions Chapter 2 लेखन कला और शहरी जीवन
बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)
1. मेसोपोटामिया वर्तमान में किस राज्य का हिस्सा है?
(अ) ईरान
(ब) कुवैत
(स) तुकी
(द) इराक।
उत्तर:
(द) इराक।
2. मेसोपोटामिया के किस भाग में सर्वप्रथम नगरों और लेखन प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ?
(अ) उत्तरी भाग
(ब) दक्षिणी भाग
(स) पूर्वी भाग
(द) पूर्वोत्तर भाग।
उत्तर:
(ब) दक्षिणी भाग
3. मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगरों का निर्माण शुरू हो गया था –
(अ) 7000 ई. पूर्व
(ब) 5000 ई. पूर्व
(स) 3000 ई.पू.
(द) 2000 ई. पूर्व।
उत्तर:
(स) 3000 ई.पू.
4. शहरी जीवन की प्रमुख विशेषता है –
(अ) शिल्पियों की अधिकता
(ब) उत्तम जलवायु
(स) शिक्षित लोगों का आवास
(द) श्रम-विभाजन।
उत्तर:
(द) श्रम-विभाजन।
5. मेसोपोटामिया की लिपि कहलाती थी-
(अ) वर्णाक्षर लिपि
(ब) संकेतांत्मक लिपि
(स) कीलाकार (क्यूनीफार्म)
(द) प्राकृतिक लिपि।
उत्तर:
(स) कीलाकार (क्यूनीफार्म)
6. मेसोपोटामिया की सबसे पुरानी ज्ञात भाषा थी-
(अ) अक्कदी
(ब) बेबीलोनियुन
(स) असीरियाई
(द) सुमेरियन।
उत्तर:
(द) सुमेरियन।
7. युद्धबन्दियों तथा स्थानीय लोगों को अनिवार्य रूप से मन्दिरों में तथा राजा के यहाँ काम करना पड़ता था। उन्हें काम के बदले दिया जाता था-
(अ) वेतन
(ब) अनाज
(स) लूट का हिस्सा
(द) पारिश्रमिक।
उत्तर:
(ब) अनाज
8. असुरबनिपाल कौन था?
(अ) पुरोहित
(ब) योद्धा
(स) असीरियाई शासक
(द) शिल्पी।
उत्तर:
(स) असीरियाई शासक
निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –
1. शहरी जीवन की शुरुआत ……………. में हुई।
2. फरात और दजला नदियों के बीच स्थित मेसोपोटामिया प्रदेश आजकल ……………. गणराज्य का हिस्सा है।
3. आरंभिक काल में मेसोपोटामिया प्रदेशं को मुख्यतः इसके शहरीकृत दक्षिणी भाग को ……………. कहा जाता था।
4. 2000 ई. पू. के बाद मेसोपोटामिया के दक्षिणी क्षेत्र को ……………. कहा जाने लगा।
5. 1100 ई. पूर्व से मेसोपोटामिया क्षेत्र को ……………. कहा जाने लगा।
6. शहरी अर्थव्यवस्थाओं में ………….. के अलावा व्यापार, उत्पादन तथा सेवाओं की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
उत्तर:
1. मेसोपोटामिया
2. इराक
3. सुमेर, अक्कद
4. बेबीलोनिया
5. असीरिया
6. खाद्य उत्पादन।
निम्नलिखित में से सत्य / असत्य कथन छाँटिये-
1. मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगरों का निर्माण लगभग 3000 ई. पू. में शुरू हो गया था।
2. कुशल परिवहन व्यवस्था शहरी विकास के लिए महत्त्वपूर्ण नहीं होती है।
3. मेसोपोटामिया की सबसे पुरानी ज्ञात भाषा अक्कदी थी।
4. सुमेर के व्यापार की पहली घटना को एनमर्कर के साथ जोड़ा जाता है।
5. 2000 ई. पूर्व के बाद मारी नगर मंदिर नगर के रूप में खूब फला-फूला।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य
3. असत्य
4. सत्य
5. असत्य
निम्नलिखित स्तंभों के सही जोड़े बनाइये –
1. उरुक |
(अ) नगर का एक रिहायशी इलाका |
2. मारी |
(ब) गडरिये |
3. उर |
(स) उरूक नगर का शासक |
4. यायावर समुदायों के झुंड |
(द) शाही नगर |
5. गिल्गेमिश |
(य) मंदिर नगर |
उत्तर:
1. उरुक |
(य) मंदिर नगर |
2. मारी |
(द) शाही नगर |
3. उर |
(अ) नगर का एक रिहायशी इलाका |
4. यायावर समुदायों के झुंड |
(ब) गडरिये |
5. गिल्गेमिश |
(स) उरूक नगर का शासक |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मेसोपोटामिया किन नदियों के बीच स्थित है?
उत्तर:
मेसोपोटामिया फरात तथा दज़ला नदियों के बीच स्थित है।
प्रश्न 2.
वर्तमान में मेसोपोटामिया किस गणराज्य का हिस्सा है?
उत्तर:
वर्तमान में मेसोपोटामिया इराक गणराज्य का हिस्सा है।
प्रश्न 3.
मेसोपोटामिया में प्रचलित भाषाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
सुमेरियन, अक्कदी तथा अरामाइक भाषाएँ।
प्रश्न 4.
सभी पुरानी व्यवस्थाओं में कहाँ की खेती सबसे अधिक उपज देने वाली हुआ करती थी?
उत्तर:
दक्षिणी मेसोपोटामिया की।
प्रश्न 5.
शहरी जीवन की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) श्रम – विभाजन तथा
(2) व्यापार।
प्रश्न 6.
प्राचीन काल में मेसोपोटामिया में व्यापार के लिए विश्व मार्ग के रूप में कौनसा जल मार्ग काम करता
उत्तर:
फरात नदी जलमार्ग।
प्रश्न 7.
मेसोपोटामिया की लिपि क्या कहलाती थी ?
उत्तर:
क्यूनीफार्म अथवा कीलाकार।
प्रश्न 8.
मेसोपोटामिया की सबसे पुरानी ज्ञात भाषा कौनसी थी ?
उत्तर:
सुमेरियन भाषा।
प्रश्न 9.
मेसोपोटामिया की परम्परागत कथाओं के अनुसार मेसोपोटामिया में सर्वप्रथम किस राजा ने व्यापार और लेखन की व्यवस्था की थी ?
उत्तर:
उरुक के राजा एनमार्कर ने।
प्रश्न 10.
मेसोपोटामियावासियों के दो प्रमुख देवताओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
(1) उर (चन्द्र देवता) तथा
(2) इन्नाना (प्रेम व युद्ध की देवी )।
प्रश्न 11.
मारी नगर के समृद्ध होने का क्या कारण था ?
उत्तर:
मारी नगर के व्यापार का उन्नत होना।
प्रश्न 12.
मेसोपोटामिया के प्रसिद्ध महाकाव्य का नाम लिखिए।
उत्तर:
गिल्गेमिश महाकाव्य।
प्रश्न 13.
नैबोनिडस कौन था?
उत्तर:
नैबोनिडस स्वतन्त्र बेबीलोन का अन्तिम शासक था।
प्रश्न 14.
यायावर से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर:
यायावर गड़रिये खानाबदोश होते थे।
प्रश्न 15.
मेसोपोटामिया का नाम यूनानी भाषा के किन शब्दों से बना है ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया यूनानी भाषा के दो शब्दों – ‘मेसोस’ तथा ‘पोटैमोस’ से बना है।
प्रश्न 16.
बाइबल के अनुसार जल-प्लावन के बाद परमेश्वर ने किस नाम के मनुष्य को चुना ?
उत्तर:
नोआ नाम के मनुष्य को।
प्रश्न 17.
‘क्यूनीफार्म’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया की लिपि ‘क्यूनीफार्म’ कहलाती थी।
प्रश्न 18.
‘क्यूनीफार्म’ शब्द की उत्पत्ति किन शब्दों से हुई है ?
उत्तर:
क्यूनीफार्म शब्द लातिनी शब्द क्यूनियस (खूँटी) और ‘फोर्मा’ (आकार) से बना है।
प्रश्न 19.
मेसोपोटामिया का दक्षिणी भाग क्या कहलाता था ?
उत्तर:
रेगिस्तान।
प्रश्न 20.
उरुक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
उरुक मेसोपोटामिया का एक अत्यन्त सुन्दर मंदिर शहर था।
प्रश्न 21.
मेसोपोटामिया का शाब्दिक अर्थ बताइए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया का शाब्दिक अर्थ है-दो नदियों के बीच में स्थित प्रदेश
प्रश्न 22.
मेसोपोटामिया की सभ्यता अपनी किन विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है?
उत्तर:
मेसोपोटामिया की सभ्यता अपनी सम्पन्नता, शहरी जीवन, विशाल एवं समृद्ध साहित्य, गणित तथा खगोल विद्या के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न 23.
यूरोपवासियों के लिए मेसोपोटामिया क्यों महत्त्वपूर्ण था ?
उत्तर:
यूरोपवासियों के लिए मेसोपोटामिया इसलिए महत्त्वपूर्ण था क्योंकि बाइबिल के प्रथम भाग ‘ओल्ड टेस्टामेंट’ में इसका उल्लेख कई सन्दर्भों में किया गया है।
प्रश्न 24.
मेसोपोटामिया में पुरातत्त्वीय खोज कब शुरू हुई? वहाँ किन दो स्थलों पर उत्खनन कार्य किया गया?
उत्तर:
(1) मेसोपोटामिया में पुरातत्त्वीय खोज 1840 के दशक में हुई।
(2) यहाँ उरुक तथा मारी में उत्खनन कार्य कई दशकों तक चलता रहा।
प्रश्न 25.
मेसोपोटामिया में खेती कब शुरू हो गई थी ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में 7000 से 6000 ई. पूर्व के बीच खेती शुरू हो गई थी।
प्रश्न 26.
मेसोपोटामिया (इराक) के किस भाग में सबसे पहले नगरों तथा लेखन प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के दक्षिणी भाग में सबसे पहले नगरों तथा लेखन प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ।
प्रश्न 27.
मेसोपोटामिया के रेगिस्तानों में शहरों का प्रादुर्भाव क्यों हुआ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के रेगिस्तानों में शहरों के लिए भरण-पोषण का साधन बन सकने की क्षमता थी। फरात तथा दजला नामक नदियाँ अपने साथ उपजाऊ मिट्टी लाती थीं ।
प्रश्न 28.
मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगरों का निर्माण कब शुरू हुआ ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के प्राचीनतम नगरों का निर्माण कांस्य युग अर्थात् 3000 ई. पूर्व में शुरू हुआ था।
प्रश्न 29.
मेसोपोटामिया के किस नगर से ‘वार्का शीर्ष’ नामक मूर्तिकला का नमूना प्राप्त हुआ और कब हुआ ?
उत्तर:
3000 ई. पू. मेसोपोटामिया के उरुक नामक नगर से ‘वार्का शीर्ष’ नामक मूर्तिकला का नमूना प्राप्त हुआ।
प्रश्न 30.
मेसोपोटामिया के लोग किन वस्तुओं का निर्यात और आयात करते थे ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के लोग लकड़ी, ताँबा, राँगा, चाँदी, सोना, सीपी, पत्थर आदि का आयात करते थे तथा कपड़े और कृषिजन्य उत्पाद का निर्यात करते थे।
प्रश्न 31.
परिवहन का सबसे सस्ता तरीका क्या है और क्यों है ?
उत्तर:
परिवहन का सबसे सस्ता तरीका जलमार्ग होता है क्योंकि थलमार्ग की तुलना में पशुओं से माल की ढुलाई करने में अधिक खर्चा लगता है।
प्रश्न 32.
मेसोपोटामिया में पाई गई पहली पट्टिकाएँ कब की हैं?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में पाई गई पहली पट्टिकाएँ लगभग 3200 ई. पूर्व की हैं। उनमें चित्र जैसे चिह्न और संख्याएँ दी गई हैं।
प्रश्न 33.
मेसोपोटामिया के लोग लिखने के लिए किसका प्रयोग करते थे ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के लोग लिखने के लिए मिट्टी की पट्टिकाओं का प्रयोग करते थे 1
प्रश्न 34.
मेसोपोटामिया में लेखन का प्रयोग किन कार्यों में किया जाता था ?
उत्तर:
हिसाब-किताब रखने, शब्दकोश बनाने, राजाओं की उपलब्धियों का उल्लेख करने तथा कानूनों में परिवर्तन करने के कार्यों में ।
प्रश्न 35.
सुमेरियन भाषा का स्थान किस भाषा ने ले लिया और कब ?
उत्तर:
2400 ई. पूर्व के बाद सुमेरियन भाषा का स्थान अक्कदी भाषा ने ले लिया ।
प्रश्न 36.
मेसोपोटामिया में लेखन कार्य क्यों महत्त्वपूर्ण माना जाता था ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में लेखन कार्य अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना जाता था क्योंकि लेखन कार्य के लिए बड़ी कुशलता की आवश्यकता होती थी ।
प्रश्न 37.
