JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो

1. किस लक्षण से लोगों की पहचान नहीं होती?
(A) आयु
(B) लिंग
(C) व्यवसाय
(D) उद्योग।
उत्तर:
(D) उद्योग।

2. औसत विश्व लिंगानुपात है
(A) 970
(B) 980
(C) 990
(D) 995.
उत्तर:
(C) 990

3. निम्नतम लिंगानुपात किस प्रदेश में है ?
(A) मिस्र
(B) U.A.E
(C) कुवैत
(D) ईरान।
उत्तर:
(B) U.A.E

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4. कितने देशों में अनुकूल लिंगानुपात है?
(A) 109
(B) 119
(C) 129
(D) 139.
उत्तर:
(D) 139.

5. कितने देशों में प्रतिकूल लिंगानुपात है?
(A) 52
(B) 62
(C) 72
(D) 82.
उत्तर:
(C) 72

6. यूरोपीय देशों में स्त्रियों की कमी का कारण है
(A) निम्न जन्म दर
(B) उच्च मृत्यु दर
(C) स्त्रियों का उच्च स्तर
(D) पुरुषों का बेहतर स्तर।
उत्तर:
(C) स्त्रियों का उच्च स्तर

7. किस महाद्वीप में लिंगानुपात कम है ?
(A) यूरोप
(B) एशिया
(C) उत्तरी अमेरिका
(D) ऑस्ट्रेलिया।
उत्तर:
(B) एशिया

8. वृद्ध लोगों का आयु वर्ग किस आयु से अधिक है ? ।
(A) 40 वर्ष
(B) 45 वर्ष
(C) 50 वर्ष
(D) 60 वर्ष।
उत्तर:
(D) 60 वर्ष।

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9. विस्तृत जनसंख्या पिरामिड किस आकार का है ?
(A) चौड़ा आधार
(B) तंग आधार
(C) विकसित आर्थिकता
(D) समान चौड़ाई।
उत्तर:
(A) चौड़ा आधार

10. ऑस्ट्रेलिया में किस प्रकार का जनसंख्या पिरामिड मिलता है ?
(A) विस्तृत
(B) स्थिर
(C) ह्रासमान
(D) ऋणात्मक।
उत्तर:
(B) स्थिर

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी एक जनांकिकीय विशेषता का नाम लिखो।
उत्तर:
लिंगानुपात।

प्रश्न 2.
लिंगानुपात प्रतिकूल कब होता है?
उत्तर:
जब पुरुषों की संख्या स्त्रियों से अधिक हो।

प्रश्न 3.
विश्व का औसत लिंग अनुपात बताओ।
उत्तर:
प्रति 1000 पुरुषों के प्रति 990 स्त्रियां।

प्रश्न 4.
किस देश में सर्वाधिक लिंगानुपात है?
उत्तर:
लैटिवया में-1187.

प्रश्न 5.
किस देश में निम्नतम लिंगानुपात है?
उत्तर:
U.A.E. में-468.

प्रश्न 6.
U.N.0 के अनुसार कितने देशों में अनुकूल लिंगानुपात है?
उत्तर:
139 देश।

प्रश्न 7.
कितने देशों में प्रतिकूल लिंगानुपात है?
उत्तर:
72 देश।

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प्रश्न 8.
एशिया के किन देशों में कम लिंगानुपात है?
उत्तर:
चीन, भारत, सऊदी अरब, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान।

प्रश्न 9.
आयु संरचना से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विभिन्न आयु वर्गों में लोगों की संख्या।

प्रश्न 10.
युवा वर्ग की जनसंख्या का उच्च प्रतिशत क्यों है?
उत्तर:
उच्च जन्म दर।

प्रश्न 11.
आयु-लिंग संरचना किस रेखाचित्र से प्रकट करते हैं ?
उत्तर:
जनसंख्या पिरामिड।

प्रश्न 12.
किस देश की जनसंख्या का पिरामिड स्थिर है?
उत्तर:
ऑस्ट्रेलिया।

प्रश्न 13.
किस देश का ह्रासमान जनसंख्या पिरामिड है?
उत्तर:
जापान।

प्रश्न 14.
किस देश का विस्तृत जनसंख्या पिरामिड है?
उत्तर:
नाइजीरिया।

प्रश्न 15.
स्त्रियों का नगरों की ओर प्रवास क्यों कम है?
उत्तर:
सुरक्षा की कमी तथा रहन-सहन की उच्च लागत।

प्रश्न 16.
कार्यशील जनसंख्या का आयुवर्ग कौन-सा होता है ?
उत्तर:
15 से 59 वर्ष का आयु वर्ग।

प्रश्न 17.
स्थिर जनसंख्या में जन्मदर व मृत्यु दर कितनी होती है ?
उत्तर:
लगभग समान।

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प्रश्न 18.
किसी जनसंख्या के आयु लिंग पिरामिड का आधार संकीर्ण है तो उस जनसंख्या की वृद्धि दर कितनी होगी ?
उत्तर:
कम जनसंख्या वृद्धि दर।

प्रश्न 19.
किसी जनसंख्या में उच्च जन्म दर होने पर आयु लिंग पिरामिड का आकार कैसा होगा ?
उत्तर:
त्रिभुजाकार।

प्रश्न 20.
किसी जनसंख्या में जन्म दर व मृत्यु दर समान होने पर आयु लिंग पिरामिड का आकार कैसा होगा।
उत्तर:
घण्टी आकार।

प्रश्न 21.
जनगणना 2011 के अनुसार भारत की साक्षरता दर कितनी थी ?
उत्तर:
74.04 प्रतिशत।

प्रश्न 22.
जनगणना 2011 के अनुसार पुरुष साक्षरता दर कितनी थी ?
उत्तर:
80.9 प्रतिशत।

प्रश्न 23.
जनगणना 2011 के अनुसार स्त्री साक्षरता दर कितनी थी ?
उत्तर:
64.6 प्रतिशत ।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी देश के लोगों की मुख्य जनांकिकीय विशेषताएं बताओ। किन लक्षणों द्वारा लोगों की पहचान की जाती है?
उत्तर:
भारत में विविध प्रकार के लोग हैं जो कई पक्ष से अद्वितीय है। इनकी पहचान के लक्षण हैं-आयु, लिंग तथा निवास स्थान। अन्य पहचान के लक्षण हैं –

  1. व्यवसाय
  2. शिक्षा
  3. जीवन प्रत्याशा।

प्रश्न 2.
लिंगानुपात से क्या अभिप्राय है ? भारत के सन्दर्भ में इसका माप कैसे करोगे?
उत्तर:
पुरुषों तथा स्त्रियों की संख्या के अनुपात को लिंगानुपात कहते हैं लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुषों के प्रति स्त्रियों की संख्या है। भारत में लिंगानुपात निम्न सूत्र से ज्ञात करते हैं –
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प्रश्न 3.
यूरोप महाद्वीप में पुरुषों की कमी है ? दो कारण बताओ।
उत्तर:
यूरोप (रूस सहित) में पुरुष अल्प संख्या में है। यूरोपियन देशों में पुरुषों की कमी है।

  1. यहां स्त्रियों का बेहतर स्तर है।
  2. यहां से अन्य देशों में अत्यधिक पुरुष उत्प्रवास के कारण।

प्रश्न 4.
नाइजीरिया की जनसंख्या का पिरामिड विस्तृत प्रकार का क्यों है?
उत्तर:
नाइजीरिया का जनसंख्या पिरामिड त्रिभुजाकार वाला है। इसका आकार चौड़ा है तथा शिखर की ओर कम चौड़ा है। यह उच्च जन्म दर के कारण युवा वर्ग में अधिक जनसंख्या के कारण हैं। यह प्राय: सभी विकासशील देशों में ऐसा ही है।

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प्रश्न 5.
ऑस्ट्रेलिया में स्थिर जनसंख्या पिरामिड क्यों है? .
उत्तर:
ऑस्ट्रेलिया का जनसंख्या पिरामिड घण्टी के आकार का है। यह शीर्ष की ओर शुंडाकार होता जाता है। इसमें जन्म दर तथा मृत्यु दर लगभग समान है। परिणामस्वरूप जनसंख्या स्थिर हो जाती है।

प्रश्न 6.
जापान का जनसंख्या पिरामिड ह्रासमान क्यों है?
उत्तर:
जापान के जनसंख्या पिरामिड का संकीर्ण आधार है तथा शुंडाकार शीर्ष है। यहां जन्म दर तथा मृत्यु दर निम्न है। जनसंख्या वृद्धि शून्य है या ऋणात्मक है।

प्रश्न 7.
विकसित देशों की जनांकिकीय विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  1. यहां वृद्ध लोगों का अनुपात अधिक है।
  2. जीवन प्रत्याशा बढ़ने से उच्च आयु वर्ग में लोगों का अनुपात बढ़ गया है।
  3. जन्म दर घटने से शिशुओं का अनुपात कम हो गया है।

प्रश्न 8.
जनसंख्या पिरामिड जनसंख्या की किन विशेषताओं को दर्शाते हैं ?
उत्तर:

  1. जनसंख्या पिरामिड आयु-लिंग संरचना को दर्शाते हैं।
  2. ये विभिन्न आयु वर्गों में स्त्रियों और पुरुषों की संख्या दर्शाते हैं।
  3. जनसंख्या पिरामिड की आवृत्ति जनसंख्या की विशेषताओं को प्रकट करती है।
  4. पिरैमिड में प्रत्येक वर्ग में बायां भाग पुरुषों और दायां भाग स्त्रियों के प्रतिशत को दिखाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किस प्रकार के प्रदेशों में लिंगानुपात प्रतिकूल होता है ? चार कारण बताओ।
उत्तर:
जिन प्रदेशों में लिंग भेदभाव होता है, उन प्रदेशों में लिंगानुपात प्रतिकूल होता है।
इनके निम्नलिखित कारण हैं –

  1. कन्या भ्रूण हत्या की प्रथा।
  2. कन्या शिशु हत्या की प्रथा।
  3. स्त्रियों के प्रति घरेलू हिंसा।
  4. स्त्रियों के सामाजिक-आर्थिक स्तर का निम्न होना।

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प्रश्न 2.
विश्व में लिंगानुपात वितरण के प्रतिरूप का वर्णन करो।
उत्तर:

  1. विश्व की जनसंख्या का औसत लिंग अनुपात, प्रति हजार पुरुषों पर 990 स्त्रियां हैं।
  2. विश्व में उच्चतम लिंग अनुपात लैटविया में दर्ज किया गया है जहां प्रति हजार पुरुषों की तुलना में 1187 स्त्रियां हैं।
  3. निम्नतम लिंग अनुपात संयुक्त अरब अमीरात में दर्ज किया गया है जहां प्रति हजार पुरुषों की तुलना में 468 स्त्रियां हैं।
  4. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा सूचीबद्ध 139 देशों में लिंग अनुपात स्त्रियों के लिए अनुकूल है।
  5. शेष 72 देशों में यह उनके लिए प्रतिकूल है।
  6. सामान्यतः एशिया में लिंग अनुपात निम्न है। चीन, भारत, सऊदी अरब, पाकिस्तान व अफ़गानिस्तान जैसे देशों में लिंग अनुपात और भी निम्न है।
  7. दूसरी ओर, रूस सहित यूरोप के एक बड़े भाग में पुरुष अल्प संख्या में हैं। यूरोप के अनेक देशों में पुरुषों की कमी, वहां स्त्रियों की बेहतर स्थिति तथा भूतकाल में विश्व के विभिन्न भागों में अत्यधिक पुरुष उत्प्रवास के कारण है।

प्रश्न 3.
आयु संरचना से विश्व जनसंख्या की कौन-सी विशेषताओं का पता चलता है?
अथवा
आयु संरचना का क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
आयु संरचना से पता चलता है कि किसी क्षेत्र/देश विशेष में किस-किस आयुवर्ग में कितनी जनसंख्या है। जैसे-0 से 14 वर्ष, 15 से 59 वर्ष और 60 वर्ष से अधिक जनसंख्या का आयुवर्ग आदि।

प्रश्न 4.
विश्व में विभिन्न क्षेत्रों में लिंगानुपात में विभिन्नताओं के कारण बताओ।
उत्तर:

  1. विकासशील देशों में शिशु मृत्युक्रम महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है।
  2. विकसित देशों में पुरुषों की मृत्यु-दर अधिक होती है।
  3. महिलाओं तथा पुरुषों का स्थानान्तरण भी लिंगानुपात पर प्रभाव डालता है।
  4. विकासशील देशों में ग्रामीण क्षेत्रों से पुरुषों का नगरों की ओर प्रवास लिंगानुपात पर प्रभाव डालता है।

प्रश्न 5.
जनसंख्या तथा विकास में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
माल्थस के प्रक्षेप के पश्चात् जनसंख्या तथा विकास का अध्ययन महत्त्वपूर्ण हो गया है। जनसंख्या की तीव्र वृद्धि संसाधनों पर अधिक दबाव डालती है जहां से खाद्यान्न का उत्पादन होता है। अधिक जनसंख्या विकास क्षेत्र में एक ऋणात्मक (Negative) घटक है। जनसंख्या की गुणवत्ता विकास पर प्रभाव डालती है। जनसंख्या वृद्धि जनसंख्या तथा संसाधनों में एक असन्तुलन उत्पन्न कर देती है। प्रौद्योगिकी भी इस सन्तुलन पर प्रभाव डालती है। इस प्रकार किसी क्षेत्र का विकास सामाजिक, आर्थिक, तकनीकी तथा राजनीतिक दशाओं के समूह पर निर्भर करता है। इस विकास के माप के लिए एक नया विचार मानवीय विकास सूचक का प्रयोग किया जा रहा है।

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प्रश्न 6.
साक्षरता से क्या अभिप्राय है? यह किन तत्त्वों पर निर्भर है?
उत्तर:
साक्षरता से जनसंख्या के गुणों का बोध होता है। साक्षरता का अर्थ है किसी भी भाषा में पढ़-लिख सकना। साक्षरता निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है –

  1. आर्थिक विकास का स्तर
  2. नगरीकरण का स्तर
  3. रहन सहन का स्तर
  4. शिक्षा सुविधाएं
  5. सरकार की नीति
  6. समाज में महिलाओं का स्थान।

संसार में साक्षरता में पर्याप्त विभिन्नताएं पाई जाती हैं –

  1. नगरों में साक्षरता अधिक होती है।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता कम होती है।
  3. मुस्लिम देशों में महिलाओं में साक्षरता कम होती है।
  4. विकसित देशों में साक्षरता एवं शिक्षा का स्तर ऊंचा होता है।
  5. कृषि प्रधान देशों में साक्षरता कम होती है।
  6. भारत में 2011 में साक्षरता दर 74.4% थी। पुरुष साक्षरता दर 80.9% और स्त्री साक्षरता दर 64.6% थी।

प्रश्न 7.
आत्मनिर्भर व आश्रित जनसंख्या आयु वर्ग क्या है ?
उत्तर:
15-59 वर्ष के आयु वर्ग को कार्यशील वर्ग कहते हैं। बाल जनसंख्या वर्ग अपने खर्च के लिए आत्मनिर्भर नहीं होता है। 60 से अधिक आयु वाली जनसंख्या वृद्ध जनसंख्या या आश्रित आयु वर्ग कहलाता है। यह वर्ग अपने स्वास्थ्य खर्च के लिए प्रौढ वर्ग या श्रमिक वर्ग पर आश्रित होता है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
आयु-लिंग पिरामिड से क्या अभिप्राय है? इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन करो।
उत्तर:
आयु लिंग पिरामिड:
जनसंख्या की आयु-लिंग संरचना का अभिप्राय विभिन्न आयु वर्गों में स्त्रियों और पुरुषों की संख्या से है। जनसंख्या पिरामिड का प्रयोग जनसंख्या की आयु-लिंग संरचना को दर्शाने के लिए किया जाता है। जनसंख्या पिरामिड की आकृति जनसंख्या की विशेषताओं को परिलक्षित करती है। प्रत्येक आयु वर्ग में बायां भाग पुरुषों का प्रतिशत तथा दायां भाग स्त्रियों की संख्या का प्रतिशत दर्शाता है।

विश्व में आयु लिंग पिरामिड के प्रकार

1. विस्तारित होती जनसंख्या (Expanding Pyramid):
यह विस्तृत आकार वाला त्रिभुजाकार पिरामिड है जो अल्प विकसित देशों का प्रतिरूपी है। इस पिरामिड में उच्च जन्म दर के कारण निम्न आयु वर्गों में विशाल जनसंख्या पाई जाती है। यदि आप बांग्लादेश, नाइजीरिया और मैक्सिको के लिए पिरामिड की रचना करें तो वे भी ऐसे ही दिखाई देंगे।
उदाहरण – नाइजीरिया का आयु लिंग पिरामिड।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन - 1

2. स्थिर जनसंख्या (Constant Pyramid):
यह आयु-लिंग पिरामिड घण्टी के आकार का है जो शीर्ष की ओर शुंडाकार होता जाता है। यह दर्शाता है कि जन्म दर और मृत्यु दर लगभग समान है जिसके परिणामस्वरूप जनसंख्या स्थिर हो जाती है।
उदाहरण – ऑस्ट्रेलिया का आयु लिंग पिरामिड।
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3. ह्रासमान जनसंख्या (Declining Pyramid):
यह पिरामिड का संकीर्ण आधार और शुंडाकार शीर्ष निम्न जन्म और मृत्यु दरों को दर्शाता है। इन देशों में जनसंख्या वृद्धि शून्य अथवा ऋणात्मक होती है।
उदाहरण – जापान का पिरामिड।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन - 3

प्रश्न 2.
मानवीय क्रियाओं को विभिन्न वर्गों में बांटो।
उत्तर:
मानव क्रियाओं के प्रकार (Types of Human Activities)
मनुष्य अपने जीवन निर्वाह के लिए कुछ उद्यम करता है। इस प्रकार के उद्यमों या आर्थिक क्रियाओं को व्यवसाय (Occupations) कहते हैं। प्रत्येक क्षेत्र में भौतिक वातावरण बहुत प्रभावशाली होते हैं तथा मानवीय व्यवसायों पर प्रभाव डालते हैं। जैसे टुण्ड्रा में लोग सील मछली का शिकार करते हैं। घास के मैदानों में पशु पाले जाते हैं। फिर भी सामाजिक वातावरण मनुष्य को इन व्यवसायों के चुनाव में सहायता करता है। मनुष्य अपनी आवश्यकताओं तथा तकनीकी ज्ञान के अनुकूल अपना व्यवसाय चुनता है। इसलिए विश्व में मानवीय व्यवसायों में बहुत विभिन्नता हैं, कहीं आखेट तथा लकड़ी काटना, कहीं पशुचारण या कृषि, तो कहीं उद्योग लोगों के मुख्य व्यवसाय हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 जनसंख्या संघटन

ये व्यवसाय निम्न प्रकार के हैं –
(i) प्राथमिक क्रियाएं (Primary Activities) – जब प्राकृतिक साधनों से प्रयोग की जाने वाली वस्तुएं सीधे रूप में ही प्राप्त हो जाएं, तो उन क्रियाओं को मूल या प्राथमिक क्रियाएं कहते हैं। जैसे वन सामग्री एकत्र करना (gathering), आखेट (hunting), मछली पकड़ना (Fishing), लकड़ी काटना (Lumbering), पशु पालन, कृषि (Agriculture) तथा खनिज निकालना (Mining)।

(ii) द्वितीयक क्रियाएं (Secondary Activities) – जब किसी प्राकृतिक पदार्थ का रूप या स्थान बदल दिया जाए, तो उसका मूल्य बढ़ जाता है। ऐसी क्रियाओं को द्वितीयक व्यवसाय कहते हैं, जैसे लकड़ी से फर्नीचर बनाना, लोहे से यन्त्र बनाना। इसमें निर्माण उद्योग (Manufacturing), डेयरी उद्योग (DairyFarming) तथा व्यापारिक मछली उद्योग आदि व्यवसाय आते हैं।

(iii) तृतीयक क्रियाएं (Tertiary Activities) – जिन क्रियाओं द्वारा वस्तुओं को खपत के स्थान पर भेजा जाता है या व्यापार किया जाता है, उन्हें तृतीयक क्रियाएं कहते हैं। जैसे-परिवहन, व्यापार, संचार-साधन।

(iv) चतुर्थ क्रियाएं (Quarternary Activities) – ये सेवाएं अप्रत्यक्ष रूप से मानवीय क्रियाओं तथा उत्पादन को प्रभावित करती हैं। सामाजिक वातावरण की आवश्यकताओं को पूरा करने वाली उच्च सेवाओं (High services) को इस वर्ग में रखा जाता है। जैसे , सुरक्षा आदि।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. 21वीं शताब्दी के आरम्भ में विश्व जनसंख्या कितनी थी ?
(A) 4 अरब
(B) 6 अरब
(C) 8 अरब
(D) 10 अरब।
उत्तर:
(B) 6 अरब

2. विश्व के वर्तमान समय में जनसंख्या वृद्धि दर क्या है ?
(A) 1.0%
(B) 1.2%
(C) 1.4%
(D) 1.6%.
उत्तर:
(C) 1.4%

3. गत 500 वर्षों में विश्व जनसंख्या कितने गुणा बढ़ी है ?
(A) 4
(B) 6
(C) 8
(D) 10.
उत्तर:
(D) 10.

4. विश्व जनसंख्या औसत घनत्व प्रति वर्ग कि० मी० कितना है ?
(A) 31
(B) 35
(C) 38
(D) 41.
उत्तर:
(D) 41.

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

5. किस देश में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व है ?
(A) चीन
(B) भारत
(C) सिंगापुर
(D) इन्डोनेशिया।
उत्तर:
(C) सिंगापुर

6. किस महाद्वीप में जनसंख्या वृद्धि दर सर्वाधिक है ?
(A) एशिया
(B) अफ्रीका
(C) यूरोप
(D) ऑस्ट्रेलिया।
उत्तर:
(B) अफ्रीका

7. औद्योगिक क्रान्ति के समय विश्व जनसंख्या कितनी थी ?
(A) 30 करोड़
(B) 40 करोड़
(C) 50 करोड़
(D) 60 करोड़।
उत्तर:
(C) 50 करोड़

8. विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश कौन-सा है ?
(A) चीन
(B) भारत
(C) रूस
(D) जर्मनी।
उत्तर:
(A) चीन

9. विश्व जनसंख्या में प्रति वर्ष कितने लोगों की वृद्धि होती है ?
(A) 6 करोड़
(B) 7 करोड़
(C) 8 करोड़
(D) 10 करोड़।
उत्तर:
(C) 8 करोड़

10. विश्व के दस सर्वाधिक जनसंख्या वाले देशों में विश्व जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग है ?
(A) 50%
(B) 60%
(C) 70%
(D) 80%.
उत्तर:
(B) 60%

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
किसी देश का वास्तविक धन क्या होता है ?
उत्तर:
वहां के निवासी (जन शक्ति)।

प्रश्न 2.
21वीं शताब्दी के आरम्भ में विश्व जनसंख्या कितनी थी ?
उत्तर:
6 अरब से अधिक।

प्रश्न 3.
किसी क्षेत्र की जनांकिकीय विशेषताओं को समझने में कौन-से दो तत्त्व सहायक हैं ?
उत्तर:
(i) जनसंख्या वितरण
(ii) जनसंख्या घनत्व।

प्रश्न 4.
जनसंख्या घनत्व किस प्रकार ज्ञात की जाती है ?
उत्तर:
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 1

प्रश्न 5.
कौन-सा जलवायु कटिबन्ध घना बसा है ?
उत्तर:
समशीतोष्ण कटिबन्ध।

प्रश्न 6.
अफ्रीका का एक खनिज क्षेत्र बताओ जहां घनी जनसंख्या है।
उत्तर:
कटंगा-ज़ाम्बिया तांबा क्षेत्र।

प्रश्न 7.
जापान का कौन-सा औद्योगिक प्रदेश घना बसा है ?
उत्तर:
कोब-ओसाका प्रदेश।

प्रश्न 8.
विश्व जनसंख्या वृद्धि की वर्तमान दर क्या है ?
उत्तर:
1.3 प्रतिशत।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 9.
गत 500 वर्षों में जनसंख्या कितने गुणा बढ़ी है ?
उत्तर:
10 गुणा।

प्रश्न 10.
विश्व जनसंख्या में भारत की जनसंख्या का क्या अनुपात है ?
उत्तर:
प्रत्येक छ: व्यक्तियों में एक भारतीय है।

प्रश्न 11.
संसार के 10 बड़े अधिक जनसंख्या वाले देशों में संसार की कुल जनसंख्या का कितने प्रतिशत भाग है ?
उत्तर:
60 प्रतिशत।

प्रश्न 12.
विश्व जनसंख्या में औसत घनत्व कितना है ?
उत्तर:
41 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर।

प्रश्न 13.
यूरोप महाद्वीप में औसत जनसंख्या घनत्व बताओ।
उत्तर:
104 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० ।

प्रश्न 14.
विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाला देश बताओ।
उत्तर:
मकाऊ-21346 व्यक्ति / वर्ग कि० मी०।

प्रश्न 15.
सबसे अधिक जनसंख्या वृद्धि दर किस महाद्वीप में है ?
उत्तर:
अफ्रीका महाद्वीप।

प्रश्न 16.
औद्योगिक क्रान्ति के समय विश्व की जनसंख्या कितनी थी ?
उत्तर:
50 करोड़।

प्रश्न 17.
प्रति वर्ष विश्व जनसंख्या में कितने लोगों की वृद्धि होती है ?
उत्तर:
8 करोड़।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 18.
आदिमकाल में कौन-सी दो नदी घाटियां घनी जनसंख्या वाले क्षेत्र थे ?
उत्तर:
सिन्धु घाटी तथा गंगा घाटी।

प्रश्न 19.
जनसंख्या परिवर्तन के तीन घटक बताओ।
उत्तर:
जन्म दर, मृत्यु दर, प्रवास।

प्रश्न 20.
‘जनसंख्या आर्थिक विकास का सूचक है’ चार क्षेत्र बताओ जहां इसका प्रभाव है ?
उत्तर:
सामाजिक उत्थान, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, आर्थिक विकास, सांस्कृतिक पृष्ठभूमि।

प्रश्न 21.
आप्रवासी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो व्यक्ति किसी नए स्थान पर जाते हैं।

प्रश्न 22.
उत्प्रवासी किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जो व्यक्ति मूल स्थान से बाहर चले जाते हैं।

प्रश्न 23.
अत्यधिक जनसंख्या वृद्धि दर से उत्पन्न एक समस्या बताओ।
उत्तर:
संसाधनों का ह्रास।

प्रश्न 24.
कुछ विकासशील देशों में जीवन प्रत्याशा क्यों कम है ?
उत्तर:
चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण।

प्रश्न 25.
जन्मदर व मृत्यु दर में अन्तर को क्या कहते है ?
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि दर।

प्रश्न 26.
आप्रवास व उत्प्रवास क्या है ?
उत्तर:
प्रवासी जो किसी नए स्थान पर जाते हैं आप्रवासी कहलाते हैं। प्रवासी जो मूल स्थान से बाहर चले जाते हैं, उत्प्रवासी कहलाते हैं।

प्रश्न 27.
विश्व में मध्यम जनसंख्या वृद्धि दर (1.1 से 1.9%) वाले एक महाद्वीप का नाम लिखिए।
उत्तर:
दक्षिणी अमेरिका।।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

प्रश्न 28.
विश्व में न्यूनतम जनसंख्या वृद्धि दर (0-1%) वाले एक महाद्वीप का नाम लिखिए।
उत्तर:
यूरोप।

अतिलघउत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘एक देश की पहचान उसके लोगों से होती है’ उपरोक्त कथन के समर्थन में तीन तर्क दो।
उत्तर:
किसी देश की जनशक्ति केवल संख्या द्वारा ही मापी नहीं जाती। एक स्वस्थ, परिश्रमी तथा शिक्षित जनसंख्या किसी देश का वास्तविक धन होती है। यह जनसंख्या देश के संसाधनों का शोषण कर सकती है तथा इसकी नीतियां निर्धारित करती है। यह जनसंख्या किसी देश की शक्ति का स्तम्भ है।

प्रश्न 2.
‘विश्व जनसंख्या का वितरण असमान है’ दो उदाहरण देकर समझाओ।
उत्तर:
विश्व जनसंख्या वितरण का प्रतिरूप असमान है।
(i) मोटे तौर पर विश्व की जनसंख्या का 90% इसके 10% स्थल भाग में निवास करता है।
(ii) विश्व के दस सर्वाधिक आबाद देशों में विश्व की लगभग 60% जनसंख्या निवास करती है। जार्ज जी० बी० क्रेसी की टिप्पणी के समान हम कह सकते हैं कि विश्व में बहुत अधिक स्थानों पर कम लोग और कम स्थानों पर बहुत अधिक लोग रहते हैं।

प्रश्न 3.
जनसंख्या घनत्व से क्या अभिप्राय है? इसकी गणना कैसे करते हैं ?
उत्तर:
जनसंख्या घनत्व भूमि तथा मानव में अनुपात है। लोगों की संख्या और भूमि के क्षेत्रफल के बीच अनुपात को जनसंख्या घनत्व कहते हैं। इसे प्रति वर्ग कि० मी० में रहने वाले व्यक्तियों के रूप में मापा जाता है।
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 2

प्रश्न 4.
विश्व में जनसंख्या वितरण के प्रारूप का वर्णन करो।
उत्तर:
विश्व में जनसंख्या वितरण के प्रारूप जनसंख्या के वितरण और घनत्व के प्रारूप हमें किसी क्षेत्र की जनांकिकीय विशेषताओं को समझने में मदद करते हैं। ‘जनसंख्या वितरण’ शब्द का अर्थ भूपृष्ठ पर, लोग किस प्रकार वितरित हैं इस बात से लगाया जाता है। मोटे तौर पर विश्व की जनसंख्या का 90 प्रतिशत, इसके 10 प्रतिशत, स्थलभाग में निवास करता है। विश्व में दस सर्वाधिक आबाद देशों में विश्व की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है इन दस देशों में से छह एशिया में अवस्थित हैं।

प्रश्न 5.
नगरीकरण एक बड़ी संख्या में प्रवासियों को क्यों आकर्षित करती है ? इस सन्दर्भ में कुछ अपकर्ष कारकों के नाम लिखो।
उत्तर:
नगरीकरण के कारण मिलियन तथा मैगा नगरों का विकास होता है। यह नगर रोज़गार के बेहतर अवसर, शैक्षणिक व चिकित्सा सुविधाएं, परिवहन-संचार के बेहतर साधन प्रस्तुत करते हैं। यह आकर्षण लोगों को नगरों की ओर आकर्षित करते हैं। मैगा नगर बड़ी संख्या में प्रवासियों को आकर्षित करते रहते हैं।

प्रश्न 6.
औद्योगिक क्षेत्र घने बसे होते हैं क्यों ? एक उदाहरण दो।
उत्तर:
औद्योगिक क्षेत्र रोजगार के अवसर उपलब्ध कराते हैं। बड़ी संख्या में लोग उद्योगों तथा कारख़ानों के गिर्द बस जाते हैं। इनमें श्रमिक, परिवहन चालक, दुकानदार, बैंक कर्मी, डॉक्टर, अध्यापक होते हैं। जापान का कोबे ओसाका प्रदेश इन उद्योगों की उपस्थिति के कारण सघन बसा हुआ है।

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प्रश्न 7.
जनसंख्या वृद्धि से क्या अभिप्राय है ? किसी क्षेत्र में इसके तीन प्रभाव बताओ।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि से अभिप्राय किसी क्षेत्र में एक निश्चित समय में बसे हुए लोगों की संख्या में परिवर्तन से है। यह परिवर्तन दो प्रकार से होता है –
(i) धनात्मक
(ii) ऋणात्मक।

जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव
(i) आर्थिक विकास
(ii) सामाजिक उत्थान
(iii) सांस्कृतिक विकास।

प्रश्न 8.
अशोधित जन्म दर से क्या अभिप्राय है ? इसके प्रभाव बताओ।
उत्तर:
अशोधित जन्म दर (CBR) को प्रति हजार स्त्रियों द्वारा जन्म दिए जीवित बच्चों के रूप में व्यक्त किया जाता है। इसकी गणना इस प्रकार की जाती है –
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प्रभाव –
(i) इससे जनसंख्या में परिवर्तन होता है।
(ii) यदि जन्म दर अधिक हो तो जनसंख्या वृद्धि दर धनात्मक होती है।

प्रश्न 9.
अशोधित मृत्यु दर से क्या अभिप्राय है ? इसके प्रभाव बताओ।
उत्तर:
अशोधित मृत्यु दर को किसी क्षेत्र विशेष में किसी वर्ष के दौरान प्रति हजार जनसंख्या के पीछे मृतकों की संख्या के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है।

अशोधित मृत्यु दर की गणना इस प्रकार की जाती है –
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प्रभाव –
मोटे तौर पर मृत्यु दर किसी क्षेत्र की जनांकिकीय संरचना, सामाजिक उन्नति और आर्थिक विकास के स्तर द्वारा प्रभावित होती है। मृत्यु दर अधिक होने पर जनसंख्या वृद्धि ऋणात्मक होती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सघन बसे, मध्यम बसे तथा विरल बसे प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व कितना-कितना है ? प्रत्येक वर्ग से दो उदाहरण दो।
उत्तर:
विश्व जनसंख्या का वितरण असमान है। कुछ प्रदेश अति सघन बसे हैं परन्तु कुछ प्रदेश निर्जन हैं।
(क) सघन बसे प्रदेश (Densely populated Areas) – इन प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व 200 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० से अधिक है। ये प्रदेश उत्तर-पूर्वी संयुक्त राज्य, उत्तर-पश्चिमी यूरोप, दक्षिणी-पूर्वी तथा पूर्वी एशिया हैं।
(ख) मध्यम घनत्व वाले प्रदेश (Moderately Populated Areas) – इन प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व 11-50 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है। ये प्रदेश पश्चिमी चीन, दक्षिणी भारत, नार्वे, स्वीडन हैं।
(ग) विरल जनसंख्या वाले प्रदेश (Sparsely Populated Areas) – इन प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व 1-10 व्यक्ति प्रति वर्ग कि. मी. है। ये प्रदेश टुण्ड्रा, ऊष्ण तथा शीत मरुस्थल तथा घने वन प्रदेश हैं।

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प्रश्न 2.
जनसंख्या वृद्धि से क्या अभिप्राय है ? इसके विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि (Growth of Population) – समय के दो अन्तरालों के बीच एक क्षेत्र विशेष में होने वाली जनसंख्या में परिवर्तन को जनसंख्या की वृद्धि कहा जाता है। यह जन्म दर तथा मृत्यु दर के अन्तर द्वारा ज्ञात की जाती है।
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भारत का उदाहरण लो। भारत की आधार वर्ष 2001 में जनसंख्या थी = 102.70 करोड़
भारत की वर्तमान वर्ष 2011 में जनसंख्या थी = 121.02 करोड़
अन्तर = वर्तमान वर्ष की जनसंख्या – आधार वर्ष की जनसंख्या
= 121.02 करोड़ – 102.7 करोड़
अन्तर = 18.32 करोड़
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जनसंख्या वृद्धि के तीन प्रकार हैं –

  1. जनसंख्या की प्राकृतिक वृद्धि-किसी क्षेत्र विशेष में दो समय अन्तरालों में जन्म और मृत्यु के अन्तर को प्राकृतिक वृद्धि कहते हैं। प्राकृतिक वृद्धि = जन्म दर – मृत्यु दर
  2. जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि-जब जन्म दर मृत्यु दर से अधिक होती है या अन्य देशों से लोग स्थायी रूप से उस देश में प्रवास कर जाएं।
  3. जनसंख्या की ऋणात्मक वृद्धि-जब मृत्यु दर जन्म दर से अधिक हो या लोग अन्य देशों में प्रवास कर जाएं।

प्रश्न 3.
जनसंख्या घनत्व से क्या अभिप्राय है ? इसके प्रकार बताओ।
अथवा
गणितीय घनत्व तथा कायिक घनत्व में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
जनसंख्या घनत्व (Density of Population) – जनसंख्या घनत्व किसी प्रदेश में एक निश्चित समय में जनसंख्या तथा भूमि का अनुपात (Man land Ratio) हैं।

जनसंख्या घनत्व के प्रकार (Types of Population Density):
(i) गणितीय घनत्व (Arithmatic Density) – प्रति वर्ग किलोमीटर व्यक्तियों की संख्या को गणितीय घनत्व कहते हैं।
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यह घनत्व किसी क्षेत्र में जनसंख्या संकेन्द्रण का द्योतक है। यद्यपि किसी क्षेत्र में आन्तरिक विभिन्नताएं होती हैं, फिर भी विभिन्न देशों की जनसंख्या की तुलना करने के लिए यह एक संवेदनशील विधि है। संयुक्त राज्य में जनसंख्या घनत्व केवल 28 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है। जबकि यूरोप में यह 104 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।

(ii) कायिक घनत्व (Physiological Density) – यह विधि प्रायः मानव-भूमि अनुपात ज्ञात करने के लिए प्रयोग की जाती है। यह कुल जनसंख्या तथा कुल कृषिकृत क्षेत्र में अनुपात है। विकासशील देशों में गहन कृषि के कारण प्रति व्यक्ति भूमि कम है। (लगभग 0.4 हैक्टेयर प्रति मनुष्य) इसलिए अधिक लोग इस भूमि पर निर्भर हैं। भारत में 1 हैक्टेयर भूमि पर 5 व्यक्ति, चीन में 12 व्यक्ति निर्भर हैं। जबकि संयुक्त राज्य में 1.5 व्यक्ति निर्भर हैं।

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प्रश्न 4.
स्पष्ट करो कि पिछली कुछ शताब्दियों से जनसंख्या वृद्धि दर तीव्र रही है ?
उत्तर:
किसी क्षेत्र में एक निश्चित समय में जनसंख्या में परिवर्तन को जनसंख्या वद्धि कहते हैं। पिछली कछ शताब्दियों से विश्व जनसंख्या में जनसंख्या वृद्धि दर बहुत तीव्र रही है। पहली शताब्दी में विश्व जनसंख्या केवल 25 करोड़ थी जो अब 700 करोड़ है। वर्तमान वृद्धि दर 1.4 प्रतिशत रही है।

  1. मानव इतिहास के आरम्भ में जनसंख्या वृद्धि बहुत कम थी।
  2. ईसा से 8000 वर्ष पूर्व मानव ने कृषि करना आरम्भ किया। इसे कृषि-युग का प्रारम्भ कहते हैं। इसके कारण जनसंख्या वृद्धि दर धीमी-धीमी बढ़ने लगी।
  3. 1779 में औद्योगिक क्रान्ति के कारण जनसंख्या वृद्धि दर 0.5 प्रतिशत थी।
  4. इसके पश्चात प्रौद्योगिकी के विकास के कारण संसाधनों का विशाल पैमाने पर शोषण आरम्भ हुआ तथा जनसंख्या तीव्र गति से बढ़ने लगी।
  5. चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के कारण जनसंख्या का आकार बढ़ गया।
  6. मृत्यु-दर के कम होने से तथा महामारियों से बचाव के कारण भी जनसंख्या वृद्धि दर तीव्र हो गई।
  7. सन् 1960 में जनसंख्या वृद्धि दर 2.1% हो गई। विकासशील देशों में यह वृद्धि दर 3 प्रतिशत से भी अधिक हो गई। यहां लोगों के रहन-सहन का स्तर नीचा हो गया।

प्रश्न 5.
भविष्य में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्तियों का विश्लेषण करें।
उत्तर:
इस समय जनसंख्या वृद्धि दर घट रही है। यह प्रवृत्ति जारी रहने की सम्भावना है। यह दर विकासशील देशों तथा विकसित देशों में भिन्न-भिन्न है। विकसित देशों में जनसंख्या वृद्धि दर 0.1 प्रतिशत तक हो गई है। विकासशील देशों में भी वृद्धि दर घट कर 1 प्रतिशत तक रह गई है। एक अनुमान है कि सन् 2010 तक विश्व जनसंख्या 6.8 बिलियन तथा 2025 तक 10 बिलियन हो जाएगी। अगले 25 वर्षों में विश्व जनसंख्या में वृद्धि का 98% भाग विकासशील देशों में होगा। वर्तमान समय में विकसित देशों में कुल जनसंख्या का 20% भाग है परन्तु 2025 तक यह भाग केवल 15% होगा।

प्रश्न 6.
विश्व में जनसंख्या के दुगुना होने के समय पर नोट लिखो।
उत्तर:
विभिन्न देशों की जनसंख्या वृद्धि की तुलना उनके दुगुना होने के समय (Doubling Time) से भी की जा सकती है। यह समय विश्व जनसंख्या के सम्बन्ध में अग्रलिखित तालिका में दिया गया है –

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Doubling Time of World Population

अवधिजनसंख्या (Million)जनसंख्या के दुगुना होने का समय (वर्ष)
10,000 B.C.5
1650 A.D.5001500
1850 A.D.1000200
1930 A.D.200080
1975 A.D.400045
2012 A.D.800037

निम्नलिखित तालिका से स्पष्ट है कि विकसित देशों में जनसंख्या के दुगुना होने से अधिक समय लगेगा। 71 देशों में जनसंख्या वृद्धि दर 2.0 से 2.9% है। इनकी जनसंख्या 24-35 वर्षों में दुगुनी होगी। 14 देशों में जनसंख्या वृद्धि दर 3.0 से 4.4% है। इनकी जनसंख्या 16-23 वर्षों में दुगुनी होगी। भारत में वर्तमान वृद्धि दर 1.9% है तथा इसकी जनसंख्या 36 वर्षों में दुगुनी होगी। विश्व जनसंख्या को एक अरब से दो अरब तक बढ़ने में 80 लाख वर्ष लगे परन्तु 5 अरब से 6 अरब तक पहुंचने में केवल 12 वर्ष लगे हैं। जनसंख्या के दुगुना होने में समय घट रहा है।

अन्तर स्पष्ट करो

प्रश्न 1.
जनसंख्या वृद्धि तथा जनसंख्या वृद्धि दर में अन्तर स्पष्ट करो। उदाहरण दो।
उत्तर:

जनसंख्या वृद्धिजनसंख्या वृद्धि दर
(1) यह कुल संख्या में मापी जाती है।(1) यह प्रतिशत में मापी जाती है।
(2) भारत में 2001-2011 में जनसंख्या वृद्धि (16.3%) 18.3 करोड़ थी।(2) 2001-11 के दशक में जनसंख्या वृद्धि दर 16.7% थी।
(3) यह किसी प्रदेश के आर्थिक विकास पर प्रभाव डालती है।(3) यह किसी प्रदेश के जनांकिकी विशेषताओं पर प्रभाव डालती है।

 

प्रश्न 2.
धनात्मक जनसंख्या वृद्धि दर तथा ऋणात्मक जनसंख्या वृद्धि दर में अन्तर स्पष्ट करो। उत्तर
उत्तर:

धनात्मक वृद्धि दरऋणात्मक वृद्धि दर
(1) जब जन्म दर मृत्यु से अधिक हो।(1) जब मृत्यु दर जन्म दर से अधिक हो।
(2) यह जनसंख्या में वृद्धि करती है।(2) इससे जनसंख्या घटती है।
(3) इससे संसाधनों का उपयोग होता है।(3) इससे संसाधन का उपयोग घटता है।

 

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
पृथ्वी पर जनसंख्या के वितरण का वर्णन करो।
अथवा
जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानवीय भूगोल के अध्ययन में मनुष्य का केन्द्रीय स्थान है (Man is the pivotal points)। मनुष्य अपने प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण से प्रभावित होता है और उसमें परिवर्तन करता है। पृथ्वी पर जनसंख्या के वितरण में लगातार परिवर्तन होता चला आया है। इस समय जनसंख्या के वितरण में बहुत असमानता है। इस असमानता के प्रमुख कारण विश्वव्यापी (Universal) तत्त्व हैं।

जनसंख्या वितरण के मुख्य तथ्य (Main facts):
(1) विश्व जनसंख्या 1650 ई० में 50 करोड़ से बढ़कर, 2000 ई० में 700 करोड़ (अर्थात् 14 गुणा) बढ़ गई है।
(2) वर्तमान वृद्धि दर से वर्तमान जनसंख्या 2050 ई० में 1000 करोड़ तक हो जाने का अनुमान है।
(3) वर्तमान समय में भूतल के लगभग 14.5 करोड़ वर्ग कि० मी० क्षेत्रफल पर 700 करोड़ लोग निवास करते हैं।
(4) विश्व का औसत जनसंख्या घनत्व 41 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।
(5) एशिया महाद्वीप में सबसे अधिक जनसंख्या 360 करोड़ है।
(6) चीन देश में सबसे अधिक जनसंख्या 127 करोड़ है।
(7) बांग्लादेश विश्व में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व 805 व्यक्ति प्रति वर्ग कि० मी० है।
(8) विश्व में 10% भूमि पर लगभग 90% जनसंख्या निवास करती है।
(9) उत्तरी महाद्वीपों में 90% जनसंख्या है जबकि दक्षिणी महाद्वीपों में केवल 10% जनसंख्या है। विश्व की 75% जनसंख्या कर्क रेखा से 70° उत्तर अक्षांश के मध्य निवास करती है।
(10) विश्व की आधे से अधिक जनसंख्या 20°N से 40°N अक्षांशों के मध्य निवास करती है। विश्व की 4/5 जनसंख्या 20 °N से 60°N के मध्य मिलती है।

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विश्व जनसंख्या : 2011

विश्व जनसंख्या: 2011कुल जनसंख्या (करोड़)कुल जनसंख्या का % भागघनत्व प्रति वर्ग कि० मी०
महाद्वीप जनसंख्या36060.0108
एशिया7210.0101
यूरोप8912.020
अफ्रीका608.021
दक्षिणी अमेरिका405.514
उत्तरी अमेरिका304.017
रूस (C.I.S.)40.53
ऑस्ट्रेलिया66541

प्रमुख देशों की जनसंख्या : 2011

देशकुल जनसंख्या (मिलियन)।जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग कि० मी०
चीन1277135
भारत1210382
रूस14718
सं० रा० अमेरिका28135
जापान126405
ब्राजील17021
इण्डोनेशिया212120
पाकिस्तान156165
बांग्लादेश129805

जनसंख्या का वितरण (Distribution of Population):
पृथ्वी पर जनसंख्या का वितरण बड़ा असमान है। पृथ्वी पर थोड़े-से भाग घने बसे हुए हैं जबकि अधिक भाग खाली पड़े हैं। विश्व की 90% जनसंख्या केवल 10% स्थल भाग पर निवास करती है जबकि 90% स्थल भाग पर केवल 10% लोग रहते हैं।

जनसंख्या के घनत्व के आधार पर पृथ्वी को तीन भागों में बांटा जा सकता है –
I. अधिक घनत्व वाले प्रदेश (Areas of High Density) – इन क्षेत्रों में जनसंख्या का घनत्व 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक है। इस अधिक घनत्व के दो आधार हैं –
1. कृषि प्रधान देश-पूर्वी एशिया तथा दक्षिणी एशिया में।
2. औद्योगिक प्रदेश–पश्चिमी यूरोप तथा उत्तर पूर्वी अमेरिका में।

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1. दक्षिणी तथा पूर्वी एशिया-पूर्वी एशिया में चीन, जापान, फिलीपाइन द्वीप तथा ताईवान में घनी जनसंख्या मिलती है। दक्षिणी एशिया में भारत. श्रीलंका, पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में जनसंख्या का घनत्व अधिक है। इसके अतिरिक्त जावा द्वीप, नील नदी-घाटी में भी घनी जनसंख्या मिलती है। चीन में संसार की लगभग एक चौथाई जनसंख्या निवास करती है। ह्वांग-हो, यंगसी तथा सिकियांग घाटी घनी जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं। भारत में गंगा के मैदान तथा पूर्वी तटीय मैदान में जनसंख्या का अधिक जमाव है। जापान में क्वांटो मैदान (Kwanto Plain), बांग्लादेश में गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा, बर्मा (म्यनमार) में इरावदी डेल्टा, पाकिस्तान में सिन्धु घाटी अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं। बांग्ला देश में संसार का सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व 805 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।

अधिक घनत्व के कारण एवं जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक –
(1) ऊष्ण-आर्द्र मानसूनी जलवायु।
(2) खाद्यान्नों की वर्ष में दो फसल।
(3) चावल का अधिक उत्पादन।
(4) नदी-घाटियों की उपजाऊ मिट्टी।
(5) जल-सिंचाई की पर्याप्त सुविधाओं का होना।
(6) जापान में अधिक उद्योगों का विकास।
(7) समतल भूमि की अधिकता।
(8) खनिज पदार्थों का विकास।
(9) जापान में अधिक मछली पकड़ने से भोजन की पूर्ति।
(10) निर्धन लोगों का निम्न जीवन-स्तर।

2. पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी-पूर्वी अमेरिका – पश्चिमी यूरोप में इंग्लिश चैनल से लेकर रूस के यूक्रेन क्षेत्र तक 50° उत्तरी अक्षांशों के साथ-साथ घनी जनसंख्या मिलती है। यूरोप में 50° अक्षांश को जनसंख्या की धुरी (Axis of Population) कहते हैं। इन क्षेत्रों इंग्लैंड, जर्मनी में रूहर घाटी, इटली में पो डेल्टा, फ्रांस में पेरिस बेसिन, रूस में मास्को-यूक्रेन क्षेत्र अधिक जनसंख्या वाले प्रदेश हैं। उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भाग में अटलांटिक तट, सैंट लारैस घाटी तथा महान् झीलों के क्षेत्र में अधिक जनसंख्या घनत्व है। इन सब प्रदेशों में जनसंख्या का आधार उद्योग हैं।

अधिक घनत्व के कारण एवं जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक –

  1. निर्माण उद्योगों का अधिक होना।
  2. सम शीतोष्ण जलवायु।
  3. समुद्री मार्गों तथा व्यापार का अधिक उन्नत होना।
  4. मिश्रित कृषि के कारण अधिक उत्पादन।
  5. खनिज क्षेत्रों के विशाल भण्डार।
  6. तटीय स्थिति।
  7. लोगों का उच्च जीवन-स्तर।
  8. वैज्ञानिक तथा तकनीकी ज्ञान में अधिक वृद्धि।
  9. नगरीकरण (Urbanisation) के कारण बड़े-बड़े नगरों का विकास।

II. मध्यम घनत्व वाले प्रदेश (Areas of Moderate Density) – इन प्रदेशों में 25 से 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर घनत्व मिलता है। इस भाग में निम्नलिखित प्रदेश शामिल हैं –
(1) उत्तरी अमेरिका में प्रेयरीज का मध्य मैदान
(ख) अफ्रीका का पश्चिमी भाग
(ग) यूरोप में पूर्वी यूरोप तथा पूर्वी रूस
(घ) दक्षिणी अमेरिका में उत्तर-पूर्वी ब्राज़ील, मध्य चिली, मैक्सिको का पठार
(ङ) एशिया में भारत का दक्षिणी पठार, पश्चिमी चीन तथा हिन्द-चीनी
(च) पूर्वी ऑस्टेलिया।

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मध्यम घनत्व के कारण एवं जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक –

  1. ये प्रदेश अधिक घनत्व वाले क्षेत्रों के किनारों पर स्थित हैं जहां अधिक घनत्व के केन्द्रों से धीरे-धीरे जनसंख्या घटती रहती है।
  2. इन क्षेत्रों में विस्तृत खेती-बाड़ी में आधुनिक मशीनों का प्रयोग किया जाता है इसलिए जनसंख्या कम है।
  3. जलवायु पशुपालन के अनुकूल है। मांस तथा डेयरी पदार्थों का निर्यात किया जाता है।
  4. कई प्रदेशों में खनिज पदार्थों के कारण मध्यम जनसंख्या है।
  5. कई पर्वतीय क्षेत्रों तथा पठारों के कारण अधिक जनसंख्या नहीं है।
  6. अफ्रीका में कहवा, कोको आदि रोपण कृषि (Plantation Crops) के कारण जनसंख्या बढ़ गई है।

III. कम घनत्व वाले प्रदेश (Areas of Low Density) – इन प्रदेशों में जनसंख्या घनत्व 25 व्यक्ति वर्ग किलोमीटर से कम है। लगभग 50% क्षेत्र में जनसंख्या घनत्व केवल 2 से 3 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है। यह लगभग निर्जन प्रदेश है। इस भाग में ऊंचे पर्वतीय तथा पठारी प्रदेश, शुष्क मरुस्थल, उष्ण-आर्द्र घने वन तथा टुण्डा जलवायु के ठण्डे प्रदेश शामिल हैं।

जैसे –
(क) उच्च पर्वतीय भाग (High Mountains) – हिमालय, रॉकी, एण्डीज़, मध्य एशिया के पर्वत तथा तिब्बत का पठार।
(ख) मरुस्थल (Deserts) – सहारा, कालाहारी, अटाकामा, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया तथा गोबी मरुस्थल।
(ग) घने वन (Dense Forests) – भूमध्य रेखा के खण्ड में अमेज़न तथा कांगो घाटी।
(घ) टुण्ड्रा प्रदेश – अन्टार्कटिका, ग्रीनलैण्ड तथा कनाडा और रूस का उत्तरी भाग।

कम घनत्व के कारण एवं जनसंख्या वितरण को प्रभावित करने वाले कारक – इन प्रदेशों में मानवीय जीवन के लिए बहुत कम सुविधाएं प्राप्त हैं तथा लोग कठिनाइयों भरा जीवन व्यतीत करते हैं। इन प्रदेशों को सतत् कठिनाइयों के प्रदेश (Regions of everlasting difficulties) भी कहा जाता है।
(1) पर्वतीय भागों में समतल भूमि की कमी।
(2) पथरीली तथा रेतीली मिट्टी।
(3) ठण्डे प्रदेशों में कठोर शीत जलवायु।
(4) पानी की कमी तथा छोटे उपज काल के कारण कृषि का अभाव।
(5) टुण्ड्रा प्रदेशों में स्थायी बर्फ (Perma Frost)।
(6) परिवहन के साधनों की कमी।
(7) घातक कीड़ों तथा बीमारियों के कारण कम जनसंख्या।
(8) खनिज पदार्थों तथा उद्योगों का अभाव।