दक्षिणी मेसोपोटामिया में शहरों का विकास कब हुआ ?
उत्तर:
5000 ई. पूर्व से दक्षिणी मेसोपोटामिया में बस्तियों का विकास होने लगा था। इन बस्तियों में से कुछ ने प्राचीन शहरों का रूप धारण कर लिया था।
प्रश्न 38.
प्रारम्भ में मेसोपोटामिया में विकसित होने वाले कितने प्रकार के शहर थे ?
उत्तर:
तीन प्रकार के शहर –
- मन्दिरों के चारों ओर विकसित हुए शहर
- व्यापार के केन्द्रों के रूप में विकसित हुए शहर
- शाही शहर।
प्रश्न 39.
मेसोपोटामिया का सबसे पहला ज्ञात मन्दिर कौनसा था ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया का सबसे पहला ज्ञात मन्दिर एक छोटा-सा देवालय था जो कच्ची ईंटों का बना हुआ था।
प्रश्न 40.
मेसोपोटामिया के प्रारम्भिक मन्दिरों और साधारण घरों में क्या अन्तर था ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के प्रारम्भिक मन्दिरों की बाहरी दीवारें भीतर और बाहर की ओर मुड़ी हुई होती थीं, परन्तु साधारण घरों की दीवारें ऐसी नहीं होती थीं।
प्रश्न 41.
प्राय: प्रारम्भिक मन्दिर साधारण घरों की भाँति क्यों माने जाते थे?
उत्तर:
प्राय: प्रारम्भिक मन्दिर साधारण घरों की भाँति होते थे क्योंकि मन्दिर भी किसी देवता का घर माना जाता था।
प्रश्न 42.
मेसोपोटामिया में कृषि को हानि पहुँचाने वाले दो कारण लिखिए।
अथवा
मेसोपोटामिया में प्राकृतिक उपजाऊपन होने के बावजूद कृषि को कई बार संकटों का सामना क्यों करना पड़ता था ?
उत्तर:
(1) फरात नदी की प्राकृतिक धाराओं में बहुत अधिक पानी आना
(2) कभी – कभी इन धाराओं द्वारा अपना मार्ग बदल लेना।
प्रश्न 43:
मेसोपोटामिया के तत्कालीन गाँवों में जमीन और पानी के लिए बार-बार झगड़े क्यों हुआ करते थे ?
उत्तर:
(1) जलधारा के नीचे की ओर बसे हुए गाँवों को पानी नहीं मिलना।
(2) लोगों द्वारा अपने हिस्सों की नदी में से गाद (मिट्टी ) नहीं निकालना।
प्रश्न 44.
मेसोपोटामिया के धार्मिक जीवन की दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर;
(1) मेसोपोटामियावासी अनेक देवी-देवताओं की पूजा करते थे।
(2) वे देवी-देवताओं को अन्न, मछली आदि अर्पित करते थे।
प्रश्न 45.
‘स्टेल’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
‘स्टेल’ पत्थर के ऐसे शिलापट्ट होते हैं, जिन पर अभिलेख उत्कीर्ण किये जाते हैं।
प्रश्न 46.
चाक का निर्माण शहरी अर्थव्यवस्था के लिए उपयुक्त क्यों सिद्ध हुआ ?
उत्तर:
चाक से कुम्हार की कार्यशाला में एक साथ बड़े पैमाने पर अनेक एक जैसे बर्तन सरलता से बनाए जाने
प्रश्न 47.
मेसोपोटामिया के नगरों की सामाजिक व्यवस्था में धन-सम्पत्ति के अधिकतर हिस्से पर किस वर्ग का अधिकार था ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के नगरों की सामाजिक व्यवस्था में धन-सम्पत्ति के अधिकतर हिस्से पर उच्च या संभ्रान्त वर्ग का अधिकार था ।
प्रश्न 48.
इस बात की पुष्टि किस तथ्य से होती है कि मेसोपोटामिया के नगरों की सामाजिक व्यवस्था में धन-सम्पत्ति के अधिकतर हिस्से पर उच्च वर्ग का अधिकार था ?
उत्तर:
अधिकतर बहुमूल्य चीजें जैसे आभूषण, सोने के पात्र आदि बड़ी मात्रा में राजाओं तथा रानियों की कब्रों तथा समाधियों में उनके साथ दफनाई गई मिली हैं।
प्रश्न 49.
मेसोपोटामिया में जल निकासी की क्या व्यवस्था थी?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में वर्षा के पानी का निकास नालियों के माध्यम से भीतरी आँगनों में बने हुए हौजों में ले जाया जाता था।
प्रश्न 50.
उर नगर में घरों की दहलीजों को क्यों ऊँचा उठाना पड़ता था ?
उत्तर:
उर नगर में घरों की दहलीजों को ऊँचा उठाना पड़ता था तकि वर्षा के बाद कीचड़ बहकर घरों के भीतर न आ सके।
प्रश्न 51.
उर के निवासियों में घरों, के बारे में प्रचलित दो अन्धविश्वासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) यदि घर की देहली ऊँची उठी हुई हो, तो वह धन-दौलत लाती है।
(2) यदि सामने का दरवाजा किसी दूसरे के घर की ओर न खुले, तो वह सौभाग्य प्रदान करता है।
प्रश्न 52.
मारी नगर कहाँ स्थित था ?
उत्तर:
मारी नगर फरात नदी की ऊर्ध्व धारा पर स्थित था।
प्रश्न 53.
मारी नगर का अधिकांश भाग किस काम में लिया जाता था ?
उत्तर:
मारी नगर का अधिकांश भाग भेड़-बकरी चराने के लिए ही काम में लिया जाता था।
प्रश्न 54.
मारी नगर के किसानों तथा खानाबदोशों के बीच झगड़े होने के दो कारण बताइए।
उत्तर:
(1) खानाबदोश अपनी भेड़-बकरियों को किसानों के बोए हुए खेतों से गुजार कर ले जाते थे।
(2) खानाबदोश किसानों पर हमला कर उनका माल लूट लेते थे।
प्रश्न 55.
इस बात की पुष्टि किस तथ्य से होती है कि मेसोपोटामिया का समाज और वहाँ की संस्कृति भिन्न- भिन्न समुदायों के लोगों और संस्कृतियों के लिए खुली थी ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में बसने वाले खानाबदोश अक्कदी, एमोराइट, असीरियाई और आर्मीनियन आदि विभिन्न जातियों के थे ।
प्रश्न 56.
मारी का विशाल राजमहल किन चीजों का प्रमुख केन्द्र था ?
उत्तर:
मारी का विशाल राजमहल वहाँ के शाही परिवार, प्रशासन, उत्पादन, विशेष रूप से कीमती धातुओं के आभूषणों के निर्माण का मुख्य केन्द्र था।
प्रश्न 57.
मारी के राजा के भोजन में प्रतिदिन कौनसे खाद्य पदार्थ पेश किये जाते थे ?
उत्तर:
मारी के राजा के भोजन में प्रतिदिन आटा, रोटी, मांस, मछली, फल, मदिरा, बीयर आदि पेश किये जाते थे।
प्रश्न 58.
मारी नगर से किन वस्तुओं का निर्यात किया जाता था और किन देशों को किया जाता था ?
उत्तर:
मारी नगर से लकड़ी, ताँबा, राँगा, तेल, मदिरा आदि वस्तुएँ नावों के द्वारा फरात नदी के रास्ते तुर्की, सीरिया, लेबनान आदि देशों में भेजी जाती थीं।
प्रश्न 59.
मारी नगर में साइप्रस के किस द्वीप से किस धातु का आयात किया जाता था ?
उत्तर:
मारी नगर में साइप्रस के अलाशिया से ताँबे का आयात किया जाता था ।
प्रश्न 60.
गिल्गेमिश महाकाव्य से क्या ज्ञात होता है ?
उत्तर:
गिल्गेमिश महाकाव्य से ज्ञात होता है कि मेसोपोटामिया के लोग अपने नगरों पर बहुत अधिक गर्व करते
प्रश्न 61.
गिल्गेमिश कौन था ?
उत्तर:
गिल्गेमिश उरुक नगर का राजा था। वह एक महान योद्धा था तथा उसने दूर-दूर तक के अनेक प्रदेशों को अपने अधीन कर लिया था।
प्रश्न 62.
मेसोपोटामिया की सभ्यता की विश्व को सबसे बड़ी देन क्या है ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया की सभ्यता की विश्व को सबसे बड़ी देन उसकी कालगणना और गणित की विद्वतापूर्ण परम्परा है।
प्रश्न 63.
मेसोपोटामिया निवासियों ने समय का विभाजन किस प्रकार किया था ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया निवासियों ने एक वर्ष को 12 महीनों में, एक महीने को 4 सप्ताहों में, एक दिन को 24 घण्टों में और एक घण्टे को 60 मिनट में बाँटा था।
प्रश्न 64.
मेसोपोटामियावासियों द्वारा किये गए समय के विभाजन को किन लोगों ने अपनाया था?
उत्तर:
मेसोपोटामियावासियों द्वारा किये गए समय के विभाजन को सिकन्दर महान के उत्तराधिकारियों, रोम तथा फिर मुस्लिम देशों और फिर मध्ययुगीन यूरोप ने अपनाया था।
प्रश्न 65.
असुरबनिपाल के पुस्तकालय का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
असुरबनिपाल के पुस्तकालय में कुल मिलाकर 1000 मूल ग्रन्थ तथा लगभग 30,000 पट्टिकाएँ थीं जिन्हें विषयानुसार वर्गीकृत किया गया था।
प्रश्न 66.
असीरियाई शासक बेबीलोनिया को उच्च संस्कृति का केन्द्र क्यों मानते थे?
उत्तर:
क्योंकि बेबीलोनिया के कई नगर पट्टिकाओं के विशाल संग्रह तैयार किये जाने और प्राप्त करने के लिए प्रसिद्ध थे।
प्रश्न 67.
नैबोपोलास्सर कौन था?
उत्तर:
नैबोपोलास्सर दक्षिणी कछार का एक महान योद्धा था। उसने बेबीलोनिया को 625 ई. पू. में असीरियन लोगों के आधिपत्य से मुक्त कराया था।
प्रश्न 68.
नैबोनिडस ने किस मूर्ति की मरम्मत करवाई और किस कारण करवाई?
उत्तर:
नैबोनिडस ने देवताओं के प्रति भक्ति और राजा के प्रति अपनी निष्ठा के कारण अक्कद के राजा सारगोन की टूटी हुई मूर्ति की मरम्मत करवाई
प्रश्न 69.
‘वार्का शीर्ष’ के बारे में संक्षेप में लिखिए।
अथवा
वार्का शीर्ष के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
3000 ई. पूर्व उरुक नगर में एक स्त्री का सिर एक सफेद संगमरमर को तराश कर बनाया गया था। यह मूर्तिकला का श्रेष्ठ नमूना है।
प्रश्न 70.
विश्व को मेसोपोटामिया की दो देन बताइये।
उत्तर:
(1) मेसोपोटामिया की कालगणना
(2) गणित की विद्वत्तापूर्ण परम्परा का विकास।
प्रश्न 71.
हौज किसे कहा जाता था ?
उत्तर:
हौज जमीन में एक ऐसा ढका हुआ गड्ढा होता था जिसमें पानी और मल जाता था।
प्रश्न 72.
इन्नाना कौन थी ?
उत्तर:
इन्नाना मेसोपोटामिया की प्रेम व युद्ध की देवी थी।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मेसोपोटामिया की स्थिति तथा इसके प्राथमिक इतिहास पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया फरात और दजला नामक नदियों के बीच स्थित है। यह प्रदेश आजकल इराक गणराज्य का हिस्सा है। प्रारम्भ में इस प्रदेश को मुख्यतः इसके शहरीकृत दक्षिणी भाग को सुमेर तथा अक्कद कहा जाता था। 2000 ई.पू. के बाद दक्षिणी क्षेत्र को बेबीलोनिया कहा जाने लगा। 1100 ई. पू. में असीरियाई लोगों ने उत्तर में अपना राज्य स्थापित कर लिया।
अत: 1100 ई. पू. से यह क्षेत्र असीरिया कहा जाने लगा। मेसोपोटामिया की प्रथम ज्ञात भाषा सुमेरियन थी। लगभग 2400 ई. पूर्व में अक्कदी भाषा का प्रचलन हो गया। 1400 ई. पूर्व से अरामाइक भाषा का प्रचलन शुरू हुआ। यह भाषा हिब्रू से मिलती-जुलती थी और 1000 ई.पू. के बाद व्यापक रूप से बोली जाने लगी थी।
प्रश्न 2.
यूरोपवासी मेसोपोटामिया को महत्त्वपूर्ण क्यों मानते थे?