प्रश्न 2.
विश्व जनसंख्या में वृद्धि, इसके निर्धारक तथा क्षेत्रीय प्रतिरूप का वर्णन करो।
उत्तर:
जनसंख्या वृद्धि से आशय (Meaning of Population Growth)-किसी क्षेत्र विशेष में किसी दिये गये समय में जनसंख्या के आकार में परिवर्तन को जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है। जनसंख्या की यह वृद्धि धनात्मक (Positive) एवं ऋणात्मक (Negative) दोनों ही हो सकती है। जनसंख्या में धनात्मक वृद्धि सदैव के लिए नहीं हो सकती क्योंकि भूसतह पर स्थान सीमित हैं, उनको बढ़ाया नहीं जा सकता। विश्व में जनसंख्या की धनात्मक वृद्धि का प्रमुख कारण मृत्यु-दर की तुलना में जन्म-दर का अधिक होना है। वास्तव में किसी क्षेत्र की जनसंख्या में वृद्धि जनसंख्या में हुई प्राकृतिक वृद्धि का द्योतक है जो उस क्षेत्र की जनसंख्या में दिये गये समय में हुए जन्मों को जोड़कर तथा मृत्युओं को घटाकर प्राप्त की जाती है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

जनसंख्या वृद्धि का आकलन जन्म व मृत्यु के शुद्ध अन्तर के आधार पर किया जाता है। इस विधि में जन्म व मृत्यु के पंजीकृत आंकड़ों का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में जनसंख्या वृद्धि की गणना निम्नलिखित सूत्र की सहायता से की जाती है –
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जनसंख्या वृद्धि दर को प्रभावित करने वाले कारक
(Determinants of Population Growth Rate)
किसी देश की जनसंख्या वृद्धि दर पर निम्नलिखित तीन कारकों का प्रमुख रूप से प्रभाव रहता है –
(1) जन्म-दर (Birth Rate)
(2) मृत्यु-दर (Death Rate)
(3) जनसंख्या की गतिशीलता (Mobility of Population) / प्रवास (Migration)

1. जन्म-दर का जनसंख्या वृद्धि दर पर प्रभाव – किसी क्षेत्र की जनसंख्या वृद्धि प्रमुख रूप से उस क्षेत्र में दी गई अवधि में हुए कुल जन्मों की संख्या तथा मृत्युओं की संख्या का अन्तर होता है। अत: जिन देशों में जन्म-दर अधिक है तो उन देशों में जनसंख्या वृद्धि दर भी अधिक होने की सम्भावना रहती है। उदाहरण के लिए विकासशील व आर्थिक रूप से पिछड़े राष्ट्रों में जनसंख्या की जन्म-दर विकसित राष्ट्रों की तुलना में अधिक रहती है। यही कारण है कि उन देशों में विकसित राष्ट्रों की तुलना में वृद्धि दर भी अधिक रहती है। दूसरी ओर विश्व के कई विकसित राष्ट्र ऐसे हैं जहां जन्म दर अधिक गिर जाने के कारण जनसंख्या के आकार में ह्रास होने लगा है।

2. मृत्यु-दर का जनसंख्या वृद्धि दर पर प्रभाव – मृत्यु-दर का सीधा सम्बन्ध जनसंख्या वृद्धि दर से रहता है। अधिक मृत्यु-दर अधिक जन्म-दर होने के बावजूद भी जनसंख्या वृद्धि दर को नहीं बढ़ने देती। वस्तुतः जनसंख्या वृद्धि दर उस समय अधिक रहती है जबकि जन्म-दर अधिक हो तथा मृत्यु-दर कम हो। दूसरी ओर जन्म-दर कम होने के साथ-साथ यदि मृत्यु-दर भी कम रहे तो जनसंख्या वृद्धि दर भी कम रहती है।

3. जनसंख्या गतिशीलता का जनसंख्या वृद्धि दर पर प्रभाव – जनसंख्या का जिन क्षेत्रों से बर्हिप्रवास होता है, उन क्षेत्रों में जनसंख्या की वृद्धि दर पर ऋणात्मक प्रभाव होते हैं, जबकि जिन क्षेत्रों में अन्तर्प्रवास होता है, उन क्षेत्रों की जनसंख्या वृद्धि दर पर धनात्मक प्रभाव होते हैं। सन् 1880 से 1920 की अवधि में यूरोप के विभिन्न देशों से लगभग 4 करोड़ व्यक्ति संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा में जाकर बस गए, जिसके कारण एक ओर संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा की जनसंख्या वृद्धि दर में तीव्र वृद्धि हुई जबकि यूरोप के सम्बन्धित विभिन्न देशों की जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट अनुभव की गई।

World Population Growth (1650 to 2000)
JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि - 9

विश्व के महाद्वीपों में जनसंख्या वृद्धि दर
(सन् 1985 से सन् 2000 के मध्य)

महाद्वीप/प्रदेशजनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर (प्रतिशत)
विश्व1.7
विकासशील राष्ट2.1
विकसित राष्ट्र0.5
एशिया1.8
अफ्रीका3.0
दक्षिणी अमेरिका1.9
उत्तरी अमेरिका0.7
यूरोप0.2
ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैण्ड1.1
पूर्व सोवियत संघ0.7
भारत1.9

 

जनसंख्या वृद्धि का क्षेत्रीय प्रतिरूप:
विश्व के विभिन्न महाद्वीपों व प्रदेशों की जनसंख्या वृद्धि दर में अति असमानताएं हैं। विश्व के समस्त राष्ट्रों को जनसंख्या वृद्धि दर की विभिन्नताओं के आधार पर निम्नलिखित चार वर्गों में रखा जा सकता है –
(1) अति उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र
(2) उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र
(3) मध्यम जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र
(4) निम्न जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

1. अति उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र – इस वर्ग में विश्व के वह देश सम्मिलित हैं जिनमें जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर 3.0 प्रतिशत से अधिक मिलती है। इस वर्ग में विश्व के निम्नलिखित राष्ट्र सम्मिलित हैं-अफ्रीका, मध्य अमेरिका, दक्षिणी-पश्चिमी एशिया, दक्षिणी अमेरिका।

2. उच्च जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र – इस वर्ग के अन्तर्गत विश्व के वे राष्ट्र सम्मिलित हैं जिनमें जनसंख्या की
वार्षिक वृद्धि दर 2 से 2.9 प्रतिशत के मध्य मिलती है। इस वर्ग में विश्व के निम्नलिखित राष्ट्र सम्मिलित हैं-दक्षिणी अमेरिका, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया।

3. मध्यम जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र – इस वर्ग में विश्व के वे क्षेत्र आते हैं जिनमें वार्षिक वृद्धि दर 1 से 1.9 प्रतिशत तक रहती है। इस वर्ग में विश्व के निम्नलिखित राष्ट्र सम्मिलित हैं –
(1) दक्षिणी अमेरिका
(2) कैरीबियन देश तथा
(3) एशिया।

4. निम्न जनसंख्या वृद्धि दर के क्षेत्र-इस वर्ग में विश्व के वे राष्ट्र आते हैं जिनमें जनसंख्या की वार्षिक वृद्धि दर 1 प्रतिशत से कम रहती है। इस वर्ग में निम्नलिखित राष्ट्र सम्मिलित हैं–उत्तरी अमेरिका में कनाडा तथा संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, पूर्व सोवियत संघ तथा जापान तथा ओसीनिया में न्यूज़ीलैण्ड।

प्रश्न 3.
प्रवास से क्या अभिप्राय है ? इसके क्या कारण हैं ? इसके विभिन्न प्रकार बताओ।
उत्तर:
प्रवास (Migration) – जनसंख्या की गतिशीलता का एक महत्त्वपूर्ण घटक स्थानान्तरण है। यह जनसंख्या तथा संसाधनों में एक सन्तुलन स्थापित करने का प्रयत्न है। सामान्यत: प्रवास मानव को अपने निवास स्थान से किसी दूसरे स्थान पर जाकर निवास करने से होता है। प्रजननता (Fertility) तथा मृत्यु क्रम (Motality) की अपेक्षा जनसंख्या संरचना में प्रवास का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

प्रवास की धाराएँ (Streams of Migration) – प्रवास की निम्नलिखित धाराएं हैं –

  1. ग्रामों से नगर की ओर
  2. नगर से ग्राम की ओर
  3. ग्राम से ग्राम की ओर
  4. नगर से नगर की ओर।

प्रवास के सामान्यत प्रकार निम्नलिखित हैं –
1. मौसमी प्रवास (Seasonal Migration) – प्रवास स्थायी अथवा अस्थायी हो सकता है। अस्थायी प्रवास मौसमी होती है। गहन कृषि में श्रमिकों की आवश्यकता के लिए श्रमिक प्रवास कर जाते हैं। कई बार एक मौसम से अधिक समय के प्रवास स्थायी रूप धारण कर लेता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 2 विश्व जनसंख्या वितरण, घनत्व और वृद्धि

2. अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास (International Migration) – यह प्रवास अन्तर्महाद्वीपीय होता है। यह थोड़े समय में जनसंख्या संरचना में परिवर्तन कर देता है। पिछले दशकों में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास में बहुत वृद्धि हुई है। यादों के कारण कई क्षेत्रों में शरणार्थी प्रवास कर रहे हैं। इस शताब्दी के शुरू में U.N.O. के अनुसार 12 करोड़ लोग विदेशों में बस गए हैं। जिनमें 1.5 करोड़ शरणार्थी हैं।

3. आन्तरिक प्रवास (Internal Migration) – यह प्रवास व्यापक रूप से होता है। लाखों लोग ग्रामीण क्षेत्रों से नगरों की ओर रोजगार की तलाश में प्रवास करते हैं। यह आकर्षक कारक (Pull Factors) तथा प्रत्याकर्षक कारकों (Push Factors) द्वारा होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता, बेरोजगारी, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारण लोग नगरों की ओर प्रवास करते हैं। जहां उच्च वेतन, सस्ती भूमि, रहन-सहन तथा विकास की उच्च सेवाएं प्राप्त होती हैं। नगरों में कई झुग्गी-झोंपड़ी क्षेत्र बन जाते हैं।

4. ग्रामीण प्रवास (Rural Migration) – कई बार एक ग्रामीण क्षेत्र से दूसरे ग्रामीण क्षेत्र में प्रवास होता है जहां उन्नत कृषि होती है तथा नई तकनीकों के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

Jharkhand Board JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र Important Questions and Answers.

JAC Board Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

बहुविकल्पीय प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनकर लिखें
1. ऐलन सी० सेम्पुल किस देश से सम्बन्धित है ?
(A) संयुक्त राज्य अमेरिका
(B) फ्रांस
(C) जर्मनी
(D) इंग्लैंड।
उत्तर:
(A) संयुक्त राज्य अमेरिका

2. निम्नलिखित में से कौन-सा भूगोलवेत्ता, फ्रांस से सम्बन्धित है ?
(A) हंटिंगटन
(B) विडाल डी लॉ ब्लॉश
(C) सेम्पुल
(D) ट्रिवार्था।
उत्तर:
(B) विडाल डी लॉ ब्लॉश

3. भूगोल की कौन-सी उपशाखा मानव भूगोल से सम्बन्धित नहीं है ?
(A) जनसंख्या भूगोल
(B) आर्थिक भूगोल
(C) भौतिक भूगोल
(D) सामाजिक भूगोल।
उत्तर:
(C) भौतिक भूगोल

4. विडाल डी लॉ ब्लॉश ने किस उपागम का समर्थन किया ?
(A) निश्चयवाद
(B) सम्भावनावाद
(C) मानववाद
(D) कल्याणवाद।
उत्तर:
(B) सम्भावनावाद

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

5. कौन-सा तत्त्व भौतिक वातावरण का अंग नहीं है ?
(A) जलवायु
(B) धरातल
(C) कृषि
(D) जल।
उत्तर:
(C) कृषि

6. किसने नव-नियतिवाद का प्रतिपादन किया ?
(A) ग्रिफिथ टेलर
(B) ब्लाश
(C) हंटिंगटन
(D) रिटर।
उत्तर:
(A) ग्रिफिथ टेलर

7. कौन-सा तत्त्व सांस्कृतिक वातावरण का अंग नहीं है ?
(A) ग्राम
(B) नगर
(C) पत्तन
(D) जलवायु।
उत्तर:
(D) जलवायु।

8. किस सिद्धान्त द्वारा अग्नि की खोज हुई ?
(A) गुरुत्वाकर्षण
(B) घर्षण
(C) डी० एन० ए०
(D) गति का नियम।
उत्तर:
(B) घर्षण

9. किस तत्त्व को ‘माता-प्रकृति’ कहते हैं ?
(A) भौतिक पर्यावरण
(B) सांस्कृतिक पर्यावरण
(C) राजनीतिक पर्यावरण
(D) औद्योगिक पर्यावरण।
उत्तर:
(A) भौतिक पर्यावरण

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

10. उपनिवेश युग में किस उपागम का मानव भूगोल में प्रयोग किया गया ?
(A) क्षेत्रीय विभिन्नता
(B) क्षेत्रीय संघटन
(C) व्यावहारिक
(D) प्रादेशिक।
उत्तर:
(D) प्रादेशिक।

11. मनोविज्ञान मानव भूगोल की किस उपशाखा से सम्बन्धित है ?
(A) व्यवहारवादी भूगोल
(B) नगरीय भूगोल
(C) जनसंख्या भूगोल
(D) आर्थिक भूगोल।
उत्तर:
(A) व्यवहारवादी भूगोल

12. महामारी विज्ञान भूगोल की किस किस उपशाखा से सम्बन्धित है ? .
(A) ऐतिहासिक
(B) लिंग
(C) चिकित्सा
(D) सैन्य।
उत्तर:
(C) चिकित्सा

13. किस उप-विज्ञान को जनांकिकी कहते हैं ?
(A) सांस्कृतिक भूगोल
(B) जनसंख्या भूगोल
(C) आर्थिक भूगोल
(D) नगरीय भूगोल।
उत्तर:
(B) जनसंख्या भूगोल

14. कौन-सा कथन सत्य नहीं है ?
(A) प्रदूषण औद्योगिक विकास के कारण होता है
(B) ओजोन गैस का ह्रास आदिम कृषि है
(C) भूतापन हरित गैसों के कारण है
(D) प्रदूषण के कारण भू-अवनयन होता है।
उत्तर:
(B) ओजोन गैस का ह्रास आदिम कृषि है

वस्तुनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)

प्रश्न 1.
‘भूगोल’ किन दो शब्दों के सुमेल से बना है ?
उत्तर:
दो यूनानी भाषा के शब्दों Geo (पृथ्वी) + Graphy (चित्रण करना)।

प्रश्न 2.
पर्यावरण के दो प्रमुख घटक बताओ।
उत्तर:
भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक पर्यावरण।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

प्रश्न 3.
भूगोल का एक विषय के रूप में केन्द्रीय कार्य क्या है ?
उत्तर:
पृथ्वी को मानव का निवास स्थान के रूप में समझना।

प्रश्न 4.
सर्वप्रथम भूगोल शब्द का प्रयोग किसने किया ?
उत्तर:
एक यूनानी दार्शनिक इरेटोस्थनीज ने किया था।

प्रश्न 5.
इडियोग्राफिक शब्द का अर्थ क्या है ?
उत्तर:
विवरणात्मक।

प्रश्न 6.
भौतिक पर्यावरण के तत्त्व बताओ।
उत्तर:
भू-आकृति, मृदा, जलवायु, जल, प्राकृतिक वनस्पति, प्राणिजात तथा वनस्पति जात।

प्रश्न 7.
सांस्कृतिक पर्यावरण के तत्व बताओ।
उत्तर:
घर, ग्राम, नगर, रेलें-सड़कों का जाल, उद्योग, खेत पत्तन।

प्रश्न 8.
प्रौद्योगिकी से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
उत्पादन में प्रयोग होने वाले औज़ार तथा तकनीकें।

प्रश्न 9.
भौतिक पर्यावरण को ‘माता-प्रकृति’ क्यों कहते हैं ?
उत्तर:
आदि कबीलों में, प्रकृति एक शक्तिशाली बल है, पूज्य है तथा संरक्षित है। लोग प्रकृति पर संसाधनों के लिए निर्भर रहते हैं।

प्रश्न 10.
उपनिवेश युग में मानव भूगोल में किस उपागम का प्रयोग किया गया ?
उत्तर:
अन्वेषण तथा विवरण के साथ प्रादेशिक विश्लेषण।

प्रश्न 11.
1930-50 के युग में कौन-से उपागम प्रयोग किए गए ?
उत्तर:
क्षेत्रीय विभिन्नता तथा स्थानिक संगठन।

प्रश्न 12.
सामाजिक भूगोल के साथ सम्बन्धित पांच उप-शाखाएं बताओ।
उत्तर:

  1. व्यवहारवादी भूगोल – मनोविज्ञान
  2. सांस्कृतिक भूगोल – मानवविज्ञान
  3. लिंग भूगोल – समाज शास्त्र
  4. ऐतिहासिक भूगोल – इतिहास
  5. चिकित्सा भूगोल – चिकित्सा शास्त्र

प्रश्न 13.
आर्थिक भूगोल से सम्बन्धित सामाजिक विज्ञान की पांच उप-शाखाएं बताओ।
उत्तर:

  1. संसाधन भूगोल-संसाधन अर्थशास्त्र
  2. कृषि-भूगोल-कृषि विज्ञान।
  3. विपणन भूगोल-व्यावसायिक अर्थशास्त्र, वाणिज्य शास्त्र।
  4. पर्यटन भूगोल-पर्यटन प्रबन्धन।
  5. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का भूगोल-अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भूगोल की परिभाषा दो। भूगोल के अध्ययन की तीन विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
भूगोल एक क्षेत्रीय तथा स्थानिक विभिन्नताओं का विज्ञान है। भूगोल शब्द दो यूनानी भाषा के शब्दों Geo = पृथ्वी तथा Graphy = वर्णन, के सुमेल से बना है। इस प्रकार भूगोल पृथ्वी के धरातल का वर्णन है। इसके अध्ययन क्षेत्र की तीन मुख्य विशेषताएं हैं –

  1. यह एक समाकलनात्मक अध्ययन है।
  2. यह एक आनुभविक अध्ययन है।
  3. यह एक व्यावहारिक अध्ययन है।

प्रश्न 2.
“भूगोल के अध्ययन की पहुंच विस्तृत है।” कारण बताओ।
उत्तर:

  1. भूगोल विश्वव्यापी प्रकृति का विज्ञान है।
  2. इसमें भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक वातावरण दोनों क्षेत्रों का अध्ययन किया जाता है।

इसमें किसी भी घटक का जो दिक् एवं काल के सन्दर्भ में परिवर्तित होता है का भौगोलिक अध्ययन किया जाता है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

प्रश्न 3.
भूगोल को ज्ञान का भण्डार क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
प्राचीन काल में भूगोल के अध्ययन का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी के बारे में सामान्य ज्ञान प्राप्त करना ही था। यह ज्ञान यात्रियों, व्यापारियों, गवेषकों तथा विजेताओं की कथाओं पर आधारित था। कई विद्वानों ने पृथ्वी के आकार, अक्षांश तथा देशान्तर, सौर मण्डल आदि की जानकारी का समावेश भूगोल विषय के अन्तर्गत किया। पृथ्वी के बारे में जानकारी अधिकतर अन्य विषयों से प्राप्त हुई। इसलिए भूगोल को ज्ञान का भण्डार कहा जाता है।

प्रश्न 4.
“भूगोल प्राकृतिक एवं सामाजिक विज्ञान दोनों ही है।” व्याख्या करो।
उत्तर:
भूगोल एक समाकलन का विज्ञान है। भौतिक भूगोल तथा मानव भूगोल के विभिन्न पक्षों का अध्ययन करके किसी क्षेत्र का एक भौगोलिक चित्र प्रस्तुत किया जाता है। भौतिक वातावरण का अध्ययन करने के लिए प्राकृतिक विज्ञान जैसे भौतिकी, रसायन विज्ञान आदि बहुत उपयोगी हैं। सामाजिक विज्ञान मानवीय क्रियाओं का अध्ययन करने में सहायता करते हैं। इनके द्वारा भौतिक तत्त्वों का कृषि, मानव बस्तियों आदि पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार भूगोल प्राकृतिक तथा सामाजिक विज्ञानों को परस्पर जोड़ता है तथा इसे दोनों वर्ग के विज्ञानों में गिना जाता है।

प्रश्न 5.
‘भूगोल को समाकलन एवं संश्लेषण का विज्ञान कहा जाता है।’ इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भूगोल का विज्ञान की कई शाखाओं से निकट का सम्बन्ध है। विभिन्न शाखाओं के कई तत्त्वों का अध्ययन भूगोल में उपयोगी होता है। केवल उन्हीं घटकों का अध्ययन किया जाता है जो हमारे उद्देश्य के लिए प्रासंगिक हों। विभिन्न घटकों को आपस में संयक्त रूप में अध्ययन करने की क्रिया को समाकलन कहते हैं। संयुक्त (Composite) तथा संश्लिष्ट रूप (Synthetic form) में समझना अधिक उयोगी तथा महत्त्वपूर्ण होता है। इसलिए भूगोल को समाकलन एवं संश्लेषण का विज्ञान (Science of Integration or Synthesis) कहा जाता है।

प्रश्न 6.
मानव भूगोल के उद्देश्य की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल का उद्देश्य पृथ्वी पर विभिन्न प्रदेशों में जनसंख्या और वातावरण के संसाधनों का अध्ययन करना है ताकि इन संसाधनों का प्रयोग मानव प्रगति और विकास के लिए किया जा सके। वातावरण का मानवीय क्रियाओं पर क्या प्रभाव पड़ता है तथा मानव द्वारा इनमें क्या परिवर्तन किए गए हैं। इस प्रकार मानव भूगोल का उद्देश्य मानव, वातावरण तथा मानवीय क्रियाओं के सम्बन्ध का अध्ययन करना है।

प्रश्न 7.
‘मानव भूगोल में मानव का केन्द्रीय स्थान है’ इस तथ्य को समझाइए।
उत्तर:
मानव भूतल पर भौतिक दशाओं के समूह (Set of Surroundings) द्वारा घिरा है जिसे पर्यावरण कहते हैं। मानव एक सक्रिय भौगोलिक कारक (Geographical factor) है। मानव मिट्टी को अपने भोजन प्राप्ति के लिए प्रयोग करता है तथा पशुपालन, मत्स्यन, भेड़ पालन द्वारा भोजन प्राप्त करता है। प्राकृतिक झरनों से जलविद्युत् उत्पन्न करता है। कोयले के प्रयोग से उद्योगों को शक्ति प्रदान करता है। मनुष्य की स्थिति केन्द्रीय है। उसके चारों ओर प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक वातावरण की क्रियाएं होती हैं, परन्तु वह प्रकृति का दास नहीं है वरन् उसमें परिवर्तन करके उसे अपने अनुकूल बनाता है।

प्रश्न 8.
“मानव प्रकृति का दास है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य तथा प्रकृति में घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रकृति के विभिन्न लक्षण जैसे भूमि की बनावट, जलवायु, मिट्टी, पदार्थ, जल तथा वनस्पति मनुष्य के रहन-सहन तथा आर्थिक, सामाजिक क्रियाओं पर प्रभाव डालते हैं। प्रकृति मनुष्य के कार्य एवं जीवन को निश्चित या निर्धारित करती है।’ इस विचारधारा को नियतिवाद (Determinism) कहा जाता है। जैसे रैट्ज़ेल के अनुसार, “मानव अपने वातावरण की उपज है।” (Man is the product of environment.) दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि मानव प्रकृति का दास है। मानव जीवन प्राकृतिक साधनों पर ही आधारित है।

मानव वातावरण को एक सीमा तक ही बदल सकता है। उसे वातावरण के साथ समायोजन करना आवश्यक है। इस प्रकार मनुष्य तथा प्रकृति एक-दूसरे के सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं। इस प्रक्रिया द्वारा ही सम्पूर्ण जीवन प्रभावित होता है। इस प्रकार मनुष्य तथा प्रकृति के सम्बन्धों को देखकर ‘प्रकृति में मनुष्य’ (Man in nature) कहना ही उचित है। जैसा कि विख्यात भूगोलवेत्ता विडाल डी लॉ ब्लॉश (Vidal de la Blach) ने कहा है, ‘प्रकृति मानव को मंच प्रदान करती है और यह मनुष्य पर निर्भर है कि वह उस पर कार्य करे।’

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

प्रश्न 9.
नव-नियतिवाद से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
नव-नियतिवाद (Neo-Determinism):
प्रकृति ने मानव को विकास के भरपूर अवसर प्रदान किए हैं परन्तु मानव इनका एक सीमा तक प्रयोग कर सकता है। इसलिए सम्भववाद पर कई विद्वानों ने आलोचना की है। ग्रिफिथ टेलर ने इस आलोचना द्वारा नव नियतिवाद की विचारधारा प्रस्तुत की। उसके अनुसार एक भूगोलवेत्ता का कार्य एक परामर्शदाता का है न कि प्रकृति की आलोचना करने का है। यह निश्चयवाद तथा सम्भावनावाद में एक मध्यमार्ग है। इसे ‘रुको और जाओ निश्चयवाद’ (Stop and Go determinism) कहते हैं।

प्रश्न 10.
एलेन सेम्पुल द्वारा मानव भूगोल की दी गई परिभाषा के तीन मूल बिन्दु कौन-कौन से हैं ?
अथवा
मानव भूगोल की प्रकृति क्या है ?
उत्तर:
एलेन सेम्पुल के अनुसार मानव भूगोल पृथ्वी और अथक मानव के परस्पर परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है। इसके मूल तीन बिन्दु निम्नलिखित हैं

  1. मानव समाज तथा पृथ्वी तल के बीच सम्बन्ध
  2. मानव-वातावरण सम्बन्ध प्रगतिशील है
  3. मानव प्रगति प्रकृति पर निर्भर है।

प्रश्न 11.
“मानव भूगोल का अध्ययन प्रगतिशील है तथा इसमें मानवीय समाज के अध्ययन पर अधिक बल दिया गया है।” व्याख्या करो। .
उत्तर:
मानव भूगोल की परिभाषा समय-समय पर बदलती रहती है।

  1. सबसे पहले विद्वानों में अरस्तु, बकॅल, हम्बोलट तथा स्ट्टिर ने इतिहास पर धरातल के प्रभाव का अध्ययन किया।
  2. कालान्तर में रैट्ज़ेल तथा सैम्पल ने इसकी आलोचना की।
  3. ब्लॉश ने पारिस्थितिकी तथा पार्थिव एकता को मानव भूगोल के दो मूल सिद्धान्त माना।
  4. हंटिंगटन ने जलवायु के समाज, सभ्यता तथा इतिहास पर प्रभाव पर अधिक बल दिया।
  5. उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि मानव भूगोल में मूल रूप से अधिक बल मानवीय समाज के अध्ययन पर दिया गया है।

प्रश्न 12.
मानव भूगोल में सम्भववाद उपागम की तीन मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर:

  1. इस उपागम के अनुसार मानव अपने वातावरण में आवश्यकता अनुसार परिवर्तन कर सकता है
  2. प्रकृति पर विजय प्राप्त करना सम्भव है।
  3. प्रकृति अवसर प्रदान करती है तथा मानव इनका लाभ उठा सकता है।

प्रश्न 13.
मानव भूगोल के छः उपागमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल के छ: उपागम निम्नलिखित हैं –

  1. अन्वेषण और विवरण
  2. प्रादेशिक विश्लेषण
  3. क्षेत्रीय विभेदन
  4. स्थानिक संगठन
  5. मानवतावादी, आमूलवादी और व्यावहारवादी विचारधाराओं का उदय
  6. भूगोल में उत्तर आधुनिकवाद।

प्रश्न 14.
मानव भूगोल के छः भिन्न क्षेत्रों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मानव भूगोल के निम्नलिखित छः क्षेत्र है –

  1. सामाजिक भूगोल
  2. नगरीय भूगोल
  3. राजनीतिक भूगोल
  4. जनसंख्या भूगोल
  5. आवास भूगोल
  6. आर्थिक भूगोल।

प्रश्न 15.
आर्थिक भूगोल के छ: उप-क्षेत्र कौन-से हैं ?
उत्तर:
आर्थिक भूगोल के छ: उप-क्षेत्र निम्नलिखित हैं –

  1. संसाधन भूगोल
  2. कृषि भूगोल
  3. उद्योग भूगोल
  4. विपणन भूगोल
  5. पर्यटन भूगोल
  6. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का भूगोल।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

प्रश्न 16.
मानव भूगोल में प्रादेशिक विश्लेषण विधि क्या है ?
उत्तर:
जब भूगोल में किसी प्रदेश को उप-विभागों या प्रदेशों में बांट कर समुचा अध्ययन करते हैं तो उस विवरणात्य अध्ययन को प्रादेशिक विधि कहते हैं।

प्रश्न 17.
सम्भववाद का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
सम्भवाद (Possiblism)-निश्चयवाद की विचारधारा कुछ समय पश्चात् अस्वीकार कर दी गई। कई भूगोलवेत्ताओं ने मानव को स्वतन्त्र कारक बताया। वह अपनी इच्छापूर्वक कार्य करने की क्षमता रखता है। इस विचारधारा को सम्भववाद कहते हैं। लूसियन फ़ैब्रे ने इस शब्द का सबसे पहले प्रयोग किया। उसके अनुसार कुछ भी आवश्यक नहीं है। प्रत्येक स्थान पर सम्भावनाएं हैं तथा मानव इन सम्भावनाओं का स्वामी है। विडाल-डी लॉ ब्लॉश ने इस विचारधारा का पूरी तरह विकास किया। उसके अनुसार लोगों का रहन-सहन भौतिक, सामाजिक तथा ऐतिहासक प्रभावों का परिणाम है। इस विचारधारा के अनुसार सांस्कृतिक तथा तकनीकी ज्ञान वातावरण का प्रयोग करने में सक्षम हो

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
भूगोल में द्वैतवाद से क्या अभिप्राय है ? नोमोथेटिक तथा इडियोग्राफ़िक शब्दों के क्या अर्थ है ?
उत्तर:
(i) भूगोल के द्वैतवाद के आशय के व्यापक तर्क-वितर्क हैं कि क्या भूगोल का अध्ययन प्रादेशिक या क्रमबद्ध होना चाहिए। इसे द्वैतवाद कहते हैं। नोमोथेटिक शब्द का अर्थ है भूगोल का नियमबद्ध होना तथा इडियोग्राफ़िक शब्द के अर्थ है कि भूगोल का विवरणात्मक होना।
(ii) क्या भौगोलिक परिघटनाओं की व्याख्या सैद्धान्तिक आधार पर होनी चाहिए अथवा ऐतिहासिक संस्थागत उपागम के आधार पर हो।
(iii) इसी प्रकार द्वैतवाद प्रकृति तथा मानव के बीच बौद्धिक अभ्यास का मुद्दा है।

प्रश्न 2.
“भौतिक और मानवीय दोनों परिघटनाओं का वर्णन मानव शरीर रचना विज्ञान से प्रतीकों का प्रयोग करते हुए रूपकों के रूप में किया जाता है” उदाहरण देकर व्याख्या करो।
उत्तर:
मानव शरीर रचना विज्ञान से कुछ शब्दों का प्रयोग भौतिक और मानवीय परिघटनाओं के लिए किया जाता है।
उदाहरण-

  1. हम पृथ्वी के ‘रूप’ (Face) का वर्णन करते हैं।
  2. हम ‘तुफान की आँख’ (Eye of the storm) शब्द प्रयोग करते हैं।
  3. ‘नदी के मुख’ (Mouth of the river) का प्रयोग किया जाता है।
  4. ‘हिम नदी की नासिका’ (Snouth of the glacier) शब्द का प्रयोग होता है।
  5. जलडमरू मध्य की ग्रीवा (Neck) शब्द प्रयोग होता है।
  6. प्रदेशों, गाँवों, नगरों का वर्णन जीवों (organisms) के रूप में होता है।
  7. सड़कों, रेलमार्गों, जलमार्गों के जाल को ‘परिसंचरण की धमनियां’ (Arteries of Circulation) कहते हैं।

प्रश्न 3.
रैटजेल के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा दो। इस परिभाषा में किस तत्त्व पर बल दिया गया है ?
उत्तर:
रैटजेल के अनुसार, “मानव भगोल मानव समाजों और धरातल के बीच सम्बन्धों का संश्लेषित अध्ययन है।” इस परिभाषा में संश्लेषण शब्द पर बल दिया गया। भौतिक तथा मानवीय तत्त्वों का संश्लेषण किया जाता है।

प्रश्न 4.
एलेन सी० सेम्पुल के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा दो। इस परिभाषा में मुख्य शब्द क्या है ?
उत्तर:
एलेन सी० सेम्पुल के अनुसार, “मानव भूगोल अस्थिर पृथ्वी और क्रियाशील मानव के बीच परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।” इस परिभाषा में सम्बन्धों की गत्यात्मकता मुख्य शब्द है। मानवीय क्रियाएं बदलती रहती हैं। पृथ्वी के भौतिक लक्षण बदलते रहते हैं। दोनों के आपसी सम्बन्धों में भी परिवर्तनशीलता होती रहती है।

प्रश्न 5.
पाल विडाल-डी लॉ ब्लॉश के अनुसार मानव भूगोल की परिभाषा दो। इस परिभाषा में कौन-सी नई संकल्पना प्रस्तुत की गई है ?
उत्तर:
पाल विडाल-डी लॉ ब्लॉश के अनुसार, ‘मानव भूगोल हमारी पृथ्वी को नियन्त्रित करने वाले भौतिक नियमों और इस पर रहने वाले जीवों के मध्य सम्बन्धों के अधिक संश्लेषित ज्ञान से उत्पन्न संकल्पना है। इस परिभाषा में नई संकल्पना है। यह पृथ्वी तथा मानव के बीच सम्बन्ध का अध्ययन है। भौतिक पर्यावरण के तत्त्व तथा मानवीय वातावरण के तत्त्व एक-दूसरे से अन्योन्यक्रिया (Interact) करते हैं।

प्रश्न 6.
“प्रौद्योगिकी किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर की सूचक होती है।” उपरोक्त कथन के समर्थन में तीन तथ्य दो।
‘अथवा
प्रौद्योगिकी स्तर, मनुष्य व प्रकृति के आपसी सम्बन्धों को किस प्रकार प्रभावित करता है ?
उत्तर:
मानव कुछ उपकरणों तथा तकनीकों की सहायता से उत्पादन तथा निर्माण करता है। इसे प्रौद्योगिकी कहते हैं। मानव प्रकृति के नियमों को बेहतर ढंग से समझने के बाद प्रौद्योगिकी का विकास करके उत्पादन करता है।

उदाहरण:

  1. घर्षण (friction) तथा ऊष्मा की संकल्पनाओं ने मानव को अग्नि की खोज में सहायता की।
  2. डी० एन० ए० (D.N.A) तथा आनुवंशिकी के रहस्यों की समझ ने हमें अनेक बीमारियों पर विजय पाने के योग्य बनाया।
  3. हम अधिक तीव्र गति से चलने वाले यान विकसित करने के लिए वायु गति के नियमों का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार प्रकृति का ज्ञान प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 7.
‘मानवीय क्रियाएँ सांस्कृतिक भूदृश्य की रचना करती हैं। उदाहरण दो।
उत्तर:
बेहतर और सक्षम प्रौद्योगिकी के प्रयोग से मानव भौतिक पर्यावरण से संसाधन का प्रयोग करता है। मानव पर्यावरण से प्राप्त संसाधनों के द्वारा सम्भावनाओं को जन्म देता है। प्रकृति सम्भावनाओं को जन्म देती है तथा मानव इनका उपयोग करता है। इस प्रकार प्रकृति का मानवीकरण होता है। इसे सम्भववाद (Possibilism) कहते हैं।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

मानवीय क्रियाओं की छाप सर्वत्र है जैसे –

  1. उच्च भूमियों पर स्वास्थ्य विश्रामस्थल
  2. विशाल नगरीय प्रसार
  3. खेत, फलोद्यान तथा चरागाहें
  4. तटों पर पत्तन
  5. महासागरीय तल पर महासागरीय मार्ग
  6. अंतरिक्ष में उपग्रह।

अन्तर स्पष्ट करो

प्रश्न 1.
भौतिक पर्यावरण तथा सांस्कृतिक पर्यावरण में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
(i) भौतिक वातावरण प्राकृतिक तत्त्वों से बना है जैसे जलवायु धरातल, जल प्रवाह, प्राकृतिक संसाधन, खनिज, मृदा, जल तथा वन। .
(ii) सांस्कृतिक वातावरण मानव निर्मित लक्षणों से बना है जिसमें जनसंख्या तथा मानव बस्तियाँ प्रमुख हैं। इनका सम्बन्ध कृषि, निर्माण उद्योग तथा परिवहन से है।

प्रश्न 2.
निश्चयवाद तथा सम्भववाद में अन्तर स्पष्ट करो।
अथवा
‘पर्यावरणीय निश्चयवाद’ की संक्षिप्त परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
निश्चयवाद (Determinism):
इस विचारधारा के अनुसार मानवीय क्रियाओं पर वातावरण का नियन्त्रण है। इसके अनुसार किसी सामाजिक वर्ग का इतिहास, सभ्यता, रहन-सहन तथा विकास स्तर भौतिक कारकों द्वारा नियन्त्रित होता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि मानव एक क्रियाशील कारक नहीं है। इस विचारधारा को यूनानी तथा रोमन विद्वानों हिप्पोक्रेटस, अरस्तु, हेरोडोटस तथा स्ट्रेबो ने प्रस्तुत किया। इसके पश्चात् अल-मसूदी, अल अदरीसी, इब्बन खालदून, काण्ट, हम्बोलट, रिट्टर तथा रैटजेल ने इस पर विशेष कार्य किया। अमेरिका में कुमारी सैम्पुल तथा हंटिंगटन ने इस विचारधारा को लोकप्रिय बनाया।

सम्भववाद (Possiblism):
निश्चयवाद की विचारधारा कुछ समय पश्चात् अस्वीकार कर दी गई। कई भूगोलवेत्ताओं ने मानव को स्वतन्त्र कारक बताया। वह अपनी इच्छा पूर्वक कार्य करने की क्षमता रखता है। इस विचारधारा को सम्भववाद कहते हैं। लूसियन फ़ैब्रे ने इस शब्द का सबसे पहले प्रयोग किया। उसके अनुसार कुछ भी आवश्यक नहीं है। प्रत्येक स्थान पर सम्भावनाएं हैं तथा मानव इन सम्भावनाओं का स्वामी है। विडाल-डी लॉ ब्लॉश ने इस विचारधारा का पूरी तरह विकास किया। उसके अनुसार लोगों का रहन-सहन भौतिक, सामाजिक तथा ऐतिहासिक प्रभावों का परिणाम है। इस विचारधारा के अनुसार सांस्कृतिक तथा तकनीकी ज्ञान वातावरण का प्रयोग करने में सक्षम है।

प्रश्न 3.
क्रमबद्ध भूगोल तथा प्रादेशिक भूगोल में अन्तर स्पष्ट करो।
अथवा
1930 के दशक से 1960 के दशक की अवधि में भूगोल के उपागम बताओ।
उत्तर:
प्रादेशिक भूगोल (Regional Geography):

  1. इस भूगोल में किसी प्रदेश के सभी भौगोलिक तत्त्वों का एक इकाई के रूप में अध्ययन होता है।
  2. यह अध्ययन समाकलित होता है।
  3. यह अध्ययन भौगोलिक इकाइयों पर आधारित होता है।

क्रमबद्ध भूगोल (Systematic Geography):

  1. इस भूगोल में किसी प्रदेश के एक विशिष्ट भौगोलिक तत्त्व का अध्ययन होता है।
  2. यह अध्ययन एकाकी रूप में होता है।
  3. यह अध्ययन राजनीतिक इकाइयों पर आधारित होता है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
मानव भूगोल से क्या अभिप्राय है ? विभिन्न भूगोलवेत्ताओं द्वारा मानव भूगोल की परिभाषाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
परिचय (Introduction):
मानव भूतल पर सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण प्राणी है। वह भूतल पर वातावरण। एक क्रियाशील अंश है। मानव पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधनों का अपने उद्देश्यों के लिए प्रयोग करता है। मानव प्रकृति का दास नहीं है, वरन् उसमें उचित परिवर्तन लाता है और उसे अपने अनुकूल बनाता है। कई बार वह अपने जीवन को वातावरण के अनुसार ढाल कर समझौता भी कर लेता है। वातावरण की विभिन्नता के कारण विभिन्न प्रदेशों के निवासियों की शारीरिक रचना, जातीय गुण, रहन-सहन, वेष-भूषा, कार्य क्षमता तथा योग्यता में अनेक विभिन्नताएं पाई जाती हैं।

टुण्ड्रा प्रदेश के एस्कीमों का जीवन कठोर तथा संघर्षपूर्ण होता है। मानसून प्रदेश में लोगों का मुख्य कार्य कृषि है। शीतोष्ण कटिबन्धीय घास के मैदानों में लोग पशुपालन करते हैं तथा घास व जल की तलाश में घूमते रहते हैं। इस प्रकार मानव अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्राकृतिक भू-दृश्य (Physical landscape) का उपयोग करके एक सांस्कृतिक वातावरण को जन्म देता है। इस प्रकार मानव भूगोल और पृथ्वी के बीच सम्बन्धों का एक क्रमबद्ध विश्लेषण प्रस्तुत करता है।

मानव भूगोल की परिभाषाएं (Definitions of Human Geography):
मानव और प्रकृति की अन्तक्रियाओं लस्वरूप अनेक प्रकार के सांस्कृतिक लक्षण जन्म लेते हैं जैसे- गांव, कस्बा, शहर, सड़क, उद्योग भवन आदि। इन्हीं सभी लक्षणों की स्थिति तथा वितरण का अध्ययन मानव भूगोल के अन्तर्गत आता है। विभिन्न भूगोलवेत्ताओं द्वारा मानव भूगोल की निम्नलिखित परिभाषाएं दी गई हैं –

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

1. रैट्ज़ेल के अनुसार (According to Ratzel):
फ्रेडरिक रैट्जेल को वर्तमान मानव भूगोल का जन्मदाता माना जाता है। रैट्ज़ेल के अनुसार मानव भूगोल के दृश्य सर्वग वातावरण से सम्बन्धित होते हैं जो स्वयं भौतिक दशाओं का एक योग होता है।

2. कुमारी सेम्पुल के अनुसार (According to E.C. Semple):
रैट्ज़ेल की शिष्या कुमारी सेम्पुल के अनुसार, “मानव । अस्थायी पृथ्वी और चंचल मानव के पारस्परिक परिवर्तनशील सम्बन्धों का अध्ययन है।” (“Human geography is a study of the changing relationships between the unresting man and the unstable earth.”)

3. विडाल-डी लॉ ब्लॉश के अनसार (According to Vidal de la Blaches):
फ्रांसीसी विद्वान विडाल डी लॉ ब्लॉश के अनुसार, “मानव भूगोल पृथ्वी और मानव के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन है।” (“Human geography is study of inter-relationship of earth and man.”)

4. जीन ब्रून्ज के अनुसार (According to Brunhes):
“मानव भूगोल उन सभी तथ्यों का अध्ययन है जो मानव की क्रिया-कलापों से प्रभावित होते हैं।” (“Human geography is the study of all these facts in which human activity plays a part.”)

5.ऐल्सवर्थ हंटिंगटन के अनुसार (According to Elesworth Huntington):
“मानव भूगोल में भौगोलिक वातावरण तथा मानवीय क्रियाओं के पारस्परिक सम्बन्धों के वितरण और स्वरूप का अध्ययन होता है।” (“Human geography may be defined as the study of nature and distribution of relationships between geographical environment and human activities.”)

6. डी० एच० डेविस के अनुसार (According to D. H. Davis):
“मानव भूगोल प्राकृतिक वातावरण और मानवीय क्रियाओं के बीच सम्बन्धों का अध्ययन है।” (“Human geography is a study of the relationships between natural environment and human activities.”)

7. ह्वाइट और रेनर के अनुसार (According to White and Renner):
“भूगोल प्रमुखतः मानव पारिस्थितिकी है जिसमें पृथ्वी की पृष्ठ भूमि से मानव समाजों का अध्ययन होता है।” (“Geography is primarily human Ecology and the study of human society in relation to the earth background.”)

8. डिकेन तथा पिट्स के अनुसार (According to Dickens and Pits):
“मानव भूगोल में मानव और उसके कार्यों को समाविष्ट किया जाता है।” (“Human geography is looked upon as the study of man and his works.”)

सारांश (Conclusion):
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि भूगोल वेत्ताओं के विचारों में मतभेद हैं। फिर भी यह समानता है कि मानव भूगोल मनुष्य और उसके वातावरण में अन्तर्सम्बन्धों की समस्याओं का अध्ययन करता है। मानव भूगोल विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले मानव समूहों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का अध्ययन करता है तथा मानव अपने वातावरण से किस प्रकार अनुकूलन (Adaptation) और सामंजस्य (Adjustment) स्थापित करके उसमें आवश्यकतानुसार संशोधन (Modification) करता है।

प्रश्न 2.
मानव भूगोल के विकास का वर्णन करो।
उत्तर:
प्राचीन काल से ही प्राकृतिक वातावरण का प्रभाव मानव पर अनुभव किया जाता रहा है। प्राचीन सभ्यताओं में यूनान, मिस्र, भारत, चीन आदि देशों के लोग सूर्य, वायु, अग्नि, जल, वर्षा आदि को देवता मान कर इनकी पूजा करते थे। परन्तु वर्तमान मानव भूगोल का वैज्ञानिक विकास 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ है। ईसा से 6 शताब्दी पूर्व थेल्स (Thals) तथा अनैग्जीमेंडर (Aneximander) ने जलवायु तथा मानव के सम्बन्धों का वर्णन किया था।

इसके पश्चात्। अरस्तु तथा हेरोडोटस ने मानव जीवन पर वातावरण के प्रभाव को प्रधान माना था। आठवीं शताब्दी में अरब विद्वानों ने कुछ प्रादेशिक भूगोल में मानवीय जीवन का वर्णन किया है। मानव भूगोल का वर्तमान युग जर्मन विद्वानों ने आरम्भ किया। इन विद्वानों में कांट (Kant), रिटर (Ritter), हम्बोल्ट (Humbult), फ्रबल (Frobel), रट्ज़ेल (Ratzel) विशेष रूप से प्रसिद्ध रहे हैं। इन्होंने निश्चयवाद, सम्भववाद आदि विचारधाराओं का विकास किया।

फ्रांस में भी मानव भूगोल का बहुत विकास हुआ। विडाल-डी लॉ ब्लॉश (Vidal de la Blache), जीन बूंज (Jean Brunhes), डिमांजिया (Demangeon) और फैब्रे (Febre) ने कई पुस्तकें लिखीं। उत्तरी अमेरिका तथा ब्रिटेन में भी कई विद्वानों ने मानव भूगोल के क्षेत्र में कार्य किया है। कुमारी सेम्पुल (Semple), हंटिंगटन, बोमेन (Bowman), सावर (Saver), ग्रिफ्फिथ टेलर (G. Taylor), हरबर्टसन (Herbertson) तथा मैकिंडर (Makinder) का योगदान उल्लखेनीय रहा है।

प्रश्न 3.
मानव भूगोल की प्रकृति तथा अध्ययन क्षेत्र का वर्णन करो।
उत्तर:
मानव भूगोल की प्रकृति (Nature of Human Geography):
मानव भूगोल की प्रकृति का उद्देश्य पृथ्वी पर विभिन्नताओं के बीच रहने वाले मानव जीवन को समझना है। पृथ्वी के विभिन्न प्रदेशों में निवासियों के रंग रूप, कार्य क्षमता, आजीविका साधन, रीति-रिवाज, संस्कृति आदि में बहुत अन्तर मिलते हैं। ये अन्तर भौगोलिक वातावरण के कारण मिलते हैं। मानव और भौतिक वातावरण का सम्बन्ध सांस्कृतिक वातावरण को जन्म देता है। फिंच और ट्रिवार्था के अनुसार मानव और उसकी संस्कृति ही मानव भूगोल का विषय क्षेत्र है। इस सम्बन्ध में मानव भूगोल जनसंख्या, प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक, भूमध्य तथा कार्यात्मक सम्बन्धों का अध्ययन करता है।

मानव भूगोल का उद्देश्य एवं प्रकृति के सम्बन्ध में प्रो० ब्लॉश का यह कथन है, “पृथ्वी पर मनुष्य का प्रभाव और उसके व्यवसायों का अध्ययन ही मानव भूगोल है।” मानव भूगोल संसाधनों के उपयोग द्वारा व्यवसायों की आर्थिक संरचनाओं (Economic Structures), उद्योगों, परिवहन, संचार साधन तथा मानवीय बस्तियों के वितरण का अध्ययन करता है। मानव भूगोल का अध्ययन मानवीय पारिस्थितिकी (Human Ecology) का व्यापक अध्ययन है। इसमें मानव और भौतिक वातावरण के सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। मानव भूगोल में प्राकृतिक वातावरण का मानवीय जीवन और उसकी क्रियाओं पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।

पृथ्वी के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले मानव समूहों के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का अध्ययन किया जाता है। मानव किस प्रकार वातावरण-समायोजन तथा प्रादेशिक व्यवस्थापन द्वारा क्षेत्रीय संगठन करता है। मानव एक सक्रिय भौगोलिक कारक है, परन्तु यह वातावरण का अंग नहीं। मानव की स्थिति केन्द्रीय है। मानव अपने प्राकृतिक वातावरण में परिवर्तन करके सांस्कृतिक भूदृश्य का निर्माण करता है। इस प्रकार मानव भूगोल प्राकृतिक वातावरण की शक्तियों जैसे सौर शक्ति, गुरुत्व तथा सौर प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। इसी प्रकार मानव भूगोल में सांस्कृतिक वातावरण की शक्तियों का भी अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार आर्थिक, जनसांख्यिकीय, ऐतिहासिक विज्ञानों के लिए मानव भूगोल का ज्ञान आवश्यक है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

मानव भूगोल का अध्ययन क्षेत्र (Scope of Human Geography):
मानव भूगोल का अध्ययन क्षेत्र बहुत व्यापक है। परन्तु कई विद्वानों के विचारों में मतभेद हैं। मानव भूगोल को भूमि का विज्ञान, अन्तर्सम्बन्धों का विज्ञान तथा प्रादेशिक अध्ययन का विज्ञान कहा जाता है। वास्वत में भौगोलिक परिस्थितियों और मनुष्य के कार्यों के सम्बन्ध का वितरण और प्रकृति ही मानव भूगोल की विषय सामग्री है।

मानव भूगोल के अध्ययन क्षेत्र के पांच प्रमुख अंग
(Five aspects of the Scope of Human Geography)

  1. किसी प्रदेश की जनसंख्या और उसकी क्षमता।
  2. उस प्रदेश के प्राकृतिक संसाधन।
  3. उस प्रदेश का सांस्कृतिक प्रतिरूप।
  4. मानव-वातावरण का समायोजन का रूप।
  5. समय के साथ-साथ कालिक विकास।

प्रश्न 4.
मानव भूगोल की विभिन्न शाखाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
किसी क्षेत्र के मानव निर्मित लक्षणों (Man made features) के अध्ययन को मानवीय भूगोल कहते हैं। यह लक्षण मानवीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। जैसे-खेती, गांव, कारखाने, सड़कें, रेलें, पुल आदि। इन्हें सांस्कृतिक लक्षण.(Cultural features) भी कहते हैं। मानवीय भूगोल प्राकृतिक लक्षणों का मानवीय जीवन पर प्रभाव का अध्ययन करता है। मानव भूगोल के निम्नलिखित उप-क्षेत्र हैं –

1. सांस्कृतिक भूगोल (Cultural Geography):
इसका सम्बन्ध मानव समूहों की संस्कृति से है। इसमें मनुष्य का घर, वस्त्र, भोजन, सुरक्षा, कुशलता, साधन, भाषा, धर्म आदि पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। कुछ भूगोलवेत्ता इस उप-क्षेत्र को सामाजिक भूगोल भी कहते हैं।

2. आर्थिक भूगोल (Economic Geography):
इस क्षेत्र के अन्तर्गत मानवीय क्रियाकलाप में विभिन्नता का अध्ययन किया जाता है तथा इन क्रियाओं द्वारा वस्तुओं के उत्पादन (Production), वितरण (Distribution) तथा विनिमय (Exchange) का अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार प्राकृतिक साधनों के वितरण तथा उपयोग का अध्ययन किया जाता है।

3. जनसंख्या भूगोल (Population Geography):
इस क्षेत्र में मानवीय समूहों के विभिन्न रूपों तथा वितरण का अध्ययन किया जाता है। इस क्षेत्र के अन्तर्गत जनसंख्या का वितरण, निरपेक्ष संख्या, जन्म एवं मृत्यु-दर, वृद्धि दर आदि विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है।

4. ऐतिहासिक भूगोल (Historical Geography):
मानव भूगोल के इस क्षेत्र में किसी भी प्रदेश के विभिन्न समयों में विकास का अध्ययन किया जाता है। यह हमें किसी भी देश के वर्तमान को समझने में एक सूत्र प्रदान करता है।

5. राजनीतिक नीतिक भगोल (Political Geography):
इस क्षेत्र में राजनीतिक तथा प्रशासनिक निर्णयों का विश्लेषण किया जाता है। मानव समूहों से सम्बन्धित स्थानीय प्रशासन, प्रादेशिक नियोजन, देशों के आपसी सम्बन्ध, सीमा विवाद आदि इसके मुख्य विषय हैं।

6. नगरीय भूगोल (Urban Geography):
यह उपशाखा नगरीय आवास के अध्ययन तथा नियोजन के लिए प्रयोग की जाती है।

7. आवास भूगोल (Settlement Geography):
यह उपशाखा नगरीय तथा ग्रामीण बस्तियों के अध्ययन में सहायक है।

प्रश्न 5.
“द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् मानव भूगोल ने सामाजिक समस्याओं के समाधान पर अधिक बल दिया है।” व्याख्या करो।
अथवा
मानववाद तथा कल्याणवाद में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् भूगोल के कई क्षेत्रों में बहुत तेजी से परिवर्तन हुए हैं। मानव भूगोल में मानव समाज की कई समस्याओं के समाधान के लिए प्रयत्न किए गए। मानव भलाई, निर्धनता, असमानताएं (सामाजिक तथा प्रादेशिक) आदि कई नई समस्याएं उभर कर सामने आईं।

इसलिए समय-समय पर कई उपागम प्रयोग किए गए –
1. व्यावहारिक उपागम (Positivism):
यह उपागम 1950-60 के दशक में प्रचलित हुई। इसमें मात्रात्मक विधियों पर अधिक बल दिया गया। कई विद्वानों जैसे B. L. Berry, David Harvey तथा William Bunge इस उपागम के समर्थक थे। इस विधि से व्यावहारिक उद्गम का जन्म हुआ। यह विचार मनोविज्ञान से सम्बन्धित है जिसमें मानवीय शक्तियों को मान्यता दी गई है।

2. कल्याण उपागम (Welfare Approach):
बढ़ती हुई असमानताओं के कारण मानवीय कल्याण विचारधारा का जन्म हुआ। निर्धनता, विकास में प्रादेशिक असमानताओं, नगरों के इर्द-गिर्द झोंपड़ियों की समस्याओं पर अधिक ध्यान दिया गया। D.M. Smith तथा David Harvey ने इसका समर्थन किया। इसमें Who (कौन) ? What (क्या)? Where.(कहाँ) ? तथा How (कैसे) ? पर बल दिया गया।
(a) Who (कौन) का सम्बन्ध क्षेत्र से है।
(b) What (क्या) का सम्बन्ध वस्तुओं से है।
(c) Where (कहाँ) का सम्बन्ध निवास क्षेत्र से है।
(d) How (कैसे) का सम्बन्ध असमानताओं के उत्पन्न होने के कारण से है।

JAC Class 12 Geography Important Questions Chapter 1 मानव भूगोल - प्रकृति एवं विषय क्षेत्र

3. मानववाद (Humanism):
इस उपागम में मानव के क्रियाशील होने पर जोर दिया गया है। मानव की मानवीय . जागृति, मानव शक्ति, मानवीय उत्पादकता में भूमिका का अध्ययन किया जाता है।

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4

Jharkhand Board JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4 Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 9th Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4

Page-179

Question 1.
Two circles of radii 5 cm and 3 cm intersect at two points and the distance between their centres is 4 cm. Find the length of the common chord.
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4 - 1
Answer:
OP = 5 cm, PS = 3 cm and OS = 4 cm.
We know that if two circles intersect at two points then their centres lie on the perpendicular bisector of the common chord.
So, OS is perpendicular bisector of PQ.
⇒ PQ = 2PR and ∠PRO = ∠PRS = 90°
Let RS be x ⇒ OR = 4 – x
In ∆POR,
OP2 = OR2 + PR2
⇒ 52 = (4 – x)2 + PR2
⇒ 25 = 16 + x2 – 8x + PR2
⇒ PR2 = 9 – x2 + 8x …(i)

In ∆PRS,
PS2 – PR2 + RS2
⇒ 32 = PR2 + x2
⇒ PR2 = 9 – x2 …(ii)
Equating (i) and (ii),
9 – x2 + 8x = 9 – x2
⇒ 8x = 0
⇒ x = 0
Putting the value of x in (i), we get
PR2 – 9 – 02
⇒ PR = 3 cm
Length of the Chord PQ = 2PR = 2 × 3 = 6 cm

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4

Question 2.
If two equal chords of a circle intersect within the circle, prove that the segments of one chord are equal to corresponding segments of the other chord.
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4 - 2
Answer:
Given: AB and CD are chords intersecting at E.
AB = CD
To prove: AE = DE and CE = BE
Construction: OM ⊥ AB and ON ⊥ CD. OE is joined.
Proof: OM bisects AB (OM ⊥ AB)
⇒ AM = MB = \(\frac{1}{2}\) AB
ON bisects Cp (ON ⊥ CD)
⇒ DN = CN = \(\frac{1}{2}\) CD
As AB = CD
thus, AM = ND …….(i)
and MB = CN ……..(ii)

In ∆OME and ∆ONE,
∠OME = ∠ONE = 90° (Perpendiculars)
OE = OE (Common)
OM = ON (AB = CD and thus equidistant from the centre)
∆OME ≅ ∆ONE by RHS congruence criterion.
ME = EN by CPCT …(iii)
Adding (i) and (ii), we get
AM + ME = ND + EN
⇒ AE = ED
Subtracting (iii) from (ii), we get
MB – ME = CN – EN
⇒ EB = CE

Question 3.
If two equal chords of a circle intersect within the circle, prove that the line joining the point of intersection to the centre makes equal angles with the chords.
Answer:
Given: AB and CD are chords intersecting at E.
AB = CD, PQ is the diameter.
To prove: ∠BEQ = ∠CEQ
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4 - 3
Construction: OM ⊥ AB and ON ⊥ CD. OE is joined.
In ∆OEM and ∆OEN,
OM = ON (AB = CD and Equal chords are equidistant from the centre)
OE = OE (Common)
∠OME = ∠ONE = 90° (Perpendiculars)
∆OEM = ∆OEN (by RHS congruence criterion)
Thus, ∠OME = ∠ONE (by CPCT)
⇒ ∠BEQ = ∠CEQ

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4

Question 4.
If a line intersects two concentric circles (circles with the same centre) with centre O at A, B, C and D, prove that AB = CD (see Fig).
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4 - 4
Answer:
OM ⊥ AD is drawn from O.
So, OM bisects AD (perpendicular from centre to the chord bisects the chord)
⇒ AM = MD …(i)
Also, OM bisects BC as OM ⊥ BC.
⇒ BM = MC …(ii)
Subtracting (ii) from (i), we get
AM – BM = MD – MC
⇒ AB = CD

Question 5.
Three girls Reshma, Salma and Mandip are playing a game by standing on a circle of radius 5 m drawn in a park. Reshma throws a ball to Salma, Salma to Mandip, Mandip to Reshma. If the distance between Reshma and Salma and between Salma and Mandip is 6 m e ach, what is the distance between Reshma and Mandip?
Answer:
Let A, B and C represent the positions of Reshma, Salma and Mandip respectively.
AB = 6 m and BC = 6 m Radius OA = 5 m
BM ⊥ AC is drawn.
ABC is an isosceles triangle as AB = BC, M is mid-point of AC. BM is perpendicular bisector of AC and thus it passes through the centre of the circle.
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4 - 5
Let, AM = y and OM = x then BM = (5 – x).
Applying Pythagoras theorem in ∆OAM,
OA2 = OM2 + AM2
⇒ 52 = x2 + y2 …(i)
Applying Pythagoras theorem in ∆AMB,
AB2= BM2 +AM2
⇒ 62 = (5-x)2 + y2 …(ii)
Subtracting (i) from (ii), we get
36 – 25 = (5 – x)2 – x2
⇒ 11 = 25 – 10x
⇒ 10x = 14
⇒ x = \(\frac{7}{5}\)

Substituting the value of x in (i), we get
y2 + \(\frac{49}{25}\) =25
⇒ y2 = 25 – \(\frac{49}{25}\)
⇒ y2 = \(\frac{625-49}{25}\)
⇒ y2 = \(\frac{576}{25}\)
⇒ y = \(\frac{24}{5}\)

Thus,
AC = 2 × AM = 2 × y
= 2 × \(\frac{24}{5}\) m = \(\frac{48}{5}\) m = 9.6 m
Distance between Reshma and Mandip is 9.6 m.

JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4

Question 6.
A circular park of radius 20 m is situated in a colony. Three boys Ankur, Syed and David are sitting at equal distance on its boundary each having a toy telephone in his hands to talk each other. Find the length of the string of each phone.
JAC Class 9 Maths Solutions Chapter 10 Circles Ex 10.4 - 6
Answer:
Let A, B and C represent the positions of Ankur, Syed and David respectively. All three boys at equal distances thus, ABC is an equilateral triangle.
AD ⊥ BC is drawn.
Now, AD is median of ∆ABC and it passes through the centre O.
Also, O is the centroid of the ∆ABC.
OA is the radius of the triangle.
OA = \(\frac{2}{3}\) AD
Let the side of the triangle be a metres
then BD = \(\frac{a}{2}\) m.
Applying Pythagoras theorem in ∆ABD,
AB2 = BD2 + AD2
⇒ AD2 = AB2 – BD2
⇒ AD2 = a2 – (\(\frac{a}{2}\))2
⇒ AD2 = \(\frac{3 a^2}{4}\)
⇒ AD = \(\frac{\sqrt{3} a}{2}\)
OA = \(\frac{2}{3}\) AD
⇒ 20m = \(\frac{2}{3}\) × \(\frac{\sqrt{3} a}{2}\)
⇒ a = \(20 \sqrt{3} \)m
∴ Length of the string is \(20 \sqrt{3} \)m

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

JAC Class 10 Hindi नौबतखाने में इबादत Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है?
उत्तर :
शहनाई की दुनिया में डुमराँव को इसलिए याद किया जाता है, क्योंकि यहाँ सोन नदी के किनारे पाई जाने वाली नरकट नामक घास से शहनाई की रीड बनाई जाती है। इसी रीड से शहनाई को फूंका जाता है। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म भी डुमराँव में हुआ था। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ और पिता उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ भी डुमराँव के निवासी थे।

प्रश्न 2.
बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर :
जहाँ कहीं भी कोई उत्सव अथवा समारोह होता है, सबसे पहले बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई की ध्वनि सुनाई देती है। इन समारोहों में बिस्मिल्ला खाँ से तात्पर्य उनकी शहनाई की गूंज से होता है। इनकी शहनाई की आवाज़ लोगों के सिर चढ़कर बोलती है। गंगा तट, बालाजी का मंदिर, बाबा विश्वनाथ अथवा संकटमोचन मंदिर में प्रभाती का मंगलस्वर बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई का ही होता है। समस्त मांगलिक विधि-विधानों के अवसरों पर भी यह वाद्य मंगलध्वनि का परिवेश प्रतिष्ठित कर देता है। इसलिए बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक कहा जाता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत

प्रश्न 3.
‘सुषिर-वाद्यों’ से क्या अभिप्राय है? शहनाई को ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि क्यों दी गई होगी?
उत्तर :
बाँस अथवा मुँह से फूंककर बजाए जाने वाले वाद्यों में से निकलने वाली ध्वनि को ‘सुषिर’ कहते हैं। इस आधार पर ‘सुषिर-वायों’ से तात्पर्य उन वाद्य-यंत्रों से है, जो फूंककर बजाए जाने पर ध्वनि उत्पन्न करते हैं। अरब देश में फूंककर बजाए जाने वाले वाद्य; जिनमें नाड़ी अथवा सरकट या रीड होती है; को ‘नय’ कहते हैं। वे शहनाई को ‘शाहेनय’ अर्थात् ‘सुषिर-वाद्यों में शाह’ कहते हैं। इस कारण शहनाई को सुषिर-वाद्यों में शाह की उपाधि दी गई होगी।

प्रश्न 4.
आशय स्पष्ट कीजिए –
(क) ‘फटा सुर न बखों। लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल-सी जाएगी।’
(ख) मेरे मालिक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।
उत्तर :
(क) बिस्मिल्ला खाँ को उनकी शिष्या फटी तहमद न पहनने के लिए कहती है, तो खाँ साहब कहते हैं कि सुर नहीं फटना चाहिए फटी हुई लुंगी तो सिल सकती है, परंतु सुर यदि फट जाए तो वह कभी ठीक नहीं हो सकता। इसलिए वे परमात्मा से यही प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हें फटा सुर न दे।
(ख) बिस्मिल्ला खाँ साहब अस्सी वर्षों से शहनाई बजा रहे है। वे शहनाई के बादशाह माने जाते हैं, फिर भी नमाज़ पढ़ने के बाद वे परमात्मा से यही प्रार्थना करते हैं कि वह उन्हें मधुर सुर प्रदान करे। उनके सुरों में ऐसा प्रभाव भर दे, जिससे लोग भावविभोर हो जाएँ और भाव-वेश में सच्चे मोतियों के समान आँखों से अनायास आँसुओं की झड़ी लग जाए।

प्रश्न 5.
काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे?
उत्तर :
काशी के पक्का महल क्षेत्र से मलाई बरफ़ बेचने वालों का चले जाना बिस्मिल्ला खाँ को बहुत खलता था। उन्हें यह भी अच्छा नहीं लगता था कि अब काशी में पहले जैसी देशी घी की जलेबियाँ और कचौड़ियाँ नहीं बनती हैं। वे गायकों के मन में अपने संगतियों के प्रति अनादर के भाव से भी व्यथित रहते थे। गायकों द्वारा रियाज़ न करना भी उन्हें अच्छा नहीं लगता। काशी में संगीत, साहित्य और अदब के क्षेत्र में निरंतर हो रही गिरावट ने बिस्मिल्ला खाँ को बहुत व्यथित कर दिया था।

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प्रश्न 6.
पाठ में आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते हैं कि –
(क) बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे?
(ख) वे वास्तविक अर्थों में एक सच्चे इनसान थे?
उत्तर :
(क) बिस्मिल्ला खाँ गंगा किनारे, बालाजी के मंदिर, काशी विश्वनाथ के मंदिर तथा संकटमोचन मंदिर में शहनाई बजाते थे। वे मुहर्रम के दिनों में आठवीं तारीख पर खड़े होकर शहनाई बजाते थे तथा दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल जाते थे। इस प्रकार उनके द्वारा हिंदू-मुस्लिम धर्मों में भेदभाव न करते हुए समान रूप से सबका आदर करना यही सिद्ध करता है कि बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।

(ख) बिस्मिल्ला खाँ को भारत रत्न, पद्मविभूषण, डॉक्टरेट आदि अनेक उपाधियाँ मिली थीं; परंतु वे सदा सीधे-साधे सच्चे इनसान की तरह जीवन व्यतीत करते रहे। उनकी एक शिष्या उन्हें फटा तहमद पहनने पर टोकती थी तो वे स्पष्ट कह देते थे कि सम्मान उनकी शहनाई को मिला है फटे तहमद को नहीं। वे परमात्मा से भी ‘सच्चा सुर’ माँगते रहे; उनसे कभी भौतिक सुविधाएँ नहीं माँगी।

प्रश्न 7.
उत्तर
बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया? बिस्मिल्ला खाँ छ: वर्ष की अवस्था में ही अपने ननिहाल काशी आ गए थे, जहाँ उनके दोनों मामा सादिक हुसैन और अलीबख्श खाँ शहनाई के विभिन्न सुरों को अलापते थे। यहीं से उनका शहनाई के प्रति लगाव उत्पन्न हो गया था। इन्हें सम का ज्ञान भी यही हुआ था। जब इनके मामा अलीबख्श खाँ सम पर आते थे, तो ये धड़ से एक पत्थर ज़मीन पर मारते थे।

चौदह वर्ष की आयु में रसूलन और बतूलन बहनों के गायन ने इन्हें संगीत के प्रति आकर्षित किया था। इन्हें कुलसुम हलवाइन द्वारा कलकलाते घी में कचौड़ी डालते समय उत्पन्न छन्न की आवाज़ में भी संगीत के आरोह-अवरोह सुनाई देते थे। इससे स्पष्ट है कि बिस्मिल्ला खाँ को उनके आसपास के परिवेश तथा व्यक्तियों ने शहनाई-वादन के लिए प्रेरित किया था। इनके नाना, दादा तथा पिता भी सुप्रसिद्ध शहनाई-वादक थे।

रचना और अभिव्यक्ति –

प्रश्न 8.
बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन-सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ भारत के सच्चे सपूत थे। वे मुसलमान होते हुए भी हिंदू थे। उनके लिए धर्म, जाति आदि विशेष महत्व नहीं रखते थे। उनके लिए धर्म वह था, जो मन को शांति प्रदान करता था। जीवन को सरल, सहज और सादगी से व्यतीत करना खाँ साहब को आता था। उनके अनुसार जीवन की आवश्यकताओं को उतना ही बढ़ाना चाहिए, जितनी इन्सान पूरी कर सकता हो। दूसरों की संस्कृति की नकल न करके व्यक्ति को अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए और उसे अपनाना चाहिए। अकेले रहकर शान और ठाठ से जीने से अच्छा है कि अपनों के साथ खुशी-खुशी सीमित आवश्यकताओं के साथ जीएँ। बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की इन्हीं विशेषताओं ने हमें प्रभावित किया है।

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प्रश्न 9.
मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
मुहर्रम के दिनों में बिस्मिल्ला खाँ तथा उनके परिवार का कोई भी सदस्य न तो शहनाई बजाता था और न ही किसी संगीत सम्मेलन में भाग लेता था। मुहर्रम की आठवीं तारीख को बिस्मिल्ला खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते थे तथा दालमंडी में फातमान तक करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए तथा नौहा बजाते हुए जाते थे। इस दिन वे कोई भी राग-रागिनी नहीं बजाते थे। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवारजन के बलिदान को स्मरण कर भीगी रहती थी।

प्रश्न 10.
बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे, तर्क साहित उत्तर दीजिए।
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ साहब को भारत सरकार ने भारतरत्न तथा पद्मविभूषण के सम्मानों से सम्मानित किया था। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के अतिरिक्त अनेक विश्वविद्यालयों ने इनकी संगीत साधना के लिए इन्हें डॉक्टरेट की उपाधियाँ प्रदान की थीं। इन्हें इतना सम्मान मिला, फिर भी खाँ साहब सामान्य जीवन व्यतीत करते रहे और परमात्मा से सच्चा सुर प्रदान करने की प्रार्थना करते रहे।

इन्हें कड़ाही में ‘छन्न’ करती हुई कचौड़ी में संगीत का आरोह-अवरोह सुनाई देता था। रसूलनबाई और बतूलनबाई के गानों ने इन्हें संगीत के प्रति आकर्षित किया था। इन विवरणों से स्पष्ट है कि बिस्मिल्ला खाँ साहब कला के अनन्य उपासक थे। उनके सामने कोई छोटा-बड़ा नहीं था। वे धर्म-भेद भुलाकर मुहर्रम और बालाजी के मंदिर में समान रूप से शहनाई बजाते थे। कला ही उनका धर्म था और सुर की साधना करना उनके जीवन का उद्देश्य था।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 11.
निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए –
(क) यह जरूर है कि शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।
(ख) रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है।
(ग) रीड नरकट से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है।
(घ) उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा।
(ङ) हिरन अपनी ही महक से परेशान पूरे जंगल में उस वरदान को खोजता है जिसकी गमक उसी में समाई है।
(च) खाँ साहब की सबसे बड़ी देन हमें यही है कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णतया व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा।
उत्तर :
(क) उपवाक्य-शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। – संज्ञा उपवाक्य
(ख) उपवाक्य-जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है। – विशेषण, उपवाक्य
(ग) उपवाक्य-जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है। – विशेषण उपवाक्य
(घ) उपवाक्य-कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा। – संज्ञा उपवाक्य
(ङ) उपवाक्य-जिसकी गमक उसी में समाई है। – विशेषण उपवाक्य
(च) उपवाक्य-पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा। – संज्ञा उपवाक्य

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प्रश्न 12.
निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए
(क) इसी बालसुलभ हँसी में कई यादें बंद हैं।
(ख) काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।
(ग) धत्! पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।
(घ) काशी का नायाब हीरा हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।
उत्तर :
(क) यह वैसी ही बालसुलभ हँसी है, जिसमें कई यादै बेद हैं।
(ख) काशी में जो संगीत आयोजन होते हैं, उनकी एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।
(ग) धत् ! पगली ई भारतरत्न शहनाई पे मिला है न कि लुंगिया पे।
(घ) काशी का जो नायाब हीरा है, वह हमेशा दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

पाठेतर सक्रियता –

1. कल्पना कीजिए कि आपके विद्यालय में किसी प्रसिद्ध संगीतकार के शहनाईवादन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम की सूचना देते हुए बुलेटिन बोर्ड के लिए नोटिस बनाइए।
उत्तर :

सूचना

राजकीय उच्च विद्यालय,
नासिक
दिनांक : ……….

समस्त विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि सोमवार दिनांक …….. को प्रातः 11.00 बजे विद्यालय के सभागार में सुप्रसिद्ध शहनाई-वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब की स्मृति में शहनाई-वादन का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में सभी विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य है।

हस्ताक्षर ……..
प्रधानाचार्य
राजकीय उच्च विद्यालय, नासिक।

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2. आप अपने मनपसंद संगीतकार के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर :
मेरे मनपसंद संगीतकार उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ हैं। उनका जीवन अभावों, तंगहाली व उपेक्षाओं में व्यतीत हुआ। परंतु उन्होंने कभी भी किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया। उनका सिद्धांत था कि भगवान जिस स्थिति में रखे, उसी स्थिति में मनुष्य को प्रसन्न रहना चाहिए। आज की युवा पीढ़ी जिस पश्चिमी चकाचौंध को अपना आदर्श मानकर अपने देश और संस्कृति को भूलते जा रहे हैं, उन्हें बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए कि अपना देश और संस्कृति दूसरों से कम नहीं है। मनुष्य अपने देश और उसकी संस्कृति से ही अपना विकास कर सकता है।

बिस्मिल्ला खाँ के लिए कहा गया है कि न वे हिंदू थे और न ही मुसलमान। उनके लिए सभी धर्म समान थे। वे गंगा-जमनी तहज़ीब के प्रतीक थे। आज के समय में बिस्मिल्ला खाँ का आदर्श बहुत महत्व रखता है। उनके आदर्शों का अनुसरण करते हुए मनुष्य को किसी धर्म विशेष के प्रति स्नेह होने पर भी सभी धर्मों को समान आदर देना चाहिए। इससे देश में सद्भावना और एकता के वातावरण का निर्माण होगा, जिससे देश प्रगति की ओर अग्रसर होगा।

3. हमारे साहित्य, कला, संगीत और नृत्य को समृद्ध करने में काशी (आज के वाराणसी) के योगदान पर चर्चा कीजिए।
उत्तर :
काशी ने संगीत के क्षेत्र में उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब जैसे महान शहनाई-वादक दिए। सादिक हुसैन, अलीबख्श खाँ, उस्ताद सलार हुसैन खाँ, उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ आदि शहनाई-वादक भी काशी की ही देन हैं। नृत्य और गायन के क्षेत्र में काशी ने रसूलनबाई तथा बतूलनबाई जैसी प्रतिभाओं को जन्म दिया है। इनके गायन से प्रभावित होकर बिस्मिल्ला खाँ संगीत की ओर आकर्षित हुए थे। काशी की देशी घी की जलेबियाँ और कचौड़ियाँ प्रसिद्ध हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय एवं संपूर्णानंद विश्वविद्यालयों ने शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त योगदान दिया है। संस्कृत के अध्ययन-अध्यापन का केंद्र काशी ही है। काशी के अन्य प्रसिद्ध कलाकार नृत्यांगना सितारा देवी, ठुमरी गायिका गिरिजा देवी, तबला वादक कंठे महाराज, गुदई महाराज, नर्तक बिरजू महाराज और गोपी कृष्ण हैं।

4. काशी का नाम आते ही हमारी आँखों के सामने काशी की बहुत-सी चीजें उभरने लगती हैं, वे कौन-कौन सी हैं?
उत्तर :
काशी का नाम आते ही हमें काशी विश्वनाथ की याद आ जाती है। गंगा के विशाल घाट, गंगा में स्नान करते श्रद्धालुओं की भीड़, आरती के समय जगमगाती गंगा, गंगा में नौकाविहार आदि का स्मरण हो आता है। बालाजी और संकटमोचन मंदिर, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, संपूर्णानंद विश्वविद्यालय, गंगा घाट की छतरियाँ, पंडे, उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई की गूंज-यह सबकुछ आँखों के सामने तैर जाता है।

यह भी जाने –

  • सम – ताल का एक अंग, संगीत में वह स्थान जहाँ लय की समाप्ति और ताल का आरंभ होता है।
  • श्रुति – एक स्वर से दूसरे स्वर पर जाते समय का अत्यंत सूक्ष्म स्वरांश।
  • वाद्ययंत्र – हमारे देश में वाद्य यंत्रों की मुख्य चार श्रेणियाँ मानी जाती हैं।
  • तत-वितत – तार वाले वाद्य-वीणा, सितार, सारंगी।
  • सुषिर – फूंक कर बजाए जाने वाले वाद्य-बांसुरी, शहनाई, नागस्वरम, बीन।
  • घनवाद्य – आघात से बजाए जाने वाले धातु वाद्य-झाँझ, मंजीरा, धुंघरू।
  • अवनद्ध – चमड़े से मढ़े वाद्य-तबला, ढोलक, मृदंग आदि।

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चैती – एक तरह का चलता गाना। चैती-चढ़ल चइत चित लागे ना रामा

बाबा के भवनवा
बीर बमनवा सगुन बिचारो
कब होइहैं पिया से मिलनवा हो रामा
चढ़ल चइत चित लागे ना रामा

ठुमरी – एक प्रकार का गीत जो केवल एक स्थायी और एक ही अंतरे में समाप्त होता है।

ठुमरी बाजुबंद खुल-खुल जाए
जादू की पुड़िया भर-भर मारी
हे ! बाजुबंद खुल-खुल जाए

टप्पा – यह भी एक प्रकार का चलता गाना ही कहा जाता है। ध्रुपद एवं ख्याल की अपेक्षा जो गायन संक्षिप्त है, वही टप्पा है।

टप्पा
बागां विच आया करो
बागां विच आया करो
मक्खियाँ तो डर लगदा
गुड़ ज़रा कम खाया करो।

दादरा – एक प्रकार का चलता गाना। दो अर्धमात्राओं के ताल को भी दादरा कहा जाता है।

दादरा
तड़प तड़प जिया जाए
सांवरियां बिना
गोकुल छाड़े मथुरा में छाए
किन संग प्रीत लगाए
तड़प तड़प जिया जाए

JAC Class 10 Hindi नौबतखाने में इबादत Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
बिस्मिल्ला खाँ की जीवन-पद्धति कैसी थी?
उत्तर :
उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के लिए जीने का अर्थ शानदार कोठियाँ, गाड़ियाँ या बैंक-बैलेंस नहीं था। उनके लिए ठाठ और शान से जीने का अर्थ था-अपनों के साथ बनारस में रहते हुए जीना। उनके लिए उनका परिवार ही सर्वोपरि था। उसमें उनके परिवार के सदस्य ही नहीं अपितु उनके संगतकार साजिंदों के परिवार भी सम्मिलित थे। उनके भरण-पोषण का उत्तरदायित्व बिस्मिल्ला खाँ ने अपने ऊपर ले रखा था। यह उनके लिए अनचाहा बोझ नहीं था। यह उनके जीवन जीने का एक तरीका था। उन्हें अपनों के साथ सादगी से रहने में सुख मिलता था।

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प्रश्न 2.
बिस्मिल्ला खाँ के जीवन में गंगा का क्या महत्व था?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ के जीवन में अपना कहने के लिए उनके परिवार के सदस्यों तथा संगतकार साजिंदों के अतिरिक्त बनारस शहर तथा गंगा नदी थी। उन्हें बनारस और गंगा नदी के बदले में जीवन का कोई भी अन्य सुख आनंद नहीं देता था। उन्हें जितना आनंद और सुख बनारस व गंगा नदी के किनारे रहते हुए मिलता था, वैसा सुख और कहीं नहीं मिलता था। एक बार अमेरिका का राक फेलर फाउंडेशन उन्हें उनके संगतकार साजिंदों के साथ कुछ दिन अमेरिका में रखना चाहता था।

वे लोग उनके लिए वहाँ पर बनारस जैसा वातावरण बनाने के लिए भी तैयार थे, परंतु खाँ साहब ने इन्कार कर दिया। उनका उत्तर था कि वे लोग उन्हें अमेरिका में सबकुछ दे देंगे, परंतु वहाँ गंगा नदी कहाँ से लाएँगे? उनके कहने का अर्थ था कि उनके लिए संसार के सभी ऐशो-आराम गंगा नदी के सामने व्यर्थ हैं। उनका जीवन वहीं है, जहाँ गंगा नदी है।

प्रश्न 3.
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म कहाँ हुआ? उनका खानदानी पेशा क्या था?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ का जन्म बिहार के डुमराँव गाँव में हुआ था। शहनाई बजाना उनका खानदानी पेशा और कौशल था। उनके परिवार के सदस्य राजघराने के नौबतखाने में शहनाई बजाते थे।

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प्रश्न 4.
बिस्मिल्ला खाँ की ऐतिहासिक उपलब्धि क्या है?
उत्तर :
आज तक किसी भी महान से महान संगीतकार को भी वह गौरव नहीं मिला, जो कि बिस्मिल्ला खाँ को मिला था। बिस्मिल्ला खाँ को आज़ाद भारत की पहली सुबह 15 अगस्त, 1947 को लाल किले पर शहनाई बजाने का अवसर मिला था। दूसरा ऐतिहासिक क्षण वह था, जब 26 जनवरी, 1950 को बिस्मिल्ला खाँ ने लाल किले पर शहनाई बजाकर लोकतांत्रिक गणराज्य के मंगल प्रभात के रथ की अगुवाई की थी।

प्रश्न 5.
बिस्मिल्ला खाँ को कौन-कौन से राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं ?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ को पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण और भारतरत्न से सम्मानित किया गया है। उनका सबसे बड़ा पुरस्कार था – भारत के इतिहास की दो महत्वपूर्ण तिथियों 15 अगस्त, 1947 और 26 जनवरी, 1950 को लाल किले पर शहनाई की मंगल धुनें बजाना। ऐसा पुरस्कार आज तक किसी भी संगीतकार को नहीं मिला।

प्रश्न 6.
बिस्मिल्ला खाँ की संगीत की प्रतिभा और उपलब्धि कैसी थी?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ की जीवन-शैली साधारण थी। उसमें कोई तड़क-भड़क नहीं थी। उन्होंने सदा उतना ही सहेजा, जितना उनकी तथा उनके परिवार की आवश्यकताओं के लिए जरूरी था। इससे हम उन्हें किसी से कम नहीं कह सकते। उनकी उपलब्धि का इससे पता चलता है कि एक बार अमेरिका का राकफेलर फाउंडेशन उन्हें और उनके संगतकार साजिंदों को परिवार सहित उनकी जीवन-शैली के अनुसार अमेरिका में रखना चाहता था। परंतु बिस्मिल्ला खाँ ने अमेरिका के ऐश्वर्य की चाह न रखते हुए उनसे पूछा कि वहाँ वे गंगा नदी कहाँ से लाएँगे? वे चाहते तो अपने लिए सभी प्रकार के भौतिक सुख इकट्ठे कर सकते थे, परंतु उन्होंने अपना जीवन अपनी इच्छा से सादगी और सरलता से व्यतीत किया था।

प्रश्न 7.
बिस्मिल्ला खाँ काशी क्यों नहीं छोड़ना चाहते थे? कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ अनेक कारणों से काशी नहीं छोड़ना चाहते थे। इसमें से एक कारण ‘गंगा नदी’ थी, जिसके बिना बिस्मिल्ला खाँ नहीं रह सकते थे। दूसरा कारण यह था कि उनके पूर्वज वर्षों से वहाँ शहनाई बजाते रहे थे। वे यह परंपरा तोड़ना नहीं चाहते थे।

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प्रश्न 8.
बिस्मिल्ला खाँ साहब का निधन कब हुआ?
उत्तर :
21 अगस्त, 2006 को बिस्मिल्ला खाँ ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। टी०वी० पर उनके देहांत का समाचार बार-बार प्रसारित होता रहा। उस समाचार को सुनकर मन में एक टीस उठ रही थी कि इनके जैसा मानव हमारी धरती पर फिर पैदा नहीं हो सकता। उस दिन . सबकी आँखें नम थीं। उनके घर पर आज भी शहनाई की धुनें लगातार बज रही थीं। परंतु यह शहनाई उनकी यादों को ताज़ा कर रही थी।

प्रश्न 9.
शहनाई बजाने के लिए किसका प्रयोग किया जाता है?
उत्तर :
शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है, जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है।

प्रश्न 10.
रीड कहाँ पाई जाती है? यह किससे बनाई जाती है?
उत्तर :
रीड डुमराँव में सोन नदी के किनारे पर पाई जाती है। यह नरकट से बनाई जाती है, जो एक प्रकार की घास होती है।

प्रश्न 11.
शहनाई और डुमराँव का रिश्ता गहरा कैसे है?
उत्तर :
शहनाई डुमराँव में सोन नदी के किनारे मिलने वाली रीड से बनती है, वहीं दूसरी ओर सर्वश्रेष्ठ शहनाई-वादक बिस्मिल्ला खाँ का जन्म भी डुमराँव में हुआ था। इसलिए दोनों में गहरा रिश्ता है।

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प्रश्न 12.
बिस्मिल्ला खाँ जीवन भर ईश्वर से क्या माँगते रहे, और क्यों? इससे उनकी किस विशेषता का पता चलता है?
उत्तर :
बिस्मिल्ला खाँ जीवन भर ईश्वर से यही प्रार्थना करते रहे कि वे उन्हें मधुर सुर प्रदान करें; वे अपने सुरों से लोगों में ऐसा प्रभाव भर दें, जिससे लोग भावविभोर हो जाए। शहनाई-वादन में अति कुशल बिस्मिल्ला खाँ के इस व्यवहार से पता चलता है कि वे स्वयं पर व अपनी कला पर कभी अभिमान नहीं किया। वे इसे ईश्वर की कृपा मानते थे और जीवनपर्यंत अपनी कला को निखारने के लिए प्रयासरत रहे।

प्रश्न 13.
खाँ साहब के लिए आठवीं तारीख खास क्यों है?
उत्तर :
खाँ साहब के लिए आठवीं तारीख का अपना विशेष महत्व है। इस दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते हैं और दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते जाते हैं। इस दिन कोई राग नहीं बजता। इस दिन राग-रागिनियों की अदायगी का निषेध है।

प्रश्न 14.
काशी में ऐसा कौन-सा आयोजन होता है, जिसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य शामिल होते थे?
उत्तर :
काशी में संगीत आयोजन की एक अद्भुत एवं प्राचीन परम्परा है। यह आयोजन संकटमोचन मंदिर में पिछले कई वर्षों से हो रहा है। यहाँ हनुमान जयंती के अवसर पर पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायन-वादन की उत्कृष्ट सभा होती है। इसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य शामिल होते थे।

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प्रश्न 15.
शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं। शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फेंका जाता है। रीड, नरकट (एक प्रकार की घास) से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है। इतनी ही महत्ता है इस समय डुमराँव की जिसके कारण शहनाई जैसा वाद्य बजता है। फिर अमीरुद्दीन जो हम सबके प्रिय हैं, अपने उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब हैं। उनका जन्म-स्थान भी डुमराँव ही है। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ डुमराँव निवासी थे। बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ और मिट्ठन के छोटे साहबजादे हैं।
(क) शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के पूरक हैं, कैसे?
(ख) यहाँ रीड के बारे में क्या-क्या जानकारियाँ मिलती हैं?
(ग) अमीरुद्दीन के माता-पिता कौन थे?
उत्तर :
(क) शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के पूरक हैं क्योंकि यहाँ सोन नदी के किनारे पाई जाने वाली नरकट नामक घास से शहनाई की रीड बनाई जाती है। उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म भी डुमराँव में हुआ था। इनके परदादा और पिता भी डुमराँव के निवासी थे।
(ख) रीड अंदर से पोली होती है। इसके द्वारा शहनाई को बजाया जाता है। रीड नरकट नामक घास से बनाई जाती है।
(ग) अमीरुद्दीन के पिता का नाम पैगंबरबख्श खाँ तथा माता का नाम मिट्ठन था।

पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्न –

दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पी प्रश्नों के उचित विकल्प चुनकर लिखिए –

1. शहनाई के इसी मंगलध्वनि के नायक बिस्मिल्ला खाँ साहब अस्सी बरस से सुर माँग रहे हैं। सच्चे सुर की नेमत। अस्सी बरस की पाँचों वक्त वाली नमाज इसी सुर को पाने की प्रार्थना में खर्च हो जाती है। लाखों सज़दे, इसी एक सच्चेसुर की इबादत में खुदा के आगे झुकते हैं। वे नमाज़ के बाद सज़दे में गिड़गिड़ाते हैं-‘मेरे मालिक एक सुर’ बख दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आए।’

(क) लेखक ने मंगल ध्वनि किसे कहा है?
(i) सितार की ध्वनि को
(ii) शंखनाद को
(iii) शहनाई की ध्वनि को
(iv) बाँसुरी की ध्वनि को
उत्तर :
(iii) शहनाई की ध्वनि को

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(ख) बिस्मिल्ला खाँ कितने वर्षों से शहनाई बजा रहे थे?
(i) बीस वर्षों से
(ii) तीस वर्षों से
(iii) पचास वर्षों से
(iv) अस्सी वर्षों से
उत्तर :
(iv) अस्सी वर्षों से

(ग) बिस्मिल्ला खाँ दिन में कितनी बार शहनाई बजाते थे?
(i) दो बार
(ii) तीन बार
(iii) चार बार
(iv) पाँच बार
उत्तर :
(iv) पाँच बार

(घ) बिस्मिल्ला खाँ खुदा से क्या माँगते थे?
(i) मान-सम्मान
(ii) धन-दौलत
(iii) एक सुर
(iv) सुख-संपत्ति
उत्तर :
(iii) एक सुर

(ङ) बिस्मिल्ला खाँ की इच्छा क्या थी?
(i) अच्छी से अच्छी शहनाई बजाना
(ii) अच्छे घर में रहना
(iii) अच्छे कपड़े पहनना
(iv) अच्छा खाना खाना
उत्तर :
(i) अच्छी से अच्छी शहनाई बजाना

उच्च चिंतन क्षमताओं एवं अभिव्यक्ति पर आधारित बहुविकल्पी प्रश्न –

पाठ पर आधारित प्रश्नों को पढ़कर सही उत्तर वाले विकल्प चुनिए –

(क) बिस्मिल्ला खाँ किस शहर को नहीं छोड़ना चाहते थे?
(i) काशी को
(ii) लखनऊ को
(iii) मुंबई को
(iv) कोलकाता को
उत्तर :
(i) काशी को

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(ख) बिस्मिल्ला खाँ के अनुसार शहनाई और काशी क्या है?
(i) मन बहलाने का साधन
(ii) जन्नत
(iii) जीने का ज़रिया
(iv) कमाने का ज़रिया
उत्तर :
(ii) जन्नत

(ग) काशी में क्या मंगलमय माना गया है?
(i) काशी में रहना
(ii) काशी में गंगा स्नान करना
(iii) काशी में पूजा करना
(iv) काशी में मरना
उत्तर :
(iv) काशी में मरना

(घ) बिस्मिल्ला खाँ काशीवासियों को क्या प्रेरणा देते हैं?
(i) शहनाई बजाने की
(ii) संगीत सीखने की
(iii) मिल-जुलकर रहने की
(iv) पूजा-पाठ करने की
उत्तर :
(ii) मिल-जुलकर रहने की

महत्वपूर्ण गद्यांशों के अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. अमीरुद्दीन अभी सिर्फ छः साल का है और बड़ा भाई शम्सुददीन नौ साल का। अमीरुद्दीन को पता नहीं है कि राग किस चिड़िया को कहते हैं और ये लोग हैं मामूजान वगैरह जो बात-बात पर भीमपलासी और मुलतानी कहते रहते हैं। क्या वाज़िब मतलब हो सकता है इन शब्दों का, इस लिहाज से अभी उम्र नहीं है अमीरुद्दीन की, जान सके इन भारी शब्दों का वजन कितना होगा। गोया, इतना ज़रूर है कि अमीरुद्दीन व शम्सुद्दीन के मामाद्वय सादिक हुसैन तथा अलीबख्श देश के जाने-माने शहनाईवादक हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
2. अमीरुद्दीन कौन था?
3. भीमपलासी और मुलतानी क्या हैं ? अमीरुद्दीन को इनका पता क्यों नहीं था?
4. लेखक ने किन्हें देश के जाने-माने शहनाईवादक कहा है?
5. ‘वाजिब’ शब्द का क्या अर्थ है? यहाँ इस शब्द का प्रयोग किसलिए किया गया है?
उत्तर :
1. पाठ-नौबतखाने में इबादत, लेखक-यतींद्र मिश्र।
2. अमीरुद्दीन उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का नाम था।
3. भीमपलासी और मुलतानी शास्त्रीय संगीत के दो प्रसिद्ध राग हैं। अमीरुद्दीन केवल छह वर्ष का बालक था, इसलिए उसे इन रागों का ज्ञान नहीं था।
4. लेखक ने अमीरुद्दीन के दोनों मामाओं-सादिक हुसैन और अलीबख्श को देश के जाने-माने शहनाईवादक कहा है।
5. ‘वाजिब’ शब्द का अर्थ ‘उचित’ है। यहाँ इस शब्द का प्रयोग यह स्पष्ट करने के लिए किया गया है कि अमीरुद्दीन को अपने दोनों मामा द्वारा बार-बार भीम पलासी और मुलतानी जैसे शब्दों का प्रयोग सुनकर यह समझ नहीं आता था कि इन शब्दों का सही अर्थ क्या हो सकता है?

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2. खाँ साहब को बड़ी शिद्दत से कमी खलती है। अब संगतियों के लिए गायकों के मन में कोई आदर नहीं रहा। खाँ साहब अफ़सोस जताते हैं। अब घंटों रियाज़ को कौन पूछता है? हैरान हैं बिस्मिल्ला खाँ। कहाँ वह मजली, चैती और अदब का ज़माना? सचमुच हैरान करती है काशी-पक्का महाल से जैसे मलाई बरफ़ गया, संगीत, साहित्य और अदब की बहुत सारी परंपराएँ लुप्त हो गई। एक सच्चे सुर-साधक और सामाजिक की भाँति बिस्मिल्ला खाँ एक-दूसरे के पूरक रहे हैं, उसी तरह मुहर्रम-ताज़िया और होली-अबीर, गुलाल की गंगा-जमुनी संस्कृति भी एक-दूसरे के पूरक रहे हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. संगीत की कौन-सी परंपराएँ बदलते समय के अनुसार विलुप्त हो गई?
2. बाबा विश्वनाथ और बिस्मिल्ला खाँ को एक-दूसरे का पूरक क्यों कहा गया है?
3. ‘गंगा-जमुनी संस्कृति’ से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
1. संगीत की कुछ परंपराएं बदलते समय के साथ लुप्त होती जा रही है जैसे संगतियों के लिए गायकों के मन में अब कोई आदर, नहीं रहा, अब कोई गायक या वादक घंटों तक रियाज नहीं करता, चैती और अदब का ज़माना भी अब नहीं रहा।

2. उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ काशी के बाबा विश्वनाथ मंदिर में बैठकर घंटों रियाज़ किया बरते अथवा गंगा के किनारे पर शहनाई बजाया करते थे। जब भी वह किसी कार्यक्रम में शहनाई वादन के लिए काशी से बाहर जाते तो भी बाबा विश्वनाथ के मंदिर की ओर मुंह करके शहनाई वादन आरंभ करते थे। इससे पता चलता है कि वे दोनों एक-दूसरे से अंतर्मन से जुड़े हुए थे और एक-दूसरे के पूरक थे।

3. भारत अनेक प्रकार के धर्मों तथा जातियों की मिली-जुली संस्कृति वाला देश है। काशी संस्कृति की पाठशाला है क्योंकि काशी में संगीत की अद्भुत परंपरा रही है। यहां के लोगों की अलग ही तहजीब है, बोली, अपने विशिष्ट विचार है। इनके अपने उत्सव है और अपने गम है। यहाँ सभी धर्मों के लोग शांत वातावरण में मिलजुल कर रहते हैं। इसका सबसे उत्तम उदाहरण है कि बिस्मिल्ला खाँ तथा बाबा विश्वनाथ अलग-अलग धर्मों से संबंध रखते हुए भी एक-दूसरे से जुड़े हुए थे।

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3. काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है। यह आयोजन पिछले कई बरसों से संकटमोचन मंदिर में होता आया है। यह मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है व हनुमान जयंती के अवसर पर यहाँ पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायनवादन की उत्कृष्ट सभा होती है। इसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य रहते हैं। अपने मजहब के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की श्रद्धा काशी विश्वनाथ जी के प्रति भी अपार है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. काशी में संगीत आयोजन की क्या परंपरा है ?
2. हनुमान जयंती के अवसर पर आयोजित संगीत सभा का परिचय दीजिए।
3. बिस्मिल्ला खाँ की काशी विश्वनाथ के प्रति कैसी भावनाएँ थीं?
4. काशी में संकटमोचन मंदिर कहाँ स्थित है और उसका क्या महत्व है?
उत्तर :
1. काशी में संगीत आयोजन की बहुत प्राचीन और विचित्र परंपरा है। यह आयोजन काशी में विगत कई वर्षों से हो रहा है। यह संकटमोचन मंदिर में होता है। इस आयोजन में शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायन-वादन होता है।
2. हनुमान जयंती के अवसर पर काशी के संकटमोचन मंदिर में पाँच दिनों तक शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत की श्रेष्ठ सभा का आयोजन किया जाता है। इस सभा में बिस्मिल्ला खाँ का शहनाई-वादन अवश्य होता है।
3. बिस्मिल्ला खाँ अपने धर्म के प्रति पूर्णरूप से समर्पित हैं। वे पाँचों समय नमाज़ पढ़ते हैं। इसके साथ ही वे बालाजी मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर में भी शहनाई बजाते हैं। उनकी काशी विश्वनाथजी के प्रति अपार श्रद्धा है।
4. काशी में संकटमोचन मंदिर शहर के दक्षिण में लंका पर स्थित है। यहाँ हनुमान जयंती के अवसर पर पाँच दिनों का संगीत सम्मेलन होता है। इस अवसर पर बिस्मिल्ला खाँ का शहनाईवादन होता है।

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4. अक्सर कहते हैं-‘क्या करें मियाँ, ई काशी छोड़कर कहाँ जाएँ, गंगा मइया यहाँ, बाबा विश्वनाथ यहाँ, बालाजी का मंदिर यहाँ, यहाँ हमारे खानदान की कई पुश्तों ने शहनाई बजाई है, हमारे नाना तो वहीं बालाजी मंदिर में बड़े प्रतिष्ठित शहनाईवाज़ रह चुके हैं। अब हम क्या करें, मरते दम तक न यह शहनाई छूटेगी न काशी। जिस ज़मीन ने हमें तालीम दी, जहाँ से अदब पाई, वो कहाँ और मिलेगी? शहनाई और काशी से बढ़कर कोई जन्नत नहीं इस धरती पर हमारे लिए।’

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. बिस्मिल्ला खाँ काशी छोड़कर क्यों नहीं जाना चाहते थे?
2. बिस्मिल्ला खाँ के परिवार में और कौन-कौन शहनाई बजाते थे?
3. बिस्मिल्ला खाँ के लिए शहनाई और काशी क्या हैं?
4. बिस्मिल्ला खाँ मरते दम तक क्या और क्यों नहीं छोड़ना चाहते ?
उत्तर :
1. बिस्मिल्ला खाँ काशी छोड़कर इसलिए नहीं जाना चाहते थे क्योंकि यहाँ गंगा है; बाबा विश्वनाथ हैं; बालाजी का मंदिर है और उनके परिवार की कई पीढ़ियों ने यहाँ शहनाई बजाई है। उन्हें इन सबसे बहुत लगाव है।
2. बिस्मिल्ला खाँ के नाना काशी के बालाजी के मंदिर में शहनाई बजाते थे। उनके मामा सादिम हुसैन और अलीबख्श देश के जाने माने शहनाई वादक थे। इनके दादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ और पिता उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ भी प्रसिद्ध शहनाई-वादक थे।
3. बिस्मिल्ला खाँ के लिए इस धरती पर शहनाई और काशी से बढ़कर अन्य कोई जन्नत ही नहीं है।
4. बिस्मिल्ला खाँ मरते दम तक काशी में रहना और शहनाई बजाना नहीं छोड़ना चाहते, क्योंकि इसी काशी नगरी में उन्हें शहनाई बजाने की शिक्षा मिली।

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5. काशी आज भी संगीत के स्वर पर जगती और उसी की थापों पर सोती है। काशी में मरण भी मंगल माना गया है। काशी आनंदकानन है। सबसे बड़ी बात है कि काशी के पास उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ जैसा लय और सुर की तमीज़ सिखाने वाला नायाब हीरा रहा है जो हमेशा से दो कौमों को एक होने व आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. आज की काशी कैसी है?
2. काशी में मरण मंगलमय क्यों माना गया है?
3. काशी के पास कौन-सा नायाब हीरा रहा है?
4. काशी आनंदकानन कैसे है?
उत्तर :
1. आज की काशी भी संगीत के स्वरों से जागती है और संगीत की थपकियाँ उसे सुलाती हैं। बिस्मिल्ला खाँ के शहनाईवादन की प्रभाती काशी को जगाती है।
2. काशी में मरना इसलिए मंगलमय माना गया है, क्योंकि हिंदू धर्मग्रंथों में इसे शिव की नगरी कहा गया है। उनके अनुसार यहाँ मरने से मनुष्य को शिवलोक प्राप्त हो जाता है और वह जन्म-मरण के बंधनों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
3. काशी के पास बिस्मिल्ला खाँ जैसा लय और सुर का नायाब हीरा रहा है, जो अपने सुरों से काशी में प्रेमरस बरसाता रहा है। उसने सदा काशीवासियों को मिल-जुल कर रहने की प्रेरणा दी है।
4. काशी को आनंदकानन इसलिए कहते हैं, क्योंकि यहाँ विश्वनाथ अर्थात् भगवान शिव विराजमान हैं। उनकी कृपा से यहाँ सदा आनंद-मंगल की वर्षा होती रहती है। विभिन्न संगीत-सभाओं के आयोजनों से सदा उत्सवों का वातावरण बना रहता है। यहाँ सदैव आनंद ही आनंद छाया रहता है।

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6. वही पुराना बालाजी का मंदिर जहाँ बिस्मिल्ला खाँ को नौबतखाने रियाज़ के लिए जाना पड़ता है। मगर एक रास्ता है बालाजी मंदिर तक जाने का। यह रास्ता रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर जाता है। इस रास्ते में अमीरुद्दीन को जाना अच्छा लगता है। इस रास्ते न जाने कितने तरह के बोल-बनाव कभी ठुमरी, कभी टप्पे, कभी दादरा के मार्फत ड्योढ़ी तक पहुँचते रहते हैं। रसूलन और बतूलन जब गाती हैं तब अमीरुद्दीन को खुशी मिलती है। अपने ढेरों साक्षात्कारों में बिस्मिल्ला खाँ साहब ने स्वीकार किया है कि उन्हें अपने जीवन के आरंभिक दिनों में संगीत के प्रति आसक्ति इन्हीं गायिका बहनों को सुनकर मिली है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. बिस्मिल्ला खाँ कौन थे ? बालाजी मंदिर से उनका क्या संबंध है?
2. रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर बालाजी के मंदिर जाना बिस्मिल्ला खाँ को क्यों अच्छा लगता था?
3. ‘रियाज़’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर :
1. बिस्मिल्ला खाँ शहनाई वादक थे जिनके बचपन का नाम अमीरुद्दीन था। बचपन से ही वे बालाजी के मंदिर के रास्ते से नौबतखाने में रियाज़ के लिए जाते थे।
2. रसूलनबाई और बतूलनबाई के यहाँ से होकर बालाजी के मन्दिर जाना बिस्मिल्ला खाँ को इसलिए अच्छा लगता था क्योंकि वहाँ वे दोनों बहनों के गाए ठुमरी, टप्पे, दादरा के बोल इन्हें बहुत अच्छे लगते थे।
3. ‘रियाज’ से तात्पर्य है-किसी सुर या वाद्ययंत्र का बार-बार अभ्यास करना। गीतकार एवं संगीतकार रियाज़ कर स्वयं को उत्तम बनाने का – प्रयास करते हैं।

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7. किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, “बाबा! आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी। अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें। अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे मिलते हैं।” खाँ साहब मुसकराए। लाड़ से भरकर बोले, “धत्! पगली, ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं। तुम लोगों की तरह बनाव-सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती, हो चुकती शहनाई। तब क्या रियाज़ हो पाता?”