उत्तर:
यूरोपवासी मेसोपोटामिया को महत्त्वपूर्ण मानते थे क्योंकि बाइबल के प्रथम भाग ‘ओल्ड टेस्टामेन्ट’ में इसका उल्लेख अनेक सन्दर्भों में किया गया है। उदाहरण के लिए ओल्ड टेस्टामेन्ट की ‘बुक ऑफ जेनेसिस’ में ‘शिमार’ का उल्लेख है जिसका अर्थ सुमेर से है। यूरोप के यात्री और विद्वान लोग मेसोपोटामिया को एक प्रकार से अपने पूर्वजों की भूमि मानते थे।
प्रश्न 3.
बाइबल में उल्लिखित जल-प्लावन की घटना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बाइबल के अनुसार पृथ्वी पर सम्पूर्ण जीवन को नष्ट करने वाला जल – प्लावन हुआ था । किन्तु ईश्वर ने जल-प्लावन के पश्चात् भी जीवन को पृथ्वी पर सुरक्षित रखने के लिए नोआ नामक एक व्यक्ति को चुना । नोआ ने एक अत्यन्त विशाल नौका का निर्माण किया और उसमें सभी जीव-जन्तुओं का एक – एक जोड़ा रख दिया। जल-प्लावन के समय नौका में रखे सभी जोड़े सुरक्षित बच गए परन्तु बाकी सब कुछ नष्ट हो गया।
प्रश्न 4.
मेसोपोटामिया के परम्परागत साहित्य में वर्णित ‘जल – प्लावन आख्यान’ का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया के परम्परागत साहित्य में वर्णित ‘जल – प्लावन आख्यान’ में बताया गया है कि एक बार देवता मनुष्य जाति को नष्ट करने पर उतारू हो गए परन्तु एनकी ने जिउसूद्र नामक एक व्यक्ति को यह रहस्य बता दिया । जिउसूद्र ने एनकी के आदेशानुसार एक विशाल नौका बनाई और उसे अनेक जीवों के जोड़ों और अन्नादि से भर लिया । अपने परिवार को भी उसने नाव पर चढ़ा लिया। फिर भीषण जल-प्लावन आया जो सात दिन तक चलता रहा। जिउसूद्र ने देवताओं को बलि दी जिससे वे उस पर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने उसे अमृत्व प्रदान किया और दिलमुन पर्वत पर उसे स्थान दिया।
प्रश्न 5.
इराक की भौगोलिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
इराक भौगोलिक विविधता का देश है। इसके पूर्वोत्तर भाग में हरे-भरे, ऊँचे-नीचे मैदान हैं जो धीरे-धीरे वृक्षों से ढके हुए पर्वतों के रूप में फैलते गए हैं। यहाँ साफ पानी के झरने तथा जंगली फूल हैं। यहाँ अच्छी फसल के लिए पर्याप्त वर्षा हो जाती है। उत्तर में ऊँची भूमि है जहाँ स्टेपी- घास के मैदान हैं। यहाँ पशु-पालन ‘खेती की अपेक्षा आजीविका का अच्छा साधन है। सर्दियों की वर्षा के पश्चात् भेड़-बकरियाँ यहाँ उगने वाली छोटी-छोटी झाड़ियों और घास से अपना भरण-पोषण करती हैं। पूर्व में दजला की सहायक नदियाँ ईरान के पहाड़ी प्रदेशों में जाने के लिए परिवहन के अच्छे साधन हैं। दक्षिणी भाग एक रेगिस्तान है।
प्रश्न 6.
मेसोपोटामिया के दक्षिण भाग (रेगिस्तान) में सबसे पहले नगरों के प्रादुर्भाव के क्या कारण थे?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के दक्षिणी भाग (रेगिस्तान) में सबसे पहले नगरों के प्रादुर्भाव के निम्नलिखित कारण थे –
(1) इन रेगिस्तानों में शहरों के लिए भरण-पोषण का साधन बन सकने की क्षमता थी, क्योंकि फरात और दजला नामक नदियाँ उत्तरी पहाड़ों से निकल कर अपने साथ उपजाऊ बारीक मिट्टी लाती रही हैं। जब इन नदियों में बाढ़ आती है अथवा जब इनके पानी का सिंचाई के लिए खेतों में ले जाया जाता है, तब यह उपजाऊ मिट्टी वहाँ जमा हो जाती है।
(2) फरात नदी रेगिस्तान में प्रवेश करने के बाद कई धाराओं में बँटकर बहने लगती है। कभी-कभी इन धाराओं में बाढ़ आ जाती है। प्राचीन काल में ये धाराएँ सिंचाई की नहरों का काम देती थीं। इनमें आवश्यकता पड़ने पर गेहूँ, जौ, मटर, मसूर आदि के खेतों की सिंचाई की जाती थी। इस प्रकार वर्षा की कमी के बावजूद सभी पुरानी सभ्यताओं में दक्षिणी मेसोपोटामिया की खेती सबसे अधिक उपज देती थी।
प्रश्न 7.
मेसोपोटामिया में नगरों के उदय के परिणामस्वरूप कौन-कौनसे प्रमुख परिवर्तन दिखाई दिए?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में नगरों के उदय व उनके विकास के परिणामस्वरूप समाज में निम्न प्रमुख परिवर्तन दिखाई दिए –
- नगरों के विकास के परिणामस्वरूप कृषि के साथ-साथ संगठित व्यापार, श्रम विभाजन, वितरण और भंडारण की गतिविधियों को बढ़ावा मिला।
- नगरों के विकास के परिणामस्वरूप ऐसी प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ जिसमें कुछ लोग आदेश देते थे और दूसरे • उनका पालन करते थे।
- शहरी अर्थव्यवस्था को अपना हिसाब-किताब रखने की आवश्यकता हुई । हिसाब-किताब लिखने के लिए कीलाक्षर लिपि का विकास हुआ तथा पट्टिकाओं की आवश्यकता पड़ी।
- नगरों के परिणामस्वरूप मुद्राओं के द्वारा वस्तु-विनिमय शुरू हुआ तथा मुद्रा का प्रचलन हुआ।
- नगरों के उदय के साथ-साथ अन्य प्रकार की आर्थिक गतिविधियाँ प्रचलन में आयीं, जैसे— नक्काशीकारी, बढईगिरी, बर्तन बनाने की कला आदि।
प्रश्न 8.
शहरीकरण के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा
‘श्रम-विभाजन शहरी जीवन की विशेषता है।” स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मेसोपोटामिया की सभ्यता का शहरीकरण कैसे हुआ? स्पष्ट कीजिये।
उत्तर:
शहरी अर्थव्यवस्था में खाद्य उत्पादन के अतिरिक्त व्यापार, उत्पादन और भिन्न-भिन्न प्रकार की सेवाओं की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। नगर के लोग आत्म-निर्भर नहीं होते हैं। वे नगर या गाँव के अन्य लोगों द्वारा उत्पन्न वस्तुओं या दी जाने वाली सेवाओं के लिए उन पर आश्रित होते हैं। उनमें आपस में बराबर लेन-देन होता रहता है। सभी लोग एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं। इसलिए श्रम विभाजन होता है जिसके अन्तर्गत लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति एक-दूसरे के उत्पादन अथवा सेवाओं के द्वारा करते हैं। इस प्रकार श्रम विभाजन शहरी जीवन की विशेषता है।
प्रश्न 9.
शहरीकरण के लिए कौनसे महत्त्वपूर्ण कारक आवश्यक होते हैं?
उत्तर:
शहरीकरण के लिए निम्नलिखित कारकों का होना आवश्यक है-
- प्राकृतिक उर्वरता तथा खाद्य उत्पादन का उच्च स्तर।
- कुशल जल परिवहन का होना।
- व्यापारिक गतिविधियों का होना तथा श्रम विभाजन और विशेषीकरण।
- विभिन्न शिल्पों का विकास।
- विभिन्न प्रकार की सेवाओं की उपलब्धि।
- सुव्यवस्थित प्रबन्ध व्यवस्था, जिससे राज्य में शांति व्यवस्था बनी रहे।
प्रश्न 10.
मेसोपोटामिया में कितने प्रकार के नगरों का निर्माण हुआ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में तीन प्रकार के नगरों का निर्माण हुआ।
यथा –
(1 ) मंदिर नगर – पहले प्रकार के नगर मंदिर नगर थे। यहाँ पहले मंदिर की स्थापना हुई और फिर उसके इर्द- गिर्द लोग बसते चले गए। उरुक सबसे पुराना मंदिर नगर था।
(2) व्यापारिक नगर – मेसोपोटामिया में कुछ नगरों का विकास व्यापारिक केन्द्रों के रूप में हुआ। व्यापारिक गतिविधियों के कारण लोग व्यापारिक केन्द्रों के इर्द-गिर्द बसते चले गए और वे नगरों के रूप में विकसित हो गए।
(3) शाही नगर – कुछ नगरों का निर्माण सत्ता का केन्द्र अर्थात् राजधानी होने के कारण हुआ।
प्रश्न 11.
शहरी अर्थव्यवस्था में एक सामाजिक संगठन का होना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
शहरी अर्थव्यवस्था में एक सामाजिक संगठन का होना आवश्यक है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित
(1) शहरी विनिर्माताओं के लिए ईंधन, धातु, विभिन्न प्रकार के पत्थर, लकड़ी आदि आवश्यक वस्तुएँ अलग- अलग स्थानों से आती हैं। इनके लिए संगठित व्यापार और भण्डारण की भी आवश्यकता होती है।
(2) शहरों में अनाज और अन्य खाद्य-पदार्थ गाँवों से आते हैं और उनके संग्रह तथा वितरण के लिए व्यवस्था करनी होती है।
(3) नगरों में अनेक प्रकार की गतिविधियाँ चलती रहती हैं जिनमें तालमेल बैठाना पड़ता है। उदाहरणार्थ, मुद्रा काटने वालों को केवल पत्थर ही नहीं, उन्हें तराशने के लिए औजार तथा बर्तन भी चाहिए। इस प्रकार कुछ लोग आदेश देने वाले होते हैं और कुछ उनका पालन करने वाले होते हैं।
(4) शहरी अर्थव्यवस्था में अपना हिसाब-किताब लिखित रूप में रखना होता है। इसके लिए अनेक सक्षम व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 12.
“वार्का शीर्ष मेसोपोटामिया की मूर्ति कला का एक विश्व प्रसिद्ध नमूना है।” स्पष्ट कीजिए। उत्तर- उरुक नामक नगर में 3000 ई.पू. स्त्री का सिर एक सफेद संगमरमर को तराश कर बनाया गया था। इसकी आँखों और भौंहों में क्रमशः नीले लाजवर्द तथा सफेद सीपी और काले डामर की जड़ाई की गई होगी। इस मूर्ति के सिर के ऊपर एक खाँचा बना हुआ है जो शायद आभूषण पहनने के लिए बनाया गया था । यह मूर्ति अत्यन्त सुन्दर है। यह मूर्तिकला का एक विश्व-प्रसिद्ध नमूना है। इसके मुख, ठोड़ी और गालों की सुकोमल – सुन्दर बनावट के लिए इसकी प्रशंसा की जाती है। यह एक ऐसे कठोर पत्थर में तराशा गया है जिसे बहुत अधिक दूरी से लाया गया होगा।
प्रश्न 13.
मेसोपोटामिया में किन वस्तुओं का आयात और निर्यात किया जाता था ?
उत्तर:
- मेसोपोटामिया में खाद्य – संसाधनों की प्रचुरता होते हुए भी, वहाँ खनिज संसाधनों का अभाव था। इसलिए प्राचीन काल में मेसोपोटामियावासी सम्भवतः लकड़ी, ताँबा, राँगा, चाँदी, सोना, सीपी और विभिन्न प्रकार के पत्थरों को तुर्की और ईरान अथवा खाड़ी – पार के देशों से मँगाते थे।
- ये लोग इन वस्तुओं के बदले में इन देशों को कपड़ा तथा कृषि-उत्पाद का निर्यात करते थे।
- इन वस्तुओं का नियमित रूप से आदान-प्रदान तभी सम्भव था जबकि इसके लिए कोई सामाजिक संगठन हो। दक्षिणी मेसोपोटामिया के लोगों ने ऐसे संगठन की स्थापना करने की शुरुआत की।
प्रश्न 14.
कुशल परिवहन व्यवस्था शहरी विकास के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण होती है?
उत्तर:
कुशल परिवहन व्यवस्था शहरी विकास के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है। अनाज या काठ कोयला भारवाही पशुओं की पीठ पर रखकर अथवा बैल – गाड़ियों में डालकर शहरों में लाना- – ले जाना अत्यन्त कठिन होता है। इसका कारण यह है कि इसमें बहुत अधिक समय लगता है और पशुओं के चारे आदि पर भी काफी खर्चा आता है। शहरी अर्थव्यवस्था इसका बोझ उठाने के लिए सक्षम नहीं होती। जलमार्ग परिवहन का सबसे सस्ता तरीका होता है।
अनाज के बोरों से लदी हुई नावें या बजरे नदी की धारा या हवा के वेग से चलते हैं, जिसमें कोई खर्चा नहीं लगता, जबकि पशुओं से माल की ढुलाई पर काफी खर्चा आता है। प्राचीन मेसोपोटामिया की नहरें तथा प्राकृतिक जलधाराएँ छोटी-बड़ी बस्तियों के बीच माल के परिवहन का अच्छा मार्ग थीं फरात नदी उन दिनों व्यापार के लिए ‘विश्व – मार्ग’ के रूप में महत्त्वपूर्ण थी।
प्रश्न 15.