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर –

1. एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब को क्या कहा? क्यों?
2. खाँ साहब ने शिष्या को क्या समझाया?
3. इससे खाँ साहब के स्वभाव के बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर :
1. एक दिन खाँ साहब की शिष्या ने डरते-डरते उनसे कहा कि वे फटी हुई लुंगी/तहमद को न पहना करें। उनकी प्रतिष्ठा पर फटी तहमद अच्छी नहीं लगती। उन्हें भारतरत्न पुरस्कार भी मिल चुका है।
2. खाँ साहब ने शिष्या को समझाया कि भारत रत्न पुरस्कार उन्हें शहनाई पर मिला है न कि लुंगी पर। अतः हमें शारीरिक सौंदर्य पर ध्यान न देकर अपनी कला पर ध्यान देना चाहिए।
3. उक्त वाक्यों से खाँ साहब के सरल, सहज स्वभाव के बारे में पता चलता है। उनके मन में शहनाई ही सर्वोपरि है। वे कला के सच्चे उपासक

नौबतखाने में इबादत Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-यतींद्र मिश्र का जन्म सन 1977 ई० में उत्तर प्रदेश के अयोध्या नगर में हुआ था। इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से एम०ए० (हिंदी) की परीक्षा उत्तीर्ण की। कविता, संगीत एवं अन्य ललित कलाओं में इन्हें विशेष रुचि है। इन्होंने सन 1999 ई० में ‘विमला देवी फाउंडेशन’ नामक सांस्कृतिक न्यास की स्थापना की। ‘थाती’ और अर्धवार्षिक पत्रिका ‘सरित’ का इन्होंने संपादन किया है। इन्हें इनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए भारतभूषण अग्रवाल कविता सम्मान, हेमंत स्मृति कविता पुरस्कार ऋतुराज सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। इन दिनों ये स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। रचनाएँ-यतींद्र मिश्र की प्रमुख रचनाएँ ‘ यदा-कदा, अयोध्या तथा अन्य कविताएँ, ड्योढ़ी पर आलाप और गिरिजा’ हैं। इन्होंने ‘कवि द्विजदेव ग्रंथावली’ का सह-संपादन भी किया है।

भाषा-शैली – यतींद्र मिश्र की भाषा-शैली सहज, प्रवाहमयी, व्यावहारिक तथा प्रसंगानुकूल है। ‘नौबतखाने में इबादत’ प्रसिद्ध शहनाईवादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब के जीवन के विभिन्न पक्षों को उजागर करने वाला शब्दचित्र है, जिसमें लेखक ने शास्त्रीय परंपरा के विभिन्न प्रसंगों को कुशलता से उजागर किया है। इसके लिए लेखक ने संगीत जगत में प्रचलित शब्दावली का भी प्रयोग किया है; जैसे-सम, सुर, ताल, ठुमरी, टप्पा, दादरा, रीड, कल्याण, मुलतानी, भीम पलासी आदि भाषा में लोक प्रचलित विदेशी शब्दों का खुलकर प्रयोग किया गया है; जैसे-रोज़नामचे, दरबार, पेशा, खानदानी, साहबजादे, शाहेनय, मुराद, ग़मज़दा, बदस्तूर आदि।

कहीं-कहीं तत्सम प्रधान शब्दावली के भी दर्शन हो जाते हैं; जैसे-‘अपने अहापोहों से बचने के लिए हम स्वयं किसी शरण, किसी गुफ़ा को खोजते हैं जहाँ अपनी दुश्चिताओं, दुर्बलताओं को छोड़ सकें और वहाँ फिर अपने लिए एक नया तिलस्म गढ़ सकें।’ संवादों में स्थानीय भाषा का चमत्कार देखा जा सकता है; जैसे ‘धत् ! पगली ई भारत रत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।’ शैली में सर्वत्र रोचकता बनी रही है जो कभी भावात्मक, कभी वर्णनात्मक और कभी चित्रात्मक हो जाती है।

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पाठ का सार :

‘नौबतखाने में इबादत’ यतींद्र मिश्र द्वारा रचित सुप्रसिद्ध शहनाईवादक उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के जीवन के विभिन्न पक्षों को उजागर करने वाला व्यक्ति-चित्र है। सन 1916 से 1922 के आसपास की काशी में छह वर्ष का अमीरुद्दीन अपने नौ साल के बड़े भाई शम्सुद्दीन के साथ अपने दोनों मामा सादिक हुसैन और अलीबख्श के पास रहने आ जाते हैं। इनके दोनों मामा देश के प्रसिद्ध शहनाईवादक हैं। वे दिन की शुरुआत पंचगंगा घाट स्थित बालाजी मंदिर की ड्योढ़ी पर शहनाई बजाकर करते हैं। अमीरुद्दीन ही उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का नाम है।

इनका जन्म बिहार के डुमराँव नामक गाँव में हुआ था। डुमराँव में सोन नदी के किनारे पाई जाने वाली नरकट नामक घास से शहनाई की रीड बनाई जाती है, जिससे शहनाई बजती है। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ और पिता उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ थे। इनकी माता का नाम मिट्ठन था। अमीरुद्दीन अर्थात बिस्मिल्ला खाँ चौदह वर्ष की उम्र में बालाजी के मंदिर में जाते समय रसूलनबाई और बतूलनबाई के घर के रास्ते से होकर जाते थे। इन दोनों बहनों के गाए हुए ठुमरी, टप्पे, दादरा के बोल इन्हें बहुत अच्छे लगते थे।

इन्होंने स्वयं माना है कि इन दोनों बहनों के कारण ही उन्हें अपने जीवन के प्रारंभिक दिनों में संगीत के प्रति लगाव हुआ था। वैदिक साहित्य में शहनाई का कोई वर्णन प्राप्त नहीं होता। शहनाई को ‘मुँह से फूंककर बजाए जाने वाले वाद्यों में गिना जाता है, जिसे ‘सुषिरवाद्य’ कहते हैं। शहनाई को ‘शाहेनय’ अर्थात ‘सुषिर वाद्यों में शाह’ की उपाधि दी गई है।

सोलहवीं शताब्दी के अंत में तानसेन द्वारा रचित राग कल्पद्रुम की बंदिश में शहनाई, मुरली, वंशी, शृंगी और मुरछंग का वर्णन मिलता है। अवधी के लोकगीतों में भी शहनाई का उल्लेख प्राप्त होता है। मांगलिक अवसरों पर शहनाई का प्रयोग किया जाता है। दक्षिण भारत के मंगलवाद्य ‘नागस्वरम’ के समान शहनाई भी प्रभाती की मंगल ध्वनि का प्रतीक है।

अस्सी वर्ष के होकर भी उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ परमात्मा से सदा ‘सुर में तासीर’ पैदा करने की दुआ माँगते हैं। उन्हें लगता है कि वे अभी तक सातों सुरों का ढंग से प्रयोग करना नहीं सीख पाए हैं। बिस्मिल्ला खाँ मुहर्रम के दिनों की आठवीं तारीख को खड़े होकर शहनाई बजाते हैं और दालमंडी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल ही रोते हुए नौहा बजाते हुए जाते हैं। उनकी आँखें हज़रत इमाम हुसैन और उनके परिवारवालों के बलिदान की स्मृति में भीगी रहती हैं।

अपने खाली समय में वे जवानी के उन दिनों को याद करते हैं जब रियाज़ से अधिक उन पर कुलसुम हलवाइन की दुकान की कचौड़ियाँ खाने तथा गीताबाली और सुलोचना की फ़िल्में देखने का जुनून सवार रहता था। वे बचपन में मामू, मौसी और नानी से दो-दो पैसे लेकर छह पैसे के टिकट से थर्ड क्लास में फ़िल्म देखने जाते थे। जब बालाजी मंदिर में शहनाई बजाने के बदले अट्ठनी मिलती थी, तो उसे भी वे कचौड़ी खाने और सुलोचना की फ़िल्म देखने में खर्च कर देते थे।

उन्हें कुलसुम की कड़ाई में कचौड़ी डालकर तलते समय उत्पन्न होने वाली छन्न की ध्वनि में संगीत सुनाई देता था। विगत कई वर्षों से काशी में संगीत का आयोजन संकटमोचन मंदिर में होता है। हनुमान जयंती के अवसर पर यहाँ पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय संगीत सम्मेलन होता है। इसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य रहते हैं। उन्हें काशी विश्वनाथ के प्रति भी अपार श्रद्धा है। वे जब भी काशी से बाहर होते हैं, तो विश्वनाथ एवं बालाजी मंदिर की ओर मुँह करके थोड़ी देर के लिए शहनाई अवश्य बजाते हैं। उन्हें काशी से बहुत मोह है। वे गंगा, विश्वनाथ, बालाजी की काशी को छोड़कर कहीं नहीं जाना चाहते।

उन्हें इस धरती पर काशी और शहनाई से बढ़कर कहीं भी स्वर्ग नहीं दिखाई देता। काशी की अपनी ही संस्कृति है। बिस्मिल्ला खाँ का पर्याय उनकी शहनाई है और शहनाई का पर्याय बिस्मिल्ला खाँ हो गए हैं। इनकी फूंक से शहनाई में जादुई ध्वनि उत्पन्न हो जाती है। एक दिन इनकी एक शिष्या ने इन्हें कहा कि ‘आपको भारत-रत्न मिल चुका है। आप फटी हुई तहमद न पहना करें।’ इस पर इनका उत्तर था कि ‘भारत-रत्न हमें शहनाई पर मिला है न कि तहमद पर।

हम तो मालिक से यही दुआ करते हैं कि फटा सुर नं दे, तहमद चाहे फटा रहे।’ सन 2000 की बात स्मरण करते हुए लेखक कहता है कि उन्हें इस बात की कमी खलती थी कि पक्का महाल क्षेत्र में मलाई बरफ़ बेचने वाले चले गए हैं। देशी घी की कचौड़ी-जलेबी भी पहले जैसी नहीं बनती। संगीत, साहित्य और अदब की प्राचीन परंपराएँ लुप्त होती जा रही हैं। काशी में आज भी संगत के स्वर गूंजते हैं। यहाँ का मरण मंगलमय माना जाता है। काशी आनंदकानन है।

यहाँ बिस्मिल्ला खाँ और विश्वनाथ एक-दूसरे के पूरक रहे हैं। यहाँ की गंगा-जमुनी संस्कृति का अपना ही महत्व है। भारत-रत्न व अनेक उपाधियों, पुरस्कारों, सम्मानों आदि से सम्मानित बिस्मिल्ला खाँ सदा संगीत के अजेय नायक बने रहेंगे। नब्बे वर्ष की आयु में दिनांक 21 अगस्त, 2006 को संगीत की दुनिया का अनमोल साधक संगीत-प्रेमियों के संसार से विदा हो गया।

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किठिन शब्दों के अर्थ :

तिलिस्म – जादू। गमक – खुशबू, सुगंध। अज़ादारी – मातम करना, दुख मनाना। बदस्तूर – कायदे से, तरीके से। नैसर्गिक – स्वाभाविक, प्राकृतिक। दाद – शाबासी। तालीम – शिक्षा। अदब – कायदा, साहित्य। अलहमदुलिल्लाह- तमाम तारीफ़ ईश्वर के लिए। जिजीविषा – जीने की इच्छा। शिरकत – शामिल होना। ड्योढ़ी – दहलीज़। नौबतखाना – प्रवेश द्वार के ऊपर मंगल ध्वनि बजाने का स्थान। रियाज़ – अभ्यास। मार्फत – द्वारा। श्रृंगी – सींग का बना वायंत्र। मुरदंग – एक प्रकार का लोक वाद्ययंत्र। नेमत – ईश्वर की देन, सुख, धन-दौलत। सज़दा – माथा टेकना। इबादत – उपासना। तासीर – गुण, प्रभाव, असर। श्रुति – शब्द-ध्वनि। ऊहापोह – उलझन, अनिश्चितता।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान 

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions )

दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए-
1. प्रकाश की क्या गति है?
(A) 3 लाख कि०मी० प्रति सै०
(B) 5000 कि०मी० प्रति सै०
(C) 10 कि०मी० प्रति सै०
(D) 100 कि०मी० प्रति सै०।
उत्तर:
(A) 3 लाख कि०मी० प्रति सै०।

2. सूर्य से पृथ्वी को प्राप्त होने वाली ऊर्जा को क्या कहते हैं?
(A) तापमान
(B) ऊर्जा
(C) सूर्यातप
(D) सौर विकिरण।
उत्तर:
(C) सूर्यातप।

3. सूर्य से आने वाले ताप का कितने प्रतिशत भाग पृथ्वी पर पहुंचता है?
(A) 51%
(B) 47%
(C) 65%
(D) 44%
उत्तर:
(A) 51%

4. सूर्यातप को नापने की कौन-सी इकाई प्रयोग की जाती है?
(A) डिग्री फार्नहाइट
(B) प्रतिशत
(C) कैलोरी
(D) डिग्री सैंटीग्रेड।
उत्तर:
(C) कैलोरी।

5. कर्क रेखा पर सूर्य की किरणें लम्बवत् किस दिन चमकती हैं?
(A) 21 मार्च
(B) 23 सितम्बर
(C) 22 दिसम्बर
(D) 21 जून।
उत्तर:
(D) 21 जून।

6. वायुमण्डल के बाह्य संस्तर तक पहुंचने वाले सूर्यातप का कितना भाग पृथ्वी के धरातल तक पहुंच पाता है?
(A) 49 प्रतिशत
(B) 51 प्रतिशत
(C) 27 प्रतिशत
(D) 14 प्रतिशत।
उत्तर:
(B) 51 प्रतिशत

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

7. पृथ्वी के धरातल द्वारा विकिरित ऊर्जा को कहते हैं
(A) सूर्यातप
(B) सौर विकिरण
(C) तापमान
(D) पार्थिव या भौमिक विकिरण
उत्तर:
(D) पार्थिव या भौमिक विकिरण।

8. वायुमण्डल मुख्यतः गर्म होता है:
(A) सीधे ही सूर्य की किरणों द्वारा
(B) पार्थिव विकिरण द्वारा
(C) पृथ्वी के भीतर की ऊष्मा द्वारा
(D) ज्वालामुखी क्रिया द्वारा।
उत्तर:
(B) पार्थिव विकिरण द्वारा।

9. सामान्यतः तापमान कम होता जाता है
(A) विषुवत रेखा से उत्तर की ओर
(B) विषुवत रेखा से दक्षिण की ओर
(C) विषुवत रेखा के दोनों ओर
(D) ध्रुवों से विषुवत रेखा की ओर ।
उत्तर:
(C) विषुवत रेखा के दोनों ओर।

10. स्थल तथा महासागरों के बीच तापमान का अन्तर अधिक होता है :
(A) उत्तरी गोलार्द्ध में
(B) दक्षिणी गोलार्द्ध में
(C) ध्रुवों के निकट
(D) ग्रीष्म ऋतु में
उत्तर:
(A) उत्तरी गोलार्द्ध में।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
‘पृथ्वी न तो अधिक समय के लिए गर्म होती है और न ही अधिक ठंडी’ व्याख्या करो।
उत्तर:
पृथ्वी अपनी ऊर्जा का लगभग सम्पूर्ण भाग सूर्य से प्राप्त करती है। इसके बदले पृथ्वी सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को अन्तरिक्ष में वापस विकरित कर देती है। परिणामस्वरूप पृथ्वी पर ताप सन्तुलन बना रहता है।

प्रश्न 2.
‘पृथ्वी के अलग-अलग भागों से प्राप्त ताप की मात्रा समान नहीं होती’ क्यों?
उत्तर:
स्थल तथा जल में गर्म होने तथा ठण्डा होने की दर में विभिन्नता है। कोई भी भाग अधिक देर तक गर्म नहीं रहता तथा कोई भी भाग अधिक देर तक ठण्डा नहीं रहता। इसलिए विभिन्न भागों में तापमान की मात्रा समान नहीं होती।

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प्रश्न 3.
तापमान की अलग-अलग भागों में भिन्नता के प्रभाव बताओ।
उत्तर:

  1. इस विभिन्नता के कारण वायुमण्डल के दाब में भिन्नता होती है।
  2. इसी कारण पवनों के द्वारा ताप का स्थानान्तरण एक स्थान से दूसरे स्थान पर होता है।

प्रश्न 4.
पार्थिव विकिरण तथा सूर्यातप में अन्तर बताओ।
उत्तर:
सूर्य से पृथ्वी को प्राप्त होने वाली ऊर्जा को सूर्यातप कहते हैं या आगामी सौर विकिरण (Insolation) कहते हैं। यह अधिकतर लघु तरंगों द्वारा प्राप्त होती है। पृथ्वी के धरातल से विकिरण हुई ऊर्जा को पार्थिव विकिरण कहते हैं। यह दीर्घ तरंगों द्वारा अन्तरिक्ष में वापस चली जाती है।

प्रश्न 5.
पृथ्वी के गोलाभ आकार का क्या प्रभाव है?
उत्तर:
पृथ्वी का आकार गोलाभ (Geoid) है। सूर्य की किरणें इस कारण वायुमण्डल के ऊपरी भाग पर तिरछी पड़ती हैं। इससे पृथ्वी सौर ऊर्जा का बहुत कम अंश प्राप्त करती है।

प्रश्न 6.
वायुमण्डल की ऊपरी सतह को कितनी सौर ऊर्जा प्राप्त होती है?.
उत्तर:
गोलाभ पृथ्वी के कारण वायुमण्डल की ऊपरी सतह पर औसत रूप से 0.5 कैलोरी प्रति वर्ग सैं०मी० प्रति मिनट ऊर्जा प्राप्त होती है। इसमें थोड़ा सा परिवर्तन होता रहता है।

प्रश्न 7.
पृथ्वी द्वारा 3 जनवरी की अपेक्षा 4 जुलाई को अधिक सूर्यातप प्राप्त होता है। क्यों ?
उत्तर:
सूर्य के चारों ओर परिक्रमण के दौरान पृथ्वी 4 जुलाई को सूर्य से सबसे दूर अर्थात् 15 करोड़ 20 लाख कि०मी० दूर होती है। इसे अपसौर (Aphelion) कहते हैं। 3 जनवरी को पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट 14 करोड़ 70 लाख कि०मी० दूर होती है। इसे उप सौर (Perihelion) कहते हैं। इसलिए पृथ्वी द्वारा प्राप्त वार्षिक सूर्यातप (insolation ) 3 जनवरी की अपेक्षा 4 जुलाई को अधिक होता है।

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प्रश्न 8.
सूर्यातप में विभिन्नता लाने वाले कारक लिखो।
उत्तर:

  1. पृथ्वी का धुरी पर घूमना
  2. सूर्य की किरणों का नति कोण
  3. दिन की अवधि
  4. वायुमण्डल की पारदर्शिता
  5. स्थल विन्यास

प्रश्न 9.
आकाश में रंगों की विभिन्नता क्यों है?
उत्तर:
पृथ्वी की सतह की ओर विकीर्ण के कारण सूर्य उदय एवं अस्त होने के समय सूर्य लाल दिखाई देता है। वायुमण्डल के प्रकाश के प्रकीर्णन (Scattering) के कारण नीला रंग दिखाई देता है।

प्रश्न 10.
पृथ्वी का एलिबडो किसे कहते हैं?
उत्तर:
सूर्य से ताप विकिरण का 30% सीधे रूप में परावर्तित हो कर अन्तरिक्ष में वापस चला जाता है। इसे पृथ्वी का एलिबडो कहते हैं।

प्रश्न 11.
सौर कलंक से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
सूर्य की सतह पर काले रंग के गहरे व उथले बनते-बिगड़ते धब्बों को सौर कलंक कहते हैं।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
सूर्यातप क्या है?
उत्तर:
पृथ्वी के धरातल पर पहुंचने वाले सौर विकिरण को सूर्यातप कहते हैं। यह ऊर्जा लघु तरंगों के रूप में 3 लाख कि० मी० प्रति सेकण्ड की दर से पृथ्वी पर पहुंचती है। पृथ्वी पर सौर विकिरण का केवल 2 अरबवां भाग ही पहुंचता है।

प्रश्न 2.
ऊष्मा तथा तापमान में क्या अन्तर है?
उत्तर:
दोनों शब्द एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं। ऊष्मा वास्तव में ऊर्जा का रूप है जो वस्तुओं को गर्म करती है। तापमान ऊष्मा की मात्रा का माप है। ऊष्मा के बढ़ने या घटने से तापमान बढ़ता या घटता है।

प्रश्न 3.
सूर्यातप तथा किसी स्थान के तापमान में क्या अन्तर है?
उत्तर:
सूर्यातप एक प्रकार की ऊर्जा है। सूर्य से पृथ्वी को प्राप्त होने वाली ऊर्जा या ऊष्मा को सूर्यातप कहते हैं। यह लघु तरंगों के रूप में पृथ्वी के तल को गर्म करती है। किसी स्थान के तापमान से अभिप्राय उस स्थान पर धरातल से एक मीटर ऊपर वायु में ऊष्मा की मात्रा है। यह वायुमण्डल का तापमान है। वायु धरातल द्वारा छोड़ी गई ऊर्जा के विकिरण से गर्म होती है।

प्रश्न 4.
तापमान के क्षैतिज वितरण से क्या अर्थ है?
उत्तर:
तापमान का क्षैतिज वितरण अक्षांशों के अनुसार तापमान घटता-बढ़ता रहता है। अक्षांशों के अनुसार तापमान के वितरण को क्षैतिज वितरण कहते हैं। यह वितरण समताप रेखाओं द्वारा प्रकट किया जाता है।

प्रश्न 5.
तापमान के ऊर्ध्वाधर वितरण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
वायुमण्डल मुख्यतः नीचे से ऊपर की ओर गर्म होता है। इसलिए ऊंचाई के साथ तापमान कम होता जाता है। तापमान कम होने की दर 1°C प्रति 165 मीटर है। इसे सामान्य ह्रास दर (Normal Lapse Rate) कहते हैं।

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प्रश्न 6.
विभिन्न अक्षांश सूर्यातप भिन्न मात्रा में क्यों प्राप्त करते हैं?
उत्तर:
सूर्यातप की मात्रा सूर्य किरणों के आपात् कोण तथा दिन की अवधि पर निर्भर करती है। पृथ्वी की वार्षिक गति तथा पृथ्वी के अक्ष के झुकाव कारण भिन्न अक्षांशों पर सूर्य किरणों का कोण भिन्न-भिन्न होता है तथा दिन की अवधि भी समान नहीं होती । भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर सूर्य की किरणों का तिरछापन बढ़ता जाता है तथा दिन की अवधि भी बढ़ती जाती है। इसलिए भिन्न-भिन्न अक्षांशों पर सूर्यातप की मात्रा में भिन्नता पाई जाती है। एक ही अक्षांश पर सूर्यातप की मात्रा सब स्थानों पर बराबर होती है।

प्रश्न 7.
दैनिक तापान्तर किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी स्थान पर उस दिन के उच्चतम तथा न्यूनतम तापमान के अन्तर को उस स्थान का दैनिक तापान्तर कहते हैं। यह तटीय प्रदेशों में कम होता है। दैनिक तापान्तर अन्दरूनी भागों तथा मरुस्थलीय प्रदेशों में अधिक होता है।

प्रश्न 8.
वार्षिक तापान्तर से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किसी वर्ष के सबसे गर्म तथा ठण्डे महीनों के औसत मासिक तापमान के अन्तर को वार्षिक तापान्तर कहते हैं। प्रायः जुलाई मास को सबसे गर्म तथा जनवरी मास को सबसे ठण्डा मास लिया जाता है। सबसे अधिक वार्षिक तापान्तर साइबेरिया में वर्खोयांस्क में 38°C होता है।

प्रश्न 9.
किसी स्थान के तापमान से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
तापमान किसी पदार्थ में ताप की मात्रा का सूचक है। किसी स्थान पर छाया में भू-तल में फुट की ऊंची वायु की मापी हुई गर्मी को उस स्थान का तापमान कहा जाता है। प्रत्येक स्थान पर तापमान समान नहीं पाया जाता है। धरातल पर तापमान का वितरण विभिन्न संघटकों द्वारा नियन्त्रित होता है।

प्रश्न 10.
तापमान प्रतिलोम से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ऊंचाई के बढ़ने के साथ-साथ 1°C प्रति 165 मीटर की दर से तापमान कम होता जाता है, परन्तु कई बार स्थानीय या अस्थाई रूप से ऊंचाई के साथ-साथ तापमान में वृद्धि होती है। ऐसी स्थिति में जब ठण्डी वायु धरातल के निकट और गर्म वायु इसके ऊपर हो तो इसे तापमान प्रतिलोम कहते हैं।

प्रश्न 11.
सूर्यातप का महत्त्व बताओ।
उत्तर:
सूर्यातप का महत्त्व (Importance of Insolation ) :
यद्यपि पृथ्वी के धरातल पर प्राप्त होने वाला सूर्यातप बहुत थोड़ा है फिर भी यह कई प्रकार से महत्त्वपूर्ण है-

  1. कई भौतिक क्रियाएं सूर्यातप पर निर्भर करती हैं।
  2. सूर्यातप के कारण पवनें तथा समुद्री धाराएं चलती हैं ।
  3. सूर्यातप ऋतु परिवर्तन का आधार है ।
  4. इसी सूर्यातप के कारण पृथ्वी मानव निवास के योग्य ग्रह है
  5. वायुमण्डलीय गतियां तथा वायुराशियाँ सूर्यातप पर ही निर्भर करती हैं।

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प्रश्न 12.
वायुमण्डल पर ग्रीन हाऊस के प्रभाव का वर्णन करो।
उत्तर:
वायुमण्डल भू-तल से विकिरण द्वारा गर्म होता है। वायुमण्डल की तुलना एक शीशे के घर या ग्रीन हाऊस से की जाती है जहां ध्रुवीय क्षेत्र में फूल तथा सब्जियां उगाई जाती हैं। शीशे के घर के अन्दर सौर ताप प्रवेश कर सकता है परन्तु बाहर नहीं जा सकता इसलिए शीशे का घर अन्दर से गर्म होता है, वायुमण्डल भी एक छाते की भान्ति कार्य करके पृथ्वी को गर्म रखता है।

दिन के समय यह सूर्य को पूरी शक्ति से बचा कर तापमान बढ़ने नहीं देता तथा रात को भू-तल से विकिरण को बाहर नहीं जाने देता। पृथ्वी पर औसत तापमान 15°C रहता है। यह वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड गैस के कारण है जो कि विकिरण को सोख कर एक छत का कार्य करती है। कार्बन डाइऑक्साइड गैस बढ़ने से पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है। पिछली शताब्दी में भारत में 1955 का वर्ष सब से अधिक गर्म रहा है।

प्रश्न 13.
ग्लोबल वार्मिंग से क्या अभिप्राय है? इसके क्या कारण हैं? इसके प्रभाव बताओ।
उत्तर:
ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ है पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि होना। जीवाश्म ईंधनों के अत्यधिक जलने (कोयला, गैस, तेल) के कारण, अधिक कृषि, अधिक औद्योगीकरण के कारण, तीव्रगामी परिवहन साधनों के प्रयोग तथा वनों की अत्यधिक कटाई से वायुमण्डल के संघटन में एक असन्तुलन उत्पन्न हो गया है। इन क्रियाओं से कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ रही है। इसके ग्रीन हाऊस प्रभाव से पृथ्वी का औसत तापमान 0.5°C बढ़ गया है।

एक अनुमान है कि सन् 2040 तक विश्व तापमान में 2°C की वृद्धि हो जाएगी विभिन्न क्रियाओं के कारण वायुमण्डल में ओज़ोन गैस की कमी हो रही है। इस से पराबैंगनी किरण पृथ्वी पर पहुंच कर तापमान में वृद्धि कर रही है। इसके प्रभाव से ध्रुवीय प्रदेशों की हिम पिघलने से समुद्र तल ऊंचा हो रहा है। कई तटीय प्रदेशों के जलमग्न होने का भय है।

प्रश्न 14.
ऊंचाई के साथ तापमान में होने वाले ह्रास की व्याख्या करो
उत्तर:
विभिन्न निरीक्षणों से पता चलता है कि वायुमण्डल में ऊंचाई के साथ तापमान कम होता जाता है। तापमान कम होने की दर 1°C प्रति 165 मीटर है। इसे सामान्य ह्रास दर (Normal Lapse Rate) कहते हैं। इस तथ्य के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  1. वायुमण्डल प्रत्यक्ष रूप से धरातल द्वारा छोड़ी गई ऊष्मा से गर्म होता है। सूर्य का प्रभाव अप्रत्यक्ष होता है। धरातल के समीप वाली परत सबसे अधिक गर्म होती है, ऊंचाई पर परतें बाद में गर्म होती हैं।
  2. धरातल के समीप वायु में धूल-कण तथा जल वाष्प अधिक मात्रा में रहते हैं जो अधिक गर्मी ग्रहण कर लेते हैं। परन्तु वायुमण्डल की ऊपरी परतों में हल्की तथा स्वच्छ वायु कम मात्रा में गर्मी ग्रहण करती है। तापमान के कम होने की दर स्थानीय अवस्थाओं के कारण बदलती रहती है। रात के समय, महाद्वीपीय क्षेत्रों में ताप घटने की दर तीव्र होती है।

प्रश्न 15.
समताप रेखाओं से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
समताप रेखाएं ( Isotherms):
‘Iso’ शब्द का अर्थ है समान और ‘Therm’ शब्द का अर्थ है तापमान। इसलिए Isotherm का अर्थ है Lines of equal temperature या सम – तापमान रेखाएं। [Isotherms are lines joining the places of same (equal) temperature reduced to sea-level.]

धरातल पर समान तापमान वाले स्थानों को जोड़ने वाली रेखा को समताप रेखा कहते हैं। इस तापक्रम को समुद्र-तल पर घटा कर दिखाया जाता है। इस प्रकार ऊंचाई के प्रभाव को दूर करने का प्रयत्न किया जाता है। यह कल्पना जाती है कि सभी स्थान समुद्र तल पर स्थित हैं। यदि कोई स्थान 1650 मीटर ऊंचा है और उसका वास्तविक तापमान 20°C है तो उस स्थान का समुद्र तल पर तापमान 20°C + 10°C = 30°C क्योंकि प्रति 165 मीटर पर 1°C तापमान कम हो जाता है।

प्रश्न 16.
किसी स्थान का तापमान किस प्रकार अक्षांश पर निर्भर है?
उत्तर:
भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाते हुए तापमान लगातार कम होता जाता है। किसी भी अक्षांश पर तापमान सूर्य की किरणों के कोण पर निर्भर है। लम्ब किरणें तिरछी किरणों की अपेक्षा थोड़े स्थान को घेरती हैं। अतः प्रति इकाई क्षेत्र प्राप्त ऊष्मा अधिक होती है। तिरछी किरणें वायुमण्डल में अधिक दूरी तय करती हैं तथा इनकी बहुत-सी गर्मी जलवाष्प अथवा धूलकणों द्वारा सोख ली जाती है। भूमध्य रेखा पर सारा वर्ष सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ती हैं तथा इन प्रदेशों में उच्च तापमान पाए जाते हैं। ध्रुवों की ओर तिरछी किरणों के कारण कम तापमान पाए जाते हैं।

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प्रश्न 17.
तापमान तथा ऊंचाई में क्या सम्बन्ध है?
उत्तर:
समुद्र तल से ऊंचाई (Altitude ):
समुद्र तल से ऊंचाई के साथ तापमान घटता है। ताप के कम होने की दर 1°F प्रति 300 फुट या 0.6°C प्रति 100 मीटर है। वायुमण्डल धरातल द्वारा छोड़ी गई गर्मी (Radiation) से गर्म होता है। इसलिए निचली परतें पहले गर्म होती हैं तथा ऊपरी परतें बाद में पर्वत मैदानों की अपेक्षा ठण्डे होते हैं (Mountains are cooler than plains.) ऊंचाई के अनुसार वायु का दबाव सघनता, जलवाष्प तथा धूल कणों की कमी होती है।

इसलिए ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र की शुद्ध तथा विरल वायु गर्मी को लीन नहीं कर सकती पर्वतीय प्रदेशों की कठोर चट्टानें शीघ्र ही गर्मी छोड़ देती हैं जो कि बिना रोक-टोक वायुमण्डल से बाहर निकल जाती हैं। इस प्रकार जो स्थान जितना ही ऊंचा होगा, उतना ही ठण्डा होगा।

प्रश्न 18.
भौमिक विकिरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी के धरातल द्वारा सौर ऊर्जा दीर्घ तरंगों के रूप में वापस लौट जाती है, इसे भौमिक विकिरण कहते हैं। इसीलिए वायुमण्डल नीचे से ऊपर की ओर गर्म होता है। भौमिक विकिरण ही वायुमण्डल को गर्म करने का प्रमुख स्रोत है।

प्रश्न 19.
ऊष्मा बजट किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी पर औसत तापमान एक समान रहता है। पृथ्वी का औसत तापमान 15°C है। सूर्यातप तथा भौमिक विकिरण के कारण पृथ्वी के ताप में सन्तुलन रहता है, पृथ्वी जितनी मात्रा में सौर ऊर्जा प्राप्त करती है, उतनी ही मात्रा में ऊर्जा भौमिक विकिरण द्वारा अन्तरिक्ष में लौट जाती है। इसे ऊष्मा बजट कहते हैं

प्रश्न 20.
हिमालय पर्वत की दक्षिणी ढलानों पर मानव बस्तियाँ हैं परन्तु उत्तरी ढलानों पर वन पाए जाते हैं। क्यों?
उत्तर:
हिमालय पर्वत की दक्षिणी ढलानें सूर्य की ओर झुकी रहती हैं, तथा अधिक गर्म होती हैं। परन्तु उत्तरी ढलानें सूर्य से परे झुकी होती हैं तथा ठण्डी होती हैं। इसलिए दक्षिणी ढलानों पर कृषि होती है तथा मानव बस्तियां हैं। परन्तु तिब्बत की ओर उत्तरी ढलान ठंडी है तथा यहां वन पाए जाते हैं।

प्रश्न 21.
दैनिक तापान्तर किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी स्थान के एक दिन (24 घण्टे) के अधिकतम तापमान तथा न्यूनतम तापमान के अन्तर को दैनिक तापान्तर कहते हैं।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
सूर्यातप किसे कहते हैं? सूर्यातप का वितरण किन तत्त्वों पर निर्भर करता है?
उत्तर:
सूर्य वायुमण्डल को गर्मी तथा प्रकाश प्रदान करने वाला मुख्य तथा मूल स्रोत है। सूर्य का व्यास पृथ्वी से सौ गुना बड़ा है। सूर्य के धरातल पर 10,000°F से भी अधिक तापक्रम है। इस विशाल तेज पिण्ड से सभी दिशाओं में ताप तरंगें फैलती हैं। सूर्य ताप प्रकाश की गति से (186,000 मील या 3000,000 कि० मी० प्रति सेकण्ड की दर से) वायुमण्डल में से गुज़रता है।

पृथ्वी पर सूर्यातप का केवल दो अरबवां भाग ही (1/2000,000,000) प्राप्त होता है। अनुमानतः पृथ्वी प्रति मिनट 1.94 Calories गर्मी प्रति वर्ग सेंटीमीटर प्राप्त करती है। इसे सौर स्थिरांक (Solar Constant) कहते हैं। इस प्रकार धरातल पर प्राप्त होने वाले सौर्य विकिरण को सूर्यातप कहते हैं। (Insolation means incoming Solar Radiation on the Surface of the Earth.) सूर्यातप तीन शब्दों के जोड़ से बना है:

सूर्यातप (Insolation)= In + sol + ation
In = In coming
Sol = solar
ation = Radiation

सूर्यातप का महत्त्व (Importance of Insolation): यद्यपि पृथ्वी के धरातल पर प्राप्त होने वाला सूर्यातप बहुत थोड़ा है फिर भी यह कई प्रकार से महत्त्वपूर्ण है

  1. कई भौतिक क्रियाएं सूर्यातप पर निर्भर करती हैं।
  2. सूर्यातप के कारण पवनें तथा समुद्री धाराएं चलती हैं।
  3. सूर्यातप ऋतु परिवर्तन का आधार है।
  4. इसी सूर्यातप के कारण पृथ्वी मानव निवास के योग्य ग्रह हैं।
  5. वायुमण्डलीय गतियां तथा वायु राशियाँ सूर्यातप पर ही निर्भर करती हैं।

सूर्यातप वितरण के प्रमुख घटक (Major Factors affecting the distribution of Insolation)
प्रमुख घटक (Major Factors): पृथ्वी के हर स्थान पर सूर्यातप की मात्रा समान नहीं है। सूर्यातप की मात्रा निम्नलिखित प्रमुख घटकों पर निर्भर करती है

1. सौर विकिरण की तीव्रता (Intensity of Insolation ):
सौर विकिरण की तीव्रता सूर्य किरणों के आपात् कोण पर निर्भर करती है। पृथ्वी की गोल सतह पर सूर्य की किरणों का कोण हर स्थान पर भिन्न-भिन्न होता है। यह कोण भूमध्य रेखा पर लम्ब और ध्रुवों की ओर कम होता जाता है। इस प्रकार सूर्य की तिरछी व लम्ब किरणों के कारण सूर्यातप की मात्रा में अन्तर पाया जाता है। लम्ब किरणें तिरछी किरणों की अपेक्षा एक छोटे क्षेत्र में प्रभाव डालती हैं तथा प्रति इकाई क्षेत्र अधिक सूर्यातप प्राप्त होता है।

लम्बवत् किरणों को वायुमण्डल का थोड़ा भाग पार करना पड़ता है। इसलिए वायुमण्डल में मिली गैसें जल वाष्प द्वारा अवशोषण, प्रकीर्णन तथा परावर्तन से सूर्यातप की मात्रा कम नष्ट होती है। इसके विपरीत तिरछी किरणें अधिक स्थान घेरती हैं तथा वायुमण्डल का अधिक भाग पार करती हैं। इसके परिणामस्वरूप प्रति इकाई क्षेत्र प्राप्त सूर्यातप की मात्रा कम होती है तथा तिरछी किरणों के ताप का अधिक भाग वायुमण्डल में नष्ट हो जाता है।

निम्नलिखित तालिका से भी यह स्पष्ट हो जाता है:

सूर्य की किरणों का आपतन कोण (Angle of Sun’s Rays)वायुमण्डल में सूर्य की किरणों की लम्बाई (Length of Sun’s Rays in Atmosphere)तीव्रता (Intensity)
90°1.0078
60°1.1555
30°2.0031
45.000

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2. दिन की अवधि (Length of Day ):
पृथ्वी के अक्ष के झुके होने के कारण हर स्थान पर दिन-रात की लम्बाई समान नहीं होती है। भूमध्य रेखा से दूर जाने पर ग्रीष्म काल में दिन बड़े हो जाते हैं और शीत काल में रातें बड़ी हो जाती हैं। दिन की अवधि बढ़ने का अर्थ है कि लम्बे समय तक सूर्यातप का प्राप्त होना। दिन की अवधि कम होने से सूर्यातप की मात्रा कम हो जाती है। परन्तु पृथ्वी पर सूर्यातप की मात्रा के वितरण पर इन दोनों घटकों का सम्मिलित प्रभाव पड़ता है उच्च अक्षांशों में दिन की अवधि अधिक होते हुए भी सूर्यातप की मात्रा कम होती है क्योंकि सूर्य की किरणें अधिक तिरछी पड़ती हैं जैसा कि निम्नलिखित तालिका से स्पष्ट है:

विभिन्न अक्षांशों पर दिन की अधिकतम अवधि (Length of Longest day at different Latitudes)
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3. वायुमण्डल की मोटाई (Thickness of Atmosphere ):
वायुमण्डल के मोटे आवरण में से गुज़रते समय सूर्यातप का 49% भाग मार्ग में नष्ट हो जाता है। वायुमण्डल की मोटाई निम्नलिखित रूप से सूर्यातप की मात्रा पर प्रभाव डालती है।
(क) प्रकीर्णन (Scattering): सूर्यातप का कुछ भाग अणुओं तथा धूल कणों द्वारा बिखेर दिया जाता है जिसके कारण आकाश नीला प्रतीत होता है।
(ख) परावर्तन (Reflection ): धूल कण, जलवाष्प तथा कुछ सूर्यातप अन्तरिक्ष में लौट जाता है।
(ग) अवशोषण (Absorption ): जलवाष्प तथा गैसों द्वारा काफ़ी मात्रा में सूर्यातप जज़ब कर लिया जाता है।
जो सूर्यातप पृथ्वी की सतह से अंतरिक्ष में लौट जाता है उसका कुछ अंश आकाश के नीले तथा मन्द प्रकाश के रूप में उपयोगी है। उच्च अक्षांशों में यह मन्द प्रकाश (Diffused day light) पूर्ण अन्धकार नहीं होने देता।

वायुमण्डल में नष्ट होने वाले सूर्यातप की मात्रा मान लो कि वायुमण्डल की ऊपरी सतह पर प्राप्त होने वाला ताप 100 इकाई है। इसमें से केवल 51 इकाई ताप ही पृथ्वी पर पहुंचता है। इसमें 49 इकाई ताप वायुमण्डल तथा अन्तरिक्ष में लौट जाता है। शून्य में परावर्तन हुई उस ऊष्मा को एल्बेडो (Albedo of the earth) कहते हैं।
वायुमण्डल की ऊपरी सतह पर प्राप्त ऊष्मा
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पृथ्वी की सतह पर प्राप्त ऊष्मा 100 – 49 = 51%
इस प्रकार सूर्यातप का केवल 51% भाग ही पृथ्वी की सतह पर प्राप्त होता है। यह ताप पृथ्वी से दीर्घ किरणों द्वारा विकिरण के माध्यम से वायुमण्डल को गर्म करता है।

अन्य घटक (Minor Factors):
4.  जल एवम् स्थल का वितरण (Distribution of land and water ):
पानी की अपेक्षा स्थल भाग अधिक तथा शीघ्र गर्म हो जाते हैं तथा शीघ्र ही ठण्डे हो जाते हैं। जल का आक्षिक ताप (Specific Heat) स्थल के आक्षिक ताप से 2 गुना अधिक है। महासागरों में सूर्य की किरणों को अधिक गहराई तक जल को गर्म करना पड़ता है। जल गतिशील भी है। इसलिए जल-भागों को गर्म करने के लिए अधिक ताप की आवश्यकता होती है। इसी कारण ग्रीष्म ऋतु में महाद्वीप अधिक गर्म हो जाते हैं जबकि शीतकाल में महासागर अधिक गर्म होते हैं।

5. धरातल का स्वभाव (Nature of the Surface ): धरातल में विभिन्नता के कारण ताप के अवशोषण तथा परावर्तन की महत्ता भिन्न-भिन्न होती है। जैसे विभिन्न भूतलों पर सौर किरणों का परावर्तन अग्रलिखित प्रकार से होता है
वनस्पति – 7%
रेत – 13%
जल – 30%
बर्फ़ – 80%
इसी कारण हिम से ढका भूतल कम ताप ग्रहण करता है जबकि मरुस्थल में रेतीली भूमि अधिक ताप प्राप्त करती है।

6. पृथ्वी से सूर्य की दूरी (Distance between Earth and Sun):
पृथ्वी तथा सूर्य के मध्य दूरी सदा समान नहीं रहती। उत्तरायण (Aphelion) के समय यह दूरी 940 लाख मील होती है तथा दक्षिणायन (Perihelion) के समय यह दूरी 915 लाख मील होती है। इस प्रकार उत्तरायण के समय तथा दक्षिणायन के समय सूर्यातप में 7% का अन्तर पड़ जाता है।

7. सौर कलंकों की संख्या (Number of Sun Spots ):
सौर कलंकों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है । अधिक संख्या के कारण सूर्यातप की मात्रा अधिक प्राप्त होती है।

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प्रश्न 2.
तापमान के क्षैतिज वितरण को कौन-से संघटक नियन्त्रित करते हैं?
उत्तर:
तापमान किसी पदार्थ में ताप की मात्रा का सूचक है। किसी स्थान पर छाया में भूतल 4 फुट की ऊंची वायु की मापी हुई गर्मी को उस स्थान का तापमान कहा जाता है। प्रत्येक स्थान पर तापमान समान नहीं पाया जाता है। धरातल पर तापमान का वितरण निम्नलिखित संघटकों द्वारा नियन्त्रित होता है:

1. भूमध्य रेखा से दूरी (Distance from the Equator):
भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाते हुए तापमान लगातार कम होता जाता है। किसी भी अक्षांश पर तापमान सूर्य की किरणों के कोण पर निर्भर है। लम्ब किरणें तिरछी किरणों की अपेक्षा थोड़े स्थान को घेरती हैं। अतः प्रति इकाई क्षेत्र प्राप्त ऊष्मा अधिक होती है। तिरछी किरणें वायुमण्डल में से अधिक दूरी तय करती हैं तथा इनकी बहुत-सी गर्मी जलवाष्प अथवा धूलकणों द्वारा सोख ली जाती है। भूमध्य रेखा पर सारा वर्ष सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ती हैं तथा इन प्रदेशों में उच्च तापमान पाए जाते हैं। ध्रुवों की ओर तिरछी किरणों के कारण कम तापमान पाए जाते हैं।

2. समुद्र तल से ऊंचाई (Altitude):
समुद्र तल से ऊंचाई के साथ तापमान घटता है। ताप के कम होने की दर 1°F प्रति 300 फुट या 0.6°C प्रति 100 मीटर है। वायुमण्डल धरातल द्वारा छोड़ी गई गर्मी (Radiation) से गर्म होता है। इसलिए निचली परतें पहले गर्म होती हैं तथा ऊपरी परतें बाद में पर्वत मैदानों की अपेक्षा ठण्डे होते हैं (Mountains are cooler than plains)। ऊंचाई के अनुसार वायु का दबाव सघनता, जलवाष्प तथा धूल के कणों की कमी होती है। इसलिए ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र की शुद्ध तथा विरल वायु गर्मी को लीन नहीं कर सकती पर्वतीय प्रदेशों की कठोर चट्टानें शीघ्र ही गर्मी छोड़ देती हैं जो कि बिना रोक-टोक वायुमण्डल से बाहर निकल जाती हैं। इस प्रकार जो स्थान जितना ही ऊंचा होगा, उतना ही ठण्डा होगा।

3. समुद्र से दूरी (Distance from the Sea) समुद्र का प्रभाव जलवायु के लिए समकारी होता है। समुद्र के समीप के प्रदेशों में सम (Equable) जलवायु होती है। परन्तु भीतरी (Inland) या समुद्र से दूर प्रदेशों में कठोर (Extreme) जलवायु मिलती है। जल स्थल की अपेक्षा धीरे-धीरे गर्म तथा ठण्डा होता है इसलिए तटीय प्रदेशों में जल समीर (Sea Breeze) के कारण दिन का ताप अधिक नहीं होता है। स्थल समीर (Land Breeze) के कारण रात का ताप अधिक कम नहीं होता। इसलिए इनके प्रभाव से गर्मी तथा सर्दी दोनों ही अधिक नहीं होतीं। परन्तु समुद्र तट से अधिक दूर जाने पर, स्थल के प्रभाव के कारण ग्रीष्म ऋतु अधिक गर्म तथा शीत ऋतु अधिक ठण्डी होती है।

4. प्रचलित पवनें (Prevailing Winds):
प्रचलित पवनें किसी प्रदेश के तापमान तथा वर्षा पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। समुद्र की ओर से आने वाली पवनें जलवायु को सम तथा आर्द्र रखती हैं। (A wind from the sea lowers the summer temperature and raises the winter temperature.) परन्तु स्थल की ओर से आने वाली पवनें स्थल के प्रभाव के कारण किसी प्रदेश की जलवायु को कठोर तथा शुष्क बनाती हैं। (A Wind from the land lowers the winter temperature and raises the summer temperature.) समुद्र से आने वाली पश्चिमी पवनों (Westerlies) के कारण शीत ऋतु में इंग्लैण्ड का औसत तापमान 20°F – 30°F ऊंचा रहता है।

5. समुद्री धाराएं (Ocean Currents ):
समुद्री धाराओं का प्रभाव उन पवनों द्वारा होता है जो इन धाराओं के ऊपर से गुज़रती हैं। गर्म धाराओं के ऊपर से गुज़रने वाली पवनें तटीय प्रदेशों के तापक्रम को ऊँचा कर देती हैं तथा वर्षा में सहायक होती हैं। शीत ऋतु का तापमान बढ़ जाने से जलवायु सम हो जाती है । परन्तु ठण्डी धाराओं के ऊपर से गुज़रने वाली पवनों के प्रभाव से तटीय प्रदेश ठण्डे तथा शुष्क होते हैं। (Warm currents raise and cold currents lower the temperature of coastal areas.)
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान  4

6. पर्वतों की दिशा (Direction of Mountains):
किसी देश में पर्वतों की स्थिति तथा दिशा तापमान तथा वर्षा पर प्रभाव डालती है। अरावली पर्वत मानसून पवनों के समानान्तर स्थित होने के कारण इन्हें रोक नहीं पाता जिससे राजस्थान शुष्क रहता है। यदि हिमालय पर्वत मानसून पवनों के आड़े स्थित न होता तो उत्तरी भारत भी मरुस्थल होता । पर्वतों के सम्मुख ढाल पर वर्षा होती है परन्तु त्रिमुख ढाल वर्षा छाया (Rain Shadow) में होने के कारण शुष्क रहते हैं ।

7. भूमि की उलान (Slope of the Land):
सूर्यमुखी ढाल सूर्य त्रिमुखी ढालों की अपेक्षा गर्म होती है। उत्तरी ढाल की अपेक्षा दक्षिणी ढाल पर सूर्य की किरणें अधिक सीधी पड़ती हैं। दक्षिणी ढाल उत्तर से आने वाली ठण्डी हवाओं से सुरक्षित रहती है। उत्तरी अधिक देर तक छाया में रहती है परन्तु दक्षिणी ढाल पर सूर्य अधिक देर तक चमकता है। हिमालय पर्वत के तिब्बत की ओर ढाल वाले प्रदेश ठण्डे हैं परन्तु भारत की ओर ढाल वाले प्रदेश गर्म हैं।
JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान  5

8. भू-तल का स्वभाव (Nature of the Soil):
मैदानों की चिकनी मिट्टी प्रायः बारीक होती है तथा शनै: शनै: गर्म तथा ठण्डी होती है परन्तु रेत जल्दी ही गर्म तथा ठण्डी हो जाती है । इसी कारण मरुस्थलों में दिन को अधिक गर्मी तथा रात को अधिक सर्दी होती है ।

9. मेघ और वर्षा (Clouds and Rainfall):
जिन प्रदेशों में बादल छाए रहते हैं, वहां जलवायु सम रहती है। और अधिक वर्षा होती है। मेघ सूर्य की किरणों को दिन के समय रोकते हैं। सूर्य के ताप को लीन कर लेते हैं। मेघरहित (Cloudless) आकाश के कारण दिन को तापक्रम ऊँचा हो जाता है। ये रात को पृथ्वी द्वारा छोड़ी हुई गर्मी को बाहर नहीं जाने देते । वर्षा के कारण भी तापमान कम हो जाता है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 9 सौर विकिरण, ऊष्मा संतुलन एवं तापमान

प्रश्न 3.
तापमान कटिबन्ध से क्या अभिप्राय है? अक्षांशों के आधार पर ताप-कटिबन्धों का वर्णन करो अक्षांशों के आधार पर तापमान का क्षैतिज वितरण
उत्तर:
अक्षांशों के आधार पर तापमान का क्षैतिज वितरण (Horizontal Distribution of Temperature Based on Latitudes):
विषुवत् रेखा से ध्रुवों की ओर सूर्यातप की प्राप्ति कम होती जाती है क्योंकि सौर – ताप की किरणों में अधिकाधिक तिरछापन आता रहता है। इस प्रकार भूतल पर तापमान का क्षैतिज वितरण अक्षांशों के अनुसार घटता-बढ़ता है। यद्यपि विषुवत् रेखा पर वर्ष पर्यन्त सूर्य लगभग लम्बवत् रहता है, किन्तु यहां आकाश अधिकांश अवधि के लिए मेघाच्छादित रहता है तथा वर्षा प्रचुर मात्रा में होती है। अतः सूर्यातप का अधिकांश भाग परावर्तित हो जाता है तथा पर्याप्त मात्रा में ऊष्मा वाष्पीकरण में व्यय हो जाती है।

इन कारणों से उच्चतम तापमान कभी भी विषुवत् रेखीय प्रदेशों में नहीं पाया जाता संसार के उच्चतम तापमान कर्क एवं मकर रेखाओं के निकट पाए जाते हैं क्योंकि यहां आकाश सदैव मेघ – विहीन तथा स्वच्छ रहता है, जिससे सूर्य शक्ति बिना किसी अवरोध के यहां पहुंचती है तथा यहां की भूमि को प्रचण्ड रूप से उष्ण कर देती है। मकर रेखा की अपेक्षा कर्क रेखा पर स्थल का विस्तार अधिक होने के कारण वहां तापमान उच्च रहते हैं। इस प्रकार के संसार के उच्चतम तापमान कर्क रेखा पर ही पाए जाते हैं।

अतः संसार की तापीय मध्य रेखा (Thermal or Heat Equator) कर्क रेखा के साथ-साथ पाई जाती है। विषुवत्रेखा से ध्रुवों की ओर तापमान के घटने की दर को ताप प्रवणता (Temperature Gradient) कहते हैं। यह ताप प्रवणता कर्क एवं मकर रेखाओं के बीच के भू-भाग में अति न्यून होती है। इस प्रकार आयतन का क्षैतिज वितरण विषुवत् रेखा से दूरी अर्थात् अक्षांशों का अनुसरण करता पाया जाता है। प्राचीन यूनानी (Greek) विचारकों ने अक्षांशों के आधार पर पृथ्वी के तल को निम्नलिखित तीन भागों में विभक्त किया है:

ताप कटिबन्ध (Temperature Zone):
1. उष्ण कटिबन्ध (Torrid or Hot Zone):
उत्तरी गोलार्द्ध में कर्क रेखा \(\left(23 \frac{1}{2}^{\circ} \text { North }\right)\) तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में मकर रेखा \(\left(23 \frac{1}{2}^{\circ} \text { South }\right)\) के बीच विस्तृत भू-भाग में सौर किरणें वर्ष भर में एक बार अवश्य ही ऊर्ध्वाधर (Vertical) पड़ती हैं। परन्तु इस भू-भाग से दूर सूर्य कभी भी ऊर्ध्वाधर नहीं होता। दूसरे शब्दों में, सूर्य इस भू-भाग में वर्ष पर्यन्त लगभग लम्बवत् रहता है। इस भू-भाग में दिन एवं रात्रि की अवधि में भी बहुत कम अन्तर होता है। अतः इस भू-खण्ड में सदैव प्रचण्ड रूप से उष्णता रहती है, जिससे इसे उष्ण कटिबन्ध (Hot or Torrid Zone) कहते हैं।
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2. शीतोष्ण कटिबन्ध (Temperature Zones):
कर्क रेखा एवं उत्तरी ध्रुववृत्त \(\left(66 \frac{1}{2}\right)^{\circ}\) उत्तरी अक्षांश Article Circle,\( \left(66 \frac{1}{2}^{\circ} \text { North }\right)\) तथा मकर रेखा, \(23 \frac{1}{2} \circ\)दक्षिण (Tropic of copricorn) से अंटार्कटिक वृत्त \(66\frac{1}{2} \circ\) दक्षिणी मध्य के भू-भाग में सूर्य की किरणें सदा तिरछी पड़ती हैं। इसके परिणामस्वरूप शीतकाल में बहुत निम्न तापमान तथा ग्रीष्म काल में दरमियाने तापमान रहते हैं। इन क्षेत्रों को उत्तरी शीत ऊष्ण कटिबन्ध (North Temperature Zone) तथा दक्षिणी शीत-उष्ण कटिबन्ध (South Temperature Zone) कहते हैं।

3. शीत कटिबन्ध ( Frigid Zone ):
उत्तरी ध्रुव तथा उत्तरी ध्रुवीय वृत्त, दक्षिणी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुवीय वृत्त के मध्य स्थित भागों को क्रमवार उत्तरी शीत खण्ड तथा दक्षिणी शीत खण्ड कहते हैं। इन भागों में सारा वर्ष सूर्य की किरणें बहुत तिरछी पड़ती हैं। इसलिए तापमान बहुत कम रहते हैं तथा कठोर शीत पड़ती है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

JAC Class 10 Hindi मीरा के पद Textbook Questions and Answers

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

प्रश्न 1.
पहले पद में मीरा ने हरि से अपनी पीड़ा हरने की विनती किस प्रकार की है?
उत्तर :
मीराबाई श्रीकृष्ण को संबोधित करते हुए कहती हैं कि हे श्रीकृष्ण! आप सदैव अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करते हैं। वे कहती हैं कि जब-जब भी भक्तों पर मुसीबतें आई हैं, तब-तब श्रीकृष्ण ने स्वयं आकर अपने भक्तों की पीड़ा को हरा है। जब कौरवों ने भरी सभा में द्रौपदी को अपमानित करने का प्रयास किया, तो भगवान श्रीकृष्ण ने उसके मान-सम्मान की रक्षा की। इसी प्रकार भक्त का प्रहलाद के लिए नृसिंह अवतार धारण किया; हाथी की मगरमच्छ से रक्षा की। हरि से इन सभी दृष्टांतों के माध्यम से अपनी पीड़ा को भी हरने की मीराबाई ने विनती की है।

प्रश्न 2.
दूसरे पद में मीराबाई श्याम की चाकरी क्यों करना चाहती हैं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
मीराबाई श्रीकृष्ण की सेविका बनकर उनके आस-पास रहना चाहती हैं और उनके बार-बार दर्शन करना चाहती हैं। सेवक सदा अपने स्वामी के आस-पास रहता है; मीराबाई भी श्रीकृष्ण के आस-पास रहकर उनकी लीला का गुणगान करना चाहती हैं। वे श्रीकृष्ण की सेवा में उनके दर्शन और नाम-स्मरण को पाना चाहती हैं। मीराबाई श्रीकृष्ण की सेविका बनकर भक्तिरूपी धन-दौलत को प्राप्त करना चाहती हैं।

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प्रश्न 3.
उत्तर
मीराबाई ने श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन कैसे किया है?
उत्तर :
मीराबाई श्रीकृष्ण की सुंदरता का वर्णन करते हुए कहती हैं कि श्रीकृष्ण के माथे पर मोर के पंखों का मुकुट सुशोभित है। उनके शरीर पर पीतांबर उनकी शोभा को और अधिक बढ़ा रहा है। श्रीकृष्ण के गले में वैजंती माला अत्यंत शोभा पा रही है। ऐसी वेशभूषा से सुशोभित श्रीकृष्ण वृंदावन में गाय चराते हुए और बाँसुरी बजाते हुए अत्यंत आकर्षक लगते हैं।

प्रश्न 4.
मीराबाई की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
मीराबाई के काव्य की भाषा उनके प्रेमी हृदय का सौंदर्य है। उन्होंने अपने काव्य में मुख्य रूप से ब्रजभाषा, पंजाबी, राजस्थानी, गुजराती आदि शब्दों का प्रयोग में किया है। मीरा का अधिकांश समय राजस्थान में बीता था, इसलिए उनके काव्य में राजस्थानी शब्दों का प्रयोग अधिक मिलता है। मीरा की भाषा में प्रवाहात्मकता का गुण सर्वत्र विद्यमान है। उनकी भावानुकूल शब्द-योजना द्रष्टव्य है।

अपनी प्रेम की पीड़ा को अभिव्यक्त करने के लिए उन्होंने अत्यंत भावानुकूल शब्दावली का प्रयोग किया है। भाषा पर राजस्थानी प्रभाव के कारण उन्होंने ‘न’ के स्थान पर ‘ण’ का प्रयोग किया है। इसके साथ-साथ मीराबाई की भाषा में अनेक अलंकारों का सफल एवं स्वाभाविक प्रयोग हुआ है। उनके द्वारा प्रयुक्त अलंकारों में अनुप्रास, वीप्सा, रूपक, उपमा, उत्प्रेक्षा तथा उदाहरण अलंकार प्रमुख हैं। मीराबाई के काव्य की शैली गीति शैली है।

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प्रश्न 5.
वे श्रीकृष्ण को पाने के लिए क्या-क्या कार्य करने को तैयार हैं?
उत्तर :
मीराबाई श्रीकृष्ण को अपने प्रियतम के रूप में देखती हैं। वे बार-बार श्रीकृष्ण के दर्शन करना चाहती हैं। उन्हें पाने के लिए मीराबाई उनकी सेविका बनने के लिए तैयार हैं। वे सेविका बनकर श्रीकृष्ण का निरंतर सामीप्य चाहती हैं। वे बड़े-बड़े महलों का निर्माण करवाकर उनके बीच में खिड़कियाँ बनवाना चाहती हैं। इन खिड़कियों से वे श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य को निहारना चाहती हैं। श्रीकृष्ण को पाने के लिए मीरा भली प्रकार से श्रृंगार करके आधी रात को यमुना के तट पर उनकी प्रतीक्षा करती हैं। वे श्रीकृष्ण के दर्शन की प्यासी हैं और किसी भी प्रकार से उन्हें पा लेना चाहती हैं।

(ख) निम्नलिखित पंक्तियों का काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए –
(लघु उत्तरीय प्रश्न)

प्रश्न 1.
हरि आप हरो जन री भीर।
द्रौपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि, धरयो आप सरीर॥
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा का सुंदर प्रयोग किया है। अनुप्रास एवं उदाहरण अलंकार हैं। भाषा में प्रवाहमयता तथा सरसता का गुण विद्यमान है। दैन्य भाव की भक्ति है तथा शांत रस की प्रधानता है। कवयित्री ने अभिधात्मक शैली का प्रयोग करते हुए अपने भावों की सुंदर अभिव्यक्ति की है।

प्रश्न 2.
बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर।
उत्तर :
इन पंक्तियों में कवयित्री ने राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा का प्रयोग किया है। तत्सम और तद्भव शब्दों का सुंदर मिश्रण है। अनुप्रास तथा दृष्टांत अलंकार का प्रयोग है। दास्य भाव की भक्ति है तथा शांत रस की प्रधानता है। कवयित्री की भाषा में प्रवाहात्मकता, संगीतात्मकता तथा गेयता का गुण विद्यमान है। अत्यंत सरल शब्दों में भावनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति हुई है।

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प्रश्न 3.
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बातां सरसी॥
उत्तर :
प्रस्तुत पंक्तियों की भाषा राजस्थानी है। भाषा में लयात्मकता, संगीतात्मकता तथा गेयता का गुण सर्वत्र विद्यमान है। सरलता, सरसता और माधुर्य से युक्त भाषा द्रष्टव्य है। दास्य भाव की भक्ति है, जिसमें शांत रस की प्रधानता है। कवयित्री ने श्रीकृष्ण के प्रति अपनी कोमल भावनाओं की सुंदर ढंग से अभिव्यक्ति की है।

भाषा अध्ययन –

प्रश्न :
उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए
उदाहरण – भीर – पीड़ा/कष्ट/दुख; री – की
चीर, बूढ़ता, धरयो, लगास्यूँ, कुण्जर, घणा, बिन्दरावन, सरसी, रहस्यूँ, हिवड़ा, राखो, कुसुम्बी
उत्तर :

  • चीर – वस्त्र, कपड़ा
  • धरयो – धारण किया
  • कुण्जर – हाथी
  • बिन्दरावन – वृंदावन
  • रहस्यूँ – रहकर
  • राखो – रखना
  • बूढ़ता – डूबते हुए
  • लगास्यूँ – लगाऊँगी
  • घणा – बहुत अधिक
  • सरसी – अच्छी, रस से युक्त
  • हिवड़ा – हृदय
  • कुसुम्बी – लाल रंग की

योग्यता विस्तार –

प्रश्न 1.
मीरा के अन्य पदों को याद करके कक्षा में सुनाइए।
उत्तर
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

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प्रश्न 2.
यदि आपको मीरा के पदों के कैसेट मिल सकें तो अवसर मिलने पर उन्हें सुनिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

परियोजना कार्य –

प्रश्न 1.
मीरा के पदों का संकलन करके उन पदों को चार्ट पर लिखकर भित्ति पत्रिका पर लगाइए।
उत्तर :
चार्ट बनाने का कार्य विदयार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
पहले हमारे यहाँ दस अवतार माने जाते थे। विष्णु के अवतार राम और कृष्ण प्रमुख हैं।
अन्य अवतारों के बारे में जानकारी प्राप्त करके एक चार्ट बनाइए।
उत्तर :
चार्ट बनाने का कार्य विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi मीरा के पद Important Questions and Answers

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
मीरा की दृष्टि में उनके प्रभु श्रीकृष्ण कैसे हैं ?
उत्तर :
मीरा की दृष्टि में उनके प्रभु श्रीकृष्ण दयालु और भक्त-वत्सल हैं। वे अपने भक्तों पर अपनी विशेष अनुकम्पा रखते हैं; उनकी सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं, फिर चाहे इसके लिए उन्हें नृसिंह अवतार ही क्यों न लेना पड़े। वे अपने भक्तों को बीच मझधार में नहीं छोड़ते। वे अपने भक्तों की परीक्षा अवश्य लेते हैं, लेकिन यह परीक्षा धैर्य और भक्ति की पराकाष्ठा को देखने के लिए होती है।

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प्रश्न 2.
मीरा को श्रीकृष्ण की सेवा करते हुए भक्ति के कौन-से तीन रूप मिलने वाले थे?
उत्तर :
मीरा को श्रीकृष्ण की सेवा करते हुए भक्ति के तीन रूप-भावमग्न भक्ति, प्रभु-दर्शन तथा नाम-स्मरण प्राप्त होने वाले थे। मीरा कहती हैं कि जब वे दासी बनकर श्रीकृष्ण की सेवा करेंगी, तो प्रतिदिन उन्हें प्रभु के दर्शन होंगे। उनके लिए प्रभु की सेवा करने की कमाई मेरे लिए प्रभु का नाम-स्मरण होगा। प्रभु के रूप-सौंदर्य की लालसा में जब वे उनका इंतज़ार करेंगी तो वह भाव-मग्न भक्ति होगी।

प्रश्न 3.
श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की लाज किस प्रकार बचाई थी?
उत्तर :
जब दुःशासन भरी सभा में द्रौपदी को सबके समक्ष निर्वस्त्र करने का प्रयास कर रहा था, तब श्रीकृष्ण प्रकट हुए और उन्होंने द्रौपदी के वस्त्र को बढ़ाकर उसे अपमानित होने से बचा लिया था। श्रीकृष्ण के इस कार्य से ही द्रौपदी के मान-सम्मान की रक्षा हुई थी।

प्रश्न 4.
श्रीविष्णु ने प्रह्लाद की रक्षा किस रूप में और क्यों की थी?
उत्तर :
श्रीविष्णु ने प्रहलाद की रक्षा नृसिंह रूप में अवतरित होकर की थी। प्रहलाद उनका भक्त था। अपने भक्त की रक्षा के लिए उन्होंने अत्याचारी एवं अनाचारी दैत्य हिरण्यकशिपु का वध किया था। उनका यह कार्य उनकी भक्त-वत्सलता का प्रमाण है कि वे कभी भी अपने भक्तों को अकेला व असहाय नहीं छोड़ते।

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प्रश्न 5.
मीरा श्रीकृष्ण की सेवा करके वेतन रूप में क्या पाना चाहती हैं?
उत्तर :
मीरा अपने आराध्य श्रीकृष्ण की सेवा करके उनके नाम-स्मरण को वेतन के रूप में पाना चाहती हैं, ताकि वे प्रभु को प्रतिपल याद करती रहे। एक क्षण के लिए भी वे प्रभु से दूर न हों। उनका भाव एवं विचार सदैव प्रभु-भक्ति में लीन रहे।

प्रश्न 6.
मीरा का हृदय क्यों व्याकुल है?
उत्तर :
मीरा श्रीकृष्ण को अपना सर्वस्व मानती हैं। उनके सिवाय मीरा को संसार में कोई अपना नहीं लगता। संसार का कण-कण मीरा को श्रीकृष्ण की याद दिलाता है। श्रीकृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति एवं तल्लीनता के कारण वे श्रीकृष्ण के दर्शनों की प्यासी हैं। इसलिए श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए उनका हृदय बहुत व्याकुल है।

प्रश्न 7.
मीरा श्रीकृष्ण से क्या प्रार्थना करती हैं ?
उत्तर :
मीरा श्रीकृष्ण की अनन्य उपासिका हैं। मीरा का मन सारा दिन श्रीकृष्ण के नाम का भजन करता है। वे श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा को दूर करने की प्रार्थना करती हैं। वे मानती हैं कि उनके प्रभु भक्त-वत्सल हैं। वे भक्तों की विनती को कभी नहीं ठुकराते। भक्तों पर उनकी दया-दृष्टि सदैव बनी रहती है, इसलिए वे श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा को दूर करने के लिए प्रार्थना करती हैं।

मीरा के पद Summary in Hindi

कवयित्री-परिचय :

जीवन – राजस्थान के भक्तों में सर्वोपरि, कृष्ण भक्तों में सम्माननीय और मध्ययुगीन हिंदी काव्य में विशिष्ट स्थान की अधिकारिणी मीराबाई का सारा साहित्य कृष्ण भक्ति से संबंधित है। वह आँसुओं के जल से सिंचा और आहों से सुवासित हुआ है। मीरा का संबंध राठौड़ों की एक उपशाखा मेड़तिया वंश से था। मीराबाई राव दूदा जी के चौथे पुत्र रत्नसिंह की पुत्री थीं। इनका जन्म जोधपुर के चोकड़ी (कुड़की) नामक ग्राम में सन 1503 के आसपास हुआ था। मीरा के दादा अत्यंत धर्मात्मा व्यक्ति थे, जिनके कारण इनके परिवार में धार्मिक भावनाओं की प्रधानता स्वाभाविक थी। बचपन से ही मीरा कृष्ण भक्त थीं। इन्होंने अधिक दिनों तक लौकिक सुहाग का सुख नहीं भोगा।

विवाह के कुछ वर्षों बाद राणा सांगा के जीवनकाल में ही इनके पति भोजराज की मृत्यु हो गई। इससे इनके जीवन में एक नया मोड़ आ गया। लेकिन सिंदूर लुट जाने पर भी गिरधर के अखंड सौभाग्य का रंग सदा के लिए इन पर छा गया। सभी राग-विरागों से मुक्त हो वे अपने आराध्य कृष्ण में ही एकनिष्ठ हो गईं। इनका विरह कृष्ण-प्रेम का रूप लेकर गीतों में फूट पड़ा।

मीरा के श्वसुर उदार और स्नेही व्यक्ति थे, इसलिए उनके रहते हुए मीरा को कोई कष्ट नहीं हुआ। लेकिन उनके देहांत के बाद मीरा को अनेक परेशानियाँ हुईं। इन्हें विष देकर एवं पिटारी में साँप भेजकर मारने का प्रयास किया गया। कालांतर में मीरा पूर्ण वैरागिन होकर साधुओं की मंडली में मिल गई और वृंदावन चली गईं। लगभग सन 1546 में श्री रणछोड़ के मंदिर में कीर्तन-भजन करते-करते इनकी मृत्यु हो गई।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

रचनाएँ – मीरा की रचनाएँ निम्नलिखित मानी जाती हैं – नरसी का मायरा, गीत गोविंद टीका, राग सोरठ के पद, राग गोविंद व मीरा के पद। मीरा के पद गुजराती, राजस्थानी, पंजाबी, खड़ी बोली आदि में मिलते हैं। इनके गीत ‘मीराबाई पदावली’ में संकलित हैं।

साहित्यिक प्रवृत्तियाँ – मीरा का काव्य कृष्ण-प्रेम से ओत-प्रोत है। वे सच्ची प्रेमिका हैं। इनकी भक्ति दैन्य और माधुर्य भाव की है। इनके काव्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
1. प्रेम-भावना – मीरा के काव्य का मूल स्वर प्रेम है। उनके प्रिय श्रीकृष्ण हैं। मीरा का प्रेम, उनकी भक्ति सगुण लीलाधारी कृष्ण के प्रति निवेदित है। ‘मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई’ इसी की सहज अभिव्यक्ति है। मीरा के आराध्य वही कृष्ण हैं, जिनके नयन विशाल हैं; जो मुरली और वैजयंती माला धारण करते हैं। कृष्ण उनके जीवन के आधार हैं। ‘हरि मेरे जीवन प्राणाधार,’ ‘मैं गिरधर रंग राती’ तथा ‘मीरा लागो रंग हरी और न रंग अरथ परी’ आदि उनकी प्रेम-भावना के परिचायक हैं।

2. कृष्ण का अवतारी रूप – मीरा ने कृष्ण के अवतारी और लोकोपकारक स्वरूप का चित्रण किया है। वह भगवान को लोक हितकारी एवं शरणागत वत्सल रूप का भी स्मरण दिलाती है –

हरि तुम हरो जन की भीर,
द्रौपदी की लाज राखी आप बढ़ायो चीर।

3. विरह-वेदना का आधिक्य – प्रेम और भक्ति चिरसंगी है और प्रेम के संयोग-वियोग पक्षों में विरह-वेदना की अनुभूति अधिक बलवती है। विरह प्रेम की एकमात्र कसौटी है। मीरा का सारा काव्य विरह की तीव्र वेदनानुभूति से परिपूर्ण है। मीरा एक सच्ची प्रेमिका की भाँति प्रियतम की ‘बाट’ जोहती है; प्रिय के आगमन के दिन गिनती रहती है।

रात दिवस कल नाहिं परत है,
तुम मिलियाँ बिन मोई।

4. भक्ति का स्वरूप – मीरा की भक्ति अनेक पद्धतियों और सिद्धांतों से युक्त है। इन्होंने किसी भी संप्रदाय से दीक्षा नहीं ली थी। इन्हें अपने भक्ति-क्षेत्र में जो भी अच्छा लगा, उसे अपना लिया। मीरा पर सगुण और निर्गुण दोनों का प्रभाव है। मीरा की भक्ति में समर्पण भाव है। उनके काव्य में अनुभूति की गहनता है।

5. गीति काव्य – मीरा के पदों में गेयता के सभी तत्व-आत्माभिव्यक्ति, संक्षिप्तता, तीव्रता, संगीतात्मकता, भावात्मक एकता और भावना की पूर्णता है। उनकी पीड़ा की अभिव्यक्ति व्यक्तिगत न होकर समष्टिगत है। सभी पद संगीत के शास्त्रीय पक्ष पर खरे उतरते हैं। इनके पदों का आकार संक्षिप्त है और इनमें भावों की पूर्णता भी है।

भाषा-शैली-मीरा के काव्य में किसी एक भाषा का प्रयोग नहीं है; इसमें ब्रज, राजस्थानी, पंजाबी, गुजराती, हरियाणवी आदि भाषाओं के शब्दों का प्रयोग है। परंतु राजस्थानी इनकी मुख्य भाषा रही है। इनके काव्य में भाव पक्ष को प्रमुखता दी गई है, इसलिए कला पक्ष अधिक मुखरित नहीं हो पाया। इन्होंने भावानुकूल शब्दों का प्रयोग किया है। इनमें राजस्थानी के तद्भव और देशज शब्दों की संख्या बहुत अधिक है। भाषा में अलंकारों और छंदों का प्रयोग सहज रूप में हुआ है। शांत, भक्ति और करुण रसों के प्रयोग से काव्य में सरसता आ गई है। अनुभूति की गहनता और अभिव्यक्ति की प्रखरता के कारण मीरा का गीतिकाव्य आज भी सर्वोच्च स्थान रखता है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

पदों का सार :

इन पदों में मीराबाई ने भगवान श्रीकृष्ण के प्रति अपनी भक्ति-भावना व्यक्त की है। वे श्रीकृष्ण को सबकी पीड़ा को दूर करने वाला बताती हैं। – मीरा श्रीकृष्ण को संबोधित करते हुए कहती है कि हैं श्रीकृष्ण! आप सदैव अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करते हैं। आपने ही भरी सभा में द्रौपदी को अपमानित होने से बचाया था। भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए ही आपने नृसिंह अवतार लिया। इसके साथ-साथ आपने मगरमच्छ को दूसरे पद में मीरा स्वयं को श्रीकृष्ण की सेविका के रूप में प्रस्तुत करती हैं।

वे कहती है कि हे कृष्ण ! मुझे अपनी सेविका बना लो। आपकी सेवा में रहते हुए मैं प्रतिदिन उठते ही आपके दर्शन पा सकूँगी और निरंतर वृंदावन की गलियों में आपकी लीला का गुणगान करूँग सेवा करते हुए आपके दर्शन करना और नाम-स्मरण करना ही मेरी कमाई होगी। हे श्रीकृष्ण ! आपके माथे पर मोर के पंखों का मुकुट, शरीर पर पीतांबर तथा गले में वैजयंती माला अत्यंत सुशोभित होती है। मैं लाल रंग की साड़ी पहनकर आधी रात को यमुना के तट पर आपके दर्शनों की प्यासी खड़ी हूँ। आप मुझे दर्शन दीजिए। मीराबाई कहती हैं कि प्रभु श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए उसका हृदय अत्यंत व्याकुल हो उठता है। वे बार-बार प्रभु श्रीकृष्ण के दर्शन करना चाहती हैं।

सप्रसंग व्याख्या –

1. हरि आप हरो जन री भीर।
द्रोपदी री लाज राखी, आप बढ़ायो चीर।
भगत कारण रूप नरहरि, धर्यो आप सरीर।
बूढ़तो गजराज राख्यो, काटी कुण्जर पीर।
दासी मीराँ लाल गिरधर, हरो म्हारी भीर॥

शब्दार्थ : हरो – दूर करो। जन – भक्त। बढ़ायो – बढ़ाया। चीर – वस्त्र। नरहरि – भगवान विष्णु का नृसिंह अवतार। धरयो – धारण किया। गजराज – हाथी। कुंजर – हाथी। पीर – पीड़ा। म्हारी – हमारी। भीर – विपत्ति, दुख, संकट।

प्रसंग : प्रस्तुत पद प्रसिद्ध कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित है। इस पद में उन्होंने अपने आराध्य भगवान श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा हरने की प्रार्थना की है।

व्याख्या : मीराबाई श्रीकृष्ण को संबोधित करते हुए कहती हैं कि आप सदा अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करते हैं। कौरवों ने जब भरी सभा में द्रौपदी को निर्वस्त्र कर अपमानित करना चाहा, तो आपने उसके वस्त्र-बढ़ाकर उसके मान-सम्मान की रक्षा की। भक्त प्रह्लाद को हिरण्यकशिपु ने मारने का प्रयास किया, तो आपने नृसिंह अवतार धारण करके प्रहलाद की रक्षा की। जब एक हाथी को जल के भीतर मगरमच्छ ने मारने का प्रयास किया, तो आपने मगरमच्छ को मारकर शरणागत हाथी के प्राणों की रक्षा की। मीराबाई कहती हैं कि वह तो ऐसे श्रीकृष्ण की दासी है, जो सदा भक्तों की रक्षा करते हैं। वे उनसे अपनी पीड़ा को भी दूर करने की प्रार्थना करती हैं। वे श्रीकृष्ण के दर्शनों की प्यासी है। श्रीकृष्ण के दर्शन पाकर ही उनकी पीड़ा दूर हो सकती है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 2 मीरा के पद

2. स्याम म्हाने चाकर राखो जी,
गिरधारी लाला म्हाँने चाकर राखोजी।
चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ नित उठ दरसण पास्यूँ।
बिन्दरावन री कुज गली में, गोविन्द लीला गास्यूँ।
चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमरण पास्यूँ खरची।
भाव भगती जागीरी पास्यूँ, तीनूं बाताँ सरसी।
मोर मुगट पीताम्बर सौहे, गल वैजन्ती माला।
बिन्दरावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला।
ऊँचा ऊँचा महल बणावं बिच बिच राखूँ बारी।
साँवरिया रा दरसण पास्यूँ, पहर कुसुम्बी साड़ी।
आधी रात प्रभु दरसणा, दीज्यो जमनाजी रे तीरां।
मीराँ रा प्रभु गिरधर नागर, हिवड़ो घणो अधीराँ॥

शब्दार्थ : स्याम – श्रीकृष्ण। म्हाने – हमें। चाकर – सेवक। नित – प्रतिदिन। लीला – विविध रूप। सरसी – अच्छी। पीतांबर – पीले वस्त्र। सोहै – सुशोभित होना। धेनु – गाय। बारी – खिड़की। साँवरिया – प्रियतम, श्रीकृष्ण। कुसुंबी – लाल रंग की। तीरां – तट, किनारा। हिवड़ो – हृदय। घणो – बहुत अधिक। अधीरां – व्याकुल, बेचैन।

प्रसंग : प्रस्तुत पद श्रीकृष्ण की प्रेम दीवानी मीराबाई द्वारा रचित है। इस पद में उन्होंने श्रीकृष्ण की सेविका बनने की इच्छा प्रकट की है। वे श्रीकृष्ण की सेविका बनकर निरंतर उनके समीप रहना चाहती हैं।

व्याख्या : मीराबाई श्रीकृष्ण को संबोधित करते हुए कहती हैं कि हे श्रीकृष्ण ! मुझे अपनी सेविका के रूप में रख लो। मैं आपकी सेवा करते हुए बाग बगीचे लगाऊँगी और प्रातः उठकर प्रतिदिन आपके दर्शन किया करूँगी। मैं तो आपकी सेविका बनकर वृंदावन की गलियों में आपकी लीला का गुणगान करूँगी। आपकी सेवा में रहते हुए मैं आपके दर्शन और नाम-स्मरण को वेतन के रूप में पाऊँगी और भक्तिरूपी संपत्ति को प्राप्त करूँगी। मेरे लिए ये तीनों बातें अच्छी हो जाएँगी।

मैं आपकी सेवा से दर्शन, नाम-स्मरण और भक्ति-तीनों प्राप्त करूँगी। मीरा श्रीकृष्ण के रूप-सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहती हैं कि श्रीकृष्ण के मस्तक पर मोर के पंखों का मुकुट तथा शरीर पर पीतांबर सुशोभित है। उनके। बजाते हुए गाय चराते हैं। मीरा कहती है कि वह ऊँचे-ऊँचे महलों का निर्माण करवाकर उनके बीच में खिड़कियाँ रखना चाहती है, ताकि वह श्रीकृष्ण के दर्शन कर सके।

वह लाल रंग की साड़ी पहनकर अपने प्रियतम श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए आधी रात के समय यमुना के तट पर उनकी प्रतीक्षा करती है। अंत में मीरा कहती हैं कि वह अपने प्रिय श्रीकृष्ण के दर्शनों की प्यासी है। श्रीकृष्ण के दर्शनों के लिए उनका हृदय बहुत व्याकुल है।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण 

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण Important Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Important Questions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण

बह-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए प्रश्नों के चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनकर लिखो
1. महाद्वीपीय विस्थापन का सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया?
(A) होल्मस
(B) वैगनर
(C) टेलर
(D) काण्ट।
उत्तर:
(B) वैगनर।

2. आरम्भ में सभी स्थल खण्ड एक बड़े भू-भाग के रूप में जुड़े थे जिसे कहते हैं
(A) गोंडवाना लैंड
(B) लारेशिया
(C) पेंजिया
(D) पेन्थालासा।
उत्तर:
(C) पेंजिया।

3. प्रशान्त महासागर के दक्षिण-पूर्व में स्थित प्लेट को कहते हैं
(A) कोकोस प्लेट
(B) नाज़का प्लेट
(C) भारतीय प्लेट
(D) फिलीपाइन प्लेट।
उत्तर:
(B) नाज़का प्लेट।

4. वेगनर ने विस्थापन सिद्धान्त कब प्रस्तुत किया?
(A) 1911
(B) 1912
(C) 1913
(D) 1914
उत्तर:
(B) 1912

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5. गोंडवाना लैंड पेंजिया से कब अलग हुआ?
(A) 4.5 करोड़ वर्ष पूर्व
(B) 5.5 करोड़ वर्ष पूर्व।
(C) 6.5 करोड़ वर्ष पूर्व
(D) 7.5 करोड़ वर्ष पूर्व।
उत्तर:
(B) 5.5 करोड़ वर्ष पूर्व।

6. कौन-सा महाद्वीप गोंडवाना लैंड का भाग नहीं था?
(A) अफ्रीका
(B) ऑस्ट्रेलिया
(C) अंटार्कटिका
(D) एशिया।
उत्तर:
(D) एशिया।

7. जलोढ़ में स्वर्ण निक्षेप कहां मिले हैं?
(A) घाना तट
(B) ऑस्ट्रेलिया तट
(C) चिल्ली तट
(D) गियाना तट।
उत्तर:
(A) घाना तट।

8. मध्यवर्ती महासागरीय कटक किस महासागर में है?
(A) हिन्द महासागर
(B) प्रशान्त महासागर
(C) आर्कटिक महासागर
(D) अन्ध महासागर।
उत्तर:
(D) अन्ध महासागर।

9. किस स्तर पर भू-प्लेटें विपरीत दिशा में खिसकती हैं?
(A) अभिसरण क्षेत्र
(B) अपसरण क्षेत्र
(C) रूपान्तर क्षेत्र
(D) ज्वालामुखी क्षेत्र।
उत्तर:
(C) रूपान्तर क्षेत्र।

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10. संवहन धाराओं की संकल्पना किसने प्रस्तुत की?
(A) वेगनर
(B) होम्स
(C) टेलर
(D) ट्रिवार्था।
उत्तर:
(B) होम्स।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
किसने और कब महाद्वीपीय संचलन सिद्धान्त प्रस्तुत किया?
उत्तर:
अल्फ्रेड वैगनर ने 1912 ई० में।

प्रश्न 2.
मूल महाद्वीप का क्या नाम था? यह कब बना?
उत्तर:
पेंजिया-काल्पनिक कल्प में 280 मिलियन वर्ष पूर्व।

प्रश्न 3.
पेंजिया से पृथक् होने वाले उत्तरी महाद्वीप का नाम लिखो।
उत्तर:
लारेशिया।

प्रश्न 4.
पेंजिया से पृथक् होने वाले दक्षिणी महाद्वीप का नाम लिखो।
उत्तर:
गोंडवानालैंड।

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प्रश्न 5.
गोंडवानालैंड में शामिल भू-खण्डों के नाम लिखो।
उत्तर:
दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया तथा अंटार्कटिका।

प्रश्न 6.
अफ्रीका तथा दक्षिणी अमेरिका में स्वर्ण निक्षेप कहां पाये जाते हैं?
उत्तर:
घाना तथा ब्राज़ील में।

प्रश्न 7.
ध्रुवों के घूमने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
विभिन्न युगों में ध्रुवों की स्थिति का बदलना।

प्रश्न 8.
समुद्र के अधस्तल के विस्तारण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
महासागरीय द्रोणी का फैलना तथा चौड़ा होना।

प्रश्न 9.
प्लेटों के संचलन का क्या कारण है?
उत्तर:
तापीय संवहन क्रिया।

प्रश्न 10.
संवहन क्रिया सिद्धान्त किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर:
सन् 1928 में आर्थर होम्स ने।

प्रश्न 11.
स्थलमण्डल पर कुल कितनी प्लेटें हैं?
उत्तर:
7.

प्रश्न 12.
सबसे बड़ी भू-प्लेट कौन-सी है?
उत्तर:
प्रशान्त महासागरीय प्लेट।

प्रश्न 13.
हिमालय पर्वत की उत्पत्ति का क्या कारण था?
उत्तर:
भारतीय प्लेट तथा यूरेशियन प्लेट का आपसी टकराव।

प्रश्न 14.
पेंजिया शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर:
सम्पूर्ण पृथ्वी।

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प्रश्न 15.
पैंथालासा शब्द का अर्थ क्या है?
उत्तर:
जल ही जल।

प्रश्न 16.
प्लेट शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था?
उत्तर:
टूजो विल्सन।

प्रश्न 17.
प्लेटों में गति का क्या कारण है?
उत्तर:
प्लेटों में गति का कारण तापीय संवहन क्रिया है।

प्रश्न 18.
‘टेक्टोनिकोज’ किस भाषा का शब्द है? इसका क्या अर्थ है?
उत्तर:
यह यूनानी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ निर्माण है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1.
पेंजिया किसे कहते हैं? इसकी उत्पत्ति कब हुई? इसमें मिलने वाले भू-खण्ड बताओ। पेंजिया के टूटने की क्रिया बताओ।
उत्तर:
विश्व के सभी भू-खण्ड पेंजिया नामक एक महा-महाद्वीपीय से विलग होकर बने हैं, यह बात अल्फ्रेड वैगनर ने 1912 में कही। पेंजिया नामक यह महाद्वीप 28 करोड़ वर्ष पूर्व, कार्बनी कल्प के अन्त में अस्तित्व में आया। मध्य जुरैसिक कल्प तक यानि 15 करोड़ वर्ष पूर्व, पेंजिया उत्तरी महाद्वीप लॉरेशिया तथा दक्षिणी महाद्वीप गोंडवानालैंड में विभक्त हो गया था।

लगभग 6.5 करोड़ वर्ष पूर्व अर्थात् क्रिटेशस कल्प के अन्त में गोंडवानालैंड फिर से खंडित हुआ और इससे कई अन्य महाद्वीपों जैसे दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका की रचना हुई। भारत इससे टूटकर स्वतंत्र रूप से एक अलग पथ पर उत्तर-पूर्व की ओर अग्रसर हुआ।

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प्रश्न 2.
Jig-saw-fit से क्या अभिप्राय है? अन्ध-महासागर के दोनों तटों पर मिलने वाली समानताएं बताओ। इससे क्या निष्कर्ष निकलता है?
उत्तर:
Jig-saw- fit का अर्थ है कि अन्ध महासागर का पूर्वी तथा पश्चिमी तट किसी समय एक साथ जुड़े हुए थे। इन तटों पर कई समानताएं हैं।

  1. गिन्नी की खाड़ी ब्राज़ील के तट के साथ जोड़ी जा सकती है। अफ्रीका का पश्चिमी भाग खाड़ी मैक्सिको में जोड़ा जा सकता है। पश्चिमी यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका का पूर्वी तट तथा ग्रीनलैंड अफ्रीका जोड़े जा सकते हैं।
  2. पूर्वी तट पर घाना में तथा पश्चिमी तट पर ब्राज़ील में अमेरिका स्वर्ण निक्षेप पाये जाते हैं।
  3. गोंडवानालैंड के सभी भू-खण्डों में हिमानी निक्षेप मिलते हैं। इन समानताओं से निष्कर्ष निकलता है कि ये महाद्वीप किसी प्राचीन भू-वैज्ञानिक काल में इकट्ठे थे।

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प्रश्न 3.
ध्रुवों के घूमने से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
ध्रुवों का घूमना (Polar Wandering):
पहले महाद्वीप पेंजिया के रूप में परस्पर एक-दूसरे से जुड़े हुए थे, इसका सबसे शक्तिशाली प्रमाण पुरा चुम्बकत्व से प्राप्त हुआ है। मैग्मा, लावा तथा असंगठित अवसाद में उपस्थित चुम्बकीय प्रवृत्ति वाले खनिज जैसे मैग्नेटाइट, हेमेटाइट, इल्मेनाइट और पाइरोटाइट इसी प्रवृत्ति के कारण उस समय के चुंबकीय क्षेत्र के समानान्तर एकत्र हो गए। यह गुण शैलों में स्थाई चुम्बकत्व के रूप में रह जाता है।

चुम्बकीय ध्रुव की स्थिति में कालिक परिवर्तन होता रहा है, जो शैलों में स्थाई चुम्बकत्व के रूप में अभिलेखित किया जाता है। वैज्ञानिक विधियों द्वारा पुराने शैलों में हुए ऐसे परिवर्तनों को जाना जा सकता है, जिनसे भूवैज्ञानिक काल में ध्रुवों की बदलती हुई स्थिति की जानकारी होती है। इसे ही ध्रुवों का घूमना कहते हैं। धूवों का घूमना यह स्पष्ट करता है कि महाद्वीपों का समय-समय पर संचलन होता रहा है और वे अपनी गति की दिशा भी बदलते रहे हैं।

प्रश्न 4.
अपसरण क्षेत्र तथा अभिसरण क्षेत्र में अन्तर स्पष्ट करो।
उत्तर:
अपसरण क्षेत्र-ये वे सीभाएं हैं जहां प्लेटें एक-दूसरे से अलग होती हैं। भूगर्भ से मैग्मा बाहर आता है। ये महासागरीय कटकों के साथ-साथ देखा जाता है। इन सीमाओं के साथ ज्वालामुखी तथा भूकम्प मिलते हैं। इसका उदाहरण मध्य अटलांटिक कटक है जहां से अमेरिकी प्लेटें तथा यूरेशियम व अफ्रीकी प्लेटें अलग होती हैं। अभिसरण क्षेत्र-ये वे सीमाएं हैं जहां एक प्लेट का किनारा दूसरे के ऊपर चढ़ जाता है। इनसे गहरी खाइयों तथा वलित श्रेणियों की रचना होती है।

ज्वालामुखी तथा गहरे भूकम्प उत्पन्न होते हैं। रूपांतर सीमा-जहां न तो नई पर्पटी का निर्माण होता है और न ही विनाश होता है, उसे रूपांतर सीमा कहते हैं। इसका कारण है कि इस सीमा पर प्लेटें एक-दूसरे के साथ-साथ क्षैतिज दिशा में सरक जाती हैं। रूपांतर भ्रंश (Transform faults) दो प्लेट को अलग करने वाले तल हैं जो सामान्यतः मध्य-महासागरीय कटकों से लंबवत स्थिति में पाए जाते हैं।

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प्रश्न 5.
समुद्र अधस्तल के विस्तारण का क्या महाद्वीपीय अर्थ है ?
उत्तर:
मध्यवर्ती महासागरीय कटक महासागर के अधस्तल पर स्थित दरारें हैं। इनसे लावा बाहर निकलता है। पिघला हुआ पदार्थ एक नये धरातल की रचना करता है। यह अधस्तल कटक से दूर फैलता है। इस प्रकार महासागरीय द्रोणी चौड़ी हो जाती है। इसे समुद्र अधस्तल मैंटल विस्तारण कहते हैं।
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प्रश्न 6.
महत्त्वपूर्ण छोटी प्लेटों का वर्णन करो।
उत्तर:
कुछ महत्त्वपूर्ण छोटी प्लेटें निम्नलिखित हैं

  1. कोकोस (Cocoas) प्लेट: यह प्लेट मध्यवर्ती अमेरिका और प्रशान्त महासागरीय प्लेट के बीच स्थित है।
  2. नाजका प्लेट (Nazca plate): यह दक्षिण अमेरिका व प्रशान्त महासागरीय प्लेट के बीच स्थित है।
  3. अरेबियन प्लेट (Arabian plate): इसमें अधिकतर साऊदी अरब का भू-भाग सम्मिलित है।
  4. फिलिपाइन प्लेट (Philippine plate): यह एशिया महाद्वीप और प्रशान्त महासागरीय प्लेट के बीच स्थित है।
  5. कैरोलिन प्लेट (Caroline plate): यह न्यू गिनी के उत्तर में फिलिपियन वे इंडियन प्लेट के बीच स्थित है।
  6. फ्यूजी प्लेट (Fuji plate): यह ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्व में स्थित है।

निबन्धात्मक प्रश्न (Essay Type Questions)

प्रश्न 1.
प्लेट विवर्तनिक सिद्धान्त और इसकी क्रियाविधि की व्याख्या कीजिए।
अथवा
प्लेट विवर्तन की अवधारणा का वर्णन करें।
उत्तर:
भूमण्डलीय प्लेट विवर्तनिक सिद्धान्त के अनुसार स्थलमण्डल मध्यम दृढ़ प्लेटों में विभक्त है। ये प्लेटें निरन्तर संचलन कर रही हैं और उनकी गति-दिशा सापेक्ष है। प्लेटों के सीमान्त (Plate Boundaries): प्लेटों की सापेक्ष संचलन के आधार पर तीन विभिन्न प्रकार की प्लेट-सीमाएं या सीमान्त क्षेत्रों की रचना होती है:

  1. अपसरण अथवा विस्तारण क्षेत्र या सीमान्त
  2. अभिसरण क्षेत्र या सीमान्त; तथा
  3. विभंग क्षेत्र अथवा रूपान्तर भ्रंश।

1. अपसरण क्षेत्र (Zones of Divergence):
वे सीमाएं हैं, जहां प्लेटें एक-दूसरे से अलग होती हैं और पृथक्करण की इस प्रक्रिया में भूगर्भ से मैग्मा बाहर आता है। सामान्यतः ऐसा रैखिक महासागरी कटकों के साथ-साथ देखा जाता है, जहां नए महासागरीय अधस्तल के रूप में नवीन स्थलमण्डल का निर्माण हो रहा है। ऐसे सीमान्तों की विशिष्टता सक्रिय ज्वालामुखी उद्भव तथा उथले उद्गम केन्द्रों वाले भूकम्प हैं।

2. अभिसरण क्षेत्र (Zones of Convergence):
वे सीमाएं हैं, जहां एक प्लेट का किनारा दूसरे के ऊपर चढ जाता है, जिससे नीचे की प्लेट मैंटल में फिसल कर इसी में विलीन हो जाती है। इस प्रक्रिया को प्रविष्ठन (Subduction) कहते हैं। इन सीमाओं पर ज्वालामुखी उद्भव तथा उथले से गहरे उद्गम केन्द्रों वाले भूकम्पों की उत्पत्ति के अतिरिक्त गहरी महासागरीय खाइयों, द्रोणियों तथा वलित पर्वत श्रेणियों की रचना होती है।

3. रूपांतर (Transform faults):
भ्रंश पर न तो भूपर्पटी का निर्माण होता है और न विनाश। यहां स्थलमण्डलीय प्लेटें एक-दूसरे के विपरीत दिशा में साथ-साथ खिसकती हैं।

प्लेट संचलन के कारण (Causes of Plate Movement)
1. तापीय संवहन:
आर्थर होम्स ने 1928 में यह बताया कि अधोपर्पटी संवहन धाराएं तापीय संवहन की क्रियाविधि आरम्भ करती हैं, जो प्लेटों के संचलन के लिए प्रेरक बल के रूप में काम करता है।

2. उष्ण धाराएं:
उष्ण धाराएं ऊपर उठती हैं। जैसे ही वे भूपृष्ठ पर पहुंचती हैं, वे ठण्डी हो जाती हैं और नीचे की ओर चलने लगती हैं। इस प्रकार यह संवहनी संचलन भूपर्पटी प्लेटों को गतिशील कर देता है।

3. प्लेटों का तैरना:
संचलन के कारण स्थल मण्डल की प्लेटें, जो नीचे के अधिक गतिशील एस्थेनोस्फीयर पर तैर रही हैं, निरन्तर गति में रहती हैं।

4. ज्वालामुखी क्रिया:
अतीत में हुई ज्वालामुखी क्रिया के छोटे केन्द्र, जो बहुधा किसी सक्रिय प्लेट सीमा से दूर स्थलमण्डल पर स्थित हैं, संवहन धाराओं के प्रभाव का संकेत देते हैं। ज्वालामुखी क्रिया के ये केन्द्र तप्त स्थल कहलाते हैं।

5. ज्वालामुखी:
डब्ल्यू० जैसन मॉर्गन ने 1971 में तप्त स्थल की परिकल्पना की। उनके अनुसार मैंटल में मैग्मा का स्रोत अपने स्थान पर स्थिर रहता है, जबकि इसके ऊपर स्थित स्थलमण्डलीय प्लेटें निरन्तर संचलित होती हैं। इस प्रकार किसी तप्त स्थल के ऊपर ज्वालामुखियों की रचना होती है, लेकिन वे उसके बाद मैग्मा-स्रोत से दूर खिसक जाते हैं और मृत हो जाते हैं। ये मृत ज्वालामुखी एक श्रृंखला की रचना करते हैं, जो प्लेट संचलन के अभिलेख हैं।

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प्लेट सीमाएं (Plate Boundaries):
प्लेट सीमाएं पृथ्वी के सर्वाधिक विशिष्ट संरचनात्मक लक्षण हैं। प्लेट सीमाओं की पहचान कठिन नहीं है। ये प्रमुख स्थलाकृतिक लक्षणों से चिन्हित हैं। स्थलमण्डल, सात मुख्य प्लेटों और अनेक छोटी उप-प्लेटों में विभक्त है। मुख्य प्लेटों की बहिर्रेखा नवीन पर्वत तंत्रों, महासागरीय कटकों तथा खाइयों से बनी है। ये प्लेटें निम्नलिखित हैं

  1. प्रशान्त प्लेट;
  2. यूरेशियन प्लेट;
  3. इंडो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट;
  4. अफ्रीकन प्लेट;
  5. उत्तरी अमेरिकन प्लेट;
  6. दक्षिण अमेरिकन प्लेट;
  7. अंटार्कटिक प्लेट;

मुख्य विशेषताएं:

  1. इनमें से सर्वाधिक नवीन प्रशान्त प्लेट है जो लगभग पूरी तरह महासागरीय पटल से बनी है और भूपृष्ठ के 20 प्रतिशत भाग पर विस्तृत है।
  2. कोई भी प्लेट केवल महाद्वीपीय पटल से निर्मित नहीं है। (3) प्लेटों की मोटाई में अन्तर महासागरों के नीचे 70 कि०मी० से लेकर महाद्वीपों के नीचे 150 कि०मी०
  3. तक है।
  4. प्लेट स्थाई लक्षण नहीं है। इनकी आकृति तथा आकार में अन्तर होता रहता है। वे प्लेटें जो महाद्वीपीय पटल से नहीं बनी हैं, प्रविष्ठन का शिकार हो सकती हैं।
  5. कोई भी प्लेट टूट सकती है अथवा अन्य प्लेट के साथ जुड़ सकती है। (6) प्रत्येक विवर्तनिक प्लेट दृढ़ है और एक इकाई के रूप में संचलन करती है।
  6. लगभग सभी विवर्तनिक क्रियाएं प्लेट सीमाओं पर होती हैं, यही कारण है कि भू-वैज्ञानिक तथा भूगोलवेत्ता प्लेट सीमाओं पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं।

JAC Class 11 Geography Important Questions Chapter 4 महासागरों और महाद्वीपों का वितरण

प्रश्न 2.
भारतीय प्लेट की मुख्य विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
भारतीय, प्लेट का संचलन (Movement of the Indian Plate):
इंडियन प्लेट में प्रायद्वीप भारत और ऑस्ट्रेलिया महाद्वीपीय भाग सम्मिलित हैं। हिमालय पर्वत श्रेणियों के साथ-साथ पाया जाने वाला प्रविष्ठन क्षेत्र (Subduction zone), इसकी उत्तरी सीमा निर्धारित करता है जो महाद्वीपीय-महाद्वीपीय अभिसरण (Continentcontinent convergence) के रूप में हैं। (अर्थात् दो महाद्वीप प्लेटों की सीमा है) यह पूर्व दिशा में म्यांमार के राकिन्योमा पर्वत से होते हुए एक चाप के रूप में जावा खाई तक फैला हुआ है। इसकी पूर्वी सीमा एक विस्तारित तल (Spreading site) है, जो ऑस्ट्रेलिया के पूर्व में दक्षिणी पश्चिमी प्रशान्त महासागर में महासागरीय कटक के रूप में है।

इसकी पश्चिमी सीमा पाकिस्तान की किरथर श्रेणियों का अनुसरण करती है। यह आगे मकरान तट के साथ-साथ होती हुई दक्षिण-पूर्वी चागोस द्वीप समूह (Chagos archipelago) के साथ-साथ लाल सागर द्रोणी (जो विस्तारण तल है) में जा मिलती है। भारतीय तथा आर्कटिक प्लेट की सीमा भी महासागरीय कटक से निर्धारित होती है। जो एक अपसारी सीमा (Divergent boundary) है और यह लगभग पूर्व-पश्चिम दिशा में होती हुई न्यूज़ीलैंड के दक्षिण में विस्तारित तल में मिल जाती है।

हिमालय पर्वत का उत्थान: भारत एक वृहत् द्वीप था, जो ऑस्ट्रेलियाई तट से दूर एक विशाल महासागर में स्थित था।

  1. लगभग 22.5 करोड़ वर्ष पहले तक टेथीस सागर इसे एशिया महाद्वीप से अलग करता था।
  2. ऐसा माना जाता है कि लगभग 20 करोड़ वर्ष पहले, जब पैंजिया विभक्त हुआ तब भारत ने उत्तर दिशा की ओर खिसकना आरम्भ किया।
  3. लगभग 4 से 5 करोड़ वर्ष पहले भारत एशिया से टकराया व परिणामस्वरूप हिमालय पर्वत का उत्थान हुआ।
  4. 7.1 करोड़ वर्ष पहले से आज तक की भारत की स्थिति आज से लगभग 14 करोड़ वर्ष पहले यह उपमहाद्वीप सुदूर दक्षिण में 50″ दक्षिणी अक्षांश पर स्थित था। इन दो प्रमुख प्लेटों को टिथीस सागर अलग करता था और तिब्बतीय खंड, एशियाई स्थलखण्ड के करीब था।
  5. इंडियन प्लेट के एशियाई प्लेट की तरफ प्रवाह के दौरान एक प्रमुख घटना घटी-वह थी लावा प्रवाह से दक्कन ट्रैप का निर्माण होना। ऐसा लगभग 6 करोड़ वर्ष पहले आरम्भ हुआ और एक लम्बे समय तक यह जारी रहा । याद रहे कि यह उपमहाद्वीप तब भी भूमध्यरेखा के निकट था।
  6.  लगभग 4 करोड़ वर्ष पहले और इसके पश्चात् हिमालय की उत्पत्ति आरम्भ हुई। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्रक्रिया अभी भी जारी है और हिमालय की ऊँचाई अब भी बढ़ रही है।

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JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

JAC Class 10 Hindi तताँरा-वामीरो कथा Textbook Questions and Answers

मौखिक –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –

प्रश्न 1.
तताँरा-वामीरो कहाँ की कथा है?
उत्तर :
तताँरा-वामीरो अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की कथा है।

प्रश्न 2.
वामीरो अपना गाना क्यों भूल गई?
उत्तर :
वामीरो जब गा रही थी, तो अचानक समुद्र में ऊँची लहर उठी और उसे पूरी तरह भिगो गई। यह देखकर वह हड़बड़ा गई और हड़बड़ाहट में गाना भूल गई।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

प्रश्न 3.
तताँरा ने वामीरो से क्या याचना की?
उत्तर :
तताँरा ने वामीरो से गाना पूरा करने और अगले दिन पुनः उसी स्थान पर आने की याचना की।

प्रश्न 4.
तताँरा और वामीरो के गाँव की क्या रीति थी?
उत्तर
गाँव की रीति के अनुसार विवाह के लिए वर और वधू का एक ही गाँव का होना आवश्यक था। दूसरे गाँव में विवाह करना :
अनुचित था।

प्रश्न 5.
क्रोध में तताँरा ने क्या किया?
उत्तर :
क्रोध में तताँरा ने कार-निकोबार द्वीप समूह को दो भागों में विभक्त कर दिया।

लिखित –

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30) शब्दों में लिखिए – 

प्रश्न 1.
तताँरा की तलवार के बारे में लोगों का क्या मत था?
उत्तर :
तताँरा लकड़ी की एक तलवार को सदैव अपनी कमर से बाँधे रखता था। लोगों का मानना था कि उस तलवार में अद्भुत दैवीय-शक्ति थी। वे सोचते थे कि तताँरा अपने सभी साहसिक कारनामों को इसी तलवार के कारण ही कर पाता है।

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प्रश्न 2.
वामीरो ने तताँरा को बेरुखी से क्या जवाब दिया?
उत्तर :
तताँरा के गीत को पूरा करने के आग्रह पर वामीरो ने उसे बड़ी बेरुखी से उत्तर दिया। उसने तताँरा से कहा कि पहले वह अपना परिचय दे और बताए कि वह उसे क्यों घूर रहा है। उसे उससे ऐसा असंगत प्रश्न भी नहीं पूछना चाहिए, क्योंकि गाँव की रीति के अनुसार वह अपने गाँव के युवक अतिरिक्त किसी अन्य गाँव के युवक के प्रश्न का उत्तर देने के लिए भी बाध्य नहीं है।

प्रश्न 3.
तताँरा-वामीरो की त्यागमयी मृत्यु से निकोबार में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर :
तताँरा-वामीरो एक-दूसरे से प्रेम करते थे, किंतु गाँव की रीति के अनुसार उनका विवाह नहीं हो सकता था। तताँरा ने क्रोध में आकर पूरे द्वीप समूह को दो भागों में विभाजित कर दिया। इसमें तताँरा की मृत्यु हो गयी और वामीरो भी उसके प्रेम में पागल होने के बाद मर गई। उन दोनों की त्यागमयी मृत्यु के बाद निकोबार के लोग दूसरे गाँवों में भी वैवाहिक संबंध करने लगे।

प्रश्न 4.
निकोबार के लोग तताँरा को क्यों पसंद करते थे?
उत्तर :
तताँरा एक सुंदर और शक्तिशाली युवक था। वह नेक और मददगार था। दूसरों की सहायता करना वह अपना परम कर्तव्य समझता था। वह मुसीबत में प्रत्येक व्यक्ति की सहायता करने के लिए तैयार रहता था। उसकी इन्हीं विशेषताओं के कारण निकोबार के लोग तताँरा को पसंद करते थे।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60) शब्दों में लिखिए –

प्रश्न 1.
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद कहाँ गया? वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
उत्तर :
तताँरा खूब परिश्रम करने के बाद समुद्र के किनारे टहलने के लिए गया। वह सूर्यास्त का समय था। सूर्य डूबने ही वाला था। समुद्र से आने वाली ठंडी हवा बहुत अच्छी लग रही थी। पक्षियों की मधुर चहचहाहट धीरे-धीरे सुनाई दे रही थी। सूर्य की अंतिम रंग-बिरंगी किरणें समुद्र के पानी में बहुत आकर्षक लग रही थीं। डूबता हुआ सूर्य ऐसा प्रतीत हो रहा था, मानो देखते-ही-देखते वह क्षितिज के नीचे समा जाएगा।

तताँरा ऐसे प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहा था कि तभी उसे एक मधुर गीत गूंजता हुआ सुनाई दिया। गीत की आवाज़ अत्यंत मधुर और मोहक थी। ऐसा प्रतीत होता था, मानो वह गीत बहता हुआ उसकी ओर ही आ रहा हो। उस गीत के बीच-बीच में लहरों का संगीत उसकी मधुरता को और भी बढ़ाने वाला था।