मेसोपोटामिया में लेखन कला के विकास पर एक टिप्पणी लिखिए।
अथवा
कलाकार लिपि के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के लोग लेखन कला से परिचित थे। उनके पास अपनी लिपि थी। मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ पाई गई हैं, वे लगभग 3200 ई.पू. की हैं। उनमें चित्र जैसे चिह्न और संख्याएँ दी गई हैं। वहाँ बैलों, मछलियों, रोटियों आदि की लगभग 5 हजार सूचियाँ मिली हैं। मेसोपोटामिया में लेखन कार्य की शुरुआत तभी हुई जब समाज को अपने लेन-देन का स्थायी हिसाब रखने की आवश्यकता पड़ी, क्योंकि शहरी जीवन में लेन-देन अलग-अलग समय पर होते थे, उन्हें करने वाले भी कई लोग होते थे और सौदा भी कई प्रकार की वस्तुओं के विषय में होता था। मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखा करते थे।
लिपिक चिकनी मिट्टी को गीला करता था और उसे ऐसे आकार की पट्टी का रूप दे देता था, जिसे वह सरलता से अपने एक हाथ में पकड़ सके। वह उसकी सतहों को चिकनी बना लेता था तथा फिर सरकंडे की तीली की नोक से वह उसकी नम चिकनी सतह पर कीलाकार चिह्न बना देता था। धूप में सुखाने पर ये पट्टिकाएँ पक्की हो जाती थीं। इस प्रकार मेसोपोटामिया से कीलाकार लिपि का जन्म हुआ।
पूपन 16.
ऐसोपोटासिया में पुन्दिा निर्माण महत्व बताइए
अथवा
मेसोपोटामिया के प्रारम्भिक धर्म (मन्दिर एवं पूजा) को समझाइये
उत्तर:
5000 ई. पूर्व से दक्षिणी मेसोपोटामिया में बस्तियों का विकास होने लगा था। इन बस्तियों में से प्राचीन मंदिर उहरों का रूप ग्रहण कर लिया। बाहर से आकर बसने वाले लोगों ने अपने गाँवों में कुछ मन्दिरों का निर्माण करना या उनका पुनर्निर्माण करना शुरू कर दिया। सबसे पहला ज्ञात मन्दिर एक छोटा-सा देवालय था जो कच्ची ईंटों का बना हुआ था। मन्दिर विभिन्न प्रकार के देवी – देवताओं के निवास स्थान थे। इन देवी-देवताओं में उर (चन्द्र) तथा इन्नाना (प्रेम व युद्ध की देवी) प्रमुख थे।
ये मन्दिर ईंटों से बनाए जाते थे और धीरे-धीरे इनका आकार बढ़ता गया। इन मन्दिरों के खुले आँगनों के चारों ओर कई कमरे बने होते थे। कुछ प्रारम्भिक मन्दिर साधारण घरों जैसे थे; क्योंकि मन्दिर भी किसी देवता का घर ही होता था। देवता पूजा का केन्द्र-बिन्दु होता था। लोग देवी – देवता को प्रसन्न करने के लिए अन्न- दही, मछली आदि भेंट करते थे। आराध्यदेव सैद्धान्तिक रूप से खेतों, मत्स्य क्षेत्रों और स्थानीय लोगों के पशु-धन का स्वामी माना जाता था।
प्रश्न 17.
मेसोपोटामिया में प्राकृतिक उपजाऊपन होने के बावजूद कृषि को कई बार संकटों का सामना क्यों करना पड़ता था ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में प्राकृतिक उपजाऊपन होने के बावजूद कृषि को कई बार निम्नलिखित कारणों से संकटों का सामना करना पड़ता था-
(1) फरात नदी की प्राकृतिक धाराओं में किसी वर्ष तो बहुत अधिक पानी बह आता था और फसलों को डुबो देता था और कभी-कभी ये धाराएँ अपना मार्ग बदल लेती थीं, जिससे खेत सूखे रह जाते थे।
(2) जो लोग इन धाराओं के ऊपरी क्षेत्रों में रहते थे, वे अपने निकट की जलधारा से इतना अधिक पानी अपने
खेतों में ले लेते थे कि धारा के नीचे की ओर बसे हुए गाँवों को पानी ही नहीं मिलता था।
(3) ये लोग अपने हिस्से की नदी में से मिट्टी नहीं निकालते थे, जिससे बहाव रुक जाता था और नीचे वाले क्षेत्रों के लोगों को पानी नहीं मिल पाता था। इसलिए मेसोपोटामिया के तत्कालीन ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन और पानी के लिए बार-बार झगड़े हुआ करते थे।
प्रश्न 18.
उरुक में हुई तकनीकी प्रगति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उरुक के शासक के आदेश से साधारण लोग पत्थर खोदने, धातु – खनिज लाने, मिट्टी से ईंटें तैयार करने और मन्दिरों में लगाने तथा सुदूर देशों में जाकर मन्दिरों के लिए उपयुक्त सामान लाने के कार्यों में जुटे रहते थे। इसके फलस्वरूप 3000 ई.पू. के आस-पास उरुक शहर में अत्यधिक तकनीकी प्रगति हुई। इस तकनीकी प्रगति का वर्णन अग्रानुसार है –
(1) अनेक प्रकार के शिल्पों के लिए काँसे के औजारों का प्रयोग किया जाने लगा।
(2) वास्तुविदों ने ईंटों के स्तम्भ बनाना सीख लिया था क्योंकि बड़े-बड़े कमरों की छतों के बोझ को सम्भालने के लिए शहतीर बनाने के लिए उपयुक्त लकड़ी नहीं मिलती थी।
(3) सैकड़ों लोग चिकनी मिट्टी के शंकु (कोन) बनाने और पकाने के काम में लगे रहते थे। इन शंकुओं को भिन्न-भिन्न रंगों में रंग कर मन्दिरों की दीवारों में लगाया जाता था जिससे वे दीवारें विभिन्न रंगों से आकर्षक दिखाई देती थीं।
(4) उरुक में मूर्तिकला के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण उन्नति हुई। मूर्तियाँ अधिकतर आयातित पत्थरों से बनाई जाती थीं।
(5) कुम्हार के चाक के निर्माण से प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक युगान्तरकारी परिवर्तन आया। चाक से कुम्हार की कार्यशाला में एक साथ बड़े पैमाने पर अनेक एक जैसे बर्तन सरलता से बनाए जाने लगे।
प्रश्न 19.
” मुद्रा (मोहर) सार्वजनिक जीवन में नगरवासी की भूमिका को दर्शाती थी। ” स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मेसोपोटामिया में मुद्रा – निर्माण कला पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया में पहली सहस्राब्दी ई. पूर्व से अन्त तक पत्थर की बेलनाकार मुद्राएँ बनाई जाती थीं। इनके बीच में छेद होता था। इस छेद में एक तीली लगाकर मुद्रा को गीली मिट्टी के ऊपर घुमाया जाता था। इस प्रकार उनसे निरन्तर चित्र बनता जाता था। इन मुद्राओं को अत्यन्तं कुशल कारीगरों द्वारा उकेरा जाता था। कभी-कभी उनमें ऐसे लेख होते थे, जैसे मालिक का नाम, उसके इष्टदेव का नाम और उसकी अपनी पदीय स्थिति आदि।
किसी कपड़े की गठरी या बर्तन के मुँह को चिकनी मिट्टी से लीप-पोत कर उस पर वह मोहर घुमाई जाती थी जिससे उसमें अंकित लिखावट मिट्टी की सतह पर छा जाती थी। इससे उस गठरी या बर्तन में रखी चाजों को मोहर लगाकर सुरक्षित रखा जा सकता था। जब इस मोहर को मिट्टी की बनी पट्टिका पर लिखे पत्र पर घुमाया जाता था, तो वह मोहर उस पत्र की प्रामाणिकता को प्रदर्शित करती थी । इस प्रकार मुद्रा सार्वजनिक जीवन में नगरवासी की भूमिका को प्रकट करती थी।
प्रश्न 20.
मेसोपोटामियावासियों की विवाह – प्रणाली का वर्णन कीजिए।
उत्तर- विवाह करने की इच्छा के सम्बन्ध में घोषणा की जाती थी और कन्या के माता-पिता उसके विवाह के लिए अपनी सहमति प्रदान करते थे। उसके पश्चात् वर पक्ष के लोग वधू को कुछ उपहार देते थे। जब विवाह की रस्म पूरी हो जाती थी, तब दोनों पक्षों की ओर से एक-दूसरे को उपहार दिये जाते थे और वे एकसाथ बैठकर भोजन करते थे। इसके बाद वे मन्दिर में जाकर देवी-देवता को भेंट चढ़ाते थे। जब नववधू को उसकी सास लेने आती थी, तब वधू को उसके पिता के द्वारा उसकी दाय का भाग दे दिया जाता था।
प्रश्न 21.
मारी नगर के पशुचारकों की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
2000 ई. पूर्व के बाद मारी नगर शाही राजधानी के रूप में विकसित हुआ। मारी नगर फरात नदी की ऊर्ध्वधारा पर स्थित है। इस ऊपरी क्षेत्र में खेती और पशुपालन साथ-साथ चलते थे। यद्यपि मारी राज्य में किसान और पशुचारक दोनों प्रकार के लोग होते थे, परन्तु वहाँ का अधिकांश भाग भेड़-बकरी चराने के लिए ही काम में लिया जाता था।
पशुचारकों को जब अनाज, धातु के औजारों आदि की आवश्यकता पड़ती थी तब वे अपने पशुओं तथा उनके पनीर, चमड़ा तथा मांस आदि के बदले ये चीजें प्राप्त करते थे। बाड़े में रखे जाने वाले पशुओं के गोबर से बनी खाद भी किसानों के लिए बहुत उपयोगी होती थी। फिर भी मारी राज्य में किसानों तथा गड़रियों के बीच कई बार झगड़े हो जाते थे।
प्रश्न 22.
मारी राज्य में किसानों तथा गड़रियों के बीच झगड़े होने के कारणों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मारी राज्य में किसानों तथा गड़रियों के बीच कई बार झगड़े हो जाते थे। इन झगड़ों के निम्नलिखित कारण थे –
(1) गड़रिये कई बार अपनी भेड़-बकरियों को पानी पिलाने के लिए किसानों के बोए हुए खेतों से गुजार कर ले जाते थे जिससे किसानों की फसलों को हानि पहुँचती थी।
(2) ये गड़रिये खानाबदोश होते थे और कई बार किसानों के गाँवों पर हमला कर उनका माल लूट लेते थे। इससे दोनों पक्षों में कटुता बढ़ती थी।
(3) दूसरी ओर, बस्तियों में रहने वाले लोग भी इन गड़रियों का मार्ग रोक देते थे तथा उन्हें अपने पशुओं को नदी – नहर तक नहीं ले जाने देते थे।
प्रश्न 23.
“मेसोपोटामिया का समाज और वहाँ की संस्कृति भिन्न-भिन्न समुदायों के लोगों और संस्कृतियों का मिश्रण था। ” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया के कृषि से समृद्ध हुए मुख्य भूमि – प्रदेश में यायावर समुदायों के झुण्ड के झुण्ड पश्चिमी मरुस्थल से आते रहते थे। ये गड़रिये गर्मियों में अपने साथ इस उपजाऊ क्षेत्र के बोए हुए खेतों में अपनी भेड़-बकरियाँ ले आते थे। गड़रियों के ये समूह फसल काटने वाले श्रमिकों अथवा भाड़े के सैनिकों के रूप में आते थे और समृद्ध होकर यहीं बस जाते थे। उनमें से कुछ तो बहुत शक्तिशाली थे जिन्होंने यहाँ अपनी स्वयं की सत्ता स्थापित करने की शक्ति प्राप्त कर ली थी।
ये खानाबदोश लोग अक्कदी, एमोराइट, असीरियाई तथा आर्मीनियन जाति के थे। मारी के राजा एमोराइट समुदाय के थे। उनकी वेश-भूषा वहाँ के मूल निवासियों से अलग होती थी तथा वे मेसोपोटामिया के देवी-देवताओं का आदर करते थे। उन्होंने स्टेपी क्षेत्र के देवता डैगन के लिए मारी नगर में एक अन्य मन्दिर का निर्माण भी करवाया। इस प्रकार मेसोपोटामिया का समाज और वहाँ की संस्कृति भिन्न-भिन्न समुदायों के लोगों और संस्कृतियों के लिए खुली थी तथा सम्भवतः विभिन्न जातियों और समुदायों के लोगों के परस्पर मिश्रण से ही वहाँ की सभ्यता में जीवन-शक्ति उत्पन्न हो गई थी।
प्रश्न 24.
जिमरीलिम के मारी स्थित राजमहल का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जिमरीलिम का मारी स्थित राजमहल –
- मारी स्थित विशाल राजमहल वहाँ के शाही परिवार का निवास-स्थान था। इसके अतिरिक्त वह प्रशासन और उत्पादन, विशेष रूप से कीमती धातुओं के आभूषणों के निर्माण का मुख्य केन्द्र भी था।
- यह राजमहल विश्व में प्रसिद्ध था जिसे देखने के लिए दूसरे देशों के लोग भी आते थे।
- यह राजमहल 2.4 हैक्टेयर के क्षेत्र में स्थित एक अत्यन्त विशाल भवन था जिसमें 260 कक्ष बने हुए थे।
- मारी के राजा जिमरीलिम के भोजन की मेज परं प्रतिदिन भारी मात्रा में खाद्य पदार्थ प्रस्तुत किये जाते थे जिनमें आटा, रोटी, मांस, मछली, फल, मदिरा, बीयर आदि सम्मिलित थीं।
- राजमहल का केवल एक ही प्रवेश-द्वार था जो उत्तर की ओर बना हुआ था। उसके विशाल खुले प्रांगण सुन्दर पत्थरों से जड़े हुए थे।
- राजमहल में राजा के विदेशी अतिथियों तथा अपने प्रमुख लोगों से मिलने वाले कक्ष में सुन्दर भित्तिचित्र लगे हुए।
प्रश्न 25.
मारी के राजाओं को अपने राज्य की सुरक्षा के लिए सदा सतर्क और सावधान क्यों रहना पड़ता था?
उत्तर:
मारी के राजाओं को अपने राज्य की सुरक्षा के लिए सदा सतर्क और सावधान रहना पड़ता था। यद्यपि मारी राज्य में विभिन्न जनजातियों के पशुचारकों को घूमने-फिरने की अनुमति तो थी, परन्तु उनकी गतिविधियों पर कड़ी दृष्टि रखी जाती थी। राजा के पदाधिकारियों को इन पशुचारकों की गतिविधियों के बारे में अपने राजा को सूचना देनी पड़ती थी। इस बात का पता राजाओं तथा उनके पदाधिकारियों के बीच हुए पत्र-व्यवहार से चलता है। एक बार एक पदाधिकारी ने राजा को लिखा था कि उसने रात्रि में बार-बार आग से किये गए ऐसे संकेतों को देखा है जो एक शिविर से दूसरे शिविर को भेजे गए थे और उसे सन्देह है कि कहीं किसी धावे या हमले की योजना तो नहीं बनाई जा रही है।
प्रश्न 26.
“मारी नगर एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र था। ” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मारी नगर एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण व्यापारिक स्थल पर स्थित था, जहाँ से होकर लकड़ी, ताँबा, राँगे, तेल, मदिरा और अन्य कई वस्तुओं को नावों के द्वारा फरात नदी के मार्ग से दक्षिण और तुर्की, सीरिया और लेबनान के ऊँचे प्रदेशों के बीच लाया ले जाया जाता था। व्यापार की उन्नति के कारण मारी नगर अत्यन्त समृद्ध शहर बना हुआ था। दक्षिणी नगरों में घिसाई – पिसाई के पत्थर, चक्कियाँ, लकड़ी, शराब तथा तेल के पीपे ले जाने वाले जलपोत मारी में रुका करते थे।
मारी के अधिकारी जलपोत पर जाकर उस पर लदे हुए सामान की जाँच करते थे और उसमें लदे हुए सामान की कीमत का लगभग 10 प्रतिशत प्रभार वसूल करते थे। जौ एक विशेष प्रकार की नौकाओं में आता था। कुछ पट्टिकाओं में साइप्रस के द्वीप ‘अलाशिया’ से आने वाले ताँबे का उल्लेख मिला है। यह द्वीप उन दिनों ताँबे तथा टिन के व्यापार के लिए प्रसिद्ध था। यहाँ राँगे का भी व्यापार होता था क्योंकि काँसा, औजार तथा हथियार बनाने के लिए यह एक मुख्य औद्योगिक सामग्री था। इसलिए इसके व्यापार का काफी महत्त्व था। इस प्रकार मारी नगर व्यापार और समृद्धि के मामले में अद्वितीय था।
प्रश्न 27.
मेसोपोटामिया के नगरों की खुदाई के फलस्वरूप मेसोपोटामिया की सभ्यता के बारे में क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर:
मेसोपोटामिया के नगरों में हुए उत्खनन कार्य के फलस्वरूप पुरातत्त्वविदों को इमारतों, मूर्तियों, आभूषणों, औजारों, मोहरों, मन्दिरों आदि के अवशेष प्राप्त हुए जिनसे मेसोपोटामिया की सभ्यता के बारे में काफी जानकारी मिलती है।
यथा –
(i) खुदाई में ‘अबुसलाबिख’ नामक एक छोटा कस्बा 2500 ई. पूर्व में लगभग 10 हैक्टेयर क्षेत्र में बसा हुआ था और इसकी जनसंख्या 10,000 से कम थी। पुरातत्त्वविदों ने इसकी दीवारों की ऊपरी सतहों को सर्वप्रथम खरोंचकर निकाला। उन्हें नीचे की मिट्टी कुछ नम मिली और भिन्न-भिन्न रंगों, उसकी बनावट, ईंटों की दीवारों की स्थिति आदि की जानकारी प्राप्त की।
(ii) उन्हें पौधों और पशुओं की अनेक प्रजातियों की जानकारी मिली।
(iii) उन्हें बड़ी मात्रा में जली हुई मछलियों की हड्डियाँ मिलीं।
(iv) उन्हें वहाँ गोबर के उपलों के जले हुए ईंधन में से निकले हुए पौधों के बीज और रेशे मिले। इससे ज्ञात हुआ कि इस स्थान पर रसोईघर था।
(v) वहाँ की गलियों में सूअरों के छोटे बच्चों के दाँत पाए गए हैं जिनसे ज्ञात होता है कि यहाँ सूअर विचरण करते थे।
(vi) वहाँ के घरों में कुछ कमरों पर पोपलर के लट्ठों, खजूर की पत्तियों तथा घास-फूस की छतें थीं और कुछ कमरे बिना किसी छत के थे।
प्रश्न 28.
गिल्गेमिश महाकाव्य से मेसोपोटामिया की संस्कृति में शहरों के महत्त्व के बारे में क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर:
मेसोपोटामियावासी शहरी जीवन को महत्त्व देते थे। ‘गिलोमिश महाकाव्य’ से ज्ञात होता है कि मेसोपोटामिया के लोग अपने नगरों पर बहुत अधिक गर्व करते थे। गिल्गेमिश महाकाव्य 12 पट्टियों पर लिखा गया था। गिल्गेमिश ने राजा एनमर्कर के कुछ समय बाद उरुक नगर पर शासन किया था। वह एक महान योद्धा था। उसने दूर- दूर तक के अनेक प्रदेशों को जीत कर अपने अधीन कर लिया था। परन्तु जब उसके घनिष्ठ मित्र की अचानक मृत्यु हो गई तो उसे प्रबल आघात पहुँचा।
इससे दुःखी होकर वह अमरत्व की खोज में निकल पड़ा। उसने सम्पूर्ण संसार का चक्कर लगाया, परन्तु उसे अपने उद्देश्य में सफलता नहीं मिली। अन्त में गिोमिश अपने नगर उरुक नगर लौट आया। एक दिन जब वह शहर की चहारदीवारी के निकट भ्रमण कर रहा था, तो उसकी दृष्टि उन पकी ईंटों पर पड़ी, जिनसे उसकी नींव डाली गई थी। वह भाव-विभोर हो उठा। यहीं पर ही गिल्गेमिश महाकाव्य की लम्बी साहसपूर्ण और वीरतापूर्ण कहानी का अन्त हो गया। इस प्रकार गिल्गेमिश को अपने नगर में ही सान्त्वना मिलती है, जिसे उसकी प्रिय प्रजा ने बनाया था।
प्रश्न 29.
विश्व को मेसोपोटामिया की सभ्यता की क्या देन है ?
अथवा
गणित, ज्योतिष शास्त्र व खगोल विद्या के क्षेत्र में मेसोपोटामिया की देन का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया की सभ्यता की विश्व को सबसे बड़ी देन उसकी काल-गणना और गणित की विद्वत्तापूर्ण परम्परा है। विश्व को मेसोपोटामिया की देन का वर्णन निम्नानुसार है –
(1) 1800 ई. पूर्व के आस-पास कुछ पट्टिकाएँ मिली हैं, जिनमें गुणा और भाग की तालिकाएँ, वर्ग तथा वर्गमूल और चक्रवृद्धि ब्याज की सारणियाँ दी गई हैं। इनमें दो का वर्गमूल दिया गया है जो सही उत्तर से थोड़ा-सा ही भिन्न है।
(2) मेसोपोटामियावासियों ने पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की परिक्रमा के अनुसार एक वर्ष को 12 महीनों में, एक महीने को 4 सप्ताहों, एक दिन को 24 घण्टों में और एक घण्टे को 60 मिनट में विभाजित किया था। सिकन्दर के उत्तराधिकारियों ने समय के इस विभाजन को अपनाया, वहाँ से वह रोम और फिर इस्लामी देशों को मिला और फिर मध्ययुगीन यूरोप में पहुँचा।
(3) मेसोपोटामियावासी सूर्य और चन्द्र ग्रहण के घटित होने का हिसाब भी रखते थे।
(4) वे रात को आकाश में तारों और तारामण्डल की स्थिति पर बराबर दृष्टि रखते थे तथा उनका हिसाब रखते थे।
प्रश्न 30.
नैबोपोलास्सर तथा उनके उत्तराधिकारियों के समय में बेबीलोनिया के विकास का वर्णन कीजिए।
अथवा
बेबीलोन नगर की मुख्य विशेषतायें बताइये।
उत्तर:
नैबोपोलास्सर दक्षिणी कछार का एक महान योद्धा था। उसने बेबीलोनिया को 625 ई. पूर्व में असीरियन लोगों के आधिपत्य से मुक्ति दिलाई। उसके उत्तराधिकारियों ने बेबीलोनिया के राज्य का विस्तार किया और बेबीलोन में भवन-निर्माण की योजनाएँ पूरी कीं। 539 ई. पूर्व में ईरान के एकेमिनिड लोगों द्वारा विजित होने के पश्चात् तथा 331 ई. पूर्व में सिकन्दर महान से पराजित होने तक बेबीलोन विश्व का एक प्रमुख नगर बना रहा।
प्रमुख विशेषताएँ – इस नगर की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –
- इसका क्षेत्रफल 850 हैक्टेयर से अधिक था।
- इसकी चहारदीवारी तिहरी थी।
- इसमें विशाल राजमहल तथा मन्दिर बने हुए थे।
- इसमें एक जिगुरात अर्थात् सीढ़ीदार मीनार थी।
- इस नगर के मुख्य अनुष्ठान केन्द्र तक शोभा यात्रा के लिए एक विस्तृत मार्ग बना हुआ था।
- इसके व्यापारिक घराने दूर-दूर तक व्यापार करते थे।
- इसके गणितज्ञों तथा खगोलविदों ने अनेक नई खोजें की थीं।
प्रश्न 31.