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प्रश्न 2.
निकोबार द्वीपसमूह के विभक्त होने के बारे में निकोबारियों का क्या विश्वास है?
उत्तर :
निकोबारी इस दवीप समूह के विभक्त होने का कारण एक प्रेम कथा को मानते हैं। यह कथा तताँरा-वामीरो की है। तताँरा पासा गाँव का रहने वाला सुंदर नवयुवक था। वह साहसी, नेक और मददगार था। वामीरो समीप के गाँव लपाती की रहने वाली थी। दोनों एक दूसरे से प्रेम करने लगे, किंतु गाँव की परंपरा के अनुसार उनका विवाह नहीं हो सका।

एक दिन तताँरा और वामीरो को लोगों ने भला बुरा कहा। वामीरो जोर-जोर से रोने लगी। तताँरा इसे सहन नहीं कर सका। उसने क्रोध में भरकर अपनी तलवार को धरती में गाड़ दिया और पूरी शक्ति से अपनी ओर खींचता चला गया। उसने जहाँ-जहाँ से तलवार से काटा, वह सारा हिस्सा अलग होता चला गया। इस प्रकार निकोबार द्वीप समूह दो टुकड़ों में विभक्त हो गया।

प्रश्न 3.
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा के जीवन में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर :
वामीरो से मिलने के बाद तताँरा अपनी सुध-बुध खो बैठा। वह हर समय उसी के ख्यालों में डूबा रहता। उसका हृदय व्यथित रहने लगा। उसके मन में एक विचित्र-सी बेचैनी रहती। सदैव सबकी मदद के लिए तैयार रहने वाला तताँरा अब केवल वामीरो के बारे में सोचता रहता। वह बार-बार उससे मिलने की इच्छा करता। शक्तिशाली, शांत और गंभीर तताँरा अब चंचल-सा रहने लगा। उसे वामीरों के बिना एक-एक पल पहाड़-सा भारी प्रतीत होता। वामीरो से मिलने के बाद तताँरा का जीवन पूरी तरह बदल गया था।

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प्रश्न 4.
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति-प्रदर्शन के लिए किस प्रकार के आयोजन किए जाते थे?
उत्तर :
प्राचीन काल में मनोरंजन और शक्ति प्रदर्शन के लिए अस्त्र-शस्त्र चलाने संबंधी आयोजन तथा पशु-पर्व किए जाते थे। पशु-पर्व जैसे आयोजनों में पशुओं की शक्ति का प्रदर्शन किया जाता था। इसके अतिरिक्त युवकों व पशुओं के बीच में भी शक्ति-प्रदर्शन होता था। इस तरह के आयोजन में भोजन, नृत्य और संगीत की व्यवस्था भी की जाती थी।

प्रश्न 5.
रूढ़ियाँ जब बंधन बन बोझ बनने लगें तब उनका टूट जाना ही अच्छा है। क्यों ? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
तताँरा-वामीरो कथा के आधार पर प्रतिपादित कीजिए कि रूढ़ियाँ बंधन बनने लगें तो उन्हें टूट जाना चाहिए।
उत्तर :
प्रत्येक समाज अपने जीवन को व्यवस्थित ढंग से चलाने के लिए कुछ रूढ़ियों और परंपराओं का पालन करता है। समय के साथ-साथ इन रूढ़ियों और परंपराओं में परिवर्तन होना जरूरी है। यदि इनमें परिवर्तन न हो, तो ये रूढ़ियाँ बंधन बन जाती हैं। तब इनका निर्वाह करना बोझ के समान लगता है। नई पीढ़ी विकास चाहती है। ये रूढ़ियाँ तब विकास में भी बाधक बनती हैं। स्वतंत्र विचारों वाली पीढ़ी इसे स्वीकार नहीं कर पाती। यदि हम फिर भी इन रूढ़ियों और परंपराओं से चिपके रहे, तो हमारी आने वाली पीढ़ी का विकास रुकता है। बोझ बनी इन रूढ़ियों से न तो विकास हो सकता है और न ही स्वच्छ जीवनयापन। ऐसे में इन रूढ़ियों का टूट जाना ही अच्छा होता है।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए –

प्रश्न 1.
जब कोई राह न सूझी तो क्रोध का शमन करने के लिए उसमें शक्ति भर उसे धरती में घोंप दिया और ताकत से उसे खींचने लगा।
उत्तर :
इन पंक्तियों में लेखक ने तताँरा के मनोभावों को व्यक्त किया है। तताँरा वामीरो से प्रेम करता है और उससे विवाह भी करना चाहता है, परंतु वामीरो का परिवार इसे पसंद नहीं करता। ‘पशु-पर्व’ पर आयोजित मेले में वामीरो की माता तताँरा को वामीरो के साथ देखकर आग-बबूला हो उठती है और उसे अपमानित करती है। गाँव के अन्य लोग भी तताँरा का विरोध करने लगते हैं। इस पर तताँरा क्रोध से भर उठता है, परंतु किसी पर क्रोध करने की बजाय वह अपनी तलवार को पूरा जोर लगाकर धरती में घोंप देता है और फिर उसे खींचने लगता है।

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प्रश्न 2.
बस आस की एक किरण थी जो समुद्र की देह पर डूबती किरणों की तरह कभी भी डूब सकती थी।
उत्तर :
यहाँ लेखक ने वामीरो की प्रतीक्षा करते तताँरा की बेचैनी को स्पष्ट किया है। वह समुद्री चट्टान पर वामीरो की प्रतीक्षा में खड़ा था। उसे वामीरो के आने की बहुत कम आशा थी, फिर भी वह उसकी प्रतीक्षा कर रहा था। वामीरो की आने की आशा सूर्यास्त के समय डूबते सूर्य की किरणों के समान थी। जिस प्रकार सूर्यास्त में सूर्य की किरणें धीरे-धीरे समाप्त हो रही थीं, उसी प्रकार वामीरो के वहाँ आने की आशा किसी भी समय समाप्त हो सकती थी।

भाषा-अध्ययन –

प्रश्न 1.
उत्तर
निम्नलिखित वाक्यों के सामने दिए गए कोष्ठक में (✓) का चिह्न लगाकर बताएँ कि वह वाक्य किस प्रकार का है (क) निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(ख) तुमने एकाएक इतना मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ दिया ? (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(ग) वामीरो की माँ क्रोध में उफन उठी। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(घ) क्या तुम्हें गाँव का नियम नहीं मालूम ? (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(ङ) वाह! कितना सुंदर नाम है। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
(च) मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूंगा। (प्रश्नवाचक, विधानवाचक, निषेधात्मक, विस्मयादिबोधक)
उत्तर :
(क) निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे। (विधानवाचक)
(ख) तुमने एकाएक इतना मधुर गाना अधूरा क्यों छोड़ दिया? (प्रश्नवाचक)
(ग) वामीरो की माँ क्रोध में उफन उठी। (विधानवाचक)
(घ) क्या तुम्हें गाँव का नियम नहीं मालूम? (प्रश्नवाचक)
(ङ) वाह! कितना सुंदर नाम है। (विस्मयादिबोधक)
(च) मैं तुम्हारा रास्ता छोड़ दूंगा। (विधानवाचक)

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प्रश्न 2.
निम्नलिखित मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए
(क) सुध-बुध खोना
(ख) बाट जोहना
(ग) खुशी का ठिकाना न रहना
(घ) आग बबूला होना
(ङ) आवाज़ उठाना।
उत्तर :
(क) सुध-बुध खोना-जब मैंने पहली बार ताजमहल देखा, तो उसकी सुंदरता देखकर मैं अपनी सुध-बुध खो बैठा।
(ख) बाट जोहना-किसी की बाट जोहना अत्यंत कठिन कार्य है।
(ग) खुशी का ठिकाना न रहना-सुरेश के जिले में प्रथम आने की बात सुनकर उसके पिता की खुशी का ठिकाना न रहा।
(घ) आग बबूला होना-रमेश ने जब चोरी की, तो उसकी माँ आग बबूला हो उठी।
(ङ) आवाज़ उठाना-हमें भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज़ उठानी चाहिए।

प्रश्न 3.
नीचे दिए गए शब्दों में से मूल शब्द और प्रत्यय अलग करके लिखिए-
JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा 1
उत्तर :
JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा 2

प्रश्न 4.
नीचे दिए गए शब्दों में उचित उपसर्ग लगाकर शब्द बनाइए
………. + आकर्षक = ………
………. + ज्ञात = ……….
………. + कोमल = ………
……….. + होश = …………
………. + घटना = ………..
उत्तर :
अति + आकर्षक = अत्याकर्षक
अ + ज्ञात = अज्ञात
सु + कोमल = सुकोमल
बे + होश = बेहोश
दुर् + घटना = दुर्घटना

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प्रश्न 5.
निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित कीजिए –
(क) जीवन में पहली बार मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ। (मिश्र वाक्य)
(ख) फिर तेज़ कदमों से चलती हुई तताँरा के सामने आकर ठिठक गई। (संयुक्त वाक्य)
(ग) वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ़ दौड़ी। (सरल वाक्य)
(घ) तताँरा को देखकर वह फूटकर रोने लगी। (संयुक्त वाक्य)
(ङ) रीति के अनुसार दोनों को एक ही गाँव का होना आवश्यक था। (मिश्र वाक्य)
उत्तर :
(क) जीवन में पहली बार ऐसा हुआ है कि मैं इस तरह विचलित हुआ हूँ।
(ख) फिर तेज़ कदमों से चली और तताँरा के सामने आकर ठिठक गई।
(ग) वामीरो कुछ सचेत होकर घर की तरफ़ दौड़ी।
(घ) उसने तताँरा को देखा और वह फूटकर रोने लगी।
(ङ) यह रीति थी कि दोनों को एक ही एक गाँव का होना आवश्यक था।

प्रश्न 6.
नीचे दिए गए वाक्य पढ़िए तथा ‘और’ शब्द के विभिन्न प्रयोगों पर ध्यान दीजिए –
(क) पास में सुंदर और शक्तिशाली युवक रहा करता था। (दो पदों को जोड़ना)
(ख) वह कुछ और सोचने लगी। (‘अन्य’ के अर्थ में)
(ग) एक आकृति कुछ साफ़ हुई … कुछ और … कुछ और … (क्रमश: धीरे-धीरे के अर्थ में)
(घ) अचानक वामीरो कुछ सचेत हुई और घर की तरफ़ दौड़ गई। (दो उपवाक्यों को जोड़ने के अर्थ में)
(ङ) वामीरो का दुख उसे और गहरा कर रहा था। (‘अधिकता’ के अर्थ में)
(च) उसने थोड़ा और करीब जाकर पहचानने की चेष्टा की। (‘निकटता’ के अर्थ में)
उत्तर :
विद्यार्थी इसे ध्यानपूर्वक समझें।

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प्रश्न 7.
नीचे दिए गए शब्दों के विलोम शब्द लिखिए –
भय, मधुर, सभ्य, मूक, तरल, उपस्थिति, सुखद।
उत्तर :

  • भय = निर्भय
  • सभ्य = असभ्य
  • तरल = ठोस
  • सुखद = दुखद
  • मधुर = कहु
  • मूक = वाचाल
  • उपस्थिति = अनुपस्थिति

प्रश्न 8.
नीचे दिए गए शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए –
समुद्र, आँख, दिन, अँधेरा, मुक्त।
उत्तर :

  • समुद्र = सागर, जलधि
  • दिन = दिवस, वासर
  • मुक्त = स्वतंत्र, आजाद
  • आँख = नयन, नेत्र
  • अँधेरा =अंधकार, तम

प्रश्न 9.
नीचे दिए गए शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए –
किंकर्तव्यविमूढ़, विह्वल, भयाकुल, याचक, आकंठ।
उत्तर :

  • किंकर्तव्यविमूढ़ – सचिन सड़क पर हुई दुर्घटना को देखकर किंकर्तव्यविमूढ़ हो गया।
  • भयाकुल – अचानक सामने आए शेर को देखकर राम भयाकुल हो उठा।
  • विह्वल – कई दिनों के बाद अपने पुत्र से मिलकर माँ भाव-विह्वल हो उठी।
  • याचक – याचक को कभी खाली नहीं लौटाना चाहिए।
  • आकंठ – वह संगीत की महफिल में जाकर संगीत के सुरों में आकंठ डूब गया।

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प्रश्न 10.
“किसी तरह आँचरहित एक ठंडा और ऊबाऊ दिन गुज़रने लगा’ वाक्य में दिन के लिए किन-किन विशेषणों का प्रयोग किया गया है? आप दिन के लिए कोई तीन विशेषण और सुझाइए।
उत्तर :
वाक्य में दिन के लिए आँचरहित, ठंडा और ऊबाऊ विशेषणों का प्रयोग किया गया है। दिन के लिए तीन अन्य विशेषण हैं-गर्म दिन, शानदार दिन, मुसीबत भरा दिन।

प्रश्न 11.
इस पाठ में देखना’ क्रिया के कई रूप आए हैं-‘देखना’ के इन विभिन्न शब्द-प्रयोगों में क्या अंतर है? वाक्य-प्रयोग द्वारा स्पष्ट कीजिए।
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इसी प्रकार बोलना’ क्रिया के विभिन्न शब्द-प्रयोग बताइए।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा 4
उत्तर :
आँखें केंद्रित करना = अपने लक्ष्य पर आँखें केंद्रित करके आगे बढ़ते रहना चाहिए।
नज़र पड़ना = घर आते ही कमरे में रखे नए फूलदान पर अचानक मेरी नज़र पड़ी।
ताकना = इधर-उधर ताकना बुरी बात है।
घूरना = तुम मुझे इस प्रकार घूरना छोड़ दो, वरना अच्छा नहीं होगा।
निहारना = प्राकृतिक सौंदर्य को निहारना बहुत अच्छा लगता है।
निर्निमेष ताकना = बगीचे में लगा गुलाब का फूल इतना आकर्षक था कि मैं उसे निर्निमेष ताकता रह गया। इसी प्रकार ‘बोलना’ क्रिया के विभिन्न शब्द-प्रयोग निम्नलिखित हैं –
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प्रश्न 12.
नीचे दिए गए वाक्यों को पढ़िए –
(क) श्याम का बड़ा भाई रमेश कल आया था। (संज्ञा पदबंध):
(ख) सुनीता परिश्रमी और होशियार लड़की है। (विशेषण पदबंध)
(ग) अरुणिमा धीरे-धीरे चलते हुए वहाँ जा पहुंची। (क्रियाविशेषण पदबंध)
(घ) आयुष सुरभि का चुटकुला सुनकर हँसता रहा। (क्रिया पदबंध)
ऊपर दिए गए वाक्य (क) में रेखांकित अंश में कई पद हैं जो एक पद संज्ञा का काम कर रहे हैं। वाक्य (ख) में तीन पद मिलकर विशेषण पद का काम कर रहे हैं। वाक्य (ग) और (घ) में कई पद मिलकर क्रमशः क्रिया-विशेषण और क्रिया का काम कर रहे हैं।
ध्वनियों के सार्थक समूह को शब्द कहते हैं और वाक्य में प्रयुक्त शब्द ‘पद’ कहलाता है; जैसे –
‘पेड़ों पर पक्षी चहचहा रहे थे।’ वाक्य में पेड़ों’ शब्द पद है क्योंकि इसमें अनेक व्याकरणिक बिंदु जुड़ जाते हैं।
कई पदों के योग से बने वाक्यांश को जो एक ही पद का काम करता है, पदबंध कहते हैं। पदबंध वाक्य का एक अंश होता है।
पदबंध मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं –

  • संज्ञा पदबंध
  • क्रिया पदबंध
  • विशेषण पदबंध
  • क्रियाविशेषण पदबंध।

वाक्यों के रेखांकित पदबंधों का प्रकार बताइए –
(क) उसकी कल्पना में वह एक अद्भुत साहसी युवक था।
(ख) तताँरा को मानो कुछ होश आया।
(ग) वह भागा-भागा वहाँ पहुँच जाता।
(घ) तताँरा की तलवार एक विलक्षण रहस्य थी।
(ङ) उसकी व्याकुल आँखें वामीरो को ढूँढ़ने में व्यस्त थीं।
उत्तर :
(क) विशेषण पदबंध
(ख) क्रिया पदबंध
(ग) क्रिया-विशेषण पदबंध
(घ) विशेषण पदबंध
(ङ) विशेषण पदबंध

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योग्यता विस्तार –

प्रश्न :
1. पुस्तकालय में उपलब्ध विभिन्न प्रदेशों की लोककथाओं का अध्ययन कीजिए।
2. भारत के नक्शे में अंडमान निकोबार द्वीप समूह की पहचान कीजिए और उसकी भौगोलिक स्थिति के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
3. अंडमान निकोबार द्वीपसमूह की प्रमुख जनजातियों की विशेषताओं का अध्ययन पुस्तकालय की सहायता से कीजिए।
4. दिसंबर 2004 में आए सुनामी का इस द्वीपसमूह पर क्या प्रभाव पड़ा? जानकारी एकत्रित कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

परियोजना कार्य –

प्रश्न 1.
अपने घर-परिवार के बुजुर्ग सदस्यों से कुछ लोककथाओं को सुनिए। उन कथाओं को अपने शब्दों में कक्षा में सुनाइए।
उत्तर
विद्यार्थी स्वयं करें।

JAC Class 10 Hindi तताँरा-वामीरो कथा Important Questions and Answers

निबंधात्मक प्रश्न – 

प्रश्न 1.
‘तताँरा-वामीरो कथा’ किस क्षेत्र से संबंधित है? इसके पीछे लोगों का क्या विश्वास है?
उत्तर :
‘तताँरा-वामीरो कथा’ अंडमान-निकोबार द्वीप समूह की कथा है। यह एक लोककथा है, जो तताँरा नामक युवक और वामीरो नामक युवती की प्रेम-कथा पर आधारित है। इस लोककथा के पीछे निकोबारियों का विश्वास है कि इन दो प्रेमियों के कारण ही वर्तमान के लिटिल अंडमान और कार-निकोबार अलग हुए थे। इससे पहले ये दोनों द्वीप एक ही थे। इस बात की प्रमाणित करने के लिए एक कहानी के रूप में इस मान्यता को प्रस्तुत किया गया है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

प्रश्न 2.
तताँरा के व्यक्तित्व का वर्णन संक्षेप में कीजिए।
उत्तर :
तताँरा पासा गाँव का रहने वाला सुंदर और शक्तिशाली युवक था। वह नेक और मददगार था। दूसरों की सहायता के लिए वह सदा तैयार रहता था। वह केवल अपने गाँववालों की ही नहीं, अपितु समूचे द्वीपवासियों की सेवा करना अपना परम कर्तव्य समझता था। वह अत्यंत चर्चित और आदरणीय था। उसके आत्मीय स्वभाव के कारण सभी उसे पसंद करते थे। वह अपनी पारंपरिक पोशाक के साथ कमर में लकड़ी की एक तलवार बाँधे रखता था, जो उसे अन्य लोगों से विशिष्ट बनाती थी। लोगों का मत था कि उसकी तलवार में दैवीय शक्ति थी।

प्रश्न 3.
तताँरा को लोग दैवीय-शक्ति से संपन्न व्यक्ति क्यों मानते थे?
उत्तर :
तताँरा को लोग दैवीय-शक्ति से संपन्न व्यक्ति मानते थे, क्योंकि उसके पास लड़की से बनी एक तलवार थी। लोगों का विश्वास था कि उस तलवार में दैवीय शक्ति है। तताँरा उस तलवार को सदैव अपने साथ रखता था। वह उसे अपनी कमर से बाँधकर रखता था। वह उस तलवार का प्रयोग अत्याचार को मिटाने तथा समाज को रूढ़ियों और बंधनों से मुक्त करने के लिए करता था। कहानी के अंत में अपनी तलवार से द्वीप के दो टुकड़े करके तताँरा इस धारणा को सही सिद्ध करता है।

प्रश्न 4.
तताँरा को क्रोध क्यों आया? उसने क्रोध में आने के बाद क्या किया?
उत्तर :
तताँरा और वामीरो का प्रेम अपनी बुलंदी पर था। शीघ्र ही यह प्रेम जगजाहिर हो गया। इसी प्रेम के कारण गाँववालों ने तताँरा को अपमानित भी कर दिया। यही अपमान का घूट तताँरा के क्रोध का कारण बना। उसने अपनी लकड़ी की तलवार निकाली और अपने क्रोध को शांत करने के लिए तलवार से निकोबार की धरती को दो टुकड़ों में विभाजित कर दिया। इसके बाद से ही निकोबार द्वीप दो भागों में विभाजित हो गया।

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प्रश्न 5.
तताँरा द्वारा धरती के दो टुकड़े करने से वह लोगों को क्या संदेश देना चाहता था?
उत्तर :
द्वीप के दो टुकड़े करके तताँरा लोगों को समझाना चाहता था कि वे अपने पुराने रूढ़िवादी विचारों से बाहर निकल आएँ। अपनी तंग मानसिकता को दूर करके एक अच्छे समाज की नींव रखें। यदि वे पुरानी रूढ़ियों और बंधनों को ऐसे ही मानते रहे, तो न उनका विकास होगा और न ही समाज या देश का विकास होगा। अत: लोगों को अपनी सोच को सही रखकर उसमें सुधार लाना होगा। यह शायद उसके प्रयास का ही फल था कि बाद में द्वीप के लोगों ने अपनी पुरानी परपंरा को समाप्त कर दिया था।

प्रश्न 6.
तताँरा और वामीरो की मृत्यु किस प्रकार की थी? इसके बाद क्या परिवर्तन हुआ?
उत्तर :
तताँरा और वामीरो की मुत्यु त्यागमयी थी, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए सुंदर सपने छोड़कर जाने वाली मृत्यु थी, वह समाज तथा लोगों को उनका घृणित रूप दिखाने वाली मृत्यु थी। उनकी इस त्यागमयी मृत्यु के बाद एक सुखद परिवर्तन यह आया कि निकोबार के लोग अब दूसरे गाँवों में भी वैवाहिक संबंध बनाने लगे थे। उनकी तंग मानसिकता में सुधार आने लगा था।

लघु उत्तरीय प्रश्न –

प्रश्न 1.
तताँरा समुद्र के किनारे क्या देखकर अपनी सुध-बुध खो बैठा?
उत्तर :
तताँरा जब समुद्र के किनारे टहल रहा था, तो उसने एक मधुर गीत सुना। वह उस दिशा में चल पड़ा, जहाँ से गीत का स्वर आ रहा था। वहाँ उसने वामीरो को देखा, जो अत्यंत सुंदर थी। उसके अनुपम सौंदर्य को देखकर तताँरा अपनी सुध-बुध खो बैठा। वह वामीरो के रूप सौंदर्य के जादू में डूब गया।

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प्रश्न 2.
तताँरा को गाँव की किस परंपरा पर क्षोभ हो रहा था?
उत्तर :
तताँरा वामीरो से प्रेम करता था और वामीरो भी उससे विवाह करना चाहती थी। गाँव की यह परंपरा थी कि लड़का और लड़की को एक ही गाँव का होना चाहिए, तभी विवाह संभव था। तताँरा पासा गाँव का रहने वाला था और वामीरो लपाती गाँव की थी। इस कारण से उन दोनों का विवाह संभव नहीं था। तताँरा को विवाह की इसी निषेध परंपरा पर क्षोभ था।

प्रश्न 3.
वामीरो की माँ को क्या अपमानजनक लगा और उसने क्या किया?
उत्तर :
वामीरो और उसकी माँ पासा गाँव में आयोजित ‘पशु-पर्व’ में आईं। वामीरो ने जैसे ही तताँरा को देखा, तो वह रोने लगी। तताँरा किंकर्तव्यविमूढ़ वहाँ खड़ा रहा। वामीरो की माँ ने जब वामीरो का रुदन स्वर सुना, तो वह वहाँ पहुँची और आग-बबूला हो उठी। गाँववालों की उपस्थिति में वामीरो को तताँरा के साथ खड़े देखना उसे अपमानजनक लगा। उसने तताँरा को तरह-तरह से अपमानित किया।

प्रश्न 5.
लीलाधर मंडलोई की भाषा-शैली का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर :
लीलाधर मंडलोई मूल रूप से एक कवि हैं। इनकी भाषा-शैली अत्यंत सहज, सरल तथा सरस है। इनकी भाषा में लयात्मकता, प्रवाहात्मकता और रोचकता विद्यमान रहती है। ‘तताँरा-वामीरो कथा’ में उन्होंने तत्सम, तद्भव, देशज आदि शब्दों का सुंदर मिश्रण किया है। इन्होंने पाठ में उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का भी खूब प्रयोग किया है।

तताँरा-वामीरो कथा Summary in Hindi

लेखक-परिचय :

जीवन-श्री लीलाधर मंडलोई का जन्म सन 1954 में छिंदवाड़ा जिले के एक छोटे-से गाँव । गुढ़ी में हुआ था। इनका जन्म जन्माष्टमी के दिन हुआ। इनकी शिक्षा-दीक्षा भोपाल और रायपुर में हुई थी। सन 1987 में कॉमनवेल्थ रिलेशंस ट्रस्ट, लंदन ने इन्हें प्रसारण की उच्च शिक्षा के लिए वहाँ आमंत्रित किया। प्रसारण के क्षेत्र में इनका विशेष योगदान रहा है। वर्तमान में ये प्रसार भारती दूरदर्शन के महानिदेशक का कार्यभार सँभाल रहे हैं। इन्हें इनकी रचनाओं के लिए कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है।

रचनाएँ – लीलाधर मंडलोई वास्तव में कवि हैं। इनकी कविताएँ छत्तीसगढ़ अंचल से संबंधित हैं। इनकी कविताओं में वहाँ की बोली की मिठास के साथ-साथ वहाँ के जन-जीवन का सजीव चित्रण है। इनका कवि मन इन्हें सदैव लोककथा, लोकगीत, यात्रा-वृत्तांत, डायरी और रिपोर्ताज जैसे भिन्न-भिन्न विधाओं के लेखन की ओर प्रवृत्त करता रहा है। अंदमान-निकोबार द्वीप समूह की जनजातियों पर लिखा इनका गद्य अपने आप में एक समाजशास्त्रीय अध्ययन भी है। इनकी प्रमुख रचनाएं निम्नलिखित हैं-घर-घर घूमा, रात-बिरात, मगर एक आवाज़, देखा-अनदेखा और काला पानी।

भाषा-शैली – मंडलोई जी की भाषा-शैली अत्यंत सरल और सहज है। भाषा में प्रवाहात्मकता, लयात्मकता और रोचकता सदैव विद्यमान रहती है। प्रस्तुत पाठ ‘तताँरा-वामीरो कथा’ में उन्होंने तत्सम, तद्भव, देशज आदि शब्दों का सुंदर मिश्रण किया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने उर्दू-फ़ारसी के शब्दों का भी सुंदर प्रयोग किया है। मुहावरों के प्रयोग से इनकी भाषा अधिक प्रभावशाली हो गई है। इन्होंने अनेक मुहावरों जैसे-सुध-बुध खोना, बाट जोहना, खुशी का ठिकाना न रहना, आग बबूला होना, आवाज़ उठाना आदि का अच्छा प्रयोग किया है। मंडलोई जी की शैली वर्णनात्मक है। कहीं-कहीं उन्होंने संवादात्मक शैली का प्रयोग किया है, जिसमें नाटकीयता का पुट विद्यमान है।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

पाठ का सार –

प्रस्तुत पाठ ‘तताँरा-वामीरो कथा’ अंदमान-निकोबार द्वीप समूह के एक छोटे से द्वीप की लोककथा पर आधारित है। यह ‘तताँरा’ नामक युवक और ‘वामीरो’ नामक युवती की प्रेमकथा है। तताँरा और वामीरो को आज भी इस द्वीप के निवासी गर्व और श्रद्धा से याद करते हैं। प्राचीनकाल में लिटिल अंडमान और कार-निकोबार द्वीप समूह आपस में जुड़े हुए थे। वहाँ पासा नामक गाँव में तताँरा नाम का एक सुंदर और शक्तिशाली युवक रहता था। वह बहुत ही नेक और मददगार था। सबकी सहायता करना वह अपना कर्तव्य समझता था।

सभी उसे बहुत पसंद करते थे। उसके आत्मीय स्वभाव के कारण आस-पास के गाँववाले भी उसे पर्व-त्योहारों पर विशेष रूप से आमंत्रित करते थे। तताँरा का व्यक्तित्व अत्यंत आकर्षक था। वह अपनी पारंपरिक पोशाक के साथ अपनी कमर में सदैव एक लकड़ी की तलवार बाँधे रखता था। लोगों का विचार था कि उसकी लकड़ी की तलवार में दैवीय शक्ति थी। एक दिन तताँरा सूर्यास्त के समय समुद्र के किनारे विचारमग्न बैठा था। तभी उसे पास ही मधुर गीत गूंजता सुनाई दिया। वह उस गीत के मधुर स्वरों में डूब गया। जैसे ही उसकी तंद्रा टूटी, वह उस गीत को गाने वाले को देखने के लिए व्याकुल हो उठा।

अंतत: उसकी नज़र एक युवती पर पड़ी, जो उस शृंगार गीत को गा रही थी। तताँरा उस युवती के अप्रतिम सौंदर्य को देखकर उसमें डूब गया। वह अपनी सुध-बुध खो बैठा और बार-बार उसे उस गीत को पूरा करने का आग्रह करने लगा। युवती ने उससे उसका परिचय पूछा, किंतु तताँरा विचलित होने के कारण कुछ नहीं बता पाया। तताँरा ने उस युवती का नाम पूछा, तो उसने अपना नाम वामीरो बताया और कहा कि वह लपाती गाँव में रहती है। यह कहकर वह चली गई। तताँरा उसे आवाजें लगाकर अपने बारे में बताता रहा और अगले दिन पुनः उसी चट्टान पर आने का आग्रह करता रहा। वामीरो नहीं रुकी और तताँरा उसे जाते हुए निहारता रहा। वामीरो जब घर पहुंची, तो वह भी तताँरा को बार-बार याद करने लगी। उसने अपने लिए जैसे जीवन साथी की कल्पना की थी, तताँरा वैसा ही था।

साथ ही वह यह भी जानती थी कि दूसरे गाँव के युवक के साथ वैवाहिक संबंध होना गाँव की परंपरा के विरुद्ध था। अत: उसने तताँरा को भुलाना ही उचित समझा, किंतु तताँरा की छवि बार-बार उसकी आँखों के आगे नाचती रही। उधर तताँरा सायंकाल होते ही समुद्री चट्टान पर खडा वामीरो की प्रतीक्षा करने लगा। ऐसी बेचैनी उसने अपने शांत और गंभीर जीवन में पहले कभी अनुभव नहीं की थी। उसे वामीरो के आने की आशा बहुत कम थी। बार-बार वह लपाती गाँव से आने वाले रास्ते की ओर देखता। तभी अचानक नारियल के झुरमुटों में उसे वामीरो दिखाई दी।

उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। वे दोनों देर तक एक-दूसरे को निहारते शब्दहीन खड़े रहे। सूर्यास्त हो चुका था और अँधेरा बढ़ने लगा। तभी वामीरो सचेत हुई और अपने घर की तरफ़ दौड़ी। तताँरा चुपचाप वहीं खड़ा रहा। तताँरा और वामीरो प्रतिदिन इसी प्रकार मिलते। धीरे-धीरे उनका यह मूक प्रेम लपाती गाँव के कुछ युवकों को पता चल गया और उन्होंने गाँव के सभी लोगों को बता दिया। तताँरा और वामीरो को बहुत समझाने का प्रयास किया गया, क्योंकि अलग-अलग गाँव के होने के कारण उनका विवाह संभव नहीं था; किंतु वे नहीं माने। कुछ समय बाद तताँरा के पासा गाँव में ‘पशु-पर्व’ का आयोजन हुआ।

वर्ष में एक बार होने वाले इस आयोजन में सभी गांवों के लोग पासा में एकत्रित हुए। तताँरा की आँखें तो केवल वामीरो को ढूँढ रही थीं। तभी उसे वामीरो दिखाई दी। वामीरो तताँरा को देखते ही फूट-फूटकर रोने लगी। वामीरो की माँ को अनेक लोगों की उपस्थिति में तताँरा के पास खड़ी वामीरो का रोना : अपमानजनक लगा। वह क्रोधित हो उठी और उसने तताँरा को अनेक तरह से अपमानित किया। गाँव के लोग भी तताँरा के विरुद्ध आवाजें उठाने लगे। तताँरा के लिए यह सब असहनीय हो गया।

उसे गाँव की परंपरा पर क्रोध आ रहा था और अपनी असहायता पर खीझ होने लगी। उधर वामीरो लगातार रोये जा रही थी। तताँरा का क्रोध लगातार बढ़ता गया। उसका हाथ अपनी तलवार पर गया और उसने तलवार निकाल ली। अपने क्रोध को शांत करने के लिए उसने तलवार को धरती में घोंप दिया और पूरी ताकत से अपनी तरफ़ खींचते-खींचते दूर तक पहुँच गया। चारों ओर सन्नाटा छा गया। लोगों ने देखा कि तलवार की जहाँ-जहाँ लकीर खिंची थी, वहाँ से धरती फटने लगी। तताँरा क्रोध में द्वीप आरंभ हो गया था। उसने छलाँग लगाकर दूसरा सिरा थामना चाहा, किंतु ऐसा न कर पाया और वामीरो-वामीरो चिल्लाता हुआ समुद्र की सतह की ओर फिसल गया।

उधर वामीरो भी तताँरा-तताँरा पुकार रही थी। अंतत: तताँरा लहूलुहान होकर गिर पड़ा और पानी में बह गया। वामीरो उसके गम में पागल हो गई। उसने खाना-पीना छोड़ दिया और तताँरा को खोजती घंटों उस जगह पर बैठी रहती। कुछ समय पश्चात वामीरो भी अचानक कहीं चली गई। लोगों ने उसे ढूँढने का प्रयास किया, किंतु उसका कहीं पता नहीं चला। लेखक कहता है कि तताँरा और वामीरो की यह प्रेम-कथा अंडमान-निकोबार के प्रत्येक घर में सुनाई जाती है। निकोबारियों का विचार है कि तताँरा की तलवार से कार-निकोबार का जो दूसरा टुकड़ा हुआ, वह लिटिल अंडमान ही है। तताँरा और वामीरो की त्यागमयी मृत्यु के बाद एक सखद परिवर्तन यह हआ कि निकोबार के लोग दसरे गाँवों में भी वैवाहिक संबंध बनाने लगे थे।

JAC Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा

किठिन शब्दों के अर्थ :

लिटिल – छोटा, श्रृंखला – क्रम, आदिम – प्रारंभिक, विभक्त – बँटा हुआ, विभाजित, लोककथा – जन-समाज में प्रचलित कथा, मददगार – मदद करने वाला, तत्पर – तैयार, आत्मीय – अपना, चर्चित – प्रसिद्ध, आकर्षक – मोहक, साहसिक कारनामा – साहसपूर्ण कार्य, विलक्षण – असाधारण, क्षितिज – जहाँ धरती और आकाश मिलते दिखाई दें, अथक – बिना थके, बयार – शीतल-मंद वाय, शनै:-शनै: – धीरे-धीरे, प्रबल – तेज, तंद्रा – एकाग्रता, चैतन्य – चेतना, सजग, विकल – बेचैन, व्याकुल, निःशब्द – बिना बोले, संचार – उत्पन्न होना, असंगत – अनुचित, बाध्य – मजबूर, अप्रतिम – अतुलनीय, आकंठ – पूर्णरूप से,

सम्मोहित – ना – चिढ़ना, अन्यमनस्कता – जिसका चित्त कहीं और हो, बलिष्ठ – शक्तिशाली, निर्निमेष – जिसमें पलक न झपकी जाए/बिना पलक झपकाए, श्रेयस्कर – उचित, सही, मूक – मौन, रीति – परंपरा, अचंभित – चकित, किंकर्तव्यविमूढ़ – असमंजस, रोमांचित – पुलकित, निश्चल – स्थिर, भयाकुल – भय से बेचैन, अफ़वाह – उड़ती खबर, उफनना – उबलना, अचेत – बेहोश, निषेध परंपरा – वह परंपरा जिस पर रोक लगी हो, शमन – शांत करना, घोंपना – गाड़ना, फँसाना, दरार – रेखा की तरह का लंबा छिद्र जो फटने के कारण पड़ जाता है, सुराग – प्रमाण, सुखद परिवर्तन – सुख देने वाला बदलाव।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

Jharkhand Board JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान Textbook Exercise Questions and Answers.

JAC Board Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

बहु-विकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)

प्रश्न-दिए गए चार वैकल्पिक उत्तरों में से सही उत्तर चुनिए
1. हिमालय के किस भाग में करेवा मिलते हैं?
(A) उत्तर-पूर्व
(B) पूर्वी
(C), हिमाचल-उत्तराखण्ड
(D) कश्मीर हिमालय।
उत्तर:
(D) कश्मीर हिमालय।

2. लोकटक झील किस राज्य में स्थित है?
(A) केरल
(B) मनीपुर
(C) उत्तराखण्ड
(D) राजस्थान।
उत्तर:
(B) मनीपुर।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

3. अण्डमान द्वीप तथा निकोबार द्वीप को कौन-सी रेखा पृथक् करती है?
(A) 11° चैनल
(B) 10° चैनल
(C) खाड़ी मनार
(D) अण्डमान सागर।
उत्तर:
(B) 10° चैनल।

4. किन पहाड़ियों में दोदा बेटा शिखर है?
(A) नीलगिरि
(B) कार्दमम
(C) अनामलाई
(D) नलामलाई।
उत्तर:
(A) नीलगिरि।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)

प्रश्न 1. यदि एक व्यक्ति को लक्षद्वीप जाना हो, तो वह कौन-से तटीय मैदान से होकर जाएगा और क्यों?
उत्तर:
लक्षद्वीप समूह अरब सागर में स्थित है। वहां जाने के लिए मालाबार तटीय मैदान से होकर जाना पड़ता है। लक्षद्वीप केरल तट से केवल 280 कि० मी० दूर है। इसलिए मालाबार तट (केरल तट) इसके निकटतम है।

प्रश्न 2.
भारत में ठण्डा मरुस्थल कहां स्थित है? इस क्षेत्र की मुख्य श्रेणियों के नाम बताओ।
उत्तर:
जम्मू कश्मीर राज्य के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित लद्दाख एक ठण्डा मरुस्थल है, जहां वर्षा बहुत कम है तथा वर्षा हिमपात के रूप में है। यहां कराकोरम, महान् हिमालय-जॉस्कर व लद्दाख पर्वत श्रेणियां हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

प्रश्न 3.
पश्चिमी तटीय मैदान पर कोई डेल्टा क्यों नहीं है?
उत्तर:
पश्चिमी तटीय मैदान एक संकीर्ण पट्टी मात्र है। यहां नर्मदा व तापी प्रमुख नदियां हैं जो अरब सागर में गिरती हैं। इस प्रदेश की तीव्र ढलान है तथा नदियां सागर में गिरने से पहले तलछट बहा कर ले जाती हैं। इसलिए तलछट का निक्षेप नहीं होता। यहां डेल्टा के स्थान पर ज्वार नद मुख की रचना होती है।

प्रश्न 4.
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीप समूहों का तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत करें।
उत्तर:
अरब सागर के द्वीप समूह

अरब सागर के द्वीप समूहबंगाल की खाड़ी के द्वीप समूह
(1) यहां लक्षद्वीप तथा मिनिकाय द्वीप प्रमुख द्वीप समूह हैं।(1) यहां अण्डमान-निकोबार द्वीप प्रमुख द्वीप है।
(2) यहां कुल 36 द्वीप हैं।(2) यहां कुल 572 द्वीप हैं।
(3) यहां \(11^{\circ}\)  चैनल द्वीपों को दो भागों में बांटती है।(3) यहां \(10^{\circ}\)  चैनल द्वीपों को दो भागों में बांटती है।
(4) ये द्वीप प्रवाल निक्षेप से बने हैं।(4) ये द्वीप जलमग्न पर्वतों का भाग हैं।
(5) अमीनी द्वीप सबसे बड़ा द्वीप है।(5) बैरन द्वीप भारत का एकमात्र ज्वालामुखी द्वीप है।
(6) दक्षिण में कनानोरे द्वीप है।(6) दक्षिण में भारत का दक्षिणतम बिन्दु इन्दिरा पुआइंट

प्रश्न 5.
नदी घाटी मैदान में पाई जाने वाली महत्त्वपूर्ण स्थलावृत्तियां कौन-सी हैं?
उत्तर:
नदी घाटी मैदान में बालुरोधिका, विसर्प गोखर झीलें तथा गुंफित नदियां पाई जाती हैं।

JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान

प्रश्न 6.
यदि आप बद्रीनाथ से सुंदरवन डैल्टा तक गंगा नदी के साथ-साथ चलते हैं, तो आपके रास्ते में कौन-सी स्थलाकृतियां आएंगी?
उत्तर:
गंगा नदी का उद्गम बद्रीनाथ के निकट है तथा सुंदरवन में गंगा नदी खाड़ी बंगाल में गिरती है। इसके मार्ग में भाभर का मैदान, तराई का मैदान, बांगर तथा खादर प्रदेश, गंगा का ऊपरी मैदान, मध्यवर्ती मैदान तथा डैल्टा पाए जाते हैं।
JAC Class 11 Geography Solutions Chapter 2 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान 1

प्रश्न 7.
हिमालय पर्वत पर पश्चिम से पूर्व की ओर स्थित शिखर बताओ।
उत्तर:
पश्चिम से पूर्व की ओर प्रमुख हिमालय शिखर है

  1. नांगा पर्वत
  2. K,2
  3. कामेट
  4. नन्दा देवी
  5. धौलागिरी
  6. अन्नापूर्णा
  7. मकालू
  8. माऊंट एवरेस्ट
  9. कंचनजंगा
  10. नामचा बरवा।

 संरचना तथा भूआकृति विज्ञान  JAC Class 11 Geography Notes

→ भारत-विषमताओं का देश (Country of Contrasts): भारत विषमताओं का देश है। यहां धरातल तथा जल-प्रवाह में अनेक विषमताएं मिलती हैं।

→ धरातलीय विभाग (Physical Divisions): वृहद् स्तर पर भारत को तीन भागों में बाँटा जाता है

  • उत्तरी पर्वतीय प्रदेश
  • उत्तरी मैदान
  • प्रायद्वीपीय पठार।

→ भू-संरचना (Geology): वर्तमान भू-रचना एक लम्बे समय में विकसित हुई है। वर्तमान प्रायद्वीपीय पठार भारतीय टैक्टोनिक प्लेट पर स्थित है।

→ हिमालय पर्वत (Himalayan Mountains): यह युवा नवीन मोड़दार पर्वत हैं। आज से 270 मिलियन वर्ष पहले मैसोज़ोयिक युग में यहां टैथीज़ सागर स्थित था। इस सागर के निक्षेपों में मोड़ पड़ने से टरशरी युग में ,
हिमालय पर्वत बने। हिमालय पर्वत अब भी ऊंचे उठ रहे हैं।

→ उत्तरी भारतीय मैदान-यह मैदान हिमालय पर्वत के साथ-साथ एक अग्र गर्त में तलछट के निक्षेप से बना है। !

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

Jharkhand Board JAC Class 10 Hindi Solutions अपठित बोध अपठित गद्यांश Questions and Answers, Notes Pdf.

JAC Board Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

अपठित बोध के अंतर्गत विद्यार्थी को किसी को पढ़कर उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर देने होते हैं। इन प्रश्नों का उत्तर देने से पूर्व अपठित को अच्छी प्रकार से पढ़कर समझ लेना चाहिए। जिन प्रश्नों के उत्तर पूछे गए हैं वे उसी में ही छिपे रहते हैं। उन उत्तरों को अपने शब्दों में लिखना चाहिए। अपठित का शीर्षक भी पूछा जाता है। शीर्षक अपठित में व्यक्त भावों के अनुरूप होना चाहिए। शीर्षक कम-से-कम शब्दों में लिखना चाहिए। शीर्षक से अपठित का मूल-भाव भी स्पष्ट होना चाहिए।

निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर समझिए –

1. हम आम लोगों को कहते हुए सुनते हैं कि कोई व्यक्ति अच्छा है या बुरा इसकी पहचान उसकी संगति से होती है। यह स्वाभाविक ही है कि स्वभाव, आचार, व्यवहार की दृष्टि से जैसा व्यक्ति खुद होगा, वैसे ही लोगों से वह मिलना-जुलना पसन्द करेगा। कौए कौओं से ही मिलकर बैठते हैं। कुंजे कूजों से। केवल इतना ही नहीं, किसी का चरित्र बनाने या बिगाड़ने में भी संगति का बहुत बड़ा हाथ होता है।

अगर कोई शराबियों के साथ उठता-बैठता है तो उसे शराब की बुराई चिपट जाएगी। हम प्रतिदिन कहते और सुनते हैं कि खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है। इसलिए मनुष्य अपनी संगति के प्रभाव से कैसे बच सकता है। इस प्रकार साधु-संगति या सत्संग कहलाने का मान केवल उस संगत को होता है, जिसमें सन्त सतगुरु शामिल हों। यह महापुरुष दया और दयालुता के स्रोत होते हैं और वे अपनी शिक्षा, दयालुता और दया भाव से अनेक जीवों को कृतार्थ करते हैं।

जहाँ ऐसे उपकारी पुरुष वास करते हैं उस स्थान की संगति परोपकार की भावना से भर जाती है। ऐसी साधु-संगति से मन का मैल दूर हो जाता है। सारी सृष्टि के जीवों में ईश्वर का ही नूर दिखाई देता है। विश्व-बन्धुत्व की भावना बढ़ जाती है। अतः परमानन्द प्राप्त करने के लिए अच्छे पुरुषों की संगति ही एक मात्र उपाय या साधन है। अतः सत्संग को अपनाना ही सही कदम है।

प्रश्न :
1. उपरोक्त अवतरण का उचित शीर्षक दीजिए।
2. अच्छे या बुरे व्यक्ति की पहचान कैसे होती है?
3. चरित्र निर्माण में कैसी संगति बाधक है?
4. मनुष्य के आचार व्यवहार पर अधिक प्रभाव किसका होता है ?
5. सत्संगति कहलाने का मान किस संगति को प्राप्त है?
उत्तर :
1. सत्संगति।
2. अच्छे या बुरे व्यक्ति की पहचान उसकी संगति से होती है क्योंकि व्यक्ति स्वयं जैसा होता है, वह वैसे ही लोगों से मिलना-जुलना पसंद करता है।
3. चरित्र-निर्माण में बुरी संगति बाधक है। यदि हम शराबियों, जुआरियों की संगति में रहेंगे तो हम भी उन जैसे बुरे बनेंगे।
4. मनुष्य के आचार-व्यवहार पर अधिक प्रभाव उसकी संगति का होता है क्योंकि जैसी संगति हो वैसी यति भी हो जाती है।
5. सत्संगति कहलाने का मान उस संगति को प्राप्त है, जिसमें संत, सतगुरु शामिल होते हैं। वे हमें सद्मार्ग पर चलाते हैं।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

2. दुख के वर्ग में जो स्थान भय का है, वही स्थान आनंद-वर्ग में उत्साह का है। भय में हम प्रस्तुत कठिन स्थिति के नियम से विशेष रूप से दुखी और कभी-कभी उस स्थिति से अपने को दूर रखने के लिए प्रयत्नवान भी होते हैं। उत्साह में हम आने वाली कठिन स्थिति के भीतर साहस के अवसर के निश्चय द्वारा प्रस्तुत कर्म-सुख की उमंग से अवश्य प्रयत्नवान होते हैं। उत्साह से कष्ट या हानि सहने की दृढ़ता के साथ-साथ कर्म में प्रवृत्ति होने के आनंद का योग रहता है। साहसपूर्ण आनंद की उमंग का नाम उत्साह है। कर्म-सौंदर्य के उपासक ही सच्चे उत्साही कहलाते हैं।

जिन कर्मों में किसी प्रकार कष्ट या हानि सहने का साहस अपेक्षित होता है उन सबके प्रति उत्कंठापूर्ण आनंद उत्साह के अंतर्गत लिया जाता है। कष्ट या हानि के भेद के अनुसार उत्साह के भी भेद हो जाते हैं। साहित्य-मीमांसकों ने इसी दृष्टि से युद्ध-वीर, दान-वीर, दया-वीर इत्यादि भेद किए हैं। इनमें सबसे प्राचीन और प्रधान युद्धवीरता है, जिसमें आघात, पीड़ा क्या मृत्यु तक की परवाह नहीं रहती। इस प्रकार की वीरता का प्रयोजन अत्यंत प्राचीनकाल से पड़ता चला आ रहा है, जिसमें साहस और प्रयत्न दोनों चरम उत्कर्ष पर पहुँचते हैं। केवल कष्ट या पीड़ा सहन करने के साहस में ही उत्साह का स्वरूप स्फुरित नहीं होता।

उसके साथ आनंदपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कंठा का योग चाहिए। बिना बेहोश हुए भारी फोड़ा चिराने को तैयार होना साहस कहा जाएगा, पर उत्साह नहीं। इसी प्रकार चुपचाप, बिना हाथ-पैर हिलाए, घोर प्रहार सहने के लिए तैयार रहना साहस और कठिन-से-कठिन प्रहार सह कर भी जगह से न हटना वीरता कही जाएगी। ऐसे साहस और वीरता को उत्साह के अंतर्गत तभी ले सकते हैं जबकि साहसी या वीर उस काम को आनंद के साथ करता चला जाएगा जिसके कारण उसे इतने प्रहार सहने पड़ते हैं। सारांश यह है कि आनंदपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कंठा में ही उत्साह का दर्शन होता है, केवल कष्ट सहने के निश्चेष्ट साहस में नहीं। वृत्ति और साहस दोनों का उत्साह के बीच संचरण होता है।

प्रश्न :
1. अवतरण को उचित शीर्षक दीजिए।
2. उत्साह का स्थान क्या है?
3. उत्साह में किसका योग रहता है ?
4. उत्साह के भेदों में सबसे प्राचीन किसे माना जाता है?
5. उत्साह के दर्शन कहाँ होते हैं?
उत्तर :
1. उत्साह।
2. दुख के वर्ग में जो स्थान भय का है वही स्थान आनंद के वर्ग में उत्साह का है।
3. उत्साह में कष्ट या नुकसान सहने की दृढ़ता के साथ कर्म में प्रवृत्ति होने के आनंद का योग रहता है। कर्म सौंदर्य में उत्साह का योग बना
रहता है।
4. उत्साह के भेदों दानवीर, दयावीर, युद्धवीर आदि में सबसे प्राचीन युद्धवीर माना जाता है, जिसमें व्यक्ति मृत्यु-प्राप्ति से भी नहीं डरता। इसमें साहस और प्रयत्न पराकाष्ठा पर होते हैं।
5. उत्साह के दर्शन आनंदपूर्ण प्रयत्न या उसकी उत्कंठा में होते हैं, केवल कष्ट सहने के निश्चेष्ट साहस में नहीं।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

3. सफलता चाहने वाले मनुष्य का प्रथम कर्तव्य यह देखना है कि उसकी रुचि किन कार्यों की ओर अधिक है। यह बात गलत है कि हर कोई मनुष्य हर एक काम कर सकता है। लॉर्ड वेस्टरफ़ील्ड स्वाभाविक प्रवृत्तियों के काम को अनावश्यक समझते थे और केवल परिश्रम को ही सफलता का आधार मानते थे। इसी सिद्धांत के अनुसार उन्होंने अपने बेटे स्टेनहाप को, जो सुस्त, ढीला-ढाला, असावधान था, सत्पुरुष बनाने का प्रयास किया। वर्षों परिश्रम करने के बाद भी लड़का ज्यों-का-त्यों रहा और जीवन-भर योग्य न बन सका।

स्वाभाविक प्रवृत्तियों को जानना कठिन भी नहीं है, बचपन के कामों को देखकर बताया जा सकता है कि बच्चा किस प्रकार का मनुष्य होगा। प्रायः यह संभावना प्रबल होती है कि छोटी आयु में कविता करने वाला कवि, सेना बनाकर चलने वाला सेनापति, भुट्टे चुराने वाला चोर-डाकू, पुरजे कसने वाला मैकेनिक और विज्ञान में रुचि रखने वाला वैज्ञानिक बनेगा। जब यह विदित हो जाए कि लड़के की रुचि किस काम की ओर है तब यह करना चाहिए कि उसे उसी विषय में ऊँची शिक्षा दिलाई जाए।

ऊँची शिक्षा प्राप्त करके मनुष्य अपने काम-धंधे में कम परिश्रम से अधिक सफल हो सकता है, जिनके काम-धंधे का पूर्ण प्रतिबिंब बचपन में नहीं दिखता वे अपवाद ही हैं। प्रत्येक मनुष्य में एक विशेष कार्य को अच्छी प्रकार करने की शक्ति होती है। वह बड़ी दृढ़ और उत्कृष्ट होती है। वह देर तक नहीं छिपती। उसी के अनुकूल व्यवसाय चुनने से ही सफलता मिलती है। जीवन में यदि आपने सही कार्यक्षेत्र चुन लिया तो समझ लीजिए कि बहुत बड़ा काम कर लिया।

प्रश्न :
1. लॉर्ड वेस्टरफ़ील्ड का क्या सिद्धांत था? समझाइए।
2. इसे उसने सर्वप्रथम किस पर आज़माया? और क्या परिणाम रहा?
3. बालक आगे चलकर कैसा मनुष्य बनेगा, इसका अनुमान कैसे लगाया जा सकता है?
4. सही कार्यक्षेत्र चुनने के क्या लाभ हैं?
5. उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
1. लॉर्ड वेस्टरफ़ील्ड का सिद्धांत स्वाभाविक प्रवृत्तियों के काम को अनावश्यक तथा केवल परिश्रम को ही सफलता का आधार मानना था।
2. इसे उन्होंने सर्वप्रथम अपने पुत्र स्टेनहाप पर आजमाया था। इसका परिणाम यह रहा कि वर्षों परिश्रम करने के बाद भी उनके बेटे में कोई सुधार नहीं हुआ।
3. बालक के भविष्य में क्या बनने का अनुमान उसके बचपन के कामों में किसी कार्य विशेष के प्रति रुचि देखकर लगाया जा सकता है, जैसे विज्ञान में रुचि रखने वाला बालक बड़ा होकर वैज्ञानिक बन सकता है।
4. सही कार्यक्षेत्र चुनने से जीवन में सफलता मिलती है तथा वह निरंतर उन्नति करता है।
5. सफलता का रहस्य।