” नैबोनिडस मेसोपोटामिया की प्राचीन परम्पराओं का पालक था। ” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
नैबोनिडस स्वतन्त्र बेबीलोनिया का अन्तिम शासक था। उसने लिखा है कि उसे सपने में उर के नगर- देवता ने सुदूर – दक्षिण के उस पुरातन नगर का कार्य – भार सम्भालने के लिए एक महिला पुरोहित को नियुक्त करने का आदेश दिया। उसने लिखा, “चूँकि बहुत लम्बे समय से उच्च महिला पुरोहित का प्रतिष्ठान भुला दिया गया था नैबोनिडस ने लिखा है कि उसे एक बहुत पुराने राजा (1150 ई. पू.) का पट्टलेख मिला और उस पर उसने महिला पुरोहित की आकृति अंकित देखी।
उसने उसके आभूषणों और वेशभूषा को ध्यानपूर्वक देखा। फिर उसने अपनी पुत्री को वैसी ही वेशभूषा से सुसज्जित कर महिला पुरोहित के रूप में प्रतिष्ठित किया। कुछ समय बाद नैबोनिडस के व्यक्ति उसके पास एक टूटी हुई मूर्ति लाए जिस पर अक्कद के राजा सारगोन (2370 ई.पू.) का नाम उत्कीर्ण था। नैबोनिडस ने लिखा है कि ” देवताओं के प्रति भक्ति और राजा के प्रति अपनी निष्ठा के कारण, मैंने कुशल शिल्पियों को बुलाया और उसका खण्डित सिर बदलवा दिया। ”
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
“इराक भौगोलिक विविधता का देश है।” इस कथन के सन्दर्भ में मेसोपोटामिया की भौगोलिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया की भौगोलिक विशेषताएँ मेसोपोटामिया की भौगोलिक विशेषताएँ निम्नलिखित थीं –
(1) भौगोलिक स्थिति – इराक भौगोलिक विविधता का देश है। इसके पूर्वोत्तर भाग में हरे-भरे, ऊँचे-नीचे मैदान हैं, जो वृक्षों से ढके हुए पर्वतों के रूप में फैलते गए हैं। यहाँ स्वच्छ झरने तथा जंगली फूल हैं। यहाँ अच्छी उपज के लिए पर्याप्त वर्षा हो जाती है। यहाँ 7000 ई.पू. से 5000 ई.पू. के बीच खेती की शुरुआत हो गई थी।
उत्तर में ऊँची भूमि है जहाँ ‘स्टेपी’ घास के मैदान हैं। यहाँ पशुपालन खती की अपेक्षा लोगों के आजीविका का अधिक अच्छा साधन है। सर्दियों की वर्षा के पश्चात्, भेड़-बकरियाँ छोटी-छोटी झाड़ियों तथा घास से अपना भरण-पोषण करती हैं। पूर्व में जला की सहायक नदियाँ ईरान के पहाड़ी प्रदेशों में जाने के लिए परिवहन का अच्छा साधन हैं। दक्षिणी भाग एक रेगिस्तान है और यहीं पर सबसे पहले नगरों तथा लेखन प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ।
(2) उपज – फरात नदी रेगिस्तान में प्रवेश करने के पश्चात् कई धाराओं में बँटकर बहने लगती है। कभी-कभी इन धाराओं में बाढ़ आ जाती है। पुराने युग में ये धाराएँ सिंचाई की नहरों का काम देती थीं। इनसे आवश्यकता पड़ने पर गेहूँ, जौ, मटर या मसूर के खेतों की सिंचाई की जाती थी। इस प्रकार यहाँ गेहूँ, जौ, खजूर, मटर या मसूर की खेती की ती थी। प्राचीन सभ्यताओं में दक्षिणी मेसोपोटामिया की खेती सबसे अधिक उपज देने वाली हुआ करती थी। फिर भी वहाँ फसलों की खेती के लिए आवश्यक वर्षा की कुछ कमी रहती थी।
(3) पशुपालन – खेती के अतिरिक्त भेड़-बकरियाँ स्टेपी घास के मैदानों, पूर्वोत्तरी मैदानों और पहाड़ों के ढालों `पर पाली जाती थीं। इनसे प्रचुर मात्रा में मांस, दूध और ऊन आदि
वस्तुएँ मिलती थीं। इसके अतिरिक्त मछली – पालन भी प्रचलित था तथा नदियों में मछलियों की कोई कमी नहीं थी।
प्रश्न 2.
शहरी विकास के लिए आवश्यक कारकों की विवेचना कीजिए।
अथवा
मेसोपोटामिया के शहरी जीवन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
मेसोपोटामिया में लेखन कला का विकास लेखन या लिपि का अर्थ है – उच्चरित ध्वनियाँ, जो दृश्य संकेतों के रूप में प्रस्तुत की जाती हैं।
(1) मिट्टी की पट्टिकाओं पर लेखन कार्य – मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ पाई गई हैं, वे लगभग 3200 ई. पूर्व की हैं। उनमें चित्र जैसा चिह्न और संख्याएँ दी गई हैं। वहाँ बैलों, मछलियों, रोटियों आदि की लगभग 5000 सूचियाँ मिली हैं। इससे ज्ञात होता है कि मेसोपोटामिया में लेखन कार्य तभी शुरू हुआ था जब समाज को अपने लेन- देन का स्थायी हिसाब रखने की आवश्यकता हुई क्योंकि शहरी जीवन में लेन-देन अलग-अलग समय पर होते थे। उन्हें करने वाले भी कई लोग होते थे और सौदा भी कई प्रकार की वस्तुओं के बारे में होता था।
(2) मिट्टी की पट्टिकाओं पर कीलाकार चिह्न बनाना – मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखा करते थे। लिपिक चिकनी मिट्टी को गीला करता था और फिर उसको गूंथ कर और थापकर एक ऐसे आकार की पट्टी का रूप दे देता था जिसे वह सरलता से अपने एक हाथ में पकड़ सके। वह उसकी सतहों को चिकना बना लेता था । इसके बाद सरकंडे की तीली की तीखी नोक से वह उसकी नम चिकनी सतह पर कीलाक्षर चिह्न (क्यूनीफार्म) बना देता था।
जब ये पट्टिकाएँ धूप में सूख जाती थीं, तो पक्की हो जाती थीं और वे मिट्टी के बर्तनों जैसी ही मजबूत हो जाती थीं इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना भी अपेक्षाकृत आसान था। जब पट्टिकाओं पर लिखा हुआ कोई हिसाब असंगत हो जाता था, तो उस पर कोई नया चिह्न या अक्षर नहीं लिखा जा सकता था। इस प्रकार प्रत्येक सौदे के लिए चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, एक पृथक् पट्टिका की आवश्यकता होती थी । इसीलिए मेसोपोटामिया के खुदाई स्थलों पर अनेक पट्टिकाएँ मिली हैं।
(3) लेखन का प्रयोग – लगभग 2600 ई.पू. के आस-पास वर्ण कीलाकार हो गए और भाषा सुमेरियन रही। अब लेखन का प्रयोग हिसाब-किताब रखने के लिए ही नहीं, बल्कि शब्दकोश बनाने, भूमि के हस्तान्तरण को कानूनी मान्यता प्रदान करने, राजाओं के कार्यों और उपलब्धियों का वर्णन करने तथा कानून में परिवर्तनों की उद्घोषणा करने के लिए किया जाने लगा। 2400 ई. पूर्व के बाद सुमेरियन भाषा का स्थान अक्कदी भाषा ने ले लिया। अक्कदी भाषा में . कीलाकार लेखन की प्रणाली ई. सन् की पहली शताब्दी तक अर्थात् 2 हजार से अधिक वर्षों तक चलती रही।
(4) लेखन प्रणाली – मेसोपोटामिया में जिस ध्वनि के लिए कीलाक्षर या कीलाकार चिह्न का प्रयोग किया जाता था, वह एक अकेला व्यंजन या स्वर नहीं होता था परन्तु अक्षर होते थे। इस प्रकार मेसोपोटामिया के लिपिक को सैकड़ों चिह्न सीखने पड़ते थे और उसे गीली पट्टी पर उसके सूखने से पहले ही लिखना होता था। लेखन कार्य के लिए बड़ी कुशलता की जरूरत होती थी, इसलिए लेखन कार्य अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना जाता था। इस प्रकार, किसी भाषा – विशेष की ध्वनियों को एक दृश्य- -रूप में प्रस्तुत करना मेसोपोटामियावासियों की एक महान् बौद्धिक उपलब्धि मानी जाती थी।
(5) साक्षरता – मेसोपोटामिया में साक्षर लोगों की संख्या बहुत कम थी । मेसोपोटामिया में बहुत कम लोग पढ़- लिख सकते थे। इसका कारण यह था कि न केवल प्रतीकों या चिह्नों की संख्या सैकड़ों में थी, बल्कि ये कहीं अधिक जटिल भी थे। यदि राजा स्वयं पढ़ सकता था, तो वह चाहता था कि प्रशस्तिपूर्ण अभिलेखों में उन तथ्यों का उल्लेख अवश्य किया जाए।
प्रश्न 4.
दक्षिणी मेसोपोटामिया के शहरीकरण का वर्णन करते हुए वहाँ के मन्दिरों के निर्माण एवं उनके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
दक्षिणी मेसोपोटामिया का शहरीकरण – 5000 ई.पू. से दक्षिणी मेसोपोटामिया में बस्तियों का विकास होने लगा था। इन बस्तियों में से कुछ ने प्राचीन शहरों का रूप धारण कर लिया।
ये शहर मुख्यतः तीन प्रकार के थे –
(1) पहले वे शहर जो मन्दिरों के चारों ओर विकसित हुए।
(2) दूसरे वे शहर जो व्यापार के केन्द्रों के रूप में विकसित हुए।
(3) शेष शाही शहर।
(1) मन्दिरों का निर्माण – मेसोपोटामिया में बाहर से आकर बसने वालों ने अपने गाँवों में कुछ चुने हुए स्थानों पर मन्दिरों का निर्माण करवाया या उनका पुनर्निर्माण करवाना शुरू किया। सबसे पहला ज्ञात मन्दिर एक छोटा-सा देवालय था, जो कच्ची ईंटों का बना हुआ था। मन्दिर विभिन्न प्रकार के देवी-देवताओं के निवास स्थान थे, जैसे-उर (चन्द्र देवता), अन (आकाश देवता), इन्नाना ( प्रेम और युद्ध की देवी )।
(2) मन्दिरों का स्वरूप- ये मन्दिर ईंटों से बनाए जाते थे और समय के साथ इनके आकार बढ़ते गए क्योंकि उनके खुले आँगनों के चारों ओर कई कमरे बने होते थे। कुछ प्रारम्भिक मन्दिर साधारण घरों की तरह होते थे, क्योंकि मन्दिर भी किसी देवता का घर ही होता था, परन्तु मन्दिरों की बाहरी दीवारें कुछ विशेष अन्तरालों के बाद भीतर और बाहर की ओर मुड़ी हुई होती थीं। यही मन्दिरों की विशेषता थी। परन्तु साधारण घरों की दीवारें ऐसी नहीं होती थीं।
(3) देवी-देवता को भेंट अर्पित करना – देवता पूजा का केन्द्र-बिन्दु होता था। मेसोपोटामियावासी देवी- देवताओं को प्रसन्न करने के लिए अन्न, दही, मछली, खजूर आदि लाते थे। इन वस्तुओं का एक भाग देवी-देवताओं को अर्पित कर दिया जाता था। आराध्यदेव सैद्धान्तिक रूप से खेतों, मत्स्य क्षेत्रों और स्थानीय लोगों के पशुधन का स्वामी माना जाता था।
(4) मन्दिरों के क्रियाकलापों में वृद्धि – धीरे-धीरे मन्दिरों के क्रियाकलाप बढ़ते चले गए।
यथा –
(i) कालान्तर में उपज को उत्पादित वस्तुओं में बदलने की प्रक्रिया (जैसे तेल निकालना, अनाज पीसना, कातना और ऊनी कपड़ा बुनना आदि) मन्दिरों में ही की जाती थी।
(ii) घर-परिवार से ऊपर के स्तर के व्यवस्थापक, व्यापारियों के नियोक्ता, अन्न, हल जोतने वाले पशुओं, रोटी, जौ की शराब, मछली आदि के आवंटन और वितरण के लिखित अभिलेखों के पालक के रूप में मन्दिरों ने धीरे-धीरे अपने क्रिया- -कलाप बढ़ा लिए।
(iii) यह परिवार के ऊपरी स्तर के उत्पादन का केन्द्र बन गया। इस प्रकार मंदिरों ने मुख्य शहरी संस्था का रूप धारण कर लिया।
प्रश्न 5.
मेसोपोटामिया में राजा का प्रादुर्भाव किस प्रकार हुआ ? उसके प्रभाव और शक्ति में वृद्धि किस प्रकार हुई ?
उत्तर:
मेसोपोटामिया में ‘राजा’ का प्रादुर्भाव – मेसोपोटामिया के तत्कालीन देहातों में जमीन और पानी के लिए बार-बार झगड़े हुआ करते थे। जब किसी क्षेत्र में दीर्घकाल तक लड़ाई चलती थी, तो लड़ाई में जीतने वाले मुखिया, अपने साथियों व समर्थकों को लूट का माल बाँट कर उन्हें प्रसन्न कर देते थे तथा पराजित हुए समूहों में से लोगों को बन्दी बनाकर अपने साथ ले जाते थे जिन्हें वे अपने चौकीदार या नौकर बना लेते थे। इस प्रकार, वे अपना प्रभाव और अनुयायियों की संख्या बढ़ा लेते थे। परन्तु युद्ध में विजयी होने वाले ये नेता स्थायी रूप से समुदाय के मुखिया नहीं बने रहते थे।
राजाओं की शक्ति तथा प्रभाव में वृद्धि –
(1) समुदाय के कल्याण पर ध्यान देना – कालान्तर में समुदाय के इन नेताओं ने समुदाय के कल्याण पर अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया, जिसके फलस्वरूप नई-नई संस्थाओं और परिपाटियों का जन्म हुआ।
(2) मन्दिरों के सौन्दर्यीकरण पर बल देना – इस समय के विजेता मुखियाओं ने बहुमूल्य भेंटों को देवताओं पर अर्पित करना शुरू कर दिया जिससे कि समुदाय के मन्दिरों की सुन्दरता बढ़ गई। उन्होंने लोगों को बहुमूल्य पत्थरों तथा धातुओं को लाने के लिए भेजा, जो देवताओं और समुदाय को लाभ पहुँचा सकें, मन्दिर की धन-सम्पदा के वितरण का तथा मन्दिरों में आने-जाने वाली वस्तुओं का अच्छी प्रकार से हिसाब-किताब रख सकें। इस व्यवस्था ने राजा को ऊँचा स्थान दिलाया तथा समुदाय पर उसका नियन्त्रण स्थापित किया।
(3) ग्रामीणों की सुरक्षा – राजाओं ने ग्रामीणों को अपने पास बसने के लिए प्रोत्साहित किया जिससे कि वे आवश्यकता पड़ने पर तुरन्त अपनी सेना संगठित कर सकें। इसके अतिरिक्त लोग एक-दूसरे के निकट रहने से स्वयं को अधिक सुरक्षित अनुभव कर सकते थे।
(4) युद्धबन्दियों और स्थानीय लोगों से अनिवार्य रूप से काम लेना – युद्धबन्दियों और स्थानीय लोगों को अनिवार्य रूप से मन्दिर का या प्रत्यक्ष रूप से शासक का काम करना पड़ता था। जिन्हें काम पर लगाया जाता था, उन्हें काम के बदले अनाज दिया जाता था। सैकड़ों ऐसी राशन-सूचियाँ मिली हैं जिनमें काम करने वाले लोगों के नामों के आगे उन्हें दिये जाने वाले अन्न, कपड़े, तेल आदि की मात्रा लिखी गई है।
प्रश्न 6.