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4. जातियाँ इस देश में अनेक आई हैं। लड़ती-झगड़ती भी रही हैं, फिर प्रेमपूर्वक बस भी गई हैं। सभ्यता की नाना सीढ़ियों पर खड़ी और नाना ओर मुख करके चलने वाली इन जातियों के लिए एक सामान्य धर्म खोज निकालना कोई सहज बात नहीं थी। भारतवर्ष के ऋषियों ने अनेक प्रकार से अनेक ओर से इस समस्या को सुलझाने की कोशिश की थी। पर एक बात उन्होंने लक्ष्य की थी। समस्त वर्णों और समस्त जातियों का एक सामान्य आदर्श भी है। वह है अपने ही बंधनों से अपने को बाँधना। मनुष्य पशु से किस बात में भिन्न है ? आहार-निद्रा आदि पशु सुलभ स्वभाव उसके ठीक वैसे ही हैं, जैसे अन्य प्राणियों के, लेकिन वह फिर भी पशु से भिन्न है।

उसमें संयम है, दूसरे के सुख-दुख के प्रति संवेदना है, श्रद्धा है, तप है, त्याग है। यह मनुष्य के स्वयं के उद्भावित बंधन हैं। इसीलिए मनुष्य झगड़े-टंटे को अपना आदर्श नहीं मानता, गुस्से में आकर चढ़ दौड़ने वाले अविवेकी को बुरा समझता है और वचन, मन और शरीर से किए गए असत्याचरण को गलत आचरण मानता है। यह किसी खास जाति या वर्ण या समुदाय का धर्म नहीं है। वह मनुष्य-मात्र का धर्म है।

महाभारत में इसीलिए निर्वर भाव, सत्य और अक्रोध को सब वर्गों का सामान्य धर्म कहा है। अन्यत्र इसमें निरंतर दानशीलता को भी गिनाया गया है। गौतम ने ठीक ही कहा था कि मनुष्य की मनुष्यता यही है कि यह सबके दुख-सुख को सहानुभूति के साथ देखता है। यह आत्म-निर्मित बंधन ही मनुष्य को मनुष्य बनाता है। अहिंसा, सत्य और अक्रोधमूलक धर्म का मूल उत्स यही है। मुझे आश्चर्य होता है कि अनजाने में भी हमारी भाषा से यह भाव कैसे रह गया है। लेकिन मुझे नाखून के बढ़ने पर आश्चर्य हुआ था, अज्ञान सर्वत्र आदमी को पछाड़ता है। और आदमी है कि सदा उससे लोहा लेने को कमर कसे है।

प्रश्न :
1. ‘अनजाने’ में उपसर्ग बताइए।
2. ऋषियों ने क्या किया था?
3. मनुष्य में पशु से भिन्न क्या है?
4. मनुष्य किसे गलत आचरण मानता है?
5. मनुष्य की मनुष्यता क्या है?
उत्तर :
1. अन + जाने = ‘अन’ उपसर्ग।
2. प्राचीनकाल में ऋषियों ने समस्याओं को सुलझाने की अनेक प्रकार से कोशिश की थी और सभी के लिए आदर्श स्थापित किया था।
3. मनुष्य में पशुओं से संयम, सुख-दुख के प्रति संवेदना, श्रद्धा, तप और त्याग की भावनाएँ भिन्न हैं। यही उन्हें पशुओं से श्रेष्ठ बनाती हैं।
4. मनुष्य मन, वचन और कर्म के द्वारा किए गए असत्याचरण को गलत मानता है।
5. मनुष्य की मनुष्यता यही है कि वह सबके सुख-दुख को सहानुभूति से देखता है। अहिंसा, सत्य और अक्रोध मूलकता ही उसके आधार हैं।

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5. हमारा हिमालय से कन्याकुमारी तक फैला हुआ देश, आकार और आत्मा दोनों दृष्टियों से महान और सुंदर है। उसका बाह्य सौंदर्य विविधता की सामंजस्यपूर्ण स्थिति है और आत्मा का सौंदर्य विविधता में छिपी हुई एकता की अनुभूति है। चाहे कभी न गलने वाला हिम का प्राचीर हो, चाहे कभी न जमने वाला अतल समुद्र हो, चाहे किरणों की रेखाओं से खचित हरीतिमा हो, चाहे एकरस शून्यता ओढ़े हुए मरु हो, चाहे साँवले भरे मेघ हों, चाहे लपटों में साँस लेता हुआ बवंडर हो, सब अपनी भिन्नता में भी एक ही देवता के विग्रह को पूर्णता देते हैं।

जैसे मूर्ति के एक अंग का टूट जाना संपूर्ण देव-विग्रह खंडित कर देता है, वैसे ही हमारे देश की अखंडता के लिए विविधता की स्थिति है। यदि इस भौगोलिक विविधता में व्याप्त सांस्कृतिक एकता न होती, तो यह विविध नदी, पर्वत, वनों का संग्रह-मात्र रह जाता। परंतु इस महादेश की प्रतिभा ने इसकी अंतरात्मा को एक रसमयता में प्लावित करके इसे विशिष्ट व्यक्तित्व प्रदान किया है, जिससे यह आसमुद्र एक नाम की परिधि में बँध जाता है। हर देश अपनी सीमा में विकास पाने वाले जीवन के साथ एक भौतिक इकाई है, जिससे वह समस्त विश्व की भौतिक और भौगोलिक इकाई से जुड़ा हुआ है।

विकास की दृष्टि से उसकी दूसरी स्थिति आत्मरक्षात्मक तथा व्यवस्थापक राजनीतिक सत्ता में है। तीसरी सबसे गहरी तथा व्यापक स्थिति उसकी सांस्कृतिक गतिशीलता में है, जिससे वह अपने विशेष व्यक्तित्व की रक्षा और विकास करता हुआ विश्व-जीवन के विकास में योग देता है। यह सभी बाह्य और स्थूल तथा आंतरिक और सूक्ष्म स्थितियाँ एक दूसरे पर प्रभाव डालतीं और एक-दूसरी से संयमित होती चलती हैं। एक विशेष भूखंड में रहने वाले मानव का प्रथम परिचय, संपर्क और संघर्ष अपने वातावरण से ही होता है और उससे प्राप्त जय, पराजय, समन्वय आदि से उसका कर्म-जगत ही संचालित नहीं होता, प्रत्युत अंतर्जगत और मानसिक संस्कार भी प्रभावित होते हैं।

प्रश्न :
1. अवतरण को उचित शीर्षक दीजिए।
2. हमारे देश की सुंदरता किसमें निहित है?
3. कौन एक ही देवता के विग्रह को पूर्णता प्रदान करते हैं ?
4. हमारे देश की अखंडता के लिए विविधता की स्थिति कैसी है?
5. विकास की दृष्टि से किसी देश की स्थिति किसमें है?
उत्तर :
1. देश की सांस्कृतिक एकता।
2. हमारे देश की बाह्य सुंदरता विविधता के सामंजस्य और आत्मा की सुंदरता विविधता में छिपी एकता में निहित है।
3. ऊँचे-ऊँचे बर्फ से ढके पर्वत, अतल गहराई वाले सागर, रेगिस्तान, घने-काले बादल, बवंडर आदि देवता के विग्रह को पूर्णता प्रदान करते हैं।
4. हमारे देश की अखंडता के लिए विविधता की स्थिति वैसी ही है जैसे किसी मूर्ति की पूर्णता। मूर्ति का एक अंग भी टूट जाना देव मूर्ति को जैसे खंडित कर देता है वैसे ही हमारे देश की अखंडता है।
5. विकास की दृष्टि से किसी देश की स्थिति आत्मरक्षात्मक और व्यवस्थापरक राजनीतिक सत्ता में है। वह उसकी सांस्कृतिक गतिशीलता में है।

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6. हमारे देश ने आलोक और अंधकार के अनेक युग पार किए हैं, परंतु अपने सांस्कृतिक उत्तराधिकार के प्रति वह अत्यंत सावधान रहा है। उसमें अनेक विचारधाराएँ समाहित हो गईं, अनेक मान्यताओं ने स्थान पाया, पर उसका व्यक्तित्व सार्वभौम होकर भी उसी का रहा। उसके अंतर्गत आलोक ने उसकी वाणी के हर स्वर को उसी प्रकार उद्भासित कर दिया, जैसे आलोक हर तरंग पर प्रतिबिंबित होकर उसे आलोक की रेखा बना देता है। एक ही उत्स से जल पाने वाली नदियों के समान भारतीय भाषाओं के बाह्य और आंतरिक रूपों में उत्सगत विशेषताओं का सीमित हो जाना ही स्वाभाविक था। कूप अपने अस्तित्व में भिन्न हो सकते हैं, परंतु धरती के तल का जल तो एक ही रहेगा। इसी से हमारे चिंतन और भावजगत में ऐसा कुछ नहीं है, जिसमें सब प्रदेशों के हृदय और बुद्धि का योगदान और समान अधिकार नहीं है।

आज हम एक स्वतंत्र राष्ट्र की स्थिति पा चुके हैं, राष्ट्र की अनिवार्य विशेषताओं में दो हमारे पास हैं- भौगोलिक अखंडता और सांस्कृतिक एकता परंतु अब तक हम उस वाणी को प्राप्त नहीं कर सके हैं जिसमें एक स्वतंत्र राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों के निकट अपना परिचय देता है जहाँ तक बहुभाषा भाषी होने का प्रश्न है, ऐसे देशों की संख्या कम नहीं है, जिनके भिन्न भागों में भिन्न भाषाओं की स्थिति है। पर उनकी अविच्छिन्न स्वतंत्रता की परंपरा ने उन्हें सम-विषम स्वरों से एक राग रच लेने की क्षमता दे दी है।

हमारे देश की कथा कुछ दूसरी है। हमारी परतंत्रता आँधी-तूफान के समान नहीं आई, जिसका आकस्मिक संपर्क तीव्र अनुभूति से अस्तित्व को कंपित कर देता है। वह तो रोग के कीटाणु लाने वाले मंद समीर के समान साँस में समाकर शरीर में व्याप्त हो गई है। हमने अपने संपूर्ण अस्तित्व से उसके भार को दुर्वह नहीं अनुभव किया और हमें यह ऐतिहासिक सत्य भी विस्मृत हो गया कि कोई भी विजेता विजित कर राजनीतिक प्रभुत्व पाकर ही संतुष्ट नहीं होता, क्योंकि सांस्कृतिक प्रभुत्व के बिना राजनीतिक विजय न पूर्ण है, न स्थायी। घटनाएँ संस्कारों में चिर जीवन पाती हैं और संस्कार के अक्षय वाहक, शिक्षा, साहित्य कला आदि हैं।

प्रश्न :
1. ‘आलोक’ का एक पर्यायवाची शब्द लिखें।
2. हमारा देश प्रमुख रूप से किसके प्रति सावधान रहा है?
3. राष्ट्र की कौन-सी दो अनिवार्य विशेषताएँ हमारे पास हैं ?
4. अब तक हम भारतवासी किसे प्राप्त नहीं कर पाए हैं ?
5. हमारे देश में परतंत्रता किस प्रकार आई थी?
उत्तर :
1. प्रकाश।
2. हमारे देश ने अनेक संकटों को झेला है। उसे अनेक विचारधाराएँ और मान्यताएँ मिली हैं पर फिर भी वह सदा अपने सांस्कृतिक उत्तराधिकार की रक्षा के प्रति सावधान रहता है।
3. हमारे पास भौगोलिक अखंडता और सांस्कृतिक एकता है।
4. अब तक हम भारतवासी उस एक भाषा को प्राप्त नहीं कर पाए हैं जिसके द्वारा एक स्वतंत्र राष्ट्र दूसरे राष्ट्रों को अपना परिचय दे पाता है।
5. हमारे देश में परतंत्रता आँधी-तूफ़ान की तरह एकदम से नहीं आई थी बल्कि उसने धीरे-धीरे हमारे अस्तित्व को अपने बस में कर लिया था।

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7. मैं घहरते हुए सावन-भादों में भी वहाँ गया हूँ और मैंने इस प्रपात के उद्दम यौवन के उस महावेग को भी देखा है जो सौ-डेढ़-सौ फीट की धरती के चटकीले धानी आँचर में उफनाते सावन को कस लेने के लिए व्याकुल हो जाता है और मैंने देखा है कि जब अंबर के महलों में घनालिंगन करने वाली सौदामिनी धरती के इस सौभाग्य की ईर्ष्या में तड़प उठती है, तब उस तड़पन की कौंध में इस प्रपात का उमड़ाव फूलकर दुगुना हो जाता है।

शरद की शुभ्र ज्योत्सना में जब यामिनी पुलकित हो गई है और जब इस प्रपात के यौवन का मद खुमार पर आ गया है और उस खुमारी में इसका सौंदर्य मुग्धा के वदनमंडल की भाँति और अधिक मोहक बन गया है, तब भी मैंने इसे देखा है और तभी जाकर मैंने शरदिंदु को इस प्रपात की शांत तरल स्फटिक-धारा पर बिछलते हुए देखा है। पहली बार जब मैं गया था तो वहाँ ठहरने के लिए कोई स्थान बना नहीं था और इसलिए खड़ी दुपहरी में चट्टानों की ओट में ही छाँह मिल सकी थी।

ये भूरी-भूरी चट्टानें पानी के आघात से घिस-घिसकर काफ़ी समतल बन गई हैं और इनका ढाल बिलकुल खड़ा है। इन चट्टानों के कगारों पर बैठकर लगभग सात-आठ हाथ दूर प्रपात के सीकरों का छिड़काव रोम-रोम से पीया जा सकता है। इन शिलाओं से ही कुंड में छलाँग मारने वाले धवल जल-बादल पेंग मारते से दिखाई देते हैं और उनके मंद गर्जन का स्वर भी जाने किस मलार के राग में चढ़ता-उतरता रहता है कि मन उसमें खो-सा जाता है।

एक शिला की शीतल छाया में कगार के नीचे पैर डाले मैं बड़ी देर तक बैठे-बैठे सोचता रहा कि मृत्यु के गहन कूप की जगत पर पैर लटकाए भले ही कोई बैठा हो, किंतु यदि उसे किसी ऐसे सौंदर्य के उद्रेक का दर्शन मिलता रहे तो वह मृत्यु की भयावह गहराई भूल जाएगा। मृत्यु स्वयं ऐसे उन्मादी सौंदर्य के आगे हार मान लेती है, नहीं तो समय की कसौटी पर यौवन का गान अमिट स्वर्ण-रेखा नहीं खींच सकता था।

प्रश्न :
1. अवतरण के लिए उचित शीर्षक दीजिए।
2. जल-प्रपात का फैलाव वर्षा ऋतु में कैसा हो जाता है?
3. शरद की चाँदनी में जल-प्रपात लेखक को कैसा प्रतीत हुआ था?
4. जब लेखक पहली बार वहाँ गया था तो कहाँ रुका था?
5. लेखक की दृष्टि में मृत्यु किसके आगे हार मान लेती है?
उत्तर :
1. जल-प्रपात का सौंदर्य।
2. जल-प्रपात का फैलाव वर्षा ऋतु में बढ़कर दुगुना हो जाता है और वह उफ़नाते सावन को कस लेने के लिए व्याकुल-सा हो उठता है।
3. लेखक को शरद की चाँदनी में जल-प्रपात ऐसा लगा था जैसे वह शांत रूप में स्फटिक धारा पर फैला हुआ हो। वह चाँदनी में जगमगा रहा था।
4. जब लेखक पहली बार जल-प्रपात देखने गया था तो वहाँ ठहरने का कोई स्थान नहीं था। उसने दोपहर की धूप चट्टानों की ओट में झेली थी।
5. लेखक की दृष्टि में मृत्यु स्वयं ऐसे जल-प्रपात के उन्मादी सौंदर्य के सामने हार मान लेती है।

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8. शिक्षा व्यक्ति और समाज दोनों के विकास के लिए अनिवार्य है। अज्ञान के अंधकार में जीना तो मृत्यु से भी अधिक कष्टकर है। ज्ञान के प्रकाश से ही जीवन के रहस्य खुलते हैं और हमें अपनी पहचान मिलती है। शिक्षा मनुष्य को मस्तिष्क और देह का उचित प्रयोग करना सिखाती है। व को पाठ्य-पुस्तकों के ज्ञान के अतिरिक्त कुछ गंभीर चिंतन न दे, व्यर्थ है। यदि हमारी शिक्षा सुसंस्कृत, सभ्य, सच्चरित्र एवं अच्छे नागरिक नहीं बना सकती, तो उससे क्या लाभ? सहृदय, सच्चा परंतु अनपढ़ मज़दूर उस स्नातक से कहीं अच्छा है जो निर्दय और चरित्रहीन है।

संसार के सभी वैभव और सुख-साधन भी मनुष्य को तब तक सुखी नहीं बना सकते जब तक कि मनुष्य को आत्मिक ज्ञान न हो। हमारे कुछ अधिकार व उत्तरदायित्व भी हैं। शिक्षित व्यक्ति को अपने उत्तरदायित्वों और कर्तव्यों का उतना ही ध्यान रखना चाहिए जितना कि अधिकारों का क्योंकि उत्तरदायित्व निभाने और कर्तव्य करने के बाद ही हम अधिकार पाने के अधिकारी बनते हैं।

प्रश्न :
1. अज्ञान में जीवित रहना मृत्यु से अधिक कष्टकर है, ऐसा क्यों कहा गया है?
2. शिक्षा के किन्हीं दो लाभों को समझाइए।
3. अधिकारों और कर्तव्यों का पारस्परिक संबंध समझाइए।
4. शिक्षा व्यक्ति और समाज दोनों के विकास के लिए क्यों आवश्यक है?
5. इस गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
1. अज्ञान के कारण हम जीवन के रहस्यों को नहीं समझ सकते और न ही हमें अपनी पहचान मिलती है। हमारी सोचने-समझने की शक्ति भी कुंठित हो जाती है। इसलिए इस दशा में हमारा जीवन मरने से भी अधिक कष्टदायी हो जाता है।
2. शिक्षा से हमें अपनी पहचान मिलती है। शिक्षा हमें तन-मन का उचित प्रयोग करना सिखाती है। शिक्षा हमें जीवन के विभिन्न रहस्यों से परिचित कराती है। शिक्षा हमें अच्छा नागरिक बनाती है।
3. अधिकारों और कर्तव्यों का आपस में गहरा संबंध है। यदि हम अपने कर्तव्यों का उचित रूप से पालन करेंगे तो हम अधिकारों के भी अधिकारी हो सकते हैं। अपने उत्तरदायित्व निभाकर ही हम अधिकार प्राप्त कर सकते हैं।
4. शिक्षा व्यक्ति और समाज को सहृदय, सुसंस्कृत, सभ्य, सच्चरित्र तथा अच्छा नागरिक बनाती है, जिससे दोनों का ही विकास होता है। शिक्षा के अभाव में यह संभव नहीं है।
5. शिक्षा की अनिवार्यता।

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9. कवियों, शायरों तथा आम आदमी को सम्मोहित करने वाला ‘पलाश’ आज संकट में है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर इसी तरह पलाश का विनाश जारी रहा तो यह ‘ढाक के तीन पात’ वाली कहावत में ही बचेगा। अरावली और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं में जब पलाश वृक्ष चैत (वसंत) में फूलता था तो लगता था कि वन में आग लग गई हो अथवा अग्नि-देव फूलों के रूप में खिल उठे हों।

पलाश पर एक-दो दिन में ही संकट नहीं आ गया है। पिछले तीस-चालीस वर्षों में दोना-पत्तल बनाने वाले, कारखाने बढ़ने, गाँव-गाँव में चकबंदी होने तथा वन माफियाओं द्वारा अंधाधुंध कटान कराने के कारण उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि प्रांतों में पलाश के वन घटकर दस प्रतिशत से भी कम रह गए हैं। वैज्ञानिकों ने पलाश के वनों को बचाने के लिए ऊतक संवर्धन (टिशू कल्चर) द्वारा परखनली में पलाश के पौधों को विकसित कर एक अभियान चलाकर पलाश के वन रोपने की योजना प्रस्तुत की है। हरियाणा तथा पुणे में ऐसी दो प्रयोगशालाएँ भी खोली हैं।

एक समय था जब बंगाल के पलाश का मैदान, अरावली की पर्वत-मालाएँ टेसू के फूलों के लिए दुनिया में मशहूर थीं। विदेशों से लोग पलाश के रक्तिम वर्ण के फूल देखने आते थे। महाकवि पद्माकर का छंद-‘कहै पद्माकर परागन में, पौन हूँ में, पानन में, पिक में, पलासन पगंत है’ लिखकर पलाश की महिमा बखान की थी। ब्रज, अवधी, बुंदेलखंडी, राजस्थानी, हरियाणवी, पंजाबी लोकगीतों में पलाश के गुण गाए गए हैं। कबीर ने तो ‘खांखर भया पलाश’-कहकर पलाश की तुलना एक ऐसे सुंदर-सजीले नवयुवक से की है, जो अपनी जवानी में सबको आकर्षित कर लेता है किंतु बुढ़ापे में अकेला रह जाता है।

वसंत और ग्रीष्म ऋतु में जब तक टेसू में फूल और हरे-भरे पत्ते रहते हैं, उसे सभी निहारते हैं किंतु शेष आठ महीने वह पतझड़ का शिकार होकर झाड़-झंखाड़ की तरह रह जाता है। पर्यावरण के लिए प्लास्टिक-पॉलीथीन की थैलियों पर रोक लगाने के बाद पलाश की उपयोगिता महसूस की गई, जिसके पत्ते, दोनों, थैले, पत्तल, थाली, गिलास सहित न जाने कितने काम में उपयोग में आ सकते हैं। पिछले तीस-चालीस साल में नब्बे प्रतिशत वन नष्ट कर डाले गए। बिन पानी के बंजर, ऊसर तक में उग आने वाले इस पेड़ की नई पीढ़ी तैयार नहीं हुई। यदि यही स्थिति रही है और समाज जागरूक न हुआ तो पलाश विलुप्त वृक्ष हो जाएगा।

प्रश्न :
1. अवतरण को उचित शीर्षक दीजिए।
2. अरावली और सतपुड़ा में पलाश के वृक्ष कैसे लगते थे?
3. पलाश के वृक्ष कम क्यों रह गए हैं ?
4. पलाश के वृक्षों को बचाने के लिए क्या किया जा रहा है?
5. पलाश की उपयोगिता कब अनुभव की गई ?
उत्तर :
1. पलाश।
2. अरावली और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाओं में फूले हुए पलाश के वृक्ष ऐसे लगते थे जैसे जंगल में आग लग गई हो या अग्नि देव फूलों के रूप में खिल उठे हों।
3. पलाश के पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, गाँवों की चकबंदी आदि के कारण इनकी संख्या बहुत कम रह गई है।
4. पलाश के वृक्षों को बचाने के लिए ऊतक संवर्धन द्वारा परखनली में इन्हें विकसित करने का अभियान चलाया गया है। इस काम के लिए हरियाणा और पुणे में दो प्रयोगशालाएँ आरंभ की गई हैं।
5. पर्यावरण के लिए प्लास्टिक-पॉलीथीन की थैलियों पर रोक लगने के बाद पलाश की उपयोगिता अनुभव की गई है।

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10. संसार के सभी देशों में शिक्षित व्यक्ति की सबसे पहली पहचान यह होती है कि वह अपनी मातृभाषा में दक्षता से काम कर सकता है। केवल भारत ही एक देश है जिसमें शिक्षित व्यक्ति वह समझा जाता है जो अपनी मातृभाषा में दक्ष हो या नहीं, किंतु अंग्रेज़ी में जिसकी दक्षता असंदिग्ध हो। संसार के अन्य देशों में सुसंस्कृत व्यक्ति वह समझा जाता है जिसके घर में अपनी भाषा की पुस्तकों का संग्रह हो और जिसे बराबर यह पता रहे कि उसकी भाषा के अच्छे लेखक और कवि कौन हैं तथा समय-समय पर उनकी कौन-सी कृतियाँ प्रकाशित हो रही हैं।

भारत में स्थिति दूसरी है। यहाँ प्रायः घर में साज-सज्जा के आधुनिक उपकरण तो होते हैं किंतु अपनी भाषा की कोई पुस्तक या पत्रिका दिखाई नहीं पड़ती। यह दुरावस्था भले ही किसी ऐतिहासिक प्रक्रिया का परिणाम है, किंतु यह सुदशा नहीं, दुरावस्था ही है और जब तक यह दुरावस्था कायम है, हमें अपने-आपको, सही अर्थों में शिक्षित और सुसंस्कृत मानने का ठीक-ठाक न्यायसंगत अधिकार नहीं है। इस दुरावस्था का एक भयानक दुष्परिणाम यह है कि भारतीय भाषाओं के समकालीन साहित्य पर उन लोगों की दृष्टि नहीं पड़ती जो विश्वविद्यालयों के प्रायः सर्वोत्तम छात्र थे और अब शासन-तंत्र में ऊँचे ओहदों पर काम कर रहे हैं।

इस दृष्टि से भारतीय भाषाओं के लेखक केवल यूरोपीय और अमेरिकी लेखकों से ही हीन नहीं हैं, बल्कि उनकी किस्मत मिस्र, बर्मा, इंडोनेशिया, चीन और जापान के लेखकों की किस्मत से भी खराब है क्योंकि इन सभी देशों के लेखकों की कृतियाँ वहाँ के अत्यंत सुशिक्षित लोग भी पढ़ते हैं। केवल हम ही हैं जिनकी पुस्तकों पर यहाँ के तथाकथित शिक्षित समुदाय की दृष्टि प्रायः नहीं पड़ती।

हमारा तथाकथित उच्च शिक्षित समुदाय जो कुछ पढ़ना चाहता है, उसे अंग्रेज़ी में ही पढ़ लेता है, यहाँ तक कि उसकी कविता और उपन्यास पढ़ने की तृष्णा भी अंग्रेजी की कविता और उपन्यास पढ़कर ही समाप्त हो जाती है और उसे यह जानने की इच्छा ही नहीं होती कि शरीर से वह जिस समाज का सदस्य है उसके मनोभाव उपन्यास और काव्य में किस अदा से व्यक्त हो रहे हैं।

प्रश्न :
1. भारत में शिक्षित व्यक्ति की क्या पहचान है?
2. भारत तथा अन्य देशों के सुशिक्षित व्यक्ति में मूल अंतर क्या है ?
3. ‘यह दुरावस्था ऐतिहासिक प्रक्रिया का परिणाम है’ कथन से लेखक का नया अभिप्राय है?
4. भारतीय शिक्षा समुदाय प्रायः किस भाषा का साहित्य पढ़ना पसंद करता है? उनके लिए ‘तथाकथित’ विशेषण का प्रयोग क्यों किया गया है?
5. मातृभाषा के प्रति शिक्षित भारतीयों की कैसी भावना है?
उत्तर :
1. भारत में शिक्षित व्यक्ति की पहचान यह है कि वह चाहे अपनी मातृभाषा में दक्ष हो या न हो पर अंग्रेजी भाषा बोलने और लिखने में पूरी तरह से दक्ष होता है।

2. भारत तथा अन्य देशों के सुशिक्षित व्यक्तियों में मूल अंतर यह है कि भारत के व्यक्ति अंग्रेजी भाषा में दक्षता-प्राप्ति को महत्त्वपूर्ण मानते हैं जबकि विश्व के अन्य देशों के व्यक्ति अपनी मातृभूमि में दक्षता को महत्त्वपूर्ण मानते हैं। भारत के व्यक्ति अपने घर में सजावटी सामान तो शान-शौकत के लिए इकट्ठा करते हैं लेकिन अपनी मातृभाषा की कोई पुस्तक या पत्रिका नहीं खरीदते, जबकि अन्य देशों के सुसंस्कृत व्यक्ति घरों में अपनी भाषा की पुस्तकों का संग्रह करते हैं और उन्हें पढ़ते हैं।

3. हमारा देश सैकड़ों वर्षों तक विदेशियों का गुलाम रहा और राजनीतिक गुलामी के साथ हमारे पूर्वजों ने मानसिक गुलामी भी प्राप्त कर ली थी। इसीलिए उन्हें अपनी मातृभाषा की अपेक्षा अंग्रेजी भाषा के प्रति अधिक मोह है। पढ़ने-लिखने के प्रति कम रुचि होने के कारण उनके घरों में पुस्तकों के दर्शन नहीं होते।

4. भारतीय शिक्षित समुदाय प्रायः अंग्रेजी भाषा का साहित्य पढ़ना पसंद करता है। ‘तथाकथित’ विशेषण में व्यंग्य और वितृष्णा के भाव छिपे हुए हैं कि भारत में जो स्वयं को शिक्षित मानते हैं वे अपने देश के साहित्य से अपरिचित हैं लेकिन अंग्रेजी भाषा के मोहजाल में फँस कर अंग्रेजी साहित्य को अधिक महत्त्वपूर्ण मानते हैं।

5. हीन भावना है।

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11. जहाँ भी दो नदियाँ आकर मिल जाती हैं, उस स्थान को अपने देश में तीर्थ कहने का रिवाज है। यह केवल रिवाज की बात नहीं है। हम सचमुच मानते हैं कि अलग-अलग नदियों में स्नान करने से जितना पुण्य होता है, उससे कहीं अधिक पुण्य संगम स्नान में है। किंतु, भारत आज जिस दौर से गुजर रहा है, उसमें असली संगम वे स्थान, वे सभाएँ तथा वे मंच हैं, जिन पर एक से अधिक भाषाएँ एकत्र होती हैं। नदियों की विशेषता यह है कि वे अपनी धाराओं में अनेक जनपदों का सौरभ, अनेक जनपदों के आँसू और उल्लास लिए चलती हैं और उनका पारस्परिक मिलन वास्तव में नाना जनपदों के मिलन का ही प्रतीक है। यही हाल भाषाओं का भी है।

उनके भीतर भी नाना जनपदों में बसने वाली जनता के आँसू और उमंगें, भाव और विचार, आशाएँ और शंकाएँ समाहित होती हैं। अतः जहाँ भाषाओं का मिलन होता है, वहाँ वास्तव में, विभिन्न जनपदों के हृदय ही मिलते हैं, उनके भावों और विचारों का ही मिलन होता है तथा भिन्नताओं में छिपी हुई एकता वहाँ कुछ अधिक प्रत्यक्ष हो उठती है। इस दष्टि से भाषाओं के संगम आज सबसे बडे तीर्थ हैं और इन तीर्थों में जो भी भारतवासी श्रदधा से स्नान करता है, वह भारतीय एकता का सबसे बड़ा सिपाही और संत है।

हमारी भाषाएँ जितनी ही तेज़ी से जगेंगी, हमारे विभिन्न प्रदेशों का पारस्परिक ज्ञान उतना ही बढ़ता जाएगा। भारतीय लेखकों की बहुत दिनों से यह आकांक्षा रही थी कि वे केवल अपनी ही भाषा में प्रसिद्ध होकर न रह जाएँ, बल्कि भारत की अन्य भाषाओं में भी उनके नाम पहुँचे और उनकी कृतियों की चर्चा हो। भाषाओं के जागरण के आरंभ होते ही एक प्रकार का अखिल भारतीय मंच आप-से आप प्रकट होने लगा है।

आज प्रत्येक भाषा के भीतर यह जानने की इच्छा उत्पन्न हो गई है कि भारत की अन्य भाषाओं में क्या हो रहा है, उनमें कौन-कौन ऐसे लेखक हैं जिनकी कृतियाँ उल्लेखनीय हैं तथा कौन-सी विचारधारा वहाँ प्रभुसत्ता प्राप्त कर रही है।

प्रश्न :
1. लेखक ने आधुनिक संगम स्थल किसको माना है और क्यों?
2. भाषा-संगमों में क्या होता है?
3. लेखक ने सबसे बड़ा सिपाही और संत किसको कहा है ?
4. स्वराज्य-प्राप्ति के उपरांत विभिन्न भाषाओं के लेखकों में क्या जिज्ञासा उत्पन्न हुई?
5. भाषाओं के जागरण से लेखक का क्या अभिप्राय है? .
उत्तर :
1. लेखक ने आधुनिक संगम स्थल उन सभाओं और मंचों को माना है जिन पर एक से अधिक भाषाएँ इकट्ठी होती हैं। क्योंकि इन पर विभिन्न जनपदों में बसने वाली जनता के सुख-दुख, भाव-विचार, आशाएँ-शंकाएँ आदि प्रकट होते हैं।
2. विभिन्न भाषाओं का मिलन।
3. लेखक ने सबसे बड़ा सिपाही और संत उस भारतवासी को माना है, जो भाषाओं के संगम पर श्रद्धापूर्वक स्नान करता है।
4. स्वराज्य-प्राप्ति के उपरांत विभिन्न भाषाओं के लेखकों में जिज्ञासा उत्पन्न हुई थी कि भारत की अन्य भाषाओं में क्या हो रहा है। उनमें कौन-कौन ऐसे लेखक हैं जिन्होंने उल्लेखनीय रचनाओं को प्रदान किया था और वहाँ कौन-सी विचारधारा प्रभुसत्ता प्राप्त कर रही थी।
5. भाषाओं के जागरण से लेखक का अभिप्राय देश-भर की विभिन्न भाषाओं के बीच संबंधों की स्थापना है, जिससे देश के सभी लोग दूसरे राज्यों के विषय में जान सकें।

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12. प्रतिभा किसी की मोहताज़ नहीं होती। इसके आगे सारी समस्याएँ बौनी हैं। लेकिन समस्या एक प्रतिभा को खुद दूसरी प्रतिभा से होती है। बहुमुखी प्रतिभा का होना, अपने भीतर एक प्रतिभा के बजाए दूसरी प्रतिभा को खड़ा करना है। इससे हमारा नुकसान होता है। कितना और कैसे? मन की दुनिया की एक विशेषज्ञ कहती हैं कि बहुमुखी होना आसान है, बजाए एक खास विषय के विशेषज्ञ होने की तुलना में। बहुमुखी लोग स्पर्धा से घबराते हैं। कई विषयों पर उनकी पकड़ इसलिए होती है कि वे एक स्प र्धा होने पर दूसरे की ओर भागते हैं।

वे आलोचना से भी डरते हैं और अपने काम में तारीफ़ ही तारीफ़ सुनना चाहते हैं। बहुमुखी लोगों में सबसे महान् माने जाने वाले माइकल एंजेलो से लेकर अपने यहाँ रवींद्रनाथ टैगोर जैसे कई लोग। लेकिन आज ऐसे लोगों की पूछ-परख कम होती है। ऐसे लोग प्रतिभाशाली आज भी माने जाते हैं, लेकिन असफल होने की आशंका उनके लिए अधिक होती है। आज वे लोग ‘विची सिंड्रोम’ से पीड़ित माने जाते हैं, जिनकी पकड़ दो-तीन या इससे ज्यादा क्षेत्रों में हो, लेकिन हर क्षेत्र में उनसे बेहतर उम्मीदवार मौजूद हों।

बहुमुखी प्रतिभा वाले लोगों के भीतर कई कामों को साकार करने की इच्छा बहुत तीव्र होती है। उनकी उत्सुकता उन्हें एक से दूसरे क्षेत्र में हाथ आजमाने को बाध्य करती है। समस्या तब होती है, जब यह हाथ आजमाना दखल करने जैसा हो जाता है। वे न इधर के रह जाते हैं, और न उधर के। प्रबंधन की दुनिया में एक के साधे सब सधे, सब साधे सब जाए’ का मंत्र ही शुरू से प्रभावी है। यहाँ उस पर ज्यादा फ़ोकस नहीं किया जाता, जो सारे अंडे एक टोकरी में न रखने की बात करता है। हम दूसरे क्षेत्रों में हाथ आजमा सकते हैं, पर एक क्षेत्र के महारथी होने में ब्रेकर की भूमिका न अदा करें।

प्रश्न :
1. बहुमुखी प्रतिभा क्या है? प्रतिभा से समस्या कब, कैसे हो जाती है?
2. बहुमुखी प्रतिभा बालों की किन कमियों की ओर संकेत है?
3. बहुमुखी प्रतिभागियों की पकड़ किन क्षेत्रों में होती है और उनकी असफलता की संभावना क्यों है?
4. ऐसे लोगों का स्वभाव कैसा होता है और वे प्रायः सफल क्यों नहीं हो पाते?
5. प्रबंधन के क्षेत्र में कैसे लोगों की आवश्यकता होती है? क्यों?
6. आशय स्पष्ट कीजिए-प्रतिभा किसी की मोहताज़ नहीं होती है।
उत्तर :
1. अनेक विषयों का ज्ञान होना बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न होना है। प्रतिभा से समस्या तब पैदा हो जाती है, जब एक प्रतिभा के बजाए दूसरी प्रतिभा हमारे भीतर खड़ी हो जाती है।

2. बहुमुखी प्रतिभा वाले लोग स्प र्धा से घबराते हैं, वे आलोचना से डरते हैं, वे सिर्फ अपनी प्रशंसा सुनना चाहते हैं, और उन्हें असफल होने की आशंका अधिक रहती है।

3. बहुमुखी प्रतिभागियों की पकड़ कई विषयों में होती है, किंतु एक विषय में स्पर्धा होने पर वे दूसरे की ओर भागते हैं, जिससे उनकी असफलता की संभावना अधिक हो जाती है क्योंकि वे टिक कर कोई काम नहीं कर पाते।

4. ऐसे लोगों का स्वभाव अस्थिर और चंचल होता है, जिसके कारण उनमें कई कार्य करने की तीव्र इच्छा होती है। इससे वे एक से दूसरे और फिर तीसरे क्षेत्र में हाथ आज़माने लगते हैं, परंतु एकाग्र भाव से किसी एक काम को नहीं करने से वे प्रायः किसी भी कार्य में सफल नहीं हो पाते।

5. प्रबंधन के क्षेत्र में ऐसे लोगों की आवश्यकता होती है जो किसी एक कार्य को मन लगाकर सही रूप से करते हैं क्योंकि इससे उनके सभी कार्य सफल हो जाते हैं।

6. इस कथन का आशय यह है कि प्रतिभा को किसी दूसरे के सहारे की आवश्यकता नहीं होती है। व्यक्ति के अंदर उसकी प्रतिभा छिपी रहती है, जिसे वह अपने परिश्रम और एकाग्र भाव से कार्य करते हुए निखारता है।

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13. महात्माओं और विद्वानों का सबसे बड़ा लक्षण है – आवाज़ को ध्यान से सुनना। यह आवाज़ कुछ भी हो सकती है। कौओं की कर्कश आवाज़ से लेकर नदियों की छलछल तक। मार्टिन लूथर किंग के भाषण से लेकर किसी पागल के बड़बड़ाने तक। अमूमन ऐसा होता नहीं। सच यह है कि हम सुनना चाहते ही नहीं। बस बोलना चाहते हैं। हमें लगता है कि इससे लोग हमें बेहतर तरीके से समझेंगे। हालांकि ऐसा होता नहीं।

हमें पता ही नहीं चलता और अधिक बोलने की कला हमें अनसुना करने की कला में पारंगत कर देती है। एक मनोवैज्ञानिक ने अपने अध्ययन में पाया कि जिन घरों के अभिभावक ज्यादा बोलते हैं, वहाँ बच्चों में सही-गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान कम विकसित हो पाता है, क्योंकि ज्यादा बोलना बातों को विरोधाभासी तरीके से सामने रखता है और सामने वाला बस शब्दों के जाल में फंसकर रह जाता है।

बात औपचारिक हो या अनौपचारिक, दोनों स्थितियों में हम दूसरे की न सुन, बस हावी होने की कोशिश करते हैं। खुद ज्यादा बोलने और दूसरों को अनसुना करने से जाहिर होता है कि हम अपने बारे में ज्यादा सोचते हैं और दूसरों के बारे में कम। ज्यादा बोलने वालों के दुश्मनों की भी संख्या ज्यादा होती है। अगर आप नए दुश्मन बनाना चाहते हैं, तो अपने दोस्तों से ज्यादा बोलें और अगर आप नए दोस्त बनाना चाहते हैं, तो दुश्मनों से कम बोलें।

अमेरिका के सर्वाधिक चर्चित राष्ट्रपति रूजवेल्ट अपने माली तक के साथ कुछ समय बिताते और इस दौरान उनकी बातें ज्यादा सुनने की कोशिश करते। वह कहते थे कि लोगों को अनसुना करना अपनी लोकप्रियता के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। इसका लाभ यह मिला कि ज्यादातर अमेरिकी नागरिक उनके सुख में सुखी होते, और दुख में दुखी।

प्रश्न :
1. अनसुना करने की कला क्यों विकसित होती है?
2. अधिक बोलने वाले अभिभावकों का बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ता है और क्यों?
3. रूजवेल्ट की लोकप्रियता का क्या कारण बताया गया है?
4. तर्कसम्मत टिप्पणी कीजिए- “हम सुनना चाहते ही नहीं”
5. अनुच्छेद का मूल भाव तीन-चार वाक्यों में लिखिए।
उत्तर :
1. अनसुना करने की कला इसलिए विकसित होती है क्योंकि हम किसी की सुनना नहीं चाहते और सिर्फ बोलना चाहते हैं। हमारे अधिक बोलने तथा किसी की नहीं सुनने से अनसुना करने की कला विकसित होती है।

2. अधिक बोलने वाले अभिभावकों के बच्चों में सही-गलत से जुड़ा स्वाभाविक ज्ञान सही रूप से विकसित नहीं हो पाता क्योंकि अभिभावकों का ज्यादा बोलना बातों को विरोधाभासी तरीके से प्रस्तुत करता है, जिससे बच्चे शब्दों के जाल में फँस कर रह जाते हैं।

3. रूजवेल्ट की लोकप्रियता का यह कारण बताया गया है कि वे लोगों की अधिक सुनते थे। वे किसी को अनसुना नहीं करते थे।

4. इस कथन का आशय यह है कि हम सदा अपनी बात को ही कहना चाहते हैं तथा दूसरे की बिलकुल भी नहीं सुनते क्योंकि हमें अपनी बात कहते रहने से ही आत्मसंतोष मिलता है।

5. आजकल अधिकांश लोग अपनी सुनाना चाहते हैं, दूसरे की सुनते नहीं हैं। इस प्रकार दूसरों को अनसुना करने से हम अपने अनेक दुश्मन बना लेते हैं और हमारी लोकप्रियता में कमी आती है, इसलिए अपनी लोकप्रियता बनाए रखने के लिए हमें दूसरों की भी सुननी चाहिए।

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14. चरित्र का मूल भी भावों के विशेष प्रकार के संगठन में ही समझना चाहिए। लोकरक्षा और लोक-रंजन की सारी व्यवस्था का ढाँचा इन्हीं पर ठहराया गया है। धर्म-शासन, राज-शासन, मत-शासन सबमें इनसे पूरा काम लिया गया है। इनका सदुपयोग भी हुआ है और दुरुपयोग भी। जिस प्रकार लोक-कल्याण के व्यापक उद्देश्य की सिद्धि के लिए मनुष्य के मनोविकार काम में लाए गए हैं उसी प्रकार संप्रदाय या संस्था के संकुचित और परिमित विधान की सफलता के लिए भी।

सब प्रकार के शासन में चाहे धर्म-शासन हो, चाहे राज-शासन, मनुष्य-जाति से भय और लोभ से पूरा काम लिया गया है। दंड का भय और अनुग्रह का लोभ दिखाते हुए राज-शासन तथा नरक का भय और स्वर्ग का लोभ दिखाते हुए धर्म-शासन और मत-शासन चलते आ रहे हैं। इसके द्वारा भय और लोभ का प्रवर्तन सीमा के बाहर भी प्रायः हुआ है और होता रहता है।

जिस प्रकार शासक-वर्ग अपनी रक्षा और स्वार्थसिद्धि के लिए भी इनसे काम लेते आए हैं उसी प्रकार धर्म-प्रवर्तक और आचार्य अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा के लिए भी। शासक वर्ग अपने अन्याय और अत्याचार के विरोध की शान्ति के लिए भी डराते और ललचाते आए हैं। मत-प्रवर्तक अपने द्वेष और संकुचित विचारों के प्रचार के लिए भी कँपाते और डराते आए हैं। एक जाति को मूर्ति-पूजा करते देख दूसरी जाति के मत-प्रवर्तकों ने उसे पापों में गिना है। एक संप्रदाय का भस्म और रुद्राक्ष धारण करते देख दूसरे संप्रदाय के प्रचारकों ने उनके दर्शन तक को पाप माना है।

प्रश्न :
1. लोक-रंजन की व्यवस्था का ढाँचा किस पर आधारित है? तथा इसका उपयोग कहाँ किया गया है?
2. दंड का भय और अनुग्रह का लोभ किसने और क्यों दिखाया है?
3. धर्म-प्रवर्तकों ने स्वर्ग-नरक का भय और लोभ क्यों दिखाया है?
4. शासन व्यवस्था किन कारणों से भय और लालच का सहारा लेती है?
5. प्रतिष्ठा और लोभ शब्दों के समानार्थक शब्द लिखिए।
उत्तर :
1. लोक-रंजन की व्यवस्था का ढाँचा चरित्र के मूल भावों के विशेष प्रकार के संगठन पर आधारित है तथा इसका उपयोग धर्म-शासन, राज-शासन तथा मत-शासन में किया गया है।
2. दंड का भय और अनुग्रह का लोभ राज-शासन ने दिखाया है, जिससे उनके स्वार्थ सिद्ध हो सकें और वे अपनी रक्षा कर सकें।
3. धर्म-प्रवर्तकों ने स्वर्ग-नरक का लोभ और भय अपने स्वरूप वैचित्र्य की रक्षा और अपने प्रभाव की प्रतिष्ठा के लिए दिखाया है।
4. शासन व्यवस्था अपने अन्याय और अत्याचार के विरोध की शांति के लिए भय और लालच का सहारा लेती है।
5. प्रतिष्ठा = कीर्ति, प्रसिद्धि। लोभ = लालच, लिप्सा।

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15. पता नहीं क्यों, उनकी नौकरी लंबी नहीं चलती थी। मगर इससे वह न तो परेशान होते, न आतंकित, और न ही कभी निराशा उनके दिमाग में आती। यह बात उनके दिमाग में आई कि उन्हें अब नौकरी के चक्कर में रहने की बजाए अपना काम शुरू करना चाहिए। नई ऊँचाई तक पहुँचने का उन्हें यही रास्ता दिखाई दिया। सत्य है, जो बड़ा सोचता है, वही एक दिन बड़ा करके भी दिखाता है और आज इसी सोच के कारण उनकी गिनती बड़े व्यक्तियों में होती है। हम अक्सर इंसान के छोटे-बड़े होने की बातें करते हैं, पर दरअसल इंसान की सोच ही उसे छोटा या बड़ा बनाती है।

स्वेट मार्डेन अपनी पुस्तक ‘बड़ी सोच का बड़ा कमाल’ में लिखते हैं कि यदि आप दरिद्रता की सोच को ही अपने मन में स्थान दिए रहेंगे, तो आप कभी धनी नहीं बन सकते, लेकिन यदि आप अपने मन में अच्छे विचारों को ही स्थान देंगे और दरिद्रता, नीचता आदि कुविचारों की ओर से मुँह मोड़े रहेंगे और उनको अपने मन में कोई स्थान नहीं देंगे, तो आपकी उन्नति होती जाएगी और समृद्धि के भवन में आप आसानी से प्रवेश कर सकेंगे। भारतीय चिंतन में ऋषियों ने ईश्वर के संकल्प मात्र से सृष्टि रचना को स्वीकार किया है और यह संकेत दिया है कि व्यक्ति जैसा बनना चाहता है, वैसा बार-बार सोचे।

व्यक्ति जैसा सोचता है, वह वैसा ही बन जाता है।’ सफलता की ऊँचाइयों को छूने वाले व्यक्तियों का मानना है कि सफलता उनके मस्तिष्क से नहीं, अपितु उनकी सोच से निकलती है। व्यक्ति में सोच की एक ऐसी जादुई शक्ति है कि यदि वह उसका उचित प्रयोग करे, तो कहाँ से कहाँ पहुँच सकता है। इसलिए सदैव बड़ा सोचें, बड़ा सोचने से बड़ी उपलब्धियाँ हासिल होंगी, फायदे बड़े होंगे और देखते-देखते आप अपनी बड़ी सोच द्वारा बड़े आदमी बन जाएँगे। इसके लिए हैजलिट कहते हैं-महान सोच जब कार्यरूप में परिणत हो जाती है, तब वह महान कृति बन जाती है।

प्रश्न :
1. गद्यांश में किस प्रकार के व्यक्ति के बारे में चर्चा की गई है। ऐसे व्यक्ति ऊँचाई तक पहुँचने का क्या उपाय अपनाते हैं?
2. गद्यांश में समृद्धि और उन्नति के लिए क्या सुझाव दिए गए हैं?
3. भारतीय विचारधारा में संकल्प और चिंतन का क्या महत्त्व है?
4. गद्यांश में किस जादुई शक्ति की बात की गई है? उसके क्या परिणाम हो सकते हैं?
5. ‘सफलता’ और आतंकित’ शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग और प्रत्यय का उल्लेख कीजिए।
6. गद्यांश से दो मुहावरे चुनकर उनका वाक्य प्रयोग कीजिए।
उत्तर :
1. इस गद्यांश में बड़ा बनने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति के बारे में चर्चा की गई है। ऐसे व्यक्ति ऊँचाई तक पहुँचने के लिए बड़ा सोचते हैं और एक दिन बड़ा करके भी दिखाते हैं।
2. समृद्धि और उन्नति के लिए मन में दरिद्रता की सोच के स्थान पर अच्छे विचारों को स्थान देना होगा। इससे दरिद्रता, नीचता, कुविचार दूर हो जाएंगे और उन्नति तथा समृद्धि का जीवन में प्रवेश हो जाएगा।
3. भारतीय विचारधारा में संकल्प और चिंतन का बहुत महत्त्व है क्योंकि व्यक्ति जैसा सोचता है, वह वैसा ही बन जाता है। संकल्प करने से लक्ष्य की प्राप्ति हो जाती है।
4. गद्यांश में व्यक्ति की सोच को जादुई शक्ति बताया गया है क्योंकि अपनी सोच का उचित प्रयोग करने से व्यक्ति कहीं से कहीं पहुँच सकता है। सही सोच व्यक्ति को बड़ा बना देती है और उसके लिए उन्नति के मार्ग खोल देती है।
5. सफलता = ‘स’ उपसर्ग, ‘ता’ प्रत्यय, स + फल + ता।
आतंकित = ‘इत’ प्रत्यय, आतंक + इत।
6. लंबी चलना = नरेश की बीमारी ठीक होने के स्थान पर लंबी चलती जा रही है।
चक्कर में रहना = बुरी संगत के चक्कर में रहकर हरभजन सिंह ने अपनी सेहत ही खराब कर दी है।

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16. हँसी भीतरी आनंद का बाहरी चिह्न है। जीवन की सबसे प्यारी और उत्तम से उत्तम वस्तु एक बार हँस लेना तथा शरीर को अच्छा रखने की अच्छी से अच्छी दवा एक बार खिलखिला उठना है। पुराने लोग कह गए हैं कि हँसो और पेट फुलाओ। हँसी कितने ही कला-कौशलों से भली है। जितना ही अधिक आनंद से हँसोगे उतनी ही आयु बढ़ेगी। एक यूनानी विद्वान कहता है कि सदा अपने कर्मों पर खीझने वाला हेरीक्लेस बहुत कम जिया, पर प्रसन्न मन डेमाक्रीट्स 109 वर्ष तक जिया। हँसी-खुशी का नाम जीवन है। जो राते हैं। उनका जीवन व्यर्थ है। कवि कहता है-‘जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं। मनुष्य के शरीर के वर्णन पर एक विलायती विद्वान ने पुस्तक लिखी है। उसमें वह कहता है कि उत्तम सुअवसर की हँसी उदास-से-उदास मनुष्य के चित्त को प्रफुल्लित कर देती है। आनंद एक ऐसा प्रबल इंजन है। कि उससे शोक और दुख की दीवारों को ढा सकते हैं। प्राण रक्षा के लिए सदा सब देशों में उत्तम-से-उत्तम उपाय मनुष्य के चित्त को प्रसन्न रखना है। सुयोग्य वैद्य अपने रोगी के कानों में आनंदरूपी मंत्र सुनाता है। एक अंग्रेज़ डॉक्टर कहता है कि किसी नगर में दवाई लदे हुए बीस गधे ले जाने से एक हँसोड़ आदमी को ले जाना अधिक लाभकारी है।

प्रश्न :
1. हँसी भीतरी आनंद को कैसे प्रकट करती है?
2. पुराने समय में लोगों ने हँसी को महत्तव क्यों दिया?
3. हँसी को एक शक्तिशाली इंजन के समान क्यों कहा गया है?
4. हेरीक्लेस और डेमाक्रीट्स के उदाहरण से लेखक क्या स्पष्ट करना चाहता है?
5. गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए।
उत्तर :
1. हँसी भीतरी आनंद को अपने प्रसन्नता के भावों से प्रकट करती है और व्यक्ति स्वस्थ रहता है।
2. पुराने समय के लोगों ने हँसी को महत्त्व दिया है क्योंकि इससे मनुष्य की आयु बढ़ती है और वह निरोग रहता है।
3. हँसी से जिस आनंद की प्राप्ति होती है उससे मनुष्य अपने दुखों और शोक से मुक्त हो जाता है।
4. इनके उदाहरणों से लेखक यह स्पष्ट करना चाहता है कि सदा खीझने वाले व्यक्ति की आयु कम होती है परन्तु सदा हँसने वाले की आयु लम्बी होती है।
5. हँसी का महत्त्व।

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17. आदमियों की तिजारत करना मूरों का काम है। सोने और लोहे के बदले मनुष्य को बेचना मना है। आजकल आप की कलों का दाम तो हजारों रुपया है; परन्तु मनुष्य कौड़ी के सौ-सौ बिकते हैं। सोने और चाँदी की प्राप्ति से जीवन का आनंद नहीं मिल सकता। सच्चा आनंद तो मुझे मेरे काम से मिलता है। मुझे अपना काम मिल जाए तो फिर स्वर्ग प्राप्ति की इच्छा नहीं, मनुष्य-पूजा ही सच्ची ईश्वर-पूजा है। आज से हम अपने ईश्वर की तलाश किसी वस्तु, स्थान या तीर्थ में नहीं करेंगे।

अब तो यही इरादा है कि मनुष्य की अनमोल आत्मा में ईश्वर के दर्शन करेंगे यही आर्ट है-यही धर्म है। मनुष्य के हाथ से ही ईश्वर के दर्शन कराने वाले निकलते हैं। बिना काम, बिना मजदूरी, बिना हाथ के कला-कौशल के विचार और चिंतन किस काम के! जिन देशों में हाथ और मुँह पर मज़दूरी की धूल नहीं पड़ने पाती वे धर्म और कला-कौशल में कभी उन्नति नहीं कर सकते।

पद्मासन निकम्मे सिद्ध हो चुके हैं। वही आसन ईश्वर-प्राप्ति करा सकते हैं जिनसे जोतने, बोने, काटने और मजदूरी का काम लिया जाता है। लकड़ी, ईंट और पत्थर को मूर्तिमान करने वाले लुहार, बढ़ई, मेमार तथा किसान आदि वैसे ही पुरुष हैं जैसे कवि, महात्मा और योगी आदि। उत्तम से उत्तम और नीच से नीच काम, सबके सब प्रेमरूपी शरीर के अंग हैं।

प्रश्न :
1. आदमियों की तिजारत से आप क्या समझते हैं?
2. मनुष्य-पूजा को ही सच्ची ईश्वर-पूजा क्यों कहाँ गया है?
3. लेखक के अनुसार धर्म क्या है?
4. लुहार, बढ़ई और किसान की तुलना कवि, महात्मा और योगी से क्यों की गई है?
5. लेखक को सच्चा आनंद किससे मिलता है?
6. गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
उत्तर :
1. आदमियों को किसी वस्तु के बदले बेचना, उन्हें खरीदकर अपना गुलाम बनाना आदमियों की तिजारत करना है।
2. मनुष्य-पूजा को ही सच्ची ईश्वर-पूजा इसलिए कहा गया है क्योंकि मनुष्य द्वारा सच्चे मन से किए गए अपने कार्य ही ईश्वर-पूजा के समान होते हैं। अपने कर्म के प्रति समर्पण ही सच्ची पूजा है।
3. लेखक के अनुसार कर्म के प्रति समर्पित मनुष्य की अनमोल आत्मा में ईश्वर के दर्शन करना ही सच्चा धर्म है। ईश्वर को विभिन्न धर्मस्थानों में देखने का आडंबर नहीं करना चाहिए।
4. क्योंकि लुहार, बढ़ई और किसान सृजन करने वाले होते हैं। वे अपने अथक परिश्रम से लकड़ी, ईंट, पत्थर, लोहे, मिट्टी आदि को मूर्तिमान कर देते हैं। इसमें उनकी त्याग, श्रम तथा शक्ति लगी रहती है।
5. सच्चा आनंद अपना कर्म करने से मिलता है।
6. कर्म में ईश्वर है।

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18. साहस की जिंदगी सबसे बड़ी जिंदगी है। ऐसी जिंदगी की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिलकुल निडर, बिल्कुल बेखौफ़ होती है। साहसी मनुष्य की पहली पहचान यह है कि वह इस बात की चिंता नहीं करता कि तमाशा देखने वाले लोग उसके बारे में क्या सोच रहे हैं। जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला व्यक्ति दुनिया की असली ताकत होता है और मनुष्य को प्रकाश भी उसी आदमी से मिलता है। अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना यह साधारण जीव का काम है। क्रांति करने वाले लोग अपने उद्देश्य की तुलना न तो पड़ोसी के उद्देश्य से करते हैं और न अपनी चाल को ही पड़ोसी की चाल देखकर मद्धम बनाते हैं।

1. साहस की जिंदगी की पहचान क्या है?
(क) निडर होती है।
(ख) दुखभरी होती है।
(ग) खुशहाल होती है।
(घ) उधार की होती है।
उत्तर :
(क) निडर होती है

2. दुनिया की असली ताकत कौन होता है?
(क) दूसरों का अनुसरण करने वाला
(ख) जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला
(ग) डरपोक व्यक्ति
(घ) निडर व्यक्ति
उत्तर :
(ख) जनमत की उपेक्षा करके जीने वाला

3. गद्यांश का उचित शीर्षक है
(क) साहस की जिंदगी
(ख) अड़ोस-पड़ोस
(ग) जनमत
(घ) साहस
उत्तर :
(क) साहस की जिंदगी

4. अड़ोस-पड़ोस को देखकर चलना किसका काम है?
(क) सामाजिक व्यक्ति का
(ख) असामाजिक व्यक्ति का
(ग) कामचोर व्यक्ति का
(घ) साधारण व्यक्ति का
उत्तर :
(घ) साधारण व्यक्ति का

5. क्रांति करने वाले लोग क्या नहीं करते?
(क) अपनी तुलना दूसरों से
(ख) अपनी उपेक्षा
(ग) दूसरों की उपेक्षा
(घ) किसी की भी उपेक्षा
उत्तर :
(क) अपनी तुलना दूसरों से

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19. आपका जीवन एक संग्राम-स्थल है जिसमें आपको विजयी बनना है। महान जीवन के रथ के पहिए फूलों से भरे नंदन वन से नहीं गुज़रते, कंटकों से भरे बीहड़ पथ पर चलते हैं। आपको ऐसे ही महान जीवन पथ का सारथि बनकर अपनी यात्रा को पूरा करना है। जब तक आपके पास आत्म विश्वास का दुर्जय शस्त्र नहीं है, न तो आप जीवन की ललकार का सामना कर सकते हैं, न जीवन संग्राम में विजय प्राप्त कर सकते हैं और न महान जीवन के सोपानों पर चढ़ सकते हैं। जीवन पथ पर आप आगे बढ़ रहे हैं, दुख और निराशा की काली घटाएँ आपके मार्ग पर छा रही हैं, आपत्तियों का अंधकार मुँह फैलाए आपकी प्रगति को निगलने के लिए बढ़ा चला आ रहा है, लेकिन आपके हृदय में आत्म-विश्वास की दृढ़ ज्योति जगमगा रही है तो इस दुख एवं निराशा का कुहरा उसी प्रकार कट जाएगा जिस प्रकार सूर्य की किरणों के फूटते ही अंधकार भाग जाता है।

1. महान जीवन के रथ किस रास्ते से गुजरते हैं?
(क) काँटों से भरे रास्तों से
(ख) नंदन वन से
(ग) नदियों से
(घ) आसान रास्तों से
उत्तर :
(क) काँटों से भरे रास्तों से

2. आप किस शस्त्र के द्वारा जीवन के कष्टों का सामना कर सकते हैं?
(क) आत्म-रक्षा के शस्त्र से
(ख) आत्म-विश्वास के शस्त्र से
(ग) क्रोध के शस्त्र से
(घ) अभिमान के शस्त्र से
उत्तर :
(ख) आत्म-विश्वास के शस्त्र से

3. जीवन-पथ पर हमारा सामना किनसे होता है?
(क) खुशियों से
(ख) शत्रुओं से
(ग) निराशाओं और आपत्तियों से
(घ) आशाओं से
उत्तर :
(क) निराशाओं और आपत्तियों से

4. गद्यांश का उचित शीर्षक है
(क) आत्म-विश्वास
(ख) आत्मा की शांति
(ग) आत्म-रक्षा
(घ) परोपकार
उत्तर :
(क) आत्म-विश्वास

5. जीवन क्या है?
(क) परीक्षा
(ख) संग्राम-स्थल
(ग) दंड
(घ) कसौटी
उत्तर :
(ख) संग्राम-स्थल

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20. विद्यार्थी का अहंकार आवश्यकता से अधिक बढ़ता जा रहा है और दूसरा उसका ध्यान अधिकार पाने में है, अपना कर्तव्य पूरा करने में नहीं। अहं बुरी चीज़ कही जा सकती है। यह सब में होता है और एक सीमा तक आवश्यक भी है किंतु आज के विद्यार्थियों में यह इतना बढ़ गया है कि विनय के गुण उनमें नाम मात्र के नहीं रह गए हैं। गुरुजनों या बड़ों की बात का विरोध करना उनके जीवन का अंग बन गया है। इन्हीं बातों के कारण विद्यार्थी अपने अधिकारों के बहुत अधिकारी नहीं हैं। उसे भी वह अपना समझने लगे हैं। अधिकार और कर्तव्य दोनों एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। स्वस्थ स्थिति वही कही जा सकती है जब दोनों का संतुलन हो। आज का विद्यार्थी अधिकार के प्रति सजग है परंतु वह अपने कर्तव्यों की ओर से विमुख हो गया है। एक सीमा की अति का दूसरे पर भी असर पड़ता है।

1. आधुनिक विद्यार्थियों में किसकी कमी होती जा रही है?
(क) अहंकार की
(ख) नम्रता की
(ग) जागरूकता की
(घ) अहं की
उत्तर :
(ख) नम्रता की

2. विद्यार्थी प्रायः किसका विरोध करते हैं?
(क) अपने मित्रों का
(ख) अपने गुरुजनों या अपने से बड़ों की बातों का
(ग) अपने माता-पिता का
(घ) अध्यापकों का
उत्तर :
(ख) अपने गुरुजनों या अपने से बड़ों की बातों को

3. विद्यार्थी में किसके प्रति सजगता अधिक है?
(क) अपने अधिकारों और माँगों के प्रति
(ख) अपनी चीज़ों के प्रति
(ग) अपने भविष्य के प्रति
(घ) अपने सम्मान के प्रति
उत्तर :
(क) अपने अधिकारों और माँगों के प्रति

4. गद्यांश का उचित शीर्षक है
(क) विद्यार्थी जीवन
(ख) विद्यार्थी और अहंकार
(ग) अहंकार
(घ) अधिकार और माँग
उत्तर :
(ख) विद्यार्थी और अहंकार

5. अधिकार किससे जुड़ा है?
(क) अहंकार
(ख) गुणों से
(ग) माँग से
(घ) कर्तव्य से
उत्तर :
(घ) कर्तव्य से

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21. प्यासा आदमी कुएँ के पास जाता है, यह बात निर्विवाद है। परंतु सत्संगति के लिए यह आवश्यक नहीं कि आप सज्जनों के पास जाएँ और उनकी संगति प्राप्त करें। घर बैठे-बैठे भी आप सत्संगति का आनंद लूट सकते हैं। यह बात पुस्तकों द्वारा संभव है। हर कलाकार और लेखक को जन-साधारण से एक विशेष बुद्धि मिली है। इस बुद्धि का नाम प्रतिभा है। पुस्तक निर्माता अपनी प्रतिभा के बल से जीवन भर से संचित ज्ञान को पुस्तक के रूप में उड़ेल देता है। जब हम घर की चारदीवारी में बैठकर किसी पुस्तक का अध्ययन करते हैं तब हम एक अनुभवी और ज्ञानी सज्जन की संगति में बैठकर ज्ञान प्राप्त करते हैं। नित्य नई पुस्तक का अध्ययन हमें नित्य नए सज्जन की संगति दिलाता है। इसलिए विद्वानों ने स्वाध्याय को विशेष महत्व दिया है। घर बैठे-बैठे सत्संगति दिलाना पुस्तकों की सर्वश्रेष्ठ उपयोगिता है।

1. कौन कुएँ के पास जाता है?
(क) प्यासा आदमी
(ख) भूखा आदमी
(ग) धनी आदमी
(घ) निर्धन आदमी
उत्तर :
(क) प्यासा आदमी

2. घर बैठे-बैठे सत्संगति का लाभ किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है?
(क) टी०वी० देखने से
(ख) कीर्तन करने से
(ग) बात करने से
(घ) पुस्तकों का अध्ययन करने से
उत्तर :
(घ) पुस्तकों का अध्ययन करने से

3. पुस्तकों की सर्वश्रेष्ठ उपयोगिता क्या है?
(क) लिखित रूप में होना
(ख) घर बैठे-बैठे लोगों को सत्संगति का लाभ दिलाना
(ग) पढ़े-लिखे लोगों द्वारा उपयोग किया जाना
(घ) चित्रयुक्त होना
उत्तर :
(ख) घर बैठे-बैठे लोगों को सत्संगति का लाभ दिलाना

4. गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(क) पुस्तकों का लाभ
(ख) संगति
(ग) स्वाध्याय की उपयोगिता
(घ) अनुभव व ज्ञान
उत्तर :
(ग) स्वाध्याय की उपयोगिता

5. विद्वानों ने किसे विशेष महत्व दिया है?
(क) पुस्तकों को
(ख) स्वास्थ्य को
(ग) स्वाध्याय को
(घ) सत्संगति को
उत्तर :
(ग) स्वाध्याय को

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

22. संसार में धर्म की दुहाई सभी देते हैं। पर कितने लोग ऐसे हैं, जो धर्म के वास्तविक स्वरूप को पहचानते हैं। धर्म कोई बुरी चीज़ नहीं है। धर्म ही एक ऐसी विशेषता है, जो मनुष्य को पशुओं से भिन्न करती है। अन्यथा मनुष्य और पशु में अंतर ही क्या है। उस धर्म को समझने की आवश्यकता है। धर्म में त्याग की महत्ता है। इस त्याग और कर्तव्यपरायणता में ही धर्म का वास्तविक स्वरूप निहित है। त्याग परिवार के लिए, ग्राम के लिए, नगर के लिए, देश के लिए और मानव-मात्र के लिए भी हो सकता है।

परिवार से मनुष्य मात्र तक पहुँचते-पहुँचते हम एक संकुचित घेरे से निकलकर विशाल परिधि में घूमने लगते हैं। यही वह क्षेत्र है, जहाँ देश और जाति की सभी दीवारें गिर कर चूर-चूर हो जाती हैं। मनुष्य संसार भर को अपना परिवार और अपने आपको उसका सदस्य समझने लगता है। भावना के इस विस्तार ने ही धर्म का वास्तविक स्वरूप दिया है जिसे कोई निर्मल हृदय संत ही पहचान सकता है।

1. संसार में सब किसकी दुहाई देते हैं?
(क) दया की
(ख) अधर्म की
(ग) धर्म की
(घ) धन की
उत्तर :
(ग) धर्म की

2. धर्म की प्रमुख उपयोगिता क्या है?
(क) धर्म मनुष्य को विवेक और त्याग की भावना प्रदान करता है।
(ख) धर्म मनुष्य को आस्तिक बनाता है।
(ग) धर्म मनुष्य को धनी बनाता है।
(घ) धर्म मनुष्य को न्यायप्रिय बनाता है।
उत्तर :
(क) धर्म मनुष्य को विवेक और त्याग की भावना प्रदान करता है।

3. धर्म का वास्तविक रूप किसमें निहित है?
(क) आस्था में
(ख) त्याग और कर्तव्यपरायणता में
(ग) अधिकार ने
(घ) मोह-माया में
उत्तर :
(ख) त्याग और कर्तव्यपरायणता में

4. धर्म का वास्तविक रूप कौन पहचान सकता है?
(क) धर्मात्मा
(ख) दानवीर व्यक्ति
(ग) निर्मल हृदय संत
(घ) धनी व्यक्ति
उत्तर :
(ग) निर्मल हृदय संत

5. उचित शीर्षक है –
(क) धर्म का वास्तविक स्वरूप
(ख) धर्म-अधर्म
(ग) त्याग
(घ) कर्तव्यपरायणता
उत्तर :
(क) धर्म का वास्तविक स्वरूप

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

23. आधुनिक मानव समाज में एक ओर विज्ञान को भी चकित कर देने वाली उपलब्धियों से निरंतर सभ्यता का विकास हो रहा है तो दूसरी ओर मानव मूल्यों का ह्रास होने से समस्या उत्तरोत्तर गूढ होती जा रही है। अनेक सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का शिकार आज का मनुष्य विवेक और ईमानदारी का त्याग कर भौतिक स्तर से ऊँचा उठने का प्रयत्न कर रहा है। वह सफलता पाने की लालसा में उचित और अनुचित की चिंता नहीं करता। उसे तो बस साध्य को पाने की प्रबल इच्छा रहती है।

ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए भयंकर अपराध करने में भी संकोच नहीं करता। वह इनके नित नए-नए रूपों की खोज करने में अपनी बुद्धि का अपव्यय कर रहा है। आज हमारे सामने यह प्रमुख समस्या है कि इस अपराध वृद्धि पर किस प्रकार रोक लगाई जाए। सदाचार, कर्तव्यपरायणता, त्याग आदि नैतिक मूल्यों को तिलांजलि देकर समाज के सुख की कामना करना स्वप्न मात्र है।

1. मानव जीवन में समस्याएँ निरंतर क्यों बढ़ रही हैं?
(क) आधुनिकता के कारण
(ख) अज्ञानता के कारण
(ग) विवेक, ईमानदारी की कमी के कारण
(घ) विकास के कारण
उत्तर :
(ग) विवेक, ईमानदारी की कमी के कारण

2. आज का मानव सफलता प्राप्त करने के लिए क्या कर रहा है जो उसे नहीं करना चाहिए?
(क) तकनीक का विकास
(ख) विवेक का प्रयोग
(ग) व्यापार का विस्तार
(घ) अविवेकशील अनुचित कार्य
उत्तर :
(घ) अविवेकशील अनुचित कार्य

3. किन जीवन-मूल्यों के द्वारा सुख की कामना की जा सकती है?
(क) सेवकाई
(ख) वीरता
(ग) दानवीरता
(घ) सदाचार, कर्तव्यपराणता, त्याग आदि
उत्तर :
(घ) सदाचार, कर्तव्यपराणता, त्याग आदि

4. ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए आज का मनुष्य क्या कर रहा है?
(क) अपराध
(ख) व्यापार
(ग) संदिग्ध कार्य
(घ) नौकरी
उत्तर :
(क) अपराध

5. गद्यांश का उचित शीर्षक है –
(क) विवेक की आवश्यकता
(ख) आधुनिक जीवन में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता
(ग) कर्तव्यपरायणता
(घ) त्याग व बलिदान
उत्तर :
(ख) आधुनिक जीवन में नैतिक मूल्यों की आवश्यकता

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

24. कर लेखक का काम बहुत अंशों में मधु-मक्खियों के काम से मिलता है। मधु-मक्ख्यिाँ मकरंद संग्रह करने के लिए कोसों के चक्कर लगाती हैं और अच्छे-अच्छे फूलों पर बैठकर उनका रस लेती हैं। तभी तो उनके मधु में संसार की सर्वश्रेष्ठ मधुरता रहती है। यदि आप अच्छे लेखक बनना चाहते हैं तो आपको भी यही वत्ति ग्रहण करनी चाहिए। अच्छे-अच्छे ग्रंथों का खब अध्ययन करना चाहिए और उनकी बातों का मनन करना चाहिए फिर आपकी रचनाओं में से मधु का-सा माधुर्य आने लगेगा।

कोई अच्छी उक्ति, कोई अच्छा विचार भले ही दूसरों से ग्रहण किया गया हो, पर यदि यथेष्ठ मनन करके आप उसे अपनी रचना में स्थान देंगे तो वह आपका ही हो जाएगा। मननपूर्वक लिखी गई चीज़ के संबंध में जल्दी किसी को यह कहने का साहस नहीं होगा कि यह अमुक स्थान से ली गई है या उच्छिष्ट है। जो बात आप अच्छी तरह आत्मसात कर लेंगे, वह फिर आपकी हो ही जाएगी।

1. लेखक का काम किससे मिलता है?
(क) तितलियों के काम से
(ख) चींटियों के काम से
(ग) मधुमक्खियों के काम से
(घ) टिड्डों के काम से
उत्तर :
(ग) मधुमक्खियों के काम से

2. मधुमक्खियाँ किसका संग्रह करती हैं?
(क) शहद का
(ख) मकरंद का
(ग) पानी का
(घ) छत्ते का
उत्तर :
(ख) मकरंद का

3. संसार की सर्वश्रेष्ठ मधुरता किसमें होती है?
(क) गन्ने के रस में
(ख) चीनी में
(ग) शहद में
(घ) गुड़ में
उत्तर :
(ग) शहद में

4. कौन-सी बात आपकी अपनी हो जाती है?
(क) जिस बात का अच्छी तरह से आत्मसात किया जाए।
(ख) जो बात लिखी जाए।
(ग) जो बात पढ़ी जाए।
(घ) जो बात बोली जाए।
उत्तर :
(क) जिस बात का अच्छी तरह से आत्मसात किया जाए

5. गद्यांश का उचित शीर्षक है –
(क) मुधुमक्खी का काम
(ख) मकरंद
(ग) श्रेष्ठ लेखक की मौलिकता
(घ) मधु का-सा माधुर्य
उत्तर :
(ग) श्रेष्ठ लेखक की मौलिकता

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

25. सहयोग एक प्राकृतिक नियम है, यह कोई बनावटी तत्व नहीं है। प्रत्येक पदार्थ, प्रत्येक व्यक्ति का काम आंतरिक सहयोग पर अवलंबित है। किसी मशीन का उसके पुर्जे के साथ संबंध है। यदि उसका एक भी पुर्जा खराब हो जाता है तो वह मशीन चल नहीं सकती। किसी शरीर का उसके आँख, कान, हाथ, पाँव आदि पोषण करते हैं। किसी अंग पर चोट आती है, मन एकदम वहाँ पहुँच जाता है।

पहले क्षण आँख देखती है, दूसरे क्षण हाथ सहायता के लिए पहुँच जाता है। इसी तरह समाज और व्यक्ति का संबंध है। समाज शरीर है तो व्यक्ति उसका अंग है। जिस प्रकार शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अंग परस्पर सहयोग करते हैं उसी तरह समाज के विकास के लिए व्यक्तियों का आपसी सहयोग अनिवार्य है। शरीर को पूर्णता अंगों के सहयोग से मिलती है। समाज को पूर्णता व्यक्तियों के सहयोग से मिलती है। प्रत्येक व्यक्ति, जो जहाँ पर भी है, अपना काम ईमानदारी और लगन से करता रहे, तो समाज फलता-फूलता है।

1. सहयोग क्या है?
(क) बनावटी तत्व
(ख) धर्म
(ग) ईमान
(घ) प्राकृतिक नियम
उत्तर :
(घ) प्राकृतिक नियम

2. समाज कैसे फलता-फूलता है?
(क) धन से
(ख) कर्म से
(ग) व्यक्तियों के आपसी सहयोग से
(घ) रीति-रिवाजों से
उत्तर :
(ग) व्यक्तियों के आपसी सहयोग से

3. समाज और व्यक्ति का क्या संबंध है?
(क) समाज रूपी शरीर का व्यक्ति एक अंग है।
(ख) व्यक्ति से समाज है।
(ग) समाज घर, व्यक्ति कमरा है
(घ) समाज से व्यक्ति है।
उत्तर :
(क) समाज रूपी शरीर का व्यक्ति एक अंग है।

4. शरीर को पूर्णता कैसे मिलती है?
(क) समाज से
(ख) भोजन से
(ग) अंगों से
(घ) कार्य से
उत्तर :
(ग) अंगों से

5. उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है –
(क) समाज
(ख) सहयोग
(ग) विकास
(घ) शरीर और अंग
उत्तर :
(ख) सहयोग

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

26. शिक्षा विविध जानकारियों का ढेर नहीं है, जो तुम्हारे मस्तिष्क में ठूस दिया जाता है और आत्मसात् हुए बिना वहाँ आजन्म पड़ा रहकर गड़बड़ मचाया करता है। हमें उन विचारों की अनुभूति कर लेने की आवश्यकता है जो जीवन-निर्माण, मनुष्य-निर्माण तथा चरित्र-निर्माण में सहायक हों। यदि आप केवल पाँच ही परखे हुए विचार आत्मसात कर उनके अनुसार अपने जीवन और चरित्र का निर्माण कर लेते हैं तो पूरे ग्रंथालय को कंठस्थ करने वाले की अपेक्षा अधिक शिक्षित हैं। शिक्षा और आचरण अन्योन्याश्रित हैं। बिना आचरण के शिक्षा अधूरी है और बिना शिक्षा के आचरण और अंततोगत्वा ये दोनों ही अनुशासन के ही भिन्न रूप हैं।

1. जीवन-निर्माण, मनुष्य निर्माण और चरित्र निर्माण में क्या सहायक है?
(क) धर्म
(ख) जाति
(ग) धन
(घ) शिक्षा
उत्तर :
(घ) शिक्षा

2. शिक्षा और आचरण को किसका रूप माना गया है?
(क) ज्ञान का
(ख) अनुशासन का
(ग) चरित्र का
(घ) आचरण का
उत्तर :
(ख) अनुशासन का

3. बिना आचरण के क्या अधूरा है?
(क) चरित्र
(ख) ज्ञान
(ग) शिक्षा
(घ) जीवन
उत्तर :
(ग) शिक्षा

4. कौन व्यक्ति शिक्षित है?
(क) शिक्षा को आत्मसात करके जीवन में अपनाने वाला
(ख) ग्रंथ पढ़ने वाला
(ग) शास्त्रों का ज्ञाता
(घ) ग्रंथ कंठस्थ करने वाला
उत्तर :
(क) जो शिक्षा को आत्मसात करके जीवन में अपनाता है।

5. गद्यांश का उचित शीर्षक है
(क) शिक्षित व्यक्ति
(ख) चरित्र-निर्माण
(ग) मनुष्य का प्रभाव
(घ) शिक्षा और आचरण
उत्तर :
(घ) शिक्षा और आचरण

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

27. कुछ लोग भाग्यवादी होते हैं और सब-कुछ भाग्य के सहारे छोड़कर कर्म से विरत हो जाते हैं। ऐसे लोग समाज के लिए बोझ हैं। वे कभी कोई बड़ा कर्म नहीं कर पाते। बड़ी-बड़ी खोज, बड़े-बड़े आविष्कार और बड़े-बड़े निर्माण कार्य कर्मशील लोगों के द्वारा ही संभव हो सके हैं। हम अपनी बुद्धि और प्रतिभा तथा कार्य-क्षमता के बल पर सही मार्ग पर चल सकते हैं; किंतु बिना कठिन श्रम के अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकते। कठिन परिश्रम करने के बाद पाई गई सफलता हमारे मन को अलौकिक आनंद से भर देती है। यदि हम अपने कार्य में अपेक्षित श्रम नहीं करते हो हमारा मन ग्लानि का अनुभव करता है।

1. कैसे लोग समाज के लिए बोझ हैं?
(क) भाग्यहीन
(ख) भाग्यशाली
(ग) भाग्यवादी
(घ) अभागे
उत्तर :
(ग) भाग्यवादी

2. बडे-बडे कार्य करने के लिए सर्वाधिक आवश्यकता किसकी है?
(क) कर्म करने की
(ख) भाग्य की
(ग) धर्म की
(घ) लक्ष्य की
उत्तर :
(क) कर्म करने की

3. किस प्रकार के लोग समाज के लिए बोझ हैं?
(क) भाग्यशाली
(ख) कर्मशील
(ग) कर्म न करने वाले
(घ) भाग्यहीन
उत्तर :
(ग) कर्म न करने वाले

4. जीवन में बड़ी उपलब्धियाँ कैसे संभव हो सकती हैं?
(क) भाग्य पर भरोसा करने से
(ख) कर्म न करने से
(ग) पूजा-पाठ से
(घ) परिश्रम और कर्म करने से
उत्तर :
(घ) परिश्रम और कर्म करने से

5. इस गद्यांश का शीर्षक है
(क) परिश्रम और सफलता
(ख) भाग्य के भरोसे
(ग) भाग्यवादी
(घ) कर्महीन
उत्तर :
(क) परिश्रम और सफलता

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

28. मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है, आत्मनिर्भरता तथा सबसे बड़ा अवगुण है, स्वावलंबन का अभाव। स्वावलंबन सबके लिए अनिवार्य है। जीवन के मार्ग में अनेक बाधाएँ आती हैं। यदि उनके कारण हम निराश हो जाएँ, संघर्ष से जी चुराएँ या मेहनत से दूर रहें तो भला हा में सफल कैसे होंगे? अतः आवश्यक है कि हम स्वावलंबी बनें तथा अपने आत्मविश्वास को जाग्रत करके मजबूत बनें। यदि व्यक्ति स्वयं में आत्मविश्वास जाग्रत कर ले तो दुनिया में ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसे वह न कर सके।

स्वयं में विश्वास करने वाला व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में कामयाब होता आया है। सफलता स्वावलंबी मनुष्य के पैर छूती है। आत्मविश्वास तथा आत्मनिर्भरता से आत्मबल मिलता है जिससे आत्मा का विकास होता है तथा मनुष्य श्रेष्ठ कार्यों की ओर प्रवृत्त होता है। स्वावलंबन मानव में गुणों की प्रतिष्ठा करता है। आत्मसम्मान, आत्मविश्वास, आत्मबल, आत्मरक्षा, साहस, संतोज़, धैर्य आदि गुण स्वावलंबन के सहोदर हैं। स्वावलंबन व्यक्ति, राष्ट्र तथा मानव मात्र के जीवन में सर्वांगीण सफलता प्राप्ति का महामंत्र है।

1. मनुष्य का सबसे बड़ा गुण क्या है?
(क) परोपकार
(ख) आशावाद
(ग) ईमानदारी
(घ) आत्मनिर्भरता
उत्तर :
(घ) आत्मनिर्भरता

2. मनुष्य का सबसे बड़ा अवगुण क्या है?
(क) निराशा का अभाव
(ख) स्वावलंबन का अभाव
(ग) कर्मशील होना
(घ) परोपकारी होना
उत्तर :
(ख) स्वावलंबन का अभाव

3. हमें किनसे निराशा नहीं होना चाहिए?
(क) उन्नति से
(ख) धन से
(ग) बाधाओं से
(घ) सम्मान से
उत्तर :
(ग) बाधाओं से

4. ‘आत्मबल’ के लिए क्या आवश्यक है?
(क) ईमानदारी
(ख) परोपकार की भावना
(ग) आत्मविश्वास व आत्मनिर्भरता
(घ) स्वाभिमान
उत्तर :
(ग) आत्मविश्वास व आत्मनिर्भरता

5. उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
(क) आत्मसंयम
(ख) स्वाभिमान
(ग) स्वावलंबन का महत्व
(घ) आत्मबल
उत्तर :
(ग) स्वावलंबन का महत्व

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

29. लाखों वर्षों से मधुमक्खी जिस तरह छत्ता बनाती आई है वैसे ही बनाती है। उसमें फेर-बदल करना उसके लिए संभव नहीं है। छत्ता तो त्रुटिहीन बनता है लेकिन मधुमक्खी अपने अभ्यास के दायरे में आबद्ध रहती है। इस तरह सभी प्राणियों के संबंध में प्रकृति ने उन्हें अपने आँचल में सुरक्षित रखा है, उन्हें विपत्तियों से बचाने के लिए उनकी आंतरिक गतिशीलता को ही प्रकृति ने घटा दिया है। लेकिन सृष्टिकर्ता ने मनुष्य की रचना करने में अद्भुत साहस का परिचय दिया है। उसने मानव के अंत:करण को बाधाहीन बनाया है। हालाँकि बाह्य रूप से उसे निर्वस्त्र, निरस्त्र और दुर्बल बनाकर उसके चित्त को स्वच्छंदता प्रदान की है।

इस मुक्ति से आनंदित होकर मनुष्य कहता है-“हम असाध्य को संभव बनाएँगे।” अर्थात जो सदा से होता आया है और होता रहेगा, हम उससे संतुष्ट नहीं रहेंगे। जो कभी नहीं हुआ, वह हमारे द्वारा होगा। इसीलिए मनुष्य ने अपने इतिहास के प्रथम युग में जब प्रचंडकाय प्राणियों के भीषण नखदंतों का सामना किया तो उसने हिरण की तरह पलायन करना नहीं चाहा, न कछुए की तरह छिपना चाहा। उसने असाध्य लगने वाले कार्य को सिद्ध किया-पत्थरों को काटकर भीषणतर नखदंतों का निर्माण किया। प्राणियों के नखदंत की उन्नति केवल प्राकृतिक कारणों पर निर्भर होती है। लेकिन मनुष्य के ये नखदंत उसकी अपनी सृष्टि क्रिया से निर्मित थे।

इसलिए आगे चलकर उसने पत्थरों को छोड़कर लोहे के हथियार बनाए। इससे यह प्रमाणित होता है कि मानवीय अंत:करण संधानशील है। उसके चारों ओर जो कुछ है उस पर ही वह आसक्त नहीं हो जाता। जो उसके हाथ में नहीं है उस पर अधिकार जमाना चाहता है। पत्थर उसके सामने रखा है पर वह उससे संतुष्ट नहीं। लोहा धरती के नीचे है, मानव उसे वहाँ से बाहर निकालता है। पत्थर को घिसकर हथियार बनाना आसान है लेकिन वह लोहे को गलाकर, साँचे में ढाल-ढालकर, हथौड़े से पीटकर, सब बाधाओं को पार करके, उसे अपने अधीन बनाता है। मनुष्य के अंत:करण का धर्म यही है कि वह परिश्रम से केवल सफलता ही नहीं बल्कि आनंद भी प्राप्त करता है।

1. सभी प्राणियों को किसने अपने आँचल में सुरक्षित रखा है?
(क) पृथ्वी ने
(ख) पर्यावरण ने
(ग) प्रकृति ने
(घ) आकाश ने
उत्तर :
(ग) प्रकृति ने

2. सृष्टिकर्ता ने मनुष्य के अंतःकरण को कैसा बनाया है?
(क) बाधाहीन
(ख) बाधाओं से युक्त
(ग) परतंत्र
(घ) विवेकहीन
उत्तर :
(क) बाधाहीन

3. मनुष्य ने किसके द्वारा नखदतों का निर्माण किया?
(क) लोहे के द्वारा
(ख) लकड़ी के द्वारा
(ग) पत्थर के द्वारा
(घ) नाखूनों के द्वारा
उत्तर :
(ग) पत्थर के द्वारा

4. परिश्रम से क्या प्राप्त होता है?
(क) निराशा
(ख) दुख
(ग) इज्जत
(घ) आनंद और सफलता
उत्तर :
(घ) आनंद और सफलता

5. गद्यांश का उचित शीर्षक है
(क) बाधाहीन जीवन
(ख) सृष्टिकर्ता
(ग) संधानशील मनुष्य
(घ) अंत:करण
उत्तर :
(ग) संधानशील मनुष्य

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

30. यह हमारी एकता का ही प्रमाण है कि उत्तर या दक्षिण चाहे जहाँ भी चले जाइए, आपको जगह-जगह पर एक ही संस्कृति के मंदिर दिखाई देंगे, एक ही तरह के आदमियों से मुलाकात होगी जो चंदन लगाते हैं, स्नान-पूजा करते हैं, तीर्थ-व्रत में विश्वास करते हैं अथवा जो नई रोशनी को अपना लेने के कारण इन बातों को कुछ शंका की दृष्टि से देखते हैं। उत्तर भारत के लोगों का जो स्वभाव है, जीवन को देखने की उनकी जो दृष्टि है, वही स्वभाव और वही दृष्टि दक्षिण वालों की भी है।

भाषा की दीवार के टूटते ही एक उत्तर भारतीय और एक दक्षिण भारतीय के बीच कोई भी भेद नहीं रह जाता और वे आपस में एक-दूसरे के बहुत करीब आ जाते हैं। असल में भाषा की दीवार के आर-पार बैठे हुए भी वे एक ही हैं। वे एक धर्म के अनुयायी और संस्कृति की एक ही विरासत के भागीदार हैं, उन्होंने देश की आजादी के लिए एक ही होकर लड़ाई लड़ी और आज उनकी पार्लियामेंट और शासन-विधान भी एक है। और जो बात हिंदुओं के बारे में कही जा रही है। वही बहुत दूर तक मुसलमानों के बारे में भी कही जा सकती है।

देश के सभी कोनों में बसने वाले मुसलमानों के भीतर जहाँ एक धर्म को लेकर एक तरह की आपसी एकता है। वहाँ वे संस्कृति की दृष्टि से हिंदुओं के भी बहुत करीब हैं, क्योंकि ज़्यादा मुसलमान तो ऐसे ही हैं, जिनके पूर्वज हिंदू थे और जो इस्लाम धर्म में जाने के समय अपनी हिंदू-आदतें अपने साथ ले गए। इसके सिवा अनेक सदियों तक हिंदू-मुसलमान साथ रहते आए हैं और इस लंबी संगति के फलस्वरूप उनके बीच संस्कृति और तहज़ीब की बहुत-सी सामान बातें पैदा हो गई हैं जो उन्हें दिनों-दिन आपस में नज़दीक लाती जा रही हैं।

1. लेखक भारत की एकता का कौन-सा प्रमाण प्रस्तुत करता है?
(क) जगह-जगह पर एक ही संस्कृति के मंदिर दिखाई देंगे।
(ख) एक ही तरह के आदमियों से मुलाकात होगी जो चंदन लगाते हैं, स्नान-पूजा करते हैं।
(ग) तीर्थ-व्रत में विश्वास करते हैं।
(घ) उपर्युक्त सभी विकल्प।
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त सभी विकल्प।

2. भारत और दक्षिण भारत के लोगों की कौन-सी स्वाभाविक एकता बताई गई है
(क) जीवन को देखने की दृष्टि
(ख) स्वार्थी जीवन को अपनाने की दृष्टि
(ग) केवल तीर्थ-व्रत में विश्वास करने की दृष्टि
(घ) (क) व (ख) विकल्प
उत्तर :
(क) जीवन को देखने की दृष्टि

3. किसके आर-पार बैठे हुए भी वे एक ही हैं?
(क) सीमा रेखा के आर-पार
(ख) रहन-सहन की दीवार के आर-पार
(ग) भाषा की दीवार के आर-पार
(घ) (क) व (ख) विकल्प
उत्तर :
(क) सीमा रेखा के आर-पार

4. हिंदू-मुसलमान की लंबी संगति के फलस्वरूप क्या हुआ?
(क) संस्कृति और तहज़ीब की बहुत-सी समान बातें पैदा हो गई।
(ख) बहुत-सी असमान बातें पैदा हो गई।
(ग) भाषा की दीवार बन गई।
(घ) (क) व (ख) विकल्प।
उत्तर :
(क) संस्कृति और तहज़ीब की बहुत-सी समान बातें पैदा हो गईं।

5. देश के सभी कोनों में बसने वाले मुसलमानों के भीतर किसे लेकर आपसी एकता है?
(क) कर्म को लेकर
(ख) धर्म को लेकर
(ग) व्यवसाय को लेकर
(घ) सभी विकल्प
उत्तर :
(ख) धर्म को लेकर

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

31. अहिंसा और कायरता कभी साथ नहीं चलती। मैं पूरी तरह शस्त्र-सज्जित मनुष्य के हृदय से कायर होने की कल्पना कर सकता हूँ। हथियार रखना कायरता नहीं तो डर का होना तो प्रकट करता ही है, परंतु सच्ची अहिंसा शुद्ध निर्भयता के बिना असंभव है। क्या मुझमें बहादुरों की वह अहिंसा है? केवल मेरी मृत्यु ही इसे बताएगी। अगर कोई मेरी हत्या करे और मैं मुँह से हत्यारे के लिए प्रार्थना करते हुए तथा ईश्वर का नाम जपते हुए और हृदये मंदिर में उसकी जीती-जागती उपस्थिति का भान रखते हुए मरूँ तो ही कहा जाएगा कि मझमें बहादुरों की अहिंसा थी। मेरी सारी शक्तियों के क्षीण हो जाने से अपंग बनकर मैं एक हारे हुए आदमी के रूप में नहीं मरना चाहता।

किसी हत्यारे की गोली भले मेरे जीवन का अंत कर दे, मैं उसका स्वागत करूँगा। लेकिन सबसे ज़्यादा तो मैं अंतिम श्वास तक अपना कर्तव्य-पालन करते हुए ही मरना पसंद करूंगा। मुझे शहीद होने की तमन्ना नहीं है। लेकिन अगर धर्म की रक्षा का उच्चतम कर्तव्य-पालन करते हुए मुझे शहादत मिल जाए तो मैं उसका पात्र माना जाऊँगा। भूतकाल में मेरे प्राण लेने के लिए मुझ पर अनेक बार आक्रमण किए गए हैं, परंतु आज तक भगवान ने मेरी रक्षा की है और प्राण लेने का प्रयत्न करने वाले अपने किए पर पछताए हैं। लेकिन अगर कोई आदमी यह मानकर मुझ पर गोली चलाए कि वह एक दुष्ट का खात्मा कर रहा है, तो वह एक सच्चे गांधी की हत्या नहीं करेगा, बल्कि उस गांधी की करेगा जो उसे दुष्ट दिखाई दिया था।

1. अहिंसा और कायरता के बारे में क्या कहा गया है?
(क) कभी-कभी एक साथ चलती है।
(ख) हमेशा साथ चलती है।
(ग) दोनों खतरनाक होती हैं।
(घ) कभी साथ नहीं चलती।
उत्तर :
(घ) कभी साथ नहीं चलती।

2. सच्ची अहिंसा किसके बिना असंभव है?
(क) कायरता के बिना
(ख) शुद्ध निर्भयता के बिना
(ग) ममता के बिना
(घ) शुद्ध जड़ता के बिना
उत्तर :
(ख) शुद्ध निर्भयता के बिना

3. गांधी जी किस प्रकार मरना पसंद करेंगे?
(क) कर्तव्य पालन करते हुए
(ख) शत्रु को बदले की भावना से मारते हुए
(ग) हिंसा करते हुए
(घ) सभी विकल्प
उत्तर :
(क) कर्तव्य पालन करते हुए

4. प्राण लेने का प्रयत्न करने वालों के साथ क्या हुआ है?
(क) कोई फ़र्क नहीं पड़ा है।
(ख) आंतरिक ग्लानि नहीं हुई।
(ग) अपने किए पर पछताए हैं।
(घ) कभी झुके नहीं हैं।
उत्तर :
(ग) अपने किए पर पछताए हैं।

5. किसी हत्यारे की गोली भले मेरे जीवन का अंत कर दे, मैं उसका –
(क) उसका जड़ से खात्मा करूँगा।
(ख) हृदय से स्वागत करूँगा।
(ग) उसको मिट्टी में मिला दूंगा।
(घ) मैं उसकी प्रशंसा करूँगा।
उत्तर :
(ख) हृदय से स्वागत करूँगा।

JAC Class 10 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश

32. उन्नीसवीं शताब्दी से पहले, मानव और पशु दोनों की आबादी भोजन की उपलब्धता तथा प्राकृतिक विपदाओं आदि के कारण सीमित रहती थी। कालांतर में जब औद्योगिक क्रांति के कारण मानव सभ्यता की समृद्धि में भारी वृद्धि हुई तब उसके परिणामस्वरूप कई पश्चिमी देश ऐसी बाधाओं से लगभग अनिवार्य रूप से मुक्त हो गए। इससे वैज्ञानिकों ने अंदाजा लगाया कि अब मानव जनसंख्या विस्फोटक रूप से बढ़ सकती है। परंतु इन देशों में परिवारों का औसत आकार घटने लगा था और जल्दी ही समृद्धि और प्रजनन के बीच एक उलटा संबंध प्रकाश में आ गया था।

जीवविज्ञानियों ने मानव समाज की तुलना जानवरों की दुनिया से कर इस संबंध को समझाने की कोशिश की और कहा कि ऐसे जानवर जिनके अधिक बच्चे होते हैं, वे अधिकतर प्रतिकूल वातावरण में रहते हैं और ये वातावरण प्रायः उनके लिए प्राकृतिक खतरों से भरे रहते हैं। चूँकि इनकी संतानों के जीवित रहने की संभावना कम होती है, इसलिए कई संतानें पैदा करने से यह संभावना बढ़ जाती है कि उनमें से कम-से-कम एक या दो जीवित रहेंगी। इसके विपरीत, जिन जानवरों के बच्चे कम होते हैं, वे स्थिर और अनुकूल वातावरण में रहते हैं।

ठीक इसी प्रकार यदि समदध वातावरण में रहने वाले लोग केवल कुछ ही बच्चे पैदा करते हैं, तो उनके ये कम बच्चे उन बच्चों को पछाड़ देंगे जिनके परिवार इतने समृद्ध नहीं थे तथा इनकी आपस की प्रतिस्पर्धा भी कम होगी। इस सिद्धांत के आलोचकों का तर्क है कि पशु और मानव व्यवहार की तुलना नहीं की जा सकती है। वे इसके बजाए यह तर्क देते हैं कि सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन इस घटना को समझाने के लिए पर्याप्त हैं। श्रम-आश्रित परिवारों में बच्चों की बड़ी संख्या एक वरदान के समान होती है।

वे जल्दी काम कर परिवार की आय बढ़ाते हैं। जैसे-जैसे समाज समृद्ध होता जाता है, वैसे-वैसे बच्चे जीवन के लगभग पहले 25-30 सालों तक शिक्षा ग्रहण करते हैं। जीवन के प्रारंभिक वर्षों में उर्वरता अधिक होती है तथा देर से विवाह के कारण संतानों की संख्या कम हो जाने की संभावना बनी रहती है।

1. निम्नलिखित में से कौन-सा ऊपर लिखित पाठ्यांश का प्राथमिक उद्देश्य है?
(क) मानव परिवारों के आकार के संबंध में दिए गए उस स्पष्टीकरण की आलोचना जो पूरी तरह से जानवरों की दुनिया से ली गई टिप्पणियों पर आधारित है।
(ख) औद्योगिक क्रांति के बाद अपेक्षित जनसंख्या विस्फोट न होने के कारणों की विवेचना।
(ग) औद्योगिक क्रांति से पहले और बाद में पर्यावरणीय प्रतिबंधों और सामाजिक दृष्टिकोण से परिवार का आकार कैसे प्रभावित हुआ, का अंतर्संबंध दर्शाना।
(घ) परिवार का आकार बढ़ी हुई समृद्धि के साथ घटता है इस तथ्य को समझने के लिए दो वैकल्पिक सिद्धांत प्रस्तुत करना।
उत्तर :
(घ) परिवार का आकार बढ़ी हुई समृद्धि के साथ घटता है इस तथ्य को समझने के लिए दो वैकल्पिक सिद्धांत प्रस्तुत करना।

2. पाठ्यांश के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सा जनसंख्या विस्फोट के विषय में सत्य है?
(क) पश्चिमी देशों में यह इसलिए नहीं हुआ क्योंकि औद्योगीकरण से प्राप्त समृद्धि ने परिवारों को बच्चों की शिक्षा की विस्तारित अवधि को वहन करने का सामर्थ्य प्रदान किया था।
(ख) यह घटना विश्व के उन क्षेत्रों तक सीमित है, जहाँ औद्योगिक क्रांति नहीं हुई है।
(ग) श्रम आधारित अर्थव्यवस्था में केवल उद्योग के आधार पर ही परिवार का आकार निर्भर रहता है।
(घ) इसकी भविष्यवाणी पश्चिमी देशों में औद्योगिक क्रांति के समय जीवित कुछ लोगों द्वारा की गई थी।
उत्तर :
(घ) इसकी भविष्यवाणी पश्चिमी देशों में औद्योगिक क्रांति के समय जीवित कुछ लोगों द्वारा की गई थी।

3. अंतिम अनुच्छेद निम्नलिखित में कौन-सा कार्य करता है?
(क) यह पहले अनुच्छेद से वर्णित घटना के लिए एक वैकल्पिक स्पष्टीकरण प्रस्तुत करता है।
(ख) यह दूसरे अनुच्छेद में प्रस्तुत स्पष्टीकरण की आलोचना करता है।
(ग) यह वर्णन करता है कि समाज के समृद्ध होने के साथ सामाजिक दृष्टिकोण कैसे बदलते हैं।
(घ) यह दूसरे अनुच्छेद में प्रस्तुत घटना की व्याख्या करता है।
उत्तर :
(क) यह पहले अनुच्छेद में वर्णित घटना के लिए एक वैकल्पिक स्पष्टीकरण प्रस्तुत करता है।

4. पाठ्यांश में निम्नलिखित में से किसका उल्लेख औद्योगिक देशों में औसत परिवार का आकार हाल ही में गिरने के एक संभावित कारण के रूप में नहीं किया गया है?
(क) शिक्षा की विस्तारित अवधि।
(ख) पहले की अपेक्षा देरी से विवाह करना।
(ग) बदल हुआ सामाजिक दृष्टिकोण।
(घ) औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं में मजदूरों की बढ़ती माँग।
उत्तर :
(घ) औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं में मजदूरों की बढ़ती माँग।

5. पाठ्यांश में दी गई कौन-सी जानकारी बताती है कि निम्नलिखित में से किस जानवर के कई बच्चे होने की संभावना है
(क) एक विशाल शाकाहारी जो घास के मैदान में रहता है और अपनी संतानों की भरसक सुरक्षा करता है।
(ख) एक सर्वभक्षी जिसकी आबादी कई छोटे द्वीपों तक सीमित है और जिसे मानव अतिक्रमण से खतरा है।
(ग) एक मांसाहारी जिसका कोई प्राकृतिक शिकारी नहीं है, लेकिन उसे भोजन की आपति बनाए रखने के लिए लंबी दरी तय करनी पड़ती है।
(घ) एक ऐसा जीव जो मैदानों और झीलों में कई प्राणियों का शिकार बनता है।
उत्तर :
(घ) एक ऐसा जीव जो मैदानों और झीलों में कई प्राणियों का शिकार बनता है।

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33. विज्ञान-शिक्षण के पक्षधरों ने कल्पना की थी कि शिक्षा में इसकी शुरुआत पारंपरिकता, कृत्रिमता और पिछड़ेपन को दूर करेगी। यह सोच पुराने समय से चली आ रही-‘तथ्य प्रचुर पाठ्यचर्या’ जिसके अंतर्गत- आलोचना, चुनौती, सृजनात्मकता व विवेचनात्मकता का अभाव था, आदि के कारण पैदा हो रही थी। मानवतावादियों ने सोचा था कि वैज्ञानिक-पद्धति मध्यकालीन मतवाद के अंधविश्वासों को जड़ से मिटा देगी।

किंतु हमारे शिक्षकों ने रासायनिक प्रतिक्रियाओं की समझ को भी प्रेमचंद की कहानियों की तरह केवल पढ़ा व रटाकर उन्हें नीरस बना दिया। शिक्षा में विज्ञान-शिक्षण सम्मिलित करने के लिए यह तर्क दिया गया था कि इससे बच्चे विज्ञान की खोजों से परिचित हो सकेंगे तथा अपने वास्तविक जीवन में घट रही घटनाओं के बारे में कुछ सीखेंगे। वे वैज्ञानिक विधि का अध्ययन कर तार्किक रूप से कैसे सोचना है, के कौशल में पारंगत होंगे। इन उद्देश्यों में से केवल पहले ही में एक सीमित सफलता मिली है।

दूसरे व तीसरे में व्यावहारिक रूप से बच्चे कुछ भी नहीं प्राप्त कर पा रहे हैं। अधिकतर बच्चों से भौतिकी और रसायन विज्ञान के तथ्यों के बारे में कुछ जानने की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन वे शायद ही जानते हों कि उनका कंप्यूटर अथवा कार का इंजन कैसे कार्य करते हैं अथवा क्यों उनकी माता जी सब्जी पकाने के लिए उसे छोटे टुकड़ों में काटती हैं जबकि वैज्ञानिक पद्धति में रुचि रखने वाले किसी भी उज्ज्वल लड़के को ये बातें सहज रूप से ही ज्ञात हो जाती हैं।

वैज्ञानिक पद्धति की शिक्षा अधिकांश विद्यालयों में भली प्रकार से नहीं दी जा रही है। दरअसल, शिक्षकों ने अपनी सुविधा और परीक्षा केंद्रित सोच के कारण, यह सुनिश्चित कर लिया है कि छात्र वैज्ञानिक पद्धति न सीख कर ठीक इसका उलटा सीखें, अर्थात वे जो बताएँ, उस पर आँख मूंद कर विश्वास करें और पूछे जाने पर उसे जस का तस परीक्षा में लिख दें।

वैज्ञानिक पद्धति को आत्मसात करने के लिए लंबे व्यक्तिगत अनुभव तथा परिश्रम व धैर्य पर आधारित वैज्ञानिक मूल्यों की आवश्यकता होती है और जब तक इसे संभव बनाने के लिए शैक्षिक या सामाजिक प्रणालियों को बदल नहीं दिया जाता है, वैज्ञानिक तकनीकों में सक्षम केवल कुछ बच्चे ही सामने आएँगे तथा इन तकनीकों को आगे विकसित करने वालों की संख्या इसका भी अंश मात्र ही होगी।

1. लेखक का तात्पर्य है कि शिक्षकों ने
(क) अपने सीमित ज्ञान के कारण विज्ञान पढ़ाने में रुचि नहीं ली है।
(ख) विज्ञान शिक्षा को लागू करने के प्रयासों को विफल किया है।
(ग) बच्चों को अनुभव आधारित ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया है।
(घ) मानवतावादियों का समर्थन करते हुए कार्य किया है।
उत्तर :
(ख) विज्ञान शिक्षा को लागू करने के प्रयासों को विफल किया है।

2. स्कूल शिक्षा में विज्ञान शिक्षण के प्रति लेखक का क्या रवैया है?
(क) तटस्थ
(ख) सकारात्मक
(ग) व्यंग्यात्मक
(घ) नकारात्मक
उत्तर :
(घ) नकारात्मक

3. उपर्युक्त पाठ्यांश निम्नलिखित में से किस वशक में लिखा गया होगा?
(क) 1950-60
(ख) 1970-80
(ग) 1980-90
(घ) 2000-10
उत्तर :
(क) 1950-60

4. लेखक वैज्ञानिक पद्धति को लागू करने में विफलता के लिए निम्नलिखित किस कारक को सबसे अधिक जिम्मेदार ठहराता है?
(क) शिक्षक
(ख) परीक्षा के तरीके
(ग) प्रत्यक्ष अनुभव की कमी
(घ) सामाजिक और शिक्षा-प्रणाली
उत्तर :
(ग) प्रत्यक्ष अनुभव की कमी

5. यदि लेखक वर्तमान समय में आकर विज्ञान-शिक्षण का प्रभाव सुनिश्चित करना चाहे तो निम्नलिखित में से किस प्रश्न के उत्तर में दिलचस्पी लेगा?
(क) क्या छात्र दुनिया के बारे में अधिक जानते हैं?
(ख) क्या छात्र प्रयोगशालाओं में अधिक समय बिताते हैं?
(ग) क्या छात्र अपने ज्ञान को तार्किक रूप से लागू कर सकते हैं?
(घ) क्या पाठ्यपुस्तकों में तथ्याधारित सामग्री बढ़ी है?
उत्तर :
(ग) क्या छात्र अपने ज्ञान को तार्किक रूप से लागू कर सकते हैं?