मेसोपोटामिया में कला के क्षेत्र में हुई उन्नति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया में कला के क्षेत्र में पर्याप्त उन्नति हुई।
(1) भवन निर्माण कला – मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की धूप में सूखी हुई ईंटों से मकान बनाते थे। मकानों मध्य एक विशाल कक्ष (हॉल) रहता था, जिससे होकर अन्य कक्षों में जाया जाता था। बाद में खुले आँगन बनने लगे। धन-सम्पन्न लोगों के मकान मिट्टी के टीलों पर बनाये जाते थे। अन्दर की दीवारों पर प्लास्तर किया जाता था। भवन- *निर्माण में स्तम्भों और मेहराबों का प्रयोग भी किया जाता था। वास्तुविदों ने ईंटों के स्तम्भों को बनाना सीख लिया था क्योंकि उन दिनों बड़े-बड़े कमरों की छतों के बोझ को सम्भालने के लिए शहतीर बनाने हेतु उपयुक्त लकड़ी नहीं मिलती थी।
मेसोपोटामिया में अनेक मन्दिरों का भी निर्माण किया गया। मन्दिर ईंटों से बनाए जाते थे और धीरे-धीरे इनका आकार बढ़ता गया। मन्दिरों को देवताओं का निवास-स्थान माना जाता था। प्रत्येक नगर में विशाल मीनारों वाला एक मन्दिर होता था, जिसमें मेहराब, गुम्बद तथा स्तम्भ बहुत ही सुन्दर होते थे। सुमेरियन कला की सबसे बड़ी विशेषता ‘ज़िगुरात’ है। यह एक सीढ़ीदार मीनार थी। इन जिगुरातों का निर्माण एक ऊँचे चबूतरे पर किया जाता था जिसमें एक के ऊपर एक छज्जे का निर्माण किया जाता था।
(2) मूर्ति – कला – मेसोपोटामिया में मूर्तिकला की भी पर्याप्त उन्नति हुई। उर नगर की खुदाई में अनेक सुन्दर मूर्तियाँ मिली हैं। एक रथ पर सवार एक राजा की मूर्ति बड़ी सुन्दर और सजीव है। यहाँ एक मन्दिर के सामने चबूतरे पर बैल की एक अत्यन्त सजीव मूर्ति रखी हुई है। मेसोपोटामिया में मूर्तिकला के सुन्दर नमूने अधिकतर आयातित पत्थरों से तैयार किये जाते थे। 3000 ई. पूर्व उरुक नगर में एक स्त्री का सिर एक सफेद संगमरमर को तराश कर बनाया गया था। यह वार्का शीर्ष मेसोपोटामिया की मूर्ति कला का एक विश्व-प्रसिद्ध नमूना है।
(3) चित्रकला – मेसोपोटामिया में चित्रकला की भी उन्नति हुई। मेसोपोटामियावासी अपने मन्दिरों तथा दीवारों को पशुओं और मनुष्यों के चित्रों से सजाते थे। चित्रकारों द्वारा युद्ध के दृश्य भी चित्रित किये जाते थे।
(4) अन्य कलाएँ – मेसोपोटामिया के स्वर्णकार सोने-चाँदी के सुन्दर आभूषण और बर्तन बनाते थे। एक समाधि में एक राजकुमार के सिर पर स्वर्ण की भारी चादर का बना हुआ मुकुट मिला है जिस पर स्वर्णकार ने अद्भुत कौशल का प्रदर्शन किया है। धातु – पात्रों पर नक्काशी का बहुत सुन्दर काम भी मिलता है । यहाँ मिट्टी के सुन्दर बर्तन भी बनाये जाते थे।
प्रश्न 7.
मेसोपोटामिया की सामाजिक व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
अथवा
मेसोपोटामिया के शहरी जीवन की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया के नगरों की सामाजिक व्यवस्था (शहरी जीवन) – मेसोपोटामिया के नगरों की सामाजिक व्यवस्था का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है –
(1) समाज का वर्गीकरण – मेसोपोटामिया का समाज तीन वर्गों में विभाजित था –
(1) उच्च वर्ग
(2) मध्यम वर्ग
(3) निम्न वर्ग।
समाज में उच्च या सम्भ्रान्त वर्ग का बोलबाला था। अधिकांश धन-सम्पत्ति पर इसी वर्ग का अधिकार था। इस बात की पुष्टि इस बात से होती है कि बहुमूल्य वस्तुएँ, जैसे आभूषण, सोने के पात्र, सफेद सीपियाँ, लाजवर्द जड़े हुए लकड़ी के वाद्य यन्त्र, सोने के सजावटी खंजर आदि विशाल मात्रा में उर नामक नगर में राजाओं और रानियों की कुछ कब्रों या समाधियों में उनके साथ दफनाई गई मिली हैं। परन्तु सामान्य लोगों की दशा शोचनीय थी।
(2) परिवार – विवाह, उत्तराधिकार आदि के मामलों से सम्बन्धित कानूनी दस्तावेजों से ज्ञात होता है कि मेसोपोटामिया के समाज में एकल परिवार को ही आदर्श माना जाता था। एकल परिवार में एक पुरुष, उसकी पत्नी और बच्चे शामिल होते थे। फिर भी विवाहित पुत्र और उसका परिवार प्राय: अपने माता-पिता के साथ ही रहा करता था। पिता परिवार का मुखिया होता था। पुत्र ही पिता की सम्पत्ति का वास्तविक उत्तराधिकारी होता था।
(3) विवाह – विवाह करने की इच्छा के बारे में घोषणा की जाती थी और कन्या के माता-पिता उसके विवाह के लिए अपनी सहमति देते थे। उसके पश्चात् वर पक्ष के लोग वधू को कुछ उपहार भेंट में देते थे। विवाह की रस्म पूरी हो जाने के बाद दोनों पक्षों की ओर से उपहारों का आदान-प्रदान किया जाता था। वे एक-साथ बैठकर भोजन करते थे तथा मन्दिर में जाकर भेंट चढ़ाते थे। जब वधू को उसकी सास लेने आती थी, तब वधू को उसके पिता द्वारा उसकी दाय का हिस्सा दे दिया जाता था। पिता के घर, खेत और पशुधन पर उसके पुत्रों का अधिकार होता था।
प्रश्न 8.
उर नगर की प्रमुख विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
उर नगर की प्रमुख विशेषताएँ उर नगर की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन निम्नानुसार है –
1. नगर- नियोजन की पद्धति का अभाव – मेसोपोटामिया के उर नामक नगर में सबसे पहले खुदाई की गई थी। नगर में टेढ़ी-मेढ़ी तथा सँकरी गलियाँ पाई गईं। इससे ज्ञात होता है कि पहिए वाली गाड़ियाँ वहाँ के अनेक घरों तक नहीं पहुँच सकती थीं। अन्न के बोरे तथा ईंधन के गट्ठे सम्भवतः गधों पर लादकर घरों तक लाए जाते थे। पतली व घुमावदार गलियों तथा घरों के भूखण्डों के एक जैसा आकार न होने से पता चलता है कि उर में नगर नियोजन की पद्धति का
अभाव था।
2. जल – निकासी – जल निकासी की नालियों और मिट्टी की नलिकाएँ उर नगर के घरों के भीतरी आँगन में पाई गई हैं जिससे ज्ञात होता है कि घरों की छतों का ढलान भीतर की ओर होता था और वर्षा का पानी निकास नालियों के माध्यम से भीतरी आँगन में बने हुए हौजों में ले जाया जाता था। यह व्यवस्था इसलिए की गई थी कि एक साथ तेज वर्षा आने पर घर के बाहर कच्ची गलियाँ बुरी तरह कीचड़ से न भर जायें।
3. गलियों में कूड़ा-कचरा डालना – उर नगर के लोग अपने घर का सारा कूड़ा-कचरा गलियों में डाल देते थे। यह कूड़ा- – कचरा आने-जाने वाले लोगों के पैरों के नीचे आता रहता था। गलियों में कूड़ा-कचरा डालते रहने से गलियों की सतहें ऊँची उठ जाती थीं जिसके फलस्वरूप कुछ समय बाद घरों की दहलीजों को भी ऊँचा उठाना पड़ता था ताकि वर्षा के पश्चात् कीचड़ बहकर घरों के भीतर प्रवेश न कर सक।
4. दरवाजों से होकर रोशनी का आना- कमरों के अन्दर रोशनी खिड़कियों से नहीं बल्कि उन दरवाजों से होकर आती थी जो आँगन में खुला करते थे। इससे घरों के परिवारों में गोपनीयता भी बनी रहती थी।
5. घरों के बारे में प्रचलित अन्धविश्वास – लोगों में घरों के बारे में कई प्रकार के अन्धविश्वास प्रचलित थे। इस सम्बन्ध में उर नगर में शकुन-अपशकुन सम्बन्धी बातें पट्टिकाओं पर लिखी मिली हैं। लोगों में निम्नलिखित अन्धविश्वास प्रचलित थे –
- यदि घर की दहली ऊँची उठी हुई हो, तो वह धन-दौलत लाती है।
- सामने का दरवाजा यदि किसी दूसरे के घर की ओर न खुले, तो वह सौभाग्य प्रदान करता है।
- यदि घर का लकड़ी का मुख्य दरवाजा (भीतर की ओर न खुल कर) बाहर की ओर खुले, तो पत्नी अपने पति के लिए कष्टों का कारण बनेगी।
6. कब्रिस्तान – उर में नगरवासियों के लिए एक कब्रिस्तान था, जिसमें शासकों तथा सामान्य लोगों की समाधियाँ पाई गई हैं। परन्तु कुछ लोग साधारण घरों के फर्शों के नीचे भी दफनाए हुए पाए गए थे।
प्रश्न 9.
मेसोपोटामिया के मारी नगर की प्रमुख विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
मारी नगर की प्रमुख विशेषताएँ 2000 ई. पूर्व के बाद मारी नगर शाही राजधानी के रूप में खूब विकसित हुआ। मारी नगर फरात नदी की ऊर्ध्वधारा पर स्थित है। इस नगर की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है-
(1) खेती और पशुपालन – मारी राज्य में खेती और पशुपालन साथ-साथ चलते थे। यद्यपि मारी राज्य में किसान और पशुचारक दोनों ही प्रकार के लोग होते थे, परन्तु उस प्रदेश का अधिकांश भाग भेड़-बकरी चराने के लिए ही काम में लिया जाता था।
(2) अनाज, धातु आदि प्राप्त करना – पशुचारकों को जब अनाज, धातु के औजारों आदि की आवश्यकता पड़ती थी, तब वे अपने पशुओं तथा उनके पनीर, चमड़ा, मांस आदि के बदले ये वस्तुएँ प्राप्त करते थे। पशुओं के गोबर से बनी खाद भी किसानों के लिए बड़ी उपयोगी होती थी। फिर भी किसानों तथा गड़रियों के बीच कई बार झगड़े हो जाया करते थे।
(3) मारी के राजाओं द्वारा मेसोपोटामिया के देवी-देवताओं का आदर करना-मारी के राजा एमोराइट समुदाय के थे। उनकी वेशभूषा वहाँ के मूल निवासियों से भिन्न होती थी। वे मेसोपोटामिया के देवी-देवताओं का आदर करते थे। उन्होंने स्टेपी क्षेत्र के देवता डैगन के लिए मारी नगर में एक मन्दिर का निर्माण करवाकर अपनी धर्म – सहिष्णुता का परिचय दिया।
(4) व्यापार का प्रमुख केन्द्र – मारी नगर एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण व्यापारिक स्थल पर स्थित था। यहाँ से लकड़ी, ताँबा, राँगा, तेल, मदिरा तथा अन्य कई प्रकार का सामान नावों के द्वारा फरात नदी के मार्ग से दक्षिण और तुर्की, सीरिया तथा लेबनान के प्रदेशों में लाया ले जाया जाता था। व्यापार की उन्नति के कारण मारी नगर एक अत्यन्त समृद्ध नगर बना हुआ था। दक्षिणी नगरों को घिसाई – पिसाई के पत्थर, चक्कियाँ, लकड़ी, शराब तथा तेल के पीपे ले जाने वाले जलपोत मारी में रुका करते थे।
मारी के अधिकारी जलपोतों पर लदे हुए सामान की जाँच करते थे तथा जलपोतों को आगे बढ़ने. की अनुमति देने के पहले उसमें लदे हुए माल के मूल्य का लगभग 10 प्रतिशत प्रभार वसूल करते थे। कुछ पट्टिकाओं में साइप्रस के द्वीप ‘अलाशिया’ से आने वाले ताँबे का उल्लेख मिला है। अलाशिया उन दिनों ताँबे तथा टिन के व्यापार के लिए बहुत प्रसिद्ध था। परन्तु यहाँ राँगे का भी व्यापार होता था जबकि काँसा औजार और हथियार बनाने के लिए एक मुख्य औद्योगिक सामग्री थी। इसलिए इसके व्यापार का अत्यधिक महत्त्व था। मारी राज्य सैनिक दृष्टि से उतना शक्तिशाली नहीं था, परन्तु व्यापार और समृद्धि के मामले में वह अद्वितीय था।
प्रश्न 10.
मेसोपोटामिया की विश्व को क्या देन है?
अथवा
मेसोपोटामिया में हुई ज्ञान-विज्ञान की उन्नति की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
मेसोपोटामिया की विश्व को देन ( ज्ञान – विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति )
मेसोपाटामिया की विश्व को सबसे बड़ी देन उसकी काल-गणना तथा गणित की विद्वत्तापूर्ण परम्परा है। मेसोपोटामिया में ज्ञान – विज्ञान के क्षेत्र में निम्नलिखित उन्नति हुई –
(1) गणित-मेसोपोटामियावासी गुणा, भाग, जोड़, बाकी, वर्गमूल, घनमूल आदि जानते थे। 1800 ई. पूर्व के -पास की कुछ पट्टिकाएँ मिली हैं, जिनमें गुणा और भाग की तालिकाएँ, वर्ग तथा वर्गमूल और चक्रवृद्धि ब्याज की सारणियाँ दी गई हैं। उनमें 2 का जो वर्गमूल दिया गया है वह इसके सही उत्तर से थोड़ा-सा ही भिन्न है।
(2) ज्योतिष तथा खगोल विद्या – मेसोपोटामिया के लोगों ने ज्योतिष तथा खगोल विद्या के क्षेत्र में भी पर्याप्त उन्नति की। उन्होंने चन्द्रमा की गति के आधार पर एक कैलेण्डर का निर्माण किया था। उन्होंने एक वर्ष को 12 महीनों में, एक महीने को चार सप्ताहों में, एक दिन को 24 घण्टों में तथा एक घण्टे को 60 मिनट में विभाजित किया था।
समय के इस विभाजन को सिकन्दर के उत्तराधिकारियों ने अपनाया, वहाँ से वह रोम तथा मुस्लिम देशों में पहुँचा और फिर मध्ययुगीन यूरोप में पहुँचा। जब कभी सूर्य और चन्द्रग्रहण होते थे, तो वर्ष, मास और दिन के अनुसार उनके घटित होने का हिसाब रखा जाता था। इसी प्रकार ये लोग रात्रि में आकाश में तारों और तारामण्डल की स्थिति पर नजर रखते थे तथा उनका हिसाब रखते थे।
(3) चिकित्साशास्त्र – मेसोपोटामिया का चिकित्साशास्त्र मुख्यतः जादू-टोने तक सीमित था। फिर वैद्यों का एक वर्ग के रूप में अस्तित्व था। तीसरी सहस्राब्दी ई. पूर्व के मध्य का एक ऐसा अभिलेख मिला है जिस पर एक वैद्य के महत्त्वपूर्ण नुस्खे हैं।
(4) नाप-तौल – मेसोपोटामियावासियों का एक मीना 60 शेकल का होता था। एक शेकल 8.416 ग्राम के बराबर तथा एक मीना एक पौण्ड से कुछ अधिक होता था।
(5) लेखन कला और साहित्य – मेसोपोटामिया में सर्वप्रथम लेखन कला का जन्म हुआ। मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखा करते थे। उनकी लिपि ‘क्यूनीफार्म’ अथवा ‘कीलाकार’ कहलाती थी। मेसोपोटामिया में साहित्य के क्षेत्र में भी पर्याप्त विकास हुआ। मेसोपोटामिया में ‘गिलगमेश’ नामक महाकाव्य की रचना हुई, जिसकी गिनती विश्व के प्राचीनतम महाकाव्यों में की जाती है। असीरियाई शासक असुरबनिपाल ने एक विशाल पुस्तकालय की स्थापना की जिसमें 1000 मूल ग्रन्थ थे तथा लगभग 30,000 पट्टिकाएँ थीं, जिन्हें विषयानुसार – वर्गीकृत किया गया था।
(6) अन्य देन –
- कुम्हार के चाक का प्रयोग मेसोपोटामिया के लोगों ने संभवत: सबसे पहले किया।
- लिखित विधि संहिता सर्वप्रथम बेबोलोनिया के शासक हम्मूराबी द्वारा विश्व को दी गई।
- नगर राज्यों की स्थापना संभवत: मेसोपोटामिया में सर्वप्रथम हुई।
- बैंक प्रणाली, व्यापारिक समझौते एवं हुंडी प्रणाली का विकास सर्वप्रथम यहीं हुआ।
प्रश्न 11.
असुरबनिपाल द्वारा स्थापित पुस्तकालय का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
असुरबनिपाल द्वारा स्थापित पुस्तकालय – असीरिया के शासक दक्षिणी क्षेत्र बेबीलोनिया को उच्च संस्कृति केन्द्र मानते थे। असुरबनिपाल ( 668-627 ई. पू.) असीरिया का अन्तिम शासक था। वह विद्या – प्रेमी शासक था। उसने अपनी राजधानी निनवै में एक विशाल पुस्तकालय की स्थापना की। उसने इतिहास, महाकाव्य, शकुन साहित्य, ज्योतिष विद्या, स्तुतियों और कविताओं की पट्टिकाओं को एकत्रित करने का भरसक प्रयास किया और वह अपने उद्देश्य में सफल रहा।
पुरानी पट्टिकाओं का पता लगाना – असुरबनिपाल ने अपने लिपिकों को दक्षिण में पुरानी पट्टिकाओं का पता लगाने के लिए भेजा क्योंकि दक्षिण में लिपिकों को विद्यालयों में पढ़ना-लिखना सिखाया जाता था, जहाँ उन्हें काफी बड़ी संख्या में पट्टिकाओं की नकलें तैयार करनी होती थीं।
बेबीलोनिया में ऐसे भी नगर थे जो पट्टिकाओं के विशाल संग्रह तैयार किये जाने और प्राप्त करने के लिए प्रसिद्ध थे, यद्यपि 1800 ई.पू. के बाद सुमेरियन भाषा बोली जानी बन्द हो गई थी, परन्तु विद्यालयों में वह शब्दावलियों, संकेत-सूचियों, द्विभाषी (सुमेरी और अक्कदी) पट्टिकाओं आदि के . माध्यम से अब भी पढ़ाई जाती थी। अत : 650 ई. पूर्व में भी 2000 ई.पू. तक प्राचीन कीलाकार अक्षरों में लिखी पट्टिकाएँ पढ़ी जा सकती थीं। असुरबनिपाल के व्यक्ति भी जानते थे कि प्राचीन पट्टिकाओं तथा उनकी प्रतिकृतियों को कहाँ ढूँढ़ा और प्राप्त किया जा सकता है।
गिलगमेश महाकाव्य की पट्टिकाओं की प्रतियाँ तैयार की गईं। प्रतियाँ तैयार करने वाले उनमें अपना नाम और तिथि अंकित करते थे। कुछ पट्टिकाओं के अन्त में असुरबनिपाल का उल्लेख भी मिलता है। “मैं असुरबनिपाल, ब्रह्माण्ड का सम्राट, असीरिया का शासक, जिसे देवताओं ने विशाल बुद्धि प्रदान की है। मैंने देवताओं के बुद्धि-विवेक को पट्टिकाओं पर लिखा है और मैंने पट्टिकाओं की जाँच की और उन्हें संगृहीत किया।
मैंने उन्हें निनवै स्थित अपने इष्टदेव नाबू के मन्दिर के पुस्तकालय में भविष्य के उपयोग के लिए रख दिया। ” इन पट्टिकाओं की सूची तैयार करवाई गई। इसके लिए पट्टिकाओं पर मिट्टी के लेबल से इस प्रकार अंकित किया “असंख्य पट्टिकाएँ भूत-प्रेत निवारण विषय पर, ‘अमुक’ व्यक्ति द्वारा लिखी गईं।” गया: असुरबनिपाल के पुस्तकालय में कुल मिलाकर 1000 मूल ग्रन्थ थे और लगभग 30,000 पट्टिकाएँ थीं, जिन्हें विषयानुसार वर्गीकृत किया गया था।
प्रश्न 12.
बेबीलोनिया के विकास पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
बेबीलोनिया का विकास- दक्षिणी कछार के एक पराक्रमी शासक नैबोपोलास्सर ने बेबीलोनिया को 625 ई. पूर्व में असीरियन लोगों के आधिपत्य से मुक्ति दिलाई। उसके उत्तराधिकारियों ने अपने राज्य-क्षेत्र का विस्तार किया और बेबीलोन में अनेक भवन बनवाये। उस समय से लेकर 539 ई. पूर्व में ईरान के एकेमेनिड लोगों द्वारा विजित होने के पश्चात् और 331 ई. पूर्व में सिकन्दर से पराजित होने तक बेबीलोन विश्व का एक प्रमुख नगर बना रहा। बेबीलोन का क्षेत्रफल 850 हैक्टेयर से अधिक था।
इसकी चहारदीवारी तिहरी थी। इसमें विशाल राजमहल तथा मन्दिर विद्यमान थे। इसमें जिगुरात अर्थात् सीढ़ीदार मीनार थी और नगर के मुख्य अनुष्ठान – केन्द्र तक शोभायात्रा के लिए विस्तृत मार्ग बना हुआ था। इसका व्यापार उन्नत अवस्था में था। व्यापारी लोग दूर-दूर तक अपना व्यवसाय करते थे।
यहाँ विज्ञान के क्षेत्र में भी पर्याप्त उन्नति हुई तथा यहाँ के गणितज्ञों एवं खगोलविदों ने अनेक नई खोजें की थीं। नैबोनिस द्वारा मेसोपोटामिया की प्राचीन परम्पराओं का सम्मान करना – नैबोनिडस स्वतन्त्र बेबीलोन का अन्तिम शासक था। उसने लिखा है कि उर के नगर-देवता ने उसे सपने में दर्शन दिये और उसे सुदूर दक्षिण के उस प्राचीन नगर का कार्य – भार सम्भालने के लिए एक महिला पुरोहित को नियुक्त करने का आदेश दिया।
उसने लिखा, चूँकि बहुत लम्बे समय से उच्च महिला पुरोहित का प्रतिष्ठान भुला दिया गया था, उसके विशिष्ट लक्षणों को कहीं नहीं बताया गया है, मैंने दिन-प्रतिदिन उसके बारे में सोचा – नैबोनिडस ने आगे लिखा है कि उसे एक बहुत पुराने राजा (1150 ई. पूर्व के लगभग) का पट्टलेख मिला और उस पर उसने महिला पुरोहित की आकृति अंकित देखी। उसने उसके आभूषणों और वेशभूषा को ध्यानपूर्वक देखा। फिर उसने अपनी पुत्री को वैसी ही वेशभूषा से सुसज्जित कर महिला पुरोहित के रूप में प्रतिष्ठित किया।
कालान्तर में नैबोनिडस के व्यक्ति उसके पास एक टूटी हुई मूर्ति लाए जिस पर अक्कद के राजा सारगोन का नाम उत्कीर्ण था। सारगोन ने 2370 ई. पूर्व के आस-पास शासन किया था। नैबोनिडस ने भी प्राचीन युग के इस महान शासक के सम्बन्ध में सुन रखा था। नैबोनिडस ने यह अनुभव किया कि उसे उस मूर्ति की मरम्मत करानी चाहिए। वह लिखता है, “देवताओं के प्रति भक्ति और राजा के प्रति अपनी निष्ठा के कारण, मैंने कुशल शिल्पियों को बुलाया और उसका खण्डित सिर बदलवा दिया। “